गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written...

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1 गीता का भगवान कौन- नराकार निव-ि कर या साकार उफ ? ।। गीता का भगवान नराकार या साकार ?।। ीमगवीता को सववशामयी शरोमशि कहा जाता है ; परतु इस महान आए हुए गुात गुतरम् ान को बताने वाला कौन ? उस ानदाता का वऱप या ?- यह सची रीशत से कोई नह जानता। अगर जानते होते तो गीता की शिन-2 अनेक टीकाएँ करने की दरकार या थी ? कृ ि को एक तरफ 16 कला सपूिव बताते और सरी तरफ 8 कला के ापरयुग िशदखाते ह। यह िकहा जाता है शक ापर कृ ि ने गीता सुनाई। तो या गीता से कलाहीन पापी कशलयुग की थापना होगी ? इस कार के ैत शवचार से गीता का सचा रहय गु ही रह गया। आखरीन गीता का सय अथव बताने वाला कौन ? वो वय गीता ानदाता ही है। इसका माि िवय गीता आया है शक गीता को रचने वाला अजमा, अिोा एव अकताव है , शजस कारि वधमकी थापना होती है। ीकृ ि की पूजा शा के अनुसार शदर और घर िबचे के ऱप शदखाते ह। अब कोई बचा बुशि गीता का गु ान कै से समझा सकता है ? कृ ि, जो जम-मरि के आता है , वो वय इस गीता ान से ही 16 कला सपूिव देवता पद करता है। तो कृ ि वय गीता की रचना हुई, रचशयता नह। शफर गीता का रचशयता कौन? वो है वय शनराकार योशतशबद वऱप परमशपता+परमामा शव। शव अजमा, अिोा के साथ-2 अकताव एव अय है ; परतु शनराकार शव शबदी शबना शकसी आधार के , शबना शकसी साकार मूशतव के कु छ नह कर सकती; इसशलए शनराकार परमशपता शव को िशकसी साकार वेश कर अपना कायव करना पड़ता है। वो साकार मूशतव और कोई नह, कर है। शव और कर दो शिन-2 आमाएँ ; परतु कर ही पुरषाथव सपन होने पर शशव समान शनराकारी, शनशववकारी, शनरह कारी बनता है और इस साकार शनराकार ही, शव+कर िलेनाथ, गीता ानदाता है। गीता का रचशयता शनराकार शव+कर िलेनाथ है , शक साकार रचना ीकृि। वैशदक साशहय (कठोपशनषद 1.3.3-4) कहा गया है आमान रनिनवनि िरीर रिमेव बुनि तु सारनि नवनि मनः हमेव च। इनरियानण हयानाहु नवफषया तेषु गोचरान् आमेनरियमनोयु भोे याहुमफनीनषणः।। िवाथ- ‘‘येक यश इस िशतक शरीर ऱपी रथ पर आऱढ़ है और बुशि इसका सारथी है। मन लगाम है तथा इशियाँ घोड़े ह। इस कार मन तथा इशिय की गशत से यह आमा सुख या का िहै। ऐसा बड़े -2 शचतक का कहना है।’’

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Page 1: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

1

गीता का भगवान कौन- ननराकार निव-िकर या साकार कषण उरफ बरहमा

गीता का भगवान ननराकार या साकार

शरीमदभगवदगीता को सववशासतरमयी शशरोमशि कहा जाता ह परनत इस महान गरथ म आए हए गहयात गहयतरम

जञान को बतान वाला कौन उस जञानदाता का सवरप कया - यह सचची रीशत स कोई नही जानता अगर जानत होत

तो गीता की शिनन-2 अनक टीकाए करन की दरकार कया थी कषि को एक तरफ 16 कला समपिव बतात ह और

दसरी तरफ 8 कला क दवापरयग म िी शदखात ह यह िी कहा जाता ह शक दवापर अत म कषि न गीता सनाई तो कया

गीता स कलाहीन पापी कशलयग की सथापना होगी इस परकार क दवत शवचारो स गीता का सचचा रहसय गपत ही रह

गया

आखरीन गीता का सतय अथव बतान वाला कौन वो सवय गीता जञानदाता ही ह इसका परमाि िी सवय

गीता म आया ह शक गीता को रचन वाला अजनमा अिोकता एव अकताव ह शजस कारि सवधमव की सथापना होती ह

शरीकषि की पजा शासतरो क अनसार मशदरो म और घरो म िी बचच क रप म शदखात ह अब कोई बचचा बशि गीता

का गहय जञान कस समझा सकता ह कषि जो जनम-मरि क चकर म आता ह वो सवय इस गीता जञान स ही 16

कला समपिव दवता पद परापत करता ह तो कषि सवय गीता की रचना हई रचशयता नही शफर गीता का रचशयता कौन

वो ह सवय शनराकार जयोशतशबनद सवरप परमशपता+परमातमा शशव शशव अजनमा अिोकता क साथ-2 अकताव एव

अवयकत ह परनत शनराकार शशव शबनदी शबना शकसी आधार क शबना शकसी साकार मशतव क कछ नही कर सकती

इसशलए शनराकार परमशपता शशव को िी शकसी साकार म परवश कर अपना कायव करना पड़ता ह वो साकार मशतव और

कोई नही शकर ह शशव और शकर दो शिनन-2 आतमाए ह परनत शकर ही परषाथव समपनन होन पर शशव समान

शनराकारी शनशववकारी शनरहकारी बनता ह और इस साकार म शनराकार ही शशव+शकर िोलनाथ गीता जञानदाता ह

गीता का रचशयता शनराकार शशव+शकर िोलनाथ ह न शक साकार रचना शरीकषि

वशदक साशहतय (कठोपशनषद 133-4) म कहा गया हः

आतमान रनिन नवनि िरीर रिमव च

बनि त सारनि नवनि मनः परगरहमव च

इनरियानण हयानाहनवफषयासतष गोचरान

आतमनरियमनोयकत भोकततयाहमफनीनषणः

िावाथव - lsquolsquoपरतयक वयशकत इस िौशतक शरीर रपी रथ पर आरढ़ ह और बशि इसका सारथी ह मन लगाम ह तथा

इशनिया घोड़ ह इस परकार मन तथा इशनियो की सगशत स यह आतमा सख या दख का िोकता ह ऐसा बड़-2 शचनतको

का कहना हrsquorsquo

2

परमनपता परमातमा कौन ह

गरओ क गर -

गरबरफहमा गरनवफषणः गररदवो महशवरः

गरः साकषात परबरहम तसम शरी गरव नमः

शासतरो की मानयता अनसार 33 कोशट दवताए मल रप स शिमशतव बरहमा शवषि और शकर क शवसतार सवरप

ह इसम कोई शका नही शक इन तीन मशतवयो की ताकत क आग कोई ताकत नही सशि क उतपशिकताव बरहमा पालनकताव

शवषि तथा परलयकताव शकर िी अपन-2 रप म कायव म गर ह परनत शलोक अनसार ldquoसाकषात गरrdquo अथावत गरओ

क िी गर और तीनो मशतवयो क िी गर शकसी ldquoपरबरहमrdquo को नमन करन की बात आती ह अब वह परबरहम गर कौन

ह उस परम शशकत को जानन क शलए कछ बात समझना बहद ज़ररी ह

ऊ का अिफ -

शहदतव की मानयता अनसार तमाम शहद जनसखया वासतव म तीन परमख शहससो म बटी हई ह- बरहमा को मानन

वाल ldquoबरहमसमाजीrdquo शवषि को मानन वाल ldquoवषिवrdquo समपरदाय तथा शकर को मानन वाल ldquoशवrdquo अथवा ldquoरिrdquo

समपरदाय परनत हरानी की बात यह ह शक अपन-आप को इन समपरदायो की शवशिननता क कारि अलग समझन वाली

तमाम मनषय-आतमाओ म बरहमा शवषि और शकर- इन तीनो की कायवकशलता मौजद ह सथापना करन की ताकत

पालन-पोषि करन की कषमता अथवा शवनाश करन की शशकत- शिमशतवयो क य मल गि परतयक आतमा म अपनी-2

शशकतयो क अनसार समाए हए ह इसशलए शासतरो म आतमा को कई जगह पर शिमशतवयो क परतीक lsquoऊrsquo शबद स

सबोशधत शकया गया ह ऊ का अथव ही ह- बरहमा का अ शवषि का उ और महश का म बरहमा शवषि और महश क

अ उ और म स lsquoऊrsquo शबद बनता ह परत यह अथव एक और रहसय स हम जोड़ दता ह ऊ का अथव तो हमन समझ

शलया लशकन ओकार का कया अथव ह ओकार का मतलब ह- ऊ का कायव अथावत (अ) बरहमा का सथापना का

कायव (उ) शवषि का पालना का कायव और (म) महश का शवनाश का कायव और इन कायो का नाथ ह- ओकारनाथ

िल बरहमा शवषि और शकर क कायव शिनन-2 हो परत इनक कायव एक-दसर स जड़ हए ह कायव सशहत तीनो मशतवया

िी जड़ी हई ह परत इन मशतवयो को जोड़न वाली शशकत उनक कायो को कलयािकारी सवरप म जोड़ रखन वाला वह

परबरहम कौन ह वह कलयािकारी शशकत ही वासतव म बरहमा शवषि और शकर क होन का मल कारि ह वह परम

शशकत शसफव परमशपता+परमातमा शशव ह परनत शशव का मतलब शकर नही शकर तो दवता ह और शशव जयोशतशबिद

परमशपता+परमातमा ह मशदरो म उसी अशत सकषम जयोशतशबवनद शशव समान महादव का बड़ा यादगार शशवशलग पजा की

सशवधानसार रखा गया ह जो साकार क शलग की यादगार ह

3

परमनपता परमातमा और रदवातमा म अरतर -

आज तक हमन महामिो वदो और शासतरो म शनतय शशव-शकर नाम सना ह शशव का नाम हमशा आग और

शकर का नाम पीछ होता ह किी िी शकर-शशव नही कहत हमशा शशव-शलग कहा जाता ह शकर-शलग नही शकर

क मसतक म शदखाए हए तीसर नि को िी शशव-नि कहा जाता ह शकर-नि नही इसका कारि कया ह शकर को

तपसया करत हए कयो शदखात ह वह शकसकी याद म लीन हो जात ह - इन सब परशनो स एक बात तो सपि ह शक

lsquoशशवrsquo शबद को वदो शासतरो और अनय परािो म lsquoशकरrsquo शबद स अशधक महतव अथवा परधानता दी गई ह गीता म

इस पर कछ शलोक आए ह जो इस बात को सपि करत ह-

काकषरतः कमफणाम नसनिम यजरत इह रदवताः

नकषपरम नह मानष लोक नसनिः भवनत कमफजा 412

इह (इस लोक म) कमफणाम (कमो की) नसनि (शसशि क) काकषरतः (इचछक वयशकत) रदवताः (दवताओ

का) यजरत (यजञ पजनाशद करत ह) नह (कयोशक) मानष लोक (मनषय लोक म) कमफजा (कमो स उतपनन) नसनिः

(सफलता) नकषपरम भवनत (शीघर होती ह)

अरतवत त रलम तषाम तत भवनत अलपमधसाम

रदवान रदवयजः यानरत मदभकता यानरत माम अनप 723

तषा (उन) अलपमधसा (अलपबशि वाल बसमझ लोगो का) त (तो) तत (वह) रल (फल) अरतवत

(शवनाशी) भवनत (होता ह) कयोशक रदवयजः (बराहमि-दवो क परशत तयाग करन वाल) रदवान (दवताओ को)

यानरत (पात ह) और मदभकताः (मझ िजन वाल) मा (मर को) अथावत अधवनारीशवर शशव क िगवान-िगवती

सवरप को अनप (ही) यानरत (पात ह)

इन दोनो शलोको स यह सपि होता ह शक दवताए अलग ह और परमशपता परमातमा अलग अतः दवताओ

की उपासना करन वाल दवताओ को परापत होत ह और परमशपता परमातमा की उपासना करन वाल परमशपता परमातमा

को परापत होत ह बरहमा शवषि िी दव ह शकर िी दवो क दव महादव ह परनत ऊच-त-ऊच परम शशकत नही शकर

क िी गर व परबरहम परमशवर शशव ह दवताओ स पहल परमशपता+परमातमा ह इसशलए शकर स पहल lsquoशशवrsquo नाम

आता ह शशव-शकर कहा जाता ह शिमशतवयो क िी रचशयता शशवबाबा ह बरहमा शवषि शकर वासतव म एक दवार ह

माधयम ह जररया ह परमशपता+परमातमा शशव ही बरहमा दवारा सथापना शवषि दवारा पालना और शकर दवारा शवनाश का

कायव करात ह इसशलए ldquoशशव परमातमाय नमःrdquo कहा जाता ह गीता म िी आया ह-

अनवभकतम च भतष नवभकतम इव च नसितम

भतभतफ च तत जञयम गरनसषण परभनवषण च 1316

4

तत (वह परमातमा) अनवभकत (अखणड अथावत अशविाजय ह) च (शफर िी) भतष (पराशियो म) याद की

शशकत रप स नवभकत (शविकत हआ) इव (सा) नसितम (रहता ह) च (और) इस परकार भतभतफ (पराशियो का

िरि-पोषि करन वाला शवषि) गरनसषण (शवनाशकताव शकर) च (और) परभनवषण (उतपशिकताव बरहमा) जञयम (माना

जाता ह)

बरहमा शवषि और शकर को िी रचन वाल परमशपता+परमातमा शशव ह इसशलए सदा शशवजयोशत को सिी

सवधमी और शवधमी मनषय और समसत दवातमाए याद करत ह इसी परमशपता परमातमा शशव को शकर महादव िी याद

करत ह समरि करत ह- यही कारि ह शक शकर को हमशा याद अथावत तपसया म शदखात ह

परमनपता परमातमा का नाम -

परतयक आतमा म अचछ व बर दोनो परकार क ससकार समाए हए होत ह िल इनका पररमाि कम-जयादा हो

या अलग हो परनत सिी आतमाओ खासकर मनषय-आतमाओ म दोनो परकार क ससकार होत ही ह इनही ससकारो

की वजह स मनषय-आतमा किी पणय कमव करती तो किी पाप कमव करती किी महान कायव करती तो किी शघनौना

किी सव क रथशरीर अथावत सवाथव क परशत अकलयाि कमव करती तो किी परमाथव क परशत कलयािकारी कमव िी

करती ह इसशलए आतमा का कोई नाम नही होता ह कयोशक कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह और आतमा

क परतयक कमव का फल शिनन-2 होता ह परमशपता परमातमा और आतमा म यही मखय अनतर ह परमशपता शशव का

कोई िी कायव अकलयािकारी नही होता उनक दवारा शकए हए हर कमव का फल सदव कलयािकारी ही होता ह इसशलए

शासतरो म उनका नाम lsquoशशवrsquo रखा ह शशव का अथव ही ह- कलयािकारी अगर lsquoशशवrsquo शबद को ससकत रप म दख

तो [शयशत पाप शौ+वत पषो] शि सदा सव+सथ=सवशसथशत म शसथर=शशव इसशलए परमशपता परमातमा को lsquoसदाशशवrsquo कहा जाता ह

परमनपता निव का रप -

आतमा का सवरप कया ह आतमा कसी होती ह आतमा मल रप म सकषम जयोशतशबवनद सवरप ह वह

अि स िी सकषम अि अवयकत ह तो शफर परमशपता शशव कस होग उनका सवरप कया ह जस साप का बाप

साप-जसा लमबा ही होता ह हाथी का बाप हाथी-जसा होता ह वस ही आतमाओ का बाप परमशपता परमातमा िी

आतमा-समान सकषम जयोशतशबवनद सवरप अशत सकषम अवयकत ह गीता म िी आया ह-

कनवम पराणम अनिानसतारम अणोः अणीयासम अनसमरत यः

सवफसय धातारम अनचरतयरपम आनरदतयवणफम तमसः परसतात 89

परयाणकाल मनसा अचलन भकततया यकतः योगबलन च एव

भरवोः मधय पराणम आवशय समयक स तम परम परषम उपनत नरदवयम 810

5

यः (जो योगी) कनव (कशव) पराि (परातन) अनिानसतार (सबक शासक) अणोः (सकषम अि स)

िी अणीयास (अशत सकषम) सवफसय धातार (सबको धारि करन वाल) अनचरतयरप (अशचतय रप वाल)

आनरदतयवण (सयव की तरह परकाशशत) तमसः (अधकार स) परसतात (पर) जयोशतशलिग शशव को परयाणकाल

(कलपानतकालीन महामतय क समय) अचलन (अडोल) मनसा (मन स) भकततया (िशकत िाव स) और

योगबलन (योगबल स) यकतः (लगा हआ) भरवोः (िकशट क) मधय (बीच म) एव (ही) पराण (मन-बशि रपी

आतमा को) समयक (िली परकार) आवशय (सथाशपत करक) अनसमरत (समरि करता ह) सः (वह योगी) त (उस)

नरदवय (परकाशशत) पर परष (परम परष परमातमा को) उपनत (पाता ह) पराशिशत जीवातमनन-मन-बशि रपी शशकत

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा सकषम स िी अशत सकषम परकाशमय परनत अशनववचनीय

अथावत जयोशतशबवनद सवरप ह

परमनपता निव का घर -

हम जनम-जनमातर शजस परमशपता परमातमा को नमन करत आए उपासना करत आए उनक रहन का सथान

अथवा घर कौन-सा ह गीता म उनक घर का िी शजकर आया ह-

न तत भासयत सयफः न ििाकः न पावकः

यत गतवा न ननवतफरत तत धाम परमम मम 156

तत (उस परमपद को) न सयो (न सयव) न ििाको (न चनिमा) और न पावकः (न अशनन) भासयत

(परकाशशत करती ह) यत (शजस धाम को) गतवा (जाकर) न ननवतफरत (दःखी ससार म वापस नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

इन आखो स जो कछ शदखाई पड़ता ह वह सब िौशतक ह जहा-2 तक य िौशतक वसतए फली हई ह जस-

गरह नकषि सरज चाद शसतार आशद सब िौशतक जगत म शगन जात ह परनत इसस िी उपराम एक जगह ह एक घर

ह जहा िौशतकता का नामोशनशान नही उस घर का नाम ह- परम धाम हम आतमाओ सशहत परमशपता परमातमा

शशव िी उस परमधाम क शनवासी ह

परमनपता निव का रदि -

परमशपता परमातमा जब इस मनषय लोक म आएग तो शकस दश म आएग और कयो उनको मानन का

तरीका उपासना करन की शवशध िल शिनन-2 हो परनत व तो सिी आतमाओ क शपता ह व जात-पात धमव आशद

का िदिाव नही करत इसशलए शजस िी दश म व आएग उस दश म आन का उनका मल कारि िी होगा परनत

वह मल कारि कया ह गीता म वह मल कारि िी शदया ह-

6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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2

परमनपता परमातमा कौन ह

गरओ क गर -

गरबरफहमा गरनवफषणः गररदवो महशवरः

गरः साकषात परबरहम तसम शरी गरव नमः

शासतरो की मानयता अनसार 33 कोशट दवताए मल रप स शिमशतव बरहमा शवषि और शकर क शवसतार सवरप

ह इसम कोई शका नही शक इन तीन मशतवयो की ताकत क आग कोई ताकत नही सशि क उतपशिकताव बरहमा पालनकताव

शवषि तथा परलयकताव शकर िी अपन-2 रप म कायव म गर ह परनत शलोक अनसार ldquoसाकषात गरrdquo अथावत गरओ

क िी गर और तीनो मशतवयो क िी गर शकसी ldquoपरबरहमrdquo को नमन करन की बात आती ह अब वह परबरहम गर कौन

ह उस परम शशकत को जानन क शलए कछ बात समझना बहद ज़ररी ह

ऊ का अिफ -

शहदतव की मानयता अनसार तमाम शहद जनसखया वासतव म तीन परमख शहससो म बटी हई ह- बरहमा को मानन

वाल ldquoबरहमसमाजीrdquo शवषि को मानन वाल ldquoवषिवrdquo समपरदाय तथा शकर को मानन वाल ldquoशवrdquo अथवा ldquoरिrdquo

समपरदाय परनत हरानी की बात यह ह शक अपन-आप को इन समपरदायो की शवशिननता क कारि अलग समझन वाली

तमाम मनषय-आतमाओ म बरहमा शवषि और शकर- इन तीनो की कायवकशलता मौजद ह सथापना करन की ताकत

पालन-पोषि करन की कषमता अथवा शवनाश करन की शशकत- शिमशतवयो क य मल गि परतयक आतमा म अपनी-2

शशकतयो क अनसार समाए हए ह इसशलए शासतरो म आतमा को कई जगह पर शिमशतवयो क परतीक lsquoऊrsquo शबद स

सबोशधत शकया गया ह ऊ का अथव ही ह- बरहमा का अ शवषि का उ और महश का म बरहमा शवषि और महश क

अ उ और म स lsquoऊrsquo शबद बनता ह परत यह अथव एक और रहसय स हम जोड़ दता ह ऊ का अथव तो हमन समझ

शलया लशकन ओकार का कया अथव ह ओकार का मतलब ह- ऊ का कायव अथावत (अ) बरहमा का सथापना का

कायव (उ) शवषि का पालना का कायव और (म) महश का शवनाश का कायव और इन कायो का नाथ ह- ओकारनाथ

िल बरहमा शवषि और शकर क कायव शिनन-2 हो परत इनक कायव एक-दसर स जड़ हए ह कायव सशहत तीनो मशतवया

िी जड़ी हई ह परत इन मशतवयो को जोड़न वाली शशकत उनक कायो को कलयािकारी सवरप म जोड़ रखन वाला वह

परबरहम कौन ह वह कलयािकारी शशकत ही वासतव म बरहमा शवषि और शकर क होन का मल कारि ह वह परम

शशकत शसफव परमशपता+परमातमा शशव ह परनत शशव का मतलब शकर नही शकर तो दवता ह और शशव जयोशतशबिद

परमशपता+परमातमा ह मशदरो म उसी अशत सकषम जयोशतशबवनद शशव समान महादव का बड़ा यादगार शशवशलग पजा की

सशवधानसार रखा गया ह जो साकार क शलग की यादगार ह

3

परमनपता परमातमा और रदवातमा म अरतर -

आज तक हमन महामिो वदो और शासतरो म शनतय शशव-शकर नाम सना ह शशव का नाम हमशा आग और

शकर का नाम पीछ होता ह किी िी शकर-शशव नही कहत हमशा शशव-शलग कहा जाता ह शकर-शलग नही शकर

क मसतक म शदखाए हए तीसर नि को िी शशव-नि कहा जाता ह शकर-नि नही इसका कारि कया ह शकर को

तपसया करत हए कयो शदखात ह वह शकसकी याद म लीन हो जात ह - इन सब परशनो स एक बात तो सपि ह शक

lsquoशशवrsquo शबद को वदो शासतरो और अनय परािो म lsquoशकरrsquo शबद स अशधक महतव अथवा परधानता दी गई ह गीता म

इस पर कछ शलोक आए ह जो इस बात को सपि करत ह-

काकषरतः कमफणाम नसनिम यजरत इह रदवताः

नकषपरम नह मानष लोक नसनिः भवनत कमफजा 412

इह (इस लोक म) कमफणाम (कमो की) नसनि (शसशि क) काकषरतः (इचछक वयशकत) रदवताः (दवताओ

का) यजरत (यजञ पजनाशद करत ह) नह (कयोशक) मानष लोक (मनषय लोक म) कमफजा (कमो स उतपनन) नसनिः

(सफलता) नकषपरम भवनत (शीघर होती ह)

अरतवत त रलम तषाम तत भवनत अलपमधसाम

रदवान रदवयजः यानरत मदभकता यानरत माम अनप 723

तषा (उन) अलपमधसा (अलपबशि वाल बसमझ लोगो का) त (तो) तत (वह) रल (फल) अरतवत

(शवनाशी) भवनत (होता ह) कयोशक रदवयजः (बराहमि-दवो क परशत तयाग करन वाल) रदवान (दवताओ को)

यानरत (पात ह) और मदभकताः (मझ िजन वाल) मा (मर को) अथावत अधवनारीशवर शशव क िगवान-िगवती

सवरप को अनप (ही) यानरत (पात ह)

इन दोनो शलोको स यह सपि होता ह शक दवताए अलग ह और परमशपता परमातमा अलग अतः दवताओ

की उपासना करन वाल दवताओ को परापत होत ह और परमशपता परमातमा की उपासना करन वाल परमशपता परमातमा

को परापत होत ह बरहमा शवषि िी दव ह शकर िी दवो क दव महादव ह परनत ऊच-त-ऊच परम शशकत नही शकर

क िी गर व परबरहम परमशवर शशव ह दवताओ स पहल परमशपता+परमातमा ह इसशलए शकर स पहल lsquoशशवrsquo नाम

आता ह शशव-शकर कहा जाता ह शिमशतवयो क िी रचशयता शशवबाबा ह बरहमा शवषि शकर वासतव म एक दवार ह

माधयम ह जररया ह परमशपता+परमातमा शशव ही बरहमा दवारा सथापना शवषि दवारा पालना और शकर दवारा शवनाश का

कायव करात ह इसशलए ldquoशशव परमातमाय नमःrdquo कहा जाता ह गीता म िी आया ह-

अनवभकतम च भतष नवभकतम इव च नसितम

भतभतफ च तत जञयम गरनसषण परभनवषण च 1316

4

तत (वह परमातमा) अनवभकत (अखणड अथावत अशविाजय ह) च (शफर िी) भतष (पराशियो म) याद की

शशकत रप स नवभकत (शविकत हआ) इव (सा) नसितम (रहता ह) च (और) इस परकार भतभतफ (पराशियो का

िरि-पोषि करन वाला शवषि) गरनसषण (शवनाशकताव शकर) च (और) परभनवषण (उतपशिकताव बरहमा) जञयम (माना

जाता ह)

बरहमा शवषि और शकर को िी रचन वाल परमशपता+परमातमा शशव ह इसशलए सदा शशवजयोशत को सिी

सवधमी और शवधमी मनषय और समसत दवातमाए याद करत ह इसी परमशपता परमातमा शशव को शकर महादव िी याद

करत ह समरि करत ह- यही कारि ह शक शकर को हमशा याद अथावत तपसया म शदखात ह

परमनपता परमातमा का नाम -

परतयक आतमा म अचछ व बर दोनो परकार क ससकार समाए हए होत ह िल इनका पररमाि कम-जयादा हो

या अलग हो परनत सिी आतमाओ खासकर मनषय-आतमाओ म दोनो परकार क ससकार होत ही ह इनही ससकारो

की वजह स मनषय-आतमा किी पणय कमव करती तो किी पाप कमव करती किी महान कायव करती तो किी शघनौना

किी सव क रथशरीर अथावत सवाथव क परशत अकलयाि कमव करती तो किी परमाथव क परशत कलयािकारी कमव िी

करती ह इसशलए आतमा का कोई नाम नही होता ह कयोशक कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह और आतमा

क परतयक कमव का फल शिनन-2 होता ह परमशपता परमातमा और आतमा म यही मखय अनतर ह परमशपता शशव का

कोई िी कायव अकलयािकारी नही होता उनक दवारा शकए हए हर कमव का फल सदव कलयािकारी ही होता ह इसशलए

शासतरो म उनका नाम lsquoशशवrsquo रखा ह शशव का अथव ही ह- कलयािकारी अगर lsquoशशवrsquo शबद को ससकत रप म दख

तो [शयशत पाप शौ+वत पषो] शि सदा सव+सथ=सवशसथशत म शसथर=शशव इसशलए परमशपता परमातमा को lsquoसदाशशवrsquo कहा जाता ह

परमनपता निव का रप -

आतमा का सवरप कया ह आतमा कसी होती ह आतमा मल रप म सकषम जयोशतशबवनद सवरप ह वह

अि स िी सकषम अि अवयकत ह तो शफर परमशपता शशव कस होग उनका सवरप कया ह जस साप का बाप

साप-जसा लमबा ही होता ह हाथी का बाप हाथी-जसा होता ह वस ही आतमाओ का बाप परमशपता परमातमा िी

आतमा-समान सकषम जयोशतशबवनद सवरप अशत सकषम अवयकत ह गीता म िी आया ह-

कनवम पराणम अनिानसतारम अणोः अणीयासम अनसमरत यः

सवफसय धातारम अनचरतयरपम आनरदतयवणफम तमसः परसतात 89

परयाणकाल मनसा अचलन भकततया यकतः योगबलन च एव

भरवोः मधय पराणम आवशय समयक स तम परम परषम उपनत नरदवयम 810

5

यः (जो योगी) कनव (कशव) पराि (परातन) अनिानसतार (सबक शासक) अणोः (सकषम अि स)

िी अणीयास (अशत सकषम) सवफसय धातार (सबको धारि करन वाल) अनचरतयरप (अशचतय रप वाल)

आनरदतयवण (सयव की तरह परकाशशत) तमसः (अधकार स) परसतात (पर) जयोशतशलिग शशव को परयाणकाल

(कलपानतकालीन महामतय क समय) अचलन (अडोल) मनसा (मन स) भकततया (िशकत िाव स) और

योगबलन (योगबल स) यकतः (लगा हआ) भरवोः (िकशट क) मधय (बीच म) एव (ही) पराण (मन-बशि रपी

आतमा को) समयक (िली परकार) आवशय (सथाशपत करक) अनसमरत (समरि करता ह) सः (वह योगी) त (उस)

नरदवय (परकाशशत) पर परष (परम परष परमातमा को) उपनत (पाता ह) पराशिशत जीवातमनन-मन-बशि रपी शशकत

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा सकषम स िी अशत सकषम परकाशमय परनत अशनववचनीय

अथावत जयोशतशबवनद सवरप ह

परमनपता निव का घर -

हम जनम-जनमातर शजस परमशपता परमातमा को नमन करत आए उपासना करत आए उनक रहन का सथान

अथवा घर कौन-सा ह गीता म उनक घर का िी शजकर आया ह-

न तत भासयत सयफः न ििाकः न पावकः

यत गतवा न ननवतफरत तत धाम परमम मम 156

तत (उस परमपद को) न सयो (न सयव) न ििाको (न चनिमा) और न पावकः (न अशनन) भासयत

(परकाशशत करती ह) यत (शजस धाम को) गतवा (जाकर) न ननवतफरत (दःखी ससार म वापस नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

इन आखो स जो कछ शदखाई पड़ता ह वह सब िौशतक ह जहा-2 तक य िौशतक वसतए फली हई ह जस-

गरह नकषि सरज चाद शसतार आशद सब िौशतक जगत म शगन जात ह परनत इसस िी उपराम एक जगह ह एक घर

ह जहा िौशतकता का नामोशनशान नही उस घर का नाम ह- परम धाम हम आतमाओ सशहत परमशपता परमातमा

शशव िी उस परमधाम क शनवासी ह

परमनपता निव का रदि -

परमशपता परमातमा जब इस मनषय लोक म आएग तो शकस दश म आएग और कयो उनको मानन का

तरीका उपासना करन की शवशध िल शिनन-2 हो परनत व तो सिी आतमाओ क शपता ह व जात-पात धमव आशद

का िदिाव नही करत इसशलए शजस िी दश म व आएग उस दश म आन का उनका मल कारि िी होगा परनत

वह मल कारि कया ह गीता म वह मल कारि िी शदया ह-

6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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3

परमनपता परमातमा और रदवातमा म अरतर -

आज तक हमन महामिो वदो और शासतरो म शनतय शशव-शकर नाम सना ह शशव का नाम हमशा आग और

शकर का नाम पीछ होता ह किी िी शकर-शशव नही कहत हमशा शशव-शलग कहा जाता ह शकर-शलग नही शकर

क मसतक म शदखाए हए तीसर नि को िी शशव-नि कहा जाता ह शकर-नि नही इसका कारि कया ह शकर को

तपसया करत हए कयो शदखात ह वह शकसकी याद म लीन हो जात ह - इन सब परशनो स एक बात तो सपि ह शक

lsquoशशवrsquo शबद को वदो शासतरो और अनय परािो म lsquoशकरrsquo शबद स अशधक महतव अथवा परधानता दी गई ह गीता म

इस पर कछ शलोक आए ह जो इस बात को सपि करत ह-

काकषरतः कमफणाम नसनिम यजरत इह रदवताः

नकषपरम नह मानष लोक नसनिः भवनत कमफजा 412

इह (इस लोक म) कमफणाम (कमो की) नसनि (शसशि क) काकषरतः (इचछक वयशकत) रदवताः (दवताओ

का) यजरत (यजञ पजनाशद करत ह) नह (कयोशक) मानष लोक (मनषय लोक म) कमफजा (कमो स उतपनन) नसनिः

(सफलता) नकषपरम भवनत (शीघर होती ह)

अरतवत त रलम तषाम तत भवनत अलपमधसाम

रदवान रदवयजः यानरत मदभकता यानरत माम अनप 723

तषा (उन) अलपमधसा (अलपबशि वाल बसमझ लोगो का) त (तो) तत (वह) रल (फल) अरतवत

(शवनाशी) भवनत (होता ह) कयोशक रदवयजः (बराहमि-दवो क परशत तयाग करन वाल) रदवान (दवताओ को)

यानरत (पात ह) और मदभकताः (मझ िजन वाल) मा (मर को) अथावत अधवनारीशवर शशव क िगवान-िगवती

सवरप को अनप (ही) यानरत (पात ह)

इन दोनो शलोको स यह सपि होता ह शक दवताए अलग ह और परमशपता परमातमा अलग अतः दवताओ

की उपासना करन वाल दवताओ को परापत होत ह और परमशपता परमातमा की उपासना करन वाल परमशपता परमातमा

को परापत होत ह बरहमा शवषि िी दव ह शकर िी दवो क दव महादव ह परनत ऊच-त-ऊच परम शशकत नही शकर

क िी गर व परबरहम परमशवर शशव ह दवताओ स पहल परमशपता+परमातमा ह इसशलए शकर स पहल lsquoशशवrsquo नाम

आता ह शशव-शकर कहा जाता ह शिमशतवयो क िी रचशयता शशवबाबा ह बरहमा शवषि शकर वासतव म एक दवार ह

माधयम ह जररया ह परमशपता+परमातमा शशव ही बरहमा दवारा सथापना शवषि दवारा पालना और शकर दवारा शवनाश का

कायव करात ह इसशलए ldquoशशव परमातमाय नमःrdquo कहा जाता ह गीता म िी आया ह-

अनवभकतम च भतष नवभकतम इव च नसितम

भतभतफ च तत जञयम गरनसषण परभनवषण च 1316

4

तत (वह परमातमा) अनवभकत (अखणड अथावत अशविाजय ह) च (शफर िी) भतष (पराशियो म) याद की

शशकत रप स नवभकत (शविकत हआ) इव (सा) नसितम (रहता ह) च (और) इस परकार भतभतफ (पराशियो का

िरि-पोषि करन वाला शवषि) गरनसषण (शवनाशकताव शकर) च (और) परभनवषण (उतपशिकताव बरहमा) जञयम (माना

जाता ह)

बरहमा शवषि और शकर को िी रचन वाल परमशपता+परमातमा शशव ह इसशलए सदा शशवजयोशत को सिी

सवधमी और शवधमी मनषय और समसत दवातमाए याद करत ह इसी परमशपता परमातमा शशव को शकर महादव िी याद

करत ह समरि करत ह- यही कारि ह शक शकर को हमशा याद अथावत तपसया म शदखात ह

परमनपता परमातमा का नाम -

परतयक आतमा म अचछ व बर दोनो परकार क ससकार समाए हए होत ह िल इनका पररमाि कम-जयादा हो

या अलग हो परनत सिी आतमाओ खासकर मनषय-आतमाओ म दोनो परकार क ससकार होत ही ह इनही ससकारो

की वजह स मनषय-आतमा किी पणय कमव करती तो किी पाप कमव करती किी महान कायव करती तो किी शघनौना

किी सव क रथशरीर अथावत सवाथव क परशत अकलयाि कमव करती तो किी परमाथव क परशत कलयािकारी कमव िी

करती ह इसशलए आतमा का कोई नाम नही होता ह कयोशक कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह और आतमा

क परतयक कमव का फल शिनन-2 होता ह परमशपता परमातमा और आतमा म यही मखय अनतर ह परमशपता शशव का

कोई िी कायव अकलयािकारी नही होता उनक दवारा शकए हए हर कमव का फल सदव कलयािकारी ही होता ह इसशलए

शासतरो म उनका नाम lsquoशशवrsquo रखा ह शशव का अथव ही ह- कलयािकारी अगर lsquoशशवrsquo शबद को ससकत रप म दख

तो [शयशत पाप शौ+वत पषो] शि सदा सव+सथ=सवशसथशत म शसथर=शशव इसशलए परमशपता परमातमा को lsquoसदाशशवrsquo कहा जाता ह

परमनपता निव का रप -

आतमा का सवरप कया ह आतमा कसी होती ह आतमा मल रप म सकषम जयोशतशबवनद सवरप ह वह

अि स िी सकषम अि अवयकत ह तो शफर परमशपता शशव कस होग उनका सवरप कया ह जस साप का बाप

साप-जसा लमबा ही होता ह हाथी का बाप हाथी-जसा होता ह वस ही आतमाओ का बाप परमशपता परमातमा िी

आतमा-समान सकषम जयोशतशबवनद सवरप अशत सकषम अवयकत ह गीता म िी आया ह-

कनवम पराणम अनिानसतारम अणोः अणीयासम अनसमरत यः

सवफसय धातारम अनचरतयरपम आनरदतयवणफम तमसः परसतात 89

परयाणकाल मनसा अचलन भकततया यकतः योगबलन च एव

भरवोः मधय पराणम आवशय समयक स तम परम परषम उपनत नरदवयम 810

5

यः (जो योगी) कनव (कशव) पराि (परातन) अनिानसतार (सबक शासक) अणोः (सकषम अि स)

िी अणीयास (अशत सकषम) सवफसय धातार (सबको धारि करन वाल) अनचरतयरप (अशचतय रप वाल)

आनरदतयवण (सयव की तरह परकाशशत) तमसः (अधकार स) परसतात (पर) जयोशतशलिग शशव को परयाणकाल

(कलपानतकालीन महामतय क समय) अचलन (अडोल) मनसा (मन स) भकततया (िशकत िाव स) और

योगबलन (योगबल स) यकतः (लगा हआ) भरवोः (िकशट क) मधय (बीच म) एव (ही) पराण (मन-बशि रपी

आतमा को) समयक (िली परकार) आवशय (सथाशपत करक) अनसमरत (समरि करता ह) सः (वह योगी) त (उस)

नरदवय (परकाशशत) पर परष (परम परष परमातमा को) उपनत (पाता ह) पराशिशत जीवातमनन-मन-बशि रपी शशकत

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा सकषम स िी अशत सकषम परकाशमय परनत अशनववचनीय

अथावत जयोशतशबवनद सवरप ह

परमनपता निव का घर -

हम जनम-जनमातर शजस परमशपता परमातमा को नमन करत आए उपासना करत आए उनक रहन का सथान

अथवा घर कौन-सा ह गीता म उनक घर का िी शजकर आया ह-

न तत भासयत सयफः न ििाकः न पावकः

यत गतवा न ननवतफरत तत धाम परमम मम 156

तत (उस परमपद को) न सयो (न सयव) न ििाको (न चनिमा) और न पावकः (न अशनन) भासयत

(परकाशशत करती ह) यत (शजस धाम को) गतवा (जाकर) न ननवतफरत (दःखी ससार म वापस नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

इन आखो स जो कछ शदखाई पड़ता ह वह सब िौशतक ह जहा-2 तक य िौशतक वसतए फली हई ह जस-

गरह नकषि सरज चाद शसतार आशद सब िौशतक जगत म शगन जात ह परनत इसस िी उपराम एक जगह ह एक घर

ह जहा िौशतकता का नामोशनशान नही उस घर का नाम ह- परम धाम हम आतमाओ सशहत परमशपता परमातमा

शशव िी उस परमधाम क शनवासी ह

परमनपता निव का रदि -

परमशपता परमातमा जब इस मनषय लोक म आएग तो शकस दश म आएग और कयो उनको मानन का

तरीका उपासना करन की शवशध िल शिनन-2 हो परनत व तो सिी आतमाओ क शपता ह व जात-पात धमव आशद

का िदिाव नही करत इसशलए शजस िी दश म व आएग उस दश म आन का उनका मल कारि िी होगा परनत

वह मल कारि कया ह गीता म वह मल कारि िी शदया ह-

6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 4: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

4

तत (वह परमातमा) अनवभकत (अखणड अथावत अशविाजय ह) च (शफर िी) भतष (पराशियो म) याद की

शशकत रप स नवभकत (शविकत हआ) इव (सा) नसितम (रहता ह) च (और) इस परकार भतभतफ (पराशियो का

िरि-पोषि करन वाला शवषि) गरनसषण (शवनाशकताव शकर) च (और) परभनवषण (उतपशिकताव बरहमा) जञयम (माना

जाता ह)

बरहमा शवषि और शकर को िी रचन वाल परमशपता+परमातमा शशव ह इसशलए सदा शशवजयोशत को सिी

सवधमी और शवधमी मनषय और समसत दवातमाए याद करत ह इसी परमशपता परमातमा शशव को शकर महादव िी याद

करत ह समरि करत ह- यही कारि ह शक शकर को हमशा याद अथावत तपसया म शदखात ह

परमनपता परमातमा का नाम -

परतयक आतमा म अचछ व बर दोनो परकार क ससकार समाए हए होत ह िल इनका पररमाि कम-जयादा हो

या अलग हो परनत सिी आतमाओ खासकर मनषय-आतमाओ म दोनो परकार क ससकार होत ही ह इनही ससकारो

की वजह स मनषय-आतमा किी पणय कमव करती तो किी पाप कमव करती किी महान कायव करती तो किी शघनौना

किी सव क रथशरीर अथावत सवाथव क परशत अकलयाि कमव करती तो किी परमाथव क परशत कलयािकारी कमव िी

करती ह इसशलए आतमा का कोई नाम नही होता ह कयोशक कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह और आतमा

क परतयक कमव का फल शिनन-2 होता ह परमशपता परमातमा और आतमा म यही मखय अनतर ह परमशपता शशव का

कोई िी कायव अकलयािकारी नही होता उनक दवारा शकए हए हर कमव का फल सदव कलयािकारी ही होता ह इसशलए

शासतरो म उनका नाम lsquoशशवrsquo रखा ह शशव का अथव ही ह- कलयािकारी अगर lsquoशशवrsquo शबद को ससकत रप म दख

तो [शयशत पाप शौ+वत पषो] शि सदा सव+सथ=सवशसथशत म शसथर=शशव इसशलए परमशपता परमातमा को lsquoसदाशशवrsquo कहा जाता ह

परमनपता निव का रप -

आतमा का सवरप कया ह आतमा कसी होती ह आतमा मल रप म सकषम जयोशतशबवनद सवरप ह वह

अि स िी सकषम अि अवयकत ह तो शफर परमशपता शशव कस होग उनका सवरप कया ह जस साप का बाप

साप-जसा लमबा ही होता ह हाथी का बाप हाथी-जसा होता ह वस ही आतमाओ का बाप परमशपता परमातमा िी

आतमा-समान सकषम जयोशतशबवनद सवरप अशत सकषम अवयकत ह गीता म िी आया ह-

कनवम पराणम अनिानसतारम अणोः अणीयासम अनसमरत यः

सवफसय धातारम अनचरतयरपम आनरदतयवणफम तमसः परसतात 89

परयाणकाल मनसा अचलन भकततया यकतः योगबलन च एव

भरवोः मधय पराणम आवशय समयक स तम परम परषम उपनत नरदवयम 810

5

यः (जो योगी) कनव (कशव) पराि (परातन) अनिानसतार (सबक शासक) अणोः (सकषम अि स)

िी अणीयास (अशत सकषम) सवफसय धातार (सबको धारि करन वाल) अनचरतयरप (अशचतय रप वाल)

आनरदतयवण (सयव की तरह परकाशशत) तमसः (अधकार स) परसतात (पर) जयोशतशलिग शशव को परयाणकाल

(कलपानतकालीन महामतय क समय) अचलन (अडोल) मनसा (मन स) भकततया (िशकत िाव स) और

योगबलन (योगबल स) यकतः (लगा हआ) भरवोः (िकशट क) मधय (बीच म) एव (ही) पराण (मन-बशि रपी

आतमा को) समयक (िली परकार) आवशय (सथाशपत करक) अनसमरत (समरि करता ह) सः (वह योगी) त (उस)

नरदवय (परकाशशत) पर परष (परम परष परमातमा को) उपनत (पाता ह) पराशिशत जीवातमनन-मन-बशि रपी शशकत

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा सकषम स िी अशत सकषम परकाशमय परनत अशनववचनीय

अथावत जयोशतशबवनद सवरप ह

परमनपता निव का घर -

हम जनम-जनमातर शजस परमशपता परमातमा को नमन करत आए उपासना करत आए उनक रहन का सथान

अथवा घर कौन-सा ह गीता म उनक घर का िी शजकर आया ह-

न तत भासयत सयफः न ििाकः न पावकः

यत गतवा न ननवतफरत तत धाम परमम मम 156

तत (उस परमपद को) न सयो (न सयव) न ििाको (न चनिमा) और न पावकः (न अशनन) भासयत

(परकाशशत करती ह) यत (शजस धाम को) गतवा (जाकर) न ननवतफरत (दःखी ससार म वापस नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

इन आखो स जो कछ शदखाई पड़ता ह वह सब िौशतक ह जहा-2 तक य िौशतक वसतए फली हई ह जस-

गरह नकषि सरज चाद शसतार आशद सब िौशतक जगत म शगन जात ह परनत इसस िी उपराम एक जगह ह एक घर

ह जहा िौशतकता का नामोशनशान नही उस घर का नाम ह- परम धाम हम आतमाओ सशहत परमशपता परमातमा

शशव िी उस परमधाम क शनवासी ह

परमनपता निव का रदि -

परमशपता परमातमा जब इस मनषय लोक म आएग तो शकस दश म आएग और कयो उनको मानन का

तरीका उपासना करन की शवशध िल शिनन-2 हो परनत व तो सिी आतमाओ क शपता ह व जात-पात धमव आशद

का िदिाव नही करत इसशलए शजस िी दश म व आएग उस दश म आन का उनका मल कारि िी होगा परनत

वह मल कारि कया ह गीता म वह मल कारि िी शदया ह-

6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 5: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

5

यः (जो योगी) कनव (कशव) पराि (परातन) अनिानसतार (सबक शासक) अणोः (सकषम अि स)

िी अणीयास (अशत सकषम) सवफसय धातार (सबको धारि करन वाल) अनचरतयरप (अशचतय रप वाल)

आनरदतयवण (सयव की तरह परकाशशत) तमसः (अधकार स) परसतात (पर) जयोशतशलिग शशव को परयाणकाल

(कलपानतकालीन महामतय क समय) अचलन (अडोल) मनसा (मन स) भकततया (िशकत िाव स) और

योगबलन (योगबल स) यकतः (लगा हआ) भरवोः (िकशट क) मधय (बीच म) एव (ही) पराण (मन-बशि रपी

आतमा को) समयक (िली परकार) आवशय (सथाशपत करक) अनसमरत (समरि करता ह) सः (वह योगी) त (उस)

नरदवय (परकाशशत) पर परष (परम परष परमातमा को) उपनत (पाता ह) पराशिशत जीवातमनन-मन-बशि रपी शशकत

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा सकषम स िी अशत सकषम परकाशमय परनत अशनववचनीय

अथावत जयोशतशबवनद सवरप ह

परमनपता निव का घर -

हम जनम-जनमातर शजस परमशपता परमातमा को नमन करत आए उपासना करत आए उनक रहन का सथान

अथवा घर कौन-सा ह गीता म उनक घर का िी शजकर आया ह-

न तत भासयत सयफः न ििाकः न पावकः

यत गतवा न ननवतफरत तत धाम परमम मम 156

तत (उस परमपद को) न सयो (न सयव) न ििाको (न चनिमा) और न पावकः (न अशनन) भासयत

(परकाशशत करती ह) यत (शजस धाम को) गतवा (जाकर) न ननवतफरत (दःखी ससार म वापस नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

इन आखो स जो कछ शदखाई पड़ता ह वह सब िौशतक ह जहा-2 तक य िौशतक वसतए फली हई ह जस-

गरह नकषि सरज चाद शसतार आशद सब िौशतक जगत म शगन जात ह परनत इसस िी उपराम एक जगह ह एक घर

ह जहा िौशतकता का नामोशनशान नही उस घर का नाम ह- परम धाम हम आतमाओ सशहत परमशपता परमातमा

शशव िी उस परमधाम क शनवासी ह

परमनपता निव का रदि -

परमशपता परमातमा जब इस मनषय लोक म आएग तो शकस दश म आएग और कयो उनको मानन का

तरीका उपासना करन की शवशध िल शिनन-2 हो परनत व तो सिी आतमाओ क शपता ह व जात-पात धमव आशद

का िदिाव नही करत इसशलए शजस िी दश म व आएग उस दश म आन का उनका मल कारि िी होगा परनत

वह मल कारि कया ह गीता म वह मल कारि िी शदया ह-

6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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6

यरदा यरदा नह धमफसय गलाननः भवनत भारत

अभयतिानम अधमफसय तरदा आतमानम सजानम अहम 47

भारत (ह िरतवशी) यरदा यरदा (जब-जब) कशलयग क अनत म धमफसय (धमव की) गलाननः (हाशन)

और अधमफसय (अधमव की) अभयतिान (वशि) भवनत (होती ह) तरदा (तब) अह (म) आतमान (सवय)

सजानम (जनम लता ह ) जन और वशदक सशि परशकरया क अनसार पापी कशलयग-अत म ही धमव की समपिव

नलाशन होती ह

इसस यह परशन उठता ह शक धमो की नलाशन कहा शर होती ह जहा एक धमव पलता ह वहा या जहा अनक

धमो क लोग रहत ह वहा 2500 वषव का इशतहास गवाह ह शक आज तक अनक धमो क लोगो न धमव क नाम

पर जयादा शहसा शकस दश म की ह वह दश और कोई नही बशलक िारत दश ही ह यही एक ऐसा दश ह जहा अनक

धमव अनक िाषाए तथा अनक मतावलमबी लोग रहत ह धमव क नाम पर दग-फ़साद और खल आम मौत का बाजार

इसी दश म चलता ह इसी दश म धमव क नाम पर खनी नाहक खल 2500 वषव क लब समय स चलता आ रहा ह

अगर परमशपता परमातमा शशव को सिी धमो क लोगो क सामन परकट होना ह तो उनह िारत दश म आना ही पड़

िारत म ही परमशपता परमातमा का आगमन होता ह इसका एक कारि और िी ह- परमशपता परमातमा परम

पशवि ह उसी पशविता क कारि आज परी दशनया उनक आग नतमसतक होती ह इस दश की यह खाशसयत ह शक

यहा पशविता को अहम मतवबा शदया जाता ह यहा नारी को अनय दशो क मकाबल कवल िोग-शवलास की मशतव ही

न मानकर नारी शशकत क रप म सरकषा िी करत ह यही पशविता की मानयता तथा पशविता को पजन वाला िारत दश

परमशपता परमातमा को अपन परम पशवि रप म परकट करन को आकशषवत करता ह

परमनपता निव का कायफ काल -

परमशपता परमातमा की कमव िशम तो िारत दश ही ह परनत उनक आगमन का समय कौन-सा ह शकस

समय व अपन को इस सशि पर परकट करत ह गीता म उस काल का िी विवन शकया गया ह-

सवफभतानन कौरतय परकनतम यानरत मानमकाम

कलपकषय पनः तानन कलपारदौ नवसजानम अहम 97

कौरतय (ह कनती माता पि) कलपकषय (कलपानतकाल म) सवफभतानन (सब परािी) मानमका (मरी)

परकनत (शनराकारी परकशत अथावत अवयकत जयोशत िाव को) यानरत (पात ह) और कलपारदौ (कलप क आशद काल

स) अह (म) तानन (उनह) पनः (शफर स) नवसजानम (सशि क शलए छोड़ दता ह )

शजस तरह स 1 शदन 24 घटो का होता ह 1 सपताह 7 शदनो का होता ह उसी परकार 1 कलप 4 यगो का

बना हआ ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग कलप का आशद सतयग और अनत कशलयग ह कशलयग क

7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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7

अनत म परमशपता परमातमा शशव आत ह शजनक शदवय रप को सिी जीव परापत कर नए जीवन स कलप क आशद

अथावत सतयग क आशद काल म परवश करत ह परनत कशलयग क अनत समय की पहचान कया ह गीता म उस

पररशसथशत की िी पहचान दी गई ह जो उनक आगमन का कारि ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

खास कशलयग अत म अनक धमव और उनकी शवशिननता क कारि लोग एक-दसर स घिा कर एक-दसर

क हतयार बन पड़त ह परनत सतय बात तो यह ह शक सतय धमव क वासतशवक अथव को न जानन क कारि अधमव बढ़ता

जा रहा ह यही वह समय ह शजस परान कलप का अनत तथा नए कलप की शरआत कहा गया ह यही वह समय ह

जब परमशपता परमातमा शशव इस सशि पर आत ह अथावत कलयािकारी परमशपता परमातमा क आगमन का समय ह

कशलयग का अत जबशक सार ससार म िौशतकवाद स परिाशवत लोग आतमा-परमातमा और सशि परशकरया क मतिद

को लकर और अजञानता क अधकार की महा शशवराशि म डबन लग पड़त ह

परमनपता निव क गण -

परमशपता परमातमा और आतमा क िद उनक गिो स परी तरह स सपि होत ह आतमा क गिो और परमशपता

परमातमा क गिो म जमीन-आसमान का अतर ह इनक गिो म मखय तीन बातो का अतर ह

अगभाफअजरमा - परतयक आतमा जनम-मरि क चकर म बधी हई ह परनत परमशपता परमातमा जनम-मरि

रशहत ह उनको जनम दन वाला कोई नही व अनाशद ह अनाशद अथावत शजसका कोई आशद नही ह और शजसका कोई

आशद नही उसका अनत िी नही गीता म इस पर कई शलोक आए ह-

यः माम अजम अनानरदम च वनि लोकमहशवरम

असमढः स मतयष सवफपापः परमचयत 103

यः (जो जञानी) मा (मझको) अज (अजनमा) अनानरद (अनाशद) च (और) लोकमहशवर (तीनो लोको का

महान ईशवर) वनि (जानता ह) स (वह) मतयष (मनषयो म) असमढः (मोहरशहत हआ) सवफपापः (सब पापो स)

परमचयत (पिव मकत हो जाता ह)

अजः अनप सन अवययातमा भतानाम ईशवरः अनप सन

परकनतम सवाम अनधषठाय समभवानम आतममायया 46

अवययातमा (अकषय अथावत शजसकी शशकत का किी वयय न हो वह म) अजः (अजनमा) सन (होत हए)

अनप (िी) और भताना (पराशियो का) ईशवरः (शासनकताव) सन (होत हए) अनप (िी) सवा (अपन) परकनत

(सविाव का) अनधषठाय (आधार लकर) आतममायया (आतमशशकत स) समभवानम (परगट-परतयकष होता ह )

8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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8

जरम कमफ च म नरदवयम एवम यः वनि तततवतः

तयकततवा रदहम पनः जरम न एनत माम एनत सः अजफन 49

अजफन (ह सदभानय का अजवन करन वाल अजवन) एव (इस परकार) म (मर) नरदवय (शदवय) जरम (जनम)

अथावत परकाया परवश च (और) कमफ (शदवय कायो को) यः (जो) तततवतः (सतय रप म) वनि (जान लता ह)

सः (वह) रदह (शरीर को) तयकततवा (तयाग कर) इस दःखी ससार म पनजफरम (शफर स जनम) न एनत (नही लता)

माम एनत (मझको परापत होता ह)

परमशवर क परकाया परवश क परमािो क शलए दशखए lsquoआदीशवर रहसयrsquo म lsquoशशव का शदवय जनमrsquo नामक

अधयाय-5 U TUBE म दशखए lsquoAIVVrsquo

शजकर शकए हए इन शलोको स परमशपता परमातमा क बार म यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक उनका िौशतक

गिव म परवश होकर जनम नही होता व अजनमा ह परनत तमाम दशनया क कलयाि हत उनका इस सशि पर शदवय जनम

होता ह अब शदवय जनम कया ह- इस पर हम शवसतार स समझग लशकन अिी नही इसक पहल कछ और बात

समझना बहद ज़ररी ह

अकताफ - परमशपता परमातमा और आतमा म यह एक और शवशष अनतर ह आतमा क दवारा शकए गए हर

कमव म आतमा का होना शनशित ह हर कमव म आतमा अपन-आप को परतयकष करती ह और उस पर अपना हक जताती

ह जबशक परमशपता परमातमा सब करत हए िी अकताव ह गीता म इस बात को इन शलोको स सपि शकया गया ह-

चातवफरणयफम मया सषटम गणकमफनवभागिः

तसय कताफरम अनप माम नवनि अकताफरम अवययम 413

कलप पहल िी मया (मन) गणकमफनवभागिः (गि और कमो क िद क अनसार) चातवफरणय (बराहमि

अथावत दवता कषशिय वशय और शि-इन चार विो क समह को) सषटम (रचा था) तसय (उसका) कताफरम (कताव)

होन पर अनप (िी) अकताफरम (अकताव) और अवययम (कषयरशहत) माम (मझको) नवनि (त जान ल)

न च माम तानन कमाफनण ननबधननरत धनजय

उरदासीनवत आसीनम असकतम तष कमफस 99

च (और) धनजय (ह जञानधनजता) तानन (व) कमाफनण (कमव) मा (मझको) न ननबधननरत (नही बाधत) कयोशक

म तष (उन) कमफस (कमो म) उरदासीनवत (उदासीन क समान) असकत (अनासकत) आसीनम (रहता ह )

परमशपता परमातमा का अकताव क रप म यह गि सबस अशत शवशष गि पर आधाररत ह वह गि ह- ldquoअिोकताrdquo

9

अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

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को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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अभोकता - आतमा अपनी अनक इशनियो दवारा िोग िोगती ह अनक इशनियो म आसकत हो रस िोगती ह

जबशक परमशपता परमातमा को अपनी इशनिया ही नही तो िोग िोगन की बात ही नही (अथावत शदवय जनम यान परकाया

परवश दवारा जो इशनियो का परयोग परमशपता परमातमा करत ह उसम व आसकत नही होत) गीता म इसका िी परमाि

आया ह-

न माम कमाफनण नलमपनरत न म कमफरल सपहा

इनत माम यः अनभजानानत कमफनभः न स बधयत 414

न माम (न मझको) कमाफनण (कमो का) नलमपनरत (लप लगता ह) न म (न मझ) कमफरल (कमो क फल

म) सपहा (इचछा ह) इनत (इस रप म) यः (जो) माम (मझको) अनभजानानत (सववथा जान लता ह) सः (वह)

कमफनभः (लौशकक कमो म) न बधयत (नही बधता)

यही गि अिोकता परमशपता परमातमा को िोगी आतमाओ स अलग सथान दता ह और यही गि उनको परम

पशवि िी साशबत करता ह शनराकारी परमशपता परमातमा क सवरप को कछ हद तक तो हम अब समझ पाए परनत

कया तमाम दशनया इस बात को मानती ह गीता क जञान दवारा हम उनक शनराकारी सवरप की पहचान तो हई परनत

कया तमाम दशनया इस वतवमान परचशलत जञान क आधार पर उनको िगवान मानगी इसी पर हमन सबस बड़ी िल की

ह और यही िल आज हमार पतन का मल कारि ह शक हमन गीता का िगवान साकार कषि 16 कला सपिव दवता

को मान रखा ह और कलाहीन कशलयगी नर को 16 कला सपिव नारायि बनान वाल कलातीत कलपातकारी शनराकारी

सटज वाल शशव बाप को सववथा उड़ा शदया ह

धमफ और अधमफ

धमफ-अधमफ की पररभाषा -

समपिव सशि म समपिव िौशतक पहलओ स मनषयो न िौशतक जगत म अहम तरककी की ह अपनी तीकषि

बशि स पथवी जल वाय अशनन और आकाश- इन परकशत क पाचो ततवो का शवशलषि कर अपन िौशतक जीवन को

सशवधाजनक बनाया ह परनत कया अपनी अनत िौशतक इचछाओ को पिव करन की कोशशश को ही जीवन कहा जाता

ह कया इस ही शरषठ मनषय योशन की परगशत कहग इचछाओ को तपत करन क इन परयासो म हमारा उतथान हआ या

पतन

ldquoनर चाहत ह कछ और होवत ह कछ औरrdquo वासतव म सख-शाशनत परापत करन क शलए मनषयो न जो-2

मागव अपनाए वही उनक उिरोिर पतन क मल कारि ह इन मागो को ही धमव क नाम पर अधमव कहा जाता ह धमव

अथावत धर+म अथावत मन म धारि करना मन की शसथरता को धमव कहा जाता ह और मन की चचलता अथावत मन

क िटकन को अधमव कहा जाता ह शासतरो म आया ह ldquoमनरव आतमाrdquo वासतव म मन-बशि को ही आतमा कहा

जाता ह मन की तलना शासतरो म अशव अथावत घोड़ स की ह मन रपी घोड़ा बहत चचल होता ह- पल म यहा तो

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दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

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पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 10: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

10

दसर पल म वहा यशद मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम रह तो आतमा का धमव अथावत सवधमव कहा जाएगा अब

इस मन रपी घोड़ पर बशि रपी लगाम न होन स आतमा अपन सवधमव को िल परधमव को अपना रही ह यही सवधमव

और परधमव करमशः आतमा क उतथान और पतन क मल कारि ह

घोर अधमफ का मल -

धमव और अधमव शसफव आतमा तक ही सीशमत नही ह परनत आज एक सामाशजक मददा बन चका ह आज

दशनया म अनकानक धमव पनप रह ह और हरक धमव एक-दसर की धारिाओ को काटकर अपन-आप को शरषठ साशबत

कर रहा ह हरक धमव की धारिाए एक-दसर स शिनन ह मन जब अनक परकार क मतमतातरो म अथावत अनक परकार

की शजजञासाओ और इचछाओ क शनयिि म जाए तो अधमव कहा जाता ह अब धमव और अधमव क इस सवरप म

मनषय न ऐसी कौन-सी िल की ह शजसस परी दशनया की दगवशत और पतन इतनी तजी स हो रहा ह ज़रर वह िल

हमार मन को कशनित करन क बजाए अनको म िरमाती होगी परनत वह िल कया ह वह िल ह- िगवान को

सवववयापी मानना यही अधमव का मल बीज ह शजसकी चपट म सार धमव क लोग आ रह ह यह शसफव शहदओ की बात

नही ह परनत आज सिी धमव वाल इसी सवव वयापकता क परिाव म ह शरआत म मसलमानो का मानना था शक ldquoखदा

अशव म रहता ह फशव म नही rdquo परनत आज व िी कहन लग शक खदा जर-2 म समाया हआ ह ऐसा समझना ही

सबस बड़ा अधमव ह िगवान को सवववयापी समझन स हमारा मन सवव म बट जाता ह इसस मन की शशकत शसफव कषीि

ही नही होती अशपत दगवशत म इतनी डब जाती ह शक मनषय चाहकर िी दगवशत क दलदल स उठ नही सकता

िगवान अगर सवववयापी होता तो कया आज दशनया की यह हालत होती इतना दःख होता कया गरीब

लोग अकाल स पीशड़त हो मर रह ह कही पर बाढ़ आई या िकप आया तो अनक लोग अकाल मतय को परापत होत

ह कया इन सबम िगवान का वास ह बीड़ी-शसगरट मासाहाररयो शराशबयो म िगवान ह कि सअर िस गध

जो गदगी िरा जीवन जीत ह- कया इनम िगवान ह चतनय जीव-आतमाए ही नही अशपत अब तो जड़ परकशत िी

तमोपरधान बन चकी ह कही िी किी िी बरसात होती ह खती बरबाद हो जाती ह अचानक तफान आत ह- तो

कया य सब सवववयापी िगवान की दन ह कया इन अिओ म िगवान क वास का परमाि ह

सिी न बचपन म एक कहानी तो सनी ही होगी लोमड़ी और अगर की अगर को पान क शलए लोमड़ी बहत

परयास करती ह परनत अगर न शमलन पर वह अपन-आप को तसलली दन हत समझती ह शक अगर खटट ह ठीक इसी

तरह हमन िी शकया िगवान को पान क शलए हमन बहत परयास शकए परनत हाथ कछ नही आया तब शफर हताश

होकर यह मानन लग शक िगवान को पान क शलए कही जान की दरकार नही वरन व तो कि-2 म वास करत ह

अब अगर खटट थ कया नही यह तो शकसी जानवर लोमड़ी की सोच थी वस ही िगवान सवववयापी ह यह शवचार

िी शकसी जानवरबशिपरधान मनषय का ह जो ऊच-त-ऊच एक का मनन-शचतन-मथन तो करत नही और इसी शमथया

एव झठ जञान को लोगो स मनवाकर परमशपता परमातमा शशव की अवहलना की ह अगर व सवववयापी होत और अि-

2 म वास करत तो गीता म कयो कहा ह- कपया पषठ-5 का शलोक 47 दशखए

11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

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परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

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अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

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को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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11

पररतराणाय साधनाम नवनािाय च रदषकताम

धमफससिापनािाफय समभवानम यग यग 48

म साधना (साध-सनतो की) पररतराणाय (रकषा क शलए) रदषकता (दराचाररयो क) नवनािाय (शवनाश

क शलए) च (और) धमफससिापनािाफय (धमव की सपिव सथापना क शलए) यग-यग (दो यगो-कशलयग और सतयग-

क सशधकाल म) समभवानम (जनम लता ह )

कहा ह- जब-2 धमो की नलाशन होती ह तब-2 आता ह lsquoआता ह rsquo का मतलब ज़रर कही शकसी सथान

स इस सशि पर आएग तो इस सशि म वयापक नही ह ना सवववयापी क इस झठ एव शमथया जञान स ही सशि पर अधमव

फला िगवान को सवववयापी मानना ही सबस बड़ा अधमव ह और यही अधमव जब काल बादल समान छाकर घोर

अशधयारा फलाता ह तब इस सशि पर जञान-सयव समान सिी जञानरशहत अधमो का शवनाश कर एक धमव की सथापना

करन अथावत हर एक मनषय की बशि म िगवान क एकवयापी सवरप को समझाकर धमव क जञान का सवरा लान क

शलए िगवान आत ह िगवान को अगर सवववयापी समझना झठा धमव अथावत अधमव ह तो उनहो एकवयापी समझना ही

सचचा धमव होगा शजसस शक दशनया क तमाम लोग तमाम धमव वाल जाशत वाल शजनहोन िगवान को अलग-2 रपो

म पजा ह शजनह परापत करन हत यहा-वहा िटक ह और मन को अनको म िटकाया ह उनक मन को एक शसथर सथान

तथा वयशकततव परापत हो इसशलए तो कहत ह- सबका माशलक एक ह यही अशानत मन को शानत करन का एकमव

रासता ह जो सवय िगवान एक वयापक होकर समझात ह और जहा शाशनत ह वहा सख तो आप ही आ जाता ह

अथावत िगवान क एकवयापी सवरप को जानन समझन और समझकर उनक बताए रासत पर चलन स ही शाशनत और

सख क हम अशधकारी बनत ह

अधमफ स गीता का खरणडन -

परनत यह सवववयापी की बात आई कहा स इस महान िल की जड़ कया ह परान-त-पराना धमव ह-

lsquoसनातनrsquo आज वह सनातन धमव शबगड़कर शहनद कहलाया जाता ह शहनदओ क धमवगरनथ अनकानक ह आज उस एक

गीता की ही शकतनी टीकाए ह करीब 108 क ऊपर टीकाए ह और हरक टीका एक-दसर को काटती ह अब इसम

स सचची कौन-सी समझ शकराचायव की गीता अदवत रप स आतमा को ही परमशपता परमातमा मानती ह तो

माधवाचायव की गीता दवत रप स आतमा और परमशपता परमातमा को शिनन शशकत मानती ह कही शकसी न आतमा का

सवरप अगषठ शमसल बताया ह तो कही शकसी न कछ और इसस हर एक का मन िटक गया आशखरकार आज

ऐसा वकत आया शक हम हमार सववशासतर शशरोमशि धमवगरथ गीता को महतव ही नही दत नही तो इतनी सारी टीकाए करन

का मतलब कया ह आज कोटव म गीता की कसम खाकर लोग झठ बोलत रह शहनद धमवगरनथ की इतनी दगवशत हई तो

शहनद धमव की नही होगी कया शहनदओ की िी दगवशत हई सबस अहम बात ह शक शहनद धमव क धमवशपता कौन ह

जस मशसलम धमव की नीव रखन वाल महममद पगबर थ शकरशियन धमव की सथापना करन वाल कराइसट थ वस ही शहनद

धमव की सथापना शकसन की यह शकसी को िी जञात नही न धमवशपता का पता ह और न ही शकसी एक धमवगरनथ म

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आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 12: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

12

आसथा ह तो कौन इस धमव पर शवशवास रखगा इसशलए शफर औरो क धमो को अपनात ह शहनद लोग ही दसर धमो

म कनवटव होत ह यह िी अधमव ह और मानो या ना मानो इन अधमो का मल कारि ह- ldquoवतवमान गीताrdquo आज गीता

का जो दशनया वाल दरपयोग कर रह ह अनक टीकाए कर रह ह इसस गीता का अशसततव ही शमट गया ह गीता शसफव

धमवगरनथ नही अशपत हम सबकी मा िी ह गीता को रचन वाल सवय परमशपता परमातमा गीता-पशत िगवान शशव ह

और हम उन दोनो की सनतान ह गीता को जबशक िगवान न रचा ह तो उसका अथव िी िगवान ही बताएग परनत

हम बचचो न अपनी मा गीता पर इतनी टीकाए की ह जो शक बहत बड़ी शनदा की बात ह कया कोई टीका (रचना)

रचशयता और उसकी सशि रचना क आशद-मधय-अत का पररचय द सकती ह नही न तो हम बचच अपनी मा तथा

शपता का पररचय शबना जान कस द सकत ह गीता म बताए िगवान क अथव का अनथव कर हमन हमारी गीता मा को

खशणडत कर शदया बहत बड़ा जलम कर शदया यह अधमव की परधानता हो गई इसस बड़ा अधमव कछ हो नही सकता

गीता मा क महतव को न समझन क कारि आज िारत दश सशहत परी दशनया म नाशसतकवाद बढ़ता जा रहा ह

परमशपता परमातमा का असली सवरप तो वस िी नही पहचानत और शफर गीता मा सशहत सिी कनया-माताओ पर

अतयाचार िी करत ह यही एकमव कारि ह शक कनया-माताओ को कोई मा-बहन नही समझत जब माताओ की

माता गीता मा ही खशणडत हो गई तो अनय कनया-माताओ का कया होगा इसको ही अधमव कहा जाता ह

जस हर बचच को अपन शपता का पररचय मा स शमलता ह उसी परकार सिी आतमाओ को परमशपता शशव

परमातमा का पररचय िी अपनी मा गीता स शमलता ह परनत आज गीता की अनक टीकाए कर गीता को खशणडत

शकया गया ह अब खशणडत गीता सचच परमशपता परमातमा का पररचय कस दगी इसशलए यह अधमव शमटाकर सचची

अखणड गीता की सथापना कर उस गीता क सहयोग स शरषठ धमव की सथापना करन क शलए परमशपता परमातमा शशव

एकवयापी रप म इस सशि पर परकट होत ह

अधमफ स महानवनाि -

धमव-अधमव की बात तो उदाहरि सशहत हमार सामन सपि ह परनत शाशवत धमव क बाद अधमव का यह खल

यग-यग स जनम-जनमातर स चलता आ रहा ह अब तो हर एक मनषय अधमव की वशि को इतना पकका कर चका ह

शक धमव की बात उसकी बशि म बठती ही नही और शजनकी बशि म बठती ह उनम स जयादातर लोग ऐस िी ह जो

सचच एकवयापी िगवान को समझन म अधमव समझत ह यही पर तीन शहसस हो गए एक वह जो धमव की बात को

मानत ही नही और अधमव की वशि म ही अपना जीवन पनपात ह दसर वह जो धमव को तो मानत ह परनत सचच

एकवयापी िगवान को समझन म िल करत ह अथावत झठ को िगवान बनाकर सचच को छोड़ दत ह और तीसर वह

जो परी तरह स सचच एकवयापी िगवान को समझकर धमव का पालन करत ह इनही को महािारत म यादव कौरव

और पाडव क रप म शदखात ह आज यही तीनो परकार की आतमाए धमव और अधमव क सवरप स महािारत यि

लड़गी जो शक महाशवनाश का मल कारि होगा यह तीनो परकार की आतमाए दो गटो म बट जाएगी एक गट- गीता

को खशणडत करन वालो का अथावत यादव और कौरवो का तथा दसरा गट- सचची गीता और सचच परमशपता परमातमा

शशव क बताए रासत पर चलन वाल पाडवो का इसस यह बात सपि हो जाती ह शक सचचाई की ओर स आवाज़ उठान

13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

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शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

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अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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13

वाल अथावत सचच परमशपता परमातमा शशव क एकवयापी सवरप को समझकर उनक रासत पर चल झठ स टककर लन

वाल पाडवो की सखया बहत थोड़ी होगी और अधमव को वशि शदलात हए सवय को िगवान मानकर िगवान को

सवववयापी की उपाशध दकर झठ शासतरो पर अपना वचवसव बनाकर सदव lsquoअकषरrsquo सतय को शछपान वाल अजञान अधकार

फलान वाल यादव और कौरवो की सखया अशधकतम होगी परनत आखरीन जीत तो सतय की ही होगी िल सखया म

कम हो परनत पाडवो क साथ सवय सतय परमशपता परमातमा शशव एकवयापी सवरप म होत ह इसशलए जीत शनशित

ह कयोशक सतयम शशवम सदरम गाया जाता ह

अब सबस बड़ा सवाल यह ह शक उस सतयम शशवम सदरम को अथावत एकवयापी िगवान को पहचान कस

उनह समझ कस

जयोनतनबरद परमनपता निव का एकवयापी मतफ रप िकर

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण-

परमशपता परमातमा कौन ह उनका एकवयापी सवरप कया ह उनको हम कस परापत कर - इन सब परशनो

का जवाब दगा कौन गीता म इस पर एक महान शलोक आया ह-

न म नवरदः सरगणाः परभवम न महषफयः

अहम आनरदः नह रदवानाम महषीणाम च सवफिः 102

म (मर) परभव (उतकि जनम को) न सरगणाः (न सतयगी दवगि) और न महषफयः (न दवापरयगी महान

ऋशषजन) ही नवरदः (जानत ह) नह (कयोशक) रदवाना (दवताओ) च (और) महषीणा (महशषवयो का) सवफिः

(सब परकार स) आनरदः (आशद परष) अहम (म ही ह ) यहा lsquoबरहमशषवrsquo शबद नही आया ह कयोशक व प

सगमयगी बराहमि डायरकट बरहमापि ह

न कोई दवता न मनषय और न ही कोई महशषव परमशपता परमातमा का पररचय द सकत ह शजस तरह स सवय

का पररचय सवय स अचछा और सचचा कोई द नही सकता उसी परकार परमशपता परमातमा का सचचा पररचय िी उनक

शबना कोई द नही सकता इसशलए व जयोशतशबिद सदा शशव जयोशत सवय इस सशि पर आत ह परनत व इस सशि पर

आकर करत कया ह जो इतना उनका नाम बाला ह ऐसा व कया-2 करत ह जो तमाम दशनया उनक आग नतमसतक

होती ह दशनया की कोई िी आतमा ऐसा कायव नही कर पाती जो व करक शदखात ह परमशपता परमातमा पशतत

तामशसक परानी भरिाचारी कशलयगी दशनया का शवनाश कर घोर अधमव का नामोशनशान शमटाकर पावन सतोपरधान

नई दशनया सतयग की सथापना करत ह

अनको म मन को लगाकर अनको क सकलपो क परिाव म आकर आज हम पशतत बन पड़ ह इसशलए

गीता म खास कर दो शबद आए ह-

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

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वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

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शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 14: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

14

ldquoमरमना भवrdquo अिाफत मर मन क सकलपो म समा जाओ और

ldquoमदयाजी भवrdquo अिाफत त अपन समसत कमो को मर नलए यजन कर

इसी कारि परमशपता परमातमा एकवयापी सवरप म आत ह ताशक सबका मन एक म लग और एक स ही

परिाशवत हो गीता म िी आया ह-

मया ततम इरदम सवफम जगत अवयकतमनतफना

मतसिानन सवफभतानन न च अहम तष अवनसितः 94

मया (मर) अवयकतमनतफना (अशत सकषम होन स परगट न होन वाल शनराकारी जयोशतशबिद की शवसताररत

शलगमशतव क दवारा) इरद (यह) सव (सारा) जगत (जगत) सकषम बीज स वकष की िाशत ततम (शवसतत हआ ह)

अतः सवफभतानन (सिी परािी) मतसिानन (मझ अवयकत बीज रप म शसथत ह) च शकनत अह (म) तष

(उनम) न अवनसितः (शसथत नही ह )

इसस यह बात परी तरह स सपि हो जाती ह शक परमशपता परमातमा शशव की अवयकत मशतव जयोशतशलिग दवारा ही यह जग शवसतार को परापत हआ ह शलग मशतव का ससकत म खास lsquoअवयकतrsquo शबद शशव को सबोशधत करता ह अथावत

lsquoअवयकत िी और मशतव िीrsquo का मतलब ही ह- शशव परमशपता + हीरो पाटवधारी परमातमा का एकवयापी सवरप जो वयकत

होत हए िी मन-बशि स अवयकत ह परमशपता शशव सवय िौशतकता स पर की शशकत ह तो शफर समसत िौशतक जगत

क शवसतार क कारि कस हो सकत ह इसशलए शशव परमशपता का परमातमा सशहत उनक एकवयापी सवरप को समझना

बहद ज़ररी ह अथावत अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को उनक एकवयापी सवरप म समझना ह और वह हाथ-पाव-

नाक-कान आशद स रशहत शलगमशतव िी साकार सवरप स समसत जीवो क शवसतार का मल कारि ह अथावत हर परकार

स सारी मनषय सशि क शलए साकार बीज सवरप म शपता अथावत परजाशपता (आदमऐडमअजवन) ह इसशलए गीता म

खासकर एक शलोक आया ह जो इस साशबत करता ह-

ऊधवफमलम अधःिाखम अशवतिम पराहः अवययम

छररदानस यसय पणाफनन यः तम वरद स वरदनवत 151

ऊधवफमल (मानवीय सशि क बीज परजाशपता बरहमा स उतपनन बराहमि धमव की ऊधववरता बनन वाली जड़ो वाल)

अधःिाखम (अधोमखी बरहमा की पतनोनमखी अनकानक धमो की शाखाओ वाल) तथा छररदानस (वदाशद) यसय

(शजसक) पणाफनन (पि ह) ऐस अशवति (शचरकाल तक शसथत रहन वाल सशि रपी अशवतथ वकष को) ऋशषयो

न अवयय (अशवनाशी) पराहः (बताया ह) यः (जो) त (उस) वरद (जानता ह) सः (वह) वरदनवत (वदो का जञाता

ह)

15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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15

यह शलोक मनषय सशि रपी वकष का पररचय दता ह शजसकी जड़ ऊपर की ओर ह और शाखाए नीच की

ओर परनत इस वकष की उतपशि हई कहा स उस बीज स शजसस मनषय सशि की उतपशि हई शजस बीज दवारा

परमशपता+परमातमा शशव एकवयापी साकार सवरप म परतयकष होत ह वह बीज और कोई नही अशपत वही अवयकत

मशतव परजाशपतापरजापशत ह और उस अवयकत मशतव दवारा ही हम परमशपता परमातमा शशव स जड़ सकत ह इसशलए गीता

म आया ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

परकशत का अथव ही ह 5 सकषम ततवो का बना हआ पराकशतक शरीर तो शलोकानसार अनत समय सिी बीजरप

ित परमशपता परमातमा शशव की मशतवमान दशहक बीजरप शकर की परकशत म लीन होत ह अथावत अपनी तन मन बशि

तथा कमशनियो की ताकत सब-कछ परमशपता परमातमा शशव को एकवयापी साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

दवारा सवाहा करत ह इसस ही मन को शसथरता परापत होती ह इसस ही मन शानत िी होता ह और शानत मन को सख

परापत होता ही ह

परमनपता परमातमा का साकार म आना ज़ररी -

परतयक मनषय-आतमा दह को धारि करती ह और दह दवारा सख और दःख तथा सिी परकार की चीज़ो को

िोगती ह जनम-जनमातर दह को धारि करत-2 तथा उन दहो स िोग िोगत परतयक आतमा अपन अशसततव को िल

अपन को दह ही समझ बठी ह इस तरह दह म आसकत होकर हमन जनम-जनमातर अपना जीवन शबताया ह अब

जबशक सचचाई बतान परमशपता सदाशशव जयोशत इस सशि पर आत ह तो व हम साकारी दहधाररयो स शमलग कस

हमार सबध म कस आएग सबध का अथव ही ह- समपिव और समान बधन तो आतमा और परमशपता+परमातमा को

समान रप स बधना पड़ अब दह म आसकत आतमा सवय अवयकत तो बन नही सकती अथावत मानव सशि बीज

अजवनआदम की आतमा सवय स साकारी स शनराकारी नही बन सकती इसशलए शफर शशव को साकार म आना पड़ता

ह अथावत अवयकत जयोशत शबनद शशव को उसी वयकत मशतव म मकरवर रप स आना पड़ता ह ताशक हम आतमाओ स व

सबध जोड़ सक व वयकत अथावत साकार दवारा सबध जोड़ हम आतमाओ का उिार करत ह

परनत कया हम आतमाए अवयकत परमशपता+परमातमा शशव को शसफव शनराकार सवरप म याद नही कर सकती

कया हम उनस सीधा शमलन नही मना सकती इसका जवाब दत हए गीता म कछ शलोक आए ह-

मनय आवशय मनः य माम ननतययकता उपासत

शरिया परया उपताः त म यकततमा मताः 122

य (जो) मनय (मझम) मनः (मन को) आवशय (शसथर करक) ननतययकताः (सदा योगयकत हए) परया

(परम) शरिया (शरिा स) उपताः (िरकर) मा (मझ साकार शशवशकर सवरप को) उपासत (याद करत ह) त (व)

म (मर) यकततमाः (सब योशगयो म शरषठतम) मताः (मान गए ह)

16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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16

कतलिः अनधकतरः तषाम अवयकतासकतचतसाम

अवयकता नह गनतः रदःखम रदहवनदभः अवापयत 125

अवयकतासकतचतसा (अवयकत जयोशतशबद सवरप म आसकत हए शचि वाल) तषा (उन योशगयो को) कतलिः

(कशठनाई) अनधकतरः (अशधक होती ह) नह (कयोशक) रदहवनदभः (दहधाररयो क दवारा) अवयकता (शनराकारी) गनतः

(गशत अथावत शसथशत) रदःख (दःखपववक) अवापयत (परापत होती ह)

इन शलोको स यह सपि होता ह शक शनराकार परमशपता शशव को अवयकत रप म पिवतः परापत करना अतयनत

कशठन तथा दःख िरा ह परनत परमशपता परमातमा की नज़र म तो वह उिम योगी ह जो साकार म शनराकार दखता ह

और उस एक साकार दवारा ही शनराकार को ईशवरीय जञान स पहचानकर उस समझता ह

परनत वह साकार सवरप ह कौन उस पहचानग कस इस समझना ही सबस अहम ह धमव-अधमव की मल

बात िी इसी पर आधाररत ह सचच साकार सवरप को पहचानना मानना और तदनसार चलना ही धमव ह तथा झठ

को परमशपता परमातमा का सवरप समझना घोर अधमव ह धमव और अधमव म यही सबस बड़ा और महान अनतर ह

इसी पर सिी आतमाओ की सदगशत तथा दगवशत शनिवर ह

परमशपता परमातमा शशव साकार म आत कस ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह जो उनक अवतरि

शवशध को सपि करता ह-

भकततया त अनरयया िकतय अहम एवनवधः अजफन

जञातम िषटम च तततवन परवषटम च परतप 1154

त (शकत) परतप (कामाशदक शिओ को तपान वाल) अजफन (ह अजवन) अनरयया (अवयशिचारी) भकततया

(िशकत िाव क दवारा) अह (म) एवनवधः (इस िाशत समपिव रप म) जञात (जानन-पहचानन) िषट (साकषातकार करन)

च (और) तततवन (ततवपववक) गहराई तक परवषट (परवश करन क) िकतयः (योनय ह ) तातपयव ह शक अवयशिचारी

याद स ही परमातमा की परी पहचान होती ह

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव साकार सशि क बीज बाबा आदमअजवन रथ म परवश कर जानन

और दखन योनय ह इस ही दिवय जनम कहा जाता ह इसी स साशबत होता ह शक िगवान सदा अनासकत सयव समान

िौशतकता म किी नही बधता िौशतकता म बधन का नतीजा ह शक आतमा िौशतक जनम व मरि क चककर म आती

ह परनत परमशपता शशव क शलए यह बात लाग नही होती व तो परवश कर अलौशकक जनम लत ह न शक िौशतक

गिव-जनम इसी जनम को शदवय जनम क रप म गीता म वशिवत शकया गया ह परमशपता शशव जब अपन साकार सवरप

म शदवय परवश कर लोगो क बीच परतयकष होत ह तब उनका शदवय जनम कहा जाता ह

परमशपता परमातमा का साकार पररचय होना शकतना ज़ररी ह यह तो हमन समझा परनत उस साकार का

सवरप कौन-सा ह शजस तरह स शनराकार जयोशतशबद शशव क नाम रप दश काल धाम तथा गिो का पररचय

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 17: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

17

हमन परापत शकया उसी तरह शशव क साकार सवरप का पररचय लग परनत इस बार हम गिो स शर करग नाम-रप

तक इसी स हम शनराकार जञान-दाता शशव क उस साकार गीता जञानदाता सवरप को पहचानग और अब तक की की

हई हमारी िलो पर नज़र डालग आज तक हम गीता जञानदाता शजस समझत थ कया वह सही था हमन शजस िगवान

माना था कया वह हमारी िल थी - इन सब परशनो का उिर हम आग परापत होगा

परमनपता परमातमा का साकार म गण -

जो गि शनराकार शशव का ह वही गि हम शनराकार क साकार सवरप म उस समपिव परषाथी का िी शदखाई

पड़ता ह शशव का सथाशयतव यही पर साशबत होता ह शक साकार म आन क बावजद उनक गि किी नही बदलत

अजरमा - अजनमा का अथव ही ह- lsquoजनम-मरि रशहतrsquo अगर यह बात हमन कषि क शलए मानी तो यह

साशबत ही नही होता कषि का तो जनम शदखाया जाता ह वह िी िौशतक गिव जनम कषि को जनम दन वाल मात-

शपता िी शदखाए जात ह (दवकी-वसदव) तो पालन वाल मात-शपता िी शदखाए जात ह (यशोदा-नद) सबस अचरज

की बात यह ह शक शासतरो म कषि की मतय का िी पररचय शदया गया ह (शकसी बहशलय क तीर लगन स मतय हई)

तो हम कषि को अजनमा कस मान अमर कस मान

शासतरो म ऐसा कौन ह शजस खास यह अमरतव की उपाशध परापत ह वह ह- शकर परनत वासतव म उस मतव

रप शकर को िी नाथन वाला शशव ह शजसकी यादगार म शशवशलग शदखाया जाता ह गीता म िी आया ह - कपया

पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

इस शलोक स यह सपि होता ह शक परमशपता परमातमा शशव का साकारी सो आकारी सो शनराकारी सवरप

शकर कस अजनमा कहलाता ह कलप क अनत अथावत कशलयग अनत म परमशपता शशव क इस साकारी सो आकारी-

शनराकारी शकर सवरप म सिी बीजरप जीव मन-बशि क सकलपो स शनससकलप शबद बनकर शमल जाएग अथावत लीन

हो जाएग और कलप क आशद म अथावत सतयग आशद म शफर स उन जीवो को नए रप स रचत ह (अथावत नए रप स

रचना मर मशतवमत शकर दवारा होगी) सिी जीवो का अनत होन पर िी परमशपता परमातमा शशव क इस साकारी सो

आकारी-शनराकारी सटज वाल रप शकर का अनत नही होता अथावत जब शफर स रचन की बात आती ह तो वह

साकार सवरप ही सशि का आशदकारि बनता ह इस अनत और अनाशद सवरप को ही िगवान शशव क साकार सवरप

का मखय गि कहा गया ह इसम स कोई िी बात शकसी िी आधार स कषि क शलए लाग नही होती कषि का तो

जनम िी दखा गया ह तो मतय िी दखी गई इसशलए तो शासतरो म गायन होता ह कषि जनमािमी का जबशक परमशपता

शशव परमातमा क साकार सवरप का इस सशि म न तो कोई गिव स जनम होता ह और न ही मतय हालाशक उस साकार

सवरप दवारा परमशपता+परमातमा शशव की परतयकषता घोर अजञान अधमव की अशधयारी रात कशलयग अत म होती ह

इसशलए शशव क साकार सवरप की शकसी िी परकार की जयनती का गायन नही होता परनत उस साकार सवरप दवारा

शशव की परतयकषता lsquolsquoमहाशशवराशिrsquorsquo क रप म गाई जाती ह

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 18: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

18

अभोकता - परमशपता परमातमा क अनक गिो म स यह गि सवावशधक महतवपिव ह यही गि उनको पशतत

स पावन की उपाशध िी शदलाता ह परमशपता परमातमा शशव का अिोकतापन साशबत कस होगा ज़रर शजस तन म

उनका शदवय अवतरि होता ह उसी तन दवारा उनको अिोकता साशबत होना पड़ आतमा शरीर दवारा िोगी कहलाती ह

तो परमशपता परमातमा िी शरीर दवारा ही अिोगी कहलाएगा

आतमाए दो परकार क िोगो को िोगती ह एक पणय कमो का फल और दसरा पाप कमो का फल पणय

कमो का फल तो सख होता ह और पाप कमो का फल दःख होता ह परनत परमशपता परमातमा इन दोनो परकार क

िोगो स पर ह

सबस पहल तो हम यह समझना ह शक पाप की शरआत होती कहा स ह गीता म इसक बार म एक शलोक

आया ह-

काम एष करोध एष रजोगणसमदभवः

महािनः महापापमा नवनि एनम इह वररणम 337

रजोगणसमदभवः (रजोगि स उतपनन) एष काम (यह काम) एष करोध (अथवा यह करोध) महािनः (बहत

िोग चाहता ह) और महापापमा (बड़ा पापी ह) इह (इस ससार म) एनम (इसको) वररण नवनि (वरी समझ)

यह कामवासना ही सिी शवकारो का मल कारि ह और इनही शवकारो स पाप बनता ह और आतमाए पापी

बनती ह अनय शवकारो को रोकना शफर िी सहज ह परनत कामवासना को अपन वश म रखना अतयनत कशठन ह

इसशलए तो पाप बढ़ता जा रहा ह गीता म िी आया ह-

तसमात तवम इनरियानण आरदौ ननयमय भरतषफभ

पापमानम परजनह नह एनम जञाननवजञाननािनम 341

भरतषफभ (ह िरतवश म शरषठ) तसमात (इसशलए) तव (त) आरदौ (पहल) इनरियानण (इशियो को) ननयमय

(शनयशित करक) जञान+नवजञाननािन (जञान और योग का नाश करन वाल) एन (इस) पापमान (पापी काम-शवकार

को) नह परजनह (अवशय तयाग द)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह शजसका गायन काम-शवकार को नाश करन वाल क रप म होता ह कामदव

को शकसन िसम शकया शासतरो क अनसार शसफव शकर ही ऐसा दवता ह शजसन काम-शवकार को िसम शकया ह अनय

शकसी िी दवता क शलए यह गायन नही ह कषि क बार म िी किी नही कहा गया शक कषि न काम-शवकार को िसम

शकया इसशलए दवताओ क हसत नयन पद आशद की पजा होती ह परनत कवल शशव+शकर की ही शलग रप म

पजा होती ह इसशलए शशव शलग कहा जाता ह जो शक पशविता का सवरप ह lsquoशलगrsquo शबद परष का सचक ह यही

शशव क अपन साकार सवरप दवारा अिोकतापन का परमाि ह इसशलए हम पापी और पशतत आतमाओ का उिार िी

19

उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 19: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

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उस पाप को िसम करन वाल शशव+शकर क सग क रग स ही होगा इसी शशव+शकर को पशतत-पावन कहा जाता ह अनय कोई िी दवता यह पद नही पात कयोशक यह शसफव परमशपता+परमातमा का कायव ह ऐसा शवरला और शनराला

पाटव और कोई नही बजा पाता कषि िी नही अब जब सख िोगन की बात आती ह तो कषि को तो सवगव म अथावत

वकठ म शदखाया जाता ह इसस यह साशबत होता ह शक कषि िी सख िोगता ह जबशक परमशपता परमातमा तो सख

िोगन स िी पर की अवसथा वाल ह हर दवता का शनवास सथान सवगव माना जाता ह परनत शकर का सथान सवगव म

नही शदखात शकर ही एक ऐसा दवता ह जो समपिव वराग का परतीक ह और उनह सदव पहाड़ो की ऊची शसथशत पर

तपसवी रप म शदखात ह शशव की तपसया (याद) करत-2 शकर सवय उस िोग की शसथशत स पर हो जात ह इसशलए

गीता म िी आया ह-

इह एव तः नजतः सगफः यषाम सामय नसितम मनः

ननरदोषम नह समम बरहम तसमात बरहमनण त नसिताः 519

यषा (शजनका) मनः (मन) सामय आतमा क रप शवषयक (समानता म) नसित (शसथर ह) तः (उनहोन)

इह (यहा इसी ससार म) एव (ही) सगफः (जनम-मतय रप ससार को) नजतः (जीत शलया ह) नह (कयोशक) बरहम

(परबरहमततव) ननिोष (दोष-पापरशहत) और सम (समान ह) तसमात (इसशलए) त बरहमनण नसिताः (व बरहमततव

म ही शसथर ह)

शशव शजस साकार दवारा अपना कायव कर दशनया म परतयकष होत ह वह जीत जी ससार क बधनो स मकत हो

जाता ह न वह पाप िोगता ह न ही पणय इसशलए शशव-शकर अिोकता कहलात ह न वह सख िोगता ह और न ही

दख िोगता ह अपनी कमशनियो को वश म कर सदव वराग अवसथा म शसथत रहता ह इनम स कोई िी बात कषि

क शलए लाग नही होती अथावत कषि शशव का साकार अिोकता सवरप नही ह कषि तो सख और दःख दोनो ही

िोगता ह

इसी अिोकतापन क गि स परमशपता परमातमा का एक और गि शसि होता ह और वह ह- अकताव

अकताफ - शकसी िी िोग को न िोगन क कारि परमशपता परमातमा शशव दवारा शकए हए कमव का कोई िी

परमाि परापत नही होता इसी को कमव करत हए िी न करन वाला अथावत अकताव कहा जाता ह कमो की गहय गशत को

जानन क कारि व सदव अकताव कहलात ह उसी परकार परषाथव स शशव समान बना उनका साकार सवरप िी हर कमव

को शनषकाम रप स करता ह गीता म िी आया ह शक

तयकततवा कमफरलासगम ननतयतपतः ननराशरयः

कमफनण अनभपरविः अनप न एव नकनचत करोनत सः 420

20

ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

21

सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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ननराशरयः (सासाररक आशरय स रशहत) कमफरलासगम (सासाररक कमव क फल की आसशकत को) तयकततवा

(तयागकर) ननतयतपतः (सदा सति हआ) सः (वह वयशकत) कमफनण (कमव म) अनभपरविः (अचछी तरह लगा रहन

पर) अनप (िी) नकनचत एव (कछ िी) न करोनत (नही करता)

शनषकाम कमव का अथव ह- शकसी िी कमव क फल की इचछा न करना इसशलए परमशपता परमातमा शशव क

साकार सवरप का मखय गि ह ही कमो क परशत सम िाव गीता म िी आया ह शक

न दवनषट अकिलम कमफ किल न अनषजजत

तयागी सततवसमानवषटः मधावी नछरनसियः 1810

तयागी (कमवफल का तयाग करन वाला) सततवसमानवषटः (सतोगिी सविाव वाला) नछरनसियः

(सशयहीन) और मधावी (बशिमान वयशकत) अकिल (कशलता रशहत-अशपरय) कमफ (कमव स) न दवनषट (घिा

नही करता) और किल (शपरय कमव म) न अनषजजत (लगाव नही रखता)

शनषकाम कमव करन वाला किी कमो म नही बधता जो कमो म नही बधता वह जनम-मरि क चककर स िी

नयारा होता ह अब परमशपता शशव को अपन साकार सवरप दवारा अकताव का परमाि िी दना होगा तो वह परमाि कया

ह गीता म इस पर एक शलोक आया ह-

यसय न अहकतः भावः बनिः यसय न नलपयत

हतवा अनप स इमान लोकान न हनरत न ननबधयत 1817

यसय (शजस जञानी को) अहकतः (lsquoमन शकया हrsquo ऐसा) भावः (िाव) न (नही ह) यसय (शजसकी) बनिः

(बशि) न नलपयत (कमव म शलपत नही होती) सः (वह) इमान (इन) लोकान (कशलयगी पापी लोगो को) हतवा

(मारकर) अनप (िी) न हनरत (नही मारता) और न ननबधयत (न बधनयकत होता ह)

अब ऐसा कौन-सा दवता ह जो सारी मानवीय सशि क शवनाश क शलए शनशमि ह और समपिव सशि का

सहारकताव होत हए िी पाप स पर ह यह कायव शसफव शकर का ही ह कषि का यह कायव नही ह यही परमाि ह

परमशपता परमातमा शशव क अपन साकार सवरप दवारा अकतावपन को साशबत करन का परमशपता परमातमा शशव शकर

दवारा ही अकताव ह कषि को अकताव नही कहग अगर कषि अकताव होत तो जनम-मरि क कमव-बधन स मकत होत

परनत ऐसा नही ह शकर को तो वस िी अजनमा तथा अमर कहा जाता ह अतः शशव-शकर ही अकताव ह

शजस तरह स शलोको म आया ह शक अकलयािकारी कमव क परशत कोई दवष नही इसस यह साशबत होता ह

शक कमव क परशत कोई घिा नही करत जञानसागर-मथन की शवखयात शवषपान कथा िी यह बात साशबत करती ह कथा

इस तरह ह शक जञानसागर-मथन दवारा जब शनदा रपी शवष शनकला तो उस पीन क शलए कोई िी तयार नही हआ

बरहमा शवषि सशहत समसत दवताए तथा असर- सिी उस शनदा रपी हलाहल शवष स दर रहकर ियिीत हो उठ परनत

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सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

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परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

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वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

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शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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सशि क कलयाि हत कवल शशव न ही शकर दवारा उस हलाहल शवष को कलकीधर सवरप म गरहि शकया इस कलक

रपी शवष पीन क कमव का उन पर कोई असर नही हआ अब इसस बशढ़या अकतावपन का परमाि कया हो सकता ह

अकताव का यह परमाि िी शकसी िी परकार स कषि क शलए लाग नही होता

परमनपता परमातमा का साकार धाम -

धाम का अथव ही ह- घर आतमाए अपन शपता परमशपता परमातमा शशव क साथ शाशनतधाम अथावत परमधाम

म रहती ह और शफर नबरवार अपन पाटव अनसार इस मतयलोक म आकर पाटव बजाती ह यहा इस सशि पर आतमा

का घर कया ह 5 ततवो का बना हआ यह शरीर ही आतमा का घर ह नगर ह इसशलए शासतरो म आतमा को lsquoपरषrsquo

शबद स समबोशधत शकया गया ह परष का अथव ही ह- शरीर रपी परी म शयन अथावत आराम करन वाली आतमा

अब परशन यह उठता ह शक परमशपता परमातमा का वह साकार घर कौन-सा ह वह परी कौन-सी ह इसक बार म गीता

म सपि आया ह शक

परः तसमात त भावः अरयः अवयकतः अवयकतात सनातनः

यः स सवष भतष नशयतस न नवनशयनत 820

तसमात (उस) अवयकतात (अवयकत परमधाम स) त (िी) परः (बढ़कर) यः (जो) अवयकतः (अपरगट)

और सनातनः (शनतय) अरयः (दसरा) भावः (िाव अथावत आतमिाव ह) सः (वह) सवष भतष (सब पराशियो

म) नशयतस (वयकत सवरप क नि होन पर िी) न नवनशयनत (नि नही होता)

अब परमशपता परमातमा शशव का अवयकत साकार सवरप कौन ह सिी ितो क नि होन पर िी जो नि नही

होता वह तो शसफव ितो का नाथ- ितनाथ शकर ही ह कषि की तो मतय शदखात ह अथावत कषि िी उन साधारि

ितो म ह जो नि होत ह कवल ितनाथ शकर ही सिी क नि होन पर िी अशवनाशी रहत ह यही अवयय साकार

सवरप परमशपता परमातमा शशव का साकार धाम ह न शक कषि गीता म आया एक शलोक िी यह साशबत करता ह

शक परमशपता शशव का आधार शकर महादव ही साकार परमधाम अथावत परमगशत ह

अवयकतः अकषरः इनत उकतः तम आहः परमाम गनतम

यम परापय न ननवतफरत तत धाम परमम मम 821

अवयकतः (अपरगट बरहमलोक) अकषरः (अशवनाशी) इतयकतः (कहा जाता ह) त (उसको) परमा गनत (परम

गशत) आहः (कहत ह) य (शजसको) परापय (पाकर) न ननवतफरत परािी इस दःखी ससार म (नही लौटत) तत

(वह) मम (मरा) परम धाम (परमधाम ह)

गशत का अथव ह- मशकत अथावत छटकारा और सदगशत का अथव ह- सतय गशत अथावत जीवन मशकत दोनो गशत

की पराशपत हम परमशपता शशव और उनक साकार सवरप क मल स होती ह उस साकार सवरप को शजनक दवारा हम

22

परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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परमशपता शशव को परापत करत ह उनह गशतयो की गशत परम गशत कहा जाता ह और वह परम गशत का आधार बनन

वाला साकार सवरप ही शशव का शनवास सथान अथावत परमधाम ह अब lsquoअवयकतrsquo अकषर तो शकर ही ह कषि नही

तो सीधी सी बात ह- इस ससार म शशव का मकरवर रप म परमधाम शसफव शकर ही ह कषि नही और न ही कोई अनय

दवताचाह चार मखो वाला बरहमा ही कयो न हो

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण काल -

परमशपता परमातमा क साकार अवतरि का समय समझन स पहल समय क चकर को समझना ज़ररी ह सशि

का काल-चकर 4 यगो म बटा ह- सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग इनम सतयग शरषठ यग ह ितायग थोड़ा

कम दवापरयग और कशलयग उिरोिर भरि यग ह इस परकार हम समझ सकत ह शक हर यग म शरषठता का पतन होता

जा रहा ह और दवतवादी दवापर यग स भरिता बढ़ रही ह अथावत सतयग 16 कला िता 14 कला दवापर 8 कला और

कशलयग कलाहीन हो जाता ह आशखरकार आज हम कशलयग क उस मकाम पर खड़ ह जहा हर जगह अधमव और

भरिाचार का ही बोल-बाला ह तथा शरषठाचार ढढ़न पर िी नही शमलता परशन य ह शक कशलयग क बाद कौन-सा यग

आता ह उस यग म कौन होग उस यग को कौन लाएगा इस भरिाचारी कशलयग का खातमा कस होगा इसस

पहल हम शासतरो की कछ बातो की सकषम पढ़ाई पढ़नी होगी पहली बात तो यह बताई जा रही ह शक कपया पषठ-5

का शलोक 47 और पषठ-12 का शलोक 48 दशखए

अब परशन यह ह शक हर यग म िगवान आत ह कया पहली बात अगर हर यग म िगवान आत तो दशनया

नीच कयो शगर रही ह हर यग क बाद अगला यग कम शरषठ अथवा अशधक भरि कयो ह अगर िगवान कषि नई

दशनया तथा धमव सथापन करन हत आत ह तो कया दवापरयग क बाद नीच और पापी कशलयग की सथापना करन शलए आत ह दसरी बात अगर दखी जाए तो कल शमलाकर 4 यग ह अगर िगवान हर यग म आकर नए धमव तथा नई

दशनया की सथापना करत ह तो शासतरो म ढर-क-ढर अवतार कयो शदखाए ह कही दशावतार तो कही 24 अवतार

शदखाए गए ह और उन अवतारो क बीच िी शासतरो की बात गलत शसि हो रही ह जहा िता म राम और कशलयगी

परशराम को एक ही समय शदखात ह- एक सवय कषशिय धमव का पालन करता ह तो दसरा कषशिय धमव का शवनाश करता

ह एक तरफ राम और कषि दवारा आतमा का पररचय शदया ह तो दसरी तरफ महातमा बि दवारा आतमा क अशसततव

को ही शमटाया गया इन ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo म शासतरो क इस जजाल म परी दशनया फस गई ह िगवान कया नीच

यग सथापन करन आत ह नही िगवान कया हर यग म जनम लत ह नही वासतव म मनषय आतमा अपन कमो

को अपन कायो को एक जनम म परा नही कर पाती अतः बार-2 जनम लती ह िगवान अपना कायव गिव स जनम

लकर नही बशलक परवश कर परा करत ह और शजस मनषय शरीर का आधार लकर व अपना कायव परा करत ह उनकी

परवशि को ही िगवान कहा जाता ह िगवान हर यग म नही आत व तो एक ही बार पशतत नर को पावन परषोिम

नारायि बनान शलए परषोिम सगमयग पर आत ह अथावत कशलयग अत और सतयग आशद क सगम पर आत ह व

एक ही बार अपन साकार सवरप म परवि होकर नया धमव नई दशनया न वार परषाथव अनसार हम बचचो क शलए सथापन

करत ह जहा शसफव सख और शाशनत ही ह िगवान की बनाई हई यही दशनया यही सनातन धमव चारो यगो का चककर

23

लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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लगाता ह िल कशलयग क अनत म आत-2 िगवान का वह धमव परायः लोप हो जाता ह परनत परा लोप नही होता

और यही परायः लोप शसथशत रहत-2 व दबारा इस सशि म आकर अपन साकार मनषय तन म परवि होकर पनः नई

दशनया नया धमव सथापन करत ह शजस हम िोगी बचच ही िोगत-2 चार यगो म बाटकर भरि कशलयगी दशनया बनात

ह गीता म जो ldquoयग-2rsquorsquo शबद आया ह वह वासतव म हरक यग नही बशलक परषोिम सगमयग म हर यग की

शशटग का अत ह सतयग ितायग दवापरयग और कशलयग- इनक पर एक चकर को एक कलप कहा जाता ह वासतव

म परमशपता शशव साकार (रप) स परवि होकर चतयवगी क अनत म िगवान का सवरप धारि करत ह कब

कशलयग और सतयग क सगम समय म तिी तो कहा जाएगा शक िगवान न नीच-त-नीच पशतत भरिाचारी तमोपरधान

कशलयगी दशनया को ऊच-त-ऊच पावन शरषठाचारी सतोपरधान सतयगी दशनया बनाया इस परकार शलोक-ldquoसमिवाशम

यग-2rsquorsquo का अथव साशबत हो जाता ह कशलयग क अनत क िी अनत म परमशपता परमातमा शशव अपन साकार अिरप

म परवि होकर पररषकत नया धमव सथापन करत ह और परान धमव को नसतनाबद करत ह इसशलए तो महाशशवराशि

गाई जाती ह गीता म आया शलोक िी कहता ह- कपया पषठ-6 का शलोक 97 दशखए

अब इसस और सपि हो जाता ह शक एक कलप क अनत म अथावत कशलयग क अशनतम समय म परमशपता

परमातमा शशव की परकशत अथावत साकार परवशि म सिी मनषयातमाए अपना सववसव तयाग कर आन वाली नई दशनया

सवशिवम सतयग म उस तयाग का परारबध पान क शलए उसी परमशपता शशव-शकर स अलौशकक जनम िी लत ह और

यही सधर हए जीव नए कलप का आगमन करत ह

इसस यह साशबत होता ह शक परमशपता शशव अपन साकारी सो शनराकारी रप म शसफव कशलयग क अनत म

ही आत ह और इस पशतत दशनया को पावन बनात ह इसशलए तो िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह परमशपता

शशव अपन साकार सवरप म हर यग म नही आत ह और न ही अनक जनम लत ह वह तो कशलयग अत म एक ही

बार आत ह और पशतत कशलयगी दशनया को पावन सतयगी दशनया बनात ह

परमनपता परमातमा का साकार अवतरण वाला रदि -

इसम कोई शका नही शक परमशपता परमातमा का साकार अवतरि वाला दश कौन-सा होना चाशहए ज़रर

वह दश पराचीन अशवनाशी तथा पजनीय काशी अयोधया मथरा जसा ही पराचीनतम होगा ऐसा दश और कोई नही

बशलक िारत ही ह ज़रर परमशपता परमातमा शशव का साकार माधयम िी िारत दश का ही वासी होगा परनत यह तो

जड़ दश स समबशनधत हआ शफर चतनय दश कया ह वासतव म दश का एक अथव ह- lsquoकषिrsquo गीता म एक शलोक

आया ह-

इरदम िरीरम कौरतय कषतरम इनत अनभधीयत

एतत यः वनि तम पराहः कषतरजञ इनत तनदवरदः 131

24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

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वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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24

कौरतय (ह अजवन) इरद (यह) िरीर (शरीर) कषतर (कषि) अनभधीयत (कहा जाता ह) एतत (इसको) यः

(जो) वनि (जानता ह) त (उसको) तनदवरदः (जानकार लोग) कषतरजञः (lsquoकषिजञrsquo) अथावत lsquoपरमातमाrsquo इनत (इस

परकार) पराहः (कहत ह)

शरीर को lsquoकषिrsquo कहा जाता ह और कषि अथावत शरीर को जानन वाला lsquoकषिजञrsquo तो इसका मतलब दशनया म

शजतन िी डॉकटर ह वदय ह- कया सब कषिजञ हो गए नही वासतव म शरीर को जानना मतलब जड़ शरीर या मद

को जानना नही परनत उस शरीर की चतनयता का कारि कौन उसका कारि अथावत शनशदवि दह वाली आतमा को

जानन वाला ही कषिजञ कहलाता ह य तो हो गई आतमा स समबशनधत बात परनत परमशपता परमातमा क शलए िी य

बात लाग होती ह परमशपता शशव तो सिी जयोशतशबद रप आतमाओ क शपता ह व जब इस सशि पर आएग तो ज़रर

शकसी-न-शकसी शरीर दवारा समसत मनषयातमाओ क सामन परतयकष होग और उसी चतनय शरीर दवारा परानी पशतत

आसरी कशलयगी दशनया को नई पावन दवी सतयगी दशनया बनाएग तो उस शरीर का िी महतव ह ना सवय

परमशपता शशव का रथ बनना बड़ िानय की बात ह और वही रथ परमशपता शशव का कमव कषि कहा जाएगा गीता म

इस पर िी एक शलोक आया ह-

कषतरजञम च अनप माम नवनि सवफकषतरष भारत

कषतरकषतरजञयोः जञानम यत तत जञानम मतम मम 132

भारत (ह िरतवशी) सवफकषतरष (सब कषि रपी शरीरो म) कषतरजञ (कषि का जानन वाला) अनप (िी) मा

(मझको) नवनि (जानो) कषतरकषतरजञयोः (कषि और कषिजञ का) यत (जो) जञान (जञान ह) तत (वही) जञानम (सचचा

जञान ह) - ऐसा मम मतम (मरा मत ह)

हम िी परमशपता शशव को उनक चतन शरीर शकर अथवा कमवकषि सशहत जानना ह तिी जञानी कहा जाएगा

नही तो अजञानी कहा जाएगा इसी चतनय शरीर शकर को परमशपता शशव का कमवकषि अथवा िारत दश कहा जाता ह

हम सिी न आज तक िारत माता क जय क नार लगाए परनत उस िारत माता को िी माता बनान वाल जगत-शपता

शकर क परशकटकल सवरप को हम िल गए और सावरा सलोना कषि बचचा याद रह गया जबशक जगत-शपता शकर

ही परमशपता शशव का साकार रप कहलाता ह परमशपता शशव का साकार माधयम िी वही बनता ह परनत उस चतनय

जगत-शपता का वासतशवक रप कया ह वह कौन ह गीता म इस समबनध म एक शलोक आया ह-

तवम आनरदरदवः परषः पराणः तवम असय नवशवसय परम ननधानम

विा अनस वदयम च परम च धाम तवया ततम नवशवम अनरतरप1138

तव (आप) आनरदरदवः (सब दवो स िी परथम दवाशददव) पराणः परषः (परातन परष हो) तव (आप)

असय (इस) नवशवसय (जगत क) पर (परम) ननधानम (आशरय हो) सब कछ विा (जानन वाल हो) च (और)

25

वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

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को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 25: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

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वदय (जानन योनय) अनस (हो) पर धाम (शरषठ धाम वाल) अनरतरप (ह अनतगि रप) नवशव (जगत) तवया

(आपक दवारा) ततम (शवसतत हआ ह)

शासतरो म सनातन परष शकस कहा गया ह आशददव शकस कहा जाता ह य सब शकर की ही उपाशधया

ह तो ज़रर जो चतनय शवशव-शपता ह वह शसफव शकर ह वही दव-दव-महादवआशददवआदम ह जो शशव-शकर को

शवशवशपता क रप म जानत ह और मानत ह वही बचच पकक िारतवासी कहलात ह वही सचच सवदशी ह बाकी सब

ह शवदशी या शवधमी

परमनपता परमातमा का साकार रप -

परमशपता शशव क साकार सवरप शकर पाटवधारी को पहचानना ही सबस अहम परषाथव ह गीता म आए

शलोको दवारा हम उस साकार परमातम अिरप को समझ सकत ह पहली बात तो हम इस एक दिात एक कहानी क

रप म दखग तो समझ पाएग जहा तक सारी दशनया मानती ह शक गीता का जञान शरी कषि न शदया ह अजवन को िी

यही लग रहा था परनत गीता म वशिवत परमशवर क सवरप अथवा गिो को वह परतयकष दशि स नही दख पा रहा था

इसशलए परमशवर को परतयकष रप म दखन की इचछा स अजवन न शवनती की-

एवम एतत यिा आति तवम आतमान परमशवर

िषटम इचछानम त रपम ऐशवरम परषोिम 113

शफर िी परमशवर (महशवर) तव (आपन) आतमान (अपन शविशत सवरप को) यिा (जसा) आति

(बताया ह) यशद एतत (यह) एवम (ऐसा) ही ह तो परषोिम (ह परमातमा) त (आपक) ऐशवर (ऐशवयववान)

उस परगट रप (परतयकष शवराट रप को) िषट (दखना) इचछानम (चाहता ह )

इस पर अजवन को यह जवाब शमला-

न त माम िकतयस िषटम अनन एव सवचकषषा

नरदवयम रदरदानम त चकषः पशय म योगम ऐशवरम 118

त (शकत) अननव (इनही) सवचकषषा (अपनी जड़ आखो स) मा (मझ शवराट सवरप को) न िषट (नही दख)

िकतयस (सकगा) अतः त (तझको) नरदवय (शदवय) चकषः (जञान चकष) रदरदानम (दता ह ) शजसस म (मर)

ऐशवर (शविशतवान) और योग (जयोशतशलिग यौशगक सवरप का) पशय (साकषातकार कर)

इसस यह सपि होता ह शक परमशपता शशव को उनक साकार रप म अगर दखना ह तो उसक शलए य साधारि

चमवचकष काम नही आएग िगवान को दखन और समझन क शलए तो तीसर बशिगत जञान क नि की दरकार ह और

यह नि शसवाय बशिमानो की बशि परमशपता परमातमा शशव क कोई द नही सकता अजवन िी अब तक अपन चमवचकष

स तथाकशथत िगवान कषि को ही समझ रहा था परनत शदवय चकष दवारा जब अजवन न परमशपता परमातमा को समझन

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की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

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शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

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असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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26

की कोशशश की तब उस यह पता चला शक गीता जञान दन वाला यह कषि नही ह इसशलए अजवन न शफर स शवनती

की-

आखयानह म कः भवान उगररपः नमः असत त रदववर परसीरद

नवजञातम इचछानम भवतम आदयम न नह परजानानम तव परवनिम 1131

रदववर (ह दवताओ म शरषठ महादव) म (मझ) आखयानह (बताइए) शक उगररपः (ऐस ियकर रप

वाल) भवान (आप) कः (कौन ह) त (आपको) नमः (परिाम) असत (ह) परसीरद (परसनन हो जाइए) भवरत

(आपक) आदय (आशदकालीन रप को) नवजञात (जानना) इचछानम (चाहता ह ) नह (कयोशक) तव (आपक) परवनि

(शकरयाकलाप को) न परजानानम (म नही जानता ह )

इस शलोक स यह परी तरह स सपि हो जाता ह शक अजवन काफी हद तक मझ गया था चमवचकष दवारा जो उसन

दखा शजस गीता जञानदाता माना व कषि थ परनत अलौशकक तीसर शदवय बशि चकष दवारा जो उस सवय परमशपता

परमातमा न शदया उस कषि नही बशलक कोई और उगर रप वाल शदखाई द रह थ परमशपता परमातमा क इस ियानक

साकार परवशि को सपि रप स समझन क शलए अजवन न यह शवनती की अगर शदवय चकष दवारा िी अजवन को कषि ही

शदखाई पड़त तो यह पछन की दरकार ही कया थी शक आप कौन ह इसी स यह सपि होता ह शक परमशपता शशव की

साकार परवशि कषि नही ह बशलक कोई और ह पर वह ह कौन अजवन की इस शवनती को सनकर िगवान न जवाब

शदया-

कालः अनसम लोककषयकत परविः लोकान समाहतफम इह परविः

ऋत अनप तवाम न भनवषयनरत सव य अवनसिताः परतयनीकष योधाः1132

लोककषयकत (ससार का महाशवनाश करन वाला) परविः कालः (महाकाल) अनसम (म ह ) और इह

(कशलयग क अतकालीन सगमयग म) लोकान (लोगो को) समाहत (सगशठत करन क शलए) परविः (लगा हआ

ह ) परतयनीकष (परसपर शवरोधी समपरदायो रपी सनाओ म) य (जो) योधाः (वाद-शववाद करन वाल योिा)

अवनसिताः (खड़ ह) सव (व सब) तवा (तर) धमवयि ऋत (न करन पर) अनप (िी) न भनवषयनरत (नही

बचग)

यहा पर परी तरह स सपि ह शक परमशपता शशव इस सशि पर आत ह ताशक पशतत दशनया का शवनाश कर

पावन दशनया की सथापना परतयकष कर सक पशतत दशनया का शवनाश शकर क दवारा ही होता ह परमशपता शशव का

साकार सवरप जानन क शलए शदवय चकष अथावत तीसर नि की दरकार ह अब जो सवय शिनिी होगा वही तीसरा नि द

सकता ह या शजसक पास तीसरा नि ह ही नही वह दगा तो ज़रर वह िी शशव-नि वाला शकर ही ह हर परकार स

यह साशबत हो रहा ह शक अजवन न शजस गीता जञानदाता माना था वह कषि नही ह बशलक गीता जञानदाता तो परमशपता

27

शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

28

शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

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को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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शशव ही अपन साकार सवरप शिनिी शकर दवारा साशबत होत ह इसी शनराकार शशव तथा मशतवमान शकर की परवशि

सवरप को िगवान कहा जाता ह और कोई िगवान का सवरप होता ही नही

परमनपता परमातमा क साकार अवतरण का नाम -

कोई िी नाम काम क आधार पर पड़ता ह अचछ काम करन वालो का अचछा नाम पड़ता ह तो खराब काम

करन वालो का खराब नाम पड़ता ह ठीक उसी परकार परमशपता शशव क साकार रप का िी कोई नाम होगा परनत

वह कया ह शजस तरह स परमशपता शशव क नाम का अथव ह- कलयािकारी तो साकार सवरप क नाम का मतलब

िी कलयािकारी ही होना चाशहए कोई पकषपात नही समतव दशि होना- यह कलयािकारी का पकका परमाि हो जाता

ह अब समसत दवताओ म ऐसा कौन ह जो सबको एक समान दखता ह कोई िद नही करता ह बरहमा की अगर

बात कर तो शासतरो म यह शदखाया ह शक बरहमा न जयादातर वरदान असरो को शदए ह िल दवताओ को िी पसनद

करत हो रही बात शवषि की तो शवषि न सदव दवताओ की ही तरफदारी की ह शासतरो म तो यही आया ह शसफव

शकर ही ऐसा दवता ह जो असर तथा दवताओ दोनो को वरदान दता ह दोनो क शलए समतव दशि रखता ह तो

पकका शशव समान कलयािकारी हआ ना

दसरी बात यह ह शक कशलयग क अनत म सशि परी तरह स रौरव नकव बन जाती ह जहा पर सिी आतमाए

दःखी होती रहती ह तथा पशतत बन शशकतहीन हो जाती ह इसशलए शकसी म दःख का सामना करन की ताकत िी नही

रहती इसी दःख स मकत कर सिी अशानत आतमाओ को शाशनत अथवा मशकत-जीवनमशकत परदान करन क शलए

परमशपता शशव इस सशि पर आत ह तो शशव की साकार परवशि िी ज़रर इसी शवशषता क शलए मशह र होगी वह ह-

शकर शकर शबद का अथव शासतरो म कई जगह शानत करोशत (शकर) इस तरह स उललख शकया गया ह गीता म

िी आया ह- कपया पषठ-7 का शलोक 103 दशखए

इसस यह सपि होता ह शक यशद हम महश तथा महान ईशवर (अथावत शकर) को परमशपता शशव का साकार

सवरप मानग तो ही हम पापो स मकत होग अथावत शशव-शकर िोलनाथ की परवशि ही पशततो को पावन बनान वाली

पशतत-पावनी ह

अब यह सपि ह शक परमशपता शशव की साकार परवशि का नाम शकर अथवा महश अथवा ईशवर ही ह अथावत

शशव का मकरवर साकार सवरप शकर ह कषि या और कोई आतमा नही

यहा पर सब सपि होता जा रहा ह शक परमशपता शशव क साकार परमातम सवरप का नाम रप दश काल

धाम गि आशद अब शसफव शकर की ओर ही इशारा करता ह जो सवय परमशपता परमातमा शशव जयोशतशबिद की याद

म तललीन होकर शनराकारी शनशववकारी और शनरहकारी बनता ह समसत दवताओ म कषि सशहत शकसी को िी इतन

महान तपसवी रप म नही शदखात इसी तपसया क बल पर शकर का पाटव बजान वाली हीरो पाटवधारी आतमा शशव

समान शसथशत को परापत करती ह शजसस दशनया शशव और शकर क िद को पहचान ही नही पाती और आशखरकार

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 28: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

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शशव-शकर को एक कर दती ह उस शकर वाली एकमाि आतमा क शलए ही कहा जाता ह-lsquoआतमा सो परमातमाrsquo

यह बात शसफव एक शकर क शलए ही लाग होती ह परनत परतयक आतमा क शलए यह बात लाग कराकर हमन िगवान

को सवव वयापी बनान का जघनय अपराध शकया ह गीता जञानदाता शशव-शकर ही िोलनाथ की अवयशिचारी परवशि ह

न शक कषि या अनय कोई िी आतमा इसशलए गीता म िी आया ह-

ततः परदम तत पररमानगफतवयम यनसमन गताः न ननवतफनरत भयः

तम एव च आदयम परषम परपदय यतः परवनिः परसता पराणी 154

ततः उस कशलयगी अधोवती लोक स तत (उस) परद (शवषि पद को) पररमानगफतवय (खोजना चाशहए

अथावत जानना चाशहए) यनसमन (शजसम) गताः (गए हए) भयः (पनः) न ननवतफनरत इस दःखी ससार म (नही

लौटत) तमव (उसी) आदय (आशद) परष (परष शशव क साकार रप-आशददव की) परपदय (शरि लना चाशहए)

यतः (शजसस) इस सशि वकष की पराणी (परानी) परवनिः (परशकरया) परसता (परसाररत हई ह)

वह कोई और नही बशलक सारी सवधमी-शवधमी सशि रपी वकष का बीज परमशपता शशव क साकार सवरप

शकरआदम का ही यादगार ह शजस तरह स इस सशि म हर ओर शवरोधािास दखन को शमलता ह इसस यह सपि ह

शक सशि क बीज म िी व गि होग

सशि म दवी लोग िी हए तो असर िी हए शदन िी ह तो रात िी ह अचछ िी ह तो बर िी ह शजस तरह

स यह सशि शवपरीत गिो स बनी हई ह ठीक उसी तरह सशि क बीज शकर की िी यादगार ह सवय म ही माता तथा

शपता क अधव नारीनरशवर रप को बाधा हआ ह मसतक म अधव चनिमा क रप म अमत को दशावत ह तो हलाहल शवष

पीकर पाप का शनवारि सवरप िी बनत ह िोलो क शलए िोल तो छलशछि-कपशटयो क शलए िाल िी कहलात ह

दवताओ म महान अिदवो म ईशवर कहलात ह तो असर ित-परत तथा राकषसी सविाव वालो क िी ईशवर कहलात ह

शीतलता की परतीक गगा को िी जटाओ म धारि शकया ह तो परलयकारी सवरप म तीसर निधारी क रप म शवखयात

ह बड़-त-बड़ दहिानी जानवर- हाथी क चमव का वसतर धारि कर गजचमवधारी कहलात ह तो परमशपता शशवजयोशत की

याद म शवलीन होकर शनराकारी ननन रप आतमा सवरप म िी शदखाई दत ह इन शवपरीत गिो को िी समाधान रप

स सहयोग दकर दोनो को जोड़ रखन की कषमता िी शसफव शकर म ही ह इसशलए सिी क शलए कलयािकारी साशबत

होत ह िल वह असर हो या शफर दवता सिी क शलए साकषी रप स समतव दशि स ही सहयोग करत ह इसशलए

गीता म िी सपि आया ह-

तपानम अहम अहम वषफम ननगहणानम उतसजानम च

अमतम च एव मतयः च सत असत च अहम अजफन 919

अह तपानम (म जञान सयव बनकर तप रहा ह ) अह वष (म मघ बनकर जञान वषाव करता ह ) ननगहणानम (सयव

रप म जञान जल खीचता) च (और) उतसजानम (छोड़ता ह ) च (और) म अमत (जञान रपी अमत ह ) च (और)

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 29: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

29

असत मतयः (असतय रपी मतय) च (िी ह ) अजफन (ह सदभानय अजवनकताव अजवन) सत (सदा सतय) अह (म)

ही ह

य गि सपि रप स उसी एकमाि साकार क गिो को दशावत ह इनम स एक िी गि कषि क शलए लाग नही

होता गीता का िगवान अथावत गीता जञानदाता शसफव शशव+शकर िोलनाथ ह न शक कषि बचचा इसी को धमव और

अधमव का मखय कारि माना गया ह वासतशवक सवरप को िगवान का साकार रप न मानकर शकसी अनय दहधारी

को मानना ही अधमव ह घोर पाप ह इसशलए शशव+शकर िोलनाथ को गीता का िगवान मानन वाल पाडव ह और

शरीकषि (तथा अनय वयासाशद गरओ) को गीता का िगवान मानन वाल अधमव क राह पर चलन वाल कौरव ह

यहा पर तीनो परकार क लोग सपि हो जात ह एक व जो परमशपता+परमातमा को शसफव नर शनराकारी जयोशतशबवनद क रप म मानत ह अथावत यादव और दसर व जो साकार म िगवान को मानत तो ह परनत कषि तथा

अनय वयासाशद दहधाररयो को ही िगवान क रप म गीता जञानदाता मानत ह अथावत कौरव और मखय तीसर व जो

शनराकार जयोशतशबवनद िगवान को मानकर उनक परशकटकल साकार सवरप शशव+शकर िोलनाथ को ही गीता जञानदाता

मानत ह अथावत पाडव

उतिान और पतन का आधार - गीता

वासतव म पाडव और कौरव -

पाडव और कौरवो की कहानी हम बचपन स ही सनत आ रह ह आपस म िाई होन क बावजद िी दोनो

गटो म उनकी सोच म जमीन-आसमान का अनतर था पाडव िगवान की बताई हई धमव की राह पर चलन वाल वीर

और शरषठाचारी थ व सदव परमाथव तथा शवशव कलयािकारी िावना स जीत रह इसक शवपरीत कौरव सदव सवाथव हत

धमव की राह की शनदा कर अधमव की राह पर ही चलत रह पाडव सखया म 5 अथावत इन उगशलयो पर शगन जा सकत

थ और कौरव सखया म 100 अथावत पाडवो क मकाबल अशधकतम सखया वाल थ परनत इसक बावजद अशनतम

शवजयी कौन हए पाडव धमव की राह पर चलन वालो की िल बहत परीकषा हो परनत सतय क आग सब हारत ह

और इस सचच धमव का पररचय िी हम परमशपता शशव अपन साकार सवरप शववसवान म आकर दत ह वह िगवान

(का) सवरप ह ही शशव+शकर िोलनाथ परनत गीता म कषि का नाम डालकर तथा कषि को ही गीता का िगवान

बताकर घोर अधमव शकया गया िगवान और दवता म शवशष अनतर ह वासतव म मनषय ही दवी गि धारि कर

दवता बनता ह तो आसरी गि धारि कर असर िी बनता ह कषि न िी अपन परषाथव स और िगवान की राह पर

चलकर यह 16 कला समपिव दवता पद का परारबध पाया ह परनत िगवान तो सवय राह बतान वाल ह दवताए तो

कलाओ म शगन जात ह- 16 कला समपिव सववगि समपनन मयावदा परषोिम आशद लशकन िगवान तो कलातीत ह

कलाओ स पर ह गिो स पर ह शरीर म रहत हए िी शरीर स पर की शसथशत- शनराकारी शसथशत म रहन वाल ह गीता

म िी आया ह शक

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 30: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

30

अनानरदतवात ननगफणतवात परमातमा अयम अवययः

िरीरसिः अनप कौरतय न करोनत न नलपयत 1331

कौरतय (ह कती पि अजवन) अय (यह) परमातमा (परम+आतमा) अनानरदतवात (अनाशद होन स) और

ननगफणतवात (तीन गिो क समदाय स रशहत होन क कारि) अवययः (कषयरशहत ह) शजसस िरीरसिः (परजाशपता

बरहमा क शरीर म रहत हए) अनप (िी) न करोनत (न कमव करता ह) न नलपयत (न उनम शलपत होता ह)

इसशलए शशव क साकार सवरप शकर को ही शशव क परतीक रप म अलप वसतर या शनववसतर शदखाया जाता ह

शनववसतर और ननन शकर का जयोशतशलिग रप ही उनक शनराकारी होन का परमाि ह अथावत दह का िान न होना परनत

कषि तो दवी गि वाला दवता ह शनगवि िगवान नही शपछल शलोक म िगवान क अिोकतापन की शसथशत का िी

पररचय शदया गया ह हलाहल शवष पीत हए िी उसम शलमपायमान न होना- यह िी शकर क अिोकतापन की शनशानी

ह कषि तो िोकता ह तमाम दवताए िी िोगी ह मनषय ही परषाथव कर दवता बनता ह और सवगव परापत करता ह और

शफर शरषठ जञानशनियो दवारा सख िोगत-2 मनषय बनता ह गीता म आया एक शलोक िी इस सपि करता ह-

त तम भकततवा सवगफलोकम नविालम कषीण परणय मतयफलोकम नविनरत

एवम तरयीधमफम अनपरपरनाः गतागतम कामकामा लभरत 921

त (व जञानी जन) त (उस) नविाल (शवशाल) सवगफलोक (सतयगी-ितायगी सवगवलोक को) भकततवा

(िोगकर) परणय कषीण (पणय कमो की परारबध कषीि होन पर) मतयफलोक (दवापर-कशलयगी मतयलोक म) नविनरत

(परवश करत ह) एव (इस परकार) तरयीधम (बराहमि दव और कषशिय-इन तीन धमो का) अनपरपरनाः (अनकरि

करन वाल) गतागत (ित-िशवषय समबधी) कामकामाः (कामय कामनाओ को) लभरत (पात ह)

अथावत व पणय कर सवगव म जात ह और पणय कषीि होन स मतयलोक म आत ह इस सवगवलोक और मतयलोक

क चकर म कषि तथा अनय दवताए िी आत ह परनत शशव+शकर िोलनाथ नही कयोशक वह दवता नही परनत

िगवान की परवशि ह इसशलए तो अमरनाथ कहलात ह कषि को तो अमरनाथ नही कहत इतना सब सपि होन क

बावजद वासतशवक रप म गीता का िगवान अजनमा अकताव अिोकता शनराकारी परमशपता परमातमा शशव-शकर

िोलनाथ को न मानकर जनम-मतय क चकर म फसनवाल कताव िोकता साकारी दवातमा कषि को मानना सनातन

धमव क रचशयता िगवान की सरासर शनदा ह इसस ही सनातन धमव का पतन हआ ह

अतः कषि को गीता का िगवान मानन वालो को अधो की औलाद अध कौरव ही कहग और शशव-शकर

िोलनाथ को गीता क तमाम शलोको अनसार गीता का िगवान परमाि सशहत जानकर समझकर तथा मानकर चलन

वालो को पाडव ही कहग इसी सतय-असतय की बात को मानन एव न मानन स तथा उन राहो पर चलन एव न चलन

स ही पाडवो और कौरवो की उतपशि होती ह यह बात सपि ह शक कौरवो की सखया आज िी परषोिम सगमयग की

शशटग काल म पाडवो स अतयशधक ही ह

31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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31

अब सवाल यह ह शक पाडव और कौरवो की उतपशि होती कब ह कया दवापरयग म नही पाडव और

कौरव- य वासतव म कशलयग तथा सतयग क इसी सगम समय की यादगार ह जब परमशपता शशव परमातमा अपन

साकार सवरप अथावत शकर की परवशि दवारा इस सशि पर आकर कशलयगी नकव को सतयगी सवगव बनाय पशततो को

पावन बनात ह

सचची गीता बनाम झठी गीता -

शासतरो म गायन ह शक कशयप ऋशष की दो पशतनया थी एक का नाम था शदशत खशणडत बरहमचयव और दसरी का

नाम था 1 पशतवरता अखणड बरहमचाररिी अशदशत शदशत स दतयो की पदाइश हई तो अशदशत स दवताओ की पदाइश हई

इसस एक बात तो सपि ह शक कशयप ऋशष क सवय ही 1 बीज होन क बावजद दो शवशिनन धरशियो (शदशत-अशदशत)

की बदौलत दो अलग सोच रग और वशि वाली सनतानो (असर-दवता) की पदाइश हई यही पाडवो और कौरवो की

िी कहानी ह

गीता जञानदाता अथावत गीता पशत िगवान तो शशव-शकर िोलनाथ ही ह शजसन गीता को रचा ह जो गीता

सववशासतरमयी शशरोमशि कहलाती ह परत गीता क दो सवरप ह एक गीता वह शजसम गीता का िगवान सपि रप स

शशव-शकर िोलनाथ को माना गया ह यही गीता वासतव म सचची अखशडत और पशवि ह दसरी गीता वह (शदशत)

शजसम गीता का पशत िगवान दवता कषि को बनाया गया ह यह हो गई खशडत तथा झठी गीता

आशद म गीता को शसफव शनराकारवादी रचना माना गया था परत परवती गर-गोसाइयो न उसम कषि का नाम

डाल शदया यह बात परशसि इशतहासकारो न िी सपि की ह होपशकस न ररलीजनस ऑफ इशडया (1609) पषठ 396

राधाकषिन गीता पषठ 17 म कहा ह ldquoगीता का अब जो कषिपरधान रप शमलता ह वह पहल कोई शवषिपरधान कशवता

थी और इसस िी पहल वह कोई शनससमपरदाय रचना थीrsquorsquo ररलीशजनस शलटरचर ऑफ इशडया (1620) पषठ 12-14

पर फकव हार न शलखा ह- ldquoयह गीता एक परानी पदय उपशनषद ह जो शक समिवतः शवताशवतरोपशनषद क बाद शलखी गई

ह और शजस शकसी कशव न कषिवाद क समथवन क शलए ईसन क बाद वतवमान रप म ढाल शदया हrsquorsquo गव क अनसार-

ldquoिगवदगीता पहल एक साखय योग समबनधी गरथ था शजसम बाद म कषिवासदव पजा पिशत आ शमली और ईसवी की तीसरी शताबदी म इसका मलशमलाप कषि को शवषि का रप मानकर वशदक परमपरा क साथ शबठा शदया गया

मल रचना ईसवी पवव 200 म शलखी गई थी और इसका वतवमान रप ईसा की दसरी शताबदी म शकसी वदानत क

अनयायी दवारा तयार शकया गया हrsquorsquo होलटज मन गीता को सवशवरवादी कशवता का बाद म शवषिपरधान बनाया गया

रप मानत ह कीथ का िी शवशवास ह शक मलतः गीता शवताशवतर क ढग की उपशनषद थी परनत बाद म उस कषि पजा

क अनकल ढाल शदया गया (राधाकषिन गीता की िशमका पषठ 17 स उित)

शनससदह य बात सपि करती ह शक गीता शनराकारवादी रचना ह लशकन कषि क िकतो न उसम कषि का

नाम डाल शदया इसस वह गीता खशणडत हो गई गीता क खशणडत होन स सनातन धमव का अशसततव िी परायः लोप

होता गया उसी सनातन धमव का बदला हआ रप शहनद कहलाता ह शहनद धमव म तो गीता को परी तरह स खशणडत

शकया गया दशनया क तमाम शासतरो की टीकाओ स िी अशधक टीकाए गीता पर की गई ह और सिी टीकाए एक-दसर

32

को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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को काटती ह ldquoतड-2 मशतशिवननाrsquorsquo गीता पर शजन-शजनहोन टीकाए की ह व सब शवकारी मनषय ही थ और सिी

मनषय तो शवकारी ही होत ह शवकारी बशि दवारा की गई टीकाए वयशिचार की ओर ल जाएगी या अवयशिचार की ओर

इसशलए गीता का सचचा और शि अथव सवय गीता को रचन वाल शनराकारी सो साकारी शशव+शकर िोलनाथ ही

बता सकत ह उनही की गीता सचची कही जाएगी और शजस गीता म कषि को रचशयता अथवा गीता जञानदाता मानत

ह वह गीता झठी तथा खशणडत कही जाएगी इसी सचची एव झठी गीता क िद स ही पाडव और कौरवो की शिननता

िी सपि हो जाती ह य सचची एव झठी गीता तथा पाडव और कौरव- यह कोई दवापरयग की बात नही बशलक अिी

इस कशलयग अत समय की बात ह (जो) कशलयग अनत और सतयग का आशद अथावत दोनो का सगम समय परषोिम

सगमयग ह इसशलए गीता म आया ह-

सवफधमाफन पररतयजय माम एकम िरणम वरज

अहम तवा सवफपापभयः मोकषनयषयानम मा िचः 1866

सवफधमाफन मठ-पथ समपरदायाशद दशहक शदखाव वाल (सब धमो का) पररतयजय (पररतयाग करक) मा

(मझ शनराकार शसथशत वाल की) िरण (शरि म) वरज (जा) अह (म) तवा (तझ) सवफपापभयः (सब पापो स)

मोकषनयषयानम (मकत कर दगा) त मा िचः (शोक मत कर)

अब सिी धमो की बात कर तो दवतवादी दवापर 2500 वषव स पहल तो इतन सिी धमव थ नही यह इस

कशलयग अत समय की बात ह पाडव तथा कौरव उन दोनो की पररिा रप दो गीताए- एक सचची तथा दसरी झठी

और सचच िगवान का सचचा मौजदा सवरप सिी इस वकत इस कशलयग तथा आन वाल सतयग क सगम समय म

अपना पाटव बजा रह ह और धीर-2 दो गट सपि होत जा रह ह- सतय पाडवो का और असतय कौरवो का सतय क

साथ िगवान ह तो झठ क पास तन बल धन बल और जनबल ह सतय िगवान क सहयोग स आदमअजवनआशददव

ही मनोबल को तयार करता ह अब शसशवल वार दवारा धीर-2 महािारत का वातावरि गमव होता जा रहा ह

भगवान का कतफवय

िगवान का मतलब कया ह िगवान की हम ज़ररत कयो ह य सवाल बहत ही मामली नज़र आती ह

परनत आज यह एक सामाशजक मददा बन चका ह आज की पीढ़ी शवजञान की चमचमाहट शदखावटी तरशककयो म ही

सतय दखती ह और उसी को सववसव मान नाशसतकता की ओर कदम रख रही ह इनह वासतशवक िगवान की ज़ररत

ही नही ह कयोशक इनह इनका मनचाहा अलप कालीन मायावी 2-3 सौ वषव का आशखरी फल शवजञान स शमल रहा ह

इस कागशविा सख स जो अलप समय का होता ह सनति रहन वालो की सखया आज बढ़ रही ह इस गशत को दख

ऐसा परतीत होता ह शक लगिग सारी दशनया को परी तरह स नाशसतक होन म कोई अशधक समय नही लगगा और वस

िी दशनया नाशसतक कयो न हो शासतरो म झठी बात डालकर शकसी को गमराह करन की कोशशश करग तो शकस आसथा

33

बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

34

लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

Page 33: गता का गवान कन ननाका निव िंक साका ... written materials/books... · 2019-07-17 · गता का गवान कन- ननाका_

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बठगी आज अगर दशनया नाशसतक बन िी रही ह तो इसक पीछ मल कारि एक ही ह वह ह गीता का िगवान कौन

गीता क िगवान का वासतशवक कतववय कया ह व इस सशि पर कयो आत ह इन परशनो क वासतशवक उिर स

वशचत रहन क कारि दशनया नाशसतकता की ओर बढ़ रही ह धमव पररवतवन जस कायव हो रह ह सिी लोग िारतीय

ततवो स ना-खश हो अनय धमो को अपना रह ह अगर इन सवालो क सही जवाब शमल जाए तो अनक धमव पनपग

ही नही अशपत सब शमलकर एक बाप क बचच हो जाएग लशकन इन सवालो का समाधान दगा कौन वह ह िगवान

शशव-शकर िोलनाथ इन सवालो क जवाब को ही जञान कहा जाता ह और जञान आता ही ह जञानदाता एकमाि वयशकततव

शशव+शकर िोलनाथ स इसशलए िशकतमागव म शशव-शकर क मशनदर म जान वालो का नारा ही ह ldquoिर द झोली-िर

द झोलीrsquorsquo यह झोली कोई सथल धन स नही बशलक जञान रतनो स िरनी ह शजस पर शाशनत और सख परापत करन का

मागव शनिवर ह यही िगवान क अहम कतववयो म स एक कतववय ह जञान का अथव ह- सतय की जानकारी समझ को ही

जञान कहा जाता ह शजसको यह जञान का नि शमलता ह वही सचचा जञानी ह इसको ही तीसरा नि कहा जाता ह यह

खास शकर महादव की शनशानी ह

परनत कया शसफव जञान दन स ही िगवान का कायव पिव हो जाएगा िगवान का अहम कतववय शजस वजह

स व इस सशि पर आत ह वह कया ह वह ह- इस पशतत तमोपरधान कलकी दशनया को पावन सतोपरधान

शनषकलकी दशनया बनाना अथावत पशतत नकव स पावन सवगव बनाना इसशलए ही िगवान को पशतत-पावन कहा जाता ह

और जब हम पावन बनग तो शाशनत और सख अपन-आप सथापन हो जाएगी तो हम सवगव म हए ना और यह सिव

ह ही शशव+शकर की परवशि स गीता म िी शलोक आया ह शक

िकतनोनत इह एव यः सोढम पराक िरीरनवमोकषणात

कामकरोधोदभवम वगम स यकतः स सखी नरः 523

इह एव (इस लोक म ही) यः (जो परष) शरीरशवमोकषिात (शरीर छटन स) पराक (पहल) कामकरोधोदभव

(काम-करोध स उतपनन हए) वग (आवग को) सोढम शकनोशत (सहन कर सकता ह) स नरः (वह मनषय) यकतः (योगी

ह) स सखी (वही सखी ह)

अपन मतपलीती पशततपन अथवा काम और करोध को शासतरो म शकसन जीता ह वह शकर ही ह इसशलए

सपि रप स शशव और शकर की िगवान रपी परवशि को ही पशतत-पावन कहा जाएगा शाशनतदवा और सखदवा िी

तो वही ह जो खद अपन पशततपन को खतम कर सकता ह वही दसरो को िी पशततपन स शनजात शदला सकता ह

यही िगवान का वासतशवक कतववय ह इसी कायव क शलए िगवान शशव इस सशि म अपन एकवयापी सवरप शकर दवारा

गपत रप स अपन कायव को सपननता परदान कर रह ह

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत

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लकषमी-नारायण क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

एकज भल

शपरय वतसो 5000 वषव पवव महािारत क समय मन ही अशवनाशी जञान सनाया था शजसका यादगार शासतर

शरीमद िगवदगीता गाया जाता ह परनत िारतवाशसयो की सबस बड़ी िल यही ह शक सवव शासतरमयी शशरोमशि शरीमद

िगवदगीता पर मझ जञान-सागर गीता-जञान दाता शदवय चकष शवधाता पशतत-पावन जनम-मरि रशहत सदा मकत सिी

धमव वालो क गशत-सदगशत दाता परमशपता परमातमा शशव का नाम बदल 84 जनम लन वाल सववगि समपनन सोलह

कला समपिव सतोपरधान सतयग क परथम राजकमार शरी कषि (शजसन सवय इस गीता दवारा यह पद पाया ह) का नाम

शलख कर िगवदगीता को ही खडन कर शदया ह इस कारि ही िारतवासी मर स योग भरि हो धमव भरि कमव भरि

पशतत कगाल दःखी बन गए ह

यशद िारत क शवदवान आचायव पशडत यह िल न करत तो सशि क सिी धमव वाल शरीमद िगवदगीता को मझ

शनवावि धाम ल जान वाल पड (LIBERATOR amp GUIDE) परमशपरय परमशपता शशव क महावाकय समझ शकतन

परम और शरिा स अपना धमव शासतर समझ पढ़त और िारत को मझ परमशपता की जनमिशम (GODrsquoS BIRTH

PLACE) समझ इसको अपना सवोिम तीथवसथान मानत

कलपवकष क नचतर म आए हए परमनपता परमातमा निव क महावाकतय

कलपवकष का बीज

गीता क शनराकार िगवान lsquolsquoजयोशतशलगमrsquorsquo शशव िगवानवाच -

ह वतसो यह शवराट मनषय-सशि एक उलट वकष क समान ह म इसका अशवनाशी बीजरप ह और इस सशि क

जड़ सयव और तारो क परकाश क िी पार बरहमलोक म शनवास करता ह म अवयकतमतव परमशपता इस वयकत सशि म

सवववयापक नही ह बशलक जस एक साधारि बीज म सार वकष क आशद मधय तथा अत क शवकास क ससकार होत

ह वस ही मझम िी इस सशि का िकाशलक जञान ह अतः कवल म ही सववजञ और शिकालदशी ह इस कारि म ही

इस रचना का सतय जञान परान वकष क अत और नए वकष क पनः सथापना क समय दता ह

ह वतसो परतयक साधारि वकष का बीज एक ही होता ह इसी परकार म बीजरप परमातमा िी एक ही ह अनय

सिी मनषय मझ िगवान का रप नही बशलक मझ अनाशद और अपररवतवनीय बीजरप की सतय रचना ह इस रचना

रप सशि-वकष को शमथया मानना मानो मझ बीजरप परमशपता+परमातमा को शमथया मानना ह

ओमशाशत