भाग्य और ामंजस्य का विका...अत त और क छ न¡...

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भाय और सामंजय का विकास रानी आमा ने जारी रखा, “ तुहारे जम से पहले, धरती पर घटनाओं का सममक और सामंजय के विकास का एक अति था, जो समय के आयाम तक फै ला ह आ था. यह विकास ऐसा लगता है कक जैसे भविय से तुहारी ओर आ रहा है, उसी ण म अिसर की खखड़की खोलते ह ए, इससे पहले कक िह बंद हो जाएँ और लुत हो जाय. यद तब तुम अिसर को मुठी म बंद कर लेते हो जब खखड़की खुली है, तो तुम अपने मलये इततहास की रचना करते हो. यह जीिन की कया है जो हर ण घटती रहती है. भौतक संसार म तुहारे जम ने तुहे घटनाओं के इस विकास की नदी म फक ददया. “जैसा कक तुम जानते हो, तुम अपना भविय नहीं देख पाते हो. एकदम सही भवियिाणी ककल या हो सकता है संभि नहीं है, लेकन तुम काफी सही अनुमान लगा सकते हो क अगले क घंट म या हो सकता है और उन घटनाओं का कम सटीक अनुमान जो आगे जा कर भविय म हो सकती ह. तुम अपने भविय की एक संत झलक असर सपने म देख सकते हो और थोड़ी देर बाद ही, जागते ह ए, इसको घदटत होने अनुभि भी कर सकते हो. “सूमदी असर भविय की झलक देखते ह जो सच भी हो जाती है, लेककन घटनाओं क ये झलक, कफर भी, उन यतय पर कोई भाि नहीं डालती या उनके जीिन को नहीं बदलती जो उनके बारे म जानते ह.” “ऐसा य है?” “यह तुहारे उदेय को कमजोर करेगा, तुहारे जीने के कारण को. जो अनुभि तुमने अपने मागग म तनददगट ककये ह उनका लाभ उठाने के मलये यह महिपूणग है कक तुहे अपने भाय के बारे म पहले से पता न हो. न जानते ह ए, तुम इन घटनाओं के भाि का अयधधक अनुभि ले सकते हो और जब िह घदटत होती ह तो तुहे आंतरक मा अयधधक माा मल म सकती है. तुम, िाति म, पूणग ऱप से भाय की दया पर हो. तुम बस यही कर सकते हो क इसको ततकया ददखाओ.” डॉ० �रक �लंडल वारा र�चत अंेजी प तक 'The Purpose' के �हंद� अन वाद का अगला भाग [....�पछले अंक से - अयाय 5 - "भाय और सामंजय का �वकास ] लेखक: डॉ० �रक �लंडल अन वादक: डॉ० अ�नल चडा Rani Sahibha Printed Art Bhagalpuri Silk Saree

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  • भाग्य और सामंजस्य का विकास

    रानी आत्मा ने जारी रखा, “ तमु्हारे जन्म से पहले, धरती पर घटनाओं का समक्रममक और सामजंस्य के विकास का एक अस्स्तत्ि था, जो समय के आयाम तक फैला हुआ था. यह विकास ऐसा लगता है कक जैसे भविष्य से तमु्हारी ओर आ रहा है, उसी क्षण में अिसरों की खखड़की खोलत ेहुए, इससे पहले कक िह बदं हो जाएँ और लपु्त हो जायें. यदद तब तमु अिसर को मटु्ठी में बदं कर लेत ेहो जब खखड़की खुली है, तो तमु अपने मलये इततहास की रचना करत ेहो. यह जीिन की प्रकक्रया है जो हर क्षण घटती रहती है. भौततक ससंार में तमु्हारे जन्म ने तमु्हे घटनाओं के इस विकास की नदी में फें क ददया.

    “जैसा कक तमु जानत ेहो, तमु अपना भविष्य नहीं देख पात ेहो. एकदम सही भविष्यिाणी कक कल क्या हो सकता है सभंि नहीं है, लेककन तमु काफी सही अनमुान लगा सकत ेहो कक अगले कुछ घटंों में क्या हो सकता है और उन घटनाओं का कम सटीक अनमुान जो आगे जा कर भविष्य में हो सकती हैं. तमु अपने भविष्य की एक सकं्षक्षप्त झलक अक्सर सपने में देख सकत ेहो और थोड़ी देर बाद ही, जागत ेहुए, इसको घदटत होने अनभुि भी कर सकत ेहो.

    “सकू्ष्मदर्शी अक्सर भविष्य की झलक देखत ेहैं जो सच भी हो जाती है, लेककन घटनाओं कक ये झलक, कफर भी, उन व्यस्क्तयों पर कोई प्रभाि नहीं डालती या उनके जीिन को नहीं बदलती जो उनके बारे में जानत ेहैं.”

    “ऐसा क्यों है?”

    “यह तमु्हारे उद्देश्य को कमजोर करेगा, तमु्हारे जीने के कारण को. जो अनभुि तमुने अपने मागग में तनददगष्ट ककये हैं उनका लाभ उठाने के मलये यह महत्िपणूग है कक तमु्हे अपने भाग्य के बारे में पहले से पता न हो. न जानत ेहुए, तमु इन घटनाओं के प्रभाि का अत्यधधक अनभुि ले सकत ेहो और जब िह घदटत होती हैं तो तमु्हे आंतररक मर्शक्षा अत्यधधक मात्रा ममल में सकती है. तमु, िास्ति में, पणूग रूप से भाग्य की दया पर हो. तमु बस यही कर सकत ेहो कक इसको प्रततकक्रया ददखाओ.”

    डॉ० �रक �लडंल द्वारा र�चत अगें्रजी पसु्तक 'The Purpose' के �हदं� अनवुाद का अगला भाग

    [....�पछले अकं से - अध्याय 5 - "भाग्य और सामंजस्य का �वकास ]

    लेखक: डॉ० �रक �लडंल अनवुादक: डॉ० अ�नल चड्डा

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  • अतीत और कुछ नह ं शुरुआत की एक शुरुआत है. और िह सब कुछ जो है और रह चुका है भोर के धुंधलके के ससिा कुछ नह ं है.

    एच.जी. िेल्स

    ररक्की ने, सतकग लगत ेहुए, साहस से कहा, “मझुे लगता है मझुे स्िय ंको जीिन में कुछ कठोर अध्यायों के मलये तयैार कर लेना चादहये.”

    “भलूो नहीं, आग ेतमु्हारे मलये बहुत से अद्भतु और आनदंमयी अनभुि भाग्य में मलखे हुए हैं.”

    “हाँ. मझुे यकीन है कक मेरे भाग्य में मलख ेहुए हैं.”

    “अब, तमु्हारे पास एक विकल्प है. तमु दोनों में से एक तरीके से प्रततकक्रया कर सकत ेहो जब भाग्य ‘तमु्हारे मुँह पर चाटँा मारता है’, एक प्रकार स.े तमु या तो बेहतर होने का चुनाि कर सकत ेहो, या तमु कड़िे होने का चुनाि कर सकत ेहो. अगर तमु तनयत घटना के बाद कड़िा होने का चुनाि करत ेहो और लगातार क्रोध में रहत ेहो, तो तमु लगातार उसी भाग्य का अलग-अलग पररस्स्थततयों में अनभुि करोगे, जब तक तमु िह पाठ न सीखो जो तमुने अपने मलये सोचा था. दसूरी तरफ, तमु ‘बेहतर’ होने को चुन सकत ेऔर ‘तनयत घटना’ को एक सकारात्मक रूप से गले लगा सकत ेहो और गसु्सा या धचतंा न करें. अगर तमु कक्रयाविधध के इस रास्त ेको चुनत,े तो जो तमु सीखना चाहत ेहो उस पर ध्यान दो और उस ज्ञान को सस्म्ममलत करो जो उस भाग्य से होने िाली िह घटना का तमु्हे बताने का आर्शय था.

    भाग्य को गले लगाओ:बेहतर बनो, कड़ि ेनही.ं

    “िह एक अच्छी सलाह लगती है.”

    “हाँ. और इस प्रयास की सहायता के रूप में, तमु्हारे मलये इस पर विचार करना लाभदायक होगा कक तमु एक भाग्य स े‘गे्रजुएट’ हो सकत ेहो. जब तमु गे्रजुएट होगे, तो िह विर्शषे तरह की तनयत घटना तमु्हे पटरी से उतारना बदं कर देगी. घटना लगातार घट सकती है, लेककन तमु इसे अपने मागग की रुकािट की भातंत प्रततकक्रया देनी बदं कर दोगे. तमु इसे जल्दी गजुर जाने दोगे, जैसे एक बत्तख की पीठ से पानी. तमु्हे मेरी यह सलाह होगी कक तमु भाग्य को गले लगाओ और इसे ‘प्रेम से आमतं्रण’ दो, यह जानत ेहुए कक यह एक चुनौती की तरह है जो तमुने स्िय ंको दी है. िह एक मलू आस्था होनी चादहये.”

    “भाग्य को गले लगाना. िह इसे देखने का एक अलग तरीका है. बहुत से लोग भाग्य को एक नकारात्मक सन्दभग में सोचत ेहैं, कुछ दभुागग्य की भास्न्त.”

    “हाँ, और भाग्य को गले न लगाने का एक अततररक्त असर यह है कक तमु्हे ससंार पर क्रोध आता है और तमु उन व्यस्क्तयों की ओर बदले की भािना रखत ेहो जो उन भाग्य से उत्पन्न होने

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  • िाली पररस्स्थततयों के अगआु थे, स्जन्हें तमुने अपने मागग में पहल ेसे तनददगष्ट ककया हुआ था. लेककन मैं तमु्हे बदला लेने के बारे में बाद में थोड़ा और बताऊंगा.”

    “सामजंस्य का विकास न केिल धरती पर सारी भौततक घटनाओं का चक्रीय समन्िय करता है, अवपत ुयह एक बार होने िाली तनयत घटनाओं के समय का भी समन्िय करता है. एक तनयत धटना का एक विमर्शष्ट उदाहरण है, जो हमारे पहली बार ममलने के बाद सददगयों में तमु्हारे जन्म से पहले ही तय कर ददया गया था. तमुसे िो बस छूट गई थी जो सामान्यता तमु्हे सबुह 7:30 बजे स्कूल ले जाती थी. जब तमु अगली बस का इंतजार कर रहे थे, तो तमु्हारे वपता एक परुाना ममत्र, स्जसे तमुने बहुत समय से देखा नहीं था, आ गया. जब तमु एक साथ बस का इंतजार कर थे, तो तमुने उसके साथ बातचीत की और उससे कहा कक अगली गममगयों में तमु उत्तर में अपने अकंल के फामग पर नही ंजाओगे. उसने तमुसे कहा कक उसका एक ममत्र है, स्जसका फामग आइसलैंड के दक्षक्षण में है, जो एक कृवष श्रममक को ढँूढ़ रहा था. बाद में, जब तमु्हारे माता-वपता ने बात कर ली, इस पर सहमतत हो गई कक अगली गममगयों में तमु उस फामग पर जाओगे. तमुने इस फामग पर पाँच गममगयाँ न बबताईं और उस फामग पर अगली पांच गममगयों तक काम करने की तमु्हारी योजना है. यह तनयत घटना थी जो सामजंस्य के विकास में तमु्हारे जन्म से पहले ही तनददगष्ट कर दी गई थी, स्जसका प्रारूप इस तरह से बनाया गया था कक तमु अपने अकंल के फामग पर ककसान की भांतत अपना जीिनकाल नहीं बबताओगे.”

    “ठीक है, मैं समझ गया. लेककन मैं सोचता हँू कक मैं ककसान बन कर आनदं लेता.”

    “हाँ, तमु्हे आनदं आता. लेककन एक अध्यास्त्मक स्तर पर, तमु जानत ेहो कक तुम्हारे भविष्य के मलये और भी घटनाएं तनयत हैं जो तमु्हे अधधक सतंसु्ष्ट देंगी. एक और पहल ूविचार करने के मलये है कक सामजंस्य के विकास ने न केिल यह तनयतत तमु्हारे मलये बनाई है, इसने तमु्हारी माँ की इच्छा को भी, कक तमु अपने अकंल के फामग पर िावपस न जाओ, परूा ककया और साथ ही साथ उस ककसान की इच्छा भी परूी की जो दक्षक्षण में एक कृवष-सहायक ढँूढ़ रहा था. यह उसका एक उदाहरण है कक भाग्य कैसे जीिन में आता है और कैसे सामजंस्य का विकास सभी घटनाओं को समक्रममक बनाता है और उनका समन्िय करता है. भाग्य से होने िाली घटनाओं को देखने का एक तरीका यह भी है कक भाग्य सामजंस्य के विकास की पीठ पर लद कर चलता है.”

    “क्या तमु मझुे थोड़ा और बेहतर समझने में सहायता कर सकत ेहो – ‘भाग्य’ और ‘सामजंस्य के विकास’ की पररभाषाओ ंमें क्या अतंर है?”

    “मैं जानता हँू यह भ्रामक हो सकता है. यह घटनाएँ एक दसूरे के साथ गुँथी हुई हैं, स्जसमें तनयत घटनाएँ और भी अधधक व्यापक घटनाओं के सामजंस्य के विकास में घदटत होती हैं. मखु्य अतंर यह है कक एक तनयत घटना तमु्हारी ऊपरी आत्मा और तमु्हारी आत्मा द्िारा प्रारंभ की जाती है, और यह एक ही बार होने िाली घटना स्जसे तमुने स्थान/समय में प्रकट होने के मलये तय ककया था, जबकक सामजंस्य का विकास करने िाली घटनाओं का सम्बन्ध लगातार होती रहने िाली चक्रीय प्रकक्रयाओं स ेहै, ससंार में भौततक ढाचंों के उद्गम और लपु्त होने के गोलाकार स्िरूप का; यह िह जो सब कुछ है के द्िारा तनदेमर्शत होता है.”

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  • “ठीक है,मैं समझ गया.”

    “तमु्हे र्शायद यह समझ में आ गया है कक धरती पर कुछ भी बेतरतीब नहीं होता. सभी चीजें, ककसी रूप में, ककसी और चीज पर कक्रयार्शील हैं. इसमलये, कोई भी चीज ऐसी नहीं जो सयंोग से, या भाग्य से, होती हो.”

    “बबगंो या लाटरी जीतने के बारे में क्या विचार है? या रेस में या खेल में र्शतग लगाना? अपने सच्चे प्रेम से ममलना? लोग अक्सर यह बात करत ेहैं कक िह ककतने भाग्यर्शाली रहे हैं, और ये भी कक िह ककतने दभुागग्यर्शाली हो सकत ेहैं.”

    “यह सब घटनाएं भाग्य से होती हैं. जबकक बहुत से लोग स्िीकार करत ेहैं कक कुछ पररस्स्थततयों में भाग्य का अस्स्तत्ि है, जैसे कक अपने सच्च ेपे्रम से मलुाक़ात, स्जनसे िह र्शादी करत ेहैं और ‘हमेर्शा ख़ुर्शी से’ रहत ेहैं, उनको यह भी विश्िास होता है कक िह भाग्यर्शाली हो सकत ेहैं, जैसा कक तमु कहत ेहो, उदाहरण के मलये, बबगंो में या लाटरी में,या रेस में र्शत ेलगाने पर या खेलों में. भाग्य तनयतत स ेज्यादा िास्तविक या उते्तजक महससू होता है, हमेर्शा ही यह महससू होता है कक अपनी र्शतों पर काब ूकरने के मलये तमु कुछ कर सकत ेहो. बेर्शक, जब तुम अपनी र्शतों पर काब ूकरने के मलये ध्यान केस्न्ित करत ेहो, तो तमु मरं्शा का प्रयोग करत ेहो – स्जसका असर कैनिास की पषृ्ठभमूम पर होता है स्जसके बारे में हमने पहल ेबात की थी, जो इसकी सभंािना बढ़ा देता है कक तमु्हारी इच्छा सच हो जायेगी और यह कक यह इसे सामजंस्य के विकास द्िारा आगे लाया जायेगा. यह िही तरीका है स्जससे एक दीघगकामलक लक्ष्य प्राप्त होगा, जैसा कक मैंने पहले िणगन ककया था.

    “अतं में, पररणाम एक जैसा ही है. इससे कोई अतंर नहीं पड़ता कक तमु इसे भाग्य कहो या तनयतत. यह केिल एक अथग तनकालने का मामला है. पररणाम एक ही है. मखु्य अतंर का सम्बन्ध आस्था से है. तनयतत में आस्था तमु्हे एक उद्देश्य की भािना देती है और जीिन का गहरा अथग, जबकक भाग्य यह बतलाता है कक जो कुछ भी होता है िह बेतरतीब होता है और यह कक उस घटना का कोई िहृत अथग नहीं है.”

    “ठीक है, मैं उसे समझ सकता हँू.”

    “तमुने ‘बरेु’ भाग्य के बारे में भी स्जक्र ककया था. उसी तरह से, जब तनयतत में आस्था नहीं है, बरेु भाग्य को स्िीकार करना उतना ही मसु्श्कल है, क्योंकक कोई ऐसा सभंावित अथग नहीं है जो तनकाला जा सके, उदाहरण के मलये, र्शतग में अपना सारा पसैा हार जाना. चरमसीमा तक जात ेहुए, एक आस्था के और भी व्यापक अथग हैं कक प्रत्येक चीज भाग्य है, क्योंकक इसका तात्पयग यह है कक जो कुछ भी होता है िह बेतरतीब है. तमु्हारा अस्स्तत्ि एक बेतरतीब घटना है, और जीिन का कोई गहरा अथग नही ंहै. िो लोग जो इस प्रतततीकरण से जीत ेहैं मसु्श्कल समयों से बाहर तनकलना बहुत मसु्श्कल पात ेहैं, यदद, उदाहरण के मलये, उनके साथ कोई दखुद घटना घटी है स्जसने उन्हें पागल कर ददया है और िह उदास महससू कर रहे हैं. उनके मलये जीिन में अथग देखना असभंि है जब जो कुछ भी होता है िह बेतरतीब है या अच्छे भाग्य या बरेु भाग्य का पररणाम है. इसमलये यह आस्था रखना कक तनयतत है

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  • बहुत ही महत्िपणूग है. तमु बेहतर उन्नतत करोगे यदद तमु्हारा यह विश्िास है कक तनयतत है; िह तमु्हारी एक मलू आस्था होनी चादहये.”

    कोई सयंोग या भाग्य नहीं है.

    “हाँ, मैं समझ सकता हँू कक िह कैसे सहायक होगा.”

    “अब मैं तमु्हे थोड़ा सा स्िततं्र इच्छा के बारे में बताऊँगा. मैंने इस अिधारणा के बारे में कल भी स्जक्र ककया था, दीघगकामलक लक्ष्य तनयत करने के सन्दभग में, लेककन मैं तमु्हे और भी बताना चाहता हँू कक तमु अपने रोजाना के जीिन में स्िततं्र इच्छा का अनभुि कैसे करत ेहो.”

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