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Page 1: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

फहरिसत मज़ामीन 1- इसलाम म मसीह की हससयत 6

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा 8 असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल 9

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत 10

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना 11

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी 12

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद 13

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत 14

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात 15

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब 15

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना 15

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़ 17 असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत 17

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना 17

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना 18

द - ग़ब का इलम 20

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना 20

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत 21 असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह 22

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह 22

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह 23

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था 25

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान 26

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत 27 असलफ़ - पहली आयत 28

ब - दसिी आयत 29

ज - तीसिी आयत 29

द - चौथी आयत 30

ह - पािचवीि आयत 31

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत 32 असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि 32

ब - मसीह समसल आदम ह 34

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह) 36 असलफ़ - मसीह की उलकहयत 36

ब - खदा की अबववत 36

ज - मसीह क बयान 37

द - िसलो की गवाही 40

ह - अजबबया की गवाही 40

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत 43 असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी 44

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ 45

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत 45

(1) नबववतो पि मबनी सबत 46

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत 47

असलफ़ - आपका अज़ली वजद 47

ब - आपका आसमान स आना 48

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी 49

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि 49

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत 49

असलफ़ - आप का खासलक़ होना 49

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना 50

ज - आप मिससफ़ आसलम होग 50

द - आप लायक़ पिजसतश ह 51

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) 51

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह 51

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह 52

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया 52

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत 52 असलफ़ - तोमा की गवाही 53

ब - यहनना की गवाही 53

ज - पौलस की गवाही 53

9 - अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद 53

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम 60 असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत 60

ब - िबवबयत अक़ानीम 60

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम 61

द - अक़ानीम की हमाजाई 62

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ 62

व - ससफ़त हक़ 63

ज़ - ससफ़त महनबत 63

ह - क़ददससयत 64

10 - एतिाज़ात 64 असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ 64

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ 66

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ 67

सवालात 71

1- इसलाम म मसीह की हससयत सययदना मसीह का इसम-सगिामी औि आप की ससफ़ात व तालीमात का कोई ना

कोई पहल क़िआन म क़िीबन सतिानव (93) मतबा आयात म मज़कि हआ ह य तादाद कम नहीि ह इसी स आपकी एहमीययत वाज़ह ह चनानच इसलाम म जब कभी भी हज़ित मसीह क बाि म कछ ग़ौि व कफ़कर किना होता ह तो इनही आयात को बसनयाद बनाया जाता ह

बािहा य भी दखा गया ह कक मजसलम मफ़ककिो औि मफ़जससिो न बाइबल मक़ददस की आयतो को इन क़िआनी आयात की तफसीि क सलए माखज़ औि बसनयाद बनाया ह ताहम उनहो न बाइवबल मक़ददस म स वही इबाित तसलीम की ह जो मसललम खयालात स मल खाती ह औि ऐसी सािी कोसशशो को ठकिा दत ह जजनस ककसी तिह का क़िआन औि इनजील क दसमयान तताबक़ कदखाया जा सकता ह औि इस की बड़ी वजह ससवा इस क औि कोई नहीि ह कक दोनो ककताबो म वारिद बयानात औि बसनयादी अक़ाइद म फ़क़ पाया जाता ह

अब चकक ऐस लोगो की कदलचसपी ससफ इस मआमल म िहती ह कक ससफ क़िआन शिीफ़ क बयान की ही सहत पि भिोसा ककया जाय औि बाक़ी दीगि माखज़ को िदद कि कदया जाय सलहाज़ा इनजील की तहिीफ़ का शोशा हि उस मौक़ पि तयाि िहता ह जब ककताब-ए-मक़ददस का मतन क़िआनी मतन स टकिाता ह

म इस मज़मन म क़िआनी कफ़कर को उस क तदरीजी इसतक़ा म कदखान की कोसशश करगा कक जब वो मसीही तालीमात की मखासलफ़त किती ह

इस इजनतदाई मिहल पि इतना बताता चलि कक जो भी क़िआन क मतन को समझन कोसशश किगा उस य बात ज़रि नज़ि आएगी कक मकका म नाजज़ल होन वाली आयतो म मसीह की ताज़ीम औि मसीकहययत मसीह क शासगदो मसीही उलमा औि िाकहबो का पास व सलहाज़ समलता ह

लककन नबी इसलाम क मदीना क आजखिी अययाम म क़िआनी आयात काफ़ी सखत होती गई औि मसीकहयो क जखलाफ़ मखासलफ़त उभिती चली गई हतता कक मसीह की

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

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Swi t zerl and

Page 2: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था 25

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान 26

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत 27 असलफ़ - पहली आयत 28

ब - दसिी आयत 29

ज - तीसिी आयत 29

द - चौथी आयत 30

ह - पािचवीि आयत 31

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत 32 असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि 32

ब - मसीह समसल आदम ह 34

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह) 36 असलफ़ - मसीह की उलकहयत 36

ब - खदा की अबववत 36

ज - मसीह क बयान 37

द - िसलो की गवाही 40

ह - अजबबया की गवाही 40

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत 43 असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी 44

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ 45

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत 45

(1) नबववतो पि मबनी सबत 46

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत 47

असलफ़ - आपका अज़ली वजद 47

ब - आपका आसमान स आना 48

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी 49

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि 49

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत 49

असलफ़ - आप का खासलक़ होना 49

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना 50

ज - आप मिससफ़ आसलम होग 50

द - आप लायक़ पिजसतश ह 51

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) 51

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह 51

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह 52

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया 52

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत 52 असलफ़ - तोमा की गवाही 53

ब - यहनना की गवाही 53

ज - पौलस की गवाही 53

9 - अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद 53

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम 60 असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत 60

ब - िबवबयत अक़ानीम 60

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम 61

द - अक़ानीम की हमाजाई 62

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ 62

व - ससफ़त हक़ 63

ज़ - ससफ़त महनबत 63

ह - क़ददससयत 64

10 - एतिाज़ात 64 असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ 64

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ 66

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ 67

सवालात 71

1- इसलाम म मसीह की हससयत सययदना मसीह का इसम-सगिामी औि आप की ससफ़ात व तालीमात का कोई ना

कोई पहल क़िआन म क़िीबन सतिानव (93) मतबा आयात म मज़कि हआ ह य तादाद कम नहीि ह इसी स आपकी एहमीययत वाज़ह ह चनानच इसलाम म जब कभी भी हज़ित मसीह क बाि म कछ ग़ौि व कफ़कर किना होता ह तो इनही आयात को बसनयाद बनाया जाता ह

बािहा य भी दखा गया ह कक मजसलम मफ़ककिो औि मफ़जससिो न बाइबल मक़ददस की आयतो को इन क़िआनी आयात की तफसीि क सलए माखज़ औि बसनयाद बनाया ह ताहम उनहो न बाइवबल मक़ददस म स वही इबाित तसलीम की ह जो मसललम खयालात स मल खाती ह औि ऐसी सािी कोसशशो को ठकिा दत ह जजनस ककसी तिह का क़िआन औि इनजील क दसमयान तताबक़ कदखाया जा सकता ह औि इस की बड़ी वजह ससवा इस क औि कोई नहीि ह कक दोनो ककताबो म वारिद बयानात औि बसनयादी अक़ाइद म फ़क़ पाया जाता ह

अब चकक ऐस लोगो की कदलचसपी ससफ इस मआमल म िहती ह कक ससफ क़िआन शिीफ़ क बयान की ही सहत पि भिोसा ककया जाय औि बाक़ी दीगि माखज़ को िदद कि कदया जाय सलहाज़ा इनजील की तहिीफ़ का शोशा हि उस मौक़ पि तयाि िहता ह जब ककताब-ए-मक़ददस का मतन क़िआनी मतन स टकिाता ह

म इस मज़मन म क़िआनी कफ़कर को उस क तदरीजी इसतक़ा म कदखान की कोसशश करगा कक जब वो मसीही तालीमात की मखासलफ़त किती ह

इस इजनतदाई मिहल पि इतना बताता चलि कक जो भी क़िआन क मतन को समझन कोसशश किगा उस य बात ज़रि नज़ि आएगी कक मकका म नाजज़ल होन वाली आयतो म मसीह की ताज़ीम औि मसीकहययत मसीह क शासगदो मसीही उलमा औि िाकहबो का पास व सलहाज़ समलता ह

लककन नबी इसलाम क मदीना क आजखिी अययाम म क़िआनी आयात काफ़ी सखत होती गई औि मसीकहयो क जखलाफ़ मखासलफ़त उभिती चली गई हतता कक मसीह की

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

POBox 66

CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 3: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

असलफ़ - आपका अज़ली वजद 47

ब - आपका आसमान स आना 48

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी 49

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि 49

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत 49

असलफ़ - आप का खासलक़ होना 49

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना 50

ज - आप मिससफ़ आसलम होग 50

द - आप लायक़ पिजसतश ह 51

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) 51

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह 51

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह 52

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया 52

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत 52 असलफ़ - तोमा की गवाही 53

ब - यहनना की गवाही 53

ज - पौलस की गवाही 53

9 - अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद 53

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम 60 असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत 60

ब - िबवबयत अक़ानीम 60

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम 61

द - अक़ानीम की हमाजाई 62

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ 62

व - ससफ़त हक़ 63

ज़ - ससफ़त महनबत 63

ह - क़ददससयत 64

10 - एतिाज़ात 64 असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ 64

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ 66

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ 67

सवालात 71

1- इसलाम म मसीह की हससयत सययदना मसीह का इसम-सगिामी औि आप की ससफ़ात व तालीमात का कोई ना

कोई पहल क़िआन म क़िीबन सतिानव (93) मतबा आयात म मज़कि हआ ह य तादाद कम नहीि ह इसी स आपकी एहमीययत वाज़ह ह चनानच इसलाम म जब कभी भी हज़ित मसीह क बाि म कछ ग़ौि व कफ़कर किना होता ह तो इनही आयात को बसनयाद बनाया जाता ह

बािहा य भी दखा गया ह कक मजसलम मफ़ककिो औि मफ़जससिो न बाइबल मक़ददस की आयतो को इन क़िआनी आयात की तफसीि क सलए माखज़ औि बसनयाद बनाया ह ताहम उनहो न बाइवबल मक़ददस म स वही इबाित तसलीम की ह जो मसललम खयालात स मल खाती ह औि ऐसी सािी कोसशशो को ठकिा दत ह जजनस ककसी तिह का क़िआन औि इनजील क दसमयान तताबक़ कदखाया जा सकता ह औि इस की बड़ी वजह ससवा इस क औि कोई नहीि ह कक दोनो ककताबो म वारिद बयानात औि बसनयादी अक़ाइद म फ़क़ पाया जाता ह

अब चकक ऐस लोगो की कदलचसपी ससफ इस मआमल म िहती ह कक ससफ क़िआन शिीफ़ क बयान की ही सहत पि भिोसा ककया जाय औि बाक़ी दीगि माखज़ को िदद कि कदया जाय सलहाज़ा इनजील की तहिीफ़ का शोशा हि उस मौक़ पि तयाि िहता ह जब ककताब-ए-मक़ददस का मतन क़िआनी मतन स टकिाता ह

म इस मज़मन म क़िआनी कफ़कर को उस क तदरीजी इसतक़ा म कदखान की कोसशश करगा कक जब वो मसीही तालीमात की मखासलफ़त किती ह

इस इजनतदाई मिहल पि इतना बताता चलि कक जो भी क़िआन क मतन को समझन कोसशश किगा उस य बात ज़रि नज़ि आएगी कक मकका म नाजज़ल होन वाली आयतो म मसीह की ताज़ीम औि मसीकहययत मसीह क शासगदो मसीही उलमा औि िाकहबो का पास व सलहाज़ समलता ह

लककन नबी इसलाम क मदीना क आजखिी अययाम म क़िआनी आयात काफ़ी सखत होती गई औि मसीकहयो क जखलाफ़ मखासलफ़त उभिती चली गई हतता कक मसीह की

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

POBox 66

CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 4: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

द - अक़ानीम की हमाजाई 62

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ 62

व - ससफ़त हक़ 63

ज़ - ससफ़त महनबत 63

ह - क़ददससयत 64

10 - एतिाज़ात 64 असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ 64

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ 66

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ 67

सवालात 71

1- इसलाम म मसीह की हससयत सययदना मसीह का इसम-सगिामी औि आप की ससफ़ात व तालीमात का कोई ना

कोई पहल क़िआन म क़िीबन सतिानव (93) मतबा आयात म मज़कि हआ ह य तादाद कम नहीि ह इसी स आपकी एहमीययत वाज़ह ह चनानच इसलाम म जब कभी भी हज़ित मसीह क बाि म कछ ग़ौि व कफ़कर किना होता ह तो इनही आयात को बसनयाद बनाया जाता ह

बािहा य भी दखा गया ह कक मजसलम मफ़ककिो औि मफ़जससिो न बाइबल मक़ददस की आयतो को इन क़िआनी आयात की तफसीि क सलए माखज़ औि बसनयाद बनाया ह ताहम उनहो न बाइवबल मक़ददस म स वही इबाित तसलीम की ह जो मसललम खयालात स मल खाती ह औि ऐसी सािी कोसशशो को ठकिा दत ह जजनस ककसी तिह का क़िआन औि इनजील क दसमयान तताबक़ कदखाया जा सकता ह औि इस की बड़ी वजह ससवा इस क औि कोई नहीि ह कक दोनो ककताबो म वारिद बयानात औि बसनयादी अक़ाइद म फ़क़ पाया जाता ह

अब चकक ऐस लोगो की कदलचसपी ससफ इस मआमल म िहती ह कक ससफ क़िआन शिीफ़ क बयान की ही सहत पि भिोसा ककया जाय औि बाक़ी दीगि माखज़ को िदद कि कदया जाय सलहाज़ा इनजील की तहिीफ़ का शोशा हि उस मौक़ पि तयाि िहता ह जब ककताब-ए-मक़ददस का मतन क़िआनी मतन स टकिाता ह

म इस मज़मन म क़िआनी कफ़कर को उस क तदरीजी इसतक़ा म कदखान की कोसशश करगा कक जब वो मसीही तालीमात की मखासलफ़त किती ह

इस इजनतदाई मिहल पि इतना बताता चलि कक जो भी क़िआन क मतन को समझन कोसशश किगा उस य बात ज़रि नज़ि आएगी कक मकका म नाजज़ल होन वाली आयतो म मसीह की ताज़ीम औि मसीकहययत मसीह क शासगदो मसीही उलमा औि िाकहबो का पास व सलहाज़ समलता ह

लककन नबी इसलाम क मदीना क आजखिी अययाम म क़िआनी आयात काफ़ी सखत होती गई औि मसीकहयो क जखलाफ़ मखासलफ़त उभिती चली गई हतता कक मसीह की

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

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Ri kon

Swi t zerl and

Page 5: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

1- इसलाम म मसीह की हससयत सययदना मसीह का इसम-सगिामी औि आप की ससफ़ात व तालीमात का कोई ना

कोई पहल क़िआन म क़िीबन सतिानव (93) मतबा आयात म मज़कि हआ ह य तादाद कम नहीि ह इसी स आपकी एहमीययत वाज़ह ह चनानच इसलाम म जब कभी भी हज़ित मसीह क बाि म कछ ग़ौि व कफ़कर किना होता ह तो इनही आयात को बसनयाद बनाया जाता ह

बािहा य भी दखा गया ह कक मजसलम मफ़ककिो औि मफ़जससिो न बाइबल मक़ददस की आयतो को इन क़िआनी आयात की तफसीि क सलए माखज़ औि बसनयाद बनाया ह ताहम उनहो न बाइवबल मक़ददस म स वही इबाित तसलीम की ह जो मसललम खयालात स मल खाती ह औि ऐसी सािी कोसशशो को ठकिा दत ह जजनस ककसी तिह का क़िआन औि इनजील क दसमयान तताबक़ कदखाया जा सकता ह औि इस की बड़ी वजह ससवा इस क औि कोई नहीि ह कक दोनो ककताबो म वारिद बयानात औि बसनयादी अक़ाइद म फ़क़ पाया जाता ह

अब चकक ऐस लोगो की कदलचसपी ससफ इस मआमल म िहती ह कक ससफ क़िआन शिीफ़ क बयान की ही सहत पि भिोसा ककया जाय औि बाक़ी दीगि माखज़ को िदद कि कदया जाय सलहाज़ा इनजील की तहिीफ़ का शोशा हि उस मौक़ पि तयाि िहता ह जब ककताब-ए-मक़ददस का मतन क़िआनी मतन स टकिाता ह

म इस मज़मन म क़िआनी कफ़कर को उस क तदरीजी इसतक़ा म कदखान की कोसशश करगा कक जब वो मसीही तालीमात की मखासलफ़त किती ह

इस इजनतदाई मिहल पि इतना बताता चलि कक जो भी क़िआन क मतन को समझन कोसशश किगा उस य बात ज़रि नज़ि आएगी कक मकका म नाजज़ल होन वाली आयतो म मसीह की ताज़ीम औि मसीकहययत मसीह क शासगदो मसीही उलमा औि िाकहबो का पास व सलहाज़ समलता ह

लककन नबी इसलाम क मदीना क आजखिी अययाम म क़िआनी आयात काफ़ी सखत होती गई औि मसीकहयो क जखलाफ़ मखासलफ़त उभिती चली गई हतता कक मसीह की

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

POBox 66

CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 6: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

उलकहयत का तो क़तई िदद औि खललम खलला इनकाि नज़ि आता ह सबब यहाि भी महज़ अक़ीदा ही ह कयोकक आहज़ित न य दखा कक तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा औि वहदासनयत का अक़ीदा बाहम टकिाता ह

नीज़ य कक तौहीद की मनादी औि वहदासनयत की दावत दना ही इसलाम का समशन था कई क़िआनी आयात म अक़ीदा सालस क इस मौज़ पि नकता-चीनी की ह हतता कक कई आयतो म नसािा यानी अिब क मसीकहयो पि सशक का इलज़ाम भी लगाया ह

शायद आहज़ित को इस सालस वाल अक़ीद न पिशान कि कदया था जो वबदअती नसािा स माखज़ था औि वबदअती सि-ज़मीन अिब म हि तिफ़ फल हए थ य तसलीस मिककब थी अललाह स उस की साकहबा मयम स औि उन क बट ईसा स

याद िह सचच मसीकहयो न ऐस अक़ीद का कभी भी इज़हाि नहीि ककया औि ना माना ह लककन मसलमानो न इस स एक बड़ा तनाज़ा खड़ा कि कदया औि उस ऐस पकड़ हए ह कक छोड़न का नाम नहीि लत हालाकक मसीकहयो न मौक़ा ब मौक़ा हमशा वज़ाहत की कोसशश की ह

साथ ही साथ एक औि भी मसअला ह जजसकी जड़ बड़ी गकहिी ह औि उस की बसनयाद एक आयत-ए-क़िआसनया ह -

ldquo औि (वो वक़त भी याद किो) जब मयम क बट ईसा न कहा कक ऐ बनी-इसराईल म तबहाि पास खदा का भजा हआ आया ह (औि) जो (ककताब) मझस पहल आ चकी ह (यानी) तौिात उस की तसदीक़ किता ह औि एक पग़बबि जो मि बाद आएग जजनका नाम अहमद होगा उन की बशाित सनाता ह (कफि) जब वो उन लोगो क पास खली सनशानीयाि लकि आए तो कहन लग कक य तो सिीह जाद हrdquo (सिह अल-सफ़ 616)

अब जाफ़ि अल-सतबिी स रिवायत ह कक उस न मआवीया वबन सासलह स सना औि उस न सईद वबन सवद स सना औि उस न अल-आअला वबन हलाल अल-सलमी स सना औि उस न अिबाज़ वबन सारिया स सना ldquo मन िसल-अललाह को कहत सना ldquo अललाह क नज़दीक म खासतम-उननबीययीन मकतब व मक़िि ह उस वक़त स कक आदम सनी हई समटटी की शकल म थ औि म तमको पहल य भी बता दि कक म अपन बाप इबराकहम की दआ ह औि म ईसा की बशाित ह अपनी वासलदा की िोया ह औि जसा कक अजबबया

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

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CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 7: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

की मा न िोया दखी वसी ही िोया मिी मा न उस वक़त दखी जब उनहो न मझ जनम कदया औि वो य थी कक एक नि उन म स ऐसा सनकला जजसस शाम क महलात िोशन हो गएrdquo

मजसलम हज़िात इस हदीस क बयान को लफज़ी तौि पि लत ह औि जब दखत ह कक इनजील जनाब महबमद क बाि म ककसी तिह की सनशानदही नहीि किती औि ना ही मसीह न कोई इस बाि म बात की ह तो फ़ौिन कह दत ह कक इनजील महरिफ़ ह

कफि एक तीसिी मजककल ह जजस मसीकहयो न माना ह यानी मसीह का दख व आलाम उठा कि सलीब पि चढ़ाया जाना जो कक बसनयादी मसीही अक़ीदा ह औि इनजील मक़ददस की तालीम पि मबनी ह इस वाकक़या सलीब की क़िआन न नफ़ी की ह कयोकक य यहदीयो क बाि म कहता ह -

ldquo औि य कहन क सबब कक हमन मयम क बट ईसा मसीह को जो खदा क पग़बबि (कहलात) थ क़तल कि कदया ह (खदा न उन को मलऊन कि कदया) औि उनहो न ईसा को क़तल नहीि ककया औि ना उनह सली पि चढ़ाया बजलक उन को उन की सी सित मालम हई औि जो लोग उन क बाि म इजखतलाफ़ कित ह वो उन क हाल स शक म पड़ हए ह औि पिवी ज़न (गमान) क ससवा उन को उस का मतलक़ इलम नहीि औि उनहो न ईसा को यक़ीनन क़तल नहीि ककया बजलक खदा न उन को अपनी तिफ़ उठा सलया औि खदा ग़ासलब (औि) कहकमत वाला ह (सिह अल-सनसा 4157-158)

चौथी कदककत मसीकहयो का अक़ीदा ldquo इनन-अललाहrdquo ह जजस क़िआन न िदद ककया ह इस मौज़ पि हम आग चल कि ग़ौि किग औि फक़हा व उलमा की आिा (िाए) औि तअसलक़ात भी तब ही पश कि दग

2- मसीह की ससफ़ात ममययज़ा बसनयादी मसीही अक़ाइद की मखासलफ़त क बावजद क़िआन न मसीह की आला

ससफ़ात व किामात का एतिाफ़ ककया ह जो उनह बशरियत की सतह स ऊपि दजा दत ह य मबताज़ औसाफ़ आपकी जज़िदगी ककिदाि पग़ाम औि शजखसयत म ज़ाकहि हए जब हम इन औसाफ़ का मवाज़ना क़िआन म मज़कि दीगि अजबबया औि िसलो स कित ह

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

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CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 8: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

तो हम आगाही होती ह कक य तो ऐस ह कक ककसी नबी को भी नहीि कदए गए हतता कक जनाब महबमद को भी नहीि

असलफ़ - उनका अजीब व ग़िीब औि लासमसाल हमल हम क़िआन म पढ़त ह -

ldquo औि इमिान की बटी मयम की जजनहो न अपनी शमगाह को महफ़ज़ िखा तो हमन उस म अपनी रह फि क दी औि वो अपन पिविकदगाि क कलाम औि उस की ककताबो को बिहक़ समझती थीि औि फ़िमािबदािो म स थीिrdquo (सिह अल-तहिीम 6612 औि सिह अल-अजबबया 2191)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी कहत ह कक ldquo rdquoنفخنا فیہ من روحنا का मतलब ह हम (अललाह) न ईसा म अपनी रह म स फका कयोकक ईसा मयम क सशकम म थ ककस न फि क मािी इस मआमल म मफ़जससिो म इजखतलाफ़ ह ककसी न ldquo rdquoمن روحنا की बसनयाद पि य कहा कक फकन वाला अललाह था एक सगिोह का कहना य ह कक ldquoنافخrdquo (फकन वाला) जजबरील थ कयोकक उन क नज़दीक हज़ित जजबरील क क़ौल ldquo rdquoلاھب لک غلاما زکیا (कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि) स यही ज़ाकहि ह

मफ़जससिीन म इस नफ़ख (نفخ) की कफ़ीयत म इजखतलाफ़ ह औि चाि कक़सम की आिा (िाय) ह -

(1) वहब का कहना य ह कक जजबरील न मयम क सगिबान म फि क मािी तो वो मयम क िहम (पट) तक जा पहिची

(2) एक िाय य ह कक दामन म फका तो िहम (पट) म वो हासमला हई

(3) अल-सदी का कहना य ह कक आसतीन को पकड़ कि दिअ (درع) क पहल म फि का तो य फि क सीन तक जा पहिची तो वो हासमला हो गई तब उन की बहन यानी ज़किीया की बीवी उन क पास आई औि उनह य मालम हो गया कक हासमला ह तो पछा तब मयम न सािा माजिा कह सनाया इस पि ज़किीया की बीवी बोल उठ ि ldquo जो मि पट

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

POBox 66

CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 9: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

म हrdquo (हज़ित यहया) उस म उस को जो ति पट म ह (ईसा) सजदा कित हए महसस किती ह अल-सदी कहत ह यही ldquoمصدقا بکلمة من اللہrdquo का मतलब ह

(4) नफ़ख (نفخ) मयम क मह म फि का गया था जो सशकम व िहम (पट) तक जा पहिचा तो वो हासमला हो गई

इनन अनबास स मवी ह कक ldquo जजबरील न अपनी उिगलीयो स कपड़ा हटाया औि उस म फि क कदया औि कहा ldquo अहसनतrdquo का मतलब ह कक मयम न अपनी इफफ़त (احصنت) व आबर की खब कहफ़ाज़त की थी औि ldquo महससनrdquo (محصنة) का मतलब ह अफ़ीफ़ा (عفیفہ) यानी पाक दामन rdquoو نفخنا فیہrdquo म ldquo रहनाrdquo ldquo म (روحنا) फीहाrdquo ldquo स मिाद (فیہ) rdquoفیہ فرج ثوبہا ह यानी चाक-ए-सगिबा म हमन फि क मािी कफि य भी िाय दी ह कक इस म हम (अललाह) न वो चीज़ पदा की जो उस (िहम मयम) म ज़ाकहि हई

मक़ासतल न अलफ़ाज़ ldquo rdquoوصدقت بکلمات ربھا की तफसीि कित हए कहा ह ldquo यानी ईसा पिrdquo जजसकी कक़िआत भी ताईद किती ह जजसम ldquo rdquoکلمات ربھا क बजाय ldquo ھلا ب مت رل rdquoبکلل ह औि ईसा क सलए कसलमतललाह (کلمة اللہ) तो क़िआन म कई जगह आया ह

ब - मसीह की अजीब व ग़िीब ववलादत क़िआन म उस गफतग का जज़कर समलता ह जो हज़ित मयम औि खदा क फ़रिकत

क दसमयान हई जब वो मसीह की ववलादत की खशखबिी दन क सलए आ मौजद हआ

ldquo उनहो (जजबरील) न कहा म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ (यानी फ़रिकता) ह (औि इससलए आया ह) कक तबह पाकीज़ा लड़का बखशि मयम न कहा कक मि हा लड़का कयोकि होगा मझ ककसी बशि (इिसान) न छवा तक नहीि औि म बदकाि भी नहीि ह (फ़रिकत न) कहा कक यिही (होगा) तबहाि पिविकदगाि न फ़िमाया कक य मझ आसान ह औि (म उस इसी तिीक़ पि पदा करगा) ता कक उस को लोगो क सलए अपनी तिफ़ स सनशानी औि (ज़िीया) िहमत (व महिबानी) बनाऊि औि य काम मक़िि हो चका हrdquo (सिह मयम 1919-21)

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

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CH - 8486

Ri kon

Swi t zerl and

Page 10: फेहरिस्त मज़ामीनrahehaque.com/wp-content/uploads/2020/04/Injiel... · द - चौथा नज़रिया है कक मसीह खाता

अल-बज़ावी न यस की मोअजज़ाना पदाईश पि तफसीि कित हए य सलखा ldquo इस इजबतयाज़ न मसीह को दसि बनी-नअ इिसान स औि साि नवबयो स मबताज़ कि कदया ह कयोकक वो बग़ि ककसी इिसानी रिकत औि मल-जोल क पदा हए थrdquo

लककन अल-फ़ख़र अल-िाज़ी न इस मौज़ पि य िाय ज़ाकहि की ह -

(1) अलफ़ाज़ ldquo کیا rdquoلالھلبل للک غلما زل क बाि म उस न कहा ldquo पाकीज़ाrdquo क तीन मतलब ह पहला यानी वो गनाह क बग़ि ह दसिा वो तजज़कया म बढ़त गए जस वो शखस जो बगनाह हो उस क हक़ म य लफज़ बोला जाता ह औि वो आला कक़सम की खती की पदावाि जो हि तिह स पाक हो औि लहला िही हो उस ज़की (زکی) कहा जाता ह तीसिा वो मलामत स बाला पाक थ

(2) ldquo حملة لناس ول رل لة ل للہ ای لنلجعل rdquoول का मतलब ह कक उस की पदाईश तमाम बनी-नअ इिसान क सलए एक सनशान ह कयोकक बग़ि वासलद क पदा हए ldquo نا ة م حمل rdquoرل का मतलब य ह कक तमाम बनी-नअ इिसान उन स बिकत हाससल किग नीज़ य कक मसीह क ससदक़ क दलाईल औि ज़यादा वाज़ह हो जाऐिग औि आपक अक़वाल औि आपकी बात ज़यादा लाइक-ए-क़बल बन जाएगी

इमाम अब-जाफ़ि अल-सतबिी न ldquo पाकीज़ा लड़काrdquo की तफसीि म सलखा ह -

rdquoالغلام الزکی ھو الطاہر من الذنوبldquo महावि म लफज़ ज़की (زکی) उस लड़क क सलए बोला जाता ह जो गनाह स बिी मासम व पाक हो य भी अिब इजसतमाल कित ह ldquo غلام زاک و

rdquoزکی و عال وعلی यानी खासलस व पाक बसमसाल व बलिद पाया लड़का

ज - मसीह का खदा की तिफ़ स मबािक होना हम सिह मयम 1931 म य अलफ़ाज़ पढ़त ह -

ldquo औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब-ए-बिकत ककया हrdquo

अल-सतबिी न यनस वबन अनद आला औि सकफ़यान की रिवायत की बसनयाद पि कहा ह कक ldquo للن مبلک عل rdquoو جل उस न मझ खि का मअजललम बना कि भजा हrdquo

सलमान वबन अनदल जनबाि न महबमद वबन यज़ीद वबन खनीस मखज़मी स रिवायत की ह ldquo मन इनन अल-विद को जो बनी मखज़म क ग़लाम थ य कहत सना ldquo एक आसलम की अपन स ज़यादा बड़ आसलम क साथ मलाक़ात हई औि सलाम क बाद उस स कहा मि इलम स कया ज़ाकहि होना चाहीए उस न जवाब कदया ldquo الامربالمعروف و النھی عن

rdquoالمنکر (भलाई किन की ज़यादा स ज़यादा तालीम दना औि बिाई स बचना) कयोकक यही अललाह का दीन ह जो उस न अपन नवबयो क ज़िीय अपन बिदो की तिफ़ भजा हrdquo

फक़हा का इस बात पि इवततफ़ाक़ ह कक हज़ित ईसा जहाि भी हो मबािक होग यानी उन की ज़ात बाइस-ए-बिकत ह

द - मसीह को रहल-क़दस की मदद हाससल थी सिह अल-बक़िह 2253 म सलखा ह -

ldquo औि ईसा इनन मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo

इनन अनबास कहत ह ldquo रहल-क़दस वो नाम ह जजसक वसील ईसा मद जज़िदा कित थrdquo

अब मजसलम का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस जजसक ज़िीय उनह ताईद व मदद हाससल थी ग़ासलबन वो ताकहि रह थी जजस अललाह तआला न उन म फि क कदया था औि जजसक ज़िीय स अललाह न उनह उन सबस मबताज़ बना कदया जजनह उस न आम तिीक़ स यानी मद व औित क नतफ़ क इजजतमा स खलक़ ककया थाrdquo

सिह अल-सनसा 4171 म सलखा ह -

ldquo मसीह मयम क बट ईसा खदा क िसल औि उस का कसलमा थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओrdquo

इस आयत का सनचोड़ य ह कक अललाह न ईसा को उनही की ज़ात म एक रह अता कि दी थी जो उन की शजखसयत म उन की मदद किती िहती थी लककन उलमा इसलाम रहल-क़दस जजसस मसीह को मदद व ताईद हाससल थी की तफसीि म मततकफ़क़ नहीि ह

इनन अनस का कहना ह कक ldquo रहल-क़दस वो रह थी जो मसीह म फि क दी गई थी अललाह न अपनी ज़ात क साथ इससलए उस मताजललक़ ककया ह कयोकक मसीह की तकिीम व तखसीस मक़सद थी ldquo अल-क़ददrdquo अललाह ह औि क़ौल ldquo rdquoفنفخنا فیہ من روحنا इस की सनशानदही किता ह

अल-सदी औि कअब की िाय य ह कक ldquo रहल-क़दस जजबरील ह औि जजबरील की मसीह की ताईद इस तिह पि थी कक वो आपक िफ़ीक़ थ वही मदद कित औि जहाि-जहाि वो जात थ आपका साथ नहीि छोड़त थ औि य कफ़ीयत उस वक़त तक िही ता आिका (यहा तक कक) मसीह आसमान पि उठा सलए गए

औि इनन जबि न इस बाि म कहा ह ldquo रहल-क़दस अललाह का इसम-ए-आज़म ह जजसस मद जज़िदा कि कदया कित थrdquo

अलक़ा शानी न कहा ldquo अललाह न जजसम ईसा को जजसमानी नापाककयो औि कदितो स पाक ककया औि आप एक ररहानी व समसाली बदन म रह मतजसद थ अललाह न मसीह की रह को माहौल औि माददी असिात औि समाजी असिात स पाक व साफ़ बनाए िखा ताकक रहल-क़दस की ताईद व मआवनत समलती िह जजसकी सित पि आप ढाल कदए गए थrdquo

इनन अता का कहना ह कक ldquo उबदा तिीन पौद वो ह जजनक फल वस ही हो जस ईसा रह-अललाहrdquo

औि इनन अनबास न य कहा कक ldquo य रह वो ह जो फि की गई थी औि अल-क़दस स मिाद खद अललाह ह सो वो रह-अललाह हrdquo

ह - मसीह की वफ़ात क वक़त उनका सऊद

हम सिह आल इमिान 355 म पढ़त ह -

ینل کلفلرو ھرکل منل الذ مطل ول افعکل الل رل فیکل ول یعیس ان متلول اذقلالل الل

ldquo उस वक़त खदा न फ़िमाया कक ऐ ईसा म तझ वफ़ात दन औि अपनी तिफ़ उठान वाला ह औि काकफ़िो स तझ पाक भी किन जा िहा हrdquo

इमाम अल-फ़ख़र अल-िाज़ी का कहना ह कक ldquo इस आयत की कई वज़ाहत ह जजनम स हम दो का जज़कर कि िह ह -

(1) ldquo افعکل الل rdquoرل (अपनी तिफ़ उठान वाला ह) का मतलब ह कक ldquoال محل کرامتیrdquo (अपन मक़ाम इज़ज़त की जगह पि िखगा) य रिफ़अत व अज़मत उन की शान क सलए औि य आपक क़ौल स समलता-जलता ह जो इनजील स मसतआि सलया गया ह कक ldquo म अपन िब की तिफ़ जा िहा हrdquo

(2) अलफ़ाज़ rdquo افعکل الل की तावील य ह कक अललाह उनह एक ऐसी जगह उठा rdquoرلकि ल जान वाला था जहाि उन पि ना ककसी का ज़ोि चलगा ना हकम कयोकक ज़मीन पि इिसान एक दसि पि तिह तिह क हकम औि फ़तव लगात ह लककन आसमान पि तो दि-हक़ीक़त अललाह ही का हकम चलता ह

व - मसीह की रिसालत व सीित की इसमत कछ लोग य खयाल कित ह कक रिसालत व पग़बबिी म बगनाही या इसमत चाल

चलन या सीित स वाबसता ह लककन य खयाल इससलए बइसास (बबसनयाद) ह कयोकक कई क़िआनी आयात इस की तदीद किती ह हम बहत सी ऐसी आयत पढ़त ह जो य बताती ह कक अजबबया ककिाम की जज़िदगीयाि ना क़नल रिसालत औि ना बाद रिसालत बऐब व ब-मलामत थीि

लककन क़िआन म ससफ मसीह की ज़ात मबािका ऐसी ह जो रिसालत म औि सीित क सलहाज़ स भी पाक व बऐब नज़ि आती ह इस बात की गवाही फ़रिकत न भी दी जब उन की वासलदा स कहा ldquo म तो तबहाि पिविकदगाि का भजा हआ ह कक तबह पाकीज़ा

लड़का बखशिrdquo अल-बज़ावी न लफज़ ldquo ज़कीrdquo کی ) की तफसीि क तहत सलखा ह कक ईसा (زلसाल ब साल आला औि बलिद होत चल गएrdquo

ज़ - मसीह की लासानी रिसालत क सनशानात जजस तिह स ताईद रहल-क़दस क सबब मसीह की रिसालत मनफ़रिद (बसमसाल)

व लासमसाल थी वस ही आपक मोअजज़ात की गौना गोनी ऐसी थी कक ककसी औि नबी या िसल म नहीि समलती क़िआन म हम पढ़त ह ldquo औि ईसा इनन-मरियम को हमन खली हई सनशानीयाि अता कीि औि रहल-क़दस स उन को मदद दीrdquo (सिह अल-बक़िह 2253) य सनशानात मोअजज़ात थ

अल-बज़ावी न कहा कक ldquo अललाह न उन क सपद खास जखदमत की औि उन क मोअजज़ात को दीगि िसल क मोअजज़ात पि तफ़ज़ील का सबब ठहिाया वो मोअजज़ात बड़ नमायाि औि बहद अज़ीम कक़सम क थ तादाद की कसरत भी ऐसी थी कक ककसी औि नबी म ना थी

ह - मसीह का इलम-ए-ग़ब सिह अल-ज़खररफ़ 436157 म सलखा ह -

ldquo औि जब इनन मरियम को बतौि समसल पश ककया गया तो तबहािी क़ौम क लोग इस स सचलला उठ औि वो कक़यामत की सनशानी हrdquo

अल-जलालन ldquo اعلة لس ہ للعلمrsquolsquo ل ان rdquoول की तफसीि कित हए सलखत ह ldquo ईसा कक़यामत की घड़ी का इलम थ वो जानत ह कक य कब आएगीrdquo लोग उममन खयाल कित ह कक अललाह अपनी मखलक़ स मनफ़रिद (बसमसाल) ह कक उसी को फ़क़त कक़यामत की घड़ी का इलम ह इस खयाल की िोशनी म ईसा क इस इजबतयाज़ खससी का पता चलता ह जो क़िआन आपको दता ह

त - मसीह का अललाह स तक़ररब औि शफ़ी होना

क़िआन शफ़ाअत क इजखतयाि को अललाह तक महदद किता ह जब कहता ह -

ldquo शफ़ाअत तो सब खदा ही क इजखतयाि म हrdquo (सिह अल-ज़मि 3944)

औि कफि क़िआन की एक आयत म शफ़ाअत को मसीह का एक इजबतयाज़ खससी बयान ककया गया ह -

ldquo (वो वक़त भी याद किन क लायक़ ह) जब फ़रिकतो न (मयम स) कहा कक मयम खदा तमको अपनी तिफ़ स एक फ़ज़ की बशाित दता ह जजसका नाम मसीह (औि मशहि) ईसा इनन-मरियम होगा (औि जो दसनया औि आजखित म बाआबर औि (खदा क खासो म होगाrdquo (सिह आल इमिान 345)

अल-जलालन न इस आयत की तफसीि कित हए कहा ldquo rdquoوجیھا दो एतबािात का हासमल ह दसनया म आपकी नबववत औि आजखित म अललाह की नज़दीकी व तक़ररब म आप का शफ़ाअत क इजखतयािात िखनाrdquo

अल-सतबिी न इनन हमीद औि सलमह औि इनन इसहाक़ औि महबमद वबन जाफ़ि क ससलससल का हवाला दत हए कहा ldquo نیلا جیھا ف الد rdquoول का मतलब ह इज़ज़त व वक़ाि का हासमल औि दसनया म अललाह की क़बत (नज़कदकी) म जज़िदगी बसि किना औि अलफ़ाज़ بینldquo منل المقلر ة ول الاخرل rdquoول का मतलब ह कक मसीह उन म होग जजनह अललाह तआला िोज़-ए-क़यामत अपनी क़बत (नज़कदकी) अता किगा औि अपन जवाि म जगह दगा

अल-िाज़ी न ईसा क बाि म सलखा ह ldquo वो दसनया म इज़ज़त व वक़ाि क हासमल इससलए थ कक आपकी दआएि मसतजाब थीि क़बल कि ली जाती थी आपन मद जज़िदा ककए अधो औि कोढ़ीयो को सशफ़ा बखशी औि िोज़ आजखित अललाह उन को शफ़ी उबमत बनाएगाrdquo

ताहम अलफ़ाज़ ldquoبین منل المقلر rdquoول क बाि म कई नकता नज़ि ह

पहला य कक अललाह न मसीह को अपनी क़बत (नज़कदकी) अता कि क आपको एक इजसतहक़ाक़ (काननी हक़) अज़ीम बखशा औि ससफ़त हबद म मलाइका क दजात आला तक पहिचा कदया ह

दसिा य कक य बयान एक ऐलान ह कक वो आसमान पि उठाए जाऐिग औि फ़रिकतो क साथ होग

तीसिा य कक आइनदा जहान म हि इज़ज़त व वक़ाि की हासमल शजखसयत मक़िब बािगाह इलाही ना हो सकगी कयोकक अहल-जननत अलग अलग मिासतब व दजात म तक़सीम होग

3- क़िआन म मसीह क मोअजजज़

असलफ़ - खलक़ किन की क़दरत सिह अल-माइदा 5110 म सलखा ह -

ldquo जब खदा (ईसा स) फ़िमाएगा कक ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद किो जब मन तमको ककताब औि दानाई औि तौिात औि इनजील ससखाई औि जब तम मि हकम स समटटी का जानवि बना कि उस म फि क माि दत थ तो वो मि हकम स उड़न लगता थाrdquo

इनन अल-अिबी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक -

ldquo अललाह न ईसा को उन क रह होन की वजह स इस कक़सम की खससीयत दी थी औि उन क समटटी लकि तखलीक़ (परििद) म नफ़ख यानी फकन को मज़ाफ़ ककया जज़िदगी बखशन क मआमल म ससवाए ईसा क इस तिह का नफ़ख औि ककसी क साथ मनसब नहीि ककया गया हा खद अललाह तआला की ज़ात स ज़रि मनसब ककया गया

ब - ब-वक़त ववलादत आपका गफतग किना जब मयम न अपन बट को जनम कदया तो उन की क़ौम वालो न उन की खब

लानत मलामत की कयोकक वो यही खयाल कित थ कक बचचा बद-चलनी का नतीजा ह तब क़िआनी बयान क मतावबक़ -

ldquo मयम न उस लड़क की तिफ़ इशािा ककया वो बोल कक हम इस स कक गोद का बचचा ह कयोकि बात कि बचच न कहा कक म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी ह औि नबी बनाया हrdquo (सिह मयम 193029)

अल-सदी का कहना ह कक -

ldquo जब मयम न क़ौम क उन अफ़िाद की तिफ़ इस तिह का इशािा ककया तो उन लोगो को बड़ा ग़ससा आया औि बोल ldquo इस का तबसखि (मज़ाक) तो इस क जज़ना स भी ज़यादा सिगीन हrdquo

एक औि रिवायत बताती ह कक ldquo ईसा दध पी िह थ जब उनहो न य गफतग सनी तो दध छोड़ कदया औि उन लोगो की तिफ़ ररख फिा औि अपन बाएि तिफ़ क पहल को टका औि अपन कसलम की उिगली उठाई तब उन लोगो को जवाब कदया

अल-िाज़ी न एक औि रिवायत बयान की ह कक ldquo हज़ित ज़किीया इस मौक़ पि हज़ित मयम की तिफ़ स यहदीयो स मनाज़िा किन आ मौजद हए थ औि उनहो न ही ईसा स कहा था कक ldquo अब तम अपनी हजजत पश किो अगि तमको उस का हकम समल चका ह तब ईसा न कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ कहकमत दी ह औि मझ नबी बनाया हrdquo

ज - मद जज़िदा किना जनम क अधो को बीनाई अता किना औि कोढ़ीयो को सशफ़ा दना

मसीह की ही ज़बान स क़िआन न य कहा ह -

ldquo औि (म) अिध औि अबरस को तिदररसत कि दता ह औि खदा क हकम स मद म जान डाल दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

सब ही जानत ह कक ldquo rdquoالاکمہ का मतलब वो शखस ह जो मादि-ज़ाद बीनाई स महरम हो औि य भी एक हक़ीक़त ह कक कोढ़ एक खतिनाक बीमािी ह औि दोनो ही अमिाज़ इिसान क बस स बाहि औि लाइलाज थ

मसनना की एक रिवायत जजसका ससलससला इनन इसहाक़ हफस वबन उमि औि अकरमा स समलता ह य बताती ह कक ldquo अललाह अजज़ व जल न ईसा स कहा कक यही अलफ़ाज़ वो बनी-इसराईल क सामन बतौि-ए-एहतजाज अपनी नबववत की सनशानी क तौि पि कह कयोकक य दोनो अमिाज़ लाइलाज हrdquo

अलफ़ाज़ ldquo لوت rdquoول احی الم (मद जज़िदा कि दता ह) क बाि म वहब वबन मिबा न बयान ककया ह कक ldquo हज़ित ईसा बचचो क साथ खल िह थ तो अचानक एक लड़का एक छोट लड़क पि टट पड़ा औि उस को लात माि माि कि हलाक कि कदया कफि उस खन म सलथड़ा हआ ईसा क क़दमो पि फ क कदया जब लोगो को खबि हई तो उस का इलज़ाम ईसा पि ही लगाया गया औि उन को पकड़ कि समसर क क़ाज़ी क पास ल गए औि य इलज़ाम लगाया कक इसी न क़तल ककया ह क़ाज़ी न आपस पछा औि ईसा न जवाब कदया ldquo मझ नहीि मालम कक इस ककस न क़तल ककया ह औि ना म इस का साथी हrdquo कफि उनहो न ईसा को मािन का इिादा ककया तो आपन उन स कहा ldquo अचछा लड़क को मि पास लाओrdquo वो बोल ldquo मतलब कया ह तबहािाrdquo आपन फ़िमाया ldquo लड़क स पछ लगा कक ककस न उस क़तल ककया हrdquo वो कहन लग ldquo भला मद स कस बात कि क पछ लगा कफि वो आपको मक़तल लड़क क पास ल गए ईसा न दआ किनी शर की तो अललाह न उस लड़क को जज़िदा कि कदयाrdquo

वहब ही की एक रिवायत य भी ह कक ldquo कभी कभी तो ईसा क पास बीमािो की इतनी भीड़ लग जाती थी हतता कक एक एक मजमा पचास पचास हज़ाि का हो जाता था जजस मिीज़ म इतनी सकत होती वो आपक पास पहिच जाता औि जजसम आप तक पहिचन की ताक़त नहीि होती थी उस क पास आप खद चल जात थ औि आप दआ क ज़िीय उन लोगो का ईलाज कित थrdquo

अल-क़लबी स रिवायत ह कक ldquo हज़ित ईसा ldquo rdquoیا حی یا قیوم की मदद स मद जजला दत थ आपन आज़ि (लाज़ि) अपन एक दोसत को भी जज़िदा ककया आपन नह क बट साम को भी क़बर स सनकाला औि वो जज़िदा हो गया एक बाि एक बकढ़या क मदा बचच क पास स गज़ि हआ तो उसक सलए दआ की औि चािपाई स उति आया औि अपन लोगो क पास जा कि जज़िदगी गज़ािन लगा औि बाल बचचदाि भी हआrdquo

द - ग़ब का इलम मसीह की ज़बानी क़िआन न य भी कहा ldquo औि जो कछ तम खा कि आत हो औि

जो अपन घिो म जमा कि िखत हो सब तमको बता दता हrdquo (सिह आल इमिान 349)

इस ताललक़ स उलमा दो बात बयान कित ह -

पहली य कक वो शर ही स ग़ब की बातो की खबि द कदया कित थ अल-सदी न रिवायत की ह कक ldquo वो लड़को क साथ खलत खलत उन क मा बाप क काम बता कदया कित थ उनहो न एक बचच को यहाि तक बता कदया कक तिी मा न ति सलए फ़लाि चीज़ फ़लाि जगह सछपा िखी ह औि जब वो बचचा घि पहिचा तो उस चीज़ क सलए िोता िहा यहाि तक कक उस हाससल कि क ही छोड़ा इस का य असि हआ कक लोग अपन बचचो को मसीह क साथ खलन स य कह कि िोकन लग कक य जादगि ह औि उनह घि ही म िखन लग औि बाहि ना सनकलन दत थ जब ईसा उन की तलाश म उन क पास जात तो लोग कह दत कक घि ही म नहीि ह एक बाि मसीह न पछ सलया कक ldquo अगि घि म नहीि ह तो घि म कौन ह जवाब समला ldquo वो तो जखिज़ीि ह ईसा न कहा ldquo तब तो वो वस ही हो जाऐिग बाद म लोगो न ककया दखा कक वो वस ही बन चक थrdquo

औि दसिी बात य कक इस तिह स तो ग़ब की खबि दना मोअजजज़ा हआ नजमी लोग जो ग़ब की खबि बतान का दाअवा कित ह उन क सलए बग़ि सवाल पछ बताना मजककल होता ह कफि उनह तो य एतिाफ़ भी िहता ह कक उन स गलतीयाि भी सिज़द होती िहती ह औि ग़ब की खबि वबला ककसी आला की मदद क औि बग़ि पछ-गछ क ससवा वही क औि ककसी तिीक़ स मजबकन नहीि

ह - आसमान स दसति-खवान उतािना क़िआन म कहा गया ह कक -

ldquo (वो कक़ससा भी याद किो) जब हवारियो न कहा कक ऐ ईसा इनन मरियम कया तबहािा पिविकदगाि ऐसा कि सकता ह कक हम पि आसमान स (तआम खान का) खवान नाजज़ल कि उनहो न कहा कक अगि ईमान िखत हो तो खदा स डिो वो बोल कक हमािी

य खवाकहश ह कक हम उस म स खाएि औि हमाि कदल तसलली पाएि औि हम जान ल कक तमन हमस सचच कहा ह औि हम इस (खवान क नज़ल) पि गवाह िह (तब) ईसा इनन मरियम न दआ की कक ऐ हमाि पिविकदगाि हम पि आसमान स खवान नाजज़ल फ़मा कक हमाि सलए (वो कदन) ईद क़िाि पाए यानी हमाि अगलो औि वपछलो (सब) क सलए औि वो तिी तिफ़ स सनशानी हो औि हम रिज़क़ द त बहति रिज़क़ दन वाला हrdquo (सिह माइदा 5112-114)

नज़ल माइदा क बाि म उलमा इजखतलाफ़ िाय का सशकाि ह कक ककस तिह वो खवान आसमान स उतिा औि उस की कया कफ़ीयत थी औि उस म कया-कया चीज़ थी

क़तादा न जावबि याससि वबन अबमाि महबमद क ससलससल की रिवायत कित हए बताया ह कक ldquo खवान उतिा औि उस म िोटी औि गोकत था इससलए कक उनहो न ईसा स ऐसी खिाक की दिखवासत की थी जजस वो खाएि औि वो खतम होन का नाम ना ल तब आपन फ़िमाया ldquo अचछा म य दिखवासत मिज़ि किता ह औि वहाि तबहाि दसमयान उस वक़त तक मौजद िहगी जब तक तम उस छपाओग नहीि औि उस म जखयानत नहीि किोग औि अगि तमन ऐसा ककया तो तबह अज़ाब कदया जाएगा एक कदन ना गज़िा था कक उनहो न जखयानत भी की औि छपा भी कदया इससलए खवान ऊपि उठा सलया गया औि उन की सितो वबगड़ गई कक बिदि औि जखिज़ीि बन गएrdquo

इनन अनबास स य रिवायत ह कक ldquo ईसा न बनी-इसराईल स (इस दिखवासत क बाद) य कहा ldquo तीस कदन िोज़ िखो औि बाद म अललाह स जो चाहत हो मागो चनानच उनहो न तीस कदन िोज़ िख औि जब िोज़ो का इखतताम हआ तो कहन लग ldquo ऐ ईसा िोज़ तो हमन िख सलए अब सखत भक लगी ह अललाह स दआ कीजजए ताकक आसमान स अललाह माइदा (खाना) नाजज़ल फ़िमाए य सन कि हज़ित ईसा टाट ओढ़ कि औि िाख वबछा कि बठ गए औि दआ म मशग़ल हो गए औि फ़रिकत आसमानी खवान लकि उति जजसम सात िोकटया औि सात मछसलया थीि उनहो न इस खवान को उन क सामन ला कि िख कदया कफि कया था सबन सशकम सि हो कि खाया औि एक भी भका ना िहा

4 - क़िआन म मसीह की इजननयत

क़िआन की तालीम की िोशनी म शजखसयत अल-मसीह पि ग़ौि व खौज़ किन वाल क सलए मसीह की इजननयत एक ऐसा मौज़ ह जजसन बहस व तमहीस को जनम कदया ह औि इस जज़मन म पाच नज़रियात पाए जात ह -

असलफ़ - पहला नज़रिया कफर का ह क़िआन म सलखा ह ldquo खदा को सज़ावाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए वो पाक ह

जब ककसी चीज़ का इिादा किता ह तो उस को यही कहता ह कक हो जा तो वो हो जाती हrdquo (सिह मयम 1935)

इस म य भी सलखा ह कक -

ldquo औि कहत ह कक खदा बटा िखता ह (ऐसा कहन वालो य तो) तम बिी बात (ज़बान पि) लाए हो क़िीब ह कक इस स आसमान फट पढ़ औि ज़मीन शक़ हो जाय औि पहाड़ पािा-पािा हो कि सगि पढ़ कक उनहो न खदा क सलए बटा तजवीज़ ककया औि खदा को शायाि नहीि कक ककसी को बटा बनाए तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1988-93)

अल-फ़ख़र अल-िाज़ी की तफसीि म आया ह कक ldquo म जानता ह कक अललाह तआला बत-पिसतो की तदीद किन क बाद अब उन लोगो की तदीद कि िह ह जो उसक सलए बटा सावबत कित ह यहदी कहत ह कक उज़ि अललाह क बट ह औि नसािा कहत ह कक मसीह अललाह क बट ह औि अिब न फ़रिकतो को अललाह की बकटयाि कहा ह इस आयत म य सब शासमल ह

अलफ़ाज़ ldquo ا یئا اد rdquoجئت شل (तम बिी बात लाए हो) का मतलब ह सचचाई का बहत बड़ा इनकाि इससलए ज़मीन क फट जान औि पहाड़ो क िज़ा िज़ा होन का मतलब य हआ कक उस पि अललाह का ग़ज़ब ह जो य कहता ह कक ldquo खदा बटा िखता हrdquo

ब - दसिा नज़रिया खासलक़ को मखलक़ स समला दन का नज़रिया ह

क़िआन म सलखा ह ldquo औि उनहो न उस क बिदो म स उसक सलए औलाद मक़िि की बशक इनसान सिीह नाशकरा ह कया उस न अपनी मखलक़ात म स खद तो बकटयाि लीि औि तमको चन कि बट कदएrdquo (सिह अल-ज़खरफ 431615)

यहाि एक सवाल उठ खड़ा होता ह कक खासलक़ औि मखलक़ म वो कौन सा रिकता ह कक एक जज़व मखलक़ अपन खासलक़ स समल जाय य कफ़तरतन औि अक़लन नामजबकन ह ऐस लोगो न अललाह क इस क़ौल को पश ककया ह ldquo तमाम शखस जो आसमानो औि ज़मीन म ह सब खदा क रबर बिद हो कि आएगrdquo (सिह मयम 1993) औि कहा ह कक ldquo अनद (बिद) का िब बन जाना मजबकन नहीि औि अलफ़ाज़ ldquoبدیع السموات والارضrdquo (यानी अललाह ही आसमानो औि ज़मीन का पदा किन वाला ह) को पश कित हए कहत ह कक ककसी मखलक़ का खासलक़ बन जाना मजबकन नहीि ह

हम मसीही भी इस बात का इक़िाि कित ह कक अललाह की मखलक़ात म स ककसी एक कहससा या जज़व का अपन खासलक़ म ज़म हो जाना जायज़ नहीि ह लककन हमाि अक़ीद म य बात बाप औि बट क ताललक़ात पि मितवबक़ नहीि होती कयोकक इनन बाप क साथ जोहि म एक ही ह औि क़िआन खद य कहता ह कक मसीह कसलमतललाह औि उस की तिफ़ स रह ह सो खदा की मखलक़ का अपन खासलक़ म ज़म हो जान का मसीह की इजननयत क साथ कोई ताललक़ नहीि ह

ज - बटा तो नि व मादा स समलकि ही बज़िीय ववलादत पदा होता ह

यहाि इजननयत क ताललक़ स इसलामी मफहम म एक मजककल दिपश ह ldquo उस क औलाद कहा स हो जब कक उस की बीवी ही नहीिrdquo (सिह अल-अनआम 6101)

अल-बज़ावी न इस आयत पि अपन खयालात का इज़हाि यि ककया ह ldquo अक़ल जजस बात को तसलीम किती ह वलद (औलाद) क मआमला म वो य ह कक वो दो हम-जजिस नि व मादा क समलाप स ही जनम लता ह औि अललाह तआला ऐसी बातो स पाक व बिी ह

इसलाम का यही नज़रिया ह जो अललाह क सलए ककसी जनम हए बट यानी वलद को नामजबकन ठहिाता ह कयोकक अललाह की कोई अहसलया (बीवी) नहीि औि अललाह क सलए ऐसा मानना भी नामजबकन ह अललाह क सलए मसीह क बाप होन को मजनकि औि अजीब सी बात मानन म यही एक िाज़ ह कयोकक क़िआनी कफ़कर म कोई बटा हो ही नहीि सकता ससवा इस क कक जजसमानी ताललक़ वाक़अ हो

सतबिी की तफसीि जामअ-उल-बयान म इसी की ताईद समलती ह वहब औि अबी ज़द स रिवायत ह कक ldquo बटा नि व मादा क समलाप का नतीजा होता ह औि अललाह क सलए ककसी साथी औित या बीवी का तसववि ही महाल ह इससलए बटा (वलद) कहा स आएगा नीज़ य कक उसी न तो सािी चीज़ खलक़ की ह औि जब य बात हो कक कोई चीज़ ऐसी नहीि ह जजस अललाह न खलक़ ना ककया हो तो उस क बटा कस होगाrdquo

महजक़क़क़ीन न य सलखा ह कक य मज़कि आयत उन लोगो क हक़ म उतिी जो वबदअती थ औि जजनकी जड़ बत-पिसती म गड़ी हई थीि य लोग कलीससया म शासमल हो गए औि उस म वबदअती तालीम फलान की कोसशश की कक मक़ददसा मयम खदा ह उन क अनदि यह खयाल उस वक़त स था जब कक वो बत-पिसती का सशकाि थ कक ज़हिा ससतािा जजसकी वो पजा ककया कित थ खदा ह इसी फ़ाससद अक़ीद न ज़हिा की जगह मयम को िख कदया

अललामा अहमद अल-मकरिज़ी न अपनी ककताब ldquo अल-क़ोल-उल-अबिज़ी (القول क सफ़ा 26 पि इस बात की तिफ़ इशािा ककया ह औि इनन हज़म न अपनी (الابریزیककताब ldquo अल-मलल व अल-अहवा व अल-नहल (الملل والاھواء والنحل) क सफ़ा 48 पि इस वबददत पि बहस की ह य वबदअती लोग य मानत थ कक अललाह क बीवी ह औि उस स बचचा भी ह अब वाज़ह हो गया कक क़िआन न इसी नज़रिय का िदद ककया ह औि मसीकहययत का इस खयाल स दि का भी वासता नहीि चनानच एक भी मसीही ऐसा नहीि समलगा जो ऐसी बात पि एसतक़ाद िखता हो य तो अललाह ज़ल-जलाल व क़ददस की ज़ात की तौहीन ह जो हि तिह क जजसमानी खसाइस स पाक व मनज़ज़ह ह

हक़ीक़त तो य ह कक मसीकहयो का वो अक़ीदा जो इनजील शिीफ़ पि मबनी ह उस पि ग़ौि व कफ़कर किन वाल पि य बात बखबी वाज़ह हो जाती ह कक जनाब मसीह का इनन-अललाह होना अललाह की ककसी बीवी क ज़िीय पदा होन की वजह स नहीि ह बजलक

मोसमनो का य ईमान ह कक मसीह का इनन-अललाह होना वजद व ज़ात इलाही स उन क सदि की वजह स ह जजसकी ससफ़त बताई गई कक मसीह खदा का वो कसलमा ह जो इजनतदा स खदा क साथ था औि रह-उल-क़ददस की माफ़त वो मयम म हमल की शकल इजखतयाि कि गया

पौलस िसल न इसी हक़ीक़त की तिफ़ इशािा ककया जब िोमीयो 11-4 म सलखा

ldquo पौलस की तिफ़ स जो यस मसीह का बिदा ह औि िसल होन क सलए बलाया गया औि खदा की उस खशखबिी क सलए मखसस ककया गया ह जजसका उस न पकति स अपन नवबयो की माफ़त ककताब मक़ददस म अपन बट हमाि खदाविद यस मसीह की सनसबत वाअदा ककया था जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

द - चौथा नज़रिया ह कक मसीह खाता था सिह अल-माइदा 575 म सलखा ह -

ldquo मसीह इनन मरियम तो ससफ (खदा क) पग़बबि थ उन स पहल भी बहत स िसल गज़ि चक थ औि उन की वासलदा (मयम) खदा की वली औि सचची फ़िमािबदाि थीि दोनो (इनसान थ औि) खाना खात थ दखो हम उन लोगो क सलए अपनी आयत ककस तिह खोल खोल कि बयान कित ह कफि (य) दखो कक य ककधि उलट जा िह हrdquo

अब इसलामी कफ़कर का कहना य ह कक मसीह को इलोही ससफ़ात स मततससफ़ किना ग़ि-मजबकन ह कयोकक य बात उन की बशरियत स वाज़ह ह जो खाना खाता हो वो कस खदा बन सकता ह

अल-िाज़ी न अपनी तफसीि म इस आयत क बाि म सलखा ह -

(1) ldquo जजस ककसी शखस की भी मा हो वो ऐसा हाकदस औि नोपद ह जो पहल नहीि था औि जो इस तिह हो वो मखलक़ हआ ना कक खदाrdquo

(2) ldquo दोनो (ईसा औि मयम) को खिाक की अशद हाजत (बहत ज़रित) थी औि खदा तो वो हसती ह जो इन सािी चीज़ो स बपिवा औि ग़नी ह इससलए मसीह कस खदा हो सकत हrdquo

(3) ldquo अलफ़ाज़ ldquo दोनो खाना खात थrdquo उन की इिसासनयत का इज़हाि ह कयोकक हि कोई जो खिाक खाता ह वो फ़ानी हrdquo (लककन अल-िाज़ी न इस नकता नज़ि को ज़ईफ़ क़िाि कदया ह

ह - पािचवाि नज़रिया मखलक़ का नफ़ा व नक़सान पहिचान स आजजज़ होना ह

सिह अल-माइदा 576 म सलखा ह -

ldquo कहो कक तम खदा क ससवा ऐसी चीज़ की कयो पिजसतश कित हो जजसको तबहाि नफ़ा औि नक़सान का कछ भी इजखतयाि नहीि औि खदा ही (सब कछ) सनता जानता हrdquo

मफ़जससिो न इस आयत को नसािा क क़ौल क फ़ाससद होन पि दलील ठहिाया ह कयोकक उन क खयाल म इस स कई तिह की हजजत उठ खड़ी होती ह

(1) यहदी लोग मसीह स दकमनी कित औि हि वक़त उन क जखलाफ़ िशा दवानी कित िहत थ लककन मसीह उन को ककसी तिह का भी नक़सान पहिचान की क़दरत नहीि िखत थ उन क हवािी व मददगाि उन स बड़ी महनबत कित थ लककन वो उनह ककसी तिह का दसनयावी फ़ायदा ना पहिचा सक अब जो नफ़ा व नक़सान पहिचान पि क़दरत ना िख उस ककस तिह खदा तसलीम ककया जा सकता ह

इस आयत की तफसीि कित हए अल-बज़ावी न सलखा ह ldquo ईसा को कक गोया य इजबतयाज़ हाससल था कयोकक अललाह न उनह इस का मासलक तो बनाया था लककन य तमसलक उन की ज़ाती ना थीrdquo

लककन हम कहत ह कक अगि यस महज़ क़िआन क ही ईसा होत (यानी क़िआन न जस उनह पश ककया ह) यानी बिदा व ग़लाम ईसा तो हम ज़रि य मान लत कक उन की अपनी ज़ात म ना नफ़ा पहिचान की सकत थी ना नक़सान पहिचान की क़दरत लककन जसा यसअयाह नबी न बयान ककया ह यस ldquo क़ाकदि खदा हrdquo औि हम तो इसक सलए शकरगज़ाि ह कयोकक मसीह की रिसालत नक़सान औि माददी नफ़ा स बालाति थी बजलक उन की रिसालत खलास आसीया थी औि क़िआन न इसी हक़ीक़त का इज़हाि इस तिह ककया ह कक मसीह िहमतल-सलल-आलमीन बन कि आए थ

(2) दसिी हजजत य पश की जाती ह कक मसीही मज़हब य मानता ह कक यहदीयो न मसीह को सलीब पि लटका कदया था औि उन की वपससलया छद दी गई थीि औि जब वो पयास हए औि पानी मािगा तो उनहो न उन क हलक़ म ससिका उि डल कदया था ऐसी कमज़ोिी औि बबसी की हालत िखन वाल को कस खदा माना जा सकता ह

(3) तीसिी बात य कक कायनात क मासलक खदा को अपन ससवा हि चीज़ स बसनयाज़ होना चाहीए औि उस क माससवा सािी चीज़ो को उस का महताज अगि ईसा बसनयाज़ होत तो अललाह की इबादत म मशग़ल होन स भी बसनयाज़ होत कयोकक अललाह तो ककसी की इबादत नहीि किता य तो इिसान ह जो अललाह की इबादत किता ह बतिीक़ तवाति य बात सावबत ह कक ईसा ताअत व इबादत म मसरफ़ िहत थ औि ऐसा खद नफ़ा हाससल किन क सलए औि दसि की तिफ़ दफ़ाअ मज़ित क सलए कित थ कफि जजसकी य हालत हो वो बिदो की तिफ़ फ़वाइद कस पहिचाए औि उनह बिाई स कस बचाए वो ऐस ही थ दसि आजजज़ बिदो की तिह एक बिदा थ

5 - इसलाम म मसीह की उलकहयत इसलाम औि मसीकहययत क दसमयान मज़ाकिा औि गफत व शनीद क बीच जो

चीज़ सबस ज़यादा आड़ आती ह वो ह मसीह म उलकहयत का मसीही अक़ीदा जजस इसलाम म कफर स ताबीि ककया जाता ह इस की मखासलफ़त म बहत सी क़िआनी आयत समलती ह जजनम स चाि बहत सिीह ह जो सिह अल-माइदा म ह औि एक सिह अल-सनसा म वाक़अ ह

असलफ़ - पहली आयत ldquo जो लोग इस बात क क़ाइल ह कक ईसा वबन मयम खदा ह वो बशक काकफ़ि ह

(उनस) कह दो कक अगि खदा ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को औि जजतन लोग ज़मीन म ह सबको हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती हrdquo (सिह अल-माइदा 517)

इस आयत की शिह कित हए अल-िाज़ी कहत ह कक यहाि एक सवाल उठता ह कक अगि मसीकहयो म कोई भी य नहीि कहता था कक अललाह ही मसीह इनन मरियम ह तो कफि इस तिह की बात अललाह न कयो कही इस का जवाब य ह कक ldquo rdquoحلولیہ (हलसलया) सगिोह क लोग य मानत ह कक अललाह तआला ककसी इिसान खास क बदन म या उस की रह म हलल कि जाता या समा जाता ह अगि ऐसी बात ह तो य मानना कछ बईद भी नहीि ह कक शायद नसािा म कछ लोग ऐसी बात कहत औि मानत िह होग औि कफि मसीही य मानत ह कक उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) ईसा क साथ मततकहद था

अब उक़नम-अल-कलमा (اقنوم الکلمة) या तो ज़ात होगा या ससफ़त होगा अगि ज़ात मान तो य मानना होगा कक अललाह तआला की ज़ात ईसा म उतिी औि समा गई तब तो ईसा अललाह हो गए औि अगि हम उक़नम को ससफ़त स ताबीि कि तो कफि ससफ़त का एक ज़ात स दसिी ज़ात म मितकक़ल हो जाना ग़ि-माक़ल बात ह

कफि ज़ात इलाही स ईसा की तिफ़ अगि उक़नम इलम क इिसतक़ाल को तसलीम कि तो खदा की ज़ात का इलम स खाली होना लाजज़म आएगा औि इस सित म य मानना पड़गा कक जो आसलम नहीि वो अललाह नहीि कफि तो नसािा ही की बात क मतावबक़ ईसा खदा हो गए पस इस स सावबत ह कक नसािा अगिच ऐसी बात खल कि नहीि कहत लककन उन क मज़हब का सनचोड़ यही ह

कफि अललाह सनहाना न इस मज़हब व अक़ीदा क फ़साद पि य कह कि हजजत पश की ह कक अगि अललाह ईसा वबन मयम को औि उन की वासलदा को हलाक किना चाह तो उस क आग ककस की पश चल सकती ह इन अलफ़ाज़ स मफ़जससिो न य मिाद

सलया ह कक ईसा भी शकल व सित बदन ससफ़ात व अहवाल क एतबाि स उन ही लोगो की तिह ह जजनह ldquoلمن ف الارضrdquo यानी ज़मीन वाल कहा गया ह हालाकक ऐसा नहीि ह

ब - दसिी आयत ldquo वो लोग ब-शनहा काकफ़ि ह जो कहत ह कक मयम क बट (ईसा) मसीह खदा ह

हालाकक मसीह यहद स य कहा कित थ कक ऐ बनी-इसराईल खदा ही की इबादत किो जो मिा भी पिविकदगाि ह औि तबहािा भी (औि जान िखो कक) जो शखस खदा क साथ सशक किगा खदा उस पि बकहकत (जननत) को हिाम कि दगा औि उस का कठकाना दोज़ख ह औि ज़ासलमो का कोई मददगाि नहीिrdquo (सिह अल-माइदा 572)

इमाम अल-िाज़ी की इस आयत पि शिह य ह कक ldquo अललाह न जब यहदीयो क साथ इजसतक़सा ककया औि जहाि तक बात जाती थी कि चका तो इस आयत म नसािा क मआमल पि गफतग की औि उन क एक सगिोह की कहकायत बयान कित हए कहा कक वो मानत ह कक अललाह तआला न ईसा की ज़ात म हलल ककया औि उन क साथ समलकि एक हो गया

ज - तीसिी आयत वो लोग (भी) काकफ़ि ह जो इस बात क क़ाइल ह कक खदा तीन म का तीसिा

ह हालाकक उस माबद यकता क ससवा कोई इबादत क लायक़ नहीि अगि य लोग ऐस अक़वाल (व अक़ाइद) स बाज़ नहीि आएग तो उन म जो काकफ़ि हए ह वो तकलीफ़ दन वाला अज़ाब पाएगrdquo (सिह अल-माइदा 573)

मसलमानो न इस आयत को लकि मसीकहयो पि य इलज़ाम लगाया ह कक वो तीन खदाओि यानी अललाह ईसा औि मयम की इबादत कित ह

अल-िाज़ी न मसीकहयो क इस अक़ीद क बाि म य बयान ककया ह ldquo नसािा क बाि म य बात कही जाती ह कक वो दाअवा कित ह कक ldquo अललाह जोहि वाकहद औि तीन अक़ानीम वाला ह यानी बाप बटा औि रहल-क़दस य तीनो एक ही खदा ह मसलन जस सिज म क़िस शआ औि हिाित (कटककया ककिण गमी) पाई जाती ह मसीही लोग बाप

स मिाद ज़ात लत ह औि बट स मिाद अल-कलमा औि रह स मिाद जज़िदगी लत ह उनहो न ज़ात कलमा औि जज़िदगी को इस तिह सावबत ककया ह कक अल-कलमा जो कक अललाह का कलाम ह ईसा क जसद म जा कि घल समलकि एक हो गया जस पानी औि शिाब का या पानी औि दध का इखसतलात हो जाता ह मसीकहयो का भी यही खयाल ह कक बाप खदा ह औि बटा खदा ह औि रह खदा हrdquo कफि अल-िाज़ी न इस तअलीक़ स य शिह खतम कि दी कक ldquo मालम होना चाहीए कक य खयाल बतलान औि जखलाफ़ अक़ल ह कयोकक तीन एक नहीि हो सकत औि एक तीन नहीि हो सकताrdquo

द - चौथी आयत ldquo औि (उस वक़त को भी याद िखो) जब खदा फ़िमाएगा कक ऐ ईसा वबन मयम

कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किो वो कहग कक त पाक ह मझ कब शायाि था कक म ऐसी बात कहता जजसका मझ कछ हक़ नहीि अगि मन ऐसा कहा होगा तो तझको मालम होगा (कयोकक) जो बात मि कदल म ह त उस जानता ह औि जो ति ज़मीि म ह उस म नहीि जानता बशक त अललाम-उल-ग़यब हrdquo (सिह अल-माइदा 5116)

अल-िाज़ी को इस आयत म कई बात नज़ि आई ह -

पहली तो य कक इस का ताललक़ अललाह क बयान ldquo ऐ ईसा इनन मरियम मि उन एहसानो को याद कि जो मन तम पि ककएrdquo स ह वो इस उस शान व वजाहत स समलाता ह जो ईसा को िोज़ कक़यामत होगी

दसिी बात य कक अललाह ग़ब की बातो का जानन वाला ह औि य जानता ह कक ईसा न ऐसी कोई बात नहीि कही थी औि अललाम-उल-ग़यब को इस तिह का सवाल भी ज़बा नहीि दता तो कफि इस तिह का हज़ित ईसा स जखताब कयो इस का अगि य जवाब कदया जाय कक इस जखताब स य ग़ज़ थी कक नसािा को मलामत औि बिा-भला कहा जाय तो हम कहग कक ककसी मसीही न कभी य नहीि कहा कक अललाह क इलावा ईसा औि मयम दो खदा थ तो कफि ऐसी बात को उन की तिफ़ मनसब किना जो उनहो न कभी कही ही नहीि कस जायज़ ह

पहला नकता कक ldquo कयो वो उन स मखासतब हआrdquo का जवाब य कदया गया कक य आयत इजसतफ़हाम-ए-इनकािी क तौि पि लाई गई यानी उनहो न इस बाि म कोई तालीम नहीि ससखाई

दसि सवाल का जवाब य ह कक अललाह तआला ही खासलक़ ह हालाकक मसीही य मानत ह कक ईसा औि मयम क हाथो जो मोअजजज़ ज़ाकहि हए उन क खासलक़ या किन वाल खद ईसा थ औि अललाह न उनह नहीि ककया था अब ऐसी बात हई तो मसीकहयो न कहा कक इन साि मोअजज़ात क खासलक़ ईसा व मयम थ अललाह नहीि था सो ककसी हद तक उनहो न इस बात को मान सलया कक ईसा औि मयम उस क इलावा दो खदा ह साथ य भी कक अललाह तआला खदा नहीि था अल-िाज़ी का मानना ह कक बहत सी कहकायात औि रिवायत इस तावील क साथ मततकफ़क़ ह

ताहम क़िआन क मफ़जससिो क दसमयान इस बात म इजखतलाफ़ िाय ह कक ईसा स इस तिह का सवाल आजखि अललाह न ककस वक़त ककया

अल-सदी कहत ह कक ldquo जब अललाह न ईसा को अपनी तिफ़ उठाया था तब य सवाल ककया था कक ldquo कया तमन लोगो स कहा था कक खदा क ससवा मझ औि मिी वासलदा को माबद मक़िि किोrdquo

लककन क़तादा की िाय ह कक ldquo य सवाल अभी उन स ककया ही नहीि गया कक़यामत क कदन ककया जाएगा इस िाय स इवततफ़ाक़ किन वालो म इनन जिीह औि मसिह भी हrdquo

ह - पािचवीि आयत ldquo ऐ अहल-ककताब अपन दीन (की बात) म हद स ना बढ़ो औि खदा क बाि म हक़

क ससवा कछ ना कहो मसीह (यानी) मयम क बट ईसा (ना खदा थ ना खदा क बट) बजलक खदा क िसल औि उस का कसलमा (बशाित) थ जो उस न मयम की तिफ़ भजा था औि उस की तिफ़ स एक रह थ तो खदा औि उस क िसलो पि ईमान लाओ औि (य) ना कहो (कक खदा) तीन (ह इस एसतक़ाद स) बाज़ आओ कक य तबहाि हक़ म बहति ह खदा ही माबद वाकहद हrdquo (सिह अल-सनसा 4171)

अब जाफ़ि अल-सतबिी न इस आयत की तफसीि म सलखा ह कक ldquo ऐ अहल इनजील यानी नसािा तम दीन म सचची बात स तजावज़ ना किो ताकक इफ़िात व तफ़िीत क मतकक़ब ना बनो औि ईसा क हक़ म सचची बात क इलावा औि कछ ना कहो अललाह को सालस सलसा (तीन म का तीसिा) कहन स बचो कक य अललाह पि झट औि उस क साथ सशक किन की बात हई इस स बचत िहो तो तबहािी इस म भलाई ह कयोकक इस तिह की बात कहन वाल क सलए जलद आन वाला अज़ाब ह कक अगि अपनी बात पि अड़ िहोग औि सचची औि हक़ बात की तिफ़ ररज ना किोगrdquo

इसलाम म इस उलझी हई मजककल की वजह य एसतक़ाद ह कक तसलीस स मिाद तीन खदा यानी अललाह ईसा औि मयम ह हालाकक मसीकहययत न एक असा दिाज़ स यानी इसलाम स पहल क ज़मान म औि बाद म भी पकाि पकाि कि कहा ह कक लफज़ तसलीस का तसववि जो तीन अलहदा खदाओि को ज़ाकहि किता हो हमाि हा मौजद नहीि ह य तो वबदअती औि ग़लत तालीम िखन वालो क औहाम ह जजनह मसीही कलीससया न अपनी जमाअत स सनकाल बाहि ककया था औि उन की इस वबददत को सखती स कचला गया था क़नल अज़ इसलाम जाकहसलयत क ज़मान म अिब म ऐस वबदअती मौजद थ उनही स इसलाम न मसीकहययत का वबगड़ा हआ तसववि सलया औि उस हक़ीक़ी मसीकहययत समझा

6- इसलाम म मसीह की इनसासनयत इसलाम म मसीह क इिसानी पहल पि बड़ा ज़ोि कदया जाता ह औि इस जज़मन म

दो बात अहम ह मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि औि मसीह समसल आदम ह

असलफ़ - मसीह अनद (बिदा) ह िब नहीि क़िआन न मसीह की ज़बान स कहा ldquo म खदा का बिदा ह उस न मझ ककताब दी

ह औि नबी बनाया ह औि म जहाि ह (औि जजस हाल म ह) मझ साकहब बिकत ककया ह औि जब तक जज़िदा ह मझको नमाज़ औि ज़कात का इशाद फ़िमाया ह औि (मझ) अपनी मा क साथ नक सलक किन वाला (बनाया ह) औि सिकश व बद-बखत नहीि बनायाrdquo (सिह मयम 1930-32(

इमाम अल-िाज़ी इस आयत की तफसीि कित हए सलखत ह कक ldquo अनदललाह क चाि फ़वाइद हrdquo

(1) पहला फ़ायदा य मसीकहयो क इस वहम को दि किता ह कक ईसा खदा ह

(2) दसिा फ़ायदा मसीह न जो अपनी बिदगी औि अबकदयत का इक़िाि ककया ह तो अगि वो अपनी बात म सचच थ तो हमािा मक़सद पिा हो गया औि अगि अपन क़ौल म सचच नहीि ह तो जो उन म क़ववत थी वो इलाही क़ववत नहीि थी बजलक शतानी क़ववत हो गई चनानच दोनो सितो म मसीह का खदा होना बासतल हो गया

(3) तीसिा फ़ायदा उस वक़त का अहम तक़ाज़ा य था कक मयम की ज़ात-ए-पाक स जज़ना की तोहमत का िदद ककया जाय कफि य कक ईसा न इस पि नस नहीि ककया बजलक खद अपनी बिदगी क इसबात पि नस ककया ह गोया कक अललाह तआला पि तोहमत को हटाना उनहो न अपनी मा पि लगाई गई तोहमत को हटान स ज़यादा ज़रिी समझा इससलए खद को खदा का बिदा कहा

(4) चौथा फ़ायदा अललाह की ज़ात-ए-पाक पि लगाई हई तोहमत क इज़ाल की बात स य फ़ायदा पहिचा कक वासलदा पि की तोहमत भी ज़ाइल हो गई कयोकक अललाह तआला ककसी सगिी हई फ़ाजजिा औित को इस आली मतबत औि अज़मत वाल बचच यानी मसीह ईसा की मा बनन क सलए मखसस नहीि कि सकता

इस क बाद वो लाहोसतयत मसीह क मसीही अक़ीद पि िाय ज़नी कित ह कक ldquo नसािा का मज़हब खबत स भिा हआ ह यानी एक तिफ़ तो वो य कहत ह कक अललाह तआला क ना जजसम ह औि ना कहययज़ ह इस क बावजद हम उन की एक ऐसी तक़सीम का जज़कर कित ह जो उन क मज़हब क बतलान क सलए काफ़ी ह चनानच हमािा कहना य ह कक अगि वो अललाह को ककसी कहययज़ म मान तो अजसाम क हदस पि उन क क़ौल को हमन बासतल कि कदया अगि वो मान कक अललाह को कोई कहययज़ नहीि तो उन क य कहन स उन की इस बात का बतलान होगा कक अललाह का कलमा इिसासनयत स इस तिह मखलत हो गया जस पानी शिाब म या आग अिगाि म कयोकक ऐसी बात का होना जजसम म ही समझ म आ सकता ह

िाकक़म-उल-हरफ़ का खयाल ह कक मसीह की शजखसयत पि क़िआन की िाय ज़नी औि ग़ौि व कफ़कर दो हक़ीक़तो पि मनहससि मालम होती ह औि उन म एक ऐसा भद ह जजस कफ़तरी इिसान समझ नहीि पाता पहली हक़ीक़त तो य ह कक मसीह इनन मरियम होन क नात अनदललाह (खदा क बिद) ह इस हक़ीक़त का इज़हाि अजबबया ककिाम न अपनी ज़बान स अदा ककया मसलन यसअयाह नबी क सहीफ़ 53 बाब की तिहवीि आयत मलाकहज़ा हो जहाि सलखा ह कक ldquo दखो मिा खाकदम इकबालमिद होगा वो आला व बिति औि सनहायत बलिद होगाrdquo

कफि इसी सहीफ़ क 53 बाब की गयािवीि आयत म सलखा ह कक ldquo अपन ही इफ़ान स मिा साकदक़ खाकदम बहतो को िासतबाज़ ठहिाएगा कयोकक वो उन की बदककदािी खद उठा लगाrdquo

दसिी हक़ीक़त य ह कक मसीह क बिद होन की ससफ़त की क़िआन की उस आयत स नफ़ी नहीि होती जजसम उनह अललाह का कलमा औि उस की रह कहा गया ह

इस नस क़िआनी म जो कक दो पहल की हासमल ह जो शखस गहिाई स ग़ौि व कफ़कर किगा उस पि पौलस िसल का य ऐलान खब ज़ाकहि हो जाएगा जजसका जज़कर िोमीयो 41-4 म समलता ह कक ldquo (यस मसीह) जजसम क एतबाि स तो दाऊद की नसल स पदा हआ लककन पाकीज़गी की रह क एतबाि स मदो म स जी उठन क सबब स क़दरत क साथ खदा का बटा ठहिाrdquo

ब - मसीह समसल आदम ह सिह आल इमिान 359 म सलखा ह कक ldquo ईसा का हाल खदा क नज़दीक आदम

का सा ह कक उस न (पहल) समटटी स उनका क़ासलब बनाया कफि फ़िमाया कक (इनसान) हो जा तो वो (इनसान) हो गएrdquo

अब जाफ़ि अल-सतबिी की ककताब जाम-उल-बयान म सलखा ह कक ldquo अललाह तआला न फ़िमाया ऐ महबमद नजिान स आए हए नसािा को बता दो कक मिा ईसा को वबला ककसी मद क पदा कि दना वसा ही ह जसा मन आदम स कहा था कक हो जा तो वो वबला

ककसी नि व मादा क वजद म आ गया चनानच वबला ककसी मद क उन की मा स ईसा को खलक़ किना मि आदम को खलक़ कि दन स ज़यादा अजीब नहीि हrdquo

महबमद वबन साद न अपन बाप स औि उन क बाप न इनन अनबास स रिवायत की ह कक ldquo शहि नजिान स एक जमाअत आहज़ित की जखदमत म हाजज़ि हई उन म सययद औि आकक़ब थ उनहो न महबमद स पछा ldquo आप हमाि साहब क बाि म कया कहत ह उनहो न जवाबन पछा ldquo तबहाि साहब कौन ह कहा गया ldquo ईसा जजनको आप अललाह का बिदा कहत हrdquo हज़ित महबमद न जवाब कदया ldquo हा हा वो तो अललाह क बिद थrdquo इस पि वो लोग बोल ldquo कया आपन ईसा की तिह ककसी औि को भी दखा ह या उन जस ककसी औि क बाि म आपको खबि हrdquo य कह कि वो लोग वहाि स चल गए कफि अललाह समीअ अलीम की तिफ़ स जजबरील य पग़ाम लकि आए कक ldquo जब दबािा वो लोग आएि तो उन स कहो ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक औि रिवायत ह जो महबमद वबन अल-हसन अहमद वबन अल-मफ़ज़ल क ससलससल म अल-सदी न की ह कक ldquo जब महबमद मबऊस हए औि नजिान क लोगो को आपकी खबि हई तो नजिासनयो की तिफ़ स चाि ऐस अकखास आपक पास भज गए जो क़ौम म आला मतबा क हासमल थ यानी अलआकक़ब अल-सययद मासिजजस औि मािजज़ जब य आए तो आहज़ित स पछा कक आपका खयाल ईसा क बाि म कया ह आपन जवाब कदया ldquo वो अललाह क बिद औि अललाह की रह औि अललाह का कलमा हrdquo इस पि वो बोल ldquo नहीि वो तो अललाह ह जो अपनी बादशाही छोड़कि नीच उति औि मयम क बतन म चल गए कफि वहाि स पदा हए औि हम पि ज़ाकहि हए कया आपन कभी ऐसा भी आदमी दखा ह जो बग़ि बाप क पदा हआ होrdquo इस पि अललाह न आयत नाजज़ल की कक ldquo rdquoان مثل عیس عند اللہ کمثل آدم

एक तीसिी रिवायत बससलससला अल-क़साम इनन जिीज औि अकरम बयान की जाती ह कक ldquo हम पता चला कक नजिान क नसािा का एक वफ़द आहज़ित क पास आया जजसम आकक़ब औि सययद भी थ जजनहो न पछा ldquo ऐ महबमद आप हमाि साहब को कयो बिा बोलत हrdquo आपन फ़िमाया ldquo तबहाि साहब कौन हrdquo उनहो न कहा मयम क बट ईसा जजनह आप बिदा औि खाकदम बतात ह आपन फ़िमाया ldquo हा अललाह क बिद भी थ औि वो अललाह का कलमा भी थ जो मयम की तिफ़ पहिचाया गया था औि अललाह की तिफ़ स

भजी गई रह भी थrdquo आपक इन अलफ़ाज़ पि उनह ग़ससा आ गया औि वो बोल ldquo अगि आप सचच कहत ह तो हम कोई ऐसा बिदा कदखाइय जो मद जज़िदा कि कदया किता हो जनम क अधो को बीनाई अता कि दता हो औि कोढ़ीयो को सहत अता किता हो औि जो सनी हई समटटी स परििद जसी चीज़ बना कि उस म फि क दता हो औि वो जज़िदा परििद बन जाता होrdquo इस पि आहज़ित खामोश िह हतता कक जजबरील आए औि कहा ldquo ऐ महबमद कफर बका उन लोगो न जजनहो न य कहा कक अललाह तो मसीह इनन मरियम ही हrdquo आहज़ित न कहा ldquo जजबरील उनहो न तो य पछा ह कक ईसा जसा औि कौन ह तब जजबरील बोल ldquo ईसा की समसाल आदम जसी हrdquo

7 - ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल म मसीह)

असलफ़ - मसीह की उलकहयत इस म शक नहीि कक जो शखस मसीकहययत की बातो को जानन म कदलचसपी िखगा

उस कई अहम औि सिजीदा मसाइल स दो-चाि होना पड़गा औि शायद उन सब म सखत मसअला मसीह की तिफ़ उलकहयत की मिसबी का मसअला ह

इस स मिी मिाद मसीकहयो का य पखता अक़ीदा ह कक यस जजसन कफ़सलसतीन म जनम सलया एक कवािी मयम नाम की औित स पदा हो कि उस न इसी सि-ज़मीन पि कछ असा जज़िदगी गज़ािी वो इनन-अललाह भी ह औि साथ ही साथ खदा बटा भी ह

य एसतक़ाद अकसि बड़ा मजककल नज़ि आता ह लककन याद िह कक ककसी सवाल का मजककल होना मसीही मज़हब को वाकहद सचचा दीन होन स िोक नहीि दता ज़ात-ए-बािी वाकहद म तीन अक़ानीम क वजद का मसीही अक़ीदा इस बात को ज़रिी क़िाि नहीि दता कक एक दसि स वक़त म मक़ददम ह या य कक एक दसि स ककसी भी तिह स बड़ा ह हा य ज़रि ह कक उस न इन तीन असमा क ज़िीय अपन ज़हि का ऐलान ककया ह ताकक इिसान क कफ़दय का इलाही इिसतज़ाम आककािा हो जाय

ब - खदा की अबववत

मसीह की उलकहयत पि ग़ौि किन स पहल आईए हम उन बयानात औि मशहि ऐलानात को पढ़ जो ककताब-ए-मक़ददस (बाइवबल) म मसीह क ताललक़ स खदा की अबववत क बाि म ह

इनजील मक़ददस लक़ा 1 3132 म हम पढ़त ह कक खदा तआला क फ़रिकत न मक़ददसा मयम स कहा ldquo दख त हासमला होगी औि ति बटा होगा उस का नाम यस िखना वो बज़ग होगा औि खदा तआला का बटा कहलाएगाrdquo

जब यस की पदाईश हई तो यसअयाह नबी की नबववत पिी हई ldquo दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 123 (

कफि हम यस क बपसतसमा क वक़त क बाि म पढ़त ह कक ldquo औि यस बपसतसमा लकि फ़ील-फ़ौि पानी क पास स ऊपि गया औि दखो उसक सलए आसमान खल गया औि उस न खदा क रह को कबति की मासनिद उतित औि अपन ऊपि आत दखा औि आसमान स य आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश हrdquo (मतती 316-17)

मज़ीद बिआ हम पढ़त ह कक जब यस पहाड़ पि अपन तीन शासगदो क साथ थ तो आपन मसा औि एसलयाह स कलाम ककया औि अभी मसरफ़ तकललम ही थ कक ldquo एक निानी बादल न उन पि साया कि सलया औि उस बादल म स आवाज़ आई कक य मिा पयािा बटा ह जजसस म खश ह उस की सनोrdquo (मतती 175)

ज - मसीह क बयान आईए अब उन ऐलानो को दख जो मसीह न खद अपनी तिफ़ ककए ह

मसीह न अपनी एक तबसील म बयान ककया ह कक ldquo अिगि का हक़ीक़ी दिखत म ह औि मिा बाप बाग़बान हrdquo (यहनना 151)

कफि यहनना 1027-29 म सलखा ह कक मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता

ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगा कोई उनह बाप क हाथ स नहीि छ न सकताrdquo

कफि अपन अलववदाई पग़ाम म मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो मझ पि ईमान िखता ह य काम जो म किता ह वो भी किगा बजलक इन स भी बड़ काम किगा कयोकक म बाप क पास जाता ह औि जो कछ तम मि नाम स चाहोग म वही करि गा ताकक बाप बट म जलाल पाएrdquo (यहनना 141312)

एक मौक़ पि यहदी लोग फ़जख़रया कहन लग कक मसा न तो उनह मन व सलवा नयाबान म कदया था तो मसीह न उनह फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक मसा न तो वो िोटी आसमान स तबह ना दी लककन मिा बाप तबह आसमान स हक़ीक़ी िोटी दता हrdquo (यहनना 632)

एक औि मौक़ पि दसि लोगो स मसीह न फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक बटा आपस कछ नहीि कि सकता ससवा उस क जो बाप को कित दखता ह कयोकक जजन कामो को वो किता ह उनह बटा भी उसी तिह किता ह इससलए कक बाप बट को अज़ीज़ िखता ह औि जजतन काम खद किता ह उस कदखाता हhellip जजस तिह बाप मदो को उठाता औि जज़िदा किता ह उसी तिह बटा भी जजनह चाहता ह जज़िदा किता ह कयोकक बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया ह ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह म तमस सचच कहता ह कक वो वक़त आता ह बजलक अभी ह कक मद खदा क बट की आवाज़ सनग औि जो सनग वो जजएगrdquo (यहनना 519-25)

बादअज़ाि लोगो को तालीम दत हए आपन फ़िमाया ldquo म तमस सचच कहता ह कक जो कोई गनाह किता ह गनाह का ग़लाम ह औि ग़लाम अबद तक घि म नहीि िहता बटा अबद तक िहता ह पस अगि बटा तबह आज़ाद किगा तो तम वाक़ई आज़ाद होगrdquo (यहनना 834-36)

लोगो स गफतग कित हए एक बाि आपन फ़िमाया ldquo मिा बाप अब तक काम किता ह औि म भी काम किता ह इस सबब स यहदी औि भी ज़यादा उस क़तल किन की

कोसशश किन लग कक वो ना फ़क़त सबत का हकम तोड़ता ह बजलक खदा को खास अपना बाप कह कि अपन आपको खदा क बिाबि बनाता हrdquo (यहनना 517-18)

इसी तिह एक मतबा अपन सामईन को मखासतब कित हए आपन फ़िमाया ldquo मि बाप की तिफ़ स सब कछ मझ सौपा गया औि कोई बट को नहीि जानता ससवा बाप क औि कोई बाप को नहीि जानता ससवा बट क औि उस क जजस पि बटा उस ज़ाकहि किना चाह ऐ महनत उठान वालो औि बोझ स दब हए लोगो सब मि पास आओ म तमको आिाम दिगाrdquo (मतती 1127-28)

अब इन साि ऐलानो पि ग़ौि कि तो लगता ह कक ना कोई इनसान ना कोई नबी औि िसल ना आसमान का कोई फ़रिकता ना कोई फ़रिकतो का सिदाि यस मसीह की अजीब व ग़िीब शजखसयत क भद का इदिाक किन की अहलीयत िखता ह इसी नकत की तिफ़ यसअयाह नबी न भी इशािा ककया था इस स इस बात की भी बखबी सिाहत हो जाती ह कक यस मसीह की ज़ात व शजखसयत ऐसी ग़ि-महदद ह कक ससवा बाप क औि ककसी को मक़दि (ताक़त) नहीि कक उस पि तौि पि समझ सक अगि यस एक आम इिसान होत तो इस कक़सम का बयान ना कदया गया होता वबलाशक व शनहा य अज़ीम ऐलान बाप क साथ उस की वहदत अज़सलया क एतबाि स मसीह की रिसालत व जखदमत पि दलालत किता ह कक वो उस बाप को जो अनदखा ह लोगो पि ज़ाकहि व मनकसशफ़ (ज़ाकहि) कि

य मकाशफ़ा जजसका ऐलान मसीह न ककया एक नाक़ावबल फ़हम मअबमा नज़ि आ सकता ह लककन रह-उल-क़ददस न इनजील यहनना क मसजननफ़ को इस का इलहाम कि कदया ताकक वो आयतो क एक ससलससल क ज़िीय इस की वज़ाहत कि सक जजसम स वाज़ह ति य ह कक ldquo खदा को ककसी न कभी नहीि दखा इकलौता बटा जो बाप की गोद म ह उसी न ज़ाकहि ककयाrdquo (यहनना 118) य आयत हम यक़ीन कदलाती ह कक ना ककसी बशि न ना ककसी फ़रिकत न ही कभी खदा को दखा ह ना उस की शायान-ए-शान कमा-हक़क़ा इलम स जाना ह या इदिाक ककया ह यानी उस की इलोही ससफ़ात क साथ कभी ककसी न खदा को ना दखा ना जाना ह औि जो कछ भी मनकसशफ़ (ज़ाकहि) हआ तो वो इलहाम स या िोया स ही हाससल हआ ह चनानच ना कभी मसा न ना ककसी औि नबी न कभी खदा को दखा ह हा जो कछ खदा क बाि म माफ़त समली ह वो इलहाम या िोया

की बदौलत समली ह जजसका ज़िीया उक़नम सानी यस मसीह था कयोकक तनहा वही एक ऐसी शजखसयत ह जो ज़ात बािी क अक़ानीम सलसा क अफक़ाि को जानता ह औि आलम क सलए इलाही मक़ाससद का हकम िखता ह औि वही जसद इिसानी म ज़ाकहि हआrdquo (1 तीमसथयस 316 (

जब मसीह न अपन शासगदो को कहा कक म औि बाप एक ही ह जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा म बाप म ह औि बाप मझम ह तो वो उनह यक़ीन कदला िह थ कक उन क औि बाप क दसमयान एक वहदत ह कक इिादा व मशीयत म मक़ाम व मतबत व क़दरत म औि मजद व अज़मत म बाएतबाि जोहि वो औि बाप एक ह

द - िसलो की गवाही (1) मसीह क शासगद पतिस िसल न आपक बाि म उस वक़त बड़ी साफ़ गवाही

दी जब मसीह न अपन शासगदो स पछा कक ldquo तम मझ कया कहत हो शमऊन पतिस न जवाब कदया त जज़िदा खदा का बटा मसीह हrdquo (मतती 16 1516)

(2) मसीह क एक दसि शासगद यहनना न आपक बाि म य शहादत दी ldquo (हम) य भी जानत ह कक खदा का बटा आ गया ह औि उस न हम समझ बखशी ह ताकक उस को जो हक़ीक़ी ह जान औि हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo (1 यहनना 620)

(3) मसीह क शासगद पौलस न ग़लतीयो 44 म य गवाही दी ह कक ldquo लककन जब वक़त पिा हो गया तो खदा न अपन बट को भजा जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo

ह - अजबबया की गवाही (1) हज़ित सलमान न फ़िमाया ldquo कौन आसमान पि चढ़ा औि कफि नीच उतिा

ककस न हवा को मटठ म जमा ककया ककस न पानी को चादि म बाधा ककस न ज़मीन की हदद ठहिाई अगि त जानता ह तो बता उस का नाम कया ह औि उस क बट का

कया नाम ह खदा का हि एक सखन (कलाम बात) पाक ह वो उन की ससपि (ढाल) ह जजनका तवककल उस पि हrdquo (अबसाल 3054)

(2) हज़ित दानीएल (दानयाल) न फ़िमाया ldquo मन िात को िोया म दखा औि कया दखता ह कक एक शखस आदमज़ाद की मासनिद आसमान क बादलो क साथ आया औि क़दीम-उल-अययाम (खदा) तक पहिचा वो उस उस क हज़ि लाए औि सलतनत औि हकमत औि ममलकत उस दी गई ताकक सब लोग औि उबमतीि औि अहल-लग़त उस की जखदमतगज़ािी कि उस की सलतनत अबदी सलतनत ह जो जाती ना िहगी औि उस की ममलकत लाज़वाल होगीrdquo (दानीएल 71413)

(3) हज़ित यहया (यहनना बपसतसमा दन वाल) न फ़िमाया ldquo तम खद मि गवाह हो कक मन कहा म मसीह नहीि मगि उस क आग भजा गया हhellip जो ऊपि स आता ह वो सबस ऊपि हhellip जो कछ उस न दखा औि सना उसी की गवाही दता ह औि कोई उस की गवाही क़बल नहीि किताhellip बाप बट स महनबत िखता ह औि उस न सब चीज़ उस क हाथ म द दी ह जो बट पि ईमान लाता ह हमशा की जज़िदगी उस की ह लककन जो बट की नहीि मानता जज़िदगी को ना दखगा बजलक उस पि खदा का ग़ज़ब िहता हrdquo (यहनना 328-36)

य सािी आयत पश किन क बाद य बता दना ज़रिी ह कक मसीह को जो खदा का बटा कहा गया ह वो ज़ात-ए-इलाही क उक़नम सानी होन की हससयत स कहा गया ह चनानच लफज़ बाप औि बटा मसीही अक़ीद म इस कक़सम क तसववि स जो इिसान क हा बाप बट का ह कोई इलाक़ा नहीि िखत

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म अल-इनन (बटा) अल-कलमा को कहा गया ह जो नादीदा खदा की सित ह उस क जलाल का पतो औि उस की ज़ात का नक़श औि इबमानएल (खदा हमाि साथ) ह इस सबस लफज़ इनन का इज़हाि होता ह वबलकल जजस तिह कलमा (बात) ज़हन क खयालात की वज़ाहत का वसीला होता ह औि जो कछ अक़ल म ह उस का ज़ाकहिी तौि पि ऐलान किता ह इसी तिह जब कलम न जजसम इजखतयाि ककया तो उस न खदा औि उस क खयालात को इिसासनयत पि ज़ाकहि ककया जजस तिह नक़श ककसी हईयत व सित की तजमानी किता ह उसी तिह यस मसीह खदा तआला की तजमानी कित ह जजस तिह सिज की िोशनी जो कक खद सिज का जोहि ही होती ह उस

की शान व शौकत को ज़ाकहि किती ह इसी तिह यस क ज़िीय खदा क मजद व इज़ज़त शान व जलाल औि उलकहयत की ररहानी माहीयत (अससलयत) की शान व अज़मत ज़ाकहि होती ह बस हआ य ह कक उस न अपनी महनबत की ज़यादती क बाइस उस बदन की चादि म लपट कि सछपा कदया ह औि वो हमािी दसनया म िहा ताकक हम खदा को दख औि सन सक

अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मालम हआ कक अल-इनन (बटा) वो हसती ह जजसन उलकहयत को ज़ाकहि ककया औि वो इिसानो पि खदा-ए-नादीदा को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किन का भी ज़िीया था इसी तिह रह-उल-क़ददस जो उक़नम सासलसा ह इिसान क ज़मीि तक खदा की आवाज़ पहिचान का ज़िीया ह कयोकक हम रह-उल-क़ददस क काम क बग़ि मकाशफ़ा की हक़ीक़ी नौईययत को समझ नहीि सकत जो ऐलानात इलाकहया क इसिाि व ग़वासमज़ को इिसान पि ज़ाकहि किता ह औि उस क इदिाक की तिफ़ िाहनमाई किता ह इसी हक़ीक़त को जान लन क बाद पौलस िसल न य कहा कक ldquo ना कोई रह-उल-क़ददस क बग़ि कह सकता ह कक यस खदाविद हrdquo (1 करिजनथयो 123 (

इस का बड़ा इबकान िहता ह कक लफज़ ldquo बटाrdquo (इनन) कछ लोगो क कदमाग़ म इज़सतिाब व बचनी का बाइस बन जाय कयोकक वो लफज़ ldquo बापrdquo क साथ उस क ताललक़ स फ़ौिन तसववि कित ह कक बाप तो ज़मानी सलहाज़ स बट स पहल होता ह इससलए दोनो हसतीयो म ज़माना औि फ़क़ मिासतब की वजह स बड़ा फ़क़ पड़ना ज़रिी ह लककन इस मक़ाम पि हम य बतात चल कक लफज़ बटा बावजाह मज़ाकफन होन क ककसी तिह भी ना कम होता ह ना ज़यादा यानी अदम मसावात औि तक़दीम क माअन की तिफ़ इशािा ही नहीि किता कयोकक लफज़ बाप का जब खदा पि इतलाक़ ककया जाय तो य उस वक़त तक ब माअना होगा जब तक एक बटा ना पाया जाय औि लफज़ बटा भी इसी तिह बाप क वजद का महताज होता ह ककताब-ए-मक़ददस की तालीम यही ह कक अज़ल स बाप ह औि बाप का लक़ब खद ही वबल-ज़रि अज़ल स ही इनन का वजद चाहगा औि शायद इसी खयाल न मसावात व बिाबिी क मौज़ पि अक़ली पिागिदगी को जनम कदया ह औि य पिागिदगी उममन ज़हन इिसानी को लाहक़ होती ह औि उनह बाप क वजद की सबक़त की तिफ़ ल जाती ह औि दोनो (बाप बट) की हसतीयो क दसमयान फ़ारिक़ जज़मनी क तसववि की बसनयाद डालती ह लककन हक़ीक़ी ताबीि यही ह कक वबला तक़ददम व ताखखि उस वक़त तक बाप का वजद नहीि जब तक कक बटा ना हो इससलए खदा तआला औि उस

क बट मसीह क साथ ज़मान क फ़क़ को मनसब किना महज़ एक खयाली औि मौहमी बात ह खससन उस वक़त तो औि भी जबकक उस क साथ य भी जोड़ कदया जाय कक अललाह तो वो ज़ात ह जो ना जनमा गया ना जनम दता ह (आम लोग दसनया म ववलादत क माअन यही लत ह कक जनम होना नि व मादा क इखसतलात स ह) लककन जनम की सनसबत खदा की तिफ़ किना बड़ी नीच सी बात ह इस खयाल स हि मसीही पनाह मािगता ह औि उस कफर मान कि िदद किता ह हा रहानी ववलादत की सनसबत खदा तआला की तिफ़ किना अक़ल स ज़यादा क़िीब ह

हम ऐसी ताबीिो इबाितो औि अलफ़ाज़ का बकसरत इजसतमाल कित ह जस इनन-उल-हक़ (सचचाई का बटा) या इनन-उल-नि (नि का बटा) जो कक इस खयाल की तजमानी कित ह कक इन क औि सचचाई औि नि क दसमयान तमासल ताम ह इसी माअना म मसीह भी इनन-अललाह (खदा क बट) कह गए ह कयोकक खदा म औि बट म एक मकबमल ममाससलत ह औि बाहमी मशाबहत व रिफ़ाक़त ह मसीह को ऐसा इससलए कहा गया ह कयोकक वो खदा की शजखसयत क एक अज़ली मकबमल औि वाकहद मकाशफ़ा ह जसा कक हम इबरासनयो क खत 11-2 म भी पढ़त ह कक ldquo अगल ज़मान म खदा न बाप दादा स कहससा ब कहससा औि तिह ब तिह नवबयो की माफ़त कलाम कि क इस ज़मान क आजखि म हमस बट की माफ़त कलाम ककया जजस उस न सब चीज़ो का वारिस ठहिाया औि जजसक वसील स उस न आलम भी पदा ककएrdquo

8 - मसीह की उलकहयत औि इिसासनयत ldquo लोग मझ कया कहत हrdquo य एक सवाल ह जो मसीह न दो हज़ाि साल पहल

अपन शासगदो क सामन िखा था य एक इिसतहाई अहम सवाल ह जजसकी सदाए बाज़गकत तब स आज तक आलम म गिज िही ह औि आज भी य हि शखस स पछा जा िहा ह शायद इस सवाल स ज़यादा अहम औि बड़ा सवाल तािीख म कभी पछा ही नहीि गया इस की एहमीययत इससलए ह कक इस सवाल म सािी इिसासनयत स ताललक़ िखन वाला मसअला सनहाि ह य सवाल जब तक दसनया क़ायम ह जि का ति बना िहगा मज़ाकहब व एसतक़ाद क बीच इस सवाल न एक खत-ए-फ़ाससल खीिच कदया ह इसी क जवाब पि हि शखस का अिजाम मनहससि ह

मसीकहययत की य भी एक खससीयत ह कक जो कछ सययदना मसीह क बाि म कहा जाता ह य उस स खौफ़ज़दा नहीि मसीह न खद ही इस मज़हब की तामीि उस क़ववत पि की ह जजस पि जहननम क दिवाज़ कभी ग़ासलब नहीि आ सकत मसीह न खद आज़ादी िाय को बढ़ाया औि सिाहा ह औि कहीि पि भी ऐसा नज़ि नहीि आता कक आपन ज़बिदसती ककसी बात को ककसी पि थोपा हो मसीकहययत की तािीख क ककसी भी दौि म मसीह की ज़ात व शजखसयत क बाि म कभी तलवाि का इजसतमाल नहीि ककया गया ह बजलक उस ईमान को एहमीययत दी गई ह जो यक़ीन-ए-कासमल पि क़ायम हो औि जजस कदल व कदमाग़ दोनो तसलीम कि इसी बसनयाद पि हम भी य कहत ह कक लोग मसीह की उलकहयत को ज़बिदसती कयो मिज़ि कि या ऐसी िाय पश की ही कयो जाय औि लोग ऐस अटल हो जाएि कक अगि कोई उस क जखलाफ़ कभी कछ कह भी द तो ग़यज़ (गससा) व ग़ज़ब म आ जाएि इससलए हम वो तमाम मखतसलफ़ आिा क़ािईन क सामन पश कित ह जो मसीह क बाि म िखी गई ह

असलफ़ - मसीह म ससफ कासमल उलकहयत थी सग़नासती कफ़क़ न आम मसीकहयो क अक़ीद क जखलाफ़ य माना कक मसीह ससफ

एक इलोही वजद थ य लोग अक़ीदा तजससम क भी क़ाइल ना थ जबकक आम मसीही य मानत ह कक मसीह म उलकहयत भी थी औि इिसासनयत भी लककन सग़नासती लोगो न उन की इिसासनयत का इनकाि ककया उन लोगो का कहना था कक मसीह इिसान की शकल म तो ज़रि ज़ाकहि हए लककन वो इिसानी जजसम कोई हक़ीक़ी जजसम ना था ना ही उन की ववलादत हई ना उनहो न दख उठाया औि ना हक़ीक़ी मौत का मज़ा चखा कयोकक जो जजसम उन क साथ नज़ि आ िहा था वो असल म एक ज़ल या छाया था कफि बाद म इस कफ़क़ म एक औि जमाअत पदा हई जजसन य माना कक मसीह का बदन इिसानो क बदन की तिह माददी ना था बजलक वो एक खास आसमानी जोहि था

ताहम य िाय खदा क इलहामी कलाम की सचचाई की िोशनी म बासतल ठहिती ह कयोकक हम 1 यहनना 41-3 म पढ़त ह कक -

ldquo ऐ अज़ीज़ो हि एक रह का यक़ीन ना किो बजलक रहो को आज़माओ कक वो खदा की तिफ़ स ह या नहीि कयोकक बहत स झट नबी दसनया म सनकल खड़ हए ह खदा क

रह को तम इस तिह पहचान सकत हो कक जो कोई रह इक़िाि कि कक यस मसीह मजससम हो कि आया ह वो खदा की तिफ़ स ह औि जो कोई रह यस का इक़िाि ना कि वो खदा की तिफ़ स नहीि औि यही मखासलफ़-ए-मसीह की रह ह जजसकी खबि तम सन चक हो कक वो आन वाली ह बजलक अब भी दसनया म मौजद हrdquo

ब - मसीह ससफ़ इिसान थ य अक़ीदा भी सग़नासती अक़ीद स कम ताजजब खज़ नहीि कयोकक इस खयाल क

पिौ (मानन वाल) मसीह म उलकहयत को नहीि मानत औि ससफ उन की इिसासनयत पि यक़ीन कित ह वो कहत ह कक मसीह एक कासमल तिीन इिसान थ यानी ज़मीन पि पाए जान वाल साि लोगो म स सबस आला इिसान थ इससलए उन की अज़मत व बजगी को एक अज़ीम िहनमा औि सिमा औि शहीद क तौि पि मानना चाहीए ग़ासलबन इस का सबस उबदा जवाब वो ह जो डाकटि कोनिाड न कदया ह कक ldquo जो लोग इस नतीज पि पहिच ह बड़ी ग़लती पि ह कयोकक उन क सलए मसीह को कोई िहनमा या हीिो मानना मजककल ह वजह य ह कक जो कछ खद मसीह न अपन बाि म कहा ह उसी को उन लोगो न िदद कि कदया ह ऐसी हालत म मसीह की दो ही हससयत हो सकती थीि यानी या तो वो खद सबस बड़ धोका बाज़ थ औि या वो खद धोक म थ औि इन सितो म वो खद एक बड़ी क़ावबल-ए-िहम हसती हए कफि उनह इज़ज़त व शफ दना बवक़फ़ी ह हक़ीक़त म बात तो य ह कक अगि मसीह क़ावबल-ए-पिजसतश नहीि तो उनह इज़ज़त का कोई मक़ाम दन की भी ज़रित नहीि कयोकक जजस चीज़ क मतक़ाज़ी थ यानी इबादत व जलाल वो तो उनह कदया ही नहीि जा सकाrdquo

ज - मसीह की शजखसयत म उलकहयत औि इिसासनयत की यगानगत

य वो िाय ह जो मसीही उबमत या कलीससया म शर स िाइज ह इससलए इस क़बलीयत आम हाससल ह औि इसी की मनादी व बशाित की जाती ह इस िाय का खलासा य ह कक मसीह म दो कासमल तबीयत थीि कयोकक वो कासमल खदा औि कासमल इनसान ह

शायद पछन वाला पछ बठ कक आजखि कलीससयाई काऊि ससलो औि लोगो क सामन आजखि वो कया मजबिी थी जजसन उलकहयत मसीह को तसलीम किन पि आमादा ककया औि य एसतक़ाद ऐसा जड़ पकड़ गया कक लातादाद इिसानो न इस की कहफ़ाज़त म अपनी जान-ए-अज़ीज़ को दाओ पि लगा कदया औि शहादत हाससल की कयो इस एसतक़ाद क मानन वालो म बड़ बड़ मफ़जककिीन थ जो हि ज़मान म िह ह औि आजखि उन क पास ऐसी कौन सी हजजत औि दलील क़ातअ थी जजस पि उनका तककया था

ऐस सवालात क जवाबात दन ज़रिी ह आईए वो सबत दख -

(1) नबववतो पि मबनी सबत आग़ाज़-ए-तािीख स ककताब-ए-मक़ददस की आजखिी ककताब क क़िीबन चाि हज़ाि

साल क दसमयानी अस म हम नबववतो औि पशीनगोइयो की मतवासति औि मसलसल ककड़या नज़ि आती ह इन पशीनगोइयो को मसीकहयो की ईजाद कह कि टाल दना इतना आसान नहीि ह कयोकक मसीकहययत क जनम लन स बहत पहल य नबववत इलहामी ककताबो क तमािो पि सलखी थीि इन म स आजखिी ककताब का ताललक़ तक़िीबन मसीह की आमद स चाि सौ (400) साल पहल क अस स ह इन नबववतो का खलासा य ह कक आसमान स इिसानी सित म एक इलाही शखस ज़ाकहि होगा ताकक दसनया का नजात दन वाला बन सक य हसती इबराकहम की नसल स औि औित क पट स जनम लगी यहाि तक कह कदया गया कक वो यहदाह क क़बील औि दाऊद क घिान स होगा एक कवािी स पदा होगा जजसम ककसी कक़सम का ऐब या गिदगी ना होगी औि वो शहि बत-लहम यानी दाऊद क शहि म पदा होगा इस क साथ य भी बताया गया कक वो हसती खदा-ए-क़ाकदि अबदी व सिमदी होगी अब दजखए य बात उस वक़त तक मजबकन नहीि जब तक तजससम वाक़अ ना हो औि लाहत नासत को लपट म ना ल औि उनका इवततहाद अमल म ना आए इन बातो की ताईद किन वाली आयत य ह -

ldquo हमाि सलए एक लड़का तवललद हआ औि हमको एक बटा बखशा गया औि सलतनत उस क कि ध पि होगी औि उस का नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 69)

ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल िखगीrdquo (यसअयाह 714)

मतती 123 म बताया गया ह कक इबमानएल का मतलब ह ldquo खदा हमाि साथrdquo

ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठ जब तक कक म ति दकमनो को ति पाओि की चौकी ना कि दिrdquo (ज़बि 1101)

य इबाित बड़ी एहमीययत की हासमल ह जजसकी तफसीि हम ससवाए ईमान क औि कोई नहीि समल सकती कक य माना जाय कक य बाप औि बट क दसमयान एक मकालमा ह औि इस म मतकजललम खद खदा ह

ldquo लककन ऐ बत-लहम इफिाताह अगिच त यहदाह क हज़ािो म शासमल होन क सलए छोटा ह तो भी तझम स एक शखस सनकलगा औि मि हज़ि इसराईल का हाककम होगा औि उस का मसकददि ज़माना सावबक़ हा क़दीम-उल-अययाम स हrdquo (मीकाह 52)

(2) मसीह क अक़वाल पि मबनी सबत ससपिजजन नाम क एक मद-ए-खदा जो एक मशहि वाइज़ थ फ़मात ह कक ldquo मसीह

दसनया की तािीख म ऐसी मकज़ी हक़ीक़त ह कक तािीख क साि फ़ज़ान औि बहाओ आप ही क दसत-ए-क़दरत क तहत हो कि बहत ह औि जज़िदगी क साि अज़ीम मक़ाससद उन की शजखसयत ही म आकि मकबमल होत हrdquo

इस पि मसतज़ाद य कक आपक साि मोअजज़ात हित-अिगज़ काम आपक बोल हए अलफ़ाज़ की तसदीक़ कित औि गवाह बनत नज़ि आत ह मसीह न बीससयो हक़ाइक़ अपन बाि म बताए ह जो ससवाए खदा क ककसी औि क साथ मनसब ककए ही नहीि जा सकत कछ अहम हक़ाइक़ य ह -

असलफ़ - आपका अज़ली वजद ग़ासलबन आपकी ज़बान मबािका स सनकला हआ वो जबला बड़ी एहमीययत का

हासमल ह जो आपन यहदी मज़हबी िहनमाओि क सामन फ़िमाया था -

ldquo म तमस सचच कहता ह कक पकति इस स कक अबरहाम पदा हवा म हrdquo (यहनना 858)

ldquo म हrdquo वही अलफ़ाज़ ह जो खदा न खद अपन सलए औि अपनी ज़ात क सलए उस वक़त फ़िमाए जब मसा नबी न उन स पछा था कक ldquo जब म बनी-इसराईल क पास जा कि उन को कहि कक तबहाि बाप दादा क खदा न मझ तबहाि पास भजा ह औि वो मझ कह कक उस का नाम कया ह तो म उन को कया बताऊि खदा न मसा स कहा म जो ह सो म ह सो त बनी-इसराईल स यि कहना कक म जो ह न मझ तबहाि पास भजा हrdquo (खरज 31413)

इस स मालम होता ह कक मसीह न अपनी ज़ात म उसी खदा को ज़ाकहि ककया जो हज़ित मसा पि कोह होिब पि जलती झाड़ी म ज़ाकहि हआ था

इनजील मक़ददस यहनना 175 म य सलखा ह कक मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा ldquo औि अब ऐ बाप त उस जलाल स जो म दसनया की पदाईश स पकति ति साथ िखता था मझ अपन साथ जलाली बना दrdquo

औि कफि आयत 24 म सलखा ह कक ldquo ऐ बाप म चाहता ह कक जजनह त न मझ कदया ह जहाि म ह वो भी ति साथ हो ताकक मि उस जलाल को दख जो त न मझ कदया ह कयोकक त न वबना-ए-आलम स पकति मझस महनबत िखीrdquo

य अलफ़ाज़ मसीह क अज़ली वजद का यक़ीन कदलात ह औि मसीह को हाकदस या नोवपद अब कौन सी ज़बान कह सकती ह

ब - आपका आसमान स आना यहदीयो क साथ एक औि गफतग क दौिान मसीह न कहा ldquo तम नीच क हो म

ऊपि का ह तम दसनया क हो म दसनया का नहीि हrdquo (यहनना 823)

कफि सनकदमस नाम एक यहदी मज़हबी िहनमा स दौिान-ए-गफतग मसीह न फ़िमाया ldquo आसमान पि कोई नहीि चढ़ा ससवा उस क जो आसमान स उतिा यानी इनन आदम (खद मसीह) जो आसमान म हrdquo (यहनना 313 (

मज़ीद बिआ मकाशफ़ा 2213 म हम पढ़त ह कक ldquo म अलफ़ा औि ओमगा अववल व आजखि इजनतदा व इिसतहा हrdquo

यहाि हम दखत ह कक मसीह न आसमान स ना ससफ अपनी आमद क बाि म बताया ह बजलक य भी कक उनका वजद औि हज़िी आसमान म उस वक़त भी बिक़िाि थी जब वो इस ररए-ज़मीन पि मौजद थrdquo

ज - आपकी तमाम जगहो औि तमाम ज़मानो म मौजदगी मतती 1820 म आया ह कक ldquo जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन

क बीच म हrdquo

औि मसीह न अपन जी उठन क बाद अपन शासगदो को य हकम कदया कक ldquo पस तम जा कि सब क़ौमो को शासगद बनाओ औि उन को बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस क नाम स बपसतसमा दो औि उन को य तालीम दो कक उन सब बातो पि अमल कि जजनका मन तमको हकम कदया औि दखो म दसनया क आजखि तक हमशा तबहाि साथ हrdquo (मतती 2819-20)

द - आपका ग़ि-महदद इजखतयाि मसीह जब पतमस क जज़ीि म यहनना पि िोया म ज़ाकहि हए तो कहा ldquo खदाविद

खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) मसीह क अलक़ाबात औि इलाही अफ़आल पि मबनी सबत

असलफ़ - आप का खासलक़ होना मनदरिजा ज़ल आयात इस हक़ीक़त को वाज़ह किती ह

ldquo सब चीज़ उस क वसील स पदा हई औि जो कछ पदा हआ ह उस म स कोई चीज़ भी उस क बग़ि पदा नहीि हई उस म जज़िदगी थी औि वो जज़िदगी आदमीयो का नि थीrdquo (यहनना 143)

ldquo कयोकक उसी म सब चीज़ पदा की गई आसमान की हो या ज़मीन की दखी हो या अनदखी तखत हो या रियासत या हकमत या इजखतयािात सब चीज़ उसी क वसील स औि उसी क वासत पदा हई हrdquo (कलजससयो 116)

ldquo सब पि य बात िोशन किो कक जो भद अज़ल स सब चीज़ो क पदा किन वाल खदा म पोशीदा िहा उसका कया इिसतज़ाम हrdquo (इकफ़ससयो 39)

ब - आपका मदो को जज़िदा कि दना ldquo जब वो (यस) शहि क फाटक क नज़दीक पहिचा तो दखो एक मद को बाहि सलए

जात थ वो अपनी मा का इकलौता बटा था औि वो बवा थी औि शहि क बहति लोग उसक साथ थ उस दखकि खदाविद (मसीह) को तिस आया औि उस स कहा मत िो कफि उस न पास आकि जनाज़ को छवा औि उठान वाल खड़ हो गए औि उस (मसीह) न कहा ऐ जवान म तझस कहता ह उठ (क़म) वो मदा उठ बठा औि बोलन लगा औि उस न उस उस की मा को सौप कदयाrdquo (लक़ा 712-15)

ldquo उस न बलिद आवाज़ स पकािा कक ऐ लाजज़ि सनकल आ जो मि गया था वो कफ़न स हाथ पाओि बिध हए सनकल आया औि उसका चहिा रमाल स सलपटा हआ था यस न उन स कहा उस खोल कि जान दोrdquo (यहनना 114443)

ज - आप मिससफ़ आसलम होग ldquo जब इनन-आदम अपन जलाल म आएगा औि सब फ़रिकत उस क साथ आएग

तब वो अपन जलाल क तखत पि बठगा औि सब कौम उस क सामन जमा की जाएगी औि वो एक को दसि स जदा किगा जस चिवाहा भड़ो को बकिीयो स जदा किता हrdquo (मतती 253231)

ldquo बाप ककसी की अदालत भी नहीि किता बजलक उस न अदालत का सािा काम बट क सपद ककया हrdquo (यहनना 225)

द - आप लायक़ पिजसतश ह ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित ह जो बट

की इज़ज़त नहीि किता वो बाप की जजसन उस भजा इज़ज़त नहीि किताrdquo (यहनना 523)

याद िह बाप क साथ बट की इबादत व पिजसतश मदान-ए-खदा क बीच अहद-अतीक़ क ज़मान म भी िाइज थी मसलन दाऊद नबी न कहा ldquo डित हए खदाविद की इबादत किो कापत हए खशी मनाओ बट को चमो ऐसा ना हो कक वो क़हि म आए औि तम िासत म हलाक हो जाओ कयोकक उस का ग़ज़ब जलद भड़कन को ह मबािक ह वो सब जजनका तवककल उस पि हrdquo (ज़बि 21211)

ह - आप ग़ाकफ़ि-उल-ज़नब ह (गनाह बखशत ह) यहदी हमशा य मानत थ कक गनाहो की माफ़ी का इजखतयाि ससफ़ खदा ही को ह

औि जब उनहो न मसीह को एक मोअजजज़ा कित वक़त मफ़लज को य जखताब कित सना कक ldquo बटा ति गनाह माफ़ हएrdquo (मक़स 25) यहदी आपक इस अमल व सलक स सनहायत ही मज़तरिब व पिशान हो िह थ तो मसीह न फ़िमाया ldquo तम कयो अपन कदलो म य बात सोचत हो आसान कया ह मफ़लज स य कहना कक ति गनाह माफ़ हए या य कहना कक उठ औि अपनी चािपाई उठा कि चल कफि लककन इससलए कक तम जानो कक इनन-आदम को ज़मीन पि गनाह माफ़ किन का इजखतयाि ह (उस न उस मफ़लज स कहा) म तझस कहता ह उठ अपनी चािपाई उठा कि अपन घि चला जा औि वो उठा औि फ़ील-फ़ौि चािपाई उठा कि उन सब क सामन बाहि चला गया चनानच वो सब हिान हो गए औि खदा की तबजीद कि क कहन लग हमन ऐसा कभी नहीि दखा थाrdquo (मक़स 28-12 (

व - आप हयात-ए-अबदी बखशत ह

आपन फ़िमाया ldquo मिी भड़ मिी आवाज़ सनती ह औि म उनह जानता ह औि वो मि पीछ पीछ चलती ह औि म उनह हमशा की जज़िदगी बखशता ह औि वो अबद तक कभी हलाक ना होगी औि कोई उनह मि हाथ स छ न ना लगाrdquo (यहनना 1027-28)

ज़ - आप बाप क मसावी (बिाबि) ह आपन फ़िमाया -

ldquo म औि बाप एक हrdquo (यहनना 1030)

ldquo जजसन मझ दखा उस न बाप को दखा त कयोकि कहता ह कक बाप को हम कदखा कया त यक़ीन नहीि किता कक म बाप म ह औि बाप मझम ह य बात जो म तमस कहता ह अपनी तिफ़ स नहीि कहता लककन बाप मझम िह कि अपन काम किता ह मिा यक़ीन किो कक म बाप म ह औि बाप मझम नहीि तो मि कामो ही क सबब स मिा यक़ीन किोrdquo (यहनना 148-11)

ह - आपन सजद व तअनबद (इबादत) क़बल ककया इस म तो शक ही नहीि कक यस न पिजसतश व सजद को क़बल ककया जो ककसी

भी बशि (इिसान) क सलए जायज़ नहीि य बात उस वक़त वाक़अ हई जब एक जनम क अिध स जनाब मसीह न पछा ldquo कया त खदा क बट पि ईमान लाता ह उस न जवाब म कहा ऐ खदाविद वो कौन ह कक म उस पि ईमान लाऊ यस न उस स कहा त न तो उस दखा ह औि जो तझस बात किता ह वही ह उस न कहा ऐ खदाविद म ईमान लाता ह औि उस सजदा ककयाrdquo (यहनना 935-38)

(4) मसीह क शासगदो की गवाही पि मबनी सबत य गवाही उन लोगो की ह जजनहो न मसीह की अज़मत औि शान को ऐलानीया

तौि पि दखा य सािी शहादत (गवाकहया) मकबमल औि साि शकक स पाक ह मसलन कछ आपक सामन पश की जा िही ह -

असलफ़ - तोमा की गवाही इस शासगद (तोमा) न मसीह क जी उठन क बाद जब उन क हाथो म कीलो स

छद जान क सनशान दख औि पहल पि उस ज़खम को दखा जजस छदा गया था तो ईमान लाया औि पकाि उठा ldquo ऐ मि खदाविद ऐ मि खदाrdquo (यहनना 2028 (

ब - यहनना की गवाही इस शासगद न खदा क इलहाम स कहा ldquo हम उस म जो हक़ीक़ी ह यानी उस क

बट यस मसीह म ह हक़ीक़ी खदा औि हमशा की जज़िदगी यही हrdquo 1) यहनना 520 (

ज - पौलस की गवाही पौलस िसल न गवाही दी कक ldquo जजसम क र स मसीह भी उन ही म स हआ जो

सब क ऊपि औि अबद तक खदा-ए-महमद ह आमीनrdquo (िोमीयो 59)

9 - अक़ीदा तसलीस -फ़ील-तौहीद मसीकहययत का य मानना ह कक खदा तआला एक रह ह जो माददी जजसम नहीि

िखता कक जजस दखा या छआ जा सक या जो हवास स मालम ककया जा सक जसा कक मसीह न खद बता कदया ह ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

एक जगह खदा को रहो का बाप भी कहा गया ह कक उस न उनह अपनी सित औि शवबया पि पदा ककया ह जसा कक हम पढ़त ह ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

खदा वाकहद ह औि तीन अक़ानीम बाप बटा औि रह-उल-क़ददस का हासमल ह

ईमान क इस ररकन पि यानी अक़ीदा सालस पि जब हम ग़ौि कित ह तो य एतिाफ़ किना ही पड़ता ह कक हम एक ऐस बड़ िाज़ या भद स दो-चाि हो िह ह जो जज़िदगी औि वजद क बहद गहि भदो म स एक ह

मक़ददस अगसतीन न भी अपन ज़मान म औि उस क बाद एक अज़ीम मसलह (मजकददद सधािक) कजलवन न भी यही माना ह कक लातीनी ज़बान गो कक मफ़रिदात औि लगात क औि हसन व जमाल क मआमलात क बयान किन म बड़ी मालदाि ह कफि भी वो इस भद की गहिाई की ताबीि म पि तौि पि लाचाि ह

य बात यक़ीनी औि वाज़ह ह कक मसीकहयो न तसलीस-फ़ील-तौहीद का अक़ीदा ककसी इिसान स नहीि सीखा था ना ही य ककसी इिसानी कदमाग़ की पदावाि ह बजलक य वो हक़ीक़त ह जजसका खदाविद तआला की तिफ़ स ऐलान हआ ह औि बाइवबल मक़ददस म शर स आजखि तक समलता ह इस मौज़ पि कछ औि सलखन स बहति ह कक हम वो सब जमा कि जो कलीससया या मसीही जमाअत का मसीह क बाि म तािीखी हससयत स अक़ीदा िहा ह औि अब एक हिफ़-ए-आजखि की सित म दसनया क सामन मौजद ह

मसीह क शासगदो औि िसलो क ज़मान म हतता कक दसिी मसीही सदी तक भी मसीकहयो न कोई बिधा कटका मसीही अक़ीदा तशकील नहीि कदया था बजलक इस तिफ़ ना कभी धयान कदया औि ना सोचा था कयोकक वो इस बात स मतमइन थ कक साि लोग उनही बातो औि तालीम पि कािबनद ह जो बाइवबल मक़ददस म मक़म ह अगि कभी कोई मसअला दिपश होता तो वो िसलो औि उन क शासगदान-िशीद की तिफ़ ररज कित या उन की तिफ़ जो उन क जािनशीन थ

ताहम बाद क दौि म जब कछ ग़लत-सलत औि ग़ि-मसजललमा तालीम रिवाज पान लगी तो उस न इजखतलाफ़ात को जनम दना शर ककया सबस अहम नक़ता जजस पि इजखतलाफ़ात न सि उठाना शर ककया वो ldquo हससयत-ए-मसीहrdquo या ldquo ज़ात-ए-उलकहयत म स सदि रह-उल-क़ददसrdquo का मसअला था ऐसी सित-ए-हाल म कलीससया या उबमत मसीही न उन मबाकहस पि अपन नक़तहाए नज़ि का इज़हाि ककया य इज़हाि उस वक़त तो खासतौि पि ककया गया जब सबसलस औि अररईस की आिा (िाय) इिसतशाि पकड़न लगीि सबसलस न य तालीम दी कक खदा की वहदासनयत म कोई सालस नहीि औि िह ऐस अलफ़ाज़ जस बाप बटा औि रह-उल-क़ददस वग़िह तो य सब खदा क मखतसलफ़ मज़ाहिात

औि तजजललयात ह जबकक अररईस का मानना य था कक बाप औि बट औि रह-उल-क़ददस म ककसी कक़सम की मसावात या बिाबिी नहीि ह कयोकक बटा औि रह-उल-क़ददस दोनो मखलक़ ह औि बाप स कमति ह औि बाप न उन दोनो को इलाही कफ़तरत क मशाबह बनाया ह

कलीससया-ए-जामा न इन खयालात को िदद ककया कयोकक य बाइवबल मक़ददस क नसस औि तालीम स मल नहीि खात जो वाज़ह तौि पि ससखाती ह कक कभी कोई ऐसा वक़त नहीि था जब तसलीस-फ़ील-तौहीद क तीनो अक़ानीम इखटठ मौजद ना थ बाप बट क साथ हमशा स मौजद ह जसा कक हम ज़बि 1101 म पढ़त ह ldquo यहोवा न मि खदाविद स कहा त मि दहन हाथ बठrdquo

इसी तिह ज़बि 168 को आमाल 225 म बट क ताललक़ स बयान ककया गया ह ldquo म खदाविद को हमशा अपन सामन दखता िहा कयोकक वो मिी दहनी तिफ़ ह ताकक मझ जिवबश ना होrdquo

मक़ददस अथनासीस ससकि दिीया का वबशप उन अज़ीम लोगो म स ह जजनहो न कलीससया की तिफ़ स वबदअतो का मक़ाबला ककया औि अपन ईमान का कदफ़ा ककया उस न अथनासीस का अक़ीदा जािी ककया जजसक खास अजज़ा य ह -

(1) तासलब-ए-नजात हि चीज़ स पहल मसीही कलीससया क जामा ईमान का यक़ीन कि

(2) वो आलमगीि ईमान जामा य ह कक सालस म खदा वाकहद की पिजसतश औि तौहीद म सालस की पिजसतश की जाय

(3) ना अक़ानीम मखलत ककए जाएि ना जोहि म फ़सल पदा की जाय

(4) बाप का एक उक़नम ह बट का एक उक़नम ह रह-उल-क़ददस का एक उक़नम ह लककन बाप बटा औि रह-उल-क़ददस लाहत वाकहद ह यानी वो उलकहयत म वाकहद मजद म मसावी औि जलाल व बजगी म अबदी ह

(5) जसा बाप ह वसा ही बटा औि वसा ही रह-उल-क़ददस ह

(6) बाप ग़ि-मखलक़ बटा ग़ि-मखलक़ रह-उल-क़ददस ग़ि-मखलक़ ह लककन तीन ग़ि-मखलक़ हजसतया नहीि बजलक वाकहद ग़ि-मखलक़ ह

(7) बाप ग़ि-महदद बटा ग़ि-महदद रह-उल-क़ददस ग़ि-महदद लककन तीन लामहदद हजसतया नहीि बजलक वाकहद लामहदद ह

(8) बाप अज़ली बटा अज़ली रह-उल-क़ददस अज़ली कफि भी तीन सिमदी व अज़ली हजसतया नहीि बजलक वाकहद अज़ली हसती ह

(9) बाप न हि शय को अपन क़नज़ क़दरत म िखा ह बटा भी ज़ावबत-उल-कल ह औि रह-उल-क़ददस भी मितजज़म-उल-कल ह लककन तीन ज़ावबत व मितजज़म नहीि बजलक एक ही ज़ावबत-उल-कल ह

(10) बाप खदा ह बटा खदा ह रह-उल-क़ददस खदा ह लककन तीन खदा नहीि बजलक एक ही खदा ह

(11) बाप िब (खदाविद) ह बटा िब ह रह-उल-क़ददस िब ह लककन तीन अबाब नहीि बजलक िब वाकहद ह

(12) मसीही सचचाई हम ससखाती ह कक हम य एतिाफ़ ना कि कक हि उक़नम बज़ात खदा औि िब ह दीन जामा भी हम मना किता ह कक हम तीन खदाओि औि तीन अबाब को मान

(13) हमािा तो एक ही बाप ह तीन बाप नहीि एक बटा ह तीन बट नहीि एक ही रह-उल-क़ददस ह तीन रह-उल-क़ददस नहीि

(14) इन तीन सालस म एक भी ऐसा नहीि जो एक दसि स बड़ा ह या छोटा ह बजलक साि अक़ानीम साथ-साथ अज़ली ह औि बिाबि ह

(15) चनानच अब तक जो कछ कहा गया ह इस स य मसतिवबत ह कक सालस म वहदासनयत की औि वहदासनयत म सालस की इबादत की जाय

(16) सचचा औि सीधा ईमान मसीही य ह कक यस मसीह बाप क जोहि स क़नल-उल-दहि मौलद ह औि खदा ह वो मा क जोहि स इिसान बना औि एक असर (दहि या ज़माना) म मौलद ह

(17) गो कक यस मसीह अललाह औि इिसान ह कफि भी वो एक ही मसीह ह दो नहीि मसीह जजसम म उलकहयत को तनदील कि क इिसान नहीि बना बजलक इिसासनयत औि उलकहयत क इवततहाद व इमततीज़ाज स इिसान हो गया

अब कोई य पछ सकता ह कक इस हक़ीक़त की कया असास (बसनयाद) ह इस की सहत व सबात क सलए ककया बिहान ह कस य हक़ीक़त िसख व इजसतक़िाि क इस दज तक पहिची

जवाब य ह कक इस हक़ीक़त की वाकहद असास (बसनयाद) ककताब-ए-मक़ददस ह कयोकक इिसान खवाह ककतना ही बड़ा औि मफ़जककि आज़म ही कयो ना बन जाय य उस क बस औि इजखतयाि म नहीि ह कक ज़ात इलाही की तबीयत औि कनह को पा सक तावक़त क खदा तआला खद उस पि अपनी ज़ात को मनकसशफ़ (ज़ाकहि) ना कि ल औि माफ़त व ऐलान ना अता कि ककताब-ए-मक़ददस स हट कि जो कछ सालस क बाि म समलता ह खवाह वो फ़लसकफ़याना तफ़ककि स हाससल ह या मजनतक़ी दलाईल स वो सबकी सब तशरीह व क़यासी तोजज़हात ह

इस म तो गिजाइश शनहा नहीि कक ककताब-ए-मक़ददस क सहाइफ़ न खदा की ज़ात व तबीयत म वहदासनयत की ही तालीम दी ह इस मौकक़फ़ पि ना ककसी मसीही को इजखतलाफ़ ह ना बहस लककन कया वो वहदासनयत मजिद व बसीत ह नहीि बजलक वो वहदासनयत कामला व शामला ह औि इसी बात की तालीम स ककताब-ए-मक़ददस भिी हई ह अहद-अतीक़ भी औि अहद-जदीद भी यही वहदासनयत कामला व शामला ह जो सालस अक़दस की तबीयत औि ज़ात को कमा-हक़क़ा मनकसशफ़ (ज़ाकहि) किती ह यही मसीकहयो का ईमान ह

बाइवबल मक़ददस क उलमा न इसी को माना ह औि इसी की कलीससयाई क़ानन म सित-गिी की गई ह इन कलीससयाई अक़ीदो म सबस अहम सनकाया का अक़ीदा ह जजसका मतन य ह -

ldquo म ईमान िखता ह एक खदा क़ाकदि-ए-मतलक़ बाप पि जो आसमान व ज़मीन औि सब दखी औि अनदखी चीज़ो का खासलक़ हrdquo

ldquo औि एक खदाविद यस मसीह पि जो खदा का इकलौता बटा ह कल आलमो स पकति अपन बाप स मौलद खदा स खदा नि स नि हक़ीक़ी खदा स हक़ीक़ी खदा मसनअ नहीि बजलक बाप स मौलद उस का औि बाप का एक ही जोहि ह उस क वसील स कल चीज़ बनीि वो हम आदमीयो क सलए औि हमािी नजात क वासत आसमान पि स उति आया औि रह-उल-क़ददस की क़दरत स कि वािी मयम स मजससम हआ औि इिसान बना औि पनतीस पीलातस क अहद म हमाि सलए मसलब भी हआ उस न दख उठाया औि दफ़न हआ औि तीसि कदन पाक नववकतो क बमजब जी उठा औि आसमान पि चढ़ गया औि बाप क दहन बठा ह वो जलाल क साथ जज़िदो औि मदो की अदालत क सलए कफि आएगा उस की सलतनत खतम ना होगीrdquo

ldquo औि म ईमान िखता ह रहल-क़दस पि जो खदाविद ह औि जज़िदगी बखशन वाला ह वो बाप औि बट स साकदि ह उस की बाप औि बट क साथ पिजसतश व ताज़ीम होती ह वो नवबयो की ज़बानी बोला म एक पाक कथसलक (जामा आलमगीि) िसली कलीससया पि ईमान िखता ह म एक बपसतसम का जो गनाहो की माफ़ी क सलए ह इक़िाि किता ह औि मदो की कक़यामत औि आइिदा जहान की हयात का इिसतज़ाि किता ह आमीनrdquo

य बात सचच ह औि ककताब-ए-मक़ददस न कहा कक ldquo खदाविद हमािा खदा एक ही खदा हrdquo ldquo यहोवा (खदाविद) म ह यही मिा नाम ह म अपना जलाल ककसी दसि क सलए औि अपनी हबद खोदी हई मितो क सलए िवा ना िखिगाrdquo

लककन य बात भी अपनी जगह मसललम ह कक ककताब-ए-मक़ददस म बशमाि ऐसी आयात ह जो इस बात पि दलालत किती ह कक खदा की ज़ात म वहदासनयत जासमआ व शासमला ह औि खदा तआला कई ससफ़ात स मततससफ़ ह जस ससमअ बससि कलाम इलम इिादा औि महनबत वग़िह कयोकक उस ज़ात बािी का अपनी मखलक़ात स िनत व रिकता ह जजस य ससफ़त ज़ाकहि किती ह औि य भी ज़ाकहि ह कक य ससफ़त कभी भी अज़सलयत म मअततल नहीि थीि यानी इस कायनात की तखलीक़ स पहल भी आसमल थीि जजसस य नतीजा सनकलता ह कक खदा अपनी ससफ़तो का इजसतमाल किता िहा ह औि य तब ही

मजबकन हो सकता ह जब क़नल कायनात कोई औि भी शजखसयत हो अब दजखए यहीि स वहदासनयत म अक़ानीम का वजद लाजज़म आता ह

औि कोई शक नहीि कक जो मसीकहययत क अक़ीद पि गहिाई स नज़ि किता हो तो उस क सामन य हक़ाइक़ वाज़ह होत ह -

असलफ़ - बाप बट औि रह-उल-क़ददस म स हि उक़नम को इलाही अलक़ाब व जखताब हाससल ह औि सब क़ावबल-ए-ताज़ीम औि लायक़ इबादत ह

ब - ककताब-ए-मक़ददस स बट की उलकहयत इसी तिह वाज़ह ह जस बाप की उलकहयत जसा कक मसीह न खद फ़िमाया ldquo ताकक सब लोग बट की इज़ज़त कि जजस तिह बाप की इज़ज़त कित हrdquo (यहनना 523)

ज - जजस तिह बाप औि बट की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस स सावबत ह उसी तिह रह-उल-क़ददस की उलकहयत भी सावबत ह खद मसीह न फ़िमाया कक ldquo खदा रह ह औि ज़रि ह कक उस क पिसताि रह औि सचचाई स पिजसतश किrdquo (यहनना 424)

जब हम मसीही अक़ीद का मतालआ कित ह तो दखत ह कक सालस अक़दस क नाम यानी बाप बटा औि रह-उल-क़ददस खदा औि उस की मखलक़ात क दसमयान ककसी सनसबत मखतसलफ़ा स ककनाया नहीि ह यानी वसा इजबतयाज़ नहीि ह जसा खासलक़ हाकफ़ज़ औि मनइम जसी इजसतलाहात स होता ह गो कक कछ लोग ऐसा खयाल कित ह लककन मनदरिजा ज़ल सनकात इस को ग़लत सावबत कित ह

असलफ़ - बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक अपनी ज़ात क बाि म ldquo मrdquo का इजसतमाल कित ह

ब - इन म स हि एक जब दसि स जखताब किता ह तो गफतग म ldquo तrdquo का औि सीग़ा ग़ायब क तौि पि ldquo वोrdquo का इजसतमाल किता ह

ज - बाप बट स महनबत किता ह बटा बाप स महनबत किता ह औि रह-उल-क़ददस बट की गवाही दता औि उस जलाल दता ह

इन तमाम हक़ाइक़ औि बाइबली सचचाइयो का नतीजा य ह कक मसीही लोग सािी दसनया म इसी अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद को लकि फल गए

कछ हज़िात य कह दत ह कक य तालीम हमाि इदिाक (समझ) स पि ह लककन ऐसा बयान मसीही अक़ीद की तौज़ीह तो नहीि हआ बहत सी साईस की हक़ीक़त हमाि इदिाक (समझ) स बाहि होत हए भी जानी औि मानी जाती ह हम मानना चाहीए कक हमाि महदद ज़हन इस तिह खलक़ नहीि ककए गए जो मजबकन व लामजबकन का उन उमि स मताजललक़ मयाि बन सक जो हमाि हवास फ़हम औि इदिाक स बाहि ह

10 - वहदासनयत-ए-अक़ानीम

असलफ़ - अक़ानीम की उलकहयत ककताब-ए-मक़ददस म जो खदाविद तआला का इलहामी कलाम ह य हक़ाइक़ समलत

ह -

(1) बाप क बाि म य कक खदा हमािा बाप ह

ldquo अब हमािा खदाविद यस मसीह खद औि हमािा बाप खदा जजसन हमस महनबत िखी औि फ़ज़ल स अबदी तसलली औि अचछ उबमीद बखशीrdquo (2 थसलनीकीयो 216)

(2) बट क बाि म सलखा ह -

ldquo मगि बट की बाबत कहता ह कक ऐ खदा तिा तखत अबद-उल-आबाद िहगा औि तिी बादशाही का असा िासती का असा हrdquo (इबरासनयो 18)

(3) रह-उल-क़ददस की बाबत कहा गया ह -

ldquo ऐ हनसनयाह कयो शतान न ति कदल म य बात डाली कक त रह-उल-क़ददस स झट बोलhellip त आदमीयो स नहीि बजलक खदा स झट बोलाrdquo (आमाल 53-4)

ब - िबवबयत अक़ानीम

(1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo उसी घड़ी वो (यस मसीह) रह-उल-क़ददस स खशी स भि गया औि कहन लगा ऐ बाप आसमान औि ज़मीन क खदाविद म तिी हबद किता हrdquo (लक़ा 1021)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo जो कलाम उस न बनी-इसराईल क पास भजा जबकक यस मसीह की माफ़त जो सब का खदाविद ह सलह की खशखबिी दीrdquo (आमाल 1036)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो खदाविद ह -

ldquo औि खदाविद रह ह औि जहाि कहीि खदाविद का रह ह वहाि आज़ादी हrdquo (2

करिजनथयो 317)

ज - अज़सलयत-ए-अक़ानीम (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo दानीएल क खदा क हज़ि तिसा व लिज़ा ह कयोकक वही जज़िदा खदा ह औि हमशा क़ायम ह औि उस की सलतनत लाज़वाल ह औि उस की ममलकत अबद तक िहगीrdquo (दानीएल 626)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo खदाविद खदा जो ह औि जो था औि जो आन वाला ह यानी क़ाकदि मतलक फ़िमाता ह कक म अलफ़ा औि ओमगा हrdquo (मकाशफ़ा 18)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो अज़ली ह -

ldquo तो मसीह का खन जजसन अपन आपको अज़ली रह क वसील स खदा क सामन बऐब क़बान कि कदया तबहाि कदलो को मदा कामो स कयो ना पाक किगा ताकक जज़िदा खदा की इबादत किrdquo (इबरासनयो 914)

द - अक़ानीम की हमाजाई (1) बाप क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo सब का खदा औि बाप एक ही ह जो सब क ऊपि औि सब क दसमयान औि सब क अिदि हrdquo (इकफ़ससयो 46)

(2) बट क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo कयोकक जहाि दो या तीन मि नाम पि इखटठ ह वहाि म उन क बीच म हrdquo (मतती 1820)

(3) रह-उल-क़ददस क बाि म सलखा ह कक वो हि जगह मौजद ह -

ldquo म तिी रह स बच कि कहा जाऊि या तिी हज़िी स ककधि भागि अगि आसमान पि चढ़ जाऊि तो त वहाि ह अगि म पाताल म वबसति वबछाऊि तो दख त वहाि भी ह अगि म सबह क पि लगा कि समिदर की इिसतहा म जा बसि तो वहाि भी तिा हाथ मिी िाहनमाई किगा औि तिा दाकहना हाथ मझ सभालगाrdquo (ज़बि 1397-10)

ह - सजदा का इजसतहक़ाक़ (1) बाप की बाबत इनजील यहनना 423 म सलखा ह कक -

ldquo मगि वो वक़त आता ह कक बजलक अब ही ह कक सचच पिसताि बाप की पिजसतश रह औि सचचाई स किग कयोकक बाप अपन सलए ऐस ही पिसताि ढिढता हrdquo

(2) बट की बाबत कफसलजपपयो 210-11 म सलखा ह -

ldquo ताकक यस क नाम पि हि एक घटना झक खवाह आसमासनयो का हो खवाह ज़मीसनयो का खवाह उनका जो ज़मीन क नीच ह औि खदा बाप क जलाल क सलए हि एक ज़बान इक़िाि कि कक यस मसीह खदाविद हrdquo

(3) रह-उल-क़ददस ईमानदािो को पिजसतश व इबादत क सलए तयाि किता ह -

ldquo इसी तिह रह भी हमािी कमज़ोिी म मदद किता ह कयोकक जजस तौि स हमको दआ किना चाहीए हम नहीि जानत मगि रह खद ऐसी आह भि भि कि हमािी शफ़ाअत किता ह जजनका बयान नहीि हो सकताrdquo (िोमीयो 826)

व - ससफ़त हक़ (1) बाप हक़ ह -

ldquo औि हमशा की जज़िदगी य ह कक वो तझ खदा-ए-वाकहद औि बिहक़ को औि यस मसीह को जजस त न भजा ह जानrdquo (यहनना 173)

(2) बटा हक़ ह -

ldquo यस न उस स कहा कक िाह औि हक़ औि जज़िदगी म ह कोई मि वसील क बग़ि बाप क पास नहीि आताrdquo (यहनना 146)

(3) रह-उल-क़ददस हक़ ह -

ldquo औि म बाप स दिखवासत करगा तो वो तबह दसिा मददगाि बखशगा कक अबद तक तबहाि साथ िह यानी रह-ए-हक़ जजस दसनया हाससल नहीि कि सकती कयोकक ना उस दखती औि ना जानती ह तम उस जानत हो कयोकक वो तबहाि साथ िहता ह औि तबहाि अनदि होगाrdquo (यहनना 1416-17)

ज़ - ससफ़त महनबत (1) बाप महनबत ह यस न कहा -

ldquo बाप तो आप ही तमको अज़ीज़ िखता ह कयोकक तमन मझको अज़ीज़ िखा ह औि ईमान लाए हो कक म बाप की तिफ़ स सनकला हrdquo (यहनना 1627)

(2) बटा महनबत ह -

ldquo जो कछ म तमको हकम दता ह अगि तम उस किो तो मि दोसत हो अब स म तबह नौकि ना कहगा कयोकक नौकि नहीि जानता कक उस का मासलक कया किता ह बजलक तबह मन दोसत कहा ह इससलए कक जो बात मन अपन बाप स सनीि वो सब तमको बता दीिrdquo (यहनना 141514)

(3) रह-उल-क़ददस महनबत ह -

ldquo कयोकक खदा न हम दहकत की रह नहीि बजलक क़दरत औि महनबत औि तबीयत की रह दी हrdquo (2 तीमसथयस 17)

ह - क़ददससयत (1) बाप क़ददस ह यस मसीह न अपनी सशफ़ाअती दआ म कहा -

ldquo ऐ क़ददस बाप अपन उस नाम क वसील स जो त न मझ बखशा ह उन की कहफ़ाज़त कि ताकक वो हमािी तिह एक होrdquo (यहनना 1711)

(2) बटा क़ददस ह -

ldquo औि फ़रिकत न जवाब म उस स कहा कक रह-उल-क़ददस तझ पि नाजज़ल होगा औि खदा तआला की क़दरत तझ पि साया डालगी औि इस सबब स वो मौलद-ए-मक़ददस खदा का बटा कहलाएगाrdquo (लक़ा 135)

(3) रह-उल-क़ददस क़ददस ह -

ldquo औि खदा क पाक रह को ििजीदा ना किो जजसस तम पि मखसलसी क कदन क सलए महि हईrdquo (इकफ़ससयो 430)

10 - एतिाज़ात

असलफ़ - मसीह की उलकहयत पि एतिाज़

शायद कोई मसीह की उलकहयत पि एतिाज़ कि औि ताईद म मसीह का य क़ौल पश कि द कक ldquo म अपन आपस कछ नहीि कि सकताhellip कयोकक म अपनी मज़ी नहीि बजलक अपन भजन वाल की मज़ी चाहता हrdquo (यहनना 530) या कफि य क़ौल बयान कि ldquo बाप मझस बड़ा हrdquo (यहनना 1428)

इस एतिाज़ पि हम य कहग कक य बयानात तसलीस-फ़ील-तौहीद म बाप की तिफ़ स सनसबत होन क एतबाि स मसीह की उलकहयत की नफ़ी नहीि कित कयोकक इिसान क कफ़दीए औि मखसलसी क सलए य लाजज़म था कक खदाविद तआला का उक़नम सानी जसद इिसानी इजखतयाि कि ल औि अपन आपको कफफ़ाि म पश कि क इलाही मज़ी पिी कि द

जब इस इलाही काम को मसीह न मकबमल कि सलया तो आसमान पि सऊद ककया औि खदा क दहन हाथ आला तिीन अज़मत क साथ बठ गया ldquo औि हि तिह की हकमत औि इजखतयाि औि क़दरत औि रियासत औि हि एक नाम स बहत बलिद ककया जो ना ससफ इस जहान म बजलक आन वाल जहान म भी सलया जाएगा औि सब कछ उस क पाओि तल कि कदया औि उस को सब चीज़ो का सिदाि बना कि कलीससया को द कदया य उस का बदन ह औि उसी की मामिी जो हि तिह स सब का मामि किन वाला हrdquo (इकफ़ससयो 121-23)

िसलो की तालीम हम पि वाज़ह कि दती ह कक मखसलसी क काम क सलए नजातकदहिदा को एक बशि (इिसान) होना लाजज़मी था ताकक वो उन की तबीयत व कफ़तरत म कहससदाि औि शिीक बन सक जजनको बचान क सलए आया था य भी ज़रिी था कक वो खदा भी होता कक इक़सतदाि-ए-आला का हासमल हो गनाह पि उस का ग़लबा हो औि जो ईमान लाएि इन सबको गनाह की सगरिफत व इजखतयाि स आज़ाद कि द

ककताब-ए-मक़ददस का मतालआ किन वालो को इस की सति म पदाईश की ककताब स मकाशफ़ा की ककताब तक मनजजी का अकस नज़ि आता ह कभी तो वो एक इिसान की शकल म नज़ि आता ह ldquo जो औित स पदा हआ औि शिीअत क मातहत पदा हआ ताकक शिीअत क मातहतो को मोल लकि छड़ा ल औि हमको लपालक होन का दजा समलrdquo (ग़लतीयो 44) औि कभी वो खदा-ए-बज़ग व बिति की सित म नज़ि आता ह ताकक आवबदो का मिकज़-ए-ईमान औि नक़ता इबादत बन जाय

मसीह की शजखसयत हित-अिगज़ ह जो अललाह भी ह औि इिसान भी ह जजसन क़नल तजसद (जजसम क साथ) अजबबया ककिाम की िोयतो को हि दौि म मामिी बखशी यसअयाह नबी न उन क खदा की अज़ीमतिीन सनशानी क तौि पि तजसद (जजसम) इजखतयाि किन की बशाित दी ldquo खदाविद आप तमको एक सनशान बखशगा दखो एक कि वािी हासमला होगी औि बटा पदा होगा औि वो उस का नाम इबमानएल (खदा हमाि साथ) िखगीrdquo (यसअयाह 714 मतती 122-23 (यसअयाह नबी न मसीह क बाि म य भी बयान ककया ldquo उसका नाम अजीब मशीि खदा-ए-क़ाकदि अबदीयत का बाप सलामती का शाहज़ादा होगाrdquo (यसअयाह 96 (

ब - रह-उल-क़ददस की उलकहयत पि एतिाज़ कछ लोग कहत ह कक रह-उल-क़ददस तसलीस-फ़ील-तौहीद का उक़नम नहीि ह बजलक

वो खदा की क़ववत व क़दरत ह जो कायनात म सिगम अमल औि क़लब इिसानी म तासीि किती िहती ह लककन ककताब-ए-मक़ददस क मतन औि नसस स य अया ह कक रह-उल-क़ददस भी एक उक़नम ह वो महज़ खदा की क़ववत फ़आला ही नहीि ह जो हम म काम किती िहती ह बजलक उस म शजखसयत ह महज़ क़ववत को पाकीज़गी सचचाई कहकमत या इिाद की हासमल नहीि कहा जा सकता औि ना ही वो मतकजललम हो सकती ह औि ना ही उस स कलाम ककया जा सकता ह

ककताब-ए-मक़ददस बाइवबल म मक़म ह कक मसीह क बपसतसम क वक़त रह-उल-क़ददस जजसमानी सित म कबति की मासनिद उन पि नाजज़ल हआ औि आसमान स एक आवाज़ आई ldquo त मिा पयािा बटा ह तझस म खश हrdquo (लक़ा 322) य बात भी तीन अक़ानीम क वजद पि दलालत किती ह कक बाप न आसमान स कलाम ककया रह-उल-क़ददस आसमान स बट पि जो ज़मीन पि था नाजज़ल हआ

इसी तिह मसीह न अपन शासगदो को मददगाि यानी रह हक़ जो बाप स साकदि होता ह भजन का वाअदा ककया (यहनना 1526) िसलो क कसलमात बिकात भी इसी क़बील स ताललक़ िखत ह यानी ldquo खदाविद यस मसीह का फ़ज़ल खदा की महनबत औि रह-उल-क़ददस की शिाकत तम सब क साथ होती िहrdquo 2) करिजनथयो1413 (औि पौलस

िसल क ऐलान ldquo उसी क वसील स हम दोनो की एक ही रह म बाप क पास िसाई होती हrdquo (इकफ़ससयो 218) का ताललक़ भी इसी बात स ह

रह-उल-क़ददस क क़ववत इलाकहया क दाअव की अदम सदाक़त ककताब-ए-मक़ददस क हि क़ािी पि अया ह ऐसा ही एक हवाला 1 करिजनथयो 124-11 ह जजसम पौलस िसल का य बयान समलता ह कक रह-उल-क़ददस क वसील कलीससया को कई नअमत दी गई जजनम स एक मोअजजज़ा किन की नअमत ह अगि रह-उल-क़ददस महज़ एक क़ववत ह तो इस का य मतलब हआ कक रह महज़ नअमतो म स एक नअमत ह

इस क इलावा औि भी कई हवालजात ह जहाि रह-उल-क़ददस एक शजखसयत नज़ि आती ह ना कक महज़ एक क़ववत या नअमत दजखए -

ldquo कफि यस रह की क़ववत स भिा हआ गलील को लौटाrdquo (लक़ा 414)

ldquo खदा न यस नासिी को रह-उल-क़ददस औि क़दरत स ककस तिह मसह ककयाrdquo (आमाल 1038)

ldquo ताकक रह-उल-क़ददस की क़दरत स तबहािी उबमीद ज़यादा होती जायrdquo (िोमीयो 1513)

ldquo सनशानो औि मोअजजज़ो की ताक़त स औि रह-उल-क़ददस की क़दरत सrdquo (िोमीयो 1518)

अब अगि मोअतरिज़ का खयाल (यानी य कक रह-उल-क़ददस खदा की एक क़ववत का नाम ह) सही माना जाय तो इन आयात की तफसीि यि होगी कक ldquo यस क़ववत की क़ववत स भिा हआrdquo या ldquo क़ददस क़ववत की क़ववतrdquo स वग़िह-वग़िह कया इस तिह की तफसीि कोई शखस पसिद किगा

ज - तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ीद पि एतिाज़ अकसि य एतिाज़ ककया जाता ह कक ldquo खदा-ए-वाकहद की ज़ात म तीन अक़ानीम

या शजखसयात ह इस पि तबहािी कया दलील हrdquo

जवाब म हम कहग कक खदा की वहदासनयत तो ककताब-ए-मक़ददस म सनहिी लफज़ो म बड़ उजल तौि पि नज़ि आती ही ह लककन य इक़िाि कि लना कक खदाविद तआला जसा कोई औि ह ही नहीि इस बात स नहीि िोकता कक जोहि वाकहद म तीन शजखसयात हो

आईए ककताब-ए-मक़ददस को ही हकम बनाए औि इसी क नसस व मतन स इजसतदलाल पकड़ अहद-अतीक़ म खदा क सलए इजसतमाल होन वाला इज़हाि अकसि जमा क सीग म आया ह ldquo ईलोहीमrdquo औि इसक सलए इसम ज़मीि ldquo हमrdquo इजसतमाल हआ ह ऐसा अहम तिीन हवाला इजसतसना 64 म आया ह ldquo सन ऐ इसराईल खदाविद हमािा खदा (ईलोहीम) एक ही खदाविद हrdquo

इस आयत म क़सद तो य ह कक वहदासनयत की तालीम दी जाय औि उस का बयान हो लककन खदा जमा म आया ह यानी ईलोह की जमा ldquo ईलोहीमrdquo औि भी बहत सी आयात ह जहाि खदा का नाम आया ह मसलन -

ldquo कफि खदा न कहा कक हम इिसान को अपनी सित पि अपनी शवबया की मासनिद बनाएrdquo (पदाईश 126)

ldquo औि खदाविद खदा न कहा दखो इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo (पदाईश 322)

ldquo आओ हम वहाि जा कि उन की ज़बान म इजखतलाफ़ डालrdquo (पदाईश 117)

ldquo म ककस को भज औि हमािी तिफ़ स कौन जाएगाrdquo (यसअयाह 68)

कोई शखस इस मौक़ पि य कह सकता ह कक खदा का मक़सद यहाि खद को साकहब ताज़ीम व जलालत क तौि पि पश किना ह जसा कक बादशाह लोग ककया कित ह औि अपन सलए जमा का सीग़ा इजसतमाल कित ह लककन पदाईश 322 म जो अलफ़ाज़ खदा न कह ldquo इिसान नक व बद की पहचान म हम म स एक की मासनिद हो गयाrdquo इस एतिाज़ को िदद कित ह कयोकक य बयान मखासतब किन वाल औि सामअ (सनन वाल) क वजद की सनशानदही किता ह

अगिच तसलीस-फ़ील-तौहीद का भद हमािी समझ स बाहि ह लककन इस को महज़ इससलए िदद कि दना कक य हमािी महदद समझ म नहीि आ िहा सही नहीि ह

बहत स इलाही ऐलानात औि मज़ाकहि व ज़हिात ह जजनका कमा-हक़क़ा इदिाक हमािी इजसतताअत व इजसतदाद (सलाकहयत) स बाहि ह मसलन बािी तआला का वजद वबलज़ात उस का अज़ली वजद उस का हि शय क सलए इललत औला होना साथ ही साथ अज़ल स अबद तक औि साि ज़मानो म उस की हमाजाई (हाजजि नाजज़ि) औि हमा दान (आसलमल गब) होन की खबी

हम य पहल ही कह आए ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद की बात गो हमािी समझ औि इदिाक स माविा ह कफि भी वहदासनयत क मनाफ़ी (जखलाफ) नहीि ह औि ना इस म कोई ऐसी बात ह कक हम इस क िदद किन पि मजबि हो ना इस म कोई ऐसी बात ह जो हमाि दीन व ईमान को महाल बनाती ह कयोकक इस म तीन खदाओि का वजद हिसगज़ मिाद नहीि ह

य भी पछा जा सकता ह कक अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद मसीही मज़हब म कया कोई खास फ़ायदा दता ह

हा इस का फ़ायदा य ह कक हम इस को असास बना कि दीगि अहम इलाही तालीमात की तौज़ीह कि सकत ह मसलन -

(1) अक़ीदा तसलीस-फ़ील-तौहीद शान उलकहयत को बलिद किता औि इलाही कमालात की वज़ाहत किता ह तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि वहदासनयत इलाही शान व कमालात को महदद कि दती ह औि ज़ात बािी को सआदत व महनबत क हि पहल स महरम िखती ह हम तसलीस-फ़ील-तौहीद क अक़ानीम म बाहमी महनबत पात ह औि महनबत उस की उलकहयत को हि तिह की अज़ली खशी औि सआदत क तमाम मकतजज़यात स मामि िखती ह

(2) तसलीस-फ़ील-तौहीद एक ऐसा ज़िीया ह जजसस खदा खद को अपनी मखलक़ात पि ज़ाकहि किता ह

बाप बटा औि रह-उल-क़ददस हि एक का एक ही जोहि ह बटा ही बाप क बाि म माफ़त ताबमा िखता ह औि वही उस ज़ाकहि किता ह रह-उल-क़ददस बनी-नअ इिसान को उलकहयत स मतआरिफ़ किाता औि ज़ाकहि किता ह

अपन तीन अक़ानीम क ज़िीय खदा अपनी मखलक़ात क नज़दीक आता ह लककन इस क बग़ि वो हमस दि िह जाता औि हमािी अक़ल व समझ पि पदा पड़ जाता औि हमाि तजबात मनक़तअ हो जात

(3) तसलीस-फ़ील-तौहीद वो ज़िीया ह जजसस नजात क कल तक़ाज़ पि हए उक़नम सानी न जजसम इजखतयाि ककया औि हमाि गनाहो का कफफ़ािा कदया वो हमाि सलए दसमयानी बन गया औि नजात सलह मसालहत औि िासतबाज़ी का वसीला महयया ककया पौलस िसल न कहा ldquo खदा न मसीह म हो कि अपन साथ दसनया का मल समलाप कि सलया औि उन की तक़सीिो को उन क जज़बम ना लगाया औि उस न मल समलाप का पग़ाम हम सौप कदया हrdquo (2 करिजनथयो 519)

उक़नम सासलस क अमल क बाि म य तालीम समलती ह कक वो हमाि कदलो को नया बना दता ह औि हमािी अक़लो को िोशन किता ह औि खदा क हज़ि हाजज़ि होन क लायक़ बनान क सलए हमािी तक़दीस किता ह सचच तो य ह कक तसलीस-फ़ील-तौहीद क बग़ि खदा को मनजजी औि कफ़दया दन वाला तक़दीस किन वाला औि मिससफ़ कहना सही ना होगा कयोकक गनाहो की वजह स शिीअत की जो लानत इिसान पि पड़ती ह उस स छटकािा कदलान क सलए वो गनाहगािो की ज़रित को पिा किता ह

(4) तसलीस-फ़ील-तौहीद खदा तआला को इिसानी जज़िदगी म एक समसाल व नमन की हससयत स पश किती ह खानदानी हम-आहिगी औि समाजी महनबत म हम उक़नम अववल म पदरीयत की सही औि सचची ससफ़त दखत ह औि उक़नम सानी म इजननयत की हक़ीक़ी ससफ़त दखत ह य इिसान म तसववि पदरीयत औि फज़जनदयत को समसल आला क तौि पि पश किती ह

अगि वबलफ़ज़ उलकहयत खदाविदी म स तमाम एहसास-ए-महनबत को उस स मनज़ज़ह कि द तो खदा ससफ एक सखत व जावबि खदा बन कि िह जाएगा जजसकी

सखती व जबि हम िोज़ बिोज़ उस स दि किती जाएगी हतता कक हम उस स जदा हो कि िह जाऐिग

सवालात अज़ीज़ क़ािी अब जबकक आपन इस ककताब का धयान स मतालआ ककया ह तो

हम आपको दावत दत ह कक आप ज़ल म कदए गए सवालात क जवाबात दकि अपन इलम का जायज़ा ल -

1 वो कौन-कौन सी बात ह जजनम मसीह की शजखसयत क बाि म इसलाम व मसीकहययत हम-खयाल नज़ि आत ह

2 वो कौन स असबाब ह जजनहो न मसलमानो को मसीकहययत की तसलीस की तालीम को िदद किन पि आमादा ककया ह

3 आपकी िाय म मजसलम हज़िात कया अपन इस क़ौल की ताईद म काफ़ी दलील िखत ह कक इनजील महरिफ़ ह कयोकक वो आहज़ित को नबी की हससयत स पश नहीि किती

4 क़िआन म मसीह की कौन-कौन सी मबताज़ खसससयात ह 5 वो कौन सा मोअजजज़ा ह जजस इसलाम न मसीह स मनसब तो ककया ह

लककन इनजील इस बाि म खामोश ह 6 क़िआन क मतन म कया कोई शखस मसीह की उलकहयत की झलक दख

सकता ह 7 आपकी िाय म वो कौन स असबाब ह जजनहो न इसलाम को इस बात पि

आमादा ककया ह कक वो खदा की पदरीयत का इनकाि किता ह 8 मसीह की उलकहयत क बाि म इसलाम न ककया नताइज अखज़ ककए ह 9 मसीह की तालीम क इनकाि म इमाम िाज़ी न जो कहा ह उस का आप

ककस तिह जवाब द सकत ह 10 इसलाम क इस बयान की कक मसीह ससफ एक बनद थ आप ककस तिह

तदीद किग 11 ककताब-ए-मक़ददस स मसीह की उलकहयत की दलील मखतसिन पश कीजजए

12 कया मसीह न खदा की ज़ात स अपना ताललक़ इनजील म बयान ककया ह हवाल दीजजए

13 पिान अहदनामा क नवबयो औि नए अहदनाम क िसलो न मसीह की उलकहयत पि कया दलील दी ह

14 कया मसीह न उसी तिह अपनी ताज़ीम का हकम कदया ह जजस तिह बाप की ताज़ीम का

15 सग़नाजसतयो न औि अररईस क मानन वालो न शजखसयत मसीह का जो इनकाि पश ककया ह उस की आप ककस तिह तखसीस किग

16 कया कोई ऐसा ज़बि भी ह जजसम मसीह की उलकहयत नज़ि आती ह 17 आप इस सचचाई को शखसी तौि पि ककस तिह बयान किग कक खदा

तसलीस-फ़ील-तौहीद ह 18 आप उन लोगो को कया जवाब दग जो तसलीस-फ़ील-तौहीद का मतलब

तीन खदा लत ह 19 कया तसलीस-फ़ील-तौहीद की बसनयाद कतब मक़ददसा म ह 20 ककताब-ए-मक़ददस की कोई ऐसी इबाित पश कीजजए जो तसलीस-फ़ील-तौहीद

की बनज़ीिी कदखाती हो

The Good Way

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Ri kon

Swi t zerl and

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