मन्सब-ए-ख़िलाफ़त · व सल्म कला कलाम...

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  • मन्सब-ए-ख़िलाफ़त(ख़िलाफ़त की गरिमा)

    जमाअत के नुमाइन्दों से एक महत्त्वपूर्ण ख़िताब

    भाषण हज़ित खमज़ा्ण बशीरुद्ीन महमू्द अहम्द

    ़िलीफ़तुल मसीह खवितीयरखि॰

    I

  • नाम पुसतक : मनसब-ए-ख़िलाफ़तName of book : Mansab-E-Khilafatलेखक : हज़ित खमज़ा्ण बशीरुद्ीन महमू्द अहम्द ़िलीफ़तुल मसीह खवितीयरखि॰Writer : Hazrat Mirza Bashiruddin Mahmood Ahmad Khalifatul Masih IIअनुत्वा्दक : अली हसन एम.ए., एच.ए.Translator : Ali Hasan M.A., H.A.सैखिंग : नईम उल हक़ कुिैशी मुिबबी खसलखसला Setting : Naeem Ul Haque Qureshi Murabbi silsilaसंसकिर : प्रथम संसकिर (खहन्दी) मई 2018 ई.Edition : 1st Edition (Hindi) May 2018संखया, Quantity : 1000प्रकाशक : नज़ाित नश्र-त्व-इशाअत, क़ाख्दयान, 143516 खज़ला-गुि्दासपुि, (पंजाब)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)मुद्रक : फ़ज़ले उमि खप्रंखिंग प्रेस, क़ाख्दयान, 143516 खज़ला-गुि्दासपुि, (पंजाब)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)

    II

  • 1

    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    मन्सब-ए-ख़िलाफ़तًدا َؤاَْشَھُد ٔاَّنَ ُمَحّمَ

    ٔاَْشَھُد ٔاَْن ّلَ ِإٰلَ ِاّلَ اہللُ َوْحَدٗہ َل َشِریَک َلَٗعْبُدٗہ َو َرُسْوُلٗ

    ِجْیِم۔ ْیٰطِن الّرَ ِ ِمَن الّشَا بَْعُد فَأَُعْوذُ ِباہلّلٰ ٔاَّمَ

    ِحْیِم ْحٰمِن الّرَ بِْسِم اہلل ِ الّرَ یَْتلـُـْوا َعلَْیِہْ ٰاٰیـــِتَک

    ْنــُہْ َرُســْوًل ِمَّربََّناَوابَْعــْث ِفْیــِہْ

    َعِزیُْز ْْیــِہْ ط ِانـَّـَک اَنـْـَت ال َمــَۃ َویَُزِکّ

    ِْحک

    ِْکٰتــَب َوال

    ُْمــُہُ ال َویَُعِلّ

    )अल बक़रः - 130( َحِکْیــُمْال

    इस आयत में अल्लाह तआलला ने आँहज़रत सल्ल्लाहो अलैहह व सल्म के बलारे में एक पेशगोई कला वर्णन हकयला है जो हज़रत इब्लाहीम अलैहहससललाम की दुआ के रंग में है। हजसे हज़रत इब्लाहीम अलैहहससललाम ने मककला के नवहनमला्णर के समय की थी हकः-

    یَْتلـُـْوا َعلَْیِہْ ٰاٰیـــِتَک ْنــُہْ َرُســْوًل ِمّ

    َربََّناَوابَْعــْث ِفْیــِہْ َعِزیُْز

    ْْیــِہْ ط ِانـَّـَک اَنـْـَت ال َمــَۃ َویَُزِکّ

    ِْحک

    ِْکٰتــَب َوال

    ُْمــُہُ ال َویَُعِلّ

    َحِکْیــُمْال

    यह दुआ एक वयलापक रंग में है। इसमें अपनी नसल में से एक नबी के पैदला होने की दुआ की। हिर उसी दुआ में यह बतलायला हक नहबयों के कयला कलाम होते हैं, उनके आने कला उद्ेशय कयला होतला है? सलाथ यह भी दुआ की हक उनमें एक रसूल हो जो उनहीं में से हो।

  • 2

    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    नखबयों के प्ादुराभाव का उद्देशय वह रसूल जो पैदला हो उसकला पहला काम यह हो हक –

    یَْتلُْوا َعلَْیِہْ ٰاٰیـِتَک वह तेरी आयलात उनको पढ़कर सुनलाए दू्सरा काम َویَُعِلُّمــُہُ الِْکٰتــَب (युअल्ल्मुहुमल हकतलाब) अथला्णत्

    उनको हकतलाब हसखलाए।ती्सरा काम ََمۃ वल हहकमत) अथला्णत् उनको हहकमत हसखलाए।) َوالِْحکْचौथा काम ْْیِہ व यजु़ककीहहम) अथला्णत् उनको पलाक करे।) َویَُزِکّमैंन ेग़ौर करके दखेला है हक दहुनयला के सधुलार कला कोई कलाम ऐसला नहीं

    जो इसस े बलाहर रह जलातला हो। इस दृल्टि स ेआहँज़रत सल्ल्लाहु अलहैह व सल्म कला कलाम दहुनयला के तमलाम् सधुलारों को अपन ेअनदर रखतला है।

    ़िलीफ़ाओं का काम नहबयों के प्लादुभला्णव के उदे्शय पर ग़ौर करने के बलाद यह

    समझनला बहुत आसलान है हक ख़लीफलाओं कला भी यही कलाम होतला है। कयोंहक ख़लीफला जो होतला है उसकला उद्ेशय ही यही होतला है हक अपने पेशवला के कलाम को जलारी रखे। इसहलए जो कलाम नबी कला होगला वही ख़लीफला कला होगला। अब अगर आप धयलानपूव्णक उपरोक्त आयत को देखें तो एक तरफ नबी कला कलाम और दूसरी तरफ ख़लीफला कला कलाम सपटि हो जलाएगला।

    मैंने दुआ की थी हक इस अवसर पर कयला बोलूँ? तो अल्लाह तआलला ने मेरला धयलान इस आयत की ओर िेर हदयला और मुझे इसी आयत में वह सलारे कलाम नज़र आए जो मेरे उद्ेशयों को प्कट करते हैं। इसहलए मैंने चलाहला हक इस अवसर पर कुछ बलातें पेश कर दूँ।

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    ्सच्ी जमाअत ददेनदे पर ख़ुदा का शुक्र इससे पहले हक मैं दलील पेश करूँ मैं ख़ुदला तआलला कला शुक्र

    अदला करनला चलाहतला हूँ हक उसने एक ऐसी जमलाअत पैदला कर दी हजसके हदए जलाने कला नहबयों से ख़ुदला तआलला कला वलादला होतला है। अतः मैं देखतला हूँ हक चलारों तरफ से हसफफ़ दीन के ख़लाहतर इसललाम की इज़ज़त के हलए अपनला रुपयला और समय खच्ण करके लोग आए हैं। मैं जलानतला हूँ और पूर्ण हवश्लास रखतला हूँ हक अल्लाह तआलला ऐसे हनष्लावलान लोगों की मेहनत को कभी नटि नहीं करेगला। वह उनहें अचछे से अचछला प्हतिल देगला कयोंहक वे उस वलादे के अनुसलार आए हैं जो ख़ुदला तआलला ने हज़रत मसीह म़ौऊद अलैहहससललाम से हकयला थला। इसहलए जब मैंने कल दस्ण में उन दोसतों को देखला तो मेरला हदल ख़ुदला की प्शंसला और शुक्र से भर गयला हक ये लोग ऐसे आदमी के हलए आए हैं हजसके बलारे में कहला जलातला है हक वह चलालबलाज़ है। हिर मेरे हदल में और भी जोश पैदला हुआ जब मैंने देखला हक वे मेरे दोसतों के बुललाने पर ही जमला हो गए हैं। इसहलए आज रलात को मैंने बहुत दुआएँ कीं और अपने रबब से कहला हक ख़ुदलायला मैं तो बहुत गरीब हूँ, मैं इन लोगों को कयला दे सकतला हूँ तू ही अपने ख़ज़लानों को इन पर खोल दे और इनको जो हसिफ़ दीन के हलए यहलाँ जमला हुए हैं अपने फज़ल से हहससला दे। मुझे पूर्ण हवश्लास है हक ख़ुदला तआलला इन दुआओं को ज़रर सुनेगला। मुझे यलाद नहीं मैंने जब कभी दददेहदल और बडी हगडहगडलाहट से दुआ की हो और वह क़ुबूल न हुई हो। बच्ला भी जब दद्ण से हचल्लातला है तो मलाँ की छलाहतयों में दूध उतर आतला है। जब एक बच्े के हलए क्षरसथलायी और सलामहयक लगलाव के बलावजूद उसके हचल्लाने पर छलाहतयों में दूध उतर आतला है तो यह असमभव है हक ख़ुदला तआलला की सृल्टि में से कोई हगडहगडलाकर दददेहदल से उससे दुआ करे

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    और वह क़ुबूल न हो। मैं तुमहें हवश्लास हदललातला हूँ हक वह दुआ ज़रर क़ुबूल होती है। यह वयवहलार मेरे सलाथ ही नहीं बल््क हर आदमी के सलाथ है। अतः ख़ुदला तआलला फरमलातला हैः-

    ــُب ــٌب ط اُِجْیـ ْ قَِریْـ ــِاِنّ ْى فَـ ــِنّ ــاِدْی َعــ ــاَلََک ِعَبـ َوِاذَا َسـ ِبْ ُیْؤِمُنـــْوا

    َْول ِلْ یَْســـَتِجْیُبْوا

    ْفَل ل دََعـــاِن ِاذَا اِع ادّلَ دَْعـــَوَۃ

    )अल बक़रः - 187( لََعّلَُہْ یَْرُشـــُدْوَنहक हे रसूल? जब मेरे बनदे मेरे बलारे में तुझसे पूछें, तो उनसे कह

    दे हक मैं तुमहलारे हनकट हूँ और पुकलारने वलाले की पुकलार सुनतला हूँ और उसे क़ुबूल करतला हूँ। यहलाँ यह नहीं फरमलायला हक मैं केवल मुसलमलान यला हकसी ख़लास देश यला ख़लास क़़ौम के आदमी की दुआ सुनतला हूँ। बल््क कोई भी हो, कहीं कला हो और कहीं पर हो।

    इस क़ुबूहलयत-ए-दुआ की शत्ण यह होती है हक-ُیْؤِمُنْوا ِبْ

    ْیَْسَتِجْیُبْوا ِلْ َول

    ْفَل

    पहले मेरी हसती को सवीकलार करे और मेरे आदेशों कला पलालन करे और मुसलमलान होकर मोहमन होने के बलाद ईमलान में तरक़क़ी करे। कलाहफर (अधममी) की दुआएँ इसहलए क़ुबूल करतला हूँ हक वह मुझ पर ईमलान ललाए और मोहमन बन जलाए और मोहमन की इसहलए क़ुबूल करतला हूँ हक वह हहदलायत और हवश्लास में उन्नहत करे। ख़ुदला तआलला के जलानने और पहचलानने कला सबसे अचछला ढंग दुआ ही है। मोहमन की उममीदें इसी से बढ़ती हैं। अतः मैंने भी बहुत दुआएँ की हैं और मुझे पूर्ण हवश्लास है हक वह क़ुबूल होंगी।

    हिर मैंने उसके सलामने दुआ की हक मैं इन लोगों के सलामने कयला कहूँ, तू ख़ुद मुझे बतला और समझला। मैंने इस हफतनला को देखला जो इस समय पैदला हुआ है मैंने अपने आपको इस योगय न पलायला हक उसके

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    सलामरय्ण और समथ्णन के हबनला इसको दूर कर सकूूँ। मुझे उसी पर सहलारला है इसहलए मैं उसी के सलामने झुकला और दुआ की हक तू ही मुझे बतला हक मैं इन लोगों को कयला कहूँ जो जमला हुए हैं, उसने मेरे हदल को इसी आयत की ओर िेरला और मुझ पर उन रहसयों को खोलला जो इसमें बयलान हुए हैं। मैंने देखला हक हख़ललाफत के सलारे कत्णवय और कलाम इस आयत में बयलान कर हदए गए हैं, तब मैंने इसी को इस समय तुमहलारे सलामने पढ़ला।

    ला ख़िलाफ़ता इल्ा खबल् मशवरखत (अथला्णत् हबनला परलामश्ण के हख़ललाफत जलायज़ नहीं)

    मरेला मलाननला है हक हबनला मशवरला के हख़ललाफत जलायज़ नहीं। इसी हसद्लानत पर तमु लोगों को यहला ँबलुवलायला गयला है और मैं ख़ुदला तआलला के फज़ल से इस पर क़लायम हूँ और दुआ करतला हूँ हक इस पर क़लायम रहूँ। मैंन ेचलाहला हक मशवरला लू ँलहेकन यह नहीं जलानतला थला हक कयला मशवरला लू।ँ मरेे हमत्ों न ेकहला हक मशवरला होनला चलाहहए तो मैंन ेउसकला सपटिीकरर नहीं पछूला। चूहँक मैं मशवरला को पसनद करतला हूँ इसहलए उनस ेसहमत हुआ और उनहोंने आपको बलुला हलयला। मुझ ेकल तक पतला न थला हक कयला कहूँ लेहकन जब ख़ुदला स ेदआु की तो यह आयत मरेे हदल में डलाली गई हक इस ेपढ़ो।

    हज़रत इब्ाहीम अलैखहस्सलाम की दुआ की वयाखया -इस आयत की हतललावत से पतला चलतला है हक नबी यला ख़लीफला कला

    पहलला कलाम यह होतला है हक वह अल्लाह की आयतें लोगों को सुनलाए। अतः आयत उस हनशलान यला दलील को कहते हैं हजससे हकसी चीज़ कला पतला चले। अतः नबी जो अल्लाह की आयतें पढ़तला है उसकला यह अथ्ण है हक वह ऐसी दलीलें सुनलातला और पेश करतला है जो अल्लाह तआलला

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    की हसती और उसकी त़ौहीद(एकेश्रवलाद) पर संकेत करती हैं और उनके द्लारला अल्लाह तआलला के फररशतों, रसूलों, और उसकी हकतलाबों कला समथ्णन और सतयलापन होतला है। अतः इस आयत में यह दुआ की गई है हक वह लोगों को ऐसी बलातें सुनलाए हजनसे उनको अल्लाह पर और उसके नहबयों और उसकी हकतलाबों पर दृढ़ हवश्लास प्लाप्त हो।

    पहला काम - इससे ज्लात हुआ हक नबी यला उसके जलानशींन ख़लीफला कला पहलला

    कलाम तबलीग-ए-हक़ और लोगों को नेहकयों की तरफ बुललानला होतला है। वह सच्लाई की तरफ लोगों को बुललातला है और अपनी बलात को दलीलों और हनशलानों के द्लारला हवश्सनीय बनलातला है। दूसरे शबदों में यह कह सकते हैं हक वह सच्लाई की तबलीग करतला है।

    दू्सरा काम –हिर नबी यला ख़लीफला कला दूसरला कत्णवय इस आयत में यह बयलान

    हकयला गयला है हक –ِکٰتــَب

    ْال युअल्ल्मु हुमुल हकतलाब) अथला्णत् लोगों को) یَُعِلُّمــُہُ

    हकतलाब हसखलावे। इनसलान जब इस बलात को मलान ले हक अल्लाह तआलला है और उसकी तरफ से दुहनयला में रसूल आते हैं और उन पर अल्लाह के फररशते उतरते हैं और उनके मलाधयम से अल्लाह तआलला की हकतलाबें नलाहज़ल होती हैं तो इसके बलाद दूसरला मरहलला कम्ण कला आतला है। कयोंहक ख़ुदला तआलला पर ईमलान ललाने के बलाद दूसरला सवलाल यह पैदला होतला है हक अब ऐसे आदमी को कयला करनला चलाहहए तो उस ज़ररत को पूरला करने वलाली आसमलानी शरीअत होती है और नबी कला दूसरला कलाम यह होतला है

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    हक नए ईमलान ललाने वलालों को शरीअत हसखलाए हक उन हहदलायतों और हशक्षलाओं कला पलालन करनला ज़ररी होतला है जो ख़ुदला के रसूलों के द्लारला आती हैं। अतः इस अवसर पर नबी कला दूसरला कलाम यह बतलायला गयला है हक वह उनहें कत्णवयों की हशक्षला दे।

    हकतलाब कला अथ्ण क़लानून और कत्णवय है। क़ुआ्णन मजीद में यह शबद कत्णवय के अथथों में भी प्योग हुआ है जैसे -(अल बक़रः - 184) َیاُم ُکِتَب َعلَْیُکُم الِصّ

    (तुम पर रोज़ों कला रखनला अहनवलाय्ण हकयला गयला है)इस क्रम को अचछी तरह यलाद रखो हक पहलला कलाम लोगों को

    इसललाम अथला्णत् सच्लाई और नेहकयों की तरफ ललानला थला और दूसरला उनको शरीअत (क़लानून) हसखलाने और उसकला अनुपलालक बनलाने कला।

    ती्सरा काम -कम्ण के हलए एक और बलात की ज़ररत होती है। इनसलान के अनदर

    हकसी कलाम को करन ेके हलए उस समय तक जोश और श़ौक़ नहीं पदैला हो सकतला जब तक उस ेउसकी हक़ीक़त और हहकमत समझ में न आ जलाए। इसहलए तीसरला कलाम यहला ँयह बयलान हकयला हक - َمَۃ

    ِْحک

    ْ(वल् हहकमत) َوال

    हिर वह उनको हहकमत की हशक्षला दे, अथला्णत् जब वे वयवहलाररक रप से कलाम करने लग जलाएँ तो हिर उन कलामों की हक़ीक़त और हहकमत उनहें बतलाए। जैसे एक आदमी ज़लाहहरी त़ौर पर नमलाज़ पढ़तला है तो नमलाज़ पढ़ने की हहदलायत और हशक्षला देनला ِکٰتــَب

    ْ युअल्ल्मु हुमुल्) َویَُعِلُّمــُہُ ال

    हकतलाब) के अनतग्णत आतला है और नमलाज़ कयों फज़्ण (अहनवलाय्ण) की गई और इसके कयला उद्ेशय हैं? इसकी हक़ीक़त से अवगत करलानला यह तलालीम-ए-हहकमत है। इन दोनों बलातों कला उदलाहरर क़ुआ्णन शरीफ से ही

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    देतला हूँ। क़ुआ्णन शरीफ में आदेश है हक - ــوَۃ لٰ ــوا الّصَ अक़ीमुस्) اَِقْیُمसललात्) नमलाज़ें पढ़ो, यह आदेश मलानो ِکٰتــَب

    ْال युअल्ल्मु) َویَُعِلُّمــُہُ

    हुमुल् हकतलाब) के अनतग्णत है दूसरी जगह यह िरमलायला -)अलअनकबतू - 46( ُمْنَکِر

    َْفْحَشاِء َوال

    ْلٰوۃَ تَْنٰھى َعِن ال ِاّنَ الّصَ

    (इन्नस् सललातला तनहला अहनल् फहशलाइ वल् मुनकरर) अथला्णत् नमलाज़ बुरलाइयों और अश्ील बलातों से रोकती है, इसमें नमलाज़ की हहकमत बयलान फरमलायी है हक नमलाज़ कला उद्ेशय कयला है? इसी तरह हिर नमलाज़ की मुद्लाएँ रुकूअ, सुजूद, क़यलाम और क़अदला की हहकमत बतलाई जलाए और ख़ुदला के फज़ल से मैं यह सब बतला सकतला हूँ। अतः नबी यला उसके ख़लीफला कला तीसरला कलाम यह होतला है हक वह शरीअत के आदेशों की हहकमत से लोगों को आगलाह करतला है।

    अतः ईमलान के हलए ــِتٖہ ٰاٰیـ ــِہْ ــْوا َعلَْی यतलू अलैहहम्) یَْتلُआयलाहतही) हिर उसके बलाद वयवहलाररक कलायथों के हलए ِکٰتَب

    ْ یَُعِلُّمُہُ ال

    (युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) हिर उन कलामों में एक जोश और श़ौक़ पैदला करने और उनकी हकीकत बतलाने के हलए َمــَۃ

    ِْحک

    ْ (वल् हहकमत्) َوال

    फरमलायला। नमलाज़ के बलारे में मैंने केवल एक उदलाहरर हदयला है अनयथला अल्लाह तआलला ने सलारे आदेशों में हहकमतें रखी हैं।

    चौथा काम हिर च़ौथला कलाम यह फरमलायला ْْیــِہ व युज़ककीहहम्) हक) َویَُزِکّ

    हहकमत की हशक्षला दने े के बलाद उनहें पहवत् करे। पहवत् करने कला कलाम मनषुय के अपन ेवश में नहीं बल््क यह अल्लाह तआलला के अहधकलार में है।

    अब प्शन यह पैदला होतला है हक जब यह अल्लाह तआलला के अहधकलार में है तो नबी को कयों कहला हक वह पलाक करे। इसकी वयलाखयला

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    मैं आगे बयलान करूँगला, संक्षेप में मैं यहलाँ यह बतला देतला हूँ हक इसकला ज़ररयला भी अल्लाह तआलला ने सवयं बतला हदयला है हक पलाक करने कला कयला ढंग है और वह ज़ररयला दुआ है। अतः नबी को जो आदेश हदयला गयला है हक उन लोगों को पलाक करे तो इससे तलातपय्ण यह है हक उनके हलए अल्लाह तआलला से दुआएँ करे।

    इस आयत में अल्लाह तआलला ने बडे-बडे रहसय बयलान हकए हैं उनमें से एक यह है हक यह आयत सूरः बक़रः की ततमीब कला पतला देती है। लोगों को सूरः बक़रः की ततमीब में बडी अडचनें आयीं हैं लोग हैरलान होते हैं हक कहीं कुछ बयलान हुआ है और कहीं कुछ, कहीं बनी इस्लाईल कला वर्णन आ जलातला है, कहीं नमलाज़ रोज़ला कला, कहीं तललाक़ कला, कहीं हज़रत इब्लाहीम अलैहहससललाम के मुबलाहसों कला, कहीं तलालूत कला, इन सब बलातों कला आपस में जोड कयला है? अल्लाह तआलला ने इस आयत के ज़ररयला मुझे यह सब कुछ हसखला हदयला है।

    ्सूरः बक़रः की तततीब खक्स तरह ्समझायी गयी हज़रत ख़लीफतुल मसीह अववलरहज़॰ के समय की घटनला है हक

    मुंशी फज़्णनद अली सलाहहब ने मुझसे कहला हक मैं तुमसे क़ुआ्णन मजीद पढ़नला चलाहतला हूँ। उस समय उनसे मेरी ज़यलादला जलान पहचलान भी न थी। मैंने हववशतला प्कट की, लेहकन उनहोंने बलार-बलार हवनती की। मैंने समझला हक कोई ख़ुदला की मंशला है, इसहलए मैंने उनको क़ुआ्णन शुर करला हदयला। एक हदन मैं पढ़ला रहला थला हक मेरे हदल में अचलानक डलालला गयला हक आयत ْنــُہ ِمّ َرُســْوًل

    ــْث ِفْیــِہْ रबबनला वबअस् फीहहम्) َربََّناَوابَْعरसूलन हमनहुम) सूरः बक़रः की कुंजी है और उसकी ततमीब कला रलाज़ इस आयत में रखला गयला है। इसके सलाथ ही सूरः बक़रः की ततमीब पूरी तरह

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    मेरी समझ में आ गई। अब अगर आप इस आयत को सलामने रखकर सूरः बक़रः की ततमीब पर ग़ौर करें तो सच्लाई मलालूम हो जलाएगी।

    ्सूरः बक़रः की तततीबअब धयलानपूव्णक ग़ौर करो हक पहले बतलायला हक क़ुआ्णन करीम

    कला नलाहज़ल करने वलालला समसत ब्ह्लाणड कला ज्लातला ख़ुदला है। हिर बतलायला हक क़ुआ्णन मजीद की कयला ज़ररत है। कयोंहक प्शन पैदला होतला थला हक हवहभन्न धमथों के होते हुए इस धम्ण की कयला आवशयकतला थी और यह हकतलाब ख़ुदला तआलला ने कयों नलाहज़ल की? तो इसकला उद्ेशय बतलायला हक

    َْ

    ِقــن ُمّتَْلِّل हुदल् हल्मुत्तक़ीन) हक सब धम्ण तो केवल मुत्तक़ी) ُھــًدى

    (सदलाचलारी) बनलाने कला दलावला करते हैं और यह हकतलाब ऐसी है जो मुत्तक़ी को और आगे ले जलाती है। मुत्तक़ी तो उसे कहते हैं जो इनसलानी कोहशश को पूरला करे और आगे ले जलाने कला यह अथ्ण है हक अब ख़ुदला तआलला सवयं उससे बलातें करे। हिर मुत्तहक़यों के कलाम बतलाए, हिर बतलायला हक इस हकतलाब के मलानने वलालों और न मलानने वलालों में कयला फक़फ़ होगला? हिर बतलायला हक इनसलान चूँहक ख़ुदला की इबलादत के हलए पैदला हुआ है, इसहलए उसके हलए कोई हहदलायतनलामला चलाहहए और वह हहदलायतनलामला ख़ुदला की ओर से आनला चलाहहए, हिर बतलायला हक ख़ुदला तआलला की ओर से हहदलायत आती भी रही है जैसे हक पहले आदम अलैहहससललाम पैदला हुए, इसके बलाद इसको और सपटि हकयला और आदम कला उदलाहरर देकर बतलायला हक यह हसलहसलला वहीं ख़तम नहीं हो गयला बल््क नहबयों कला एक लमबला हसलहसलला बनी इस्लाईल में जलारी रहला और फरमलायला जो म़ौजूद हैं उनसे पूछो हक हमने उनहें हकतनी नेमतें दी हैं, सलाथ यह भी फरमलायला, हक ज़लाहलम हम से बलात करने के पलात् नहीं हो सकते। अब जब ये ज़लाहलम

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    हो गए तो इनको हमलारी वलारी सुनने कला हक़ नहीं। अब हम हकसी और ख़लानदलान से (वलातला्णललाप कला) समबनध जोडेंगे और वह बनी इसमलाईल के हसवला कोई नहीं हो सकतला। कयोंहक इब्लाहीम अलैहहससललाम से ख़ुदला तआलला ने वलादला हकयला थला हक दोनों बेटों के सलाथ नेक सुलूक करूँगला। जब एक से वलादला पूरला हुआ तो अहनवलाय्ण थला हक दूसरे से भी पूरला हो। अतः बतलायला हक कलाबला के नवहनमला्णर के समय इब्लाहीम ने जो दुआ की थी वह अब पूरी होने लगी है और बलार-बलार

    اَنَْعْمُت َعلَْیُکْم الَِّتْىٓ

    َْوا ِنْعَمِتى

    ُاِءیَْل اْذُکر

    َٰیَبِنْىٓ ِاْسر

    )अल बक़रः - 41((यला बनी इस्लाईलला उज़कुर नेमती अल्ती अनअमतु अलैकुम)फरमलाकर यह बतला हदयला हक अब बनी इस्लाईल को हशकलायत करने

    कला कोई हक़ नहीं, उनसे वलादला पूरला हो चुकला है। हजस ख़ुदला ने बनी इस्लाईल कला वलादला पूरला हकयला, अवशय थला हक वह बनी इसमलाईल कला भी वलादला पूरला करतला। अतः इस तरह बनी इस्लाईल पर अकलाट्य और हनरला्णयक तकफ़ पूरला हकयला हक तुमने मेरी नेमतें पलाने के बलावजूद नलाफरमलानी की और हवहभन्न प्कलार की बुरलाइयलाँ अपनलाकर तुमने अपने आप को मेरी नेमतों से वंहचत होने कला पलात् ठहरला हलयला है। तुम में नबी भी आए और बलादशलाह भी हुए, अब वही इनलाम बनी इसमलाईल पर होंगे।

    इसके बलाद यह सवलाल पैदला होतला थला हक यह दुआ तो थी, पर हम कैसे मलानें हक यह आदमी वही म़ौऊद (कहथत) वयल्क्त है। इसकला कोई सुबूत होनला चलाहहए। इसके हलए फरमलायला, हक म़ौऊद होने कला यह सुबूत है हक इस दुआ में जो बलातें बयलान की गई थीं वे सब इस म़ौऊद के अनदर पलाई जलाती हैं और उसने इन सब वलादों को पूरला कर हदयला है इसहलए यही वह आदमी है। यद्यहप सलारला क़ुआ्णन शरीफ इन चलार आवशयकतलाओं को

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    पूरला करने वलालला है। लेहकन इस सूरः में सलारलांशतः सलारी बलातें बयलान कर दीं, तलाहक आपहत्तकतला्ण पर एक तकफ़ ठहरे। ٰاٰیـــِتَک यतलू) یَْتلُــْوا َعلَْیــِہْ अलैहहम् आयलाहतकला) के समबनध में َْرِض

    ْــٰمٰوِت َوال ِق الّسَ

    ْ ِاّنَ ِفْ َخل

    (इन्नला फी ख़लहक़ससमलावलाहत वल् अज़्ण) फरमलायला और उसके अनत में फरमलायला یَّْعِقلُــْوَن لَِّقــْوٍم ٰیــٍت (लआयलाहतल् हलक़़ौहमन यअहक़लून) َلٰ(अल बक़रः -165) हक इसमें बुहद्मलान लोगों के हलए बहुत सी दलीलें हैं हजनसे ख़ुदला और उसकी वलारी,फररशते और नबूवत इतयलाहद कला सुबूत हमलतला है। इसके बलाद थला ــَب ِکٰت

    ْال ــُہُ (युअल्ल्मु हुमुल हकतलाब) یَُعِلُّم

    इसके हलए सलारलाशंतः इसललामी क़लानून के मोटे-मोटे आदेश बयलान हकए और उनमें बलार-बलार ُکِتــَب َعلَْیُکُم,ُکِتــَب َعلَْیُکــُم (कुहतबला अलैकुम, कुहतबला अलैकुम) फरमलाकर यह बतलायला हक देखो इस म़ौऊद अवतलार पर हकतनी हनषकलंक (दोषरहहत) शरीअत नलाहज़ल हुई है। इसहलए यह यतलू अलैहहम् आयलाहतकला) कला भी पलात् है और) یَْتلـُـْوا َعلَْیــِہْ ٰاٰیـــِتَکــَب ِکٰت

    ْال ــُہُ युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) कला भी। तीसरला कलाम यह) یَُعِلُّم

    बतलायला थला हक लोगों को हहकमत हसखलाए। इसहलए शरीअत के मोटे-मोटे आदेश बयलान फरमलाने के बलाद क़़ौमी तरक़क़ी के रलाज़ और शरीअतों के उद्ेशयों कला वर्णन हकयला और हज़रत इब्लाहीम अलैहहससललाम और हज़रत तलालूत अलैहहससललाम की घटनलाओं कला उदलाहरर देकर बतलायला हक हकस तरह क़़ौमें तरक़क़ी करती हैं और हकस तरह मुदला्ण क़़ौमें हज़नदला की जलाती हैं। अतः तुमको भी उन रलाहों को अपनलानला चलाहहए। हिर -(अल बक़रः 270) ا ط ا َکِثْیً َخْیً

    ََمَۃ فََقْد اُْوِت

    ِْحک

    ْ َوَمْن یُّْؤَت ال

    (व मंयूतल् हहकमतला फक़द् ऊहतयला ख़ैरन कसीरला) कहकर यह संकेत हदयला हक लो तीसरला वलादला भी पूरला हो गयला, कयोंहक इस रसूल ने हहकमत की बलातें भी हसखला दी हैं। उदलाहररतः हज़रत तलालूत की घटनला बयलान

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    फरमलायला हक उनहोंने आदेश हदयला थला हक नहर से कोई पलानी न हपए और पीने वलाले को ऐसी सज़ला दी हक उसे अपने से अलग कर हदयला और बतलायला हक जब कोई आदमी छोटला सला आदेश नहीं मलान सकतला तो वह बडे-बडे आदेश कैसे मलान सकतला है, सलाथ यह भी बतलायला हक युद् के समय हलाहकम की हकस तरह आज्लापलालन करनी चलाहहए। इसमें यह भी बतलायला हक ख़लीफलाओं पर ऐतरलाज़ हुआ ही करतला है, लेहकन अनततः ख़ुदला तआलला उनको ही हवजयी करतला है। इन आदेशों को बतलाने के बलाद लोगों को पलाक करने की बलारी रह गई थी, इसहलए उसके हलए यह प्बनध हकयला हक इस सूरः को दुआ पर ख़तम हकयला, हजसमें यह बतलायला हक पहवत् होने कला ढंग दुआ है अथला्णत् नबी भी दुआ करे और जमलाअत को भी दुआ की हशक्षला दे। आप लोग इस सूरः को अब पढ़कर देखें हजस क्रम से वहर्णत आयत में शबद हैं, उसी क्रम से इस सूरः में आयलात और हकतलाब और हहकमत और पलाक होने कला ढंग बयलान फरमलायला है। इसहलए यह आयत इस सूरः की कुंजी है जो अल्लाह तआलला ने मेरे हलाथ में दी है।

    ्सारांशसलारलांशतः बयलान फरमलायला हक नबी कला कलाम तबलीग करनला,अधहम्णयों

    को मोहमन बनलानला, मोहमनों को शरीअत पर क़लायम करनला, हिर बलारीक दर बलारीक रहसयों को समझलानला, हिर उनकी तहज़कयला-ए-नफ़स अथला्णत् आतमशुहद् के हलए दुआ करनला, यही कलाम ख़लीफला के होते हैं। अब यलाद रखो हक अल्लाह तआलला ने इस समय मेरे यही कलाम रखे हैं।

    अल्लाह की आयतें पढ़कर सुनलाने में अल्लाह तआलला की हसती पर दललाइल, फररशतों पर दललाइल, नबूवत की आवशयकतला और मुहममद सल्ल्लाहु अलैहह व सल्म की नबूवत पर दललाइल,क़ुआ्णन शरीफ की

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    सच्लाई पर दललाइल, इ्हलाम और वह्ी की आवशयकतला पर दललाइल,दणड और प्हतिल और तक़दीर के हवषय पर दललाइल,और क़यलामत इतयलाहद पर दललाइल शलाहमल हैं ये सलाधलारर कलाम नहीं। इस ज़मलाने में इसकी बहुत बडी आवशयकतला है और यह बहुत बडला कलाम है।

    हिर ــَب ِکٰتْال ــُہُ युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) दूसरला कलाम है) یَُعِلُّم

    हक बलार-बलार शरीअत की ओर धयलान हदललाए और ख़ुदला के आदेश एवं हनषेद्लादेश के पलालन के हलए यलाददहलानी करलातला रहे, जहलाँ सुसती हो उसको दूर करने कला इल्नतज़लाम करे। अब तुम ख़ुद ग़ौर करो हक कयला ये कलाम चनद क्लकथों के द्लारला हो सकते हैं और कयला ख़लीफला कला इतनला ही कलाम रह जलातला है हक वह चनदों की हनगरलानी करे और देख ले हक हहसलाब-हकतलाब कला दफ़तर है, उसमें चनदला आतला है और चनद मेमबर हमलकर उसे खच्ण कर दें। संसथलाएँ दुहनयला में बहुत हैं और बडी-बडी हैं जहलाँ ललाखों रुपयला सलाललानला आतला है और वे खच्ण करती हैं,मगर कयला वे ख़लीफला बन जलाती हैं?

    ख़लीफला कला कलाम कोई सलाधलारर और कु्षद् कलाम नहीं, यह ख़ुदला तआलला कला हवशेष सममलान और इनलाम है जो उस वयल्क्त को हदयला जलातला है जो पसनद हकयला जलातला है। तुम सवयं ग़ौर करके देखो हक यह कलाम जो मैंने बतलाए हैं अथला्णत् मैंने नहीं ख़ुदला ने बतलाए हैं, कयला हकसी अनजुमन कला सेक्रेट्ररी इसको कर सकतला है? इन हवषयों में कयला कोई सेक्रेट्ररी की बलात मलान सकतला है? यला आज तक कहीं इस पर पलालन हुआ है? दूसरी जगह को छोडो यहीं ही बतला दो हक कभी अनजुमन के द्लारला यह कलाम हुआ हो? हलँा चनदों की यलाददहलाहनयलाँ अवशय होती रहती हैं।

    यह पककी बलात है हक ِکٰتَبْ(युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) یَُعِلُّمُہُ ال

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    के हलए ख़लीफला ही होतला है हकसी अनजुमन के सेक्रेटरी के हलए यह शत्ण कहलाँ है हक वह पलाक भी हो। समभव है हक आवशयकतलानुसलार ईसलाई रखला जलावे यला हहनदू हो, जो दफ़तरों कला कलाम सही त़ौर पर कर सके। हिर वह ख़लीफला कैसे हो सकतला है?

    ख़लीफला के हलए शरीअत (धम्णहवधलान) की हशक्षला देनला आवशयक है, जो उसके कत्णवयों में शलाहमल है। सेक्रेटरी के कत्णवयों में पढ़कर देख लो कहीं भी यह शलाहमल नहीं। हिर ख़लीफला कला यह कलाम है हक ख़ुदला तआलला के आदेशों के रहसय और उदे्शय बयलान करे हजनकी जलानकलारी से उनके पलालन पर रुहच और श़ौक़ पैदला होतला है। मुझे बतलाओ हक कयला तुमहलारी अनजुमन के सेक्रेटरी के कत्णवयों में यह बलात पलाई जलाती है? हकतनी बलार ख़ुदला के आदेशों की हक़ीक़त और हफललासफी अनजुमन की तरफ से आपको समझलायी गयी? कयला इस प्कलार के सेक्रेटरी रखे जला सकते हैं? यला अनजुमनें इस हवहशटि कलाम को कर सकती हैं? कदलाहप नहीं।

    अनजुमनें केवल इस कलाम के हलए होती हैं हक वे बहीखलाते रखें और ख़लीफला के आदेशों को जलारी करने के हलए कोहशश करें। हिर ख़लीफला कला यह भी कलाम है हक वह क़़ौम को बुरलाइयों से पलाक करे। कयला कोई सेक्रेटरी इस फज़्ण को अदला कर सकतला है? कयला हकसी अनजुमन की तरफ से यह हहदलायत जलारी हुई यला तुमने सुनला है हक हकसी सेक्रेटरी ने कहला हो हक मैं क़़ौम के पलाक होने के हलए रो-रोकर दुआएँ करतला हूँ?

    मैं सच-सच कहतला हूँ हक यह कलाम सेक्रेटरी कला है ही नहीं और न कोई सेक्रेटरी यह कह सकतला है हक मैं क़़ौम की पलाकीज़गी के हलए रो-रोकर दुआएँ करतला हूँ। झूठला है वह जो यह कहतला है हक अनजुमन

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    यह कलाम कर सकती है। मैं ख़ुदला की क़सम खलाकर कहतला हूँ हक कोई सेक्रेटरी यह कलाम नहीं कर सकतला और न कोई अनजुमन नबी के कलाम कर सकती है। अगर अनजुमनें यह कलाम कर सकतीं तो ख़ुदला तआलला दुहनयला में नबी और रसूल न भेजतला बल््क उनकी जगह अनजुमनें बनलातला। हकसी एक अनजुमन कला नलाम बतलाओ हजसने यह कहला हो हक ख़ुदला ने हमें आदेश हदयला है।

    दुहनयला की कोई अनजुमन नहीं है जो यह कलाम कर सके। मेमबर तो इकट्े होकर कुछ हवषयों पर हनर्णय करते हैं। कयला कभी हकसी अनजुमन में इस आयत पर भी ग़ौर हकयला गयला है? यलाद रखो ख़ुदला तआलला हजसके सुपुद्ण कोई कलाम करतला है उसी को बतलातला है हक तेरे यह-यह कलाम हैं, यह कलाम नहबयों और ख़लीफलाओं के होते हैं। रुपयला इकट्ला करनला छोटे दजदे कला कलाम है। ख़लीफलाओं कला कलाम लोगों की तरहबयत और उनको ख़ुदला तआलला के अधयलातमज्लान और हवश्लास के सलाथ पलाक करनला होतला है। रुपयला तो आयथों और ईसलाइयों बल््क नलाल्सतकों की अनजुमनें भी जमला कर लेती हैं। अगर हकसी नबी यला उसके ख़लीफला कला भी यही कलाम हो तो यह उस नबी यला ख़लीफला कला घोर अनलादर और अपमलान है।

    यह सच है हक उन उद्ेशयों को पूरला करने के हलए जो उसके हज़ममे होते हैं उसको भी रुपयों की ज़ररत होती है और वह भी اہلِل ِاَل اَنَْصــاِرْی मन् अनसलारी इलल्लाह) (अथला्णत् अल्लाह के) َمــْن हलए मेरला क़ौन मददगलार है)

    कहतला है मगर इससे उसकला उद्ेशय रुपयला जमला करनला नहीं होतला, बल््क इस रंग में भी उसकी मंशला वही उद्ेशयों की पूहत्ण और क़़ौम को बुरलाइयों से बचलाने की होती है। हिर भी इस कलाम के हलए उसकी गहठत

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    एक अनजुमन यला शूरला होती है जो प्बनध करे। मैं हिर कहतला हूँ हक ख़लीफला कला कलाम रुपयला जमला करनला नहीं होतला और न उसकी इचछलाओं और कलायथों कला दलायरला हकसी मदसला्ण के जलारी करने तक सीहमत होतला है यह कलाम तो दुहनयला की दूसरी क़़ौमें भी करती हैं।

    ख़लीफला के इस प्कलार के कलामों और दूसरी क़़ौमों के कलामों में अनतर होतला है। वह इन चीज़ों को प्लारंहभक त़ौर पर स्ोत और सलाधनों के रप में अपनलातला है यला अपनलाने की हहदलायत देतला है। दूसरी क़़ौमें इसको एक चरम उद्ेशय के रप में अपनलाती हैं।

    हज़रत मसीह म़ौऊद अलैहहससललाम ने जो मदसला्ण बनलायला उसकला वह उद्ेशय न थला जो दूसरी क़़ौमों के मदरसों कला है। इसहलए यलाद रखो हक ख़लीफला के जो कलाम होते हैं वे हकसी अनजुमन के द्लारला नहीं हो सकते।

    इ्स क़ौमी इजला्स का कया उद्देशय हैअब आपको जो बुललायला गयला है तो ख़ुदला तआलला ने मेरे हदल में

    डलालला हक मैं उन कलामों के बलारे में जो ख़ुदला तआलला ने मेरे सुपुद्ण हकए हैं आपसे मशवरला लूँ हक उनहें हकस तरह करूँ? मैं जलानतला हूँ और इतनला ही नहीं बल््क पूर्ण हवश्लास रखतला हूँ हक वह ख़ुद मेरला मलाग्णदश्णन करेगला हक मुझे हकस तरह उनको करनला चलाहहए, उसी ने मशवरला कला भी आदेश हदयला है। ये कलाम उसने ख़ुद बतलाए हैं, उसने सवयं मेरे हदल में परसों मगररब यला अस् की नमलाज़ के समय इस आयत को सहसला डलालला जो मैंने पढ़ी है। मैं हैरलान थला हक बुलला तो हलयला है लेहकन कहूँ कयला? इस पर उसने यह आयत मेरे हदल में डलाली।

    अतः नहबयों और उनके जलानशींनों के यह चलार कलाम हैं उनहें करने में मुझे तुमसे मशवरला करनला है। मैं अब उन कलामों को और बढ़लातला हूँ।

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    चार नहीं बल्क आठमैं इस आयत की एक और वयलाखयला करतला हूँ जब इन पर मैंने

    ग़ौर हकयला तो मलालूम हुआ हक इन चलार में और भी अथ्ण छुपे थे और इस तरह से यह चलार आठ बन जलाते हैं।

    ٰاٰیـِتٖہ (1) (यतलू अलैहहम् आयलाहतही) یَْتلُْوا َعلَْیِہْ इसकला अथ्ण एक यह करतला हूँ हक कलाहफरों (अधहम्णयों) को मोहमन

    (धम्णपरलायर) बनला दे अथला्णत्् तबलीग करे और दूसरला यह हक मोहमनों को आयलात सुनलाए। इस दशला में ईमलान की तरक़क़ी यला ईमलान की दुरुसती भी एक कलाम होगला और यह दो हो गए।

    ِکٰتَب (2)ْ(युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) یَُعِلُّمُہُ ال

    क़ुआ्णन शरीफ की हकतलाब म़ौजूद है इसहलए इसकी हशक्षला में क़ुआ्णन शरीफ कला पढ़नला पढ़लानला और क़ुआ्णन शरीफ कला समझलानला भी शलाहमल है। इसहलए कलाम यह होगला हक ऐसे मदरसे हों जहलाँ क़ुआ्णन मजीद की हशक्षला दी जलाए। हिर उसके समझलाने के हलए ऐसे उसतलाद हों जो उसकला तजु्णमला हसखलाएँ और वे शलासत् (हवद्यलाएँ) पढ़लाएँ जो उसके सेवक और समथ्णक हों। ऐसी दशला में धलाहम्णक मदरसों के बनलाने और उनको जलारी करने कला कलाम होगला। इस शबद के अनतग्णत दूसरला कलाम क़ुआ्णन शरीफ के आदेशलानुसलार वयवहृत करलानला होगला। कयोंहक हशक्षला दो प्कलार की होती है एक हकसी हकतलाब कला पढ़ला देनला और दूसरे उस पर वयवहृत करलानला।

    َمــَۃ (3)ِْحک

    ْ हहकमत) हहकमत की हशक्षला के हलए परलामश्ण) َوال

    और प्सतलाव होंगे। कयोंहक इस कलाम के अनतग्णत शरीअत (धम्णहवधलान) के आदेशों के रहसयों से अवगत करलानला ज़ररी है।

    (4) ۭ ْیــِہْ युज़ककीहहम्) इसके अथथों पर ग़ौर हकयला तो) َویَُزِکّएक तो यह है जो मैं बयलान कर चुकला हूँ हक दुआओं के द्लारला जमलाअत

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    को गुनलाहों से बचलाने की कोहशश करे। हिर इल्बन अबबलास रहज. के अनुसलार इसकला अथ्ण अल्लाह तआलला के आदेशों कला पलालन और उस पर सच्ी श्रद्ला पैदला करनला भी है। इसहलए एक अथ्ण तो यह हुआ हक गुनलाहों से बचलाने की कोहशश करे, इसहलए जमलाअत को गुनलाहों से बचलानला ज़ररी ठहरला, तलाहक वह गुनलाहों में न पडे। इसके अहतररक्त दूसरे अथथों की दृल्टि से यह कलाम ठहरला हक केवल गुनलाहों से ही न बचलाए बल््क उनमें नेकी पैदला करे। दूसरे शबदों में यह कह सकते हैं हक पहले तो वे उपलाय अपनलाए हजनसे जमलाअत के गुनलाह दूर हों हिर उनको अचछला बनलाकर हदखलावे, हिर उनहें मलानवतला के उच् सतरों पर ले जलावे और उनमें श्रद्ला और आज्लापलालन की भलावनला पैदला करे। हिर "युज़ककीहहम्" कला तीसरला अथ्ण यह है हक वह उनको बढ़लाए, इन अथथों की दृल्टि से धलाहम्णक एवं सलांसलाररक हवषयों में आगे बढ़लानला आवशयक ठहरला। अतः यह उन्नहत हर एक दृल्टिकोंर से होनी चलाहहए, भ़ौहतक ज्लानों में दूसरों से पीछे हों तो उसमें उनको आगे ले जलावे, संखयला में कम हों तो बढ़लाए, आहथ्णक दृल्टि से कमज़ोर हों तो उनहें आगे बढ़लाए, तलातपय्ण यह हक हजस रंग में भी कमी हो उसे दूर करने की कोहशश करतला रहे। अब इन अथथों की दृल्टि से जमलाअत को हर एक तरक़क़ी तक पहुूँचलानला नबी और उसके जलानशींन ख़लीफला कला कत्णवय ठहरला। जब गुनलाहों से बचलानला और तरक़क़ी हदललानला उसकला कत्णवय ठहरला तो उसी में गरीबों की देखभलाल भी आ गयी। कयोंहक वे भी दुहनयला के एक मैल से ग्रहसत होते हैं उनको बचलानला उसकला कत्णवय है। इस उद्ेशय को पूरला करने के हलए अल्लाह तआलला ने ज़कलात कला हनयम रखला है। कयोंहक जमलाअत के असहलाय और गरीबों की देखभलाल कला इल्नतज़लाम करनला भी ख़लीफला कला कलाम है और इसके हलए धन की आवशयकतला पडती है। इसहलए अल्लाह तआलला ने ख़ुद ही इसकला भी

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    इल्नतज़लाम कर हदयला और धनलाढ्य लोगों पर ज़कलात अदला करनला अहनवलाय्ण कर हदयला।

    अतः यलाद रखो हक ۭ ْیــِہْ युज़ककीहहम्) के यह अथ्ण हुए) یَُزِکّहक वह लोगों को गुनलाहों से बचलाए, उनमें श्रद्ला पैदला करे और उनहें सलांसलाररक एवं आधयलाल्तमक दृल्टि से आगे बढ़लाए और सदक़ला ख़ैरलात इतयलाहद कला प्बनध करके उनकला सुधलार करे। अनजुमन वलाले बेशक कहें कयोंहक इन कलामों कला प्बनध एक अनजुमन को चलाहतला है, मगर इसके बलावजूद भी यह अनजुमन कला कलाम नहीं, बल््क ख़लीफला कला कलाम है। अब तुमहें मलालूम हो गयला होगला हक यह सब बलातें उसके अधीन हैं और यह हसफफ़ बलातें और ढकोसलला के रंग में नहीं, बल््क शबदकोष और सहलाबलारहज़॰ के कथन इसकला समथ्णन करते हैं। अतः मैंने तुमहें ख़लीफला के वह कलाम बतलाए हैं जो ख़ुदला तआलला ने बयलान हकए हैं और इसकी वलासतहवकतला अरबी शबदकोष और सहलाबलारहज़॰ के सव्णसममत अथथों की दृल्टि से बतलाई है। अतः ख़ुदला तआलला ने सलामूहहक रप से एक जगह ही मुझे यह बतला हदयला और अपने फज़ल से सूरः बक़रः की कुंजी मुझे प्दलान की। मैंने इस रलाज़ और हक़ीक़त को आज समझला है हक तीन सलाल पहले ख़ुदला तआलला ने यह आयत मेरे हदल में हबजली की तरह कयों डलाली थी? पहले मैं इस रहसय को नहीं जलानतला थला, लेहकन आज रहसय खुलला हक ख़ुदला की इचछलानुसलार यह मेरे ही कत्णवय और कलाम थे और एक समय आने वलालला थला हक मुझे उनको पूरला करने के हलए खडला हकयला जलानला थला। अतः जब यह सपटि हो चुकला हक ख़लीफला के कयला कलाम हैं यला दूसरे शबदों में यह कहो हक मेरे कयला कत्णवय हैं तो अब प्शन पैदला होतला है हक उनको कैसे करनला है? और इसी के बलारे में मुझे तुमसे मशवरला करनला है।

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    ख़िलाफ़त के उद्देशयों की पूखतभा का कया ढंग होयह तो आपको मलालूम हो चुकला हक हख़ललाफत कला पहलला और

    ज़ररी कलाम तबलीग है। इसहलए हमें सोचनला चलाहहए हक तबलीग के कयला ढंग हों, मगर मैं तुमहें एक और भी बलात बतलानला चलाहतला हूँ जो अभी मेरे हदल में डलाली गयी है हक हख़ललाफत के यह चलारो उद्ेशय हज़रत ख़लीफतुल मसीह की वसीयत में भी बयलान हकए गए हैं।

    ़िलीफ़तुल म्सीह की व्सीयत इ्सी की वयाखया है हज़रत ख़लीफतुल मसीह ने अपनी वसीयत में अपने जलानशीन

    के हलए फरमलायला :- हक वह मुत्तक़ी (संयमी) हो, लोकहप्य हो, हवद्लान और सदलाचलारी हो, क़ुआ्णन और हदीस कला दस्ण जलारी रहे, इसमें ِکٰتــَب

    ْال َمــَۃ युअल्ल्मु हुमुल् हकतलाब) और) یَُعِلُّمــُہُ

    ِْحک

    ْ व) َوال

    अल- हहकमत) की ओर इशलारला है कयोंहक यहलाँ अल-हकतलाब से तलातपय्ण क़ुआ्णन शरीफ है और अल-हहकमत से तलातपय्ण बहुत से इमलामों ने हदीस हलयला है। इस तरह َمــَۃ

    ِْحک

    ِْکٰتــَب َوال

    ْال युअल्ल्मु हुमुल्) َویَُعِلُّمــُہُ

    हकतलाब व अल-हहकमत) कला यह अथ्ण हुआ हक वह क़ुआ्णन और हदीस हसखलाए, जो ٰاٰیـــِتَک َعلَْیــِہْ यतलू अलैहहम् आयलाहतकला) कला) یَْتلُــْوا हवसतृत तजु्णमला है। कयोंहक तबलीग के हलए ज्लान की आवशयकतला है और मुत्तक़ी, (संयमी) सदलाचलारी एवं लोकहप्य होनला यह ْْیــِہ अथला्णत्) یَُزِکّदूसरों को बुरलाइयों से दूर करने) के हलए अहत आवशयक है। कयोंहक जो मुत्तक़ी है वही बुरलाइयों से दूर कर सकतला है और जो खुद अमल न करेगला तो दूसरे लोग भी उसकी बलात पर अमल न करेंगे। इसहलए जो क़़ौम को बुरलाइयों से बचलाने वलालला होगला वह अवशय लोकहप्य भी होगला। इसके अहतररक्त वसीयत में यह भी है हक वह दर गुज़र से

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    कलाम ले। मैं कहतला हूँ हक इसकला भी इस आयत में वर्णन है।َحِکْیــُم

    َْعِزیـْـُز ال

    ْ (इन्नकला अनतल् अज़ीज़ुल् हकीम) ِانـَّـَک اَنـْـَت ال

    में अल्लाह तआलला की जो हवशेषतला अल-अज़ीज़ बयलान हुई है उसके द्लारला ख़ुदला उसे भी प्हतल्ष्त और हवजयी करेगला, हजसकला परररलाम अहनवलाय्णतः क्षमला और दर गुज़र होगला, कयोंहक यह एक शल्क्त को चलाहतला है अथला्णत् शल्क्त हमल जलाए तो क्षमला और दर गुज़र से कलाम ले। अतः इस दुआ में अल्लाह तआलला के इन नलामों के रहसय कला यही अथ्ण है। हिर यह बतलायला हक क्षमला और दर गुज़र अकलारर नहीं बल््क एक हवशेष युल्क्तपूर्ण हवचलारधलारला के अनतग्णत होगी। अतः हज़रत ख़लीफतुल मसीह की वसीयत भी इसी आयत की वयलाखयला है। अब जब यह सपटि है हक क़ुआ्णन मजीद ने, आँहज़रत सल्ल्लाहो अलैहह व सल्म ने और सवयं हज़रत ख़लीफतुल मसीह ने ख़लीफला के कलाम पहले से बतला हदए हैं तो अब नई शततें बनलाने कला हकसी को कयला हक़ है? गवन्णमेनट की शतथों के बलाद भी हकसी और को कोई अहधकलार नहीं होतला हक वह अपनी मनगढ़त बलातें पेश करे।

    ख़लीफला तो ख़ुदला बनलातला है, हिर तुमहलारला कयला हक़ है हक तुम शततें पेश करो। ख़ुदला से डरो और ऐसी बलातों से तोबला करो हक ये अदब से दूर हैं। ख़ुदला तआलला ने ख़ुद ख़लीफला के कलाम मुक़र्रर कर हदए हैं। अब कोई नहीं जो उनमें तबदीली कर सके यला उनके हवरुद् कुछ और कह सके। मैं हिर कहतला हूँ हक हज़रत ख़लीफतुल मसीह ने भी वही बलातें पेश की हैं जो इस आयत में ख़ुदला तआलला ने बतलायी हैं, मलानो उनकी वसीयत इस आयत कला अनुवलाद है। अब मैं चलाहतला हूँ हक और वयलाखयला करूँ।

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    तबलीग़ख़लीफला कला पहलला कलाम तबलीग है। मैं नहीं जलानतला हक बचपन

    से ही कयों मेरे अनदर तबलीग कला इतनला श़ौक़ रहला है और इससे इतनी मुहबबत रही है। मैं छोटी सी उम्र में भी ऐसी दुआएँ करतला थला और ऐसी इचछला थी हक इसललाम कला जो भी कलाम हो मेरे ही हलाथ से हो। मैं अपने अनदर यह जोश पलातला थला और दुआएँ करतला थला हक इसललाम कला जो कलाम हो मेरे ही हलाथ से हो और इतनला हो-इतनला हो हक क़यलामत तक कोई ऐसला ज़मलानला न आए हजसमें इसललाम की हख़दमत करने वलाले मेरे शलाहगद्ण न हों। मैं नहीं जलानतला थला हक इसललाम की हख़दमत कला यह जोश मेरे अनदर कयों डलालला गयला। हलाँ इतनला जलानतला हूँ हक यह जोश बहुत पहले से रहला है और इसी जोश और चलाहत के कलारर मैंने ख़ुदला से दुआ की हक -

    मदेरे हाथ ्सदे तबलीग़-ए-इसलाम का काम होऔर मैं ख़ुदला तआलला कला शुक्र करतला हूँ हक उसने मेरी इन दुआओं

    के जवलाब में बडी-बडी ख़ुशख़बररयलाँ दी हैं। इसहलए तबलीग के कलाम में मुझे बडी हदलचसपी है। यह मैं जलानतला हूँ हक ख़ुदला तआलला दुआओं को क़बूल करतला है और यह भी जलानतला हूँ हक सब दुहनयला एक ही धम्ण को नहीं अपनला सकती और यह भी सच है हक आँहज़रत सल्ल्लाहो अलैहह व सल्म हजस कलाम को नहीं कर सके, क़ौन है जो उसे कर सके यला उसकला नलाम भी ले। लेहकन अगर आँहज़रत सल्ल्लाहो अलैहह व सल्म के हकसी सेवक को यह त़ौफीक़ दी जलाए हक एक हद तक वह तबलीग-ए-इसललाम के कलाम को करे तो यह उसकी अपनी कोई ख़ूबी नहीं, बल््क आँहज़रत सल्ल्लाहो अलैहह व सल्म कला ही कलाम है। मेरे हदल में तबलीग की इतनी तडप थी हक मैं हैरलान थला और सलामलान के

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    हलहलाज़ से हब्कुल हनहतथला। इसहलए मैं उसी के आगे झुकला और दुआएँ कीं, मेरे पलास थला ही कयला? मैंने बलार-बलार दुआ की हक मेरे पलास न ज्लान है न द़ौलत, न कोई जमलाअत है और न कोई और चीज़, हजससे मैं इसललाम की सेवला कर सकूूँ। मगर अब मैं देखतला हूँ हक उसने मेरी दुआओं को सुनला और ख़ुद ही सलामलान कर हदए और तुमहें खडला कर हदयला हक मेरे सलाथ हो जलाओ। अतः आप वे लोग हैं हजनको ख़ुदला तआलला ने चुन हलयला और यह मेरी दुआओं कला एक िल है जो उसने मुझे हदखलायला। इसको देखकर मुझे पूर्ण हवश्लास है हक शेष सलामलान भी वह सवयं मुहैयला कर देगला और उन भहवषयवलाहरयों को वयवहलाररक रंग में हदखलावेगला। अब मुझे पूर्ण हवश्लास है हक अब दुहनयला को हहदलायत मेरे ही द्लारला हमलेगी और क़यलामत तक कोई ज़मलानला ऐसला न आएगला हजसमें मेरे शलाहगद्ण न हों। कयोंहक आप लोग जो कलाम करेंगे वह मेरला ही कलाम होगला। अब तुम यह समझ सकते हो हक तबलीग के कलामों में मेरी हदलचसपी आज से नहीं पैदला हुई बल््क इससे पहले भी हजतनला मुझे म़ौक़ला हमलला हवहभन्न प्कलारों से तबलीग की कोहशश करतला रहला। वह जोश और हदलचसपी जो सवभलावतः मुझे इस कलाम से थी और इस कलाम को करने के हलए जो सवलाभलाहवक लगलाव मेरे हदल में थला, उसकी हक़ीक़त अब मुझे समझ आई है हक यह मेरे कलाम में शलाहमल थला, अनयथला जब तक अल्लाह तआलला इसके हलए एक सवलाभलाहवक जोश मेरे अनदर न रखतला मैं कैसे इसे कर सकतला थला?

    अब मैं आपसे मशवरला चलाहतला हूँ हक तबलीग के हलए कयला हकयला जलाए।

    मैं जो कुछ इसके बलारे में इरलादला रखतला हूँ वह आपको बतलातला हूँ। तुम सोचो और ग़ौर करो हक इसको पूरला करने के कयला ढंग हो सकते हैं और उन प्सतलावों को वयवहलाररक रप में ढलालने के हलए कयला करनला चलाहहए?

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    मन्सब-ए-ख़िलाफ़त

    हर राषा के जाननदे वालदे मुबलल्ग़ (प्चारक) होंमैं चलाहतला हूँ हक हम में ऐसे लोग हों जो हर एक भलाषला के सीखने

    और जलानने वलाले हों, तलाहक हम हर एक भलाषला में आसलानी से तबलीग कर सकें। इस बलारे में मेरे बडे-बडे इरलादे और प्सतलाव हैं और मुझे अल्लाह तआलला की कृपला से पूर्ण हवश्लास है हक अगर ख़ुदला ने हज़नदगी और त�