अपने दगरेबान मं रकृदि की दिरकनं मनु्य...

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नई टदलली सोमवार, 4 फरवरी 2019 सरािना वरव ः 1948 निरीक पतकानिता का आठधां दशक री राय मे राम मंकदर आने वाले आम िनावो मे मुददा ही न होता, अगर मुकथलम समाज का नेतृतव समझदार लोग कर रहे होते। बाबरी मकथजद जब नही रही उस जगह पर, जहां भगवान शीराम का जनम हआ िा, तो उस मकथजद को बाबर, या कसी और के नाम पर, अयोधया मे कही और तयो न खड़ा कर कदया जाए? तया जररी है कक उसका कनमाोण दोबारा उसी जगह पर हो, कजस जगह के साि करोड़कहंदुओ की आथिा जुड़ी हई है? जब सुबमणयम थवामी जैसे राम जनमभूकम आंदोलन के महायोदा कहते है क मकथजद सरयू नदी के उस पार बनवानमे वह थवयं सहायता करेगे, तो समथया ही तया है? राम मंकदर बनाने की गुहार कपछले कदनो कहंदू समाज के कई वगोो से उठी है। कुंभ मेला मे साधु-संतो से, राटटीय थवयं सेवक संि के सरसंििालक से, भारतीय जनता पािीो के नेताओ से और िीवी ििाोओ मे भाग लेते हए ऐसे लोगो से भी, जो अपने आप को गवो से कहंदू कहते है। सो एक बार कफर आने वाले िनाव मे राम मंकदर मुदा बन गया है। तयो न बने, जब कदकली मे पहली बार भारतीय जनता पािीो की सरकार बनी है अपने बल पर? तयो न बने, जब उिर पदेश के मुखयमंती थवयं राजनीकत मे आए िे राम जनमभूकम आंदोलन िारा? दशको से उलझा हआ मंकदर-मकथजद का मुददा बहत पहले सुलझ गया होता, अगर मुकथलम समाज के नेताओ ने समझदारी से अपना पि रखा होता। शुर मे ही तय कर देते कक राम जनमभूकम और कृटण जनमभूकम को वे कहंदुओ को इस शतो पर देने को तैयार है कक इसके बाद देश मे कजतनी अनय मकथजदे है, सब सुरकित रहेगी, तो राम जनमभूकम का आंदोलन शायद शुर ही न होता। लेककन वे अड़े रहे इस बात पर एक भी मकथजद की जगह मंकदर नही बनेगा, तो मामला तूल पकड़ता गया। इस मुददे पर कई राजनीकतजो ने अपनी रोकियां सेकी है और अदालतो मे वकीलो के खूब पैसे बने है। बेगुनाह कहंदुओ और मुसलमानो ने दंगो मे अपनी जाने देकर कीमत िकाई है। बाबरी मकथजद कगराए जाने के बाद कवराम लगता इस मंकदर-मकथजद के झगड़े पर, तो आज शायद अयोधया मे राम मंकदर बन गया होता और सारा झगड़ा समापत हो गया होता। ऐसा हआ नही है, तो सबसे जयादा दोष राजनीकतजो का है। ईमानदारी से नेतृतव कदखाया होता, तो इस मुदे को लेकर इतना तनाव, इतनी नफरत कहंदुओ और मुसलमानो के बीि न फैली होती। लेककन ऐसा न करके उनहोने इस मंकदर-मकथजद के मुददे से जी भर के राजनीकतक लाभ उठाया है। एक तरफ अगर कहंदुतववादी राजनेता है, जो ऊंिी आवाजो मे कहते-कफरते है कक जो लोग राम मंकदर का कवरोध कर रहे है, वे देशदोही है, तो दूसरी तरफ कांगेस के राजनेता है, जो मुकथलम वोि हाकसल करने के कलए कुछ भी कहने को तैयार है। राहल गांधी इसका पतीक बन गए है। कहंदुओ को लुभाने के कलए वह थवयं को जनेऊधारी बाहमण बताते है, तो दूसरी तरफ देवबंद मे जाकर मुकथलम िोपी पहन कर कहते है कक उनके कपताजी की हतया न हई होती, तो बाबरी मकथजद को कगराए जाने का सवाल ही न उठता। कहंदुओ और मुसलमानो के कलए असली मुददे बहत है। बेरोजगारी, गरीबी और कशिा-थवाथथय सेवाओ का गंभीर अभाव, लेकन इन असली मुददो का समाधान आसान नही है। सो जब भी िुनाव करीब आते है, अयोधया मे राम मंकदर का मुददा कफर से भारत की राजनीकत मे पिम थिान पा लेता है। दोष राजनेताओ का तो है ही, लेकन कवनमता से कहना िहंगी कक सबसे अकधक दोष उन संथिाओ और वयकततयो का है, कजनहोने इस मुददे को लेकर मुकथलम समाज का नेतृतव ककया है। रेलवे पलेटफॉमण पुकलस िे जवानो से भरा था। सामने टेन खड़ी थी और गुकड़या िो उसिपापा कखड़िी से टाटा िर रहे थे। तभी इंजन िहॉनण िजा। गुकड़या ने दादा जी से पूछा, पापा कयो जा रहे है? दादा जी िी आंखो से आंसू टपि रहे थे। ममी और दादी भी रो रही थी। टेन िे कहलते ही गुकड़या पापा िो टाटा िरने लगी। कफर सभी गुकड़या िे साथ घर लौटने लगे। दादा जी िे िानो मे गुकड़या िा सवाल गूंज रहा था। वह उसे िैसे िताते कि उसिे कपता दूसरे शहर मे िानून-वयवसथा संभालने जा रहे है। वे सटेशन से िुछ ही दूर चले थे कि उनहे रासते मे एि जुलूस कमला, कजसमे िुछ लोग दूसरे धमण िी ििणरता िे कखलाफ नारलगा रहे थे। िाजार िो पार िरते हए उनिी गाड़ी एि वीरान इलािे से गुजरी, जहां से िछ लड़कियां हंसती-कखलकखलाती घर लौट रही थी। घर पहंच िर जि दादा जी ने टीवी खोला, तो उस पर खिर आ रही थी कि एि पड़ोसी ने तेज संगीत िजाने िी वजह से दूसरे पड़ोसी िी गोली मारिर हतया िर दी। दादा जी ने टीवी िंद िर गुकड़या िो गोद मे कलया, कफर िोले, तुम जानना चाहती हो कि तुमहारे पापा कयो गए? वह इसकलए गए, ताकि देश मे हर धमण िे लोग सुख और शांकत से रह सिे। वह इसकलए गए, ताकि देश िे तमाम नागकरि अपना मनचाहा जीवन जी सिे। तुमहारे पापा इसकलए गए, ताकि लोग एि दूसरे िे साथ पेम और भाइचारे से रह सिे। गुकड़या अपने पापा से पूछना चाहती थी कि कया आप मुझे पयार नही िरते? लेकिन यह सवाल पूछने िा उसे मौिा ही नही कमला। दो महीने िाद यह मनहस खिर आई कि गुकड़या िे पापा अपराकधयो िे साथ मुठभेड़ मे शहीद हो गए। रोती हई गुकड़या िो अपने सवाल िा जवाि पंदह साल िे िाद जािर समझ मे आ गया। अपने दगरेबान मआपवासन और सीमा शुककवभाग (आईसीई) िारा फजीो वीजा के मामले मकुछ दलालो समेत सौ से अकधक छातो की कगरफताकरयां एक और उदाहरण है भारतीयो मे अमेकरका मे रहने-बसने का आकषोण इतना तीव है क वे वैध-अवैध तरीके मे भी फकक नही करते। कवदेश जाने की यह आकांिा कभी हम भारतीयो ककबूतरबाजो के कशकंजे मे फंसने को मजबूर करती रही है, तो माकिा नाव दु िो िना जैसी तासदी भी देशवाकसयो को अवैध तरीके से कवदेश भागने मे नही रोक पाती। अमेकरका मे थिूडेि वीजा कदुरपयोग की बढ़ती कशकायतो के बीि आईसीई ने कमकशगन के गेिर डेटॉयि शहर मे फाकमोगिन नाम के एक फजीो कवचवकवदालय की थिापना की और दलालो ने छातो को वहां दाकखला भी कदला कदया, जबकक वहां किाए नही होती िी। अमेकरका का तकक है छातो को कवचवकवदालय के फजीो होने के बारे मे पता िा, इसकलए वे भी उतने ही दोषी है। जबकक भारत ने अमे करकी दूतावास को राजनीकतकवरोध पत जारी करते हए रैकेि िलाने वालो और उसमे फंसने वालो के बीि फककरने, उन छातो को भारतीय राजनकयको से संपककरने की सु कवधा देने और पतयकपोत करने कबजाय उन छातो को करहा करने का अनुरोध कया है। कशिा के बहाने फजीो वीजा रैकेि िलाने वालो को कशकंजे मे कसने ककलए ओबामा के दौर मे भी यूकनवकसोिी ऑफ नॉदोन नयू जसीो नाम से फजीो कवचवकवदालय खोलकर भारतीय और िीनी युवाओ को कगरफतार ककया गया िा। हालांक यह सवाल अपनी जगह है फजीो वीजा के मामलो की जांि के कलए ककया गया कथिंग ऑपरेशन जायज है या नही। हो सकता है कगरफतार ककए गए छातो मे से कुछ को कवचवकवदालय के फजीो होने के बारे मे पता न रहा हो। कहरासत मे कलए गए छातो के साि अमानवीय सुलूक भी नही होना िाकहए। रेकडयो कॉलर के जकरये उन पर कनगरानी रखना अतयं त आपकिजनक है। कसफक यही नही कक टंप के दौर मअमेकरका जाने वालो पर जयादा सखती शुर हई है, बकक यह ििना तब हई है, जब एि-1बी वीजा मामले मे अमेकरका के साि हमारे मतभेद उभरे है। यह भी तय है कक इसके बाद अमेकरका मे पढ़ने जाने की इचछा रखने वाले भारतीय छातो के वीजा आवेदन पर सखत जांि होगी। लेककन यह मामला खुद हमारे कलए भी सिेत होने का कारण होना िाकहए। अमेदरकी मे अमेटरका मे टररफतार टकए रए भारतीय छातो के सार अमानवीय सुलूक नही होना चाटहए, िर यह घटना हमारे खुद के संभलने का भी अवसर होना चाटहए-अमेटरका मे रहने का आकरवण इतना तीव तयो होना चाटहए टक हम वैध-अवैध तरीको की िरवाह ही न करे! बेरोजरारी, रीबी और टशका-सवासथय सेवाओ का रंभीर अभाव टहंदुओ और मुसलमानो के टलए असली मुदे है। िर इन असली मुदो का समाधान आसान नही है। सो जब भचुनाव करीब आते है, राम मंटदर का मुदा टफर से राजनीटत मे परम सरान िा लेता है। तिलीन खिंह गुदिया, दपिा और िािा िी कुछ लोग हमारे लए जान देते है, पर हम इस जजबे को समझ नही पाते। कैसर मरीिो के काम आई गाने की मेरी आिि गौतम िटे िैसर िे चौथे चरण मे थे। उनहे मुंह िा िैसर हआ है। उनिे पास पैसे इतने थे नही, नि वह िैसर िे नखलाफ अपनी लड़ाई जयादा लंबा खीच पाते। हताश, ननराश िाटे बस मौत िा इंतजार िर रहे थे। उनिी हालत देश िे तमाम िैसर रोनगयो जैसी ही थी, कयोनि हमारे देश मे लोगिखाने िे लाले होते है, वे िैसर जैसी बीमारी िा इलाज भला िैसे िरेगे। िाटे िो इलाज िे नलए िम से िम तीन लाख रपयो िी ततिाल जररत थी। लेनिन छह लोगो िे पनरवार िे नलए, जहां िमाने वाला नसफएि बेटा हो, यह रिम बहत जयादा थी। िाटे िा छोटा बेटा पढ़ाई िरता है और बड़ा बेटा महीने िे आठ हजार रपये वाली पाइवेट नौिरी िरता है। िछ महीने पहले ही िाटे िो अपनी बीमारी िे बारे मे पता चला। सरिारी अथपताल मे लंबी वेनटंग नलथट से थििर उनहोने दूसरे अथपतालो िचकिर िाटने शुर निए। इसी पनिया मे गौतम िाटे से मेरी मुलािात हई। उनिे बारे मे पता चलने पर मै परेशान हो गया। मै सोच रहा था नि नसफफ िाटे, बनकि ऐसे अनय लोगो िो भी िसर िा इलाज िैसे मुहैया हो। ननिट भनवषय मे िोई ऐसी सरिारी योजना शुर नही होने वाली, जो इनिी मदद िरे। मै िुछ ऐसे टथटो से जुड़ा हं, जो इस तरह िे जररतमंदो िी मदद िरते है। मैने उनसे संपिफ निया और उनही िी मदद िे सहारिटे िी चार िीमोथेरेपी िराई। लेनिन बात इतने से बनने वाली थी नही। इलाज तभी आगे बढ़ता, जब उनिी सजजरी होती। और सजजरी िे नलए चानहए थे तीन लाख रपये। इन हालात मे मेरे नदमाग मे एि नवचार आया। दरअसल मै नदवंगत अनभनेता राजेश खनना िा बहत बड़ा पशंसि हं। उन पर नफकमाए गाने मै अकसर गुनगुनाता रहता हं। डॉकटरी िी पढ़ाई िे दौरान मै नवनभियजिमो और सेनमनार वगैरह मे अपनी गायन पनतभा से लोगो िा पनरचय िराता रहता था। इस नाजुि मौिे पर मैने उसी वकत िे अपने दोथतो से संपिफ निया, जो पढ़ाई िे दौरान मंच पर मेरा साथ देते थे। मेरी योजना थी नि हम नमलिर एि चैरेनटबल नसंनगंग शो आयोनजत िरेगे और उससे हई िमाई से िैसर पीनड़तो िी मदद िरेगे। वतजमान मे डॉकटरी िर रहे तीन पुराने दोथत मेरे साथ आए और हमने नमलिर योजना पर िाम शुर िर नदया। यह जर है नि हम पेशेवर गायिो िी तरह अचछा नही गा पाते, पर हमारी आवाज इतनी बुरी भी नहहै। हमने आशा भोसले िे साथ िाम िरने वाले मयूनजिल बैड से संपिफ साधा। इस नेि िाम िे नलए बैड ने भी मुफत मे अपनी सेवाए देने िा फैसला निया। हमारा उतसाह बढ़ता गया और नफर सोशल मीनडया िे जनरये िायजिम िा पचार-पसार निया गया। जयादा से जयादा पैसे इिटठा िरने िे नलए शो िे नटिट िी िीमत एि हजार से ढाई हजार रपये िे बीच रखी गई। हम हैरान तब हए, जब उममीद से पहले ही शो िी सारे नटिट नबि गए। मतलब साफ था, िैसर पीनड़तो िी मदद िे हमारे पयास पर लोगो ने भरोसा निया। उनिे भरोसे पर खरे उतरते हए हमने इिटठा हए बारलाख रपये मुंबई िे अधेरी नथथत शी आनदनाथ चैनरटेबल टथट िे हवालिर नदया। हमे खुशी है नि इसी रिम से गौतम िाटे िा इलाज निया जा रहा है। -विविनन साकातकारो पर आधावरत। एक बेटी की कहानी, जिसे अपने सवाल का िवाब पंदह साल के बासमझ मे आया। राजेश वालंद मंखिले और भी है हखरयाली और रासा गांव मे पधारे संत से मुकखया ने पानी की कमी का समाधान पूछा। संत ने कहा, पानी लाने के कलए पांि-दस कोस जाने के बजाय अचछा हो कक तुम गांव मे एक कुआं खोद लो। संत की सलाह मानकर उस आदमी ने कुछ लोगो को कुआं खोदने के काम मे लगा कदया। लेककन सात-आठ फीि खोदने के बाद उसमे से पानी तो तया, गीली कमटिी का किि भी नही कमला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुर करवाई। लेककन दस फीि खोदने के बाद भी उसमे पानी नही कनकला। उसने तीसरी जगह कुआं खुदवाना शुर कया, लेकन वहां भी कनराशा ही हाि लगी। इस कम मे उसने आठ-दस फीि के दस कुए खुदवा डाले, लेककन पानी नही कमला। कनराश होकर वह दोबारा संत के पास गया और उनसे कहने लगा, महाराज, आपकी सलाह पर मैने कुआं खुदवाना शुर ककया िा। मैने अब तक दस कुए खुदवा डाले, पर ककसी मे भी पानी नही कनकला। संत को यह सुनकर बहत आचियो हआ। वथवयं िलकर वहां पहंिे, जहां दस कुए खोदे गए िे। लेककन उनकी गहराई देखकर वह सारी बात समझ गए और कहने लगे, दस कुआं खोदने के बजाय अगर तुम एक कुए मे ही अपना सारा पकरशम और पुरषािो लगाते, तो पानी कब का कमल गया होता। अब तुम सब गडढको बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी कनकल आएगा। धैयो कवहीन आदमी हर काम फिाफि करना िाहता है और कसी काम मे सफल नही होता। मुकखया को बात समझ मे आ गई। -संकदिि ितिंर गहराई िरी है कैसर िीटडतो की मदद के हमारे पयास िर लोरो ने भरोसा टकया और हमने बारह लाख रिये जुटाए। िलाए हमारे आसपास से अलग नही होती। अविाश मे हम अनुिूल आसपास िो ढूंढते है। हमारा जो समीप है, वह िला है। पहली िार समुद िे किनारे जि गए थे. ति मै, सुधा और िचो िे साथ सीकपयां िीन रहा था। सीकपयो मे तरह-तरह िे रंगो िे शेडस और लिीरे थी। ‘ऐसी लिीरे तो पूजा मे िनती है’ िेटी ने कमली सीपी िो देखिर िहा था। सीकपयो िी लिीरो िी किजाइने समुद िे तटो िे लोि मे िहत है। जहां समुद नही है, वहां िे लोि मे भी यह िला िी सीपी अविाश िे सुख िी लहर से फैलती है। िला पिृकत िा दुहराव है। पिकत इतनी संपूणण है कि िला मे जो होगा, वह पहले पिृकत मे हो चुिा होगा। िला िा होना अिुकरत होना है। रंग अिुकरत होते है। संगीत भी। िला मे पतथर भी अिुकरत होता है। पिृकत िी सारी कथरिने मनुषय िी कथरिनो मे अिुकरत होती है और नृतय िा सवरप िनाती है। कफलम िी िला मे दशय, रंग, धवकन, और वयवहार इतयाकद होते है। कफलम िनाने िी तिनीि महंगी और सामानय जन से दूर है। पर िनी हई कफलम िी पहंच सामानय जति िहत है। िरीि-िरीि पूरी आिादी अि दशणि आिादी है। उठने, िैठने, िलने, पकहनने मे कफलम िा गहरा असर होता है। कफलम अपनी कनरथणिता पर अकधि फूली-फली है, साथणिता पर िम। सभी िलाओ िी समझ एि है। वैसे िला िएिांत िे पकरवार मे पोसा जाता है, समूह िे पकरवार मे िड़ा किया जाता है और परंपरा मे वह शाशवत होता है। मनोरंजन ने िजार िी ताित िा सहारा लेिर साकहतय- िलाओ िा नुिसान किया है। सता गंभीरता और िौकििता िा अदर से कवरोध िरती है, इसकलए उतिृषटता िी कवरोधी है। िला गरीिो मे िीज िी तरह िची रहती है। -सुपकसि कहंदी साकहतयिार टवनोद कुमार शुतल अंतरधवनि पकृदि की दिरकने मनुषय की दिरकनो मे अकुदरि होिी है अिने इटतहास, उतिटि और संसकृटत के जान के टबना वयसतत जडटवहीन िेड की तरह है... -माककस रवे मंदिर-मदजिि से परे ह आवचयक है क राम जनमभूकम कववाद की सुनवाई मे बार-बार बदलती कतकियो से उपजे नैराचय के वातावरण को सकारातमकता की कदशा मे ले जाया जाए। केद सरकार िारा सवोोच नयायालय मे 0.313 एकड़ छोड़कर शेष 67 एकड़ अकववाकदत पकरसर की वापसी का आवेदन इस कदशा मे एक संभावनापूणो पयास है। दरअसल वह संपूणो िेत पौराकणक- सांथकृकतक रामदुगो का ही एक भाग है, कजसके मधय मे यह कववाकदत 2.77 एकड़ राम जनमभूकम पकरसर कथित है। आगरा और अवध के कजला गजेकियर से थपटि होता है कक अयोधया के महतवपूणो धाकमोथिलो के कििीकरण का कायो वषो 1902 मे फैजाबाद के ततकालीन कजला मकजथटेि होबिआईसीएस िारा संतो-महंतो के कनवेदन पर संपनन कराया गया िा। एडवडट सपतम के राजयारोहण के कायोकम के समापन के बाद आयोजन सकमकत के पास 1,000 रपये की धनराकश शेष रही। उस अवशेष धन का सदुपयोग करते हए होबिट ने अयोधया के लुपत हो रहे तीिोो, कुंडो को किकित करते हए कुल 145 कशलालेख लगवाए। अयोधया के इन कशलालेखो एवं धाकमोक थिलो की वतोमान कथिकत के संबंध मे आिायो रामदेवदास शाथती जी ने अपने पुथतकाकार शोध कायो मे कवथतार से कलखा है। बहत से कशलालेख उपलबध है। कई तो ऐसे पकरसरो मे है, कजन पर कबजा हो िुका है। कुछ पथतर अपने धाकमोथिल सकहत अतयंत दीन-हीन दशा को पापत हो गए है। कबजा करने वालो ने बहत से कशलालेख गायब भी कर कदए है। अयोधया के इन महतवपूणो थिलो की किंता ककसी भी थतर पर कुछ संतो, बैराकगयो को छोड़कर कभी की गई हो, ऐसा दकटिगत नही होता। अयोधया का सवोपमुख तीिोथिल रामदुगो है। इसके नाम पर आज मोहकला रामकोि बसा हआ है। शीहनुमानगढ़ी रामदुगो का पूवीो पवेश िर है। राम जनमभूकम का आंदोलन थवतंत भारमे 1949 से िल रहा है, ककंतु आचियोजनक बात यह है कक रामदुगो की पुन: थिापना की किंता ककसी भी थतर पर नही की गई। कभी यह पकरसर एक दुभभद ककले के समान मजबूत पािीरो से किरा रहा िा। बताते है कक मीर बाकी ने तोपे लगाकर जनमथिान मंकदर को धवथत कया िा। कफर रामदुगो को पूणोतः तहस-नहस करते हए इसे सूबे का मुखयालय बना कदया गया। मुगल और नवाबो के काल मे यह पकरसर उनके सूबेदारो का कायाोलय व कनवास बना रहा। कशलालेखो िारा पदकशोत 43 थिल इस रामदुगो मे ही कथित है। रामदुगो भारतीय पौराकणक इकतहास का वह अधयाय है, जो सामानय पकरदचय से ओझल रहा है। अयोधया के थिानीय जन भी इन कशलालेखो के संबंध मे कवशेष कुछ नही जानते, अनयिा कलेतिर होबिट िारा 1902 मे थिाकपत कए गए बहत से कशलालेख आज गायब न होते। अयोधया की 80 पकतशत भूकम नजूल है। नजूल राजकीय भूकम होती है, कजसका अथिायी थवाकमतव वाकषोक कबजे िारा कनयत होता है। रामदुगो की भूकम पर नजूल व राजथव कमोयिरा मनमाना भौकमक अकधकार दजो कर देने की बाते सामने आई है। दुगो की दकिणी भुजा की, जो सुगीव ककले से लेकर कुबेर नवरतन िीले तक जाती है, लंबाई लगभग 500-600 मी. होनी िाकहए। इस अनुमान से रामदुगो के वगाोकार पकरसर का िेतफल 100 एकड़ से अकधक होता है। 67 एकड़ भूकम का अकधगहण 1993 मे केद सरकार िारा कया जा िुका है। रामदुगो की सीमाओ का सवभिण कर इसकी सीमा मे कथित धाकमोक मठो को छोड़कर अनय जो भी अवशेष भूकम है, उनका अकधगहण कर इसके पौराकणक पूवो थवरप को कफर से थिाकपत करने की कदशा मे िला जा सकता है। वालमीकि रामायण, सिंद पुराण, अयोधया महातमय के आधार पर हेस बेकर और आिायो रामदेवदास शाथती िारा ककए गए शोध कायोो के कववरण से थपटि होता है कक रामदुगो एक िौरस, वगाोकार पकरसर रहा है। दुगो के ईशान कोण पर वानरवीर मयंद का थिान, अकननकोण पर महाराज सुगीव का कला, नैऋतय कोण पर नवरतन कुबेर जी का थिल व वायवय कोण पर वानरवीर शरभ का थिान है। दुगो का मुखय पवेशिार पूवो मे हनुमान गढ़ी से है, कजसे राजिार कहा जाता िा। पकचिम मे दुगभचवर िार के रिक है और उिर मे कवभीषण जी। दकिणी िार नल- नील के थिान के मधय से है। दुगो के पािीरो पर अगद, सुषेन, गवाि, शतबली, गंदमादन, जामवंत, किकवद, मतगजेद, केसरी, पनस आकद वानर, रीछ व रािस वीरो के थिान है। उिर कदशा मे कवभीषण जी के थिान के साि ही सरमा का भी थिान है। सरमा अशोक वाकिका मे माता सीता की अगरकिका िी, कजनहे रामदुगो मे अतयंसममाकनत थिान कदया गया है। तातपयो यह कपौराकणक आखयानो और गंिो के संदभो के अकतकरत थिलीय सतयापन से भी अयोधया मरामदुगो के अकथततव पर कभी कोई सवाकलया कनशान नही रहा है। रामचकरतमानस की िौपाई है, रामिाज िीनहे किनु मोकह िहां कवशाम। रामदुगो की पुनः थिापना एक बड़ा सांथकृकतक रामकाज है। जनमभूकम के 2.77 एकड़ कववाकदत िेत को, जो उसके मधय मे है, यकद छोड़ दे, तो दुगो पकरसर, दुगो की पािीरो, पािीरो के थिानो से संबंकधत ककसी भी पकार का कोई कवकधक-नयाकयकववाद ककसी नयायालय मे लंकबत नही है। दुगो की पुनः थिापना कववाद के समापन की कदशा मे मील का पतिर कसद होगा। अयोधया भगवान राम की जनमभूकम ही नही, उनककमोभूकम भी है। वीरो िारा रकित यह रामदुगो शीराम जनमभूकम ही नही, राम का दरबार भी है और भारत की शकतत व संथकृकत का अपूवो थिल भी। यह पकरसर आज उजाड़ है। पािीरो के आज अवशेष मात रह गए है। मतगजेद का यह िीला रामदुगो पािीर का उिरी भाग है। रामदुगो की पािीरो, ककलो का पुनकनोमाोण धमो संथकृकत के पेकमयो को इस कायो से जुड़ने की महत पेरणा देगा। रामदुगो पकरसर की पुनः थिापना का कायो भकवटय मे जनमभूकम संबंधी कववाद के समाधान की भूकमका भी थवतः ही कलख देगा, इसमे संदेह नही है। रामदुरग का रासा आर खिकम खिंह जमैका के राजनेता व उदमी अयोधया के सववपमुख तीरवसरल रामदुरव िटरसर के िुनटनवमावण के जटरये भटवषय मे राम जनमभूटम- बाबरी मससजद टववाद का समाधान हो सकता है। खुली खडकी भारत ही नही, बनकि पूरी दुननया मे नागनरि उडडयन केत िी संभावनाओ मबढ़ोतरी हो रही है। यही वजह है नि नपछले चार-पांच वषोो िे दौरान वैनववि थतर पर एयरलाइंस िी िमाई मे उकलेखनीय वृनि हई है। 32.3 37.7 34.2 36 13.8 10.7 9.2 8.3 2011 2013 2015 2017 2012 2014 2016 2018 टिछले वरो मे दुटनया की तमाम वयावसाटयक एयरलाइंस का शुद मुनाफा आंकडे- अरब अमेटरकी डॉलर मसोत- सटैटसटा एयरलाइंस का मुनाफा

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  • नई टदल्ली । सोमवार, 4 फरवरी 2019

    स्रािना वर्व ः 1948निर््ीक पत््कानिता का आठधां दशक

    री राय में राम मंकदर आने वाले आमिुनावों में मुद्दा ही न होता, अगरमुकथलम समाज का नेतृत्व समझदारलोग कर रहे होते। बाबरी मकथजद

    जब नहीं रही उस जगह पर, जहां भगवान श्रीराम काजन्म हुआ िा, तो उस मकथजद को बाबर, या ककसीऔर के नाम पर, अयोध्या में कहीं और तयों न खड़ाकर कदया जाए? तया जरूरी है कक उसका कनमाोणदोबारा उसी जगह पर हो, कजस जगह के साि करोड़ोंकहंदुओं की आथिा जुड़ी हुई है? जब सुब्रमण्यमथवामी जैसे राम जन्मभूकम आंदोलन के महायोद्धाकहते हैं कक मकथजद सरयू नदी के उस पार बनवानेमें वह थवयं सहायता करेंगे, तो समथया ही तया है?

    राम मंकदर बनाने की गुहार कपछले कदनों कहंदू समाजके कई वगोों से उठी है। कुंभ मेला में साधु-संतों से,राटट्रीय थवयं सेवक संि के सरसंििालक से,भारतीय जनता पािीो के नेताओं से और िीवी ििाोओंमें भाग लेते हुए ऐसे लोगों से भी, जो अपने आप कोगवो से कहंदू कहते हैं। सो एक बार कफर आने वालेिुनाव में राम मंकदर मुद्दा बन गया है। तयों न बने,जब कदकली में पहली बार भारतीय जनता पािीो कीसरकार बनी है अपने बल पर? तयों न बने, जब उिरप्रदेश के मुख्यमंत्री थवयं राजनीकत में आए िे रामजन्मभूकम आंदोलन िारा?

    दशकों से उलझा हुआ मंकदर-मकथजद का मुद्दाबहुत पहले सुलझ गया होता, अगर मुकथलम समाजके नेताओं ने समझदारी से अपना पि रखा होता।शुरू में ही तय कर देते कक राम जन्मभूकम और कृटणजन्मभूकम को वे कहंदुओं को इस शतो पर देने को तैयारहैं कक इसके बाद देश में कजतनी अन्य मकथजदें हैं, सब

    सुरकित रहेंगी, तो राम जन्मभूकम का आंदोलन शायदशुरू ही न होता। लेककन वे अड़े रहे इस बात पर ककएक भी मकथजद की जगह मंकदर नहीं बनेगा, तोमामला तूल पकड़ता गया। इस मुद्दे पर कईराजनीकतज्ञों ने अपनी रोकियां सेंकी हैं और अदालतोंमें वकीलों के खूब पैसे बने हैं। बेगुनाह कहंदुओं औरमुसलमानों ने दंगों में अपनी जानें देकर कीमतिुकाई है।

    बाबरी मकथजद कगराए जाने के बाद कवराम लगताइस मंकदर-मकथजद के झगड़े पर, तो आज शायदअयोध्या में राम मंकदर बन गया होता और सारा झगड़ासमाप्त हो गया होता। ऐसा हुआ नहीं है, तो सबसेज्यादा दोष राजनीकतज्ञों का है। ईमानदारी से नेतृत्व

    कदखाया होता, तो इस मुद्दे को लेकर इतना तनाव,इतनी नफरत कहंदुओं और मुसलमानों के बीि न फैलीहोती। लेककन ऐसा न करके उन्होंने इस मंकदर-मकथजदके मुद्दे से जी भर के राजनीकतक लाभ उठाया है।

    एक तरफ अगर कहंदुत्ववादी राजनेता हैं, जो ऊंिीआवाजों में कहते-कफरते हैं कक जो लोग राम मंकदर काकवरोध कर रहे हैं, वे देशद्रोही हैं, तो दूसरी तरफकांग्रेस के राजनेता हैं, जो मुकथलम वोि हाकसल करनेके कलए कुछ भी कहने को तैयार हैं। राहुल गांधीइसका प्रतीक बन गए हैं। कहंदुओं को लुभाने के कलएवह थवयं को जनेऊधारी ब्राह्मण बताते हैं, तो दूसरीतरफ देवबंद में जाकर मुकथलम िोपी पहन कर कहतेहैं कक उनके कपताजी की हत्या न हुई होती, तो बाबरीमकथजद को कगराए जाने का सवाल ही न उठता।

    कहंदुओं और मुसलमानों के कलए असली मुद्देबहुत हैं। बेरोजगारी, गरीबी और कशिा-थवाथथ्यसेवाओं का गंभीर अभाव, लेककन इन असली मुद्दोंका समाधान आसान नहीं है। सो जब भी िुनावकरीब आते हैं, अयोध्या में राम मंकदर का मुद्दा कफरसे भारत की राजनीकत में प्रिम थिान पा लेता है। दोषराजनेताओं का तो है ही, लेककन कवनम्रता से कहनािाहूंगी कक सबसे अकधक दोष उन संथिाओं औरव्यकततयों का है, कजन्होंने इस मुद्दे को लेकर मुकथलमसमाज का नेतृत्व ककया है।

    रलेव ेप्लटेफॉमण पकुलस ि ेजवानों स ेभरा था।सामन ेट्रने खड़ी थी और गकुड़या िो उसिेपापा कखड़िी स ेटाटा िर रह ेथ।े तभी इजंनिा हॉनण िजा। गकुड़या न ेदादा जी स ेपछूा,पापा क्यों जा रह ेहैं? दादा जी िी आखंों सेआसं ूटपि रह ेथ।े मम्मी और दादी भी रो रहीथीं। ट्रने ि ेकहलत ेही गकुड़या पापा िो टाटािरन ेलगी। कफर सभी गकुड़या ि ेसाथ घर लौटन ेलग।ेदादा जी ि ेिानों में गकुड़या िा सवाल गूजंरहा था। वह उस ेिसै ेितात ेकि उसि ेकपतादसूर ेशहर में िाननू-व्यवस्था सभंालन ेजारह ेहैं। व ेस्टशेन स ेिछु ही दरू चल ेथ ेकिउन्हें रास्त ेमें एि जलुसू कमला, कजसमें िछुलोग दसूर ेधमण िी ििणरता ि ेकखलाफ नारेलगा रह ेथ।े िाजार िो पार िरत ेहुए उनिीगाड़ी एि वीरान इलाि ेस ेगजुरी, जहां सेिछु लड़कियां हसंती-कखलकखलाती घरलौट रही थीं। घर पहुचं िर जि दादा जी न ेटीवी खोला,तो उस पर खिर आ रही थी कि एि पड़ोसीन े तजे सगंीत िजान े िी वजह स े दसूरेपड़ोसी िी गोली मारिर हत्या िर दी। दादाजी न ेटीवी िदं िर गकुड़या िो गोद में कलया,कफर िोल,े तमु जानना चाहती हो कि तमु्हारेपापा क्यों गए? वह इसकलए गए, ताकि दशेमें हर धमण ि ेलोग सखु और शांकत स ेरहसिें। वह इसकलए गए, ताकि दशे ि ेतमामनागकरि अपना मनचाहा जीवन जी सिें।तमु्हार े पापा इसकलए गए, ताकि लोग एिदसूर ेि ेसाथ प्रमे और भाइचार ेस ेरह सिें।गकुड़या अपन ेपापा स ेपछूना चाहती थी किक्या आप मझु ेप्यार नहीं िरत?े लकेिन यह सवाल पछून ेिा उस ेमौिा हीनहीं कमला। दो महीन ेिाद यह मनहूस खिरआई कि गकुड़या ि ेपापा अपराकधयों ि ेसाथमठुभड़े में शहीद हो गए। रोती हुई गकुड़या िोअपन ेसवाल िा जवाि पदं्रह साल ि ेिादजािर समझ में आ गया।

    अपने दगरेबान मेंआप्रवासन और सीमा शकुक कवभाग(आईसीई) िारा फजीो वीजा क ेमामल ेमेंकछु दलालों समते सौ स ेअकधक छात्रों कीकगरफ्ताकरयां एक और उदाहरण ह ैककभारतीयों में अमकेरका में रहन-ेबसन ेका

    आकषोण इतना तीव्र ह ैकक व ेवधै-अवधै तरीक ेमें भी फकक नहींकरत।े कवदशे जान ेकी यह आकांिा कभी हम भारतीयों कोकबतूरबाजों क ेकशकजं ेमें फसंन ेको मजबरू करती रही ह,ै तोमाकिा नाव दिुोिना जसैी त्रासदी भी दशेवाकसयों को अवधै तरीकेस ेकवदशे भागन ेमें नहीं रोक पाती। अमकेरका में थिडूेंि वीजा केदरुुपयोग की बढ़ती कशकायतों क ेबीि आईसीई न ेकमकशगन केग्रिेर डटे्रॉयि शहर में फाकमोंगिन नाम क ेएक फजीो कवचवकवद्यालय

    की थिापना की और दलालों न ेछात्रों को वहां दाकखला भी कदलाकदया, जबकक वहां किाएं नहीं होती िीं। अमकेरका का तकक ह ैककछात्रों को कवचवकवद्यालय क ेफजीो होन ेक ेबार ेमें पता िा, इसकलएव ेभी उतन ेही दोषी हैं। जबकक भारत न ेअमकेरकी दतूावास कोराजनीकतक कवरोध पत्र जारी करत ेहुए रकैिे िलान ेवालों औरउसमें फसंन ेवालों क ेबीि फकक करन,े उन छात्रों को भारतीयराजनकयकों स ेसपंकक करन ेकी सकुवधा दने ेऔर प्रत्यकपोत करन ेकेबजाय उन छात्रों को करहा करन ेका अनरुोध ककया ह।ै कशिा केबहान ेफजीो वीजा रकैिे िलान ेवालों को कशकजं ेमें कसन ेकेकलए ओबामा क ेदौर में भी यकूनवकसोिी ऑफ नॉदोन न्य ूजसीो नामस ेफजीो कवचवकवद्यालय खोलकर भारतीय और िीनी यवुाओं कोकगरफ्तार ककया गया िा। हालांकक यह सवाल अपनी जगह ह ैकक

    फजीो वीजा क ेमामलों की जांि क ेकलए ककया गया कथिंगऑपरशेन जायज ह ैया नहीं। हो सकता ह ैकक कगरफ्तार ककए गएछात्रों में स ेकछु को कवचवकवद्यालय क ेफजीो होन ेक ेबार ेमें पतान रहा हो। कहरासत में कलए गए छात्रों क ेसाि अमानवीय सलुकूभी नहीं होना िाकहए। रकेडयो कॉलर क ेजकरय ेउन पर कनगरानीरखना अत्यतं आपकिजनक ह।ै कसफक यही नहीं कक ट्रपं क ेदौर मेंअमकेरका जान ेवालों पर ज्यादा सख्ती शरुू हुई ह,ै बककक यहििना तब हुई ह,ै जब एि-1बी वीजा मामल ेमें अमकेरका क ेसािहमार ेमतभदे उभर ेहैं। यह भी तय ह ैकक इसक ेबाद अमकेरका मेंपढ़न ेजान ेकी इच्छा रखन ेवाल ेभारतीय छात्रों क ेवीजा आवदेनपर सख्त जांि होगी। लकेकन यह मामला खदु हमार ेकलए भीसिते होन ेका कारण होना िाकहए।

    अमेदरकी

    मे

    अमेटरका मे् टररफ्तार टकए रए भारतीय छात््ो् के सार अमानवीय सुलूक नही् होना चाटहए, िर यह घटना हमारे खुद के संभलने का भीअवसर होना चाटहए-अमेटरका मे् रहने का आकर्वण इतना तीव्् त्यो् होना चाटहए टक हम वैध-अवैध तरीको् की िरवाह ही न करे्!

    बेरोजरारी, ररीबी और टशक््ा-स्वास्थ्य सेवाओ् का रंभीर अभाव टहंदुओ् और मुसलमानो्के टलए असली मुद््े है्। िर इन असली मुद््ो् का समाधान आसान नही् है। सो जब भीचुनाव करीब आते है्, राम मंटदर का मुद््ा टफर से राजनीटत मे् प््रम स्रान िा लेता है।

    तिलीन खिंह

    गुदिया, दपिा और िािा िी

    कुछ लोग हमारे ललए जान देते हैं, परहम इस जज्बे को समझ नहीं पाते।

    कैंसर मरीिों के कामआई गाने की मेरी आििगौतम िाटे िैंसर िे चौथे चरण में थे। उन्हें मुंह िा िैंसर हुआ है। उनिेपास पैसे इतने थे नहीं, नि वह िैंसर िे नखलाफ अपनी लड़ाई ज्यादा लंबाखींच पाते। हताश, ननराश िाटे बस मौत िा इंतजार िर रहे थे। उनिीहालत देश िे तमाम िैंसर रोनगयों जैसी ही थी, क्योंनि हमारे देश में लोगोंिो खाने िे लाले होते हैं, वे िैंसर जैसी बीमारी िा इलाज भला िैसेिरेंगे। िाटे िो इलाज िे नलए िम से िम तीन लाख रुपयों िी तत्िालजरूरत थी। लेनिन छह लोगों िे पनरवार िे नलए, जहां िमाने वाला नसफफएि बेटा हो, यह रिम बहुत ज्यादा थी। िाटे िा छोटा बेटा पढ़ाई िरता हैऔर बड़ा बेटा महीने िे आठ हजार रुपये वाली प्राइवेट नौिरी िरता है।िुछ महीने पहले ही िाटे िो अपनी बीमारी िे बारे में पता चला। सरिारीअथपताल में लंबी वेनटंग नलथट से थििर उन्होंने दूसरे अथपतालों िेचक्िर िाटने शुरू निए। इसी प्रनिया में गौतम िाटे से मेरी मुलािातहुई। उनिे बारे में पता चलने पर मैं परेशान हो गया। मैं सोच रहा था नि

    न नसफफ िाटे, बनकि ऐसे अन्य लोगों िो भीिैंसर िा इलाज िैसे मुहैया हो। ननिटभनवष्य में िोई ऐसी सरिारी योजना शुरूनहीं होने वाली, जो इनिी मदद िरे। मैं िुछऐसे ट्रथटों से जुड़ा हूं, जो इस तरह िेजरूरतमंदों िी मदद िरते हैं। मैंने उनसेसंपिफ निया और उन्हीं िी मदद िे सहारेिाटे िी चार िीमोथेरेपी िराईं।लेनिन बात इतने से बनने वाली थी नहीं।इलाज तभी आगे बढ़ता, जब उनिी सजजरीहोती। और सजजरी िे नलए चानहए थे तीनलाख रुपये। इन हालात में मेरे नदमाग में एिनवचार आया। दरअसल मैं नदवंगत अनभनेताराजेश खन्ना िा बहुत बड़ा प्रशंसि हूं। उनपर नफकमाए गाने मैं अक्सर गुनगुनाता रहताहूं। डॉक्टरी िी पढ़ाई िे दौरान मैं नवनभन्निायजिमों और सेनमनार वगैरह में अपनीगायन प्रनतभा से लोगों िा पनरचय िराता

    रहता था। इस नाजुि मौिे पर मैंने उसी वक्त िे अपने दोथतों से संपिफनिया, जो पढ़ाई िे दौरान मंच पर मेरा साथ देते थे। मेरी योजना थी निहम नमलिर एि चैरेनटबल नसंनगंग शो आयोनजत िरेंगे और उससे हुईिमाई से िैंसर पीनड़तों िी मदद िरेंगे। वतजमान में डॉक्टरी िर रहे तीन पुराने दोथत मेरे साथ आए और हमनेनमलिर योजना पर िाम शुरू िर नदया। यह जरूर है नि हम पेशेवरगायिों िी तरह अच्छा नहीं गा पाते, पर हमारी आवाज इतनी बुरी भी नहींहै। हमने आशा भोंसले िे साथ िाम िरने वाले म्यूनजिल बैंड से संपिफसाधा। इस नेि िाम िे नलए बैंड ने भी मुफ्त में अपनी सेवाएं देने िाफैसला निया। हमारा उत्साह बढ़ता गया और नफर सोशल मीनडया िे जनरये िायजिम िाप्रचार-प्रसार निया गया। ज्यादा से ज्यादा पैसे इिट्ठा िरने िे नलए शो िेनटिट िी िीमत एि हजार से ढाई हजार रुपये िे बीच रखी गई। हमहैरान तब हुए, जब उम्मीद से पहले ही शो िी सारे नटिट नबि गए।मतलब साफ था, िैंसर पीनड़तों िी मदद िे हमारे प्रयास पर लोगों नेभरोसा निया। उनिे भरोसे पर खरे उतरते हुए हमने इिट्ठा हुए बारहलाख रुपये मुंबई िे अंधेरी नथथत श्री आनदनाथ चैनरटेबल ट्रथट िे हवालेिर नदया। हमें खुशी है नि इसी रिम से गौतम िाटे िा इलाज निया जारहा है।

    -विविन्न साक्षात्कारों पर आधावरत।

    एक बेटी की कहानी, जिसे अपनेसवाल का िवाब पंद्रह साल के बादसमझ में आया।

    राजेश वालंद

    मंखिले़ और भी है़ हखरयाली और रास़़ा

    गांव में पधारे संत से मुकखया ने पानी की कमी का समाधान पूछा।संत ने कहा, पानी लाने के कलए पांि-दस कोस जाने के बजायअच्छा हो कक तुम गांव में एक कुआं खोद लो। संत की सलाहमानकर उस आदमी ने कुछ लोगों को कुआं खोदने के काम में लगाकदया। लेककन सात-आठ फीि खोदने के बाद उसमें से पानी तो तया,गीली कमट्िी का किि भी नहीं कमला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी

    जगह खुदाई शुरू करवाई। लेककन दस फीिखोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं कनकला।उसने तीसरी जगह कुआं खुदवाना शुरूककया, लेककन वहां भी कनराशा ही हाि लगी।इस क्रम में उसने आठ-दस फीि के दस कुएंखुदवा डाले, लेककन पानी नहीं कमला। कनराशहोकर वह दोबारा संत के पास गया औरउनसे कहने लगा, महाराज, आपकी सलाहपर मैंने कुआं खुदवाना शुरू ककया िा। मैंनेअब तक दस कुएं खुदवा डाले, पर ककसी में

    भी पानी नहीं कनकला। संत को यह सुनकर बहुत आचियो हुआ। वहथवयं िलकर वहां पहुंिे, जहां दस कुएं खोदे गए िे। लेककन उनकीगहराई देखकर वह सारी बात समझ गए और कहने लगे, दस कुआंखोदने के बजाय अगर तुम एक कुएं में ही अपना सारा पकरश्रम औरपुरुषािो लगाते, तो पानी कब का कमल गया होता। अब तुम सब गड्ढोंको बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी कनकलआएगा। धैयो कवहीन आदमी हर काम फिाफि करना िाहता है औरककसी काम में सफल नहीं होता। मुकखया को बात समझ में आ गई।

    -संकदिि

    ित़िंर

    गहराई िरूरी हैकै्सर िीट्डतो् की

    मदद के हमारे प््यासिर लोरो् ने भरोसा

    टकया और हमने बारहलाख र्िये जुटाए।

    िलाएं हमारे आसपास से अलग नहीं होतीं।अविाश में हम अनुिूल आसपास िोढूंढते हैं। हमारा जो समीप है, वह िला है।पहली िार समुद्र िे किनारे जि गए थे. तिमै, सुधा और िच्चों िे साथ सीकपयां िीनरहा था। सीकपयों में तरह-तरह िे रंगों िेशेड्स और लिीरें थीं। ‘ऐसी लिीरें तोपूजा में िनती है’ िेटी ने कमली सीपी िोदेखिर िहा था। सीकपयों िी लिीरों िीकिजाइनें समुद्र िे तटों िे लोि में िहुत हैं।जहां समुद्र नहीं हैं, वहां िे लोि में भी यह

    िला िी सीपीअविाश िेसुख िी लहरसे फैलती है।िला प्रिृकत िादुहराव है।प्रिकत इतनीसंपूणण है कििला में जोहोगा, वह पहलेप्रिृकत में हो

    चुिा होगा। िला िा होना अंिुकरत होनाहै। रंग अंिुकरत होते हैं। संगीत भी। िला मेंपत्थर भी अंिुकरत होता है। प्रिृकत िी सारीकथरिनें मनुष्य िी कथरिनों में अंिुकरतहोती हैं और नृत्य िा स्वरूप िनाती हैं। कफल्म िी िला में दृश्य, रंग, ध्वकन, औरव्यवहार इत्याकद होते हैं। कफल्म िनाने िीतिनीि महंगी और सामान्य जन से दूर है।पर िनी हुई कफल्म िी पहुंच सामान्य जनति िहुत है। िरीि-िरीि पूरी आिादीअि दशणि आिादी है। उठने, िैठने,िोलने, पकहनने में कफल्म िा गहरा असरहोता है। कफल्म अपनी कनरथणिता परअकधि फूली-फली है, साथणिता पर िम।सभी िलाओं िी समझ एि है। वैसे िलािो एिांत िे पकरवार में पोसा जाता है,समूह िे पकरवार में िड़ा किया जाता है औरपरंपरा में वह शाश्वत होता है। मनोरंजन नेिाजार िी ताित िा सहारा लेिर साकहत्य-िलाओं िा नुिसान किया है। सत्तागंभीरता और िौकििता िा अंदर से कवरोधिरती है, इसकलए उत्िृष्टता िी कवरोधी है।िला गरीिों में िीज िी तरह िची रहती है।

    -सुप्रकसि कहंदी साकहत्यिार

    टवनोद कुमार शुत्ल

    अंतर्ध्वनि

    प्रकृदि की दिरकनेंमनुष्य की दिरकनोंमें अंकुदरि होिी हैं

    अिनेइटतहास, उत्िट््ि

    और संस्कृटत के ज््ान केटबना व्यस्तत जड्टवहीन िेड्

    की तरह है... -माक्कस रव््े

    मंदिर-मदजिि से परे

    ह आवचयक है कक रामजन्मभूकम कववाद कीसुनवाई में बार-बारबदलती कतकियों से उपजेनैराचय के वातावरण कोसकारात्मकता की कदशा में

    ले जाया जाए। केंद्र सरकार िारा सवोोच्चन्यायालय में 0.313 एकड़ छोड़कर शेष 67एकड़ अकववाकदत पकरसर की वापसी काआवेदन इस कदशा में एक संभावनापूणो प्रयासहै। दरअसल वह संपूणो िेत्र पौराकणक-सांथकृकतक रामदुगो का ही एक भाग है, कजसकेमध्य में यह कववाकदत 2.77 एकड़ रामजन्मभूकम पकरसर कथित है।

    आगरा और अवध के कजला गजेकियर सेथपटि होता है कक अयोध्या के महत्वपूणो धाकमोकथिलों के कििीकरण का कायो वषो 1902 मेंफैजाबाद के तत्कालीन कजला मकजथट्रेि होबिटआईसीएस िारा संतों-महंतों के कनवेदन परसंपन्न कराया गया िा। एडवडट सप्तम केराज्यारोहण के कायोक्रम के समापन के बादआयोजन सकमकत के पास 1,000 रुपये कीधनराकश शेष रही। उस अवशेष धन कासदुपयोग करते हुए होबिट ने अयोध्या के लुप्तहो रहे तीिोों, कुंडों को किकित करते हुए कुल145 कशलालेख लगवाए।

    अयोध्या के इन कशलालेखों एवं धाकमोकथिलों की वतोमान कथिकत के संबंध में आिायोरामदेवदास शाथत्री जी ने अपने पुथतकाकार शोधकायो में कवथतार से कलखा है। बहुत से कशलालेखउपलब्ध हैं। कई तो ऐसे पकरसरों में हैं, कजन परकब्जा हो िुका है। कुछ प्रथतर अपने धाकमोकथिल सकहत अत्यंत दीन-हीन दशा को प्राप्त होगए हैं। कब्जा करने वालों ने बहुत से कशलालेखगायब भी कर कदए हैं। अयोध्या के इन महत्वपूणो

    थिलों की किंता ककसी भी थतर पर कुछ संतों,बैराकगयों को छोड़कर कभी की गई हो, ऐसादृकटिगत नहीं होता।

    अयोध्या का सवोप्रमुख तीिोथिल रामदुगो है।इसके नाम पर आज मोहकला रामकोि बसाहुआ है। श्रीहनुमानगढ़ी रामदुगो का पूवीो प्रवेशिार है। राम जन्मभूकम का आंदोलन थवतंत्र भारतमें 1949 से िल रहा है, ककंतु आचियोजनकबात यह है कक रामदुगो की पुन: थिापना की

    किंता ककसी भी थतर पर नहीं की गई। कभी यहपकरसर एक दुभभेद्य ककले के समान मजबूतप्रािीरों से किरा रहा िा। बताते हैं कक मीर बाकीने तोपें लगाकर जन्मथिान मंकदर को ध्वथतककया िा। कफर रामदुगो को पूणोतः तहस-नहसकरते हुए इसे सूबे का मुख्यालय बना कदया गया।मुगल और नवाबों के काल में यह पकरसर उनकेसूबेदारों का कायाोलय व कनवास बना रहा।कशलालेखों िारा प्रदकशोत 43 थिल इस रामदुगो में

    ही कथित हैं। रामदुगो भारतीय पौराकणक इकतहासका वह अध्याय है, जो सामान्य पकरदृचय सेओझल रहा है। अयोध्या के थिानीय जन भी इनकशलालेखों के संबंध में कवशेष कुछ नहीं जानते,अन्यिा कलेतिर होबिट िारा 1902 में थिाकपतककए गए बहुत से कशलालेख आज गायब नहोते। अयोध्या की 80 प्रकतशत भूकम नजूल है।नजूल राजकीय भूकम होती है, कजसका अथिायीथवाकमत्व वाकषोक कब्जे िारा कनयत होता है।रामदुगो की भूकम पर नजूल व राजथव ककमोयोंिारा मनमाना भौकमक अकधकार दजो कर देने कीबातें सामने आई हैं। दुगो की दकिणी भुजा की,जो सुग्रीव ककले से लेकर कुबेर नवरत्न िीलेतक जाती है, लंबाई लगभग 500-600 मी.होनी िाकहए। इस अनुमान से रामदुगो केवगाोकार पकरसर का िेत्रफल 100 एकड़ सेअकधक होता है। 67 एकड़ भूकम का अकधग्रहण1993 में केंद्र सरकार िारा ककया जा िुका है।रामदुगो की सीमाओं का सवभेिण कर इसकीसीमा में कथित धाकमोक मठों को छोड़कर अन्यजो भी अवशेष भूकम है, उनका अकधग्रहण करइसके पौराकणक पूवो थवरूप को कफर से थिाकपतकरने की कदशा में िला जा सकता है।

    वाल्मीकि रामायण, स्िंद पुराण, अयोध्यामहात्म्य के आधार पर हेंस बेकर और आिायोरामदेवदास शाथत्री िारा ककए गए शोध कायोों केकववरण से थपटि होता है कक रामदुगो एक िौरस,वगाोकार पकरसर रहा है। दुगो के ईशान कोण परवानरवीर मयंद का थिान, अकननकोण परमहाराज सुग्रीव का ककला, नैऋत्य कोण परनवरत्न कुबेर जी का थिल व वायव्य कोण परवानरवीर शरभ का थिान है। दुगो का मुख्यप्रवेशिार पूवो में हनुमान गढ़ी से है, कजसे राजिारकहा जाता िा। पकचिम में दुगभेचवर िार के रिकहैं और उिर में कवभीषण जी। दकिणी िार नल-

    नील के थिान के मध्य से है। दुगो के प्रािीरों परअंगद, सुषेन, गवाि, शतबली, गंदमादन,जामवंत, किकवद, मत्गजेंद्र, केसरी, पनस आकदवानर, रीछ व रािस वीरों के थिान हैं। उिरकदशा में कवभीषण जी के थिान के साि ही सरमाका भी थिान है। सरमा अशोक वाकिका में मातासीता की अंगरकिका िीं, कजन्हें रामदुगो में अत्यंतसम्माकनत थिान कदया गया है। तात्पयो यह ककपौराकणक आख्यानों और ग्रंिों के संदभोों केअकतकरतत थिलीय सत्यापन से भी अयोध्या मेंरामदुगो के अकथतत्व पर कभी कोई सवाकलयाकनशान नहीं रहा है।

    रामचकरतमानस की िौपाई है, रामिाज िीन्हेंकिनु मोकह िहां कवश्राम। रामदुगो की पुनः थिापनाएक बड़ा सांथकृकतक रामकाज है। जन्मभूकम के2.77 एकड़ कववाकदत िेत्र को, जो उसके मध्यमें है, यकद छोड़ दें, तो दुगो पकरसर, दुगो कीप्रािीरों, प्रािीरों के थिानों से संबंकधत ककसी भीप्रकार का कोई कवकधक-न्याकयक कववाद ककसीन्यायालय में लंकबत नहीं है।

    दुगो की पुनः थिापना कववाद के समापन कीकदशा में मील का पत्िर कसद्ध होगा। अयोध्याभगवान राम की जन्मभूकम ही नहीं, उनकीकमोभूकम भी है। वीरों िारा रकित यह रामदुगोश्रीराम जन्मभूकम ही नहीं, राम का दरबार भी हैऔर भारत की शकतत व संथकृकत का अपूवोथिल भी। यह पकरसर आज उजाड़ है। प्रािीरोंके आज अवशेष मात्र रह गए हैं। मत्गजेंद्र कायह िीला रामदुगो प्रािीर का उिरी भाग है।रामदुगो की प्रािीरों, ककलों का पुनकनोमाोण धमोसंथकृकत के प्रेकमयों को इस कायो से जुड़ने कीमहत प्रेरणा देगा। रामदुगो पकरसर की पुनःथिापना का कायो भकवटय में जन्मभूकम संबंधीकववाद के समाधान की भूकमका भी थवतः हीकलख देगा, इसमें संदेह नहीं है।

    रामदुऱग का रास़़ाय

    आर खिक़़म खिंह

    जमैका के राजनेता व उद््मी

    अयोध्या के सव्वप््मुख तीर्वस्रलरामदुर्व िटरसर के िुनट्नवम्ावण केजटरये भटवष्य मे् राम जन्मभूटम-बाबरी मस्सजद टववाद कासमाधान हो सकता है।

    खुली खखड़की

    भारत ही नहीं, बनकि पूरी दुननया में नागनरि उड्डयन क्षेत्र िी संभावनाओं मेंबढ़ोतरी हो रही है। यही वजह है नि नपछले चार-पांच वषोों िे दौरान वैनववि थतर परएयरलाइंस िी िमाई में उकलेखनीय वृनिहुई है।

    32.337.7

    34.2

    36

    13.8

    10.7 9.2

    8.3

    2011

    2013

    2015

    2017

    2012

    2014

    2016

    2018

    टिछले वर््ो् मे् दुटनया की तमाम

    व्यावसाटयकएयरलाइंस

    का शुद््मुनाफा

    आंकड्े- अरबअमेटरकी डॉलर मे्

    स््ोत- स्टैटटस्टा

    एयरलाइंस का मुनाफा

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