एस धम् ो सनंतनोाग 2 11. - osho...

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1 एस धमो सनंतनो, भाग 2 वचन-म 11. तथाता म है ां............................................................................................................... 2 12. उठो... तलाश लातिम है ................................................................................................... 19 13. अंतााती को उकसाना ही यान ......................................................................................... 38 14. अनंत तिपा है ण म ........................................................................................................ 55 15. के वल तशय िीतेगा .......................................................................................................... 76 16. समझ और समातध के अंतरसू........................................................................................... 92 17. ाथाना वयं मंतिल ........................................................................................................ 110 18. ाथाना ेम कᳱ पराकाा................................................................................................ 128 19. िगरण का तेल + ेम कᳱ ाती = परमामा का काश...................................................... 145 20. ेम कᳱ आतिरी मंतिल ु से ेम................................................................................. 159

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Page 1: एस धम् ो सनंतनोाग 2 11. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 ग त क £ष ण स थ ह । अथ ह कक

1

एस धममो सनतनो भाग 2

परवचन-करम

11 तथाता म ह करातत 2

12 उठो तलाश लातिम ह 19

13 अतरााती को उकसाना ही धयान 38

14 अनत तिपा ह कषण म 55

15 कवल तशषय िीतगा 76

16 समझ और समातध क अतरसतर 92

17 पराथाना सवय मतिल 110

18 पराथानााः परम की पराकाषठा 128

19 िागरण का तल + परम की राती = परमातमा का परकाश 145

20 परम की आतिरी मतिलाः रदधो स परम 159

2

एस धममो सनतनो भाग 2

गयारहवा परवचन

तथाता म ह करातत

फनदन चपल तचतत दरकि दतिवारय

उि करोतत मधावी उसकारो व तिन 29

वाररिो व थल ककततो ओकमोकत-उबभतो

पररफनदततद तचतत मारधयय पहातव 30

दतिगगहसस लहनो यतथकाम तनपाततनो

तचततसस दमथो साध तचतत दनत सिावह 31

दरडगम एकचर असरीर गहासय

य तचतत सामससतनत मोकितनत माररनधना 32

अनवरित तचततसस सदधमम अतविानतो

पररपलवपसादसस पा न पररपरतत 33

िीवन दो भातत िीया िा सकता ह--एक मातलक की तरह एक गलाम की तरह और गलाम की तरह

िो िीवन ह वह नाममातर को ही िीवन ह उस िीवन कहना भी गलत ह रस कदिाई पड़ता ह िीवन िसा

आभास होता ह िीवन िसा िस एक सपना दिा हो आशा म ही होता ह गलाम का िीवन तमलगा तमलता

कभी नही आ रहा ह आता कभी नही गलाम का िीवन रस िाता ह आता कभी नही

गलाम क िीवन का शासतर समझ लना िररी ह कयोकक िो उस न समझ पाया वह मातलक क िीवन

को तनरमात न कर पाएगा दोनो क शासतर अलग ह दोनो की वयवसथाए अलग ह गलाम क िीवन क शासतर का

नाम ही ससार ह मातलक और मालककयत क िीवन का नाम ही धमा ह एस धममो सनतनो वही सनातन धमा

का सतर ह

मातलक स अथा ह ऐस िीना िस िीवन अभी और यही ह कल पर िोड़कर नही आशा म नही यथाथा

म मातलक क िीवन का अथा ह मन गलाम हो चतना मातलक हो होश मातलक हो वतततया मातलक न हो

तवचारो का उपयोग ककया िाए तवचार तमहारा उपयोग न कर ल तवचारो को तम काम म लगा सको तवचार

तमह काम म न लगा द लगाम हाथ म हो िीवन की और िहा तम िीवन को ल िाना चाहो वही िीवन

िाए तमह मन क पीि घतसटना न पड़

गलाम का िीवन रहोश िीवन ह िस सारथी नश म हो लगाम ढीली पड़ी हो घोड़ो की िहा मिी हो

रथ को ल िाए ऊरड़-िारड़ म तगराए कषट म डाल मागा स भटकाए लककन सारथी रहोश हो

3

गीता म कषण सारथी ह अथा ह कक िर चतनय हो िाए सारथी तमहार भीतर िो शरषठतम ह िर उसक

हाथ म लगाम आ िाए रहत रार अिीर सा लगता ह कषण को सारथी दिकर अिान ना-कि ह अभी वह

रथ म रठा ह कषण सर कि ह व सारथी रन ह पर परतीक रड़ा मधर ह परतीक यही ह कक तमहार भीतर िो

ना-कि ह वह सारथी न रह िाए तमहार भीतर िो सर कि ह वही सारथी रन िाए

तमहारी हालत उलटी ह तमहारी गीता उलटी ह अिान सारथी रना रठा ह कषण रथ म रठ ह ऐस

ऊपर स लगता ह--मालककयत कयोकक कषण रथ म रठ ह और अिान सारथी ह ऊपर स लगता ह तम मातलक

हो ऊपर स लगता ह तमहारी गीता ही सही ह लककन कफर स सोचना वयास की गीता ही सही ह अिान रथ

म होना चातहए कषण सारथी होन चातहए मन रथ म तरठा दो हिाा नही ह लककन धयान सारथी रन तो

एक मालककयत पदा होती ह

इसतलए हमन इस दश म सनयासी को सवामी कहा ह सवामी का अथा ह तिसन अपनी गीता को ठीक

कर तलया अिान रथ म रठ गया कषण सारथी हो गए वही सनयासी ह वही सवामी ह

और सवामी होना ही एकमातर िीवन ह तर तम िीत ही नही तम िीवन हो िात हो तम महािीवन

हो िात हो सर रदल िाता ह कल तक िहा काट थ वहा फल तिल िात ह और कल तक िो भटकाता था

वही तमहारा अनचर हो िाता ह कल तक िो इकिया कवल दि म ल गई थी व तमह महासि म पहचान

लगती ह कयोकक तिन इकियो स तमन ससार को पहचाना ह व ही इकिया तमह परमातमा क दशान कदलान

लगगी उनको ही झलक तमलगी

यही आि--धयान रिना कफर स दोहराता ह--यही आि उस दिन लगगी और इनही आिो न पदाा

ककया था इनही आिो क कारण वह कदिाई न पड़ता था इन आिो को फोड़ मत लना िसा कक रहत स

नासमझ तमह समझात रह ह य आि रड़ काम म आन को ह तसफा भीतर का इतिाम रदलना ह िो मातलक

ह असली म उस मातलक घोतित करना ह रस उतनी घोिणा काफी ह िो गलाम ह उस गलाम घोतित करना

तमहार भीतर गलाम मातलक रनकर रठ गया ह और मातलक को अपनी मालककयत भल गई ह

इसतलए आिो स पदाथा कदिाई पड़ता ह परमातमा नही कानो स शबद सनाई पड़ता ह तनाःशबद नही हाथो

स कवल वही िआ िा सकता ह िो रप ह आकार ह तनराकार का सपशा नही होता म तमस कहता ह िस

ही तमहार भीतर का इतिाम रदलगा--मातलक अपनी िगह लगा गलाम अपनी िगह लगा चीि वयवतसथत

होगी तमहारा शासतर शीिाासन न करगा ठीक िसा होना चातहए वसा हो िाएगा--ततकषण तम पाओग इनही

आिो स तनराकार की झलक तमलन लगी पदाथा स परमातमा झाकन लगा

पदाथा तसफा घघट ह वही परमी वहा तिपा ह और इनही कानो स तमह शनय का सवर सनाई पड़न लगगा

यही कान ओकार क नाद को भी गरहण कर लत ह कान की भल नही ह आि की भल नही ह इकियो न नही

भटकाया ह सारथी रहोश ह घोड़ो न नही भटकाया ह घोड़ भी कया भटकाएग और घोड़ो को तिममवारी

सौपत तमह शमा भी नही आती

और तमहार साध-सनयासी तमस कह िात ह घोड़ो न भटकाया ह घोड़ कया भटकाएग और तिसको

घोड़ भटका दत हो वह पहच न पाएगा िो घोड़ो को भी न समहाल सका वह कया समहालगा वह पहचन

योगय ही न था उसकी कोई पातरता ही न थी तिसको घोड़ो न भटका कदया

4

नही भटक तम हो लगाम तमहारी ढीली ह घोड़ तो रस घोड़ ह उनक पास कोई होश तो नही िर

तम रहोश हो तो घोड़ो स होश की अपकषा रित हो िर तमहारा चतनय सोया हआ ह तो इकियो स तम

चतनय की अपकषा रित हो इकिया तो तम िस हो वसी ही हो िाती ह इकिया अनचर ह िीवन का इतिाम

रदलना ही साधना ह और यही इतिाम का आधार ह कक मन मातलक न रह िाए धयान मातलक रन

इसी रफतार-आवारा स भटकगा यहा कर तक

अमीर-कारवा रन िा गरार-कारवा कर तक

कर तक गिरत हए कारवा की धल पीि उड़ती धल कर तक ऐस भीड़ क पीि उड़ती धल का

अनगमन करता रहगा कर तक ऐस चलगा मन क पीि शरीर क पीि इकियो क पीि कर तक कषि का

अनसरण होगा अमीर-कारवा रन िा--अर वकत आ गया कक मातलक रन िा इस कारवा का पथ-परदशाक

रन िा सारथी रन िा रहत कदन अिान रह तलए कषण रनन का समय आ गया

कषण और अिान दो नही ह एक ही वयति को िमान क दो ढग ह एक ही चतना क दो ढग ह दो रप

ह रथ तो वही रहगा कि भी न रदलगा कषण को भीतर तरठा दो अिान को सारथी रना दो सर डगमगा

िाएगा कि तमन िोड़ा नही कि घटाया नही

रदध न कि िोड़ा थोड़ ही ह उतना ही ह रदध क पास तितना तमहार पास ह रततीभर जयादा नही कि

घटाया थोड़ ही ह रततीभर कम नही न कि िोड़ा ह न कि िोड़ा ह वयवसथा रदली ह वीणा क तार अलग

पड़ थ वीणा पर कस कदए ह या वीणा क तार ढील थ उनह कस कदया ह िो िहा होना चातहए था वहा रि

कदया ह िो िहा नही होना चातहए था वहा स रदल कदया ह सर वही ह रदध म िो तमम ह अतर कया ह

सयोिन अलग ह और सयोिन क रदलत ही सर रदल िाता ह--सर तम भरोसा भी नही कर सकत कक

तमहारा ही सयोिन रदलकर रदधतव पदा हो िाता ह कक तमही अिान तमही कषण अभी तम भरोसा भी कस

करो

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

इतना ही फका ह पहल शरार िीसत थी--पहल नशा ही जिदगी थी अर िीसत ह शरार--अर जिदगी

ही नशा ह पहल नशा जिदगी थी पहल शरार जिदगी थी अर जिदगी शरार ह

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रस इतना ही फका ह पहल तम पी रह थ कोई तपला न रहा था और तर शरार जिदगी मालम होती

थी रहोशी जिदगी मालम होती थी अर अर जिदगी ही शरार ह अर िीवन का उतसव ह आनद ह और

अर तम नही पी रह हो--

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

सयोिन रदला कक अहकार गया कषण रथ म रठ िाए अिान सारथी रन िाए अहकार पररणाम

होगा अिान रथ म रठ कषण सारथी रन तनरअहकार पररणाम होगा सारा गीता का सदश इतना सा ही ह

कक अिान त सवय को िोड़ द तनरअहकार हो िा त मत पी अपन हाथ स

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

परमातमा िो करता ह करन द त तनतमतत हो िा िो तनतमतत हो गया वह मातलक हो गया कयोकक िो

तनतमतत हो गया वह मातलक क साथ एक हो गया

5

रदध क य सतर रहत गलत तरह स समझ गए ह इस पहल कह द कयोकक तितन महासतर ह आदमी

उनको गलत ही समझ सकता ह आदमी क भीतर परतवषट होत ही ककरण भी अधकार हो िाती ह आदमी क

भीतर परतवषट होत ही सगध दगध हो िाती ह आदमी क भीतर समझ क हीर भी नासमझी क ककड़-पतथर

होकर रह िात ह रदध न य सतर कदए ह रड़ रहमलय लककन रदध क पीि चलन वालो न उनह गलत ढग स

पकड़ा ह िसा कक सभी क पीि चलन वालो न गलत ढग स पकड़ा ह कि रात ऐसी रारीक ह और कि रात

ऐसी तभि ह आदमी स कक आदमी क हाथ म पड़त ही भल हो िाती ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

इन सतरो स लोगो न समझा कक तचतत को दराना ह कक तचतत को तमटाना ह कक तचतत स लड़ना ह रदध

कवल तचतत का सवभाव समझा रह ह रदध कह रह ह तचतत कषतणक ह चचल ह लड़न की कोई रात नही कर

रह ह इतना ही कह रह ह कक तचतत का सवभाव ऐसा ह तथय की घोिणा कर रह ह

लककन तमहार मन म िस ही कभी कोई तमस कहता ह तचतत कषतणक ह िीवन कषणभगर ह तम ततकषण-

-कषणभगरता को तो नही समझत--शाशवत की िोि म लग िात हो वही भल हो िाती ह और तमहार

महातमागण िर भी तमस कहत ह िीवन कषणभगर तचतत कषतणक तम ततकषण सोचन लगत हो कस उस पाए

िो अकषतणक ह िो शाशवत ह सनातन ह रस वही भल हो िाती ह शाशवत को पाना नही ह कषतणक को

समझ लना ह

िापान म एक रहत रड़ा झन कतव हआ रासो उसकी एक िोटी सी कतवता ह एक हाइक ह तिसका

अथा रड़ा अदभत ह हाइक ह कक तिनहोन िाना वह व ही लोग ह तिनहोन इिधनि को दिकर ततकषण न कहा

कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन पानी क ररल को टटत दिकर ततकषण न कहा कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन

ओस की रद को तरिरत या वाषपीभत होत दिकर ततकषण न कहा कक हम उदास हो गए िीवन कषणभगर ह

उनहोन ही िाना

यह रड़ी अिीर रात ह रदध क रड़ तवपरीत लगती ह रासो रदध का भि ह पर रासो समझा

िस ही तमस कोई कहता ह िीवन कषणभगर ह और तम िोड़न को रािी हो िात हो तो तम िीवन को

िोड़न को रािी नही होत तम कषणभगरता को िोड़न को रािी होत हो तमहारी वासना नही तमटती तमहारी

वासना और रढ़ गई तम सनातन चाहत हो शाशवत चाहत हो तम ककड़-पतथर रि थ ककसी न कहा य

ककड़-पतथर ह--तम अर तक हीर समझ थ इसतलए पकड़ थ--ककसी न कहा ककड़-पतथर ह तम िोड़न को

रािी हो गए कयोकक अर असली हीरो की तलाश करनी ह हीरो का मोह नही गया पहल इनह हीरा समझा

था तो इनह पकड़ा था अर कोई और हीर ह तो उनह पकड़ग लककन तम वही क वही हो

रदध िर कहत ह मन कषतणक ह चचल ह िीवन कषणभगर ह तो व तसफा तथय की घोिणा करत ह व

तसफा इतना ही कहत ह ऐसा ह इसस तम वासना मत तनकाल लना इसस तम साधना मत तनकाल लना

इसस तम अतभलािा मत िगा लना इसस तम आशा को पदा मत कर लना इसस तम भतवषय क सपन मत

दिन लगना और मिा यह ह कक िो तथय को दि लता ह वह शाशवत को उपलबध हो िाता ह िस ही तमह

यह कदिाई पड़ गया कक मन कषतणक ह कि करना थोड़ ही पड़ता ह शाशवत को पान क तलए मन कषतणक ह

ऐस रोध म मन शात हो िाता ह

इस िरा थोड़ा गौर स समझना

6

ऐस रोध म कक मन कषतणक ह पानी का ररला ह अभी ह अभी न रहा भोर की तरया ह डरी-डरी

अर डरी तर डरी कि करना थोड़ ही पड़ता ह ऐस रोध म तम िाग िात हो गसटॉलट रदल िाता ह िीवन

की परी दिन की वयवसथा रदल िाती ह कषणभगर क साथ िो तमन आशा क सत राध रि थ व टट िात ह

शाशवत को िोिना नही ह कषणभगर स िागना ह िागत ही िो शि रह िाता ह वही शाशवत ह

शाशवत को कोई कभी पान थोड़ ही िाता ह कयोकक शाशवत का तो अथा ही ह कक तिस कभी िोया नही िो

िो िाए वह कया िाक शाशवत ह हा कषणभगर म उलझ गए ह रस उलझाव चला िाए शाशवत तमला ही ह

लककन तम कया करत हो तम कषणभगर क उलझाव को शाशवत का उलझाव रना लत हो तम ससार

की तरफ दौड़त थ ककसी न चताया चत तो तम नही कयोकक चतान वाला कह रहा थााः दौड़ो मत--तम ससार

की तरफ दौड़त थ रदध राह पर तमल गए उनहोन कहा कहा दौड़ िा रह हो वहा कि भी नही ह--व इतना

ही चाहत थ कक तम रक िाओ दौड़ो मत तमन उनकी रात सन ली लककन तमहारी वासना न उनकी रात का

अथा रदल तलया तमन कहा ठीक ह यहा अगर कि भी नही ह तो हम मोकष की तरफ दौड़ग लककन दौड़ग

हम िरर

दौड़ ससार ह रक िात तो मोकष तमल िाता ससार की तरफ न दौड़ मोकष की तरफ दौड़न लग

कषणभगर को न पकड़ा तो शाशवत को पकड़न लग धन न िोिा तो धमा को िोिन लग लककन िोि िारी

रही िोि क साथ तम िारी रह िोि क साथ अहकार िारी रहा िोि क साथ तमहारी तिा िारी रही

तमहारी नीद िारी रही कदशाए रदल गयी पागलपन न रदला पागल परर दौड़ कक पतिम कोई फका पड़ता

ह पागल दतकषण दौड़ कक उततर कोई फका पड़ता ह दौड़ ह पागलपन

य तथय ह और इसतलए झन म--िो रदध-धमा का सारभत ह--ऐस उललि ह हिारो कक रदध क वचन को

पढ़त-पढ़त सनत-सनत अनक लोग समातध को उपलबध हो गए ह दसर धमो क लोग यह रात समझ नही पात

ह कक यह कस होगा तसफा सनत-सनत

रदध का सवाशरषठ शासतर ह--भारत स ससकत क रप िो गए ह चीनी और ततबरती स उसका कफर स

पनआरवाषकार हआ--कद डायमड सतरा रदध उस सतर म सकड़ो रार यह कहत ह कक तिसन इस सतर की चार

पतिया भी समझ ली वह मि हो गया सकड़ो रार--एक-दो रार नही--करीर-करीर हर पषठ पर कहत ह

कभी-कभी हरानी होती ह कक व इतना कयो इस पर िोर द रह ह रहत रार उनहोन उस सतर म कहा ह

तिसस व रोल रह ह तिस तभकष स व रात कर रह ह उसस व कहत ह सन गगा क ककनार तितन रत क कण

ह अगर परतयक रत का कण एक-एक गगा हो िाए--तो उन सारी गगाओ क ककनार ककतन रत क कण होग

वह तभकष कहता ह अनत-अनत होग तहसार लगाना मतककल ह रदध कहत ह अगर कोई वयति उतना अनत-

अनत पणय कर तो ककतना पणय होगा वह तभकष कहता ह रहत-रहत पणय होगा उसका तहसार तो रहत

मतककल ह रदध कहत ह लककन िो इस शासतर की चार पतिया भी समझ ल उसक पणय क मकारल कि भी

नही

िो भी पढ़गा वह थोड़ा हरान होगा कक चार पतिया परा शासतर आधा घट म पढ़ लो इसस रड़ा नही

ह चार पतिया िो पढ़ ल रदध कया कह रह ह रदध न एक नवीन दशान कदया ह वह ह तथय को दि लन

का रदध यह कह रह ह िो चार पतिया भी पढ़ ल िो म कह रहा ह उसक तथय को चार पतियो म भी दि

ल कफर कि करन को शि नही रह िाता रात हो गई सतय को सतय की तरह दि तलया असतय को असतय

7

की तरह दि तलया रात हो गई कफर पित हो तम कया कर तो मतलर हआ कक समझ नही समझ तलया तो

करन को कि रचता नही ह कयोकक करना ही नासमझी ह

वही अिान पि चला िाता ह कषण स कक अगर म ऐसा कर तो कया होगा अगर वसा कर तो कया

होगा और कषण कहत ह त करन की रात ही िोड़ द त करन की रात उस पर िोड़ द त कर ही मत तर

करन स सभी गड़रड़ होगा त उस करन द

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रदध कहत ह िान तलया समझ तलया हो गया करन की रात ही नासमझी स उठती ह कयोकक तम

रोध हो चतनय हो तचतत कषतणक ह चचल ह यह कोई तसदधात नही यह कवल सतय की उदघोिणा ह इस

सनो कि करना नही ह इस पहचानो कि साधना नही ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

अगर वाण ततरिा हो आड़ा हो तो तनशान पर नही पहचता सीधा चातहए ऋि चातहए सरल

चातहए कफर पहच िाता ह तमहारा मन ततरिा ह या सीधा तमहारा मन िरटल ह या सरल तमहारा मन

तमहारा मन ह तम वाणकार हो तमहारा मन तमहार हाथ का वाण ह लककन तमन कभी खयाल ककया कक तम

उस िरटल ककए चल िात हो तम उस उलझाए चल िात हो

सीध-सरल का कया अथा ह सीध-सरल का अथा ह िसा मन हो उस वसा ही दि लना ततकषण मन

सरल हो िाता ह यही ह मन का दशान कहो धयान कहो अपरमाद या कोई और नाम दो मन को उसको िसा

ह वसा ही दि लन स ततकषण सरल हो िाता ह

समझो कक तम चोर हो या झठ रोलन वाल हो अर एक झठ रोलन वाला आदमी ह वह मर पास

आता ह वह कहता ह कक मझ सतय रोलन की कला तसिा द ऐस ही उलझा ह झठ स उलझा ह अर एक और

सतय की झझट भी लना चाहता ह अर झठ रोलन वाल आदमी को सच रोलन की कला कस तसिाई िाए

कयोकक उस कला को सीिन म भी वह झठ रोलगा

एक करोधी आदमी ह वह कहता ह मझ अकरोध सीिना ह अर करोधी आदमी को अकरोध कस तसिाया

िाए अगर उसस कहो घर म शात होकर रठ िाना तो वह रठगा कस करोध ही उरलगा और अकसर ऐस

करोधी अगर पिा-पाठ पराथाना करन लगत ह तो घरभर की मसीरत आ िाती ह इसस तो रहतर था कक व

नही करत थ कयोकक रचचा अगर िरा शोरगल कर द तो उनका करोध उरल पड़ता ह कक धयान म राधा पड़

गई या अगर पतनी क हाथ स रतान तगर िाए तो उनका धमा धयान नषट हो गया करोध उनका िाएगा कस व

धयान क आधार पर भी करोध करग

जहसक ह कोई पिता ह अजहसक होना ह जहसक तचतत कस अजहसक होगा वस ही िरटल था अजहसा

और उपिव िड़ा कर दगी तो वह तरकीर िोि लगा अजहसक कदिन की लककन जहसक ही रहगा और पहल

कम स कम जहसा कदिाई पड़ती थी अजहसा म अगर ढक गई तो कफर कभी भी कदिाई न पड़गी कामवासना स

भरा हआ आदमी वह कहता ह बरहमचया साधना ह तम अपन तवपरीत िान की चषटा करोग िरटल हो

िाओग

8

रदध कया कहत ह रदध कहत ह करोधी हो तो करोध क तथय को िानो अकरोधी होन की चषटा मत करना

करोधी हो करोध को सवीकार करो कह दो सार िगत को कक म करोधी ह और उस तिपाए मत कफरो कयोकक

तिपान स कही रोग तमटा ह िोल दो उस शायद रह िाए शायद नही रह ही िाता ह अगर जहसक हो तो

सवीकार कर लो कक म जहसक ह और अपन जहसक होन की दीनता को असवीकार मत करो कही अजहसक होन

की चषटा म यही तो नही कर रह हो कक जहसक होन को कस सवीकार कर तो अजहसा स ढाक ल घाव ह तो फल

ऊपर स तचपका द गदगी ह तो इतर तिड़क द कही ऐसा तो नही ह ऐसा ही ह

इसतलए तम पाओग कक कामक बरहमचारी हो िात ह और उनक बरहमचया स तसवाय कामवासना की

दगध क कि भी नही उठता करोधी शात होकर रठन लगत ह लककन उनकी शातत म तम पाओग कक

जवालामिी उरल रहा ह करोध का ससारी सनयासी हो िात ह और उनक सनयास म तसवाय ससार क और कि

भी नही ह मगर तम भी धोि म आ िात हो कयोकक ऊपर स व वश रदल लत ह ऊपर स उलटा कर लत ह

भीतर लोभ ह ऊपर स दान करन लगत ह

लककन धयान रिना लोभी िर दान करता ह तर भी लोभ क तलए ही करता ह होगा लोभ परलोक का

कक सवगा म भिा लग तलि दी हडी हतडया तनकाल रहा ह वह सवगा म भिाएगा वह सोच रहा ह कया-कया

सवगा म पाना ह इसक रदल म और ऐस लोतभयो को धमा म उतसक करन क तलए पतडत और परोतहत तमल

िात ह व कहत ह यहा एक दोग करोड़ गना पाओग थोड़ा तहसार भी तो रिो सौदा कर रह हो यह सौदा

भी तरलकल रईमानी का ह गगा क ककनार पड रठ ह व कहत ह एक पसा यहा दान दो करोड़ गना पाओग

यह कोई सौदा हआ यह तो िए स भी जयादा झठा मालम पड़ता ह एक पसा दन स कस करोड़ गना पाओग

करोड़ गन की आशा दी िा रही ह कयोकक तमस एक पसा भी िटगा नही तसवाय इसक तमहार लोभ को

उकसाया िा रहा ह लोभी दान करता ह मकदर रनवाता ह धमाशाला रनवाता ह लककन यह सर लोभ का

ही फलाव ह

दान तो तभी सभव ह िर लोभ तमट िाए लोभ क रहत दान कस सभव ह बरहमचया तो तभी सभव ह

िर वासना िो िाए वासना क रहत बरहमचया कस सभव ह धयान तो तभी सभव ह िर मन चला िाए मन

क रहत धयान कस सभव ह अगर मन क रहत धयान करोग तो मन स ही धयान करोग मन का धयान कस

धयान होगा मन का अभाव धयान ह

इसतलए रदध न एक अतभनव-शासतर िगत को कदया--तसफा िागकर तथयो को दिन का रदध न नही

तसिाया कक तम तवपरीत करन लगो रदध न इतना ही तसिाया कक तम िो हो उस सरल कर लो सीधा कर

लो उसक सीध होन म ही हल ह तम करोधी हो करोध को िानो तिपाओ मत ढाको मत मसकराओ मत

िीवन को झठ स तिपाओ मत परगट करो और तम चककत हो िाओग अगर तम अपन करोध को

सवीकार कर लो अपनी घणा को ईषयाा को दवि को िलन को सवीकार कर लो तम सरल होन लगोग तम

पाओग एक साधता उतरन लगी अहकार अपन आप तगरन लगा कयोकक अहकार तभी तक रह सकता ह िर

तक तम धोिा दो अहकार धोि का सार ह या सर धोिो का तनचोड़ ह तितन तमन धोि कदए उतना ही

रड़ा अहकार ह कयोकक तमन रड़ी चालरािी की और तमन दतनया को धोि म डाल कदया तम रड़ अकड़

हए हो लककन तम उघाड़ दो सर

तिसको िीसस न कनफशन कहा ह--सवीकार कर लो और िीसस न तिसको कहा ह कक तिसन सवीकार

कर तलया वह मि हो गया उसको ही रदध न कहा ह--रदध कनफशन शबद का उपयोग नही कर सकत कयोकक

9

परमातमा की कोई िगह नही ह रदध क तवचार म ककसक सामन करना ह सवीकार अपन ही सामन सवीकार

कर लना ह तथय की सवीकतत म तथय स मति ह तथय की सवीकतत म तथय क पार िाना ह

इस रहमलय सतर का थोड़ा सा िीवन म उपयोग करोग तम चककत हो िाओग तमहार हाथ म कीतमया

लग गई एक किी लग गई तम िो हो उस सवीकार कर लो चोर हो चोर झठ हो झठ रईमान हो रईमान

कया करोग तम उस सवीकतत म तम पाआग कक अचानक तम िो थ वह रदलन लगा वह नही रदलता था

कयोकक तम तिपात थ िस घाव को िोल दो िली रोशनी म सरि की ककरण पड़ तािी हवाए िए घाव

भरन लगता ह ऐस ही य भीतर क घाव ह इनह तम िगत क सामन िोल दो य भरन लगत ह

इस तसथतत को रदध कहत ह--मधावी परि रतदधमान वयति तिसको थोड़ी भी अकल ह राकी य िो

उलट काम कर रह ह--करोधी अकरोधी रनन की जहसक अजहसक रनन की--य मढ़ ह य मधावी नही ह य समय

गवा रह ह य कभी कि न रन पाएग य मल ही चक गए यह पहल कदम पर ही भल हो गई

मधावी परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रना लता ह अपन तचतत को तिस परकार वाणकर वाण

को

तिसकी तम आकाकषा करोग उसस ही तम वतचत रहोग एस धममो सनतनो तिसको तम सवीकार कर

लोग उसस ही तम मि हो िाओग तिसको तम मागोग नही वह तमहार पीि आन लगता ह और तिसको

तम मागत हो वह दर हटता चला िाता ह तमहारी माग हटाती ह दर

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

िीवन म सफलता का राि आकाकषा की सफलता का राि यही ह कक आकाकषा िोड़ दी

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

तमन अगर अकरोध को पान की दौड़ िोड़ दी तम करोध को सवीकार कर तलए--था करोग कया

तिपाओग कहा ककसस तिपाना ह तिपाकर ल िाओग कहा अपन ही भीतर और समा िाएगा और िड़

गहरी हो िाएगी जहसक थ जहसा सवीकार कर ली और तम अचानक हरान होओगाः जहसा गई और अजहसा

उपलबध हो गई

तिसको भी पान की तम दौड़ करोग वही न तमलगा अजहसक होना चाहोग अजहसक न हो पाओग शात

होना चाहोग शात न हो पाओग सनयासी होना चाहोग सनयासी न हो पाओग िो होना ह वह चाह स नही

होता चाह स चीि दर हटती िाती ह चाह राधा ह तम िो हो रस उसी क साथ रािी हो िाओ तम तथय

स िरा भी न हटो तम भतवषय म िाओ ही मत तम वतामान को सवीकार कर लो--मन दतनया िोड़ दी तो

तमल गई दतनया मझ

भागती कफरती थी दतनया िर तलर करत थ हम

िर हम नफरत हई वह रकरार आन को ह

तम तिसक पीि िाओग तमहार पीि िान स ही तम उस अपन पीि नही आन दत तम पीि िाना रद

करो तम िड़ हो िाओ और िो तमन चाहा था िो तमन मागा था वह ररस िाएगा लककन वह ररसता

तभी ह िर तमहार भीतर तभिारी का पातर नही रह िाता मागन वाल का पातर नही रह िाता िर तम

समराट की तरह िड़ होत हो इसको ही म मातलक होना कहता ह तम िो भी हो वही होकर तम मातलक हो

10

सकत हो तमन कि और होना चाहा तो तम कस मातलक हो सकत हो तर तो माग रहगी और तम तभिारी

रहोग

आि अभी इसी कषण तम मातलक हो सकत हो माग िोड़त ही आदमी मातलक हो िाता ह और थोड़

ही मातलक होन का कोई उपाय ह तम अगर मझस पिो कस कफर तम चक कयोकक तमन कफर माग क तलए

रासता रनाया तमन कहा कक ठीक कहत ह मातलक तो म भी होना चाहता ह

म तमस कहता ह तम हो सकत हो इसी कषण तम हो आिभर िोलन की रात ह तम कहत हो कक

होना तो म भी चाहता ह िो तथय ह तम उस चाह रनात हो चाह रनाकर तम तथय को दर हटात हो कफर

तथय तितना दर हटता िाता ह उतनी तम जयादा चाह करत हो तितनी जयादा तम चाह करत हो उतना

तथय और दर हट िाता ह कयोकक चाह स तथय का कोई सरध कस िड़गा तथय तो ह और चाह कहती ह

होना चातहए इन दोनो म कही मल नही होता

रदध का शासतर ह कक तम तथय को दिो और िो ह उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना यही कषणमरता का परा सार-सचय ह कक तम िो हो उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना हो वही हो उसस तभि िान की चषटा की कक भटक उसस तवपरीत िान की चषटा की कक कफर तो

तमन अनत दरी पर कर दी मतिल सवीकार म तथाता म करातत ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

यह उनकी उस कदन की भािा ह इसको आि की भािा म रिना पड़गा

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह

िलाशय यानी तथय िो ह िो मिली का िीवन ह उसस तनकालकर उस तट पर फक कदया

और िस मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

मार का फदा कया ह आकाकषा का मार का फदा कया ह आशा का मार का फदा कया ह कि होन

की आकाकषा और दौड़

िीसस क िीवन म उललि ह कक िर चालीस कदन क धयान क राद व परम तसथतत क करीर पहचन

लग तो शतान परगट हआ वह शतान कोई और नही ह वह तमहारा मन ह िो मरत वि ऐस ही भभककर

िलता ह िस रझत वि कदया आतिरी लपट लता ह मन का अथा ह वही िो अर तक तमस कहता था कि

होना ह कि होना ह िो तमह दौड़ाए रिता था धयान की आतिरी घड़ी आन लगी िीसस की मन

मौिद हआ िीसस की भािा म शतान रदध की भािा म मार मन न कहा तमह िो रनना हो म रना द

िीसस स कहा तमह िो रनना हो म रना द सार ससार का समराट रना द तीनो लोको का समराट रना द तम

रोलो तमह िो रनना हो म तमह रना द िीसस मसकराए और उनहोन कहा त पीि हट शतान पीि हट

कया मतलर ह िीसस का िीसस यह कह रह ह अर त और चकम मत द रनान क रनन क अर तो िो म

ह पयाापत ह त पीि हट त मझ राह द

रदध िर परम घड़ी क करीर पहचन लग तो वही घटना ह मार मौिद हआ मार यानी मन और मन न

कहा अभी मत िोड़ो आशा कयोकक उस साझ रदध ससार स तो िाः साल पहल मि हो गए थ िाः साल स

व मोकष की तलाश म लग थ और िाः साल म थक गए कयोकक तलाश स कभी कि तमला ही नही ह रदध को

नही तमला तमह कस तमलगा तलाश तो भटकन का उपाय ह पहचन का नही उस कदन व थक गए तलाश स

11

भी मोकष भी वयथा मालम पड़ा ससार तो वयथा था आि मोकष भी वयथा हो गया उनहोन साझ तिस वकष क

नीच थोड़ी दर राद व रदधतव को उपलबध हए अपना तसर टक कदया और उनहोन कहा अर कि पाना नही ह

मार उपतसथत हआ उसन कहा इतनी िलदी आशा मत िोड़ो अभी रहत कि ककया िा सकता ह अभी तमन

सर नही कर तलया ह अभी रहत साधन शि ह म तमह रताता ह

लककन रदध न उसकी एक न सनी व लट ही रह व तवशराम म ही रह मार उनह पनाः न िीच पाया दौड़

म मार न सर तरह स चषटा की कक अभी मोकष को पान का यह उपाय हो सकता ह सतय को पान का यह

उपाय हो सकता ह व उपकषा स दित रह

िीसस न तो इतना भी कहा था शतान स हट पीि रदध न उतना भी न कहा कयोकक हट पीि म भी

िीसस थोड़ तो हार गए रदध न इतना भी न कहा रौदधशासतर कहत ह रदध सनत रह उपकषा स इतना भी रस

न तलया कक इनकार भी कर इनकार म भी रस तो होता ही ह सवीकार भी रस ह इनकार भी रस ह रदध न

िीसस स भी रड़ी परौढ़ता का परदशान ककया उसस भी रड़ी परौढ़ता का सरत कदया रदध सनत रह मार थोड़ी-

रहत दर चषटा ककया रड़ा उदास हआ यह आदमी कि रोलता ही नही यह इतना भी नही कहता कक हट यहा

स मझ डरान की कोतशश मत कर अर मझ और मत भटका इतना भी रदध कहत तो भी थोड़ा चषटा करन की

िररत थी लककन इतना भी न कहा

कहत ह मार उस रात तवदा हो गया इस आदमी स सर सरध िट गए यही घड़ी ह समातध की िर

तम मन क तवपरीत भी नही िर तम मन स यह भी नही कहत त िा तम मन स यह भी नही कहत कक अर

रद भी हो अर तवचार न कर अर मझ शात होन द इतना भी नही कहत तभी तम शात हो िात हो कयोकक

मन कफर तमहार ऊपर कोई कबिा नही रि सकता इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमह अशात कर सक

इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमहार धयान म राधा डाल सक तम मन क पार हो गए उसी रात सरह

भोर क तार क साथ आतिरी तारा डरता था और रदध परम परजञा को उपलबध हए

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह ऐस ही तम तड़फड़ा रह

हो तचतत तड़फड़ा रहा ह कयोकक तथय और सतय क िलाशय क राहर आशा क तट पर पड़ हो कि होना ह

ऐसा भत सवार ह िो हो उसक अततररि हो कस सकोग कि िो हो वही हो सकत हो उसक राहर उसक

पार कि भी नही ह लककन मन पर एक भत सवार ह कि होना ह गरीर ह तो अमीर होना ह रीमार ह तो

सवसथ होना ह शरीरधारी ह तो अशरीरधारी होना ह िमीन पर ह तो सवगा म होना ह ससार म ह तो मोकष

म होना ह कि होना ह तरकजमग ह स सरध नही ह होन स सरध ह

होना ही मार ह होना ही शतान ह और होन क तट पर मिली िसा तम तड़फड़ात हो लककन तट

िोड़त नही तितन तड़फड़ात हो उतना सोचत हो तड़फड़ाहट इसीतलए ह कक अर तक हो नही पाया िर हो

िाऊगा तड़फड़ाहट तमट िाएगी और दौड़ म लगत हो तका की भातत तमह और तट की तरफ सरकाए ल

िाती ह िर कक पास ही सागर ह तथय का उसम उतरत ही मिली रािी हो िाती उसम उतरत ही मिली

की सर रचनी िो िाती इतन ही करीर िस तट पर तड़फती मिली ह उसस भी जयादा करीर तमहारा

सागर ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

12

लककन हर तड़फड़ाहट इस फद म उलझाए चली िाती ह कयोकक तड़फड़ाहट म भी यह मार की भािा

का ही उपयोग करता ह समझ का नही वहा भी वासना का ही उपयोग करता ह दकान पर रठ लोग दिी ह-

-िो पाना था नही तमला मकदर म रठ लोग दिी ह--िो पाना था नही तमला

िीसस क िीवन म उललि ह व एक गाव स गिर उनहोन कि लोगो को िाती पीटत रोत दिा पिा

कक कया मामला ह ककसतलए रो रह हो कौन सी दघाटना घट गई उनहोन कहा कोई दघाटना नही घटी हम

नका क भय स घरड़ा रह ह

कहा ह नका मगर मन न नका क भय िड़ कर कदए ह उनस घरड़ा रह ह

िीसस थोड़ आग गए उनहोन कि और लोग दि िो रड़ उदास रठ थ िसा मकदरो म लोग रठ रहत ह

रड़ गभीर िीसस न पिा कया हआ तमह कौन सी मसीरत आई ककतन लर चहर रना तलए ह कया हो

गया उनहोन कहा कि भी नही हम सवगा की जचता म जचतातर ह--सवगा तमलगा या नही

िीसस और आग रढ़ उनह एक वकष क नीच कि लोग रड़ परमकदत रड़ शात रड़ आनकदत रठ तमल

उनहोन कहा तमहार िीवन म कौन सी रसधार आ गई तम इतन शात इतन परसि इतन परफतललत कयो हो

उनहोन कहा हमन सवगा और नका का खयाल िोड़ कदया

सवगा ह सि िो तम पाना चाहत हो नका ह दि तिसस तम रचना चाहत हो दोनो भतवषय ह दोनो

कामना म ह दोनो मार क फद ह िर तम दोनो को ही िोड़ दत हो अभी और यही तिस मोकष कहो तनवााण

कहो वह उपलबध हो िाता ह

तनवााण तमहारा सवभाव ह तम िो हो उसम ही तम उस पाओग होन की दौड़ म तम उसस चकत चल

िाओग

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

यह िो होन की आकाकषा ह इसस आग नही पदा होती तसफा धआ ही धआ पदा होता ह रदध का वचन

ह कक वासना स भरा तचतत गीली लकड़ी की भातत ह उसम आग लगाओ तो लपट नही तनकलती धआ ही धआ

तनकलता ह लकड़ी िर सिी होती ह तर उसस लपट तनकलती ह िर तक वासना ह तमहारी समझ म

तमहार िीवन म आग न होगी तमहार िीवन म रोशनी और परकाश न होगा धआ ही धआ होगा अपन ही धए

स तमहारी आि िरार हई िा रही ह अपन ही धए स तम दिन म असमथा हए िा रह हो अध हए िा रह

हो अपन ही धए स तमहारी आि आसओ स भरी ह और िीवन का सतय तमह कदिाई नही पड़ता ह

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

लककन धआ तर तक उठगा ही िर तक कोई भी वासना का गीलापन तम म रह गया ह लकड़ी िर तक

गीली ह धआ उठगा लकड़ी स धआ नही उठता गीलपन स धआ उठता ह लकड़ी म तिप िल स धआ उठता

ह तमस धआ नही उठ रहा ह तमहार भीतर िो वासना की आिाता ह गीलापन ह उसस धआ उठ रहा ह

तयागी रदध न उसको कहा ह िो सिी लकड़ी की भातत ह तिसन वासना का सारा खयाल िोड़ कदया

तिसका तनगरह करना रहत करठन ह और िो रहत तरल ह हलक सवभाव का ह और िो िहा चाह वहा

झट चला िाता ह ऐस तचतत का दमन करना शरिठ ह दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

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दमन शबद को ठीक स समझ लना उस कदन इसक अथा रहत अलग थ िर रदध न इसका उपयोग ककया

था अर अथा रहत अलग ह फरायड क राद दमन शबद क अथा तरलकल दसर हो गए ह भािा वही नही रह

िाती रोि रदल िाती ह भािा तो परयोग पर तनभार करती ह

रदध क समय म पतितल क समय म दमन का अथा रड़ा और था दमन का अथा था मन म िीवन म

तमहार अतताम म अगर तम करोध कर रह हो या तम अशात हो रचन हो तो तम एक तवतशषट मातरा की ऊिाा

नषट कर रह हो सवभावताः िर तम करोध करोग थकोग कयोकक ऊिाा नषट होगी िर तम कामवासना स

भरोग तर भी ऊिाा नषट होगी िर तम उदास होओग दिी होओग तर भी ऊिाा नषट होगी

एक रड़ी हरानी की रात ह कक तसफा शातत क कषणो म ऊिाा नषट नही होती और आनद क कषणो म ऊिाा

रढ़ती ह नषट होना तो दर तवकतसत होती ह परमकदत होती ह इसतलए रदध कहत ह अपरमाद म परमकदत

होओ दि म घटती ह शातत म तथर रहती ह आनद म रढ़ती ह और िर भी तम कोई नकारातमक

तनिधातमक भाव म उलझत हो तर तमहारी ऊिाा वयथा िा रही ह तमम िद हो िात ह िस घड़ म िद हो

और तम उसम पानी भरकर रि रह हो वह रहा िा रहा ह

रदध या पतितल िर कहत ह दमन--तचतत का दमन--तो व यह नही कहत ह कक तचतत म करोध को दराना

ह व यह कहत ह कक तचतत म तिन तििो स ऊिाा रहती ह उन तििो को रद करना ह और िो ऊिाा करोध म

सलगन होती ह उस ऊिाा को िीवन की तवधायक कदशाओ म सलगन करना ह

इस कभी खयाल कर क दिो तमहार मन म करोध उठा ह ककसी न गाली द दी या ककसी न अपमान कर

कदया या घर म ककसी न तमहारी कोई रहमलय चीि तोड़ दी और तम करोतधत हो गए हो एक काम करो

िाकर घर क राहर रगीच म कदाली लकर एक दो कफट का गडढा िोद डालो और तम रड़ हरान होओग कक

गडढा िोदत-िोदत करोध ततरोतहत हो गया कया हआ िो करोध तमहार हाथो म आ गया था िो ककसी को

मारन को उतसक हो गया था वह ऊिाा उपयोग कर ली गई या घर क दौड़कर तीन चककर लगा आओ और तम

पाओग कक लौटकर तम हलक हो गए वह िो करोध उठा था िा चका

यह तो करोध का रपातरण हआ इसको ही रदध और महावीर और पतितल न दमन कहा ह फरायड न

दमन कहा ह--तमहार भीतर करोध उठा उसको भीतर दरा लो परगट मत करो तो ितरनाक ह तो रहत

ितरनाक ह उसस तो रहतर ह तम परगट कर दो कयोकक करोध अगर भीतर रह िाएगा नासर रनगा नासर

अगर समहालत रह समहालत रह सत रह तो आि नही कल क सर हो िाएगा

तितनी मनषयता सभय होती चली िाती ह उतनी ितरनाक रीमाररयो का फलाव रढ़ता िाता ह

क सर रड़ी नई रीमारी ह वह रहत सभय आदमी को ही हो सकती ह िगलो म रहन वाल लोगो को नही

होती आयवद म तो कि रोगो को रािरोग कहा गया ह--व तसफा रािाओ को ही होत थ कषयरोग को रािरोग

कहा ह वह हर ककसी को नही होता था उसक तलए रहत सभयता का तल चातहए रहत सससकाररत िीवन

चातहए िहा तम अपन भावावशो को सगमता स परगट न कर सको िहा तमह झठ भाव परगट करन पड़ िहा

रोन की हालत हो वहा मसकराना पड़ और िहा गदान तमटा दन की तोड़ दन की इचिा हो रही थी वहा

धनयवाद दना पड़ तो तमहार भीतर य दर हए भाव धीर-धीर घाव रन िाएग

फरायड का कहना तरलकल सच ह कक दमन ितरनाक ह लककन रदध महावीर और पतितल तिसको

दमन कहत ह वह ितरनाक नही ह व ककसी और ही रात को दमन कहत ह व कहत ह दमन रपातरण को

तनिध को तवधयक म रदल दन को व दमन कहत ह और उसी मन को व कहत ह सि उपलबध होगा

14

दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

वह लकषण ह तिसको फरायड दमन कहता ह वह तचतत तो रड़ा दिदायी हो िाता ह वह तो रड़ ही दि

स भर िाता ह

दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

तो धयान रिना फरायड क अथो म दमन स रचना और रदध क अथो म दमन को करना करोध उठ तो

तमहार भीतर एक ऊिाा उठी ह उसका कि उपयोग करो अनयथा वह घातक हो िाएगी अगर तम दसर क

ऊपर करोध को फकोग तो दसर को नकसान होगा और करोध और करोध लाता ह वर स वर तमटता नही उसका

कोई अत नही ह वह तसलतसला अतहीन ह अगर तम करोध को भीतर दराओग तो तमहार भीतर घाव हो

िाएगा वह घाव भी ितरनाक ह वह तमह रगण कर दगा तमहार िीवन की िशी िो िाएगी

तो न तो दसर पर करोध फको न अपन भीतर करोध को दराओ करोध को रपातररत करो घणा उठ करोध

उठ ईषयाा उठ इन शतियो का सदपयोग करो मागा क पतथर भी रतदधमान वयति मागा की सीकढ़या रना लत

ह और तर तम रड़ सि को उपलबध होओग दो कारण स एक तो करोध करक िो दि उतपि होता वह नही

होगा कयोकक तमन ककसी को गाली द दी इसस कि तसलतसला अत नही हो गया वह दसरा आदमी कफर

गाली दन की परतीकषा करगा अर उसक ऊपर करोध तघरा ह वह भी तो करोध करगा अगर तमन करोध को दरा

तलया तो तमहार भीतर क सरोत तविाि हो िात ह करोध िहर ह तमहार िीवन का सि धीर-धीर समापत हो

िाता ह तम कफर परसि नही हो सकत परसिता िो ही िाती ह तम हसोग भी तो झठ ओठो पर रहगी हसी

तमहार पराण तक उसका कपन न पहचगा तमहार हदय स न उठगी तमहारी आि कि और कहगी तमहार ओठ

कि और कहग तम धीर-धीर टकड़-टकड़ म टट िाओग

तो न तो दसर पर करोध करन स तम सिी हो सकत हो कयोकक कोई दसर को दिी करक कर सिी हो

पाया और न तम अपन भीतर करोध को दराकर सिी हो सकत हो कयोकक वह करोध उरलन क तलए तयार

होगा इकिा होगा और रोि-रोि तम करोध को इकिा करत चल िाओग भीतर भयकर उतपात हो िाएगा

ककसी भी कदन तमस पागलपन परगट हो सकता ह ककसी भी कदन तम तवतकषपत हो सकत हो एक सीमा तक तम

रठ रहोग अपन जवालामिी पर लककन तवसफोट ककसी न ककसी कदन होगा दोनो ही ितरनाक ह

रपातरण चातहए करोध की ऊिाा को तवधय म लगा दो कि न करत रन सक दौड़ आओ करोध उठा ह

नाच लो तम थोड़ा परयोग करक दिो िर करोध उठ तो नाचकर दिो िर करोध उठ तो एक गीत गाकर दिो

िर करोध उठ तो घमन तनकल िाओ िर करोध उठ तो ककसी काम म लग िाओ िाली मत रठो कयोकक िो

ऊिाा ह उसका उपयोग कर लो और तम पाओग कक िलदी ही तमह एक सतर तमल गया एक किी तमल गई--कक

िीवन क सभी तनिधातमक भाव उपयोग ककए िा सकत ह राह क पतथर सीकढ़या रन सकत ह

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

धयान रिना िो गलत ह उस िोड़न स पहल सही को पदा कर लना िररी ह नही तो गलत की िो

ऊिाा मि होगी वह कहा िाएगी

तम मर पास आत हो कक करोध हम िोड़ना ह लककन करोध म रहत ऊिाा सतितवषट ह तमन रहत सी

शति करोध म लगाई ह काफी इनवसट ककया ह करोध म अगर आि करोध एकदम रद हो िाएगा तो तमहारी

15

ऊिाा िो करोध स मि होगी उसका तम कया करोग वह तमहार ऊपर रोतझल हो िाएगी वह भार हो

िाएगी तमहारी िाती पर पतथर हो िाएगी

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

और तिस चीि स भी तग हो उस िोड़ना ही ह लककन एक रात धयान रिनी ह--

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

अगर य िमीन और आसमा िोड़न ह तो दसर िमीन और आसमा भीतर पदा कर ल कफर इनको िोड़

दना पदा करना पहल िररी ह गलत को िोड़न स जयादा अधर स लड़न की रिाय रोशनी को िला लना

िररी ह

गलत स मत लड़ो ठीक म िागो समयक को उठाओ ताकक तमहारी ऊिाा िो गलत स मि हो वह

समयक की धारा म परवातहत हो िाए अनयथा उसकी राढ़ तमह डरा दगी उसकी राढ़ क तलए तम पहल स

नहर रना लो ताकक उनको तम अपन िीवन क ितो तक पहचा सको ताकक तमहार दर रीि अकररत हो सक

ताकक तम िीवन की फसल काट सको

दरगामी अकला तवचरन वाला अशरीरी सकषम और गढ़ाशयी इस तचतत को िो सयम करत ह व ही

मार क रधन स मि होत ह

रधन स मि होन की उतनी चषटा मत करना तितना सयम सयम शबद भी समझन िसा ह इसका अथा

कटरोल नही होता तनयतरण नही होता सयम का अथा होता ह सतलन

यह शबद तवकत हो गया ह गलत लोगो न रहत कदन तक इसकी गलत वयाखया की ह तम िो आदमी

तनयतरण करता ह उसको सयमी कहत हो म उस सयमी कहता ह िो सतलन करता ह इन दोनो म रड़ा फका

ह तनयतरण करन वाला दमन करता ह फरायड क अथो म सतलन करन वाला दमन करता ह रदध क अथो म

सतलन करन वाल को तनयतरण नही करना पड़ता तनयतरण तो उसी को करना पड़ता ह तिसक िीवन म

सतलन नही ह तिसक िीवन म डर ह कक अगर उसन सतलन न रिा तनयतरण न रिा तो चीि हाथ क

राहर हो िाएगी िो डरा-डरा िीता ह

तमहार साध-सनयासी ऐस ही िी रह ह--डर-डर कप-कप पर वि घरड़ाए हए कक कही कोई भल न हो

िाए यह तो भल स रहत जयादा सरध हो गया यह तो भल स रड़ा भय हो गया कही भल न हो िाए

िीवन की कदशा ठीक करन की तरफ होनी चातहए भल स रचन की तरफ नही धयान रिना िो

आदमी भल स ही रच रहा ह वह कही भी न पहच पाएगा कयोकक यह िो भल स रहत डर गया ह वह चल

ही न सकगा उस डर ही लगा रहगा कही भल न हो िाए कही ऐसा न हो कक परम म ईषयाा पदा हो िाए तो

वह परम ही न करगा कयोकक ईषयाा का भय ह ककसी स सरध न रनाएगा कक कही सरध म कही शतरता न आ

िाए शतरता का भय ह तो तमतरता स वतचत रह िाएगा और अगर तम शतर न भी रनाए और तमतर भी न

रना सक तो तमहारा िीवन एक रतगसतान होगा तम ईषयाा स रच गए लककन साथ ही साथ परम भी न कर

पाए तो तमहारा िीवन एक सिा रसहीन मरसथल होगा तिसम कोई मरदयान भी न होगा तिसम िाया की

कोई िगह न होगी

ईषयाा स रचना ह परम स नही रच िाना ह इसतलए धयान परम पर रिना ईषयाा स मत डर रहना भल

स मत डरना दतनया म एक ही भल ह और वह भल स डरना ह कयोकक वसा आदमी कफर चल ही नही पाता

उठ ही नही पाता वह घरड़ाकर रठ िाता ह तो तनयतरण तो कर लता ह लककन िीवन क सतय को उपलबध

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नही हो पाता मदाा हो िाता ह महािीवन को उपलबध नही होता ससार स तम भाग सकत हो लककन वह

भागना अगर तनयतरण का ह तो तम सासाररक स भी नीच उतर िाओग तमहार िीवन म मरघट की शातत

होगी तशवालय की नही तमहार िीवन म ररिता का शनय होगा धयान का नही

और िालीपन म और धयान म रड़ा फका ह मन की अनपतसथतत म एरसनस ऑफ माइड म और मन क

अनपतसथत हो िान म रड़ा फका ह

तो अगर तम पीि तसकड़ गए डर गए तो यह हो सकता ह कक तमहार िीवन म गलततया न हो लककन

ठीक होना भी रद हो िाएगा यह रड़ा महगा सौदा हआ गलततयो क पीि ठीक को गवा कदया यह तो ऐसा

हआ िस सोन म कही कड़ा-कका ट न हो इस डर स सोन को भी फक कदया कड़ा-कका ट फकना िररी ह सोन

को शदध करना िररी ह लककन कड़-कका ट का भय रहत न समा िाए

सयम का अथा ह िीवन सततलत हो सतलन का अथा ह िीवन रोधपवाक हो अपरमाद का हो तम एक-

एक कदम होशपवाक उठाओ तगरन का डर मत रिो तगरना भी पड़ तो घरड़ान की रात नही ह समहलन की

कषमता पदा करो तगर पड़ो तो उठन की कषमता पदा करो भल हो िाए तो ठीक करन का रोध पदा करो

लककन चलन स मत डर िाना ककनार उतरकर रठ मत िाना कक रासत पर काट भी ह भल भी ह लटर भी ह-

-लट तलए िाएग भटक िाएग इसस तो चलना ही ठीक नही

भारत म यही हआ रहत स लोग रासत क ककनार उतरकर रठ गए भारत मर गया धारमाक नही हआ

तसफा मदाा हो गया इसस तो पतिम क लोग रहतर ह भल उनहोन रहत की--भलो स भी कया डरना लककन

जिदा ह और जिदा ह तो कभी ठीक भी कर सकत ह मदाा हो िाना धारमाक हो िाना नही ह धारमाक हो

िाना सोन स कचर को िला डालना ह लककन कचर क साथ कचर क डर स सोन को फक दना नही

तो पतिम क धारमाक होन की सभावना ह लककन परर तरलकल ही िड़ हो गया ह सतय क साथ भी

हमन सौभागय नही उपलबध ककया सतय हम रहत रार उपलबध हआ रहत रदधो स हम उपलबध हआ लककन

हमन सतय क िो अथा तनकाल उनहोन हम सकतचत कर कदया उनहोन हम दायर रना कदए--मि नही ककया

असीमा नही दी असीम की हमन रात की उपतनिदो स लकर आि तक लककन हर चीि न सीमा द दी

सयम को तनयतरण मत समझना सयम को होश समझना

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता ह और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

अर मझ चन तमल गई तो सरको चन तमल गई

तमहारा ससार तमहारा ही परकषपण ह अगर तम रचन हो तो सारा ससार तमह चारो तरफ रचन मालम

पड़ता ह अगर तमन शरार पी ली ह और तमहार पर डगमगात ह तो तमह रासत क ककनार िड़ मकान भी

डगमगात कदिाई पड़त ह रासत पर िो भी तमह कदिाई पड़ता ह वह डगमगाता कदिाई पड़ता ह तिसका

तचतत अतसथर ह वह तिस ससार म िीएगा वह कषणभगर होगा चचल होगा ससार चचल नही ह तमहार मन

क डावाडोल होन क कारण सर डावाडोल कदिाई पड़ता ह

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

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तम ठहर कक सर ठहर गया तम रक कक सर रक गया तम चल कक सर चल पड़ता ह तमहारा ससार

तमहारा ही फलाव ह तम ही हो तमहार ससार तिसका तचतत अतसथर ह उसका सर अतसथर होगा िर भीतर

की जयोतत ही डगमगा रही ह तो तमह सर डगमगाता कदिाई पड़गा

कभी तमन खयाल ककया घर म दीया िल रहा हो और उसकी जयोतत डगमगाती हो तो सर तरफ

िायाए डगमगाती ह दीवाल पर रनत हए जरर डगमगात ह सर चीि डगमगाती ह िाया ठहर िाएगी

अगर जयोतत ठहर िाए और िाया को ठहरान की कोतशश म मत लग िाना िाया को कोई नही ठहरा

सकता तम कपा करक जयोतत को ही ठहराना

लोग ससार स मि होन म लग िात ह कहत ह कषणभगर ह चचल ह आि ह कल नही रहगा यह

सर तमहार भीतर क कारण ह तमहारा मन डावाडोल ह इसतलए सारा ससार डावाडोल ह तम ठहर कक सर

ठहरा तम ठहर कक िमाना ठहर गया

िो सदधमा को नही िानता ह तिसकी शरदधा डावाडोल ह

अर यह रड़ मि की रात ह रदध कह रह ह िो सदधमा को नही िानता उसकी ही शरदधा डावाडोल ह

सार धमो न शरदधा को पहल रिा ह रदध न जञान को पहल रिा ह व कहत ह सदधमा को िानोग तो शरदधा

ठहरगी और धमो न कहा ह शरदधा करोग तो सदधमा को िानोग और धमो न कहा ह मानोग तो िानोग रदध

न कहा ह िानोग नही तो मानोग कस िानोग तो ही मानोग

रदध की रात इस सदी क तलए रहत काम की हो सकती ह यह सदी रड़ी सदह स भरी ह इसतलए शरदधा

की तो रात ही करनी कफिल ह िो कर सकता ह उसस कहन की कोई िररत नही िो नही कर सकत उनस

कहना रार-रार कक शरदधा करो वयथा ह व नही कर सकत व कया कर तम शरदधा की रात करो तो उस पर भी

उनह शक आता ह शक आ गया तो आ गया हटान का उपाय नही और शक आ चका ह यह सदी सदह की

सदी ह

इसतलए रदध का नाम इस सदी म तितना मलयवान मालम होता ह ककसी का भी नही उसका कारण

यही ह िीसस या कषण रहत दर मालम पड़त ह कयोकक शरदधा स शरआत ह शरदधा ही नही िमती तो

शरआत ही नही होती पहला कदम ही नही उठता रदध कहत ह शरदधा की कफकर िोड़ो िान लो सदधमा को

तथय को और िानन का उपाय ह--तथर हो िाओ रदध न यह कहा ह कक धयान क तलए शरदधा आवकयक नही ह

धयान तो वजञातनक परककरया ह इसतलए तम ईशवर को मानत हो नही मानत हो कि परयोिन नही रदध कहत

ह तम धयान कर सकत हो

धयान तम करोग तम भीतर तथर होन लगोग उस तथरता क तलए ककसी ईशवर का आकाश म होना

आवकयक ही नही ह ईशवर न ससार रनाया या नही रनाया इसस उस धयान क तथर होन का कोई लना-दना

नही ह धयान का तथर होना तो वस ही ह िस आकसीिन और हाइडरोिन को तमलाओ और पानी रन िाए तो

कोई वजञातनक यह नही कहता कक पहल ईशवर को मानो तर पानी रनगा धयान तो एक वजञातनक परयोग ह तम

भीतर तथर होन की कला को सीि िाओ सदधमा स पररचय होगा पररचय स शरदधा होगी

इसतलए रदध तितन करीर ह इस सदी क और कोई भी नही ह कयोकक यह सदी सदह की ह और रदध न

शरदधा पर िोर नही कदया रोध पर िोर कदया ह

िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह होगी ही उसकी परजञा पररपणा नही हो

सकती

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रदध शत नही द रह ह रदध कवल तथय द रह ह रदध कहत ह य तथय ह सदधमा का रोध हो शरदधा

होगी शरदधा हो पररपणाता होगी परजञा पररपणा होगी ऐसा न हो तो परजञा पररपणा न होगी और िर तक परजञा

पररपणा न हो िर तक तमहारा िानना पररपणा न हो तमहारा िीवन पररपणा नही हो सकता

िानन म ही तिप ह सार सरोत कयोकक मलताः तम जञान हो जञान की शति हो मलताः तम रोध हो

इसी स तो हमन रदध को रदध कहा रोध क कारण नाम तो उनका गौतम तसदधाथा था लककन िर व परम परजञा

को और रोध को उपलबध हए तो हमन उनह रदध कहा तमहार भीतर भी रोध उतना ही तिपा ह तितना उनक

भीतर था वह िग िाए तो तमहार भीतर भी रदधतव का आतवभााव होगा और िर तक यह न हो तर तक चन

मत लना तर तक सर चन झठी ह सातवना मत कर लना तर तक सातवना सतोि नही ह तर तक तम मागा

म ही रक गए मतिल क पहल ही ककसी पड़ाव को मतिल समझ तलया

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

और परजञा पररपणा न हो तो तम अपरण रहोग और तम अपणा रहो तो अशातत रहगी और तम अशात

रहो तो दो ही उपाय ह एक कक तम शातत को िोिन तनकलो और दो कक तम अशातत को समझो

अशातत को समझना रदध का उपाय ह तिसन अशातत को समझ तलया वह शात हो िाता ह और िो

शातत की तलाश म तनकल गया वह और नई-नई अशाततया मोल ल लता ह

िीवन को िीन क दो ढग ह एक मातलक का और एक गलाम का गलाम का ढग भी कोई ढग ह िीना

हो तो मातलक होकर ही िीना अनयथा इस िीवन स मर िाना रहतर ह कम स कम मर िाना सच तो होगा

यह िीवन तो तरलकल झठा ह सपना ह गलाम क ढग स तमन िीकर दि तलया कि पाया नही यदयतप पान

ही पान की तलाश रही अर मातलक क ढग स िीना दि लो रस शासतर रदलना होगा सतर रदलना होगा

इतना ही फका करना होगा अर तक कल क तलए िीत थ अर आि ही िीयो अर तक कि होन क तलए िीत

थ अर िो हो वस ही िीयो अर तक मचिाा म िीत थ अर िागकर िीयो होश स िीयो

और धयान रिना परतयक कदम होश का रदधतव को करीर लाता ह परतयक कदम होश का तमहार भीतर

रदधतव क झरनो को सककरय करता ह मघ ककसी भी कषण ररस सकता ह तम िरा सयोिन रदलो और सर

तमहार पास ह कि िोड़ना नही ह और कि तमहार पास ऐसा नही ह तिस हटाना ह वीणा क तार ढील ह

टट ह िोड़ना ह वयवतसथत कर दना ह अगतलया भी तमहार पास ह वीणा भी तमहार पास ह तसफा अगतलयो

का वीणा पर वीणा क तारो पर िलन का सयोिन करना ह ककसी भी कषण सयम रठ िाएगा सगीत उतपि

हो सकता ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

रारहवा परवचन

उठो तलाश लातिम ह

पहला परशनाः िीवन तवरोधाभासी ह असगततयो स भरा ह तो कफर तका रतदध वयवसथा और अनशासन

का मागा रदध न कयो रताया

परशन िीवन का नही ह परशन तमहार मन का ह िीवन को मोकष की तरफ नही िाना ह िीवन तो मोकष

ह िीवन नही भटका ह िीवन नही भला ह िीवन तो वही ह िहा होना चातहए तम भटक हो तम भल हो

तमहारा मन तका की उलझन म ह और यातरा तमहार मन स शर होगी कहा िाना ह यह सवाल नही ह कहा

स शर करना ह यही सवाल ह

मतिल की रात रदध न नही की मतिल की रात तम समझ भी कस पाओग उसका तो सवाद ही समझा

सकगा उसम तो डरोग तो ही िान पाओग रदध न मारग की रात कही ह रदध न तम िहा िड़ हो तमहारा

पहला कदम िहा पड़गा उसकी रात कही ह इसतलए रदध रतदध तवचार अनशासन वयवसथा की रात करत

नही कक उनह पता नही ह कक िीवन कोई वयवसथा नही मानता िीवन कोई रल की पटररयो पर दौड़ती

हई गाड़ी नही ह िीवन परम सवततरता ह िीवन क ऊपर कोई तनयम नही ह कोई मयाादा नही ह िीवन

अमयााद ह वहा न कि शभ ह न अशभ िीवन म सवासवीकार ह वहा अधरा भी और उिला भी एक साथ

सवीकार ह

मनषय क मन का सवाल ह मनषय का मन तवरोधाभासी रात को समझ ही नही पाता और तिसको तम

समझ न पाओग उस तम िीवन म कस उतारोग तिस तम समझ न पाओग उसस तम दर ही रह िाओग

तो रदध न वही कहा िो तम समझ सकत हो रदध न सतय नही कहा रदध न वही कहा िो तम समझ

सकत हो कफर िस-िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस रदध तमस वह भी कहग िो तम नही समझ सकत

रदध एक कदन गिरत ह एक राह स िगल की पतझड़ क कदन ह सारा वन सि पततो स भरा ह और

आनद न रदध स पिा ह कक कया आपन हम सर रात रता दी िो आप िानत ह कया आपन अपना परा सतय

हमार सामन सपषट ककया ह रदध न सि पततो स अपनी मिी भर ली और कहा आनद मन तमस उतना ही

कहा ह तितन सि पतत मरी मिी म ह और उतना अनकहा िोड़ कदया ह तितन सि पतत इस वन म ह वही

कहा ह िो तम समझ सको कफर िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस वह भी कहा िा सकगा िो पहल समझा

नही िा सकता था

रदध कदम-कदम रढ़ आतहसता-आतहसता तमहारी सामथया दिकर रढ़ ह रदध न तमहारी रद को सागर

म डालना चाहा ह

ऐस भी फकीर हए ह तिनहोन सागर को रद म डाल कदया ह पर वह काम रदध न नही ककया उनहोन

रद को सागर म डाला ह सागर को रद म डालन स रद रहत घरड़ा िाती ह उसक तलए रहत रड़ा कदल

चातहए उसक तलए रड़ी तहममत चातहए उसक तलए दससाहस चातहए उसक तलए मरन की तयारी चातहए

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रदध न तमह रफता-रफता रािी ककया ह एक-एक कदम तमह करीर लाए ह इसतलए रदध क तवचार म एक

अनशासन ह

ऐसा अनशासन तम करीर म न पाओग करीर उलटरासी रोलत ह करीर तमहारी कफकर नही करत

करीर वहा स रोलत ह िहा व सवय ह िहा मघ तघर ह अदकय क और अमत की विाा हो रही ह िहा तरन

घन परत फहार--िहा मघ भी नही ह और िहा अमत की विाा हो रही ह ररझ रोलत ह

तो करीर को तो व रहत थोड़ स लोग समझ पाएग िो उनक साथ ितरा लन को रािी ह करीर न

कहा ह िो घर रार आपना चल हमार सग तिसकी तयारी हो घर म आग लगा दन की वह हमार साथ हो

ल ककस घर की रात कर रह ह वह तमहारा मन का घर तमहारी रतदध की वयवसथा तमहारा तका तमहारी

समझ िो उस घर को िलान को तयार हो करीर कहत ह वह हमार साथ हो ल

रदध कहत ह घर को िलान की भी िररत नही ह एक-एक कदम सही इच-इच सही धीर-धीर सही

रदध तमह फसलात ह इसतलए रदध वही स शर करत ह िहा तम हो उनहोन उतना ही कहा ह िो कोई भी

तका तनषठ वयति समझन म समथा हो िाएगा इसतलए रदध का इतना परभाव पड़ा सार िगत पर रदध िसा

परभाव ककसी का भी नही पड़ा

अगर दतनया म मसलमान ह तो मोहममद क परभाव की विह स कम मसलमानो की िरदासती की विह

स जयादा अगर दतनया म ईसाई ह तो ईसा क परभाव स कम ईसाइयो की वयापारी-कशलता क कारण जयादा

लककन अगर दतनया म रौदध ह तो तसफा रदध क कारण न तो कोई िरदासती की गई ह ककसी को रदलन की न

कोई परलोभन कदया गया ह लककन रदध की रात मौि पड़ी तिसक पास भी थोड़ी समझ थी उसको भी रदध म

रस आया

थोड़ा सोचो रदध ईशवर की रात नही करत कयोकक िो भी सोच-तवचार करता ह उस ईशवर की रात म

सदह पदा होता ह रदध न वह रात ही नही की िोड़ो उसको अतनवाया न माना रदध आतमा तक की रात नही

करत कयोकक िो रहत सोच-तवचार करता ह वह कहता ह यह म मान नही सकता कक शरीर क राद रचगा

कौन रचगा यह सर शरीर का ही िल ह आि ह कल समापत हो िाएगा ककसी न कभी मरकर लौटकर कहा

कक म रचा ह कभी ककसी न िरर की य सर यही की रात ह मन को रहलान क खयाल ह

रदध न आतमा की भी रात नही कही रदध न कहा यह भी िान दो कयोकक य रात ऐसी ह कक परमाण

दन का तो कोई उपाय नही तम िर िानोग तभी िानोग उसक पहल िनान की कोई सतवधा नही और

अगर तम तका तनषठ हो रहत तवचारशील हो तो तम मानन को रािी न होओग और रदध कहत ह कोई ऐसी

रात तमस कहना तिस तम इनकार करो तमहार मागा पर राधा रन िाएगी वह इनकार ही तमहार तलए रोक

लगा रदध कहत ह यह भी िान दो

रदध कहत ह कक हम इतना ही कहत ह कक िीवन म दि ह इस तो इनकार न करोग इस तो इनकार

करना मतककल ह तिसन थोड़ा भी सोचा-तवचारा ह वह तो कभी इनकार नही कर सकता इस तो वही

इनकार कर सकता ह तिसन सोचा-तवचारा ही न हो लककन तिसन सोचा-तवचारा ही न हो वह भी कस

इनकार करगा कयोकक इनकार क तलए सोचना-तवचारना िररी ह तिसक मन म िरा सी भी परततभा ह

थोड़ी सी भी ककरण ह तिसन िीवन क सरध म िरा सा भी जचतन-मनन ककया ह वह भी दि लगा अधा भी

दि लगा िड़ स िड़ रतदध को भी यह रात समझ म आ िाएगी िीवन म दि ह आसओ क तसवाय पाया भी

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कया इस रदध को तसदध न करना पड़गा तमहारा िीवन ही तसदध कर रहा ह तमहारी कथा ही रता रही ह

तमहारी भीगी आि कह रही ह तमहार कपत पर कह रह ह

तो रदध न कहा िीवन म दि ह यह कोई आधयाततमक सतय नही ह यह तो िीवन का तथय ह इस

कौन कर इनकार कर पाया और रदध न कहा दि ह तो अकारण तो कि भी नही होता दि क कारण होग

और रदध न कहा दि स तो मि होना चाहत हो कक नही होना चाहत ईशवर को नही पाना चाहत समझ म

आता ह कि तसरकफरो को िोड़कर कौन ईशवर को पाना चाहता ह कि पागलो को िोड़कर कौन आतमा की

कफकर कर रहा ह समझदार आदमी ऐस उपिवो म नही पड़त ऐसी झझट मोल नही लत जिदगी की झझट

काफी ह अर आतमा और परमातमा और मोकष इन उलझनो म कौन पड़

रदध न य रात ही नही कही तम इनकार कर सको ऐसी रात रदध न कही ही नही इसका उनहोन रड़ा

सयम रिा उन िसा सयमी रोलन वाला नही हआ ह उनहोन एक शबद न कहा तिसम तम कह सको नही

उनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा न दी

इस थोड़ा समझना लोगो न रदध को नातसतक कहा ह और म तमस कहता ह कक रदध अकल आदमी ह

पथवी पर तिनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा नही दी तिनहोन तमस कहा ईशवर ह उनहोन तमह इनकार

करन को मिरर करवा कदया कहा ह ईशवर तिनहोन तमस कहा आतमा ह उनहोन तमहार भीतर सदह पदा

ककया रदध न वही कहा तिस पर तम सदह न कर सकोग रदध न आतसतकता दी हा ही कहन की सतवधा

िोड़ी न का उपाय न रिा

रदध रड़ कशल ह उनकी कशलता को िर समझोग तो चककत हो िाओग कक तिसको तमन नातसतक

समझा ह उसस रड़ा आतसतक पथवी पर दसरा नही हआ और तितन लोगो को परमातमा की तरफ रदध ल गए

कोई भी नही ल िा सका और परमातमा की रात भी न की हद की कशलता ह चचाा भी न चलाई चचाा

तमहारी की पहचाया परमातमा तक रात तमहारी उठाई समझा-समझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला

सलझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला दि काटा तमहारा िो शि रचा वही आनद ह रधन कदिाए

मोकष की रात न उठाई

कारागह म िो रद ह िनमो-िनमो स उसस मोकष की रात करक कयो कयो उस शरमदा करत हो और

िो कारागह म रहत कदनो तक रद रह गया ह उस मोकष का खयाल भी नही रहा उस अपन पि भी भल गए

ह आि तम उस अचानक आकाश म िोड़ भी दो तो उड़ भी न सकगा कयोकक उड़न क तलए पहल उड़न का

भरोसा चातहए तड़फड़ाकर तगर िाएगा

तमन कभी दिा तोत को रहत कदन तक रि लो जपिड़ म कफर ककसी कदन िला दवार पाकर भाग भी

िाए तो उड़ नही पाता पि वही ह उड़न का भरोसा िो गया तहममत िो गई यह याद ही न रही कक हम

भी कभी आकाश म उड़त थ कक हमन भी कभी पि फलाए थ और हमन भी कभी दर की यातरा की थी वह

रात सपना हो गयी आि पकका नही रहा ऐसा हआ था कक तसफा सपन म दिा ह वह रात अफवाह िसी हो

गयी और इतन कदन तक कारागह म रहन क राद कारागह की आदत हो िाती ह तो तोता तो थोड़ ही कदन

रहा ह तम तो िनमो-िनमो रह हो

रदध न कहा तमस मोकष की रात करक तमह शरमदा कर तमस मोकष की रात करक तमह इनकार करन

को मिरर कर

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कयोकक धयान रिना िो वयति रहत कदन कारागह म रह गया ह वह यह कहना शर कर दता ह कक

कही कोई मति ह ही नही यह उसकी आतमरकषा ह वह यह कह रहा ह कक अगर मोकष ह तो कफर म यहा कया

कर रहा ह म नपसक यहा कयो पड़ा ह अगर मोकष ह तो म मि कयो नही हआ ह कफर सारी तिममवारी

अपन पर आ िाती ह

लोग ईशवर को इसतलए थोड़ ही इनकार करत ह कक ईशवर नही ह या कक उनह पता ह कक ईशवर नही ह

ईशवर को इनकार करत ह कयोकक अगर ईशवर ह तो हम कया कर रह ह तो हमारा सारा िीवन वयथा ह लोग

मोकष को इसतलए इनकार करत ह कक अगर मोकष ह तो हम तो कवल अपन रधनो का ही इतिाम ककए चल िा

रह ह तो हम मढ़ ह अगर मोकष ह तो तिनको तम सासाररक रप स समझदार कहत हो उनस जयादा मढ़ कोई

भी नही

तो आदमी को अपनी रकषा तो करनी पड़ती ह सरस अचिी रकषा का उपाय ह कक तम कह दो कहा ह

आकाश कहा ह मोकष हम भी उड़ना िानत ह मगर आकाश ही नही ह हम भी परमातमा को पा लत--कोई

रदधो न ही पाया ऐसा नही--हम कि कमिोर नही ह हमम भी रल ह हमन भी पा तलया होता लककन हो

तभी न ह ही नही ऐसा कहकर तम अपनी आतमरकषा कर लत हो तर तम अपन कारागह को घर समझ लत

हो

तिस कारागह म रहत कदन रह हो उस कारागह कहन की तहममत भी िटानी मतककल हो िाती ह

कयोकक कफर उसम रहोग कस अगर ईशवर ह तो ससार म रचनी हो िाएगी िड़ी अगर मोकष ह तो तमहारा

घर तमह काटन लगगा कारागह हो िाएगा तमहार राग आसति क सरध िहर मालम होन लगग उतचत

यही ह कक तम कह दो कक नही न कोई मोकष ह न कोई परमातमा ह यह सर िालसािो की रकवास ह कि

तसरकफरो की रातचीत ह या कि चालरािो की अटकलरातिया ह इस तरह तम अपनी रकषा कर लत हो

रदध न तमह यह मौका न कदया रदध न ककसी को नातसतक होन का मौका न कदया रदध क पास नातसतक

आए और आतसतक हो गए कयोकक रदध न कहा दिी हो इसको कौन इनकार करगा इस तम कस इनकार

करोग यह तमहार िीवन का सतय ह और कया तम कही ऐसा आदमी पा सकत हो िो दि स मि न होना

चाहता हो मोकष न चाहता हो लककन दि स मि तो सभी कोई होना चाहत ह पीड़ा ह रदध न कहा काटा

तिदा ह रदध न कहा म तचककतसक ह म कोई दाशातनक नही लाओ म तमहारा काटा तनकाल द कस इनकार

करोग इस आदमी को यह तशकषक की घोिणा ही नही कर रहा ह कक म तशकषक ह या गर ह यह तो इतना ही

कह रहा ह तसफा एक तचककतसक ह

और इस आदमी को दिकर लोगो को भरोसा आया कयोकक इस आदमी क िीवन म दि का कोई काटा

नही ह इस आदमी क िीवन म ऐसी परमशातत ह ऐसी तवशरातत ह--सर लहर िो गई ह पीड़ा की एक अपवा

उतसव तनत-नतन परततपल नया अभी-अभी तािा और िनमा इस आदमी क पास अनभव होता ह इस आदमी

क पास एक हवा ह तिस हवा म आकर यह दो रात कर रहा हाः अपनी हवा स िरर द रहा ह कक आनद सभव

ह और तमहार दि की तरफ इशारा कर रहा ह कक तम दिी हो दि क कारण ह दि क कारण को तमटान का

उपाय ह

तो रदध का सारा जचतन दि पर िड़ा ह दि ह दि क कारण ह दि क कारण को तमटान क साधन ह

और दि स मि होन की सभावना ह इस सभावना क व सवय परतीक ह तिस सवासथय को व तमहार भीतर

लाना चाहत ह उस सवासथय को व तमहार सामन मौिद िड़ा ककए ह तम रदध स यह न कह सकोग कक

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तचककतसक पहल अपनी तचककतसा कर रदध को दित ही यह तो सवाल ही न उठगा और तम रदध स यह भी

न कह सकोग कक म दिी नही ह ककस मह स कहोग और कहकर तम कया पाओग तसफा गवाओग

इसतलए रदध न तमह दिकर वयवसथा दी और रदध यह िानत ह कक तिस कदन तमहारा दि न होगा

तिस कदन तमहारी पीड़ा तगर िाएगी तमहारी आि क अधकार का पदाा कटगा तम िागोग उस कदन तम दि

लोग--मोकष ह िो कदिाया िा सकता हो और िो कदिान क अततररि और ककसी तरह समझाया न िा सकता

हो उस कदिाना ही चातहए उसकी रात करनी ितरनाक ह कयोकक अकसर लोग रातो म िो िात ह

ककतन लोग रात क ही धारमाक ह रातचीत ही करत रहत ह ईशवर चचाा का एक तविय ह अनभव का

एक आयाम नही िीवन को रदलन की एक आग नही तसदधातो की राि ह शासतरो म लोग उलझ रहत ह राल

की िाल तनकालत रहत ह उसस भी अहकार को रड़ा रस आता ह रदध न शासतरो को इनकार कर कदया रदध न

कहा यह पीि तम िोि कर लना अभी तो उठो अभी तो अपन िीवन क दि को काट लो रदध न यह कहा

हफीि क शबदो म--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

उठो मकदरो वालो िो तम रठ गए हो मकदरो और मतसिदो म सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

थोड़ा दि को तमटान की कोतशश कर लो अगर न तमटा तो यह दि तो ह ही कफर लौट पड़ग थोड़ा

कारागह क राहर आओ घरड़ाओ मत अगर िला आकाश न तमला इधर ही लौट पड़ग

रदध न तिजञासा दी आसथा नही रदध न इकवायरी दी अनविण कदया आसथा नही रदध न इतना ही

कहा ऐस मत रठ रहो ऐस रठ तो कि न होगा रठ-रठ तो कि न होगा िोि लातिम ह तम दिी हो

कयोकक तमन िीवन की सारी सभावनाए नही िोिी तम दिी हो कयोकक तमन िनम क साथ ही समझ तलया

कक िीवन तमल गया िनम क साथ तो कवल सभावना तमलती ह िीवन की िीवन नही तमलता िनम क राद

िीवन िोिना पड़ता ह िो िोिता ह उस तमलता ह और िनम क राद िो रठा-रठा सोचता ह कक तमल गया

िीवन यही िीवन ह पदा हो गए यही िीवन ह वह चक िाता ह

तो रदध न यह नही कहा कक म तमस कहता ह कक यह मोकष यह सवातषय यह आकाश यह परमातमा

तमल ही िाएगा यह म तमस नही कहता म इतना ही कहता ह--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

िोि िररी ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

और घरड़ाहट कया ह यह घर तो कफर भी रहगा तमहार मन की धारणाओ म कफर लौट आना अगर

तनधाारणा का कोई आकाश न तमल लौट आना तवचारो म अगर धयान की कोई झलक न तमल अगर शात होन

की कोई सतवधा-सराग न तमल कफर अशात हो िाना कौन सी अड़चन ह अशात होकर रहत कदन दि तलया

ह अशातत स कोई शातत तो तमली नही रदध कहत ह म भी तमह एक झरोि की िरर दता ह थोड़ा इधर भी

झाक लो--तलाश लातिम ह

रदध न िोि दी शरदधा नही इस थोड़ा समझो रदध न तमह तमहार िीवन पर सदह कदया परमातमा क

िीवन पर शरदधा नही य दोनो एक ही रात ह अपन पर सदह हो िाए तो परमातमा पर शरदधा आ ही िाती ह

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परमातमा पर शरदधा आ िाए तो अपन पर सदह हो ही िाता ह तमह अगर अपन अहकार पर रहत भरोसा ह

तो परमातमा पर शरदधा न होगी तम अगर अपन को रहत समझदार समझ रठ हो तो कफर तमह ककसी मोकष

ककसी आतमा म भरोसा नही आ सकता तमन कफर अपन जञान को आतिरी सीमा समझ ली कफर तवसतार की

िगह और सतवधा न रही और जयादा िानन को तम मान ही नही सकत कयोकक तम यह नही मान सकत कक

ऐसा भी कि ह िो तम नही िानत हो तिसन अपन पर ऐसा अधा भरोसा कर तलया वही तो परमातमा पर

भरोसा नही कर पाता तिसन इस तथाकतथत िीवन को िीवन समझ तलया वही तो महािीवन की तरफ

िान म असमथा हो िाता ह पग हो िाता ह

तो दो उपाय ह रदध को िोड़कर राकी रदधपरिो न परमातमा की तरफ शरदधा िगाई रदध न तमहार

िीवन क परतत सदह िगाया रात वही ह ककसी न कहा तगलास आधा भरा ह ककसी न कहा तगलास आधा

िाली ह

रदध न कहा तगलास आधा िाली ह कयोकक तम िाली हो भर को तम अभी समझ न पाओग और

आधा तगलास िाली ह यह समझ म आ िाए तो िलदी ही तम आधा भरा तगलास ह उसक करीर पहचन

लगोग तमस यह कहना कक आधा तगलास भरा ह गलत होगा कयोकक तम िाली म िी रह हो नकार का

तमह पता ह ररिता का तमह पता ह पणाता का तमह कोई पता नही इसतलए रदध न शनय को अपना शासतर

रना तलया

रदध न तमह दिा तमहारी रीमारी को दिा तमहारी नबि पर तनदान ककया इसतलए रदध स जयादा

परभावी कोई भी नही हो सकता कयोकक मनषय क मन म रदध को समझन म कोई अड़चन न आई

रदध रहत सीध-साफ ह ऐसा नही कक जिदगी म िरटलता नही ह जिदगी रड़ी िरटल ह लककन रदध

रड़ सीध-साफ ह ऐसा समझो कक अगर तम करीर स पिो या महावीर स पिो या कषण स पिो तो व रात

वहा की करत ह--इतन दर की कक तमहारी आिो म पास ही नही कदिाई पड़ता उतना दर तमह कस कदिाई

पड़गा तो एक ही उपाय ह या तो तम इनकार कर दो िो कक जयादा ईमानदार ह इसतलए नातसतक जयादा

ईमानदार होत ह रिाय आतसतको क और या तमह कदिाई नही पड़ता लककन तम सवीकार कर लो कयोकक

िर महावीर को कदिाई पड़ता ह तो होगा ही तो तम भी हा म हा भरन लगो और तम कहो कक हा मझ भी

कदिाई पड़ रहा ह

इसतलए तिनको तम आतसतक कहत हो व रईमान होत ह नातसतक कम स कम सचाई तो सवीकार

करता ह कक मझ नही कदिाई पड़ रहा ह हालाकक वह कहता गलत ढग स ह वह कहता ह ईशवर नही ह उस

कहना चातहए मझ कदिाई नही पड़ रहा कयोकक तमह कदिाई न पड़ता हो इसतलए िररी नही ह कक न हो

रहत सी चीि तमह कदिाई नही पड़ती ह और ह रहत सी चीि आि नही कदिाई पड़ती कल कदिाई पड़

िाएगी और रहत सी चीि कदिाई आि पड़ सकती ह लककन तमहारी आि रद ह

नातसतक क कहन म गलती हो सकती ह लककन ईमानदारी म चक नही ह नातसतक यही कहना चाहता

ह कक मझ कदिाई नही पड़ता लककन वह कहता ह नही ईशवर नही ह उसक कहन का ढग अलग ह रात वह

सही ही कहना चाहता ह आतसतक रड़ी झठी अवसथा म िीता ह आतसतक को कदिाई नही पड़ता वह यह भी

नही कहता कक मझ कदिाई नही पड़ता वह यह भी नही कहता कक ईशवर नही ह िो नही कदिाई पड़ता उस

सवीकार कर लता ह ककसी और क भरोस पर और तर यातरा रद हो िाती ह कयोकक िो तमन िाना नही

और मान तलया तम उस िोिोग कयो

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इसतलए रदध न कहा तलाश लातिम ह िोि िररी ह ईशवर ह या नही यह कफकर िोड़ो लककन ऐस

रठ-रठ िीवन का ढग दिपणा ह तनराशा स भरा ह मरचिात ह िागो और रदध न करोड़ो-करोड़ो लोगो को

परमातमा तक पहचा कदया

इसतलए म कहता ह इस सदी म रदध की भािा रड़ी समसामतयक ह कटपररी ह कयोकक यह सदी रड़ी

ईमानदार सदी ह इतनी ईमानदार सदी पहल कभी हई नही तमह यह सनकर थोड़ी परशानी होगी तम थोड़ा

चौकोग कयोकक तम कहोग यह सदी और ईमानदार सर तरह क रईमान कदिाई पड़ रह ह लककन म तमस

कफर कहता ह कक इस सदी स जयादा ईमानदार सदी कभी नही हई आदमी अर वही मानगा िो िानगा

अर तम यह न कह सकोग कक हमार कह स मान लो अर तम यह न कह सकोग कक हम रिगा ह और

हम रड़ अनभवी ह और हमन राल ऐस धप म नही पकाए ह हम कहत ह इसतलए मान लो अर तमहारी इस

तरह की रात कोई भी न मानगा अर तो लोग कहत ह नगद सवीकार करग उधार नही अर तो हम िानग

तभी सवीकार करग ठीक ह तमन िान तलया होगा लककन तमहारा िानना तमहारा ह हमारा नही हम

भटक ग अधर म भला लककन हम उस परकाश को न मानग िो हमन दिा नही

इसतलए म कहता ह यह सदी रड़ी ईमानदार ह ईमानदार होन क कारण नातसतक ह अधारमाक ह

परानी सकदया रईमान थी लोग उन मकदरो म झक तिनका उनह कोई अनभव न था उनका झकना

औपचाररक रहा होगा सर झक गया होगा हदय न झका होगा और असली सवाल वही ह कक हदय झक व

ईशवर को मानकर झक गए होग लककन तिस ईशवर को िाना नही ह उसक सामन झकोग कस कवायद हो

िाएगी शरीर झक िाएगा तम कस झकोग उनहोन उस झकन म स भी अकड़ तनकाल ली होगी व और

अहकारी होकर घर आ गए होग कक म रोि पिा करता ह पराथाना करता ह रोि माला फरता ह

माला फरन वालो को तम िानत ही हो उन िस अहकारी तम कही न पाओग उनका अहकार रड़ा

धारमाक अहकार ह उनक अहकार पर राम-नाम की चदररया ह उनका अहकार रड़ा पतवतर मालम होता ह

शदध नहाया हआ पर ह तो अहकार ही और िहर तितना शदध होता ह उतना ही ितरनाक हो िाता ह

नही इस सदी न साफ कर तलया ह कक अर हम वही मानग िो हम िानत ह यह सदी तवजञान की ह

तथय सवीकार ककए िात ह तसदधात नही और तथय भी अधी आिो स सवीकार नही ककए िात ह सर तरफ स

िोिरीन कर ली िाती ह िर अतसदध करन का कोई उपाय नही रह िाता तभी कोई चीि सवीकार की िाती

इसतलए ऐसा घटता ह--रटरड रसल िसा वयति िो नातसतक ह इसतलए िीसस को शरदधा नही द सकता

हालाकक ईसाई घर म पदा हआ ह सार ससकार ईसाई क ह लककन रटरड रसल न एक ककतार तलिी ह--वहाय

आई एम नाट ए ककरतियन--म ईसाई कयो नही ह ईसा पर रड़ शक उठाए ह

शक उठाए िा सकत ह कयोकक ईसा की वयवसथा म कोई तका नही ह ईसा कतव ह कहातनया कहन म

कशल ह तवरोधाभासी ह उनक शबद पहतलया ह हा िो िोि करगा वह उन पहतलयो क आतिरी राि को

िोल लगा लककन वह तो रड़ी िोि की रात ह और उस िोि म िीवन लग िात ह लककन िो पहली को

सीधा-सीधा दिगा वह इनकार कर दगा

रसल न िीसस को इनकार कर कदया लककन रसल न कहा कक म नातसतक ह मगर रदध को इनकार नही

कर सकता रदध को इनकार कस करोग यही तो म कह रहा ह रसल क मन म भी रदध क परतत वसी ही शरदधा

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ह िसी ककसी भि क मन म हो इनकार करन की िगह नही िोड़ी इस आदमी न इस आदमी न ऐसी रात

ही नही कही िो तका की कसौटी पर िरी न उतरती हो

रदध वजञातनक िषटा ह रदध को इस भातत समझोग तो तमहार तलए रड़ कारगर हो सकत ह हालाकक

धयान रिना िस-िस गहर उतरोग पानी म िस-िस रदध क फसलाव म आ िाओग वस-वस तम पाओग कक

तितना तका पहल कदिाई पड़ता था वह पीि नही ह मगर तर कौन जचता करता ह अपना ही अनभव शर हो

िाता ह कफर कौन परमाण मागता ह परमाण तो हम तभी मागत ह िर अपना अनभव नही होता िर अपना

ही अनभव हो िाता ह

म तमह तका दता ह और तका स इतना ही तमह रािी कर लता ह कक तम मरी तिड़की पर आकर िड़ हो

िाओ रस कफर तो तिड़की स िला आकाश तमही को कदिाई पड़ िाता ह कफर तम मझस नही पित कक

आप परमाण द आकाश क होन का अर परमाण दन का परशन ही नही उठता ह--न तम मागत हो न म दता ह

और तम मझ धनयवाद भी दोग कक भला ककया कक पहल मझ तका स समझाकर तिड़की तक ल आए

कयोकक अगर तका स न समझाया होता तो म तिड़की तक आन को भी रािी नही होता म एक कदम न चलता

अगर तमन पहल ही इस आकाश की रात की होती िो मर तलए अनिाना ह अपररतचत ह तो म तहला ही न

होता अपनी िगह स तमन भला ककया आकाश की रात न की तिड़की की रात की असीम की रात न की

सीमा की रात की तमन भला ककया आनद की रात न की दि-तनरोध की रात की तमन भला ककया धयान

की रात न की तवचार स मि होन की रात की तमन भला ककया शरदधा न मागी वह म द न सकता तमन मर

सदह का ही उपयोग कर तलया तमन काट स काटा तनकाल कदया भला ककया

इसतलए रदध क परतत कतजञता अनभव होगी यदयतप रदध न तमह धोिा कदया िीसस तमह इतना धोिा

नही द रह ह व रात वही कह रह ह िो ह िसा आतिर म तम पाओग िीसस न पहल ही कह कदया

रदध कि और कह रह ह तमह दिकर कह रह ह िसा नही ह वसा कह रह ह लककन तम अनगहीत

अनभव करोग कक कपा की करणा की कक इतना धोिा कदया अनयथा म तिड़की पर न आता

तम चककत होओग अगर म तमस कह झन फकीरो न कहा भी ह झन फकीर जलची न कहा ह रदध स

जयादा झठ रोलन वाला आदमी नही हआ जलची रोि पिा करता ह रदध की सरह स फल चढ़ाता ह आस

रहाता ह लककन कहता ह रदध स झठ रोलन वाला आदमी नही जलची न एक रार अपन तशषयो स कहा कक य

रदध क शासतरो को आग लगा दो य सर सरासर झठ ह ककसी न पिा लककन तम रोि आस रहात हो रोि

सरह फल चढ़ात हो और हमन तमह घटो रदध की परततमा क सामन भाव-तवभोर दिा ह इन दोनो को हम कस

िोड़ य दोनो रात रड़ी असगत ह जलची न कहा उनकी करणा क कारण व झठ रोल उनक झठ क कारण म

वहा तक पहचा िहा सच का दशान हआ रदध अगर सच ही रोलत तो म पहच न पाता

सभी जञानी रहत उपाय करत ह तमह पहचान क व सभी उपाय सही नही ह िस तम घर म रठ हो

तम कभी राहर नही गए मन राहर िाकर दिा कक रड़ फल तिल ह पतकषयो क अनठ गीतो का राजय ह

सरि तनकला ह िला मि असीम आकाश ह सर तरफ रोशनी ह और तम अधर म दर रठ हो और सदी म

रठठर रह हो लककन तम कभी राहर नही गए अर म तमह कस राहर ल िाऊ तमस कस कह तमह कस िरर

द राहर क सरि की कयोकक तमहारी भािा म सरि क तलए कोई पयाायवाची नही ह तमह कस रताऊ फलो

क रारत कयोकक तमहारी भािा म फलो क तलए कोई शबद नही ह रग तमन िान ही नही रगो का उतसव

27

तम कस सनोग-समझोग तमन तसफा दीवाल दिी ह उस दीवाल को तमन अपनी जिदगी समझी ह तमस

कस कह कक ऐसा भी आकाश ह तिसकी कोई सीमा नही तम कहोग हो चकी रात लनतरानी ह

तमन कहानी सनी ह कक एक मढक सागर स आ गया था और एक कए म उतर गया था कए क मढक न

पिा तमतर कहा स आत हो उसन कहा सागर स आता ह कए क तमतर न पिा सागर ककतना रड़ा ह

कयोकक उस कए क मढक न कए स रड़ी कोई चीि कभी दिी न थी उसी म पदा हआ था उसी म रड़ा हआ

था कभी कए की दीवालो को पार करक राहर गया भी न था दीवाल रड़ी भी थी और पार इसस रड़ा कि

हो भी सकता ह इस मानन का कोई कारण भी न था कभी राहर स भी कोई मढक न आया था तिसन िरर

दी हो सागर क मढक न कहा रहत रड़ा ह लककन रहत स कही पता चलता ह कए क मढक को रहत रड़ का

कया मतलर कए का मढक आध कए म िलाग लगाई उसन और कहा इतना रड़ा आधा कआ इतना रड़ा

उसन कहा कक नही-नही रहत रड़ा ह तो उसन परी िलाग लगाई कहा इतना रड़ा लककन अर उस सदह

पदा होन लगा सागर क मढक न कहा भाई रहत रड़ा ह

उस भरोसा तो नही आया लककन कफर भी उसन एक और आतिरी कोतशश की उसन परा चककर कए

का दौड़कर लगाया कहा इतना रड़ा सागर क मढक न कहा म तमस कस कह रहत रड़ा ह इस कए स

उसका कोई पमाना नही उसका कोई नाप-िोि नही हो सकता तो कए क मढक न कहा झठ की भी एक

सीमा होती ह ककसी और को धोिा दना हम ऐस नासमझ नही ह तम ककसको मढ़ रनान चल हो अपनी

राह लो इस कए स रड़ी चीि न कभी सनी गई न दिी गई अपन मा-राप स अपन परिो स भी मन इसस

रड़ी चीि की कोई रात नही सनी व तो रड़ अनभवी थ म नया हो सकता ह हम दर-पीढ़ी इस कए म रह ह

अगर म तमस राहर की रात आकर कह तमहार अधकार-ककष म तम भरोसा न करोग इसीतलए तो

नातसतकता पदा होती ह िर भी कोई परमातमा म िाकर लौटता ह और तमह िरर दता ह और वह इतना

लड़िड़ा गया होता ह अनभव स--वह इतना अवाक और आियाचककत होकर लौटता ह कक उसकी भािा क पर

डगमगा िात ह अनभव इतना रड़ा और शबद इतन िोट शबदो म अनभव समाता नही वह रोलता ह और

रोलन की वयथाता कदिाई पड़ती ह वह तहचककचाता ह वह कहता भी ह और कहत डरता भी ह कक िो भी

कहगा गलत होगा और िो भी कहगा वह सतय क अनकल न होगा कयोकक भािा तमहारी अनभव राहर का

भािा दीवालो की अनभव असीम का

तो म कया कर तमहार कमर म आकर जलची ठीक कहता ह रदध झठ रोल रदध न चचाा नही की फलो

की रदध न चचाा नही की पतकषयो क गीत की रदध न चचाा नही की झरनो क कलकल नाद की रदध न सरि की

रोशनी की और ककरणो क तवराट िाल की कोई रात नही की नही कक उनको पता नही था उनस जयादा

ककसको पता था उनहोन रात कि और की उनहोन रात की तमहारी दीवालो की उनहोन रात की तमहार

अधकार की उनहोन रात की तमहारी पीड़ा की तमहार दि की उनहोन पहचाना कक तमह राहर ल िान का

कया उपाय हो सकता ह

राहर क दकय तमह आकरिात न कर सक ग कयोकक आकिाण तभी होता ह िर थोड़ा अनभव हो थोड़ा

भी सवाद लग िाए तमठास का तो कफर तम तमठाई क तलए आतर हो िात हो लककन नमक ही नमक िीवन

म िाना हो कड़वाहट ही कड़वाहट भोगी हो तमठास का सपना भी न आया हो कभी कयोकक सपना भी उसी

का आता ह तिसका िीवन म थोड़ा अनभव हो सपन भी िीवन का ही परततफलन होत ह

28

तो रदध न तमस कया कहा रदध न कहा कक भागो इस मकान म आग लगी ह आग लगी न थी जलची

ठीक कहता ह रदध झठ रोल

मगर जलची रोि उनको धनयवाद भी दता ह कक तमहारी अनकपा कक तम झठ रोल नही तो म भागता

ही न घर म आग लगी ह रदध न तमह भयभीत कर कदया तमहार दि क तचतर उभार तमहार िप दि को

राहर तनकाला तमन िो दरा रिा ह अपन भीतर अधकार उसको परगट ककया तमहार दि को इतना उभारा

कक तम घरड़ा गए तम भयभीत हो गए और िर रदध न कहा इस घर म आग लगी ह तो तम घरड़ाहट म

भाग िड़ हए तम भल ही गए इनकार करना कक राहर तो ह ही नही िाए कहा िर घर म आग लगी हो तो

कौन सोच-तवचार की तसथतत म रह िाता ह भाग िड़ हए

अमरीका म एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था एक तसनमागह म िर लोग आधा घटा तक तपकचर

दिन म तललीन हो चक थ अचानक एक आदमी िोर स तचललाया--आग आग उस आदमी को तरठा रिा था

एक मनोवजञातनक न भगदड़ शर हो गई मनिर तचलला रहा ह कक कही कोई आग नही ह लककन कोई सनन

को रािी नही िर एक दफा भय पकड़ ल

लोगो न दरवाि तोड़ डाल करसाया तोड़ डाली भीड़-भड़ककम हो गई एक-दसर क ऊपर भाग िड़ हए

रचच तगर गए दर गए रामतककल कबिा पाया िा सका िर लोग राहर आ गए तभी उनको भरोसा आया कक

ककसी न मिाक कर दी लककन एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था कक लोग शबदो स ककतन परभातवत हो

िात ह आग रस काफी ह कफर तम यह भी नही दित कक आग ह भी या नही

रदध न तमहार दि को उभारा रदध तचललाए आग तम भाग िड़ हए उसी भागदौड़ म तमम स कि

राहर तनकल गए जलची उनही म स ह िो राहर तनकल गया अर वह कहता ह िर झठ रोल कही आग न

लगी थी कही धआ भी न था आग तो दर मगर उसी भय म राहर आ गए इसतलए चरणो म तसर रिता ह

कक न तम तचललात न हम राहर आत

म भी तमस न मालम ककतन-ककतन ढग क झठ रोल िाता ह िानता ह सौभागयशाली होग तमम व

िो ककसी कदन उन झठो को पहचान लग लककन व तम तभी पहचान पाओग िर तम राहर तनकल चक

होओग तर तम नाराि न होओग तम अनगहीत होओग

रदध न तमहारी भािा रोली तमह िगाना ह तमहारी भािा रोलनी ही िररी ह रदध अपनी भािा

तमस नही रोल हा रदध क पास कोई रदधपरि होता तो उसस व अपनी भािा रोलत

एक सरह व फल लकर आए ह ऐसा कभी न हआ था कभी व कि लकर न आए थ और व रठ गए ह

रोलन क तलए भीड़ सनन को आतर ह और व फल को दि चल िात ह धीर-धीर भीड़ रचन होन लगी

कयोकक लोग सनन को आए थ और रदध उस कदन कदिा रह थ िो लोग सनन को आए ह व दिन को रािी

नही होत

यह रड़ मि की रात ह तम अगर हीर की रारत सनन आए हो और म हीरा लकर भी रठ िाऊ तो भी

तम रचन हो िाओग कयोकक तम सनन आए थ तम कानो का भरोसा करन आए थ मन तमहारी आिो को

पकारा तमहारी आि रद ह हीर की रात कर तम सन लोग हीरा कदिाऊ तमह कदिाई ही न पड़गा

रदध फल तलए रठ रह उस कदन रदध न एक परम उपदश कदया िसा उनहोन कभी न कदया था उस कदन

रदध न अपना रदधतव सामन रि कदया मगर दिन वाला चातहए सनन वाल थ आि क अध थ कान क कशल

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तमहार सर शासतर कान स आए ह सतय आि स आता ह सतय परतयकष ह सनी हई रात नही सतय कोई

शरतत नही ह न कोई समतत ह सतय दशान ह

उस कदन रदध रठ रह लोग परशान होन लग रदधतव सामन हो लोग परशान होन लग अध रह होग

घड़ी पर घड़ी रीतन लगी और लोग सोचन लग होग अर घर िान की कक यह मामला कया ह और कोई कह

भी न सका रदध स कहो भी कया कक आप यह कया कर रह ह रठ कयो ह रोलो कि रोलो तो हम सन

शबदो तर हमारी पहच ह ककसी को यह न कदिाई पड़ा कक यह आदमी कया कदिा रहा ह

फल को रदध दित रह परमशनय एक तवचार की तरग भीतर नही मौिद और मौिद नही उपतसथत

और अनपतसथत तवचार का कण भी नही परम धयान की अवसथा समातध साकार और हाथ म तिला फल

परतीक परा था ऐसी समातध साकार हो तो ऐसा िीवन का फल तिल िाता ह कि और कहन को न था अर

और कहन को रचता भी कया ह पर आि क अध

तमही सोचो आि म रोलता न और फल लकर आकर रठ गया होता तम इधर-उधर दिन लगत तम

लकषमी की तरफ दित कक मामला कया ह कदमाग िरार हो गया तम उठन की तयारी करन लगत तम एक-

दसर की तरफ दित कक अर कया करना ह

िर ऐसी रचनी की लहर सर तरफ फलन लगी--उतन चन क सामन भी लोग रचन हो गए उतनी

शातत क सामन भी लोग अशात हो गए--तर एक रदध का तशषय महाकाकयप इसक पहल उसका नाम भी

ककसी न न सना था कयोकक आि वालो का अधो स मल नही होता इसका नाम भी पहल ककसी न नही सना

था यह पहल मौक पर इसका नाम पता चला िर लोगो को इतना रचन दिा तो वह तिलतिलाकर हसन

लगा उस सिाट म उसकी तिलतिलाहट न और लोगो को चौका कदया कक यहा एक ही पागल नही ह--यह रदध

तो कदमाग िरार मालम होता ह एक यह भी आदमी पागल ह यह कोई हसन का वि ह यह रदध को कया

हो गया ह और यह महाकाकयप कयो हसता ह

और रदध न आि उठाई और महाकाकयप को इशारा ककया और फल उस भट कर कदया और भीड़ स यह

कहा िो म शबदो स तमह द सकता था तमह कदया िो शबदो स नही कदया िा सकता वह महाकाकयप को

दता ह एक यही समझ पाया तम सनन वाल थ यह एक दिन वाला था

यही कथा झन क िनम की कथा ह झन शबद आता ह धयान स िापान म झन हो गया चीन म चान हो

गया लककन मलरप ह धयान रदध न उस कदन धयान द कदया झन फकीर कहत ह--टरासतमशन आउटसाइड

तसकरपचसा शासतरो क राहर दान शासतरो स नही कदया उस कदन शबद स नही कदया महाकाकयप को सीधा-सीधा

द कदया शबद म डालकर न कदया िस िलता हआ अगारा तरना राि क द कदया महाकाकयप चप ही रहा

चपपी म रात कह दी गई िो रदध न कहा था कक मिी भर सि पतत ऐसा ही मन तमस िो कहा ह वह इतना

ही ह और िो कहन को ह वह इतना ह तितना इस तवराट िगल म सि पततो क ढर

लककन म तमस कहता ह उस कदन उस फल म परा िगल द कदया उस कदन कि रचाया नही उस कदन

सर द कदया उस कदन रदध उडल गए उस कदन महाकाकयप का पातर परा भर गया तर स झन म यह वयवसथा

रही ह कक गर उसी को अपना अतधकारी तनयि करता ह िो मौन म लन को रािी हो िाता ह िो शबद की

तिद करता ह वह सनता ह ठीक ह साधता ह ठीक ह लककन वह िोिता उस ह अपन उततरातधकारी की

तरह िो शनय म और मौन म लन को रािी हो िाता ह िस रदध न उस कदन महाकाकयप को फल कदया ऐस

ही शनय म ऐस ही मौन म

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तो ऐसा नही ह कक रदध न िो कहा ह वही सर ह वह तो शरआत ह वह तो रारहिड़ी ह उसका

सहारा लकर आग रढ़ िाना वह तो ऐसा ही ह िस हम सकल म रचचो को तसिात ह ग गणश का--या अर

तसिात ह ग गधा का कयोकक अर धारमाक रात तो तसिाई नही िा सकती राजय धमातनरपकि ह तो गणश

की िगह गधा गणश तलिो तो मसलमान नाराि हो िाए कक िन नाराि हो िाए गधा तसकयलर ह

धमातनरपकष ह वह सभी का ह ग गणश का न तो ग गणश का ह न ग गध का ह ग ग का ह लककन रचच को

तसिात ह कफर ऐसा थोड़ ही ह कक वह सदा याद रिता ह कक िर भी तम कि पढ़ो तर रार-रार िर भी ग

आ िाए तो कहो ग गणश का तो पढ़ ही न पाओग पढ़ना ही मतककल हो िाएगा िो साधन था वही राधक

हो िाएगा

िो कहा ह वह तो ऐसा ही ह--ग गणश का वह तो पहली ककषा क तवदयाथी की रात ह लककन रदध न

पहली ककषा की रात कही कयोकक तम वही िड़ हो उनहोन तवशवतवदयालय क आतिरी िोर की रात नही कही

वहा तम कभी पहचोग तर दिा िाएगा और वहा पहच गए िर तम तो कहन की िररत नही रह िाती

तम िद ही दिन म समथा हो िात हो

शरआत ह शनय स अत ह दिन स शरआत ह सदह स अत ह शरदधा पर सदह को कस शरदधा तक

पहचाया िाए नातसतकता को कस आतसतकता तक पहचाया िाए नही को कस हा म रदला िाए यही रदध

की कीतमया ह यही रदध-धमा ह एस धममो सनतनो

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक मोकष रदधतव की आकाकषा भी वासना का ही एक रप ह और कफर कहा

िर तक रदधतव परापत न हो िाए तर तक चन स मत रठना इस तवरोधाभास को समझाए

मोकष की रदधतव की आकाकषा भी रदधतव म राधा ह कफर मन तमस कहा िर तक मोकष उपलबध न हो

िाए तर तक तपत होकर मत रठ िाना तर तक अभीपसा करना तर तक आकाकषा करना सवभावताः

तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह लककन म यही कह रहा ह कक िर तक आकाकषारतहतता उपलबध न हो िाए तर

तक आकाकषारतहतता की आकाकषा करत रहना यह तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह कयोकक म दो तलो को िोड़न

की कोतशश कर रहा ह तम िहा हो उसको और तम िहा होन चातहए उसको िोड़न की कोतशश कर रहा ह

इसतलए तवरोधाभास

िस कोई रचचा पदा हो अभी िनमा ह और हम उस मौत की िरर दनी हो यदयतप िो िनम गया वह

मरन लगा लककन रचच को मतय की रात समझानी रड़ी करठन हो िाएगी मतय की रात तवरोधाभासी मालम

पड़गी अभी तो िनम ही हआ ह और यह मौत की कया रात ह और िनम क साथ मौत को कस िोड़ो रचच

को तवरोधाभासी लगगी लककन तवरोधाभासी ह नही कयोकक िनम क साथ ही मौत की यातरा शर हो गई िो

िनमा वह मरन लगा

तितन िलदी मौत समझाई िा सक उतना ही अचिा ह ताकक िनम वयथा न चला िाए अगर िनम क

साथ ही मौत की समझ आ िाए तो िनम और मतय क रीच म रदधतव उपलबध हो िाता ह तो आदमी िाग

िाता ह िनम और मतय दोनो स तिस िनम की मतय होनी ह उन दोनो क रीच िीवन तो नही हो सकता

आभास होगा तो िर िनम की मतय ही हो िानी ह तो इस िीवन का कया भरोसा तो कफर हम ककसी और

िीवन की िोि कर--ककसी और िीवन की िहा न िनम हो न मतय

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समझ इस परशन को अर

यकद म तमस कह आकाकषा न करो तो तम यातरा ही शर न करोग िनम ही न होगा अगर म तमस यह

न कह कक आकाकषा भी िट िानी चातहए तो तम कभी पहचोग नही मोकष की आकाकषा मोकष की यातरा का

पहला कदम ह और मोकष की आकाकषा का तयाग मोकष की यातरा का अततम कदम ह दोनो मझ तमस कहन

होग

दतनया म दो तरह क लोग ह एक ह िो कहत ह िर आकाकषा स राधा ही पड़ती ह तो कया मोकष की

आकाकषा करना कफर हम िस ह वस ही भल ह इसस यह मत समझ लना कक उनहोन ससार की आकाकषाए

िोड़ दी उनहोन तसफा मोकष की आकाकषा न की उनहोन अपन को धोिा द तलया ससार की आकाकषाए तो व

ककए ही चल िाएग कयोकक ससार की आकाकषाए तो तभी िटती ह िर कोई मोकष की आकाकषा करता ह िर

कोई मोकष की आकाकषा पर सर दाव पर लगाता ह परा कदल दाव पर लगाता ह तर ससार की आकाकषाए

िटती ह तर ससार की आकाकषाओ म िो ऊिाा सलगन थी वह मि होती ह मोकष की तरफ लगती ह लककन

िो मोकष की तरफ की आकाकषा ककए चला िाता ह वह भी भटक िाता ह कयोकक अतताः वह आकाकषा भी

राधा रन िाएगी एक कदन उस भी िोड़ना ह

ऐसा समझो रात हम दीया िलात ह दीए की राती और तल दीया िलना शर होता ह तो दीए की

राती पहल तो तल को िलाती ह कफर िर तल िल िाता ह तो दीए की राती अपन को िला लती ह सरह

न तल रचता ह न राती रचती ह तर समझो कक सरह हई कफर भोर हई

तो पहल तो ससार की आकाकषाओ का तम तल की तरह उपयोग करो और मोकष की आकाकषा का राती

की तरह तो ससार की सारी आकाकषाओ को िला दो मोकष की राती को िलान म तल का उपयोग कर लो

ईधन का उपयोग कर लो सारी आकाकषाए इकिी कर लो ससार की और मोकष की एक आकाकषा पर समरपात

कर दो झोक दो सर मगर धयान रिना तिस कदन सर तल चक िाएगा उस कदन यह राती भी िल िानी

चातहए नही तो सरह न होगी यह राती कही राधा न रन िाए

तो एक तो सासाररक लोग ह िो कभी मोकष की आकाकषा ही नही करत कफर दसर मकदरो मतसिदो म

रठ हए धारमाक लोग ह तिनहोन ससार की आकाकषा िोड़ दी और परमातमा की आकाकषा पकड़ ली अर उस

आकाकषा को नही िोड़ पा रह ह ऐसा समझो कक कि तो ऐस लोग ह िो सीकढ़यो पर पर ही नही रित ऊपर

िान की यातरा ही शर नही होती और कि ऐस ह िो सीकढ़यो को पकड़कर रठ गए ह सीकढ़या नही िोड़त

िो सीकढ़यो क नीच रह गया वह भी ऊपर न पहच पाया और िो सीकढ़यो पर रह गया वह भी ऊपर न पहच

पाया म तमस कहता ह सीकढ़या पकड़ो भी िोड़ो भी

मन सना ह एक तीथायाततरयो की टरन हररदवार िा रही थी अमतसर पर गाड़ी िड़ी थी और एक

आदमी को लोग िरदासती घसीटकर गाड़ी म रिना चाह रह थ लककन वह कह रहा था कक भाई इसस उतरना

तो नही पड़गा उनहोन कहा उतरना तो पड़गा िर हररदवार पहच िाएगी तो उतरना पड़गा तो उस आदमी

न कहा--वह रड़ा तारका क आदमी था--उसन कहा िर उतरना ही ह तो चढ़ना कया यह तो तवरोधाभासी ह

चढ़ो भी कफर उतरो भी लना-दना कया ह हम चढ़त ही नही गाड़ी िटन क करीर हो गई ह सीटी रिन

लगी ह और भाग-दौड़ मच रही ह

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आतिर उसक सातथयो न--िो उसक यातरी-दल क साथी थ--उनहोन उसको पकड़ा और वह तचललाता ही

िा रहा ह कक िर उतरना ह तो चढ़ना कया मगर उनहोन कहा कक अर इसकी सन समझान का समय भी

नही उसको चढ़ा कदया

कफर वही झझट हररदवार क सटशन पर मची वह कह कक उतरग नही कयोकक िर चढ़ ही गए तो चढ़

गए अर उतर नही सकत वह आदमी तारका क था वह यह कह रहा ह कक तवरोधाभासी काम म नही कर

सकता ह वह ककसी तवशवतवदयालय म तका का परोफसर होगा

िर म तमस कहता ह ससार की आकाकषा िोड़ो--अमतसर की सटशन पर कफर तमस कहता ह अर

तिस टरन म चढ़ गए वह भी िोड़ो--हररदवार पर परमातमा का घर आ गया हररदवार आ गया उसका दवार आ

गया अर यह टरन िोड़ो तमह उस आदमी पर हसी आती ह लककन अगर तम अपन भीतर िोिोग तम उसी

आदमी को तिपा हआ पाओग

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

तवरोधाभास ह

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

इतिार का मिा ही तर ह िर इतिार भी न रह िाए याद तभी परी आती ह िर याद भी नही

आती

इस थोड़ा करठन होगा समझना कयोकक िर तक याद आती ह उसका मतलर अभी याद परी आई नही

रीच-रीच म भल-भल िाती होगी तभी तो याद आती ह तिसकी याद परी आ गई उसकी कफर याद आन की

िगह कहा रही कफर भलग कहा याद कस आएगी याद तभी तक आती ह िर भलना िारी रहता ह िर

भलना ही तमट गया तो याद कसी भलना तमट िान क साथ याद भी िो िाती ह

हदद-इतिार--अर सीमा पार हो गई लककन तभी याद का मिा ह िर याद भी नही आती अर एक ही

हो गए उसस अर याद करन क तलए भी फासला और दरी न रही ककसकी याद कर और कौन कर ककसको

पकार और कौन पकार तिस चाहा था तिसकी चाहत थी वह िो परमी था और िो परयसी थी व दोनो एक

हो गए अपनी ही कोई कस याद कर

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

और धमा की सारी भािा तवरोधाभासी ह होगी ही कयोकक धमा यातरा का परारभ भी ह और अत भी वह

िनम भी ह और मतय भी और वह दोनो क पार भी ह इसतलए िलदी तवरोधाभासो म मत उलझ िाना और

उनको हल करन की कोतशश मत करना समझन की कोतशश करना तर तम पाओग दोनो की िररत ह िो

सीढ़ी चढ़ाती ह वही रोक भी लती ह अगर तमन रहत तवरोधाभास दि तो तम मतककल म पड़ोग कयोकक

तम एक तो कर लोग कफर दसरा करन म अटकोग

तमन अगर यह कहा तमन अगर यह सन तलया कक परमातमा याद करन स तमलता ह और तम याद ही

करत रह और तम कभी हदद-इतिार क आग न गए तो कभी परमातमा न तमलगा राम-राम िपत रहोग

तोता-रटत रहगी कठ म रहगा हदय तक न िाएगा कयोकक िो हदय म चला गया उसकी कही याद करनी

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पड़ती ह याद होती रहती ह करनी नही पड़ती होती रहती ह कहना भी ठीक नही कयोकक दो याद क रीच

भी िाली िगह कहा साततय रना रहता ह तर हदद-इतिार

और ऐसी घड़ी िर घटती ह तो ऐसा नही ह कक िर तम तवरोधाभास की सीमा क पार तनकलत हो

और िर तम पराडाकस और तवरोधाभास का अततकरमण करत हो तो ऐसा नही ह कक तम ही परम आनद को

उपलबध होत हो तमहार साथ सारा अतसततव उतसव मनाता ह कयोकक तमहार साथ सारा अतसततव भी

अततकरमण करता ह एक सीमा और पार हई

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम--िर सारी परकतत गीत गाती ह िर सारा अतसततव

तमहार उतसव म सतममतलत हो िाता ह

कयोकक तम अलग-थलग नही हो तमम अतसततव न कि दाव पर लगाया ह तम अतसततव क दाव हो

पास हो परमातमा न तमहार ऊपर रड़ा दाव लगाया ह और रड़ी आशा रिी ह तिस कदन तम उपलबध होत

हो तम ही नही नाचत परमातमा भी नाचता ह तम ही अकल नाच तो कया नाच परमातमा भी िश होता ह

सारा अतसततव िश होता ह एक फतह और तमली एक तविय-यातरा का चरण और परा हआ

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

वह रड़ा चप ह गीत इसतलए ककसी को कया मालम वह रड़ा मौन ह वह उनही को कदिाई पड़ता ह

तिनह अदकय कदिाई पड़न लगा वह उनही को सनाई पड़ता ह िो सिाट को भी सन लत ह वह उनही को सपशा

हो पाता ह िो अरप का भी सपशा कर लत ह तनराकार स तिनकी चचाा होन लगी

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

तीसरा परशनाः आकाकषा तमटकर अभीपसा रन िाती ह अभीपसा की समातपत पर कया कि रचता ह सपषट

कर

आकाकषा यानी ससार की आकाकषाए आकाकषा यानी आकाकषाए एक नही अनक ससार अथाात अनक

िर आकाकषा तमटकर अभीपसा रनती ह--अभीपसा यानी आकाकषा आकाकषाए नही एक की आकाकषा का नाम

अभीपसा अनक की अभीपसा का नाम आकाकषा िर सारी आकाकषाओ की ककरण इकिी हो िाती ह और एक

सतय पर परमातमा पर या मोकष पर या सवय पर तनवााण पर कवलय पर क कित हो िाती ह तो अभीपसा

आकाकषा और आकाकषाओ का िाल िर सगरहीभत हो िाता ह तो अभीपसा पदा होती ह ककरण िर इकिी हो

िाती ह तो आग पदा होती ह ककरण अनक आग एक

यहा तक तो समझ म रात आ िाती ह कक आदमी धन को चाहता ह पद को चाहता ह पतनी को चाहता

ह रट को चाहता ह भाई को चाहता ह िीवन चाहता ह लरी उमर चाहता ह यह सर चाहत य सर चाहत

इकिी हो िाती ह और आदमी तसफा परमातमा को चाहता ह--यहा तक भी समझ म आ िाता ह कयोकक रहत

आकाकषाए तिसन की ह वह इसकी भी कलपना तो कम स कम कर ही सकता ह कक सभी आकाकषाए इकिी हो

गयी सभी िोट नदी-नाल तगर गए एक ही गगा म और गगा रहन लगी सागर की तरफ लककन िर आकाकषा

34

क राद अभीपसा भी िो िाती ह तर कया रचता ह नदी-नाल िो िात ह गगा म कफर िर गगा िो िाती ह

सागर म तो कया रचता ह सागर रचता ह गगा नही रचती

अर इस तम समझो

पहल तमहारी आकाकषाए िो िाएगी तम रचोग कफर तम भी िो िाओग परमातमा रचगा िर तक

तम आकाकषाओ म भटक हए हो तर तक तम तीन-तरह हो टकड़-टकड़ हो िर तमहारी सारी आकाकषाए

अभीपसा रन िाएगी तम एक हो िाओग तम योग को उपलबध हो िाओग योग यानी िड़ िाओग

सासाररक आदमी िड-िड ह एक भीड़ ह एक मिमा ह धारमाक आदमी भीड़ नही ह एक एकात ह

धारमाक आदमी इकिा ह योग को उपलबध हआ ह सारी आकाकषाए तसकोड़ ली उसन लककन अभी ह अभी

होनाभर मातर राधा रची अभी तम हो--अभीपसा म--और परमातमा ह यदयतप तम एक हो गए हो लककन

परमातमा अभी दसरा ह पराया ह

इस थोड़ा समझो

सासाररक आदमी भीड़ ह अनक ह धारमाक आदमी एक हो गया इकिा हो गया इटीगरटड योगसथ

लककन अभी परमातमा राकी ह तो दवत रचा सासाररक आदमी अनकतव म िीता ह धारमाक आदमी दवत म

भि रचा भगवान रचा िोिी रचा सतय रचा सागर रचा गगा रची अर भि को अपन को भी डरा दना

ह ताकक भगवान ही रच ताकक सागर ही रच गगा को अपन को भी िोना ह अनक स एक कफर एक स

शनय तर कौन रचगा तर सागर रचता ह िो सदा स था तम नही थ तर भी था वही रचगा िहा स तम

आए थ वही तम लौट िाओग िो तमहार होन क पहल था वही तमहार राद रचगा

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वताल परा हो िाता ह िनम क पहल तम िहा थ मरन क राद वही पहच िात हो थोड़ा सोचो गगा

सागर म तगरती ह गगा सागर स ही आई थी--सरि की ककरणो पर चढ़ा था सागर का िल सीकढ़या रनाई थी

सरि की ककरणो की कफर रादल घनीभत हए थ आकाश म कफर रादल ररस थ तहमालय पर ररस थ मदानो

म हिारो नदी-नालो म रह थ गगा की तरफ--गगोतरी स रही थी गगा मघ स आई थी मघ सागर स आए थ

कफर चली वापस कफर सागर म िो िाएगी

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वही रचगा िो तमहार होन क पहल था उस सतय कहो तम एक लहर हो सागर तमहार पहल भी

था लहर िो िाएगी सो िाएगी सागर कफर भी होगा और धयान रिना सागर तरना लहरो क हो सकता ह

लहर तरना सागर क नही हो सकती कभी सागर म लहर होती ह कभी नही भी होती िर लहर होती ह

उसको हम सतषट कहत ह िर लहर नही होती उसको हम परलय कहत ह अगर सारी लहरो को सोच तो सतषट

और परलय अगर एक-एक लहर का तहसार कर तो िनम और मतय िर लहर नही होती तो मतय िर लहर

होती ह तो िनम लककन िर लहर तमट िाती ह तर कया सच म ही तमट िाती ह यही सवाल ह गहरा

लहर सच म तमट िाती ह आकार तमटता होगा िो लहर म था िो लहर म वसतताः था वह तो कस तमटगा

िो था वह तो नही तमटता वह तो सागर म कफर भी होता ह रड़ा होकर होता ह तवराट होकर होता ह

35

तम रहोग तम िस नही तम रहोग रद िस नही तम रहोग सीतमत नही पता-रठकाना न रहगा

नाम-रप न रहगा लककन िो भी तमहार भीतर घनीभत ह इस कषण वह रचगा तवराट होकर रचगा तम

तमटोग लककन तमटना मौत नही ह तम तमटोग तमटना ही होना ह

आतिरी परशनाः तपिल एक परशनोततर म आपन समपाण और भति म भीतर होश राहर रहोशी कही ह और

धयानी और जञानी को भीतर स रहोशी और राहर स होश कहा ह यह धयानी को ककस तरह की भीतर की

रहोशी होती ह और राहर कफर वह ककस चीि का होश रिता ह ककस तरह स होश रिता ह िर कक भीतर

रहोशी रहती ह कया मर सनन या समझन म कही गलती हो रही ह कपया कफर स ठीक स समझाकर कह

नही--सनन म कोई गलती नही हई समझन म गलती हो रही ह कयोकक समझ तवरोधाभास को नही

समझ पाती सन तो लोग ककतनी ही तवरोधाभासी रात कह सन तो लोग और यह भी समझ लोग कक

तवरोधाभासी ह और यह भी समझ लोग कक सन तलया लककन कफर भी समझ न पाओग कयोकक तिसको तम

समझ कहत हो वह तवरोधाभास को समझ ही नही सकती इसीतलए तो तवरोधाभास कहती ह म कफर स

दोहरा दता ह रात रड़ी सीधी ह िरटल मालम होती ह कयोकक रतदध सीधी-सीधी रात को नही पकड़ पाती

एक तो ह भि परमी वह नाचता ह तम उसकी रहोशी को--िर म कहता ह रहोशी तो मरा मतलर ह

उसकी मसती--तम उसक िाम को िलकत राहर स भी दि लत हो मकदरा रही िा रही ह मीरा क नाच म

चतनय क भिन म कि भीतर िाकर िोिना न होगा उसकी मसती राहर ह मौि-दररया लहरो म ह फलो

म ह अध को भी समझ आ िाएगी रहर को भी सनाई पड़ िाएगी नाचती हई ह गीत गाती हई ह

अतभवयि ह यह िो मसती ह यह मसती तभी सभव ह िर भीतर होश हो नही तो यह मसती पागलपन हो

िाएगी

पागल और भि म फका कया ह यही पागल भी कभी नाचता ह मसकराता ह गीता गाता ह लककन

तम पहचान लोग उसकी आिो म िरा झाक कर दिना--उसम रहोशी तो ह लककन भीतर होश का दीया

नही भि रहोश भी ह और होश का दीया भी समहाल ह नाचता भी ह लककन दीए की लौ नही कपती

भीतर राहर नाच चलता ह भीतर सर ठहरा ह--अकप तभी तो पागल और परमातमा क दीवान का फका ह

तो तमह कभी-कभी परमातमा का दीवाना भी पागल लगगा कयोकक पागल और परमातमा क दीवान म

राहर तो एक ही िसी घटना घटती ह और कभी-कभी पागल भी तमह परमातमा का दीवाना लगगा

लककन इसका मतलर यही हआ कक तम िरा भीतर न गए राहर स ही राहर लौट आए राहर-राहर

दिकर लौट आए िरा भीतर उतरो िरा दो-चार सीकढ़या भीतर िाओ िरा पागल क नाच म और दीवान-

परमातमा की मसती क नाच म िरा गौर करो सवाद तभि ह रग-ढग रड़ा तभि ह अलग-अलग अदाि ह

लककन थोड़ा गौर स दिोग तो ऐस ही राह स चलत हए दिकर गिर गए तो भातत हो सकती ह ऊपर स

दोनो एक िस लगत ह पागल तसफा पागल ह रहोश ह भि तसफा रहोश नही ह रहोश भी ह और कि होश

भी ह रहोशी क भीतर होश का दीया िल रहा ह यही तवरोधाभास समझ म नही आता

कफर एक और तवरोधाभास तो चीि और िरटल हो िाती ह

यह तो भि हआ कफर धयानी ह यह तो मीरा हई कफर रदध ह रदध क राहर तो कपन भी न तमलगा

व मौि-दररया नही ह शात झील ह व फल क रग िस राहर कदिाई पड़त ह ऐस नही ह व ऐस ह िस रीि

36

म फल तिपा हो हिार-हिार रग भीतर दराकर रठ ह सवर ह रहत लककन ऐस िस वीणा म सोए हो

ककसी न िड़ न हो तो राहर तरलकल सिाटा ह

तम रदध क राहर होश पाओग मीरा क राहर तम मसती पाओग रदध क राहर तम परम होश पाओग

वहा िरा भी कपन न होगा और िस मीरा क रहोशी म भीतर होश ह ऐसा ही रदध क राहर क होश म भीतर

रहोशी होगी कयोकक दोनो साथ होन ही चातहए तभी पररपणाता होती ह अगर तसफा राहर का होश ही हो

और भीतर रहोशी न हो तो यह तो तम साधारण तयागी-तवरि म पा लोग इसक तलए रदध तक िान की

िररत नही यही तो रदधो म और रदधो का अनसरण करन वालो म फका ह रदध म और पािडी म यही फका ह

मीरा और पागल म िस फका ह रदध और पािडी म वस फका ह पािडी को दिकर अगर ऊपर-ऊपर स

आ गए तो धोिा हो िाएगा रगल को दिा ह िड़ा कसा रदध िसा िड़ा रहता ह इसीतलए तो रगला भगत

शबद हो गया कसा भगत मालम पड़ता ह एक टाग पर िड़ा रहता ह कौन योगी इतनी दर इस तरह िड़ा

रहता ह लककन निर मिली पर रटकी रहती ह

तो तमह ऐस लोग तमल िाएग--काफी ह उनकी सखया--कयोकक सरल ह रगला रन िाना रहत आसान

ह लककन उनकी निर मिली पर लगी रहगी योगी रठा हो भला आि रद ककए हो सकता ह निर तमहारी

िर पर लगी हो राहर स तो कोई भी साध ल सकता ह आसन पराणायाम तनयम मयाादा सवाल ह भीतर

का यह तनषकपता राहर की ही तो नही ह अनयथा सका स की ह

यह तनषकपता अगर राहर ही राहर ह और भीतर कपन चल रहा ह और भीतर आपाधापी मची ह

और भीतर जचतन और तवचार चल रहा ह और वासनाए दौड़ रही ह और भीतर कोई परमातमा को पा लन

की मसती नही रि रही ह और भीतर कोई गीत की गनगन नही ह भीतर कोई नाच नही चल रहा ह

ऐसा समझो रदध और मीरा तरलकल एक िस ह फका इतना ही ह कक िो मीरा क राहर ह वह रदध क

भीतर ह िो मीरा क भीतर ह वह रदध क राहर ह एक तसकका सीधा रिा ह एक तसकका उलटा रिा ह तसकक

दोनो एक ह िो भीतर िाएगा वही पहचान पाएगा और इसतलए म कहता ह कक मझ दोनो रासत सवीकार ह

तम अगर रदध क अनयातययो स मीरा की रात कहोग व कहग कहा की अजञानी सतरी की रात उठात हो

िनो स िाकर कहो महावीर क अनयातययो स कहो मीरा की रात व कहग कक आसति राग कषण का भी

हआ तो कया मोह कही रदधपरि नाचत ह यह तो सासाररको की रात ह और कही रदधपरि ऐसा रोत ह

याद करत ह ऐसा इतिार करत ह कही रदधपरि ऐसा कहत ह कक सि सिाकर रिी ह तम कर आओग

न िन कहग यह तो अजञानी ह मीरा

िन तो कषण को भी जञानी नही मान सकत वह रासरी राधा डालती ह जञानी क ओठो पर रासरी

िचती नही करक दि लो कोतशश ककसी िन-मकदर म िाकर महावीर क मह पर रासरी रि आओ व पतलस

म ररपोटा कर दग तमहारी कक तमन हमार भगवान तरगाड़ कदए यह दषकमा होगा वहा यह दघाटना मानी

िाएगी यहा तम रासरी िन-मकदर म लकर आए कस और महावीर क ओठ पर रिन की तहममत कस की

अनयातययो क साथ रड़ा ितरा ह व ऐस ही हो िात ह िस घोड़ो की आिो पर परिया रधी होती ह--

रस एक तरफ कदिाई पड़ता ह ताग म ित घोड़ दि रस वस ही अनयायी होत ह रस एक तरफ कदिाई

पड़ता ह िीवन का तवसतार िो िाता ह सपरदाय का यही अथा ह

धमा तो रहआयामी ह सपरदाय एक आयामी ह वन डायमशनल ह रस उनहोन रदध को दिा समझा कक

रात ितम हो गई रदध रहत िर ह लककन रदध होन क और भी रहत ढग ह जिदगी रड़ी अनत आयामी ह

37

परमातमा ककसी पर चक नही िाता हिार-हिार रगो म हिार-हिार फलो म हिार-हिार ढगो म अतसततव

तिलता ह और नाचता ह

मगर दो रड़ रतनयादी ढग ह एक धयान का और एक परम का मीरा परम स पहची िो परम स पहचगा

उसकी मसती राहर नाचती हई होगी और भीतर धयान होगा भीतर मौन होगा सिाटा होगा मीरा को

भीतर काटोग तो तम रदध को पाओग वहा और म तमस कहता ह अगर रदध की भी तम िोिरीन करो और

भीतर उतर िाओ तो तम वहा मीरा को नाचता हआ पाओग इसक अततररि हो नही सकता कयोकक िर तक

धयान मसती न रन और िर तक मसती धयान न रन तर तक अधरा रह िाता ह सर

इसतलए कभी यह मत सोचना कक तिस ढग स तमन पाया वही एक ढग ह और कभी दसर क ढग को

नकार स मत दिना और कभी दसर क ढग को जनदा स मत दिना कयोकक वह अहकार की चालरातिया ह

सदा धयान रिना हिार-हिार ढग स पाया िा सकता ह रहत ह रासत उसक रहत ह दवार उसक मकदर क

तम तिस दवार स आए भला और भी दवार ह और दो परमि-दवार ह होन ही चातहए कयोकक सतरी और परि दो

वयतितव क मल ढग ह

सतरी यानी परम परि यानी धयान परि अकला होकर उस पाता ह सतरी उसक साथ होकर उस पाती ह

परि सर भातत अपन को शनय करक उस पाता ह सतरी सर भातत अपन को उसस भरकर पाती ह मगर िर म

सतरी और परि कह रहा ह तो मरा मतलर शारीररक नही ह रहत परि ह तिनक पास परम का हदय ह व परम

स ही पाएग रहत तसतरया ह तिनक पास धयान की कषमता ह व धयान स पाएगी

मगर यह रात तम सदा ही धयान रिना कक िो तम राहर पाओग उसस तवपरीत तम भीतर पाओग

कयोकक तवपरीत स िड़कर ही सतय तनरमात होता ह सतय तवरोधाभासी ह सतय पराडाकस ह

आि इतना ही

38

एस धममो सनतनो भाग 2

तरहवा परवचन

अतरााती को उकसाना ही धयान

अनवससततचततसस अननवाहतचतसो

पपापपहीनसस नततथ िागरतो भय 34

कमभपम कायतमम तवकदतवा नगरपम तचतततमद ठपतवा

योधथ मार पायधन तित च रकि अतनवसनोतसया 35

अतचर वत य कायो पठजव अतधसससतत

िदधो अपतजवणो तनरतथ व कतलडगर 36

कदसो कदस यनत कतयरा वरी वा पन वररन

तमचिापतणतहत तचतत पातपयो न ततो कर 37

न त माता तपता कतयरा अो वातप च ातका

सममापतणतहत तचतत सययसो न ततो कर 38

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

ससार रदलता ह कफर भी रदलता नही ससार की मसीरत तो रनी ही रहती ह वहा तो तफान और

आधी चलत ही रहग अगर ककसी न ऐसा सोचा कक िर ससार रदल िाएगा तर म रदलगा तो समझो कक

उसन न रदलन की कसम िा ली तो समझो कक उसकी रदलाहट कभी हो न सकगी उसन कफर तय ही कर

तलया कक रदलना नही ह और रहाना िोि तलया

रहत लोगो न रहान िोि रि ह व कहत ह ससार ठीक हालत म नही ह हम ठीक होना भी चाह तो

कस हो सक ग अध ह ऐस लोग कयोकक ससार कभी ठीक नही हआ कफर भी वयतियो क िीवन म फल तिल

ह कोई रदध रोशन हआ कोई कषण कोई कराइसट सगध को उपलबध हए ह ससार तो चलता ही रहा ह ऐस

ही चलता रहगा ससार क रदलन की परतीकषा मत करना अनयथा तम रठ रहोग परतीकषा करत अधर म ही

िीयोग अधर म ही मरोग और ससार तो सदा ह तम अभी हो कल तवदा हो िाओग

इसतलए एक रात खयाल म रि लनी ह रदलना ह सवय को और ककतन ही तफान हो ककतनी ही

आतधया हो भीतर एक ऐसा दीया ह कक उसकी शमा िलाई िा सकती ह और ककतना ही अधकार हो राहर

भीतर एक मकदर ह िो रोशन हो सकता ह

39

तम राहर क अधर स मत परशान होना उतनी ही जचता और उतना ही शरम भीतर की जयोतत को

िलान म लगा दना और रड़ आिया की तो रात यही ह कक िर भीतर परकाश होता ह िर तमहारी आिो क

भीतर परकाश होता ह तो राहर अधकार तमट िाता ह कम स कम तमहार तलए तमट िाता ह तम एक और

दसर ही िगत म िीन लगत हो और हर वयति परमातमा की धरोहर ह कि ह िो तम परा करोग तो ही

मनषय कहलान क अतधकारी हो सकोग

एक अवसर ह िीवन िहा कि तसदध करना ह िहा तसदध करना ह कक हम रीि ही न रह िाएग

अकररत होग तिलग फल रनग तसदध करना ह कक हम सभावना ही न रह िाएग सतय रनग तसदध करना ह

कक हम कवल एक आकाकषा ही न होग कि होन की हमार भीतर होना परगट होगा उस परागटय का नाम ही

रदधतव ह

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

यह िो भीतर हदय ह तिस रदध न तचतत कहा तिस महावीर उपतनिद और वद आतमा कहत ह यह

अतसततव का मकदर ह

रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

अधर की उतनी जचता मत कररए अधर न कर ककसी रोशनी को रझाया ह अधरा ककतना ही रड़ा हो

एक िोट स रटम-रटमात दीए को भी नही रझा सकता अधर स कभी अधर नही हआ ह

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

वह िो भीतर जयोतत िल रही ह िीवन की वह िो तमहार भीतर िागा हआ ह वह िो तमहारा चतनय

ह रस उसको तिसन रचा तलया सर रचा तलया उस तिसन िो कदया वह सर भी रचा ल तो उसन कि भी

रचाया नही कफर तम समराट हो िाओ तो भी तभिारी रहोग और भीतर की जयोतत रचा लो तो तम चाह

राह क तभिारी रहो तमहार सामराजय को कोई िीन नही सकगा

समराट होन का एक ही ढग ह भीतर की सपदा को उपलबध हो िाना सवामी होन का एक ही ढग ह

भीतर क दीए क साथ िड़ िाना एक हो िाना और वह िो भीतर का दीया ह चाहता ह परततपल उसकी

राती को समहालो उकसाओ उस राती क उकसान का नाम ही धयान ह राहर क अधर पर तिनहोन धयान

कदया व ही अधारमाक हो िात ह और तिनहोन भीतर क दीए पर धयान कदया व ही धारमाक हो िात ह

मकदर-मतसिदो म िान स कि भी न होगा मकदर तमहारा भीतर ह परतयक वयति अपना मकदर लकर पदा हआ

ह कहा िोित हो मकदर को पतथरो म नही ह तमहार भीतर िो परमातमा की िोटी सी लौ ह वह िो होश

का दीया ह वहा ह

य रदध क सतर उस अपरमाद क दीए को हम कस उकसाए उसक ही सतर ह इन सतरो स दतनया म करातत

नही हो सकती कयोकक समझदार दतनया म करातत की रात करत ही नही वह कभी हई नही वह कभी होगी

भी नही समझदार तो भीतर की करातत की रात करत ह िो सदा सभव ह हई भी ह आि भी होती ह कल

भी होती रहगी असभव की चषटा करना मढ़ता ह और असभव की चषटा म िो सभव था वह भी िो िाता ह

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िो तमल सकता था वह भी नही तमल पाता उसकी चषटा म िो कक तमल ही नही सकता ह सभव की चषटा ही

समझ का सरत ह असभव की चषटा ही मढ़तापणा िीवन ह

रदध न कहा ह तिसक तचतत म राग नही ह और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही ह िो पाप-पणय स

मि ह उस िागरत परि को भय नही

तम तो भगवान को भी िोित हो तो भय क कारण और भय स कही भगवान तमलगा हा भगवान

तमल िाता ह तो भय िो िाता ह भगवान और भय साथ-साथ नही हो सकत यह तो ऐस ही ह िस अधरा

और परकाश साथ-साथ रिन की कोतशश करो तमहारी पराथानाए भी भय स आतवभात होती ह इसतलए वयथा ह

दो कौड़ी का भी उनका मलय नही ह तम मकदर म झकत भी हो तो कपत हए झकत हो यह परम का सपदन नही

ह यह भय का कपन ह

रड़ा फका ह दोनो म

िर परम उतरता ह हदय म तर भी सर कप िाता ह लककन परम की पलक कहा परम की पलक कहा

भय का घरड़ाना कपना धयान रिना परम की भी एक ऊषमा ह और रिार की भी और परम म भी एक

गरमाहट घर लती ह और रिार म भी तो दोनो को एक मत समझ लना भय म भी आदमी झकता ह परम म

भी पर दोनो को एक मत समझ लना भयभीत भी पराथाना करन लगता ह परम स भरा भी लककन भयभीत

की पराथाना अपन भीतर घणा को तिपाए होती ह कयोकक तिसस हम भय करत ह उसस परम हो नही सकता

इसतलए तिनहोन भी तमस कहा ह भगवान स भय करो उनहोन तमहार अधारमाक होन की रतनयाद रि

दी म तमस कहता ह सारी दतनया स भय करना भगवान स भर नही कयोकक तिसस भय हो गया उसस

कफर परम क आनद क सरध िड़त ही नही कफर तो िहर घल गया कए म कफर तो पहल स ही तम तविाि हो

गए कफर तमहारी पराथाना म धआ होगा परम की लपट न होगी कफर तमहारी पराथाना स दगध उठ सकती ह

और तम धप और अगररतततयो स उस तिपा न सकोग कफर तम फलो स उस ढाक न सकोग कफर तम लाि

उपाय करो सर उपाय ऊपर-ऊपर रह िाएग थोड़ा सोचो िर भीतर भय हो तो कस पराथाना पदा हो सकती

इसतलए रदध न परमातमा की रात ही नही की अभी तो पराथाना ही पदा नही हई तो परमातमा की कया

रात करनी अभी आि ही नही िली तो रोशनी की कया चचाा करनी अभी चलन क योगय ही तम नही हए

हो घटन स सरकत हो अभी नाचन की रात कया करनी पराथाना पदा हो तो परमातमा लककन पराथाना तभी

पदा होती ह िर अभय--कफयरलसनस

यहा एक रात और समझ लनी िररी ह अभय का अथा तनभाय मत समझ लना य रारीक भद ह और

रड़ रतनयादी ह तनभाय और अभय म रड़ा फरक ह िमीन-आसमान का फका ह शबदकोश म तो दोनो का एक

ही अथा तलिा ह िीवन क कोश म दोनो क अथा रड़ तभि ह तनभाय का अथा ह िो भीतर तो भयभीत ह

लककन राहर स तिसन ककसी तरह इतिाम कर तलया िो भीतर तो कपता ह लककन राहर नही कपता

तिसन न कपन का अभयास कर तलया ह राहर तक कपन को आन नही दता तिनको तम रहादर कहत हो व

इतन ही कायर होत ह तितन कायर कायर डरकर रठ िाता ह रहादर डरकर रठता नही चलता चला

िाता ह कायर अपन भय को मान लता ह रहादर अपन भय को इनकार ककए िाता ह लककन भयभीत तो ह

ही अभय की अवसथा रड़ी तभि ह न वहा भय ह न वहा तनभायता ह िर भय ही न रहा तो तनभाय कोई

कस होगा अभय का अथा ह भय और तनभाय दोनो ही िहा िो िात ह िहा वह रात ही नही रह िाती

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इस अवसथा को रदध और महावीर दोनो न भगवतता की तरफ पहला कदम कहा ह कौन आदमी अभय

को उपलबध होगा कौन स तचतत म अभय आता ह तिस तचतत म राग नही उस तचतत म दवि भी नही होता

सवभावताः कयोकक राग स ही दवि पदा होता ह

तमन खयाल ककया ककसी को तम सीधा-सीधा शतर नही रना सकत पहल तमतर रनाना पड़ता ह एकदम

स ककसी को शतर रनाओग भी तो कस रनाओग शतर सीधा नही होता सीधा पदा नही होता तमतर क पीि

आता ह दवि सीध पदा नही होता राग क पीि आता ह घणा सीध पदा नही होती तिस तम परम कहत हो

उसी क पीि आती ह तो शतर ककसी को रनाना हो तो पहल तमतर रनाना पड़ता ह और दवि ककसी स करना हो

तो पहल राग करना पड़ता ह ककसी को दर हटाना हो तो पहल पास लना पड़ता ह ऐसी अनठी दतनया ह

ऐसी उलटी दतनया ह

दवि स तो तम रचना भी चाहत हो लककन तिसन राग ककया वह दवि स न रच सकगा िर तमन

वयति को सवीकार कर तलया तो उसकी िाया कहा िाएगी वह भी तमहार घर आएगी तम यह न कह

सकोग महमान स कक िाया राहर ही िोड़ दो हमन कवल तमह ही रलाया ह िाया तो साथ ही रहगी दवि

राग की िाया ह वरागय राग की िाया ह

इसतलए तो म तमस कहता ह असली वरागी वरागी नही होता असली वरागी तो राग स मि हो गया

इसतलए महावीर-रदध न उस नया ही नाम कदया ह उस वीतराग कहा ह तीन शबद हए--राग वरागय

वीतरागता राग का अथा ह सरध ककसी स ह और ऐसी आशा कक सरध स सि तमलगा राग सि का सपना

ह ककसी दसर स सि तमलगा इसकी आकाकषा ह दवि ककसी दसर स दि तमल रहा ह इसका अनभव ह

तमतरता ककसी को अपना मानन की आकाकषा ह शतरता कोई अपना तसदध न हआ पराया तसदध हआ इसका

रोध ह तमतरता एक सवपन ह शतरता सवपन का टट िाना राग अधर म टटोलना ह दवार की आकाकषा म लककन

िर दवार नही तमलता और दीवाल तमलती ह तो दवि पदा हो िाता ह दवार अधर म ह ही नही टटोलन स न

तमलगा दवार टटोलन म नही ह दवार िागन म ह

तो रदध कहत ह तिसक तचतत म राग नही ह राग का अथा ह तिसन यह खयाल िोड़ कदया कक दसर स

सि तमलगा िो िाग गया और तिसन समझा कक सि ककसी स भी नही तमल सकता एक ही भातत ह कहो

इस ससार कक दसर स सि तमल सकता ह पतनी स या तपता स या भाई स या रट स या तमतर स या धन स

या मकान स या पद स दसर स सि तमल सकता ह--तो राग पदा होता ह सवाभातवक तिसस सि तमल

सकता ह उस हम गवाना न चाहग तिसस सि तमल सकता ह उस हम रचाना चाहग तिसस सि तमल

सकता ह वह कही दर न चला िाए कही कोई और उस पर कबिा न कर ल तो पतनी डरी ह कक पतत कही

ककसी और सतरी की तरफ न दि ल पतत डरा ह कक पतनी कही ककसी और म उतसक न हो िाए कयोकक इसी स

तो सि की आशा ह वह सि कही और कोई दसरा न ल ल

लककन सि कभी ककसी दसर स तमला ह ककसी न भी कभी कहा कक दसर स सि तमला ह आशा

और आशा और आशा आशा कभी भरती नही ककसन तमह आशवासन कदया ह कक दसर स सि तमल

सकगा और दसरा िर तमहार पास आता ह तो धयान रिना वह अपन सि की तलाश म तमहार पास आया

ह तम अपन सि की तलाश म उसक पास गए हो न उसको परयोिन ह तमहार सि स न तमको परयोिन ह

उसक सि स तमलगा कस परयोिन ही नही ह पतनी तमहार पास ह इसतलए नही कक तमह सि द तम पतनी

क पास हो इसतलए नही कक तम उस सि दो

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उपतनिद कहत ह कौन पतनी को पतनी क तलए परम करता ह पतनी क तलए कोई परम नही करता अपन

तलए परम करता ह कौन पतत को पतत क तलए परम करता ह अपन तलए परम करता ह सि की आकाकषा अपन

तलए ह और इसतलए अगर ऐसा भी हो िाए कक तमह लग कक दसर को दि दकर सि तमलगा तो भी तम

तयार हो और यही होता ह सोचत ह दसर स सि तमलगा लककन हम भी दसर को दि ही द पात ह और

दसरा भी हम दि द पाता ह

तिसन इस सतय को दि तलया वह सनयसत हो गया सनयास का कया अथा ह तिसन इस सतय को दि

तलया कक दसर स सि न तमलगा उसन अपनी कदशा मोड़ ली वह भीतर घर की तलाश म लग गया अपन

भीतर िोिन लगा कक राहर तो सि न तमलगा अर भीतर िोि ल शायद िो राहर नही ह वह भीतर हो

और तिनहोन भी भीतर झाका व कभी िाली हाथ वापस न लौट उनक पराण भर गए उनक पराण इतन

भर गए कक उनह िद ही न तमला उनहोन लटाया भी उनहोन राटा भी कि ऐसा ििाना तमला कक राटन स

रढ़ता गया करीर न कहा ह दोनो हाथ उलीतचए िर सि तमल िाए तो दोनो हाथ उलीतचए कयोकक

तितना उलीचो उतना ही रढ़ता चला िाता ह िस कए स पानी िीचत िाओ झरन और नया पानी ल आत

ह पराना चला िाता ह नया आ िाता ह

तिसको सि तमल गया उस यह राि भी पता चल गया कक राटो कयोकक अगर समहालोग तो पराना ही

समहला रहगा नया-नया न आ सकगा लटाओ ताकक तम रोि नए होत चल िाओ िोटा-िोटा कआ भी

िोटा थोड़ ही ह अनत सागर स िड़ा ह भीतर स झरनो क रासत ह इधर िाली करो उधर भरता चला

िाता ह

तम आतमा ही थोड़ ही हो परमातमा भी हो तम िोट कए ही थोड़ ही हो सागर भी हो सागर ही िोट

स कए म स झाक रहा ह िोटा कआ एक तिड़की ह तिसस सागर झाका तम भी एक तिड़की हो तिसस

परमातमा झाका एक रार अपनी सध आ िाए एक रार यह खयाल आ िाए कक मरा सि मझ म ह तो राग

समापत हो िाता ह

तिसक तचतत म राग नही

अथाात तिसन िान तलया कक सि मरा भीतर ह इसतलए तिसक तचतत म दवि भी नही ह सवभावताः

िर दसर स सि तमलता ही नही तो कसी तशकायत कसा तशकवा कक दसर स दि तमला यह रात ही कफिल

हो गई सि का खयाल था तो ही दि का खयाल रनता था तिसस तम तितनी जयादा अपकषा रित हो उसस

उतना ही दि तमलता ह

लोग मझस पित ह कक पतत-पतनी एक-दसर क कारण इतन दिी कयो होत ह तो म उनस कहता ह वह

सरध ऐसा ह िहा सरस जयादा अपकषा ह इसतलए तितनी अपकषा उतनी मातरा म दि होगा कयोकक उतनी

असफलता हाथ लगगी राह पर चलता आदमी अचानक तमहार पास स गिर िाता ह उसस दि नही तमलता

तमलन का कोई कारण नही अिनरी ह अपकषा ही कभी नही की थी और अगर अिनरी मसकराकर दि ल

तो अचिा लगता ह

तमहारी पतनी मसकराकर दि पतत मसकराकर दि तो भी कि अचिा नही लगता लगता ह िरर कोई

िालसािी होगी पतनी मसकरा रही ह मतलर कही रािार म साड़ी दि आई ह या कही गहन दि तलए या

कोई नया उपिव ह कयोकक ससता नही ह मसकराना कोई मफत नही मसकराता िहा सरध ह वहा तो लोग

मतलर स मसकरात ह पतत अगर आि जयादा परसि घर आ गया ह फल ल आया ह तमठाइया ल आया ह तो

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पतनी सकदगध हो िाती ह कक िरर कि िरर कि दाल म काला ह ककसी सतरी को रहत गौर स दि तलया

होगा परायतितत कर रहा ह नही तो कभी घर कोई तमठाइया लकर आता ह

तिनस तितनी अपकषा ह उनस उतना ही दि तमलता ह तितनी अपकषा ह उतनी ही टटती ह तितना

रड़ा भवन रनाओग ताश क पततो का उतनी ही पीड़ा होगी कयोकक तगरगा उतना शरम उतनी शति उतनी

अभीपसाओ क इिधनि सर टट िाएग सर िमीन पर रौद हए पड़ होग उतनी ही पीड़ा होगी अिनरी स

दि नही तमलता अपररतचत स दि नही तमलता कयोकक अपकषा िररी ह

लककन अगर तम अपकषा ही िोड़ दो तो तमह कया कोई दि द सकगा इस रहत सोचना इस पर मनन

करना धयान करना अगर तम अपकषा िोड़ दो कोई माग न रह--कयोकक तम िाग गए कक तमलना ककसी स

कि भी नही ह--तो तम अचानक पाओग तमहार िीवन स दि तवसरिात हो गया अर कोई दि नही दता

सि न मागो तो कोई दि नही दता तर तो रड़ी अभतपवा घटना घटती ह तम सि नही मागत कोई

दि नही दता न राहर स सि आता ह न दि आता ह पहली रार तम अपन म रमना शर होत हो कयोकक

अर राहर निर रिन की कोई िररत ही न रही िहा स कि तमलना ही नही ह िहा िदान थी ही नही

तसफा धोिा था आभास था तम आि रद कर लत हो

इसतलए रदधपरिो की आि रद ह वह िो रद आि ह धयान करत रदध की या महावीर की वह इस

रात की िरर ह कवल कक अर राहर दिन योगय कि भी न रहा िर पान योगय न रहा तो दिन योगय कया

रहा दित थ कयोकक पाना था पान का रस लगा था तो गौर स दित थ िो पाना हो वही आदमी दिता

ह िर पान की भातत ही टट गई तो आदमी आि रद कर लता ह रद कर लता ह कहना ठीक नही आि रद

हो िाती ह पलक अपन आप रद हो िाती ह कफर आि को वयथा ही दिाना कया कफर आि को वयथा ही

िोलकर परशान कया करना और यह िो दतषट पर पलक का तगर िाना ह यही भीतर दतषट का पदा हो िाना

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

पाप और पणय व भी राहर स ही िड़ ह िस सि और दि इस थोड़ा समझना यह और भी सकषम

और भी िरटल ह यह तो रहत लोग तमह समझात तमल िाएग कक सि-दि राहर स तमलत नही तसफा तमहार

खयाल म ह लककन िो लोग तमह समझात ह राहर स सि न तमलगा और इसतलए राहर स दि भी नही

तमलता व भी तमस कहत ह पणय करो पाप न करो शायद व भी समझ नही कयोकक समझ होत तो दसरी

रात भी राहर स ही िड़ी ह कया ह दसरी रात वह पहली का ही दसरा पहल ह

पहला ह दसर स मझ सि तमल सकता ह तमलता ह दि इसतलए राग राधता ह और दवि फलता ह

रोता राग क रीि ह फसल दवि की काटता ह चाहता ह राग हाथ म आता ह दवि तड़फड़ाता ह िस रदध न

कहा कोई मिली को सागर क राहर कर द तट पर तड़फड़ाए ऐसा आदमी तड़फड़ाता ह

कफर पाप-पणय कया ह पाप-पणय इसका ही दसरा पहल ह पणय का अथा ह म दसर को सि द सकता

ह पाप का अथा ह म दसर को दि द सकता ह तर तमह समझ म आ िाएगा दसर स सि तमल सकता ह

यह और म दसर को सि द सकता ह यह दोनो एक ही तसकक क दो पहल हए दसरा मझ दि दता ह यह और

म दसर को दि द सकता ह यह भी उसी रात का पहल हआ

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इसतलए रदध न इस सतर म रड़ी मतहमापणा रात कही ह कहा ह कक तिसक तचतत म न राग रहा न दवि

िो पाप-पणय स मि ह कयोकक िर यही समझ म आ गया कक कोई मझ सि नही द सकता तो यह भातत अर

कौन पालगा कक म ककसी को सि द सकता ह तो कसा पणय कफर यह भातत भी कौन पालगा कक मन ककसी

को पाप ककया ककसी को दि कदया यह भातत भी गई सि-दि क िात ही राग-दवि क िात ही पाप-पणय भी

चला िाता ह पाप-पणय सि और दि क ही सकषम रप ह

इसतलए तो धमागर तमस कहत ह कक िो पणय करगा वह सवगा िाएगा सवगा यानी सि तमन चाह इस

कभी ठीक-ठीक न दिा हो और धमागर कहत ह िो पाप करगा वह नका िाएगा नका यानी दि अगर पणय

का पररणाम सवगा ह और पाप का पररणाम नका ह तो एक रात साफ ह कक पाप-पणय सि-दि स ही िड़ ह

िर सि-दि ही िो गया तो पाप-पणय भी िो िात ह

धयान रिना दतनया म दो तरह क भयभीत लोग ह तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही

दसरा दि न द द और तिनको तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही मझस ककसी दसर को दि न हो िाए

तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर स सि लन म चक िाऊ और तिनको

तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर को सि दन स चक िाऊ तो तमहार धारमाक

और अधारमाक तभि नही ह एक-दसर की तरफ पीठ ककए िड़ होग लककन एक ही तल पर िड़ ह तल का

कोई भद नही ह कोई तमहारा धारमाक अधारमाक स ऊच तल पर नही ह ककसी और दसरी दतनया म नही ह

हो दौर-गम कक अहद-िशी दोनो एक ह

दोनो गिकतनी ह तििा कया रहार कया

चाह पतझड़ हो चाह वसत दोनो ही कषणभगर ह दोनो अभी ह अभी नही हो िाएग दोनो पानी क

रलरल ह दोनो ही कषणभगर ह दोनो म कि चनन िसा नही ह कयोकक अगर तमन रहार को चना तो धयान

रिना अगर तमन वसत को चना तो पतझड़ को भी चन तलया कफर वसत म अगर सि माना तो पतझड़ म

दि कौन मानगा

एक मतहला मर पास लाई गई रोती थी िाती पीटती थी पतत उसक चल रस वह कहन लगी मझ

ककसी तरह सातवना द समझाए ककसी तरह मझ मर दि क राहर तनकाल मन उसस कहा सि तन तलया

माना कक सि था अर दि कौन भोगगा त रहत होतशयारी की रात कर रही ह पतत क होन का सि त

कभी मर पास नही आई कक मझ इस सि स रचाए िगाए य म सि म डरी िा रही ह त कभी आई ही नही

इस रासत पर

लोग िर दि म होत ह तभी मकदर की तरफ िात ह और िो सि म िाता ह वही समझ पाता ह दि

म िाकर तम समझ न पाओग कयोकक दि िाया ह मल नही मल तो िा चका िाया गिर रही ह िाया को

कस रोका िा सकता ह

मन उस मतहला को कहा त रो ही ल अर दि को भी भोग ही ल कयोकक भातत दि की नही ह भातत

सि की ह सि तमल सकता ह तो कफर दि भी तमलगा वसत स मोह लगाया तो पतझड़ म रोओग िवानी

म िश हए रढ़ाप म रोओग पद म परसि हए तो कफर पद िोकर कोई दसरा रोएगा तमहार तलए मसकराए

तम तो आस भी तमह ही ढालन पड़ग और दोनो एक िस ह ऐसा तिसन िान तलया कयोकक दोनो का सवभाव

कषणभगर ह पानी क ररल िस ह

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धयान रिना यह िानना सि म होना चातहए दि म नही दि म तो रहत पकारत ह परमातमा को

और कफर सोचत ह शायद उस तक आवाि नही पहचती दि म पकारन की रात ही गलत ह िर तमन सि

म न पकारा तो तम गलत मौक पर पकार रह हो िर तमहार पास कठ था और तम पकार सकत थ तर न

पकारा अर िर कठ अवरदध हो गया ह तर पकार रह हो अर पकार तनकलती ही नही ऐसा नही ह कक

परमातमा नही सनता ह दि म पकार तनकलती ही नही दि तो अतनवाया हो गया

अगर सि म न िाग और सि को गिर िान कदया तो अर िाया को भी गिर िान दो मर दि िो

सि म िागता ह वही िागता ह िो दि म िागन की कोतशश करता ह वह तो साधारण कोतशश ह सभी

करत ह हर आदमी दि स मि होना चाहता ह ऐसा आदमी तम पा सकत हो िो दि स मि नही होना

चाहता लककन इसम सफलता नही तमलती नही तो सभी लोग मि हो गए होत लककन िो सि स मि

होना चाहता ह वह ततकषण मि हो िाता ह लककन सि स कोई मि नही होना चाहता यही आदमी की

तवडरना ह

दि स तम मि होना चाहत हो लककन वहा स मागा नही सि स तम मि होना नही चाहत वहा स

मागा ह दीवाल स तम तनकलना चाहत हो दवार स तम तनकलना नही चाहत िर दीवाल सामन आ िाती ह

तर तम तसर पीटन लगत हो कक मझ राहर तनकलन दो िर दवार सामन आता ह तर तम कहत हो अभी िलदी

कया ह आन दो दीवाल को कफर तनकलग

धयान रिना िो सि म सनयासी हआ वही हआ तन तयिन भिीथााः उनहोन ही िोड़ा तिनहोन भोग

म िोड़ा पतनी मर गई इसतलए तम सनयासी हो गए कदवाला तनकल गया इसतलए सनयासी हो गए नौकरी

न लगी इसतलए सनयासी हो गए चनाव हार गए इसतलए सनयासी हो गए तो तमहारा सनयास हार हए का

सनयास ह इस सनयास म कोई पराण नही लोग कहत ह हार को हररनाम हार को हररनाम हार हए को तो

कोई हरर का नाम नही हो सकता

िीत म समरण रिना रड़ा मतककल ह कयोकक िीत रड़ी रहोशी लाती ह िीत म तो तम ऐस अकड़

िात हो कक अगर परमातमा िद भी आए तो तम कहो कफर कभी आना आग रढ़ो अभी फसात नही और म

तमस कहता ह परमातमा आया ह कयोकक िीत म दवार सामन होता ह लककन तम अध होत हो

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

भय कयो पदा होता ह भय दो कारण स पदा होता ह िो तम चाहत हो कही ऐसा न हो कक न तमल

तो भय पदा होता ह या िो तमहार पास ह कही ऐसा न हो कक िो िाए तो भय पदा होता ह लककन िागरत

परि को पता चलता ह कक तमहार पास कवल तम ही हो और कि भी नही और िो तम हो उसको िोन का

कोई उपाय नही उस न चोर ल िा सकत ह न डाक िीन सकत ह नन जिदतत शसतरातण--उस शसतर िद नही

पात नन दहतत पावकाः--उस आग िलाती नही िागरत को पता चलता ह कक िो म ह वह तो शाशवत सनातन

ह उसकी कोई मतय नही

सोया कपता ह डरता ह कक कही कोई मझस िीन न ल

दो कदन पहल एक यवती न मझ आकर कहा कक म सदा डरती रहती ह कक िो मर पास ह कही तिन न

िाए मन उसस पिा कक त पहल मझ यह रता कया तर पास ह उसन कहा िर आप पित हो तो रड़ी

मतककल होती ह ह तो कि भी नही कफर डर ककस रात का ह कया ह तमहार पास िो िो िाएगा धन

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और िो तम सोचत हो तमहार पास ह और िो सकता ह कया तम उस रचा सकोग तम कल पड़ रह िाओग

सास नही आएगी-िाएगी मतकिया उड़गी तमहार चहर पर--तम उड़ा भी न सकोग--धन यही का यही पड़ा

रह िाएगा धन तमहारा ह तम नही थ तर भी यहा था तम नही होओग तर भी यहा होगा और धयान

रिना धन रोएगा नही कक तम िो गए मातलक िो गया और धन रोए धन को पता ही नही कक तम भी

मातलक थ तमन ही मान रिा था

तमहारी मानयता ऐसी ही ह िस मन सना ह एक हाथी एक िोट स नदी क पल पर स गिरता था और

एक मकिी उस हाथी क तसर पर रठी थी िर पल कपन लगा और उस मकिी न कहा दिो हमार विन स

पल कपा िा रहा ह हमार विन स उसन हाथी स कहा रट हमार विन स पल कप रहा ह हाथी न कहा कक

मझ अर तक पता ही न था कक त भी ऊपर रठी ह

कहत ह तिपकतलया उनको कभी तनमतरण तमल िाता ह उनकी िात-तररादरी म तो िाती नही व

कहती ह महल तगर िाएगा समहाल हए ह तिपकली चली िाएगी तो महल तगर िाएगा

तमहारी भातत ह कक तमहार पास कि ह तमहारी मालककयत झठी ह हा िो तमहार पास ह वह तमहार

पास ह उस न कभी ककसी न िीना ह न कोई िीन सकगा असतलयत म सपदा की पररभािा यही ह कक िो

िीनी न िा सक िो िीनी िा सक वह तो तवपदा ह सपदा नही ह वह सपततत नही ह तवपततत ह

तो दो डर ह आदमी तिनस कपता रहता ह कही मरा तिन न िाए सवभावताः तमन िो तमहारा नही ह

उसको मान तलया मरा इसतलए भय ह वह तिनगा ही तसकदर भी न रोक पाएगा नपोतलयन भी न रोक

पाएगा कोई भी न रोक पाएगा वह तिनगा ही वह तमहारा कभी था ही नही तमन नाहक ही अपना दावा

कर कदया था तमहारा दावा झठा था इसतलए तम भयभीत हो रह हो और िो तमहारा ह वह कभी तिनगा

नही लककन उसकी तरफ तमहारी निर नही ह िो अपना नही ह उसको मानकर रठ हो और िो अपना ह

उस तयाग कर रठ हो ससार का यही अथा ह सपदा का तयाग और तवपदा का भोग ससार का यही अथा ह िो

अपना नही ह उसकी घोिणा कक मरा ह और िो अपना ह उसका तवसमरण

तिसको सवय का समरण आ गया वह तनभाय हो िाता ह तनभाय नही अभय हो िाता ह वह भय स

मि हो िाता ह िो तमहारा नही ह उसन ही तो तमह तभिारी रना कदया ह माग रह हो हाथ फलाए हो

और ककतनी ही तभकषा तमलती िाए मन भरता नही मन भरना िानता ही नही

रदध कहत ह मन की आकाकषा दषपर ह वासना दषपर ह वह कभी भरती नही

एक समराट क दवार पर एक तभिारी िड़ा था और समराट न कहा कक कया चाहता ह उस तभिारी न

कहा कि जयादा नही चाहता यह मरा तभकषापातर भर कदया िाए िोटा सा पातर था समराट न मिाक म ही

कह कदया कक अर िर यह तभिारी सामन ही िड़ा ह और पातर भरवाना ह और िोटा सा पातर ह तो कया

अि क दानो स भरना सवणा अशरफायो स भर कदया िाए

मतककल म पड़ गया सवणा अशरफाया भरी गयी समराट भी हरान हआ व सवणा अशरफाया िो गयी पातर

िाली का िाली रहा लककन तिद पकड़ गई समराट को भी कक यह तभिारी यह कया मझ हरान आया ह वह

रड़ा समराट था उसक ििान रड़ भरपर थ उसन कहा कक चाह सारा सामराजय लट िाए लककन इस तभिारी

स थोड़ ही हारगा उसन डलवायी अशरफाया

लककन धीर-धीर उसक हाथ-पर कपन लग कयोकक डालत गए और व िोती गयी आतिर वह घरड़ा

गया

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विीरो न कहा कक य तो सर लट िाएगा और यह पातर कोई साधारण पातर नही मालम होता यह तो

कोई िाद का मामला ह यह आदमी तो कोई शतान ह उस तभिारी न कहा म तसफा आदमी ह शतान नही

और यह पातर आदमी क हदय स रनाया ह हदय कर भरता ह यह भी नही भरता इसम कि शतातनयत नही

ह तसफा मनषयता ह

कहत ह समराट उतरा जसहासन स उस तभिारी क पर िए और उसन कहा कक मझ एक रात समझ म

आ गई--न तरा पातर भरता ह न मरा भरा ह तर पातर म भी य सर सवणा अशरफाया िो गयी और मर पातर म

भी िो गई थी लककन तन मझ िगा कदया रस अर इसको भरन की कोई िररत न रही अर इस पातर को ही

फक दना ह िो भरता ही नही उस पातर को कया ढोना

लककन आदमी माग चला िाता ह िो उसका नही ह और चाह ककतनी ही रइजजती स तमल रशमी स

तमल माग चला िाता ह तभिारी रड़ रशमा होत ह तम उनस कहत चल िात हो हटो आग िाओ व तिदद

राधकर िड़ रहत ह रड़ हठधमी होत ह हठयोगी तभिमगा मन ही रड़ा तिददी ह रड़ी रशमी स माग चला

िाता ह

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ओक स ही पी लग

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

माग चल िात ह कोई लजजा भी नही ह पातर कभी भरता नही ककतन िनमो स तमन मागा ह कर

िागोग ककतनी रइजजती स मागा ह ककतन धकक-मकक िाए ह ककतनी रार तनकाल गए हो महकफल स कफर

भी िड़ हो

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ससार म आदमी ककतनी रइजजती झल लता ह ककतनी रशमी स माग चला िाता ह और एक रात नही

दिता कक इतना माग तलया कि भरता नही पातर िाली का िाली ह ककतना माग तलया कि भरता नही

दषपर ह तिस कदन यह कदिाई पड़ िाता ह उसी कदन तम पातर िोड़ दत हो उसी कषण अभय उतपि हो िाता

अभय उनही को उतपि होता ह तिनहोन यह सतय दि तलया कक िो तमहारा ह वह तमहारा ह मागन की

िररत नही तम उसक मातलक हो ही और िो तमहारा नही ह ककतना ही मागो ककतना ही इकिा करो तम

मातलक उसक हो न पाओग तिसक तम मातलक हो परमातमा न तमह उसका मातलक रनाया ही ह और

तिसक तम मातलक नही हो उसका तमह मातलक रनाया नही इस वयवसथा म तम कोई हर-फर न कर पाओग

यह वयवसथा शाशवत ह एस धममो सनतनो

और तिसक िीवन म अभय आ गया रदध कहत ह उसक िीवन म सर आ गया वह परमातमा सवय हो

गया िहा अभय आ गया वहा उठती ह पराथाना वहा उठता ह परमातमा लककन उसकी रदध रात नही करत

वह रात करन की नही ह वह चपचाप समझ लन की ह वह आि स आि म डाल दन की ह वह इशार-इशार

म समझ लन की ह िोर स कहन म मिा तरगड़ िाता ह वह रात चपपी म कहन की ह इसतलए रदध उसकी

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रात नही करत व मल रात कह दत ह आधार रि दत ह कफर व कहत ह रीि डाल कदया कफर तो वह अपन

स ही अकर रन िाता ह

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान इस तचतत को नगर क समान दढ़ ठहरा परजञारपी हतथयार स

मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर और उसम आसि न हो

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

शरीर घड़ा ही ह तम भीतर भर हो घड़ क तम घड़ नही हो िस घड़ म िल भरा ह या और भी ठीक

होगा िसा िाली घड़ा रिा ह और घड़ म आकाश भरा ह घड़ को तोड़ दो आकाश नही टटता घड़ा टट

िाता ह आकाश िहा था वही होता ह घड़ा टट िाता ह सीमा तमट िाती ह िो सीमा म रधा था वह

असीम क साथ एक हो िाता ह घटाकाश आकाश क साथ एक हो िाता ह

शरीर घड़ा ह तमिी का ह तमिी स रना ह तमिी म ही तगर िाएगा और तिसन यह समझ तलया कक म

शरीर ह वही भातत म पड़ गया सारी भातत की शरआत इस रात स होती ह कक म शरीर ह तमन अपन वसतरो

को अपना होना समझ तलया तमन अपन घर को अपना होना समझ तलया ठहर हो थोड़ी दर को पड़ाव ह

मतिल नही सरह हई और यातरीदल चल पड़गा थोड़ा िागकर इस दिो

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

रड़ी किसी ह रड़ी सकीणाता ह

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

कल दो कदन की जिदगी ह उसम भी एक मौत का कदन तनकल िाता ह एक कदन की जिदगी ह और कस

इठलात हो कस अकड़ िात हो कस भल िात हो कक मौत दवार पर िड़ी ह शरीर तमिी ह और तमिी म तगर

िाएगा

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

रदध यह नही कहत कक मान रदध कहत ह िान रदध का सारा िोर रोध पर ह व यह नही कहत कक म

कहता ह इसतलए मान ल कक शरीर घड़ की तरह ह व कहत ह त िद ही िान थोड़ा आि रद कर और

पहचान त घड़ स अलग ह

धयान रिना तिस चीि क भी हम िषटा हो सकत ह उसस हम अलग ह तिसक हम िषटा न हो सक

तिसको दकय न रनाया िा सक वही हम ह आि रद करो और शरीर को तम अलग दि सकत हो हाथ टट

िाता ह तम नही टटत तम लाि कहो कक म टट गया रात गलत मालम होगी िद ही गलत मालम होगी

हाथ टट गया पर टट गया आि चली गई तम नही चल गए भि लगती ह शरीर को लगती ह तमह नही

लगती हालाकक तम कह चल िात हो कक मझ भि लगी ह पयास लगती ह शरीर को लगती ह कफर िलधार

चली िाती ह ततपत हो िाती ह शरीर को होती ह

सर ततपतया सर अततपतया शरीर की ह सर आना-िाना शरीर का ह रनना-तमटना शरीर का ह तम न

कभी आत न कभी िात घड़ रनत रहत ह तमटत िात ह भीतर का आकाश शाशवत ह उस कोई घड़ा कभी

ि पाया उस पर कभी धल िमी रादल रनत ह तरिर िात ह आकाश पर कोई रिा िटती ह तम पर भी

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नही िटी तमहारा कवारापन सदा कवारा ह वह कभी गदा नही हआ इस भीतर क सतय क परतत िरा आि राहर

स रद करो और िागो

रदध कहत ह इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

तसदधात की तरह मत मान लना कक ठीक ह कयोकक तमन रहत रार सना ह महातमागण समझात रहत

ह शरीर अतनतय ह कषणभर का रलरला ह तमन भी सन-सनकर याद कर ली ह रात याद करन स कि भी न

होगा िानना पड़गा कयोकक िानन स मति आती ह जञान रपातररत करता ह

इस तचतत को इस तरह ठहरा ल िस कक कोई नगर चिान पर रसा हो या ककसी नगर का ककला पहाड़

की चिान पर रना हो--अतडग चिान पर रना हो

इस तचतत को नगरकोट क समान दढ़ ठहरा ल

सारी कला इतनी ही ह कक मन न कप अकप हो िाए कयोकक िर तक मन कपता ह तर तक दतषट नही

होती िर तक मन कपता ह तर तक तम दिोग कस तिसस दित थ वही कप रहा ह ऐसा समझो कक तम

एक चकमा लगाए हए हो और चकमा कप रहा ह चकमा कप रहा ह िस कक हवा म पतता कप रहा हो कोई

पतता कप रहा हो तफान म ऐसा तमहारा चकमा कप रहा ह तम कस दि पाओग दतषट असभव हो िाएगी

चकमा ठहरा हआ होना चातहए

मन कपता हो तो तम सतय को न िान पाओग मन क कपन क कारण सतय तमह ससार िसा कदिाई

पड़ रहा ह िो एक ह वह अनक िसा कदिाई पड़ रहा ह कयोकक मन कप रहा ह िस कक रात चाद ह परा

चाद ह आकाश म और झील नीच कप रही ह लहरो स तो हिार टकड़ हो िात ह चाद क परततजरर नही

रनता पर झील पर चादी फल िाती ह लककन चाद का परततजरर नही रनता हिार टकड़ हो िात ह कफर

झील ठहर गई लहर नही कपती सर मौन हो गया सिाटा हो गया झील दपाण रन गई अर चाद एक रनन

लगा अनक कदिाई पड़ रहा ह अनक ह नही अनक कदिाई पड़ रहा ह कपत हए मन क कारण

मन सना ह एक रात मलला नसरददीन घर आया शरार जयादा पी गया ह हाथ म चारी लकर ताल म

डालता ह नही िाती हाथ कप रहा ह पतलस का आदमी दवार पर िड़ा ह वह रड़ी दर तक दिता रहा कफर

उसन कहा कक नसरददीन म कि सहायता कर लाओ चारी मझ दो म िोल द नसरददीन न कहा चारी की

तम कफकर न करो िरा इस कपत मकान को तम पकड़ लो चारी तो म िद ही डाल दगा

िर आदमी क भीतर शरार म सर कप रहा हो तो उस ऐसा नही लगता कक म कप रहा ह उस लगता

ह यह मकान कप रहा ह तमन कभी शरार पी भाग पीकर कभी चल रासत पर िरर चलकर दिना

चातहए एक दफा अनभव करन िसा ह उसस तमह पर िीवन क अनभव का पता चल िाएगा कक ऐसा ही

ससार ह इसम तम नश म चल रह हो तम कप रह हो कि भी नही कप रहा ह तम िड-िड हो गए हो

राहर तो िो ह वह अिड ह तम अनक टकड़ो म रट गए हो राहर तो एक ह दपाण टट गया ह तो रहत तचतर

कदिाई पड़ रह ह िो ह वह एक ह रदध कहत ह तचतत ठहर िाए अकप हो िाए िस दीए की लौ ठहर िाए

कोई हवा कपाए न

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर पर उसम आसि न हो

यह रड़ी करठन रात ह करठनतम साधक क तलए कयोकक इसम तवरोधाभास ह रदध कहत ह आकाकषा

कर लककन आसि मत हो सतय की आकाकषा करनी होगी और सतय को िीतन की भी यातरा करनी होगी

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तविय को सरतकषत करना होगा नही तो िो िाएगी हाथ स तविय ऐस रठ-ठाल नही तमल िाती ह रड़ा

उदयम रड़ा उदयोग रड़ा शरम रड़ी साधना रड़ी तपियाा

िीत क लाभ की रकषा कर

और िो िोटी-मोटी िीत तमल उसको रचाना रकषा करना भल मत िाना नही तो िो कमाया ह वह

भी िो िाता ह

तो धयान सतत करना होगा िर तक समातध उपलबध न हो िाए अगर एक कदन की भी गाकफलता की

एक कदन की भी भल-चक की तो िो कमाया था वह िोन लगता ह धयान तो ऐसा ही ह िस कक कोई

साइककल पर सवार आदमी पडल मारता ह वह सोच कक अर तो चल पड़ी ह साइककल अर कया पडल

मारना पडल मारना रद कर द तो जयादा दर साइककल न चलगी चढ़ाव होगा तर तो फौरन ही तगर िाएगी

उतार होगा तो शायद थोड़ी दर चली िाए लककन ककतनी दर िाएगी जयादा दर नही िा सकती सतत

पडल मारन होग िर तक कक मतिल ही न आ िाए

धयान रोि करना होगा िो-िो कमाया ह धयान स उसकी रकषा करनी होगी

िीत क लाभ की रकषा कर

वह िो-िो हाथ म आ िाए उसको तो रचाना तितना थोड़ा सा तचतत साफ हो िाए ऐसा मत सोचना

कक अर कया करना ह सफाई वह कफर गदा हो िाएगा िर तक कक पररपणा अवसथा न आ िाए समातध की

तर तक शरम िारी रिना होगा

हा समातध फतलत हो िाए कफर कोई शरम का सवाल नही समातध उपलबध हो िाए कफर तो तम उस

िगह पहच गए िहा कोई चीि तमह कलतित नही कर सकती मतिल पर पहच गए कफर तो साइककल को

चलाना ही नही उतर ही िाना ह कफर तो िो पडल मार वह नासमझ कयोकक वह कफर मतिल क इधर-उधर

हो िाएगा एक ऐसी घड़ी आती ह िहा उतर िाना ह िहा रक िाना ह िहा यातरा ठहर िाएगी लककन

उस घड़ी क पहल तो शरम िारी रिना और िो भी िोटी-मोटी तविय तमल िाए उसको समहालना ह सपदा

को रचाना ह

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर

वही एक हतथयार ह आदमी क पास--होश का परजञा का उसी क साथ वासना स लड़ा िा सकता ह और

कोई हतथयार काम न आएगा िरदासती स लड़ोग हारोग दराओग टटोग वासना को ककसी तरह तिपाओग

तिपगी नही आि नही कल फट पड़गी तवसफोट होगा पागल हो िाओग तवतकषपत हो िाओग तवमि नही

एक ही उपाय ह तिसस भी लड़ना हो होश स लड़ना होश को ही एकमातर असतर रना लना अगर करोध ह तो

करोध को दराना मत करोध को दिना करोध क परतत िागना अगर काम ह तो काम पर धयान करना होश स

भरकर दिना कया ह काम की वततत

और तम चककत होओग इन सारी वतततयो का अतसततव तनिा म ह परमाद म ह िस दीया िलन पर

अधरा िो िाता ह ऐस ही होश क आन पर य वतततया िो िाती ह मार शतान काम--कि भी नाम दो--

तमहारी मचिाा का ही नाम ह

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

रदध कहत ह िर तम िागकर दिोग परम आनद का अनभव होगा भीतर एक उदघोि होगा--

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

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यह शरीर तम नही और तिस कदन तम अपन शरीर को वयथा काठ की भातत पड़ा हआ दि लोग उसी

कदन तम शरीर क पार हो गए अततकरमण हआ शरीर मौत ह शरीर रोग ह शरीर उपातध ह िो शरीर स

मि हआ वह तनरपातधक हो गया

शरीर स मि होन का कया अथा ह शरीर स मि होन का अथा ह इस रात की परतीतत गहन हो िाए

सघन हो िाए यह लकीर कफर तमटाए न तमट यह रोध कफर दराए न दर यह रोध सतत हो िाए िागन म

सोन म यह अनभव होता रह कक तम शरीर म हो शरीर ही नही

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

दकमन स मत डरो रदध कहत ह वह तमहारा कया तरगाड़गा डरो अपन तचतत स शतर शतर की इतनी

हातन नही करता--नही कर सकता--तितना तमहारा तचतत गलत कदशा म िाता हआ तमहारी हातन करता ह

रदध न कहा ह तमहारा ठीक कदशा म िाता तचतत ही तमतर ह और तमहारा गलत कदशा म िाता तचतत ही शतर

ह तम अपन ही तचतत स सावधान हो िाओ तम अपन ही तचतत का सदपयोग कर लो समयक उपयोग कर लो

कफर तमहारी कोई हातन नही करता अगर कोई दसरा भी तमहारी हातन कर पाता ह तो तसफा इसीतलए कक

तमहारा तचतत गलत कदशा म िा रहा था नही तो कोई तमहारी हातन नही कर सकता ठीक कदशा म िात तचतत

की हातन असभव ह इसतलए असली सवाल उसी भीतर क दढ़ दगा को उपलबध कर लना ह

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

कया ह गलत मागा सवय को न दिकर शि सर कदशाओ म भटकत रहना भीतर न िोिकर और सर

िगह िोिना अपन म न झाककर सर िगह झाकना अपन घर न आना और हर घर क सामन भीि मागना

गलत मागा ह और ऐस तम चलत ही रह हो

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

यह तचतत तमहारा हरक क साथ हो िाता ह कोई भी यातरी तमल िाता ह उसी क साथ हो िाता ह

कोई सतरी तमल गई कोई परि तमल गया कोई पद तमल गया कोई धन तमल गया कोई यश तमल गया चल

पड़ा थोड़ी दर चलता ह कफर हाथ िाली पाकर कफर ककसी दसर क साथ चलन लगता ह राह पर चलत

अिनतरयो क साथ हो लता ह अभी अपन मागादशाक को पहचानता नही ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

िो तमल गया उसी क साथ हो लता ह अपना कोई होश नही

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

अभी कौन मागादशाक ह कौन गर ह उस म पहचानता नही

रदध न कहा ह तमहारा होश ही तमहारा गर ह कभी आि लभा लती ह रप की तरफ चल पड़ता ह

कभी कान लभा लता ह सगीत की तरफ चल पड़ता ह कभी िीभ लभा लती ह सवाद की तरफ चल पड़ता ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पर हाथ कभी भरत नही पराण कभी तपत होत नही सोचकर कक यह ठीक नही कफर ककसी और क साथ

चल पड़त ह मगर एक रात याद नही आती--

52

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

कौन ह तिसक पीि चल होश िागतत धयान उसक पीि चलो तो ही पहच पाओग कयोकक उसका

तिसन साथ पकड़ तलया वह अपन घर लौट आता ह वह अपन सरोत पर आ िाता ह गगा गगोतरी वापस आ

िाती ह

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

हआ तचतत करता ह

और कोई तमतर नही ह और कोई सगा-साथी नही ह और कोई सगी सग करन योगय नही ह एक ही

साथ िोि लन योगय ह अपन रोध का साथ कफर तम वीरान म भी रहो रतगसतान म भी रहो तो भी अकल

नही हो और अभी तम भरी दतनया म हो और तरलकल अकल हो चारो तरफ भीड़-भाड़ ह रड़ा शोरगल ह

पर तम तरलकल अकल हो कौन ह तमहार साथ मौत आएगी कौन तमहार साथ िा सकगा लोग मरघट तक

पहचा आएग उसस आग कफर कोई तमहार साथ िान को नही ह कफर तमह कहना ही पड़गा मन स कहो

रमन स कहो--

शककरया ऐ कबर तक पहचान वाल शककरया

अर अकल ही चल िाएग इस मतिल स हम

कफर चाह मन स कहो चाह रमन स कहो कहो चाह न कहो मौत क राद अकल हो िाओग थोड़ा

सोचो िो मौत म काम न पड़ व िीवन म साथ थ िो मौत म भी साथ न हो सका वह िीवन म साथ कस हो

सकता ह धोिा था एक भातत थी मन को भला तलया था मना तलया था समझा तलया था डर लगता था

अकल म अकल होन म रचनी होती थी चारो तरफ एक सपना रसा तलया था अपनी ही कलपनाओ का िाल

रन तलया था अपन अकलपन को भलान क तलए मान रठ थ कक साथ ह लककन कोई ककसी क साथ नही कोई

ककसी क सग नही अकल हम आत ह और अकल हम िात ह और अकल हम यहा ह कयोकक दो अकलपन क

रीच म कहा साथ हो सकता ह

िनम क पहल अकल मौत क राद अकल यह थोड़ी सी दर पर राह तमलती ह इस राह पर रड़ी भीड़

चलती ह तम यह मत सोचना तमहार साथ चल रही ह सर अकल-अकल चल रह ह ककतनी ही रड़ी भीड़

चल रही हो सर अकल- अकल चल रह ह इसको तिसन िान तलया इसको तिसन समझ तलया वह कफर

अपना साथ िोिता ह कयोकक वही मौत क राद भी साथ होगा कफर वह अपना साथ िोिता ह वह कभी न

िटगा

अपना साथ िोिना ही धयान ह दसर का साथ िोिना ही तवचार ह इसतलए तवचार म सदा दसर की

याद रनी रहती ह तमहार सर तवचार दसर की याद ह अगर तम धयान करो--तवचार पर तवचार करो रठकर-

-तो तम पाओग तमहार तवचारो म तम करत कया हो तमहार तवचारो म तम दसरो की याद करत हो राहर स

साथ न हो तो भीतर स साथ ह

एक यवा सनयसत होन एक गर क पास पहचा तनिान मकदर म उसन परवश ककया गर न उसक चारो

तरफ दिा और कहा कक ककसतलए आए हो उस यवक न कहा कक सर िोड़कर आया ह तमहार चरणो म

परमातमा को िोिना ह उस गर न कहा पहल य भीड़-भाड़ िो तम साथ ल आए हो राहर ही िोड़ आओ

उस यवक न चौककर चारो तरफ दिा वहा तो कोई भी न था भीड़-भाड़ का नाम ही न था वह अकल ही

53

िड़ा था उसन कहा आप भी कसी रात करत ह म तरलकल अकला ह तर तो उस यवक को थोड़ा शक हआ

कक म ककसी पागल क पास तो नही आ गया

उस गर न कहा वह मझ भी कदिाई पड़ता ह आि रद करक दिो वहा भीड़-भाड़ ह उसन आि रद

की तिस पतनी को रोत हए िोड़ आया ह वह कदिाई पड़ी तिन तमतरो को गाव क राहर तरदा माग आया ह व

िड़ हए कदिाई पड़ रािार दकान सरधी तर उस समझ आया कक भीड़ तो साथ ह

तवचार राहर की भीड़ क परततजरर ह तवचार िो तमहार साथ नही ह उनको साथ मान लन की कलपना

ह धयान म तम तरलकल अकल हो या अपन ही साथ हो रस

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

तचतत करता ह

सही मागा स कया मतलर अपनी तरफ लौटता तिसको पतितल न परतयाहार कहा ह भीतर की तरफ

लौटता तिसको महावीर न परततकरमण कहा ह अपनी तरफ आता हआ तिसको िीसस न कहा ह लौटो

कयोकक परमातमा का राजय तरलकल हाथ क करीर ह वापस आ िाओ

यह वापसी यह लौटना धयान ह यह लौटना ही तचतत का ठीक लगना ह तम तचतत क ठीक लगन स यह

मत समझ लना कक अचिी-अचिी रातो म लगा ह कफलम की नही सोचता सवगा की सोचता ह सवगा भी कफलम

ह अचिी-अचिी रातो म लगा ह दकान की नही सोचता मकदर की सोचता ह मकदर भी दकान ह अचिी-

अचिी रातो म लगा ह यह मत समझ लना मतलर कक पाप की नही सोचता पणय की सोचता ह पणय भी

पाप ह अचिी-अचिी रातो का तम मतलर मत समझ लना कक राम-राम िपता ह मरा-मरा िपो कक राम-

राम िपो सर ररारर ह दसर की याद पर का जचतन कफर वह मकदर का हो कक दकान का राम का हो कक

रहीम का इसस कोई फका नही पड़ता

ठीक कदशा म लग तचतत का अथा ह अपनी कदशा म लौटता वहा तवचार िटत िात ह धीर-धीर तम ही

रह िात हो तमहारा अकला होना रह िाता ह शदध मातर तम इतना शदध कक म का भाव भी नही उठता

कयोकक म का भाव भी एक तवचार ह अहकार भी नही उठता कयोकक अहकार भी एक तवचार ह िर और सर

िट िात ह उनही क साथ वह भी िट िाता ह तिस मकाम पर तम त को िोड़ आत हो वही म भी िट

िाता ह िहा तम दसरो को िोड़ आत हो वही तम भी िट िात हो कफर िो शि रह िाता ह कफर िो शि

रह िाता ह शदधतम िर तक उसको न पा लो तर तक जिदगी गलत कदशा म लगी ह

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

िर तक इस िगह न आ िाओ तर तक सारी जिदगी एक गनाह ह एक पाप ह तर तक तम ककतना ही

अपन को समझाओ ककतना ही अपन को ठहराओ तम कपत ही रहोग भय स तर तक तम ककतना ही

समझाओ तम धोिा द न पाओग तमहारी हर सातवना क नीच स िाई झाकती ही रहगी भय की घरड़ाहट

की मतय तमहार पास ही िड़ी रहगी तमहारी जिदगी को जिदगी मानकर तम धोिा न द पाओग और तम

ककतन ही पणय करो िर तक तम सवय की सतता म नही परतवषट हो गए हो--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

वही परमातमा ह वही तमहारा होना ह--तमस भी मि वही परमातमा ह िहा घड़ा िट गया और

कोरा आकाश रह गया नया कफर भी सनातन सदा का कफर भी सदा नया और तािा

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य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

और िर तक तम उस िगह नही पहच िात तर तक तम अनभव करत ही रहोग कक कोई पाप हआ िा

रहा ह कि भल हई िा रही ह पर कही गलत पड़ िा रह ह लाि समहालो तम समहल न पाओग एक ही

समहलना ह और वह समहलना ह धीर-धीर अपनी तरफ सरकना उस भीतरी जरद पर पहच िाना ह तिसक

आग और कि भी नही तिसक पार रस तवराट आकाश ह

इस रदध न शदधता कहा ह इस शदधता म िो परतवषट हो गया उसन ही तनवााण पा तलया उसन ही वह पा

तलया तिस पान क तलए िीवन ह और िर तक ऐसा न हो िाए तर तक गनगनात ही रहना भीतर गनगनात

ही रहना--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

इस याद रिना तर तक भल मत िाना कही ऐसा न हो कक तम ककसी पड़ाव पर ही सोए रह िाओ

कही ऐसा न हो कक तम भल ही िाओ कक िीवन िागन का एक अवसर था यह पाठशाला ह इसस उततीणा

होना ह यहा घर रसाकर रठ नही िाना ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

चौदहवा परवचन

अनत तिपा ह कषण म

पहला परशनाः आप शरदधा परम आनद की चचाा करत ह लककन आप शति क रार म कयो नही समझात

आिकल मझम असहय शति का आतवभााव हो रहा ह यह कया ह और इस तसथतत म मझ कया रि लना

चातहए

शति की रात करनी िररी ही नही िर शति का आतवभााव हो तो परम म उस राटो आनद म उस

ढालो उस दोनो हाथ उलीचो

शति क आतवभााव क राद अगर उलीचा न अगर राटा न अगर औरो को साझीदार न रनाया अगर

परम क गीत न गाए उतसव पदा न ककया िीवन म तो शति रोझ रन िाएगी तो शति पतथर की तरह िाती

पर रठ िाएगी कफर शति स समसया उठगी

गरीरी की ही समसयाए नही ह ससार म अमीरी की रड़ी समसयाए ह लककन अमीर की सरस रड़ी

समसया यह ह कक िो धन उस तमल गया उसका कया कर पर यह भी कोई समसया ह उस राटो उस

लटाओ रहत ह तिनक पास नही ह उनह दो

करठनाई इसतलए िड़ी होती ह कक हमन िीवन म कवल मागन की कला सीिी ह और िर हम समराट

रनत ह तो अड़चन आ िाती ह मागन की कला का अभयास कफर अचानक िर हम समराट रन िात ह

परमातमा क परसाद स उतरती ह अपररसीम ऊिाा तर भी हम मागना ही िानत ह दना नही िानत हमार

िीन का सारा ढग मागना तसिाता ह कफर िर परमातमा हम पर ररसता ह तो राटन की हमार पास कोई

कला नही होती आदत नही होती अभयास नही होता इसतलए अड़चन आती ह यही तो करठनाई ह

मर पास रहत अमीर लोग आ िात ह व कहत ह रड़ी अड़चन ह धन तो ह कया कर अड़चन कया

ह अड़चन यही ह कक आदत गरीरी की ह आदत तभिारी की ह अड़चन यही ह जिदगीभर मागा--कमाना

सीिा राटना तो कभी सीिा नही सीित भी कस था ही नही तो राटत कया िो नही था उसको मागा

इकिा ककया िोड़ा सिोया सारा िीवन इकिा करन की आदत रन गई कफर तमला अर दन को हाथ नही

िलत रढ़त नही यही अड़चन ह यह अड़चन समझ ली तो हल हो गई कि करना थोड़ ही ह

शति तमल गई आतवभााव हआ यही तो सार धयान की चषटा ह

और तम पित हो कक आप शरदधा परम आनद की रात करत ह शति क रार म कयो नही समझात

वही तो म शति क रार म समझा रहा ह कक िर शति उठ तो आनद रनाना नही तो मतककल िड़ी

होगी िर शति उठ तो नाचना कफर साधारण चलन स काम न रनगा दौड़ना कफर ऐस ही उठना-रठना

काफी न होगा अपरव नतय िर तक िीवन म न होगा तर तक रोझ मालम होगा तितनी रड़ी शति उतनी

रड़ी तिममवारी उतरती ह तितना जयादा तमहार पास ह अगर तम उस फला न सक तो रोझ हो िाएगा

शति की समसया नही ह फलाना सीिो इसतलए तो परम की रात करता ह शति की रात नही करता

तिनक पास शति नही ह उनह शति क सरध म कया समझाना तिनक पास ह उनह शति क सरध म कया

समझाना तिनक पास नही ह उनह शति कस पदा की िाए--कस धयान साधना तपियाा अभयास योग

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ततर--कस शति पदा की िाए यह समझाना िररी ह कफर तिनक पास शति आ िाए दवार िल िाए

परमातमा का और ररसन लग उसकी ऊिाा उनह शति क सरध म कया समझाना िर शति सामन ही िड़ी ह

तो अर उसक सरध म कया रात करनी उनह समझाना ह परम आनद उतसव इसतलए परतयक धयान पर मरा

िोर रहा ह कक तम उस उतसव म परा करना कही ऐसा न हो कक धयान करन का तो अभयास हो िाए और

राटन का अभयास न हो

रहत लोग दीनता स मर ह रहत लोग सामराजय स मर गए ह रहत स लोग इसतलए दिी ह कक उनक

पास नही ह कफर रहत स लोग इसतलए दिी हो िात ह कक उनक पास ह अर कया कर और िीवन का िो

रसाधयकष ह वह दिता ह कक तमन अपनी ऊिाा का कया उपयोग ककया उस सतचत ककए चल गए कपणता

की इकिा ककया तो तिसस महाआनद फतलत हो सकता था उसस तसफा नका ही तनरमात होगा

तमन कभी खयाल ककया मीरा न कडतलनी की रात नही की रचगी कहा कडतलनी नाच म रह िाती

ह योगी करत ह रात कयोकक राटना नही िानत कडतलनी का अथा कया ह ऊिाा उठी और रह नही पा रही

ह तो भीतर भरी मालम पड़ती ह लककन मीरा म कहा रचगी भरन क पहल लटाना आता ह आती भी नही

कक राट दती ह गीत रना लती ह नाच ढाल लती ह उतसव म रपातररत हो िाती ह इसतलए मीरा न

कडतलनी की रात नही की चतनय न कडतलनी की रात नही की तम चककत होओग भिो न रात ही नही की

कडतलनी की

कया भिो को कभी कडतलनी का अनभव नही हआ ह एक महतवपणा सवाल ह कक कया भिो न

कडतलनी को नही िाना िाना लककन इकिा नही ककया इसतलए कभी समसया न रनी कपण क तलए धन

समसया हो िाती ह दाता क तलए कोई समसया ह दाता तो आनकदत होता ह कक इतन कदन तक राटन की

इतनी आकाकषा थी अर परी हई िाती ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

रसाधयकष िीवन का िो उतसव िाच रहा ह दि रहा ह वह माला क दानो पर तगनता रहा--

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

शति का अथा ह तमहार आग िाम ह अर पी लो मत पिो कक िाम का कया कर सामन पयाली भरी

ह पीयो और तपलाओ उतसव रनो

यहकदयो की अदभत ककतार तालमद कहती ह परमातमा तमस यह न पिगा कक तमन कौन-कौन सी

भल की परमातमा तमस यही पिगा कक तमन आनद क कौन-कौन स अवसर गवाए तमस यह न पिगा

तमन कौन-कौन स पाप ककए

यह रात मझ रड़ी िचती ह परमातमा और पाप का तहसार रि रात ही ठीक नही परमातमा और

पापो का तहसार रि परमातमा न हआ तमहारा पराइवट सकरटरी हो गया कोई पतलस का इसपकटर हो गया

कोई अदालत का मतिसटरट हो गया परमातमा न हआ कोई आलोचक हो गया कोई जनदक हो गया परमातमा

की इतनी रड़ी आिो म तमहार पाप कदिाई पड़ग तमहारी भल कदिाई पड़गी

नही तालमद ठीक कहता ह परमातमा पिगा कक इतन सि क अवसर कदए उनको गवाया कयो इतन

नाचन क मौक थ तम रठ कयो रह इतन किस कयो थ इतन कपण कयो थ मन तमह इतना कदया था तमन

उस राटा होता तमन उस रहाया होता तम एक रद सरोवर की तरह कयो रह तम रहती हई सररता कयो न

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रन तम कपण वकष की तरह रह कक तिसन फलो को न तिलन कदया कक कही सगध रट न िाए तम एक

िदान की तरह रह िो अपन हीरो को दराए रही कही सरि की रोशनी न लग िाए

परमातमा न तमहार सामन िीवन की पयाली भरकर रि दी ह और एक रात समझ लना कक तम

तितना इस पयाली पर दसरो को तनमततरत करोग उतनी यह पयाली भरती चली िाएगी तम इस िाली ही न

करोग तो यह रोझ भी हो िाएगी और परमातमा भर कस इस और कस भर यह भरी हई रिी ह तम इस

उलीचो िाली करो तम पर रोझ भी न होगी और परमातमा को और भरन का मौका दो तिसन एक आनद

की घड़ी का उपयोग कर तलया उसक िीवन म दस आनद की घतड़या उपलबध हो िाती ह िो एक रार नाचा

दस रार नाचन की कषमता उस उपलबध हो िाती ह

लककन यह रड़ी करठन रात ह तम कहत िरर हो आनद चाहत ह लककन तमह आनद क सवभाव का

कि पता नही तमह आनद भी तमल िाए तो तम उसस भी दि पाओग तम ऐस अभयासी हो गए हो दि क

दि का सवभाव ह तसकड़ना आनद का सवभाव ह फलना इसतलए िर कोई दि म होता ह तो एकात चाहता

ह रद कमरा करक पड़ा रहता ह अपन तरसतर पर तसर को ढाककर न ककसी स तमलना चाहता ह न ककसी स

िलना चाहता ह चाहता ह मर ही िाऊ कभी-कभी आतमहतया भी कर लता ह कोई तसफा इसीतलए कक अर

कया तमलन को रहा

लककन िर तम आनकदत होत हो तर तम तमतरो को रलाना चाहत हो तमतरो स तमलना चाहत हो तम

चाहत हो ककसी स राटो ककसी को तमहारा गीत सनाओ कोई तमहार फल की गध स आनकदत हो तम ककसी

को भोि पर आमततरत करत हो तम महमानो को रला आत हो आमतरण द आत हो

मर एक परोफसर थ उनका मझस रड़ा लगाव था लककन व मझ घर रलान म डरत थ कयोकक शरार

पीन की उनह आदत थी और कही ऐसा न हो कक मझ पता चल िाए कही ऐसा न हो कक मर मन म उनकी िो

परततषठा ह वह तगर िाए व इसस रड़ भयभीत थ रड़ डर हए थ रहत भल आदमी थ

पर एक रार ऐसा हआ कक म रीमार पड़ा और उनह मझ हासटल स घर ल िाना पड़ा तो कोई दो महीन

म उनक घर पर था रड़ी मतककल हो गई व पीए कस पाच-दस कदन क राद तो भारी होन लगा मामला मन

उनस पिा कक आप कि परशान ह मझ कह ही द--अगर आप जयादा परशान ह या कोई अड़चन ह मर होन स

यहा तो म चला िाऊ वापस उनहोन कहा कक नही पर म अपनी परशानी कह दता ह कक मझ पीन की आदत

ह तो मन कहा यह भी कोई रात हई आप पी लत लक-तिपकर पी लत इतना रड़ा रगला ह उनहोन कहा

यही तो मतककल ह कक िर भी कोई पीता ह--असली पीन वाला--अकल म नही पी सकता चार-दस तमतरो को

न रलाऊ तो पी नही सकता अकल म भी कया पीना उनहोन कहा पीना कोई दि थोड़ ही ह पीना एक

उतसव ह

वह रात मझ याद रह गई िर िीवन की साधारण मकदरा को भी लोग राटकर पीत ह तो िर तमहारी

पयाली म परमातमा भर िाए और तम न राटो िर शरारी भी इतना िानत ह कक अकल पीन म कोई मिा

नही िर तक चार सगी-साथी न हो तो पीना कया िर शरारी भी इतन होशपणा ह कक चार को राटकर पीत

ह तो होश वालो का कया कहना

राटो शति का आतवभााव हआ ह लटाओ और यह भी मत पिो ककसको द रह हो कयोकक यह भी

किसो की भािा ह पातर की जचता वही करता ह िो किस ह वह पिता ह ककसको दना पातर ह कक नही

दो पसा दता ह तो सोचता ह कक यह आदमी दो पस का कया करगा यह भी कोई दना हआ अगर तहसार

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पहल रिा कक यह कया करगा यह तो दना न हआ यह तो इतिाम पहल ही न दन का कर तलया यह तो

तमन इस आदमी को न कदया सोच-तवचारकर कदया

मर एक तमतर थ रड़ जहदी क सातहतयकार थ जहदी सातहतय सममलन क अधयकष थ और भारतीय ससद

क सरस परान सदसय थ--पचास साल तक व एमपी रह उनका िगलककशोर तरड़ला स रहत तनकट सरध

था मर काम म उनह रस था व कहन लग कक मरा सरध ह तरड़ला स अगर व उतसक हो िाए आपक काम म

तो रड़ी सहायता तमल सकती ह तो हम दोनो को तमलाया

तरड़ला मझस रातचीत ककए उतसक हए कहन लग तितना आपको चातहए म दगा और तिस समय

चातहए तर दगा तसफा एक रात मझ पककी हो िानी चातहए कक िो म दगा उसका उपयोग कया होगा मन

कहा रात ही ितम करो यह अपन स न रनगा यह सौदा नही हो सकता अगर यही पिना ह कक आप िो

दग उसका म कया करगा अपन पास रिो यह कोई दना हआ अगर रशता दत हो कक म तमहार सामन ही

यहा सड़क पर लटाकर चला िाऊ तो तम मझस पि न सकोग कक यह कया ककया कयोकक दन क राद अगर

तम पि सको तो तमन कदया ही नही और दन क पहल ही अगर तम पिन का इतिाम कर लो और पहल ही

शता राध लो तो तम ककसी और को दना यह शतारद रात मझस न रनगी

वह रात टट गई आग चलन का कोई उपाय न रहा लोग दत भी ह--अर तरड़ला िसा धनपतत भी हो

वह भी दता ह तो शता रिकर दता ह कक कया काम म आएगा ककस काम म लगाएग तो वह मझ नही दता

अपन ही काम को दता ह उलट मझ भी सवा म सलगन कर रहा ह यह दना न हआ मझ मफत म िरीद लना

हआ

मन कहा मझ दि लो मझ समझ लो मझ दो कफर शि मझ पर िोड़ दो कफर म िो करगा करगा

उसक सरध म कोई रात कफर न उठगी

पातर अपातर की कया जचता करनी फल तिलता ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करता ह कक कोई पास स

आ रहा ह वह सगध का जञाता ह कक अमीर ह या गरीर ह कक सौदया का उपासक ह या नही फल इसकी थोड़

ही कफकर करता ह फल तिलता ह तो सगध को लटा दता ह हवाओ म राह स कोई न भी गिरता हो तनिान

हो राह तो भी लटा दता ह िर रादल भरत ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करत ह कहा ररस रह ह भराव स

ररसत ह इतना जयादा ह कक ररसना ही पड़गा तो पहाड़ पर भी ररस िात ह िहा पानी की कोई िररत

नही झीलो पर भी ररसत ह िहा पानी भरा ही हआ ह यह थोड़ ही सवाल ह कक कहा ररसना ररसना

अगर तम िीवन को दिोग तो रशता पाओग वहा उतसव रशता ह वहा नाच अहरनाश चल रहा ह

ककसी क तलए चल रहा ह ऐसा भी नही ह जयादा ह परमातमा इतना अततशय ह इतना अततरक स ह कक

कया कर अगर न लट न ररस

िर तमहार िीवन म शति का आतवभााव मालम हो िर तमह लग कक रादल भर गया--मघ भरपर ह

िर तमह लग कक शति तमहार भीतर उठी ह तो समसया रनगी नाचना गाना पागल की तरह उतसव

मनाना शति तवलीन हो िाएगी और ऐसा नही ह कक तम पीि शतिहीन हो िाओग शति को राटकर ही

कोई वसतताः शतिशाली होता ह कयोकक तर उस पता चलता ह झरन अनत ह तितना राटो उतना रढ़ता

िाता ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

धयान रिना रसाधयकष रठा ह माला फर रहा ह वह माला क दानो पर तगन रहा ह--

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ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

और एक ही पाप ह िीवन म और वह पाप ह तरना उतसव क तवदा हो िाना तरना नाच तरना गीत

गाए तवदा हो िाना तमहारा गीत अगर अनगाया रह गया तमहारा रीि अगर अनफटा रह गया तम िो

लकर आए थ वह गध कभी दसो कदशाओ म न फली तो परमातमा तमस िरर पिगा

इसतलए िर शति उठती ह तो सवाल उठता ह कक अर कया कर तहसार मत लगाओ रतहसार

लटाओ सभी पातर ह कयोकक सभी पातरो म वही तिपा ह हर आि स वही दिगा नाच और हर कान स वही

सनगा गीत हर नासारधर स सवास उसी को तमलगी

एक रौदध साधवी थी उसक पास सोन की िोटी सी रदध की परततमा थी सवणा की वह इतना उस परम

करती थी और िस कक साधारणताः कपण मन होता ह कक वह अपनी धप भी िलाती तो हवाओ म यहा-वहा न

फलन दती उस वापस धकक द-दकर अपन िोट स रदध को ही पहचा दती फल भी चढ़ाती तो भी डरी रहती कक

गध कही यहा-वहा न उड़ िाए

कफर एक रड़ी मसीरत हई एक रात वह एक मकदर म ठहरी चीन म एक रहत पराचीन मकदर ह हिार

रदधो का मकदर ह वहा हिार रदध की परततमाए ह वह डरी और सभी परततमाए रदध की ह तो भी डर वह

डरी कक यहा अगर मन धप िलाई अगररतततया िलायी फल चढ़ाए तो यह धआ तो कोई मर रदध पर नही

रका रहगा यहा-वहा िाएगा दसर रदधो पर पहचगा रदध भी दसर तिनकी परततमा वह रि ह उनही की

परततमाए व भी ह तालार ह सरोवर ह सागर ह लककन चाद का परततजरर अलग ककतना ही हो एक ही चाद

का ह तो उसन एक रास की पोगरी रना ली और धप िलाई और रास की पोगरी म स धप को अपन रदध की

नाक तक पहचाया सोन की रदध की परततमा का मह काला हो गया

वह रड़ी दिी हई वह सरह मकदर क परधान तभकष क पास गई और उसन कहा कक रड़ी मतककल हो गई

इस कस साफ कर वह परधान हसन लगा उसन कहा पागल तर सतसग म तर रदध का चहरा तक काला हो

गया

गलत साथ करो यह मसीरत होती ह इतनी भी कया कपणता य सभी परततमाए उनही की ह इतनी भी

कया किसी अगर थोड़ा धआ दसरो क पास भी पहच गया होता तो कि हिा हआ िाता था लककन मर रदध

य सभी परततमाए रदधो की ही ह हर आि स वही झाका ह हर पतथर म वही सोया ह तम इसकी

कफकर ही मत करो तमहार िीवन म आनद भर--परम दो गीत दो सगीत दो नाचो राटो इसी की तो परतीकषा

रही ह कक कर वह कषण आएगा िर हम राट सक ग अर पातर-अपातर का भी भद िोड़ो व सर नासमझी क भद

इसतलए शति क सरध म कि रोलता नही ह कयोकक िो म रोल रहा ह अगर समझ म आया तो शति

कभी समसया न रनगी इसतलए भी शति क सरध म नही रोलता ह कयोकक वह शबद िरा ितरनाक ह

शातत क सरध म रोलता ह शति क सरध म नही रोलता कयोकक शति अहकार की आकाकषा ह शति शबद

सनकर ही तमहार भीतर अहकार अगड़ाई लन लगता ह अहकार कहता ह ठीक शति तो चातहए इसीतलए

तो तम धन मागत हो ताकक धन स शति तमलगी पद मागत हो कयोकक पद पर रहोग तो शतिशाली रहोग

यश मागत हो पणय मागत हो लककन सरक पीि शति मागत हो योग और ततर म भी िोित हो शति ही

िोित हो

60

शति की पिा तो ससार म चल ही रही ह इसतलए म शति की रात नही करता कयोकक धमा क नाम

पर भी अगर तम शति की ही िोि करोग तो वह अहकार की ही िोि रहगी और िर तक अहकार ह तर

तक शति उपलबध नही होती ऐसा सनातन तनयम ह एस धममो सनतनो

िर तम शति की जचता ही िोड़ दत हो और शातत की तलाश करत हो शातत की तलाश म अहकार को

तवसरिात करना होगा कयोकक वही तो अशातत का सरोत ह और िर अहकार तवसरिात हो िाता ह दवार स

पतथर हट िाता ह शातत तो तमलती ह शातत तो मलधन ह और शति तो बयाि की तरह उपलबध हो िाती

ह शातत को िोिो शति अपन स तमल िाती ह शति को िोिो शति तो तमलगी ही नही शातत भी िो

िाएगी

इसतलए शति का िोिी हमशा अशात होगा परशान होगा वह अहकार की ही दौड़ ह नाम रदल गए

वश रदल गया दौड़ वही ह कौन चाहता ह शति वह अहकार चाहता ह कोई चमतकार तमल िाए ररतदध-

तसतदध शति तमल िाए तो दतनया को कदिा द कक म कौन ह

इसतलए िहा तम शति की िोि करत हो िान लना कक वह धमा की कदशा नही ह अधमा की कदशा ह

तमहार चमतकारी तमहार ररतदध-तसतदध वाल लोग सर तमहार ही रािार क तहसस ह उनस धमा का कोई लना-

दना नही व तमह परभातवत करत ह कयोकक िो तमहारी आकाकषा ह लगता ह उनह उपलबध हो गया िो तम

चाहत थ कक हाथ स तारीि तनकल िाए घतड़या तनकल िाए उनक हाथ स तनकल रही ह तम चमतकत होत

हो कक धनय ह उनक पीि चल पड़त हो कक िो इनको तमल गया ह ककसी न ककसी कदन इनकी कपा स हमको

भी तमल िाएगा

लककन घतड़या तनकाल भी लोग तो कया तनकाला िहा परमातमा तनकल सकता था वहा तसवस घतड़या

तनकाल रह हो िहा शाशवत का आनद तनकल सकता था वहा राि तनकाल रह हो चाह तवभतत कहो उसको

कया फका पड़ता ह िहा परमातमा की तवभतत उपलबध हो सकती थी वहा राि नाम की तवभतत तनकाल रह

हो मदारीतगरी ह अहकार की मदारीतगरी ह लककन अहकार की वही आकाकषा ह

शति की म रात नही करता कयोकक तम ततकषण उतसक हो िाओग उसम कक कस शति तमल रताए

उसम अहकार तो तमटता नही अहकार और भरता हआ मालम पड़ता ह तो म तमह तमटाता नही कफर म तमह

सिान लगता ह

यही तो अड़चन ह मर साथ म तमह सिान को उतसक नही ह तमह तमटान को उतसक ह कयोकक तम

िर तक न मरो तर तक परमातमा तमम आतवभात नही हो सकता तम िगह िाली करो तम जसहासन पर

रठ हो तम िगह स हटो जसहासन ररि हो तो ही उसका अवतरण हो सकता ह िस ही तम शात होओग

अहकार जसहासन स उतरगा तम पाओग शति उतरनी शर हो गई और यह शति रात ही और ह िो शात

तचतत म उतरती ह कयोकक अर अहकार रहा नही िो इसका दरपयोग कर लगा अर वहा कोई दरपयोग करन

वाला न रचा

इसतलए िानकर ही उन शबदो का उपयोग नही करता ह तिनस तमहार अहकार को थोड़ी सी भी

ििलाहट हो सकती ह तम तो तयार ही रठ हो ििान को िरा सा इशारा तमल िाए कक तम ििा डालोग

तम तो िाि क परान तशकार हो तमह िरा स इशार की िररत ह कक तमहारी आकाकषा क घोड़ दौड़ पड़ग

तम सर लगाम िोड़ दोग

61

नही म शातत की रात करता ह म मतय की रात करता ह तनवााण की रात करता ह शनय होन की रात

करता ह कयोकक मझ पता ह कक तम िर शनय होओग तो पणा तो अपन आप चला आता ह उसको चचाा क

राहर िोड़ो चचाा स नही आता शनय होन स आता ह

शति की रात ही मत करो वह तो शात होत तमल ही िाती ह वह तो शात हए आदमी का अतधकार

िर तमल िाए तो तम कया करोग इसतलए म आनद उतसव और परम की रात करता ह तम िस हो

अभी परम कर ही नही सकत अभी तो तमहारा परम धोिा ह तम िस हो आनकदत हो ही नही सकत अभी तो

आनद कवल मह पर पोता गया झठा रग-रोगन ह अभी तम िस हो हस ही नही सकत अभी तमहारी हसी

ऊपर स तचपकाई गई ह मिौटा ह

ककसी न पिा ह--

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता ह मगर परमी क साथ परम म

डर िान म िो सि आनद और अहोभाव अनभव होता ह वह कया ह

हो नही सकता िलदी मत कर लना तनणाय की िरा रड़-रढ़ो स पिना

यह मति न पिा ह अभी परम क मकान क राहर ही चककर लगा रही ह िरा रड़-रढ़ो स पिना व

कहत ह--

िर तक तमल न थ िदाई का था मलाल

अर य मलाल ह कक तमिा तनकल गई

िर तक तमल न थ तर तक दर होन की पीड़ा थी अर िर तमल गए तो पास होन की आकाकषा भी

तनकल गई अर यह दि ह कक अर कस हट कस भाग

िलदी मत करना अभी तिसको तम परम आनद अहोभाव कह रह हो वह सर शबद ह सन हए अभी

परम िाना कहा कयोकक तम िस हो उसम परम फतलत ही नही हो सकता परम कोई ऐसा थोड़ ही ह कक तम

कस ही हो और फतलत हो िाओ परम िनम क साथ थोड़ ही तमलता ह अिान ह उपलतबध ह साधना ह

तसतदध ह

यही तो परशानी ह सारी दतनया म हर आदमी यही सोच रहा ह कक िनम क साथ ही हम परम करन की

योगयता लकर आए ह धन कमान की तम थोड़ी रहत कोतशश भी करत हो लककन परम कमान की तो कोई भी

कोतशश नही करता कयोकक हर एक मान रठा ह कक परम तो ह ही रस परमी तमल िाए काम शर तिसको

तम परमी कहत हो उस भी परम का कोई पता नही ह दर की धवतन भी नही सनी ह न तमह पता ह

तिसको तम परम समझ रह हो वह तसफा मन की वासना ह तिसको तम परम समझ रह हो--दसर क साथ

होन का आनद--वह कवल अपन साथ तमह कोई आनद नही तमलता अपन साथ तम परशान हो िात हो अपन

साथ ऊर और रोररयत पदा होती ह दसर क साथ थोड़ी दर को अपन को भल िात हो उसी को तम दसर क

साथ तमला आनद कह रह हो दसर क साथ तमहारा िो होना ह वह अपन साथ न होन का उपाय ह वह एक

नशा ह इसस जयादा नही उतनी दर को तम अपन को भल िात हो दसरा भी अपन को भल िाता ह यह

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आतम-तवसमरण ह आनद नही मचिाा ह अहोभाव इतयाकद कि भी नही ह मरी रात सन-सनकर तमह अचि-

अचि शबद कठसथ हो िाएग इनको तम हर कही मत लगान लगना

कल आपन कहा कक कोई दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता

तनतित मन कहा ह और कोई कभी नही कर सका ह लककन ककसी भी यवा को समझाना मतककल ह

कयोकक िो यवक समझता ह वह तो समय क पहल परौढ़ हो गया कभी कोई शकराचाया कभी कोई रदध समय

क पहल समझ पात ह अतधक लोग तो समय भी रीत िाता ह--िवानी भी रीत िाती ह रढ़ापा भी रीतन

लगता ह मौत दवार पर आ िाती ह--तर तक भी नही समझ पात

समझ का सरध तमहार िीवन की होश की तीवरता स ह अभी तिसको तम सोचत हो कक परमी क साथ

परम म डर िान म--अभी तम अपन म नही डर दसर म कस डरोग िो अपन म नही डर सका वह दसर म

कस डर सकगा अभी तम अपन भीतर ही िाना नही िानत दसर क भीतर कया िाक िाओग रातचीत ह

अचि-अचि शबद ह सभी िवान अचि-अचि शबदो म अपन को झठलात ह भलात ह िवानी म अगर ककसी

स कहो कक यह परम वगरह कि भी नही ह तो न तो यह सनाई पड़ती ह रात--सनाई भी पड़ िाए तो समझ म

नही आती--कयोकक परतयक वयति को एक भातत ह कक दसर को न हआ होगा लककन मझ तो होगा हो रहा ह

अभी यातरा का पहला ही कदम ह िरा रात परी हो िान दो िरा ठहरो िलदी तनरणय मत करो

तिनहोन िाना ह िीवन का यह दौर िो इसस गिर ह उनस पिो

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

कहा पर िोड़ गया कारवा रहारो का

वह तिसको वसत समझा था रहार समझी थी वह कहा िोड़ गई

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

एक रगण दशा एक रिार सर धल-धल सर इिधनि टट हए सर सपनो क भवन तगर गए और एक

सलगती आग कक िीवन हाथ स वयथा ही गया लककन िर तम सपनो म िोए हो तर रड़ा मतककल ह यह

रताना कक यह सपना ह उसक तलए िागना िररी ह

परम अरिात ककया िाता ह और तिसन पराथाना नही की वह कभी परम नही कर पाया इसतलए पराथाना

को म परम की पहली शता रनाता ह तिसन धयान नही ककया वह कभी परम नही कर पाता कयोकक िो अपन म

नही गया वह दसर म तो िा ही नही सकता और िो अपन म गया वह दसर म पहच ही गया कयोकक अपन

म िाकर पता चलता ह दसरा ह ही नही दसर का खयाल ही अजञान का खयाल ह

मन सना ह मलला नसरददीन अपन एक तमतर क साथ रठा था और उसन अपन रट को कहा कक िा और

तलघर स शरार की रोतल ल आ वह रटा गया वह वापस लौटकर आया उस रट को थोड़ा कम कदिाई

पड़ता ह और उसकी आिो म एक तरह की रीमारी ह कक एक चीि दो कदिाई पड़ती ह उसन लौटकर कहा

कक दोनो रोतल ल आऊ या एक लाऊ

नसरददीन थोड़ा परशान हआ कयोकक रोतल तो एक ही ह अर अगर महमान क सामन कह एक ही ल

आओ तो महमान कहगा यह भी कया किसी अगर कह दो ही ल आओ तो यह दो लाएगा कहा स वहा एक

ही ह और महमान क सामन अगर यह कह कक इस रट को एक चीि दो कदिाई पड़ती ह तो नाहक की

रदनामी होगी कफर इसकी शादी भी करनी ह तो उसन कहा ऐसा कर एक त ल आ और एक को फोड़ आ--

राए तरफ की फोड़ दना दाए तरफ की ल आना कयोकक राए तरफ की रकार ह ऐसा उसन रासता तनकाला

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रटा गया उसन राए तरफ की फोड़ दी लककन दाए तरफ कि था थोड़ ही एक ही रोतल थी वह फट

गई राए तरफ और दाए तरफ ऐसी कोई दो रोतल थोड़ ही थी रोतल एक ही थी दो कदिाई पड़ती थी वह

रोतल फट गई शरार रह गई वह रड़ा परशान हआ उसन लौटकर कहा कक रड़ी भल हो गई वह रोतल एक

ही थी वह तो फट गई

म तमस कहता ह िहा तमह दो कदिाई पड़ रह ह वहा एक ही ह तमह दो कदिाई पड़ रह ह कयोकक

तमन अभी एक को दिन की कला नही सीिी परम ह एक को दिन की कला लककन उस कला म उतरना हो

तो पहल अपन ही भीतर की सीकढ़यो पर उतरना होगा कयोकक वही तमहार तनकट ह

भीतर िाओ अपन को िानो आतमजञान स ही तमह पता चलगा म और त झठी रोतल थ िो कदिाई

पड़ रह थ निर साफ न थी अधरा था धधलका था रीमारी थी--एक क दो कदिाई पड़ रह थ भम था

भीतर उतरकर तम पाओग तिसको तमन अर तक दसरा िाना था वह भी तमही हो दसर को िर तम ित

हो तर तम अपन ही कान को िरा हाथ घमाकर ित हो रस वह तमही हो िरा चककर लगाकर ित हो तिस

कदन यह कदिाई पड़गा उस कदन परम उसक पहल तिस तम परम कहत हो कपा करक उस परम मत कहो

परम शबद रड़ा रहमलय ह उस िरार मत करो परम शबद रड़ा पतवतर ह उस अजञान का तहससा मत

रनाओ उस अधकार स मत भरो परम शबद रड़ा रोशन ह वह अधर म िलती एक शमा ह परम शबद एक

मकदर ह िर तक तमह मकदर म िाना न आ िाए तर तक हर ककसी िगह को मकदर मत कहना कयोकक अगर

हर ककसी िगह को मकदर कहा तो धीर-धीर मकदर को तम पहचानना ही भल िाओग और तर मकदर को भी

तम हर कोई िगह समझ लोग

तिस तम अभी परम कहत वह कवल कामवासना ह उसम तमहारा कि भी नही ह शरीर क हारमोन

काम कर रह ह तमहारा कि भी नही ह सतरी क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो परि की इचिा समापत हो

िाती ह परि क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो सतरी की आकाकषा समापत हो िाती ह तमहारा इसम कया

लना-दना ह कतमसटरी ह थोड़ा रसायनशासतर ह अगर जयादा हारमोन डाल कदए िाए परि क शरीर म तो

वह दीवाना हो िाता ह पागल हो िाता ह एकदम मिन क शरीर म थोड़ जयादा हारमोन रह होग और कि

मामला नही ह तिसको तम परम की दीवानगी कहत हो वह रसायनशासतर स ठीक की िा सकती ह और

तिसको तम परम की ससती कहत हो वह इिकशन स रढ़ाई िा सकती ह और तमम तवरा आ सकती ह और तम

पागल हो सकत हो

इस तम परम मत कहना यह तसफा कामवासना ह और इसम तम िो परम और अहोभाव और आनद की

रात कर रह हो िरा होश स करना नही तो इनही रातो क कारण रहत दि पाओग कयोकक िर कोई सवर

भीतर स आता न मालम पड़गा अहोभाव का तो कफर रड़ा फरसटरशन रड़ा तविाद होता ह वह तविाद

कामवासना क कारण नही होता वह तमहारी िो अपकषा थी उसी क कारण होता ह कामवासना का कया कसर

ह हाथ म एक पसा तलए रठ थ और रपया समझा था िर हाथ िोला और मिी िोली तो पाया कक पसा ह

तो पसा थोड़ ही तमह कषट द रहा ह पसा तो तर भी पसा था पहल भी पसा था अर भी पसा ह पसा पसा

ह तमन रपया समझा था तो तम पीतड़त होत हो तम दिी होत हो तम रोत-तचललात हो कक यह धोिा हो

गया

तमन तिस परम समझा ह वह पसा भी नही ह ककड़-पतथर ह तिस परम की म रात कर रहा ह वह

ककसी और ही दसर िगत का हीरा ह उसक तलए तमह तयार होना होगा तम िस हो वस ही वह नही घटगा

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तमह अपन को रड़ा पररषकार करना होगा तमह अपन को रड़ा साधना होगा तर कही वह सवर तमहार भीतर

पदा हो सकता ह

लककन परतयक वयति को जिदगी म एक नश का दौर होता ह कामवासना का दौर होता ह तर काम ही

राम मालम पड़ता ह तिस कदन यह रोध रदलता ह और काम काम कदिाई पड़ता ह उसी कदन तमहारी

जिदगी म पहली दफ राम की िोि शर होती ह

तो धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह परम वयथा ह धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह

अहोभाव कवल मन की आकाकषा थी कही ह नही कही राहर नही था सपना था दिा तिनक सपन टट गए

आशाए टट गयी धनयभागी ह व कयोकक उनक िीवन म एक नई िोि शर होती ह उस िोि क मागा पर ही

कभी तमह परम तमलगा परम परमातमा का ही दसरा नाम ह इसस कम परम की पररभािा नही

तीसरा परशनाः कया परयास व साधना तवतध ह और तथाता मतिल ह या तथाता ही तवतध और मतिल

दोनो ह

इतन तहसार म कयो पड़त हो यह तहसार कहा ल िाएगा तहसार ही करत रहोग या चलोग भी कया

मतिल ह कया मागा ह इसको सोचत ही रहोग

तो एक रात पककी ह ककतना ही सोचो सोचन स कोई मागा तय नही होता और न सोचन स कोई

मतिल करीर आती ह सोचन-तवचारन वाला धीर-धीर चलन म असमथा ही हो िाता ह चलना तो चलन स

आता ह होना होन स आता ह

नामो की जचता म रहत मत पड़ो दोनो रात कही िा सकती ह परम ही मागा ह परम ही मतिल ह यह

भी कहा िा सकता ह कक परम मागा ह परमातमा मतिल ह पर कोई फका नही ह इन रातो म तिस तरह स

तमहारा मन चलन को रािी हो उसी तरह मान लो कयोकक मरी कफकर इतनी ह कक तम चलो तमह अगर

इसम ही सकन तमलता ह शातत तमलती ह कक परम मागा परमातमा मतिल ह योग मागा मोकष मतिल ह

परयास तवतध मागा तथाता मतिल ह ऐसा समझ लो कोई अड़चन नही ह मगर कपा करक चलो

िो तका तनषठ ह उनह यही मानना उतचत होगा कयोकक तका कहता ह मतिल और मागा अलग-अलग िो

तका की रहत जचता नही करत और िो िीवन को तरना तका क दिन म समथा ह--वसी सामथया रहत कम

लोगो म होती ह--लककन अगर हो तो उनको कदिाई पड़गा कक मागा और मतिल एक ही ह कयोकक मागा तभी

पहचा सकता ह मतिल तक िर मतिल स िड़ा हो नही तो पहचाएगा कस अगर अलग-अलग हो तो

पहचाएगा कस तर तो दोनो क रीच फासला होगा िलाग न लग सकगी दरी होगी

वही मागा पहचा सकता ह िो मतिल स िड़ा हो और अगर िड़ा ही ह तो कफर कया फका करना कहा

तय करोग कक कहा मागा समापत हआ कहा मतिल शर हई

इसतलए महावीर का रड़ा अदभत वचन ह कक िो चल पड़ा वह पहच ही गया िररी नही ह तम िस

चलन वाल हो तो रीच म ही रठ िाएग कक लो महावीर को गलत तसदध ककए दत ह लककन महावीर क कहन

म रड़ा सार ह--िो चल पड़ा वह पहच ही गया कयोकक िर तम चल पहला कदम भी उठाया तो पहला कदम

भी तो मतिल को ही ि रहा ह ककतनी ही दर हो लककन एक कदम कम हो गई पास आ गई

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लाओतस न कहा ह एक-एक कदम चलकर हिारो मील की यातरा परी हो िाती ह तो ऐसा थोड़ ही ह

कक यातरा तभी परी होती ह िर परी होती ह िर तम चल तर भी परी होनी शर हो िाती ह इच-इच चलत

हो कदम-कदम चलत हो रद-रद चलत हो सागर चक िाता ह एक-एक रद स

तमहार ऊपर तनभार ह अगर रहत तका तनषठ मन ह और तम ऐसा मानना चाहो कक मागा अलग मतिल

अलग ऐसा मान लो अगर दतषट और साफ-सथरी ह तका क ऊपर दि सकत हो और तवरोधाभास स कोई

अड़चन नही आती तो मागा ही मतिल ह ऐसा मान लो दोनो रात सही ह कयोकक दोनो रात एक ही सतय को

दिन क दो ढग ह

मागा अलग ह मतिल स कयोकक मागा पहचाएगा और मतिल वह ह िर तम पहच गए मागा वह ह िर

तम चलोग मतिल वह ह िर तम पहच गए और चलन की कोई िररत न रही--अलग-अलग ह दोनो एक भी

ह कयोकक पहला कदम पड़ा कक मतिल पास आन लगी मागा िआ नही कक मतिल भी ि ली--ककतनी ही दर

सही ककरण को िर तम ित हो सरि को भी ि तलया कयोकक ककरण सरि का ही फला हआ हाथ ह तमन

मर हाथ को िआ तो मझ िआ या नही हाथ मरा दो फीट लरा ह कक दो हिार फीट लरा ह इसस कया फका

पड़ता ह कक दस करोड़ मील लरा ह इसस कया फका पड़ता ह ककरण सरि का हाथ ह ककरण को ि तलया

सरि को ि तलया यातरा शर हो गई

एक रात पर ही मरा िोर ह कक तम रठ मत रहो कयोकक तवचार करन की एक हातन ह कक तवचारक

तसर पर हाथ लगाकर रठ िाता ह सोचन लगता ह कि करो करन स रासता तय होगा चलन स

कई रार म दिता ह रहत लोगो को व तवचार ही करत रहत ह समय िोता िाता ह कभी-कभी रढ़

लोग मर पास आ िात ह व अभी भी तवचार कर रह ह कक ईशवर न दतनया रनाई या नही तम अर कर तक

यह तवचार करत रहोग रनाई हो तो न रनाई हो तो िीवन को िानन क तलए कि करो ईशवर हो तो न हो

तो तम होन क तलए--सवय होन क तलए--कि करो य सारी जचताए य सारी समसयाए अथाहीन ह ककतनी ही

साथाक मालम पड़ साथाक नही ह और ककतनी ही रतदधमानीपणा मालम पड़ रतदधमानीपणा नही ह

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

वह मकदर था या मतसिद थी यह परमातमा पर ही िोड़ दत ह हम तो झक गए

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

हमन तो अपनी तवनमरता म अपन तनरअहकार म तसर झका कदया

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

अर यह िदा सोच ल कक मतसिद थी कक मकदर था कक काशी थी कक कारा था यह जचता साधक की

नही ह यह जचता पतडत की ह कक कहा झक

िरा फका समझना रारीक ह और नािक ह समझ म आ िाए तो रड़ा कराततकारी ह

पतडत पिता ह कहा झक साधक पिता ह झक पतडत का िोर ह कहा पतडत पिता ह ककस

चीि क सामन झक कारा था कक काशी कौन था तिसक सामन झक साधक पिता ह झक साधक की

जचता यही ह झकाव आया नमरता आई झकन की कला आई इसस कया फका पड़ता ह कहा झक झक गए

िो झक गया उसन पा तलया इसस कोई भी सरध नही कक वह कहा झका मतसिद म झका तो पा तलया

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मकदर म झका तो पा तलया झकन स पाया मकदर स नही पाया मतसिद स नही पाया मकदर-मतसिदो स कही

कोई पाता ह झकन स पाता ह

और िो सोचकर झका कक कहा झक रहा ह वह झका ही नही कही कोई सोचकर झका ह सोच-तवचार

करक तो कोई झकता ही नही झकन स रचता ह अगर तम तरलकल तनणाय करक झक कक हा यह परमातमा ह

अर झकना ह--सर तरह स तय कर तलया कक यह परमातमा ह कफर झक--तो तम झक नही कयोकक तमहारा

तनरणय और तमहारा झकना तम अपन ही तनणाय क सामन झक तम परमातमा क सामन न झक तम अपन

तनणाय क सामन झक

साधक झकता ह झकन का अथा ह तनणाय िोड़ता ह साधक कहता ह म कौन ह म कस िान पाऊगा

मरी हतसयत कया मरी सामथया कया साधक कहता ह कक म कि ह नही इस न होन क रोध म स झकन का

फल तिलता ह इस न होन म स समपाण आता ह इस न होन म स झकना आ िाता ह ऐसा कहना ठीक नही

कक साधक झकता ह ऐसा कहना जयादा ठीक ह कक साधक पाता ह कक झकना हो रहा ह दिता ह तो पाता ह

अकड़ की कोई िगह तो नही कोई सतवधा नही अकड़ का कोई उपाय नही अकड़ का उपाय नही पाता

इसतलए झकना घटन लगता ह तम अगर झकत भी हो तो तमही झकत हो तमही झक तो कया िाक झक

अगर झकन म भी तम रह तो झकना न हआ

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

मागा और मतिल एक ह कक अलग-अलग िदा मालम तम चलो और तिस रहान स चल सको उसी

रहान को मान लो सर रहान ररारर ह इसीतलए तो म सभी धमो की चचाा करता ह कोई धमा ककसी स

कम-जयादा नही ह सर रहान ह िरटया ह मकान म ककसी पर भी टाग दो अपन कपड़ कपा करो टागो

िरटयो का रहत तहसार मत रिो कक लाल पर टागग कक हरी पर टागग हरी होगी इसलाम की िटी लाल

होगी जहदओ की िटी तम टागो कयोकक धारमाक को टागन स मतलर ह िरटयो स मतलर नही

अर िदा मालम वो कारा था या रतिाना था

य तम परमातमा पर िोड़ दो य सर रड़ तहसार उसी पर िोड़ दो तम तो एक िोटा सा काम कर लो

तम चलो लककन लोग रड़ तहसार म लग ह रड़ी जचतना करत ह रड़ा तवचार करत ह रड़ी होतशयारी म

लग ह कक िर सर तय हो िाएगा रौतदधक रप स और हम परी तरह स आशवसत हो िाएग तर

तो तम कभी न चलोग तम जिदगीभर जिदगी का सपना दिोग तम जिदगी भर िीन का तवचार

करोग िी न पाओग तयारी करोग लककन कभी तम िा न पाओग यातरा पर रोररया-तरसतर राधोग

िोलोग राधोग िोलोग रलव सटशन पर िाकर टरन कर कहा िाती ह उसका पता लगाओग टाइम-टरल का

अधययन करोग--तमहार वद तमहार करान टाइम-टरल ह जयादा कि भी नही--उनका रठकर तम अधययन

करत रहो टाइम-टरल स कही कोई यातरा हई ह कि लोगो को म दिता था िर म सफर म होता था व रठ

ह अपन टाइम-टरल का ही अधययन कर रह ह वदपाठी कहना चातहए जञानी पतडत टाइम-टरल का अधययन

कर रह ह उसी को उलट रह ह

नकशो को रि रठ रहोग नकशो स कभी ककसी न यातरा की ह म तमस कहता ह अगर यातरा पर न

िाना हो तो नकश का अधययन करना रहत िररी ह म तमस कहता ह अगर यातरा स रचना हो तो नकशो को

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पकड़ रिना रहत िररी ह कयोकक मन उलझा रहता ह नकशो म और नकश रहत परकार क ह नाना रग-रप

क ह

रदध न कया कहा ह इसकी कफकर मत करो महावीर न कया कहा ह इसकी जचता मत करो कषण न कया

कहा ह इसका तहसार मत रिो रदध कया ह महावीर कया ह कषण कया ह--उनक होन पर थोड़ी निर लाओ

और तम भी होन म लग िाओ य सर राल की िाल ह कक कौन सी तवतध ह और कौन सा पहचना कौन सा

मागा कौन सी मतिल राल की िाल मत तनकालो रहत तका शासतरी ह उनको तम िोड़ द सकत हो और एक

रात धयान रिना अत म तम पाओग कक िो चल व पहच गए और िो सोचत रह व िो गए साधक एक कदम

की जचता करता ह एक कदम चल लता ह कफर दसर की जचता करता ह

चीन म कहानी ह कक एक आदमी विो तक सोचता था कक पास म एक पहाड़ पर तीथासथान था वहा

िाना ह लककन--कोई तीन-चार घट की यातरा थी दस-पिह मील का फासला था--विो तक सोचता रहा पास

ही था नीच घाटी म ही रहता था हिारो यातरी वहा स गिरत थ लककन वह सोचता था पास ही तो ह कभी

भी चला िाऊगा

रढ़ा हो गया तर एक कदन एक यातरी न उसस पिा कक भाई तम भी कभी गए हो उसन कहा कक म

सोचता ही रहा सोचा इतना पास ह कभी भी चला िाऊगा लककन अर दर हो गई अर मझ िाना ही

चातहए उठा उसन दकान रद की साझ हो रही थी पतनी न पिा कहा िात हो उसन कहा म अर तो यह

मरन का वि आ गया और म यही सोचता रहा इतन पास ह कभी भी चला िाऊगा और म इन याततरयो को

ही िो तीथायातरा पर िात ह सौदा-सामान रचता रहा जिदगी मरी याततरयो क ही साथ रीती--आन-िान

वालो क साथ व िरर लात मकदर क तशिरो की चचाा करत शातत की चचाा करत पहाड़ क सौदया की रात

करत और म सोचता कक कभी भी चला िाऊगा पास ही तो ह दर-दर क लोग यातरा कर गए म पास रहा रह

गया म िाता ह

कभी यातरा पर गया न था तसफा यातरा की रात सनी थी सामान राधा तयारी की रातभर--पता था कक

तीन रि रात तनकल िाना चातहए ताकक सरह-सरह ठड-ठड पहच िाए लालटन िलाई कयोकक दिा था

कक यातरी रोररया-तरसतर भी रित ह लालटन भी लकर िात ह लालटन लकर गाव क राहर पहचा तर उस

एक रात खयाल आई कक लालटन का परकाश तो चार कदम स जयादा पड़ता नही पिह मील का फासला ह

चार कदम तक पड़न वाली रोशनी साथ ह यह पिह मील की यातरा कस परी होगी घरड़ाकर रठ गया

तहसार लगाया दकानदार था तहसार-ककतार िानता था चार कदम पड़ती ह रोशनी पिह मील का फासला

ह इतनी सी रोशनी स कही िाना हो सकता ह घरड़ा गया तहसार रहतो को घरड़ा दता ह

अगर तम परमातमा का तहसार लगाओग घरड़ा िाओग ककतना फासला ह कहा तम कहा परमातमा

कहा तम कहा मोकष कहा तमहारा कारागह और कहा मति का आकाश रहत दर ह तम घरड़ा िाओग पर

कप िाएग रठ िाओग आशवासन िो िाएगा भरोसा टट िाएगा पहच सकत हो यह रात ही मन म

समाएगी न

उसक पर डगमगा गए वह रठ गया कभी गया न था कभी चला न था यातरा न की थी तसफा लोगो

को दिा था आत-िात उनकी नकल कर रहा था तो लालटन भी ल आया था सामान भी ल आया था कहत

ह पास स कफर एक यातरी गिरा और उसन पिा कक तम यहा कया कर रह हो उस आदमी न कहा म रड़ी

मसीरत म ह इतनी सी रोशनी स इतन दर का रासता पिह मील का अधकार चार कदम पड़न वाली रोशनी

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तहसार तो करो उस आदमी न कहा तहसार-ककतार की िररत नही उठो और चलो म कोई गतणत नही

िानता लककन इस रासत पर रहत रार आया-गया ह और तमहारी लालटन तो मरी लालटन स रड़ी ह तम

मरी लालटन दिो--वह रहत िोटी सी लालटन तलए हए था तिसस एक कदम मतककल स रोशनी पड़ती थी--

इसस भी यातरा हो िाती ह कयोकक िर तम एक कदम चल लत हो तो आग एक कदम कफर रोशन हो िाता

ह कफर एक कदम चल लत हो कफर एक कदम रोशन हो िाता ह

तिनको चलना ह तहसार उनक तलए नही ह तिनको नही चलना ह तहसार उनकी तरकीर ह तिनको

चलना ह व चल पड़त ह िोटी सी रोशनी पहचा दती ह तिनको नही चलना ह व रड़ अधकार का तहसार

लगात ह वह अधकार घरड़ा दता ह पर डगमगा िात ह

साधक रनो जञानी नही साधक तरना रन िो जञान आ िाता ह वह कड़ा-करकट ह साधक रनकर िो

आता ह वह रात ही और ह महावीर ठीक कहत ह िो चल पड़ा वह पहच गया वह जञानी की रात ह उस

जञानी की िो चला ह पहचा ह

महावीर क पास उनका िद का दामाद उनका तशषय हो गया था लककन उस रड़ी अड़चन होती थी

भारत म तो दामाद का ससर पर िता ह तो महावीर को पर िना चातहए दामाद का मगर िर उसन दीकषा

ल ली और उनका तशषय हो गया तो उसको पर िना पड़ता था तो उस रड़ी पीड़ा होती थी रड़ा अहकारी

रािपत था और कफर महावीर की रातो म उस कई ऐसी रात कदिाई पड़न लगी िो असगत ह यह रात उनम

एक रात थी तो उसन एक तवरोध का झडा िड़ा कर कदया उसन महावीर क पाच सौ तशषयो को भड़का

तलया और उसन कहा यह तो रकवास ह यह कहना कक िो चलता ह वह पहच गया महावीर कहत थ अगर

तमन दरी तरिान क तलए िोली--िोलना शर की कक िल गई अर यह रात तो रड़ी गहरी थी मगर रदध

रतदधमानो क हाथ म पड़ िाए तो रड़ा ितरा उसन कहा इसका तो म परमाण द सकता ह कक यह रात

तरलकल गलत ह वह एक दरी ल आया लपटकर उसन कहा कक यह लो हम िोल कदए--िरा सी िोल दी और

कफर रक गया और महावीर कहत ह िोली कक िल गई कहा िली उसस पाच सौ आदतमयो को भड़का

तलया महावीर क तशषयो को

कभी-कभी पतडत भी जञातनयो क तशषयो को भड़का लत ह कयोकक पतडत की रात जयादा तका पणा होती

ह वह जयादा रतदध को िचती ह रात तो िचगी यह कया रात ह िोलन स कही िलती ह रीच म भी रक

सकती ह चलन स कही कोई पहचता ह रीच म भी तो रक सकता ह

महावीर करणा क आस तगराए होग लककन कया कर सकत थ तसदध तो व भी नही कर सकत थ यह

करणा क आस तगराए होग कयोकक उनह पता ह कक िो एक कदम भी सतय की तरफ चल पड़ा वह कभी नही

रकता ह--मगर अर इसको समझाए कस--कयोकक सतय का आकरिण ऐसा ह तम िो नही चल हो उनको िीच

रहा ह िो चल पड़ा वह कफर कभी नही रकता ह नही िो चल ह व भी जिच िा रह ह तो िो चल पड़ा ह

वह कही रकन वाला ह तिसन िरा सा भी सवाद ल तलया सतय का कफर सर सवाद वयथा हो िात ह िो सतय

की तरफ िरा सा झक गया सतय की ऊिाा सतय का आकिाण चरक की तरह िीच लता ह यह तो ऐस ही ह

िस कक हमन ित स एक पतथर िोड़ कदया िमीन की तरफ महावीर यह कह रह ह कक पतथर िोड़ कदया कक

पहच गया

अगर म होता तो महावीर क दामाद को ल गया होता ित पर दरी न िलवाई होती कयोकक दरी की

रात म न करता--वह म भी समझता ह कक वह झझट हो िाएगी दरी म तो एक पतथर िोड़ दता और कहता

69

िट गया--पहच गया कयोकक रीच म रकगा कस गरतवाकिाण ह हा िर तक ित पर ही रिा हआ ह तर

तक गरतवाकिाण कि भी नही कर सकता िरा डगा दो इसतलए म कहता ह सतय ऐसा ह िस ित स कोई

िलाग लगा ल तम एक कदम उठाओ राकी कफर अपन स हो िाएग तमह दसरा कदम उठाना ही न पड़गा

कयोकक िमीन का गरतवाकिाण कर लगा शि काम

महावीर ठीक कहत थ लककन महावीर कोई तारका क नही ह महावीर हार गए ऐसा लगता ह रोए

होग करणा स कक यह पागल िद भी पागल ह और यह पाच सौ और पागलो को अपन साथ तलए िा रहा ह

महावीर िानत ह कक िो एक कदम चल गया वह मतिल पर पहच गया कषणमरता न पहली ककतार

तलिी ह--द फसटा एड लासट फरीडम उस ककतार का नाम ह पहली और आतिरी मति कयोकक पहल कदम पर

ही आतिरी घट िाती ह वही महावीर कह रह थ कक एक कदम उठा तलया कक मतिल आ गई तिनहोन भी

पहला कदम उठा तलया उनकी मतिल आ गई

अर तम पित हो कक मतिल कया और मागा कया

चाहो दो कर लो चाहो एक कर लो असतलयत तो यही ह कक मागा ही मतिल ह कयोकक एक कदम

उठात ही पहचना हो िाता ह तम अगर नही पहच तो यह मत सोचना कक हमन कदम तो रहत उठाए चकक

मतिल दर ह इसतलए नही पहच पा रह तमन पहला कदम ही नही उठाया इसतलए अटक हो

मगर अहकार को रड़ी पीड़ा होती ह यह मानन म कक मन पहला कदम नही उठाया यह रात ही गलत

लगती ह कदम तो हमन रहत उठाए मागा लरा ह मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह अहकार को उसम

सतवधा ह कक मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह

म तमस कहता ह तमन पहला कदम ही नही उठाया अनयथा तमह कोई रोक सकता ह तिसन उठाया

पहला कदम वह पहच गया पहल कदम पर ही पहचना हो िाता ह तम उठाओभर कदम और मतिल आ

िाती ह लककन रठ-रठ तहसार मत करो काफी तहसार कर तलए हो

तथाता मागा भी ह मतिल भी तथाता का अथा कया होता ह तथाता का अथा ह सवा सवीकार का भाव

अहकार सघिा ह अहकार कहता ह ऐसा होना चातहए ऐसा नही होना चातहए अहकार कहता ह यह रहा

ठीक वह रहा गलत अहकार चनाव करता ह भद करता ह राटता ह िड-िड करता ह तथाता का अथा ह

सवा सवीकार टोटल एकसपटनस िसा ह िो ह रािी ह अहकार ह पररपणा तवरोध तथाता ह पररपणा

सवीकार अहकार ह परततरोध रतससटनस तथाता ह रािी होना अहकार ह नही तथाता ह हा अतसततव िो

कह हा

तर तो पहल ही कदम पर मतिल हो िाएगी ऐसी घड़ी म तो करातत घट िाती ह रपातरण हो िाता

ह कफर रचा कया पान को िर तमन सर सवीकार कर तलया लड़ाई कहा रही कफर तम तरत नही अतसततव

की धारा तमह ल चलती ह सागर की तरफ

रामकषण न कहा ह दो ढग ह यातरा करन क एक ह पतवार लकर नाव चलाना वह अहकार का ढग ह

रड़ा थकाता ह और जयादा दर पहचाता भी नही दसरा रासता ह पतवार िोड़ो पाल िोलो हवाए ल

िाएगी तम हवाओ क सहार चल पड़ो

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

कौन जचता कर माझी की

70

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

अर य माझी का और कौन एहसान उठाए

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

लगर भी तोड़ दता ह ककती भी उस पर िोड़ दता ह यह ह तथाता अर वह िहा ल िाए अर अगर

मझधार म डरा द तो वही ककनारा ह अर डरना भी उररना ह सवीकार म फासला कहा अर न पहचना भी

पहचना ह सवीकार म फासला कहा अर होना और न होना ररारर ह अर मतिल और मागा एक ह अर

रीि और वकष एक ह अर सतषट और परलय एक ह कयोकक व सार भद रीच म अहकार िड़ा होकर करता था

सार भद अहकार क ह अभद तनरअहकार का ह

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

ऐसी मनोदशा परमावसथा ह और ऐसी परम अवसथा म साधन साधय का कोई भद नही सतषट सरषटा

का कोई भद नही िीवन मतय का कोई भद नही एक क ही अलग-अलग चहर ह

कफर तम िहा हो वही मतिल ह कफर कही और िान को भी नही ह िाना भी अहकार का ही खयाल ह

पहचन की आकाकषा भी अहकार की ही दौड़ ह वह भी महतवाकाकषा ही ह

चौथा परशनाः कया कषणभगरता का रोध ही िीवन म कषण-कषण िीन की कला रन िाता ह

तनतित ही िस-िस ही तम िागोग और दिोग कक एक कषण क अततररि हाथ म कोई दसरा कषण नही

ह--दो कषण ककसी क पास एक साथ नही होत एक कषण आता ह िाता ह तर दसरा आता ह--एक ही कषण हाथ

म ह

सार िीवन की कला यही ह कक इस एक कषण म कस िी लो कस यह एक कषण ही तमहारा परा िीवन

हो िाए कस इस एक कषण की इतनी गहराई म उतर िाओ कक यह कषण शाशवत और सनातन मालम हो एक

कषण स दसर कषण पर िाना साधारण िीवन का ढग ह और एक कषण की गहराई म उतर िाना असाधारण

िीवन का ढग ह

सासाररक िीवन का अथा ह इस कषण को अगल किण क तलए कराान करो कफर उसको और अगल क

तलए कराान करना आि को कल क तलए तनिावर करो कल को कफर और परसो क तलए तनिावर करना

सासाररक िीवन एक सतत सथगन एक पोसपोनमट ह सनयास का िीवन इस कषण को परा िी लो परम

अनगरह क भाव स परमातमा न यह कषण कदया इस परा पी लो इस कषण की पयाली म स एक रद भी अनपीयी

न िट िाए तम इस परा ही गटक िाओ तो तम तयार हो रह हो दसर कषण को पीन क तलए तितना तम

पीयोग उतनी तयारी हो िाएगी यह पयास कि ऐसी ह कक पीन स रढ़ती ह यह रस कि ऐसा ह कक तितना

तम इसम डरोग उतनी ही डरन की कषमता आती िाएगी

कषणभगरता का रोध अगर तमह आ िाए कक एक ही कषण पास ह दसरा कोई कषण पास नही--हो सकता

ह यही कषण आतिरी हो--तो कफर तम कल पर न िोड़ सकोग तम आि िीओग यही िीओग तम यह न

कहोग कक कल पर िोड़त ह कल िी लग कल कर लग परम कल कर लग उतसव कल कर लग आनद तमम

कफर यह सतवधा न रहगी आि ही ह उतसव आि ही ह पिा आि ही ह परम आि क पार कि भी नही ह

71

कषणभगर का अगर इतना सपषट रोध हो िाए कक िीवन कषण-कषण रीता िा रहा ह चका िा रहा ह तो

तम कषण की शाशवतता म उतरन म समथा हो िाओग एक कषण भी अपनी गहराई म सनातन ह शाशवत ह

ऐस समझो कक एक आदमी ककसी झील म तरता ह--ऊपर-ऊपर एक लहर स दसरी लहर और एक

दसरा ह गोतािोर िो झील म एक ही लहर म गोता मारता ह और गहर उतर िाता ह सासाररक आदमी एक

लहर स दसरी लहर पर चलता रहता ह सतह पर ही तरता ह सतह पर सतह ही हाथ लगती ह गहराई म

िो िाता ह उस गहराई क ििान हाथ लगत ह ककसी न कभी लहरो पर मोती पाए मोती गहराई म ह

िीवन का असली अथा कषण की गहराई म तिपा ह तो यह तो ठीक ह कक िीवन को कषणभगर मानो--ह

ही मानन का सवाल नही ह िानो यह भी ठीक ह कक एक कषण स जयादा तमह कि तमला नही लककन इसस

उदास होकर मत रठ िाना यह तो कहा ही इसतलए था ताकक झठी दौड़ रद हो िाए यह तो कहा ही इसतलए

था ताकक गलत आयाम म तम न चलो यह तो तमह पकारन को कहा था कक गहराई म उतर आओ

रदध िर कहत ह िीवन कषणभगर ह तो व यह नही कह रह ह कक इस िोड़कर तम उदास होकर रठ

िाओ व यही कह रह ह कक तमहार होन का िो ढग ह अर तक वह गलत ह उस िोड़ दो म तमह एक और

नए होन का ढग रताता ह

साधारण आदमी तो कषणभगर िीवन की सतह पर िीता ह इसी कषणभगर सतह पर वह अपन सवगा

और नको की भी कामना करता ह अपन आन वाल भतवषय िनमो की भी कलपना करता ह--यही इसी आयाम

म वह कभी नीच झाककर नही दिता कक सतह की गहराई म ककतना अनत तिपा ह

एक-एक कषण म अनत का वास ह और एक-एक कण म तवराट ह लककन वह कण को कण की तरह

दिता ह कषण को कषण की तरह दिता ह और कषण की विह स--इतना िोटा कषण िी कस पाएग--वह आग की

योिनाए रनाता ह कक कल िीएग और यह भल ही िाता ह कक कल भी कषण ही हाथ म होगा िर भी होगा

कषण ही हाथ म होगा जयादा कभी हाथ म न होगा िर यह िीवन चक िाता ह तो अगल िीवन की कलपना

करता ह कक कफर िनम क राद होगा िीवन लककन तम वही कलपना करोग उसी की आकाकषा करोग िो तमन

िाना ह

गातलर की रड़ी परतसदध पतिया ह--

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

गातलर कह रहा ह कक नका को ही िाना ह हमन तो सवगा को तो िाना नही और तिनको हमन िाना

ह उनहोन भी नका को ही िाना ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

तो हम सवगा को भी नरक म कयो न तमला ल

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

सवगा होगा भी िोटा नका क मकारल कयोकक अतधक लोग नका म िी रह ह सवगा म तो कभी कोई िीता

ह इस थोड़ी सी िगह को भी और अलग कयो िोड़ रिा ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

इसको कयो अलग िोड़ रिा ह य पतिया रड़ी महतवपणा ह य साधारण आदमी क मन की िरर ह

72

तमह अगर सवगा भी तमल तो तम उस अपन नका म ही िोड़ लना चाहोग और तम करोग भी कया मन

दिा ह तमह धन भी तमल िाए तो तम उस अपनी गरीरी म िोड़ लत हो और तम करोग भी कया तमह

आनद का अवसर भी तमल िाए तो तम उस भी अपन दि म िोड़ लत हो तम और करोग भी कया तमह

अगर चार कदन जिदगी क और तमल िाए तो तम उनह इसी जिदगी म िोड़ लोग और तम करोग भी कया

आदमी सततर साल िीता ह सात सौ साल िीए तो तम सोचत हो कोई करातत हो िाएगी रस ऐस ही िीएगा

और ससत होकर िीन लगगा ऐस ही िीएगा सततर साल म अभी नही िीता तो सात सौ साल म तो और भी

सथतगत करन लगगा कक िलदी कया ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

तम िो हो उसी म तो िोड़ोग भतवषय को भी तम सवगा को भी अपन नका म ही िोड़ लोग तम अपन

अधमा म ही धमा को भी िोड़ लत हो तम अपनी दकान म ही मकदर को भी िोड़ लत हो तम अपनी रीमारी म

अपन सवासथय को भी िोड़ लत हो तम अपनी मचिाा म अमचिाा की रातो को भी िोड़ लत हो तम अपनी

अशातत म अपन धयान को भी िोड़ लत हो रपातरण नही हो पाता

नका म सवगा को नही िोड़ना ह नका को तमटाना ह ताकक सवगा हो सक नका को िोड़ना ह ताकक सवगा

हो सक

कषणभगर िीवन ह यह सतय ह इसक तम तीन अथा ल सकत हो एक कषणभगर ह इसतलए िलदी

करो भोगो कही भोग िट न िाए सासाररक आदमी वही कहता ह--िाओ पीओ मौि करो जिदगी िा रही

ह कफर धारमाक आदमी ह वह कहता ह--जिदगी िा रही ह िाओ पीओ मौि करो इसम मत गवाओ कि

कमाई कर लो िो आग काम आए सवगा म मोकष म य दोनो गलत ह कफर एक तीसरा आदमी ह तिसको म

िागा हआ परि कहता ह रदधपरि कहता ह वह कहता ह--िीवन कषणभगर ह इसतलए कल पर तो कि भी

नही िोड़ा िा सकता सवगा और भतवषय की कलपनाए नासमतझया ह इसतलए रदध न सवगो की रात नही की

कफर वह यह कहता ह कक िीवन कषणभगर ह तो सतह पर ही िान-पीन और मौि म भी उस गवाना वयथा ह

तो थोड़ा हम भीतर उतर कषण को िोल कौन िान कषण कवल दवार हो तिसक राहर ही हम िीवन को गवाए

द रह ह कषण को िोलना ही धयान ह

महावीर न तो धयान को सामातयक कहा कयोकक सामातयक का अथा ह समय को िोल लन की कला

कषण म िोलकर उतर िाना दवार तो िोटा ही होता ह महल रहत रड़ा ह तम दवार क कारण महल को िोटा

मत समझ लना दवार तो िोटा ही होता ह दवार क रड़ होन की िररत नही तम तनकल िाओ इतना काफी ह

इतना म तमस कहता ह कषण का दवार इतना रड़ा ह कक तम उसस मि स तनकल सकत हो इसस जयादा

की िररत भी नही कषण क पार शाशवत तमहारी परतीकषा कर रहा ह तम एक दवार स दसर दवार पर भाग रह

हो कि दवार-दवार भीि मागत कफर रह ह व सासाररक लोग कि ह िो उदास होकर रठ गए ह दवार क राहर

तसर लटका तलया ह कक िीवन रकार ह इन दो स रचना

एक तीसरा आदमी भी ह तिसन कषण की किी िोि ली--वही अमचिाा ह अपरमाद ह--और कषण का दवार

िोल तलया कषण का दवार िोलत ही शाशवत का दवार िल िाता ह अनत तिपा ह कषण म तवराट तिपा ह कण

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आतिरी परशनाः आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह काट कया एक भी नही

परशन थोड़ा करठन ह करठन इसतलए ह कक आनद क मागा पर न तो फल ह और न काट काट तमहार

दिन म होत ह फल भी तमहार दिन म होत ह काट और फल राहर नही ह काट और फल तमह तमलत नही

ह राहर तमहार दिन स िनमत ह गलत दिन स काट कदिाई पड़त ह ठीक दिन स फल कदिाई पड़त ह

तम वही दि लत हो िो तमहारी दतषट ह दतषट ही सतषट ह इस समरण रिो

रड़ी पराचीन कथा ह कक रामदास राम की कथा कह रह ह कथा इतनी परीततकर ह राम की कहानी

इतनी परीततकर ह कक हनमान भी सनन आन लग हनमान न तो िद ही आिो स दिी थी सारी कहानी लककन

कफर भी कहत ह रामदास न ऐसी कही कक हनमान को भी आना पड़ा िरर तमली तो वह सनन आन लग

रड़ी अदभत थी तिप-तिप भीड़ म रठकर सनत थ

पर एक कदन िड़ हो गए खयाल ही न रहा कक तिपकर सनना ह तिपकर ही आना ह कयोकक रामदास

कि रात कह िो हनमान को िची नही गलत थी कयोकक हनमान मौिद थ और यह आदमी तो हिारो साल

राद कह रहा ह तो उनहोन कहा कक दिो इसको सधार कर लो

रामदास न कहा कक िर हनमान लका गए और अशोक वारटका म गए और उनहोन सीता को वहा रद

दिा तो वहा चारो तरफ सफद फल तिल थ हनमान न कहा यह रात गलत ह तम इसम सधार कर लो

फल लाल थ सफद नही थ रामदास न कहा तम रठो रीच म रोलन की िररत नही ह तम हो कौन फल

सफद थ

तर तो हनमान को अपना रप रताना पड़ा हनमान ही ह भल ही गए सर तशषटाचार कहा कक म िद

हनमान ह परगट हो गए और कहा कक अर तो सधार करोग तम हिारो साल राद कहानी कह रह हो तम

वहा थ नही मौिद म चकमदीद गवाह ह म िद हनमान ह तिसकी तम कहानी कह रह हो मन फल लाल

दि थ सधार कर लो

मगर रामदास तिददी रामदास न कहा होओग तम हनमान मगर फल सफद थ इसम फका नही हो

सकता रात यहा तक रढ़ गई कक कहत ह राम क दररार म दोनो को ल िाया गया कक अर राम ही तनणाय

कर कक अर यह कया मामला होगा कस रात हल होगी कयोकक हनमान िद आिो दिी रात कह रह ह कक

फल लाल थ और रामदास कफर भी तिद ककए िा रह ह कक फल सफद थ

राम न हनमान स कहा कक तम माफी माग लो रामदास ठीक ही कहत ह फल सफद थ हनमान तो

हरान हो गए उनहोन कहा यह तो हदद हो गई यह तो कोई सीमा क राहर रात हो गई मन िद दि तम भी

वहा नही थ और न य रामदास थ और न तम थ तमस तनणाय मागा यही भल हो गई म अकला वहा मौिद

था सीता स पि तलया िाए व मौिद थी

सीता को पिा गया सीता न कहा हनमान तम कषमा माग लो फल सफद थ सत झठ नही कह सकत

होना मौिद न होना सवाल नही ह अर रामदास न िो कह कदया वह ठीक ही ह फल सफद ही थ मझ दि

होता ह कक तमह गलत होना पड़ रहा ह तमही अकल एकमातर गवाह नही हो म भी थी फल सफद ही थ

शानदार

उसन कहा यह तो कोई शडयतर मालम होता ह कोई सातिश मालम पड़ती ह मझ भलीभातत याद ह

74

राम न कहा तम ठीक कहत हो तमह फल लाल कदिाई पड़ थ कयोकक तम करोध स भर थ आिो म िन

था िर आिो म िन हो करोध हो तो सफद फल कस कदिाई पड़ सकत ह

िर मन इस कहानी को पढ़ा तो मरा मन हआ इसम थोड़ा और िोड़ कदया िाए कयोकक फल वहा थ ही

नही अगर हनमान की आिो म िन था इसतलए लाल कदिाई पड़ तो यह रामदास क मन म एक शभता ह

तिसकी विह स सफद कदिाई पड़ रह ह फल वहा थ नही म तमस कहता ह राम भी गलत थ सीता भी

गलत ह रामदास भी गलत ह फल राहर नही ह तमहारी आि म ही तिलत ह काट भी राहर नही ह

तमहारी आि म ही रनत ह तनरमात होत ह तमह वही कदिाई पड़ िाता ह िो तम दि सकत हो

अर तम पित हो आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह

न तमह आनद की दशा का पता ह न तमन कभी फल दि

काट कया एक भी नही

अर तमह पता ही नही तम कया पि रह हो तिसक भीतर आनद का आतवभााव हआ ह उसक राहर

तसफा आनद ही आनद होता ह फल ही फल होत ह कयोकक िो तमहार भीतर ह वही तमहार राहर िा िाता

ह तमहारा भीतर ही फलकर राहर िा िाता ह तमहारा भीतर ही राहर हो िाता ह तम िस हो वसा ही

सारा अतसततव हो िाता ह

रदध क साथ सारा अतसततव रदध हो िाता ह मीरा क साथ सारा अतसततव मीरा हो िाता ह मीरा

नाचती ह तो सारा अतसततव नाचता ह रदध चप होत ह तो सारा अतसततव चप हो िाता ह तम दि स भर हो

तो सारा अतसततव दि स भरा ह तमन कभी खयाल भी ककया होगा तम परशान हो दिी हो चाद को दित

हो उदास मालम होता ह उसी रात तमहार ही पड़ोस म कोई परसि ह आनकदत ह उसी चाद को दिता ह

और लगता ह आनद ररस रहा ह

तमहारी दतषट ही तमहारा ससार ह और मोकष का अथा ह सारी दतषट का िो िाना न सफद न लाल िर

कोई भी दतषट नही रह िाती तमहारी तर तमह वह कदिाई पड़ता ह िो ह उसको परमातमा कहो तनवााण

कहो

साध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही असाध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही शतान को

िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही सत को िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही िो ह वह तो तभी कदिाई पड़ता ह

िर तमहारी कोई भी दतषट नही होती तर तम कि भी नही िोड़त

इसतलए रदध न तो उस परमदशा म आनद ह ऐसा भी नही कहा कयोकक वह भी दतषट ह फल ह ऐसा

भी नही कहा काट ह ऐसा भी नही कहा कयोकक काट तमहारी दि की दतषट स पदा होत थ आनद तमहार

आनद की दतषट स पदा हो रहा ह काटो म भी तम थ फलो म भी तम हो एक ऐसी भी घड़ी ह तनवााण की िर

तम होत ही नही तर एक परमशनय ह इसतलए रदध न कहा तनवााण परमशनयता िहा कि भी नही ह िहा

वही कदिाई पड़ता ह िो ह अर उस कहन का कोई उपाय नही कयोकक उस काटा कहो तो गलत होगा फल

कहो तो गलत होगा दि कहो तो गलत होगा

तो तीन दशाए ह एक दि की दशा ह तर तमह चारो तरफ काट कदिाई पड़त ह फल कवल तमहार

सपन म होत ह काटा चभता ह वसतताः और फल कवल आशा म होता ह यह एक दशा कफर एक आनद की

दशा ह िर चारो तरफ फल होत ह काट सर िो गए होत ह कही कोई काटा नही कदिाई पड़ता लककन

काटा सभावना म तिपा होता ह कयोकक फल अगर ह तो काटा कही सभावना म तिपा होगा कफर एक

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तीसरी परमदशा ह न काट ह न फल ह उस परमदशा को ही आनद कहो वह सि क पार दि क पार काट

क पार फल क पार

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

पिहवा परवचन

कवल तशषय िीतगा

को इम पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

को धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 39

सिो पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

सिो धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 40

फणपम कायतमम तवकदतवा मरीतचधमम अतभसमरधाना

ितवान मारसस पपपफकातन अदससन मचचरािसस गचि 41

पपफातन हव पतचननत वयासततमनस नर

सतत गाम महोघोव मचच आदाय गचितत 42

यथातप भमरो पपफ वणणगनध अहठय

पलतत रसमादाय एव गाम मतनचर 43

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

िीवन यकद चलन स ही परा हो िाता तो सभी मतिल पर पहच गए होत कयोकक चलत तो सभी ह

चलत ही नही दौड़त ह सारा िीवन चका डालत ह उसी दौड़ म पर पहचता कभी कोई एकाध ह--करोड़ो म

सकदयो म

यह चलना कसा िो पहचाता नही यह िीना कसा तिसस िीवन का सवाद आता नही यह होन का

कसा ढग ह न होन क ररारर भटकना कहो इस चलना कहना ठीक नही िर पहचना ही न होता हो तो

चलना कहना उतचत नही ह मागा वही ह िो मतिल पर पहचा द चलन स ही कोई मागा नही होता मतिल

पर पहचन स मागा होता ह

पहचत कवल व ही ह िो िागकर चलत ह चलन म तिनहोन िागन का गण भी िोड़ तलया उनका

भटकाव रद हो िाता ह और रड़ आिया की रात तो यही ह कक तिनहोन िागन को िोड़ कदया चलन म उनह

चलना भी नही पड़ता और पहच िात ह कयोकक िागना ही मतिल ह

तो दो ढग स िी सकत हो तम एक तो चलन का ही िीवन ह चलत रहन का कवल थकान लगती ह

हाथ राह की धल लगती ह हाथ आदमी तगर िाता ह आतिर म--कबर म मह क रल उस ही मतिल मान लो

तर रात और

77

एक और ढग ह चलन का--होशपवाक िागकर परो का उतना सवाल नही ह तितना आिो का सवाल

ह शति का उतना सवाल नही ह तितना शातत का सवाल ह नश-नश म सोए-सोए ककतना ही चलो पहचोग

नही

यह चलना तो कोलह क रल िसा ह आि रद ह कोलह क रल की चलता चला िाता ह एक ही लकीर

पर वतालाकार घमता रहता ह अपन िीवन को थोड़ा तवचारो कही तमहारा िीवन भी तो वतालाकार नही

घम रहा ह िो कल ककया था वही आि कर रह हो िो आि कर रह हो वही कल भी करोग कही तो तोड़ो

इस वताल को कभी तो राहर आओ इस घर क

यह पनरति िीवन नही ह यह कवल आतहसता-आतहसता मरन का नाम ह िीवन तो परततपल नया ह

मौत पनरति ह इस तम पररभािा समझो अगर तम वही दोहरा रह हो िो तम पहल भी करत रह हो तो

तम िी नही रह हो तम िीन का तसफा रहाना कर रह हो तसफा थोथी मिाए ह िीवन नही तम िीन का

नाटक कर रह हो िीना इतना ससता नही ह रोि सरह उठत हो कफर वही शर हो िाता ह रोि साझ सोत

हो कफर वही अत हो िाता ह

कही स तोड़ो इस पररतध को और इस पररतध को तोड़न का एक ही उपाय ह िो रदधपरिो न कहा ह--

आि िोलो कोलह का रल चल पाता ह एक ही चककर म कयोकक उसकी आि रद कर दी गई ह उस कदिाई

नही पड़ता तमहारी आि भी रद ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

इतना भी पता नही ह कक यह जिदगी ही मतिल ह या यह जिदगी कही पहचाती ह यह रस होना

काफी ह या इस होन स और एक रड़ होन का दवार िलन को ह म पयाापत ह या कवल एक शरआत ह म अत

ह या परारभ ह म रीि ह या वकष ह तम िो हो अगर वह पयाापत होता तो तम आनकदत होत कयोकक िहा

भी पयाापत हो िाता ह वही सतोि पररततपत आ िाती ह िहा पयाापत हए वही पररतोि आ िाता ह

तम पयाापत तो नही हो यह तमहारी रचनी कह दती ह तमहारी आि की उदासी कह िाती ह तमहार

पराणो का दि भरा सवर गनगनाए िाता ह--तम पयाापत नही हो कि िो रहा ह कि चका िा रहा ह कि

होना चातहए िो नही ह उसकी ररि िगह तम अनभव करत हो वही तो िीवन का सताप ह तो कफर ऐस ही

अगर रह और इसी को दोहरात रह तर तो वह ररि िगह कभी भी न भरगी तमहारा घर िाली रह िाएगा

तिसकी तम परतीकषा करत हो वह कभी आएगा नही िागकर दिना िररी ह

असली सवाल कहा िा रह हो यह नही ह असली सवाल ककस मागा स िा रह हो यह भी नही ह

असली सवाल यही ह कक िो िा रहा ह वह कौन ह तिसन अपन को पहचाना उसक कदम ठीक पड़न लग

अपनी पहचान स ही ठीक कदमो का िनम होता ह तिसन अपन को न पहचाना वह ककतन ही शासतर और

ककतन ही नकश और ककतन ही तसदधात लकर चलता रह उसक पर गलत ही पड़त रहग वह तो एक ऐसा

शरारी ह िो नकशा लकर चल रहा ह शरारी क िद क पर ही ठीक नही पड़ रह ह शरारी क हाथ नकश का

कया उपयोग ह

तमहार हाथ म शासतरो का कोई उपयोग नही तमहार साथ शासतर भी कपगा डगमगाएगा शासतर तमह न

ठहरा पाएगा तमहार कारण शासतर भी डगमगाएगा तम ठहर िाओ शासतर की िररत ही नही तमहार ठहरन

स ही शासतर का िनम होता ह दतषट उपलबध होती ह दशान होता ह रदध क य सार वचन सर तरफ स एक ही

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कदशा की तरफ इतगत करत ह कक िागो परमाद म मत डर रहो अपरमाद तमहार िीवन का आधार रन

आधारतशला रन

पित ह रदध कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कौन कशल परि

फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा कौन

तम तो कस चनोग िस तम हो चनना तो तम भी चाहत हो काटो स कौन रचना नही चाहता फलो

को कौन आजलगन नही कर लना चाहता सि की आकाकषा ककसकी नही ह दि स दर हटन का भाव ककसक

मन म नही उठता लककन रदध पित ह कौन िीतगा कौन उपलबध होगा फलो स भर धमापथ को

तम िस हो वस न हो सकोग तम सोए हो तमह िरर ही नही तम कौन हो फल और काट का भद तो

तम कस करोग सार-असार को तम कस अलग करोग साथाक-वयथा को तम कस िाटोग तम सोए हो

तमहार सवपनो म अगर तमन फल और काट अलग भी कर तलए तो िागकर तम पाओग दोनो िो गए सपन क

फल और सपन क काटो म कोई फका नही

इसतलए असली सवाल तमहार िागन का ह उसक राद ही तनणाय हो सकगा नीद म तम मकदर िाओ

कक मतसिद सर रकार करान पढ़ो कक वद सर वयथा नीद म तम रदधपरिो को सनत रहो कि हल न होगा

तमह िागना पड़गा कयोकक िागकर ही तम सनोग तभी तम समझ सकोग सन लना समझन क तलए काफी

नही ह नीद अगर भीतर तघरी हो तो तमहार कान सनत भी रहग और तम यह मानत भी रहोग कक म सन

रहा ह कफर भी तमन कि सना नही तम रहर क रहर रह गए अध क अध रह तमहार िीवन म कोई करातत

उसस पदा न हो सकगी

कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात

धमापथ को चनगा

तशषय--शकष--इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कशल शकि--कशल तशषय--फल

की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय को समझना होगा रदध का िोर तशषय पर उतना ही ह तितना नानक का था इसतलए नानक का

परा धमा ही तसकि धमा कहलाया--तशषय का धमा तसकि यानी तशषय सारा धमा ही सीिन की कला ह तम

सोचत भी हो रहत रार कक तम सीिन को तयार हो लककन मतककल स कभी मझ कोई वयति तमलता ह िो

सीिन को तयार ह कयोकक सीिन की शत ही परी नही हो पाती

सीिन की पहली शता तो यह समझना ह कक तम िानत नही हो अगर तमह िरा सी भी भातत ह कक तम

िानत ही हो तो तम सीिोग कस सीिन क तलए िानना िररी ह कक म अजञानी ह जञान को तनमतरण दन क

तलए यह रतनयादी शता ह इसक पहल कक तम पकारो जञान को इसक पहल कक तम अपना दवार िोलो उसक

तलए तमह रड़ी गहन तवनमरता म यह सवीकार कर लना होगा कक म नही िानता ह

इसतलए पतडत तशषय नही हो पात और दतनया तितनी ही िानकार होती िाती ह उतना ही तशषयतव

िोता चला िाता ह पतडत िान ही नही सकता

यह रड़ी तवरोधाभासी रात मालम पड़ती ह कयोकक हम तो सोचत ह पतडत िानता ह पतडत अकला

ह िो नही िान सकता अजञानी िान ल भला पतडत क िानन का कोई उपाय नही कयोकक पतडत तो मानकर

रठा ह कक म िानता ही ह उस वद कठसथ ह उस उपतनिदो क वचन याद ह उस रदधपरिो की गाथाए

79

शबदशाः समरण म ह उसकी समतत भरी-परी ह और उस भरोसा ह कक म िानता ह वह कभी भी िान न

पाएगा कयोकक िगह चातहए तम पहल स भर हो िाली होना िररी ह

कौन ह तशषय तिस यह रात समझ म आ गई कक अर तक मन कि िाना नही तमह भी कभी-कभी यह

रात समझ म आती ह लककन तमह इस तरह समझ म आती ह कक सर न िाना हो थोड़ा तो मन िाना ह वही

धोिा हो िाता ह

एक रात तमह कह द या तो िानना परा होता ह या तरलकल नही होता थोड़ा-थोड़ा नही होता या तो

तम िीत हो या मरत हो या तो मर या जिदा तम ऐसा नही होत कक थोड़-थोड़ जिदा या तो तम िाग या

सोए थोड़-थोड़ िाग थोड़-थोड़ सोए ऐसा होता ही नही अगर तम थोड़ भी िाग हो तो तम पर िाग हो

िागन क िड नही ककए िा सकत जञान क िड नही ककए िा सकत

यही पातडतय और रदधतव का फका ह पातडतय क िड ककए िा सकत ह तमन पहली परीकषा पास कर

ली दसरी कर ली तीसरी कर ली रड़ पतडत होत चल गए एक शासतर िाना दसरा िाना तीसरा िाना

मातरा रढ़ती चली गई पातडतय मातरा म ह कवारटटी म ह रदधतव कवातलटी म ह मातरा म नही गण म रदधतव

होन का एक ढग ह मातर िानकारी की सखया नही ह िागन की एक परककरया

इस थोड़ा सोचो सरह िर तम िाग िात हो कया तम यह कह सकत हो कक अभी म थोड़ा-थोड़ा िागा

ह कौन कहगा इतना िानन क तलए भी कक म थोड़ा-थोड़ा िागा ह परा िागना िररी ह िागन की

मातराए नही होती रात िर तम सो िात हो कया तम कह सकत हो कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह कौन कहगा

िर तम सो गए तो सो गए कौन कहगा कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह अगर तम कहन को अभी भी मौिद हो

तो तम सोए नही तम िाग हो

न तो िागना राटा िा सकता ह न सोना राटा िा सकता ह न िीवन राटा िा सकता न मौत राटी

िा सकती पातडतय राटा िा सकता ह िो राटा िा सकता ह उस तम जञान मत समझना िो नही राटा िा

सकता िो उतरता ह परा उतरता ह नही उतरता तरलकल नही उतरता उस ही तम जञान समझना

मर पास लोग आत ह उनको अगर म कहता ह कक पहल तम यह िानन का भाव िोड़ दो व कहत ह

कक इसीतलए तो हम आपक पास आए ह िो थोड़ा-रहत िानत ह उसस कि सार नही हआ और िानन की

इचिा ह उनको वह िो खयाल ह थोड़ा-रहत िानन का वही राधा रनगा वह उनह तशषय न रनन दगा व

तवदयाथी रन िाएग तशषय न रन सक ग

तवदयाथी वह ह िो थोड़ा िानता ह थोड़ा और िानन को उतसक ह तवदयाथी यानी तिजञास िानकारी

की िोि म तनकला तशषय तवदयाथी नही ह सतयाथी ह तशषय िानकारी की िोि म नही तनकला ह िानन

की कला की िोि म तनकला ह तशषय का धयान िो िाना िाना ह उस पर नही ह िो िानगा उस पर ह

तवदयाथी आबितकटव ह राहर उसकी निर ह तशषय सबितकटव ह भीतर उसकी निर ह वह यह कह रहा ह

कक पहल तो म िाग िाऊ कफर िानना तो गौण रात ह िाग गया तो िहा मरी निर पड़गी वही जञान पदा

हो िाएगा िहा दिगा वही झरन उपलबध हो िाएग जञान क पर मर भीतर िागना हो िाए

तवदयाथी सोया ह और सगरह कर रहा ह सोए लोग ही सगरह करत ह िागो न सगरह नही ककया न धन

का न जञान का न यश का न पद का सोया आदमी सगरह करता ह सोया आदमी मातरा की भािा म सोचता

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कौन िीतगा रड़ा अिीर उततर दत ह रदध तशषय िीतगा कोई योदधा नही और तशषय क होन की

पहली शता यह ह कक तिसन अपनी हार सवीकार कर ली हो तिसन यह कहा हो कक म अर तक िान नही

पाया चला रहत पहचा नही सोचा रहत समझा नही सना रहत सन नही पाया दिा रहत भातत रही

कयोकक दिन वाला सोया था िो हार गया ह आकर तिसन गर क चरणो म तसर रि कदया और कहा कक म

कि भी नही िानता ह तिसन अपन तसर क साथ अपनी िानकारी भी सर गर क चरणो पर रि दी वही

सीिन को कशल हआ सीिन म सफल हआ सीिन की कषमता उस उपलबध हई तिसन िाना कक म नही

िानता ह वही तशषय ह करठन ह कयोकक अहकार कहता ह कक म और नही िानता परा न िानता होऊ

थोड़ा तो िानता ह सर न िान तलया हो पर रहत िान तलया ह

रदध क पास एक महापतडत आया साररपतर वह रड़ा जञानी था उस सार वद कठसथ थ उसक िद पाच

हिार तशषय थ--तशषय नही तवदयाथी कहन चातहए लककन वह समझता था कक तशषय ह कयोकक वह समझता

था म जञानी ह

िर वह रदध क पास आया और उसन रहत स सवाल उठाए तो रदध न कहा य सर सवाल पातडतय क

ह य सवाल शासतरो स पदा हए ह य तर भीतर नही पदा हो रह ह साररपतर य सवाल तर नही ह य सवाल

उधार ह तन ककतार पढ़ी ह ककतारो स सवाल पदा हो गए ह अगर य ककतार तन न पढ़ी होती तो य सवाल

पदा न होत अगर तन दसरी ककतार पढ़ी होती तो दसर सवाल पदा होत य सवाल तरी जिदगी क भीतर स

नही आत य तर अतसतल स नही उठ य अतसततवगत नही ह रौतदधक ह

साररपतर अगर तसफा पतडत ही होता तो नाराि होकर चला गया होता उसन आि झकायी उसन

सोचा उसन दिा कक रदध िो कह रह ह उसम तथय ककतना ह और तथय पाया उसन तसर उनक चरणो म

रि कदया उसन कहा कक म अपन सवाल वापस ल लता ह ठीक कहत ह आप य सवाल मर नही ह अर तक

म इनह अपना मानता रहा और िर सवाल ही अपना न हो तो िवार अपना कस तमलगा िर सवाल ही

अभी अपन अतरतम स नही उठा ह तो िवार अतरतम तक कस िाएगा

एक तो तिजञासा ह िो रतदध की ििलाहट िसी ह कतहल िसी ह पि तलया चलत-चलत कोई

िीवन दाव पर नही लगा ह और एक तिजञासा ह तिसको हमन ममकषा कहा ह िीवन दाव पर लगा ह यह

कोई सवाल ऐसा ही नही ह कक चलत-चलत पि तलया इसक उततर पर तनभार करगा िीवन का सारा ढग

इसक उततर पर तनभार करगा कक म िीऊ या मर इसक उततर पर तनभार करगा कक िीवन िीन योगय ह या

वयथा ह िहा सर दाव पर लगा ह

साररपतर न कहा अर म तभी पिगा िर मर अतरतम का परशन आएगा मझ शासतरो स मि कर

भगवान रदध न कहा त समझ गया त मि हो गया शासतर थोड़ ही तझ पकड़ हए ह तन ही पकड़ा था त

समझ गया तन िोड़ कदया साररपतर को रदध न तशषय की तरह सवीकार कर तलया

कहत ह साररपतर न कफर कभी सवाल न पि विो तक और रदध न एक कदन साररपतर को पिा कक त

पिता नही त िर आया था रड़ सवाल लकर आया था वह सवाल तो तझस िीन तलए गए थ तन कहा था

अर िर मरा सवाल उठगा तर पिगा तन पिा नही साररपतर न कहा अचभा ह पराए सवाल थ रहत थ

उततर भी रहत तमल गए थ कफर भी उततर तमलता नही था कयोकक अपना सवाल न था पराणो की कोई हक न

थी कोई पयास न थी िस तरन पयास आदमी को पानी तपलाए िाओ उलटी हो सकती ह ततपत थोड़ ही होगी

कफर उनको िोड़ कदया तो रड़ी हरानी हई परशन उठा ही नही और उततर तमल गया

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तिसन अपन भीतर उतरन की थोड़ी सी भी शरआत की उसक परशन िोत चल िात ह अतरतम म िड़

होकर िहा स परशन उठना चातहए वही स िवार उठ आता ह हर अतसततवगत परशन अपना उततर अपन भीतर

तलए ह परशन तो रीि ह उसी रीि स फटता ह अकर उततर परगट हो िात ह तमह तमहार िीवन की समसया

मालम पड़ती ह समसया की तरह कयोकक वह समसया भी तमन उधार ही रना ली ह ककसी और न तमस कह

कदया ह और ककसी और की मानकर तम चल भी पड़ हो ककसी और न तमह समझा कदया ह कक तम रहत

पयास हो पानी को िोिो

मर पास लोग आत ह व कहत ह ईशवर को िोिना ह म उनकी तरफ दिता ह--ककसतलए िोिना ह

ईशवर न तमहारा कया तरगाड़ा ह िररी िोिना ह तनतित ही िोिना ह िीवन को दाव पर लगान की

तयारी ह व कहत ह नही ऐसा कि नही अगर तमल िाए वस तो हम पकका भी नही कक ह भी या नही म

उनस पिता ह तमह ठीक-ठीक पकका ह कक तम िोिन ही तनकल हो व कहत ह वह भी कि साफ नही

धधला-धधला ह ककसतलए िोि रह हो ईशवर को सन तलया ह शबद शबद पकड़ गया मन म कोई और लोग

भी िोि रह ह तम भी िोिन तनकल पड़ हो

नही ऐस िोि नही होती सतय की तशषय होन स िोि होती ह पहल तो उधार जञान िोड़ दना िररी

ह उधार जञान िोड़त ही तम ऐस शात और पतवतर हो िात हो कवारापन उतर आता ह सारी गदगी हट िाती

कौन िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा

मतय को भी िीत लगा लककन िीतन की कला ह िानन की भातत को िोड़ दना पातडतय को िोड़त ही

िीवन अपन रग िोलन शर कर दता ह पातडतय िस आिो स रध पतथर ह तिनकी विह स पलक िल नही

पाती रोतझल हो गई ह पातडतय क हटत ही तम कफर िोट रचच की भातत हो िात हो

तशषय यानी कफर स तमहारा रालपन लौटा िस िोटा रचचा दिता ह िगत को तरना िानकारी क

गलार क फल को िोटा रचचा भी दिता ह तम भी दित हो तम िर दित हो तर तमहार भीतर एक शबद

रनता ह--गलार का फल या एक शबद रनता ह कक--हा सदर ह या तलना उठती ह कक--पहल दि थ फल

उतना ही सदर ह जयादा ह या कम ह रात ितम हो िाती ह थोड़ स शबदो का भीतर शोरगल होता ह और

उन शबदो क शोरगल म िीतवत फल िो िाता ह

एक िोटा रचचा भी गलार क फल को दिता ह अभी उस पता ही नही कक यह गलार ह कक कमल ह

कक चमली कक िही अभी नाम उस याद नही अभी जञान की उस पर कपा नही हई अभी तशकषको न उस

तरगाड़ा नही अभी सौभागयशाली ह तशकषा का िहर उस पर तगरा नही अभी वह तसफा दिता ह अभी तलना

भी नही उठती कयोकक तलना क तलए भी नाम सीि लना िररी ह अतीत म भी उसन फल दि होग उनको

फल भी नही कह सकता रगो का एक िागता हआ अनभव था रग भी नही कह सकता शबद तो उसक पास

नही ह सीधा फल को दिता ह रीच म कोई दीवाल िड़ी नही होती कोई शबद िाल नही रनता कोई तलना

नही उठती सीध फल स हदय स हदय का तमलन होता ह फल क साथ एक तादातमय रनता ह फल म डरता

ह फल उसम डरता ह िोटा रचचा एक डरकी लगा लता ह फल क अतसततव म फल अपन सार सौदया को

उसक चारो तरफ तरिरा दता ह अपनी सारी सगध लटा दता ह िोट रचच का िो अनभव ह गलार क फल क

पास वह तम लाि तरसो तर तक तमह न हो सकगा िर तक तम कफर स रचच न हो िाओ

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िीसस न कहा ह मर परभ क राजय क व ही अतधकारी होग िो िोट रचचो की भातत ह िोट-िोट रचचो

की भातत सरल ह

तशषय का यही अथा ह कक िो कफर स सीिन को तयार ह िो कहता ह अर तक िो सीिा था रकार

पाया अर म कफर स दवार पर िड़ा ह अपन हदय की झोली को भरन को अर कड़ा-करकट स नही भरना ह

अर िानकारी स नही भरना ह अर होश को मागन आया ह

तवदयाथी जञान मागन आता ह तशषय होश मागन आता ह तवदयाथी कहता ह और िानकारी चातहए

तशषय कहता ह िानकारी को कया करग अभी िानन वाला ही मौिद नही िानन वाला चातहए

कशल तशषय फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

और तिसन िीवन का थोड़ा सा भी सवाद लना शर कर कदया तिसक भीतर होश की ककरण पदा हई

होश का तचराग िला अर उस कदिाई पड़न लगगा--कहा काट ह कहा फल ह

तमह लोग समझात ह ररा काम मत करो तमह लोग समझात ह पाप मत करो तमह लोग समझात ह

अनीतत मत करो रईमानी मत करो झठ मत रोलो म तमह नही समझाता म तमह समझाता ह तचराग को

िलाओ अनयथा पहचानगा कौन कक कया अनीतत ह कया नीतत ह कौन िानगा--कहा काट ह कहा फल ह

तम अभी मौिद ही नही हो रासता कहा ह भटकाव कहा ह तम कस िानोग तम अगर दसरो की मानकर

चलत भी रह तो तम ऐस ही होओग िस अधा अधो को चलाता रह न उनह पता ह न उनक आग िो अध िड़

ह उनह पता ह अधो की एक कतार लगी ह वद और शासतरो क जञाताओ की कतार लगी ह और अध एक-दसर

को पकड़ हए चल िा रह ह

ककस रात को तम कहत हो नीतत ककस रात को तम कहत हो धमा कस तम िानत हो तमहार पास

कसौटी कया ह तम कस पहचानत हो कया सोना ह कया पीतल ह दोनो पील कदिाई पड़त ह हा दसर कहत

ह यह सोना ह तो मान लत हो दसरो की कर तक मानत रहोग दसरो की मान-मानकर ही तो ऐसी गतत हई

ह ऐसी दगातत हई ह

धमा कहता ह दसरो की नही माननी ह अपन भीतर उसको िगाना ह तिसक दवारा िानना शर हो

िाता ह और मानन की कोई िररत नही रह िाती तचराग िलाओ ताकक तमह िद ही कदिाई पड़न लग--

कहा गलत ह कहा सही ह

मन सना ह दो यवक एक फकीर क पास आए उनम स एक रहत दिी था रड़ा रचन था दसरा ऐसा

कि िास रचन नही था परतीत होता था तमतर क साथ चला आया ह पहल न कहा हम रड़ परशान ह हमस

रड़ भयकर पाप हो गए ह उनस िटकार का और परायतितत का कोई मागा रताओ उस फकीर न पहल स पिा

कक त अपन पापो क सरध म कि रोल तो उसन कहा जयादा मन पाप नही ककए मगर एक रहत िघनय

अपराध ककया ह और उसका रोझ मरी िाती पर एक चिान की तरह रिा ह दया करो ककसी तरह यह रोझ

मरा उतर िाए म पिता रहा ह भल हो गई लककन अर कया कर िो हो गया हो गया वह रोन लगा आि

स उसकी आस तगरन लग

उस फकीर न कहा दसर स कक तरा कया पाप ह दसर न मसकरात हए कहा ऐसा कि िास नही कोई

रड़ पाप मन नही ककए ह ऐस ही िोट-िोट तिनका कोई तहसार भी नही और कोई उनस म दरा भी नही

िा रहा ह तमतर आता था इसतलए म भी साथ चला आया और अगर इसक रड़ो स िटकारा तमल सकता ह

तो मर िोट-िोट पापो का भी आशीवााद दो कक िटकारा हो िाए

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उस फकीर न कहा ऐसा करो तम दोनो राहर िाओ और उस पहल यवक स कहा कक त अपन पाप की

दतषट स उतन ही विन का एक पतथर उठा ला और दसर स कहा कक त भी तन िो िोट-िोट पाप ककए ह

ककड़-पतथर उसी तहसार की सखया स भर ला पहला तो एक रड़ी चिान उठाकर लाया पसीन स तररतर हो

गया उस लाना भी मतककल था हाफन लगा दसरा झोली भर लाया िोट-िोट ककड़-पतथर रीनकर

िर व अदर आ गए उस फकीर न कहा अर तम एक काम करो तिस िगह स तम यह रड़ा पतथर उठा

लाए हो वही रि आओ और उस दसर स भी कहा कक त य िो िोट-िोट ककड़-पतथर रीन लाया िहा-िहा

स उठाए ह वही-वही वापस रि आ

उसन कहा यह तो झझट हो गई तिसन रड़ा पाप ककया ह यह तो िर रि आएगा म कहा रिन

िाऊगा अर तो याद भी करना मतककल ह कक कौन सा पतथर मन कहा स उठाया था सकड़ो ककड़-पतथर

रीन लाया ह

उस फकीर न कहा पाप रड़ा भी हो लककन अगर उसकी पीड़ा हो तो परायतितत का उपाय ह पाप

िोटा भी हो और उसकी पीड़ा न हो तो परायतितत का उपाय नही ह और िो तमहार पतथर क सरध म तमहारी

तसथतत ह वही तमहार पापो क सरध म भी तसथतत ह तिसका दीया िला हआ ह वह न तो रड़ करता ह न

िोट करता ह तिनक दीए अभी िल हए नही ह व रड़ करन स भला डरत हो िोट-िोट तो मि स करत

रहत ह िोट-िोट का तो पता ही कहा चलता ह

तमन ककसी आदमी स िरा सा झठ रोल कदया कई रार तो तम ऐस झठ रोलत हो कक तमह पता ही

नही चलता कक तमन झठ भी रोला कई रार तो तमह कफर िीवन म कभी याद भी नही आता उसका लककन

वह सर इकिा होता चला िाता ह िोट-िोट पतथर इकि होकर भी रड़ी-रड़ी चिानो स जयादा रोतझल हो

सकत ह

असली सवाल िोट और रड़ का नही ह और तिनहोन िागकर दिा ह उनका तो कहना यह ह कक पाप

िोट-रड़ होत ही नही पाप यानी पाप िोटा-रड़ा कस एक आदमी न दो पस की चोरी की कया िोटा पाप

ह और एक आदमी न दो लाि की चोरी की कया रड़ा पाप ह

थोड़ा सोचो चोरी चोरी ह दो पस की भी उतनी ही चोरी ह तितनी दो लाि की चोर होना ररारर

ह दो लाि स जयादा का नही होता दो पस स कम का नही होता चोर होन की भावदशा रस काफी ह इसस

कोई अतर नही पड़ता दो लाि और दो पस का भद रािार म ह लककन दो लाि और दो पस की चोरी का

भद धमा म नही हो सकता चोरी यानी चोरी लककन यह तो उस कदिाई पड़गा तिसका भीतर का दीया िल

रहा ह कफर पाप पाप ह रड़ा-िोटा नही ह पणय पणय ह िोटा-रड़ा नही ह

लककन िर तक तम दसरो क पीि चल रह हो िर तक तम िानकारी को ही िीवन मानकर चल रह

हो और पातडतय स तमहार िीवन को मागादशान तमलता ह तर तक तम ऐस ही भटकत रहोग

तशषय वही ह तिसन अपन को िगान की तयारी शर की तशषय वही ह तिसक तलए पातडतय वयथा

कदिाई पड़ गया और अर िो रदधतव को िोिन तनकला ह और िस ही तमहार िीवन म यह करातत घरटत

होती ह तशषयतव की सभावना रढ़ती ह रड़ अतर पड़न शर हो िात ह तर तम और ही ढग स सनत हो तर

तम और ही ढग स उठत हो तर तम और ही ढग स सोचत हो तर िीवन की सारी परककरयाओ का एक ही क ि

हो िाता ह कक कस िाग कस यह नीद टट कस यह कटघरा पनरति का तमट और म राहर आ िाऊ तर

तमहारा सारा उपकरम एक ही कदशा म समरपात हो िाता ह

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तशषय का िीवन एक समरपात िीवन ह उसक िीवन म एक ही अभीपसा ह सर दवारो स वह एक ही

उपलतबध क तलए चषटा करता ह दवार िटिटाता ह कक म कस िाग िाऊ और तिसक िीवन म ऐसी अभीपसा

पदा हो िाती ह कक म कस िाग िाऊ उस कौन रोक सकगा िागन स उस कोई शति रोक नही सकती वह

िाग ही िाएगा आि चाह िागन की आकाकषा रड़ी मतदधम मालम पड़ती हो लककन रद-रद तगरकर िस

चिान टट िाती ह ऐसी रद-रद आकाकषा िागन की तिा को तोड़ दती ह तिा ककतनी ही पराचीन हो और

ककतनी ही मिरत हो इसस कोई भद नही पड़ता

इस शरीर को फन क समान िान इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषप-िाल को

काट यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़

तम िहा रठ हो वहा कि पाया तो नही कफर ककसकी परतीकषा कर रह हो तम िहा रठ हो वहा कि

भी तो अनभव नही हआ अर तम राह कया दि रह हो

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

न तो ककसी न कोई वादा ककया ह वहा तमलन का न तमह यकीन ह कक कोई तमलन वाला ह न तमह

कोई उममीद ह कयोकक िीवनभर वही रठ-रठकर तम थक गए हो--नाउममीद हो गए हो--लककन कफर भी

इतिार ककए िा रह हो ककतनी रार तमन करोध ककया ह ककतनी रार लोभ ककया ह ककतनी रार मोह ककया

ह ककतनी रार राग ककया ह पाया कि गाठ गरठयाया कि मिी राध रठ हो मिी क भीतर कोई सपदा

इकिी हई

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

कसी तिद पकड़कर रठ गए हो इतिार करन की ककस का इतिार कर रह हो इस राह स कोई गिरता

ही नही तम तिस राह पर रठ हो वह ककसी की भी रहगिर नही

रदध कहत ह इस िीवन की मग-मरीतचका क समान परकतत को पहचान

पयास को मरसथल म भी पानी कदिाई पड़ िाता ह वह मग-मरीतचका ह ह नही वहा कही पानी

पयास की कलपना स ही कदिाई पड़ िाता ह पयास रहत सघन हो तो िहा नही ह वहा भी तम आरोतपत कर

लत हो

तमन भी इस अनभव ककया होगा तमहार भीतर िो चीि रहत जयादा सघन होकर पीड़ा द रही ह

तिस तम िोि रह हो वह कदिाई पड़न लगती ह कभी तम ककसी की राह दि रह हो घर क अदर रठ कोई

तपरयिन आ रहा ह कोई तमतर आ रहा ह परयसी या परमी आ रहा ह पतता भी िड़कता ह तो ऐसा लगता ह कक

उसक पर की आवाि सनाई पड़ गई कफर उठकर दित हो पोसटमन दवार पर आकर िड़ा हो िाता ह तो

समझत हो कक परमी आ गया परसि होकर धड़कती िाती स दवार िोलत हो कोई नही भी आता न पतता

िड़कता ह न पोसटमन आता ह न दवार स कोई तनकलता ह तो तम कलपना करन लगत हो कक शायद आवाि

सनी शायद ककसी न दवार िटिटाया या कोई पगधवतन सनाई पड़ी सीकढ़यो पर चढ़ती हई भागकर पहचत

हो कोई भी नही ह

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

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मगर तम कलपना ककए चल िात हो मग-मरीतचका का अथा ह िहा नही ह वहा दि लना और िो

वयति वहा दि रहा हो िहा नही ह वह वहा दिन स वतचत रह िाएगा िहा ह तो मग-मरीतचका िीवन क

आतयततक सतय को दिन म राधा रन िाती ह तम दौड़त रहत हो उस तरफ िहा नही ह और तम उस तरफ

दित ही नही लौटकर िहा ह

तिस तम िोि रह हो वह तमहार भीतर िपा ह तिस तम पान तनकल हो उस तमन कभी िोया ही

नही उस तम लकर ही आए थ परमातमा ककसी को दररि भिता ही नही समराट क अलावा वह ककसी को कि

और रनाता ही नही कफर तभिमग तम रन िात हो वह तमहारी ही कशलता ह वह तमहारी ही कला ह

तमहारी मौि परमातमा तमह इतनी सवततरता दता ह कक तम अगर तभिमग भी होना चाहो तो उसम भी राधा

नही डालता

इस शरीर को फन क समान िान

तशषय को कह रह ह यह रात रदध तवदयाथी को नही तवदयाथी स रदधो का कोई तमलना ही नही होता

कवल तशषयो स िो वसतताः आतर ह और तिनका िीवन एक लपट रन गई ह--एक िोि और िो सर कराान

करन को रािी ह तिनह िीवन म ऐसी कोई रात कदिाई ही नही पड़ती तिसक तलए रक रहन की कोई िररत

हो िो अजञात की तरफ िान को ततपर ह िो जञान को िोड़कर अजञान को सवीकार ककए ह कवल व ही जञात

स मि होत ह और अजञात म उनका परवश होता ह उनस ही रदध कह रह ह--

इस शरीर को फन क समान िान

समि क तट पर तमन फन को इकि होत दिा ह ककतना सदर मालम होता ह दर स अगर दिा हो तो

रड़ा आकिाक लगता ह कभी सया की ककरण उसस गिरती हो तो इिधनि फल िात ह फन म पास आओ

पानी क ररल ह वह शभता वह चाद िसी सफदी या चमली क फल िसी िो राढ़ आ गई थी वह कि भी

नही मालम पड़ती कफर हाथ म मिी म फन को लकर दिा ह ररल भी िो िात ह

जिदगी आदमी की रस ऐसी ही ह फन की भातत दर स दिोग रड़ी सदर पास आओग सर िो िाता

ह दर-दर रहोग रड़ सदर इिधनि कदिाई पड़त रहग पास आओग हाथ म कि भी नही आता

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

दर स फल कदिाई पड़त ह पास आओ कफन हो िाता ह तिसको तम जिदगी कहत हो दर स जिदगी

मालम होती ह पास आओ मौत हो िाती ह

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

चारो तरफ िहा-िहा तमह फल कदिाई पड़ िरा गौर स पास िाना हर फल म तिपा हआ काटा तम

पाओग हर फल चभगा हा दर स ही दित रहो तो भातत रनी रहती ह पास िान स भाततया टट िाती ह

दर क ढोल सहावन मालम होत ह दर स सभी चीि सदर मालम होती ह

तमन कभी खयाल ककया कदन म चीि उतनी सदर नही मालम पड़ती तितनी रात की चादनी म मालम

पड़ती ह चादनी एक तततलसम फला दती ह कयोकक चादनी एक धधलका द दती ह वस ही आि नही ह वस

ही अधापन ह चादनी और आिो को धए स भर दती ह िो चीि कदन म साधारण कदिाई पड़ती ह व भी

रात म सदर होकर कदिाई पड़न लगती ह तितना तमहारी आिो म धध होता ह उतना ही िीवन का फन

रहमलय मालम होन लगता ह हीर-िवाहरात कदिाई पड़न लगत ह

लो आओ म रताऊ तततलसम-िहा का राि

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िो कि ह सर खयाल की मिी म रद ह

तितन दर रहो उतना ही वसतओ स सपका नही होता तसफा खयालो स सपका होता ह तितन पास आओ

िीवन का यथाथा कदिाई पड़ता ह खयाल टटन लगत ह और तिसन भी िीवन का यथाथा दिा वह घरड़ा

गया वह भयभीत हो गया कयोकक वहा िीवन क घर म तिपी मौत पाई फल म तिप काट पाए सदर सपनो

क पीि तसवाय पतथरो क कि भी नही था पानी की झाग थी कक मरसथल म दि गए िल क झरन थ दर स

रड़ मनमोहक थ पास आकर थ ही नही

और यह सभी को अनभव होता ह लककन कफर भी तम न मालम ककसका इतिार कर रह हो न ककसी

न वादा ककया ह न तमह भरोसा ह कक कोई आएगा उममीद भी नही ह--मगर शायद तम सोचत हो और कर

भी कया अगर इतिार न कर तो और कर भी कया

रदधपरि तमह रलात ह कक तम गलत राह पर रठ हो और तिसकी तम परतीकषा करत हो वह वहा स

गिरता ही नही और भी राह ह परतीकषा करन क तलए और भी परतीकषालय ह अगर परतीकषा ही करनी ह तो

थोड़ा भीतर की तरफ चलो तितन तम राहर गए हो उतन ही तम न झाग और फन क रलरल पाए ह थोड़

भीतर की तरफ आओ और तम पाओग उतना ही यथाथा परगट होन लगा तितन तम भीतर आओग उतना सतय

तितन तम राहर िाओग उतना असतय तिस कदन तम तरलकल अपन क ि पर िड़ हो िाओग उस कदन सतय

अपन पर राि िोल दता ह उस कदन सार पद सार घघट उठ िात ह

इस शरीर को फन क समान िान और इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषपिाल

को काट

रदध कहत ह वासना न रड़ फलो का िाल फलाया ह

मार क पषपिाल को काट

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

मार का पषपिाल उन फलो क पीि कि भी नही ह धोि की टिी ह पीि कि भी नही ह सारा

सौदया पद म ह िाली घघट ह भीतर कोई चहरा नही ह लककन घघट को िर तक तम िोलोग न और भीतर

की ररिता का पता न चलगा तर तक तम िागोग न कई रार तमन घघट भी िोल तलए ह एक घघट क

भीतर तमन कोई न पाया तो भी तमह समझ नही आती तर तम दसरा घघट िोलन म लग िात हो एक मिी

झाग झाग तसदध हो गई तो मन कह चला िाता ह सारी ही झाग थोड़ी झाग होगी एक घघट वयथा हआ दसर

घघट म िोि लग ऐसा िनमो-िनमो स घघट उठान का करम चल रहा ह ककसी घघट म कभी ककसी को नही

पाया सर घघट िाली थ

तमन कभी ककसी म ककसी को पाया पतत म कि पाया पतनी म कि पाया तमतर म कि पाया सग-

साथी म कि पाया या तसफा घघट था नही तमलता ह कोई नही तमलता ह वहा लककन मन की आशा कहती

ह यहा नही तमला तो कही और तमल िाएगा इस झरन म पानी तसदध नही हआ कफर दर और झरना कदिाई

पड़न लगता ह तम कर िागोग इस सतय स कक झरन तम कतलपत करत हो कही कोई नही ह तमहार

अततररकत सर अयथाथा ह तमहार अततररि सर माया ह

यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़ो

अगर िीवन को सचमच पाना ह तो मौत स िहा-िहा मौत हो वहा-वहा िीवन नही ह इसको तम

समझ लो िहा-िहा पररवतान हो वहा शाशवत नही ह और िहा-िहा कषणभगर हो वहा सनातन नही ह और

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िहा-िहा चीि रदलती हो वहा समय को मत गवाना उसको िोिो िो कभी नही रदलता ह उस न रदलन

को िोि लन की कला का नाम धमा ह एस धममो सनतनो

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह

सोए हए गाव को रढ़ी हई राढ़

िस सोए हए गाव म अचानक नदी म राढ़ आ िाए और लोग सोए-सोए ही रह िात ह ऐस ही

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उठा ल िाती ह सोए ही सोए राढ़ आ िाती

ह और जिदगी तवदा हो िाती ह तम सपन ही दित रहत हो और राढ़ आ िाती ह सारी कामवासना सवपन

दिन क अततररि और कि भी नही ह

य ऐश क रद सोत रह कफर िाग भी तो कया िाग

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

एक तो िागत ही नही सोए ही रहकर तरता दत ह और अगर कभी कोई सोचता भी ह कक िाग गया

तो सोचता ही ह कक िाग गया वह भी िागना िस सपन म ही िागना ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

तो लोग अपन िनमकदन को याद रित ह मतयकदन की कौन चचाा करता ह लोग िीवन पर निर रित

ह मौत मौत की रात ही करनी रहदी मालम पड़ती ह अगर ककसी स पिो कक कर मरोग तो वह नाराि हो

िाता ह मरोग कक नही तो वह कफर दरारा तमह कभी तमलगा ही नही वह तमह दकमन समझ लगा पिा

कि गलत न था िो होन ही वाला था वही पिा था लककन मौत की लोग रात भी नही करना चाहत रात स

भी भय लगता ह कफर भी मौत तो ह उस तथय को इनकार न कर सकोग ककसी भातत उस तथय को सवीकार

करो तो शायद इस िीवन स िागन की कषमता आ िाए

तिसन भी मतय को सवीकार ककया वह दिगा मतय कभी आती ह ऐसा थोड़ ही रोि हम मर रह ह

अभी आती ह अभी आ रही ह अभी घट रही ह ऐसा थोड़ ही कक कभी सततर साल क राद घटगी रोि-रोि

घटती ह सततर साल म परी हो िाती ह िनम क साथ ही मौत का तसलतसला शर होता ह मरन क साथ परा

होता ह लरी परककरया ह मतय कोई घटना नही ह परककरया ह पर िीवन पर फली ह िस झील पर लहर फली

हो ऐस िीवन पर मौत फली ह अगर तम मौत को तिपात हो ढाकत हो रचत हो तो तम िीवन क सतय को

न दि पाओग तिस तम िीवन कहत हो इस िीवन का सतय तो मतय ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

सरि उग चका ह ढलन म जयादा दर न लगगी िो उग चका वह ढल ही चका िो उग गया ह वह

ढलन क मागा पर ह सरह का सरि साझ का सरि रनन की चषटा म सलगन ह साझ दर नही ह अगर सरह हो

गई िर सरह ही हो गई तो साझ ककतनी दर हो सकती ह तिसको तम भर िवानी कहत हो वह कवल आध

कदन का परा हो िाना ह--आधी साझ का आ िाना ह िवानी आधी मौत ह लककन कौन याद रिता ह िो

याद रि सक वही तशषय ह

मौत ही इसान की दकमन नही

जिदगी भी िान लकर िाएगी

मौत ही इसान की दकमन नही जिदगी भी िान लकर िाएगी--मौत को दकमन मत समझना तिस तम

जिदगी कहत हो वह मौत ही ह वह भी िान लकर िाएगी

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फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह सोए हए

गाव को रढ़ी हई राढ़

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा--दतनया को पान की चषटा म वह िो िीवन था उस तन तमटा

कदया और दतनया को पान की चषटा को ही तन जिदगी समझी वह जिदगी न थी भल हो गई गाकफल--सोए

हए आदमी भल हो गई जिदगी ही दतनया थी

इस थोड़ा समझ लो तिस तम दतनया कहत हो तमहार राहर िो फलाव ह उस जिदगी मत समझ

लना अगर उस राहर की दतनया को ही इकिा करन म लग रह तो असली जिदगी गवा दोग पीि

पिताओग समय रीत िाएगा और रोओग कफर शायद कि कर भी न सकोग अभी कि ककया िा सकता ह

मरत कषण म शायद अतधकतम लोगो को यह समझ आती ह--

त हतवश म दतनया की जिदगी गवा रठा

मरत वि अतधक लोगो को यह खयाल आना शर हो िाता ह--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

लककन तर समय नही रचता मरत-मरत कदिाई पड़ना शर होता ह कक महल िो रनाए धन िो इकिा

ककया सामराजय िो फलाया--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

भीतर की जिदगी को िान लत तो दतनया को पा लत राहर की दतनया को पान म लग गए भीतर की

जिदगी गवा दी राहर और भीतर म उतना ही फका ह तितना सतय म और सवपन म राहर ह सवपन का िाल

भीतर ह साकषी का तनवास िो कदिाई पड़ता ह उस पर धयान मत दो िो दिता ह उस पर धयान दो िो

भोगा िाता ह उस पर धयान मत दो िो भोगता ह उस पर धयान दो आि की कफकर मत करो आि क पीि

िो िड़ा दिता ह उसकी कफकर करो कान की कफकर मत करो कान क पीि िड़ा िो सनता ह उसकी कफकर

करो न िनम की जचता करो न मतय की जचता करो उसकी िो िनम म आता ह और मतय म िाता ह िो िनम

क भी पहल ह और मतय क भी राद ह मरत कषण म यह याद भी आए तो कफर कया करोग तिनको पहल याद

आ िाती ह व कि कर लत ह

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

मरत कषण म तो कफर ऐसा ही लगगा कक तिसको जिदगी समझी--

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

व सार सवपन व सार गीत वह सारा सगीत तहचककयो म रदल िाता ह तहचककया ही हाथ म रह िाती

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

इसक पहल कक सर कि तहचककयो म रदल िाए और इसक पहल कक तमहारा साि तोड़ा िाए भीतर

क गीत को गा लो इसक पहल कक मौत शरीर को िीन तम उस िान लो तिस मौत िीन न सकगी इसक

89

पहल कक राहर का िगत िो िाए तम भीतर क िगत म पर िमा लो अनयथा तम सोए हए गाव की तरह

हो रढ़ी हई नदी की राढ़ तमह सोया-सोया रहा ल िाएगी

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

िीवन क गाव की रात ह रदध कह रह ह िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस

को लकर चल दता ह ऐस ही तम इस जिदगी म रहो िीवन िो रस द सक ल लो मगर रस कवल व ही ल

पात ह िो िागरत ह शि तो उन भौरो की तरह ह िो रस लन म इस तरह डर िात ह कक उड़ना ही भल िात

ह साझ िर कमल की पितड़या रद होन लगती ह तर व उसी म रद हो िात ह उनक तलए कमल भी

कारागह हो िात ह

िस भमर फल क वणा और गध को तरना हातन पहचाए रस लकर चपचाप चल दता ह ऐस जिदगी को

तरना कोई हातन पहचाए--यही अजहसा का सतर ह अजहसा का सतर इतना ही ह कक रस लन क तम हकदार हो

लककन ककसी को हातन पहचान क नही फल को तोड़कर भी भोगा िा सकता ह वह भी कोई भोगना हआ

भौरा आता ह फल पर चपचाप गनगनाता ह गीत ररझा लता ह फल को रस ल लता ह उड़ िाता ह तोड़ता

नही तमटाता नही भौर की तरह मि भमर की तरह मि रदध कहत ह िीवन क गाव म तम िीओ िरर

लककन आरदध मत हो िाना रद मत हो िाना हमारी हालत तो रड़ी उलटी ह इसस ठीक उलटी रदध कहत

ह दतनया म रहना लककन दतनया क मत हो िाना रदध कहत ह दतनया म रहना लककन दतनया तमम न रह

हमारी हालत इसस ठीक उलटी ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

मर भी िाए हम तो भी गम नही मरत कबर म भी तम पड़ रहोग--

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

तर भी तम सपन दिोग तर भी तम उसी दतनया क सपन दिोग तिसस तमन कि कभी पाया नही

तमहारी आि कफर भी उसी अधर म िोई रहगी िहा कभी रोशनी की ककरण न तमली

तो एक तो ह ढग सासाररक वयति का वह मर भी िाए तो भी दतनया उसक भीतर स नही हटती और

एक ह सनयासी का ढग वह िीता भी ह तो भी दतनया उसक भीतर नही होती

यह िीवन क तवराट नगर क सरध म भी सही ह और यही रदध न अपन तभकषओ क तलए कहा कक गाव-

गाव िर तम भीि भी मागन िाओ--तभकषाटन भी करो--तो चपचाप माग लना ऐस ही िस भौरा फलो स

माग लता ह और तवदा हो िाना ल लना िो तमलता हो धनयवाद द दना िहा स तमल अनगरहपवाक

सवीकार कर लना न तमल तो दिी मत होना कयोकक तमलना चातहए ऐसी कोई शता कहा तमल िाए

धनयभाग न तमल सतोि और िो न तमलन म सतषट ह उस तमल ही िाता ह लककन हमारी तसथतत ऐसी ह

कक तमल िान पर भी सतोि नही ह तो तमलकर भी नही तमल पाता हम दररि क दररि ही रह िात ह

िीवन स रहत कि पाया िा सकता ह सपन स भी सीिा िा सकता ह और मग-मरीतचकाए भी

रदधतव का आधार रन िाती ह भम स भी िागन की कला उपलबध हो िाती ह

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िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

न तो ससार का सवाल ह न ससार को िोड़न का सवाल ह कयोकक िो तमहारा ह ही नही उस तम

िोड़ोग कस इतनाभर िानन की रात ह कक हम यहा महमान स जयादा नही िर तम ककसी क घर महमान

होत हो िात वि तम ऐसा थोड़ ही कहत हो कक अर सारा घर तमहार तलए िोड़ िात ह तयाग ककए िात ह

महमान का यहा कि ह ही नही तितनी दर घर म ठहरन का सौभागय तमल गया धनयवाद अपना कि ह

नही िोड़ग कया

इसतलए तयागी वही ह तिसन यह िान तलया कक हमारा कि भी नही ह वह नही तिसन िोड़ा

कयोकक तिसन िोड़ा उस तो अभी भी खयाल ह कक अपना था िोड़ा अपना हो तो ही िोड़ा िा सकता ह

अपना हो ही न तो िोड़ना कसा

इसतलए म तमस कहता ह िोड़न की भातत म मत पड़ना कयोकक वह पकड़न की ही भातत का तहससा

ह तम तो पकड़न की भातत को ही समझ लना अपना कि भी नही अभी नही थ तम अभी हो अभी कफर

नही हो िाओग घड़ीभर का सपना ह आि झपक गई एक सपना दिा आि िल गई सपना िो गया इस

ससार को भीतर घर मत रनान दना तम ससार म रहना लककन ससार तम म न रह पाए गिरना पानी स

लककन पर भीग नही िीना लककन भौर की तरह--ककसी को हातन न पहच

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह

कया रस ह ककस रस की रात कर रह ह रदध समझा द कयोकक डर ह कक तम कि गलत न समझ लो

रदध ककस रस की रात कर रह ह ककस भौर की रात कर रह ह तम तिनह सि कहत हो उनकी रात नही कर

रह ह रदध तो इस िीवन का एक ही रस िानत ह वह ह रदधतव वह ह इस िीवन स िागन की कला सीि

कर चल दना वही रस ह कयोकक तिसन वह िान तलया उसक तलए महारस क दवार िल गए

तो िीवन क हर फल स और िीवन की हर घटना स--िनम हो कक मतय--और िीवन की हर परककरया स

तम एक ही रस को िोित रहना और चनत रहनााः हर अवसथा तमह िगान का कारण रन िाए तनतमतत रन

िाए घर हो कक गहसथी रािार हो कक दकान कोई भी चीि तमह सलान का रहाना न रन िगान का रहाना

रन िाए तो तमन रस ल तलया मरन क पहल अगर तमन इतना िान तलया कक तम अमतपतर हो तो तमन

रस ल तलया मौत क पहल अगर तमन िीवन--असली िीवन को महािीवन को--िान तलया तो तमन रस ल

तलया तो तम य ही न भटक तो तमन ऐस ही गदा-गरार न िाई तो रासत पर तम चल ही नही पहच पहच

भी

तर तर तम अचानक हरान होओग चककत होओग कक तिस तम िोित कफरत थ वह तमहार भीतर

था वह परमातमा का राजय तमहार हदय क ही राजय का दसरा नाम ह मोकष तमहार भीतर तिपी सवततरता का

ही नाम ह और कया ह सवततरता तम दतनया म रहो दतनया तमम न हो वह तनवााण तमहार अहकार क रझ

िान का ही नाम ह िर तमहार अहकार का रटमरटमाता दीया रझ िाता ह तो ऐसा नही कक अधकार हो

िाता ह उस रटमरटमात दीए क रझत ही महासयो का परकाश तमह उपलबध हो िाता ह

रवीिनाथ न तलिा ह कक िर व गीताितल तलि रह थ तो पदमा नदी पर एक रिर म तनवास करत थ

रात गीत की धन म िोए--कोई गीत उतर रहा था उतर चला िा रहा था--व एक रटमरटमाती मोमरतती को

िलाकर रिर म और दर तक गीत की कतड़यो को तलित रह कोई आधी रात फक मारकर मोमरतती रझाई

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हरान हो गए पर चाद की रात थी यह भल ही गए थ यदयतप व िो तलि रह थ वह पर चाद का ही गीत था

िस ही मोमरतती रझी कक रिर की उस िोटी सी कोठरी म सर तरफ स चाद की ककरण भीतर आ गयी रधर-

रधर स वह िोटी सी मोमरतती की रोशनी चाद की ककरणो को राहर रोक हए थी

तमन कभी खयाल ककया कमर म दीया िलता हो तो चाद भीतर नही आता कफर दीया फक मारकर

रझा कदया चाद ररस पड़ा भीतर राढ़ की तरह सर तरफ स आ गया

रवीिनाथ उस रात नाच और उनहोन अपनी डायरी म तलिा कक आि एक अपवा अनभव हआ कही

ऐसा ही तो नही ह कक िर तक यह अहकार का दीया भीतर िलता रहता ह परमातमा का चाद भीतर नही आ

पाता

यही रदध न कहा ह कक अहकार क दीए को फक मारकर रझा दो दीए क रझान का ही नाम तनवााण ह

इधर तम रझ उधर सर तरफ स परमातमा सतय--या िो भी नाम दो--भीतर परतवषट हो िाता ह

तो एक तो िीवन को िीन का ढग ह िसा तम िी रह हो एक रदधो का ढग भी ह चनाव तमहार हाथ

म ह तम रदधो की भातत भी िी सकत हो--कोई तमह रोक नही रहा ह तसवाय तमहार और तम दीन-हीन

तभिमगो की भातत भी िी सकत हो--िसा तम िी रह हो--कोई तमह िरदासती तिला नही रहा तमन ही न

मालम ककस रहोशी और नासमझी म इस तरह की िीवन-शली को चन तलया ह तमहार अततररि कोई

तिममवार नही ह एक झटक म तम तोड़ द सकत हो कयोकक सर रनाया तमहारा ही िल ह य सर िो घर

तमन रना तलए ह अपन चारो तरफ तिनम तम िद ही कद हो गए हो

म एक घर म महमान था सामन एक मकान रन रहा था और एक िोटा लड़का वहा मकान क सामन

पड़ी हई रत और ईटो क रीच म िल रहा था उसन धीर-धीर--म दिता रहा राहर रठा हआ म दि रहा था-

-उसन धीर-धीर अपन चारो तरफ ईट लगा ली और ईटो को िमाता गया ऊपर कफर वह घरड़ाया िर उसक

गल तक ईट आ गयी कयोकक वह िद कद हो गया तर वह तचललाया कक रचाओ

म उस दि रहा था और मझ लगा यही आदमी की अवसथा ह तम ही अपन चारो तरफ ईट िमा लत

हो तिसको तम जिदगी कहत हो कफर एक कदन तम पात हो कक गल तक डर गए तर तचललात हो कक

रचाओ

तमन ही रिी ह ईट तचललान की कोई िररत नही तिस ढग स रिी ह उसी ढग स तगरा दो तमन ही

रिी ह तम ही उठा सकत हो कारागह तमहारा ही रनाया हआ ह ककसी और न तमह कारागह म रद नही

ककया ह िल-िल म रना तलया ह िल-िल म ही आदमी रद हो िाता ह ििीरो म उलझ िाता ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

अर ऐस मत चलो अर िरा िागकर चलना हो िाए अर िरा होश स चलो अर िरा दिकर चलो

तितन िागोग उतना पाओग मतिल करीर तिस कदन पर िागोग उस कदन पाओग मतिल सदा भीतर थी

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

सोलहवा परवचन

समझ और समातध क अतरसतर

पहला परशनाः महाकाशयप उस कदन सरह तिलतिलाकर न हसा होता तो भी कया रदध उस मौन क परतीक

फल को दत

परशन पित समय थोड़ा सोचा भी कर कक परशन का सार कया ह यकद ऐसा हआ होता यकद वसा हआ

होता इन सारी रातो म कयो वयथा समय को वयतीत करत हो

महाकाकयप न हसा होता तो रदध फल दत या न दत इसस तमह कया होगा महाकाकयप न भी हआ हो

हआ हो कहानी तसफा कहानी हो तो भी तमह कया होगा कि अपनी पिो कि ऐसी रात पिो िो तमहार

काम पड़ िाए परशन ऐस न हो कक तसफा मतसतषक की ििलाहट हो कयोकक ििलाहट का गण ह तितना

ििाओ रढ़ती चली िाती ह पिन क तलए ही मत पिो अगर न हो परशन तो पिो ही मत चप रठ ग शायद

तमहार रीच कोई महाकाकयप हस द

हसना न हसना महतवपणा नही ह राहर िो घटता ह उसका कोई मलय रदधपरिो क तलए नही ह फल

तो महाकाकयप को कदया ही होता वह अकला ही था वहा िो रदध क मौन को समझ सकता था हर हालत म

फल उसक पास गया होता रदध न दत तो भी गया होता िोड़ दो कफकर हसता नही रदध न भी दत फल तो

भी म कहता ह उसी क पास गया होता फल िद चला गया होता कोई रदध को दन की िररत भी न थी

घटना को समझन की कोतशश करो बयौर की वयथा रकवास म मत पड़ो घटना सीधी ह कक रदध चप रह

उस चपपी को कोई और न समझ पाया चपपी को समझन क तलए तमह भी चप होना िररी ह तिस भािा को

समझना हो उस भािा को िानना िररी ह म जहदी रोल रहा ह तो जहदी िानना िररी ह म चीनी रोल

तो चीनी िानना िररी ह तभी समझ सकोग

रदध उस कदन मौन रोल मौन की भािा रोल िो मौन का रस िानता था वही समझा िो मौन का रस

नही िानत थ उनहोन इस मौन को भी अपन जचतन का वयापार रना तलया व सोचन लग रदध मौन कयो रठ

ह अभाग लोग िर रदध मौन थ तर तम चप हो गए होत तो फल उनह भी तमल सकता था लककन व सोचन

लग कक रदध मौन कयो रठ ह कक रदध हाथ म फल कयो तलए ह तिसन सोचा उसन गवाया

रदधो क पास सोचन स सरध नही िड़ता रदधो क पास तो न सोचन की कला आनी चातहए महाकाकयप

चप रहा उसन रस भर आि दिा उसन सोचा नही कौन कफकर कर इतना अपरततम सौदया उस कदन परगट

हआ था ऐसा सरि उगा था िसा कभी-कभी सकदयो म उगता ह रदध उस कदन सर दवार-दरवाि अपन मकदर

क िोलकर रठ थ तनमतरण कदया था कक तिस भी आना हो आ िाए परमातमा दवार पर आकर िड़ा था दसतक

द रहा था तम सोचन लग तम तवचार करन लग ऐसा कयो वसा कयो कयो रदध चप रठ ह पहल कयो

कभी नही रठ

तवचारक चक गए महाकाकयप कोई तवचारक न था वह तसफा दिता रहा रदध को िस रदध फल को

दित रह ऐसा महाकाकयप रदध को दिता रहा वही तो इशारा था कक िस म दि रहा ह फल को--मातर िषटा

ह--ऐस ही तम भी िषटा हो िाओ आि हो चकी रहत रात दशान की अर िषटा हो िाओ दशान की रात कर

93

तक चलाए रिोग हो चकी चचाा भोिन की अर भोिन करो अर सवाद लो रदध न थाली सिा दी थी

अपनी तम सोचन लग भोिन क सरध म रदध भोिन रि सामन रठ थ

िस रदध फल को दि रह थ वसा ही महाकाकयप रदध क फल को दिन लगा रदध न एक फल दिा

महाकाकयप न दो फल दि दो फलो को एक साथ दिा उन दोनो फलो का तारतमय दिा सगीत दिा

लयरदधता दिी एक अपवा िद का उस अनभव होन लगा रकता भी महाकाकयप कस तरना हस

कयो हसा महाकाकयप हसा लोगो पर िो कक सोच म पड़ गए ह मकदर सामन िड़ा ह और व मकदर

की िोि कर रह ह सरि उग चका ह व आि रद ककए परकाश की चचाा म लीन ह महाकाकयप हसा लोगो की

मढ़ता पर हसा कहना ठीक नही हसी तनकल गई कि ककया नही हसन म वह रक न सका घट गया फट

पड़ी हसी दिकर सारी नासमझी हिारो लोग मौिद थ चक िा रह ह इस मढ़ता पर हसा

और इस रात पर भी हसा कक रदध न भी िर िल िला िो नही कहा िा सकता वह भी कह कदया िो

नही रताया िा सकता उसको भी रता कदया तिसको ितलान म कभी अगतलया समथा नही हई उस तरफ

भी इशारा कर कदया उपतनिद उस कदन मात हो गए िो नही कहा िा सकता था उस कतय रना कदया

विवय द कदया उसका सपणा िीवन स

इसतलए उस कदन क राद झन परपरा म िर भी गर परशन पिता ह तो तशषय को उततर नही दना होता

कोई कतय करना होता ह तिसस विवय तमल िाए कोई कतय ऐसा कतय तिसम तशषय सपणा रप स डर िाए

महाकाकयप हसा ऐसा नही महाकाकयप हसी हो गया पीि कोई रचा नही िो हस रहा था कोई पीि िड़ा

नही था िो हस रहा था महाकाकयप एक तिलतिलाहट होकर तरिर गया उस सगत पर झन फकीर परशन

पित ह

एक झन फकीर हआ रठा था तशषय रठ थ एक रतान म पानी रिा था उसन कहा कक सनो तरना कि

कह रताओ कक यह कया ह यह रतान और यह पानी तरना कि कह कोई विवय दो अथाात कतय स घोतित

करो िसा महाकाकयप न ककया था--तिलतिलाकर और िर कतय स महाकाकयप न घोतित ककया तो कतय स

रदध न उततर भी कदया--फल दकर आि म भी तमह फल दन को उतसक ह

तशषय दिन लग हाथ म कोई फल तो नही था सोचन लग कक यह रात तो और उलझन की हो गई कम

स कम रदध हाथ म फल तो तलए थ इस आदमी क हाथ म कोई फल नही ह व फल क सरध म सोचन लग

और उनहोन लाि सोचा कक इस पानी भर रतान क सरध म कया कहो तरना कह कस विवय दो और तभी

भोिन का समय करीर आ रहा था रसोइया--िो तभकष िो सनयासी रसोई का काम करता था--वह भीतर

आया उसन य उदासी जचतन स तन हए लोग दि उसन पिा मामला कया ह गर न कहा एक सवाल ह

इस िल भर रतान क सरध म विवय दना ह कोई विवय िो इसक पर क पर रहसय को परगट कर द शरद का

उपयोग नही करना ह और िो यह करगा वही फल म दन को तयार ह िो रदध न कदया था

लककन उस रसोइय न गर क हाथ की तरफ दिा ही नही कक फल वहा ह या नही गर फल ह अर इसम

फल कया दिना वह उठा उसन एक लात मार दी उस रतान म पानी लढ़ककर सर तरफ रह गया और वह

रोला कक अर उठो हो गई रकवास रहत भोिन का समय हो गया कहत ह गर न उसक चरण ि तलए--द

कदया फल विवय उसन परगट कर कदया अतसततव को तो ऐस ही तरिर कर रताया िाता ह अर और कया

कहन को रहा--उलटा कदया पातर िल तरिर गया सर तरफ

94

ऐस ही उस कदन महाकाकयप न भी उलटा कदया था अपना पातर तिलतिलाहट तरिर गई थी सर तरफ

ऐसी कफर हिारो घटनाए ह झन परपरा म एक घटना को दरारा नही दोहरा सकत याद रिना कयोकक

दोहरान का तो मतलर होगा सोच कर की इसतलए हर घटना अनठी ह और आतिरी ह कफर तम उस पनरि

नही कर सकत

अगर म आि फल लकर आ िाऊ तो िो हसगा उसको भर नही तमलगा अगर आि म रतान म पानी

रिकर रठ िाऊ और तम स पि तो िो लात मारकर लढ़काएगा उसको भर नही तमलगा वह तो तवचार हो

गया अर अर तो महाकाकयप की कहानी पता ह

हिारो घटनाए ह लककन हर घटना अनठी ह और उसकी पनरति नही हो सकती कयोकक पनरति

यानी तवचार कि कहो पर अतसततव स और कि कहो इस ढग स िसा कभी न कहा गया हो तो कफर मन को

िगह नही रचती मन तो अनकरण करता ह दोहराता ह यतरवत ह मन क पास कोई मौतलक सझ नही होती

एक दसर झन फकीर का एक तशषय रहत कदन स जचता म रत ह--गर न कोई सवाल कदया ह िो हल

नही होता िर सर तरह क उपाय कर चका तो उसन परधान तशषय को पिा कक तम तो सवीकार हो गए हो

तम तो कि किी दो हम परशान हए िा रह ह विो रीत गए कि हल नही होता कोई राह नही तमलती

और िर भी िात ह हम उततर भी नही द पात और गर कहता ह रस रकवास रद अभी हम रोल भी नही

अर यह तो हदद हो गई ऐस तो हम कभी भी िीत न पाएग कम स कम रोलन तो दो हम कि कह कफर तम

कहो गलत और सही हम रोलत ही नही और गलत हो िाता ह तो अर तो सही होन का कोई उपाय न रहा

गर नाराि ह

तशषय हसन लगा परधान तशषय न कहा नाराि नही कयोकक िर तम तवचार करत हए िात हो तो

चहर का ढग ही और होता ह िर तम तनरवाचार म िात हो तो चहर का ढग ही और होता ह सोचो थोड़ा

िर तम तवचार स भर होत हो तो सार चहर पर तनाव होता ह आि म माथ पर रल होत ह िर तम

तनरवाचार म होत हो सर रल िो िात ह सर तनाव िो िाता ह िर तम तनरवाचार म होत हो तर तमहार

चारो तरफ ऐसी शातत झरती ह कक अजञानी भी पहचान ल तो गर न पहचानगा वह तमह दरवाि क भीतर

घसन दता ह यह भी उसकी करणा ह उस परधान तशषय न कहा कक मरी तमह पता नही दरवाि क राहर ही

रहता था वह कहता था लौट िा कफिल की रकवास लकर मत आ अभी उसन मझ दिा भी नही था

लककन िस मरी िाया मझस पहल पहच िाती िस मरा वातावरण म दरवाि पर होता और उस ि लता

िस कोई गध उस िरर द दती

तो इस नए तशषय न पिा कफर तमन कस उसकी अनकपा को पाया उसक परसाद को पाया उसन

कहा वह तो म कभी न पा सका िर म मर ही गया तर तमला उसन कहा भलमानि पहल कयो न रताया

यही हम भी करग

अर कही कोई यह कर सकता ह दसर कदन वह गया िस ही गर न उसकी तरफ दिा इसक पहल कक

गर कह कक नही रकवास रद वह भड़ाम स तगर पड़ा आि रद कर ली हाथ फला कदए िस मर गया

गर न कहा रहत िर तरलकल ठीक-ठीक ककया परशन का कया हआ उस तशषय न--अर मिररी--एक

आि िोली और कहा कक परशन तो अभी हल नही हआ तो गर न कहा नासमझ मद रोला नही करत और न

मद ऐस आि िोलत ह उठ भाग यहा स और ककसी दसर स उततर मत पिना पि उततरो का कया मलय ह

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वह तमहारा होना चातहए तमहार अतरतम स आना चातहए तम उसम मौिद होन चातहए वह तमहारा गीत

हो वह तमहारा नाच हो उसम तम पर लीन हो िाओ वह िीवन हो कक मौत इसस कोई फका नही पड़ता

महाकाकयप उस कदन हसा कहना ठीक नही हसा हसी फल गई दिकर यह सारी दशा रदध का सामन

होना और लोगो का अध रन रहना सरि का तनकल आना और अधर का न तमटना दिकर हसा जञान ररसता

हो और लोगो क घड़ तचकन हो और िल उन पर पड़ता ही न हो यह दिकर हसा

हसता या न हसता फल उस तमलना था हसी न हसी तो सायोतगक ह रदध न फल हर हालत कदया

होता हसन की विह स नही कदया धयान रिना नही तो कफर भल हो िाएगी यही तो भल ह मन की तर

तम सोचोग कक हसन की विह स कदया तो अगर अर दरारा कभी ऐसा मौका हम तमलगा तो हम हस दग

वही तम चक िाओग हसन की विह स नही कदया हसी क पीि िो मौन था--हसी क पीि तवचार भी हो

सकता ह तर वयथा हो गई--हसी क पीि िो मौन था उस तिलतिलाहट क फलो क पीि िो परम शातत थी

वह हसी तनवााण का फल थी न हसता तो रदध उठकर गए होत हसा तो रदध न उस रला भी तलया न हसता

तो रदध िद उठकर गए होत िद उसकी झोली म उडल कदया होता

लककन इस तरह क परशन तमहार मन म उठत कयो ह तमहार िीवन की समसयाए हल हो गयी कक तम

महाकाकयप की जचता म पड़ हो तमहारा िीवन समाधान को उपलबध हो गया कक तम इस तरह क रौतदधक

परशन उठात हो मत गवाओ समय को इस भातत अनयथा कोई महाकाकयप तम पर भी हसगा तमहारी मढ़ता

पर भी हसगा यहा म तमहार सामन मौिद ह कि हो सकता ह िर म मौिद नही रहगा तर तम रोओग

अगर अभी न हस तो तर तम रोओग इस मौिदगी का उपयोग कर लो इस मौिदगी को पी लो इस

मौिदगी को तमहार रग-रश म उतर िान दो वयथा क ऊहापोह म मत पड़ो

मदरस तक ही थी रहस आराइया

पाठशाला तक तका तका िाल परशन और परशनो क तवसतार

मदरस तक ही थी रहस आराइया

चप लगी िर रात की तह पा गए

तो िो म कहता ह उसको तम तका मत रनाओ अनयथा तम चक तर तम ककसी कदन पिताओग कक

इतन करीर थ और चक गए और कभी-कभी ऐसा हआ ह कक सोचन वालो न गवा कदया ह और न सोचन वालो

न पा तलया ह कभी-कभी कया हमशा ही ऐसा हआ ह िो म कह रहा ह वह इसीतलए कह रहा ह ताकक चप

लग िाए और तम रात की तह पा िाओ तम रात म स रात तनकाल लत हो रात की तह नही पात एक

रात स तम दस दसरी रातो पर तनकल िात हो म करता ह इशारा चाद की तरफ तम अगली पकड़ लत हो

तम अगली क सरध म पिन लगत हो तम चाद की रात ही भल िात हो कही ऐसा न हो कक ककसी कदन तमह

कहना पड़--

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

ककसी तरह तफान स रचकर आ भी गए तो ककनार स टकरा गए

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

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कही ऐसा न हो कक यहा मर ककनार पर आकर भी डर िाओ

कोई एिाि-सफर था या फरर-चकम-शौक

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

कही ऐसा न हो कक मतिल सामन आ गई हो और कफर भी तम चक िाओ उस कदन रदध क सामन रठ

लोग चक गए

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

आ गई थी सामन मतिल लककन तिस पहचना ह अगर वही तयार न हो तो मतिल भी कया कर

सामन भी आ िाए तो भी तम चक िाओग कयोकक सवाल मतिल का नही तमहारा ह

वयथा की रातो म मत पड़ो और यकद ऐसा होता तो कसा होता यह तो पिो ही मत इसकी तमह

वयथाता नही कदिाई पड़ती कक यकद रावण सीता को न चराता तो रामायण का कया होता अर इसका कौन

उततर द इसका कौन उततर द और उततर का कया अथा ह

िो हो गया हो गया उसस अनयथा नही हो सकता था अर तम उसम स और वयथा की रात मत

तनकालो नही तम सोचत ही रहोग परतयक पल सोचन म गवाया रड़ा महगा ह कयोकक उसी पल म सर कि

उपलबध हो सकता था

दसरा परशनाः रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा लककन रदध क दह-तवसिान क

राद िस-िस समय रीतता गया रदध-धमा अनक शािाओ एव परशािाओ म रटन लगा अजञानी सपरदाय रनात

ह लककन रदध क जञानी तशषय भी अनक तवतभि एव तवपरीत सपरदायो म रट गए कपया इस घटना पर कि

परकाश डाल

अजञानी सपरदाय रनात ह जञानी भी सपरदाय रनात ह लककन अजञानी का सपरदाय कारागह हो िाता ह

और जञानी का सपरदाय मति की एक राह सपरदाय का अथा होता ह मागा सपरदाय का अथा होता ह तिसस

पहचा िा सकता ह

जञानी मागा स पहचत ह मागा रनात भी ह अजञानी मागा स िकड़ िात ह पहचत नही मागा रोतझल हो

िाता ह िाती पर पतथर की तरह रठ िाता ह जञानी मागा का उपयोग कर लत ह अजञानी मागा स ही रध

िात ह सपरदाय म कि रराई नही ह अगर पहचाता हो

सपरदाय शबद रड़ा रहमलय ह तिसस पहचा िाता ह वही सपरदाय ह लककन रड़ा गदा हो गया लककन

गदा हो िान का कारण सपरदाय नही ह अर कोई नाव को तसर पर रिकर ढोए तो इसम नाव का कया कसर

ह कया तम नाव क दकमन हो िाओग कक लोग नाव को तसर पर रिकर ढो रह ह मढ़ तो ढोएग ही नाव न

होती कि और ढोत मकदर-मतसिद न होत लड़न को तो ककसी और रात स लड़त कि और कारण िोि लत

तिनह िाना नही ह व मागा क सरध म तववाद करन लगत ह तिनह िाना ह व मागा का उपयोग कर लत ह

और तिसन मागा का उपयोग कर तलया वह मागा स मि हो िाता ह तिसन नाव का उपयोग कर तलया वह

नाव को तसर पर थोड़ ही ढोता ह नाव पीि पड़ी रह िाती ह रासत पीि पड़ रह िात ह तम सदा आग रढ़त

चल िात हो

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सपरदाय म अपन आप कोई भल-भातत नही ह भल-भातत ह तो तम म ह तम तो औितध को भी िहर

रना लत हो रड़ कलाकार हो तमहारी कशलता का कया कहना िो िानत ह व िहर को भी औितध रना लत

ह वि पर काम पड़ िाता ह िहर भी िीवन को रचान क तमहारी औितध भी िीवन की िानलवा हो िाती

ह असली सवाल तमहारा ह

रदध क िान क राद धमा शािा-परशािाओ म रटा रटना ही चातहए िर वकष रड़ा होगा तो पीड़ ही

पीड़ थोड़ ही रह िाएगा शािा-परशािाओ म रटगा पीड़ ही पीड़ रड़ी ठठ मालम पड़गी उस वकष क नीच

िाया ककसको तमलगी तिसम पीड़ ही पीड़ हो उसस तो ििर का वकष भी रहतर कि तो िाया थोड़ी-रहत

कही पड़ती होगी

वकष तो वही शानदार ह वही िीतवत ह तिसम हिारो शािाए-परशािाए तनकलती ह शािाए-

परशािाए तो इसी की िरर ह कक वकष म हिार वकष होन की कषमता थी ककसी तरह एक म समा तलया ह हिा

भी कि नही ह तितनी शािाए-परशािाए हो उतना ही सदर कयोकक उतन ही पकषी रसरा कर सक ग उतन

ही पकषी घोसल रना सक ग उतन ही यातरी तवशराम पा सक ग उतनी ही रड़ी िाया होगी उतनी ही गहन

िाया होगी धप स तप-मादो क तलए आसरा होगा शरण होगी

िो वकष ठठ रह िाए उसका कया अथा हआ उसका अथा हआ वकष राझ ह उसम फलन की कषमता नही

ह िीवन का अथा ह फलन की कषमता सभी िीतवत चीि फलती ह तसफा मतय तसकड़ती ह मतय तसकोड़ती

ह िीवन फलाता ह िीवन तवसतार ह एक स दो दो स अनक होता चला िाता ह परमातमा अकला था

कफर अनक हआ कयोकक परमातमा िीतवत था अगर मदाा होता तो अनक नही हो सकता था ससार को गाली

मत दना अगर तमह मरी रात समझ म आए तो तम समझोग कक ससार परमातमा की शािाए-परशािाए ह

तम भी उसी की शािा-परशािा हो इतना िीतवत ह कक चकता ही नही फलता ही चला िाता ह

वकष भारत म रड़ पराचीन समय स िीवन का परतीक रहा ह रदध क वकष म रड़ी कषमता थी रड़ा रल था

रड़ी सभावना थी अकली पीड़ स कस रदध का वकष तचपटा रहता िस-िस रढ़ा शािाए-परशािाए हई

लककन जञानी की दतषट म उन शािाओ-परशािाओ म कोई तवरोध न था व सभी एक ही वकष स िड़ी थी और

एक ही िड़ पर िीतवत थी उन सभी का िीवन एक ही सरोत स आता था रदध सरोत थ जञानी न इसम कि

तवरोध न दिा इसम इतना ही दिा कक रदध म रड़ी सभावना ह

यह िरा हरानी की रात ह सारी मनषय-िातत म रदध न तितनी सभावनाओ को िनम कदया ककसी

दसर आदमी न नही कदया

महावीर क वकष म कवल दो शािाए लगी--कदगरर शवतारर रस और उनम भी कोई रहत फासला

नही ह कषि रातो का फासला ह कक कोई महावीर काशगार करक पिता ह कोई महावीर को नगन पिता

हशगार क भीतर भी महावीर नगन ह और नगन म भी उनका रड़ाशगार ह इसम कि रड़ा फासला नही ह

उनकी नगनता हीशगार ह अर और कया सिाना ह उनको और सिाना तो ऐस ही ह िस कोई साप पर पर

तचपकाए वह साप अकला तरना पर क ही िर चलता था अर तम और पर तचपकाकर उस िरार मत करो

यह तो उन पर औरशगार करना ऐस ही ह िस कोई मोर को और रगो स पोत द मोर वस ही काफी रगीन था

अर तम कपा करक रग िरार मत करो

महावीर की नगनता म ही िरशगार ह उन िसी सदर नगनता कभी परगट हई पर कफर तमहारी मौि ह

तमहारा मन नही मानता--इसतलए नही कक महावीर म कि कमी ह--तमहारा मन तरना ककए कि नही मानता

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तम कि करना चाहत हो करो भी कया महावीर िस वयति क सामन एकदम असमथा हो िात हो सदर

कपड़ पहनात हो सदर आभिण लगात हो यह तमहारी राहत ह इसस महावीर का कि लना-दना नही

तमहार सर वसतरो क पीि भी व अपनी नगनता म िड़ ह नगन ही ह ऐस िोट-िोट फासल ह

कदगरर कहत ह कक उनकी कोई शादी नही हई शवतारर कहत ह शादी हई कया फका पड़ता ह कदगरर

कहत ह उनका कोई रचचा नही हआ--िर शादी ही नही हई तो रचचा कस हो शवतारर कहत ह उनकी एक

लड़की थी पर कया फका पड़ता ह महावीर म इसस कया फका पड़ता ह शादी हई कक न हई य तो कफिल

की तवसतार की रात ह महावीर क होन का इसस कया लना-दना ह शादी हई हो तो ठीक न हई हो तो ठीक

तिसको िसी मौि हो वसी कहानी रना ल लककन कोई रहत रड़ा तवसतार नही हआ

िीसस की भी दो शािाए फटकर रह गयी परोटसटट और कथोतलक कोई रड़ा तवसतार नही हआ

रदध अनठ ह अतदवतीय ह सकड़ो शािाए हई और परतयक शािा इतनी तवराट थी कक उसम स भी

परशािाए हई कहत ह तितन दशान क मागा अकल रदध न िोल उतन मनषय-िातत म ककसी वयति न नही

िोल रदध अकल समसत परकार क दशानो का सरोत रन गए ऐसी कोई दाशातनक परपरा नही ह िगत म तिसक

समतल परपरा रदध-धमा म न हो

अगर तम रदध-धमा का परा इततहास समझ लो तो राकी सर धमो का इततहास िोड़ भी दो तो कि

हिाा न होगा कयोकक सार िगत म िो भी कही हआ ह िो तवचार कही भी िनमा ह वह तवचार रदध म भी

िनमा ह रदध अकल रड़ तवराट वकष ह

यह तो सौदया की रात ह यह तो अहोभाव और उतसव की रात ह इसम कि जचता का कारण नही ह

यह तो इतना ही रताता ह कक रदध म रड़ी सभावना थी जञानी न तो उस सभावना का उपयोग ककया उसम

कोई झगड़ा न था तरलकल तवपरीत िान वाली शािाए भी--एक परर िा रही ह एक पतिम िा रही ह--कफर

भी एक ही तन स िड़ी होती ह तवरोध कहा ह और उन दोनो का िीवन-सरोत एक ही िगह स आता ह एक

रदध ही फलत चल गए सर म इसस कि अड़चन न थी

लककन अजञानी अड़चन िड़ी करता ह अजञानी की अड़चन ऐसी ह कक वह यह भल ही िाता ह कक सभी

तवरोध अलग-अलग कदशाओ म िाती शािाए ह एक ही सरोत स िनमी ह

मन सना ह एक गर क दो तशषय थ गमी की दोपहर थी गर तवशराम कर रहा था और दोनो उसकी

सवा कर रह थ गर न करवट रदली--तो दोनो तशषयो न आधा-आधा गर को राट रिा था सवा क तलए राया

पर एक न ल रिा था दाया पर एक न ल रिा था--गर न करवट रदली तो राया पर दाए पर पर पड़ गया

सवभावताः झझट िड़ी हो गई

गर तो एक ह तशषय दो थ तो उनहोन जहदसतान-पाककसतान राटा हआ था तो िर दाए पर पर राया

पर पड़ा तो तिसका दाया पर था उसन कहा हटा ल अपन राए पर को मर पर पर पर सीमा होती ह सहन

की रहत हो चका हटा ल तो उस दसर न कहा दि ककसकी तहममत ह कक मर पर को और कोई हटा द तसर

कट िाएग मगर मरा पर िहा रि गया रि गया यह कोई साधारण पर नही अगद का पर ह भारी झगड़ा

हो गया दोनो लि लकर आ गए

गर यह उपिव सनकर उसकी नीद िल गई उसन दिी यह दशा उसन िर लि चलन क ही करीर आ

गए--लि चलन वाल थ गर पर कयोकक तिसका दाया पर था वह राए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया

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था और तिसका राया पर था वह दाए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया था गर न कहा िरा रको तम

मझ मार ही डालोग य दोनो पर मर ह तमन तवभािन कस ककया

अजञानी राट लता ह और भल ही िाता ह भल ही िाता ह कक िो उसन राटा ह व एक ही वयति क पर

ह या एक ही वकष की शािाए ह अजञानी न उपिव िड़ा ककया अजञानी लड़ एक-दसर का तवरोध ककया

एक-दसर का िडन ककया एक-दसर को नषट करन की चषटा की िर सपरदाय अजञानी क हाथ म पड़ता ह तर

ितरा शर होता ह

जञानी सपरदाय को रनाता ह कयोकक धमा की शािाए-परशािाए पदा होती ह तितना िीतवत धमा

उतनी शािाए-परशािाए दतनया स सपरदाय थोड़ ही तमटान ह अजञानी तमटान ह तिस कदन सपरदाय तमट

िाएग दतनया रड़ी ररौनक हो िाएगी उस कदन गर तरना पर क होगा उसको कफर िस तभिमगो को ठल

पर रिकर चलाना पड़ता ह ऐस चलाना पड़गा कफर वकष तरना शािाओ क होगा न पकषी रसरा करग न

राहगीर िाया लग और तिस वकष म पतत न लगत हो शािाए न लगती हो उसका इतना ही अथा ह कक िड़

सि गयी अर वहा िीवन नही िीवन िोड़ चका उस उड़ गया

तम पित हो रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा

नही जञातनयो क तलए तो वह अर भी एकता म ह और तमस म कहता ह अजञानी क तलए वह तर भी

एकता म नही था िर रदध िीतवत थ तर भी अजञानी अपनी तयाररया कर रह थ तभी कफरक रटन शर हो

गए थ रदध क िीत िी अजञातनयो न अपन तहसार राट तलए थ अलग-अलग कर तलए थ रदध क मरन स थोड़

ही अचानक अजञान पदा होता ह अजञानी तो पहल भी अजञानी था वह कोई अचानक थोड़ ही अजञानी हो गया

और िो अजञानी ह रदध क िीतवत रहन स थोड़ ही कि फका पड़ता ह अजञान तो तमह िोड़ना पड़गा रदध

कया कर सकत ह

रदध न कहा ह मागा कदिा सकता ह चलना तो तमह पड़गा समझा सकता ह समझना तो तमह पड़गा

अगर तम न समझन की ही तिदद ककए रठ हो अगर समझन क तलए तम म िरा भी तयारी नही ह--तयारी

नही कदिाई ह--तो रदध लाि तसर पीटत रह कोई पररणाम नही हो सकता

तीसरा परशनाः कया िीवन म सभी कि नदी-नाव सयोग ह रदध भी रदधतव भी

नही--रदधतव को िोड़कर सभी कि नदी-नाव सयोग ह कयोकक रदधतव तमहारा सवभाव ह सयोग नही

ऐसा नही ह कक तमह रदध होना ह तम रदध हो रस इतना ही ह कक तमह पहचानना ह ऐसा नही ह कक तमह

रदधतव अरिात करना ह तमन कभी गवाया ही नही परतयतभजञा करनी ह पहचान करनी ह िो तमला ही ह

िागकर दिना ह

रदधतव सयोग नही ह रदधतव ककनही पररतसथततयो पर तनभार नही ह न तमहारी साधना पर तनभार ह

याद रिना यह मत सोचना कक तम रहत धयान करोग इसतलए रदध हो िाओग रहत धयान रहत तपियाा स

शायद तमह िागन म आसानी होगी रदधतव क परतत लककन रदध होन म नही रदध तो तम थ गहरी तिा म थ

और िरााट ल रह थ तर भी तम रदध ही थ भटक रह थ योतनयो म--अनत योतनयो म कीड़-मकोड़ो की तरह--

िी रह थ कामवासना म हिार करोध और लोभ म तर भी तम रदध ही थ य सर सपन थ िो तमन दि

100

लककन सपनो क पीि तमहारा मलसरोत सदा ही शदध था वह कभी अशदध हआ नही अशदध होना उसकी परकतत

नही

और सर िीवन म नदी-नाव सयोग ह ककसी सतरी क तम परम म पड़ गए और तमन शादी कर ली वह

नदी-नाव सयोग ह धन कमा तलया ककसी न और कोई न कमा पाया वह नदी-नाव सयोग ह ककसी न यश

कमा तलया और कोई रदनाम हो गया वह नदी-नाव सयोग ह वह हिार पररतसथततयो पर तनभार ह वह

तमहारा सवभाव नही वह राहर पर तनभार ह भीतर पर नही

तसफा एक चीि नदी-नाव सयोग नही ह वह ह तमहारा होना शदध होना रदधतव भर ससार क राहर ह

शि सर ससार ह तो तिस कदन तम िागत हो उस कदन तम अचानक ससार क राहर हो िात हो अततकरमण

हो िाता ह

ऐसा समझो कक तम एक सपना दि रह हो सपन म कोई दि रहा ह गरीर ह कोई दि रहा ह अमीर

ह कोई दिता ह साध कोई दिता ह असाध कोई दिता ह हिार पाप कर रहा ह कोई दिता ह हिार पणय

कर रहा ह यह सर नदी-नाव सयोग ह यह सर सपना ह लककन वह िो सपना दि रहा ह वह िो िषटा ह

वह नदी-नाव सयोग नही ह चाह सपना तम साध का दिो चाह असाध का सपन म भद ह दिन वाल म

कोई भद नही ह वह दिन वाला वही ह चाह साध चाह असाध चाह चोर चाह अचोर पाप करो पणय

करो वह िो दिन वाला ह भीतर वह एक ह उस दिन वाल को ही िान लना रदधतव ह सवय को पहचान

लना रदधतव ह शि सर पराया ह शि सर सयोग स रनता तमटता ह इसतलए शि की कफकर नासमझ करत

ह िो सयोग पर तनभार ह उसकी भी कया कफकर करनी

थोड़ा समझो तम एक गरीर घर म पदा हए तमह ठीक स तशकषा नही तमल सकी तो कि दवार रद हो

गए सयोग क तम एक िगल म पदा हए एक आकदवासी समाि म पदा हए अर वहा तम उस आकदवासी

समाि म शकसतपयर न रन सकोग न कातलदास रन सकोग सयोग की रात ह तम परर म पदा हए तो एक

सयोग पतिम म पदा हए तो दसरा सयोग इन सयोगो पर रहत सी रात तनभार ह--सभी रात तनभार ह--तसफा

एक को िोड़कर एक भर अपवाद ह और इसीतलए धमा उसकी िोि ह िो सयोग क राहर ह धमा उसकी

िोि ह िो पररतसथतत पर तनभार नही ह धमा उसकी िोि ह िो ककसी चीि पर तनभार नही ह िो परम

सवातषय का सतर ह तमहार भीतर उसकी िोि ह

शि सर तम िोित हो वह सर सयोग की रात ह और िोट-िोट सयोग रड़ महतवपणा हो िात ह

ककसी को रचपन म ही चचक तनकल गई और चहरा करप हो गया अर इसकी परी जिदगी इस चचक पर

तनभार होगी कयोकक शादी करन म इस वयति को अड़चन आएगी इस वयति को जिदगी म चलन म हिार

तरह की हीनताए घरगी यह सर सयोग की ही रात ह

लककन चहरा सदर हो कक करप काला हो कक गोरा वह िो भीतर िषटा ह वह एक ह तिसन उस

िोिना शर कर कदया उसन सतय की तरफ कदम रिन शर कर कदए

तो इस रात को समरण रिो कक िो भी सयोग मालम पड़ उस पर रहत समय मत गवाना रहत शति

मत लगाना रहत अपन को उस पर तनभार मत रिना वह ह तो ठीक नही ह तो ठीक जचतन करना उसका

मनन करना उसका धयान करना उसका िो सयोगातीत ह उसका ही नाम रदधतव ह

जिदगी एक आसओ का िाम था

पी गए कि और कि िलका गए

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जिदगी तो आसओ का एक पयाला ह िो तम पी रह हो व तो आस ही ह कभी-कभार शायद िीवन म

सि की थोड़ी सी झलक भी तमलती ह लककन वह भी सयोग-तनभार ह इसतलए उसक भी तम मातलक नही

कर जिदगी तम पर मसकरा दगी उसक तम मातलक नही इसको ही तो परान जञाताओ न भागय कहा था कक

वह सर भागय की रात ह भागय का इतना ही अथा ह कक वह सयोग की रात ह उसकी जचता म रहत मत पड़ो

िो भागय ह वह हिार कारणो पर तनभार ह लककन िो तम हो वह ककसी कारण पर तनभार नही ह

म एक यहदी तवचारक फरकल का िीवन पढ़ता था वह तहटलर क कारागह म कद था उसन तलिा ह

कक तहटलर क कारागह स और ितरनाक कारागह दतनया म कभी रह नही दि पीड़ा सर तरह का सताया

िाना सर तरह का अपमान हर िोटी-िोटी रात पर ितो स ठकराया िाना लककन वहा भी उसन तलिा ह

कक मझ धीर-धीर एक रात समझ म आ गई कक मरी सवततरता अकषणण ह

िर म पढ़ रहा था उसका िीवन तो म भी चौका कक इसन अपनी सवततरता वहा कस पाई होगी

तहटलर न सर इतिाम कर कदए परततर करन क दीन करन क दिी करन क एक रोटी का िोटा सा टकड़ा

रोि तमलता वह एक दफ भोिन क तलए भी काफी नही था तो लोग उस तिपा-तिपा कर रित फरकल रड़ा

मनोवजञातनक परतततषठत तवचारक लककन उसन भी तलिा ह कक रड़ डाकटर मर साथ थ तिनहोन कभी सोचा

भी न होगा कक ककसी की दसर की रोटी का टकड़ा चरा लग रड़ धनपतत मर साथ थ िो अपनी रोटी क टकड़

को एक-एक टकड़ा करक िात--एक टकड़ा सरह िा तलया िरा सा कफर दोपहर म िा तलया कयोकक इतनी

रार भि लगगी थोड़ा-थोड़ा करना जयादा रहतर रिाय एक रार िा लन क कफर चौरीस घट भिा रहना

पड़ता ह तो िोटा-िोटा मन को समझात लोग अपनी रोटी को तिपाकर रित रार-रार दि लत कक कोई

दसर न तनकाल तो नही ली कयोकक सौ कदी एक िगह रद रात लोग एक-दसर क तरसतर म स टटोलकर रोटी

तनकाल लत ऐसा दीन तहटलर न कर कदया लककन उसन तलिा ह कफर भी मझ एक रात समझ म आ गई

कक मरी सवततरता अकषणण ह

कस तो उसन तलिा ह कक सर परततर हो गया ह लककन इस परततरता की तरफ म कया दतषट ल उसक

तलए म मातलक ह कया दतषट ल कस इस दि सवीकार कर असवीकार कर लड न लड--िषटा सवततर ह

और उसन तलिा ह कक तिनको भी यह सवततरता का अनभव हआ उनहोन पाया कक ऐसी सवततरता की

परतीतत राहर कभी भी न हई थी कयोकक िहा इतनी परततरता थी--इतनी काली दीवाल थी--वहा सवततरता की

िोटी सी सफद लकीर रड़ी उभरकर कदिाई पड़न लगी

तो उसन तलिा वहा भी दो तरह क लोग थ कारागह म सवततर लोग भी थ वहा िो सवततर ही रह

वहा असली पता चल गया कक कौन सवततर ह उनको तहटलर झका न सका उनको तोड़ न सका उनको भिा

मार डाला उनको कोड़ लगाए लककन उनको झकाया न िा सका उनको मारा िा सका लककन झकाया न िा

सका उनकी सवततरता अकषणण थी

कौन तमह कारागह म डाल सकता ह लककन अगर तमहार भीतर िषटा का रोध ही न हो तो तम अपन

घर म भी कारागह म हो िात हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह का दि हो वह तो राधता ही ह--कक राहत हो आतशयान की--घर की सि-सतवधा भी राध

लती ह तिसको रधना ह वह कही भी रध िाता ह उसक तलए कारागह िररी नही

102

तम अपन घर को ही सोचो तमन कर का उस कारागह रना तलया तम सवततर हो अपन घर म अगर

तम अपन घर म ही सवततर नही हो अगर वहा भी तमहारी मालककयत नही ह अगर वहा भी तमहारा िषटा मि

नही हआ ह अगर तम कहत हो मरा घर तो तम गलाम हो अगर तम कहत हो इस घर म म रहता ह और

यह घर मझम नही तो तम मातलक हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

आकाश म उड़न की कषमता दोनो िीन लत ह

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह तो िीन ही लता ह आकाश म उड़न की कषमता घर की सि-सतवधा भी िीन लती ह सरकषा

भी िीन लती ह

तो असली सवाल न तो घर का ह और न कारागह का ह असली सवाल तमहारा ह तम अगर कारागह

म भी िषटा रन रहो तो तम मि हो और तम घर म भी अगर िषटा न रह िाओ भोिा हो िाओ तो रध गए

िषटा हो िाना रदध हो िाना ह रदधतव कि और नही मागता इतना ही कक तम िागो और उस दिो िो

सर को दिन वाला ह तविय पर मत अटक रहो दकय पर मत अटक रहो िषटा म ठहर िाओ अकप हो िाए

तमहार िषटा का भाव साकषी का भाव रदधतव उपलबध हो गया और ऐसा रदधतव सभी िनम क साथ लकर आए

इसतलए म तमस कहता ह रदधतव िनमतसदध अतधकार ह िर चाहो तर तम उस उठा लो वह तमहार

भीतर सोया पड़ा ह िर चाहो तर तम उघाड़ लो वह हीरा तम लकर ही आए हो उस कही िरीदना नही

कही िोिना नही

चौथा परशनाः होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी और जहदी म इस अतर का कया

रहसय ह जहदीाः सवामी कयामदव सरसवती और अगरिीाः सवामी कयामदव भारती

तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह िस दीवाल स रात करना तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह

िस रहर आदमी स रात करना तम िो समझना चाहत हो वही समझत हो तमह लाि कि और कदिान क

उपाय ककए िाए तम उनस चकत चल िात हो और रड़ मि की रात ह कक तम तिन तसदधातो स मि हो

सकत थ िो तसदधात तमहार िीवन को नए आकाश स िोड़ दत व ही तसदधात तम अपनी ििीरो म ढाल लत

हो

िस यह रात तरलकल सच ह कक रदधपरि भल नही करत लककन इसका यह अथा नही ह कक तिन चीिो

को तम भल समझत हो वसी भल रदधपरि नही कर सकत रदधपरि कोई मदाा थोड़ ही ह तसफा मदाा तरलकल

भल नही करत तो तमहार तहसार म तो तसफा मद ही रदधपरि हो सकत ह इसीतलए तो िीतवत गर को पिना

रहत करठन ह मर हए गर को पिना आसान होता ह कयोकक मरा हआ गर कफर कोई भल नही कर सकता ह

रदधपरि का तमन कया अथा ल तलया ह िस कक पीि मन कहा कक रदध एक मागा स गिरत थ एक

मकिी उनक कध पर आकर रठ गई व रात कर रह थ आनद स उनहोन उस उड़ा कदया मकिी तो उड़ गई

कफर व रक गए और उनहोन कफर स अपना हाथ उठाया और रड़ आतहसता स मकिी को उड़ान को गए आनद

न पिा अर आप कया करत ह मकिी तो िा चकी रदध न कहा अर म ऐस उड़ाता ह िस उड़ाना चातहए था

103

तझस रात म लगा था तरना होश क मकिी उड़ा दी चोट लग िाती कही मकिी पर हाथ िोर स पड़ िाता

कही--पड़ा नही सयोग--तो जहसा हो िाती मन िानकर नही की होती कफर भी हो तो िाती ततकषण दसर

कदन परशन आ गया कक रदधपरिो स तो कोई भल होती नही और रदधपरि न कस मकिी उड़ा दी आनद स

रातचीत करत हए

तम पागल हो रदधपरि स भल नही होती इसी का सरत ह उनका दरारा मकिी को उड़ाना अगर तम

िस रदध होत तो चप रह िात अगर व भी इस तसदधात को मानत होत कक रदधपरि स भल नही होती कस

उड़ाऊ आनद कया कहगा कक आप रदध होकर और भल कर तलए

रदधपरि स भल नही होती लककन अगर हो िाए तो रदधपरि ततकषण सवीकार कर लता ह तरना ककसी

क रताए भी भल नही होती इसस भी रड़ी रात यह ह कक वह भल को सवीकार कर लता ह तमस भल भी

होती ह और भल को सवीकार करन म कषट भी होता ह अड़चन भी होती ह तम भल को तिपात हो तम

ढाकत हो तम चषटा करत हो कक ककसी को पता न चल कक हो गई

अर यह मकिी उड़ान की रात तो दतनया म कभी ककसी को पता भी न चलती कक चलती कौन रठा

था वहा िदारीन लकर आनद को भी पता न था व अगर दरारा हाथ न ल िात तो आनद को भी पता न

चलता पर यह सवाल नही ह

रदध न इतना ही कहा कक अगर चतनय एक तरफ उलझा हो िस आनद स रात कर रह थ तो सारा

धयान उस तरफ था--रदधपरि िो भी करत ह पर धयान स करत ह--तो िर व रात कर रह थ तो सारा धयान

उस तरफ था व तम िस कट-रट नही ह कक राए दि रही ह आधी िोपड़ी और आधी िोपड़ी दाए दि रही

ह व पर ही आनद की तरफ मड़ गए होग

तमह भल कदिाई पड़ती ह मझ उनक धयान की एकागरता कदिाई पड़ती ह व इतन तललीन होकर आनद

स रात करत थ कक िस सारा ससार तमट गया था सारा ससार तमट गया था मकिी की तो रात कया ऐसी

घड़ी म शरीर न यतरवत मकिी उड़ा दी रदध न उड़ाई मकिी भल स ऐसा कहना भी गलत ह कयोकक रदध तो

मौिद ही न थ रदध तो मौिद थ आनद स चचाा म शरीर न उड़ा दी

शरीर रहत स काम यतरवत करता ह रात तम सोए भी रहत हो मचिर आ िाता ह हाथ उड़ा दता ह

उसक तलए िागन की भी िररत नही होती तम रठ हो कोई एक ककड़ फक द तमहारी आि की तरफ तो

तमह आि रद थोड़ ही करनी पड़ती ह आि अपन स रद हो िाती ह वह सवचातलत ह आटोमरटक ह और

अचिा ह कक सवचातलत ह नही तो ककड़ पड़ िाता और तम आि रद करन की सोचत ही रहत कर रद कक न

कर इसतलए परकतत न तम पर नही िोड़ा ह तमहार तलए नही िोड़ा ह कक तम सोचो कफर रद करो उसम

तो ितरा हो िाएगा आि िसी नािक चीि तमहार ऊपर नही िोड़ी िा सकती परकतत न इतिाम ककया ह

िस ही कोई चीि करीर आएगी आि अपन स रद हो िाएगी तम थोड़ ही आि झपकात हो आि झपकती

तमन कभी खयाल ककया कक रहत स काम शरीर चपचाप ककए चला िाता ह तमन भोिन ककया शरीर

पचाता ह तम थोड़ ही पचात हो तमह तो कफर खयाल भी नही रिना पड़ता कक शरीर पचा रहा ह अपन आप

पचाए चला िाता ह

उस घड़ी रदध न िो पहली दफा मकिी उड़ाई वह रदध न उड़ाई यह कहना ही गलत ह कहन की रात

ह इसतलए उस तरह कही गई हआ ऐसा कक रदध तो पर क पर आनद स चचाा म मौिद थ मकिी आ गई

104

शरीर न उड़ा दी रदध न शरीर को सधारा िर दरारा उनहोन मकिी उड़ाई तो उनहोन शरीर को एक पाठ

कदया कक ऐस उड़ानी थी--म घर पर नही था तो भी गलती नही होनी चातहए म मौिद नही था तो भी गलती

नही होनी चातहए अगर म न भी रह तो भी तझ ऐस ही मकिी उड़ानी चातहए िस रदधपरिो को शोभा दती

ह यह शरीर को थोड़ा सा सशोधन ककया

लककन ततकषण दसर कदन सवाल आ गया कक रदधपरिो स भल हो गई तम इतन उतसक हो भल दसर की

दिन म कक रदधपरिो म भी दिन का रस तमहारा िटता नही ककसी न एक कदन पिा कक कभी-कभी म रोलन

म ककसी शबद की भल कर िाता ह रदधपरिो स भल नही हो सकती तो िातहर ह या तो म रदधपरि नही ह

या कफर रदधपरिो स भल होती ह इसतलए म कहता ह तमहार सामन रोलना करीर-करीर भस क सामन

रीन रिान िसा ह

िर म तमस रोल रहा ह तर म तमहार साथ इतनी गहनता स ह कक म मतसतषक पर धयान ही नही द

सकता तो रोलन का काम और शबद रनान का काम तो मतसतषक का यतर कर रहा ह--िस रदध क हाथ न

मकिी उड़ा दी थी ऐसा मरा मतसतषक तमस रोल चला िाता ह म तो तमहार साथ ह यतर कई दफ भल कर

िाता ह यतर की भल मरी भल नही ह और तिसन मझ पहचाना वह ऐस सवाल न उठाएगा ऐस सवाल

तमहार मन म उठ िात ह कयोकक तम आ गए हो भला मर पास लककन झकन की इचिा नही ह कोई भी

रहाना तमल िाए तो तम अपना झकना वापस ल लो--कक अर इस आदमी स एक शबद की भल हो गई कहना

कि था कह कि और कदया कफर पीि सधारना पड़ा तम इस तलाश म हो कक ककसी भी तरह तमहारा

समपाण रच िाए

सचाई यह ह कक म एक रहत करठन काम कर रहा ह तमहार साथ हो सकता ह परा रोलन की विह स

एक दसरा काम भी मझ साथ म करना पड़ रहा ह अचिा तो यही होता कक म चप हो िाता तमह भी भल न

तमलती मरी भी झझट िट िाती लककन तम शबदो को भी नही समझ पा रह हो तम मौन को भी न समझ

पात

महररारा चप हो गए तो ऐस लोग थ िो समझत थ कक रोलन को कि नही आता इसतलए चप हो

गए तम वहा भी भल िोि लोग रदध न रहत स परशनो क िवार न कदए तो सनन वालो न समझा कक इनको

कि आता नही ह िर आता ही नही तो िवार कस दग रदध न इसतलए िवार नही कदए कक िवार उन रातो

क कदए ही नही िा सकत उन रातो का िवार कवल वही द सकता ह िो िानता न हो िो िानता ह वह

चप रह िाएगा

िर म तमस रोल रहा ह तो म एक अतत करठन काम कर रहा ह पहला कक तमहारी और मरी

उपतसथतत सपणा रप स एक हो िाए तो रोल नही सकता या कफर म रोल तो तमस मरी उपतसथतत का कोई

तमलन न हो पाए तो कफर रोल सकता ह लककन व शबद कफर कोर होग तर शबद की कोई भल न होगी

पतडत स कभी शबद की भल नही होती रदधो स होती ह पतडत शबद म कशल होता ह कयोकक यतर को ही

तनिारता रहता ह

शबद तो कामचलाऊ ह िो मझ कहना ह वह इन कामचलाऊ शबदो स तम समझ लना तम यह रठ

मत सोच लना कक वयाकरण की कोई भल हो गई तो रदधपरिो स कस भल हो सकती ह वयाकरण मझ आती

ही नही इतना चला ल रहा ह वह भी चमतकार ह मौन आता ह भािा नही आती ककसी तरह चला ल रहा

105

अर इन तमतर न पिा ह कक होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी म तो तलिा

ह--सवामी कयामदव भारती और जहदी म तलिा ह--सवामी कयामदव सरसवती

िरर म तमह दिन म लग गया होऊगा िर य नाम तलि और सभावना इसकी ह कयामदव भारती

कयामदव सरसवती कक तम दो आदमी हो एक नही तसपलट टट हए दपाण म दो चहर रन गए होग इस तरह

भी तम दि सकत थ लककन उस तरह दिोग तो तमहारी जिदगी तमह रदलनी पड़ तमन ततकषण दिा कक अर

रदधपरि स भल हो गई कहा फस गए कोई और रदधपरि िोि िो कयामदव सरसवती तलि तो कयामदव

सरसवती ही तलि

झन फकीर हआ जलची वह अपन तशषयो को नाम द दता और भल िाता ककसी को कोई नाम द दता

और िर वह दसर कदन उसको रलाता तो वह ककसी और नाम स रलाता लोग कहत यह भी कया रात हई

हमन तो सना ह कक रदधपरि कभी इस तरह का तवसमरण नही करत

जलची कहता लककन तिसको मन नाम कदया था कल वह अर ह कहा तम कि और ही होकर आ गए

हो तमही आत िो कल थ तो पहचान भी लता तमही रदलकर आ गए तो अर म कया कर

दसरा फकीर हआ रोकोि वह रोि सरह उठकर कहता रोकोि और कफर िद कहता यस सर िी

हा यही ह उसक तशषय पित कक यह कया मामला ह वह कहता रात सोन म भल िात ह कक कौन सोया

था सरह अगर याद न कर लो ऐसा दो-चार-दस कदन तनकल िाए अपना नाम ही भल िाए कयोकक म कोई

नाम तो नही ह

मन की इस वततत को थोड़ा रदलो अगर मरी कोई भल होगी तो उसको म भोगगा तम कयो परशान

हो मर पाप मरी भल मझ भटकाएग तम अपनी भलो को सधार लो तम अपन होश को समहाल लो और

इस तरह की वयथा की रात मत पिो

अततम परशनाः पतितल और सार रदधपरिो न कहा ह समातध परत कषणमरता कहत ह समझ समातध स

तो लगता ह समझ फतलत हो सकती ह परत समझ स समातध कस फतलत हो सकती ह कया कवल समझ स

रदधतव की तसथतत परापत की िा सकती ह ओशो इस ठीक स समझाए

शबदो का ही भद ह समझ और समातध म तिस कषणमरता समझ कहत ह उसी को पतितल समातध

कहत ह तमहारी अड़चन म समझता ह कहा ह कयोकक तम सोचत हो समझदार तो तम हो इसतलए कया

अकली समझ स समातध फतलत हो सकती ह कयोकक अगर ऐसा होता तर तो समातध फतलत हो गई होती

समझदार तम हो

ररा न मानना समझदार भी तम नही हो समातध भी तमह अभी फतलत नही हई समझ तो समातध रन

ही िाती ह समझ और समातध एक ही घटना क नाम ह

कषणमरता को परान शबदो का उपयोग करन म थोड़ी अड़चन ह अड़चन यही ह कक परान शबद परान

अथो स रहत रोतझल हो गए ह इसतलए कषणमरता नए शबदो का उपयोग करत ह लककन शबदो का तम चाह

कि भी ककतना ही नया उपयोग करो तम गलार क फल को गलार कहो या चमली कहना शर कर दो इसस

गलार का फल न रदल िाएगा तमहार चमली कहन स तम गलार क फल को न रदल दोग तम नाम रदलत

106

चल िाओ गलार का फल गलार ही रहगा आदमी न परमातमा की ककतनी परततमाए रनायी परततमाए अलग-

अलग ह परमातमा एक ह

कषणमरता ककस समझ कहत ह अगर उनकी तम पररभािा समझोग तो तम पाओग वह पररभािा वही

ह तिसको पतितल न समातध कहा ह कया ह कषणमरता की पररभािा समझ की व कहत ह समझ का अथा ह

होश पररपणा िागतत व कहत ह समझ का अथा ह तवचारो क ऊहापोह का शात हो िाना तनमाल दतषट का

आतवभााव ऐस दिना कक दिो तो िरर लककन जचतन का धआ तमहारी आिो पर न हो धए स रतहत िर

तमहारी चतना की जयोतत िलती ह तर समझ

पतितल भी यही कहता ह--तनरवाचार तनरवाकलप न कोई सोच-तवचार न कोई कलप-तवकलप मन म

वही तसथतत समातध समातध का अथा होता ह समाधान िहा सर जचतन समापत हो गया सर परशन तगर गए

उस समाधान की अवसथा म तम एक दपाण रन िात हो उस दपाण म िो ह--िो ह कषणमरता का शबद ह

परमातमा क तलए कषणमरता कहत ह--दट तवहच इि िो ह पतितल कहगा-- सतय मीरा कहगी--कषण रदध

कहग--तनवााण य उनक अपन-अपन शबद ह िो ह वह तमह उसी कषण कदिाई पड़गा िर तमहारी सर

धारणाए तगर िाएगी िर तक तम धारणा स दिोग तर तक तम वही दि लोग िो तमहारी धारणा कदिा

दगी िस ककसी न रगीन चकमा लगाकर ससार दिा तो उसी रग का कदिाई पड़न लगता ह हर धारणा का

रग ह समझ तनधाारणा ह उसका कोई रग नही समझ का अथा ह वही कदिाई पड़ िाए िो ह िसा ह वसा

ही कदिाई पड़

तो इन शबदो क रहत िाल म तम मत पड़ना तमह िो रच िाए िो भा िाए समझ भा िाए ठीक

मगर मरा खयाल ह समझ स तमह अड़चन इसीतलए होती ह कक तम सोचत हो समझदार तो हम ह समातध

को पाना ह शायद तम यह भी सोचत हो कक चकक हम समझदार ह इसीतलए तो समातध पान तनकल नासमझ

कही समातध पान की चषटा करत ह लककन म तमस कहता ह नासमझ वही ह तिसन अपन को समझदार

समझ तलया ह सभी नासमझ अपन को समझदार समझत ह तमही थोड़ ही

समझदार वही ह तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह और तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह

वह धीर-धीर--दो उपाय ह उसक--या तो वह शदध समझदारी क ही सतर को रड़ा करता चला िाए परतयक कतय

िागकर करन लग होश स करन लग--उठ तो होशपवाक रठ तो होशपवाक चल तो होशपवाक िो कि भी कर

उसक पीि होश साध ल और दसरा उपाय पराना उपाय ह कक अगर इतना न हो सक तो कम स कम

घड़ीभर दो घड़ी चौरीस घट म स तनकाल ल और उन दो घतड़यो को समातध क कषणो म तरताए धयान म

तरताए

घड़ीभर अगर तमन धयान म तरताया तो धीर-धीर तम पाओग उस धयान का परभाव चौरीस घतड़यो

पर फलन लगा कयोकक यह असभव ह कक तम एक घट क तलए सवसथ हो िाओ और तईस घट रीमार रहो एक

घट को भी िो सवसथ हो गया उसक सवासथय की लहर चौरीस घटो पर फल िाएगी तो परान मनीतियो न

कहा ह चौरीस घट तम आि शायद तनकाल भी न पाओ--तमस आशा भी रिनी उतनी उतचत नही ह--तम

घड़ीभर तनकाल लो ऐसा नही कक उनह पता नही कक घड़ीभर स कया होगा लककन शरआत होगी और िर

हाथ पकड़ म आ िाए तो कफर धीर-धीर पर सतय को ही पकड़ा िा सकता ह

107

कषणमरता कहत ह अलग स धयान करन की कोई िररत नही ठीक ही कहत ह तिनहोन अलग स करन

को कहा ह व भी िानत ह कक अलग स करन की कोई िररत नही लककन अभी तम चौरीस घट कर सकोग

इतनी अपकषा व नही करत

कषणमरता न तम पर जयादा भरोसा कर तलया पतितल उतना भरोसा तम पर नही करत और इसतलए

पतितल न तो तम म स कि को समातध तक पहचा कदया कषणमरता न क ररारर ककसी को पहचा पाए हो

तम पर िरा जयादा भरोसा कर तलया तम घटन स सरक-सरककर चलत थ कषणमरता न मान तलया कक तम

दौड़कर चल सकत हो

कषणमरता न िो रात कही ह अपन तहसार स कह दी तमहारी जचता नही की पतितल न िो रात कही

ह उसम तमहारी जचता ह और एक-एक कदम तमह उठान की रात ह पतितल न सीकढ़या रिी ह कषणमरता न

िलाग तम सीकढ़या चढ़न तक की तहममत नही िटा पात तम िलाग कया िाक लगाओग

और अकसर ऐसा होता ह कक िो सीकढ़यो पर चढ़न की तहममत नही िटा पात व कषणमरता म उतसक हो

िात ह कयोकक यहा तो सीकढ़या चढ़नी ही नही िलाग लगानी ह और व कभी यह सोचत ही नही कक हम

सीकढ़या चढ़न तक का साहस नही कर पा रह हम िलाग कस लगाएग लककन िलाग लगानी ह सीकढ़या

चढ़न स कया होगा इस भातत रहाना तमल िाता ह सीकढ़या चढ़न स रच िात ह और िलाग तो लगानी

ककसको ह

तितना जयादा मन तमहार भीतर झाककर दिा उतना ही पाया कक तम अपन को धोिा दन म रहत

कशल हो तमहारी सारी समझदारी वही ह कषणमरता न तम पर िररत स जयादा आसथा कर ली तम इस

योगय नही इसतलए कषणमरता िीवनभर तचललात रह और ककसी को कोई सहायता नही पहची कयोकक व वहा

स मानकर चलत ह िहा तम नही हो और िो लोग उनक आसपास इकि हए उनम अतधक लोग ऐस ह िो

कि भी नही करना चाहत उनको रहाना तमल गया उनहोन कहा करन स कही कि होगा यह तो होश की

रात ह करन स कया होगा करन स भी रच गए होश तो साधना ककसको ह

मर पास रोि ऐसी घटनाए आती ह अगर म ककसी को कहता ह कक तम शात-धयान करो तो वह कि

कदनो राद आकर कहता ह कक ऐसा शात रठन स कि नही होता और शात रठन स होगा भी कया ऐसा आि

रद करन स कही कि धयान हआ ह अगर म उनको कहता ह कक िोड़ो सककरय-धयान करो कि कदन राद व

आकर कहत ह कक ऐस नाचन-कदन-उिलन स कया होगा अर धयान तो शात होना चातहए वह आदमी--वही

आदमी--भल ही िाता ह िर सककरय का कहो तर वह शात की सोचता ह कयोकक तर शात की आड़ म सककरय

स रच िाता ह िर शात की कहो तर वह सककरय की सोचता ह सककरय की आड़ म शात स रच िाता ह तम

रचन ही चल हो कफर तमहारी मिी रदलना ह या रचना ह

कषणमरता क शबद रहमलय ह लककन रईमानो क हाथ म पड़ गए और रईमानो को रड़ी राहत तमल

गई न पिा करनी न पराथाना करनी न धयान करना तसफा समझ और समझ समझ तो ह ही तमहार पास

तर उनकी तकलीफ यह होती ह कक समझ तो हमार पास ह ही पिा करनी नही धयान करना ही नही पराथाना

करनी नही समातध नही आ रही ह

समझ भी तमहार पास नही ह

म तमस कहता ह कषणमरता की समझ पतितल की समातध स जयादा करठन ह कयोकक पतितल न

टकड़-टकड़ करक सीकढ़या रना दी ह लर रासत को िोट-िोट िडो म तोड़ कदया ह

108

रदध एक िगल स गिरत थ राह भटक गए थ अर तम कहोग कक रदधपरि और राह भटक िात ह

रदधपरि अगर राह भटक ही न सकत हो तो मदाा राह भटक गए िहा पहचना था न पहच पाए दर होन

लगी तो आनद न राहगीर स पिा कक गाव ककतनी दर ह उस राहगीर न कहा रस दो कोस चल पड़ दो

कोस पर हो गए लककन गाव का कोई पता नही कफर ककसी राहगीर को पिा उसन कहा रस दो कोस

आनद न कहा य लोग कस ह इनका कोस ककतना रड़ा दो कोस हम पार हो गए पहला आदमी धोिा द

गया मालम होता ह या उस पता नही था िवार दन क मि म िवार द गया कयोकक गर होन का िर मौका

तमल तो कोई िोड़ता नही तमह पता भी न हो कक ककतनी दर ह कह कदया अर कम स कम कहन स पता तो

चला कक पता ह

कफर रदध मसकरात रह दो कोस कफर पर हो गए अर भी गाव का कोई पता नही आनद न कहा य इस

गाव क आदमी सभी झठ मालम होत ह कफर ककसी को पिा उसन कहा कक रस दो कोस तर तो आनद गसस

म आ गया उसन कहा हदद हो गई िो दिो वही दो कोस कहता ह दो कोस का मतलर ककतना होता ह

रदध न कहा नाराि न होओ इस गाव क लोग रड़ करणावान ह चार कोस तो चला कदया उनहोन

अगर पहला आदमी कहता दस कोस आठ कोस शायद हम थककर ही रठ िात कक अर कहा िाना अर नही

चलना हो सकता दो कोस क भरोस पर चल तलए दो कोस पार हो गया कफर दो कोस क भरोस पर चल

तलए वह भी पार हो गया अर इसकी मान लो ऐसा लगता ह कक अर दो ही कोस ह िह कोस रहा होगा

शर म

िर व पहच गए दो कोस क राद तो आनद न रदध स कषमा मागी कक मझ कषमा कर द म तो समझा कहा

क झठ रईमान दषट लोग ह कक कम स कम रासता तक सही नही रता सकत लककन रदध न कहा करणावान

पतितल जयादा करणावान ह कषणमरता कठोर ह कषणमरता उतना ही रता दत ह तितना ह व कहत ह

हिार कोस तम रठ गए तमन कहा अर दिग पतितल कहत ह रस दो कोस ह िरा चल लो पहच

िाओग पतितल को भी पता ह हिार कोस ह लककन तमहारी तहममत हिार कोस चलन की एक साथ हो नही

सकती तमस उतना ही कहना उतचत ह तितना तम चल सको पतितल मतिल को दिकर नही कहत तमको

दिकर कहत ह कक तमहार परो की तहममत ककतनी साहस ककतना सामथया ककतनी दो कोस दि लत ह कक

दो कोस यह आदमी चल सकता ह अगर दो कोस चल सकता ह तो ढाई कोस रता दो दो कोस क सहार आधा

कोस और भी चल िाएगा कफर रता दग ढाई कोस िलदी कया ह और धीर-धीर पहचा दग

पतितल आतहसता-आतहसता करमरदध तोड़त ह इसतलए पतितल का परा योगशासतर रड़ी करतमक सीकढ़या

ह एक-एक कदम एक-एक कदम पतितल हिारो को ल गए कषणमरता नही ल िा सक

और कि ऐसा नही ह कक कषणमरता न यह रात पहली दफ कही ह कषणमरता िस जचतन क लोग पहल

भी हए ह उनहोन भी इतनी ही रात कही ह यही रात कही ह व भी ककसी को नही पहचा सक

कषणमरता की जयादा इचिा यह ह कक तमस सच कहा िाए सतय की रड़ी परामातणकता ह व कहत ह

हिार कोस ह तो हिार ही कोस कहना ह एक कोस भी कम करक हम कयो कह झठ कयो रोल कषणमरता

कहत ह कही झठ रोलन स ककसी को सतय तक पहचाया िा सकता ह

109

म तमस कहता ह हा पहचाया िा सकता ह पहचाया गया ह पहचाया िाता रहगा और तम अनगरह

मानना उनका तिनहोन तमहार कारण झठ तक रोलन की वयवसथा की ह िो तमहारी विह स झठ तक रोलन

को रािी हो गए

सतय को कह दना रहत करठन नही ह अगर तमहारी जचता न की िाए तो सतय को कह दन म कया

करठनाई ह िसा ह वसा कह कदया रात ितम अगर तमहारी जचता की िाए तो वसा कहना होगा िहा स

तमह िीचना ह तम एक गहर गता म पड़ हो तमहार अधकार म रोशनी पहचती ही नही तमस रोशनी की

रात भी कया करनी तमह तो धीर-धीर शनाः-शनाः अधर क राहर लाना ह तमस कि कहना िररी ह तिसका

तमस आि तालमल रठ िाए कल की कल दि लग

पर य दो दतषटकोण ह तिसको िो िम िाए तिसको िो रम िाए एक रात भर खयाल रिना न तो

पतितल की समातध का तमह अभी पता ह न कषणमरता की समझ का व दोनो एक ही चीि क दो नाम ह और

तम यह िान लना कक तम नासमझ हो और समातधशनय हो इस िानकर ही अगर तम चलोग तो तिसको रदध

न कहा ह तशषय तम तशषय हो गए

और िीवन को व ही िीत लत ह िो सीिन म समथा ह और धमा का फलो स भरा पथ उनही को

उपलबध हो िाता ह तिनक िीवन म तशषयतव की सभावना तशषयतव का सरोत िल गया

आि इतना ही

110

एस धममो सनतनो भाग 2

सतरहवा परवचन

पराथाना सवय मतिल

न परस तवलोमातन न परस कताकत

अततनो व अवकियय कतातन अकतातन च 44

यथातप रतचर पपफ वणणवत अगधक

एव सभातिता वाचा अफला होतत अकबरतो 45

यथातप रतचर पपफ वणणवत सगधक

एव सभातिता वाचा सफला होतत कबरतो 46

यथातप पपफरातसमहा कतयरा मालागण रह

एव िातन मचचन कततबर कसल रह 47

न पपफगधो परटवातमतत न चदन तगर मतललका वा

सतच गधो परटवातमतत सबरा कदसा सपपररसो पवातत 48

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध न िगत को एक धमा कदया मनषय को एक कदशा दी िहा पराथाना परमातमा स रड़ी ह िहा मनषय

का हदय--पिा-अचाना स भरा--परमातमा स रड़ा ह

असली सवाल इसका नही ह कक परमातमा हो असली सवाल इसका ह कक मनषय का हदय पराथाना स

भरा हो पराथाना म ही तमल िाएगा वह तिसकी तलाश ह और पराथाना मनषय का सवभाव कस हो िाए

परमातमा हआ और कफर तमन पराथाना की तो पराथाना की ही नही ररशवत हो गई परमातमा हआ और

तम झक तो तम झक ही नही कोई झकान वाला हआ तर झक तो तम नही झक झकान वाल की सामथया

रही होगी शति रही होगी लककन कोई परमातमा न हो और तम झक तो झकना तमहारा सवभाव हो गया

रदध न धमा को परमातमा स मि कर कदया और धमा स परमातमा का सरध न रह िाए तो धमा अपन

ऊच स ऊच तशिर को पाता ह इसतलए नही कक परमातमा नही ह रतलक इसतलए कक परमातमा क तरना

झकना आ िाए तो झकना आ गया

इस थोड़ा समझन की कफकर करो

तम िात हो और झकत हो झकन क पहल पित हो परमातमा ह अगर ह तो झकोग परमातमा क

सामन झकत हो तो इसीतलए कक कि लाभ कि लोभ कि भय कि भतवषय की आकाकषा--कोई महतवाकाकषा

काम कर रही ह परमातमा कि द सकता ह इसतलए झकत हो लककन झकना तमहारी कफतरत नही तमहारा

111

सवभाव नही रमन स झकत हो अगर परमातमा कि न द सकता हो तो तम झकोग अगर झकन म और

परमातमा तमस िीन लता हो तो तम झकोग झकन म हातन हो िाती हो तो तम झकोग झकना सवाथा ह

सवाथा स िो झका वह कसा झका वह तो सौदा हआ वयवसाय हआ

ऐस तो तम ससार म भी झकत हो तिनक हाथ म ताकत ह उनक चरणो म झकत हो तिनक पास धन

ह पद ह उनक चरणो म झकत हो तो तमहारा परमातमा शति का ही तवसतार हआ धन और पद का ही

तवसतार हआ इसीतलए तो लोगो न परमातमा को ईशवर का नाम कदया ह ईशवर यानी ऐशवया ऐशवया क सामन

झकत हो ईशवर को परमपद कहा ह उसस ऊपर कोई पद नही पद क सामन झकत हो तो यह रािनीतत हई

धमा न हआ और इसक पीि लोभ होगा भय होगा पराथाना कहा

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

और धयान रिना िो ककसी मतलर स झकगा उसका तसर झकगा कदल नही कयोकक कदल तहसार

िानता नही उसकी िोपड़ी झकगी हदय नही कयोकक हदय तो तरना तहसार झकता ह हदय तो कभी उनक

सामन झक िाता ह तिनक पास न कोई शति थी न कोई पद था न कोई ऐशवया था हदय तो कभी तभिाररयो

क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता तभिाररयो क सामन वह सदा समराटो क सामन झकता ह हदय

तो कभी फलो क सामन झक िाता ह कोई शति नही कोई सामथया नही कषणभर ह कफर तवदा हो िाएग

हदय तो कमिोर क सामन और नािक क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता

तसर ह मनषय का अहकार हदय यानी मनषय का परम

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

कदल ककसी क कदमो पर हो काफी ह सर न झका चल िाएगा झक गया ठीक कदल क पीि चला

ठीक कदल की िाया रना ठीक कदल का साथ रहा ठीक न झका चल िाएगा कयोकक तसर क झकन स कि

भी सरध नही ह तम झकन चातहए तमहारा वास हदय म ह--िहा तमहारा परम ह वहा तसर झकता ह भय स

हदय झकता ह परम स परम और भय का तमलन कही भी नही होता

इसतलए अगर तम भगवान क सामन झक हो कक भय था डर थ तो तसर ही झकगा और अगर तम

इसतलए झक हो कक परम का पर आया राढ़ आई--कया करोग इस राढ़ का कही तो इस रहाना होगा कही तो

उलीचना होगा कल-ककनार तोड़कर तमहारी इरादत रहन लगी तमहारी पराथाना की राढ़ आ गई--तर तमहारा

हदय झकता ह

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

और कफर कौन कफकर करता ह कक परमातमा ह या नही रदगी अपनी कफतरत ह कफर तो सवभाव ह

पराथाना रहत करठन ह यह रात समझनी परम सवभाव होना चातहए परमपातर की रात ही मत पिो तम कहत

हो िर परमपातर होगा तर हम परम करग अगर तमहार भीतर परम ही नही तो परमपातर क होन पर भी तम कस

परम करोग िो तमहार भीतर नही ह वह परमपातर की मौिदगी पदा न कर पाएगी और िो तमहार भीतर ह

परमपातर न भी हो तो भी तम उस गवाओग कहा िोओग कहा

इस ऐसा समझो िो कहता ह परमातमा हो तो हम पराथाना करग वह आतसतक नही नातसतक ह िो

कहता ह परम ह हम तो परम करग वह आतसतक ह वह िहा उसकी निर पड़गी वहा हिार परमातमा पदा हो

िाएग परम स भरी हई आि िहा पड़गी वही मकदर तनरमात हो िाएग िहा परम स भरा हआ हदय धड़कगा

112

वही एक और नया कारा रन िाएगा एक नई काशी पदा होगी कयोकक िहा परम ह वहा परमातमा परगट हो

िाता ह

परम भरी आि कण-कण म परमातमा को दि लती ह और तम कहत हो पहल परमातमा हो तर हम परम

करग तो तमहारा परम िशामद होगी तमहारा परम परम न होगा तसर का झकना होगा--हदय का रहना नही

असली सवाल परमपातर का नही ह असली सवाल परमपणा हदय का ह रदध न इस रात पर रड़ा अदभत

िोर कदया इसतलए रदध न परमातमा की रात नही की और तितन लोगो को परमातमा का दशान कराया

उतना ककसी दसर वयति न कभी नही कराया ईशवर को चचाा क राहर िोड़ कदया और लािो लोगो को

ईशवरतव कदया भगवान की रात ही न की और ससार म भगवतता की राढ़ ला दी इसतलए रदध िसा अदभत

परि मनषय क इततहास म कभी हआ नही रात ही न उठाई परमातमा की और न मालम ककतन हदयो को

झका कदया

और धयान रिना रदध क साथ तसर को झकन का तो सवाल ही न रहा न कोई भय का कारण ह न

कोई परमातमा ह न डरन की कोई विह ह न परमातमा स पान का कोई लोभ ह मौि स झकना ह आनद स

झकना ह अपन ही अहोभाव स झकना ह अनगरह स झकना ह

िर वकष लद िाता ह फलो स तो झक िाता ह इसतलए नही कक फलो को तोड़न वाल पास आ रह ह

अपन भीतरी कारण स झक िाता ह फल को िान वाल पास आ रह ह इसतलए नही झकता अपन भीतर क

ही अपवा रोझ स झक िाता ह भि भगवान क कारण नही झकता अपन भीतर हदय क रोझ क कारण झक

िाता ह फल पक गए शािाए झकन लगी

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध का िोर पराथाना पर ह परमातमा पर नही और परमातमा को काट दन स रीच म न लन स रदध

का धमा रहत वजञातनक हो गया तर शदध आतररक करातत की रात रह गई य सतर आतररक करातत क सतर ह

समझन की कोतशश करो

दसरो क दोि पर धयान न द दसरो क कतय-अकतय को नही दि कवल अपन कतय-अकतय का

अवलोकन कर

तिसकी निर परमातमा पर ह उसकी निर दसर पर ह तिसन परमातमा को राहर दिा वह शतान को

भी राहर दिगा इस थोड़ा समझना थोड़ा रारीक ह पकड़ोग तो रहत काम आ िाएगा सतर अगर तमन

परमातमा को राहर दिा तो शतान को कहा दिोग उस भी तम राहर दिोग तमहार राहर दिन का ढग हर

चीि को राहर दिगा तर तमहारी निर दसरो क आचरण म अटकी रहगी

इसतलए तथाकतथत धारमाक आदमी सदा दसरो क कतय-अकतय का तवचार करत रहत ह दसर की

आलोचना म लीन रहत ह कौन न ररा ककया ककसन भला ककया कौन मकदर गया कौन नही गया दसरा ही

उनक जचतन म परभावी रहता ह इसतलए धारमाक तिनको तम कहत हो उनह अपन को िोड़कर सार िगत की

कफकर रनी रहती ह--कौन पाप कर रहा ह कौन पणय कर रहा ह कौन नका िाएगा कौन सवगा िाएगा

रदध कहत ह तम तसफा अपनी ही जचता करना तमहार ऊपर तमहार अततररि और ककसी का दातयतव

नही ह अगर तम उततरदायी हो तो तसफा अपन तलए अगर अतसततव तमस पिगा तो तसफा तमहार तलए तमह

िो िीवन का अवसर तमला ह उस अवसर म तमन कया कमाया कया गवाया तमह िो िीवन क कषण तमल

उनह तमन िाली ही फक कदया या िीवन क अमरस स भर तलया तमहार िो कदम पड़ िीवन की राह पर व

113

मतिल की तरफ पड़ या मतिल स दर गए तमस और कि भी नही पिा िा सकता तम ककसी और क तलए

तिममवार भी नही हो अपनी ही तिममवारी पयाापत ह

दसरो क दोि पर धयान न द

और धयान रिना िो दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोिो क परतत अधा हो िाता ह धयान

तम या तो अपन दोिो की तरफ द सकत हो या दसरो क दोिो की तरफ द सकत हो दोनो एक साथ न

चलगा कयोकक तिसकी निर दसरो क दोि दिन लगती ह वह अपनी ही निर की ओट म पड़ िाता ह िर

तम दसर पर धयान दत हो तो तम अपन को भल िात हो तम िाया म पड़ िात हो

और एक समझ लन की रात ह कक िर तम दसरो क दोि दिोग तो दसरो क दोि को रड़ा करक दिन

की मन की आकाकषा होती ह इसस जयादा रस और कि भी नही तमलता कक दसर तमस जयादा पापी ह तमस

जयादा रर ह तमस जयादा अधकारपणा ह इसस अहकार को रड़ी ततपत तमलती ह कक म तरलकल ठीक ह दसर

गलत ह तरना ठीक हए अगर तम ठीक होन का मिा लना चाहत हो तो दसरो क दोि तगनना और िर तम

दसरो क दोि तगनोग तो तम सवभावताः उनह रड़ा करक तगनोग तम एक यतर रन िात हो तिसस हर चीि

दसर की रड़ी होकर कदिाई पड़न लगती ह

और िो दसर क दोि रड़ करक दिता ह वह अपन दोि या तो िोट करक दिता ह या दिता ही नही

अगर तमस कोई भल होती ह तो तम कहत हो मिररी थी वही भल दसर स होती ह तो तम कहत हो पाप

अगर तम भि थ और तमन चोरी कर ली तो तम कहत हो म करता कया भि रड़ी थी लककन दसरा अगर

भि म चोरी कर लता ह तो चोरी ह तो भि का तमह समरण भी नही आता

िो तम करत हो उसक तलए तम तका िोि लत हो िो दसरा करता ह उसक तलए तम कभी कोई तका

नही िोित तो धीर-धीर दसर क दोि तो रड़ होकर कदिाई पड़न लगत ह और तमहार दोि उनकी तलना म

िोट होन लगत ह एक ऐसी घड़ी आती ह दभाागय की िर दसर क दोि तो आकाश िन लगत ह--गगनचरी हो

िात ह--तमहार दोि ततरोतहत हो िात ह तम तरना अचि हए अचि होन का मिा लन लगत हो यही तो

तथाकतथत धारमाक की दभाागय की अवसथा ह

तिसन दसरो क पाप दि वह अपन पणय तगनता ह चोरी तम हिार रपए की करो तो तम भला दत

हो दान तम एक पस का दो तो तम याद रित हो एक पस का दान भी रहत रड़ा मालम पड़ता ह हिार

रपए की चोरी भी िोटी मालम पड़ती ह शायद हिार रपए की चोरी करक तम एक पस का दान दकर

उसका तनपटारा कर लना चाहत हो

थोड़ा सोचो धारमाक लोगो न कसी-कसी तरकीर तनकाली ह पाप करत ह गगा म सनान कर आत ह

अर गगा म सनान करन का और पाप क तमटन स कया सरध हो सकता ह दर का भी कोई सरध नही हो

सकता गगा का कसर कया ह पाप तमन ककया और ऐस अगर गगा धो-धोकर सरक पाप लती रही तो गगा

क तलए तो नका म भी िगह न तमलगी इतन पाप इकि हो गए होग और अगर इतना ही आसान हो--पाप तम

करो गगा म डरकी लगा आओ और पाप हल हो िाए--तर तो पाप करन म रराई ही कहा रही तसफा गगा

तक आन-िान का शरम ह तो िो गगा क ककनार ही रह रह ह उनका तो कफर कहना ही कया

तमन तीथा रना तलए तमन िोट-िोट पणय की तरकीर रना ली ताकक रड़-रड़ पापो को तम झठला

दो भला दो िोटा-मोटा अचिा काम कर लत हो असपताल को दान द दत हो--दान उसी चोरी म स दत हो

114

तिसका परायतितत कर रह हो--लाि की चोरी करत हो दस रपया दान दत हो लककन लाि की चोरी को दस

रपए क दान म ढाक लना चाहत हो तम ककस धोिा द रह हो

या इतना भी नही करता कोई रोि सरह रठकर पाच-दस तमनट माला िप लता ह माला क गररए

सरका लता ह सोचता ह हल हो गया या राम-राम िप लता ह या रामनाम िपी चदररया ओढ़ लता ह

सोचता ह मामला हल हो गया िस राम पर कि एहसान हो गया अर राम समझ चदररया ओढ़ी थी कहन

को अपन पास रात हो गई मकदर गए थ तहसार रि तलया ह

िीवन अधर स भरा रह और परकाश की जयोतत भी नही िलती तसफा अधरी दीवालो पर तम परकाश

शबद तलि दत हो या दीए क तचतर टाग दत हो पयास लगी हो तो पानी शबद स नही रझती अधरा हो तो

दीए शबद स नही तमटता

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

तम अगर तसफा तसवीर का अवलोकन करत रहो--

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

तो तमहार कदल की पीड़ा न तमटगी तसवीरो क दिन स परमी की तसवीर तलए रठ रहो इसस कही कोई

परमी तमला ह

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

आईन म कसी पानी की झलक ह पर उसस तमहारी पयास न रझगी शासतर शबद द सकत ह सतय नही

अधर की दीवालो पर रनाई गई दीए की तसवीर धोिा द सकती ह रोशनी नही

और िो वयति दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोि पर तो धयान दता नही िो िोट-मोट

तिनको तम पणय कहत हो तिनको पणय कहना कफिल ही ह तिनको पणय कवल नासमझ कह सकत ह िो

तमहार पाप क ही सिावटो स जयादा नही ह पाप का हीशगार ह िो पाप क ही माथ पर लगी जरदी ह पाप

क ही हाथो म पड़ी चड़ी ह पाप क ही परो म रध घघर ह उनह तम पणय कहत हो उनका तहसार रित हो

रदध न कहा िोड़ो यह रात दसरो क दोि पर धयान न दो उसस तमहारा कोई परयोिन नही ह

तमहारा परयोिन कवल तमस ह दसरो क कतय-अकतय मत दिो कवल अपन कतय-अकतय का अवलोकन करो

तसफा अपना ही आबिवशन अवलोकन

यह शबद समझ लन िसा ह--अवलोकन अवलोकन रदध की परककरया ह िीवन क अधकार स मि होन क

तलए रदध यह नही कहत ह कक तम अपन पाप को दिो और दिी होओ पिातताप करो कक म पापी ह और न

रदध कहत ह तम अपन पणय को दिो और रड़ फल न समाओ और उिलकर चलो कक म रड़ा पणयातमा ह रदध

कहत ह तम अवलोकन करो

अवलोकन का अथा होता ह तटसथ दशान तरना ककसी तनणाय क न यह कहना कक ठीक न यह कहना कक

ररा न भला न पाप न पणय तम कोई तनणाय मत लना तम कोई मलयाकन मत करना तम तसफा दिना

िस कोई आदमी रासत क ककनार िड़ा हो िाए भीड़ चलती ह दिता ह अचि लोग तनकलत ह रर लोग

तनकलत ह उस कि परयोिन नही साध तनकलत ह असाध तनकलत ह परयोिन नही या िस कोई लट गया ह

घास पर कषण भर आकाश म चलत रादलो को दिता ह उनक रप-रग अलग-अलग काल रादल ह शभ

रादल ह कोई तहसार नही रिता चपचाप दिता रहता ह

115

अवलोकन का अथा ह एक वजञातनक दतषट तटसथ-भाव मातर दिन पर धयान रिो िोर दिन पर ह िो

तम दि रह हो उसक तनणाय करन पर नही कक वह ठीक ह या गलत तम नयायाधीश मत रनो तम तराि

लकर तौलन मत लगो तम मातर िषटा रहो तिसको उपतनिद साकषी कहत ह उसी को रदध अवलोकन कहत ह

रस दिो िस अपना कि लना-दना नही एक तटसथ-भाव एक फासल पर िड़ हए चपचाप और एक

अदभत करातत घटती ह तितन तम तटसथ होत िात हो उतना ही तमह पता चलता ह कक तम अपन कतयो स

अलग हो पाप स भी अलग पणय स भी अलग और यह िो अलगपन ह इसी का नाम मति ह मोकष ह

िो पाप क साथ अपन को एक समझता ह वह भातत म ह िो पणय क साथ अपन को एक समझता ह

वह भी भातत म ह उसन कतय क साथ अपन को एक समझ तलया उसन अपन को कताा समझ तलया

अवलोकन करन वाला इस नतीि पर आता ह कक म कवल िषटा ह कताा नही कफर पाप और पणय दोनो

ही तमट िात ह िस सवपन म ककए हो कभी िस ककसी उपनयास म पढ़ हो कभी िस कभी अफवाह सनी हो

सवय स उनका कोई सरध नही रह िाता यही शदध रदधतव ह कभी-कभी तमह भी अचानक कषणभर को इसकी

झलक तमल िाएगी और कषणभर को भी तरिली कौध िाए तो जिदगी कफर वही नही होती िो पहल थी

अवलोकन करो

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

दसरो क सरध म सोचत-तवचारत रािार म भटकत ससार की लरी पररकरमा करत अपन तक आए

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

अनयथा िरा गदान झकान की रात थी अवलोकन स तम सीध सवय म पहच िाओग हा दसर क कतय-

अकतय का तवचार करत रह तो रड़ी पररकरमा ह अनत पररकरमा ह अनत िनमो तक भी तम यह तवचार

चकता न कर पाओग ककतन ह दसर ककस-ककस का तहसार करोग ककस-ककस क तलए रोओग हसोग

ककसकी परशसा ककसकी जनदा करोग अगर ऐस तम चल पड़

मन सना ह कक एक आदमी भागा िा रहा था राह क पास रठ आदमी स उसन पिा कक भाई कदलली

ककतनी दर ह उस आदमी न कहा तिस तरफ तम िा रह हो रहत दर कयोकक कदलली तम आठ मील पीि

िोड़ आए हो अगर इसी रासत स िान की तिदद हो तो सारी पथवी की पररकरमा करक िर आओग--अगर रच

गए--तो कदलली पहच िाओग अगर लौटन की तयारी हो तो जयादा दर नही ह

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

कदलली तरलकल पीि ह आठ मील का फासला भी नही ह अवलोकन की रात ह तनरीकषण की रात ह

िागतत की रात ह अपरमाद की रात ह िरा होश साधना

पहली रात दसरो का तवचार मत करो अपना ही तवचार करन योगय काफी ह आि रद करो अपन ही

कतयो को दिो और अपन कतयो क भी तनणाायक मत रनो अनयथा अवलोकन समापत हो गया तम आसि हो

गए तमन कहा यह ठीक ह तो परीतत रनी तमन कहा यह ठीक नही तो अपरीतत रनी ककसी कतय स घणा हई

ककसी कतय स परम हआ आसति-अनासति राग-दवि पदा हआ तो कतय तो दर रह राग-दवि क भाविाल म

तम िो गए रस कतय को दित रहो

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अगर घड़ीभर भी तम रोि कतय का अवलोकन करत रहो तो तमह ऐसा ही अनभव होगा िसा आतमा न

सनान कर तलया कदनभर उसकी तािगी रहगी और कदनभर रह-रहकर लहर आती रहगी आनद की रह-

रहकर रह-रहकर झोक आ िाएग पलक आ िाएगी एक मसती िा िाएगी तम झम-झम उठोग ककसी

भीतरी रस स और यह िो भीतरी रस ह यह रतदध का नही ह हदय का ह

िर तम सोचत हो और तनणाय करत हो रतदध सककरय हो िाती ह िर तम मातर दित हो तर हदय का

फल तिलता ह िस ही तमन तनणाय लना शर ककया रतदध रीच म आई कयोकक तनणाय तवचार का काम ह

िस ही तमन तौला तराि आया तराि रतदध का परतीक ह तमन नही तौला रस दित रह तो रतदध को रीच

म आन की कोई िररत ही न रही मातर दिन की अवसथा म साकषीभाव म रतदध हट िाती ह और िीवन क

िो गहर रहसय ह उनह हदय िानता ह

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

और हदय न कोई राि परम का परमातमा का रतदध को कभी रताया नही

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

पराए को कही कोई भद की रात रताता ह रतदध पराई ह उधार ह हदय तमहारा ह

इस थोड़ा समझो िर तम पदा हए तो हदय लकर पदा होत हो रतदध समाि दता ह ससकार दत ह

तशकषा दती ह घर पररवार सभयता दती ह तो जहद क पास एक तरह की रतदध होती ह मसलमान क पास

दसर तरह की रतदध होती ह िन क पास तीसर तरह की रतदध होती ह कयोकक तीनो क ससकार अलग शासतर

अलग तसदधात अलग लककन तीनो क पास कदल एक ही होता ह कदल परमातमा का ह रतदधया समािो की ह

रस म कोई पदा होता ह तो उसक पास कमयतनसट-रतदध होगी ईसाई घर म कोई पदा होता ह तो

उसक पास ईसाई-रतदध होगी रतदध तो धल ह राहर स इकिी की हई िस हदय क दपाण पर धल िम िाए

दपाण तो तम लकर आत हो धल तमह तमलती ह

इस धल को झाड़ दना िररी ह समसत धमा की गहनतम परककरया धल को झाड़न की परककरया ह कक दपाण

कफर सवचि हो िाए तम कफर स रालक हो िाओ तम कफर हदय म िीन लगो तम कफर वहा स दिन लगो

िहा स तमन पहली रार दिा था िर तमन आि िोली थी तर रीच म कोई रतदध न िड़ी थी तर तमन

तसफा दिा था वह था अवलोकन

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

दसरा सतर िस कोई सदर फल रग-तररगा ह रहत वणायि ह लककन कफर भी गधशनय ऐसा ही

पातडतय ह रग रहत ह उसम सगध तरलकल नही िीवन म सगध तो आती ह आचरण स तम िो िानत हो

उसस िीवन म सगध नही आती वह तो मौसमी फल ह दर स लभावना लग सकता ह पास आन पर तम उस

कागिी पाओग आदमी भला धोि म आ िाए मधमतकिया धोि म नही आती ततततलया धोि म नही

आती भौर धोि म नही आत भौर धोि म नही आत तम परमातमा को कस धोिा द सकोग ततततलया धोि

म नही आती मधमतकिया धोि म नही आती तम परमातमा को कस धोिा द सकोग

117

समराट सोलोमन क िीवन म कथा ह एक रानी उसक परम म थी और वह उसकी परीकषा करना चाहती

थी कक सच म वह इतना रतदधमान ह तितना लोग कहत ह अगर ह तो ही उसस तववाह करना ह तो वह

आई उसन कई परीकषाए ली व परीकषाए रड़ी महतवपणा ह

उसम एक परीकषा यह भी थी--वह आई एक कदन राि दररार म दर िड़ी हो गई हाथ म वह दो

गलदसत फलो क गलदसत लाई थी और उसन सोलोमन स कहा दर स कक इनम कौन स असली फल ह रता

दो रड़ा मतककल था फासला काफी था वह उस िोर पर िड़ी थी राि दररार क फल तरलकल एक िस लग

रह थ

सोलोमन न अपन दरराररयो को कहा कक सारी तिड़ककया और दवार िोल दो तिड़ककया और दवार िोल

कदए गए न तो दररारी समझ और न वह रानी समझी कक दवार-दरवाि िोलन स कया सरध ह रानी न सोचा

कक शायद रोशनी कम ह इसतलए रोशनी की कफकर कर रहा ह कोई हिाा नही लककन सोलोमन कि और

कफकर कर रहा था िलदी ही उसन रता कदया कक कौन स असली फल ह कौन स नकली कयोकक एक

मधमकिी भीतर आ गई रगीच स और वह िो असली फल थ उन पर िाकर रठ गई न दरराररयो को पता

चला न उस रानी को पता चला

वह कहन लगी कस आपन पहचाना सोलोमन न कहा तम मझ धोिा द सकती हो लककन एक

मधमकिी को नही

मधमकिी को धोिा दना मतककल ह परमातमा को कस दोग

रदध कहत ह िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क

तलए सभातित वाणी तनषफल होती ह

तमह िीवन क सतयो का पता सोचन स न लगगा उन सतयो को िीन स लगगा िीओग तो ही पता

चलगा िो ठीक लग उस दर मत करना उस कल क तलए सथतगत मत करना िो ठीक लग उसम आि ही

डरकी लगाना अगर तमह अवलोकन की रात ठीक लग िाए तो सोचत मत रहना कक कल करग ऐस तमहार

िीवन म कभी सगध न आएगी ऐस यह हो सकता ह कक अवलोकन क सरध म तम रात करन म कशल हो

िाओ और धयान क सरध म तम शासतरकार रन िाओ लककन तमहार िीवन म सगध न आएगी

पराथाना क सरध म िान लना पराथाना को िानना नही ह पराथाना को तो वही िानता ह िो करता ह

पराथाना को तो वही िानता ह िो डरता ह पराथाना को तो वही िानता ह िो पराथाना म तमट िाता ह िर

पराथाना तमहारा अतसततव रनती ह

आचरण का अथा ह तमहारा जञान तमहारा अतसततव हो तम िो िानत हो वह तसफा ऊपर स तचपकी हई

रात न रह िाए उसकी िड़ तमहार िीवन म फल तमहार भीतर स वह रात उठ वह तमहारी अपनी हो

ऊपर स इकिा जञान ऐसा ह िस तमन भोिन तो रहत कर तलया हो लककन पचा न सक उसस तम रीमार

पड़ोग उसस शरीर रगण होगा पचा हआ भोिन िीवन दता ह ऊिाा दता ह अनपचा भोिन िीवन को नषट

करन लगता ह भि भी रच सकत ह लोग जयादा दर तक जयादा भोिन स िलदी मर िात ह रोझ हो िाता

ह परी वयवसथा पर और जञान का तो भारी रोझ ह

तमहारा चतनय अगर दर गया ह तो तमहार जञान क रोझ स तम िानत जयादा हो िीए कम हो एक

असतलन हो गया ह रदध कहत ह थोड़ा िानो लककन उस िीन म रदलत िाओ थोड़ा भोिन करो लककन

ठीक स चराओ ठीक स पचाओ रि मास-मजजा रन िाए

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होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

कवल व ही समझ पाएग िो रतदध स गहर उतरकर हदय का दीया िलाएग हदय क दीए स अथा ह िो

िानत ह उस िीवन रना लग िो समझा ह वह समझ ही न होगी समातध रन िाएगी िो सना ह वह सना

ही नही पी तलया ह

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

थोड़ा िानो िीओ जयादा और तम पहच िाओग जयादा तमन िाना और िीया कि भी नही तो तम

न पहच पाओग तर तम दसरो की गायो का ही तहसार रित रहोग तमहारी अपनी कोई गाय नही तम गायो

क रिवाल ही रह िाओग मातलक न हो पाओग

पतडत मत रनना पापी भी पहच िात ह पतडत नही पहचत कयोकक पापी भी आि नही कल िग

िाएगा दि िगाता ह पतडत एक सि का सपना दि रहा ह कक िानता ह तरना िान

शासतर स रचना शासतर ििीर हो सकता ह सभातित सदर वचन िहर हो सकत ह तिस चीि को भी

तम िीवन म रपातररत न कर लोग वही िहर हो िाएगी तमहारी िीवन की वयवसथा म िो भी चीि पड़ी

रह िाएगी तरना रपातररत हए तरना लह-मास-मजजा रन वही तमहार िीवन म िहर का काम करन लगगी

पतडत का अतसततव तविाि हो िाता ह

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

तो धयान इस पर हो कक मरा आचरण कया ह मरा होन का ढग कया ह मर िीवन की शली कया ह

परमातमा को मानो या न मानो अगर तमहारा आचरण ऐसा ह--घर लौटन वाल का ससार की तरफ िान वाल

का नही परतयाहार करन वाल का अपनी चतना क क ि की तरफ आन वाल का अगर तमहारा आचरण ऐसा ह-

-वयथा का कड़ा-करकट इकिा करन वाल का नही तसफा हीर ही चनन वाल का अगर तमहारा आचरण हस िसा

ह कक मोती चन लता ह कक दध और पानी म दध पी लता ह पानी िोड़ दता ह

हमन जञातनयो को परमहस कहा ह तमन कभी समझा कयो दो कारणो स एक तो हस सार को असार

स अलग कर लता ह और दसरा हस सभी कदशाओ म गततवान ह वह िल म तर सकता ह िमीन पर चल

सकता ह आकाश म उड़ सकता ह उसक सवातषय पर कही कोई सीमा नही ह िमीन हो तो चल लता ह

सागर हो तो तर लता ह आकाश हो तो उड़ लता ह तीनो आयामो म तीनो डायमशनस म उसक तलए कही

कोई रकावट नही ह तिस कदन तम सार और असार को पहचानन लगोग उस कदन तमहारा सवातषय भी इतना

ही अपररसीम हो िाएगा िसा हस का इसतलए हमन जञातनयो को परमहस कहा ह

न िानन स ही रध हो िमीन पर ही ठीक स रहना नही आता पानी पर चलन की तो रात अलग

आकाश म उड़ना तो रहत दर शरीर म ही ठीक स रहना नही आता मन की तो रात अलग आतमा की तो रात

रहत दर

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शरीर यानी िमीन मन यानी िल आतमा यानी आकाश इसतलए मन िल की तरह तरगातयत शरीर

तथर ह पथवी की तरह सततर साल तक डटा रहता ह तगर िाता ह उसी पथवी म तिसस रनता ह मन तरलकल

पानी की तरह ह पार की तरह कहो तितर-तितर िाता ह आतमा आकाश की तरह तनमाल ह ककतन ही

रादल तघर कोई रादल धए की एक रिा भी पीि नही िोड़ गया ककतनी ही पतथवया रनी और िो गयी

ककतन ही चाद-तार तनरमात हए और तवलीन हो गए आकाश कटसथ ह अपनी िगह तहलता-डलता नही

शरीर म ही रहना तमस नही हो पाता मन की तो रात अलग मन म िात ही जचता पकड़ती ह

तवचारो का ऊहापोह पकड़ता ह आतमा तो कफर रहत दर ह कयोकक आतमा यानी तनरवाचार धयान आतमा

यानी समातध--आकाश मि असीम

परमहस कहा ह जञातनयो को लककन जञान को आचरण म रदलन की कीतमया रदलन का रहसय समझ

लना चातहए तम समझ भी लत हो कभी कोई रात सफरटक-मतण की भातत साफ कदिाई पड़ती ह कक समझ म

आ गई अगर तम उसी कषण उसका उपयोग करन लगो तो और तनिरती िाए तम कहत हो कल उपयोग कर

लग परसो उपयोग कर लग अभी समझ म आ गई सभालकर रि ल

एक तमतर यहा सनन आत थ डाकटर ह पढ़-तलि ह मन उनको दिा कक िर भी व सनत तो रठकर

रस नोट ल रह ह कफर मझ तमलन आए तो मन पिा कक आप कया कर रह हो व कहत ह कक आप इतनी

अदभत रात कह रह ह कक नोट कर लना िररी ह पीि काम पड़गी िर म समझा रहा ह तर व समझ नही

रह ह व कल पर टाल रह ह समझ तक को कल पर टाल रह ह करन की तो रात अलग व नोट ल रह ह

अभी कफर पीि कभी िर िररत होगी काम पड़ िाएगी तम अभी मौिद थ म अभी मौिद था अभी ही

उतर िान दत हदय म लककन व सोचत ह कक व रड़ा कीमती काम कर रह ह व धोिा द रह ह िद को

धोिा द रह ह यह रचाव ह समझन स समझना नही ह

सामन एक घटना घट सकती थी अभी और यही म तमहारी आि म झाकन को रािी था तम आि

रचा तलए--नोट करन लग मन हाथ फलाया था तमह उठा ल राहर तमहार गडढ स तमहारा हाथ तमन वयसत

कर तलया तम नोट लन लग मन तमह पकारा तमन पकार न सनी तमन अपनी ककतार म कि शबद अककत

कर तलए और तम रड़ परसि हए तम अभी िीतवत सतय को न समझ पाए कल क तलए टाल कदया करोग

कर

टालना मनषय क मन की सरस रड़ी रीमारी ह िो समझ म आ िाए उस उसी कषण करना कयोकक

करन स सवाद आएगा सवाद आत स करन की और भावना िगगी और करन स और सवाद आएगा अचानक

एक कदन तम पाओग तिस तमन जञान की तरह सोचा था वह जञान नही रहा आचरण रन गया

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

और धयान रिना िो भी िाना िा सकता ह वह िीकर ही िाना िा सकता ह नाहक की रहस म मत

पड़ना कयोकक रहस भी अकसर रचन का ही उपाय ह और वयथा क तका िाल म मत उलझना कयोकक तमह

रहत तमल िाएग कहन वाल कक इसम कया रिा ह लककन गौर स दि लना कक िो कह रहा ह उसन कि

अनभव तलया ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

120

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए--कोई हिाा नही तका कर लककन पहल उनह दीवाना रनन

की िररत ह उनक पास भी कि सवाद हो तभी तम उसी की रात सनना तिसक पास कि सवाद हो अनयथा

इस िगत म आलोचक रहत ह जनदक रहत ह ककसी भी चीि को गलत कह दना तितना आसान ह उतनी

आसान और कोई रात नही ईशवर को कह दना नही ह ककतना आसान ह ह कहना रहत करठन कयोकक

िो ह कह उस तसदध करना पड़ िो नही कह उस तो तसदध करन का सवाल ही न रहा िर ह ही नही तो तसदध

कया करना ह

परम को इनकार कर दना ककतना आसान ह लककन परम को हा करना ककतना करठन ह कयोकक परम का

अथा होगा कफर एक आग स गिरना नही रहत आसान ह इसतलए कायर हमशा नही कह-कहकर जिदगी चला

लत ह हालाकक व कदित रड़ रहादर ह कोई आदमी कहता ह ईशवर नही ह लगता ह रड़ी तहममत का

आदमी ह अपनी इतनी तहममत नही ह पर म तमस कहता ह कायर नही कहकर काम चला लत ह कयोकक

तिस चीि को नही कह कदया उस न तसदध करन की िररत न िीवन म उतारन की िररत न दाव लगान की

िररत न मागा चलन की िररत तिसन हा कहा वही रहादर ह वही साहसी ह

लककन हा भी नपसक हो सकती ह अगर तमन तसफा रहान क तलए हा कह दी हो अगर ककसी न कहा

ईशवर ह तमन कहा होगा भाई िरर होगा तसफा झझट िटान को कक इतनी भी ककसको फरसत ह कक

रकवास कर इतना भी ककसक पास समय ह कक तववाद कर अर कौन झझट कर कक ह या नही कक तरलकल

ठीक िरर होगा अगर तमन हा भी तसफा रचाव क तलए कही तो तमहारी हा नही ही ह उस हा म हा नही

नही ही ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

उसी क पास पिना तिसक िीवन म कोई सगध हो और सवास हो और तिसक िीवन म कोई सवाद हो

तिसक ओठो स तिसकी शवासो स शरार की थोड़ी गध आती हो उसी स शरार की रात पिना तिसक

आसपास थोड़ी मसती की हवा हो तिसकी आिो म िमार हो उसी स पिना हर ककसी स मत पिन रठ

िाना और हर ककसी की रात मत सन लना नही तो जिदगी को ऐस ही गवा दोग नासमझ रहत ह कायर

रहत ह आलोचक रहत ह उनका कोई अत नही ह कयोकक य सर रचाव की तरकीर ह जिदगी को िानन

वाल रहत कम ह और तम भी कही इसी भीड़ म न िो िाना िो ही िाओग अगर िीवन म कोई सतर

तमहार पास आए और तमन उनका िलदी उपयोग न कर तलया व िग िा िात ह

सतय रड़ी नािक चीि ह वह रीि की तरह ह तम उस हदय म ल िाओ ततकषण तो वह अकररत हो

िाता ह रीि को रि रहो ततिोतड़यो म समहालकर वह सड़ िाएगा सार सतय तमहार शासतरो की ततिोतड़यो

म सड़ गए ह ऐसा नही ह कक सतयो की कोई कमी ह सतय रहत ह शासतर भर पड़ ह लककन ककसी काम क

नही रह तमहार िीवन क शासतर म िर तक कोई सतय उतरकर िन मास मजजा न रन िाए पच न िाए

तमहार रग-रश म न दौड़न लग तर तक ककसी काम का नही ह इस समरण रिना

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को रहत पणय करन चातहए

िीवन दो ढग का हो सकता ह रदध न रड़ा ठीक परतीक चना ह एक तो िीवन ऐसा होता ह तिसको

तम जयादा स जयादा फलो का ढर कह सकत हो और एक िीवन ऐसा होता ह तिस तम फलो की माला कह

सकत हो माला और ढर म रड़ा फका ह माला म एक सयोिन ह एक तारतमय ह एक सगीत ह एक

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लयरदधता ह माला म एकिटता ह एकशिला ह एक तसलतसला ह फलो का एक ढर ह उसम कोईशिला

नही ह उसम कोई सगीत नही ह उसम दो फल िड़ नही ह ककसी अनसयत धाग स सर फल अलग-अलग ह

तरिर पड़ ह

तो या तो िीवन ऐसा हो सकता ह कक िीवन क सर कषण तरिर पड़ ह एक कषण स दसर कषण क भीतर

दौड़ती हई कोई िीवनधारा नही ह कोई धागा नही िो सरको िोड़ता हो अतधक लोगो का िीवन कषणो का

ढर ह िनम स लकर मतय तक तमह भी उतन ही कषण तमलत ह तितन रदध को लककन रदध का िीवन एक

माला ह हर कषण तपरोया हआ ह हर कषण अपन पीि कषण स िड़ा ह आग कषण स िड़ा ह िनम और मतय

एकशिला म रध ह एक अनसयत सगीत ह

इस थोड़ा समझो तम ऐस हो िस वणामाला क अकषर रदध ऐस ह िस उनही अकषरो स रना एक गीत

गीत म और वणामाला क अकषरो म कोई फका नही ह वही अकषर ह वणामाला म तितना ह उतना ही सभी गीतो

म ह

माका टवन क िीवन म एक घटना ह उसक तमतर न उस तनमततरत ककया तमतर एक रहत रड़ा उपदषटा

था माका टवन कभी उस सनन नही गया था कि ईषयाा रही होगी मन म माका टवन क माका टवन िद रड़ा

सातहतयकार था लककन उपदषटा की रड़ी खयातत थी

तमतर न कई दफा तनमततरत ककया तो एक रार गया सामन की ही कसी पर रठा था उस कदन तमतर न िो

शरषठतम उसक िीवन म भाव म था कहा कयोकक माका टवन सनन आया था लककन माका टवन क चहर पर

कोई भावदशा नही रदली वह ऐस ही रठा रहा अकड़ा िस कि भी नही हो रहा ह िस कया कचरा रकवास

कर रह हो

तमतर भी चककत हआ िर दोनो लौटन लग गाड़ी म वापस रासत म उसन तहममत िटाई और पिा तमह

मरी रात कसी लगी माका टवन न कहा रात सर उधार मर पास एक ककतार ह तिसम सर तलिा ह तमन

उसी को पढ़कर रोला ह उस आदमी न कहा चककत कर रह हो कोई एकाध वाकय कोई एकाध टकड़ा कही

तलिा हो सकता ह लककन िो मन रोला ह वह मन ककसी ककतार स तलया नही माका टवन न कहा शता

लगात हो सौ-सौ डालर की शता लग गई उपदषटा सोचता था तनतित ही शता म िीत िाऊगा यह पागल

ककस रात की शता लगा रहा ह िो म रोला ह यह परा का परा एक ककतार म हो ही नही सकता सयोग नही

हो सकता ऐसा

लककन उस पता नही था माका टवन न दसर कदन एक तडकशनरी भि दी और तलिा इसम सर ह िो

भी तम रोल हो एक-एक शबद िो तम रोल हो सर इसम ह शबदशाः

पर तडकशनरी और शकसतपयर म कि फका ह शबदकोश म और कातलदास म कि फका ह शबदकोश और

उपतनिद म कि फका ह कया फका ह वही फका तमम और रदध म ह तम कवल शबदकोश हो फल की भीड़

एक ढर अनसयत नही हो िड़ नही हो तारतमय नही ह सर फल अलग-अलग पड़ ह माला नही रन पाए ह

माला उसी का िीवन रनता ह िो अपन िीवन को एक साधना दता ह एक अनशासन दता ह िो

अपन िीवन को होशपवाक एक लयरदधता दता ह तर िीवन न कवल गदय रन िाता ह अगर धीर-धीर तम

िीवन को तनिारत ही िाओ तो गदय पदय हो िाता ह िीवन तमहारा गान लगता ह गनगनान लगता ह

तमहार भीतर स अहरनाश सगीत की एक धारा िटन लगती ह तम रिन लगत हो

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िर तक तम रिो न तर तक तम परमातमा क चरणो क योगय न हो सकोग और धयान रिना वयथा की

तशकायत-तशकव मत करना

उनस तशकवा फिल ह सीमार

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा स कया तशकायत करनी कक आनद नही ह िीवन म

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा की कपा क योगय त ही नही इसतलए ककसी और स तशकवा मत करना

तम िस अभी हो ऐस ही तम परमातमा पर चढ़न योगय नही हो तम माला रनो तम िीवन को एक

कदशा दो तम ऐस ही सर कदशाओ म मत भागत कफरो पागलो की तरह तम एक भीड़ मत रहो तमहार भीतर

एकसवरता ह और रदध इसी को पणय कहत ह तम चककत होओग रदध कहत ह तिसक िीवन म एकसवरता

ह वही पणयधमाा ह पापी एक भीड़ ह पणयधमाा एक माला ह पापी असगत ह कहता कि ह करता कि ह

सोचता कि ह होता कि ह पापी क भीतर एकसवरता नही ह रोलता कि ह आि कि और कहती ह हाथ

कि और करत ह

पापी एक साथ रहत ह पणयातमा एक ह योगसथ ह िड़ा ह इटीगरटड ह वह िो भी करता ह वह सर

सयोतित ह वह सभी एक कदशा म गततमान ह उसक पर भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसकी आि िा

रही ह उसक हाथ भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसका हदय िा रहा ह उसकी शवास भी उसी तरफ िा

रही ह तिस तरफ उसकी धड़कन िा रही ह वह इकिा ह उसक िीवन म एक कदशा ह एक गतत ह

तवतकषपतता नही ह

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को पणय अिान करना चातहए

ताकक तमहारा िीवन एक माला रन िाए

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती

रड़ी मीठी रात रदध कहत ह िर हदय भरकर सनना

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की

अगर हवा परर की तरफ रह रही हो तो चदन कोई उपाय नही चदन क पास कक अपनी सगध को

पतिम की तरफ भि द हवा क तवपरीत नही िाती

न तगर की न चमली की न चदन की न रला की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी

िाती ह

सतपरि सभी कदशाओ म सगध रहाता ह एक ही सगध ह इस िगत म िो तवपरीत कदशा म भी चली

िाती ह वह ह सतपरि की वह ह सत-परि की वह ह िागरत परि की सगध

मनषय भी एक फल ह और िो कली ही रह गए तिल न पाए उनक दि का अत नही कतलयो स पिो

िो तिलन म असमथा हो गयी तिनम गध भरी थी और लटा न पायी ऐस ही िस ककसी सतरी को गभा रह गया

और कफर रचच का िनम न हो तो उसका सताप समझो गभा रड़ा होता िाए और रट का िनम न हो तो उस

सतरी की पीड़ा समझो ऐसा ही परतयक मनषय पीड़ा म ह कयोकक तमहार भीतर िो रड़ा हो रहा ह वह िनम

नही पा रहा ह तम एक गभा लकर चल रह हो गभा रड़ा होता िाता ह लककन तमहार िनम की कदशा िो गई

123

ह तम भल ही गए हो तम एक कली हो उसक भीतर गध इकिी होती िा रही ह रोतझल हो गई ह कली

अपन ही रोझ स दरी िा रही ह

मर दि तमहारी पीड़ा यह नही ह कक तमहार िीवन म दि ह तमहारी असली पीड़ा यही ह कक िो सि

हो सकता था वह नही हो पा रहा ह यह दि की मौिदगी नही ह िो तमह पीतड़त कर रही ह यह उस सि की

मौिदगी का अभाव ह िो हो सकता था और नही हो पा रहा ह तमहारी गरीरी तमह पीड़ा नही द रही ह

लककन तमहार भीतर िो अमीरी का झरना फट सकता था फटन को ततपर िड़ा ह उस पर चिान पड़ी ह वह

झरना फट नही पा रहा ह यह तवकास की िटपटाहट ह आदमी का सताप यह आदमी की पीड़ा िनम लन की

िटपटाहट ह

सारा अतसततव तिलन म भरोसा रिता ह िर भी कोई चीि तिल िाती ह तो तनभाार हो िाती ह

आदमी भी एक फल ह और रदध कहत ह रड़ा अनठा फल ह और रदध िानकर रहत ह उनका फल तिला तर

उनहोन एक अनठी रात िानी कक तवपरीत कदशाओ म भी िहा हवा नही भी िा रही हो वहा भी सत की गध

चली िाती ह सत की गध कोई सीमाए नही मानती

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह

सजजन की सगध एकमातर सगध ह िो ससार क तनयम नही मानती िो ससार क साधारण तनयमो क

पार ह िो अततकरमण कर िाती ह

सीि ल फलो स गाकफल मददआ-ए-जिदगी

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इतना ही काफी नही ह कक िद महको

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इसतलए रदध न कहा ह समातध कफर परजञा समातध कफर करणा रदध न कहा ह वह धयान धयान ही

नही िो करणा तक न पहचा द

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

उसी समातध को रदध न पररपणा समातध कहा ह िो लट िाए सभी कदशाओ म सभी कदशाओ म रह

िाए

लककन यही समझ लन की रात ह यह रड़ी तवरोधाभासी रात ह तम साधारण अवसथा म सभी

कदशाओ म दौड़त हो और कही नही पहच पात रदधतव की तरफ चलन वाला वयति एक कदशा म चलता ह और

तिस कदन पहचता ह उस कदन सभी कदशाओ म रहन म समथा हो िाता ह

तम सभी कदशाओ म रहन की कोतशश करत हो थोड़ा धन भी कमा ल थोड़ा धमा भी कमा ल थोड़ी

परततषठा भी रना ल थोड़ी समातध भी कमा ल थोड़ा दकान भी रचा ल थोड़ा मकदर भी तम सभी कदशाओ म

हाथ फलात हो और आतिर म पात हो तभिारी क तभिारी ही तवदा हो गए िस आए थ िाली हाथ वस

िाली हाथ गए रहत पकड़ना चाहा कि पकड़ म न आया

तमहारी हालत करीर-करीर वसी ह िस तमन एक रहत परतसदध गध की सनी हो कक एक मिाककया

आदमी न एक गध क पास दोनो तरफ घास क दो ढर लगा कदए ररारर दरी पर और गधा रीच म िड़ा था

124

उस भि तो लगी तो वह राए तरफ िाना चाहा तर मन न कहा कक दाए उस तरफ भी घास थी दाए तरफ

िाना चाहा तो मन न कहा राए

कहत ह गधा भिा रीच म िड़ा-िड़ा मर गया कयोकक न वह राए िा सका न दाए िर दाए िाना

चाहा तर मन न कहा राया िर राए िाना चाहा तर मन न कहा दाया

तमहारा मन यही कर रहा ह िर तम मकदर की तरफ िाना चाहत हो तर मन कहता ह दकान िर

तम दकान पर रठ हो मन को भिन याद आता ह मकदर ऐस ही मर िाओग और दोनो तरफ ततपत क साधन

मौिद थ कही भी गए होत

म तमस कहता ह अगर तम दकान पर ही परी तरह स चल िाओ तो वही धयान हो िाएगा आध-आध

मकदर िान की रिाय दकान पर पर चल िाना रहतर ह कयोकक पर चला िाना धयान ह गराहक स रात करत

वि भीतर राम-राम गनगनाना गलत ह गराहक को ही परा राम मान लना उतचत ह

आध-आध कि सार न होगा आधा यहा आधा वहा तम दो नाव पर सवार हो तम रड़ी मतककल म पड़

हो तम सर कदशाओ म पहचना चाहत हो और कही नही पहच पात रदधपरि एक कदशा म िात ह और तिस

कदन मतिल पर पहचत ह सर कदशाओ म उनकी गध फल िाती ह तम सर पान की कोतशश म सर गवा दत

हो रदधपरि एक को पा लत ह और सर पा लत ह

महावीर न कहा ह तिसन एक को पा तलया उसन सर पा तलया तिसन एक को िान तलया उसन सर

िान तलया

िीसस न कहा ह सीक यी फसटा कद ककगडम आफ गाड ऐड आल एलस शल री एडड अनट य अकल तम

परमातमा की िोि कर लो परभ का राजय िोि लो शि सर अपन स आ िाएगा तम उसकी कफकर ही मत

करो एक को तिसन गवाया वह सर गवा दता ह और एक को तिसन पाया वह सर पा लता ह

लककन तमहारा सर अधरा-अधरा ह अधर-अधर क कारण तम िड-िड हो गए हो तमहार भीतर रड़

टकड़ हो गए ह एक टकड़ा कही िा रहा ह दसरा टकड़ा कही िा रहा ह तम एक टटी हई नाव हो तिसक

तखत अलग-अलग रह रह ह तम कस पहच पाओग तम कहा पहच पाओग तम हो ही नही तम इतन िड-

िड हो गए हो कक तम हो यह कहना भी उतचत नही ह होन क तलए िररी ह कक तमहारी कदशा रन एक

अनशासन हो एकशिला हो तम फलो को तपरोना सीिो फलो की माला रनाना सीिो

िीवन म सतय का आतवषकार करना ह परम का आतवषकार करना ह िीवन म तम कौन हो इसका

आतवषकार करना ह इस ऐसी ही नही गवा दना ह तो तमहार िीवन म धीर-धीर अनशासन आना शर हो

िाए अगर तमहार पास कि भी--थोड़ी सी भी--दतषट हो कदशा हो कहा पहचना ह तो एक तारतमय आ िाए

उस तारतमय क साथ ही साथ तमहार भीतर एकता का िनम होगा इस एकता क माधयम स ही ककसी कदन तम

माला रन सकत हो और तिस कदन तम माला रन िात हो उस कदन परमातमा क गल म चढ़ान नही िाना

होता परमातमा का गला िद तमहारी माला म आ िाता ह आ ही िाएगा तम कातरल हो गए

कारल-इतलतफात त ही नही

तभी तक अड़चन थी

उनस तशकवा फिल ह सीमार

तशकायत रकार ह इतना ही िानना कक अभी हम तयार नही हए

125

अर यह फलो की गठरी को तम ककसी क गल म डालना चाहोग तो माला कस रनगी तगर िाएग फल

नीच धल म पड़ िाएग यह माला ककसी क गल म डालनी हो तो माला होनी चातहए फलो क ढर को माला

मत समझ लना

थोड़ा दिो माला और ढर म कया फका ह ढर म सगठन नही ह अथाात आतमा नही ह माला म एक

सगठन ह एक वयतितव ह एक आतमा ह धागा कदिाई नही पड़ता एक फल स दसर फल म चपचाप अदकय

म तपरोया हआ ह

िीवन क लकषय भी कदिाई नही पड़त एक कषण स दसर कषण म अदकय तपरोए होत ह रदध उठत ह

रठत ह चलत ह तो हर घड़ी क भीतर धयान का धागा तपरोया हआ ह िो भी करत ह एक रात धयान रित

ही ह कक उस करन म स धयान का धागा न िट वह धागा रना रह

फल स भी जयादा मलय धाग का ह लकषय का ह कदशा का ह और तिस कदन यह घड़ी घट िाती ह कक

तम सगरठत हो िात हो तम एक हो िात हो उसी कदन--उसी कदन परमातमा की कपा तम पर ररस उठती ह

उस कि कहन की िररत नही ह

इसतलए रदध उस सरध म चप रह ह िो कहा िा सकता था उनहोन कहा िो नही कहा िा सकता था

उनहोन नही कहा उनहोन सारा िोर इस पर कदया ह कक तमहारा वयतितव कस एक हो िाए तमहारा जञान कस

आचरण रन िाए तमहार तरिर फल कस माला रन िाए इसस जयादा उनहोन रात नही की कयोकक इसक

राद रात करनी ठीक ही नही ह इसक राद िो होना ह वह होता ही ह वह हो ही िाता ह उसम कभी कोई

अड़चन नही पड़ती

इसतलए परमातमा को तम भल िाओ तो अड़चन नही ह अपन को मत भल िाना अपन को भला तो

सर गया सर डरा िद की याद रिी और उसी याददाकत को रोि-रोि समहालत गए रोि-रोि हर तरह स

वह याददाकत सघन होती चली िाए िस िल तगरता ह पहाड़ स--और चिान मिरत ह िल तरलकल नािक

ह--लककन रोि तगरता ही चला िाता ह एक कदन चिान तो रत होकर रह िाती ह िल की धार अपनी िगह

रनी रहती ह

कठोर स कठोर भी टट िाता ह साततय क सामन इसतलए घरड़ाना मत अगर आि तमह अपनी दशा

चिान िसी लग तम कहो कक कस यह अहकार रहगा यह चिान रड़ी मिरत ह कस यह कदल झकगा यह

झकना िानता नही तम इसकी कफकर मत करना तम तसफा साततय रिना धयान का अवलोकन का साकषी

का शि सर अपन स हो िाता ह

रदध न मनषय क वयतितव का तवजञान कदया उनहोन मनोतवजञान कदया मटाकफतिकस परलोक क शासतर

की रात नही की रदध रड़ यथाथावादी ह व कहत ह िो करना िररी ह वही और जयादा वयथा की तवसतार

की रातो म तमह भटकान की िररत नही ह ऐस ही तम काफी भटक हए हो

थोड़ स तमह सतर कदए ह अगर तम उनह कर लो तो उन सतरो म रड़ी आग ह व अधकार को िला

डालग व वयथा को राि कर दग और उन सतरो की आग स तमहार भीतर का सवणा तनिरकर राहर आ िाएगा

रदध न रहत थोड़ी सी रात कही उनही-उनही को दोहराकर कहा ह कयोकक रदध को कोई रस दशानशासतर म

नही ह रदध को रस ह मनषय की आतररक-करातत म रपातरण म रदध को तिन लोगो न गौर स अधययन ककया

ह उन सरको हरानी होती ह कक रदध एक ही रात को ककतनी रार दोहराए चल िात ह वह हरानी इसीतलए

126

होती ह कक रदध वयथा की रात को कभी रीच म नही लात रस साथाक को ही दोहरात ह ताकक सतत चोट

पड़ती रह

और तम ऐस हो तमहारी नीद ऐसी ह तमहारी तिा ऐसी ह कक रहत रार दोहरान पर भी तम सन लो

वह भी आिया ह रदध स कोई पिता था तो व तीन रार दोहराकर िवार दत थ उसी वि तीन दफा

दोहराकर िवार दत थ कयो तीन रार कयोकक रदध स कोई पिन लगा कक कयो तीन रार कया आप

सोचत ह हम रहर ह रदध न कहा नही अगर तम रहर होत तो इतनी अड़चन न थी तम रहर नही हो और

कफर भी सनत नही हो तम सोए नही हो यही तो अड़चन ह सोए होत तो िगाना आसान हो िाता ह तम

रनकर लट हो तम सोन का ढोग कर रह हो उठना भी नही चाहत िाग भी गए हो तम सनत हए मालम

पड़त हो और सनत भी नही इसतलए तीन रार दोहराता ह

यह िो रदध का दोहराना ह धममपद म--इस परी चचाा म--रहत रार आएगा अलग-अलग दवारो स व

कफर वही लौट आत ह--कस तमहारा रपातरण हो रदध की सारी आकाकषा अभीपसा मनषय-क कित ह महावीर

मोकष-क कित ह व मोकष की चचाा करत ह िीसस ईशवर-क कित ह व ईशवर की चचाा करत ह रदध मनषय-क कित

ह िस मनषय स ऊपर कोई सतय नही ह रदध क तलए

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

सरक ऊपर मनषय का सतय ह और उसक ऊपर कोई सतय नही ह कयोकक तिसन मनषय क सतय को

समझ तलया उस किी तमल गई सार सतयो क दवार उसक तलए कफर िल ह

रदध को भोिन रनाओ पीओ पचाओ तो धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध का अवतरण होन

लगा धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध की परततमा उभरन लगी हर चिान तिपाए ह रदध की परततमा

अपन म िरा िनी की िररत ह हथौड़ी की िररत ह वयथा को िाटकर अलग कर दना ह

ककसी न माइकल एिलो स पिा--कयोकक एक चचा क राहर एक पतथर रहत कदन स पड़ा था उस

असवीकार कर कदया गया था चचा क रनान वालो न उपयोग म नही तलया था वह रड़ा अनगढ़ था माइकल

एिलो न उस पर महनत की और उसस एक अपवा कराइसट की परततमा तनरमात की--ककसी न पिा कक यह पतथर

तो तरलकल वयथा था इस तो फक कदया गया था इस तो राह का रोड़ा समझा िाता था तमन इस रपातररत

कर कदया तम अनठ कलाकार हो

माइकल एिलो न कहा नही तम गलती कर रह हो िो मन पतथर स परगट ककया ह वह पतथर म

तिपा ही था तसफा मन पहचाना और िो वयथा टकड़ पतथर क आसपास थ उनको िाटकर अलग कर कदया यह

परततमा तो मौिद ही थी मन रनाई नही मन तसफा सनी आवाि म गिरता था यहा स यह पतथर तचललाया

और इसन कहा कक कर तक म ऐस ही पड़ा रह कोई पहचान ही नही रहा ह तम मझ उठा लो िगा दो रस

मन िनी उठाकर इस पर महनत की िो सोया था उस िगाया

रदधतव को कही पान नही िाना ह हरक क भीतर आि िो चिान की तरह मालम हो रहा ह--अनगढ़

रस िरा स िनी-हथौड़ की िररत ह सर क भीतर स पकार रहा ह कक कर तक पड़ा रहगा उघाड़ो मझ

इसतलए रदध कहत ह िो तम सनो िो सभातित तमहार कानो म पड़ िाए उनह तम समतत म सगहीत

मत करत िाना उनह उतारना आचरण म उनह िीवन की शली रनाना धीर-धीर तमहार चारो तरफ उनकी

हवा तमह घर रह उनक मौसम म तम िीना िलदी ही तम पाओग कक तमहार भीतर का रदधतव उभरना शर

हो गया फल माला रन गए

127

और तर एक ऐसी घटना घटती ह िो ससार क तनयमो क पार ह फलो की सगध वाय की तवपरीत

कदशा म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला की लककन तिनक भीतर का रदधपरि

िाग गया रदध चतनय िाग गया उनकी सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह सभी कदशाओ म उनकी सगध

फल िाती ह

और िर तक तम ऐस अपन को लटा न सकोग तर तक तम पीतड़त रहोग एक ही नका ह--अपन को

परगट न कर पाना और एक ही सवगा ह--अपनी अतभवयति िोि लना

िो गीत तमहार भीतर अनगाया पड़ा ह उस गाओ िो वीणा तमहार भीतर सोई पड़ी ह िड़ो उसक

तारो को िो नाच तमहार भीतर तयार हो रहा ह उस तम रोझ की तरह मत ढोओ उस परगट हो िान दो

परतयक वयति अपन भीतर रदधतव को लकर चल रहा ह िर तक वह फल न तिल तर तक रचनी

रहगी अशातत रहगी पीड़ा रहगी सताप रहगा वह फल तिल िाए तनवााण ह सतचचदानद ह मोकष ह

आि इतना ही

128

एस धममो सनतनो भाग 2

अठारहवा परवचन

पराथानााः परम की पराकाषठा

पहला परशनाः रदध रात करत ह होश की िागन की और आप रीच-रीच म मसती नशा शरार और

लीनता की रात भी उठाया करत ह रदध पर रोलत समय तवपरीत की चचाा कयो आवकयक ह कपया

समझाए

दतषट न हो तो तवपरीत कदिाई पड़ता ह दतषट हो तो िरा भी तवपरीत कदिाई न पड़गा तिसको रदध

होश कहत ह उसी को सकफयो न रहोशी कहा तिसको रदध अपरमाद कहत ह उसी को भिो न शरार कहा

रदध क वचनो म और उमर ियाम म इचभर का फासला नही रदध न तिस मकदर कहा ह उसी को उमर

ियाम न मधशाला कहा रदध तो समझ ही नही गए उमर ियाम भी समझा नही गया उमर ियाम को लोगो

न समझा कक शरार की परशसा कर रहा ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

तम रहोश हो शरार तो तमन पी ही रिी ह ससार की शरार ककसी न धन की शरार पी रिी ह और

धन म रहोश ह ककसी न पद की शरार पी रिी ह और पद म रहोश ह ककसी न यश की शरार पी रिी ह

तिनको न पद यश धन की शरार तमली व ससती शरार मयिानो म पी रह ह व हार हए शरारी ह

और रड़ा मिा तो यह ह कक रड़ शरारी िोट शरातरयो क तिलाफ ह िो कदलली म पदो पर रठ ह व

िोट-िोट मयिानो म लोगो को शरार नही पीन दत उनहोन िद भी शरार पी रिी ह लककन उनकी शरार

सकषम ह उनका नशा रोतलो म रद नही तमलता उनका नशा रारीक ह उनक नश को दिन क तलए रड़ी

गहरी आि चातहए उनका नशा सथल नही ह

राह पर तमन शरारी को डगमगात दिा रािनता को डगमगात नही दिा राह म तमन शरारी को

तगर िात दिा धनी क पर तमन डगमगात नही दि शरारी को ऊलिलल रकत दिा पदधाररयो को

ऊलिलल रकत नही दिा तो कफर तमन कि दिा नही ससार म आि रद करक िी रह हो

रहत तरह की शरार ह ससार शरार ह उमर ियाम सफी या भि तिस शरार की रात कर रह ह

वह ऐसी शरार ह िो ससार क नश को तोड़ द िो तमह िगा द

परमातमा की शरार का लकषण ह िागरण इसतलए रदध और उमर ियाम की रातो म फका नही ह

िानकर ही रदध क साथ इन मसतानो की भी रात कर रहा ह कयोकक अगर तमह फका कदिाई पड़ता रहा तो न

तो तम रदध को समझ सकोग और न इन दीवानो को िर इन दोनो म तमह कोई फका न कदिाई पड़गा तभी

तम समझोग

परमातमा का भी एक नशा ह लककन नशा ऐसा ह कक और सर नश तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक

तमहारी नीद ही तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक िागरण की एक अहरनाश धारा रहन लगती ह कफर भी उस

129

नशा कयो कह तम पिोग िर होश आता ह तो नशा कयो कह नशा इसतलए ह कक होश तो आता ह मसती

नही िाती होश तो आता ह मसती रढ़ िाती ह और ऐसा होश भी कया िो मसती भी िीन ल कफर तो

मरसथल का हो िाएगा होश कफर तो रिा-सिा होगा कफर तो हररयाली न होगी फल न तिलग और पकषी

गीत न गाएग और झरन न रहग और आकाश क तारो म सौदया न होगा

या तो तम उमर ियाम को समझ लत हो कक यह ककसी साधारण शरार की परशसा कर रहा ह और या

तम समझ लत हो कक रदध मसती क तिलाफ ह दोनो नासमतझया ह रदध मसती क तिलाफ नही ह रदध स

जयादा मसत आदमी तम कहा पाओग तम कहोग यह िरा अड़चन की रात ह रदध को ककसी न कभी नाचत

नही दिा मीरा नाचती ह चतनय नाचत ह रदध को कर ककसन नाचत दिा पर म तमस कहता ह ऐस भी

नाच ह िो कदिाई नही पड़त और म तमस यह भी कहता ह कक नाच की एक ऐसी आतिरी तसथतत भी ह िहा

सर तथर हो िाता ह ऐसा भी नाच ह िहा कपन नही होता

ककसी और उदाहरण स समझ िो तमहारी समझ म आ िाए कयोकक यह रात तो ररझ हो िाएगी

पहली रन िाएगी कोई मर िाता ह तपरयिन तो तमन आिो स आस रहात लोग दि ह कभी तमन उस दि

की घड़ी को भी दिा ह िर आस भी नही रहत ऐस भी दि ह दि की आतयततक ऐसी भी गहराई ह कक आि

स आस भी नही रहत मह स आह भी नही तनकलती दि इतना गहन हो िाता ह कक आस रहाना भी दि की

रइजजती मालम होगी दि इतना गहन हो िाता ह कक रोना भी वयथा मालम होगा

रोत भी व ह तिनक दि म अभी थोड़ी सि की सतवधा ह तिनका दि परा नही ह रोत भी व ह

तिनक दि न अभी आतिरी तक नही ि तलया ह हदय क आतिरी कोर तक को नही तभगो कदया ह तचललात

भी व ह तिनका दि सथल ह तमन कभी ऐसी घड़ी िरर दिी होगी कक दि महान हआ दि इतना रड़ा था

कक तम समहाल न पाए आि भी समहाल न पायी आस भी समहाल न पाए सर सिाटा हो गया आघात

इतना गहरा था कक कपन ही न हआ

मनोवजञातनक कहत ह अगर ऐसी घड़ी हो तो ककसी भी तरह उस वयति को रलान की चषटा करनी

चातहए अनयथा वह मर भी िा सकता ह ककसी भातत उस तहलाओ रलाओ उसकी आिो म ककसी भातत आस

ल आओ ताकक आघात हलका हो िाए ताकक आघात रह िाए ताकक दि आसओ स तनकल िाए और भीतर

राहत आ िाए

तम दि क कारण रोत हो या दि स िटकारा पान क कारण रोत हो तम दि क कारण रोत हो या

दि स राहत पान क तलए रोत हो दि िर सघन होता ह तो आवाि भी नही उठती कदल िर सच म ही टट

िाता ह तो आवाि भी नही उठती

ठीक इसस तवपरीत अर तम समझ सकोग मीरा नाचती ह अभी नाच सकती ह इसतलए अभी नाच

इतना गहरा नही गया ह अभी लीनता और समातध की दशा इतनी गहरी नही गई ह िहा नाच भी िो िाए

ऐस भी नाच ह िहा नाच भी िो िाता ह ऐस भी दि ह िहा आस भी नही होत

रदध भी नाच रह ह लककन रड़ा सकषम ह यह नतय यह इतना सकषम ह कक सथल आि न पकड़ पाएगी

इस तो कवल व ही दि पाएग तिनहोन ऐसा नाच िीया हो िाना हो

म तमस कहता ह रदध नाच रह ह अनयथा हो ही नही सकता म तमस कहता ह रदध न पी ली वह

शरार तिसकी म रात कर रहा ह आनद इतना सघन ह अवाक हो गए ह ठग रह गए ह मीरा तो नाच भी

सकी थोड़ी राहत तमली होगी आनद भी िर सघन हो िाए तो कि करो तो राहत तमल िाती ह रदध पी

130

गए परा आनद पी गए अगर कोई मझस पि तो रदध का नशा मीरा स भी जयादा ह मीरा को तो कम स कम

नाचन की िरर रही रदध को उतनी िरर भी न रही

धयान रिना िर म मीरा या रदध या ककनही और की रात करता ह तो य रात तलनातमक नही ह

कपररटव नही ह म ककसी को िोटा-रड़ा नही कह रहा ह म तो तसफा तमह समझान क तलए रात ल रहा ह

तमह रदध समझ म आ िाए तो तमह उमर ियाम भी समझ म आ िाएगा

कफटिरालड न तिसन उमर ियाम का अगरिी म अनवाद ककया उमर ियाम को ररराद कर कदया

कयोकक सारी दतनया न कफटिरालड क रहान ही उसी क मागा स उसी क तनतमतत स उमर ियाम को िाना

और सारी दतनया न यही समझा कक यह शरार की चचाा ह यह मयिान की चचाा ह यह मयिान की चचाा

नही ह शरार की चचाा नही ह यह मकदर की रात ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

रदध न ऐसी ही शरार ढाली तिसम दीवान होतशयार रन िात ह वही उनका अपरमाद योग ह वही

उनकी िागरण की कला ह लककन म इसको कफर-कफर शरार कहता ह कयोकक म चाहता ह तम यह न भल

िाओ कक यह रिी-सिी िीवन तसथतत नही ह रड़ी हरी-भरी ह यह रतगसतान नही ह मरदयान ह यहा फल

तिलत ह पकषी चहचहात ह यहा चाद-तार घमत ह यहा गीतो का िनम होता ह यहा रोए-रोए म िर-िर

म अजञात की परततधवतन सनी िाती ह यहा मकदर की घरटयो का नाद ह और मकदर म िलती धप की सगध ह

रदध नीरस नही रठ ह हीरा समहालकर रठ ह

करीर न कहा ह हीरा पायो गाठ गरठयायो

तम ऊपर ही ऊपर मत दित रहना गाठ ही कदिाई पड़ती ह भीतर हीर को गरठयाकर रठ ह तहलत

भी नही इतना रड़ा हीरा ह कतपत भी नही होत इतना रड़ा हीरा ह इतनी रड़ी सपदा तमली ह कक धनयवाद

दना भी ओिा पड़ िाएगा िोटा पड़गा अहोभाव भी परगट कया कर अहोभाव परगट करन वाला भी िो गया

ह कौन धनयवाद द कौन अनगरह की रात कर कौन उतसव मनाए

म तमस यह कह रहा ह कक ऐस उतसव भी ह िर उतसव भी ओिा पड़ िाता ह इसतलए िानकर ही

रात कर रहा ह िर कभी उमर ियाम की तमस रात करगा तो रदध की भी रात करगा कयोकक न तो उमर

ियाम समझा िा सकता ह रदध क तरना न रदध समझ िा सकत ह उमर ियाम क तरना

मरी सारी चषटा यही ह कक तिनको तमन तवपरीत समझा ह उनको तम इतन गौर स दि लो कक उनकी

तवपरीतता िो िाए और अलग-अलग रगो और रपो म तमह एक ही सौदया की झलक तमल िाए मीरा क

नाच म अगर तमह रदध रठ तमल िाए और रदध की धयानसथ परततमा म अगर तमह मीरा का नाच तमल िाए तो

हाथ लग गई किी मकदर का दवार तम भी िोलन म समथा हो िाओग तिनहोन इसस अनयथा दिा उनहोन

दिा नही उन अधो की रातो म मत पड़ना

दसरा परशनाः

कि कदल न कहा कि भी नही

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कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

एक तो मनषय की रतदध म चलत हए तवचारो का िाल ह वहा सर साफ-सथरा ह वहा चीि कोरटयो म

रटी ह कयोकक वहा तका का सामराजय ह और एक कफर हदय म उठती हई लहर ह वहा कि भी साफ-सथरा

नही ह वहा तका का सामराजय नही ह वहा परम का तवसतार ह वहा हर लहर दसरी लहर स िड़ी ह वहा कि

भी अलग-थलग नही ह सर सयि ह वहा शनय भी रोलता ह और रोलना भी सिाट िसा ह वहा नतय भी

आवाि नही करता और वहा सिाटा भी नाचता ह

तका की तितनी कोरटया ह िस-िस तम हदय क करीर आत हो टटती चली िाती ह तका क तितन

तहसार ह िस-िस तम हदय क करीर आत चल िात हो व तहसार वयथा होन लगत ह तितनी धारणाए ह

तवचार की व धारणाए रस िर तक तम मतसतषक म िीत हो िोपड़ी ही तमहारा िर तक घर ह तर तक

अथापणा ह िस ही थोड़ गहर गए िस ही थोड़ी डरकी ली िस ही थोड़ अपन म लीन हए िस ही हदय क

पास सरकन लग वस ही सर रहसय हो िाता ह िो िानत थ पता चलता ह वह भी कभी िाना नही िो

सोचत थ कभी नही िाना एहसास होता ह िानन लग जञात िटता ह अजञात म गतत होती ह ककनार स नाव

मि होती ह और उस सागर म परवश होता ह तिसका कफर कोई ककनारा नही इस ककनार स नाव मि होती

ह उस तरफ िहा कफर कोई दसरा ककनारा नही ह तटहीन सागर ह हदय का वहा रड़ी पहली रन िाती ह

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

कदल को सनन की कला सीिनी पड़गी अगर परानी आदतो स ही सना तिस ढग स मन को सना था

रतदध को सना था अगर उसी ढग स सना तो तम हदय की भािा न समझ पाओग वह भािा भाव की ह उस

भािा म शबद नही ह सवग ह उस भािा म शबदकोश स तम कि भी सहायता न ल सकोग उस भािा म तो

िीवन क कोश स ही सहायता लनी पड़गी

और इसीतलए अकसर लोग हदय क करीर िान स डर िात ह कयोकक हदय क पास िात ऐसा लगता ह

िस पागल हए िात ह सर साफ-सथरापन नषट हो िाता ह ऐसा ही समझो कक तवराट िगल ह िीवन का

और तमन एक िोट स आगन को साफ-सथरा कर तलया ह--काट कदए झाड़-झिाड़ दीवाल रना ली ह अपन

आगन म तम सतनतित हो िरा आगन स राहर तनकलो तो िगल की तवराटता घरड़ाती ह वहा िो िान का

डर ह वहा कोई रािपथ नही पगडतडया भी नही ह रािपथ तो रहत दर

उस तवराट रीहड़ िगल म िीवन क िगल म तो तम चलो तितना चलो उतना ही रासता रनता ह

चलन स रासता रनता ह चलन क तलए कोई रासता तयार नही ह रडीमड वहा कि भी नही ह इसतलए

आदमी डरता ह लौट आता ह अपन आगन म यही तो अड़चन ह रतदध तमहारा आगन ह िहा सर साफ-

सथरा ह िहा गतणत ठीक रठ िाता ह

पलटो न अपनी अकादमी अपन सकल क दवार पर तलि रिा था--िो गतणत न िानता हो वह भीतर न

आए पलटो यह कह रहा ह तिसन रतदध की भािा न सीिी हो वह यहा भीतर न आए

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मर दवार पर भी तलिा ह कि पलटो तो तलि सकता ह कयोकक रतदध क पास शबद ह म तलि नही

सकता लककन मर दवार पर भी तलिा ह कक िो हदय की भािा न समझता हो वह भीतर न आए कयोकक यहा

हम उस िगत की ही रात कर रह ह तिसकी कोई रात नही हो सकती यहा हम उसी तरफ िान की चषटा म

सलगन ह िहा िाना अपन को तमटान िसा ह िहा कवल व ही पहचत ह िो अपन को िोन को ततपर होत ह

तो डर लगगा

इसीतलए तो लोग परम स भयभीत हो गए ह परम की रात करत ह परम करत नही रात िोपड़ी स हो

िाती ह करना हो तो िीवन क रीहड़ िगल म परवश करना होता ह ितर ही ितर ह परम क सरध म लोग

सनत ह समझत ह गीत गात ह कथाए पढ़त ह परम करत नही कयोकक परम करन का अथा अपन को तमटाना

अहकार िो िाए तो ही परम का अकरण होता ह और तिसन परम ही न िाना--तिस अभाग न परम ही न

िाना--वह पराथाना कस िानगा वह तो परम की पराकाषठा ह वह तो परम का आतिरी तनचोड़ ह आतिरी सार

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

वहा भीतर ऐसी ही तरग चलती रहती ह वहा हा और ना म फासला नही वहा हा भी कभी ना होता

ह ना भी कभी हा होता ह वहा सर तवरोध लीन हो िात ह एक म उततर म म तमस कहना चाहगा--

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

िर तक कान आदतमयो की ही रात सनत रह िर तक कान वही सनत रह िो राहर स आता ह िर

तक कान आहत नाद को सनत रह--तिसकी चोट पड़ती ह कान पर और कान क पदो पर झिाहट होती ह--तर

तक कान कान ही नही और िर तक आिो न वही दिा िो राहर स आकर परततजरर रनाता ह तर तक उधार

ही दिा तर तक सतय का कोई अनभव न हआ तर तक सपना ही दिा िर कानो न वह सना िो भीतर स

उमगता ह िो भीतर स उठता ह िो भीतर स भरता ह तभी कान कान ह और िर आिो न वह दिा िो

आि दि ही नही सकती िर आिो न वह दिा िो आि रद करक कदिाई पड़ता ह िर आि अपन पर

लौटी सवय को दिा तभी आि आि ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

सरको भीतर की तरफ चलो थोड़ी अपन स पहचान कर ससार की रहत पहचान हई रहत पररचय

रनाए कोई काम नही आत रहत सग-साथ ककया अकलापन तमटता नही भीड़ म िड़ हो अकल हो तरलकल

ऐस भी लोग ह िो जिदगीभर भीड़ म रहत ह और अकल ही रह िात ह और ऐस भी लोग ह िो अकल ही रह

और कषणभर को भी अकल नही तिनहोन भीतर की आवाि सन ली उनका अकलापन समापत हो गया उनह

एकात उपलबध हआ तिनहोन भीतर क दशान कर तलए उनक सर सपन िो गए सपनो की कोई िररत न

रही सतय को दि तलया कफर कि और दिन को नही रचता

रातरया अपन घर म रठी थी हसन नाम का फकीर उसक घर महमान था सरह का सरि तनकला

हसन राहर गया रड़ी सदर सरह थी आकाश म रगीन रादल तरत थ और सरि न सर तरफ ककरणो का

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िाल फलाया था हसन न तचललाकर कहा रातरया भीतर रठी कया करती ह राहर आ रड़ी सदर सरह ह

परमातमा न रड़ी सदर सरह को पदा ककया ह और आकाश म रड़ रगीन रादल तरत ह पतकषयो क गीत भी ह

ककरणो का िाल भी ह सर अनठा ह सरषटा की लीला दि राहर आ रातरया तिलतिलाकर हसी और उसन

कहा हसन तम ही भीतर आ िाओ कयोकक हम उस ही दि रह ह तिसन सरह रनाई तिसन सरि को िनम

कदया तिसक ककरणो क िाल को दिकर तम परसनन हो रह हो भीतर आओ हम उस ही दि रह ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

तीसरा परशनाः ओशो आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ

तसहर उठता ह और हदय म राढ़ सी आ िाती ह और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह कफर

आप कहत ह कक यकद हम तयार हो तो घटना इसी कषण घट सकती ह कपया इस तयारी को कि और सपषट

कर

कफर स परशन को पढ़ दता ह कयोकक परशन म ही उततर तिपा ह

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ नही आती राढ़ सी

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर नही तशिर की सी वही उततर ह वही तयारी चक रही ह

रतदध झठ तसकक रनान म रड़ी कशल ह राढ़ की सी तसथतत रना दती ह राढ़ का आना और ह राढ़ क

आत तो कफर हो गई घटना लककन राढ़ की सी तसथतत स नही होगी यह तो ऐसा ही ह िस तट पर रठ ह

नदी म तो राढ़ नही आती सोच लत ह एक सपना दि लत ह एक खवार दिा कक राढ़ की सी तसथतत आ गई

कफर आि िोलकर दिी कक गाव अपनी िगह ह--न गाव डरा न कि रहा--नदी अपनी िगह ह राढ़ की सी

तसथतत आई और गई कड़ा-करकट वही का वही पड़ा ह कि भी रहा न कि तािा न हआ कि नया न हआ

म िर रोल रहा ह तो दो तरह की सभावनाए रन सकती ह तम मझ अगर रतदध स सनो तो जयादा स

जयादा राढ़ की सी तसथतत रनगी रतदध रड़ी कशल ह और रतदध तम िो चाहो उसी का सपना दिन लगती ह

रतदध स मत सनो कपा करो रतदध को िरा रीच स हटाओ सीध-सीध होन दो रात हदय की हदय स

रतदध स सनत हो तर तर तरग रतदध म उठती ह लककन रतदध की तरग तो पानी म िीची गई लकीरो िसी

ह--रन भी नही पाती और तमट िाती ह रतदध का भी कोई भरोसा ह तवचार कषणभर नही ठहरत और चल

िात ह आए भी नही कक गए रतदध तो मसाकफरिाना ह वहा कोई घर रनाकर कभी रहा ह रलव सटशन का

परतीकषालय ह यातरी आत ह िात ह वहा तमहार िीवन म कोई शाशवत का नाद न रिगा एस धममो

सनतनो

उस सनातन का रतदध स कोई सरध न हो पाएगा रतदध कषणभगर ह पानी क ररल ह--रन तमट उनम

तम घर मत रसाना कभी-कभी पानी क ररलो म भी सरि की ककरणो का परभाव ऐस रग द दता ह इिधनि

िा िात ह मरी रात तम सनत हो रतदध सनती ह तरगातयत हो िाती ह राढ़ की सी तसथतत रन िाती ह

134

एक सपना तम दित हो कफर उठ गए राढ़ चली गई तम िहा थ वही क वही रह गए कड़ा-करकट भी न

रहा तमह परा रहा ल िान की तो रात ही दर शायद तम और भी मिरत होकर िम गए कयोकक एक राढ़

तमह लगा आई और चली गई और तमहारा कि भी न तरगाड़ पाई ऐस तो तम रोि सपन दित रहो राढ़ो क

कि भी न होगा

रतदध को हटा दो िर सनत हो तो रस सनो तवचारो मत सनना काफी ह तवचारना राधा ह म तमस

यह नही कह रहा ह कक म िो कहता ह उस मान लो कयोकक वह मानना भी रतदध का ह मानना रतदध का न

मानना रतदध का सवीकार करना रतदध का असवीकार करना रतदध का म तमस यह नही कहता कक िो म तमस

कह रहा ह उस तम मान लो न म तमस कहता ह न मानो न कहता ह मानो म तो कहता ह तसफा सन लो

सोचो मत रतदध को कह दो त चप

तम मझ ऐस ही सनो िस अगर पकषी कोई गीत गाता हो उस सनत हो तर तो रतदध कोई काम नही कर

सकती यदयतप वहा भी थोड़ अपन हाथ फलाती ह थोड़ झपि मारती ह कहती ह रड़ा सदर ह कल सना था

वसा ही गीत ह यह कौन सा पकषी गा रहा ह थोड़-रहत हाथ मारती ह लककन जयादा नही कयोकक पकषी की

भािा तम नही समझत

म तमस कहता ह मरी भािा भी तम समझत मालम पड़त हो समझत नही कयोकक िो म रोल रहा ह

वही म रोल नही रहा ह िो म तमह कहता हआ सनाई पड़ रहा ह उसस कि जयादा तमह दना चाहता ह

शबदो क साथ-साथ शबदो की पोटतलयो म रहत शनय राधा ह सवरो क साथ-साथ उनक पीि-पीि रहत

सिाटा भी भिा ह िो कह रहा ह वही नही अनकहा भी कह हए क पीि-पीि तिपा आ रहा ह

तम अगर रतदध स ही सनोग तो िो मन कहा वही सनोग अनकह स वतचत रह िाओग िो कहा ही

नही िा सकता उसस तम वतचत रह िाओग राढ़ उसस आती ह दशय क साथ िो अदकय को राधा ह

परतीको क साथ उस रि कदया ह तिसका कोई परतीक नही शबदो की पोटतलयो म शनय को समहाला ह अगर

रतदध स सना पोटली हाथ लग िाएगी पोटली क भीतर िो था वह िो िाएगा उसी क तलए पोटली का

उपयोग था कटट िो िाएगा तवियवसत िो िाएगी कटनर िाली डबरा हाथ लग िाएगा तर राढ़ की सी

तसथतत मालम पड़गी

सनो सोचो मत सनो मानन न मानन की िररत ही नही ह म तमस कहता ह सनन स ही मति हो

सकती ह अगर तम मानन न मानन क िाल को िड़ा न करो कयोकक िस ही तमहार मन म सवाल उठा कक

ठीक ह मानन योगय ह या सवाल उठा ठीक नही ह मानन योगय नही ह िर तम कहत हो ठीक ह मानन

योगय ह तो तम कया कर रह हो तम यह कह रह हो मर अतीत स मल िाती ह रात मर तवचारो स

तालमल पड़ता ह मरी अतीत की शरदधा मानयताए तसदधात शासतर उनक अनकल ह तो तमन मझ कहा

सना तमन अपन अतीत को ही मझस पनाः-पनाः तसदध कर तलया यहा म तमहार अतीत को सही तसदध करन क

तलए नही ह

तो कफर राढ़ कस आएगी तिसको रहाना था राढ़ तिस ल िाती वह और मिरत हो गया या तमन

कहा कक नही रात िमती नही अपन शासतर क अनकल नही परततकल ह अपन तसदधातो क साथ नही रठता

तो तमन अपन को तोड़ ही तलया अलग िोड़त हो तो रतदध स तोड़त हो तो रतदध स यहा कि रात ही और

हो रही ह न िोड़न का सवाल ह न तोड़न का सवाल ह अगर रतदध रीच स हट िाए तो िोड़ कौन तोड़

कौन एक ही रचता ह िड़ कौन टट कौन

135

अगर रतदध हट िाए तो तम पाओग कक म तमहार भीतर वहा ह तम मर भीतर यहा हो तर म कि

ऐसा नही कह रहा ह िो मरा ह मरा कि भी नही ह करीर न कहा ह मरा मझम कि नही

िो म कह रहा ह उसम मरा कि भी नही ह िो म कह रहा ह वह तमहारा ही ह लककन तमन अपना

नही सना ह मन अपना सन तलया ह िो म तमस कह रहा ह िर तम पहचानोग तो तम पाओग यह तमहारी

ही आवाि थी यह तमहारा ही गीत था िो मन गनगनाया

यहा कोई शासतरो की तसदधातो की रात नही हो रही ह य सर तो रहान ह िरटया ह यहा तो शासतरो

तसदधातो क रहान कि दसरा ही िल हो रहा ह अगर तमन शबद ही सन और उन पर ही तवचार ककया--ठीक

ह या गलत मान कक न मान अपन अनकल पड़ता ह कक नही--तो तम मझस चक गए और िो मझस चका

वह िद स भी चका तम अपन स ही चक गए

अर तम पित हो अगर तमन अपना परशन ही गौर स दिा होता तो समझ म आ िाता

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ सी सावधान राढ़ सी स रचना राढ़ चातहए

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर-अनभव की सी सावधान यह झठा तसकका ह

मन क एक सवभाव को समझ लो तम िो चाहत हो मन उसकी परततमाए रना दता ह वह कहता ह

यह लो हातिर ह कदनभर तम भि रह रात सपना दित हो कक ससवाद भोिन कर रह हो मन कहता ह

कदनभर भि रह यह लो भोिन हातिर ह लककन रात तम ककतना ही ससवाद भोिन करो पट न भरगा

हालाकक नीद समहल िाएगी भि रहत तो नीद लगना मतककल होती सपन न कहा यह लो भोिन मि स

कर लो और सो िाओ तमन सपन म भोिन कर तलया सो गए

तमन कभी खयाल ककया नीद म पयास लगी ह गमी की रात ह शरीर न रहत पसीना िोड़ कदया ह

नीद म पयास लग गई ह अर डर ह अगर पयास रढ़ िाए तो नीद टट िाए तो मन कहता ह उठो उठ तम

सपन म गए रकफरिरटर क पास सपन म ही कोकाकोला पी तलया लौटकर अपन तरसतर पर सो गए तनजित

अर मन न धोिा द कदया पयास अपनी िगह ह न तम उठ न तम गए कही रस एक सवपन एक राढ़ सी--

कोकाकोला सा नीद समहल गई करवट लकर तम सोए रह सरह पता चलगा कक अर पयास रातभर पड़ रह

सवपन का काम ह तनिा की रकषा कही नीद टट न िाए तो सवपन का इतिाम ह सवपन सरकषा ह नीद को

नही टटन दता सर तरह स रचाता ह और धोिा पदा हो िाता ह कम स कम नीद म तो काम चल िाता ह

सरह िागोग तर पता चलगा तिस कदन िागोग उस कदन सोचोग राढ़ सी ककस धोि म रह ककस सपन म

िो गए

इन रातो का भरोसा मत करो इसस एक रात साफ ह कक िो भी म कहता ह तमहारी रतदध उसकी

िानरीन करती ह कफर तमहार भीतर िाता ह तमहारी रतदध पहरदार की तरह िड़ी ह िो म कहता ह रतदध

पहल परीकषण करती ह उसका कफर भीतर िान दती ह परीकषण ही कर तो भी ठीक ह उसका रग-रप भी

रदल दती ह अतीत क अनकल रना दती ह रतदध यानी तमहारा अतीत िो तमन अर तक िाना ह अनभव

ककया ह पढ़ा ह सना ह उस सरका सगरह तो तमस कोई नई रात कही ही नही िा सकती और म तमस नई

ही रात करन की तिदद ककए रठा ह

136

तम वही सन सकत हो िो पराना ह म तमस वही कहन की तिदद ककए रठा ह कक िो नया ह िो

तनतनतन ह वही सनातन ह िो परततपल नया ह वही सनातन ह िो कभी पराना नही हो सकता वही परातन

ह लककन तमहारी रतदध वहा रठी ह अपना सारा धल िमाए हए ह कोई भी चीि आती ह रतदध उसक रग

को रदल दती ह तर तम सन पात हो पर वह सनना धोिा हो गया कफर राढ़ की सी तसथतत रनती ह वही

तयारी चक गई

म तमस कहता ह इसी कषण घटना घट सकती ह यकद तम तयार हो तयार का कया अथा तयार का

इतना ही अथा अगर तम अपनी रतदध को ककनार रि दन को तयार हो अगर तम कहत हो ठीक ह हो िाए

साकषातकार सीधा-सीधा

आए हमार कदल म कदल स ही तमलाएग

यह रीच म भतमका राधन क तलए रतदध न होगी पररचय करवान क तलए रतदध न होगी तो अभी इसी

घड़ी घटना घट सकती ह

धमा क तलए ठहरन की कोई िररत ही नही उसका कल स कि लना-दना नही आि हो सकता ह धमा

सदा नगद ह उधार नही कल का कोई आशवासन नही दता म तमह अभी हो सकता ह इसी कषण हो सकता ह

कल का तो तमह व ही आशवासन दत ह िो तमहारी रतदध को ही अपील कर रह ह तमहारी रतदध को ही तनमतरण

द रह ह मन तमहारी रतदध को कोई तनमतरण नही कदया ह तमह रलाया ह तिस कदन भी तम आओग रतदध को

अलग रिकर ककनार हटाकर उसी कषण तमलन सभव ह

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

तम यहा रठ हो म यहा रठा ह--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

अगर तमन मझस रात की चक अगर तमन मझ दिा पाया यहा म तमस रोल भी रहा ह और यहा ह

भी रोलना तसफा रहाना ह रोलना तो तसफा तमह रलाना ह रोलना तो तसफा यह ह कक िाली तम न रठ

सकोग मर पास इतनी दर रोि-रोि िाली रठन को तम न आ सकोग उतनी समझ की तमस अपकषा नही

अगर म चप हो िाऊगा तम धीर-धीर िटत चल िाओग तम कहोग िाली ही वहा रठना ह तो अपन घर ही

रठ लग घर भी तम न रठोग कयोकक तम कहोग िाली रठन स कया सार इतना समय तो धन म रपातररत

हो सकता ह कि कमा लग कि कर लग

म तमस रोल रहा ह ताकक तमह उलझाए रि ऐस ही िस िोटा रचचा ऊधम कर रहा हो तिलौना द

दत ह तिलौन स िलता रहता ह उतनी दर कम स कम शात रहता ह तमस रात करता ह शबद तो तिलौन

ह थोड़ी दर तम िलत रहो शायद िलन म मन तललीन हो िाए ठहर िाओ तम थोड़ी दर मर पास शायद

तम आि उठाकर दिो और म तमह कदिाई पड़ िाऊ असली सवाल वही ह असली काम वही ह उसी कषण

असली काम शर होगा तिस कदन तम मझ दिोग

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

137

कर तक तम मझस रात करत रहोग दिो अर और तयारी का कोई अथा नही ह रात होती ह रतदध स

दिना होता ह हदय स िर तम दित हो तो आिो क पीि हदय आ िाता ह िर तम रात करत हो तो

आिो क पीि रतदध आ िाती ह रतदध यानी तमहार तवचार करन का यतर हदय यानी तमहार परम करन का

यतर दिना एक परम की घटना ह और अगर परम स नही दिा तो कया िाक दिा िर आि स परम उडलता हो

तभी दिना घटता ह

म तमहार सामन भी ह तमस रात भी कर रहा ह अर यह तमहार ऊपर ह तम अपन स पि लो--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

रात तम करत रहो िनमो-िनमो तक रात स रात तनकलती रहगी रात म करता रहगा रात करन म

कही कोई अड़चन ह रात स सरल कही कोई और रात ह लककन यह तसफा रहाना था रहाना था कक शायद

इसी रीच ककसी कदन तिलौनो स िलत-िलत तम आि उठाकर दि लो तिलौनो म उलझ होन क कारण मन

तो तिलौनो म उलझा रह िाए और तमहारी आि मझ तमल िाए रतदध शबदो म उलझी तो उलझी रह कभी

ककसी कषण म रधर तमल िाए थोड़ी िगह तमल िाए और तम झाककर मरी तरफ दि लो उसी कषण घटना घट

सकती ह म दन को तयार ह तम तिस कदन लन को तयार होओग

चौथा परशनाः

कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

तसतारो स आग य कसा िहा ह

वो कया इकक क राकी इमतहा ह

पिो मत चलो पिना भी रतदध की होतशयारी ह परम क मागा पर भी रतदध पिती ह कहा ल चल हो

और परम क मागा पर रतदध चल नही सकती और रतदध अगर पिती रह तो तमह भी न चलन दगी कभी तो

इतना साहस करो कक चलो चलत ह पिग नही यही तो परम का लकषण ह

अगर मझस परम ह तो पिन की कोई िररत नही चल पड़ो पिना परम क अभाव का दयोतक ह पहल

स सर पकका कर लना ह--कहा िा रह ह कयो िा रह ह कया परयोिन ह अपना कोई लाभ ह नही ह कही

ल िान वाला अपना ही कोई लाभ तो नही दि रहा ह कही ल िान वाला धोिा तो नही द रहा ह रतदध

आतमरकषा ह और परम आतमसमपाण दोनो साथ-साथ नही हो सकत

यही परम का आतिरी इमतहा ह आतिरी कक चल पड़ो और रतदध पर ककतन कदन भरोसा करक दि

तलया पहच कहा ककतना रतदध क साथ तहसार करक कदि तलया मतिल कही आती तो कदिाई पड़ती नही

झलक भी नही तमलती कफर भी इस पर भरोसा ककए िा रह हो

ठीक-ठीक रतदधमान आदमी अपनी रतदध पर सदह करन लगता ह वह रतदध की पराकाषठा ह िर अपनी

रतदध पर सदह आता ह आना चातहए तसफा रदधओ को अपनी रतदध पर सदह नही आता ककतन कदन स चलत

हो उसी क साथ कहा पहच हो कफर भी भरोसा उसी पर ह

तिस कदन भी तमह यह कदिाई पड़ िाएगा उसी कदन िीवन म एक नया मागा िलता ह एक नया दवार

िलता ह वह हमशा पास ही था कोई रहत दर न था रतदध हदय म फासला ही ककतना ह वह पास ही था

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अर भी पास ह लककन िर तक तम रतदध की ही सन िाओग पि चल िाओग यह पिना आशवसत होन की

चषटा ह कस म तमह आशवसत कर कि भी म कह वह मरा ही कहना होगा तमहारा अनभव न रन िाएगा

िर तक तमहारा अनभव न रन िाए तर तक मझ पर भरोसा कस आएगा

तो दो ही उपाय ह या तो तम िस चलत हो वस ही चलत रहो शायद कभी थकोग अनत िनमो क

राद ऊरोग होश आएगा तो कफर ककसी का हाथ पकड़ोग वह हाथ अभी भी उपलबध ह वह हाथ सदा

उपलबध रहगा उस हाथ का मझस या ककसी का कोई लना-दना नही ह वह हाथ तो परमातमा का ह वह

परमातमा का हाथ अनक हाथो म परतवषट हो िाता ह कभी रदध क हाथ म कभी मोहममद क हाथ म लककन

तमहारा हाथ उस पकड़गा तभी तो कि होगा और तम तभी पकड़ोग िर तम अजञात की यातरा पर िान को

तयार हो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

एक तो रताना मतककल ह कयोकक तमहारी भािा म उस िगत क तलए कोई शबद नही ह और रतान पर

भी तम भरोसा कस करोग पिो रदध स व कहत ह तनवााण पिो मीरा स वह कहती ह कषण रकठ कया

होता ह शबदो को सनन स मीरा क चारो तरफ िोिकर दिो तमह रकठ का कोई पता न चलगा कयोकक

रकठ तो मीरा क भीतर ह और िर तक वसा ही तमहार भीतर न हो िाए िर तक तम भी डरकी न लगा

लो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर तसतारो क आग य कसा िहा ह

तसतारो क आग का अथा ही यही होता ह--िहा तक कदिाई पड़ता ह उसक आग तसतारो का मतलर ह

िहा तक कदिाई पड़ता ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

इसका मतलर इतना ही ह कक कि कदिाई नही पड़ता य आि थक िाती ह इन आिो की सीमा आ

िाती ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

इकक का इमतहान कया ह वही िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी ककसी क ऊपर भरोसा िहा नही

कदिाई पड़ता वहा भी शरदधा िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी चलन का साहस

तम तिस सदह कहत हो गौर स िोिना कही वह तसफा कायरता तो नही ह कही डर तो नही ह कही

भय तो नही ह कक कही लट न तलए िाए कही ऐसा तो नही ह कक कस पकका कर कौन लटरा ह कौन

मागादशाक ह

लककन इसकी कफकर िोड़ो पहल यह सोचो तमहार पास लट िान को ह भी कया तम पहल ही लट

चक हो ससार स रड़ा और लटरा अर तमह कहा तमलगा ससार न तो रतती-रतती पाई-पाई भी लट तलया ह

एक तसफर हो एक शनयमातर रह गए हो आकड़ा तो एक भी नही रचा ह भीतर कि भी नही ह पास कफर

भी डर हो कक कही लट न िाओ

यह िो तम पित हो--कहा ल चल हो रता दो मसाकफर यह भय क कारण कायरता क कारण साहस

की कमी क कारण लककन तम िहा भी चलत रह हो अर तक अगर वहा स ऊर गए हो तो अर ितरा कया

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ह ककसी नए मागा को िोिकर दि लो असली सवाल साहस का ह साधारणताः लोग सोचत ह शरदधाल लोग

डरपोक ह कायर ह और म तमस कहता ह शरदधा इस िगत म सरस रड़ा दससाहस ह

ऐसा हआ कक ततबरत का एक फकीर अपन गर क पास गया गर की रड़ी खयातत थी और यह फकीर

रड़ा शरदधाल था और गर िो भी कहता सदा मानन को तयार था इसकी परततषठा रढ़न लगी और तशषयो को

पीड़ा हई उनहोन एक कदन इसस िटकारा पान क तलए--एक पहाड़ी क ऊपर रठ थ--इसस कहा कक अगर तमह

गर म परी शरदधा ह तो कद िाओ तो वह कद गया उनहोन तो पकका माना कक हआ ितम नीच िाकर दिा तो

वह पदमासन म रठा था और ऐसा सौदया और ऐसी सगध उनहोन कभी ककसी वयति क पास न दिी थी िो

उसक चारो तरफ ररस रही थी व तो रड़ हरान हए सोचा सयोग ह

सदह जयादा स जयादा सयोग तक पहच सकता ह कक सयोग की रात ह कक रच गया कोई कफकर नही

एक मकान म आग लगी थी उनहोन कहा कक चल िाओ अगर गर पर परा भरोसा ह तशषयो न ही वह चला

गया भीतर मकान तो िलकर राि हो गया िर व भीतर गए तो आशा थी कक वह भी िलकर राि हो चका

होगा वह तो वहा ऐस रठा था िल म कमलवत आग न िआ ही नही उनहोन सनी थी अर तक य रात कक

ऐस लोग भी हए ह--िल म कमलवत पानी म होत ह और पानी नही िता आि िो दिा वह अदभत

चमतकार था आग म था और आग न भी न िआ पानी न िए समझ म आता ह

अर सयोग कहना िरा मतककल मालम पड़ा गर क पास य िरर पहची गर को भी भरोसा न आया

कयोकक गर िद ही इतनी शरदधा का आदमी न था गर न सोचा कक सयोग ही हो सकता ह कयोकक मर नाम स

हो िाए अभी तो मझ ही भरोसा नही कक अगर म िलत मकान म िाऊ तो रचकर लौटगा कक म कद पड

पहाड़ स और कोई हाथ मझ समहाल लग अजञात क तो गर न कहा कक दिग

एक कदन नदी क तट स सर गिरत थ गर न कहा कक तझ मझ पर इतना भरोसा ह कक आग म रच

गया पहाड़ म रच गया त नदी पर चल िा वह तशषय चल पड़ा नदी न उस न डराया वह नदी पर ऐसा

चला िस िमीन पर चल रहा हो गर को लगा कक तनतित ही मर नाम का चमतकार ह अहकार भयकर हो

गया कि था तो नही पास

तो उसन सोचा िर मरा नाम लकर कोई चल गया तो म तो चल ही िाऊगा वह चला पहल ही

कदम पर डरकी िा गया ककसी तरह रचाया गया उसन पिा कक यह मामला कया ह म िद डर गया वह

तशषय हसन लगा उसन कहा मझ आप पर शरदधा ह आपको अपन पर नही शरदधा रचाती ह

कभी-कभी ऐसा भी हआ ह कक तिन पर तमन शरदधा की उनम कि भी न था कफर भी शरदधा न रचाया

और कभी-कभी ऐसा भी हआ ह तिन पर तमन शरदधा न की उनक पास सर कि था लककन अशरदधा न डराया

ह कभी रदधो क पास भी लोग सदह करत रह और डर गए और कभी इस तरह क पाितडयो क पास भी लोगो

न शरदधा की और पहच गए

तो म तमस कहता ह गर नही पहचाता शरदधा पहचाती ह इसतलए म तमस कहता ह शरदधा ही गर ह

और िहा तमहारी शरदधा की आि पड़ िाए वही गर पदा हो िाए परमातमा नही पहचाता पराथाना पहचाती

ह और िहा हदयपवाक पराथाना हो िाए वही परमातमा मौिद हो िाता ह मकदर नही पहचात भाव पहचात

ह िहा भाव ह वहा मकदर ह

मत पिो कक कहा ल चला ह चलन की तहममत हो साथ हो िाओ चलन की तहममत न हो नाहक

समय िरार मत करो भाग िड़ होओ ऐस आदमी क पास नही रहना चातहए तिस पर भरोसा न हो कही

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और िोिो शायद ककसी और पर भरोसा आ िाए कयोकक असली सवाल भरोस का ह ककस पर आता ह यह

रात गौण ह कौन िान ककसी और पर आ िाए तो कफर तमहारा मागा वही स हो िाएगा तिसक पास िाकर

तमह पिन का सवाल न उठ कक कहा ल चल हो चल पड़न को तयार हो िाओ अधर म िाता हो वह तो अधर

म और नका म िाता हो तो नका म िहा तमहार मन म य सदह और सवाल न उठत हो यही आतिरी मतिल

ह यही आतिरी इमतहा ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

और आतिरी इमतहान इकक का यही ह कक परम इतना अननय हो शरदधा इतनी अपवा हो कक शरदधा ही नाव

रन िाए कक परम ही रचा ल मागा नही पहचाता शरदधा पहचाती ह मतिल कही दर थोड़ ही ह तिसन परम

ककया उसन अपन भीतर पा ली

पाचवा परशनाः लीनता व भति क साधक को रदध क होश की और अपप दीपो भव की रातो क परतत कया

रि रिना चातहए

िररत कया ह तमह सभी क परतत रि रिन की िररत कया ह तम अपनी शरदधा का जरद चन लो शि

सर को भल िाओ तमह कोई सार रदधो क परतत शरदधा थोड़ ही रिनी ह एक पर तो रि लो सर पर रिन म

तो तम रड़ी झझट म पड़ िाओग एक पर ही इतनी मतककल ह सर पर तम कस रि सकोग तम एक मकदर

को तो मकदर रना लो सर मतसिद सर गरदवार सर तशवालय उनकी तम जचता म मत पड़ो कयोकक तिसका

एक मकदर मकदर रन गया वह एक कदन अचानक पा लता ह कक सभी मतसिदो म सभी गरदवारो म वही मकदर

ह एक तसदध हो िाए सर तसदध हो िाता ह

और अगर तमन यह चषटा की कक म सभी म शरदधा रि तमहार पास शरदधा इतनी कहा ह इतना राटोग

रतती-रतती शरदधा हो िाएगी अगर अललाह को पकारना हो तो पर पराणो स अललाह को ही पकार लो अलला

ईशवर तर नाम--इस तरह की रकवास म मत पड़ना कयोकक तर न तमहार राम म रल होगा और न तमहार

अललाह म रल होगा यह रािनीततक रातचीत हो सकती ह धमा का इसस कि लना-दना नही अललाह को

ही तम पररपणा पराणो स पकार लो तम अललाह म ही तिप राम को ककसी कदन पहचान लोग अललाह ही िर

परी तवरा और तीवरता स पकारा िाता ह तो राम भी तमल िात ह राम िर परी तवरा स पकारा िाता ह तो

अललाह भी तमल िाता ह कयोकक य सर नाम उसी क ह लककन तम रठकर इन सभी नामो की माला मत

रनाना

लीनता और भति क साधक को िररत ही कया ह रदध की रदध िान उनका काम िान लीनता और

भति का साधक लीनता और भति म डर ऐसी अड़चन कयो िड़ी करना चाहत हो

कयोकक धयान रिना मतिल एक ह मागा अनक ह तम अगर सभी मागो पर एक साथ चलना चाहो

पागल हो िाओग चलोग तो एक ही मागा पर यदयतप सभी मागा उसी मतिल पर पहचा दत ह लककन अगर

तमह ररई िाना हो तो तम एक ही मागा चनोग अगर तमन सभी मागा चन तलए तो दो कदम इस मागा पर

चलोग दो कदम उस मागा पर चलोग चार कदम ककसी और मागा पर चलोग तम पहचोग कस एक ही मागा

पर चलोग तो पहचोग

141

भि की दतनया अलग ह भि क दिन क ढग अलग ह भि क तौर-तरीक अलग ह भि की िीवन-

शली अलग ह साधक की िीवन-शली अलग ह साधक होश को साधता ह होश स ही मसती को पाता ह भि

मसती को साधता ह मसती स ही होश को पाता ह

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

भि की रड़ी अलग दतनया ह वह कहता ह हम तो िदा का नाम भी लग तो तरना पीए नही ल सकत

िदा का नाम ह कोई साधारण रात ह कक तरना पीए ल ल मसती म ही लग होश म िदा का नाम ल रात

िमती नही डरकर लग पागल होकर लग

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

भि कहता ह कक मरी िरान स य पाप म न कर सकगा

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

पीकर ही लगा नाचकर लगा मसती म सरारोर करक लगा होश स िदा का नाम तो रतदध पर ही

अटक िाएगा लड़िड़ात कदमो स लगा

पाव पड़ ककत क ककती--सहिो न कहा ह

झमत हए लग समहलकर और िदा का नाम वह नाम िदा का ही न रहा कफर भि की दतनया रड़ी

अलग ह

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

तरी कपा का कोई अत नही हम काह को िोटा मन कर तगन-तगनकर अपन पापो को कक यह भल की

वह भल की यह तो तर सरध म तशकायत हो िाएगी भि कहता ह हम अपनी भलो और पापो का तहसार

रि

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

परमातमा का हदय अगर रड़ा ह अगर परमातमा की करणा अपार ह तो हम अपन मन को कयो िोटा

कर

भि पाप-माप की कफकर नही करता इसका यह मतलर नही ह कक पाप करता ह भि परमातमा म

ऐसा लीन हो िाता ह कक पाप होत नही तिसन परमातमा को इतन हदय स याद ककया हो उसस पाप कस

होग

इस तम समझ लो भि पाप िोड़ता नही परमातमा को पकड़ता ह पाप िट िात ह साधक पाप

िोड़ता ह पाप क िटन स परमातमा को पाता ह साधक को चषटा करनी पड़ती ह रतती-रतती साधक सघिा ह

सकलप ह भि समपाण ह

भि कहता ह तरी करणा इतनी अपार ह कक हम कयो नाहक दीन हए िाए कक यह भल हो गई वह

भल हो गई त भी कही इन भलो की कफकर करगा हमारी भलो का त तहसार रिगा हम इतन िोट ह कक

रड़ी भल भी तो हमस नही होती

142

तमन कौन सी रड़ी भल की िरा सोचो और अगर परमातमा तहसार रिता हो तो परमातमा न हआ

कोई दकानदार हो गया तमहारी भल भी कया ह कया भल की ह तमन भि तो कहता ह अगर की भी

होगी तो तन ही करवायी होगी तरी कोई मिी रही होगी

भि तो यह कहता ह कक यह भी िर मिा ह तन ही रनाया िसा हम--अर हमस भल हो रही ह और

सिा हमको यह भी िर मिा ह यह भी िर रही रनाए त करवाए त फस िाए हम भि अपन को रीच म

नही लता वह कहता ह तरा काम त िान तन रनाया िसा रनाया िो करवाया वह हआ हम तर ह अर

त ही समझ भि का ढग और साधक कहता ह भल हो गयी एक-एक भल को काटना ह सधारना ह

तो तम अपना मागा चन लो एक दफा कफर रार-रार यह मत पिो कक मन भि का मागा चन तलया अर

म होश भी साधना चाहता ह कफर रात गलत हो िाएगी कक मन भि का मागा चन तलया अर मझ योगासन

भी करन ह नाचन वाल को कहा फसात योगासन करन की और कया मिा ह योगासन का तिसको नाचना आ

गया और नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह योगासन का अथा होता ह िहा हम उसस तमलकर एक हो

िाए नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह कयोकक नाच स रड़ा कहा कौन सा योग ह नतय महायोग ह पर

वह भि की रात ह

अगर भि का मागा चन तलया तो भलो रदध को भल िान स कोई अड़चन न होगी और रदध कि

नाराि न होग िर तम मतिल पर पहचोग उनका आशीवााद भी तमह तमलगा ही कक तम आ गए और मझ

िोड़कर भी आ गए लककन अगर रदध को चना ह तो कफर िोड़ दो भि की रात

कही ऐसा न हो कक य तमहार मन की तरकीर हो कक तम िो चनत हो वह करना नही ह तो दसर को

रीच म ल आत हो ताकक अड़चन िड़ी हो िाए दतवधा रन िाए दतवधा रन िाए तो कर कस

रदध को चन तलया पयाापत ह रदध ककसी की कोई िररत नही कफर मीरा और चतनय को भल िाओ

कफर कषण को रीच म लाओ ही मत रदध काफी ह यह इलाि पयाापत ह उनकी तचककतसा परी ह उसम ककसी

और को िोड़न की कोई िररत नही

लककन वह ढग और वह दतनया और वहा एक-एक भल को काटना ह होश को साधना ह सकलप को

परगाढ़ करना ह अपन को तनिारना ह शदध करना ह तम िर तनिर िाओग शदध हो िाओग तर परमातमा

तमम उतरगा

भि परमातमा को रला लता ह और कहता ह तम आ िाओ मझस तो कया तनिरगा मझस कया

सधरगा तम आ िाओग तमहारी मौिदगी ही तनिार दगी सधार दगी

दोनो तरह स लोग पहच ह मर तलए कोई चनाव नही ह दोनो तरलकल ठीक ह तम अपनी परकतत क

अनकल मागा को चन लो अगर तम समपाण कर सकत हो तो भति अगर तम समरपण न कर सकत हो

समपाण म तमहारा रस न हो अनकल न पड़ता हो तो कफर योग तप धयान

धयान उनक तलए िो परम म डरन स घरड़ात हो पराथाना उनक तलए िो परम म डरन को ततपर हो

धयान म तवचार को काटना ह परम म तवचार को समरपात करना ह दोनो तसथतत म तवचार चला िाता ह

धयानी काटता ह परमी परमातमा क चरणो म रि दता ह कक तम समहालो

आतिरी परशनाः

143

कल आए थ परभ मर घर

म सो रही थी रिरर

कौन स कमो क फल ह परमसागर

आप आए और म िड़ी रही राहर

िीवन िस-िस थोड़ा-थोड़ा झकगा िस-िस अहकार थोड़ा-थोड़ा गलगा वस-वस अधरी स अधरी रात

म भी उसकी तरितलया कौधनी शर हो िाती ह तम झक नही कक उसका आना शर हआ नही तमही राधा

हो तमही दीवाल रनकर िड़ हो तम तगर िाओ उसका िला आकाश सदा स ही मि ह

परमातमा दर नही ह तम अकड़ िड़ हो तमहारी अकड़ ही दरी ह तमहारा नर िाना तमहारा झक

िाना ही तनकटता हो िाएगी उपतनिद कहत ह परमातमा दर स दर और पास स भी पास ह दर िर तम

अकड़ िात हो दर िर तम पीठ कर लत हो दर िर तम तिदद कर लत हो कक ह ही नही दर िर तम कहत

हो म ही ह त नही ह पास िर तम कहत हो त ही ह म नही ह िर तम आि िोलत हो िर तम अपन

पातर को--अपन हदय क पातर को--उसक सामन फला दत हो तर तम भर िात हो हिार-हिार ििानो स

परभ तो रोि ही आ सकता ह आता ही ह उसक अततररि और कौन आएगा िर तम नही पहचानत

तर भी वही आता ह िर तम पहचान लत हो धनयभाग िर तम नही पहचानत तर भी उसक अततररि

और कोई न कभी आया ह न आएगा वही आता ह कयोकक सभी शकल उसी की ह सभी रप उसक सभी सवर

उसी क सभी आिो स वही झाका ह तो अगर कभी एक रार ऐसी परतीतत हो कक आगमन हआ ह तो उस

परतीतत को गहराना समहालना उस परतीतत को साधना सरतत रनाना और धीर-धीर कोतशश करो िो भी

आए उसम उसको पहचानन की

परानी कहावत ह अतततथ दवता ह अथा ह कक िो भी आए उसम परमातमा को पहचानन की चषटा िारी

रिनी चातहए चाह परमातमा हिार राधाए िड़ी कर तो भी तम धोि म मत आना परमातमा चाह गातलया

दता आए तो भी तम समझना कक वही ह तमतर म तो कदिाई पड़ ही शतर म भी कदिाई पड़ अपनो म तो

कदिाई पड़ ही परायो म भी कदिाई पड़ रात क अधर म ही नही कदन क उिाल म भी नीद और सपनो म ही

नही िागरण म भी अभी तम कली हो और तितन पदचाप तमह उसक सनाई पड़न लग उतनी ही पितड़या

तमहारी िलन लगगी

तमहारी पीड़ा म समझता ह कभी-कभी उसकी झलक तमलती ह और िो िाती ह कभी-कभी आता

पास लगता ह और पदधवतनया दर हो िाती ह लगता ह तमला तमला और कोई सतर हाथ स िट िाता ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

वह िो कली का रोना ह तससकना ह--

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

पर वह तमहारी सभी की हालत ह तससकत हए गच की हालत रोती हई कली की हालत और कली

तभी फल हो सकती ह िर अनत क पदचाप उस सनाई पड़न लग तम अपन तई फल न हो सकोग सरह िर

सरि उगता ह और सरि की ककरण नाच उठती ह आकर कली की तनकटता म सामीपय म--कली क ऊपर--िर

144

सरि की ककरणो क हलक-हलक पद कली पर पड़त ह तो कली तिलती ह फल रनती ह िर तक तमहार ऊपर

परमातमा क पदचाप न पड़न लग उसक सवर आकर आघात न करन लग तर तक तम कली की तरह ही

रहोग

और कली की पीड़ा यही ह कक तिल नही पाई िो हो सकता था वह नही हो पाया तनयतत परी न हो

यही सताप ह यही दि ह हर आदमी की पीड़ा यही ह कक वह िो होन को आया ह नही हो पा रहा ह लाि

उपाय कर रहा ह--गलत सही दौड़-धप कर रहा ह लककन पाता ह समय रीता िाता ह और िो होन को म

आया ह वह नही हो पा रहा ह और िर तक तम वही न हो िाओ िो तम होन को आए हो तर तक सतोि

असभव ह सवय होकर ही तमलता ह पररतोि

तो सनो परभ क पद िहा स भी सनाई पड़ िाए और धीर-धीर सर तरफ स सनाई पड़न लगग तिस

कदन हर घड़ी उसी का अनभव होन लग कक वही दवार पर िड़ा ह उस कषण फल हठात िल िाता ह वह िो

सगध तम अपन भीतर तलए हो अतभवयि हो िाती ह वही अनगरह ह उतसव ह अहोभाव ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

मझ मालम ह तमहारी सरकी हालत मझ मालम ह कयोकक वही हालत कभी मरी भी थी उस पीड़ा स

म गिरा हाः िर तम िोित हो सर तरफ कही सराग नही तमलता टटोलत हो सर तरफ और तचराग नही

तमलता और जिदगी परततपल रीती चली िाती ह हाथ स कषण तिसकत चल िात ह िीवन की धार रही

चली िाती ह--यह आई मौत यह आई मौत िीवन गया गया--और कि हो न पाए पता नही कया लकर आए

थ समझ म ही न आया पता नही कयो आए थ कयो भि गए थ कि परतीतत न हई गीत अनगाया रह गया

फल अनतिला रह गया

सनो उसकी आवाि और सभी आवाि उसकी ह सनन की कला चातहए गनो उस कयोकक सभी रप

उसी क ह गनन की कला चातहए िागत-सोत उठत-रठत एक ही समरण रह कक तम परमातमा स तघर हो

शर-शर म चक-चक िाएगा भल-भल िाएगा तवसमतत हो िाएगी पर अगर तम धाग को पकड़त ही रह तो

िसा रदध कहत ह तम फलो क ढर न रह िाओग वही सरतत का धागा तमहार फलो की माला रना दगा

और कफर म तमस कहता ह--कफर-कफर कहता ह--तिस कदन तमहारी माला तयार ह वह िद ही झक

आता ह वह अपनी गदान तमहारी माला म डाल दता ह कयोकक उस तक उसक तसर तक हमार हाथ तो न

पहच पाएग रस हमारी माला तयार हो वह िद हम तक पहच िाता ह

मनषय कभी परमातमा तक नही पहचता िर भी मनषय तयार होता ह परमातमा उसक पास आता ह

आि इतना ही

145

एस धममो सनतनो भाग 2

उिीसवा परवचन

िागरण का तल + परम की राती = परमातमा का परकाश

चदन तगर वातप उपपल अथ वतससकी

एतस गधिातान सीलगधो अनततरो 49

अपपमततो अय गधो या य तगरचदनी

यो च सीलवत गधो वातत दवस उततमो 50

तस सपिसीलान अपपमादतवहाररन

सममदा तवमततान मारो माग न जवदतत 51

यथा सकारधानजसम उतजझतजसम महापथ

पदम ततथ िायथ सतचगध मनोरम 52

एव सकारभतस अधभत पथजजन

अततरोचतत पाय सममासरदधसावको 53

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

तनिा ह दगध िाग िाना ह सगध िो िागा उसक भीतर न कवल परकाश क दीए िलन लगत ह वरन

सगध क फल भी तिलत ह और ऐसी सगध क िो कफर कभी मरझाती नही सकदया रीत िाती ह कलप आत ह

और तवदा हो िात ह लककन िीवन की सगध अतडग और तथर रनी रहती ह नाम भी शायद भल िाए कक

ककसकी सगध ह इततहास पर समतत की रिाए भी न रह िाए लककन सगध कफर भी िीवन क मि आकाश म

सदा रनी रहती ह

रदध पहल रदधपरि नही ह और न अततम उनक पहल रहत रदधपरि हए ह और उनक राद रहत

रदधपरि होत रह ह होत रहग लककन सभी रदधो की सगध एक ह सोए हए सभी आदतमयो की दगध एक ह

िाग हए सभी आदतमयो की सगध एक ह कयोकक सगध िागरण की ह कयोकक दगध तनिा की ह

रदध क य वचन अनठ कावय स भर ह कोई तो कतव होता ह शबदो का कोई कतव होता ह िीवन का

कोई तो गीत गाता ह कोई गीत होता ह रदध गीत ह उनस िो भी तनकला ह काश तम उनक िद को पकड़

लो तो तमहार िीवन म भी करातत हो िाए

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह कहा ह रदध न

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चदन या तगर कमल या िही पर तमहारी सगध अगर मि हो िाए तो सर सगध फीकी ह कयोकक

मनषय पथवी का सरस रड़ा फल ह मनषय म पथवी न अपना सर कि दाव पर लगाया ह मनषय क साथ

पथवी न अपनी सारी आशाए राधी ह िस कोई मा अपन रट क साथ सारी आशाए राध ऐस पथवी न मनषय

की चतना क साथ रड़ सपन दि ह और िर भी कभी कोई एक वयति उस ऊचाई को उठता ह उस गहराई

को िता ह िहा पथवी क सपन पर हो िात ह तो सारी पथवी आनद-मगल का उतसव मनाती ह

कथाए ह रड़ी परीततकर िर रदध को रदधतव उपलबध हआ तो वन-परात म िहा व मौिद थ तनरिना

नदी क तट पर वकषो म रमौसम फल तिल गए अभी कोई ऋत न थी अभी कोई समय न था लककन िर रदध

का फल तिला तो रमौसम भी वकषो म फल तिल गए सवागत क तलए िररी था

िीवन इकिा ह हम अलग-थलग नही ह हम कोई दवीप नही ह महादवीप ह हम एक ही िीवन क तहसस

ह अगर हमार रीच स कोई एक भी ऊचाई पर उठता ह तो उसक साथ हम भी ऊच उठत ह और हमार रीच

स कोई एक भी नीच तगरता ह तो उसक साथ हम भी नीच तगरत ह तहटलर या मसोतलनी क साथ हम भी

रड़ी गहन दगध और पीड़ा का अनभव करत ह रदध और महावीर कषण और कराइसट क साथ हम भी उनक

पिो पर सवार हो िात ह हम भी उनक साथ आकाश का दशान कर लत ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो चदन की सगध आि ह कल नही होगी सरह तिलता ह फल साझ मरझा िाता ह तिला नही

कक मरझाना शर हो िाता ह इस िीवन म शाशवत तो कवल एक ही घटना ह वह ह तमहार भीतर चतनय की

धारा िो सदा-सदा रहगी एक रार तिल िाए तो कफर भीतर क फल कभी मरझात नही उनहोन मरझाना

िाना ही नही ह व कवल तिलना ही िानत ह और तिल िान क राद वापसी नही ह लौटना नही ह

ऊचाई पर तम िर पहचत हो तो वहा स वापस तगरना नही होता िो सीि तलया सीि तलया िो

िान तलया िान तलया िो हो गए हो गए उसक तवपरीत िान का उपाय नही ह िो तगर िाए ऊचाई स

समझना ऊचाई पर पहचा ही न था कयोकक ऊचाई स तगरन का कोई उपाय नही िो तमन िान तलया उस

तम भल न सकोग अगर भल िाओ तो िाना ही न होगा सन तलया होगा समरण कर तलया होगा कठसथ हो

गया होगा िीवन क साधारण फल आि ह कल नही चतनय का फल सदा ह

तो रहत राहर क फलो म मत भरम रहना भीतर क फल पर शति लगाना कर तक हसत और रोत

रहोग राहर क फलो क तलए फल तिलत ह हस लत हो फल मरझा िात ह राि हो िात ह रो लत हो

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

सारी दतनया को तम इन दो तहससो म राट द सकत हो

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

अर यह सपना और कर तक िीचना ह काफी िीच तलया ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सरह हो गई ह सरह सदा स ही रही ह ऐसा कभी हआ ही नही कक सरह न रही हो सरह होना ही

अतसततव का ढग ह अतसततव की शली ह वहा साझ कभी होती नही तम सो रह हो इसतलए रात मालम होती

147

इस थोड़ा समझ लो रात ह इसतलए सो रह हो ऐसा नही ह सो रह हो इसीतलए रात ह िो िागा

उसन सदा पाया कक सहर थी सरह थी िो सोया उसन समझा सदा कक रात ह तमहारी आि रद ह इसतलए

अधरा ह अतसततव परकाशवान ह अतसततव परकाश ह हिार-हिार सरि उग ह सर तरफ परकाश की राढ़ ह

परकाश की ही तरग तमस आकर टकरा रही ह लककन तम आि रद ककए हो िोटी सी पलक आि पर पड़ी हो

तो तवराट सरि ढक िाता ह िरा सी ककड़ी आि म आ िाए तो सारा ससार अधकार हो िाता ह

रस िोटी सी ही ककड़ी आि म पड़ गई ह िोटा सा ही धल का कण आि म पड़ गया ह उस अहकार

कहो अजञान कहो तनिा कहो परमाद कहो पाप कहो िो मिी हो वह नाम द दो रात कल इतनी ह और

िोटी ह कक तमहारी आि ककसी कारण स रद ह आि िली सरह हई--अर चौक सहर हो गई ह और त सो

रहा ह

और यह सहर सदा स ही रही ह कयोकक रदध पचचीस सौ साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह

कषण पाच हिार साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह िर भी कोई िागा उसन पाया कक सरह हो

गई ह

िो सोए ह व अभी भी सोए ह व हिारो विा और भी सोए रहग तमहार सोन म ही रात ह रात क

कारण तम नही सो रह हो सो रह हो इसीतलए रात ह सरह क कारण तम न िागोग कयोकक सरह तो सदा स

ह तम िागोग तो पाओग कक सरह ह

लोग पित ह परमातमा कहा ह पिना चातहए हमार पास आि कहा ह लोग पित ह परमातमा को

कहा िोि उनह पिना चातहए यह िोिन वाला कौन ह कौन िोि परमातमा को लोग पित ह हम

परमातमा पर भरोसा नही आता कयोकक िो कदिाई नही पड़ता उस हम कस मान उनह पिना चातहए कक

हमन अभी आि िोली ह या नही कयोकक रद आि कोई कस कदिाई पड़गा परमातमा दवार पर ही िड़ा ह

कयोकक िो भी ह वही ह अर चौक सहर हो गई ह परमातमा दवार पर ही िड़ा ह कभी दवार स कषणभर को

नही हटा ह कयोकक उसक अततररि कि ह ही नही

अतसततव सरह ह परभात ह सयोदय ह सवाल तमहारी आि क िल िान का ह और तमहारी आि िर

िलती ह तो ऐसी ही घटना घटती ह िस फल की पितड़या िल िाए तमहारी पलक पितड़या ह िस फल की

पितड़या िल िाए और सगध मि हो िाए

लककन िोट-िोट फल ह िही क तगर क रला क गलार क कमल क उनकी सामथया रड़ी िोटी ह

उनकी सीमा ह थोड़ी सी गध को लकर व चलत ह उस लटा दत ह ररि हो िात ह कफर तमिी म तगर िात

ह लककन तम कि ऐसी गध लकर चल हो तिसकी कोई सीमा नही तम अपनी रद म सागर लकर चल हो

तम अपन इस िोट स फल म असीम को लकर चल हो उस असीम को ही हमन आतमा कहा ह उस असीम को

ही हमन परमातमा कहा ह

तम कदिाई पड़त हो िोट तम िोट नही हो मन तो रहत िोिा िोटा मझ कोई तमला नही मन तो

रहत िाच-पड़ताल की सभी सीमाओ म असीम को तिपा पाया हर रद म सागर न रसरा ककया ह तिस कदन

तम तिलोग उस कदन तम पाओग तम नही तिल परमातमा तिला ह

इसतलए तो रदध कहत ह चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध

सवोततम ह

148

शील की सगध का अथा ह िाग हए आदमी क िीवन की सगध आि िल आदमी क िीवन की सगध

पररदध हई चतना क िीवन की सगध तिन फलो को तमन राहर दिा ह उनका तो तिलना कवल मौत की

िरर लाता ह तिला नही फल कक मरा नही इधर तिल उधर अथी रधन लगी

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया िरर थी तगयर मौत का पगाम ह

राहर तो िो फल ह उनका तिलना मरन की ही िरर ह मौत का पगाम ह वहा तो तिल कक मर

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया पता उस रचारी कली को कया पता उस नासमझ कली को कक यह तिलना तवदा होन का कषण ह

लककन तमहार भीतर का िो फल ह वह िर तिलता ह तो मतय नही अमत को उपलबध होता ह साधारण

फल तिलकर मरत ह तितनी दर न तिल उतनी दर ही रच वहा तो परा होना मरन क ररारर ह लककन

तमहार भीतर एक ऐसा फल ह िो तिलता ह तो अमत को उपलबध हो िाता ह

लककन धयान रिना िर म कहता ह तमहार भीतर एक ऐसा फल ह तो तम यह मत समझ लना कक म

कह रहा ह तम तमहार भीतर तम नही तम तो उसी तरह मरोग िस राहर की कली मरती ह कयोकक तम

भी तमस राहर हो तम भी तमस राहर हो

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

वसी घटना तमहार भीतर भी घटगी कयोकक तमहारा अहकार तो मरगा तमन अर तक िो िाना ह कक

तम हो वह तो मरगा इधर रदधतव का फल तिला उधर गौतम तसदधाथा तवदा हआ इधर महावीर का फल

तिला वहा वदधामान की अथी रधी

एक रहत मिदार घटना घटी एक िन मतन तचतरभान सयोग स एक रार मझ उनक साथ रोलन का

मौका तमला व रड़ परतसदध िन मतन थ मझस पहल रोल म उनक पीि रोला उनहोन महावीर का िनमकदन

था तो महावीर क िीवन पर रात की लककन मझ लगा महावीर क िीवन पर उनहोन एक भी रात नही की

वदधामान की चचाा की वदधामान महावीर क िनम का नाम था महावीर होन क पहल का नाम था िर तक

िाग न थ तर तक का नाम था कहा पदा हए ककस घर म पदा हए कौन मा कौन तपता ककतना रड़ा राजय

ककतन हाथी-घोड़ इसकी उनहोन चचाा की महावीर की तो रात ही न आई इस सरस कया लना-दना था ऐस

तो रहत रािकमार हए कौन उनकी याद करता ह

म िर रोला तो मन कहा कक म तो यहा महावीर पर रोलन आया ह वदधामान पर रोलन नही और मन

कहा वदधामान और महावीर तो दो अलग-अलग आदमी ह मतन तचतरभान करोध स िड़ हो गए उनहोन समझा

कक यह कौन नासमझ आ गया िो कहता ह वदधामान और महावीर अलग-अलग आदमी ह उनहोन िड़ होकर

कहा महानभाव मालम होता ह आपको कि भी पता नही ह महावीर और वदधामान एक ही आदमी ह म तो

हसा ही व िो हिारो लोग थ व भी हस

मन उनस कहा मतन महाराि िो आपक शरावक समझ गए वह भी आप नही समझ पा रह ह मन भी

नही कहा ह कक दो आदमी थ कफर भी म कहता ह कक दो आदमी थ वदधामान सोया हआ आदमी ह िर

वदधामान तवदा हो िाता ह तभी तो महावीर का आतवभााव होता ह या िर महावीर का आतवभााव होता ह

तर वदधामान की अथी रध िाती ह वदधामान की रात मत करो महावीर की रात अलग ही रात ह

149

तो तमहार भीतर भी कि तो मरगा तम मरोग िसा तमन अभी तक अपन को िाना ह नाम रप

पररवार परततषठा अर तक तमन अपन तितन तादातमय रनाए ह व तो मरग लककन उन सरक मर िान क

राद पहली रार तमहारी आि उसकी तरफ िलगी िो तमहार भीतर अमत ह उस अनाहत नाद को तम सनोग

पहली रार िर तमहारी आवाि और शोरगल रद हो िाएगा िर तम अपनी रकवास रद कर दोग िर

तमहार तवचार िा चक होग िर तमहारी भीड़ तवदा हो िाएगी तर अचानक तमहारा सिाटा रोलगा

तमहारा शनय अनाहत क नाद स गिगा िर तमहारी दगध िा चकी होगी तभी तमम परमातमा की सगध का

अवतरण होता ह वह तिपी ह पर तम मौका दो तर फट न तम िगह दो तर फल न कली की िाती पर तम

सवार होकर रठ हो पितड़यो को िलन नही दत

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो कयोकक चदन या िही तगर या कमल रप रग आकार क िगत क िल ह रप क ही सपन ह

रग क ही सपन ह तनराकार का फल तमहार भीतर तिल सकता ह कयोकक तनराकार का फल तभी तिलता ह

िर कोई चतनय को उपलबध हो तनराकार यानी चतनय आकार यानी तिा मचिाा

तिस कदन ससार िागगा उस कदन बरहम को पाएगा अगर तमिी का कण भी या पतथर का टकड़ा भी

िागगा तो अपन को िमा हआ चतनय पाएगा िो िागा उसन परमातमा को पाया िो सोया उसन पदाथा को

समझा पदाथा सोए हए आदमी की वयाखया ह परमातमा की परमातमा िाग हए आदमी का अनभव ह पदाथा

का पदाथा और परमातमा दो नही ह सोया हआ आदमी तिस पदाथा कहता ह िागा हआ आदमी उसी को

परमातमा िानता ह दो दतषटया ह िागा हआ आदमी तिस परमातमा िानता ह सोया हआ आदमी पदाथा

मानता ह दो दतषटया ह

शील की सगध सवोततम ह

कयोकक वसतताः वह परमातमा की सगध ह शील का कया अथा ह शील का अथा चररतर नही ह इस भद

को समझ लना िररी ह तो ही रदध की वयाखया म तम उतर सकोग

चररतर का अथा ह ऊपर स थोपा गया अनशासन शील का अथा ह भीतर स आई गगा चररतर का अथा ह

आदमी क दवारा रनाई गई नहर शील का अथा ह परमातमा क दवार स उतरी गगा चररतर का अरथ ह तिसका

तम आयोिन करत हो तिस तम समहालत हो तसदधात शासतर समाि तमह एक दतषट दत ह--ऐस उठो ऐस

रठो ऐस िीओ ऐसा करो तमह भी पकका पता नही ह कक तम िो कर रह हो वह ठीक ह या गलत अगर तम

गर-मासाहारी घर म पदा हए तो तम मास नही िात अगर तम मासाहारी घर म पदा हए तो मास िात हो

कयोकक िो घर की धारणा ह वही तमहारा चररतर रन िाती ह अगर तम रस म पदा हए तो तम मकदर न

िाओग मतसिद न िाओग तम कहोग परमातमा कहा ह परमातमा

राहल साकतयायन उिीस सौ िततीस म रस गए और उनहोन एक िोट सकल म--पराइमरी सकल म--एक

िोट रचच स िाकर पिा ईशवर ह उस रचच न कहा हआ करता था अर ह नही यजड ट री रट नो मोर ऐसा

पहल हआ करता था िर लोग अजञानी थ--करातत क पहल--उिीस सौ सतरह क पहल हआ करता था अर नही

ह ईशवर मर चका आदमी िर अजञानी था तर हआ करता था

िो हम सनत ह वह मान लत ह ससकार हमारा चररतर रन िाता ह पतिम म शरार पीना कोई

दिररतरता नही ह िोट-िोट रचच भी पी लत ह सहि ह परर म रड़ी दिररतर रात ह धारणा की रात ह

150

कल परसो ही म दि रहा था ियपरकाश नारायण क सवासथय की रलरटन रोि तनकलती ह वह म दि

रहा था तो उनहोन दो अड िाए कोई सोच भी नही सकता ककस भातत क सवोदयी ह अजहसा सवोदय

गाधी क मानन वाल अड लककन तरहार म चलता ह तरहारी ह कोई अड़चन की रात नही कोई िन सोच

भी नही सकता कक अजहसक और अड िा सकता ह लककन ियपरकाश को खयाल ही नही आया होगा गाधी

और तवनोरा क साथ जिदगी तरताई लककन अड नही िाना ह यह खयाल नही आया

एक कवकर कई विा पहल मर पास महमान हआ तो मन उसस सरह ही पिा कक चाय लग दध लग

कॉफी लग कया लग वह एकदम चौक गया िस मन कोई रड़ी ितरनाक रात कही हो उसन कहा कया आप

चाय दध कॉफी पीत ह िस मन कोई िन पीन का तनमतरण कदया हो मन पिा तम कोई गलती रात हई

उसन कहा म शाकाहारी ह दध म नही पी सकता

कयोकक कवकर मानत ह दध िन ह उनक मानन म भी रात तो ह कवकर अडा िात ह लककन दध नही

पीत कयोकक दध तो रि स ही रनता ह शरीर म सफद और लाल कण होत ह िन म मादा क शरीर स--चाह

गाय हो चाह सतरी हो--सफद कण अलग हो िात ह और दध रन िाता ह वह आधा िन ह

तो उसन इस तरह नाक-भौ तसकोड़ी कहा कक दध आप भी कया रात कर रह ह अडा व िा लत ह

कयोकक अडा व कहत ह कक िर तक अभी िीवन परगट नही हआ तर तक कोई पाप नही ह ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह इसतलए परगट और अपरगट का ही भद करना उतचत ह उनक तहसार स ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह

तमन एक फल िाया अगर तम न िात और फल रिा रहता सड़ िाता तो उसम कीड़ पड़त तो उसम

भी िीवन परगट हो िाता तो िर तक नही परगट हआ ह तर तक नही ह

मानयताओ की रात ह चररतर मानयताओ स रनता ह ससकार स रनता ह शील शील रड़ी अनठी रात

ह शील तमहारी मानयताओ और ससकारो स नही रनता शील तमहार धयान स िनमता ह इस फका को रहत

ठीक स समझ लो मानयता ससकार समाि ससकतत नीतत की धारणाए तवचार ह िो तवचार तमह कदए गए

ह व तमहार भीतर पकड़ गए ह

म िन घर म पदा हआ तो रचपन म मझ कभी राततर को भोिन करन का सवाल नही उठा कोई करता

ही न था घर म इसतलए रात ही नही थी म पहली दफा तपकतनक पर कि जहद तमतरो क साथ पहाड़ पर गया

उनहोन कदन म िाना रनान की कोई कफकर ही न की मझ अकल क तलए कोई जचता का कारण भी न था म

अपन तलए िोर द यह भी ठीक न मालम पड़ा

रात उनहोन भोिन रनाया कदनभर पहाड़ का चढ़ाव कदनभर की थकान भयकर मझ भि लगी और

रात उनहोन िाना रनाया उनक िान की गध वह मझ आि भी याद ह ऊपर-ऊपर मन हा-ना ककया कक

नही रात कस िाना िाऊगा लककन भीतर तो चाहा कक व समझा-रझाकर ककसी तरह तिला ही द उनहोन

समझा-रझाकर तिला भी कदया लककन मझ ततकषण वमन हो गया उलटी हो गई

उस कदन तो मन यही समझा कक रात का िाना इतना पापपणा ह इसीतलए उलटी हो गई लककन उनको

तो ककसी को भी न हई ससकार की रात थी कोई रात क िान स सरध न था कभी िाया न था और रात

िाना पाप ह वह धारणा तो ककसी तरह िा तो तलया लककन वह सर शरीर न फक कदया मन न राहर फक

कदया

151

शील स इन घटनाओ का कोई सरध नही ह मन की धारणाओ स सरध ह तम िो मानकर चलत हो

िो तमहार तवचार म रठ गया ह उसक अनकल चलना आचरण ह उसक परततकल चलना दराचरण ह

शील कया ह शील ह िर तमहार मन स सर तवचार समापत हो िात ह और तनरवाचार दशा उपलबध

होती ह शनयभाव रनता ह धयान लगता ह उस धयान की दशा म तमह िो ठीक मालम होता ह वही करना

शील ह और वसा शील सार िगत म एक सा होगा उसम कोई ससकार क भद नही होग समाि क भद नही

होग

चररतर जहद का अलग होगा मसलमान का अलग होगा ईसाई का अलग होगा िन का अलग होगा

तसकि का अलग होगा शील सभी का एक होगा शील वहा स आता ह िहा न जहद िाता न मसलमान िाता

न ईसाई िाता तमहारी गहनतम गहराई स अिती कवारी गहराई स िहा ककसी न कभी कोई सपशा नही

ककया िहा तम अभी भी परमातमा हो वहा स शील आता ह

िस अगर तम थोड़ी सी िमीन िोदो तो ऊपर-ऊपर िो पानी तमलगा वह तो पास की सड़को स रहती

हई नातलयो का पानी होगा िो िमीन न सोि तलया ह--चररतर चररतर होगा वह कफर तम गहरा कआ

िोदो इतना गहरा कआ िोदो िहा तक नातलयो का पानी िा ही नही सकता तर तमह िलसरोत तमलग व

सागर क ह तर तमह शदध िल तमलगा

अपन भीतर इतनी िदाई करनी ह कक तवचार समापत हो िाए तनरवाचार का तल तमल िाए वहा स

तमहार िीवन को िो जयोतत तमलगी वह शील की ह चररतर म कोई रड़ी सगध नही होती चररतर तो पलातसटक

क फल ह तचपका तलए ऊपर स सि-धि गएशगार कर तलया दसरो को कदिान क तलए अचि लककन

परमातमा क सामन काम न पड़ग शील ऐस फल ह िो तमन तचपकाए नही तमहार भीतर लग उग उमग

तमहार भीतर स आए तिनकी िड़ तमहार भीतर तिपी ह उनही फलो को तम परमातमा क सामन ल िान म

समथा हो सकोग िो समाि न कदया ह वह मौत िीन लगी कयोकक िो समाि न कदया ह वह िनम क राद

कदया ह उस तम मौत क आग न ल िा सकोग िनम और मौत क रीच ही उसकी सभावना ह

लककन अगर शील का िनम हो िाए तो उसका अथा ह तमन वहा पाया अर िो िनम क पहल था िर

तम पदा भी न हए थ उस शदध चतनय स आ रहा ह अर मतय क आग भी ल िा सकोग िो िनम क पहल ह

वह मतय क राद भी साथ िाएगा शील को उपलबध कर लना इस िगत की सरस रड़ी करातत ह

न िान कौन ह गमराह कौन आगाह-मतिल ह

हिारो कारवा ह जिदगी की शाहराहो म

कौन ह गमराह--कौन भटका हआ ह कौन आगाह-मतिल ह--और कौन ह तिस मतिल का पता ह

हिारो यातरी दल ह जिदगी क रािपथ पर तम कस पहचानोग चररतर क धोि म मत आ िाना दिररतर को

तो िोड़ ही दना चररतरवान को भी िोड़ दना शीलवान को िोिना

ऐसा समझो एक सफी फकीर हि की यातरा को गया एक महीन का मागा था उस फकीर और उसक

तशषयो न तय ककया कक एक महीन उपवास रिग पाच-सात कदन ही रीत थ कक एक गाव म पहच कक गाव क

राहर ही आए थ कक गाव क लोगो न िरर की कक तमहारा एक भि गाव म रहता ह उसन अपना मकान

िमीन सर रच कदया गरीर आदमी ह तम आ रह हो तमहार सवागत क तलए उसन पर गाव को आमततरत

ककया ह भोिन क तलए सर रच कदया ह ताकक तमहारा ठीक स सवागत कर सक उसन रड़ तमषठान रनाए ह

152

फकीर क तशषयो न कहा यह कभी नही हो सकता हम उपवासी ह हमन एक महीन का उपवास रिा ह हमन

वरत तलया ह वरत नही टट सकता लककन फकीर कि भी न रोला

िर व गाव म आए और उस भि न उनका सवागत ककया और फकीर को भोिन क तलए तनमततरत ककया

तो वह भोिन करन रठ गया तशषय तो रड़ हरान हए कक यह ककस तरह का गर ह िरा स भोिन क पीि

वरत को तोड़ रहा ह भल गया कसम भल गया परततजञा कक एक महीन उपवास करग यह कया मामला ह

लककन िर गर न ही इकार नही ककया तो तशषय भी इकार न कर सक करना चाहत थ

समारोह परा हआ रात िर तवशराम को गए तो तशषयो न गर को घर तलया और कहा कक यह कया ह

कया आप भल गए या आप पततत हो गए

उस गर न कहा पागलो परम स रड़ी कही कोई तीथायातरा ह और इसन इतन परम स अपनी सर

िमीन-िायदाद रचकर सर लटाकर--गरीर आदमी ह--भोिन का आयोिन ककया उस इकार करना परमातमा

को ही इकार करना हो िाता कयोकक परम को इकार करना परमातमा को इकार करना ह रही उपवास की

रात तो कया कफकर ह सात कदन आग कर लग एक महीन का उपवास करना ह न एक महीन का उपवास

कर लग और अगर कोई दड तम सोचत हो तो दड भी िोड़ लो एक महीन दस कदन का कर लग िलदी कया

ह और म तमस कहता ह कक तमहारी यह अकड़ कक हमन वरत तलया ह और हम अर भोिन न कर सक ग

अहकार की अकड़ ह यह परम की और धमा की तवनमरता नही

यहा फका तमह समझ म आ सकता ह तशषयो का तो कवल चररतर ह गर का शील ह शील अपना

मातलक ह वह होश स पदा होता ह चररतर अपना मातलक नही ह वह अधानकरण स पदा होता ह िर कभी

तमह िीवन म कोई शीलवान आदमी तमल िाए तो समझ लना यही चरण पकड़ लन िस ह चररतरवान क

धोि म मत आ िाना कयोकक चररतरवान तो तसफा ऊपर-ऊपर ह भीतर तरलकल तवपरीत चल रहा ह

फका कस करोग चररतरवान को तम हमशा अकड़ा हआ पाओग कयोकक इतना कर रहा ह तो अहकार

मिरत होता ह चररतरवान को तम हमशा तना हआ पाओग तनाव स भरा पाओग कयोकक कर रहा ह कर

रहा ह कर रहा ह फल की अपकषा कर रहा ह शीलवान को तम हमशा तवशराम म पाओग शीलवान इसतलए

नही कर रहा ह कक आग कि तमलन को ह शीलवान इसतलए कर रहा ह कक करन म आनद ह शीलवान को

तम परफतललत पाओग शीलवान अपनी तपियाा की चचाा न करगा अपन उतसव क गीत गाएगा शीलवान

तमह आनकदत मालम पड़गा चररतरवान तमह रड़ा तना हआ और कषट झलता हआ मालम पड़गा रारीक ह

फासल लककन अगर तमन निर िोलकर रिी तो तमह करठनाई न होगी

चररतरवान क पास तमह दभ की दगध तमलगी शीलवान क पास तमह सरलता की सगध तमलगी

शीलवान को तम ऐसा पाओग िसा िोटा रालक चररतरवान को तम रड़ा तहसारी-ककतारी पाओग वह एक-

एक रात का तहसार रिगा गतणत म पकका पाओग परम म नही और िहा गतणत रहत पकका हो िाता ह वहा

परमातमा स दरी रहत हो िाती ह तम चररतरवान को तका यि पाओग वह िो भी करगा तका स ठीक ह

इसतलए करगा

शीलवान को तम तका यि न पाओग सहिसफता पाओग वह िो भी करगा वह उसकी सहि-सफरणा ह

ऐसा हआ शीलवान को तम परमातमा क हाथ म अपन को सौपा हआ पाओग चररतरवान को तम अपन ही

हाथो म तनयततरत पाओग चररतरवान म तनयतरण होगा अनशासन होगा शीलवान म सवातषय होगा मति

होगी और सगध और दगध का फका होगा

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दिररतर तो होना ही नही चररतरवान भी मत होना अगर होना ही ह तो शीलवान होना चररतर ह

ऊपर स थोपा गया--आरोपण शील ह भीतर स आई हई िीवन-धारा भीतर स आया हआ रोध

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

शील िोट रचच िसा ह िोट रचचो को कफर स गौर स दिना रहत कम लोग उनह गौर स दित ह िोट

रचचो को ठीक स पहचानना कयोकक वही सतो की भी पहचान रनगी तमन कभी कोई िोटा रचचा दिा िो

करप हो सभी िोट रचच सदर होत ह सभी िोट रचचो म िीवन का आहलाद होता ह एक सरलता होती ह--

गतणतशनय तहसार स मि एक परवाह होता ह

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

अगर तम अपन रचपन को याद करोग तो तमह य वचन समझ म आ िाएग य वचन तो कह गए ह

अदम क तलए कक अदम को िर सवगा क रगीच स तनकाल कदया गया तनकाला कयो गया तनकाला इसतलए

गया कक उसन रचपन िो कदया उसन सरलता िो दी तनदोिता िो दी उसन जञान क वकष का फल चि

तलया वह समझदार हो गया

अर य रड़ी मि की कहानी ह ईसाइयो की इसस अनठी कहानी दतनया क इततहास म दसरी नही

अदम को इसतलए तनकाला गया कक वह जञानी हो गया थोड़ा सोचो हम तो सोचत ह जञातनयो को वापस ल

तलया िाएगा अदम िर तक सरल था तर तक तो सवगा क रगीच म रहा और िर समझदार हो गया--

समझदार यानी िर वह चालाक हो गया िर उसन जञान क वकष का फल चि तलया--उस कषण परमातमा न

उस राहर कर कदया

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

और आदमी ईसाइयत कहती ह तर स रचन ह उसी की गली को कफर िोि रहा ह लककन यह िोि

तभी परी हो सकती ह िर जञान को तम वमन कर दो िर तम अपन पातडतय को फक दो कड़-करकट क ढर

पर िर तम कफर स सरल हो िाओ िर तम कफर रालक की भातत हो िाओ सततव म पनाः रचच का शील आ

िाता ह रचच की सगध आ िाती ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

यह शील की सगध तमहार मतसतषक का तहसार-ककतार नही तमहार हदय म िला हआ दीया ह तमहार

हदय म िली जयोतत ह

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

मत सोचो कदल स िो राह तमलती ह वही परमातमा की राह ह सोचा तो भटकोग उस राह पर थोड़ा

चलकर दिो उस राह पर चलत ही तमह लगगा मकदर क तशिर कदिाई पड़न लग मकदर की घरटयो का सवर

सनाई पड़न लगा मकदर म िलती धप की सगध तमहार नासापटो को भरन लगी

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

अजञात की राह तमहार तसर स नही तमलती तमहार कदल स तमलती ह

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

154

सोचो मत तिसन सोचा उसन गवाया कयोकक िर तम सोचन लगत हो तर तम मतसतषक म आ िात

हो परम करो भाव स भरो रो लना भी रहतर ह सोचन स नाच लना रहतर ह सोचन स आस टपका लना

रहतर ह सोचन स िो भी हदय स उठ वह रहतर ह वह शरषठ ह और िस-िस तमहारा थोड़ा सरध रनगा

तम तनतित ही िान लोग कक उसी राह स परमातमा आता ह जञान की राह स नही तनदोि भाव की राह स

आता ह

तगर और चदन की िो यह गध फलती ह वह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम गध दवलोको म भी फल िाती ह दवताओ म भी फल िाती ह

इस थोड़ा समझ तगर चदन की िो गध ह अलपमातर ह कषणिीवी ह हवा का एक झोका उस उड़ा ल

िाएगा िलदी ही िो िाएगी इस तवराट म कफर कही िोि न तमलगी एक सपना हो िाएगी एक अफवाह

मालम पड़गी पता नही थी भी या नही थी लककन शीलवतो की िो सगध ह वह उततम गध दवताओ म भी

फल िाती ह

मन सना ह एक सतरी मितलया रचकर अपन घर वापस लौटती थी नगर क राहर तनकलती थी कक

उसकी एक परानी सहली तमल गई िो एक मातलन थी उसन कहा आि रात मर घर रक िा रहत कदन स

साथ भी नही हआ रहत रात भी करन को ह वह रक गई मातलन न यह सोचकर कक परानी सिी ह ऐसी

िगह उसका तरसतर लगाया िहा राहर स रला की सगध भरपर आती थी लककन मिली रचन वाली औरत

करवट रदलन लगी रला की सगध की आदत नही आधी रात हो गई तो मातलन न पिा रहन त सो नही

पाती कि अड़चन ह उसन कहा कि और अड़चन नही मरी टोकरी मझ वापस द दो और थोड़ा पानी उस

पर तिड़क दो कयोकक मितलयो की गध क तरना म सो न सकगी रला की सगध मझ रड़ी तकलीफ द रही ह

रड़ी ति ह

मातलन को तो भरोसा न आया मितलयो की गध गध कहना ही ठीक नही उस दगध ह लककन उसन

पानी तिड़का उसकी टोकरी पर कपड़ क टकड़ पर--तिन पर मितलया राधकर वह रच आई थी उसन उस

अपन तसर क पास रि तलया िलदी ही उस घरााट आन लग वह गहरी नीद म िो गई

तल ह रहत रदध कहत ह दवताओ को भी पथवी पर रहन वालो को ही नही सवगा म रहन वालो को भी

शील की गध आती ह शायद पथवी पर रहन वालो की तो वसी ही हालत हो िाए िसी मिली रचन वाली

औरत की हो गई थी

रदध को लोगो न पतथर मार उनह दगध आई होगी सगध न आई होगी महावीर को लोगो न सताया

उनह सगध न आई होगी अनयथा पित िीसस को सली पर लटका कदया अर और कया चाहत हो िातहर ह

रात कक हम कोई ऐसी रसती क रहन वाल ह िहा मितलयो की दगध हम सगध मालम होन लगी ह िहा हम

िीसस को सली पर लटका दत ह िहा हम सकरात को िहर तपला दत ह िहा रदधो को हम पतथर मारत ह

महावीरो का अपमान करत ह हम उनकी सगध सगध नही मालम पड़ती ह हम भयभीत हो िात ह उनका

होना हम डगमगा दता ह उनक होन म रगावत मालम पड़ती ह उनकी शवास-शवास म तविोह क सवर मालम

होत ह लककन दवताओ को उनकी गध आती ह

महावीर क िीवन म रड़ा पयारा उललि ह कथा ही होगी लककन कथा भी रड़ी रहमलय ह और साथाक

ह और कभी-कभी कथाओ क सतय िीवन क सतयो स भी रड़ सतय होत ह कहत ह कक महावीर न िर पहली

दफा अपनी उदघोिणा की अपन सतय की तो दवताओ क तसवाय कोई भी सनन न आया आत भी कस कोई

155

और उदघोिणा इतनी ऊची थी उसकी गध ऐसी थी कक कवल दवता ही पकड़ पाए होग अगर कही कोई

दवता ह तो तनतित ही वही सनन आए होग कफर दवताओ न महावीर को समझाया-रझाया कक आप कि इस

ढग स कह कक मनषय भी समझ सक आप कि मनषय की भािा म कह मतलर यही कक मनषय की टोकरी पर

थोड़ा पानी तिड़क मनषय की टोकरी उसक पास रि द तो ही शायद वह पहचान पाए

कोई भी नही िानता कक महावीर की पहली उदघोिणा म पहल सरोधन म महावीर न कया कहा था

वही शदधतम धमा रहा होगा लककन उसक आधार पर तो िन धमा नही रना िन धमा तो रना तर िर

महावीर कि ऐसा रोल िो आदमी की समझ म आ िाए वह महावीर का अतरतम नही हो सकता

रदध तो चप ही रह गए िर उनह जञान हआ उनहोन कहा रोलना कफिल ह कौन समझगा यह गध

राटनी वयथा ह यहा कोई गध क पारिी ही नही ह हम राटग सोना लोग समझग पीतल हम दग हीर लोग

समझग ककड़-पतथर फक आएग रदध तो सात कदन चप रह गए

कफर कथा कहती ह कक सवगा क दवता उतर िद बरहमा उतर रदध क चरणो म तसर रिा और कहा कक

ऐसी अनठी घटना कभी-कभार घटती ह सकदयो म आप कह कोई समझ या न समझ आप कह शायद कोई

समझ ही ल शायद कोई थोड़ा ही समझ एक ककरण भी ककसी की समझ म आ िाए तो भी रहत ह कयोकक

ककरण क सहार कोई सरि तक िा सकता ह

रदध कहत ह तगर या चदन की यह िो गध ह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम दवलोको तक फल िाती ह

इस सगध को शबद दन करठन ह यह सगध कोई पारथाव घटना नही ह तम इस तौल न सकोग न ही

तम इस गठररयो म राध सकोग न ही तम इस शासतरो म समा सकोग न ही तम इसक तसदधात रना सकोग

यह सगध अपारथाव ह यह तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो की आिो म झाकन म समथा हो िात ह यह

तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो क हदयो म डरन म समथा हो िात ह यह तो कवल उनही को तमलती

ह िो तमटन को रािी ह िो िोन को रािी ह इस सगध को पाना रड़ा सौदा ह कवल िआरी ही इसको पा

पात ह

होता ह राि-इकको-महबरत इनही स फाश

आि िरा नही ह मगर रिरा नही

रदध की आिो म िो झाकगा तो रदध की आि िरान तो नही ह कक रोल द लककन व रिरा भी नही

ह रोलती ह िो रदध की आिो क दीय को समझगा िो रदध की आिो क दीय क पास अपन रझ दीयो को ल

आएगा िो रदध की शनयता म अपनी शनयता को तमला दगा िो रदध क साथ होन को रािी होगा--अजञात की

यातरा पर िान को--कवल उसी क अतरपट उस गध स भर िाएग कवल वही उस गध का मातलक हो पाएगा

व िो शीलवान अपरमाद म तवहार करन वाल समयक जञान दवारा तवमि हो गए ह उनकी राह म मार

नही आता ह

और तिसन भी शील को पा तलया अपरमाद को पा तलया समयक जञान को पा तलया--एक ही रात ह--

उसकी राह म कफर वासना का दवता मार नही आता ह िो िाग गया उस कफर मार क दवता स मलाकात

नही होती उसकी तो कफर परमातमा स ही मलाकात होती ह िो सोया ह उसकी घड़ी-घड़ी मलाकात वासना

क दवता स ही होती ह

156

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगधयि सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रहत रात ह इस सतर म पहली तो रात यह ह कक कमल कीचड़ स तिलता ह कड़-करकट क ढर स

तनकलता ह कमल कीचड़ म तिपा ह कमल तो पदा करना ह लककन कीचड़ क दकमन मत हो िाना नही तो

कमल कभी पदा न हो पाएगा

समझो तिस तमन करोध कहा ह वही ह कीचड़ और तिस तमन करणा िानी ह वही ह कमल और

तिस तमन कामवासना कहा ह वही ह कीचड़ और तिसको तमन बरहमचया िाना ह वही ह कमल काम क

कीचड़ स ही राम का कमल तिलता ह करोध क कीचड़ स ही करणा क फल तिलत ह

िीवन एक कला ह और िीवन उनही का ह िो उस कला को सीि ल भगोड़ो क तलए नही ह िीवन

और न नासमझो क तलए ह तम कही भल म मत पड़ िाना तमहार तथाकतथत साध-सनयासी तमह िो

समझात ह िलदी मत मान लना कयोकक व कहत ह कक हटाओ करोध को व कहत ह हटाओ काम को म तमस

कहता ह रदलो हटाओ मत रपातररत करो टरासफामा करो करोध ऊिाा ह उस काट दोग तो करणा पदा न

होगी तम तसफा शतिहीन नपसक हो िाओग काम ऊिाा ह उस अगर काट दोग तो तम तनवीया हो िाओग

रदलो रपातररत करो उसम महाधन तिपा ह तम कही फक मत दना कीचड़ समझकर फक मत दना कमल

भी तिपा ह हालाकक कीचड़ को ही कमल मत समझ लना

दतनया म दो तरह क लोग ह रड़ी ितरनाक दतनया ह एक तो व लोग ह िो कहत ह कीचड़ को

हटाओ कयोकक कहा कीचड़ को ढो रह हो काटो कामवासना को तोड़ो करोध को िला दो इकियो को एक तो

य लोग ह इनहोन काफी हातन की ससार की इनहोन मनषय को गररमा स शनय कर कदया इनहोन मनषय का

सारा गौरव नषट कर कदया दीन-हीन कर कदया मनषय को कयोकक उसी कीचड़ म तिप थ कमल

कफर दसरी तरह क लोग भी ह अगर उनस कहो कीचड़ म कमल तिपा ह फको मत कीचड़ को रदलो

तो व कहत ह तरलकल ठीक कफर व कीचड़ को ही जसहासन पर तवरािमान कर लत ह कफर व उसी की पिा

करत ह व कहत ह तमही न तो कहा था कक कीचड़ म कमल तिपा ह अर हम कीचड़ की पिा कर रह ह

य दोनो ही ितरनाक लोग ह कीचड़ म कमल तिपा ह न तो कीचड़ को फकना ह न कीचड़ की पिा

करनी ह कीचड़ स कमल को तनकालना ह कीचड़ स कमल को राहर लाना ह िो तिपा ह उस परगट करना

ह इन दो अततयो स रचना य दोनो अततया एक िसी ह कआ नही तो िाई कही रीच म िड़ होन क तलए

िगह िोिनी ह कोई सतलन चातहए

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल

तो पहली तो रात यह ह कक कमल तिलता ही कीचड़ म ह इसका रड़ा गहरा अथा हआ इसका अथा

हआ कक कीचड़ तसफा कीचड़ ही नही ह कमल की सभावना भी ह तो गहरी आि स दिना तो तम कीचड़ म

तिपा हआ कमल पाओग कीचड़ तसफा वतामान ही नही ह भतवषय भी ह गौर स दिना तम भतवषय क कमल

को झाकत हए पाओग तिपा ह इसतलए तिनक पास पनी आि ह उनही को कदिाई पड़गा

कीचड़ की पिा भी नही करना कीचड़ का उपयोग करना कीचड़ को मातलक मत रन िान दना कीचड़

को सवक ही रहन दना मातलक तमही रहना तो ही कमल तनकल पाएगा कयोकक तमहारी मालककयत रह तो

ही कमल को तम कीचड़ क राहर िीच पाओग तम अगर ऊधवागमन पर िात हो अगर तम ऊपर की तरफ

यातरा कर रह हो तो ही कीचड़ का कमल भी ऊपर की तरफ तमहार साथ िा सकगा तम कीचड़ म ही डरकी

157

लगाकर मत रठ िाना नही तो कमल ककसक सहार िाएगा तमही को तो कमल की डडी रनना ह पर रह

कीचड़ म तसर रह आकाश म तो तम कीचड़ स कमल को राहर तनकाल पाओग पर रह िमीन पर तसर रह

आकाश म चलना िमीन पर उड़ना परमातमा म और इन दोनो क रीच अगर तालमल रना लो तो तमहार

भीतर एक अनठा कमल तिलगा

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रदध अपन तशषय को शरावक कहत ह शरावक का अथा ह तिसन रदध को सना शरवण ककया रदध को तो

रहत लोगो न सना सभी शरावक नही ह कान स ही तिनहोन सना व शरावक नही ह तिनहोन पराण स सना व

शरावक ह तिनहोन ऐस सना कक सनन म ही करातत घरटत हो गई तिनहोन ऐस सना कक रदध का सतय उनका

सतय हो गया शरदधा क कारण नही सनन की तीवरता और गहनता क कारण शरदधा क कारण नही मान तलया

ऐसा नही पर सना इतन पराणपण स सना इतनी पररपणाता स सना अपन को परा िोलकर कक रदध क शबद

कवल शबद ही न रह तनाःशबद भी उनम चला आया रदध क शबद ही भीतर न आए उन शबदो म तलपटी रदधतव

की गध भी भीतर आ गई

और धयान रिना िर रदध रोलत ह तर शबद तो वही होत ह िो तम रोलत हो लककन िमीन-

आसमान का फका ह शबद तो वही होत ह लककन रदध म डरकर आत ह सरारोर होत ह रदधतव म उन शबदो

म स रदधतव झरता ह अगर तमन रदध क शबदो को अपन पराण म िगह दी तो उनक साथ ही साथ रदधतव का

रीि भी तमहार भीतर आरोतपत हो िाता ह रदध न उनको शरावक कहा ह तिनहोन ऐस सना

और रदध कहत ह समयक सरदधो का शरावक सामानयिनो क कड़-करकट की भीड़ म कमल की तरह तिल

िाता ह अलग हो िाता ह रहता ससार म ह कफर भी पार हो िाता ह कमल होता कीचड़ म ह कफर भी दर

हो िाता ह उठता िाता ह दर तभि हो िाता ह

कमल और कीचड़ ककतना फासला ह कफर भी कमल कीचड़ स ही आता ह तमहार रीच ही अगर ककसी

न रदधतव को अपन पराणो म आरोतपत कर तलया रदध क रीि को अपन भीतर िान कदया अपन हदय म िगह

दी सीचा पाला पोसा सरकषा की तो तमहार ठीक रीच रािार क घर पर ढर पर उसका कमल तिल

आएगा

एक ही रात खयाल रिनी िररी ह ऊपर की तरफ िान को मत भलना नीच की तरफ िो ल िाता ह

वह ह कामवासना कीचड़ ऊपर की तरफ िो ल िाता ह वही ह परम वही ह पराथाना काम को परम म रदलो

काम का अथा ह दसर स सि तमल सकता ह ऐसी धारणा परम का अथा ह ककसी स सि नही तमल

सकता और न कोई तमह दि द सकता ह इसतलए दसर स लन का तो कोई सवाल ही नही ह काम मागता ह

दसर स काम तभिारी ह काम ह तभकषा का पातर परम ह इस रात की समझ कक दसर स न कि कभी तमला ह

न तमलगा यह दसर क सामन तभकषा क पातर को मत फलाओ परम ह तमहार भीतर िो ह उस राटो और दो

काम ह मागना परम ह दान िो तमहार िीवन की सपदा ह उस तम द दो उस तम राट दो िस सगध राटता

ह फल ऐस तम परम को राट दो तो तमहार िीवन म शील का िनम होगा राटोग तो तम पाओग तितना

राटत हो उतनी रढ़ती िाती ह सपदा तितना लटात हो सामराजय रड़ा होता िाता ह

कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इस जिदगी क राहर कदिाई पड़न वाल सामराजय और समराट तो ढलती-कफरती िाव ह

158

कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इकक ही एक िातरदा दौलत ह इसानो क पास

दौलत एक ह धन एक ह सपततत एक ह राकी तो ढलती-कफरती िाव ह इकक ही ह एक िातरदा

दौलत--परम ही एकमातर सपदा ह काम ह तभिारीपन और परम ह सपदा काम स पदा होगा अशील और परम स

पदा होता ह शील तो तमहारा िीवन एक परम का दीया रन िाए

और धयान रिना परम का दीया तभी रन सकता ह िर तम रहत िागकर िीओ िागन का तल हो परम

की राती हो तो परमातमा का परकाश फलता ह और तर िहा अधरा पाया था वहा रोशनी हो िाती ह िहा

काट पाए थ वहा फल हो िात ह िहा ससार दिा था वहा तनवााण हो िाता ह िहा पदाथा क तसवाय कभी

कि न तमला था वही परमातमा का हदय धड़कता हआ तमलन लगता ह

िीसस न कहा ह उठाओ पतथर और तम मझ तिपा हआ पाओग तोड़ो चिान और तम मझ तिपा हआ

पाओग

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

िहा पहल कारागह था हमन ऐस भी इकलार दि ऐसी कराततया दिी कक िहा कारागह था वही

अपना तनवास रना घर रना यह ससार ही तिसको तमन अभी कारागह समझा ह अभी कारागह ह ससार

कारागह ह ऐसा नही तमहार दिन क ढग अभी नासमझी क ह अधर क ह

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

रदध महावीर कषण ऐस ही इकलार ह िहा तमन तसफा कारागह पाया और ििीर पायी वही उनहोन

अपना घर भी रना तलया िहा तमन तसफा कीचड़ पाई वही उनक कमल तिल और िहा तमह अधकार क

तसवाय कभी कि न तमला वहा उनहोन हिार-हिार सरि िला तलए

म तमस कफर कहता ह--

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सहर सदा स ही ह सरह सदा स ही ह तमहार सोन की विह स रात मालम हो रही ह और िागना

तरलकल तमहार हाथ म ह कोई दसरा तमह िगा न सकगा तमन ही सोन की तिदद ठान रिी हो तो कोई तमह

िगा न सकगा तम िागना चाहो तो िरा सा इशारा काफी ह

रदधपरि इशारा कर सकत ह चलना तमह ह िागना तमह ह अगर अपनी दगध स अभी तक नही

घरड़ा गए तो रात और अगर अपनी दगध स घरड़ा गए हो तो तिलन दो फल को अर

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

रीसवा परवचन

परम की आतिरी मतिलाः रदधो स परम

पहला परशनाः तिन तभकषओ न रदध की मरताया रनायी और रदध-वचन क शासतर तलि कया उनहोन रदध की

आजञा मानी कया व उनक आजञाकारी तशषय थ

रदध की आजञा तो उनहोन नही मानी लककन मनषय पर रड़ी करणा की और रदध की आजञा तोड़न िसी

थी िहा मनषय की करणा का सवाल आ िाए ऐस उनहोन रदध की आजञा तोड़कर भी रदध की आजञा ही मानी

कयोकक रदध की सारी तशकषा करणा की ह

इस थोड़ा समझना पड़गा

रदध न कहा मरी मरताया मत रनाना तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन रदध की आजञा तोड़ी लककन

रदध न यह भी कहा कक िो धयान को उपलबध होगा समातध तिसक िीवन म तिलगी उसक िीवन म करणा

की विाा भी होगी तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन करणा क कारण रनायी रदध क चरण-तचहन िो न

िाए और रदध क चरण-तचहनो की िाया अनत काल तक रनी रह

कि रात ही ऐसी थी कक तिस आदमी न कहा मरी मरताया मत रनाना हमन अगर उसकी मरताया न

रनाई होती तो रड़ी भल हो िाती तिनहोन कहा था हमारी मरताया रनाना उनकी हम िोड़ भी दत न

रनात चलता रदध न कहा था मरी पिा मत करना अगर हमन रदध की पिा न की होती तो हम रड़ चक

िात

यह सौभागय की घड़ी कभी-कभी सकदयो म आती ह िर कोई ऐसा आदमी पदा होता ह िो कह मरी

पिा मत करना यही पिा क योगय ह िो कहता ह मरी मरता मत रनाना यही मरता रनान क योगय ह सार

िगत क मकदर इसी को समरपात हो िान चातहए

रदध न कहा मर वचनो को मत पकड़ना कयोकक िो मन कहा ह उस िीवन म उतार लो दीय की चचाा

स कया होगा दीय को समहालो शासतर मत रनाना अपन को िगाना लककन तिस आदमी न ऐसी रात कही

अगर इसका एक-एक वचन तलि न तलया गया होता तो मनषयता सदा क तलए दररि रह िाती कौन तमह

याद कदलाता कौन तमह रताता कक कभी कोई ऐसा भी आदमी हआ था तिसन कहा था मर शबदो को अतगन म

डाल दना और मर शासतरो को िलाकर राि कर दना कयोकक म चाहता ह िो मन कहा ह वह तमहार भीतर

िीए ककतारो म नही लककन यह कौन तलिता

तो तनतित ही तिनहोन मरताया रनायी रदध की आजञा तोड़ी लककन म तमस कहता ह उनहोन ठीक ही

ककया रदध की आजञा तोड़ दन िसी थी नही कक रदध न िो कहा था वह गलत था रदध न िो कहा था

तरलकल सही कहा था रदध स गलत कहा कस िा सकता ह रदध न तरलकल सही कहा था मरी मरताया मत

रनाना कयोकक कही मरतायो म तम मझ न भल िाओ कही मरतायो म म िो न िाऊ कही मरताया इतनी

जयादा न हो िाए कक म दर िाऊ तम सीध ही मझ दिना

लककन हम इतन अध ह कक सीध तो हम दि ही न पाएग हम तो टटोलग टटोलकर ही शायद हम

थोड़ा सपशा हो िाए टटोलन क तलए मरताया िररी ह मरतायो स ही हम रासता रनाएग हम उस परम तशिर

160

को तो दि ही न सक ग िो रदध क िीवन म परगट हआ वह तो रहत दर ह हमस आकाश क रादलो म िोया ह

वह तशिर उस तक हमारी आि न उठ पाएगी हम तो रदध क चरण भी दि ल िो िमीन पर ह तो भी

रहत उनही क सहार शायद हम रदध क तशिर पर भी कभी पहच िाए इसकी आशा हो सकती ह

तो म तमस कहता ह तिनहोन आजञा तोड़ी उनहोन ही आजञा मानी तिनहोन वचनो को समहालकर रिा

उनहोन ही रदध को समझा लककन तमह रहत िरटलता होगी कयोकक तका रतदध तो रड़ी नासमझ ह

ऐसा हआ एक यवक मर पास आता था ककसी तवशवतवदयालय म अधयापक था रहत कदन मरी रात

सनी रहत कदन मर सतसग म रहा एक रात आधी रात आया और कहा िो तमन कहा था वह म परा कर

चका मन अपन सर वद उपतनिद गीता कए म डाल दी मन उसस कहा पागल मन वद-उपतनिद को

पकड़ना मत इतना ही कहा था कए म डाल आना यह मन न कहा था यह तन कया ककया

वद-उपतनिद को न पकड़ो तो ही वद-उपतनिद समझ म आत ह वद- उपतनिद को समझन की कला

यही ह कक उनको पकड़ मत लना उनको तसर पर मत ढो लना उनको समझना समझ मि करती ह समझ

उसस भी मि कर दती ह तिसको तमन समझा कए म कयो फक आया और त सोचता ह कक तन कोई रड़ी

करातत की म नही सोचता कयोकक अगर वद-उपतनिद वयथा थ तो आधी रात म कए तक ढोन की भी कया

िररत थी िहा पड़ थ पड़ रहन दता कए म फकन वही िाता ह तिसन तसर पर रहत कदन तक समहालकर

रिा हो कए म फकन म भी आसति का ही पता चलता ह तम उसी स घणा करत हो तिस स तमन परम ककया

हो तम उसी को िोड़कर भागत हो तिसस तम रध थ

एक सनयासी मर पास आया और उसन कहा मन पतनी-रचच सरका तयाग कर कदया मन उसस पिा व

तर थ कर तयाग तो उसका होता ह िो अपना हो पतनी तरी थी सात चककर लगा तलए थ आग क आसपास

उसस तरी हो गई थी रचच तर थ पहली तो भल वही हो गई कक तन उनह अपना माना और कफर दसरी भल

यह हो गई कक उनको िोड़कर भागा िोड़ा वही िा सकता ह िो अपना मान तलया गया हो रात कल इतनी

ह इतना ही िान लना ह कक अपना कोई भी नही ह िोड़कर कया भागना ह िोड़कर भागना तो भल की ही

पनरति ह

तिनहोन िाना उनहोन कि भी िोड़ा नही तिनहोन िाना उनहोन कि भी पकड़ा नही तिनहोन िाना

उनह िोड़ना नही पड़ता िट िाता ह कयोकक िर कदिाई पड़ता ह कक पकड़न को यहा कि भी नही ह तो

मिी िल िाती ह

रदध की मतय हई--तर तक तो ककसी न रदध का शासतर तलिा न था य धममपद क वचन तर तक तलि न

गय थ--तो रौदध तभकषओ का सघ इकिा हआ तिनको याद हो व उस दोहरा द ताकक तलि तलया िाए

रड़ जञानी तभकष थ समातधसथ तभकष थ लककन उनहोन तो कि भी याद न रिा था िररत ही न थी

समझ तलया रात परी हो गई थी िो समझ तलया उसको याद थोड़ ही रिना पड़ता ह तो उनहोन कहा कक

हम कि कह तो सकत ह लककन वह रड़ी दर की धवतन होगी व ठीक-ठीक वही शबद न होग िो रदध क थ

उसम हम भी तमल गय ह वह हमार साथ इतना एक हो गया ह कक कहा हम कहा रदध फासला करना

मतककल ह

तो अजञातनयो स पिा कक तम कि कहो जञानी तो कहत ह कक मतककल ह तय करना हमारी समातध क

सागर म रदध क वचन िो गय अर हमन सना हमन कहा कक उनहोन कहा इसकी भद-रिा नही रही िर

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कोई सवय ही रदध हो िाता ह तो भद-रिा मतककल हो िाती ह कया अपना कया रदध का अजञातनयो स

पिो

अजञातनयो न कहा हमन सना तो था लककन समझा नही सना तो था लककन रात इतनी रड़ी थी कक

हम समहाल न सक सना तो था लककन हम स रड़ी थी घटना हमारी समतत म न समाई हम अवाक और चौक

रह गय घड़ी आई और रीत गई और हम िाली हाथ क िाली हाथ रह तो कि हम दोहरा तो सकत ह

लककन हम पकका नही कह सकत कक रदध न ऐसा ही कहा था रहत कि िट गया होगा और िो हमन समझा

था वही हम कहग िो उनहोन कहा था वह हम कस कहग

तो रड़ी करठनाई िड़ी हो गई अजञानी कह नही सकत कयोकक उनह भरोसा नही जञातनयो को भरोसा

ह लककन सीमा-रिाए िो गई ह

कफर ककसी न सझाया ककसी ऐस आदमी को िोिो िो दोनो क रीच म हो रदध क साथ रदध का

तनकटतम तशषय आनद चालीस विो तक रहा था लोगो न कहा आनद को पिो कयोकक न तो वह अभी रदधतव

को उपलबध हआ ह और न वह अजञानी ह वह दवार पर िड़ा ह इस पार ससार उस पार रदधतव चौिट पर

िड़ा ह दहली पर िड़ा ह और िलदी करो अगर वह दहली क पार हो गया तो उसकी भी सीमा-रिाए िो

िाएगी

आनद न िो दोहराया वही सगहीत हआ आनद की रड़ी करणा ह िगत पर अगर आनद न होता रदध

क वचन िो गय होत और रदध क वचन िो गय होत तो रदध का नाम भी िो गया होता

नही कक तम रदध क नाम या वचन स मि हो िाओग आग शबद स कभी कोई िला िल शबद स कभी

ककसी की ततपत हई लककन सराग तमलता ह राह िलती ह शायद तमम स कोई चल पड़ सरोवर की रात

सनकर ककसी की पयास साफ हो िाए कोई चल पड़ हिार सन कोई एक चल पड़ लाि सन कोई एक पहच

िाए उतना भी कया कम ह

तो तम पित हो तिनहोन रदध की मरताया रनायी कया उनहोन आजञा का उललघन ककया

तनतित ही आजञा का उललघन ककया करन योगय था अगर कही कोई अदालत हो तो म उनक पकष म

िड़ा होऊ म रदध क तिलाफ उनक पकष म िड़ा होऊ तिनहोन मरताया रनायी उनहोन सगमरमर क नाक-नकश

स थोड़ी सी िरर हम तक पहचा दी

रदध की मरता रनानी असभव ह कयोकक रदधतव अरप ह तनराकार ह रदध की तम कया परततमा

रनाओग कस रनाओग कोई उपाय नही ह लककन कफर भी अदभत मरताया रनी उन मरतायो को अगर कोई

गौर स दि तो मरताया कतिया ह तमहार भीतर कोई ताल िल िाएग गौर स दित-दित तमहार भीतर

कोई चारी लग िाएगी कोई दवार अचानक िल िाएगा

हमन सगमरमर म मरताया रनायी कयोकक सगमरमर पतथर भी ह और कोमल भी रदध पतथर िस

कठोर ह और फल िस कोमल तो हमन सगमरमर चना सगमरमर कठोर ह पर शीतल रदध पतथर िस

कठोर ह पर उन िसा शीतल उन िसा शात तम कहा पाओग हमन सगमरमर की मरताया चनी कयोकक रदध

िर िीतवत थ तर भी व ऐस ही शात रठ िात थ कक दर स दिकर शक होता कक आदमी ह या मरता

मन एक रड़ी परानी कहानी सनी ह एक रहत रड़ा मरताकार हआ उस मरताकार को एक ही भय था

सदा मौत का िर उसकी मौत करीर आन लगी तो उसन अपनी ही गयारह मरताया रना ली वह इतना रड़ा

162

कलाकार था कक लोग कहत थ अगर वह ककसी की मरता रनाए तो पहचानना मतककल ह कक मल कौन ह मरता

कौन ह मरता इतनी िीवत होती थी

िर मौत न दवार पर दसतक दी तो वह अपनी ही गयारह मरतायो म तिपकर िड़ा हो गया शवास उसन

साध ली उतना ही फका था कक वह शवास लता मरताया शवास न लती उसन शवास रोक ली मौत भीतर आई

और रड़ भम म पड़ गई एक को लन आई थी यहा रारह एक िस लोग थ लककन मौत को धोिा दना इतना

आसान तो नही मौत न िोर स कहा और सर तो ठीक ह एक िरा सी भल रह गई वह तचतरकार रोला कौन

सी भल मौत न कहा यही कक तम अपन को न भल पाओग

लककन अगर रदध िड़ होत वहा तो उतनी भल भी न रह गई थी उतनी भी भल न रह गई थी अपनी

याद भी न रह गई थी अपना होना भी न रह गया था अगर रदध को तम ठीक स समझोग तो उनक

सवातभमान म भी तम तवनमरता को लहर लत दिोग उनक होन म भी तम न होन का सवाद पाओग

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही

िदी की लहर भी आई तो रिदी की तरह

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही--मरी अतसमता म मर सवातभमान म भी तवनमरता की ही शान

रही उसकी ही मतहमा क गीत चलत रह िदी की लहर भी आई--और कभी मन समझा भी कक म ह--िदी की

लहर भी आई तो रिदी की तरह इस तरह समझा कक िस नही ह

हमन सगमरमर म रदध को िोदा कभी रदध की परततमाओ क पास रठकर गौर स दिो यह पतथर म िो

िदा ह इसम रहत कि तिपा ह रदध की आि दिो रद ह रद आि कहती ह कक राहर िो कदिाई पड़ता

था अर वयथा हो गया अर भीतर दिना ह यातरा रदल गई अर राहर की तरफ नही िात ह अर भीतर की

तरफ िात ह िो कदिाई पड़ता था अर उसम रस नही रहा अर तो उसी को दिना ह िो दिता ह अर िषटा

की िोि शर हई दकय की नही मरता ऐसी तथर ह िरा भी कपन का पता नही चलता ऐस ही भीतर रदध की

चतना तथर हो गई ह तनषकप हो गई ह िस हवा का एक झोका भी न आए और दीय की लपट ठहर िाए

मरता म हमन यह सर िोदा मरता तो एक परतीक ह अगर तम उस परतीक का राि समझो तो दित-दित मरता

को तम भी मरता िस हो िाओग अचिा ही ककया तिनहोन रदध की आजञा न मानी

रदध तरलकल ठीक ही कहत थ कक मरता मत रनाना कयोकक म अमता ह आकार मत ढालना कयोकक म

तनराकार ह तम िो कि भी करोग गलत होगा सीमा होगी उसकी म असीम ह रदध तरलकल ठीक ही कहत

थ लककन यह रात दसर रदधो क तलए ठीक होगी तम सरका कया होता तम सरक तलए तो तनराकार की भी

िरर आएगी तो आकार स तमहार तलए तो तनगाण की भी िरर आएगी तो सगण स तम तो अनाहत नाद भी

सनोग तो भी आहत नाद स ही तम तो वही स चलोग न िहा तम हो िहा रदध ह वहा तो पहचना ह वहा स

तमहारी यातरा न हो सकगी

और रदध क वचन तिनहोन इकि ककय वस वचन पथवी पर रहत कम रोल गय ह िस वचन रदध क ह

िसी सीधी उनकी चोट ह और िस मनषय क हदय को रपातररत कर दन की कीतमया ह उनम वस वचन रहत

कम रोल गय ह िो सकत थ वचन और रहत रदध भी हए ह रदध क पहल उनक वचन िो गय ह उनक

तशषयो म कोई गहरा आजञाकारी न था ऐसा मालम होता ह रड़ा दभाागय हआ रड़ी हातन हई कौन िान

उनम स कौन सा वचन तमह िगान का कारण हो िाता तनतमतत रन िाता

163

तो म दोनो रात कहता ह तिनहोन मरताया रनायी रदध क वचन तोड़ तिनहोन रदध क वचन इकि

ककय उनहोन रदध क वचन तोड़ लककन कफर भी म कहता ह कक उनहोन ठीक ही ककया अचिा ही ककया और

गहर म म िानता ह कक रदध भी उनस परसि ह कक उनहोन ऐसा ककया कयोकक रदध तो वही कहत ह िो व कह

सकत ह िो उनह कहना चातहए तशषय को तो और भी रहत सी रात सोचनी पड़ती ह रदध कया कहत ह वही

नही अधर म भटकत हए िो हिारो लोग आ रह ह उनका भी तवचार करना िररी ह

रदधो क पास एक परम का िनम होता ह यदयतप रदध कहत ह परम आसति ह लककन रदधो क पास परम

की आतिरी मतिल आती ह यदयतप रदध कहत ह मर परम म मत पड़ना पर कस रचोग ऐस आदमी स

तितना व कहत ह मर परम म मत पड़ना उतना ही उनक परतत परम उमगता ह उतना ही उनक परतत परम रहता

ह तितना व तमह समहालत ह उतना ही तम डगमगात हो करठन ह रहत रदध तमल िाए और परम म न

पड़ना करठन ह ठीक ही रदध कहत ह कक मर परम म मत पड़ना लककन रचना असभव ह

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

फररकत भी िहा तपघल िात ह िहा दवता भी िड़ हो तो परम म पड़ िाए

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

िर रदधो क पास कोई आता ह तो ऐस मकाम पर आ िाता ह कक--उनकी तशकषा ह कक परम म मत पड़ना-

-लककन उनका होना ऐसा ह कक हम परम म पड़ िात ह उनकी तशकषा ह कक हम पकड़ना मत पर कौन होगा

पतथर का हदय िो उनह िोड़ द

तो कफर करना कया ह कफर होगा कया होगा यही कक ऐस भी पकड़न क ढग ह तिनको पकड़ना नही

कहा िा सकता परम की ऐसी भी सरत ह तिनम आसति नही लगाव की ऐसी भी शतलया ह तिनम लगाव

नही परम म डरा भी िा सकता ह और परम क राहर भी रहा िा सकता ह म तमस कहता ह िस िल म

कमल ऐस रदध क पास रहना होता ह परम म पड़त भी ह और अपना दामन रचाकर चलत भी इस

तवरोधाभास को तिसन साध तलया वही रदधो क सतसग क योगय होता ह

इनम स दो म स तमन अगर एक को साधा अगर तम परम म पड़ गय िस कक कोई साधारण िगत क

परम म पड़ िाता ह तो परम रधन हो िाता ह तर रदध स तमहारा सरध तमन सोचा िड़ा रदध की तरफ स टट

गया तमन समझा तम पास रह रदध की तरफ स तम हिार-हिार मील दर हो गय अगर तमन सोचा कक

सरध रनाएग ही नही कयोकक सरध रधन रन िाता ह तो तम रदध क पास कदिाई पड़ोग लककन पास न

पहच पाओग तरना परम क कभी कोई पास आया

तो म तमस रड़ी उलझन की रात कह रहा ह परम भी करना और सावधान भी रहना परम भी करना

और परम की ििीर मत रनाना परम करना और परम का मकदर रनाना परम करना और परम को मति रनाना

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

रहत समहल-समहलकर सतसग होता ह सतसग का ितरा यही ह कक तम परम म पड़ सकत हो और

सतसग का यह भी ितरा ह कक परम स रचन क ही कारण तम दर भी रह सकत हो दर रहोग तो चकोग परम

रधन रन गया तो चक िाओग ऐसी मसीरत ह पर ऐसा ह कि करन का उपाय नही समहल-समहलकर

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चलना ह इसतलए सतसग को िडग की धार कहा ह िस तलवार की धार पर कोई चलता हो--इधर तगर कआ

उधर तगर िाई

लीतिए हिरत समहतलए

रहत समहलकर चलन की रात ह

दसरा परशनाः चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

अधरा कदिाई पड़न लग तमटना शर हो िाता ह कयोकक न दिन म ही अधर क पराण ह

अगर कतवता की पतिया ही दोहरा दी हो तर तो रात दसरी अगर ऐसा अनभव म आना शर हो गया

हो--चारो ओर मर घोर अधरा अगर यह वचन उधार न हो सना-सनाया न हो ककसी और की थाली स

चराया न हो अगर इसका थोड़ा सवाद आया हो तो तिस अधरा कदिन लगा उस परकाश की पहचान आ गई

कयोकक तरना परकाश की पहचान क कोई अधर को भी दि नही सकता अधरा यानी कया िर तक तम परकाश

को न िानोग--भला एक ककरण सही भला एक िोटा सा रटमरटमाता तचराग सही--लककन रोशनी दिी हो तो

ही अधर को पहचान सकोग

यही तो घटता ह रदधपरिो क पास तम अपन अधर को लकर िर उनकी रोशनी क पास आत हो तर

तमह पहली रार पता चलता ह--चारो ओर मर घोर अधरा उसक पहल भी तम अधर म थ अधर म ही िनम

अधर म ही रड़ हए अधर म ही पल-पस अधरा ही भोिन अधरा ही ओढ़नी अधरा ही तरिौना अधरा ही

शवास अधरा ही हदय की धड़कन पहचानन का कोई उपाय न था

इसतलए शासतर सतसग की मतहमा गात ह और शासतर गर की मतहमा गात ह उस मतहमा का कल राि

इतना ह कक िर तक तम ककसी ऐस वयति क पास न आ िाओ िहा परकाश िलता हो िहा दीया िलता हो

तर तक तम अपन अधर को न पहचान पाओग तलना ही न होगी पहचान कस होगी तवपरीत चातहए

कटरासट चातहए तो कदिाई पड़ना शर होता ह और िर कदिाई पड़ना शर होता ह तर घरड़ाहट शर होती

ह तर िीवन एक रचनी हो िाता ह तर कही चन नही पड़ता उठत-रठत सोत-िागत काम करत न करत

सर तरफ भीतर एक खयाल रना रहता ह

चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

परीततकर ह रात अधर म परी सभावना ह कक दवार भल िाए अधर म दवार का पता कहा ह अधर म

तो दवार का सपना दिा ह दवार कहा लककन अगर इतनी याद रनी रह और इतनी पराथाना रनी रह और यह

भीतर सरतत समतत चलती रह--भल न िाऊ दवार तरा तो यही समतत धीर-धीर दवार रन िाती ह

दवार कही तमस राहर थोड़ ही ह दवार कही तमस तभि थोड़ ही ह दवार कोई ऐसी िगह थोड़ ही ह तिस

िोिना ह दवार तमस परगट होगा तमहार समरण स ही दवार रनगा तमहार साततय सतत चोट स ही दवार

रनगा तमहारी पराथाना ही तमहारा दवार रन िाएगी तिसको नानक सरतत कहत ह करीर सरतत कहत ह

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तिसको रदध न समतत कहा ह तिसको पतिम का एक रहत अदभत परि गरतिएफ सलफ ररमरररग कहता था-

-सवय की समतत सव समतत--वही तमहारा दवार रनगी

अधर की याद रिो भलन स अधरा रढ़ता ह याद रिन स घटता ह कयोकक याद का सवभाव ही

रोशनी का ह समतत का सवभाव ही परकाश का ह याद रिो--चारो ओर मर घोर अधरा इस कभी गीत की

कड़ी की तरह गनगनाना मत यह तमहारा मतर हो िाए शवास भीतर आए राहर िाए इसकी तमह याद रनी

रह इसकी याददाकत क माधयम स ही तम अधर स अलग होन लगोग कयोकक तिसकी तमह याद ह तिसको

तम दित हो िो दकय रन गया उसस तम अलग हो गय पथक हो गय

भल न िाऊ दवार तरा

भि गहन तवनमरता म िीता ह दवार तमल भी िाए तो भी वह यही कहगा भल न िाऊ दवार तरा

कयोकक वह िानता ह कक मर ककय तो कि होगा नही मर ककय तो सर अनककया हो िाता ह म तो भवन

रनाता ह तगर िात ह म तो योिना करता ह वयथा हो िाती ह म परर िाता ह पतिम पहच िाता ह

अचिा करता ह ररा हो िाता ह कि सोचता ह कि घटता ह मर ककय कि भी न होगा भि कहता ह त

ही अगर तरी कपा अगर ररसती रह तो ही कि सभव ह

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

रहत ही रकढ़या पति ह कयोकक एक रार अगर परभ न हाथ पकड़ तलया तो कफर िटता ही नही

कयोकक उसकी तरफ स एक रार पकड़ा गया सदा क तलए पकड़ा गया और एक रार तमहार हाथ को उसक

हाथ का सपशा आ िाए तो तम तम न रह वह हाथ ही थोड़ ही ह पारस ह ित ही लोहा सोना हो िाता ह

लककन तमह अथक टटोलत ही रहना पड़गा वह हाथ मफत नही तमलता ह वह हाथ उनही को तमलता ह

तिनहोन िर िोिा ह वह हाथ उनही को तमलता ह तिनहोन िोि की पराकाषठा कर दी वह हाथ उनही को

तमलता ह तिनहोन िोिन म कि भी रि न िोड़ा अगर तमन थोड़ी भी रचाई हई ह अपनी ताकत तो तम

चालाक हो तो तमहारी पराथाना वयथा िाएगी अगर तमन सर दाव पर लगा कदया तो तमहारी िीत तनतित ह

यह काम िआररयो का ह दकानदारो का नही धमा िआररयो का काम ह दकानदारो का नही तहसार-

ककतार मत रिना कक चलो दो पसा ताकत लगाकर दि एक आना ताकत लगाकर दि दो आना ताकत

लगाकर दि ऐस तहसार- ककतार स उसका हाथ तमहार हाथ म न आएगा कयोकक तमहारी रईमानी िातहर

ह िर तम अपन को परा दाव पर लगा दत हो--पीि कि िटता ही नही--िर तम सवय ही पर दाव पर रठ

िात हो उसी कषण हाथ हाथ म आ िाता ह उस कषण हाथ म न आए तो रड़ा अनयाय हो िाएगा वसा

अनयाय नही ह--दर ह अधर नही और दर भी तमहार कारण ह

यह कहावत तमन सनी ह--दर ह अधर नही लककन कहावत म लोग सोचत ह कक दर उसकी तरफ स

ह वही गलती ह दर तमहारी तरफ स ह तम तितनी दर चाहो लगा दो तम रमन स टटोल रह हो तम

टटोलत भी हो और डर हो कक कही तमल न िाए तम ऐस टटोलत भी हो और शककत हो कक कही हाथ हाथ म

आ ही न िाए कयोकक रड़ा ितरनाक हाथ ह कफर तम तम ही न हो सकोग उसक राद उसकी एक झलक

तमह राि कर िाएगी उसकी एक ककरण तमह सदा क तलए तमटा िाएगी तम िस हो वस न रचोग

हा तम िस होन चातहए वस रचोग िो तमहारा सवभाव ह रचन का िो कड़ा-करकट तमन अपन

चारो तरफ इकिा कर तलया ह पद का परततषठा का नाम का रप का वह सर िलकर राि हो िाएगा तो

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तमहारी पराथाना--परमातमा स तमहारी पराथाना--रस एक ही हो सकती ह और वह पराथाना ह कक यह मरा िो

कड़ा-करकट ह तिसको मन समझा कक म ह इस तमटा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

तमहारी रस एक ही पराथाना हो सकती ह कक तम तफान क तलए पराथाना करो

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह--ककनारा कही कदिाई नही पड़ता सारी जिदगी का अनभव यही ह कक

ककनारा कही नही ह और कककती िरार--और नाव टटी-फटी अर डरी तर डरी म तो घरराकर दआ करता

ह तफा क तलए--तो म एक ही पराथाना करता ह कक परमातमा तफान भि द

िरा अपनी कककती को गौर स तो दिो िरा अपन चारो तरफ आि िोलकर दिो ककनार कहा ह

सपन दि ह तमन ककनारो क आशाए सिोई ह तमन ककनारो की ककनार ह कहा तम डरत हो आि उठान म

भी कक कही ऐसा न हो कक ककनारा सच म ही न हो तम आि झकाकर ककनारो की सोचत रहत हो कक आि

नही पहच कल पहच िाएग पहच िाएग एक रात तो तमन मान ही रिी ह कक ककनारा ह

म तमस कहता ह कक तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई भी ककनारा नही वह तटहीन उपिव ह

कोई ककनारा नही कभी कोई वहा ककनार पर नही पहचा न एलकिडर न नपोतलयन कभी कोई वहा ककनार

पर नही पहचा सभी रीच म ही डरकर मर िात ह कोई थोड़ा आग कोई थोड़ा पीि

लककन आग-पीि का भी कया मतलर ह िहा ककनारा न हो ककनारा होता तो कोई ककनार क पास

पहचकर डरता तो कहत थोड़ा आग हम रीच मझधार म डर िात तो कहत कक थोड़ पीि लककन सभी िगह

रीच मझधार ह रीच मझधार ही ह ककनारा नही ह

और कककती की तरफ तो दिो िरा थगड़ लगाए चल िात हो एक िद टटता ह भरत हो दसरा िल

िाता ह भरत हो पानी उलीचत रहत हो जिदगी इस टटी कककती क रचान म ही रीत िाती ह

िो िानत ह व तफान क तलए पराथाना करत ह व कहत ह परमातमा म िसा ह मझ तमटा ताकक म

वसा हो सक िसा तन चाहा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

और तमहार िीवन म अगर ऐसी पराथाना का परवश हो िाए--पराथाना यानी मतय की पराथाना--और कोई

पराथाना ह भी नही तमन पराथानाए की ह मझ भलीभातत पता ह तमहार मकदरो म मन तमहारी पराथानाए भी

सनी ह तमहारी मतसिदो म तमहार गरदवारो म तमहारी पराथानाए िदी पड़ी ह पतथर-पतथर पर तलिी ह

लककन तमन सदा पराथाना उसी जिदगी क तलए की तिसम कोई ककनारा नही ह और तमन सदा पराथाना उसी

कककती को सधार दन क तलए की िो न कभी सधरी ह न सधर सकती ह तमन कभी पराथाना अपन को डरा

दन क तलए न की तिसन की उसकी परी हो गई और िो डरन को रािी ह मझधार म ही ककनारा तमल

िाता ह

तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई ककनारा नही और तिसको म परमातमा कह रहा ह वह ककनारा

ही ककनारा ह वहा कोई मझधार नही दिन का ढग एक तो अहकार क माधयम स दिना ह--टटी कककती क

माधयम स--वहा डर ही डर ह मौत ही मौत ह और एक अहकार को हटाकर दिना ह वहा कोई मौत नही

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कोई डर नही कयोकक अहकार ही मरता ह तम नही तमहार भीतर तो शाशवत ह एस धममो सनतनो तमहार

भीतर तो अमत ह तमहार भीतर तो शाशवत तिपा ह सनातन तिपा ह

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

रस एक िोटी सी रात कक अहकार न रह िाए

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

िरा अपन स दर हो िाए िरा अपन को िोड़ द यह अपना होना िरा तमटा द

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

कफर तो हर कण-कण म परमातमा की मधशाला िल िाती ह कफर तो कण-कण म उसी की मधशाला

िल िाती ह कफर तो सभी तरफ उसी का परसाद उपलबध होन लगता ह रस िरा सी तरकीर ह तम िरा हट

िाओ तमहार और परमातमा क रीच म तमहार तसवाय और कोई भी नही

तीसरा परशनाः इस परवचनमाला म आपन कई रार कहा ह एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह और

आिया तो यह ह कक वह हर रार नय रप म आपक दवारा परगट हआ ह कया सनातन धमा एक ह या अनक

तो एक ह लककन उसक परततजरर अनक हो सकत ह रात परा चाद तनकलता ह सागरो म भी झलकता

ह सरोवरो म भी झलकता ह िोट-िोट डररो म भी झलकता ह--परततजरर रहत ह

सागर म रताकर भी मन तमस कहा एस धममो सनतनो िोट सरोवर म भी रताकर कहा एस धममो

सनतनो राह क ककनार विाा म भर गय डरर म भी रताकर कहा एस धममो सनतनो मन रहत रार कहा

रहत रप म कहा लककन व सर परततजरर ह और िो चाद ह वह तो कहा नही िा सकता इसतलए तम और

उलझन म पड़ोग

मन िर भी कहा एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह तभी परततजरर की रात कही ह परततजरर म

मत उलझ िाना इशारा ककया इशार को मत पकड़ लना और िो ह ऊपर वह िो चाद ह असली उसकी

तरफ कोई इशारा नही ककया िा सकता अगतलया वहा िोटी पड़ िाती ह शबद वहा काफी तसदध नही होत

और कफर उस चाद को दिना हो तो तमह गदान रड़ी ऊची उठानी पड़गी और तमहारी आदत िमीन म दिन

की हो गई ह तो तमह परततजरर ही रताए िा सकत ह

लककन अगर परततजरर कही तमहार िीवन का आकिाण रन िाए कही परततजरर का चरक तमह िीच ल

तो शायद आि नही कल तम असली की तलाश म भी तनकल िाओ कयोकक परततजरर तो िो-िो िाएगा िरा

हवा का झोका आएगा झील कप िाएगी और चाद टटकर तरिर िाएगा तो आि नही कल तमह यह खयाल

आना शर हो िाएगा िो झील म दिा ह वह सच नही हो सकता सच की िरर हो सकती ह सच की दर की

धवतन हो सकती ह--परततधवतन हो सकती ह परततजरर हो सकता ह--लककन िो झील म दिा ह वह सच नही हो

सकता शबद म तिस कहा गया ह वह सतय नही हो सकता लककन शबद म तिस कहा गया ह वह सतय का

रहत दर का ररकतदार हो सकता ह

मलला नसरददीन क िीवन म ऐसा उललि ह कक एक तमतर न दर गाव स एक मगी भिी मलला न शोररा

रनाया िो मगी को लकर आया था उस भी तनमततरत ककया कि कदनो राद एक दसरा आदमी आया मलला न

168

पिा कहा स आए उसन कहा म भी उसी गाव स आता ह और तिसन मगी भिी थी उसका ररकतदार ह

अर ररकतदार का ररकतदार भी आया था तो उसको भी ठहराया उसक तलए भी शोररा रनवाया लककन कि

कदन राद एक तीसरा आदमी आ गया कहा स आ रह हो उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार

का ररकतदार ह

ऐस तो सखया रढ़ती चली गई मलला तो परशान हो गया यह तो महमानो का तसलतसला लग गया

मगी कया आई य तो लोग चल ही आत ह यह तो परा गाव आन लगा आतिर एक आदमी आया उसस पिा

कक भाई आप कौन ह उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार क ररकतदार क ररकतदार का तमतर ह

मलला न शोररा रनवाया उस तमतर न चिा लककन वह रोला यह शोररा यह तो तसफा गरम पानी

मालम होता ह मलला नसरददीन न कहा यह वह िो मगी आई थी उसक शोरर क शोरर क शोरर का तमतर ह

दर होती िाती ह चीि मन तमह झील म कदिाया तम ऐसा भी कर सकत हो--कर सकत हो नही

करोग ही--तम झील क सामन एक दपाण करक दपाण म दिोग कयोकक िर म तमस कहता ह तम मझ थोड़ ही

सनोग तमहारा मन उसकी वयाखया करगा

िर मन कहा तभी चाद दर हो गया म िर दिता ह तर चाद ह िर म तमस कहता ह तर झील म

परततजरर ह िर तम सनत हो और सोचत हो तर तमन झील को भी दपाण म दिा कफर दपाण को भी दपाण म

दित चल िाओग ऐस सतय स शबद दर होता चला िाता ह

इसतलए रहत रार तिनहोन िाना ह व चप रह गय लककन चप रहन स भी कि नही होता िर तम

कह-कहकर नही सनत हो िगाए-िगाए नही िगत हो तो चप रठन को तम कस सनोग िर शबद चक िाता

ह तो मौन भी चक िाएगा िर शबद तक चक िाता ह तो मौन तो तनतित ही चक िाएगा कफर भी िो

कहा िा सकता ह वह परततधवतन ह इस याद रिना उस परततधवतन क सहार मल की तरफ यातरा करना

तीथायातरा करना

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

शबद िोट पड़ िात ह दायरा िोटा ह

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

कहन की सीमा ह िो कहना ह उसकी कोई सीमा नही गीत की सीमा ह िो गाना ह उसकी कोई सीमा

नही वादय की सीमा ह िो रिाना ह उसकी कोई सीमा नही

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

लककन िामोशी तो तम कस समझोग शबद भी चक िात ह तहलाए-तहलाए तम नही तहलत नीद स

िगाए-िगाए तम नही तहलत नीद स शबद तो ऐस ह िस पास म रिी घड़ी म अलामा रिता हो तर भी तम

नही िगत तो तिस घड़ी म अलामा नही रिता उसस तम कस िगोग

तो रहत जञानी चप रह गय रहत जञानी रोल चप रहन वालो को तमन समझा िानत ही नही रोलन

वालो स तमन शबद सीि और तम पतडत हो गय लककन कि जञातनयो न रीच का रासता चना और रीच का

रासता ही सदा सही रासता ह उनहोन कहा भी और इस ढग स कहा कक अनकहा भी तमह भल न िाए उनहोन

कहा भी और कहन क रीच-रीच म िाली िगह िोड़ दी उनहोन कहा भी और ररि सथान भी िोड़ ररि

सथान तमह भरन ह

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तमन िोट रचचो की ककतार दिी ह एक शबद कदया होता ह कफर िाली िगह कफर दसरा शबद कदया

होता ह और रचचो स कहा िाता ह रीच का शबद भरो िो परमजञानी हए उनहोन यही ककया एक शबद

कदया िाली िगह दी कफर दसरा शबद कदया रीच की िाली िगह तमह भरनी ह िो म कह रहा ह वह

परततजरर ह िो तम भरोग वह चाद होगा

सतय उधार नही तमल सकता सतय को तमह िनमाना होगा सतय को तमह अपन गभा म धारण करना

होगा सतय तमहार भीतर रढ़गा िस मा क पट म रचचा रड़ा होता ह वह तमहारा िन तमहारी शवास मागता

ह वह तमहारा ही तवसतार होगा िर तक तम ही चाद न रन िाओ तर तक तम चाद को न दि सकोग

इसतलए मन रहत रार कहा और रहत रार कहगा कयोकक य रदध क वचन तो अभी रहत दर तक

चलग रहत रार रहत िगह कहगा एस धममो सनतनो तर तम समरण रिना कक म यह नही कह रहा ह कक

धमा रहत ह म इतना ही कह रहा ह कक रहत सथान ह िहा स धमा का इशारा ककया िा सकता ह कभी गलार

क फल की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो सनतनो कभी चाद की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो

सनतनो कभी ककसी िोट रचच की आिो म झाककर कहगा एस धममो सनतनो कयोकक चाह गलार हो चाह

आि हो चाह चाद हो सौदया एक ह

रहत रपो म परमातमा परगट हआ ह हमार अधपन की कोई सीमा नही इतन रपो म परगट हआ ह और

हम पि चल िात ह कहा ह कही एकाध रप म परकट होता तर तो तमलन का कोई उपाय ही न था इतन

रपो म परगट हआ ह सर तरफ स उसन ही तमह घरा ह िहा िाओ वही सामन आ िाता ह तिसस तमलो

उसी स तमलना होता ह सनो झरन की आवाि तो उसी का गीत सनो रात का सिाटा तो उसी का मौन

दिो सरि को तो उसी की रोशनी और दिो अमावस को तो उसी का अधरा इतन रपो म तमह घरा ह

कफर भी तम चकत चल िात हो अभागा होता मनषय अगर कही उसका एक ही रप होता एक ही मकदर होता

और कवल वह एक ही िगह तमलता होता तर तो कफर कोई शायद पहच ही न पाता इतन रपो म तमलता ह

कफर भी हम चक िात ह

तो म रहत िगह तमस कहगा यह रहा परमातमा इसका यह मतलर नही कक रहत परमातमा ह इसका

इतना ही मतलर कक रहत उसक रप ह अनक उसक ढग ह अनक उसकी आकततया ह लककन वह सवय इन

सभी आकततयो क रीच तनराकार ह होगा भी कयोकक इतन रप उसी क हो सकत ह िो अरप हो इतन

आकार उसी क हो सकत ह िो तनराकार हो इतन अनत-अनत माधयमो म वही परगट हो सकता ह िो परगट

होकर भी परा परगट न हो पाता हो

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

पराथानाए रदल िाती ह रदगी क ढग रदल िात ह पिा रदल िाती ह कभी गरदवारा कभी मतसिद

कभी तशवाला कभी कारा कभी काशी

रदगी न हिार रि रदल

न मालम ककतन पतथरो क सामन तसर झक और न मालम ककतन शबदो म उसकी पराथाना की गई और

न मालम ककतन शासतर उसक तलए रच गय

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

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लककन आि तक िो िदा था वही िदा ह

तो रहत रार म कहगा एस धममो सनतनो यही ह सनातन धमा इसस तम यह मत समझ लना कक यही

ह इसस तम इतना ही समझना कक यहा भी ह और रहत िगह भी ह सभी िगह ह सभी िगह उसका

तवसतार ह वह तमहार आगन िसा नही ह आकाश िसा ह यदयतप तमहार आगन म भी वही आकाश ह

चौथा परशनाः मरी हालत ततरशक की हो गई ह न पीि लौट सकती न आग कोई रासता कदिाई पड़ता ह

िाऊ तो िाऊ कहा

धमा को कही ह भी नही िहा हो वही होना ह

अचिा ही हआ कक आग कोई रासता नही कदिाई पड़ता नही तो िाना िारी रहता अचिा ह कक पीि

भी लौट नही सकत नही तो लौट िात इसस रचनी मत अनभव करो रचनी अनभव होती ह यह म समझता

ह कयोकक िान की आदत हो गई ह कही िान को न हो तो आदमी घरड़ाता ह रकार भी िान को हो तो

भी तनजित चला िाता ह

कहा िा रह ह इसका इतना सवाल नही ह िा रह ह कि काम चल रहा ह लगता ह कि हो रहा ह

कही पहच रह ह मतिल की ककसको कफकर ह वयसतता रनी रहती ह चलन म उलझ रहत ह तो लगता ह

कि हो रहा ह

कौन कहा पहचा ह चलकर तम भी न पहचोग कोई कभी चलकर नही पहचा िो पहच रककर

पहच तिनहोन िाना ठहरकर िाना दिो रदध की परततमा को चलत हए मालम पड़त ह रठ ह िर तक

चलत थ तर तक न पहच िर रठ गय पहच गय

यह तो रड़ी शभ घड़ी ह लककन हमारी आदत िरार हो गयी हमारी आदत चलन की हो गई ह तरना

चल ऐसा लगता ह िीवन रकार िा रहा ह चाह चलना हमारा कोलह क रल का चलना हो कक गोल चककर म

घमत रहत ह ह वही रोि तम उठत हो करत कया हो रोि चलत हो पहचत कहा हो साझ वही आ िात

हो िहा सरह तनकल थ िनम िहा स शर ककया मौत वही ल आती ह एक गोल वतालाकार ह

मन सना ह कक एक रहत रड़ा तारका क तल िरीदन गया था तली क घर तली का कोलह चल रहा था

रल कोलह िीच रहा था तल तनचड़ रहा था तारका क था उसन दिा यह काम कोई हाक भी नही रहा ह रल

को वह अपन आप ही चल रहा ह

उसन पिा गिर यह रल अपन आप चल रहा ह कोई हाक भी नही रहा रक कयो नही िाता उस

तल वाल न कहा महानभाव िर कभी यह रकता ह म उठकर इसको कफर हाक दता ह इसको पता नही चल

पाता कक हाकन वाला पीि मौिद ह या नही

तारका क तारका क था उसन कहा लककन तम तो रठ दकान चला रह हो इसको कदिाई नही पड़ता उस

तल वाल न कहा िरा गौर स दि इसकी आिो पर परिया राधी हई ह इस कदिाई कि नही पड़ता िर भी

यह िरा ठहरा या रका कक मन हाका पर उस तारका क न कहा कक तम तो पीठ ककय रठ हो उसकी तरफ पीि

चल रहा ह कोलह तमह पता कस चलता ह उसन कहा आप दित नही रल क गल म घटी राधी हई ह िर

तक रिती रहती ह म समझता ह चल रहा ह िर रक िाती ह उठकर म हाक दता ह इसको पता नही चल

171

पाता उस तारका क न कहा अर एक सवाल और कया यह रल िड़ होकर गदान नही तहला सकता ह उस तल

वाल न कहा िरा धीर-धीर रोल कही रल न सन ल

तम िरा अपनी जिदगी तो गौर स दिो न कोई हाक रहा ह मगर तम चल िा रह हो आि रद ह

गल म िद ही घटी राध ली ह वह भी ककसी और न राधी ऐसा नही हालाकक तम कहत यही हो पतत कहता

ह पतनी न राध दी चलना पड़ता ह रटा कहता ह राप न राध दी ह राप कहता ह रचचो न राध दी ह कौन

ककसक तलए घटी राध रहा ह कोई ककसी क तलए नही राध रहा ह तरना घटी क तमह ही अचिा नही लगता

तमन घटी कोशगार समझा ह आि पर परिया ह घटी रधी ह चल िा रह हो कहा पहचोग इतन कदन

चल कहा पहच मतिल कि तो करीर आई होती

लककन िर भी तमह कोई चौकाता ह तम कहत हो धीर रोलो िोर स मत रोल दना कही हमारी

समझ म ही न आ िाए तम ऐस लोगो स रचत हो ककनारा काटत हो िो िोर स रोल द सतो क पास लोग

िात नही और अगर िात ह तो ऐस ही सतो क पास िात ह िो तमहारी आिो पर और परिया रधवा द और

तमहारी घटी पर और रग-पातलश कर द न रि रही हो तो और रिन की वयवसथा रता द ऐस सतो क पास

िात ह कक तमहार पर अगर तशतथल हो रह हो और रठन की घड़ी करीर आ रही हो तो पीि स हाक द कक

चलो रठन स कही कोई पहचा ह कि करो कमाठ रनो परमातमा न भिा ह तो कि करक कदिाओ

थोड़ा समझना िीवन की गहनतम रात करन स नही तमलती होन स तमलती ह करना तो ऊपर-ऊपर

ह पानी पर उठी लहर ह होना ह गहराई

अचिा ही हआ लककन वयाखया गलत हो रही ह

परशन ह मरी हालत ततरशक की हो गई ह

एकदम अचिा हआ शभ हआ धनयवाद दो परमातमा को लककन शबद स लगता ह कक तशकायत ह

तशकवा ह कयोकक तमह लग रहा ह यह तो कही क न रह पीि लौट नही सकत िररत कया ह लौटन की

पीि लौट सकत तो कया तमलता पीि स तो होकर ही आ रह हो कि तमलना होता तो तमल ही गया होता

हाथ तमहार िाली ह और पीि लौटना ह तिस रासत स गिर चक तसवाय धल क कि भी नही लाए हो साथ

कफर लौटकर िाना ह

तम कहोग चलो िोड़ो पीि नही आग तो िान दो मगर यह रासता वही ह िो पीि की तरफ फला ह

वही आग की तरफ फला ह य एक ही रासत की दो कदशाए ह तम तिस रासत पर पीि चलत आ रह हो उसी

पर तो आग िाओग न उसी कीशिला होगी उसी का तसलतसला होगा

अर तक कया तमला पचास साल की उमर हो गई अर रीस साल और इसी रासत पर चलोग कया

तमलगा तम कहोग चलो यह भी िोड़ो कोई दसरा रासता रता दो मगर रासता तम चाहत हो कयोकक

चलना तमहारी आदत हो गई ह दौड़न की तवतकषपतता तम पर सवार हो गई ह रक नही सकत ठहर नही

सकत दो घड़ी रठ नही सकत

कयो कयोकक िर भी तम रकत हो तभी तमह जिदगी की वयथाता कदिाई पड़ती ह िर भी तम ठहरत

हो िाली कषण तमलता ह तभी तमह लगता ह यह तो शनय ह कि भी मन कमाया नही तभी तम कप िात

हो एक सताप पकड़ लता ह एक अतसततवगत िाई म तगरन लगत हो उसस रचन क तलए कफर तम काम म

सलगन हो िात हो कि भी करन म लग िात हो रतडयो िोलो अिरार पढ़ो तमतर क घर चल िाओ पतनी स

172

झगड़ लो कि भी रहदा काम करन लगो एक गद िरीद लाओ रीच म रससी राध लो इसस उस तरफ फको

उस तरफ स इस तरफ फको

लोग कहत ह फटराल िल रह ह कोई कहता ह वालीराल िल रह ह और लािो लोग दिन भी इकि

होत ह िलन वाल तो नासमझ ह समझ म आया कम स कम िल रह ह लककन लािो लोग दिन इकि होत

ह मारपीट हो िाती ह एक गद को इस तरफ स उस तरफ करत हो शमा नही आती मगर सारी जिदगी ऐसी

ह कि भी करन को रहाना तमल िाए ताश फकत रहत ह ताश तरिरत रहत ह शतरि तरिा लत ह

जिदगी म तलवार चलाना िरा महगा धधा ह घोड़ वगरह रिना भी िरा मतककल ह हाथी तो अर कौन

पाल शतरि तरिा लत हो हाथी-घोड़ चलात हो और ऐस तललीन हो िात हो िस सारा िीवन दाव पर

लगा ह तम अपन को ककतनी भातत धोि दत हो

रहत हआ अर िागो और िागन का एक ही उपाय ह कक तम थोड़ी दर को रोि िाली रठन लगो

कि भी मत करो करना ही तमहारा ससार ह न करना ही तमहारा तनवााण रनगा कि दर को िाली रठन

लगो घड़ी-दो घड़ी ऐस हो िाओ िस हो ही नही एक शनय सिाटा िा िाए शवास चल चलती रह लककन

कतय की कोई आसपास भनक न रह िाए तम रस चपचाप रठ रहो धीर-धीर--शर म तो रड़ी रचनी होगी

रड़ी तलफ पकड़गी कक कि भी कर गिरो कया रठ यहा समय िरार कर कह हो--लककन िलदी ही तम

पाओग कक िीवन की तरग शात होती िाती ह भीतर क दवार िलत ह

मर पास लोग आत ह उनस म कहता ह चप रठ िाओ व कहत ह यह हमस न होगा कम स कम मतर

ही द द तो हम वही िपग मगर करग माला द द उसको ही कफरात रहग

अर शतरि म और माला म कोई फका ह चाह तम कफलमी गीत गनगनाओ और चाह तम राम-राम

िपो कोई फका नही असली सवाल तमहार वयसत होन का ह कस तम अवयसत हो िाओ अनआकपाइड हो

िाओ

धयान का अथा ह करन को कि भी न हो रस तम हो िस फल ह िस आकाश क तार ह ऐस रस हो

गय कि नही करन को करठन ह रहत सवाातधक करठन ह इसस जयादा करठन कि भी नही

लककन अगर तम रठत ही रह रठत ही रह रठत ही रह तो ककसी कदन अचानक तम पाओग रि उठी

कोई वीणा भीतर स उसकी भतवषयवाणी नही की िा सकती म कि कह नही सकता कर यह होगा तम पर

तनभार ह आि हो सकता ह िनम भर न हो तम पर तनभार ह

लककन ककसी कदन िर रि उठगी तमहारी भीतर की वीणा तर तम पाओग वयथा गवाया िीवन भीतर

इतना रड़ा उतसव चल रहा था हम हाथी-घोड़ चलात रह भीतर इतन रड़ आनद की अहरनाश विाा हो रही

थी भीतर सवगा क दवार िल थ हम रािार म गवात रह

म यह नही कह रहा ह कक तम रािार िोड़कर भाग िाओ म तमस यह कह रहा ह कक चौरीस घट म

दो घड़ी अपन तलए तनकाल लो राकी सर घड़ी रािार म गवा दो कोई हिाा नही जिदगी क आतिर म तम

पाओग िो रठकर तमन गिारा समय वही रचाया राकी सर गया

और एक रार तमहार भीतर का यह अतनााद तमह सनाई पड़न लग--उस ओकार कहो या िो तमहारी

मिी हो--तिस कदन यह भीतर का अतनााद तमह सनाई पड़न लगगा उस कदन कफर तम रािार म रहो दकान

म रहो िहा रहो कोई फका नही पड़ता भीतर की वीणा रिती ही रहती ह सदा रिती रही ह तसफा तमह

सनन की आदत नही ह सनन की सामथया नही ह तम तालमल नही तरठा पाए हो

173

तो अचिा हआ कक हालत ततरशक की हो गई न पीि िान का कोई रासता--भगवान को धनयवाद दो न

आग िान का कोई उपाय--रड़ा सौभागय अर रठ िाओ वही रठ िाओ िहा हो न पीि लौटकर दिो न

आग आि रद कर लो कही िाना नही ह अपन पर आना ह

तिस तम िोित हो वह तम म तिपा ह तिसकी तरफ तम िा रह हो वह तम म रसा ह आतिर म

यही पाया िाता ह कक हम तिस तलाशत थ वह तलाश करन वाल म ही तिपा था इसीतलए तो इतनी दर

लग गई और िोि न पाए

आतिरी सवालाः परम मन िाना नही यही मर िीवन की चभन रही यही कारण होगा तिसन मझ धयान

म गतत दी धयान स अशातत और वर-भाव तमट रह ह भति और समपाण मर तलए कोर शबद रह कफर भी

धयान म और तवशिकर परवचन म कई रार यह परगाढ़ भाव रना रहता ह कक इस िीवन म िो भी तमल सकता

था सर तमला हआ ह

िान म कि भी दभाागय नही ह राधाए ही सीकढ़या भी रन सकती ह और सीकढ़या राधाए भी रन

सकती ह सौभागय और दभाागय तमहार हाथ म ह िीवन तटसथ अवसर ह एक राह पर रड़ा पतथर पड़ा हो

तम वही अटककर रठ सकत हो कक अर कस िाए पतथर आ गया तम उस पतथर पर चढ़ भी सकत हो और

तर तम पाओग कक पतथर न तमहारी ऊचाई रढ़ा दी तमहारी दतषट का तवसतार रढ़ा कदया तम रासत को और

दर तक दिन लग तितना पतथर क तरना दिना सभव न था तर पतथर सीढ़ी हो गया

यह परशन ह कक मन परम िीवन म नही िाना यही मर िीवन की चभन रही

उस चभन मत समझो अर परम नही िाना तनतित ही इसीतलए धयान की तरफ आना हआ उस

सौभागय रना लो अर परम की रात ही िोड़ दो कयोकक तिसन धयान िान तलया परम तो उसकी िाया की

तरह अपन आप आ िाएगा

दो ही तवकलप ह परमातमा को पान क दो ही राह ह एक ह परम एक ह धयान िो तमलता ह वह तो

एक ही ह कोई परम स उसकी तरफ िाता ह उस रासत की सतवधाए ह ितर भी सतवधा यह ह कक परम रड़ा

सहि ह सवाभातवक ह ितरा भी यही ह कक इतना सवाभातवक ह कक उसम उलझ िान का डर ह होश नही

रहता रहोशी हो िाती ह

इसतलए अतधक लोग परम स परमातमा तक नही पहचत परम स िोट-िोट कारागह रना लत ह उनही म

रद हो िात ह परम रहत कम लोगो क तलए मति रनता ह अतधक लोगो क तलए रधन रन िाता ह परम

अतधक लोगो क तलए राग रन िाता ह और िर तक परम तवराग न हो तर तक परमातमा तक पहचना नही

होता

तो परम की सतवधा ह कक वह सवाभातवक ह परतयक वयति क भीतर परम की उमग ह ितरा भी यही ह

कक वह इतना सवाभातवक ह कक उसम होश रिन की िररत नही तम उसम उलझ सकत हो

तिनक िीवन म परम नही सभव हो पाया--और रहत लोगो क िीवन म सभव नही हो पाया ह--तो

रठकर काट को पकड़कर मत पित रहो नही परम सभव हआ जचता िोड़ो धयान सभव ह और धयान क भी

ितर ह और सतवधाए भी ितरा यही ह कक शरम करना होगा चषटा करनी होगी परयास और साधना करनी

होगी सकलप करना होगा अगर िरा भी तशतथलता की तो धयान न सधगा अगर िरा भी आलसय की तो

174

धयान न सधगा अगर ऐस ही सोचा कक कनकन-कनकन कर लग तो न सधगा िलना पड़गा सौ तडगरी पर

उरलना पड़गा यह तो करठनाई ह लककन फायदा भी ह कक थोड़ा भी धयान सध तो साथ म होश भी सधता

ह कयोकक परयास साधना सकलप

इसतलए धयान सध तो कभी भी कारागह नही रनता करठनाई ह सधन की परम सध तो िाता ह रड़ी

आसानी स लककन िलदी ही ििीर ढल िाती ह धयान सधता ह मतककल स लककन सध िाए तो सदा ही

मोकष और सदा ही मति क आकाश की तरफ ल िाता ह

और दतनया म दो तरह क लोग ह एक तो व कक अगर परम न सधा तो उनहोन धयान को साध तलया

और िो ऊिाा परम म िाती वही सारी धयान म सलगन हो गई या िो धयान न सधा तो उनहोन सारी ऊिाा को

परम म समरपात कर कदया या तो भि रनो या धयानी य एक तरह क लोग ह

दसर तरह क लोग ह उनस परम न सधा तो धयान की तरफ तो न गय रस परम का रोना लकर रठ ह

रो रह ह कक परम न सधा और उनही की तरह क दसर लोग भी ह कक धयान न सधा तो रस व रठ ह रो रह ह

उदास मकदरो म आशरमो म कक धयान न सधा व परम की तरफ न गय

म तमस कहता ह सर साधन तमहार तलए ह तम ककसी साधन क तलए नही परम स सध परम स साध

लना धयान स सध धयान स साध लना साधन का थोड़ ही मलय ह तम रलगाड़ी स यहा मर पास आए कक

पदल आए कक टरन स आए कक हवाई िहाि स आए आ गय रात ितम हो गई तम कस आए इसका कया

परयोिन ह पहच गय रात समापत हो गई

धयान रिना पहचन का कफर परम स हो कक धयान स हो भति स हो कक जञान स हो इस उलझन म

रहत मत पड़ना साधन को साधय मत समझ लना साधन का उपयोग करना ह सीढ़ी स चढ़ िाना ह और भल

िाना ह नाव स उतर िाना ह और तवसमरण कर दना ह नाव का

इतनी ही याद रनी रह कक सर धमा तमहार तलए ह सर साधन तवतधया तमहार तलए ह तमही गतवय

हो तमही हो िहा पहचना ह तमस ऊपर कि भी नही

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

चडीदास क य शबद ह कक सरस ऊपर मनषय का सतय ह उसक ऊपर कि भी नही ह इसका यह मतलर

नही ह कक परमातमा नही ह इसका इतना ही मतलर ह कक मनषय अगर अपन सतय को िान ल तो परमातमा

को िान ल

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

तम सरस ऊपर हो कयोकक तम अपन अतरतम म तिप परमातमा हो रीि हो अभी कभी फल रन

िाओग लककन रीि म फल तिपा ही ह न िाद का कोई मलय ह न िमीन का न सरि की ककरणो का

इतना ही मलय ह कक तमहार भीतर िो तिपा ह वह परगट हो िाए

इसतलए वयथा क साधनो की रहत तिदद मत करना िस भी पहचो पहच िाना परमातमा तमस यह न

पिगा ककस मागा स आए कस आए आ गय सवागत ह

आि इतना ही

  • तथाता म ह कराति
  • उठो तलाश लाजिम ह
  • अतरबाती को उकसाना ही धयान
  • अनत छिपा ह कषण म
  • कवल शिषय जीतगा
  • समझ और समाधि क अतरसतर
  • परारथना सवय मजिल
  • परारथनाः परम की पराकाषठा
  • जागरण का तल + परम की बाती = परमातमा का परकाश
  • परम की आखिरी मजिलः बदधो स परम
Page 2: एस धम् ो सनंतनोाग 2 11. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 ग त क £ष ण स थ ह । अथ ह कक

2

एस धममो सनतनो भाग 2

गयारहवा परवचन

तथाता म ह करातत

फनदन चपल तचतत दरकि दतिवारय

उि करोतत मधावी उसकारो व तिन 29

वाररिो व थल ककततो ओकमोकत-उबभतो

पररफनदततद तचतत मारधयय पहातव 30

दतिगगहसस लहनो यतथकाम तनपाततनो

तचततसस दमथो साध तचतत दनत सिावह 31

दरडगम एकचर असरीर गहासय

य तचतत सामससतनत मोकितनत माररनधना 32

अनवरित तचततसस सदधमम अतविानतो

पररपलवपसादसस पा न पररपरतत 33

िीवन दो भातत िीया िा सकता ह--एक मातलक की तरह एक गलाम की तरह और गलाम की तरह

िो िीवन ह वह नाममातर को ही िीवन ह उस िीवन कहना भी गलत ह रस कदिाई पड़ता ह िीवन िसा

आभास होता ह िीवन िसा िस एक सपना दिा हो आशा म ही होता ह गलाम का िीवन तमलगा तमलता

कभी नही आ रहा ह आता कभी नही गलाम का िीवन रस िाता ह आता कभी नही

गलाम क िीवन का शासतर समझ लना िररी ह कयोकक िो उस न समझ पाया वह मातलक क िीवन

को तनरमात न कर पाएगा दोनो क शासतर अलग ह दोनो की वयवसथाए अलग ह गलाम क िीवन क शासतर का

नाम ही ससार ह मातलक और मालककयत क िीवन का नाम ही धमा ह एस धममो सनतनो वही सनातन धमा

का सतर ह

मातलक स अथा ह ऐस िीना िस िीवन अभी और यही ह कल पर िोड़कर नही आशा म नही यथाथा

म मातलक क िीवन का अथा ह मन गलाम हो चतना मातलक हो होश मातलक हो वतततया मातलक न हो

तवचारो का उपयोग ककया िाए तवचार तमहारा उपयोग न कर ल तवचारो को तम काम म लगा सको तवचार

तमह काम म न लगा द लगाम हाथ म हो िीवन की और िहा तम िीवन को ल िाना चाहो वही िीवन

िाए तमह मन क पीि घतसटना न पड़

गलाम का िीवन रहोश िीवन ह िस सारथी नश म हो लगाम ढीली पड़ी हो घोड़ो की िहा मिी हो

रथ को ल िाए ऊरड़-िारड़ म तगराए कषट म डाल मागा स भटकाए लककन सारथी रहोश हो

3

गीता म कषण सारथी ह अथा ह कक िर चतनय हो िाए सारथी तमहार भीतर िो शरषठतम ह िर उसक

हाथ म लगाम आ िाए रहत रार अिीर सा लगता ह कषण को सारथी दिकर अिान ना-कि ह अभी वह

रथ म रठा ह कषण सर कि ह व सारथी रन ह पर परतीक रड़ा मधर ह परतीक यही ह कक तमहार भीतर िो

ना-कि ह वह सारथी न रह िाए तमहार भीतर िो सर कि ह वही सारथी रन िाए

तमहारी हालत उलटी ह तमहारी गीता उलटी ह अिान सारथी रना रठा ह कषण रथ म रठ ह ऐस

ऊपर स लगता ह--मालककयत कयोकक कषण रथ म रठ ह और अिान सारथी ह ऊपर स लगता ह तम मातलक

हो ऊपर स लगता ह तमहारी गीता ही सही ह लककन कफर स सोचना वयास की गीता ही सही ह अिान रथ

म होना चातहए कषण सारथी होन चातहए मन रथ म तरठा दो हिाा नही ह लककन धयान सारथी रन तो

एक मालककयत पदा होती ह

इसतलए हमन इस दश म सनयासी को सवामी कहा ह सवामी का अथा ह तिसन अपनी गीता को ठीक

कर तलया अिान रथ म रठ गया कषण सारथी हो गए वही सनयासी ह वही सवामी ह

और सवामी होना ही एकमातर िीवन ह तर तम िीत ही नही तम िीवन हो िात हो तम महािीवन

हो िात हो सर रदल िाता ह कल तक िहा काट थ वहा फल तिल िात ह और कल तक िो भटकाता था

वही तमहारा अनचर हो िाता ह कल तक िो इकिया कवल दि म ल गई थी व तमह महासि म पहचान

लगती ह कयोकक तिन इकियो स तमन ससार को पहचाना ह व ही इकिया तमह परमातमा क दशान कदलान

लगगी उनको ही झलक तमलगी

यही आि--धयान रिना कफर स दोहराता ह--यही आि उस दिन लगगी और इनही आिो न पदाा

ककया था इनही आिो क कारण वह कदिाई न पड़ता था इन आिो को फोड़ मत लना िसा कक रहत स

नासमझ तमह समझात रह ह य आि रड़ काम म आन को ह तसफा भीतर का इतिाम रदलना ह िो मातलक

ह असली म उस मातलक घोतित करना ह रस उतनी घोिणा काफी ह िो गलाम ह उस गलाम घोतित करना

तमहार भीतर गलाम मातलक रनकर रठ गया ह और मातलक को अपनी मालककयत भल गई ह

इसतलए आिो स पदाथा कदिाई पड़ता ह परमातमा नही कानो स शबद सनाई पड़ता ह तनाःशबद नही हाथो

स कवल वही िआ िा सकता ह िो रप ह आकार ह तनराकार का सपशा नही होता म तमस कहता ह िस

ही तमहार भीतर का इतिाम रदलगा--मातलक अपनी िगह लगा गलाम अपनी िगह लगा चीि वयवतसथत

होगी तमहारा शासतर शीिाासन न करगा ठीक िसा होना चातहए वसा हो िाएगा--ततकषण तम पाओग इनही

आिो स तनराकार की झलक तमलन लगी पदाथा स परमातमा झाकन लगा

पदाथा तसफा घघट ह वही परमी वहा तिपा ह और इनही कानो स तमह शनय का सवर सनाई पड़न लगगा

यही कान ओकार क नाद को भी गरहण कर लत ह कान की भल नही ह आि की भल नही ह इकियो न नही

भटकाया ह सारथी रहोश ह घोड़ो न नही भटकाया ह घोड़ भी कया भटकाएग और घोड़ो को तिममवारी

सौपत तमह शमा भी नही आती

और तमहार साध-सनयासी तमस कह िात ह घोड़ो न भटकाया ह घोड़ कया भटकाएग और तिसको

घोड़ भटका दत हो वह पहच न पाएगा िो घोड़ो को भी न समहाल सका वह कया समहालगा वह पहचन

योगय ही न था उसकी कोई पातरता ही न थी तिसको घोड़ो न भटका कदया

4

नही भटक तम हो लगाम तमहारी ढीली ह घोड़ तो रस घोड़ ह उनक पास कोई होश तो नही िर

तम रहोश हो तो घोड़ो स होश की अपकषा रित हो िर तमहारा चतनय सोया हआ ह तो इकियो स तम

चतनय की अपकषा रित हो इकिया तो तम िस हो वसी ही हो िाती ह इकिया अनचर ह िीवन का इतिाम

रदलना ही साधना ह और यही इतिाम का आधार ह कक मन मातलक न रह िाए धयान मातलक रन

इसी रफतार-आवारा स भटकगा यहा कर तक

अमीर-कारवा रन िा गरार-कारवा कर तक

कर तक गिरत हए कारवा की धल पीि उड़ती धल कर तक ऐस भीड़ क पीि उड़ती धल का

अनगमन करता रहगा कर तक ऐस चलगा मन क पीि शरीर क पीि इकियो क पीि कर तक कषि का

अनसरण होगा अमीर-कारवा रन िा--अर वकत आ गया कक मातलक रन िा इस कारवा का पथ-परदशाक

रन िा सारथी रन िा रहत कदन अिान रह तलए कषण रनन का समय आ गया

कषण और अिान दो नही ह एक ही वयति को िमान क दो ढग ह एक ही चतना क दो ढग ह दो रप

ह रथ तो वही रहगा कि भी न रदलगा कषण को भीतर तरठा दो अिान को सारथी रना दो सर डगमगा

िाएगा कि तमन िोड़ा नही कि घटाया नही

रदध न कि िोड़ा थोड़ ही ह उतना ही ह रदध क पास तितना तमहार पास ह रततीभर जयादा नही कि

घटाया थोड़ ही ह रततीभर कम नही न कि िोड़ा ह न कि िोड़ा ह वयवसथा रदली ह वीणा क तार अलग

पड़ थ वीणा पर कस कदए ह या वीणा क तार ढील थ उनह कस कदया ह िो िहा होना चातहए था वहा रि

कदया ह िो िहा नही होना चातहए था वहा स रदल कदया ह सर वही ह रदध म िो तमम ह अतर कया ह

सयोिन अलग ह और सयोिन क रदलत ही सर रदल िाता ह--सर तम भरोसा भी नही कर सकत कक

तमहारा ही सयोिन रदलकर रदधतव पदा हो िाता ह कक तमही अिान तमही कषण अभी तम भरोसा भी कस

करो

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

इतना ही फका ह पहल शरार िीसत थी--पहल नशा ही जिदगी थी अर िीसत ह शरार--अर जिदगी

ही नशा ह पहल नशा जिदगी थी पहल शरार जिदगी थी अर जिदगी शरार ह

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रस इतना ही फका ह पहल तम पी रह थ कोई तपला न रहा था और तर शरार जिदगी मालम होती

थी रहोशी जिदगी मालम होती थी अर अर जिदगी ही शरार ह अर िीवन का उतसव ह आनद ह और

अर तम नही पी रह हो--

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

सयोिन रदला कक अहकार गया कषण रथ म रठ िाए अिान सारथी रन िाए अहकार पररणाम

होगा अिान रथ म रठ कषण सारथी रन तनरअहकार पररणाम होगा सारा गीता का सदश इतना सा ही ह

कक अिान त सवय को िोड़ द तनरअहकार हो िा त मत पी अपन हाथ स

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

परमातमा िो करता ह करन द त तनतमतत हो िा िो तनतमतत हो गया वह मातलक हो गया कयोकक िो

तनतमतत हो गया वह मातलक क साथ एक हो गया

5

रदध क य सतर रहत गलत तरह स समझ गए ह इस पहल कह द कयोकक तितन महासतर ह आदमी

उनको गलत ही समझ सकता ह आदमी क भीतर परतवषट होत ही ककरण भी अधकार हो िाती ह आदमी क

भीतर परतवषट होत ही सगध दगध हो िाती ह आदमी क भीतर समझ क हीर भी नासमझी क ककड़-पतथर

होकर रह िात ह रदध न य सतर कदए ह रड़ रहमलय लककन रदध क पीि चलन वालो न उनह गलत ढग स

पकड़ा ह िसा कक सभी क पीि चलन वालो न गलत ढग स पकड़ा ह कि रात ऐसी रारीक ह और कि रात

ऐसी तभि ह आदमी स कक आदमी क हाथ म पड़त ही भल हो िाती ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

इन सतरो स लोगो न समझा कक तचतत को दराना ह कक तचतत को तमटाना ह कक तचतत स लड़ना ह रदध

कवल तचतत का सवभाव समझा रह ह रदध कह रह ह तचतत कषतणक ह चचल ह लड़न की कोई रात नही कर

रह ह इतना ही कह रह ह कक तचतत का सवभाव ऐसा ह तथय की घोिणा कर रह ह

लककन तमहार मन म िस ही कभी कोई तमस कहता ह तचतत कषतणक ह िीवन कषणभगर ह तम ततकषण-

-कषणभगरता को तो नही समझत--शाशवत की िोि म लग िात हो वही भल हो िाती ह और तमहार

महातमागण िर भी तमस कहत ह िीवन कषणभगर तचतत कषतणक तम ततकषण सोचन लगत हो कस उस पाए

िो अकषतणक ह िो शाशवत ह सनातन ह रस वही भल हो िाती ह शाशवत को पाना नही ह कषतणक को

समझ लना ह

िापान म एक रहत रड़ा झन कतव हआ रासो उसकी एक िोटी सी कतवता ह एक हाइक ह तिसका

अथा रड़ा अदभत ह हाइक ह कक तिनहोन िाना वह व ही लोग ह तिनहोन इिधनि को दिकर ततकषण न कहा

कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन पानी क ररल को टटत दिकर ततकषण न कहा कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन

ओस की रद को तरिरत या वाषपीभत होत दिकर ततकषण न कहा कक हम उदास हो गए िीवन कषणभगर ह

उनहोन ही िाना

यह रड़ी अिीर रात ह रदध क रड़ तवपरीत लगती ह रासो रदध का भि ह पर रासो समझा

िस ही तमस कोई कहता ह िीवन कषणभगर ह और तम िोड़न को रािी हो िात हो तो तम िीवन को

िोड़न को रािी नही होत तम कषणभगरता को िोड़न को रािी होत हो तमहारी वासना नही तमटती तमहारी

वासना और रढ़ गई तम सनातन चाहत हो शाशवत चाहत हो तम ककड़-पतथर रि थ ककसी न कहा य

ककड़-पतथर ह--तम अर तक हीर समझ थ इसतलए पकड़ थ--ककसी न कहा ककड़-पतथर ह तम िोड़न को

रािी हो गए कयोकक अर असली हीरो की तलाश करनी ह हीरो का मोह नही गया पहल इनह हीरा समझा

था तो इनह पकड़ा था अर कोई और हीर ह तो उनह पकड़ग लककन तम वही क वही हो

रदध िर कहत ह मन कषतणक ह चचल ह िीवन कषणभगर ह तो व तसफा तथय की घोिणा करत ह व

तसफा इतना ही कहत ह ऐसा ह इसस तम वासना मत तनकाल लना इसस तम साधना मत तनकाल लना

इसस तम अतभलािा मत िगा लना इसस तम आशा को पदा मत कर लना इसस तम भतवषय क सपन मत

दिन लगना और मिा यह ह कक िो तथय को दि लता ह वह शाशवत को उपलबध हो िाता ह िस ही तमह

यह कदिाई पड़ गया कक मन कषतणक ह कि करना थोड़ ही पड़ता ह शाशवत को पान क तलए मन कषतणक ह

ऐस रोध म मन शात हो िाता ह

इस िरा थोड़ा गौर स समझना

6

ऐस रोध म कक मन कषतणक ह पानी का ररला ह अभी ह अभी न रहा भोर की तरया ह डरी-डरी

अर डरी तर डरी कि करना थोड़ ही पड़ता ह ऐस रोध म तम िाग िात हो गसटॉलट रदल िाता ह िीवन

की परी दिन की वयवसथा रदल िाती ह कषणभगर क साथ िो तमन आशा क सत राध रि थ व टट िात ह

शाशवत को िोिना नही ह कषणभगर स िागना ह िागत ही िो शि रह िाता ह वही शाशवत ह

शाशवत को कोई कभी पान थोड़ ही िाता ह कयोकक शाशवत का तो अथा ही ह कक तिस कभी िोया नही िो

िो िाए वह कया िाक शाशवत ह हा कषणभगर म उलझ गए ह रस उलझाव चला िाए शाशवत तमला ही ह

लककन तम कया करत हो तम कषणभगर क उलझाव को शाशवत का उलझाव रना लत हो तम ससार

की तरफ दौड़त थ ककसी न चताया चत तो तम नही कयोकक चतान वाला कह रहा थााः दौड़ो मत--तम ससार

की तरफ दौड़त थ रदध राह पर तमल गए उनहोन कहा कहा दौड़ िा रह हो वहा कि भी नही ह--व इतना

ही चाहत थ कक तम रक िाओ दौड़ो मत तमन उनकी रात सन ली लककन तमहारी वासना न उनकी रात का

अथा रदल तलया तमन कहा ठीक ह यहा अगर कि भी नही ह तो हम मोकष की तरफ दौड़ग लककन दौड़ग

हम िरर

दौड़ ससार ह रक िात तो मोकष तमल िाता ससार की तरफ न दौड़ मोकष की तरफ दौड़न लग

कषणभगर को न पकड़ा तो शाशवत को पकड़न लग धन न िोिा तो धमा को िोिन लग लककन िोि िारी

रही िोि क साथ तम िारी रह िोि क साथ अहकार िारी रहा िोि क साथ तमहारी तिा िारी रही

तमहारी नीद िारी रही कदशाए रदल गयी पागलपन न रदला पागल परर दौड़ कक पतिम कोई फका पड़ता

ह पागल दतकषण दौड़ कक उततर कोई फका पड़ता ह दौड़ ह पागलपन

य तथय ह और इसतलए झन म--िो रदध-धमा का सारभत ह--ऐस उललि ह हिारो कक रदध क वचन को

पढ़त-पढ़त सनत-सनत अनक लोग समातध को उपलबध हो गए ह दसर धमो क लोग यह रात समझ नही पात

ह कक यह कस होगा तसफा सनत-सनत

रदध का सवाशरषठ शासतर ह--भारत स ससकत क रप िो गए ह चीनी और ततबरती स उसका कफर स

पनआरवाषकार हआ--कद डायमड सतरा रदध उस सतर म सकड़ो रार यह कहत ह कक तिसन इस सतर की चार

पतिया भी समझ ली वह मि हो गया सकड़ो रार--एक-दो रार नही--करीर-करीर हर पषठ पर कहत ह

कभी-कभी हरानी होती ह कक व इतना कयो इस पर िोर द रह ह रहत रार उनहोन उस सतर म कहा ह

तिसस व रोल रह ह तिस तभकष स व रात कर रह ह उसस व कहत ह सन गगा क ककनार तितन रत क कण

ह अगर परतयक रत का कण एक-एक गगा हो िाए--तो उन सारी गगाओ क ककनार ककतन रत क कण होग

वह तभकष कहता ह अनत-अनत होग तहसार लगाना मतककल ह रदध कहत ह अगर कोई वयति उतना अनत-

अनत पणय कर तो ककतना पणय होगा वह तभकष कहता ह रहत-रहत पणय होगा उसका तहसार तो रहत

मतककल ह रदध कहत ह लककन िो इस शासतर की चार पतिया भी समझ ल उसक पणय क मकारल कि भी

नही

िो भी पढ़गा वह थोड़ा हरान होगा कक चार पतिया परा शासतर आधा घट म पढ़ लो इसस रड़ा नही

ह चार पतिया िो पढ़ ल रदध कया कह रह ह रदध न एक नवीन दशान कदया ह वह ह तथय को दि लन

का रदध यह कह रह ह िो चार पतिया भी पढ़ ल िो म कह रहा ह उसक तथय को चार पतियो म भी दि

ल कफर कि करन को शि नही रह िाता रात हो गई सतय को सतय की तरह दि तलया असतय को असतय

7

की तरह दि तलया रात हो गई कफर पित हो तम कया कर तो मतलर हआ कक समझ नही समझ तलया तो

करन को कि रचता नही ह कयोकक करना ही नासमझी ह

वही अिान पि चला िाता ह कषण स कक अगर म ऐसा कर तो कया होगा अगर वसा कर तो कया

होगा और कषण कहत ह त करन की रात ही िोड़ द त करन की रात उस पर िोड़ द त कर ही मत तर

करन स सभी गड़रड़ होगा त उस करन द

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रदध कहत ह िान तलया समझ तलया हो गया करन की रात ही नासमझी स उठती ह कयोकक तम

रोध हो चतनय हो तचतत कषतणक ह चचल ह यह कोई तसदधात नही यह कवल सतय की उदघोिणा ह इस

सनो कि करना नही ह इस पहचानो कि साधना नही ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

अगर वाण ततरिा हो आड़ा हो तो तनशान पर नही पहचता सीधा चातहए ऋि चातहए सरल

चातहए कफर पहच िाता ह तमहारा मन ततरिा ह या सीधा तमहारा मन िरटल ह या सरल तमहारा मन

तमहारा मन ह तम वाणकार हो तमहारा मन तमहार हाथ का वाण ह लककन तमन कभी खयाल ककया कक तम

उस िरटल ककए चल िात हो तम उस उलझाए चल िात हो

सीध-सरल का कया अथा ह सीध-सरल का अथा ह िसा मन हो उस वसा ही दि लना ततकषण मन

सरल हो िाता ह यही ह मन का दशान कहो धयान कहो अपरमाद या कोई और नाम दो मन को उसको िसा

ह वसा ही दि लन स ततकषण सरल हो िाता ह

समझो कक तम चोर हो या झठ रोलन वाल हो अर एक झठ रोलन वाला आदमी ह वह मर पास

आता ह वह कहता ह कक मझ सतय रोलन की कला तसिा द ऐस ही उलझा ह झठ स उलझा ह अर एक और

सतय की झझट भी लना चाहता ह अर झठ रोलन वाल आदमी को सच रोलन की कला कस तसिाई िाए

कयोकक उस कला को सीिन म भी वह झठ रोलगा

एक करोधी आदमी ह वह कहता ह मझ अकरोध सीिना ह अर करोधी आदमी को अकरोध कस तसिाया

िाए अगर उसस कहो घर म शात होकर रठ िाना तो वह रठगा कस करोध ही उरलगा और अकसर ऐस

करोधी अगर पिा-पाठ पराथाना करन लगत ह तो घरभर की मसीरत आ िाती ह इसस तो रहतर था कक व

नही करत थ कयोकक रचचा अगर िरा शोरगल कर द तो उनका करोध उरल पड़ता ह कक धयान म राधा पड़

गई या अगर पतनी क हाथ स रतान तगर िाए तो उनका धमा धयान नषट हो गया करोध उनका िाएगा कस व

धयान क आधार पर भी करोध करग

जहसक ह कोई पिता ह अजहसक होना ह जहसक तचतत कस अजहसक होगा वस ही िरटल था अजहसा

और उपिव िड़ा कर दगी तो वह तरकीर िोि लगा अजहसक कदिन की लककन जहसक ही रहगा और पहल

कम स कम जहसा कदिाई पड़ती थी अजहसा म अगर ढक गई तो कफर कभी भी कदिाई न पड़गी कामवासना स

भरा हआ आदमी वह कहता ह बरहमचया साधना ह तम अपन तवपरीत िान की चषटा करोग िरटल हो

िाओग

8

रदध कया कहत ह रदध कहत ह करोधी हो तो करोध क तथय को िानो अकरोधी होन की चषटा मत करना

करोधी हो करोध को सवीकार करो कह दो सार िगत को कक म करोधी ह और उस तिपाए मत कफरो कयोकक

तिपान स कही रोग तमटा ह िोल दो उस शायद रह िाए शायद नही रह ही िाता ह अगर जहसक हो तो

सवीकार कर लो कक म जहसक ह और अपन जहसक होन की दीनता को असवीकार मत करो कही अजहसक होन

की चषटा म यही तो नही कर रह हो कक जहसक होन को कस सवीकार कर तो अजहसा स ढाक ल घाव ह तो फल

ऊपर स तचपका द गदगी ह तो इतर तिड़क द कही ऐसा तो नही ह ऐसा ही ह

इसतलए तम पाओग कक कामक बरहमचारी हो िात ह और उनक बरहमचया स तसवाय कामवासना की

दगध क कि भी नही उठता करोधी शात होकर रठन लगत ह लककन उनकी शातत म तम पाओग कक

जवालामिी उरल रहा ह करोध का ससारी सनयासी हो िात ह और उनक सनयास म तसवाय ससार क और कि

भी नही ह मगर तम भी धोि म आ िात हो कयोकक ऊपर स व वश रदल लत ह ऊपर स उलटा कर लत ह

भीतर लोभ ह ऊपर स दान करन लगत ह

लककन धयान रिना लोभी िर दान करता ह तर भी लोभ क तलए ही करता ह होगा लोभ परलोक का

कक सवगा म भिा लग तलि दी हडी हतडया तनकाल रहा ह वह सवगा म भिाएगा वह सोच रहा ह कया-कया

सवगा म पाना ह इसक रदल म और ऐस लोतभयो को धमा म उतसक करन क तलए पतडत और परोतहत तमल

िात ह व कहत ह यहा एक दोग करोड़ गना पाओग थोड़ा तहसार भी तो रिो सौदा कर रह हो यह सौदा

भी तरलकल रईमानी का ह गगा क ककनार पड रठ ह व कहत ह एक पसा यहा दान दो करोड़ गना पाओग

यह कोई सौदा हआ यह तो िए स भी जयादा झठा मालम पड़ता ह एक पसा दन स कस करोड़ गना पाओग

करोड़ गन की आशा दी िा रही ह कयोकक तमस एक पसा भी िटगा नही तसवाय इसक तमहार लोभ को

उकसाया िा रहा ह लोभी दान करता ह मकदर रनवाता ह धमाशाला रनवाता ह लककन यह सर लोभ का

ही फलाव ह

दान तो तभी सभव ह िर लोभ तमट िाए लोभ क रहत दान कस सभव ह बरहमचया तो तभी सभव ह

िर वासना िो िाए वासना क रहत बरहमचया कस सभव ह धयान तो तभी सभव ह िर मन चला िाए मन

क रहत धयान कस सभव ह अगर मन क रहत धयान करोग तो मन स ही धयान करोग मन का धयान कस

धयान होगा मन का अभाव धयान ह

इसतलए रदध न एक अतभनव-शासतर िगत को कदया--तसफा िागकर तथयो को दिन का रदध न नही

तसिाया कक तम तवपरीत करन लगो रदध न इतना ही तसिाया कक तम िो हो उस सरल कर लो सीधा कर

लो उसक सीध होन म ही हल ह तम करोधी हो करोध को िानो तिपाओ मत ढाको मत मसकराओ मत

िीवन को झठ स तिपाओ मत परगट करो और तम चककत हो िाओग अगर तम अपन करोध को

सवीकार कर लो अपनी घणा को ईषयाा को दवि को िलन को सवीकार कर लो तम सरल होन लगोग तम

पाओग एक साधता उतरन लगी अहकार अपन आप तगरन लगा कयोकक अहकार तभी तक रह सकता ह िर

तक तम धोिा दो अहकार धोि का सार ह या सर धोिो का तनचोड़ ह तितन तमन धोि कदए उतना ही

रड़ा अहकार ह कयोकक तमन रड़ी चालरािी की और तमन दतनया को धोि म डाल कदया तम रड़ अकड़

हए हो लककन तम उघाड़ दो सर

तिसको िीसस न कनफशन कहा ह--सवीकार कर लो और िीसस न तिसको कहा ह कक तिसन सवीकार

कर तलया वह मि हो गया उसको ही रदध न कहा ह--रदध कनफशन शबद का उपयोग नही कर सकत कयोकक

9

परमातमा की कोई िगह नही ह रदध क तवचार म ककसक सामन करना ह सवीकार अपन ही सामन सवीकार

कर लना ह तथय की सवीकतत म तथय स मति ह तथय की सवीकतत म तथय क पार िाना ह

इस रहमलय सतर का थोड़ा सा िीवन म उपयोग करोग तम चककत हो िाओग तमहार हाथ म कीतमया

लग गई एक किी लग गई तम िो हो उस सवीकार कर लो चोर हो चोर झठ हो झठ रईमान हो रईमान

कया करोग तम उस सवीकतत म तम पाआग कक अचानक तम िो थ वह रदलन लगा वह नही रदलता था

कयोकक तम तिपात थ िस घाव को िोल दो िली रोशनी म सरि की ककरण पड़ तािी हवाए िए घाव

भरन लगता ह ऐस ही य भीतर क घाव ह इनह तम िगत क सामन िोल दो य भरन लगत ह

इस तसथतत को रदध कहत ह--मधावी परि रतदधमान वयति तिसको थोड़ी भी अकल ह राकी य िो

उलट काम कर रह ह--करोधी अकरोधी रनन की जहसक अजहसक रनन की--य मढ़ ह य मधावी नही ह य समय

गवा रह ह य कभी कि न रन पाएग य मल ही चक गए यह पहल कदम पर ही भल हो गई

मधावी परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रना लता ह अपन तचतत को तिस परकार वाणकर वाण

को

तिसकी तम आकाकषा करोग उसस ही तम वतचत रहोग एस धममो सनतनो तिसको तम सवीकार कर

लोग उसस ही तम मि हो िाओग तिसको तम मागोग नही वह तमहार पीि आन लगता ह और तिसको

तम मागत हो वह दर हटता चला िाता ह तमहारी माग हटाती ह दर

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

िीवन म सफलता का राि आकाकषा की सफलता का राि यही ह कक आकाकषा िोड़ दी

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

तमन अगर अकरोध को पान की दौड़ िोड़ दी तम करोध को सवीकार कर तलए--था करोग कया

तिपाओग कहा ककसस तिपाना ह तिपाकर ल िाओग कहा अपन ही भीतर और समा िाएगा और िड़

गहरी हो िाएगी जहसक थ जहसा सवीकार कर ली और तम अचानक हरान होओगाः जहसा गई और अजहसा

उपलबध हो गई

तिसको भी पान की तम दौड़ करोग वही न तमलगा अजहसक होना चाहोग अजहसक न हो पाओग शात

होना चाहोग शात न हो पाओग सनयासी होना चाहोग सनयासी न हो पाओग िो होना ह वह चाह स नही

होता चाह स चीि दर हटती िाती ह चाह राधा ह तम िो हो रस उसी क साथ रािी हो िाओ तम तथय

स िरा भी न हटो तम भतवषय म िाओ ही मत तम वतामान को सवीकार कर लो--मन दतनया िोड़ दी तो

तमल गई दतनया मझ

भागती कफरती थी दतनया िर तलर करत थ हम

िर हम नफरत हई वह रकरार आन को ह

तम तिसक पीि िाओग तमहार पीि िान स ही तम उस अपन पीि नही आन दत तम पीि िाना रद

करो तम िड़ हो िाओ और िो तमन चाहा था िो तमन मागा था वह ररस िाएगा लककन वह ररसता

तभी ह िर तमहार भीतर तभिारी का पातर नही रह िाता मागन वाल का पातर नही रह िाता िर तम

समराट की तरह िड़ होत हो इसको ही म मातलक होना कहता ह तम िो भी हो वही होकर तम मातलक हो

10

सकत हो तमन कि और होना चाहा तो तम कस मातलक हो सकत हो तर तो माग रहगी और तम तभिारी

रहोग

आि अभी इसी कषण तम मातलक हो सकत हो माग िोड़त ही आदमी मातलक हो िाता ह और थोड़

ही मातलक होन का कोई उपाय ह तम अगर मझस पिो कस कफर तम चक कयोकक तमन कफर माग क तलए

रासता रनाया तमन कहा कक ठीक कहत ह मातलक तो म भी होना चाहता ह

म तमस कहता ह तम हो सकत हो इसी कषण तम हो आिभर िोलन की रात ह तम कहत हो कक

होना तो म भी चाहता ह िो तथय ह तम उस चाह रनात हो चाह रनाकर तम तथय को दर हटात हो कफर

तथय तितना दर हटता िाता ह उतनी तम जयादा चाह करत हो तितनी जयादा तम चाह करत हो उतना

तथय और दर हट िाता ह कयोकक चाह स तथय का कोई सरध कस िड़गा तथय तो ह और चाह कहती ह

होना चातहए इन दोनो म कही मल नही होता

रदध का शासतर ह कक तम तथय को दिो और िो ह उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना यही कषणमरता का परा सार-सचय ह कक तम िो हो उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना हो वही हो उसस तभि िान की चषटा की कक भटक उसस तवपरीत िान की चषटा की कक कफर तो

तमन अनत दरी पर कर दी मतिल सवीकार म तथाता म करातत ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

यह उनकी उस कदन की भािा ह इसको आि की भािा म रिना पड़गा

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह

िलाशय यानी तथय िो ह िो मिली का िीवन ह उसस तनकालकर उस तट पर फक कदया

और िस मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

मार का फदा कया ह आकाकषा का मार का फदा कया ह आशा का मार का फदा कया ह कि होन

की आकाकषा और दौड़

िीसस क िीवन म उललि ह कक िर चालीस कदन क धयान क राद व परम तसथतत क करीर पहचन

लग तो शतान परगट हआ वह शतान कोई और नही ह वह तमहारा मन ह िो मरत वि ऐस ही भभककर

िलता ह िस रझत वि कदया आतिरी लपट लता ह मन का अथा ह वही िो अर तक तमस कहता था कि

होना ह कि होना ह िो तमह दौड़ाए रिता था धयान की आतिरी घड़ी आन लगी िीसस की मन

मौिद हआ िीसस की भािा म शतान रदध की भािा म मार मन न कहा तमह िो रनना हो म रना द

िीसस स कहा तमह िो रनना हो म रना द सार ससार का समराट रना द तीनो लोको का समराट रना द तम

रोलो तमह िो रनना हो म तमह रना द िीसस मसकराए और उनहोन कहा त पीि हट शतान पीि हट

कया मतलर ह िीसस का िीसस यह कह रह ह अर त और चकम मत द रनान क रनन क अर तो िो म

ह पयाापत ह त पीि हट त मझ राह द

रदध िर परम घड़ी क करीर पहचन लग तो वही घटना ह मार मौिद हआ मार यानी मन और मन न

कहा अभी मत िोड़ो आशा कयोकक उस साझ रदध ससार स तो िाः साल पहल मि हो गए थ िाः साल स

व मोकष की तलाश म लग थ और िाः साल म थक गए कयोकक तलाश स कभी कि तमला ही नही ह रदध को

नही तमला तमह कस तमलगा तलाश तो भटकन का उपाय ह पहचन का नही उस कदन व थक गए तलाश स

11

भी मोकष भी वयथा मालम पड़ा ससार तो वयथा था आि मोकष भी वयथा हो गया उनहोन साझ तिस वकष क

नीच थोड़ी दर राद व रदधतव को उपलबध हए अपना तसर टक कदया और उनहोन कहा अर कि पाना नही ह

मार उपतसथत हआ उसन कहा इतनी िलदी आशा मत िोड़ो अभी रहत कि ककया िा सकता ह अभी तमन

सर नही कर तलया ह अभी रहत साधन शि ह म तमह रताता ह

लककन रदध न उसकी एक न सनी व लट ही रह व तवशराम म ही रह मार उनह पनाः न िीच पाया दौड़

म मार न सर तरह स चषटा की कक अभी मोकष को पान का यह उपाय हो सकता ह सतय को पान का यह

उपाय हो सकता ह व उपकषा स दित रह

िीसस न तो इतना भी कहा था शतान स हट पीि रदध न उतना भी न कहा कयोकक हट पीि म भी

िीसस थोड़ तो हार गए रदध न इतना भी न कहा रौदधशासतर कहत ह रदध सनत रह उपकषा स इतना भी रस

न तलया कक इनकार भी कर इनकार म भी रस तो होता ही ह सवीकार भी रस ह इनकार भी रस ह रदध न

िीसस स भी रड़ी परौढ़ता का परदशान ककया उसस भी रड़ी परौढ़ता का सरत कदया रदध सनत रह मार थोड़ी-

रहत दर चषटा ककया रड़ा उदास हआ यह आदमी कि रोलता ही नही यह इतना भी नही कहता कक हट यहा

स मझ डरान की कोतशश मत कर अर मझ और मत भटका इतना भी रदध कहत तो भी थोड़ा चषटा करन की

िररत थी लककन इतना भी न कहा

कहत ह मार उस रात तवदा हो गया इस आदमी स सर सरध िट गए यही घड़ी ह समातध की िर

तम मन क तवपरीत भी नही िर तम मन स यह भी नही कहत त िा तम मन स यह भी नही कहत कक अर

रद भी हो अर तवचार न कर अर मझ शात होन द इतना भी नही कहत तभी तम शात हो िात हो कयोकक

मन कफर तमहार ऊपर कोई कबिा नही रि सकता इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमह अशात कर सक

इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमहार धयान म राधा डाल सक तम मन क पार हो गए उसी रात सरह

भोर क तार क साथ आतिरी तारा डरता था और रदध परम परजञा को उपलबध हए

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह ऐस ही तम तड़फड़ा रह

हो तचतत तड़फड़ा रहा ह कयोकक तथय और सतय क िलाशय क राहर आशा क तट पर पड़ हो कि होना ह

ऐसा भत सवार ह िो हो उसक अततररि हो कस सकोग कि िो हो वही हो सकत हो उसक राहर उसक

पार कि भी नही ह लककन मन पर एक भत सवार ह कि होना ह गरीर ह तो अमीर होना ह रीमार ह तो

सवसथ होना ह शरीरधारी ह तो अशरीरधारी होना ह िमीन पर ह तो सवगा म होना ह ससार म ह तो मोकष

म होना ह कि होना ह तरकजमग ह स सरध नही ह होन स सरध ह

होना ही मार ह होना ही शतान ह और होन क तट पर मिली िसा तम तड़फड़ात हो लककन तट

िोड़त नही तितन तड़फड़ात हो उतना सोचत हो तड़फड़ाहट इसीतलए ह कक अर तक हो नही पाया िर हो

िाऊगा तड़फड़ाहट तमट िाएगी और दौड़ म लगत हो तका की भातत तमह और तट की तरफ सरकाए ल

िाती ह िर कक पास ही सागर ह तथय का उसम उतरत ही मिली रािी हो िाती उसम उतरत ही मिली

की सर रचनी िो िाती इतन ही करीर िस तट पर तड़फती मिली ह उसस भी जयादा करीर तमहारा

सागर ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

12

लककन हर तड़फड़ाहट इस फद म उलझाए चली िाती ह कयोकक तड़फड़ाहट म भी यह मार की भािा

का ही उपयोग करता ह समझ का नही वहा भी वासना का ही उपयोग करता ह दकान पर रठ लोग दिी ह-

-िो पाना था नही तमला मकदर म रठ लोग दिी ह--िो पाना था नही तमला

िीसस क िीवन म उललि ह व एक गाव स गिर उनहोन कि लोगो को िाती पीटत रोत दिा पिा

कक कया मामला ह ककसतलए रो रह हो कौन सी दघाटना घट गई उनहोन कहा कोई दघाटना नही घटी हम

नका क भय स घरड़ा रह ह

कहा ह नका मगर मन न नका क भय िड़ कर कदए ह उनस घरड़ा रह ह

िीसस थोड़ आग गए उनहोन कि और लोग दि िो रड़ उदास रठ थ िसा मकदरो म लोग रठ रहत ह

रड़ गभीर िीसस न पिा कया हआ तमह कौन सी मसीरत आई ककतन लर चहर रना तलए ह कया हो

गया उनहोन कहा कि भी नही हम सवगा की जचता म जचतातर ह--सवगा तमलगा या नही

िीसस और आग रढ़ उनह एक वकष क नीच कि लोग रड़ परमकदत रड़ शात रड़ आनकदत रठ तमल

उनहोन कहा तमहार िीवन म कौन सी रसधार आ गई तम इतन शात इतन परसि इतन परफतललत कयो हो

उनहोन कहा हमन सवगा और नका का खयाल िोड़ कदया

सवगा ह सि िो तम पाना चाहत हो नका ह दि तिसस तम रचना चाहत हो दोनो भतवषय ह दोनो

कामना म ह दोनो मार क फद ह िर तम दोनो को ही िोड़ दत हो अभी और यही तिस मोकष कहो तनवााण

कहो वह उपलबध हो िाता ह

तनवााण तमहारा सवभाव ह तम िो हो उसम ही तम उस पाओग होन की दौड़ म तम उसस चकत चल

िाओग

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

यह िो होन की आकाकषा ह इसस आग नही पदा होती तसफा धआ ही धआ पदा होता ह रदध का वचन

ह कक वासना स भरा तचतत गीली लकड़ी की भातत ह उसम आग लगाओ तो लपट नही तनकलती धआ ही धआ

तनकलता ह लकड़ी िर सिी होती ह तर उसस लपट तनकलती ह िर तक वासना ह तमहारी समझ म

तमहार िीवन म आग न होगी तमहार िीवन म रोशनी और परकाश न होगा धआ ही धआ होगा अपन ही धए

स तमहारी आि िरार हई िा रही ह अपन ही धए स तम दिन म असमथा हए िा रह हो अध हए िा रह

हो अपन ही धए स तमहारी आि आसओ स भरी ह और िीवन का सतय तमह कदिाई नही पड़ता ह

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

लककन धआ तर तक उठगा ही िर तक कोई भी वासना का गीलापन तम म रह गया ह लकड़ी िर तक

गीली ह धआ उठगा लकड़ी स धआ नही उठता गीलपन स धआ उठता ह लकड़ी म तिप िल स धआ उठता

ह तमस धआ नही उठ रहा ह तमहार भीतर िो वासना की आिाता ह गीलापन ह उसस धआ उठ रहा ह

तयागी रदध न उसको कहा ह िो सिी लकड़ी की भातत ह तिसन वासना का सारा खयाल िोड़ कदया

तिसका तनगरह करना रहत करठन ह और िो रहत तरल ह हलक सवभाव का ह और िो िहा चाह वहा

झट चला िाता ह ऐस तचतत का दमन करना शरिठ ह दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

13

दमन शबद को ठीक स समझ लना उस कदन इसक अथा रहत अलग थ िर रदध न इसका उपयोग ककया

था अर अथा रहत अलग ह फरायड क राद दमन शबद क अथा तरलकल दसर हो गए ह भािा वही नही रह

िाती रोि रदल िाती ह भािा तो परयोग पर तनभार करती ह

रदध क समय म पतितल क समय म दमन का अथा रड़ा और था दमन का अथा था मन म िीवन म

तमहार अतताम म अगर तम करोध कर रह हो या तम अशात हो रचन हो तो तम एक तवतशषट मातरा की ऊिाा

नषट कर रह हो सवभावताः िर तम करोध करोग थकोग कयोकक ऊिाा नषट होगी िर तम कामवासना स

भरोग तर भी ऊिाा नषट होगी िर तम उदास होओग दिी होओग तर भी ऊिाा नषट होगी

एक रड़ी हरानी की रात ह कक तसफा शातत क कषणो म ऊिाा नषट नही होती और आनद क कषणो म ऊिाा

रढ़ती ह नषट होना तो दर तवकतसत होती ह परमकदत होती ह इसतलए रदध कहत ह अपरमाद म परमकदत

होओ दि म घटती ह शातत म तथर रहती ह आनद म रढ़ती ह और िर भी तम कोई नकारातमक

तनिधातमक भाव म उलझत हो तर तमहारी ऊिाा वयथा िा रही ह तमम िद हो िात ह िस घड़ म िद हो

और तम उसम पानी भरकर रि रह हो वह रहा िा रहा ह

रदध या पतितल िर कहत ह दमन--तचतत का दमन--तो व यह नही कहत ह कक तचतत म करोध को दराना

ह व यह कहत ह कक तचतत म तिन तििो स ऊिाा रहती ह उन तििो को रद करना ह और िो ऊिाा करोध म

सलगन होती ह उस ऊिाा को िीवन की तवधायक कदशाओ म सलगन करना ह

इस कभी खयाल कर क दिो तमहार मन म करोध उठा ह ककसी न गाली द दी या ककसी न अपमान कर

कदया या घर म ककसी न तमहारी कोई रहमलय चीि तोड़ दी और तम करोतधत हो गए हो एक काम करो

िाकर घर क राहर रगीच म कदाली लकर एक दो कफट का गडढा िोद डालो और तम रड़ हरान होओग कक

गडढा िोदत-िोदत करोध ततरोतहत हो गया कया हआ िो करोध तमहार हाथो म आ गया था िो ककसी को

मारन को उतसक हो गया था वह ऊिाा उपयोग कर ली गई या घर क दौड़कर तीन चककर लगा आओ और तम

पाओग कक लौटकर तम हलक हो गए वह िो करोध उठा था िा चका

यह तो करोध का रपातरण हआ इसको ही रदध और महावीर और पतितल न दमन कहा ह फरायड न

दमन कहा ह--तमहार भीतर करोध उठा उसको भीतर दरा लो परगट मत करो तो ितरनाक ह तो रहत

ितरनाक ह उसस तो रहतर ह तम परगट कर दो कयोकक करोध अगर भीतर रह िाएगा नासर रनगा नासर

अगर समहालत रह समहालत रह सत रह तो आि नही कल क सर हो िाएगा

तितनी मनषयता सभय होती चली िाती ह उतनी ितरनाक रीमाररयो का फलाव रढ़ता िाता ह

क सर रड़ी नई रीमारी ह वह रहत सभय आदमी को ही हो सकती ह िगलो म रहन वाल लोगो को नही

होती आयवद म तो कि रोगो को रािरोग कहा गया ह--व तसफा रािाओ को ही होत थ कषयरोग को रािरोग

कहा ह वह हर ककसी को नही होता था उसक तलए रहत सभयता का तल चातहए रहत सससकाररत िीवन

चातहए िहा तम अपन भावावशो को सगमता स परगट न कर सको िहा तमह झठ भाव परगट करन पड़ िहा

रोन की हालत हो वहा मसकराना पड़ और िहा गदान तमटा दन की तोड़ दन की इचिा हो रही थी वहा

धनयवाद दना पड़ तो तमहार भीतर य दर हए भाव धीर-धीर घाव रन िाएग

फरायड का कहना तरलकल सच ह कक दमन ितरनाक ह लककन रदध महावीर और पतितल तिसको

दमन कहत ह वह ितरनाक नही ह व ककसी और ही रात को दमन कहत ह व कहत ह दमन रपातरण को

तनिध को तवधयक म रदल दन को व दमन कहत ह और उसी मन को व कहत ह सि उपलबध होगा

14

दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

वह लकषण ह तिसको फरायड दमन कहता ह वह तचतत तो रड़ा दिदायी हो िाता ह वह तो रड़ ही दि

स भर िाता ह

दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

तो धयान रिना फरायड क अथो म दमन स रचना और रदध क अथो म दमन को करना करोध उठ तो

तमहार भीतर एक ऊिाा उठी ह उसका कि उपयोग करो अनयथा वह घातक हो िाएगी अगर तम दसर क

ऊपर करोध को फकोग तो दसर को नकसान होगा और करोध और करोध लाता ह वर स वर तमटता नही उसका

कोई अत नही ह वह तसलतसला अतहीन ह अगर तम करोध को भीतर दराओग तो तमहार भीतर घाव हो

िाएगा वह घाव भी ितरनाक ह वह तमह रगण कर दगा तमहार िीवन की िशी िो िाएगी

तो न तो दसर पर करोध फको न अपन भीतर करोध को दराओ करोध को रपातररत करो घणा उठ करोध

उठ ईषयाा उठ इन शतियो का सदपयोग करो मागा क पतथर भी रतदधमान वयति मागा की सीकढ़या रना लत

ह और तर तम रड़ सि को उपलबध होओग दो कारण स एक तो करोध करक िो दि उतपि होता वह नही

होगा कयोकक तमन ककसी को गाली द दी इसस कि तसलतसला अत नही हो गया वह दसरा आदमी कफर

गाली दन की परतीकषा करगा अर उसक ऊपर करोध तघरा ह वह भी तो करोध करगा अगर तमन करोध को दरा

तलया तो तमहार भीतर क सरोत तविाि हो िात ह करोध िहर ह तमहार िीवन का सि धीर-धीर समापत हो

िाता ह तम कफर परसि नही हो सकत परसिता िो ही िाती ह तम हसोग भी तो झठ ओठो पर रहगी हसी

तमहार पराण तक उसका कपन न पहचगा तमहार हदय स न उठगी तमहारी आि कि और कहगी तमहार ओठ

कि और कहग तम धीर-धीर टकड़-टकड़ म टट िाओग

तो न तो दसर पर करोध करन स तम सिी हो सकत हो कयोकक कोई दसर को दिी करक कर सिी हो

पाया और न तम अपन भीतर करोध को दराकर सिी हो सकत हो कयोकक वह करोध उरलन क तलए तयार

होगा इकिा होगा और रोि-रोि तम करोध को इकिा करत चल िाओग भीतर भयकर उतपात हो िाएगा

ककसी भी कदन तमस पागलपन परगट हो सकता ह ककसी भी कदन तम तवतकषपत हो सकत हो एक सीमा तक तम

रठ रहोग अपन जवालामिी पर लककन तवसफोट ककसी न ककसी कदन होगा दोनो ही ितरनाक ह

रपातरण चातहए करोध की ऊिाा को तवधय म लगा दो कि न करत रन सक दौड़ आओ करोध उठा ह

नाच लो तम थोड़ा परयोग करक दिो िर करोध उठ तो नाचकर दिो िर करोध उठ तो एक गीत गाकर दिो

िर करोध उठ तो घमन तनकल िाओ िर करोध उठ तो ककसी काम म लग िाओ िाली मत रठो कयोकक िो

ऊिाा ह उसका उपयोग कर लो और तम पाओग कक िलदी ही तमह एक सतर तमल गया एक किी तमल गई--कक

िीवन क सभी तनिधातमक भाव उपयोग ककए िा सकत ह राह क पतथर सीकढ़या रन सकत ह

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

धयान रिना िो गलत ह उस िोड़न स पहल सही को पदा कर लना िररी ह नही तो गलत की िो

ऊिाा मि होगी वह कहा िाएगी

तम मर पास आत हो कक करोध हम िोड़ना ह लककन करोध म रहत ऊिाा सतितवषट ह तमन रहत सी

शति करोध म लगाई ह काफी इनवसट ककया ह करोध म अगर आि करोध एकदम रद हो िाएगा तो तमहारी

15

ऊिाा िो करोध स मि होगी उसका तम कया करोग वह तमहार ऊपर रोतझल हो िाएगी वह भार हो

िाएगी तमहारी िाती पर पतथर हो िाएगी

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

और तिस चीि स भी तग हो उस िोड़ना ही ह लककन एक रात धयान रिनी ह--

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

अगर य िमीन और आसमा िोड़न ह तो दसर िमीन और आसमा भीतर पदा कर ल कफर इनको िोड़

दना पदा करना पहल िररी ह गलत को िोड़न स जयादा अधर स लड़न की रिाय रोशनी को िला लना

िररी ह

गलत स मत लड़ो ठीक म िागो समयक को उठाओ ताकक तमहारी ऊिाा िो गलत स मि हो वह

समयक की धारा म परवातहत हो िाए अनयथा उसकी राढ़ तमह डरा दगी उसकी राढ़ क तलए तम पहल स

नहर रना लो ताकक उनको तम अपन िीवन क ितो तक पहचा सको ताकक तमहार दर रीि अकररत हो सक

ताकक तम िीवन की फसल काट सको

दरगामी अकला तवचरन वाला अशरीरी सकषम और गढ़ाशयी इस तचतत को िो सयम करत ह व ही

मार क रधन स मि होत ह

रधन स मि होन की उतनी चषटा मत करना तितना सयम सयम शबद भी समझन िसा ह इसका अथा

कटरोल नही होता तनयतरण नही होता सयम का अथा होता ह सतलन

यह शबद तवकत हो गया ह गलत लोगो न रहत कदन तक इसकी गलत वयाखया की ह तम िो आदमी

तनयतरण करता ह उसको सयमी कहत हो म उस सयमी कहता ह िो सतलन करता ह इन दोनो म रड़ा फका

ह तनयतरण करन वाला दमन करता ह फरायड क अथो म सतलन करन वाला दमन करता ह रदध क अथो म

सतलन करन वाल को तनयतरण नही करना पड़ता तनयतरण तो उसी को करना पड़ता ह तिसक िीवन म

सतलन नही ह तिसक िीवन म डर ह कक अगर उसन सतलन न रिा तनयतरण न रिा तो चीि हाथ क

राहर हो िाएगी िो डरा-डरा िीता ह

तमहार साध-सनयासी ऐस ही िी रह ह--डर-डर कप-कप पर वि घरड़ाए हए कक कही कोई भल न हो

िाए यह तो भल स रहत जयादा सरध हो गया यह तो भल स रड़ा भय हो गया कही भल न हो िाए

िीवन की कदशा ठीक करन की तरफ होनी चातहए भल स रचन की तरफ नही धयान रिना िो

आदमी भल स ही रच रहा ह वह कही भी न पहच पाएगा कयोकक यह िो भल स रहत डर गया ह वह चल

ही न सकगा उस डर ही लगा रहगा कही भल न हो िाए कही ऐसा न हो कक परम म ईषयाा पदा हो िाए तो

वह परम ही न करगा कयोकक ईषयाा का भय ह ककसी स सरध न रनाएगा कक कही सरध म कही शतरता न आ

िाए शतरता का भय ह तो तमतरता स वतचत रह िाएगा और अगर तम शतर न भी रनाए और तमतर भी न

रना सक तो तमहारा िीवन एक रतगसतान होगा तम ईषयाा स रच गए लककन साथ ही साथ परम भी न कर

पाए तो तमहारा िीवन एक सिा रसहीन मरसथल होगा तिसम कोई मरदयान भी न होगा तिसम िाया की

कोई िगह न होगी

ईषयाा स रचना ह परम स नही रच िाना ह इसतलए धयान परम पर रिना ईषयाा स मत डर रहना भल

स मत डरना दतनया म एक ही भल ह और वह भल स डरना ह कयोकक वसा आदमी कफर चल ही नही पाता

उठ ही नही पाता वह घरड़ाकर रठ िाता ह तो तनयतरण तो कर लता ह लककन िीवन क सतय को उपलबध

16

नही हो पाता मदाा हो िाता ह महािीवन को उपलबध नही होता ससार स तम भाग सकत हो लककन वह

भागना अगर तनयतरण का ह तो तम सासाररक स भी नीच उतर िाओग तमहार िीवन म मरघट की शातत

होगी तशवालय की नही तमहार िीवन म ररिता का शनय होगा धयान का नही

और िालीपन म और धयान म रड़ा फका ह मन की अनपतसथतत म एरसनस ऑफ माइड म और मन क

अनपतसथत हो िान म रड़ा फका ह

तो अगर तम पीि तसकड़ गए डर गए तो यह हो सकता ह कक तमहार िीवन म गलततया न हो लककन

ठीक होना भी रद हो िाएगा यह रड़ा महगा सौदा हआ गलततयो क पीि ठीक को गवा कदया यह तो ऐसा

हआ िस सोन म कही कड़ा-कका ट न हो इस डर स सोन को भी फक कदया कड़ा-कका ट फकना िररी ह सोन

को शदध करना िररी ह लककन कड़-कका ट का भय रहत न समा िाए

सयम का अथा ह िीवन सततलत हो सतलन का अथा ह िीवन रोधपवाक हो अपरमाद का हो तम एक-

एक कदम होशपवाक उठाओ तगरन का डर मत रिो तगरना भी पड़ तो घरड़ान की रात नही ह समहलन की

कषमता पदा करो तगर पड़ो तो उठन की कषमता पदा करो भल हो िाए तो ठीक करन का रोध पदा करो

लककन चलन स मत डर िाना ककनार उतरकर रठ मत िाना कक रासत पर काट भी ह भल भी ह लटर भी ह-

-लट तलए िाएग भटक िाएग इसस तो चलना ही ठीक नही

भारत म यही हआ रहत स लोग रासत क ककनार उतरकर रठ गए भारत मर गया धारमाक नही हआ

तसफा मदाा हो गया इसस तो पतिम क लोग रहतर ह भल उनहोन रहत की--भलो स भी कया डरना लककन

जिदा ह और जिदा ह तो कभी ठीक भी कर सकत ह मदाा हो िाना धारमाक हो िाना नही ह धारमाक हो

िाना सोन स कचर को िला डालना ह लककन कचर क साथ कचर क डर स सोन को फक दना नही

तो पतिम क धारमाक होन की सभावना ह लककन परर तरलकल ही िड़ हो गया ह सतय क साथ भी

हमन सौभागय नही उपलबध ककया सतय हम रहत रार उपलबध हआ रहत रदधो स हम उपलबध हआ लककन

हमन सतय क िो अथा तनकाल उनहोन हम सकतचत कर कदया उनहोन हम दायर रना कदए--मि नही ककया

असीमा नही दी असीम की हमन रात की उपतनिदो स लकर आि तक लककन हर चीि न सीमा द दी

सयम को तनयतरण मत समझना सयम को होश समझना

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता ह और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

अर मझ चन तमल गई तो सरको चन तमल गई

तमहारा ससार तमहारा ही परकषपण ह अगर तम रचन हो तो सारा ससार तमह चारो तरफ रचन मालम

पड़ता ह अगर तमन शरार पी ली ह और तमहार पर डगमगात ह तो तमह रासत क ककनार िड़ मकान भी

डगमगात कदिाई पड़त ह रासत पर िो भी तमह कदिाई पड़ता ह वह डगमगाता कदिाई पड़ता ह तिसका

तचतत अतसथर ह वह तिस ससार म िीएगा वह कषणभगर होगा चचल होगा ससार चचल नही ह तमहार मन

क डावाडोल होन क कारण सर डावाडोल कदिाई पड़ता ह

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

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तम ठहर कक सर ठहर गया तम रक कक सर रक गया तम चल कक सर चल पड़ता ह तमहारा ससार

तमहारा ही फलाव ह तम ही हो तमहार ससार तिसका तचतत अतसथर ह उसका सर अतसथर होगा िर भीतर

की जयोतत ही डगमगा रही ह तो तमह सर डगमगाता कदिाई पड़गा

कभी तमन खयाल ककया घर म दीया िल रहा हो और उसकी जयोतत डगमगाती हो तो सर तरफ

िायाए डगमगाती ह दीवाल पर रनत हए जरर डगमगात ह सर चीि डगमगाती ह िाया ठहर िाएगी

अगर जयोतत ठहर िाए और िाया को ठहरान की कोतशश म मत लग िाना िाया को कोई नही ठहरा

सकता तम कपा करक जयोतत को ही ठहराना

लोग ससार स मि होन म लग िात ह कहत ह कषणभगर ह चचल ह आि ह कल नही रहगा यह

सर तमहार भीतर क कारण ह तमहारा मन डावाडोल ह इसतलए सारा ससार डावाडोल ह तम ठहर कक सर

ठहरा तम ठहर कक िमाना ठहर गया

िो सदधमा को नही िानता ह तिसकी शरदधा डावाडोल ह

अर यह रड़ मि की रात ह रदध कह रह ह िो सदधमा को नही िानता उसकी ही शरदधा डावाडोल ह

सार धमो न शरदधा को पहल रिा ह रदध न जञान को पहल रिा ह व कहत ह सदधमा को िानोग तो शरदधा

ठहरगी और धमो न कहा ह शरदधा करोग तो सदधमा को िानोग और धमो न कहा ह मानोग तो िानोग रदध

न कहा ह िानोग नही तो मानोग कस िानोग तो ही मानोग

रदध की रात इस सदी क तलए रहत काम की हो सकती ह यह सदी रड़ी सदह स भरी ह इसतलए शरदधा

की तो रात ही करनी कफिल ह िो कर सकता ह उसस कहन की कोई िररत नही िो नही कर सकत उनस

कहना रार-रार कक शरदधा करो वयथा ह व नही कर सकत व कया कर तम शरदधा की रात करो तो उस पर भी

उनह शक आता ह शक आ गया तो आ गया हटान का उपाय नही और शक आ चका ह यह सदी सदह की

सदी ह

इसतलए रदध का नाम इस सदी म तितना मलयवान मालम होता ह ककसी का भी नही उसका कारण

यही ह िीसस या कषण रहत दर मालम पड़त ह कयोकक शरदधा स शरआत ह शरदधा ही नही िमती तो

शरआत ही नही होती पहला कदम ही नही उठता रदध कहत ह शरदधा की कफकर िोड़ो िान लो सदधमा को

तथय को और िानन का उपाय ह--तथर हो िाओ रदध न यह कहा ह कक धयान क तलए शरदधा आवकयक नही ह

धयान तो वजञातनक परककरया ह इसतलए तम ईशवर को मानत हो नही मानत हो कि परयोिन नही रदध कहत

ह तम धयान कर सकत हो

धयान तम करोग तम भीतर तथर होन लगोग उस तथरता क तलए ककसी ईशवर का आकाश म होना

आवकयक ही नही ह ईशवर न ससार रनाया या नही रनाया इसस उस धयान क तथर होन का कोई लना-दना

नही ह धयान का तथर होना तो वस ही ह िस आकसीिन और हाइडरोिन को तमलाओ और पानी रन िाए तो

कोई वजञातनक यह नही कहता कक पहल ईशवर को मानो तर पानी रनगा धयान तो एक वजञातनक परयोग ह तम

भीतर तथर होन की कला को सीि िाओ सदधमा स पररचय होगा पररचय स शरदधा होगी

इसतलए रदध तितन करीर ह इस सदी क और कोई भी नही ह कयोकक यह सदी सदह की ह और रदध न

शरदधा पर िोर नही कदया रोध पर िोर कदया ह

िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह होगी ही उसकी परजञा पररपणा नही हो

सकती

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रदध शत नही द रह ह रदध कवल तथय द रह ह रदध कहत ह य तथय ह सदधमा का रोध हो शरदधा

होगी शरदधा हो पररपणाता होगी परजञा पररपणा होगी ऐसा न हो तो परजञा पररपणा न होगी और िर तक परजञा

पररपणा न हो िर तक तमहारा िानना पररपणा न हो तमहारा िीवन पररपणा नही हो सकता

िानन म ही तिप ह सार सरोत कयोकक मलताः तम जञान हो जञान की शति हो मलताः तम रोध हो

इसी स तो हमन रदध को रदध कहा रोध क कारण नाम तो उनका गौतम तसदधाथा था लककन िर व परम परजञा

को और रोध को उपलबध हए तो हमन उनह रदध कहा तमहार भीतर भी रोध उतना ही तिपा ह तितना उनक

भीतर था वह िग िाए तो तमहार भीतर भी रदधतव का आतवभााव होगा और िर तक यह न हो तर तक चन

मत लना तर तक सर चन झठी ह सातवना मत कर लना तर तक सातवना सतोि नही ह तर तक तम मागा

म ही रक गए मतिल क पहल ही ककसी पड़ाव को मतिल समझ तलया

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

और परजञा पररपणा न हो तो तम अपरण रहोग और तम अपणा रहो तो अशातत रहगी और तम अशात

रहो तो दो ही उपाय ह एक कक तम शातत को िोिन तनकलो और दो कक तम अशातत को समझो

अशातत को समझना रदध का उपाय ह तिसन अशातत को समझ तलया वह शात हो िाता ह और िो

शातत की तलाश म तनकल गया वह और नई-नई अशाततया मोल ल लता ह

िीवन को िीन क दो ढग ह एक मातलक का और एक गलाम का गलाम का ढग भी कोई ढग ह िीना

हो तो मातलक होकर ही िीना अनयथा इस िीवन स मर िाना रहतर ह कम स कम मर िाना सच तो होगा

यह िीवन तो तरलकल झठा ह सपना ह गलाम क ढग स तमन िीकर दि तलया कि पाया नही यदयतप पान

ही पान की तलाश रही अर मातलक क ढग स िीना दि लो रस शासतर रदलना होगा सतर रदलना होगा

इतना ही फका करना होगा अर तक कल क तलए िीत थ अर आि ही िीयो अर तक कि होन क तलए िीत

थ अर िो हो वस ही िीयो अर तक मचिाा म िीत थ अर िागकर िीयो होश स िीयो

और धयान रिना परतयक कदम होश का रदधतव को करीर लाता ह परतयक कदम होश का तमहार भीतर

रदधतव क झरनो को सककरय करता ह मघ ककसी भी कषण ररस सकता ह तम िरा सयोिन रदलो और सर

तमहार पास ह कि िोड़ना नही ह और कि तमहार पास ऐसा नही ह तिस हटाना ह वीणा क तार ढील ह

टट ह िोड़ना ह वयवतसथत कर दना ह अगतलया भी तमहार पास ह वीणा भी तमहार पास ह तसफा अगतलयो

का वीणा पर वीणा क तारो पर िलन का सयोिन करना ह ककसी भी कषण सयम रठ िाएगा सगीत उतपि

हो सकता ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

रारहवा परवचन

उठो तलाश लातिम ह

पहला परशनाः िीवन तवरोधाभासी ह असगततयो स भरा ह तो कफर तका रतदध वयवसथा और अनशासन

का मागा रदध न कयो रताया

परशन िीवन का नही ह परशन तमहार मन का ह िीवन को मोकष की तरफ नही िाना ह िीवन तो मोकष

ह िीवन नही भटका ह िीवन नही भला ह िीवन तो वही ह िहा होना चातहए तम भटक हो तम भल हो

तमहारा मन तका की उलझन म ह और यातरा तमहार मन स शर होगी कहा िाना ह यह सवाल नही ह कहा

स शर करना ह यही सवाल ह

मतिल की रात रदध न नही की मतिल की रात तम समझ भी कस पाओग उसका तो सवाद ही समझा

सकगा उसम तो डरोग तो ही िान पाओग रदध न मारग की रात कही ह रदध न तम िहा िड़ हो तमहारा

पहला कदम िहा पड़गा उसकी रात कही ह इसतलए रदध रतदध तवचार अनशासन वयवसथा की रात करत

नही कक उनह पता नही ह कक िीवन कोई वयवसथा नही मानता िीवन कोई रल की पटररयो पर दौड़ती

हई गाड़ी नही ह िीवन परम सवततरता ह िीवन क ऊपर कोई तनयम नही ह कोई मयाादा नही ह िीवन

अमयााद ह वहा न कि शभ ह न अशभ िीवन म सवासवीकार ह वहा अधरा भी और उिला भी एक साथ

सवीकार ह

मनषय क मन का सवाल ह मनषय का मन तवरोधाभासी रात को समझ ही नही पाता और तिसको तम

समझ न पाओग उस तम िीवन म कस उतारोग तिस तम समझ न पाओग उसस तम दर ही रह िाओग

तो रदध न वही कहा िो तम समझ सकत हो रदध न सतय नही कहा रदध न वही कहा िो तम समझ

सकत हो कफर िस-िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस रदध तमस वह भी कहग िो तम नही समझ सकत

रदध एक कदन गिरत ह एक राह स िगल की पतझड़ क कदन ह सारा वन सि पततो स भरा ह और

आनद न रदध स पिा ह कक कया आपन हम सर रात रता दी िो आप िानत ह कया आपन अपना परा सतय

हमार सामन सपषट ककया ह रदध न सि पततो स अपनी मिी भर ली और कहा आनद मन तमस उतना ही

कहा ह तितन सि पतत मरी मिी म ह और उतना अनकहा िोड़ कदया ह तितन सि पतत इस वन म ह वही

कहा ह िो तम समझ सको कफर िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस वह भी कहा िा सकगा िो पहल समझा

नही िा सकता था

रदध कदम-कदम रढ़ आतहसता-आतहसता तमहारी सामथया दिकर रढ़ ह रदध न तमहारी रद को सागर

म डालना चाहा ह

ऐस भी फकीर हए ह तिनहोन सागर को रद म डाल कदया ह पर वह काम रदध न नही ककया उनहोन

रद को सागर म डाला ह सागर को रद म डालन स रद रहत घरड़ा िाती ह उसक तलए रहत रड़ा कदल

चातहए उसक तलए रड़ी तहममत चातहए उसक तलए दससाहस चातहए उसक तलए मरन की तयारी चातहए

20

रदध न तमह रफता-रफता रािी ककया ह एक-एक कदम तमह करीर लाए ह इसतलए रदध क तवचार म एक

अनशासन ह

ऐसा अनशासन तम करीर म न पाओग करीर उलटरासी रोलत ह करीर तमहारी कफकर नही करत

करीर वहा स रोलत ह िहा व सवय ह िहा मघ तघर ह अदकय क और अमत की विाा हो रही ह िहा तरन

घन परत फहार--िहा मघ भी नही ह और िहा अमत की विाा हो रही ह ररझ रोलत ह

तो करीर को तो व रहत थोड़ स लोग समझ पाएग िो उनक साथ ितरा लन को रािी ह करीर न

कहा ह िो घर रार आपना चल हमार सग तिसकी तयारी हो घर म आग लगा दन की वह हमार साथ हो

ल ककस घर की रात कर रह ह वह तमहारा मन का घर तमहारी रतदध की वयवसथा तमहारा तका तमहारी

समझ िो उस घर को िलान को तयार हो करीर कहत ह वह हमार साथ हो ल

रदध कहत ह घर को िलान की भी िररत नही ह एक-एक कदम सही इच-इच सही धीर-धीर सही

रदध तमह फसलात ह इसतलए रदध वही स शर करत ह िहा तम हो उनहोन उतना ही कहा ह िो कोई भी

तका तनषठ वयति समझन म समथा हो िाएगा इसतलए रदध का इतना परभाव पड़ा सार िगत पर रदध िसा

परभाव ककसी का भी नही पड़ा

अगर दतनया म मसलमान ह तो मोहममद क परभाव की विह स कम मसलमानो की िरदासती की विह

स जयादा अगर दतनया म ईसाई ह तो ईसा क परभाव स कम ईसाइयो की वयापारी-कशलता क कारण जयादा

लककन अगर दतनया म रौदध ह तो तसफा रदध क कारण न तो कोई िरदासती की गई ह ककसी को रदलन की न

कोई परलोभन कदया गया ह लककन रदध की रात मौि पड़ी तिसक पास भी थोड़ी समझ थी उसको भी रदध म

रस आया

थोड़ा सोचो रदध ईशवर की रात नही करत कयोकक िो भी सोच-तवचार करता ह उस ईशवर की रात म

सदह पदा होता ह रदध न वह रात ही नही की िोड़ो उसको अतनवाया न माना रदध आतमा तक की रात नही

करत कयोकक िो रहत सोच-तवचार करता ह वह कहता ह यह म मान नही सकता कक शरीर क राद रचगा

कौन रचगा यह सर शरीर का ही िल ह आि ह कल समापत हो िाएगा ककसी न कभी मरकर लौटकर कहा

कक म रचा ह कभी ककसी न िरर की य सर यही की रात ह मन को रहलान क खयाल ह

रदध न आतमा की भी रात नही कही रदध न कहा यह भी िान दो कयोकक य रात ऐसी ह कक परमाण

दन का तो कोई उपाय नही तम िर िानोग तभी िानोग उसक पहल िनान की कोई सतवधा नही और

अगर तम तका तनषठ हो रहत तवचारशील हो तो तम मानन को रािी न होओग और रदध कहत ह कोई ऐसी

रात तमस कहना तिस तम इनकार करो तमहार मागा पर राधा रन िाएगी वह इनकार ही तमहार तलए रोक

लगा रदध कहत ह यह भी िान दो

रदध कहत ह कक हम इतना ही कहत ह कक िीवन म दि ह इस तो इनकार न करोग इस तो इनकार

करना मतककल ह तिसन थोड़ा भी सोचा-तवचारा ह वह तो कभी इनकार नही कर सकता इस तो वही

इनकार कर सकता ह तिसन सोचा-तवचारा ही न हो लककन तिसन सोचा-तवचारा ही न हो वह भी कस

इनकार करगा कयोकक इनकार क तलए सोचना-तवचारना िररी ह तिसक मन म िरा सी भी परततभा ह

थोड़ी सी भी ककरण ह तिसन िीवन क सरध म िरा सा भी जचतन-मनन ककया ह वह भी दि लगा अधा भी

दि लगा िड़ स िड़ रतदध को भी यह रात समझ म आ िाएगी िीवन म दि ह आसओ क तसवाय पाया भी

21

कया इस रदध को तसदध न करना पड़गा तमहारा िीवन ही तसदध कर रहा ह तमहारी कथा ही रता रही ह

तमहारी भीगी आि कह रही ह तमहार कपत पर कह रह ह

तो रदध न कहा िीवन म दि ह यह कोई आधयाततमक सतय नही ह यह तो िीवन का तथय ह इस

कौन कर इनकार कर पाया और रदध न कहा दि ह तो अकारण तो कि भी नही होता दि क कारण होग

और रदध न कहा दि स तो मि होना चाहत हो कक नही होना चाहत ईशवर को नही पाना चाहत समझ म

आता ह कि तसरकफरो को िोड़कर कौन ईशवर को पाना चाहता ह कि पागलो को िोड़कर कौन आतमा की

कफकर कर रहा ह समझदार आदमी ऐस उपिवो म नही पड़त ऐसी झझट मोल नही लत जिदगी की झझट

काफी ह अर आतमा और परमातमा और मोकष इन उलझनो म कौन पड़

रदध न य रात ही नही कही तम इनकार कर सको ऐसी रात रदध न कही ही नही इसका उनहोन रड़ा

सयम रिा उन िसा सयमी रोलन वाला नही हआ ह उनहोन एक शबद न कहा तिसम तम कह सको नही

उनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा न दी

इस थोड़ा समझना लोगो न रदध को नातसतक कहा ह और म तमस कहता ह कक रदध अकल आदमी ह

पथवी पर तिनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा नही दी तिनहोन तमस कहा ईशवर ह उनहोन तमह इनकार

करन को मिरर करवा कदया कहा ह ईशवर तिनहोन तमस कहा आतमा ह उनहोन तमहार भीतर सदह पदा

ककया रदध न वही कहा तिस पर तम सदह न कर सकोग रदध न आतसतकता दी हा ही कहन की सतवधा

िोड़ी न का उपाय न रिा

रदध रड़ कशल ह उनकी कशलता को िर समझोग तो चककत हो िाओग कक तिसको तमन नातसतक

समझा ह उसस रड़ा आतसतक पथवी पर दसरा नही हआ और तितन लोगो को परमातमा की तरफ रदध ल गए

कोई भी नही ल िा सका और परमातमा की रात भी न की हद की कशलता ह चचाा भी न चलाई चचाा

तमहारी की पहचाया परमातमा तक रात तमहारी उठाई समझा-समझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला

सलझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला दि काटा तमहारा िो शि रचा वही आनद ह रधन कदिाए

मोकष की रात न उठाई

कारागह म िो रद ह िनमो-िनमो स उसस मोकष की रात करक कयो कयो उस शरमदा करत हो और

िो कारागह म रहत कदनो तक रद रह गया ह उस मोकष का खयाल भी नही रहा उस अपन पि भी भल गए

ह आि तम उस अचानक आकाश म िोड़ भी दो तो उड़ भी न सकगा कयोकक उड़न क तलए पहल उड़न का

भरोसा चातहए तड़फड़ाकर तगर िाएगा

तमन कभी दिा तोत को रहत कदन तक रि लो जपिड़ म कफर ककसी कदन िला दवार पाकर भाग भी

िाए तो उड़ नही पाता पि वही ह उड़न का भरोसा िो गया तहममत िो गई यह याद ही न रही कक हम

भी कभी आकाश म उड़त थ कक हमन भी कभी पि फलाए थ और हमन भी कभी दर की यातरा की थी वह

रात सपना हो गयी आि पकका नही रहा ऐसा हआ था कक तसफा सपन म दिा ह वह रात अफवाह िसी हो

गयी और इतन कदन तक कारागह म रहन क राद कारागह की आदत हो िाती ह तो तोता तो थोड़ ही कदन

रहा ह तम तो िनमो-िनमो रह हो

रदध न कहा तमस मोकष की रात करक तमह शरमदा कर तमस मोकष की रात करक तमह इनकार करन

को मिरर कर

22

कयोकक धयान रिना िो वयति रहत कदन कारागह म रह गया ह वह यह कहना शर कर दता ह कक

कही कोई मति ह ही नही यह उसकी आतमरकषा ह वह यह कह रहा ह कक अगर मोकष ह तो कफर म यहा कया

कर रहा ह म नपसक यहा कयो पड़ा ह अगर मोकष ह तो म मि कयो नही हआ ह कफर सारी तिममवारी

अपन पर आ िाती ह

लोग ईशवर को इसतलए थोड़ ही इनकार करत ह कक ईशवर नही ह या कक उनह पता ह कक ईशवर नही ह

ईशवर को इनकार करत ह कयोकक अगर ईशवर ह तो हम कया कर रह ह तो हमारा सारा िीवन वयथा ह लोग

मोकष को इसतलए इनकार करत ह कक अगर मोकष ह तो हम तो कवल अपन रधनो का ही इतिाम ककए चल िा

रह ह तो हम मढ़ ह अगर मोकष ह तो तिनको तम सासाररक रप स समझदार कहत हो उनस जयादा मढ़ कोई

भी नही

तो आदमी को अपनी रकषा तो करनी पड़ती ह सरस अचिी रकषा का उपाय ह कक तम कह दो कहा ह

आकाश कहा ह मोकष हम भी उड़ना िानत ह मगर आकाश ही नही ह हम भी परमातमा को पा लत--कोई

रदधो न ही पाया ऐसा नही--हम कि कमिोर नही ह हमम भी रल ह हमन भी पा तलया होता लककन हो

तभी न ह ही नही ऐसा कहकर तम अपनी आतमरकषा कर लत हो तर तम अपन कारागह को घर समझ लत

हो

तिस कारागह म रहत कदन रह हो उस कारागह कहन की तहममत भी िटानी मतककल हो िाती ह

कयोकक कफर उसम रहोग कस अगर ईशवर ह तो ससार म रचनी हो िाएगी िड़ी अगर मोकष ह तो तमहारा

घर तमह काटन लगगा कारागह हो िाएगा तमहार राग आसति क सरध िहर मालम होन लगग उतचत

यही ह कक तम कह दो कक नही न कोई मोकष ह न कोई परमातमा ह यह सर िालसािो की रकवास ह कि

तसरकफरो की रातचीत ह या कि चालरािो की अटकलरातिया ह इस तरह तम अपनी रकषा कर लत हो

रदध न तमह यह मौका न कदया रदध न ककसी को नातसतक होन का मौका न कदया रदध क पास नातसतक

आए और आतसतक हो गए कयोकक रदध न कहा दिी हो इसको कौन इनकार करगा इस तम कस इनकार

करोग यह तमहार िीवन का सतय ह और कया तम कही ऐसा आदमी पा सकत हो िो दि स मि न होना

चाहता हो मोकष न चाहता हो लककन दि स मि तो सभी कोई होना चाहत ह पीड़ा ह रदध न कहा काटा

तिदा ह रदध न कहा म तचककतसक ह म कोई दाशातनक नही लाओ म तमहारा काटा तनकाल द कस इनकार

करोग इस आदमी को यह तशकषक की घोिणा ही नही कर रहा ह कक म तशकषक ह या गर ह यह तो इतना ही

कह रहा ह तसफा एक तचककतसक ह

और इस आदमी को दिकर लोगो को भरोसा आया कयोकक इस आदमी क िीवन म दि का कोई काटा

नही ह इस आदमी क िीवन म ऐसी परमशातत ह ऐसी तवशरातत ह--सर लहर िो गई ह पीड़ा की एक अपवा

उतसव तनत-नतन परततपल नया अभी-अभी तािा और िनमा इस आदमी क पास अनभव होता ह इस आदमी

क पास एक हवा ह तिस हवा म आकर यह दो रात कर रहा हाः अपनी हवा स िरर द रहा ह कक आनद सभव

ह और तमहार दि की तरफ इशारा कर रहा ह कक तम दिी हो दि क कारण ह दि क कारण को तमटान का

उपाय ह

तो रदध का सारा जचतन दि पर िड़ा ह दि ह दि क कारण ह दि क कारण को तमटान क साधन ह

और दि स मि होन की सभावना ह इस सभावना क व सवय परतीक ह तिस सवासथय को व तमहार भीतर

लाना चाहत ह उस सवासथय को व तमहार सामन मौिद िड़ा ककए ह तम रदध स यह न कह सकोग कक

23

तचककतसक पहल अपनी तचककतसा कर रदध को दित ही यह तो सवाल ही न उठगा और तम रदध स यह भी

न कह सकोग कक म दिी नही ह ककस मह स कहोग और कहकर तम कया पाओग तसफा गवाओग

इसतलए रदध न तमह दिकर वयवसथा दी और रदध यह िानत ह कक तिस कदन तमहारा दि न होगा

तिस कदन तमहारी पीड़ा तगर िाएगी तमहारी आि क अधकार का पदाा कटगा तम िागोग उस कदन तम दि

लोग--मोकष ह िो कदिाया िा सकता हो और िो कदिान क अततररि और ककसी तरह समझाया न िा सकता

हो उस कदिाना ही चातहए उसकी रात करनी ितरनाक ह कयोकक अकसर लोग रातो म िो िात ह

ककतन लोग रात क ही धारमाक ह रातचीत ही करत रहत ह ईशवर चचाा का एक तविय ह अनभव का

एक आयाम नही िीवन को रदलन की एक आग नही तसदधातो की राि ह शासतरो म लोग उलझ रहत ह राल

की िाल तनकालत रहत ह उसस भी अहकार को रड़ा रस आता ह रदध न शासतरो को इनकार कर कदया रदध न

कहा यह पीि तम िोि कर लना अभी तो उठो अभी तो अपन िीवन क दि को काट लो रदध न यह कहा

हफीि क शबदो म--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

उठो मकदरो वालो िो तम रठ गए हो मकदरो और मतसिदो म सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

थोड़ा दि को तमटान की कोतशश कर लो अगर न तमटा तो यह दि तो ह ही कफर लौट पड़ग थोड़ा

कारागह क राहर आओ घरड़ाओ मत अगर िला आकाश न तमला इधर ही लौट पड़ग

रदध न तिजञासा दी आसथा नही रदध न इकवायरी दी अनविण कदया आसथा नही रदध न इतना ही

कहा ऐस मत रठ रहो ऐस रठ तो कि न होगा रठ-रठ तो कि न होगा िोि लातिम ह तम दिी हो

कयोकक तमन िीवन की सारी सभावनाए नही िोिी तम दिी हो कयोकक तमन िनम क साथ ही समझ तलया

कक िीवन तमल गया िनम क साथ तो कवल सभावना तमलती ह िीवन की िीवन नही तमलता िनम क राद

िीवन िोिना पड़ता ह िो िोिता ह उस तमलता ह और िनम क राद िो रठा-रठा सोचता ह कक तमल गया

िीवन यही िीवन ह पदा हो गए यही िीवन ह वह चक िाता ह

तो रदध न यह नही कहा कक म तमस कहता ह कक यह मोकष यह सवातषय यह आकाश यह परमातमा

तमल ही िाएगा यह म तमस नही कहता म इतना ही कहता ह--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

िोि िररी ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

और घरड़ाहट कया ह यह घर तो कफर भी रहगा तमहार मन की धारणाओ म कफर लौट आना अगर

तनधाारणा का कोई आकाश न तमल लौट आना तवचारो म अगर धयान की कोई झलक न तमल अगर शात होन

की कोई सतवधा-सराग न तमल कफर अशात हो िाना कौन सी अड़चन ह अशात होकर रहत कदन दि तलया

ह अशातत स कोई शातत तो तमली नही रदध कहत ह म भी तमह एक झरोि की िरर दता ह थोड़ा इधर भी

झाक लो--तलाश लातिम ह

रदध न िोि दी शरदधा नही इस थोड़ा समझो रदध न तमह तमहार िीवन पर सदह कदया परमातमा क

िीवन पर शरदधा नही य दोनो एक ही रात ह अपन पर सदह हो िाए तो परमातमा पर शरदधा आ ही िाती ह

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परमातमा पर शरदधा आ िाए तो अपन पर सदह हो ही िाता ह तमह अगर अपन अहकार पर रहत भरोसा ह

तो परमातमा पर शरदधा न होगी तम अगर अपन को रहत समझदार समझ रठ हो तो कफर तमह ककसी मोकष

ककसी आतमा म भरोसा नही आ सकता तमन कफर अपन जञान को आतिरी सीमा समझ ली कफर तवसतार की

िगह और सतवधा न रही और जयादा िानन को तम मान ही नही सकत कयोकक तम यह नही मान सकत कक

ऐसा भी कि ह िो तम नही िानत हो तिसन अपन पर ऐसा अधा भरोसा कर तलया वही तो परमातमा पर

भरोसा नही कर पाता तिसन इस तथाकतथत िीवन को िीवन समझ तलया वही तो महािीवन की तरफ

िान म असमथा हो िाता ह पग हो िाता ह

तो दो उपाय ह रदध को िोड़कर राकी रदधपरिो न परमातमा की तरफ शरदधा िगाई रदध न तमहार

िीवन क परतत सदह िगाया रात वही ह ककसी न कहा तगलास आधा भरा ह ककसी न कहा तगलास आधा

िाली ह

रदध न कहा तगलास आधा िाली ह कयोकक तम िाली हो भर को तम अभी समझ न पाओग और

आधा तगलास िाली ह यह समझ म आ िाए तो िलदी ही तम आधा भरा तगलास ह उसक करीर पहचन

लगोग तमस यह कहना कक आधा तगलास भरा ह गलत होगा कयोकक तम िाली म िी रह हो नकार का

तमह पता ह ररिता का तमह पता ह पणाता का तमह कोई पता नही इसतलए रदध न शनय को अपना शासतर

रना तलया

रदध न तमह दिा तमहारी रीमारी को दिा तमहारी नबि पर तनदान ककया इसतलए रदध स जयादा

परभावी कोई भी नही हो सकता कयोकक मनषय क मन म रदध को समझन म कोई अड़चन न आई

रदध रहत सीध-साफ ह ऐसा नही कक जिदगी म िरटलता नही ह जिदगी रड़ी िरटल ह लककन रदध

रड़ सीध-साफ ह ऐसा समझो कक अगर तम करीर स पिो या महावीर स पिो या कषण स पिो तो व रात

वहा की करत ह--इतन दर की कक तमहारी आिो म पास ही नही कदिाई पड़ता उतना दर तमह कस कदिाई

पड़गा तो एक ही उपाय ह या तो तम इनकार कर दो िो कक जयादा ईमानदार ह इसतलए नातसतक जयादा

ईमानदार होत ह रिाय आतसतको क और या तमह कदिाई नही पड़ता लककन तम सवीकार कर लो कयोकक

िर महावीर को कदिाई पड़ता ह तो होगा ही तो तम भी हा म हा भरन लगो और तम कहो कक हा मझ भी

कदिाई पड़ रहा ह

इसतलए तिनको तम आतसतक कहत हो व रईमान होत ह नातसतक कम स कम सचाई तो सवीकार

करता ह कक मझ नही कदिाई पड़ रहा ह हालाकक वह कहता गलत ढग स ह वह कहता ह ईशवर नही ह उस

कहना चातहए मझ कदिाई नही पड़ रहा कयोकक तमह कदिाई न पड़ता हो इसतलए िररी नही ह कक न हो

रहत सी चीि तमह कदिाई नही पड़ती ह और ह रहत सी चीि आि नही कदिाई पड़ती कल कदिाई पड़

िाएगी और रहत सी चीि कदिाई आि पड़ सकती ह लककन तमहारी आि रद ह

नातसतक क कहन म गलती हो सकती ह लककन ईमानदारी म चक नही ह नातसतक यही कहना चाहता

ह कक मझ कदिाई नही पड़ता लककन वह कहता ह नही ईशवर नही ह उसक कहन का ढग अलग ह रात वह

सही ही कहना चाहता ह आतसतक रड़ी झठी अवसथा म िीता ह आतसतक को कदिाई नही पड़ता वह यह भी

नही कहता कक मझ कदिाई नही पड़ता वह यह भी नही कहता कक ईशवर नही ह िो नही कदिाई पड़ता उस

सवीकार कर लता ह ककसी और क भरोस पर और तर यातरा रद हो िाती ह कयोकक िो तमन िाना नही

और मान तलया तम उस िोिोग कयो

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इसतलए रदध न कहा तलाश लातिम ह िोि िररी ह ईशवर ह या नही यह कफकर िोड़ो लककन ऐस

रठ-रठ िीवन का ढग दिपणा ह तनराशा स भरा ह मरचिात ह िागो और रदध न करोड़ो-करोड़ो लोगो को

परमातमा तक पहचा कदया

इसतलए म कहता ह इस सदी म रदध की भािा रड़ी समसामतयक ह कटपररी ह कयोकक यह सदी रड़ी

ईमानदार सदी ह इतनी ईमानदार सदी पहल कभी हई नही तमह यह सनकर थोड़ी परशानी होगी तम थोड़ा

चौकोग कयोकक तम कहोग यह सदी और ईमानदार सर तरह क रईमान कदिाई पड़ रह ह लककन म तमस

कफर कहता ह कक इस सदी स जयादा ईमानदार सदी कभी नही हई आदमी अर वही मानगा िो िानगा

अर तम यह न कह सकोग कक हमार कह स मान लो अर तम यह न कह सकोग कक हम रिगा ह और

हम रड़ अनभवी ह और हमन राल ऐस धप म नही पकाए ह हम कहत ह इसतलए मान लो अर तमहारी इस

तरह की रात कोई भी न मानगा अर तो लोग कहत ह नगद सवीकार करग उधार नही अर तो हम िानग

तभी सवीकार करग ठीक ह तमन िान तलया होगा लककन तमहारा िानना तमहारा ह हमारा नही हम

भटक ग अधर म भला लककन हम उस परकाश को न मानग िो हमन दिा नही

इसतलए म कहता ह यह सदी रड़ी ईमानदार ह ईमानदार होन क कारण नातसतक ह अधारमाक ह

परानी सकदया रईमान थी लोग उन मकदरो म झक तिनका उनह कोई अनभव न था उनका झकना

औपचाररक रहा होगा सर झक गया होगा हदय न झका होगा और असली सवाल वही ह कक हदय झक व

ईशवर को मानकर झक गए होग लककन तिस ईशवर को िाना नही ह उसक सामन झकोग कस कवायद हो

िाएगी शरीर झक िाएगा तम कस झकोग उनहोन उस झकन म स भी अकड़ तनकाल ली होगी व और

अहकारी होकर घर आ गए होग कक म रोि पिा करता ह पराथाना करता ह रोि माला फरता ह

माला फरन वालो को तम िानत ही हो उन िस अहकारी तम कही न पाओग उनका अहकार रड़ा

धारमाक अहकार ह उनक अहकार पर राम-नाम की चदररया ह उनका अहकार रड़ा पतवतर मालम होता ह

शदध नहाया हआ पर ह तो अहकार ही और िहर तितना शदध होता ह उतना ही ितरनाक हो िाता ह

नही इस सदी न साफ कर तलया ह कक अर हम वही मानग िो हम िानत ह यह सदी तवजञान की ह

तथय सवीकार ककए िात ह तसदधात नही और तथय भी अधी आिो स सवीकार नही ककए िात ह सर तरफ स

िोिरीन कर ली िाती ह िर अतसदध करन का कोई उपाय नही रह िाता तभी कोई चीि सवीकार की िाती

इसतलए ऐसा घटता ह--रटरड रसल िसा वयति िो नातसतक ह इसतलए िीसस को शरदधा नही द सकता

हालाकक ईसाई घर म पदा हआ ह सार ससकार ईसाई क ह लककन रटरड रसल न एक ककतार तलिी ह--वहाय

आई एम नाट ए ककरतियन--म ईसाई कयो नही ह ईसा पर रड़ शक उठाए ह

शक उठाए िा सकत ह कयोकक ईसा की वयवसथा म कोई तका नही ह ईसा कतव ह कहातनया कहन म

कशल ह तवरोधाभासी ह उनक शबद पहतलया ह हा िो िोि करगा वह उन पहतलयो क आतिरी राि को

िोल लगा लककन वह तो रड़ी िोि की रात ह और उस िोि म िीवन लग िात ह लककन िो पहली को

सीधा-सीधा दिगा वह इनकार कर दगा

रसल न िीसस को इनकार कर कदया लककन रसल न कहा कक म नातसतक ह मगर रदध को इनकार नही

कर सकता रदध को इनकार कस करोग यही तो म कह रहा ह रसल क मन म भी रदध क परतत वसी ही शरदधा

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ह िसी ककसी भि क मन म हो इनकार करन की िगह नही िोड़ी इस आदमी न इस आदमी न ऐसी रात

ही नही कही िो तका की कसौटी पर िरी न उतरती हो

रदध वजञातनक िषटा ह रदध को इस भातत समझोग तो तमहार तलए रड़ कारगर हो सकत ह हालाकक

धयान रिना िस-िस गहर उतरोग पानी म िस-िस रदध क फसलाव म आ िाओग वस-वस तम पाओग कक

तितना तका पहल कदिाई पड़ता था वह पीि नही ह मगर तर कौन जचता करता ह अपना ही अनभव शर हो

िाता ह कफर कौन परमाण मागता ह परमाण तो हम तभी मागत ह िर अपना अनभव नही होता िर अपना

ही अनभव हो िाता ह

म तमह तका दता ह और तका स इतना ही तमह रािी कर लता ह कक तम मरी तिड़की पर आकर िड़ हो

िाओ रस कफर तो तिड़की स िला आकाश तमही को कदिाई पड़ िाता ह कफर तम मझस नही पित कक

आप परमाण द आकाश क होन का अर परमाण दन का परशन ही नही उठता ह--न तम मागत हो न म दता ह

और तम मझ धनयवाद भी दोग कक भला ककया कक पहल मझ तका स समझाकर तिड़की तक ल आए

कयोकक अगर तका स न समझाया होता तो म तिड़की तक आन को भी रािी नही होता म एक कदम न चलता

अगर तमन पहल ही इस आकाश की रात की होती िो मर तलए अनिाना ह अपररतचत ह तो म तहला ही न

होता अपनी िगह स तमन भला ककया आकाश की रात न की तिड़की की रात की असीम की रात न की

सीमा की रात की तमन भला ककया आनद की रात न की दि-तनरोध की रात की तमन भला ककया धयान

की रात न की तवचार स मि होन की रात की तमन भला ककया शरदधा न मागी वह म द न सकता तमन मर

सदह का ही उपयोग कर तलया तमन काट स काटा तनकाल कदया भला ककया

इसतलए रदध क परतत कतजञता अनभव होगी यदयतप रदध न तमह धोिा कदया िीसस तमह इतना धोिा

नही द रह ह व रात वही कह रह ह िो ह िसा आतिर म तम पाओग िीसस न पहल ही कह कदया

रदध कि और कह रह ह तमह दिकर कह रह ह िसा नही ह वसा कह रह ह लककन तम अनगहीत

अनभव करोग कक कपा की करणा की कक इतना धोिा कदया अनयथा म तिड़की पर न आता

तम चककत होओग अगर म तमस कह झन फकीरो न कहा भी ह झन फकीर जलची न कहा ह रदध स

जयादा झठ रोलन वाला आदमी नही हआ जलची रोि पिा करता ह रदध की सरह स फल चढ़ाता ह आस

रहाता ह लककन कहता ह रदध स झठ रोलन वाला आदमी नही जलची न एक रार अपन तशषयो स कहा कक य

रदध क शासतरो को आग लगा दो य सर सरासर झठ ह ककसी न पिा लककन तम रोि आस रहात हो रोि

सरह फल चढ़ात हो और हमन तमह घटो रदध की परततमा क सामन भाव-तवभोर दिा ह इन दोनो को हम कस

िोड़ य दोनो रात रड़ी असगत ह जलची न कहा उनकी करणा क कारण व झठ रोल उनक झठ क कारण म

वहा तक पहचा िहा सच का दशान हआ रदध अगर सच ही रोलत तो म पहच न पाता

सभी जञानी रहत उपाय करत ह तमह पहचान क व सभी उपाय सही नही ह िस तम घर म रठ हो

तम कभी राहर नही गए मन राहर िाकर दिा कक रड़ फल तिल ह पतकषयो क अनठ गीतो का राजय ह

सरि तनकला ह िला मि असीम आकाश ह सर तरफ रोशनी ह और तम अधर म दर रठ हो और सदी म

रठठर रह हो लककन तम कभी राहर नही गए अर म तमह कस राहर ल िाऊ तमस कस कह तमह कस िरर

द राहर क सरि की कयोकक तमहारी भािा म सरि क तलए कोई पयाायवाची नही ह तमह कस रताऊ फलो

क रारत कयोकक तमहारी भािा म फलो क तलए कोई शबद नही ह रग तमन िान ही नही रगो का उतसव

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तम कस सनोग-समझोग तमन तसफा दीवाल दिी ह उस दीवाल को तमन अपनी जिदगी समझी ह तमस

कस कह कक ऐसा भी आकाश ह तिसकी कोई सीमा नही तम कहोग हो चकी रात लनतरानी ह

तमन कहानी सनी ह कक एक मढक सागर स आ गया था और एक कए म उतर गया था कए क मढक न

पिा तमतर कहा स आत हो उसन कहा सागर स आता ह कए क तमतर न पिा सागर ककतना रड़ा ह

कयोकक उस कए क मढक न कए स रड़ी कोई चीि कभी दिी न थी उसी म पदा हआ था उसी म रड़ा हआ

था कभी कए की दीवालो को पार करक राहर गया भी न था दीवाल रड़ी भी थी और पार इसस रड़ा कि

हो भी सकता ह इस मानन का कोई कारण भी न था कभी राहर स भी कोई मढक न आया था तिसन िरर

दी हो सागर क मढक न कहा रहत रड़ा ह लककन रहत स कही पता चलता ह कए क मढक को रहत रड़ का

कया मतलर कए का मढक आध कए म िलाग लगाई उसन और कहा इतना रड़ा आधा कआ इतना रड़ा

उसन कहा कक नही-नही रहत रड़ा ह तो उसन परी िलाग लगाई कहा इतना रड़ा लककन अर उस सदह

पदा होन लगा सागर क मढक न कहा भाई रहत रड़ा ह

उस भरोसा तो नही आया लककन कफर भी उसन एक और आतिरी कोतशश की उसन परा चककर कए

का दौड़कर लगाया कहा इतना रड़ा सागर क मढक न कहा म तमस कस कह रहत रड़ा ह इस कए स

उसका कोई पमाना नही उसका कोई नाप-िोि नही हो सकता तो कए क मढक न कहा झठ की भी एक

सीमा होती ह ककसी और को धोिा दना हम ऐस नासमझ नही ह तम ककसको मढ़ रनान चल हो अपनी

राह लो इस कए स रड़ी चीि न कभी सनी गई न दिी गई अपन मा-राप स अपन परिो स भी मन इसस

रड़ी चीि की कोई रात नही सनी व तो रड़ अनभवी थ म नया हो सकता ह हम दर-पीढ़ी इस कए म रह ह

अगर म तमस राहर की रात आकर कह तमहार अधकार-ककष म तम भरोसा न करोग इसीतलए तो

नातसतकता पदा होती ह िर भी कोई परमातमा म िाकर लौटता ह और तमह िरर दता ह और वह इतना

लड़िड़ा गया होता ह अनभव स--वह इतना अवाक और आियाचककत होकर लौटता ह कक उसकी भािा क पर

डगमगा िात ह अनभव इतना रड़ा और शबद इतन िोट शबदो म अनभव समाता नही वह रोलता ह और

रोलन की वयथाता कदिाई पड़ती ह वह तहचककचाता ह वह कहता भी ह और कहत डरता भी ह कक िो भी

कहगा गलत होगा और िो भी कहगा वह सतय क अनकल न होगा कयोकक भािा तमहारी अनभव राहर का

भािा दीवालो की अनभव असीम का

तो म कया कर तमहार कमर म आकर जलची ठीक कहता ह रदध झठ रोल रदध न चचाा नही की फलो

की रदध न चचाा नही की पतकषयो क गीत की रदध न चचाा नही की झरनो क कलकल नाद की रदध न सरि की

रोशनी की और ककरणो क तवराट िाल की कोई रात नही की नही कक उनको पता नही था उनस जयादा

ककसको पता था उनहोन रात कि और की उनहोन रात की तमहारी दीवालो की उनहोन रात की तमहार

अधकार की उनहोन रात की तमहारी पीड़ा की तमहार दि की उनहोन पहचाना कक तमह राहर ल िान का

कया उपाय हो सकता ह

राहर क दकय तमह आकरिात न कर सक ग कयोकक आकिाण तभी होता ह िर थोड़ा अनभव हो थोड़ा

भी सवाद लग िाए तमठास का तो कफर तम तमठाई क तलए आतर हो िात हो लककन नमक ही नमक िीवन

म िाना हो कड़वाहट ही कड़वाहट भोगी हो तमठास का सपना भी न आया हो कभी कयोकक सपना भी उसी

का आता ह तिसका िीवन म थोड़ा अनभव हो सपन भी िीवन का ही परततफलन होत ह

28

तो रदध न तमस कया कहा रदध न कहा कक भागो इस मकान म आग लगी ह आग लगी न थी जलची

ठीक कहता ह रदध झठ रोल

मगर जलची रोि उनको धनयवाद भी दता ह कक तमहारी अनकपा कक तम झठ रोल नही तो म भागता

ही न घर म आग लगी ह रदध न तमह भयभीत कर कदया तमहार दि क तचतर उभार तमहार िप दि को

राहर तनकाला तमन िो दरा रिा ह अपन भीतर अधकार उसको परगट ककया तमहार दि को इतना उभारा

कक तम घरड़ा गए तम भयभीत हो गए और िर रदध न कहा इस घर म आग लगी ह तो तम घरड़ाहट म

भाग िड़ हए तम भल ही गए इनकार करना कक राहर तो ह ही नही िाए कहा िर घर म आग लगी हो तो

कौन सोच-तवचार की तसथतत म रह िाता ह भाग िड़ हए

अमरीका म एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था एक तसनमागह म िर लोग आधा घटा तक तपकचर

दिन म तललीन हो चक थ अचानक एक आदमी िोर स तचललाया--आग आग उस आदमी को तरठा रिा था

एक मनोवजञातनक न भगदड़ शर हो गई मनिर तचलला रहा ह कक कही कोई आग नही ह लककन कोई सनन

को रािी नही िर एक दफा भय पकड़ ल

लोगो न दरवाि तोड़ डाल करसाया तोड़ डाली भीड़-भड़ककम हो गई एक-दसर क ऊपर भाग िड़ हए

रचच तगर गए दर गए रामतककल कबिा पाया िा सका िर लोग राहर आ गए तभी उनको भरोसा आया कक

ककसी न मिाक कर दी लककन एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था कक लोग शबदो स ककतन परभातवत हो

िात ह आग रस काफी ह कफर तम यह भी नही दित कक आग ह भी या नही

रदध न तमहार दि को उभारा रदध तचललाए आग तम भाग िड़ हए उसी भागदौड़ म तमम स कि

राहर तनकल गए जलची उनही म स ह िो राहर तनकल गया अर वह कहता ह िर झठ रोल कही आग न

लगी थी कही धआ भी न था आग तो दर मगर उसी भय म राहर आ गए इसतलए चरणो म तसर रिता ह

कक न तम तचललात न हम राहर आत

म भी तमस न मालम ककतन-ककतन ढग क झठ रोल िाता ह िानता ह सौभागयशाली होग तमम व

िो ककसी कदन उन झठो को पहचान लग लककन व तम तभी पहचान पाओग िर तम राहर तनकल चक

होओग तर तम नाराि न होओग तम अनगहीत होओग

रदध न तमहारी भािा रोली तमह िगाना ह तमहारी भािा रोलनी ही िररी ह रदध अपनी भािा

तमस नही रोल हा रदध क पास कोई रदधपरि होता तो उसस व अपनी भािा रोलत

एक सरह व फल लकर आए ह ऐसा कभी न हआ था कभी व कि लकर न आए थ और व रठ गए ह

रोलन क तलए भीड़ सनन को आतर ह और व फल को दि चल िात ह धीर-धीर भीड़ रचन होन लगी

कयोकक लोग सनन को आए थ और रदध उस कदन कदिा रह थ िो लोग सनन को आए ह व दिन को रािी

नही होत

यह रड़ मि की रात ह तम अगर हीर की रारत सनन आए हो और म हीरा लकर भी रठ िाऊ तो भी

तम रचन हो िाओग कयोकक तम सनन आए थ तम कानो का भरोसा करन आए थ मन तमहारी आिो को

पकारा तमहारी आि रद ह हीर की रात कर तम सन लोग हीरा कदिाऊ तमह कदिाई ही न पड़गा

रदध फल तलए रठ रह उस कदन रदध न एक परम उपदश कदया िसा उनहोन कभी न कदया था उस कदन

रदध न अपना रदधतव सामन रि कदया मगर दिन वाला चातहए सनन वाल थ आि क अध थ कान क कशल

29

तमहार सर शासतर कान स आए ह सतय आि स आता ह सतय परतयकष ह सनी हई रात नही सतय कोई

शरतत नही ह न कोई समतत ह सतय दशान ह

उस कदन रदध रठ रह लोग परशान होन लग रदधतव सामन हो लोग परशान होन लग अध रह होग

घड़ी पर घड़ी रीतन लगी और लोग सोचन लग होग अर घर िान की कक यह मामला कया ह और कोई कह

भी न सका रदध स कहो भी कया कक आप यह कया कर रह ह रठ कयो ह रोलो कि रोलो तो हम सन

शबदो तर हमारी पहच ह ककसी को यह न कदिाई पड़ा कक यह आदमी कया कदिा रहा ह

फल को रदध दित रह परमशनय एक तवचार की तरग भीतर नही मौिद और मौिद नही उपतसथत

और अनपतसथत तवचार का कण भी नही परम धयान की अवसथा समातध साकार और हाथ म तिला फल

परतीक परा था ऐसी समातध साकार हो तो ऐसा िीवन का फल तिल िाता ह कि और कहन को न था अर

और कहन को रचता भी कया ह पर आि क अध

तमही सोचो आि म रोलता न और फल लकर आकर रठ गया होता तम इधर-उधर दिन लगत तम

लकषमी की तरफ दित कक मामला कया ह कदमाग िरार हो गया तम उठन की तयारी करन लगत तम एक-

दसर की तरफ दित कक अर कया करना ह

िर ऐसी रचनी की लहर सर तरफ फलन लगी--उतन चन क सामन भी लोग रचन हो गए उतनी

शातत क सामन भी लोग अशात हो गए--तर एक रदध का तशषय महाकाकयप इसक पहल उसका नाम भी

ककसी न न सना था कयोकक आि वालो का अधो स मल नही होता इसका नाम भी पहल ककसी न नही सना

था यह पहल मौक पर इसका नाम पता चला िर लोगो को इतना रचन दिा तो वह तिलतिलाकर हसन

लगा उस सिाट म उसकी तिलतिलाहट न और लोगो को चौका कदया कक यहा एक ही पागल नही ह--यह रदध

तो कदमाग िरार मालम होता ह एक यह भी आदमी पागल ह यह कोई हसन का वि ह यह रदध को कया

हो गया ह और यह महाकाकयप कयो हसता ह

और रदध न आि उठाई और महाकाकयप को इशारा ककया और फल उस भट कर कदया और भीड़ स यह

कहा िो म शबदो स तमह द सकता था तमह कदया िो शबदो स नही कदया िा सकता वह महाकाकयप को

दता ह एक यही समझ पाया तम सनन वाल थ यह एक दिन वाला था

यही कथा झन क िनम की कथा ह झन शबद आता ह धयान स िापान म झन हो गया चीन म चान हो

गया लककन मलरप ह धयान रदध न उस कदन धयान द कदया झन फकीर कहत ह--टरासतमशन आउटसाइड

तसकरपचसा शासतरो क राहर दान शासतरो स नही कदया उस कदन शबद स नही कदया महाकाकयप को सीधा-सीधा

द कदया शबद म डालकर न कदया िस िलता हआ अगारा तरना राि क द कदया महाकाकयप चप ही रहा

चपपी म रात कह दी गई िो रदध न कहा था कक मिी भर सि पतत ऐसा ही मन तमस िो कहा ह वह इतना

ही ह और िो कहन को ह वह इतना ह तितना इस तवराट िगल म सि पततो क ढर

लककन म तमस कहता ह उस कदन उस फल म परा िगल द कदया उस कदन कि रचाया नही उस कदन

सर द कदया उस कदन रदध उडल गए उस कदन महाकाकयप का पातर परा भर गया तर स झन म यह वयवसथा

रही ह कक गर उसी को अपना अतधकारी तनयि करता ह िो मौन म लन को रािी हो िाता ह िो शबद की

तिद करता ह वह सनता ह ठीक ह साधता ह ठीक ह लककन वह िोिता उस ह अपन उततरातधकारी की

तरह िो शनय म और मौन म लन को रािी हो िाता ह िस रदध न उस कदन महाकाकयप को फल कदया ऐस

ही शनय म ऐस ही मौन म

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तो ऐसा नही ह कक रदध न िो कहा ह वही सर ह वह तो शरआत ह वह तो रारहिड़ी ह उसका

सहारा लकर आग रढ़ िाना वह तो ऐसा ही ह िस हम सकल म रचचो को तसिात ह ग गणश का--या अर

तसिात ह ग गधा का कयोकक अर धारमाक रात तो तसिाई नही िा सकती राजय धमातनरपकि ह तो गणश

की िगह गधा गणश तलिो तो मसलमान नाराि हो िाए कक िन नाराि हो िाए गधा तसकयलर ह

धमातनरपकष ह वह सभी का ह ग गणश का न तो ग गणश का ह न ग गध का ह ग ग का ह लककन रचच को

तसिात ह कफर ऐसा थोड़ ही ह कक वह सदा याद रिता ह कक िर भी तम कि पढ़ो तर रार-रार िर भी ग

आ िाए तो कहो ग गणश का तो पढ़ ही न पाओग पढ़ना ही मतककल हो िाएगा िो साधन था वही राधक

हो िाएगा

िो कहा ह वह तो ऐसा ही ह--ग गणश का वह तो पहली ककषा क तवदयाथी की रात ह लककन रदध न

पहली ककषा की रात कही कयोकक तम वही िड़ हो उनहोन तवशवतवदयालय क आतिरी िोर की रात नही कही

वहा तम कभी पहचोग तर दिा िाएगा और वहा पहच गए िर तम तो कहन की िररत नही रह िाती

तम िद ही दिन म समथा हो िात हो

शरआत ह शनय स अत ह दिन स शरआत ह सदह स अत ह शरदधा पर सदह को कस शरदधा तक

पहचाया िाए नातसतकता को कस आतसतकता तक पहचाया िाए नही को कस हा म रदला िाए यही रदध

की कीतमया ह यही रदध-धमा ह एस धममो सनतनो

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक मोकष रदधतव की आकाकषा भी वासना का ही एक रप ह और कफर कहा

िर तक रदधतव परापत न हो िाए तर तक चन स मत रठना इस तवरोधाभास को समझाए

मोकष की रदधतव की आकाकषा भी रदधतव म राधा ह कफर मन तमस कहा िर तक मोकष उपलबध न हो

िाए तर तक तपत होकर मत रठ िाना तर तक अभीपसा करना तर तक आकाकषा करना सवभावताः

तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह लककन म यही कह रहा ह कक िर तक आकाकषारतहतता उपलबध न हो िाए तर

तक आकाकषारतहतता की आकाकषा करत रहना यह तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह कयोकक म दो तलो को िोड़न

की कोतशश कर रहा ह तम िहा हो उसको और तम िहा होन चातहए उसको िोड़न की कोतशश कर रहा ह

इसतलए तवरोधाभास

िस कोई रचचा पदा हो अभी िनमा ह और हम उस मौत की िरर दनी हो यदयतप िो िनम गया वह

मरन लगा लककन रचच को मतय की रात समझानी रड़ी करठन हो िाएगी मतय की रात तवरोधाभासी मालम

पड़गी अभी तो िनम ही हआ ह और यह मौत की कया रात ह और िनम क साथ मौत को कस िोड़ो रचच

को तवरोधाभासी लगगी लककन तवरोधाभासी ह नही कयोकक िनम क साथ ही मौत की यातरा शर हो गई िो

िनमा वह मरन लगा

तितन िलदी मौत समझाई िा सक उतना ही अचिा ह ताकक िनम वयथा न चला िाए अगर िनम क

साथ ही मौत की समझ आ िाए तो िनम और मतय क रीच म रदधतव उपलबध हो िाता ह तो आदमी िाग

िाता ह िनम और मतय दोनो स तिस िनम की मतय होनी ह उन दोनो क रीच िीवन तो नही हो सकता

आभास होगा तो िर िनम की मतय ही हो िानी ह तो इस िीवन का कया भरोसा तो कफर हम ककसी और

िीवन की िोि कर--ककसी और िीवन की िहा न िनम हो न मतय

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समझ इस परशन को अर

यकद म तमस कह आकाकषा न करो तो तम यातरा ही शर न करोग िनम ही न होगा अगर म तमस यह

न कह कक आकाकषा भी िट िानी चातहए तो तम कभी पहचोग नही मोकष की आकाकषा मोकष की यातरा का

पहला कदम ह और मोकष की आकाकषा का तयाग मोकष की यातरा का अततम कदम ह दोनो मझ तमस कहन

होग

दतनया म दो तरह क लोग ह एक ह िो कहत ह िर आकाकषा स राधा ही पड़ती ह तो कया मोकष की

आकाकषा करना कफर हम िस ह वस ही भल ह इसस यह मत समझ लना कक उनहोन ससार की आकाकषाए

िोड़ दी उनहोन तसफा मोकष की आकाकषा न की उनहोन अपन को धोिा द तलया ससार की आकाकषाए तो व

ककए ही चल िाएग कयोकक ससार की आकाकषाए तो तभी िटती ह िर कोई मोकष की आकाकषा करता ह िर

कोई मोकष की आकाकषा पर सर दाव पर लगाता ह परा कदल दाव पर लगाता ह तर ससार की आकाकषाए

िटती ह तर ससार की आकाकषाओ म िो ऊिाा सलगन थी वह मि होती ह मोकष की तरफ लगती ह लककन

िो मोकष की तरफ की आकाकषा ककए चला िाता ह वह भी भटक िाता ह कयोकक अतताः वह आकाकषा भी

राधा रन िाएगी एक कदन उस भी िोड़ना ह

ऐसा समझो रात हम दीया िलात ह दीए की राती और तल दीया िलना शर होता ह तो दीए की

राती पहल तो तल को िलाती ह कफर िर तल िल िाता ह तो दीए की राती अपन को िला लती ह सरह

न तल रचता ह न राती रचती ह तर समझो कक सरह हई कफर भोर हई

तो पहल तो ससार की आकाकषाओ का तम तल की तरह उपयोग करो और मोकष की आकाकषा का राती

की तरह तो ससार की सारी आकाकषाओ को िला दो मोकष की राती को िलान म तल का उपयोग कर लो

ईधन का उपयोग कर लो सारी आकाकषाए इकिी कर लो ससार की और मोकष की एक आकाकषा पर समरपात

कर दो झोक दो सर मगर धयान रिना तिस कदन सर तल चक िाएगा उस कदन यह राती भी िल िानी

चातहए नही तो सरह न होगी यह राती कही राधा न रन िाए

तो एक तो सासाररक लोग ह िो कभी मोकष की आकाकषा ही नही करत कफर दसर मकदरो मतसिदो म

रठ हए धारमाक लोग ह तिनहोन ससार की आकाकषा िोड़ दी और परमातमा की आकाकषा पकड़ ली अर उस

आकाकषा को नही िोड़ पा रह ह ऐसा समझो कक कि तो ऐस लोग ह िो सीकढ़यो पर पर ही नही रित ऊपर

िान की यातरा ही शर नही होती और कि ऐस ह िो सीकढ़यो को पकड़कर रठ गए ह सीकढ़या नही िोड़त

िो सीकढ़यो क नीच रह गया वह भी ऊपर न पहच पाया और िो सीकढ़यो पर रह गया वह भी ऊपर न पहच

पाया म तमस कहता ह सीकढ़या पकड़ो भी िोड़ो भी

मन सना ह एक तीथायाततरयो की टरन हररदवार िा रही थी अमतसर पर गाड़ी िड़ी थी और एक

आदमी को लोग िरदासती घसीटकर गाड़ी म रिना चाह रह थ लककन वह कह रहा था कक भाई इसस उतरना

तो नही पड़गा उनहोन कहा उतरना तो पड़गा िर हररदवार पहच िाएगी तो उतरना पड़गा तो उस आदमी

न कहा--वह रड़ा तारका क आदमी था--उसन कहा िर उतरना ही ह तो चढ़ना कया यह तो तवरोधाभासी ह

चढ़ो भी कफर उतरो भी लना-दना कया ह हम चढ़त ही नही गाड़ी िटन क करीर हो गई ह सीटी रिन

लगी ह और भाग-दौड़ मच रही ह

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आतिर उसक सातथयो न--िो उसक यातरी-दल क साथी थ--उनहोन उसको पकड़ा और वह तचललाता ही

िा रहा ह कक िर उतरना ह तो चढ़ना कया मगर उनहोन कहा कक अर इसकी सन समझान का समय भी

नही उसको चढ़ा कदया

कफर वही झझट हररदवार क सटशन पर मची वह कह कक उतरग नही कयोकक िर चढ़ ही गए तो चढ़

गए अर उतर नही सकत वह आदमी तारका क था वह यह कह रहा ह कक तवरोधाभासी काम म नही कर

सकता ह वह ककसी तवशवतवदयालय म तका का परोफसर होगा

िर म तमस कहता ह ससार की आकाकषा िोड़ो--अमतसर की सटशन पर कफर तमस कहता ह अर

तिस टरन म चढ़ गए वह भी िोड़ो--हररदवार पर परमातमा का घर आ गया हररदवार आ गया उसका दवार आ

गया अर यह टरन िोड़ो तमह उस आदमी पर हसी आती ह लककन अगर तम अपन भीतर िोिोग तम उसी

आदमी को तिपा हआ पाओग

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

तवरोधाभास ह

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

इतिार का मिा ही तर ह िर इतिार भी न रह िाए याद तभी परी आती ह िर याद भी नही

आती

इस थोड़ा करठन होगा समझना कयोकक िर तक याद आती ह उसका मतलर अभी याद परी आई नही

रीच-रीच म भल-भल िाती होगी तभी तो याद आती ह तिसकी याद परी आ गई उसकी कफर याद आन की

िगह कहा रही कफर भलग कहा याद कस आएगी याद तभी तक आती ह िर भलना िारी रहता ह िर

भलना ही तमट गया तो याद कसी भलना तमट िान क साथ याद भी िो िाती ह

हदद-इतिार--अर सीमा पार हो गई लककन तभी याद का मिा ह िर याद भी नही आती अर एक ही

हो गए उसस अर याद करन क तलए भी फासला और दरी न रही ककसकी याद कर और कौन कर ककसको

पकार और कौन पकार तिस चाहा था तिसकी चाहत थी वह िो परमी था और िो परयसी थी व दोनो एक

हो गए अपनी ही कोई कस याद कर

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

और धमा की सारी भािा तवरोधाभासी ह होगी ही कयोकक धमा यातरा का परारभ भी ह और अत भी वह

िनम भी ह और मतय भी और वह दोनो क पार भी ह इसतलए िलदी तवरोधाभासो म मत उलझ िाना और

उनको हल करन की कोतशश मत करना समझन की कोतशश करना तर तम पाओग दोनो की िररत ह िो

सीढ़ी चढ़ाती ह वही रोक भी लती ह अगर तमन रहत तवरोधाभास दि तो तम मतककल म पड़ोग कयोकक

तम एक तो कर लोग कफर दसरा करन म अटकोग

तमन अगर यह कहा तमन अगर यह सन तलया कक परमातमा याद करन स तमलता ह और तम याद ही

करत रह और तम कभी हदद-इतिार क आग न गए तो कभी परमातमा न तमलगा राम-राम िपत रहोग

तोता-रटत रहगी कठ म रहगा हदय तक न िाएगा कयोकक िो हदय म चला गया उसकी कही याद करनी

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पड़ती ह याद होती रहती ह करनी नही पड़ती होती रहती ह कहना भी ठीक नही कयोकक दो याद क रीच

भी िाली िगह कहा साततय रना रहता ह तर हदद-इतिार

और ऐसी घड़ी िर घटती ह तो ऐसा नही ह कक िर तम तवरोधाभास की सीमा क पार तनकलत हो

और िर तम पराडाकस और तवरोधाभास का अततकरमण करत हो तो ऐसा नही ह कक तम ही परम आनद को

उपलबध होत हो तमहार साथ सारा अतसततव उतसव मनाता ह कयोकक तमहार साथ सारा अतसततव भी

अततकरमण करता ह एक सीमा और पार हई

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम--िर सारी परकतत गीत गाती ह िर सारा अतसततव

तमहार उतसव म सतममतलत हो िाता ह

कयोकक तम अलग-थलग नही हो तमम अतसततव न कि दाव पर लगाया ह तम अतसततव क दाव हो

पास हो परमातमा न तमहार ऊपर रड़ा दाव लगाया ह और रड़ी आशा रिी ह तिस कदन तम उपलबध होत

हो तम ही नही नाचत परमातमा भी नाचता ह तम ही अकल नाच तो कया नाच परमातमा भी िश होता ह

सारा अतसततव िश होता ह एक फतह और तमली एक तविय-यातरा का चरण और परा हआ

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

वह रड़ा चप ह गीत इसतलए ककसी को कया मालम वह रड़ा मौन ह वह उनही को कदिाई पड़ता ह

तिनह अदकय कदिाई पड़न लगा वह उनही को सनाई पड़ता ह िो सिाट को भी सन लत ह वह उनही को सपशा

हो पाता ह िो अरप का भी सपशा कर लत ह तनराकार स तिनकी चचाा होन लगी

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

तीसरा परशनाः आकाकषा तमटकर अभीपसा रन िाती ह अभीपसा की समातपत पर कया कि रचता ह सपषट

कर

आकाकषा यानी ससार की आकाकषाए आकाकषा यानी आकाकषाए एक नही अनक ससार अथाात अनक

िर आकाकषा तमटकर अभीपसा रनती ह--अभीपसा यानी आकाकषा आकाकषाए नही एक की आकाकषा का नाम

अभीपसा अनक की अभीपसा का नाम आकाकषा िर सारी आकाकषाओ की ककरण इकिी हो िाती ह और एक

सतय पर परमातमा पर या मोकष पर या सवय पर तनवााण पर कवलय पर क कित हो िाती ह तो अभीपसा

आकाकषा और आकाकषाओ का िाल िर सगरहीभत हो िाता ह तो अभीपसा पदा होती ह ककरण िर इकिी हो

िाती ह तो आग पदा होती ह ककरण अनक आग एक

यहा तक तो समझ म रात आ िाती ह कक आदमी धन को चाहता ह पद को चाहता ह पतनी को चाहता

ह रट को चाहता ह भाई को चाहता ह िीवन चाहता ह लरी उमर चाहता ह यह सर चाहत य सर चाहत

इकिी हो िाती ह और आदमी तसफा परमातमा को चाहता ह--यहा तक भी समझ म आ िाता ह कयोकक रहत

आकाकषाए तिसन की ह वह इसकी भी कलपना तो कम स कम कर ही सकता ह कक सभी आकाकषाए इकिी हो

गयी सभी िोट नदी-नाल तगर गए एक ही गगा म और गगा रहन लगी सागर की तरफ लककन िर आकाकषा

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क राद अभीपसा भी िो िाती ह तर कया रचता ह नदी-नाल िो िात ह गगा म कफर िर गगा िो िाती ह

सागर म तो कया रचता ह सागर रचता ह गगा नही रचती

अर इस तम समझो

पहल तमहारी आकाकषाए िो िाएगी तम रचोग कफर तम भी िो िाओग परमातमा रचगा िर तक

तम आकाकषाओ म भटक हए हो तर तक तम तीन-तरह हो टकड़-टकड़ हो िर तमहारी सारी आकाकषाए

अभीपसा रन िाएगी तम एक हो िाओग तम योग को उपलबध हो िाओग योग यानी िड़ िाओग

सासाररक आदमी िड-िड ह एक भीड़ ह एक मिमा ह धारमाक आदमी भीड़ नही ह एक एकात ह

धारमाक आदमी इकिा ह योग को उपलबध हआ ह सारी आकाकषाए तसकोड़ ली उसन लककन अभी ह अभी

होनाभर मातर राधा रची अभी तम हो--अभीपसा म--और परमातमा ह यदयतप तम एक हो गए हो लककन

परमातमा अभी दसरा ह पराया ह

इस थोड़ा समझो

सासाररक आदमी भीड़ ह अनक ह धारमाक आदमी एक हो गया इकिा हो गया इटीगरटड योगसथ

लककन अभी परमातमा राकी ह तो दवत रचा सासाररक आदमी अनकतव म िीता ह धारमाक आदमी दवत म

भि रचा भगवान रचा िोिी रचा सतय रचा सागर रचा गगा रची अर भि को अपन को भी डरा दना

ह ताकक भगवान ही रच ताकक सागर ही रच गगा को अपन को भी िोना ह अनक स एक कफर एक स

शनय तर कौन रचगा तर सागर रचता ह िो सदा स था तम नही थ तर भी था वही रचगा िहा स तम

आए थ वही तम लौट िाओग िो तमहार होन क पहल था वही तमहार राद रचगा

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वताल परा हो िाता ह िनम क पहल तम िहा थ मरन क राद वही पहच िात हो थोड़ा सोचो गगा

सागर म तगरती ह गगा सागर स ही आई थी--सरि की ककरणो पर चढ़ा था सागर का िल सीकढ़या रनाई थी

सरि की ककरणो की कफर रादल घनीभत हए थ आकाश म कफर रादल ररस थ तहमालय पर ररस थ मदानो

म हिारो नदी-नालो म रह थ गगा की तरफ--गगोतरी स रही थी गगा मघ स आई थी मघ सागर स आए थ

कफर चली वापस कफर सागर म िो िाएगी

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वही रचगा िो तमहार होन क पहल था उस सतय कहो तम एक लहर हो सागर तमहार पहल भी

था लहर िो िाएगी सो िाएगी सागर कफर भी होगा और धयान रिना सागर तरना लहरो क हो सकता ह

लहर तरना सागर क नही हो सकती कभी सागर म लहर होती ह कभी नही भी होती िर लहर होती ह

उसको हम सतषट कहत ह िर लहर नही होती उसको हम परलय कहत ह अगर सारी लहरो को सोच तो सतषट

और परलय अगर एक-एक लहर का तहसार कर तो िनम और मतय िर लहर नही होती तो मतय िर लहर

होती ह तो िनम लककन िर लहर तमट िाती ह तर कया सच म ही तमट िाती ह यही सवाल ह गहरा

लहर सच म तमट िाती ह आकार तमटता होगा िो लहर म था िो लहर म वसतताः था वह तो कस तमटगा

िो था वह तो नही तमटता वह तो सागर म कफर भी होता ह रड़ा होकर होता ह तवराट होकर होता ह

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तम रहोग तम िस नही तम रहोग रद िस नही तम रहोग सीतमत नही पता-रठकाना न रहगा

नाम-रप न रहगा लककन िो भी तमहार भीतर घनीभत ह इस कषण वह रचगा तवराट होकर रचगा तम

तमटोग लककन तमटना मौत नही ह तम तमटोग तमटना ही होना ह

आतिरी परशनाः तपिल एक परशनोततर म आपन समपाण और भति म भीतर होश राहर रहोशी कही ह और

धयानी और जञानी को भीतर स रहोशी और राहर स होश कहा ह यह धयानी को ककस तरह की भीतर की

रहोशी होती ह और राहर कफर वह ककस चीि का होश रिता ह ककस तरह स होश रिता ह िर कक भीतर

रहोशी रहती ह कया मर सनन या समझन म कही गलती हो रही ह कपया कफर स ठीक स समझाकर कह

नही--सनन म कोई गलती नही हई समझन म गलती हो रही ह कयोकक समझ तवरोधाभास को नही

समझ पाती सन तो लोग ककतनी ही तवरोधाभासी रात कह सन तो लोग और यह भी समझ लोग कक

तवरोधाभासी ह और यह भी समझ लोग कक सन तलया लककन कफर भी समझ न पाओग कयोकक तिसको तम

समझ कहत हो वह तवरोधाभास को समझ ही नही सकती इसीतलए तो तवरोधाभास कहती ह म कफर स

दोहरा दता ह रात रड़ी सीधी ह िरटल मालम होती ह कयोकक रतदध सीधी-सीधी रात को नही पकड़ पाती

एक तो ह भि परमी वह नाचता ह तम उसकी रहोशी को--िर म कहता ह रहोशी तो मरा मतलर ह

उसकी मसती--तम उसक िाम को िलकत राहर स भी दि लत हो मकदरा रही िा रही ह मीरा क नाच म

चतनय क भिन म कि भीतर िाकर िोिना न होगा उसकी मसती राहर ह मौि-दररया लहरो म ह फलो

म ह अध को भी समझ आ िाएगी रहर को भी सनाई पड़ िाएगी नाचती हई ह गीत गाती हई ह

अतभवयि ह यह िो मसती ह यह मसती तभी सभव ह िर भीतर होश हो नही तो यह मसती पागलपन हो

िाएगी

पागल और भि म फका कया ह यही पागल भी कभी नाचता ह मसकराता ह गीता गाता ह लककन

तम पहचान लोग उसकी आिो म िरा झाक कर दिना--उसम रहोशी तो ह लककन भीतर होश का दीया

नही भि रहोश भी ह और होश का दीया भी समहाल ह नाचता भी ह लककन दीए की लौ नही कपती

भीतर राहर नाच चलता ह भीतर सर ठहरा ह--अकप तभी तो पागल और परमातमा क दीवान का फका ह

तो तमह कभी-कभी परमातमा का दीवाना भी पागल लगगा कयोकक पागल और परमातमा क दीवान म

राहर तो एक ही िसी घटना घटती ह और कभी-कभी पागल भी तमह परमातमा का दीवाना लगगा

लककन इसका मतलर यही हआ कक तम िरा भीतर न गए राहर स ही राहर लौट आए राहर-राहर

दिकर लौट आए िरा भीतर उतरो िरा दो-चार सीकढ़या भीतर िाओ िरा पागल क नाच म और दीवान-

परमातमा की मसती क नाच म िरा गौर करो सवाद तभि ह रग-ढग रड़ा तभि ह अलग-अलग अदाि ह

लककन थोड़ा गौर स दिोग तो ऐस ही राह स चलत हए दिकर गिर गए तो भातत हो सकती ह ऊपर स

दोनो एक िस लगत ह पागल तसफा पागल ह रहोश ह भि तसफा रहोश नही ह रहोश भी ह और कि होश

भी ह रहोशी क भीतर होश का दीया िल रहा ह यही तवरोधाभास समझ म नही आता

कफर एक और तवरोधाभास तो चीि और िरटल हो िाती ह

यह तो भि हआ कफर धयानी ह यह तो मीरा हई कफर रदध ह रदध क राहर तो कपन भी न तमलगा

व मौि-दररया नही ह शात झील ह व फल क रग िस राहर कदिाई पड़त ह ऐस नही ह व ऐस ह िस रीि

36

म फल तिपा हो हिार-हिार रग भीतर दराकर रठ ह सवर ह रहत लककन ऐस िस वीणा म सोए हो

ककसी न िड़ न हो तो राहर तरलकल सिाटा ह

तम रदध क राहर होश पाओग मीरा क राहर तम मसती पाओग रदध क राहर तम परम होश पाओग

वहा िरा भी कपन न होगा और िस मीरा क रहोशी म भीतर होश ह ऐसा ही रदध क राहर क होश म भीतर

रहोशी होगी कयोकक दोनो साथ होन ही चातहए तभी पररपणाता होती ह अगर तसफा राहर का होश ही हो

और भीतर रहोशी न हो तो यह तो तम साधारण तयागी-तवरि म पा लोग इसक तलए रदध तक िान की

िररत नही यही तो रदधो म और रदधो का अनसरण करन वालो म फका ह रदध म और पािडी म यही फका ह

मीरा और पागल म िस फका ह रदध और पािडी म वस फका ह पािडी को दिकर अगर ऊपर-ऊपर स

आ गए तो धोिा हो िाएगा रगल को दिा ह िड़ा कसा रदध िसा िड़ा रहता ह इसीतलए तो रगला भगत

शबद हो गया कसा भगत मालम पड़ता ह एक टाग पर िड़ा रहता ह कौन योगी इतनी दर इस तरह िड़ा

रहता ह लककन निर मिली पर रटकी रहती ह

तो तमह ऐस लोग तमल िाएग--काफी ह उनकी सखया--कयोकक सरल ह रगला रन िाना रहत आसान

ह लककन उनकी निर मिली पर लगी रहगी योगी रठा हो भला आि रद ककए हो सकता ह निर तमहारी

िर पर लगी हो राहर स तो कोई भी साध ल सकता ह आसन पराणायाम तनयम मयाादा सवाल ह भीतर

का यह तनषकपता राहर की ही तो नही ह अनयथा सका स की ह

यह तनषकपता अगर राहर ही राहर ह और भीतर कपन चल रहा ह और भीतर आपाधापी मची ह

और भीतर जचतन और तवचार चल रहा ह और वासनाए दौड़ रही ह और भीतर कोई परमातमा को पा लन

की मसती नही रि रही ह और भीतर कोई गीत की गनगन नही ह भीतर कोई नाच नही चल रहा ह

ऐसा समझो रदध और मीरा तरलकल एक िस ह फका इतना ही ह कक िो मीरा क राहर ह वह रदध क

भीतर ह िो मीरा क भीतर ह वह रदध क राहर ह एक तसकका सीधा रिा ह एक तसकका उलटा रिा ह तसकक

दोनो एक ह िो भीतर िाएगा वही पहचान पाएगा और इसतलए म कहता ह कक मझ दोनो रासत सवीकार ह

तम अगर रदध क अनयातययो स मीरा की रात कहोग व कहग कहा की अजञानी सतरी की रात उठात हो

िनो स िाकर कहो महावीर क अनयातययो स कहो मीरा की रात व कहग कक आसति राग कषण का भी

हआ तो कया मोह कही रदधपरि नाचत ह यह तो सासाररको की रात ह और कही रदधपरि ऐसा रोत ह

याद करत ह ऐसा इतिार करत ह कही रदधपरि ऐसा कहत ह कक सि सिाकर रिी ह तम कर आओग

न िन कहग यह तो अजञानी ह मीरा

िन तो कषण को भी जञानी नही मान सकत वह रासरी राधा डालती ह जञानी क ओठो पर रासरी

िचती नही करक दि लो कोतशश ककसी िन-मकदर म िाकर महावीर क मह पर रासरी रि आओ व पतलस

म ररपोटा कर दग तमहारी कक तमन हमार भगवान तरगाड़ कदए यह दषकमा होगा वहा यह दघाटना मानी

िाएगी यहा तम रासरी िन-मकदर म लकर आए कस और महावीर क ओठ पर रिन की तहममत कस की

अनयातययो क साथ रड़ा ितरा ह व ऐस ही हो िात ह िस घोड़ो की आिो पर परिया रधी होती ह--

रस एक तरफ कदिाई पड़ता ह ताग म ित घोड़ दि रस वस ही अनयायी होत ह रस एक तरफ कदिाई

पड़ता ह िीवन का तवसतार िो िाता ह सपरदाय का यही अथा ह

धमा तो रहआयामी ह सपरदाय एक आयामी ह वन डायमशनल ह रस उनहोन रदध को दिा समझा कक

रात ितम हो गई रदध रहत िर ह लककन रदध होन क और भी रहत ढग ह जिदगी रड़ी अनत आयामी ह

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परमातमा ककसी पर चक नही िाता हिार-हिार रगो म हिार-हिार फलो म हिार-हिार ढगो म अतसततव

तिलता ह और नाचता ह

मगर दो रड़ रतनयादी ढग ह एक धयान का और एक परम का मीरा परम स पहची िो परम स पहचगा

उसकी मसती राहर नाचती हई होगी और भीतर धयान होगा भीतर मौन होगा सिाटा होगा मीरा को

भीतर काटोग तो तम रदध को पाओग वहा और म तमस कहता ह अगर रदध की भी तम िोिरीन करो और

भीतर उतर िाओ तो तम वहा मीरा को नाचता हआ पाओग इसक अततररि हो नही सकता कयोकक िर तक

धयान मसती न रन और िर तक मसती धयान न रन तर तक अधरा रह िाता ह सर

इसतलए कभी यह मत सोचना कक तिस ढग स तमन पाया वही एक ढग ह और कभी दसर क ढग को

नकार स मत दिना और कभी दसर क ढग को जनदा स मत दिना कयोकक वह अहकार की चालरातिया ह

सदा धयान रिना हिार-हिार ढग स पाया िा सकता ह रहत ह रासत उसक रहत ह दवार उसक मकदर क

तम तिस दवार स आए भला और भी दवार ह और दो परमि-दवार ह होन ही चातहए कयोकक सतरी और परि दो

वयतितव क मल ढग ह

सतरी यानी परम परि यानी धयान परि अकला होकर उस पाता ह सतरी उसक साथ होकर उस पाती ह

परि सर भातत अपन को शनय करक उस पाता ह सतरी सर भातत अपन को उसस भरकर पाती ह मगर िर म

सतरी और परि कह रहा ह तो मरा मतलर शारीररक नही ह रहत परि ह तिनक पास परम का हदय ह व परम

स ही पाएग रहत तसतरया ह तिनक पास धयान की कषमता ह व धयान स पाएगी

मगर यह रात तम सदा ही धयान रिना कक िो तम राहर पाओग उसस तवपरीत तम भीतर पाओग

कयोकक तवपरीत स िड़कर ही सतय तनरमात होता ह सतय तवरोधाभासी ह सतय पराडाकस ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

तरहवा परवचन

अतरााती को उकसाना ही धयान

अनवससततचततसस अननवाहतचतसो

पपापपहीनसस नततथ िागरतो भय 34

कमभपम कायतमम तवकदतवा नगरपम तचतततमद ठपतवा

योधथ मार पायधन तित च रकि अतनवसनोतसया 35

अतचर वत य कायो पठजव अतधसससतत

िदधो अपतजवणो तनरतथ व कतलडगर 36

कदसो कदस यनत कतयरा वरी वा पन वररन

तमचिापतणतहत तचतत पातपयो न ततो कर 37

न त माता तपता कतयरा अो वातप च ातका

सममापतणतहत तचतत सययसो न ततो कर 38

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

ससार रदलता ह कफर भी रदलता नही ससार की मसीरत तो रनी ही रहती ह वहा तो तफान और

आधी चलत ही रहग अगर ककसी न ऐसा सोचा कक िर ससार रदल िाएगा तर म रदलगा तो समझो कक

उसन न रदलन की कसम िा ली तो समझो कक उसकी रदलाहट कभी हो न सकगी उसन कफर तय ही कर

तलया कक रदलना नही ह और रहाना िोि तलया

रहत लोगो न रहान िोि रि ह व कहत ह ससार ठीक हालत म नही ह हम ठीक होना भी चाह तो

कस हो सक ग अध ह ऐस लोग कयोकक ससार कभी ठीक नही हआ कफर भी वयतियो क िीवन म फल तिल

ह कोई रदध रोशन हआ कोई कषण कोई कराइसट सगध को उपलबध हए ह ससार तो चलता ही रहा ह ऐस

ही चलता रहगा ससार क रदलन की परतीकषा मत करना अनयथा तम रठ रहोग परतीकषा करत अधर म ही

िीयोग अधर म ही मरोग और ससार तो सदा ह तम अभी हो कल तवदा हो िाओग

इसतलए एक रात खयाल म रि लनी ह रदलना ह सवय को और ककतन ही तफान हो ककतनी ही

आतधया हो भीतर एक ऐसा दीया ह कक उसकी शमा िलाई िा सकती ह और ककतना ही अधकार हो राहर

भीतर एक मकदर ह िो रोशन हो सकता ह

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तम राहर क अधर स मत परशान होना उतनी ही जचता और उतना ही शरम भीतर की जयोतत को

िलान म लगा दना और रड़ आिया की तो रात यही ह कक िर भीतर परकाश होता ह िर तमहारी आिो क

भीतर परकाश होता ह तो राहर अधकार तमट िाता ह कम स कम तमहार तलए तमट िाता ह तम एक और

दसर ही िगत म िीन लगत हो और हर वयति परमातमा की धरोहर ह कि ह िो तम परा करोग तो ही

मनषय कहलान क अतधकारी हो सकोग

एक अवसर ह िीवन िहा कि तसदध करना ह िहा तसदध करना ह कक हम रीि ही न रह िाएग

अकररत होग तिलग फल रनग तसदध करना ह कक हम सभावना ही न रह िाएग सतय रनग तसदध करना ह

कक हम कवल एक आकाकषा ही न होग कि होन की हमार भीतर होना परगट होगा उस परागटय का नाम ही

रदधतव ह

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

यह िो भीतर हदय ह तिस रदध न तचतत कहा तिस महावीर उपतनिद और वद आतमा कहत ह यह

अतसततव का मकदर ह

रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

अधर की उतनी जचता मत कररए अधर न कर ककसी रोशनी को रझाया ह अधरा ककतना ही रड़ा हो

एक िोट स रटम-रटमात दीए को भी नही रझा सकता अधर स कभी अधर नही हआ ह

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

वह िो भीतर जयोतत िल रही ह िीवन की वह िो तमहार भीतर िागा हआ ह वह िो तमहारा चतनय

ह रस उसको तिसन रचा तलया सर रचा तलया उस तिसन िो कदया वह सर भी रचा ल तो उसन कि भी

रचाया नही कफर तम समराट हो िाओ तो भी तभिारी रहोग और भीतर की जयोतत रचा लो तो तम चाह

राह क तभिारी रहो तमहार सामराजय को कोई िीन नही सकगा

समराट होन का एक ही ढग ह भीतर की सपदा को उपलबध हो िाना सवामी होन का एक ही ढग ह

भीतर क दीए क साथ िड़ िाना एक हो िाना और वह िो भीतर का दीया ह चाहता ह परततपल उसकी

राती को समहालो उकसाओ उस राती क उकसान का नाम ही धयान ह राहर क अधर पर तिनहोन धयान

कदया व ही अधारमाक हो िात ह और तिनहोन भीतर क दीए पर धयान कदया व ही धारमाक हो िात ह

मकदर-मतसिदो म िान स कि भी न होगा मकदर तमहारा भीतर ह परतयक वयति अपना मकदर लकर पदा हआ

ह कहा िोित हो मकदर को पतथरो म नही ह तमहार भीतर िो परमातमा की िोटी सी लौ ह वह िो होश

का दीया ह वहा ह

य रदध क सतर उस अपरमाद क दीए को हम कस उकसाए उसक ही सतर ह इन सतरो स दतनया म करातत

नही हो सकती कयोकक समझदार दतनया म करातत की रात करत ही नही वह कभी हई नही वह कभी होगी

भी नही समझदार तो भीतर की करातत की रात करत ह िो सदा सभव ह हई भी ह आि भी होती ह कल

भी होती रहगी असभव की चषटा करना मढ़ता ह और असभव की चषटा म िो सभव था वह भी िो िाता ह

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िो तमल सकता था वह भी नही तमल पाता उसकी चषटा म िो कक तमल ही नही सकता ह सभव की चषटा ही

समझ का सरत ह असभव की चषटा ही मढ़तापणा िीवन ह

रदध न कहा ह तिसक तचतत म राग नही ह और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही ह िो पाप-पणय स

मि ह उस िागरत परि को भय नही

तम तो भगवान को भी िोित हो तो भय क कारण और भय स कही भगवान तमलगा हा भगवान

तमल िाता ह तो भय िो िाता ह भगवान और भय साथ-साथ नही हो सकत यह तो ऐस ही ह िस अधरा

और परकाश साथ-साथ रिन की कोतशश करो तमहारी पराथानाए भी भय स आतवभात होती ह इसतलए वयथा ह

दो कौड़ी का भी उनका मलय नही ह तम मकदर म झकत भी हो तो कपत हए झकत हो यह परम का सपदन नही

ह यह भय का कपन ह

रड़ा फका ह दोनो म

िर परम उतरता ह हदय म तर भी सर कप िाता ह लककन परम की पलक कहा परम की पलक कहा

भय का घरड़ाना कपना धयान रिना परम की भी एक ऊषमा ह और रिार की भी और परम म भी एक

गरमाहट घर लती ह और रिार म भी तो दोनो को एक मत समझ लना भय म भी आदमी झकता ह परम म

भी पर दोनो को एक मत समझ लना भयभीत भी पराथाना करन लगता ह परम स भरा भी लककन भयभीत

की पराथाना अपन भीतर घणा को तिपाए होती ह कयोकक तिसस हम भय करत ह उसस परम हो नही सकता

इसतलए तिनहोन भी तमस कहा ह भगवान स भय करो उनहोन तमहार अधारमाक होन की रतनयाद रि

दी म तमस कहता ह सारी दतनया स भय करना भगवान स भर नही कयोकक तिसस भय हो गया उसस

कफर परम क आनद क सरध िड़त ही नही कफर तो िहर घल गया कए म कफर तो पहल स ही तम तविाि हो

गए कफर तमहारी पराथाना म धआ होगा परम की लपट न होगी कफर तमहारी पराथाना स दगध उठ सकती ह

और तम धप और अगररतततयो स उस तिपा न सकोग कफर तम फलो स उस ढाक न सकोग कफर तम लाि

उपाय करो सर उपाय ऊपर-ऊपर रह िाएग थोड़ा सोचो िर भीतर भय हो तो कस पराथाना पदा हो सकती

इसतलए रदध न परमातमा की रात ही नही की अभी तो पराथाना ही पदा नही हई तो परमातमा की कया

रात करनी अभी आि ही नही िली तो रोशनी की कया चचाा करनी अभी चलन क योगय ही तम नही हए

हो घटन स सरकत हो अभी नाचन की रात कया करनी पराथाना पदा हो तो परमातमा लककन पराथाना तभी

पदा होती ह िर अभय--कफयरलसनस

यहा एक रात और समझ लनी िररी ह अभय का अथा तनभाय मत समझ लना य रारीक भद ह और

रड़ रतनयादी ह तनभाय और अभय म रड़ा फरक ह िमीन-आसमान का फका ह शबदकोश म तो दोनो का एक

ही अथा तलिा ह िीवन क कोश म दोनो क अथा रड़ तभि ह तनभाय का अथा ह िो भीतर तो भयभीत ह

लककन राहर स तिसन ककसी तरह इतिाम कर तलया िो भीतर तो कपता ह लककन राहर नही कपता

तिसन न कपन का अभयास कर तलया ह राहर तक कपन को आन नही दता तिनको तम रहादर कहत हो व

इतन ही कायर होत ह तितन कायर कायर डरकर रठ िाता ह रहादर डरकर रठता नही चलता चला

िाता ह कायर अपन भय को मान लता ह रहादर अपन भय को इनकार ककए िाता ह लककन भयभीत तो ह

ही अभय की अवसथा रड़ी तभि ह न वहा भय ह न वहा तनभायता ह िर भय ही न रहा तो तनभाय कोई

कस होगा अभय का अथा ह भय और तनभाय दोनो ही िहा िो िात ह िहा वह रात ही नही रह िाती

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इस अवसथा को रदध और महावीर दोनो न भगवतता की तरफ पहला कदम कहा ह कौन आदमी अभय

को उपलबध होगा कौन स तचतत म अभय आता ह तिस तचतत म राग नही उस तचतत म दवि भी नही होता

सवभावताः कयोकक राग स ही दवि पदा होता ह

तमन खयाल ककया ककसी को तम सीधा-सीधा शतर नही रना सकत पहल तमतर रनाना पड़ता ह एकदम

स ककसी को शतर रनाओग भी तो कस रनाओग शतर सीधा नही होता सीधा पदा नही होता तमतर क पीि

आता ह दवि सीध पदा नही होता राग क पीि आता ह घणा सीध पदा नही होती तिस तम परम कहत हो

उसी क पीि आती ह तो शतर ककसी को रनाना हो तो पहल तमतर रनाना पड़ता ह और दवि ककसी स करना हो

तो पहल राग करना पड़ता ह ककसी को दर हटाना हो तो पहल पास लना पड़ता ह ऐसी अनठी दतनया ह

ऐसी उलटी दतनया ह

दवि स तो तम रचना भी चाहत हो लककन तिसन राग ककया वह दवि स न रच सकगा िर तमन

वयति को सवीकार कर तलया तो उसकी िाया कहा िाएगी वह भी तमहार घर आएगी तम यह न कह

सकोग महमान स कक िाया राहर ही िोड़ दो हमन कवल तमह ही रलाया ह िाया तो साथ ही रहगी दवि

राग की िाया ह वरागय राग की िाया ह

इसतलए तो म तमस कहता ह असली वरागी वरागी नही होता असली वरागी तो राग स मि हो गया

इसतलए महावीर-रदध न उस नया ही नाम कदया ह उस वीतराग कहा ह तीन शबद हए--राग वरागय

वीतरागता राग का अथा ह सरध ककसी स ह और ऐसी आशा कक सरध स सि तमलगा राग सि का सपना

ह ककसी दसर स सि तमलगा इसकी आकाकषा ह दवि ककसी दसर स दि तमल रहा ह इसका अनभव ह

तमतरता ककसी को अपना मानन की आकाकषा ह शतरता कोई अपना तसदध न हआ पराया तसदध हआ इसका

रोध ह तमतरता एक सवपन ह शतरता सवपन का टट िाना राग अधर म टटोलना ह दवार की आकाकषा म लककन

िर दवार नही तमलता और दीवाल तमलती ह तो दवि पदा हो िाता ह दवार अधर म ह ही नही टटोलन स न

तमलगा दवार टटोलन म नही ह दवार िागन म ह

तो रदध कहत ह तिसक तचतत म राग नही ह राग का अथा ह तिसन यह खयाल िोड़ कदया कक दसर स

सि तमलगा िो िाग गया और तिसन समझा कक सि ककसी स भी नही तमल सकता एक ही भातत ह कहो

इस ससार कक दसर स सि तमल सकता ह पतनी स या तपता स या भाई स या रट स या तमतर स या धन स

या मकान स या पद स दसर स सि तमल सकता ह--तो राग पदा होता ह सवाभातवक तिसस सि तमल

सकता ह उस हम गवाना न चाहग तिसस सि तमल सकता ह उस हम रचाना चाहग तिसस सि तमल

सकता ह वह कही दर न चला िाए कही कोई और उस पर कबिा न कर ल तो पतनी डरी ह कक पतत कही

ककसी और सतरी की तरफ न दि ल पतत डरा ह कक पतनी कही ककसी और म उतसक न हो िाए कयोकक इसी स

तो सि की आशा ह वह सि कही और कोई दसरा न ल ल

लककन सि कभी ककसी दसर स तमला ह ककसी न भी कभी कहा कक दसर स सि तमला ह आशा

और आशा और आशा आशा कभी भरती नही ककसन तमह आशवासन कदया ह कक दसर स सि तमल

सकगा और दसरा िर तमहार पास आता ह तो धयान रिना वह अपन सि की तलाश म तमहार पास आया

ह तम अपन सि की तलाश म उसक पास गए हो न उसको परयोिन ह तमहार सि स न तमको परयोिन ह

उसक सि स तमलगा कस परयोिन ही नही ह पतनी तमहार पास ह इसतलए नही कक तमह सि द तम पतनी

क पास हो इसतलए नही कक तम उस सि दो

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उपतनिद कहत ह कौन पतनी को पतनी क तलए परम करता ह पतनी क तलए कोई परम नही करता अपन

तलए परम करता ह कौन पतत को पतत क तलए परम करता ह अपन तलए परम करता ह सि की आकाकषा अपन

तलए ह और इसतलए अगर ऐसा भी हो िाए कक तमह लग कक दसर को दि दकर सि तमलगा तो भी तम

तयार हो और यही होता ह सोचत ह दसर स सि तमलगा लककन हम भी दसर को दि ही द पात ह और

दसरा भी हम दि द पाता ह

तिसन इस सतय को दि तलया वह सनयसत हो गया सनयास का कया अथा ह तिसन इस सतय को दि

तलया कक दसर स सि न तमलगा उसन अपनी कदशा मोड़ ली वह भीतर घर की तलाश म लग गया अपन

भीतर िोिन लगा कक राहर तो सि न तमलगा अर भीतर िोि ल शायद िो राहर नही ह वह भीतर हो

और तिनहोन भी भीतर झाका व कभी िाली हाथ वापस न लौट उनक पराण भर गए उनक पराण इतन

भर गए कक उनह िद ही न तमला उनहोन लटाया भी उनहोन राटा भी कि ऐसा ििाना तमला कक राटन स

रढ़ता गया करीर न कहा ह दोनो हाथ उलीतचए िर सि तमल िाए तो दोनो हाथ उलीतचए कयोकक

तितना उलीचो उतना ही रढ़ता चला िाता ह िस कए स पानी िीचत िाओ झरन और नया पानी ल आत

ह पराना चला िाता ह नया आ िाता ह

तिसको सि तमल गया उस यह राि भी पता चल गया कक राटो कयोकक अगर समहालोग तो पराना ही

समहला रहगा नया-नया न आ सकगा लटाओ ताकक तम रोि नए होत चल िाओ िोटा-िोटा कआ भी

िोटा थोड़ ही ह अनत सागर स िड़ा ह भीतर स झरनो क रासत ह इधर िाली करो उधर भरता चला

िाता ह

तम आतमा ही थोड़ ही हो परमातमा भी हो तम िोट कए ही थोड़ ही हो सागर भी हो सागर ही िोट

स कए म स झाक रहा ह िोटा कआ एक तिड़की ह तिसस सागर झाका तम भी एक तिड़की हो तिसस

परमातमा झाका एक रार अपनी सध आ िाए एक रार यह खयाल आ िाए कक मरा सि मझ म ह तो राग

समापत हो िाता ह

तिसक तचतत म राग नही

अथाात तिसन िान तलया कक सि मरा भीतर ह इसतलए तिसक तचतत म दवि भी नही ह सवभावताः

िर दसर स सि तमलता ही नही तो कसी तशकायत कसा तशकवा कक दसर स दि तमला यह रात ही कफिल

हो गई सि का खयाल था तो ही दि का खयाल रनता था तिसस तम तितनी जयादा अपकषा रित हो उसस

उतना ही दि तमलता ह

लोग मझस पित ह कक पतत-पतनी एक-दसर क कारण इतन दिी कयो होत ह तो म उनस कहता ह वह

सरध ऐसा ह िहा सरस जयादा अपकषा ह इसतलए तितनी अपकषा उतनी मातरा म दि होगा कयोकक उतनी

असफलता हाथ लगगी राह पर चलता आदमी अचानक तमहार पास स गिर िाता ह उसस दि नही तमलता

तमलन का कोई कारण नही अिनरी ह अपकषा ही कभी नही की थी और अगर अिनरी मसकराकर दि ल

तो अचिा लगता ह

तमहारी पतनी मसकराकर दि पतत मसकराकर दि तो भी कि अचिा नही लगता लगता ह िरर कोई

िालसािी होगी पतनी मसकरा रही ह मतलर कही रािार म साड़ी दि आई ह या कही गहन दि तलए या

कोई नया उपिव ह कयोकक ससता नही ह मसकराना कोई मफत नही मसकराता िहा सरध ह वहा तो लोग

मतलर स मसकरात ह पतत अगर आि जयादा परसि घर आ गया ह फल ल आया ह तमठाइया ल आया ह तो

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पतनी सकदगध हो िाती ह कक िरर कि िरर कि दाल म काला ह ककसी सतरी को रहत गौर स दि तलया

होगा परायतितत कर रहा ह नही तो कभी घर कोई तमठाइया लकर आता ह

तिनस तितनी अपकषा ह उनस उतना ही दि तमलता ह तितनी अपकषा ह उतनी ही टटती ह तितना

रड़ा भवन रनाओग ताश क पततो का उतनी ही पीड़ा होगी कयोकक तगरगा उतना शरम उतनी शति उतनी

अभीपसाओ क इिधनि सर टट िाएग सर िमीन पर रौद हए पड़ होग उतनी ही पीड़ा होगी अिनरी स

दि नही तमलता अपररतचत स दि नही तमलता कयोकक अपकषा िररी ह

लककन अगर तम अपकषा ही िोड़ दो तो तमह कया कोई दि द सकगा इस रहत सोचना इस पर मनन

करना धयान करना अगर तम अपकषा िोड़ दो कोई माग न रह--कयोकक तम िाग गए कक तमलना ककसी स

कि भी नही ह--तो तम अचानक पाओग तमहार िीवन स दि तवसरिात हो गया अर कोई दि नही दता

सि न मागो तो कोई दि नही दता तर तो रड़ी अभतपवा घटना घटती ह तम सि नही मागत कोई

दि नही दता न राहर स सि आता ह न दि आता ह पहली रार तम अपन म रमना शर होत हो कयोकक

अर राहर निर रिन की कोई िररत ही न रही िहा स कि तमलना ही नही ह िहा िदान थी ही नही

तसफा धोिा था आभास था तम आि रद कर लत हो

इसतलए रदधपरिो की आि रद ह वह िो रद आि ह धयान करत रदध की या महावीर की वह इस

रात की िरर ह कवल कक अर राहर दिन योगय कि भी न रहा िर पान योगय न रहा तो दिन योगय कया

रहा दित थ कयोकक पाना था पान का रस लगा था तो गौर स दित थ िो पाना हो वही आदमी दिता

ह िर पान की भातत ही टट गई तो आदमी आि रद कर लता ह रद कर लता ह कहना ठीक नही आि रद

हो िाती ह पलक अपन आप रद हो िाती ह कफर आि को वयथा ही दिाना कया कफर आि को वयथा ही

िोलकर परशान कया करना और यह िो दतषट पर पलक का तगर िाना ह यही भीतर दतषट का पदा हो िाना

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

पाप और पणय व भी राहर स ही िड़ ह िस सि और दि इस थोड़ा समझना यह और भी सकषम

और भी िरटल ह यह तो रहत लोग तमह समझात तमल िाएग कक सि-दि राहर स तमलत नही तसफा तमहार

खयाल म ह लककन िो लोग तमह समझात ह राहर स सि न तमलगा और इसतलए राहर स दि भी नही

तमलता व भी तमस कहत ह पणय करो पाप न करो शायद व भी समझ नही कयोकक समझ होत तो दसरी

रात भी राहर स ही िड़ी ह कया ह दसरी रात वह पहली का ही दसरा पहल ह

पहला ह दसर स मझ सि तमल सकता ह तमलता ह दि इसतलए राग राधता ह और दवि फलता ह

रोता राग क रीि ह फसल दवि की काटता ह चाहता ह राग हाथ म आता ह दवि तड़फड़ाता ह िस रदध न

कहा कोई मिली को सागर क राहर कर द तट पर तड़फड़ाए ऐसा आदमी तड़फड़ाता ह

कफर पाप-पणय कया ह पाप-पणय इसका ही दसरा पहल ह पणय का अथा ह म दसर को सि द सकता

ह पाप का अथा ह म दसर को दि द सकता ह तर तमह समझ म आ िाएगा दसर स सि तमल सकता ह

यह और म दसर को सि द सकता ह यह दोनो एक ही तसकक क दो पहल हए दसरा मझ दि दता ह यह और

म दसर को दि द सकता ह यह भी उसी रात का पहल हआ

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इसतलए रदध न इस सतर म रड़ी मतहमापणा रात कही ह कहा ह कक तिसक तचतत म न राग रहा न दवि

िो पाप-पणय स मि ह कयोकक िर यही समझ म आ गया कक कोई मझ सि नही द सकता तो यह भातत अर

कौन पालगा कक म ककसी को सि द सकता ह तो कसा पणय कफर यह भातत भी कौन पालगा कक मन ककसी

को पाप ककया ककसी को दि कदया यह भातत भी गई सि-दि क िात ही राग-दवि क िात ही पाप-पणय भी

चला िाता ह पाप-पणय सि और दि क ही सकषम रप ह

इसतलए तो धमागर तमस कहत ह कक िो पणय करगा वह सवगा िाएगा सवगा यानी सि तमन चाह इस

कभी ठीक-ठीक न दिा हो और धमागर कहत ह िो पाप करगा वह नका िाएगा नका यानी दि अगर पणय

का पररणाम सवगा ह और पाप का पररणाम नका ह तो एक रात साफ ह कक पाप-पणय सि-दि स ही िड़ ह

िर सि-दि ही िो गया तो पाप-पणय भी िो िात ह

धयान रिना दतनया म दो तरह क भयभीत लोग ह तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही

दसरा दि न द द और तिनको तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही मझस ककसी दसर को दि न हो िाए

तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर स सि लन म चक िाऊ और तिनको

तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर को सि दन स चक िाऊ तो तमहार धारमाक

और अधारमाक तभि नही ह एक-दसर की तरफ पीठ ककए िड़ होग लककन एक ही तल पर िड़ ह तल का

कोई भद नही ह कोई तमहारा धारमाक अधारमाक स ऊच तल पर नही ह ककसी और दसरी दतनया म नही ह

हो दौर-गम कक अहद-िशी दोनो एक ह

दोनो गिकतनी ह तििा कया रहार कया

चाह पतझड़ हो चाह वसत दोनो ही कषणभगर ह दोनो अभी ह अभी नही हो िाएग दोनो पानी क

रलरल ह दोनो ही कषणभगर ह दोनो म कि चनन िसा नही ह कयोकक अगर तमन रहार को चना तो धयान

रिना अगर तमन वसत को चना तो पतझड़ को भी चन तलया कफर वसत म अगर सि माना तो पतझड़ म

दि कौन मानगा

एक मतहला मर पास लाई गई रोती थी िाती पीटती थी पतत उसक चल रस वह कहन लगी मझ

ककसी तरह सातवना द समझाए ककसी तरह मझ मर दि क राहर तनकाल मन उसस कहा सि तन तलया

माना कक सि था अर दि कौन भोगगा त रहत होतशयारी की रात कर रही ह पतत क होन का सि त

कभी मर पास नही आई कक मझ इस सि स रचाए िगाए य म सि म डरी िा रही ह त कभी आई ही नही

इस रासत पर

लोग िर दि म होत ह तभी मकदर की तरफ िात ह और िो सि म िाता ह वही समझ पाता ह दि

म िाकर तम समझ न पाओग कयोकक दि िाया ह मल नही मल तो िा चका िाया गिर रही ह िाया को

कस रोका िा सकता ह

मन उस मतहला को कहा त रो ही ल अर दि को भी भोग ही ल कयोकक भातत दि की नही ह भातत

सि की ह सि तमल सकता ह तो कफर दि भी तमलगा वसत स मोह लगाया तो पतझड़ म रोओग िवानी

म िश हए रढ़ाप म रोओग पद म परसि हए तो कफर पद िोकर कोई दसरा रोएगा तमहार तलए मसकराए

तम तो आस भी तमह ही ढालन पड़ग और दोनो एक िस ह ऐसा तिसन िान तलया कयोकक दोनो का सवभाव

कषणभगर ह पानी क ररल िस ह

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धयान रिना यह िानना सि म होना चातहए दि म नही दि म तो रहत पकारत ह परमातमा को

और कफर सोचत ह शायद उस तक आवाि नही पहचती दि म पकारन की रात ही गलत ह िर तमन सि

म न पकारा तो तम गलत मौक पर पकार रह हो िर तमहार पास कठ था और तम पकार सकत थ तर न

पकारा अर िर कठ अवरदध हो गया ह तर पकार रह हो अर पकार तनकलती ही नही ऐसा नही ह कक

परमातमा नही सनता ह दि म पकार तनकलती ही नही दि तो अतनवाया हो गया

अगर सि म न िाग और सि को गिर िान कदया तो अर िाया को भी गिर िान दो मर दि िो

सि म िागता ह वही िागता ह िो दि म िागन की कोतशश करता ह वह तो साधारण कोतशश ह सभी

करत ह हर आदमी दि स मि होना चाहता ह ऐसा आदमी तम पा सकत हो िो दि स मि नही होना

चाहता लककन इसम सफलता नही तमलती नही तो सभी लोग मि हो गए होत लककन िो सि स मि

होना चाहता ह वह ततकषण मि हो िाता ह लककन सि स कोई मि नही होना चाहता यही आदमी की

तवडरना ह

दि स तम मि होना चाहत हो लककन वहा स मागा नही सि स तम मि होना नही चाहत वहा स

मागा ह दीवाल स तम तनकलना चाहत हो दवार स तम तनकलना नही चाहत िर दीवाल सामन आ िाती ह

तर तम तसर पीटन लगत हो कक मझ राहर तनकलन दो िर दवार सामन आता ह तर तम कहत हो अभी िलदी

कया ह आन दो दीवाल को कफर तनकलग

धयान रिना िो सि म सनयासी हआ वही हआ तन तयिन भिीथााः उनहोन ही िोड़ा तिनहोन भोग

म िोड़ा पतनी मर गई इसतलए तम सनयासी हो गए कदवाला तनकल गया इसतलए सनयासी हो गए नौकरी

न लगी इसतलए सनयासी हो गए चनाव हार गए इसतलए सनयासी हो गए तो तमहारा सनयास हार हए का

सनयास ह इस सनयास म कोई पराण नही लोग कहत ह हार को हररनाम हार को हररनाम हार हए को तो

कोई हरर का नाम नही हो सकता

िीत म समरण रिना रड़ा मतककल ह कयोकक िीत रड़ी रहोशी लाती ह िीत म तो तम ऐस अकड़

िात हो कक अगर परमातमा िद भी आए तो तम कहो कफर कभी आना आग रढ़ो अभी फसात नही और म

तमस कहता ह परमातमा आया ह कयोकक िीत म दवार सामन होता ह लककन तम अध होत हो

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

भय कयो पदा होता ह भय दो कारण स पदा होता ह िो तम चाहत हो कही ऐसा न हो कक न तमल

तो भय पदा होता ह या िो तमहार पास ह कही ऐसा न हो कक िो िाए तो भय पदा होता ह लककन िागरत

परि को पता चलता ह कक तमहार पास कवल तम ही हो और कि भी नही और िो तम हो उसको िोन का

कोई उपाय नही उस न चोर ल िा सकत ह न डाक िीन सकत ह नन जिदतत शसतरातण--उस शसतर िद नही

पात नन दहतत पावकाः--उस आग िलाती नही िागरत को पता चलता ह कक िो म ह वह तो शाशवत सनातन

ह उसकी कोई मतय नही

सोया कपता ह डरता ह कक कही कोई मझस िीन न ल

दो कदन पहल एक यवती न मझ आकर कहा कक म सदा डरती रहती ह कक िो मर पास ह कही तिन न

िाए मन उसस पिा कक त पहल मझ यह रता कया तर पास ह उसन कहा िर आप पित हो तो रड़ी

मतककल होती ह ह तो कि भी नही कफर डर ककस रात का ह कया ह तमहार पास िो िो िाएगा धन

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और िो तम सोचत हो तमहार पास ह और िो सकता ह कया तम उस रचा सकोग तम कल पड़ रह िाओग

सास नही आएगी-िाएगी मतकिया उड़गी तमहार चहर पर--तम उड़ा भी न सकोग--धन यही का यही पड़ा

रह िाएगा धन तमहारा ह तम नही थ तर भी यहा था तम नही होओग तर भी यहा होगा और धयान

रिना धन रोएगा नही कक तम िो गए मातलक िो गया और धन रोए धन को पता ही नही कक तम भी

मातलक थ तमन ही मान रिा था

तमहारी मानयता ऐसी ही ह िस मन सना ह एक हाथी एक िोट स नदी क पल पर स गिरता था और

एक मकिी उस हाथी क तसर पर रठी थी िर पल कपन लगा और उस मकिी न कहा दिो हमार विन स

पल कपा िा रहा ह हमार विन स उसन हाथी स कहा रट हमार विन स पल कप रहा ह हाथी न कहा कक

मझ अर तक पता ही न था कक त भी ऊपर रठी ह

कहत ह तिपकतलया उनको कभी तनमतरण तमल िाता ह उनकी िात-तररादरी म तो िाती नही व

कहती ह महल तगर िाएगा समहाल हए ह तिपकली चली िाएगी तो महल तगर िाएगा

तमहारी भातत ह कक तमहार पास कि ह तमहारी मालककयत झठी ह हा िो तमहार पास ह वह तमहार

पास ह उस न कभी ककसी न िीना ह न कोई िीन सकगा असतलयत म सपदा की पररभािा यही ह कक िो

िीनी न िा सक िो िीनी िा सक वह तो तवपदा ह सपदा नही ह वह सपततत नही ह तवपततत ह

तो दो डर ह आदमी तिनस कपता रहता ह कही मरा तिन न िाए सवभावताः तमन िो तमहारा नही ह

उसको मान तलया मरा इसतलए भय ह वह तिनगा ही तसकदर भी न रोक पाएगा नपोतलयन भी न रोक

पाएगा कोई भी न रोक पाएगा वह तिनगा ही वह तमहारा कभी था ही नही तमन नाहक ही अपना दावा

कर कदया था तमहारा दावा झठा था इसतलए तम भयभीत हो रह हो और िो तमहारा ह वह कभी तिनगा

नही लककन उसकी तरफ तमहारी निर नही ह िो अपना नही ह उसको मानकर रठ हो और िो अपना ह

उस तयाग कर रठ हो ससार का यही अथा ह सपदा का तयाग और तवपदा का भोग ससार का यही अथा ह िो

अपना नही ह उसकी घोिणा कक मरा ह और िो अपना ह उसका तवसमरण

तिसको सवय का समरण आ गया वह तनभाय हो िाता ह तनभाय नही अभय हो िाता ह वह भय स

मि हो िाता ह िो तमहारा नही ह उसन ही तो तमह तभिारी रना कदया ह माग रह हो हाथ फलाए हो

और ककतनी ही तभकषा तमलती िाए मन भरता नही मन भरना िानता ही नही

रदध कहत ह मन की आकाकषा दषपर ह वासना दषपर ह वह कभी भरती नही

एक समराट क दवार पर एक तभिारी िड़ा था और समराट न कहा कक कया चाहता ह उस तभिारी न

कहा कि जयादा नही चाहता यह मरा तभकषापातर भर कदया िाए िोटा सा पातर था समराट न मिाक म ही

कह कदया कक अर िर यह तभिारी सामन ही िड़ा ह और पातर भरवाना ह और िोटा सा पातर ह तो कया

अि क दानो स भरना सवणा अशरफायो स भर कदया िाए

मतककल म पड़ गया सवणा अशरफाया भरी गयी समराट भी हरान हआ व सवणा अशरफाया िो गयी पातर

िाली का िाली रहा लककन तिद पकड़ गई समराट को भी कक यह तभिारी यह कया मझ हरान आया ह वह

रड़ा समराट था उसक ििान रड़ भरपर थ उसन कहा कक चाह सारा सामराजय लट िाए लककन इस तभिारी

स थोड़ ही हारगा उसन डलवायी अशरफाया

लककन धीर-धीर उसक हाथ-पर कपन लग कयोकक डालत गए और व िोती गयी आतिर वह घरड़ा

गया

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विीरो न कहा कक य तो सर लट िाएगा और यह पातर कोई साधारण पातर नही मालम होता यह तो

कोई िाद का मामला ह यह आदमी तो कोई शतान ह उस तभिारी न कहा म तसफा आदमी ह शतान नही

और यह पातर आदमी क हदय स रनाया ह हदय कर भरता ह यह भी नही भरता इसम कि शतातनयत नही

ह तसफा मनषयता ह

कहत ह समराट उतरा जसहासन स उस तभिारी क पर िए और उसन कहा कक मझ एक रात समझ म

आ गई--न तरा पातर भरता ह न मरा भरा ह तर पातर म भी य सर सवणा अशरफाया िो गयी और मर पातर म

भी िो गई थी लककन तन मझ िगा कदया रस अर इसको भरन की कोई िररत न रही अर इस पातर को ही

फक दना ह िो भरता ही नही उस पातर को कया ढोना

लककन आदमी माग चला िाता ह िो उसका नही ह और चाह ककतनी ही रइजजती स तमल रशमी स

तमल माग चला िाता ह तभिारी रड़ रशमा होत ह तम उनस कहत चल िात हो हटो आग िाओ व तिदद

राधकर िड़ रहत ह रड़ हठधमी होत ह हठयोगी तभिमगा मन ही रड़ा तिददी ह रड़ी रशमी स माग चला

िाता ह

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ओक स ही पी लग

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

माग चल िात ह कोई लजजा भी नही ह पातर कभी भरता नही ककतन िनमो स तमन मागा ह कर

िागोग ककतनी रइजजती स मागा ह ककतन धकक-मकक िाए ह ककतनी रार तनकाल गए हो महकफल स कफर

भी िड़ हो

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ससार म आदमी ककतनी रइजजती झल लता ह ककतनी रशमी स माग चला िाता ह और एक रात नही

दिता कक इतना माग तलया कि भरता नही पातर िाली का िाली ह ककतना माग तलया कि भरता नही

दषपर ह तिस कदन यह कदिाई पड़ िाता ह उसी कदन तम पातर िोड़ दत हो उसी कषण अभय उतपि हो िाता

अभय उनही को उतपि होता ह तिनहोन यह सतय दि तलया कक िो तमहारा ह वह तमहारा ह मागन की

िररत नही तम उसक मातलक हो ही और िो तमहारा नही ह ककतना ही मागो ककतना ही इकिा करो तम

मातलक उसक हो न पाओग तिसक तम मातलक हो परमातमा न तमह उसका मातलक रनाया ही ह और

तिसक तम मातलक नही हो उसका तमह मातलक रनाया नही इस वयवसथा म तम कोई हर-फर न कर पाओग

यह वयवसथा शाशवत ह एस धममो सनतनो

और तिसक िीवन म अभय आ गया रदध कहत ह उसक िीवन म सर आ गया वह परमातमा सवय हो

गया िहा अभय आ गया वहा उठती ह पराथाना वहा उठता ह परमातमा लककन उसकी रदध रात नही करत

वह रात करन की नही ह वह चपचाप समझ लन की ह वह आि स आि म डाल दन की ह वह इशार-इशार

म समझ लन की ह िोर स कहन म मिा तरगड़ िाता ह वह रात चपपी म कहन की ह इसतलए रदध उसकी

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रात नही करत व मल रात कह दत ह आधार रि दत ह कफर व कहत ह रीि डाल कदया कफर तो वह अपन

स ही अकर रन िाता ह

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान इस तचतत को नगर क समान दढ़ ठहरा परजञारपी हतथयार स

मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर और उसम आसि न हो

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

शरीर घड़ा ही ह तम भीतर भर हो घड़ क तम घड़ नही हो िस घड़ म िल भरा ह या और भी ठीक

होगा िसा िाली घड़ा रिा ह और घड़ म आकाश भरा ह घड़ को तोड़ दो आकाश नही टटता घड़ा टट

िाता ह आकाश िहा था वही होता ह घड़ा टट िाता ह सीमा तमट िाती ह िो सीमा म रधा था वह

असीम क साथ एक हो िाता ह घटाकाश आकाश क साथ एक हो िाता ह

शरीर घड़ा ह तमिी का ह तमिी स रना ह तमिी म ही तगर िाएगा और तिसन यह समझ तलया कक म

शरीर ह वही भातत म पड़ गया सारी भातत की शरआत इस रात स होती ह कक म शरीर ह तमन अपन वसतरो

को अपना होना समझ तलया तमन अपन घर को अपना होना समझ तलया ठहर हो थोड़ी दर को पड़ाव ह

मतिल नही सरह हई और यातरीदल चल पड़गा थोड़ा िागकर इस दिो

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

रड़ी किसी ह रड़ी सकीणाता ह

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

कल दो कदन की जिदगी ह उसम भी एक मौत का कदन तनकल िाता ह एक कदन की जिदगी ह और कस

इठलात हो कस अकड़ िात हो कस भल िात हो कक मौत दवार पर िड़ी ह शरीर तमिी ह और तमिी म तगर

िाएगा

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

रदध यह नही कहत कक मान रदध कहत ह िान रदध का सारा िोर रोध पर ह व यह नही कहत कक म

कहता ह इसतलए मान ल कक शरीर घड़ की तरह ह व कहत ह त िद ही िान थोड़ा आि रद कर और

पहचान त घड़ स अलग ह

धयान रिना तिस चीि क भी हम िषटा हो सकत ह उसस हम अलग ह तिसक हम िषटा न हो सक

तिसको दकय न रनाया िा सक वही हम ह आि रद करो और शरीर को तम अलग दि सकत हो हाथ टट

िाता ह तम नही टटत तम लाि कहो कक म टट गया रात गलत मालम होगी िद ही गलत मालम होगी

हाथ टट गया पर टट गया आि चली गई तम नही चल गए भि लगती ह शरीर को लगती ह तमह नही

लगती हालाकक तम कह चल िात हो कक मझ भि लगी ह पयास लगती ह शरीर को लगती ह कफर िलधार

चली िाती ह ततपत हो िाती ह शरीर को होती ह

सर ततपतया सर अततपतया शरीर की ह सर आना-िाना शरीर का ह रनना-तमटना शरीर का ह तम न

कभी आत न कभी िात घड़ रनत रहत ह तमटत िात ह भीतर का आकाश शाशवत ह उस कोई घड़ा कभी

ि पाया उस पर कभी धल िमी रादल रनत ह तरिर िात ह आकाश पर कोई रिा िटती ह तम पर भी

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नही िटी तमहारा कवारापन सदा कवारा ह वह कभी गदा नही हआ इस भीतर क सतय क परतत िरा आि राहर

स रद करो और िागो

रदध कहत ह इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

तसदधात की तरह मत मान लना कक ठीक ह कयोकक तमन रहत रार सना ह महातमागण समझात रहत

ह शरीर अतनतय ह कषणभर का रलरला ह तमन भी सन-सनकर याद कर ली ह रात याद करन स कि भी न

होगा िानना पड़गा कयोकक िानन स मति आती ह जञान रपातररत करता ह

इस तचतत को इस तरह ठहरा ल िस कक कोई नगर चिान पर रसा हो या ककसी नगर का ककला पहाड़

की चिान पर रना हो--अतडग चिान पर रना हो

इस तचतत को नगरकोट क समान दढ़ ठहरा ल

सारी कला इतनी ही ह कक मन न कप अकप हो िाए कयोकक िर तक मन कपता ह तर तक दतषट नही

होती िर तक मन कपता ह तर तक तम दिोग कस तिसस दित थ वही कप रहा ह ऐसा समझो कक तम

एक चकमा लगाए हए हो और चकमा कप रहा ह चकमा कप रहा ह िस कक हवा म पतता कप रहा हो कोई

पतता कप रहा हो तफान म ऐसा तमहारा चकमा कप रहा ह तम कस दि पाओग दतषट असभव हो िाएगी

चकमा ठहरा हआ होना चातहए

मन कपता हो तो तम सतय को न िान पाओग मन क कपन क कारण सतय तमह ससार िसा कदिाई

पड़ रहा ह िो एक ह वह अनक िसा कदिाई पड़ रहा ह कयोकक मन कप रहा ह िस कक रात चाद ह परा

चाद ह आकाश म और झील नीच कप रही ह लहरो स तो हिार टकड़ हो िात ह चाद क परततजरर नही

रनता पर झील पर चादी फल िाती ह लककन चाद का परततजरर नही रनता हिार टकड़ हो िात ह कफर

झील ठहर गई लहर नही कपती सर मौन हो गया सिाटा हो गया झील दपाण रन गई अर चाद एक रनन

लगा अनक कदिाई पड़ रहा ह अनक ह नही अनक कदिाई पड़ रहा ह कपत हए मन क कारण

मन सना ह एक रात मलला नसरददीन घर आया शरार जयादा पी गया ह हाथ म चारी लकर ताल म

डालता ह नही िाती हाथ कप रहा ह पतलस का आदमी दवार पर िड़ा ह वह रड़ी दर तक दिता रहा कफर

उसन कहा कक नसरददीन म कि सहायता कर लाओ चारी मझ दो म िोल द नसरददीन न कहा चारी की

तम कफकर न करो िरा इस कपत मकान को तम पकड़ लो चारी तो म िद ही डाल दगा

िर आदमी क भीतर शरार म सर कप रहा हो तो उस ऐसा नही लगता कक म कप रहा ह उस लगता

ह यह मकान कप रहा ह तमन कभी शरार पी भाग पीकर कभी चल रासत पर िरर चलकर दिना

चातहए एक दफा अनभव करन िसा ह उसस तमह पर िीवन क अनभव का पता चल िाएगा कक ऐसा ही

ससार ह इसम तम नश म चल रह हो तम कप रह हो कि भी नही कप रहा ह तम िड-िड हो गए हो

राहर तो िो ह वह अिड ह तम अनक टकड़ो म रट गए हो राहर तो एक ह दपाण टट गया ह तो रहत तचतर

कदिाई पड़ रह ह िो ह वह एक ह रदध कहत ह तचतत ठहर िाए अकप हो िाए िस दीए की लौ ठहर िाए

कोई हवा कपाए न

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर पर उसम आसि न हो

यह रड़ी करठन रात ह करठनतम साधक क तलए कयोकक इसम तवरोधाभास ह रदध कहत ह आकाकषा

कर लककन आसि मत हो सतय की आकाकषा करनी होगी और सतय को िीतन की भी यातरा करनी होगी

50

तविय को सरतकषत करना होगा नही तो िो िाएगी हाथ स तविय ऐस रठ-ठाल नही तमल िाती ह रड़ा

उदयम रड़ा उदयोग रड़ा शरम रड़ी साधना रड़ी तपियाा

िीत क लाभ की रकषा कर

और िो िोटी-मोटी िीत तमल उसको रचाना रकषा करना भल मत िाना नही तो िो कमाया ह वह

भी िो िाता ह

तो धयान सतत करना होगा िर तक समातध उपलबध न हो िाए अगर एक कदन की भी गाकफलता की

एक कदन की भी भल-चक की तो िो कमाया था वह िोन लगता ह धयान तो ऐसा ही ह िस कक कोई

साइककल पर सवार आदमी पडल मारता ह वह सोच कक अर तो चल पड़ी ह साइककल अर कया पडल

मारना पडल मारना रद कर द तो जयादा दर साइककल न चलगी चढ़ाव होगा तर तो फौरन ही तगर िाएगी

उतार होगा तो शायद थोड़ी दर चली िाए लककन ककतनी दर िाएगी जयादा दर नही िा सकती सतत

पडल मारन होग िर तक कक मतिल ही न आ िाए

धयान रोि करना होगा िो-िो कमाया ह धयान स उसकी रकषा करनी होगी

िीत क लाभ की रकषा कर

वह िो-िो हाथ म आ िाए उसको तो रचाना तितना थोड़ा सा तचतत साफ हो िाए ऐसा मत सोचना

कक अर कया करना ह सफाई वह कफर गदा हो िाएगा िर तक कक पररपणा अवसथा न आ िाए समातध की

तर तक शरम िारी रिना होगा

हा समातध फतलत हो िाए कफर कोई शरम का सवाल नही समातध उपलबध हो िाए कफर तो तम उस

िगह पहच गए िहा कोई चीि तमह कलतित नही कर सकती मतिल पर पहच गए कफर तो साइककल को

चलाना ही नही उतर ही िाना ह कफर तो िो पडल मार वह नासमझ कयोकक वह कफर मतिल क इधर-उधर

हो िाएगा एक ऐसी घड़ी आती ह िहा उतर िाना ह िहा रक िाना ह िहा यातरा ठहर िाएगी लककन

उस घड़ी क पहल तो शरम िारी रिना और िो भी िोटी-मोटी तविय तमल िाए उसको समहालना ह सपदा

को रचाना ह

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर

वही एक हतथयार ह आदमी क पास--होश का परजञा का उसी क साथ वासना स लड़ा िा सकता ह और

कोई हतथयार काम न आएगा िरदासती स लड़ोग हारोग दराओग टटोग वासना को ककसी तरह तिपाओग

तिपगी नही आि नही कल फट पड़गी तवसफोट होगा पागल हो िाओग तवतकषपत हो िाओग तवमि नही

एक ही उपाय ह तिसस भी लड़ना हो होश स लड़ना होश को ही एकमातर असतर रना लना अगर करोध ह तो

करोध को दराना मत करोध को दिना करोध क परतत िागना अगर काम ह तो काम पर धयान करना होश स

भरकर दिना कया ह काम की वततत

और तम चककत होओग इन सारी वतततयो का अतसततव तनिा म ह परमाद म ह िस दीया िलन पर

अधरा िो िाता ह ऐस ही होश क आन पर य वतततया िो िाती ह मार शतान काम--कि भी नाम दो--

तमहारी मचिाा का ही नाम ह

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

रदध कहत ह िर तम िागकर दिोग परम आनद का अनभव होगा भीतर एक उदघोि होगा--

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

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यह शरीर तम नही और तिस कदन तम अपन शरीर को वयथा काठ की भातत पड़ा हआ दि लोग उसी

कदन तम शरीर क पार हो गए अततकरमण हआ शरीर मौत ह शरीर रोग ह शरीर उपातध ह िो शरीर स

मि हआ वह तनरपातधक हो गया

शरीर स मि होन का कया अथा ह शरीर स मि होन का अथा ह इस रात की परतीतत गहन हो िाए

सघन हो िाए यह लकीर कफर तमटाए न तमट यह रोध कफर दराए न दर यह रोध सतत हो िाए िागन म

सोन म यह अनभव होता रह कक तम शरीर म हो शरीर ही नही

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

दकमन स मत डरो रदध कहत ह वह तमहारा कया तरगाड़गा डरो अपन तचतत स शतर शतर की इतनी

हातन नही करता--नही कर सकता--तितना तमहारा तचतत गलत कदशा म िाता हआ तमहारी हातन करता ह

रदध न कहा ह तमहारा ठीक कदशा म िाता तचतत ही तमतर ह और तमहारा गलत कदशा म िाता तचतत ही शतर

ह तम अपन ही तचतत स सावधान हो िाओ तम अपन ही तचतत का सदपयोग कर लो समयक उपयोग कर लो

कफर तमहारी कोई हातन नही करता अगर कोई दसरा भी तमहारी हातन कर पाता ह तो तसफा इसीतलए कक

तमहारा तचतत गलत कदशा म िा रहा था नही तो कोई तमहारी हातन नही कर सकता ठीक कदशा म िात तचतत

की हातन असभव ह इसतलए असली सवाल उसी भीतर क दढ़ दगा को उपलबध कर लना ह

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

कया ह गलत मागा सवय को न दिकर शि सर कदशाओ म भटकत रहना भीतर न िोिकर और सर

िगह िोिना अपन म न झाककर सर िगह झाकना अपन घर न आना और हर घर क सामन भीि मागना

गलत मागा ह और ऐस तम चलत ही रह हो

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

यह तचतत तमहारा हरक क साथ हो िाता ह कोई भी यातरी तमल िाता ह उसी क साथ हो िाता ह

कोई सतरी तमल गई कोई परि तमल गया कोई पद तमल गया कोई धन तमल गया कोई यश तमल गया चल

पड़ा थोड़ी दर चलता ह कफर हाथ िाली पाकर कफर ककसी दसर क साथ चलन लगता ह राह पर चलत

अिनतरयो क साथ हो लता ह अभी अपन मागादशाक को पहचानता नही ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

िो तमल गया उसी क साथ हो लता ह अपना कोई होश नही

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

अभी कौन मागादशाक ह कौन गर ह उस म पहचानता नही

रदध न कहा ह तमहारा होश ही तमहारा गर ह कभी आि लभा लती ह रप की तरफ चल पड़ता ह

कभी कान लभा लता ह सगीत की तरफ चल पड़ता ह कभी िीभ लभा लती ह सवाद की तरफ चल पड़ता ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पर हाथ कभी भरत नही पराण कभी तपत होत नही सोचकर कक यह ठीक नही कफर ककसी और क साथ

चल पड़त ह मगर एक रात याद नही आती--

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पहचानता नही ह अभी राहरर को म

कौन ह तिसक पीि चल होश िागतत धयान उसक पीि चलो तो ही पहच पाओग कयोकक उसका

तिसन साथ पकड़ तलया वह अपन घर लौट आता ह वह अपन सरोत पर आ िाता ह गगा गगोतरी वापस आ

िाती ह

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

हआ तचतत करता ह

और कोई तमतर नही ह और कोई सगा-साथी नही ह और कोई सगी सग करन योगय नही ह एक ही

साथ िोि लन योगय ह अपन रोध का साथ कफर तम वीरान म भी रहो रतगसतान म भी रहो तो भी अकल

नही हो और अभी तम भरी दतनया म हो और तरलकल अकल हो चारो तरफ भीड़-भाड़ ह रड़ा शोरगल ह

पर तम तरलकल अकल हो कौन ह तमहार साथ मौत आएगी कौन तमहार साथ िा सकगा लोग मरघट तक

पहचा आएग उसस आग कफर कोई तमहार साथ िान को नही ह कफर तमह कहना ही पड़गा मन स कहो

रमन स कहो--

शककरया ऐ कबर तक पहचान वाल शककरया

अर अकल ही चल िाएग इस मतिल स हम

कफर चाह मन स कहो चाह रमन स कहो कहो चाह न कहो मौत क राद अकल हो िाओग थोड़ा

सोचो िो मौत म काम न पड़ व िीवन म साथ थ िो मौत म भी साथ न हो सका वह िीवन म साथ कस हो

सकता ह धोिा था एक भातत थी मन को भला तलया था मना तलया था समझा तलया था डर लगता था

अकल म अकल होन म रचनी होती थी चारो तरफ एक सपना रसा तलया था अपनी ही कलपनाओ का िाल

रन तलया था अपन अकलपन को भलान क तलए मान रठ थ कक साथ ह लककन कोई ककसी क साथ नही कोई

ककसी क सग नही अकल हम आत ह और अकल हम िात ह और अकल हम यहा ह कयोकक दो अकलपन क

रीच म कहा साथ हो सकता ह

िनम क पहल अकल मौत क राद अकल यह थोड़ी सी दर पर राह तमलती ह इस राह पर रड़ी भीड़

चलती ह तम यह मत सोचना तमहार साथ चल रही ह सर अकल-अकल चल रह ह ककतनी ही रड़ी भीड़

चल रही हो सर अकल- अकल चल रह ह इसको तिसन िान तलया इसको तिसन समझ तलया वह कफर

अपना साथ िोिता ह कयोकक वही मौत क राद भी साथ होगा कफर वह अपना साथ िोिता ह वह कभी न

िटगा

अपना साथ िोिना ही धयान ह दसर का साथ िोिना ही तवचार ह इसतलए तवचार म सदा दसर की

याद रनी रहती ह तमहार सर तवचार दसर की याद ह अगर तम धयान करो--तवचार पर तवचार करो रठकर-

-तो तम पाओग तमहार तवचारो म तम करत कया हो तमहार तवचारो म तम दसरो की याद करत हो राहर स

साथ न हो तो भीतर स साथ ह

एक यवा सनयसत होन एक गर क पास पहचा तनिान मकदर म उसन परवश ककया गर न उसक चारो

तरफ दिा और कहा कक ककसतलए आए हो उस यवक न कहा कक सर िोड़कर आया ह तमहार चरणो म

परमातमा को िोिना ह उस गर न कहा पहल य भीड़-भाड़ िो तम साथ ल आए हो राहर ही िोड़ आओ

उस यवक न चौककर चारो तरफ दिा वहा तो कोई भी न था भीड़-भाड़ का नाम ही न था वह अकल ही

53

िड़ा था उसन कहा आप भी कसी रात करत ह म तरलकल अकला ह तर तो उस यवक को थोड़ा शक हआ

कक म ककसी पागल क पास तो नही आ गया

उस गर न कहा वह मझ भी कदिाई पड़ता ह आि रद करक दिो वहा भीड़-भाड़ ह उसन आि रद

की तिस पतनी को रोत हए िोड़ आया ह वह कदिाई पड़ी तिन तमतरो को गाव क राहर तरदा माग आया ह व

िड़ हए कदिाई पड़ रािार दकान सरधी तर उस समझ आया कक भीड़ तो साथ ह

तवचार राहर की भीड़ क परततजरर ह तवचार िो तमहार साथ नही ह उनको साथ मान लन की कलपना

ह धयान म तम तरलकल अकल हो या अपन ही साथ हो रस

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

तचतत करता ह

सही मागा स कया मतलर अपनी तरफ लौटता तिसको पतितल न परतयाहार कहा ह भीतर की तरफ

लौटता तिसको महावीर न परततकरमण कहा ह अपनी तरफ आता हआ तिसको िीसस न कहा ह लौटो

कयोकक परमातमा का राजय तरलकल हाथ क करीर ह वापस आ िाओ

यह वापसी यह लौटना धयान ह यह लौटना ही तचतत का ठीक लगना ह तम तचतत क ठीक लगन स यह

मत समझ लना कक अचिी-अचिी रातो म लगा ह कफलम की नही सोचता सवगा की सोचता ह सवगा भी कफलम

ह अचिी-अचिी रातो म लगा ह दकान की नही सोचता मकदर की सोचता ह मकदर भी दकान ह अचिी-

अचिी रातो म लगा ह यह मत समझ लना मतलर कक पाप की नही सोचता पणय की सोचता ह पणय भी

पाप ह अचिी-अचिी रातो का तम मतलर मत समझ लना कक राम-राम िपता ह मरा-मरा िपो कक राम-

राम िपो सर ररारर ह दसर की याद पर का जचतन कफर वह मकदर का हो कक दकान का राम का हो कक

रहीम का इसस कोई फका नही पड़ता

ठीक कदशा म लग तचतत का अथा ह अपनी कदशा म लौटता वहा तवचार िटत िात ह धीर-धीर तम ही

रह िात हो तमहारा अकला होना रह िाता ह शदध मातर तम इतना शदध कक म का भाव भी नही उठता

कयोकक म का भाव भी एक तवचार ह अहकार भी नही उठता कयोकक अहकार भी एक तवचार ह िर और सर

िट िात ह उनही क साथ वह भी िट िाता ह तिस मकाम पर तम त को िोड़ आत हो वही म भी िट

िाता ह िहा तम दसरो को िोड़ आत हो वही तम भी िट िात हो कफर िो शि रह िाता ह कफर िो शि

रह िाता ह शदधतम िर तक उसको न पा लो तर तक जिदगी गलत कदशा म लगी ह

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

िर तक इस िगह न आ िाओ तर तक सारी जिदगी एक गनाह ह एक पाप ह तर तक तम ककतना ही

अपन को समझाओ ककतना ही अपन को ठहराओ तम कपत ही रहोग भय स तर तक तम ककतना ही

समझाओ तम धोिा द न पाओग तमहारी हर सातवना क नीच स िाई झाकती ही रहगी भय की घरड़ाहट

की मतय तमहार पास ही िड़ी रहगी तमहारी जिदगी को जिदगी मानकर तम धोिा न द पाओग और तम

ककतन ही पणय करो िर तक तम सवय की सतता म नही परतवषट हो गए हो--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

वही परमातमा ह वही तमहारा होना ह--तमस भी मि वही परमातमा ह िहा घड़ा िट गया और

कोरा आकाश रह गया नया कफर भी सनातन सदा का कफर भी सदा नया और तािा

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य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

और िर तक तम उस िगह नही पहच िात तर तक तम अनभव करत ही रहोग कक कोई पाप हआ िा

रहा ह कि भल हई िा रही ह पर कही गलत पड़ िा रह ह लाि समहालो तम समहल न पाओग एक ही

समहलना ह और वह समहलना ह धीर-धीर अपनी तरफ सरकना उस भीतरी जरद पर पहच िाना ह तिसक

आग और कि भी नही तिसक पार रस तवराट आकाश ह

इस रदध न शदधता कहा ह इस शदधता म िो परतवषट हो गया उसन ही तनवााण पा तलया उसन ही वह पा

तलया तिस पान क तलए िीवन ह और िर तक ऐसा न हो िाए तर तक गनगनात ही रहना भीतर गनगनात

ही रहना--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

इस याद रिना तर तक भल मत िाना कही ऐसा न हो कक तम ककसी पड़ाव पर ही सोए रह िाओ

कही ऐसा न हो कक तम भल ही िाओ कक िीवन िागन का एक अवसर था यह पाठशाला ह इसस उततीणा

होना ह यहा घर रसाकर रठ नही िाना ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

चौदहवा परवचन

अनत तिपा ह कषण म

पहला परशनाः आप शरदधा परम आनद की चचाा करत ह लककन आप शति क रार म कयो नही समझात

आिकल मझम असहय शति का आतवभााव हो रहा ह यह कया ह और इस तसथतत म मझ कया रि लना

चातहए

शति की रात करनी िररी ही नही िर शति का आतवभााव हो तो परम म उस राटो आनद म उस

ढालो उस दोनो हाथ उलीचो

शति क आतवभााव क राद अगर उलीचा न अगर राटा न अगर औरो को साझीदार न रनाया अगर

परम क गीत न गाए उतसव पदा न ककया िीवन म तो शति रोझ रन िाएगी तो शति पतथर की तरह िाती

पर रठ िाएगी कफर शति स समसया उठगी

गरीरी की ही समसयाए नही ह ससार म अमीरी की रड़ी समसयाए ह लककन अमीर की सरस रड़ी

समसया यह ह कक िो धन उस तमल गया उसका कया कर पर यह भी कोई समसया ह उस राटो उस

लटाओ रहत ह तिनक पास नही ह उनह दो

करठनाई इसतलए िड़ी होती ह कक हमन िीवन म कवल मागन की कला सीिी ह और िर हम समराट

रनत ह तो अड़चन आ िाती ह मागन की कला का अभयास कफर अचानक िर हम समराट रन िात ह

परमातमा क परसाद स उतरती ह अपररसीम ऊिाा तर भी हम मागना ही िानत ह दना नही िानत हमार

िीन का सारा ढग मागना तसिाता ह कफर िर परमातमा हम पर ररसता ह तो राटन की हमार पास कोई

कला नही होती आदत नही होती अभयास नही होता इसतलए अड़चन आती ह यही तो करठनाई ह

मर पास रहत अमीर लोग आ िात ह व कहत ह रड़ी अड़चन ह धन तो ह कया कर अड़चन कया

ह अड़चन यही ह कक आदत गरीरी की ह आदत तभिारी की ह अड़चन यही ह जिदगीभर मागा--कमाना

सीिा राटना तो कभी सीिा नही सीित भी कस था ही नही तो राटत कया िो नही था उसको मागा

इकिा ककया िोड़ा सिोया सारा िीवन इकिा करन की आदत रन गई कफर तमला अर दन को हाथ नही

िलत रढ़त नही यही अड़चन ह यह अड़चन समझ ली तो हल हो गई कि करना थोड़ ही ह

शति तमल गई आतवभााव हआ यही तो सार धयान की चषटा ह

और तम पित हो कक आप शरदधा परम आनद की रात करत ह शति क रार म कयो नही समझात

वही तो म शति क रार म समझा रहा ह कक िर शति उठ तो आनद रनाना नही तो मतककल िड़ी

होगी िर शति उठ तो नाचना कफर साधारण चलन स काम न रनगा दौड़ना कफर ऐस ही उठना-रठना

काफी न होगा अपरव नतय िर तक िीवन म न होगा तर तक रोझ मालम होगा तितनी रड़ी शति उतनी

रड़ी तिममवारी उतरती ह तितना जयादा तमहार पास ह अगर तम उस फला न सक तो रोझ हो िाएगा

शति की समसया नही ह फलाना सीिो इसतलए तो परम की रात करता ह शति की रात नही करता

तिनक पास शति नही ह उनह शति क सरध म कया समझाना तिनक पास ह उनह शति क सरध म कया

समझाना तिनक पास नही ह उनह शति कस पदा की िाए--कस धयान साधना तपियाा अभयास योग

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ततर--कस शति पदा की िाए यह समझाना िररी ह कफर तिनक पास शति आ िाए दवार िल िाए

परमातमा का और ररसन लग उसकी ऊिाा उनह शति क सरध म कया समझाना िर शति सामन ही िड़ी ह

तो अर उसक सरध म कया रात करनी उनह समझाना ह परम आनद उतसव इसतलए परतयक धयान पर मरा

िोर रहा ह कक तम उस उतसव म परा करना कही ऐसा न हो कक धयान करन का तो अभयास हो िाए और

राटन का अभयास न हो

रहत लोग दीनता स मर ह रहत लोग सामराजय स मर गए ह रहत स लोग इसतलए दिी ह कक उनक

पास नही ह कफर रहत स लोग इसतलए दिी हो िात ह कक उनक पास ह अर कया कर और िीवन का िो

रसाधयकष ह वह दिता ह कक तमन अपनी ऊिाा का कया उपयोग ककया उस सतचत ककए चल गए कपणता

की इकिा ककया तो तिसस महाआनद फतलत हो सकता था उसस तसफा नका ही तनरमात होगा

तमन कभी खयाल ककया मीरा न कडतलनी की रात नही की रचगी कहा कडतलनी नाच म रह िाती

ह योगी करत ह रात कयोकक राटना नही िानत कडतलनी का अथा कया ह ऊिाा उठी और रह नही पा रही

ह तो भीतर भरी मालम पड़ती ह लककन मीरा म कहा रचगी भरन क पहल लटाना आता ह आती भी नही

कक राट दती ह गीत रना लती ह नाच ढाल लती ह उतसव म रपातररत हो िाती ह इसतलए मीरा न

कडतलनी की रात नही की चतनय न कडतलनी की रात नही की तम चककत होओग भिो न रात ही नही की

कडतलनी की

कया भिो को कभी कडतलनी का अनभव नही हआ ह एक महतवपणा सवाल ह कक कया भिो न

कडतलनी को नही िाना िाना लककन इकिा नही ककया इसतलए कभी समसया न रनी कपण क तलए धन

समसया हो िाती ह दाता क तलए कोई समसया ह दाता तो आनकदत होता ह कक इतन कदन तक राटन की

इतनी आकाकषा थी अर परी हई िाती ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

रसाधयकष िीवन का िो उतसव िाच रहा ह दि रहा ह वह माला क दानो पर तगनता रहा--

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

शति का अथा ह तमहार आग िाम ह अर पी लो मत पिो कक िाम का कया कर सामन पयाली भरी

ह पीयो और तपलाओ उतसव रनो

यहकदयो की अदभत ककतार तालमद कहती ह परमातमा तमस यह न पिगा कक तमन कौन-कौन सी

भल की परमातमा तमस यही पिगा कक तमन आनद क कौन-कौन स अवसर गवाए तमस यह न पिगा

तमन कौन-कौन स पाप ककए

यह रात मझ रड़ी िचती ह परमातमा और पाप का तहसार रि रात ही ठीक नही परमातमा और

पापो का तहसार रि परमातमा न हआ तमहारा पराइवट सकरटरी हो गया कोई पतलस का इसपकटर हो गया

कोई अदालत का मतिसटरट हो गया परमातमा न हआ कोई आलोचक हो गया कोई जनदक हो गया परमातमा

की इतनी रड़ी आिो म तमहार पाप कदिाई पड़ग तमहारी भल कदिाई पड़गी

नही तालमद ठीक कहता ह परमातमा पिगा कक इतन सि क अवसर कदए उनको गवाया कयो इतन

नाचन क मौक थ तम रठ कयो रह इतन किस कयो थ इतन कपण कयो थ मन तमह इतना कदया था तमन

उस राटा होता तमन उस रहाया होता तम एक रद सरोवर की तरह कयो रह तम रहती हई सररता कयो न

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रन तम कपण वकष की तरह रह कक तिसन फलो को न तिलन कदया कक कही सगध रट न िाए तम एक

िदान की तरह रह िो अपन हीरो को दराए रही कही सरि की रोशनी न लग िाए

परमातमा न तमहार सामन िीवन की पयाली भरकर रि दी ह और एक रात समझ लना कक तम

तितना इस पयाली पर दसरो को तनमततरत करोग उतनी यह पयाली भरती चली िाएगी तम इस िाली ही न

करोग तो यह रोझ भी हो िाएगी और परमातमा भर कस इस और कस भर यह भरी हई रिी ह तम इस

उलीचो िाली करो तम पर रोझ भी न होगी और परमातमा को और भरन का मौका दो तिसन एक आनद

की घड़ी का उपयोग कर तलया उसक िीवन म दस आनद की घतड़या उपलबध हो िाती ह िो एक रार नाचा

दस रार नाचन की कषमता उस उपलबध हो िाती ह

लककन यह रड़ी करठन रात ह तम कहत िरर हो आनद चाहत ह लककन तमह आनद क सवभाव का

कि पता नही तमह आनद भी तमल िाए तो तम उसस भी दि पाओग तम ऐस अभयासी हो गए हो दि क

दि का सवभाव ह तसकड़ना आनद का सवभाव ह फलना इसतलए िर कोई दि म होता ह तो एकात चाहता

ह रद कमरा करक पड़ा रहता ह अपन तरसतर पर तसर को ढाककर न ककसी स तमलना चाहता ह न ककसी स

िलना चाहता ह चाहता ह मर ही िाऊ कभी-कभी आतमहतया भी कर लता ह कोई तसफा इसीतलए कक अर

कया तमलन को रहा

लककन िर तम आनकदत होत हो तर तम तमतरो को रलाना चाहत हो तमतरो स तमलना चाहत हो तम

चाहत हो ककसी स राटो ककसी को तमहारा गीत सनाओ कोई तमहार फल की गध स आनकदत हो तम ककसी

को भोि पर आमततरत करत हो तम महमानो को रला आत हो आमतरण द आत हो

मर एक परोफसर थ उनका मझस रड़ा लगाव था लककन व मझ घर रलान म डरत थ कयोकक शरार

पीन की उनह आदत थी और कही ऐसा न हो कक मझ पता चल िाए कही ऐसा न हो कक मर मन म उनकी िो

परततषठा ह वह तगर िाए व इसस रड़ भयभीत थ रड़ डर हए थ रहत भल आदमी थ

पर एक रार ऐसा हआ कक म रीमार पड़ा और उनह मझ हासटल स घर ल िाना पड़ा तो कोई दो महीन

म उनक घर पर था रड़ी मतककल हो गई व पीए कस पाच-दस कदन क राद तो भारी होन लगा मामला मन

उनस पिा कक आप कि परशान ह मझ कह ही द--अगर आप जयादा परशान ह या कोई अड़चन ह मर होन स

यहा तो म चला िाऊ वापस उनहोन कहा कक नही पर म अपनी परशानी कह दता ह कक मझ पीन की आदत

ह तो मन कहा यह भी कोई रात हई आप पी लत लक-तिपकर पी लत इतना रड़ा रगला ह उनहोन कहा

यही तो मतककल ह कक िर भी कोई पीता ह--असली पीन वाला--अकल म नही पी सकता चार-दस तमतरो को

न रलाऊ तो पी नही सकता अकल म भी कया पीना उनहोन कहा पीना कोई दि थोड़ ही ह पीना एक

उतसव ह

वह रात मझ याद रह गई िर िीवन की साधारण मकदरा को भी लोग राटकर पीत ह तो िर तमहारी

पयाली म परमातमा भर िाए और तम न राटो िर शरारी भी इतना िानत ह कक अकल पीन म कोई मिा

नही िर तक चार सगी-साथी न हो तो पीना कया िर शरारी भी इतन होशपणा ह कक चार को राटकर पीत

ह तो होश वालो का कया कहना

राटो शति का आतवभााव हआ ह लटाओ और यह भी मत पिो ककसको द रह हो कयोकक यह भी

किसो की भािा ह पातर की जचता वही करता ह िो किस ह वह पिता ह ककसको दना पातर ह कक नही

दो पसा दता ह तो सोचता ह कक यह आदमी दो पस का कया करगा यह भी कोई दना हआ अगर तहसार

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पहल रिा कक यह कया करगा यह तो दना न हआ यह तो इतिाम पहल ही न दन का कर तलया यह तो

तमन इस आदमी को न कदया सोच-तवचारकर कदया

मर एक तमतर थ रड़ जहदी क सातहतयकार थ जहदी सातहतय सममलन क अधयकष थ और भारतीय ससद

क सरस परान सदसय थ--पचास साल तक व एमपी रह उनका िगलककशोर तरड़ला स रहत तनकट सरध

था मर काम म उनह रस था व कहन लग कक मरा सरध ह तरड़ला स अगर व उतसक हो िाए आपक काम म

तो रड़ी सहायता तमल सकती ह तो हम दोनो को तमलाया

तरड़ला मझस रातचीत ककए उतसक हए कहन लग तितना आपको चातहए म दगा और तिस समय

चातहए तर दगा तसफा एक रात मझ पककी हो िानी चातहए कक िो म दगा उसका उपयोग कया होगा मन

कहा रात ही ितम करो यह अपन स न रनगा यह सौदा नही हो सकता अगर यही पिना ह कक आप िो

दग उसका म कया करगा अपन पास रिो यह कोई दना हआ अगर रशता दत हो कक म तमहार सामन ही

यहा सड़क पर लटाकर चला िाऊ तो तम मझस पि न सकोग कक यह कया ककया कयोकक दन क राद अगर

तम पि सको तो तमन कदया ही नही और दन क पहल ही अगर तम पिन का इतिाम कर लो और पहल ही

शता राध लो तो तम ककसी और को दना यह शतारद रात मझस न रनगी

वह रात टट गई आग चलन का कोई उपाय न रहा लोग दत भी ह--अर तरड़ला िसा धनपतत भी हो

वह भी दता ह तो शता रिकर दता ह कक कया काम म आएगा ककस काम म लगाएग तो वह मझ नही दता

अपन ही काम को दता ह उलट मझ भी सवा म सलगन कर रहा ह यह दना न हआ मझ मफत म िरीद लना

हआ

मन कहा मझ दि लो मझ समझ लो मझ दो कफर शि मझ पर िोड़ दो कफर म िो करगा करगा

उसक सरध म कोई रात कफर न उठगी

पातर अपातर की कया जचता करनी फल तिलता ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करता ह कक कोई पास स

आ रहा ह वह सगध का जञाता ह कक अमीर ह या गरीर ह कक सौदया का उपासक ह या नही फल इसकी थोड़

ही कफकर करता ह फल तिलता ह तो सगध को लटा दता ह हवाओ म राह स कोई न भी गिरता हो तनिान

हो राह तो भी लटा दता ह िर रादल भरत ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करत ह कहा ररस रह ह भराव स

ररसत ह इतना जयादा ह कक ररसना ही पड़गा तो पहाड़ पर भी ररस िात ह िहा पानी की कोई िररत

नही झीलो पर भी ररसत ह िहा पानी भरा ही हआ ह यह थोड़ ही सवाल ह कक कहा ररसना ररसना

अगर तम िीवन को दिोग तो रशता पाओग वहा उतसव रशता ह वहा नाच अहरनाश चल रहा ह

ककसी क तलए चल रहा ह ऐसा भी नही ह जयादा ह परमातमा इतना अततशय ह इतना अततरक स ह कक

कया कर अगर न लट न ररस

िर तमहार िीवन म शति का आतवभााव मालम हो िर तमह लग कक रादल भर गया--मघ भरपर ह

िर तमह लग कक शति तमहार भीतर उठी ह तो समसया रनगी नाचना गाना पागल की तरह उतसव

मनाना शति तवलीन हो िाएगी और ऐसा नही ह कक तम पीि शतिहीन हो िाओग शति को राटकर ही

कोई वसतताः शतिशाली होता ह कयोकक तर उस पता चलता ह झरन अनत ह तितना राटो उतना रढ़ता

िाता ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

धयान रिना रसाधयकष रठा ह माला फर रहा ह वह माला क दानो पर तगन रहा ह--

59

ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

और एक ही पाप ह िीवन म और वह पाप ह तरना उतसव क तवदा हो िाना तरना नाच तरना गीत

गाए तवदा हो िाना तमहारा गीत अगर अनगाया रह गया तमहारा रीि अगर अनफटा रह गया तम िो

लकर आए थ वह गध कभी दसो कदशाओ म न फली तो परमातमा तमस िरर पिगा

इसतलए िर शति उठती ह तो सवाल उठता ह कक अर कया कर तहसार मत लगाओ रतहसार

लटाओ सभी पातर ह कयोकक सभी पातरो म वही तिपा ह हर आि स वही दिगा नाच और हर कान स वही

सनगा गीत हर नासारधर स सवास उसी को तमलगी

एक रौदध साधवी थी उसक पास सोन की िोटी सी रदध की परततमा थी सवणा की वह इतना उस परम

करती थी और िस कक साधारणताः कपण मन होता ह कक वह अपनी धप भी िलाती तो हवाओ म यहा-वहा न

फलन दती उस वापस धकक द-दकर अपन िोट स रदध को ही पहचा दती फल भी चढ़ाती तो भी डरी रहती कक

गध कही यहा-वहा न उड़ िाए

कफर एक रड़ी मसीरत हई एक रात वह एक मकदर म ठहरी चीन म एक रहत पराचीन मकदर ह हिार

रदधो का मकदर ह वहा हिार रदध की परततमाए ह वह डरी और सभी परततमाए रदध की ह तो भी डर वह

डरी कक यहा अगर मन धप िलाई अगररतततया िलायी फल चढ़ाए तो यह धआ तो कोई मर रदध पर नही

रका रहगा यहा-वहा िाएगा दसर रदधो पर पहचगा रदध भी दसर तिनकी परततमा वह रि ह उनही की

परततमाए व भी ह तालार ह सरोवर ह सागर ह लककन चाद का परततजरर अलग ककतना ही हो एक ही चाद

का ह तो उसन एक रास की पोगरी रना ली और धप िलाई और रास की पोगरी म स धप को अपन रदध की

नाक तक पहचाया सोन की रदध की परततमा का मह काला हो गया

वह रड़ी दिी हई वह सरह मकदर क परधान तभकष क पास गई और उसन कहा कक रड़ी मतककल हो गई

इस कस साफ कर वह परधान हसन लगा उसन कहा पागल तर सतसग म तर रदध का चहरा तक काला हो

गया

गलत साथ करो यह मसीरत होती ह इतनी भी कया कपणता य सभी परततमाए उनही की ह इतनी भी

कया किसी अगर थोड़ा धआ दसरो क पास भी पहच गया होता तो कि हिा हआ िाता था लककन मर रदध

य सभी परततमाए रदधो की ही ह हर आि स वही झाका ह हर पतथर म वही सोया ह तम इसकी

कफकर ही मत करो तमहार िीवन म आनद भर--परम दो गीत दो सगीत दो नाचो राटो इसी की तो परतीकषा

रही ह कक कर वह कषण आएगा िर हम राट सक ग अर पातर-अपातर का भी भद िोड़ो व सर नासमझी क भद

इसतलए शति क सरध म कि रोलता नही ह कयोकक िो म रोल रहा ह अगर समझ म आया तो शति

कभी समसया न रनगी इसतलए भी शति क सरध म नही रोलता ह कयोकक वह शबद िरा ितरनाक ह

शातत क सरध म रोलता ह शति क सरध म नही रोलता कयोकक शति अहकार की आकाकषा ह शति शबद

सनकर ही तमहार भीतर अहकार अगड़ाई लन लगता ह अहकार कहता ह ठीक शति तो चातहए इसीतलए

तो तम धन मागत हो ताकक धन स शति तमलगी पद मागत हो कयोकक पद पर रहोग तो शतिशाली रहोग

यश मागत हो पणय मागत हो लककन सरक पीि शति मागत हो योग और ततर म भी िोित हो शति ही

िोित हो

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शति की पिा तो ससार म चल ही रही ह इसतलए म शति की रात नही करता कयोकक धमा क नाम

पर भी अगर तम शति की ही िोि करोग तो वह अहकार की ही िोि रहगी और िर तक अहकार ह तर

तक शति उपलबध नही होती ऐसा सनातन तनयम ह एस धममो सनतनो

िर तम शति की जचता ही िोड़ दत हो और शातत की तलाश करत हो शातत की तलाश म अहकार को

तवसरिात करना होगा कयोकक वही तो अशातत का सरोत ह और िर अहकार तवसरिात हो िाता ह दवार स

पतथर हट िाता ह शातत तो तमलती ह शातत तो मलधन ह और शति तो बयाि की तरह उपलबध हो िाती

ह शातत को िोिो शति अपन स तमल िाती ह शति को िोिो शति तो तमलगी ही नही शातत भी िो

िाएगी

इसतलए शति का िोिी हमशा अशात होगा परशान होगा वह अहकार की ही दौड़ ह नाम रदल गए

वश रदल गया दौड़ वही ह कौन चाहता ह शति वह अहकार चाहता ह कोई चमतकार तमल िाए ररतदध-

तसतदध शति तमल िाए तो दतनया को कदिा द कक म कौन ह

इसतलए िहा तम शति की िोि करत हो िान लना कक वह धमा की कदशा नही ह अधमा की कदशा ह

तमहार चमतकारी तमहार ररतदध-तसतदध वाल लोग सर तमहार ही रािार क तहसस ह उनस धमा का कोई लना-

दना नही व तमह परभातवत करत ह कयोकक िो तमहारी आकाकषा ह लगता ह उनह उपलबध हो गया िो तम

चाहत थ कक हाथ स तारीि तनकल िाए घतड़या तनकल िाए उनक हाथ स तनकल रही ह तम चमतकत होत

हो कक धनय ह उनक पीि चल पड़त हो कक िो इनको तमल गया ह ककसी न ककसी कदन इनकी कपा स हमको

भी तमल िाएगा

लककन घतड़या तनकाल भी लोग तो कया तनकाला िहा परमातमा तनकल सकता था वहा तसवस घतड़या

तनकाल रह हो िहा शाशवत का आनद तनकल सकता था वहा राि तनकाल रह हो चाह तवभतत कहो उसको

कया फका पड़ता ह िहा परमातमा की तवभतत उपलबध हो सकती थी वहा राि नाम की तवभतत तनकाल रह

हो मदारीतगरी ह अहकार की मदारीतगरी ह लककन अहकार की वही आकाकषा ह

शति की म रात नही करता कयोकक तम ततकषण उतसक हो िाओग उसम कक कस शति तमल रताए

उसम अहकार तो तमटता नही अहकार और भरता हआ मालम पड़ता ह तो म तमह तमटाता नही कफर म तमह

सिान लगता ह

यही तो अड़चन ह मर साथ म तमह सिान को उतसक नही ह तमह तमटान को उतसक ह कयोकक तम

िर तक न मरो तर तक परमातमा तमम आतवभात नही हो सकता तम िगह िाली करो तम जसहासन पर

रठ हो तम िगह स हटो जसहासन ररि हो तो ही उसका अवतरण हो सकता ह िस ही तम शात होओग

अहकार जसहासन स उतरगा तम पाओग शति उतरनी शर हो गई और यह शति रात ही और ह िो शात

तचतत म उतरती ह कयोकक अर अहकार रहा नही िो इसका दरपयोग कर लगा अर वहा कोई दरपयोग करन

वाला न रचा

इसतलए िानकर ही उन शबदो का उपयोग नही करता ह तिनस तमहार अहकार को थोड़ी सी भी

ििलाहट हो सकती ह तम तो तयार ही रठ हो ििान को िरा सा इशारा तमल िाए कक तम ििा डालोग

तम तो िाि क परान तशकार हो तमह िरा स इशार की िररत ह कक तमहारी आकाकषा क घोड़ दौड़ पड़ग

तम सर लगाम िोड़ दोग

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नही म शातत की रात करता ह म मतय की रात करता ह तनवााण की रात करता ह शनय होन की रात

करता ह कयोकक मझ पता ह कक तम िर शनय होओग तो पणा तो अपन आप चला आता ह उसको चचाा क

राहर िोड़ो चचाा स नही आता शनय होन स आता ह

शति की रात ही मत करो वह तो शात होत तमल ही िाती ह वह तो शात हए आदमी का अतधकार

िर तमल िाए तो तम कया करोग इसतलए म आनद उतसव और परम की रात करता ह तम िस हो

अभी परम कर ही नही सकत अभी तो तमहारा परम धोिा ह तम िस हो आनकदत हो ही नही सकत अभी तो

आनद कवल मह पर पोता गया झठा रग-रोगन ह अभी तम िस हो हस ही नही सकत अभी तमहारी हसी

ऊपर स तचपकाई गई ह मिौटा ह

ककसी न पिा ह--

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता ह मगर परमी क साथ परम म

डर िान म िो सि आनद और अहोभाव अनभव होता ह वह कया ह

हो नही सकता िलदी मत कर लना तनणाय की िरा रड़-रढ़ो स पिना

यह मति न पिा ह अभी परम क मकान क राहर ही चककर लगा रही ह िरा रड़-रढ़ो स पिना व

कहत ह--

िर तक तमल न थ िदाई का था मलाल

अर य मलाल ह कक तमिा तनकल गई

िर तक तमल न थ तर तक दर होन की पीड़ा थी अर िर तमल गए तो पास होन की आकाकषा भी

तनकल गई अर यह दि ह कक अर कस हट कस भाग

िलदी मत करना अभी तिसको तम परम आनद अहोभाव कह रह हो वह सर शबद ह सन हए अभी

परम िाना कहा कयोकक तम िस हो उसम परम फतलत ही नही हो सकता परम कोई ऐसा थोड़ ही ह कक तम

कस ही हो और फतलत हो िाओ परम िनम क साथ थोड़ ही तमलता ह अिान ह उपलतबध ह साधना ह

तसतदध ह

यही तो परशानी ह सारी दतनया म हर आदमी यही सोच रहा ह कक िनम क साथ ही हम परम करन की

योगयता लकर आए ह धन कमान की तम थोड़ी रहत कोतशश भी करत हो लककन परम कमान की तो कोई भी

कोतशश नही करता कयोकक हर एक मान रठा ह कक परम तो ह ही रस परमी तमल िाए काम शर तिसको

तम परमी कहत हो उस भी परम का कोई पता नही ह दर की धवतन भी नही सनी ह न तमह पता ह

तिसको तम परम समझ रह हो वह तसफा मन की वासना ह तिसको तम परम समझ रह हो--दसर क साथ

होन का आनद--वह कवल अपन साथ तमह कोई आनद नही तमलता अपन साथ तम परशान हो िात हो अपन

साथ ऊर और रोररयत पदा होती ह दसर क साथ थोड़ी दर को अपन को भल िात हो उसी को तम दसर क

साथ तमला आनद कह रह हो दसर क साथ तमहारा िो होना ह वह अपन साथ न होन का उपाय ह वह एक

नशा ह इसस जयादा नही उतनी दर को तम अपन को भल िात हो दसरा भी अपन को भल िाता ह यह

62

आतम-तवसमरण ह आनद नही मचिाा ह अहोभाव इतयाकद कि भी नही ह मरी रात सन-सनकर तमह अचि-

अचि शबद कठसथ हो िाएग इनको तम हर कही मत लगान लगना

कल आपन कहा कक कोई दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता

तनतित मन कहा ह और कोई कभी नही कर सका ह लककन ककसी भी यवा को समझाना मतककल ह

कयोकक िो यवक समझता ह वह तो समय क पहल परौढ़ हो गया कभी कोई शकराचाया कभी कोई रदध समय

क पहल समझ पात ह अतधक लोग तो समय भी रीत िाता ह--िवानी भी रीत िाती ह रढ़ापा भी रीतन

लगता ह मौत दवार पर आ िाती ह--तर तक भी नही समझ पात

समझ का सरध तमहार िीवन की होश की तीवरता स ह अभी तिसको तम सोचत हो कक परमी क साथ

परम म डर िान म--अभी तम अपन म नही डर दसर म कस डरोग िो अपन म नही डर सका वह दसर म

कस डर सकगा अभी तम अपन भीतर ही िाना नही िानत दसर क भीतर कया िाक िाओग रातचीत ह

अचि-अचि शबद ह सभी िवान अचि-अचि शबदो म अपन को झठलात ह भलात ह िवानी म अगर ककसी

स कहो कक यह परम वगरह कि भी नही ह तो न तो यह सनाई पड़ती ह रात--सनाई भी पड़ िाए तो समझ म

नही आती--कयोकक परतयक वयति को एक भातत ह कक दसर को न हआ होगा लककन मझ तो होगा हो रहा ह

अभी यातरा का पहला ही कदम ह िरा रात परी हो िान दो िरा ठहरो िलदी तनरणय मत करो

तिनहोन िाना ह िीवन का यह दौर िो इसस गिर ह उनस पिो

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

कहा पर िोड़ गया कारवा रहारो का

वह तिसको वसत समझा था रहार समझी थी वह कहा िोड़ गई

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

एक रगण दशा एक रिार सर धल-धल सर इिधनि टट हए सर सपनो क भवन तगर गए और एक

सलगती आग कक िीवन हाथ स वयथा ही गया लककन िर तम सपनो म िोए हो तर रड़ा मतककल ह यह

रताना कक यह सपना ह उसक तलए िागना िररी ह

परम अरिात ककया िाता ह और तिसन पराथाना नही की वह कभी परम नही कर पाया इसतलए पराथाना

को म परम की पहली शता रनाता ह तिसन धयान नही ककया वह कभी परम नही कर पाता कयोकक िो अपन म

नही गया वह दसर म तो िा ही नही सकता और िो अपन म गया वह दसर म पहच ही गया कयोकक अपन

म िाकर पता चलता ह दसरा ह ही नही दसर का खयाल ही अजञान का खयाल ह

मन सना ह मलला नसरददीन अपन एक तमतर क साथ रठा था और उसन अपन रट को कहा कक िा और

तलघर स शरार की रोतल ल आ वह रटा गया वह वापस लौटकर आया उस रट को थोड़ा कम कदिाई

पड़ता ह और उसकी आिो म एक तरह की रीमारी ह कक एक चीि दो कदिाई पड़ती ह उसन लौटकर कहा

कक दोनो रोतल ल आऊ या एक लाऊ

नसरददीन थोड़ा परशान हआ कयोकक रोतल तो एक ही ह अर अगर महमान क सामन कह एक ही ल

आओ तो महमान कहगा यह भी कया किसी अगर कह दो ही ल आओ तो यह दो लाएगा कहा स वहा एक

ही ह और महमान क सामन अगर यह कह कक इस रट को एक चीि दो कदिाई पड़ती ह तो नाहक की

रदनामी होगी कफर इसकी शादी भी करनी ह तो उसन कहा ऐसा कर एक त ल आ और एक को फोड़ आ--

राए तरफ की फोड़ दना दाए तरफ की ल आना कयोकक राए तरफ की रकार ह ऐसा उसन रासता तनकाला

63

रटा गया उसन राए तरफ की फोड़ दी लककन दाए तरफ कि था थोड़ ही एक ही रोतल थी वह फट

गई राए तरफ और दाए तरफ ऐसी कोई दो रोतल थोड़ ही थी रोतल एक ही थी दो कदिाई पड़ती थी वह

रोतल फट गई शरार रह गई वह रड़ा परशान हआ उसन लौटकर कहा कक रड़ी भल हो गई वह रोतल एक

ही थी वह तो फट गई

म तमस कहता ह िहा तमह दो कदिाई पड़ रह ह वहा एक ही ह तमह दो कदिाई पड़ रह ह कयोकक

तमन अभी एक को दिन की कला नही सीिी परम ह एक को दिन की कला लककन उस कला म उतरना हो

तो पहल अपन ही भीतर की सीकढ़यो पर उतरना होगा कयोकक वही तमहार तनकट ह

भीतर िाओ अपन को िानो आतमजञान स ही तमह पता चलगा म और त झठी रोतल थ िो कदिाई

पड़ रह थ निर साफ न थी अधरा था धधलका था रीमारी थी--एक क दो कदिाई पड़ रह थ भम था

भीतर उतरकर तम पाओग तिसको तमन अर तक दसरा िाना था वह भी तमही हो दसर को िर तम ित

हो तर तम अपन ही कान को िरा हाथ घमाकर ित हो रस वह तमही हो िरा चककर लगाकर ित हो तिस

कदन यह कदिाई पड़गा उस कदन परम उसक पहल तिस तम परम कहत हो कपा करक उस परम मत कहो

परम शबद रड़ा रहमलय ह उस िरार मत करो परम शबद रड़ा पतवतर ह उस अजञान का तहससा मत

रनाओ उस अधकार स मत भरो परम शबद रड़ा रोशन ह वह अधर म िलती एक शमा ह परम शबद एक

मकदर ह िर तक तमह मकदर म िाना न आ िाए तर तक हर ककसी िगह को मकदर मत कहना कयोकक अगर

हर ककसी िगह को मकदर कहा तो धीर-धीर मकदर को तम पहचानना ही भल िाओग और तर मकदर को भी

तम हर कोई िगह समझ लोग

तिस तम अभी परम कहत वह कवल कामवासना ह उसम तमहारा कि भी नही ह शरीर क हारमोन

काम कर रह ह तमहारा कि भी नही ह सतरी क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो परि की इचिा समापत हो

िाती ह परि क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो सतरी की आकाकषा समापत हो िाती ह तमहारा इसम कया

लना-दना ह कतमसटरी ह थोड़ा रसायनशासतर ह अगर जयादा हारमोन डाल कदए िाए परि क शरीर म तो

वह दीवाना हो िाता ह पागल हो िाता ह एकदम मिन क शरीर म थोड़ जयादा हारमोन रह होग और कि

मामला नही ह तिसको तम परम की दीवानगी कहत हो वह रसायनशासतर स ठीक की िा सकती ह और

तिसको तम परम की ससती कहत हो वह इिकशन स रढ़ाई िा सकती ह और तमम तवरा आ सकती ह और तम

पागल हो सकत हो

इस तम परम मत कहना यह तसफा कामवासना ह और इसम तम िो परम और अहोभाव और आनद की

रात कर रह हो िरा होश स करना नही तो इनही रातो क कारण रहत दि पाओग कयोकक िर कोई सवर

भीतर स आता न मालम पड़गा अहोभाव का तो कफर रड़ा फरसटरशन रड़ा तविाद होता ह वह तविाद

कामवासना क कारण नही होता वह तमहारी िो अपकषा थी उसी क कारण होता ह कामवासना का कया कसर

ह हाथ म एक पसा तलए रठ थ और रपया समझा था िर हाथ िोला और मिी िोली तो पाया कक पसा ह

तो पसा थोड़ ही तमह कषट द रहा ह पसा तो तर भी पसा था पहल भी पसा था अर भी पसा ह पसा पसा

ह तमन रपया समझा था तो तम पीतड़त होत हो तम दिी होत हो तम रोत-तचललात हो कक यह धोिा हो

गया

तमन तिस परम समझा ह वह पसा भी नही ह ककड़-पतथर ह तिस परम की म रात कर रहा ह वह

ककसी और ही दसर िगत का हीरा ह उसक तलए तमह तयार होना होगा तम िस हो वस ही वह नही घटगा

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तमह अपन को रड़ा पररषकार करना होगा तमह अपन को रड़ा साधना होगा तर कही वह सवर तमहार भीतर

पदा हो सकता ह

लककन परतयक वयति को जिदगी म एक नश का दौर होता ह कामवासना का दौर होता ह तर काम ही

राम मालम पड़ता ह तिस कदन यह रोध रदलता ह और काम काम कदिाई पड़ता ह उसी कदन तमहारी

जिदगी म पहली दफ राम की िोि शर होती ह

तो धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह परम वयथा ह धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह

अहोभाव कवल मन की आकाकषा थी कही ह नही कही राहर नही था सपना था दिा तिनक सपन टट गए

आशाए टट गयी धनयभागी ह व कयोकक उनक िीवन म एक नई िोि शर होती ह उस िोि क मागा पर ही

कभी तमह परम तमलगा परम परमातमा का ही दसरा नाम ह इसस कम परम की पररभािा नही

तीसरा परशनाः कया परयास व साधना तवतध ह और तथाता मतिल ह या तथाता ही तवतध और मतिल

दोनो ह

इतन तहसार म कयो पड़त हो यह तहसार कहा ल िाएगा तहसार ही करत रहोग या चलोग भी कया

मतिल ह कया मागा ह इसको सोचत ही रहोग

तो एक रात पककी ह ककतना ही सोचो सोचन स कोई मागा तय नही होता और न सोचन स कोई

मतिल करीर आती ह सोचन-तवचारन वाला धीर-धीर चलन म असमथा ही हो िाता ह चलना तो चलन स

आता ह होना होन स आता ह

नामो की जचता म रहत मत पड़ो दोनो रात कही िा सकती ह परम ही मागा ह परम ही मतिल ह यह

भी कहा िा सकता ह कक परम मागा ह परमातमा मतिल ह पर कोई फका नही ह इन रातो म तिस तरह स

तमहारा मन चलन को रािी हो उसी तरह मान लो कयोकक मरी कफकर इतनी ह कक तम चलो तमह अगर

इसम ही सकन तमलता ह शातत तमलती ह कक परम मागा परमातमा मतिल ह योग मागा मोकष मतिल ह

परयास तवतध मागा तथाता मतिल ह ऐसा समझ लो कोई अड़चन नही ह मगर कपा करक चलो

िो तका तनषठ ह उनह यही मानना उतचत होगा कयोकक तका कहता ह मतिल और मागा अलग-अलग िो

तका की रहत जचता नही करत और िो िीवन को तरना तका क दिन म समथा ह--वसी सामथया रहत कम

लोगो म होती ह--लककन अगर हो तो उनको कदिाई पड़गा कक मागा और मतिल एक ही ह कयोकक मागा तभी

पहचा सकता ह मतिल तक िर मतिल स िड़ा हो नही तो पहचाएगा कस अगर अलग-अलग हो तो

पहचाएगा कस तर तो दोनो क रीच फासला होगा िलाग न लग सकगी दरी होगी

वही मागा पहचा सकता ह िो मतिल स िड़ा हो और अगर िड़ा ही ह तो कफर कया फका करना कहा

तय करोग कक कहा मागा समापत हआ कहा मतिल शर हई

इसतलए महावीर का रड़ा अदभत वचन ह कक िो चल पड़ा वह पहच ही गया िररी नही ह तम िस

चलन वाल हो तो रीच म ही रठ िाएग कक लो महावीर को गलत तसदध ककए दत ह लककन महावीर क कहन

म रड़ा सार ह--िो चल पड़ा वह पहच ही गया कयोकक िर तम चल पहला कदम भी उठाया तो पहला कदम

भी तो मतिल को ही ि रहा ह ककतनी ही दर हो लककन एक कदम कम हो गई पास आ गई

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लाओतस न कहा ह एक-एक कदम चलकर हिारो मील की यातरा परी हो िाती ह तो ऐसा थोड़ ही ह

कक यातरा तभी परी होती ह िर परी होती ह िर तम चल तर भी परी होनी शर हो िाती ह इच-इच चलत

हो कदम-कदम चलत हो रद-रद चलत हो सागर चक िाता ह एक-एक रद स

तमहार ऊपर तनभार ह अगर रहत तका तनषठ मन ह और तम ऐसा मानना चाहो कक मागा अलग मतिल

अलग ऐसा मान लो अगर दतषट और साफ-सथरी ह तका क ऊपर दि सकत हो और तवरोधाभास स कोई

अड़चन नही आती तो मागा ही मतिल ह ऐसा मान लो दोनो रात सही ह कयोकक दोनो रात एक ही सतय को

दिन क दो ढग ह

मागा अलग ह मतिल स कयोकक मागा पहचाएगा और मतिल वह ह िर तम पहच गए मागा वह ह िर

तम चलोग मतिल वह ह िर तम पहच गए और चलन की कोई िररत न रही--अलग-अलग ह दोनो एक भी

ह कयोकक पहला कदम पड़ा कक मतिल पास आन लगी मागा िआ नही कक मतिल भी ि ली--ककतनी ही दर

सही ककरण को िर तम ित हो सरि को भी ि तलया कयोकक ककरण सरि का ही फला हआ हाथ ह तमन

मर हाथ को िआ तो मझ िआ या नही हाथ मरा दो फीट लरा ह कक दो हिार फीट लरा ह इसस कया फका

पड़ता ह कक दस करोड़ मील लरा ह इसस कया फका पड़ता ह ककरण सरि का हाथ ह ककरण को ि तलया

सरि को ि तलया यातरा शर हो गई

एक रात पर ही मरा िोर ह कक तम रठ मत रहो कयोकक तवचार करन की एक हातन ह कक तवचारक

तसर पर हाथ लगाकर रठ िाता ह सोचन लगता ह कि करो करन स रासता तय होगा चलन स

कई रार म दिता ह रहत लोगो को व तवचार ही करत रहत ह समय िोता िाता ह कभी-कभी रढ़

लोग मर पास आ िात ह व अभी भी तवचार कर रह ह कक ईशवर न दतनया रनाई या नही तम अर कर तक

यह तवचार करत रहोग रनाई हो तो न रनाई हो तो िीवन को िानन क तलए कि करो ईशवर हो तो न हो

तो तम होन क तलए--सवय होन क तलए--कि करो य सारी जचताए य सारी समसयाए अथाहीन ह ककतनी ही

साथाक मालम पड़ साथाक नही ह और ककतनी ही रतदधमानीपणा मालम पड़ रतदधमानीपणा नही ह

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

वह मकदर था या मतसिद थी यह परमातमा पर ही िोड़ दत ह हम तो झक गए

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

हमन तो अपनी तवनमरता म अपन तनरअहकार म तसर झका कदया

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

अर यह िदा सोच ल कक मतसिद थी कक मकदर था कक काशी थी कक कारा था यह जचता साधक की

नही ह यह जचता पतडत की ह कक कहा झक

िरा फका समझना रारीक ह और नािक ह समझ म आ िाए तो रड़ा कराततकारी ह

पतडत पिता ह कहा झक साधक पिता ह झक पतडत का िोर ह कहा पतडत पिता ह ककस

चीि क सामन झक कारा था कक काशी कौन था तिसक सामन झक साधक पिता ह झक साधक की

जचता यही ह झकाव आया नमरता आई झकन की कला आई इसस कया फका पड़ता ह कहा झक झक गए

िो झक गया उसन पा तलया इसस कोई भी सरध नही कक वह कहा झका मतसिद म झका तो पा तलया

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मकदर म झका तो पा तलया झकन स पाया मकदर स नही पाया मतसिद स नही पाया मकदर-मतसिदो स कही

कोई पाता ह झकन स पाता ह

और िो सोचकर झका कक कहा झक रहा ह वह झका ही नही कही कोई सोचकर झका ह सोच-तवचार

करक तो कोई झकता ही नही झकन स रचता ह अगर तम तरलकल तनणाय करक झक कक हा यह परमातमा ह

अर झकना ह--सर तरह स तय कर तलया कक यह परमातमा ह कफर झक--तो तम झक नही कयोकक तमहारा

तनरणय और तमहारा झकना तम अपन ही तनणाय क सामन झक तम परमातमा क सामन न झक तम अपन

तनणाय क सामन झक

साधक झकता ह झकन का अथा ह तनणाय िोड़ता ह साधक कहता ह म कौन ह म कस िान पाऊगा

मरी हतसयत कया मरी सामथया कया साधक कहता ह कक म कि ह नही इस न होन क रोध म स झकन का

फल तिलता ह इस न होन म स समपाण आता ह इस न होन म स झकना आ िाता ह ऐसा कहना ठीक नही

कक साधक झकता ह ऐसा कहना जयादा ठीक ह कक साधक पाता ह कक झकना हो रहा ह दिता ह तो पाता ह

अकड़ की कोई िगह तो नही कोई सतवधा नही अकड़ का कोई उपाय नही अकड़ का उपाय नही पाता

इसतलए झकना घटन लगता ह तम अगर झकत भी हो तो तमही झकत हो तमही झक तो कया िाक झक

अगर झकन म भी तम रह तो झकना न हआ

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

मागा और मतिल एक ह कक अलग-अलग िदा मालम तम चलो और तिस रहान स चल सको उसी

रहान को मान लो सर रहान ररारर ह इसीतलए तो म सभी धमो की चचाा करता ह कोई धमा ककसी स

कम-जयादा नही ह सर रहान ह िरटया ह मकान म ककसी पर भी टाग दो अपन कपड़ कपा करो टागो

िरटयो का रहत तहसार मत रिो कक लाल पर टागग कक हरी पर टागग हरी होगी इसलाम की िटी लाल

होगी जहदओ की िटी तम टागो कयोकक धारमाक को टागन स मतलर ह िरटयो स मतलर नही

अर िदा मालम वो कारा था या रतिाना था

य तम परमातमा पर िोड़ दो य सर रड़ तहसार उसी पर िोड़ दो तम तो एक िोटा सा काम कर लो

तम चलो लककन लोग रड़ तहसार म लग ह रड़ी जचतना करत ह रड़ा तवचार करत ह रड़ी होतशयारी म

लग ह कक िर सर तय हो िाएगा रौतदधक रप स और हम परी तरह स आशवसत हो िाएग तर

तो तम कभी न चलोग तम जिदगीभर जिदगी का सपना दिोग तम जिदगी भर िीन का तवचार

करोग िी न पाओग तयारी करोग लककन कभी तम िा न पाओग यातरा पर रोररया-तरसतर राधोग

िोलोग राधोग िोलोग रलव सटशन पर िाकर टरन कर कहा िाती ह उसका पता लगाओग टाइम-टरल का

अधययन करोग--तमहार वद तमहार करान टाइम-टरल ह जयादा कि भी नही--उनका रठकर तम अधययन

करत रहो टाइम-टरल स कही कोई यातरा हई ह कि लोगो को म दिता था िर म सफर म होता था व रठ

ह अपन टाइम-टरल का ही अधययन कर रह ह वदपाठी कहना चातहए जञानी पतडत टाइम-टरल का अधययन

कर रह ह उसी को उलट रह ह

नकशो को रि रठ रहोग नकशो स कभी ककसी न यातरा की ह म तमस कहता ह अगर यातरा पर न

िाना हो तो नकश का अधययन करना रहत िररी ह म तमस कहता ह अगर यातरा स रचना हो तो नकशो को

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पकड़ रिना रहत िररी ह कयोकक मन उलझा रहता ह नकशो म और नकश रहत परकार क ह नाना रग-रप

क ह

रदध न कया कहा ह इसकी कफकर मत करो महावीर न कया कहा ह इसकी जचता मत करो कषण न कया

कहा ह इसका तहसार मत रिो रदध कया ह महावीर कया ह कषण कया ह--उनक होन पर थोड़ी निर लाओ

और तम भी होन म लग िाओ य सर राल की िाल ह कक कौन सी तवतध ह और कौन सा पहचना कौन सा

मागा कौन सी मतिल राल की िाल मत तनकालो रहत तका शासतरी ह उनको तम िोड़ द सकत हो और एक

रात धयान रिना अत म तम पाओग कक िो चल व पहच गए और िो सोचत रह व िो गए साधक एक कदम

की जचता करता ह एक कदम चल लता ह कफर दसर की जचता करता ह

चीन म कहानी ह कक एक आदमी विो तक सोचता था कक पास म एक पहाड़ पर तीथासथान था वहा

िाना ह लककन--कोई तीन-चार घट की यातरा थी दस-पिह मील का फासला था--विो तक सोचता रहा पास

ही था नीच घाटी म ही रहता था हिारो यातरी वहा स गिरत थ लककन वह सोचता था पास ही तो ह कभी

भी चला िाऊगा

रढ़ा हो गया तर एक कदन एक यातरी न उसस पिा कक भाई तम भी कभी गए हो उसन कहा कक म

सोचता ही रहा सोचा इतना पास ह कभी भी चला िाऊगा लककन अर दर हो गई अर मझ िाना ही

चातहए उठा उसन दकान रद की साझ हो रही थी पतनी न पिा कहा िात हो उसन कहा म अर तो यह

मरन का वि आ गया और म यही सोचता रहा इतन पास ह कभी भी चला िाऊगा और म इन याततरयो को

ही िो तीथायातरा पर िात ह सौदा-सामान रचता रहा जिदगी मरी याततरयो क ही साथ रीती--आन-िान

वालो क साथ व िरर लात मकदर क तशिरो की चचाा करत शातत की चचाा करत पहाड़ क सौदया की रात

करत और म सोचता कक कभी भी चला िाऊगा पास ही तो ह दर-दर क लोग यातरा कर गए म पास रहा रह

गया म िाता ह

कभी यातरा पर गया न था तसफा यातरा की रात सनी थी सामान राधा तयारी की रातभर--पता था कक

तीन रि रात तनकल िाना चातहए ताकक सरह-सरह ठड-ठड पहच िाए लालटन िलाई कयोकक दिा था

कक यातरी रोररया-तरसतर भी रित ह लालटन भी लकर िात ह लालटन लकर गाव क राहर पहचा तर उस

एक रात खयाल आई कक लालटन का परकाश तो चार कदम स जयादा पड़ता नही पिह मील का फासला ह

चार कदम तक पड़न वाली रोशनी साथ ह यह पिह मील की यातरा कस परी होगी घरड़ाकर रठ गया

तहसार लगाया दकानदार था तहसार-ककतार िानता था चार कदम पड़ती ह रोशनी पिह मील का फासला

ह इतनी सी रोशनी स कही िाना हो सकता ह घरड़ा गया तहसार रहतो को घरड़ा दता ह

अगर तम परमातमा का तहसार लगाओग घरड़ा िाओग ककतना फासला ह कहा तम कहा परमातमा

कहा तम कहा मोकष कहा तमहारा कारागह और कहा मति का आकाश रहत दर ह तम घरड़ा िाओग पर

कप िाएग रठ िाओग आशवासन िो िाएगा भरोसा टट िाएगा पहच सकत हो यह रात ही मन म

समाएगी न

उसक पर डगमगा गए वह रठ गया कभी गया न था कभी चला न था यातरा न की थी तसफा लोगो

को दिा था आत-िात उनकी नकल कर रहा था तो लालटन भी ल आया था सामान भी ल आया था कहत

ह पास स कफर एक यातरी गिरा और उसन पिा कक तम यहा कया कर रह हो उस आदमी न कहा म रड़ी

मसीरत म ह इतनी सी रोशनी स इतन दर का रासता पिह मील का अधकार चार कदम पड़न वाली रोशनी

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तहसार तो करो उस आदमी न कहा तहसार-ककतार की िररत नही उठो और चलो म कोई गतणत नही

िानता लककन इस रासत पर रहत रार आया-गया ह और तमहारी लालटन तो मरी लालटन स रड़ी ह तम

मरी लालटन दिो--वह रहत िोटी सी लालटन तलए हए था तिसस एक कदम मतककल स रोशनी पड़ती थी--

इसस भी यातरा हो िाती ह कयोकक िर तम एक कदम चल लत हो तो आग एक कदम कफर रोशन हो िाता

ह कफर एक कदम चल लत हो कफर एक कदम रोशन हो िाता ह

तिनको चलना ह तहसार उनक तलए नही ह तिनको नही चलना ह तहसार उनकी तरकीर ह तिनको

चलना ह व चल पड़त ह िोटी सी रोशनी पहचा दती ह तिनको नही चलना ह व रड़ अधकार का तहसार

लगात ह वह अधकार घरड़ा दता ह पर डगमगा िात ह

साधक रनो जञानी नही साधक तरना रन िो जञान आ िाता ह वह कड़ा-करकट ह साधक रनकर िो

आता ह वह रात ही और ह महावीर ठीक कहत ह िो चल पड़ा वह पहच गया वह जञानी की रात ह उस

जञानी की िो चला ह पहचा ह

महावीर क पास उनका िद का दामाद उनका तशषय हो गया था लककन उस रड़ी अड़चन होती थी

भारत म तो दामाद का ससर पर िता ह तो महावीर को पर िना चातहए दामाद का मगर िर उसन दीकषा

ल ली और उनका तशषय हो गया तो उसको पर िना पड़ता था तो उस रड़ी पीड़ा होती थी रड़ा अहकारी

रािपत था और कफर महावीर की रातो म उस कई ऐसी रात कदिाई पड़न लगी िो असगत ह यह रात उनम

एक रात थी तो उसन एक तवरोध का झडा िड़ा कर कदया उसन महावीर क पाच सौ तशषयो को भड़का

तलया और उसन कहा यह तो रकवास ह यह कहना कक िो चलता ह वह पहच गया महावीर कहत थ अगर

तमन दरी तरिान क तलए िोली--िोलना शर की कक िल गई अर यह रात तो रड़ी गहरी थी मगर रदध

रतदधमानो क हाथ म पड़ िाए तो रड़ा ितरा उसन कहा इसका तो म परमाण द सकता ह कक यह रात

तरलकल गलत ह वह एक दरी ल आया लपटकर उसन कहा कक यह लो हम िोल कदए--िरा सी िोल दी और

कफर रक गया और महावीर कहत ह िोली कक िल गई कहा िली उसस पाच सौ आदतमयो को भड़का

तलया महावीर क तशषयो को

कभी-कभी पतडत भी जञातनयो क तशषयो को भड़का लत ह कयोकक पतडत की रात जयादा तका पणा होती

ह वह जयादा रतदध को िचती ह रात तो िचगी यह कया रात ह िोलन स कही िलती ह रीच म भी रक

सकती ह चलन स कही कोई पहचता ह रीच म भी तो रक सकता ह

महावीर करणा क आस तगराए होग लककन कया कर सकत थ तसदध तो व भी नही कर सकत थ यह

करणा क आस तगराए होग कयोकक उनह पता ह कक िो एक कदम भी सतय की तरफ चल पड़ा वह कभी नही

रकता ह--मगर अर इसको समझाए कस--कयोकक सतय का आकरिण ऐसा ह तम िो नही चल हो उनको िीच

रहा ह िो चल पड़ा वह कफर कभी नही रकता ह नही िो चल ह व भी जिच िा रह ह तो िो चल पड़ा ह

वह कही रकन वाला ह तिसन िरा सा भी सवाद ल तलया सतय का कफर सर सवाद वयथा हो िात ह िो सतय

की तरफ िरा सा झक गया सतय की ऊिाा सतय का आकिाण चरक की तरह िीच लता ह यह तो ऐस ही ह

िस कक हमन ित स एक पतथर िोड़ कदया िमीन की तरफ महावीर यह कह रह ह कक पतथर िोड़ कदया कक

पहच गया

अगर म होता तो महावीर क दामाद को ल गया होता ित पर दरी न िलवाई होती कयोकक दरी की

रात म न करता--वह म भी समझता ह कक वह झझट हो िाएगी दरी म तो एक पतथर िोड़ दता और कहता

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िट गया--पहच गया कयोकक रीच म रकगा कस गरतवाकिाण ह हा िर तक ित पर ही रिा हआ ह तर

तक गरतवाकिाण कि भी नही कर सकता िरा डगा दो इसतलए म कहता ह सतय ऐसा ह िस ित स कोई

िलाग लगा ल तम एक कदम उठाओ राकी कफर अपन स हो िाएग तमह दसरा कदम उठाना ही न पड़गा

कयोकक िमीन का गरतवाकिाण कर लगा शि काम

महावीर ठीक कहत थ लककन महावीर कोई तारका क नही ह महावीर हार गए ऐसा लगता ह रोए

होग करणा स कक यह पागल िद भी पागल ह और यह पाच सौ और पागलो को अपन साथ तलए िा रहा ह

महावीर िानत ह कक िो एक कदम चल गया वह मतिल पर पहच गया कषणमरता न पहली ककतार

तलिी ह--द फसटा एड लासट फरीडम उस ककतार का नाम ह पहली और आतिरी मति कयोकक पहल कदम पर

ही आतिरी घट िाती ह वही महावीर कह रह थ कक एक कदम उठा तलया कक मतिल आ गई तिनहोन भी

पहला कदम उठा तलया उनकी मतिल आ गई

अर तम पित हो कक मतिल कया और मागा कया

चाहो दो कर लो चाहो एक कर लो असतलयत तो यही ह कक मागा ही मतिल ह कयोकक एक कदम

उठात ही पहचना हो िाता ह तम अगर नही पहच तो यह मत सोचना कक हमन कदम तो रहत उठाए चकक

मतिल दर ह इसतलए नही पहच पा रह तमन पहला कदम ही नही उठाया इसतलए अटक हो

मगर अहकार को रड़ी पीड़ा होती ह यह मानन म कक मन पहला कदम नही उठाया यह रात ही गलत

लगती ह कदम तो हमन रहत उठाए मागा लरा ह मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह अहकार को उसम

सतवधा ह कक मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह

म तमस कहता ह तमन पहला कदम ही नही उठाया अनयथा तमह कोई रोक सकता ह तिसन उठाया

पहला कदम वह पहच गया पहल कदम पर ही पहचना हो िाता ह तम उठाओभर कदम और मतिल आ

िाती ह लककन रठ-रठ तहसार मत करो काफी तहसार कर तलए हो

तथाता मागा भी ह मतिल भी तथाता का अथा कया होता ह तथाता का अथा ह सवा सवीकार का भाव

अहकार सघिा ह अहकार कहता ह ऐसा होना चातहए ऐसा नही होना चातहए अहकार कहता ह यह रहा

ठीक वह रहा गलत अहकार चनाव करता ह भद करता ह राटता ह िड-िड करता ह तथाता का अथा ह

सवा सवीकार टोटल एकसपटनस िसा ह िो ह रािी ह अहकार ह पररपणा तवरोध तथाता ह पररपणा

सवीकार अहकार ह परततरोध रतससटनस तथाता ह रािी होना अहकार ह नही तथाता ह हा अतसततव िो

कह हा

तर तो पहल ही कदम पर मतिल हो िाएगी ऐसी घड़ी म तो करातत घट िाती ह रपातरण हो िाता

ह कफर रचा कया पान को िर तमन सर सवीकार कर तलया लड़ाई कहा रही कफर तम तरत नही अतसततव

की धारा तमह ल चलती ह सागर की तरफ

रामकषण न कहा ह दो ढग ह यातरा करन क एक ह पतवार लकर नाव चलाना वह अहकार का ढग ह

रड़ा थकाता ह और जयादा दर पहचाता भी नही दसरा रासता ह पतवार िोड़ो पाल िोलो हवाए ल

िाएगी तम हवाओ क सहार चल पड़ो

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

कौन जचता कर माझी की

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एहसान नािदा का उठाए मरी रला

अर य माझी का और कौन एहसान उठाए

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

लगर भी तोड़ दता ह ककती भी उस पर िोड़ दता ह यह ह तथाता अर वह िहा ल िाए अर अगर

मझधार म डरा द तो वही ककनारा ह अर डरना भी उररना ह सवीकार म फासला कहा अर न पहचना भी

पहचना ह सवीकार म फासला कहा अर होना और न होना ररारर ह अर मतिल और मागा एक ह अर

रीि और वकष एक ह अर सतषट और परलय एक ह कयोकक व सार भद रीच म अहकार िड़ा होकर करता था

सार भद अहकार क ह अभद तनरअहकार का ह

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

ऐसी मनोदशा परमावसथा ह और ऐसी परम अवसथा म साधन साधय का कोई भद नही सतषट सरषटा

का कोई भद नही िीवन मतय का कोई भद नही एक क ही अलग-अलग चहर ह

कफर तम िहा हो वही मतिल ह कफर कही और िान को भी नही ह िाना भी अहकार का ही खयाल ह

पहचन की आकाकषा भी अहकार की ही दौड़ ह वह भी महतवाकाकषा ही ह

चौथा परशनाः कया कषणभगरता का रोध ही िीवन म कषण-कषण िीन की कला रन िाता ह

तनतित ही िस-िस ही तम िागोग और दिोग कक एक कषण क अततररि हाथ म कोई दसरा कषण नही

ह--दो कषण ककसी क पास एक साथ नही होत एक कषण आता ह िाता ह तर दसरा आता ह--एक ही कषण हाथ

म ह

सार िीवन की कला यही ह कक इस एक कषण म कस िी लो कस यह एक कषण ही तमहारा परा िीवन

हो िाए कस इस एक कषण की इतनी गहराई म उतर िाओ कक यह कषण शाशवत और सनातन मालम हो एक

कषण स दसर कषण पर िाना साधारण िीवन का ढग ह और एक कषण की गहराई म उतर िाना असाधारण

िीवन का ढग ह

सासाररक िीवन का अथा ह इस कषण को अगल किण क तलए कराान करो कफर उसको और अगल क

तलए कराान करना आि को कल क तलए तनिावर करो कल को कफर और परसो क तलए तनिावर करना

सासाररक िीवन एक सतत सथगन एक पोसपोनमट ह सनयास का िीवन इस कषण को परा िी लो परम

अनगरह क भाव स परमातमा न यह कषण कदया इस परा पी लो इस कषण की पयाली म स एक रद भी अनपीयी

न िट िाए तम इस परा ही गटक िाओ तो तम तयार हो रह हो दसर कषण को पीन क तलए तितना तम

पीयोग उतनी तयारी हो िाएगी यह पयास कि ऐसी ह कक पीन स रढ़ती ह यह रस कि ऐसा ह कक तितना

तम इसम डरोग उतनी ही डरन की कषमता आती िाएगी

कषणभगरता का रोध अगर तमह आ िाए कक एक ही कषण पास ह दसरा कोई कषण पास नही--हो सकता

ह यही कषण आतिरी हो--तो कफर तम कल पर न िोड़ सकोग तम आि िीओग यही िीओग तम यह न

कहोग कक कल पर िोड़त ह कल िी लग कल कर लग परम कल कर लग उतसव कल कर लग आनद तमम

कफर यह सतवधा न रहगी आि ही ह उतसव आि ही ह पिा आि ही ह परम आि क पार कि भी नही ह

71

कषणभगर का अगर इतना सपषट रोध हो िाए कक िीवन कषण-कषण रीता िा रहा ह चका िा रहा ह तो

तम कषण की शाशवतता म उतरन म समथा हो िाओग एक कषण भी अपनी गहराई म सनातन ह शाशवत ह

ऐस समझो कक एक आदमी ककसी झील म तरता ह--ऊपर-ऊपर एक लहर स दसरी लहर और एक

दसरा ह गोतािोर िो झील म एक ही लहर म गोता मारता ह और गहर उतर िाता ह सासाररक आदमी एक

लहर स दसरी लहर पर चलता रहता ह सतह पर ही तरता ह सतह पर सतह ही हाथ लगती ह गहराई म

िो िाता ह उस गहराई क ििान हाथ लगत ह ककसी न कभी लहरो पर मोती पाए मोती गहराई म ह

िीवन का असली अथा कषण की गहराई म तिपा ह तो यह तो ठीक ह कक िीवन को कषणभगर मानो--ह

ही मानन का सवाल नही ह िानो यह भी ठीक ह कक एक कषण स जयादा तमह कि तमला नही लककन इसस

उदास होकर मत रठ िाना यह तो कहा ही इसतलए था ताकक झठी दौड़ रद हो िाए यह तो कहा ही इसतलए

था ताकक गलत आयाम म तम न चलो यह तो तमह पकारन को कहा था कक गहराई म उतर आओ

रदध िर कहत ह िीवन कषणभगर ह तो व यह नही कह रह ह कक इस िोड़कर तम उदास होकर रठ

िाओ व यही कह रह ह कक तमहार होन का िो ढग ह अर तक वह गलत ह उस िोड़ दो म तमह एक और

नए होन का ढग रताता ह

साधारण आदमी तो कषणभगर िीवन की सतह पर िीता ह इसी कषणभगर सतह पर वह अपन सवगा

और नको की भी कामना करता ह अपन आन वाल भतवषय िनमो की भी कलपना करता ह--यही इसी आयाम

म वह कभी नीच झाककर नही दिता कक सतह की गहराई म ककतना अनत तिपा ह

एक-एक कषण म अनत का वास ह और एक-एक कण म तवराट ह लककन वह कण को कण की तरह

दिता ह कषण को कषण की तरह दिता ह और कषण की विह स--इतना िोटा कषण िी कस पाएग--वह आग की

योिनाए रनाता ह कक कल िीएग और यह भल ही िाता ह कक कल भी कषण ही हाथ म होगा िर भी होगा

कषण ही हाथ म होगा जयादा कभी हाथ म न होगा िर यह िीवन चक िाता ह तो अगल िीवन की कलपना

करता ह कक कफर िनम क राद होगा िीवन लककन तम वही कलपना करोग उसी की आकाकषा करोग िो तमन

िाना ह

गातलर की रड़ी परतसदध पतिया ह--

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

गातलर कह रहा ह कक नका को ही िाना ह हमन तो सवगा को तो िाना नही और तिनको हमन िाना

ह उनहोन भी नका को ही िाना ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

तो हम सवगा को भी नरक म कयो न तमला ल

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

सवगा होगा भी िोटा नका क मकारल कयोकक अतधक लोग नका म िी रह ह सवगा म तो कभी कोई िीता

ह इस थोड़ी सी िगह को भी और अलग कयो िोड़ रिा ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

इसको कयो अलग िोड़ रिा ह य पतिया रड़ी महतवपणा ह य साधारण आदमी क मन की िरर ह

72

तमह अगर सवगा भी तमल तो तम उस अपन नका म ही िोड़ लना चाहोग और तम करोग भी कया मन

दिा ह तमह धन भी तमल िाए तो तम उस अपनी गरीरी म िोड़ लत हो और तम करोग भी कया तमह

आनद का अवसर भी तमल िाए तो तम उस भी अपन दि म िोड़ लत हो तम और करोग भी कया तमह

अगर चार कदन जिदगी क और तमल िाए तो तम उनह इसी जिदगी म िोड़ लोग और तम करोग भी कया

आदमी सततर साल िीता ह सात सौ साल िीए तो तम सोचत हो कोई करातत हो िाएगी रस ऐस ही िीएगा

और ससत होकर िीन लगगा ऐस ही िीएगा सततर साल म अभी नही िीता तो सात सौ साल म तो और भी

सथतगत करन लगगा कक िलदी कया ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

तम िो हो उसी म तो िोड़ोग भतवषय को भी तम सवगा को भी अपन नका म ही िोड़ लोग तम अपन

अधमा म ही धमा को भी िोड़ लत हो तम अपनी दकान म ही मकदर को भी िोड़ लत हो तम अपनी रीमारी म

अपन सवासथय को भी िोड़ लत हो तम अपनी मचिाा म अमचिाा की रातो को भी िोड़ लत हो तम अपनी

अशातत म अपन धयान को भी िोड़ लत हो रपातरण नही हो पाता

नका म सवगा को नही िोड़ना ह नका को तमटाना ह ताकक सवगा हो सक नका को िोड़ना ह ताकक सवगा

हो सक

कषणभगर िीवन ह यह सतय ह इसक तम तीन अथा ल सकत हो एक कषणभगर ह इसतलए िलदी

करो भोगो कही भोग िट न िाए सासाररक आदमी वही कहता ह--िाओ पीओ मौि करो जिदगी िा रही

ह कफर धारमाक आदमी ह वह कहता ह--जिदगी िा रही ह िाओ पीओ मौि करो इसम मत गवाओ कि

कमाई कर लो िो आग काम आए सवगा म मोकष म य दोनो गलत ह कफर एक तीसरा आदमी ह तिसको म

िागा हआ परि कहता ह रदधपरि कहता ह वह कहता ह--िीवन कषणभगर ह इसतलए कल पर तो कि भी

नही िोड़ा िा सकता सवगा और भतवषय की कलपनाए नासमतझया ह इसतलए रदध न सवगो की रात नही की

कफर वह यह कहता ह कक िीवन कषणभगर ह तो सतह पर ही िान-पीन और मौि म भी उस गवाना वयथा ह

तो थोड़ा हम भीतर उतर कषण को िोल कौन िान कषण कवल दवार हो तिसक राहर ही हम िीवन को गवाए

द रह ह कषण को िोलना ही धयान ह

महावीर न तो धयान को सामातयक कहा कयोकक सामातयक का अथा ह समय को िोल लन की कला

कषण म िोलकर उतर िाना दवार तो िोटा ही होता ह महल रहत रड़ा ह तम दवार क कारण महल को िोटा

मत समझ लना दवार तो िोटा ही होता ह दवार क रड़ होन की िररत नही तम तनकल िाओ इतना काफी ह

इतना म तमस कहता ह कषण का दवार इतना रड़ा ह कक तम उसस मि स तनकल सकत हो इसस जयादा

की िररत भी नही कषण क पार शाशवत तमहारी परतीकषा कर रहा ह तम एक दवार स दसर दवार पर भाग रह

हो कि दवार-दवार भीि मागत कफर रह ह व सासाररक लोग कि ह िो उदास होकर रठ गए ह दवार क राहर

तसर लटका तलया ह कक िीवन रकार ह इन दो स रचना

एक तीसरा आदमी भी ह तिसन कषण की किी िोि ली--वही अमचिाा ह अपरमाद ह--और कषण का दवार

िोल तलया कषण का दवार िोलत ही शाशवत का दवार िल िाता ह अनत तिपा ह कषण म तवराट तिपा ह कण

73

आतिरी परशनाः आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह काट कया एक भी नही

परशन थोड़ा करठन ह करठन इसतलए ह कक आनद क मागा पर न तो फल ह और न काट काट तमहार

दिन म होत ह फल भी तमहार दिन म होत ह काट और फल राहर नही ह काट और फल तमह तमलत नही

ह राहर तमहार दिन स िनमत ह गलत दिन स काट कदिाई पड़त ह ठीक दिन स फल कदिाई पड़त ह

तम वही दि लत हो िो तमहारी दतषट ह दतषट ही सतषट ह इस समरण रिो

रड़ी पराचीन कथा ह कक रामदास राम की कथा कह रह ह कथा इतनी परीततकर ह राम की कहानी

इतनी परीततकर ह कक हनमान भी सनन आन लग हनमान न तो िद ही आिो स दिी थी सारी कहानी लककन

कफर भी कहत ह रामदास न ऐसी कही कक हनमान को भी आना पड़ा िरर तमली तो वह सनन आन लग

रड़ी अदभत थी तिप-तिप भीड़ म रठकर सनत थ

पर एक कदन िड़ हो गए खयाल ही न रहा कक तिपकर सनना ह तिपकर ही आना ह कयोकक रामदास

कि रात कह िो हनमान को िची नही गलत थी कयोकक हनमान मौिद थ और यह आदमी तो हिारो साल

राद कह रहा ह तो उनहोन कहा कक दिो इसको सधार कर लो

रामदास न कहा कक िर हनमान लका गए और अशोक वारटका म गए और उनहोन सीता को वहा रद

दिा तो वहा चारो तरफ सफद फल तिल थ हनमान न कहा यह रात गलत ह तम इसम सधार कर लो

फल लाल थ सफद नही थ रामदास न कहा तम रठो रीच म रोलन की िररत नही ह तम हो कौन फल

सफद थ

तर तो हनमान को अपना रप रताना पड़ा हनमान ही ह भल ही गए सर तशषटाचार कहा कक म िद

हनमान ह परगट हो गए और कहा कक अर तो सधार करोग तम हिारो साल राद कहानी कह रह हो तम

वहा थ नही मौिद म चकमदीद गवाह ह म िद हनमान ह तिसकी तम कहानी कह रह हो मन फल लाल

दि थ सधार कर लो

मगर रामदास तिददी रामदास न कहा होओग तम हनमान मगर फल सफद थ इसम फका नही हो

सकता रात यहा तक रढ़ गई कक कहत ह राम क दररार म दोनो को ल िाया गया कक अर राम ही तनणाय

कर कक अर यह कया मामला होगा कस रात हल होगी कयोकक हनमान िद आिो दिी रात कह रह ह कक

फल लाल थ और रामदास कफर भी तिद ककए िा रह ह कक फल सफद थ

राम न हनमान स कहा कक तम माफी माग लो रामदास ठीक ही कहत ह फल सफद थ हनमान तो

हरान हो गए उनहोन कहा यह तो हदद हो गई यह तो कोई सीमा क राहर रात हो गई मन िद दि तम भी

वहा नही थ और न य रामदास थ और न तम थ तमस तनणाय मागा यही भल हो गई म अकला वहा मौिद

था सीता स पि तलया िाए व मौिद थी

सीता को पिा गया सीता न कहा हनमान तम कषमा माग लो फल सफद थ सत झठ नही कह सकत

होना मौिद न होना सवाल नही ह अर रामदास न िो कह कदया वह ठीक ही ह फल सफद ही थ मझ दि

होता ह कक तमह गलत होना पड़ रहा ह तमही अकल एकमातर गवाह नही हो म भी थी फल सफद ही थ

शानदार

उसन कहा यह तो कोई शडयतर मालम होता ह कोई सातिश मालम पड़ती ह मझ भलीभातत याद ह

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राम न कहा तम ठीक कहत हो तमह फल लाल कदिाई पड़ थ कयोकक तम करोध स भर थ आिो म िन

था िर आिो म िन हो करोध हो तो सफद फल कस कदिाई पड़ सकत ह

िर मन इस कहानी को पढ़ा तो मरा मन हआ इसम थोड़ा और िोड़ कदया िाए कयोकक फल वहा थ ही

नही अगर हनमान की आिो म िन था इसतलए लाल कदिाई पड़ तो यह रामदास क मन म एक शभता ह

तिसकी विह स सफद कदिाई पड़ रह ह फल वहा थ नही म तमस कहता ह राम भी गलत थ सीता भी

गलत ह रामदास भी गलत ह फल राहर नही ह तमहारी आि म ही तिलत ह काट भी राहर नही ह

तमहारी आि म ही रनत ह तनरमात होत ह तमह वही कदिाई पड़ िाता ह िो तम दि सकत हो

अर तम पित हो आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह

न तमह आनद की दशा का पता ह न तमन कभी फल दि

काट कया एक भी नही

अर तमह पता ही नही तम कया पि रह हो तिसक भीतर आनद का आतवभााव हआ ह उसक राहर

तसफा आनद ही आनद होता ह फल ही फल होत ह कयोकक िो तमहार भीतर ह वही तमहार राहर िा िाता

ह तमहारा भीतर ही फलकर राहर िा िाता ह तमहारा भीतर ही राहर हो िाता ह तम िस हो वसा ही

सारा अतसततव हो िाता ह

रदध क साथ सारा अतसततव रदध हो िाता ह मीरा क साथ सारा अतसततव मीरा हो िाता ह मीरा

नाचती ह तो सारा अतसततव नाचता ह रदध चप होत ह तो सारा अतसततव चप हो िाता ह तम दि स भर हो

तो सारा अतसततव दि स भरा ह तमन कभी खयाल भी ककया होगा तम परशान हो दिी हो चाद को दित

हो उदास मालम होता ह उसी रात तमहार ही पड़ोस म कोई परसि ह आनकदत ह उसी चाद को दिता ह

और लगता ह आनद ररस रहा ह

तमहारी दतषट ही तमहारा ससार ह और मोकष का अथा ह सारी दतषट का िो िाना न सफद न लाल िर

कोई भी दतषट नही रह िाती तमहारी तर तमह वह कदिाई पड़ता ह िो ह उसको परमातमा कहो तनवााण

कहो

साध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही असाध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही शतान को

िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही सत को िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही िो ह वह तो तभी कदिाई पड़ता ह

िर तमहारी कोई भी दतषट नही होती तर तम कि भी नही िोड़त

इसतलए रदध न तो उस परमदशा म आनद ह ऐसा भी नही कहा कयोकक वह भी दतषट ह फल ह ऐसा

भी नही कहा काट ह ऐसा भी नही कहा कयोकक काट तमहारी दि की दतषट स पदा होत थ आनद तमहार

आनद की दतषट स पदा हो रहा ह काटो म भी तम थ फलो म भी तम हो एक ऐसी भी घड़ी ह तनवााण की िर

तम होत ही नही तर एक परमशनय ह इसतलए रदध न कहा तनवााण परमशनयता िहा कि भी नही ह िहा

वही कदिाई पड़ता ह िो ह अर उस कहन का कोई उपाय नही कयोकक उस काटा कहो तो गलत होगा फल

कहो तो गलत होगा दि कहो तो गलत होगा

तो तीन दशाए ह एक दि की दशा ह तर तमह चारो तरफ काट कदिाई पड़त ह फल कवल तमहार

सपन म होत ह काटा चभता ह वसतताः और फल कवल आशा म होता ह यह एक दशा कफर एक आनद की

दशा ह िर चारो तरफ फल होत ह काट सर िो गए होत ह कही कोई काटा नही कदिाई पड़ता लककन

काटा सभावना म तिपा होता ह कयोकक फल अगर ह तो काटा कही सभावना म तिपा होगा कफर एक

75

तीसरी परमदशा ह न काट ह न फल ह उस परमदशा को ही आनद कहो वह सि क पार दि क पार काट

क पार फल क पार

आि इतना ही

76

एस धममो सनतनो भाग 2

पिहवा परवचन

कवल तशषय िीतगा

को इम पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

को धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 39

सिो पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

सिो धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 40

फणपम कायतमम तवकदतवा मरीतचधमम अतभसमरधाना

ितवान मारसस पपपफकातन अदससन मचचरािसस गचि 41

पपफातन हव पतचननत वयासततमनस नर

सतत गाम महोघोव मचच आदाय गचितत 42

यथातप भमरो पपफ वणणगनध अहठय

पलतत रसमादाय एव गाम मतनचर 43

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

िीवन यकद चलन स ही परा हो िाता तो सभी मतिल पर पहच गए होत कयोकक चलत तो सभी ह

चलत ही नही दौड़त ह सारा िीवन चका डालत ह उसी दौड़ म पर पहचता कभी कोई एकाध ह--करोड़ो म

सकदयो म

यह चलना कसा िो पहचाता नही यह िीना कसा तिसस िीवन का सवाद आता नही यह होन का

कसा ढग ह न होन क ररारर भटकना कहो इस चलना कहना ठीक नही िर पहचना ही न होता हो तो

चलना कहना उतचत नही ह मागा वही ह िो मतिल पर पहचा द चलन स ही कोई मागा नही होता मतिल

पर पहचन स मागा होता ह

पहचत कवल व ही ह िो िागकर चलत ह चलन म तिनहोन िागन का गण भी िोड़ तलया उनका

भटकाव रद हो िाता ह और रड़ आिया की रात तो यही ह कक तिनहोन िागन को िोड़ कदया चलन म उनह

चलना भी नही पड़ता और पहच िात ह कयोकक िागना ही मतिल ह

तो दो ढग स िी सकत हो तम एक तो चलन का ही िीवन ह चलत रहन का कवल थकान लगती ह

हाथ राह की धल लगती ह हाथ आदमी तगर िाता ह आतिर म--कबर म मह क रल उस ही मतिल मान लो

तर रात और

77

एक और ढग ह चलन का--होशपवाक िागकर परो का उतना सवाल नही ह तितना आिो का सवाल

ह शति का उतना सवाल नही ह तितना शातत का सवाल ह नश-नश म सोए-सोए ककतना ही चलो पहचोग

नही

यह चलना तो कोलह क रल िसा ह आि रद ह कोलह क रल की चलता चला िाता ह एक ही लकीर

पर वतालाकार घमता रहता ह अपन िीवन को थोड़ा तवचारो कही तमहारा िीवन भी तो वतालाकार नही

घम रहा ह िो कल ककया था वही आि कर रह हो िो आि कर रह हो वही कल भी करोग कही तो तोड़ो

इस वताल को कभी तो राहर आओ इस घर क

यह पनरति िीवन नही ह यह कवल आतहसता-आतहसता मरन का नाम ह िीवन तो परततपल नया ह

मौत पनरति ह इस तम पररभािा समझो अगर तम वही दोहरा रह हो िो तम पहल भी करत रह हो तो

तम िी नही रह हो तम िीन का तसफा रहाना कर रह हो तसफा थोथी मिाए ह िीवन नही तम िीन का

नाटक कर रह हो िीना इतना ससता नही ह रोि सरह उठत हो कफर वही शर हो िाता ह रोि साझ सोत

हो कफर वही अत हो िाता ह

कही स तोड़ो इस पररतध को और इस पररतध को तोड़न का एक ही उपाय ह िो रदधपरिो न कहा ह--

आि िोलो कोलह का रल चल पाता ह एक ही चककर म कयोकक उसकी आि रद कर दी गई ह उस कदिाई

नही पड़ता तमहारी आि भी रद ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

इतना भी पता नही ह कक यह जिदगी ही मतिल ह या यह जिदगी कही पहचाती ह यह रस होना

काफी ह या इस होन स और एक रड़ होन का दवार िलन को ह म पयाापत ह या कवल एक शरआत ह म अत

ह या परारभ ह म रीि ह या वकष ह तम िो हो अगर वह पयाापत होता तो तम आनकदत होत कयोकक िहा

भी पयाापत हो िाता ह वही सतोि पररततपत आ िाती ह िहा पयाापत हए वही पररतोि आ िाता ह

तम पयाापत तो नही हो यह तमहारी रचनी कह दती ह तमहारी आि की उदासी कह िाती ह तमहार

पराणो का दि भरा सवर गनगनाए िाता ह--तम पयाापत नही हो कि िो रहा ह कि चका िा रहा ह कि

होना चातहए िो नही ह उसकी ररि िगह तम अनभव करत हो वही तो िीवन का सताप ह तो कफर ऐस ही

अगर रह और इसी को दोहरात रह तर तो वह ररि िगह कभी भी न भरगी तमहारा घर िाली रह िाएगा

तिसकी तम परतीकषा करत हो वह कभी आएगा नही िागकर दिना िररी ह

असली सवाल कहा िा रह हो यह नही ह असली सवाल ककस मागा स िा रह हो यह भी नही ह

असली सवाल यही ह कक िो िा रहा ह वह कौन ह तिसन अपन को पहचाना उसक कदम ठीक पड़न लग

अपनी पहचान स ही ठीक कदमो का िनम होता ह तिसन अपन को न पहचाना वह ककतन ही शासतर और

ककतन ही नकश और ककतन ही तसदधात लकर चलता रह उसक पर गलत ही पड़त रहग वह तो एक ऐसा

शरारी ह िो नकशा लकर चल रहा ह शरारी क िद क पर ही ठीक नही पड़ रह ह शरारी क हाथ नकश का

कया उपयोग ह

तमहार हाथ म शासतरो का कोई उपयोग नही तमहार साथ शासतर भी कपगा डगमगाएगा शासतर तमह न

ठहरा पाएगा तमहार कारण शासतर भी डगमगाएगा तम ठहर िाओ शासतर की िररत ही नही तमहार ठहरन

स ही शासतर का िनम होता ह दतषट उपलबध होती ह दशान होता ह रदध क य सार वचन सर तरफ स एक ही

78

कदशा की तरफ इतगत करत ह कक िागो परमाद म मत डर रहो अपरमाद तमहार िीवन का आधार रन

आधारतशला रन

पित ह रदध कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कौन कशल परि

फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा कौन

तम तो कस चनोग िस तम हो चनना तो तम भी चाहत हो काटो स कौन रचना नही चाहता फलो

को कौन आजलगन नही कर लना चाहता सि की आकाकषा ककसकी नही ह दि स दर हटन का भाव ककसक

मन म नही उठता लककन रदध पित ह कौन िीतगा कौन उपलबध होगा फलो स भर धमापथ को

तम िस हो वस न हो सकोग तम सोए हो तमह िरर ही नही तम कौन हो फल और काट का भद तो

तम कस करोग सार-असार को तम कस अलग करोग साथाक-वयथा को तम कस िाटोग तम सोए हो

तमहार सवपनो म अगर तमन फल और काट अलग भी कर तलए तो िागकर तम पाओग दोनो िो गए सपन क

फल और सपन क काटो म कोई फका नही

इसतलए असली सवाल तमहार िागन का ह उसक राद ही तनणाय हो सकगा नीद म तम मकदर िाओ

कक मतसिद सर रकार करान पढ़ो कक वद सर वयथा नीद म तम रदधपरिो को सनत रहो कि हल न होगा

तमह िागना पड़गा कयोकक िागकर ही तम सनोग तभी तम समझ सकोग सन लना समझन क तलए काफी

नही ह नीद अगर भीतर तघरी हो तो तमहार कान सनत भी रहग और तम यह मानत भी रहोग कक म सन

रहा ह कफर भी तमन कि सना नही तम रहर क रहर रह गए अध क अध रह तमहार िीवन म कोई करातत

उसस पदा न हो सकगी

कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात

धमापथ को चनगा

तशषय--शकष--इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कशल शकि--कशल तशषय--फल

की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय को समझना होगा रदध का िोर तशषय पर उतना ही ह तितना नानक का था इसतलए नानक का

परा धमा ही तसकि धमा कहलाया--तशषय का धमा तसकि यानी तशषय सारा धमा ही सीिन की कला ह तम

सोचत भी हो रहत रार कक तम सीिन को तयार हो लककन मतककल स कभी मझ कोई वयति तमलता ह िो

सीिन को तयार ह कयोकक सीिन की शत ही परी नही हो पाती

सीिन की पहली शता तो यह समझना ह कक तम िानत नही हो अगर तमह िरा सी भी भातत ह कक तम

िानत ही हो तो तम सीिोग कस सीिन क तलए िानना िररी ह कक म अजञानी ह जञान को तनमतरण दन क

तलए यह रतनयादी शता ह इसक पहल कक तम पकारो जञान को इसक पहल कक तम अपना दवार िोलो उसक

तलए तमह रड़ी गहन तवनमरता म यह सवीकार कर लना होगा कक म नही िानता ह

इसतलए पतडत तशषय नही हो पात और दतनया तितनी ही िानकार होती िाती ह उतना ही तशषयतव

िोता चला िाता ह पतडत िान ही नही सकता

यह रड़ी तवरोधाभासी रात मालम पड़ती ह कयोकक हम तो सोचत ह पतडत िानता ह पतडत अकला

ह िो नही िान सकता अजञानी िान ल भला पतडत क िानन का कोई उपाय नही कयोकक पतडत तो मानकर

रठा ह कक म िानता ही ह उस वद कठसथ ह उस उपतनिदो क वचन याद ह उस रदधपरिो की गाथाए

79

शबदशाः समरण म ह उसकी समतत भरी-परी ह और उस भरोसा ह कक म िानता ह वह कभी भी िान न

पाएगा कयोकक िगह चातहए तम पहल स भर हो िाली होना िररी ह

कौन ह तशषय तिस यह रात समझ म आ गई कक अर तक मन कि िाना नही तमह भी कभी-कभी यह

रात समझ म आती ह लककन तमह इस तरह समझ म आती ह कक सर न िाना हो थोड़ा तो मन िाना ह वही

धोिा हो िाता ह

एक रात तमह कह द या तो िानना परा होता ह या तरलकल नही होता थोड़ा-थोड़ा नही होता या तो

तम िीत हो या मरत हो या तो मर या जिदा तम ऐसा नही होत कक थोड़-थोड़ जिदा या तो तम िाग या

सोए थोड़-थोड़ िाग थोड़-थोड़ सोए ऐसा होता ही नही अगर तम थोड़ भी िाग हो तो तम पर िाग हो

िागन क िड नही ककए िा सकत जञान क िड नही ककए िा सकत

यही पातडतय और रदधतव का फका ह पातडतय क िड ककए िा सकत ह तमन पहली परीकषा पास कर

ली दसरी कर ली तीसरी कर ली रड़ पतडत होत चल गए एक शासतर िाना दसरा िाना तीसरा िाना

मातरा रढ़ती चली गई पातडतय मातरा म ह कवारटटी म ह रदधतव कवातलटी म ह मातरा म नही गण म रदधतव

होन का एक ढग ह मातर िानकारी की सखया नही ह िागन की एक परककरया

इस थोड़ा सोचो सरह िर तम िाग िात हो कया तम यह कह सकत हो कक अभी म थोड़ा-थोड़ा िागा

ह कौन कहगा इतना िानन क तलए भी कक म थोड़ा-थोड़ा िागा ह परा िागना िररी ह िागन की

मातराए नही होती रात िर तम सो िात हो कया तम कह सकत हो कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह कौन कहगा

िर तम सो गए तो सो गए कौन कहगा कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह अगर तम कहन को अभी भी मौिद हो

तो तम सोए नही तम िाग हो

न तो िागना राटा िा सकता ह न सोना राटा िा सकता ह न िीवन राटा िा सकता न मौत राटी

िा सकती पातडतय राटा िा सकता ह िो राटा िा सकता ह उस तम जञान मत समझना िो नही राटा िा

सकता िो उतरता ह परा उतरता ह नही उतरता तरलकल नही उतरता उस ही तम जञान समझना

मर पास लोग आत ह उनको अगर म कहता ह कक पहल तम यह िानन का भाव िोड़ दो व कहत ह

कक इसीतलए तो हम आपक पास आए ह िो थोड़ा-रहत िानत ह उसस कि सार नही हआ और िानन की

इचिा ह उनको वह िो खयाल ह थोड़ा-रहत िानन का वही राधा रनगा वह उनह तशषय न रनन दगा व

तवदयाथी रन िाएग तशषय न रन सक ग

तवदयाथी वह ह िो थोड़ा िानता ह थोड़ा और िानन को उतसक ह तवदयाथी यानी तिजञास िानकारी

की िोि म तनकला तशषय तवदयाथी नही ह सतयाथी ह तशषय िानकारी की िोि म नही तनकला ह िानन

की कला की िोि म तनकला ह तशषय का धयान िो िाना िाना ह उस पर नही ह िो िानगा उस पर ह

तवदयाथी आबितकटव ह राहर उसकी निर ह तशषय सबितकटव ह भीतर उसकी निर ह वह यह कह रहा ह

कक पहल तो म िाग िाऊ कफर िानना तो गौण रात ह िाग गया तो िहा मरी निर पड़गी वही जञान पदा

हो िाएगा िहा दिगा वही झरन उपलबध हो िाएग जञान क पर मर भीतर िागना हो िाए

तवदयाथी सोया ह और सगरह कर रहा ह सोए लोग ही सगरह करत ह िागो न सगरह नही ककया न धन

का न जञान का न यश का न पद का सोया आदमी सगरह करता ह सोया आदमी मातरा की भािा म सोचता

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कौन िीतगा रड़ा अिीर उततर दत ह रदध तशषय िीतगा कोई योदधा नही और तशषय क होन की

पहली शता यह ह कक तिसन अपनी हार सवीकार कर ली हो तिसन यह कहा हो कक म अर तक िान नही

पाया चला रहत पहचा नही सोचा रहत समझा नही सना रहत सन नही पाया दिा रहत भातत रही

कयोकक दिन वाला सोया था िो हार गया ह आकर तिसन गर क चरणो म तसर रि कदया और कहा कक म

कि भी नही िानता ह तिसन अपन तसर क साथ अपनी िानकारी भी सर गर क चरणो पर रि दी वही

सीिन को कशल हआ सीिन म सफल हआ सीिन की कषमता उस उपलबध हई तिसन िाना कक म नही

िानता ह वही तशषय ह करठन ह कयोकक अहकार कहता ह कक म और नही िानता परा न िानता होऊ

थोड़ा तो िानता ह सर न िान तलया हो पर रहत िान तलया ह

रदध क पास एक महापतडत आया साररपतर वह रड़ा जञानी था उस सार वद कठसथ थ उसक िद पाच

हिार तशषय थ--तशषय नही तवदयाथी कहन चातहए लककन वह समझता था कक तशषय ह कयोकक वह समझता

था म जञानी ह

िर वह रदध क पास आया और उसन रहत स सवाल उठाए तो रदध न कहा य सर सवाल पातडतय क

ह य सवाल शासतरो स पदा हए ह य तर भीतर नही पदा हो रह ह साररपतर य सवाल तर नही ह य सवाल

उधार ह तन ककतार पढ़ी ह ककतारो स सवाल पदा हो गए ह अगर य ककतार तन न पढ़ी होती तो य सवाल

पदा न होत अगर तन दसरी ककतार पढ़ी होती तो दसर सवाल पदा होत य सवाल तरी जिदगी क भीतर स

नही आत य तर अतसतल स नही उठ य अतसततवगत नही ह रौतदधक ह

साररपतर अगर तसफा पतडत ही होता तो नाराि होकर चला गया होता उसन आि झकायी उसन

सोचा उसन दिा कक रदध िो कह रह ह उसम तथय ककतना ह और तथय पाया उसन तसर उनक चरणो म

रि कदया उसन कहा कक म अपन सवाल वापस ल लता ह ठीक कहत ह आप य सवाल मर नही ह अर तक

म इनह अपना मानता रहा और िर सवाल ही अपना न हो तो िवार अपना कस तमलगा िर सवाल ही

अभी अपन अतरतम स नही उठा ह तो िवार अतरतम तक कस िाएगा

एक तो तिजञासा ह िो रतदध की ििलाहट िसी ह कतहल िसी ह पि तलया चलत-चलत कोई

िीवन दाव पर नही लगा ह और एक तिजञासा ह तिसको हमन ममकषा कहा ह िीवन दाव पर लगा ह यह

कोई सवाल ऐसा ही नही ह कक चलत-चलत पि तलया इसक उततर पर तनभार करगा िीवन का सारा ढग

इसक उततर पर तनभार करगा कक म िीऊ या मर इसक उततर पर तनभार करगा कक िीवन िीन योगय ह या

वयथा ह िहा सर दाव पर लगा ह

साररपतर न कहा अर म तभी पिगा िर मर अतरतम का परशन आएगा मझ शासतरो स मि कर

भगवान रदध न कहा त समझ गया त मि हो गया शासतर थोड़ ही तझ पकड़ हए ह तन ही पकड़ा था त

समझ गया तन िोड़ कदया साररपतर को रदध न तशषय की तरह सवीकार कर तलया

कहत ह साररपतर न कफर कभी सवाल न पि विो तक और रदध न एक कदन साररपतर को पिा कक त

पिता नही त िर आया था रड़ सवाल लकर आया था वह सवाल तो तझस िीन तलए गए थ तन कहा था

अर िर मरा सवाल उठगा तर पिगा तन पिा नही साररपतर न कहा अचभा ह पराए सवाल थ रहत थ

उततर भी रहत तमल गए थ कफर भी उततर तमलता नही था कयोकक अपना सवाल न था पराणो की कोई हक न

थी कोई पयास न थी िस तरन पयास आदमी को पानी तपलाए िाओ उलटी हो सकती ह ततपत थोड़ ही होगी

कफर उनको िोड़ कदया तो रड़ी हरानी हई परशन उठा ही नही और उततर तमल गया

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तिसन अपन भीतर उतरन की थोड़ी सी भी शरआत की उसक परशन िोत चल िात ह अतरतम म िड़

होकर िहा स परशन उठना चातहए वही स िवार उठ आता ह हर अतसततवगत परशन अपना उततर अपन भीतर

तलए ह परशन तो रीि ह उसी रीि स फटता ह अकर उततर परगट हो िात ह तमह तमहार िीवन की समसया

मालम पड़ती ह समसया की तरह कयोकक वह समसया भी तमन उधार ही रना ली ह ककसी और न तमस कह

कदया ह और ककसी और की मानकर तम चल भी पड़ हो ककसी और न तमह समझा कदया ह कक तम रहत

पयास हो पानी को िोिो

मर पास लोग आत ह व कहत ह ईशवर को िोिना ह म उनकी तरफ दिता ह--ककसतलए िोिना ह

ईशवर न तमहारा कया तरगाड़ा ह िररी िोिना ह तनतित ही िोिना ह िीवन को दाव पर लगान की

तयारी ह व कहत ह नही ऐसा कि नही अगर तमल िाए वस तो हम पकका भी नही कक ह भी या नही म

उनस पिता ह तमह ठीक-ठीक पकका ह कक तम िोिन ही तनकल हो व कहत ह वह भी कि साफ नही

धधला-धधला ह ककसतलए िोि रह हो ईशवर को सन तलया ह शबद शबद पकड़ गया मन म कोई और लोग

भी िोि रह ह तम भी िोिन तनकल पड़ हो

नही ऐस िोि नही होती सतय की तशषय होन स िोि होती ह पहल तो उधार जञान िोड़ दना िररी

ह उधार जञान िोड़त ही तम ऐस शात और पतवतर हो िात हो कवारापन उतर आता ह सारी गदगी हट िाती

कौन िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा

मतय को भी िीत लगा लककन िीतन की कला ह िानन की भातत को िोड़ दना पातडतय को िोड़त ही

िीवन अपन रग िोलन शर कर दता ह पातडतय िस आिो स रध पतथर ह तिनकी विह स पलक िल नही

पाती रोतझल हो गई ह पातडतय क हटत ही तम कफर िोट रचच की भातत हो िात हो

तशषय यानी कफर स तमहारा रालपन लौटा िस िोटा रचचा दिता ह िगत को तरना िानकारी क

गलार क फल को िोटा रचचा भी दिता ह तम भी दित हो तम िर दित हो तर तमहार भीतर एक शबद

रनता ह--गलार का फल या एक शबद रनता ह कक--हा सदर ह या तलना उठती ह कक--पहल दि थ फल

उतना ही सदर ह जयादा ह या कम ह रात ितम हो िाती ह थोड़ स शबदो का भीतर शोरगल होता ह और

उन शबदो क शोरगल म िीतवत फल िो िाता ह

एक िोटा रचचा भी गलार क फल को दिता ह अभी उस पता ही नही कक यह गलार ह कक कमल ह

कक चमली कक िही अभी नाम उस याद नही अभी जञान की उस पर कपा नही हई अभी तशकषको न उस

तरगाड़ा नही अभी सौभागयशाली ह तशकषा का िहर उस पर तगरा नही अभी वह तसफा दिता ह अभी तलना

भी नही उठती कयोकक तलना क तलए भी नाम सीि लना िररी ह अतीत म भी उसन फल दि होग उनको

फल भी नही कह सकता रगो का एक िागता हआ अनभव था रग भी नही कह सकता शबद तो उसक पास

नही ह सीधा फल को दिता ह रीच म कोई दीवाल िड़ी नही होती कोई शबद िाल नही रनता कोई तलना

नही उठती सीध फल स हदय स हदय का तमलन होता ह फल क साथ एक तादातमय रनता ह फल म डरता

ह फल उसम डरता ह िोटा रचचा एक डरकी लगा लता ह फल क अतसततव म फल अपन सार सौदया को

उसक चारो तरफ तरिरा दता ह अपनी सारी सगध लटा दता ह िोट रचच का िो अनभव ह गलार क फल क

पास वह तम लाि तरसो तर तक तमह न हो सकगा िर तक तम कफर स रचच न हो िाओ

82

िीसस न कहा ह मर परभ क राजय क व ही अतधकारी होग िो िोट रचचो की भातत ह िोट-िोट रचचो

की भातत सरल ह

तशषय का यही अथा ह कक िो कफर स सीिन को तयार ह िो कहता ह अर तक िो सीिा था रकार

पाया अर म कफर स दवार पर िड़ा ह अपन हदय की झोली को भरन को अर कड़ा-करकट स नही भरना ह

अर िानकारी स नही भरना ह अर होश को मागन आया ह

तवदयाथी जञान मागन आता ह तशषय होश मागन आता ह तवदयाथी कहता ह और िानकारी चातहए

तशषय कहता ह िानकारी को कया करग अभी िानन वाला ही मौिद नही िानन वाला चातहए

कशल तशषय फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

और तिसन िीवन का थोड़ा सा भी सवाद लना शर कर कदया तिसक भीतर होश की ककरण पदा हई

होश का तचराग िला अर उस कदिाई पड़न लगगा--कहा काट ह कहा फल ह

तमह लोग समझात ह ररा काम मत करो तमह लोग समझात ह पाप मत करो तमह लोग समझात ह

अनीतत मत करो रईमानी मत करो झठ मत रोलो म तमह नही समझाता म तमह समझाता ह तचराग को

िलाओ अनयथा पहचानगा कौन कक कया अनीतत ह कया नीतत ह कौन िानगा--कहा काट ह कहा फल ह

तम अभी मौिद ही नही हो रासता कहा ह भटकाव कहा ह तम कस िानोग तम अगर दसरो की मानकर

चलत भी रह तो तम ऐस ही होओग िस अधा अधो को चलाता रह न उनह पता ह न उनक आग िो अध िड़

ह उनह पता ह अधो की एक कतार लगी ह वद और शासतरो क जञाताओ की कतार लगी ह और अध एक-दसर

को पकड़ हए चल िा रह ह

ककस रात को तम कहत हो नीतत ककस रात को तम कहत हो धमा कस तम िानत हो तमहार पास

कसौटी कया ह तम कस पहचानत हो कया सोना ह कया पीतल ह दोनो पील कदिाई पड़त ह हा दसर कहत

ह यह सोना ह तो मान लत हो दसरो की कर तक मानत रहोग दसरो की मान-मानकर ही तो ऐसी गतत हई

ह ऐसी दगातत हई ह

धमा कहता ह दसरो की नही माननी ह अपन भीतर उसको िगाना ह तिसक दवारा िानना शर हो

िाता ह और मानन की कोई िररत नही रह िाती तचराग िलाओ ताकक तमह िद ही कदिाई पड़न लग--

कहा गलत ह कहा सही ह

मन सना ह दो यवक एक फकीर क पास आए उनम स एक रहत दिी था रड़ा रचन था दसरा ऐसा

कि िास रचन नही था परतीत होता था तमतर क साथ चला आया ह पहल न कहा हम रड़ परशान ह हमस

रड़ भयकर पाप हो गए ह उनस िटकार का और परायतितत का कोई मागा रताओ उस फकीर न पहल स पिा

कक त अपन पापो क सरध म कि रोल तो उसन कहा जयादा मन पाप नही ककए मगर एक रहत िघनय

अपराध ककया ह और उसका रोझ मरी िाती पर एक चिान की तरह रिा ह दया करो ककसी तरह यह रोझ

मरा उतर िाए म पिता रहा ह भल हो गई लककन अर कया कर िो हो गया हो गया वह रोन लगा आि

स उसकी आस तगरन लग

उस फकीर न कहा दसर स कक तरा कया पाप ह दसर न मसकरात हए कहा ऐसा कि िास नही कोई

रड़ पाप मन नही ककए ह ऐस ही िोट-िोट तिनका कोई तहसार भी नही और कोई उनस म दरा भी नही

िा रहा ह तमतर आता था इसतलए म भी साथ चला आया और अगर इसक रड़ो स िटकारा तमल सकता ह

तो मर िोट-िोट पापो का भी आशीवााद दो कक िटकारा हो िाए

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उस फकीर न कहा ऐसा करो तम दोनो राहर िाओ और उस पहल यवक स कहा कक त अपन पाप की

दतषट स उतन ही विन का एक पतथर उठा ला और दसर स कहा कक त भी तन िो िोट-िोट पाप ककए ह

ककड़-पतथर उसी तहसार की सखया स भर ला पहला तो एक रड़ी चिान उठाकर लाया पसीन स तररतर हो

गया उस लाना भी मतककल था हाफन लगा दसरा झोली भर लाया िोट-िोट ककड़-पतथर रीनकर

िर व अदर आ गए उस फकीर न कहा अर तम एक काम करो तिस िगह स तम यह रड़ा पतथर उठा

लाए हो वही रि आओ और उस दसर स भी कहा कक त य िो िोट-िोट ककड़-पतथर रीन लाया िहा-िहा

स उठाए ह वही-वही वापस रि आ

उसन कहा यह तो झझट हो गई तिसन रड़ा पाप ककया ह यह तो िर रि आएगा म कहा रिन

िाऊगा अर तो याद भी करना मतककल ह कक कौन सा पतथर मन कहा स उठाया था सकड़ो ककड़-पतथर

रीन लाया ह

उस फकीर न कहा पाप रड़ा भी हो लककन अगर उसकी पीड़ा हो तो परायतितत का उपाय ह पाप

िोटा भी हो और उसकी पीड़ा न हो तो परायतितत का उपाय नही ह और िो तमहार पतथर क सरध म तमहारी

तसथतत ह वही तमहार पापो क सरध म भी तसथतत ह तिसका दीया िला हआ ह वह न तो रड़ करता ह न

िोट करता ह तिनक दीए अभी िल हए नही ह व रड़ करन स भला डरत हो िोट-िोट तो मि स करत

रहत ह िोट-िोट का तो पता ही कहा चलता ह

तमन ककसी आदमी स िरा सा झठ रोल कदया कई रार तो तम ऐस झठ रोलत हो कक तमह पता ही

नही चलता कक तमन झठ भी रोला कई रार तो तमह कफर िीवन म कभी याद भी नही आता उसका लककन

वह सर इकिा होता चला िाता ह िोट-िोट पतथर इकि होकर भी रड़ी-रड़ी चिानो स जयादा रोतझल हो

सकत ह

असली सवाल िोट और रड़ का नही ह और तिनहोन िागकर दिा ह उनका तो कहना यह ह कक पाप

िोट-रड़ होत ही नही पाप यानी पाप िोटा-रड़ा कस एक आदमी न दो पस की चोरी की कया िोटा पाप

ह और एक आदमी न दो लाि की चोरी की कया रड़ा पाप ह

थोड़ा सोचो चोरी चोरी ह दो पस की भी उतनी ही चोरी ह तितनी दो लाि की चोर होना ररारर

ह दो लाि स जयादा का नही होता दो पस स कम का नही होता चोर होन की भावदशा रस काफी ह इसस

कोई अतर नही पड़ता दो लाि और दो पस का भद रािार म ह लककन दो लाि और दो पस की चोरी का

भद धमा म नही हो सकता चोरी यानी चोरी लककन यह तो उस कदिाई पड़गा तिसका भीतर का दीया िल

रहा ह कफर पाप पाप ह रड़ा-िोटा नही ह पणय पणय ह िोटा-रड़ा नही ह

लककन िर तक तम दसरो क पीि चल रह हो िर तक तम िानकारी को ही िीवन मानकर चल रह

हो और पातडतय स तमहार िीवन को मागादशान तमलता ह तर तक तम ऐस ही भटकत रहोग

तशषय वही ह तिसन अपन को िगान की तयारी शर की तशषय वही ह तिसक तलए पातडतय वयथा

कदिाई पड़ गया और अर िो रदधतव को िोिन तनकला ह और िस ही तमहार िीवन म यह करातत घरटत

होती ह तशषयतव की सभावना रढ़ती ह रड़ अतर पड़न शर हो िात ह तर तम और ही ढग स सनत हो तर

तम और ही ढग स उठत हो तर तम और ही ढग स सोचत हो तर िीवन की सारी परककरयाओ का एक ही क ि

हो िाता ह कक कस िाग कस यह नीद टट कस यह कटघरा पनरति का तमट और म राहर आ िाऊ तर

तमहारा सारा उपकरम एक ही कदशा म समरपात हो िाता ह

84

तशषय का िीवन एक समरपात िीवन ह उसक िीवन म एक ही अभीपसा ह सर दवारो स वह एक ही

उपलतबध क तलए चषटा करता ह दवार िटिटाता ह कक म कस िाग िाऊ और तिसक िीवन म ऐसी अभीपसा

पदा हो िाती ह कक म कस िाग िाऊ उस कौन रोक सकगा िागन स उस कोई शति रोक नही सकती वह

िाग ही िाएगा आि चाह िागन की आकाकषा रड़ी मतदधम मालम पड़ती हो लककन रद-रद तगरकर िस

चिान टट िाती ह ऐसी रद-रद आकाकषा िागन की तिा को तोड़ दती ह तिा ककतनी ही पराचीन हो और

ककतनी ही मिरत हो इसस कोई भद नही पड़ता

इस शरीर को फन क समान िान इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषप-िाल को

काट यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़

तम िहा रठ हो वहा कि पाया तो नही कफर ककसकी परतीकषा कर रह हो तम िहा रठ हो वहा कि

भी तो अनभव नही हआ अर तम राह कया दि रह हो

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

न तो ककसी न कोई वादा ककया ह वहा तमलन का न तमह यकीन ह कक कोई तमलन वाला ह न तमह

कोई उममीद ह कयोकक िीवनभर वही रठ-रठकर तम थक गए हो--नाउममीद हो गए हो--लककन कफर भी

इतिार ककए िा रह हो ककतनी रार तमन करोध ककया ह ककतनी रार लोभ ककया ह ककतनी रार मोह ककया

ह ककतनी रार राग ककया ह पाया कि गाठ गरठयाया कि मिी राध रठ हो मिी क भीतर कोई सपदा

इकिी हई

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

कसी तिद पकड़कर रठ गए हो इतिार करन की ककस का इतिार कर रह हो इस राह स कोई गिरता

ही नही तम तिस राह पर रठ हो वह ककसी की भी रहगिर नही

रदध कहत ह इस िीवन की मग-मरीतचका क समान परकतत को पहचान

पयास को मरसथल म भी पानी कदिाई पड़ िाता ह वह मग-मरीतचका ह ह नही वहा कही पानी

पयास की कलपना स ही कदिाई पड़ िाता ह पयास रहत सघन हो तो िहा नही ह वहा भी तम आरोतपत कर

लत हो

तमन भी इस अनभव ककया होगा तमहार भीतर िो चीि रहत जयादा सघन होकर पीड़ा द रही ह

तिस तम िोि रह हो वह कदिाई पड़न लगती ह कभी तम ककसी की राह दि रह हो घर क अदर रठ कोई

तपरयिन आ रहा ह कोई तमतर आ रहा ह परयसी या परमी आ रहा ह पतता भी िड़कता ह तो ऐसा लगता ह कक

उसक पर की आवाि सनाई पड़ गई कफर उठकर दित हो पोसटमन दवार पर आकर िड़ा हो िाता ह तो

समझत हो कक परमी आ गया परसि होकर धड़कती िाती स दवार िोलत हो कोई नही भी आता न पतता

िड़कता ह न पोसटमन आता ह न दवार स कोई तनकलता ह तो तम कलपना करन लगत हो कक शायद आवाि

सनी शायद ककसी न दवार िटिटाया या कोई पगधवतन सनाई पड़ी सीकढ़यो पर चढ़ती हई भागकर पहचत

हो कोई भी नही ह

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

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मगर तम कलपना ककए चल िात हो मग-मरीतचका का अथा ह िहा नही ह वहा दि लना और िो

वयति वहा दि रहा हो िहा नही ह वह वहा दिन स वतचत रह िाएगा िहा ह तो मग-मरीतचका िीवन क

आतयततक सतय को दिन म राधा रन िाती ह तम दौड़त रहत हो उस तरफ िहा नही ह और तम उस तरफ

दित ही नही लौटकर िहा ह

तिस तम िोि रह हो वह तमहार भीतर िपा ह तिस तम पान तनकल हो उस तमन कभी िोया ही

नही उस तम लकर ही आए थ परमातमा ककसी को दररि भिता ही नही समराट क अलावा वह ककसी को कि

और रनाता ही नही कफर तभिमग तम रन िात हो वह तमहारी ही कशलता ह वह तमहारी ही कला ह

तमहारी मौि परमातमा तमह इतनी सवततरता दता ह कक तम अगर तभिमग भी होना चाहो तो उसम भी राधा

नही डालता

इस शरीर को फन क समान िान

तशषय को कह रह ह यह रात रदध तवदयाथी को नही तवदयाथी स रदधो का कोई तमलना ही नही होता

कवल तशषयो स िो वसतताः आतर ह और तिनका िीवन एक लपट रन गई ह--एक िोि और िो सर कराान

करन को रािी ह तिनह िीवन म ऐसी कोई रात कदिाई ही नही पड़ती तिसक तलए रक रहन की कोई िररत

हो िो अजञात की तरफ िान को ततपर ह िो जञान को िोड़कर अजञान को सवीकार ककए ह कवल व ही जञात

स मि होत ह और अजञात म उनका परवश होता ह उनस ही रदध कह रह ह--

इस शरीर को फन क समान िान

समि क तट पर तमन फन को इकि होत दिा ह ककतना सदर मालम होता ह दर स अगर दिा हो तो

रड़ा आकिाक लगता ह कभी सया की ककरण उसस गिरती हो तो इिधनि फल िात ह फन म पास आओ

पानी क ररल ह वह शभता वह चाद िसी सफदी या चमली क फल िसी िो राढ़ आ गई थी वह कि भी

नही मालम पड़ती कफर हाथ म मिी म फन को लकर दिा ह ररल भी िो िात ह

जिदगी आदमी की रस ऐसी ही ह फन की भातत दर स दिोग रड़ी सदर पास आओग सर िो िाता

ह दर-दर रहोग रड़ सदर इिधनि कदिाई पड़त रहग पास आओग हाथ म कि भी नही आता

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

दर स फल कदिाई पड़त ह पास आओ कफन हो िाता ह तिसको तम जिदगी कहत हो दर स जिदगी

मालम होती ह पास आओ मौत हो िाती ह

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

चारो तरफ िहा-िहा तमह फल कदिाई पड़ िरा गौर स पास िाना हर फल म तिपा हआ काटा तम

पाओग हर फल चभगा हा दर स ही दित रहो तो भातत रनी रहती ह पास िान स भाततया टट िाती ह

दर क ढोल सहावन मालम होत ह दर स सभी चीि सदर मालम होती ह

तमन कभी खयाल ककया कदन म चीि उतनी सदर नही मालम पड़ती तितनी रात की चादनी म मालम

पड़ती ह चादनी एक तततलसम फला दती ह कयोकक चादनी एक धधलका द दती ह वस ही आि नही ह वस

ही अधापन ह चादनी और आिो को धए स भर दती ह िो चीि कदन म साधारण कदिाई पड़ती ह व भी

रात म सदर होकर कदिाई पड़न लगती ह तितना तमहारी आिो म धध होता ह उतना ही िीवन का फन

रहमलय मालम होन लगता ह हीर-िवाहरात कदिाई पड़न लगत ह

लो आओ म रताऊ तततलसम-िहा का राि

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िो कि ह सर खयाल की मिी म रद ह

तितन दर रहो उतना ही वसतओ स सपका नही होता तसफा खयालो स सपका होता ह तितन पास आओ

िीवन का यथाथा कदिाई पड़ता ह खयाल टटन लगत ह और तिसन भी िीवन का यथाथा दिा वह घरड़ा

गया वह भयभीत हो गया कयोकक वहा िीवन क घर म तिपी मौत पाई फल म तिप काट पाए सदर सपनो

क पीि तसवाय पतथरो क कि भी नही था पानी की झाग थी कक मरसथल म दि गए िल क झरन थ दर स

रड़ मनमोहक थ पास आकर थ ही नही

और यह सभी को अनभव होता ह लककन कफर भी तम न मालम ककसका इतिार कर रह हो न ककसी

न वादा ककया ह न तमह भरोसा ह कक कोई आएगा उममीद भी नही ह--मगर शायद तम सोचत हो और कर

भी कया अगर इतिार न कर तो और कर भी कया

रदधपरि तमह रलात ह कक तम गलत राह पर रठ हो और तिसकी तम परतीकषा करत हो वह वहा स

गिरता ही नही और भी राह ह परतीकषा करन क तलए और भी परतीकषालय ह अगर परतीकषा ही करनी ह तो

थोड़ा भीतर की तरफ चलो तितन तम राहर गए हो उतन ही तम न झाग और फन क रलरल पाए ह थोड़

भीतर की तरफ आओ और तम पाओग उतना ही यथाथा परगट होन लगा तितन तम भीतर आओग उतना सतय

तितन तम राहर िाओग उतना असतय तिस कदन तम तरलकल अपन क ि पर िड़ हो िाओग उस कदन सतय

अपन पर राि िोल दता ह उस कदन सार पद सार घघट उठ िात ह

इस शरीर को फन क समान िान और इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषपिाल

को काट

रदध कहत ह वासना न रड़ फलो का िाल फलाया ह

मार क पषपिाल को काट

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

मार का पषपिाल उन फलो क पीि कि भी नही ह धोि की टिी ह पीि कि भी नही ह सारा

सौदया पद म ह िाली घघट ह भीतर कोई चहरा नही ह लककन घघट को िर तक तम िोलोग न और भीतर

की ररिता का पता न चलगा तर तक तम िागोग न कई रार तमन घघट भी िोल तलए ह एक घघट क

भीतर तमन कोई न पाया तो भी तमह समझ नही आती तर तम दसरा घघट िोलन म लग िात हो एक मिी

झाग झाग तसदध हो गई तो मन कह चला िाता ह सारी ही झाग थोड़ी झाग होगी एक घघट वयथा हआ दसर

घघट म िोि लग ऐसा िनमो-िनमो स घघट उठान का करम चल रहा ह ककसी घघट म कभी ककसी को नही

पाया सर घघट िाली थ

तमन कभी ककसी म ककसी को पाया पतत म कि पाया पतनी म कि पाया तमतर म कि पाया सग-

साथी म कि पाया या तसफा घघट था नही तमलता ह कोई नही तमलता ह वहा लककन मन की आशा कहती

ह यहा नही तमला तो कही और तमल िाएगा इस झरन म पानी तसदध नही हआ कफर दर और झरना कदिाई

पड़न लगता ह तम कर िागोग इस सतय स कक झरन तम कतलपत करत हो कही कोई नही ह तमहार

अततररकत सर अयथाथा ह तमहार अततररि सर माया ह

यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़ो

अगर िीवन को सचमच पाना ह तो मौत स िहा-िहा मौत हो वहा-वहा िीवन नही ह इसको तम

समझ लो िहा-िहा पररवतान हो वहा शाशवत नही ह और िहा-िहा कषणभगर हो वहा सनातन नही ह और

87

िहा-िहा चीि रदलती हो वहा समय को मत गवाना उसको िोिो िो कभी नही रदलता ह उस न रदलन

को िोि लन की कला का नाम धमा ह एस धममो सनतनो

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह

सोए हए गाव को रढ़ी हई राढ़

िस सोए हए गाव म अचानक नदी म राढ़ आ िाए और लोग सोए-सोए ही रह िात ह ऐस ही

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उठा ल िाती ह सोए ही सोए राढ़ आ िाती

ह और जिदगी तवदा हो िाती ह तम सपन ही दित रहत हो और राढ़ आ िाती ह सारी कामवासना सवपन

दिन क अततररि और कि भी नही ह

य ऐश क रद सोत रह कफर िाग भी तो कया िाग

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

एक तो िागत ही नही सोए ही रहकर तरता दत ह और अगर कभी कोई सोचता भी ह कक िाग गया

तो सोचता ही ह कक िाग गया वह भी िागना िस सपन म ही िागना ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

तो लोग अपन िनमकदन को याद रित ह मतयकदन की कौन चचाा करता ह लोग िीवन पर निर रित

ह मौत मौत की रात ही करनी रहदी मालम पड़ती ह अगर ककसी स पिो कक कर मरोग तो वह नाराि हो

िाता ह मरोग कक नही तो वह कफर दरारा तमह कभी तमलगा ही नही वह तमह दकमन समझ लगा पिा

कि गलत न था िो होन ही वाला था वही पिा था लककन मौत की लोग रात भी नही करना चाहत रात स

भी भय लगता ह कफर भी मौत तो ह उस तथय को इनकार न कर सकोग ककसी भातत उस तथय को सवीकार

करो तो शायद इस िीवन स िागन की कषमता आ िाए

तिसन भी मतय को सवीकार ककया वह दिगा मतय कभी आती ह ऐसा थोड़ ही रोि हम मर रह ह

अभी आती ह अभी आ रही ह अभी घट रही ह ऐसा थोड़ ही कक कभी सततर साल क राद घटगी रोि-रोि

घटती ह सततर साल म परी हो िाती ह िनम क साथ ही मौत का तसलतसला शर होता ह मरन क साथ परा

होता ह लरी परककरया ह मतय कोई घटना नही ह परककरया ह पर िीवन पर फली ह िस झील पर लहर फली

हो ऐस िीवन पर मौत फली ह अगर तम मौत को तिपात हो ढाकत हो रचत हो तो तम िीवन क सतय को

न दि पाओग तिस तम िीवन कहत हो इस िीवन का सतय तो मतय ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

सरि उग चका ह ढलन म जयादा दर न लगगी िो उग चका वह ढल ही चका िो उग गया ह वह

ढलन क मागा पर ह सरह का सरि साझ का सरि रनन की चषटा म सलगन ह साझ दर नही ह अगर सरह हो

गई िर सरह ही हो गई तो साझ ककतनी दर हो सकती ह तिसको तम भर िवानी कहत हो वह कवल आध

कदन का परा हो िाना ह--आधी साझ का आ िाना ह िवानी आधी मौत ह लककन कौन याद रिता ह िो

याद रि सक वही तशषय ह

मौत ही इसान की दकमन नही

जिदगी भी िान लकर िाएगी

मौत ही इसान की दकमन नही जिदगी भी िान लकर िाएगी--मौत को दकमन मत समझना तिस तम

जिदगी कहत हो वह मौत ही ह वह भी िान लकर िाएगी

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फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह सोए हए

गाव को रढ़ी हई राढ़

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा--दतनया को पान की चषटा म वह िो िीवन था उस तन तमटा

कदया और दतनया को पान की चषटा को ही तन जिदगी समझी वह जिदगी न थी भल हो गई गाकफल--सोए

हए आदमी भल हो गई जिदगी ही दतनया थी

इस थोड़ा समझ लो तिस तम दतनया कहत हो तमहार राहर िो फलाव ह उस जिदगी मत समझ

लना अगर उस राहर की दतनया को ही इकिा करन म लग रह तो असली जिदगी गवा दोग पीि

पिताओग समय रीत िाएगा और रोओग कफर शायद कि कर भी न सकोग अभी कि ककया िा सकता ह

मरत कषण म शायद अतधकतम लोगो को यह समझ आती ह--

त हतवश म दतनया की जिदगी गवा रठा

मरत वि अतधक लोगो को यह खयाल आना शर हो िाता ह--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

लककन तर समय नही रचता मरत-मरत कदिाई पड़ना शर होता ह कक महल िो रनाए धन िो इकिा

ककया सामराजय िो फलाया--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

भीतर की जिदगी को िान लत तो दतनया को पा लत राहर की दतनया को पान म लग गए भीतर की

जिदगी गवा दी राहर और भीतर म उतना ही फका ह तितना सतय म और सवपन म राहर ह सवपन का िाल

भीतर ह साकषी का तनवास िो कदिाई पड़ता ह उस पर धयान मत दो िो दिता ह उस पर धयान दो िो

भोगा िाता ह उस पर धयान मत दो िो भोगता ह उस पर धयान दो आि की कफकर मत करो आि क पीि

िो िड़ा दिता ह उसकी कफकर करो कान की कफकर मत करो कान क पीि िड़ा िो सनता ह उसकी कफकर

करो न िनम की जचता करो न मतय की जचता करो उसकी िो िनम म आता ह और मतय म िाता ह िो िनम

क भी पहल ह और मतय क भी राद ह मरत कषण म यह याद भी आए तो कफर कया करोग तिनको पहल याद

आ िाती ह व कि कर लत ह

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

मरत कषण म तो कफर ऐसा ही लगगा कक तिसको जिदगी समझी--

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

व सार सवपन व सार गीत वह सारा सगीत तहचककयो म रदल िाता ह तहचककया ही हाथ म रह िाती

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

इसक पहल कक सर कि तहचककयो म रदल िाए और इसक पहल कक तमहारा साि तोड़ा िाए भीतर

क गीत को गा लो इसक पहल कक मौत शरीर को िीन तम उस िान लो तिस मौत िीन न सकगी इसक

89

पहल कक राहर का िगत िो िाए तम भीतर क िगत म पर िमा लो अनयथा तम सोए हए गाव की तरह

हो रढ़ी हई नदी की राढ़ तमह सोया-सोया रहा ल िाएगी

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

िीवन क गाव की रात ह रदध कह रह ह िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस

को लकर चल दता ह ऐस ही तम इस जिदगी म रहो िीवन िो रस द सक ल लो मगर रस कवल व ही ल

पात ह िो िागरत ह शि तो उन भौरो की तरह ह िो रस लन म इस तरह डर िात ह कक उड़ना ही भल िात

ह साझ िर कमल की पितड़या रद होन लगती ह तर व उसी म रद हो िात ह उनक तलए कमल भी

कारागह हो िात ह

िस भमर फल क वणा और गध को तरना हातन पहचाए रस लकर चपचाप चल दता ह ऐस जिदगी को

तरना कोई हातन पहचाए--यही अजहसा का सतर ह अजहसा का सतर इतना ही ह कक रस लन क तम हकदार हो

लककन ककसी को हातन पहचान क नही फल को तोड़कर भी भोगा िा सकता ह वह भी कोई भोगना हआ

भौरा आता ह फल पर चपचाप गनगनाता ह गीत ररझा लता ह फल को रस ल लता ह उड़ िाता ह तोड़ता

नही तमटाता नही भौर की तरह मि भमर की तरह मि रदध कहत ह िीवन क गाव म तम िीओ िरर

लककन आरदध मत हो िाना रद मत हो िाना हमारी हालत तो रड़ी उलटी ह इसस ठीक उलटी रदध कहत

ह दतनया म रहना लककन दतनया क मत हो िाना रदध कहत ह दतनया म रहना लककन दतनया तमम न रह

हमारी हालत इसस ठीक उलटी ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

मर भी िाए हम तो भी गम नही मरत कबर म भी तम पड़ रहोग--

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

तर भी तम सपन दिोग तर भी तम उसी दतनया क सपन दिोग तिसस तमन कि कभी पाया नही

तमहारी आि कफर भी उसी अधर म िोई रहगी िहा कभी रोशनी की ककरण न तमली

तो एक तो ह ढग सासाररक वयति का वह मर भी िाए तो भी दतनया उसक भीतर स नही हटती और

एक ह सनयासी का ढग वह िीता भी ह तो भी दतनया उसक भीतर नही होती

यह िीवन क तवराट नगर क सरध म भी सही ह और यही रदध न अपन तभकषओ क तलए कहा कक गाव-

गाव िर तम भीि भी मागन िाओ--तभकषाटन भी करो--तो चपचाप माग लना ऐस ही िस भौरा फलो स

माग लता ह और तवदा हो िाना ल लना िो तमलता हो धनयवाद द दना िहा स तमल अनगरहपवाक

सवीकार कर लना न तमल तो दिी मत होना कयोकक तमलना चातहए ऐसी कोई शता कहा तमल िाए

धनयभाग न तमल सतोि और िो न तमलन म सतषट ह उस तमल ही िाता ह लककन हमारी तसथतत ऐसी ह

कक तमल िान पर भी सतोि नही ह तो तमलकर भी नही तमल पाता हम दररि क दररि ही रह िात ह

िीवन स रहत कि पाया िा सकता ह सपन स भी सीिा िा सकता ह और मग-मरीतचकाए भी

रदधतव का आधार रन िाती ह भम स भी िागन की कला उपलबध हो िाती ह

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िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

न तो ससार का सवाल ह न ससार को िोड़न का सवाल ह कयोकक िो तमहारा ह ही नही उस तम

िोड़ोग कस इतनाभर िानन की रात ह कक हम यहा महमान स जयादा नही िर तम ककसी क घर महमान

होत हो िात वि तम ऐसा थोड़ ही कहत हो कक अर सारा घर तमहार तलए िोड़ िात ह तयाग ककए िात ह

महमान का यहा कि ह ही नही तितनी दर घर म ठहरन का सौभागय तमल गया धनयवाद अपना कि ह

नही िोड़ग कया

इसतलए तयागी वही ह तिसन यह िान तलया कक हमारा कि भी नही ह वह नही तिसन िोड़ा

कयोकक तिसन िोड़ा उस तो अभी भी खयाल ह कक अपना था िोड़ा अपना हो तो ही िोड़ा िा सकता ह

अपना हो ही न तो िोड़ना कसा

इसतलए म तमस कहता ह िोड़न की भातत म मत पड़ना कयोकक वह पकड़न की ही भातत का तहससा

ह तम तो पकड़न की भातत को ही समझ लना अपना कि भी नही अभी नही थ तम अभी हो अभी कफर

नही हो िाओग घड़ीभर का सपना ह आि झपक गई एक सपना दिा आि िल गई सपना िो गया इस

ससार को भीतर घर मत रनान दना तम ससार म रहना लककन ससार तम म न रह पाए गिरना पानी स

लककन पर भीग नही िीना लककन भौर की तरह--ककसी को हातन न पहच

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह

कया रस ह ककस रस की रात कर रह ह रदध समझा द कयोकक डर ह कक तम कि गलत न समझ लो

रदध ककस रस की रात कर रह ह ककस भौर की रात कर रह ह तम तिनह सि कहत हो उनकी रात नही कर

रह ह रदध तो इस िीवन का एक ही रस िानत ह वह ह रदधतव वह ह इस िीवन स िागन की कला सीि

कर चल दना वही रस ह कयोकक तिसन वह िान तलया उसक तलए महारस क दवार िल गए

तो िीवन क हर फल स और िीवन की हर घटना स--िनम हो कक मतय--और िीवन की हर परककरया स

तम एक ही रस को िोित रहना और चनत रहनााः हर अवसथा तमह िगान का कारण रन िाए तनतमतत रन

िाए घर हो कक गहसथी रािार हो कक दकान कोई भी चीि तमह सलान का रहाना न रन िगान का रहाना

रन िाए तो तमन रस ल तलया मरन क पहल अगर तमन इतना िान तलया कक तम अमतपतर हो तो तमन

रस ल तलया मौत क पहल अगर तमन िीवन--असली िीवन को महािीवन को--िान तलया तो तमन रस ल

तलया तो तम य ही न भटक तो तमन ऐस ही गदा-गरार न िाई तो रासत पर तम चल ही नही पहच पहच

भी

तर तर तम अचानक हरान होओग चककत होओग कक तिस तम िोित कफरत थ वह तमहार भीतर

था वह परमातमा का राजय तमहार हदय क ही राजय का दसरा नाम ह मोकष तमहार भीतर तिपी सवततरता का

ही नाम ह और कया ह सवततरता तम दतनया म रहो दतनया तमम न हो वह तनवााण तमहार अहकार क रझ

िान का ही नाम ह िर तमहार अहकार का रटमरटमाता दीया रझ िाता ह तो ऐसा नही कक अधकार हो

िाता ह उस रटमरटमात दीए क रझत ही महासयो का परकाश तमह उपलबध हो िाता ह

रवीिनाथ न तलिा ह कक िर व गीताितल तलि रह थ तो पदमा नदी पर एक रिर म तनवास करत थ

रात गीत की धन म िोए--कोई गीत उतर रहा था उतर चला िा रहा था--व एक रटमरटमाती मोमरतती को

िलाकर रिर म और दर तक गीत की कतड़यो को तलित रह कोई आधी रात फक मारकर मोमरतती रझाई

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हरान हो गए पर चाद की रात थी यह भल ही गए थ यदयतप व िो तलि रह थ वह पर चाद का ही गीत था

िस ही मोमरतती रझी कक रिर की उस िोटी सी कोठरी म सर तरफ स चाद की ककरण भीतर आ गयी रधर-

रधर स वह िोटी सी मोमरतती की रोशनी चाद की ककरणो को राहर रोक हए थी

तमन कभी खयाल ककया कमर म दीया िलता हो तो चाद भीतर नही आता कफर दीया फक मारकर

रझा कदया चाद ररस पड़ा भीतर राढ़ की तरह सर तरफ स आ गया

रवीिनाथ उस रात नाच और उनहोन अपनी डायरी म तलिा कक आि एक अपवा अनभव हआ कही

ऐसा ही तो नही ह कक िर तक यह अहकार का दीया भीतर िलता रहता ह परमातमा का चाद भीतर नही आ

पाता

यही रदध न कहा ह कक अहकार क दीए को फक मारकर रझा दो दीए क रझान का ही नाम तनवााण ह

इधर तम रझ उधर सर तरफ स परमातमा सतय--या िो भी नाम दो--भीतर परतवषट हो िाता ह

तो एक तो िीवन को िीन का ढग ह िसा तम िी रह हो एक रदधो का ढग भी ह चनाव तमहार हाथ

म ह तम रदधो की भातत भी िी सकत हो--कोई तमह रोक नही रहा ह तसवाय तमहार और तम दीन-हीन

तभिमगो की भातत भी िी सकत हो--िसा तम िी रह हो--कोई तमह िरदासती तिला नही रहा तमन ही न

मालम ककस रहोशी और नासमझी म इस तरह की िीवन-शली को चन तलया ह तमहार अततररि कोई

तिममवार नही ह एक झटक म तम तोड़ द सकत हो कयोकक सर रनाया तमहारा ही िल ह य सर िो घर

तमन रना तलए ह अपन चारो तरफ तिनम तम िद ही कद हो गए हो

म एक घर म महमान था सामन एक मकान रन रहा था और एक िोटा लड़का वहा मकान क सामन

पड़ी हई रत और ईटो क रीच म िल रहा था उसन धीर-धीर--म दिता रहा राहर रठा हआ म दि रहा था-

-उसन धीर-धीर अपन चारो तरफ ईट लगा ली और ईटो को िमाता गया ऊपर कफर वह घरड़ाया िर उसक

गल तक ईट आ गयी कयोकक वह िद कद हो गया तर वह तचललाया कक रचाओ

म उस दि रहा था और मझ लगा यही आदमी की अवसथा ह तम ही अपन चारो तरफ ईट िमा लत

हो तिसको तम जिदगी कहत हो कफर एक कदन तम पात हो कक गल तक डर गए तर तचललात हो कक

रचाओ

तमन ही रिी ह ईट तचललान की कोई िररत नही तिस ढग स रिी ह उसी ढग स तगरा दो तमन ही

रिी ह तम ही उठा सकत हो कारागह तमहारा ही रनाया हआ ह ककसी और न तमह कारागह म रद नही

ककया ह िल-िल म रना तलया ह िल-िल म ही आदमी रद हो िाता ह ििीरो म उलझ िाता ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

अर ऐस मत चलो अर िरा िागकर चलना हो िाए अर िरा होश स चलो अर िरा दिकर चलो

तितन िागोग उतना पाओग मतिल करीर तिस कदन पर िागोग उस कदन पाओग मतिल सदा भीतर थी

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

सोलहवा परवचन

समझ और समातध क अतरसतर

पहला परशनाः महाकाशयप उस कदन सरह तिलतिलाकर न हसा होता तो भी कया रदध उस मौन क परतीक

फल को दत

परशन पित समय थोड़ा सोचा भी कर कक परशन का सार कया ह यकद ऐसा हआ होता यकद वसा हआ

होता इन सारी रातो म कयो वयथा समय को वयतीत करत हो

महाकाकयप न हसा होता तो रदध फल दत या न दत इसस तमह कया होगा महाकाकयप न भी हआ हो

हआ हो कहानी तसफा कहानी हो तो भी तमह कया होगा कि अपनी पिो कि ऐसी रात पिो िो तमहार

काम पड़ िाए परशन ऐस न हो कक तसफा मतसतषक की ििलाहट हो कयोकक ििलाहट का गण ह तितना

ििाओ रढ़ती चली िाती ह पिन क तलए ही मत पिो अगर न हो परशन तो पिो ही मत चप रठ ग शायद

तमहार रीच कोई महाकाकयप हस द

हसना न हसना महतवपणा नही ह राहर िो घटता ह उसका कोई मलय रदधपरिो क तलए नही ह फल

तो महाकाकयप को कदया ही होता वह अकला ही था वहा िो रदध क मौन को समझ सकता था हर हालत म

फल उसक पास गया होता रदध न दत तो भी गया होता िोड़ दो कफकर हसता नही रदध न भी दत फल तो

भी म कहता ह उसी क पास गया होता फल िद चला गया होता कोई रदध को दन की िररत भी न थी

घटना को समझन की कोतशश करो बयौर की वयथा रकवास म मत पड़ो घटना सीधी ह कक रदध चप रह

उस चपपी को कोई और न समझ पाया चपपी को समझन क तलए तमह भी चप होना िररी ह तिस भािा को

समझना हो उस भािा को िानना िररी ह म जहदी रोल रहा ह तो जहदी िानना िररी ह म चीनी रोल

तो चीनी िानना िररी ह तभी समझ सकोग

रदध उस कदन मौन रोल मौन की भािा रोल िो मौन का रस िानता था वही समझा िो मौन का रस

नही िानत थ उनहोन इस मौन को भी अपन जचतन का वयापार रना तलया व सोचन लग रदध मौन कयो रठ

ह अभाग लोग िर रदध मौन थ तर तम चप हो गए होत तो फल उनह भी तमल सकता था लककन व सोचन

लग कक रदध मौन कयो रठ ह कक रदध हाथ म फल कयो तलए ह तिसन सोचा उसन गवाया

रदधो क पास सोचन स सरध नही िड़ता रदधो क पास तो न सोचन की कला आनी चातहए महाकाकयप

चप रहा उसन रस भर आि दिा उसन सोचा नही कौन कफकर कर इतना अपरततम सौदया उस कदन परगट

हआ था ऐसा सरि उगा था िसा कभी-कभी सकदयो म उगता ह रदध उस कदन सर दवार-दरवाि अपन मकदर

क िोलकर रठ थ तनमतरण कदया था कक तिस भी आना हो आ िाए परमातमा दवार पर आकर िड़ा था दसतक

द रहा था तम सोचन लग तम तवचार करन लग ऐसा कयो वसा कयो कयो रदध चप रठ ह पहल कयो

कभी नही रठ

तवचारक चक गए महाकाकयप कोई तवचारक न था वह तसफा दिता रहा रदध को िस रदध फल को

दित रह ऐसा महाकाकयप रदध को दिता रहा वही तो इशारा था कक िस म दि रहा ह फल को--मातर िषटा

ह--ऐस ही तम भी िषटा हो िाओ आि हो चकी रहत रात दशान की अर िषटा हो िाओ दशान की रात कर

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तक चलाए रिोग हो चकी चचाा भोिन की अर भोिन करो अर सवाद लो रदध न थाली सिा दी थी

अपनी तम सोचन लग भोिन क सरध म रदध भोिन रि सामन रठ थ

िस रदध फल को दि रह थ वसा ही महाकाकयप रदध क फल को दिन लगा रदध न एक फल दिा

महाकाकयप न दो फल दि दो फलो को एक साथ दिा उन दोनो फलो का तारतमय दिा सगीत दिा

लयरदधता दिी एक अपवा िद का उस अनभव होन लगा रकता भी महाकाकयप कस तरना हस

कयो हसा महाकाकयप हसा लोगो पर िो कक सोच म पड़ गए ह मकदर सामन िड़ा ह और व मकदर

की िोि कर रह ह सरि उग चका ह व आि रद ककए परकाश की चचाा म लीन ह महाकाकयप हसा लोगो की

मढ़ता पर हसा कहना ठीक नही हसी तनकल गई कि ककया नही हसन म वह रक न सका घट गया फट

पड़ी हसी दिकर सारी नासमझी हिारो लोग मौिद थ चक िा रह ह इस मढ़ता पर हसा

और इस रात पर भी हसा कक रदध न भी िर िल िला िो नही कहा िा सकता वह भी कह कदया िो

नही रताया िा सकता उसको भी रता कदया तिसको ितलान म कभी अगतलया समथा नही हई उस तरफ

भी इशारा कर कदया उपतनिद उस कदन मात हो गए िो नही कहा िा सकता था उस कतय रना कदया

विवय द कदया उसका सपणा िीवन स

इसतलए उस कदन क राद झन परपरा म िर भी गर परशन पिता ह तो तशषय को उततर नही दना होता

कोई कतय करना होता ह तिसस विवय तमल िाए कोई कतय ऐसा कतय तिसम तशषय सपणा रप स डर िाए

महाकाकयप हसा ऐसा नही महाकाकयप हसी हो गया पीि कोई रचा नही िो हस रहा था कोई पीि िड़ा

नही था िो हस रहा था महाकाकयप एक तिलतिलाहट होकर तरिर गया उस सगत पर झन फकीर परशन

पित ह

एक झन फकीर हआ रठा था तशषय रठ थ एक रतान म पानी रिा था उसन कहा कक सनो तरना कि

कह रताओ कक यह कया ह यह रतान और यह पानी तरना कि कह कोई विवय दो अथाात कतय स घोतित

करो िसा महाकाकयप न ककया था--तिलतिलाकर और िर कतय स महाकाकयप न घोतित ककया तो कतय स

रदध न उततर भी कदया--फल दकर आि म भी तमह फल दन को उतसक ह

तशषय दिन लग हाथ म कोई फल तो नही था सोचन लग कक यह रात तो और उलझन की हो गई कम

स कम रदध हाथ म फल तो तलए थ इस आदमी क हाथ म कोई फल नही ह व फल क सरध म सोचन लग

और उनहोन लाि सोचा कक इस पानी भर रतान क सरध म कया कहो तरना कह कस विवय दो और तभी

भोिन का समय करीर आ रहा था रसोइया--िो तभकष िो सनयासी रसोई का काम करता था--वह भीतर

आया उसन य उदासी जचतन स तन हए लोग दि उसन पिा मामला कया ह गर न कहा एक सवाल ह

इस िल भर रतान क सरध म विवय दना ह कोई विवय िो इसक पर क पर रहसय को परगट कर द शरद का

उपयोग नही करना ह और िो यह करगा वही फल म दन को तयार ह िो रदध न कदया था

लककन उस रसोइय न गर क हाथ की तरफ दिा ही नही कक फल वहा ह या नही गर फल ह अर इसम

फल कया दिना वह उठा उसन एक लात मार दी उस रतान म पानी लढ़ककर सर तरफ रह गया और वह

रोला कक अर उठो हो गई रकवास रहत भोिन का समय हो गया कहत ह गर न उसक चरण ि तलए--द

कदया फल विवय उसन परगट कर कदया अतसततव को तो ऐस ही तरिर कर रताया िाता ह अर और कया

कहन को रहा--उलटा कदया पातर िल तरिर गया सर तरफ

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ऐस ही उस कदन महाकाकयप न भी उलटा कदया था अपना पातर तिलतिलाहट तरिर गई थी सर तरफ

ऐसी कफर हिारो घटनाए ह झन परपरा म एक घटना को दरारा नही दोहरा सकत याद रिना कयोकक

दोहरान का तो मतलर होगा सोच कर की इसतलए हर घटना अनठी ह और आतिरी ह कफर तम उस पनरि

नही कर सकत

अगर म आि फल लकर आ िाऊ तो िो हसगा उसको भर नही तमलगा अगर आि म रतान म पानी

रिकर रठ िाऊ और तम स पि तो िो लात मारकर लढ़काएगा उसको भर नही तमलगा वह तो तवचार हो

गया अर अर तो महाकाकयप की कहानी पता ह

हिारो घटनाए ह लककन हर घटना अनठी ह और उसकी पनरति नही हो सकती कयोकक पनरति

यानी तवचार कि कहो पर अतसततव स और कि कहो इस ढग स िसा कभी न कहा गया हो तो कफर मन को

िगह नही रचती मन तो अनकरण करता ह दोहराता ह यतरवत ह मन क पास कोई मौतलक सझ नही होती

एक दसर झन फकीर का एक तशषय रहत कदन स जचता म रत ह--गर न कोई सवाल कदया ह िो हल

नही होता िर सर तरह क उपाय कर चका तो उसन परधान तशषय को पिा कक तम तो सवीकार हो गए हो

तम तो कि किी दो हम परशान हए िा रह ह विो रीत गए कि हल नही होता कोई राह नही तमलती

और िर भी िात ह हम उततर भी नही द पात और गर कहता ह रस रकवास रद अभी हम रोल भी नही

अर यह तो हदद हो गई ऐस तो हम कभी भी िीत न पाएग कम स कम रोलन तो दो हम कि कह कफर तम

कहो गलत और सही हम रोलत ही नही और गलत हो िाता ह तो अर तो सही होन का कोई उपाय न रहा

गर नाराि ह

तशषय हसन लगा परधान तशषय न कहा नाराि नही कयोकक िर तम तवचार करत हए िात हो तो

चहर का ढग ही और होता ह िर तम तनरवाचार म िात हो तो चहर का ढग ही और होता ह सोचो थोड़ा

िर तम तवचार स भर होत हो तो सार चहर पर तनाव होता ह आि म माथ पर रल होत ह िर तम

तनरवाचार म होत हो सर रल िो िात ह सर तनाव िो िाता ह िर तम तनरवाचार म होत हो तर तमहार

चारो तरफ ऐसी शातत झरती ह कक अजञानी भी पहचान ल तो गर न पहचानगा वह तमह दरवाि क भीतर

घसन दता ह यह भी उसकी करणा ह उस परधान तशषय न कहा कक मरी तमह पता नही दरवाि क राहर ही

रहता था वह कहता था लौट िा कफिल की रकवास लकर मत आ अभी उसन मझ दिा भी नही था

लककन िस मरी िाया मझस पहल पहच िाती िस मरा वातावरण म दरवाि पर होता और उस ि लता

िस कोई गध उस िरर द दती

तो इस नए तशषय न पिा कफर तमन कस उसकी अनकपा को पाया उसक परसाद को पाया उसन

कहा वह तो म कभी न पा सका िर म मर ही गया तर तमला उसन कहा भलमानि पहल कयो न रताया

यही हम भी करग

अर कही कोई यह कर सकता ह दसर कदन वह गया िस ही गर न उसकी तरफ दिा इसक पहल कक

गर कह कक नही रकवास रद वह भड़ाम स तगर पड़ा आि रद कर ली हाथ फला कदए िस मर गया

गर न कहा रहत िर तरलकल ठीक-ठीक ककया परशन का कया हआ उस तशषय न--अर मिररी--एक

आि िोली और कहा कक परशन तो अभी हल नही हआ तो गर न कहा नासमझ मद रोला नही करत और न

मद ऐस आि िोलत ह उठ भाग यहा स और ककसी दसर स उततर मत पिना पि उततरो का कया मलय ह

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वह तमहारा होना चातहए तमहार अतरतम स आना चातहए तम उसम मौिद होन चातहए वह तमहारा गीत

हो वह तमहारा नाच हो उसम तम पर लीन हो िाओ वह िीवन हो कक मौत इसस कोई फका नही पड़ता

महाकाकयप उस कदन हसा कहना ठीक नही हसा हसी फल गई दिकर यह सारी दशा रदध का सामन

होना और लोगो का अध रन रहना सरि का तनकल आना और अधर का न तमटना दिकर हसा जञान ररसता

हो और लोगो क घड़ तचकन हो और िल उन पर पड़ता ही न हो यह दिकर हसा

हसता या न हसता फल उस तमलना था हसी न हसी तो सायोतगक ह रदध न फल हर हालत कदया

होता हसन की विह स नही कदया धयान रिना नही तो कफर भल हो िाएगी यही तो भल ह मन की तर

तम सोचोग कक हसन की विह स कदया तो अगर अर दरारा कभी ऐसा मौका हम तमलगा तो हम हस दग

वही तम चक िाओग हसन की विह स नही कदया हसी क पीि िो मौन था--हसी क पीि तवचार भी हो

सकता ह तर वयथा हो गई--हसी क पीि िो मौन था उस तिलतिलाहट क फलो क पीि िो परम शातत थी

वह हसी तनवााण का फल थी न हसता तो रदध उठकर गए होत हसा तो रदध न उस रला भी तलया न हसता

तो रदध िद उठकर गए होत िद उसकी झोली म उडल कदया होता

लककन इस तरह क परशन तमहार मन म उठत कयो ह तमहार िीवन की समसयाए हल हो गयी कक तम

महाकाकयप की जचता म पड़ हो तमहारा िीवन समाधान को उपलबध हो गया कक तम इस तरह क रौतदधक

परशन उठात हो मत गवाओ समय को इस भातत अनयथा कोई महाकाकयप तम पर भी हसगा तमहारी मढ़ता

पर भी हसगा यहा म तमहार सामन मौिद ह कि हो सकता ह िर म मौिद नही रहगा तर तम रोओग

अगर अभी न हस तो तर तम रोओग इस मौिदगी का उपयोग कर लो इस मौिदगी को पी लो इस

मौिदगी को तमहार रग-रश म उतर िान दो वयथा क ऊहापोह म मत पड़ो

मदरस तक ही थी रहस आराइया

पाठशाला तक तका तका िाल परशन और परशनो क तवसतार

मदरस तक ही थी रहस आराइया

चप लगी िर रात की तह पा गए

तो िो म कहता ह उसको तम तका मत रनाओ अनयथा तम चक तर तम ककसी कदन पिताओग कक

इतन करीर थ और चक गए और कभी-कभी ऐसा हआ ह कक सोचन वालो न गवा कदया ह और न सोचन वालो

न पा तलया ह कभी-कभी कया हमशा ही ऐसा हआ ह िो म कह रहा ह वह इसीतलए कह रहा ह ताकक चप

लग िाए और तम रात की तह पा िाओ तम रात म स रात तनकाल लत हो रात की तह नही पात एक

रात स तम दस दसरी रातो पर तनकल िात हो म करता ह इशारा चाद की तरफ तम अगली पकड़ लत हो

तम अगली क सरध म पिन लगत हो तम चाद की रात ही भल िात हो कही ऐसा न हो कक ककसी कदन तमह

कहना पड़--

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

ककसी तरह तफान स रचकर आ भी गए तो ककनार स टकरा गए

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

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कही ऐसा न हो कक यहा मर ककनार पर आकर भी डर िाओ

कोई एिाि-सफर था या फरर-चकम-शौक

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

कही ऐसा न हो कक मतिल सामन आ गई हो और कफर भी तम चक िाओ उस कदन रदध क सामन रठ

लोग चक गए

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

आ गई थी सामन मतिल लककन तिस पहचना ह अगर वही तयार न हो तो मतिल भी कया कर

सामन भी आ िाए तो भी तम चक िाओग कयोकक सवाल मतिल का नही तमहारा ह

वयथा की रातो म मत पड़ो और यकद ऐसा होता तो कसा होता यह तो पिो ही मत इसकी तमह

वयथाता नही कदिाई पड़ती कक यकद रावण सीता को न चराता तो रामायण का कया होता अर इसका कौन

उततर द इसका कौन उततर द और उततर का कया अथा ह

िो हो गया हो गया उसस अनयथा नही हो सकता था अर तम उसम स और वयथा की रात मत

तनकालो नही तम सोचत ही रहोग परतयक पल सोचन म गवाया रड़ा महगा ह कयोकक उसी पल म सर कि

उपलबध हो सकता था

दसरा परशनाः रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा लककन रदध क दह-तवसिान क

राद िस-िस समय रीतता गया रदध-धमा अनक शािाओ एव परशािाओ म रटन लगा अजञानी सपरदाय रनात

ह लककन रदध क जञानी तशषय भी अनक तवतभि एव तवपरीत सपरदायो म रट गए कपया इस घटना पर कि

परकाश डाल

अजञानी सपरदाय रनात ह जञानी भी सपरदाय रनात ह लककन अजञानी का सपरदाय कारागह हो िाता ह

और जञानी का सपरदाय मति की एक राह सपरदाय का अथा होता ह मागा सपरदाय का अथा होता ह तिसस

पहचा िा सकता ह

जञानी मागा स पहचत ह मागा रनात भी ह अजञानी मागा स िकड़ िात ह पहचत नही मागा रोतझल हो

िाता ह िाती पर पतथर की तरह रठ िाता ह जञानी मागा का उपयोग कर लत ह अजञानी मागा स ही रध

िात ह सपरदाय म कि रराई नही ह अगर पहचाता हो

सपरदाय शबद रड़ा रहमलय ह तिसस पहचा िाता ह वही सपरदाय ह लककन रड़ा गदा हो गया लककन

गदा हो िान का कारण सपरदाय नही ह अर कोई नाव को तसर पर रिकर ढोए तो इसम नाव का कया कसर

ह कया तम नाव क दकमन हो िाओग कक लोग नाव को तसर पर रिकर ढो रह ह मढ़ तो ढोएग ही नाव न

होती कि और ढोत मकदर-मतसिद न होत लड़न को तो ककसी और रात स लड़त कि और कारण िोि लत

तिनह िाना नही ह व मागा क सरध म तववाद करन लगत ह तिनह िाना ह व मागा का उपयोग कर लत ह

और तिसन मागा का उपयोग कर तलया वह मागा स मि हो िाता ह तिसन नाव का उपयोग कर तलया वह

नाव को तसर पर थोड़ ही ढोता ह नाव पीि पड़ी रह िाती ह रासत पीि पड़ रह िात ह तम सदा आग रढ़त

चल िात हो

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सपरदाय म अपन आप कोई भल-भातत नही ह भल-भातत ह तो तम म ह तम तो औितध को भी िहर

रना लत हो रड़ कलाकार हो तमहारी कशलता का कया कहना िो िानत ह व िहर को भी औितध रना लत

ह वि पर काम पड़ िाता ह िहर भी िीवन को रचान क तमहारी औितध भी िीवन की िानलवा हो िाती

ह असली सवाल तमहारा ह

रदध क िान क राद धमा शािा-परशािाओ म रटा रटना ही चातहए िर वकष रड़ा होगा तो पीड़ ही

पीड़ थोड़ ही रह िाएगा शािा-परशािाओ म रटगा पीड़ ही पीड़ रड़ी ठठ मालम पड़गी उस वकष क नीच

िाया ककसको तमलगी तिसम पीड़ ही पीड़ हो उसस तो ििर का वकष भी रहतर कि तो िाया थोड़ी-रहत

कही पड़ती होगी

वकष तो वही शानदार ह वही िीतवत ह तिसम हिारो शािाए-परशािाए तनकलती ह शािाए-

परशािाए तो इसी की िरर ह कक वकष म हिार वकष होन की कषमता थी ककसी तरह एक म समा तलया ह हिा

भी कि नही ह तितनी शािाए-परशािाए हो उतना ही सदर कयोकक उतन ही पकषी रसरा कर सक ग उतन

ही पकषी घोसल रना सक ग उतन ही यातरी तवशराम पा सक ग उतनी ही रड़ी िाया होगी उतनी ही गहन

िाया होगी धप स तप-मादो क तलए आसरा होगा शरण होगी

िो वकष ठठ रह िाए उसका कया अथा हआ उसका अथा हआ वकष राझ ह उसम फलन की कषमता नही

ह िीवन का अथा ह फलन की कषमता सभी िीतवत चीि फलती ह तसफा मतय तसकड़ती ह मतय तसकोड़ती

ह िीवन फलाता ह िीवन तवसतार ह एक स दो दो स अनक होता चला िाता ह परमातमा अकला था

कफर अनक हआ कयोकक परमातमा िीतवत था अगर मदाा होता तो अनक नही हो सकता था ससार को गाली

मत दना अगर तमह मरी रात समझ म आए तो तम समझोग कक ससार परमातमा की शािाए-परशािाए ह

तम भी उसी की शािा-परशािा हो इतना िीतवत ह कक चकता ही नही फलता ही चला िाता ह

वकष भारत म रड़ पराचीन समय स िीवन का परतीक रहा ह रदध क वकष म रड़ी कषमता थी रड़ा रल था

रड़ी सभावना थी अकली पीड़ स कस रदध का वकष तचपटा रहता िस-िस रढ़ा शािाए-परशािाए हई

लककन जञानी की दतषट म उन शािाओ-परशािाओ म कोई तवरोध न था व सभी एक ही वकष स िड़ी थी और

एक ही िड़ पर िीतवत थी उन सभी का िीवन एक ही सरोत स आता था रदध सरोत थ जञानी न इसम कि

तवरोध न दिा इसम इतना ही दिा कक रदध म रड़ी सभावना ह

यह िरा हरानी की रात ह सारी मनषय-िातत म रदध न तितनी सभावनाओ को िनम कदया ककसी

दसर आदमी न नही कदया

महावीर क वकष म कवल दो शािाए लगी--कदगरर शवतारर रस और उनम भी कोई रहत फासला

नही ह कषि रातो का फासला ह कक कोई महावीर काशगार करक पिता ह कोई महावीर को नगन पिता

हशगार क भीतर भी महावीर नगन ह और नगन म भी उनका रड़ाशगार ह इसम कि रड़ा फासला नही ह

उनकी नगनता हीशगार ह अर और कया सिाना ह उनको और सिाना तो ऐस ही ह िस कोई साप पर पर

तचपकाए वह साप अकला तरना पर क ही िर चलता था अर तम और पर तचपकाकर उस िरार मत करो

यह तो उन पर औरशगार करना ऐस ही ह िस कोई मोर को और रगो स पोत द मोर वस ही काफी रगीन था

अर तम कपा करक रग िरार मत करो

महावीर की नगनता म ही िरशगार ह उन िसी सदर नगनता कभी परगट हई पर कफर तमहारी मौि ह

तमहारा मन नही मानता--इसतलए नही कक महावीर म कि कमी ह--तमहारा मन तरना ककए कि नही मानता

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तम कि करना चाहत हो करो भी कया महावीर िस वयति क सामन एकदम असमथा हो िात हो सदर

कपड़ पहनात हो सदर आभिण लगात हो यह तमहारी राहत ह इसस महावीर का कि लना-दना नही

तमहार सर वसतरो क पीि भी व अपनी नगनता म िड़ ह नगन ही ह ऐस िोट-िोट फासल ह

कदगरर कहत ह कक उनकी कोई शादी नही हई शवतारर कहत ह शादी हई कया फका पड़ता ह कदगरर

कहत ह उनका कोई रचचा नही हआ--िर शादी ही नही हई तो रचचा कस हो शवतारर कहत ह उनकी एक

लड़की थी पर कया फका पड़ता ह महावीर म इसस कया फका पड़ता ह शादी हई कक न हई य तो कफिल

की तवसतार की रात ह महावीर क होन का इसस कया लना-दना ह शादी हई हो तो ठीक न हई हो तो ठीक

तिसको िसी मौि हो वसी कहानी रना ल लककन कोई रहत रड़ा तवसतार नही हआ

िीसस की भी दो शािाए फटकर रह गयी परोटसटट और कथोतलक कोई रड़ा तवसतार नही हआ

रदध अनठ ह अतदवतीय ह सकड़ो शािाए हई और परतयक शािा इतनी तवराट थी कक उसम स भी

परशािाए हई कहत ह तितन दशान क मागा अकल रदध न िोल उतन मनषय-िातत म ककसी वयति न नही

िोल रदध अकल समसत परकार क दशानो का सरोत रन गए ऐसी कोई दाशातनक परपरा नही ह िगत म तिसक

समतल परपरा रदध-धमा म न हो

अगर तम रदध-धमा का परा इततहास समझ लो तो राकी सर धमो का इततहास िोड़ भी दो तो कि

हिाा न होगा कयोकक सार िगत म िो भी कही हआ ह िो तवचार कही भी िनमा ह वह तवचार रदध म भी

िनमा ह रदध अकल रड़ तवराट वकष ह

यह तो सौदया की रात ह यह तो अहोभाव और उतसव की रात ह इसम कि जचता का कारण नही ह

यह तो इतना ही रताता ह कक रदध म रड़ी सभावना थी जञानी न तो उस सभावना का उपयोग ककया उसम

कोई झगड़ा न था तरलकल तवपरीत िान वाली शािाए भी--एक परर िा रही ह एक पतिम िा रही ह--कफर

भी एक ही तन स िड़ी होती ह तवरोध कहा ह और उन दोनो का िीवन-सरोत एक ही िगह स आता ह एक

रदध ही फलत चल गए सर म इसस कि अड़चन न थी

लककन अजञानी अड़चन िड़ी करता ह अजञानी की अड़चन ऐसी ह कक वह यह भल ही िाता ह कक सभी

तवरोध अलग-अलग कदशाओ म िाती शािाए ह एक ही सरोत स िनमी ह

मन सना ह एक गर क दो तशषय थ गमी की दोपहर थी गर तवशराम कर रहा था और दोनो उसकी

सवा कर रह थ गर न करवट रदली--तो दोनो तशषयो न आधा-आधा गर को राट रिा था सवा क तलए राया

पर एक न ल रिा था दाया पर एक न ल रिा था--गर न करवट रदली तो राया पर दाए पर पर पड़ गया

सवभावताः झझट िड़ी हो गई

गर तो एक ह तशषय दो थ तो उनहोन जहदसतान-पाककसतान राटा हआ था तो िर दाए पर पर राया

पर पड़ा तो तिसका दाया पर था उसन कहा हटा ल अपन राए पर को मर पर पर पर सीमा होती ह सहन

की रहत हो चका हटा ल तो उस दसर न कहा दि ककसकी तहममत ह कक मर पर को और कोई हटा द तसर

कट िाएग मगर मरा पर िहा रि गया रि गया यह कोई साधारण पर नही अगद का पर ह भारी झगड़ा

हो गया दोनो लि लकर आ गए

गर यह उपिव सनकर उसकी नीद िल गई उसन दिी यह दशा उसन िर लि चलन क ही करीर आ

गए--लि चलन वाल थ गर पर कयोकक तिसका दाया पर था वह राए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया

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था और तिसका राया पर था वह दाए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया था गर न कहा िरा रको तम

मझ मार ही डालोग य दोनो पर मर ह तमन तवभािन कस ककया

अजञानी राट लता ह और भल ही िाता ह भल ही िाता ह कक िो उसन राटा ह व एक ही वयति क पर

ह या एक ही वकष की शािाए ह अजञानी न उपिव िड़ा ककया अजञानी लड़ एक-दसर का तवरोध ककया

एक-दसर का िडन ककया एक-दसर को नषट करन की चषटा की िर सपरदाय अजञानी क हाथ म पड़ता ह तर

ितरा शर होता ह

जञानी सपरदाय को रनाता ह कयोकक धमा की शािाए-परशािाए पदा होती ह तितना िीतवत धमा

उतनी शािाए-परशािाए दतनया स सपरदाय थोड़ ही तमटान ह अजञानी तमटान ह तिस कदन सपरदाय तमट

िाएग दतनया रड़ी ररौनक हो िाएगी उस कदन गर तरना पर क होगा उसको कफर िस तभिमगो को ठल

पर रिकर चलाना पड़ता ह ऐस चलाना पड़गा कफर वकष तरना शािाओ क होगा न पकषी रसरा करग न

राहगीर िाया लग और तिस वकष म पतत न लगत हो शािाए न लगती हो उसका इतना ही अथा ह कक िड़

सि गयी अर वहा िीवन नही िीवन िोड़ चका उस उड़ गया

तम पित हो रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा

नही जञातनयो क तलए तो वह अर भी एकता म ह और तमस म कहता ह अजञानी क तलए वह तर भी

एकता म नही था िर रदध िीतवत थ तर भी अजञानी अपनी तयाररया कर रह थ तभी कफरक रटन शर हो

गए थ रदध क िीत िी अजञातनयो न अपन तहसार राट तलए थ अलग-अलग कर तलए थ रदध क मरन स थोड़

ही अचानक अजञान पदा होता ह अजञानी तो पहल भी अजञानी था वह कोई अचानक थोड़ ही अजञानी हो गया

और िो अजञानी ह रदध क िीतवत रहन स थोड़ ही कि फका पड़ता ह अजञान तो तमह िोड़ना पड़गा रदध

कया कर सकत ह

रदध न कहा ह मागा कदिा सकता ह चलना तो तमह पड़गा समझा सकता ह समझना तो तमह पड़गा

अगर तम न समझन की ही तिदद ककए रठ हो अगर समझन क तलए तम म िरा भी तयारी नही ह--तयारी

नही कदिाई ह--तो रदध लाि तसर पीटत रह कोई पररणाम नही हो सकता

तीसरा परशनाः कया िीवन म सभी कि नदी-नाव सयोग ह रदध भी रदधतव भी

नही--रदधतव को िोड़कर सभी कि नदी-नाव सयोग ह कयोकक रदधतव तमहारा सवभाव ह सयोग नही

ऐसा नही ह कक तमह रदध होना ह तम रदध हो रस इतना ही ह कक तमह पहचानना ह ऐसा नही ह कक तमह

रदधतव अरिात करना ह तमन कभी गवाया ही नही परतयतभजञा करनी ह पहचान करनी ह िो तमला ही ह

िागकर दिना ह

रदधतव सयोग नही ह रदधतव ककनही पररतसथततयो पर तनभार नही ह न तमहारी साधना पर तनभार ह

याद रिना यह मत सोचना कक तम रहत धयान करोग इसतलए रदध हो िाओग रहत धयान रहत तपियाा स

शायद तमह िागन म आसानी होगी रदधतव क परतत लककन रदध होन म नही रदध तो तम थ गहरी तिा म थ

और िरााट ल रह थ तर भी तम रदध ही थ भटक रह थ योतनयो म--अनत योतनयो म कीड़-मकोड़ो की तरह--

िी रह थ कामवासना म हिार करोध और लोभ म तर भी तम रदध ही थ य सर सपन थ िो तमन दि

100

लककन सपनो क पीि तमहारा मलसरोत सदा ही शदध था वह कभी अशदध हआ नही अशदध होना उसकी परकतत

नही

और सर िीवन म नदी-नाव सयोग ह ककसी सतरी क तम परम म पड़ गए और तमन शादी कर ली वह

नदी-नाव सयोग ह धन कमा तलया ककसी न और कोई न कमा पाया वह नदी-नाव सयोग ह ककसी न यश

कमा तलया और कोई रदनाम हो गया वह नदी-नाव सयोग ह वह हिार पररतसथततयो पर तनभार ह वह

तमहारा सवभाव नही वह राहर पर तनभार ह भीतर पर नही

तसफा एक चीि नदी-नाव सयोग नही ह वह ह तमहारा होना शदध होना रदधतव भर ससार क राहर ह

शि सर ससार ह तो तिस कदन तम िागत हो उस कदन तम अचानक ससार क राहर हो िात हो अततकरमण

हो िाता ह

ऐसा समझो कक तम एक सपना दि रह हो सपन म कोई दि रहा ह गरीर ह कोई दि रहा ह अमीर

ह कोई दिता ह साध कोई दिता ह असाध कोई दिता ह हिार पाप कर रहा ह कोई दिता ह हिार पणय

कर रहा ह यह सर नदी-नाव सयोग ह यह सर सपना ह लककन वह िो सपना दि रहा ह वह िो िषटा ह

वह नदी-नाव सयोग नही ह चाह सपना तम साध का दिो चाह असाध का सपन म भद ह दिन वाल म

कोई भद नही ह वह दिन वाला वही ह चाह साध चाह असाध चाह चोर चाह अचोर पाप करो पणय

करो वह िो दिन वाला ह भीतर वह एक ह उस दिन वाल को ही िान लना रदधतव ह सवय को पहचान

लना रदधतव ह शि सर पराया ह शि सर सयोग स रनता तमटता ह इसतलए शि की कफकर नासमझ करत

ह िो सयोग पर तनभार ह उसकी भी कया कफकर करनी

थोड़ा समझो तम एक गरीर घर म पदा हए तमह ठीक स तशकषा नही तमल सकी तो कि दवार रद हो

गए सयोग क तम एक िगल म पदा हए एक आकदवासी समाि म पदा हए अर वहा तम उस आकदवासी

समाि म शकसतपयर न रन सकोग न कातलदास रन सकोग सयोग की रात ह तम परर म पदा हए तो एक

सयोग पतिम म पदा हए तो दसरा सयोग इन सयोगो पर रहत सी रात तनभार ह--सभी रात तनभार ह--तसफा

एक को िोड़कर एक भर अपवाद ह और इसीतलए धमा उसकी िोि ह िो सयोग क राहर ह धमा उसकी

िोि ह िो पररतसथतत पर तनभार नही ह धमा उसकी िोि ह िो ककसी चीि पर तनभार नही ह िो परम

सवातषय का सतर ह तमहार भीतर उसकी िोि ह

शि सर तम िोित हो वह सर सयोग की रात ह और िोट-िोट सयोग रड़ महतवपणा हो िात ह

ककसी को रचपन म ही चचक तनकल गई और चहरा करप हो गया अर इसकी परी जिदगी इस चचक पर

तनभार होगी कयोकक शादी करन म इस वयति को अड़चन आएगी इस वयति को जिदगी म चलन म हिार

तरह की हीनताए घरगी यह सर सयोग की ही रात ह

लककन चहरा सदर हो कक करप काला हो कक गोरा वह िो भीतर िषटा ह वह एक ह तिसन उस

िोिना शर कर कदया उसन सतय की तरफ कदम रिन शर कर कदए

तो इस रात को समरण रिो कक िो भी सयोग मालम पड़ उस पर रहत समय मत गवाना रहत शति

मत लगाना रहत अपन को उस पर तनभार मत रिना वह ह तो ठीक नही ह तो ठीक जचतन करना उसका

मनन करना उसका धयान करना उसका िो सयोगातीत ह उसका ही नाम रदधतव ह

जिदगी एक आसओ का िाम था

पी गए कि और कि िलका गए

101

जिदगी तो आसओ का एक पयाला ह िो तम पी रह हो व तो आस ही ह कभी-कभार शायद िीवन म

सि की थोड़ी सी झलक भी तमलती ह लककन वह भी सयोग-तनभार ह इसतलए उसक भी तम मातलक नही

कर जिदगी तम पर मसकरा दगी उसक तम मातलक नही इसको ही तो परान जञाताओ न भागय कहा था कक

वह सर भागय की रात ह भागय का इतना ही अथा ह कक वह सयोग की रात ह उसकी जचता म रहत मत पड़ो

िो भागय ह वह हिार कारणो पर तनभार ह लककन िो तम हो वह ककसी कारण पर तनभार नही ह

म एक यहदी तवचारक फरकल का िीवन पढ़ता था वह तहटलर क कारागह म कद था उसन तलिा ह

कक तहटलर क कारागह स और ितरनाक कारागह दतनया म कभी रह नही दि पीड़ा सर तरह का सताया

िाना सर तरह का अपमान हर िोटी-िोटी रात पर ितो स ठकराया िाना लककन वहा भी उसन तलिा ह

कक मझ धीर-धीर एक रात समझ म आ गई कक मरी सवततरता अकषणण ह

िर म पढ़ रहा था उसका िीवन तो म भी चौका कक इसन अपनी सवततरता वहा कस पाई होगी

तहटलर न सर इतिाम कर कदए परततर करन क दीन करन क दिी करन क एक रोटी का िोटा सा टकड़ा

रोि तमलता वह एक दफ भोिन क तलए भी काफी नही था तो लोग उस तिपा-तिपा कर रित फरकल रड़ा

मनोवजञातनक परतततषठत तवचारक लककन उसन भी तलिा ह कक रड़ डाकटर मर साथ थ तिनहोन कभी सोचा

भी न होगा कक ककसी की दसर की रोटी का टकड़ा चरा लग रड़ धनपतत मर साथ थ िो अपनी रोटी क टकड़

को एक-एक टकड़ा करक िात--एक टकड़ा सरह िा तलया िरा सा कफर दोपहर म िा तलया कयोकक इतनी

रार भि लगगी थोड़ा-थोड़ा करना जयादा रहतर रिाय एक रार िा लन क कफर चौरीस घट भिा रहना

पड़ता ह तो िोटा-िोटा मन को समझात लोग अपनी रोटी को तिपाकर रित रार-रार दि लत कक कोई

दसर न तनकाल तो नही ली कयोकक सौ कदी एक िगह रद रात लोग एक-दसर क तरसतर म स टटोलकर रोटी

तनकाल लत ऐसा दीन तहटलर न कर कदया लककन उसन तलिा ह कफर भी मझ एक रात समझ म आ गई

कक मरी सवततरता अकषणण ह

कस तो उसन तलिा ह कक सर परततर हो गया ह लककन इस परततरता की तरफ म कया दतषट ल उसक

तलए म मातलक ह कया दतषट ल कस इस दि सवीकार कर असवीकार कर लड न लड--िषटा सवततर ह

और उसन तलिा ह कक तिनको भी यह सवततरता का अनभव हआ उनहोन पाया कक ऐसी सवततरता की

परतीतत राहर कभी भी न हई थी कयोकक िहा इतनी परततरता थी--इतनी काली दीवाल थी--वहा सवततरता की

िोटी सी सफद लकीर रड़ी उभरकर कदिाई पड़न लगी

तो उसन तलिा वहा भी दो तरह क लोग थ कारागह म सवततर लोग भी थ वहा िो सवततर ही रह

वहा असली पता चल गया कक कौन सवततर ह उनको तहटलर झका न सका उनको तोड़ न सका उनको भिा

मार डाला उनको कोड़ लगाए लककन उनको झकाया न िा सका उनको मारा िा सका लककन झकाया न िा

सका उनकी सवततरता अकषणण थी

कौन तमह कारागह म डाल सकता ह लककन अगर तमहार भीतर िषटा का रोध ही न हो तो तम अपन

घर म भी कारागह म हो िात हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह का दि हो वह तो राधता ही ह--कक राहत हो आतशयान की--घर की सि-सतवधा भी राध

लती ह तिसको रधना ह वह कही भी रध िाता ह उसक तलए कारागह िररी नही

102

तम अपन घर को ही सोचो तमन कर का उस कारागह रना तलया तम सवततर हो अपन घर म अगर

तम अपन घर म ही सवततर नही हो अगर वहा भी तमहारी मालककयत नही ह अगर वहा भी तमहारा िषटा मि

नही हआ ह अगर तम कहत हो मरा घर तो तम गलाम हो अगर तम कहत हो इस घर म म रहता ह और

यह घर मझम नही तो तम मातलक हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

आकाश म उड़न की कषमता दोनो िीन लत ह

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह तो िीन ही लता ह आकाश म उड़न की कषमता घर की सि-सतवधा भी िीन लती ह सरकषा

भी िीन लती ह

तो असली सवाल न तो घर का ह और न कारागह का ह असली सवाल तमहारा ह तम अगर कारागह

म भी िषटा रन रहो तो तम मि हो और तम घर म भी अगर िषटा न रह िाओ भोिा हो िाओ तो रध गए

िषटा हो िाना रदध हो िाना ह रदधतव कि और नही मागता इतना ही कक तम िागो और उस दिो िो

सर को दिन वाला ह तविय पर मत अटक रहो दकय पर मत अटक रहो िषटा म ठहर िाओ अकप हो िाए

तमहार िषटा का भाव साकषी का भाव रदधतव उपलबध हो गया और ऐसा रदधतव सभी िनम क साथ लकर आए

इसतलए म तमस कहता ह रदधतव िनमतसदध अतधकार ह िर चाहो तर तम उस उठा लो वह तमहार

भीतर सोया पड़ा ह िर चाहो तर तम उघाड़ लो वह हीरा तम लकर ही आए हो उस कही िरीदना नही

कही िोिना नही

चौथा परशनाः होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी और जहदी म इस अतर का कया

रहसय ह जहदीाः सवामी कयामदव सरसवती और अगरिीाः सवामी कयामदव भारती

तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह िस दीवाल स रात करना तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह

िस रहर आदमी स रात करना तम िो समझना चाहत हो वही समझत हो तमह लाि कि और कदिान क

उपाय ककए िाए तम उनस चकत चल िात हो और रड़ मि की रात ह कक तम तिन तसदधातो स मि हो

सकत थ िो तसदधात तमहार िीवन को नए आकाश स िोड़ दत व ही तसदधात तम अपनी ििीरो म ढाल लत

हो

िस यह रात तरलकल सच ह कक रदधपरि भल नही करत लककन इसका यह अथा नही ह कक तिन चीिो

को तम भल समझत हो वसी भल रदधपरि नही कर सकत रदधपरि कोई मदाा थोड़ ही ह तसफा मदाा तरलकल

भल नही करत तो तमहार तहसार म तो तसफा मद ही रदधपरि हो सकत ह इसीतलए तो िीतवत गर को पिना

रहत करठन ह मर हए गर को पिना आसान होता ह कयोकक मरा हआ गर कफर कोई भल नही कर सकता ह

रदधपरि का तमन कया अथा ल तलया ह िस कक पीि मन कहा कक रदध एक मागा स गिरत थ एक

मकिी उनक कध पर आकर रठ गई व रात कर रह थ आनद स उनहोन उस उड़ा कदया मकिी तो उड़ गई

कफर व रक गए और उनहोन कफर स अपना हाथ उठाया और रड़ आतहसता स मकिी को उड़ान को गए आनद

न पिा अर आप कया करत ह मकिी तो िा चकी रदध न कहा अर म ऐस उड़ाता ह िस उड़ाना चातहए था

103

तझस रात म लगा था तरना होश क मकिी उड़ा दी चोट लग िाती कही मकिी पर हाथ िोर स पड़ िाता

कही--पड़ा नही सयोग--तो जहसा हो िाती मन िानकर नही की होती कफर भी हो तो िाती ततकषण दसर

कदन परशन आ गया कक रदधपरिो स तो कोई भल होती नही और रदधपरि न कस मकिी उड़ा दी आनद स

रातचीत करत हए

तम पागल हो रदधपरि स भल नही होती इसी का सरत ह उनका दरारा मकिी को उड़ाना अगर तम

िस रदध होत तो चप रह िात अगर व भी इस तसदधात को मानत होत कक रदधपरि स भल नही होती कस

उड़ाऊ आनद कया कहगा कक आप रदध होकर और भल कर तलए

रदधपरि स भल नही होती लककन अगर हो िाए तो रदधपरि ततकषण सवीकार कर लता ह तरना ककसी

क रताए भी भल नही होती इसस भी रड़ी रात यह ह कक वह भल को सवीकार कर लता ह तमस भल भी

होती ह और भल को सवीकार करन म कषट भी होता ह अड़चन भी होती ह तम भल को तिपात हो तम

ढाकत हो तम चषटा करत हो कक ककसी को पता न चल कक हो गई

अर यह मकिी उड़ान की रात तो दतनया म कभी ककसी को पता भी न चलती कक चलती कौन रठा

था वहा िदारीन लकर आनद को भी पता न था व अगर दरारा हाथ न ल िात तो आनद को भी पता न

चलता पर यह सवाल नही ह

रदध न इतना ही कहा कक अगर चतनय एक तरफ उलझा हो िस आनद स रात कर रह थ तो सारा

धयान उस तरफ था--रदधपरि िो भी करत ह पर धयान स करत ह--तो िर व रात कर रह थ तो सारा धयान

उस तरफ था व तम िस कट-रट नही ह कक राए दि रही ह आधी िोपड़ी और आधी िोपड़ी दाए दि रही

ह व पर ही आनद की तरफ मड़ गए होग

तमह भल कदिाई पड़ती ह मझ उनक धयान की एकागरता कदिाई पड़ती ह व इतन तललीन होकर आनद

स रात करत थ कक िस सारा ससार तमट गया था सारा ससार तमट गया था मकिी की तो रात कया ऐसी

घड़ी म शरीर न यतरवत मकिी उड़ा दी रदध न उड़ाई मकिी भल स ऐसा कहना भी गलत ह कयोकक रदध तो

मौिद ही न थ रदध तो मौिद थ आनद स चचाा म शरीर न उड़ा दी

शरीर रहत स काम यतरवत करता ह रात तम सोए भी रहत हो मचिर आ िाता ह हाथ उड़ा दता ह

उसक तलए िागन की भी िररत नही होती तम रठ हो कोई एक ककड़ फक द तमहारी आि की तरफ तो

तमह आि रद थोड़ ही करनी पड़ती ह आि अपन स रद हो िाती ह वह सवचातलत ह आटोमरटक ह और

अचिा ह कक सवचातलत ह नही तो ककड़ पड़ िाता और तम आि रद करन की सोचत ही रहत कर रद कक न

कर इसतलए परकतत न तम पर नही िोड़ा ह तमहार तलए नही िोड़ा ह कक तम सोचो कफर रद करो उसम

तो ितरा हो िाएगा आि िसी नािक चीि तमहार ऊपर नही िोड़ी िा सकती परकतत न इतिाम ककया ह

िस ही कोई चीि करीर आएगी आि अपन स रद हो िाएगी तम थोड़ ही आि झपकात हो आि झपकती

तमन कभी खयाल ककया कक रहत स काम शरीर चपचाप ककए चला िाता ह तमन भोिन ककया शरीर

पचाता ह तम थोड़ ही पचात हो तमह तो कफर खयाल भी नही रिना पड़ता कक शरीर पचा रहा ह अपन आप

पचाए चला िाता ह

उस घड़ी रदध न िो पहली दफा मकिी उड़ाई वह रदध न उड़ाई यह कहना ही गलत ह कहन की रात

ह इसतलए उस तरह कही गई हआ ऐसा कक रदध तो पर क पर आनद स चचाा म मौिद थ मकिी आ गई

104

शरीर न उड़ा दी रदध न शरीर को सधारा िर दरारा उनहोन मकिी उड़ाई तो उनहोन शरीर को एक पाठ

कदया कक ऐस उड़ानी थी--म घर पर नही था तो भी गलती नही होनी चातहए म मौिद नही था तो भी गलती

नही होनी चातहए अगर म न भी रह तो भी तझ ऐस ही मकिी उड़ानी चातहए िस रदधपरिो को शोभा दती

ह यह शरीर को थोड़ा सा सशोधन ककया

लककन ततकषण दसर कदन सवाल आ गया कक रदधपरिो स भल हो गई तम इतन उतसक हो भल दसर की

दिन म कक रदधपरिो म भी दिन का रस तमहारा िटता नही ककसी न एक कदन पिा कक कभी-कभी म रोलन

म ककसी शबद की भल कर िाता ह रदधपरिो स भल नही हो सकती तो िातहर ह या तो म रदधपरि नही ह

या कफर रदधपरिो स भल होती ह इसतलए म कहता ह तमहार सामन रोलना करीर-करीर भस क सामन

रीन रिान िसा ह

िर म तमस रोल रहा ह तर म तमहार साथ इतनी गहनता स ह कक म मतसतषक पर धयान ही नही द

सकता तो रोलन का काम और शबद रनान का काम तो मतसतषक का यतर कर रहा ह--िस रदध क हाथ न

मकिी उड़ा दी थी ऐसा मरा मतसतषक तमस रोल चला िाता ह म तो तमहार साथ ह यतर कई दफ भल कर

िाता ह यतर की भल मरी भल नही ह और तिसन मझ पहचाना वह ऐस सवाल न उठाएगा ऐस सवाल

तमहार मन म उठ िात ह कयोकक तम आ गए हो भला मर पास लककन झकन की इचिा नही ह कोई भी

रहाना तमल िाए तो तम अपना झकना वापस ल लो--कक अर इस आदमी स एक शबद की भल हो गई कहना

कि था कह कि और कदया कफर पीि सधारना पड़ा तम इस तलाश म हो कक ककसी भी तरह तमहारा

समपाण रच िाए

सचाई यह ह कक म एक रहत करठन काम कर रहा ह तमहार साथ हो सकता ह परा रोलन की विह स

एक दसरा काम भी मझ साथ म करना पड़ रहा ह अचिा तो यही होता कक म चप हो िाता तमह भी भल न

तमलती मरी भी झझट िट िाती लककन तम शबदो को भी नही समझ पा रह हो तम मौन को भी न समझ

पात

महररारा चप हो गए तो ऐस लोग थ िो समझत थ कक रोलन को कि नही आता इसतलए चप हो

गए तम वहा भी भल िोि लोग रदध न रहत स परशनो क िवार न कदए तो सनन वालो न समझा कक इनको

कि आता नही ह िर आता ही नही तो िवार कस दग रदध न इसतलए िवार नही कदए कक िवार उन रातो

क कदए ही नही िा सकत उन रातो का िवार कवल वही द सकता ह िो िानता न हो िो िानता ह वह

चप रह िाएगा

िर म तमस रोल रहा ह तो म एक अतत करठन काम कर रहा ह पहला कक तमहारी और मरी

उपतसथतत सपणा रप स एक हो िाए तो रोल नही सकता या कफर म रोल तो तमस मरी उपतसथतत का कोई

तमलन न हो पाए तो कफर रोल सकता ह लककन व शबद कफर कोर होग तर शबद की कोई भल न होगी

पतडत स कभी शबद की भल नही होती रदधो स होती ह पतडत शबद म कशल होता ह कयोकक यतर को ही

तनिारता रहता ह

शबद तो कामचलाऊ ह िो मझ कहना ह वह इन कामचलाऊ शबदो स तम समझ लना तम यह रठ

मत सोच लना कक वयाकरण की कोई भल हो गई तो रदधपरिो स कस भल हो सकती ह वयाकरण मझ आती

ही नही इतना चला ल रहा ह वह भी चमतकार ह मौन आता ह भािा नही आती ककसी तरह चला ल रहा

105

अर इन तमतर न पिा ह कक होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी म तो तलिा

ह--सवामी कयामदव भारती और जहदी म तलिा ह--सवामी कयामदव सरसवती

िरर म तमह दिन म लग गया होऊगा िर य नाम तलि और सभावना इसकी ह कयामदव भारती

कयामदव सरसवती कक तम दो आदमी हो एक नही तसपलट टट हए दपाण म दो चहर रन गए होग इस तरह

भी तम दि सकत थ लककन उस तरह दिोग तो तमहारी जिदगी तमह रदलनी पड़ तमन ततकषण दिा कक अर

रदधपरि स भल हो गई कहा फस गए कोई और रदधपरि िोि िो कयामदव सरसवती तलि तो कयामदव

सरसवती ही तलि

झन फकीर हआ जलची वह अपन तशषयो को नाम द दता और भल िाता ककसी को कोई नाम द दता

और िर वह दसर कदन उसको रलाता तो वह ककसी और नाम स रलाता लोग कहत यह भी कया रात हई

हमन तो सना ह कक रदधपरि कभी इस तरह का तवसमरण नही करत

जलची कहता लककन तिसको मन नाम कदया था कल वह अर ह कहा तम कि और ही होकर आ गए

हो तमही आत िो कल थ तो पहचान भी लता तमही रदलकर आ गए तो अर म कया कर

दसरा फकीर हआ रोकोि वह रोि सरह उठकर कहता रोकोि और कफर िद कहता यस सर िी

हा यही ह उसक तशषय पित कक यह कया मामला ह वह कहता रात सोन म भल िात ह कक कौन सोया

था सरह अगर याद न कर लो ऐसा दो-चार-दस कदन तनकल िाए अपना नाम ही भल िाए कयोकक म कोई

नाम तो नही ह

मन की इस वततत को थोड़ा रदलो अगर मरी कोई भल होगी तो उसको म भोगगा तम कयो परशान

हो मर पाप मरी भल मझ भटकाएग तम अपनी भलो को सधार लो तम अपन होश को समहाल लो और

इस तरह की वयथा की रात मत पिो

अततम परशनाः पतितल और सार रदधपरिो न कहा ह समातध परत कषणमरता कहत ह समझ समातध स

तो लगता ह समझ फतलत हो सकती ह परत समझ स समातध कस फतलत हो सकती ह कया कवल समझ स

रदधतव की तसथतत परापत की िा सकती ह ओशो इस ठीक स समझाए

शबदो का ही भद ह समझ और समातध म तिस कषणमरता समझ कहत ह उसी को पतितल समातध

कहत ह तमहारी अड़चन म समझता ह कहा ह कयोकक तम सोचत हो समझदार तो तम हो इसतलए कया

अकली समझ स समातध फतलत हो सकती ह कयोकक अगर ऐसा होता तर तो समातध फतलत हो गई होती

समझदार तम हो

ररा न मानना समझदार भी तम नही हो समातध भी तमह अभी फतलत नही हई समझ तो समातध रन

ही िाती ह समझ और समातध एक ही घटना क नाम ह

कषणमरता को परान शबदो का उपयोग करन म थोड़ी अड़चन ह अड़चन यही ह कक परान शबद परान

अथो स रहत रोतझल हो गए ह इसतलए कषणमरता नए शबदो का उपयोग करत ह लककन शबदो का तम चाह

कि भी ककतना ही नया उपयोग करो तम गलार क फल को गलार कहो या चमली कहना शर कर दो इसस

गलार का फल न रदल िाएगा तमहार चमली कहन स तम गलार क फल को न रदल दोग तम नाम रदलत

106

चल िाओ गलार का फल गलार ही रहगा आदमी न परमातमा की ककतनी परततमाए रनायी परततमाए अलग-

अलग ह परमातमा एक ह

कषणमरता ककस समझ कहत ह अगर उनकी तम पररभािा समझोग तो तम पाओग वह पररभािा वही

ह तिसको पतितल न समातध कहा ह कया ह कषणमरता की पररभािा समझ की व कहत ह समझ का अथा ह

होश पररपणा िागतत व कहत ह समझ का अथा ह तवचारो क ऊहापोह का शात हो िाना तनमाल दतषट का

आतवभााव ऐस दिना कक दिो तो िरर लककन जचतन का धआ तमहारी आिो पर न हो धए स रतहत िर

तमहारी चतना की जयोतत िलती ह तर समझ

पतितल भी यही कहता ह--तनरवाचार तनरवाकलप न कोई सोच-तवचार न कोई कलप-तवकलप मन म

वही तसथतत समातध समातध का अथा होता ह समाधान िहा सर जचतन समापत हो गया सर परशन तगर गए

उस समाधान की अवसथा म तम एक दपाण रन िात हो उस दपाण म िो ह--िो ह कषणमरता का शबद ह

परमातमा क तलए कषणमरता कहत ह--दट तवहच इि िो ह पतितल कहगा-- सतय मीरा कहगी--कषण रदध

कहग--तनवााण य उनक अपन-अपन शबद ह िो ह वह तमह उसी कषण कदिाई पड़गा िर तमहारी सर

धारणाए तगर िाएगी िर तक तम धारणा स दिोग तर तक तम वही दि लोग िो तमहारी धारणा कदिा

दगी िस ककसी न रगीन चकमा लगाकर ससार दिा तो उसी रग का कदिाई पड़न लगता ह हर धारणा का

रग ह समझ तनधाारणा ह उसका कोई रग नही समझ का अथा ह वही कदिाई पड़ िाए िो ह िसा ह वसा

ही कदिाई पड़

तो इन शबदो क रहत िाल म तम मत पड़ना तमह िो रच िाए िो भा िाए समझ भा िाए ठीक

मगर मरा खयाल ह समझ स तमह अड़चन इसीतलए होती ह कक तम सोचत हो समझदार तो हम ह समातध

को पाना ह शायद तम यह भी सोचत हो कक चकक हम समझदार ह इसीतलए तो समातध पान तनकल नासमझ

कही समातध पान की चषटा करत ह लककन म तमस कहता ह नासमझ वही ह तिसन अपन को समझदार

समझ तलया ह सभी नासमझ अपन को समझदार समझत ह तमही थोड़ ही

समझदार वही ह तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह और तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह

वह धीर-धीर--दो उपाय ह उसक--या तो वह शदध समझदारी क ही सतर को रड़ा करता चला िाए परतयक कतय

िागकर करन लग होश स करन लग--उठ तो होशपवाक रठ तो होशपवाक चल तो होशपवाक िो कि भी कर

उसक पीि होश साध ल और दसरा उपाय पराना उपाय ह कक अगर इतना न हो सक तो कम स कम

घड़ीभर दो घड़ी चौरीस घट म स तनकाल ल और उन दो घतड़यो को समातध क कषणो म तरताए धयान म

तरताए

घड़ीभर अगर तमन धयान म तरताया तो धीर-धीर तम पाओग उस धयान का परभाव चौरीस घतड़यो

पर फलन लगा कयोकक यह असभव ह कक तम एक घट क तलए सवसथ हो िाओ और तईस घट रीमार रहो एक

घट को भी िो सवसथ हो गया उसक सवासथय की लहर चौरीस घटो पर फल िाएगी तो परान मनीतियो न

कहा ह चौरीस घट तम आि शायद तनकाल भी न पाओ--तमस आशा भी रिनी उतनी उतचत नही ह--तम

घड़ीभर तनकाल लो ऐसा नही कक उनह पता नही कक घड़ीभर स कया होगा लककन शरआत होगी और िर

हाथ पकड़ म आ िाए तो कफर धीर-धीर पर सतय को ही पकड़ा िा सकता ह

107

कषणमरता कहत ह अलग स धयान करन की कोई िररत नही ठीक ही कहत ह तिनहोन अलग स करन

को कहा ह व भी िानत ह कक अलग स करन की कोई िररत नही लककन अभी तम चौरीस घट कर सकोग

इतनी अपकषा व नही करत

कषणमरता न तम पर जयादा भरोसा कर तलया पतितल उतना भरोसा तम पर नही करत और इसतलए

पतितल न तो तम म स कि को समातध तक पहचा कदया कषणमरता न क ररारर ककसी को पहचा पाए हो

तम पर िरा जयादा भरोसा कर तलया तम घटन स सरक-सरककर चलत थ कषणमरता न मान तलया कक तम

दौड़कर चल सकत हो

कषणमरता न िो रात कही ह अपन तहसार स कह दी तमहारी जचता नही की पतितल न िो रात कही

ह उसम तमहारी जचता ह और एक-एक कदम तमह उठान की रात ह पतितल न सीकढ़या रिी ह कषणमरता न

िलाग तम सीकढ़या चढ़न तक की तहममत नही िटा पात तम िलाग कया िाक लगाओग

और अकसर ऐसा होता ह कक िो सीकढ़यो पर चढ़न की तहममत नही िटा पात व कषणमरता म उतसक हो

िात ह कयोकक यहा तो सीकढ़या चढ़नी ही नही िलाग लगानी ह और व कभी यह सोचत ही नही कक हम

सीकढ़या चढ़न तक का साहस नही कर पा रह हम िलाग कस लगाएग लककन िलाग लगानी ह सीकढ़या

चढ़न स कया होगा इस भातत रहाना तमल िाता ह सीकढ़या चढ़न स रच िात ह और िलाग तो लगानी

ककसको ह

तितना जयादा मन तमहार भीतर झाककर दिा उतना ही पाया कक तम अपन को धोिा दन म रहत

कशल हो तमहारी सारी समझदारी वही ह कषणमरता न तम पर िररत स जयादा आसथा कर ली तम इस

योगय नही इसतलए कषणमरता िीवनभर तचललात रह और ककसी को कोई सहायता नही पहची कयोकक व वहा

स मानकर चलत ह िहा तम नही हो और िो लोग उनक आसपास इकि हए उनम अतधक लोग ऐस ह िो

कि भी नही करना चाहत उनको रहाना तमल गया उनहोन कहा करन स कही कि होगा यह तो होश की

रात ह करन स कया होगा करन स भी रच गए होश तो साधना ककसको ह

मर पास रोि ऐसी घटनाए आती ह अगर म ककसी को कहता ह कक तम शात-धयान करो तो वह कि

कदनो राद आकर कहता ह कक ऐसा शात रठन स कि नही होता और शात रठन स होगा भी कया ऐसा आि

रद करन स कही कि धयान हआ ह अगर म उनको कहता ह कक िोड़ो सककरय-धयान करो कि कदन राद व

आकर कहत ह कक ऐस नाचन-कदन-उिलन स कया होगा अर धयान तो शात होना चातहए वह आदमी--वही

आदमी--भल ही िाता ह िर सककरय का कहो तर वह शात की सोचता ह कयोकक तर शात की आड़ म सककरय

स रच िाता ह िर शात की कहो तर वह सककरय की सोचता ह सककरय की आड़ म शात स रच िाता ह तम

रचन ही चल हो कफर तमहारी मिी रदलना ह या रचना ह

कषणमरता क शबद रहमलय ह लककन रईमानो क हाथ म पड़ गए और रईमानो को रड़ी राहत तमल

गई न पिा करनी न पराथाना करनी न धयान करना तसफा समझ और समझ समझ तो ह ही तमहार पास

तर उनकी तकलीफ यह होती ह कक समझ तो हमार पास ह ही पिा करनी नही धयान करना ही नही पराथाना

करनी नही समातध नही आ रही ह

समझ भी तमहार पास नही ह

म तमस कहता ह कषणमरता की समझ पतितल की समातध स जयादा करठन ह कयोकक पतितल न

टकड़-टकड़ करक सीकढ़या रना दी ह लर रासत को िोट-िोट िडो म तोड़ कदया ह

108

रदध एक िगल स गिरत थ राह भटक गए थ अर तम कहोग कक रदधपरि और राह भटक िात ह

रदधपरि अगर राह भटक ही न सकत हो तो मदाा राह भटक गए िहा पहचना था न पहच पाए दर होन

लगी तो आनद न राहगीर स पिा कक गाव ककतनी दर ह उस राहगीर न कहा रस दो कोस चल पड़ दो

कोस पर हो गए लककन गाव का कोई पता नही कफर ककसी राहगीर को पिा उसन कहा रस दो कोस

आनद न कहा य लोग कस ह इनका कोस ककतना रड़ा दो कोस हम पार हो गए पहला आदमी धोिा द

गया मालम होता ह या उस पता नही था िवार दन क मि म िवार द गया कयोकक गर होन का िर मौका

तमल तो कोई िोड़ता नही तमह पता भी न हो कक ककतनी दर ह कह कदया अर कम स कम कहन स पता तो

चला कक पता ह

कफर रदध मसकरात रह दो कोस कफर पर हो गए अर भी गाव का कोई पता नही आनद न कहा य इस

गाव क आदमी सभी झठ मालम होत ह कफर ककसी को पिा उसन कहा कक रस दो कोस तर तो आनद गसस

म आ गया उसन कहा हदद हो गई िो दिो वही दो कोस कहता ह दो कोस का मतलर ककतना होता ह

रदध न कहा नाराि न होओ इस गाव क लोग रड़ करणावान ह चार कोस तो चला कदया उनहोन

अगर पहला आदमी कहता दस कोस आठ कोस शायद हम थककर ही रठ िात कक अर कहा िाना अर नही

चलना हो सकता दो कोस क भरोस पर चल तलए दो कोस पार हो गया कफर दो कोस क भरोस पर चल

तलए वह भी पार हो गया अर इसकी मान लो ऐसा लगता ह कक अर दो ही कोस ह िह कोस रहा होगा

शर म

िर व पहच गए दो कोस क राद तो आनद न रदध स कषमा मागी कक मझ कषमा कर द म तो समझा कहा

क झठ रईमान दषट लोग ह कक कम स कम रासता तक सही नही रता सकत लककन रदध न कहा करणावान

पतितल जयादा करणावान ह कषणमरता कठोर ह कषणमरता उतना ही रता दत ह तितना ह व कहत ह

हिार कोस तम रठ गए तमन कहा अर दिग पतितल कहत ह रस दो कोस ह िरा चल लो पहच

िाओग पतितल को भी पता ह हिार कोस ह लककन तमहारी तहममत हिार कोस चलन की एक साथ हो नही

सकती तमस उतना ही कहना उतचत ह तितना तम चल सको पतितल मतिल को दिकर नही कहत तमको

दिकर कहत ह कक तमहार परो की तहममत ककतनी साहस ककतना सामथया ककतनी दो कोस दि लत ह कक

दो कोस यह आदमी चल सकता ह अगर दो कोस चल सकता ह तो ढाई कोस रता दो दो कोस क सहार आधा

कोस और भी चल िाएगा कफर रता दग ढाई कोस िलदी कया ह और धीर-धीर पहचा दग

पतितल आतहसता-आतहसता करमरदध तोड़त ह इसतलए पतितल का परा योगशासतर रड़ी करतमक सीकढ़या

ह एक-एक कदम एक-एक कदम पतितल हिारो को ल गए कषणमरता नही ल िा सक

और कि ऐसा नही ह कक कषणमरता न यह रात पहली दफ कही ह कषणमरता िस जचतन क लोग पहल

भी हए ह उनहोन भी इतनी ही रात कही ह यही रात कही ह व भी ककसी को नही पहचा सक

कषणमरता की जयादा इचिा यह ह कक तमस सच कहा िाए सतय की रड़ी परामातणकता ह व कहत ह

हिार कोस ह तो हिार ही कोस कहना ह एक कोस भी कम करक हम कयो कह झठ कयो रोल कषणमरता

कहत ह कही झठ रोलन स ककसी को सतय तक पहचाया िा सकता ह

109

म तमस कहता ह हा पहचाया िा सकता ह पहचाया गया ह पहचाया िाता रहगा और तम अनगरह

मानना उनका तिनहोन तमहार कारण झठ तक रोलन की वयवसथा की ह िो तमहारी विह स झठ तक रोलन

को रािी हो गए

सतय को कह दना रहत करठन नही ह अगर तमहारी जचता न की िाए तो सतय को कह दन म कया

करठनाई ह िसा ह वसा कह कदया रात ितम अगर तमहारी जचता की िाए तो वसा कहना होगा िहा स

तमह िीचना ह तम एक गहर गता म पड़ हो तमहार अधकार म रोशनी पहचती ही नही तमस रोशनी की

रात भी कया करनी तमह तो धीर-धीर शनाः-शनाः अधर क राहर लाना ह तमस कि कहना िररी ह तिसका

तमस आि तालमल रठ िाए कल की कल दि लग

पर य दो दतषटकोण ह तिसको िो िम िाए तिसको िो रम िाए एक रात भर खयाल रिना न तो

पतितल की समातध का तमह अभी पता ह न कषणमरता की समझ का व दोनो एक ही चीि क दो नाम ह और

तम यह िान लना कक तम नासमझ हो और समातधशनय हो इस िानकर ही अगर तम चलोग तो तिसको रदध

न कहा ह तशषय तम तशषय हो गए

और िीवन को व ही िीत लत ह िो सीिन म समथा ह और धमा का फलो स भरा पथ उनही को

उपलबध हो िाता ह तिनक िीवन म तशषयतव की सभावना तशषयतव का सरोत िल गया

आि इतना ही

110

एस धममो सनतनो भाग 2

सतरहवा परवचन

पराथाना सवय मतिल

न परस तवलोमातन न परस कताकत

अततनो व अवकियय कतातन अकतातन च 44

यथातप रतचर पपफ वणणवत अगधक

एव सभातिता वाचा अफला होतत अकबरतो 45

यथातप रतचर पपफ वणणवत सगधक

एव सभातिता वाचा सफला होतत कबरतो 46

यथातप पपफरातसमहा कतयरा मालागण रह

एव िातन मचचन कततबर कसल रह 47

न पपफगधो परटवातमतत न चदन तगर मतललका वा

सतच गधो परटवातमतत सबरा कदसा सपपररसो पवातत 48

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध न िगत को एक धमा कदया मनषय को एक कदशा दी िहा पराथाना परमातमा स रड़ी ह िहा मनषय

का हदय--पिा-अचाना स भरा--परमातमा स रड़ा ह

असली सवाल इसका नही ह कक परमातमा हो असली सवाल इसका ह कक मनषय का हदय पराथाना स

भरा हो पराथाना म ही तमल िाएगा वह तिसकी तलाश ह और पराथाना मनषय का सवभाव कस हो िाए

परमातमा हआ और कफर तमन पराथाना की तो पराथाना की ही नही ररशवत हो गई परमातमा हआ और

तम झक तो तम झक ही नही कोई झकान वाला हआ तर झक तो तम नही झक झकान वाल की सामथया

रही होगी शति रही होगी लककन कोई परमातमा न हो और तम झक तो झकना तमहारा सवभाव हो गया

रदध न धमा को परमातमा स मि कर कदया और धमा स परमातमा का सरध न रह िाए तो धमा अपन

ऊच स ऊच तशिर को पाता ह इसतलए नही कक परमातमा नही ह रतलक इसतलए कक परमातमा क तरना

झकना आ िाए तो झकना आ गया

इस थोड़ा समझन की कफकर करो

तम िात हो और झकत हो झकन क पहल पित हो परमातमा ह अगर ह तो झकोग परमातमा क

सामन झकत हो तो इसीतलए कक कि लाभ कि लोभ कि भय कि भतवषय की आकाकषा--कोई महतवाकाकषा

काम कर रही ह परमातमा कि द सकता ह इसतलए झकत हो लककन झकना तमहारी कफतरत नही तमहारा

111

सवभाव नही रमन स झकत हो अगर परमातमा कि न द सकता हो तो तम झकोग अगर झकन म और

परमातमा तमस िीन लता हो तो तम झकोग झकन म हातन हो िाती हो तो तम झकोग झकना सवाथा ह

सवाथा स िो झका वह कसा झका वह तो सौदा हआ वयवसाय हआ

ऐस तो तम ससार म भी झकत हो तिनक हाथ म ताकत ह उनक चरणो म झकत हो तिनक पास धन

ह पद ह उनक चरणो म झकत हो तो तमहारा परमातमा शति का ही तवसतार हआ धन और पद का ही

तवसतार हआ इसीतलए तो लोगो न परमातमा को ईशवर का नाम कदया ह ईशवर यानी ऐशवया ऐशवया क सामन

झकत हो ईशवर को परमपद कहा ह उसस ऊपर कोई पद नही पद क सामन झकत हो तो यह रािनीतत हई

धमा न हआ और इसक पीि लोभ होगा भय होगा पराथाना कहा

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

और धयान रिना िो ककसी मतलर स झकगा उसका तसर झकगा कदल नही कयोकक कदल तहसार

िानता नही उसकी िोपड़ी झकगी हदय नही कयोकक हदय तो तरना तहसार झकता ह हदय तो कभी उनक

सामन झक िाता ह तिनक पास न कोई शति थी न कोई पद था न कोई ऐशवया था हदय तो कभी तभिाररयो

क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता तभिाररयो क सामन वह सदा समराटो क सामन झकता ह हदय

तो कभी फलो क सामन झक िाता ह कोई शति नही कोई सामथया नही कषणभर ह कफर तवदा हो िाएग

हदय तो कमिोर क सामन और नािक क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता

तसर ह मनषय का अहकार हदय यानी मनषय का परम

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

कदल ककसी क कदमो पर हो काफी ह सर न झका चल िाएगा झक गया ठीक कदल क पीि चला

ठीक कदल की िाया रना ठीक कदल का साथ रहा ठीक न झका चल िाएगा कयोकक तसर क झकन स कि

भी सरध नही ह तम झकन चातहए तमहारा वास हदय म ह--िहा तमहारा परम ह वहा तसर झकता ह भय स

हदय झकता ह परम स परम और भय का तमलन कही भी नही होता

इसतलए अगर तम भगवान क सामन झक हो कक भय था डर थ तो तसर ही झकगा और अगर तम

इसतलए झक हो कक परम का पर आया राढ़ आई--कया करोग इस राढ़ का कही तो इस रहाना होगा कही तो

उलीचना होगा कल-ककनार तोड़कर तमहारी इरादत रहन लगी तमहारी पराथाना की राढ़ आ गई--तर तमहारा

हदय झकता ह

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

और कफर कौन कफकर करता ह कक परमातमा ह या नही रदगी अपनी कफतरत ह कफर तो सवभाव ह

पराथाना रहत करठन ह यह रात समझनी परम सवभाव होना चातहए परमपातर की रात ही मत पिो तम कहत

हो िर परमपातर होगा तर हम परम करग अगर तमहार भीतर परम ही नही तो परमपातर क होन पर भी तम कस

परम करोग िो तमहार भीतर नही ह वह परमपातर की मौिदगी पदा न कर पाएगी और िो तमहार भीतर ह

परमपातर न भी हो तो भी तम उस गवाओग कहा िोओग कहा

इस ऐसा समझो िो कहता ह परमातमा हो तो हम पराथाना करग वह आतसतक नही नातसतक ह िो

कहता ह परम ह हम तो परम करग वह आतसतक ह वह िहा उसकी निर पड़गी वहा हिार परमातमा पदा हो

िाएग परम स भरी हई आि िहा पड़गी वही मकदर तनरमात हो िाएग िहा परम स भरा हआ हदय धड़कगा

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वही एक और नया कारा रन िाएगा एक नई काशी पदा होगी कयोकक िहा परम ह वहा परमातमा परगट हो

िाता ह

परम भरी आि कण-कण म परमातमा को दि लती ह और तम कहत हो पहल परमातमा हो तर हम परम

करग तो तमहारा परम िशामद होगी तमहारा परम परम न होगा तसर का झकना होगा--हदय का रहना नही

असली सवाल परमपातर का नही ह असली सवाल परमपणा हदय का ह रदध न इस रात पर रड़ा अदभत

िोर कदया इसतलए रदध न परमातमा की रात नही की और तितन लोगो को परमातमा का दशान कराया

उतना ककसी दसर वयति न कभी नही कराया ईशवर को चचाा क राहर िोड़ कदया और लािो लोगो को

ईशवरतव कदया भगवान की रात ही न की और ससार म भगवतता की राढ़ ला दी इसतलए रदध िसा अदभत

परि मनषय क इततहास म कभी हआ नही रात ही न उठाई परमातमा की और न मालम ककतन हदयो को

झका कदया

और धयान रिना रदध क साथ तसर को झकन का तो सवाल ही न रहा न कोई भय का कारण ह न

कोई परमातमा ह न डरन की कोई विह ह न परमातमा स पान का कोई लोभ ह मौि स झकना ह आनद स

झकना ह अपन ही अहोभाव स झकना ह अनगरह स झकना ह

िर वकष लद िाता ह फलो स तो झक िाता ह इसतलए नही कक फलो को तोड़न वाल पास आ रह ह

अपन भीतरी कारण स झक िाता ह फल को िान वाल पास आ रह ह इसतलए नही झकता अपन भीतर क

ही अपवा रोझ स झक िाता ह भि भगवान क कारण नही झकता अपन भीतर हदय क रोझ क कारण झक

िाता ह फल पक गए शािाए झकन लगी

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध का िोर पराथाना पर ह परमातमा पर नही और परमातमा को काट दन स रीच म न लन स रदध

का धमा रहत वजञातनक हो गया तर शदध आतररक करातत की रात रह गई य सतर आतररक करातत क सतर ह

समझन की कोतशश करो

दसरो क दोि पर धयान न द दसरो क कतय-अकतय को नही दि कवल अपन कतय-अकतय का

अवलोकन कर

तिसकी निर परमातमा पर ह उसकी निर दसर पर ह तिसन परमातमा को राहर दिा वह शतान को

भी राहर दिगा इस थोड़ा समझना थोड़ा रारीक ह पकड़ोग तो रहत काम आ िाएगा सतर अगर तमन

परमातमा को राहर दिा तो शतान को कहा दिोग उस भी तम राहर दिोग तमहार राहर दिन का ढग हर

चीि को राहर दिगा तर तमहारी निर दसरो क आचरण म अटकी रहगी

इसतलए तथाकतथत धारमाक आदमी सदा दसरो क कतय-अकतय का तवचार करत रहत ह दसर की

आलोचना म लीन रहत ह कौन न ररा ककया ककसन भला ककया कौन मकदर गया कौन नही गया दसरा ही

उनक जचतन म परभावी रहता ह इसतलए धारमाक तिनको तम कहत हो उनह अपन को िोड़कर सार िगत की

कफकर रनी रहती ह--कौन पाप कर रहा ह कौन पणय कर रहा ह कौन नका िाएगा कौन सवगा िाएगा

रदध कहत ह तम तसफा अपनी ही जचता करना तमहार ऊपर तमहार अततररि और ककसी का दातयतव

नही ह अगर तम उततरदायी हो तो तसफा अपन तलए अगर अतसततव तमस पिगा तो तसफा तमहार तलए तमह

िो िीवन का अवसर तमला ह उस अवसर म तमन कया कमाया कया गवाया तमह िो िीवन क कषण तमल

उनह तमन िाली ही फक कदया या िीवन क अमरस स भर तलया तमहार िो कदम पड़ िीवन की राह पर व

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मतिल की तरफ पड़ या मतिल स दर गए तमस और कि भी नही पिा िा सकता तम ककसी और क तलए

तिममवार भी नही हो अपनी ही तिममवारी पयाापत ह

दसरो क दोि पर धयान न द

और धयान रिना िो दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोिो क परतत अधा हो िाता ह धयान

तम या तो अपन दोिो की तरफ द सकत हो या दसरो क दोिो की तरफ द सकत हो दोनो एक साथ न

चलगा कयोकक तिसकी निर दसरो क दोि दिन लगती ह वह अपनी ही निर की ओट म पड़ िाता ह िर

तम दसर पर धयान दत हो तो तम अपन को भल िात हो तम िाया म पड़ िात हो

और एक समझ लन की रात ह कक िर तम दसरो क दोि दिोग तो दसरो क दोि को रड़ा करक दिन

की मन की आकाकषा होती ह इसस जयादा रस और कि भी नही तमलता कक दसर तमस जयादा पापी ह तमस

जयादा रर ह तमस जयादा अधकारपणा ह इसस अहकार को रड़ी ततपत तमलती ह कक म तरलकल ठीक ह दसर

गलत ह तरना ठीक हए अगर तम ठीक होन का मिा लना चाहत हो तो दसरो क दोि तगनना और िर तम

दसरो क दोि तगनोग तो तम सवभावताः उनह रड़ा करक तगनोग तम एक यतर रन िात हो तिसस हर चीि

दसर की रड़ी होकर कदिाई पड़न लगती ह

और िो दसर क दोि रड़ करक दिता ह वह अपन दोि या तो िोट करक दिता ह या दिता ही नही

अगर तमस कोई भल होती ह तो तम कहत हो मिररी थी वही भल दसर स होती ह तो तम कहत हो पाप

अगर तम भि थ और तमन चोरी कर ली तो तम कहत हो म करता कया भि रड़ी थी लककन दसरा अगर

भि म चोरी कर लता ह तो चोरी ह तो भि का तमह समरण भी नही आता

िो तम करत हो उसक तलए तम तका िोि लत हो िो दसरा करता ह उसक तलए तम कभी कोई तका

नही िोित तो धीर-धीर दसर क दोि तो रड़ होकर कदिाई पड़न लगत ह और तमहार दोि उनकी तलना म

िोट होन लगत ह एक ऐसी घड़ी आती ह दभाागय की िर दसर क दोि तो आकाश िन लगत ह--गगनचरी हो

िात ह--तमहार दोि ततरोतहत हो िात ह तम तरना अचि हए अचि होन का मिा लन लगत हो यही तो

तथाकतथत धारमाक की दभाागय की अवसथा ह

तिसन दसरो क पाप दि वह अपन पणय तगनता ह चोरी तम हिार रपए की करो तो तम भला दत

हो दान तम एक पस का दो तो तम याद रित हो एक पस का दान भी रहत रड़ा मालम पड़ता ह हिार

रपए की चोरी भी िोटी मालम पड़ती ह शायद हिार रपए की चोरी करक तम एक पस का दान दकर

उसका तनपटारा कर लना चाहत हो

थोड़ा सोचो धारमाक लोगो न कसी-कसी तरकीर तनकाली ह पाप करत ह गगा म सनान कर आत ह

अर गगा म सनान करन का और पाप क तमटन स कया सरध हो सकता ह दर का भी कोई सरध नही हो

सकता गगा का कसर कया ह पाप तमन ककया और ऐस अगर गगा धो-धोकर सरक पाप लती रही तो गगा

क तलए तो नका म भी िगह न तमलगी इतन पाप इकि हो गए होग और अगर इतना ही आसान हो--पाप तम

करो गगा म डरकी लगा आओ और पाप हल हो िाए--तर तो पाप करन म रराई ही कहा रही तसफा गगा

तक आन-िान का शरम ह तो िो गगा क ककनार ही रह रह ह उनका तो कफर कहना ही कया

तमन तीथा रना तलए तमन िोट-िोट पणय की तरकीर रना ली ताकक रड़-रड़ पापो को तम झठला

दो भला दो िोटा-मोटा अचिा काम कर लत हो असपताल को दान द दत हो--दान उसी चोरी म स दत हो

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तिसका परायतितत कर रह हो--लाि की चोरी करत हो दस रपया दान दत हो लककन लाि की चोरी को दस

रपए क दान म ढाक लना चाहत हो तम ककस धोिा द रह हो

या इतना भी नही करता कोई रोि सरह रठकर पाच-दस तमनट माला िप लता ह माला क गररए

सरका लता ह सोचता ह हल हो गया या राम-राम िप लता ह या रामनाम िपी चदररया ओढ़ लता ह

सोचता ह मामला हल हो गया िस राम पर कि एहसान हो गया अर राम समझ चदररया ओढ़ी थी कहन

को अपन पास रात हो गई मकदर गए थ तहसार रि तलया ह

िीवन अधर स भरा रह और परकाश की जयोतत भी नही िलती तसफा अधरी दीवालो पर तम परकाश

शबद तलि दत हो या दीए क तचतर टाग दत हो पयास लगी हो तो पानी शबद स नही रझती अधरा हो तो

दीए शबद स नही तमटता

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

तम अगर तसफा तसवीर का अवलोकन करत रहो--

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

तो तमहार कदल की पीड़ा न तमटगी तसवीरो क दिन स परमी की तसवीर तलए रठ रहो इसस कही कोई

परमी तमला ह

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

आईन म कसी पानी की झलक ह पर उसस तमहारी पयास न रझगी शासतर शबद द सकत ह सतय नही

अधर की दीवालो पर रनाई गई दीए की तसवीर धोिा द सकती ह रोशनी नही

और िो वयति दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोि पर तो धयान दता नही िो िोट-मोट

तिनको तम पणय कहत हो तिनको पणय कहना कफिल ही ह तिनको पणय कवल नासमझ कह सकत ह िो

तमहार पाप क ही सिावटो स जयादा नही ह पाप का हीशगार ह िो पाप क ही माथ पर लगी जरदी ह पाप

क ही हाथो म पड़ी चड़ी ह पाप क ही परो म रध घघर ह उनह तम पणय कहत हो उनका तहसार रित हो

रदध न कहा िोड़ो यह रात दसरो क दोि पर धयान न दो उसस तमहारा कोई परयोिन नही ह

तमहारा परयोिन कवल तमस ह दसरो क कतय-अकतय मत दिो कवल अपन कतय-अकतय का अवलोकन करो

तसफा अपना ही आबिवशन अवलोकन

यह शबद समझ लन िसा ह--अवलोकन अवलोकन रदध की परककरया ह िीवन क अधकार स मि होन क

तलए रदध यह नही कहत ह कक तम अपन पाप को दिो और दिी होओ पिातताप करो कक म पापी ह और न

रदध कहत ह तम अपन पणय को दिो और रड़ फल न समाओ और उिलकर चलो कक म रड़ा पणयातमा ह रदध

कहत ह तम अवलोकन करो

अवलोकन का अथा होता ह तटसथ दशान तरना ककसी तनणाय क न यह कहना कक ठीक न यह कहना कक

ररा न भला न पाप न पणय तम कोई तनणाय मत लना तम कोई मलयाकन मत करना तम तसफा दिना

िस कोई आदमी रासत क ककनार िड़ा हो िाए भीड़ चलती ह दिता ह अचि लोग तनकलत ह रर लोग

तनकलत ह उस कि परयोिन नही साध तनकलत ह असाध तनकलत ह परयोिन नही या िस कोई लट गया ह

घास पर कषण भर आकाश म चलत रादलो को दिता ह उनक रप-रग अलग-अलग काल रादल ह शभ

रादल ह कोई तहसार नही रिता चपचाप दिता रहता ह

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अवलोकन का अथा ह एक वजञातनक दतषट तटसथ-भाव मातर दिन पर धयान रिो िोर दिन पर ह िो

तम दि रह हो उसक तनणाय करन पर नही कक वह ठीक ह या गलत तम नयायाधीश मत रनो तम तराि

लकर तौलन मत लगो तम मातर िषटा रहो तिसको उपतनिद साकषी कहत ह उसी को रदध अवलोकन कहत ह

रस दिो िस अपना कि लना-दना नही एक तटसथ-भाव एक फासल पर िड़ हए चपचाप और एक

अदभत करातत घटती ह तितन तम तटसथ होत िात हो उतना ही तमह पता चलता ह कक तम अपन कतयो स

अलग हो पाप स भी अलग पणय स भी अलग और यह िो अलगपन ह इसी का नाम मति ह मोकष ह

िो पाप क साथ अपन को एक समझता ह वह भातत म ह िो पणय क साथ अपन को एक समझता ह

वह भी भातत म ह उसन कतय क साथ अपन को एक समझ तलया उसन अपन को कताा समझ तलया

अवलोकन करन वाला इस नतीि पर आता ह कक म कवल िषटा ह कताा नही कफर पाप और पणय दोनो

ही तमट िात ह िस सवपन म ककए हो कभी िस ककसी उपनयास म पढ़ हो कभी िस कभी अफवाह सनी हो

सवय स उनका कोई सरध नही रह िाता यही शदध रदधतव ह कभी-कभी तमह भी अचानक कषणभर को इसकी

झलक तमल िाएगी और कषणभर को भी तरिली कौध िाए तो जिदगी कफर वही नही होती िो पहल थी

अवलोकन करो

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

दसरो क सरध म सोचत-तवचारत रािार म भटकत ससार की लरी पररकरमा करत अपन तक आए

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

अनयथा िरा गदान झकान की रात थी अवलोकन स तम सीध सवय म पहच िाओग हा दसर क कतय-

अकतय का तवचार करत रह तो रड़ी पररकरमा ह अनत पररकरमा ह अनत िनमो तक भी तम यह तवचार

चकता न कर पाओग ककतन ह दसर ककस-ककस का तहसार करोग ककस-ककस क तलए रोओग हसोग

ककसकी परशसा ककसकी जनदा करोग अगर ऐस तम चल पड़

मन सना ह कक एक आदमी भागा िा रहा था राह क पास रठ आदमी स उसन पिा कक भाई कदलली

ककतनी दर ह उस आदमी न कहा तिस तरफ तम िा रह हो रहत दर कयोकक कदलली तम आठ मील पीि

िोड़ आए हो अगर इसी रासत स िान की तिदद हो तो सारी पथवी की पररकरमा करक िर आओग--अगर रच

गए--तो कदलली पहच िाओग अगर लौटन की तयारी हो तो जयादा दर नही ह

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

कदलली तरलकल पीि ह आठ मील का फासला भी नही ह अवलोकन की रात ह तनरीकषण की रात ह

िागतत की रात ह अपरमाद की रात ह िरा होश साधना

पहली रात दसरो का तवचार मत करो अपना ही तवचार करन योगय काफी ह आि रद करो अपन ही

कतयो को दिो और अपन कतयो क भी तनणाायक मत रनो अनयथा अवलोकन समापत हो गया तम आसि हो

गए तमन कहा यह ठीक ह तो परीतत रनी तमन कहा यह ठीक नही तो अपरीतत रनी ककसी कतय स घणा हई

ककसी कतय स परम हआ आसति-अनासति राग-दवि पदा हआ तो कतय तो दर रह राग-दवि क भाविाल म

तम िो गए रस कतय को दित रहो

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अगर घड़ीभर भी तम रोि कतय का अवलोकन करत रहो तो तमह ऐसा ही अनभव होगा िसा आतमा न

सनान कर तलया कदनभर उसकी तािगी रहगी और कदनभर रह-रहकर लहर आती रहगी आनद की रह-

रहकर रह-रहकर झोक आ िाएग पलक आ िाएगी एक मसती िा िाएगी तम झम-झम उठोग ककसी

भीतरी रस स और यह िो भीतरी रस ह यह रतदध का नही ह हदय का ह

िर तम सोचत हो और तनणाय करत हो रतदध सककरय हो िाती ह िर तम मातर दित हो तर हदय का

फल तिलता ह िस ही तमन तनणाय लना शर ककया रतदध रीच म आई कयोकक तनणाय तवचार का काम ह

िस ही तमन तौला तराि आया तराि रतदध का परतीक ह तमन नही तौला रस दित रह तो रतदध को रीच

म आन की कोई िररत ही न रही मातर दिन की अवसथा म साकषीभाव म रतदध हट िाती ह और िीवन क

िो गहर रहसय ह उनह हदय िानता ह

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

और हदय न कोई राि परम का परमातमा का रतदध को कभी रताया नही

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

पराए को कही कोई भद की रात रताता ह रतदध पराई ह उधार ह हदय तमहारा ह

इस थोड़ा समझो िर तम पदा हए तो हदय लकर पदा होत हो रतदध समाि दता ह ससकार दत ह

तशकषा दती ह घर पररवार सभयता दती ह तो जहद क पास एक तरह की रतदध होती ह मसलमान क पास

दसर तरह की रतदध होती ह िन क पास तीसर तरह की रतदध होती ह कयोकक तीनो क ससकार अलग शासतर

अलग तसदधात अलग लककन तीनो क पास कदल एक ही होता ह कदल परमातमा का ह रतदधया समािो की ह

रस म कोई पदा होता ह तो उसक पास कमयतनसट-रतदध होगी ईसाई घर म कोई पदा होता ह तो

उसक पास ईसाई-रतदध होगी रतदध तो धल ह राहर स इकिी की हई िस हदय क दपाण पर धल िम िाए

दपाण तो तम लकर आत हो धल तमह तमलती ह

इस धल को झाड़ दना िररी ह समसत धमा की गहनतम परककरया धल को झाड़न की परककरया ह कक दपाण

कफर सवचि हो िाए तम कफर स रालक हो िाओ तम कफर हदय म िीन लगो तम कफर वहा स दिन लगो

िहा स तमन पहली रार दिा था िर तमन आि िोली थी तर रीच म कोई रतदध न िड़ी थी तर तमन

तसफा दिा था वह था अवलोकन

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

दसरा सतर िस कोई सदर फल रग-तररगा ह रहत वणायि ह लककन कफर भी गधशनय ऐसा ही

पातडतय ह रग रहत ह उसम सगध तरलकल नही िीवन म सगध तो आती ह आचरण स तम िो िानत हो

उसस िीवन म सगध नही आती वह तो मौसमी फल ह दर स लभावना लग सकता ह पास आन पर तम उस

कागिी पाओग आदमी भला धोि म आ िाए मधमतकिया धोि म नही आती ततततलया धोि म नही

आती भौर धोि म नही आत भौर धोि म नही आत तम परमातमा को कस धोिा द सकोग ततततलया धोि

म नही आती मधमतकिया धोि म नही आती तम परमातमा को कस धोिा द सकोग

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समराट सोलोमन क िीवन म कथा ह एक रानी उसक परम म थी और वह उसकी परीकषा करना चाहती

थी कक सच म वह इतना रतदधमान ह तितना लोग कहत ह अगर ह तो ही उसस तववाह करना ह तो वह

आई उसन कई परीकषाए ली व परीकषाए रड़ी महतवपणा ह

उसम एक परीकषा यह भी थी--वह आई एक कदन राि दररार म दर िड़ी हो गई हाथ म वह दो

गलदसत फलो क गलदसत लाई थी और उसन सोलोमन स कहा दर स कक इनम कौन स असली फल ह रता

दो रड़ा मतककल था फासला काफी था वह उस िोर पर िड़ी थी राि दररार क फल तरलकल एक िस लग

रह थ

सोलोमन न अपन दरराररयो को कहा कक सारी तिड़ककया और दवार िोल दो तिड़ककया और दवार िोल

कदए गए न तो दररारी समझ और न वह रानी समझी कक दवार-दरवाि िोलन स कया सरध ह रानी न सोचा

कक शायद रोशनी कम ह इसतलए रोशनी की कफकर कर रहा ह कोई हिाा नही लककन सोलोमन कि और

कफकर कर रहा था िलदी ही उसन रता कदया कक कौन स असली फल ह कौन स नकली कयोकक एक

मधमकिी भीतर आ गई रगीच स और वह िो असली फल थ उन पर िाकर रठ गई न दरराररयो को पता

चला न उस रानी को पता चला

वह कहन लगी कस आपन पहचाना सोलोमन न कहा तम मझ धोिा द सकती हो लककन एक

मधमकिी को नही

मधमकिी को धोिा दना मतककल ह परमातमा को कस दोग

रदध कहत ह िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क

तलए सभातित वाणी तनषफल होती ह

तमह िीवन क सतयो का पता सोचन स न लगगा उन सतयो को िीन स लगगा िीओग तो ही पता

चलगा िो ठीक लग उस दर मत करना उस कल क तलए सथतगत मत करना िो ठीक लग उसम आि ही

डरकी लगाना अगर तमह अवलोकन की रात ठीक लग िाए तो सोचत मत रहना कक कल करग ऐस तमहार

िीवन म कभी सगध न आएगी ऐस यह हो सकता ह कक अवलोकन क सरध म तम रात करन म कशल हो

िाओ और धयान क सरध म तम शासतरकार रन िाओ लककन तमहार िीवन म सगध न आएगी

पराथाना क सरध म िान लना पराथाना को िानना नही ह पराथाना को तो वही िानता ह िो करता ह

पराथाना को तो वही िानता ह िो डरता ह पराथाना को तो वही िानता ह िो पराथाना म तमट िाता ह िर

पराथाना तमहारा अतसततव रनती ह

आचरण का अथा ह तमहारा जञान तमहारा अतसततव हो तम िो िानत हो वह तसफा ऊपर स तचपकी हई

रात न रह िाए उसकी िड़ तमहार िीवन म फल तमहार भीतर स वह रात उठ वह तमहारी अपनी हो

ऊपर स इकिा जञान ऐसा ह िस तमन भोिन तो रहत कर तलया हो लककन पचा न सक उसस तम रीमार

पड़ोग उसस शरीर रगण होगा पचा हआ भोिन िीवन दता ह ऊिाा दता ह अनपचा भोिन िीवन को नषट

करन लगता ह भि भी रच सकत ह लोग जयादा दर तक जयादा भोिन स िलदी मर िात ह रोझ हो िाता

ह परी वयवसथा पर और जञान का तो भारी रोझ ह

तमहारा चतनय अगर दर गया ह तो तमहार जञान क रोझ स तम िानत जयादा हो िीए कम हो एक

असतलन हो गया ह रदध कहत ह थोड़ा िानो लककन उस िीन म रदलत िाओ थोड़ा भोिन करो लककन

ठीक स चराओ ठीक स पचाओ रि मास-मजजा रन िाए

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होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

कवल व ही समझ पाएग िो रतदध स गहर उतरकर हदय का दीया िलाएग हदय क दीए स अथा ह िो

िानत ह उस िीवन रना लग िो समझा ह वह समझ ही न होगी समातध रन िाएगी िो सना ह वह सना

ही नही पी तलया ह

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

थोड़ा िानो िीओ जयादा और तम पहच िाओग जयादा तमन िाना और िीया कि भी नही तो तम

न पहच पाओग तर तम दसरो की गायो का ही तहसार रित रहोग तमहारी अपनी कोई गाय नही तम गायो

क रिवाल ही रह िाओग मातलक न हो पाओग

पतडत मत रनना पापी भी पहच िात ह पतडत नही पहचत कयोकक पापी भी आि नही कल िग

िाएगा दि िगाता ह पतडत एक सि का सपना दि रहा ह कक िानता ह तरना िान

शासतर स रचना शासतर ििीर हो सकता ह सभातित सदर वचन िहर हो सकत ह तिस चीि को भी

तम िीवन म रपातररत न कर लोग वही िहर हो िाएगी तमहारी िीवन की वयवसथा म िो भी चीि पड़ी

रह िाएगी तरना रपातररत हए तरना लह-मास-मजजा रन वही तमहार िीवन म िहर का काम करन लगगी

पतडत का अतसततव तविाि हो िाता ह

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

तो धयान इस पर हो कक मरा आचरण कया ह मरा होन का ढग कया ह मर िीवन की शली कया ह

परमातमा को मानो या न मानो अगर तमहारा आचरण ऐसा ह--घर लौटन वाल का ससार की तरफ िान वाल

का नही परतयाहार करन वाल का अपनी चतना क क ि की तरफ आन वाल का अगर तमहारा आचरण ऐसा ह-

-वयथा का कड़ा-करकट इकिा करन वाल का नही तसफा हीर ही चनन वाल का अगर तमहारा आचरण हस िसा

ह कक मोती चन लता ह कक दध और पानी म दध पी लता ह पानी िोड़ दता ह

हमन जञातनयो को परमहस कहा ह तमन कभी समझा कयो दो कारणो स एक तो हस सार को असार

स अलग कर लता ह और दसरा हस सभी कदशाओ म गततवान ह वह िल म तर सकता ह िमीन पर चल

सकता ह आकाश म उड़ सकता ह उसक सवातषय पर कही कोई सीमा नही ह िमीन हो तो चल लता ह

सागर हो तो तर लता ह आकाश हो तो उड़ लता ह तीनो आयामो म तीनो डायमशनस म उसक तलए कही

कोई रकावट नही ह तिस कदन तम सार और असार को पहचानन लगोग उस कदन तमहारा सवातषय भी इतना

ही अपररसीम हो िाएगा िसा हस का इसतलए हमन जञातनयो को परमहस कहा ह

न िानन स ही रध हो िमीन पर ही ठीक स रहना नही आता पानी पर चलन की तो रात अलग

आकाश म उड़ना तो रहत दर शरीर म ही ठीक स रहना नही आता मन की तो रात अलग आतमा की तो रात

रहत दर

119

शरीर यानी िमीन मन यानी िल आतमा यानी आकाश इसतलए मन िल की तरह तरगातयत शरीर

तथर ह पथवी की तरह सततर साल तक डटा रहता ह तगर िाता ह उसी पथवी म तिसस रनता ह मन तरलकल

पानी की तरह ह पार की तरह कहो तितर-तितर िाता ह आतमा आकाश की तरह तनमाल ह ककतन ही

रादल तघर कोई रादल धए की एक रिा भी पीि नही िोड़ गया ककतनी ही पतथवया रनी और िो गयी

ककतन ही चाद-तार तनरमात हए और तवलीन हो गए आकाश कटसथ ह अपनी िगह तहलता-डलता नही

शरीर म ही रहना तमस नही हो पाता मन की तो रात अलग मन म िात ही जचता पकड़ती ह

तवचारो का ऊहापोह पकड़ता ह आतमा तो कफर रहत दर ह कयोकक आतमा यानी तनरवाचार धयान आतमा

यानी समातध--आकाश मि असीम

परमहस कहा ह जञातनयो को लककन जञान को आचरण म रदलन की कीतमया रदलन का रहसय समझ

लना चातहए तम समझ भी लत हो कभी कोई रात सफरटक-मतण की भातत साफ कदिाई पड़ती ह कक समझ म

आ गई अगर तम उसी कषण उसका उपयोग करन लगो तो और तनिरती िाए तम कहत हो कल उपयोग कर

लग परसो उपयोग कर लग अभी समझ म आ गई सभालकर रि ल

एक तमतर यहा सनन आत थ डाकटर ह पढ़-तलि ह मन उनको दिा कक िर भी व सनत तो रठकर

रस नोट ल रह ह कफर मझ तमलन आए तो मन पिा कक आप कया कर रह हो व कहत ह कक आप इतनी

अदभत रात कह रह ह कक नोट कर लना िररी ह पीि काम पड़गी िर म समझा रहा ह तर व समझ नही

रह ह व कल पर टाल रह ह समझ तक को कल पर टाल रह ह करन की तो रात अलग व नोट ल रह ह

अभी कफर पीि कभी िर िररत होगी काम पड़ िाएगी तम अभी मौिद थ म अभी मौिद था अभी ही

उतर िान दत हदय म लककन व सोचत ह कक व रड़ा कीमती काम कर रह ह व धोिा द रह ह िद को

धोिा द रह ह यह रचाव ह समझन स समझना नही ह

सामन एक घटना घट सकती थी अभी और यही म तमहारी आि म झाकन को रािी था तम आि

रचा तलए--नोट करन लग मन हाथ फलाया था तमह उठा ल राहर तमहार गडढ स तमहारा हाथ तमन वयसत

कर तलया तम नोट लन लग मन तमह पकारा तमन पकार न सनी तमन अपनी ककतार म कि शबद अककत

कर तलए और तम रड़ परसि हए तम अभी िीतवत सतय को न समझ पाए कल क तलए टाल कदया करोग

कर

टालना मनषय क मन की सरस रड़ी रीमारी ह िो समझ म आ िाए उस उसी कषण करना कयोकक

करन स सवाद आएगा सवाद आत स करन की और भावना िगगी और करन स और सवाद आएगा अचानक

एक कदन तम पाओग तिस तमन जञान की तरह सोचा था वह जञान नही रहा आचरण रन गया

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

और धयान रिना िो भी िाना िा सकता ह वह िीकर ही िाना िा सकता ह नाहक की रहस म मत

पड़ना कयोकक रहस भी अकसर रचन का ही उपाय ह और वयथा क तका िाल म मत उलझना कयोकक तमह

रहत तमल िाएग कहन वाल कक इसम कया रिा ह लककन गौर स दि लना कक िो कह रहा ह उसन कि

अनभव तलया ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

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मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए--कोई हिाा नही तका कर लककन पहल उनह दीवाना रनन

की िररत ह उनक पास भी कि सवाद हो तभी तम उसी की रात सनना तिसक पास कि सवाद हो अनयथा

इस िगत म आलोचक रहत ह जनदक रहत ह ककसी भी चीि को गलत कह दना तितना आसान ह उतनी

आसान और कोई रात नही ईशवर को कह दना नही ह ककतना आसान ह ह कहना रहत करठन कयोकक

िो ह कह उस तसदध करना पड़ िो नही कह उस तो तसदध करन का सवाल ही न रहा िर ह ही नही तो तसदध

कया करना ह

परम को इनकार कर दना ककतना आसान ह लककन परम को हा करना ककतना करठन ह कयोकक परम का

अथा होगा कफर एक आग स गिरना नही रहत आसान ह इसतलए कायर हमशा नही कह-कहकर जिदगी चला

लत ह हालाकक व कदित रड़ रहादर ह कोई आदमी कहता ह ईशवर नही ह लगता ह रड़ी तहममत का

आदमी ह अपनी इतनी तहममत नही ह पर म तमस कहता ह कायर नही कहकर काम चला लत ह कयोकक

तिस चीि को नही कह कदया उस न तसदध करन की िररत न िीवन म उतारन की िररत न दाव लगान की

िररत न मागा चलन की िररत तिसन हा कहा वही रहादर ह वही साहसी ह

लककन हा भी नपसक हो सकती ह अगर तमन तसफा रहान क तलए हा कह दी हो अगर ककसी न कहा

ईशवर ह तमन कहा होगा भाई िरर होगा तसफा झझट िटान को कक इतनी भी ककसको फरसत ह कक

रकवास कर इतना भी ककसक पास समय ह कक तववाद कर अर कौन झझट कर कक ह या नही कक तरलकल

ठीक िरर होगा अगर तमन हा भी तसफा रचाव क तलए कही तो तमहारी हा नही ही ह उस हा म हा नही

नही ही ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

उसी क पास पिना तिसक िीवन म कोई सगध हो और सवास हो और तिसक िीवन म कोई सवाद हो

तिसक ओठो स तिसकी शवासो स शरार की थोड़ी गध आती हो उसी स शरार की रात पिना तिसक

आसपास थोड़ी मसती की हवा हो तिसकी आिो म िमार हो उसी स पिना हर ककसी स मत पिन रठ

िाना और हर ककसी की रात मत सन लना नही तो जिदगी को ऐस ही गवा दोग नासमझ रहत ह कायर

रहत ह आलोचक रहत ह उनका कोई अत नही ह कयोकक य सर रचाव की तरकीर ह जिदगी को िानन

वाल रहत कम ह और तम भी कही इसी भीड़ म न िो िाना िो ही िाओग अगर िीवन म कोई सतर

तमहार पास आए और तमन उनका िलदी उपयोग न कर तलया व िग िा िात ह

सतय रड़ी नािक चीि ह वह रीि की तरह ह तम उस हदय म ल िाओ ततकषण तो वह अकररत हो

िाता ह रीि को रि रहो ततिोतड़यो म समहालकर वह सड़ िाएगा सार सतय तमहार शासतरो की ततिोतड़यो

म सड़ गए ह ऐसा नही ह कक सतयो की कोई कमी ह सतय रहत ह शासतर भर पड़ ह लककन ककसी काम क

नही रह तमहार िीवन क शासतर म िर तक कोई सतय उतरकर िन मास मजजा न रन िाए पच न िाए

तमहार रग-रश म न दौड़न लग तर तक ककसी काम का नही ह इस समरण रिना

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को रहत पणय करन चातहए

िीवन दो ढग का हो सकता ह रदध न रड़ा ठीक परतीक चना ह एक तो िीवन ऐसा होता ह तिसको

तम जयादा स जयादा फलो का ढर कह सकत हो और एक िीवन ऐसा होता ह तिस तम फलो की माला कह

सकत हो माला और ढर म रड़ा फका ह माला म एक सयोिन ह एक तारतमय ह एक सगीत ह एक

121

लयरदधता ह माला म एकिटता ह एकशिला ह एक तसलतसला ह फलो का एक ढर ह उसम कोईशिला

नही ह उसम कोई सगीत नही ह उसम दो फल िड़ नही ह ककसी अनसयत धाग स सर फल अलग-अलग ह

तरिर पड़ ह

तो या तो िीवन ऐसा हो सकता ह कक िीवन क सर कषण तरिर पड़ ह एक कषण स दसर कषण क भीतर

दौड़ती हई कोई िीवनधारा नही ह कोई धागा नही िो सरको िोड़ता हो अतधक लोगो का िीवन कषणो का

ढर ह िनम स लकर मतय तक तमह भी उतन ही कषण तमलत ह तितन रदध को लककन रदध का िीवन एक

माला ह हर कषण तपरोया हआ ह हर कषण अपन पीि कषण स िड़ा ह आग कषण स िड़ा ह िनम और मतय

एकशिला म रध ह एक अनसयत सगीत ह

इस थोड़ा समझो तम ऐस हो िस वणामाला क अकषर रदध ऐस ह िस उनही अकषरो स रना एक गीत

गीत म और वणामाला क अकषरो म कोई फका नही ह वही अकषर ह वणामाला म तितना ह उतना ही सभी गीतो

म ह

माका टवन क िीवन म एक घटना ह उसक तमतर न उस तनमततरत ककया तमतर एक रहत रड़ा उपदषटा

था माका टवन कभी उस सनन नही गया था कि ईषयाा रही होगी मन म माका टवन क माका टवन िद रड़ा

सातहतयकार था लककन उपदषटा की रड़ी खयातत थी

तमतर न कई दफा तनमततरत ककया तो एक रार गया सामन की ही कसी पर रठा था उस कदन तमतर न िो

शरषठतम उसक िीवन म भाव म था कहा कयोकक माका टवन सनन आया था लककन माका टवन क चहर पर

कोई भावदशा नही रदली वह ऐस ही रठा रहा अकड़ा िस कि भी नही हो रहा ह िस कया कचरा रकवास

कर रह हो

तमतर भी चककत हआ िर दोनो लौटन लग गाड़ी म वापस रासत म उसन तहममत िटाई और पिा तमह

मरी रात कसी लगी माका टवन न कहा रात सर उधार मर पास एक ककतार ह तिसम सर तलिा ह तमन

उसी को पढ़कर रोला ह उस आदमी न कहा चककत कर रह हो कोई एकाध वाकय कोई एकाध टकड़ा कही

तलिा हो सकता ह लककन िो मन रोला ह वह मन ककसी ककतार स तलया नही माका टवन न कहा शता

लगात हो सौ-सौ डालर की शता लग गई उपदषटा सोचता था तनतित ही शता म िीत िाऊगा यह पागल

ककस रात की शता लगा रहा ह िो म रोला ह यह परा का परा एक ककतार म हो ही नही सकता सयोग नही

हो सकता ऐसा

लककन उस पता नही था माका टवन न दसर कदन एक तडकशनरी भि दी और तलिा इसम सर ह िो

भी तम रोल हो एक-एक शबद िो तम रोल हो सर इसम ह शबदशाः

पर तडकशनरी और शकसतपयर म कि फका ह शबदकोश म और कातलदास म कि फका ह शबदकोश और

उपतनिद म कि फका ह कया फका ह वही फका तमम और रदध म ह तम कवल शबदकोश हो फल की भीड़

एक ढर अनसयत नही हो िड़ नही हो तारतमय नही ह सर फल अलग-अलग पड़ ह माला नही रन पाए ह

माला उसी का िीवन रनता ह िो अपन िीवन को एक साधना दता ह एक अनशासन दता ह िो

अपन िीवन को होशपवाक एक लयरदधता दता ह तर िीवन न कवल गदय रन िाता ह अगर धीर-धीर तम

िीवन को तनिारत ही िाओ तो गदय पदय हो िाता ह िीवन तमहारा गान लगता ह गनगनान लगता ह

तमहार भीतर स अहरनाश सगीत की एक धारा िटन लगती ह तम रिन लगत हो

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िर तक तम रिो न तर तक तम परमातमा क चरणो क योगय न हो सकोग और धयान रिना वयथा की

तशकायत-तशकव मत करना

उनस तशकवा फिल ह सीमार

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा स कया तशकायत करनी कक आनद नही ह िीवन म

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा की कपा क योगय त ही नही इसतलए ककसी और स तशकवा मत करना

तम िस अभी हो ऐस ही तम परमातमा पर चढ़न योगय नही हो तम माला रनो तम िीवन को एक

कदशा दो तम ऐस ही सर कदशाओ म मत भागत कफरो पागलो की तरह तम एक भीड़ मत रहो तमहार भीतर

एकसवरता ह और रदध इसी को पणय कहत ह तम चककत होओग रदध कहत ह तिसक िीवन म एकसवरता

ह वही पणयधमाा ह पापी एक भीड़ ह पणयधमाा एक माला ह पापी असगत ह कहता कि ह करता कि ह

सोचता कि ह होता कि ह पापी क भीतर एकसवरता नही ह रोलता कि ह आि कि और कहती ह हाथ

कि और करत ह

पापी एक साथ रहत ह पणयातमा एक ह योगसथ ह िड़ा ह इटीगरटड ह वह िो भी करता ह वह सर

सयोतित ह वह सभी एक कदशा म गततमान ह उसक पर भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसकी आि िा

रही ह उसक हाथ भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसका हदय िा रहा ह उसकी शवास भी उसी तरफ िा

रही ह तिस तरफ उसकी धड़कन िा रही ह वह इकिा ह उसक िीवन म एक कदशा ह एक गतत ह

तवतकषपतता नही ह

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को पणय अिान करना चातहए

ताकक तमहारा िीवन एक माला रन िाए

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती

रड़ी मीठी रात रदध कहत ह िर हदय भरकर सनना

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की

अगर हवा परर की तरफ रह रही हो तो चदन कोई उपाय नही चदन क पास कक अपनी सगध को

पतिम की तरफ भि द हवा क तवपरीत नही िाती

न तगर की न चमली की न चदन की न रला की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी

िाती ह

सतपरि सभी कदशाओ म सगध रहाता ह एक ही सगध ह इस िगत म िो तवपरीत कदशा म भी चली

िाती ह वह ह सतपरि की वह ह सत-परि की वह ह िागरत परि की सगध

मनषय भी एक फल ह और िो कली ही रह गए तिल न पाए उनक दि का अत नही कतलयो स पिो

िो तिलन म असमथा हो गयी तिनम गध भरी थी और लटा न पायी ऐस ही िस ककसी सतरी को गभा रह गया

और कफर रचच का िनम न हो तो उसका सताप समझो गभा रड़ा होता िाए और रट का िनम न हो तो उस

सतरी की पीड़ा समझो ऐसा ही परतयक मनषय पीड़ा म ह कयोकक तमहार भीतर िो रड़ा हो रहा ह वह िनम

नही पा रहा ह तम एक गभा लकर चल रह हो गभा रड़ा होता िाता ह लककन तमहार िनम की कदशा िो गई

123

ह तम भल ही गए हो तम एक कली हो उसक भीतर गध इकिी होती िा रही ह रोतझल हो गई ह कली

अपन ही रोझ स दरी िा रही ह

मर दि तमहारी पीड़ा यह नही ह कक तमहार िीवन म दि ह तमहारी असली पीड़ा यही ह कक िो सि

हो सकता था वह नही हो पा रहा ह यह दि की मौिदगी नही ह िो तमह पीतड़त कर रही ह यह उस सि की

मौिदगी का अभाव ह िो हो सकता था और नही हो पा रहा ह तमहारी गरीरी तमह पीड़ा नही द रही ह

लककन तमहार भीतर िो अमीरी का झरना फट सकता था फटन को ततपर िड़ा ह उस पर चिान पड़ी ह वह

झरना फट नही पा रहा ह यह तवकास की िटपटाहट ह आदमी का सताप यह आदमी की पीड़ा िनम लन की

िटपटाहट ह

सारा अतसततव तिलन म भरोसा रिता ह िर भी कोई चीि तिल िाती ह तो तनभाार हो िाती ह

आदमी भी एक फल ह और रदध कहत ह रड़ा अनठा फल ह और रदध िानकर रहत ह उनका फल तिला तर

उनहोन एक अनठी रात िानी कक तवपरीत कदशाओ म भी िहा हवा नही भी िा रही हो वहा भी सत की गध

चली िाती ह सत की गध कोई सीमाए नही मानती

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह

सजजन की सगध एकमातर सगध ह िो ससार क तनयम नही मानती िो ससार क साधारण तनयमो क

पार ह िो अततकरमण कर िाती ह

सीि ल फलो स गाकफल मददआ-ए-जिदगी

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इतना ही काफी नही ह कक िद महको

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इसतलए रदध न कहा ह समातध कफर परजञा समातध कफर करणा रदध न कहा ह वह धयान धयान ही

नही िो करणा तक न पहचा द

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

उसी समातध को रदध न पररपणा समातध कहा ह िो लट िाए सभी कदशाओ म सभी कदशाओ म रह

िाए

लककन यही समझ लन की रात ह यह रड़ी तवरोधाभासी रात ह तम साधारण अवसथा म सभी

कदशाओ म दौड़त हो और कही नही पहच पात रदधतव की तरफ चलन वाला वयति एक कदशा म चलता ह और

तिस कदन पहचता ह उस कदन सभी कदशाओ म रहन म समथा हो िाता ह

तम सभी कदशाओ म रहन की कोतशश करत हो थोड़ा धन भी कमा ल थोड़ा धमा भी कमा ल थोड़ी

परततषठा भी रना ल थोड़ी समातध भी कमा ल थोड़ा दकान भी रचा ल थोड़ा मकदर भी तम सभी कदशाओ म

हाथ फलात हो और आतिर म पात हो तभिारी क तभिारी ही तवदा हो गए िस आए थ िाली हाथ वस

िाली हाथ गए रहत पकड़ना चाहा कि पकड़ म न आया

तमहारी हालत करीर-करीर वसी ह िस तमन एक रहत परतसदध गध की सनी हो कक एक मिाककया

आदमी न एक गध क पास दोनो तरफ घास क दो ढर लगा कदए ररारर दरी पर और गधा रीच म िड़ा था

124

उस भि तो लगी तो वह राए तरफ िाना चाहा तर मन न कहा कक दाए उस तरफ भी घास थी दाए तरफ

िाना चाहा तो मन न कहा राए

कहत ह गधा भिा रीच म िड़ा-िड़ा मर गया कयोकक न वह राए िा सका न दाए िर दाए िाना

चाहा तर मन न कहा राया िर राए िाना चाहा तर मन न कहा दाया

तमहारा मन यही कर रहा ह िर तम मकदर की तरफ िाना चाहत हो तर मन कहता ह दकान िर

तम दकान पर रठ हो मन को भिन याद आता ह मकदर ऐस ही मर िाओग और दोनो तरफ ततपत क साधन

मौिद थ कही भी गए होत

म तमस कहता ह अगर तम दकान पर ही परी तरह स चल िाओ तो वही धयान हो िाएगा आध-आध

मकदर िान की रिाय दकान पर पर चल िाना रहतर ह कयोकक पर चला िाना धयान ह गराहक स रात करत

वि भीतर राम-राम गनगनाना गलत ह गराहक को ही परा राम मान लना उतचत ह

आध-आध कि सार न होगा आधा यहा आधा वहा तम दो नाव पर सवार हो तम रड़ी मतककल म पड़

हो तम सर कदशाओ म पहचना चाहत हो और कही नही पहच पात रदधपरि एक कदशा म िात ह और तिस

कदन मतिल पर पहचत ह सर कदशाओ म उनकी गध फल िाती ह तम सर पान की कोतशश म सर गवा दत

हो रदधपरि एक को पा लत ह और सर पा लत ह

महावीर न कहा ह तिसन एक को पा तलया उसन सर पा तलया तिसन एक को िान तलया उसन सर

िान तलया

िीसस न कहा ह सीक यी फसटा कद ककगडम आफ गाड ऐड आल एलस शल री एडड अनट य अकल तम

परमातमा की िोि कर लो परभ का राजय िोि लो शि सर अपन स आ िाएगा तम उसकी कफकर ही मत

करो एक को तिसन गवाया वह सर गवा दता ह और एक को तिसन पाया वह सर पा लता ह

लककन तमहारा सर अधरा-अधरा ह अधर-अधर क कारण तम िड-िड हो गए हो तमहार भीतर रड़

टकड़ हो गए ह एक टकड़ा कही िा रहा ह दसरा टकड़ा कही िा रहा ह तम एक टटी हई नाव हो तिसक

तखत अलग-अलग रह रह ह तम कस पहच पाओग तम कहा पहच पाओग तम हो ही नही तम इतन िड-

िड हो गए हो कक तम हो यह कहना भी उतचत नही ह होन क तलए िररी ह कक तमहारी कदशा रन एक

अनशासन हो एकशिला हो तम फलो को तपरोना सीिो फलो की माला रनाना सीिो

िीवन म सतय का आतवषकार करना ह परम का आतवषकार करना ह िीवन म तम कौन हो इसका

आतवषकार करना ह इस ऐसी ही नही गवा दना ह तो तमहार िीवन म धीर-धीर अनशासन आना शर हो

िाए अगर तमहार पास कि भी--थोड़ी सी भी--दतषट हो कदशा हो कहा पहचना ह तो एक तारतमय आ िाए

उस तारतमय क साथ ही साथ तमहार भीतर एकता का िनम होगा इस एकता क माधयम स ही ककसी कदन तम

माला रन सकत हो और तिस कदन तम माला रन िात हो उस कदन परमातमा क गल म चढ़ान नही िाना

होता परमातमा का गला िद तमहारी माला म आ िाता ह आ ही िाएगा तम कातरल हो गए

कारल-इतलतफात त ही नही

तभी तक अड़चन थी

उनस तशकवा फिल ह सीमार

तशकायत रकार ह इतना ही िानना कक अभी हम तयार नही हए

125

अर यह फलो की गठरी को तम ककसी क गल म डालना चाहोग तो माला कस रनगी तगर िाएग फल

नीच धल म पड़ िाएग यह माला ककसी क गल म डालनी हो तो माला होनी चातहए फलो क ढर को माला

मत समझ लना

थोड़ा दिो माला और ढर म कया फका ह ढर म सगठन नही ह अथाात आतमा नही ह माला म एक

सगठन ह एक वयतितव ह एक आतमा ह धागा कदिाई नही पड़ता एक फल स दसर फल म चपचाप अदकय

म तपरोया हआ ह

िीवन क लकषय भी कदिाई नही पड़त एक कषण स दसर कषण म अदकय तपरोए होत ह रदध उठत ह

रठत ह चलत ह तो हर घड़ी क भीतर धयान का धागा तपरोया हआ ह िो भी करत ह एक रात धयान रित

ही ह कक उस करन म स धयान का धागा न िट वह धागा रना रह

फल स भी जयादा मलय धाग का ह लकषय का ह कदशा का ह और तिस कदन यह घड़ी घट िाती ह कक

तम सगरठत हो िात हो तम एक हो िात हो उसी कदन--उसी कदन परमातमा की कपा तम पर ररस उठती ह

उस कि कहन की िररत नही ह

इसतलए रदध उस सरध म चप रह ह िो कहा िा सकता था उनहोन कहा िो नही कहा िा सकता था

उनहोन नही कहा उनहोन सारा िोर इस पर कदया ह कक तमहारा वयतितव कस एक हो िाए तमहारा जञान कस

आचरण रन िाए तमहार तरिर फल कस माला रन िाए इसस जयादा उनहोन रात नही की कयोकक इसक

राद रात करनी ठीक ही नही ह इसक राद िो होना ह वह होता ही ह वह हो ही िाता ह उसम कभी कोई

अड़चन नही पड़ती

इसतलए परमातमा को तम भल िाओ तो अड़चन नही ह अपन को मत भल िाना अपन को भला तो

सर गया सर डरा िद की याद रिी और उसी याददाकत को रोि-रोि समहालत गए रोि-रोि हर तरह स

वह याददाकत सघन होती चली िाए िस िल तगरता ह पहाड़ स--और चिान मिरत ह िल तरलकल नािक

ह--लककन रोि तगरता ही चला िाता ह एक कदन चिान तो रत होकर रह िाती ह िल की धार अपनी िगह

रनी रहती ह

कठोर स कठोर भी टट िाता ह साततय क सामन इसतलए घरड़ाना मत अगर आि तमह अपनी दशा

चिान िसी लग तम कहो कक कस यह अहकार रहगा यह चिान रड़ी मिरत ह कस यह कदल झकगा यह

झकना िानता नही तम इसकी कफकर मत करना तम तसफा साततय रिना धयान का अवलोकन का साकषी

का शि सर अपन स हो िाता ह

रदध न मनषय क वयतितव का तवजञान कदया उनहोन मनोतवजञान कदया मटाकफतिकस परलोक क शासतर

की रात नही की रदध रड़ यथाथावादी ह व कहत ह िो करना िररी ह वही और जयादा वयथा की तवसतार

की रातो म तमह भटकान की िररत नही ह ऐस ही तम काफी भटक हए हो

थोड़ स तमह सतर कदए ह अगर तम उनह कर लो तो उन सतरो म रड़ी आग ह व अधकार को िला

डालग व वयथा को राि कर दग और उन सतरो की आग स तमहार भीतर का सवणा तनिरकर राहर आ िाएगा

रदध न रहत थोड़ी सी रात कही उनही-उनही को दोहराकर कहा ह कयोकक रदध को कोई रस दशानशासतर म

नही ह रदध को रस ह मनषय की आतररक-करातत म रपातरण म रदध को तिन लोगो न गौर स अधययन ककया

ह उन सरको हरानी होती ह कक रदध एक ही रात को ककतनी रार दोहराए चल िात ह वह हरानी इसीतलए

126

होती ह कक रदध वयथा की रात को कभी रीच म नही लात रस साथाक को ही दोहरात ह ताकक सतत चोट

पड़ती रह

और तम ऐस हो तमहारी नीद ऐसी ह तमहारी तिा ऐसी ह कक रहत रार दोहरान पर भी तम सन लो

वह भी आिया ह रदध स कोई पिता था तो व तीन रार दोहराकर िवार दत थ उसी वि तीन दफा

दोहराकर िवार दत थ कयो तीन रार कयोकक रदध स कोई पिन लगा कक कयो तीन रार कया आप

सोचत ह हम रहर ह रदध न कहा नही अगर तम रहर होत तो इतनी अड़चन न थी तम रहर नही हो और

कफर भी सनत नही हो तम सोए नही हो यही तो अड़चन ह सोए होत तो िगाना आसान हो िाता ह तम

रनकर लट हो तम सोन का ढोग कर रह हो उठना भी नही चाहत िाग भी गए हो तम सनत हए मालम

पड़त हो और सनत भी नही इसतलए तीन रार दोहराता ह

यह िो रदध का दोहराना ह धममपद म--इस परी चचाा म--रहत रार आएगा अलग-अलग दवारो स व

कफर वही लौट आत ह--कस तमहारा रपातरण हो रदध की सारी आकाकषा अभीपसा मनषय-क कित ह महावीर

मोकष-क कित ह व मोकष की चचाा करत ह िीसस ईशवर-क कित ह व ईशवर की चचाा करत ह रदध मनषय-क कित

ह िस मनषय स ऊपर कोई सतय नही ह रदध क तलए

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

सरक ऊपर मनषय का सतय ह और उसक ऊपर कोई सतय नही ह कयोकक तिसन मनषय क सतय को

समझ तलया उस किी तमल गई सार सतयो क दवार उसक तलए कफर िल ह

रदध को भोिन रनाओ पीओ पचाओ तो धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध का अवतरण होन

लगा धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध की परततमा उभरन लगी हर चिान तिपाए ह रदध की परततमा

अपन म िरा िनी की िररत ह हथौड़ी की िररत ह वयथा को िाटकर अलग कर दना ह

ककसी न माइकल एिलो स पिा--कयोकक एक चचा क राहर एक पतथर रहत कदन स पड़ा था उस

असवीकार कर कदया गया था चचा क रनान वालो न उपयोग म नही तलया था वह रड़ा अनगढ़ था माइकल

एिलो न उस पर महनत की और उसस एक अपवा कराइसट की परततमा तनरमात की--ककसी न पिा कक यह पतथर

तो तरलकल वयथा था इस तो फक कदया गया था इस तो राह का रोड़ा समझा िाता था तमन इस रपातररत

कर कदया तम अनठ कलाकार हो

माइकल एिलो न कहा नही तम गलती कर रह हो िो मन पतथर स परगट ककया ह वह पतथर म

तिपा ही था तसफा मन पहचाना और िो वयथा टकड़ पतथर क आसपास थ उनको िाटकर अलग कर कदया यह

परततमा तो मौिद ही थी मन रनाई नही मन तसफा सनी आवाि म गिरता था यहा स यह पतथर तचललाया

और इसन कहा कक कर तक म ऐस ही पड़ा रह कोई पहचान ही नही रहा ह तम मझ उठा लो िगा दो रस

मन िनी उठाकर इस पर महनत की िो सोया था उस िगाया

रदधतव को कही पान नही िाना ह हरक क भीतर आि िो चिान की तरह मालम हो रहा ह--अनगढ़

रस िरा स िनी-हथौड़ की िररत ह सर क भीतर स पकार रहा ह कक कर तक पड़ा रहगा उघाड़ो मझ

इसतलए रदध कहत ह िो तम सनो िो सभातित तमहार कानो म पड़ िाए उनह तम समतत म सगहीत

मत करत िाना उनह उतारना आचरण म उनह िीवन की शली रनाना धीर-धीर तमहार चारो तरफ उनकी

हवा तमह घर रह उनक मौसम म तम िीना िलदी ही तम पाओग कक तमहार भीतर का रदधतव उभरना शर

हो गया फल माला रन गए

127

और तर एक ऐसी घटना घटती ह िो ससार क तनयमो क पार ह फलो की सगध वाय की तवपरीत

कदशा म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला की लककन तिनक भीतर का रदधपरि

िाग गया रदध चतनय िाग गया उनकी सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह सभी कदशाओ म उनकी सगध

फल िाती ह

और िर तक तम ऐस अपन को लटा न सकोग तर तक तम पीतड़त रहोग एक ही नका ह--अपन को

परगट न कर पाना और एक ही सवगा ह--अपनी अतभवयति िोि लना

िो गीत तमहार भीतर अनगाया पड़ा ह उस गाओ िो वीणा तमहार भीतर सोई पड़ी ह िड़ो उसक

तारो को िो नाच तमहार भीतर तयार हो रहा ह उस तम रोझ की तरह मत ढोओ उस परगट हो िान दो

परतयक वयति अपन भीतर रदधतव को लकर चल रहा ह िर तक वह फल न तिल तर तक रचनी

रहगी अशातत रहगी पीड़ा रहगी सताप रहगा वह फल तिल िाए तनवााण ह सतचचदानद ह मोकष ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

अठारहवा परवचन

पराथानााः परम की पराकाषठा

पहला परशनाः रदध रात करत ह होश की िागन की और आप रीच-रीच म मसती नशा शरार और

लीनता की रात भी उठाया करत ह रदध पर रोलत समय तवपरीत की चचाा कयो आवकयक ह कपया

समझाए

दतषट न हो तो तवपरीत कदिाई पड़ता ह दतषट हो तो िरा भी तवपरीत कदिाई न पड़गा तिसको रदध

होश कहत ह उसी को सकफयो न रहोशी कहा तिसको रदध अपरमाद कहत ह उसी को भिो न शरार कहा

रदध क वचनो म और उमर ियाम म इचभर का फासला नही रदध न तिस मकदर कहा ह उसी को उमर

ियाम न मधशाला कहा रदध तो समझ ही नही गए उमर ियाम भी समझा नही गया उमर ियाम को लोगो

न समझा कक शरार की परशसा कर रहा ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

तम रहोश हो शरार तो तमन पी ही रिी ह ससार की शरार ककसी न धन की शरार पी रिी ह और

धन म रहोश ह ककसी न पद की शरार पी रिी ह और पद म रहोश ह ककसी न यश की शरार पी रिी ह

तिनको न पद यश धन की शरार तमली व ससती शरार मयिानो म पी रह ह व हार हए शरारी ह

और रड़ा मिा तो यह ह कक रड़ शरारी िोट शरातरयो क तिलाफ ह िो कदलली म पदो पर रठ ह व

िोट-िोट मयिानो म लोगो को शरार नही पीन दत उनहोन िद भी शरार पी रिी ह लककन उनकी शरार

सकषम ह उनका नशा रोतलो म रद नही तमलता उनका नशा रारीक ह उनक नश को दिन क तलए रड़ी

गहरी आि चातहए उनका नशा सथल नही ह

राह पर तमन शरारी को डगमगात दिा रािनता को डगमगात नही दिा राह म तमन शरारी को

तगर िात दिा धनी क पर तमन डगमगात नही दि शरारी को ऊलिलल रकत दिा पदधाररयो को

ऊलिलल रकत नही दिा तो कफर तमन कि दिा नही ससार म आि रद करक िी रह हो

रहत तरह की शरार ह ससार शरार ह उमर ियाम सफी या भि तिस शरार की रात कर रह ह

वह ऐसी शरार ह िो ससार क नश को तोड़ द िो तमह िगा द

परमातमा की शरार का लकषण ह िागरण इसतलए रदध और उमर ियाम की रातो म फका नही ह

िानकर ही रदध क साथ इन मसतानो की भी रात कर रहा ह कयोकक अगर तमह फका कदिाई पड़ता रहा तो न

तो तम रदध को समझ सकोग और न इन दीवानो को िर इन दोनो म तमह कोई फका न कदिाई पड़गा तभी

तम समझोग

परमातमा का भी एक नशा ह लककन नशा ऐसा ह कक और सर नश तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक

तमहारी नीद ही तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक िागरण की एक अहरनाश धारा रहन लगती ह कफर भी उस

129

नशा कयो कह तम पिोग िर होश आता ह तो नशा कयो कह नशा इसतलए ह कक होश तो आता ह मसती

नही िाती होश तो आता ह मसती रढ़ िाती ह और ऐसा होश भी कया िो मसती भी िीन ल कफर तो

मरसथल का हो िाएगा होश कफर तो रिा-सिा होगा कफर तो हररयाली न होगी फल न तिलग और पकषी

गीत न गाएग और झरन न रहग और आकाश क तारो म सौदया न होगा

या तो तम उमर ियाम को समझ लत हो कक यह ककसी साधारण शरार की परशसा कर रहा ह और या

तम समझ लत हो कक रदध मसती क तिलाफ ह दोनो नासमतझया ह रदध मसती क तिलाफ नही ह रदध स

जयादा मसत आदमी तम कहा पाओग तम कहोग यह िरा अड़चन की रात ह रदध को ककसी न कभी नाचत

नही दिा मीरा नाचती ह चतनय नाचत ह रदध को कर ककसन नाचत दिा पर म तमस कहता ह ऐस भी

नाच ह िो कदिाई नही पड़त और म तमस यह भी कहता ह कक नाच की एक ऐसी आतिरी तसथतत भी ह िहा

सर तथर हो िाता ह ऐसा भी नाच ह िहा कपन नही होता

ककसी और उदाहरण स समझ िो तमहारी समझ म आ िाए कयोकक यह रात तो ररझ हो िाएगी

पहली रन िाएगी कोई मर िाता ह तपरयिन तो तमन आिो स आस रहात लोग दि ह कभी तमन उस दि

की घड़ी को भी दिा ह िर आस भी नही रहत ऐस भी दि ह दि की आतयततक ऐसी भी गहराई ह कक आि

स आस भी नही रहत मह स आह भी नही तनकलती दि इतना गहन हो िाता ह कक आस रहाना भी दि की

रइजजती मालम होगी दि इतना गहन हो िाता ह कक रोना भी वयथा मालम होगा

रोत भी व ह तिनक दि म अभी थोड़ी सि की सतवधा ह तिनका दि परा नही ह रोत भी व ह

तिनक दि न अभी आतिरी तक नही ि तलया ह हदय क आतिरी कोर तक को नही तभगो कदया ह तचललात

भी व ह तिनका दि सथल ह तमन कभी ऐसी घड़ी िरर दिी होगी कक दि महान हआ दि इतना रड़ा था

कक तम समहाल न पाए आि भी समहाल न पायी आस भी समहाल न पाए सर सिाटा हो गया आघात

इतना गहरा था कक कपन ही न हआ

मनोवजञातनक कहत ह अगर ऐसी घड़ी हो तो ककसी भी तरह उस वयति को रलान की चषटा करनी

चातहए अनयथा वह मर भी िा सकता ह ककसी भातत उस तहलाओ रलाओ उसकी आिो म ककसी भातत आस

ल आओ ताकक आघात हलका हो िाए ताकक आघात रह िाए ताकक दि आसओ स तनकल िाए और भीतर

राहत आ िाए

तम दि क कारण रोत हो या दि स िटकारा पान क कारण रोत हो तम दि क कारण रोत हो या

दि स राहत पान क तलए रोत हो दि िर सघन होता ह तो आवाि भी नही उठती कदल िर सच म ही टट

िाता ह तो आवाि भी नही उठती

ठीक इसस तवपरीत अर तम समझ सकोग मीरा नाचती ह अभी नाच सकती ह इसतलए अभी नाच

इतना गहरा नही गया ह अभी लीनता और समातध की दशा इतनी गहरी नही गई ह िहा नाच भी िो िाए

ऐस भी नाच ह िहा नाच भी िो िाता ह ऐस भी दि ह िहा आस भी नही होत

रदध भी नाच रह ह लककन रड़ा सकषम ह यह नतय यह इतना सकषम ह कक सथल आि न पकड़ पाएगी

इस तो कवल व ही दि पाएग तिनहोन ऐसा नाच िीया हो िाना हो

म तमस कहता ह रदध नाच रह ह अनयथा हो ही नही सकता म तमस कहता ह रदध न पी ली वह

शरार तिसकी म रात कर रहा ह आनद इतना सघन ह अवाक हो गए ह ठग रह गए ह मीरा तो नाच भी

सकी थोड़ी राहत तमली होगी आनद भी िर सघन हो िाए तो कि करो तो राहत तमल िाती ह रदध पी

130

गए परा आनद पी गए अगर कोई मझस पि तो रदध का नशा मीरा स भी जयादा ह मीरा को तो कम स कम

नाचन की िरर रही रदध को उतनी िरर भी न रही

धयान रिना िर म मीरा या रदध या ककनही और की रात करता ह तो य रात तलनातमक नही ह

कपररटव नही ह म ककसी को िोटा-रड़ा नही कह रहा ह म तो तसफा तमह समझान क तलए रात ल रहा ह

तमह रदध समझ म आ िाए तो तमह उमर ियाम भी समझ म आ िाएगा

कफटिरालड न तिसन उमर ियाम का अगरिी म अनवाद ककया उमर ियाम को ररराद कर कदया

कयोकक सारी दतनया न कफटिरालड क रहान ही उसी क मागा स उसी क तनतमतत स उमर ियाम को िाना

और सारी दतनया न यही समझा कक यह शरार की चचाा ह यह मयिान की चचाा ह यह मयिान की चचाा

नही ह शरार की चचाा नही ह यह मकदर की रात ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

रदध न ऐसी ही शरार ढाली तिसम दीवान होतशयार रन िात ह वही उनका अपरमाद योग ह वही

उनकी िागरण की कला ह लककन म इसको कफर-कफर शरार कहता ह कयोकक म चाहता ह तम यह न भल

िाओ कक यह रिी-सिी िीवन तसथतत नही ह रड़ी हरी-भरी ह यह रतगसतान नही ह मरदयान ह यहा फल

तिलत ह पकषी चहचहात ह यहा चाद-तार घमत ह यहा गीतो का िनम होता ह यहा रोए-रोए म िर-िर

म अजञात की परततधवतन सनी िाती ह यहा मकदर की घरटयो का नाद ह और मकदर म िलती धप की सगध ह

रदध नीरस नही रठ ह हीरा समहालकर रठ ह

करीर न कहा ह हीरा पायो गाठ गरठयायो

तम ऊपर ही ऊपर मत दित रहना गाठ ही कदिाई पड़ती ह भीतर हीर को गरठयाकर रठ ह तहलत

भी नही इतना रड़ा हीरा ह कतपत भी नही होत इतना रड़ा हीरा ह इतनी रड़ी सपदा तमली ह कक धनयवाद

दना भी ओिा पड़ िाएगा िोटा पड़गा अहोभाव भी परगट कया कर अहोभाव परगट करन वाला भी िो गया

ह कौन धनयवाद द कौन अनगरह की रात कर कौन उतसव मनाए

म तमस यह कह रहा ह कक ऐस उतसव भी ह िर उतसव भी ओिा पड़ िाता ह इसतलए िानकर ही

रात कर रहा ह िर कभी उमर ियाम की तमस रात करगा तो रदध की भी रात करगा कयोकक न तो उमर

ियाम समझा िा सकता ह रदध क तरना न रदध समझ िा सकत ह उमर ियाम क तरना

मरी सारी चषटा यही ह कक तिनको तमन तवपरीत समझा ह उनको तम इतन गौर स दि लो कक उनकी

तवपरीतता िो िाए और अलग-अलग रगो और रपो म तमह एक ही सौदया की झलक तमल िाए मीरा क

नाच म अगर तमह रदध रठ तमल िाए और रदध की धयानसथ परततमा म अगर तमह मीरा का नाच तमल िाए तो

हाथ लग गई किी मकदर का दवार तम भी िोलन म समथा हो िाओग तिनहोन इसस अनयथा दिा उनहोन

दिा नही उन अधो की रातो म मत पड़ना

दसरा परशनाः

कि कदल न कहा कि भी नही

131

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

एक तो मनषय की रतदध म चलत हए तवचारो का िाल ह वहा सर साफ-सथरा ह वहा चीि कोरटयो म

रटी ह कयोकक वहा तका का सामराजय ह और एक कफर हदय म उठती हई लहर ह वहा कि भी साफ-सथरा

नही ह वहा तका का सामराजय नही ह वहा परम का तवसतार ह वहा हर लहर दसरी लहर स िड़ी ह वहा कि

भी अलग-थलग नही ह सर सयि ह वहा शनय भी रोलता ह और रोलना भी सिाट िसा ह वहा नतय भी

आवाि नही करता और वहा सिाटा भी नाचता ह

तका की तितनी कोरटया ह िस-िस तम हदय क करीर आत हो टटती चली िाती ह तका क तितन

तहसार ह िस-िस तम हदय क करीर आत चल िात हो व तहसार वयथा होन लगत ह तितनी धारणाए ह

तवचार की व धारणाए रस िर तक तम मतसतषक म िीत हो िोपड़ी ही तमहारा िर तक घर ह तर तक

अथापणा ह िस ही थोड़ गहर गए िस ही थोड़ी डरकी ली िस ही थोड़ अपन म लीन हए िस ही हदय क

पास सरकन लग वस ही सर रहसय हो िाता ह िो िानत थ पता चलता ह वह भी कभी िाना नही िो

सोचत थ कभी नही िाना एहसास होता ह िानन लग जञात िटता ह अजञात म गतत होती ह ककनार स नाव

मि होती ह और उस सागर म परवश होता ह तिसका कफर कोई ककनारा नही इस ककनार स नाव मि होती

ह उस तरफ िहा कफर कोई दसरा ककनारा नही ह तटहीन सागर ह हदय का वहा रड़ी पहली रन िाती ह

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

कदल को सनन की कला सीिनी पड़गी अगर परानी आदतो स ही सना तिस ढग स मन को सना था

रतदध को सना था अगर उसी ढग स सना तो तम हदय की भािा न समझ पाओग वह भािा भाव की ह उस

भािा म शबद नही ह सवग ह उस भािा म शबदकोश स तम कि भी सहायता न ल सकोग उस भािा म तो

िीवन क कोश स ही सहायता लनी पड़गी

और इसीतलए अकसर लोग हदय क करीर िान स डर िात ह कयोकक हदय क पास िात ऐसा लगता ह

िस पागल हए िात ह सर साफ-सथरापन नषट हो िाता ह ऐसा ही समझो कक तवराट िगल ह िीवन का

और तमन एक िोट स आगन को साफ-सथरा कर तलया ह--काट कदए झाड़-झिाड़ दीवाल रना ली ह अपन

आगन म तम सतनतित हो िरा आगन स राहर तनकलो तो िगल की तवराटता घरड़ाती ह वहा िो िान का

डर ह वहा कोई रािपथ नही पगडतडया भी नही ह रािपथ तो रहत दर

उस तवराट रीहड़ िगल म िीवन क िगल म तो तम चलो तितना चलो उतना ही रासता रनता ह

चलन स रासता रनता ह चलन क तलए कोई रासता तयार नही ह रडीमड वहा कि भी नही ह इसतलए

आदमी डरता ह लौट आता ह अपन आगन म यही तो अड़चन ह रतदध तमहारा आगन ह िहा सर साफ-

सथरा ह िहा गतणत ठीक रठ िाता ह

पलटो न अपनी अकादमी अपन सकल क दवार पर तलि रिा था--िो गतणत न िानता हो वह भीतर न

आए पलटो यह कह रहा ह तिसन रतदध की भािा न सीिी हो वह यहा भीतर न आए

132

मर दवार पर भी तलिा ह कि पलटो तो तलि सकता ह कयोकक रतदध क पास शबद ह म तलि नही

सकता लककन मर दवार पर भी तलिा ह कक िो हदय की भािा न समझता हो वह भीतर न आए कयोकक यहा

हम उस िगत की ही रात कर रह ह तिसकी कोई रात नही हो सकती यहा हम उसी तरफ िान की चषटा म

सलगन ह िहा िाना अपन को तमटान िसा ह िहा कवल व ही पहचत ह िो अपन को िोन को ततपर होत ह

तो डर लगगा

इसीतलए तो लोग परम स भयभीत हो गए ह परम की रात करत ह परम करत नही रात िोपड़ी स हो

िाती ह करना हो तो िीवन क रीहड़ िगल म परवश करना होता ह ितर ही ितर ह परम क सरध म लोग

सनत ह समझत ह गीत गात ह कथाए पढ़त ह परम करत नही कयोकक परम करन का अथा अपन को तमटाना

अहकार िो िाए तो ही परम का अकरण होता ह और तिसन परम ही न िाना--तिस अभाग न परम ही न

िाना--वह पराथाना कस िानगा वह तो परम की पराकाषठा ह वह तो परम का आतिरी तनचोड़ ह आतिरी सार

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

वहा भीतर ऐसी ही तरग चलती रहती ह वहा हा और ना म फासला नही वहा हा भी कभी ना होता

ह ना भी कभी हा होता ह वहा सर तवरोध लीन हो िात ह एक म उततर म म तमस कहना चाहगा--

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

िर तक कान आदतमयो की ही रात सनत रह िर तक कान वही सनत रह िो राहर स आता ह िर

तक कान आहत नाद को सनत रह--तिसकी चोट पड़ती ह कान पर और कान क पदो पर झिाहट होती ह--तर

तक कान कान ही नही और िर तक आिो न वही दिा िो राहर स आकर परततजरर रनाता ह तर तक उधार

ही दिा तर तक सतय का कोई अनभव न हआ तर तक सपना ही दिा िर कानो न वह सना िो भीतर स

उमगता ह िो भीतर स उठता ह िो भीतर स भरता ह तभी कान कान ह और िर आिो न वह दिा िो

आि दि ही नही सकती िर आिो न वह दिा िो आि रद करक कदिाई पड़ता ह िर आि अपन पर

लौटी सवय को दिा तभी आि आि ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

सरको भीतर की तरफ चलो थोड़ी अपन स पहचान कर ससार की रहत पहचान हई रहत पररचय

रनाए कोई काम नही आत रहत सग-साथ ककया अकलापन तमटता नही भीड़ म िड़ हो अकल हो तरलकल

ऐस भी लोग ह िो जिदगीभर भीड़ म रहत ह और अकल ही रह िात ह और ऐस भी लोग ह िो अकल ही रह

और कषणभर को भी अकल नही तिनहोन भीतर की आवाि सन ली उनका अकलापन समापत हो गया उनह

एकात उपलबध हआ तिनहोन भीतर क दशान कर तलए उनक सर सपन िो गए सपनो की कोई िररत न

रही सतय को दि तलया कफर कि और दिन को नही रचता

रातरया अपन घर म रठी थी हसन नाम का फकीर उसक घर महमान था सरह का सरि तनकला

हसन राहर गया रड़ी सदर सरह थी आकाश म रगीन रादल तरत थ और सरि न सर तरफ ककरणो का

133

िाल फलाया था हसन न तचललाकर कहा रातरया भीतर रठी कया करती ह राहर आ रड़ी सदर सरह ह

परमातमा न रड़ी सदर सरह को पदा ककया ह और आकाश म रड़ रगीन रादल तरत ह पतकषयो क गीत भी ह

ककरणो का िाल भी ह सर अनठा ह सरषटा की लीला दि राहर आ रातरया तिलतिलाकर हसी और उसन

कहा हसन तम ही भीतर आ िाओ कयोकक हम उस ही दि रह ह तिसन सरह रनाई तिसन सरि को िनम

कदया तिसक ककरणो क िाल को दिकर तम परसनन हो रह हो भीतर आओ हम उस ही दि रह ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

तीसरा परशनाः ओशो आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ

तसहर उठता ह और हदय म राढ़ सी आ िाती ह और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह कफर

आप कहत ह कक यकद हम तयार हो तो घटना इसी कषण घट सकती ह कपया इस तयारी को कि और सपषट

कर

कफर स परशन को पढ़ दता ह कयोकक परशन म ही उततर तिपा ह

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ नही आती राढ़ सी

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर नही तशिर की सी वही उततर ह वही तयारी चक रही ह

रतदध झठ तसकक रनान म रड़ी कशल ह राढ़ की सी तसथतत रना दती ह राढ़ का आना और ह राढ़ क

आत तो कफर हो गई घटना लककन राढ़ की सी तसथतत स नही होगी यह तो ऐसा ही ह िस तट पर रठ ह

नदी म तो राढ़ नही आती सोच लत ह एक सपना दि लत ह एक खवार दिा कक राढ़ की सी तसथतत आ गई

कफर आि िोलकर दिी कक गाव अपनी िगह ह--न गाव डरा न कि रहा--नदी अपनी िगह ह राढ़ की सी

तसथतत आई और गई कड़ा-करकट वही का वही पड़ा ह कि भी रहा न कि तािा न हआ कि नया न हआ

म िर रोल रहा ह तो दो तरह की सभावनाए रन सकती ह तम मझ अगर रतदध स सनो तो जयादा स

जयादा राढ़ की सी तसथतत रनगी रतदध रड़ी कशल ह और रतदध तम िो चाहो उसी का सपना दिन लगती ह

रतदध स मत सनो कपा करो रतदध को िरा रीच स हटाओ सीध-सीध होन दो रात हदय की हदय स

रतदध स सनत हो तर तर तरग रतदध म उठती ह लककन रतदध की तरग तो पानी म िीची गई लकीरो िसी

ह--रन भी नही पाती और तमट िाती ह रतदध का भी कोई भरोसा ह तवचार कषणभर नही ठहरत और चल

िात ह आए भी नही कक गए रतदध तो मसाकफरिाना ह वहा कोई घर रनाकर कभी रहा ह रलव सटशन का

परतीकषालय ह यातरी आत ह िात ह वहा तमहार िीवन म कोई शाशवत का नाद न रिगा एस धममो

सनतनो

उस सनातन का रतदध स कोई सरध न हो पाएगा रतदध कषणभगर ह पानी क ररल ह--रन तमट उनम

तम घर मत रसाना कभी-कभी पानी क ररलो म भी सरि की ककरणो का परभाव ऐस रग द दता ह इिधनि

िा िात ह मरी रात तम सनत हो रतदध सनती ह तरगातयत हो िाती ह राढ़ की सी तसथतत रन िाती ह

134

एक सपना तम दित हो कफर उठ गए राढ़ चली गई तम िहा थ वही क वही रह गए कड़ा-करकट भी न

रहा तमह परा रहा ल िान की तो रात ही दर शायद तम और भी मिरत होकर िम गए कयोकक एक राढ़

तमह लगा आई और चली गई और तमहारा कि भी न तरगाड़ पाई ऐस तो तम रोि सपन दित रहो राढ़ो क

कि भी न होगा

रतदध को हटा दो िर सनत हो तो रस सनो तवचारो मत सनना काफी ह तवचारना राधा ह म तमस

यह नही कह रहा ह कक म िो कहता ह उस मान लो कयोकक वह मानना भी रतदध का ह मानना रतदध का न

मानना रतदध का सवीकार करना रतदध का असवीकार करना रतदध का म तमस यह नही कहता कक िो म तमस

कह रहा ह उस तम मान लो न म तमस कहता ह न मानो न कहता ह मानो म तो कहता ह तसफा सन लो

सोचो मत रतदध को कह दो त चप

तम मझ ऐस ही सनो िस अगर पकषी कोई गीत गाता हो उस सनत हो तर तो रतदध कोई काम नही कर

सकती यदयतप वहा भी थोड़ अपन हाथ फलाती ह थोड़ झपि मारती ह कहती ह रड़ा सदर ह कल सना था

वसा ही गीत ह यह कौन सा पकषी गा रहा ह थोड़-रहत हाथ मारती ह लककन जयादा नही कयोकक पकषी की

भािा तम नही समझत

म तमस कहता ह मरी भािा भी तम समझत मालम पड़त हो समझत नही कयोकक िो म रोल रहा ह

वही म रोल नही रहा ह िो म तमह कहता हआ सनाई पड़ रहा ह उसस कि जयादा तमह दना चाहता ह

शबदो क साथ-साथ शबदो की पोटतलयो म रहत शनय राधा ह सवरो क साथ-साथ उनक पीि-पीि रहत

सिाटा भी भिा ह िो कह रहा ह वही नही अनकहा भी कह हए क पीि-पीि तिपा आ रहा ह

तम अगर रतदध स ही सनोग तो िो मन कहा वही सनोग अनकह स वतचत रह िाओग िो कहा ही

नही िा सकता उसस तम वतचत रह िाओग राढ़ उसस आती ह दशय क साथ िो अदकय को राधा ह

परतीको क साथ उस रि कदया ह तिसका कोई परतीक नही शबदो की पोटतलयो म शनय को समहाला ह अगर

रतदध स सना पोटली हाथ लग िाएगी पोटली क भीतर िो था वह िो िाएगा उसी क तलए पोटली का

उपयोग था कटट िो िाएगा तवियवसत िो िाएगी कटनर िाली डबरा हाथ लग िाएगा तर राढ़ की सी

तसथतत मालम पड़गी

सनो सोचो मत सनो मानन न मानन की िररत ही नही ह म तमस कहता ह सनन स ही मति हो

सकती ह अगर तम मानन न मानन क िाल को िड़ा न करो कयोकक िस ही तमहार मन म सवाल उठा कक

ठीक ह मानन योगय ह या सवाल उठा ठीक नही ह मानन योगय नही ह िर तम कहत हो ठीक ह मानन

योगय ह तो तम कया कर रह हो तम यह कह रह हो मर अतीत स मल िाती ह रात मर तवचारो स

तालमल पड़ता ह मरी अतीत की शरदधा मानयताए तसदधात शासतर उनक अनकल ह तो तमन मझ कहा

सना तमन अपन अतीत को ही मझस पनाः-पनाः तसदध कर तलया यहा म तमहार अतीत को सही तसदध करन क

तलए नही ह

तो कफर राढ़ कस आएगी तिसको रहाना था राढ़ तिस ल िाती वह और मिरत हो गया या तमन

कहा कक नही रात िमती नही अपन शासतर क अनकल नही परततकल ह अपन तसदधातो क साथ नही रठता

तो तमन अपन को तोड़ ही तलया अलग िोड़त हो तो रतदध स तोड़त हो तो रतदध स यहा कि रात ही और

हो रही ह न िोड़न का सवाल ह न तोड़न का सवाल ह अगर रतदध रीच स हट िाए तो िोड़ कौन तोड़

कौन एक ही रचता ह िड़ कौन टट कौन

135

अगर रतदध हट िाए तो तम पाओग कक म तमहार भीतर वहा ह तम मर भीतर यहा हो तर म कि

ऐसा नही कह रहा ह िो मरा ह मरा कि भी नही ह करीर न कहा ह मरा मझम कि नही

िो म कह रहा ह उसम मरा कि भी नही ह िो म कह रहा ह वह तमहारा ही ह लककन तमन अपना

नही सना ह मन अपना सन तलया ह िो म तमस कह रहा ह िर तम पहचानोग तो तम पाओग यह तमहारी

ही आवाि थी यह तमहारा ही गीत था िो मन गनगनाया

यहा कोई शासतरो की तसदधातो की रात नही हो रही ह य सर तो रहान ह िरटया ह यहा तो शासतरो

तसदधातो क रहान कि दसरा ही िल हो रहा ह अगर तमन शबद ही सन और उन पर ही तवचार ककया--ठीक

ह या गलत मान कक न मान अपन अनकल पड़ता ह कक नही--तो तम मझस चक गए और िो मझस चका

वह िद स भी चका तम अपन स ही चक गए

अर तम पित हो अगर तमन अपना परशन ही गौर स दिा होता तो समझ म आ िाता

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ सी सावधान राढ़ सी स रचना राढ़ चातहए

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर-अनभव की सी सावधान यह झठा तसकका ह

मन क एक सवभाव को समझ लो तम िो चाहत हो मन उसकी परततमाए रना दता ह वह कहता ह

यह लो हातिर ह कदनभर तम भि रह रात सपना दित हो कक ससवाद भोिन कर रह हो मन कहता ह

कदनभर भि रह यह लो भोिन हातिर ह लककन रात तम ककतना ही ससवाद भोिन करो पट न भरगा

हालाकक नीद समहल िाएगी भि रहत तो नीद लगना मतककल होती सपन न कहा यह लो भोिन मि स

कर लो और सो िाओ तमन सपन म भोिन कर तलया सो गए

तमन कभी खयाल ककया नीद म पयास लगी ह गमी की रात ह शरीर न रहत पसीना िोड़ कदया ह

नीद म पयास लग गई ह अर डर ह अगर पयास रढ़ िाए तो नीद टट िाए तो मन कहता ह उठो उठ तम

सपन म गए रकफरिरटर क पास सपन म ही कोकाकोला पी तलया लौटकर अपन तरसतर पर सो गए तनजित

अर मन न धोिा द कदया पयास अपनी िगह ह न तम उठ न तम गए कही रस एक सवपन एक राढ़ सी--

कोकाकोला सा नीद समहल गई करवट लकर तम सोए रह सरह पता चलगा कक अर पयास रातभर पड़ रह

सवपन का काम ह तनिा की रकषा कही नीद टट न िाए तो सवपन का इतिाम ह सवपन सरकषा ह नीद को

नही टटन दता सर तरह स रचाता ह और धोिा पदा हो िाता ह कम स कम नीद म तो काम चल िाता ह

सरह िागोग तर पता चलगा तिस कदन िागोग उस कदन सोचोग राढ़ सी ककस धोि म रह ककस सपन म

िो गए

इन रातो का भरोसा मत करो इसस एक रात साफ ह कक िो भी म कहता ह तमहारी रतदध उसकी

िानरीन करती ह कफर तमहार भीतर िाता ह तमहारी रतदध पहरदार की तरह िड़ी ह िो म कहता ह रतदध

पहल परीकषण करती ह उसका कफर भीतर िान दती ह परीकषण ही कर तो भी ठीक ह उसका रग-रप भी

रदल दती ह अतीत क अनकल रना दती ह रतदध यानी तमहारा अतीत िो तमन अर तक िाना ह अनभव

ककया ह पढ़ा ह सना ह उस सरका सगरह तो तमस कोई नई रात कही ही नही िा सकती और म तमस नई

ही रात करन की तिदद ककए रठा ह

136

तम वही सन सकत हो िो पराना ह म तमस वही कहन की तिदद ककए रठा ह कक िो नया ह िो

तनतनतन ह वही सनातन ह िो परततपल नया ह वही सनातन ह िो कभी पराना नही हो सकता वही परातन

ह लककन तमहारी रतदध वहा रठी ह अपना सारा धल िमाए हए ह कोई भी चीि आती ह रतदध उसक रग

को रदल दती ह तर तम सन पात हो पर वह सनना धोिा हो गया कफर राढ़ की सी तसथतत रनती ह वही

तयारी चक गई

म तमस कहता ह इसी कषण घटना घट सकती ह यकद तम तयार हो तयार का कया अथा तयार का

इतना ही अथा अगर तम अपनी रतदध को ककनार रि दन को तयार हो अगर तम कहत हो ठीक ह हो िाए

साकषातकार सीधा-सीधा

आए हमार कदल म कदल स ही तमलाएग

यह रीच म भतमका राधन क तलए रतदध न होगी पररचय करवान क तलए रतदध न होगी तो अभी इसी

घड़ी घटना घट सकती ह

धमा क तलए ठहरन की कोई िररत ही नही उसका कल स कि लना-दना नही आि हो सकता ह धमा

सदा नगद ह उधार नही कल का कोई आशवासन नही दता म तमह अभी हो सकता ह इसी कषण हो सकता ह

कल का तो तमह व ही आशवासन दत ह िो तमहारी रतदध को ही अपील कर रह ह तमहारी रतदध को ही तनमतरण

द रह ह मन तमहारी रतदध को कोई तनमतरण नही कदया ह तमह रलाया ह तिस कदन भी तम आओग रतदध को

अलग रिकर ककनार हटाकर उसी कषण तमलन सभव ह

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

तम यहा रठ हो म यहा रठा ह--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

अगर तमन मझस रात की चक अगर तमन मझ दिा पाया यहा म तमस रोल भी रहा ह और यहा ह

भी रोलना तसफा रहाना ह रोलना तो तसफा तमह रलाना ह रोलना तो तसफा यह ह कक िाली तम न रठ

सकोग मर पास इतनी दर रोि-रोि िाली रठन को तम न आ सकोग उतनी समझ की तमस अपकषा नही

अगर म चप हो िाऊगा तम धीर-धीर िटत चल िाओग तम कहोग िाली ही वहा रठना ह तो अपन घर ही

रठ लग घर भी तम न रठोग कयोकक तम कहोग िाली रठन स कया सार इतना समय तो धन म रपातररत

हो सकता ह कि कमा लग कि कर लग

म तमस रोल रहा ह ताकक तमह उलझाए रि ऐस ही िस िोटा रचचा ऊधम कर रहा हो तिलौना द

दत ह तिलौन स िलता रहता ह उतनी दर कम स कम शात रहता ह तमस रात करता ह शबद तो तिलौन

ह थोड़ी दर तम िलत रहो शायद िलन म मन तललीन हो िाए ठहर िाओ तम थोड़ी दर मर पास शायद

तम आि उठाकर दिो और म तमह कदिाई पड़ िाऊ असली सवाल वही ह असली काम वही ह उसी कषण

असली काम शर होगा तिस कदन तम मझ दिोग

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

137

कर तक तम मझस रात करत रहोग दिो अर और तयारी का कोई अथा नही ह रात होती ह रतदध स

दिना होता ह हदय स िर तम दित हो तो आिो क पीि हदय आ िाता ह िर तम रात करत हो तो

आिो क पीि रतदध आ िाती ह रतदध यानी तमहार तवचार करन का यतर हदय यानी तमहार परम करन का

यतर दिना एक परम की घटना ह और अगर परम स नही दिा तो कया िाक दिा िर आि स परम उडलता हो

तभी दिना घटता ह

म तमहार सामन भी ह तमस रात भी कर रहा ह अर यह तमहार ऊपर ह तम अपन स पि लो--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

रात तम करत रहो िनमो-िनमो तक रात स रात तनकलती रहगी रात म करता रहगा रात करन म

कही कोई अड़चन ह रात स सरल कही कोई और रात ह लककन यह तसफा रहाना था रहाना था कक शायद

इसी रीच ककसी कदन तिलौनो स िलत-िलत तम आि उठाकर दि लो तिलौनो म उलझ होन क कारण मन

तो तिलौनो म उलझा रह िाए और तमहारी आि मझ तमल िाए रतदध शबदो म उलझी तो उलझी रह कभी

ककसी कषण म रधर तमल िाए थोड़ी िगह तमल िाए और तम झाककर मरी तरफ दि लो उसी कषण घटना घट

सकती ह म दन को तयार ह तम तिस कदन लन को तयार होओग

चौथा परशनाः

कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

तसतारो स आग य कसा िहा ह

वो कया इकक क राकी इमतहा ह

पिो मत चलो पिना भी रतदध की होतशयारी ह परम क मागा पर भी रतदध पिती ह कहा ल चल हो

और परम क मागा पर रतदध चल नही सकती और रतदध अगर पिती रह तो तमह भी न चलन दगी कभी तो

इतना साहस करो कक चलो चलत ह पिग नही यही तो परम का लकषण ह

अगर मझस परम ह तो पिन की कोई िररत नही चल पड़ो पिना परम क अभाव का दयोतक ह पहल

स सर पकका कर लना ह--कहा िा रह ह कयो िा रह ह कया परयोिन ह अपना कोई लाभ ह नही ह कही

ल िान वाला अपना ही कोई लाभ तो नही दि रहा ह कही ल िान वाला धोिा तो नही द रहा ह रतदध

आतमरकषा ह और परम आतमसमपाण दोनो साथ-साथ नही हो सकत

यही परम का आतिरी इमतहा ह आतिरी कक चल पड़ो और रतदध पर ककतन कदन भरोसा करक दि

तलया पहच कहा ककतना रतदध क साथ तहसार करक कदि तलया मतिल कही आती तो कदिाई पड़ती नही

झलक भी नही तमलती कफर भी इस पर भरोसा ककए िा रह हो

ठीक-ठीक रतदधमान आदमी अपनी रतदध पर सदह करन लगता ह वह रतदध की पराकाषठा ह िर अपनी

रतदध पर सदह आता ह आना चातहए तसफा रदधओ को अपनी रतदध पर सदह नही आता ककतन कदन स चलत

हो उसी क साथ कहा पहच हो कफर भी भरोसा उसी पर ह

तिस कदन भी तमह यह कदिाई पड़ िाएगा उसी कदन िीवन म एक नया मागा िलता ह एक नया दवार

िलता ह वह हमशा पास ही था कोई रहत दर न था रतदध हदय म फासला ही ककतना ह वह पास ही था

138

अर भी पास ह लककन िर तक तम रतदध की ही सन िाओग पि चल िाओग यह पिना आशवसत होन की

चषटा ह कस म तमह आशवसत कर कि भी म कह वह मरा ही कहना होगा तमहारा अनभव न रन िाएगा

िर तक तमहारा अनभव न रन िाए तर तक मझ पर भरोसा कस आएगा

तो दो ही उपाय ह या तो तम िस चलत हो वस ही चलत रहो शायद कभी थकोग अनत िनमो क

राद ऊरोग होश आएगा तो कफर ककसी का हाथ पकड़ोग वह हाथ अभी भी उपलबध ह वह हाथ सदा

उपलबध रहगा उस हाथ का मझस या ककसी का कोई लना-दना नही ह वह हाथ तो परमातमा का ह वह

परमातमा का हाथ अनक हाथो म परतवषट हो िाता ह कभी रदध क हाथ म कभी मोहममद क हाथ म लककन

तमहारा हाथ उस पकड़गा तभी तो कि होगा और तम तभी पकड़ोग िर तम अजञात की यातरा पर िान को

तयार हो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

एक तो रताना मतककल ह कयोकक तमहारी भािा म उस िगत क तलए कोई शबद नही ह और रतान पर

भी तम भरोसा कस करोग पिो रदध स व कहत ह तनवााण पिो मीरा स वह कहती ह कषण रकठ कया

होता ह शबदो को सनन स मीरा क चारो तरफ िोिकर दिो तमह रकठ का कोई पता न चलगा कयोकक

रकठ तो मीरा क भीतर ह और िर तक वसा ही तमहार भीतर न हो िाए िर तक तम भी डरकी न लगा

लो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर तसतारो क आग य कसा िहा ह

तसतारो क आग का अथा ही यही होता ह--िहा तक कदिाई पड़ता ह उसक आग तसतारो का मतलर ह

िहा तक कदिाई पड़ता ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

इसका मतलर इतना ही ह कक कि कदिाई नही पड़ता य आि थक िाती ह इन आिो की सीमा आ

िाती ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

इकक का इमतहान कया ह वही िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी ककसी क ऊपर भरोसा िहा नही

कदिाई पड़ता वहा भी शरदधा िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी चलन का साहस

तम तिस सदह कहत हो गौर स िोिना कही वह तसफा कायरता तो नही ह कही डर तो नही ह कही

भय तो नही ह कक कही लट न तलए िाए कही ऐसा तो नही ह कक कस पकका कर कौन लटरा ह कौन

मागादशाक ह

लककन इसकी कफकर िोड़ो पहल यह सोचो तमहार पास लट िान को ह भी कया तम पहल ही लट

चक हो ससार स रड़ा और लटरा अर तमह कहा तमलगा ससार न तो रतती-रतती पाई-पाई भी लट तलया ह

एक तसफर हो एक शनयमातर रह गए हो आकड़ा तो एक भी नही रचा ह भीतर कि भी नही ह पास कफर

भी डर हो कक कही लट न िाओ

यह िो तम पित हो--कहा ल चल हो रता दो मसाकफर यह भय क कारण कायरता क कारण साहस

की कमी क कारण लककन तम िहा भी चलत रह हो अर तक अगर वहा स ऊर गए हो तो अर ितरा कया

139

ह ककसी नए मागा को िोिकर दि लो असली सवाल साहस का ह साधारणताः लोग सोचत ह शरदधाल लोग

डरपोक ह कायर ह और म तमस कहता ह शरदधा इस िगत म सरस रड़ा दससाहस ह

ऐसा हआ कक ततबरत का एक फकीर अपन गर क पास गया गर की रड़ी खयातत थी और यह फकीर

रड़ा शरदधाल था और गर िो भी कहता सदा मानन को तयार था इसकी परततषठा रढ़न लगी और तशषयो को

पीड़ा हई उनहोन एक कदन इसस िटकारा पान क तलए--एक पहाड़ी क ऊपर रठ थ--इसस कहा कक अगर तमह

गर म परी शरदधा ह तो कद िाओ तो वह कद गया उनहोन तो पकका माना कक हआ ितम नीच िाकर दिा तो

वह पदमासन म रठा था और ऐसा सौदया और ऐसी सगध उनहोन कभी ककसी वयति क पास न दिी थी िो

उसक चारो तरफ ररस रही थी व तो रड़ हरान हए सोचा सयोग ह

सदह जयादा स जयादा सयोग तक पहच सकता ह कक सयोग की रात ह कक रच गया कोई कफकर नही

एक मकान म आग लगी थी उनहोन कहा कक चल िाओ अगर गर पर परा भरोसा ह तशषयो न ही वह चला

गया भीतर मकान तो िलकर राि हो गया िर व भीतर गए तो आशा थी कक वह भी िलकर राि हो चका

होगा वह तो वहा ऐस रठा था िल म कमलवत आग न िआ ही नही उनहोन सनी थी अर तक य रात कक

ऐस लोग भी हए ह--िल म कमलवत पानी म होत ह और पानी नही िता आि िो दिा वह अदभत

चमतकार था आग म था और आग न भी न िआ पानी न िए समझ म आता ह

अर सयोग कहना िरा मतककल मालम पड़ा गर क पास य िरर पहची गर को भी भरोसा न आया

कयोकक गर िद ही इतनी शरदधा का आदमी न था गर न सोचा कक सयोग ही हो सकता ह कयोकक मर नाम स

हो िाए अभी तो मझ ही भरोसा नही कक अगर म िलत मकान म िाऊ तो रचकर लौटगा कक म कद पड

पहाड़ स और कोई हाथ मझ समहाल लग अजञात क तो गर न कहा कक दिग

एक कदन नदी क तट स सर गिरत थ गर न कहा कक तझ मझ पर इतना भरोसा ह कक आग म रच

गया पहाड़ म रच गया त नदी पर चल िा वह तशषय चल पड़ा नदी न उस न डराया वह नदी पर ऐसा

चला िस िमीन पर चल रहा हो गर को लगा कक तनतित ही मर नाम का चमतकार ह अहकार भयकर हो

गया कि था तो नही पास

तो उसन सोचा िर मरा नाम लकर कोई चल गया तो म तो चल ही िाऊगा वह चला पहल ही

कदम पर डरकी िा गया ककसी तरह रचाया गया उसन पिा कक यह मामला कया ह म िद डर गया वह

तशषय हसन लगा उसन कहा मझ आप पर शरदधा ह आपको अपन पर नही शरदधा रचाती ह

कभी-कभी ऐसा भी हआ ह कक तिन पर तमन शरदधा की उनम कि भी न था कफर भी शरदधा न रचाया

और कभी-कभी ऐसा भी हआ ह तिन पर तमन शरदधा न की उनक पास सर कि था लककन अशरदधा न डराया

ह कभी रदधो क पास भी लोग सदह करत रह और डर गए और कभी इस तरह क पाितडयो क पास भी लोगो

न शरदधा की और पहच गए

तो म तमस कहता ह गर नही पहचाता शरदधा पहचाती ह इसतलए म तमस कहता ह शरदधा ही गर ह

और िहा तमहारी शरदधा की आि पड़ िाए वही गर पदा हो िाए परमातमा नही पहचाता पराथाना पहचाती

ह और िहा हदयपवाक पराथाना हो िाए वही परमातमा मौिद हो िाता ह मकदर नही पहचात भाव पहचात

ह िहा भाव ह वहा मकदर ह

मत पिो कक कहा ल चला ह चलन की तहममत हो साथ हो िाओ चलन की तहममत न हो नाहक

समय िरार मत करो भाग िड़ होओ ऐस आदमी क पास नही रहना चातहए तिस पर भरोसा न हो कही

140

और िोिो शायद ककसी और पर भरोसा आ िाए कयोकक असली सवाल भरोस का ह ककस पर आता ह यह

रात गौण ह कौन िान ककसी और पर आ िाए तो कफर तमहारा मागा वही स हो िाएगा तिसक पास िाकर

तमह पिन का सवाल न उठ कक कहा ल चल हो चल पड़न को तयार हो िाओ अधर म िाता हो वह तो अधर

म और नका म िाता हो तो नका म िहा तमहार मन म य सदह और सवाल न उठत हो यही आतिरी मतिल

ह यही आतिरी इमतहा ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

और आतिरी इमतहान इकक का यही ह कक परम इतना अननय हो शरदधा इतनी अपवा हो कक शरदधा ही नाव

रन िाए कक परम ही रचा ल मागा नही पहचाता शरदधा पहचाती ह मतिल कही दर थोड़ ही ह तिसन परम

ककया उसन अपन भीतर पा ली

पाचवा परशनाः लीनता व भति क साधक को रदध क होश की और अपप दीपो भव की रातो क परतत कया

रि रिना चातहए

िररत कया ह तमह सभी क परतत रि रिन की िररत कया ह तम अपनी शरदधा का जरद चन लो शि

सर को भल िाओ तमह कोई सार रदधो क परतत शरदधा थोड़ ही रिनी ह एक पर तो रि लो सर पर रिन म

तो तम रड़ी झझट म पड़ िाओग एक पर ही इतनी मतककल ह सर पर तम कस रि सकोग तम एक मकदर

को तो मकदर रना लो सर मतसिद सर गरदवार सर तशवालय उनकी तम जचता म मत पड़ो कयोकक तिसका

एक मकदर मकदर रन गया वह एक कदन अचानक पा लता ह कक सभी मतसिदो म सभी गरदवारो म वही मकदर

ह एक तसदध हो िाए सर तसदध हो िाता ह

और अगर तमन यह चषटा की कक म सभी म शरदधा रि तमहार पास शरदधा इतनी कहा ह इतना राटोग

रतती-रतती शरदधा हो िाएगी अगर अललाह को पकारना हो तो पर पराणो स अललाह को ही पकार लो अलला

ईशवर तर नाम--इस तरह की रकवास म मत पड़ना कयोकक तर न तमहार राम म रल होगा और न तमहार

अललाह म रल होगा यह रािनीततक रातचीत हो सकती ह धमा का इसस कि लना-दना नही अललाह को

ही तम पररपणा पराणो स पकार लो तम अललाह म ही तिप राम को ककसी कदन पहचान लोग अललाह ही िर

परी तवरा और तीवरता स पकारा िाता ह तो राम भी तमल िात ह राम िर परी तवरा स पकारा िाता ह तो

अललाह भी तमल िाता ह कयोकक य सर नाम उसी क ह लककन तम रठकर इन सभी नामो की माला मत

रनाना

लीनता और भति क साधक को िररत ही कया ह रदध की रदध िान उनका काम िान लीनता और

भति का साधक लीनता और भति म डर ऐसी अड़चन कयो िड़ी करना चाहत हो

कयोकक धयान रिना मतिल एक ह मागा अनक ह तम अगर सभी मागो पर एक साथ चलना चाहो

पागल हो िाओग चलोग तो एक ही मागा पर यदयतप सभी मागा उसी मतिल पर पहचा दत ह लककन अगर

तमह ररई िाना हो तो तम एक ही मागा चनोग अगर तमन सभी मागा चन तलए तो दो कदम इस मागा पर

चलोग दो कदम उस मागा पर चलोग चार कदम ककसी और मागा पर चलोग तम पहचोग कस एक ही मागा

पर चलोग तो पहचोग

141

भि की दतनया अलग ह भि क दिन क ढग अलग ह भि क तौर-तरीक अलग ह भि की िीवन-

शली अलग ह साधक की िीवन-शली अलग ह साधक होश को साधता ह होश स ही मसती को पाता ह भि

मसती को साधता ह मसती स ही होश को पाता ह

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

भि की रड़ी अलग दतनया ह वह कहता ह हम तो िदा का नाम भी लग तो तरना पीए नही ल सकत

िदा का नाम ह कोई साधारण रात ह कक तरना पीए ल ल मसती म ही लग होश म िदा का नाम ल रात

िमती नही डरकर लग पागल होकर लग

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

भि कहता ह कक मरी िरान स य पाप म न कर सकगा

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

पीकर ही लगा नाचकर लगा मसती म सरारोर करक लगा होश स िदा का नाम तो रतदध पर ही

अटक िाएगा लड़िड़ात कदमो स लगा

पाव पड़ ककत क ककती--सहिो न कहा ह

झमत हए लग समहलकर और िदा का नाम वह नाम िदा का ही न रहा कफर भि की दतनया रड़ी

अलग ह

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

तरी कपा का कोई अत नही हम काह को िोटा मन कर तगन-तगनकर अपन पापो को कक यह भल की

वह भल की यह तो तर सरध म तशकायत हो िाएगी भि कहता ह हम अपनी भलो और पापो का तहसार

रि

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

परमातमा का हदय अगर रड़ा ह अगर परमातमा की करणा अपार ह तो हम अपन मन को कयो िोटा

कर

भि पाप-माप की कफकर नही करता इसका यह मतलर नही ह कक पाप करता ह भि परमातमा म

ऐसा लीन हो िाता ह कक पाप होत नही तिसन परमातमा को इतन हदय स याद ककया हो उसस पाप कस

होग

इस तम समझ लो भि पाप िोड़ता नही परमातमा को पकड़ता ह पाप िट िात ह साधक पाप

िोड़ता ह पाप क िटन स परमातमा को पाता ह साधक को चषटा करनी पड़ती ह रतती-रतती साधक सघिा ह

सकलप ह भि समपाण ह

भि कहता ह तरी करणा इतनी अपार ह कक हम कयो नाहक दीन हए िाए कक यह भल हो गई वह

भल हो गई त भी कही इन भलो की कफकर करगा हमारी भलो का त तहसार रिगा हम इतन िोट ह कक

रड़ी भल भी तो हमस नही होती

142

तमन कौन सी रड़ी भल की िरा सोचो और अगर परमातमा तहसार रिता हो तो परमातमा न हआ

कोई दकानदार हो गया तमहारी भल भी कया ह कया भल की ह तमन भि तो कहता ह अगर की भी

होगी तो तन ही करवायी होगी तरी कोई मिी रही होगी

भि तो यह कहता ह कक यह भी िर मिा ह तन ही रनाया िसा हम--अर हमस भल हो रही ह और

सिा हमको यह भी िर मिा ह यह भी िर रही रनाए त करवाए त फस िाए हम भि अपन को रीच म

नही लता वह कहता ह तरा काम त िान तन रनाया िसा रनाया िो करवाया वह हआ हम तर ह अर

त ही समझ भि का ढग और साधक कहता ह भल हो गयी एक-एक भल को काटना ह सधारना ह

तो तम अपना मागा चन लो एक दफा कफर रार-रार यह मत पिो कक मन भि का मागा चन तलया अर

म होश भी साधना चाहता ह कफर रात गलत हो िाएगी कक मन भि का मागा चन तलया अर मझ योगासन

भी करन ह नाचन वाल को कहा फसात योगासन करन की और कया मिा ह योगासन का तिसको नाचना आ

गया और नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह योगासन का अथा होता ह िहा हम उसस तमलकर एक हो

िाए नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह कयोकक नाच स रड़ा कहा कौन सा योग ह नतय महायोग ह पर

वह भि की रात ह

अगर भि का मागा चन तलया तो भलो रदध को भल िान स कोई अड़चन न होगी और रदध कि

नाराि न होग िर तम मतिल पर पहचोग उनका आशीवााद भी तमह तमलगा ही कक तम आ गए और मझ

िोड़कर भी आ गए लककन अगर रदध को चना ह तो कफर िोड़ दो भि की रात

कही ऐसा न हो कक य तमहार मन की तरकीर हो कक तम िो चनत हो वह करना नही ह तो दसर को

रीच म ल आत हो ताकक अड़चन िड़ी हो िाए दतवधा रन िाए दतवधा रन िाए तो कर कस

रदध को चन तलया पयाापत ह रदध ककसी की कोई िररत नही कफर मीरा और चतनय को भल िाओ

कफर कषण को रीच म लाओ ही मत रदध काफी ह यह इलाि पयाापत ह उनकी तचककतसा परी ह उसम ककसी

और को िोड़न की कोई िररत नही

लककन वह ढग और वह दतनया और वहा एक-एक भल को काटना ह होश को साधना ह सकलप को

परगाढ़ करना ह अपन को तनिारना ह शदध करना ह तम िर तनिर िाओग शदध हो िाओग तर परमातमा

तमम उतरगा

भि परमातमा को रला लता ह और कहता ह तम आ िाओ मझस तो कया तनिरगा मझस कया

सधरगा तम आ िाओग तमहारी मौिदगी ही तनिार दगी सधार दगी

दोनो तरह स लोग पहच ह मर तलए कोई चनाव नही ह दोनो तरलकल ठीक ह तम अपनी परकतत क

अनकल मागा को चन लो अगर तम समपाण कर सकत हो तो भति अगर तम समरपण न कर सकत हो

समपाण म तमहारा रस न हो अनकल न पड़ता हो तो कफर योग तप धयान

धयान उनक तलए िो परम म डरन स घरड़ात हो पराथाना उनक तलए िो परम म डरन को ततपर हो

धयान म तवचार को काटना ह परम म तवचार को समरपात करना ह दोनो तसथतत म तवचार चला िाता ह

धयानी काटता ह परमी परमातमा क चरणो म रि दता ह कक तम समहालो

आतिरी परशनाः

143

कल आए थ परभ मर घर

म सो रही थी रिरर

कौन स कमो क फल ह परमसागर

आप आए और म िड़ी रही राहर

िीवन िस-िस थोड़ा-थोड़ा झकगा िस-िस अहकार थोड़ा-थोड़ा गलगा वस-वस अधरी स अधरी रात

म भी उसकी तरितलया कौधनी शर हो िाती ह तम झक नही कक उसका आना शर हआ नही तमही राधा

हो तमही दीवाल रनकर िड़ हो तम तगर िाओ उसका िला आकाश सदा स ही मि ह

परमातमा दर नही ह तम अकड़ िड़ हो तमहारी अकड़ ही दरी ह तमहारा नर िाना तमहारा झक

िाना ही तनकटता हो िाएगी उपतनिद कहत ह परमातमा दर स दर और पास स भी पास ह दर िर तम

अकड़ िात हो दर िर तम पीठ कर लत हो दर िर तम तिदद कर लत हो कक ह ही नही दर िर तम कहत

हो म ही ह त नही ह पास िर तम कहत हो त ही ह म नही ह िर तम आि िोलत हो िर तम अपन

पातर को--अपन हदय क पातर को--उसक सामन फला दत हो तर तम भर िात हो हिार-हिार ििानो स

परभ तो रोि ही आ सकता ह आता ही ह उसक अततररि और कौन आएगा िर तम नही पहचानत

तर भी वही आता ह िर तम पहचान लत हो धनयभाग िर तम नही पहचानत तर भी उसक अततररि

और कोई न कभी आया ह न आएगा वही आता ह कयोकक सभी शकल उसी की ह सभी रप उसक सभी सवर

उसी क सभी आिो स वही झाका ह तो अगर कभी एक रार ऐसी परतीतत हो कक आगमन हआ ह तो उस

परतीतत को गहराना समहालना उस परतीतत को साधना सरतत रनाना और धीर-धीर कोतशश करो िो भी

आए उसम उसको पहचानन की

परानी कहावत ह अतततथ दवता ह अथा ह कक िो भी आए उसम परमातमा को पहचानन की चषटा िारी

रिनी चातहए चाह परमातमा हिार राधाए िड़ी कर तो भी तम धोि म मत आना परमातमा चाह गातलया

दता आए तो भी तम समझना कक वही ह तमतर म तो कदिाई पड़ ही शतर म भी कदिाई पड़ अपनो म तो

कदिाई पड़ ही परायो म भी कदिाई पड़ रात क अधर म ही नही कदन क उिाल म भी नीद और सपनो म ही

नही िागरण म भी अभी तम कली हो और तितन पदचाप तमह उसक सनाई पड़न लग उतनी ही पितड़या

तमहारी िलन लगगी

तमहारी पीड़ा म समझता ह कभी-कभी उसकी झलक तमलती ह और िो िाती ह कभी-कभी आता

पास लगता ह और पदधवतनया दर हो िाती ह लगता ह तमला तमला और कोई सतर हाथ स िट िाता ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

वह िो कली का रोना ह तससकना ह--

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

पर वह तमहारी सभी की हालत ह तससकत हए गच की हालत रोती हई कली की हालत और कली

तभी फल हो सकती ह िर अनत क पदचाप उस सनाई पड़न लग तम अपन तई फल न हो सकोग सरह िर

सरि उगता ह और सरि की ककरण नाच उठती ह आकर कली की तनकटता म सामीपय म--कली क ऊपर--िर

144

सरि की ककरणो क हलक-हलक पद कली पर पड़त ह तो कली तिलती ह फल रनती ह िर तक तमहार ऊपर

परमातमा क पदचाप न पड़न लग उसक सवर आकर आघात न करन लग तर तक तम कली की तरह ही

रहोग

और कली की पीड़ा यही ह कक तिल नही पाई िो हो सकता था वह नही हो पाया तनयतत परी न हो

यही सताप ह यही दि ह हर आदमी की पीड़ा यही ह कक वह िो होन को आया ह नही हो पा रहा ह लाि

उपाय कर रहा ह--गलत सही दौड़-धप कर रहा ह लककन पाता ह समय रीता िाता ह और िो होन को म

आया ह वह नही हो पा रहा ह और िर तक तम वही न हो िाओ िो तम होन को आए हो तर तक सतोि

असभव ह सवय होकर ही तमलता ह पररतोि

तो सनो परभ क पद िहा स भी सनाई पड़ िाए और धीर-धीर सर तरफ स सनाई पड़न लगग तिस

कदन हर घड़ी उसी का अनभव होन लग कक वही दवार पर िड़ा ह उस कषण फल हठात िल िाता ह वह िो

सगध तम अपन भीतर तलए हो अतभवयि हो िाती ह वही अनगरह ह उतसव ह अहोभाव ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

मझ मालम ह तमहारी सरकी हालत मझ मालम ह कयोकक वही हालत कभी मरी भी थी उस पीड़ा स

म गिरा हाः िर तम िोित हो सर तरफ कही सराग नही तमलता टटोलत हो सर तरफ और तचराग नही

तमलता और जिदगी परततपल रीती चली िाती ह हाथ स कषण तिसकत चल िात ह िीवन की धार रही

चली िाती ह--यह आई मौत यह आई मौत िीवन गया गया--और कि हो न पाए पता नही कया लकर आए

थ समझ म ही न आया पता नही कयो आए थ कयो भि गए थ कि परतीतत न हई गीत अनगाया रह गया

फल अनतिला रह गया

सनो उसकी आवाि और सभी आवाि उसकी ह सनन की कला चातहए गनो उस कयोकक सभी रप

उसी क ह गनन की कला चातहए िागत-सोत उठत-रठत एक ही समरण रह कक तम परमातमा स तघर हो

शर-शर म चक-चक िाएगा भल-भल िाएगा तवसमतत हो िाएगी पर अगर तम धाग को पकड़त ही रह तो

िसा रदध कहत ह तम फलो क ढर न रह िाओग वही सरतत का धागा तमहार फलो की माला रना दगा

और कफर म तमस कहता ह--कफर-कफर कहता ह--तिस कदन तमहारी माला तयार ह वह िद ही झक

आता ह वह अपनी गदान तमहारी माला म डाल दता ह कयोकक उस तक उसक तसर तक हमार हाथ तो न

पहच पाएग रस हमारी माला तयार हो वह िद हम तक पहच िाता ह

मनषय कभी परमातमा तक नही पहचता िर भी मनषय तयार होता ह परमातमा उसक पास आता ह

आि इतना ही

145

एस धममो सनतनो भाग 2

उिीसवा परवचन

िागरण का तल + परम की राती = परमातमा का परकाश

चदन तगर वातप उपपल अथ वतससकी

एतस गधिातान सीलगधो अनततरो 49

अपपमततो अय गधो या य तगरचदनी

यो च सीलवत गधो वातत दवस उततमो 50

तस सपिसीलान अपपमादतवहाररन

सममदा तवमततान मारो माग न जवदतत 51

यथा सकारधानजसम उतजझतजसम महापथ

पदम ततथ िायथ सतचगध मनोरम 52

एव सकारभतस अधभत पथजजन

अततरोचतत पाय सममासरदधसावको 53

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

तनिा ह दगध िाग िाना ह सगध िो िागा उसक भीतर न कवल परकाश क दीए िलन लगत ह वरन

सगध क फल भी तिलत ह और ऐसी सगध क िो कफर कभी मरझाती नही सकदया रीत िाती ह कलप आत ह

और तवदा हो िात ह लककन िीवन की सगध अतडग और तथर रनी रहती ह नाम भी शायद भल िाए कक

ककसकी सगध ह इततहास पर समतत की रिाए भी न रह िाए लककन सगध कफर भी िीवन क मि आकाश म

सदा रनी रहती ह

रदध पहल रदधपरि नही ह और न अततम उनक पहल रहत रदधपरि हए ह और उनक राद रहत

रदधपरि होत रह ह होत रहग लककन सभी रदधो की सगध एक ह सोए हए सभी आदतमयो की दगध एक ह

िाग हए सभी आदतमयो की सगध एक ह कयोकक सगध िागरण की ह कयोकक दगध तनिा की ह

रदध क य वचन अनठ कावय स भर ह कोई तो कतव होता ह शबदो का कोई कतव होता ह िीवन का

कोई तो गीत गाता ह कोई गीत होता ह रदध गीत ह उनस िो भी तनकला ह काश तम उनक िद को पकड़

लो तो तमहार िीवन म भी करातत हो िाए

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह कहा ह रदध न

146

चदन या तगर कमल या िही पर तमहारी सगध अगर मि हो िाए तो सर सगध फीकी ह कयोकक

मनषय पथवी का सरस रड़ा फल ह मनषय म पथवी न अपना सर कि दाव पर लगाया ह मनषय क साथ

पथवी न अपनी सारी आशाए राधी ह िस कोई मा अपन रट क साथ सारी आशाए राध ऐस पथवी न मनषय

की चतना क साथ रड़ सपन दि ह और िर भी कभी कोई एक वयति उस ऊचाई को उठता ह उस गहराई

को िता ह िहा पथवी क सपन पर हो िात ह तो सारी पथवी आनद-मगल का उतसव मनाती ह

कथाए ह रड़ी परीततकर िर रदध को रदधतव उपलबध हआ तो वन-परात म िहा व मौिद थ तनरिना

नदी क तट पर वकषो म रमौसम फल तिल गए अभी कोई ऋत न थी अभी कोई समय न था लककन िर रदध

का फल तिला तो रमौसम भी वकषो म फल तिल गए सवागत क तलए िररी था

िीवन इकिा ह हम अलग-थलग नही ह हम कोई दवीप नही ह महादवीप ह हम एक ही िीवन क तहसस

ह अगर हमार रीच स कोई एक भी ऊचाई पर उठता ह तो उसक साथ हम भी ऊच उठत ह और हमार रीच

स कोई एक भी नीच तगरता ह तो उसक साथ हम भी नीच तगरत ह तहटलर या मसोतलनी क साथ हम भी

रड़ी गहन दगध और पीड़ा का अनभव करत ह रदध और महावीर कषण और कराइसट क साथ हम भी उनक

पिो पर सवार हो िात ह हम भी उनक साथ आकाश का दशान कर लत ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो चदन की सगध आि ह कल नही होगी सरह तिलता ह फल साझ मरझा िाता ह तिला नही

कक मरझाना शर हो िाता ह इस िीवन म शाशवत तो कवल एक ही घटना ह वह ह तमहार भीतर चतनय की

धारा िो सदा-सदा रहगी एक रार तिल िाए तो कफर भीतर क फल कभी मरझात नही उनहोन मरझाना

िाना ही नही ह व कवल तिलना ही िानत ह और तिल िान क राद वापसी नही ह लौटना नही ह

ऊचाई पर तम िर पहचत हो तो वहा स वापस तगरना नही होता िो सीि तलया सीि तलया िो

िान तलया िान तलया िो हो गए हो गए उसक तवपरीत िान का उपाय नही ह िो तगर िाए ऊचाई स

समझना ऊचाई पर पहचा ही न था कयोकक ऊचाई स तगरन का कोई उपाय नही िो तमन िान तलया उस

तम भल न सकोग अगर भल िाओ तो िाना ही न होगा सन तलया होगा समरण कर तलया होगा कठसथ हो

गया होगा िीवन क साधारण फल आि ह कल नही चतनय का फल सदा ह

तो रहत राहर क फलो म मत भरम रहना भीतर क फल पर शति लगाना कर तक हसत और रोत

रहोग राहर क फलो क तलए फल तिलत ह हस लत हो फल मरझा िात ह राि हो िात ह रो लत हो

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

सारी दतनया को तम इन दो तहससो म राट द सकत हो

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

अर यह सपना और कर तक िीचना ह काफी िीच तलया ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सरह हो गई ह सरह सदा स ही रही ह ऐसा कभी हआ ही नही कक सरह न रही हो सरह होना ही

अतसततव का ढग ह अतसततव की शली ह वहा साझ कभी होती नही तम सो रह हो इसतलए रात मालम होती

147

इस थोड़ा समझ लो रात ह इसतलए सो रह हो ऐसा नही ह सो रह हो इसीतलए रात ह िो िागा

उसन सदा पाया कक सहर थी सरह थी िो सोया उसन समझा सदा कक रात ह तमहारी आि रद ह इसतलए

अधरा ह अतसततव परकाशवान ह अतसततव परकाश ह हिार-हिार सरि उग ह सर तरफ परकाश की राढ़ ह

परकाश की ही तरग तमस आकर टकरा रही ह लककन तम आि रद ककए हो िोटी सी पलक आि पर पड़ी हो

तो तवराट सरि ढक िाता ह िरा सी ककड़ी आि म आ िाए तो सारा ससार अधकार हो िाता ह

रस िोटी सी ही ककड़ी आि म पड़ गई ह िोटा सा ही धल का कण आि म पड़ गया ह उस अहकार

कहो अजञान कहो तनिा कहो परमाद कहो पाप कहो िो मिी हो वह नाम द दो रात कल इतनी ह और

िोटी ह कक तमहारी आि ककसी कारण स रद ह आि िली सरह हई--अर चौक सहर हो गई ह और त सो

रहा ह

और यह सहर सदा स ही रही ह कयोकक रदध पचचीस सौ साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह

कषण पाच हिार साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह िर भी कोई िागा उसन पाया कक सरह हो

गई ह

िो सोए ह व अभी भी सोए ह व हिारो विा और भी सोए रहग तमहार सोन म ही रात ह रात क

कारण तम नही सो रह हो सो रह हो इसीतलए रात ह सरह क कारण तम न िागोग कयोकक सरह तो सदा स

ह तम िागोग तो पाओग कक सरह ह

लोग पित ह परमातमा कहा ह पिना चातहए हमार पास आि कहा ह लोग पित ह परमातमा को

कहा िोि उनह पिना चातहए यह िोिन वाला कौन ह कौन िोि परमातमा को लोग पित ह हम

परमातमा पर भरोसा नही आता कयोकक िो कदिाई नही पड़ता उस हम कस मान उनह पिना चातहए कक

हमन अभी आि िोली ह या नही कयोकक रद आि कोई कस कदिाई पड़गा परमातमा दवार पर ही िड़ा ह

कयोकक िो भी ह वही ह अर चौक सहर हो गई ह परमातमा दवार पर ही िड़ा ह कभी दवार स कषणभर को

नही हटा ह कयोकक उसक अततररि कि ह ही नही

अतसततव सरह ह परभात ह सयोदय ह सवाल तमहारी आि क िल िान का ह और तमहारी आि िर

िलती ह तो ऐसी ही घटना घटती ह िस फल की पितड़या िल िाए तमहारी पलक पितड़या ह िस फल की

पितड़या िल िाए और सगध मि हो िाए

लककन िोट-िोट फल ह िही क तगर क रला क गलार क कमल क उनकी सामथया रड़ी िोटी ह

उनकी सीमा ह थोड़ी सी गध को लकर व चलत ह उस लटा दत ह ररि हो िात ह कफर तमिी म तगर िात

ह लककन तम कि ऐसी गध लकर चल हो तिसकी कोई सीमा नही तम अपनी रद म सागर लकर चल हो

तम अपन इस िोट स फल म असीम को लकर चल हो उस असीम को ही हमन आतमा कहा ह उस असीम को

ही हमन परमातमा कहा ह

तम कदिाई पड़त हो िोट तम िोट नही हो मन तो रहत िोिा िोटा मझ कोई तमला नही मन तो

रहत िाच-पड़ताल की सभी सीमाओ म असीम को तिपा पाया हर रद म सागर न रसरा ककया ह तिस कदन

तम तिलोग उस कदन तम पाओग तम नही तिल परमातमा तिला ह

इसतलए तो रदध कहत ह चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध

सवोततम ह

148

शील की सगध का अथा ह िाग हए आदमी क िीवन की सगध आि िल आदमी क िीवन की सगध

पररदध हई चतना क िीवन की सगध तिन फलो को तमन राहर दिा ह उनका तो तिलना कवल मौत की

िरर लाता ह तिला नही फल कक मरा नही इधर तिल उधर अथी रधन लगी

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया िरर थी तगयर मौत का पगाम ह

राहर तो िो फल ह उनका तिलना मरन की ही िरर ह मौत का पगाम ह वहा तो तिल कक मर

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया पता उस रचारी कली को कया पता उस नासमझ कली को कक यह तिलना तवदा होन का कषण ह

लककन तमहार भीतर का िो फल ह वह िर तिलता ह तो मतय नही अमत को उपलबध होता ह साधारण

फल तिलकर मरत ह तितनी दर न तिल उतनी दर ही रच वहा तो परा होना मरन क ररारर ह लककन

तमहार भीतर एक ऐसा फल ह िो तिलता ह तो अमत को उपलबध हो िाता ह

लककन धयान रिना िर म कहता ह तमहार भीतर एक ऐसा फल ह तो तम यह मत समझ लना कक म

कह रहा ह तम तमहार भीतर तम नही तम तो उसी तरह मरोग िस राहर की कली मरती ह कयोकक तम

भी तमस राहर हो तम भी तमस राहर हो

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

वसी घटना तमहार भीतर भी घटगी कयोकक तमहारा अहकार तो मरगा तमन अर तक िो िाना ह कक

तम हो वह तो मरगा इधर रदधतव का फल तिला उधर गौतम तसदधाथा तवदा हआ इधर महावीर का फल

तिला वहा वदधामान की अथी रधी

एक रहत मिदार घटना घटी एक िन मतन तचतरभान सयोग स एक रार मझ उनक साथ रोलन का

मौका तमला व रड़ परतसदध िन मतन थ मझस पहल रोल म उनक पीि रोला उनहोन महावीर का िनमकदन

था तो महावीर क िीवन पर रात की लककन मझ लगा महावीर क िीवन पर उनहोन एक भी रात नही की

वदधामान की चचाा की वदधामान महावीर क िनम का नाम था महावीर होन क पहल का नाम था िर तक

िाग न थ तर तक का नाम था कहा पदा हए ककस घर म पदा हए कौन मा कौन तपता ककतना रड़ा राजय

ककतन हाथी-घोड़ इसकी उनहोन चचाा की महावीर की तो रात ही न आई इस सरस कया लना-दना था ऐस

तो रहत रािकमार हए कौन उनकी याद करता ह

म िर रोला तो मन कहा कक म तो यहा महावीर पर रोलन आया ह वदधामान पर रोलन नही और मन

कहा वदधामान और महावीर तो दो अलग-अलग आदमी ह मतन तचतरभान करोध स िड़ हो गए उनहोन समझा

कक यह कौन नासमझ आ गया िो कहता ह वदधामान और महावीर अलग-अलग आदमी ह उनहोन िड़ होकर

कहा महानभाव मालम होता ह आपको कि भी पता नही ह महावीर और वदधामान एक ही आदमी ह म तो

हसा ही व िो हिारो लोग थ व भी हस

मन उनस कहा मतन महाराि िो आपक शरावक समझ गए वह भी आप नही समझ पा रह ह मन भी

नही कहा ह कक दो आदमी थ कफर भी म कहता ह कक दो आदमी थ वदधामान सोया हआ आदमी ह िर

वदधामान तवदा हो िाता ह तभी तो महावीर का आतवभााव होता ह या िर महावीर का आतवभााव होता ह

तर वदधामान की अथी रध िाती ह वदधामान की रात मत करो महावीर की रात अलग ही रात ह

149

तो तमहार भीतर भी कि तो मरगा तम मरोग िसा तमन अभी तक अपन को िाना ह नाम रप

पररवार परततषठा अर तक तमन अपन तितन तादातमय रनाए ह व तो मरग लककन उन सरक मर िान क

राद पहली रार तमहारी आि उसकी तरफ िलगी िो तमहार भीतर अमत ह उस अनाहत नाद को तम सनोग

पहली रार िर तमहारी आवाि और शोरगल रद हो िाएगा िर तम अपनी रकवास रद कर दोग िर

तमहार तवचार िा चक होग िर तमहारी भीड़ तवदा हो िाएगी तर अचानक तमहारा सिाटा रोलगा

तमहारा शनय अनाहत क नाद स गिगा िर तमहारी दगध िा चकी होगी तभी तमम परमातमा की सगध का

अवतरण होता ह वह तिपी ह पर तम मौका दो तर फट न तम िगह दो तर फल न कली की िाती पर तम

सवार होकर रठ हो पितड़यो को िलन नही दत

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो कयोकक चदन या िही तगर या कमल रप रग आकार क िगत क िल ह रप क ही सपन ह

रग क ही सपन ह तनराकार का फल तमहार भीतर तिल सकता ह कयोकक तनराकार का फल तभी तिलता ह

िर कोई चतनय को उपलबध हो तनराकार यानी चतनय आकार यानी तिा मचिाा

तिस कदन ससार िागगा उस कदन बरहम को पाएगा अगर तमिी का कण भी या पतथर का टकड़ा भी

िागगा तो अपन को िमा हआ चतनय पाएगा िो िागा उसन परमातमा को पाया िो सोया उसन पदाथा को

समझा पदाथा सोए हए आदमी की वयाखया ह परमातमा की परमातमा िाग हए आदमी का अनभव ह पदाथा

का पदाथा और परमातमा दो नही ह सोया हआ आदमी तिस पदाथा कहता ह िागा हआ आदमी उसी को

परमातमा िानता ह दो दतषटया ह िागा हआ आदमी तिस परमातमा िानता ह सोया हआ आदमी पदाथा

मानता ह दो दतषटया ह

शील की सगध सवोततम ह

कयोकक वसतताः वह परमातमा की सगध ह शील का कया अथा ह शील का अथा चररतर नही ह इस भद

को समझ लना िररी ह तो ही रदध की वयाखया म तम उतर सकोग

चररतर का अथा ह ऊपर स थोपा गया अनशासन शील का अथा ह भीतर स आई गगा चररतर का अथा ह

आदमी क दवारा रनाई गई नहर शील का अथा ह परमातमा क दवार स उतरी गगा चररतर का अरथ ह तिसका

तम आयोिन करत हो तिस तम समहालत हो तसदधात शासतर समाि तमह एक दतषट दत ह--ऐस उठो ऐस

रठो ऐस िीओ ऐसा करो तमह भी पकका पता नही ह कक तम िो कर रह हो वह ठीक ह या गलत अगर तम

गर-मासाहारी घर म पदा हए तो तम मास नही िात अगर तम मासाहारी घर म पदा हए तो मास िात हो

कयोकक िो घर की धारणा ह वही तमहारा चररतर रन िाती ह अगर तम रस म पदा हए तो तम मकदर न

िाओग मतसिद न िाओग तम कहोग परमातमा कहा ह परमातमा

राहल साकतयायन उिीस सौ िततीस म रस गए और उनहोन एक िोट सकल म--पराइमरी सकल म--एक

िोट रचच स िाकर पिा ईशवर ह उस रचच न कहा हआ करता था अर ह नही यजड ट री रट नो मोर ऐसा

पहल हआ करता था िर लोग अजञानी थ--करातत क पहल--उिीस सौ सतरह क पहल हआ करता था अर नही

ह ईशवर मर चका आदमी िर अजञानी था तर हआ करता था

िो हम सनत ह वह मान लत ह ससकार हमारा चररतर रन िाता ह पतिम म शरार पीना कोई

दिररतरता नही ह िोट-िोट रचच भी पी लत ह सहि ह परर म रड़ी दिररतर रात ह धारणा की रात ह

150

कल परसो ही म दि रहा था ियपरकाश नारायण क सवासथय की रलरटन रोि तनकलती ह वह म दि

रहा था तो उनहोन दो अड िाए कोई सोच भी नही सकता ककस भातत क सवोदयी ह अजहसा सवोदय

गाधी क मानन वाल अड लककन तरहार म चलता ह तरहारी ह कोई अड़चन की रात नही कोई िन सोच

भी नही सकता कक अजहसक और अड िा सकता ह लककन ियपरकाश को खयाल ही नही आया होगा गाधी

और तवनोरा क साथ जिदगी तरताई लककन अड नही िाना ह यह खयाल नही आया

एक कवकर कई विा पहल मर पास महमान हआ तो मन उसस सरह ही पिा कक चाय लग दध लग

कॉफी लग कया लग वह एकदम चौक गया िस मन कोई रड़ी ितरनाक रात कही हो उसन कहा कया आप

चाय दध कॉफी पीत ह िस मन कोई िन पीन का तनमतरण कदया हो मन पिा तम कोई गलती रात हई

उसन कहा म शाकाहारी ह दध म नही पी सकता

कयोकक कवकर मानत ह दध िन ह उनक मानन म भी रात तो ह कवकर अडा िात ह लककन दध नही

पीत कयोकक दध तो रि स ही रनता ह शरीर म सफद और लाल कण होत ह िन म मादा क शरीर स--चाह

गाय हो चाह सतरी हो--सफद कण अलग हो िात ह और दध रन िाता ह वह आधा िन ह

तो उसन इस तरह नाक-भौ तसकोड़ी कहा कक दध आप भी कया रात कर रह ह अडा व िा लत ह

कयोकक अडा व कहत ह कक िर तक अभी िीवन परगट नही हआ तर तक कोई पाप नही ह ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह इसतलए परगट और अपरगट का ही भद करना उतचत ह उनक तहसार स ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह

तमन एक फल िाया अगर तम न िात और फल रिा रहता सड़ िाता तो उसम कीड़ पड़त तो उसम

भी िीवन परगट हो िाता तो िर तक नही परगट हआ ह तर तक नही ह

मानयताओ की रात ह चररतर मानयताओ स रनता ह ससकार स रनता ह शील शील रड़ी अनठी रात

ह शील तमहारी मानयताओ और ससकारो स नही रनता शील तमहार धयान स िनमता ह इस फका को रहत

ठीक स समझ लो मानयता ससकार समाि ससकतत नीतत की धारणाए तवचार ह िो तवचार तमह कदए गए

ह व तमहार भीतर पकड़ गए ह

म िन घर म पदा हआ तो रचपन म मझ कभी राततर को भोिन करन का सवाल नही उठा कोई करता

ही न था घर म इसतलए रात ही नही थी म पहली दफा तपकतनक पर कि जहद तमतरो क साथ पहाड़ पर गया

उनहोन कदन म िाना रनान की कोई कफकर ही न की मझ अकल क तलए कोई जचता का कारण भी न था म

अपन तलए िोर द यह भी ठीक न मालम पड़ा

रात उनहोन भोिन रनाया कदनभर पहाड़ का चढ़ाव कदनभर की थकान भयकर मझ भि लगी और

रात उनहोन िाना रनाया उनक िान की गध वह मझ आि भी याद ह ऊपर-ऊपर मन हा-ना ककया कक

नही रात कस िाना िाऊगा लककन भीतर तो चाहा कक व समझा-रझाकर ककसी तरह तिला ही द उनहोन

समझा-रझाकर तिला भी कदया लककन मझ ततकषण वमन हो गया उलटी हो गई

उस कदन तो मन यही समझा कक रात का िाना इतना पापपणा ह इसीतलए उलटी हो गई लककन उनको

तो ककसी को भी न हई ससकार की रात थी कोई रात क िान स सरध न था कभी िाया न था और रात

िाना पाप ह वह धारणा तो ककसी तरह िा तो तलया लककन वह सर शरीर न फक कदया मन न राहर फक

कदया

151

शील स इन घटनाओ का कोई सरध नही ह मन की धारणाओ स सरध ह तम िो मानकर चलत हो

िो तमहार तवचार म रठ गया ह उसक अनकल चलना आचरण ह उसक परततकल चलना दराचरण ह

शील कया ह शील ह िर तमहार मन स सर तवचार समापत हो िात ह और तनरवाचार दशा उपलबध

होती ह शनयभाव रनता ह धयान लगता ह उस धयान की दशा म तमह िो ठीक मालम होता ह वही करना

शील ह और वसा शील सार िगत म एक सा होगा उसम कोई ससकार क भद नही होग समाि क भद नही

होग

चररतर जहद का अलग होगा मसलमान का अलग होगा ईसाई का अलग होगा िन का अलग होगा

तसकि का अलग होगा शील सभी का एक होगा शील वहा स आता ह िहा न जहद िाता न मसलमान िाता

न ईसाई िाता तमहारी गहनतम गहराई स अिती कवारी गहराई स िहा ककसी न कभी कोई सपशा नही

ककया िहा तम अभी भी परमातमा हो वहा स शील आता ह

िस अगर तम थोड़ी सी िमीन िोदो तो ऊपर-ऊपर िो पानी तमलगा वह तो पास की सड़को स रहती

हई नातलयो का पानी होगा िो िमीन न सोि तलया ह--चररतर चररतर होगा वह कफर तम गहरा कआ

िोदो इतना गहरा कआ िोदो िहा तक नातलयो का पानी िा ही नही सकता तर तमह िलसरोत तमलग व

सागर क ह तर तमह शदध िल तमलगा

अपन भीतर इतनी िदाई करनी ह कक तवचार समापत हो िाए तनरवाचार का तल तमल िाए वहा स

तमहार िीवन को िो जयोतत तमलगी वह शील की ह चररतर म कोई रड़ी सगध नही होती चररतर तो पलातसटक

क फल ह तचपका तलए ऊपर स सि-धि गएशगार कर तलया दसरो को कदिान क तलए अचि लककन

परमातमा क सामन काम न पड़ग शील ऐस फल ह िो तमन तचपकाए नही तमहार भीतर लग उग उमग

तमहार भीतर स आए तिनकी िड़ तमहार भीतर तिपी ह उनही फलो को तम परमातमा क सामन ल िान म

समथा हो सकोग िो समाि न कदया ह वह मौत िीन लगी कयोकक िो समाि न कदया ह वह िनम क राद

कदया ह उस तम मौत क आग न ल िा सकोग िनम और मौत क रीच ही उसकी सभावना ह

लककन अगर शील का िनम हो िाए तो उसका अथा ह तमन वहा पाया अर िो िनम क पहल था िर

तम पदा भी न हए थ उस शदध चतनय स आ रहा ह अर मतय क आग भी ल िा सकोग िो िनम क पहल ह

वह मतय क राद भी साथ िाएगा शील को उपलबध कर लना इस िगत की सरस रड़ी करातत ह

न िान कौन ह गमराह कौन आगाह-मतिल ह

हिारो कारवा ह जिदगी की शाहराहो म

कौन ह गमराह--कौन भटका हआ ह कौन आगाह-मतिल ह--और कौन ह तिस मतिल का पता ह

हिारो यातरी दल ह जिदगी क रािपथ पर तम कस पहचानोग चररतर क धोि म मत आ िाना दिररतर को

तो िोड़ ही दना चररतरवान को भी िोड़ दना शीलवान को िोिना

ऐसा समझो एक सफी फकीर हि की यातरा को गया एक महीन का मागा था उस फकीर और उसक

तशषयो न तय ककया कक एक महीन उपवास रिग पाच-सात कदन ही रीत थ कक एक गाव म पहच कक गाव क

राहर ही आए थ कक गाव क लोगो न िरर की कक तमहारा एक भि गाव म रहता ह उसन अपना मकान

िमीन सर रच कदया गरीर आदमी ह तम आ रह हो तमहार सवागत क तलए उसन पर गाव को आमततरत

ककया ह भोिन क तलए सर रच कदया ह ताकक तमहारा ठीक स सवागत कर सक उसन रड़ तमषठान रनाए ह

152

फकीर क तशषयो न कहा यह कभी नही हो सकता हम उपवासी ह हमन एक महीन का उपवास रिा ह हमन

वरत तलया ह वरत नही टट सकता लककन फकीर कि भी न रोला

िर व गाव म आए और उस भि न उनका सवागत ककया और फकीर को भोिन क तलए तनमततरत ककया

तो वह भोिन करन रठ गया तशषय तो रड़ हरान हए कक यह ककस तरह का गर ह िरा स भोिन क पीि

वरत को तोड़ रहा ह भल गया कसम भल गया परततजञा कक एक महीन उपवास करग यह कया मामला ह

लककन िर गर न ही इकार नही ककया तो तशषय भी इकार न कर सक करना चाहत थ

समारोह परा हआ रात िर तवशराम को गए तो तशषयो न गर को घर तलया और कहा कक यह कया ह

कया आप भल गए या आप पततत हो गए

उस गर न कहा पागलो परम स रड़ी कही कोई तीथायातरा ह और इसन इतन परम स अपनी सर

िमीन-िायदाद रचकर सर लटाकर--गरीर आदमी ह--भोिन का आयोिन ककया उस इकार करना परमातमा

को ही इकार करना हो िाता कयोकक परम को इकार करना परमातमा को इकार करना ह रही उपवास की

रात तो कया कफकर ह सात कदन आग कर लग एक महीन का उपवास करना ह न एक महीन का उपवास

कर लग और अगर कोई दड तम सोचत हो तो दड भी िोड़ लो एक महीन दस कदन का कर लग िलदी कया

ह और म तमस कहता ह कक तमहारी यह अकड़ कक हमन वरत तलया ह और हम अर भोिन न कर सक ग

अहकार की अकड़ ह यह परम की और धमा की तवनमरता नही

यहा फका तमह समझ म आ सकता ह तशषयो का तो कवल चररतर ह गर का शील ह शील अपना

मातलक ह वह होश स पदा होता ह चररतर अपना मातलक नही ह वह अधानकरण स पदा होता ह िर कभी

तमह िीवन म कोई शीलवान आदमी तमल िाए तो समझ लना यही चरण पकड़ लन िस ह चररतरवान क

धोि म मत आ िाना कयोकक चररतरवान तो तसफा ऊपर-ऊपर ह भीतर तरलकल तवपरीत चल रहा ह

फका कस करोग चररतरवान को तम हमशा अकड़ा हआ पाओग कयोकक इतना कर रहा ह तो अहकार

मिरत होता ह चररतरवान को तम हमशा तना हआ पाओग तनाव स भरा पाओग कयोकक कर रहा ह कर

रहा ह कर रहा ह फल की अपकषा कर रहा ह शीलवान को तम हमशा तवशराम म पाओग शीलवान इसतलए

नही कर रहा ह कक आग कि तमलन को ह शीलवान इसतलए कर रहा ह कक करन म आनद ह शीलवान को

तम परफतललत पाओग शीलवान अपनी तपियाा की चचाा न करगा अपन उतसव क गीत गाएगा शीलवान

तमह आनकदत मालम पड़गा चररतरवान तमह रड़ा तना हआ और कषट झलता हआ मालम पड़गा रारीक ह

फासल लककन अगर तमन निर िोलकर रिी तो तमह करठनाई न होगी

चररतरवान क पास तमह दभ की दगध तमलगी शीलवान क पास तमह सरलता की सगध तमलगी

शीलवान को तम ऐसा पाओग िसा िोटा रालक चररतरवान को तम रड़ा तहसारी-ककतारी पाओग वह एक-

एक रात का तहसार रिगा गतणत म पकका पाओग परम म नही और िहा गतणत रहत पकका हो िाता ह वहा

परमातमा स दरी रहत हो िाती ह तम चररतरवान को तका यि पाओग वह िो भी करगा तका स ठीक ह

इसतलए करगा

शीलवान को तम तका यि न पाओग सहिसफता पाओग वह िो भी करगा वह उसकी सहि-सफरणा ह

ऐसा हआ शीलवान को तम परमातमा क हाथ म अपन को सौपा हआ पाओग चररतरवान को तम अपन ही

हाथो म तनयततरत पाओग चररतरवान म तनयतरण होगा अनशासन होगा शीलवान म सवातषय होगा मति

होगी और सगध और दगध का फका होगा

153

दिररतर तो होना ही नही चररतरवान भी मत होना अगर होना ही ह तो शीलवान होना चररतर ह

ऊपर स थोपा गया--आरोपण शील ह भीतर स आई हई िीवन-धारा भीतर स आया हआ रोध

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

शील िोट रचच िसा ह िोट रचचो को कफर स गौर स दिना रहत कम लोग उनह गौर स दित ह िोट

रचचो को ठीक स पहचानना कयोकक वही सतो की भी पहचान रनगी तमन कभी कोई िोटा रचचा दिा िो

करप हो सभी िोट रचच सदर होत ह सभी िोट रचचो म िीवन का आहलाद होता ह एक सरलता होती ह--

गतणतशनय तहसार स मि एक परवाह होता ह

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

अगर तम अपन रचपन को याद करोग तो तमह य वचन समझ म आ िाएग य वचन तो कह गए ह

अदम क तलए कक अदम को िर सवगा क रगीच स तनकाल कदया गया तनकाला कयो गया तनकाला इसतलए

गया कक उसन रचपन िो कदया उसन सरलता िो दी तनदोिता िो दी उसन जञान क वकष का फल चि

तलया वह समझदार हो गया

अर य रड़ी मि की कहानी ह ईसाइयो की इसस अनठी कहानी दतनया क इततहास म दसरी नही

अदम को इसतलए तनकाला गया कक वह जञानी हो गया थोड़ा सोचो हम तो सोचत ह जञातनयो को वापस ल

तलया िाएगा अदम िर तक सरल था तर तक तो सवगा क रगीच म रहा और िर समझदार हो गया--

समझदार यानी िर वह चालाक हो गया िर उसन जञान क वकष का फल चि तलया--उस कषण परमातमा न

उस राहर कर कदया

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

और आदमी ईसाइयत कहती ह तर स रचन ह उसी की गली को कफर िोि रहा ह लककन यह िोि

तभी परी हो सकती ह िर जञान को तम वमन कर दो िर तम अपन पातडतय को फक दो कड़-करकट क ढर

पर िर तम कफर स सरल हो िाओ िर तम कफर रालक की भातत हो िाओ सततव म पनाः रचच का शील आ

िाता ह रचच की सगध आ िाती ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

यह शील की सगध तमहार मतसतषक का तहसार-ककतार नही तमहार हदय म िला हआ दीया ह तमहार

हदय म िली जयोतत ह

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

मत सोचो कदल स िो राह तमलती ह वही परमातमा की राह ह सोचा तो भटकोग उस राह पर थोड़ा

चलकर दिो उस राह पर चलत ही तमह लगगा मकदर क तशिर कदिाई पड़न लग मकदर की घरटयो का सवर

सनाई पड़न लगा मकदर म िलती धप की सगध तमहार नासापटो को भरन लगी

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

अजञात की राह तमहार तसर स नही तमलती तमहार कदल स तमलती ह

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

154

सोचो मत तिसन सोचा उसन गवाया कयोकक िर तम सोचन लगत हो तर तम मतसतषक म आ िात

हो परम करो भाव स भरो रो लना भी रहतर ह सोचन स नाच लना रहतर ह सोचन स आस टपका लना

रहतर ह सोचन स िो भी हदय स उठ वह रहतर ह वह शरषठ ह और िस-िस तमहारा थोड़ा सरध रनगा

तम तनतित ही िान लोग कक उसी राह स परमातमा आता ह जञान की राह स नही तनदोि भाव की राह स

आता ह

तगर और चदन की िो यह गध फलती ह वह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम गध दवलोको म भी फल िाती ह दवताओ म भी फल िाती ह

इस थोड़ा समझ तगर चदन की िो गध ह अलपमातर ह कषणिीवी ह हवा का एक झोका उस उड़ा ल

िाएगा िलदी ही िो िाएगी इस तवराट म कफर कही िोि न तमलगी एक सपना हो िाएगी एक अफवाह

मालम पड़गी पता नही थी भी या नही थी लककन शीलवतो की िो सगध ह वह उततम गध दवताओ म भी

फल िाती ह

मन सना ह एक सतरी मितलया रचकर अपन घर वापस लौटती थी नगर क राहर तनकलती थी कक

उसकी एक परानी सहली तमल गई िो एक मातलन थी उसन कहा आि रात मर घर रक िा रहत कदन स

साथ भी नही हआ रहत रात भी करन को ह वह रक गई मातलन न यह सोचकर कक परानी सिी ह ऐसी

िगह उसका तरसतर लगाया िहा राहर स रला की सगध भरपर आती थी लककन मिली रचन वाली औरत

करवट रदलन लगी रला की सगध की आदत नही आधी रात हो गई तो मातलन न पिा रहन त सो नही

पाती कि अड़चन ह उसन कहा कि और अड़चन नही मरी टोकरी मझ वापस द दो और थोड़ा पानी उस

पर तिड़क दो कयोकक मितलयो की गध क तरना म सो न सकगी रला की सगध मझ रड़ी तकलीफ द रही ह

रड़ी ति ह

मातलन को तो भरोसा न आया मितलयो की गध गध कहना ही ठीक नही उस दगध ह लककन उसन

पानी तिड़का उसकी टोकरी पर कपड़ क टकड़ पर--तिन पर मितलया राधकर वह रच आई थी उसन उस

अपन तसर क पास रि तलया िलदी ही उस घरााट आन लग वह गहरी नीद म िो गई

तल ह रहत रदध कहत ह दवताओ को भी पथवी पर रहन वालो को ही नही सवगा म रहन वालो को भी

शील की गध आती ह शायद पथवी पर रहन वालो की तो वसी ही हालत हो िाए िसी मिली रचन वाली

औरत की हो गई थी

रदध को लोगो न पतथर मार उनह दगध आई होगी सगध न आई होगी महावीर को लोगो न सताया

उनह सगध न आई होगी अनयथा पित िीसस को सली पर लटका कदया अर और कया चाहत हो िातहर ह

रात कक हम कोई ऐसी रसती क रहन वाल ह िहा मितलयो की दगध हम सगध मालम होन लगी ह िहा हम

िीसस को सली पर लटका दत ह िहा हम सकरात को िहर तपला दत ह िहा रदधो को हम पतथर मारत ह

महावीरो का अपमान करत ह हम उनकी सगध सगध नही मालम पड़ती ह हम भयभीत हो िात ह उनका

होना हम डगमगा दता ह उनक होन म रगावत मालम पड़ती ह उनकी शवास-शवास म तविोह क सवर मालम

होत ह लककन दवताओ को उनकी गध आती ह

महावीर क िीवन म रड़ा पयारा उललि ह कथा ही होगी लककन कथा भी रड़ी रहमलय ह और साथाक

ह और कभी-कभी कथाओ क सतय िीवन क सतयो स भी रड़ सतय होत ह कहत ह कक महावीर न िर पहली

दफा अपनी उदघोिणा की अपन सतय की तो दवताओ क तसवाय कोई भी सनन न आया आत भी कस कोई

155

और उदघोिणा इतनी ऊची थी उसकी गध ऐसी थी कक कवल दवता ही पकड़ पाए होग अगर कही कोई

दवता ह तो तनतित ही वही सनन आए होग कफर दवताओ न महावीर को समझाया-रझाया कक आप कि इस

ढग स कह कक मनषय भी समझ सक आप कि मनषय की भािा म कह मतलर यही कक मनषय की टोकरी पर

थोड़ा पानी तिड़क मनषय की टोकरी उसक पास रि द तो ही शायद वह पहचान पाए

कोई भी नही िानता कक महावीर की पहली उदघोिणा म पहल सरोधन म महावीर न कया कहा था

वही शदधतम धमा रहा होगा लककन उसक आधार पर तो िन धमा नही रना िन धमा तो रना तर िर

महावीर कि ऐसा रोल िो आदमी की समझ म आ िाए वह महावीर का अतरतम नही हो सकता

रदध तो चप ही रह गए िर उनह जञान हआ उनहोन कहा रोलना कफिल ह कौन समझगा यह गध

राटनी वयथा ह यहा कोई गध क पारिी ही नही ह हम राटग सोना लोग समझग पीतल हम दग हीर लोग

समझग ककड़-पतथर फक आएग रदध तो सात कदन चप रह गए

कफर कथा कहती ह कक सवगा क दवता उतर िद बरहमा उतर रदध क चरणो म तसर रिा और कहा कक

ऐसी अनठी घटना कभी-कभार घटती ह सकदयो म आप कह कोई समझ या न समझ आप कह शायद कोई

समझ ही ल शायद कोई थोड़ा ही समझ एक ककरण भी ककसी की समझ म आ िाए तो भी रहत ह कयोकक

ककरण क सहार कोई सरि तक िा सकता ह

रदध कहत ह तगर या चदन की यह िो गध ह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम दवलोको तक फल िाती ह

इस सगध को शबद दन करठन ह यह सगध कोई पारथाव घटना नही ह तम इस तौल न सकोग न ही

तम इस गठररयो म राध सकोग न ही तम इस शासतरो म समा सकोग न ही तम इसक तसदधात रना सकोग

यह सगध अपारथाव ह यह तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो की आिो म झाकन म समथा हो िात ह यह

तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो क हदयो म डरन म समथा हो िात ह यह तो कवल उनही को तमलती

ह िो तमटन को रािी ह िो िोन को रािी ह इस सगध को पाना रड़ा सौदा ह कवल िआरी ही इसको पा

पात ह

होता ह राि-इकको-महबरत इनही स फाश

आि िरा नही ह मगर रिरा नही

रदध की आिो म िो झाकगा तो रदध की आि िरान तो नही ह कक रोल द लककन व रिरा भी नही

ह रोलती ह िो रदध की आिो क दीय को समझगा िो रदध की आिो क दीय क पास अपन रझ दीयो को ल

आएगा िो रदध की शनयता म अपनी शनयता को तमला दगा िो रदध क साथ होन को रािी होगा--अजञात की

यातरा पर िान को--कवल उसी क अतरपट उस गध स भर िाएग कवल वही उस गध का मातलक हो पाएगा

व िो शीलवान अपरमाद म तवहार करन वाल समयक जञान दवारा तवमि हो गए ह उनकी राह म मार

नही आता ह

और तिसन भी शील को पा तलया अपरमाद को पा तलया समयक जञान को पा तलया--एक ही रात ह--

उसकी राह म कफर वासना का दवता मार नही आता ह िो िाग गया उस कफर मार क दवता स मलाकात

नही होती उसकी तो कफर परमातमा स ही मलाकात होती ह िो सोया ह उसकी घड़ी-घड़ी मलाकात वासना

क दवता स ही होती ह

156

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगधयि सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रहत रात ह इस सतर म पहली तो रात यह ह कक कमल कीचड़ स तिलता ह कड़-करकट क ढर स

तनकलता ह कमल कीचड़ म तिपा ह कमल तो पदा करना ह लककन कीचड़ क दकमन मत हो िाना नही तो

कमल कभी पदा न हो पाएगा

समझो तिस तमन करोध कहा ह वही ह कीचड़ और तिस तमन करणा िानी ह वही ह कमल और

तिस तमन कामवासना कहा ह वही ह कीचड़ और तिसको तमन बरहमचया िाना ह वही ह कमल काम क

कीचड़ स ही राम का कमल तिलता ह करोध क कीचड़ स ही करणा क फल तिलत ह

िीवन एक कला ह और िीवन उनही का ह िो उस कला को सीि ल भगोड़ो क तलए नही ह िीवन

और न नासमझो क तलए ह तम कही भल म मत पड़ िाना तमहार तथाकतथत साध-सनयासी तमह िो

समझात ह िलदी मत मान लना कयोकक व कहत ह कक हटाओ करोध को व कहत ह हटाओ काम को म तमस

कहता ह रदलो हटाओ मत रपातररत करो टरासफामा करो करोध ऊिाा ह उस काट दोग तो करणा पदा न

होगी तम तसफा शतिहीन नपसक हो िाओग काम ऊिाा ह उस अगर काट दोग तो तम तनवीया हो िाओग

रदलो रपातररत करो उसम महाधन तिपा ह तम कही फक मत दना कीचड़ समझकर फक मत दना कमल

भी तिपा ह हालाकक कीचड़ को ही कमल मत समझ लना

दतनया म दो तरह क लोग ह रड़ी ितरनाक दतनया ह एक तो व लोग ह िो कहत ह कीचड़ को

हटाओ कयोकक कहा कीचड़ को ढो रह हो काटो कामवासना को तोड़ो करोध को िला दो इकियो को एक तो

य लोग ह इनहोन काफी हातन की ससार की इनहोन मनषय को गररमा स शनय कर कदया इनहोन मनषय का

सारा गौरव नषट कर कदया दीन-हीन कर कदया मनषय को कयोकक उसी कीचड़ म तिप थ कमल

कफर दसरी तरह क लोग भी ह अगर उनस कहो कीचड़ म कमल तिपा ह फको मत कीचड़ को रदलो

तो व कहत ह तरलकल ठीक कफर व कीचड़ को ही जसहासन पर तवरािमान कर लत ह कफर व उसी की पिा

करत ह व कहत ह तमही न तो कहा था कक कीचड़ म कमल तिपा ह अर हम कीचड़ की पिा कर रह ह

य दोनो ही ितरनाक लोग ह कीचड़ म कमल तिपा ह न तो कीचड़ को फकना ह न कीचड़ की पिा

करनी ह कीचड़ स कमल को तनकालना ह कीचड़ स कमल को राहर लाना ह िो तिपा ह उस परगट करना

ह इन दो अततयो स रचना य दोनो अततया एक िसी ह कआ नही तो िाई कही रीच म िड़ होन क तलए

िगह िोिनी ह कोई सतलन चातहए

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल

तो पहली तो रात यह ह कक कमल तिलता ही कीचड़ म ह इसका रड़ा गहरा अथा हआ इसका अथा

हआ कक कीचड़ तसफा कीचड़ ही नही ह कमल की सभावना भी ह तो गहरी आि स दिना तो तम कीचड़ म

तिपा हआ कमल पाओग कीचड़ तसफा वतामान ही नही ह भतवषय भी ह गौर स दिना तम भतवषय क कमल

को झाकत हए पाओग तिपा ह इसतलए तिनक पास पनी आि ह उनही को कदिाई पड़गा

कीचड़ की पिा भी नही करना कीचड़ का उपयोग करना कीचड़ को मातलक मत रन िान दना कीचड़

को सवक ही रहन दना मातलक तमही रहना तो ही कमल तनकल पाएगा कयोकक तमहारी मालककयत रह तो

ही कमल को तम कीचड़ क राहर िीच पाओग तम अगर ऊधवागमन पर िात हो अगर तम ऊपर की तरफ

यातरा कर रह हो तो ही कीचड़ का कमल भी ऊपर की तरफ तमहार साथ िा सकगा तम कीचड़ म ही डरकी

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लगाकर मत रठ िाना नही तो कमल ककसक सहार िाएगा तमही को तो कमल की डडी रनना ह पर रह

कीचड़ म तसर रह आकाश म तो तम कीचड़ स कमल को राहर तनकाल पाओग पर रह िमीन पर तसर रह

आकाश म चलना िमीन पर उड़ना परमातमा म और इन दोनो क रीच अगर तालमल रना लो तो तमहार

भीतर एक अनठा कमल तिलगा

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रदध अपन तशषय को शरावक कहत ह शरावक का अथा ह तिसन रदध को सना शरवण ककया रदध को तो

रहत लोगो न सना सभी शरावक नही ह कान स ही तिनहोन सना व शरावक नही ह तिनहोन पराण स सना व

शरावक ह तिनहोन ऐस सना कक सनन म ही करातत घरटत हो गई तिनहोन ऐस सना कक रदध का सतय उनका

सतय हो गया शरदधा क कारण नही सनन की तीवरता और गहनता क कारण शरदधा क कारण नही मान तलया

ऐसा नही पर सना इतन पराणपण स सना इतनी पररपणाता स सना अपन को परा िोलकर कक रदध क शबद

कवल शबद ही न रह तनाःशबद भी उनम चला आया रदध क शबद ही भीतर न आए उन शबदो म तलपटी रदधतव

की गध भी भीतर आ गई

और धयान रिना िर रदध रोलत ह तर शबद तो वही होत ह िो तम रोलत हो लककन िमीन-

आसमान का फका ह शबद तो वही होत ह लककन रदध म डरकर आत ह सरारोर होत ह रदधतव म उन शबदो

म स रदधतव झरता ह अगर तमन रदध क शबदो को अपन पराण म िगह दी तो उनक साथ ही साथ रदधतव का

रीि भी तमहार भीतर आरोतपत हो िाता ह रदध न उनको शरावक कहा ह तिनहोन ऐस सना

और रदध कहत ह समयक सरदधो का शरावक सामानयिनो क कड़-करकट की भीड़ म कमल की तरह तिल

िाता ह अलग हो िाता ह रहता ससार म ह कफर भी पार हो िाता ह कमल होता कीचड़ म ह कफर भी दर

हो िाता ह उठता िाता ह दर तभि हो िाता ह

कमल और कीचड़ ककतना फासला ह कफर भी कमल कीचड़ स ही आता ह तमहार रीच ही अगर ककसी

न रदधतव को अपन पराणो म आरोतपत कर तलया रदध क रीि को अपन भीतर िान कदया अपन हदय म िगह

दी सीचा पाला पोसा सरकषा की तो तमहार ठीक रीच रािार क घर पर ढर पर उसका कमल तिल

आएगा

एक ही रात खयाल रिनी िररी ह ऊपर की तरफ िान को मत भलना नीच की तरफ िो ल िाता ह

वह ह कामवासना कीचड़ ऊपर की तरफ िो ल िाता ह वही ह परम वही ह पराथाना काम को परम म रदलो

काम का अथा ह दसर स सि तमल सकता ह ऐसी धारणा परम का अथा ह ककसी स सि नही तमल

सकता और न कोई तमह दि द सकता ह इसतलए दसर स लन का तो कोई सवाल ही नही ह काम मागता ह

दसर स काम तभिारी ह काम ह तभकषा का पातर परम ह इस रात की समझ कक दसर स न कि कभी तमला ह

न तमलगा यह दसर क सामन तभकषा क पातर को मत फलाओ परम ह तमहार भीतर िो ह उस राटो और दो

काम ह मागना परम ह दान िो तमहार िीवन की सपदा ह उस तम द दो उस तम राट दो िस सगध राटता

ह फल ऐस तम परम को राट दो तो तमहार िीवन म शील का िनम होगा राटोग तो तम पाओग तितना

राटत हो उतनी रढ़ती िाती ह सपदा तितना लटात हो सामराजय रड़ा होता िाता ह

कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इस जिदगी क राहर कदिाई पड़न वाल सामराजय और समराट तो ढलती-कफरती िाव ह

158

कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इकक ही एक िातरदा दौलत ह इसानो क पास

दौलत एक ह धन एक ह सपततत एक ह राकी तो ढलती-कफरती िाव ह इकक ही ह एक िातरदा

दौलत--परम ही एकमातर सपदा ह काम ह तभिारीपन और परम ह सपदा काम स पदा होगा अशील और परम स

पदा होता ह शील तो तमहारा िीवन एक परम का दीया रन िाए

और धयान रिना परम का दीया तभी रन सकता ह िर तम रहत िागकर िीओ िागन का तल हो परम

की राती हो तो परमातमा का परकाश फलता ह और तर िहा अधरा पाया था वहा रोशनी हो िाती ह िहा

काट पाए थ वहा फल हो िात ह िहा ससार दिा था वहा तनवााण हो िाता ह िहा पदाथा क तसवाय कभी

कि न तमला था वही परमातमा का हदय धड़कता हआ तमलन लगता ह

िीसस न कहा ह उठाओ पतथर और तम मझ तिपा हआ पाओग तोड़ो चिान और तम मझ तिपा हआ

पाओग

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

िहा पहल कारागह था हमन ऐस भी इकलार दि ऐसी कराततया दिी कक िहा कारागह था वही

अपना तनवास रना घर रना यह ससार ही तिसको तमन अभी कारागह समझा ह अभी कारागह ह ससार

कारागह ह ऐसा नही तमहार दिन क ढग अभी नासमझी क ह अधर क ह

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

रदध महावीर कषण ऐस ही इकलार ह िहा तमन तसफा कारागह पाया और ििीर पायी वही उनहोन

अपना घर भी रना तलया िहा तमन तसफा कीचड़ पाई वही उनक कमल तिल और िहा तमह अधकार क

तसवाय कभी कि न तमला वहा उनहोन हिार-हिार सरि िला तलए

म तमस कफर कहता ह--

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सहर सदा स ही ह सरह सदा स ही ह तमहार सोन की विह स रात मालम हो रही ह और िागना

तरलकल तमहार हाथ म ह कोई दसरा तमह िगा न सकगा तमन ही सोन की तिदद ठान रिी हो तो कोई तमह

िगा न सकगा तम िागना चाहो तो िरा सा इशारा काफी ह

रदधपरि इशारा कर सकत ह चलना तमह ह िागना तमह ह अगर अपनी दगध स अभी तक नही

घरड़ा गए तो रात और अगर अपनी दगध स घरड़ा गए हो तो तिलन दो फल को अर

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

आि इतना ही

159

एस धममो सनतनो भाग 2

रीसवा परवचन

परम की आतिरी मतिलाः रदधो स परम

पहला परशनाः तिन तभकषओ न रदध की मरताया रनायी और रदध-वचन क शासतर तलि कया उनहोन रदध की

आजञा मानी कया व उनक आजञाकारी तशषय थ

रदध की आजञा तो उनहोन नही मानी लककन मनषय पर रड़ी करणा की और रदध की आजञा तोड़न िसी

थी िहा मनषय की करणा का सवाल आ िाए ऐस उनहोन रदध की आजञा तोड़कर भी रदध की आजञा ही मानी

कयोकक रदध की सारी तशकषा करणा की ह

इस थोड़ा समझना पड़गा

रदध न कहा मरी मरताया मत रनाना तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन रदध की आजञा तोड़ी लककन

रदध न यह भी कहा कक िो धयान को उपलबध होगा समातध तिसक िीवन म तिलगी उसक िीवन म करणा

की विाा भी होगी तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन करणा क कारण रनायी रदध क चरण-तचहन िो न

िाए और रदध क चरण-तचहनो की िाया अनत काल तक रनी रह

कि रात ही ऐसी थी कक तिस आदमी न कहा मरी मरताया मत रनाना हमन अगर उसकी मरताया न

रनाई होती तो रड़ी भल हो िाती तिनहोन कहा था हमारी मरताया रनाना उनकी हम िोड़ भी दत न

रनात चलता रदध न कहा था मरी पिा मत करना अगर हमन रदध की पिा न की होती तो हम रड़ चक

िात

यह सौभागय की घड़ी कभी-कभी सकदयो म आती ह िर कोई ऐसा आदमी पदा होता ह िो कह मरी

पिा मत करना यही पिा क योगय ह िो कहता ह मरी मरता मत रनाना यही मरता रनान क योगय ह सार

िगत क मकदर इसी को समरपात हो िान चातहए

रदध न कहा मर वचनो को मत पकड़ना कयोकक िो मन कहा ह उस िीवन म उतार लो दीय की चचाा

स कया होगा दीय को समहालो शासतर मत रनाना अपन को िगाना लककन तिस आदमी न ऐसी रात कही

अगर इसका एक-एक वचन तलि न तलया गया होता तो मनषयता सदा क तलए दररि रह िाती कौन तमह

याद कदलाता कौन तमह रताता कक कभी कोई ऐसा भी आदमी हआ था तिसन कहा था मर शबदो को अतगन म

डाल दना और मर शासतरो को िलाकर राि कर दना कयोकक म चाहता ह िो मन कहा ह वह तमहार भीतर

िीए ककतारो म नही लककन यह कौन तलिता

तो तनतित ही तिनहोन मरताया रनायी रदध की आजञा तोड़ी लककन म तमस कहता ह उनहोन ठीक ही

ककया रदध की आजञा तोड़ दन िसी थी नही कक रदध न िो कहा था वह गलत था रदध न िो कहा था

तरलकल सही कहा था रदध स गलत कहा कस िा सकता ह रदध न तरलकल सही कहा था मरी मरताया मत

रनाना कयोकक कही मरतायो म तम मझ न भल िाओ कही मरतायो म म िो न िाऊ कही मरताया इतनी

जयादा न हो िाए कक म दर िाऊ तम सीध ही मझ दिना

लककन हम इतन अध ह कक सीध तो हम दि ही न पाएग हम तो टटोलग टटोलकर ही शायद हम

थोड़ा सपशा हो िाए टटोलन क तलए मरताया िररी ह मरतायो स ही हम रासता रनाएग हम उस परम तशिर

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को तो दि ही न सक ग िो रदध क िीवन म परगट हआ वह तो रहत दर ह हमस आकाश क रादलो म िोया ह

वह तशिर उस तक हमारी आि न उठ पाएगी हम तो रदध क चरण भी दि ल िो िमीन पर ह तो भी

रहत उनही क सहार शायद हम रदध क तशिर पर भी कभी पहच िाए इसकी आशा हो सकती ह

तो म तमस कहता ह तिनहोन आजञा तोड़ी उनहोन ही आजञा मानी तिनहोन वचनो को समहालकर रिा

उनहोन ही रदध को समझा लककन तमह रहत िरटलता होगी कयोकक तका रतदध तो रड़ी नासमझ ह

ऐसा हआ एक यवक मर पास आता था ककसी तवशवतवदयालय म अधयापक था रहत कदन मरी रात

सनी रहत कदन मर सतसग म रहा एक रात आधी रात आया और कहा िो तमन कहा था वह म परा कर

चका मन अपन सर वद उपतनिद गीता कए म डाल दी मन उसस कहा पागल मन वद-उपतनिद को

पकड़ना मत इतना ही कहा था कए म डाल आना यह मन न कहा था यह तन कया ककया

वद-उपतनिद को न पकड़ो तो ही वद-उपतनिद समझ म आत ह वद- उपतनिद को समझन की कला

यही ह कक उनको पकड़ मत लना उनको तसर पर मत ढो लना उनको समझना समझ मि करती ह समझ

उसस भी मि कर दती ह तिसको तमन समझा कए म कयो फक आया और त सोचता ह कक तन कोई रड़ी

करातत की म नही सोचता कयोकक अगर वद-उपतनिद वयथा थ तो आधी रात म कए तक ढोन की भी कया

िररत थी िहा पड़ थ पड़ रहन दता कए म फकन वही िाता ह तिसन तसर पर रहत कदन तक समहालकर

रिा हो कए म फकन म भी आसति का ही पता चलता ह तम उसी स घणा करत हो तिस स तमन परम ककया

हो तम उसी को िोड़कर भागत हो तिसस तम रध थ

एक सनयासी मर पास आया और उसन कहा मन पतनी-रचच सरका तयाग कर कदया मन उसस पिा व

तर थ कर तयाग तो उसका होता ह िो अपना हो पतनी तरी थी सात चककर लगा तलए थ आग क आसपास

उसस तरी हो गई थी रचच तर थ पहली तो भल वही हो गई कक तन उनह अपना माना और कफर दसरी भल

यह हो गई कक उनको िोड़कर भागा िोड़ा वही िा सकता ह िो अपना मान तलया गया हो रात कल इतनी

ह इतना ही िान लना ह कक अपना कोई भी नही ह िोड़कर कया भागना ह िोड़कर भागना तो भल की ही

पनरति ह

तिनहोन िाना उनहोन कि भी िोड़ा नही तिनहोन िाना उनहोन कि भी पकड़ा नही तिनहोन िाना

उनह िोड़ना नही पड़ता िट िाता ह कयोकक िर कदिाई पड़ता ह कक पकड़न को यहा कि भी नही ह तो

मिी िल िाती ह

रदध की मतय हई--तर तक तो ककसी न रदध का शासतर तलिा न था य धममपद क वचन तर तक तलि न

गय थ--तो रौदध तभकषओ का सघ इकिा हआ तिनको याद हो व उस दोहरा द ताकक तलि तलया िाए

रड़ जञानी तभकष थ समातधसथ तभकष थ लककन उनहोन तो कि भी याद न रिा था िररत ही न थी

समझ तलया रात परी हो गई थी िो समझ तलया उसको याद थोड़ ही रिना पड़ता ह तो उनहोन कहा कक

हम कि कह तो सकत ह लककन वह रड़ी दर की धवतन होगी व ठीक-ठीक वही शबद न होग िो रदध क थ

उसम हम भी तमल गय ह वह हमार साथ इतना एक हो गया ह कक कहा हम कहा रदध फासला करना

मतककल ह

तो अजञातनयो स पिा कक तम कि कहो जञानी तो कहत ह कक मतककल ह तय करना हमारी समातध क

सागर म रदध क वचन िो गय अर हमन सना हमन कहा कक उनहोन कहा इसकी भद-रिा नही रही िर

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कोई सवय ही रदध हो िाता ह तो भद-रिा मतककल हो िाती ह कया अपना कया रदध का अजञातनयो स

पिो

अजञातनयो न कहा हमन सना तो था लककन समझा नही सना तो था लककन रात इतनी रड़ी थी कक

हम समहाल न सक सना तो था लककन हम स रड़ी थी घटना हमारी समतत म न समाई हम अवाक और चौक

रह गय घड़ी आई और रीत गई और हम िाली हाथ क िाली हाथ रह तो कि हम दोहरा तो सकत ह

लककन हम पकका नही कह सकत कक रदध न ऐसा ही कहा था रहत कि िट गया होगा और िो हमन समझा

था वही हम कहग िो उनहोन कहा था वह हम कस कहग

तो रड़ी करठनाई िड़ी हो गई अजञानी कह नही सकत कयोकक उनह भरोसा नही जञातनयो को भरोसा

ह लककन सीमा-रिाए िो गई ह

कफर ककसी न सझाया ककसी ऐस आदमी को िोिो िो दोनो क रीच म हो रदध क साथ रदध का

तनकटतम तशषय आनद चालीस विो तक रहा था लोगो न कहा आनद को पिो कयोकक न तो वह अभी रदधतव

को उपलबध हआ ह और न वह अजञानी ह वह दवार पर िड़ा ह इस पार ससार उस पार रदधतव चौिट पर

िड़ा ह दहली पर िड़ा ह और िलदी करो अगर वह दहली क पार हो गया तो उसकी भी सीमा-रिाए िो

िाएगी

आनद न िो दोहराया वही सगहीत हआ आनद की रड़ी करणा ह िगत पर अगर आनद न होता रदध

क वचन िो गय होत और रदध क वचन िो गय होत तो रदध का नाम भी िो गया होता

नही कक तम रदध क नाम या वचन स मि हो िाओग आग शबद स कभी कोई िला िल शबद स कभी

ककसी की ततपत हई लककन सराग तमलता ह राह िलती ह शायद तमम स कोई चल पड़ सरोवर की रात

सनकर ककसी की पयास साफ हो िाए कोई चल पड़ हिार सन कोई एक चल पड़ लाि सन कोई एक पहच

िाए उतना भी कया कम ह

तो तम पित हो तिनहोन रदध की मरताया रनायी कया उनहोन आजञा का उललघन ककया

तनतित ही आजञा का उललघन ककया करन योगय था अगर कही कोई अदालत हो तो म उनक पकष म

िड़ा होऊ म रदध क तिलाफ उनक पकष म िड़ा होऊ तिनहोन मरताया रनायी उनहोन सगमरमर क नाक-नकश

स थोड़ी सी िरर हम तक पहचा दी

रदध की मरता रनानी असभव ह कयोकक रदधतव अरप ह तनराकार ह रदध की तम कया परततमा

रनाओग कस रनाओग कोई उपाय नही ह लककन कफर भी अदभत मरताया रनी उन मरतायो को अगर कोई

गौर स दि तो मरताया कतिया ह तमहार भीतर कोई ताल िल िाएग गौर स दित-दित तमहार भीतर

कोई चारी लग िाएगी कोई दवार अचानक िल िाएगा

हमन सगमरमर म मरताया रनायी कयोकक सगमरमर पतथर भी ह और कोमल भी रदध पतथर िस

कठोर ह और फल िस कोमल तो हमन सगमरमर चना सगमरमर कठोर ह पर शीतल रदध पतथर िस

कठोर ह पर उन िसा शीतल उन िसा शात तम कहा पाओग हमन सगमरमर की मरताया चनी कयोकक रदध

िर िीतवत थ तर भी व ऐस ही शात रठ िात थ कक दर स दिकर शक होता कक आदमी ह या मरता

मन एक रड़ी परानी कहानी सनी ह एक रहत रड़ा मरताकार हआ उस मरताकार को एक ही भय था

सदा मौत का िर उसकी मौत करीर आन लगी तो उसन अपनी ही गयारह मरताया रना ली वह इतना रड़ा

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कलाकार था कक लोग कहत थ अगर वह ककसी की मरता रनाए तो पहचानना मतककल ह कक मल कौन ह मरता

कौन ह मरता इतनी िीवत होती थी

िर मौत न दवार पर दसतक दी तो वह अपनी ही गयारह मरतायो म तिपकर िड़ा हो गया शवास उसन

साध ली उतना ही फका था कक वह शवास लता मरताया शवास न लती उसन शवास रोक ली मौत भीतर आई

और रड़ भम म पड़ गई एक को लन आई थी यहा रारह एक िस लोग थ लककन मौत को धोिा दना इतना

आसान तो नही मौत न िोर स कहा और सर तो ठीक ह एक िरा सी भल रह गई वह तचतरकार रोला कौन

सी भल मौत न कहा यही कक तम अपन को न भल पाओग

लककन अगर रदध िड़ होत वहा तो उतनी भल भी न रह गई थी उतनी भी भल न रह गई थी अपनी

याद भी न रह गई थी अपना होना भी न रह गया था अगर रदध को तम ठीक स समझोग तो उनक

सवातभमान म भी तम तवनमरता को लहर लत दिोग उनक होन म भी तम न होन का सवाद पाओग

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही

िदी की लहर भी आई तो रिदी की तरह

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही--मरी अतसमता म मर सवातभमान म भी तवनमरता की ही शान

रही उसकी ही मतहमा क गीत चलत रह िदी की लहर भी आई--और कभी मन समझा भी कक म ह--िदी की

लहर भी आई तो रिदी की तरह इस तरह समझा कक िस नही ह

हमन सगमरमर म रदध को िोदा कभी रदध की परततमाओ क पास रठकर गौर स दिो यह पतथर म िो

िदा ह इसम रहत कि तिपा ह रदध की आि दिो रद ह रद आि कहती ह कक राहर िो कदिाई पड़ता

था अर वयथा हो गया अर भीतर दिना ह यातरा रदल गई अर राहर की तरफ नही िात ह अर भीतर की

तरफ िात ह िो कदिाई पड़ता था अर उसम रस नही रहा अर तो उसी को दिना ह िो दिता ह अर िषटा

की िोि शर हई दकय की नही मरता ऐसी तथर ह िरा भी कपन का पता नही चलता ऐस ही भीतर रदध की

चतना तथर हो गई ह तनषकप हो गई ह िस हवा का एक झोका भी न आए और दीय की लपट ठहर िाए

मरता म हमन यह सर िोदा मरता तो एक परतीक ह अगर तम उस परतीक का राि समझो तो दित-दित मरता

को तम भी मरता िस हो िाओग अचिा ही ककया तिनहोन रदध की आजञा न मानी

रदध तरलकल ठीक ही कहत थ कक मरता मत रनाना कयोकक म अमता ह आकार मत ढालना कयोकक म

तनराकार ह तम िो कि भी करोग गलत होगा सीमा होगी उसकी म असीम ह रदध तरलकल ठीक ही कहत

थ लककन यह रात दसर रदधो क तलए ठीक होगी तम सरका कया होता तम सरक तलए तो तनराकार की भी

िरर आएगी तो आकार स तमहार तलए तो तनगाण की भी िरर आएगी तो सगण स तम तो अनाहत नाद भी

सनोग तो भी आहत नाद स ही तम तो वही स चलोग न िहा तम हो िहा रदध ह वहा तो पहचना ह वहा स

तमहारी यातरा न हो सकगी

और रदध क वचन तिनहोन इकि ककय वस वचन पथवी पर रहत कम रोल गय ह िस वचन रदध क ह

िसी सीधी उनकी चोट ह और िस मनषय क हदय को रपातररत कर दन की कीतमया ह उनम वस वचन रहत

कम रोल गय ह िो सकत थ वचन और रहत रदध भी हए ह रदध क पहल उनक वचन िो गय ह उनक

तशषयो म कोई गहरा आजञाकारी न था ऐसा मालम होता ह रड़ा दभाागय हआ रड़ी हातन हई कौन िान

उनम स कौन सा वचन तमह िगान का कारण हो िाता तनतमतत रन िाता

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तो म दोनो रात कहता ह तिनहोन मरताया रनायी रदध क वचन तोड़ तिनहोन रदध क वचन इकि

ककय उनहोन रदध क वचन तोड़ लककन कफर भी म कहता ह कक उनहोन ठीक ही ककया अचिा ही ककया और

गहर म म िानता ह कक रदध भी उनस परसि ह कक उनहोन ऐसा ककया कयोकक रदध तो वही कहत ह िो व कह

सकत ह िो उनह कहना चातहए तशषय को तो और भी रहत सी रात सोचनी पड़ती ह रदध कया कहत ह वही

नही अधर म भटकत हए िो हिारो लोग आ रह ह उनका भी तवचार करना िररी ह

रदधो क पास एक परम का िनम होता ह यदयतप रदध कहत ह परम आसति ह लककन रदधो क पास परम

की आतिरी मतिल आती ह यदयतप रदध कहत ह मर परम म मत पड़ना पर कस रचोग ऐस आदमी स

तितना व कहत ह मर परम म मत पड़ना उतना ही उनक परतत परम उमगता ह उतना ही उनक परतत परम रहता

ह तितना व तमह समहालत ह उतना ही तम डगमगात हो करठन ह रहत रदध तमल िाए और परम म न

पड़ना करठन ह ठीक ही रदध कहत ह कक मर परम म मत पड़ना लककन रचना असभव ह

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

फररकत भी िहा तपघल िात ह िहा दवता भी िड़ हो तो परम म पड़ िाए

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

िर रदधो क पास कोई आता ह तो ऐस मकाम पर आ िाता ह कक--उनकी तशकषा ह कक परम म मत पड़ना-

-लककन उनका होना ऐसा ह कक हम परम म पड़ िात ह उनकी तशकषा ह कक हम पकड़ना मत पर कौन होगा

पतथर का हदय िो उनह िोड़ द

तो कफर करना कया ह कफर होगा कया होगा यही कक ऐस भी पकड़न क ढग ह तिनको पकड़ना नही

कहा िा सकता परम की ऐसी भी सरत ह तिनम आसति नही लगाव की ऐसी भी शतलया ह तिनम लगाव

नही परम म डरा भी िा सकता ह और परम क राहर भी रहा िा सकता ह म तमस कहता ह िस िल म

कमल ऐस रदध क पास रहना होता ह परम म पड़त भी ह और अपना दामन रचाकर चलत भी इस

तवरोधाभास को तिसन साध तलया वही रदधो क सतसग क योगय होता ह

इनम स दो म स तमन अगर एक को साधा अगर तम परम म पड़ गय िस कक कोई साधारण िगत क

परम म पड़ िाता ह तो परम रधन हो िाता ह तर रदध स तमहारा सरध तमन सोचा िड़ा रदध की तरफ स टट

गया तमन समझा तम पास रह रदध की तरफ स तम हिार-हिार मील दर हो गय अगर तमन सोचा कक

सरध रनाएग ही नही कयोकक सरध रधन रन िाता ह तो तम रदध क पास कदिाई पड़ोग लककन पास न

पहच पाओग तरना परम क कभी कोई पास आया

तो म तमस रड़ी उलझन की रात कह रहा ह परम भी करना और सावधान भी रहना परम भी करना

और परम की ििीर मत रनाना परम करना और परम का मकदर रनाना परम करना और परम को मति रनाना

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

रहत समहल-समहलकर सतसग होता ह सतसग का ितरा यही ह कक तम परम म पड़ सकत हो और

सतसग का यह भी ितरा ह कक परम स रचन क ही कारण तम दर भी रह सकत हो दर रहोग तो चकोग परम

रधन रन गया तो चक िाओग ऐसी मसीरत ह पर ऐसा ह कि करन का उपाय नही समहल-समहलकर

164

चलना ह इसतलए सतसग को िडग की धार कहा ह िस तलवार की धार पर कोई चलता हो--इधर तगर कआ

उधर तगर िाई

लीतिए हिरत समहतलए

रहत समहलकर चलन की रात ह

दसरा परशनाः चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

अधरा कदिाई पड़न लग तमटना शर हो िाता ह कयोकक न दिन म ही अधर क पराण ह

अगर कतवता की पतिया ही दोहरा दी हो तर तो रात दसरी अगर ऐसा अनभव म आना शर हो गया

हो--चारो ओर मर घोर अधरा अगर यह वचन उधार न हो सना-सनाया न हो ककसी और की थाली स

चराया न हो अगर इसका थोड़ा सवाद आया हो तो तिस अधरा कदिन लगा उस परकाश की पहचान आ गई

कयोकक तरना परकाश की पहचान क कोई अधर को भी दि नही सकता अधरा यानी कया िर तक तम परकाश

को न िानोग--भला एक ककरण सही भला एक िोटा सा रटमरटमाता तचराग सही--लककन रोशनी दिी हो तो

ही अधर को पहचान सकोग

यही तो घटता ह रदधपरिो क पास तम अपन अधर को लकर िर उनकी रोशनी क पास आत हो तर

तमह पहली रार पता चलता ह--चारो ओर मर घोर अधरा उसक पहल भी तम अधर म थ अधर म ही िनम

अधर म ही रड़ हए अधर म ही पल-पस अधरा ही भोिन अधरा ही ओढ़नी अधरा ही तरिौना अधरा ही

शवास अधरा ही हदय की धड़कन पहचानन का कोई उपाय न था

इसतलए शासतर सतसग की मतहमा गात ह और शासतर गर की मतहमा गात ह उस मतहमा का कल राि

इतना ह कक िर तक तम ककसी ऐस वयति क पास न आ िाओ िहा परकाश िलता हो िहा दीया िलता हो

तर तक तम अपन अधर को न पहचान पाओग तलना ही न होगी पहचान कस होगी तवपरीत चातहए

कटरासट चातहए तो कदिाई पड़ना शर होता ह और िर कदिाई पड़ना शर होता ह तर घरड़ाहट शर होती

ह तर िीवन एक रचनी हो िाता ह तर कही चन नही पड़ता उठत-रठत सोत-िागत काम करत न करत

सर तरफ भीतर एक खयाल रना रहता ह

चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

परीततकर ह रात अधर म परी सभावना ह कक दवार भल िाए अधर म दवार का पता कहा ह अधर म

तो दवार का सपना दिा ह दवार कहा लककन अगर इतनी याद रनी रह और इतनी पराथाना रनी रह और यह

भीतर सरतत समतत चलती रह--भल न िाऊ दवार तरा तो यही समतत धीर-धीर दवार रन िाती ह

दवार कही तमस राहर थोड़ ही ह दवार कही तमस तभि थोड़ ही ह दवार कोई ऐसी िगह थोड़ ही ह तिस

िोिना ह दवार तमस परगट होगा तमहार समरण स ही दवार रनगा तमहार साततय सतत चोट स ही दवार

रनगा तमहारी पराथाना ही तमहारा दवार रन िाएगी तिसको नानक सरतत कहत ह करीर सरतत कहत ह

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तिसको रदध न समतत कहा ह तिसको पतिम का एक रहत अदभत परि गरतिएफ सलफ ररमरररग कहता था-

-सवय की समतत सव समतत--वही तमहारा दवार रनगी

अधर की याद रिो भलन स अधरा रढ़ता ह याद रिन स घटता ह कयोकक याद का सवभाव ही

रोशनी का ह समतत का सवभाव ही परकाश का ह याद रिो--चारो ओर मर घोर अधरा इस कभी गीत की

कड़ी की तरह गनगनाना मत यह तमहारा मतर हो िाए शवास भीतर आए राहर िाए इसकी तमह याद रनी

रह इसकी याददाकत क माधयम स ही तम अधर स अलग होन लगोग कयोकक तिसकी तमह याद ह तिसको

तम दित हो िो दकय रन गया उसस तम अलग हो गय पथक हो गय

भल न िाऊ दवार तरा

भि गहन तवनमरता म िीता ह दवार तमल भी िाए तो भी वह यही कहगा भल न िाऊ दवार तरा

कयोकक वह िानता ह कक मर ककय तो कि होगा नही मर ककय तो सर अनककया हो िाता ह म तो भवन

रनाता ह तगर िात ह म तो योिना करता ह वयथा हो िाती ह म परर िाता ह पतिम पहच िाता ह

अचिा करता ह ररा हो िाता ह कि सोचता ह कि घटता ह मर ककय कि भी न होगा भि कहता ह त

ही अगर तरी कपा अगर ररसती रह तो ही कि सभव ह

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

रहत ही रकढ़या पति ह कयोकक एक रार अगर परभ न हाथ पकड़ तलया तो कफर िटता ही नही

कयोकक उसकी तरफ स एक रार पकड़ा गया सदा क तलए पकड़ा गया और एक रार तमहार हाथ को उसक

हाथ का सपशा आ िाए तो तम तम न रह वह हाथ ही थोड़ ही ह पारस ह ित ही लोहा सोना हो िाता ह

लककन तमह अथक टटोलत ही रहना पड़गा वह हाथ मफत नही तमलता ह वह हाथ उनही को तमलता ह

तिनहोन िर िोिा ह वह हाथ उनही को तमलता ह तिनहोन िोि की पराकाषठा कर दी वह हाथ उनही को

तमलता ह तिनहोन िोिन म कि भी रि न िोड़ा अगर तमन थोड़ी भी रचाई हई ह अपनी ताकत तो तम

चालाक हो तो तमहारी पराथाना वयथा िाएगी अगर तमन सर दाव पर लगा कदया तो तमहारी िीत तनतित ह

यह काम िआररयो का ह दकानदारो का नही धमा िआररयो का काम ह दकानदारो का नही तहसार-

ककतार मत रिना कक चलो दो पसा ताकत लगाकर दि एक आना ताकत लगाकर दि दो आना ताकत

लगाकर दि ऐस तहसार- ककतार स उसका हाथ तमहार हाथ म न आएगा कयोकक तमहारी रईमानी िातहर

ह िर तम अपन को परा दाव पर लगा दत हो--पीि कि िटता ही नही--िर तम सवय ही पर दाव पर रठ

िात हो उसी कषण हाथ हाथ म आ िाता ह उस कषण हाथ म न आए तो रड़ा अनयाय हो िाएगा वसा

अनयाय नही ह--दर ह अधर नही और दर भी तमहार कारण ह

यह कहावत तमन सनी ह--दर ह अधर नही लककन कहावत म लोग सोचत ह कक दर उसकी तरफ स

ह वही गलती ह दर तमहारी तरफ स ह तम तितनी दर चाहो लगा दो तम रमन स टटोल रह हो तम

टटोलत भी हो और डर हो कक कही तमल न िाए तम ऐस टटोलत भी हो और शककत हो कक कही हाथ हाथ म

आ ही न िाए कयोकक रड़ा ितरनाक हाथ ह कफर तम तम ही न हो सकोग उसक राद उसकी एक झलक

तमह राि कर िाएगी उसकी एक ककरण तमह सदा क तलए तमटा िाएगी तम िस हो वस न रचोग

हा तम िस होन चातहए वस रचोग िो तमहारा सवभाव ह रचन का िो कड़ा-करकट तमन अपन

चारो तरफ इकिा कर तलया ह पद का परततषठा का नाम का रप का वह सर िलकर राि हो िाएगा तो

166

तमहारी पराथाना--परमातमा स तमहारी पराथाना--रस एक ही हो सकती ह और वह पराथाना ह कक यह मरा िो

कड़ा-करकट ह तिसको मन समझा कक म ह इस तमटा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

तमहारी रस एक ही पराथाना हो सकती ह कक तम तफान क तलए पराथाना करो

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह--ककनारा कही कदिाई नही पड़ता सारी जिदगी का अनभव यही ह कक

ककनारा कही नही ह और कककती िरार--और नाव टटी-फटी अर डरी तर डरी म तो घरराकर दआ करता

ह तफा क तलए--तो म एक ही पराथाना करता ह कक परमातमा तफान भि द

िरा अपनी कककती को गौर स तो दिो िरा अपन चारो तरफ आि िोलकर दिो ककनार कहा ह

सपन दि ह तमन ककनारो क आशाए सिोई ह तमन ककनारो की ककनार ह कहा तम डरत हो आि उठान म

भी कक कही ऐसा न हो कक ककनारा सच म ही न हो तम आि झकाकर ककनारो की सोचत रहत हो कक आि

नही पहच कल पहच िाएग पहच िाएग एक रात तो तमन मान ही रिी ह कक ककनारा ह

म तमस कहता ह कक तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई भी ककनारा नही वह तटहीन उपिव ह

कोई ककनारा नही कभी कोई वहा ककनार पर नही पहचा न एलकिडर न नपोतलयन कभी कोई वहा ककनार

पर नही पहचा सभी रीच म ही डरकर मर िात ह कोई थोड़ा आग कोई थोड़ा पीि

लककन आग-पीि का भी कया मतलर ह िहा ककनारा न हो ककनारा होता तो कोई ककनार क पास

पहचकर डरता तो कहत थोड़ा आग हम रीच मझधार म डर िात तो कहत कक थोड़ पीि लककन सभी िगह

रीच मझधार ह रीच मझधार ही ह ककनारा नही ह

और कककती की तरफ तो दिो िरा थगड़ लगाए चल िात हो एक िद टटता ह भरत हो दसरा िल

िाता ह भरत हो पानी उलीचत रहत हो जिदगी इस टटी कककती क रचान म ही रीत िाती ह

िो िानत ह व तफान क तलए पराथाना करत ह व कहत ह परमातमा म िसा ह मझ तमटा ताकक म

वसा हो सक िसा तन चाहा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

और तमहार िीवन म अगर ऐसी पराथाना का परवश हो िाए--पराथाना यानी मतय की पराथाना--और कोई

पराथाना ह भी नही तमन पराथानाए की ह मझ भलीभातत पता ह तमहार मकदरो म मन तमहारी पराथानाए भी

सनी ह तमहारी मतसिदो म तमहार गरदवारो म तमहारी पराथानाए िदी पड़ी ह पतथर-पतथर पर तलिी ह

लककन तमन सदा पराथाना उसी जिदगी क तलए की तिसम कोई ककनारा नही ह और तमन सदा पराथाना उसी

कककती को सधार दन क तलए की िो न कभी सधरी ह न सधर सकती ह तमन कभी पराथाना अपन को डरा

दन क तलए न की तिसन की उसकी परी हो गई और िो डरन को रािी ह मझधार म ही ककनारा तमल

िाता ह

तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई ककनारा नही और तिसको म परमातमा कह रहा ह वह ककनारा

ही ककनारा ह वहा कोई मझधार नही दिन का ढग एक तो अहकार क माधयम स दिना ह--टटी कककती क

माधयम स--वहा डर ही डर ह मौत ही मौत ह और एक अहकार को हटाकर दिना ह वहा कोई मौत नही

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कोई डर नही कयोकक अहकार ही मरता ह तम नही तमहार भीतर तो शाशवत ह एस धममो सनतनो तमहार

भीतर तो अमत ह तमहार भीतर तो शाशवत तिपा ह सनातन तिपा ह

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

रस एक िोटी सी रात कक अहकार न रह िाए

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

िरा अपन स दर हो िाए िरा अपन को िोड़ द यह अपना होना िरा तमटा द

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

कफर तो हर कण-कण म परमातमा की मधशाला िल िाती ह कफर तो कण-कण म उसी की मधशाला

िल िाती ह कफर तो सभी तरफ उसी का परसाद उपलबध होन लगता ह रस िरा सी तरकीर ह तम िरा हट

िाओ तमहार और परमातमा क रीच म तमहार तसवाय और कोई भी नही

तीसरा परशनाः इस परवचनमाला म आपन कई रार कहा ह एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह और

आिया तो यह ह कक वह हर रार नय रप म आपक दवारा परगट हआ ह कया सनातन धमा एक ह या अनक

तो एक ह लककन उसक परततजरर अनक हो सकत ह रात परा चाद तनकलता ह सागरो म भी झलकता

ह सरोवरो म भी झलकता ह िोट-िोट डररो म भी झलकता ह--परततजरर रहत ह

सागर म रताकर भी मन तमस कहा एस धममो सनतनो िोट सरोवर म भी रताकर कहा एस धममो

सनतनो राह क ककनार विाा म भर गय डरर म भी रताकर कहा एस धममो सनतनो मन रहत रार कहा

रहत रप म कहा लककन व सर परततजरर ह और िो चाद ह वह तो कहा नही िा सकता इसतलए तम और

उलझन म पड़ोग

मन िर भी कहा एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह तभी परततजरर की रात कही ह परततजरर म

मत उलझ िाना इशारा ककया इशार को मत पकड़ लना और िो ह ऊपर वह िो चाद ह असली उसकी

तरफ कोई इशारा नही ककया िा सकता अगतलया वहा िोटी पड़ िाती ह शबद वहा काफी तसदध नही होत

और कफर उस चाद को दिना हो तो तमह गदान रड़ी ऊची उठानी पड़गी और तमहारी आदत िमीन म दिन

की हो गई ह तो तमह परततजरर ही रताए िा सकत ह

लककन अगर परततजरर कही तमहार िीवन का आकिाण रन िाए कही परततजरर का चरक तमह िीच ल

तो शायद आि नही कल तम असली की तलाश म भी तनकल िाओ कयोकक परततजरर तो िो-िो िाएगा िरा

हवा का झोका आएगा झील कप िाएगी और चाद टटकर तरिर िाएगा तो आि नही कल तमह यह खयाल

आना शर हो िाएगा िो झील म दिा ह वह सच नही हो सकता सच की िरर हो सकती ह सच की दर की

धवतन हो सकती ह--परततधवतन हो सकती ह परततजरर हो सकता ह--लककन िो झील म दिा ह वह सच नही हो

सकता शबद म तिस कहा गया ह वह सतय नही हो सकता लककन शबद म तिस कहा गया ह वह सतय का

रहत दर का ररकतदार हो सकता ह

मलला नसरददीन क िीवन म ऐसा उललि ह कक एक तमतर न दर गाव स एक मगी भिी मलला न शोररा

रनाया िो मगी को लकर आया था उस भी तनमततरत ककया कि कदनो राद एक दसरा आदमी आया मलला न

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पिा कहा स आए उसन कहा म भी उसी गाव स आता ह और तिसन मगी भिी थी उसका ररकतदार ह

अर ररकतदार का ररकतदार भी आया था तो उसको भी ठहराया उसक तलए भी शोररा रनवाया लककन कि

कदन राद एक तीसरा आदमी आ गया कहा स आ रह हो उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार

का ररकतदार ह

ऐस तो सखया रढ़ती चली गई मलला तो परशान हो गया यह तो महमानो का तसलतसला लग गया

मगी कया आई य तो लोग चल ही आत ह यह तो परा गाव आन लगा आतिर एक आदमी आया उसस पिा

कक भाई आप कौन ह उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार क ररकतदार क ररकतदार का तमतर ह

मलला न शोररा रनवाया उस तमतर न चिा लककन वह रोला यह शोररा यह तो तसफा गरम पानी

मालम होता ह मलला नसरददीन न कहा यह वह िो मगी आई थी उसक शोरर क शोरर क शोरर का तमतर ह

दर होती िाती ह चीि मन तमह झील म कदिाया तम ऐसा भी कर सकत हो--कर सकत हो नही

करोग ही--तम झील क सामन एक दपाण करक दपाण म दिोग कयोकक िर म तमस कहता ह तम मझ थोड़ ही

सनोग तमहारा मन उसकी वयाखया करगा

िर मन कहा तभी चाद दर हो गया म िर दिता ह तर चाद ह िर म तमस कहता ह तर झील म

परततजरर ह िर तम सनत हो और सोचत हो तर तमन झील को भी दपाण म दिा कफर दपाण को भी दपाण म

दित चल िाओग ऐस सतय स शबद दर होता चला िाता ह

इसतलए रहत रार तिनहोन िाना ह व चप रह गय लककन चप रहन स भी कि नही होता िर तम

कह-कहकर नही सनत हो िगाए-िगाए नही िगत हो तो चप रठन को तम कस सनोग िर शबद चक िाता

ह तो मौन भी चक िाएगा िर शबद तक चक िाता ह तो मौन तो तनतित ही चक िाएगा कफर भी िो

कहा िा सकता ह वह परततधवतन ह इस याद रिना उस परततधवतन क सहार मल की तरफ यातरा करना

तीथायातरा करना

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

शबद िोट पड़ िात ह दायरा िोटा ह

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

कहन की सीमा ह िो कहना ह उसकी कोई सीमा नही गीत की सीमा ह िो गाना ह उसकी कोई सीमा

नही वादय की सीमा ह िो रिाना ह उसकी कोई सीमा नही

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

लककन िामोशी तो तम कस समझोग शबद भी चक िात ह तहलाए-तहलाए तम नही तहलत नीद स

िगाए-िगाए तम नही तहलत नीद स शबद तो ऐस ह िस पास म रिी घड़ी म अलामा रिता हो तर भी तम

नही िगत तो तिस घड़ी म अलामा नही रिता उसस तम कस िगोग

तो रहत जञानी चप रह गय रहत जञानी रोल चप रहन वालो को तमन समझा िानत ही नही रोलन

वालो स तमन शबद सीि और तम पतडत हो गय लककन कि जञातनयो न रीच का रासता चना और रीच का

रासता ही सदा सही रासता ह उनहोन कहा भी और इस ढग स कहा कक अनकहा भी तमह भल न िाए उनहोन

कहा भी और कहन क रीच-रीच म िाली िगह िोड़ दी उनहोन कहा भी और ररि सथान भी िोड़ ररि

सथान तमह भरन ह

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तमन िोट रचचो की ककतार दिी ह एक शबद कदया होता ह कफर िाली िगह कफर दसरा शबद कदया

होता ह और रचचो स कहा िाता ह रीच का शबद भरो िो परमजञानी हए उनहोन यही ककया एक शबद

कदया िाली िगह दी कफर दसरा शबद कदया रीच की िाली िगह तमह भरनी ह िो म कह रहा ह वह

परततजरर ह िो तम भरोग वह चाद होगा

सतय उधार नही तमल सकता सतय को तमह िनमाना होगा सतय को तमह अपन गभा म धारण करना

होगा सतय तमहार भीतर रढ़गा िस मा क पट म रचचा रड़ा होता ह वह तमहारा िन तमहारी शवास मागता

ह वह तमहारा ही तवसतार होगा िर तक तम ही चाद न रन िाओ तर तक तम चाद को न दि सकोग

इसतलए मन रहत रार कहा और रहत रार कहगा कयोकक य रदध क वचन तो अभी रहत दर तक

चलग रहत रार रहत िगह कहगा एस धममो सनतनो तर तम समरण रिना कक म यह नही कह रहा ह कक

धमा रहत ह म इतना ही कह रहा ह कक रहत सथान ह िहा स धमा का इशारा ककया िा सकता ह कभी गलार

क फल की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो सनतनो कभी चाद की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो

सनतनो कभी ककसी िोट रचच की आिो म झाककर कहगा एस धममो सनतनो कयोकक चाह गलार हो चाह

आि हो चाह चाद हो सौदया एक ह

रहत रपो म परमातमा परगट हआ ह हमार अधपन की कोई सीमा नही इतन रपो म परगट हआ ह और

हम पि चल िात ह कहा ह कही एकाध रप म परकट होता तर तो तमलन का कोई उपाय ही न था इतन

रपो म परगट हआ ह सर तरफ स उसन ही तमह घरा ह िहा िाओ वही सामन आ िाता ह तिसस तमलो

उसी स तमलना होता ह सनो झरन की आवाि तो उसी का गीत सनो रात का सिाटा तो उसी का मौन

दिो सरि को तो उसी की रोशनी और दिो अमावस को तो उसी का अधरा इतन रपो म तमह घरा ह

कफर भी तम चकत चल िात हो अभागा होता मनषय अगर कही उसका एक ही रप होता एक ही मकदर होता

और कवल वह एक ही िगह तमलता होता तर तो कफर कोई शायद पहच ही न पाता इतन रपो म तमलता ह

कफर भी हम चक िात ह

तो म रहत िगह तमस कहगा यह रहा परमातमा इसका यह मतलर नही कक रहत परमातमा ह इसका

इतना ही मतलर कक रहत उसक रप ह अनक उसक ढग ह अनक उसकी आकततया ह लककन वह सवय इन

सभी आकततयो क रीच तनराकार ह होगा भी कयोकक इतन रप उसी क हो सकत ह िो अरप हो इतन

आकार उसी क हो सकत ह िो तनराकार हो इतन अनत-अनत माधयमो म वही परगट हो सकता ह िो परगट

होकर भी परा परगट न हो पाता हो

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

पराथानाए रदल िाती ह रदगी क ढग रदल िात ह पिा रदल िाती ह कभी गरदवारा कभी मतसिद

कभी तशवाला कभी कारा कभी काशी

रदगी न हिार रि रदल

न मालम ककतन पतथरो क सामन तसर झक और न मालम ककतन शबदो म उसकी पराथाना की गई और

न मालम ककतन शासतर उसक तलए रच गय

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

170

लककन आि तक िो िदा था वही िदा ह

तो रहत रार म कहगा एस धममो सनतनो यही ह सनातन धमा इसस तम यह मत समझ लना कक यही

ह इसस तम इतना ही समझना कक यहा भी ह और रहत िगह भी ह सभी िगह ह सभी िगह उसका

तवसतार ह वह तमहार आगन िसा नही ह आकाश िसा ह यदयतप तमहार आगन म भी वही आकाश ह

चौथा परशनाः मरी हालत ततरशक की हो गई ह न पीि लौट सकती न आग कोई रासता कदिाई पड़ता ह

िाऊ तो िाऊ कहा

धमा को कही ह भी नही िहा हो वही होना ह

अचिा ही हआ कक आग कोई रासता नही कदिाई पड़ता नही तो िाना िारी रहता अचिा ह कक पीि

भी लौट नही सकत नही तो लौट िात इसस रचनी मत अनभव करो रचनी अनभव होती ह यह म समझता

ह कयोकक िान की आदत हो गई ह कही िान को न हो तो आदमी घरड़ाता ह रकार भी िान को हो तो

भी तनजित चला िाता ह

कहा िा रह ह इसका इतना सवाल नही ह िा रह ह कि काम चल रहा ह लगता ह कि हो रहा ह

कही पहच रह ह मतिल की ककसको कफकर ह वयसतता रनी रहती ह चलन म उलझ रहत ह तो लगता ह

कि हो रहा ह

कौन कहा पहचा ह चलकर तम भी न पहचोग कोई कभी चलकर नही पहचा िो पहच रककर

पहच तिनहोन िाना ठहरकर िाना दिो रदध की परततमा को चलत हए मालम पड़त ह रठ ह िर तक

चलत थ तर तक न पहच िर रठ गय पहच गय

यह तो रड़ी शभ घड़ी ह लककन हमारी आदत िरार हो गयी हमारी आदत चलन की हो गई ह तरना

चल ऐसा लगता ह िीवन रकार िा रहा ह चाह चलना हमारा कोलह क रल का चलना हो कक गोल चककर म

घमत रहत ह ह वही रोि तम उठत हो करत कया हो रोि चलत हो पहचत कहा हो साझ वही आ िात

हो िहा सरह तनकल थ िनम िहा स शर ककया मौत वही ल आती ह एक गोल वतालाकार ह

मन सना ह कक एक रहत रड़ा तारका क तल िरीदन गया था तली क घर तली का कोलह चल रहा था

रल कोलह िीच रहा था तल तनचड़ रहा था तारका क था उसन दिा यह काम कोई हाक भी नही रहा ह रल

को वह अपन आप ही चल रहा ह

उसन पिा गिर यह रल अपन आप चल रहा ह कोई हाक भी नही रहा रक कयो नही िाता उस

तल वाल न कहा महानभाव िर कभी यह रकता ह म उठकर इसको कफर हाक दता ह इसको पता नही चल

पाता कक हाकन वाला पीि मौिद ह या नही

तारका क तारका क था उसन कहा लककन तम तो रठ दकान चला रह हो इसको कदिाई नही पड़ता उस

तल वाल न कहा िरा गौर स दि इसकी आिो पर परिया राधी हई ह इस कदिाई कि नही पड़ता िर भी

यह िरा ठहरा या रका कक मन हाका पर उस तारका क न कहा कक तम तो पीठ ककय रठ हो उसकी तरफ पीि

चल रहा ह कोलह तमह पता कस चलता ह उसन कहा आप दित नही रल क गल म घटी राधी हई ह िर

तक रिती रहती ह म समझता ह चल रहा ह िर रक िाती ह उठकर म हाक दता ह इसको पता नही चल

171

पाता उस तारका क न कहा अर एक सवाल और कया यह रल िड़ होकर गदान नही तहला सकता ह उस तल

वाल न कहा िरा धीर-धीर रोल कही रल न सन ल

तम िरा अपनी जिदगी तो गौर स दिो न कोई हाक रहा ह मगर तम चल िा रह हो आि रद ह

गल म िद ही घटी राध ली ह वह भी ककसी और न राधी ऐसा नही हालाकक तम कहत यही हो पतत कहता

ह पतनी न राध दी चलना पड़ता ह रटा कहता ह राप न राध दी ह राप कहता ह रचचो न राध दी ह कौन

ककसक तलए घटी राध रहा ह कोई ककसी क तलए नही राध रहा ह तरना घटी क तमह ही अचिा नही लगता

तमन घटी कोशगार समझा ह आि पर परिया ह घटी रधी ह चल िा रह हो कहा पहचोग इतन कदन

चल कहा पहच मतिल कि तो करीर आई होती

लककन िर भी तमह कोई चौकाता ह तम कहत हो धीर रोलो िोर स मत रोल दना कही हमारी

समझ म ही न आ िाए तम ऐस लोगो स रचत हो ककनारा काटत हो िो िोर स रोल द सतो क पास लोग

िात नही और अगर िात ह तो ऐस ही सतो क पास िात ह िो तमहारी आिो पर और परिया रधवा द और

तमहारी घटी पर और रग-पातलश कर द न रि रही हो तो और रिन की वयवसथा रता द ऐस सतो क पास

िात ह कक तमहार पर अगर तशतथल हो रह हो और रठन की घड़ी करीर आ रही हो तो पीि स हाक द कक

चलो रठन स कही कोई पहचा ह कि करो कमाठ रनो परमातमा न भिा ह तो कि करक कदिाओ

थोड़ा समझना िीवन की गहनतम रात करन स नही तमलती होन स तमलती ह करना तो ऊपर-ऊपर

ह पानी पर उठी लहर ह होना ह गहराई

अचिा ही हआ लककन वयाखया गलत हो रही ह

परशन ह मरी हालत ततरशक की हो गई ह

एकदम अचिा हआ शभ हआ धनयवाद दो परमातमा को लककन शबद स लगता ह कक तशकायत ह

तशकवा ह कयोकक तमह लग रहा ह यह तो कही क न रह पीि लौट नही सकत िररत कया ह लौटन की

पीि लौट सकत तो कया तमलता पीि स तो होकर ही आ रह हो कि तमलना होता तो तमल ही गया होता

हाथ तमहार िाली ह और पीि लौटना ह तिस रासत स गिर चक तसवाय धल क कि भी नही लाए हो साथ

कफर लौटकर िाना ह

तम कहोग चलो िोड़ो पीि नही आग तो िान दो मगर यह रासता वही ह िो पीि की तरफ फला ह

वही आग की तरफ फला ह य एक ही रासत की दो कदशाए ह तम तिस रासत पर पीि चलत आ रह हो उसी

पर तो आग िाओग न उसी कीशिला होगी उसी का तसलतसला होगा

अर तक कया तमला पचास साल की उमर हो गई अर रीस साल और इसी रासत पर चलोग कया

तमलगा तम कहोग चलो यह भी िोड़ो कोई दसरा रासता रता दो मगर रासता तम चाहत हो कयोकक

चलना तमहारी आदत हो गई ह दौड़न की तवतकषपतता तम पर सवार हो गई ह रक नही सकत ठहर नही

सकत दो घड़ी रठ नही सकत

कयो कयोकक िर भी तम रकत हो तभी तमह जिदगी की वयथाता कदिाई पड़ती ह िर भी तम ठहरत

हो िाली कषण तमलता ह तभी तमह लगता ह यह तो शनय ह कि भी मन कमाया नही तभी तम कप िात

हो एक सताप पकड़ लता ह एक अतसततवगत िाई म तगरन लगत हो उसस रचन क तलए कफर तम काम म

सलगन हो िात हो कि भी करन म लग िात हो रतडयो िोलो अिरार पढ़ो तमतर क घर चल िाओ पतनी स

172

झगड़ लो कि भी रहदा काम करन लगो एक गद िरीद लाओ रीच म रससी राध लो इसस उस तरफ फको

उस तरफ स इस तरफ फको

लोग कहत ह फटराल िल रह ह कोई कहता ह वालीराल िल रह ह और लािो लोग दिन भी इकि

होत ह िलन वाल तो नासमझ ह समझ म आया कम स कम िल रह ह लककन लािो लोग दिन इकि होत

ह मारपीट हो िाती ह एक गद को इस तरफ स उस तरफ करत हो शमा नही आती मगर सारी जिदगी ऐसी

ह कि भी करन को रहाना तमल िाए ताश फकत रहत ह ताश तरिरत रहत ह शतरि तरिा लत ह

जिदगी म तलवार चलाना िरा महगा धधा ह घोड़ वगरह रिना भी िरा मतककल ह हाथी तो अर कौन

पाल शतरि तरिा लत हो हाथी-घोड़ चलात हो और ऐस तललीन हो िात हो िस सारा िीवन दाव पर

लगा ह तम अपन को ककतनी भातत धोि दत हो

रहत हआ अर िागो और िागन का एक ही उपाय ह कक तम थोड़ी दर को रोि िाली रठन लगो

कि भी मत करो करना ही तमहारा ससार ह न करना ही तमहारा तनवााण रनगा कि दर को िाली रठन

लगो घड़ी-दो घड़ी ऐस हो िाओ िस हो ही नही एक शनय सिाटा िा िाए शवास चल चलती रह लककन

कतय की कोई आसपास भनक न रह िाए तम रस चपचाप रठ रहो धीर-धीर--शर म तो रड़ी रचनी होगी

रड़ी तलफ पकड़गी कक कि भी कर गिरो कया रठ यहा समय िरार कर कह हो--लककन िलदी ही तम

पाओग कक िीवन की तरग शात होती िाती ह भीतर क दवार िलत ह

मर पास लोग आत ह उनस म कहता ह चप रठ िाओ व कहत ह यह हमस न होगा कम स कम मतर

ही द द तो हम वही िपग मगर करग माला द द उसको ही कफरात रहग

अर शतरि म और माला म कोई फका ह चाह तम कफलमी गीत गनगनाओ और चाह तम राम-राम

िपो कोई फका नही असली सवाल तमहार वयसत होन का ह कस तम अवयसत हो िाओ अनआकपाइड हो

िाओ

धयान का अथा ह करन को कि भी न हो रस तम हो िस फल ह िस आकाश क तार ह ऐस रस हो

गय कि नही करन को करठन ह रहत सवाातधक करठन ह इसस जयादा करठन कि भी नही

लककन अगर तम रठत ही रह रठत ही रह रठत ही रह तो ककसी कदन अचानक तम पाओग रि उठी

कोई वीणा भीतर स उसकी भतवषयवाणी नही की िा सकती म कि कह नही सकता कर यह होगा तम पर

तनभार ह आि हो सकता ह िनम भर न हो तम पर तनभार ह

लककन ककसी कदन िर रि उठगी तमहारी भीतर की वीणा तर तम पाओग वयथा गवाया िीवन भीतर

इतना रड़ा उतसव चल रहा था हम हाथी-घोड़ चलात रह भीतर इतन रड़ आनद की अहरनाश विाा हो रही

थी भीतर सवगा क दवार िल थ हम रािार म गवात रह

म यह नही कह रहा ह कक तम रािार िोड़कर भाग िाओ म तमस यह कह रहा ह कक चौरीस घट म

दो घड़ी अपन तलए तनकाल लो राकी सर घड़ी रािार म गवा दो कोई हिाा नही जिदगी क आतिर म तम

पाओग िो रठकर तमन गिारा समय वही रचाया राकी सर गया

और एक रार तमहार भीतर का यह अतनााद तमह सनाई पड़न लग--उस ओकार कहो या िो तमहारी

मिी हो--तिस कदन यह भीतर का अतनााद तमह सनाई पड़न लगगा उस कदन कफर तम रािार म रहो दकान

म रहो िहा रहो कोई फका नही पड़ता भीतर की वीणा रिती ही रहती ह सदा रिती रही ह तसफा तमह

सनन की आदत नही ह सनन की सामथया नही ह तम तालमल नही तरठा पाए हो

173

तो अचिा हआ कक हालत ततरशक की हो गई न पीि िान का कोई रासता--भगवान को धनयवाद दो न

आग िान का कोई उपाय--रड़ा सौभागय अर रठ िाओ वही रठ िाओ िहा हो न पीि लौटकर दिो न

आग आि रद कर लो कही िाना नही ह अपन पर आना ह

तिस तम िोित हो वह तम म तिपा ह तिसकी तरफ तम िा रह हो वह तम म रसा ह आतिर म

यही पाया िाता ह कक हम तिस तलाशत थ वह तलाश करन वाल म ही तिपा था इसीतलए तो इतनी दर

लग गई और िोि न पाए

आतिरी सवालाः परम मन िाना नही यही मर िीवन की चभन रही यही कारण होगा तिसन मझ धयान

म गतत दी धयान स अशातत और वर-भाव तमट रह ह भति और समपाण मर तलए कोर शबद रह कफर भी

धयान म और तवशिकर परवचन म कई रार यह परगाढ़ भाव रना रहता ह कक इस िीवन म िो भी तमल सकता

था सर तमला हआ ह

िान म कि भी दभाागय नही ह राधाए ही सीकढ़या भी रन सकती ह और सीकढ़या राधाए भी रन

सकती ह सौभागय और दभाागय तमहार हाथ म ह िीवन तटसथ अवसर ह एक राह पर रड़ा पतथर पड़ा हो

तम वही अटककर रठ सकत हो कक अर कस िाए पतथर आ गया तम उस पतथर पर चढ़ भी सकत हो और

तर तम पाओग कक पतथर न तमहारी ऊचाई रढ़ा दी तमहारी दतषट का तवसतार रढ़ा कदया तम रासत को और

दर तक दिन लग तितना पतथर क तरना दिना सभव न था तर पतथर सीढ़ी हो गया

यह परशन ह कक मन परम िीवन म नही िाना यही मर िीवन की चभन रही

उस चभन मत समझो अर परम नही िाना तनतित ही इसीतलए धयान की तरफ आना हआ उस

सौभागय रना लो अर परम की रात ही िोड़ दो कयोकक तिसन धयान िान तलया परम तो उसकी िाया की

तरह अपन आप आ िाएगा

दो ही तवकलप ह परमातमा को पान क दो ही राह ह एक ह परम एक ह धयान िो तमलता ह वह तो

एक ही ह कोई परम स उसकी तरफ िाता ह उस रासत की सतवधाए ह ितर भी सतवधा यह ह कक परम रड़ा

सहि ह सवाभातवक ह ितरा भी यही ह कक इतना सवाभातवक ह कक उसम उलझ िान का डर ह होश नही

रहता रहोशी हो िाती ह

इसतलए अतधक लोग परम स परमातमा तक नही पहचत परम स िोट-िोट कारागह रना लत ह उनही म

रद हो िात ह परम रहत कम लोगो क तलए मति रनता ह अतधक लोगो क तलए रधन रन िाता ह परम

अतधक लोगो क तलए राग रन िाता ह और िर तक परम तवराग न हो तर तक परमातमा तक पहचना नही

होता

तो परम की सतवधा ह कक वह सवाभातवक ह परतयक वयति क भीतर परम की उमग ह ितरा भी यही ह

कक वह इतना सवाभातवक ह कक उसम होश रिन की िररत नही तम उसम उलझ सकत हो

तिनक िीवन म परम नही सभव हो पाया--और रहत लोगो क िीवन म सभव नही हो पाया ह--तो

रठकर काट को पकड़कर मत पित रहो नही परम सभव हआ जचता िोड़ो धयान सभव ह और धयान क भी

ितर ह और सतवधाए भी ितरा यही ह कक शरम करना होगा चषटा करनी होगी परयास और साधना करनी

होगी सकलप करना होगा अगर िरा भी तशतथलता की तो धयान न सधगा अगर िरा भी आलसय की तो

174

धयान न सधगा अगर ऐस ही सोचा कक कनकन-कनकन कर लग तो न सधगा िलना पड़गा सौ तडगरी पर

उरलना पड़गा यह तो करठनाई ह लककन फायदा भी ह कक थोड़ा भी धयान सध तो साथ म होश भी सधता

ह कयोकक परयास साधना सकलप

इसतलए धयान सध तो कभी भी कारागह नही रनता करठनाई ह सधन की परम सध तो िाता ह रड़ी

आसानी स लककन िलदी ही ििीर ढल िाती ह धयान सधता ह मतककल स लककन सध िाए तो सदा ही

मोकष और सदा ही मति क आकाश की तरफ ल िाता ह

और दतनया म दो तरह क लोग ह एक तो व कक अगर परम न सधा तो उनहोन धयान को साध तलया

और िो ऊिाा परम म िाती वही सारी धयान म सलगन हो गई या िो धयान न सधा तो उनहोन सारी ऊिाा को

परम म समरपात कर कदया या तो भि रनो या धयानी य एक तरह क लोग ह

दसर तरह क लोग ह उनस परम न सधा तो धयान की तरफ तो न गय रस परम का रोना लकर रठ ह

रो रह ह कक परम न सधा और उनही की तरह क दसर लोग भी ह कक धयान न सधा तो रस व रठ ह रो रह ह

उदास मकदरो म आशरमो म कक धयान न सधा व परम की तरफ न गय

म तमस कहता ह सर साधन तमहार तलए ह तम ककसी साधन क तलए नही परम स सध परम स साध

लना धयान स सध धयान स साध लना साधन का थोड़ ही मलय ह तम रलगाड़ी स यहा मर पास आए कक

पदल आए कक टरन स आए कक हवाई िहाि स आए आ गय रात ितम हो गई तम कस आए इसका कया

परयोिन ह पहच गय रात समापत हो गई

धयान रिना पहचन का कफर परम स हो कक धयान स हो भति स हो कक जञान स हो इस उलझन म

रहत मत पड़ना साधन को साधय मत समझ लना साधन का उपयोग करना ह सीढ़ी स चढ़ िाना ह और भल

िाना ह नाव स उतर िाना ह और तवसमरण कर दना ह नाव का

इतनी ही याद रनी रह कक सर धमा तमहार तलए ह सर साधन तवतधया तमहार तलए ह तमही गतवय

हो तमही हो िहा पहचना ह तमस ऊपर कि भी नही

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

चडीदास क य शबद ह कक सरस ऊपर मनषय का सतय ह उसक ऊपर कि भी नही ह इसका यह मतलर

नही ह कक परमातमा नही ह इसका इतना ही मतलर ह कक मनषय अगर अपन सतय को िान ल तो परमातमा

को िान ल

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

तम सरस ऊपर हो कयोकक तम अपन अतरतम म तिप परमातमा हो रीि हो अभी कभी फल रन

िाओग लककन रीि म फल तिपा ही ह न िाद का कोई मलय ह न िमीन का न सरि की ककरणो का

इतना ही मलय ह कक तमहार भीतर िो तिपा ह वह परगट हो िाए

इसतलए वयथा क साधनो की रहत तिदद मत करना िस भी पहचो पहच िाना परमातमा तमस यह न

पिगा ककस मागा स आए कस आए आ गय सवागत ह

आि इतना ही

  • तथाता म ह कराति
  • उठो तलाश लाजिम ह
  • अतरबाती को उकसाना ही धयान
  • अनत छिपा ह कषण म
  • कवल शिषय जीतगा
  • समझ और समाधि क अतरसतर
  • परारथना सवय मजिल
  • परारथनाः परम की पराकाषठा
  • जागरण का तल + परम की बाती = परमातमा का परकाश
  • परम की आखिरी मजिलः बदधो स परम
Page 3: एस धम् ो सनंतनोाग 2 11. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 ग त क £ष ण स थ ह । अथ ह कक

3

गीता म कषण सारथी ह अथा ह कक िर चतनय हो िाए सारथी तमहार भीतर िो शरषठतम ह िर उसक

हाथ म लगाम आ िाए रहत रार अिीर सा लगता ह कषण को सारथी दिकर अिान ना-कि ह अभी वह

रथ म रठा ह कषण सर कि ह व सारथी रन ह पर परतीक रड़ा मधर ह परतीक यही ह कक तमहार भीतर िो

ना-कि ह वह सारथी न रह िाए तमहार भीतर िो सर कि ह वही सारथी रन िाए

तमहारी हालत उलटी ह तमहारी गीता उलटी ह अिान सारथी रना रठा ह कषण रथ म रठ ह ऐस

ऊपर स लगता ह--मालककयत कयोकक कषण रथ म रठ ह और अिान सारथी ह ऊपर स लगता ह तम मातलक

हो ऊपर स लगता ह तमहारी गीता ही सही ह लककन कफर स सोचना वयास की गीता ही सही ह अिान रथ

म होना चातहए कषण सारथी होन चातहए मन रथ म तरठा दो हिाा नही ह लककन धयान सारथी रन तो

एक मालककयत पदा होती ह

इसतलए हमन इस दश म सनयासी को सवामी कहा ह सवामी का अथा ह तिसन अपनी गीता को ठीक

कर तलया अिान रथ म रठ गया कषण सारथी हो गए वही सनयासी ह वही सवामी ह

और सवामी होना ही एकमातर िीवन ह तर तम िीत ही नही तम िीवन हो िात हो तम महािीवन

हो िात हो सर रदल िाता ह कल तक िहा काट थ वहा फल तिल िात ह और कल तक िो भटकाता था

वही तमहारा अनचर हो िाता ह कल तक िो इकिया कवल दि म ल गई थी व तमह महासि म पहचान

लगती ह कयोकक तिन इकियो स तमन ससार को पहचाना ह व ही इकिया तमह परमातमा क दशान कदलान

लगगी उनको ही झलक तमलगी

यही आि--धयान रिना कफर स दोहराता ह--यही आि उस दिन लगगी और इनही आिो न पदाा

ककया था इनही आिो क कारण वह कदिाई न पड़ता था इन आिो को फोड़ मत लना िसा कक रहत स

नासमझ तमह समझात रह ह य आि रड़ काम म आन को ह तसफा भीतर का इतिाम रदलना ह िो मातलक

ह असली म उस मातलक घोतित करना ह रस उतनी घोिणा काफी ह िो गलाम ह उस गलाम घोतित करना

तमहार भीतर गलाम मातलक रनकर रठ गया ह और मातलक को अपनी मालककयत भल गई ह

इसतलए आिो स पदाथा कदिाई पड़ता ह परमातमा नही कानो स शबद सनाई पड़ता ह तनाःशबद नही हाथो

स कवल वही िआ िा सकता ह िो रप ह आकार ह तनराकार का सपशा नही होता म तमस कहता ह िस

ही तमहार भीतर का इतिाम रदलगा--मातलक अपनी िगह लगा गलाम अपनी िगह लगा चीि वयवतसथत

होगी तमहारा शासतर शीिाासन न करगा ठीक िसा होना चातहए वसा हो िाएगा--ततकषण तम पाओग इनही

आिो स तनराकार की झलक तमलन लगी पदाथा स परमातमा झाकन लगा

पदाथा तसफा घघट ह वही परमी वहा तिपा ह और इनही कानो स तमह शनय का सवर सनाई पड़न लगगा

यही कान ओकार क नाद को भी गरहण कर लत ह कान की भल नही ह आि की भल नही ह इकियो न नही

भटकाया ह सारथी रहोश ह घोड़ो न नही भटकाया ह घोड़ भी कया भटकाएग और घोड़ो को तिममवारी

सौपत तमह शमा भी नही आती

और तमहार साध-सनयासी तमस कह िात ह घोड़ो न भटकाया ह घोड़ कया भटकाएग और तिसको

घोड़ भटका दत हो वह पहच न पाएगा िो घोड़ो को भी न समहाल सका वह कया समहालगा वह पहचन

योगय ही न था उसकी कोई पातरता ही न थी तिसको घोड़ो न भटका कदया

4

नही भटक तम हो लगाम तमहारी ढीली ह घोड़ तो रस घोड़ ह उनक पास कोई होश तो नही िर

तम रहोश हो तो घोड़ो स होश की अपकषा रित हो िर तमहारा चतनय सोया हआ ह तो इकियो स तम

चतनय की अपकषा रित हो इकिया तो तम िस हो वसी ही हो िाती ह इकिया अनचर ह िीवन का इतिाम

रदलना ही साधना ह और यही इतिाम का आधार ह कक मन मातलक न रह िाए धयान मातलक रन

इसी रफतार-आवारा स भटकगा यहा कर तक

अमीर-कारवा रन िा गरार-कारवा कर तक

कर तक गिरत हए कारवा की धल पीि उड़ती धल कर तक ऐस भीड़ क पीि उड़ती धल का

अनगमन करता रहगा कर तक ऐस चलगा मन क पीि शरीर क पीि इकियो क पीि कर तक कषि का

अनसरण होगा अमीर-कारवा रन िा--अर वकत आ गया कक मातलक रन िा इस कारवा का पथ-परदशाक

रन िा सारथी रन िा रहत कदन अिान रह तलए कषण रनन का समय आ गया

कषण और अिान दो नही ह एक ही वयति को िमान क दो ढग ह एक ही चतना क दो ढग ह दो रप

ह रथ तो वही रहगा कि भी न रदलगा कषण को भीतर तरठा दो अिान को सारथी रना दो सर डगमगा

िाएगा कि तमन िोड़ा नही कि घटाया नही

रदध न कि िोड़ा थोड़ ही ह उतना ही ह रदध क पास तितना तमहार पास ह रततीभर जयादा नही कि

घटाया थोड़ ही ह रततीभर कम नही न कि िोड़ा ह न कि िोड़ा ह वयवसथा रदली ह वीणा क तार अलग

पड़ थ वीणा पर कस कदए ह या वीणा क तार ढील थ उनह कस कदया ह िो िहा होना चातहए था वहा रि

कदया ह िो िहा नही होना चातहए था वहा स रदल कदया ह सर वही ह रदध म िो तमम ह अतर कया ह

सयोिन अलग ह और सयोिन क रदलत ही सर रदल िाता ह--सर तम भरोसा भी नही कर सकत कक

तमहारा ही सयोिन रदलकर रदधतव पदा हो िाता ह कक तमही अिान तमही कषण अभी तम भरोसा भी कस

करो

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

इतना ही फका ह पहल शरार िीसत थी--पहल नशा ही जिदगी थी अर िीसत ह शरार--अर जिदगी

ही नशा ह पहल नशा जिदगी थी पहल शरार जिदगी थी अर जिदगी शरार ह

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रस इतना ही फका ह पहल तम पी रह थ कोई तपला न रहा था और तर शरार जिदगी मालम होती

थी रहोशी जिदगी मालम होती थी अर अर जिदगी ही शरार ह अर िीवन का उतसव ह आनद ह और

अर तम नही पी रह हो--

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

सयोिन रदला कक अहकार गया कषण रथ म रठ िाए अिान सारथी रन िाए अहकार पररणाम

होगा अिान रथ म रठ कषण सारथी रन तनरअहकार पररणाम होगा सारा गीता का सदश इतना सा ही ह

कक अिान त सवय को िोड़ द तनरअहकार हो िा त मत पी अपन हाथ स

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

परमातमा िो करता ह करन द त तनतमतत हो िा िो तनतमतत हो गया वह मातलक हो गया कयोकक िो

तनतमतत हो गया वह मातलक क साथ एक हो गया

5

रदध क य सतर रहत गलत तरह स समझ गए ह इस पहल कह द कयोकक तितन महासतर ह आदमी

उनको गलत ही समझ सकता ह आदमी क भीतर परतवषट होत ही ककरण भी अधकार हो िाती ह आदमी क

भीतर परतवषट होत ही सगध दगध हो िाती ह आदमी क भीतर समझ क हीर भी नासमझी क ककड़-पतथर

होकर रह िात ह रदध न य सतर कदए ह रड़ रहमलय लककन रदध क पीि चलन वालो न उनह गलत ढग स

पकड़ा ह िसा कक सभी क पीि चलन वालो न गलत ढग स पकड़ा ह कि रात ऐसी रारीक ह और कि रात

ऐसी तभि ह आदमी स कक आदमी क हाथ म पड़त ही भल हो िाती ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

इन सतरो स लोगो न समझा कक तचतत को दराना ह कक तचतत को तमटाना ह कक तचतत स लड़ना ह रदध

कवल तचतत का सवभाव समझा रह ह रदध कह रह ह तचतत कषतणक ह चचल ह लड़न की कोई रात नही कर

रह ह इतना ही कह रह ह कक तचतत का सवभाव ऐसा ह तथय की घोिणा कर रह ह

लककन तमहार मन म िस ही कभी कोई तमस कहता ह तचतत कषतणक ह िीवन कषणभगर ह तम ततकषण-

-कषणभगरता को तो नही समझत--शाशवत की िोि म लग िात हो वही भल हो िाती ह और तमहार

महातमागण िर भी तमस कहत ह िीवन कषणभगर तचतत कषतणक तम ततकषण सोचन लगत हो कस उस पाए

िो अकषतणक ह िो शाशवत ह सनातन ह रस वही भल हो िाती ह शाशवत को पाना नही ह कषतणक को

समझ लना ह

िापान म एक रहत रड़ा झन कतव हआ रासो उसकी एक िोटी सी कतवता ह एक हाइक ह तिसका

अथा रड़ा अदभत ह हाइक ह कक तिनहोन िाना वह व ही लोग ह तिनहोन इिधनि को दिकर ततकषण न कहा

कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन पानी क ररल को टटत दिकर ततकषण न कहा कक िीवन कषणभगर ह तिनहोन

ओस की रद को तरिरत या वाषपीभत होत दिकर ततकषण न कहा कक हम उदास हो गए िीवन कषणभगर ह

उनहोन ही िाना

यह रड़ी अिीर रात ह रदध क रड़ तवपरीत लगती ह रासो रदध का भि ह पर रासो समझा

िस ही तमस कोई कहता ह िीवन कषणभगर ह और तम िोड़न को रािी हो िात हो तो तम िीवन को

िोड़न को रािी नही होत तम कषणभगरता को िोड़न को रािी होत हो तमहारी वासना नही तमटती तमहारी

वासना और रढ़ गई तम सनातन चाहत हो शाशवत चाहत हो तम ककड़-पतथर रि थ ककसी न कहा य

ककड़-पतथर ह--तम अर तक हीर समझ थ इसतलए पकड़ थ--ककसी न कहा ककड़-पतथर ह तम िोड़न को

रािी हो गए कयोकक अर असली हीरो की तलाश करनी ह हीरो का मोह नही गया पहल इनह हीरा समझा

था तो इनह पकड़ा था अर कोई और हीर ह तो उनह पकड़ग लककन तम वही क वही हो

रदध िर कहत ह मन कषतणक ह चचल ह िीवन कषणभगर ह तो व तसफा तथय की घोिणा करत ह व

तसफा इतना ही कहत ह ऐसा ह इसस तम वासना मत तनकाल लना इसस तम साधना मत तनकाल लना

इसस तम अतभलािा मत िगा लना इसस तम आशा को पदा मत कर लना इसस तम भतवषय क सपन मत

दिन लगना और मिा यह ह कक िो तथय को दि लता ह वह शाशवत को उपलबध हो िाता ह िस ही तमह

यह कदिाई पड़ गया कक मन कषतणक ह कि करना थोड़ ही पड़ता ह शाशवत को पान क तलए मन कषतणक ह

ऐस रोध म मन शात हो िाता ह

इस िरा थोड़ा गौर स समझना

6

ऐस रोध म कक मन कषतणक ह पानी का ररला ह अभी ह अभी न रहा भोर की तरया ह डरी-डरी

अर डरी तर डरी कि करना थोड़ ही पड़ता ह ऐस रोध म तम िाग िात हो गसटॉलट रदल िाता ह िीवन

की परी दिन की वयवसथा रदल िाती ह कषणभगर क साथ िो तमन आशा क सत राध रि थ व टट िात ह

शाशवत को िोिना नही ह कषणभगर स िागना ह िागत ही िो शि रह िाता ह वही शाशवत ह

शाशवत को कोई कभी पान थोड़ ही िाता ह कयोकक शाशवत का तो अथा ही ह कक तिस कभी िोया नही िो

िो िाए वह कया िाक शाशवत ह हा कषणभगर म उलझ गए ह रस उलझाव चला िाए शाशवत तमला ही ह

लककन तम कया करत हो तम कषणभगर क उलझाव को शाशवत का उलझाव रना लत हो तम ससार

की तरफ दौड़त थ ककसी न चताया चत तो तम नही कयोकक चतान वाला कह रहा थााः दौड़ो मत--तम ससार

की तरफ दौड़त थ रदध राह पर तमल गए उनहोन कहा कहा दौड़ िा रह हो वहा कि भी नही ह--व इतना

ही चाहत थ कक तम रक िाओ दौड़ो मत तमन उनकी रात सन ली लककन तमहारी वासना न उनकी रात का

अथा रदल तलया तमन कहा ठीक ह यहा अगर कि भी नही ह तो हम मोकष की तरफ दौड़ग लककन दौड़ग

हम िरर

दौड़ ससार ह रक िात तो मोकष तमल िाता ससार की तरफ न दौड़ मोकष की तरफ दौड़न लग

कषणभगर को न पकड़ा तो शाशवत को पकड़न लग धन न िोिा तो धमा को िोिन लग लककन िोि िारी

रही िोि क साथ तम िारी रह िोि क साथ अहकार िारी रहा िोि क साथ तमहारी तिा िारी रही

तमहारी नीद िारी रही कदशाए रदल गयी पागलपन न रदला पागल परर दौड़ कक पतिम कोई फका पड़ता

ह पागल दतकषण दौड़ कक उततर कोई फका पड़ता ह दौड़ ह पागलपन

य तथय ह और इसतलए झन म--िो रदध-धमा का सारभत ह--ऐस उललि ह हिारो कक रदध क वचन को

पढ़त-पढ़त सनत-सनत अनक लोग समातध को उपलबध हो गए ह दसर धमो क लोग यह रात समझ नही पात

ह कक यह कस होगा तसफा सनत-सनत

रदध का सवाशरषठ शासतर ह--भारत स ससकत क रप िो गए ह चीनी और ततबरती स उसका कफर स

पनआरवाषकार हआ--कद डायमड सतरा रदध उस सतर म सकड़ो रार यह कहत ह कक तिसन इस सतर की चार

पतिया भी समझ ली वह मि हो गया सकड़ो रार--एक-दो रार नही--करीर-करीर हर पषठ पर कहत ह

कभी-कभी हरानी होती ह कक व इतना कयो इस पर िोर द रह ह रहत रार उनहोन उस सतर म कहा ह

तिसस व रोल रह ह तिस तभकष स व रात कर रह ह उसस व कहत ह सन गगा क ककनार तितन रत क कण

ह अगर परतयक रत का कण एक-एक गगा हो िाए--तो उन सारी गगाओ क ककनार ककतन रत क कण होग

वह तभकष कहता ह अनत-अनत होग तहसार लगाना मतककल ह रदध कहत ह अगर कोई वयति उतना अनत-

अनत पणय कर तो ककतना पणय होगा वह तभकष कहता ह रहत-रहत पणय होगा उसका तहसार तो रहत

मतककल ह रदध कहत ह लककन िो इस शासतर की चार पतिया भी समझ ल उसक पणय क मकारल कि भी

नही

िो भी पढ़गा वह थोड़ा हरान होगा कक चार पतिया परा शासतर आधा घट म पढ़ लो इसस रड़ा नही

ह चार पतिया िो पढ़ ल रदध कया कह रह ह रदध न एक नवीन दशान कदया ह वह ह तथय को दि लन

का रदध यह कह रह ह िो चार पतिया भी पढ़ ल िो म कह रहा ह उसक तथय को चार पतियो म भी दि

ल कफर कि करन को शि नही रह िाता रात हो गई सतय को सतय की तरह दि तलया असतय को असतय

7

की तरह दि तलया रात हो गई कफर पित हो तम कया कर तो मतलर हआ कक समझ नही समझ तलया तो

करन को कि रचता नही ह कयोकक करना ही नासमझी ह

वही अिान पि चला िाता ह कषण स कक अगर म ऐसा कर तो कया होगा अगर वसा कर तो कया

होगा और कषण कहत ह त करन की रात ही िोड़ द त करन की रात उस पर िोड़ द त कर ही मत तर

करन स सभी गड़रड़ होगा त उस करन द

पहल शरार िीसत थी अर िीसत ह शरार

कोई तपला रहा ह तपए िा रहा ह म

रदध कहत ह िान तलया समझ तलया हो गया करन की रात ही नासमझी स उठती ह कयोकक तम

रोध हो चतनय हो तचतत कषतणक ह चचल ह यह कोई तसदधात नही यह कवल सतय की उदघोिणा ह इस

सनो कि करना नही ह इस पहचानो कि साधना नही ह

तचतत कषतणक ह चचल ह इस रोक रिना करठन ह इसका तनवारण करठन ह ऐस तचतत को मधावी

परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रनाता ह तिस परकार वाणकार वाण को

अगर वाण ततरिा हो आड़ा हो तो तनशान पर नही पहचता सीधा चातहए ऋि चातहए सरल

चातहए कफर पहच िाता ह तमहारा मन ततरिा ह या सीधा तमहारा मन िरटल ह या सरल तमहारा मन

तमहारा मन ह तम वाणकार हो तमहारा मन तमहार हाथ का वाण ह लककन तमन कभी खयाल ककया कक तम

उस िरटल ककए चल िात हो तम उस उलझाए चल िात हो

सीध-सरल का कया अथा ह सीध-सरल का अथा ह िसा मन हो उस वसा ही दि लना ततकषण मन

सरल हो िाता ह यही ह मन का दशान कहो धयान कहो अपरमाद या कोई और नाम दो मन को उसको िसा

ह वसा ही दि लन स ततकषण सरल हो िाता ह

समझो कक तम चोर हो या झठ रोलन वाल हो अर एक झठ रोलन वाला आदमी ह वह मर पास

आता ह वह कहता ह कक मझ सतय रोलन की कला तसिा द ऐस ही उलझा ह झठ स उलझा ह अर एक और

सतय की झझट भी लना चाहता ह अर झठ रोलन वाल आदमी को सच रोलन की कला कस तसिाई िाए

कयोकक उस कला को सीिन म भी वह झठ रोलगा

एक करोधी आदमी ह वह कहता ह मझ अकरोध सीिना ह अर करोधी आदमी को अकरोध कस तसिाया

िाए अगर उसस कहो घर म शात होकर रठ िाना तो वह रठगा कस करोध ही उरलगा और अकसर ऐस

करोधी अगर पिा-पाठ पराथाना करन लगत ह तो घरभर की मसीरत आ िाती ह इसस तो रहतर था कक व

नही करत थ कयोकक रचचा अगर िरा शोरगल कर द तो उनका करोध उरल पड़ता ह कक धयान म राधा पड़

गई या अगर पतनी क हाथ स रतान तगर िाए तो उनका धमा धयान नषट हो गया करोध उनका िाएगा कस व

धयान क आधार पर भी करोध करग

जहसक ह कोई पिता ह अजहसक होना ह जहसक तचतत कस अजहसक होगा वस ही िरटल था अजहसा

और उपिव िड़ा कर दगी तो वह तरकीर िोि लगा अजहसक कदिन की लककन जहसक ही रहगा और पहल

कम स कम जहसा कदिाई पड़ती थी अजहसा म अगर ढक गई तो कफर कभी भी कदिाई न पड़गी कामवासना स

भरा हआ आदमी वह कहता ह बरहमचया साधना ह तम अपन तवपरीत िान की चषटा करोग िरटल हो

िाओग

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रदध कया कहत ह रदध कहत ह करोधी हो तो करोध क तथय को िानो अकरोधी होन की चषटा मत करना

करोधी हो करोध को सवीकार करो कह दो सार िगत को कक म करोधी ह और उस तिपाए मत कफरो कयोकक

तिपान स कही रोग तमटा ह िोल दो उस शायद रह िाए शायद नही रह ही िाता ह अगर जहसक हो तो

सवीकार कर लो कक म जहसक ह और अपन जहसक होन की दीनता को असवीकार मत करो कही अजहसक होन

की चषटा म यही तो नही कर रह हो कक जहसक होन को कस सवीकार कर तो अजहसा स ढाक ल घाव ह तो फल

ऊपर स तचपका द गदगी ह तो इतर तिड़क द कही ऐसा तो नही ह ऐसा ही ह

इसतलए तम पाओग कक कामक बरहमचारी हो िात ह और उनक बरहमचया स तसवाय कामवासना की

दगध क कि भी नही उठता करोधी शात होकर रठन लगत ह लककन उनकी शातत म तम पाओग कक

जवालामिी उरल रहा ह करोध का ससारी सनयासी हो िात ह और उनक सनयास म तसवाय ससार क और कि

भी नही ह मगर तम भी धोि म आ िात हो कयोकक ऊपर स व वश रदल लत ह ऊपर स उलटा कर लत ह

भीतर लोभ ह ऊपर स दान करन लगत ह

लककन धयान रिना लोभी िर दान करता ह तर भी लोभ क तलए ही करता ह होगा लोभ परलोक का

कक सवगा म भिा लग तलि दी हडी हतडया तनकाल रहा ह वह सवगा म भिाएगा वह सोच रहा ह कया-कया

सवगा म पाना ह इसक रदल म और ऐस लोतभयो को धमा म उतसक करन क तलए पतडत और परोतहत तमल

िात ह व कहत ह यहा एक दोग करोड़ गना पाओग थोड़ा तहसार भी तो रिो सौदा कर रह हो यह सौदा

भी तरलकल रईमानी का ह गगा क ककनार पड रठ ह व कहत ह एक पसा यहा दान दो करोड़ गना पाओग

यह कोई सौदा हआ यह तो िए स भी जयादा झठा मालम पड़ता ह एक पसा दन स कस करोड़ गना पाओग

करोड़ गन की आशा दी िा रही ह कयोकक तमस एक पसा भी िटगा नही तसवाय इसक तमहार लोभ को

उकसाया िा रहा ह लोभी दान करता ह मकदर रनवाता ह धमाशाला रनवाता ह लककन यह सर लोभ का

ही फलाव ह

दान तो तभी सभव ह िर लोभ तमट िाए लोभ क रहत दान कस सभव ह बरहमचया तो तभी सभव ह

िर वासना िो िाए वासना क रहत बरहमचया कस सभव ह धयान तो तभी सभव ह िर मन चला िाए मन

क रहत धयान कस सभव ह अगर मन क रहत धयान करोग तो मन स ही धयान करोग मन का धयान कस

धयान होगा मन का अभाव धयान ह

इसतलए रदध न एक अतभनव-शासतर िगत को कदया--तसफा िागकर तथयो को दिन का रदध न नही

तसिाया कक तम तवपरीत करन लगो रदध न इतना ही तसिाया कक तम िो हो उस सरल कर लो सीधा कर

लो उसक सीध होन म ही हल ह तम करोधी हो करोध को िानो तिपाओ मत ढाको मत मसकराओ मत

िीवन को झठ स तिपाओ मत परगट करो और तम चककत हो िाओग अगर तम अपन करोध को

सवीकार कर लो अपनी घणा को ईषयाा को दवि को िलन को सवीकार कर लो तम सरल होन लगोग तम

पाओग एक साधता उतरन लगी अहकार अपन आप तगरन लगा कयोकक अहकार तभी तक रह सकता ह िर

तक तम धोिा दो अहकार धोि का सार ह या सर धोिो का तनचोड़ ह तितन तमन धोि कदए उतना ही

रड़ा अहकार ह कयोकक तमन रड़ी चालरािी की और तमन दतनया को धोि म डाल कदया तम रड़ अकड़

हए हो लककन तम उघाड़ दो सर

तिसको िीसस न कनफशन कहा ह--सवीकार कर लो और िीसस न तिसको कहा ह कक तिसन सवीकार

कर तलया वह मि हो गया उसको ही रदध न कहा ह--रदध कनफशन शबद का उपयोग नही कर सकत कयोकक

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परमातमा की कोई िगह नही ह रदध क तवचार म ककसक सामन करना ह सवीकार अपन ही सामन सवीकार

कर लना ह तथय की सवीकतत म तथय स मति ह तथय की सवीकतत म तथय क पार िाना ह

इस रहमलय सतर का थोड़ा सा िीवन म उपयोग करोग तम चककत हो िाओग तमहार हाथ म कीतमया

लग गई एक किी लग गई तम िो हो उस सवीकार कर लो चोर हो चोर झठ हो झठ रईमान हो रईमान

कया करोग तम उस सवीकतत म तम पाआग कक अचानक तम िो थ वह रदलन लगा वह नही रदलता था

कयोकक तम तिपात थ िस घाव को िोल दो िली रोशनी म सरि की ककरण पड़ तािी हवाए िए घाव

भरन लगता ह ऐस ही य भीतर क घाव ह इनह तम िगत क सामन िोल दो य भरन लगत ह

इस तसथतत को रदध कहत ह--मधावी परि रतदधमान वयति तिसको थोड़ी भी अकल ह राकी य िो

उलट काम कर रह ह--करोधी अकरोधी रनन की जहसक अजहसक रनन की--य मढ़ ह य मधावी नही ह य समय

गवा रह ह य कभी कि न रन पाएग य मल ही चक गए यह पहल कदम पर ही भल हो गई

मधावी परि उसी परकार ऋि सरल सीधा रना लता ह अपन तचतत को तिस परकार वाणकर वाण

को

तिसकी तम आकाकषा करोग उसस ही तम वतचत रहोग एस धममो सनतनो तिसको तम सवीकार कर

लोग उसस ही तम मि हो िाओग तिसको तम मागोग नही वह तमहार पीि आन लगता ह और तिसको

तम मागत हो वह दर हटता चला िाता ह तमहारी माग हटाती ह दर

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

िीवन म सफलता का राि आकाकषा की सफलता का राि यही ह कक आकाकषा िोड़ दी

ह हसल-आरि का राि तक-आरि

मन दतनया िोड़ दी तो तमल गई दतनया मझ

तमन अगर अकरोध को पान की दौड़ िोड़ दी तम करोध को सवीकार कर तलए--था करोग कया

तिपाओग कहा ककसस तिपाना ह तिपाकर ल िाओग कहा अपन ही भीतर और समा िाएगा और िड़

गहरी हो िाएगी जहसक थ जहसा सवीकार कर ली और तम अचानक हरान होओगाः जहसा गई और अजहसा

उपलबध हो गई

तिसको भी पान की तम दौड़ करोग वही न तमलगा अजहसक होना चाहोग अजहसक न हो पाओग शात

होना चाहोग शात न हो पाओग सनयासी होना चाहोग सनयासी न हो पाओग िो होना ह वह चाह स नही

होता चाह स चीि दर हटती िाती ह चाह राधा ह तम िो हो रस उसी क साथ रािी हो िाओ तम तथय

स िरा भी न हटो तम भतवषय म िाओ ही मत तम वतामान को सवीकार कर लो--मन दतनया िोड़ दी तो

तमल गई दतनया मझ

भागती कफरती थी दतनया िर तलर करत थ हम

िर हम नफरत हई वह रकरार आन को ह

तम तिसक पीि िाओग तमहार पीि िान स ही तम उस अपन पीि नही आन दत तम पीि िाना रद

करो तम िड़ हो िाओ और िो तमन चाहा था िो तमन मागा था वह ररस िाएगा लककन वह ररसता

तभी ह िर तमहार भीतर तभिारी का पातर नही रह िाता मागन वाल का पातर नही रह िाता िर तम

समराट की तरह िड़ होत हो इसको ही म मातलक होना कहता ह तम िो भी हो वही होकर तम मातलक हो

10

सकत हो तमन कि और होना चाहा तो तम कस मातलक हो सकत हो तर तो माग रहगी और तम तभिारी

रहोग

आि अभी इसी कषण तम मातलक हो सकत हो माग िोड़त ही आदमी मातलक हो िाता ह और थोड़

ही मातलक होन का कोई उपाय ह तम अगर मझस पिो कस कफर तम चक कयोकक तमन कफर माग क तलए

रासता रनाया तमन कहा कक ठीक कहत ह मातलक तो म भी होना चाहता ह

म तमस कहता ह तम हो सकत हो इसी कषण तम हो आिभर िोलन की रात ह तम कहत हो कक

होना तो म भी चाहता ह िो तथय ह तम उस चाह रनात हो चाह रनाकर तम तथय को दर हटात हो कफर

तथय तितना दर हटता िाता ह उतनी तम जयादा चाह करत हो तितनी जयादा तम चाह करत हो उतना

तथय और दर हट िाता ह कयोकक चाह स तथय का कोई सरध कस िड़गा तथय तो ह और चाह कहती ह

होना चातहए इन दोनो म कही मल नही होता

रदध का शासतर ह कक तम तथय को दिो और िो ह उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना यही कषणमरता का परा सार-सचय ह कक तम िो हो उसस रततीभर यहा-वहा हटन की कोतशश मत

करना हो वही हो उसस तभि िान की चषटा की कक भटक उसस तवपरीत िान की चषटा की कक कफर तो

तमन अनत दरी पर कर दी मतिल सवीकार म तथाता म करातत ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

यह उनकी उस कदन की भािा ह इसको आि की भािा म रिना पड़गा

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह

िलाशय यानी तथय िो ह िो मिली का िीवन ह उसस तनकालकर उस तट पर फक कदया

और िस मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

मार का फदा कया ह आकाकषा का मार का फदा कया ह आशा का मार का फदा कया ह कि होन

की आकाकषा और दौड़

िीसस क िीवन म उललि ह कक िर चालीस कदन क धयान क राद व परम तसथतत क करीर पहचन

लग तो शतान परगट हआ वह शतान कोई और नही ह वह तमहारा मन ह िो मरत वि ऐस ही भभककर

िलता ह िस रझत वि कदया आतिरी लपट लता ह मन का अथा ह वही िो अर तक तमस कहता था कि

होना ह कि होना ह िो तमह दौड़ाए रिता था धयान की आतिरी घड़ी आन लगी िीसस की मन

मौिद हआ िीसस की भािा म शतान रदध की भािा म मार मन न कहा तमह िो रनना हो म रना द

िीसस स कहा तमह िो रनना हो म रना द सार ससार का समराट रना द तीनो लोको का समराट रना द तम

रोलो तमह िो रनना हो म तमह रना द िीसस मसकराए और उनहोन कहा त पीि हट शतान पीि हट

कया मतलर ह िीसस का िीसस यह कह रह ह अर त और चकम मत द रनान क रनन क अर तो िो म

ह पयाापत ह त पीि हट त मझ राह द

रदध िर परम घड़ी क करीर पहचन लग तो वही घटना ह मार मौिद हआ मार यानी मन और मन न

कहा अभी मत िोड़ो आशा कयोकक उस साझ रदध ससार स तो िाः साल पहल मि हो गए थ िाः साल स

व मोकष की तलाश म लग थ और िाः साल म थक गए कयोकक तलाश स कभी कि तमला ही नही ह रदध को

नही तमला तमह कस तमलगा तलाश तो भटकन का उपाय ह पहचन का नही उस कदन व थक गए तलाश स

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भी मोकष भी वयथा मालम पड़ा ससार तो वयथा था आि मोकष भी वयथा हो गया उनहोन साझ तिस वकष क

नीच थोड़ी दर राद व रदधतव को उपलबध हए अपना तसर टक कदया और उनहोन कहा अर कि पाना नही ह

मार उपतसथत हआ उसन कहा इतनी िलदी आशा मत िोड़ो अभी रहत कि ककया िा सकता ह अभी तमन

सर नही कर तलया ह अभी रहत साधन शि ह म तमह रताता ह

लककन रदध न उसकी एक न सनी व लट ही रह व तवशराम म ही रह मार उनह पनाः न िीच पाया दौड़

म मार न सर तरह स चषटा की कक अभी मोकष को पान का यह उपाय हो सकता ह सतय को पान का यह

उपाय हो सकता ह व उपकषा स दित रह

िीसस न तो इतना भी कहा था शतान स हट पीि रदध न उतना भी न कहा कयोकक हट पीि म भी

िीसस थोड़ तो हार गए रदध न इतना भी न कहा रौदधशासतर कहत ह रदध सनत रह उपकषा स इतना भी रस

न तलया कक इनकार भी कर इनकार म भी रस तो होता ही ह सवीकार भी रस ह इनकार भी रस ह रदध न

िीसस स भी रड़ी परौढ़ता का परदशान ककया उसस भी रड़ी परौढ़ता का सरत कदया रदध सनत रह मार थोड़ी-

रहत दर चषटा ककया रड़ा उदास हआ यह आदमी कि रोलता ही नही यह इतना भी नही कहता कक हट यहा

स मझ डरान की कोतशश मत कर अर मझ और मत भटका इतना भी रदध कहत तो भी थोड़ा चषटा करन की

िररत थी लककन इतना भी न कहा

कहत ह मार उस रात तवदा हो गया इस आदमी स सर सरध िट गए यही घड़ी ह समातध की िर

तम मन क तवपरीत भी नही िर तम मन स यह भी नही कहत त िा तम मन स यह भी नही कहत कक अर

रद भी हो अर तवचार न कर अर मझ शात होन द इतना भी नही कहत तभी तम शात हो िात हो कयोकक

मन कफर तमहार ऊपर कोई कबिा नही रि सकता इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमह अशात कर सक

इतना भी रल मन का न रहा कक वह तमहार धयान म राधा डाल सक तम मन क पार हो गए उसी रात सरह

भोर क तार क साथ आतिरी तारा डरता था और रदध परम परजञा को उपलबध हए

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह ऐस ही तम तड़फड़ा रह

हो तचतत तड़फड़ा रहा ह कयोकक तथय और सतय क िलाशय क राहर आशा क तट पर पड़ हो कि होना ह

ऐसा भत सवार ह िो हो उसक अततररि हो कस सकोग कि िो हो वही हो सकत हो उसक राहर उसक

पार कि भी नही ह लककन मन पर एक भत सवार ह कि होना ह गरीर ह तो अमीर होना ह रीमार ह तो

सवसथ होना ह शरीरधारी ह तो अशरीरधारी होना ह िमीन पर ह तो सवगा म होना ह ससार म ह तो मोकष

म होना ह कि होना ह तरकजमग ह स सरध नही ह होन स सरध ह

होना ही मार ह होना ही शतान ह और होन क तट पर मिली िसा तम तड़फड़ात हो लककन तट

िोड़त नही तितन तड़फड़ात हो उतना सोचत हो तड़फड़ाहट इसीतलए ह कक अर तक हो नही पाया िर हो

िाऊगा तड़फड़ाहट तमट िाएगी और दौड़ म लगत हो तका की भातत तमह और तट की तरफ सरकाए ल

िाती ह िर कक पास ही सागर ह तथय का उसम उतरत ही मिली रािी हो िाती उसम उतरत ही मिली

की सर रचनी िो िाती इतन ही करीर िस तट पर तड़फती मिली ह उसस भी जयादा करीर तमहारा

सागर ह

तिस परकार िलाशय स तनकालकर िमीन पर फक दी गई मिली तड़फड़ाती ह उसी परकार यह तचतत

मार क फद स तनकलन क तलए तड़फड़ाता ह

12

लककन हर तड़फड़ाहट इस फद म उलझाए चली िाती ह कयोकक तड़फड़ाहट म भी यह मार की भािा

का ही उपयोग करता ह समझ का नही वहा भी वासना का ही उपयोग करता ह दकान पर रठ लोग दिी ह-

-िो पाना था नही तमला मकदर म रठ लोग दिी ह--िो पाना था नही तमला

िीसस क िीवन म उललि ह व एक गाव स गिर उनहोन कि लोगो को िाती पीटत रोत दिा पिा

कक कया मामला ह ककसतलए रो रह हो कौन सी दघाटना घट गई उनहोन कहा कोई दघाटना नही घटी हम

नका क भय स घरड़ा रह ह

कहा ह नका मगर मन न नका क भय िड़ कर कदए ह उनस घरड़ा रह ह

िीसस थोड़ आग गए उनहोन कि और लोग दि िो रड़ उदास रठ थ िसा मकदरो म लोग रठ रहत ह

रड़ गभीर िीसस न पिा कया हआ तमह कौन सी मसीरत आई ककतन लर चहर रना तलए ह कया हो

गया उनहोन कहा कि भी नही हम सवगा की जचता म जचतातर ह--सवगा तमलगा या नही

िीसस और आग रढ़ उनह एक वकष क नीच कि लोग रड़ परमकदत रड़ शात रड़ आनकदत रठ तमल

उनहोन कहा तमहार िीवन म कौन सी रसधार आ गई तम इतन शात इतन परसि इतन परफतललत कयो हो

उनहोन कहा हमन सवगा और नका का खयाल िोड़ कदया

सवगा ह सि िो तम पाना चाहत हो नका ह दि तिसस तम रचना चाहत हो दोनो भतवषय ह दोनो

कामना म ह दोनो मार क फद ह िर तम दोनो को ही िोड़ दत हो अभी और यही तिस मोकष कहो तनवााण

कहो वह उपलबध हो िाता ह

तनवााण तमहारा सवभाव ह तम िो हो उसम ही तम उस पाओग होन की दौड़ म तम उसस चकत चल

िाओग

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

यह िो होन की आकाकषा ह इसस आग नही पदा होती तसफा धआ ही धआ पदा होता ह रदध का वचन

ह कक वासना स भरा तचतत गीली लकड़ी की भातत ह उसम आग लगाओ तो लपट नही तनकलती धआ ही धआ

तनकलता ह लकड़ी िर सिी होती ह तर उसस लपट तनकलती ह िर तक वासना ह तमहारी समझ म

तमहार िीवन म आग न होगी तमहार िीवन म रोशनी और परकाश न होगा धआ ही धआ होगा अपन ही धए

स तमहारी आि िरार हई िा रही ह अपन ही धए स तम दिन म असमथा हए िा रह हो अध हए िा रह

हो अपन ही धए स तमहारी आि आसओ स भरी ह और िीवन का सतय तमह कदिाई नही पड़ता ह

सलगना और िीना यह कोई िीन म िीना ह

लगा द आग अपन कदल म दीवान धआ कर तक

लककन धआ तर तक उठगा ही िर तक कोई भी वासना का गीलापन तम म रह गया ह लकड़ी िर तक

गीली ह धआ उठगा लकड़ी स धआ नही उठता गीलपन स धआ उठता ह लकड़ी म तिप िल स धआ उठता

ह तमस धआ नही उठ रहा ह तमहार भीतर िो वासना की आिाता ह गीलापन ह उसस धआ उठ रहा ह

तयागी रदध न उसको कहा ह िो सिी लकड़ी की भातत ह तिसन वासना का सारा खयाल िोड़ कदया

तिसका तनगरह करना रहत करठन ह और िो रहत तरल ह हलक सवभाव का ह और िो िहा चाह वहा

झट चला िाता ह ऐस तचतत का दमन करना शरिठ ह दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

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दमन शबद को ठीक स समझ लना उस कदन इसक अथा रहत अलग थ िर रदध न इसका उपयोग ककया

था अर अथा रहत अलग ह फरायड क राद दमन शबद क अथा तरलकल दसर हो गए ह भािा वही नही रह

िाती रोि रदल िाती ह भािा तो परयोग पर तनभार करती ह

रदध क समय म पतितल क समय म दमन का अथा रड़ा और था दमन का अथा था मन म िीवन म

तमहार अतताम म अगर तम करोध कर रह हो या तम अशात हो रचन हो तो तम एक तवतशषट मातरा की ऊिाा

नषट कर रह हो सवभावताः िर तम करोध करोग थकोग कयोकक ऊिाा नषट होगी िर तम कामवासना स

भरोग तर भी ऊिाा नषट होगी िर तम उदास होओग दिी होओग तर भी ऊिाा नषट होगी

एक रड़ी हरानी की रात ह कक तसफा शातत क कषणो म ऊिाा नषट नही होती और आनद क कषणो म ऊिाा

रढ़ती ह नषट होना तो दर तवकतसत होती ह परमकदत होती ह इसतलए रदध कहत ह अपरमाद म परमकदत

होओ दि म घटती ह शातत म तथर रहती ह आनद म रढ़ती ह और िर भी तम कोई नकारातमक

तनिधातमक भाव म उलझत हो तर तमहारी ऊिाा वयथा िा रही ह तमम िद हो िात ह िस घड़ म िद हो

और तम उसम पानी भरकर रि रह हो वह रहा िा रहा ह

रदध या पतितल िर कहत ह दमन--तचतत का दमन--तो व यह नही कहत ह कक तचतत म करोध को दराना

ह व यह कहत ह कक तचतत म तिन तििो स ऊिाा रहती ह उन तििो को रद करना ह और िो ऊिाा करोध म

सलगन होती ह उस ऊिाा को िीवन की तवधायक कदशाओ म सलगन करना ह

इस कभी खयाल कर क दिो तमहार मन म करोध उठा ह ककसी न गाली द दी या ककसी न अपमान कर

कदया या घर म ककसी न तमहारी कोई रहमलय चीि तोड़ दी और तम करोतधत हो गए हो एक काम करो

िाकर घर क राहर रगीच म कदाली लकर एक दो कफट का गडढा िोद डालो और तम रड़ हरान होओग कक

गडढा िोदत-िोदत करोध ततरोतहत हो गया कया हआ िो करोध तमहार हाथो म आ गया था िो ककसी को

मारन को उतसक हो गया था वह ऊिाा उपयोग कर ली गई या घर क दौड़कर तीन चककर लगा आओ और तम

पाओग कक लौटकर तम हलक हो गए वह िो करोध उठा था िा चका

यह तो करोध का रपातरण हआ इसको ही रदध और महावीर और पतितल न दमन कहा ह फरायड न

दमन कहा ह--तमहार भीतर करोध उठा उसको भीतर दरा लो परगट मत करो तो ितरनाक ह तो रहत

ितरनाक ह उसस तो रहतर ह तम परगट कर दो कयोकक करोध अगर भीतर रह िाएगा नासर रनगा नासर

अगर समहालत रह समहालत रह सत रह तो आि नही कल क सर हो िाएगा

तितनी मनषयता सभय होती चली िाती ह उतनी ितरनाक रीमाररयो का फलाव रढ़ता िाता ह

क सर रड़ी नई रीमारी ह वह रहत सभय आदमी को ही हो सकती ह िगलो म रहन वाल लोगो को नही

होती आयवद म तो कि रोगो को रािरोग कहा गया ह--व तसफा रािाओ को ही होत थ कषयरोग को रािरोग

कहा ह वह हर ककसी को नही होता था उसक तलए रहत सभयता का तल चातहए रहत सससकाररत िीवन

चातहए िहा तम अपन भावावशो को सगमता स परगट न कर सको िहा तमह झठ भाव परगट करन पड़ िहा

रोन की हालत हो वहा मसकराना पड़ और िहा गदान तमटा दन की तोड़ दन की इचिा हो रही थी वहा

धनयवाद दना पड़ तो तमहार भीतर य दर हए भाव धीर-धीर घाव रन िाएग

फरायड का कहना तरलकल सच ह कक दमन ितरनाक ह लककन रदध महावीर और पतितल तिसको

दमन कहत ह वह ितरनाक नही ह व ककसी और ही रात को दमन कहत ह व कहत ह दमन रपातरण को

तनिध को तवधयक म रदल दन को व दमन कहत ह और उसी मन को व कहत ह सि उपलबध होगा

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दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

वह लकषण ह तिसको फरायड दमन कहता ह वह तचतत तो रड़ा दिदायी हो िाता ह वह तो रड़ ही दि

स भर िाता ह

दमन ककया हआ तचतत सिदायक होता ह

तो धयान रिना फरायड क अथो म दमन स रचना और रदध क अथो म दमन को करना करोध उठ तो

तमहार भीतर एक ऊिाा उठी ह उसका कि उपयोग करो अनयथा वह घातक हो िाएगी अगर तम दसर क

ऊपर करोध को फकोग तो दसर को नकसान होगा और करोध और करोध लाता ह वर स वर तमटता नही उसका

कोई अत नही ह वह तसलतसला अतहीन ह अगर तम करोध को भीतर दराओग तो तमहार भीतर घाव हो

िाएगा वह घाव भी ितरनाक ह वह तमह रगण कर दगा तमहार िीवन की िशी िो िाएगी

तो न तो दसर पर करोध फको न अपन भीतर करोध को दराओ करोध को रपातररत करो घणा उठ करोध

उठ ईषयाा उठ इन शतियो का सदपयोग करो मागा क पतथर भी रतदधमान वयति मागा की सीकढ़या रना लत

ह और तर तम रड़ सि को उपलबध होओग दो कारण स एक तो करोध करक िो दि उतपि होता वह नही

होगा कयोकक तमन ककसी को गाली द दी इसस कि तसलतसला अत नही हो गया वह दसरा आदमी कफर

गाली दन की परतीकषा करगा अर उसक ऊपर करोध तघरा ह वह भी तो करोध करगा अगर तमन करोध को दरा

तलया तो तमहार भीतर क सरोत तविाि हो िात ह करोध िहर ह तमहार िीवन का सि धीर-धीर समापत हो

िाता ह तम कफर परसि नही हो सकत परसिता िो ही िाती ह तम हसोग भी तो झठ ओठो पर रहगी हसी

तमहार पराण तक उसका कपन न पहचगा तमहार हदय स न उठगी तमहारी आि कि और कहगी तमहार ओठ

कि और कहग तम धीर-धीर टकड़-टकड़ म टट िाओग

तो न तो दसर पर करोध करन स तम सिी हो सकत हो कयोकक कोई दसर को दिी करक कर सिी हो

पाया और न तम अपन भीतर करोध को दराकर सिी हो सकत हो कयोकक वह करोध उरलन क तलए तयार

होगा इकिा होगा और रोि-रोि तम करोध को इकिा करत चल िाओग भीतर भयकर उतपात हो िाएगा

ककसी भी कदन तमस पागलपन परगट हो सकता ह ककसी भी कदन तम तवतकषपत हो सकत हो एक सीमा तक तम

रठ रहोग अपन जवालामिी पर लककन तवसफोट ककसी न ककसी कदन होगा दोनो ही ितरनाक ह

रपातरण चातहए करोध की ऊिाा को तवधय म लगा दो कि न करत रन सक दौड़ आओ करोध उठा ह

नाच लो तम थोड़ा परयोग करक दिो िर करोध उठ तो नाचकर दिो िर करोध उठ तो एक गीत गाकर दिो

िर करोध उठ तो घमन तनकल िाओ िर करोध उठ तो ककसी काम म लग िाओ िाली मत रठो कयोकक िो

ऊिाा ह उसका उपयोग कर लो और तम पाओग कक िलदी ही तमह एक सतर तमल गया एक किी तमल गई--कक

िीवन क सभी तनिधातमक भाव उपयोग ककए िा सकत ह राह क पतथर सीकढ़या रन सकत ह

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

धयान रिना िो गलत ह उस िोड़न स पहल सही को पदा कर लना िररी ह नही तो गलत की िो

ऊिाा मि होगी वह कहा िाएगी

तम मर पास आत हो कक करोध हम िोड़ना ह लककन करोध म रहत ऊिाा सतितवषट ह तमन रहत सी

शति करोध म लगाई ह काफी इनवसट ककया ह करोध म अगर आि करोध एकदम रद हो िाएगा तो तमहारी

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ऊिाा िो करोध स मि होगी उसका तम कया करोग वह तमहार ऊपर रोतझल हो िाएगी वह भार हो

िाएगी तमहारी िाती पर पतथर हो िाएगी

िमीनो-आसमा स तग ह तो िोड़ द उनको

और तिस चीि स भी तग हो उस िोड़ना ही ह लककन एक रात धयान रिनी ह--

मगर पहल नए पदा िमीनो-आसमा कर ल

अगर य िमीन और आसमा िोड़न ह तो दसर िमीन और आसमा भीतर पदा कर ल कफर इनको िोड़

दना पदा करना पहल िररी ह गलत को िोड़न स जयादा अधर स लड़न की रिाय रोशनी को िला लना

िररी ह

गलत स मत लड़ो ठीक म िागो समयक को उठाओ ताकक तमहारी ऊिाा िो गलत स मि हो वह

समयक की धारा म परवातहत हो िाए अनयथा उसकी राढ़ तमह डरा दगी उसकी राढ़ क तलए तम पहल स

नहर रना लो ताकक उनको तम अपन िीवन क ितो तक पहचा सको ताकक तमहार दर रीि अकररत हो सक

ताकक तम िीवन की फसल काट सको

दरगामी अकला तवचरन वाला अशरीरी सकषम और गढ़ाशयी इस तचतत को िो सयम करत ह व ही

मार क रधन स मि होत ह

रधन स मि होन की उतनी चषटा मत करना तितना सयम सयम शबद भी समझन िसा ह इसका अथा

कटरोल नही होता तनयतरण नही होता सयम का अथा होता ह सतलन

यह शबद तवकत हो गया ह गलत लोगो न रहत कदन तक इसकी गलत वयाखया की ह तम िो आदमी

तनयतरण करता ह उसको सयमी कहत हो म उस सयमी कहता ह िो सतलन करता ह इन दोनो म रड़ा फका

ह तनयतरण करन वाला दमन करता ह फरायड क अथो म सतलन करन वाला दमन करता ह रदध क अथो म

सतलन करन वाल को तनयतरण नही करना पड़ता तनयतरण तो उसी को करना पड़ता ह तिसक िीवन म

सतलन नही ह तिसक िीवन म डर ह कक अगर उसन सतलन न रिा तनयतरण न रिा तो चीि हाथ क

राहर हो िाएगी िो डरा-डरा िीता ह

तमहार साध-सनयासी ऐस ही िी रह ह--डर-डर कप-कप पर वि घरड़ाए हए कक कही कोई भल न हो

िाए यह तो भल स रहत जयादा सरध हो गया यह तो भल स रड़ा भय हो गया कही भल न हो िाए

िीवन की कदशा ठीक करन की तरफ होनी चातहए भल स रचन की तरफ नही धयान रिना िो

आदमी भल स ही रच रहा ह वह कही भी न पहच पाएगा कयोकक यह िो भल स रहत डर गया ह वह चल

ही न सकगा उस डर ही लगा रहगा कही भल न हो िाए कही ऐसा न हो कक परम म ईषयाा पदा हो िाए तो

वह परम ही न करगा कयोकक ईषयाा का भय ह ककसी स सरध न रनाएगा कक कही सरध म कही शतरता न आ

िाए शतरता का भय ह तो तमतरता स वतचत रह िाएगा और अगर तम शतर न भी रनाए और तमतर भी न

रना सक तो तमहारा िीवन एक रतगसतान होगा तम ईषयाा स रच गए लककन साथ ही साथ परम भी न कर

पाए तो तमहारा िीवन एक सिा रसहीन मरसथल होगा तिसम कोई मरदयान भी न होगा तिसम िाया की

कोई िगह न होगी

ईषयाा स रचना ह परम स नही रच िाना ह इसतलए धयान परम पर रिना ईषयाा स मत डर रहना भल

स मत डरना दतनया म एक ही भल ह और वह भल स डरना ह कयोकक वसा आदमी कफर चल ही नही पाता

उठ ही नही पाता वह घरड़ाकर रठ िाता ह तो तनयतरण तो कर लता ह लककन िीवन क सतय को उपलबध

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नही हो पाता मदाा हो िाता ह महािीवन को उपलबध नही होता ससार स तम भाग सकत हो लककन वह

भागना अगर तनयतरण का ह तो तम सासाररक स भी नीच उतर िाओग तमहार िीवन म मरघट की शातत

होगी तशवालय की नही तमहार िीवन म ररिता का शनय होगा धयान का नही

और िालीपन म और धयान म रड़ा फका ह मन की अनपतसथतत म एरसनस ऑफ माइड म और मन क

अनपतसथत हो िान म रड़ा फका ह

तो अगर तम पीि तसकड़ गए डर गए तो यह हो सकता ह कक तमहार िीवन म गलततया न हो लककन

ठीक होना भी रद हो िाएगा यह रड़ा महगा सौदा हआ गलततयो क पीि ठीक को गवा कदया यह तो ऐसा

हआ िस सोन म कही कड़ा-कका ट न हो इस डर स सोन को भी फक कदया कड़ा-कका ट फकना िररी ह सोन

को शदध करना िररी ह लककन कड़-कका ट का भय रहत न समा िाए

सयम का अथा ह िीवन सततलत हो सतलन का अथा ह िीवन रोधपवाक हो अपरमाद का हो तम एक-

एक कदम होशपवाक उठाओ तगरन का डर मत रिो तगरना भी पड़ तो घरड़ान की रात नही ह समहलन की

कषमता पदा करो तगर पड़ो तो उठन की कषमता पदा करो भल हो िाए तो ठीक करन का रोध पदा करो

लककन चलन स मत डर िाना ककनार उतरकर रठ मत िाना कक रासत पर काट भी ह भल भी ह लटर भी ह-

-लट तलए िाएग भटक िाएग इसस तो चलना ही ठीक नही

भारत म यही हआ रहत स लोग रासत क ककनार उतरकर रठ गए भारत मर गया धारमाक नही हआ

तसफा मदाा हो गया इसस तो पतिम क लोग रहतर ह भल उनहोन रहत की--भलो स भी कया डरना लककन

जिदा ह और जिदा ह तो कभी ठीक भी कर सकत ह मदाा हो िाना धारमाक हो िाना नही ह धारमाक हो

िाना सोन स कचर को िला डालना ह लककन कचर क साथ कचर क डर स सोन को फक दना नही

तो पतिम क धारमाक होन की सभावना ह लककन परर तरलकल ही िड़ हो गया ह सतय क साथ भी

हमन सौभागय नही उपलबध ककया सतय हम रहत रार उपलबध हआ रहत रदधो स हम उपलबध हआ लककन

हमन सतय क िो अथा तनकाल उनहोन हम सकतचत कर कदया उनहोन हम दायर रना कदए--मि नही ककया

असीमा नही दी असीम की हमन रात की उपतनिदो स लकर आि तक लककन हर चीि न सीमा द दी

सयम को तनयतरण मत समझना सयम को होश समझना

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता ह और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

अर मझ चन तमल गई तो सरको चन तमल गई

तमहारा ससार तमहारा ही परकषपण ह अगर तम रचन हो तो सारा ससार तमह चारो तरफ रचन मालम

पड़ता ह अगर तमन शरार पी ली ह और तमहार पर डगमगात ह तो तमह रासत क ककनार िड़ मकान भी

डगमगात कदिाई पड़त ह रासत पर िो भी तमह कदिाई पड़ता ह वह डगमगाता कदिाई पड़ता ह तिसका

तचतत अतसथर ह वह तिस ससार म िीएगा वह कषणभगर होगा चचल होगा ससार चचल नही ह तमहार मन

क डावाडोल होन क कारण सर डावाडोल कदिाई पड़ता ह

अर मझको ह करार तो सरको करार ह

कदल कया ठहर गया कक िमाना ठहर गया

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तम ठहर कक सर ठहर गया तम रक कक सर रक गया तम चल कक सर चल पड़ता ह तमहारा ससार

तमहारा ही फलाव ह तम ही हो तमहार ससार तिसका तचतत अतसथर ह उसका सर अतसथर होगा िर भीतर

की जयोतत ही डगमगा रही ह तो तमह सर डगमगाता कदिाई पड़गा

कभी तमन खयाल ककया घर म दीया िल रहा हो और उसकी जयोतत डगमगाती हो तो सर तरफ

िायाए डगमगाती ह दीवाल पर रनत हए जरर डगमगात ह सर चीि डगमगाती ह िाया ठहर िाएगी

अगर जयोतत ठहर िाए और िाया को ठहरान की कोतशश म मत लग िाना िाया को कोई नही ठहरा

सकता तम कपा करक जयोतत को ही ठहराना

लोग ससार स मि होन म लग िात ह कहत ह कषणभगर ह चचल ह आि ह कल नही रहगा यह

सर तमहार भीतर क कारण ह तमहारा मन डावाडोल ह इसतलए सारा ससार डावाडोल ह तम ठहर कक सर

ठहरा तम ठहर कक िमाना ठहर गया

िो सदधमा को नही िानता ह तिसकी शरदधा डावाडोल ह

अर यह रड़ मि की रात ह रदध कह रह ह िो सदधमा को नही िानता उसकी ही शरदधा डावाडोल ह

सार धमो न शरदधा को पहल रिा ह रदध न जञान को पहल रिा ह व कहत ह सदधमा को िानोग तो शरदधा

ठहरगी और धमो न कहा ह शरदधा करोग तो सदधमा को िानोग और धमो न कहा ह मानोग तो िानोग रदध

न कहा ह िानोग नही तो मानोग कस िानोग तो ही मानोग

रदध की रात इस सदी क तलए रहत काम की हो सकती ह यह सदी रड़ी सदह स भरी ह इसतलए शरदधा

की तो रात ही करनी कफिल ह िो कर सकता ह उसस कहन की कोई िररत नही िो नही कर सकत उनस

कहना रार-रार कक शरदधा करो वयथा ह व नही कर सकत व कया कर तम शरदधा की रात करो तो उस पर भी

उनह शक आता ह शक आ गया तो आ गया हटान का उपाय नही और शक आ चका ह यह सदी सदह की

सदी ह

इसतलए रदध का नाम इस सदी म तितना मलयवान मालम होता ह ककसी का भी नही उसका कारण

यही ह िीसस या कषण रहत दर मालम पड़त ह कयोकक शरदधा स शरआत ह शरदधा ही नही िमती तो

शरआत ही नही होती पहला कदम ही नही उठता रदध कहत ह शरदधा की कफकर िोड़ो िान लो सदधमा को

तथय को और िानन का उपाय ह--तथर हो िाओ रदध न यह कहा ह कक धयान क तलए शरदधा आवकयक नही ह

धयान तो वजञातनक परककरया ह इसतलए तम ईशवर को मानत हो नही मानत हो कि परयोिन नही रदध कहत

ह तम धयान कर सकत हो

धयान तम करोग तम भीतर तथर होन लगोग उस तथरता क तलए ककसी ईशवर का आकाश म होना

आवकयक ही नही ह ईशवर न ससार रनाया या नही रनाया इसस उस धयान क तथर होन का कोई लना-दना

नही ह धयान का तथर होना तो वस ही ह िस आकसीिन और हाइडरोिन को तमलाओ और पानी रन िाए तो

कोई वजञातनक यह नही कहता कक पहल ईशवर को मानो तर पानी रनगा धयान तो एक वजञातनक परयोग ह तम

भीतर तथर होन की कला को सीि िाओ सदधमा स पररचय होगा पररचय स शरदधा होगी

इसतलए रदध तितन करीर ह इस सदी क और कोई भी नही ह कयोकक यह सदी सदह की ह और रदध न

शरदधा पर िोर नही कदया रोध पर िोर कदया ह

िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह होगी ही उसकी परजञा पररपणा नही हो

सकती

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रदध शत नही द रह ह रदध कवल तथय द रह ह रदध कहत ह य तथय ह सदधमा का रोध हो शरदधा

होगी शरदधा हो पररपणाता होगी परजञा पररपणा होगी ऐसा न हो तो परजञा पररपणा न होगी और िर तक परजञा

पररपणा न हो िर तक तमहारा िानना पररपणा न हो तमहारा िीवन पररपणा नही हो सकता

िानन म ही तिप ह सार सरोत कयोकक मलताः तम जञान हो जञान की शति हो मलताः तम रोध हो

इसी स तो हमन रदध को रदध कहा रोध क कारण नाम तो उनका गौतम तसदधाथा था लककन िर व परम परजञा

को और रोध को उपलबध हए तो हमन उनह रदध कहा तमहार भीतर भी रोध उतना ही तिपा ह तितना उनक

भीतर था वह िग िाए तो तमहार भीतर भी रदधतव का आतवभााव होगा और िर तक यह न हो तर तक चन

मत लना तर तक सर चन झठी ह सातवना मत कर लना तर तक सातवना सतोि नही ह तर तक तम मागा

म ही रक गए मतिल क पहल ही ककसी पड़ाव को मतिल समझ तलया

तिसका तचतत अतसथर ह िो सदधमा को नही िानता और तिसकी शरदधा डावाडोल ह उसकी परजञा

पररपणा नही हो सकती

और परजञा पररपणा न हो तो तम अपरण रहोग और तम अपणा रहो तो अशातत रहगी और तम अशात

रहो तो दो ही उपाय ह एक कक तम शातत को िोिन तनकलो और दो कक तम अशातत को समझो

अशातत को समझना रदध का उपाय ह तिसन अशातत को समझ तलया वह शात हो िाता ह और िो

शातत की तलाश म तनकल गया वह और नई-नई अशाततया मोल ल लता ह

िीवन को िीन क दो ढग ह एक मातलक का और एक गलाम का गलाम का ढग भी कोई ढग ह िीना

हो तो मातलक होकर ही िीना अनयथा इस िीवन स मर िाना रहतर ह कम स कम मर िाना सच तो होगा

यह िीवन तो तरलकल झठा ह सपना ह गलाम क ढग स तमन िीकर दि तलया कि पाया नही यदयतप पान

ही पान की तलाश रही अर मातलक क ढग स िीना दि लो रस शासतर रदलना होगा सतर रदलना होगा

इतना ही फका करना होगा अर तक कल क तलए िीत थ अर आि ही िीयो अर तक कि होन क तलए िीत

थ अर िो हो वस ही िीयो अर तक मचिाा म िीत थ अर िागकर िीयो होश स िीयो

और धयान रिना परतयक कदम होश का रदधतव को करीर लाता ह परतयक कदम होश का तमहार भीतर

रदधतव क झरनो को सककरय करता ह मघ ककसी भी कषण ररस सकता ह तम िरा सयोिन रदलो और सर

तमहार पास ह कि िोड़ना नही ह और कि तमहार पास ऐसा नही ह तिस हटाना ह वीणा क तार ढील ह

टट ह िोड़ना ह वयवतसथत कर दना ह अगतलया भी तमहार पास ह वीणा भी तमहार पास ह तसफा अगतलयो

का वीणा पर वीणा क तारो पर िलन का सयोिन करना ह ककसी भी कषण सयम रठ िाएगा सगीत उतपि

हो सकता ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

रारहवा परवचन

उठो तलाश लातिम ह

पहला परशनाः िीवन तवरोधाभासी ह असगततयो स भरा ह तो कफर तका रतदध वयवसथा और अनशासन

का मागा रदध न कयो रताया

परशन िीवन का नही ह परशन तमहार मन का ह िीवन को मोकष की तरफ नही िाना ह िीवन तो मोकष

ह िीवन नही भटका ह िीवन नही भला ह िीवन तो वही ह िहा होना चातहए तम भटक हो तम भल हो

तमहारा मन तका की उलझन म ह और यातरा तमहार मन स शर होगी कहा िाना ह यह सवाल नही ह कहा

स शर करना ह यही सवाल ह

मतिल की रात रदध न नही की मतिल की रात तम समझ भी कस पाओग उसका तो सवाद ही समझा

सकगा उसम तो डरोग तो ही िान पाओग रदध न मारग की रात कही ह रदध न तम िहा िड़ हो तमहारा

पहला कदम िहा पड़गा उसकी रात कही ह इसतलए रदध रतदध तवचार अनशासन वयवसथा की रात करत

नही कक उनह पता नही ह कक िीवन कोई वयवसथा नही मानता िीवन कोई रल की पटररयो पर दौड़ती

हई गाड़ी नही ह िीवन परम सवततरता ह िीवन क ऊपर कोई तनयम नही ह कोई मयाादा नही ह िीवन

अमयााद ह वहा न कि शभ ह न अशभ िीवन म सवासवीकार ह वहा अधरा भी और उिला भी एक साथ

सवीकार ह

मनषय क मन का सवाल ह मनषय का मन तवरोधाभासी रात को समझ ही नही पाता और तिसको तम

समझ न पाओग उस तम िीवन म कस उतारोग तिस तम समझ न पाओग उसस तम दर ही रह िाओग

तो रदध न वही कहा िो तम समझ सकत हो रदध न सतय नही कहा रदध न वही कहा िो तम समझ

सकत हो कफर िस-िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस रदध तमस वह भी कहग िो तम नही समझ सकत

रदध एक कदन गिरत ह एक राह स िगल की पतझड़ क कदन ह सारा वन सि पततो स भरा ह और

आनद न रदध स पिा ह कक कया आपन हम सर रात रता दी िो आप िानत ह कया आपन अपना परा सतय

हमार सामन सपषट ककया ह रदध न सि पततो स अपनी मिी भर ली और कहा आनद मन तमस उतना ही

कहा ह तितन सि पतत मरी मिी म ह और उतना अनकहा िोड़ कदया ह तितन सि पतत इस वन म ह वही

कहा ह िो तम समझ सको कफर िस तमहारी समझ रढ़गी वस-वस वह भी कहा िा सकगा िो पहल समझा

नही िा सकता था

रदध कदम-कदम रढ़ आतहसता-आतहसता तमहारी सामथया दिकर रढ़ ह रदध न तमहारी रद को सागर

म डालना चाहा ह

ऐस भी फकीर हए ह तिनहोन सागर को रद म डाल कदया ह पर वह काम रदध न नही ककया उनहोन

रद को सागर म डाला ह सागर को रद म डालन स रद रहत घरड़ा िाती ह उसक तलए रहत रड़ा कदल

चातहए उसक तलए रड़ी तहममत चातहए उसक तलए दससाहस चातहए उसक तलए मरन की तयारी चातहए

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रदध न तमह रफता-रफता रािी ककया ह एक-एक कदम तमह करीर लाए ह इसतलए रदध क तवचार म एक

अनशासन ह

ऐसा अनशासन तम करीर म न पाओग करीर उलटरासी रोलत ह करीर तमहारी कफकर नही करत

करीर वहा स रोलत ह िहा व सवय ह िहा मघ तघर ह अदकय क और अमत की विाा हो रही ह िहा तरन

घन परत फहार--िहा मघ भी नही ह और िहा अमत की विाा हो रही ह ररझ रोलत ह

तो करीर को तो व रहत थोड़ स लोग समझ पाएग िो उनक साथ ितरा लन को रािी ह करीर न

कहा ह िो घर रार आपना चल हमार सग तिसकी तयारी हो घर म आग लगा दन की वह हमार साथ हो

ल ककस घर की रात कर रह ह वह तमहारा मन का घर तमहारी रतदध की वयवसथा तमहारा तका तमहारी

समझ िो उस घर को िलान को तयार हो करीर कहत ह वह हमार साथ हो ल

रदध कहत ह घर को िलान की भी िररत नही ह एक-एक कदम सही इच-इच सही धीर-धीर सही

रदध तमह फसलात ह इसतलए रदध वही स शर करत ह िहा तम हो उनहोन उतना ही कहा ह िो कोई भी

तका तनषठ वयति समझन म समथा हो िाएगा इसतलए रदध का इतना परभाव पड़ा सार िगत पर रदध िसा

परभाव ककसी का भी नही पड़ा

अगर दतनया म मसलमान ह तो मोहममद क परभाव की विह स कम मसलमानो की िरदासती की विह

स जयादा अगर दतनया म ईसाई ह तो ईसा क परभाव स कम ईसाइयो की वयापारी-कशलता क कारण जयादा

लककन अगर दतनया म रौदध ह तो तसफा रदध क कारण न तो कोई िरदासती की गई ह ककसी को रदलन की न

कोई परलोभन कदया गया ह लककन रदध की रात मौि पड़ी तिसक पास भी थोड़ी समझ थी उसको भी रदध म

रस आया

थोड़ा सोचो रदध ईशवर की रात नही करत कयोकक िो भी सोच-तवचार करता ह उस ईशवर की रात म

सदह पदा होता ह रदध न वह रात ही नही की िोड़ो उसको अतनवाया न माना रदध आतमा तक की रात नही

करत कयोकक िो रहत सोच-तवचार करता ह वह कहता ह यह म मान नही सकता कक शरीर क राद रचगा

कौन रचगा यह सर शरीर का ही िल ह आि ह कल समापत हो िाएगा ककसी न कभी मरकर लौटकर कहा

कक म रचा ह कभी ककसी न िरर की य सर यही की रात ह मन को रहलान क खयाल ह

रदध न आतमा की भी रात नही कही रदध न कहा यह भी िान दो कयोकक य रात ऐसी ह कक परमाण

दन का तो कोई उपाय नही तम िर िानोग तभी िानोग उसक पहल िनान की कोई सतवधा नही और

अगर तम तका तनषठ हो रहत तवचारशील हो तो तम मानन को रािी न होओग और रदध कहत ह कोई ऐसी

रात तमस कहना तिस तम इनकार करो तमहार मागा पर राधा रन िाएगी वह इनकार ही तमहार तलए रोक

लगा रदध कहत ह यह भी िान दो

रदध कहत ह कक हम इतना ही कहत ह कक िीवन म दि ह इस तो इनकार न करोग इस तो इनकार

करना मतककल ह तिसन थोड़ा भी सोचा-तवचारा ह वह तो कभी इनकार नही कर सकता इस तो वही

इनकार कर सकता ह तिसन सोचा-तवचारा ही न हो लककन तिसन सोचा-तवचारा ही न हो वह भी कस

इनकार करगा कयोकक इनकार क तलए सोचना-तवचारना िररी ह तिसक मन म िरा सी भी परततभा ह

थोड़ी सी भी ककरण ह तिसन िीवन क सरध म िरा सा भी जचतन-मनन ककया ह वह भी दि लगा अधा भी

दि लगा िड़ स िड़ रतदध को भी यह रात समझ म आ िाएगी िीवन म दि ह आसओ क तसवाय पाया भी

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कया इस रदध को तसदध न करना पड़गा तमहारा िीवन ही तसदध कर रहा ह तमहारी कथा ही रता रही ह

तमहारी भीगी आि कह रही ह तमहार कपत पर कह रह ह

तो रदध न कहा िीवन म दि ह यह कोई आधयाततमक सतय नही ह यह तो िीवन का तथय ह इस

कौन कर इनकार कर पाया और रदध न कहा दि ह तो अकारण तो कि भी नही होता दि क कारण होग

और रदध न कहा दि स तो मि होना चाहत हो कक नही होना चाहत ईशवर को नही पाना चाहत समझ म

आता ह कि तसरकफरो को िोड़कर कौन ईशवर को पाना चाहता ह कि पागलो को िोड़कर कौन आतमा की

कफकर कर रहा ह समझदार आदमी ऐस उपिवो म नही पड़त ऐसी झझट मोल नही लत जिदगी की झझट

काफी ह अर आतमा और परमातमा और मोकष इन उलझनो म कौन पड़

रदध न य रात ही नही कही तम इनकार कर सको ऐसी रात रदध न कही ही नही इसका उनहोन रड़ा

सयम रिा उन िसा सयमी रोलन वाला नही हआ ह उनहोन एक शबद न कहा तिसम तम कह सको नही

उनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा न दी

इस थोड़ा समझना लोगो न रदध को नातसतक कहा ह और म तमस कहता ह कक रदध अकल आदमी ह

पथवी पर तिनहोन तमह नातसतक होन की सतवधा नही दी तिनहोन तमस कहा ईशवर ह उनहोन तमह इनकार

करन को मिरर करवा कदया कहा ह ईशवर तिनहोन तमस कहा आतमा ह उनहोन तमहार भीतर सदह पदा

ककया रदध न वही कहा तिस पर तम सदह न कर सकोग रदध न आतसतकता दी हा ही कहन की सतवधा

िोड़ी न का उपाय न रिा

रदध रड़ कशल ह उनकी कशलता को िर समझोग तो चककत हो िाओग कक तिसको तमन नातसतक

समझा ह उसस रड़ा आतसतक पथवी पर दसरा नही हआ और तितन लोगो को परमातमा की तरफ रदध ल गए

कोई भी नही ल िा सका और परमातमा की रात भी न की हद की कशलता ह चचाा भी न चलाई चचाा

तमहारी की पहचाया परमातमा तक रात तमहारी उठाई समझा-समझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला

सलझाया तमह सलझाव म परमातमा तमला दि काटा तमहारा िो शि रचा वही आनद ह रधन कदिाए

मोकष की रात न उठाई

कारागह म िो रद ह िनमो-िनमो स उसस मोकष की रात करक कयो कयो उस शरमदा करत हो और

िो कारागह म रहत कदनो तक रद रह गया ह उस मोकष का खयाल भी नही रहा उस अपन पि भी भल गए

ह आि तम उस अचानक आकाश म िोड़ भी दो तो उड़ भी न सकगा कयोकक उड़न क तलए पहल उड़न का

भरोसा चातहए तड़फड़ाकर तगर िाएगा

तमन कभी दिा तोत को रहत कदन तक रि लो जपिड़ म कफर ककसी कदन िला दवार पाकर भाग भी

िाए तो उड़ नही पाता पि वही ह उड़न का भरोसा िो गया तहममत िो गई यह याद ही न रही कक हम

भी कभी आकाश म उड़त थ कक हमन भी कभी पि फलाए थ और हमन भी कभी दर की यातरा की थी वह

रात सपना हो गयी आि पकका नही रहा ऐसा हआ था कक तसफा सपन म दिा ह वह रात अफवाह िसी हो

गयी और इतन कदन तक कारागह म रहन क राद कारागह की आदत हो िाती ह तो तोता तो थोड़ ही कदन

रहा ह तम तो िनमो-िनमो रह हो

रदध न कहा तमस मोकष की रात करक तमह शरमदा कर तमस मोकष की रात करक तमह इनकार करन

को मिरर कर

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कयोकक धयान रिना िो वयति रहत कदन कारागह म रह गया ह वह यह कहना शर कर दता ह कक

कही कोई मति ह ही नही यह उसकी आतमरकषा ह वह यह कह रहा ह कक अगर मोकष ह तो कफर म यहा कया

कर रहा ह म नपसक यहा कयो पड़ा ह अगर मोकष ह तो म मि कयो नही हआ ह कफर सारी तिममवारी

अपन पर आ िाती ह

लोग ईशवर को इसतलए थोड़ ही इनकार करत ह कक ईशवर नही ह या कक उनह पता ह कक ईशवर नही ह

ईशवर को इनकार करत ह कयोकक अगर ईशवर ह तो हम कया कर रह ह तो हमारा सारा िीवन वयथा ह लोग

मोकष को इसतलए इनकार करत ह कक अगर मोकष ह तो हम तो कवल अपन रधनो का ही इतिाम ककए चल िा

रह ह तो हम मढ़ ह अगर मोकष ह तो तिनको तम सासाररक रप स समझदार कहत हो उनस जयादा मढ़ कोई

भी नही

तो आदमी को अपनी रकषा तो करनी पड़ती ह सरस अचिी रकषा का उपाय ह कक तम कह दो कहा ह

आकाश कहा ह मोकष हम भी उड़ना िानत ह मगर आकाश ही नही ह हम भी परमातमा को पा लत--कोई

रदधो न ही पाया ऐसा नही--हम कि कमिोर नही ह हमम भी रल ह हमन भी पा तलया होता लककन हो

तभी न ह ही नही ऐसा कहकर तम अपनी आतमरकषा कर लत हो तर तम अपन कारागह को घर समझ लत

हो

तिस कारागह म रहत कदन रह हो उस कारागह कहन की तहममत भी िटानी मतककल हो िाती ह

कयोकक कफर उसम रहोग कस अगर ईशवर ह तो ससार म रचनी हो िाएगी िड़ी अगर मोकष ह तो तमहारा

घर तमह काटन लगगा कारागह हो िाएगा तमहार राग आसति क सरध िहर मालम होन लगग उतचत

यही ह कक तम कह दो कक नही न कोई मोकष ह न कोई परमातमा ह यह सर िालसािो की रकवास ह कि

तसरकफरो की रातचीत ह या कि चालरािो की अटकलरातिया ह इस तरह तम अपनी रकषा कर लत हो

रदध न तमह यह मौका न कदया रदध न ककसी को नातसतक होन का मौका न कदया रदध क पास नातसतक

आए और आतसतक हो गए कयोकक रदध न कहा दिी हो इसको कौन इनकार करगा इस तम कस इनकार

करोग यह तमहार िीवन का सतय ह और कया तम कही ऐसा आदमी पा सकत हो िो दि स मि न होना

चाहता हो मोकष न चाहता हो लककन दि स मि तो सभी कोई होना चाहत ह पीड़ा ह रदध न कहा काटा

तिदा ह रदध न कहा म तचककतसक ह म कोई दाशातनक नही लाओ म तमहारा काटा तनकाल द कस इनकार

करोग इस आदमी को यह तशकषक की घोिणा ही नही कर रहा ह कक म तशकषक ह या गर ह यह तो इतना ही

कह रहा ह तसफा एक तचककतसक ह

और इस आदमी को दिकर लोगो को भरोसा आया कयोकक इस आदमी क िीवन म दि का कोई काटा

नही ह इस आदमी क िीवन म ऐसी परमशातत ह ऐसी तवशरातत ह--सर लहर िो गई ह पीड़ा की एक अपवा

उतसव तनत-नतन परततपल नया अभी-अभी तािा और िनमा इस आदमी क पास अनभव होता ह इस आदमी

क पास एक हवा ह तिस हवा म आकर यह दो रात कर रहा हाः अपनी हवा स िरर द रहा ह कक आनद सभव

ह और तमहार दि की तरफ इशारा कर रहा ह कक तम दिी हो दि क कारण ह दि क कारण को तमटान का

उपाय ह

तो रदध का सारा जचतन दि पर िड़ा ह दि ह दि क कारण ह दि क कारण को तमटान क साधन ह

और दि स मि होन की सभावना ह इस सभावना क व सवय परतीक ह तिस सवासथय को व तमहार भीतर

लाना चाहत ह उस सवासथय को व तमहार सामन मौिद िड़ा ककए ह तम रदध स यह न कह सकोग कक

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तचककतसक पहल अपनी तचककतसा कर रदध को दित ही यह तो सवाल ही न उठगा और तम रदध स यह भी

न कह सकोग कक म दिी नही ह ककस मह स कहोग और कहकर तम कया पाओग तसफा गवाओग

इसतलए रदध न तमह दिकर वयवसथा दी और रदध यह िानत ह कक तिस कदन तमहारा दि न होगा

तिस कदन तमहारी पीड़ा तगर िाएगी तमहारी आि क अधकार का पदाा कटगा तम िागोग उस कदन तम दि

लोग--मोकष ह िो कदिाया िा सकता हो और िो कदिान क अततररि और ककसी तरह समझाया न िा सकता

हो उस कदिाना ही चातहए उसकी रात करनी ितरनाक ह कयोकक अकसर लोग रातो म िो िात ह

ककतन लोग रात क ही धारमाक ह रातचीत ही करत रहत ह ईशवर चचाा का एक तविय ह अनभव का

एक आयाम नही िीवन को रदलन की एक आग नही तसदधातो की राि ह शासतरो म लोग उलझ रहत ह राल

की िाल तनकालत रहत ह उसस भी अहकार को रड़ा रस आता ह रदध न शासतरो को इनकार कर कदया रदध न

कहा यह पीि तम िोि कर लना अभी तो उठो अभी तो अपन िीवन क दि को काट लो रदध न यह कहा

हफीि क शबदो म--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

उठो मकदरो वालो िो तम रठ गए हो मकदरो और मतसिदो म सनमकद वालो तलाश लातिम ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

थोड़ा दि को तमटान की कोतशश कर लो अगर न तमटा तो यह दि तो ह ही कफर लौट पड़ग थोड़ा

कारागह क राहर आओ घरड़ाओ मत अगर िला आकाश न तमला इधर ही लौट पड़ग

रदध न तिजञासा दी आसथा नही रदध न इकवायरी दी अनविण कदया आसथा नही रदध न इतना ही

कहा ऐस मत रठ रहो ऐस रठ तो कि न होगा रठ-रठ तो कि न होगा िोि लातिम ह तम दिी हो

कयोकक तमन िीवन की सारी सभावनाए नही िोिी तम दिी हो कयोकक तमन िनम क साथ ही समझ तलया

कक िीवन तमल गया िनम क साथ तो कवल सभावना तमलती ह िीवन की िीवन नही तमलता िनम क राद

िीवन िोिना पड़ता ह िो िोिता ह उस तमलता ह और िनम क राद िो रठा-रठा सोचता ह कक तमल गया

िीवन यही िीवन ह पदा हो गए यही िीवन ह वह चक िाता ह

तो रदध न यह नही कहा कक म तमस कहता ह कक यह मोकष यह सवातषय यह आकाश यह परमातमा

तमल ही िाएगा यह म तमस नही कहता म इतना ही कहता ह--

उठो सनमकद वालो तलाश लातिम ह

िोि िररी ह

इधर ही लौट पड़ग अगर िदा न तमला

और घरड़ाहट कया ह यह घर तो कफर भी रहगा तमहार मन की धारणाओ म कफर लौट आना अगर

तनधाारणा का कोई आकाश न तमल लौट आना तवचारो म अगर धयान की कोई झलक न तमल अगर शात होन

की कोई सतवधा-सराग न तमल कफर अशात हो िाना कौन सी अड़चन ह अशात होकर रहत कदन दि तलया

ह अशातत स कोई शातत तो तमली नही रदध कहत ह म भी तमह एक झरोि की िरर दता ह थोड़ा इधर भी

झाक लो--तलाश लातिम ह

रदध न िोि दी शरदधा नही इस थोड़ा समझो रदध न तमह तमहार िीवन पर सदह कदया परमातमा क

िीवन पर शरदधा नही य दोनो एक ही रात ह अपन पर सदह हो िाए तो परमातमा पर शरदधा आ ही िाती ह

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परमातमा पर शरदधा आ िाए तो अपन पर सदह हो ही िाता ह तमह अगर अपन अहकार पर रहत भरोसा ह

तो परमातमा पर शरदधा न होगी तम अगर अपन को रहत समझदार समझ रठ हो तो कफर तमह ककसी मोकष

ककसी आतमा म भरोसा नही आ सकता तमन कफर अपन जञान को आतिरी सीमा समझ ली कफर तवसतार की

िगह और सतवधा न रही और जयादा िानन को तम मान ही नही सकत कयोकक तम यह नही मान सकत कक

ऐसा भी कि ह िो तम नही िानत हो तिसन अपन पर ऐसा अधा भरोसा कर तलया वही तो परमातमा पर

भरोसा नही कर पाता तिसन इस तथाकतथत िीवन को िीवन समझ तलया वही तो महािीवन की तरफ

िान म असमथा हो िाता ह पग हो िाता ह

तो दो उपाय ह रदध को िोड़कर राकी रदधपरिो न परमातमा की तरफ शरदधा िगाई रदध न तमहार

िीवन क परतत सदह िगाया रात वही ह ककसी न कहा तगलास आधा भरा ह ककसी न कहा तगलास आधा

िाली ह

रदध न कहा तगलास आधा िाली ह कयोकक तम िाली हो भर को तम अभी समझ न पाओग और

आधा तगलास िाली ह यह समझ म आ िाए तो िलदी ही तम आधा भरा तगलास ह उसक करीर पहचन

लगोग तमस यह कहना कक आधा तगलास भरा ह गलत होगा कयोकक तम िाली म िी रह हो नकार का

तमह पता ह ररिता का तमह पता ह पणाता का तमह कोई पता नही इसतलए रदध न शनय को अपना शासतर

रना तलया

रदध न तमह दिा तमहारी रीमारी को दिा तमहारी नबि पर तनदान ककया इसतलए रदध स जयादा

परभावी कोई भी नही हो सकता कयोकक मनषय क मन म रदध को समझन म कोई अड़चन न आई

रदध रहत सीध-साफ ह ऐसा नही कक जिदगी म िरटलता नही ह जिदगी रड़ी िरटल ह लककन रदध

रड़ सीध-साफ ह ऐसा समझो कक अगर तम करीर स पिो या महावीर स पिो या कषण स पिो तो व रात

वहा की करत ह--इतन दर की कक तमहारी आिो म पास ही नही कदिाई पड़ता उतना दर तमह कस कदिाई

पड़गा तो एक ही उपाय ह या तो तम इनकार कर दो िो कक जयादा ईमानदार ह इसतलए नातसतक जयादा

ईमानदार होत ह रिाय आतसतको क और या तमह कदिाई नही पड़ता लककन तम सवीकार कर लो कयोकक

िर महावीर को कदिाई पड़ता ह तो होगा ही तो तम भी हा म हा भरन लगो और तम कहो कक हा मझ भी

कदिाई पड़ रहा ह

इसतलए तिनको तम आतसतक कहत हो व रईमान होत ह नातसतक कम स कम सचाई तो सवीकार

करता ह कक मझ नही कदिाई पड़ रहा ह हालाकक वह कहता गलत ढग स ह वह कहता ह ईशवर नही ह उस

कहना चातहए मझ कदिाई नही पड़ रहा कयोकक तमह कदिाई न पड़ता हो इसतलए िररी नही ह कक न हो

रहत सी चीि तमह कदिाई नही पड़ती ह और ह रहत सी चीि आि नही कदिाई पड़ती कल कदिाई पड़

िाएगी और रहत सी चीि कदिाई आि पड़ सकती ह लककन तमहारी आि रद ह

नातसतक क कहन म गलती हो सकती ह लककन ईमानदारी म चक नही ह नातसतक यही कहना चाहता

ह कक मझ कदिाई नही पड़ता लककन वह कहता ह नही ईशवर नही ह उसक कहन का ढग अलग ह रात वह

सही ही कहना चाहता ह आतसतक रड़ी झठी अवसथा म िीता ह आतसतक को कदिाई नही पड़ता वह यह भी

नही कहता कक मझ कदिाई नही पड़ता वह यह भी नही कहता कक ईशवर नही ह िो नही कदिाई पड़ता उस

सवीकार कर लता ह ककसी और क भरोस पर और तर यातरा रद हो िाती ह कयोकक िो तमन िाना नही

और मान तलया तम उस िोिोग कयो

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इसतलए रदध न कहा तलाश लातिम ह िोि िररी ह ईशवर ह या नही यह कफकर िोड़ो लककन ऐस

रठ-रठ िीवन का ढग दिपणा ह तनराशा स भरा ह मरचिात ह िागो और रदध न करोड़ो-करोड़ो लोगो को

परमातमा तक पहचा कदया

इसतलए म कहता ह इस सदी म रदध की भािा रड़ी समसामतयक ह कटपररी ह कयोकक यह सदी रड़ी

ईमानदार सदी ह इतनी ईमानदार सदी पहल कभी हई नही तमह यह सनकर थोड़ी परशानी होगी तम थोड़ा

चौकोग कयोकक तम कहोग यह सदी और ईमानदार सर तरह क रईमान कदिाई पड़ रह ह लककन म तमस

कफर कहता ह कक इस सदी स जयादा ईमानदार सदी कभी नही हई आदमी अर वही मानगा िो िानगा

अर तम यह न कह सकोग कक हमार कह स मान लो अर तम यह न कह सकोग कक हम रिगा ह और

हम रड़ अनभवी ह और हमन राल ऐस धप म नही पकाए ह हम कहत ह इसतलए मान लो अर तमहारी इस

तरह की रात कोई भी न मानगा अर तो लोग कहत ह नगद सवीकार करग उधार नही अर तो हम िानग

तभी सवीकार करग ठीक ह तमन िान तलया होगा लककन तमहारा िानना तमहारा ह हमारा नही हम

भटक ग अधर म भला लककन हम उस परकाश को न मानग िो हमन दिा नही

इसतलए म कहता ह यह सदी रड़ी ईमानदार ह ईमानदार होन क कारण नातसतक ह अधारमाक ह

परानी सकदया रईमान थी लोग उन मकदरो म झक तिनका उनह कोई अनभव न था उनका झकना

औपचाररक रहा होगा सर झक गया होगा हदय न झका होगा और असली सवाल वही ह कक हदय झक व

ईशवर को मानकर झक गए होग लककन तिस ईशवर को िाना नही ह उसक सामन झकोग कस कवायद हो

िाएगी शरीर झक िाएगा तम कस झकोग उनहोन उस झकन म स भी अकड़ तनकाल ली होगी व और

अहकारी होकर घर आ गए होग कक म रोि पिा करता ह पराथाना करता ह रोि माला फरता ह

माला फरन वालो को तम िानत ही हो उन िस अहकारी तम कही न पाओग उनका अहकार रड़ा

धारमाक अहकार ह उनक अहकार पर राम-नाम की चदररया ह उनका अहकार रड़ा पतवतर मालम होता ह

शदध नहाया हआ पर ह तो अहकार ही और िहर तितना शदध होता ह उतना ही ितरनाक हो िाता ह

नही इस सदी न साफ कर तलया ह कक अर हम वही मानग िो हम िानत ह यह सदी तवजञान की ह

तथय सवीकार ककए िात ह तसदधात नही और तथय भी अधी आिो स सवीकार नही ककए िात ह सर तरफ स

िोिरीन कर ली िाती ह िर अतसदध करन का कोई उपाय नही रह िाता तभी कोई चीि सवीकार की िाती

इसतलए ऐसा घटता ह--रटरड रसल िसा वयति िो नातसतक ह इसतलए िीसस को शरदधा नही द सकता

हालाकक ईसाई घर म पदा हआ ह सार ससकार ईसाई क ह लककन रटरड रसल न एक ककतार तलिी ह--वहाय

आई एम नाट ए ककरतियन--म ईसाई कयो नही ह ईसा पर रड़ शक उठाए ह

शक उठाए िा सकत ह कयोकक ईसा की वयवसथा म कोई तका नही ह ईसा कतव ह कहातनया कहन म

कशल ह तवरोधाभासी ह उनक शबद पहतलया ह हा िो िोि करगा वह उन पहतलयो क आतिरी राि को

िोल लगा लककन वह तो रड़ी िोि की रात ह और उस िोि म िीवन लग िात ह लककन िो पहली को

सीधा-सीधा दिगा वह इनकार कर दगा

रसल न िीसस को इनकार कर कदया लककन रसल न कहा कक म नातसतक ह मगर रदध को इनकार नही

कर सकता रदध को इनकार कस करोग यही तो म कह रहा ह रसल क मन म भी रदध क परतत वसी ही शरदधा

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ह िसी ककसी भि क मन म हो इनकार करन की िगह नही िोड़ी इस आदमी न इस आदमी न ऐसी रात

ही नही कही िो तका की कसौटी पर िरी न उतरती हो

रदध वजञातनक िषटा ह रदध को इस भातत समझोग तो तमहार तलए रड़ कारगर हो सकत ह हालाकक

धयान रिना िस-िस गहर उतरोग पानी म िस-िस रदध क फसलाव म आ िाओग वस-वस तम पाओग कक

तितना तका पहल कदिाई पड़ता था वह पीि नही ह मगर तर कौन जचता करता ह अपना ही अनभव शर हो

िाता ह कफर कौन परमाण मागता ह परमाण तो हम तभी मागत ह िर अपना अनभव नही होता िर अपना

ही अनभव हो िाता ह

म तमह तका दता ह और तका स इतना ही तमह रािी कर लता ह कक तम मरी तिड़की पर आकर िड़ हो

िाओ रस कफर तो तिड़की स िला आकाश तमही को कदिाई पड़ िाता ह कफर तम मझस नही पित कक

आप परमाण द आकाश क होन का अर परमाण दन का परशन ही नही उठता ह--न तम मागत हो न म दता ह

और तम मझ धनयवाद भी दोग कक भला ककया कक पहल मझ तका स समझाकर तिड़की तक ल आए

कयोकक अगर तका स न समझाया होता तो म तिड़की तक आन को भी रािी नही होता म एक कदम न चलता

अगर तमन पहल ही इस आकाश की रात की होती िो मर तलए अनिाना ह अपररतचत ह तो म तहला ही न

होता अपनी िगह स तमन भला ककया आकाश की रात न की तिड़की की रात की असीम की रात न की

सीमा की रात की तमन भला ककया आनद की रात न की दि-तनरोध की रात की तमन भला ककया धयान

की रात न की तवचार स मि होन की रात की तमन भला ककया शरदधा न मागी वह म द न सकता तमन मर

सदह का ही उपयोग कर तलया तमन काट स काटा तनकाल कदया भला ककया

इसतलए रदध क परतत कतजञता अनभव होगी यदयतप रदध न तमह धोिा कदया िीसस तमह इतना धोिा

नही द रह ह व रात वही कह रह ह िो ह िसा आतिर म तम पाओग िीसस न पहल ही कह कदया

रदध कि और कह रह ह तमह दिकर कह रह ह िसा नही ह वसा कह रह ह लककन तम अनगहीत

अनभव करोग कक कपा की करणा की कक इतना धोिा कदया अनयथा म तिड़की पर न आता

तम चककत होओग अगर म तमस कह झन फकीरो न कहा भी ह झन फकीर जलची न कहा ह रदध स

जयादा झठ रोलन वाला आदमी नही हआ जलची रोि पिा करता ह रदध की सरह स फल चढ़ाता ह आस

रहाता ह लककन कहता ह रदध स झठ रोलन वाला आदमी नही जलची न एक रार अपन तशषयो स कहा कक य

रदध क शासतरो को आग लगा दो य सर सरासर झठ ह ककसी न पिा लककन तम रोि आस रहात हो रोि

सरह फल चढ़ात हो और हमन तमह घटो रदध की परततमा क सामन भाव-तवभोर दिा ह इन दोनो को हम कस

िोड़ य दोनो रात रड़ी असगत ह जलची न कहा उनकी करणा क कारण व झठ रोल उनक झठ क कारण म

वहा तक पहचा िहा सच का दशान हआ रदध अगर सच ही रोलत तो म पहच न पाता

सभी जञानी रहत उपाय करत ह तमह पहचान क व सभी उपाय सही नही ह िस तम घर म रठ हो

तम कभी राहर नही गए मन राहर िाकर दिा कक रड़ फल तिल ह पतकषयो क अनठ गीतो का राजय ह

सरि तनकला ह िला मि असीम आकाश ह सर तरफ रोशनी ह और तम अधर म दर रठ हो और सदी म

रठठर रह हो लककन तम कभी राहर नही गए अर म तमह कस राहर ल िाऊ तमस कस कह तमह कस िरर

द राहर क सरि की कयोकक तमहारी भािा म सरि क तलए कोई पयाायवाची नही ह तमह कस रताऊ फलो

क रारत कयोकक तमहारी भािा म फलो क तलए कोई शबद नही ह रग तमन िान ही नही रगो का उतसव

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तम कस सनोग-समझोग तमन तसफा दीवाल दिी ह उस दीवाल को तमन अपनी जिदगी समझी ह तमस

कस कह कक ऐसा भी आकाश ह तिसकी कोई सीमा नही तम कहोग हो चकी रात लनतरानी ह

तमन कहानी सनी ह कक एक मढक सागर स आ गया था और एक कए म उतर गया था कए क मढक न

पिा तमतर कहा स आत हो उसन कहा सागर स आता ह कए क तमतर न पिा सागर ककतना रड़ा ह

कयोकक उस कए क मढक न कए स रड़ी कोई चीि कभी दिी न थी उसी म पदा हआ था उसी म रड़ा हआ

था कभी कए की दीवालो को पार करक राहर गया भी न था दीवाल रड़ी भी थी और पार इसस रड़ा कि

हो भी सकता ह इस मानन का कोई कारण भी न था कभी राहर स भी कोई मढक न आया था तिसन िरर

दी हो सागर क मढक न कहा रहत रड़ा ह लककन रहत स कही पता चलता ह कए क मढक को रहत रड़ का

कया मतलर कए का मढक आध कए म िलाग लगाई उसन और कहा इतना रड़ा आधा कआ इतना रड़ा

उसन कहा कक नही-नही रहत रड़ा ह तो उसन परी िलाग लगाई कहा इतना रड़ा लककन अर उस सदह

पदा होन लगा सागर क मढक न कहा भाई रहत रड़ा ह

उस भरोसा तो नही आया लककन कफर भी उसन एक और आतिरी कोतशश की उसन परा चककर कए

का दौड़कर लगाया कहा इतना रड़ा सागर क मढक न कहा म तमस कस कह रहत रड़ा ह इस कए स

उसका कोई पमाना नही उसका कोई नाप-िोि नही हो सकता तो कए क मढक न कहा झठ की भी एक

सीमा होती ह ककसी और को धोिा दना हम ऐस नासमझ नही ह तम ककसको मढ़ रनान चल हो अपनी

राह लो इस कए स रड़ी चीि न कभी सनी गई न दिी गई अपन मा-राप स अपन परिो स भी मन इसस

रड़ी चीि की कोई रात नही सनी व तो रड़ अनभवी थ म नया हो सकता ह हम दर-पीढ़ी इस कए म रह ह

अगर म तमस राहर की रात आकर कह तमहार अधकार-ककष म तम भरोसा न करोग इसीतलए तो

नातसतकता पदा होती ह िर भी कोई परमातमा म िाकर लौटता ह और तमह िरर दता ह और वह इतना

लड़िड़ा गया होता ह अनभव स--वह इतना अवाक और आियाचककत होकर लौटता ह कक उसकी भािा क पर

डगमगा िात ह अनभव इतना रड़ा और शबद इतन िोट शबदो म अनभव समाता नही वह रोलता ह और

रोलन की वयथाता कदिाई पड़ती ह वह तहचककचाता ह वह कहता भी ह और कहत डरता भी ह कक िो भी

कहगा गलत होगा और िो भी कहगा वह सतय क अनकल न होगा कयोकक भािा तमहारी अनभव राहर का

भािा दीवालो की अनभव असीम का

तो म कया कर तमहार कमर म आकर जलची ठीक कहता ह रदध झठ रोल रदध न चचाा नही की फलो

की रदध न चचाा नही की पतकषयो क गीत की रदध न चचाा नही की झरनो क कलकल नाद की रदध न सरि की

रोशनी की और ककरणो क तवराट िाल की कोई रात नही की नही कक उनको पता नही था उनस जयादा

ककसको पता था उनहोन रात कि और की उनहोन रात की तमहारी दीवालो की उनहोन रात की तमहार

अधकार की उनहोन रात की तमहारी पीड़ा की तमहार दि की उनहोन पहचाना कक तमह राहर ल िान का

कया उपाय हो सकता ह

राहर क दकय तमह आकरिात न कर सक ग कयोकक आकिाण तभी होता ह िर थोड़ा अनभव हो थोड़ा

भी सवाद लग िाए तमठास का तो कफर तम तमठाई क तलए आतर हो िात हो लककन नमक ही नमक िीवन

म िाना हो कड़वाहट ही कड़वाहट भोगी हो तमठास का सपना भी न आया हो कभी कयोकक सपना भी उसी

का आता ह तिसका िीवन म थोड़ा अनभव हो सपन भी िीवन का ही परततफलन होत ह

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तो रदध न तमस कया कहा रदध न कहा कक भागो इस मकान म आग लगी ह आग लगी न थी जलची

ठीक कहता ह रदध झठ रोल

मगर जलची रोि उनको धनयवाद भी दता ह कक तमहारी अनकपा कक तम झठ रोल नही तो म भागता

ही न घर म आग लगी ह रदध न तमह भयभीत कर कदया तमहार दि क तचतर उभार तमहार िप दि को

राहर तनकाला तमन िो दरा रिा ह अपन भीतर अधकार उसको परगट ककया तमहार दि को इतना उभारा

कक तम घरड़ा गए तम भयभीत हो गए और िर रदध न कहा इस घर म आग लगी ह तो तम घरड़ाहट म

भाग िड़ हए तम भल ही गए इनकार करना कक राहर तो ह ही नही िाए कहा िर घर म आग लगी हो तो

कौन सोच-तवचार की तसथतत म रह िाता ह भाग िड़ हए

अमरीका म एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था एक तसनमागह म िर लोग आधा घटा तक तपकचर

दिन म तललीन हो चक थ अचानक एक आदमी िोर स तचललाया--आग आग उस आदमी को तरठा रिा था

एक मनोवजञातनक न भगदड़ शर हो गई मनिर तचलला रहा ह कक कही कोई आग नही ह लककन कोई सनन

को रािी नही िर एक दफा भय पकड़ ल

लोगो न दरवाि तोड़ डाल करसाया तोड़ डाली भीड़-भड़ककम हो गई एक-दसर क ऊपर भाग िड़ हए

रचच तगर गए दर गए रामतककल कबिा पाया िा सका िर लोग राहर आ गए तभी उनको भरोसा आया कक

ककसी न मिाक कर दी लककन एक मनोवजञातनक परयोग कर रहा था कक लोग शबदो स ककतन परभातवत हो

िात ह आग रस काफी ह कफर तम यह भी नही दित कक आग ह भी या नही

रदध न तमहार दि को उभारा रदध तचललाए आग तम भाग िड़ हए उसी भागदौड़ म तमम स कि

राहर तनकल गए जलची उनही म स ह िो राहर तनकल गया अर वह कहता ह िर झठ रोल कही आग न

लगी थी कही धआ भी न था आग तो दर मगर उसी भय म राहर आ गए इसतलए चरणो म तसर रिता ह

कक न तम तचललात न हम राहर आत

म भी तमस न मालम ककतन-ककतन ढग क झठ रोल िाता ह िानता ह सौभागयशाली होग तमम व

िो ककसी कदन उन झठो को पहचान लग लककन व तम तभी पहचान पाओग िर तम राहर तनकल चक

होओग तर तम नाराि न होओग तम अनगहीत होओग

रदध न तमहारी भािा रोली तमह िगाना ह तमहारी भािा रोलनी ही िररी ह रदध अपनी भािा

तमस नही रोल हा रदध क पास कोई रदधपरि होता तो उसस व अपनी भािा रोलत

एक सरह व फल लकर आए ह ऐसा कभी न हआ था कभी व कि लकर न आए थ और व रठ गए ह

रोलन क तलए भीड़ सनन को आतर ह और व फल को दि चल िात ह धीर-धीर भीड़ रचन होन लगी

कयोकक लोग सनन को आए थ और रदध उस कदन कदिा रह थ िो लोग सनन को आए ह व दिन को रािी

नही होत

यह रड़ मि की रात ह तम अगर हीर की रारत सनन आए हो और म हीरा लकर भी रठ िाऊ तो भी

तम रचन हो िाओग कयोकक तम सनन आए थ तम कानो का भरोसा करन आए थ मन तमहारी आिो को

पकारा तमहारी आि रद ह हीर की रात कर तम सन लोग हीरा कदिाऊ तमह कदिाई ही न पड़गा

रदध फल तलए रठ रह उस कदन रदध न एक परम उपदश कदया िसा उनहोन कभी न कदया था उस कदन

रदध न अपना रदधतव सामन रि कदया मगर दिन वाला चातहए सनन वाल थ आि क अध थ कान क कशल

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तमहार सर शासतर कान स आए ह सतय आि स आता ह सतय परतयकष ह सनी हई रात नही सतय कोई

शरतत नही ह न कोई समतत ह सतय दशान ह

उस कदन रदध रठ रह लोग परशान होन लग रदधतव सामन हो लोग परशान होन लग अध रह होग

घड़ी पर घड़ी रीतन लगी और लोग सोचन लग होग अर घर िान की कक यह मामला कया ह और कोई कह

भी न सका रदध स कहो भी कया कक आप यह कया कर रह ह रठ कयो ह रोलो कि रोलो तो हम सन

शबदो तर हमारी पहच ह ककसी को यह न कदिाई पड़ा कक यह आदमी कया कदिा रहा ह

फल को रदध दित रह परमशनय एक तवचार की तरग भीतर नही मौिद और मौिद नही उपतसथत

और अनपतसथत तवचार का कण भी नही परम धयान की अवसथा समातध साकार और हाथ म तिला फल

परतीक परा था ऐसी समातध साकार हो तो ऐसा िीवन का फल तिल िाता ह कि और कहन को न था अर

और कहन को रचता भी कया ह पर आि क अध

तमही सोचो आि म रोलता न और फल लकर आकर रठ गया होता तम इधर-उधर दिन लगत तम

लकषमी की तरफ दित कक मामला कया ह कदमाग िरार हो गया तम उठन की तयारी करन लगत तम एक-

दसर की तरफ दित कक अर कया करना ह

िर ऐसी रचनी की लहर सर तरफ फलन लगी--उतन चन क सामन भी लोग रचन हो गए उतनी

शातत क सामन भी लोग अशात हो गए--तर एक रदध का तशषय महाकाकयप इसक पहल उसका नाम भी

ककसी न न सना था कयोकक आि वालो का अधो स मल नही होता इसका नाम भी पहल ककसी न नही सना

था यह पहल मौक पर इसका नाम पता चला िर लोगो को इतना रचन दिा तो वह तिलतिलाकर हसन

लगा उस सिाट म उसकी तिलतिलाहट न और लोगो को चौका कदया कक यहा एक ही पागल नही ह--यह रदध

तो कदमाग िरार मालम होता ह एक यह भी आदमी पागल ह यह कोई हसन का वि ह यह रदध को कया

हो गया ह और यह महाकाकयप कयो हसता ह

और रदध न आि उठाई और महाकाकयप को इशारा ककया और फल उस भट कर कदया और भीड़ स यह

कहा िो म शबदो स तमह द सकता था तमह कदया िो शबदो स नही कदया िा सकता वह महाकाकयप को

दता ह एक यही समझ पाया तम सनन वाल थ यह एक दिन वाला था

यही कथा झन क िनम की कथा ह झन शबद आता ह धयान स िापान म झन हो गया चीन म चान हो

गया लककन मलरप ह धयान रदध न उस कदन धयान द कदया झन फकीर कहत ह--टरासतमशन आउटसाइड

तसकरपचसा शासतरो क राहर दान शासतरो स नही कदया उस कदन शबद स नही कदया महाकाकयप को सीधा-सीधा

द कदया शबद म डालकर न कदया िस िलता हआ अगारा तरना राि क द कदया महाकाकयप चप ही रहा

चपपी म रात कह दी गई िो रदध न कहा था कक मिी भर सि पतत ऐसा ही मन तमस िो कहा ह वह इतना

ही ह और िो कहन को ह वह इतना ह तितना इस तवराट िगल म सि पततो क ढर

लककन म तमस कहता ह उस कदन उस फल म परा िगल द कदया उस कदन कि रचाया नही उस कदन

सर द कदया उस कदन रदध उडल गए उस कदन महाकाकयप का पातर परा भर गया तर स झन म यह वयवसथा

रही ह कक गर उसी को अपना अतधकारी तनयि करता ह िो मौन म लन को रािी हो िाता ह िो शबद की

तिद करता ह वह सनता ह ठीक ह साधता ह ठीक ह लककन वह िोिता उस ह अपन उततरातधकारी की

तरह िो शनय म और मौन म लन को रािी हो िाता ह िस रदध न उस कदन महाकाकयप को फल कदया ऐस

ही शनय म ऐस ही मौन म

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तो ऐसा नही ह कक रदध न िो कहा ह वही सर ह वह तो शरआत ह वह तो रारहिड़ी ह उसका

सहारा लकर आग रढ़ िाना वह तो ऐसा ही ह िस हम सकल म रचचो को तसिात ह ग गणश का--या अर

तसिात ह ग गधा का कयोकक अर धारमाक रात तो तसिाई नही िा सकती राजय धमातनरपकि ह तो गणश

की िगह गधा गणश तलिो तो मसलमान नाराि हो िाए कक िन नाराि हो िाए गधा तसकयलर ह

धमातनरपकष ह वह सभी का ह ग गणश का न तो ग गणश का ह न ग गध का ह ग ग का ह लककन रचच को

तसिात ह कफर ऐसा थोड़ ही ह कक वह सदा याद रिता ह कक िर भी तम कि पढ़ो तर रार-रार िर भी ग

आ िाए तो कहो ग गणश का तो पढ़ ही न पाओग पढ़ना ही मतककल हो िाएगा िो साधन था वही राधक

हो िाएगा

िो कहा ह वह तो ऐसा ही ह--ग गणश का वह तो पहली ककषा क तवदयाथी की रात ह लककन रदध न

पहली ककषा की रात कही कयोकक तम वही िड़ हो उनहोन तवशवतवदयालय क आतिरी िोर की रात नही कही

वहा तम कभी पहचोग तर दिा िाएगा और वहा पहच गए िर तम तो कहन की िररत नही रह िाती

तम िद ही दिन म समथा हो िात हो

शरआत ह शनय स अत ह दिन स शरआत ह सदह स अत ह शरदधा पर सदह को कस शरदधा तक

पहचाया िाए नातसतकता को कस आतसतकता तक पहचाया िाए नही को कस हा म रदला िाए यही रदध

की कीतमया ह यही रदध-धमा ह एस धममो सनतनो

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक मोकष रदधतव की आकाकषा भी वासना का ही एक रप ह और कफर कहा

िर तक रदधतव परापत न हो िाए तर तक चन स मत रठना इस तवरोधाभास को समझाए

मोकष की रदधतव की आकाकषा भी रदधतव म राधा ह कफर मन तमस कहा िर तक मोकष उपलबध न हो

िाए तर तक तपत होकर मत रठ िाना तर तक अभीपसा करना तर तक आकाकषा करना सवभावताः

तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह लककन म यही कह रहा ह कक िर तक आकाकषारतहतता उपलबध न हो िाए तर

तक आकाकषारतहतता की आकाकषा करत रहना यह तवरोधाभास कदिाई पड़ता ह कयोकक म दो तलो को िोड़न

की कोतशश कर रहा ह तम िहा हो उसको और तम िहा होन चातहए उसको िोड़न की कोतशश कर रहा ह

इसतलए तवरोधाभास

िस कोई रचचा पदा हो अभी िनमा ह और हम उस मौत की िरर दनी हो यदयतप िो िनम गया वह

मरन लगा लककन रचच को मतय की रात समझानी रड़ी करठन हो िाएगी मतय की रात तवरोधाभासी मालम

पड़गी अभी तो िनम ही हआ ह और यह मौत की कया रात ह और िनम क साथ मौत को कस िोड़ो रचच

को तवरोधाभासी लगगी लककन तवरोधाभासी ह नही कयोकक िनम क साथ ही मौत की यातरा शर हो गई िो

िनमा वह मरन लगा

तितन िलदी मौत समझाई िा सक उतना ही अचिा ह ताकक िनम वयथा न चला िाए अगर िनम क

साथ ही मौत की समझ आ िाए तो िनम और मतय क रीच म रदधतव उपलबध हो िाता ह तो आदमी िाग

िाता ह िनम और मतय दोनो स तिस िनम की मतय होनी ह उन दोनो क रीच िीवन तो नही हो सकता

आभास होगा तो िर िनम की मतय ही हो िानी ह तो इस िीवन का कया भरोसा तो कफर हम ककसी और

िीवन की िोि कर--ककसी और िीवन की िहा न िनम हो न मतय

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समझ इस परशन को अर

यकद म तमस कह आकाकषा न करो तो तम यातरा ही शर न करोग िनम ही न होगा अगर म तमस यह

न कह कक आकाकषा भी िट िानी चातहए तो तम कभी पहचोग नही मोकष की आकाकषा मोकष की यातरा का

पहला कदम ह और मोकष की आकाकषा का तयाग मोकष की यातरा का अततम कदम ह दोनो मझ तमस कहन

होग

दतनया म दो तरह क लोग ह एक ह िो कहत ह िर आकाकषा स राधा ही पड़ती ह तो कया मोकष की

आकाकषा करना कफर हम िस ह वस ही भल ह इसस यह मत समझ लना कक उनहोन ससार की आकाकषाए

िोड़ दी उनहोन तसफा मोकष की आकाकषा न की उनहोन अपन को धोिा द तलया ससार की आकाकषाए तो व

ककए ही चल िाएग कयोकक ससार की आकाकषाए तो तभी िटती ह िर कोई मोकष की आकाकषा करता ह िर

कोई मोकष की आकाकषा पर सर दाव पर लगाता ह परा कदल दाव पर लगाता ह तर ससार की आकाकषाए

िटती ह तर ससार की आकाकषाओ म िो ऊिाा सलगन थी वह मि होती ह मोकष की तरफ लगती ह लककन

िो मोकष की तरफ की आकाकषा ककए चला िाता ह वह भी भटक िाता ह कयोकक अतताः वह आकाकषा भी

राधा रन िाएगी एक कदन उस भी िोड़ना ह

ऐसा समझो रात हम दीया िलात ह दीए की राती और तल दीया िलना शर होता ह तो दीए की

राती पहल तो तल को िलाती ह कफर िर तल िल िाता ह तो दीए की राती अपन को िला लती ह सरह

न तल रचता ह न राती रचती ह तर समझो कक सरह हई कफर भोर हई

तो पहल तो ससार की आकाकषाओ का तम तल की तरह उपयोग करो और मोकष की आकाकषा का राती

की तरह तो ससार की सारी आकाकषाओ को िला दो मोकष की राती को िलान म तल का उपयोग कर लो

ईधन का उपयोग कर लो सारी आकाकषाए इकिी कर लो ससार की और मोकष की एक आकाकषा पर समरपात

कर दो झोक दो सर मगर धयान रिना तिस कदन सर तल चक िाएगा उस कदन यह राती भी िल िानी

चातहए नही तो सरह न होगी यह राती कही राधा न रन िाए

तो एक तो सासाररक लोग ह िो कभी मोकष की आकाकषा ही नही करत कफर दसर मकदरो मतसिदो म

रठ हए धारमाक लोग ह तिनहोन ससार की आकाकषा िोड़ दी और परमातमा की आकाकषा पकड़ ली अर उस

आकाकषा को नही िोड़ पा रह ह ऐसा समझो कक कि तो ऐस लोग ह िो सीकढ़यो पर पर ही नही रित ऊपर

िान की यातरा ही शर नही होती और कि ऐस ह िो सीकढ़यो को पकड़कर रठ गए ह सीकढ़या नही िोड़त

िो सीकढ़यो क नीच रह गया वह भी ऊपर न पहच पाया और िो सीकढ़यो पर रह गया वह भी ऊपर न पहच

पाया म तमस कहता ह सीकढ़या पकड़ो भी िोड़ो भी

मन सना ह एक तीथायाततरयो की टरन हररदवार िा रही थी अमतसर पर गाड़ी िड़ी थी और एक

आदमी को लोग िरदासती घसीटकर गाड़ी म रिना चाह रह थ लककन वह कह रहा था कक भाई इसस उतरना

तो नही पड़गा उनहोन कहा उतरना तो पड़गा िर हररदवार पहच िाएगी तो उतरना पड़गा तो उस आदमी

न कहा--वह रड़ा तारका क आदमी था--उसन कहा िर उतरना ही ह तो चढ़ना कया यह तो तवरोधाभासी ह

चढ़ो भी कफर उतरो भी लना-दना कया ह हम चढ़त ही नही गाड़ी िटन क करीर हो गई ह सीटी रिन

लगी ह और भाग-दौड़ मच रही ह

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आतिर उसक सातथयो न--िो उसक यातरी-दल क साथी थ--उनहोन उसको पकड़ा और वह तचललाता ही

िा रहा ह कक िर उतरना ह तो चढ़ना कया मगर उनहोन कहा कक अर इसकी सन समझान का समय भी

नही उसको चढ़ा कदया

कफर वही झझट हररदवार क सटशन पर मची वह कह कक उतरग नही कयोकक िर चढ़ ही गए तो चढ़

गए अर उतर नही सकत वह आदमी तारका क था वह यह कह रहा ह कक तवरोधाभासी काम म नही कर

सकता ह वह ककसी तवशवतवदयालय म तका का परोफसर होगा

िर म तमस कहता ह ससार की आकाकषा िोड़ो--अमतसर की सटशन पर कफर तमस कहता ह अर

तिस टरन म चढ़ गए वह भी िोड़ो--हररदवार पर परमातमा का घर आ गया हररदवार आ गया उसका दवार आ

गया अर यह टरन िोड़ो तमह उस आदमी पर हसी आती ह लककन अगर तम अपन भीतर िोिोग तम उसी

आदमी को तिपा हआ पाओग

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

तवरोधाभास ह

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

इतिार का मिा ही तर ह िर इतिार भी न रह िाए याद तभी परी आती ह िर याद भी नही

आती

इस थोड़ा करठन होगा समझना कयोकक िर तक याद आती ह उसका मतलर अभी याद परी आई नही

रीच-रीच म भल-भल िाती होगी तभी तो याद आती ह तिसकी याद परी आ गई उसकी कफर याद आन की

िगह कहा रही कफर भलग कहा याद कस आएगी याद तभी तक आती ह िर भलना िारी रहता ह िर

भलना ही तमट गया तो याद कसी भलना तमट िान क साथ याद भी िो िाती ह

हदद-इतिार--अर सीमा पार हो गई लककन तभी याद का मिा ह िर याद भी नही आती अर एक ही

हो गए उसस अर याद करन क तलए भी फासला और दरी न रही ककसकी याद कर और कौन कर ककसको

पकार और कौन पकार तिस चाहा था तिसकी चाहत थी वह िो परमी था और िो परयसी थी व दोनो एक

हो गए अपनी ही कोई कस याद कर

लट मि उसी न तर इतिार क

िो हदद-इतिार क आग तनकल गया

और धमा की सारी भािा तवरोधाभासी ह होगी ही कयोकक धमा यातरा का परारभ भी ह और अत भी वह

िनम भी ह और मतय भी और वह दोनो क पार भी ह इसतलए िलदी तवरोधाभासो म मत उलझ िाना और

उनको हल करन की कोतशश मत करना समझन की कोतशश करना तर तम पाओग दोनो की िररत ह िो

सीढ़ी चढ़ाती ह वही रोक भी लती ह अगर तमन रहत तवरोधाभास दि तो तम मतककल म पड़ोग कयोकक

तम एक तो कर लोग कफर दसरा करन म अटकोग

तमन अगर यह कहा तमन अगर यह सन तलया कक परमातमा याद करन स तमलता ह और तम याद ही

करत रह और तम कभी हदद-इतिार क आग न गए तो कभी परमातमा न तमलगा राम-राम िपत रहोग

तोता-रटत रहगी कठ म रहगा हदय तक न िाएगा कयोकक िो हदय म चला गया उसकी कही याद करनी

33

पड़ती ह याद होती रहती ह करनी नही पड़ती होती रहती ह कहना भी ठीक नही कयोकक दो याद क रीच

भी िाली िगह कहा साततय रना रहता ह तर हदद-इतिार

और ऐसी घड़ी िर घटती ह तो ऐसा नही ह कक िर तम तवरोधाभास की सीमा क पार तनकलत हो

और िर तम पराडाकस और तवरोधाभास का अततकरमण करत हो तो ऐसा नही ह कक तम ही परम आनद को

उपलबध होत हो तमहार साथ सारा अतसततव उतसव मनाता ह कयोकक तमहार साथ सारा अतसततव भी

अततकरमण करता ह एक सीमा और पार हई

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम--िर सारी परकतत गीत गाती ह िर सारा अतसततव

तमहार उतसव म सतममतलत हो िाता ह

कयोकक तम अलग-थलग नही हो तमम अतसततव न कि दाव पर लगाया ह तम अतसततव क दाव हो

पास हो परमातमा न तमहार ऊपर रड़ा दाव लगाया ह और रड़ी आशा रिी ह तिस कदन तम उपलबध होत

हो तम ही नही नाचत परमातमा भी नाचता ह तम ही अकल नाच तो कया नाच परमातमा भी िश होता ह

सारा अतसततव िश होता ह एक फतह और तमली एक तविय-यातरा का चरण और परा हआ

िर अपन नफस पर इसान फतह पाता ह

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

वह रड़ा चप ह गीत इसतलए ककसी को कया मालम वह रड़ा मौन ह वह उनही को कदिाई पड़ता ह

तिनह अदकय कदिाई पड़न लगा वह उनही को सनाई पड़ता ह िो सिाट को भी सन लत ह वह उनही को सपशा

हो पाता ह िो अरप का भी सपशा कर लत ह तनराकार स तिनकी चचाा होन लगी

िो गीत गाती ह कफतरत ककसी को कया मालम

तीसरा परशनाः आकाकषा तमटकर अभीपसा रन िाती ह अभीपसा की समातपत पर कया कि रचता ह सपषट

कर

आकाकषा यानी ससार की आकाकषाए आकाकषा यानी आकाकषाए एक नही अनक ससार अथाात अनक

िर आकाकषा तमटकर अभीपसा रनती ह--अभीपसा यानी आकाकषा आकाकषाए नही एक की आकाकषा का नाम

अभीपसा अनक की अभीपसा का नाम आकाकषा िर सारी आकाकषाओ की ककरण इकिी हो िाती ह और एक

सतय पर परमातमा पर या मोकष पर या सवय पर तनवााण पर कवलय पर क कित हो िाती ह तो अभीपसा

आकाकषा और आकाकषाओ का िाल िर सगरहीभत हो िाता ह तो अभीपसा पदा होती ह ककरण िर इकिी हो

िाती ह तो आग पदा होती ह ककरण अनक आग एक

यहा तक तो समझ म रात आ िाती ह कक आदमी धन को चाहता ह पद को चाहता ह पतनी को चाहता

ह रट को चाहता ह भाई को चाहता ह िीवन चाहता ह लरी उमर चाहता ह यह सर चाहत य सर चाहत

इकिी हो िाती ह और आदमी तसफा परमातमा को चाहता ह--यहा तक भी समझ म आ िाता ह कयोकक रहत

आकाकषाए तिसन की ह वह इसकी भी कलपना तो कम स कम कर ही सकता ह कक सभी आकाकषाए इकिी हो

गयी सभी िोट नदी-नाल तगर गए एक ही गगा म और गगा रहन लगी सागर की तरफ लककन िर आकाकषा

34

क राद अभीपसा भी िो िाती ह तर कया रचता ह नदी-नाल िो िात ह गगा म कफर िर गगा िो िाती ह

सागर म तो कया रचता ह सागर रचता ह गगा नही रचती

अर इस तम समझो

पहल तमहारी आकाकषाए िो िाएगी तम रचोग कफर तम भी िो िाओग परमातमा रचगा िर तक

तम आकाकषाओ म भटक हए हो तर तक तम तीन-तरह हो टकड़-टकड़ हो िर तमहारी सारी आकाकषाए

अभीपसा रन िाएगी तम एक हो िाओग तम योग को उपलबध हो िाओग योग यानी िड़ िाओग

सासाररक आदमी िड-िड ह एक भीड़ ह एक मिमा ह धारमाक आदमी भीड़ नही ह एक एकात ह

धारमाक आदमी इकिा ह योग को उपलबध हआ ह सारी आकाकषाए तसकोड़ ली उसन लककन अभी ह अभी

होनाभर मातर राधा रची अभी तम हो--अभीपसा म--और परमातमा ह यदयतप तम एक हो गए हो लककन

परमातमा अभी दसरा ह पराया ह

इस थोड़ा समझो

सासाररक आदमी भीड़ ह अनक ह धारमाक आदमी एक हो गया इकिा हो गया इटीगरटड योगसथ

लककन अभी परमातमा राकी ह तो दवत रचा सासाररक आदमी अनकतव म िीता ह धारमाक आदमी दवत म

भि रचा भगवान रचा िोिी रचा सतय रचा सागर रचा गगा रची अर भि को अपन को भी डरा दना

ह ताकक भगवान ही रच ताकक सागर ही रच गगा को अपन को भी िोना ह अनक स एक कफर एक स

शनय तर कौन रचगा तर सागर रचता ह िो सदा स था तम नही थ तर भी था वही रचगा िहा स तम

आए थ वही तम लौट िाओग िो तमहार होन क पहल था वही तमहार राद रचगा

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वताल परा हो िाता ह िनम क पहल तम िहा थ मरन क राद वही पहच िात हो थोड़ा सोचो गगा

सागर म तगरती ह गगा सागर स ही आई थी--सरि की ककरणो पर चढ़ा था सागर का िल सीकढ़या रनाई थी

सरि की ककरणो की कफर रादल घनीभत हए थ आकाश म कफर रादल ररस थ तहमालय पर ररस थ मदानो

म हिारो नदी-नालो म रह थ गगा की तरफ--गगोतरी स रही थी गगा मघ स आई थी मघ सागर स आए थ

कफर चली वापस कफर सागर म िो िाएगी

मरन क राद आए ह ऐ राहरर िहा

मरा कयास ह कक चल थ यही स हम

वही रचगा िो तमहार होन क पहल था उस सतय कहो तम एक लहर हो सागर तमहार पहल भी

था लहर िो िाएगी सो िाएगी सागर कफर भी होगा और धयान रिना सागर तरना लहरो क हो सकता ह

लहर तरना सागर क नही हो सकती कभी सागर म लहर होती ह कभी नही भी होती िर लहर होती ह

उसको हम सतषट कहत ह िर लहर नही होती उसको हम परलय कहत ह अगर सारी लहरो को सोच तो सतषट

और परलय अगर एक-एक लहर का तहसार कर तो िनम और मतय िर लहर नही होती तो मतय िर लहर

होती ह तो िनम लककन िर लहर तमट िाती ह तर कया सच म ही तमट िाती ह यही सवाल ह गहरा

लहर सच म तमट िाती ह आकार तमटता होगा िो लहर म था िो लहर म वसतताः था वह तो कस तमटगा

िो था वह तो नही तमटता वह तो सागर म कफर भी होता ह रड़ा होकर होता ह तवराट होकर होता ह

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तम रहोग तम िस नही तम रहोग रद िस नही तम रहोग सीतमत नही पता-रठकाना न रहगा

नाम-रप न रहगा लककन िो भी तमहार भीतर घनीभत ह इस कषण वह रचगा तवराट होकर रचगा तम

तमटोग लककन तमटना मौत नही ह तम तमटोग तमटना ही होना ह

आतिरी परशनाः तपिल एक परशनोततर म आपन समपाण और भति म भीतर होश राहर रहोशी कही ह और

धयानी और जञानी को भीतर स रहोशी और राहर स होश कहा ह यह धयानी को ककस तरह की भीतर की

रहोशी होती ह और राहर कफर वह ककस चीि का होश रिता ह ककस तरह स होश रिता ह िर कक भीतर

रहोशी रहती ह कया मर सनन या समझन म कही गलती हो रही ह कपया कफर स ठीक स समझाकर कह

नही--सनन म कोई गलती नही हई समझन म गलती हो रही ह कयोकक समझ तवरोधाभास को नही

समझ पाती सन तो लोग ककतनी ही तवरोधाभासी रात कह सन तो लोग और यह भी समझ लोग कक

तवरोधाभासी ह और यह भी समझ लोग कक सन तलया लककन कफर भी समझ न पाओग कयोकक तिसको तम

समझ कहत हो वह तवरोधाभास को समझ ही नही सकती इसीतलए तो तवरोधाभास कहती ह म कफर स

दोहरा दता ह रात रड़ी सीधी ह िरटल मालम होती ह कयोकक रतदध सीधी-सीधी रात को नही पकड़ पाती

एक तो ह भि परमी वह नाचता ह तम उसकी रहोशी को--िर म कहता ह रहोशी तो मरा मतलर ह

उसकी मसती--तम उसक िाम को िलकत राहर स भी दि लत हो मकदरा रही िा रही ह मीरा क नाच म

चतनय क भिन म कि भीतर िाकर िोिना न होगा उसकी मसती राहर ह मौि-दररया लहरो म ह फलो

म ह अध को भी समझ आ िाएगी रहर को भी सनाई पड़ िाएगी नाचती हई ह गीत गाती हई ह

अतभवयि ह यह िो मसती ह यह मसती तभी सभव ह िर भीतर होश हो नही तो यह मसती पागलपन हो

िाएगी

पागल और भि म फका कया ह यही पागल भी कभी नाचता ह मसकराता ह गीता गाता ह लककन

तम पहचान लोग उसकी आिो म िरा झाक कर दिना--उसम रहोशी तो ह लककन भीतर होश का दीया

नही भि रहोश भी ह और होश का दीया भी समहाल ह नाचता भी ह लककन दीए की लौ नही कपती

भीतर राहर नाच चलता ह भीतर सर ठहरा ह--अकप तभी तो पागल और परमातमा क दीवान का फका ह

तो तमह कभी-कभी परमातमा का दीवाना भी पागल लगगा कयोकक पागल और परमातमा क दीवान म

राहर तो एक ही िसी घटना घटती ह और कभी-कभी पागल भी तमह परमातमा का दीवाना लगगा

लककन इसका मतलर यही हआ कक तम िरा भीतर न गए राहर स ही राहर लौट आए राहर-राहर

दिकर लौट आए िरा भीतर उतरो िरा दो-चार सीकढ़या भीतर िाओ िरा पागल क नाच म और दीवान-

परमातमा की मसती क नाच म िरा गौर करो सवाद तभि ह रग-ढग रड़ा तभि ह अलग-अलग अदाि ह

लककन थोड़ा गौर स दिोग तो ऐस ही राह स चलत हए दिकर गिर गए तो भातत हो सकती ह ऊपर स

दोनो एक िस लगत ह पागल तसफा पागल ह रहोश ह भि तसफा रहोश नही ह रहोश भी ह और कि होश

भी ह रहोशी क भीतर होश का दीया िल रहा ह यही तवरोधाभास समझ म नही आता

कफर एक और तवरोधाभास तो चीि और िरटल हो िाती ह

यह तो भि हआ कफर धयानी ह यह तो मीरा हई कफर रदध ह रदध क राहर तो कपन भी न तमलगा

व मौि-दररया नही ह शात झील ह व फल क रग िस राहर कदिाई पड़त ह ऐस नही ह व ऐस ह िस रीि

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म फल तिपा हो हिार-हिार रग भीतर दराकर रठ ह सवर ह रहत लककन ऐस िस वीणा म सोए हो

ककसी न िड़ न हो तो राहर तरलकल सिाटा ह

तम रदध क राहर होश पाओग मीरा क राहर तम मसती पाओग रदध क राहर तम परम होश पाओग

वहा िरा भी कपन न होगा और िस मीरा क रहोशी म भीतर होश ह ऐसा ही रदध क राहर क होश म भीतर

रहोशी होगी कयोकक दोनो साथ होन ही चातहए तभी पररपणाता होती ह अगर तसफा राहर का होश ही हो

और भीतर रहोशी न हो तो यह तो तम साधारण तयागी-तवरि म पा लोग इसक तलए रदध तक िान की

िररत नही यही तो रदधो म और रदधो का अनसरण करन वालो म फका ह रदध म और पािडी म यही फका ह

मीरा और पागल म िस फका ह रदध और पािडी म वस फका ह पािडी को दिकर अगर ऊपर-ऊपर स

आ गए तो धोिा हो िाएगा रगल को दिा ह िड़ा कसा रदध िसा िड़ा रहता ह इसीतलए तो रगला भगत

शबद हो गया कसा भगत मालम पड़ता ह एक टाग पर िड़ा रहता ह कौन योगी इतनी दर इस तरह िड़ा

रहता ह लककन निर मिली पर रटकी रहती ह

तो तमह ऐस लोग तमल िाएग--काफी ह उनकी सखया--कयोकक सरल ह रगला रन िाना रहत आसान

ह लककन उनकी निर मिली पर लगी रहगी योगी रठा हो भला आि रद ककए हो सकता ह निर तमहारी

िर पर लगी हो राहर स तो कोई भी साध ल सकता ह आसन पराणायाम तनयम मयाादा सवाल ह भीतर

का यह तनषकपता राहर की ही तो नही ह अनयथा सका स की ह

यह तनषकपता अगर राहर ही राहर ह और भीतर कपन चल रहा ह और भीतर आपाधापी मची ह

और भीतर जचतन और तवचार चल रहा ह और वासनाए दौड़ रही ह और भीतर कोई परमातमा को पा लन

की मसती नही रि रही ह और भीतर कोई गीत की गनगन नही ह भीतर कोई नाच नही चल रहा ह

ऐसा समझो रदध और मीरा तरलकल एक िस ह फका इतना ही ह कक िो मीरा क राहर ह वह रदध क

भीतर ह िो मीरा क भीतर ह वह रदध क राहर ह एक तसकका सीधा रिा ह एक तसकका उलटा रिा ह तसकक

दोनो एक ह िो भीतर िाएगा वही पहचान पाएगा और इसतलए म कहता ह कक मझ दोनो रासत सवीकार ह

तम अगर रदध क अनयातययो स मीरा की रात कहोग व कहग कहा की अजञानी सतरी की रात उठात हो

िनो स िाकर कहो महावीर क अनयातययो स कहो मीरा की रात व कहग कक आसति राग कषण का भी

हआ तो कया मोह कही रदधपरि नाचत ह यह तो सासाररको की रात ह और कही रदधपरि ऐसा रोत ह

याद करत ह ऐसा इतिार करत ह कही रदधपरि ऐसा कहत ह कक सि सिाकर रिी ह तम कर आओग

न िन कहग यह तो अजञानी ह मीरा

िन तो कषण को भी जञानी नही मान सकत वह रासरी राधा डालती ह जञानी क ओठो पर रासरी

िचती नही करक दि लो कोतशश ककसी िन-मकदर म िाकर महावीर क मह पर रासरी रि आओ व पतलस

म ररपोटा कर दग तमहारी कक तमन हमार भगवान तरगाड़ कदए यह दषकमा होगा वहा यह दघाटना मानी

िाएगी यहा तम रासरी िन-मकदर म लकर आए कस और महावीर क ओठ पर रिन की तहममत कस की

अनयातययो क साथ रड़ा ितरा ह व ऐस ही हो िात ह िस घोड़ो की आिो पर परिया रधी होती ह--

रस एक तरफ कदिाई पड़ता ह ताग म ित घोड़ दि रस वस ही अनयायी होत ह रस एक तरफ कदिाई

पड़ता ह िीवन का तवसतार िो िाता ह सपरदाय का यही अथा ह

धमा तो रहआयामी ह सपरदाय एक आयामी ह वन डायमशनल ह रस उनहोन रदध को दिा समझा कक

रात ितम हो गई रदध रहत िर ह लककन रदध होन क और भी रहत ढग ह जिदगी रड़ी अनत आयामी ह

37

परमातमा ककसी पर चक नही िाता हिार-हिार रगो म हिार-हिार फलो म हिार-हिार ढगो म अतसततव

तिलता ह और नाचता ह

मगर दो रड़ रतनयादी ढग ह एक धयान का और एक परम का मीरा परम स पहची िो परम स पहचगा

उसकी मसती राहर नाचती हई होगी और भीतर धयान होगा भीतर मौन होगा सिाटा होगा मीरा को

भीतर काटोग तो तम रदध को पाओग वहा और म तमस कहता ह अगर रदध की भी तम िोिरीन करो और

भीतर उतर िाओ तो तम वहा मीरा को नाचता हआ पाओग इसक अततररि हो नही सकता कयोकक िर तक

धयान मसती न रन और िर तक मसती धयान न रन तर तक अधरा रह िाता ह सर

इसतलए कभी यह मत सोचना कक तिस ढग स तमन पाया वही एक ढग ह और कभी दसर क ढग को

नकार स मत दिना और कभी दसर क ढग को जनदा स मत दिना कयोकक वह अहकार की चालरातिया ह

सदा धयान रिना हिार-हिार ढग स पाया िा सकता ह रहत ह रासत उसक रहत ह दवार उसक मकदर क

तम तिस दवार स आए भला और भी दवार ह और दो परमि-दवार ह होन ही चातहए कयोकक सतरी और परि दो

वयतितव क मल ढग ह

सतरी यानी परम परि यानी धयान परि अकला होकर उस पाता ह सतरी उसक साथ होकर उस पाती ह

परि सर भातत अपन को शनय करक उस पाता ह सतरी सर भातत अपन को उसस भरकर पाती ह मगर िर म

सतरी और परि कह रहा ह तो मरा मतलर शारीररक नही ह रहत परि ह तिनक पास परम का हदय ह व परम

स ही पाएग रहत तसतरया ह तिनक पास धयान की कषमता ह व धयान स पाएगी

मगर यह रात तम सदा ही धयान रिना कक िो तम राहर पाओग उसस तवपरीत तम भीतर पाओग

कयोकक तवपरीत स िड़कर ही सतय तनरमात होता ह सतय तवरोधाभासी ह सतय पराडाकस ह

आि इतना ही

38

एस धममो सनतनो भाग 2

तरहवा परवचन

अतरााती को उकसाना ही धयान

अनवससततचततसस अननवाहतचतसो

पपापपहीनसस नततथ िागरतो भय 34

कमभपम कायतमम तवकदतवा नगरपम तचतततमद ठपतवा

योधथ मार पायधन तित च रकि अतनवसनोतसया 35

अतचर वत य कायो पठजव अतधसससतत

िदधो अपतजवणो तनरतथ व कतलडगर 36

कदसो कदस यनत कतयरा वरी वा पन वररन

तमचिापतणतहत तचतत पातपयो न ततो कर 37

न त माता तपता कतयरा अो वातप च ातका

सममापतणतहत तचतत सययसो न ततो कर 38

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

ससार रदलता ह कफर भी रदलता नही ससार की मसीरत तो रनी ही रहती ह वहा तो तफान और

आधी चलत ही रहग अगर ककसी न ऐसा सोचा कक िर ससार रदल िाएगा तर म रदलगा तो समझो कक

उसन न रदलन की कसम िा ली तो समझो कक उसकी रदलाहट कभी हो न सकगी उसन कफर तय ही कर

तलया कक रदलना नही ह और रहाना िोि तलया

रहत लोगो न रहान िोि रि ह व कहत ह ससार ठीक हालत म नही ह हम ठीक होना भी चाह तो

कस हो सक ग अध ह ऐस लोग कयोकक ससार कभी ठीक नही हआ कफर भी वयतियो क िीवन म फल तिल

ह कोई रदध रोशन हआ कोई कषण कोई कराइसट सगध को उपलबध हए ह ससार तो चलता ही रहा ह ऐस

ही चलता रहगा ससार क रदलन की परतीकषा मत करना अनयथा तम रठ रहोग परतीकषा करत अधर म ही

िीयोग अधर म ही मरोग और ससार तो सदा ह तम अभी हो कल तवदा हो िाओग

इसतलए एक रात खयाल म रि लनी ह रदलना ह सवय को और ककतन ही तफान हो ककतनी ही

आतधया हो भीतर एक ऐसा दीया ह कक उसकी शमा िलाई िा सकती ह और ककतना ही अधकार हो राहर

भीतर एक मकदर ह िो रोशन हो सकता ह

39

तम राहर क अधर स मत परशान होना उतनी ही जचता और उतना ही शरम भीतर की जयोतत को

िलान म लगा दना और रड़ आिया की तो रात यही ह कक िर भीतर परकाश होता ह िर तमहारी आिो क

भीतर परकाश होता ह तो राहर अधकार तमट िाता ह कम स कम तमहार तलए तमट िाता ह तम एक और

दसर ही िगत म िीन लगत हो और हर वयति परमातमा की धरोहर ह कि ह िो तम परा करोग तो ही

मनषय कहलान क अतधकारी हो सकोग

एक अवसर ह िीवन िहा कि तसदध करना ह िहा तसदध करना ह कक हम रीि ही न रह िाएग

अकररत होग तिलग फल रनग तसदध करना ह कक हम सभावना ही न रह िाएग सतय रनग तसदध करना ह

कक हम कवल एक आकाकषा ही न होग कि होन की हमार भीतर होना परगट होगा उस परागटय का नाम ही

रदधतव ह

दतनया ह तहलक म तो परवा न कीतिए

यह कदल ह रह-असर का मसकन रचाइए

यह िो भीतर हदय ह तिस रदध न तचतत कहा तिस महावीर उपतनिद और वद आतमा कहत ह यह

अतसततव का मकदर ह

रह-असर का मसकन रचाइए

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

अधर की उतनी जचता मत कररए अधर न कर ककसी रोशनी को रझाया ह अधरा ककतना ही रड़ा हो

एक िोट स रटम-रटमात दीए को भी नही रझा सकता अधर स कभी अधर नही हआ ह

कदल रझ गया तो िातनए अधर हो गया

एक शमा आतधयो म ह रोशन रचाइए

वह िो भीतर जयोतत िल रही ह िीवन की वह िो तमहार भीतर िागा हआ ह वह िो तमहारा चतनय

ह रस उसको तिसन रचा तलया सर रचा तलया उस तिसन िो कदया वह सर भी रचा ल तो उसन कि भी

रचाया नही कफर तम समराट हो िाओ तो भी तभिारी रहोग और भीतर की जयोतत रचा लो तो तम चाह

राह क तभिारी रहो तमहार सामराजय को कोई िीन नही सकगा

समराट होन का एक ही ढग ह भीतर की सपदा को उपलबध हो िाना सवामी होन का एक ही ढग ह

भीतर क दीए क साथ िड़ िाना एक हो िाना और वह िो भीतर का दीया ह चाहता ह परततपल उसकी

राती को समहालो उकसाओ उस राती क उकसान का नाम ही धयान ह राहर क अधर पर तिनहोन धयान

कदया व ही अधारमाक हो िात ह और तिनहोन भीतर क दीए पर धयान कदया व ही धारमाक हो िात ह

मकदर-मतसिदो म िान स कि भी न होगा मकदर तमहारा भीतर ह परतयक वयति अपना मकदर लकर पदा हआ

ह कहा िोित हो मकदर को पतथरो म नही ह तमहार भीतर िो परमातमा की िोटी सी लौ ह वह िो होश

का दीया ह वहा ह

य रदध क सतर उस अपरमाद क दीए को हम कस उकसाए उसक ही सतर ह इन सतरो स दतनया म करातत

नही हो सकती कयोकक समझदार दतनया म करातत की रात करत ही नही वह कभी हई नही वह कभी होगी

भी नही समझदार तो भीतर की करातत की रात करत ह िो सदा सभव ह हई भी ह आि भी होती ह कल

भी होती रहगी असभव की चषटा करना मढ़ता ह और असभव की चषटा म िो सभव था वह भी िो िाता ह

40

िो तमल सकता था वह भी नही तमल पाता उसकी चषटा म िो कक तमल ही नही सकता ह सभव की चषटा ही

समझ का सरत ह असभव की चषटा ही मढ़तापणा िीवन ह

रदध न कहा ह तिसक तचतत म राग नही ह और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही ह िो पाप-पणय स

मि ह उस िागरत परि को भय नही

तम तो भगवान को भी िोित हो तो भय क कारण और भय स कही भगवान तमलगा हा भगवान

तमल िाता ह तो भय िो िाता ह भगवान और भय साथ-साथ नही हो सकत यह तो ऐस ही ह िस अधरा

और परकाश साथ-साथ रिन की कोतशश करो तमहारी पराथानाए भी भय स आतवभात होती ह इसतलए वयथा ह

दो कौड़ी का भी उनका मलय नही ह तम मकदर म झकत भी हो तो कपत हए झकत हो यह परम का सपदन नही

ह यह भय का कपन ह

रड़ा फका ह दोनो म

िर परम उतरता ह हदय म तर भी सर कप िाता ह लककन परम की पलक कहा परम की पलक कहा

भय का घरड़ाना कपना धयान रिना परम की भी एक ऊषमा ह और रिार की भी और परम म भी एक

गरमाहट घर लती ह और रिार म भी तो दोनो को एक मत समझ लना भय म भी आदमी झकता ह परम म

भी पर दोनो को एक मत समझ लना भयभीत भी पराथाना करन लगता ह परम स भरा भी लककन भयभीत

की पराथाना अपन भीतर घणा को तिपाए होती ह कयोकक तिसस हम भय करत ह उसस परम हो नही सकता

इसतलए तिनहोन भी तमस कहा ह भगवान स भय करो उनहोन तमहार अधारमाक होन की रतनयाद रि

दी म तमस कहता ह सारी दतनया स भय करना भगवान स भर नही कयोकक तिसस भय हो गया उसस

कफर परम क आनद क सरध िड़त ही नही कफर तो िहर घल गया कए म कफर तो पहल स ही तम तविाि हो

गए कफर तमहारी पराथाना म धआ होगा परम की लपट न होगी कफर तमहारी पराथाना स दगध उठ सकती ह

और तम धप और अगररतततयो स उस तिपा न सकोग कफर तम फलो स उस ढाक न सकोग कफर तम लाि

उपाय करो सर उपाय ऊपर-ऊपर रह िाएग थोड़ा सोचो िर भीतर भय हो तो कस पराथाना पदा हो सकती

इसतलए रदध न परमातमा की रात ही नही की अभी तो पराथाना ही पदा नही हई तो परमातमा की कया

रात करनी अभी आि ही नही िली तो रोशनी की कया चचाा करनी अभी चलन क योगय ही तम नही हए

हो घटन स सरकत हो अभी नाचन की रात कया करनी पराथाना पदा हो तो परमातमा लककन पराथाना तभी

पदा होती ह िर अभय--कफयरलसनस

यहा एक रात और समझ लनी िररी ह अभय का अथा तनभाय मत समझ लना य रारीक भद ह और

रड़ रतनयादी ह तनभाय और अभय म रड़ा फरक ह िमीन-आसमान का फका ह शबदकोश म तो दोनो का एक

ही अथा तलिा ह िीवन क कोश म दोनो क अथा रड़ तभि ह तनभाय का अथा ह िो भीतर तो भयभीत ह

लककन राहर स तिसन ककसी तरह इतिाम कर तलया िो भीतर तो कपता ह लककन राहर नही कपता

तिसन न कपन का अभयास कर तलया ह राहर तक कपन को आन नही दता तिनको तम रहादर कहत हो व

इतन ही कायर होत ह तितन कायर कायर डरकर रठ िाता ह रहादर डरकर रठता नही चलता चला

िाता ह कायर अपन भय को मान लता ह रहादर अपन भय को इनकार ककए िाता ह लककन भयभीत तो ह

ही अभय की अवसथा रड़ी तभि ह न वहा भय ह न वहा तनभायता ह िर भय ही न रहा तो तनभाय कोई

कस होगा अभय का अथा ह भय और तनभाय दोनो ही िहा िो िात ह िहा वह रात ही नही रह िाती

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इस अवसथा को रदध और महावीर दोनो न भगवतता की तरफ पहला कदम कहा ह कौन आदमी अभय

को उपलबध होगा कौन स तचतत म अभय आता ह तिस तचतत म राग नही उस तचतत म दवि भी नही होता

सवभावताः कयोकक राग स ही दवि पदा होता ह

तमन खयाल ककया ककसी को तम सीधा-सीधा शतर नही रना सकत पहल तमतर रनाना पड़ता ह एकदम

स ककसी को शतर रनाओग भी तो कस रनाओग शतर सीधा नही होता सीधा पदा नही होता तमतर क पीि

आता ह दवि सीध पदा नही होता राग क पीि आता ह घणा सीध पदा नही होती तिस तम परम कहत हो

उसी क पीि आती ह तो शतर ककसी को रनाना हो तो पहल तमतर रनाना पड़ता ह और दवि ककसी स करना हो

तो पहल राग करना पड़ता ह ककसी को दर हटाना हो तो पहल पास लना पड़ता ह ऐसी अनठी दतनया ह

ऐसी उलटी दतनया ह

दवि स तो तम रचना भी चाहत हो लककन तिसन राग ककया वह दवि स न रच सकगा िर तमन

वयति को सवीकार कर तलया तो उसकी िाया कहा िाएगी वह भी तमहार घर आएगी तम यह न कह

सकोग महमान स कक िाया राहर ही िोड़ दो हमन कवल तमह ही रलाया ह िाया तो साथ ही रहगी दवि

राग की िाया ह वरागय राग की िाया ह

इसतलए तो म तमस कहता ह असली वरागी वरागी नही होता असली वरागी तो राग स मि हो गया

इसतलए महावीर-रदध न उस नया ही नाम कदया ह उस वीतराग कहा ह तीन शबद हए--राग वरागय

वीतरागता राग का अथा ह सरध ककसी स ह और ऐसी आशा कक सरध स सि तमलगा राग सि का सपना

ह ककसी दसर स सि तमलगा इसकी आकाकषा ह दवि ककसी दसर स दि तमल रहा ह इसका अनभव ह

तमतरता ककसी को अपना मानन की आकाकषा ह शतरता कोई अपना तसदध न हआ पराया तसदध हआ इसका

रोध ह तमतरता एक सवपन ह शतरता सवपन का टट िाना राग अधर म टटोलना ह दवार की आकाकषा म लककन

िर दवार नही तमलता और दीवाल तमलती ह तो दवि पदा हो िाता ह दवार अधर म ह ही नही टटोलन स न

तमलगा दवार टटोलन म नही ह दवार िागन म ह

तो रदध कहत ह तिसक तचतत म राग नही ह राग का अथा ह तिसन यह खयाल िोड़ कदया कक दसर स

सि तमलगा िो िाग गया और तिसन समझा कक सि ककसी स भी नही तमल सकता एक ही भातत ह कहो

इस ससार कक दसर स सि तमल सकता ह पतनी स या तपता स या भाई स या रट स या तमतर स या धन स

या मकान स या पद स दसर स सि तमल सकता ह--तो राग पदा होता ह सवाभातवक तिसस सि तमल

सकता ह उस हम गवाना न चाहग तिसस सि तमल सकता ह उस हम रचाना चाहग तिसस सि तमल

सकता ह वह कही दर न चला िाए कही कोई और उस पर कबिा न कर ल तो पतनी डरी ह कक पतत कही

ककसी और सतरी की तरफ न दि ल पतत डरा ह कक पतनी कही ककसी और म उतसक न हो िाए कयोकक इसी स

तो सि की आशा ह वह सि कही और कोई दसरा न ल ल

लककन सि कभी ककसी दसर स तमला ह ककसी न भी कभी कहा कक दसर स सि तमला ह आशा

और आशा और आशा आशा कभी भरती नही ककसन तमह आशवासन कदया ह कक दसर स सि तमल

सकगा और दसरा िर तमहार पास आता ह तो धयान रिना वह अपन सि की तलाश म तमहार पास आया

ह तम अपन सि की तलाश म उसक पास गए हो न उसको परयोिन ह तमहार सि स न तमको परयोिन ह

उसक सि स तमलगा कस परयोिन ही नही ह पतनी तमहार पास ह इसतलए नही कक तमह सि द तम पतनी

क पास हो इसतलए नही कक तम उस सि दो

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उपतनिद कहत ह कौन पतनी को पतनी क तलए परम करता ह पतनी क तलए कोई परम नही करता अपन

तलए परम करता ह कौन पतत को पतत क तलए परम करता ह अपन तलए परम करता ह सि की आकाकषा अपन

तलए ह और इसतलए अगर ऐसा भी हो िाए कक तमह लग कक दसर को दि दकर सि तमलगा तो भी तम

तयार हो और यही होता ह सोचत ह दसर स सि तमलगा लककन हम भी दसर को दि ही द पात ह और

दसरा भी हम दि द पाता ह

तिसन इस सतय को दि तलया वह सनयसत हो गया सनयास का कया अथा ह तिसन इस सतय को दि

तलया कक दसर स सि न तमलगा उसन अपनी कदशा मोड़ ली वह भीतर घर की तलाश म लग गया अपन

भीतर िोिन लगा कक राहर तो सि न तमलगा अर भीतर िोि ल शायद िो राहर नही ह वह भीतर हो

और तिनहोन भी भीतर झाका व कभी िाली हाथ वापस न लौट उनक पराण भर गए उनक पराण इतन

भर गए कक उनह िद ही न तमला उनहोन लटाया भी उनहोन राटा भी कि ऐसा ििाना तमला कक राटन स

रढ़ता गया करीर न कहा ह दोनो हाथ उलीतचए िर सि तमल िाए तो दोनो हाथ उलीतचए कयोकक

तितना उलीचो उतना ही रढ़ता चला िाता ह िस कए स पानी िीचत िाओ झरन और नया पानी ल आत

ह पराना चला िाता ह नया आ िाता ह

तिसको सि तमल गया उस यह राि भी पता चल गया कक राटो कयोकक अगर समहालोग तो पराना ही

समहला रहगा नया-नया न आ सकगा लटाओ ताकक तम रोि नए होत चल िाओ िोटा-िोटा कआ भी

िोटा थोड़ ही ह अनत सागर स िड़ा ह भीतर स झरनो क रासत ह इधर िाली करो उधर भरता चला

िाता ह

तम आतमा ही थोड़ ही हो परमातमा भी हो तम िोट कए ही थोड़ ही हो सागर भी हो सागर ही िोट

स कए म स झाक रहा ह िोटा कआ एक तिड़की ह तिसस सागर झाका तम भी एक तिड़की हो तिसस

परमातमा झाका एक रार अपनी सध आ िाए एक रार यह खयाल आ िाए कक मरा सि मझ म ह तो राग

समापत हो िाता ह

तिसक तचतत म राग नही

अथाात तिसन िान तलया कक सि मरा भीतर ह इसतलए तिसक तचतत म दवि भी नही ह सवभावताः

िर दसर स सि तमलता ही नही तो कसी तशकायत कसा तशकवा कक दसर स दि तमला यह रात ही कफिल

हो गई सि का खयाल था तो ही दि का खयाल रनता था तिसस तम तितनी जयादा अपकषा रित हो उसस

उतना ही दि तमलता ह

लोग मझस पित ह कक पतत-पतनी एक-दसर क कारण इतन दिी कयो होत ह तो म उनस कहता ह वह

सरध ऐसा ह िहा सरस जयादा अपकषा ह इसतलए तितनी अपकषा उतनी मातरा म दि होगा कयोकक उतनी

असफलता हाथ लगगी राह पर चलता आदमी अचानक तमहार पास स गिर िाता ह उसस दि नही तमलता

तमलन का कोई कारण नही अिनरी ह अपकषा ही कभी नही की थी और अगर अिनरी मसकराकर दि ल

तो अचिा लगता ह

तमहारी पतनी मसकराकर दि पतत मसकराकर दि तो भी कि अचिा नही लगता लगता ह िरर कोई

िालसािी होगी पतनी मसकरा रही ह मतलर कही रािार म साड़ी दि आई ह या कही गहन दि तलए या

कोई नया उपिव ह कयोकक ससता नही ह मसकराना कोई मफत नही मसकराता िहा सरध ह वहा तो लोग

मतलर स मसकरात ह पतत अगर आि जयादा परसि घर आ गया ह फल ल आया ह तमठाइया ल आया ह तो

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पतनी सकदगध हो िाती ह कक िरर कि िरर कि दाल म काला ह ककसी सतरी को रहत गौर स दि तलया

होगा परायतितत कर रहा ह नही तो कभी घर कोई तमठाइया लकर आता ह

तिनस तितनी अपकषा ह उनस उतना ही दि तमलता ह तितनी अपकषा ह उतनी ही टटती ह तितना

रड़ा भवन रनाओग ताश क पततो का उतनी ही पीड़ा होगी कयोकक तगरगा उतना शरम उतनी शति उतनी

अभीपसाओ क इिधनि सर टट िाएग सर िमीन पर रौद हए पड़ होग उतनी ही पीड़ा होगी अिनरी स

दि नही तमलता अपररतचत स दि नही तमलता कयोकक अपकषा िररी ह

लककन अगर तम अपकषा ही िोड़ दो तो तमह कया कोई दि द सकगा इस रहत सोचना इस पर मनन

करना धयान करना अगर तम अपकषा िोड़ दो कोई माग न रह--कयोकक तम िाग गए कक तमलना ककसी स

कि भी नही ह--तो तम अचानक पाओग तमहार िीवन स दि तवसरिात हो गया अर कोई दि नही दता

सि न मागो तो कोई दि नही दता तर तो रड़ी अभतपवा घटना घटती ह तम सि नही मागत कोई

दि नही दता न राहर स सि आता ह न दि आता ह पहली रार तम अपन म रमना शर होत हो कयोकक

अर राहर निर रिन की कोई िररत ही न रही िहा स कि तमलना ही नही ह िहा िदान थी ही नही

तसफा धोिा था आभास था तम आि रद कर लत हो

इसतलए रदधपरिो की आि रद ह वह िो रद आि ह धयान करत रदध की या महावीर की वह इस

रात की िरर ह कवल कक अर राहर दिन योगय कि भी न रहा िर पान योगय न रहा तो दिन योगय कया

रहा दित थ कयोकक पाना था पान का रस लगा था तो गौर स दित थ िो पाना हो वही आदमी दिता

ह िर पान की भातत ही टट गई तो आदमी आि रद कर लता ह रद कर लता ह कहना ठीक नही आि रद

हो िाती ह पलक अपन आप रद हो िाती ह कफर आि को वयथा ही दिाना कया कफर आि को वयथा ही

िोलकर परशान कया करना और यह िो दतषट पर पलक का तगर िाना ह यही भीतर दतषट का पदा हो िाना

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

पाप और पणय व भी राहर स ही िड़ ह िस सि और दि इस थोड़ा समझना यह और भी सकषम

और भी िरटल ह यह तो रहत लोग तमह समझात तमल िाएग कक सि-दि राहर स तमलत नही तसफा तमहार

खयाल म ह लककन िो लोग तमह समझात ह राहर स सि न तमलगा और इसतलए राहर स दि भी नही

तमलता व भी तमस कहत ह पणय करो पाप न करो शायद व भी समझ नही कयोकक समझ होत तो दसरी

रात भी राहर स ही िड़ी ह कया ह दसरी रात वह पहली का ही दसरा पहल ह

पहला ह दसर स मझ सि तमल सकता ह तमलता ह दि इसतलए राग राधता ह और दवि फलता ह

रोता राग क रीि ह फसल दवि की काटता ह चाहता ह राग हाथ म आता ह दवि तड़फड़ाता ह िस रदध न

कहा कोई मिली को सागर क राहर कर द तट पर तड़फड़ाए ऐसा आदमी तड़फड़ाता ह

कफर पाप-पणय कया ह पाप-पणय इसका ही दसरा पहल ह पणय का अथा ह म दसर को सि द सकता

ह पाप का अथा ह म दसर को दि द सकता ह तर तमह समझ म आ िाएगा दसर स सि तमल सकता ह

यह और म दसर को सि द सकता ह यह दोनो एक ही तसकक क दो पहल हए दसरा मझ दि दता ह यह और

म दसर को दि द सकता ह यह भी उसी रात का पहल हआ

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इसतलए रदध न इस सतर म रड़ी मतहमापणा रात कही ह कहा ह कक तिसक तचतत म न राग रहा न दवि

िो पाप-पणय स मि ह कयोकक िर यही समझ म आ गया कक कोई मझ सि नही द सकता तो यह भातत अर

कौन पालगा कक म ककसी को सि द सकता ह तो कसा पणय कफर यह भातत भी कौन पालगा कक मन ककसी

को पाप ककया ककसी को दि कदया यह भातत भी गई सि-दि क िात ही राग-दवि क िात ही पाप-पणय भी

चला िाता ह पाप-पणय सि और दि क ही सकषम रप ह

इसतलए तो धमागर तमस कहत ह कक िो पणय करगा वह सवगा िाएगा सवगा यानी सि तमन चाह इस

कभी ठीक-ठीक न दिा हो और धमागर कहत ह िो पाप करगा वह नका िाएगा नका यानी दि अगर पणय

का पररणाम सवगा ह और पाप का पररणाम नका ह तो एक रात साफ ह कक पाप-पणय सि-दि स ही िड़ ह

िर सि-दि ही िो गया तो पाप-पणय भी िो िात ह

धयान रिना दतनया म दो तरह क भयभीत लोग ह तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही

दसरा दि न द द और तिनको तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही मझस ककसी दसर को दि न हो िाए

तिनको तम अधारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर स सि लन म चक िाऊ और तिनको

तम धारमाक कहत हो व डर ह कक कही ऐसा न हो कक म दसर को सि दन स चक िाऊ तो तमहार धारमाक

और अधारमाक तभि नही ह एक-दसर की तरफ पीठ ककए िड़ होग लककन एक ही तल पर िड़ ह तल का

कोई भद नही ह कोई तमहारा धारमाक अधारमाक स ऊच तल पर नही ह ककसी और दसरी दतनया म नही ह

हो दौर-गम कक अहद-िशी दोनो एक ह

दोनो गिकतनी ह तििा कया रहार कया

चाह पतझड़ हो चाह वसत दोनो ही कषणभगर ह दोनो अभी ह अभी नही हो िाएग दोनो पानी क

रलरल ह दोनो ही कषणभगर ह दोनो म कि चनन िसा नही ह कयोकक अगर तमन रहार को चना तो धयान

रिना अगर तमन वसत को चना तो पतझड़ को भी चन तलया कफर वसत म अगर सि माना तो पतझड़ म

दि कौन मानगा

एक मतहला मर पास लाई गई रोती थी िाती पीटती थी पतत उसक चल रस वह कहन लगी मझ

ककसी तरह सातवना द समझाए ककसी तरह मझ मर दि क राहर तनकाल मन उसस कहा सि तन तलया

माना कक सि था अर दि कौन भोगगा त रहत होतशयारी की रात कर रही ह पतत क होन का सि त

कभी मर पास नही आई कक मझ इस सि स रचाए िगाए य म सि म डरी िा रही ह त कभी आई ही नही

इस रासत पर

लोग िर दि म होत ह तभी मकदर की तरफ िात ह और िो सि म िाता ह वही समझ पाता ह दि

म िाकर तम समझ न पाओग कयोकक दि िाया ह मल नही मल तो िा चका िाया गिर रही ह िाया को

कस रोका िा सकता ह

मन उस मतहला को कहा त रो ही ल अर दि को भी भोग ही ल कयोकक भातत दि की नही ह भातत

सि की ह सि तमल सकता ह तो कफर दि भी तमलगा वसत स मोह लगाया तो पतझड़ म रोओग िवानी

म िश हए रढ़ाप म रोओग पद म परसि हए तो कफर पद िोकर कोई दसरा रोएगा तमहार तलए मसकराए

तम तो आस भी तमह ही ढालन पड़ग और दोनो एक िस ह ऐसा तिसन िान तलया कयोकक दोनो का सवभाव

कषणभगर ह पानी क ररल िस ह

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धयान रिना यह िानना सि म होना चातहए दि म नही दि म तो रहत पकारत ह परमातमा को

और कफर सोचत ह शायद उस तक आवाि नही पहचती दि म पकारन की रात ही गलत ह िर तमन सि

म न पकारा तो तम गलत मौक पर पकार रह हो िर तमहार पास कठ था और तम पकार सकत थ तर न

पकारा अर िर कठ अवरदध हो गया ह तर पकार रह हो अर पकार तनकलती ही नही ऐसा नही ह कक

परमातमा नही सनता ह दि म पकार तनकलती ही नही दि तो अतनवाया हो गया

अगर सि म न िाग और सि को गिर िान कदया तो अर िाया को भी गिर िान दो मर दि िो

सि म िागता ह वही िागता ह िो दि म िागन की कोतशश करता ह वह तो साधारण कोतशश ह सभी

करत ह हर आदमी दि स मि होना चाहता ह ऐसा आदमी तम पा सकत हो िो दि स मि नही होना

चाहता लककन इसम सफलता नही तमलती नही तो सभी लोग मि हो गए होत लककन िो सि स मि

होना चाहता ह वह ततकषण मि हो िाता ह लककन सि स कोई मि नही होना चाहता यही आदमी की

तवडरना ह

दि स तम मि होना चाहत हो लककन वहा स मागा नही सि स तम मि होना नही चाहत वहा स

मागा ह दीवाल स तम तनकलना चाहत हो दवार स तम तनकलना नही चाहत िर दीवाल सामन आ िाती ह

तर तम तसर पीटन लगत हो कक मझ राहर तनकलन दो िर दवार सामन आता ह तर तम कहत हो अभी िलदी

कया ह आन दो दीवाल को कफर तनकलग

धयान रिना िो सि म सनयासी हआ वही हआ तन तयिन भिीथााः उनहोन ही िोड़ा तिनहोन भोग

म िोड़ा पतनी मर गई इसतलए तम सनयासी हो गए कदवाला तनकल गया इसतलए सनयासी हो गए नौकरी

न लगी इसतलए सनयासी हो गए चनाव हार गए इसतलए सनयासी हो गए तो तमहारा सनयास हार हए का

सनयास ह इस सनयास म कोई पराण नही लोग कहत ह हार को हररनाम हार को हररनाम हार हए को तो

कोई हरर का नाम नही हो सकता

िीत म समरण रिना रड़ा मतककल ह कयोकक िीत रड़ी रहोशी लाती ह िीत म तो तम ऐस अकड़

िात हो कक अगर परमातमा िद भी आए तो तम कहो कफर कभी आना आग रढ़ो अभी फसात नही और म

तमस कहता ह परमातमा आया ह कयोकक िीत म दवार सामन होता ह लककन तम अध होत हो

तिसक तचतत म राग नही और इसतलए तिसक तचतत म दवि नही िो पाप-पणय स मि ह उस िागरत

परि को भय नही

भय कयो पदा होता ह भय दो कारण स पदा होता ह िो तम चाहत हो कही ऐसा न हो कक न तमल

तो भय पदा होता ह या िो तमहार पास ह कही ऐसा न हो कक िो िाए तो भय पदा होता ह लककन िागरत

परि को पता चलता ह कक तमहार पास कवल तम ही हो और कि भी नही और िो तम हो उसको िोन का

कोई उपाय नही उस न चोर ल िा सकत ह न डाक िीन सकत ह नन जिदतत शसतरातण--उस शसतर िद नही

पात नन दहतत पावकाः--उस आग िलाती नही िागरत को पता चलता ह कक िो म ह वह तो शाशवत सनातन

ह उसकी कोई मतय नही

सोया कपता ह डरता ह कक कही कोई मझस िीन न ल

दो कदन पहल एक यवती न मझ आकर कहा कक म सदा डरती रहती ह कक िो मर पास ह कही तिन न

िाए मन उसस पिा कक त पहल मझ यह रता कया तर पास ह उसन कहा िर आप पित हो तो रड़ी

मतककल होती ह ह तो कि भी नही कफर डर ककस रात का ह कया ह तमहार पास िो िो िाएगा धन

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और िो तम सोचत हो तमहार पास ह और िो सकता ह कया तम उस रचा सकोग तम कल पड़ रह िाओग

सास नही आएगी-िाएगी मतकिया उड़गी तमहार चहर पर--तम उड़ा भी न सकोग--धन यही का यही पड़ा

रह िाएगा धन तमहारा ह तम नही थ तर भी यहा था तम नही होओग तर भी यहा होगा और धयान

रिना धन रोएगा नही कक तम िो गए मातलक िो गया और धन रोए धन को पता ही नही कक तम भी

मातलक थ तमन ही मान रिा था

तमहारी मानयता ऐसी ही ह िस मन सना ह एक हाथी एक िोट स नदी क पल पर स गिरता था और

एक मकिी उस हाथी क तसर पर रठी थी िर पल कपन लगा और उस मकिी न कहा दिो हमार विन स

पल कपा िा रहा ह हमार विन स उसन हाथी स कहा रट हमार विन स पल कप रहा ह हाथी न कहा कक

मझ अर तक पता ही न था कक त भी ऊपर रठी ह

कहत ह तिपकतलया उनको कभी तनमतरण तमल िाता ह उनकी िात-तररादरी म तो िाती नही व

कहती ह महल तगर िाएगा समहाल हए ह तिपकली चली िाएगी तो महल तगर िाएगा

तमहारी भातत ह कक तमहार पास कि ह तमहारी मालककयत झठी ह हा िो तमहार पास ह वह तमहार

पास ह उस न कभी ककसी न िीना ह न कोई िीन सकगा असतलयत म सपदा की पररभािा यही ह कक िो

िीनी न िा सक िो िीनी िा सक वह तो तवपदा ह सपदा नही ह वह सपततत नही ह तवपततत ह

तो दो डर ह आदमी तिनस कपता रहता ह कही मरा तिन न िाए सवभावताः तमन िो तमहारा नही ह

उसको मान तलया मरा इसतलए भय ह वह तिनगा ही तसकदर भी न रोक पाएगा नपोतलयन भी न रोक

पाएगा कोई भी न रोक पाएगा वह तिनगा ही वह तमहारा कभी था ही नही तमन नाहक ही अपना दावा

कर कदया था तमहारा दावा झठा था इसतलए तम भयभीत हो रह हो और िो तमहारा ह वह कभी तिनगा

नही लककन उसकी तरफ तमहारी निर नही ह िो अपना नही ह उसको मानकर रठ हो और िो अपना ह

उस तयाग कर रठ हो ससार का यही अथा ह सपदा का तयाग और तवपदा का भोग ससार का यही अथा ह िो

अपना नही ह उसकी घोिणा कक मरा ह और िो अपना ह उसका तवसमरण

तिसको सवय का समरण आ गया वह तनभाय हो िाता ह तनभाय नही अभय हो िाता ह वह भय स

मि हो िाता ह िो तमहारा नही ह उसन ही तो तमह तभिारी रना कदया ह माग रह हो हाथ फलाए हो

और ककतनी ही तभकषा तमलती िाए मन भरता नही मन भरना िानता ही नही

रदध कहत ह मन की आकाकषा दषपर ह वासना दषपर ह वह कभी भरती नही

एक समराट क दवार पर एक तभिारी िड़ा था और समराट न कहा कक कया चाहता ह उस तभिारी न

कहा कि जयादा नही चाहता यह मरा तभकषापातर भर कदया िाए िोटा सा पातर था समराट न मिाक म ही

कह कदया कक अर िर यह तभिारी सामन ही िड़ा ह और पातर भरवाना ह और िोटा सा पातर ह तो कया

अि क दानो स भरना सवणा अशरफायो स भर कदया िाए

मतककल म पड़ गया सवणा अशरफाया भरी गयी समराट भी हरान हआ व सवणा अशरफाया िो गयी पातर

िाली का िाली रहा लककन तिद पकड़ गई समराट को भी कक यह तभिारी यह कया मझ हरान आया ह वह

रड़ा समराट था उसक ििान रड़ भरपर थ उसन कहा कक चाह सारा सामराजय लट िाए लककन इस तभिारी

स थोड़ ही हारगा उसन डलवायी अशरफाया

लककन धीर-धीर उसक हाथ-पर कपन लग कयोकक डालत गए और व िोती गयी आतिर वह घरड़ा

गया

47

विीरो न कहा कक य तो सर लट िाएगा और यह पातर कोई साधारण पातर नही मालम होता यह तो

कोई िाद का मामला ह यह आदमी तो कोई शतान ह उस तभिारी न कहा म तसफा आदमी ह शतान नही

और यह पातर आदमी क हदय स रनाया ह हदय कर भरता ह यह भी नही भरता इसम कि शतातनयत नही

ह तसफा मनषयता ह

कहत ह समराट उतरा जसहासन स उस तभिारी क पर िए और उसन कहा कक मझ एक रात समझ म

आ गई--न तरा पातर भरता ह न मरा भरा ह तर पातर म भी य सर सवणा अशरफाया िो गयी और मर पातर म

भी िो गई थी लककन तन मझ िगा कदया रस अर इसको भरन की कोई िररत न रही अर इस पातर को ही

फक दना ह िो भरता ही नही उस पातर को कया ढोना

लककन आदमी माग चला िाता ह िो उसका नही ह और चाह ककतनी ही रइजजती स तमल रशमी स

तमल माग चला िाता ह तभिारी रड़ रशमा होत ह तम उनस कहत चल िात हो हटो आग िाओ व तिदद

राधकर िड़ रहत ह रड़ हठधमी होत ह हठयोगी तभिमगा मन ही रड़ा तिददी ह रड़ी रशमी स माग चला

िाता ह

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ओक स ही पी लग

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

माग चल िात ह कोई लजजा भी नही ह पातर कभी भरता नही ककतन िनमो स तमन मागा ह कर

िागोग ककतनी रइजजती स मागा ह ककतन धकक-मकक िाए ह ककतनी रार तनकाल गए हो महकफल स कफर

भी िड़ हो

तपला द ओक स साकी िो मझस नफरत ह

पयाला गर नही दता न द शरार तो द

ससार म आदमी ककतनी रइजजती झल लता ह ककतनी रशमी स माग चला िाता ह और एक रात नही

दिता कक इतना माग तलया कि भरता नही पातर िाली का िाली ह ककतना माग तलया कि भरता नही

दषपर ह तिस कदन यह कदिाई पड़ िाता ह उसी कदन तम पातर िोड़ दत हो उसी कषण अभय उतपि हो िाता

अभय उनही को उतपि होता ह तिनहोन यह सतय दि तलया कक िो तमहारा ह वह तमहारा ह मागन की

िररत नही तम उसक मातलक हो ही और िो तमहारा नही ह ककतना ही मागो ककतना ही इकिा करो तम

मातलक उसक हो न पाओग तिसक तम मातलक हो परमातमा न तमह उसका मातलक रनाया ही ह और

तिसक तम मातलक नही हो उसका तमह मातलक रनाया नही इस वयवसथा म तम कोई हर-फर न कर पाओग

यह वयवसथा शाशवत ह एस धममो सनतनो

और तिसक िीवन म अभय आ गया रदध कहत ह उसक िीवन म सर आ गया वह परमातमा सवय हो

गया िहा अभय आ गया वहा उठती ह पराथाना वहा उठता ह परमातमा लककन उसकी रदध रात नही करत

वह रात करन की नही ह वह चपचाप समझ लन की ह वह आि स आि म डाल दन की ह वह इशार-इशार

म समझ लन की ह िोर स कहन म मिा तरगड़ िाता ह वह रात चपपी म कहन की ह इसतलए रदध उसकी

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रात नही करत व मल रात कह दत ह आधार रि दत ह कफर व कहत ह रीि डाल कदया कफर तो वह अपन

स ही अकर रन िाता ह

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान इस तचतत को नगर क समान दढ़ ठहरा परजञारपी हतथयार स

मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर और उसम आसि न हो

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

शरीर घड़ा ही ह तम भीतर भर हो घड़ क तम घड़ नही हो िस घड़ म िल भरा ह या और भी ठीक

होगा िसा िाली घड़ा रिा ह और घड़ म आकाश भरा ह घड़ को तोड़ दो आकाश नही टटता घड़ा टट

िाता ह आकाश िहा था वही होता ह घड़ा टट िाता ह सीमा तमट िाती ह िो सीमा म रधा था वह

असीम क साथ एक हो िाता ह घटाकाश आकाश क साथ एक हो िाता ह

शरीर घड़ा ह तमिी का ह तमिी स रना ह तमिी म ही तगर िाएगा और तिसन यह समझ तलया कक म

शरीर ह वही भातत म पड़ गया सारी भातत की शरआत इस रात स होती ह कक म शरीर ह तमन अपन वसतरो

को अपना होना समझ तलया तमन अपन घर को अपना होना समझ तलया ठहर हो थोड़ी दर को पड़ाव ह

मतिल नही सरह हई और यातरीदल चल पड़गा थोड़ा िागकर इस दिो

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

रड़ी किसी ह रड़ी सकीणाता ह

मामर-ए-फना की कोतातहया तो दिो

एक मौत का भी कदन ह दो कदन की जिदगी म

कल दो कदन की जिदगी ह उसम भी एक मौत का कदन तनकल िाता ह एक कदन की जिदगी ह और कस

इठलात हो कस अकड़ िात हो कस भल िात हो कक मौत दवार पर िड़ी ह शरीर तमिी ह और तमिी म तगर

िाएगा

इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

रदध यह नही कहत कक मान रदध कहत ह िान रदध का सारा िोर रोध पर ह व यह नही कहत कक म

कहता ह इसतलए मान ल कक शरीर घड़ की तरह ह व कहत ह त िद ही िान थोड़ा आि रद कर और

पहचान त घड़ स अलग ह

धयान रिना तिस चीि क भी हम िषटा हो सकत ह उसस हम अलग ह तिसक हम िषटा न हो सक

तिसको दकय न रनाया िा सक वही हम ह आि रद करो और शरीर को तम अलग दि सकत हो हाथ टट

िाता ह तम नही टटत तम लाि कहो कक म टट गया रात गलत मालम होगी िद ही गलत मालम होगी

हाथ टट गया पर टट गया आि चली गई तम नही चल गए भि लगती ह शरीर को लगती ह तमह नही

लगती हालाकक तम कह चल िात हो कक मझ भि लगी ह पयास लगती ह शरीर को लगती ह कफर िलधार

चली िाती ह ततपत हो िाती ह शरीर को होती ह

सर ततपतया सर अततपतया शरीर की ह सर आना-िाना शरीर का ह रनना-तमटना शरीर का ह तम न

कभी आत न कभी िात घड़ रनत रहत ह तमटत िात ह भीतर का आकाश शाशवत ह उस कोई घड़ा कभी

ि पाया उस पर कभी धल िमी रादल रनत ह तरिर िात ह आकाश पर कोई रिा िटती ह तम पर भी

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नही िटी तमहारा कवारापन सदा कवारा ह वह कभी गदा नही हआ इस भीतर क सतय क परतत िरा आि राहर

स रद करो और िागो

रदध कहत ह इस शरीर को घड़ क समान अतनतय िान

तसदधात की तरह मत मान लना कक ठीक ह कयोकक तमन रहत रार सना ह महातमागण समझात रहत

ह शरीर अतनतय ह कषणभर का रलरला ह तमन भी सन-सनकर याद कर ली ह रात याद करन स कि भी न

होगा िानना पड़गा कयोकक िानन स मति आती ह जञान रपातररत करता ह

इस तचतत को इस तरह ठहरा ल िस कक कोई नगर चिान पर रसा हो या ककसी नगर का ककला पहाड़

की चिान पर रना हो--अतडग चिान पर रना हो

इस तचतत को नगरकोट क समान दढ़ ठहरा ल

सारी कला इतनी ही ह कक मन न कप अकप हो िाए कयोकक िर तक मन कपता ह तर तक दतषट नही

होती िर तक मन कपता ह तर तक तम दिोग कस तिसस दित थ वही कप रहा ह ऐसा समझो कक तम

एक चकमा लगाए हए हो और चकमा कप रहा ह चकमा कप रहा ह िस कक हवा म पतता कप रहा हो कोई

पतता कप रहा हो तफान म ऐसा तमहारा चकमा कप रहा ह तम कस दि पाओग दतषट असभव हो िाएगी

चकमा ठहरा हआ होना चातहए

मन कपता हो तो तम सतय को न िान पाओग मन क कपन क कारण सतय तमह ससार िसा कदिाई

पड़ रहा ह िो एक ह वह अनक िसा कदिाई पड़ रहा ह कयोकक मन कप रहा ह िस कक रात चाद ह परा

चाद ह आकाश म और झील नीच कप रही ह लहरो स तो हिार टकड़ हो िात ह चाद क परततजरर नही

रनता पर झील पर चादी फल िाती ह लककन चाद का परततजरर नही रनता हिार टकड़ हो िात ह कफर

झील ठहर गई लहर नही कपती सर मौन हो गया सिाटा हो गया झील दपाण रन गई अर चाद एक रनन

लगा अनक कदिाई पड़ रहा ह अनक ह नही अनक कदिाई पड़ रहा ह कपत हए मन क कारण

मन सना ह एक रात मलला नसरददीन घर आया शरार जयादा पी गया ह हाथ म चारी लकर ताल म

डालता ह नही िाती हाथ कप रहा ह पतलस का आदमी दवार पर िड़ा ह वह रड़ी दर तक दिता रहा कफर

उसन कहा कक नसरददीन म कि सहायता कर लाओ चारी मझ दो म िोल द नसरददीन न कहा चारी की

तम कफकर न करो िरा इस कपत मकान को तम पकड़ लो चारी तो म िद ही डाल दगा

िर आदमी क भीतर शरार म सर कप रहा हो तो उस ऐसा नही लगता कक म कप रहा ह उस लगता

ह यह मकान कप रहा ह तमन कभी शरार पी भाग पीकर कभी चल रासत पर िरर चलकर दिना

चातहए एक दफा अनभव करन िसा ह उसस तमह पर िीवन क अनभव का पता चल िाएगा कक ऐसा ही

ससार ह इसम तम नश म चल रह हो तम कप रह हो कि भी नही कप रहा ह तम िड-िड हो गए हो

राहर तो िो ह वह अिड ह तम अनक टकड़ो म रट गए हो राहर तो एक ह दपाण टट गया ह तो रहत तचतर

कदिाई पड़ रह ह िो ह वह एक ह रदध कहत ह तचतत ठहर िाए अकप हो िाए िस दीए की लौ ठहर िाए

कोई हवा कपाए न

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर िीत क लाभ की रकषा कर पर उसम आसि न हो

यह रड़ी करठन रात ह करठनतम साधक क तलए कयोकक इसम तवरोधाभास ह रदध कहत ह आकाकषा

कर लककन आसि मत हो सतय की आकाकषा करनी होगी और सतय को िीतन की भी यातरा करनी होगी

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तविय को सरतकषत करना होगा नही तो िो िाएगी हाथ स तविय ऐस रठ-ठाल नही तमल िाती ह रड़ा

उदयम रड़ा उदयोग रड़ा शरम रड़ी साधना रड़ी तपियाा

िीत क लाभ की रकषा कर

और िो िोटी-मोटी िीत तमल उसको रचाना रकषा करना भल मत िाना नही तो िो कमाया ह वह

भी िो िाता ह

तो धयान सतत करना होगा िर तक समातध उपलबध न हो िाए अगर एक कदन की भी गाकफलता की

एक कदन की भी भल-चक की तो िो कमाया था वह िोन लगता ह धयान तो ऐसा ही ह िस कक कोई

साइककल पर सवार आदमी पडल मारता ह वह सोच कक अर तो चल पड़ी ह साइककल अर कया पडल

मारना पडल मारना रद कर द तो जयादा दर साइककल न चलगी चढ़ाव होगा तर तो फौरन ही तगर िाएगी

उतार होगा तो शायद थोड़ी दर चली िाए लककन ककतनी दर िाएगी जयादा दर नही िा सकती सतत

पडल मारन होग िर तक कक मतिल ही न आ िाए

धयान रोि करना होगा िो-िो कमाया ह धयान स उसकी रकषा करनी होगी

िीत क लाभ की रकषा कर

वह िो-िो हाथ म आ िाए उसको तो रचाना तितना थोड़ा सा तचतत साफ हो िाए ऐसा मत सोचना

कक अर कया करना ह सफाई वह कफर गदा हो िाएगा िर तक कक पररपणा अवसथा न आ िाए समातध की

तर तक शरम िारी रिना होगा

हा समातध फतलत हो िाए कफर कोई शरम का सवाल नही समातध उपलबध हो िाए कफर तो तम उस

िगह पहच गए िहा कोई चीि तमह कलतित नही कर सकती मतिल पर पहच गए कफर तो साइककल को

चलाना ही नही उतर ही िाना ह कफर तो िो पडल मार वह नासमझ कयोकक वह कफर मतिल क इधर-उधर

हो िाएगा एक ऐसी घड़ी आती ह िहा उतर िाना ह िहा रक िाना ह िहा यातरा ठहर िाएगी लककन

उस घड़ी क पहल तो शरम िारी रिना और िो भी िोटी-मोटी तविय तमल िाए उसको समहालना ह सपदा

को रचाना ह

परजञारपी हतथयार स मार स यदध कर

वही एक हतथयार ह आदमी क पास--होश का परजञा का उसी क साथ वासना स लड़ा िा सकता ह और

कोई हतथयार काम न आएगा िरदासती स लड़ोग हारोग दराओग टटोग वासना को ककसी तरह तिपाओग

तिपगी नही आि नही कल फट पड़गी तवसफोट होगा पागल हो िाओग तवतकषपत हो िाओग तवमि नही

एक ही उपाय ह तिसस भी लड़ना हो होश स लड़ना होश को ही एकमातर असतर रना लना अगर करोध ह तो

करोध को दराना मत करोध को दिना करोध क परतत िागना अगर काम ह तो काम पर धयान करना होश स

भरकर दिना कया ह काम की वततत

और तम चककत होओग इन सारी वतततयो का अतसततव तनिा म ह परमाद म ह िस दीया िलन पर

अधरा िो िाता ह ऐस ही होश क आन पर य वतततया िो िाती ह मार शतान काम--कि भी नाम दो--

तमहारी मचिाा का ही नाम ह

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

रदध कहत ह िर तम िागकर दिोग परम आनद का अनभव होगा भीतर एक उदघोि होगा--

अहो यह तचि शरीर शीघर ही चतना-रतहत होकर वयथा काठ की भातत पथवी पर पड़ा रहगा

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यह शरीर तम नही और तिस कदन तम अपन शरीर को वयथा काठ की भातत पड़ा हआ दि लोग उसी

कदन तम शरीर क पार हो गए अततकरमण हआ शरीर मौत ह शरीर रोग ह शरीर उपातध ह िो शरीर स

मि हआ वह तनरपातधक हो गया

शरीर स मि होन का कया अथा ह शरीर स मि होन का अथा ह इस रात की परतीतत गहन हो िाए

सघन हो िाए यह लकीर कफर तमटाए न तमट यह रोध कफर दराए न दर यह रोध सतत हो िाए िागन म

सोन म यह अनभव होता रह कक तम शरीर म हो शरीर ही नही

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

दकमन स मत डरो रदध कहत ह वह तमहारा कया तरगाड़गा डरो अपन तचतत स शतर शतर की इतनी

हातन नही करता--नही कर सकता--तितना तमहारा तचतत गलत कदशा म िाता हआ तमहारी हातन करता ह

रदध न कहा ह तमहारा ठीक कदशा म िाता तचतत ही तमतर ह और तमहारा गलत कदशा म िाता तचतत ही शतर

ह तम अपन ही तचतत स सावधान हो िाओ तम अपन ही तचतत का सदपयोग कर लो समयक उपयोग कर लो

कफर तमहारी कोई हातन नही करता अगर कोई दसरा भी तमहारी हातन कर पाता ह तो तसफा इसीतलए कक

तमहारा तचतत गलत कदशा म िा रहा था नही तो कोई तमहारी हातन नही कर सकता ठीक कदशा म िात तचतत

की हातन असभव ह इसतलए असली सवाल उसी भीतर क दढ़ दगा को उपलबध कर लना ह

तितनी हातन दविी दविी की या वरी वरी की करता ह उसस अतधक रराई गलत मागा पर लगा हआ

तचतत करता ह

कया ह गलत मागा सवय को न दिकर शि सर कदशाओ म भटकत रहना भीतर न िोिकर और सर

िगह िोिना अपन म न झाककर सर िगह झाकना अपन घर न आना और हर घर क सामन भीि मागना

गलत मागा ह और ऐस तम चलत ही रह हो

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

यह तचतत तमहारा हरक क साथ हो िाता ह कोई भी यातरी तमल िाता ह उसी क साथ हो िाता ह

कोई सतरी तमल गई कोई परि तमल गया कोई पद तमल गया कोई धन तमल गया कोई यश तमल गया चल

पड़ा थोड़ी दर चलता ह कफर हाथ िाली पाकर कफर ककसी दसर क साथ चलन लगता ह राह पर चलत

अिनतरयो क साथ हो लता ह अभी अपन मागादशाक को पहचानता नही ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

िो तमल गया उसी क साथ हो लता ह अपना कोई होश नही

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

अभी कौन मागादशाक ह कौन गर ह उस म पहचानता नही

रदध न कहा ह तमहारा होश ही तमहारा गर ह कभी आि लभा लती ह रप की तरफ चल पड़ता ह

कभी कान लभा लता ह सगीत की तरफ चल पड़ता ह कभी िीभ लभा लती ह सवाद की तरफ चल पड़ता ह

चलता ह थोड़ी दर हर एक राहरौ क साथ

पर हाथ कभी भरत नही पराण कभी तपत होत नही सोचकर कक यह ठीक नही कफर ककसी और क साथ

चल पड़त ह मगर एक रात याद नही आती--

52

पहचानता नही ह अभी राहरर को म

कौन ह तिसक पीि चल होश िागतत धयान उसक पीि चलो तो ही पहच पाओग कयोकक उसका

तिसन साथ पकड़ तलया वह अपन घर लौट आता ह वह अपन सरोत पर आ िाता ह गगा गगोतरी वापस आ

िाती ह

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

हआ तचतत करता ह

और कोई तमतर नही ह और कोई सगा-साथी नही ह और कोई सगी सग करन योगय नही ह एक ही

साथ िोि लन योगय ह अपन रोध का साथ कफर तम वीरान म भी रहो रतगसतान म भी रहो तो भी अकल

नही हो और अभी तम भरी दतनया म हो और तरलकल अकल हो चारो तरफ भीड़-भाड़ ह रड़ा शोरगल ह

पर तम तरलकल अकल हो कौन ह तमहार साथ मौत आएगी कौन तमहार साथ िा सकगा लोग मरघट तक

पहचा आएग उसस आग कफर कोई तमहार साथ िान को नही ह कफर तमह कहना ही पड़गा मन स कहो

रमन स कहो--

शककरया ऐ कबर तक पहचान वाल शककरया

अर अकल ही चल िाएग इस मतिल स हम

कफर चाह मन स कहो चाह रमन स कहो कहो चाह न कहो मौत क राद अकल हो िाओग थोड़ा

सोचो िो मौत म काम न पड़ व िीवन म साथ थ िो मौत म भी साथ न हो सका वह िीवन म साथ कस हो

सकता ह धोिा था एक भातत थी मन को भला तलया था मना तलया था समझा तलया था डर लगता था

अकल म अकल होन म रचनी होती थी चारो तरफ एक सपना रसा तलया था अपनी ही कलपनाओ का िाल

रन तलया था अपन अकलपन को भलान क तलए मान रठ थ कक साथ ह लककन कोई ककसी क साथ नही कोई

ककसी क सग नही अकल हम आत ह और अकल हम िात ह और अकल हम यहा ह कयोकक दो अकलपन क

रीच म कहा साथ हो सकता ह

िनम क पहल अकल मौत क राद अकल यह थोड़ी सी दर पर राह तमलती ह इस राह पर रड़ी भीड़

चलती ह तम यह मत सोचना तमहार साथ चल रही ह सर अकल-अकल चल रह ह ककतनी ही रड़ी भीड़

चल रही हो सर अकल- अकल चल रह ह इसको तिसन िान तलया इसको तिसन समझ तलया वह कफर

अपना साथ िोिता ह कयोकक वही मौत क राद भी साथ होगा कफर वह अपना साथ िोिता ह वह कभी न

िटगा

अपना साथ िोिना ही धयान ह दसर का साथ िोिना ही तवचार ह इसतलए तवचार म सदा दसर की

याद रनी रहती ह तमहार सर तवचार दसर की याद ह अगर तम धयान करो--तवचार पर तवचार करो रठकर-

-तो तम पाओग तमहार तवचारो म तम करत कया हो तमहार तवचारो म तम दसरो की याद करत हो राहर स

साथ न हो तो भीतर स साथ ह

एक यवा सनयसत होन एक गर क पास पहचा तनिान मकदर म उसन परवश ककया गर न उसक चारो

तरफ दिा और कहा कक ककसतलए आए हो उस यवक न कहा कक सर िोड़कर आया ह तमहार चरणो म

परमातमा को िोिना ह उस गर न कहा पहल य भीड़-भाड़ िो तम साथ ल आए हो राहर ही िोड़ आओ

उस यवक न चौककर चारो तरफ दिा वहा तो कोई भी न था भीड़-भाड़ का नाम ही न था वह अकल ही

53

िड़ा था उसन कहा आप भी कसी रात करत ह म तरलकल अकला ह तर तो उस यवक को थोड़ा शक हआ

कक म ककसी पागल क पास तो नही आ गया

उस गर न कहा वह मझ भी कदिाई पड़ता ह आि रद करक दिो वहा भीड़-भाड़ ह उसन आि रद

की तिस पतनी को रोत हए िोड़ आया ह वह कदिाई पड़ी तिन तमतरो को गाव क राहर तरदा माग आया ह व

िड़ हए कदिाई पड़ रािार दकान सरधी तर उस समझ आया कक भीड़ तो साथ ह

तवचार राहर की भीड़ क परततजरर ह तवचार िो तमहार साथ नही ह उनको साथ मान लन की कलपना

ह धयान म तम तरलकल अकल हो या अपन ही साथ हो रस

तितनी भलाई माता-तपता या दसर रध-राधव नही कर सकत उसस अतधक भलाई सही मागा पर लगा

तचतत करता ह

सही मागा स कया मतलर अपनी तरफ लौटता तिसको पतितल न परतयाहार कहा ह भीतर की तरफ

लौटता तिसको महावीर न परततकरमण कहा ह अपनी तरफ आता हआ तिसको िीसस न कहा ह लौटो

कयोकक परमातमा का राजय तरलकल हाथ क करीर ह वापस आ िाओ

यह वापसी यह लौटना धयान ह यह लौटना ही तचतत का ठीक लगना ह तम तचतत क ठीक लगन स यह

मत समझ लना कक अचिी-अचिी रातो म लगा ह कफलम की नही सोचता सवगा की सोचता ह सवगा भी कफलम

ह अचिी-अचिी रातो म लगा ह दकान की नही सोचता मकदर की सोचता ह मकदर भी दकान ह अचिी-

अचिी रातो म लगा ह यह मत समझ लना मतलर कक पाप की नही सोचता पणय की सोचता ह पणय भी

पाप ह अचिी-अचिी रातो का तम मतलर मत समझ लना कक राम-राम िपता ह मरा-मरा िपो कक राम-

राम िपो सर ररारर ह दसर की याद पर का जचतन कफर वह मकदर का हो कक दकान का राम का हो कक

रहीम का इसस कोई फका नही पड़ता

ठीक कदशा म लग तचतत का अथा ह अपनी कदशा म लौटता वहा तवचार िटत िात ह धीर-धीर तम ही

रह िात हो तमहारा अकला होना रह िाता ह शदध मातर तम इतना शदध कक म का भाव भी नही उठता

कयोकक म का भाव भी एक तवचार ह अहकार भी नही उठता कयोकक अहकार भी एक तवचार ह िर और सर

िट िात ह उनही क साथ वह भी िट िाता ह तिस मकाम पर तम त को िोड़ आत हो वही म भी िट

िाता ह िहा तम दसरो को िोड़ आत हो वही तम भी िट िात हो कफर िो शि रह िाता ह कफर िो शि

रह िाता ह शदधतम िर तक उसको न पा लो तर तक जिदगी गलत कदशा म लगी ह

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

िर तक इस िगह न आ िाओ तर तक सारी जिदगी एक गनाह ह एक पाप ह तर तक तम ककतना ही

अपन को समझाओ ककतना ही अपन को ठहराओ तम कपत ही रहोग भय स तर तक तम ककतना ही

समझाओ तम धोिा द न पाओग तमहारी हर सातवना क नीच स िाई झाकती ही रहगी भय की घरड़ाहट

की मतय तमहार पास ही िड़ी रहगी तमहारी जिदगी को जिदगी मानकर तम धोिा न द पाओग और तम

ककतन ही पणय करो िर तक तम सवय की सतता म नही परतवषट हो गए हो--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

वही परमातमा ह वही तमहारा होना ह--तमस भी मि वही परमातमा ह िहा घड़ा िट गया और

कोरा आकाश रह गया नया कफर भी सनातन सदा का कफर भी सदा नया और तािा

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य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

और िर तक तम उस िगह नही पहच िात तर तक तम अनभव करत ही रहोग कक कोई पाप हआ िा

रहा ह कि भल हई िा रही ह पर कही गलत पड़ िा रह ह लाि समहालो तम समहल न पाओग एक ही

समहलना ह और वह समहलना ह धीर-धीर अपनी तरफ सरकना उस भीतरी जरद पर पहच िाना ह तिसक

आग और कि भी नही तिसक पार रस तवराट आकाश ह

इस रदध न शदधता कहा ह इस शदधता म िो परतवषट हो गया उसन ही तनवााण पा तलया उसन ही वह पा

तलया तिस पान क तलए िीवन ह और िर तक ऐसा न हो िाए तर तक गनगनात ही रहना भीतर गनगनात

ही रहना--

य जिदगी गिार रहा ह तर रगर

िस कोई गनाह ककए िा रहा ह म

इस याद रिना तर तक भल मत िाना कही ऐसा न हो कक तम ककसी पड़ाव पर ही सोए रह िाओ

कही ऐसा न हो कक तम भल ही िाओ कक िीवन िागन का एक अवसर था यह पाठशाला ह इसस उततीणा

होना ह यहा घर रसाकर रठ नही िाना ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

चौदहवा परवचन

अनत तिपा ह कषण म

पहला परशनाः आप शरदधा परम आनद की चचाा करत ह लककन आप शति क रार म कयो नही समझात

आिकल मझम असहय शति का आतवभााव हो रहा ह यह कया ह और इस तसथतत म मझ कया रि लना

चातहए

शति की रात करनी िररी ही नही िर शति का आतवभााव हो तो परम म उस राटो आनद म उस

ढालो उस दोनो हाथ उलीचो

शति क आतवभााव क राद अगर उलीचा न अगर राटा न अगर औरो को साझीदार न रनाया अगर

परम क गीत न गाए उतसव पदा न ककया िीवन म तो शति रोझ रन िाएगी तो शति पतथर की तरह िाती

पर रठ िाएगी कफर शति स समसया उठगी

गरीरी की ही समसयाए नही ह ससार म अमीरी की रड़ी समसयाए ह लककन अमीर की सरस रड़ी

समसया यह ह कक िो धन उस तमल गया उसका कया कर पर यह भी कोई समसया ह उस राटो उस

लटाओ रहत ह तिनक पास नही ह उनह दो

करठनाई इसतलए िड़ी होती ह कक हमन िीवन म कवल मागन की कला सीिी ह और िर हम समराट

रनत ह तो अड़चन आ िाती ह मागन की कला का अभयास कफर अचानक िर हम समराट रन िात ह

परमातमा क परसाद स उतरती ह अपररसीम ऊिाा तर भी हम मागना ही िानत ह दना नही िानत हमार

िीन का सारा ढग मागना तसिाता ह कफर िर परमातमा हम पर ररसता ह तो राटन की हमार पास कोई

कला नही होती आदत नही होती अभयास नही होता इसतलए अड़चन आती ह यही तो करठनाई ह

मर पास रहत अमीर लोग आ िात ह व कहत ह रड़ी अड़चन ह धन तो ह कया कर अड़चन कया

ह अड़चन यही ह कक आदत गरीरी की ह आदत तभिारी की ह अड़चन यही ह जिदगीभर मागा--कमाना

सीिा राटना तो कभी सीिा नही सीित भी कस था ही नही तो राटत कया िो नही था उसको मागा

इकिा ककया िोड़ा सिोया सारा िीवन इकिा करन की आदत रन गई कफर तमला अर दन को हाथ नही

िलत रढ़त नही यही अड़चन ह यह अड़चन समझ ली तो हल हो गई कि करना थोड़ ही ह

शति तमल गई आतवभााव हआ यही तो सार धयान की चषटा ह

और तम पित हो कक आप शरदधा परम आनद की रात करत ह शति क रार म कयो नही समझात

वही तो म शति क रार म समझा रहा ह कक िर शति उठ तो आनद रनाना नही तो मतककल िड़ी

होगी िर शति उठ तो नाचना कफर साधारण चलन स काम न रनगा दौड़ना कफर ऐस ही उठना-रठना

काफी न होगा अपरव नतय िर तक िीवन म न होगा तर तक रोझ मालम होगा तितनी रड़ी शति उतनी

रड़ी तिममवारी उतरती ह तितना जयादा तमहार पास ह अगर तम उस फला न सक तो रोझ हो िाएगा

शति की समसया नही ह फलाना सीिो इसतलए तो परम की रात करता ह शति की रात नही करता

तिनक पास शति नही ह उनह शति क सरध म कया समझाना तिनक पास ह उनह शति क सरध म कया

समझाना तिनक पास नही ह उनह शति कस पदा की िाए--कस धयान साधना तपियाा अभयास योग

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ततर--कस शति पदा की िाए यह समझाना िररी ह कफर तिनक पास शति आ िाए दवार िल िाए

परमातमा का और ररसन लग उसकी ऊिाा उनह शति क सरध म कया समझाना िर शति सामन ही िड़ी ह

तो अर उसक सरध म कया रात करनी उनह समझाना ह परम आनद उतसव इसतलए परतयक धयान पर मरा

िोर रहा ह कक तम उस उतसव म परा करना कही ऐसा न हो कक धयान करन का तो अभयास हो िाए और

राटन का अभयास न हो

रहत लोग दीनता स मर ह रहत लोग सामराजय स मर गए ह रहत स लोग इसतलए दिी ह कक उनक

पास नही ह कफर रहत स लोग इसतलए दिी हो िात ह कक उनक पास ह अर कया कर और िीवन का िो

रसाधयकष ह वह दिता ह कक तमन अपनी ऊिाा का कया उपयोग ककया उस सतचत ककए चल गए कपणता

की इकिा ककया तो तिसस महाआनद फतलत हो सकता था उसस तसफा नका ही तनरमात होगा

तमन कभी खयाल ककया मीरा न कडतलनी की रात नही की रचगी कहा कडतलनी नाच म रह िाती

ह योगी करत ह रात कयोकक राटना नही िानत कडतलनी का अथा कया ह ऊिाा उठी और रह नही पा रही

ह तो भीतर भरी मालम पड़ती ह लककन मीरा म कहा रचगी भरन क पहल लटाना आता ह आती भी नही

कक राट दती ह गीत रना लती ह नाच ढाल लती ह उतसव म रपातररत हो िाती ह इसतलए मीरा न

कडतलनी की रात नही की चतनय न कडतलनी की रात नही की तम चककत होओग भिो न रात ही नही की

कडतलनी की

कया भिो को कभी कडतलनी का अनभव नही हआ ह एक महतवपणा सवाल ह कक कया भिो न

कडतलनी को नही िाना िाना लककन इकिा नही ककया इसतलए कभी समसया न रनी कपण क तलए धन

समसया हो िाती ह दाता क तलए कोई समसया ह दाता तो आनकदत होता ह कक इतन कदन तक राटन की

इतनी आकाकषा थी अर परी हई िाती ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

रसाधयकष िीवन का िो उतसव िाच रहा ह दि रहा ह वह माला क दानो पर तगनता रहा--

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

शति का अथा ह तमहार आग िाम ह अर पी लो मत पिो कक िाम का कया कर सामन पयाली भरी

ह पीयो और तपलाओ उतसव रनो

यहकदयो की अदभत ककतार तालमद कहती ह परमातमा तमस यह न पिगा कक तमन कौन-कौन सी

भल की परमातमा तमस यही पिगा कक तमन आनद क कौन-कौन स अवसर गवाए तमस यह न पिगा

तमन कौन-कौन स पाप ककए

यह रात मझ रड़ी िचती ह परमातमा और पाप का तहसार रि रात ही ठीक नही परमातमा और

पापो का तहसार रि परमातमा न हआ तमहारा पराइवट सकरटरी हो गया कोई पतलस का इसपकटर हो गया

कोई अदालत का मतिसटरट हो गया परमातमा न हआ कोई आलोचक हो गया कोई जनदक हो गया परमातमा

की इतनी रड़ी आिो म तमहार पाप कदिाई पड़ग तमहारी भल कदिाई पड़गी

नही तालमद ठीक कहता ह परमातमा पिगा कक इतन सि क अवसर कदए उनको गवाया कयो इतन

नाचन क मौक थ तम रठ कयो रह इतन किस कयो थ इतन कपण कयो थ मन तमह इतना कदया था तमन

उस राटा होता तमन उस रहाया होता तम एक रद सरोवर की तरह कयो रह तम रहती हई सररता कयो न

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रन तम कपण वकष की तरह रह कक तिसन फलो को न तिलन कदया कक कही सगध रट न िाए तम एक

िदान की तरह रह िो अपन हीरो को दराए रही कही सरि की रोशनी न लग िाए

परमातमा न तमहार सामन िीवन की पयाली भरकर रि दी ह और एक रात समझ लना कक तम

तितना इस पयाली पर दसरो को तनमततरत करोग उतनी यह पयाली भरती चली िाएगी तम इस िाली ही न

करोग तो यह रोझ भी हो िाएगी और परमातमा भर कस इस और कस भर यह भरी हई रिी ह तम इस

उलीचो िाली करो तम पर रोझ भी न होगी और परमातमा को और भरन का मौका दो तिसन एक आनद

की घड़ी का उपयोग कर तलया उसक िीवन म दस आनद की घतड़या उपलबध हो िाती ह िो एक रार नाचा

दस रार नाचन की कषमता उस उपलबध हो िाती ह

लककन यह रड़ी करठन रात ह तम कहत िरर हो आनद चाहत ह लककन तमह आनद क सवभाव का

कि पता नही तमह आनद भी तमल िाए तो तम उसस भी दि पाओग तम ऐस अभयासी हो गए हो दि क

दि का सवभाव ह तसकड़ना आनद का सवभाव ह फलना इसतलए िर कोई दि म होता ह तो एकात चाहता

ह रद कमरा करक पड़ा रहता ह अपन तरसतर पर तसर को ढाककर न ककसी स तमलना चाहता ह न ककसी स

िलना चाहता ह चाहता ह मर ही िाऊ कभी-कभी आतमहतया भी कर लता ह कोई तसफा इसीतलए कक अर

कया तमलन को रहा

लककन िर तम आनकदत होत हो तर तम तमतरो को रलाना चाहत हो तमतरो स तमलना चाहत हो तम

चाहत हो ककसी स राटो ककसी को तमहारा गीत सनाओ कोई तमहार फल की गध स आनकदत हो तम ककसी

को भोि पर आमततरत करत हो तम महमानो को रला आत हो आमतरण द आत हो

मर एक परोफसर थ उनका मझस रड़ा लगाव था लककन व मझ घर रलान म डरत थ कयोकक शरार

पीन की उनह आदत थी और कही ऐसा न हो कक मझ पता चल िाए कही ऐसा न हो कक मर मन म उनकी िो

परततषठा ह वह तगर िाए व इसस रड़ भयभीत थ रड़ डर हए थ रहत भल आदमी थ

पर एक रार ऐसा हआ कक म रीमार पड़ा और उनह मझ हासटल स घर ल िाना पड़ा तो कोई दो महीन

म उनक घर पर था रड़ी मतककल हो गई व पीए कस पाच-दस कदन क राद तो भारी होन लगा मामला मन

उनस पिा कक आप कि परशान ह मझ कह ही द--अगर आप जयादा परशान ह या कोई अड़चन ह मर होन स

यहा तो म चला िाऊ वापस उनहोन कहा कक नही पर म अपनी परशानी कह दता ह कक मझ पीन की आदत

ह तो मन कहा यह भी कोई रात हई आप पी लत लक-तिपकर पी लत इतना रड़ा रगला ह उनहोन कहा

यही तो मतककल ह कक िर भी कोई पीता ह--असली पीन वाला--अकल म नही पी सकता चार-दस तमतरो को

न रलाऊ तो पी नही सकता अकल म भी कया पीना उनहोन कहा पीना कोई दि थोड़ ही ह पीना एक

उतसव ह

वह रात मझ याद रह गई िर िीवन की साधारण मकदरा को भी लोग राटकर पीत ह तो िर तमहारी

पयाली म परमातमा भर िाए और तम न राटो िर शरारी भी इतना िानत ह कक अकल पीन म कोई मिा

नही िर तक चार सगी-साथी न हो तो पीना कया िर शरारी भी इतन होशपणा ह कक चार को राटकर पीत

ह तो होश वालो का कया कहना

राटो शति का आतवभााव हआ ह लटाओ और यह भी मत पिो ककसको द रह हो कयोकक यह भी

किसो की भािा ह पातर की जचता वही करता ह िो किस ह वह पिता ह ककसको दना पातर ह कक नही

दो पसा दता ह तो सोचता ह कक यह आदमी दो पस का कया करगा यह भी कोई दना हआ अगर तहसार

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पहल रिा कक यह कया करगा यह तो दना न हआ यह तो इतिाम पहल ही न दन का कर तलया यह तो

तमन इस आदमी को न कदया सोच-तवचारकर कदया

मर एक तमतर थ रड़ जहदी क सातहतयकार थ जहदी सातहतय सममलन क अधयकष थ और भारतीय ससद

क सरस परान सदसय थ--पचास साल तक व एमपी रह उनका िगलककशोर तरड़ला स रहत तनकट सरध

था मर काम म उनह रस था व कहन लग कक मरा सरध ह तरड़ला स अगर व उतसक हो िाए आपक काम म

तो रड़ी सहायता तमल सकती ह तो हम दोनो को तमलाया

तरड़ला मझस रातचीत ककए उतसक हए कहन लग तितना आपको चातहए म दगा और तिस समय

चातहए तर दगा तसफा एक रात मझ पककी हो िानी चातहए कक िो म दगा उसका उपयोग कया होगा मन

कहा रात ही ितम करो यह अपन स न रनगा यह सौदा नही हो सकता अगर यही पिना ह कक आप िो

दग उसका म कया करगा अपन पास रिो यह कोई दना हआ अगर रशता दत हो कक म तमहार सामन ही

यहा सड़क पर लटाकर चला िाऊ तो तम मझस पि न सकोग कक यह कया ककया कयोकक दन क राद अगर

तम पि सको तो तमन कदया ही नही और दन क पहल ही अगर तम पिन का इतिाम कर लो और पहल ही

शता राध लो तो तम ककसी और को दना यह शतारद रात मझस न रनगी

वह रात टट गई आग चलन का कोई उपाय न रहा लोग दत भी ह--अर तरड़ला िसा धनपतत भी हो

वह भी दता ह तो शता रिकर दता ह कक कया काम म आएगा ककस काम म लगाएग तो वह मझ नही दता

अपन ही काम को दता ह उलट मझ भी सवा म सलगन कर रहा ह यह दना न हआ मझ मफत म िरीद लना

हआ

मन कहा मझ दि लो मझ समझ लो मझ दो कफर शि मझ पर िोड़ दो कफर म िो करगा करगा

उसक सरध म कोई रात कफर न उठगी

पातर अपातर की कया जचता करनी फल तिलता ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करता ह कक कोई पास स

आ रहा ह वह सगध का जञाता ह कक अमीर ह या गरीर ह कक सौदया का उपासक ह या नही फल इसकी थोड़

ही कफकर करता ह फल तिलता ह तो सगध को लटा दता ह हवाओ म राह स कोई न भी गिरता हो तनिान

हो राह तो भी लटा दता ह िर रादल भरत ह तो इसकी थोड़ ही कफकर करत ह कहा ररस रह ह भराव स

ररसत ह इतना जयादा ह कक ररसना ही पड़गा तो पहाड़ पर भी ररस िात ह िहा पानी की कोई िररत

नही झीलो पर भी ररसत ह िहा पानी भरा ही हआ ह यह थोड़ ही सवाल ह कक कहा ररसना ररसना

अगर तम िीवन को दिोग तो रशता पाओग वहा उतसव रशता ह वहा नाच अहरनाश चल रहा ह

ककसी क तलए चल रहा ह ऐसा भी नही ह जयादा ह परमातमा इतना अततशय ह इतना अततरक स ह कक

कया कर अगर न लट न ररस

िर तमहार िीवन म शति का आतवभााव मालम हो िर तमह लग कक रादल भर गया--मघ भरपर ह

िर तमह लग कक शति तमहार भीतर उठी ह तो समसया रनगी नाचना गाना पागल की तरह उतसव

मनाना शति तवलीन हो िाएगी और ऐसा नही ह कक तम पीि शतिहीन हो िाओग शति को राटकर ही

कोई वसतताः शतिशाली होता ह कयोकक तर उस पता चलता ह झरन अनत ह तितना राटो उतना रढ़ता

िाता ह

मोहततसर तसरीह क दानो प य तगनता रहा

धयान रिना रसाधयकष रठा ह माला फर रहा ह वह माला क दानो पर तगन रहा ह--

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ककनन पी ककनन न पी ककन-ककन क आग िाम था

और एक ही पाप ह िीवन म और वह पाप ह तरना उतसव क तवदा हो िाना तरना नाच तरना गीत

गाए तवदा हो िाना तमहारा गीत अगर अनगाया रह गया तमहारा रीि अगर अनफटा रह गया तम िो

लकर आए थ वह गध कभी दसो कदशाओ म न फली तो परमातमा तमस िरर पिगा

इसतलए िर शति उठती ह तो सवाल उठता ह कक अर कया कर तहसार मत लगाओ रतहसार

लटाओ सभी पातर ह कयोकक सभी पातरो म वही तिपा ह हर आि स वही दिगा नाच और हर कान स वही

सनगा गीत हर नासारधर स सवास उसी को तमलगी

एक रौदध साधवी थी उसक पास सोन की िोटी सी रदध की परततमा थी सवणा की वह इतना उस परम

करती थी और िस कक साधारणताः कपण मन होता ह कक वह अपनी धप भी िलाती तो हवाओ म यहा-वहा न

फलन दती उस वापस धकक द-दकर अपन िोट स रदध को ही पहचा दती फल भी चढ़ाती तो भी डरी रहती कक

गध कही यहा-वहा न उड़ िाए

कफर एक रड़ी मसीरत हई एक रात वह एक मकदर म ठहरी चीन म एक रहत पराचीन मकदर ह हिार

रदधो का मकदर ह वहा हिार रदध की परततमाए ह वह डरी और सभी परततमाए रदध की ह तो भी डर वह

डरी कक यहा अगर मन धप िलाई अगररतततया िलायी फल चढ़ाए तो यह धआ तो कोई मर रदध पर नही

रका रहगा यहा-वहा िाएगा दसर रदधो पर पहचगा रदध भी दसर तिनकी परततमा वह रि ह उनही की

परततमाए व भी ह तालार ह सरोवर ह सागर ह लककन चाद का परततजरर अलग ककतना ही हो एक ही चाद

का ह तो उसन एक रास की पोगरी रना ली और धप िलाई और रास की पोगरी म स धप को अपन रदध की

नाक तक पहचाया सोन की रदध की परततमा का मह काला हो गया

वह रड़ी दिी हई वह सरह मकदर क परधान तभकष क पास गई और उसन कहा कक रड़ी मतककल हो गई

इस कस साफ कर वह परधान हसन लगा उसन कहा पागल तर सतसग म तर रदध का चहरा तक काला हो

गया

गलत साथ करो यह मसीरत होती ह इतनी भी कया कपणता य सभी परततमाए उनही की ह इतनी भी

कया किसी अगर थोड़ा धआ दसरो क पास भी पहच गया होता तो कि हिा हआ िाता था लककन मर रदध

य सभी परततमाए रदधो की ही ह हर आि स वही झाका ह हर पतथर म वही सोया ह तम इसकी

कफकर ही मत करो तमहार िीवन म आनद भर--परम दो गीत दो सगीत दो नाचो राटो इसी की तो परतीकषा

रही ह कक कर वह कषण आएगा िर हम राट सक ग अर पातर-अपातर का भी भद िोड़ो व सर नासमझी क भद

इसतलए शति क सरध म कि रोलता नही ह कयोकक िो म रोल रहा ह अगर समझ म आया तो शति

कभी समसया न रनगी इसतलए भी शति क सरध म नही रोलता ह कयोकक वह शबद िरा ितरनाक ह

शातत क सरध म रोलता ह शति क सरध म नही रोलता कयोकक शति अहकार की आकाकषा ह शति शबद

सनकर ही तमहार भीतर अहकार अगड़ाई लन लगता ह अहकार कहता ह ठीक शति तो चातहए इसीतलए

तो तम धन मागत हो ताकक धन स शति तमलगी पद मागत हो कयोकक पद पर रहोग तो शतिशाली रहोग

यश मागत हो पणय मागत हो लककन सरक पीि शति मागत हो योग और ततर म भी िोित हो शति ही

िोित हो

60

शति की पिा तो ससार म चल ही रही ह इसतलए म शति की रात नही करता कयोकक धमा क नाम

पर भी अगर तम शति की ही िोि करोग तो वह अहकार की ही िोि रहगी और िर तक अहकार ह तर

तक शति उपलबध नही होती ऐसा सनातन तनयम ह एस धममो सनतनो

िर तम शति की जचता ही िोड़ दत हो और शातत की तलाश करत हो शातत की तलाश म अहकार को

तवसरिात करना होगा कयोकक वही तो अशातत का सरोत ह और िर अहकार तवसरिात हो िाता ह दवार स

पतथर हट िाता ह शातत तो तमलती ह शातत तो मलधन ह और शति तो बयाि की तरह उपलबध हो िाती

ह शातत को िोिो शति अपन स तमल िाती ह शति को िोिो शति तो तमलगी ही नही शातत भी िो

िाएगी

इसतलए शति का िोिी हमशा अशात होगा परशान होगा वह अहकार की ही दौड़ ह नाम रदल गए

वश रदल गया दौड़ वही ह कौन चाहता ह शति वह अहकार चाहता ह कोई चमतकार तमल िाए ररतदध-

तसतदध शति तमल िाए तो दतनया को कदिा द कक म कौन ह

इसतलए िहा तम शति की िोि करत हो िान लना कक वह धमा की कदशा नही ह अधमा की कदशा ह

तमहार चमतकारी तमहार ररतदध-तसतदध वाल लोग सर तमहार ही रािार क तहसस ह उनस धमा का कोई लना-

दना नही व तमह परभातवत करत ह कयोकक िो तमहारी आकाकषा ह लगता ह उनह उपलबध हो गया िो तम

चाहत थ कक हाथ स तारीि तनकल िाए घतड़या तनकल िाए उनक हाथ स तनकल रही ह तम चमतकत होत

हो कक धनय ह उनक पीि चल पड़त हो कक िो इनको तमल गया ह ककसी न ककसी कदन इनकी कपा स हमको

भी तमल िाएगा

लककन घतड़या तनकाल भी लोग तो कया तनकाला िहा परमातमा तनकल सकता था वहा तसवस घतड़या

तनकाल रह हो िहा शाशवत का आनद तनकल सकता था वहा राि तनकाल रह हो चाह तवभतत कहो उसको

कया फका पड़ता ह िहा परमातमा की तवभतत उपलबध हो सकती थी वहा राि नाम की तवभतत तनकाल रह

हो मदारीतगरी ह अहकार की मदारीतगरी ह लककन अहकार की वही आकाकषा ह

शति की म रात नही करता कयोकक तम ततकषण उतसक हो िाओग उसम कक कस शति तमल रताए

उसम अहकार तो तमटता नही अहकार और भरता हआ मालम पड़ता ह तो म तमह तमटाता नही कफर म तमह

सिान लगता ह

यही तो अड़चन ह मर साथ म तमह सिान को उतसक नही ह तमह तमटान को उतसक ह कयोकक तम

िर तक न मरो तर तक परमातमा तमम आतवभात नही हो सकता तम िगह िाली करो तम जसहासन पर

रठ हो तम िगह स हटो जसहासन ररि हो तो ही उसका अवतरण हो सकता ह िस ही तम शात होओग

अहकार जसहासन स उतरगा तम पाओग शति उतरनी शर हो गई और यह शति रात ही और ह िो शात

तचतत म उतरती ह कयोकक अर अहकार रहा नही िो इसका दरपयोग कर लगा अर वहा कोई दरपयोग करन

वाला न रचा

इसतलए िानकर ही उन शबदो का उपयोग नही करता ह तिनस तमहार अहकार को थोड़ी सी भी

ििलाहट हो सकती ह तम तो तयार ही रठ हो ििान को िरा सा इशारा तमल िाए कक तम ििा डालोग

तम तो िाि क परान तशकार हो तमह िरा स इशार की िररत ह कक तमहारी आकाकषा क घोड़ दौड़ पड़ग

तम सर लगाम िोड़ दोग

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नही म शातत की रात करता ह म मतय की रात करता ह तनवााण की रात करता ह शनय होन की रात

करता ह कयोकक मझ पता ह कक तम िर शनय होओग तो पणा तो अपन आप चला आता ह उसको चचाा क

राहर िोड़ो चचाा स नही आता शनय होन स आता ह

शति की रात ही मत करो वह तो शात होत तमल ही िाती ह वह तो शात हए आदमी का अतधकार

िर तमल िाए तो तम कया करोग इसतलए म आनद उतसव और परम की रात करता ह तम िस हो

अभी परम कर ही नही सकत अभी तो तमहारा परम धोिा ह तम िस हो आनकदत हो ही नही सकत अभी तो

आनद कवल मह पर पोता गया झठा रग-रोगन ह अभी तम िस हो हस ही नही सकत अभी तमहारी हसी

ऊपर स तचपकाई गई ह मिौटा ह

ककसी न पिा ह--

दसरा परशनाः कल आपन कहा कक दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता ह मगर परमी क साथ परम म

डर िान म िो सि आनद और अहोभाव अनभव होता ह वह कया ह

हो नही सकता िलदी मत कर लना तनणाय की िरा रड़-रढ़ो स पिना

यह मति न पिा ह अभी परम क मकान क राहर ही चककर लगा रही ह िरा रड़-रढ़ो स पिना व

कहत ह--

िर तक तमल न थ िदाई का था मलाल

अर य मलाल ह कक तमिा तनकल गई

िर तक तमल न थ तर तक दर होन की पीड़ा थी अर िर तमल गए तो पास होन की आकाकषा भी

तनकल गई अर यह दि ह कक अर कस हट कस भाग

िलदी मत करना अभी तिसको तम परम आनद अहोभाव कह रह हो वह सर शबद ह सन हए अभी

परम िाना कहा कयोकक तम िस हो उसम परम फतलत ही नही हो सकता परम कोई ऐसा थोड़ ही ह कक तम

कस ही हो और फतलत हो िाओ परम िनम क साथ थोड़ ही तमलता ह अिान ह उपलतबध ह साधना ह

तसतदध ह

यही तो परशानी ह सारी दतनया म हर आदमी यही सोच रहा ह कक िनम क साथ ही हम परम करन की

योगयता लकर आए ह धन कमान की तम थोड़ी रहत कोतशश भी करत हो लककन परम कमान की तो कोई भी

कोतशश नही करता कयोकक हर एक मान रठा ह कक परम तो ह ही रस परमी तमल िाए काम शर तिसको

तम परमी कहत हो उस भी परम का कोई पता नही ह दर की धवतन भी नही सनी ह न तमह पता ह

तिसको तम परम समझ रह हो वह तसफा मन की वासना ह तिसको तम परम समझ रह हो--दसर क साथ

होन का आनद--वह कवल अपन साथ तमह कोई आनद नही तमलता अपन साथ तम परशान हो िात हो अपन

साथ ऊर और रोररयत पदा होती ह दसर क साथ थोड़ी दर को अपन को भल िात हो उसी को तम दसर क

साथ तमला आनद कह रह हो दसर क साथ तमहारा िो होना ह वह अपन साथ न होन का उपाय ह वह एक

नशा ह इसस जयादा नही उतनी दर को तम अपन को भल िात हो दसरा भी अपन को भल िाता ह यह

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आतम-तवसमरण ह आनद नही मचिाा ह अहोभाव इतयाकद कि भी नही ह मरी रात सन-सनकर तमह अचि-

अचि शबद कठसथ हो िाएग इनको तम हर कही मत लगान लगना

कल आपन कहा कक कोई दसरा कभी ककसी को िश नही कर सकता

तनतित मन कहा ह और कोई कभी नही कर सका ह लककन ककसी भी यवा को समझाना मतककल ह

कयोकक िो यवक समझता ह वह तो समय क पहल परौढ़ हो गया कभी कोई शकराचाया कभी कोई रदध समय

क पहल समझ पात ह अतधक लोग तो समय भी रीत िाता ह--िवानी भी रीत िाती ह रढ़ापा भी रीतन

लगता ह मौत दवार पर आ िाती ह--तर तक भी नही समझ पात

समझ का सरध तमहार िीवन की होश की तीवरता स ह अभी तिसको तम सोचत हो कक परमी क साथ

परम म डर िान म--अभी तम अपन म नही डर दसर म कस डरोग िो अपन म नही डर सका वह दसर म

कस डर सकगा अभी तम अपन भीतर ही िाना नही िानत दसर क भीतर कया िाक िाओग रातचीत ह

अचि-अचि शबद ह सभी िवान अचि-अचि शबदो म अपन को झठलात ह भलात ह िवानी म अगर ककसी

स कहो कक यह परम वगरह कि भी नही ह तो न तो यह सनाई पड़ती ह रात--सनाई भी पड़ िाए तो समझ म

नही आती--कयोकक परतयक वयति को एक भातत ह कक दसर को न हआ होगा लककन मझ तो होगा हो रहा ह

अभी यातरा का पहला ही कदम ह िरा रात परी हो िान दो िरा ठहरो िलदी तनरणय मत करो

तिनहोन िाना ह िीवन का यह दौर िो इसस गिर ह उनस पिो

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

कहा पर िोड़ गया कारवा रहारो का

वह तिसको वसत समझा था रहार समझी थी वह कहा िोड़ गई

सलगती आग दहकता खयाल तपता रदन

एक रगण दशा एक रिार सर धल-धल सर इिधनि टट हए सर सपनो क भवन तगर गए और एक

सलगती आग कक िीवन हाथ स वयथा ही गया लककन िर तम सपनो म िोए हो तर रड़ा मतककल ह यह

रताना कक यह सपना ह उसक तलए िागना िररी ह

परम अरिात ककया िाता ह और तिसन पराथाना नही की वह कभी परम नही कर पाया इसतलए पराथाना

को म परम की पहली शता रनाता ह तिसन धयान नही ककया वह कभी परम नही कर पाता कयोकक िो अपन म

नही गया वह दसर म तो िा ही नही सकता और िो अपन म गया वह दसर म पहच ही गया कयोकक अपन

म िाकर पता चलता ह दसरा ह ही नही दसर का खयाल ही अजञान का खयाल ह

मन सना ह मलला नसरददीन अपन एक तमतर क साथ रठा था और उसन अपन रट को कहा कक िा और

तलघर स शरार की रोतल ल आ वह रटा गया वह वापस लौटकर आया उस रट को थोड़ा कम कदिाई

पड़ता ह और उसकी आिो म एक तरह की रीमारी ह कक एक चीि दो कदिाई पड़ती ह उसन लौटकर कहा

कक दोनो रोतल ल आऊ या एक लाऊ

नसरददीन थोड़ा परशान हआ कयोकक रोतल तो एक ही ह अर अगर महमान क सामन कह एक ही ल

आओ तो महमान कहगा यह भी कया किसी अगर कह दो ही ल आओ तो यह दो लाएगा कहा स वहा एक

ही ह और महमान क सामन अगर यह कह कक इस रट को एक चीि दो कदिाई पड़ती ह तो नाहक की

रदनामी होगी कफर इसकी शादी भी करनी ह तो उसन कहा ऐसा कर एक त ल आ और एक को फोड़ आ--

राए तरफ की फोड़ दना दाए तरफ की ल आना कयोकक राए तरफ की रकार ह ऐसा उसन रासता तनकाला

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रटा गया उसन राए तरफ की फोड़ दी लककन दाए तरफ कि था थोड़ ही एक ही रोतल थी वह फट

गई राए तरफ और दाए तरफ ऐसी कोई दो रोतल थोड़ ही थी रोतल एक ही थी दो कदिाई पड़ती थी वह

रोतल फट गई शरार रह गई वह रड़ा परशान हआ उसन लौटकर कहा कक रड़ी भल हो गई वह रोतल एक

ही थी वह तो फट गई

म तमस कहता ह िहा तमह दो कदिाई पड़ रह ह वहा एक ही ह तमह दो कदिाई पड़ रह ह कयोकक

तमन अभी एक को दिन की कला नही सीिी परम ह एक को दिन की कला लककन उस कला म उतरना हो

तो पहल अपन ही भीतर की सीकढ़यो पर उतरना होगा कयोकक वही तमहार तनकट ह

भीतर िाओ अपन को िानो आतमजञान स ही तमह पता चलगा म और त झठी रोतल थ िो कदिाई

पड़ रह थ निर साफ न थी अधरा था धधलका था रीमारी थी--एक क दो कदिाई पड़ रह थ भम था

भीतर उतरकर तम पाओग तिसको तमन अर तक दसरा िाना था वह भी तमही हो दसर को िर तम ित

हो तर तम अपन ही कान को िरा हाथ घमाकर ित हो रस वह तमही हो िरा चककर लगाकर ित हो तिस

कदन यह कदिाई पड़गा उस कदन परम उसक पहल तिस तम परम कहत हो कपा करक उस परम मत कहो

परम शबद रड़ा रहमलय ह उस िरार मत करो परम शबद रड़ा पतवतर ह उस अजञान का तहससा मत

रनाओ उस अधकार स मत भरो परम शबद रड़ा रोशन ह वह अधर म िलती एक शमा ह परम शबद एक

मकदर ह िर तक तमह मकदर म िाना न आ िाए तर तक हर ककसी िगह को मकदर मत कहना कयोकक अगर

हर ककसी िगह को मकदर कहा तो धीर-धीर मकदर को तम पहचानना ही भल िाओग और तर मकदर को भी

तम हर कोई िगह समझ लोग

तिस तम अभी परम कहत वह कवल कामवासना ह उसम तमहारा कि भी नही ह शरीर क हारमोन

काम कर रह ह तमहारा कि भी नही ह सतरी क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो परि की इचिा समापत हो

िाती ह परि क शरीर स कि हारमोन तनकाल लो सतरी की आकाकषा समापत हो िाती ह तमहारा इसम कया

लना-दना ह कतमसटरी ह थोड़ा रसायनशासतर ह अगर जयादा हारमोन डाल कदए िाए परि क शरीर म तो

वह दीवाना हो िाता ह पागल हो िाता ह एकदम मिन क शरीर म थोड़ जयादा हारमोन रह होग और कि

मामला नही ह तिसको तम परम की दीवानगी कहत हो वह रसायनशासतर स ठीक की िा सकती ह और

तिसको तम परम की ससती कहत हो वह इिकशन स रढ़ाई िा सकती ह और तमम तवरा आ सकती ह और तम

पागल हो सकत हो

इस तम परम मत कहना यह तसफा कामवासना ह और इसम तम िो परम और अहोभाव और आनद की

रात कर रह हो िरा होश स करना नही तो इनही रातो क कारण रहत दि पाओग कयोकक िर कोई सवर

भीतर स आता न मालम पड़गा अहोभाव का तो कफर रड़ा फरसटरशन रड़ा तविाद होता ह वह तविाद

कामवासना क कारण नही होता वह तमहारी िो अपकषा थी उसी क कारण होता ह कामवासना का कया कसर

ह हाथ म एक पसा तलए रठ थ और रपया समझा था िर हाथ िोला और मिी िोली तो पाया कक पसा ह

तो पसा थोड़ ही तमह कषट द रहा ह पसा तो तर भी पसा था पहल भी पसा था अर भी पसा ह पसा पसा

ह तमन रपया समझा था तो तम पीतड़त होत हो तम दिी होत हो तम रोत-तचललात हो कक यह धोिा हो

गया

तमन तिस परम समझा ह वह पसा भी नही ह ककड़-पतथर ह तिस परम की म रात कर रहा ह वह

ककसी और ही दसर िगत का हीरा ह उसक तलए तमह तयार होना होगा तम िस हो वस ही वह नही घटगा

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तमह अपन को रड़ा पररषकार करना होगा तमह अपन को रड़ा साधना होगा तर कही वह सवर तमहार भीतर

पदा हो सकता ह

लककन परतयक वयति को जिदगी म एक नश का दौर होता ह कामवासना का दौर होता ह तर काम ही

राम मालम पड़ता ह तिस कदन यह रोध रदलता ह और काम काम कदिाई पड़ता ह उसी कदन तमहारी

जिदगी म पहली दफ राम की िोि शर होती ह

तो धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह परम वयथा ह धनयभागी ह व तिनहोन िान तलया कक यह

अहोभाव कवल मन की आकाकषा थी कही ह नही कही राहर नही था सपना था दिा तिनक सपन टट गए

आशाए टट गयी धनयभागी ह व कयोकक उनक िीवन म एक नई िोि शर होती ह उस िोि क मागा पर ही

कभी तमह परम तमलगा परम परमातमा का ही दसरा नाम ह इसस कम परम की पररभािा नही

तीसरा परशनाः कया परयास व साधना तवतध ह और तथाता मतिल ह या तथाता ही तवतध और मतिल

दोनो ह

इतन तहसार म कयो पड़त हो यह तहसार कहा ल िाएगा तहसार ही करत रहोग या चलोग भी कया

मतिल ह कया मागा ह इसको सोचत ही रहोग

तो एक रात पककी ह ककतना ही सोचो सोचन स कोई मागा तय नही होता और न सोचन स कोई

मतिल करीर आती ह सोचन-तवचारन वाला धीर-धीर चलन म असमथा ही हो िाता ह चलना तो चलन स

आता ह होना होन स आता ह

नामो की जचता म रहत मत पड़ो दोनो रात कही िा सकती ह परम ही मागा ह परम ही मतिल ह यह

भी कहा िा सकता ह कक परम मागा ह परमातमा मतिल ह पर कोई फका नही ह इन रातो म तिस तरह स

तमहारा मन चलन को रािी हो उसी तरह मान लो कयोकक मरी कफकर इतनी ह कक तम चलो तमह अगर

इसम ही सकन तमलता ह शातत तमलती ह कक परम मागा परमातमा मतिल ह योग मागा मोकष मतिल ह

परयास तवतध मागा तथाता मतिल ह ऐसा समझ लो कोई अड़चन नही ह मगर कपा करक चलो

िो तका तनषठ ह उनह यही मानना उतचत होगा कयोकक तका कहता ह मतिल और मागा अलग-अलग िो

तका की रहत जचता नही करत और िो िीवन को तरना तका क दिन म समथा ह--वसी सामथया रहत कम

लोगो म होती ह--लककन अगर हो तो उनको कदिाई पड़गा कक मागा और मतिल एक ही ह कयोकक मागा तभी

पहचा सकता ह मतिल तक िर मतिल स िड़ा हो नही तो पहचाएगा कस अगर अलग-अलग हो तो

पहचाएगा कस तर तो दोनो क रीच फासला होगा िलाग न लग सकगी दरी होगी

वही मागा पहचा सकता ह िो मतिल स िड़ा हो और अगर िड़ा ही ह तो कफर कया फका करना कहा

तय करोग कक कहा मागा समापत हआ कहा मतिल शर हई

इसतलए महावीर का रड़ा अदभत वचन ह कक िो चल पड़ा वह पहच ही गया िररी नही ह तम िस

चलन वाल हो तो रीच म ही रठ िाएग कक लो महावीर को गलत तसदध ककए दत ह लककन महावीर क कहन

म रड़ा सार ह--िो चल पड़ा वह पहच ही गया कयोकक िर तम चल पहला कदम भी उठाया तो पहला कदम

भी तो मतिल को ही ि रहा ह ककतनी ही दर हो लककन एक कदम कम हो गई पास आ गई

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लाओतस न कहा ह एक-एक कदम चलकर हिारो मील की यातरा परी हो िाती ह तो ऐसा थोड़ ही ह

कक यातरा तभी परी होती ह िर परी होती ह िर तम चल तर भी परी होनी शर हो िाती ह इच-इच चलत

हो कदम-कदम चलत हो रद-रद चलत हो सागर चक िाता ह एक-एक रद स

तमहार ऊपर तनभार ह अगर रहत तका तनषठ मन ह और तम ऐसा मानना चाहो कक मागा अलग मतिल

अलग ऐसा मान लो अगर दतषट और साफ-सथरी ह तका क ऊपर दि सकत हो और तवरोधाभास स कोई

अड़चन नही आती तो मागा ही मतिल ह ऐसा मान लो दोनो रात सही ह कयोकक दोनो रात एक ही सतय को

दिन क दो ढग ह

मागा अलग ह मतिल स कयोकक मागा पहचाएगा और मतिल वह ह िर तम पहच गए मागा वह ह िर

तम चलोग मतिल वह ह िर तम पहच गए और चलन की कोई िररत न रही--अलग-अलग ह दोनो एक भी

ह कयोकक पहला कदम पड़ा कक मतिल पास आन लगी मागा िआ नही कक मतिल भी ि ली--ककतनी ही दर

सही ककरण को िर तम ित हो सरि को भी ि तलया कयोकक ककरण सरि का ही फला हआ हाथ ह तमन

मर हाथ को िआ तो मझ िआ या नही हाथ मरा दो फीट लरा ह कक दो हिार फीट लरा ह इसस कया फका

पड़ता ह कक दस करोड़ मील लरा ह इसस कया फका पड़ता ह ककरण सरि का हाथ ह ककरण को ि तलया

सरि को ि तलया यातरा शर हो गई

एक रात पर ही मरा िोर ह कक तम रठ मत रहो कयोकक तवचार करन की एक हातन ह कक तवचारक

तसर पर हाथ लगाकर रठ िाता ह सोचन लगता ह कि करो करन स रासता तय होगा चलन स

कई रार म दिता ह रहत लोगो को व तवचार ही करत रहत ह समय िोता िाता ह कभी-कभी रढ़

लोग मर पास आ िात ह व अभी भी तवचार कर रह ह कक ईशवर न दतनया रनाई या नही तम अर कर तक

यह तवचार करत रहोग रनाई हो तो न रनाई हो तो िीवन को िानन क तलए कि करो ईशवर हो तो न हो

तो तम होन क तलए--सवय होन क तलए--कि करो य सारी जचताए य सारी समसयाए अथाहीन ह ककतनी ही

साथाक मालम पड़ साथाक नही ह और ककतनी ही रतदधमानीपणा मालम पड़ रतदधमानीपणा नही ह

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

वह मकदर था या मतसिद थी यह परमातमा पर ही िोड़ दत ह हम तो झक गए

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

हमन तो अपनी तवनमरता म अपन तनरअहकार म तसर झका कदया

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

अर यह िदा सोच ल कक मतसिद थी कक मकदर था कक काशी थी कक कारा था यह जचता साधक की

नही ह यह जचता पतडत की ह कक कहा झक

िरा फका समझना रारीक ह और नािक ह समझ म आ िाए तो रड़ा कराततकारी ह

पतडत पिता ह कहा झक साधक पिता ह झक पतडत का िोर ह कहा पतडत पिता ह ककस

चीि क सामन झक कारा था कक काशी कौन था तिसक सामन झक साधक पिता ह झक साधक की

जचता यही ह झकाव आया नमरता आई झकन की कला आई इसस कया फका पड़ता ह कहा झक झक गए

िो झक गया उसन पा तलया इसस कोई भी सरध नही कक वह कहा झका मतसिद म झका तो पा तलया

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मकदर म झका तो पा तलया झकन स पाया मकदर स नही पाया मतसिद स नही पाया मकदर-मतसिदो स कही

कोई पाता ह झकन स पाता ह

और िो सोचकर झका कक कहा झक रहा ह वह झका ही नही कही कोई सोचकर झका ह सोच-तवचार

करक तो कोई झकता ही नही झकन स रचता ह अगर तम तरलकल तनणाय करक झक कक हा यह परमातमा ह

अर झकना ह--सर तरह स तय कर तलया कक यह परमातमा ह कफर झक--तो तम झक नही कयोकक तमहारा

तनरणय और तमहारा झकना तम अपन ही तनणाय क सामन झक तम परमातमा क सामन न झक तम अपन

तनणाय क सामन झक

साधक झकता ह झकन का अथा ह तनणाय िोड़ता ह साधक कहता ह म कौन ह म कस िान पाऊगा

मरी हतसयत कया मरी सामथया कया साधक कहता ह कक म कि ह नही इस न होन क रोध म स झकन का

फल तिलता ह इस न होन म स समपाण आता ह इस न होन म स झकना आ िाता ह ऐसा कहना ठीक नही

कक साधक झकता ह ऐसा कहना जयादा ठीक ह कक साधक पाता ह कक झकना हो रहा ह दिता ह तो पाता ह

अकड़ की कोई िगह तो नही कोई सतवधा नही अकड़ का कोई उपाय नही अकड़ का उपाय नही पाता

इसतलए झकना घटन लगता ह तम अगर झकत भी हो तो तमही झकत हो तमही झक तो कया िाक झक

अगर झकन म भी तम रह तो झकना न हआ

रिदी म हम तो तरा दर समझकर झक गए

अर िदा मालम वह कारा था या रतिाना था

मागा और मतिल एक ह कक अलग-अलग िदा मालम तम चलो और तिस रहान स चल सको उसी

रहान को मान लो सर रहान ररारर ह इसीतलए तो म सभी धमो की चचाा करता ह कोई धमा ककसी स

कम-जयादा नही ह सर रहान ह िरटया ह मकान म ककसी पर भी टाग दो अपन कपड़ कपा करो टागो

िरटयो का रहत तहसार मत रिो कक लाल पर टागग कक हरी पर टागग हरी होगी इसलाम की िटी लाल

होगी जहदओ की िटी तम टागो कयोकक धारमाक को टागन स मतलर ह िरटयो स मतलर नही

अर िदा मालम वो कारा था या रतिाना था

य तम परमातमा पर िोड़ दो य सर रड़ तहसार उसी पर िोड़ दो तम तो एक िोटा सा काम कर लो

तम चलो लककन लोग रड़ तहसार म लग ह रड़ी जचतना करत ह रड़ा तवचार करत ह रड़ी होतशयारी म

लग ह कक िर सर तय हो िाएगा रौतदधक रप स और हम परी तरह स आशवसत हो िाएग तर

तो तम कभी न चलोग तम जिदगीभर जिदगी का सपना दिोग तम जिदगी भर िीन का तवचार

करोग िी न पाओग तयारी करोग लककन कभी तम िा न पाओग यातरा पर रोररया-तरसतर राधोग

िोलोग राधोग िोलोग रलव सटशन पर िाकर टरन कर कहा िाती ह उसका पता लगाओग टाइम-टरल का

अधययन करोग--तमहार वद तमहार करान टाइम-टरल ह जयादा कि भी नही--उनका रठकर तम अधययन

करत रहो टाइम-टरल स कही कोई यातरा हई ह कि लोगो को म दिता था िर म सफर म होता था व रठ

ह अपन टाइम-टरल का ही अधययन कर रह ह वदपाठी कहना चातहए जञानी पतडत टाइम-टरल का अधययन

कर रह ह उसी को उलट रह ह

नकशो को रि रठ रहोग नकशो स कभी ककसी न यातरा की ह म तमस कहता ह अगर यातरा पर न

िाना हो तो नकश का अधययन करना रहत िररी ह म तमस कहता ह अगर यातरा स रचना हो तो नकशो को

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पकड़ रिना रहत िररी ह कयोकक मन उलझा रहता ह नकशो म और नकश रहत परकार क ह नाना रग-रप

क ह

रदध न कया कहा ह इसकी कफकर मत करो महावीर न कया कहा ह इसकी जचता मत करो कषण न कया

कहा ह इसका तहसार मत रिो रदध कया ह महावीर कया ह कषण कया ह--उनक होन पर थोड़ी निर लाओ

और तम भी होन म लग िाओ य सर राल की िाल ह कक कौन सी तवतध ह और कौन सा पहचना कौन सा

मागा कौन सी मतिल राल की िाल मत तनकालो रहत तका शासतरी ह उनको तम िोड़ द सकत हो और एक

रात धयान रिना अत म तम पाओग कक िो चल व पहच गए और िो सोचत रह व िो गए साधक एक कदम

की जचता करता ह एक कदम चल लता ह कफर दसर की जचता करता ह

चीन म कहानी ह कक एक आदमी विो तक सोचता था कक पास म एक पहाड़ पर तीथासथान था वहा

िाना ह लककन--कोई तीन-चार घट की यातरा थी दस-पिह मील का फासला था--विो तक सोचता रहा पास

ही था नीच घाटी म ही रहता था हिारो यातरी वहा स गिरत थ लककन वह सोचता था पास ही तो ह कभी

भी चला िाऊगा

रढ़ा हो गया तर एक कदन एक यातरी न उसस पिा कक भाई तम भी कभी गए हो उसन कहा कक म

सोचता ही रहा सोचा इतना पास ह कभी भी चला िाऊगा लककन अर दर हो गई अर मझ िाना ही

चातहए उठा उसन दकान रद की साझ हो रही थी पतनी न पिा कहा िात हो उसन कहा म अर तो यह

मरन का वि आ गया और म यही सोचता रहा इतन पास ह कभी भी चला िाऊगा और म इन याततरयो को

ही िो तीथायातरा पर िात ह सौदा-सामान रचता रहा जिदगी मरी याततरयो क ही साथ रीती--आन-िान

वालो क साथ व िरर लात मकदर क तशिरो की चचाा करत शातत की चचाा करत पहाड़ क सौदया की रात

करत और म सोचता कक कभी भी चला िाऊगा पास ही तो ह दर-दर क लोग यातरा कर गए म पास रहा रह

गया म िाता ह

कभी यातरा पर गया न था तसफा यातरा की रात सनी थी सामान राधा तयारी की रातभर--पता था कक

तीन रि रात तनकल िाना चातहए ताकक सरह-सरह ठड-ठड पहच िाए लालटन िलाई कयोकक दिा था

कक यातरी रोररया-तरसतर भी रित ह लालटन भी लकर िात ह लालटन लकर गाव क राहर पहचा तर उस

एक रात खयाल आई कक लालटन का परकाश तो चार कदम स जयादा पड़ता नही पिह मील का फासला ह

चार कदम तक पड़न वाली रोशनी साथ ह यह पिह मील की यातरा कस परी होगी घरड़ाकर रठ गया

तहसार लगाया दकानदार था तहसार-ककतार िानता था चार कदम पड़ती ह रोशनी पिह मील का फासला

ह इतनी सी रोशनी स कही िाना हो सकता ह घरड़ा गया तहसार रहतो को घरड़ा दता ह

अगर तम परमातमा का तहसार लगाओग घरड़ा िाओग ककतना फासला ह कहा तम कहा परमातमा

कहा तम कहा मोकष कहा तमहारा कारागह और कहा मति का आकाश रहत दर ह तम घरड़ा िाओग पर

कप िाएग रठ िाओग आशवासन िो िाएगा भरोसा टट िाएगा पहच सकत हो यह रात ही मन म

समाएगी न

उसक पर डगमगा गए वह रठ गया कभी गया न था कभी चला न था यातरा न की थी तसफा लोगो

को दिा था आत-िात उनकी नकल कर रहा था तो लालटन भी ल आया था सामान भी ल आया था कहत

ह पास स कफर एक यातरी गिरा और उसन पिा कक तम यहा कया कर रह हो उस आदमी न कहा म रड़ी

मसीरत म ह इतनी सी रोशनी स इतन दर का रासता पिह मील का अधकार चार कदम पड़न वाली रोशनी

68

तहसार तो करो उस आदमी न कहा तहसार-ककतार की िररत नही उठो और चलो म कोई गतणत नही

िानता लककन इस रासत पर रहत रार आया-गया ह और तमहारी लालटन तो मरी लालटन स रड़ी ह तम

मरी लालटन दिो--वह रहत िोटी सी लालटन तलए हए था तिसस एक कदम मतककल स रोशनी पड़ती थी--

इसस भी यातरा हो िाती ह कयोकक िर तम एक कदम चल लत हो तो आग एक कदम कफर रोशन हो िाता

ह कफर एक कदम चल लत हो कफर एक कदम रोशन हो िाता ह

तिनको चलना ह तहसार उनक तलए नही ह तिनको नही चलना ह तहसार उनकी तरकीर ह तिनको

चलना ह व चल पड़त ह िोटी सी रोशनी पहचा दती ह तिनको नही चलना ह व रड़ अधकार का तहसार

लगात ह वह अधकार घरड़ा दता ह पर डगमगा िात ह

साधक रनो जञानी नही साधक तरना रन िो जञान आ िाता ह वह कड़ा-करकट ह साधक रनकर िो

आता ह वह रात ही और ह महावीर ठीक कहत ह िो चल पड़ा वह पहच गया वह जञानी की रात ह उस

जञानी की िो चला ह पहचा ह

महावीर क पास उनका िद का दामाद उनका तशषय हो गया था लककन उस रड़ी अड़चन होती थी

भारत म तो दामाद का ससर पर िता ह तो महावीर को पर िना चातहए दामाद का मगर िर उसन दीकषा

ल ली और उनका तशषय हो गया तो उसको पर िना पड़ता था तो उस रड़ी पीड़ा होती थी रड़ा अहकारी

रािपत था और कफर महावीर की रातो म उस कई ऐसी रात कदिाई पड़न लगी िो असगत ह यह रात उनम

एक रात थी तो उसन एक तवरोध का झडा िड़ा कर कदया उसन महावीर क पाच सौ तशषयो को भड़का

तलया और उसन कहा यह तो रकवास ह यह कहना कक िो चलता ह वह पहच गया महावीर कहत थ अगर

तमन दरी तरिान क तलए िोली--िोलना शर की कक िल गई अर यह रात तो रड़ी गहरी थी मगर रदध

रतदधमानो क हाथ म पड़ िाए तो रड़ा ितरा उसन कहा इसका तो म परमाण द सकता ह कक यह रात

तरलकल गलत ह वह एक दरी ल आया लपटकर उसन कहा कक यह लो हम िोल कदए--िरा सी िोल दी और

कफर रक गया और महावीर कहत ह िोली कक िल गई कहा िली उसस पाच सौ आदतमयो को भड़का

तलया महावीर क तशषयो को

कभी-कभी पतडत भी जञातनयो क तशषयो को भड़का लत ह कयोकक पतडत की रात जयादा तका पणा होती

ह वह जयादा रतदध को िचती ह रात तो िचगी यह कया रात ह िोलन स कही िलती ह रीच म भी रक

सकती ह चलन स कही कोई पहचता ह रीच म भी तो रक सकता ह

महावीर करणा क आस तगराए होग लककन कया कर सकत थ तसदध तो व भी नही कर सकत थ यह

करणा क आस तगराए होग कयोकक उनह पता ह कक िो एक कदम भी सतय की तरफ चल पड़ा वह कभी नही

रकता ह--मगर अर इसको समझाए कस--कयोकक सतय का आकरिण ऐसा ह तम िो नही चल हो उनको िीच

रहा ह िो चल पड़ा वह कफर कभी नही रकता ह नही िो चल ह व भी जिच िा रह ह तो िो चल पड़ा ह

वह कही रकन वाला ह तिसन िरा सा भी सवाद ल तलया सतय का कफर सर सवाद वयथा हो िात ह िो सतय

की तरफ िरा सा झक गया सतय की ऊिाा सतय का आकिाण चरक की तरह िीच लता ह यह तो ऐस ही ह

िस कक हमन ित स एक पतथर िोड़ कदया िमीन की तरफ महावीर यह कह रह ह कक पतथर िोड़ कदया कक

पहच गया

अगर म होता तो महावीर क दामाद को ल गया होता ित पर दरी न िलवाई होती कयोकक दरी की

रात म न करता--वह म भी समझता ह कक वह झझट हो िाएगी दरी म तो एक पतथर िोड़ दता और कहता

69

िट गया--पहच गया कयोकक रीच म रकगा कस गरतवाकिाण ह हा िर तक ित पर ही रिा हआ ह तर

तक गरतवाकिाण कि भी नही कर सकता िरा डगा दो इसतलए म कहता ह सतय ऐसा ह िस ित स कोई

िलाग लगा ल तम एक कदम उठाओ राकी कफर अपन स हो िाएग तमह दसरा कदम उठाना ही न पड़गा

कयोकक िमीन का गरतवाकिाण कर लगा शि काम

महावीर ठीक कहत थ लककन महावीर कोई तारका क नही ह महावीर हार गए ऐसा लगता ह रोए

होग करणा स कक यह पागल िद भी पागल ह और यह पाच सौ और पागलो को अपन साथ तलए िा रहा ह

महावीर िानत ह कक िो एक कदम चल गया वह मतिल पर पहच गया कषणमरता न पहली ककतार

तलिी ह--द फसटा एड लासट फरीडम उस ककतार का नाम ह पहली और आतिरी मति कयोकक पहल कदम पर

ही आतिरी घट िाती ह वही महावीर कह रह थ कक एक कदम उठा तलया कक मतिल आ गई तिनहोन भी

पहला कदम उठा तलया उनकी मतिल आ गई

अर तम पित हो कक मतिल कया और मागा कया

चाहो दो कर लो चाहो एक कर लो असतलयत तो यही ह कक मागा ही मतिल ह कयोकक एक कदम

उठात ही पहचना हो िाता ह तम अगर नही पहच तो यह मत सोचना कक हमन कदम तो रहत उठाए चकक

मतिल दर ह इसतलए नही पहच पा रह तमन पहला कदम ही नही उठाया इसतलए अटक हो

मगर अहकार को रड़ी पीड़ा होती ह यह मानन म कक मन पहला कदम नही उठाया यह रात ही गलत

लगती ह कदम तो हमन रहत उठाए मागा लरा ह मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह अहकार को उसम

सतवधा ह कक मतिल दर ह इसतलए नही पहच रह ह

म तमस कहता ह तमन पहला कदम ही नही उठाया अनयथा तमह कोई रोक सकता ह तिसन उठाया

पहला कदम वह पहच गया पहल कदम पर ही पहचना हो िाता ह तम उठाओभर कदम और मतिल आ

िाती ह लककन रठ-रठ तहसार मत करो काफी तहसार कर तलए हो

तथाता मागा भी ह मतिल भी तथाता का अथा कया होता ह तथाता का अथा ह सवा सवीकार का भाव

अहकार सघिा ह अहकार कहता ह ऐसा होना चातहए ऐसा नही होना चातहए अहकार कहता ह यह रहा

ठीक वह रहा गलत अहकार चनाव करता ह भद करता ह राटता ह िड-िड करता ह तथाता का अथा ह

सवा सवीकार टोटल एकसपटनस िसा ह िो ह रािी ह अहकार ह पररपणा तवरोध तथाता ह पररपणा

सवीकार अहकार ह परततरोध रतससटनस तथाता ह रािी होना अहकार ह नही तथाता ह हा अतसततव िो

कह हा

तर तो पहल ही कदम पर मतिल हो िाएगी ऐसी घड़ी म तो करातत घट िाती ह रपातरण हो िाता

ह कफर रचा कया पान को िर तमन सर सवीकार कर तलया लड़ाई कहा रही कफर तम तरत नही अतसततव

की धारा तमह ल चलती ह सागर की तरफ

रामकषण न कहा ह दो ढग ह यातरा करन क एक ह पतवार लकर नाव चलाना वह अहकार का ढग ह

रड़ा थकाता ह और जयादा दर पहचाता भी नही दसरा रासता ह पतवार िोड़ो पाल िोलो हवाए ल

िाएगी तम हवाओ क सहार चल पड़ो

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

कौन जचता कर माझी की

70

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

अर य माझी का और कौन एहसान उठाए

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

लगर भी तोड़ दता ह ककती भी उस पर िोड़ दता ह यह ह तथाता अर वह िहा ल िाए अर अगर

मझधार म डरा द तो वही ककनारा ह अर डरना भी उररना ह सवीकार म फासला कहा अर न पहचना भी

पहचना ह सवीकार म फासला कहा अर होना और न होना ररारर ह अर मतिल और मागा एक ह अर

रीि और वकष एक ह अर सतषट और परलय एक ह कयोकक व सार भद रीच म अहकार िड़ा होकर करता था

सार भद अहकार क ह अभद तनरअहकार का ह

एहसान नािदा का उठाए मरी रला

ककती िदा पर िोड़ द लगर को तोड़ द

ऐसी मनोदशा परमावसथा ह और ऐसी परम अवसथा म साधन साधय का कोई भद नही सतषट सरषटा

का कोई भद नही िीवन मतय का कोई भद नही एक क ही अलग-अलग चहर ह

कफर तम िहा हो वही मतिल ह कफर कही और िान को भी नही ह िाना भी अहकार का ही खयाल ह

पहचन की आकाकषा भी अहकार की ही दौड़ ह वह भी महतवाकाकषा ही ह

चौथा परशनाः कया कषणभगरता का रोध ही िीवन म कषण-कषण िीन की कला रन िाता ह

तनतित ही िस-िस ही तम िागोग और दिोग कक एक कषण क अततररि हाथ म कोई दसरा कषण नही

ह--दो कषण ककसी क पास एक साथ नही होत एक कषण आता ह िाता ह तर दसरा आता ह--एक ही कषण हाथ

म ह

सार िीवन की कला यही ह कक इस एक कषण म कस िी लो कस यह एक कषण ही तमहारा परा िीवन

हो िाए कस इस एक कषण की इतनी गहराई म उतर िाओ कक यह कषण शाशवत और सनातन मालम हो एक

कषण स दसर कषण पर िाना साधारण िीवन का ढग ह और एक कषण की गहराई म उतर िाना असाधारण

िीवन का ढग ह

सासाररक िीवन का अथा ह इस कषण को अगल किण क तलए कराान करो कफर उसको और अगल क

तलए कराान करना आि को कल क तलए तनिावर करो कल को कफर और परसो क तलए तनिावर करना

सासाररक िीवन एक सतत सथगन एक पोसपोनमट ह सनयास का िीवन इस कषण को परा िी लो परम

अनगरह क भाव स परमातमा न यह कषण कदया इस परा पी लो इस कषण की पयाली म स एक रद भी अनपीयी

न िट िाए तम इस परा ही गटक िाओ तो तम तयार हो रह हो दसर कषण को पीन क तलए तितना तम

पीयोग उतनी तयारी हो िाएगी यह पयास कि ऐसी ह कक पीन स रढ़ती ह यह रस कि ऐसा ह कक तितना

तम इसम डरोग उतनी ही डरन की कषमता आती िाएगी

कषणभगरता का रोध अगर तमह आ िाए कक एक ही कषण पास ह दसरा कोई कषण पास नही--हो सकता

ह यही कषण आतिरी हो--तो कफर तम कल पर न िोड़ सकोग तम आि िीओग यही िीओग तम यह न

कहोग कक कल पर िोड़त ह कल िी लग कल कर लग परम कल कर लग उतसव कल कर लग आनद तमम

कफर यह सतवधा न रहगी आि ही ह उतसव आि ही ह पिा आि ही ह परम आि क पार कि भी नही ह

71

कषणभगर का अगर इतना सपषट रोध हो िाए कक िीवन कषण-कषण रीता िा रहा ह चका िा रहा ह तो

तम कषण की शाशवतता म उतरन म समथा हो िाओग एक कषण भी अपनी गहराई म सनातन ह शाशवत ह

ऐस समझो कक एक आदमी ककसी झील म तरता ह--ऊपर-ऊपर एक लहर स दसरी लहर और एक

दसरा ह गोतािोर िो झील म एक ही लहर म गोता मारता ह और गहर उतर िाता ह सासाररक आदमी एक

लहर स दसरी लहर पर चलता रहता ह सतह पर ही तरता ह सतह पर सतह ही हाथ लगती ह गहराई म

िो िाता ह उस गहराई क ििान हाथ लगत ह ककसी न कभी लहरो पर मोती पाए मोती गहराई म ह

िीवन का असली अथा कषण की गहराई म तिपा ह तो यह तो ठीक ह कक िीवन को कषणभगर मानो--ह

ही मानन का सवाल नही ह िानो यह भी ठीक ह कक एक कषण स जयादा तमह कि तमला नही लककन इसस

उदास होकर मत रठ िाना यह तो कहा ही इसतलए था ताकक झठी दौड़ रद हो िाए यह तो कहा ही इसतलए

था ताकक गलत आयाम म तम न चलो यह तो तमह पकारन को कहा था कक गहराई म उतर आओ

रदध िर कहत ह िीवन कषणभगर ह तो व यह नही कह रह ह कक इस िोड़कर तम उदास होकर रठ

िाओ व यही कह रह ह कक तमहार होन का िो ढग ह अर तक वह गलत ह उस िोड़ दो म तमह एक और

नए होन का ढग रताता ह

साधारण आदमी तो कषणभगर िीवन की सतह पर िीता ह इसी कषणभगर सतह पर वह अपन सवगा

और नको की भी कामना करता ह अपन आन वाल भतवषय िनमो की भी कलपना करता ह--यही इसी आयाम

म वह कभी नीच झाककर नही दिता कक सतह की गहराई म ककतना अनत तिपा ह

एक-एक कषण म अनत का वास ह और एक-एक कण म तवराट ह लककन वह कण को कण की तरह

दिता ह कषण को कषण की तरह दिता ह और कषण की विह स--इतना िोटा कषण िी कस पाएग--वह आग की

योिनाए रनाता ह कक कल िीएग और यह भल ही िाता ह कक कल भी कषण ही हाथ म होगा िर भी होगा

कषण ही हाथ म होगा जयादा कभी हाथ म न होगा िर यह िीवन चक िाता ह तो अगल िीवन की कलपना

करता ह कक कफर िनम क राद होगा िीवन लककन तम वही कलपना करोग उसी की आकाकषा करोग िो तमन

िाना ह

गातलर की रड़ी परतसदध पतिया ह--

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

गातलर कह रहा ह कक नका को ही िाना ह हमन तो सवगा को तो िाना नही और तिनको हमन िाना

ह उनहोन भी नका को ही िाना ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

तो हम सवगा को भी नरक म कयो न तमला ल

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

सवगा होगा भी िोटा नका क मकारल कयोकक अतधक लोग नका म िी रह ह सवगा म तो कभी कोई िीता

ह इस थोड़ी सी िगह को भी और अलग कयो िोड़ रिा ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

इसको कयो अलग िोड़ रिा ह य पतिया रड़ी महतवपणा ह य साधारण आदमी क मन की िरर ह

72

तमह अगर सवगा भी तमल तो तम उस अपन नका म ही िोड़ लना चाहोग और तम करोग भी कया मन

दिा ह तमह धन भी तमल िाए तो तम उस अपनी गरीरी म िोड़ लत हो और तम करोग भी कया तमह

आनद का अवसर भी तमल िाए तो तम उस भी अपन दि म िोड़ लत हो तम और करोग भी कया तमह

अगर चार कदन जिदगी क और तमल िाए तो तम उनह इसी जिदगी म िोड़ लोग और तम करोग भी कया

आदमी सततर साल िीता ह सात सौ साल िीए तो तम सोचत हो कोई करातत हो िाएगी रस ऐस ही िीएगा

और ससत होकर िीन लगगा ऐस ही िीएगा सततर साल म अभी नही िीता तो सात सौ साल म तो और भी

सथतगत करन लगगा कक िलदी कया ह

कयो न कफरदौस को दोिि म तमला ल या रर

सर क वासत थोड़ी सी िगह और सही

तम िो हो उसी म तो िोड़ोग भतवषय को भी तम सवगा को भी अपन नका म ही िोड़ लोग तम अपन

अधमा म ही धमा को भी िोड़ लत हो तम अपनी दकान म ही मकदर को भी िोड़ लत हो तम अपनी रीमारी म

अपन सवासथय को भी िोड़ लत हो तम अपनी मचिाा म अमचिाा की रातो को भी िोड़ लत हो तम अपनी

अशातत म अपन धयान को भी िोड़ लत हो रपातरण नही हो पाता

नका म सवगा को नही िोड़ना ह नका को तमटाना ह ताकक सवगा हो सक नका को िोड़ना ह ताकक सवगा

हो सक

कषणभगर िीवन ह यह सतय ह इसक तम तीन अथा ल सकत हो एक कषणभगर ह इसतलए िलदी

करो भोगो कही भोग िट न िाए सासाररक आदमी वही कहता ह--िाओ पीओ मौि करो जिदगी िा रही

ह कफर धारमाक आदमी ह वह कहता ह--जिदगी िा रही ह िाओ पीओ मौि करो इसम मत गवाओ कि

कमाई कर लो िो आग काम आए सवगा म मोकष म य दोनो गलत ह कफर एक तीसरा आदमी ह तिसको म

िागा हआ परि कहता ह रदधपरि कहता ह वह कहता ह--िीवन कषणभगर ह इसतलए कल पर तो कि भी

नही िोड़ा िा सकता सवगा और भतवषय की कलपनाए नासमतझया ह इसतलए रदध न सवगो की रात नही की

कफर वह यह कहता ह कक िीवन कषणभगर ह तो सतह पर ही िान-पीन और मौि म भी उस गवाना वयथा ह

तो थोड़ा हम भीतर उतर कषण को िोल कौन िान कषण कवल दवार हो तिसक राहर ही हम िीवन को गवाए

द रह ह कषण को िोलना ही धयान ह

महावीर न तो धयान को सामातयक कहा कयोकक सामातयक का अथा ह समय को िोल लन की कला

कषण म िोलकर उतर िाना दवार तो िोटा ही होता ह महल रहत रड़ा ह तम दवार क कारण महल को िोटा

मत समझ लना दवार तो िोटा ही होता ह दवार क रड़ होन की िररत नही तम तनकल िाओ इतना काफी ह

इतना म तमस कहता ह कषण का दवार इतना रड़ा ह कक तम उसस मि स तनकल सकत हो इसस जयादा

की िररत भी नही कषण क पार शाशवत तमहारी परतीकषा कर रहा ह तम एक दवार स दसर दवार पर भाग रह

हो कि दवार-दवार भीि मागत कफर रह ह व सासाररक लोग कि ह िो उदास होकर रठ गए ह दवार क राहर

तसर लटका तलया ह कक िीवन रकार ह इन दो स रचना

एक तीसरा आदमी भी ह तिसन कषण की किी िोि ली--वही अमचिाा ह अपरमाद ह--और कषण का दवार

िोल तलया कषण का दवार िोलत ही शाशवत का दवार िल िाता ह अनत तिपा ह कषण म तवराट तिपा ह कण

73

आतिरी परशनाः आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह काट कया एक भी नही

परशन थोड़ा करठन ह करठन इसतलए ह कक आनद क मागा पर न तो फल ह और न काट काट तमहार

दिन म होत ह फल भी तमहार दिन म होत ह काट और फल राहर नही ह काट और फल तमह तमलत नही

ह राहर तमहार दिन स िनमत ह गलत दिन स काट कदिाई पड़त ह ठीक दिन स फल कदिाई पड़त ह

तम वही दि लत हो िो तमहारी दतषट ह दतषट ही सतषट ह इस समरण रिो

रड़ी पराचीन कथा ह कक रामदास राम की कथा कह रह ह कथा इतनी परीततकर ह राम की कहानी

इतनी परीततकर ह कक हनमान भी सनन आन लग हनमान न तो िद ही आिो स दिी थी सारी कहानी लककन

कफर भी कहत ह रामदास न ऐसी कही कक हनमान को भी आना पड़ा िरर तमली तो वह सनन आन लग

रड़ी अदभत थी तिप-तिप भीड़ म रठकर सनत थ

पर एक कदन िड़ हो गए खयाल ही न रहा कक तिपकर सनना ह तिपकर ही आना ह कयोकक रामदास

कि रात कह िो हनमान को िची नही गलत थी कयोकक हनमान मौिद थ और यह आदमी तो हिारो साल

राद कह रहा ह तो उनहोन कहा कक दिो इसको सधार कर लो

रामदास न कहा कक िर हनमान लका गए और अशोक वारटका म गए और उनहोन सीता को वहा रद

दिा तो वहा चारो तरफ सफद फल तिल थ हनमान न कहा यह रात गलत ह तम इसम सधार कर लो

फल लाल थ सफद नही थ रामदास न कहा तम रठो रीच म रोलन की िररत नही ह तम हो कौन फल

सफद थ

तर तो हनमान को अपना रप रताना पड़ा हनमान ही ह भल ही गए सर तशषटाचार कहा कक म िद

हनमान ह परगट हो गए और कहा कक अर तो सधार करोग तम हिारो साल राद कहानी कह रह हो तम

वहा थ नही मौिद म चकमदीद गवाह ह म िद हनमान ह तिसकी तम कहानी कह रह हो मन फल लाल

दि थ सधार कर लो

मगर रामदास तिददी रामदास न कहा होओग तम हनमान मगर फल सफद थ इसम फका नही हो

सकता रात यहा तक रढ़ गई कक कहत ह राम क दररार म दोनो को ल िाया गया कक अर राम ही तनणाय

कर कक अर यह कया मामला होगा कस रात हल होगी कयोकक हनमान िद आिो दिी रात कह रह ह कक

फल लाल थ और रामदास कफर भी तिद ककए िा रह ह कक फल सफद थ

राम न हनमान स कहा कक तम माफी माग लो रामदास ठीक ही कहत ह फल सफद थ हनमान तो

हरान हो गए उनहोन कहा यह तो हदद हो गई यह तो कोई सीमा क राहर रात हो गई मन िद दि तम भी

वहा नही थ और न य रामदास थ और न तम थ तमस तनणाय मागा यही भल हो गई म अकला वहा मौिद

था सीता स पि तलया िाए व मौिद थी

सीता को पिा गया सीता न कहा हनमान तम कषमा माग लो फल सफद थ सत झठ नही कह सकत

होना मौिद न होना सवाल नही ह अर रामदास न िो कह कदया वह ठीक ही ह फल सफद ही थ मझ दि

होता ह कक तमह गलत होना पड़ रहा ह तमही अकल एकमातर गवाह नही हो म भी थी फल सफद ही थ

शानदार

उसन कहा यह तो कोई शडयतर मालम होता ह कोई सातिश मालम पड़ती ह मझ भलीभातत याद ह

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राम न कहा तम ठीक कहत हो तमह फल लाल कदिाई पड़ थ कयोकक तम करोध स भर थ आिो म िन

था िर आिो म िन हो करोध हो तो सफद फल कस कदिाई पड़ सकत ह

िर मन इस कहानी को पढ़ा तो मरा मन हआ इसम थोड़ा और िोड़ कदया िाए कयोकक फल वहा थ ही

नही अगर हनमान की आिो म िन था इसतलए लाल कदिाई पड़ तो यह रामदास क मन म एक शभता ह

तिसकी विह स सफद कदिाई पड़ रह ह फल वहा थ नही म तमस कहता ह राम भी गलत थ सीता भी

गलत ह रामदास भी गलत ह फल राहर नही ह तमहारी आि म ही तिलत ह काट भी राहर नही ह

तमहारी आि म ही रनत ह तनरमात होत ह तमह वही कदिाई पड़ िाता ह िो तम दि सकत हो

अर तम पित हो आनद की दशा म कया रस फल ही फल ह

न तमह आनद की दशा का पता ह न तमन कभी फल दि

काट कया एक भी नही

अर तमह पता ही नही तम कया पि रह हो तिसक भीतर आनद का आतवभााव हआ ह उसक राहर

तसफा आनद ही आनद होता ह फल ही फल होत ह कयोकक िो तमहार भीतर ह वही तमहार राहर िा िाता

ह तमहारा भीतर ही फलकर राहर िा िाता ह तमहारा भीतर ही राहर हो िाता ह तम िस हो वसा ही

सारा अतसततव हो िाता ह

रदध क साथ सारा अतसततव रदध हो िाता ह मीरा क साथ सारा अतसततव मीरा हो िाता ह मीरा

नाचती ह तो सारा अतसततव नाचता ह रदध चप होत ह तो सारा अतसततव चप हो िाता ह तम दि स भर हो

तो सारा अतसततव दि स भरा ह तमन कभी खयाल भी ककया होगा तम परशान हो दिी हो चाद को दित

हो उदास मालम होता ह उसी रात तमहार ही पड़ोस म कोई परसि ह आनकदत ह उसी चाद को दिता ह

और लगता ह आनद ररस रहा ह

तमहारी दतषट ही तमहारा ससार ह और मोकष का अथा ह सारी दतषट का िो िाना न सफद न लाल िर

कोई भी दतषट नही रह िाती तमहारी तर तमह वह कदिाई पड़ता ह िो ह उसको परमातमा कहो तनवााण

कहो

साध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही असाध को भी िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही शतान को

िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही सत को िो कदिाई पड़ता ह वह ह नही िो ह वह तो तभी कदिाई पड़ता ह

िर तमहारी कोई भी दतषट नही होती तर तम कि भी नही िोड़त

इसतलए रदध न तो उस परमदशा म आनद ह ऐसा भी नही कहा कयोकक वह भी दतषट ह फल ह ऐसा

भी नही कहा काट ह ऐसा भी नही कहा कयोकक काट तमहारी दि की दतषट स पदा होत थ आनद तमहार

आनद की दतषट स पदा हो रहा ह काटो म भी तम थ फलो म भी तम हो एक ऐसी भी घड़ी ह तनवााण की िर

तम होत ही नही तर एक परमशनय ह इसतलए रदध न कहा तनवााण परमशनयता िहा कि भी नही ह िहा

वही कदिाई पड़ता ह िो ह अर उस कहन का कोई उपाय नही कयोकक उस काटा कहो तो गलत होगा फल

कहो तो गलत होगा दि कहो तो गलत होगा

तो तीन दशाए ह एक दि की दशा ह तर तमह चारो तरफ काट कदिाई पड़त ह फल कवल तमहार

सपन म होत ह काटा चभता ह वसतताः और फल कवल आशा म होता ह यह एक दशा कफर एक आनद की

दशा ह िर चारो तरफ फल होत ह काट सर िो गए होत ह कही कोई काटा नही कदिाई पड़ता लककन

काटा सभावना म तिपा होता ह कयोकक फल अगर ह तो काटा कही सभावना म तिपा होगा कफर एक

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तीसरी परमदशा ह न काट ह न फल ह उस परमदशा को ही आनद कहो वह सि क पार दि क पार काट

क पार फल क पार

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

पिहवा परवचन

कवल तशषय िीतगा

को इम पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

को धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 39

सिो पठजव तविससतत यमलोकच इम सदवक

सिो धममपद सदतसत कसलो पपफतमव पचससतत 40

फणपम कायतमम तवकदतवा मरीतचधमम अतभसमरधाना

ितवान मारसस पपपफकातन अदससन मचचरािसस गचि 41

पपफातन हव पतचननत वयासततमनस नर

सतत गाम महोघोव मचच आदाय गचितत 42

यथातप भमरो पपफ वणणगनध अहठय

पलतत रसमादाय एव गाम मतनचर 43

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

िीवन यकद चलन स ही परा हो िाता तो सभी मतिल पर पहच गए होत कयोकक चलत तो सभी ह

चलत ही नही दौड़त ह सारा िीवन चका डालत ह उसी दौड़ म पर पहचता कभी कोई एकाध ह--करोड़ो म

सकदयो म

यह चलना कसा िो पहचाता नही यह िीना कसा तिसस िीवन का सवाद आता नही यह होन का

कसा ढग ह न होन क ररारर भटकना कहो इस चलना कहना ठीक नही िर पहचना ही न होता हो तो

चलना कहना उतचत नही ह मागा वही ह िो मतिल पर पहचा द चलन स ही कोई मागा नही होता मतिल

पर पहचन स मागा होता ह

पहचत कवल व ही ह िो िागकर चलत ह चलन म तिनहोन िागन का गण भी िोड़ तलया उनका

भटकाव रद हो िाता ह और रड़ आिया की रात तो यही ह कक तिनहोन िागन को िोड़ कदया चलन म उनह

चलना भी नही पड़ता और पहच िात ह कयोकक िागना ही मतिल ह

तो दो ढग स िी सकत हो तम एक तो चलन का ही िीवन ह चलत रहन का कवल थकान लगती ह

हाथ राह की धल लगती ह हाथ आदमी तगर िाता ह आतिर म--कबर म मह क रल उस ही मतिल मान लो

तर रात और

77

एक और ढग ह चलन का--होशपवाक िागकर परो का उतना सवाल नही ह तितना आिो का सवाल

ह शति का उतना सवाल नही ह तितना शातत का सवाल ह नश-नश म सोए-सोए ककतना ही चलो पहचोग

नही

यह चलना तो कोलह क रल िसा ह आि रद ह कोलह क रल की चलता चला िाता ह एक ही लकीर

पर वतालाकार घमता रहता ह अपन िीवन को थोड़ा तवचारो कही तमहारा िीवन भी तो वतालाकार नही

घम रहा ह िो कल ककया था वही आि कर रह हो िो आि कर रह हो वही कल भी करोग कही तो तोड़ो

इस वताल को कभी तो राहर आओ इस घर क

यह पनरति िीवन नही ह यह कवल आतहसता-आतहसता मरन का नाम ह िीवन तो परततपल नया ह

मौत पनरति ह इस तम पररभािा समझो अगर तम वही दोहरा रह हो िो तम पहल भी करत रह हो तो

तम िी नही रह हो तम िीन का तसफा रहाना कर रह हो तसफा थोथी मिाए ह िीवन नही तम िीन का

नाटक कर रह हो िीना इतना ससता नही ह रोि सरह उठत हो कफर वही शर हो िाता ह रोि साझ सोत

हो कफर वही अत हो िाता ह

कही स तोड़ो इस पररतध को और इस पररतध को तोड़न का एक ही उपाय ह िो रदधपरिो न कहा ह--

आि िोलो कोलह का रल चल पाता ह एक ही चककर म कयोकक उसकी आि रद कर दी गई ह उस कदिाई

नही पड़ता तमहारी आि भी रद ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

इतना भी पता नही ह कक यह जिदगी ही मतिल ह या यह जिदगी कही पहचाती ह यह रस होना

काफी ह या इस होन स और एक रड़ होन का दवार िलन को ह म पयाापत ह या कवल एक शरआत ह म अत

ह या परारभ ह म रीि ह या वकष ह तम िो हो अगर वह पयाापत होता तो तम आनकदत होत कयोकक िहा

भी पयाापत हो िाता ह वही सतोि पररततपत आ िाती ह िहा पयाापत हए वही पररतोि आ िाता ह

तम पयाापत तो नही हो यह तमहारी रचनी कह दती ह तमहारी आि की उदासी कह िाती ह तमहार

पराणो का दि भरा सवर गनगनाए िाता ह--तम पयाापत नही हो कि िो रहा ह कि चका िा रहा ह कि

होना चातहए िो नही ह उसकी ररि िगह तम अनभव करत हो वही तो िीवन का सताप ह तो कफर ऐस ही

अगर रह और इसी को दोहरात रह तर तो वह ररि िगह कभी भी न भरगी तमहारा घर िाली रह िाएगा

तिसकी तम परतीकषा करत हो वह कभी आएगा नही िागकर दिना िररी ह

असली सवाल कहा िा रह हो यह नही ह असली सवाल ककस मागा स िा रह हो यह भी नही ह

असली सवाल यही ह कक िो िा रहा ह वह कौन ह तिसन अपन को पहचाना उसक कदम ठीक पड़न लग

अपनी पहचान स ही ठीक कदमो का िनम होता ह तिसन अपन को न पहचाना वह ककतन ही शासतर और

ककतन ही नकश और ककतन ही तसदधात लकर चलता रह उसक पर गलत ही पड़त रहग वह तो एक ऐसा

शरारी ह िो नकशा लकर चल रहा ह शरारी क िद क पर ही ठीक नही पड़ रह ह शरारी क हाथ नकश का

कया उपयोग ह

तमहार हाथ म शासतरो का कोई उपयोग नही तमहार साथ शासतर भी कपगा डगमगाएगा शासतर तमह न

ठहरा पाएगा तमहार कारण शासतर भी डगमगाएगा तम ठहर िाओ शासतर की िररत ही नही तमहार ठहरन

स ही शासतर का िनम होता ह दतषट उपलबध होती ह दशान होता ह रदध क य सार वचन सर तरफ स एक ही

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कदशा की तरफ इतगत करत ह कक िागो परमाद म मत डर रहो अपरमाद तमहार िीवन का आधार रन

आधारतशला रन

पित ह रदध कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कौन कशल परि

फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा कौन

तम तो कस चनोग िस तम हो चनना तो तम भी चाहत हो काटो स कौन रचना नही चाहता फलो

को कौन आजलगन नही कर लना चाहता सि की आकाकषा ककसकी नही ह दि स दर हटन का भाव ककसक

मन म नही उठता लककन रदध पित ह कौन िीतगा कौन उपलबध होगा फलो स भर धमापथ को

तम िस हो वस न हो सकोग तम सोए हो तमह िरर ही नही तम कौन हो फल और काट का भद तो

तम कस करोग सार-असार को तम कस अलग करोग साथाक-वयथा को तम कस िाटोग तम सोए हो

तमहार सवपनो म अगर तमन फल और काट अलग भी कर तलए तो िागकर तम पाओग दोनो िो गए सपन क

फल और सपन क काटो म कोई फका नही

इसतलए असली सवाल तमहार िागन का ह उसक राद ही तनणाय हो सकगा नीद म तम मकदर िाओ

कक मतसिद सर रकार करान पढ़ो कक वद सर वयथा नीद म तम रदधपरिो को सनत रहो कि हल न होगा

तमह िागना पड़गा कयोकक िागकर ही तम सनोग तभी तम समझ सकोग सन लना समझन क तलए काफी

नही ह नीद अगर भीतर तघरी हो तो तमहार कान सनत भी रहग और तम यह मानत भी रहोग कक म सन

रहा ह कफर भी तमन कि सना नही तम रहर क रहर रह गए अध क अध रह तमहार िीवन म कोई करातत

उसस पदा न हो सकगी

कौन इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात

धमापथ को चनगा

तशषय--शकष--इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा कशल शकि--कशल तशषय--फल

की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय को समझना होगा रदध का िोर तशषय पर उतना ही ह तितना नानक का था इसतलए नानक का

परा धमा ही तसकि धमा कहलाया--तशषय का धमा तसकि यानी तशषय सारा धमा ही सीिन की कला ह तम

सोचत भी हो रहत रार कक तम सीिन को तयार हो लककन मतककल स कभी मझ कोई वयति तमलता ह िो

सीिन को तयार ह कयोकक सीिन की शत ही परी नही हो पाती

सीिन की पहली शता तो यह समझना ह कक तम िानत नही हो अगर तमह िरा सी भी भातत ह कक तम

िानत ही हो तो तम सीिोग कस सीिन क तलए िानना िररी ह कक म अजञानी ह जञान को तनमतरण दन क

तलए यह रतनयादी शता ह इसक पहल कक तम पकारो जञान को इसक पहल कक तम अपना दवार िोलो उसक

तलए तमह रड़ी गहन तवनमरता म यह सवीकार कर लना होगा कक म नही िानता ह

इसतलए पतडत तशषय नही हो पात और दतनया तितनी ही िानकार होती िाती ह उतना ही तशषयतव

िोता चला िाता ह पतडत िान ही नही सकता

यह रड़ी तवरोधाभासी रात मालम पड़ती ह कयोकक हम तो सोचत ह पतडत िानता ह पतडत अकला

ह िो नही िान सकता अजञानी िान ल भला पतडत क िानन का कोई उपाय नही कयोकक पतडत तो मानकर

रठा ह कक म िानता ही ह उस वद कठसथ ह उस उपतनिदो क वचन याद ह उस रदधपरिो की गाथाए

79

शबदशाः समरण म ह उसकी समतत भरी-परी ह और उस भरोसा ह कक म िानता ह वह कभी भी िान न

पाएगा कयोकक िगह चातहए तम पहल स भर हो िाली होना िररी ह

कौन ह तशषय तिस यह रात समझ म आ गई कक अर तक मन कि िाना नही तमह भी कभी-कभी यह

रात समझ म आती ह लककन तमह इस तरह समझ म आती ह कक सर न िाना हो थोड़ा तो मन िाना ह वही

धोिा हो िाता ह

एक रात तमह कह द या तो िानना परा होता ह या तरलकल नही होता थोड़ा-थोड़ा नही होता या तो

तम िीत हो या मरत हो या तो मर या जिदा तम ऐसा नही होत कक थोड़-थोड़ जिदा या तो तम िाग या

सोए थोड़-थोड़ िाग थोड़-थोड़ सोए ऐसा होता ही नही अगर तम थोड़ भी िाग हो तो तम पर िाग हो

िागन क िड नही ककए िा सकत जञान क िड नही ककए िा सकत

यही पातडतय और रदधतव का फका ह पातडतय क िड ककए िा सकत ह तमन पहली परीकषा पास कर

ली दसरी कर ली तीसरी कर ली रड़ पतडत होत चल गए एक शासतर िाना दसरा िाना तीसरा िाना

मातरा रढ़ती चली गई पातडतय मातरा म ह कवारटटी म ह रदधतव कवातलटी म ह मातरा म नही गण म रदधतव

होन का एक ढग ह मातर िानकारी की सखया नही ह िागन की एक परककरया

इस थोड़ा सोचो सरह िर तम िाग िात हो कया तम यह कह सकत हो कक अभी म थोड़ा-थोड़ा िागा

ह कौन कहगा इतना िानन क तलए भी कक म थोड़ा-थोड़ा िागा ह परा िागना िररी ह िागन की

मातराए नही होती रात िर तम सो िात हो कया तम कह सकत हो कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह कौन कहगा

िर तम सो गए तो सो गए कौन कहगा कक म थोड़ा-थोड़ा सोया ह अगर तम कहन को अभी भी मौिद हो

तो तम सोए नही तम िाग हो

न तो िागना राटा िा सकता ह न सोना राटा िा सकता ह न िीवन राटा िा सकता न मौत राटी

िा सकती पातडतय राटा िा सकता ह िो राटा िा सकता ह उस तम जञान मत समझना िो नही राटा िा

सकता िो उतरता ह परा उतरता ह नही उतरता तरलकल नही उतरता उस ही तम जञान समझना

मर पास लोग आत ह उनको अगर म कहता ह कक पहल तम यह िानन का भाव िोड़ दो व कहत ह

कक इसीतलए तो हम आपक पास आए ह िो थोड़ा-रहत िानत ह उसस कि सार नही हआ और िानन की

इचिा ह उनको वह िो खयाल ह थोड़ा-रहत िानन का वही राधा रनगा वह उनह तशषय न रनन दगा व

तवदयाथी रन िाएग तशषय न रन सक ग

तवदयाथी वह ह िो थोड़ा िानता ह थोड़ा और िानन को उतसक ह तवदयाथी यानी तिजञास िानकारी

की िोि म तनकला तशषय तवदयाथी नही ह सतयाथी ह तशषय िानकारी की िोि म नही तनकला ह िानन

की कला की िोि म तनकला ह तशषय का धयान िो िाना िाना ह उस पर नही ह िो िानगा उस पर ह

तवदयाथी आबितकटव ह राहर उसकी निर ह तशषय सबितकटव ह भीतर उसकी निर ह वह यह कह रहा ह

कक पहल तो म िाग िाऊ कफर िानना तो गौण रात ह िाग गया तो िहा मरी निर पड़गी वही जञान पदा

हो िाएगा िहा दिगा वही झरन उपलबध हो िाएग जञान क पर मर भीतर िागना हो िाए

तवदयाथी सोया ह और सगरह कर रहा ह सोए लोग ही सगरह करत ह िागो न सगरह नही ककया न धन

का न जञान का न यश का न पद का सोया आदमी सगरह करता ह सोया आदमी मातरा की भािा म सोचता

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कौन िीतगा रड़ा अिीर उततर दत ह रदध तशषय िीतगा कोई योदधा नही और तशषय क होन की

पहली शता यह ह कक तिसन अपनी हार सवीकार कर ली हो तिसन यह कहा हो कक म अर तक िान नही

पाया चला रहत पहचा नही सोचा रहत समझा नही सना रहत सन नही पाया दिा रहत भातत रही

कयोकक दिन वाला सोया था िो हार गया ह आकर तिसन गर क चरणो म तसर रि कदया और कहा कक म

कि भी नही िानता ह तिसन अपन तसर क साथ अपनी िानकारी भी सर गर क चरणो पर रि दी वही

सीिन को कशल हआ सीिन म सफल हआ सीिन की कषमता उस उपलबध हई तिसन िाना कक म नही

िानता ह वही तशषय ह करठन ह कयोकक अहकार कहता ह कक म और नही िानता परा न िानता होऊ

थोड़ा तो िानता ह सर न िान तलया हो पर रहत िान तलया ह

रदध क पास एक महापतडत आया साररपतर वह रड़ा जञानी था उस सार वद कठसथ थ उसक िद पाच

हिार तशषय थ--तशषय नही तवदयाथी कहन चातहए लककन वह समझता था कक तशषय ह कयोकक वह समझता

था म जञानी ह

िर वह रदध क पास आया और उसन रहत स सवाल उठाए तो रदध न कहा य सर सवाल पातडतय क

ह य सवाल शासतरो स पदा हए ह य तर भीतर नही पदा हो रह ह साररपतर य सवाल तर नही ह य सवाल

उधार ह तन ककतार पढ़ी ह ककतारो स सवाल पदा हो गए ह अगर य ककतार तन न पढ़ी होती तो य सवाल

पदा न होत अगर तन दसरी ककतार पढ़ी होती तो दसर सवाल पदा होत य सवाल तरी जिदगी क भीतर स

नही आत य तर अतसतल स नही उठ य अतसततवगत नही ह रौतदधक ह

साररपतर अगर तसफा पतडत ही होता तो नाराि होकर चला गया होता उसन आि झकायी उसन

सोचा उसन दिा कक रदध िो कह रह ह उसम तथय ककतना ह और तथय पाया उसन तसर उनक चरणो म

रि कदया उसन कहा कक म अपन सवाल वापस ल लता ह ठीक कहत ह आप य सवाल मर नही ह अर तक

म इनह अपना मानता रहा और िर सवाल ही अपना न हो तो िवार अपना कस तमलगा िर सवाल ही

अभी अपन अतरतम स नही उठा ह तो िवार अतरतम तक कस िाएगा

एक तो तिजञासा ह िो रतदध की ििलाहट िसी ह कतहल िसी ह पि तलया चलत-चलत कोई

िीवन दाव पर नही लगा ह और एक तिजञासा ह तिसको हमन ममकषा कहा ह िीवन दाव पर लगा ह यह

कोई सवाल ऐसा ही नही ह कक चलत-चलत पि तलया इसक उततर पर तनभार करगा िीवन का सारा ढग

इसक उततर पर तनभार करगा कक म िीऊ या मर इसक उततर पर तनभार करगा कक िीवन िीन योगय ह या

वयथा ह िहा सर दाव पर लगा ह

साररपतर न कहा अर म तभी पिगा िर मर अतरतम का परशन आएगा मझ शासतरो स मि कर

भगवान रदध न कहा त समझ गया त मि हो गया शासतर थोड़ ही तझ पकड़ हए ह तन ही पकड़ा था त

समझ गया तन िोड़ कदया साररपतर को रदध न तशषय की तरह सवीकार कर तलया

कहत ह साररपतर न कफर कभी सवाल न पि विो तक और रदध न एक कदन साररपतर को पिा कक त

पिता नही त िर आया था रड़ सवाल लकर आया था वह सवाल तो तझस िीन तलए गए थ तन कहा था

अर िर मरा सवाल उठगा तर पिगा तन पिा नही साररपतर न कहा अचभा ह पराए सवाल थ रहत थ

उततर भी रहत तमल गए थ कफर भी उततर तमलता नही था कयोकक अपना सवाल न था पराणो की कोई हक न

थी कोई पयास न थी िस तरन पयास आदमी को पानी तपलाए िाओ उलटी हो सकती ह ततपत थोड़ ही होगी

कफर उनको िोड़ कदया तो रड़ी हरानी हई परशन उठा ही नही और उततर तमल गया

81

तिसन अपन भीतर उतरन की थोड़ी सी भी शरआत की उसक परशन िोत चल िात ह अतरतम म िड़

होकर िहा स परशन उठना चातहए वही स िवार उठ आता ह हर अतसततवगत परशन अपना उततर अपन भीतर

तलए ह परशन तो रीि ह उसी रीि स फटता ह अकर उततर परगट हो िात ह तमह तमहार िीवन की समसया

मालम पड़ती ह समसया की तरह कयोकक वह समसया भी तमन उधार ही रना ली ह ककसी और न तमस कह

कदया ह और ककसी और की मानकर तम चल भी पड़ हो ककसी और न तमह समझा कदया ह कक तम रहत

पयास हो पानी को िोिो

मर पास लोग आत ह व कहत ह ईशवर को िोिना ह म उनकी तरफ दिता ह--ककसतलए िोिना ह

ईशवर न तमहारा कया तरगाड़ा ह िररी िोिना ह तनतित ही िोिना ह िीवन को दाव पर लगान की

तयारी ह व कहत ह नही ऐसा कि नही अगर तमल िाए वस तो हम पकका भी नही कक ह भी या नही म

उनस पिता ह तमह ठीक-ठीक पकका ह कक तम िोिन ही तनकल हो व कहत ह वह भी कि साफ नही

धधला-धधला ह ककसतलए िोि रह हो ईशवर को सन तलया ह शबद शबद पकड़ गया मन म कोई और लोग

भी िोि रह ह तम भी िोिन तनकल पड़ हो

नही ऐस िोि नही होती सतय की तशषय होन स िोि होती ह पहल तो उधार जञान िोड़ दना िररी

ह उधार जञान िोड़त ही तम ऐस शात और पतवतर हो िात हो कवारापन उतर आता ह सारी गदगी हट िाती

कौन िीतगा कौन कशल परि फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

तशषय इस पथवी और दवताओ सतहत इस यमलोक को िीतगा

मतय को भी िीत लगा लककन िीतन की कला ह िानन की भातत को िोड़ दना पातडतय को िोड़त ही

िीवन अपन रग िोलन शर कर दता ह पातडतय िस आिो स रध पतथर ह तिनकी विह स पलक िल नही

पाती रोतझल हो गई ह पातडतय क हटत ही तम कफर िोट रचच की भातत हो िात हो

तशषय यानी कफर स तमहारा रालपन लौटा िस िोटा रचचा दिता ह िगत को तरना िानकारी क

गलार क फल को िोटा रचचा भी दिता ह तम भी दित हो तम िर दित हो तर तमहार भीतर एक शबद

रनता ह--गलार का फल या एक शबद रनता ह कक--हा सदर ह या तलना उठती ह कक--पहल दि थ फल

उतना ही सदर ह जयादा ह या कम ह रात ितम हो िाती ह थोड़ स शबदो का भीतर शोरगल होता ह और

उन शबदो क शोरगल म िीतवत फल िो िाता ह

एक िोटा रचचा भी गलार क फल को दिता ह अभी उस पता ही नही कक यह गलार ह कक कमल ह

कक चमली कक िही अभी नाम उस याद नही अभी जञान की उस पर कपा नही हई अभी तशकषको न उस

तरगाड़ा नही अभी सौभागयशाली ह तशकषा का िहर उस पर तगरा नही अभी वह तसफा दिता ह अभी तलना

भी नही उठती कयोकक तलना क तलए भी नाम सीि लना िररी ह अतीत म भी उसन फल दि होग उनको

फल भी नही कह सकता रगो का एक िागता हआ अनभव था रग भी नही कह सकता शबद तो उसक पास

नही ह सीधा फल को दिता ह रीच म कोई दीवाल िड़ी नही होती कोई शबद िाल नही रनता कोई तलना

नही उठती सीध फल स हदय स हदय का तमलन होता ह फल क साथ एक तादातमय रनता ह फल म डरता

ह फल उसम डरता ह िोटा रचचा एक डरकी लगा लता ह फल क अतसततव म फल अपन सार सौदया को

उसक चारो तरफ तरिरा दता ह अपनी सारी सगध लटा दता ह िोट रचच का िो अनभव ह गलार क फल क

पास वह तम लाि तरसो तर तक तमह न हो सकगा िर तक तम कफर स रचच न हो िाओ

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िीसस न कहा ह मर परभ क राजय क व ही अतधकारी होग िो िोट रचचो की भातत ह िोट-िोट रचचो

की भातत सरल ह

तशषय का यही अथा ह कक िो कफर स सीिन को तयार ह िो कहता ह अर तक िो सीिा था रकार

पाया अर म कफर स दवार पर िड़ा ह अपन हदय की झोली को भरन को अर कड़ा-करकट स नही भरना ह

अर िानकारी स नही भरना ह अर होश को मागन आया ह

तवदयाथी जञान मागन आता ह तशषय होश मागन आता ह तवदयाथी कहता ह और िानकारी चातहए

तशषय कहता ह िानकारी को कया करग अभी िानन वाला ही मौिद नही िानन वाला चातहए

कशल तशषय फल की भातत सदरशात धमापथ को चनगा

और तिसन िीवन का थोड़ा सा भी सवाद लना शर कर कदया तिसक भीतर होश की ककरण पदा हई

होश का तचराग िला अर उस कदिाई पड़न लगगा--कहा काट ह कहा फल ह

तमह लोग समझात ह ररा काम मत करो तमह लोग समझात ह पाप मत करो तमह लोग समझात ह

अनीतत मत करो रईमानी मत करो झठ मत रोलो म तमह नही समझाता म तमह समझाता ह तचराग को

िलाओ अनयथा पहचानगा कौन कक कया अनीतत ह कया नीतत ह कौन िानगा--कहा काट ह कहा फल ह

तम अभी मौिद ही नही हो रासता कहा ह भटकाव कहा ह तम कस िानोग तम अगर दसरो की मानकर

चलत भी रह तो तम ऐस ही होओग िस अधा अधो को चलाता रह न उनह पता ह न उनक आग िो अध िड़

ह उनह पता ह अधो की एक कतार लगी ह वद और शासतरो क जञाताओ की कतार लगी ह और अध एक-दसर

को पकड़ हए चल िा रह ह

ककस रात को तम कहत हो नीतत ककस रात को तम कहत हो धमा कस तम िानत हो तमहार पास

कसौटी कया ह तम कस पहचानत हो कया सोना ह कया पीतल ह दोनो पील कदिाई पड़त ह हा दसर कहत

ह यह सोना ह तो मान लत हो दसरो की कर तक मानत रहोग दसरो की मान-मानकर ही तो ऐसी गतत हई

ह ऐसी दगातत हई ह

धमा कहता ह दसरो की नही माननी ह अपन भीतर उसको िगाना ह तिसक दवारा िानना शर हो

िाता ह और मानन की कोई िररत नही रह िाती तचराग िलाओ ताकक तमह िद ही कदिाई पड़न लग--

कहा गलत ह कहा सही ह

मन सना ह दो यवक एक फकीर क पास आए उनम स एक रहत दिी था रड़ा रचन था दसरा ऐसा

कि िास रचन नही था परतीत होता था तमतर क साथ चला आया ह पहल न कहा हम रड़ परशान ह हमस

रड़ भयकर पाप हो गए ह उनस िटकार का और परायतितत का कोई मागा रताओ उस फकीर न पहल स पिा

कक त अपन पापो क सरध म कि रोल तो उसन कहा जयादा मन पाप नही ककए मगर एक रहत िघनय

अपराध ककया ह और उसका रोझ मरी िाती पर एक चिान की तरह रिा ह दया करो ककसी तरह यह रोझ

मरा उतर िाए म पिता रहा ह भल हो गई लककन अर कया कर िो हो गया हो गया वह रोन लगा आि

स उसकी आस तगरन लग

उस फकीर न कहा दसर स कक तरा कया पाप ह दसर न मसकरात हए कहा ऐसा कि िास नही कोई

रड़ पाप मन नही ककए ह ऐस ही िोट-िोट तिनका कोई तहसार भी नही और कोई उनस म दरा भी नही

िा रहा ह तमतर आता था इसतलए म भी साथ चला आया और अगर इसक रड़ो स िटकारा तमल सकता ह

तो मर िोट-िोट पापो का भी आशीवााद दो कक िटकारा हो िाए

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उस फकीर न कहा ऐसा करो तम दोनो राहर िाओ और उस पहल यवक स कहा कक त अपन पाप की

दतषट स उतन ही विन का एक पतथर उठा ला और दसर स कहा कक त भी तन िो िोट-िोट पाप ककए ह

ककड़-पतथर उसी तहसार की सखया स भर ला पहला तो एक रड़ी चिान उठाकर लाया पसीन स तररतर हो

गया उस लाना भी मतककल था हाफन लगा दसरा झोली भर लाया िोट-िोट ककड़-पतथर रीनकर

िर व अदर आ गए उस फकीर न कहा अर तम एक काम करो तिस िगह स तम यह रड़ा पतथर उठा

लाए हो वही रि आओ और उस दसर स भी कहा कक त य िो िोट-िोट ककड़-पतथर रीन लाया िहा-िहा

स उठाए ह वही-वही वापस रि आ

उसन कहा यह तो झझट हो गई तिसन रड़ा पाप ककया ह यह तो िर रि आएगा म कहा रिन

िाऊगा अर तो याद भी करना मतककल ह कक कौन सा पतथर मन कहा स उठाया था सकड़ो ककड़-पतथर

रीन लाया ह

उस फकीर न कहा पाप रड़ा भी हो लककन अगर उसकी पीड़ा हो तो परायतितत का उपाय ह पाप

िोटा भी हो और उसकी पीड़ा न हो तो परायतितत का उपाय नही ह और िो तमहार पतथर क सरध म तमहारी

तसथतत ह वही तमहार पापो क सरध म भी तसथतत ह तिसका दीया िला हआ ह वह न तो रड़ करता ह न

िोट करता ह तिनक दीए अभी िल हए नही ह व रड़ करन स भला डरत हो िोट-िोट तो मि स करत

रहत ह िोट-िोट का तो पता ही कहा चलता ह

तमन ककसी आदमी स िरा सा झठ रोल कदया कई रार तो तम ऐस झठ रोलत हो कक तमह पता ही

नही चलता कक तमन झठ भी रोला कई रार तो तमह कफर िीवन म कभी याद भी नही आता उसका लककन

वह सर इकिा होता चला िाता ह िोट-िोट पतथर इकि होकर भी रड़ी-रड़ी चिानो स जयादा रोतझल हो

सकत ह

असली सवाल िोट और रड़ का नही ह और तिनहोन िागकर दिा ह उनका तो कहना यह ह कक पाप

िोट-रड़ होत ही नही पाप यानी पाप िोटा-रड़ा कस एक आदमी न दो पस की चोरी की कया िोटा पाप

ह और एक आदमी न दो लाि की चोरी की कया रड़ा पाप ह

थोड़ा सोचो चोरी चोरी ह दो पस की भी उतनी ही चोरी ह तितनी दो लाि की चोर होना ररारर

ह दो लाि स जयादा का नही होता दो पस स कम का नही होता चोर होन की भावदशा रस काफी ह इसस

कोई अतर नही पड़ता दो लाि और दो पस का भद रािार म ह लककन दो लाि और दो पस की चोरी का

भद धमा म नही हो सकता चोरी यानी चोरी लककन यह तो उस कदिाई पड़गा तिसका भीतर का दीया िल

रहा ह कफर पाप पाप ह रड़ा-िोटा नही ह पणय पणय ह िोटा-रड़ा नही ह

लककन िर तक तम दसरो क पीि चल रह हो िर तक तम िानकारी को ही िीवन मानकर चल रह

हो और पातडतय स तमहार िीवन को मागादशान तमलता ह तर तक तम ऐस ही भटकत रहोग

तशषय वही ह तिसन अपन को िगान की तयारी शर की तशषय वही ह तिसक तलए पातडतय वयथा

कदिाई पड़ गया और अर िो रदधतव को िोिन तनकला ह और िस ही तमहार िीवन म यह करातत घरटत

होती ह तशषयतव की सभावना रढ़ती ह रड़ अतर पड़न शर हो िात ह तर तम और ही ढग स सनत हो तर

तम और ही ढग स उठत हो तर तम और ही ढग स सोचत हो तर िीवन की सारी परककरयाओ का एक ही क ि

हो िाता ह कक कस िाग कस यह नीद टट कस यह कटघरा पनरति का तमट और म राहर आ िाऊ तर

तमहारा सारा उपकरम एक ही कदशा म समरपात हो िाता ह

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तशषय का िीवन एक समरपात िीवन ह उसक िीवन म एक ही अभीपसा ह सर दवारो स वह एक ही

उपलतबध क तलए चषटा करता ह दवार िटिटाता ह कक म कस िाग िाऊ और तिसक िीवन म ऐसी अभीपसा

पदा हो िाती ह कक म कस िाग िाऊ उस कौन रोक सकगा िागन स उस कोई शति रोक नही सकती वह

िाग ही िाएगा आि चाह िागन की आकाकषा रड़ी मतदधम मालम पड़ती हो लककन रद-रद तगरकर िस

चिान टट िाती ह ऐसी रद-रद आकाकषा िागन की तिा को तोड़ दती ह तिा ककतनी ही पराचीन हो और

ककतनी ही मिरत हो इसस कोई भद नही पड़ता

इस शरीर को फन क समान िान इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषप-िाल को

काट यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़

तम िहा रठ हो वहा कि पाया तो नही कफर ककसकी परतीकषा कर रह हो तम िहा रठ हो वहा कि

भी तो अनभव नही हआ अर तम राह कया दि रह हो

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

न तो ककसी न कोई वादा ककया ह वहा तमलन का न तमह यकीन ह कक कोई तमलन वाला ह न तमह

कोई उममीद ह कयोकक िीवनभर वही रठ-रठकर तम थक गए हो--नाउममीद हो गए हो--लककन कफर भी

इतिार ककए िा रह हो ककतनी रार तमन करोध ककया ह ककतनी रार लोभ ककया ह ककतनी रार मोह ककया

ह ककतनी रार राग ककया ह पाया कि गाठ गरठयाया कि मिी राध रठ हो मिी क भीतर कोई सपदा

इकिी हई

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

मगर हम तो तरा इतिार करना था

कसी तिद पकड़कर रठ गए हो इतिार करन की ककस का इतिार कर रह हो इस राह स कोई गिरता

ही नही तम तिस राह पर रठ हो वह ककसी की भी रहगिर नही

रदध कहत ह इस िीवन की मग-मरीतचका क समान परकतत को पहचान

पयास को मरसथल म भी पानी कदिाई पड़ िाता ह वह मग-मरीतचका ह ह नही वहा कही पानी

पयास की कलपना स ही कदिाई पड़ िाता ह पयास रहत सघन हो तो िहा नही ह वहा भी तम आरोतपत कर

लत हो

तमन भी इस अनभव ककया होगा तमहार भीतर िो चीि रहत जयादा सघन होकर पीड़ा द रही ह

तिस तम िोि रह हो वह कदिाई पड़न लगती ह कभी तम ककसी की राह दि रह हो घर क अदर रठ कोई

तपरयिन आ रहा ह कोई तमतर आ रहा ह परयसी या परमी आ रहा ह पतता भी िड़कता ह तो ऐसा लगता ह कक

उसक पर की आवाि सनाई पड़ गई कफर उठकर दित हो पोसटमन दवार पर आकर िड़ा हो िाता ह तो

समझत हो कक परमी आ गया परसि होकर धड़कती िाती स दवार िोलत हो कोई नही भी आता न पतता

िड़कता ह न पोसटमन आता ह न दवार स कोई तनकलता ह तो तम कलपना करन लगत हो कक शायद आवाि

सनी शायद ककसी न दवार िटिटाया या कोई पगधवतन सनाई पड़ी सीकढ़यो पर चढ़ती हई भागकर पहचत

हो कोई भी नही ह

न कोई वादा न कोई यकी न कोई उममीद

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मगर तम कलपना ककए चल िात हो मग-मरीतचका का अथा ह िहा नही ह वहा दि लना और िो

वयति वहा दि रहा हो िहा नही ह वह वहा दिन स वतचत रह िाएगा िहा ह तो मग-मरीतचका िीवन क

आतयततक सतय को दिन म राधा रन िाती ह तम दौड़त रहत हो उस तरफ िहा नही ह और तम उस तरफ

दित ही नही लौटकर िहा ह

तिस तम िोि रह हो वह तमहार भीतर िपा ह तिस तम पान तनकल हो उस तमन कभी िोया ही

नही उस तम लकर ही आए थ परमातमा ककसी को दररि भिता ही नही समराट क अलावा वह ककसी को कि

और रनाता ही नही कफर तभिमग तम रन िात हो वह तमहारी ही कशलता ह वह तमहारी ही कला ह

तमहारी मौि परमातमा तमह इतनी सवततरता दता ह कक तम अगर तभिमग भी होना चाहो तो उसम भी राधा

नही डालता

इस शरीर को फन क समान िान

तशषय को कह रह ह यह रात रदध तवदयाथी को नही तवदयाथी स रदधो का कोई तमलना ही नही होता

कवल तशषयो स िो वसतताः आतर ह और तिनका िीवन एक लपट रन गई ह--एक िोि और िो सर कराान

करन को रािी ह तिनह िीवन म ऐसी कोई रात कदिाई ही नही पड़ती तिसक तलए रक रहन की कोई िररत

हो िो अजञात की तरफ िान को ततपर ह िो जञान को िोड़कर अजञान को सवीकार ककए ह कवल व ही जञात

स मि होत ह और अजञात म उनका परवश होता ह उनस ही रदध कह रह ह--

इस शरीर को फन क समान िान

समि क तट पर तमन फन को इकि होत दिा ह ककतना सदर मालम होता ह दर स अगर दिा हो तो

रड़ा आकिाक लगता ह कभी सया की ककरण उसस गिरती हो तो इिधनि फल िात ह फन म पास आओ

पानी क ररल ह वह शभता वह चाद िसी सफदी या चमली क फल िसी िो राढ़ आ गई थी वह कि भी

नही मालम पड़ती कफर हाथ म मिी म फन को लकर दिा ह ररल भी िो िात ह

जिदगी आदमी की रस ऐसी ही ह फन की भातत दर स दिोग रड़ी सदर पास आओग सर िो िाता

ह दर-दर रहोग रड़ सदर इिधनि कदिाई पड़त रहग पास आओग हाथ म कि भी नही आता

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

दर स फल कदिाई पड़त ह पास आओ कफन हो िाता ह तिसको तम जिदगी कहत हो दर स जिदगी

मालम होती ह पास आओ मौत हो िाती ह

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

चारो तरफ िहा-िहा तमह फल कदिाई पड़ िरा गौर स पास िाना हर फल म तिपा हआ काटा तम

पाओग हर फल चभगा हा दर स ही दित रहो तो भातत रनी रहती ह पास िान स भाततया टट िाती ह

दर क ढोल सहावन मालम होत ह दर स सभी चीि सदर मालम होती ह

तमन कभी खयाल ककया कदन म चीि उतनी सदर नही मालम पड़ती तितनी रात की चादनी म मालम

पड़ती ह चादनी एक तततलसम फला दती ह कयोकक चादनी एक धधलका द दती ह वस ही आि नही ह वस

ही अधापन ह चादनी और आिो को धए स भर दती ह िो चीि कदन म साधारण कदिाई पड़ती ह व भी

रात म सदर होकर कदिाई पड़न लगती ह तितना तमहारी आिो म धध होता ह उतना ही िीवन का फन

रहमलय मालम होन लगता ह हीर-िवाहरात कदिाई पड़न लगत ह

लो आओ म रताऊ तततलसम-िहा का राि

86

िो कि ह सर खयाल की मिी म रद ह

तितन दर रहो उतना ही वसतओ स सपका नही होता तसफा खयालो स सपका होता ह तितन पास आओ

िीवन का यथाथा कदिाई पड़ता ह खयाल टटन लगत ह और तिसन भी िीवन का यथाथा दिा वह घरड़ा

गया वह भयभीत हो गया कयोकक वहा िीवन क घर म तिपी मौत पाई फल म तिप काट पाए सदर सपनो

क पीि तसवाय पतथरो क कि भी नही था पानी की झाग थी कक मरसथल म दि गए िल क झरन थ दर स

रड़ मनमोहक थ पास आकर थ ही नही

और यह सभी को अनभव होता ह लककन कफर भी तम न मालम ककसका इतिार कर रह हो न ककसी

न वादा ककया ह न तमह भरोसा ह कक कोई आएगा उममीद भी नही ह--मगर शायद तम सोचत हो और कर

भी कया अगर इतिार न कर तो और कर भी कया

रदधपरि तमह रलात ह कक तम गलत राह पर रठ हो और तिसकी तम परतीकषा करत हो वह वहा स

गिरता ही नही और भी राह ह परतीकषा करन क तलए और भी परतीकषालय ह अगर परतीकषा ही करनी ह तो

थोड़ा भीतर की तरफ चलो तितन तम राहर गए हो उतन ही तम न झाग और फन क रलरल पाए ह थोड़

भीतर की तरफ आओ और तम पाओग उतना ही यथाथा परगट होन लगा तितन तम भीतर आओग उतना सतय

तितन तम राहर िाओग उतना असतय तिस कदन तम तरलकल अपन क ि पर िड़ हो िाओग उस कदन सतय

अपन पर राि िोल दता ह उस कदन सार पद सार घघट उठ िात ह

इस शरीर को फन क समान िान और इसकी मरीतचका क समान परकतत को पहचान मार क पषपिाल

को काट

रदध कहत ह वासना न रड़ फलो का िाल फलाया ह

मार क पषपिाल को काट

सनत ह चमन को माली न फलो का कफन पहनाया ह

मार का पषपिाल उन फलो क पीि कि भी नही ह धोि की टिी ह पीि कि भी नही ह सारा

सौदया पद म ह िाली घघट ह भीतर कोई चहरा नही ह लककन घघट को िर तक तम िोलोग न और भीतर

की ररिता का पता न चलगा तर तक तम िागोग न कई रार तमन घघट भी िोल तलए ह एक घघट क

भीतर तमन कोई न पाया तो भी तमह समझ नही आती तर तम दसरा घघट िोलन म लग िात हो एक मिी

झाग झाग तसदध हो गई तो मन कह चला िाता ह सारी ही झाग थोड़ी झाग होगी एक घघट वयथा हआ दसर

घघट म िोि लग ऐसा िनमो-िनमो स घघट उठान का करम चल रहा ह ककसी घघट म कभी ककसी को नही

पाया सर घघट िाली थ

तमन कभी ककसी म ककसी को पाया पतत म कि पाया पतनी म कि पाया तमतर म कि पाया सग-

साथी म कि पाया या तसफा घघट था नही तमलता ह कोई नही तमलता ह वहा लककन मन की आशा कहती

ह यहा नही तमला तो कही और तमल िाएगा इस झरन म पानी तसदध नही हआ कफर दर और झरना कदिाई

पड़न लगता ह तम कर िागोग इस सतय स कक झरन तम कतलपत करत हो कही कोई नही ह तमहार

अततररकत सर अयथाथा ह तमहार अततररि सर माया ह

यमराि की दतषट स रचकर आग रढ़ो

अगर िीवन को सचमच पाना ह तो मौत स िहा-िहा मौत हो वहा-वहा िीवन नही ह इसको तम

समझ लो िहा-िहा पररवतान हो वहा शाशवत नही ह और िहा-िहा कषणभगर हो वहा सनातन नही ह और

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िहा-िहा चीि रदलती हो वहा समय को मत गवाना उसको िोिो िो कभी नही रदलता ह उस न रदलन

को िोि लन की कला का नाम धमा ह एस धममो सनतनो

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह

सोए हए गाव को रढ़ी हई राढ़

िस सोए हए गाव म अचानक नदी म राढ़ आ िाए और लोग सोए-सोए ही रह िात ह ऐस ही

तवियरपी फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उठा ल िाती ह सोए ही सोए राढ़ आ िाती

ह और जिदगी तवदा हो िाती ह तम सपन ही दित रहत हो और राढ़ आ िाती ह सारी कामवासना सवपन

दिन क अततररि और कि भी नही ह

य ऐश क रद सोत रह कफर िाग भी तो कया िाग

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

एक तो िागत ही नही सोए ही रहकर तरता दत ह और अगर कभी कोई सोचता भी ह कक िाग गया

तो सोचता ही ह कक िाग गया वह भी िागना िस सपन म ही िागना ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

तो लोग अपन िनमकदन को याद रित ह मतयकदन की कौन चचाा करता ह लोग िीवन पर निर रित

ह मौत मौत की रात ही करनी रहदी मालम पड़ती ह अगर ककसी स पिो कक कर मरोग तो वह नाराि हो

िाता ह मरोग कक नही तो वह कफर दरारा तमह कभी तमलगा ही नही वह तमह दकमन समझ लगा पिा

कि गलत न था िो होन ही वाला था वही पिा था लककन मौत की लोग रात भी नही करना चाहत रात स

भी भय लगता ह कफर भी मौत तो ह उस तथय को इनकार न कर सकोग ककसी भातत उस तथय को सवीकार

करो तो शायद इस िीवन स िागन की कषमता आ िाए

तिसन भी मतय को सवीकार ककया वह दिगा मतय कभी आती ह ऐसा थोड़ ही रोि हम मर रह ह

अभी आती ह अभी आ रही ह अभी घट रही ह ऐसा थोड़ ही कक कभी सततर साल क राद घटगी रोि-रोि

घटती ह सततर साल म परी हो िाती ह िनम क साथ ही मौत का तसलतसला शर होता ह मरन क साथ परा

होता ह लरी परककरया ह मतय कोई घटना नही ह परककरया ह पर िीवन पर फली ह िस झील पर लहर फली

हो ऐस िीवन पर मौत फली ह अगर तम मौत को तिपात हो ढाकत हो रचत हो तो तम िीवन क सतय को

न दि पाओग तिस तम िीवन कहत हो इस िीवन का सतय तो मतय ह

सरि का उभरना याद रहा और कदन का ढलना भल गए

सरि उग चका ह ढलन म जयादा दर न लगगी िो उग चका वह ढल ही चका िो उग गया ह वह

ढलन क मागा पर ह सरह का सरि साझ का सरि रनन की चषटा म सलगन ह साझ दर नही ह अगर सरह हो

गई िर सरह ही हो गई तो साझ ककतनी दर हो सकती ह तिसको तम भर िवानी कहत हो वह कवल आध

कदन का परा हो िाना ह--आधी साझ का आ िाना ह िवानी आधी मौत ह लककन कौन याद रिता ह िो

याद रि सक वही तशषय ह

मौत ही इसान की दकमन नही

जिदगी भी िान लकर िाएगी

मौत ही इसान की दकमन नही जिदगी भी िान लकर िाएगी--मौत को दकमन मत समझना तिस तम

जिदगी कहत हो वह मौत ही ह वह भी िान लकर िाएगी

88

फलो को चनन वाल मोतहत मन वाल परि को मतय उसी तरह उठा ल िाती ह तिस तरह सोए हए

गाव को रढ़ी हई राढ़

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

त हतवश म दतनया की जिदगी तमटा रठा--दतनया को पान की चषटा म वह िो िीवन था उस तन तमटा

कदया और दतनया को पान की चषटा को ही तन जिदगी समझी वह जिदगी न थी भल हो गई गाकफल--सोए

हए आदमी भल हो गई जिदगी ही दतनया थी

इस थोड़ा समझ लो तिस तम दतनया कहत हो तमहार राहर िो फलाव ह उस जिदगी मत समझ

लना अगर उस राहर की दतनया को ही इकिा करन म लग रह तो असली जिदगी गवा दोग पीि

पिताओग समय रीत िाएगा और रोओग कफर शायद कि कर भी न सकोग अभी कि ककया िा सकता ह

मरत कषण म शायद अतधकतम लोगो को यह समझ आती ह--

त हतवश म दतनया की जिदगी गवा रठा

मरत वि अतधक लोगो को यह खयाल आना शर हो िाता ह--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

लककन तर समय नही रचता मरत-मरत कदिाई पड़ना शर होता ह कक महल िो रनाए धन िो इकिा

ककया सामराजय िो फलाया--

भल हो गई गाकफल जिदगी ही दतनया थी

भीतर की जिदगी को िान लत तो दतनया को पा लत राहर की दतनया को पान म लग गए भीतर की

जिदगी गवा दी राहर और भीतर म उतना ही फका ह तितना सतय म और सवपन म राहर ह सवपन का िाल

भीतर ह साकषी का तनवास िो कदिाई पड़ता ह उस पर धयान मत दो िो दिता ह उस पर धयान दो िो

भोगा िाता ह उस पर धयान मत दो िो भोगता ह उस पर धयान दो आि की कफकर मत करो आि क पीि

िो िड़ा दिता ह उसकी कफकर करो कान की कफकर मत करो कान क पीि िड़ा िो सनता ह उसकी कफकर

करो न िनम की जचता करो न मतय की जचता करो उसकी िो िनम म आता ह और मतय म िाता ह िो िनम

क भी पहल ह और मतय क भी राद ह मरत कषण म यह याद भी आए तो कफर कया करोग तिनको पहल याद

आ िाती ह व कि कर लत ह

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

मरत कषण म तो कफर ऐसा ही लगगा कक तिसको जिदगी समझी--

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

व सार सवपन व सार गीत वह सारा सगीत तहचककयो म रदल िाता ह तहचककया ही हाथ म रह िाती

तहचककयो पर हो रहा ह जिदगी का राग ितम

झटक दकर तार तोड़ िा रह ह

इसक पहल कक सर कि तहचककयो म रदल िाए और इसक पहल कक तमहारा साि तोड़ा िाए भीतर

क गीत को गा लो इसक पहल कक मौत शरीर को िीन तम उस िान लो तिस मौत िीन न सकगी इसक

89

पहल कक राहर का िगत िो िाए तम भीतर क िगत म पर िमा लो अनयथा तम सोए हए गाव की तरह

हो रढ़ी हई नदी की राढ़ तमह सोया-सोया रहा ल िाएगी

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

िीवन क गाव की रात ह रदध कह रह ह िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस

को लकर चल दता ह ऐस ही तम इस जिदगी म रहो िीवन िो रस द सक ल लो मगर रस कवल व ही ल

पात ह िो िागरत ह शि तो उन भौरो की तरह ह िो रस लन म इस तरह डर िात ह कक उड़ना ही भल िात

ह साझ िर कमल की पितड़या रद होन लगती ह तर व उसी म रद हो िात ह उनक तलए कमल भी

कारागह हो िात ह

िस भमर फल क वणा और गध को तरना हातन पहचाए रस लकर चपचाप चल दता ह ऐस जिदगी को

तरना कोई हातन पहचाए--यही अजहसा का सतर ह अजहसा का सतर इतना ही ह कक रस लन क तम हकदार हो

लककन ककसी को हातन पहचान क नही फल को तोड़कर भी भोगा िा सकता ह वह भी कोई भोगना हआ

भौरा आता ह फल पर चपचाप गनगनाता ह गीत ररझा लता ह फल को रस ल लता ह उड़ िाता ह तोड़ता

नही तमटाता नही भौर की तरह मि भमर की तरह मि रदध कहत ह िीवन क गाव म तम िीओ िरर

लककन आरदध मत हो िाना रद मत हो िाना हमारी हालत तो रड़ी उलटी ह इसस ठीक उलटी रदध कहत

ह दतनया म रहना लककन दतनया क मत हो िाना रदध कहत ह दतनया म रहना लककन दतनया तमम न रह

हमारी हालत इसस ठीक उलटी ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

राद मरन क भी कदल लािो तरह क गम म ह

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

मर भी िाए हम तो भी गम नही मरत कबर म भी तम पड़ रहोग--

हम नही दतनया म लककन एक दतनया हम म ह

तर भी तम सपन दिोग तर भी तम उसी दतनया क सपन दिोग तिसस तमन कि कभी पाया नही

तमहारी आि कफर भी उसी अधर म िोई रहगी िहा कभी रोशनी की ककरण न तमली

तो एक तो ह ढग सासाररक वयति का वह मर भी िाए तो भी दतनया उसक भीतर स नही हटती और

एक ह सनयासी का ढग वह िीता भी ह तो भी दतनया उसक भीतर नही होती

यह िीवन क तवराट नगर क सरध म भी सही ह और यही रदध न अपन तभकषओ क तलए कहा कक गाव-

गाव िर तम भीि भी मागन िाओ--तभकषाटन भी करो--तो चपचाप माग लना ऐस ही िस भौरा फलो स

माग लता ह और तवदा हो िाना ल लना िो तमलता हो धनयवाद द दना िहा स तमल अनगरहपवाक

सवीकार कर लना न तमल तो दिी मत होना कयोकक तमलना चातहए ऐसी कोई शता कहा तमल िाए

धनयभाग न तमल सतोि और िो न तमलन म सतषट ह उस तमल ही िाता ह लककन हमारी तसथतत ऐसी ह

कक तमल िान पर भी सतोि नही ह तो तमलकर भी नही तमल पाता हम दररि क दररि ही रह िात ह

िीवन स रहत कि पाया िा सकता ह सपन स भी सीिा िा सकता ह और मग-मरीतचकाए भी

रदधतव का आधार रन िाती ह भम स भी िागन की कला उपलबध हो िाती ह

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िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह वस ही मतन गाव म

तभकषाटन कर

न तो ससार का सवाल ह न ससार को िोड़न का सवाल ह कयोकक िो तमहारा ह ही नही उस तम

िोड़ोग कस इतनाभर िानन की रात ह कक हम यहा महमान स जयादा नही िर तम ककसी क घर महमान

होत हो िात वि तम ऐसा थोड़ ही कहत हो कक अर सारा घर तमहार तलए िोड़ िात ह तयाग ककए िात ह

महमान का यहा कि ह ही नही तितनी दर घर म ठहरन का सौभागय तमल गया धनयवाद अपना कि ह

नही िोड़ग कया

इसतलए तयागी वही ह तिसन यह िान तलया कक हमारा कि भी नही ह वह नही तिसन िोड़ा

कयोकक तिसन िोड़ा उस तो अभी भी खयाल ह कक अपना था िोड़ा अपना हो तो ही िोड़ा िा सकता ह

अपना हो ही न तो िोड़ना कसा

इसतलए म तमस कहता ह िोड़न की भातत म मत पड़ना कयोकक वह पकड़न की ही भातत का तहससा

ह तम तो पकड़न की भातत को ही समझ लना अपना कि भी नही अभी नही थ तम अभी हो अभी कफर

नही हो िाओग घड़ीभर का सपना ह आि झपक गई एक सपना दिा आि िल गई सपना िो गया इस

ससार को भीतर घर मत रनान दना तम ससार म रहना लककन ससार तम म न रह पाए गिरना पानी स

लककन पर भीग नही िीना लककन भौर की तरह--ककसी को हातन न पहच

िस भमर फल क वणा और गध को हातन पहचाए तरना रस को लकर चल दता ह

कया रस ह ककस रस की रात कर रह ह रदध समझा द कयोकक डर ह कक तम कि गलत न समझ लो

रदध ककस रस की रात कर रह ह ककस भौर की रात कर रह ह तम तिनह सि कहत हो उनकी रात नही कर

रह ह रदध तो इस िीवन का एक ही रस िानत ह वह ह रदधतव वह ह इस िीवन स िागन की कला सीि

कर चल दना वही रस ह कयोकक तिसन वह िान तलया उसक तलए महारस क दवार िल गए

तो िीवन क हर फल स और िीवन की हर घटना स--िनम हो कक मतय--और िीवन की हर परककरया स

तम एक ही रस को िोित रहना और चनत रहनााः हर अवसथा तमह िगान का कारण रन िाए तनतमतत रन

िाए घर हो कक गहसथी रािार हो कक दकान कोई भी चीि तमह सलान का रहाना न रन िगान का रहाना

रन िाए तो तमन रस ल तलया मरन क पहल अगर तमन इतना िान तलया कक तम अमतपतर हो तो तमन

रस ल तलया मौत क पहल अगर तमन िीवन--असली िीवन को महािीवन को--िान तलया तो तमन रस ल

तलया तो तम य ही न भटक तो तमन ऐस ही गदा-गरार न िाई तो रासत पर तम चल ही नही पहच पहच

भी

तर तर तम अचानक हरान होओग चककत होओग कक तिस तम िोित कफरत थ वह तमहार भीतर

था वह परमातमा का राजय तमहार हदय क ही राजय का दसरा नाम ह मोकष तमहार भीतर तिपी सवततरता का

ही नाम ह और कया ह सवततरता तम दतनया म रहो दतनया तमम न हो वह तनवााण तमहार अहकार क रझ

िान का ही नाम ह िर तमहार अहकार का रटमरटमाता दीया रझ िाता ह तो ऐसा नही कक अधकार हो

िाता ह उस रटमरटमात दीए क रझत ही महासयो का परकाश तमह उपलबध हो िाता ह

रवीिनाथ न तलिा ह कक िर व गीताितल तलि रह थ तो पदमा नदी पर एक रिर म तनवास करत थ

रात गीत की धन म िोए--कोई गीत उतर रहा था उतर चला िा रहा था--व एक रटमरटमाती मोमरतती को

िलाकर रिर म और दर तक गीत की कतड़यो को तलित रह कोई आधी रात फक मारकर मोमरतती रझाई

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हरान हो गए पर चाद की रात थी यह भल ही गए थ यदयतप व िो तलि रह थ वह पर चाद का ही गीत था

िस ही मोमरतती रझी कक रिर की उस िोटी सी कोठरी म सर तरफ स चाद की ककरण भीतर आ गयी रधर-

रधर स वह िोटी सी मोमरतती की रोशनी चाद की ककरणो को राहर रोक हए थी

तमन कभी खयाल ककया कमर म दीया िलता हो तो चाद भीतर नही आता कफर दीया फक मारकर

रझा कदया चाद ररस पड़ा भीतर राढ़ की तरह सर तरफ स आ गया

रवीिनाथ उस रात नाच और उनहोन अपनी डायरी म तलिा कक आि एक अपवा अनभव हआ कही

ऐसा ही तो नही ह कक िर तक यह अहकार का दीया भीतर िलता रहता ह परमातमा का चाद भीतर नही आ

पाता

यही रदध न कहा ह कक अहकार क दीए को फक मारकर रझा दो दीए क रझान का ही नाम तनवााण ह

इधर तम रझ उधर सर तरफ स परमातमा सतय--या िो भी नाम दो--भीतर परतवषट हो िाता ह

तो एक तो िीवन को िीन का ढग ह िसा तम िी रह हो एक रदधो का ढग भी ह चनाव तमहार हाथ

म ह तम रदधो की भातत भी िी सकत हो--कोई तमह रोक नही रहा ह तसवाय तमहार और तम दीन-हीन

तभिमगो की भातत भी िी सकत हो--िसा तम िी रह हो--कोई तमह िरदासती तिला नही रहा तमन ही न

मालम ककस रहोशी और नासमझी म इस तरह की िीवन-शली को चन तलया ह तमहार अततररि कोई

तिममवार नही ह एक झटक म तम तोड़ द सकत हो कयोकक सर रनाया तमहारा ही िल ह य सर िो घर

तमन रना तलए ह अपन चारो तरफ तिनम तम िद ही कद हो गए हो

म एक घर म महमान था सामन एक मकान रन रहा था और एक िोटा लड़का वहा मकान क सामन

पड़ी हई रत और ईटो क रीच म िल रहा था उसन धीर-धीर--म दिता रहा राहर रठा हआ म दि रहा था-

-उसन धीर-धीर अपन चारो तरफ ईट लगा ली और ईटो को िमाता गया ऊपर कफर वह घरड़ाया िर उसक

गल तक ईट आ गयी कयोकक वह िद कद हो गया तर वह तचललाया कक रचाओ

म उस दि रहा था और मझ लगा यही आदमी की अवसथा ह तम ही अपन चारो तरफ ईट िमा लत

हो तिसको तम जिदगी कहत हो कफर एक कदन तम पात हो कक गल तक डर गए तर तचललात हो कक

रचाओ

तमन ही रिी ह ईट तचललान की कोई िररत नही तिस ढग स रिी ह उसी ढग स तगरा दो तमन ही

रिी ह तम ही उठा सकत हो कारागह तमहारा ही रनाया हआ ह ककसी और न तमह कारागह म रद नही

ककया ह िल-िल म रना तलया ह िल-िल म ही आदमी रद हो िाता ह ििीरो म उलझ िाता ह

चलन को चल रहा ह पर इसकी िरर नही

म ह सफर म या मरी मतिल सफर म ह

अर ऐस मत चलो अर िरा िागकर चलना हो िाए अर िरा होश स चलो अर िरा दिकर चलो

तितन िागोग उतना पाओग मतिल करीर तिस कदन पर िागोग उस कदन पाओग मतिल सदा भीतर थी

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

सोलहवा परवचन

समझ और समातध क अतरसतर

पहला परशनाः महाकाशयप उस कदन सरह तिलतिलाकर न हसा होता तो भी कया रदध उस मौन क परतीक

फल को दत

परशन पित समय थोड़ा सोचा भी कर कक परशन का सार कया ह यकद ऐसा हआ होता यकद वसा हआ

होता इन सारी रातो म कयो वयथा समय को वयतीत करत हो

महाकाकयप न हसा होता तो रदध फल दत या न दत इसस तमह कया होगा महाकाकयप न भी हआ हो

हआ हो कहानी तसफा कहानी हो तो भी तमह कया होगा कि अपनी पिो कि ऐसी रात पिो िो तमहार

काम पड़ िाए परशन ऐस न हो कक तसफा मतसतषक की ििलाहट हो कयोकक ििलाहट का गण ह तितना

ििाओ रढ़ती चली िाती ह पिन क तलए ही मत पिो अगर न हो परशन तो पिो ही मत चप रठ ग शायद

तमहार रीच कोई महाकाकयप हस द

हसना न हसना महतवपणा नही ह राहर िो घटता ह उसका कोई मलय रदधपरिो क तलए नही ह फल

तो महाकाकयप को कदया ही होता वह अकला ही था वहा िो रदध क मौन को समझ सकता था हर हालत म

फल उसक पास गया होता रदध न दत तो भी गया होता िोड़ दो कफकर हसता नही रदध न भी दत फल तो

भी म कहता ह उसी क पास गया होता फल िद चला गया होता कोई रदध को दन की िररत भी न थी

घटना को समझन की कोतशश करो बयौर की वयथा रकवास म मत पड़ो घटना सीधी ह कक रदध चप रह

उस चपपी को कोई और न समझ पाया चपपी को समझन क तलए तमह भी चप होना िररी ह तिस भािा को

समझना हो उस भािा को िानना िररी ह म जहदी रोल रहा ह तो जहदी िानना िररी ह म चीनी रोल

तो चीनी िानना िररी ह तभी समझ सकोग

रदध उस कदन मौन रोल मौन की भािा रोल िो मौन का रस िानता था वही समझा िो मौन का रस

नही िानत थ उनहोन इस मौन को भी अपन जचतन का वयापार रना तलया व सोचन लग रदध मौन कयो रठ

ह अभाग लोग िर रदध मौन थ तर तम चप हो गए होत तो फल उनह भी तमल सकता था लककन व सोचन

लग कक रदध मौन कयो रठ ह कक रदध हाथ म फल कयो तलए ह तिसन सोचा उसन गवाया

रदधो क पास सोचन स सरध नही िड़ता रदधो क पास तो न सोचन की कला आनी चातहए महाकाकयप

चप रहा उसन रस भर आि दिा उसन सोचा नही कौन कफकर कर इतना अपरततम सौदया उस कदन परगट

हआ था ऐसा सरि उगा था िसा कभी-कभी सकदयो म उगता ह रदध उस कदन सर दवार-दरवाि अपन मकदर

क िोलकर रठ थ तनमतरण कदया था कक तिस भी आना हो आ िाए परमातमा दवार पर आकर िड़ा था दसतक

द रहा था तम सोचन लग तम तवचार करन लग ऐसा कयो वसा कयो कयो रदध चप रठ ह पहल कयो

कभी नही रठ

तवचारक चक गए महाकाकयप कोई तवचारक न था वह तसफा दिता रहा रदध को िस रदध फल को

दित रह ऐसा महाकाकयप रदध को दिता रहा वही तो इशारा था कक िस म दि रहा ह फल को--मातर िषटा

ह--ऐस ही तम भी िषटा हो िाओ आि हो चकी रहत रात दशान की अर िषटा हो िाओ दशान की रात कर

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तक चलाए रिोग हो चकी चचाा भोिन की अर भोिन करो अर सवाद लो रदध न थाली सिा दी थी

अपनी तम सोचन लग भोिन क सरध म रदध भोिन रि सामन रठ थ

िस रदध फल को दि रह थ वसा ही महाकाकयप रदध क फल को दिन लगा रदध न एक फल दिा

महाकाकयप न दो फल दि दो फलो को एक साथ दिा उन दोनो फलो का तारतमय दिा सगीत दिा

लयरदधता दिी एक अपवा िद का उस अनभव होन लगा रकता भी महाकाकयप कस तरना हस

कयो हसा महाकाकयप हसा लोगो पर िो कक सोच म पड़ गए ह मकदर सामन िड़ा ह और व मकदर

की िोि कर रह ह सरि उग चका ह व आि रद ककए परकाश की चचाा म लीन ह महाकाकयप हसा लोगो की

मढ़ता पर हसा कहना ठीक नही हसी तनकल गई कि ककया नही हसन म वह रक न सका घट गया फट

पड़ी हसी दिकर सारी नासमझी हिारो लोग मौिद थ चक िा रह ह इस मढ़ता पर हसा

और इस रात पर भी हसा कक रदध न भी िर िल िला िो नही कहा िा सकता वह भी कह कदया िो

नही रताया िा सकता उसको भी रता कदया तिसको ितलान म कभी अगतलया समथा नही हई उस तरफ

भी इशारा कर कदया उपतनिद उस कदन मात हो गए िो नही कहा िा सकता था उस कतय रना कदया

विवय द कदया उसका सपणा िीवन स

इसतलए उस कदन क राद झन परपरा म िर भी गर परशन पिता ह तो तशषय को उततर नही दना होता

कोई कतय करना होता ह तिसस विवय तमल िाए कोई कतय ऐसा कतय तिसम तशषय सपणा रप स डर िाए

महाकाकयप हसा ऐसा नही महाकाकयप हसी हो गया पीि कोई रचा नही िो हस रहा था कोई पीि िड़ा

नही था िो हस रहा था महाकाकयप एक तिलतिलाहट होकर तरिर गया उस सगत पर झन फकीर परशन

पित ह

एक झन फकीर हआ रठा था तशषय रठ थ एक रतान म पानी रिा था उसन कहा कक सनो तरना कि

कह रताओ कक यह कया ह यह रतान और यह पानी तरना कि कह कोई विवय दो अथाात कतय स घोतित

करो िसा महाकाकयप न ककया था--तिलतिलाकर और िर कतय स महाकाकयप न घोतित ककया तो कतय स

रदध न उततर भी कदया--फल दकर आि म भी तमह फल दन को उतसक ह

तशषय दिन लग हाथ म कोई फल तो नही था सोचन लग कक यह रात तो और उलझन की हो गई कम

स कम रदध हाथ म फल तो तलए थ इस आदमी क हाथ म कोई फल नही ह व फल क सरध म सोचन लग

और उनहोन लाि सोचा कक इस पानी भर रतान क सरध म कया कहो तरना कह कस विवय दो और तभी

भोिन का समय करीर आ रहा था रसोइया--िो तभकष िो सनयासी रसोई का काम करता था--वह भीतर

आया उसन य उदासी जचतन स तन हए लोग दि उसन पिा मामला कया ह गर न कहा एक सवाल ह

इस िल भर रतान क सरध म विवय दना ह कोई विवय िो इसक पर क पर रहसय को परगट कर द शरद का

उपयोग नही करना ह और िो यह करगा वही फल म दन को तयार ह िो रदध न कदया था

लककन उस रसोइय न गर क हाथ की तरफ दिा ही नही कक फल वहा ह या नही गर फल ह अर इसम

फल कया दिना वह उठा उसन एक लात मार दी उस रतान म पानी लढ़ककर सर तरफ रह गया और वह

रोला कक अर उठो हो गई रकवास रहत भोिन का समय हो गया कहत ह गर न उसक चरण ि तलए--द

कदया फल विवय उसन परगट कर कदया अतसततव को तो ऐस ही तरिर कर रताया िाता ह अर और कया

कहन को रहा--उलटा कदया पातर िल तरिर गया सर तरफ

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ऐस ही उस कदन महाकाकयप न भी उलटा कदया था अपना पातर तिलतिलाहट तरिर गई थी सर तरफ

ऐसी कफर हिारो घटनाए ह झन परपरा म एक घटना को दरारा नही दोहरा सकत याद रिना कयोकक

दोहरान का तो मतलर होगा सोच कर की इसतलए हर घटना अनठी ह और आतिरी ह कफर तम उस पनरि

नही कर सकत

अगर म आि फल लकर आ िाऊ तो िो हसगा उसको भर नही तमलगा अगर आि म रतान म पानी

रिकर रठ िाऊ और तम स पि तो िो लात मारकर लढ़काएगा उसको भर नही तमलगा वह तो तवचार हो

गया अर अर तो महाकाकयप की कहानी पता ह

हिारो घटनाए ह लककन हर घटना अनठी ह और उसकी पनरति नही हो सकती कयोकक पनरति

यानी तवचार कि कहो पर अतसततव स और कि कहो इस ढग स िसा कभी न कहा गया हो तो कफर मन को

िगह नही रचती मन तो अनकरण करता ह दोहराता ह यतरवत ह मन क पास कोई मौतलक सझ नही होती

एक दसर झन फकीर का एक तशषय रहत कदन स जचता म रत ह--गर न कोई सवाल कदया ह िो हल

नही होता िर सर तरह क उपाय कर चका तो उसन परधान तशषय को पिा कक तम तो सवीकार हो गए हो

तम तो कि किी दो हम परशान हए िा रह ह विो रीत गए कि हल नही होता कोई राह नही तमलती

और िर भी िात ह हम उततर भी नही द पात और गर कहता ह रस रकवास रद अभी हम रोल भी नही

अर यह तो हदद हो गई ऐस तो हम कभी भी िीत न पाएग कम स कम रोलन तो दो हम कि कह कफर तम

कहो गलत और सही हम रोलत ही नही और गलत हो िाता ह तो अर तो सही होन का कोई उपाय न रहा

गर नाराि ह

तशषय हसन लगा परधान तशषय न कहा नाराि नही कयोकक िर तम तवचार करत हए िात हो तो

चहर का ढग ही और होता ह िर तम तनरवाचार म िात हो तो चहर का ढग ही और होता ह सोचो थोड़ा

िर तम तवचार स भर होत हो तो सार चहर पर तनाव होता ह आि म माथ पर रल होत ह िर तम

तनरवाचार म होत हो सर रल िो िात ह सर तनाव िो िाता ह िर तम तनरवाचार म होत हो तर तमहार

चारो तरफ ऐसी शातत झरती ह कक अजञानी भी पहचान ल तो गर न पहचानगा वह तमह दरवाि क भीतर

घसन दता ह यह भी उसकी करणा ह उस परधान तशषय न कहा कक मरी तमह पता नही दरवाि क राहर ही

रहता था वह कहता था लौट िा कफिल की रकवास लकर मत आ अभी उसन मझ दिा भी नही था

लककन िस मरी िाया मझस पहल पहच िाती िस मरा वातावरण म दरवाि पर होता और उस ि लता

िस कोई गध उस िरर द दती

तो इस नए तशषय न पिा कफर तमन कस उसकी अनकपा को पाया उसक परसाद को पाया उसन

कहा वह तो म कभी न पा सका िर म मर ही गया तर तमला उसन कहा भलमानि पहल कयो न रताया

यही हम भी करग

अर कही कोई यह कर सकता ह दसर कदन वह गया िस ही गर न उसकी तरफ दिा इसक पहल कक

गर कह कक नही रकवास रद वह भड़ाम स तगर पड़ा आि रद कर ली हाथ फला कदए िस मर गया

गर न कहा रहत िर तरलकल ठीक-ठीक ककया परशन का कया हआ उस तशषय न--अर मिररी--एक

आि िोली और कहा कक परशन तो अभी हल नही हआ तो गर न कहा नासमझ मद रोला नही करत और न

मद ऐस आि िोलत ह उठ भाग यहा स और ककसी दसर स उततर मत पिना पि उततरो का कया मलय ह

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वह तमहारा होना चातहए तमहार अतरतम स आना चातहए तम उसम मौिद होन चातहए वह तमहारा गीत

हो वह तमहारा नाच हो उसम तम पर लीन हो िाओ वह िीवन हो कक मौत इसस कोई फका नही पड़ता

महाकाकयप उस कदन हसा कहना ठीक नही हसा हसी फल गई दिकर यह सारी दशा रदध का सामन

होना और लोगो का अध रन रहना सरि का तनकल आना और अधर का न तमटना दिकर हसा जञान ररसता

हो और लोगो क घड़ तचकन हो और िल उन पर पड़ता ही न हो यह दिकर हसा

हसता या न हसता फल उस तमलना था हसी न हसी तो सायोतगक ह रदध न फल हर हालत कदया

होता हसन की विह स नही कदया धयान रिना नही तो कफर भल हो िाएगी यही तो भल ह मन की तर

तम सोचोग कक हसन की विह स कदया तो अगर अर दरारा कभी ऐसा मौका हम तमलगा तो हम हस दग

वही तम चक िाओग हसन की विह स नही कदया हसी क पीि िो मौन था--हसी क पीि तवचार भी हो

सकता ह तर वयथा हो गई--हसी क पीि िो मौन था उस तिलतिलाहट क फलो क पीि िो परम शातत थी

वह हसी तनवााण का फल थी न हसता तो रदध उठकर गए होत हसा तो रदध न उस रला भी तलया न हसता

तो रदध िद उठकर गए होत िद उसकी झोली म उडल कदया होता

लककन इस तरह क परशन तमहार मन म उठत कयो ह तमहार िीवन की समसयाए हल हो गयी कक तम

महाकाकयप की जचता म पड़ हो तमहारा िीवन समाधान को उपलबध हो गया कक तम इस तरह क रौतदधक

परशन उठात हो मत गवाओ समय को इस भातत अनयथा कोई महाकाकयप तम पर भी हसगा तमहारी मढ़ता

पर भी हसगा यहा म तमहार सामन मौिद ह कि हो सकता ह िर म मौिद नही रहगा तर तम रोओग

अगर अभी न हस तो तर तम रोओग इस मौिदगी का उपयोग कर लो इस मौिदगी को पी लो इस

मौिदगी को तमहार रग-रश म उतर िान दो वयथा क ऊहापोह म मत पड़ो

मदरस तक ही थी रहस आराइया

पाठशाला तक तका तका िाल परशन और परशनो क तवसतार

मदरस तक ही थी रहस आराइया

चप लगी िर रात की तह पा गए

तो िो म कहता ह उसको तम तका मत रनाओ अनयथा तम चक तर तम ककसी कदन पिताओग कक

इतन करीर थ और चक गए और कभी-कभी ऐसा हआ ह कक सोचन वालो न गवा कदया ह और न सोचन वालो

न पा तलया ह कभी-कभी कया हमशा ही ऐसा हआ ह िो म कह रहा ह वह इसीतलए कह रहा ह ताकक चप

लग िाए और तम रात की तह पा िाओ तम रात म स रात तनकाल लत हो रात की तह नही पात एक

रात स तम दस दसरी रातो पर तनकल िात हो म करता ह इशारा चाद की तरफ तम अगली पकड़ लत हो

तम अगली क सरध म पिन लगत हो तम चाद की रात ही भल िात हो कही ऐसा न हो कक ककसी कदन तमह

कहना पड़--

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

ककसी तरह तफान स रचकर आ भी गए तो ककनार स टकरा गए

थी न आिाद-फना कककती-ए-कदल-नािदा

मौि-तफा स रची तो नजर-सातहल हो गई

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कही ऐसा न हो कक यहा मर ककनार पर आकर भी डर िाओ

कोई एिाि-सफर था या फरर-चकम-शौक

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

कही ऐसा न हो कक मतिल सामन आ गई हो और कफर भी तम चक िाओ उस कदन रदध क सामन रठ

लोग चक गए

सामन आकर तनहा आिो स मतिल हो गई

आ गई थी सामन मतिल लककन तिस पहचना ह अगर वही तयार न हो तो मतिल भी कया कर

सामन भी आ िाए तो भी तम चक िाओग कयोकक सवाल मतिल का नही तमहारा ह

वयथा की रातो म मत पड़ो और यकद ऐसा होता तो कसा होता यह तो पिो ही मत इसकी तमह

वयथाता नही कदिाई पड़ती कक यकद रावण सीता को न चराता तो रामायण का कया होता अर इसका कौन

उततर द इसका कौन उततर द और उततर का कया अथा ह

िो हो गया हो गया उसस अनयथा नही हो सकता था अर तम उसम स और वयथा की रात मत

तनकालो नही तम सोचत ही रहोग परतयक पल सोचन म गवाया रड़ा महगा ह कयोकक उसी पल म सर कि

उपलबध हो सकता था

दसरा परशनाः रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा लककन रदध क दह-तवसिान क

राद िस-िस समय रीतता गया रदध-धमा अनक शािाओ एव परशािाओ म रटन लगा अजञानी सपरदाय रनात

ह लककन रदध क जञानी तशषय भी अनक तवतभि एव तवपरीत सपरदायो म रट गए कपया इस घटना पर कि

परकाश डाल

अजञानी सपरदाय रनात ह जञानी भी सपरदाय रनात ह लककन अजञानी का सपरदाय कारागह हो िाता ह

और जञानी का सपरदाय मति की एक राह सपरदाय का अथा होता ह मागा सपरदाय का अथा होता ह तिसस

पहचा िा सकता ह

जञानी मागा स पहचत ह मागा रनात भी ह अजञानी मागा स िकड़ िात ह पहचत नही मागा रोतझल हो

िाता ह िाती पर पतथर की तरह रठ िाता ह जञानी मागा का उपयोग कर लत ह अजञानी मागा स ही रध

िात ह सपरदाय म कि रराई नही ह अगर पहचाता हो

सपरदाय शबद रड़ा रहमलय ह तिसस पहचा िाता ह वही सपरदाय ह लककन रड़ा गदा हो गया लककन

गदा हो िान का कारण सपरदाय नही ह अर कोई नाव को तसर पर रिकर ढोए तो इसम नाव का कया कसर

ह कया तम नाव क दकमन हो िाओग कक लोग नाव को तसर पर रिकर ढो रह ह मढ़ तो ढोएग ही नाव न

होती कि और ढोत मकदर-मतसिद न होत लड़न को तो ककसी और रात स लड़त कि और कारण िोि लत

तिनह िाना नही ह व मागा क सरध म तववाद करन लगत ह तिनह िाना ह व मागा का उपयोग कर लत ह

और तिसन मागा का उपयोग कर तलया वह मागा स मि हो िाता ह तिसन नाव का उपयोग कर तलया वह

नाव को तसर पर थोड़ ही ढोता ह नाव पीि पड़ी रह िाती ह रासत पीि पड़ रह िात ह तम सदा आग रढ़त

चल िात हो

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सपरदाय म अपन आप कोई भल-भातत नही ह भल-भातत ह तो तम म ह तम तो औितध को भी िहर

रना लत हो रड़ कलाकार हो तमहारी कशलता का कया कहना िो िानत ह व िहर को भी औितध रना लत

ह वि पर काम पड़ िाता ह िहर भी िीवन को रचान क तमहारी औितध भी िीवन की िानलवा हो िाती

ह असली सवाल तमहारा ह

रदध क िान क राद धमा शािा-परशािाओ म रटा रटना ही चातहए िर वकष रड़ा होगा तो पीड़ ही

पीड़ थोड़ ही रह िाएगा शािा-परशािाओ म रटगा पीड़ ही पीड़ रड़ी ठठ मालम पड़गी उस वकष क नीच

िाया ककसको तमलगी तिसम पीड़ ही पीड़ हो उसस तो ििर का वकष भी रहतर कि तो िाया थोड़ी-रहत

कही पड़ती होगी

वकष तो वही शानदार ह वही िीतवत ह तिसम हिारो शािाए-परशािाए तनकलती ह शािाए-

परशािाए तो इसी की िरर ह कक वकष म हिार वकष होन की कषमता थी ककसी तरह एक म समा तलया ह हिा

भी कि नही ह तितनी शािाए-परशािाए हो उतना ही सदर कयोकक उतन ही पकषी रसरा कर सक ग उतन

ही पकषी घोसल रना सक ग उतन ही यातरी तवशराम पा सक ग उतनी ही रड़ी िाया होगी उतनी ही गहन

िाया होगी धप स तप-मादो क तलए आसरा होगा शरण होगी

िो वकष ठठ रह िाए उसका कया अथा हआ उसका अथा हआ वकष राझ ह उसम फलन की कषमता नही

ह िीवन का अथा ह फलन की कषमता सभी िीतवत चीि फलती ह तसफा मतय तसकड़ती ह मतय तसकोड़ती

ह िीवन फलाता ह िीवन तवसतार ह एक स दो दो स अनक होता चला िाता ह परमातमा अकला था

कफर अनक हआ कयोकक परमातमा िीतवत था अगर मदाा होता तो अनक नही हो सकता था ससार को गाली

मत दना अगर तमह मरी रात समझ म आए तो तम समझोग कक ससार परमातमा की शािाए-परशािाए ह

तम भी उसी की शािा-परशािा हो इतना िीतवत ह कक चकता ही नही फलता ही चला िाता ह

वकष भारत म रड़ पराचीन समय स िीवन का परतीक रहा ह रदध क वकष म रड़ी कषमता थी रड़ा रल था

रड़ी सभावना थी अकली पीड़ स कस रदध का वकष तचपटा रहता िस-िस रढ़ा शािाए-परशािाए हई

लककन जञानी की दतषट म उन शािाओ-परशािाओ म कोई तवरोध न था व सभी एक ही वकष स िड़ी थी और

एक ही िड़ पर िीतवत थी उन सभी का िीवन एक ही सरोत स आता था रदध सरोत थ जञानी न इसम कि

तवरोध न दिा इसम इतना ही दिा कक रदध म रड़ी सभावना ह

यह िरा हरानी की रात ह सारी मनषय-िातत म रदध न तितनी सभावनाओ को िनम कदया ककसी

दसर आदमी न नही कदया

महावीर क वकष म कवल दो शािाए लगी--कदगरर शवतारर रस और उनम भी कोई रहत फासला

नही ह कषि रातो का फासला ह कक कोई महावीर काशगार करक पिता ह कोई महावीर को नगन पिता

हशगार क भीतर भी महावीर नगन ह और नगन म भी उनका रड़ाशगार ह इसम कि रड़ा फासला नही ह

उनकी नगनता हीशगार ह अर और कया सिाना ह उनको और सिाना तो ऐस ही ह िस कोई साप पर पर

तचपकाए वह साप अकला तरना पर क ही िर चलता था अर तम और पर तचपकाकर उस िरार मत करो

यह तो उन पर औरशगार करना ऐस ही ह िस कोई मोर को और रगो स पोत द मोर वस ही काफी रगीन था

अर तम कपा करक रग िरार मत करो

महावीर की नगनता म ही िरशगार ह उन िसी सदर नगनता कभी परगट हई पर कफर तमहारी मौि ह

तमहारा मन नही मानता--इसतलए नही कक महावीर म कि कमी ह--तमहारा मन तरना ककए कि नही मानता

98

तम कि करना चाहत हो करो भी कया महावीर िस वयति क सामन एकदम असमथा हो िात हो सदर

कपड़ पहनात हो सदर आभिण लगात हो यह तमहारी राहत ह इसस महावीर का कि लना-दना नही

तमहार सर वसतरो क पीि भी व अपनी नगनता म िड़ ह नगन ही ह ऐस िोट-िोट फासल ह

कदगरर कहत ह कक उनकी कोई शादी नही हई शवतारर कहत ह शादी हई कया फका पड़ता ह कदगरर

कहत ह उनका कोई रचचा नही हआ--िर शादी ही नही हई तो रचचा कस हो शवतारर कहत ह उनकी एक

लड़की थी पर कया फका पड़ता ह महावीर म इसस कया फका पड़ता ह शादी हई कक न हई य तो कफिल

की तवसतार की रात ह महावीर क होन का इसस कया लना-दना ह शादी हई हो तो ठीक न हई हो तो ठीक

तिसको िसी मौि हो वसी कहानी रना ल लककन कोई रहत रड़ा तवसतार नही हआ

िीसस की भी दो शािाए फटकर रह गयी परोटसटट और कथोतलक कोई रड़ा तवसतार नही हआ

रदध अनठ ह अतदवतीय ह सकड़ो शािाए हई और परतयक शािा इतनी तवराट थी कक उसम स भी

परशािाए हई कहत ह तितन दशान क मागा अकल रदध न िोल उतन मनषय-िातत म ककसी वयति न नही

िोल रदध अकल समसत परकार क दशानो का सरोत रन गए ऐसी कोई दाशातनक परपरा नही ह िगत म तिसक

समतल परपरा रदध-धमा म न हो

अगर तम रदध-धमा का परा इततहास समझ लो तो राकी सर धमो का इततहास िोड़ भी दो तो कि

हिाा न होगा कयोकक सार िगत म िो भी कही हआ ह िो तवचार कही भी िनमा ह वह तवचार रदध म भी

िनमा ह रदध अकल रड़ तवराट वकष ह

यह तो सौदया की रात ह यह तो अहोभाव और उतसव की रात ह इसम कि जचता का कारण नही ह

यह तो इतना ही रताता ह कक रदध म रड़ी सभावना थी जञानी न तो उस सभावना का उपयोग ककया उसम

कोई झगड़ा न था तरलकल तवपरीत िान वाली शािाए भी--एक परर िा रही ह एक पतिम िा रही ह--कफर

भी एक ही तन स िड़ी होती ह तवरोध कहा ह और उन दोनो का िीवन-सरोत एक ही िगह स आता ह एक

रदध ही फलत चल गए सर म इसस कि अड़चन न थी

लककन अजञानी अड़चन िड़ी करता ह अजञानी की अड़चन ऐसी ह कक वह यह भल ही िाता ह कक सभी

तवरोध अलग-अलग कदशाओ म िाती शािाए ह एक ही सरोत स िनमी ह

मन सना ह एक गर क दो तशषय थ गमी की दोपहर थी गर तवशराम कर रहा था और दोनो उसकी

सवा कर रह थ गर न करवट रदली--तो दोनो तशषयो न आधा-आधा गर को राट रिा था सवा क तलए राया

पर एक न ल रिा था दाया पर एक न ल रिा था--गर न करवट रदली तो राया पर दाए पर पर पड़ गया

सवभावताः झझट िड़ी हो गई

गर तो एक ह तशषय दो थ तो उनहोन जहदसतान-पाककसतान राटा हआ था तो िर दाए पर पर राया

पर पड़ा तो तिसका दाया पर था उसन कहा हटा ल अपन राए पर को मर पर पर पर सीमा होती ह सहन

की रहत हो चका हटा ल तो उस दसर न कहा दि ककसकी तहममत ह कक मर पर को और कोई हटा द तसर

कट िाएग मगर मरा पर िहा रि गया रि गया यह कोई साधारण पर नही अगद का पर ह भारी झगड़ा

हो गया दोनो लि लकर आ गए

गर यह उपिव सनकर उसकी नीद िल गई उसन दिी यह दशा उसन िर लि चलन क ही करीर आ

गए--लि चलन वाल थ गर पर कयोकक तिसका दाया पर था वह राए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया

99

था और तिसका राया पर था वह दाए पर को तोड़ डालन को ततपर हो गया था गर न कहा िरा रको तम

मझ मार ही डालोग य दोनो पर मर ह तमन तवभािन कस ककया

अजञानी राट लता ह और भल ही िाता ह भल ही िाता ह कक िो उसन राटा ह व एक ही वयति क पर

ह या एक ही वकष की शािाए ह अजञानी न उपिव िड़ा ककया अजञानी लड़ एक-दसर का तवरोध ककया

एक-दसर का िडन ककया एक-दसर को नषट करन की चषटा की िर सपरदाय अजञानी क हाथ म पड़ता ह तर

ितरा शर होता ह

जञानी सपरदाय को रनाता ह कयोकक धमा की शािाए-परशािाए पदा होती ह तितना िीतवत धमा

उतनी शािाए-परशािाए दतनया स सपरदाय थोड़ ही तमटान ह अजञानी तमटान ह तिस कदन सपरदाय तमट

िाएग दतनया रड़ी ररौनक हो िाएगी उस कदन गर तरना पर क होगा उसको कफर िस तभिमगो को ठल

पर रिकर चलाना पड़ता ह ऐस चलाना पड़गा कफर वकष तरना शािाओ क होगा न पकषी रसरा करग न

राहगीर िाया लग और तिस वकष म पतत न लगत हो शािाए न लगती हो उसका इतना ही अथा ह कक िड़

सि गयी अर वहा िीवन नही िीवन िोड़ चका उस उड़ गया

तम पित हो रदध क दह म िीतवत रहत उनका तभकष-सघ एकता म रहा

नही जञातनयो क तलए तो वह अर भी एकता म ह और तमस म कहता ह अजञानी क तलए वह तर भी

एकता म नही था िर रदध िीतवत थ तर भी अजञानी अपनी तयाररया कर रह थ तभी कफरक रटन शर हो

गए थ रदध क िीत िी अजञातनयो न अपन तहसार राट तलए थ अलग-अलग कर तलए थ रदध क मरन स थोड़

ही अचानक अजञान पदा होता ह अजञानी तो पहल भी अजञानी था वह कोई अचानक थोड़ ही अजञानी हो गया

और िो अजञानी ह रदध क िीतवत रहन स थोड़ ही कि फका पड़ता ह अजञान तो तमह िोड़ना पड़गा रदध

कया कर सकत ह

रदध न कहा ह मागा कदिा सकता ह चलना तो तमह पड़गा समझा सकता ह समझना तो तमह पड़गा

अगर तम न समझन की ही तिदद ककए रठ हो अगर समझन क तलए तम म िरा भी तयारी नही ह--तयारी

नही कदिाई ह--तो रदध लाि तसर पीटत रह कोई पररणाम नही हो सकता

तीसरा परशनाः कया िीवन म सभी कि नदी-नाव सयोग ह रदध भी रदधतव भी

नही--रदधतव को िोड़कर सभी कि नदी-नाव सयोग ह कयोकक रदधतव तमहारा सवभाव ह सयोग नही

ऐसा नही ह कक तमह रदध होना ह तम रदध हो रस इतना ही ह कक तमह पहचानना ह ऐसा नही ह कक तमह

रदधतव अरिात करना ह तमन कभी गवाया ही नही परतयतभजञा करनी ह पहचान करनी ह िो तमला ही ह

िागकर दिना ह

रदधतव सयोग नही ह रदधतव ककनही पररतसथततयो पर तनभार नही ह न तमहारी साधना पर तनभार ह

याद रिना यह मत सोचना कक तम रहत धयान करोग इसतलए रदध हो िाओग रहत धयान रहत तपियाा स

शायद तमह िागन म आसानी होगी रदधतव क परतत लककन रदध होन म नही रदध तो तम थ गहरी तिा म थ

और िरााट ल रह थ तर भी तम रदध ही थ भटक रह थ योतनयो म--अनत योतनयो म कीड़-मकोड़ो की तरह--

िी रह थ कामवासना म हिार करोध और लोभ म तर भी तम रदध ही थ य सर सपन थ िो तमन दि

100

लककन सपनो क पीि तमहारा मलसरोत सदा ही शदध था वह कभी अशदध हआ नही अशदध होना उसकी परकतत

नही

और सर िीवन म नदी-नाव सयोग ह ककसी सतरी क तम परम म पड़ गए और तमन शादी कर ली वह

नदी-नाव सयोग ह धन कमा तलया ककसी न और कोई न कमा पाया वह नदी-नाव सयोग ह ककसी न यश

कमा तलया और कोई रदनाम हो गया वह नदी-नाव सयोग ह वह हिार पररतसथततयो पर तनभार ह वह

तमहारा सवभाव नही वह राहर पर तनभार ह भीतर पर नही

तसफा एक चीि नदी-नाव सयोग नही ह वह ह तमहारा होना शदध होना रदधतव भर ससार क राहर ह

शि सर ससार ह तो तिस कदन तम िागत हो उस कदन तम अचानक ससार क राहर हो िात हो अततकरमण

हो िाता ह

ऐसा समझो कक तम एक सपना दि रह हो सपन म कोई दि रहा ह गरीर ह कोई दि रहा ह अमीर

ह कोई दिता ह साध कोई दिता ह असाध कोई दिता ह हिार पाप कर रहा ह कोई दिता ह हिार पणय

कर रहा ह यह सर नदी-नाव सयोग ह यह सर सपना ह लककन वह िो सपना दि रहा ह वह िो िषटा ह

वह नदी-नाव सयोग नही ह चाह सपना तम साध का दिो चाह असाध का सपन म भद ह दिन वाल म

कोई भद नही ह वह दिन वाला वही ह चाह साध चाह असाध चाह चोर चाह अचोर पाप करो पणय

करो वह िो दिन वाला ह भीतर वह एक ह उस दिन वाल को ही िान लना रदधतव ह सवय को पहचान

लना रदधतव ह शि सर पराया ह शि सर सयोग स रनता तमटता ह इसतलए शि की कफकर नासमझ करत

ह िो सयोग पर तनभार ह उसकी भी कया कफकर करनी

थोड़ा समझो तम एक गरीर घर म पदा हए तमह ठीक स तशकषा नही तमल सकी तो कि दवार रद हो

गए सयोग क तम एक िगल म पदा हए एक आकदवासी समाि म पदा हए अर वहा तम उस आकदवासी

समाि म शकसतपयर न रन सकोग न कातलदास रन सकोग सयोग की रात ह तम परर म पदा हए तो एक

सयोग पतिम म पदा हए तो दसरा सयोग इन सयोगो पर रहत सी रात तनभार ह--सभी रात तनभार ह--तसफा

एक को िोड़कर एक भर अपवाद ह और इसीतलए धमा उसकी िोि ह िो सयोग क राहर ह धमा उसकी

िोि ह िो पररतसथतत पर तनभार नही ह धमा उसकी िोि ह िो ककसी चीि पर तनभार नही ह िो परम

सवातषय का सतर ह तमहार भीतर उसकी िोि ह

शि सर तम िोित हो वह सर सयोग की रात ह और िोट-िोट सयोग रड़ महतवपणा हो िात ह

ककसी को रचपन म ही चचक तनकल गई और चहरा करप हो गया अर इसकी परी जिदगी इस चचक पर

तनभार होगी कयोकक शादी करन म इस वयति को अड़चन आएगी इस वयति को जिदगी म चलन म हिार

तरह की हीनताए घरगी यह सर सयोग की ही रात ह

लककन चहरा सदर हो कक करप काला हो कक गोरा वह िो भीतर िषटा ह वह एक ह तिसन उस

िोिना शर कर कदया उसन सतय की तरफ कदम रिन शर कर कदए

तो इस रात को समरण रिो कक िो भी सयोग मालम पड़ उस पर रहत समय मत गवाना रहत शति

मत लगाना रहत अपन को उस पर तनभार मत रिना वह ह तो ठीक नही ह तो ठीक जचतन करना उसका

मनन करना उसका धयान करना उसका िो सयोगातीत ह उसका ही नाम रदधतव ह

जिदगी एक आसओ का िाम था

पी गए कि और कि िलका गए

101

जिदगी तो आसओ का एक पयाला ह िो तम पी रह हो व तो आस ही ह कभी-कभार शायद िीवन म

सि की थोड़ी सी झलक भी तमलती ह लककन वह भी सयोग-तनभार ह इसतलए उसक भी तम मातलक नही

कर जिदगी तम पर मसकरा दगी उसक तम मातलक नही इसको ही तो परान जञाताओ न भागय कहा था कक

वह सर भागय की रात ह भागय का इतना ही अथा ह कक वह सयोग की रात ह उसकी जचता म रहत मत पड़ो

िो भागय ह वह हिार कारणो पर तनभार ह लककन िो तम हो वह ककसी कारण पर तनभार नही ह

म एक यहदी तवचारक फरकल का िीवन पढ़ता था वह तहटलर क कारागह म कद था उसन तलिा ह

कक तहटलर क कारागह स और ितरनाक कारागह दतनया म कभी रह नही दि पीड़ा सर तरह का सताया

िाना सर तरह का अपमान हर िोटी-िोटी रात पर ितो स ठकराया िाना लककन वहा भी उसन तलिा ह

कक मझ धीर-धीर एक रात समझ म आ गई कक मरी सवततरता अकषणण ह

िर म पढ़ रहा था उसका िीवन तो म भी चौका कक इसन अपनी सवततरता वहा कस पाई होगी

तहटलर न सर इतिाम कर कदए परततर करन क दीन करन क दिी करन क एक रोटी का िोटा सा टकड़ा

रोि तमलता वह एक दफ भोिन क तलए भी काफी नही था तो लोग उस तिपा-तिपा कर रित फरकल रड़ा

मनोवजञातनक परतततषठत तवचारक लककन उसन भी तलिा ह कक रड़ डाकटर मर साथ थ तिनहोन कभी सोचा

भी न होगा कक ककसी की दसर की रोटी का टकड़ा चरा लग रड़ धनपतत मर साथ थ िो अपनी रोटी क टकड़

को एक-एक टकड़ा करक िात--एक टकड़ा सरह िा तलया िरा सा कफर दोपहर म िा तलया कयोकक इतनी

रार भि लगगी थोड़ा-थोड़ा करना जयादा रहतर रिाय एक रार िा लन क कफर चौरीस घट भिा रहना

पड़ता ह तो िोटा-िोटा मन को समझात लोग अपनी रोटी को तिपाकर रित रार-रार दि लत कक कोई

दसर न तनकाल तो नही ली कयोकक सौ कदी एक िगह रद रात लोग एक-दसर क तरसतर म स टटोलकर रोटी

तनकाल लत ऐसा दीन तहटलर न कर कदया लककन उसन तलिा ह कफर भी मझ एक रात समझ म आ गई

कक मरी सवततरता अकषणण ह

कस तो उसन तलिा ह कक सर परततर हो गया ह लककन इस परततरता की तरफ म कया दतषट ल उसक

तलए म मातलक ह कया दतषट ल कस इस दि सवीकार कर असवीकार कर लड न लड--िषटा सवततर ह

और उसन तलिा ह कक तिनको भी यह सवततरता का अनभव हआ उनहोन पाया कक ऐसी सवततरता की

परतीतत राहर कभी भी न हई थी कयोकक िहा इतनी परततरता थी--इतनी काली दीवाल थी--वहा सवततरता की

िोटी सी सफद लकीर रड़ी उभरकर कदिाई पड़न लगी

तो उसन तलिा वहा भी दो तरह क लोग थ कारागह म सवततर लोग भी थ वहा िो सवततर ही रह

वहा असली पता चल गया कक कौन सवततर ह उनको तहटलर झका न सका उनको तोड़ न सका उनको भिा

मार डाला उनको कोड़ लगाए लककन उनको झकाया न िा सका उनको मारा िा सका लककन झकाया न िा

सका उनकी सवततरता अकषणण थी

कौन तमह कारागह म डाल सकता ह लककन अगर तमहार भीतर िषटा का रोध ही न हो तो तम अपन

घर म भी कारागह म हो िात हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह का दि हो वह तो राधता ही ह--कक राहत हो आतशयान की--घर की सि-सतवधा भी राध

लती ह तिसको रधना ह वह कही भी रध िाता ह उसक तलए कारागह िररी नही

102

तम अपन घर को ही सोचो तमन कर का उस कारागह रना तलया तम सवततर हो अपन घर म अगर

तम अपन घर म ही सवततर नही हो अगर वहा भी तमहारी मालककयत नही ह अगर वहा भी तमहारा िषटा मि

नही हआ ह अगर तम कहत हो मरा घर तो तम गलाम हो अगर तम कहत हो इस घर म म रहता ह और

यह घर मझम नही तो तम मातलक हो

िदा गवाह ह दोनो ह दकमन-परवाि

आकाश म उड़न की कषमता दोनो िीन लत ह

गम-कफस हो कक राहत हो आतशयान की

कारागह तो िीन ही लता ह आकाश म उड़न की कषमता घर की सि-सतवधा भी िीन लती ह सरकषा

भी िीन लती ह

तो असली सवाल न तो घर का ह और न कारागह का ह असली सवाल तमहारा ह तम अगर कारागह

म भी िषटा रन रहो तो तम मि हो और तम घर म भी अगर िषटा न रह िाओ भोिा हो िाओ तो रध गए

िषटा हो िाना रदध हो िाना ह रदधतव कि और नही मागता इतना ही कक तम िागो और उस दिो िो

सर को दिन वाला ह तविय पर मत अटक रहो दकय पर मत अटक रहो िषटा म ठहर िाओ अकप हो िाए

तमहार िषटा का भाव साकषी का भाव रदधतव उपलबध हो गया और ऐसा रदधतव सभी िनम क साथ लकर आए

इसतलए म तमस कहता ह रदधतव िनमतसदध अतधकार ह िर चाहो तर तम उस उठा लो वह तमहार

भीतर सोया पड़ा ह िर चाहो तर तम उघाड़ लो वह हीरा तम लकर ही आए हो उस कही िरीदना नही

कही िोिना नही

चौथा परशनाः होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी और जहदी म इस अतर का कया

रहसय ह जहदीाः सवामी कयामदव सरसवती और अगरिीाः सवामी कयामदव भारती

तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह िस दीवाल स रात करना तमस रात करना करीर-करीर ऐस ह

िस रहर आदमी स रात करना तम िो समझना चाहत हो वही समझत हो तमह लाि कि और कदिान क

उपाय ककए िाए तम उनस चकत चल िात हो और रड़ मि की रात ह कक तम तिन तसदधातो स मि हो

सकत थ िो तसदधात तमहार िीवन को नए आकाश स िोड़ दत व ही तसदधात तम अपनी ििीरो म ढाल लत

हो

िस यह रात तरलकल सच ह कक रदधपरि भल नही करत लककन इसका यह अथा नही ह कक तिन चीिो

को तम भल समझत हो वसी भल रदधपरि नही कर सकत रदधपरि कोई मदाा थोड़ ही ह तसफा मदाा तरलकल

भल नही करत तो तमहार तहसार म तो तसफा मद ही रदधपरि हो सकत ह इसीतलए तो िीतवत गर को पिना

रहत करठन ह मर हए गर को पिना आसान होता ह कयोकक मरा हआ गर कफर कोई भल नही कर सकता ह

रदधपरि का तमन कया अथा ल तलया ह िस कक पीि मन कहा कक रदध एक मागा स गिरत थ एक

मकिी उनक कध पर आकर रठ गई व रात कर रह थ आनद स उनहोन उस उड़ा कदया मकिी तो उड़ गई

कफर व रक गए और उनहोन कफर स अपना हाथ उठाया और रड़ आतहसता स मकिी को उड़ान को गए आनद

न पिा अर आप कया करत ह मकिी तो िा चकी रदध न कहा अर म ऐस उड़ाता ह िस उड़ाना चातहए था

103

तझस रात म लगा था तरना होश क मकिी उड़ा दी चोट लग िाती कही मकिी पर हाथ िोर स पड़ िाता

कही--पड़ा नही सयोग--तो जहसा हो िाती मन िानकर नही की होती कफर भी हो तो िाती ततकषण दसर

कदन परशन आ गया कक रदधपरिो स तो कोई भल होती नही और रदधपरि न कस मकिी उड़ा दी आनद स

रातचीत करत हए

तम पागल हो रदधपरि स भल नही होती इसी का सरत ह उनका दरारा मकिी को उड़ाना अगर तम

िस रदध होत तो चप रह िात अगर व भी इस तसदधात को मानत होत कक रदधपरि स भल नही होती कस

उड़ाऊ आनद कया कहगा कक आप रदध होकर और भल कर तलए

रदधपरि स भल नही होती लककन अगर हो िाए तो रदधपरि ततकषण सवीकार कर लता ह तरना ककसी

क रताए भी भल नही होती इसस भी रड़ी रात यह ह कक वह भल को सवीकार कर लता ह तमस भल भी

होती ह और भल को सवीकार करन म कषट भी होता ह अड़चन भी होती ह तम भल को तिपात हो तम

ढाकत हो तम चषटा करत हो कक ककसी को पता न चल कक हो गई

अर यह मकिी उड़ान की रात तो दतनया म कभी ककसी को पता भी न चलती कक चलती कौन रठा

था वहा िदारीन लकर आनद को भी पता न था व अगर दरारा हाथ न ल िात तो आनद को भी पता न

चलता पर यह सवाल नही ह

रदध न इतना ही कहा कक अगर चतनय एक तरफ उलझा हो िस आनद स रात कर रह थ तो सारा

धयान उस तरफ था--रदधपरि िो भी करत ह पर धयान स करत ह--तो िर व रात कर रह थ तो सारा धयान

उस तरफ था व तम िस कट-रट नही ह कक राए दि रही ह आधी िोपड़ी और आधी िोपड़ी दाए दि रही

ह व पर ही आनद की तरफ मड़ गए होग

तमह भल कदिाई पड़ती ह मझ उनक धयान की एकागरता कदिाई पड़ती ह व इतन तललीन होकर आनद

स रात करत थ कक िस सारा ससार तमट गया था सारा ससार तमट गया था मकिी की तो रात कया ऐसी

घड़ी म शरीर न यतरवत मकिी उड़ा दी रदध न उड़ाई मकिी भल स ऐसा कहना भी गलत ह कयोकक रदध तो

मौिद ही न थ रदध तो मौिद थ आनद स चचाा म शरीर न उड़ा दी

शरीर रहत स काम यतरवत करता ह रात तम सोए भी रहत हो मचिर आ िाता ह हाथ उड़ा दता ह

उसक तलए िागन की भी िररत नही होती तम रठ हो कोई एक ककड़ फक द तमहारी आि की तरफ तो

तमह आि रद थोड़ ही करनी पड़ती ह आि अपन स रद हो िाती ह वह सवचातलत ह आटोमरटक ह और

अचिा ह कक सवचातलत ह नही तो ककड़ पड़ िाता और तम आि रद करन की सोचत ही रहत कर रद कक न

कर इसतलए परकतत न तम पर नही िोड़ा ह तमहार तलए नही िोड़ा ह कक तम सोचो कफर रद करो उसम

तो ितरा हो िाएगा आि िसी नािक चीि तमहार ऊपर नही िोड़ी िा सकती परकतत न इतिाम ककया ह

िस ही कोई चीि करीर आएगी आि अपन स रद हो िाएगी तम थोड़ ही आि झपकात हो आि झपकती

तमन कभी खयाल ककया कक रहत स काम शरीर चपचाप ककए चला िाता ह तमन भोिन ककया शरीर

पचाता ह तम थोड़ ही पचात हो तमह तो कफर खयाल भी नही रिना पड़ता कक शरीर पचा रहा ह अपन आप

पचाए चला िाता ह

उस घड़ी रदध न िो पहली दफा मकिी उड़ाई वह रदध न उड़ाई यह कहना ही गलत ह कहन की रात

ह इसतलए उस तरह कही गई हआ ऐसा कक रदध तो पर क पर आनद स चचाा म मौिद थ मकिी आ गई

104

शरीर न उड़ा दी रदध न शरीर को सधारा िर दरारा उनहोन मकिी उड़ाई तो उनहोन शरीर को एक पाठ

कदया कक ऐस उड़ानी थी--म घर पर नही था तो भी गलती नही होनी चातहए म मौिद नही था तो भी गलती

नही होनी चातहए अगर म न भी रह तो भी तझ ऐस ही मकिी उड़ानी चातहए िस रदधपरिो को शोभा दती

ह यह शरीर को थोड़ा सा सशोधन ककया

लककन ततकषण दसर कदन सवाल आ गया कक रदधपरिो स भल हो गई तम इतन उतसक हो भल दसर की

दिन म कक रदधपरिो म भी दिन का रस तमहारा िटता नही ककसी न एक कदन पिा कक कभी-कभी म रोलन

म ककसी शबद की भल कर िाता ह रदधपरिो स भल नही हो सकती तो िातहर ह या तो म रदधपरि नही ह

या कफर रदधपरिो स भल होती ह इसतलए म कहता ह तमहार सामन रोलना करीर-करीर भस क सामन

रीन रिान िसा ह

िर म तमस रोल रहा ह तर म तमहार साथ इतनी गहनता स ह कक म मतसतषक पर धयान ही नही द

सकता तो रोलन का काम और शबद रनान का काम तो मतसतषक का यतर कर रहा ह--िस रदध क हाथ न

मकिी उड़ा दी थी ऐसा मरा मतसतषक तमस रोल चला िाता ह म तो तमहार साथ ह यतर कई दफ भल कर

िाता ह यतर की भल मरी भल नही ह और तिसन मझ पहचाना वह ऐस सवाल न उठाएगा ऐस सवाल

तमहार मन म उठ िात ह कयोकक तम आ गए हो भला मर पास लककन झकन की इचिा नही ह कोई भी

रहाना तमल िाए तो तम अपना झकना वापस ल लो--कक अर इस आदमी स एक शबद की भल हो गई कहना

कि था कह कि और कदया कफर पीि सधारना पड़ा तम इस तलाश म हो कक ककसी भी तरह तमहारा

समपाण रच िाए

सचाई यह ह कक म एक रहत करठन काम कर रहा ह तमहार साथ हो सकता ह परा रोलन की विह स

एक दसरा काम भी मझ साथ म करना पड़ रहा ह अचिा तो यही होता कक म चप हो िाता तमह भी भल न

तमलती मरी भी झझट िट िाती लककन तम शबदो को भी नही समझ पा रह हो तम मौन को भी न समझ

पात

महररारा चप हो गए तो ऐस लोग थ िो समझत थ कक रोलन को कि नही आता इसतलए चप हो

गए तम वहा भी भल िोि लोग रदध न रहत स परशनो क िवार न कदए तो सनन वालो न समझा कक इनको

कि आता नही ह िर आता ही नही तो िवार कस दग रदध न इसतलए िवार नही कदए कक िवार उन रातो

क कदए ही नही िा सकत उन रातो का िवार कवल वही द सकता ह िो िानता न हो िो िानता ह वह

चप रह िाएगा

िर म तमस रोल रहा ह तो म एक अतत करठन काम कर रहा ह पहला कक तमहारी और मरी

उपतसथतत सपणा रप स एक हो िाए तो रोल नही सकता या कफर म रोल तो तमस मरी उपतसथतत का कोई

तमलन न हो पाए तो कफर रोल सकता ह लककन व शबद कफर कोर होग तर शबद की कोई भल न होगी

पतडत स कभी शबद की भल नही होती रदधो स होती ह पतडत शबद म कशल होता ह कयोकक यतर को ही

तनिारता रहता ह

शबद तो कामचलाऊ ह िो मझ कहना ह वह इन कामचलाऊ शबदो स तम समझ लना तम यह रठ

मत सोच लना कक वयाकरण की कोई भल हो गई तो रदधपरिो स कस भल हो सकती ह वयाकरण मझ आती

ही नही इतना चला ल रहा ह वह भी चमतकार ह मौन आता ह भािा नही आती ककसी तरह चला ल रहा

105

अर इन तमतर न पिा ह कक होशपणा वयति भल नही करता तो कपया मर नाम म अगरिी म तो तलिा

ह--सवामी कयामदव भारती और जहदी म तलिा ह--सवामी कयामदव सरसवती

िरर म तमह दिन म लग गया होऊगा िर य नाम तलि और सभावना इसकी ह कयामदव भारती

कयामदव सरसवती कक तम दो आदमी हो एक नही तसपलट टट हए दपाण म दो चहर रन गए होग इस तरह

भी तम दि सकत थ लककन उस तरह दिोग तो तमहारी जिदगी तमह रदलनी पड़ तमन ततकषण दिा कक अर

रदधपरि स भल हो गई कहा फस गए कोई और रदधपरि िोि िो कयामदव सरसवती तलि तो कयामदव

सरसवती ही तलि

झन फकीर हआ जलची वह अपन तशषयो को नाम द दता और भल िाता ककसी को कोई नाम द दता

और िर वह दसर कदन उसको रलाता तो वह ककसी और नाम स रलाता लोग कहत यह भी कया रात हई

हमन तो सना ह कक रदधपरि कभी इस तरह का तवसमरण नही करत

जलची कहता लककन तिसको मन नाम कदया था कल वह अर ह कहा तम कि और ही होकर आ गए

हो तमही आत िो कल थ तो पहचान भी लता तमही रदलकर आ गए तो अर म कया कर

दसरा फकीर हआ रोकोि वह रोि सरह उठकर कहता रोकोि और कफर िद कहता यस सर िी

हा यही ह उसक तशषय पित कक यह कया मामला ह वह कहता रात सोन म भल िात ह कक कौन सोया

था सरह अगर याद न कर लो ऐसा दो-चार-दस कदन तनकल िाए अपना नाम ही भल िाए कयोकक म कोई

नाम तो नही ह

मन की इस वततत को थोड़ा रदलो अगर मरी कोई भल होगी तो उसको म भोगगा तम कयो परशान

हो मर पाप मरी भल मझ भटकाएग तम अपनी भलो को सधार लो तम अपन होश को समहाल लो और

इस तरह की वयथा की रात मत पिो

अततम परशनाः पतितल और सार रदधपरिो न कहा ह समातध परत कषणमरता कहत ह समझ समातध स

तो लगता ह समझ फतलत हो सकती ह परत समझ स समातध कस फतलत हो सकती ह कया कवल समझ स

रदधतव की तसथतत परापत की िा सकती ह ओशो इस ठीक स समझाए

शबदो का ही भद ह समझ और समातध म तिस कषणमरता समझ कहत ह उसी को पतितल समातध

कहत ह तमहारी अड़चन म समझता ह कहा ह कयोकक तम सोचत हो समझदार तो तम हो इसतलए कया

अकली समझ स समातध फतलत हो सकती ह कयोकक अगर ऐसा होता तर तो समातध फतलत हो गई होती

समझदार तम हो

ररा न मानना समझदार भी तम नही हो समातध भी तमह अभी फतलत नही हई समझ तो समातध रन

ही िाती ह समझ और समातध एक ही घटना क नाम ह

कषणमरता को परान शबदो का उपयोग करन म थोड़ी अड़चन ह अड़चन यही ह कक परान शबद परान

अथो स रहत रोतझल हो गए ह इसतलए कषणमरता नए शबदो का उपयोग करत ह लककन शबदो का तम चाह

कि भी ककतना ही नया उपयोग करो तम गलार क फल को गलार कहो या चमली कहना शर कर दो इसस

गलार का फल न रदल िाएगा तमहार चमली कहन स तम गलार क फल को न रदल दोग तम नाम रदलत

106

चल िाओ गलार का फल गलार ही रहगा आदमी न परमातमा की ककतनी परततमाए रनायी परततमाए अलग-

अलग ह परमातमा एक ह

कषणमरता ककस समझ कहत ह अगर उनकी तम पररभािा समझोग तो तम पाओग वह पररभािा वही

ह तिसको पतितल न समातध कहा ह कया ह कषणमरता की पररभािा समझ की व कहत ह समझ का अथा ह

होश पररपणा िागतत व कहत ह समझ का अथा ह तवचारो क ऊहापोह का शात हो िाना तनमाल दतषट का

आतवभााव ऐस दिना कक दिो तो िरर लककन जचतन का धआ तमहारी आिो पर न हो धए स रतहत िर

तमहारी चतना की जयोतत िलती ह तर समझ

पतितल भी यही कहता ह--तनरवाचार तनरवाकलप न कोई सोच-तवचार न कोई कलप-तवकलप मन म

वही तसथतत समातध समातध का अथा होता ह समाधान िहा सर जचतन समापत हो गया सर परशन तगर गए

उस समाधान की अवसथा म तम एक दपाण रन िात हो उस दपाण म िो ह--िो ह कषणमरता का शबद ह

परमातमा क तलए कषणमरता कहत ह--दट तवहच इि िो ह पतितल कहगा-- सतय मीरा कहगी--कषण रदध

कहग--तनवााण य उनक अपन-अपन शबद ह िो ह वह तमह उसी कषण कदिाई पड़गा िर तमहारी सर

धारणाए तगर िाएगी िर तक तम धारणा स दिोग तर तक तम वही दि लोग िो तमहारी धारणा कदिा

दगी िस ककसी न रगीन चकमा लगाकर ससार दिा तो उसी रग का कदिाई पड़न लगता ह हर धारणा का

रग ह समझ तनधाारणा ह उसका कोई रग नही समझ का अथा ह वही कदिाई पड़ िाए िो ह िसा ह वसा

ही कदिाई पड़

तो इन शबदो क रहत िाल म तम मत पड़ना तमह िो रच िाए िो भा िाए समझ भा िाए ठीक

मगर मरा खयाल ह समझ स तमह अड़चन इसीतलए होती ह कक तम सोचत हो समझदार तो हम ह समातध

को पाना ह शायद तम यह भी सोचत हो कक चकक हम समझदार ह इसीतलए तो समातध पान तनकल नासमझ

कही समातध पान की चषटा करत ह लककन म तमस कहता ह नासमझ वही ह तिसन अपन को समझदार

समझ तलया ह सभी नासमझ अपन को समझदार समझत ह तमही थोड़ ही

समझदार वही ह तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह और तिसन अपनी नासमझी पहचान ली ह

वह धीर-धीर--दो उपाय ह उसक--या तो वह शदध समझदारी क ही सतर को रड़ा करता चला िाए परतयक कतय

िागकर करन लग होश स करन लग--उठ तो होशपवाक रठ तो होशपवाक चल तो होशपवाक िो कि भी कर

उसक पीि होश साध ल और दसरा उपाय पराना उपाय ह कक अगर इतना न हो सक तो कम स कम

घड़ीभर दो घड़ी चौरीस घट म स तनकाल ल और उन दो घतड़यो को समातध क कषणो म तरताए धयान म

तरताए

घड़ीभर अगर तमन धयान म तरताया तो धीर-धीर तम पाओग उस धयान का परभाव चौरीस घतड़यो

पर फलन लगा कयोकक यह असभव ह कक तम एक घट क तलए सवसथ हो िाओ और तईस घट रीमार रहो एक

घट को भी िो सवसथ हो गया उसक सवासथय की लहर चौरीस घटो पर फल िाएगी तो परान मनीतियो न

कहा ह चौरीस घट तम आि शायद तनकाल भी न पाओ--तमस आशा भी रिनी उतनी उतचत नही ह--तम

घड़ीभर तनकाल लो ऐसा नही कक उनह पता नही कक घड़ीभर स कया होगा लककन शरआत होगी और िर

हाथ पकड़ म आ िाए तो कफर धीर-धीर पर सतय को ही पकड़ा िा सकता ह

107

कषणमरता कहत ह अलग स धयान करन की कोई िररत नही ठीक ही कहत ह तिनहोन अलग स करन

को कहा ह व भी िानत ह कक अलग स करन की कोई िररत नही लककन अभी तम चौरीस घट कर सकोग

इतनी अपकषा व नही करत

कषणमरता न तम पर जयादा भरोसा कर तलया पतितल उतना भरोसा तम पर नही करत और इसतलए

पतितल न तो तम म स कि को समातध तक पहचा कदया कषणमरता न क ररारर ककसी को पहचा पाए हो

तम पर िरा जयादा भरोसा कर तलया तम घटन स सरक-सरककर चलत थ कषणमरता न मान तलया कक तम

दौड़कर चल सकत हो

कषणमरता न िो रात कही ह अपन तहसार स कह दी तमहारी जचता नही की पतितल न िो रात कही

ह उसम तमहारी जचता ह और एक-एक कदम तमह उठान की रात ह पतितल न सीकढ़या रिी ह कषणमरता न

िलाग तम सीकढ़या चढ़न तक की तहममत नही िटा पात तम िलाग कया िाक लगाओग

और अकसर ऐसा होता ह कक िो सीकढ़यो पर चढ़न की तहममत नही िटा पात व कषणमरता म उतसक हो

िात ह कयोकक यहा तो सीकढ़या चढ़नी ही नही िलाग लगानी ह और व कभी यह सोचत ही नही कक हम

सीकढ़या चढ़न तक का साहस नही कर पा रह हम िलाग कस लगाएग लककन िलाग लगानी ह सीकढ़या

चढ़न स कया होगा इस भातत रहाना तमल िाता ह सीकढ़या चढ़न स रच िात ह और िलाग तो लगानी

ककसको ह

तितना जयादा मन तमहार भीतर झाककर दिा उतना ही पाया कक तम अपन को धोिा दन म रहत

कशल हो तमहारी सारी समझदारी वही ह कषणमरता न तम पर िररत स जयादा आसथा कर ली तम इस

योगय नही इसतलए कषणमरता िीवनभर तचललात रह और ककसी को कोई सहायता नही पहची कयोकक व वहा

स मानकर चलत ह िहा तम नही हो और िो लोग उनक आसपास इकि हए उनम अतधक लोग ऐस ह िो

कि भी नही करना चाहत उनको रहाना तमल गया उनहोन कहा करन स कही कि होगा यह तो होश की

रात ह करन स कया होगा करन स भी रच गए होश तो साधना ककसको ह

मर पास रोि ऐसी घटनाए आती ह अगर म ककसी को कहता ह कक तम शात-धयान करो तो वह कि

कदनो राद आकर कहता ह कक ऐसा शात रठन स कि नही होता और शात रठन स होगा भी कया ऐसा आि

रद करन स कही कि धयान हआ ह अगर म उनको कहता ह कक िोड़ो सककरय-धयान करो कि कदन राद व

आकर कहत ह कक ऐस नाचन-कदन-उिलन स कया होगा अर धयान तो शात होना चातहए वह आदमी--वही

आदमी--भल ही िाता ह िर सककरय का कहो तर वह शात की सोचता ह कयोकक तर शात की आड़ म सककरय

स रच िाता ह िर शात की कहो तर वह सककरय की सोचता ह सककरय की आड़ म शात स रच िाता ह तम

रचन ही चल हो कफर तमहारी मिी रदलना ह या रचना ह

कषणमरता क शबद रहमलय ह लककन रईमानो क हाथ म पड़ गए और रईमानो को रड़ी राहत तमल

गई न पिा करनी न पराथाना करनी न धयान करना तसफा समझ और समझ समझ तो ह ही तमहार पास

तर उनकी तकलीफ यह होती ह कक समझ तो हमार पास ह ही पिा करनी नही धयान करना ही नही पराथाना

करनी नही समातध नही आ रही ह

समझ भी तमहार पास नही ह

म तमस कहता ह कषणमरता की समझ पतितल की समातध स जयादा करठन ह कयोकक पतितल न

टकड़-टकड़ करक सीकढ़या रना दी ह लर रासत को िोट-िोट िडो म तोड़ कदया ह

108

रदध एक िगल स गिरत थ राह भटक गए थ अर तम कहोग कक रदधपरि और राह भटक िात ह

रदधपरि अगर राह भटक ही न सकत हो तो मदाा राह भटक गए िहा पहचना था न पहच पाए दर होन

लगी तो आनद न राहगीर स पिा कक गाव ककतनी दर ह उस राहगीर न कहा रस दो कोस चल पड़ दो

कोस पर हो गए लककन गाव का कोई पता नही कफर ककसी राहगीर को पिा उसन कहा रस दो कोस

आनद न कहा य लोग कस ह इनका कोस ककतना रड़ा दो कोस हम पार हो गए पहला आदमी धोिा द

गया मालम होता ह या उस पता नही था िवार दन क मि म िवार द गया कयोकक गर होन का िर मौका

तमल तो कोई िोड़ता नही तमह पता भी न हो कक ककतनी दर ह कह कदया अर कम स कम कहन स पता तो

चला कक पता ह

कफर रदध मसकरात रह दो कोस कफर पर हो गए अर भी गाव का कोई पता नही आनद न कहा य इस

गाव क आदमी सभी झठ मालम होत ह कफर ककसी को पिा उसन कहा कक रस दो कोस तर तो आनद गसस

म आ गया उसन कहा हदद हो गई िो दिो वही दो कोस कहता ह दो कोस का मतलर ककतना होता ह

रदध न कहा नाराि न होओ इस गाव क लोग रड़ करणावान ह चार कोस तो चला कदया उनहोन

अगर पहला आदमी कहता दस कोस आठ कोस शायद हम थककर ही रठ िात कक अर कहा िाना अर नही

चलना हो सकता दो कोस क भरोस पर चल तलए दो कोस पार हो गया कफर दो कोस क भरोस पर चल

तलए वह भी पार हो गया अर इसकी मान लो ऐसा लगता ह कक अर दो ही कोस ह िह कोस रहा होगा

शर म

िर व पहच गए दो कोस क राद तो आनद न रदध स कषमा मागी कक मझ कषमा कर द म तो समझा कहा

क झठ रईमान दषट लोग ह कक कम स कम रासता तक सही नही रता सकत लककन रदध न कहा करणावान

पतितल जयादा करणावान ह कषणमरता कठोर ह कषणमरता उतना ही रता दत ह तितना ह व कहत ह

हिार कोस तम रठ गए तमन कहा अर दिग पतितल कहत ह रस दो कोस ह िरा चल लो पहच

िाओग पतितल को भी पता ह हिार कोस ह लककन तमहारी तहममत हिार कोस चलन की एक साथ हो नही

सकती तमस उतना ही कहना उतचत ह तितना तम चल सको पतितल मतिल को दिकर नही कहत तमको

दिकर कहत ह कक तमहार परो की तहममत ककतनी साहस ककतना सामथया ककतनी दो कोस दि लत ह कक

दो कोस यह आदमी चल सकता ह अगर दो कोस चल सकता ह तो ढाई कोस रता दो दो कोस क सहार आधा

कोस और भी चल िाएगा कफर रता दग ढाई कोस िलदी कया ह और धीर-धीर पहचा दग

पतितल आतहसता-आतहसता करमरदध तोड़त ह इसतलए पतितल का परा योगशासतर रड़ी करतमक सीकढ़या

ह एक-एक कदम एक-एक कदम पतितल हिारो को ल गए कषणमरता नही ल िा सक

और कि ऐसा नही ह कक कषणमरता न यह रात पहली दफ कही ह कषणमरता िस जचतन क लोग पहल

भी हए ह उनहोन भी इतनी ही रात कही ह यही रात कही ह व भी ककसी को नही पहचा सक

कषणमरता की जयादा इचिा यह ह कक तमस सच कहा िाए सतय की रड़ी परामातणकता ह व कहत ह

हिार कोस ह तो हिार ही कोस कहना ह एक कोस भी कम करक हम कयो कह झठ कयो रोल कषणमरता

कहत ह कही झठ रोलन स ककसी को सतय तक पहचाया िा सकता ह

109

म तमस कहता ह हा पहचाया िा सकता ह पहचाया गया ह पहचाया िाता रहगा और तम अनगरह

मानना उनका तिनहोन तमहार कारण झठ तक रोलन की वयवसथा की ह िो तमहारी विह स झठ तक रोलन

को रािी हो गए

सतय को कह दना रहत करठन नही ह अगर तमहारी जचता न की िाए तो सतय को कह दन म कया

करठनाई ह िसा ह वसा कह कदया रात ितम अगर तमहारी जचता की िाए तो वसा कहना होगा िहा स

तमह िीचना ह तम एक गहर गता म पड़ हो तमहार अधकार म रोशनी पहचती ही नही तमस रोशनी की

रात भी कया करनी तमह तो धीर-धीर शनाः-शनाः अधर क राहर लाना ह तमस कि कहना िररी ह तिसका

तमस आि तालमल रठ िाए कल की कल दि लग

पर य दो दतषटकोण ह तिसको िो िम िाए तिसको िो रम िाए एक रात भर खयाल रिना न तो

पतितल की समातध का तमह अभी पता ह न कषणमरता की समझ का व दोनो एक ही चीि क दो नाम ह और

तम यह िान लना कक तम नासमझ हो और समातधशनय हो इस िानकर ही अगर तम चलोग तो तिसको रदध

न कहा ह तशषय तम तशषय हो गए

और िीवन को व ही िीत लत ह िो सीिन म समथा ह और धमा का फलो स भरा पथ उनही को

उपलबध हो िाता ह तिनक िीवन म तशषयतव की सभावना तशषयतव का सरोत िल गया

आि इतना ही

110

एस धममो सनतनो भाग 2

सतरहवा परवचन

पराथाना सवय मतिल

न परस तवलोमातन न परस कताकत

अततनो व अवकियय कतातन अकतातन च 44

यथातप रतचर पपफ वणणवत अगधक

एव सभातिता वाचा अफला होतत अकबरतो 45

यथातप रतचर पपफ वणणवत सगधक

एव सभातिता वाचा सफला होतत कबरतो 46

यथातप पपफरातसमहा कतयरा मालागण रह

एव िातन मचचन कततबर कसल रह 47

न पपफगधो परटवातमतत न चदन तगर मतललका वा

सतच गधो परटवातमतत सबरा कदसा सपपररसो पवातत 48

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध न िगत को एक धमा कदया मनषय को एक कदशा दी िहा पराथाना परमातमा स रड़ी ह िहा मनषय

का हदय--पिा-अचाना स भरा--परमातमा स रड़ा ह

असली सवाल इसका नही ह कक परमातमा हो असली सवाल इसका ह कक मनषय का हदय पराथाना स

भरा हो पराथाना म ही तमल िाएगा वह तिसकी तलाश ह और पराथाना मनषय का सवभाव कस हो िाए

परमातमा हआ और कफर तमन पराथाना की तो पराथाना की ही नही ररशवत हो गई परमातमा हआ और

तम झक तो तम झक ही नही कोई झकान वाला हआ तर झक तो तम नही झक झकान वाल की सामथया

रही होगी शति रही होगी लककन कोई परमातमा न हो और तम झक तो झकना तमहारा सवभाव हो गया

रदध न धमा को परमातमा स मि कर कदया और धमा स परमातमा का सरध न रह िाए तो धमा अपन

ऊच स ऊच तशिर को पाता ह इसतलए नही कक परमातमा नही ह रतलक इसतलए कक परमातमा क तरना

झकना आ िाए तो झकना आ गया

इस थोड़ा समझन की कफकर करो

तम िात हो और झकत हो झकन क पहल पित हो परमातमा ह अगर ह तो झकोग परमातमा क

सामन झकत हो तो इसीतलए कक कि लाभ कि लोभ कि भय कि भतवषय की आकाकषा--कोई महतवाकाकषा

काम कर रही ह परमातमा कि द सकता ह इसतलए झकत हो लककन झकना तमहारी कफतरत नही तमहारा

111

सवभाव नही रमन स झकत हो अगर परमातमा कि न द सकता हो तो तम झकोग अगर झकन म और

परमातमा तमस िीन लता हो तो तम झकोग झकन म हातन हो िाती हो तो तम झकोग झकना सवाथा ह

सवाथा स िो झका वह कसा झका वह तो सौदा हआ वयवसाय हआ

ऐस तो तम ससार म भी झकत हो तिनक हाथ म ताकत ह उनक चरणो म झकत हो तिनक पास धन

ह पद ह उनक चरणो म झकत हो तो तमहारा परमातमा शति का ही तवसतार हआ धन और पद का ही

तवसतार हआ इसीतलए तो लोगो न परमातमा को ईशवर का नाम कदया ह ईशवर यानी ऐशवया ऐशवया क सामन

झकत हो ईशवर को परमपद कहा ह उसस ऊपर कोई पद नही पद क सामन झकत हो तो यह रािनीतत हई

धमा न हआ और इसक पीि लोभ होगा भय होगा पराथाना कहा

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

और धयान रिना िो ककसी मतलर स झकगा उसका तसर झकगा कदल नही कयोकक कदल तहसार

िानता नही उसकी िोपड़ी झकगी हदय नही कयोकक हदय तो तरना तहसार झकता ह हदय तो कभी उनक

सामन झक िाता ह तिनक पास न कोई शति थी न कोई पद था न कोई ऐशवया था हदय तो कभी तभिाररयो

क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता तभिाररयो क सामन वह सदा समराटो क सामन झकता ह हदय

तो कभी फलो क सामन झक िाता ह कोई शति नही कोई सामथया नही कषणभर ह कफर तवदा हो िाएग

हदय तो कमिोर क सामन और नािक क सामन भी झक िाता ह तसर नही झकता

तसर ह मनषय का अहकार हदय यानी मनषय का परम

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

कदल ककसी क कदमो पर हो काफी ह सर न झका चल िाएगा झक गया ठीक कदल क पीि चला

ठीक कदल की िाया रना ठीक कदल का साथ रहा ठीक न झका चल िाएगा कयोकक तसर क झकन स कि

भी सरध नही ह तम झकन चातहए तमहारा वास हदय म ह--िहा तमहारा परम ह वहा तसर झकता ह भय स

हदय झकता ह परम स परम और भय का तमलन कही भी नही होता

इसतलए अगर तम भगवान क सामन झक हो कक भय था डर थ तो तसर ही झकगा और अगर तम

इसतलए झक हो कक परम का पर आया राढ़ आई--कया करोग इस राढ़ का कही तो इस रहाना होगा कही तो

उलीचना होगा कल-ककनार तोड़कर तमहारी इरादत रहन लगी तमहारी पराथाना की राढ़ आ गई--तर तमहारा

हदय झकता ह

कदल ह कदमो पर ककसी क सर झका हो या न हो

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

और कफर कौन कफकर करता ह कक परमातमा ह या नही रदगी अपनी कफतरत ह कफर तो सवभाव ह

पराथाना रहत करठन ह यह रात समझनी परम सवभाव होना चातहए परमपातर की रात ही मत पिो तम कहत

हो िर परमपातर होगा तर हम परम करग अगर तमहार भीतर परम ही नही तो परमपातर क होन पर भी तम कस

परम करोग िो तमहार भीतर नही ह वह परमपातर की मौिदगी पदा न कर पाएगी और िो तमहार भीतर ह

परमपातर न भी हो तो भी तम उस गवाओग कहा िोओग कहा

इस ऐसा समझो िो कहता ह परमातमा हो तो हम पराथाना करग वह आतसतक नही नातसतक ह िो

कहता ह परम ह हम तो परम करग वह आतसतक ह वह िहा उसकी निर पड़गी वहा हिार परमातमा पदा हो

िाएग परम स भरी हई आि िहा पड़गी वही मकदर तनरमात हो िाएग िहा परम स भरा हआ हदय धड़कगा

112

वही एक और नया कारा रन िाएगा एक नई काशी पदा होगी कयोकक िहा परम ह वहा परमातमा परगट हो

िाता ह

परम भरी आि कण-कण म परमातमा को दि लती ह और तम कहत हो पहल परमातमा हो तर हम परम

करग तो तमहारा परम िशामद होगी तमहारा परम परम न होगा तसर का झकना होगा--हदय का रहना नही

असली सवाल परमपातर का नही ह असली सवाल परमपणा हदय का ह रदध न इस रात पर रड़ा अदभत

िोर कदया इसतलए रदध न परमातमा की रात नही की और तितन लोगो को परमातमा का दशान कराया

उतना ककसी दसर वयति न कभी नही कराया ईशवर को चचाा क राहर िोड़ कदया और लािो लोगो को

ईशवरतव कदया भगवान की रात ही न की और ससार म भगवतता की राढ़ ला दी इसतलए रदध िसा अदभत

परि मनषय क इततहास म कभी हआ नही रात ही न उठाई परमातमा की और न मालम ककतन हदयो को

झका कदया

और धयान रिना रदध क साथ तसर को झकन का तो सवाल ही न रहा न कोई भय का कारण ह न

कोई परमातमा ह न डरन की कोई विह ह न परमातमा स पान का कोई लोभ ह मौि स झकना ह आनद स

झकना ह अपन ही अहोभाव स झकना ह अनगरह स झकना ह

िर वकष लद िाता ह फलो स तो झक िाता ह इसतलए नही कक फलो को तोड़न वाल पास आ रह ह

अपन भीतरी कारण स झक िाता ह फल को िान वाल पास आ रह ह इसतलए नही झकता अपन भीतर क

ही अपवा रोझ स झक िाता ह भि भगवान क कारण नही झकता अपन भीतर हदय क रोझ क कारण झक

िाता ह फल पक गए शािाए झकन लगी

रदगी तो अपनी कफतरत ह िदा हो या न हो

रदध का िोर पराथाना पर ह परमातमा पर नही और परमातमा को काट दन स रीच म न लन स रदध

का धमा रहत वजञातनक हो गया तर शदध आतररक करातत की रात रह गई य सतर आतररक करातत क सतर ह

समझन की कोतशश करो

दसरो क दोि पर धयान न द दसरो क कतय-अकतय को नही दि कवल अपन कतय-अकतय का

अवलोकन कर

तिसकी निर परमातमा पर ह उसकी निर दसर पर ह तिसन परमातमा को राहर दिा वह शतान को

भी राहर दिगा इस थोड़ा समझना थोड़ा रारीक ह पकड़ोग तो रहत काम आ िाएगा सतर अगर तमन

परमातमा को राहर दिा तो शतान को कहा दिोग उस भी तम राहर दिोग तमहार राहर दिन का ढग हर

चीि को राहर दिगा तर तमहारी निर दसरो क आचरण म अटकी रहगी

इसतलए तथाकतथत धारमाक आदमी सदा दसरो क कतय-अकतय का तवचार करत रहत ह दसर की

आलोचना म लीन रहत ह कौन न ररा ककया ककसन भला ककया कौन मकदर गया कौन नही गया दसरा ही

उनक जचतन म परभावी रहता ह इसतलए धारमाक तिनको तम कहत हो उनह अपन को िोड़कर सार िगत की

कफकर रनी रहती ह--कौन पाप कर रहा ह कौन पणय कर रहा ह कौन नका िाएगा कौन सवगा िाएगा

रदध कहत ह तम तसफा अपनी ही जचता करना तमहार ऊपर तमहार अततररि और ककसी का दातयतव

नही ह अगर तम उततरदायी हो तो तसफा अपन तलए अगर अतसततव तमस पिगा तो तसफा तमहार तलए तमह

िो िीवन का अवसर तमला ह उस अवसर म तमन कया कमाया कया गवाया तमह िो िीवन क कषण तमल

उनह तमन िाली ही फक कदया या िीवन क अमरस स भर तलया तमहार िो कदम पड़ िीवन की राह पर व

113

मतिल की तरफ पड़ या मतिल स दर गए तमस और कि भी नही पिा िा सकता तम ककसी और क तलए

तिममवार भी नही हो अपनी ही तिममवारी पयाापत ह

दसरो क दोि पर धयान न द

और धयान रिना िो दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोिो क परतत अधा हो िाता ह धयान

तम या तो अपन दोिो की तरफ द सकत हो या दसरो क दोिो की तरफ द सकत हो दोनो एक साथ न

चलगा कयोकक तिसकी निर दसरो क दोि दिन लगती ह वह अपनी ही निर की ओट म पड़ िाता ह िर

तम दसर पर धयान दत हो तो तम अपन को भल िात हो तम िाया म पड़ िात हो

और एक समझ लन की रात ह कक िर तम दसरो क दोि दिोग तो दसरो क दोि को रड़ा करक दिन

की मन की आकाकषा होती ह इसस जयादा रस और कि भी नही तमलता कक दसर तमस जयादा पापी ह तमस

जयादा रर ह तमस जयादा अधकारपणा ह इसस अहकार को रड़ी ततपत तमलती ह कक म तरलकल ठीक ह दसर

गलत ह तरना ठीक हए अगर तम ठीक होन का मिा लना चाहत हो तो दसरो क दोि तगनना और िर तम

दसरो क दोि तगनोग तो तम सवभावताः उनह रड़ा करक तगनोग तम एक यतर रन िात हो तिसस हर चीि

दसर की रड़ी होकर कदिाई पड़न लगती ह

और िो दसर क दोि रड़ करक दिता ह वह अपन दोि या तो िोट करक दिता ह या दिता ही नही

अगर तमस कोई भल होती ह तो तम कहत हो मिररी थी वही भल दसर स होती ह तो तम कहत हो पाप

अगर तम भि थ और तमन चोरी कर ली तो तम कहत हो म करता कया भि रड़ी थी लककन दसरा अगर

भि म चोरी कर लता ह तो चोरी ह तो भि का तमह समरण भी नही आता

िो तम करत हो उसक तलए तम तका िोि लत हो िो दसरा करता ह उसक तलए तम कभी कोई तका

नही िोित तो धीर-धीर दसर क दोि तो रड़ होकर कदिाई पड़न लगत ह और तमहार दोि उनकी तलना म

िोट होन लगत ह एक ऐसी घड़ी आती ह दभाागय की िर दसर क दोि तो आकाश िन लगत ह--गगनचरी हो

िात ह--तमहार दोि ततरोतहत हो िात ह तम तरना अचि हए अचि होन का मिा लन लगत हो यही तो

तथाकतथत धारमाक की दभाागय की अवसथा ह

तिसन दसरो क पाप दि वह अपन पणय तगनता ह चोरी तम हिार रपए की करो तो तम भला दत

हो दान तम एक पस का दो तो तम याद रित हो एक पस का दान भी रहत रड़ा मालम पड़ता ह हिार

रपए की चोरी भी िोटी मालम पड़ती ह शायद हिार रपए की चोरी करक तम एक पस का दान दकर

उसका तनपटारा कर लना चाहत हो

थोड़ा सोचो धारमाक लोगो न कसी-कसी तरकीर तनकाली ह पाप करत ह गगा म सनान कर आत ह

अर गगा म सनान करन का और पाप क तमटन स कया सरध हो सकता ह दर का भी कोई सरध नही हो

सकता गगा का कसर कया ह पाप तमन ककया और ऐस अगर गगा धो-धोकर सरक पाप लती रही तो गगा

क तलए तो नका म भी िगह न तमलगी इतन पाप इकि हो गए होग और अगर इतना ही आसान हो--पाप तम

करो गगा म डरकी लगा आओ और पाप हल हो िाए--तर तो पाप करन म रराई ही कहा रही तसफा गगा

तक आन-िान का शरम ह तो िो गगा क ककनार ही रह रह ह उनका तो कफर कहना ही कया

तमन तीथा रना तलए तमन िोट-िोट पणय की तरकीर रना ली ताकक रड़-रड़ पापो को तम झठला

दो भला दो िोटा-मोटा अचिा काम कर लत हो असपताल को दान द दत हो--दान उसी चोरी म स दत हो

114

तिसका परायतितत कर रह हो--लाि की चोरी करत हो दस रपया दान दत हो लककन लाि की चोरी को दस

रपए क दान म ढाक लना चाहत हो तम ककस धोिा द रह हो

या इतना भी नही करता कोई रोि सरह रठकर पाच-दस तमनट माला िप लता ह माला क गररए

सरका लता ह सोचता ह हल हो गया या राम-राम िप लता ह या रामनाम िपी चदररया ओढ़ लता ह

सोचता ह मामला हल हो गया िस राम पर कि एहसान हो गया अर राम समझ चदररया ओढ़ी थी कहन

को अपन पास रात हो गई मकदर गए थ तहसार रि तलया ह

िीवन अधर स भरा रह और परकाश की जयोतत भी नही िलती तसफा अधरी दीवालो पर तम परकाश

शबद तलि दत हो या दीए क तचतर टाग दत हो पयास लगी हो तो पानी शबद स नही रझती अधरा हो तो

दीए शबद स नही तमटता

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

तम अगर तसफा तसवीर का अवलोकन करत रहो--

मिर-तसवीर दद-कदल तमटा सकता नही

तो तमहार कदल की पीड़ा न तमटगी तसवीरो क दिन स परमी की तसवीर तलए रठ रहो इसस कही कोई

परमी तमला ह

आईना पानी तो रिता ह तपला सकता नही

आईन म कसी पानी की झलक ह पर उसस तमहारी पयास न रझगी शासतर शबद द सकत ह सतय नही

अधर की दीवालो पर रनाई गई दीए की तसवीर धोिा द सकती ह रोशनी नही

और िो वयति दसरो क दोि पर धयान दता ह वह अपन दोि पर तो धयान दता नही िो िोट-मोट

तिनको तम पणय कहत हो तिनको पणय कहना कफिल ही ह तिनको पणय कवल नासमझ कह सकत ह िो

तमहार पाप क ही सिावटो स जयादा नही ह पाप का हीशगार ह िो पाप क ही माथ पर लगी जरदी ह पाप

क ही हाथो म पड़ी चड़ी ह पाप क ही परो म रध घघर ह उनह तम पणय कहत हो उनका तहसार रित हो

रदध न कहा िोड़ो यह रात दसरो क दोि पर धयान न दो उसस तमहारा कोई परयोिन नही ह

तमहारा परयोिन कवल तमस ह दसरो क कतय-अकतय मत दिो कवल अपन कतय-अकतय का अवलोकन करो

तसफा अपना ही आबिवशन अवलोकन

यह शबद समझ लन िसा ह--अवलोकन अवलोकन रदध की परककरया ह िीवन क अधकार स मि होन क

तलए रदध यह नही कहत ह कक तम अपन पाप को दिो और दिी होओ पिातताप करो कक म पापी ह और न

रदध कहत ह तम अपन पणय को दिो और रड़ फल न समाओ और उिलकर चलो कक म रड़ा पणयातमा ह रदध

कहत ह तम अवलोकन करो

अवलोकन का अथा होता ह तटसथ दशान तरना ककसी तनणाय क न यह कहना कक ठीक न यह कहना कक

ररा न भला न पाप न पणय तम कोई तनणाय मत लना तम कोई मलयाकन मत करना तम तसफा दिना

िस कोई आदमी रासत क ककनार िड़ा हो िाए भीड़ चलती ह दिता ह अचि लोग तनकलत ह रर लोग

तनकलत ह उस कि परयोिन नही साध तनकलत ह असाध तनकलत ह परयोिन नही या िस कोई लट गया ह

घास पर कषण भर आकाश म चलत रादलो को दिता ह उनक रप-रग अलग-अलग काल रादल ह शभ

रादल ह कोई तहसार नही रिता चपचाप दिता रहता ह

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अवलोकन का अथा ह एक वजञातनक दतषट तटसथ-भाव मातर दिन पर धयान रिो िोर दिन पर ह िो

तम दि रह हो उसक तनणाय करन पर नही कक वह ठीक ह या गलत तम नयायाधीश मत रनो तम तराि

लकर तौलन मत लगो तम मातर िषटा रहो तिसको उपतनिद साकषी कहत ह उसी को रदध अवलोकन कहत ह

रस दिो िस अपना कि लना-दना नही एक तटसथ-भाव एक फासल पर िड़ हए चपचाप और एक

अदभत करातत घटती ह तितन तम तटसथ होत िात हो उतना ही तमह पता चलता ह कक तम अपन कतयो स

अलग हो पाप स भी अलग पणय स भी अलग और यह िो अलगपन ह इसी का नाम मति ह मोकष ह

िो पाप क साथ अपन को एक समझता ह वह भातत म ह िो पणय क साथ अपन को एक समझता ह

वह भी भातत म ह उसन कतय क साथ अपन को एक समझ तलया उसन अपन को कताा समझ तलया

अवलोकन करन वाला इस नतीि पर आता ह कक म कवल िषटा ह कताा नही कफर पाप और पणय दोनो

ही तमट िात ह िस सवपन म ककए हो कभी िस ककसी उपनयास म पढ़ हो कभी िस कभी अफवाह सनी हो

सवय स उनका कोई सरध नही रह िाता यही शदध रदधतव ह कभी-कभी तमह भी अचानक कषणभर को इसकी

झलक तमल िाएगी और कषणभर को भी तरिली कौध िाए तो जिदगी कफर वही नही होती िो पहल थी

अवलोकन करो

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

दसरो क सरध म सोचत-तवचारत रािार म भटकत ससार की लरी पररकरमा करत अपन तक आए

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

अनयथा िरा गदान झकान की रात थी अवलोकन स तम सीध सवय म पहच िाओग हा दसर क कतय-

अकतय का तवचार करत रह तो रड़ी पररकरमा ह अनत पररकरमा ह अनत िनमो तक भी तम यह तवचार

चकता न कर पाओग ककतन ह दसर ककस-ककस का तहसार करोग ककस-ककस क तलए रोओग हसोग

ककसकी परशसा ककसकी जनदा करोग अगर ऐस तम चल पड़

मन सना ह कक एक आदमी भागा िा रहा था राह क पास रठ आदमी स उसन पिा कक भाई कदलली

ककतनी दर ह उस आदमी न कहा तिस तरफ तम िा रह हो रहत दर कयोकक कदलली तम आठ मील पीि

िोड़ आए हो अगर इसी रासत स िान की तिदद हो तो सारी पथवी की पररकरमा करक िर आओग--अगर रच

गए--तो कदलली पहच िाओग अगर लौटन की तयारी हो तो जयादा दर नही ह

तम िमान की राह स आए

वरना सीधा था रासता कदल का

कदलली तरलकल पीि ह आठ मील का फासला भी नही ह अवलोकन की रात ह तनरीकषण की रात ह

िागतत की रात ह अपरमाद की रात ह िरा होश साधना

पहली रात दसरो का तवचार मत करो अपना ही तवचार करन योगय काफी ह आि रद करो अपन ही

कतयो को दिो और अपन कतयो क भी तनणाायक मत रनो अनयथा अवलोकन समापत हो गया तम आसि हो

गए तमन कहा यह ठीक ह तो परीतत रनी तमन कहा यह ठीक नही तो अपरीतत रनी ककसी कतय स घणा हई

ककसी कतय स परम हआ आसति-अनासति राग-दवि पदा हआ तो कतय तो दर रह राग-दवि क भाविाल म

तम िो गए रस कतय को दित रहो

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अगर घड़ीभर भी तम रोि कतय का अवलोकन करत रहो तो तमह ऐसा ही अनभव होगा िसा आतमा न

सनान कर तलया कदनभर उसकी तािगी रहगी और कदनभर रह-रहकर लहर आती रहगी आनद की रह-

रहकर रह-रहकर झोक आ िाएग पलक आ िाएगी एक मसती िा िाएगी तम झम-झम उठोग ककसी

भीतरी रस स और यह िो भीतरी रस ह यह रतदध का नही ह हदय का ह

िर तम सोचत हो और तनणाय करत हो रतदध सककरय हो िाती ह िर तम मातर दित हो तर हदय का

फल तिलता ह िस ही तमन तनणाय लना शर ककया रतदध रीच म आई कयोकक तनणाय तवचार का काम ह

िस ही तमन तौला तराि आया तराि रतदध का परतीक ह तमन नही तौला रस दित रह तो रतदध को रीच

म आन की कोई िररत ही न रही मातर दिन की अवसथा म साकषीभाव म रतदध हट िाती ह और िीवन क

िो गहर रहसय ह उनह हदय िानता ह

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

और हदय न कोई राि परम का परमातमा का रतदध को कभी रताया नही

अकल को कयो रताए इकक का राि

गर को रािदा नही करत

पराए को कही कोई भद की रात रताता ह रतदध पराई ह उधार ह हदय तमहारा ह

इस थोड़ा समझो िर तम पदा हए तो हदय लकर पदा होत हो रतदध समाि दता ह ससकार दत ह

तशकषा दती ह घर पररवार सभयता दती ह तो जहद क पास एक तरह की रतदध होती ह मसलमान क पास

दसर तरह की रतदध होती ह िन क पास तीसर तरह की रतदध होती ह कयोकक तीनो क ससकार अलग शासतर

अलग तसदधात अलग लककन तीनो क पास कदल एक ही होता ह कदल परमातमा का ह रतदधया समािो की ह

रस म कोई पदा होता ह तो उसक पास कमयतनसट-रतदध होगी ईसाई घर म कोई पदा होता ह तो

उसक पास ईसाई-रतदध होगी रतदध तो धल ह राहर स इकिी की हई िस हदय क दपाण पर धल िम िाए

दपाण तो तम लकर आत हो धल तमह तमलती ह

इस धल को झाड़ दना िररी ह समसत धमा की गहनतम परककरया धल को झाड़न की परककरया ह कक दपाण

कफर सवचि हो िाए तम कफर स रालक हो िाओ तम कफर हदय म िीन लगो तम कफर वहा स दिन लगो

िहा स तमन पहली रार दिा था िर तमन आि िोली थी तर रीच म कोई रतदध न िड़ी थी तर तमन

तसफा दिा था वह था अवलोकन

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

दसरा सतर िस कोई सदर फल रग-तररगा ह रहत वणायि ह लककन कफर भी गधशनय ऐसा ही

पातडतय ह रग रहत ह उसम सगध तरलकल नही िीवन म सगध तो आती ह आचरण स तम िो िानत हो

उसस िीवन म सगध नही आती वह तो मौसमी फल ह दर स लभावना लग सकता ह पास आन पर तम उस

कागिी पाओग आदमी भला धोि म आ िाए मधमतकिया धोि म नही आती ततततलया धोि म नही

आती भौर धोि म नही आत भौर धोि म नही आत तम परमातमा को कस धोिा द सकोग ततततलया धोि

म नही आती मधमतकिया धोि म नही आती तम परमातमा को कस धोिा द सकोग

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समराट सोलोमन क िीवन म कथा ह एक रानी उसक परम म थी और वह उसकी परीकषा करना चाहती

थी कक सच म वह इतना रतदधमान ह तितना लोग कहत ह अगर ह तो ही उसस तववाह करना ह तो वह

आई उसन कई परीकषाए ली व परीकषाए रड़ी महतवपणा ह

उसम एक परीकषा यह भी थी--वह आई एक कदन राि दररार म दर िड़ी हो गई हाथ म वह दो

गलदसत फलो क गलदसत लाई थी और उसन सोलोमन स कहा दर स कक इनम कौन स असली फल ह रता

दो रड़ा मतककल था फासला काफी था वह उस िोर पर िड़ी थी राि दररार क फल तरलकल एक िस लग

रह थ

सोलोमन न अपन दरराररयो को कहा कक सारी तिड़ककया और दवार िोल दो तिड़ककया और दवार िोल

कदए गए न तो दररारी समझ और न वह रानी समझी कक दवार-दरवाि िोलन स कया सरध ह रानी न सोचा

कक शायद रोशनी कम ह इसतलए रोशनी की कफकर कर रहा ह कोई हिाा नही लककन सोलोमन कि और

कफकर कर रहा था िलदी ही उसन रता कदया कक कौन स असली फल ह कौन स नकली कयोकक एक

मधमकिी भीतर आ गई रगीच स और वह िो असली फल थ उन पर िाकर रठ गई न दरराररयो को पता

चला न उस रानी को पता चला

वह कहन लगी कस आपन पहचाना सोलोमन न कहा तम मझ धोिा द सकती हो लककन एक

मधमकिी को नही

मधमकिी को धोिा दना मतककल ह परमातमा को कस दोग

रदध कहत ह िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क

तलए सभातित वाणी तनषफल होती ह

तमह िीवन क सतयो का पता सोचन स न लगगा उन सतयो को िीन स लगगा िीओग तो ही पता

चलगा िो ठीक लग उस दर मत करना उस कल क तलए सथतगत मत करना िो ठीक लग उसम आि ही

डरकी लगाना अगर तमह अवलोकन की रात ठीक लग िाए तो सोचत मत रहना कक कल करग ऐस तमहार

िीवन म कभी सगध न आएगी ऐस यह हो सकता ह कक अवलोकन क सरध म तम रात करन म कशल हो

िाओ और धयान क सरध म तम शासतरकार रन िाओ लककन तमहार िीवन म सगध न आएगी

पराथाना क सरध म िान लना पराथाना को िानना नही ह पराथाना को तो वही िानता ह िो करता ह

पराथाना को तो वही िानता ह िो डरता ह पराथाना को तो वही िानता ह िो पराथाना म तमट िाता ह िर

पराथाना तमहारा अतसततव रनती ह

आचरण का अथा ह तमहारा जञान तमहारा अतसततव हो तम िो िानत हो वह तसफा ऊपर स तचपकी हई

रात न रह िाए उसकी िड़ तमहार िीवन म फल तमहार भीतर स वह रात उठ वह तमहारी अपनी हो

ऊपर स इकिा जञान ऐसा ह िस तमन भोिन तो रहत कर तलया हो लककन पचा न सक उसस तम रीमार

पड़ोग उसस शरीर रगण होगा पचा हआ भोिन िीवन दता ह ऊिाा दता ह अनपचा भोिन िीवन को नषट

करन लगता ह भि भी रच सकत ह लोग जयादा दर तक जयादा भोिन स िलदी मर िात ह रोझ हो िाता

ह परी वयवसथा पर और जञान का तो भारी रोझ ह

तमहारा चतनय अगर दर गया ह तो तमहार जञान क रोझ स तम िानत जयादा हो िीए कम हो एक

असतलन हो गया ह रदध कहत ह थोड़ा िानो लककन उस िीन म रदलत िाओ थोड़ा भोिन करो लककन

ठीक स चराओ ठीक स पचाओ रि मास-मजजा रन िाए

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होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

अकल क रदल तिस कदन कदल की जयोतत िलाकर दिग

होश क रद समझग कया गफलत ह कया होतशयारी

कवल व ही समझ पाएग िो रतदध स गहर उतरकर हदय का दीया िलाएग हदय क दीए स अथा ह िो

िानत ह उस िीवन रना लग िो समझा ह वह समझ ही न होगी समातध रन िाएगी िो सना ह वह सना

ही नही पी तलया ह

िस कोई सदर फल वणायि होकर भी तनगध होता ह वस ही आचरण न करन वाल क तलए सभातित

वाणी तनषफल होती ह

थोड़ा िानो िीओ जयादा और तम पहच िाओग जयादा तमन िाना और िीया कि भी नही तो तम

न पहच पाओग तर तम दसरो की गायो का ही तहसार रित रहोग तमहारी अपनी कोई गाय नही तम गायो

क रिवाल ही रह िाओग मातलक न हो पाओग

पतडत मत रनना पापी भी पहच िात ह पतडत नही पहचत कयोकक पापी भी आि नही कल िग

िाएगा दि िगाता ह पतडत एक सि का सपना दि रहा ह कक िानता ह तरना िान

शासतर स रचना शासतर ििीर हो सकता ह सभातित सदर वचन िहर हो सकत ह तिस चीि को भी

तम िीवन म रपातररत न कर लोग वही िहर हो िाएगी तमहारी िीवन की वयवसथा म िो भी चीि पड़ी

रह िाएगी तरना रपातररत हए तरना लह-मास-मजजा रन वही तमहार िीवन म िहर का काम करन लगगी

पतडत का अतसततव तविाि हो िाता ह

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

तो धयान इस पर हो कक मरा आचरण कया ह मरा होन का ढग कया ह मर िीवन की शली कया ह

परमातमा को मानो या न मानो अगर तमहारा आचरण ऐसा ह--घर लौटन वाल का ससार की तरफ िान वाल

का नही परतयाहार करन वाल का अपनी चतना क क ि की तरफ आन वाल का अगर तमहारा आचरण ऐसा ह-

-वयथा का कड़ा-करकट इकिा करन वाल का नही तसफा हीर ही चनन वाल का अगर तमहारा आचरण हस िसा

ह कक मोती चन लता ह कक दध और पानी म दध पी लता ह पानी िोड़ दता ह

हमन जञातनयो को परमहस कहा ह तमन कभी समझा कयो दो कारणो स एक तो हस सार को असार

स अलग कर लता ह और दसरा हस सभी कदशाओ म गततवान ह वह िल म तर सकता ह िमीन पर चल

सकता ह आकाश म उड़ सकता ह उसक सवातषय पर कही कोई सीमा नही ह िमीन हो तो चल लता ह

सागर हो तो तर लता ह आकाश हो तो उड़ लता ह तीनो आयामो म तीनो डायमशनस म उसक तलए कही

कोई रकावट नही ह तिस कदन तम सार और असार को पहचानन लगोग उस कदन तमहारा सवातषय भी इतना

ही अपररसीम हो िाएगा िसा हस का इसतलए हमन जञातनयो को परमहस कहा ह

न िानन स ही रध हो िमीन पर ही ठीक स रहना नही आता पानी पर चलन की तो रात अलग

आकाश म उड़ना तो रहत दर शरीर म ही ठीक स रहना नही आता मन की तो रात अलग आतमा की तो रात

रहत दर

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शरीर यानी िमीन मन यानी िल आतमा यानी आकाश इसतलए मन िल की तरह तरगातयत शरीर

तथर ह पथवी की तरह सततर साल तक डटा रहता ह तगर िाता ह उसी पथवी म तिसस रनता ह मन तरलकल

पानी की तरह ह पार की तरह कहो तितर-तितर िाता ह आतमा आकाश की तरह तनमाल ह ककतन ही

रादल तघर कोई रादल धए की एक रिा भी पीि नही िोड़ गया ककतनी ही पतथवया रनी और िो गयी

ककतन ही चाद-तार तनरमात हए और तवलीन हो गए आकाश कटसथ ह अपनी िगह तहलता-डलता नही

शरीर म ही रहना तमस नही हो पाता मन की तो रात अलग मन म िात ही जचता पकड़ती ह

तवचारो का ऊहापोह पकड़ता ह आतमा तो कफर रहत दर ह कयोकक आतमा यानी तनरवाचार धयान आतमा

यानी समातध--आकाश मि असीम

परमहस कहा ह जञातनयो को लककन जञान को आचरण म रदलन की कीतमया रदलन का रहसय समझ

लना चातहए तम समझ भी लत हो कभी कोई रात सफरटक-मतण की भातत साफ कदिाई पड़ती ह कक समझ म

आ गई अगर तम उसी कषण उसका उपयोग करन लगो तो और तनिरती िाए तम कहत हो कल उपयोग कर

लग परसो उपयोग कर लग अभी समझ म आ गई सभालकर रि ल

एक तमतर यहा सनन आत थ डाकटर ह पढ़-तलि ह मन उनको दिा कक िर भी व सनत तो रठकर

रस नोट ल रह ह कफर मझ तमलन आए तो मन पिा कक आप कया कर रह हो व कहत ह कक आप इतनी

अदभत रात कह रह ह कक नोट कर लना िररी ह पीि काम पड़गी िर म समझा रहा ह तर व समझ नही

रह ह व कल पर टाल रह ह समझ तक को कल पर टाल रह ह करन की तो रात अलग व नोट ल रह ह

अभी कफर पीि कभी िर िररत होगी काम पड़ िाएगी तम अभी मौिद थ म अभी मौिद था अभी ही

उतर िान दत हदय म लककन व सोचत ह कक व रड़ा कीमती काम कर रह ह व धोिा द रह ह िद को

धोिा द रह ह यह रचाव ह समझन स समझना नही ह

सामन एक घटना घट सकती थी अभी और यही म तमहारी आि म झाकन को रािी था तम आि

रचा तलए--नोट करन लग मन हाथ फलाया था तमह उठा ल राहर तमहार गडढ स तमहारा हाथ तमन वयसत

कर तलया तम नोट लन लग मन तमह पकारा तमन पकार न सनी तमन अपनी ककतार म कि शबद अककत

कर तलए और तम रड़ परसि हए तम अभी िीतवत सतय को न समझ पाए कल क तलए टाल कदया करोग

कर

टालना मनषय क मन की सरस रड़ी रीमारी ह िो समझ म आ िाए उस उसी कषण करना कयोकक

करन स सवाद आएगा सवाद आत स करन की और भावना िगगी और करन स और सवाद आएगा अचानक

एक कदन तम पाओग तिस तमन जञान की तरह सोचा था वह जञान नही रहा आचरण रन गया

िस कोई सदर फल वणायि होन क साथ-साथ सगतधत होता ह वस ही आचरण करन वाल क तलए

सभातित वाणी सफल होती ह

और धयान रिना िो भी िाना िा सकता ह वह िीकर ही िाना िा सकता ह नाहक की रहस म मत

पड़ना कयोकक रहस भी अकसर रचन का ही उपाय ह और वयथा क तका िाल म मत उलझना कयोकक तमह

रहत तमल िाएग कहन वाल कक इसम कया रिा ह लककन गौर स दि लना कक िो कह रहा ह उसन कि

अनभव तलया ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

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मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए--कोई हिाा नही तका कर लककन पहल उनह दीवाना रनन

की िररत ह उनक पास भी कि सवाद हो तभी तम उसी की रात सनना तिसक पास कि सवाद हो अनयथा

इस िगत म आलोचक रहत ह जनदक रहत ह ककसी भी चीि को गलत कह दना तितना आसान ह उतनी

आसान और कोई रात नही ईशवर को कह दना नही ह ककतना आसान ह ह कहना रहत करठन कयोकक

िो ह कह उस तसदध करना पड़ िो नही कह उस तो तसदध करन का सवाल ही न रहा िर ह ही नही तो तसदध

कया करना ह

परम को इनकार कर दना ककतना आसान ह लककन परम को हा करना ककतना करठन ह कयोकक परम का

अथा होगा कफर एक आग स गिरना नही रहत आसान ह इसतलए कायर हमशा नही कह-कहकर जिदगी चला

लत ह हालाकक व कदित रड़ रहादर ह कोई आदमी कहता ह ईशवर नही ह लगता ह रड़ी तहममत का

आदमी ह अपनी इतनी तहममत नही ह पर म तमस कहता ह कायर नही कहकर काम चला लत ह कयोकक

तिस चीि को नही कह कदया उस न तसदध करन की िररत न िीवन म उतारन की िररत न दाव लगान की

िररत न मागा चलन की िररत तिसन हा कहा वही रहादर ह वही साहसी ह

लककन हा भी नपसक हो सकती ह अगर तमन तसफा रहान क तलए हा कह दी हो अगर ककसी न कहा

ईशवर ह तमन कहा होगा भाई िरर होगा तसफा झझट िटान को कक इतनी भी ककसको फरसत ह कक

रकवास कर इतना भी ककसक पास समय ह कक तववाद कर अर कौन झझट कर कक ह या नही कक तरलकल

ठीक िरर होगा अगर तमन हा भी तसफा रचाव क तलए कही तो तमहारी हा नही ही ह उस हा म हा नही

नही ही ह

मरी दीवानगी पर होश वाल रहस फरमाए

मगर पहल उनह दीवाना रनन की िररत ह

उसी क पास पिना तिसक िीवन म कोई सगध हो और सवास हो और तिसक िीवन म कोई सवाद हो

तिसक ओठो स तिसकी शवासो स शरार की थोड़ी गध आती हो उसी स शरार की रात पिना तिसक

आसपास थोड़ी मसती की हवा हो तिसकी आिो म िमार हो उसी स पिना हर ककसी स मत पिन रठ

िाना और हर ककसी की रात मत सन लना नही तो जिदगी को ऐस ही गवा दोग नासमझ रहत ह कायर

रहत ह आलोचक रहत ह उनका कोई अत नही ह कयोकक य सर रचाव की तरकीर ह जिदगी को िानन

वाल रहत कम ह और तम भी कही इसी भीड़ म न िो िाना िो ही िाओग अगर िीवन म कोई सतर

तमहार पास आए और तमन उनका िलदी उपयोग न कर तलया व िग िा िात ह

सतय रड़ी नािक चीि ह वह रीि की तरह ह तम उस हदय म ल िाओ ततकषण तो वह अकररत हो

िाता ह रीि को रि रहो ततिोतड़यो म समहालकर वह सड़ िाएगा सार सतय तमहार शासतरो की ततिोतड़यो

म सड़ गए ह ऐसा नही ह कक सतयो की कोई कमी ह सतय रहत ह शासतर भर पड़ ह लककन ककसी काम क

नही रह तमहार िीवन क शासतर म िर तक कोई सतय उतरकर िन मास मजजा न रन िाए पच न िाए

तमहार रग-रश म न दौड़न लग तर तक ककसी काम का नही ह इस समरण रिना

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को रहत पणय करन चातहए

िीवन दो ढग का हो सकता ह रदध न रड़ा ठीक परतीक चना ह एक तो िीवन ऐसा होता ह तिसको

तम जयादा स जयादा फलो का ढर कह सकत हो और एक िीवन ऐसा होता ह तिस तम फलो की माला कह

सकत हो माला और ढर म रड़ा फका ह माला म एक सयोिन ह एक तारतमय ह एक सगीत ह एक

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लयरदधता ह माला म एकिटता ह एकशिला ह एक तसलतसला ह फलो का एक ढर ह उसम कोईशिला

नही ह उसम कोई सगीत नही ह उसम दो फल िड़ नही ह ककसी अनसयत धाग स सर फल अलग-अलग ह

तरिर पड़ ह

तो या तो िीवन ऐसा हो सकता ह कक िीवन क सर कषण तरिर पड़ ह एक कषण स दसर कषण क भीतर

दौड़ती हई कोई िीवनधारा नही ह कोई धागा नही िो सरको िोड़ता हो अतधक लोगो का िीवन कषणो का

ढर ह िनम स लकर मतय तक तमह भी उतन ही कषण तमलत ह तितन रदध को लककन रदध का िीवन एक

माला ह हर कषण तपरोया हआ ह हर कषण अपन पीि कषण स िड़ा ह आग कषण स िड़ा ह िनम और मतय

एकशिला म रध ह एक अनसयत सगीत ह

इस थोड़ा समझो तम ऐस हो िस वणामाला क अकषर रदध ऐस ह िस उनही अकषरो स रना एक गीत

गीत म और वणामाला क अकषरो म कोई फका नही ह वही अकषर ह वणामाला म तितना ह उतना ही सभी गीतो

म ह

माका टवन क िीवन म एक घटना ह उसक तमतर न उस तनमततरत ककया तमतर एक रहत रड़ा उपदषटा

था माका टवन कभी उस सनन नही गया था कि ईषयाा रही होगी मन म माका टवन क माका टवन िद रड़ा

सातहतयकार था लककन उपदषटा की रड़ी खयातत थी

तमतर न कई दफा तनमततरत ककया तो एक रार गया सामन की ही कसी पर रठा था उस कदन तमतर न िो

शरषठतम उसक िीवन म भाव म था कहा कयोकक माका टवन सनन आया था लककन माका टवन क चहर पर

कोई भावदशा नही रदली वह ऐस ही रठा रहा अकड़ा िस कि भी नही हो रहा ह िस कया कचरा रकवास

कर रह हो

तमतर भी चककत हआ िर दोनो लौटन लग गाड़ी म वापस रासत म उसन तहममत िटाई और पिा तमह

मरी रात कसी लगी माका टवन न कहा रात सर उधार मर पास एक ककतार ह तिसम सर तलिा ह तमन

उसी को पढ़कर रोला ह उस आदमी न कहा चककत कर रह हो कोई एकाध वाकय कोई एकाध टकड़ा कही

तलिा हो सकता ह लककन िो मन रोला ह वह मन ककसी ककतार स तलया नही माका टवन न कहा शता

लगात हो सौ-सौ डालर की शता लग गई उपदषटा सोचता था तनतित ही शता म िीत िाऊगा यह पागल

ककस रात की शता लगा रहा ह िो म रोला ह यह परा का परा एक ककतार म हो ही नही सकता सयोग नही

हो सकता ऐसा

लककन उस पता नही था माका टवन न दसर कदन एक तडकशनरी भि दी और तलिा इसम सर ह िो

भी तम रोल हो एक-एक शबद िो तम रोल हो सर इसम ह शबदशाः

पर तडकशनरी और शकसतपयर म कि फका ह शबदकोश म और कातलदास म कि फका ह शबदकोश और

उपतनिद म कि फका ह कया फका ह वही फका तमम और रदध म ह तम कवल शबदकोश हो फल की भीड़

एक ढर अनसयत नही हो िड़ नही हो तारतमय नही ह सर फल अलग-अलग पड़ ह माला नही रन पाए ह

माला उसी का िीवन रनता ह िो अपन िीवन को एक साधना दता ह एक अनशासन दता ह िो

अपन िीवन को होशपवाक एक लयरदधता दता ह तर िीवन न कवल गदय रन िाता ह अगर धीर-धीर तम

िीवन को तनिारत ही िाओ तो गदय पदय हो िाता ह िीवन तमहारा गान लगता ह गनगनान लगता ह

तमहार भीतर स अहरनाश सगीत की एक धारा िटन लगती ह तम रिन लगत हो

122

िर तक तम रिो न तर तक तम परमातमा क चरणो क योगय न हो सकोग और धयान रिना वयथा की

तशकायत-तशकव मत करना

उनस तशकवा फिल ह सीमार

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा स कया तशकायत करनी कक आनद नही ह िीवन म

कातरल-इतलतफात त ही नही

परमातमा की कपा क योगय त ही नही इसतलए ककसी और स तशकवा मत करना

तम िस अभी हो ऐस ही तम परमातमा पर चढ़न योगय नही हो तम माला रनो तम िीवन को एक

कदशा दो तम ऐस ही सर कदशाओ म मत भागत कफरो पागलो की तरह तम एक भीड़ मत रहो तमहार भीतर

एकसवरता ह और रदध इसी को पणय कहत ह तम चककत होओग रदध कहत ह तिसक िीवन म एकसवरता

ह वही पणयधमाा ह पापी एक भीड़ ह पणयधमाा एक माला ह पापी असगत ह कहता कि ह करता कि ह

सोचता कि ह होता कि ह पापी क भीतर एकसवरता नही ह रोलता कि ह आि कि और कहती ह हाथ

कि और करत ह

पापी एक साथ रहत ह पणयातमा एक ह योगसथ ह िड़ा ह इटीगरटड ह वह िो भी करता ह वह सर

सयोतित ह वह सभी एक कदशा म गततमान ह उसक पर भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसकी आि िा

रही ह उसक हाथ भी उसी तरफ िा रह ह तिस तरफ उसका हदय िा रहा ह उसकी शवास भी उसी तरफ िा

रही ह तिस तरफ उसकी धड़कन िा रही ह वह इकिा ह उसक िीवन म एक कदशा ह एक गतत ह

तवतकषपतता नही ह

िस फलो स मालाए रनती ह वस ही िनम लकर पराणी को पणय अिान करना चातहए

ताकक तमहारा िीवन एक माला रन िाए

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती

रड़ी मीठी रात रदध कहत ह िर हदय भरकर सनना

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की

अगर हवा परर की तरफ रह रही हो तो चदन कोई उपाय नही चदन क पास कक अपनी सगध को

पतिम की तरफ भि द हवा क तवपरीत नही िाती

न तगर की न चमली की न चदन की न रला की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी

िाती ह

सतपरि सभी कदशाओ म सगध रहाता ह एक ही सगध ह इस िगत म िो तवपरीत कदशा म भी चली

िाती ह वह ह सतपरि की वह ह सत-परि की वह ह िागरत परि की सगध

मनषय भी एक फल ह और िो कली ही रह गए तिल न पाए उनक दि का अत नही कतलयो स पिो

िो तिलन म असमथा हो गयी तिनम गध भरी थी और लटा न पायी ऐस ही िस ककसी सतरी को गभा रह गया

और कफर रचच का िनम न हो तो उसका सताप समझो गभा रड़ा होता िाए और रट का िनम न हो तो उस

सतरी की पीड़ा समझो ऐसा ही परतयक मनषय पीड़ा म ह कयोकक तमहार भीतर िो रड़ा हो रहा ह वह िनम

नही पा रहा ह तम एक गभा लकर चल रह हो गभा रड़ा होता िाता ह लककन तमहार िनम की कदशा िो गई

123

ह तम भल ही गए हो तम एक कली हो उसक भीतर गध इकिी होती िा रही ह रोतझल हो गई ह कली

अपन ही रोझ स दरी िा रही ह

मर दि तमहारी पीड़ा यह नही ह कक तमहार िीवन म दि ह तमहारी असली पीड़ा यही ह कक िो सि

हो सकता था वह नही हो पा रहा ह यह दि की मौिदगी नही ह िो तमह पीतड़त कर रही ह यह उस सि की

मौिदगी का अभाव ह िो हो सकता था और नही हो पा रहा ह तमहारी गरीरी तमह पीड़ा नही द रही ह

लककन तमहार भीतर िो अमीरी का झरना फट सकता था फटन को ततपर िड़ा ह उस पर चिान पड़ी ह वह

झरना फट नही पा रहा ह यह तवकास की िटपटाहट ह आदमी का सताप यह आदमी की पीड़ा िनम लन की

िटपटाहट ह

सारा अतसततव तिलन म भरोसा रिता ह िर भी कोई चीि तिल िाती ह तो तनभाार हो िाती ह

आदमी भी एक फल ह और रदध कहत ह रड़ा अनठा फल ह और रदध िानकर रहत ह उनका फल तिला तर

उनहोन एक अनठी रात िानी कक तवपरीत कदशाओ म भी िहा हवा नही भी िा रही हो वहा भी सत की गध

चली िाती ह सत की गध कोई सीमाए नही मानती

फलो की सगध वाय की तवपरीत कदशाओ म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला

की लककन सजजनो की सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह

सजजन की सगध एकमातर सगध ह िो ससार क तनयम नही मानती िो ससार क साधारण तनयमो क

पार ह िो अततकरमण कर िाती ह

सीि ल फलो स गाकफल मददआ-ए-जिदगी

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इतना ही काफी नही ह कक िद महको

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

इसतलए रदध न कहा ह समातध कफर परजञा समातध कफर करणा रदध न कहा ह वह धयान धयान ही

नही िो करणा तक न पहचा द

िद महकना ही नही गलशन को महकाना भी ह

उसी समातध को रदध न पररपणा समातध कहा ह िो लट िाए सभी कदशाओ म सभी कदशाओ म रह

िाए

लककन यही समझ लन की रात ह यह रड़ी तवरोधाभासी रात ह तम साधारण अवसथा म सभी

कदशाओ म दौड़त हो और कही नही पहच पात रदधतव की तरफ चलन वाला वयति एक कदशा म चलता ह और

तिस कदन पहचता ह उस कदन सभी कदशाओ म रहन म समथा हो िाता ह

तम सभी कदशाओ म रहन की कोतशश करत हो थोड़ा धन भी कमा ल थोड़ा धमा भी कमा ल थोड़ी

परततषठा भी रना ल थोड़ी समातध भी कमा ल थोड़ा दकान भी रचा ल थोड़ा मकदर भी तम सभी कदशाओ म

हाथ फलात हो और आतिर म पात हो तभिारी क तभिारी ही तवदा हो गए िस आए थ िाली हाथ वस

िाली हाथ गए रहत पकड़ना चाहा कि पकड़ म न आया

तमहारी हालत करीर-करीर वसी ह िस तमन एक रहत परतसदध गध की सनी हो कक एक मिाककया

आदमी न एक गध क पास दोनो तरफ घास क दो ढर लगा कदए ररारर दरी पर और गधा रीच म िड़ा था

124

उस भि तो लगी तो वह राए तरफ िाना चाहा तर मन न कहा कक दाए उस तरफ भी घास थी दाए तरफ

िाना चाहा तो मन न कहा राए

कहत ह गधा भिा रीच म िड़ा-िड़ा मर गया कयोकक न वह राए िा सका न दाए िर दाए िाना

चाहा तर मन न कहा राया िर राए िाना चाहा तर मन न कहा दाया

तमहारा मन यही कर रहा ह िर तम मकदर की तरफ िाना चाहत हो तर मन कहता ह दकान िर

तम दकान पर रठ हो मन को भिन याद आता ह मकदर ऐस ही मर िाओग और दोनो तरफ ततपत क साधन

मौिद थ कही भी गए होत

म तमस कहता ह अगर तम दकान पर ही परी तरह स चल िाओ तो वही धयान हो िाएगा आध-आध

मकदर िान की रिाय दकान पर पर चल िाना रहतर ह कयोकक पर चला िाना धयान ह गराहक स रात करत

वि भीतर राम-राम गनगनाना गलत ह गराहक को ही परा राम मान लना उतचत ह

आध-आध कि सार न होगा आधा यहा आधा वहा तम दो नाव पर सवार हो तम रड़ी मतककल म पड़

हो तम सर कदशाओ म पहचना चाहत हो और कही नही पहच पात रदधपरि एक कदशा म िात ह और तिस

कदन मतिल पर पहचत ह सर कदशाओ म उनकी गध फल िाती ह तम सर पान की कोतशश म सर गवा दत

हो रदधपरि एक को पा लत ह और सर पा लत ह

महावीर न कहा ह तिसन एक को पा तलया उसन सर पा तलया तिसन एक को िान तलया उसन सर

िान तलया

िीसस न कहा ह सीक यी फसटा कद ककगडम आफ गाड ऐड आल एलस शल री एडड अनट य अकल तम

परमातमा की िोि कर लो परभ का राजय िोि लो शि सर अपन स आ िाएगा तम उसकी कफकर ही मत

करो एक को तिसन गवाया वह सर गवा दता ह और एक को तिसन पाया वह सर पा लता ह

लककन तमहारा सर अधरा-अधरा ह अधर-अधर क कारण तम िड-िड हो गए हो तमहार भीतर रड़

टकड़ हो गए ह एक टकड़ा कही िा रहा ह दसरा टकड़ा कही िा रहा ह तम एक टटी हई नाव हो तिसक

तखत अलग-अलग रह रह ह तम कस पहच पाओग तम कहा पहच पाओग तम हो ही नही तम इतन िड-

िड हो गए हो कक तम हो यह कहना भी उतचत नही ह होन क तलए िररी ह कक तमहारी कदशा रन एक

अनशासन हो एकशिला हो तम फलो को तपरोना सीिो फलो की माला रनाना सीिो

िीवन म सतय का आतवषकार करना ह परम का आतवषकार करना ह िीवन म तम कौन हो इसका

आतवषकार करना ह इस ऐसी ही नही गवा दना ह तो तमहार िीवन म धीर-धीर अनशासन आना शर हो

िाए अगर तमहार पास कि भी--थोड़ी सी भी--दतषट हो कदशा हो कहा पहचना ह तो एक तारतमय आ िाए

उस तारतमय क साथ ही साथ तमहार भीतर एकता का िनम होगा इस एकता क माधयम स ही ककसी कदन तम

माला रन सकत हो और तिस कदन तम माला रन िात हो उस कदन परमातमा क गल म चढ़ान नही िाना

होता परमातमा का गला िद तमहारी माला म आ िाता ह आ ही िाएगा तम कातरल हो गए

कारल-इतलतफात त ही नही

तभी तक अड़चन थी

उनस तशकवा फिल ह सीमार

तशकायत रकार ह इतना ही िानना कक अभी हम तयार नही हए

125

अर यह फलो की गठरी को तम ककसी क गल म डालना चाहोग तो माला कस रनगी तगर िाएग फल

नीच धल म पड़ िाएग यह माला ककसी क गल म डालनी हो तो माला होनी चातहए फलो क ढर को माला

मत समझ लना

थोड़ा दिो माला और ढर म कया फका ह ढर म सगठन नही ह अथाात आतमा नही ह माला म एक

सगठन ह एक वयतितव ह एक आतमा ह धागा कदिाई नही पड़ता एक फल स दसर फल म चपचाप अदकय

म तपरोया हआ ह

िीवन क लकषय भी कदिाई नही पड़त एक कषण स दसर कषण म अदकय तपरोए होत ह रदध उठत ह

रठत ह चलत ह तो हर घड़ी क भीतर धयान का धागा तपरोया हआ ह िो भी करत ह एक रात धयान रित

ही ह कक उस करन म स धयान का धागा न िट वह धागा रना रह

फल स भी जयादा मलय धाग का ह लकषय का ह कदशा का ह और तिस कदन यह घड़ी घट िाती ह कक

तम सगरठत हो िात हो तम एक हो िात हो उसी कदन--उसी कदन परमातमा की कपा तम पर ररस उठती ह

उस कि कहन की िररत नही ह

इसतलए रदध उस सरध म चप रह ह िो कहा िा सकता था उनहोन कहा िो नही कहा िा सकता था

उनहोन नही कहा उनहोन सारा िोर इस पर कदया ह कक तमहारा वयतितव कस एक हो िाए तमहारा जञान कस

आचरण रन िाए तमहार तरिर फल कस माला रन िाए इसस जयादा उनहोन रात नही की कयोकक इसक

राद रात करनी ठीक ही नही ह इसक राद िो होना ह वह होता ही ह वह हो ही िाता ह उसम कभी कोई

अड़चन नही पड़ती

इसतलए परमातमा को तम भल िाओ तो अड़चन नही ह अपन को मत भल िाना अपन को भला तो

सर गया सर डरा िद की याद रिी और उसी याददाकत को रोि-रोि समहालत गए रोि-रोि हर तरह स

वह याददाकत सघन होती चली िाए िस िल तगरता ह पहाड़ स--और चिान मिरत ह िल तरलकल नािक

ह--लककन रोि तगरता ही चला िाता ह एक कदन चिान तो रत होकर रह िाती ह िल की धार अपनी िगह

रनी रहती ह

कठोर स कठोर भी टट िाता ह साततय क सामन इसतलए घरड़ाना मत अगर आि तमह अपनी दशा

चिान िसी लग तम कहो कक कस यह अहकार रहगा यह चिान रड़ी मिरत ह कस यह कदल झकगा यह

झकना िानता नही तम इसकी कफकर मत करना तम तसफा साततय रिना धयान का अवलोकन का साकषी

का शि सर अपन स हो िाता ह

रदध न मनषय क वयतितव का तवजञान कदया उनहोन मनोतवजञान कदया मटाकफतिकस परलोक क शासतर

की रात नही की रदध रड़ यथाथावादी ह व कहत ह िो करना िररी ह वही और जयादा वयथा की तवसतार

की रातो म तमह भटकान की िररत नही ह ऐस ही तम काफी भटक हए हो

थोड़ स तमह सतर कदए ह अगर तम उनह कर लो तो उन सतरो म रड़ी आग ह व अधकार को िला

डालग व वयथा को राि कर दग और उन सतरो की आग स तमहार भीतर का सवणा तनिरकर राहर आ िाएगा

रदध न रहत थोड़ी सी रात कही उनही-उनही को दोहराकर कहा ह कयोकक रदध को कोई रस दशानशासतर म

नही ह रदध को रस ह मनषय की आतररक-करातत म रपातरण म रदध को तिन लोगो न गौर स अधययन ककया

ह उन सरको हरानी होती ह कक रदध एक ही रात को ककतनी रार दोहराए चल िात ह वह हरानी इसीतलए

126

होती ह कक रदध वयथा की रात को कभी रीच म नही लात रस साथाक को ही दोहरात ह ताकक सतत चोट

पड़ती रह

और तम ऐस हो तमहारी नीद ऐसी ह तमहारी तिा ऐसी ह कक रहत रार दोहरान पर भी तम सन लो

वह भी आिया ह रदध स कोई पिता था तो व तीन रार दोहराकर िवार दत थ उसी वि तीन दफा

दोहराकर िवार दत थ कयो तीन रार कयोकक रदध स कोई पिन लगा कक कयो तीन रार कया आप

सोचत ह हम रहर ह रदध न कहा नही अगर तम रहर होत तो इतनी अड़चन न थी तम रहर नही हो और

कफर भी सनत नही हो तम सोए नही हो यही तो अड़चन ह सोए होत तो िगाना आसान हो िाता ह तम

रनकर लट हो तम सोन का ढोग कर रह हो उठना भी नही चाहत िाग भी गए हो तम सनत हए मालम

पड़त हो और सनत भी नही इसतलए तीन रार दोहराता ह

यह िो रदध का दोहराना ह धममपद म--इस परी चचाा म--रहत रार आएगा अलग-अलग दवारो स व

कफर वही लौट आत ह--कस तमहारा रपातरण हो रदध की सारी आकाकषा अभीपसा मनषय-क कित ह महावीर

मोकष-क कित ह व मोकष की चचाा करत ह िीसस ईशवर-क कित ह व ईशवर की चचाा करत ह रदध मनषय-क कित

ह िस मनषय स ऊपर कोई सतय नही ह रदध क तलए

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

सरक ऊपर मनषय का सतय ह और उसक ऊपर कोई सतय नही ह कयोकक तिसन मनषय क सतय को

समझ तलया उस किी तमल गई सार सतयो क दवार उसक तलए कफर िल ह

रदध को भोिन रनाओ पीओ पचाओ तो धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध का अवतरण होन

लगा धीर-धीर तम पाओग तमहार भीतर रदध की परततमा उभरन लगी हर चिान तिपाए ह रदध की परततमा

अपन म िरा िनी की िररत ह हथौड़ी की िररत ह वयथा को िाटकर अलग कर दना ह

ककसी न माइकल एिलो स पिा--कयोकक एक चचा क राहर एक पतथर रहत कदन स पड़ा था उस

असवीकार कर कदया गया था चचा क रनान वालो न उपयोग म नही तलया था वह रड़ा अनगढ़ था माइकल

एिलो न उस पर महनत की और उसस एक अपवा कराइसट की परततमा तनरमात की--ककसी न पिा कक यह पतथर

तो तरलकल वयथा था इस तो फक कदया गया था इस तो राह का रोड़ा समझा िाता था तमन इस रपातररत

कर कदया तम अनठ कलाकार हो

माइकल एिलो न कहा नही तम गलती कर रह हो िो मन पतथर स परगट ककया ह वह पतथर म

तिपा ही था तसफा मन पहचाना और िो वयथा टकड़ पतथर क आसपास थ उनको िाटकर अलग कर कदया यह

परततमा तो मौिद ही थी मन रनाई नही मन तसफा सनी आवाि म गिरता था यहा स यह पतथर तचललाया

और इसन कहा कक कर तक म ऐस ही पड़ा रह कोई पहचान ही नही रहा ह तम मझ उठा लो िगा दो रस

मन िनी उठाकर इस पर महनत की िो सोया था उस िगाया

रदधतव को कही पान नही िाना ह हरक क भीतर आि िो चिान की तरह मालम हो रहा ह--अनगढ़

रस िरा स िनी-हथौड़ की िररत ह सर क भीतर स पकार रहा ह कक कर तक पड़ा रहगा उघाड़ो मझ

इसतलए रदध कहत ह िो तम सनो िो सभातित तमहार कानो म पड़ िाए उनह तम समतत म सगहीत

मत करत िाना उनह उतारना आचरण म उनह िीवन की शली रनाना धीर-धीर तमहार चारो तरफ उनकी

हवा तमह घर रह उनक मौसम म तम िीना िलदी ही तम पाओग कक तमहार भीतर का रदधतव उभरना शर

हो गया फल माला रन गए

127

और तर एक ऐसी घटना घटती ह िो ससार क तनयमो क पार ह फलो की सगध वाय की तवपरीत

कदशा म नही िाती न चदन की न तगर की न चमली की न रला की लककन तिनक भीतर का रदधपरि

िाग गया रदध चतनय िाग गया उनकी सगध तवपरीत कदशा म भी िाती ह सभी कदशाओ म उनकी सगध

फल िाती ह

और िर तक तम ऐस अपन को लटा न सकोग तर तक तम पीतड़त रहोग एक ही नका ह--अपन को

परगट न कर पाना और एक ही सवगा ह--अपनी अतभवयति िोि लना

िो गीत तमहार भीतर अनगाया पड़ा ह उस गाओ िो वीणा तमहार भीतर सोई पड़ी ह िड़ो उसक

तारो को िो नाच तमहार भीतर तयार हो रहा ह उस तम रोझ की तरह मत ढोओ उस परगट हो िान दो

परतयक वयति अपन भीतर रदधतव को लकर चल रहा ह िर तक वह फल न तिल तर तक रचनी

रहगी अशातत रहगी पीड़ा रहगी सताप रहगा वह फल तिल िाए तनवााण ह सतचचदानद ह मोकष ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

अठारहवा परवचन

पराथानााः परम की पराकाषठा

पहला परशनाः रदध रात करत ह होश की िागन की और आप रीच-रीच म मसती नशा शरार और

लीनता की रात भी उठाया करत ह रदध पर रोलत समय तवपरीत की चचाा कयो आवकयक ह कपया

समझाए

दतषट न हो तो तवपरीत कदिाई पड़ता ह दतषट हो तो िरा भी तवपरीत कदिाई न पड़गा तिसको रदध

होश कहत ह उसी को सकफयो न रहोशी कहा तिसको रदध अपरमाद कहत ह उसी को भिो न शरार कहा

रदध क वचनो म और उमर ियाम म इचभर का फासला नही रदध न तिस मकदर कहा ह उसी को उमर

ियाम न मधशाला कहा रदध तो समझ ही नही गए उमर ियाम भी समझा नही गया उमर ियाम को लोगो

न समझा कक शरार की परशसा कर रहा ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

तम रहोश हो शरार तो तमन पी ही रिी ह ससार की शरार ककसी न धन की शरार पी रिी ह और

धन म रहोश ह ककसी न पद की शरार पी रिी ह और पद म रहोश ह ककसी न यश की शरार पी रिी ह

तिनको न पद यश धन की शरार तमली व ससती शरार मयिानो म पी रह ह व हार हए शरारी ह

और रड़ा मिा तो यह ह कक रड़ शरारी िोट शरातरयो क तिलाफ ह िो कदलली म पदो पर रठ ह व

िोट-िोट मयिानो म लोगो को शरार नही पीन दत उनहोन िद भी शरार पी रिी ह लककन उनकी शरार

सकषम ह उनका नशा रोतलो म रद नही तमलता उनका नशा रारीक ह उनक नश को दिन क तलए रड़ी

गहरी आि चातहए उनका नशा सथल नही ह

राह पर तमन शरारी को डगमगात दिा रािनता को डगमगात नही दिा राह म तमन शरारी को

तगर िात दिा धनी क पर तमन डगमगात नही दि शरारी को ऊलिलल रकत दिा पदधाररयो को

ऊलिलल रकत नही दिा तो कफर तमन कि दिा नही ससार म आि रद करक िी रह हो

रहत तरह की शरार ह ससार शरार ह उमर ियाम सफी या भि तिस शरार की रात कर रह ह

वह ऐसी शरार ह िो ससार क नश को तोड़ द िो तमह िगा द

परमातमा की शरार का लकषण ह िागरण इसतलए रदध और उमर ियाम की रातो म फका नही ह

िानकर ही रदध क साथ इन मसतानो की भी रात कर रहा ह कयोकक अगर तमह फका कदिाई पड़ता रहा तो न

तो तम रदध को समझ सकोग और न इन दीवानो को िर इन दोनो म तमह कोई फका न कदिाई पड़गा तभी

तम समझोग

परमातमा का भी एक नशा ह लककन नशा ऐसा ह कक और सर नश तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक

तमहारी नीद ही तोड़ दता ह नशा ऐसा ह कक िागरण की एक अहरनाश धारा रहन लगती ह कफर भी उस

129

नशा कयो कह तम पिोग िर होश आता ह तो नशा कयो कह नशा इसतलए ह कक होश तो आता ह मसती

नही िाती होश तो आता ह मसती रढ़ िाती ह और ऐसा होश भी कया िो मसती भी िीन ल कफर तो

मरसथल का हो िाएगा होश कफर तो रिा-सिा होगा कफर तो हररयाली न होगी फल न तिलग और पकषी

गीत न गाएग और झरन न रहग और आकाश क तारो म सौदया न होगा

या तो तम उमर ियाम को समझ लत हो कक यह ककसी साधारण शरार की परशसा कर रहा ह और या

तम समझ लत हो कक रदध मसती क तिलाफ ह दोनो नासमतझया ह रदध मसती क तिलाफ नही ह रदध स

जयादा मसत आदमी तम कहा पाओग तम कहोग यह िरा अड़चन की रात ह रदध को ककसी न कभी नाचत

नही दिा मीरा नाचती ह चतनय नाचत ह रदध को कर ककसन नाचत दिा पर म तमस कहता ह ऐस भी

नाच ह िो कदिाई नही पड़त और म तमस यह भी कहता ह कक नाच की एक ऐसी आतिरी तसथतत भी ह िहा

सर तथर हो िाता ह ऐसा भी नाच ह िहा कपन नही होता

ककसी और उदाहरण स समझ िो तमहारी समझ म आ िाए कयोकक यह रात तो ररझ हो िाएगी

पहली रन िाएगी कोई मर िाता ह तपरयिन तो तमन आिो स आस रहात लोग दि ह कभी तमन उस दि

की घड़ी को भी दिा ह िर आस भी नही रहत ऐस भी दि ह दि की आतयततक ऐसी भी गहराई ह कक आि

स आस भी नही रहत मह स आह भी नही तनकलती दि इतना गहन हो िाता ह कक आस रहाना भी दि की

रइजजती मालम होगी दि इतना गहन हो िाता ह कक रोना भी वयथा मालम होगा

रोत भी व ह तिनक दि म अभी थोड़ी सि की सतवधा ह तिनका दि परा नही ह रोत भी व ह

तिनक दि न अभी आतिरी तक नही ि तलया ह हदय क आतिरी कोर तक को नही तभगो कदया ह तचललात

भी व ह तिनका दि सथल ह तमन कभी ऐसी घड़ी िरर दिी होगी कक दि महान हआ दि इतना रड़ा था

कक तम समहाल न पाए आि भी समहाल न पायी आस भी समहाल न पाए सर सिाटा हो गया आघात

इतना गहरा था कक कपन ही न हआ

मनोवजञातनक कहत ह अगर ऐसी घड़ी हो तो ककसी भी तरह उस वयति को रलान की चषटा करनी

चातहए अनयथा वह मर भी िा सकता ह ककसी भातत उस तहलाओ रलाओ उसकी आिो म ककसी भातत आस

ल आओ ताकक आघात हलका हो िाए ताकक आघात रह िाए ताकक दि आसओ स तनकल िाए और भीतर

राहत आ िाए

तम दि क कारण रोत हो या दि स िटकारा पान क कारण रोत हो तम दि क कारण रोत हो या

दि स राहत पान क तलए रोत हो दि िर सघन होता ह तो आवाि भी नही उठती कदल िर सच म ही टट

िाता ह तो आवाि भी नही उठती

ठीक इसस तवपरीत अर तम समझ सकोग मीरा नाचती ह अभी नाच सकती ह इसतलए अभी नाच

इतना गहरा नही गया ह अभी लीनता और समातध की दशा इतनी गहरी नही गई ह िहा नाच भी िो िाए

ऐस भी नाच ह िहा नाच भी िो िाता ह ऐस भी दि ह िहा आस भी नही होत

रदध भी नाच रह ह लककन रड़ा सकषम ह यह नतय यह इतना सकषम ह कक सथल आि न पकड़ पाएगी

इस तो कवल व ही दि पाएग तिनहोन ऐसा नाच िीया हो िाना हो

म तमस कहता ह रदध नाच रह ह अनयथा हो ही नही सकता म तमस कहता ह रदध न पी ली वह

शरार तिसकी म रात कर रहा ह आनद इतना सघन ह अवाक हो गए ह ठग रह गए ह मीरा तो नाच भी

सकी थोड़ी राहत तमली होगी आनद भी िर सघन हो िाए तो कि करो तो राहत तमल िाती ह रदध पी

130

गए परा आनद पी गए अगर कोई मझस पि तो रदध का नशा मीरा स भी जयादा ह मीरा को तो कम स कम

नाचन की िरर रही रदध को उतनी िरर भी न रही

धयान रिना िर म मीरा या रदध या ककनही और की रात करता ह तो य रात तलनातमक नही ह

कपररटव नही ह म ककसी को िोटा-रड़ा नही कह रहा ह म तो तसफा तमह समझान क तलए रात ल रहा ह

तमह रदध समझ म आ िाए तो तमह उमर ियाम भी समझ म आ िाएगा

कफटिरालड न तिसन उमर ियाम का अगरिी म अनवाद ककया उमर ियाम को ररराद कर कदया

कयोकक सारी दतनया न कफटिरालड क रहान ही उसी क मागा स उसी क तनतमतत स उमर ियाम को िाना

और सारी दतनया न यही समझा कक यह शरार की चचाा ह यह मयिान की चचाा ह यह मयिान की चचाा

नही ह शरार की चचाा नही ह यह मकदर की रात ह

कि अपनी करामात कदिा ऐ साकी

िो िोल द आि वो तपला ऐ साकी

होतशयार को दीवाना रनाया भी तो कया

दीवान को होतशयार रना ऐ साकी

रदध न ऐसी ही शरार ढाली तिसम दीवान होतशयार रन िात ह वही उनका अपरमाद योग ह वही

उनकी िागरण की कला ह लककन म इसको कफर-कफर शरार कहता ह कयोकक म चाहता ह तम यह न भल

िाओ कक यह रिी-सिी िीवन तसथतत नही ह रड़ी हरी-भरी ह यह रतगसतान नही ह मरदयान ह यहा फल

तिलत ह पकषी चहचहात ह यहा चाद-तार घमत ह यहा गीतो का िनम होता ह यहा रोए-रोए म िर-िर

म अजञात की परततधवतन सनी िाती ह यहा मकदर की घरटयो का नाद ह और मकदर म िलती धप की सगध ह

रदध नीरस नही रठ ह हीरा समहालकर रठ ह

करीर न कहा ह हीरा पायो गाठ गरठयायो

तम ऊपर ही ऊपर मत दित रहना गाठ ही कदिाई पड़ती ह भीतर हीर को गरठयाकर रठ ह तहलत

भी नही इतना रड़ा हीरा ह कतपत भी नही होत इतना रड़ा हीरा ह इतनी रड़ी सपदा तमली ह कक धनयवाद

दना भी ओिा पड़ िाएगा िोटा पड़गा अहोभाव भी परगट कया कर अहोभाव परगट करन वाला भी िो गया

ह कौन धनयवाद द कौन अनगरह की रात कर कौन उतसव मनाए

म तमस यह कह रहा ह कक ऐस उतसव भी ह िर उतसव भी ओिा पड़ िाता ह इसतलए िानकर ही

रात कर रहा ह िर कभी उमर ियाम की तमस रात करगा तो रदध की भी रात करगा कयोकक न तो उमर

ियाम समझा िा सकता ह रदध क तरना न रदध समझ िा सकत ह उमर ियाम क तरना

मरी सारी चषटा यही ह कक तिनको तमन तवपरीत समझा ह उनको तम इतन गौर स दि लो कक उनकी

तवपरीतता िो िाए और अलग-अलग रगो और रपो म तमह एक ही सौदया की झलक तमल िाए मीरा क

नाच म अगर तमह रदध रठ तमल िाए और रदध की धयानसथ परततमा म अगर तमह मीरा का नाच तमल िाए तो

हाथ लग गई किी मकदर का दवार तम भी िोलन म समथा हो िाओग तिनहोन इसस अनयथा दिा उनहोन

दिा नही उन अधो की रातो म मत पड़ना

दसरा परशनाः

कि कदल न कहा कि भी नही

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कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

एक तो मनषय की रतदध म चलत हए तवचारो का िाल ह वहा सर साफ-सथरा ह वहा चीि कोरटयो म

रटी ह कयोकक वहा तका का सामराजय ह और एक कफर हदय म उठती हई लहर ह वहा कि भी साफ-सथरा

नही ह वहा तका का सामराजय नही ह वहा परम का तवसतार ह वहा हर लहर दसरी लहर स िड़ी ह वहा कि

भी अलग-थलग नही ह सर सयि ह वहा शनय भी रोलता ह और रोलना भी सिाट िसा ह वहा नतय भी

आवाि नही करता और वहा सिाटा भी नाचता ह

तका की तितनी कोरटया ह िस-िस तम हदय क करीर आत हो टटती चली िाती ह तका क तितन

तहसार ह िस-िस तम हदय क करीर आत चल िात हो व तहसार वयथा होन लगत ह तितनी धारणाए ह

तवचार की व धारणाए रस िर तक तम मतसतषक म िीत हो िोपड़ी ही तमहारा िर तक घर ह तर तक

अथापणा ह िस ही थोड़ गहर गए िस ही थोड़ी डरकी ली िस ही थोड़ अपन म लीन हए िस ही हदय क

पास सरकन लग वस ही सर रहसय हो िाता ह िो िानत थ पता चलता ह वह भी कभी िाना नही िो

सोचत थ कभी नही िाना एहसास होता ह िानन लग जञात िटता ह अजञात म गतत होती ह ककनार स नाव

मि होती ह और उस सागर म परवश होता ह तिसका कफर कोई ककनारा नही इस ककनार स नाव मि होती

ह उस तरफ िहा कफर कोई दसरा ककनारा नही ह तटहीन सागर ह हदय का वहा रड़ी पहली रन िाती ह

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

कदल को सनन की कला सीिनी पड़गी अगर परानी आदतो स ही सना तिस ढग स मन को सना था

रतदध को सना था अगर उसी ढग स सना तो तम हदय की भािा न समझ पाओग वह भािा भाव की ह उस

भािा म शबद नही ह सवग ह उस भािा म शबदकोश स तम कि भी सहायता न ल सकोग उस भािा म तो

िीवन क कोश स ही सहायता लनी पड़गी

और इसीतलए अकसर लोग हदय क करीर िान स डर िात ह कयोकक हदय क पास िात ऐसा लगता ह

िस पागल हए िात ह सर साफ-सथरापन नषट हो िाता ह ऐसा ही समझो कक तवराट िगल ह िीवन का

और तमन एक िोट स आगन को साफ-सथरा कर तलया ह--काट कदए झाड़-झिाड़ दीवाल रना ली ह अपन

आगन म तम सतनतित हो िरा आगन स राहर तनकलो तो िगल की तवराटता घरड़ाती ह वहा िो िान का

डर ह वहा कोई रािपथ नही पगडतडया भी नही ह रािपथ तो रहत दर

उस तवराट रीहड़ िगल म िीवन क िगल म तो तम चलो तितना चलो उतना ही रासता रनता ह

चलन स रासता रनता ह चलन क तलए कोई रासता तयार नही ह रडीमड वहा कि भी नही ह इसतलए

आदमी डरता ह लौट आता ह अपन आगन म यही तो अड़चन ह रतदध तमहारा आगन ह िहा सर साफ-

सथरा ह िहा गतणत ठीक रठ िाता ह

पलटो न अपनी अकादमी अपन सकल क दवार पर तलि रिा था--िो गतणत न िानता हो वह भीतर न

आए पलटो यह कह रहा ह तिसन रतदध की भािा न सीिी हो वह यहा भीतर न आए

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मर दवार पर भी तलिा ह कि पलटो तो तलि सकता ह कयोकक रतदध क पास शबद ह म तलि नही

सकता लककन मर दवार पर भी तलिा ह कक िो हदय की भािा न समझता हो वह भीतर न आए कयोकक यहा

हम उस िगत की ही रात कर रह ह तिसकी कोई रात नही हो सकती यहा हम उसी तरफ िान की चषटा म

सलगन ह िहा िाना अपन को तमटान िसा ह िहा कवल व ही पहचत ह िो अपन को िोन को ततपर होत ह

तो डर लगगा

इसीतलए तो लोग परम स भयभीत हो गए ह परम की रात करत ह परम करत नही रात िोपड़ी स हो

िाती ह करना हो तो िीवन क रीहड़ िगल म परवश करना होता ह ितर ही ितर ह परम क सरध म लोग

सनत ह समझत ह गीत गात ह कथाए पढ़त ह परम करत नही कयोकक परम करन का अथा अपन को तमटाना

अहकार िो िाए तो ही परम का अकरण होता ह और तिसन परम ही न िाना--तिस अभाग न परम ही न

िाना--वह पराथाना कस िानगा वह तो परम की पराकाषठा ह वह तो परम का आतिरी तनचोड़ ह आतिरी सार

कि कदल न कहा कि भी नही

कि कदल न सना कि भी नही

ऐस भी रात होती ह ऐस ही रात होती ह

वहा भीतर ऐसी ही तरग चलती रहती ह वहा हा और ना म फासला नही वहा हा भी कभी ना होता

ह ना भी कभी हा होता ह वहा सर तवरोध लीन हो िात ह एक म उततर म म तमस कहना चाहगा--

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

िर तक कान आदतमयो की ही रात सनत रह िर तक कान वही सनत रह िो राहर स आता ह िर

तक कान आहत नाद को सनत रह--तिसकी चोट पड़ती ह कान पर और कान क पदो पर झिाहट होती ह--तर

तक कान कान ही नही और िर तक आिो न वही दिा िो राहर स आकर परततजरर रनाता ह तर तक उधार

ही दिा तर तक सतय का कोई अनभव न हआ तर तक सपना ही दिा िर कानो न वह सना िो भीतर स

उमगता ह िो भीतर स उठता ह िो भीतर स भरता ह तभी कान कान ह और िर आिो न वह दिा िो

आि दि ही नही सकती िर आिो न वह दिा िो आि रद करक कदिाई पड़ता ह िर आि अपन पर

लौटी सवय को दिा तभी आि आि ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

सरको भीतर की तरफ चलो थोड़ी अपन स पहचान कर ससार की रहत पहचान हई रहत पररचय

रनाए कोई काम नही आत रहत सग-साथ ककया अकलापन तमटता नही भीड़ म िड़ हो अकल हो तरलकल

ऐस भी लोग ह िो जिदगीभर भीड़ म रहत ह और अकल ही रह िात ह और ऐस भी लोग ह िो अकल ही रह

और कषणभर को भी अकल नही तिनहोन भीतर की आवाि सन ली उनका अकलापन समापत हो गया उनह

एकात उपलबध हआ तिनहोन भीतर क दशान कर तलए उनक सर सपन िो गए सपनो की कोई िररत न

रही सतय को दि तलया कफर कि और दिन को नही रचता

रातरया अपन घर म रठी थी हसन नाम का फकीर उसक घर महमान था सरह का सरि तनकला

हसन राहर गया रड़ी सदर सरह थी आकाश म रगीन रादल तरत थ और सरि न सर तरफ ककरणो का

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िाल फलाया था हसन न तचललाकर कहा रातरया भीतर रठी कया करती ह राहर आ रड़ी सदर सरह ह

परमातमा न रड़ी सदर सरह को पदा ककया ह और आकाश म रड़ रगीन रादल तरत ह पतकषयो क गीत भी ह

ककरणो का िाल भी ह सर अनठा ह सरषटा की लीला दि राहर आ रातरया तिलतिलाकर हसी और उसन

कहा हसन तम ही भीतर आ िाओ कयोकक हम उस ही दि रह ह तिसन सरह रनाई तिसन सरि को िनम

कदया तिसक ककरणो क िाल को दिकर तम परसनन हो रह हो भीतर आओ हम उस ही दि रह ह

कान वो कान ह तिसन तरी आवाि सनी

आि वो आि ह तिसन तरा िलवा दिा

तीसरा परशनाः ओशो आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ

तसहर उठता ह और हदय म राढ़ सी आ िाती ह और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह कफर

आप कहत ह कक यकद हम तयार हो तो घटना इसी कषण घट सकती ह कपया इस तयारी को कि और सपषट

कर

कफर स परशन को पढ़ दता ह कयोकक परशन म ही उततर तिपा ह

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ नही आती राढ़ सी

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर नही तशिर की सी वही उततर ह वही तयारी चक रही ह

रतदध झठ तसकक रनान म रड़ी कशल ह राढ़ की सी तसथतत रना दती ह राढ़ का आना और ह राढ़ क

आत तो कफर हो गई घटना लककन राढ़ की सी तसथतत स नही होगी यह तो ऐसा ही ह िस तट पर रठ ह

नदी म तो राढ़ नही आती सोच लत ह एक सपना दि लत ह एक खवार दिा कक राढ़ की सी तसथतत आ गई

कफर आि िोलकर दिी कक गाव अपनी िगह ह--न गाव डरा न कि रहा--नदी अपनी िगह ह राढ़ की सी

तसथतत आई और गई कड़ा-करकट वही का वही पड़ा ह कि भी रहा न कि तािा न हआ कि नया न हआ

म िर रोल रहा ह तो दो तरह की सभावनाए रन सकती ह तम मझ अगर रतदध स सनो तो जयादा स

जयादा राढ़ की सी तसथतत रनगी रतदध रड़ी कशल ह और रतदध तम िो चाहो उसी का सपना दिन लगती ह

रतदध स मत सनो कपा करो रतदध को िरा रीच स हटाओ सीध-सीध होन दो रात हदय की हदय स

रतदध स सनत हो तर तर तरग रतदध म उठती ह लककन रतदध की तरग तो पानी म िीची गई लकीरो िसी

ह--रन भी नही पाती और तमट िाती ह रतदध का भी कोई भरोसा ह तवचार कषणभर नही ठहरत और चल

िात ह आए भी नही कक गए रतदध तो मसाकफरिाना ह वहा कोई घर रनाकर कभी रहा ह रलव सटशन का

परतीकषालय ह यातरी आत ह िात ह वहा तमहार िीवन म कोई शाशवत का नाद न रिगा एस धममो

सनतनो

उस सनातन का रतदध स कोई सरध न हो पाएगा रतदध कषणभगर ह पानी क ररल ह--रन तमट उनम

तम घर मत रसाना कभी-कभी पानी क ररलो म भी सरि की ककरणो का परभाव ऐस रग द दता ह इिधनि

िा िात ह मरी रात तम सनत हो रतदध सनती ह तरगातयत हो िाती ह राढ़ की सी तसथतत रन िाती ह

134

एक सपना तम दित हो कफर उठ गए राढ़ चली गई तम िहा थ वही क वही रह गए कड़ा-करकट भी न

रहा तमह परा रहा ल िान की तो रात ही दर शायद तम और भी मिरत होकर िम गए कयोकक एक राढ़

तमह लगा आई और चली गई और तमहारा कि भी न तरगाड़ पाई ऐस तो तम रोि सपन दित रहो राढ़ो क

कि भी न होगा

रतदध को हटा दो िर सनत हो तो रस सनो तवचारो मत सनना काफी ह तवचारना राधा ह म तमस

यह नही कह रहा ह कक म िो कहता ह उस मान लो कयोकक वह मानना भी रतदध का ह मानना रतदध का न

मानना रतदध का सवीकार करना रतदध का असवीकार करना रतदध का म तमस यह नही कहता कक िो म तमस

कह रहा ह उस तम मान लो न म तमस कहता ह न मानो न कहता ह मानो म तो कहता ह तसफा सन लो

सोचो मत रतदध को कह दो त चप

तम मझ ऐस ही सनो िस अगर पकषी कोई गीत गाता हो उस सनत हो तर तो रतदध कोई काम नही कर

सकती यदयतप वहा भी थोड़ अपन हाथ फलाती ह थोड़ झपि मारती ह कहती ह रड़ा सदर ह कल सना था

वसा ही गीत ह यह कौन सा पकषी गा रहा ह थोड़-रहत हाथ मारती ह लककन जयादा नही कयोकक पकषी की

भािा तम नही समझत

म तमस कहता ह मरी भािा भी तम समझत मालम पड़त हो समझत नही कयोकक िो म रोल रहा ह

वही म रोल नही रहा ह िो म तमह कहता हआ सनाई पड़ रहा ह उसस कि जयादा तमह दना चाहता ह

शबदो क साथ-साथ शबदो की पोटतलयो म रहत शनय राधा ह सवरो क साथ-साथ उनक पीि-पीि रहत

सिाटा भी भिा ह िो कह रहा ह वही नही अनकहा भी कह हए क पीि-पीि तिपा आ रहा ह

तम अगर रतदध स ही सनोग तो िो मन कहा वही सनोग अनकह स वतचत रह िाओग िो कहा ही

नही िा सकता उसस तम वतचत रह िाओग राढ़ उसस आती ह दशय क साथ िो अदकय को राधा ह

परतीको क साथ उस रि कदया ह तिसका कोई परतीक नही शबदो की पोटतलयो म शनय को समहाला ह अगर

रतदध स सना पोटली हाथ लग िाएगी पोटली क भीतर िो था वह िो िाएगा उसी क तलए पोटली का

उपयोग था कटट िो िाएगा तवियवसत िो िाएगी कटनर िाली डबरा हाथ लग िाएगा तर राढ़ की सी

तसथतत मालम पड़गी

सनो सोचो मत सनो मानन न मानन की िररत ही नही ह म तमस कहता ह सनन स ही मति हो

सकती ह अगर तम मानन न मानन क िाल को िड़ा न करो कयोकक िस ही तमहार मन म सवाल उठा कक

ठीक ह मानन योगय ह या सवाल उठा ठीक नही ह मानन योगय नही ह िर तम कहत हो ठीक ह मानन

योगय ह तो तम कया कर रह हो तम यह कह रह हो मर अतीत स मल िाती ह रात मर तवचारो स

तालमल पड़ता ह मरी अतीत की शरदधा मानयताए तसदधात शासतर उनक अनकल ह तो तमन मझ कहा

सना तमन अपन अतीत को ही मझस पनाः-पनाः तसदध कर तलया यहा म तमहार अतीत को सही तसदध करन क

तलए नही ह

तो कफर राढ़ कस आएगी तिसको रहाना था राढ़ तिस ल िाती वह और मिरत हो गया या तमन

कहा कक नही रात िमती नही अपन शासतर क अनकल नही परततकल ह अपन तसदधातो क साथ नही रठता

तो तमन अपन को तोड़ ही तलया अलग िोड़त हो तो रतदध स तोड़त हो तो रतदध स यहा कि रात ही और

हो रही ह न िोड़न का सवाल ह न तोड़न का सवाल ह अगर रतदध रीच स हट िाए तो िोड़ कौन तोड़

कौन एक ही रचता ह िड़ कौन टट कौन

135

अगर रतदध हट िाए तो तम पाओग कक म तमहार भीतर वहा ह तम मर भीतर यहा हो तर म कि

ऐसा नही कह रहा ह िो मरा ह मरा कि भी नही ह करीर न कहा ह मरा मझम कि नही

िो म कह रहा ह उसम मरा कि भी नही ह िो म कह रहा ह वह तमहारा ही ह लककन तमन अपना

नही सना ह मन अपना सन तलया ह िो म तमस कह रहा ह िर तम पहचानोग तो तम पाओग यह तमहारी

ही आवाि थी यह तमहारा ही गीत था िो मन गनगनाया

यहा कोई शासतरो की तसदधातो की रात नही हो रही ह य सर तो रहान ह िरटया ह यहा तो शासतरो

तसदधातो क रहान कि दसरा ही िल हो रहा ह अगर तमन शबद ही सन और उन पर ही तवचार ककया--ठीक

ह या गलत मान कक न मान अपन अनकल पड़ता ह कक नही--तो तम मझस चक गए और िो मझस चका

वह िद स भी चका तम अपन स ही चक गए

अर तम पित हो अगर तमन अपना परशन ही गौर स दिा होता तो समझ म आ िाता

आप अपन परवचनो म परततकदन ऐसी तातकातलकता पदा कर दत ह कक रोआ-रोआ तसहर उठता ह और

हदय म राढ़ सी आ िाती ह

राढ़ सी सावधान राढ़ सी स रचना राढ़ चातहए

और एक तशिर-अनभव की सी तसथतत रन िाती ह

तशिर-अनभव की सी सावधान यह झठा तसकका ह

मन क एक सवभाव को समझ लो तम िो चाहत हो मन उसकी परततमाए रना दता ह वह कहता ह

यह लो हातिर ह कदनभर तम भि रह रात सपना दित हो कक ससवाद भोिन कर रह हो मन कहता ह

कदनभर भि रह यह लो भोिन हातिर ह लककन रात तम ककतना ही ससवाद भोिन करो पट न भरगा

हालाकक नीद समहल िाएगी भि रहत तो नीद लगना मतककल होती सपन न कहा यह लो भोिन मि स

कर लो और सो िाओ तमन सपन म भोिन कर तलया सो गए

तमन कभी खयाल ककया नीद म पयास लगी ह गमी की रात ह शरीर न रहत पसीना िोड़ कदया ह

नीद म पयास लग गई ह अर डर ह अगर पयास रढ़ िाए तो नीद टट िाए तो मन कहता ह उठो उठ तम

सपन म गए रकफरिरटर क पास सपन म ही कोकाकोला पी तलया लौटकर अपन तरसतर पर सो गए तनजित

अर मन न धोिा द कदया पयास अपनी िगह ह न तम उठ न तम गए कही रस एक सवपन एक राढ़ सी--

कोकाकोला सा नीद समहल गई करवट लकर तम सोए रह सरह पता चलगा कक अर पयास रातभर पड़ रह

सवपन का काम ह तनिा की रकषा कही नीद टट न िाए तो सवपन का इतिाम ह सवपन सरकषा ह नीद को

नही टटन दता सर तरह स रचाता ह और धोिा पदा हो िाता ह कम स कम नीद म तो काम चल िाता ह

सरह िागोग तर पता चलगा तिस कदन िागोग उस कदन सोचोग राढ़ सी ककस धोि म रह ककस सपन म

िो गए

इन रातो का भरोसा मत करो इसस एक रात साफ ह कक िो भी म कहता ह तमहारी रतदध उसकी

िानरीन करती ह कफर तमहार भीतर िाता ह तमहारी रतदध पहरदार की तरह िड़ी ह िो म कहता ह रतदध

पहल परीकषण करती ह उसका कफर भीतर िान दती ह परीकषण ही कर तो भी ठीक ह उसका रग-रप भी

रदल दती ह अतीत क अनकल रना दती ह रतदध यानी तमहारा अतीत िो तमन अर तक िाना ह अनभव

ककया ह पढ़ा ह सना ह उस सरका सगरह तो तमस कोई नई रात कही ही नही िा सकती और म तमस नई

ही रात करन की तिदद ककए रठा ह

136

तम वही सन सकत हो िो पराना ह म तमस वही कहन की तिदद ककए रठा ह कक िो नया ह िो

तनतनतन ह वही सनातन ह िो परततपल नया ह वही सनातन ह िो कभी पराना नही हो सकता वही परातन

ह लककन तमहारी रतदध वहा रठी ह अपना सारा धल िमाए हए ह कोई भी चीि आती ह रतदध उसक रग

को रदल दती ह तर तम सन पात हो पर वह सनना धोिा हो गया कफर राढ़ की सी तसथतत रनती ह वही

तयारी चक गई

म तमस कहता ह इसी कषण घटना घट सकती ह यकद तम तयार हो तयार का कया अथा तयार का

इतना ही अथा अगर तम अपनी रतदध को ककनार रि दन को तयार हो अगर तम कहत हो ठीक ह हो िाए

साकषातकार सीधा-सीधा

आए हमार कदल म कदल स ही तमलाएग

यह रीच म भतमका राधन क तलए रतदध न होगी पररचय करवान क तलए रतदध न होगी तो अभी इसी

घड़ी घटना घट सकती ह

धमा क तलए ठहरन की कोई िररत ही नही उसका कल स कि लना-दना नही आि हो सकता ह धमा

सदा नगद ह उधार नही कल का कोई आशवासन नही दता म तमह अभी हो सकता ह इसी कषण हो सकता ह

कल का तो तमह व ही आशवासन दत ह िो तमहारी रतदध को ही अपील कर रह ह तमहारी रतदध को ही तनमतरण

द रह ह मन तमहारी रतदध को कोई तनमतरण नही कदया ह तमह रलाया ह तिस कदन भी तम आओग रतदध को

अलग रिकर ककनार हटाकर उसी कषण तमलन सभव ह

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

तम यहा रठ हो म यहा रठा ह--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

अगर तमन मझस रात की चक अगर तमन मझ दिा पाया यहा म तमस रोल भी रहा ह और यहा ह

भी रोलना तसफा रहाना ह रोलना तो तसफा तमह रलाना ह रोलना तो तसफा यह ह कक िाली तम न रठ

सकोग मर पास इतनी दर रोि-रोि िाली रठन को तम न आ सकोग उतनी समझ की तमस अपकषा नही

अगर म चप हो िाऊगा तम धीर-धीर िटत चल िाओग तम कहोग िाली ही वहा रठना ह तो अपन घर ही

रठ लग घर भी तम न रठोग कयोकक तम कहोग िाली रठन स कया सार इतना समय तो धन म रपातररत

हो सकता ह कि कमा लग कि कर लग

म तमस रोल रहा ह ताकक तमह उलझाए रि ऐस ही िस िोटा रचचा ऊधम कर रहा हो तिलौना द

दत ह तिलौन स िलता रहता ह उतनी दर कम स कम शात रहता ह तमस रात करता ह शबद तो तिलौन

ह थोड़ी दर तम िलत रहो शायद िलन म मन तललीन हो िाए ठहर िाओ तम थोड़ी दर मर पास शायद

तम आि उठाकर दिो और म तमह कदिाई पड़ िाऊ असली सवाल वही ह असली काम वही ह उसी कषण

असली काम शर होगा तिस कदन तम मझ दिोग

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

137

कर तक तम मझस रात करत रहोग दिो अर और तयारी का कोई अथा नही ह रात होती ह रतदध स

दिना होता ह हदय स िर तम दित हो तो आिो क पीि हदय आ िाता ह िर तम रात करत हो तो

आिो क पीि रतदध आ िाती ह रतदध यानी तमहार तवचार करन का यतर हदय यानी तमहार परम करन का

यतर दिना एक परम की घटना ह और अगर परम स नही दिा तो कया िाक दिा िर आि स परम उडलता हो

तभी दिना घटता ह

म तमहार सामन भी ह तमस रात भी कर रहा ह अर यह तमहार ऊपर ह तम अपन स पि लो--

तम मिाततर भी हो करीर भी हो

तमको दि कक तमस रात कर

रात तम करत रहो िनमो-िनमो तक रात स रात तनकलती रहगी रात म करता रहगा रात करन म

कही कोई अड़चन ह रात स सरल कही कोई और रात ह लककन यह तसफा रहाना था रहाना था कक शायद

इसी रीच ककसी कदन तिलौनो स िलत-िलत तम आि उठाकर दि लो तिलौनो म उलझ होन क कारण मन

तो तिलौनो म उलझा रह िाए और तमहारी आि मझ तमल िाए रतदध शबदो म उलझी तो उलझी रह कभी

ककसी कषण म रधर तमल िाए थोड़ी िगह तमल िाए और तम झाककर मरी तरफ दि लो उसी कषण घटना घट

सकती ह म दन को तयार ह तम तिस कदन लन को तयार होओग

चौथा परशनाः

कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

तसतारो स आग य कसा िहा ह

वो कया इकक क राकी इमतहा ह

पिो मत चलो पिना भी रतदध की होतशयारी ह परम क मागा पर भी रतदध पिती ह कहा ल चल हो

और परम क मागा पर रतदध चल नही सकती और रतदध अगर पिती रह तो तमह भी न चलन दगी कभी तो

इतना साहस करो कक चलो चलत ह पिग नही यही तो परम का लकषण ह

अगर मझस परम ह तो पिन की कोई िररत नही चल पड़ो पिना परम क अभाव का दयोतक ह पहल

स सर पकका कर लना ह--कहा िा रह ह कयो िा रह ह कया परयोिन ह अपना कोई लाभ ह नही ह कही

ल िान वाला अपना ही कोई लाभ तो नही दि रहा ह कही ल िान वाला धोिा तो नही द रहा ह रतदध

आतमरकषा ह और परम आतमसमपाण दोनो साथ-साथ नही हो सकत

यही परम का आतिरी इमतहा ह आतिरी कक चल पड़ो और रतदध पर ककतन कदन भरोसा करक दि

तलया पहच कहा ककतना रतदध क साथ तहसार करक कदि तलया मतिल कही आती तो कदिाई पड़ती नही

झलक भी नही तमलती कफर भी इस पर भरोसा ककए िा रह हो

ठीक-ठीक रतदधमान आदमी अपनी रतदध पर सदह करन लगता ह वह रतदध की पराकाषठा ह िर अपनी

रतदध पर सदह आता ह आना चातहए तसफा रदधओ को अपनी रतदध पर सदह नही आता ककतन कदन स चलत

हो उसी क साथ कहा पहच हो कफर भी भरोसा उसी पर ह

तिस कदन भी तमह यह कदिाई पड़ िाएगा उसी कदन िीवन म एक नया मागा िलता ह एक नया दवार

िलता ह वह हमशा पास ही था कोई रहत दर न था रतदध हदय म फासला ही ककतना ह वह पास ही था

138

अर भी पास ह लककन िर तक तम रतदध की ही सन िाओग पि चल िाओग यह पिना आशवसत होन की

चषटा ह कस म तमह आशवसत कर कि भी म कह वह मरा ही कहना होगा तमहारा अनभव न रन िाएगा

िर तक तमहारा अनभव न रन िाए तर तक मझ पर भरोसा कस आएगा

तो दो ही उपाय ह या तो तम िस चलत हो वस ही चलत रहो शायद कभी थकोग अनत िनमो क

राद ऊरोग होश आएगा तो कफर ककसी का हाथ पकड़ोग वह हाथ अभी भी उपलबध ह वह हाथ सदा

उपलबध रहगा उस हाथ का मझस या ककसी का कोई लना-दना नही ह वह हाथ तो परमातमा का ह वह

परमातमा का हाथ अनक हाथो म परतवषट हो िाता ह कभी रदध क हाथ म कभी मोहममद क हाथ म लककन

तमहारा हाथ उस पकड़गा तभी तो कि होगा और तम तभी पकड़ोग िर तम अजञात की यातरा पर िान को

तयार हो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर

एक तो रताना मतककल ह कयोकक तमहारी भािा म उस िगत क तलए कोई शबद नही ह और रतान पर

भी तम भरोसा कस करोग पिो रदध स व कहत ह तनवााण पिो मीरा स वह कहती ह कषण रकठ कया

होता ह शबदो को सनन स मीरा क चारो तरफ िोिकर दिो तमह रकठ का कोई पता न चलगा कयोकक

रकठ तो मीरा क भीतर ह और िर तक वसा ही तमहार भीतर न हो िाए िर तक तम भी डरकी न लगा

लो

मत पिो कहा ल चल हो रता दो मसाकफर तसतारो क आग य कसा िहा ह

तसतारो क आग का अथा ही यही होता ह--िहा तक कदिाई पड़ता ह उसक आग तसतारो का मतलर ह

िहा तक कदिाई पड़ता ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

इसका मतलर इतना ही ह कक कि कदिाई नही पड़ता य आि थक िाती ह इन आिो की सीमा आ

िाती ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

इकक का इमतहान कया ह वही िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी ककसी क ऊपर भरोसा िहा नही

कदिाई पड़ता वहा भी शरदधा िहा नही कदिाई पड़ता वहा भी चलन का साहस

तम तिस सदह कहत हो गौर स िोिना कही वह तसफा कायरता तो नही ह कही डर तो नही ह कही

भय तो नही ह कक कही लट न तलए िाए कही ऐसा तो नही ह कक कस पकका कर कौन लटरा ह कौन

मागादशाक ह

लककन इसकी कफकर िोड़ो पहल यह सोचो तमहार पास लट िान को ह भी कया तम पहल ही लट

चक हो ससार स रड़ा और लटरा अर तमह कहा तमलगा ससार न तो रतती-रतती पाई-पाई भी लट तलया ह

एक तसफर हो एक शनयमातर रह गए हो आकड़ा तो एक भी नही रचा ह भीतर कि भी नही ह पास कफर

भी डर हो कक कही लट न िाओ

यह िो तम पित हो--कहा ल चल हो रता दो मसाकफर यह भय क कारण कायरता क कारण साहस

की कमी क कारण लककन तम िहा भी चलत रह हो अर तक अगर वहा स ऊर गए हो तो अर ितरा कया

139

ह ककसी नए मागा को िोिकर दि लो असली सवाल साहस का ह साधारणताः लोग सोचत ह शरदधाल लोग

डरपोक ह कायर ह और म तमस कहता ह शरदधा इस िगत म सरस रड़ा दससाहस ह

ऐसा हआ कक ततबरत का एक फकीर अपन गर क पास गया गर की रड़ी खयातत थी और यह फकीर

रड़ा शरदधाल था और गर िो भी कहता सदा मानन को तयार था इसकी परततषठा रढ़न लगी और तशषयो को

पीड़ा हई उनहोन एक कदन इसस िटकारा पान क तलए--एक पहाड़ी क ऊपर रठ थ--इसस कहा कक अगर तमह

गर म परी शरदधा ह तो कद िाओ तो वह कद गया उनहोन तो पकका माना कक हआ ितम नीच िाकर दिा तो

वह पदमासन म रठा था और ऐसा सौदया और ऐसी सगध उनहोन कभी ककसी वयति क पास न दिी थी िो

उसक चारो तरफ ररस रही थी व तो रड़ हरान हए सोचा सयोग ह

सदह जयादा स जयादा सयोग तक पहच सकता ह कक सयोग की रात ह कक रच गया कोई कफकर नही

एक मकान म आग लगी थी उनहोन कहा कक चल िाओ अगर गर पर परा भरोसा ह तशषयो न ही वह चला

गया भीतर मकान तो िलकर राि हो गया िर व भीतर गए तो आशा थी कक वह भी िलकर राि हो चका

होगा वह तो वहा ऐस रठा था िल म कमलवत आग न िआ ही नही उनहोन सनी थी अर तक य रात कक

ऐस लोग भी हए ह--िल म कमलवत पानी म होत ह और पानी नही िता आि िो दिा वह अदभत

चमतकार था आग म था और आग न भी न िआ पानी न िए समझ म आता ह

अर सयोग कहना िरा मतककल मालम पड़ा गर क पास य िरर पहची गर को भी भरोसा न आया

कयोकक गर िद ही इतनी शरदधा का आदमी न था गर न सोचा कक सयोग ही हो सकता ह कयोकक मर नाम स

हो िाए अभी तो मझ ही भरोसा नही कक अगर म िलत मकान म िाऊ तो रचकर लौटगा कक म कद पड

पहाड़ स और कोई हाथ मझ समहाल लग अजञात क तो गर न कहा कक दिग

एक कदन नदी क तट स सर गिरत थ गर न कहा कक तझ मझ पर इतना भरोसा ह कक आग म रच

गया पहाड़ म रच गया त नदी पर चल िा वह तशषय चल पड़ा नदी न उस न डराया वह नदी पर ऐसा

चला िस िमीन पर चल रहा हो गर को लगा कक तनतित ही मर नाम का चमतकार ह अहकार भयकर हो

गया कि था तो नही पास

तो उसन सोचा िर मरा नाम लकर कोई चल गया तो म तो चल ही िाऊगा वह चला पहल ही

कदम पर डरकी िा गया ककसी तरह रचाया गया उसन पिा कक यह मामला कया ह म िद डर गया वह

तशषय हसन लगा उसन कहा मझ आप पर शरदधा ह आपको अपन पर नही शरदधा रचाती ह

कभी-कभी ऐसा भी हआ ह कक तिन पर तमन शरदधा की उनम कि भी न था कफर भी शरदधा न रचाया

और कभी-कभी ऐसा भी हआ ह तिन पर तमन शरदधा न की उनक पास सर कि था लककन अशरदधा न डराया

ह कभी रदधो क पास भी लोग सदह करत रह और डर गए और कभी इस तरह क पाितडयो क पास भी लोगो

न शरदधा की और पहच गए

तो म तमस कहता ह गर नही पहचाता शरदधा पहचाती ह इसतलए म तमस कहता ह शरदधा ही गर ह

और िहा तमहारी शरदधा की आि पड़ िाए वही गर पदा हो िाए परमातमा नही पहचाता पराथाना पहचाती

ह और िहा हदयपवाक पराथाना हो िाए वही परमातमा मौिद हो िाता ह मकदर नही पहचात भाव पहचात

ह िहा भाव ह वहा मकदर ह

मत पिो कक कहा ल चला ह चलन की तहममत हो साथ हो िाओ चलन की तहममत न हो नाहक

समय िरार मत करो भाग िड़ होओ ऐस आदमी क पास नही रहना चातहए तिस पर भरोसा न हो कही

140

और िोिो शायद ककसी और पर भरोसा आ िाए कयोकक असली सवाल भरोस का ह ककस पर आता ह यह

रात गौण ह कौन िान ककसी और पर आ िाए तो कफर तमहारा मागा वही स हो िाएगा तिसक पास िाकर

तमह पिन का सवाल न उठ कक कहा ल चल हो चल पड़न को तयार हो िाओ अधर म िाता हो वह तो अधर

म और नका म िाता हो तो नका म िहा तमहार मन म य सदह और सवाल न उठत हो यही आतिरी मतिल

ह यही आतिरी इमतहा ह

तसतारो क आग िहा और भी ह

अभी इकक क इमतहा और भी ह

और आतिरी इमतहान इकक का यही ह कक परम इतना अननय हो शरदधा इतनी अपवा हो कक शरदधा ही नाव

रन िाए कक परम ही रचा ल मागा नही पहचाता शरदधा पहचाती ह मतिल कही दर थोड़ ही ह तिसन परम

ककया उसन अपन भीतर पा ली

पाचवा परशनाः लीनता व भति क साधक को रदध क होश की और अपप दीपो भव की रातो क परतत कया

रि रिना चातहए

िररत कया ह तमह सभी क परतत रि रिन की िररत कया ह तम अपनी शरदधा का जरद चन लो शि

सर को भल िाओ तमह कोई सार रदधो क परतत शरदधा थोड़ ही रिनी ह एक पर तो रि लो सर पर रिन म

तो तम रड़ी झझट म पड़ िाओग एक पर ही इतनी मतककल ह सर पर तम कस रि सकोग तम एक मकदर

को तो मकदर रना लो सर मतसिद सर गरदवार सर तशवालय उनकी तम जचता म मत पड़ो कयोकक तिसका

एक मकदर मकदर रन गया वह एक कदन अचानक पा लता ह कक सभी मतसिदो म सभी गरदवारो म वही मकदर

ह एक तसदध हो िाए सर तसदध हो िाता ह

और अगर तमन यह चषटा की कक म सभी म शरदधा रि तमहार पास शरदधा इतनी कहा ह इतना राटोग

रतती-रतती शरदधा हो िाएगी अगर अललाह को पकारना हो तो पर पराणो स अललाह को ही पकार लो अलला

ईशवर तर नाम--इस तरह की रकवास म मत पड़ना कयोकक तर न तमहार राम म रल होगा और न तमहार

अललाह म रल होगा यह रािनीततक रातचीत हो सकती ह धमा का इसस कि लना-दना नही अललाह को

ही तम पररपणा पराणो स पकार लो तम अललाह म ही तिप राम को ककसी कदन पहचान लोग अललाह ही िर

परी तवरा और तीवरता स पकारा िाता ह तो राम भी तमल िात ह राम िर परी तवरा स पकारा िाता ह तो

अललाह भी तमल िाता ह कयोकक य सर नाम उसी क ह लककन तम रठकर इन सभी नामो की माला मत

रनाना

लीनता और भति क साधक को िररत ही कया ह रदध की रदध िान उनका काम िान लीनता और

भति का साधक लीनता और भति म डर ऐसी अड़चन कयो िड़ी करना चाहत हो

कयोकक धयान रिना मतिल एक ह मागा अनक ह तम अगर सभी मागो पर एक साथ चलना चाहो

पागल हो िाओग चलोग तो एक ही मागा पर यदयतप सभी मागा उसी मतिल पर पहचा दत ह लककन अगर

तमह ररई िाना हो तो तम एक ही मागा चनोग अगर तमन सभी मागा चन तलए तो दो कदम इस मागा पर

चलोग दो कदम उस मागा पर चलोग चार कदम ककसी और मागा पर चलोग तम पहचोग कस एक ही मागा

पर चलोग तो पहचोग

141

भि की दतनया अलग ह भि क दिन क ढग अलग ह भि क तौर-तरीक अलग ह भि की िीवन-

शली अलग ह साधक की िीवन-शली अलग ह साधक होश को साधता ह होश स ही मसती को पाता ह भि

मसती को साधता ह मसती स ही होश को पाता ह

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

भि की रड़ी अलग दतनया ह वह कहता ह हम तो िदा का नाम भी लग तो तरना पीए नही ल सकत

िदा का नाम ह कोई साधारण रात ह कक तरना पीए ल ल मसती म ही लग होश म िदा का नाम ल रात

िमती नही डरकर लग पागल होकर लग

िरान-होश स य कफर सरिद हो नही सकता

भि कहता ह कक मरी िरान स य पाप म न कर सकगा

म कस तरन तपए ल ल िदा का नाम ह साकी

पीकर ही लगा नाचकर लगा मसती म सरारोर करक लगा होश स िदा का नाम तो रतदध पर ही

अटक िाएगा लड़िड़ात कदमो स लगा

पाव पड़ ककत क ककती--सहिो न कहा ह

झमत हए लग समहलकर और िदा का नाम वह नाम िदा का ही न रहा कफर भि की दतनया रड़ी

अलग ह

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

तरी कपा का कोई अत नही हम काह को िोटा मन कर तगन-तगनकर अपन पापो को कक यह भल की

वह भल की यह तो तर सरध म तशकायत हो िाएगी भि कहता ह हम अपनी भलो और पापो का तहसार

रि

गनाह तगन-तगन क म कयो अपन कदल को िोटा कर

सना ह तर करम का कोई तहसार नही

परमातमा का हदय अगर रड़ा ह अगर परमातमा की करणा अपार ह तो हम अपन मन को कयो िोटा

कर

भि पाप-माप की कफकर नही करता इसका यह मतलर नही ह कक पाप करता ह भि परमातमा म

ऐसा लीन हो िाता ह कक पाप होत नही तिसन परमातमा को इतन हदय स याद ककया हो उसस पाप कस

होग

इस तम समझ लो भि पाप िोड़ता नही परमातमा को पकड़ता ह पाप िट िात ह साधक पाप

िोड़ता ह पाप क िटन स परमातमा को पाता ह साधक को चषटा करनी पड़ती ह रतती-रतती साधक सघिा ह

सकलप ह भि समपाण ह

भि कहता ह तरी करणा इतनी अपार ह कक हम कयो नाहक दीन हए िाए कक यह भल हो गई वह

भल हो गई त भी कही इन भलो की कफकर करगा हमारी भलो का त तहसार रिगा हम इतन िोट ह कक

रड़ी भल भी तो हमस नही होती

142

तमन कौन सी रड़ी भल की िरा सोचो और अगर परमातमा तहसार रिता हो तो परमातमा न हआ

कोई दकानदार हो गया तमहारी भल भी कया ह कया भल की ह तमन भि तो कहता ह अगर की भी

होगी तो तन ही करवायी होगी तरी कोई मिी रही होगी

भि तो यह कहता ह कक यह भी िर मिा ह तन ही रनाया िसा हम--अर हमस भल हो रही ह और

सिा हमको यह भी िर मिा ह यह भी िर रही रनाए त करवाए त फस िाए हम भि अपन को रीच म

नही लता वह कहता ह तरा काम त िान तन रनाया िसा रनाया िो करवाया वह हआ हम तर ह अर

त ही समझ भि का ढग और साधक कहता ह भल हो गयी एक-एक भल को काटना ह सधारना ह

तो तम अपना मागा चन लो एक दफा कफर रार-रार यह मत पिो कक मन भि का मागा चन तलया अर

म होश भी साधना चाहता ह कफर रात गलत हो िाएगी कक मन भि का मागा चन तलया अर मझ योगासन

भी करन ह नाचन वाल को कहा फसात योगासन करन की और कया मिा ह योगासन का तिसको नाचना आ

गया और नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह योगासन का अथा होता ह िहा हम उसस तमलकर एक हो

िाए नाच स रड़ा कही कोई योगासन ह कयोकक नाच स रड़ा कहा कौन सा योग ह नतय महायोग ह पर

वह भि की रात ह

अगर भि का मागा चन तलया तो भलो रदध को भल िान स कोई अड़चन न होगी और रदध कि

नाराि न होग िर तम मतिल पर पहचोग उनका आशीवााद भी तमह तमलगा ही कक तम आ गए और मझ

िोड़कर भी आ गए लककन अगर रदध को चना ह तो कफर िोड़ दो भि की रात

कही ऐसा न हो कक य तमहार मन की तरकीर हो कक तम िो चनत हो वह करना नही ह तो दसर को

रीच म ल आत हो ताकक अड़चन िड़ी हो िाए दतवधा रन िाए दतवधा रन िाए तो कर कस

रदध को चन तलया पयाापत ह रदध ककसी की कोई िररत नही कफर मीरा और चतनय को भल िाओ

कफर कषण को रीच म लाओ ही मत रदध काफी ह यह इलाि पयाापत ह उनकी तचककतसा परी ह उसम ककसी

और को िोड़न की कोई िररत नही

लककन वह ढग और वह दतनया और वहा एक-एक भल को काटना ह होश को साधना ह सकलप को

परगाढ़ करना ह अपन को तनिारना ह शदध करना ह तम िर तनिर िाओग शदध हो िाओग तर परमातमा

तमम उतरगा

भि परमातमा को रला लता ह और कहता ह तम आ िाओ मझस तो कया तनिरगा मझस कया

सधरगा तम आ िाओग तमहारी मौिदगी ही तनिार दगी सधार दगी

दोनो तरह स लोग पहच ह मर तलए कोई चनाव नही ह दोनो तरलकल ठीक ह तम अपनी परकतत क

अनकल मागा को चन लो अगर तम समपाण कर सकत हो तो भति अगर तम समरपण न कर सकत हो

समपाण म तमहारा रस न हो अनकल न पड़ता हो तो कफर योग तप धयान

धयान उनक तलए िो परम म डरन स घरड़ात हो पराथाना उनक तलए िो परम म डरन को ततपर हो

धयान म तवचार को काटना ह परम म तवचार को समरपात करना ह दोनो तसथतत म तवचार चला िाता ह

धयानी काटता ह परमी परमातमा क चरणो म रि दता ह कक तम समहालो

आतिरी परशनाः

143

कल आए थ परभ मर घर

म सो रही थी रिरर

कौन स कमो क फल ह परमसागर

आप आए और म िड़ी रही राहर

िीवन िस-िस थोड़ा-थोड़ा झकगा िस-िस अहकार थोड़ा-थोड़ा गलगा वस-वस अधरी स अधरी रात

म भी उसकी तरितलया कौधनी शर हो िाती ह तम झक नही कक उसका आना शर हआ नही तमही राधा

हो तमही दीवाल रनकर िड़ हो तम तगर िाओ उसका िला आकाश सदा स ही मि ह

परमातमा दर नही ह तम अकड़ िड़ हो तमहारी अकड़ ही दरी ह तमहारा नर िाना तमहारा झक

िाना ही तनकटता हो िाएगी उपतनिद कहत ह परमातमा दर स दर और पास स भी पास ह दर िर तम

अकड़ िात हो दर िर तम पीठ कर लत हो दर िर तम तिदद कर लत हो कक ह ही नही दर िर तम कहत

हो म ही ह त नही ह पास िर तम कहत हो त ही ह म नही ह िर तम आि िोलत हो िर तम अपन

पातर को--अपन हदय क पातर को--उसक सामन फला दत हो तर तम भर िात हो हिार-हिार ििानो स

परभ तो रोि ही आ सकता ह आता ही ह उसक अततररि और कौन आएगा िर तम नही पहचानत

तर भी वही आता ह िर तम पहचान लत हो धनयभाग िर तम नही पहचानत तर भी उसक अततररि

और कोई न कभी आया ह न आएगा वही आता ह कयोकक सभी शकल उसी की ह सभी रप उसक सभी सवर

उसी क सभी आिो स वही झाका ह तो अगर कभी एक रार ऐसी परतीतत हो कक आगमन हआ ह तो उस

परतीतत को गहराना समहालना उस परतीतत को साधना सरतत रनाना और धीर-धीर कोतशश करो िो भी

आए उसम उसको पहचानन की

परानी कहावत ह अतततथ दवता ह अथा ह कक िो भी आए उसम परमातमा को पहचानन की चषटा िारी

रिनी चातहए चाह परमातमा हिार राधाए िड़ी कर तो भी तम धोि म मत आना परमातमा चाह गातलया

दता आए तो भी तम समझना कक वही ह तमतर म तो कदिाई पड़ ही शतर म भी कदिाई पड़ अपनो म तो

कदिाई पड़ ही परायो म भी कदिाई पड़ रात क अधर म ही नही कदन क उिाल म भी नीद और सपनो म ही

नही िागरण म भी अभी तम कली हो और तितन पदचाप तमह उसक सनाई पड़न लग उतनी ही पितड़या

तमहारी िलन लगगी

तमहारी पीड़ा म समझता ह कभी-कभी उसकी झलक तमलती ह और िो िाती ह कभी-कभी आता

पास लगता ह और पदधवतनया दर हो िाती ह लगता ह तमला तमला और कोई सतर हाथ स िट िाता ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

वह िो कली का रोना ह तससकना ह--

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

पर वह तमहारी सभी की हालत ह तससकत हए गच की हालत रोती हई कली की हालत और कली

तभी फल हो सकती ह िर अनत क पदचाप उस सनाई पड़न लग तम अपन तई फल न हो सकोग सरह िर

सरि उगता ह और सरि की ककरण नाच उठती ह आकर कली की तनकटता म सामीपय म--कली क ऊपर--िर

144

सरि की ककरणो क हलक-हलक पद कली पर पड़त ह तो कली तिलती ह फल रनती ह िर तक तमहार ऊपर

परमातमा क पदचाप न पड़न लग उसक सवर आकर आघात न करन लग तर तक तम कली की तरह ही

रहोग

और कली की पीड़ा यही ह कक तिल नही पाई िो हो सकता था वह नही हो पाया तनयतत परी न हो

यही सताप ह यही दि ह हर आदमी की पीड़ा यही ह कक वह िो होन को आया ह नही हो पा रहा ह लाि

उपाय कर रहा ह--गलत सही दौड़-धप कर रहा ह लककन पाता ह समय रीता िाता ह और िो होन को म

आया ह वह नही हो पा रहा ह और िर तक तम वही न हो िाओ िो तम होन को आए हो तर तक सतोि

असभव ह सवय होकर ही तमलता ह पररतोि

तो सनो परभ क पद िहा स भी सनाई पड़ िाए और धीर-धीर सर तरफ स सनाई पड़न लगग तिस

कदन हर घड़ी उसी का अनभव होन लग कक वही दवार पर िड़ा ह उस कषण फल हठात िल िाता ह वह िो

सगध तम अपन भीतर तलए हो अतभवयि हो िाती ह वही अनगरह ह उतसव ह अहोभाव ह

चमन म फल तो तिलत सभी न दि तलए

तससकत गच की हालत ककसी को कया मालम

मझ मालम ह तमहारी सरकी हालत मझ मालम ह कयोकक वही हालत कभी मरी भी थी उस पीड़ा स

म गिरा हाः िर तम िोित हो सर तरफ कही सराग नही तमलता टटोलत हो सर तरफ और तचराग नही

तमलता और जिदगी परततपल रीती चली िाती ह हाथ स कषण तिसकत चल िात ह िीवन की धार रही

चली िाती ह--यह आई मौत यह आई मौत िीवन गया गया--और कि हो न पाए पता नही कया लकर आए

थ समझ म ही न आया पता नही कयो आए थ कयो भि गए थ कि परतीतत न हई गीत अनगाया रह गया

फल अनतिला रह गया

सनो उसकी आवाि और सभी आवाि उसकी ह सनन की कला चातहए गनो उस कयोकक सभी रप

उसी क ह गनन की कला चातहए िागत-सोत उठत-रठत एक ही समरण रह कक तम परमातमा स तघर हो

शर-शर म चक-चक िाएगा भल-भल िाएगा तवसमतत हो िाएगी पर अगर तम धाग को पकड़त ही रह तो

िसा रदध कहत ह तम फलो क ढर न रह िाओग वही सरतत का धागा तमहार फलो की माला रना दगा

और कफर म तमस कहता ह--कफर-कफर कहता ह--तिस कदन तमहारी माला तयार ह वह िद ही झक

आता ह वह अपनी गदान तमहारी माला म डाल दता ह कयोकक उस तक उसक तसर तक हमार हाथ तो न

पहच पाएग रस हमारी माला तयार हो वह िद हम तक पहच िाता ह

मनषय कभी परमातमा तक नही पहचता िर भी मनषय तयार होता ह परमातमा उसक पास आता ह

आि इतना ही

145

एस धममो सनतनो भाग 2

उिीसवा परवचन

िागरण का तल + परम की राती = परमातमा का परकाश

चदन तगर वातप उपपल अथ वतससकी

एतस गधिातान सीलगधो अनततरो 49

अपपमततो अय गधो या य तगरचदनी

यो च सीलवत गधो वातत दवस उततमो 50

तस सपिसीलान अपपमादतवहाररन

सममदा तवमततान मारो माग न जवदतत 51

यथा सकारधानजसम उतजझतजसम महापथ

पदम ततथ िायथ सतचगध मनोरम 52

एव सकारभतस अधभत पथजजन

अततरोचतत पाय सममासरदधसावको 53

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

तनिा ह दगध िाग िाना ह सगध िो िागा उसक भीतर न कवल परकाश क दीए िलन लगत ह वरन

सगध क फल भी तिलत ह और ऐसी सगध क िो कफर कभी मरझाती नही सकदया रीत िाती ह कलप आत ह

और तवदा हो िात ह लककन िीवन की सगध अतडग और तथर रनी रहती ह नाम भी शायद भल िाए कक

ककसकी सगध ह इततहास पर समतत की रिाए भी न रह िाए लककन सगध कफर भी िीवन क मि आकाश म

सदा रनी रहती ह

रदध पहल रदधपरि नही ह और न अततम उनक पहल रहत रदधपरि हए ह और उनक राद रहत

रदधपरि होत रह ह होत रहग लककन सभी रदधो की सगध एक ह सोए हए सभी आदतमयो की दगध एक ह

िाग हए सभी आदतमयो की सगध एक ह कयोकक सगध िागरण की ह कयोकक दगध तनिा की ह

रदध क य वचन अनठ कावय स भर ह कोई तो कतव होता ह शबदो का कोई कतव होता ह िीवन का

कोई तो गीत गाता ह कोई गीत होता ह रदध गीत ह उनस िो भी तनकला ह काश तम उनक िद को पकड़

लो तो तमहार िीवन म भी करातत हो िाए

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह कहा ह रदध न

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चदन या तगर कमल या िही पर तमहारी सगध अगर मि हो िाए तो सर सगध फीकी ह कयोकक

मनषय पथवी का सरस रड़ा फल ह मनषय म पथवी न अपना सर कि दाव पर लगाया ह मनषय क साथ

पथवी न अपनी सारी आशाए राधी ह िस कोई मा अपन रट क साथ सारी आशाए राध ऐस पथवी न मनषय

की चतना क साथ रड़ सपन दि ह और िर भी कभी कोई एक वयति उस ऊचाई को उठता ह उस गहराई

को िता ह िहा पथवी क सपन पर हो िात ह तो सारी पथवी आनद-मगल का उतसव मनाती ह

कथाए ह रड़ी परीततकर िर रदध को रदधतव उपलबध हआ तो वन-परात म िहा व मौिद थ तनरिना

नदी क तट पर वकषो म रमौसम फल तिल गए अभी कोई ऋत न थी अभी कोई समय न था लककन िर रदध

का फल तिला तो रमौसम भी वकषो म फल तिल गए सवागत क तलए िररी था

िीवन इकिा ह हम अलग-थलग नही ह हम कोई दवीप नही ह महादवीप ह हम एक ही िीवन क तहसस

ह अगर हमार रीच स कोई एक भी ऊचाई पर उठता ह तो उसक साथ हम भी ऊच उठत ह और हमार रीच

स कोई एक भी नीच तगरता ह तो उसक साथ हम भी नीच तगरत ह तहटलर या मसोतलनी क साथ हम भी

रड़ी गहन दगध और पीड़ा का अनभव करत ह रदध और महावीर कषण और कराइसट क साथ हम भी उनक

पिो पर सवार हो िात ह हम भी उनक साथ आकाश का दशान कर लत ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो चदन की सगध आि ह कल नही होगी सरह तिलता ह फल साझ मरझा िाता ह तिला नही

कक मरझाना शर हो िाता ह इस िीवन म शाशवत तो कवल एक ही घटना ह वह ह तमहार भीतर चतनय की

धारा िो सदा-सदा रहगी एक रार तिल िाए तो कफर भीतर क फल कभी मरझात नही उनहोन मरझाना

िाना ही नही ह व कवल तिलना ही िानत ह और तिल िान क राद वापसी नही ह लौटना नही ह

ऊचाई पर तम िर पहचत हो तो वहा स वापस तगरना नही होता िो सीि तलया सीि तलया िो

िान तलया िान तलया िो हो गए हो गए उसक तवपरीत िान का उपाय नही ह िो तगर िाए ऊचाई स

समझना ऊचाई पर पहचा ही न था कयोकक ऊचाई स तगरन का कोई उपाय नही िो तमन िान तलया उस

तम भल न सकोग अगर भल िाओ तो िाना ही न होगा सन तलया होगा समरण कर तलया होगा कठसथ हो

गया होगा िीवन क साधारण फल आि ह कल नही चतनय का फल सदा ह

तो रहत राहर क फलो म मत भरम रहना भीतर क फल पर शति लगाना कर तक हसत और रोत

रहोग राहर क फलो क तलए फल तिलत ह हस लत हो फल मरझा िात ह राि हो िात ह रो लत हो

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

सारी दतनया को तम इन दो तहससो म राट द सकत हो

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

अर यह सपना और कर तक िीचना ह काफी िीच तलया ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सरह हो गई ह सरह सदा स ही रही ह ऐसा कभी हआ ही नही कक सरह न रही हो सरह होना ही

अतसततव का ढग ह अतसततव की शली ह वहा साझ कभी होती नही तम सो रह हो इसतलए रात मालम होती

147

इस थोड़ा समझ लो रात ह इसतलए सो रह हो ऐसा नही ह सो रह हो इसीतलए रात ह िो िागा

उसन सदा पाया कक सहर थी सरह थी िो सोया उसन समझा सदा कक रात ह तमहारी आि रद ह इसतलए

अधरा ह अतसततव परकाशवान ह अतसततव परकाश ह हिार-हिार सरि उग ह सर तरफ परकाश की राढ़ ह

परकाश की ही तरग तमस आकर टकरा रही ह लककन तम आि रद ककए हो िोटी सी पलक आि पर पड़ी हो

तो तवराट सरि ढक िाता ह िरा सी ककड़ी आि म आ िाए तो सारा ससार अधकार हो िाता ह

रस िोटी सी ही ककड़ी आि म पड़ गई ह िोटा सा ही धल का कण आि म पड़ गया ह उस अहकार

कहो अजञान कहो तनिा कहो परमाद कहो पाप कहो िो मिी हो वह नाम द दो रात कल इतनी ह और

िोटी ह कक तमहारी आि ककसी कारण स रद ह आि िली सरह हई--अर चौक सहर हो गई ह और त सो

रहा ह

और यह सहर सदा स ही रही ह कयोकक रदध पचचीस सौ साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह

कषण पाच हिार साल पहल िाग और पाया कक सहर हो गई ह िर भी कोई िागा उसन पाया कक सरह हो

गई ह

िो सोए ह व अभी भी सोए ह व हिारो विा और भी सोए रहग तमहार सोन म ही रात ह रात क

कारण तम नही सो रह हो सो रह हो इसीतलए रात ह सरह क कारण तम न िागोग कयोकक सरह तो सदा स

ह तम िागोग तो पाओग कक सरह ह

लोग पित ह परमातमा कहा ह पिना चातहए हमार पास आि कहा ह लोग पित ह परमातमा को

कहा िोि उनह पिना चातहए यह िोिन वाला कौन ह कौन िोि परमातमा को लोग पित ह हम

परमातमा पर भरोसा नही आता कयोकक िो कदिाई नही पड़ता उस हम कस मान उनह पिना चातहए कक

हमन अभी आि िोली ह या नही कयोकक रद आि कोई कस कदिाई पड़गा परमातमा दवार पर ही िड़ा ह

कयोकक िो भी ह वही ह अर चौक सहर हो गई ह परमातमा दवार पर ही िड़ा ह कभी दवार स कषणभर को

नही हटा ह कयोकक उसक अततररि कि ह ही नही

अतसततव सरह ह परभात ह सयोदय ह सवाल तमहारी आि क िल िान का ह और तमहारी आि िर

िलती ह तो ऐसी ही घटना घटती ह िस फल की पितड़या िल िाए तमहारी पलक पितड़या ह िस फल की

पितड़या िल िाए और सगध मि हो िाए

लककन िोट-िोट फल ह िही क तगर क रला क गलार क कमल क उनकी सामथया रड़ी िोटी ह

उनकी सीमा ह थोड़ी सी गध को लकर व चलत ह उस लटा दत ह ररि हो िात ह कफर तमिी म तगर िात

ह लककन तम कि ऐसी गध लकर चल हो तिसकी कोई सीमा नही तम अपनी रद म सागर लकर चल हो

तम अपन इस िोट स फल म असीम को लकर चल हो उस असीम को ही हमन आतमा कहा ह उस असीम को

ही हमन परमातमा कहा ह

तम कदिाई पड़त हो िोट तम िोट नही हो मन तो रहत िोिा िोटा मझ कोई तमला नही मन तो

रहत िाच-पड़ताल की सभी सीमाओ म असीम को तिपा पाया हर रद म सागर न रसरा ककया ह तिस कदन

तम तिलोग उस कदन तम पाओग तम नही तिल परमातमा तिला ह

इसतलए तो रदध कहत ह चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध

सवोततम ह

148

शील की सगध का अथा ह िाग हए आदमी क िीवन की सगध आि िल आदमी क िीवन की सगध

पररदध हई चतना क िीवन की सगध तिन फलो को तमन राहर दिा ह उनका तो तिलना कवल मौत की

िरर लाता ह तिला नही फल कक मरा नही इधर तिल उधर अथी रधन लगी

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया िरर थी तगयर मौत का पगाम ह

राहर तो िो फल ह उनका तिलना मरन की ही िरर ह मौत का पगाम ह वहा तो तिल कक मर

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

कया पता उस रचारी कली को कया पता उस नासमझ कली को कक यह तिलना तवदा होन का कषण ह

लककन तमहार भीतर का िो फल ह वह िर तिलता ह तो मतय नही अमत को उपलबध होता ह साधारण

फल तिलकर मरत ह तितनी दर न तिल उतनी दर ही रच वहा तो परा होना मरन क ररारर ह लककन

तमहार भीतर एक ऐसा फल ह िो तिलता ह तो अमत को उपलबध हो िाता ह

लककन धयान रिना िर म कहता ह तमहार भीतर एक ऐसा फल ह तो तम यह मत समझ लना कक म

कह रहा ह तम तमहार भीतर तम नही तम तो उसी तरह मरोग िस राहर की कली मरती ह कयोकक तम

भी तमस राहर हो तम भी तमस राहर हो

फल रनन की िशी म मसकराती थी कली

वसी घटना तमहार भीतर भी घटगी कयोकक तमहारा अहकार तो मरगा तमन अर तक िो िाना ह कक

तम हो वह तो मरगा इधर रदधतव का फल तिला उधर गौतम तसदधाथा तवदा हआ इधर महावीर का फल

तिला वहा वदधामान की अथी रधी

एक रहत मिदार घटना घटी एक िन मतन तचतरभान सयोग स एक रार मझ उनक साथ रोलन का

मौका तमला व रड़ परतसदध िन मतन थ मझस पहल रोल म उनक पीि रोला उनहोन महावीर का िनमकदन

था तो महावीर क िीवन पर रात की लककन मझ लगा महावीर क िीवन पर उनहोन एक भी रात नही की

वदधामान की चचाा की वदधामान महावीर क िनम का नाम था महावीर होन क पहल का नाम था िर तक

िाग न थ तर तक का नाम था कहा पदा हए ककस घर म पदा हए कौन मा कौन तपता ककतना रड़ा राजय

ककतन हाथी-घोड़ इसकी उनहोन चचाा की महावीर की तो रात ही न आई इस सरस कया लना-दना था ऐस

तो रहत रािकमार हए कौन उनकी याद करता ह

म िर रोला तो मन कहा कक म तो यहा महावीर पर रोलन आया ह वदधामान पर रोलन नही और मन

कहा वदधामान और महावीर तो दो अलग-अलग आदमी ह मतन तचतरभान करोध स िड़ हो गए उनहोन समझा

कक यह कौन नासमझ आ गया िो कहता ह वदधामान और महावीर अलग-अलग आदमी ह उनहोन िड़ होकर

कहा महानभाव मालम होता ह आपको कि भी पता नही ह महावीर और वदधामान एक ही आदमी ह म तो

हसा ही व िो हिारो लोग थ व भी हस

मन उनस कहा मतन महाराि िो आपक शरावक समझ गए वह भी आप नही समझ पा रह ह मन भी

नही कहा ह कक दो आदमी थ कफर भी म कहता ह कक दो आदमी थ वदधामान सोया हआ आदमी ह िर

वदधामान तवदा हो िाता ह तभी तो महावीर का आतवभााव होता ह या िर महावीर का आतवभााव होता ह

तर वदधामान की अथी रध िाती ह वदधामान की रात मत करो महावीर की रात अलग ही रात ह

149

तो तमहार भीतर भी कि तो मरगा तम मरोग िसा तमन अभी तक अपन को िाना ह नाम रप

पररवार परततषठा अर तक तमन अपन तितन तादातमय रनाए ह व तो मरग लककन उन सरक मर िान क

राद पहली रार तमहारी आि उसकी तरफ िलगी िो तमहार भीतर अमत ह उस अनाहत नाद को तम सनोग

पहली रार िर तमहारी आवाि और शोरगल रद हो िाएगा िर तम अपनी रकवास रद कर दोग िर

तमहार तवचार िा चक होग िर तमहारी भीड़ तवदा हो िाएगी तर अचानक तमहारा सिाटा रोलगा

तमहारा शनय अनाहत क नाद स गिगा िर तमहारी दगध िा चकी होगी तभी तमम परमातमा की सगध का

अवतरण होता ह वह तिपी ह पर तम मौका दो तर फट न तम िगह दो तर फल न कली की िाती पर तम

सवार होकर रठ हो पितड़यो को िलन नही दत

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

कयो कयोकक चदन या िही तगर या कमल रप रग आकार क िगत क िल ह रप क ही सपन ह

रग क ही सपन ह तनराकार का फल तमहार भीतर तिल सकता ह कयोकक तनराकार का फल तभी तिलता ह

िर कोई चतनय को उपलबध हो तनराकार यानी चतनय आकार यानी तिा मचिाा

तिस कदन ससार िागगा उस कदन बरहम को पाएगा अगर तमिी का कण भी या पतथर का टकड़ा भी

िागगा तो अपन को िमा हआ चतनय पाएगा िो िागा उसन परमातमा को पाया िो सोया उसन पदाथा को

समझा पदाथा सोए हए आदमी की वयाखया ह परमातमा की परमातमा िाग हए आदमी का अनभव ह पदाथा

का पदाथा और परमातमा दो नही ह सोया हआ आदमी तिस पदाथा कहता ह िागा हआ आदमी उसी को

परमातमा िानता ह दो दतषटया ह िागा हआ आदमी तिस परमातमा िानता ह सोया हआ आदमी पदाथा

मानता ह दो दतषटया ह

शील की सगध सवोततम ह

कयोकक वसतताः वह परमातमा की सगध ह शील का कया अथा ह शील का अथा चररतर नही ह इस भद

को समझ लना िररी ह तो ही रदध की वयाखया म तम उतर सकोग

चररतर का अथा ह ऊपर स थोपा गया अनशासन शील का अथा ह भीतर स आई गगा चररतर का अथा ह

आदमी क दवारा रनाई गई नहर शील का अथा ह परमातमा क दवार स उतरी गगा चररतर का अरथ ह तिसका

तम आयोिन करत हो तिस तम समहालत हो तसदधात शासतर समाि तमह एक दतषट दत ह--ऐस उठो ऐस

रठो ऐस िीओ ऐसा करो तमह भी पकका पता नही ह कक तम िो कर रह हो वह ठीक ह या गलत अगर तम

गर-मासाहारी घर म पदा हए तो तम मास नही िात अगर तम मासाहारी घर म पदा हए तो मास िात हो

कयोकक िो घर की धारणा ह वही तमहारा चररतर रन िाती ह अगर तम रस म पदा हए तो तम मकदर न

िाओग मतसिद न िाओग तम कहोग परमातमा कहा ह परमातमा

राहल साकतयायन उिीस सौ िततीस म रस गए और उनहोन एक िोट सकल म--पराइमरी सकल म--एक

िोट रचच स िाकर पिा ईशवर ह उस रचच न कहा हआ करता था अर ह नही यजड ट री रट नो मोर ऐसा

पहल हआ करता था िर लोग अजञानी थ--करातत क पहल--उिीस सौ सतरह क पहल हआ करता था अर नही

ह ईशवर मर चका आदमी िर अजञानी था तर हआ करता था

िो हम सनत ह वह मान लत ह ससकार हमारा चररतर रन िाता ह पतिम म शरार पीना कोई

दिररतरता नही ह िोट-िोट रचच भी पी लत ह सहि ह परर म रड़ी दिररतर रात ह धारणा की रात ह

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कल परसो ही म दि रहा था ियपरकाश नारायण क सवासथय की रलरटन रोि तनकलती ह वह म दि

रहा था तो उनहोन दो अड िाए कोई सोच भी नही सकता ककस भातत क सवोदयी ह अजहसा सवोदय

गाधी क मानन वाल अड लककन तरहार म चलता ह तरहारी ह कोई अड़चन की रात नही कोई िन सोच

भी नही सकता कक अजहसक और अड िा सकता ह लककन ियपरकाश को खयाल ही नही आया होगा गाधी

और तवनोरा क साथ जिदगी तरताई लककन अड नही िाना ह यह खयाल नही आया

एक कवकर कई विा पहल मर पास महमान हआ तो मन उसस सरह ही पिा कक चाय लग दध लग

कॉफी लग कया लग वह एकदम चौक गया िस मन कोई रड़ी ितरनाक रात कही हो उसन कहा कया आप

चाय दध कॉफी पीत ह िस मन कोई िन पीन का तनमतरण कदया हो मन पिा तम कोई गलती रात हई

उसन कहा म शाकाहारी ह दध म नही पी सकता

कयोकक कवकर मानत ह दध िन ह उनक मानन म भी रात तो ह कवकर अडा िात ह लककन दध नही

पीत कयोकक दध तो रि स ही रनता ह शरीर म सफद और लाल कण होत ह िन म मादा क शरीर स--चाह

गाय हो चाह सतरी हो--सफद कण अलग हो िात ह और दध रन िाता ह वह आधा िन ह

तो उसन इस तरह नाक-भौ तसकोड़ी कहा कक दध आप भी कया रात कर रह ह अडा व िा लत ह

कयोकक अडा व कहत ह कक िर तक अभी िीवन परगट नही हआ तर तक कोई पाप नही ह ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह इसतलए परगट और अपरगट का ही भद करना उतचत ह उनक तहसार स ऐस तो िीवन सभी

िगह तिपा ह

तमन एक फल िाया अगर तम न िात और फल रिा रहता सड़ िाता तो उसम कीड़ पड़त तो उसम

भी िीवन परगट हो िाता तो िर तक नही परगट हआ ह तर तक नही ह

मानयताओ की रात ह चररतर मानयताओ स रनता ह ससकार स रनता ह शील शील रड़ी अनठी रात

ह शील तमहारी मानयताओ और ससकारो स नही रनता शील तमहार धयान स िनमता ह इस फका को रहत

ठीक स समझ लो मानयता ससकार समाि ससकतत नीतत की धारणाए तवचार ह िो तवचार तमह कदए गए

ह व तमहार भीतर पकड़ गए ह

म िन घर म पदा हआ तो रचपन म मझ कभी राततर को भोिन करन का सवाल नही उठा कोई करता

ही न था घर म इसतलए रात ही नही थी म पहली दफा तपकतनक पर कि जहद तमतरो क साथ पहाड़ पर गया

उनहोन कदन म िाना रनान की कोई कफकर ही न की मझ अकल क तलए कोई जचता का कारण भी न था म

अपन तलए िोर द यह भी ठीक न मालम पड़ा

रात उनहोन भोिन रनाया कदनभर पहाड़ का चढ़ाव कदनभर की थकान भयकर मझ भि लगी और

रात उनहोन िाना रनाया उनक िान की गध वह मझ आि भी याद ह ऊपर-ऊपर मन हा-ना ककया कक

नही रात कस िाना िाऊगा लककन भीतर तो चाहा कक व समझा-रझाकर ककसी तरह तिला ही द उनहोन

समझा-रझाकर तिला भी कदया लककन मझ ततकषण वमन हो गया उलटी हो गई

उस कदन तो मन यही समझा कक रात का िाना इतना पापपणा ह इसीतलए उलटी हो गई लककन उनको

तो ककसी को भी न हई ससकार की रात थी कोई रात क िान स सरध न था कभी िाया न था और रात

िाना पाप ह वह धारणा तो ककसी तरह िा तो तलया लककन वह सर शरीर न फक कदया मन न राहर फक

कदया

151

शील स इन घटनाओ का कोई सरध नही ह मन की धारणाओ स सरध ह तम िो मानकर चलत हो

िो तमहार तवचार म रठ गया ह उसक अनकल चलना आचरण ह उसक परततकल चलना दराचरण ह

शील कया ह शील ह िर तमहार मन स सर तवचार समापत हो िात ह और तनरवाचार दशा उपलबध

होती ह शनयभाव रनता ह धयान लगता ह उस धयान की दशा म तमह िो ठीक मालम होता ह वही करना

शील ह और वसा शील सार िगत म एक सा होगा उसम कोई ससकार क भद नही होग समाि क भद नही

होग

चररतर जहद का अलग होगा मसलमान का अलग होगा ईसाई का अलग होगा िन का अलग होगा

तसकि का अलग होगा शील सभी का एक होगा शील वहा स आता ह िहा न जहद िाता न मसलमान िाता

न ईसाई िाता तमहारी गहनतम गहराई स अिती कवारी गहराई स िहा ककसी न कभी कोई सपशा नही

ककया िहा तम अभी भी परमातमा हो वहा स शील आता ह

िस अगर तम थोड़ी सी िमीन िोदो तो ऊपर-ऊपर िो पानी तमलगा वह तो पास की सड़को स रहती

हई नातलयो का पानी होगा िो िमीन न सोि तलया ह--चररतर चररतर होगा वह कफर तम गहरा कआ

िोदो इतना गहरा कआ िोदो िहा तक नातलयो का पानी िा ही नही सकता तर तमह िलसरोत तमलग व

सागर क ह तर तमह शदध िल तमलगा

अपन भीतर इतनी िदाई करनी ह कक तवचार समापत हो िाए तनरवाचार का तल तमल िाए वहा स

तमहार िीवन को िो जयोतत तमलगी वह शील की ह चररतर म कोई रड़ी सगध नही होती चररतर तो पलातसटक

क फल ह तचपका तलए ऊपर स सि-धि गएशगार कर तलया दसरो को कदिान क तलए अचि लककन

परमातमा क सामन काम न पड़ग शील ऐस फल ह िो तमन तचपकाए नही तमहार भीतर लग उग उमग

तमहार भीतर स आए तिनकी िड़ तमहार भीतर तिपी ह उनही फलो को तम परमातमा क सामन ल िान म

समथा हो सकोग िो समाि न कदया ह वह मौत िीन लगी कयोकक िो समाि न कदया ह वह िनम क राद

कदया ह उस तम मौत क आग न ल िा सकोग िनम और मौत क रीच ही उसकी सभावना ह

लककन अगर शील का िनम हो िाए तो उसका अथा ह तमन वहा पाया अर िो िनम क पहल था िर

तम पदा भी न हए थ उस शदध चतनय स आ रहा ह अर मतय क आग भी ल िा सकोग िो िनम क पहल ह

वह मतय क राद भी साथ िाएगा शील को उपलबध कर लना इस िगत की सरस रड़ी करातत ह

न िान कौन ह गमराह कौन आगाह-मतिल ह

हिारो कारवा ह जिदगी की शाहराहो म

कौन ह गमराह--कौन भटका हआ ह कौन आगाह-मतिल ह--और कौन ह तिस मतिल का पता ह

हिारो यातरी दल ह जिदगी क रािपथ पर तम कस पहचानोग चररतर क धोि म मत आ िाना दिररतर को

तो िोड़ ही दना चररतरवान को भी िोड़ दना शीलवान को िोिना

ऐसा समझो एक सफी फकीर हि की यातरा को गया एक महीन का मागा था उस फकीर और उसक

तशषयो न तय ककया कक एक महीन उपवास रिग पाच-सात कदन ही रीत थ कक एक गाव म पहच कक गाव क

राहर ही आए थ कक गाव क लोगो न िरर की कक तमहारा एक भि गाव म रहता ह उसन अपना मकान

िमीन सर रच कदया गरीर आदमी ह तम आ रह हो तमहार सवागत क तलए उसन पर गाव को आमततरत

ककया ह भोिन क तलए सर रच कदया ह ताकक तमहारा ठीक स सवागत कर सक उसन रड़ तमषठान रनाए ह

152

फकीर क तशषयो न कहा यह कभी नही हो सकता हम उपवासी ह हमन एक महीन का उपवास रिा ह हमन

वरत तलया ह वरत नही टट सकता लककन फकीर कि भी न रोला

िर व गाव म आए और उस भि न उनका सवागत ककया और फकीर को भोिन क तलए तनमततरत ककया

तो वह भोिन करन रठ गया तशषय तो रड़ हरान हए कक यह ककस तरह का गर ह िरा स भोिन क पीि

वरत को तोड़ रहा ह भल गया कसम भल गया परततजञा कक एक महीन उपवास करग यह कया मामला ह

लककन िर गर न ही इकार नही ककया तो तशषय भी इकार न कर सक करना चाहत थ

समारोह परा हआ रात िर तवशराम को गए तो तशषयो न गर को घर तलया और कहा कक यह कया ह

कया आप भल गए या आप पततत हो गए

उस गर न कहा पागलो परम स रड़ी कही कोई तीथायातरा ह और इसन इतन परम स अपनी सर

िमीन-िायदाद रचकर सर लटाकर--गरीर आदमी ह--भोिन का आयोिन ककया उस इकार करना परमातमा

को ही इकार करना हो िाता कयोकक परम को इकार करना परमातमा को इकार करना ह रही उपवास की

रात तो कया कफकर ह सात कदन आग कर लग एक महीन का उपवास करना ह न एक महीन का उपवास

कर लग और अगर कोई दड तम सोचत हो तो दड भी िोड़ लो एक महीन दस कदन का कर लग िलदी कया

ह और म तमस कहता ह कक तमहारी यह अकड़ कक हमन वरत तलया ह और हम अर भोिन न कर सक ग

अहकार की अकड़ ह यह परम की और धमा की तवनमरता नही

यहा फका तमह समझ म आ सकता ह तशषयो का तो कवल चररतर ह गर का शील ह शील अपना

मातलक ह वह होश स पदा होता ह चररतर अपना मातलक नही ह वह अधानकरण स पदा होता ह िर कभी

तमह िीवन म कोई शीलवान आदमी तमल िाए तो समझ लना यही चरण पकड़ लन िस ह चररतरवान क

धोि म मत आ िाना कयोकक चररतरवान तो तसफा ऊपर-ऊपर ह भीतर तरलकल तवपरीत चल रहा ह

फका कस करोग चररतरवान को तम हमशा अकड़ा हआ पाओग कयोकक इतना कर रहा ह तो अहकार

मिरत होता ह चररतरवान को तम हमशा तना हआ पाओग तनाव स भरा पाओग कयोकक कर रहा ह कर

रहा ह कर रहा ह फल की अपकषा कर रहा ह शीलवान को तम हमशा तवशराम म पाओग शीलवान इसतलए

नही कर रहा ह कक आग कि तमलन को ह शीलवान इसतलए कर रहा ह कक करन म आनद ह शीलवान को

तम परफतललत पाओग शीलवान अपनी तपियाा की चचाा न करगा अपन उतसव क गीत गाएगा शीलवान

तमह आनकदत मालम पड़गा चररतरवान तमह रड़ा तना हआ और कषट झलता हआ मालम पड़गा रारीक ह

फासल लककन अगर तमन निर िोलकर रिी तो तमह करठनाई न होगी

चररतरवान क पास तमह दभ की दगध तमलगी शीलवान क पास तमह सरलता की सगध तमलगी

शीलवान को तम ऐसा पाओग िसा िोटा रालक चररतरवान को तम रड़ा तहसारी-ककतारी पाओग वह एक-

एक रात का तहसार रिगा गतणत म पकका पाओग परम म नही और िहा गतणत रहत पकका हो िाता ह वहा

परमातमा स दरी रहत हो िाती ह तम चररतरवान को तका यि पाओग वह िो भी करगा तका स ठीक ह

इसतलए करगा

शीलवान को तम तका यि न पाओग सहिसफता पाओग वह िो भी करगा वह उसकी सहि-सफरणा ह

ऐसा हआ शीलवान को तम परमातमा क हाथ म अपन को सौपा हआ पाओग चररतरवान को तम अपन ही

हाथो म तनयततरत पाओग चररतरवान म तनयतरण होगा अनशासन होगा शीलवान म सवातषय होगा मति

होगी और सगध और दगध का फका होगा

153

दिररतर तो होना ही नही चररतरवान भी मत होना अगर होना ही ह तो शीलवान होना चररतर ह

ऊपर स थोपा गया--आरोपण शील ह भीतर स आई हई िीवन-धारा भीतर स आया हआ रोध

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

शील िोट रचच िसा ह िोट रचचो को कफर स गौर स दिना रहत कम लोग उनह गौर स दित ह िोट

रचचो को ठीक स पहचानना कयोकक वही सतो की भी पहचान रनगी तमन कभी कोई िोटा रचचा दिा िो

करप हो सभी िोट रचच सदर होत ह सभी िोट रचचो म िीवन का आहलाद होता ह एक सरलता होती ह--

गतणतशनय तहसार स मि एक परवाह होता ह

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

अगर तम अपन रचपन को याद करोग तो तमह य वचन समझ म आ िाएग य वचन तो कह गए ह

अदम क तलए कक अदम को िर सवगा क रगीच स तनकाल कदया गया तनकाला कयो गया तनकाला इसतलए

गया कक उसन रचपन िो कदया उसन सरलता िो दी तनदोिता िो दी उसन जञान क वकष का फल चि

तलया वह समझदार हो गया

अर य रड़ी मि की कहानी ह ईसाइयो की इसस अनठी कहानी दतनया क इततहास म दसरी नही

अदम को इसतलए तनकाला गया कक वह जञानी हो गया थोड़ा सोचो हम तो सोचत ह जञातनयो को वापस ल

तलया िाएगा अदम िर तक सरल था तर तक तो सवगा क रगीच म रहा और िर समझदार हो गया--

समझदार यानी िर वह चालाक हो गया िर उसन जञान क वकष का फल चि तलया--उस कषण परमातमा न

उस राहर कर कदया

तनकल क कच स तर रहत िरार हए

कही न चन तमला कफर तरी गली की तरह

और आदमी ईसाइयत कहती ह तर स रचन ह उसी की गली को कफर िोि रहा ह लककन यह िोि

तभी परी हो सकती ह िर जञान को तम वमन कर दो िर तम अपन पातडतय को फक दो कड़-करकट क ढर

पर िर तम कफर स सरल हो िाओ िर तम कफर रालक की भातत हो िाओ सततव म पनाः रचच का शील आ

िाता ह रचच की सगध आ िाती ह

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

यह शील की सगध तमहार मतसतषक का तहसार-ककतार नही तमहार हदय म िला हआ दीया ह तमहार

हदय म िली जयोतत ह

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

मत सोचो कदल स िो राह तमलती ह वही परमातमा की राह ह सोचा तो भटकोग उस राह पर थोड़ा

चलकर दिो उस राह पर चलत ही तमह लगगा मकदर क तशिर कदिाई पड़न लग मकदर की घरटयो का सवर

सनाई पड़न लगा मकदर म िलती धप की सगध तमहार नासापटो को भरन लगी

कदल स तमलती तो ह इक राह कही स आकर

अजञात की राह तमहार तसर स नही तमलती तमहार कदल स तमलती ह

सोचता ह यह तरी राहगिर ह कक नही

154

सोचो मत तिसन सोचा उसन गवाया कयोकक िर तम सोचन लगत हो तर तम मतसतषक म आ िात

हो परम करो भाव स भरो रो लना भी रहतर ह सोचन स नाच लना रहतर ह सोचन स आस टपका लना

रहतर ह सोचन स िो भी हदय स उठ वह रहतर ह वह शरषठ ह और िस-िस तमहारा थोड़ा सरध रनगा

तम तनतित ही िान लोग कक उसी राह स परमातमा आता ह जञान की राह स नही तनदोि भाव की राह स

आता ह

तगर और चदन की िो यह गध फलती ह वह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम गध दवलोको म भी फल िाती ह दवताओ म भी फल िाती ह

इस थोड़ा समझ तगर चदन की िो गध ह अलपमातर ह कषणिीवी ह हवा का एक झोका उस उड़ा ल

िाएगा िलदी ही िो िाएगी इस तवराट म कफर कही िोि न तमलगी एक सपना हो िाएगी एक अफवाह

मालम पड़गी पता नही थी भी या नही थी लककन शीलवतो की िो सगध ह वह उततम गध दवताओ म भी

फल िाती ह

मन सना ह एक सतरी मितलया रचकर अपन घर वापस लौटती थी नगर क राहर तनकलती थी कक

उसकी एक परानी सहली तमल गई िो एक मातलन थी उसन कहा आि रात मर घर रक िा रहत कदन स

साथ भी नही हआ रहत रात भी करन को ह वह रक गई मातलन न यह सोचकर कक परानी सिी ह ऐसी

िगह उसका तरसतर लगाया िहा राहर स रला की सगध भरपर आती थी लककन मिली रचन वाली औरत

करवट रदलन लगी रला की सगध की आदत नही आधी रात हो गई तो मातलन न पिा रहन त सो नही

पाती कि अड़चन ह उसन कहा कि और अड़चन नही मरी टोकरी मझ वापस द दो और थोड़ा पानी उस

पर तिड़क दो कयोकक मितलयो की गध क तरना म सो न सकगी रला की सगध मझ रड़ी तकलीफ द रही ह

रड़ी ति ह

मातलन को तो भरोसा न आया मितलयो की गध गध कहना ही ठीक नही उस दगध ह लककन उसन

पानी तिड़का उसकी टोकरी पर कपड़ क टकड़ पर--तिन पर मितलया राधकर वह रच आई थी उसन उस

अपन तसर क पास रि तलया िलदी ही उस घरााट आन लग वह गहरी नीद म िो गई

तल ह रहत रदध कहत ह दवताओ को भी पथवी पर रहन वालो को ही नही सवगा म रहन वालो को भी

शील की गध आती ह शायद पथवी पर रहन वालो की तो वसी ही हालत हो िाए िसी मिली रचन वाली

औरत की हो गई थी

रदध को लोगो न पतथर मार उनह दगध आई होगी सगध न आई होगी महावीर को लोगो न सताया

उनह सगध न आई होगी अनयथा पित िीसस को सली पर लटका कदया अर और कया चाहत हो िातहर ह

रात कक हम कोई ऐसी रसती क रहन वाल ह िहा मितलयो की दगध हम सगध मालम होन लगी ह िहा हम

िीसस को सली पर लटका दत ह िहा हम सकरात को िहर तपला दत ह िहा रदधो को हम पतथर मारत ह

महावीरो का अपमान करत ह हम उनकी सगध सगध नही मालम पड़ती ह हम भयभीत हो िात ह उनका

होना हम डगमगा दता ह उनक होन म रगावत मालम पड़ती ह उनकी शवास-शवास म तविोह क सवर मालम

होत ह लककन दवताओ को उनकी गध आती ह

महावीर क िीवन म रड़ा पयारा उललि ह कथा ही होगी लककन कथा भी रड़ी रहमलय ह और साथाक

ह और कभी-कभी कथाओ क सतय िीवन क सतयो स भी रड़ सतय होत ह कहत ह कक महावीर न िर पहली

दफा अपनी उदघोिणा की अपन सतय की तो दवताओ क तसवाय कोई भी सनन न आया आत भी कस कोई

155

और उदघोिणा इतनी ऊची थी उसकी गध ऐसी थी कक कवल दवता ही पकड़ पाए होग अगर कही कोई

दवता ह तो तनतित ही वही सनन आए होग कफर दवताओ न महावीर को समझाया-रझाया कक आप कि इस

ढग स कह कक मनषय भी समझ सक आप कि मनषय की भािा म कह मतलर यही कक मनषय की टोकरी पर

थोड़ा पानी तिड़क मनषय की टोकरी उसक पास रि द तो ही शायद वह पहचान पाए

कोई भी नही िानता कक महावीर की पहली उदघोिणा म पहल सरोधन म महावीर न कया कहा था

वही शदधतम धमा रहा होगा लककन उसक आधार पर तो िन धमा नही रना िन धमा तो रना तर िर

महावीर कि ऐसा रोल िो आदमी की समझ म आ िाए वह महावीर का अतरतम नही हो सकता

रदध तो चप ही रह गए िर उनह जञान हआ उनहोन कहा रोलना कफिल ह कौन समझगा यह गध

राटनी वयथा ह यहा कोई गध क पारिी ही नही ह हम राटग सोना लोग समझग पीतल हम दग हीर लोग

समझग ककड़-पतथर फक आएग रदध तो सात कदन चप रह गए

कफर कथा कहती ह कक सवगा क दवता उतर िद बरहमा उतर रदध क चरणो म तसर रिा और कहा कक

ऐसी अनठी घटना कभी-कभार घटती ह सकदयो म आप कह कोई समझ या न समझ आप कह शायद कोई

समझ ही ल शायद कोई थोड़ा ही समझ एक ककरण भी ककसी की समझ म आ िाए तो भी रहत ह कयोकक

ककरण क सहार कोई सरि तक िा सकता ह

रदध कहत ह तगर या चदन की यह िो गध ह अलपमातर ह और यह िो शीलवतो की सगध ह वह

उततम दवलोको तक फल िाती ह

इस सगध को शबद दन करठन ह यह सगध कोई पारथाव घटना नही ह तम इस तौल न सकोग न ही

तम इस गठररयो म राध सकोग न ही तम इस शासतरो म समा सकोग न ही तम इसक तसदधात रना सकोग

यह सगध अपारथाव ह यह तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो की आिो म झाकन म समथा हो िात ह यह

तो कवल उनही को तमलती ह िो रदधो क हदयो म डरन म समथा हो िात ह यह तो कवल उनही को तमलती

ह िो तमटन को रािी ह िो िोन को रािी ह इस सगध को पाना रड़ा सौदा ह कवल िआरी ही इसको पा

पात ह

होता ह राि-इकको-महबरत इनही स फाश

आि िरा नही ह मगर रिरा नही

रदध की आिो म िो झाकगा तो रदध की आि िरान तो नही ह कक रोल द लककन व रिरा भी नही

ह रोलती ह िो रदध की आिो क दीय को समझगा िो रदध की आिो क दीय क पास अपन रझ दीयो को ल

आएगा िो रदध की शनयता म अपनी शनयता को तमला दगा िो रदध क साथ होन को रािी होगा--अजञात की

यातरा पर िान को--कवल उसी क अतरपट उस गध स भर िाएग कवल वही उस गध का मातलक हो पाएगा

व िो शीलवान अपरमाद म तवहार करन वाल समयक जञान दवारा तवमि हो गए ह उनकी राह म मार

नही आता ह

और तिसन भी शील को पा तलया अपरमाद को पा तलया समयक जञान को पा तलया--एक ही रात ह--

उसकी राह म कफर वासना का दवता मार नही आता ह िो िाग गया उस कफर मार क दवता स मलाकात

नही होती उसकी तो कफर परमातमा स ही मलाकात होती ह िो सोया ह उसकी घड़ी-घड़ी मलाकात वासना

क दवता स ही होती ह

156

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगधयि सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रहत रात ह इस सतर म पहली तो रात यह ह कक कमल कीचड़ स तिलता ह कड़-करकट क ढर स

तनकलता ह कमल कीचड़ म तिपा ह कमल तो पदा करना ह लककन कीचड़ क दकमन मत हो िाना नही तो

कमल कभी पदा न हो पाएगा

समझो तिस तमन करोध कहा ह वही ह कीचड़ और तिस तमन करणा िानी ह वही ह कमल और

तिस तमन कामवासना कहा ह वही ह कीचड़ और तिसको तमन बरहमचया िाना ह वही ह कमल काम क

कीचड़ स ही राम का कमल तिलता ह करोध क कीचड़ स ही करणा क फल तिलत ह

िीवन एक कला ह और िीवन उनही का ह िो उस कला को सीि ल भगोड़ो क तलए नही ह िीवन

और न नासमझो क तलए ह तम कही भल म मत पड़ िाना तमहार तथाकतथत साध-सनयासी तमह िो

समझात ह िलदी मत मान लना कयोकक व कहत ह कक हटाओ करोध को व कहत ह हटाओ काम को म तमस

कहता ह रदलो हटाओ मत रपातररत करो टरासफामा करो करोध ऊिाा ह उस काट दोग तो करणा पदा न

होगी तम तसफा शतिहीन नपसक हो िाओग काम ऊिाा ह उस अगर काट दोग तो तम तनवीया हो िाओग

रदलो रपातररत करो उसम महाधन तिपा ह तम कही फक मत दना कीचड़ समझकर फक मत दना कमल

भी तिपा ह हालाकक कीचड़ को ही कमल मत समझ लना

दतनया म दो तरह क लोग ह रड़ी ितरनाक दतनया ह एक तो व लोग ह िो कहत ह कीचड़ को

हटाओ कयोकक कहा कीचड़ को ढो रह हो काटो कामवासना को तोड़ो करोध को िला दो इकियो को एक तो

य लोग ह इनहोन काफी हातन की ससार की इनहोन मनषय को गररमा स शनय कर कदया इनहोन मनषय का

सारा गौरव नषट कर कदया दीन-हीन कर कदया मनषय को कयोकक उसी कीचड़ म तिप थ कमल

कफर दसरी तरह क लोग भी ह अगर उनस कहो कीचड़ म कमल तिपा ह फको मत कीचड़ को रदलो

तो व कहत ह तरलकल ठीक कफर व कीचड़ को ही जसहासन पर तवरािमान कर लत ह कफर व उसी की पिा

करत ह व कहत ह तमही न तो कहा था कक कीचड़ म कमल तिपा ह अर हम कीचड़ की पिा कर रह ह

य दोनो ही ितरनाक लोग ह कीचड़ म कमल तिपा ह न तो कीचड़ को फकना ह न कीचड़ की पिा

करनी ह कीचड़ स कमल को तनकालना ह कीचड़ स कमल को राहर लाना ह िो तिपा ह उस परगट करना

ह इन दो अततयो स रचना य दोनो अततया एक िसी ह कआ नही तो िाई कही रीच म िड़ होन क तलए

िगह िोिनी ह कोई सतलन चातहए

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल

तो पहली तो रात यह ह कक कमल तिलता ही कीचड़ म ह इसका रड़ा गहरा अथा हआ इसका अथा

हआ कक कीचड़ तसफा कीचड़ ही नही ह कमल की सभावना भी ह तो गहरी आि स दिना तो तम कीचड़ म

तिपा हआ कमल पाओग कीचड़ तसफा वतामान ही नही ह भतवषय भी ह गौर स दिना तम भतवषय क कमल

को झाकत हए पाओग तिपा ह इसतलए तिनक पास पनी आि ह उनही को कदिाई पड़गा

कीचड़ की पिा भी नही करना कीचड़ का उपयोग करना कीचड़ को मातलक मत रन िान दना कीचड़

को सवक ही रहन दना मातलक तमही रहना तो ही कमल तनकल पाएगा कयोकक तमहारी मालककयत रह तो

ही कमल को तम कीचड़ क राहर िीच पाओग तम अगर ऊधवागमन पर िात हो अगर तम ऊपर की तरफ

यातरा कर रह हो तो ही कीचड़ का कमल भी ऊपर की तरफ तमहार साथ िा सकगा तम कीचड़ म ही डरकी

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लगाकर मत रठ िाना नही तो कमल ककसक सहार िाएगा तमही को तो कमल की डडी रनना ह पर रह

कीचड़ म तसर रह आकाश म तो तम कीचड़ स कमल को राहर तनकाल पाओग पर रह िमीन पर तसर रह

आकाश म चलना िमीन पर उड़ना परमातमा म और इन दोनो क रीच अगर तालमल रना लो तो तमहार

भीतर एक अनठा कमल तिलगा

िस महापथ क ककनार फ क गए कड़ क ढर पर कोई सगतधत सदर कमल तिल वस ही कड़ क समान

अध सामानयिनो क रीच समयक सरदध का शरावक अपनी परजञा स शोतभत होता ह

रदध अपन तशषय को शरावक कहत ह शरावक का अथा ह तिसन रदध को सना शरवण ककया रदध को तो

रहत लोगो न सना सभी शरावक नही ह कान स ही तिनहोन सना व शरावक नही ह तिनहोन पराण स सना व

शरावक ह तिनहोन ऐस सना कक सनन म ही करातत घरटत हो गई तिनहोन ऐस सना कक रदध का सतय उनका

सतय हो गया शरदधा क कारण नही सनन की तीवरता और गहनता क कारण शरदधा क कारण नही मान तलया

ऐसा नही पर सना इतन पराणपण स सना इतनी पररपणाता स सना अपन को परा िोलकर कक रदध क शबद

कवल शबद ही न रह तनाःशबद भी उनम चला आया रदध क शबद ही भीतर न आए उन शबदो म तलपटी रदधतव

की गध भी भीतर आ गई

और धयान रिना िर रदध रोलत ह तर शबद तो वही होत ह िो तम रोलत हो लककन िमीन-

आसमान का फका ह शबद तो वही होत ह लककन रदध म डरकर आत ह सरारोर होत ह रदधतव म उन शबदो

म स रदधतव झरता ह अगर तमन रदध क शबदो को अपन पराण म िगह दी तो उनक साथ ही साथ रदधतव का

रीि भी तमहार भीतर आरोतपत हो िाता ह रदध न उनको शरावक कहा ह तिनहोन ऐस सना

और रदध कहत ह समयक सरदधो का शरावक सामानयिनो क कड़-करकट की भीड़ म कमल की तरह तिल

िाता ह अलग हो िाता ह रहता ससार म ह कफर भी पार हो िाता ह कमल होता कीचड़ म ह कफर भी दर

हो िाता ह उठता िाता ह दर तभि हो िाता ह

कमल और कीचड़ ककतना फासला ह कफर भी कमल कीचड़ स ही आता ह तमहार रीच ही अगर ककसी

न रदधतव को अपन पराणो म आरोतपत कर तलया रदध क रीि को अपन भीतर िान कदया अपन हदय म िगह

दी सीचा पाला पोसा सरकषा की तो तमहार ठीक रीच रािार क घर पर ढर पर उसका कमल तिल

आएगा

एक ही रात खयाल रिनी िररी ह ऊपर की तरफ िान को मत भलना नीच की तरफ िो ल िाता ह

वह ह कामवासना कीचड़ ऊपर की तरफ िो ल िाता ह वही ह परम वही ह पराथाना काम को परम म रदलो

काम का अथा ह दसर स सि तमल सकता ह ऐसी धारणा परम का अथा ह ककसी स सि नही तमल

सकता और न कोई तमह दि द सकता ह इसतलए दसर स लन का तो कोई सवाल ही नही ह काम मागता ह

दसर स काम तभिारी ह काम ह तभकषा का पातर परम ह इस रात की समझ कक दसर स न कि कभी तमला ह

न तमलगा यह दसर क सामन तभकषा क पातर को मत फलाओ परम ह तमहार भीतर िो ह उस राटो और दो

काम ह मागना परम ह दान िो तमहार िीवन की सपदा ह उस तम द दो उस तम राट दो िस सगध राटता

ह फल ऐस तम परम को राट दो तो तमहार िीवन म शील का िनम होगा राटोग तो तम पाओग तितना

राटत हो उतनी रढ़ती िाती ह सपदा तितना लटात हो सामराजय रड़ा होता िाता ह

कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इस जिदगी क राहर कदिाई पड़न वाल सामराजय और समराट तो ढलती-कफरती िाव ह

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कसरी और िशररी तो ढलती-कफरती िाव ह

इकक ही एक िातरदा दौलत ह इसानो क पास

दौलत एक ह धन एक ह सपततत एक ह राकी तो ढलती-कफरती िाव ह इकक ही ह एक िातरदा

दौलत--परम ही एकमातर सपदा ह काम ह तभिारीपन और परम ह सपदा काम स पदा होगा अशील और परम स

पदा होता ह शील तो तमहारा िीवन एक परम का दीया रन िाए

और धयान रिना परम का दीया तभी रन सकता ह िर तम रहत िागकर िीओ िागन का तल हो परम

की राती हो तो परमातमा का परकाश फलता ह और तर िहा अधरा पाया था वहा रोशनी हो िाती ह िहा

काट पाए थ वहा फल हो िात ह िहा ससार दिा था वहा तनवााण हो िाता ह िहा पदाथा क तसवाय कभी

कि न तमला था वही परमातमा का हदय धड़कता हआ तमलन लगता ह

िीसस न कहा ह उठाओ पतथर और तम मझ तिपा हआ पाओग तोड़ो चिान और तम मझ तिपा हआ

पाओग

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

िहा पहल कारागह था हमन ऐस भी इकलार दि ऐसी कराततया दिी कक िहा कारागह था वही

अपना तनवास रना घर रना यह ससार ही तिसको तमन अभी कारागह समझा ह अभी कारागह ह ससार

कारागह ह ऐसा नही तमहार दिन क ढग अभी नासमझी क ह अधर क ह

ऐस भी हमन दि ह दतनया म इकलार

पहल िहा कफस था वही आतशया रना

रदध महावीर कषण ऐस ही इकलार ह िहा तमन तसफा कारागह पाया और ििीर पायी वही उनहोन

अपना घर भी रना तलया िहा तमन तसफा कीचड़ पाई वही उनक कमल तिल और िहा तमह अधकार क

तसवाय कभी कि न तमला वहा उनहोन हिार-हिार सरि िला तलए

म तमस कफर कहता ह--

तसवा इसक और दतनया म कया हो रहा ह

कोई हस रहा ह कोई रो रहा ह

अर चौक यह खवार-गफलत कहा तक

सहर हो गई ह और त सो रहा ह

सहर सदा स ही ह सरह सदा स ही ह तमहार सोन की विह स रात मालम हो रही ह और िागना

तरलकल तमहार हाथ म ह कोई दसरा तमह िगा न सकगा तमन ही सोन की तिदद ठान रिी हो तो कोई तमह

िगा न सकगा तम िागना चाहो तो िरा सा इशारा काफी ह

रदधपरि इशारा कर सकत ह चलना तमह ह िागना तमह ह अगर अपनी दगध स अभी तक नही

घरड़ा गए तो रात और अगर अपनी दगध स घरड़ा गए हो तो तिलन दो फल को अर

चदन या तगर कमल या िही इन सभी की सगधो स शील की सगध सवोततम ह

आि इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 2

रीसवा परवचन

परम की आतिरी मतिलाः रदधो स परम

पहला परशनाः तिन तभकषओ न रदध की मरताया रनायी और रदध-वचन क शासतर तलि कया उनहोन रदध की

आजञा मानी कया व उनक आजञाकारी तशषय थ

रदध की आजञा तो उनहोन नही मानी लककन मनषय पर रड़ी करणा की और रदध की आजञा तोड़न िसी

थी िहा मनषय की करणा का सवाल आ िाए ऐस उनहोन रदध की आजञा तोड़कर भी रदध की आजञा ही मानी

कयोकक रदध की सारी तशकषा करणा की ह

इस थोड़ा समझना पड़गा

रदध न कहा मरी मरताया मत रनाना तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन रदध की आजञा तोड़ी लककन

रदध न यह भी कहा कक िो धयान को उपलबध होगा समातध तिसक िीवन म तिलगी उसक िीवन म करणा

की विाा भी होगी तो तिनहोन मरताया रनायी उनहोन करणा क कारण रनायी रदध क चरण-तचहन िो न

िाए और रदध क चरण-तचहनो की िाया अनत काल तक रनी रह

कि रात ही ऐसी थी कक तिस आदमी न कहा मरी मरताया मत रनाना हमन अगर उसकी मरताया न

रनाई होती तो रड़ी भल हो िाती तिनहोन कहा था हमारी मरताया रनाना उनकी हम िोड़ भी दत न

रनात चलता रदध न कहा था मरी पिा मत करना अगर हमन रदध की पिा न की होती तो हम रड़ चक

िात

यह सौभागय की घड़ी कभी-कभी सकदयो म आती ह िर कोई ऐसा आदमी पदा होता ह िो कह मरी

पिा मत करना यही पिा क योगय ह िो कहता ह मरी मरता मत रनाना यही मरता रनान क योगय ह सार

िगत क मकदर इसी को समरपात हो िान चातहए

रदध न कहा मर वचनो को मत पकड़ना कयोकक िो मन कहा ह उस िीवन म उतार लो दीय की चचाा

स कया होगा दीय को समहालो शासतर मत रनाना अपन को िगाना लककन तिस आदमी न ऐसी रात कही

अगर इसका एक-एक वचन तलि न तलया गया होता तो मनषयता सदा क तलए दररि रह िाती कौन तमह

याद कदलाता कौन तमह रताता कक कभी कोई ऐसा भी आदमी हआ था तिसन कहा था मर शबदो को अतगन म

डाल दना और मर शासतरो को िलाकर राि कर दना कयोकक म चाहता ह िो मन कहा ह वह तमहार भीतर

िीए ककतारो म नही लककन यह कौन तलिता

तो तनतित ही तिनहोन मरताया रनायी रदध की आजञा तोड़ी लककन म तमस कहता ह उनहोन ठीक ही

ककया रदध की आजञा तोड़ दन िसी थी नही कक रदध न िो कहा था वह गलत था रदध न िो कहा था

तरलकल सही कहा था रदध स गलत कहा कस िा सकता ह रदध न तरलकल सही कहा था मरी मरताया मत

रनाना कयोकक कही मरतायो म तम मझ न भल िाओ कही मरतायो म म िो न िाऊ कही मरताया इतनी

जयादा न हो िाए कक म दर िाऊ तम सीध ही मझ दिना

लककन हम इतन अध ह कक सीध तो हम दि ही न पाएग हम तो टटोलग टटोलकर ही शायद हम

थोड़ा सपशा हो िाए टटोलन क तलए मरताया िररी ह मरतायो स ही हम रासता रनाएग हम उस परम तशिर

160

को तो दि ही न सक ग िो रदध क िीवन म परगट हआ वह तो रहत दर ह हमस आकाश क रादलो म िोया ह

वह तशिर उस तक हमारी आि न उठ पाएगी हम तो रदध क चरण भी दि ल िो िमीन पर ह तो भी

रहत उनही क सहार शायद हम रदध क तशिर पर भी कभी पहच िाए इसकी आशा हो सकती ह

तो म तमस कहता ह तिनहोन आजञा तोड़ी उनहोन ही आजञा मानी तिनहोन वचनो को समहालकर रिा

उनहोन ही रदध को समझा लककन तमह रहत िरटलता होगी कयोकक तका रतदध तो रड़ी नासमझ ह

ऐसा हआ एक यवक मर पास आता था ककसी तवशवतवदयालय म अधयापक था रहत कदन मरी रात

सनी रहत कदन मर सतसग म रहा एक रात आधी रात आया और कहा िो तमन कहा था वह म परा कर

चका मन अपन सर वद उपतनिद गीता कए म डाल दी मन उसस कहा पागल मन वद-उपतनिद को

पकड़ना मत इतना ही कहा था कए म डाल आना यह मन न कहा था यह तन कया ककया

वद-उपतनिद को न पकड़ो तो ही वद-उपतनिद समझ म आत ह वद- उपतनिद को समझन की कला

यही ह कक उनको पकड़ मत लना उनको तसर पर मत ढो लना उनको समझना समझ मि करती ह समझ

उसस भी मि कर दती ह तिसको तमन समझा कए म कयो फक आया और त सोचता ह कक तन कोई रड़ी

करातत की म नही सोचता कयोकक अगर वद-उपतनिद वयथा थ तो आधी रात म कए तक ढोन की भी कया

िररत थी िहा पड़ थ पड़ रहन दता कए म फकन वही िाता ह तिसन तसर पर रहत कदन तक समहालकर

रिा हो कए म फकन म भी आसति का ही पता चलता ह तम उसी स घणा करत हो तिस स तमन परम ककया

हो तम उसी को िोड़कर भागत हो तिसस तम रध थ

एक सनयासी मर पास आया और उसन कहा मन पतनी-रचच सरका तयाग कर कदया मन उसस पिा व

तर थ कर तयाग तो उसका होता ह िो अपना हो पतनी तरी थी सात चककर लगा तलए थ आग क आसपास

उसस तरी हो गई थी रचच तर थ पहली तो भल वही हो गई कक तन उनह अपना माना और कफर दसरी भल

यह हो गई कक उनको िोड़कर भागा िोड़ा वही िा सकता ह िो अपना मान तलया गया हो रात कल इतनी

ह इतना ही िान लना ह कक अपना कोई भी नही ह िोड़कर कया भागना ह िोड़कर भागना तो भल की ही

पनरति ह

तिनहोन िाना उनहोन कि भी िोड़ा नही तिनहोन िाना उनहोन कि भी पकड़ा नही तिनहोन िाना

उनह िोड़ना नही पड़ता िट िाता ह कयोकक िर कदिाई पड़ता ह कक पकड़न को यहा कि भी नही ह तो

मिी िल िाती ह

रदध की मतय हई--तर तक तो ककसी न रदध का शासतर तलिा न था य धममपद क वचन तर तक तलि न

गय थ--तो रौदध तभकषओ का सघ इकिा हआ तिनको याद हो व उस दोहरा द ताकक तलि तलया िाए

रड़ जञानी तभकष थ समातधसथ तभकष थ लककन उनहोन तो कि भी याद न रिा था िररत ही न थी

समझ तलया रात परी हो गई थी िो समझ तलया उसको याद थोड़ ही रिना पड़ता ह तो उनहोन कहा कक

हम कि कह तो सकत ह लककन वह रड़ी दर की धवतन होगी व ठीक-ठीक वही शबद न होग िो रदध क थ

उसम हम भी तमल गय ह वह हमार साथ इतना एक हो गया ह कक कहा हम कहा रदध फासला करना

मतककल ह

तो अजञातनयो स पिा कक तम कि कहो जञानी तो कहत ह कक मतककल ह तय करना हमारी समातध क

सागर म रदध क वचन िो गय अर हमन सना हमन कहा कक उनहोन कहा इसकी भद-रिा नही रही िर

161

कोई सवय ही रदध हो िाता ह तो भद-रिा मतककल हो िाती ह कया अपना कया रदध का अजञातनयो स

पिो

अजञातनयो न कहा हमन सना तो था लककन समझा नही सना तो था लककन रात इतनी रड़ी थी कक

हम समहाल न सक सना तो था लककन हम स रड़ी थी घटना हमारी समतत म न समाई हम अवाक और चौक

रह गय घड़ी आई और रीत गई और हम िाली हाथ क िाली हाथ रह तो कि हम दोहरा तो सकत ह

लककन हम पकका नही कह सकत कक रदध न ऐसा ही कहा था रहत कि िट गया होगा और िो हमन समझा

था वही हम कहग िो उनहोन कहा था वह हम कस कहग

तो रड़ी करठनाई िड़ी हो गई अजञानी कह नही सकत कयोकक उनह भरोसा नही जञातनयो को भरोसा

ह लककन सीमा-रिाए िो गई ह

कफर ककसी न सझाया ककसी ऐस आदमी को िोिो िो दोनो क रीच म हो रदध क साथ रदध का

तनकटतम तशषय आनद चालीस विो तक रहा था लोगो न कहा आनद को पिो कयोकक न तो वह अभी रदधतव

को उपलबध हआ ह और न वह अजञानी ह वह दवार पर िड़ा ह इस पार ससार उस पार रदधतव चौिट पर

िड़ा ह दहली पर िड़ा ह और िलदी करो अगर वह दहली क पार हो गया तो उसकी भी सीमा-रिाए िो

िाएगी

आनद न िो दोहराया वही सगहीत हआ आनद की रड़ी करणा ह िगत पर अगर आनद न होता रदध

क वचन िो गय होत और रदध क वचन िो गय होत तो रदध का नाम भी िो गया होता

नही कक तम रदध क नाम या वचन स मि हो िाओग आग शबद स कभी कोई िला िल शबद स कभी

ककसी की ततपत हई लककन सराग तमलता ह राह िलती ह शायद तमम स कोई चल पड़ सरोवर की रात

सनकर ककसी की पयास साफ हो िाए कोई चल पड़ हिार सन कोई एक चल पड़ लाि सन कोई एक पहच

िाए उतना भी कया कम ह

तो तम पित हो तिनहोन रदध की मरताया रनायी कया उनहोन आजञा का उललघन ककया

तनतित ही आजञा का उललघन ककया करन योगय था अगर कही कोई अदालत हो तो म उनक पकष म

िड़ा होऊ म रदध क तिलाफ उनक पकष म िड़ा होऊ तिनहोन मरताया रनायी उनहोन सगमरमर क नाक-नकश

स थोड़ी सी िरर हम तक पहचा दी

रदध की मरता रनानी असभव ह कयोकक रदधतव अरप ह तनराकार ह रदध की तम कया परततमा

रनाओग कस रनाओग कोई उपाय नही ह लककन कफर भी अदभत मरताया रनी उन मरतायो को अगर कोई

गौर स दि तो मरताया कतिया ह तमहार भीतर कोई ताल िल िाएग गौर स दित-दित तमहार भीतर

कोई चारी लग िाएगी कोई दवार अचानक िल िाएगा

हमन सगमरमर म मरताया रनायी कयोकक सगमरमर पतथर भी ह और कोमल भी रदध पतथर िस

कठोर ह और फल िस कोमल तो हमन सगमरमर चना सगमरमर कठोर ह पर शीतल रदध पतथर िस

कठोर ह पर उन िसा शीतल उन िसा शात तम कहा पाओग हमन सगमरमर की मरताया चनी कयोकक रदध

िर िीतवत थ तर भी व ऐस ही शात रठ िात थ कक दर स दिकर शक होता कक आदमी ह या मरता

मन एक रड़ी परानी कहानी सनी ह एक रहत रड़ा मरताकार हआ उस मरताकार को एक ही भय था

सदा मौत का िर उसकी मौत करीर आन लगी तो उसन अपनी ही गयारह मरताया रना ली वह इतना रड़ा

162

कलाकार था कक लोग कहत थ अगर वह ककसी की मरता रनाए तो पहचानना मतककल ह कक मल कौन ह मरता

कौन ह मरता इतनी िीवत होती थी

िर मौत न दवार पर दसतक दी तो वह अपनी ही गयारह मरतायो म तिपकर िड़ा हो गया शवास उसन

साध ली उतना ही फका था कक वह शवास लता मरताया शवास न लती उसन शवास रोक ली मौत भीतर आई

और रड़ भम म पड़ गई एक को लन आई थी यहा रारह एक िस लोग थ लककन मौत को धोिा दना इतना

आसान तो नही मौत न िोर स कहा और सर तो ठीक ह एक िरा सी भल रह गई वह तचतरकार रोला कौन

सी भल मौत न कहा यही कक तम अपन को न भल पाओग

लककन अगर रदध िड़ होत वहा तो उतनी भल भी न रह गई थी उतनी भी भल न रह गई थी अपनी

याद भी न रह गई थी अपना होना भी न रह गया था अगर रदध को तम ठीक स समझोग तो उनक

सवातभमान म भी तम तवनमरता को लहर लत दिोग उनक होन म भी तम न होन का सवाद पाओग

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही

िदी की लहर भी आई तो रिदी की तरह

तनयाि की ही मर नाि म भी शान रही--मरी अतसमता म मर सवातभमान म भी तवनमरता की ही शान

रही उसकी ही मतहमा क गीत चलत रह िदी की लहर भी आई--और कभी मन समझा भी कक म ह--िदी की

लहर भी आई तो रिदी की तरह इस तरह समझा कक िस नही ह

हमन सगमरमर म रदध को िोदा कभी रदध की परततमाओ क पास रठकर गौर स दिो यह पतथर म िो

िदा ह इसम रहत कि तिपा ह रदध की आि दिो रद ह रद आि कहती ह कक राहर िो कदिाई पड़ता

था अर वयथा हो गया अर भीतर दिना ह यातरा रदल गई अर राहर की तरफ नही िात ह अर भीतर की

तरफ िात ह िो कदिाई पड़ता था अर उसम रस नही रहा अर तो उसी को दिना ह िो दिता ह अर िषटा

की िोि शर हई दकय की नही मरता ऐसी तथर ह िरा भी कपन का पता नही चलता ऐस ही भीतर रदध की

चतना तथर हो गई ह तनषकप हो गई ह िस हवा का एक झोका भी न आए और दीय की लपट ठहर िाए

मरता म हमन यह सर िोदा मरता तो एक परतीक ह अगर तम उस परतीक का राि समझो तो दित-दित मरता

को तम भी मरता िस हो िाओग अचिा ही ककया तिनहोन रदध की आजञा न मानी

रदध तरलकल ठीक ही कहत थ कक मरता मत रनाना कयोकक म अमता ह आकार मत ढालना कयोकक म

तनराकार ह तम िो कि भी करोग गलत होगा सीमा होगी उसकी म असीम ह रदध तरलकल ठीक ही कहत

थ लककन यह रात दसर रदधो क तलए ठीक होगी तम सरका कया होता तम सरक तलए तो तनराकार की भी

िरर आएगी तो आकार स तमहार तलए तो तनगाण की भी िरर आएगी तो सगण स तम तो अनाहत नाद भी

सनोग तो भी आहत नाद स ही तम तो वही स चलोग न िहा तम हो िहा रदध ह वहा तो पहचना ह वहा स

तमहारी यातरा न हो सकगी

और रदध क वचन तिनहोन इकि ककय वस वचन पथवी पर रहत कम रोल गय ह िस वचन रदध क ह

िसी सीधी उनकी चोट ह और िस मनषय क हदय को रपातररत कर दन की कीतमया ह उनम वस वचन रहत

कम रोल गय ह िो सकत थ वचन और रहत रदध भी हए ह रदध क पहल उनक वचन िो गय ह उनक

तशषयो म कोई गहरा आजञाकारी न था ऐसा मालम होता ह रड़ा दभाागय हआ रड़ी हातन हई कौन िान

उनम स कौन सा वचन तमह िगान का कारण हो िाता तनतमतत रन िाता

163

तो म दोनो रात कहता ह तिनहोन मरताया रनायी रदध क वचन तोड़ तिनहोन रदध क वचन इकि

ककय उनहोन रदध क वचन तोड़ लककन कफर भी म कहता ह कक उनहोन ठीक ही ककया अचिा ही ककया और

गहर म म िानता ह कक रदध भी उनस परसि ह कक उनहोन ऐसा ककया कयोकक रदध तो वही कहत ह िो व कह

सकत ह िो उनह कहना चातहए तशषय को तो और भी रहत सी रात सोचनी पड़ती ह रदध कया कहत ह वही

नही अधर म भटकत हए िो हिारो लोग आ रह ह उनका भी तवचार करना िररी ह

रदधो क पास एक परम का िनम होता ह यदयतप रदध कहत ह परम आसति ह लककन रदधो क पास परम

की आतिरी मतिल आती ह यदयतप रदध कहत ह मर परम म मत पड़ना पर कस रचोग ऐस आदमी स

तितना व कहत ह मर परम म मत पड़ना उतना ही उनक परतत परम उमगता ह उतना ही उनक परतत परम रहता

ह तितना व तमह समहालत ह उतना ही तम डगमगात हो करठन ह रहत रदध तमल िाए और परम म न

पड़ना करठन ह ठीक ही रदध कहत ह कक मर परम म मत पड़ना लककन रचना असभव ह

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

फररकत भी िहा तपघल िात ह िहा दवता भी िड़ हो तो परम म पड़ िाए

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

िर रदधो क पास कोई आता ह तो ऐस मकाम पर आ िाता ह कक--उनकी तशकषा ह कक परम म मत पड़ना-

-लककन उनका होना ऐसा ह कक हम परम म पड़ िात ह उनकी तशकषा ह कक हम पकड़ना मत पर कौन होगा

पतथर का हदय िो उनह िोड़ द

तो कफर करना कया ह कफर होगा कया होगा यही कक ऐस भी पकड़न क ढग ह तिनको पकड़ना नही

कहा िा सकता परम की ऐसी भी सरत ह तिनम आसति नही लगाव की ऐसी भी शतलया ह तिनम लगाव

नही परम म डरा भी िा सकता ह और परम क राहर भी रहा िा सकता ह म तमस कहता ह िस िल म

कमल ऐस रदध क पास रहना होता ह परम म पड़त भी ह और अपना दामन रचाकर चलत भी इस

तवरोधाभास को तिसन साध तलया वही रदधो क सतसग क योगय होता ह

इनम स दो म स तमन अगर एक को साधा अगर तम परम म पड़ गय िस कक कोई साधारण िगत क

परम म पड़ िाता ह तो परम रधन हो िाता ह तर रदध स तमहारा सरध तमन सोचा िड़ा रदध की तरफ स टट

गया तमन समझा तम पास रह रदध की तरफ स तम हिार-हिार मील दर हो गय अगर तमन सोचा कक

सरध रनाएग ही नही कयोकक सरध रधन रन िाता ह तो तम रदध क पास कदिाई पड़ोग लककन पास न

पहच पाओग तरना परम क कभी कोई पास आया

तो म तमस रड़ी उलझन की रात कह रहा ह परम भी करना और सावधान भी रहना परम भी करना

और परम की ििीर मत रनाना परम करना और परम का मकदर रनाना परम करना और परम को मति रनाना

तिस िगह आकर फररकत भी तपघल िात ह िोश

लीतिए हिरत समहतलए वह मकाम आ ही गया

रहत समहल-समहलकर सतसग होता ह सतसग का ितरा यही ह कक तम परम म पड़ सकत हो और

सतसग का यह भी ितरा ह कक परम स रचन क ही कारण तम दर भी रह सकत हो दर रहोग तो चकोग परम

रधन रन गया तो चक िाओग ऐसी मसीरत ह पर ऐसा ह कि करन का उपाय नही समहल-समहलकर

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चलना ह इसतलए सतसग को िडग की धार कहा ह िस तलवार की धार पर कोई चलता हो--इधर तगर कआ

उधर तगर िाई

लीतिए हिरत समहतलए

रहत समहलकर चलन की रात ह

दसरा परशनाः चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

अधरा कदिाई पड़न लग तमटना शर हो िाता ह कयोकक न दिन म ही अधर क पराण ह

अगर कतवता की पतिया ही दोहरा दी हो तर तो रात दसरी अगर ऐसा अनभव म आना शर हो गया

हो--चारो ओर मर घोर अधरा अगर यह वचन उधार न हो सना-सनाया न हो ककसी और की थाली स

चराया न हो अगर इसका थोड़ा सवाद आया हो तो तिस अधरा कदिन लगा उस परकाश की पहचान आ गई

कयोकक तरना परकाश की पहचान क कोई अधर को भी दि नही सकता अधरा यानी कया िर तक तम परकाश

को न िानोग--भला एक ककरण सही भला एक िोटा सा रटमरटमाता तचराग सही--लककन रोशनी दिी हो तो

ही अधर को पहचान सकोग

यही तो घटता ह रदधपरिो क पास तम अपन अधर को लकर िर उनकी रोशनी क पास आत हो तर

तमह पहली रार पता चलता ह--चारो ओर मर घोर अधरा उसक पहल भी तम अधर म थ अधर म ही िनम

अधर म ही रड़ हए अधर म ही पल-पस अधरा ही भोिन अधरा ही ओढ़नी अधरा ही तरिौना अधरा ही

शवास अधरा ही हदय की धड़कन पहचानन का कोई उपाय न था

इसतलए शासतर सतसग की मतहमा गात ह और शासतर गर की मतहमा गात ह उस मतहमा का कल राि

इतना ह कक िर तक तम ककसी ऐस वयति क पास न आ िाओ िहा परकाश िलता हो िहा दीया िलता हो

तर तक तम अपन अधर को न पहचान पाओग तलना ही न होगी पहचान कस होगी तवपरीत चातहए

कटरासट चातहए तो कदिाई पड़ना शर होता ह और िर कदिाई पड़ना शर होता ह तर घरड़ाहट शर होती

ह तर िीवन एक रचनी हो िाता ह तर कही चन नही पड़ता उठत-रठत सोत-िागत काम करत न करत

सर तरफ भीतर एक खयाल रना रहता ह

चारो ओर मर घोर अधरा

भल न िाऊ दवार तरा

परीततकर ह रात अधर म परी सभावना ह कक दवार भल िाए अधर म दवार का पता कहा ह अधर म

तो दवार का सपना दिा ह दवार कहा लककन अगर इतनी याद रनी रह और इतनी पराथाना रनी रह और यह

भीतर सरतत समतत चलती रह--भल न िाऊ दवार तरा तो यही समतत धीर-धीर दवार रन िाती ह

दवार कही तमस राहर थोड़ ही ह दवार कही तमस तभि थोड़ ही ह दवार कोई ऐसी िगह थोड़ ही ह तिस

िोिना ह दवार तमस परगट होगा तमहार समरण स ही दवार रनगा तमहार साततय सतत चोट स ही दवार

रनगा तमहारी पराथाना ही तमहारा दवार रन िाएगी तिसको नानक सरतत कहत ह करीर सरतत कहत ह

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तिसको रदध न समतत कहा ह तिसको पतिम का एक रहत अदभत परि गरतिएफ सलफ ररमरररग कहता था-

-सवय की समतत सव समतत--वही तमहारा दवार रनगी

अधर की याद रिो भलन स अधरा रढ़ता ह याद रिन स घटता ह कयोकक याद का सवभाव ही

रोशनी का ह समतत का सवभाव ही परकाश का ह याद रिो--चारो ओर मर घोर अधरा इस कभी गीत की

कड़ी की तरह गनगनाना मत यह तमहारा मतर हो िाए शवास भीतर आए राहर िाए इसकी तमह याद रनी

रह इसकी याददाकत क माधयम स ही तम अधर स अलग होन लगोग कयोकक तिसकी तमह याद ह तिसको

तम दित हो िो दकय रन गया उसस तम अलग हो गय पथक हो गय

भल न िाऊ दवार तरा

भि गहन तवनमरता म िीता ह दवार तमल भी िाए तो भी वह यही कहगा भल न िाऊ दवार तरा

कयोकक वह िानता ह कक मर ककय तो कि होगा नही मर ककय तो सर अनककया हो िाता ह म तो भवन

रनाता ह तगर िात ह म तो योिना करता ह वयथा हो िाती ह म परर िाता ह पतिम पहच िाता ह

अचिा करता ह ररा हो िाता ह कि सोचता ह कि घटता ह मर ककय कि भी न होगा भि कहता ह त

ही अगर तरी कपा अगर ररसती रह तो ही कि सभव ह

भल न िाऊ दवार तरा

एक रार परभ हाथ पकड़ लो

रहत ही रकढ़या पति ह कयोकक एक रार अगर परभ न हाथ पकड़ तलया तो कफर िटता ही नही

कयोकक उसकी तरफ स एक रार पकड़ा गया सदा क तलए पकड़ा गया और एक रार तमहार हाथ को उसक

हाथ का सपशा आ िाए तो तम तम न रह वह हाथ ही थोड़ ही ह पारस ह ित ही लोहा सोना हो िाता ह

लककन तमह अथक टटोलत ही रहना पड़गा वह हाथ मफत नही तमलता ह वह हाथ उनही को तमलता ह

तिनहोन िर िोिा ह वह हाथ उनही को तमलता ह तिनहोन िोि की पराकाषठा कर दी वह हाथ उनही को

तमलता ह तिनहोन िोिन म कि भी रि न िोड़ा अगर तमन थोड़ी भी रचाई हई ह अपनी ताकत तो तम

चालाक हो तो तमहारी पराथाना वयथा िाएगी अगर तमन सर दाव पर लगा कदया तो तमहारी िीत तनतित ह

यह काम िआररयो का ह दकानदारो का नही धमा िआररयो का काम ह दकानदारो का नही तहसार-

ककतार मत रिना कक चलो दो पसा ताकत लगाकर दि एक आना ताकत लगाकर दि दो आना ताकत

लगाकर दि ऐस तहसार- ककतार स उसका हाथ तमहार हाथ म न आएगा कयोकक तमहारी रईमानी िातहर

ह िर तम अपन को परा दाव पर लगा दत हो--पीि कि िटता ही नही--िर तम सवय ही पर दाव पर रठ

िात हो उसी कषण हाथ हाथ म आ िाता ह उस कषण हाथ म न आए तो रड़ा अनयाय हो िाएगा वसा

अनयाय नही ह--दर ह अधर नही और दर भी तमहार कारण ह

यह कहावत तमन सनी ह--दर ह अधर नही लककन कहावत म लोग सोचत ह कक दर उसकी तरफ स

ह वही गलती ह दर तमहारी तरफ स ह तम तितनी दर चाहो लगा दो तम रमन स टटोल रह हो तम

टटोलत भी हो और डर हो कक कही तमल न िाए तम ऐस टटोलत भी हो और शककत हो कक कही हाथ हाथ म

आ ही न िाए कयोकक रड़ा ितरनाक हाथ ह कफर तम तम ही न हो सकोग उसक राद उसकी एक झलक

तमह राि कर िाएगी उसकी एक ककरण तमह सदा क तलए तमटा िाएगी तम िस हो वस न रचोग

हा तम िस होन चातहए वस रचोग िो तमहारा सवभाव ह रचन का िो कड़ा-करकट तमन अपन

चारो तरफ इकिा कर तलया ह पद का परततषठा का नाम का रप का वह सर िलकर राि हो िाएगा तो

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तमहारी पराथाना--परमातमा स तमहारी पराथाना--रस एक ही हो सकती ह और वह पराथाना ह कक यह मरा िो

कड़ा-करकट ह तिसको मन समझा कक म ह इस तमटा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

तमहारी रस एक ही पराथाना हो सकती ह कक तम तफान क तलए पराथाना करो

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह--ककनारा कही कदिाई नही पड़ता सारी जिदगी का अनभव यही ह कक

ककनारा कही नही ह और कककती िरार--और नाव टटी-फटी अर डरी तर डरी म तो घरराकर दआ करता

ह तफा क तलए--तो म एक ही पराथाना करता ह कक परमातमा तफान भि द

िरा अपनी कककती को गौर स तो दिो िरा अपन चारो तरफ आि िोलकर दिो ककनार कहा ह

सपन दि ह तमन ककनारो क आशाए सिोई ह तमन ककनारो की ककनार ह कहा तम डरत हो आि उठान म

भी कक कही ऐसा न हो कक ककनारा सच म ही न हो तम आि झकाकर ककनारो की सोचत रहत हो कक आि

नही पहच कल पहच िाएग पहच िाएग एक रात तो तमन मान ही रिी ह कक ककनारा ह

म तमस कहता ह कक तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई भी ककनारा नही वह तटहीन उपिव ह

कोई ककनारा नही कभी कोई वहा ककनार पर नही पहचा न एलकिडर न नपोतलयन कभी कोई वहा ककनार

पर नही पहचा सभी रीच म ही डरकर मर िात ह कोई थोड़ा आग कोई थोड़ा पीि

लककन आग-पीि का भी कया मतलर ह िहा ककनारा न हो ककनारा होता तो कोई ककनार क पास

पहचकर डरता तो कहत थोड़ा आग हम रीच मझधार म डर िात तो कहत कक थोड़ पीि लककन सभी िगह

रीच मझधार ह रीच मझधार ही ह ककनारा नही ह

और कककती की तरफ तो दिो िरा थगड़ लगाए चल िात हो एक िद टटता ह भरत हो दसरा िल

िाता ह भरत हो पानी उलीचत रहत हो जिदगी इस टटी कककती क रचान म ही रीत िाती ह

िो िानत ह व तफान क तलए पराथाना करत ह व कहत ह परमातमा म िसा ह मझ तमटा ताकक म

वसा हो सक िसा तन चाहा

जिदगी दररया-ए-रसातहल ह और कककती िरार

म तो घरराकर दआ करता ह तफा क तलए

और तमहार िीवन म अगर ऐसी पराथाना का परवश हो िाए--पराथाना यानी मतय की पराथाना--और कोई

पराथाना ह भी नही तमन पराथानाए की ह मझ भलीभातत पता ह तमहार मकदरो म मन तमहारी पराथानाए भी

सनी ह तमहारी मतसिदो म तमहार गरदवारो म तमहारी पराथानाए िदी पड़ी ह पतथर-पतथर पर तलिी ह

लककन तमन सदा पराथाना उसी जिदगी क तलए की तिसम कोई ककनारा नही ह और तमन सदा पराथाना उसी

कककती को सधार दन क तलए की िो न कभी सधरी ह न सधर सकती ह तमन कभी पराथाना अपन को डरा

दन क तलए न की तिसन की उसकी परी हो गई और िो डरन को रािी ह मझधार म ही ककनारा तमल

िाता ह

तिस तम जिदगी कहत हो उसका कोई ककनारा नही और तिसको म परमातमा कह रहा ह वह ककनारा

ही ककनारा ह वहा कोई मझधार नही दिन का ढग एक तो अहकार क माधयम स दिना ह--टटी कककती क

माधयम स--वहा डर ही डर ह मौत ही मौत ह और एक अहकार को हटाकर दिना ह वहा कोई मौत नही

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कोई डर नही कयोकक अहकार ही मरता ह तम नही तमहार भीतर तो शाशवत ह एस धममो सनतनो तमहार

भीतर तो अमत ह तमहार भीतर तो शाशवत तिपा ह सनातन तिपा ह

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

रस एक िोटी सी रात कक अहकार न रह िाए

अगर इसान अपन आप स रगाना हो िाए

िरा अपन स दर हो िाए िरा अपन को िोड़ द यह अपना होना िरा तमटा द

अभी मयिाना-ए-दीदार हर िर म िलता ह

कफर तो हर कण-कण म परमातमा की मधशाला िल िाती ह कफर तो कण-कण म उसी की मधशाला

िल िाती ह कफर तो सभी तरफ उसी का परसाद उपलबध होन लगता ह रस िरा सी तरकीर ह तम िरा हट

िाओ तमहार और परमातमा क रीच म तमहार तसवाय और कोई भी नही

तीसरा परशनाः इस परवचनमाला म आपन कई रार कहा ह एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह और

आिया तो यह ह कक वह हर रार नय रप म आपक दवारा परगट हआ ह कया सनातन धमा एक ह या अनक

तो एक ह लककन उसक परततजरर अनक हो सकत ह रात परा चाद तनकलता ह सागरो म भी झलकता

ह सरोवरो म भी झलकता ह िोट-िोट डररो म भी झलकता ह--परततजरर रहत ह

सागर म रताकर भी मन तमस कहा एस धममो सनतनो िोट सरोवर म भी रताकर कहा एस धममो

सनतनो राह क ककनार विाा म भर गय डरर म भी रताकर कहा एस धममो सनतनो मन रहत रार कहा

रहत रप म कहा लककन व सर परततजरर ह और िो चाद ह वह तो कहा नही िा सकता इसतलए तम और

उलझन म पड़ोग

मन िर भी कहा एस धममो सनतनो यही सनातन धमा ह तभी परततजरर की रात कही ह परततजरर म

मत उलझ िाना इशारा ककया इशार को मत पकड़ लना और िो ह ऊपर वह िो चाद ह असली उसकी

तरफ कोई इशारा नही ककया िा सकता अगतलया वहा िोटी पड़ िाती ह शबद वहा काफी तसदध नही होत

और कफर उस चाद को दिना हो तो तमह गदान रड़ी ऊची उठानी पड़गी और तमहारी आदत िमीन म दिन

की हो गई ह तो तमह परततजरर ही रताए िा सकत ह

लककन अगर परततजरर कही तमहार िीवन का आकिाण रन िाए कही परततजरर का चरक तमह िीच ल

तो शायद आि नही कल तम असली की तलाश म भी तनकल िाओ कयोकक परततजरर तो िो-िो िाएगा िरा

हवा का झोका आएगा झील कप िाएगी और चाद टटकर तरिर िाएगा तो आि नही कल तमह यह खयाल

आना शर हो िाएगा िो झील म दिा ह वह सच नही हो सकता सच की िरर हो सकती ह सच की दर की

धवतन हो सकती ह--परततधवतन हो सकती ह परततजरर हो सकता ह--लककन िो झील म दिा ह वह सच नही हो

सकता शबद म तिस कहा गया ह वह सतय नही हो सकता लककन शबद म तिस कहा गया ह वह सतय का

रहत दर का ररकतदार हो सकता ह

मलला नसरददीन क िीवन म ऐसा उललि ह कक एक तमतर न दर गाव स एक मगी भिी मलला न शोररा

रनाया िो मगी को लकर आया था उस भी तनमततरत ककया कि कदनो राद एक दसरा आदमी आया मलला न

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पिा कहा स आए उसन कहा म भी उसी गाव स आता ह और तिसन मगी भिी थी उसका ररकतदार ह

अर ररकतदार का ररकतदार भी आया था तो उसको भी ठहराया उसक तलए भी शोररा रनवाया लककन कि

कदन राद एक तीसरा आदमी आ गया कहा स आ रह हो उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार

का ररकतदार ह

ऐस तो सखया रढ़ती चली गई मलला तो परशान हो गया यह तो महमानो का तसलतसला लग गया

मगी कया आई य तो लोग चल ही आत ह यह तो परा गाव आन लगा आतिर एक आदमी आया उसस पिा

कक भाई आप कौन ह उसन कहा तिसन मगी भिी थी उसक ररकतदार क ररकतदार क ररकतदार का तमतर ह

मलला न शोररा रनवाया उस तमतर न चिा लककन वह रोला यह शोररा यह तो तसफा गरम पानी

मालम होता ह मलला नसरददीन न कहा यह वह िो मगी आई थी उसक शोरर क शोरर क शोरर का तमतर ह

दर होती िाती ह चीि मन तमह झील म कदिाया तम ऐसा भी कर सकत हो--कर सकत हो नही

करोग ही--तम झील क सामन एक दपाण करक दपाण म दिोग कयोकक िर म तमस कहता ह तम मझ थोड़ ही

सनोग तमहारा मन उसकी वयाखया करगा

िर मन कहा तभी चाद दर हो गया म िर दिता ह तर चाद ह िर म तमस कहता ह तर झील म

परततजरर ह िर तम सनत हो और सोचत हो तर तमन झील को भी दपाण म दिा कफर दपाण को भी दपाण म

दित चल िाओग ऐस सतय स शबद दर होता चला िाता ह

इसतलए रहत रार तिनहोन िाना ह व चप रह गय लककन चप रहन स भी कि नही होता िर तम

कह-कहकर नही सनत हो िगाए-िगाए नही िगत हो तो चप रठन को तम कस सनोग िर शबद चक िाता

ह तो मौन भी चक िाएगा िर शबद तक चक िाता ह तो मौन तो तनतित ही चक िाएगा कफर भी िो

कहा िा सकता ह वह परततधवतन ह इस याद रिना उस परततधवतन क सहार मल की तरफ यातरा करना

तीथायातरा करना

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

शबद िोट पड़ िात ह दायरा िोटा ह

तग था तिसक तलए हरफ-रया का दायरा

कहन की सीमा ह िो कहना ह उसकी कोई सीमा नही गीत की सीमा ह िो गाना ह उसकी कोई सीमा

नही वादय की सीमा ह िो रिाना ह उसकी कोई सीमा नही

वो फसाना हम िामोशी म सनाकर रह गय

लककन िामोशी तो तम कस समझोग शबद भी चक िात ह तहलाए-तहलाए तम नही तहलत नीद स

िगाए-िगाए तम नही तहलत नीद स शबद तो ऐस ह िस पास म रिी घड़ी म अलामा रिता हो तर भी तम

नही िगत तो तिस घड़ी म अलामा नही रिता उसस तम कस िगोग

तो रहत जञानी चप रह गय रहत जञानी रोल चप रहन वालो को तमन समझा िानत ही नही रोलन

वालो स तमन शबद सीि और तम पतडत हो गय लककन कि जञातनयो न रीच का रासता चना और रीच का

रासता ही सदा सही रासता ह उनहोन कहा भी और इस ढग स कहा कक अनकहा भी तमह भल न िाए उनहोन

कहा भी और कहन क रीच-रीच म िाली िगह िोड़ दी उनहोन कहा भी और ररि सथान भी िोड़ ररि

सथान तमह भरन ह

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तमन िोट रचचो की ककतार दिी ह एक शबद कदया होता ह कफर िाली िगह कफर दसरा शबद कदया

होता ह और रचचो स कहा िाता ह रीच का शबद भरो िो परमजञानी हए उनहोन यही ककया एक शबद

कदया िाली िगह दी कफर दसरा शबद कदया रीच की िाली िगह तमह भरनी ह िो म कह रहा ह वह

परततजरर ह िो तम भरोग वह चाद होगा

सतय उधार नही तमल सकता सतय को तमह िनमाना होगा सतय को तमह अपन गभा म धारण करना

होगा सतय तमहार भीतर रढ़गा िस मा क पट म रचचा रड़ा होता ह वह तमहारा िन तमहारी शवास मागता

ह वह तमहारा ही तवसतार होगा िर तक तम ही चाद न रन िाओ तर तक तम चाद को न दि सकोग

इसतलए मन रहत रार कहा और रहत रार कहगा कयोकक य रदध क वचन तो अभी रहत दर तक

चलग रहत रार रहत िगह कहगा एस धममो सनतनो तर तम समरण रिना कक म यह नही कह रहा ह कक

धमा रहत ह म इतना ही कह रहा ह कक रहत सथान ह िहा स धमा का इशारा ककया िा सकता ह कभी गलार

क फल की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो सनतनो कभी चाद की तरफ इशारा करक कहगा एस धममो

सनतनो कभी ककसी िोट रचच की आिो म झाककर कहगा एस धममो सनतनो कयोकक चाह गलार हो चाह

आि हो चाह चाद हो सौदया एक ह

रहत रपो म परमातमा परगट हआ ह हमार अधपन की कोई सीमा नही इतन रपो म परगट हआ ह और

हम पि चल िात ह कहा ह कही एकाध रप म परकट होता तर तो तमलन का कोई उपाय ही न था इतन

रपो म परगट हआ ह सर तरफ स उसन ही तमह घरा ह िहा िाओ वही सामन आ िाता ह तिसस तमलो

उसी स तमलना होता ह सनो झरन की आवाि तो उसी का गीत सनो रात का सिाटा तो उसी का मौन

दिो सरि को तो उसी की रोशनी और दिो अमावस को तो उसी का अधरा इतन रपो म तमह घरा ह

कफर भी तम चकत चल िात हो अभागा होता मनषय अगर कही उसका एक ही रप होता एक ही मकदर होता

और कवल वह एक ही िगह तमलता होता तर तो कफर कोई शायद पहच ही न पाता इतन रपो म तमलता ह

कफर भी हम चक िात ह

तो म रहत िगह तमस कहगा यह रहा परमातमा इसका यह मतलर नही कक रहत परमातमा ह इसका

इतना ही मतलर कक रहत उसक रप ह अनक उसक ढग ह अनक उसकी आकततया ह लककन वह सवय इन

सभी आकततयो क रीच तनराकार ह होगा भी कयोकक इतन रप उसी क हो सकत ह िो अरप हो इतन

आकार उसी क हो सकत ह िो तनराकार हो इतन अनत-अनत माधयमो म वही परगट हो सकता ह िो परगट

होकर भी परा परगट न हो पाता हो

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

पराथानाए रदल िाती ह रदगी क ढग रदल िात ह पिा रदल िाती ह कभी गरदवारा कभी मतसिद

कभी तशवाला कभी कारा कभी काशी

रदगी न हिार रि रदल

न मालम ककतन पतथरो क सामन तसर झक और न मालम ककतन शबदो म उसकी पराथाना की गई और

न मालम ककतन शासतर उसक तलए रच गय

रदगी न हिार रि रदल

िो िदा था वही िदा ह हनि

170

लककन आि तक िो िदा था वही िदा ह

तो रहत रार म कहगा एस धममो सनतनो यही ह सनातन धमा इसस तम यह मत समझ लना कक यही

ह इसस तम इतना ही समझना कक यहा भी ह और रहत िगह भी ह सभी िगह ह सभी िगह उसका

तवसतार ह वह तमहार आगन िसा नही ह आकाश िसा ह यदयतप तमहार आगन म भी वही आकाश ह

चौथा परशनाः मरी हालत ततरशक की हो गई ह न पीि लौट सकती न आग कोई रासता कदिाई पड़ता ह

िाऊ तो िाऊ कहा

धमा को कही ह भी नही िहा हो वही होना ह

अचिा ही हआ कक आग कोई रासता नही कदिाई पड़ता नही तो िाना िारी रहता अचिा ह कक पीि

भी लौट नही सकत नही तो लौट िात इसस रचनी मत अनभव करो रचनी अनभव होती ह यह म समझता

ह कयोकक िान की आदत हो गई ह कही िान को न हो तो आदमी घरड़ाता ह रकार भी िान को हो तो

भी तनजित चला िाता ह

कहा िा रह ह इसका इतना सवाल नही ह िा रह ह कि काम चल रहा ह लगता ह कि हो रहा ह

कही पहच रह ह मतिल की ककसको कफकर ह वयसतता रनी रहती ह चलन म उलझ रहत ह तो लगता ह

कि हो रहा ह

कौन कहा पहचा ह चलकर तम भी न पहचोग कोई कभी चलकर नही पहचा िो पहच रककर

पहच तिनहोन िाना ठहरकर िाना दिो रदध की परततमा को चलत हए मालम पड़त ह रठ ह िर तक

चलत थ तर तक न पहच िर रठ गय पहच गय

यह तो रड़ी शभ घड़ी ह लककन हमारी आदत िरार हो गयी हमारी आदत चलन की हो गई ह तरना

चल ऐसा लगता ह िीवन रकार िा रहा ह चाह चलना हमारा कोलह क रल का चलना हो कक गोल चककर म

घमत रहत ह ह वही रोि तम उठत हो करत कया हो रोि चलत हो पहचत कहा हो साझ वही आ िात

हो िहा सरह तनकल थ िनम िहा स शर ककया मौत वही ल आती ह एक गोल वतालाकार ह

मन सना ह कक एक रहत रड़ा तारका क तल िरीदन गया था तली क घर तली का कोलह चल रहा था

रल कोलह िीच रहा था तल तनचड़ रहा था तारका क था उसन दिा यह काम कोई हाक भी नही रहा ह रल

को वह अपन आप ही चल रहा ह

उसन पिा गिर यह रल अपन आप चल रहा ह कोई हाक भी नही रहा रक कयो नही िाता उस

तल वाल न कहा महानभाव िर कभी यह रकता ह म उठकर इसको कफर हाक दता ह इसको पता नही चल

पाता कक हाकन वाला पीि मौिद ह या नही

तारका क तारका क था उसन कहा लककन तम तो रठ दकान चला रह हो इसको कदिाई नही पड़ता उस

तल वाल न कहा िरा गौर स दि इसकी आिो पर परिया राधी हई ह इस कदिाई कि नही पड़ता िर भी

यह िरा ठहरा या रका कक मन हाका पर उस तारका क न कहा कक तम तो पीठ ककय रठ हो उसकी तरफ पीि

चल रहा ह कोलह तमह पता कस चलता ह उसन कहा आप दित नही रल क गल म घटी राधी हई ह िर

तक रिती रहती ह म समझता ह चल रहा ह िर रक िाती ह उठकर म हाक दता ह इसको पता नही चल

171

पाता उस तारका क न कहा अर एक सवाल और कया यह रल िड़ होकर गदान नही तहला सकता ह उस तल

वाल न कहा िरा धीर-धीर रोल कही रल न सन ल

तम िरा अपनी जिदगी तो गौर स दिो न कोई हाक रहा ह मगर तम चल िा रह हो आि रद ह

गल म िद ही घटी राध ली ह वह भी ककसी और न राधी ऐसा नही हालाकक तम कहत यही हो पतत कहता

ह पतनी न राध दी चलना पड़ता ह रटा कहता ह राप न राध दी ह राप कहता ह रचचो न राध दी ह कौन

ककसक तलए घटी राध रहा ह कोई ककसी क तलए नही राध रहा ह तरना घटी क तमह ही अचिा नही लगता

तमन घटी कोशगार समझा ह आि पर परिया ह घटी रधी ह चल िा रह हो कहा पहचोग इतन कदन

चल कहा पहच मतिल कि तो करीर आई होती

लककन िर भी तमह कोई चौकाता ह तम कहत हो धीर रोलो िोर स मत रोल दना कही हमारी

समझ म ही न आ िाए तम ऐस लोगो स रचत हो ककनारा काटत हो िो िोर स रोल द सतो क पास लोग

िात नही और अगर िात ह तो ऐस ही सतो क पास िात ह िो तमहारी आिो पर और परिया रधवा द और

तमहारी घटी पर और रग-पातलश कर द न रि रही हो तो और रिन की वयवसथा रता द ऐस सतो क पास

िात ह कक तमहार पर अगर तशतथल हो रह हो और रठन की घड़ी करीर आ रही हो तो पीि स हाक द कक

चलो रठन स कही कोई पहचा ह कि करो कमाठ रनो परमातमा न भिा ह तो कि करक कदिाओ

थोड़ा समझना िीवन की गहनतम रात करन स नही तमलती होन स तमलती ह करना तो ऊपर-ऊपर

ह पानी पर उठी लहर ह होना ह गहराई

अचिा ही हआ लककन वयाखया गलत हो रही ह

परशन ह मरी हालत ततरशक की हो गई ह

एकदम अचिा हआ शभ हआ धनयवाद दो परमातमा को लककन शबद स लगता ह कक तशकायत ह

तशकवा ह कयोकक तमह लग रहा ह यह तो कही क न रह पीि लौट नही सकत िररत कया ह लौटन की

पीि लौट सकत तो कया तमलता पीि स तो होकर ही आ रह हो कि तमलना होता तो तमल ही गया होता

हाथ तमहार िाली ह और पीि लौटना ह तिस रासत स गिर चक तसवाय धल क कि भी नही लाए हो साथ

कफर लौटकर िाना ह

तम कहोग चलो िोड़ो पीि नही आग तो िान दो मगर यह रासता वही ह िो पीि की तरफ फला ह

वही आग की तरफ फला ह य एक ही रासत की दो कदशाए ह तम तिस रासत पर पीि चलत आ रह हो उसी

पर तो आग िाओग न उसी कीशिला होगी उसी का तसलतसला होगा

अर तक कया तमला पचास साल की उमर हो गई अर रीस साल और इसी रासत पर चलोग कया

तमलगा तम कहोग चलो यह भी िोड़ो कोई दसरा रासता रता दो मगर रासता तम चाहत हो कयोकक

चलना तमहारी आदत हो गई ह दौड़न की तवतकषपतता तम पर सवार हो गई ह रक नही सकत ठहर नही

सकत दो घड़ी रठ नही सकत

कयो कयोकक िर भी तम रकत हो तभी तमह जिदगी की वयथाता कदिाई पड़ती ह िर भी तम ठहरत

हो िाली कषण तमलता ह तभी तमह लगता ह यह तो शनय ह कि भी मन कमाया नही तभी तम कप िात

हो एक सताप पकड़ लता ह एक अतसततवगत िाई म तगरन लगत हो उसस रचन क तलए कफर तम काम म

सलगन हो िात हो कि भी करन म लग िात हो रतडयो िोलो अिरार पढ़ो तमतर क घर चल िाओ पतनी स

172

झगड़ लो कि भी रहदा काम करन लगो एक गद िरीद लाओ रीच म रससी राध लो इसस उस तरफ फको

उस तरफ स इस तरफ फको

लोग कहत ह फटराल िल रह ह कोई कहता ह वालीराल िल रह ह और लािो लोग दिन भी इकि

होत ह िलन वाल तो नासमझ ह समझ म आया कम स कम िल रह ह लककन लािो लोग दिन इकि होत

ह मारपीट हो िाती ह एक गद को इस तरफ स उस तरफ करत हो शमा नही आती मगर सारी जिदगी ऐसी

ह कि भी करन को रहाना तमल िाए ताश फकत रहत ह ताश तरिरत रहत ह शतरि तरिा लत ह

जिदगी म तलवार चलाना िरा महगा धधा ह घोड़ वगरह रिना भी िरा मतककल ह हाथी तो अर कौन

पाल शतरि तरिा लत हो हाथी-घोड़ चलात हो और ऐस तललीन हो िात हो िस सारा िीवन दाव पर

लगा ह तम अपन को ककतनी भातत धोि दत हो

रहत हआ अर िागो और िागन का एक ही उपाय ह कक तम थोड़ी दर को रोि िाली रठन लगो

कि भी मत करो करना ही तमहारा ससार ह न करना ही तमहारा तनवााण रनगा कि दर को िाली रठन

लगो घड़ी-दो घड़ी ऐस हो िाओ िस हो ही नही एक शनय सिाटा िा िाए शवास चल चलती रह लककन

कतय की कोई आसपास भनक न रह िाए तम रस चपचाप रठ रहो धीर-धीर--शर म तो रड़ी रचनी होगी

रड़ी तलफ पकड़गी कक कि भी कर गिरो कया रठ यहा समय िरार कर कह हो--लककन िलदी ही तम

पाओग कक िीवन की तरग शात होती िाती ह भीतर क दवार िलत ह

मर पास लोग आत ह उनस म कहता ह चप रठ िाओ व कहत ह यह हमस न होगा कम स कम मतर

ही द द तो हम वही िपग मगर करग माला द द उसको ही कफरात रहग

अर शतरि म और माला म कोई फका ह चाह तम कफलमी गीत गनगनाओ और चाह तम राम-राम

िपो कोई फका नही असली सवाल तमहार वयसत होन का ह कस तम अवयसत हो िाओ अनआकपाइड हो

िाओ

धयान का अथा ह करन को कि भी न हो रस तम हो िस फल ह िस आकाश क तार ह ऐस रस हो

गय कि नही करन को करठन ह रहत सवाातधक करठन ह इसस जयादा करठन कि भी नही

लककन अगर तम रठत ही रह रठत ही रह रठत ही रह तो ककसी कदन अचानक तम पाओग रि उठी

कोई वीणा भीतर स उसकी भतवषयवाणी नही की िा सकती म कि कह नही सकता कर यह होगा तम पर

तनभार ह आि हो सकता ह िनम भर न हो तम पर तनभार ह

लककन ककसी कदन िर रि उठगी तमहारी भीतर की वीणा तर तम पाओग वयथा गवाया िीवन भीतर

इतना रड़ा उतसव चल रहा था हम हाथी-घोड़ चलात रह भीतर इतन रड़ आनद की अहरनाश विाा हो रही

थी भीतर सवगा क दवार िल थ हम रािार म गवात रह

म यह नही कह रहा ह कक तम रािार िोड़कर भाग िाओ म तमस यह कह रहा ह कक चौरीस घट म

दो घड़ी अपन तलए तनकाल लो राकी सर घड़ी रािार म गवा दो कोई हिाा नही जिदगी क आतिर म तम

पाओग िो रठकर तमन गिारा समय वही रचाया राकी सर गया

और एक रार तमहार भीतर का यह अतनााद तमह सनाई पड़न लग--उस ओकार कहो या िो तमहारी

मिी हो--तिस कदन यह भीतर का अतनााद तमह सनाई पड़न लगगा उस कदन कफर तम रािार म रहो दकान

म रहो िहा रहो कोई फका नही पड़ता भीतर की वीणा रिती ही रहती ह सदा रिती रही ह तसफा तमह

सनन की आदत नही ह सनन की सामथया नही ह तम तालमल नही तरठा पाए हो

173

तो अचिा हआ कक हालत ततरशक की हो गई न पीि िान का कोई रासता--भगवान को धनयवाद दो न

आग िान का कोई उपाय--रड़ा सौभागय अर रठ िाओ वही रठ िाओ िहा हो न पीि लौटकर दिो न

आग आि रद कर लो कही िाना नही ह अपन पर आना ह

तिस तम िोित हो वह तम म तिपा ह तिसकी तरफ तम िा रह हो वह तम म रसा ह आतिर म

यही पाया िाता ह कक हम तिस तलाशत थ वह तलाश करन वाल म ही तिपा था इसीतलए तो इतनी दर

लग गई और िोि न पाए

आतिरी सवालाः परम मन िाना नही यही मर िीवन की चभन रही यही कारण होगा तिसन मझ धयान

म गतत दी धयान स अशातत और वर-भाव तमट रह ह भति और समपाण मर तलए कोर शबद रह कफर भी

धयान म और तवशिकर परवचन म कई रार यह परगाढ़ भाव रना रहता ह कक इस िीवन म िो भी तमल सकता

था सर तमला हआ ह

िान म कि भी दभाागय नही ह राधाए ही सीकढ़या भी रन सकती ह और सीकढ़या राधाए भी रन

सकती ह सौभागय और दभाागय तमहार हाथ म ह िीवन तटसथ अवसर ह एक राह पर रड़ा पतथर पड़ा हो

तम वही अटककर रठ सकत हो कक अर कस िाए पतथर आ गया तम उस पतथर पर चढ़ भी सकत हो और

तर तम पाओग कक पतथर न तमहारी ऊचाई रढ़ा दी तमहारी दतषट का तवसतार रढ़ा कदया तम रासत को और

दर तक दिन लग तितना पतथर क तरना दिना सभव न था तर पतथर सीढ़ी हो गया

यह परशन ह कक मन परम िीवन म नही िाना यही मर िीवन की चभन रही

उस चभन मत समझो अर परम नही िाना तनतित ही इसीतलए धयान की तरफ आना हआ उस

सौभागय रना लो अर परम की रात ही िोड़ दो कयोकक तिसन धयान िान तलया परम तो उसकी िाया की

तरह अपन आप आ िाएगा

दो ही तवकलप ह परमातमा को पान क दो ही राह ह एक ह परम एक ह धयान िो तमलता ह वह तो

एक ही ह कोई परम स उसकी तरफ िाता ह उस रासत की सतवधाए ह ितर भी सतवधा यह ह कक परम रड़ा

सहि ह सवाभातवक ह ितरा भी यही ह कक इतना सवाभातवक ह कक उसम उलझ िान का डर ह होश नही

रहता रहोशी हो िाती ह

इसतलए अतधक लोग परम स परमातमा तक नही पहचत परम स िोट-िोट कारागह रना लत ह उनही म

रद हो िात ह परम रहत कम लोगो क तलए मति रनता ह अतधक लोगो क तलए रधन रन िाता ह परम

अतधक लोगो क तलए राग रन िाता ह और िर तक परम तवराग न हो तर तक परमातमा तक पहचना नही

होता

तो परम की सतवधा ह कक वह सवाभातवक ह परतयक वयति क भीतर परम की उमग ह ितरा भी यही ह

कक वह इतना सवाभातवक ह कक उसम होश रिन की िररत नही तम उसम उलझ सकत हो

तिनक िीवन म परम नही सभव हो पाया--और रहत लोगो क िीवन म सभव नही हो पाया ह--तो

रठकर काट को पकड़कर मत पित रहो नही परम सभव हआ जचता िोड़ो धयान सभव ह और धयान क भी

ितर ह और सतवधाए भी ितरा यही ह कक शरम करना होगा चषटा करनी होगी परयास और साधना करनी

होगी सकलप करना होगा अगर िरा भी तशतथलता की तो धयान न सधगा अगर िरा भी आलसय की तो

174

धयान न सधगा अगर ऐस ही सोचा कक कनकन-कनकन कर लग तो न सधगा िलना पड़गा सौ तडगरी पर

उरलना पड़गा यह तो करठनाई ह लककन फायदा भी ह कक थोड़ा भी धयान सध तो साथ म होश भी सधता

ह कयोकक परयास साधना सकलप

इसतलए धयान सध तो कभी भी कारागह नही रनता करठनाई ह सधन की परम सध तो िाता ह रड़ी

आसानी स लककन िलदी ही ििीर ढल िाती ह धयान सधता ह मतककल स लककन सध िाए तो सदा ही

मोकष और सदा ही मति क आकाश की तरफ ल िाता ह

और दतनया म दो तरह क लोग ह एक तो व कक अगर परम न सधा तो उनहोन धयान को साध तलया

और िो ऊिाा परम म िाती वही सारी धयान म सलगन हो गई या िो धयान न सधा तो उनहोन सारी ऊिाा को

परम म समरपात कर कदया या तो भि रनो या धयानी य एक तरह क लोग ह

दसर तरह क लोग ह उनस परम न सधा तो धयान की तरफ तो न गय रस परम का रोना लकर रठ ह

रो रह ह कक परम न सधा और उनही की तरह क दसर लोग भी ह कक धयान न सधा तो रस व रठ ह रो रह ह

उदास मकदरो म आशरमो म कक धयान न सधा व परम की तरफ न गय

म तमस कहता ह सर साधन तमहार तलए ह तम ककसी साधन क तलए नही परम स सध परम स साध

लना धयान स सध धयान स साध लना साधन का थोड़ ही मलय ह तम रलगाड़ी स यहा मर पास आए कक

पदल आए कक टरन स आए कक हवाई िहाि स आए आ गय रात ितम हो गई तम कस आए इसका कया

परयोिन ह पहच गय रात समापत हो गई

धयान रिना पहचन का कफर परम स हो कक धयान स हो भति स हो कक जञान स हो इस उलझन म

रहत मत पड़ना साधन को साधय मत समझ लना साधन का उपयोग करना ह सीढ़ी स चढ़ िाना ह और भल

िाना ह नाव स उतर िाना ह और तवसमरण कर दना ह नाव का

इतनी ही याद रनी रह कक सर धमा तमहार तलए ह सर साधन तवतधया तमहार तलए ह तमही गतवय

हो तमही हो िहा पहचना ह तमस ऊपर कि भी नही

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

चडीदास क य शबद ह कक सरस ऊपर मनषय का सतय ह उसक ऊपर कि भी नही ह इसका यह मतलर

नही ह कक परमातमा नही ह इसका इतना ही मतलर ह कक मनषय अगर अपन सतय को िान ल तो परमातमा

को िान ल

सारार ऊपर मानस सतय ताहार ऊपर नाही

तम सरस ऊपर हो कयोकक तम अपन अतरतम म तिप परमातमा हो रीि हो अभी कभी फल रन

िाओग लककन रीि म फल तिपा ही ह न िाद का कोई मलय ह न िमीन का न सरि की ककरणो का

इतना ही मलय ह कक तमहार भीतर िो तिपा ह वह परगट हो िाए

इसतलए वयथा क साधनो की रहत तिदद मत करना िस भी पहचो पहच िाना परमातमा तमस यह न

पिगा ककस मागा स आए कस आए आ गय सवागत ह

आि इतना ही

  • तथाता म ह कराति
  • उठो तलाश लाजिम ह
  • अतरबाती को उकसाना ही धयान
  • अनत छिपा ह कषण म
  • कवल शिषय जीतगा
  • समझ और समाधि क अतरसतर
  • परारथना सवय मजिल
  • परारथनाः परम की पराकाषठा
  • जागरण का तल + परम की बाती = परमातमा का परकाश
  • परम की आखिरी मजिलः बदधो स परम
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