अंक - indianrailways.gov.in · े हाईसकूल पकदका उ दणर कक...

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  • अनु�मिणका अंक – 25वां अ�ैल–जून, 2019

    1. िहन्द ािहहतकाक- ुिम�ानं्न पन् - लेख 2. �द ुिम�ानन्न पन् क क ना – पललव – किव्ा 3. �्नांक 12/03/2019 को केलवे बोडर काजजााा कातारनवतन िमि् क 133 व� बैठक के ्शृत 4. ्हद खाने के फात्-े सवाससत लेख 5. दख – लघु कथा 6. �ि� के गुण उ े बड़ा बना्े – लेख 7. �्नांक 15-04-2019 को केलवे बोडर मम तोिज् डड. जदमकाव

    अमबेडकक जद क 128 व� जतन्द माकोह के ्शृत 8. बे�टतां – किव्ा 9 . जज ाहब का फै ला- कहानद 10. छ् क का्म –किव्ा 11. का� के गौकव का गान – किव्ा 12. ्ांगेवाला – ुज�ा कानद ौहान – कहानद

    ंककक वद.के. ता्व

    अधतक, केलवे बोडर

    ए . एन. अ�वाल

    ्सतय का�मक

    �धान ंपा्क ए .पद. माहद

    कातरपालक िन्शेक सथााो.( क)

    ंपा्क

    डड. व�ण कुमाक िन्शेक,काजजााा

    उप ंपा्क नद� पटनद

    ंतु�न िन्शेक,काजजााा

    ह ंपा्क पु�षप्क कौक

    हातक िन्शेक, काजजााा

    मो. ािबक अलद ह न ि ��क , व�क. अनुवा् अिधकाकद

    प्ा : काजजााा िन्ेशालत, केल मं�ालत (केलव ेबोडर),

    कमका न.ं 542, केल जवन, केलव ेबोडर नई �्ललदाु - 110001. Email : [email protected]

  • ुिम�ानं्न पन ्

    ुिम�ानं्न पं् का जनम अलमोड़ा (अब

    बागे�क) िज़ले के कौ ानद नामक �ाम मम 20 मई 1900ई. को � । जनम के छह घंटे बा् हद उनक माा का िनधन हो गता। उनका लालन-पालन उनक ्ा्द ने �कता। उनका नाम गो ा� ्� कखा गता। वे गंगा्� पं् क ठव� ं्ान थे। 1910 मम िशका �ा� ककने गवनरममट हाईसकूल अलमोड़ा गए। तह� उनहहने अपना नाम गो ा� ्� े ब्लकक ुिम�ानं्न पं् कख िलता। 1918 मम माझले जाई के ाथ काशद गते औक कवदन कडलेज मम पपने लगे। वहाा े हाईसकूल पकदका उ�दणर कक मतोक कालेज मम पपने के िलए इलाहाबा् ले गए। 1921 मम अ हतोग ं्ोलन के ्ौकान महाहमा गांधद के जाक्दतह े अं�ेजद िव�ालतह , महािव�ालतह, नतातालतह एवं अनत ककाकद कातारलतह का बिहषकाक ककने के हवान पक उनहहने महािव�ालत छोड़ �्ता औक घक पक हद िहन्द , ंसकृ्, बागला औक अं�ेजद जााा- ािहहत का अधततन ककने लगे। इलाहाबा् मम हद उनक का� े्ना का िवका � । कुछ वा� बा् उनहम घोक �थक ंकट का ामना ककना पड़ा। कजर े जूझ्े �ए िप्ा का िनधन हो गता। कजर ुकाने के िलए जमदन औक घक जद बे ना पड़ा। इनह� प�किसथि्तह मम वे माा रवा् क कक उनमुख �ए।

    1931 मम कुा वक ुकेश � ह के ाथ कालाकांकक , �्ापगप ले गते औक अनेक वा� ्क वह� कह।े महाहमा गााधद के ाििधत मम उनहम हमा के �काश का अनुजव � । 1938 मम �गि्शदल माि क पि�का '�पाज' का मपा्न �कता। �द अकिवन् �म क ता�ा े धतािहमक े्ना का िवका � । 1950 े 1957 ्क काशवाणद मम पकामशर्ा्ा कह।े 1958 मम 'तुगवाणद' े 'वाणद' का� ं�हह क �ि्िनिध किव्ा� का ंकलन 'ि ्मबका' �कािश् � , िज पक 1968 मम उनहम 'जाक्दत जानपदठ ' पुकसकाक �ा� � । 1960 मम 'कला औक बूपा ाा् ' का� ं�ह के िलए ' ािहहत अका्मद पुकसकाक ' �ा� � । 1961 मम वे 'प�जूाण' क उपािध े िवजूिा् �ए। 1964 मम िवशाल महाका� 'लोकात्न' का �काशन � । कालान्क मम उनके अनेक का� ं�ह �कािश् �ए। वे जदवन-पतरन् क नाक् कह।े

    अिववािह् पं् जद के अं्ःककण मम नाकद औक �कृि् के �ि् जदवन ौन्तरपकक जावना कहद। वे सवतं गौकवणर, ुं्क ौमत मुखाकृि् , लंबे घुंघकाले बाल , छकहकद काता के ाथ ुं्क औक ौमत �ि�हव के सवामद थे। फूल,जौके, न्द, पवन, जल, पकदगण, झकने, बफर , उाा , ंधता , गगन �् �कृि् के उपा्ानह े उनका का�- ं ाक िन�म् ह।ै इनहम ‘�कृि् का ुकुमाक किव’ कहा जा्ा ह।ै

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80

  • ािहहत ृजन

    ा् वार क उउ मम , जब वे ौथद कका मम हद पप कह ेथे, उनहहने किव्ा िलखना शुु कक �्ता था। 1918 के पा ्क वे �ह्द क नवदन धाका के �व्रक किव के �प मम पह ाने जाने लगे थे। इ ्ौक क उनक किव्ाए ंवदणा मम ंकिल् ह�। 1926 मम उनका �ि � का� ंकलन ‘पललव’ �कािश् � । कुछ मत प�ा् वे अपने जाई ्वेद्� के ाथ अलमोड़ा गते। इ द ्ौकान वे माा र व �ातड क िव ाकधाका के �जाव मम ते। 1936 मम उनहहने '�पाज' नामक �गि्शदल माि क प� िनकाला। शमशेक, कघुपि् हात �् के ाथ वे �गि्शदल लेखक ंघ े जद जुडे़ कह।े वे 1950 े 1957 ्क काशवाणद े जुडे़ कह ेऔक मुखत-िनमार्ा के प् पक कातर �कता। उनक िव ाकधाका तोगद अकिवन् े �जािव् जद �ई जो उनक बा् क क ना� 'सवणर�ककण' औक 'सवणरधूिल' मम ्खेद जा क्द ह।ै “वाणद” ्था “पललव” मम ंकिल् उनके छोटे गद् िवकाट �ापक �्तर ्था पिव�्ा े ाकाहकाक कका्े ह�। “तुगां्” क क ना� के लेखन ्क वे �गि्शदल िव ाकधाका े जुडे़ �्द् हो्े ह�। “तुगां्” े “�ामता” ्क उनक का�ता�ा �गि्वा् के िनि�् व �खक सवकह क उउोाणा कक्द ह।ै

    उनक ािहिहतक ता�ा के ्दन �मुख पड़ाव ह� – �थम मम वे छातावा्द ह� , ् ूके मम माजवा्द ्श� े �े�क् �गि्वा्द ्था ्द के मम अकिवन् ्शरन े �जािव् अधताहमवा्द।

    1907 े 1918 के काल को सवतं उनहहने अपने किव-जदवन का �थम कण माना ह।ै इ काल क किव्ाएा वाणद मम ंकिल् ह�। नय 1922 मम उच्वा औक 1926 मम पललव का �काशन � । ुिम�ानं्न पं् क कुछ अनत का� कृि्ताा ह� - �िनथ, गंुजन, �ामता, तुगां्, सवणर�ककण, सवणरधूिल, कला औक बूपा ाा्, लोकात्न, ि ्बंका, हतकाम �्। उनके जदवनकाल मम उनक 28 पुस्कम �कािश् �� , िजनमम किव्ाए,ं प�-नाटक औक िनबंध शािमल ह�।

    इ द ं�ह मम उनक �ि � किव्ा 'प�कव्रन' िममिल् ह।ै '्ाकापथ' उनक �ि्िनिध किव्ा� का ंकलन ह।ै उनहहन ेजतोहता नामक एक �पक क क ना जद क ह।ै उनहहने मधुजवाल नाम े उमक खयताम क ुबाइतह के �ह्द अनुवा् का ं�ह िनकाला औक डड ह�कवंश कात ब�न के ाथ ंतु� �प े खा्द के फूल नामक किव्ा ं�ह �कािश् ककवाता।

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%B5https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AE%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%98%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B2_%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B2_%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%97%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%B2_%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%B5https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A3https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%A7%E0%A5%82%E0%A4%B2%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE_%E0%A4%94%E0%A4%B0_%E0%A4%AC%E0%A5%82%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%AE%E0%A4%B0_%E0%A4%96%E0%A4%AF%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%AE%E0%A4%B0_%E0%A4%96%E0%A4%AF%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%AE%E0%A4%B0_%E0%A4%96%E0%A4%AF%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF_%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%A8

  • िव ाकधाका

    उनका ंपूणर ािहहत ' हतं िशवं ुन्कमय ' के ्श� े �जािव् हो्े �ए जद मत के ाथ िनकं्क ब्ल्ा कहा ह।ै जहां �ाकंिजक किव्ा� मम �कृि् औक �्तर के कमणदत ि � िमल्े ह� वह� ् ूके कण क किव्ा� मम छातावा् क ू�म कलपना� व कोमल जावना� के औक अंि्म कण क किव्ा� मम �गि्वा् औक िव ाकशदल्ा के। उनक ब े बा् क किव्ाए ंअक�व् ्शरन मानव कलताण क जावना� े क्�ो् ह�। पं् पकंपकावा्द लो कह औक �गि्वा्द ्था �तोगवा्द लो कह के ामने कजद नह� झुके। उनहहने अपनद किव्ा� मम पूवर मानत्ा� को नकाका नह�। उनहहने अपने ेपक लगने वाले कोपह को 'नउ अवजा ' किव्ा के माधतम े खा�कज �कता। वह कह्े थे 'गा को�कला ं्शे ना्न, मानव का प�क त मानवपन।'

    पुकसकाक व ममान �ह्द ािहहत ेवा के िलए

    उनहम प�जूाण(1961), जानपदठ(1968), ािहहत अका्मद, ्था ोिवत् ल�ड नेह� पुकसकाक जै े उ� �ेणद के ममानह े अलंकृ् �कता गता। ुिम�ानं्न पं् को ममान ्े् े �ए उनके िनवा सथान को , जहा ंवे ब पन मम कहा कक्े थे , ' ुिम�ानं्न पं् वदिथका ' के नाम े एक ं�हालत के �प मम प�कव�्् कक �्ता गता ह।ै जहां उनक �ि�ग् �तोग क वस्ु� जै े कपड़ह , किव्ा� क मूल पांडुिलिपतह , छाताि �ह, प�ह औक पुकसकाकह को �्�श् �कता गता ह।ै किव्ा ं�ह क पांडुिलिपतां जद ुकिक् कखद ह�। कालाकांकक के कंुवक ुकेश � ह औक

    ह�कवंश कात ब�न े �कते गते उनके प� �वहाक क �ि्िलिपतां जद तहां मौजू् ह�। इ मम एक पुस्कालत जद है , िज मम उनक �ि�ग् ्था उन े ंबंिध् पुस्कह का ं�ह है ं�हालत मम उनक समृि् मम �हतेक वार पं् �ाखतान माला का तोजन हो्ा ह।ै तहाा े ' ुिम�ानं्न पं् �ि�हव औक कृि्हव ' नामक पुस्क जद �कािश् क गई ह।ै उनके नाम पक इलाहाबा् शहक मम िसथ् हाथद पाकर का नाम ' ुिम�ानं्न पं् बाल उ�ान ' कक �्ता गता ह।ै उनक मृहतु 29 �् मबक 1977 को �ई।

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3https://hi.wikipedia.org/wiki/1961https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A0https://hi.wikipedia.org/wiki/1968https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%AE%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%A4_%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1_%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%82_%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0

  • किव्ा “पललव”

    अके! ते पललव-बाल! जा ुमनह के ौकज-हाक

    गूाथ्े वे उपहाक; अजद ्ो ह� ते नवल-�वाल,

    नह� छूटो ्ु-डाल; िव� पक िविसम्-ि ्वन डाल,

    िहला्े अधक-�वाल!

    न प�ह का ममरु ंगद्, न पुुाह का क , काग, पकाग; एक असफुट, असपप, अगद्, ुि� क ते सवििल मुसकान;

    कल िशशु� के शुि अनुकाग, वनत िवहगह के गान !

    �्त के �णत कंुज मम लदन मूक को�कल का मा्क गान, बहा जब ्न मन बंधन हदन मधुक्ा े अपनद अनजान; िखल उठद को� द ्हकाल

    पललवह क तह पुल�क् डाल !

    �थम मधु के फूलह का बाण ्कुा उक मम, कक मृ् ु घा्, ुिधक े फूट पड़द ुि मान

    पललवह क तह जल �जा ;् िशका� मम उक क अजा्

    न� जग जदवन कक गि्वान !

    �्व का इनमम कज्-� ाक उाा का सवणर- ुहाग;

    िनशा का ्ुिहन-अ�ु-�ृंगाक, ााझ का िनःसवन काग;

    नवोपा क ल�ा ुकुमाक, ्ुण्म- ुन्क्ा क ग!

    कलपना के ते िवहवल बाल, ाख के अ�,ु �्त के हा ; वे्ना के �्दप क जवाल,

    �णत के ते मधुमा ; ुछिव के छाता वन क ाा जक गई इनमम हाव, �ला !

    ज पललिव् �ई ह ैडाल,

    झुकेगा कल गंुिज्-मधुमा ! मुगध हहगे मधु े मधु-बाल,

    ुकिज े अिसथक मु्ाकाश !

    ुिम�ानं्न पं ्

  • �्नांक 12/03/2019 को केलवे बोडर काजजााा कातारनवतन िमि् क 133 व� बैठक के ्शृत

  • बैठक के ्ौकान ई-पि�का का िवमो न कक्े केलवे बोडर, ्सत का�मक - �द ए . एन. अ�वाल

  • ्हद खाने के फात् े

    ्हद, जाक्दत थालद का एक महहवपूणर िहस ा ह.ै थालद मम ्हद होने का म्लब ह ै�क पक थालद सवा�्प होने के ाथ हद पौिपमक जद ह.ै

    हाल मम �ए एक शोध के अनु ाक , ्हद मम मौजू् ्हव शकदक को कई ्कदके े फात्ा प� ंा्े ह�. ते �ो-बातो�टक फूड कैिलशतम े जकपूक हो्ा ह.ै कैिलशतम क उपिसथि् ्ां् औक हि�तह को मजबू्द ्नेे का काम कक्द ह.ै

    कैिलशतम के ाथ हद ते िवटािमन औक ् ूके ऐ े कई पोाक ्हवह ेजद जकपूक ह ैजो शकदक के िलए ज�कद हो्े ह�. ्हद पा न ��ता के िलए जद ब�् काकगक ह.ै तहां� कुछ ऐ े हद काकणह का उललेख ह ैिज े ते ािब् हो्ा ह ै�क ्हद खाना सवाससत के िलए ब�् फात्मंे् ह:ै

    1. कोग-�ि्कोधक कम्ा के िलए हक कोज एक कटोकद ्हद खाने े कोग-�ि्कोधक कम्ा जद बप्द ह.ै इ मम मौजू् गुड बैाटद�कता इमतून ि सटम को बेह्क बना्े ह�.

    2. ्ां्ह के िलए फात्ेमं्- ्हद ्ां् के िलए जद ब�् फात्मंे् हो्ा ह.ै इ मम जकपूक मा�ा मम कैिलशतम औक फडसफोक

    उपिसथ् हो्ा ह.ै ते हि�तह क मजबू् द के िलए जद ब�् फात्मंे् ह.ै ते ऑिसट-तोपोकोि औक ग�ठता मम काह् ्नेे का काम कक्ा ह.ै

    3. वजन घटान ेमम काकगक - ्हद मम ब�् अिधक मा�ा मम कैिलशतम पाता जा्ा ह.ै ते एक ऐ ा ्हव ह ैजो शकदक को फूलने नह� ्े् ा ह ैऔक वजन नह� बपने ्नेे मम हातक हो्ा ह.ै

    4. ्नाव कम ककन े मम - ्हद खाने का दधा ंबंध मिस्मषक े ह.ै पको ते जानकक हकैानद होगद �क ्हद का ेवन ककने वालह को ्नाव क िशकात् ब�् कम हो्द ह.ै इ द वजह े िवशेाज कोजाना ्हद खाने क लाह ्े् े ह�.

    5. ेजार के िलए- अगक प खु् को ब�् थका � मह ू कक कह ेह� ्ो हक कोज ्हद का ेवन ककना पके िलए अचछा कहगेा. ते शकदक को हाइ�टेेड ककके एक नई ेजार ्नेे का काम कक्ा ह.ै

    https://aajtak.intoday.in/story/health-benefits-of-amla--1-829376.htmlhttps://aajtak.intoday.in/story/health-benefits-of-amla--1-829376.htmlhttps://aajtak.intoday.in/story/say-no-to-white-bread--1-828750.htmlhttps://aajtak.intoday.in/story/say-no-to-white-bread--1-828750.html

  • दख िव�मा�्हत � ह

    ब�् मत पहले क बा् ह ैह ंह का एक झंुड ह�क�ाक ह�क ्शरन के िलए जा कहा था। गमम के �्न थे , अ ानक

    ्ेज ंधद तद औक ह ंह के मु्ात मम े एक ह ं का जोड़ा िबछड़ गता औक कास्ा जटक गता। जटक्े -जटक्े वे िनजरन सथान पक प� ं गए। का् िब्ाने के िलए बूपे बकग् का हाका िलता। उ द बकग् पक एक उललू कह्ा था। का् को ह ं अपनद ह ंनद े बोला....कै ा िनजरन सथान ह,ै ्कू-्कू ्क कह� ह�कतालद नह� ह.ै..खाने क बा् ्ो छोड़ो पदने के िलए पानद ्क नह� है....प्ा नह� तहाा के लोग कै े कह्े होगम। ्ब ह ंनद बोलद ... प ठदक कह कह ेह�...तह सथान बड़ा हद िवि � ह ैऔक जतानक जद। मुझे ्ो लग्ा ह ैतहाा ि फर उललू कह्ा होगा। उन ्ोनह क बा् उललू ुन कहा था। ूकज क पहलद �ककण पड़्े हद ह ं क नजक उललू पक पड़द ्ो वो थोडा हम गता , पक खु् पक िनतं�ण कख्े �ते बोला काम -काम उललू जाई, कै े ह� प.....उललू जद बोला काम-काम जाई। ुबह �ई ्ो ह ं अपनद ह ंनद को लेकक ल पड़ा। ह ं -ह ंनद को जा्े ्ेख उललू ने पदछे े वाज लगाई ....अके जाई ह ं ्ुम जा कह ेहो अचछद बा् ह ैपक मेकद पपद लेकक कहाा जा कह ेहो। ह ं का माथा ठनका ......औक वह बोला ्ुमहाकद पपद....ातूा मजाक कक्े हो जाई ....ते ्ो मेकद पपद है...उललू बोला मज़ाक ्ो ्ुम कक कह ेहो जाई .....एक ्ो िबना पूछे ्ुने हमाके पेड़ पक �त िलता , हमने अि्िथ मझ कक कुछ नह� बोला ......पक ते ाता बा् �ई क ्ुम मेकद पपद िलते जा कह ेहो...अब ्ो ह ं कोने-िगड़िगड़ाने लगा...औक को्े �ते बोला जाई उललू मुझे माफ कक ्ो , मुझ े गल्द हो गई जो िबना पूछे ्ुमहाके के� मम ता ...पक मेकद पपद मुझे लौटा ्ो। ्ब उललू बोला जाई ्ेख ..... वै े ्ो ते मेकद पपद ह ैले�कन अगक ्ुझे ं्ेह ह ै्ो पं ात् कका लो...पं ात् जो फै ला ्ेगा मुझे मंजूक होगा। ह ं बे ाका ाता कक्ा....पं ात् बुलाई गई। पं ह ने ्ोनह पकह क बा् ुनद ....�फक प मम िव ाक -िवमशर �कता ...एक बुजूगर पं ने अनत पं ह े कहा....्ेखो जाईतह ते ्ो ह ै�क ह ंनद ह ं क पपद ह ैले�कन ते लोग पक्े द ह� औक हम लोगह को उललू के बद हद कहना ह।ै अ् : हम लोग उललू के पक मम हद फै ला ुना्े ह�। जद पं मान गते औक फै ला उललू के पक मम ्े �्ता गता। ह ं बे ाका ब�् ्:ुखद �ता औक को्े �ते वहाा े जाने लगा...्ब उललू बोला....अके जाई ह ं �को जका....ह ं बोला ...जाई एक का् �का ्ो मेकद पपद ले लद अब औक कोक कक मेकद जान लोगे ाता ? ्ब उललू हा ्े �ते बोला अके जाई नह� .....ते ह ंनद ्ुमहाकद पपद थद औक ्ुमहाकद हद कहगेद .....म� ्ो ि फर ्ुमहम ते ब्ा कहा था �क तह सथान इ्ना िनजरन औक जतानक ातूा ह।ै

    “जब ्क जन्ा...पं अपना फै ला, �क द ्बाव मम कक्े कहेगम ्ब-्क �क द माज ता के� का िवका नह� हो क्ा....ते माज का ्ाितहव है �क वे अपना िनणरत ता मथरन उि ् औक तोगत के पक मम ककम”।

    व�क� अनजुाग अिधकाकद, लेखा िवजाग

    पूवर ्ट केलव,े जुवने�क

  • �ि� के गुण उ े बड़ा बना्े

    द्ाकाम गु�ा

    क�ववर रह�म का एक दोहा है:

    ध�न रह�म जल पकं को लघ ुिजय �पयत अघाय, बड़ाई कौन है, जगत �पयासो जाय।

    रह�म कहत ेह� �क क�चड़ के ऊपर ठहरा हुआ या तरैता हुआ पानी धनय है िजसे पीकर छोटे जीव अथारत त क�ड़-ेमकौड़ े

    तपृत होकर पसनन हो जात ेह� ले�कन समदु क� �वशाल जलरा�श का कया महततव जहाँ से सारा ससंार पयासा ह� लौट जाता

    है। समदु के �कनारे सरै करने जाना हो अथवा समदु� याता पर �नकलना हो पीने का साफ पानी साथ लेकर जाना पड़ता है।

    समदु म� पानी क� कमी नह�ं ले�कन पीने योगय न होने के कारण वह बेकार है। बड़ी होने पर भी बेकार चीज़ कभी भी पशसंा के

    योगय नह�ं होती। कहने का तातपयर यह� है �क जो वसत ु�कसी के काम आए चाहे वह कम माता म� ह� कयय न हो महतवपपणर

    होती है और जो वसत ु�कसी के कुछ काम ह� न आए वह अ�धक माता म� उपलबध होने पर भी महततवह�न अथवा बेकार होती

    है। महतव आकार अथवा �वसतार का नह�ं उपयो�गता का होता है। कबीर भी सीधे सरल शबदय म� यह� बात कहत ेह�:

    बड़ा हुआ तो कया हुआ, जैसे पेड़ खजूर, पथंी को छाया नह�ं फल लाग ै अ�त दरू।

    जीवन के हर �ेत म� ये बात लागप होती है। पसेै को ह� ल�िजए। कई लोगय के पास बहुत पसैा होता है ले�कन कइयय के

    पास बहुत कम पसैा होता है या �बलकुल ह� नह�ं होता। जो लोग अपने पास कम पसैा अथवा नयपन साधन होने पर भी दपसरय

    क� मदद करने को ततपर रहत ेह� वे सचमचु धनय और पशसंा के पात ह� जब�क जो लोग समथर होत ेहुए भी �कसी के काम

    नह�ं आत ेया आ सकत े उनक� कैसी बड़ाई? वे पशसंा नह� ं �नदंा करने के लायक होत े ह�। वसतुु ंका महततव उनक�

    उपयो�गता से ह� आँका जाता है और मनषुयय का महततव उनके सवभाव अथवा गणुय से। सदगणुय से सपंनन वयिकत ह� सब

    जगह सममान पाता है। दगुुरणय से यकुत वयिकत कभी सममान नह�ं पा सकता। �बहार� ने भी कहा है:

    अ�त अगाध ु अ�त औथरौ, नद�, कूप, सर बाइ, सो ताकौ सागर जहां जाक� पयास बझुाइ।

  • �बहार� जलसोतय क� �वशषेताु ंका वणरन करत ेहुए कहत ेह� �क नद�, कप प, सरोवर अथवा बावड़ी ये सभी

    गहरे भी हो सकत ेह� और उथले अथारत त कम पानी वाले भी ले�कन एक पयासे वयिकत के �लए वह� जलसोत समदु के

    समान अथारत त �वशाल है जहां उसक� पयास बझु जाए। जो जलसोत पयास बझुाने म� ह� स�म न हो उसका कोई

    महततव नह�ं चाहे वह �कतना ह� �वशाल कयय न हो? इस दोहे को भी अनेक सदंभ� म� देखा जा सकता है। लोग

    शार��रक तौर पर भी सामानय अथवा बहुत अ�धक ताकतवर होत ेह�। य�द �कसी कमज़ोर अथवा असहाय क� र�ा

    क� बात आती है तो वो वयिकत ह� पशसंा का पात है जो सकंट के समय �कसी क� र�ा करने के �लए आगे आए।

    वयिकत ताकतवर होत ेहुए भी य�द �कसी कमज़ोर वयिकत क� र�ा करने के �लए आगे नह� ंआता तो उसक� ताकत

    का कोई सकारातमक उपयोग न होने के कारण वह �नरथरक है।

    इसी पकार से कई चीज़� महंगी होती ह� तथा कई चीज़� ससती होती ह�। सोने और लोहे को ह� ल�िजए। प्न

    उठता है �क इन दोनय म� से कौन सी चीज़ महंगी है और कौन सी चीज़ ससती है? सवाभा�वक है सोना महंगा होता है

    और लोहा ससता होता है ले�कन लोहे क� उपयो�गता के सम� सोना कुछ भी महततव नह�ं रखता। लोहा आज क�

    हर तरह क� उनन�त का आधार है जब�क सोने का मात एक ह� उपयोग है और वो है आभपषण बनाने म�। आज

    आभपषण पहनना ह� सबसे बड़ी समसया बन गया है। कुछ धनी म�हलाएँ कानय म� भार�-भार� सोने के आभपषण

    पहनती ह� िजससे उनके कानय के �छद बड़ ेहोकर भदे लगने लगत ेह�। कई बार ये आभपषण कानय को काट ह� डालत े

    ह�। तभी कहा जाता है �क वो सोना अथवा सवणर आभपषण �कस काम के जो कानय को ह� काट डाल�? आभपषणय के

    लालच म� चोर-डाकप लोगय क� हतया तक कर देत ेह�। पसैा भी पाया झगड़ ेक� जड़ अथवा सकंट का कारण बनता है।

    एक सामानय वयिकत चैन क� नींद सोता है जब�क धनवान के �लए यह असभंव सा ह� है। �फर भी य�द हम सवणर

    अथवा धन-दौलत को बहुत अ�धक महततव देत ेह� तो ये हमार� अ�ानता ह� है। यह� हमारे दखुय का कारण है। िजस

    �दन हम सह� चीज़य को महततव देना सीख ल�गे हमार� बहुत सी समसयाएं सवता समापत हो जाएंगी।

  • हाथी के दांत खाने के और �दखाने के और ये एक प�स� लोकोिकत है। इसका भावाथर है वयिकत क� कथनी

    और करनी म� अतंर होना ले�कन हम हाथीदांत क� उपयो�गता पर चचार कर�गे। यदय�प हाथी के बाहर �दखलाई देने

    वाले दांत बहुत सुंदर होते ह� ले�कन हाथी उनसे खाना नह�ं खा सकता। हाथी को जी�वत रहन े के �लए भोजन

    अ�नवायर है और भोजन को चबाने के �लए उसे मुंह के अदंर के दांतय क� जररत होती है न �क बाहर� दांतय क�। ये

    बाहर� दांत इतन ेसुंदर और क�मती होत ेह� �क कई बार इनके �लए हाथी को अपनी जान तक गंवानी पड जात़ी है।

    हाथीदांत दलुरभ भी होता है अता हाथीदांत क� तसकर� करने वाले लोग इसके ऊंच ेदामय पर �बकने के कारण जंगल

    म� हा�थयय को मारकर इसे पापत करने से भी परहेज नह�ं करते। ऐसे म� हाथीदांत के क�मती और संुदर होने का कया

    फायदा? तभी सरकार को हा�थयय क� जीवन-र�ा के �लए हाथीदांत के कय-�वकय और इससे बनी वसतुु ं के

    इसतेमाल पर प�तबंध लगाना पड़ा। इसी संदभर म� रह�म का एक अनय दोहा भी याद आ रहा है:

    र�हमन दे�ख बडने को लघु न द�िजए डा�र,

    जहां काम आवै सुई कहा करै तरवा�र।

    रह�म कहते ह� �क बड़ी वसत ु �मल जाने पर छोट� वसतु को फ� क देना ठ�क नह�ं। हर वसतु का अपना

    महततव और �व�शषट उपयो�गता होती है। तलवार भले ह� बड़ी होती है और उससे यु� म� �वजय पाई जा सकती है

    ले�कन वह सुई का कायर नह�ं कर सकती। तलवार रसोईघर म� चाकप का काम भी नह�ं दे सकती। कपड़य पर बटन

    लगाने के �लए सुई के अ�त�रकत अनय �कसी चीज़ का इसतेमाल नह�ं �कया जा सकता अता छोट�-छोट� चीज़य क�

    उपे�ा करना समझदार� क� बात नह�ं। इस पकार क� असंखय वसतुएँ और िसथ�तयाँ होती ह� िजनक� उपे�ा करके

    हम भार� संकट म� पड़ सकते ह�।

  • कई बार हमारे कुछ नए �मत बन जाते ह� और हम� लगता है �क ये नए �मत अ�धक संपनन अथवा

    पभावशाल� ह� ले�कन नए संपनन अथवा पभावशाल� �मत बन जाने का अथर ये तो नह�ं �क हम पुराने �मतय

    से संबंध तोड़ ल� अथवा उनक� उपे�ा अथवा अपमान करना शुर कर द�। ले�कन कुछ लोग ऐसा करते ह�

    ुर बार-बार करते ह� जो उनके च�रत क� दबुरलता को ह� पद�शरत करता है।

    कई ऐसे वयिकत भी देखने को �मलते ह� जो वैसे तो सबसे अचछ� तरह से बातचीत करते रह�गे

    ले�कन य�द उनक� दिषट म� कोई बड़ा आदमी उसी समय वहाँ आ जाए तो वे पहले से उपिसथत अनय सभी

    लोगय क� उपे�ा करना अथवा उनह� कमतर �स� करना शुर कर द�गे। सबका यथो�चत सवागत-सतकार

    अ�नवायर है ले�कन उपे�ा अथवा अनादर एक का भी नह�ं �कया जाना चा�हए। कहने का तातपयर यह� है �क

    कोई भी वसतु अलप माता म� हो या अतयंत लघु आकार अथवा कम दाम क� हो उसक� उपयो�गता ह� उसे

    महततवपपणर व पशंसनीय बनाने म� स�म होती है। यह� बात हमारे जीवन पर भी लागप होती है। य�द हमारे

    वयवहार म� अपे��त जीवनोपयोगी छोट�-छोट� बातय का समावेश नह�ं होगा तो न तो हमारा वयिकततव ह�

    पभावशाल� हो सकेगा और न ह� हम समाज म� पशंसा व पेम पाने के अ�धकार� हो सक� गे।

  • �्नांक 15-04-2019 को केलवे बोडर मम तोिज् डड. जदमकाव अमबेडकक जद क 128 व� जतन्द माकोह के ्शृत

  • �्नांक 15-04-2019 को केलवे बोडर मम तोिज् डड. जदमकाव अमबेडकक जद क 128 व� जतन्द माकोह के ्ौकान पुकसकाक िव्कण के ्शृत

  • �्नांक 15-04-2019 को केलवे बोडर मम तोिज् डड. जदमकाव अमबेडकक जद क 128 व� जतन्द माकोह के ्ौकान का� पाठ कक्े किवगण एवं नुु ड़ नाटक का मं न कक्े कलाकाक

  • �्नांक 15-04-2019 को केलवे बोडर मम तोिज् डड. जदमकाव अमबेडकक जद क 128 व� जतन्द माकोह के मापन अव क पक किवतह एवं कलाकाकह का ममान ्था मबोधन कक्े

    केल मं�द �द पदतूा गोतल जद.

  • �क्नद पताकद हो्द ह� बे�टताा

    लाड़लद काज्लुाकद हो्द ह� बे�टताा।

    बे�टतह के गूंज े

    जब गूंज्ा ह ैघक ागन

    लग्ा ह ैपपदह ेन े

    पुकाका हो पताक े

    लग्ा ह ैबाा ुकद कृषण क

    बज उठद झंकाक े ।

    वह खेल्द ह,ै जब मनजावन

    िलए कु ुम द कोमल काता

    बक ्ा ह ैघक- ागन मम

    तूा जै े शद्ल छाता

    उ क एक मुसकान के ग े

    फ के ह� ाा -््ाके

    वह �ठ्द ह ै्ो लग्ा ह ै

    �ठ गता ं ाक ाका

    उ का कंुकुम औक काजल

    उ क ममह्द क लालद

    जदवन मम शुज का कंग जक्े ह�

    �क्ने अजागे ह� वे लोग

    जो कह्े ह ैकुल पक कलंक ह� बे�टताा

    अके अजाग,े कमर के हाके

    ्ू इ्ना जद नह� जान्ा

    ्ो-्ो कुल को जोड़कक

    ्ो ागन महका्द ह� बे�टताा।

    शोजा हो्द ह ैमा्ा-िप्ा क

    ुकाल क ंसकाक ह ैबे�टताा।

    �क्नद पताकद हो्द ह� बे�टताा

    लाड़लद–काज्लुाकद हो्द ह� बे�टताा।

    व�क� अनजुाग अिधकाकद, लेखा िवजाग

    पूवर ्ट केलव,े जुवने�क

    बे�टताा िव�मा�्हत � ह

  • कल का् एक ऐ ा वाकता � िज ने मेकद िज़न्गद के कई पहलु� को छू िलता। ककदब 7 बजे हहग,े शाम को मोबाइल बजा । उठाता ्ो उधक े कोने क वाज... म�ने शां् ककाता औक पूछा �क जाजदजद िखक � ाता? उधक े वाज़ ई.. प कहाा ह� ??? औक �क्नद ्ेक मम क्े ह�? म�ने कहा:- " प पकेशानद ब्ाइते"। औक "जाई ाहब कहाा ह�... ?मा्ाजद �कधक ह�.. ?" " िखक � ाता...?" ले�कन उधक े केवल एक कट �क " प जाइए" , म�ने �ाशन �्ता �क कम े कम एक घंटा प� ंने मम लगेगा। जै े ्ै े पूकद घबड़ाहट मम प�ा ा ; ्ेखा ्ो जाई ाहब [हमाके िम� जो जज ह�] ामने बैठे �ए ह� ; जाजदजद कोना- दखना कक कहद ह�। 12 ाल का बेटा जद पकेशान ह।ै 9 ाल क बेटद जद कुछ नह� कह पा कहद ह।ै म�ने जाई ाहब े पूछा �क " िखक ाता बा् ह"ै??? जाई ाहब कोई जवाब नह� ्े कह ेथे। �फक जाजद जद ने कहा ते ्ेिखते ्लाक के पेपक, ते कोटर े ्ैताक कका के लाते ह�, मुझे ्लाक ्ेना ाह्े ह�, म�ने पूछा - ते कै े हो क्ा ह?ै??. इ्नद अचछद फैिमलद ह,ै ्ो ब�े ह�, ब कुछ ेटलड ह।ै "�थम ्िृप मम मुझे लगा ते मजाक ह"ै औक ते ाके िमलकक मुझे उललू बना कह ेह�, पपे िलखे कािबल लोगह के तहाा ऐ ा कहाा हो्ा ह।ै �फक म�ने ब�ह े पूछा ्ुमहाकद ्ा्द �कधक ह ै�्खाई नह� ्े कह� ?

    ब�ह ने ब्ाता पापा ने उनहम ्दन �्न पहले नोएडा के वृ�ा�म मम िशफट कक �्ता ह।ै

    म�ने घक के नौकक े कहा।

    मुझे औक जाई ाहब को ात िपलाक;

    कुछ ्ेक मम ात ई. मैनम जाई ाहब को ब�् कोिशशम क� ात िपलाने क ।

    ले�कन उनहहने नह� पद औक कुछ हद ्ेक मम वो एक "मा ूम ब�े क ्कह फूटफूट कक कोने लगे "बोले म�ने ्दन �्न े कुछ जद नह� खाता ह.ै म� अपनद 61 ाल क माा को कुछ लोगह के हवाले ककके ता �ा।

    िपछले ाल े मेके घक मम उनके िलए इ्नद मु दब्म हो ग� �क पपद (जाजदजद) ने क म खा लद , �क "म� माा जद का धतान नह� कख क्द" ना ्ो ते उन े बा् कक्द थद औक ना हद मेके ब�े उन े बा् कक्े थे। कोज़ मेके कोटर े ने के बा् माा खूब को्द थद। नौकक ्क जद अपनद मनमानद े �वहाक कक्े थे।

    माा ने ् �्न पहले बोल �्ता.. बेटा ्ू मुझे कलड ऐज होम मम िशफट कक ्े।

    म�ने ब�् कोिशशम क� पकूद फैिमलद को मझाने क , ले�कन �क द ने माा े दधे मुाह बा् नह� क ।

    जब म� ्ो ाल का था ्ब पापा क मृहतु हो गई थद ् ूकह के घकह मम काम ककके माा ने मुझे पपाता। मुझे इ कािबल बनाता �क ज म� जज �ा। लोग ब्ा्े ह� माा कजद ् ूकह के घकह मम काम कक्े वक़् जद मुझे अकेला नह� छोड़्द थ�।

    उ माा को म� कलड ऐज होम मम िशफट ककके ता �ा। िपछले ्दन �्नह े म� अपनद माा के एक-एक ्ःुख को ता् ककके ्ड़प कहा �ा ,जो उ ने केवल मेके िलए उठाए थे।

    जज ाहब का फै ला

  • मुझे ज जद ता् ह ैजब.... "म� ् व� क पकदका मम अपदतक होने वाला था, माा मेके ाथ का् का् जक बैठद कह्द"।

    एक बाक माा को ब�् बुखाक � म� ्जद सकूल े ता था। उ का शकदक गमर था , ्प कहा था। म�ने कहा माा ्ुझे फ वक ह ैहा ्े �ए बोलद अजद खाना बना कहद थद इ िलए गमर ह।ै

    लोगह े उधाक मााग कक मुझे �्ललद िव�िव�ालत े एलएलबद ्क पपाता। मुझे �ूशन ्क नह� पपाने ्े्द थ� �क कह� मेका टाइम ख़काब ना हो जाए।

    कह्े-कह्े कोने लगे औक बोले--"जब ऐ द माा के हम नह� हो के ्ो हम अपने बदबद औक ब�ह के ाता हहगे"। हम िजनके शकदक के टुकड़े ह� , ज हम उनको ऐ े लोगह के हवाले कक ते , ""जो उनक ्् , उनक बदमाकद , उनके बाके मम कुछ जद नह� जान्े", जब म� ऐ द माा के िलए कुछ नह� कक क्ा ्ो "म� �क द औक के िलए जला ाता कक क्ा �ा"।

    ज़ा्द अगक इ्नद पताकद ह ैऔक माा इ्नद बोझ लग कहद ह� , ्ो म� पूकद ज़ा्द ्ेना ाह्ा �ा।

    जब म� िबना बाप के पल गता ्ो ते ब�े जद पल जाएंग.े इ दिलए म� ्लाक ्ेना ाह्ा �ा।

    ाकद �डपटम इन लोगह के हवाले ककके उ कलड ऐज होम मम क�ागा। कम े कम म� माा के ाथ कह ्ो क्ा �ा।

    औक अगक इ्ना ब कुछ कक के "माा �म मम कहने के िलए मजबूक ह"ै, ्ो एक �्न मुझे जद िखक जाना हद पड़ेगा।

    माा के ाथ कह्े-कह्े ्् जद हो जातेगद। माा क ्कह ्कलदफ ्ो नह� होगद।

    िज्ना बोल्े उ े जद जता्ा को कह ेथे।

    बा्म कक्े कक्े का् के 12:30 हो गए।

    म�ने जाजदजद के ेहके को ्ेखा। उनके जाव जद �ाति�� औक गलािन े जके �ए थे ; म�ने �ाइवक े कहा अजद हम लोग नोएडा जाएंगे। जाजदजद औक ब�े हम ाके लोग नोएडा प�ा े।

    ब�् ज़ता्ा �करेसट ककने पक गेट खुला। जाई ाहब ने उ गेटक पक के पैक पकड़ िलए , बोले मेकद माा है , म� उ को लेने ता �ा, ौक ्ाक ने कहा ाता कक्े हो ाहब, जाई ाहब ने कहा म� जज �ा, उ ौक ्ाक ने कहा:-

    "जहाा ाके बू् ामने ह� ्ब ्ो प अपनद माा के ाथ नतात नह� कक पाते, औकह के ाथ ाता नतात कक्े हहगे ाहब"।

    इ्ना कहकक हम लोगह को वह� कोककक वह अन्क ला गता। अन्क े एक मिहला ई जो वाडरन थद. उ ने बड़े का्क शब्ह मम कहा:- "2 बजे का् को प लोग ले जा के कह� माक ्म, ्ो ??

    म� अपने ई�क को ाता जबाब ्ूंगद..?"

    म�ने ि सटक े कहा प िव�ा क�कए। ते लोग ब�् बड़े प�ा्ाप मम जद कह ेह�। अं् मम �क द ्कह उनके कमके मम ले ग�। कमके मम जो ्शृत था, उ को कहने क िसथि् मम म� नह� �ा। केवल एक ोटो िज मम पूकद फैिमलद ह ैऔक वो जद माा जद के बगल मम , जै े �क द ब�े को ुला कखा ह।ै मुझे ्ेख� ्ो उनको लगा �क बा् न खुल जाए ले�कन जब म�ने कहा हम लोग प को लेने ते ह� , ्ो पूकद फैिमलद एक ् ूके को पकड़ कक कोने लगद

    पा के कमकह मम औक जद बुजुगर थे ब लोग जाग कक बाहक ्क हद गए। उनक जद ाखम नम थ�। कुछ मत के बा् लने क ्ैताकद �ई। पूके �म के लोग बाहक ्क ते। �क द ्कह हम लोग �म के लोगह को छोड़ पाते। ब लोग इ शा े ्ेख कह ेथे �क शात् कोई �्न ता ऐ द का् ए जो उनको जद कोई लेने ए , कास्े जक ब�े औक जाजद जद ्ो शान् कह.े......

    ले�कन जाई ाहब औक मा्ाजद एक ् ूके क जावना� को अपने पुकाने �कश्े पक िबठा कह ेथे। घक ्े- ्े ककदब 3:45 हो गता।

  • छ् पे ोते बक ह बद् े्ाकह े मुलाक़ा् �कत ेऔक ाा् े �कते गुफ़्गू बा े कोई बा् �कते। न कोई �ऋिा क बा्म न कोई �ुव ्ाके क न हद �वण क काावक औक न न्ा के उिजताके क । ्खेद न काश गंगा हद न वो ल्े ्ाके न वो प क बा्म न हा ्े खेल्े ाके। न कोई टूटा ्ाका ्खेा न कोई मि् माागद न कोई ्खेद उड़न ्श्कद न कोई जि् माागद। अब न बा�कश ने े जद िबस्क ि मटा कोई न हद बा्ल क गजरन ेमाा े िलपटा कोई।

    अब न गमम े ब ने को िबस्क कजद िजगोता ह ैहलक बा�कश मम न कोई ा्क ्ान के ोता ह।ै अब ्ो ्प्द जून मम जद न पुक क हवा लाई ह ैन हद ्ा्द माा ने कथा कोई ुनाई ह।ै अब न ुबह प�कन्ह न ेगा गा कक हमम जगाता ह ैन हद कोतल ने पं म मम अपना काग ुनाता ह।ै िबजलद क इ का �ध न े बका मन जकमाता ह ैबन् कमकह मम ोकक बन ेअपना काम लाता ह।ै ्क कहद ह ैका् बे ाकद ा ल मम ौग़ा् िलत ेकजद अकेले क छ् पे पहले े जज़बा् िलए!!! - ाजाक

    छ् क का्म

  • िहमालत ा िनडक होकक हक ुनौ्द े लड़ा है , िव� का ि कमौक बनने �गि् पथ पक ल पड़ा ह,ै एक अनूठा ्ेश जाक ,् एक जाक् �े� जाक्...! इ अनूठे ्ेश का एक अनूठा इि्हा जद है , भत्ा औक ंसकृि् का अनोखा िवनता जद ह,ै कंगिबकंगे हतोहाकह मम उछल्ा उलला जद है , तहाा पताक के हक �कश्े मम अनूठद िमठा जद ह,ै ् ु, पूजा, �ाथरना है, ्ो तहाा अक्ा जद है , जद धम� के �ि् ममान का एह ा जद ह,ै हौ लह मम कामताबद का अिडग िव�ा जद है , ुनहके कल क खुशद मम ना ्ा मधुमा जद ह,ै ािधतह के मां मम बेधड़क होकक उड़ा है , िव� का ि कमौक बनने �गि् पथ पक ल पड़ा ह,ै एक अनूठा ्ेश जाक ,् एक जाक् �े� जाक्...! ्ुल द, मदका, ूक, कबदका जै े थे िव�ान तहाा , कृषण क जि� मम डूबे थ,े खु को औक क खान जहाा, महावदक, नानक औक बु� ने मानव्ा का ममर जगाता , अपने ्श� के ज़�कते जन ेवा का धमर ि खाता, वदक िशवाजद औक �्ाप ने बहा्कुद को गले लगाता , ि्लक, जग् � ह औक ुजाा ने ्ेशजि� का अलख जगाता, इक महाहमा थे, िजनहहने काह शांि् क �्खाई, एक लौह पुुा ‘ क्ाक’ ने एक्ा बको ि खाई, हौ लह क काह पक तह कजद ना पदछे मुड़ा है , िव� का ि कमौक बनने �गि् पथ पक ल पड़ा ह,ै एक अनूठा ्ेश जाक ,् एक जाक् �े� जाक्...!

    जन-धन के जा् ूने ्द है , बको एक नई पह ान , हक गकदब को अब िमल्ा ह ैकोटद, कपड़ा औक मकान, बका ाथ औक बका िवका औक अब बका िव�ा , घक-घक िबजलद औक शौ ालत ्े्े खुिशतह का एह ा , जत जवान , जत �क ान औक जत िवजान औक अनु ंधान, जल, थल, नज औक अं् �कक मम गूंज कहा जत �ह्सु्ान, खुिशतह का मौ म ता है , हक �्न अब अचछा �्न है , नते ्ौक के नव जाक् मम, नामुम�कन अब मुम�कन ह,ै नतद उममद्ह को लेकक हक क्म गे बपा है , िव� का ि कमौक बनने �गि् पथ पक ल पड़ा ह,ै एक अनूठा ्ेश जाक ,् एक जाक् �े� जाक्...! ज हमाके ैनत शौतर े ्शुमन जद थकार्ा है , जाक् का जााबाज़ कमांडक कुशल लौट के ्ा ह,ै ्ंकवा् के िखलाफ अब हमने िबगुल बजाता है , िव� पटल पक जाक् ने अपना लोहा मनवाता ह,ै ्ेश को बााटने वालह को अब जन्ा ने ललकाका है , का�वा् क लहक ने ब ग�ाकह को फटकाका ह,ै ्िुनता वालह ज जान लो , वक़् का बड़ा इशाका है , िव� मम अपनद धाक जमा्ा, �ह्सु्ान हमाका ह,ै नते ्ौक क नई उमंगह औक ्कंगह े जुड़ा है , िव� का ि कमौक बनने �गि् पथ पक ल पड़ा ह,ै एक अनूठा ्ेश जाक ,् एक जाक् �े� जाक्...!

    गजानन मह्पुककक, व�क� जन मपकर अिधकाकद, पि�म केलवे, रगेट,मुंबई

    का� के गौकव का गान – एक जाक्... �े� जाक्... : किव्ा

  • "इ दिलए ्ो म�ने कहा �क प खुशद े जो ् े्दिजए �ज़ूक । " म� उ े कुछ पै े ्केक वे�टग �म मम ला गता। शाम के छह बजे हम लोग खा-पदकक औक खाने का कुछ ामान ाथ कखकक गांव क कक कवाना �ए । वै े ्ाागेवाला कह्ा था �क ्ेई मदल ्ो घंटे मम खुशद े ले जा क्ा ह,ै पक सटेशन े गे ्ो मदल के बा् हद क�द ड़क �ाकंज हो जा्द ह,ै इ िलए ्के लगेगद । मोटे िह ाब े हम ाक घंटे बा् गााव प�ा मगे। सटेशन क दमा पाक कक्े हद �क ानह के ाफ- ुथके िलपे-पु्े छोटे-छोटे घक औक हके-जके खे् बड़ ेहद ुहावने जान पड़।े ा् जद न बज पाए थे �क पूयणर न� ने हसह घड़ े्धू पृसवद पक उाड़ले �्ता । �्न क लू अब ठंडद हवा मम प�कव�्् हो ुक थद । हम इ ुहावने ्शृत को ्खेकक मै्ान मम प� ंे । अब कास्े मम ्ोनह कक खालद मै्ान था । ्कू पक एक- ध पेड़ िनजरन मम ऐ ा खड़ा था, जै े �क द क �्दका कक कहा हो । म�ने ो ा ाा्नद का् क वह जा एक ाथद के अजाव मम उ्नद ुख्ाई न हो केगद िज्नद होनद ािहए । म�ने ्ाागेवाले े पूछा, जो धदके-धदके कुछ गुनगुना कहा था, '�क्ने मदल ुके ह� हम लोग?' -अजद �ज़ूक, कुल ा् मदल हद ्ो ए ह� । औक �फक वह जका ज़ोक े गा उठा- हम �फक े व्न अपना सवाधदन बना लमगे। म�ने जका ्कर होकक ्ाागेवाले क कक ्खेा । ख�क का कु्ार औक गानधद टोपद उ के ि क पक थद । म�ने ो ा, इ दिलए ्ो तह सवाधदन्ा के गद् गा्ा ह ै। म�ने ्ाागेवाले े पूछा, �क्ने �्नह े ्ाागा हांक्े हो ्ाागेवाले? -�ज़ूक कोई पां ाल �ए। �क द क नौककद ककने े तह अचछा ह।ै ्बदत् �ई जो्ा, न ्बदत् �ई बैठे कह।े

    गकमद क लमबद छु��तां �ाकंज हो ुक थ�। मेके कुछ िम�ह ने इन ग�मतह क छु��तह मम कशमदक जाना ्त �कता था औक इ �स्ाव को ब े अिधक मथरन म�ने �्ता। हम लोग जाने क पूकद ्ैताकद कक ुके थे �क अ ानक ता�ा के ्ो �्न पहले मेके एक िम� कामकृषण का एक वशतक प� ता। इ प� के अनु ाक मुझे अपनद कशमदक ता�ा सथिग् ककनद पड़द। म� अपने िम� े िमलने उ के गांव क कक ल पड़ा। िज सटेशन पक उ्कना था, गाड़द वहां ्ोपहक एक बजे प� ंद । ि लि ला्द धूप, लू क लपट औक क�द ड़क क धूल ! मेका गांव ्क जाने का ाह न � । म�ने ो ा, शाम को जाना हद ठदक होगा। ्ाागेवाले कम थे औक उ्कन ेवाले औक जद कम । ्ाागेवाले वाकद लेकक ल पड़।े खालद ्ाागेवाले जद लने का उप�म कक कह ेथे �क एक अचछा- ा ्ाागा-घोड़ा, ्खेकक उ े म�ने बुलाता। ्ाागेवाले ने कक लाम �कता। म�ने कहा, "्खेो, जाई मुझे गांव जाना ह,ै पक म� अजद इ धूप मम न जाेंगा । शाम को पां बजे के ककदब जाेंगा । ्ुम ठहकोगे?" "हाा �ज़ूक, ठह�ंगा ।" "�ककाता ाता होगा ?" "�ज़ूक, जो प खुशद े ् े्म।" "खुशद क बा् नह� केट ाता ह?ै वह ब्लाक।" "्ेई मदल ह ैन �ज़ूक! प ् ूकह े पूछ लदिजए, पां ुपए पूके ्ाागे के हो्े ह�। �फक ाह ेएक वाकद हो ता ्दन ।" "पक म� ्ो इ्ना न ्ूगंा।"

    ्ांगेवाला ुज�ा कुमाकद ौहान

  • �क द क ्ाबे्ाकद नह�। अपने मन का काज ह।ै ामने लकक न्द थद। न्द का पुल पाक कक्े हद ्ाागेवाले ने ्ाागा कोक �्ता। बोला, �ज़ूक, तहाा जका काम कक लदिजए। न्द का पानद ब�् ा औक मदठा ह ै। कह्े ह� �क नय �ावन के ग्क मम ्ाहता टोपे ्शुमनह क ेना को दक्े �ए तह� े न्द के पाक ला गता था। ्ाहता टोपे? म�ने मन मम ो ा, इ े इि्हा का जद कुछ जान ह।ै ्ाागेवाला �फक बोला, हाा �ज़ूक, ्ाहता टोपे न्द के पाक जाना ाह्ा था। �फकंिगतह क ेना ने उ े ाकह कक े घेक िलता था। �फक जद �ज़ूक वह इ्ना ्ेज, इ्ना फु्मला था �क ाक-पा ं बड़-ेबड़ े�फकंगद अफ कह के ामने े िनकल गता, अपनद ेना मे्, औक उ का कोई कुछ जद न कक का । मुझे ्ाागेवाले के मंुह े इि्हा क कहानद बड़द हद को क लगद । म� जान्ा था �क िखक इ ्ाागेवाले के मन मम ाता ह?ै म�ने पूछा, '�फक ाता � ?' औक म� ्ाागे े उ्ककक उ के पदछे-पदछे ला । वह बोला, ' नय �ावन के ग्क मम अगक �ह्सु्ािनतह मम एका, हो्ा ्ो पाा ा हद पलट जा्ा । पक ्क्दक औक फूट जो न ककाए ो थोड़ा! मौलवद अहम्शाह औक ्ाहता टोपे कदखे ्शेज� वदकह को जद हम� मम े धोखेबाज लोगह ने धोखा ्केक ्शुमनह के हवाले कक �्ता । खून खौल उठ्ा ह ै �ज़ूक, तह बा् ो कक? म�ने पूछा, ्ुम पपे-िलखे हो? ्ाागेवाला उह ाह के ाथ बोला, ब�् कम �ज़कू �ह्द अचछद ्कह पप-िलख ले्ा �ा। अं�ेजद जद थोड़द जान्ा �ा । पक �ज़ूक जब े �ावन के ग्क का इि्हा पपा औक तह जाना �क �फकंगद कै े ए औक कै े फैल गए ाके �ह्सु्ान मम, तह जाना, ्ब े �जूक, ब्ले क जावना े का्-�्न जल्ा कह्ा �ा । ककाकद नौककद इ दिलए नह� क । मेका बाप डद० द० का अ्रलद था। मुझे वह जगह िमल कहद थद । म�ने ठोकक माक ्द । माा-बाप नाकाज हो गए ्ो घक हद छोड़ �्ता। ्ब े तहाा �ा। तह ्ाागा ला्ा �ा पक ्ाागे पक जद �क द ाले �फकंगद को बैठाकक ्ाागा न हााका गा।

    ातह? �फकंगद को न बैठाने क क म ातह खा लद ह?ै - ाके �ह्सु्ान मम ग्क के मत इन �फकंिगतह ने ाता कम जुलम �कए ह�? गांव-के-गांव जला �्ए, औक्ह को बेइ�् �कता, िनकपकाध लोगह को ्ोपह के मुाह मम बांधकक उड़ा �्ता । �फक नय �ावन क ्कू क बा् जाने ्दिजए । अजद क हद बा् ह ै। पंजाब मम उनहहने ाता कम �कता ह?ै जिलतांवाले बाग को कौन जूल जाएगा? घाव ्ाजा ह ै�ज़ूक ! इन �फकंिगतह को ्खे्े हद उ पक नमक पड़ जा्ा ह ै। इ दिलए म�ने क म खाई ह,ै इनहम ्ाागे पक कजद न िबठाेंगा । मेका मन इन े ब्ला लेने के िलए बाक-बाक उमड़्ा ह ै। इ्ने मम हम न्द �कनाके प� ं गए । म� एक �ान पक बैठ गता । पा हद एक ् ूकद �ान पक ्ाागेवाला खड़ा था । उ ने लोटा जक पानद लाकक मेके पा कखा । म�ने कहा, नह� जद ्ाागेवाल,े म� ्ो न्द पक हद हाथ-मंुह धोेंगा । पक हाा, ्ुमहाके िव ाक ्ो �ांि्का�कतह जै े ह�। ्ुमहाका नाम ाता ह?ै �क द �ांि्काकद को जान्े हो?" -मेका नाम �ज़ूक काम्ा ह।ै �क द �ांि्काकद को जान्ा नह� । नाम ुने ह�, उन लोगह के जदवन �क� पपे ह� । पक उन लोगह मम जद मुखिबक बनने वालह क कमद नह� �जूक, नह� ्ो उन लोगह ने जद अब ्क कुछ कक िलता हो्ा । महाहमा गााधद के हता�ह ं्ोलन मम जद ब�् �्नह ्क शकदक कहा �ा । ्ो बाक जेल जद हो ता � ं�ज़ूक, पक ्बदत् नह� मान्द। मेके अं्क े ्ो जै े कोई पुकाक उठ्ा ह,ै 'ग्क'! नय �ावन का दन एक बाक ्हुकाता जाए। इन �फकंिगतह े क कक ब्ला िलता जाए, ्जद हमाका औक हमाके ्शे का उ�ाक होगा।" म�ने कहा, हम िनहहथे कै े ब्ला ले क्े ह�। काम्ा ? नय �ावन क बा् हद औक थद। ्ब हमाके पा

  • हिथताक थे। अब ्ो हम लोग िबलकुल पंगु कक �्ए गए ह� ।-�ज़ूक तहद ्ो बा् ह,ै ्ाागेवाला बोला, 'हमने ज़बान खोलद औक हमाके हद जाई-बंधु हमम िगकफ्ाक ककने प� ंे। हमाके हद मम े हमम जा ुनाने वाले ए । हम� मम े हम पक पहका कखने लगे । अगक ते हद ब एकम् होकक एक ाथ काम ककम, ्ो �ज़कू हिथताक उठाने का जद काम नह� । हमाका सवकाजत हमाकद मुमद मम जािनए । ले�कन ् अगक �े जद े काम ककने को ्ैताक कहम ्ो बद धोखा ्नेे को ्ैताक कहमगे । अगक �ह्सु्ािनतह मम एका हद हो्ा ्ो ाता मुमद जक िव्शेद हम पक शा न कक क्?े ्ाागेवाले ने एक ्दघर ां लद औक हम ्ोनह उठकक न्द मम हाथ-मंुह धोने लगे । इ द मत बड़ ेहद कुण सवक मम �क द के गाने क वाज ई- हम गकदबह का खु्ा न�् मम ोता होगा हम गकदबह का... थोड़द ्के बा् िजधक े गाने क वाज ई थद, उधक े िबलख-िबलखकक कोने क वाज ने लगद । म� �ककक ्खेने लगा । ्ाागेवाले ने ब्लाता, ' �ज़ूक तह एक पगलद ह ै। कजद-कजद इधक �्ख जा्द ह ैऔक अा क का् के मत गा्द ह ै। कजद को्द ह,ै कजद ह ं्द ह ै। कह्े ह�, नय �ावन के ग्क के मत उाट बहा्कुशाह को जब कै् �कता था औक उनके शाहज़ा्ह को माक डाला था, ्ब उनके महल मम कुछ बेगमम क म्द जेवक इहता�् छदन लेने के बा् ्क-्क �फकने के िलए छोड़ ्द गई थ� । तह पगलद उनह� मम े कोई ह।ै फटे कपड़,े पक इ गकदबद मम जद �जूक, उ क ाल-ि ्वन, बा् द् ब शाहद ढंग का ह ै। वह मामूलद औक् नह� जान पड़्द ।' म�ने ्ाागेवाले े कहा, ्ुम उ �दको बुलातो, म� उ े बा् क�ंगा । ्ाागेवाला बोला, वह �क द े नह� बोल्द �जूक, न �क द क ्कफ ्खे्द ह ै। कहाा कह्द ह,ै ाता खा्द-पद्द ह,ै कोई नह� जान्ा । कजद-कजद तह� न्द �कनाके �्ख जा्द ह ै। न जाने �क्ने वा� ,े इ द ्कह गा्द ह,ै को्द ह,ै हा ्द ह,ै पक ज ्क कोई उ े बा् नह� कक का ह ै। म� �तर मम था । खैक, खाना खाकक हाथ-मंुह धोकक हम लोग �फक ्ाागे पक ए । ्ाागेवाला न जाने �क्नद बा्म मुझे ब्ला ला । शुु-शुु मम ्ाागे पक बैठकक म�ने एक ाथद के अजाव का अनुजव �कता था, �कन्ु ते ्ेई मदल कब ख्म हो गए, म� जान जद न पाता । गांव मम प� ंकक जब ्ाागेवाले ने मुझ े पूछा, तहद गााव ह,ै �क के मकान पक लना ह?ै ्ब म�ने जाना �क ्ेई मदल क ता�ा मा� हो गई ।

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