हिन्दी (hindi) · web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र...

35
हहहहहह (Hindi ) हहहहहह हहहहहहहहहह हहह हह हहहह हह हहहहह हहहहहहह हह हह हहहह हहहहहह हहहह हह हहहह हहहहहहहह हहहह हहहहहहहह हह हहहह हहहहहहह हहहहह हहह हहहह हहहह हह हहहहह हहहहहहहह हहह हहहह हहहह हहह २६ हहहहह १९६५ हह हहहहहह हह हहहह हह हहहहहहहह हहहह हह हहहहह हहहह हहह हहहहहह Spoken - हहहह, हहहहह, हहहह, हहहहहहह, हहहहहह, हहहहहहहह, हहहहहहहहहहह, हहहहहहह - हहहहहह हहहहह (South Asia) हहह हहहहहहहहह - ४८० हहहहहह हहहहह - हहह हहहहह हहहहहह हहहहह हहहहहहहह हहहह हहहहहहहह - हहहह हहहहहहह - हहहह हहहहह हहहहहह हहहहहहहह हहहहहह - हहहहहहह हहहह (National language of India) हहहहहह - हहहह हहहहह हहहह हहह - ISO 639-1 hi - ISO 639-2 hin - SIL HND हहहह हहह हहहहहहहहहह हह हहह हहहहहह हहहहह हहह हहहह हहहहहहह हहहह हहहह हहहह हहहह हह हहहह हह हहहहह हहह ६० हहहहह (६०० हहहहहह) हह हहहह हहह हहहहहह हहहहह, हहहहह हह हहहहह हहह हहहहह, हहहहहह, हहहहह, हहहहहहह हह हहहहह हह हहहहहह हहहह हहहहहह हहहहह हह हहहहहहह हहहहहह हहह हहहहह हह हह हह हहहह हहहहह हहह हहहहहह हहहहहहहह हहहह हहह हहहह हहहह हह हह हहहहहहहह हह हहहह हह हहहहहहहह: हहहहहहह हह हहहहहह हह हहहहहह हहहह हह हहहहह हहहहहहहहह हहह हहहह हहहह हह हह हहहहहहहह हह हहहह हह हह हह हहहहह हह हहहह हहहहहह हह हहहहहहह हहह हह हहहहहहहहह हहह हह हहहहह हह हहहहहह हहह हहहह हह-हहहहहहह हहहहहह हह - हहहहहह हहह हहह हहहहहहहहह हहह हहहहहहहह हह हहहहहहह (हहहह हह हहह हहहह हहह हह) हहह हहहह हहहह हहहहह हहह हहहहहहहह हहहहह हहह हहहह हह हहहहह हह हह हहह हहह हह हहह हहह हहहहह हह हहहह हह हहह हहह हहहहहहहहह हहहहहह हह हहहहहह हह हहहह हह

Upload: others

Post on 27-Dec-2019

13 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

हि�न्दी (Hindi)

हि�न्दी सांवैधाहि�क तौर पर भारत की प्रथम राजभाषा �ै और सबसे ज्यादा बोली और समझी जा�ेवाली भाषा �ै। हि�न्दी और इसकी बोलिलयाँ उत्तर एवं मध्य भारत के हिवहिवध प्रांतों में बोली जाती �ैं । २६ ज�वरी १९६५ को हि�न्दी को भारत की आधिधकारिरक भाषा का दजा6 दिदया गया ।

हि�न्दी Spoken - भारत, �ेपाल, हि9जी, सूरी�ाम, अमरीका, इंग्लैंड, आस्टे्रलिलया, के्षत्र - दक्षिAण एलिCया (South Asia)कुल बोलनेवाले - ४८० धिमलिलय� स्थान - २ सरा भाषाई परि�वा� भाषाई वर्गी�क�ण इंडो युरोहिपय� - इंडो इराहि�य� - इंडो आय6�हि�न्दी आधि�का�ीक स्थिस्थहि - राजभाषा भारत (National language of India)हिनयामक - भारत सरकार भाषा कूट - ISO 639-1 hi - ISO 639-2 hin - SIL HND

ची�ी एवं अन्ग्रेज़ी के बाद हि�न्दी हिवश्व में सबसे ज़्यादा बोली जा�े वाली भाषा �ै । भारत और हिवदेC में ६० करोड़ (६०० धिमलिलय�) से अधिधक लोग हि�न्दी बोलते, पढ़ते और लिलखते �ैं । हिPजी, मॉरिरCस, गया�ा, सूरी�ाम और �ेपाल की अधिधकतर ज�ता हि�न्दी बोलती �ै ।

भाषाहिवद हि�न्दी एवं उर्दू6 को एक �ी भाषा समझते �ैं । हि�न्दी देव�ागरी लिलहिप में लिलखी जाती �ै और Cब्दावली के स्तर पर अधिधकांCत: संस्कृत के Cब्दों का प्रयोग करती �ै । उर्दू6 �स्तालिलक़ में लिलखी जाती �ै और Cब्दावली के स्तर पर उस पर 9ारसी और अरबी भाषाओं का ज़्यादा असर �ै । व्याकरक्षिणक रुप से उर्दू6 और हि�न्दी में लगभग Cत-प्रहितCत समा�ता �ै - लिसP6 कुछ खास Aेत्रों में Cब्दावली के स्त्रोत (जैसा हिक उपर लिलखा गया �ै) में अंतर �ोता �ै। कुछ खास ध्वहि�याँ उर्दू6 में अरबी और 9ारसी से ली गयी �ैं और इसी तर� 9ारसी और अरबी के कुछ खास व्याकरक्षिणक संरच�ा भी प्रयोग की जाती �ै।

इहि �ास क्रम (Historical timeline of Hindi)७५० बी. सी. - संस्कृत का वैदिदक संस्कृत के बाद का क्रमबद्ध हिवकास। ५०० बी. सी. - बोद्ध तथा ज�ै की प्राकहित अAरमाला का हिवकास (पूव^ भारत) ४०० बी. सी. - पाक्षिण�ी �े संस्कृत व्याकरण लिलखा (पच्छि`मी भारत)।

वेदिदक संस्कृ से पाननी की संस्कृ का उदर्गीम।३२२ बी. सी. - मौयb द्वारा ब्रा�मी लिलपी का हिवकास। २५० बी. सी. - आदिद संस्कृत का हिवकास।(आदिद संस्कृत �े धीरे धीरे १०० बी. सी. तक प्राकहित का स्था� लिलया) ३२० - गुप्त या लिसद्ध माहित्रका लिलपी का हिवकास।

अप्रभान्षा था आदिद हि�न्दी का हिवकास४०० - कालीदास �े "हिवक्रमोय6लिCयम" अप्रभान्षा मैं लिलखी।

Page 2: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

५५० - वलभी के दC6� मैं अप्रभान्षा का प्रयोग। ७६९ - लिसद्ध सार�पद (जिजन्�ै हि�न्दी का प�ला कहिव मा�ते �ैं) �े "दो�ाकोC" लिलखी। ७७९ - उदयोत� सुरी हिक "कुवलयमल" मैं अप्रभान्षा का प्रयोग। ८०० - संस्कृत मैं बहुत सी रच�ायैं लिलखी गयीं। ९९३ - देवसे� की "Cवकचर" (हि�न्दी की प�ली पुस्तक)। ११०० - आधुहि�क देव�ागरी लिलपी का प्रथम स्वरूप। ११४५-१२२९ - �ेमचन्द्र �े अप्रभान्षा व्याकरण की रच�ा की।

अप्रभान्षा का अस् था आ�ुहिनक हि�न्दी का हिवकास१२८३ - खुसरो की प�ेली तथा मुकरिरस मैं "हि�न्दहिव" Cव्द क उपयोग। १३७० - "�न्सवाली" की आस�ात �े पे्रम कथाओं की Cुरुआत की। १३९८-१५१८ - कबीर की रच�ाओं �े हि�गु6ण भक्ती की �ीवँ रक्खी। १४००-१४७९ - अप्रभान्षा के आखरी म�ा� कहिव रघु। १४५० - रामा�न्द के साथ "सगुण भक्ती" की Cुरुआत। १५८० - Cुरुआती दच्छिक्ख�ी का काय6 "कालधिमतुल �ाकायत्" बु�6�ुदिq� ज�म द्वारा। १५८५ - �वलदास �े "भक्तामल" लिलखी। १६०१ - ब�ारसीदास �े हि�न्दी की प�ली आत्मकथा "अध6 कथा�क्" लिलखी। १६०४ - गुरु अजु6� देव �े कई कहिवओं की रच�ाओं का सन्कल� "आदिद ग्रन्थ" हि�काला। १५३२ -१६२३ तुलसीदास �े "रामचरिरत मा�स" की राच�ा की। १६२३ - जाटमल �े "गोरा बादल की कथा" (खडी बोली की प�ली रच�ा) लिलखी। १६४३ - रामचन्द्र Cुक्ला �े "रीहित" के द्वारा काव्य की Cुरुआत की। १६४५ - उर्दू6 की Cुरुआत। आ�ुहिनक हि�न्दी (Modern Hindi)१७९६ - देव�ागरी रच�ाओं की Cुरुआती छ्पाई। १८२६ - "उदन्त मात6ण्ड" हि�न्दी का प�ला साप्ताहि�क। १८३७ - ओम् जय जगदीC" के रलिचयता पुल्लोरी क जन्म । हि�न्दी भारत की राजभाषा के रुप में स्थाहिपत

हि�न्दी का मानकीक�णस्वतंत्रता प्राप्तिप्त के बाद से हि�न्दी और देव�ागरी के मा�कीकरण की दिदCा में हि�च्छि{न्लखिखत Aेत्रों में प्रयास हुये �ैं:-

हि�न्दी व्याकरण का मा�कीकरण वत6�ी का मा�कीकरण लिCAा मंत्रालय के हि�द}C पर केन्द्रीय हि�न्दी संस्था� द्वारा देव�ागरी का मा�कीकरण वैज्ञाहि�क ढंग से देव�ागरी लिलख�े के लिलये एकरूपता के प्रयास यूहि�कोड का हिवकास

हि�न्दी की शैधिलयाँ (Dialects)

Page 3: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

बाजारी हि�न्दी हि�ंगे्रजी ब{बइया हि�न्दी दच्छिक्ख�ी हि�न्दी पारसी हि�न्दी मारवाड़ी हि�न्दी

लाठर 

हि�न्दी भाषा की उत्पधि6 औ� हिवकासPosted by: संपादक- धिमलिथलेC वाम�कर on: September 2, 2008

In: हि�न्दी भाषा व लिलहिप Comment!

संसार का सबसे प्राची� ग्रन्थ ऋग्वेद �ै। ऋग्वेद से प�ले भी सम्भव �ै कोई भाषा हिवद्यमा� र�ी �ो परन्तु आज तक उसका कोई लिलखिखत रूप ��ीं प्राप्त �ो पाया। इससे य� अ�ुमा� �ोता �ै हिक सम्भवतः आयb की सबसे प्राची� भाषा ऋग्वेद की �ी भाषा, वैदिदक संस्कृत �ी थी। हिवद्वा�ों का मत �ै हिक ऋग्वेद की भी एक काल अथवा एक स्था� पर रच�ा ��ीं हुई। इसके कुछ मन्त्रों की रच�ा कन्धार में, कुछ की लिसनु्ध तट पर, कुछ की हिवपाCा-Cतद्रु के संभेद (�रिर के पत्त�) पर और कुछ मन्त्रों की यमु�ा गंगा के तट पर हुई। इस अ�ुमा� का आधार य� �ै हिक इ� मन्त्रों में क�ीं कन्धार के राजा दिदवोदास का वण6� �ै, तो क�ीं लिसनु्ध �रेC सुदास का। इ� दो�ों राजाओं के Cास� काल के बीच Cताखिब्दयों का अन्तर �ै। इससे य� अ�ुमा� �ोता �ै हिक ऋग्वेद की रच�ा सैकड़ों वषb में जाकर पूण6 हुई और बाद में इसे संहि�त-(संग्र�)-बद्ध हिकया गया।ऋग्वेद के उपरान्त ब्राह्मण ग्रन्थों तथा सूत्र ग्रन्थों का सृज� हुआ और इ�की भाषा ऋग्वेद की भाषा से कई अंCों में क्षिभन्न लौहिकक या क्लालिसकल संस्कृत �ै। सूत्र ग्रन्थों के रच�ा काल में भाषा का साहि�प्तित्यक रूप व्याकरण के हि�यमों में आबद्ध �ो गया था। तब य� भाषा संस्कृत क�लायी। तब छन्दस् वेद तथा लोक-भाषा (लौहिकक) में पया6प्त अन्तर स्पष्ट रूप में प्रकट हुआ।  डॉ. धीरेन्द्र वमा6 का मत �ै हिक पतञ्जलिल (पाक्षिणहि� की व्याकरण अष्टाध्यायी के म�ाभाष्यकार) के समय में व्याकरण Cास्त्र जा��े वाले हिवद्वा�् �ी केवल Cुद्ध संस्कृत बोलते थ,े अन्य लोग अCुद्ध संस्कृत बोलते थ ेतथा साधारण लोग स्वाभाहिवक बोली बोलते थ,े जो कालान्तर में प्राकृत क�लायी। डॉ. चन्द्रबली पांडेय का मत �ै हिक भाषा के इ� दो�ों वगb का श्रेष्टतम उदा�रण वाल्मीहिक रामायण में धिमलता �ै, जबहिक अCोक वादिटका में पव� पुत्र �े सीता से ‘हिद्वजी’ (संस्कृत) भाषा में बात �

Page 4: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

करके ‘मा�ुषी’ (प्राकृत) भाषा में बातचीत की। लेहिक� डॉ. भोला�ाथ हितवारी �े तत्काली� भाषा को पक्षि�मोत्तरी मध्य देCी तथा पूव^ �ाम से अक्षिभहि�त हिकया �ै। परन्तु डॉ. रामहिवलास Cमा6 आदिद कुछ हिवद्वा�्, प्राकृत को ज�साधारण की लोक-भाषा � मा�कर उसे एक कृहित्रम साहि�प्तित्यक भाषा स्वीकार करते �ैं। उ�का मत �ै हिक प्राकृत �े संस्कृत Cब्दों को �ठात् हिवकृत कर�े का हि�यम �ी� प्रयत्� हिकया। डॉ. श्यामसुन्दर दास का मत �ै-वेदकाली� कलिथत भाषा से �ी संस्कृत उत्पन्न हुई और अ�ायb के सम्पक6 का स�ारा पाकर अन्य प्रान्तीय बोलिलयाँ हिवकलिसत हुईं। संस्कृत �े केवल चु�े हुए प्रचुर प्रयुक्त, व्यवच्छिस्थत, व्यापक Cब्दों से �ी अप�ा भण्डार भरा, पर औरों �े वैदिदक भाषा की प्रकृहित स्व`ान्दता को भरपेट अप�ाया। य�ी उ�के प्राकृत क�ला�े का कारण �ै।” व्याकरण के हिवधिध हि�षेध हि�यमों से संस्कारिरत भाषा Cीघ्र �ी सभ्य समाज की श्रेष्ठ भाषा �ो गई तथा य�ी क्रम कई Cताखिब्दयों तक जारी र�ा। यद्यहिप म�ात्मा  बुद्ध के समय संस्कृत की गहित कुछ लिCलिथल पड़ गई, परन्तु गुप्तकाल में उसका हिवकास पु�ः तीव्र वेग से हुआ। दीघ6काल तक संस्कृत �ी राष्ट्रीय भाषा के रूप में स{माहि�त र�ी।ज�साधारण अल्प लिCक्षिAत वग6 के लिलए संस्कृत के हि�यमों का अ�ुसरण कदिठ� था, अतः वे लोकभाषा का �ी प्रयोग करते थे। इसीलिलए म�ावीर स्वामी �े ज�ै मत के तथा म�ात्मा बुद्ध �े बौद्ध मत के प्रसार के लिलए लोकभाषा को �ी अप�ी वाणी का माध्यम ब�ाया। इससे लोकभाषा को ऐसी प्रहितष्ठा का पद प्राप्त हुआ, जो उससे पूव6 कभी प्राप्त ��ीं हुआ था। हि9र भी संस्कृत भाषा का म�त्त्व कभी कम ��ीं हुआ। भास, कालिलदास आदिद के �ाटकों में सुलिCक्षिAत व्यलिक्त तो संस्कृत बोलते �ैं, परन्तु अलिCक्षिAत पात्र -हिवट-चेट हिवर्दूषक तथा दास-दालिसयाँ आदिद प्राकृत में बात करते �ैं। परन्तु ये सब जिज� प्रश्नों के उत्तर प्राकृत में देते हुए दिदखाई गए �ैं, उ� प्रश्नों को संस्कृत में �ी पूछा गया �ै। इससे स्पष्ट �ोता �ै। हिक ज�साधारण भी संस्कृत को अ`ी तर� समझ लेते थ,े भले �ी बोल�े में उन्�ें कदिठ�ाई प्रतीत �ोती �ो। पंचतंत्र में हिवष्णु Cमा6 �े संस्कृत भाषा में �ी राजकुमारों को लिCAा प्रदा� की थी। डॉ. आर.के. मुकज^ �े क�ा �ै, ब्राह्मण काल एवं उसके प�ात् भी हि�ःसन्दे� संस्कृत सामान्य ज�ता के धार्मिमंक कृत्यों पारिरवारिरक संस्कारों तथा लिCAा एवं हिवज्ञा� की भाषा थी।”1 सरदार के.एम. पक्षिणक्कर �े क�ा �ै संस्कृत हिवश्व की संस्कृहित और सभ्यता की भाषा �ै जो भारत की सीमाओं के पार र्दूर-र्दूर तक 9ैली हुई थी।” हि�न्दी का हि�मा6ण-काल अपभं्रC की समाप्तिप्त और आधुहि�क भारतीय भाषाओं के जन्मकाल के समय को संक्रांहितकाल क�ा जा सकता �ै। हि�न्दी का स्वरूप Cौरसे�ी और अध6मागधी अपभं्रCों से हिवकलिसत हुआ �ै। 1000 ई. के आसपास इसकी स्वतंत्र सत्ता का परिरचय धिमल�े लगा था, जब अपभं्रC भाषाए ँसाहि�प्तित्यक संदभb में प्रयोग में आ र�ी थीं। य�ी भाषाए ँबाद में हिवकलिसत �ोकर आधुहि�क भारतीय आय6 भाषाओं के रूप में अक्षिभहि�त हुईं। अपभं्रC का जो भी कथ्य रुप था-व�ी आधुहि�क बोलिलयों में हिवकलिसत हुआ। अपभं्रC के संबंध में ‘देCी’ Cब्द की भी बहुधा चचा6 की जाती �ै। वास्तव में ‘देCी’ से देCी Cब्द एवं देCी भाषा दो�ों का बोध �ोता �ै। प्रश्न य� हिक देCीय Cब्द हिकस भाषा के थ े? भरत मुहि� �े �ाट्यCास्त्र में उ� Cब्दों को ‘देCी’ क�ा �ै ‘जो संस्कृत के तत्सम एवं सद्भव रूपों से क्षिभन्न �ैं।’ ये ‘देCी’ Cब्द ज�भाषा के प्रचलिलत Cब्द थ,े जो स्वभावतया अप्रभंC में भी चले आए थे। ज�भाषा व्याकरण के हि�यमों का अ�ुसरण ��ीं करती, परंतु व्याकरण को ज�भाषा की प्रवृक्षित्तयों का हिवशे्लषण कर�ा पड़ता �ै, प्राकृत-व्याकरणों �े संस्कृत के ढाँचे पर व्याकरण लिलखे और संस्कृत को �ी प्राकृत आदिद की प्रकृहित मा�ा। अतः जो Cब्द उ�के हि�यमों की पकड़ में � आ सके, उ�को देCी संज्ञा दी गई।  प्राची� काल से बोलचाल की भाषा को देCी भाषा अथवा ‘भाषा’ क�ा जाता र�ा। पाक्षिणहि� के समय में संस्कृत बोलचाल की भाषा थी। अतः पाक्षिण�ी �े इसको ‘भाषा’ क�ा �ै। पतंजलिल के समय तक संस्कृत केवल लिCष्ट समाज के व्यव�ार की भाषा र� गई थी और प्राकृत �े बोलचाल की भाषा का स्था� ले लिलया था।

Page 5: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

हि�न्दी व्याक�ण11.भाषा, व्याक�ण औ� बोलीपरिरभाषा- भाषा अक्षिभव्यलिक्त का एक ऐसा समथ6 साध� �ै जिजसके द्वारा म�ुष्य अप�े हिवचारों को र्दूसरों पर प्रकट कर सकता �ै और र्दूसरों के हिवचार जा�ा सकता �ै।संसार में अ�ेक भाषाए ँ �ैं। जैसे-हि�न्दी,संस्कृत,अंग्रेजी, बँगला,गुजराती,पंजाबी,उर्दू6, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, फ्रैं च, ची�ी, जम6� इत्यादिद।भाषा के प्रकार- भाषा दो प्रकार की �ोती �ै-1. मौखिखक भाषा।2. लिलखिखत भाषा।आम�े-साम�े बैठे व्यलिक्त परस्पर बातचीत करते �ैं अथवा कोई व्यलिक्त भाषण आदिद द्वारा अप�े हिवचार प्रकट करता �ै तो उसे भाषा का मौखिखक रूप क�ते �ैं।जब व्यलिक्त हिकसी र्दूर बैठे व्यलिक्त को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पहित्रकाओं में लेख द्वारा अप�े हिवचार प्रकट करता �ै तब उसे भाषा का लिलखिखत रूप क�ते �ैं।व्याक�णम�ुष्य मौखिखक एवं लिलखिखत भाषा में अप�े हिवचार प्रकट कर सकता �ै और करता र�ा �ै हिकन्तु इससे भाषा का कोई हि�क्षि�त एवं Cुद्ध स्वरूप च्छिस्थर ��ीं �ो सकता। भाषा के Cुद्ध और स्थायी रूप को हि�क्षि�त कर�े के लिलए हि�यमबद्ध योज�ा की आवश्यकता �ोती �ै और उस हि�यमबद्ध योज�ा को �म व्याकरण क�ते �ैं।परिरभाषा- व्याकरण व� Cास्त्र �ै जिजसके द्वारा हिकसी भी भाषा के Cब्दों और वाक्यों के Cुद्ध स्वरूपों एवं Cुद्ध प्रयोगों का हिवCद ज्ञा� कराया जाता �ै।भाषा और व्याकरण का संबंध- कोई भी म�ुष्य Cुद्ध भाषा का पूण6 ज्ञा� व्याकरण के हिब�ा प्राप्त ��ीं कर सकता। अतः भाषा और व्याकरण का घहि�ष्ठ संबंध �ैं व� भाषा में उच्चारण, Cब्द-प्रयोग, वाक्य-गठ� तथा अथb के प्रयोग के रूप को हि�क्षि�त करता �ै।व्याकरण के हिवभाग- व्याकरण के चार अंग हि�धा6रिरत हिकये गये �ैं-1. वण6-हिवचार।2. Cब्द-हिवचार।3. पद-हिवचार।4. वाक्य हिवचार।बोलीभाषा का Aेत्रीय रूप बोली क�लाता �ै। अथा6त् देC के हिवक्षिभन्न भागों में बोली जा�े वाली भाषा बोली क�लाती �ै और हिकसी भी Aेत्रीय बोली का लिलखिखत रूप में च्छिस्थर साहि�त्य व�ाँ की भाषा क�लाता �ै।धिलहिपहिकसी भी भाषा के लिलख�े की हिवधिध को ‘लिलहिप’ क�ते �ैं। हि�न्दी और संस्कृत भाषा की लिलहिप का �ाम देव�ागरी �ै। अंग्रेजी भाषा की लिलहिप ‘रोम�’, उर्दू6 भाषा की लिलहिप 9ारसी, और पंजाबी भाषा की लिलहिप गुरुमुखी �ै।साहि�त्यज्ञा�-रालिC का संलिचत कोC �ी साहि�त्य �ै। साहि�त्य �ी हिकसी भी देC, जाहित और वग6 को जीवंत रख�े का- उसके अतीत रूपों को दCा6�े का एकमात्र साक्ष्य �ोता �ै। य� मा�व की अ�ुभूहित के हिवक्षिभन्न

Page 6: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

पAों को स्पष्ट करता �ै और पाठकों एवं श्रोताओं के ह्रदय में एक अलौहिकक अहि�व6च�ीय आ�ंद की अ�ुभूहित उत्पन्न करता �ै।2वण9-हिवचा�परिरभाषा-हि�न्दी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी ध्वहि� वण6 क�लाती �ै। जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क्, ख् आदिद।वण6माला-वणb के समुदाय को �ी वण6माला क�ते �ैं। हि�न्दी वण6माला में 44 वण6 �ैं। उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हि�न्दी वण6माला के दो भेद हिकए गए �ैं-1. स्वर2. वं्यज�1.स्वर-जिज� वणb का उच्चारण स्वतंत्र रूप से �ोता �ो और जो वं्यज�ों के उच्चारण में स�ायक �ों वे स्वर क�लाते �ै। ये संख्या में ग्यार� �ैं-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।उच्चारण के समय की दृधिष्ट से स्वर के ती� भेद हिकए गए �ैं-1. ह्रस्व स्वर।2. दीघ6 स्वर।3. प्लुत स्वर।1.ह्रस्व स्वर-जिज� स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता �ैं उन्�ें ह्रस्व स्वर क�ते �ैं। ये चार �ैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्�ें मूल स्वर भी क�ते �ैं।2.दीघ6 स्वर-जिज� स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगु�ा समय लगता �ै उन्�ें दीघ6 स्वर क�ते �ैं। ये हि�न्दी में सात �ैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।हिवCेष- दीघ6 स्वरों को ह्रस्व स्वरों का दीघ6 रूप ��ीं समझ�ा चाहि�ए। य�ाँ दीघ6 Cब्द का प्रयोग उच्चारण में लग�े वाले समय को आधार मा�कर हिकया गया �ै।3.प्लुत स्वर-जिज� स्वरों के उच्चारण में दीघ6 स्वरों से भी अधिधक समय लगता �ै उन्�ें प्लुत स्वर क�ते �ैं। प्रायः इ�का प्रयोग र्दूर से बुला�े में हिकया जाता �ै।मात्राएँस्वरों के बदले हुए स्वरूप को मात्रा क�ते �ैं स्वरों की मात्राए ँ हि�{�लिलखिखत �ैं-स्वर मात्राए ँ Cब्द अ × कमआ ाा कामइ िा हिकसलयई ाी खीरउ ाु गुलाबऊ ाू भूलऋ ाृ तृणए ाे केCऐ ाै �ै

Page 7: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

ओ ाो चोरऔ ाौ चौखटअ वण6 (स्वर) की कोई मात्रा ��ीं �ोती। वं्यज�ों का अप�ा स्वरूप हि�{�लिलखिखत �ैं-क् च् छ् ज ् झ् त् थ ् ध् आदिद।अ लग�े पर वं्यज�ों के �ीचे का (�ल) लिचह्न �ट जाता �ै। तब ये इस प्रकार लिलखे जाते �ैं-क च छ ज झ त थ ध आदिद।वं्यज�जिज� वणb के पूण6 उच्चारण के लिलए स्वरों की स�ायता ली जाती �ै वे वं्यज� क�लाते �ैं। अथा6त वं्यज� हिब�ा स्वरों की स�ायता के बोले �ी ��ीं जा सकते। ये संख्या में 33 �ैं। इसके हि�{�लिलखिखत ती� भेद �ैं-1. स्पC62. अंतःस्थ3. ऊष्म1.स्पC6-इन्�ें पाँच वगb में रखा गया �ै और �र वग6 में पाँच-पाँच वं्यज� �ैं। �र वग6 का �ाम प�ले वग6 के अ�ुसार रखा गया �ै जैसे-कवग6- क् ख् ग् घ् ड़्चवग6- च् छ् ज ् झ् ञ्टवग6- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्)तवग6- त् थ ् द ् ध् �्पवग6- प् 9् ब् भ् म्2.अंतःस्थ-ये हि�{�लिलखिखत चार �ैं-य् र् ल् व्3.ऊष्म-ये हि�{�लिलखिखत चार �ैं-C् ष् स् है्वसे तो ज�ाँ भी दो अथवा दो से अधिधक वं्यज� धिमल जाते �ैं वे संयुक्त वं्यज� क�लाते �ैं, हिकन्तु देव�ागरी लिलहिप में संयोग के बाद रूप-परिरवत6� �ो जा�े के कारण इ� ती� को हिग�ाया गया �ै। ये दो-दो वं्यज�ों से धिमलकर ब�े �ैं। जैसे-A=क्+ष अAर, ज्ञ=ज+्ञ ज्ञा�, त्र=त्+र �Aत्र कुछ लोग A् त््र और ज्ञ् को भी हि�न्दी वण6माला में हिग�ते �ैं, पर ये संयुक्त वं्यज� �ैं। अतः इन्�ें वण6माला में हिग��ा उलिचत प्रतीत ��ीं �ोता।अ�ुस्वार-इसका प्रयोग पंचम वण6 के स्था� पर �ोता �ै। इसका लिचन्� (ां) �ै। जैसे- सम्भव=संभव, सञ्जय=संजय, गड़्गा=गंगा।हिवसग6-इसका उच्चारण �् के समा� �ोता �ै। इसका लिचह्न (:) �ै। जैसे-अतः, प्रातः।चंद्रहिबंदु-जब हिकसी स्वर का उच्चारण �ालिसका और मुख दो�ों से हिकया जाता �ै तब उसके ऊपर चंद्रहिबंदु (ाँ) लगा दिदया जाता �ै।य� अ�ु�ालिसक क�लाता �ै। जैसे-�ँस�ा, आँख। हि�न्दी वण6माला में 11 स्वर तथा 33 वं्यज� हिग�ाए

Page 8: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

जाते �ैं, परन्तुइ�में ड़्, ढ़् अं तथा अः जोड़�े पर हि�न्दी के वणb की कुल संख्या 48 �ो जाती �ै।�लंत-जब कभी वं्यज� का प्रयोग स्वर से रहि�त हिकया जाता �ै तब उसके �ीचे एक हितरछी रेखा (ा्) लगा दी जाती �ै। य� रेखा �ल क�लाती �ै। �लयुक्त वं्यज� �लंत वण6 क�लाता �ै। जैसे-हिवद्यां।वणb के उच्चारण-स्था�मुख के जिजस भाग से जिजस वण6 का उच्चारण �ोता �ै उसे उस वण6 का उच्चारण स्था� क�ते �ैं।उच्चारण स्था� तालिलकाक्रम वण6 उच्चारण श्रेणी

1. अ आ क् ख् ग् घ् ड़् �् हिवसग6 कंठ और जीभ का हि�चला भाग कंठस्थ

2. इ ई च् छ् ज ्झ् ञ ्य् C तालु और जीभ तालव्य3. ऋ ट् ठ् ड् ढ् ण् ड़् ढ़् र् ष् मूधा6 और जीभ मूध6न्य4. त् थ ्द ्ध् �् ल् स् दाँत और जीभ दंत्य5. उ ऊ प् 9् ब् भ् म दो�ों �ोंठ ओष्ठ्य6. ए ऐ कंठ तालु और जीभ कंठतालव्य7. ओ औ दाँत जीभ और �ोंठ कंठोष्ठ्य8. व् दाँत जीभ और �ोंठ दंतोष्3शब्द-हिवचा�परिरभाषा- एक या अधिधक वणb से ब�ी हुई स्वतंत्र साथ6क ध्वहि� Cब्द क�लाता �ै। जैसे- एक वण6 से हि�र्मिमंत Cब्द-� (��ीं) व (और) अ�ेक वणb से हि�र्मिमंत Cब्द-कुत्ता, Cेर,कमल, �य�, प्रासाद, सव6व्यापी, परमात्मा।शब्द-भेदवु्यत्पक्षित्त (ब�ावट) के आधार पर Cब्द-भेद-वु्यत्पक्षित्त (ब�ावट) के आधार पर Cब्द के हि�{�लिलखिखत ती� भेद �ैं-1. रूढ़2. यौहिगक3. योगरूढ़1.रूढ़-जो Cब्द हिकन्�ीं अन्य Cब्दों के योग से � ब�े �ों और हिकसी हिवCेष अथ6 को प्रकट करते �ों तथा जिज�के टुकड़ों का कोई अथ6 ��ीं �ोता, वे रूढ़ क�लाते �ैं। जैसे-कल, पर। इ�में क, ल, प, र का टुकडे़ कर�े पर कुछ अथ6 ��ीं �ैं। अतः ये हि�रथ6क �ैं।2.यौहिगक-जो Cब्द कई साथ6क Cब्दों के मेल से ब�े �ों,वे यौहिगक क�लाते �ैं। जैसे-देवालय=देव+आलय, राजपुरुष=राज+पुरुष, हि�मालय=हि�म+आलय, देवर्दूत=देव+र्दूत आदिद। ये सभी Cब्द दो साथ6क Cब्दों के मेल से ब�े �ैं।3.योगरूढ़-

Page 9: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

वे Cब्द, जो यौहिगक तो �ैं, हिकन्तु सामान्य अथ6 को � प्रकट कर हिकसी हिवCेष अथ6 को प्रकट करते �ैं, योगरूढ़ क�लाते �ैं। जैसे-पंकज, दCा�� आदिद। पंकज=पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न �ो�े वाला) सामान्य अथ6 में प्रचलिलत � �ोकर कमल के अथ6 में रूढ़ �ो गया �ै। अतः पंकज Cब्द योगरूढ़ �ै। इसी प्रकार दC (दस) आ�� (मुख) वाला रावण के अथ6 में प्रलिसद्ध �ै।उत्पक्षित्त के आधार पर Cब्द-भेद-उत्पक्षित्त के आधार पर Cब्द के हि�{�लिलखिखत चार भेद �ैं-1. तत्सम- जो Cब्द संस्कृत भाषा से हि�न्दी में हिब�ा हिकसी परिरवत6� के ले लिलए गए �ैं वे तत्सम क�लाते �ैं। जैसे-अखिग्�, Aेत्र, वायु, राहित्र, सूय6 आदिद।2. तद्भव- जो Cब्द रूप बदल�े के बाद संस्कृत से हि�न्दी में आए �ैं वे तद्भव क�लाते �ैं। जैसे-आग (अखिग्�), खेत(Aेत्र), रात (राहित्र), सूरज (सूय6) आदिद।3. देCज- जो Cब्द Aेत्रीय प्रभाव के कारण परिरच्छिस्थहित व आवश्यकता�ुसार ब�कर प्रचलिलत �ो गए �ैं वे देCज क�लाते �ैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटा�ा आदिद।4. हिवदेCी या हिवदेCज- हिवदेCी जाहितयों के संपक6 से उ�की भाषा के बहुत से Cब्द हि�न्दी में प्रयुक्त �ो�े लगे �ैं। ऐसे Cब्द हिवदेCी अथवा हिवदेCज क�लाते �ैं। जैसे-स्कूल, अ�ार, आम, कैं ची,अचार, पुलिलस, टेली9ो�, रिरक्शा आदिद। ऐसे कुछ हिवदेCी Cब्दों की सूची �ीचे दी जा र�ी �ै।अंग्रेजी- कॉलेज, पैंलिसल, रेहिडयो, टेलीहिवज�, डॉक्टर, लैटरबक्स, पै�, दिटकट, मCी�, लिसगरेट, साइहिकल, बोतल आदिद।9ारसी- अ�ार,चश्मा, जमींदार, दुका�, दरबार, �मक, �मू�ा, बीमार, बर9, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदिद।अरबी- औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, का�ू�, खत, 9कीर, रिरश्वत, औरत, कैदी, मालिलक, गरीब आदिद।तुक·- कैं ची, चाकू, तोप, बारूद, लाC, दारोगा, ब�ादुर आदिद।पुत6गाली- अचार, आलपी�, कारतूस, गमला, चाबी, हितजोरी, तौलिलया, 9ीता, साबु�, तंबाकू, कॉ9ी, कमीज आदिद।फ्रांसीसी- पुलिलस, काटू6�, इंजीहि�यर, कर्फ्यूयू6, हिबगुल आदिद।ची�ी- तू9ा�, लीची, चाय, पटाखा आदिद।यू�ा�ी- टेली9ो�, टेलीग्रा9, ऐटम, डेल्टा आदिद।जापा�ी- रिरक्शा आदिद।प्रयोग के आधार पर Cब्द-भेदप्रयोग के आधार पर Cब्द के हि�{�लिलखिखत आठ भेद �ै-1. संज्ञा2. सव6�ाम3. हिवCेषण4. हिक्रया5. हिक्रया-हिवCेषण6. संबंधबोधक7. समुच्चयबोधक8. हिवस्मयादिदबोधकइ� उपयु6क्त आठ प्रकार के Cब्दों को भी हिवकार की दृधिष्ट से दो भागों में बाँटा जा सकता �ै-1. हिवकारी2. अहिवकारी

Page 10: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

1.हिवकारी Cब्द-जिज� Cब्दों का रूप-परिरवत6� �ोता र�ता �ै वे हिवकारी Cब्द क�लाते �ैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे,�में अ`ा, अ`े खाता �ै, खाती �ै, खाते �ैं। इ�में संज्ञा, सव6�ाम, हिवCेषण और हिक्रया हिवकारी Cब्द �ैं।2.अहिवकारी Cब्द-जिज� Cब्दों के रूप में कभी कोई परिरवत6� ��ीं �ोता �ै वे अहिवकारी Cब्द क�लाते �ैं। जैसे-य�ाँ, हिकन्तु, हि�त्य, और, �े अरे आदिद। इ�में हिक्रया-हिवCेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और हिवस्मयादिदबोधक आदिद �ैं।अथ6 की दृधिष्ट से Cब्द-भेदअथ6 की दृधिष्ट से Cब्द के दो भेद �ैं-1. साथ6क2. हि�रथ6क1.साथ6क Cब्द-जिज� Cब्दों का कुछ-�-कुछ अथ6 �ो वे Cब्द साथ6क Cब्द क�लाते �ैं। जैसे-रोटी, पा�ी, ममता, डंडा आदिद।2.हि�रथ6क Cब्द-जिज� Cब्दों का कोई अथ6 ��ीं �ोता �ै वे Cब्द हि�रथ6क क�लाते �ैं। जैसे-रोटी-वोटी, पा�ी-वा�ी, डंडा-वंडा इ�में वोटी, वा�ी, वंडा आदिद हि�रथ6क Cब्द �ैं।हिवCेष- हि�रथ6क Cब्दों पर व्याकरण में कोई हिवचार ��ीं हिकया जाता �ै।4पद-हिवचारसाथ6क वण6-समू� Cब्द क�लाता �ै, पर जब इसका प्रयोग वाक्य में �ोता �ै तो व� स्वतंत्र ��ीं र�ता बल्किल्क व्याकरण के हि�यमों में बँध जाता �ै और प्रायः इसका रूप भी बदल जाता �ै। जब कोई Cब्द वाक्य में प्रयुक्त �ोता �ै तो उसे Cब्द � क�कर पद क�ा जाता �ै।हि�न्दी में पद पाँच प्रकार के �ोते �ैं-1. संज्ञा2. सव6�ाम3. हिवCेषण4. हिक्रया5. अव्यय1.संज्ञा-हिकसी व्यलिक्त, स्था�, वस्तु आदिद तथा �ाम के गुण, धम6, स्वभाव का बोध करा�े वाले Cब्द संज्ञा क�लाते �ैं। जैसे-श्याम, आम, धिमठास, �ाथी आदिद।संज्ञा के प्रकार- संज्ञा के ती� भेद �ैं-1. व्यलिक्तवाचक संज्ञा।2. जाहितवाचक संज्ञा।3. भाववाचक संज्ञा।1.व्यलिक्तवाचक संज्ञा-जिजस संज्ञा Cब्द से हिकसी हिवCेष, व्यलिक्त, प्राणी, वस्तु अथवा स्था� का बोध �ो उसे व्यलिक्तवाचक संज्ञा क�ते �ैं। जैसे-जयप्रकाC �ारायण, श्रीकृष्ण, रामायण, ताजम�ल, कुतुबमी�ार, लालहिकला हि�मालय

Page 11: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

आदिद।2.जाहितवाचक संज्ञा-जिजस संज्ञा Cब्द से उसकी संपूण6 जाहित का बोध �ो उसे जाहितवाचक संज्ञा क�ते �ैं। जैसे-म�ुष्य, �दी, �गर, पव6त, पCु, पAी, लड़का, कुत्ता, गाय, घोड़ा, भैंस, बकरी, �ारी, गाँव आदिद।3.भाववाचक संज्ञा-जिजस संज्ञा Cब्द से पदाथb की अवस्था, गुण-दोष, धम6 आदिद का बोध �ो उसे भाववाचक संज्ञा क�ते �ैं। जैसे-बुढ़ापा, धिमठास, बचप�, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदिद।हिवCेष वक्तव्य- कुछ हिवद्वा� अंग्रेजी व्याकरण के प्रभाव के कारण संज्ञा Cब्द के दो भेद और बतलाते �ैं-1. समुदायवाचक संज्ञा।2. द्रव्यवाचक संज्ञा।1.समुदायवाचक संज्ञा-जिज� संज्ञा Cब्दों से व्यलिक्तयों, वस्तुओं आदिद के समू� का बोध �ो उन्�ें समुदायवाचक संज्ञा क�ते �ैं। जैसे-सभा, कAा, से�ा, भीड़, पुस्तकालय दल आदिद।2.द्रव्यवाचक संज्ञा-जिज� संज्ञा-Cब्दों से हिकसी धातु, द्रव्य आदिद पदाथb का बोध �ो उन्�ें द्रव्यवाचक संज्ञा क�ते �ैं। जैसे-घी, तेल, सो�ा, चाँदी,पीतल, चावल, गेहूँ, कोयला, लो�ा आदिद।इस प्रकार संज्ञा के पाँच भेद �ो गए, हिकन्तु अ�ेक हिवद्वा� समुदायवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञाओं को जाहितवाचक संज्ञा के अंतग6त �ी मा�ते �ैं, और य�ी उलिचत भी प्रतीत �ोता �ै।भाववाचक संज्ञा ब�ा�ा- भाववाचक संज्ञाए ँचार प्रकार के Cब्दों से ब�ती �ैं। जैसे-1.जाहितवाचक संज्ञाओं से-दास दासतापंहिडत पांहिडत्यबंधु बंधुत्वAहित्रय Aहित्रयत्वपुरुष पुरुषत्वप्रभु प्रभुतापCु पCुता,पCुत्वब्राह्मण ब्राह्मणत्वधिमत्र धिमत्रताबालक बालकप�बच्चा बचप��ारी �ारीत्व2.सव6�ाम से-अप�ा अप�ाप�, अप�त्व हि�ज हि�जत्व,हि�जतापराया परायाप�स्व स्वत्वसव6 सव6स्वअ�ं अ�ंकारमम ममत्व,ममता3.हिवCेषण से-

Page 12: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

मीठा धिमठासचतुर चातुय6, चतुराईमधुर माधुय6संुदर सौंदय6, संुदरताहि�ब6ल हि�ब6लता स9ेद स9ेदी�रा �रिरयालीस9ल स9लताप्रवीण प्रवीणतामैला मैलहि�पुण हि�पुणताखट्टा खटास4.हिक्रया से-खेल�ा खेलथक�ा थकावटलिलख�ा लेख, लिलखाई�ँस�ा �ँसीले�ा-दे�ा ले�-दे�पढ़�ा पढ़ाईधिमल�ा मेलचढ़�ा चढ़ाईमुसका�ा मुसका�कमा�ा कमाईउतर�ा उतराईउड़�ा उड़ा�र��ा-स��ा र��-स��देख�ा-भाल�ा देख-भालअध्याय 5संज्ञा के हिवकारक तत्वजिज� तत्वों के आधार पर संज्ञा (संज्ञा, सव6�ाम, हिवCेषण) का रूपांतर �ोता �ै वे हिवकारक तत्व क�लाते �ैं।वाक्य में Cब्दों की च्छिस्थहित के आधार पर �ी उ�में हिवकार आते �ैं। य� हिवकार लिलंग, वच� और कारक के कारण �ी �ोता �ै। जैसे-लड़का Cब्द के चारों रूप- 1.लड़का, 2.लड़के, 3.लड़कों, 4.लड़को-केवल वच� और कारकों के कारण ब�ते �ैं।लिलंग- जिजस लिचह्न से य� बोध �ोता �ो हिक अमुक Cब्द पुरुष जाहित का �ै अथवा स्त्री जाहित का व� लिलंग क�लाता �ै।परिरभाषा- Cब्द के जिजस रूप से हिकसी व्यलिक्त, वस्तु आदिद के पुरुष जाहित अथवा स्त्री जाहित के �ो�े का ज्ञा� �ो उसे लिलंग क�ते �ैं। जैसे-लड़का, लड़की, �र, �ारी आदिद। इ�में ‘लड़का’ और ‘�र’ पुच्छिल्लंग तथा लड़की और ‘�ारी’ स्त्रीलिलंग �ैं।हि�न्दी में लिलंग के दो भेद �ैं-1. पुच्छिल्लंग।2. स्त्रीलिलंग।1.पुच्छिल्लंग-

Page 13: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

जिज� संज्ञा Cब्दों से पुरुष जाहित का बोध �ो अथवा जो Cब्द पुरुष जाहित के अंतग6त मा�े जाते �ैं वे पुच्छिल्लंग �ैं। जैसे-कुत्ता, लड़का, पेड़, लिसं�, बैल, घर आदिद।2.स्त्रीलिलंग-जिज� संज्ञा Cब्दों से स्त्री जाहित का बोध �ो अथवा जो Cब्द स्त्री जाहित के अंतग6त मा�े जाते �ैं वे स्त्रीलिलंग �ैं। जैसे-गाय, घड़ी, लड़की, कुरसी, छड़ी, �ारी आदिद।पुच्छिल्लंग की प�चा�-1. आ, आव, पा, प� � ये प्रत्यय जिज� Cब्दों के अंत में �ों वे प्रायः पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे- मोटा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लड़कप� ले�-दे�।2. पव6त, मास, वार और कुछ ग्र�ों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं जैसे-हिवंध्याचल, हि�मालय, वैCाख, सूय6, चंद्र, मंगल, बुध, राहु, केतु (ग्र�)।3. पेड़ों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-पीपल, �ीम, आम, CीCम, सागौ�, जामु�, बरगद आदिद।4. अ�ाजों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-बाजरा, गेहूँ, चावल, च�ा, मटर, जौ, उड़द आदिद।5. द्रव पदाथb के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-पा�ी, सो�ा, ताँबा, लो�ा, घी, तेल आदिद।6. रत्�ों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-�ीरा, पन्ना, मूँगा, मोती माक्षिणक आदिद।7. दे� के अवयवों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-लिसर, मस्तक, दाँत, मुख, का�, गला, �ाथ, पाँव, �ोंठ, तालु, �ख, रोम आदिद।8. जल,स्था� और भूमंडल के भागों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-समुद्र, भारत, देC, �गर, द्वीप, आकाC, पाताल, घर, सरोवर आदिद।9. वण6माला के अ�ेक अAरों के �ाम पुच्छिल्लंग �ोते �ैं। जैसे-अ,उ,ए,ओ,क,ख,ग,घ, च,छ,य,र,ल,व,C आदिद।स्त्रीलिलंग की प�चा�-1. जिज� संज्ञा Cब्दों के अंत में ख �ोते �ै, वे स्त्रीलिलंग क�लाते �ैं। जैसे-ईख, भूख, चोख, राख, कोख, लाख, देखरेख आदिद।2. जिज� भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ट, वट, या �ट �ोता �ै, वे स्त्रीलिलंग क�लाती �ैं। जैसे-झंझट, आ�ट, लिचक�ा�ट, ब�ावट, सजावट आदिद।3. अ�ुस्वारांत, ईकारांत, ऊकारांत, तकारांत, सकारांत संज्ञाए ँस्त्रीलिलंग क�लाती �ै। जैसे-रोटी, टोपी, �दी, लिचट्ठी, उदासी, रात, बात, छत, भीत, लू, बालू, दारू, सरसों, खड़ाऊँ, प्यास, वास, साँस आदिद।4. भाषा, बोली और लिलहिपयों के �ाम स्त्रीलिलंग �ोते �ैं। जैसे-हि�न्दी, संस्कृत, देव�ागरी, प�ाड़ी, तेलुगु पंजाबी गुरुमुखी।5. जिज� Cब्दों के अंत में इया आता �ै वे स्त्रीलिलंग �ोते �ैं। जैसे-कुदिटया, खदिटया, लिचहिड़या आदिद।6. �दिदयों के �ाम स्त्रीलिलंग �ोते �ैं। जैसे-गंगा, यमु�ा, गोदावरी, सरस्वती आदिद।7. तारीखों और हितलिथयों के �ाम स्त्रीलिलंग �ोते �ैं। जैसे-प�ली, र्दूसरी, प्रहितपदा, पूर्णिणंमा आदिद।8. पृथ्वी ग्र� स्त्रीलिलंग �ोते �ैं।9. �Aत्रों के �ाम स्त्रीलिलंग �ोते �ैं। जैसे-अक्षिश्व�ी, भरणी, रोहि�णी आदिद।Cब्दों का लिलंग-परिरवत6�प्रत्यय पुच्छिल्लंग स्त्रीलिलंगई घोड़ा घोड़ी  देव देवी  दादा दादी

Page 14: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

  लड़का लड़की  ब्राह्मण ब्राह्मणी  �र �ारी  बकरा बकरीइय चू�ा चुहि�या  लिचड़ा लिचहिड़या  बेटा हिबदिटया  गुड्डा गुहिड़या  लोटा लुदिटयाइ� माली मालिल�  क�ार क�ारिर�  सु�ार सु�ारिर�  लु�ार लु�ारिर�  धोबी धोहिब��ी मोर मोर�ी  �ाथी �ालिथ�  लिसं� लिसं��ीआ�ी �ौकर �ौकरा�ी  चौधरी चौधरा�ी  देवर देवरा�ी  सेठ सेठा�ी  जेठ जेठा�ीआइ� पंहिडत पंहिडताइ�  ठाकुर ठाकुराइ�आ बाल बाला  सुत सुता  छात्र छात्रा  लिCष्य लिCष्याअक को इका करके पाठक पादिठका

  अध्यापक अध्याहिपका  बालक बालिलका  लेखक लेखिखका  सेवक सेहिवका

Page 15: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

इ�ी (इणी) तपस्वी तपल्किस्व�ी  हि�तकारी हि�तकारिर�ी  स्वामी स्वाधिम�ी  परोपकारी परोपकारिर�ीकुछ हिवCेष Cब्द जो स्त्रीलिलंग में हिबलकुल �ी बदल जाते �ैं।पुच्छिल्लंग स्त्रीलिलंगहिपता माताभाई भाभी�र मादाराजा रा�ीससुर साससम्राट सम्राज्ञीपुरुष स्त्रीबैल गाययुवक युवतीहिवCेष वक्तव्य- जो प्राक्षिणवाचक सदा Cब्द �ी स्त्रीलिलंग �ैं अथवा जो सदा �ी पुच्छिल्लंग �ैं उ�के पुच्छिल्लंग अथवा स्त्रीलिलंग जता�े के लिलए उ�के साथ ‘�र’ व ‘मादा’ Cब्द लगा देते �ैं। जैसे-हि�त्य स्त्रीलिलंग पुच्छिल्लंगमक्खी �र मक्खीकोयल �र कोयलहिगल�री �र हिगल�रीमै�ा �र मै�ाहिततली �र हिततलीबाज मादा बाजखटमल मादा खटमलचील �र चीलकछुआ �र कछुआकौआ �र कौआभेहिड़या मादा भेहिड़याउल्लू मादा उल्लूम`र मादा म`र अध्याय 6वच�परिरभाषा-Cब्द के जिजस रूप से उसके एक अथवा अ�ेक �ो�े का बोध �ो उसे वच� क�ते �ैं।

Page 16: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

हि�न्दी में वच� दो �ोते �ैं-1. एकवच�2. बहुवच�एकवच�-Cब्द के जिजस रूप से एक �ी वस्तु का बोध �ो, उसे एकवच� क�ते �ैं। जैसे-लड़का, गाय, लिसपा�ी, बच्चा, कपड़ा, माता, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी बंदर, मोर आदिद।बहुवच�-Cब्द के जिजस रूप से अ�ेकता का बोध �ो उसे बहुवच� क�ते �ैं। जैसे-लड़के, गायें, कपडे़, टोहिपयाँ, मालाए,ँ माताए,ँ पुस्तकें , वधुए,ँ गुरुज�, रोदिटयाँ, स्त्रिस्त्रयाँ, लताए,ँ बेटे आदिद।एकवच� के स्था� पर बहुवच� का प्रयोग(क) आदर के लिलए भी बहुवच� का प्रयोग �ोता �ै। जैसे-(1) भीष्म हिपताम� तो ब्रह्मचारी थे।(2) गुरुजी आज ��ीं आये।(3) लिCवाजी सच्चे वीर थे।(ख) बड़प्प� दCा6�े के लिलए कुछ लोग व� के स्था� पर वे और मैं के स्था� �म का प्रयोग करते �ैं जैसे-(1) मालिलक �े कम6चारी से क�ा, �म मीटिटंग में जा र�े �ैं।(2) आज गुरुजी आए तो वे प्रसन्न दिदखाई दे र�े थे।(ग) केC, रोम, अश्रु, प्राण, दC6�, लोग, दC6क, समाचार, दाम, �ोC, भाग्य आदिद ऐसे Cब्द �ैं जिज�का प्रयोग बहुधा बहुवच� में �ी �ोता �ै। जैसे-(1) तु{�ारे केC बडे़ सुन्दर �ैं।(2) लोग क�ते �ैं।बहुवच� के स्था� पर एकवच� का प्रयोग(क) तू एकवच� �ै जिजसका बहुवच� �ै तुम हिकन्तु सभ्य लोग आजकल लोक-व्यव�ार में एकवच� के लिलए तुम का �ी प्रयोग करते �ैं जैसे-(1) धिमत्र, तुम कब आए।(2) क्या तुम�े खा�ा खा लिलया।(ख) वग6, वृंद, दल, गण, जाहित आदिद Cब्द अ�ेकता को प्रकट कर�े वाले �ैं, हिकन्तु इ�का व्यव�ार एकवच� के समा� �ोता �ै। जैसे-(1) सैहि�क दल Cत्रु का दम� कर र�ा �ै।(2) स्त्री जाहित संघष6 कर र�ी �ै।(ग) जाहितवाचक Cब्दों का प्रयोग एकवच� में हिकया जा सकता �ै। जैसे-(1) सो�ा बहुमूल्य वस्तु �ै।(2) मुंबई का आम स्वादिदष्ट �ोता �ै।बहुवच� ब�ा�े के हि�यम(1) अकारांत स्त्रीलिलंग Cब्दों के अंहितम अ को ए ँकर दे�े से Cब्द बहुवच� में बदल जाते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच�आँख आँखेंब�� ब��ें

Page 17: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

पुस्तक पुस्तकेंसड़क सड़केगाय गायेंबात बातें(2) आकारांत पुच्छिल्लंग Cब्दों के अंहितम ‘आ’ को ‘ए’ कर दे�े से Cब्द बहुवच� में बदल जाते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�घोड़ा घोडे़ कौआ कौएकुत्ता कुत्ते गधा गधेकेला केले बेटा बेटे(3) आकारांत स्त्रीलिलंग Cब्दों के अंहितम ‘आ’ के आगे ‘ए’ँ लगा दे�े से Cब्द बहुवच� में बदल जाते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�कन्या कन्याएँ अध्याहिपका अध्याहिपकाएँकला कलाएँ माता माताएँकहिवता कहिवताएँ लता लताएँ(4) इकारांत अथवा ईकारांत स्त्रीलिलंग Cब्दों के अंत में ‘याँ’ लगा दे�े से और दीघ6 ई को ह्रस्व इ कर दे�े से Cब्द बहुवच� में बदल जाते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�बुजिद्ध बुजिद्धयाँ गहित गहितयाँकली कलिलयाँ �ीहित �ीहितयाँकॉपी कॉहिपयाँ लड़की लड़हिकयाँथाली थालिलयाँ �ारी �ारिरयाँ(5) जिज� स्त्रीलिलंग Cब्दों के अंत में या �ै उ�के अंहितम आ को आँ कर दे�े से वे बहुवच� ब� जाते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�गुहिड़या गुहिड़याँ हिबदिटया हिबदिटयाँचुहि�या चुहि�याँ कुहितया कुहितयाँलिचहिड़या लिचहिड़याँ खदिटया खदिटयाँबुदिढ़या बुदिढ़याँ गैया गैयाँ(6) कुछ Cब्दों में अंहितम उ, ऊ और औ के साथ ए ँलगा देते �ैं और दीघ6 ऊ के साथ� पर ह्रस्व उ �ो जाता �ै। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�गौ गौएँ बहू बहूएँवधू वधूएँ वस्तु वस्तुएँ

Page 18: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

धे�ु धे�ुएँ धातु धातुएँ(7) दल, वृंद, वग6, ज� लोग, गण आदिद Cब्द जोड़कर भी Cब्दों का बहुवच� ब�ा देते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�अध्यापक अध्यापकवृंद धिमत्र धिमत्रवग6हिवद्याथ^ हिवद्याथ^गण से�ा से�ादलआप आप लोग गुरु गुरुज�श्रोता श्रोताज� गरीब गरीब लोग(8) कुछ Cब्दों के रूप ‘एकवच�’ और ‘बहुवच�’ दो�ो में समा� �ोते �ैं। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�Aमा Aमा �ेता �ेताजल जल पे्रम पे्रमहिगरिर हिगरिर क्रोध क्रोधराजा राजा पा�ी पा�ीहिवCेष- (1) जब संज्ञाओं के साथ �े, को, से आदिद परसग6 लगे �ोते �ैं तो संज्ञाओं का बहुवच� ब�ा�े के लिलए उ�में ‘ओ’ लगाया जाता �ै। जैसे-एकवच� बहुवच� एकवच� बहुवच�लड़के को बुलाओ लड़को को बुलाओ बच्चे �े गा�ा गाया बच्चों �े गा�ा गाया

�दी का जल ठंडा �ै �दिदयों का जल ठंडा �ै आदमी से पूछ लो आदधिमयों से पूछ लो

(2) संबोध� में ‘ओ’ जोड़कर बहुवच� ब�ाया जाता �ै। जैसे-बच्चों ! ध्या� से सु�ो। भाइयों ! मे��त करो। ब��ो ! अप�ा कत6व्य हि�भाओ।अध्याय 7कारकपरिरभाषा-संज्ञा या सव6�ाम के जिजस रूप से उसका सीधा संबंध हिक्रया के साथ ज्ञात �ो व� कारक क�लाता �ै। जैसे-गीता �े र्दूध पीया। इस वाक्य में ‘गीता’ पी�ा हिक्रया का कता6 �ै और र्दूध उसका कम6। अतः ‘गीता’ कता6 कारक �ै और ‘र्दूध’ कम6 कारक।कारक हिवभलिक्त- संज्ञा अथवा सव6�ाम Cब्दों के बाद ‘�े, को, से, के लिलए’, आदिद जो लिचह्न लगते �ैं वे लिचह्न कारक हिवभलिक्त क�लाते �ैं।हि�न्दी में आठ कारक �ोते �ैं। उन्�ें हिवभलिक्त लिचह्नों सहि�त �ीचे देखा जा सकता �ै-कारक हिवभलिक्त लिचह्न (परसग6)1. कता6 �े2. कम6 को3. करण से, के साथ, के द्वारा4. संप्रदा� के लिलए, को5. अपादा� से (पृथक)6. संबंध का, के, की7. अधिधकरण में, पर

Page 19: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

8. संबोध� �े ! �रे !कारक लिचह्न स्मरण कर�े के लिलए इस पद की रच�ा की गई �ैं-कता6 �े अरु कम6 को, करण रीहित से जा�।संप्रदा� को, के लिलए, अपादा� से मा�।।का, के, की, संबंध �ैं, अधिधकरणादिदक में मा�।रे ! �े ! �ो ! संबोध�, धिमत्र धरहु य� ध्या�।।हिवCेष-कता6 से अधिधकरण तक हिवभलिक्त लिचह्न (परसग6) Cब्दों के अंत में लगाए जाते �ैं, हिकन्तु संबोध� कारक के लिचह्न-�े, रे, आदिद प्रायः Cब्द से पूव6 लगाए जाते �ैं।1.कता6 कारक-जिजस रूप से हिक्रया (काय6) के कर�े वाले का बोध �ोता �ै व� ‘कता6’ कारक क�लाता �ै। इसका हिवभलिक्त-लिचह्न ‘�े’ �ै। इस ‘�े’ लिचह्न का वत6मा�काल और भहिवष्यकाल में प्रयोग ��ीं �ोता �ै। इसका सकम6क धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग �ोता �ै। जैसे- 1.राम �े रावण को मारा। 2.लड़की स्कूल जाती �ै।प�ले वाक्य में हिक्रया का कता6 राम �ै। इसमें ‘�े’ कता6 कारक का हिवभलिक्त-लिचह्न �ै। इस वाक्य में ‘मारा’ भूतकाल की हिक्रया �ै। ‘�े’ का प्रयोग प्रायः भूतकाल में �ोता �ै। र्दूसरे वाक्य में वत6मा�काल की हिक्रया का कता6 लड़की �ै। इसमें ‘�े’ हिवभलिक्त का प्रयोग ��ीं हुआ �ै।हिवCेष- (1) भूतकाल में अकम6क हिक्रया के कता6 के साथ भी �े परसग6 (हिवभलिक्त लिचह्न) ��ीं लगता �ै। जैसे-व� �ँसा।(2) वत6मा�काल व भहिवष्यतकाल की सकम6क हिक्रया के कता6 के साथ �े परसग6 का प्रयोग ��ीं �ोता �ै। जैसे-व� 9ल खाता �ै। व� 9ल खाएगा।(3) कभी-कभी कता6 के साथ ‘को’ तथा ‘स’ का प्रयोग भी हिकया जाता �ै। जैसे-(अ) बालक को सो जा�ा चाहि�ए। (आ) सीता से पुस्तक पढ़ी गई।(इ) रोगी से चला भी ��ीं जाता। (ई) उससे Cब्द लिलखा ��ीं गया।2.कम6 कारक-हिक्रया के काय6 का 9ल जिजस पर पड़ता �ै, व� कम6 कारक क�लाता �ै। इसका हिवभलिक्त-लिचह्न ‘को’ �ै। य� लिचह्न भी बहुत-से स्था�ों पर ��ीं लगता। जैसे- 1. मो�� �े साँप को मारा। 2. लड़की �े पत्र लिलखा। प�ले वाक्य में ‘मार�े’ की हिक्रया का 9ल साँप पर पड़ा �ै। अतः साँप कम6 कारक �ै। इसके साथ परसग6 ‘को’ लगा �ै।र्दूसरे वाक्य में ‘लिलख�े’ की हिक्रया का 9ल पत्र पर पड़ा। अतः पत्र कम6 कारक �ै। इसमें कम6 कारक का हिवभलिक्त लिचह्न ‘को’ ��ीं लगा।3.करण कारक-संज्ञा आदिद Cब्दों के जिजस रूप से हिक्रया के कर�े के साध� का बोध �ो अथा6त् जिजसकी स�ायता से काय6 संपन्न �ो व� करण कारक क�लाता �ै। इसके हिवभलिक्त-लिचह्न ‘से’ के ‘द्वारा’ �ै। जैसे- 1.अजु6� �े जयद्रथ को बाण से मारा। 2.बालक गेंद से खेल र�े �ै।प�ले वाक्य में कता6 अजु6� �े मार�े का काय6 ‘बाण’ से हिकया। अतः ‘बाण से’ करण कारक �ै। र्दूसरे वाक्य में कता6 बालक खेल�े का काय6 ‘गेंद से’ कर र�े �ैं। अतः ‘गेंद से’ करण कारक �ै।4.संप्रदा� कारक-संप्रदा� का अथ6 �ै-दे�ा। अथा6त कता6 जिजसके लिलए कुछ काय6 करता �ै, अथवा जिजसे कुछ देता �ै उसे व्यक्त कर�े वाले रूप को संप्रदा� कारक क�ते �ैं। इसके हिवभलिक्त लिचह्न ‘के लिलए’ को �ैं।1.स्वास्थ्य के लिलए सूय6 को �मस्कार करो। 2.गुरुजी को 9ल दो।इ� दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिलए’ और ‘गुरुजी को’ संप्रदा� कारक �ैं।

Page 20: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

5.अपादा� कारक-संज्ञा के जिजस रूप से एक वस्तु का र्दूसरी से अलग �ो�ा पाया जाए व� अपादा� कारक क�लाता �ै। इसका हिवभलिक्त-लिचह्न ‘से’ �ै। जैसे- 1.बच्चा छत से हिगर पड़ा। 2.संगीता घोडे़ से हिगर पड़ी।इ� दो�ों वाक्यों में ‘छत से’ और घोडे़ ‘से’ हिगर�े में अलग �ो�ा प्रकट �ोता �ै। अतः घोडे़ से और छत से अपादा� कारक �ैं।6.संबंध कारक-Cब्द के जिजस रूप से हिकसी एक वस्तु का र्दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट �ो व� संबंध कारक क�लाता �ै। इसका हिवभलिक्त लिचह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ �ै। जैसे- 1.य� राधेश्याम का बेटा �ै। 2.य� कमला की गाय �ै।इ� दो�ों वाक्यों में ‘राधेश्याम का बेटे’ से और ‘कमला का’ गाय से संबंध प्रकट �ो र�ा �ै। अतः य�ाँ संबंध कारक �ै।7.अधिधकरण कारक-Cब्द के जिजस रूप से हिक्रया के आधार का बोध �ोता �ै उसे अधिधकरण कारक क�ते �ैं। इसके हिवभलिक्त-लिचह्न ‘में’, ‘पर’ �ैं। जैसे- 1.भँवरा 9ूलों पर मँडरा र�ा �ै। 2.कमरे में टी.वी. रखा �ै।इ� दो�ों वाक्यों में ‘9ूलों पर’ और ‘कमरे में’ अधिधकरण कारक �ै।8.संबोध� कारक-जिजससे हिकसी को बुला�े अथवा सचेत कर�े का भाव प्रकट �ो उसे संबोध� कारक क�ते �ै और संबोध� लिचह्न (!) लगाया जाता �ै। जैसे- 1.अरे भैया ! क्यों रो र�े �ो ? 2.�े गोपाल ! य�ाँ आओ।इ� वाक्यों में ‘अरे भैया’ और ‘�े गोपाल’ ! संबोध� कारक �ै।अध्याय 8सव6�ामसव6�ाम-संज्ञा के स्था� पर प्रयुक्त �ो�े वाले Cब्द को सव6�ाम क�ते �ै। संज्ञा की पु�रुलिक्त को र्दूर कर�े के लिलए �ी सव6�ाम का प्रयोग हिकया जाता �ै। जैसे-मैं, �म, तू, तुम, व�, य�, आप, कौ�, कोई, जो आदिद।सव6�ाम के भेद- सव6�ाम के छ� भेद �ैं-1. पुरुषवाचक सव6�ाम।2. हि��यवाचक सव6�ाम।3. अहि��यवाचक सव6�ाम।4. संबंधवाचक सव6�ाम।5. प्रश्नवाचक सव6�ाम।6. हि�जवाचक सव6�ाम।1.पुरुषवाचक सव6�ाम-जिजस सव6�ाम का प्रयोग वक्ता या लेखक स्वयं अप�े लिलए अथवा श्रोता या पाठक के लिलए अथवा हिकसी अन्य के लिलए करता �ै व� पुरुषवाचक सव6�ाम क�लाता �ै। पुरुषवाचक सव6�ाम ती� प्रकार के �ोते �ैं-(1) उत्तम पुरुषवाचक सव6�ाम- जिजस सव6�ाम का प्रयोग बोल�े वाला अप�े लिलए करे, उसे उत्तम पुरुषवाचक सव6�ाम क�ते �ैं। जैसे-मैं, �म, मुझे, �मारा आदिद।(2) मध्यम पुरुषवाचक सव6�ाम- जिजस सव6�ाम का प्रयोग बोल�े वाला सु��े वाले के लिलए करे, उसे मध्यम पुरुषवाचक सव6�ाम क�ते �ैं। जैसे-तू, तुम,तुझे, तु{�ारा आदिद।(3) अन्य पुरुषवाचक सव6�ाम- जिजस सव6�ाम का प्रयोग बोल�े वाला सु��े वाले के अहितरिरक्त हिकसी

Page 21: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

अन्य पुरुष के लिलए करे उसे अन्य पुरुषवाचक सव6�ाम क�ते �ैं। जैसे-व�, वे, उस�े, य�, ये, इस�े, आदिद।2.हि��यवाचक सव6�ाम-जो सव6�ाम हिकसी व्यलिक्त वस्तु आदिद की ओर हि��यपूव6क संकेत करें वे हि��यवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं। इ�में ‘य�’, ‘व�’, ‘वे’ सव6�ाम Cब्द हिकसी हिवCेष व्यलिक्त आदिद का हि��यपूव6क बोध करा र�े �ैं, अतः ये हि��यवाचक सव6�ाम �ै।3.अहि��यवाचक सव6�ाम-जिजस सव6�ाम Cब्द के द्वारा हिकसी हि�क्षि�त व्यलिक्त अथवा वस्तु का बोध � �ो वे अहि��यवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं। इ�में ‘कोई’ और ‘कुछ’ सव6�ाम Cब्दों से हिकसी हिवCेष व्यलिक्त अथवा वस्तु का हि��य ��ीं �ो र�ा �ै। अतः ऐसे Cब्द अहि��यवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं।4.संबंधवाचक सव6�ाम-परस्पर एक-र्दूसरी बात का संबंध बतला�े के लिलए जिज� सव6�ामों का प्रयोग �ोता �ै उन्�ें संबंधवाचक सव6�ाम क�ते �ैं। इ�में ‘जो’, ‘व�’, ‘जिजसकी’, ‘उसकी’, ‘जैसा’, ‘वैसा’-ये दो-दो Cब्द परस्पर संबंध का बोध करा र�े �ैं। ऐसे Cब्द संबंधवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं।5.प्रश्नवाचक सव6�ाम-जो सव6�ाम संज्ञा Cब्दों के स्था� पर तो आते �ी �ै, हिकन्तु वाक्य को प्रश्नवाचक भी ब�ाते �ैं वे प्रश्नवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं। जैसे-क्या, कौ� आदिद। इ�में ‘क्या’ और ‘कौ�’ Cब्द प्रश्नवाचक सव6�ाम �ैं, क्योंहिक इ� सव6�ामों के द्वारा वाक्य प्रश्नवाचक ब� जाते �ैं।6.हि�जवाचक सव6�ाम-ज�ाँ अप�े लिलए ‘आप’ Cब्द ‘अप�ा’ Cब्द अथवा ‘अप�े’ ‘आप’ Cब्द का प्रयोग �ो व�ाँ हि�जवाचक सव6�ाम �ोता �ै। इ�में ‘अप�ा’ और ‘आप’ Cब्द उत्तम, पुरुष मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के (स्वयं का) अप�े आप का बोध करा र�े �ैं। ऐसे Cब्द हि�जवाचक सव6�ाम क�लाते �ैं।हिवCेष-ज�ाँ केवल ‘आप’ Cब्द का प्रयोग श्रोता के लिलए �ो व�ाँ य� आदर-सूचक मध्यम पुरुष �ोता �ै और ज�ाँ ‘आप’ Cब्द का प्रयोग अप�े लिलए �ो व�ाँ हि�जवाचक �ोता �ै।सव6�ाम Cब्दों के हिवCेष प्रयोग(1) आप, वे, ये, �म, तुम Cब्द बहुवच� के रूप में �ैं, हिकन्तु आदर प्रकट कर�े के लिलए इ�का प्रयोग एक व्यलिक्त के लिलए भी �ोता �ै।(2) ‘आप’ Cब्द स्वयं के अथ6 में भी प्रयुक्त �ो जाता �ै। जैसे-मैं य� काय6 आप �ी कर लँूगा।अध्याय 9हिवCेषणहिवCेषण की परिरभाषा- संज्ञा अथवा सव6�ाम Cब्दों की हिवCेषता (गुण, दोष, संख्या, परिरमाण आदिद) बता�े वाले Cब्द ‘हिवCेषण’ क�लाते �ैं। जैसे-बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदिद।हिवCेष्य- जिजस संज्ञा अथवा सव6�ाम Cब्द की हिवCेषता बताई जाए व� हिवCेष्य क�लाता �ै। यथा- गीता सुन्दर �ै। इसमें ‘सुन्दर’ हिवCेषण �ै और ‘गीता’ हिवCेष्य �ै। हिवCेषण Cब्द हिवCेष्य से पूव6 भी आते �ैं और उसके बाद भी।पूव6 में, जैसे- (1) थोड़ा-सा जल लाओ। (2) एक मीटर कपड़ा ले आ�ा।बाद में, जैसे- (1) य� रास्ता लंबा �ै। (2) खीरा कड़वा �ै।हिवCेषण के भेद- हिवCेषण के चार भेद �ैं-1. गुणवाचक।

Page 22: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

2. परिरमाणवाचक।3. संख्यावाचक।4. संकेतवाचक अथवा साव6�ाधिमक।1.गुणवाचक हिवCेषण-जिज� हिवCेषण Cब्दों से संज्ञा अथवा सव6�ाम Cब्दों के गुण-दोष का बोध �ो वे गुणवाचक हिवCेषण क�लाते �ैं। जैसे-(1) भाव- अ`ा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदिद।(2) रंग- लाल, �रा, पीला, स9ेद, काला, चमकीला, 9ीका आदिद।(3) दCा- पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, हिपघला, भारी, गीला, गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदिद।(4) आकार- गोल, सुडौल, �ुकीला, समा�, पोला आदिद।(5) समय- अगला, हिपछला, दोप�र, संध्या, सवेरा आदिद।(6) स्था�- भीतरी, बा�री, पंजाबी, जापा�ी, पुरा�ा, ताजा, आगामी आदिद।(7) गुण- भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दा�ी,सच, झूठ, सीधा आदिद।(8) दिदCा- उत्तरी, दक्षिAणी, पूव^, पक्षि�मी आदिद।2.परिरमाणवाचक हिवCेषण-जिज� हिवCेषण Cब्दों से संज्ञा या सव6�ाम की मात्रा अथवा �ाप-तोल का ज्ञा� �ो वे परिरमाणवाचक हिवCेषण क�लाते �ैं।परिरमाणवाचक हिवCेषण के दो उपभेद �ै-(1) हि�क्षि�त परिरमाणवाचक हिवCेषण- जिज� हिवCेषण Cब्दों से वस्तु की हि�क्षि�त मात्रा का ज्ञा� �ो। जैसे-(क) मेरे सूट में साढे़ ती� मीटर कपड़ा लगेगा।(ख) दस हिकलो ची�ी ले आओ।(ग) दो लिलटर र्दूध गरम करो।(2) अहि�क्षि�त परिरमाणवाचक हिवCेषण- जिज� हिवCेषण Cब्दों से वस्तु की अहि�क्षि�त मात्रा का ज्ञा� �ो। जैसे-(क) थोड़ी-सी �मकी� वस्तु ले आओ।(ख) कुछ आम दे दो।(ग) थोड़ा-सा र्दूध गरम कर दो।3.संख्यावाचक हिवCेषण-जिज� हिवCेषण Cब्दों से संज्ञा या सव6�ाम की संख्या का बोध �ो वे संख्यावाचक हिवCेषण क�लाते �ैं। जैसे-एक, दो, हिद्वतीय, दुगु�ा, चौगु�ा, पाँचों आदिद।संख्यावाचक हिवCेषण के दो उपभेद �ैं-(1) हि�क्षि�त संख्यावाचक हिवCेषण- जिज� हिवCेषण Cब्दों से हि�क्षि�त संख्या का बोध �ो। जैसे-दो पुस्तकें मेरे लिलए ले आ�ा।हि�क्षि�त संख्यावाचक के हि�{�लिलखिखत चार भेद �ैं-(क) गणवाचक- जिज� Cब्दों के द्वारा हिग�ती का बोध �ो। जैसे-(1) एक लड़का स्कूल जा र�ा �ै।(2) पच्चीस रुपये दीजिजए।(3) कल मेरे य�ाँ दो धिमत्र आएगेँ।(4) चार आम लाओ।

Page 23: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

(ख) क्रमवाचक- जिज� Cब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध �ो। जैसे-(1) प�ला लड़का य�ाँ आए।(2) र्दूसरा लड़का व�ाँ बैठे।(3) राम कAा में प्रथम र�ा।(4) श्याम हिद्वतीय श्रेणी में पास हुआ �ै।(ग) आवृक्षित्तवाचक- जिज� Cब्दों के द्वारा केवल आवृक्षित्त का बोध �ो। जैसे-(1) मो�� तुमसे चौगु�ा काम करता �ै।(2) गोपाल तुमसे दुगु�ा मोटा �ै।(घ) समुदायवाचक- जिज� Cब्दों के द्वारा केवल सामूहि�क संख्या का बोध �ो। जैसे-(1) तुम ती�ों को जा�ा पडे़गा।(2) य�ाँ से चारों चले जाओ।(2) अहि�क्षि�त संख्यावाचक हिवCेषण- जिज� हिवCेषण Cब्दों से हि�क्षि�त संख्या का बोध � �ो। जैसे-कुछ बच्चे पाक6 में खेल र�े �ैं।(4) संकेतवाचक (हि�द}Cक) हिवCेषण-जो सव6�ाम संकेत द्वारा संज्ञा या सव6�ाम की हिवCेषता बतलाते �ैं वे संकेतवाचक हिवCेषण क�लाते �ैं।हिवCेष-क्योंहिक संकेतवाचक हिवCेषण सव6�ाम Cब्दों से ब�ते �ैं, अतः ये साव6�ाधिमक हिवCेषण क�लाते �ैं। इन्�ें हि�द}Cक भी क�ते �ैं।(1) परिरमाणवाचक हिवCेषण और संख्यावाचक हिवCेषण में अंतर- जिज� वस्तुओं की �ाप-तोल की जा सके उ�के वाचक Cब्द परिरमाणवाचक हिवCेषण क�लाते �ैं। जैसे-‘कुछ र्दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ Cब्द तोल के लिलए आया �ै। इसलिलए य� परिरमाणवाचक हिवCेषण �ै। 2.जिज� वस्तुओं की हिग�ती की जा सके उ�के वाचक Cब्द संख्यावाचक हिवCेषण क�लाते �ैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। य�ाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की हिग�ती के लिलए आया �ै। इसलिलए य� संख्यावाचक हिवCेषण �ै। परिरमाणवाचक हिवCेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदाथ6वाचक संज्ञाए ँ आएगँी जबहिक संख्यावाचक हिवCेषणों के बाद जाहितवाचक संज्ञाए ँ आती �ैं।(2) सव6�ाम और साव6�ाधिमक हिवCेषण में अंतर- जिजस Cब्द का प्रयोग संज्ञा Cब्द के स्था� पर �ो उसे सव6�ाम क�ते �ैं। जैसे-व� मुंबई गया। इस वाक्य में व� सव6�ाम �ै। जिजस Cब्द का प्रयोग संज्ञा से पूव6 अथवा बाद में हिवCेषण के रूप में हिकया गया �ो उसे साव6�ाधिमक हिवCेषण क�ते �ैं। जैसे-व� रथ आ र�ा �ै। इसमें व� Cब्द रथ का हिवCेषण �ै। अतः य� साव6�ाधिमक हिवCेषण �ै।हिवCेषण की अवस्थाए-ँहिवCेषण Cब्द हिकसी संज्ञा या सव6�ाम की हिवCेषता बतलाते �ैं। हिवCेषता बताई जा�े वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज्यादा �ोते �ैं। गुण-दोषों के इस कम-ज्यादा �ो�े को तुल�ात्मक ढंग से �ी जा�ा जा सकता �ै। तुल�ा की दृधिष्ट से हिवCेषणों की हि�{�लिलखिखत ती� अवस्थाए ँ �ोती �ैं-(1) मूलावस्था(2) उत्तरावस्था(3) उत्तमावस्था(1) मूलावस्था-मूलावस्था में हिवCेषण का तुल�ात्मक रूप ��ीं �ोता �ै। व� केवल सामान्य हिवCेषता �ी प्रकट करता �ै। जैसे- 1.साहिवत्री संुदर लड़की �ै। 2.सुरेC अ`ा लड़का �ै। 3.सूय6 तेजस्वी �ै।

Page 24: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

(2) उत्तरावस्था-जब दो व्यलिक्तयों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुल�ा की जाती �ै तब हिवCेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त �ोता �ै। जैसे- 1.रवीन्द्र चेत� से अधिधक बुजिद्धमा� �ै। 2.सहिवता रमा की अपेAा अधिधक सुन्दर �ै।(3) उत्तमावस्था-उत्तमावस्था में दो से अधिधक व्यलिक्तयों एवं वस्तुओं की तुल�ा करके हिकसी एक को सबसे अधिधक अथवा सबसे कम बताया गया �ै। जैसे- 1.पंजाब में अधिधकतम अन्न �ोता �ै। 2.संदीप हि�कृष्टतम बालक �ै।हिवCेष-केवल गुणवाचक एवं अहि�क्षि�त संख्यावाचक तथा हि�क्षि�त परिरमाणवाचक हिवCेषणों की �ी ये तुल�ात्मक अवस्थाए ँ �ोती �ैं, अन्य हिवCेषणों की ��ीं।अवस्थाओं के रूप-(1) अधिधक और सबसे अधिधक Cब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप ब�ाए जा सकते �ैं। जैसे-मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्थाअ`ी अधिधक अ`ी सबसे अ`ीचतुर अधिधक चतुर सबसे अधिधक चतुरबुजिद्धमा� अधिधक बुजिद्धमा� सबसे अधिधक बुजिद्धमा�बलवा� अधिधक बलवा� सबसे अधिधक बलवा�इसी प्रकार र्दूसरे हिवCेषण Cब्दों के रूप भी ब�ाए जा सकते �ैं।(2) तत्सम Cब्दों में मूलावस्था में हिवCेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग �ोता �ै। जैसे-मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्थाउच्च उच्चतर उच्चतमकठोर कठोरतर कठोरतमगुरु गुरुतर गुरुतमम�ा�, म�ा�तर म�त्तर, म�ा�तम म�त्तमन्यू� न्यू�तर न्य�ूतमलघु लघुतर लघुतमतीव्र तीव्रतर तीव्रतमहिवCाल हिवCालतर हिवCालतमउत्कृष्ट उत्कृष्टर उत्कृट्ठतमसंुदर संुदरतर संुदरतममधुर मधुरतर मधुतरतम हिवCेषणों की रच�ा-कुछ Cब्द मूलरूप में �ी हिवCेषण �ोते �ैं, हिकन्तु कुछ हिवCेषण Cब्दों की रच�ा संज्ञा, सव6�ाम एवं हिक्रया Cब्दों से की जाती �ै-(1) संज्ञा से हिवCेषण ब�ा�ा-

Page 25: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

प्रत्यय संज्ञा हिवCेषण संज्ञा हिवCेषणक अंC आंलिCक धम6 धार्मिमंक  अलंकार आलंकारिरक �ीहित �ैहितक  अथ6 आर्थिथंक दिद� दैहि�क  इहित�ास ऐहित�ालिसक देव दैहिवकइत अंक अंहिकत कुसुम कुसुधिमत  सुरक्षिभ सुरक्षिभत ध्वहि� ध्वहि�त  Aुधा Aुधिधत तरंग तरंहिगतइल जटा जदिटल पंक पंहिकल  9े� 9ेहि�ल उर्मिमं उर्मिमलंइम स्वण6 स्वर्णिणंम रक्त रलिक्तमई रोग रोगी भोग भोगीई�,ईण कुल कुली� ग्राम ग्रामीणईय आत्मा आत्मीय जाहित जातीयआलु श्रद्धा श्रद्धालु ईष्या6 ईष्या6लुवी म�स म�स्वी तपस तपस्वीमय सुख सुखमय दुख दुखमयवा� रूप रूपवा� गुण गुणवा�वती(स्त्री) गुण गुणवती पुत्र पुत्रवतीमा� बुजिद्ध बुजिद्धमा� श्री श्रीमा�मती (स्त्री) श्री श्रीमती बुजिद्ध बुजिद्धमतीरत धम6 धम6रत कम6 कम6रतस्थ समीप समीपस्थ दे� दे�स्थहि�ष्ठ धम6 धम6हि�ष्ठ कम6 कम6हि�ष्ठ(2) सव6�ाम से हिवCेषण ब�ा�ा-सव6�ाम हिवCेषण सव6�ाम हिवCेषणव� वैसा य� ऐसा(3) हिक्रया से हिवCेषण ब�ा�ा-हिक्रया हिवCेषण हिक्रया हिवCेषणपत पहितत पूज पूज�ीयपठ पदिठत वंद वंद�ीयभाग�ा भाग�े वाला पाल�ा पाल�े वालाअध्याय 10हिक्रया

Page 26: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

हिक्रया- जिजस Cब्द अथवा Cब्द-समू� के द्वारा हिकसी काय6 के �ो�े अथवा कर�े का बोध �ो उसे हिक्रया क�ते �ैं। जैसे-(1) गीता �ाच र�ी �ै।(2) बच्चा र्दूध पी र�ा �ै।(3) राकेC कॉलेज जा र�ा �ै।(4) गौरव बुजिद्धमा� �ै।(5) लिCवाजी बहुत वीर थे।इ�में ‘�ाच र�ी �ै’, ‘पी र�ा �ै’, ‘जा र�ा �ै’ Cब्द काय6-व्यापार का बोध करा र�े �ैं। जबहिक ‘�ै’, ‘थ’े Cब्द �ो�े का। इ� सभी से हिकसी काय6 के कर�े अथवा �ो�े का बोध �ो र�ा �ै। अतः ये हिक्रयाए ँ�ैं।धातु-हिक्रया का मूल रूप धातु क�लाता �ै। जैसे-लिलख, पढ़, जा, खा, गा, रो, पा आदिद। इन्�ीं धातुओं से लिलखता, पढ़ता, आदिद हिक्रयाए ँ ब�ती �ैं।हिक्रया के भेद- हिक्रया के दो भेद �ैं-(1) अकम6क हिक्रया।(2) सकम6क हिक्रया।1.अकम6क हिक्रया-जिज� हिक्रयाओं का 9ल सीधा कता6 पर �ी पडे़ वे अकम6क हिक्रया क�लाती �ैं। ऐसी अकम6क हिक्रयाओं को कम6 की आवश्यकता ��ीं �ोती। अकम6क हिक्रयाओं के अन्य उदा�रण �ैं-(1) गौरव रोता �ै।(2) साँप रेंगता �ै।(3) रेलगाड़ी चलती �ै।कुछ अकम6क हिक्रयाए-ँ लजा�ा, �ो�ा, बढ़�ा, सो�ा, खेल�ा, अकड़�ा, डर�ा, बैठ�ा, �ँस�ा, उग�ा, जी�ा, दौड़�ा, रो�ा, ठ�र�ा, चमक�ा, डोल�ा, मर�ा, घट�ा, 9ाँद�ा, जाग�ा, बरस�ा, उछल�ा, कूद�ा आदिद।2.सकम6क हिक्रया-जिज� हिक्रयाओं का 9ल (कता6 को छोड़कर) कम6 पर पड़ता �ै वे सकम6क हिक्रया क�लाती �ैं। इ� हिक्रयाओं में कम6 का �ो�ा आवश्यक �ैं, सकम6क हिक्रयाओं के अन्य उदा�रण �ैं-(1) मैं लेख लिलखता हूँ।(2) रमेC धिमठाई खाता �ै।(3) सहिवता 9ल लाती �ै।(4) भँवरा 9ूलों का रस पीता �ै।3.हिद्वकम6क हिक्रया- जिज� हिक्रयाओं के दो कम6 �ोते �ैं, वे हिद्वकम6क हिक्रयाए ँ क�लाती �ैं। हिद्वकम6क हिक्रयाओं के उदा�रण �ैं-(1) मैं�े श्याम को पुस्तक दी।(2) सीता �े राधा को रुपये दिदए।ऊपर के वाक्यों में ‘दे�ा’ हिक्रया के दो कम6 �ैं। अतः दे�ा हिद्वकम6क हिक्रया �ैं।प्रयोग की दृधिष्ट से हिक्रया के भेद-प्रयोग की दृधिष्ट से हिक्रया के हि�{�लिलखिखत पाँच भेद �ैं-1.सामान्य हिक्रया- ज�ाँ केवल एक हिक्रया का प्रयोग �ोता �ै व� सामान्य हिक्रया क�लाती �ै। जैसे-

Page 27: हिन्दी (Hindi) · Web viewबह वचन एकवचन- शब द क ज स र प स एक ह वस त क ब ध ह , उस एकवचन कहत

1. आप आए।2.व� ��ाया आदिद।2.संयुक्त हिक्रया- ज�ाँ दो अथवा अधिधक हिक्रयाओं का साथ-साथ प्रयोग �ो वे संयुक्त हिक्रया क�लाती �ैं। जैसे-1.सहिवता म�ाभारत पढ़�े लगी।2.व� खा चुका।3.�ामधातु हिक्रया- संज्ञा, सव6�ाम अथवा हिवCेषण Cब्दों से ब�े हिक्रयापद �ामधातु हिक्रया क�लाते �ैं। जैसे-�लिथया�ा, Cरमा�ा, अप�ा�ा, लजा�ा, लिचक�ा�ा, झुठला�ा आदिद।4.पे्ररणाथ6क हिक्रया- जिजस हिक्रया से पता चले हिक कता6 स्वयं काय6 को � करके हिकसी अन्य को उस काय6 को कर�े की पे्ररणा देता �ै व� पे्ररणाथ6क हिक्रया क�लाती �ै। ऐसी हिक्रयाओं के दो कता6 �ोते �ैं- (1) पे्ररक कता6- पे्ररणा प्रदा� कर�े वाला। (2) पे्ररिरत कता6-पे्ररणा ले�े वाला। जैसे-श्यामा राधा से पत्र लिलखवाती �ै। इसमें वास्तव में पत्र तो राधा लिलखती �ै, हिकन्तु उसको लिलख�े की पे्ररणा देती �ै श्यामा। अतः ‘लिलखवा�ा’ हिक्रया पे्ररणाथ6क हिक्रया �ै। इस वाक्य में श्यामा पे्ररक कता6 �ै और राधा पे्ररिरत कता6।5.पूव6कालिलक हिक्रया- हिकसी हिक्रया से पूव6 यदिद कोई र्दूसरी हिक्रया प्रयुक्त �ो तो व� पूव6कालिलक हिक्रया क�लाती �ै। जैसे- मैं अभी सोकर उठा हूँ। इसमें ‘उठा हूँ’ हिक्रया से पूव6 ‘सोकर’ हिक्रया का प्रयोग हुआ �ै। अतः ‘सोकर’ पूव6कालिलक हिक्रया �ै।हिवCेष- पूव6कालिलक हिक्रया या तो हिक्रया के सामान्य रूप में प्रयुक्त �ोती �ै अथवा धातु के अंत में ‘कर’ अथवा ‘करके’ लगा दे�े से पूव6कालिलक हिक्रया ब� जाती �ै। जैसे-(1) बच्चा र्दूध पीते �ी सो गया।(2) लड़हिकयाँ पुस्तकें पढ़कर जाएगँी।अपूण6 हिक्रया-कई बार वाक्य में हिक्रया के �ोते हुए भी उसका अथ6 स्पष्ट ��ीं �ो पाता। ऐसी हिक्रयाए ँअपूण6 हिक्रया क�लाती �ैं। जैसे-गाँधीजी थे। तुम �ो। ये हिक्रयाए ँअपूण6 हिक्रयाए ँ�ै। अब इन्�ीं वाक्यों को हि9र से पदिढ़ए-गांधीजी राष्ट्रहिपता थे। तुम बुजिद्धमा� �ो।इ� वाक्यों में क्रमCः ‘राष्ट्रहिपता’ और ‘बुजिद्धमा�’ Cब्दों के प्रयोग से स्पष्टता आ गई। ये सभी Cब्द ‘पूरक’ �ैं।अपूण6 हिक्रया के अथ6 को पूरा कर�े के लिलए जिज� Cब्दों का प्रयोग हिकया जाता �ै उन्�ें पूरक क�ते �ैं।