वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव...

91
44books.com वायायन का कामस हिदी म इसके ल 7 भाग ि | इस प तक म आपको पिला भाग मलेगा | अय 6 भाग आप 44books.com से डाउनलोड कर सकते ि भाग 1 साधारणम ् अयाय 1 शासंिः लोक (1)- धमाााकामेयो नमः।। अा - मै धम, अम और काम को नमकार करने के बाद म इस ं की श रआत करता ह भारतीय सयता, संक त और साहहयका यह बह त प राना चलन रहा है कक ं की रआत, बीच और अंत म मंगलाचरणककया जाता है। इसके बाद आचायम वासायन ने ं की रआत करते ह एअम , धमम और काम की वंदना की है। हदए गए पहले स म ककसी देवी यादेवता की वंदना मंगलाचरण वारा न करके , ं म ततपाय ववषय- धम, अम और काकी वंदना को महव हदया है। इसको साफ करते ह ए आचायमवासाययन न ख द कहा है काम, धमम और अम तीन ही ववषय अलग-अलग हैकफर भी आपस म ज डे ह ए है। भगवान शव सारे तव को जानने वाले ह। वहणाम करने योय है। उनको णाम करके ही मंगलाचरण की ेठता पाई जासकती है। जस कार से चार वणम (जातत)ामण, , य और वेय होते ह उसी कार से चार आम भीहोते ह- धम, अम , मो और काम। धमम सबके शलए इसशलए जऱरी होता हैयइसके बगैर मो की ाजतत संभव नहीं है। अम इसशलए जऱरी होताहै यकक अोपाजमन के 44books.com

Upload: others

Post on 09-Mar-2020

18 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

वातसयायन का कामसतर हिनदी म

इसक कल 7 भाग ि |

इस पतक म आपको पिला भाग ममलगा | अनय 6 भाग आप

44books.com स डाउनलोड कर सकत ि भाग 1 साधारणम

अधयाय 1 शातरसगरिः शलोक (1)- धमााराकामभयो नमः।।

अरा- म धमम, अरम और काम को नमसकार करन क बाद म इस गरर की शरआत करता ह ।

भारतीय सभयता, ससकतत और साहहतयका यह बहत पराना चलन रहा ह कक गरर की शरआत, बीच और अत म मगलाचरणककया जाता ह। इसक बाद आचायम वातसायन न गरर की शरआत करत हएअरम, धमम और काम की वदना की ह। हदए गए पहल स तर म ककसी दवी यादवता की वदना मगलाचरण दवारा न करक, गरर म परततपादय ववषय- धमम, अरम और काम की वदना को महतव हदया ह। इसको साफ करत हए आचायमवातसाययन न खद कहा ह कक काम, धमम और अरम तीनो ही ववषय अलग-अलग हकफर भी आपस म जड हए ह। भगवान शशव सार ततवो को जानन वाल ह। वहपरणाम करन योगय ह। उनको परणाम करक ही मगलाचरण की शरषठता पाई जासकती ह।

जजस परकार स चार वणम (जातत)बराहमण, शदर, कषतरतरय और वशय होत ह उसी परकार स चार आशरम भीहोत ह- धमम, अरम, मोकष और काम। धमम सबक शलए इसशलए जररी होता हकयोकक इसक बगर मोकष की पराजतत सभव नही ह। अरम इसशलए जररी होताह कयोकक अरोपाजमन क

44books.com

Page 2: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

तरबना जीवन नही चल सकता ह। द सर जीव परकततपर तनभमर रहकर पराकततक रप स अपना जीवन चला सकत ह लककन मनषय ऐसानही कर सकता ह कयोकक वह द सर जीवो स बदधधमान होता ह। वह सामाजजकपराणी ह और समाज क तनयमो म बधकर चलता ह और चलना पसद करता ह। समाजक तनयम ह कक मनषय गहसर जीवन म परवश करता ह तो सामाजजक, धाशममकतनयमो म बधा होना जररी समझता ह और जब वह सामाजजक-धाशममक तनयमो मबधा होता ह तो उस काम-ववषयक जञान को भी तनयमबदध रप स अपनाना जररीहो जाता ह। यही कारण ह कक मनषय ककसी खास मौसम म ही सभोग का सख नहीभोगता बजकक हर हदन वह इस किया का आनद उठाना चाहता ह।

इसी धयय को सामन रखत हए आचायमवातसयायन न काम क स तरो की रचना की ह। इन स तरो म काम क तनयमबताए गए ह। इन तनयमो का पालन करक मनषय सभोग सख को और भी जयादा लबसमय तक चलन वाला और आनदमय बना सकता ह।

आचायम वातसयायन न कामस तर कीशरआत करत हए पहल ही स तर म धमम को महतव हदया ह तरा धमम, अरमऔर काम को नमसकार ककया ह।

शलोक (2)- शातरो परकततसवात।।

अरा- आचायम वातसयायन न काम क इसशासतर म मखय रप स धमम, अरम और काम को महतव हदया ह और इनहनमसकार ककया ह। भारतीय सभयता की आधारशशला 4 वगम होत ह- धमम, अरम, काम और मोकष। मनषय की सारी इचछाए इनही चारो क अदर मौज द होती ह।मनषय क शरीर म जररतो को चाहन वाल जो अग हो यह चारो पदारम उनकीप तत म ककया करत ह।

इसक अतगमत शरीर, बदधध, मन औरआतमा यह 4 अग सारी जररतो और इचछाओ क चाहन वाल होत ह। इनकीप तत म धमम, अरम, काम और मोकष दवारा होती ह। शरीर क ववकास और पोषण कशलए अरम की जररत होती ह। शरीर क पोषण क बाद उसका झकाव सभोग की ओरहोता ह। बदधध क शलए धमम जञान दता ह। अचछाई और बराई का जञान दनक सार-सार उस सही रासता दता ह। सदमागम स आतमा को शातत शमलती ह।आतमा की शातत स मनषय मोकष क रासत की ओर बढन का परयास करता ह।यह तनयम हर काल म एक ही जस रह ह और ऐस ही रहग। आहद मानव क यगम भी शरीर क शलए अरम का महतव रा। जगलो म रहन वाल कद-म ल औरफल-फ ल क रप म भोजन और शशकार की जररत पडती री। सयकत पररवार कबीलक रप म होन क कारण उनकी सभोग सबधधत ववषय की प तत म बहत ही आसानीस हो जाती री। मतय क बाद शरीर को जलाया या दफनाया इसीशलए जाता रा ताककमर हए मनषय को मजकत शमल सक। इस परकार अगर भोजन न ककया जाए तो शरीरबजान सा हो जाता ह। काम (सभोग) क तरबना मन कहठत सा हो जाता ह। अगरमन म

44books.com

Page 3: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

कठा होती ह तो वह धमम पर असर डालती ह और कहठत मन मोकष कदवार नही खोल सकता। इस परकार स धमम, अरम, काम और मोकष एक-द सर सप री तरह जड हए ह। तरबना धमम क बदधध खराब हो जाती ह और तरबनामोकष की इचछा ककए मनषय पतन क रासत पर चल पडता ह।

बदधध क जञान क कारण समवाय सबधबना रहता ह। जस ही जञान की बढोतरी होती ह वस ही बदधध का ववकासभी होता जाता ह। अगर दखा जाए तो बदधध और जञान एक ही पदारम क दोहहसस ह।

जजस तरह स बदधध और जञान एक ही हउसी तरह धमम और जञान भी एक ही पदारम क दो भाग ह कयोकक जञान कबढन स धमम की बढोतरी होती ह। धमम क जञान म जजतना भाग शमलता हतरा जञान क अतगमत धमम का जजतना भाग पाया जाता ह उसी क मतातरबकबदधध म जसररता पदा होती ह।

बदधध का सबध जजस तरह स धमम सह उसी तरह शरीर का अरम स सबध ह, मन का काम स सबध ह और आतमा कामोकष का सबध ह। इनही अरम, धमम, काम म मनषय क जीवन, रतत,

मान, जञान, नयाय, सवगम आहद की सारी इचछाए मौज द रहती ह। अरम यह ह ककजीवन की इचछा अरम म सतरी, पतर आहद की, काम म यश, जञान तरा नयायकी, धमम और परलोक की इचछा मोकष म समा जाती ह।

इस परकार चारो पदारम एक-द सर कतरबना तरबना अध र स रह जात ह कयोकक अरम- भोजन,

कपडो क बगर शरीरकी कोई जसरतत नही हो सकती तरा न सभोग क बगर शरीर ही पदा हो सकता ह।शरीर क तरबना मोकष परातत नही हो सकता तरा मोकष की पराजतत क बगरअरम और काम को सहयोग तरा मदद नही परातत हो सकती ह। इस परकार स मोकषकी हदल म सचची इचछा रखकर ही काम और अरम का उपयोग करना चाहहए।

अगर कोई वयजकत मोकष की सचचीइचछा रखकर ही काम और अरम का उपयोग करता ह तो वह वयजकत लालची और कामीमाना जाता ह। ऐस वयजकत दश और समाज क दशमन होत ह।

शसफम धमम क दवारा ही परातत ककएगए अरम और काम ही मोकष क सहायक मान जात ह। यह धमम क ववरदध नहीह। आयम सभयता क मतातरबक धममप वमक अरम और काम को गरहण करक मोकषकी पराजतत ही मनषय जीवन का लकषय तनधामररत ककया गया ह।

आचारयम वातसयायन इस परकारकामस तर को शर करत हए धमम, अरम और काम की वदना करत ह। आचायमवातसयायन का कामस तर वासनाओ को भडकान क शलए नही ह बजकक जो लोगकाम

44books.com

Page 4: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

और मोकष को सहायक मानत ह तरा धमम क अनसार सतरी का उपभोग करतह, उनही क शलए ह। नीच हदए गए स तर दवारा आचायम वातसयायन म यहीबतान की कोशशश की ह।

44books.com

Page 5: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (3)- ततससमयावबोधकभयशचाचारयभयः।।

अरा- इसी वजह स धमम, अरम और कामक म ल ततव का बोध करन वाल आचायो को परणाम करता ह । वह नमसकारकरन क कातरबल ह कयोकक उनहोन अपन समय क दशकाल को धयान म रखतहए धमम, अरम और काम ततव की वयाखया की ह।

शलोक (4)- ततससमबऩधात।।

अरा- परान समय क आचायो नशसदधात और वयवहार रप म यह सातरबत करक बताया ह कक काम को मयामहदतकरक उसको अरम और मोकष क मतातरबक बनाना शसफम धमम क अधीन ह। न रकनवाल काम (उततजना) को काब म करक तरा मयामदा म रहकर मोकष, अरम औरकाम क बीच सामजसय धमम ही सरावपत कर सकता ह। इसका अरम यह हआ ककधमम क मतातरबक जीवन तरबताकर मनषय लोक और परलोक दोनो ही बना सकता ह।वशवषक दशमन म यतोऽभय दयातनिः शरयसशसदधध स धममिः कहकर यह साफ करहदया ह कक धमम वही होता ह जजसस अरम, काम सबधी इस ससार क सख औरमोकष सबधी परलौककक सख की शसदधध होती ह। यहा अरम और काम स इतना हीमतलब ह जजतन स शरीर यातरा और मन की सतजषि का गजारा हो सक और अरमतरा काम म ड ब होन का भाव पदा न हो।

इसी का समरमन करत हएमन कहत ह जो वयजकत अरम और काम म ड बा हआ नही ह उनही लोगो कशलए धममजञान कहा गया ह तरा इस धममजञान की जजजञासा रखन वालो क शलएवद ही मागमदशमक ह।

इस बात स सातरबत होता ह कक वशवषक दशमन क मत स अभयदय का अरम लोकतनवामह मातर ही वद अनक ल धमम होता ह।

धमम की मीमासा करत हएमीमासा दशमन न कहा ह कक वद की आजञा ही धमम ह। वद की शशकषा हीहहनद सभयता की बतनयाद मानी जाती ह। इस परकार यह तनषकषम तनकलता हकक ससार स इतना ही अरम और काम शलया जाए जजसस मोकष को सहायता शमल सक।इसी धमम क शलए महाभारत क रचनाकार न बड माशममक शबदो म बताया हकक म अपन दोनो हारो को उठाकर और धचकला-धचकलाकर कहता ह कक अरम औरकाम को धमम क अनसार ही गरहण करन म भलाई ह। लककन इस बात को कोईनही मानता ह।

वसततिः धमम एक ऐसा तनयमह जो लोक और परलोक क बीच म तनकिता सरावपत करता ह। जजसक जररय सअरम, काम और मोकष सरलता स परातत हो जात ह। परान आचारयो दवाराबताया गया यही धमम क ततव का बोध माना गया ह।

44books.com

Page 6: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

धमम की तरह अरम भीभारतीय सभयता का म ल ह। मनषय जब तक अरममकत नही हो जाता तब तक उसकोमोकष परातत नही हो सकता। जजस तरह आतमा क शलए मोकष जररी होता ह, मनक शलए काम की जररत होती ह, बदधध क शलए धमम की जररत होती ह, उसीतरह शरीर क शलए अरम की जररत होती ह।

इसशलए भारतीय ववचारको नबहत ही सावधानी स वववचन ककया ह। मन क मतानसार सभी पववतरताओ मअरम की पववतरता को सबस अचछा माना गया ह। मन न अरम सगरह क शलएकहा ह कक जजस वयापार म जीवो को तरबककल भी दख न पहच या रोडा सादख पहच उसी कायम वयापार स गजारा करना चाहहए।

अपन शरीर को ककसी तरह कीपरशानी पहचाए तरबना धयान-मनन उपायो दवारा शसफम गजार क शलए अरमसगरह करना चाहहए। जो भी परमातमा न हदया ह उसी म सतोष कर लनाचाहहए। इसी परकार प री जजदगी काम करत रहन स मोकष की पराजतत होतीह। इसक अलावा और कोई सा उपाय सभव नही ह।

वदो, उपतनषदो क अलावाआचायो न अपन दवारा रधचयत शासतरो म अरम स सबधी जो भी जञानबोध कराए ह उनका साराश यही तनकलता ह कक ममकष को ससार स उतन हीभोगय पदारो को लना चाहहए जजतन क लन स ककसी भी पराणी को दख नपहच।

धमम और अरम की तरह कामको भी हहद सभयता का आधार माना गया ह। धमम और अरम की तरह इसको भीमोकष का ही सहायक माना जाता ह। अगर काम को काब तरा मयामहदत न ककया जाएतो अरम कभी मयामहदत नही हो सकता तरा तरबना अरम मयामदा क मोकष पराततनही होगा। इसी कारण स भारत क आचायो न काम क बार म बहत हीगभीरता स ववचार ककया ह।

दतनया क ककसी भी गररम आज तक अरमशदधध क म ल आधार-काम-पर उतनी गभीरता स नही सोचा गया हजजतना कक भारतीय गरर म हआ ह।

भारतीय ववचारको न कामऔर अरम को एक ही जानकर ववचार ककया ह लककन भारतीय आचायो न जजस तरहशरीर और मन को अलग रखकर ववचार ककया ह उसी तरह शरीर स सबधधत अरम को औरमन स सबधधत काम को एक-द सर स अलग मानकर ववचार ककया ह।

काम एक महती मन की ताकतह। भौततक कायो म परकि होकर यह ताकत अनतिःकरण की कियाओ दवाराअशभवयकत होकर 2 भागो म बि जाती ह। यह ताकत कभी

44books.com

Page 7: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

भौततक शजकत तरा कभीचतनय क रप म परकि होती ह। कही-कही तो वह तछतराकर काम करती ह तोकही सवरण रप म काम करती ह।

हर मनषय का जीवन धचत कीइनही आतररक और बाहय शजकतयो क ऐस तरबखराव तरा सघषम-सरल बना रहताह। अण-अण परमाण म मन की यह शजकत समाई हई ह। इसका एक हहससा बाहरह तो एक अदर। इसम स एक हहससा तो वयजकत को परववतत की तरफ ल जाताह और द सरा तनववतत की तरफ।

म ल वासनाए ही मन की असलीपरववततया कहलाती ह। हर तरह की वासनाओ या म ल परववततयो कावगीकरण ककया जाए तो ववतषणा, दारषणा और लोकषणा इन तीनो हहससो मसभी वासनाओ अरवा मन की म ल परववततरयो का समावश हो जाता ह। धन, सतरी, पतर और यश आहद की इचछा क म ल म आनद का उपयोग रहता ह। इसीतरह की वासनाओ, इचछाओ या परववततयो का पराण आनद नही होता।

तवततरीय उपतनषद का माननाह कक आनद स ही भ तो की उततपतत होती ह, आनद स ही उतपनन सारीवसत तरा जीव-समदाय जीववत रहत ह तरा आनद म ही लीन होत ह। आनदही सब कछ ह।

वहदारणयक उपतनषद कअतगमत आनद का एकमातर सरान जननजनदरय ह। बाकी सभी चीज आनद कसाधन ह। ववतत, सतरी और लोक सभी कष आनद को बढान की इचछा रखत ह।

सवामी शकराचायम कमतानसार अतरातमा पहली अकली री लककन कालातर म वह ववषयो को खोजनलगा जस मरी सतरी, पतर हो और उनक भरण-पोषण क शलए धन हो। उनही कशलए वयजकत अपन पराणो की परवाह न करत हए बहत सी परशातनयो को झलकरकाम करता ह। वह उनस बढकर और ककसी चीज को सही नही मानता। यहद बताई गईचीजो म स कोई भी एक चीज उपलबध नही होती तो वह अपनी जजदगी को बकारसमझता ह।

जीवन की प णमता अरवाअप णमता, सफलता अरवा असफलता का मापक यतर आनद को माना जाता ह। ववषयोस ताकलक रखन म मनषय को भरप र आनद शमलता ह। इस परकार यह प री तरहस सातरबत हो चका ह कक उसक इजचछत ववषयो म स एक क भी समातत होनपर वह मनषय अपन आपका सवमनाश कर दता ह और उसकी उपलजबध स वह अपनआपको यरारम समझता ह।

शकराचायम न बरहमस तरक शाकि भाषय क अतगमत इस बात को सवीकार ककया ह। उन उदाहरणो कदवारा यह तनषकषम तनकलता ह कक हर वयजकत जोड क दवारा अपनी प णमताकी इचछा रखता ह। सजषि की शरआत म जब बरहम अकल र तो उनक मन मयही सककप पदा

44books.com

Page 8: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

हआ कक एकोऽह बह सयाय! एक स बहत सार हो जान कीखवाहहश ही अप णमता स पदा होन वाल अभाव को वयकत को करती ह।

हर मनषय रतत को तलाश करना चाहता ह, उस बढान की कोशशश करता ह, अनक होकर आनद का उपभोग करना चाहता ह।

अकल म उस आनद परातत नही होता, अकल म ककसी तरह का आनद नही ह इसशलए उस द सर की जररत पडती ह।

इसक दवारा 3 बात शसदधहोती ह कक एक तो यह कक दो शभननताओ क बीच क सबध को काम कहत ह। यहएक परव वतत ह जो ववषय और ववषयी को एकातमा बनाती ह।

द सरी बात यह ह कककाम-परववतत ववषय और रमण की इचछा आहद शजकत ह। वह अकला रा इसका उसबोध रा- पहल व आतमा स एक ही रा। वह परष ववध रा। उसन अपन अलावा औरककसी को नही पाया। म ह इस तरह पहल उसन वाकय कहा।

म ह का बोध होन पर भीवह खश नही हआ इसशलए द सर की इचछा की- स दववतीयमचछत- वह द सरा ववषयरा। कफर ववषय न अनक का रप धारण कर शलया-

सोऽकामयत बह सयारा परजायत इतत- उसन चाहा कक म अनक हो जाऊ, म पदा कर।

तददात बहसरा परजायय इतत। उसन सोचा कक म अनक हो जाऊ म सजन कर।

स ऐकषत लोकानन सजाइतत। उसन सोचा कक म लोको की सजषि कर। उसक चाहन और सोचन पर भीइसकी सभी कियाओ क म ल म शसफम काम-परव वतत ह। उस जस हीअहमजसम- म ह का बोध हआ वस ही वह डरा तरा एक मददगार की इचछा करनलगा।

जब जीव अववदयागरसत हआतो उस अपन अजसततव का जञान हआ कक म ह । इसक बाद उस अपनी पहल कीजसरतत को जानन की इचछा हई जजसस उसक हदल म द सर का बोध हआ। द सरक बार म हदमाग म आत ही वह डर गया, उस उस तरफ स ववकषमण हआ और कफरववकषमण स आकषमण पदा हआ कक अकल सभोग नही ककया जा सकता इसशलए हदलम द सर की इचछा पदा हई।

सबस पहल जीव को द सर काबोध होता ह उसक बाद डर पदा होता ह। डर तभी पदा होता ह जब शभननताउतपनन होती ह। जजस जगह पर डर पदा होता ह वहा पर डर को द र करन कशलए खोई हई चीज की इचछा पदा होती ह। दाशमतनक की दजषि म इसीपरम-भय,

परववतत-तनव वतत, आकषमण-ववकषमण, राग-दवष म अववदया कासवरप जसरर रहता ह। परान समय

44books.com

Page 9: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

स अनत जीव-समदाय इसी म फसा हआ ह।इस तरह क सभी अजञान क म ल म द सर क परतत आकषमण और द सरो को अपनस अलग ही जानना चाहहए।

इसशलए सातरबत होता ह कककाम और आकषमण की इचछा ही ववशव वासना कहलाती ह। अववदया, आकषमण आहद सभीवासनाओ क म ल म काम मौज द ह। इसी परकार स वदो, पराणो म भीकायम को आहददव कहा गया ह।

काम शरआत म पदा हआ। वपतर, दवता या वयजकत उसकी बराबरी न कर सक।

शव धमम म प र ससार क म ल म शशव और शजकत का सयोग माना जाता ह।

यही नही शव मत कअतगमत आधयाजतमक पकष म आहद वासना परष और परकतत क सबध मपरकाशशत ह तरा वही भौततक पकष म सतरी और परष क सभोग म पररणतह।

प री दतनया को शशव पराणऔर शजकतमान स पदा हआ शव तरा शाकत समझता ह। परष और सतरी कदवारा पदा हआ यह जगत सतरी पसातमक ही ह। बरहम शशव होता ह तरामाया शशव होती ह। परष को परम ईशान माना जाता ह और सतरी को परकततपरमशवरी। जगत क सार परष परमशवर ह और सतरी परमशवरी ह।

इन दोनो का शमरनातमक सबध ही म ल वासना ह तरा इसी को आकषमण और काम कहा जाता ह।

इसक अलावा शशवपराण म 8 स लकर 12 परकरण तक काम क ववषय म जो बताया गया ह उसम काम कोमरनाववषयक काम क अरम म ही परयोग ककया गया ह। उनक अनसार यह माननाककतना सच ह कक ववशवाशमतर, सखदव, शरगी जस ऋवष और शरीराम जससाकषात ईशवर क अवतार भी काम क जाल म फस हए ह।

शशव पराण की धमम सहहता और वातसायायन क कामस तर म शलखा ह कक सककप क म ल म ववषय आसजकत ही बनी रहती ह।

काम को मन का आधार मानाजाता ह जो बचच क कोमल हदय म सबस पहल सपहदत होता ह। इसको वही जानसकता ह जो सचचाई को दखन की इचछा रखता ह।

शलोक (5)- परजापततहि परजाः सषटवा तासा सरतततनबधन तरतरवगा य साधनमधयायाना शतसितरणागर परोवाच।।

44books.com

Page 10: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- परजापतत न परजा को रचकर औरउनक रोजाना कायम धमम, अरम और काम क साधन भ तशासतर का सबस पहल 1 लाख शलोको म परवचन ककया ह।

भारतीय शसदधानत कमतातरबक जब तक दवद (अदरनी लडाई) ह तब तक दख भी रहगा। इसशलए दख कोतनकालकर फ क दना चाहहए। भगवान शशव क समान द सरा कोई नही ह। इन तीनोववषयो की जवाला यहा पर नही ह। मनषय का गमय सरान भारतीय दाशमतनकोन इस ही कहा ह। भारतीय वागमय का तनमामण भी इसी को परातत करन कशलए ही हआ ह। बरहमववदया क अतगमत यह सारी ववदयाए मौज द ह।

सार दवताओ स पहल प रससार की रचना करन वाल परजापतत बरहमा की उतपवतत हई। बरहमा नअपन सबस बड पतर अरवम क शलए बरहमववदया का तनमामण ककया जो कक हरववदया म सबस बढकर ह। इसस इस बात का साफ पता चल जाता ह ककबरहमववदया क अतगमत कामशासतर को भी महतव हदया गया ह।

आचायम वातसायायन कमतानसार बहमा न परजा को उनक जीवन को तनयशमत बनान क शलए कामस तर कबार म बताया रा- जो कक ससगत और परपरागत माना गया ह। बहमा नकामस तर को काम, अरम और धमम का साधन मानकर इसकी रचना की ह कयोकक इनतीनो का आखखरी पडाव मोकष ही ह और मनषय क जीवन का मकसद भी मोकष कोपरातत करना ही ह। इसशलए जब तक मोकष की असली पररभाषा को बहत अचछी तरहस समझा नही जाएगा तब तक इसको परातत करना बहत ही जयादा मजशकल ह।

बरहमा क शलए कामशासतरका तनमामण करना इसशलए जररी ह कक काम आहददव ह,

इसकी शजकत अपार ह। जबतक काम का तनयशमत साधन नही ककया जाता तब तक मानव जीवन भी तनयशमत नही होसकता और उसकी कहठन स कहठन तपसया पर भी पानी फर सकता ह।

योगवशशषठ क मतानसार- बराहमणो कोजीवनमकत, नारदततऋवष, इचछा स रहहत, बहजञ तरा ववरागी समझा जाता ह।वह दखन म आकाश की तरह कोम, ववशद और तनतय होत ह, लककन कफर भी वह कामक वशीभ त ककस परकार हो गए।

तीनो लोको क जजतन भीपराणी ह चाह वह मनषरय हो या दवता, उन सभी लोगो का शरीर सवभाव सदवयातमक होता ह। जब तक शरीर मौज द ह तब तक शरीर धमम सवभाव स हीजररी ह।जो वासना पराकततक होती ह उसको तनरोध क दवारा नही दबाया जासकता कयोकक हर जीव परकतत क अनसार ही चलता ह तो कफर तनगरह का कयाकाम।

परकतत याजनत भ तातन तनगरहिः कक कररषयतत।

44books.com

Page 11: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

इसी परकार म लभ त परववततयोका तनरोध करना बकार ह। आचायम वातसयायन क मतानसार मानव जीवन मकामस तर की सबस जयादा जररत मानत हए ही सबस पहल बरहमा जी नकामस तर की रचना की री। इसक सार ही इस करन क दवारा ही गरर कीपरामाखणकता सातरबत हो जाती ह।

शलोक (6)- तयकदमशक मनः वायमभवो धमााधधकाररक परक चकार।।

अरा- बहमा क दवारा रच गए 1 लाख अधयायो क उस गरर क धमम ववषयक भाव को सवयमभ क पतर मन न अलग ककया।

शलोक (7)- बिपततरााधधकाररकम।।

अरा- अरमशासतर स सबधधत ववभाग को बहसपतत न अलग करक अपन अरमशासतर का तनमामण ककया।

शलोक (8)- मिादवानचरशच ननदी सितरणाधयायाना परक कामसतर परोवाच।

अरा- इसक बाद उस शासतर म स 1000 अधयाय वाल कामस तर को महादव क अनचर ननदी न अलग कर हदया।

शलोक (9)- तदव त पञञमभरधयायशतरौददालककः शवतकतः ससञञकषप।।

अरा- उदयालक क पतर शवतकत न ननदी क उस कामस तर को 500 अधयायो म करक प रा कर डाला।

शलोक (10)- तदव तपनरधयधनाधयायशतनसाधारण-सामपरयोधगककनयासमपरयकतकभायााधधकाररक-पारदाररक-

वमशकऔपतनषहदकःसपतमभरधधकरणबााभरवयः पाञञालञञकषप।।

अरा- इसक बाद पाञञाल दश क बभरक बि न शवतकत क 500 अधयायो वाल कामस तर को 100 अधयायो मसाधारण सामपरयोधगक, कनया समपरयकत, भायामधधकाररक, पारदाररक, वशशकऔर औपतनषहदक नाम क 7 अधधकरणो म जोडकर पश ककया।

44books.com

Page 12: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

मानव जीवन क मकसद कोतनधामररत करन क शलए और उस काब करन क शलए बरहमा न एक सववधानबनाया जजसक अदर लगभग 1 लाख अधयाय र। इन अधरयारयो म जीवन क हर पहल का ववशद, सयमन और तनरपण का उकलख रा। मन न उस ववशाल गरर को मरकरआचारशासतर का एक अलग ससकरण पश ककया जो मनसमतत या धममशासतर कनाम स परचशलत ह।

मन न जो मनसमतत रचीरी वह असली रप म उपलबध नही ह। परचशलत समतत उसी समतत कासकषकषतत वववरण ह जजस मन न पश ककया रा।आचायम बहसपतत न भी उसीववशाल गरर क दवारा अरमशासतर ववषयक भाग अलग करक बाहमसपतयमअरमशासतर की रचना की। कौहिकय क अरमशासतर म बहसपतत कअरमशासतर क अतगमत ही दखन को शमलत ह।

बरहमा स लकर बाभरवयतक की कामशासतर की रचना पर ववहगम दजषि डालन स गरर रचना पदधतत कीपरपरा और उसक इततवत का भी बोध होता ह। कामशासतर को बरहमा न नहीरचा उनहोन तो शसफम इसक बार म बताया ह। इसस यह बात सातरबत हो जातीह कक रचनाकाल स ही कामस तर का परवचन काल शर होता ह।

कामस तर क छठ और सातवअधयाय स पता चल जाता ह कक बरहमा क परवचन शासतर स पहल मन नमानवधमम को अलग ककया, उसक बाद बहसपतत न अरमशासतर को अलग ककया, इसकबाद कफर ननदी न इसको अलग ककया।

इसक बाद अरमशासतर औरमनसमतत की रचना हई कयोकक बहसपतत और मन न कामस तर की रचना नहीकी बजकक इस शसफम अलग ककया ह। इसक बाद ही शवतकत और ननदी न इसक 1000 अधयायो को छोिा करक 500 अधयायो का बना हदया। इस बात स साफ जाहहरहो जाता ह कक बरहमा दवारा रधचत शासतर म स ननदी न कामववषयकस तरो को एक सहसतर अधयायो म बाि हदया। उसन अपनी ओर स इसम कछभी बदलाव नही ककया कयोकक वह परवचन काल रा।

उसन जो कछ भी पढा यासना रा वह ऐस ही शशषयो और जानन वालो को बताया। लककन शवतकत ककाल म सकषकषततीकरण का परचलन हो चका रा और बाभरवय क काल म तोगरर-परणयन और सपादन की एक मजब त परणाली परचशलत हो गयी। पाचाल दवारातयार ककए गए 7 अधधकरण इस परकार ह-

•साधारण अधधकरण

•सामपरयोधगक अधधकरण

•कनया समपरयकतक अधधकरण

44books.com

Page 13: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

•भायामधधकाररक अधधकरण

•पारदररक अधधकरण

•वशशक अधधकरण

•औपतनषहदक अधधकरण

शलोक (11)- तय षषठ वमशकमधधकरण पाटमलपतरतरकाणा गणणकाना तनयोगाद दततक परक चकार।।

अरा- आचायम दततक न बाभरावयदवारा सकषकषतत ककए गए कामस तर क छठ भाग वशशक नामक अधधकरण को अलग करहदया। उनहोन यह सब पािशलपतर की गखणकाओ दवारा अनरोध करन पर ही ककयारा।

शलोक (12)- ततसपरसगातसचारायणः साधारणमधधकरण परक परोवाच। सवणानाभः सामपरयोधगकम।घोटकमखः कनयासमपरयकतकम। गोनदीयो भायााधधकाररकम।

गोणणकापतरःपारदाररकम। कचमार औपतनषहदकममतत।।

अरा- आचायम चारायण न इसी परसग ससाधारण नाम क अधधकरण का परक परवचन ककया। सामपरयोधगक नाम क अधधकरण कोआचायम सवणमनाभ न अलग ककया। कनयासमपरयकतक नाम क अधधकरण को आचायमघोिकमख न अलग ककया। आचायम गोनदीय न भायामधधकाररक नाम क अधधकरण कोअलग ककया। पारदाररक नाम क अधधकरण को गोखणकापतर न कामस तर स अलग ककयाऔर औपतनषहदक नाम क अधधकरण को आचायम कचमार न अलग ककया।

शलोक (13)- ततरदततकाहदमभः परणीताना शातरावयवानामकदशतसवात मिहदतत च बाभरवीययदरधययतसवात सकषकषपय सवामरामलपन गररन कामसतरममद परणीतम।

अरा- दततक आहद आचायो न ववशभननपरकार क अधधकरणो को लकर अपन-अपन गररो की रचना की। इस परकार यखड समगर शासतर क ही भाग मान जात ह और आचायम बाभरवय का म लगरर ववशाल होन की वजह स साधारण मनषयो क शलए दरधयय ह। इसशलए उसमहान गरर को वातसयायन न सकषकषतत करक रोड ही म सार ववषयो ससपनन कामस तर की रचना की।

44books.com

Page 14: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

मानव जातत की तरककी औरउसकी परपरा को बनाए रखऩ क शलए बरहमा न काम,

अरम और धमम तीनोपरषारो को परातत करन क शलए 100 अधयायो म उपदश हदए ह। उसपरवचन म स धमामधधकाररक भागो को लकर मन न मनसमतत की रचना की।बहसपतत न अरमप रक ववषयो को लकर अरमशासतर की सवततर रचना की। कफरउसी परवचन म स काम क ववषय क भागो को लकर ननदी न एक सहसतरअधयायो म कामस तर की रचना की।

बरहमा स लकर ननदी तककी परपरा को दखकर यह पता चलता ह कक कामस तर बरहमा दवारा सजषि कीरचना करन स पहल भी रा। सजषि की रचना क बाद उननतत और मानवी परपरा कोबनाए रखन क शलए बरहमा न कामस तर का भी उपदश हदया जो धमम और अरमस सबधधत रा। उस ववशाल परवचन क आधार पर ही ननदी न सहसतर अधयायोक एक सवततर कामशासतर की रचना की अराम कामस तर क परवतमक ननदीह।

आचायम वातसयायन न कामस तर गरर की शरआत म ही दावा ककया रा कक इसम सभी परयोजनो का समयक समावश ककया गया ह।

शलोक (14)- तयाय परकरणधधकरणसमददशः।।

अरा- कामस तर क परकरण, अधधकरण औरसमादवश की स ची इस परकार ह- अधधकार प वमक ववषय जहा शर होगा उसपरकरण करत ह जजसक परकरण होत ह उस अधधकरण कहत ह तरा सकषकषततकरन को समददवश कहत ह।

शलोक (15)- शातरसगरिः। तरतरवगापरततपतततः। तवदयासमददशः। नागरकवततम।नायकसिाय-दतीकमातवमशाः। इतत साधारण पररमाधधकरणम अधयायाः पञञ।परकरणातन पञञ।।

अरा- कामस तर का अनबधन अधधकरणअधयाय और परकरण क रप म ककया गया ह। पहल अधधकरण का नाम साधारण इसकारण स रखा गया ह कक इस अधधकरण म गररातगमत- सामानय ववषयो का पररचयह, ककसी शसदधानत की वयाखया अरवा ताजतवक वववचन नही ककया गया ह।

पहला परकरण, पहला अधयाय-शासतर-सगरह। यहा पर शासतर-सगरह का अरम ह इस शासतर की स ची।गरर शलखन स पहल लखक एक ववषय स ची तयार करता ह और उसी स ची कदवारा गरर की रचना करता ह। इसी परकार आचायम वातसयायन न अपन गररकी ववषय स ची का नाम शासतर सगरह रखा ह अरामत वह सगरह जजसस यहगरर शाशसत हआ ह।

44books.com

Page 15: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

द सरा परकरण, द सराअधयाय- तरतरवगम परततपावतत। काम, धमम और अरम यह 3 तरतरवगम कहलाए जातह। तरतरवगम की पराजतत का नाम परततपावतत ह। इस अधयाय और परकरणम यह भी बताया गया ह कक धमम, अरम और काम को ककस परकार परातत ककयाजा सकता ह।

तीसरा परकरण, तीसराअधयाय- ववदयासमददश। यहा पर सारी ववदयाओ की नाम की स ची को ववदयासमददश का नाम हदया गया ह। इस अधयाय का मखय मकसद ह कक मानव कोसमतत, शरतत, अरम ववदया और उसकी अगभ त ववदया दडनीतत क अधययन कसार कामस तर का अधययन जरर करना चाहहए। यहा पर ववदयाओ की नाम-स ची काअरम सभोग की 64

कलाओ स ह।

चौरा पराकरण चौरा अधयाय-नागरकवत। नागरक स काम स तरकार का अरम ववदगध अरवा रशसक वयजकत सहोता ह और वतत का अरम आचरण नही बजकक हदनचयाम समझना चाहहए।

कामस तर क मतातरबकमनषय का सबस पहल ववदया पढनी चाहहए, कफर अरोपाजमन करना चाहहए औरइसक बाद वववाह करक गहसर जीवन म परवश करक नागरक वतत का आचरण करनाचाहहए। कोई भी मनषय जब तक कामकलाओ की शशकषा परातत नही कर लता हतब तक उसको वववाह करन का कोई हक नही ह। गहसर जीवन को सही तरीक सचलान क शलए अरम सगरह जररी ह। सशशकषकषत, धन-सपनन मनषय ही अपनववाहहक जीवन को सही तरीक स चलान म सकषम हआ करता ह।

पाचवा परकरण, पाचवाअधयाय- नायक सहायद ती- कमम- ववमशम। आचायम वातसयायन क मतानसार वववाहस पहल वणम धमम क मतातरबक सतरी और परष का चनाव करक परम सबधसरावपत करना चाहहए। अगर इस तरह क परम सबधो को सरावपत करन म ककसीतरह की रकावि आती ह तो मदद क शलए सतरी या परष को जररया बनानाचाहहए। सतरी-परष ककस तरह क सबध सरावपत कर , ककस तरह क वयजकत कोअपना जररया बनाए, इस अधयाय क अतगमत इनही बातो का उकलख ककया गयाह।

शलोक (16)- परमाणकालाभावभयो रतावरापनम। परीतततवशषाः। आमलगनतवचाराः। ,चमबनतवकलपाः। नखरदनजातयः। दशनचछदयतवधयः। दशयाउपचाराः।सवशनपरकाराः। धचतररतातन। परिणयोगाः। तदयकताशच। सीतसकतोपकरमाः।परषातयतम। परषोपसपतातन।

औपररषटकम। रतारमभावसातनकम। रततवशषाः।परणयकलिः। इतत सामपरयोधगक दतवतीयमधधकरणम। अधयाया दश। परकरणातनसपतदश।।

अरा- द सर अधधकरण म अधयायो और परकरणो को इस परकार स बताया गया ह-

44books.com

Page 16: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

•परमाण, भावो और काल क मतातरबक सभोग किया की वयवसरा करना।

•परततभद।

•आशलगन।

•चबन परकार।

•नखचछदन-परकार।

•दतचछदन-परकार।

•अलग-अलग परदशो क लोगो की अलग-अलग परववततया।

•सभोग क परकार।

•ववधचतर परकार क ववशशषि रत।

•मटठी मारना।

•अलग-अलग सरोको स पदा हई सी-सी करना।

•रकन क बाद परष का सतरी क समान वयवहार करना।

•परष का पास आना।

•औपररषिक (मखमरन)।

•सभोग किया की शरआत और आखखरी म कततमवय।

•उततजना क परकार।

•परणय कलह।

इस अधधकरण क अतगमत यह 17 परकरण हदए गए ह और 10 अधयाय ह।

इस द सर अधधकरण का नामसामपरयोधगक ह। समपरयोग स मतलब यहा सभोग स ह। कामस तर का गररहोन की वजह स इस गरर म यह खासतौर स बताया गया ह परष अरम, धममऔर काम नामक तीनो वगो की पराजतत क शलए जसतरयसाधयत अरामत सतरीको परातत कर। आचायम वातसयायन सतरी को पान का सबस बडा लकषयसभोग को ही मानत ह। लककन जब

44books.com

Page 17: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

तक सभोग किया की प री जानकारी न हो तबतक इसम प री तरह स कामयाबी शमलना मजशकल ह और न ही ककसी तरह की आनदकी पराजतत होगी।

ऋगवद म सभोग क जजन 10 उपायो को बताया गया ह वह कामस तर की उपरयमकत सभोग कियाओ कअतगमत ह। यह कोई खास ववषय नही ह। आधयाजतमक नजररय स भीजगदवधचनय मरनातमक और कामातमक ह। काम का मखय भाग आकषमण ह या कफरआकषमण का खास अग काम ह।

यही आकषमण जब बडो कपरतत होता ह, तब वह शरदधा, भजकत आहद सममान क भावो म हदखाई पडताह, बराबर वालो क परतत शमतरता, तयार और सहयोगी क रप म होता ह, अपन स छोिो क परतत दया और अनकपा आहद क रप म परकि होता ह औरबचचो क परतत वातसकय भाव बनता ह। वही काम मा क सतनो मवातसकय क रप म परमी का आशलगन करत समय कामरप म और वही कामदीन-दखखयो क परतत कपा क रप म अवतररक होता ह।

मगर इन सार रपो म एकही मानशसक भाव परवाहहत रहता ह, वह होता ह शमरन का सबध- काम याआकषमण। इसी वजह स बहदारणयक उपतनषद म बताया गया ह-

परष काममय ह। काम मन की जररत ह।

शलोक (17)- वरणतवधानम।समबनधतनणायः। कनयातवतरमभणम। बालायाः। उपकरमाः। इधगताकारसचनम।एकपरषामभयोगः। परयोजययोपावतानम। अमभयोगतशच कनयायाः।

परततपतततःतववाियोगः। इतत कनयासमपरयकतक ततीयाधधकरणम। अधयायाः पञञ।परकरणातन नव।।

अरा- इसक बाद कनया समपरयकत नाम क तीसर अधधकरण क परकरणो का तनदश ककया जा रहा ह-

•कनयावरण।

•वववाह करन क बार म फसला करना

•कनया को भरोसा हदलाना।

•कनया म तयार पदा करन का ढग।

•इशारो आहद को समझना।

44books.com

Page 18: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

•इशारो, कोशशशो या ककसी बहान स दखी हई कनया स वववाह करन की कोशशश।

•कनया दवारा अपन चहत को अपनी ओर आकवषमत करना।

•अपन परमी को अशभयोगो दवारा परातत करना।

इस अधधकरण क 9 परकरणसखी दापतय जीवन की कजी मान गए ह। कामस तर क रधचयता वातसयायनवववाह को धाशममक बधन मानत हए हदल का शमलाप सवीकार करता ह। वहलडककयो को न तो शसफम भड-बकरी जानकर मनचाह ख ि पर बाधन का समरमनकरता ह और न ही उनह उचछखल और वयशभचाररणी बनन की सवततरता परदानकरता ह। इसशलए इसका ववधान ह कक लडककया और लडक अपनी यवावसरा मपहचन पर सभोग की 64

कलाओ का अधययन कर तरा अपना जीवन सारी तलाश करनम अपन हदल और बदधध का जयादा स जयादा उपयोग कर।

इस बात की सचचाई स इकारनही ककया जा सकता कक हर आदमी क अदर ऐस 2

ततव रहत ह जो एक-द सर सववशशषि ह। इनम स एक तकम प णम ववतत ह और द सरी ववचारश नयववतत। यही ववतत अपन को काम-सभोग, भ ख-तयास और बहत सी इचछाओ करप म परकि करती ह। दशमनशासतर क अनसार हर पराणी सम ह इचछामातरह। इचछाओ क कारण ही मनषरय का मन हर समय भिकता रहता ह।

मनषय हर समय अपनीइचछाओ को प री करन की कोशशश म लगा रहता ह। इचछाए हमशा प री होनाचाहती ह। हालात अनक ल होन पर जब इचछाए प री नही होती तो वह मन मजमा होकर ववकषोभ उतपनन करती ह। यह भी सचचाई ह ककसी वयजकत को उसकीमनचाही चीज दश, काल, समाज या हालात क बधन स अरवा राजदड क डर स नशमलकर ककसी द सर को शमल जाती ह तो उसकी इचछा किया रप म जमा हो जातीह और अगर वह इचछाए प री नही होती तो एक त फान क रप म मन म समाजाती ह। जजसका नतीजा यह होता ह कक उस वयजकत क मन और मजसतषक कासतलन तरबगड जाता ह।

शलोक (18)- एकचाररणीवततम। परवासचयाा। सपलीष जयषठावततम। कतनषठावततम।पनभावततम। दभागावततम। आनतःपररकम। परषय बहवीषपरततपतततः। इतत भायााधधकाररक चतरामधधकरणम।

अधयायौ दवोपरकरणानयषटौ।।

अरा- इस अधधकरण का नाम भायामधधकाररक ह। इसक अतगमत 8 परकरण और 2 अधयाय ह-

•शसफम अपन पतत पर ही अनराग रखन वाली पतनी का कततमवय।

44books.com

Page 19: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

•पतत क कही द र जान पर पतनी का कततमवय।

•सबस बडी पतनी का अपनी स छोिी सौतनो क सार बतामव।

•सबस छोिी पतनी का अपनी स बडी सौतनो क सार बतामव।

•द सरी बार वववाहहत ववधवा का फजम।

•अभाधगनी पतनी का अपनी सौतनो और पतत को खश रखन का ववधान।

•अतिःपर (महलो म रहन वाल) क फजम।

•पतत का अपनी बहत सारी पजतनयो क परतत कततमवय।

वववाह क बाद हर कनया, कनया न कहलाकर पतनी कहलाती ह। पतनी और सततनी 2

परकार की भायाम होतीह। इसक अतगमत इन दोनो परकार की पजतनयो क कततमवय हदए जा रहह। गहसर जीवन को सख-सपनन रप स चलान क तनयमो को आचायमवातसयायन अचछी परकार जानत ह। उस इस बात की जानकारी भी ह कक वह कौनसी एक छोिी सी धचगारी ह जो प र घर को जलाकर राख कर दती ह। वह घर कोसखी बनान क शलए मगल कामना करता हआ इस अधधकरण दवारा सझाव पश करताह।

शलोक (19)- तरी-परषशीलावरापनम। वयावततानकारणातन। तरीष मसदधाः परषाः।अयनतसाधया योतषतः। पररचयकारणातन। अमभयोगाः। भावपरीकषा। दतीकमााणण।ईशवरकाममतम। अतःपररक

दाररकषकषतकम। इतत पारदाररक पञञममधधकरणम।अधयायाः षट परकरणातन दश।

अरा- पारदाररक नाम क पाचव अधधकरण क परकरणो का तनदश करत ह। इसम 6 अधयाय और 10 परकरण ह।

•परष और सतरी क शील की वयवसरापना।

•पराए परष क सार सबध बनान म रकावि डालन वाल कारण।

•जसतरयो को अपन वश म करन म तनपण परष।

•अपन आप ही वश म होन वाली जसतरया।

•पररचय परातत करन क तनयम।

44books.com

Page 20: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

•अशभयोग।

•भावो की परीकषा।

•द तीकमम।

•ऐशवयमशाली परषो की इचछाओ को प री करन क उपाय।

•वयशभचारी परषो स जसतरयो की रकषा।

इस अधधकरण कामखय मकसद ककन हालातो म पराए परष और पराई सतरी का आपस म परमसबध पदा होता ह, बढता ह और ि ि जाता ह। ककस तरह परदार इचछा प रीहोती ह और ककस परकार वयशभचारी स जसतरयो की रकषा की जा सकती ह।

परष और सतरीक बीच एक ही शजकत बहत स रपो म मौज द रहती ह जजसको परम कहत ह।अगर परम का कही कोई बीज होता ह तो वह शसफम सभोग की इचछा ही ह।

दाशमतनक दजषिस परम का मखय मकसद सभोग को माना जाता ह। जजतन वयवहार परम ससबध रखन वाल ह वह सब सभोग-परम म अतहहमत ह और इसस अलग नहीककय जा सकत- जस आतमपरम, मातवपत परम, शशश वातसकय, मतरी, ववशव-परम, ववषरय-वासनाओ स परम और भावनाओ क परतत शरदधा आहद।

मनषरय जगत की हरवासना खासतौर पर ववतषणा, दारषणा और लोकषणा इन 3 भागो म बिी ह। अगरबारीकी स दखा जाए तो सारी वासनाए शसफम दारषणा म ही अतभ मत होजाती ह कयोकक आकषमण ही सतरी की कामना का सार होता ह और सतरी-परषक शमलन म आकषमण ही पररणत हो जाया करता ह।

धन, सतरी और यशकी इचछा शसफम आनद क शलए की जाती ह। सारी तरह की वासनाओ की जड आनदही ह और इसी को म लपररक शजकत माना जाता ह। इसका सर ल अनभव सभोग कदवारा हाशसल ककया जा सकता ह। सासाररक जीवन म सभोग पराकाषठा का आनदह इसशलए सभी तरह क आनदो को सभोग आनद का रपातर समझन म ककसी तरहकी आपवतत नही होनी चाहहए।

44books.com

Page 21: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (20)- गमयधचनता।गमनकारणातन। उपावतानतवधधः। कानतानवतानम। अराागमोपायाः।तवरसकतमलगातन। तवरकतपरततपतततः। तनषकासनपरकाराः।तवशीणापरततसधानम। लाभतवशषः। अराानराानबनधसशयतवचारः।वशयातवशषाशच इतत वमशक षषठमधधकरणम।

अधयायाः षट। परकरणातनदवादश।।

अरा- हम इस वशशक नाम क छठ अधधकरण क परकरणो का तनदश करत ह। इस अधधकरण क अतगमत 6 अधयाय और 12 परकरण हदए गए ह-

•गमय परष ववचार। •ककसी एक वयजकत क सार सभोग करन क कारण। •अपनी तरफ आकवषमत करन का तरीका। •वशया का अपन परमी क सार उसकी वववाहहत पतनी की तरह वयवहार करना। •अरोपाजमन क तरीक। •ववरकत परष क तनशान। •ववरकत परष की दबारा पराजतत। •तनकालन क उपाय। •तनकाल हए क सार दबारा सधध करना। •लाभ ववशष का ववचार। •अरम, धमम और अधमम क अनबध सयम सबधी ववचार। •वशयाओ क भद। इन 12 परकरणो स यकत वशशक नाम का यह छठा अधधकरण ह। इसअधधकरण क अतगमत वशयाओ क चररतर और उनक समागम उपायो को बताया गयाह। आचायम वातसयायन न वशयागमन को एक तरह का बरा काम माना ह औरउनका कहना ह कक वशयागमन स शरीर और अरम दोनो का नाश हो जाता ह। लककनवशया समाज का ही अग होती ह इसशलए उसका उपयोग समाज करता ह। साधारणमनषयो और वशयाओ की भलाई को धयान म रखत हए लखक इस अधधकरण मवशयाओ क चररतर का ववशद वववचन ककया ह।

यह तो अनभव कीबात ह कक काम एक शजकत ह और वह बहत जयादा चचल होती ह। इस शजकत का जबभी उननयन होता ह तब तक भावो और सवगो की उतपवतत होती ह।

मनषय की जोइचछाए गरधर का रप ल लती ह वही वासना कही जाती ह। वासनाओ क इसीवग को सवग कहत ह। वयजकत क हदल म अनक ल या परततक ल वदना हीउतपवतत ही भाव कहलाती ह। यही भाव बढत-बढत सवग का रप धारण कर लताह। ववषयो की समतत स अरवा सतता स या कफर कजकपत ववषयो स भी डर.परम आहद क सवग जागत हआ करत ह।

44books.com

Page 22: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

यह बात वाकई अनभवशसदध ह ककववषयो क सजननकषम स कोई न कोई भाव अरवा सवग जरर पदा होता ह।

इसका समरमन गीताम भी ककया गया ह कक सग स काम होता ह। जजतन भी वासना वय ह ह सभी कसार सवग जडा रहता ह। हमारी धचतत ववतत क भावमय. जञानमय औरकियामय- तीन ही रप होत ह। जञान क कारण ही भाव और सवग जागत होतह। मनचि म सोई हई अतल कामशजकत, पररक सफशलगो को पाकर हीजागत होत ह। बाहय अरवा आभयतर उददीपको स पदा सवदनाए औरजञानातमक मनोभाव ही कामशजकत क पररक सफशलग होत ह। इनस पररणापाकर ही सवग क सार कामशजकत बहहममख होती ह।

मनषय क ववचारचोिी पर होत हए भी उसका हदय हमशा नई सवदनाओ की तलाश म नीच उतरआता ह। हर मनषय को भावो को बदलन की इचछा होती ह। मनषय सवभाव सही बदलाव, सदरता और नएपन को चाहता ह।

अगर गौर स दखा जाए तो नवीनता का द सरा नाम अशभरधच ह। जहा पर नवीनता ह वही रमणीयता रहती ह।

रमणीयता का वहीरप ह जो पल-पल म नएपन को परातत करता ह। सवग क कारण ही हमारीकियाए परततकषण बदला करती ह। पहल तो उतसकता जागत होती ह और इसकबाद तषणा जागत होती ह। जजस समय वयजकत क हदल म सवग प री तरह सजागत हो जाता ह उसी समय उस 1 हदन 1 साल क जसा लगता ह।

जब सवग कअवरोधक प री तरह अशभवयजकत नही होन दत तब मन म बचनी होन लगती ह, धचताए बढ जाती ह. मन म उरल-परल होन लगती ह। सामाजजक तनयमो कअनरप काम का तनरोध-अवरोध तो जबरदसती करना पडता ह। जबकक यह अनभव समाजयग-यग स करता आ रहा ह कक काम वासना पर प री तरह स काब नही पाया जासकता। समाज का तनयतरण यही तक सीशमत रहता ह कक वासना शारीररक किया मपररणत न होन पाए। मानशसक दवनदव भल ही मजब त होता ह।

मनषय जजनवासनाओ को तनरोध स दबाना चाहता ह वह कभी नही दबती, बजकक सलगन लगतीह और ककसी न ककसी रप म अपना असर डालती रहती ह। असल बात यह ह कक जजसबात को मना ककया जाता ह उसी को करन क शलए मन म बचनी बढती रहती ह।शासतर और समाज की दजषि स पराई सतरी क सार सबध बनाना अधमम ह औरउसक सार सभोग करन को गलत माना जाता ह। इस तरह की रोक का नतीजा यह होताह कक पराई सतरी का रस रसोततम माना जाता ह।

44books.com

Page 23: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (21)- सभगकरणम।वशीकरणम। वषयाशच योगाः। नषटरागपरतसयानयनम। वदधधतवधयः। धचतराशचयोगाः। इतसयौपतनषहदक सपतममधधकरणम। अधयायौ दवौ। परकरणातन।

अरा-

•गण, रप आहद को बढाना। •यतर, ततर और मतर दवारा वश म करना। •वाजीकरण (काम-शजकत बढाना) परयोग। •नषिराग (खतम हई उततजना) को दबारा पदा करना। •शलग को बढान वाल परयोग। •धचतर-ववधचतर परयोग।

इन 6 परकरणो स यकत औपतनषहदक नाम का यह सातवा अधधकरण ह और इसक अतगमत 2 अधयाय ह।

शलोक (22)- एव षटतरतरशदधयायाः। चतःषसषटः परकरणातन। अधधकरणातन सपत। सपाद शलोकसितरम। इतत शातरय सगरिः।।

अरा- इस परकार स कामस तर म 36 अधयाय, 64 परकरण, 7 अधधकरण और 1250 शलोक ह।

शलोक (22)- सकषपमममकषकतसवाय तवतरोऽतः परवकषयत। इषट हि तवदषा लोक समासवयासभाषणम।।

अरा- इस तरह अधधकरण, अधयाय, परकरण आहद की ववषरय स ची सकषप म बताकर अब उसी को ववसतार स पशककया जा रहा ह कयोकक ससार म ववदवानो क शलए सकषप तरा ववसतारदोनो की जररत ह।

आचायम वातसयायनन इस सातव अधधकरण क अतगमत अधधकरण का नाम औपतनषहदक रखा ह। औपतनषहदकका सर ल अरम िोिका होता ह। इस अधधकरण क अतगमत कामवासना को प रा करनक साधन तरा भौततक जीवन की कामयाबी क तरीको को बहत ही ववसतार स समझायाजा रहा ह।

44books.com

Page 24: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

ततर औषधध आहद करप म जो िोिक पश ककए जा रह ह, उनक अतगमत सवचछाचाररता, उचछगखलात और असामाजजकता, अशशषिता, तनदमयता की भावना न पदा हो, यहवववक भी रखा गया ह।

शलोक- इततशरी वातसयायनीय कामस तर साधारण, पररमधधकरण शासतर सगरह पररमोधयायिः।।

वातसयायन का कामसतर हिनदी म

भाग 1 साधारणम

अधयाय 2 तरतरवगा परततपततत परकरण

शलोक (1)- शतायव परषो तवभजय कालमनयोनयानबदध परपरयानपघातक तरतरवगा सवत।।

अरा- शात जीवन तरबतान वाला मनषयअपन प र जीवन को आशरमो मबािकर धमम, अरम, काम इन तीनो का उपयोगइस परकार स कर कक यह तीनो एक-द सरस सबधधत भी रह तरा आपस मववघनकारी भी न हो। मनषय की उमर 100 साल की तनधामररत की गई ह। अपन इस प रजीवन को सखी और सही रपस चलान क शलए बरहमचयम, गहसर, वानपरसरऔर सनयास नाम क चार भागो मबािकर धमम, अरम और काम का साधन, सपादनइस परकार स करना चाहहए कक धमम,अरम, काम म आपस म ववरोध का आभास नहो तरा वएक-द सर क प रक बनकर मोकषपराजतत क साधन बन सक । इस ससार क सभीमनषय लब जीवन, आदर, जञान, काम, नयाय, और मोकष की इचछा रखत ह। शसफम वदो की शशकषा ही ऐसी ह कक जोमनषयो क लब जीवनकी सववधा क दजषिगत सभी वयजकतयो को इनइचछाओ म वववक पदा कराक औरबराबर अधधकार हदलाकर सबको मोकष की ओरअगरसर करती ह। आचायमवातसयायन न शतायव परष शलखकर इस बात को साफककया ह कक कामस तर कामकसद मनषय को काम-वासनाओ की आग म जलाकर रोगीऔर कम आय का बनाना नही बजककतनरोगी और वववकी बनाकर 100 साल तक की प रीउमर परातत करना ह। लबी जजदगीजीन क शलए सबस पहला तरीका साजतवक भोजन कोमाना गया ह। साजतवक भोजन मघी, फल, फ ल, द ध, दही आहद को शाशमल ककयाजाता ह। अगर कोई मनषय अपन रोजाना कभोजन म इन चीजो को शाशमल करताह तो वह हमशा सवसर और लबा

44books.com

Page 25: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

जीवन तरबता सकता ह। साजतवक भोजन कबाद मनषय को लबी जजदगी जीन क शलएपानी, हवा और शारीररक पररशरम भी महतवप णम भ शमका तनभातह। रोजानासबह उठकर ताजी हवा म घ मना बहत लाभकारी रहता ह। इसक सार ही खलऔरअचछ माहौल म रहन और शारीररक महनत करत रहन स भी सवसर और लबीजजदगीको जजरया जा सकता ह। इसक बाद लबीजजदगी जीन क शलए सरान आता ह हदमाग कोहरदम तनाव स मकत रखन का।बहत स लोग होत ह जो अपनी प री जजदगीधचता म ही घलकर तरबता दत ह।धचता और धचता म शसफम एक तरबद काही फकम होता ह लककन इनम भी धचता को ही धचतास बडा माना गया ह।कयोकक धचता तो शसफम मर हए इसानो को जलाती ह लककनधचता तो जीतजी इसान को रोजाना जलाती रहती ह। इसशलए अपन आपको जजतना हो सकधचतामकत रखो तो जजदगी को काफी लब समय तक जजया जा सकता ह। इसक बाद लबीजजदगी जीन क शलए बरहमचयम का पालन करनाभी बहत जररी होताह। योगशासतर क अनसार बरहमचयम परततषठायावीयमलाभिः अरामत बरहमचयम कापालन करक ही वीयम को बढाया जा सकता हऔर वीय बाहबलम वीयम स शारीररक शजकतका ववकास होता ह। वदो मकहा गया ह कक बदधधमान और ववदवान लोग बरहमचयम कापालन करक मौत कोभी जीत सकत ह। सदाचार कोबरहमचयम का सहायक माना जाता ह। जो लोगतनषठावान, तनयम-सयम,

सपननशील, सतय तरा चररतर को अपनाए रहत ह, वहीलोग बरहमचयम का पालन करत हए लबीजजदगी को परातत करत ह। सदाचारको अपनाकर कोई भी मनषय अपनी प री जजदगी आराम सतरबता सकता ह। कोई भी बचचा जबबरहमचयम अपनाकर अपन गर क पास शशकषालता ह तो वह 4

महततवप णम बात सीखता ह। कई परकार की ववदयाओ काअभयास करना, वीयम की रकषा करक शजकत को सचय करना, सादगी क सार जीवनतरबतान काअभयास करना, रोजाना सनधयोपासन,

सवाधयाय तरा पराणायाम काअभयास करना, भारतीय आयम सभयता की इमारत इनही 4 खभो पर आधाररत ह।बरहमचयम जीवन को सफल बनान वाली जजतन बाती ह, सभी परातत होती ह। बरहमचयम जोकक उमर का पहला चरण ह, जब पररपकव हो जाए तोमनषय को शादी कराक गहसर आशरम म परवश करक अरम, धमम, काम तरामोकष का समपादन ववधधवत करना चाहहए। यहा पर वातसयायन इस बात कासकतकरत ह कक अरम, धमम तरा काम का उपयोग इस परकार ककया जाए कक आपस मसबदध रह औरएक-द सर क परतत ववघनकारी सातरबत न हो। एक बात कोतरबककल साफ ह कक अगर सही तरह स बरहमचयम कापालन ककया जाए तो गहसरआशरम अध रा, कषबध और असफल ही रहता ह। इसीवजह स हर परकार की जसरतत म हरआशरम म पहचकर उसक तनयमो का पालनववधध स करन स ही कामयाबी शमलती ह।

44books.com

Page 26: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

बरहमचयम जीवन कोगहसर आशरम स जोडन का अरम यही होता ह कक वीयमरकषा, सदाचरण, शील, सवाधयाय अगर बरहमचयम आशरम म सही तरह स ककया गया ह तो गहसरआशरममदामपतय जीवन अकलष आनद तरा शरय परय सपादक बन सकता ह।गहसरआशरम को धममकममप वमक तरबतान पर वानपरसर का साधन शातत स औरतरबना ककसी बाधा क हो सकता ह औरकफर वानपरसर की साधना सनयास आशरम मपहचकर मोकष परातत करन म मदद करतीह।

शलोक (2)- वयोदवारण कालतवभागमाि-बालय तवदयागरिणादीनराान।।

अरा- अब िमशिः उमर क ववभाग क बार म बताया गया ह। बचपन की अवसरा म ववदया को गरहण करना चाहहए।।

शलोक (3)- काम च यौवन।।

अरा- जवानी की अवसरा म ही काम चाहहए।

शलोक (4)- रातवर धमा मोकष च।।

अरा- बढाप की अवसरा म मोकष और धमम का अनषठान करना चाहहए।

शलोक (5)- अतनतसयतसवादायषो यरोपपाद वा सवत।।

अरा- लककन जजदगी का कोई भरोसा नही ह इसशलए जजतना भी इसको जी सकत हो जीलना चाहहए।

शलोक (6)- बरहमचयामव तसवा तवदयागरिणात।।

अरा- ववदया गरहण करन क बाद बरहमचयम का पालन करनाचाहहए। धमम, अरम और काम परषारम क 3 भद होत ह। बाकयावसरा, यवावसराऔर वदधावसरा 3

अवसराए होती ह। हर इसान की उमर 100 साल तनधामररत कीगई ह। आचायम वातसयायन क

44books.com

Page 27: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

मतातरबक 100 वषम की उमर को 3 भागो मबािकर परषारो का उपभोग तरा उपाजमन करना चाहहए। वातसयायन कमतातरबक जनम स लकर 16 साल तक की उमर कोबाकयावसरा, 16 साल स लकर 70 साल तक की उमर यवावसरा और इसक बाद कीउमर को वदधावसराकहत ह। इसी वजह स बाकयावसरा म ववदया गरहणकरनी चाहहए।यवावसरा म अरम और काम का उपाजमन तरा उपभोग करना चाहहए। इसक बादबढाप की अवसरा म मोकष और धमम की पराजततक शलए परयास करना चाहहए।इसक बावज द आचायम वातसयायन का कहना ह ककजजदगी का कोई भरोसा नही ह। शरीरशमटिी ह इसी कारण स ककसी भी समय औरजब भी सभव हो जजन-जजन परषारो की पराजतत होसक कर लनी चाहहए। अब एक सवाल औरउठता ह कक जीवन को माया (जजसका कोई भरोसानही होता) समझकर बाकयावसरा म ही काम का उपाजमन और उपभोग करन की सलाहआचायम वातसयायन दत ह। इस बार म ककसी तरह की शका आहद न पदा होइस वजह सउनहोन सपषि ककया ह- धममशासतरकारो म इसान की उमर को 4 भागो म बािाह लककन आचायम वातसयायन कमतातरबक इसकी 3 अवसराए बताई ह। उनहोनअपन ववचारो म परौढावसरा काजजि नही ककया ह। द सर आचायमसनयास लन की सही उमर 50 साल क बाद की मानत ह लककन आचायमवातसयायन न इसकी सही उमर 70 साल क बाद की बताई ह। ववदया गरहणकरन की उमर म बरहमचयम का पालन प री सखती और तनषठाप वमक करनाचाहहए। आचायम कौहिकयक मतातरबक मडन ससकार हो जान पर धगनतीऔर वणममाला का अभयास करनाचाहहए। उपनयन हो जान क बाद अचछ ववदवानोतरा आचायम स तरयी ववदया लनीचाहहए। 16 साल तक की उमर तक बहत हीसखती स बरहमचयम का पालन करना चाहहए औरइसक बाद वववाह क बार मसोचना चाहहए। वववाह क बाद अपनी शशकषा को बढान कशलए हर समयबढ-ब ढो क सार म रहना चाहहए कयोकक ऐस लोगो की सगतत ही ववनयकाअसली कारण होती ह। वातसयायन औरकौहिकय दोनो ही न जीवन की शरआती अवसराअरामत बाकयवसरा म ववदयागरहण करन और बरहमचयम पर जोर हदया हकयोकक ववदया और ववनय क शलए इजनदरय जयहोती ह इसशलए काम, िोध, लोभ. मान, मद और हषम जञान स अपनी इजनदरयो पर ववजय पानी चाहहए।

शलोक (7)- अलौकककतसवादषटारातसवादपरवतताना यजञदीना शातरातसपरवतानम, लौककतसवाषटारातसवाञञ परवततभयशच मासभकषणाहदभयः शातरादवतनवारण धमाः।।

44books.com

Page 28: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- जो लोग पारपररक तरा अचछा फलदन वाल यजञ आहदक कामो म जकदी शाशमल नही होत ऐस लोगो काशासतर क आदश स इस तरह ककायो म शाशमल होना तरा इसी जनम मअचछा फल शमलन क काऱण जो लोग मास आहद खातह उनका शासतर क आदश सयह सब छोड दना- यही परववतत तरा तनववतत रपम 2 परकार का धममह। महाभारत म भीइस बार म बताया गया ह धारण करन स लोगइस धमम क नाम स बलातह। धमम परजा को धारण करत ह जो धारण कसार-सार रहता ह वही धमम कहलाता ह-यह तनजशचत ह। इस बात स यहसातरबत हो जाता ह कक धमम बहत ही वयापक शबद ह। गररकोश म धमम कअरम शमलत ह।

वहदक ववधध, यजञाहद

सकत या पणय

नयाय

यमराज

सवभाव

आचार

सोमरस का पीन वाला

और

शासतर ववधध क अनसार कमम क अनषठान म पदा होन वालफल का साधन एव रप शभ अदषि अरवा पणयापणय रप भागय।

शरौत और समतत धमम। ववहहत किया स शसदध होन वाल गण अरवा कममजनयअदषि। आतमा। आचार या सदाचार। गण। सवभाव। उपमा। यजञ। अहहसा। उपतनषद। यमराज या धममराज। सोमाधयायी। सतसग।

44books.com

Page 29: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

धनष। जयोततष म लगन स नौव सरान या भागयभवन। दान। नयाय।

धमम शबद काअरमतनरकतकार तनयम को बताया गया ह और धमम शबद का धातगत अरम धारणकरनाहोता ह। इन दोनो अरो का तालमल करन स यही अरम तनकलता ह कक जजसतनयमन इस ससार को धारण कर रखा ह वह धमम ही ह। शासतरो कअनसार धमम स ही सख की पराजतत होती ह औरलोकमत भी इस बार मशासतरो का समरमन करता ह। धन स धमम होता ह औरधमम स ही सख शमलता ह।

शलोक (8)- त शरतधामाजञसमवायाचच परततपदयत।।

अरा- उपयकत सातव स तर म बताए गए धमम को जञानीमनषय वद स और साधारण परष धममजञ परषो स सीख। कामस तर करधचयता न शासतरो क मत पर सहमतत जतात हएकहा ह कक जञानी मनषय कोवदो क दवारा धमम की शशकषा गरहण करनीचाहहए। मन क अनसार सार वद धमम कम ल ह। शरीमदधगवतपराण म तो यहा तक कहा गया ह कक जो वद मकहा गया ह वही धमम ह और जोउसम नही कहा गया ह वह अधमम ह। आचायमवातसयायन न जञानी वयजकतयो को वदो स धममआचरण सीखन की सलाह इसशलए दीह कयोकक धमम का ततव गहा म मौज द होताह। इसी ततव को परातत करन कशलए मनषरय को आतम-तनरीकषण, शरवण, मनन और तनदधयासन करना जररी ह। जञानी वहीहोता ह जो तनहहत परचछननततवो को पहचानता ह। कामस तर का मखय धमम काम काअसली वववचन औरववशलषण करना ही ह। काम क ततव को वही मनषरय पहचानता ह जो धममकततव को पहचानता ह। यहा पर साधारणपरषो स अरम उन लोगो स ह जो सवय ववदाधययन, शरवण मनन म असमरम ह, मगर समततयो दवारा बताए गएधममजञोदवारा तनहदमषि पर पर सवार रहत ह। यहा पर कामस तर करधचयता समतत औरशरतत दोनो का समनवय करत ह। मतलब यह ह कक शरततक दवारा जो बताया गया हवही धमम समतत म भी बताया गया ह। ऐसा वह कौन साधमम ह जो समतत म बताया गया ह तरा शरततरागव ह। इसका समाधानमनसमतत क अतगमत ह। शरतत औरसमतत क अतगमत बताया गया सदाचार ही परम धममकहलाता ह। इसशलए अपन आपकोपहचानन वाल वयजकत को हमशा सदाचार सयकत ही रहना चाहहए। आचायमवातसयायन न बहत ही कम शबदो म बहत बडी बातकही ह कक ववदवान

44books.com

Page 30: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

औरसामानय दोनो तरह क लोगो क शलए यह बहत जररी हकक वह सदाचारी बन जाए कयोकक सदाचारही काम की पषठभ शम ह।

शलोक (9)- तवदयाभममहिरणयपशधानय भाणडोपकरममतरादीनामजानमसजातय तववधानमराः।।

अरा- आचायम वातसयायन न धमम क लकषण बतान क बाद अरम की पररभाषा को पश ककया ह- ववदया, भ शम, सोना, जानवर, बतमन, धन आहद घर की चीज औरशमतरो तरा कपडो, गहनो, घर आहद चीजो को धममप वमक परातत करना तरापरातत ककए हए को और बढाना अरम ह। आचायम चाणकयन कौिलीय अरमशासतर क अतगमत अरम की पररभाषा बतात हए बताया ह ककलोगो की जीववका ही अरम ह। इस ववषय मकौहिकय और वातसयायन का एक ही मत ह। कौहिकयन अरमशासतर शलखन काअरम ततव दशमन को बताया ह तरा यही अरमकामस तरकार का भी ह। जजस परकार सबदधध का सबध धमम स ह उसी तरह स शरीरका सबध अरम स, काम का सबध मन स और आतमा का सबध मोकष स ह।इनही अरम, धम, मोकष और काम म मनषय की सभी लौककक और परलौककककामनाओ का समावश होजाता ह। कामस तरकार कामनतवय यही माल म पडता ह कक जजस तरह अरम, वसतर, भोजन आहद क तरबना शरीर तरबककल सही नही रहसकता, सभोगकला कतरबना शरीर पदा नही हो सकता और शरीर क तरबना मोकष को पाना सभवनही होसकता। उसी तरह स तरबना मोकष का रासता तनधामररत ककए तरबना काम और अरम कोभी सहायता नही शमल सकती ह। जब तक मोकष की सचची कामना नही की जा सकतीतब तकअरम और काम का सही उपयोग नही हो सकता।

शलोक (10)- तमधयकषपरचारादवाताासमयतवदधयो वणणगभयशचतत।।

अरा- अरम को सीखन क बार म जोबताया जा रहा ह उसजानन म अकसर बहत स िीकाकारो को वहम होता ह।कामस तर क रधचयता काअधयकषपरचार स अरम कौहिकय अरमशासतर कअधयकषपरचार अधधकरण स ह। इस अधधकरणक अदर कौिकय न भ शम-सरकषण, राजय-सरकषण, नागररको क सरकषण क तनयम औरदगो क तनमामण काववधान, राजकर की वस ली, आय-वयय ववभाग क तनयम तरा उसकीवयवसरा, शासनपरबध रतन की पारखी, धातओ क पारखी, सनारो क कततमवय औरतनयम, कठोर तरा उसक अधयकष क कायम वविय ववभाग क तनयम, यवततयो कीसरकषा, तोलमाप का तनरपण, शसतरागार की वयवसरा, चगी क ववशभननपरकार क तनयम आहद 36 ववषयो क बार म बताया गया ह।

44books.com

Page 31: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (11)- शरोतरतसवकचकषसजहवाघराणानामातसमसयकतन मनसाधधषठताना वष वष तवषयषवानकलयतः परवतततः कामः।।

अरा- आचायम वातसयायन न काम कलकषण बतात हए कहाह कक आख, जीभ, कान, तवचा और नाक पाचो कीइहदरयो की इचछानसार शबद सपशम, रप और सगध अपन इन ववषयो मपरववतत ही काम ह या कफर इजनदरयोकी परववतत ह। भारतीय दशमन क शसदधानत कअनसार ववदया और अववदया यही दोपरमख बीज ह। यह दोनो जब बराबर मातरा मएकसार शमलत ह तब तीसराबीज भी पदा हो जाता ह। वाक, मन और पराण तीनो अवयव तरा जगत क साकषीमान जात ह। इनम स मन को जयादा मातराम पराण गरहण करता ह तबवह ववदया का रप ल लता ह और जब वह वाक को जयादामातरा म लता हतब अववदया कहलाता ह। यही अववदया ववदयारप आतमा का ऐसासवाभाववकववकार ह जो कक बाहर क पदारो को अपन म शमला शलया करता ह जजसक कारणस जञान तनववषमयकतरा सववषयक इन रपो म बि जाता ह।

शलोक (12)- पशातवशषतवषयाततवयातरबमातनकसखानतवदधा फलवतसयरापरतीततः पराधानयातसकामः।।

अरा- आचायम वातसयायन न इस स तरम काम क बार म बतात हए कहा ह कक आशलगन, चबन आहद सभोग सख कसार गोल, तनतब, सतन आहद खास अगो क सपशम करन स आनद कीजो झलवतीपरतीत होती ह उसकी को काम कहत ह। इस स तर म फलवतीअरमपरतीततिः इस शबद म गभीर भाव मौज द ह।इसका खास मकसद सयोगय सतानोतदान हीसमझना सही होगा कयोकक वद औरउपतनषद भी इसी आशय को वयकत करत ह- 1- आरोहतकपसमनसयमानह परजा जनसय पतय असम। इनदराणीव सवधा बधयमाना जयोततरगरा उपसिः परततजागराशस।। अरम- ह वध त खश होकर इस पलग पर लि जा और अपन इसपतत क शलएसतान को पदा कर तरा इदराणी की तरह ह सौभागयवती चतरता स सबहस रजतनकलन स पहल ही जाग जा। अरामत- सभोग किया रात क समय ही होनी चाहहए जजसस मनम ककसी तरह का डर, सकोच या शमम आहद महस स न हो। 2- दवा अगर नयपदयनत पतनीिः समसपशनत तनवसतन शभ। स यव नारर ववशवरपा महहतवा परजावती पतया सभव ह।। अरम- ववदवान परष पहल भी अपन पतनी को परातत हए हतरा अपनशरीर को उनक शरीर स अचछी तरह स शमलाया ह। इस वजह स ह महान सदरतावाली तरा परजा को परातत करन वाली सतरी त भी अपन पतत स शमल जा। अरामत- सभोग किया करन स पहल आशलगन और चबन आहदजररा कर लनचाहहए जजसस

44books.com

Page 32: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

कक दोनो को ही आनद की पराजतत हो सक और आशलगन करन सशरीर म जो तरबजली सी दौडती ह उसस न शसफम शमम ही द र होती ह बजकक एकअजीबसा ,सक न भी शमलता ह। 3- ता प षतछवतमामरयसव यसया बीज मनषया वपजनत

या न ऊर ववशरयातत यसयामशनतिः परहरम शषिः।। अरम- ह जग को पालन वाल ईशवर, जजस सतरी क अतगमत आज बीज को बोनाह उस जागतकर। जजसक दवारा वह हमारी इचछा करती हई अपनी जाघो कोफलाती हई तरा हमइचछा करत हए अपन शलग का परहार सतरी की योतन परकर सक। अरामत- परष और सतरी दोनो को ही अपनी खशी स सभोगकिया करनीचाहहए। इस किया को करत समय दोनो को इस बात का धयान रखना चाहहए ककसतरी क योतन पर को ककसी तरह की हातन न पहच कयोकक जसतरयो की योतनम एकबहत ही बारीक खझकली होती ह जो अकसर पहल ही सभोग म ि िजाती ह। इसशलए परषको खासतौर पर धयान रखना चाहहए कक सतरी को ककसीपरकार की परशानी न हो। 4- परतवा मञञाशमवरणसय पाशाद यन तवा सववता सशवािः। ऊर लोक सगमतरपनरा कणोशम तभय सहपकय वध।। अरम- ह सतरी म तर पतत क जररए जाघो क बीचक योतनमागम को सरलबनाता ह तरा त झ वरण क उस उतकषि बधन स मकत करता ह जजसकोसववता न बाधा रा। अरामत- सभोग करत समय जो पराकततक आसन होत ह उनहीको आजमानाचाहहए कयोकक अपराकततक आसनो को सभोग करत समय आजमान स सतान ववकलागपदा होती ह। 5- आरोहोरमपधतसव हसत पररषवजसव जाया समनसयामानिः। परजा कणवाराशमह मोदमानौ दीघम वामायिः सववता कणोत।। अरम- ह परष त जाघ क ऊपर चढ जा, मझ अपनी बाहो का सहारा द, खश होकर पतनी को धचपका ल तरा खशी मनातहए दोनो सतानो को पदाकरो जजस सववता दव तमहारी उमर को लबी बनाए। अरामत- सभोग किया क सपनन होन क बाद सतरी औरपरष दोनो कोही सनान कर लना चाहहए कयोकक इसस ककसी शरीर को ककसी तरह क रोगऔरगदगी स मजकत शमलती ह। 6- यद दषकतयचछमल वववाह वहतौ च यत । तत सभलसय कबल मजमह दररत वयम ।। अरम- इस ववाहहक कायम क दवारा जो मशलनता हम दोनोस हई उस कबल क दागो को हम छडा लना चाहहए। अरामत- इस बात स साफ पता चलता ह कक आचायम वातसयायन न चबन, आशलगन स फलवती अरम परतीतत का अरम सतान को पदा करन की दजषिरखकरही इस स तर की रचना की ह।

शलोक (13)- त कामसतरातरागररकजनसमवायाचच परततपदयत।।

44books.com

Page 33: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- उस कामववजञान को कामस तर जस शासतरो स औरकाम वयवहार म तनपण नागररको क हाशसल करना चाहहए। कामस तर क रधचयताअरामत आचायम वातसयायन न कहा ह कककामशासतरो का अधययन कामस तर क जस आचायोको आकर गररो स हीकरना चाहहए या ककसी योगय नागररक स। यहा पर शासतर औरआचायम दोनो कीही महतवतता बताई गई ह। अगर ककसी भी ववषय को जानना ह या उसपर योगयताहाशसल करनी ह तो ककसी शासतर और आचायम की शरण लनी चाहहए। गीता म कहागया हकक जो मनषय शासतर ववधध को छोडकर इधर-उधर भागता ह वह न तोशसदधध पराततकर सकता ह और न ही लौककक सख को ही गरहण कर सकता ह। वहकभी मोकष को भी पा नहीसकता ह।

शलोक (14)- यः शातरतवधधमतससजय वतात कामकारतः। न स मसदधधमवापनोतत न सख न परागततम।।

अरा- यहा पर कामशासतराकार कानागररक जन स अरम ह ककववदघधजन अरवा कामशासतर का आचारयम। आचायम वहीहोता ह जो अपन शशषरयो को ऐसीशशकषा द कक वह धमम-अरम-काम को आसानीस परातत कर सक। उपतनषद का जञाता अपनशशषय को प री तरह स शशकषादन क बाद उस उपदश दता ह- शलोक- सतय वद, धमम चरसवाधयायानमा परमदिः परजातततमावयवचदवतसीिः। अरम- धमम का पालन करो, हमशा सच बोलो, अपरमतत होकर सवाधयाय करत रहो। गहसर आशरम म परवश करन क बाद सतान परपरा को नहीतोडना चाहहए। सतान परपरा को ि िन स बचान क शलए बरहमचारी को गहसरआशरम मपरवश करन स पहल ववधध प वमक कामशासतर का अधययन कर लना चाहहए।इसक बाद वववाह करक गहसर आशरम म परवश करना चाहहए। अरम, धमम और काम क लकषण तरा उनको पान क साधन बताकरवातसयायन इनकी उततरोततर उतकषिता तरापरामाखणकता को बता रह ह- एषा समवाय प वमिः प वो गरीयान ।। अरम- काम, अरम और धमम म स काम स जयादा शरषठ अरम को माना गया ह तरा अरमस धमम को। सतय, असतय, अहहसा, काम-िोध, लोभ स रहहत होना, पराखणयो कीवपरय तरा हहतकाररणी कोशशश म तयार करना- यहसभी वणो क सामानय धमममान जात ह। समाज वयवसरा औरसहअजसततव को अहहसा ही कायम ऱखती ह. ससारम जो कछ भी ह वह सतय ह। इसी परकार सतयसवोपरर धमम ह तराअहहसा को अपनाना चाहहए। अहहसा को छोड दन पर सचचाईभी हार नही लगती।

44books.com

Page 34: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

चोरी न करन को हीअसतय कहा जाता ह। असतय सतय का ही एक भाग ह। सच क इसी भाग पर समाज का वयवहारआधाररत ह। जब जररत स जयादा वसतओका उपयोग करन की इचछा नही होती हतो उस अकाय कहत ह अरामत मनषय को अपनीइचछाए और जररतो को सीशमतही रखना चाहहए। अहहसा क द सर रप मअिोध को जाना जाता ह। हर वयजकत को अपन अदर क कोधर को जानना बहत जररी ह। सवमभ तहहत की भावना मनषयक जीवन को ऊपर उठान म सबस ऊपरमानी जाती ह। अहहसा, अिोध और अकाम आहद सभी इसक अतगमत आत ह।सवामतमभाव हमारी जजदगी का मकसद होना चाहहए तरासवमभ तहहत हमारी साधनाहोनी चाहहए। आचायम वातसयायन नइनही वजहो स काम स बहतर अरम और धममको माना ह। जो मनषय धमम की इनभ शमकाओ को सवीकार कर लता ह उसकशलए काम और अरम करतल गत मान जात ह। आचायम वातसयायन कामखय मकसद कामशासतर की महतवतता कीवयाखया तरा उसकी वयवहाररक उपयोधगता वयकतकरना ह। मगर जब तक मनषयधमम क ततव को नही जानता तब तक वह काम की दहलीज परनही पहच सकता ह।

शलोक (15)- अराशच राजञः। तनमलतसवाललोकयातरायाः। वशयायाशचतत तरतरवगापरततपतततः।।

अरा- इस तरह क साधारण तनयम क बादकाम, धमम और अरम क ववशष तनयमो का उकलख करत ह। सासाररक जीवन काअरम म लस तर माना जाता ह। इस वजह स राजा क शलए काम और धमम सजयादा जररी अरम होताह। वशया क शलए सबस जयादा काम और अरम कीजररत होती ह। काम, धमम और अरम क लकषण तरा उनकी पराजतत क साधन खतमहोतह। चाणकय क अनसार- धममसय म लमरम- धमम का म ल धमम ह। अरमसय म लराजयम- अरम काम म ल राजय ह। राजयम लतननदरयजय- राजय का म ल इजनदरजय ह।

कौिकय क दवारा राजा की अरमपरधान ववतत होनी चाहहए। उसक दवारावह राजय तरा धमम दोनो को उपलबधकर सकता ह तरा राजय को भी मजब त बना सकताह। कौिकय क इन ववचारो सआचायम वातसयायन क ववचार बहत जयादा शमलत-जलतह।

शलोक (16)- धमा यालौकककतसवाततदमभदायक शातर यकतम। उपायपवाकतसवादराामसदधः। उपायपरततपतततः शातरात।

44books.com

Page 35: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- आचायम वातसयायन धमम का बोध करन वाल शासतर कीजररत बतात हए कहत ह- धमम परमारम कासपादन करता ह, इस परकार धमम का बोधकरान वाल शासतर का होना जररी ह तरा उधचत भी। अरमशसदधध कशलए कईतरह क उपाय करन पडत ह इस वजह स इन उपायो को बतान क शलएअरमशासतर की जररत होती ह। धमम का जञान 3 परकार स होता ह- पहला तो धमामतमाववदवानो की शशकषा, द सरा आतमा की सचचाई को जानन की इचछा और तीसरापरमातमापराकत ववद-ववदया का जञान। अरवमवद धमम का लकषण बतात हएकहता ह- यजञ, दम, शम, दान और परमभजकत स तीनो लोको म वयापकबरहम की जो उपासना की जातीह उस तप कहा जाता ह। ततव मानन, सतयबोलन, सारी ववदयाओ को सनन, अचछ सवभाव को धारण करन म लीन रहना हीतप होता ह। सतय को ऋत भीकहत ह। सचच भाषण और सतय की राह पर बढनस बढकर कोई भी धमम नही हकयोकक सतय स ही रोजाना मोकष सख औरसासररक सख शमलता ह। मन, अतरतर, ववषण, हाररत, याजञवककय, यम, सवतम, कातयायन, पराशर, वयास, बहसपतत, शख शलखखत दकष, गौतम, शातातप वशशषठसमत यह सार ऋवष धममशासतर को रचन वाल ह। इन सभीधममशासतरकारोन यही बताया ह कक यजञ करना, इजनदरयो पर काब करना, सदाचार, अहहसा, दान, वदो का सवाधयाय करना यही परम धमम होता ह। धमम का मकसद शसफम इतनाही होता ह कक ववषयोधचत ववततयोका तनरोधकर आतमजञाम परातत करा जाए। इस वजहस वातसयायन न धमम कोपारमाधरमक कहा ह। धमम और मोकषस जयादा अरम क कषतर को जयादा वयापकमाना जाता ह। जजस तरह सआतमा क शलए मोकष की, बदधध क शलए धमम कीतरा मन क शलए काम की जररत होती ह। इसी तरह शरीर क शलए भी अरम कीजररत होती ह। मनषय को ही धमम और मोकष की जररत पडती ह लककन कामतरा अरम कतरबना तो मनषय पश, पकषी, कीड-मकोड तरा तण पकलव ककसीका भी गजारा नही हो सकता। काम क तरबना भीएकबार काम चल सकता ह औरमनोरजन को भी तयागा जा सकता ह। जजस अरम परपराखणमातर क शरीर जसरर ह, सभी की जजदगीठहरी हई ह, उस अरम की परधानता का अदाजा अनायास ककया जा सकता ह। उसकीशममासा भीबहत सावधानी क सार करना चाहहए कयोकक उसक अनधचत सगरह कदवारा मोकषमागम तरबगड सकता ह। आयम सभयता म इस वजह स अरम कीमहतवता सवीकार करतहए अरमशासतरो की रचनाए हई ह। जीवन की हरसमसया का हल अरमशासतर क दवारा सभीदजषियो स ककया जा सकता ह।जञान को पान तरा उसकी सरकषा क शलएपराचीन आचायो न जजतन भी अरमशासतरो कीरचना ह, अकसर उन सभी कोइकटठा करक कौिकय न कौिलीय अरमशासतर की रचना कीह, इस कौिलीयअरमशासतर की लखनपरणाली को अपनाकर वातसयायन न कामस तरकी रचना कीह। आपसतबधममस तर म अरम तरा धमम म कशल राजपरोहहत तकका वववरण ह। धममस तरोका मखय परततपादय ववषय धमम अरवा ववधान हीह लककन अरमशासतर क अतगमत सभीआधरमक

44books.com

Page 36: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शसदधातो तरा तनयमो कोबताया गया ह। अरमशासतर काखास ववषय राजनीतत ह। मनषय क सभी लौकककककयाणो का सवरपअरमशासतर क अतगमत मौज द ह। इसशलए जीवन क सभीपरयोजनो की शसदधध अरमशासतरक अतगमत दी गई ह।

शलोक (17)- ततयागयोतनषवतप त वय परवतततसवात कामय तनतसयतसवाचच न शातरण कतसयमतीतसयाचायााः।।

अरा- पश-पकषी को अकसर तरबना कछशसखाए ही सभोग किया करत हए दखा जा सकता ह औरकाम क अववनाशी होनस यह सातरबत होता ह कक इस ववषय का शासतर बनान की जररत नहीह। यहकछ आचायो का मत ह|

शलोक (18)- सपरयोगपराधीनतसवात तरीपसयोरपायमपकषत।।

अरा- आचायम वातसयायन न इसका समाधान करत हए कहाह- सभोग किया करत समय हारन पर सतरी और परष को इस हार सबचन क शलए शासतर की अपकषा हआ करती ह। जो लोग धमम कवयापक रप को, उसक परचछनन राज को समझनकी कोशशश नही करत ह वही कामशासतर का ववरोध करतह। सभोगकिया कोसवाभावशसदध मानकर सभोगकिया म वयजकत और जानवर को बराबर मानन वालनीततकारो न कामशासतर की उपयोधगता पर धयान नही हदया ह। लककन आचायमवातसयायन कहत ह कक सभोग करन क शलएशासतरजञान जररी इसशलए ह ककअगर सतरी या परष दोनो म स कोई भीभयभीत, लजजाजनवत या हारता ह तो उसको उपायो कीजररत होती ह। इनउपायो को शासतर क अतगमत बताया गया ह। सभोग सख याववाहहक जीवन कोखशहाल बनान क शलए सभोग की 64 कलाओ की जररत होती ह। अरमशासतर याधममशासतर क दवारा ऐसी कलाओ और उपायोका जञान नही होता। इस वजह सआचायम वातसयायन यह जञान दत ह ककगहसर जीवन को सखी, सपनन और आनददायक बनान क शलए कामस तर की जानकारीजरर होनीचाहहए। कामशासतर कदवारा इस बात की जानकारी शमलती ह कक सभोगकिया का सवोततम तराआधयाजतमक उददशय ह पतत-पतनी मआधयाजतमकता, मानव परम तरा परोपकार और उदातत भावनाओ काववकास। इसमकसद का जञान पश-पकषकषयो, कीड-मकोड को नही हो सकता। जो लोग सभोगक बार म नही जानत वहजानवरो की तरह सभोग ककया करत ह। कामस तर कदवारा मनषय को इस बात का जञान होता ह कक सभोग का असली सख

44books.com

Page 37: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

कया ह।यह सख इस परकार स ह- मनषय जातत का उततरदातयततव। सभोग, सतान पदा करना, जननजनदय और काम स सबधधत समसयाओ क परतत आदशममय भाव। अपनी सहभागी क परतत उचचभाव, अनराग, शरदधा और भल की कामना स इन तीनो पर तनभमर रह। दामपतय परमया अपनी परशमका की आजतमयता क तरबना वववाहकरना या परम करनाअसफल होता ह। दमपवततयो क बीच म आपसी कलश, सबधो का ि िना, अनबन, गतत वयशभचार, वशयाववतत, सतरी का अपहरण, अपराकततक वयाशभचार आहद बहत स बर पररणामो और घिनाओ का असली कारणकामस तर कोपसद न करना या उसक बार म जानकारी होना ह।

शलोक (19)- सा चोपायपरततपतततः कामसतराहदतत वातसयायनः।।

अरा- पतत-पतनी क धाशममक औरसामाजजक तनयम की शशकषाकामस तर क दवारा शमलती ह। जो दमपततकामशासतर क मतातरबक अपना जीवन वयतीतकरत ह उनका जीवन यौन-दजषि कप री तरह सखी होता ह। ऐस दमपतत अपनी प रीजजदगी एक-द सर क सारसतषि रहकर तरबतात ह। उनक जीवन म पतनीवरत यापततवरत को भग करनकी कोशशश या आकाकषा कभी पदा ही नही हआ करती ह तरा उपायोदवारापरातत वह जञान कामस तर स परातत होगा। यह वातसयायन का मत ह। कामस तर कदवारा इस बात क बार म जानकारी शमलती ह ककसभोग की 3 मखय कियाए होती ह- ववलास, सीतकार और उपसगम। इनक अलावा 3 तरह क परष, 3 परकार की जसतरया, 3

तरह का सम सभोग, 6 तरह का ववषमसभोग, सभोग क 3 वगम, वगम भद स 9 परकार क सभोग,

काल भद स 9 परकार क सभोग तरा सभोग क सभी 27 परकार ह। सभोग करत समय परष औरसतरी कोकब और ककस तरह का आनद शमलता ह, पहली बार सभोग करत समय ककसतरह की परशानीहोती ह, सतरी पर सखलन का कया परभाव पडता ह, सभोगकरत समय ववशभनन परकार क आसनो स ककस परकारक लाभ होत ह। जो लोग सकसकिया क बार म नही जानत ह वह अपनीपतनी क सार सकस करकउनह बहत स रोगो की धगरफत म पहचा दतह। कामस तर दवारा ऐसी बहत सीववधधया पाई जाती ह जो सतरी और परषको आपस म ऐस शमला दती ह जस कक द धम पानी। इसशलए आचायमवातसयायन क अनसार सभोग क शलए शासतर उसी तरह जररीह जस अरम औरधमम क शलए होता ह।

44books.com

Page 38: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (20)- ततयागयोतनष पनरावततसवात तरीजातशच, ऋतो यावदरा परवततबदधधपवाकतसवाचच परवततीनामनपायः परतसययः।।

अरा- सतरी और परषो मतो सतरी जातत सवाधीन औरबधनरहहत होती ह। जजसक कारण ऋतकाल ही म वहततत होती ह। उसकी सभोग कपरतत रधच होन स तरा वववक बदधध नहोन स पश-पकषकषयो क शलए सवाभाववक सभोगकी इचछा हीकाम-परववततयो को प रा करन क शलए सही उपाय ह। वातसयायन कमतानसार मनषय रप म पदा हईसतरी तरा ततयमगयोतन म पदा हईधचडडया म काफी फकम होता ह।सतरी धचडडया की तरह न तो आजाद होती ह और नवववकश नय। वह समाज और वशकी मयामदाओ स बधी रहती ह। इसक अतगमतलोकलजजा, कललजजा तराधममभय रहता ह। इसशलए ककसी खास तरह क परष का ककसी खाससतरी क सारसबध होन स बहत सी मजशकल पदा हो सकती ह। पश-पकषकषयो कीतरह मनषय की सभोग करन की इचछाशसफम पाशववक धमम नही ह। वयजकतको धमम, अरम, सतान को पदा करना, वश को बढाना जस कई तरह क मकसदो को सामन रखना पडता ह। इसक अलावा भीपश-पकषकषयो म भाई-बहन, माता-वपताक सबधो का वववक पदा नही होता और न ही उनका दामपतय जीवनप रीजजदगी रहता ह। ववाहहक जीवन को प री जजदगी चन स तरबतान क शलएकामस तरकी जररत होती ह।

शलोक (21)- न धमााशचरत। एषयलफलतसवात। साशतयकतसवाचच।।

अरा- धमम का आचरण कभी न कर कयोकक भववषय मशमलन वाला फल ही अतनजशचत होता ह। उसक शमलन म भी शक रहता ह।

शलोक (22)- को हयबामलशो ितगत परगत कयाात।।

अरा- कौन सा वयजकत इतना म खम होता ह जो हार म आई हई चीज को द सर क हार मसौप दगा।

44books.com

Page 39: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (23)- वरमदय कपोतः शवो मयरात।।

अरा- अगर वह सख शमलना तनजशचत भी होतब भी यह लोकोजकतचररतारम ही होती ह- कल शमलन वाल मोर स आज शमलनवाला कब तर ही अचछा ह।

शलोक (24)- वर साशतयकातरतरकादसाशतयकः काषाापणः। इतत लौकायाततकाः।।

अरा- नाजसतक लोगो को मानना ह कककहना ह कक असहदगधरप स शमलन वाला ताब का बतमन शका स पराततहोन वाल सोन क बतमन सअचछा ह।

आचायम वातसयायन क मतानसार- धमो का पालनजरर करना चाहहए कयोकक धमम का उपदश करनवाल वद तरा शासतर ईशवरकत तरा मतरदषिा ऋवषयो दवारा बनाए गए हइसशलए वह तनशचय ही सही ह। शासतरो कअनसार कह गए अशभचार कायो और शातत, पजषिवदमधक कामो क फलो का एहसास इसी जनमम हो जाता ह। नकषतर, स यम, चदर, तारागण तरा गरह-चिो की परववतत भी लोगो की भलाई क शलए बदधधवाद-सपनन जान पडती ह। मनषय का जीवन वणामशरय धमम पर आधाररत ह- ततर सपरततपवततमाह-

शलोक (25) शातरयानमभशग-यतसवादमभचारानवयािारयोशचकधचतसफलदशानातरकषतर-चदरसयातारागरिचकरय लोकाराबदधधपवाकममवपरवततदाशानादवणााशरमाचारसरतत-

लकषणतसवाचचलोकयातराया ितगतय च बीजय भतवषयतः सयारतसयागदशानाचचरदधमाातनतत वातसयायनः।।

अरा- हार म आए हए बीज को अनाजशमलन की आशा म तयागदना बवक फी नही ह कयोकक बीज स ही अनन पदाहोता ह। उसी तरह भावी मोकष कीआशा ऱखकर धाशममक कायो को करना सही हकयोकक धाशममक कायो क जररए ही मोकषक रासत खलत ह। धमम क आचरण क शलएवातसयायन वद और शासतर को ईशवरकत औरऋवष परणीत कहकर इनह सच मानत ह। इनकीसतयता सातरबत होन पर वह धममको भी परामाखणक मानत ह। वद ईशवरकत ह- इसक परमाण सवय वहदक गरर ह- शलोक- अर असय महतो भ तसय तनिःशवशसतमतद। यददगवदो यजवदिः सामवदोऽरवामधगरसिः।।

44books.com

Page 40: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक- तरयोवदो वायोिः सामवदिः आहदतयात ।। तरयो वदा अजायनत आगनऋगवदिः। वायोयमजवदिः स यामत सामवदिः।। अगनऋरचो वायोयमज वष सामानयाहदतयात । तसमारजञातसवमहतिः ऋचिः सामातन जकषजञर। छनदाशस जकषजञर तसमादयजसतसमादजायत।। यजसमननचिः सामयज वष यजसमन परततजषठता ररनाभा वववारािः। ससमाददचो अपातकषन यजयमसमादपारषन । सामातन यसय लोमानयरवामधगरसो मखम ।। अरम- ऊपर हदए गए उदाहरणो स ऋगवद, यजमवद, सामवद तरा अरमववद कीअपौरखषयता औरईशवरदततता सातरबत होती ह। ववधध और मतर जजसक अतगमतआत ह वही वद होतह। मीमासा दशमन न इस बात पर अपन ववचार परकिककए ह कक पररणादायक लकषण वालाअरम ही धमम ह। ववधध तरा मतर का एकही अरम ह कयोकक पररणातमको को मतरकहत ह। इसक दवाराआचायम वातसयायन क इस मत की पजषि हो जाती ह वद ईशवरीय जञान ह तराउनम धमोपदश ह। यहा परवातसयायन का अरम शासतर स मतलब धममशासतर ह।धममशासतर म यादो कोपरमख माना जाता ह। मन, याजञवककय आहदसाकषात कतधमाम ऋवष-मतनयो न यादो म जो धमम कउपदश हदए ह वहसावमकाशलक तरा सावमजनीन ह। उनका धमम उपदश यरारम की पषठभ शम परसामाजजक अभयदयतरा पर लौककक ककयाण क शलए हआ ह। इस परकार याद सचह, उनक दवारा बताए गए रासत पर धमम का आचरण करना सही ह। मनषय जो भीशभ या अशभ कायम करता ह शासतरो क दवाराउसका फल उस इसी जजदगीम भगतना पडता ह। मीमासा क अनसार शरततक दवारा जजन कायो को करनकी आजञा शमलती ह, वह रोजाना, नशमवततकतरा कामय 3 तरह क होत ह। होम करना रोजाना का काम ह। नशमवततक कामोको ककसीखास मौको पर ककया जाता ह। यह दोनो आदश क रप म होत ह औरइनको करना जररीहोता ह। उततजजत कायो को खास ककसम की इचछाओ कोप रा करन क शलए ककयाजाता ह। हर कायम म कछ अश परधान तरा कछ अशगौण होत ह। यजञ होम कापराकततक और लाभकारी फल वायमडल की शदधध ह।जलती हई आग अपन ऊपरकी ओर आस-पास की वाय को गमम करक ऊपर की ओरधकलती ह। श नय को प रा करन कशलए इधर-उधर स ठडी हवा हवन-कड कीतरफ खखची आती ह तरा गमम होकर वह भी ऊपर आजाती ह। यह चककर चलता रहताह। इस किया मइधर-उधर उडत हए, पड हए खतरनाक जीव कडस गजरत हए भसम हो जात ह। इस पररवतमन कषतर म जोकोई भी बदलावहोता ह उसस वायमडल तरत ही शदध होता ह, मतरो का पाठ यजञ करनवाल को समननत बनाता ह। मीमासाकार क मत सयजञो का जो फल ह उसकासबध वतममान स ह।

44books.com

Page 41: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

धमम जजजञासाप वममीमासा का ववषय ह तरा धमम स वह कायमअशभपरत ह जजसकी ववधधयावदो म बताई जा चकी ह। इन कमो का फलजरर शमलता ह। यही नही कमम अगर ककएजात ह तो वह फल की पराजतत क शलएही ककए जात ह। मीमासा क मतानसार फल मनषयक शलए ह और मनषयकमम क शलए ह। कमम की पररणा भल ही इसशलए की जाती ह ककऐसा कममककयाणकारी होता ह। हमारी नततक भावना की माग यह ह कक पणय काम तरासख का मल हो। पाप और दख का मल हो। इस शसदधानत का पकषपाती जशमनी ह।शभ कामोक फल शभ और अशभ कामो क फल अशभ शमलत ह। गरह, नकषतर आहद की परववतत मनषय की भलाई की शलए हीहोती ह। शरतत क मतर भागक अतगमत कई सरानो पर बताया गया ह ककस यम ही सब परजाओ का पराण ह। स यमक दवारा ही सभी पराखणयो कीउतपवतत हई ह। ववषवत वतत तरा िाततवत का शरीर की बनावि क बहतही गहरा सबध होता ह। इस ववषय क बार म ऐतरयबराहमण म बतायागया ह- इस तरह परमाणस यह सातरबत हो जाता ह कक मनषय की आतमाअधनदर अरामत इदर का आधाभाग ह। अप णमता क रह जान पर मनषय आहदपराखणयो का आतमा इनदर अपनआपको अप णम व अपयामतत समझता ह कयोककअकला पराणी कभी भी सभोग नही करसकता- तसमादकाली न रमत तददववतीयमचछत। वह मनोववनोद िीडा ा क शलएद सर पराणी का इचछा करताह। यह जीवन का तनयम होता ह। इसीशलए बहत सीशरततयो का कहना ह कक जब तक परषदार-सगरह वववाह नही करता तब तक उसअध रा ही माना जाता ह। वाजजशरततका कहना ह कक जजन दो सतरी-परषो का शमलनहोता ह वह तब तक प र नहीहो सकत जब तक एक अदमध का द सर स शमरन सबध नहीहो जाता ह। यहसतरी आधा भाग होती ह। इस तरह स जब तक सतरी को हाशसल नही ककयाजासकता तब तक सजषि नही हो सकती ह। आचायमवातसयायन का यह करन सकधचत और सीशमत नजररय स अलगही माल म पडता ह ककवणामशरम धमम पर ही लोगो को जीवन तनभमर करताह। उनक मतानसार बराहमणाहदवणम शसफम मनषय म ही नही बजकक प रससार म वतममान चतन-अचतन सभी पदारम 4 वणो म बि ह। जो पदारमआगनय होत ह वह बराहमण कहलात ह। जोऐनदर होत ह वह कषतरतरयहोत ह। जो ववशवदव ह वह वशय मानजात ह और प ष दवता क पदारो कोशदर कहत ह। सार पदारम अजगन, इदर, ववशवदव और प ष दवता स अलग-अलग परकतत कपदा होत ह।इसशलए सार पदारो म कषतरतरय, बराहमण आहद चारो ववभाग होत ह।मानव की इसी बतनयादी परकतत कोधयान म रखकर आचायम वातसयायन नकामस तर म परष और सतरी का बिवारा, गण-कमम, सवभाव क मतातरबककरक उनक शलए सभोगकला का तनदश हदया ह। धमम को नततकजीवन की बतनयाद माना गया ह। धमम का आचरणकभी तयाजय नही कहा जा सकताह। छानदोगय उपतनषद क दवारा सनतकमारका कहना ह कक सख म समगर ह,

अकप (रोड) म सख नही ह। नततक जीवनयजञ जसा ह और वह द सरो को अपन अदरशमला

44books.com

Page 42: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

लता ह। छानदोगय उपतनषदधमम की उपमा वकष स करत हए कहत ह- धमम क 3 सकध ह-

दान, यजञ और अधययन पहला सकध ह। तप द सरा सकध ह। बरहमचारी का आचायम कल म तीसरा सकध ह।

दान दना, यजञ करना औरवदाहद धममगररो को पढना मनषय का कततमवय बनता ह।सवाधयाय एकतरह का तप ही ह। यजञ और दान वही मनषय कर सकता ह जो कमान की काबशलयतरखता हो और जो कमाए उसम स कछ भाग दान दन की इचछा रखता हो। अगर जीवनको सफलबनाना ह तो उसक शलए तप जररी ह। अचछ आचरण जनम लत ही नहीशमलत बजककउनह तो हम द सरो स लना पडता ह और इसक शलए हर मनषयको कोशशश करनी पडती ह।यही कोशशश करन का समय बरहमचारी आचायम कल मतरबताता ह जहा पर नततक आचारकी बतनयाद पडती ह। वातसयायन कमतानसार मनषय यजञ, तप, दान, सवाधयाय औरशदध आचरण का पररतयाग न करक रोजाना इनका उपयोग करता रह।

शलोक (26)- नारााशचरत। परयतसनतोऽतप हयतऽनषठीयमाना नव कदातयतसमयः अननषठीयमाना अतप यददचछया भवयः।।

अरा- इसक अतगमत शासतराकार अरम पराजतत कसबध म तनमनशलखखत 5 स तरो दवारा सदह परकि करत ह- अरम को परातत करन कशलए कभी भी परयतन नही करना चाहहएकयोकक कभी-कभी प री तरह परयतन करन कबाद भी अरम परातत नही होताऔर कभी-कभी तरबना कोशशश क भी परातत हो जाताह।

शलोक (27)- ततससवा कालकाररतममतत।।

अरा- कयोकक यह सब कछ समय पर तनभमर करता ह।

44books.com

Page 43: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (28)- काल एव हि परषानराानरायोजायपराजययोः सखदःखयोशच रापयतत।।

अरा- समय ही ह जो मनषय को अरम और अनरम म, जय और पराजय म तरा सख और दख म रखता ह।

शलोक (29)- कालन बमलरनदरः कतः। कालन वयपरोतपतः। काल एव पनरपयन कततत कालकारणणकाः।।

अरा- समय ही रा जजसन बाशल को इदरक पद पर ला हदया औरकफर समय न ही उस इदर क पद स धगरा हदया। इस तरहसमय ही सब कमो का कारणह।

शलोक (30)- परपकारपवाकतसवाद सवा परवततीनामपायः परतसययः।।

अरा- आचायम सवय ही तनमनशलखखत 2 स तरो दवारा अपनी ही शका का हल कर रह ह- लककन सब कामो क महनतदवारा कामयाब होन क उपायो को समझ लना भी काम साधन कारण ह।

शलोक (31)- अवशयाभातवनोऽपयरा योपायपवाकतसवादव। न तनषकमाणो भदरमतीती वातसयायनः।।

अरा- आचायम वातसयायन क मतानसारककसी भी काम को कोशशशकरन पर प रा हो जान क बाद यह सातरबत होता ह ककतनककमा आदमी कभी भी सख कोपरातत नही कर सकता। आचायमवातसयायन क इस शसदधानतवाद का समरमन ऐतरयबराहमण क शनिः शप आखयान कउस सचरण गीत स होता ह जजसका अतराचरतत बरवतत ह। इस गीत को इदर न परषक वश म आकर राजाहररशचदर क मतय क मह म पहच पतर को सनाकर उसलबी जजदगीपरदान की री। आचायमवातसयायन और ऐतरय बराहमण क ववचारो की अगरएक-द सर स तलना की जाए तोउसस यही पता चलता ह कक चलन का नाम ही जीवनह, रकन का नही। ऐस लोग ही अरम की पराजतत करसकत ह। जीवन करासत पर आलसी बन कर रक जाना, रककर सो जाना बहत बडी म खमता ह।उपतनषदोम कहा गया ह कक जो वयजकत अपन जीवन म ककसी तरह क सककपपर अडडग नही रहतवह कभी भी आतमदशमन नही कर सकत। जो मनषरय प री तरहस डिकर अरम को पराततकरन की राह पर चल पडता ह, इदर भी उनही कसार ह- इदर इधरत सखा।

44books.com

Page 44: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (32)- नकामाशचरत। धमाारायोः परधानयोरवमनयषा च सता परतसयनीकतसवात।अनराजनससगामसदवयवसायमशौचमनायतत चत परषय जनयसनत।।

अरा- आचायम वातसयायन धमम और अरम क बाद अब काम पर अपन मत द रह ह- काम का आचरण नही करना चाहहएकयोकक यह परधानभ त धमम तरा अरमऔर सजजनो क ववरदध ह। काम मनषय म बरआदशमयो का ससगम, बरकाम, अपववतरता और कजतसत पररणामो को पदा ककया ह।

शलोक (33)- तरा परमाद लाघवमपरतसययमगराहयता च।।

अरा- तरा काम-परमाद, अपमान, अववशवास को पदा करता हतरा कामी आदमी स सभी लोग नफरत करन लगत ह।

शलोक (34)- बिवशच कामवशगाः सगणा एव तवनषटाः शरयनत।।

अरा- तरा ऐसा सना जाता ह कक बहत स काम क वश म आकरअपन पररवार सहहत समातत हो जात ह।

शलोक (35)- यरा दाणडकयो नाम भोजः कामाद बराहमणकनयाममभमनयमानः सबनधराषरो तवननाश।।

अरा- जजस परकार भोजवशी दाडकय नामका राजा काम क वशम होकर बराहमण की कनया स सभोग करन क कारणअपन पररवार और राजय क सारनषि हो गया।

शलोक (36)- दवराजशचािलयामततबलशच कीचको दरौपदी रावणशच सीतामपर चानय च बिवो ददशयनत कामवशगा तवनषटा इतसयराधचतकाः।।

अरा- रावण सीता पर, इनदर अहकया परऔर महाबली कीचकदरौपदी पर बरी नजर रखन क कारण कामक भाव रखन क कारणनषि हए। ऐस और भी बहतस लोग ह जो काम क वश म होकर नषि होतदख गए ह।

44books.com

Page 45: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (37)- शरीरसरातिततसवादािारसधमााणो हि कामाः। धमाारायोः।।

अरा- आचायम वातसयायन अपन सवय क हदए हए तकम कासमाधान करत ह- शरीर की जसरततका हत होन स काम भोजन क समान ह और धमम तरा अरम का फलभ त भी यहीह। आचायमवातसयायन न हदए गए 6 स तरो क दवारा उदाहरणपरसतत करक यह बताया ह कककाम मनषय को बरा, तघनौना और दयनीय बनाकरआखखरी म उसका नाश कर दता ह। इसतकम क मत म जो उदाहरण हदए गए ह वहअरम धचतको क ह। कौहिकय न भी राजा कोइहदरयो को जीतन वाला बनन कामशवरा दत हए शलखा ह कक ववदया तरा ववनय काहत, इहदरयो को जीतनवाला ह। इसशलए िोध, काम, लोभमान, मद, हषम और जञान स इहदरयो कोजीतना चाहहए।

वातसयायन का कामसतर हिनदी म

भाग 1 साधारणम

अधयाय 3 तवदयासमददशः शलोक-1. धमााराागङतवदयाकालाननपरोधयन कामसतर तदगङतवदयाशच परपोऽधीयीत 1।।

अरा- अरमशासतर, धममशासतर औरइनक अगभ त शासतरो कअधययन क सार ही परष को कामशासतर क अगभ तशासतरो का अधययन करना चाहहए। वयाखया- मतन वातसयायनन इस शलोक म "ववदया" शबद का उपयोग ककया ह।धममववदया औरउसकी अगभ त ववदयाओ को पढन क सार कामशासतर तरा उसकीअगभ त ववदयाओ कोपढन की सलाह दी गयी ह। यह चौदह ववदयाओ तरासात शसदधातो पर आधाररत ह। इनही चौदहववदयाओ क ववशभनन परकार बाद म ववशभननशासतरो तरा शसदधातो करप म परचशलत हए। याजञवकयकय समतत कदवारा चार वद, छह शासतर, मीमासा, नयाय पराण तरा धममशासतर- इन चौदह ववदयाओ का वणमन ह। इसक अततररकतपाञचरातर, कावपल, अपरानतरतम, बरहहषि,

हरणयगभम, पाशपात तरा शवइन सात शसदधातो का भी उकलख ह।

44books.com

Page 46: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

इन चौदह ववदयाओ क 70 महाततर और 300 शासतर ह। महाततर कीतलना म शासतर बहत छोि औरसकषकषतत होत ह। यह ववदया ववसतारशशव (ववशालाकष) न कहा रा। महाभारत म यह शलखा हकक बरहम क ततवगमशासतर स शशव (ववशालाकष) न अरम भाग अरामत अरमशासतर कोशभनन ककयारा। उस अरमभाग म ववशभनन ववषय र। बाद म उनही क आधार पर ववशभननगरर शलख गय ह जो तनमन ह-

1. लोकायव शासतर। 2. धनवद शासतर। 3. वय ह शासतर। 4. ररस तर। 5. अशवस तर।

6. हजसतस तर। 7. हसतवायवद। 8. शाशलहोतर। 9. यतरस तर। 10. वाखणजय शासतर। 11. गधशासतर। 12. कवषशासतर। 13. पाशपताखयशासतर। 14. गोवध। 15. वकषायवद। 16. तकषशासतर। 17. मकलशासतर। 18. वासतशासतर। 19. वाको वाकय। 20. धचतरशासतर। 21. शलवपशासतर। 22. मानशासतर। 23. धातशासतर। 24. सखयाशासतर। 25. हीरकशासतर। 26. अदषिशासतर। 27. तातरतरक शरतत। 28. शशकपशासतर। 29. मायायोगवद।

44books.com

Page 47: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

30. माणव ववदया। 31. स दशासतर। 32. दरवयशासतर। 33. मतसयशासतर। 34. वायस ववदया। 35. सपम ववदया। 36. भाषय गरर। 37. चौर शासतर। 38. मातततर। उपयमकत दीगयी 38 तरह की ववदयाए ह। इनम स अधधकतर जानकारी कौिलीय अरमशासतर मशमलती ह। वद क छह अगोम स एक अग ककप को माना गया ह। ककपशबद का अरम ववधध,

तनयम तरा नयाय ह। ऐस शासतर जजनम ववध ाध, तनयम तरानयाय क सकषकषतत, सारभ त तरा तनदोष वाकय सम ह रहत ह उनहककपस तर क नाम स जाना जाता ह। कामस तर क तीनभद ह- शरौत, गहय और धमम।शरौतस तरो म यजञो क ववधान तरा तनयम क बार म वखणमत ककया गयाह। गहस तरो म जनम स लकर मतय तक क सभी लौककक और पारलौककककतमवयोतरा अनषठानो क बार म उकलख ककया गया ह। धममस तरोम अनक धाशममक,

सामाजजक, राजनीततक कतमवयो और दातयतवो का वणमन ककयागया ह। कामस तर कसमान ही धममशासतर भी शरौत धममशासतर तरासमातम धममशासतर- दो भागोम ववभाजजत ह। सभी धममशासतरो का म लउददशय कममफल म ववशवास, पनजमनम म ववशवास तरा मजकत पर आसराह। इनही तीनबातो का ववसतार जीवन क ववशभनन अगो तरा उददशयो कोलकर धममशासतरोम ककया गया ह। आचायमवातसयायन का उददशय अरमशासतर तरा धममशासतरक इसी वयापक कषतर काअधययन ह। इसक सार ही कामस तर और उसकअगभ तशासतर (सगीत शासतर) क शलए वह सलाहदता ह। अरमशासतर तराधममशासतर की ही तरह कामशासतर म भीजीवन क शलए उपयोगी भावनाओतरा परततकियाओ का ववसतार स वणमन ककयागया ह। वातसयायन क अनसारअरमशासतर तरा धममशासतर क अधययन कअलावा कामस तर का अधययन भी जीवन क शलएउपयोगी होता ह। आचायमवातसयायन न कामशासतर न शलखकर उसक सरान परकामस तर शलखा ह। इसका कारण यहह कक जजस परकार अरमशासतर क कषतरम कवल कौिलीय अरमशासतर ही एकउपलबध गरर ह। उसी तरह सकामशासतर क कषतर म पराचीन गररो का अभाव हजजसक कारणवातसयायन का यह कामस तर ही ववशष उपयोगी ह। कामस तरकारकामस तर क सार-सार इसक अगभ तशासतर अरामतसगीत को भी पढन कीसलाह दता ह। जजस परकार कामशासतर सजषि-रचना कासहायक ह। उसी परकार ससगीतशासतर

44books.com

Page 48: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

की नादववदया भी ससार क रहसयोको समझन का एक मखय साधन ह। सगीतक सवरो स दवता, ऋवष, गरह, नकषतर, छद आहद का गहरा सबध होता ह। वादययतरो कोसगीत का सहायक माना जाता ह। सगीतबरहमनद का सहोदर माना गया ह।अरम, धमम तरा काम को तरतरवगम कहा जाताह। यह तरतरवगम ही मोकष पराजतत कासाधन होता ह। वातसयायन कअरमशासतर, धममशासतर, कामशासतर तरा सगीत शासतर क अधययन कीसलाह का अरम मोकष की पराजतत समझना चाहहए।

शलोक-2. परागयौवनात तरी। परतता च पतसयरमभपरायात ।।2।।

अरा- इन चौदह ववदयाओ तरा सात शसदधातो का अधययन कवलपरष को ही नही, बजकक सतरी को भी करना चाहहए। वयाखया- यवावसरा स पहल ही सतरीको अपन वपता क घर म अरमशासतर, धममशासतर, कामशासतर तरा सगीतशासतर काअधययन करना चाहहए। वववाहहोन क बाद सतरी को अपन पतत स आजञा लकर हीकामस तर का अधययन करनाचाहहए।

शलोक-3. योतषता शातरगरिणयाभावादनराकममिशातर तरीशासनाममतसयाचायाा।।3।।

अरा- शासतरो का अधययन करनाजसतरयो क शलए सही नही ह। इस स तर म बार म कछ आचायो क अनसारजसतरयो म शासतर का भरम समझन काअभाव होता ह। इसशलए जसतरयो को कामस तर औरउसकी अगभ त ववदयाओ काअधययन कराना तनररमक होता ह।

शलोक -4. परयोगगरिण तसवासाम। परयोगय च शातरपवाककतसवाहदतत।।4।।

अरा- आचायम वातसरयायन जीकहत ह ककजसतरयो को कामस तर क शसदधातो क कियातमक परयोग काअधधकार तो ह हीतरा कियातमक परयोग क तरबना शासतर क बार म प रीजानकारी परातत नही कीजा सकती ह। इसशलए जसतररयो क शलए कामस तरका अधययन करना अनधचत होता ह। सकस किया काउददशय कवल वासनाओ की ही तजतत ही नहीह, बजकक इसस भी अधधक इसका सामाजजक और आधयाजतमक उददशय होता ह। यहसचह कक जसतरयो म सकस की सवाभाववक परववतत रहती ह लककन यहपरववतत तोसभी जीवधाररयो म होती ह। पश-पकषी, जलीय पराणी आहद सभीजीव सकस कियाएकरत ह। मनषय तरा अनय पराखणयो म एक ही अतरहोता ह वह ह वववक का। यहदमनषय भी वववकश नय होकर सकस किया करनलग तो उसम और

44books.com

Page 49: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

पशओ म कोई भी अतरनही रह जाता ह। मनषय और अनयजीवधाररयो क बीच क इसी अतर को द र करनक शलए तरा काम क चरमउददशय की प तत म क शलए कामशासतर की शशकषासतरी तरा परष दोनो को समान रप सआवशयक होती ह। सकस किया कसमय जब अगर-मगर की जसरतत उतपनन होती ह तो उससमय कामस तर की शशकषाही उपयोग म आती ह। तसमाचछासतर परमाणनत कायामकायमवयवजसरतौ। अरम- इस परकार की दववधा म शासतर ही सही मागमहदखाता ह। जजससतरी को कामशासतर अरामत सकस सबधी सप णम जानकारी होती हउससतरी को अपन कौमामवसरा म या दामपतय जीवन म उधचत और अनधचत काववचारकरन म आसानी होती ह। ऐसी सतरी कभी-भी दववधा म नही फससकती ह। मीमासा दशमनक अनसार जजस परकार ववदयत शजकत मआकषमण और ववकषमण की शजकतहोती ह लककन यहद दोनो को परसपर शमला दतो परकाश तरा गतत सचाशलत होती ह।उसी परकार परष तरा सतरी कपरसपर सहयोग स सजषि का सचालन होता ह। यहददोनो अलग-अलग होत ह तोतनजषिय बन रहत ह। कामशासतर कायही उददशय ह कक वह सतरी तरा परष कोपरसपर शमलाकरक मोकषपराजतत का अधधकारी बना द और वह सतरी तरापरष की की अनधचत कियाओ, पाशववक परववततयो को तनयतरतरत करकदोनो कीशारीररक, मानशसक, बौदधधक, लौककक तरा पारलौककक उननतत म योग दतरा दोनो को परसपरशमला करक उनकी प णमता का आभास करा द। सतरी तरापरष दोनो म कामस तर क अधययन क दवाराजञान पराजतत स मधर सबधसरावपत होत ह। इसस उनक मन मपववतरता बनी रहती ह। जजसस सामाजजक तराराषरीय जीवन की सवयवसरा, सख, सवासय तरा शातत बनी रहती ह। इसक अततररकतसतरी तरा परषो म मौखखक भद होन सदोनो की परकतत तरापरववतत म भी अतर होता ह। कामशासतर कअधययन क दवारा सतरी को परष की तरापरष को सतरी की परकतत कबार सप णम जानकारी परातत हो जाती ह। इस परकारव दोनो अलग होतहए एक-द सर म पानी की तरह शमल जात ह। वातसयायन कअनसार कामशासतर का अधययन सतरी क शलए बहत ही आवशयक ह।

शलोक-5. ततर कवलममिब। सवातर हि लोक कततधचदव शातरजञः। सवाजनतवषयशस परयोगः।।5।।

अरा- इसक अतगमत शासतर कपरोकष परभाव को ववशभनन उदाहरणो दवारा परसतत कर रह ह। कामशासतर क शलए यह बात नही ह, बजकक ससार म सभी शासतरो कीसखया कम हतरा शासतरो क बताए हए परयोगो क बार म सभी लोगोको जानकारी ह।

44books.com

Page 50: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक -6. परयोगय च दररमतप शातरमव ित।।6।।

अरा- तरा द र होत हए भी परयोग का हत शासतरही ह।

शलोक -7. असत वयाकरणममतसयवयाकरण अतप याकषजञका ऊि करतष।।7।।

अरा- वयाकरण शासतर क होत हए भी अवयाकरणायाकषजञक यजञो म ववकततयो का उधचत परयोग करत ह।

शलोक -8. असत जयौततषममतत पणयािष कमा कवात।।8।।

अरा- जयोततष शासतर क होत भी जयोततष न जानन वाललोग वरत पवो म सपनन होन वाल ववशष कारयो को ककया करत ह।

शलोक -9. तराशवारोिा और गजारोिाशवाशवान गजाशवानधधगतशातरा अतप तवनयनत।।9।।

अरा- तरा महावत और घडसवार हजसतशासतर तरा शाशलहोतरका अधययन ककय बगर साधरयो तरा घोडो को वश म कर लत ह।

शलोक-10. तरासत राजतत दररा अतप जनपदा न मयाादामततवतानत तदवदतत।।10।।

अरा- जजस परकार दड दन वाल राजाकीउपजसरतत मातर स परजा राजय क तनयमो का उकलघन नही करती ह। उसीपरकार यहकामशासतर ह जजसका अधययन ककए बगर ही लोग उसका परयोग करतह।

शलोक-11. सनततप खल शातरपरितबदधयो गणणका राजपतरयो मिामादहितरशच।।11।।

अरा- जसतरयो म शासतर को समझन की अकलनही होती ह। इस आकषप का तनराकरण करत हए स तरकार का मत ह- इस परकार की मखणकाए, राजपतरतरया तरा मतरतरयो की पतरतरयाह जोकक शसफम परयोगो म ही नही बजकक कामशासतरतरा सगीतशातर मभी कशल और तनपण होती ह। राजपतरतरयो तरा मखणकाओ ककामशासतर तरा उसक अगभ तसगीतशासतर की वयावहाररक

44books.com

Page 51: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

तरा ताजतवक शशकषा परदानकरन की भारतीयपरणाली बहत ही पराचीन ह। भारतीय समाज म वशयाओ कासममान उनकरप, आय तरा आकषमण क सार ही उनकी ववदवता तरा योगयता आहद कारणो सहोता ह। बौदध जातको की "अमबपाली" तरा भास क नािक दररदर चारदतत की "बसतसना"रप तरा गण म आदशम सतरी मानी जाती री। उनक इसी रप तरागण क कारण बड-बडराजा-महाराजा और साध-सत उनक पास जाया करत र। राजपतरतरयो म उजजतयनी कराजा परदयोत-वणडमहासन की पतरीवासवदतता बहत अधधक सदर और कला म कशलरी। राजा परदयोत-वणडमहासनन कौशामबी क राजा उदायन को छल करक इसशलए बदीबनाया रा ताकक वह उसकीपतरी को वीणा बजान की अदववतीय कला शसखा द। पराचीन काल म सामाजजकशशषिाचार तरा कला की शशकषा पराततकरन क शलए राजा अपन पतर और पतरतरयो कोमखणकाओ क पास भजत र। भारतीय समाज म ववदवान औररपवती गखणकाए आदरणीय ही नही बजककमगल सामगरी भी मानी जाती री। इसी कारण सउनह मगलामखी क नाम स भीजाना जाता ह। जयोततष क अनसार यातरा क समय गखणकाओका दशमनमगलस चक माना जाता ह। ककसी भी यजञ क होन पर ऋवष-मतन गखणकाओ को भीबलात र।

भारतीय समाज म गखणकाए एकपरमख अग मानी जाती ह। शासन औरजनता दोनो क दवारा गखणकाओ कोसममान की दजषि स दखा जाता ह। इस परकार कीगखणकाए और लशलत कला तरासगीत कला की जानकारी रखन वाल वयजकत बड-बड लोगो कसतानो कोशशकषा दन का कायम करत ह।

शलोक -12. तमादवमसकाञजनादरिमस परयोगाञछातरमकदश वा तरी गहवीयात।।12।।

अरा- इस कारण स सतरी को एकातसरान पर सभी परयोगो की, कामशासतर की, सगीतशासतर की और इनक आवशयकअगो की शशकषा अवशय गरहणकरनी चाहहए।

शलोक -13. अभयासपरयोजयाशच चातःषसषटकान योगान कनया रियकाकक-नयभसत।।13।।

अरा- अभयास क दवारा सफल होन वाली चौसठ कलाओक परयोगो का अभयास कनया को ककसी एकात सरान पर करना चाहहए।

44books.com

Page 52: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक -14. आचायाातकनयाना परवततपरषसपरयोगा सिसपरवदधा धातरतयका। तराभता वातनरतसययसमभाषणा सखी। सवयाशच मातषवसा। तवतरबधा ततसरानीयावदधदासी। पवाससषटा

वा मभकषकी। वसा च तवशवास च तवशवास-परयोगात।।14।।

अरा- ववशवसत सतरी-शशकषकषका का तनदश करत ह- तनमनशलखखत 6 परकार की आचायामओ म स कोई एक, कनयाओ की आचायम हो सकती ह। 1. परष क सार सकस का अनभव परातत कर चकीहो ऐसी, सार म पली-पोसी खली हई धाय की पतरी। 2. साफ हदल की ऐसी सखी या सहली जो सकस का अनभव परातत कर चकी हो। 3. अपन समान उमर की मौसी। 4. मौसी क ही समान ववशवासपातर ब ढी दासी। 5. अपनी बडी बहन। 6. पररवार, शील सवभाव स पहल स पररधचत, शभकषणी- सयाशसनी। परषो को कामशासतर कीशशकषा दन क शलए आचायम तरा शशकषकआसानी स शमल जात ह लककन जसतरयो कोकामशासतर की शशकषा दन कशलए आचायम तरा शशकषक मजशकल स उपलबध हो पातह। इसीशलए आचायमवातसयायन न उपरोकत 6 परकार की औरतो म ककसी एक औरत सकामशासतर कीशशकषा लन की सलाह दी ह। कामशासतर की शशकषा कशलए इस परकार क तनवामचन म ववशवास, आतमीयता तरा पववतरता तनहहत ह। इस परकारकी औरतो को सीखन और शसखानम ककसी भी परकार का शमम या सकोच नही होता ह।कामस तर कशासतरकारो न उपरोकत 6 परकार की आचायो का चनाव कामशासतर की 64 कलाओ की शशकषा क शलए ककया ह। इन 64 कलाओ की शशकषा क शलए तनरतरअभयासकरन की आवशयकता होती ह। इसक अलावा कामस तर कशासतरकारो न यह भी सलाह दी ह कक यहदककसी कारणवश सभी 64 कलाओ की शशकषा परातत करन क शलए कोई योगय आचायम नशमल सक, तो जजतना भी समय शमल उतन ही म और आधी, ततहाई, चौराई कलाओ कोजानन वाली जो भी आचायम शमलसक उसस कामस तर की कलाए सीख लनी चाहहए।

शलोक -15. गीतम1, वादयम2, नतसयम3, आलखयम4, तवशषकचछदयम5, तणडलकसमवमलतवकाराः6,

पषपातरणम7, दशनवसनाडगरागः8, मणणभममकाकमा9, शयनकचनम10, उदकवादयम11,

उदकाघातः12, धचतराशच13, योगाः,मालयगररनतवकलपाः14, शखरकापीडयोजनम15, नपथयपरयोगाः16,

कणापतरभगा17, गनधयसकतः18, भषणयोजनम19, ऐनदरजालाः20, कौचमारशच योगाः21,

ितलाघवम22, तवधचतरशाकयषकषयतवकारककरया23, पानकरसरागासवयोजनम24,

44books.com

Page 53: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

सचीवानकमााणण25, सतरकरीडा26, वीणाडमरवादयातन27, परिमलका28, परततमाला29, दवााचकयोगाः30,

पतकवाचनम31, नाटकाखयातयकादशानम32, कावयसमयापरणम33, पटहटकावाननतरतवकलपाः34,

तकषकमााणण35, तकषणम36, वाततवदया37, रपयपरीकषा38, धातवादः39, मणणरागाकरजञानम40,

वकषायवदयोगाः41, मषकककटलावकयदधतवधधः42, सकसाररकापरलापनम43, उतससादन सवािन कशमदान च कौशलम44, अकषरमसषटकाकरनम45, मलसचछततवकलपाः46, दशभाषातवजञानम47,

पषपशकहटका48, तनममततजञानम49, यतरमातका50, धारणमातका51, समपाठयम52, मानसी कावयककरया53, अधधधानकाशः54, छदोजञानम55, ककरयाकलपः56, छमलतकयोगाः57, वतरगोपनातन58,

दयततवशषः59, आकषाकरीडा60, बालकरीडनकातन61, वनतयकीनाम62, वजतयकीनाम63,

वयायाममकीना64, चतवदयाना, इतत चतःषसषटरगतवदयाः।कामसतरयावयावयतवनयः।।15।।

अरा- इसक अतगमत आपको उपायभ त 64 कलाओ क नाम बताय जा रह ह- 1. गीतम- गाना 2. वादयम- बाजा बजाना 3. नतयम - नाचना 4. आलखयम - धचतरकारी 5. ववशषकचछदयम - भोजन क पततो को ततलकक आकार म कािना। 6. ताणडलकसमवशलववकारािः- प जन क शलए चावल तरा रग-तरबरग फ लो को सजाना। 7. पषपासतरणम - घर अरवा कमरो को फ लो स सजाना। 8. दशनवसनाडगरागिः कपडो, शरीर और दातो पर रगचढाना। 9. मखणभ शमका कमम- फशम पर मखणयो को तरबछाना। 10. शयनकचनम - शया की रचना। 11. उदकावादयम - पानी को इसपरकार बजाना कक उससमरजनाग क बाज की धवतन तनकल। 12. उदकाघात- जल िीडा करत समय कलातमक ढग स छीि मारना। 13. धचतरयोगा- अनक औषधधयो, ततरो तरा मतरो का परयोग करना। 14. माकयगररनववककपा- ववशभनन परकारस मालाए ग रना। 15. शखर कापीड योजनम - आपीठक तराशखरक नाम क शसर क आभ षणो को शरीर क सही अगो पर धारण करना। 16. नपयपरयोगािः- अपन को याद सर को सदर कपड पहनाना। 17. कणमपतरभगिः - शख तराहारीदात स ववशभनन आभ षणो को बनाना। 18. गनधयजकतिः- ववशभननदरवयो को शमलाकर सगधतयार करना। 19. भ षणयोजनम - आभ षणो म मखणया जडना। 20. ऐनदरजालायोगिः- इनदरजाल की िीणाए करना। 21. कौचमारशच योगािः- कचमार ततर म बताए गय बाजीकरण परयोग सौदयम वदधध क परयोग। 22. हसतलाघवम- हार की सफाई।

44books.com

Page 54: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

23. ववधचतरशाकय षकषयववकारकिया- ववशभनन परकार की साग-सजबजया तरा भोजन बनान की कला। 24. पानकरसरागासवयोजनम- पय पदारो काबनान का गण। 25. स चीवानकमामखण- जाली बनना, वपरोना और सीना। 26. स तरिीडा- मकानो, पश-पकषकषयोतरा महदरो क धचतर हार क स त स बनाना। 27. वीणाडमरवादयातन- वीणा, डमर तरा अनय बाज बजाना। 28. परहशलका- पहशलयो को ब झना। 29. परततमाला- अनतयाकषरी परततयोधगता का कौशल। 30. दवामचकयोग- ऐस शलोक कहनाजजनक उचचारण तरा अरम दोनो कहठन हो। 31. पसतकवाचनम- ककताब पढन की कला। 32. नािकाखयातयकादशमनम- नािको तरा ऐततहाशसक कराओक बार म जानकारी। 33. कावयसमसयाप रणम- कववताओ क दवारासमसयाप तत म। 34.पटहिकावाननतरववककपािः- बत और सरकड आहद की वसतए बनाना। 35. तकषकमामखण- सोन-चादी कगहनो तरा बतमनो पर ववशभनन परकार की नककाशी। 36. तकषणम- बढईगीरी। 37. वासतववदया- घर का तनमामण करना। 38. रतयपरीकषा- मखणयो तरारतनो की परीकषा। 39. धातवाद- धातओ कोशमलाना तरा उनका शोधन करना। 40.मखणरागाकरजञानम- मखणयो को रगना तरा उनह खानो स तनकालना। 41.वकषायवदयोगा- पडो तरा लताओ की धचककतसा, उनह छोिा और बडा बनान की कला। 42.मषकककिलावकयदधववधधिः- भडा, मगाम तरा लावको को लडाना। 43. सकसाररकापरलापनम- तोता-मना को पढाना। 44. उतसादन सवाहन कशमदमन च कौशलम- शरीर तरा शसर की माशलश करन की कला। 45.अकषरमजषिकाकरनम- साकततक अकषरो क अरम की जानकारी परातत कर लना। 46. मलजचछतववककपा- गतत भाषाववजञान। 47. दशभाषाववजञानम- ववशभनन दशोकी भाषाओ की जानकारी। 48. पषपशकहिका- फ लो स रर, गाडी आहद बनवाना। 49. तनशमततजञानम- शकन-ववचार। 50. यतरमातका- सवय चाशलतयतरो को बनाना। 51. धारणमातका- समरण शजकतबढान की कला। 52. समपाठयम- ककसी सन हएअरवा पढ

ा हए शलोक को जयौ का तयौ दोहराना। 53. मानसी कावयकिया- ववकषकषतत अकषरो सशलोक बनाना।

54. अधधधानकोश - शबदकोषो की जानकारी।

44books.com

Page 55: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

55.छदोजञानम- छदो क बार म जानकारी। 56. कियाककप- कावयालकार कीजानकारी। 57. छशलतकयोगा- बहरवपयापन। 58.वसतरगोपनातन- छोि कपड इस परकार पहन कक वह बडा हदखाई द तरा बडकपड इस परकार पहन कक वह छोिा हदखाई द। 59. दय तववशषिः- ववशभनन परकारकी दय त कियाओ की कला। 60. आकषमिीडा- पासा खलना। 61. बालिीडनकातनिः- बचचो कववशभनन खलो की जानकारी। 62.वजतयकीनाववदयाना जञानम- ववजय शसखानवाली ववदयाए, आचार शासतर। 63.वजतयकीनाववदयाना जञानम- ववजय हदलानवाली ववदयाए तरा आचायम कौहिकय का अरमशासतर। 64. वयायाशमकीना ववदयाना जञानम - वयायाम क बार म जानकारी। कामस तर की अगभ त य 64 ववदयाए ह। आचायम वातसयायन न यहा पर कलाओ कावगीकरण नही बजककउनका पररगणन ककया ह। कलाओ की गणना क बार म सबस अधधक परचशलत तरापरशसदध सखया 64 ह। ततरगररो और शिनीतत म भी कलाओ की सखया 64 ही ह। कही-कही इन कलाओ का उकलख सोलह,

बततीस, चौसठ तरा चौसठ सअधधक नाम स भी शमलता ह। परशसदध गररलशलत ववसतार म कामकला क रप म 64 नामहदय गय ह तरा कामकला क रप म 23 नाम ह। परबधकोष क अतगमत इसकीसखया 72 दी गयी ह। इसक अलावा कला ववलास पसतक म सबस अधधक कलाओ कबारम जानकारी दी गयी ह, जजनम स 32 धमम, अरम, काम, मोकष कीपराजतत, 64 लोकोपयोगी कलाए तरा 32 मातसयम शील परभाव तरा मान की ह। लोगो कोआकवषमत करन की 10 भषज कलाए, 64 कलाए वशयाओकी तरा 16 कायसरो की कलाए ह। इसक अततररकत गणको कीकलाओ तरा 100 सार कलाओ का वणमन ह। अनयकामशाजसतरयो तरा आचायम वातसयायन दवारा बतायी गयीकलाओ पर धयान दन स यहजानकारी परातत होती ह कक उस समय क आचायमककसी भी ववषय अरवा कारयम म तनहहत कौशलको कला क अतगमत रखत ह।आमतौर पर लशलत तरा उपयोगी दोनो परकार की कलाएकलाकोहि म पररगखणत होतीह। कला शबद कासबस पहल परयोग ऋगवद म हआ ह। ववशभननउपतनषदो म भी कला शबद कापरयोग शमलता ह। इसक अलावा वद (ऋगवद, यजवद और अरवद), साखयायनबराहमण,

तततरीय, शतपर बराहमण, षडववशबराहमण और आरणयक आहद वहदक गररो म भी कला शबद का परयोगशमलताह। भरत क नाटय शासतर स पहल कला शबद का अरम लशलत कला मपरयोग नही हआरा। कला शबद का वतममान अरम जो ह उस अरम का दयोतकशबद शासतर स पहल शशकपशबद रा। सहहताओ तराबराहमण गररो म शशकप शबद कला क अरमम परयोग ककया जाता रहा

44books.com

Page 56: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

ह।पाखणनी दवारा रधचत अषिाधयायी तरा बौदधगररो क अतगमत शशकप शबद उपयोगीतरा लशलत दोनो परकार की कलाओ कशलए होता ह। आचायम वातसयायन न कामस तर की जजन 64 कलाओ का वणमन ककया ह। उनह कामस तर की अगभ त ववदयाकहत ह। आचायमवातसयायन न कामस तर म जजन 64 कलाओ का वणमनककया ह। उन सभी कलाओ क नामका उकलख यजवद क तीसव अधयाय मककया गया ह। यजवद क इसअधयाय म 22 मतरो का उकलख ककया गया हजजनम स चौर मतर स लकर बाइसव मतर तक उनहीकलाओ तराकलाकारो क बार म जानकारी दी गयी ह।

शलोक-16. पानचामलकी च चतःषसषटरपरा। तयाः परयोगाननववतसय सापरयोधगक वकषयामः।। कामय तदातसमकतसवात।।16।।

अरा- पहल वखणमत 64 कलाओ स शभननपाचालदश की 64 कलाए ह। व पाचाली कलाए कामातमक ह, इसशलए उनकावणमन आगसामपरयोजजक अधधकरण म ककरया गया ह।

शलोक-17. आमभरभयसचिता वशया शीलरपगणासनवता। लभत गणणकाशबद रान च जनससहद।।17।।

अरा- गणशील तरा रप सपननवशया इन कलाओक दवारा उतकषम परातत कर गखणक का पद परातत करती हऔर समाज म आदर पराततकरती ह।

शलोक-18. पसजता या सदा राजञा गणवदधधशच सतता। परारानीयामभगमया च लकषयभता च जायत।।18।।

अरा- इन गखणकाओ का सममान राजा करताह, उसकी परशसा गणवान लोगो क दवारा होती ह।आम लोग उसस कलाएसीखन क शलए परारमना करत ह। इस परकार स वह सभीका कनदर ववनदबन जाती ह।

44books.com

Page 57: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक-19. योगजञा राजपतरी च मिामातरसता तरा। सितरानतःपरमतप वनश करत पततम।।19।।

अरा- राजाओ और मतरतरयो की जोपतरतरया कामस तर की 64 कलाओ का जञान परातत कर लती ह। व हजारोजसतरयो स सकस करन की कषमतारखन वाल परष को भी वश म कर लतीह।

शलोक-20. तरा पततयोग च वयसन दारणा गता। दशोनतरऽतप तवदयामभः सा सखनव जीवतत।।20।।

अरा- ऐसी जसतरया ककसी कारणवश पततस ववमकत होन पर या ककसीसकि म फस जान पर उस अजान जगह पर जानापड तो वह अपनी कामस तर की 64 कलाओ क दवारा अपना जीवन सखप वमकवयतीत कर सकती ह।

शलोक-21. नरः कलास कशलो वाचालशचाटकारकः। असततोऽतप नारीणा धचततमाशचव धचनदतत।।21।।

अरा- ऐसी जसतरयो की कला कीववशषता बतान क बाद परषो कगणो क बार म बताया जा रहा ह।बातचीत करन म तनपण, चािकार परष यहद कशल कलाकार हो तो अपन स घणाकरन वाली जसतरयो का मन भीआकवषमत कर लता ह।

शलोक-22. कलाना गरिणादव सौभागयमपजायत। दशकालौ तसवपकषयासा परयोगः सभवतर वा।।22।।

अरा- कलाओ की जानकारी परातत करलन स ही सौभागय जागतहो जाता ह लककन दश तरा समय परततक लहो तोइन कलाओ क परयोगो की सफलता मआशका हो जाती ह।

44books.com

Page 58: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

वातसयायन का कामसतर हिनदी म

भाग 1 साधारणम

अधयाय 4 नागरकवनत परकरण (रमसकजन क काया)

शलोक-1. गिीततवदयः परततगरिजयकरयतनाशाधधगतरररनवयागतरभयवाा गािाथयमधधगमय नागरकमवतत वतत।।1।।

अरा- ववदया अधययन क समयबरहमचयम का पालन करना चाहहए।इसक बाद पतक सपवतत या दान, ववजय, वयापार और शरम आहद दवारा धन एकतर करकवववाह करक गह परवश करनाचाहहए। इसक बाद सामानय नागररको की तरह जीवन वयतीतकरना चाहहए। वयाखया- कामस तर तराउसकी अगभ त ववदयाए ही ववदया परातत करन कामखय अरम ह। आचारयमवातसयायन क अनसार अपहरण बलातकार दवारासतरी को परातत करन कीकोशशश अवयवहाररक तरा असामाजजक ह। बरहमचयमका पालन करत हए कामशासतर तरा 64 कलाओ का अधययन करन क बाद हीगरहसर आशरम म परवश करना चाहहए। वववाह करन क बाद घर चलान कशलए धन की आवशयकता होती ह जजसकशलए उधचत उपाय करन चाहहए। इसीशलएवातसयायन न सवय कहा ह कक कामस तरऔर 64 कलाओ की शशकषा परातत करन क बाद ही अपनीकशलता और शरम कदवारा धन कमाय। धन कमान क बाद ही वववाह कर। इसकअलावा पतकसपवतत का परयोग भी कर सकत ह। गहसर आशरम म परवश करन क बादसभय लोगो क समान जीवनयापन कर।

शलोक-2. नगर पततन खवाट महित वा सजजनाशरय रानम। यातरावशादवा।।2।।

अरा- वववाह करन क बाद नागररको कोनगर म, खवमि म, पततन म या महत म सभय लोगो क बीच तनवासकरनाचाहहए। इसक अततररकत जीवन चलान क शलए परदश म रह सकत ह।

शलोक-3. ततर भवनमासतरोदक वकषवाहटकावदतवभकतकमाककष दतववास-गि कारयत।।3।।

44books.com

Page 59: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- वहा जल क तनकि वकषवाहिका कपास घर का तनमामण करजजसम रहन क शलए दो वाससरान रखना चाहहए। एकबहह परकोषठ, द सरा अतिः परकोषठ। आचायम वातसयायननागररको को ऐस सरान पर रहन की सलाह दत हजहा पर जीवन सबधी सभी उपयोगी साधनउपलबध हो। इस परकार की सववधापततन (राजधानी) म, नगरो (महतीपरी) म, खवमि (तहसील) म तरा महतअरामत जजल क कनदरो म आसानी स उपलबध होतह।

इन साधनो म जहा पर दतनकउपयोग और उपभोग की चीज उपकषकषत ह।वही लोगो को इसस अधधक पराकततकसौदयम की अपकषा होती ह। इसशलए लोगघरो का तनमामण परकतत कआस-पास करवात ह।

शलोक-4. बाहय चवासगि सशरलकषणमभयोपधान मधय तवनत शकलोततरचछद शयनीय यात।परततशसययका च। तय मशरोभाग कचा रानम वहदका च। ततररातरतरशषमनलपन मालय मसकर करणडक सौगसनधकपहटकामातलडगतसवचतामबलाितन च यः। भमौ पतदगरिः नागदतावसकता वीणा।धचतरफलकम। वतताकासमदरकः। य कशचतपतकः करणटकामालाशच नाततदरभमौ वततातरण समतकम। आकषाकफलक दयतफलक च। तय बहिःकरीडाशकतनपञजराणण। एकात च तकषतकषणरानमनयासा च करीडानाम।वातीणाा पडखदोला वकषवाहटकाया सपरचछाया। रसणडलपीहठका चसकसमतत भवनतवनयासः।।4।।

अरा- यहा बहहिःपरकोषठ की सजावि का तनदश हदया गया ह-

घर क बाहरी परकोषठ (जजसमनागररक सवय रहता ह) म अधधक नमम, मलायम, सगधधत तरबसतर लगा होनाचाहहए। शसरतरा पर दोनो तरफ तककय लग होन चाहहए। पलग बीच म स झकीहोनी चाहहए।पलग क ऊपर साफ, सवचछ चादर होनी चाहहए तरा ऊपर मचछरदानीतनी होनी चाहहए। उसी पलग क बराबर म उसीक समान एक और पलग लगी होनी चाहहए जोककसकस किया क शलए ह। उस पलग क शसरहानपर पलग की ऊचाई क बराबरवहदका रखी हो। वहदका म रात का बचा हआ लपन, फ ल-मालाए, मोमबतती, अगरबतती, मातलग वकष की छाल तरा पान रख हए होन चाहहए। पलग क पासजमीन पर पीकदान (र कनका बतमन) रखा हो। हारी-दात की ख िी पर िगी हईवीणा, धचतर बनान का तरतरफलक, तशलका तरा रग क डडबब, सजी हई ककताबऔर शीघर न मरझान वाली करणिक पषप की माला हो।

पलग क पास की जमीन पर एक गोलआसन तरबछा होना चाहहए जजसक पीछ कीतरफ शसर तरा पीठ क शलए एक गाव तककयाअरवा मनसद हो। बाहरी परकोषठ क बाहरख हियो पर पालत पकषकषयो कवपजर िग रह हो और ककसी एकात सरान पर अपदरवयबनान तरा बढईगीरी

44books.com

Page 60: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

काकायम करन तरा अनय परकार क आमोद-परमोद क शलए सरानहो। वकषवाहिका भी साफ,

सदर और सववधायकत होना चाहहए।

शलोक-5. स परातरतसरायकततनयतकतसयः गिीतदतधावनः, मातरयानलपन धप तरजममतत च गिीतसवामसकरकमलकतक च, षटवादश मखम, गिीतसमखावासतामबलः, कायााणयनततषठत।।5।।

अरा- इस स तर म नागररक की हदन तरारात की कियाओ कावणमन ककया गया ह। सबस पहल उस नागररक को सबहजागकर, शौच आहद कियाओ स फरी होकर, दातो को साफ करक उधचत मातरा ममसतक म चदन आहद का लप करक, बालो को ध प स सवाशसत कर तरा सगधधतमाला आहद को पहनकर शसकरम (मोम) तरा अलरकतक (अलता) का उपयोग करक शीशम चहर को दखकर सगधधत तमबाक आहद खाकर दतनककायो को करनाचाहहए।

शलोक-6. तनतसय नानम।दतवतीयकमतससादनम। ततीयकः फनकः। चतराकमायषयम। पञचमक दशमक वापरतसयायषयममतसयिीनम। साततसयाचच सवतककषावदापनोदः।।6।।

अरा- तनरयशमत सनान कर, हर द सरहदन प र शरीर की माशलश कर। तीसर हदन साबन का परयोग कर। चौर हदनदाढी तरा म छो क बालकिवाय तरा पाचव हदन या दसव हदन गतत अगोक बाल सावधानी स काि। ढकी हईकाखो क पसीनो को हमशा सगधधतपाउडर का परयोग करक सखाय। कामस तर को पढन स जञातहोता ह कक पराचीन काल म भारत कनागररक ववदया तरा कला का उपयोग जजस सावधानी कसार करता रा, उस परकार वहधन का उपयोग नही करता रा। उसकी हदनचयाम स परकि होताह कक वह सबहजागन क बाद हार-मह धोकर दात न स दातो को साफ करता रा। उसकीदात नभी कछ ववशष परकार की होती री जजसका वणमन वहतसहहता म शमलता ह- सवमपररम दात न को उसकपरोहहत एक सतताह पहल सगधधत दरवयोस सवाशसत करन की परकिया शरकर दत र। इसक शलए दात न कोहरडयकत तरल म एक सतताह तक शभगोकर रख दतर। इसक बाद इलायची, दालचीनी, तजपात, अजन, शहद और कालीशमचम स सवाशसत जल म डबोत र। इसपरकार स तयारकी गयी दात न को मगलदातयनी समझा जाता रा। उस समय क लोगदात न का उपयोग शसफम दातो की सफाई क शलए न करक मागशलक कायो कशलए भी ककया करत र। इसशलए व अपनपरोहहतो स यह प छ लत र कककौन-स पड की दात न ककस ववधध स कर। दात न क बाद लोग लप कापरयोग करत र। कामस तर क ववशषजञोक अनसार शरीर पर शसफम चदन का ही लप लगानाचाहहए। ववशभनन गररो मयह बताया गया ह कक चदन को शरीर पर

44books.com

Page 61: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

उकिा-सीधा लपलना तनयमो कववपरीत ह। पराचीन समय म लोग चदन कअततररकत अनय ववशभनन परकार कदरवयो क भी अनलप तयार करत र। इनमकसत री, अगर और कसर आहदक सार द ध अरवा मलाई क लप परमख ह। इस परकार क लपोकी सगधकाफी दर तक होती ह। इन लपो क परयोग स शरीर क अग जसनगध और धचकनहोत ह। अनलपन क बाद कशो कोध प स ध वपत करन की परकिया कीजाती री, ऐसा करन पर बाल नही उडत र, बाल सफद नही होत ह तरा धचकनऔर मलायम बन रहत ह। वराहशमहहर क गररवहतसहहता म उकलखशमलता ह कक अचछ स अचछ कपड पहनो, सगधधत माला धारण करो तरा कीमतीगहनो स अपन शरीर क अगो को सजा लो। लककन यहदबाल सफद हो गय हो तोसभी आभ षण फीक पड जाएग। इसस सपषि होता ह कक पराचीनकाल म भारतक तनवासी बालो को काला बनाय रखन क शलए हमशा परयतनशील रहतर।

वहतसहहता क अतगमतबालो को ध प दन की तनमन ववधध बतायी गईह। कप र तरा कसर या कसत री स सगधधतउतारी जाती री, उस सगधध सबालो को सवाशसत करक कछ दर तक उनह छोड हदया जाताह। इसक बादसनान ककया जाता रा।

बालो क सवाशसत हो जानक बाद लोग फ लो की माला धारण करत र।माला को बनान और फ लो क चनाव म भीउसकी रधच होती री। उस समय क लोगचमपाजही और मालती आहद फ लो की मालाए धारणकरत र लककन सकस कियाकरन क समय ववशष परकार स तयार की गयी माला धारण करतर ताकक सकसक दौरान आशलगन, चबन आहद क समय फ ल धगरकर मरझाए नही। इसक बाद वह शीश म अपनामह दखता रा। पराचीन काल क धनीलोगो क घरो म काच क शीश का उपयोग नहीहोता ह। सोन अरवा चादीक शीशो का उपयोग ककया जाता ह। शीश म चहरा दखन कबाद लोग पानखात ह। भारतीय ससकतत मतामबल को सासकततक दरवय माना जाता ह।तामबल का उपयोग साधारण सवागत समारोहस लकर दवताओ की प जा तक मककया जाता ह। वराहशमहहर क गरर वहतसहहता मउकलख ककया गया ह ककतामबल (पान) क सवन स मह म चमक बढती ह तरासगध परातत होतीह, आवाज म मधरता आती ह। अनराग म भी वदधध होती ह। चहरकीसदरता भी बढती ह तरा कफ जतनत ववकार द र होत ह। सकदपराण क कई अधयायो कअतगमत तामब ल का ववशभनन तरीक सवणमन ककया गया ह। तामब ल का बीडा लगाना तरातामब ल खाना अपन आप मएक बहत बडी कला ह। भारत म पराचीन काल म धनीलोगो क यहातामब ल वाहहकाए इस कला की ववशष मममजञ हआ करती री। तामब ल काबीडालगान की ववधध का वणमन करत हए वराहशमहहर न कहा ह कक- सपारी, कतरातरा च ना का उपयोग मखय रप स तामब ल म होता ह। इसक अलावाववशभननपरकार क सगधधत पदारम और मसाल आहद भी छोड जात ह। तामब ल क सार उपयोग ककयजान वाल कतरा, च ना तरा सपारी कीमातरा सतशलत होनी

44books.com

Page 62: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

चाहहए। यहद तामब ल मकतरा की मातरा अधधक हो जातीह तो लाली काशलमा म बदल जाती ह, होठो का रग भददा हो जाता ह। यहदसपारी की मातरा अधधक हो जाती ह तो पानकी लाली फीकी पड जाती ह तराहोठो की सदरता तरबगड जाती ह। पान म च न कीअधधक मातरा होन स जीभकि जाती ह तरा मह का सगध तरबगड जाता ह। यहद पान क पवततयो कीमातरा अधधक हो तो पान की सगध खराब हो जाती ह। इसशलए रात क पान मपतत की सखयाअधधक होनी चाहहए तरा हदन म सपारी की मातरा अधधक होनीचाहहए। पान का सवनकरन क बाद लोग अपन कायो म लग जात र। आचारयम वातसयायन नसनान करन क बार म कोई भी वणमन नहीककया ह। इसका कारण यह ह कक उस समय सनानकरन की कोई भी परचशलत ववधधनही री तरा उसका कोई भी ववशष महतव नही रा। हमार दश म पराचीन काल मलोग ककस परकार सनान करत र। इसकीजानकारी पराचीन,

कावयो, नािको, करा-गररो म बहत अधधक मातरा मशमलती ह। कादमबरी म सनान करन की ववधध कावणमन इस परकार स ककयागया ह। लोग दोपहर स रोड समय पहलकायो को तनपिाकर सनान करन क शलएतयार हो जात र। सनान करन स पहल लोग कछहकक वयायाम करत र।वयायाम करन क बाद सोन-चादी क बतमनो स सनान करतर। सनान कसमय लोग अपनी सववकाओ स शरीर की माशलश ककसी सगधधत तल स करात रतराबालो म आवल का तल लगात र। सनान क दौरान लोग अपनीगदमन की माशलश हदमागी ततओ को सवसरबनान क शलए करत र। सनान करन कबाद लोग शरीर को साफ कपड स पोछकरकपड ा पहनता रा। इसक बाद वह प जाघर म जाकरक शाम की प जा का उपासनाकरता रा। कामस तर म वखणमत सनान कीववधध वयवहाररक तरा वजञातनकदजषिकोण स अधधक उपयोगी होती ह। वस तो सनानपरततहदन करना चाहहएलककन शरीर का उतसादन एक-एक हदन का अतर करक करना चाहहए।शरीर कीसवचछता तरा कोमलता क शलए साबन का उपयोग अवशय ही करना चाहहए। लककनसाबन का उपयोग परततहदन न करक हर तीसर हदन करना चाहहए। उस समय क लोग अपन दातो, नाख नो और बालो की सफाई बहत अचछीतरह स करत र। नाख नो क कािन की कला कीचचाम वहदक कालीन साहहतयम भी शमलती ह। ससकत साहहतय क अधययन स जञातहोता ह कक लोगनाख नो को तरतरकोणाकार, चदराकार, दातो क समान तरा अनयववशभननआकततयो म काित र। कछ लोगो को लब नाख न पसद र। कछ लोगो कोछोिआकार क तो कछ लोगो को मधयम आकार क नाख न रखन क शौक रा। आचायम वातसरयायन कअनसार हर चौर हदन पर सववग करना चाहहए।भारत म हजामत (सववग करना) करान तरानाख न कािन की पररा बहत हीपरानी ह। वहदक काल म भी लोग हजामत (सववगकरना) तरा नाख न पर ववशषधयान दत ह। वहदक साहहतय क अतगमतकषर और नखकनतक शबद का परयोग स हीपरमाखणत होता ह। ऋगवद तरा उसक बाद कसाहहतय म नाख न को शमशरकहा जाता ह तरा शसर क बालो को

44books.com

Page 63: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

कश कहत ह।यजवद, अरवद औऱबराहमण गररो म शसर क बालो का वणमन शमलता ह। वदो काअधययनकरन पर जञात होता ह कक वहदक काल म आयो म बालो क बार मववशभनन परयोग शमलत ह। अरवमवद क अतगमत ववशभनन मतर ऐस होत हजजनमबालो क बढन क बार म औषधधयो का वणमन ककया गया ह लककनऐस परयोग शसफम औरतो क शलए ही ह। अधधकाश ऋवष-मतन शसर परलब बाल रखत र तरा बालो को ववशभननतरीक स ग रकर रखत र। कछ ऋवष-मतनबालो का ज डा बनाकर रखत र तोकछ बालो को समिकर रखत र। इसक अलावा कछऋवष-मतन बालो को कपाल कीओर झकाकर बाधत ह।

इस परकार क बालो को वदोम कपदम क नाम स जाना जाता ह।ऋगवद म एक सरान पर यवती को "चतषकपदाम" तरा एक सरान पर शसनी वालीदवी को सकपदाम कहा गया ह।इसी परकार जसतरया भी बालो को ववशषपरकार स बालो को सवारती ह। ऋगवद म वशशषठ ऋवषयोको दकषकषणतिः कपदाम अरामत दाहहनी तरफजिा वाल कहा जाता ह। कछ दवता औरऋवष-मतन लब बाल रखत ह लककनबालो म गाठ नही बाधन दत र, उनह पलजसत क नाम स जाना जाताह। जो दवता और ऋवष-मतन बाल, दाढी और म छ बढाय रहत ह उनहऋगवद म मोिी दाढी और म छ वाला कहा गया ह।

शलोक-7. पवााहवयोभोजनम। साय चारायणय।।7।।

अरा- सनान करन क बाद भोजन तरा हदन म सोन का ववधान-

भोजन दोपहर क पहल और दोपहरक बाद दो बार करना चाहहए। लककन आचायमचारायण क अनसार द सरा भोजन शामक समय का ही उपयोगी होता ह।

शलोक-8. भोजनाननतरशकसाररकापरलापनवयापारजः। लावककककटमषयदधातन ताताशच कला कीडाः।पीठमदातवदषकायतता वयापाराः हदवाशयया च।।8।।

अरा- भोजन करन क बाद लोग तोता-मनाको बोलत और पढात र, उनस बात करत र, लावक तरा मगो की लडाईदखना तरा ववशभनन परकार की कलाओ और कीडाओ दवारामनोरजन करना तराउनक वपरय कायो को मददगार पीठमदम, ववि तरा ववद षक क सपदम ककय गयकायो कीओर धयान दना चाहहए। इन सभी कायो क उपरात सोय। पराचीन काल म भारत कनागररक कया खात र। इसक बार मपरबधकोष, हषम चररतर, कादमबरी आहद गररो कवणमनो स हो जाती ह। कादमबरी का अधययन करन स यह जानकारी परातत होती ह कक उस समय कभोजन म सभी तरह कखान एव पीन योगय पदारम शाशमल होत ह। इनमगह , चावल, जौ, चना, दाल, घी और

44books.com

Page 64: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

मास आहद सभी चीज रसोई म परयोग कीजाती री। भोजन, नमकीन पदारो स शर ककया जाता ह तरा शमठाइयो ससमातत होता रा। भोजन क बाद लोग सक-साररकाओ स बात करत र। पराचीन कालम भारतम सक-साररकाओ का सममान राजमहल स लकर ऋवष-मतनयो क आशरम तक रा।

शलोक (9)- गिीतपरसाधनयापराहण गोषठीतविाराः।।

अरा- इसक हदवाशयन क बाद तीसर पहर (शाम क समय) की हदनचयाम बताई जाती ह- तीसर पहर (शाम क समय)वसरालकार स ववमडडत नागरक गोषठी-ववहारो म मौज द हो।

शलोक (10)- परदोष च सगीतकातन। तदनत च परसाधधत वासगि सजाररतसरमभधप ससिायय शययायाममभसाररकाणा परतीकषणम।

अरा- तरा शाम क समय सगीत की महकफलम शाशमल होन क बाद सज हए वासगह म अपनसहायको क सार बठकरअशभसाररका क आन का इतजार कर।

शलोक (11)- दतीना परषणम, वय वा गमनम।।

अरा- दर हो जान पर द ती को बलान क शलए भज या सवय ही उस बलान जाए।

शलोक (12)- आगताना च मनोददररालापरपचारशच ससिाययोपकरमाः।।

अरा- आई हई नातयकाओ को दोसतो क सार अचछी बातचीत और रसमय बतामव करक सममातनतकर।

शलोक (13)- वषापरमषटनपथयाना दहदानामभसाररकाणा वयमव पनमाणडनम, ममतरजनन वा पररचरणममतसयािोरातरतरकम।।

अरा- अगर बाररश क कारण नातयका ककपड भीग जात ह तोसवय ही उसक कपड बदलकर उसका साज-शरगार करऔर शमतरो स सहायता ल। इसतरह स नागरक की हदनचयो तरा

44books.com

Page 65: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

रातरतरचयामसमातत होती ह। आचायम वातसयायननागरक की हदनचयाम क बार म बतात हए उससजधज कर गोषठी ववहार म जान की सलाह ददत ह। परसाधन स तातपयमसाज-शरगार स ह जो कपडो और अलकारो कदवारा प रा माना जाता ह।पराचीन भारत क नागररक क वसतरालकार ककस परकार क र।इसका अदाजापरानी मतत मयो क दवारा ककया जा सकता ह। भरतमतन न भी नाटयशासतरइसक बार म कछ सकत ककए ह। उनकमतातरबक, अशभजातय नागररक कषौभ, कापामस, कौषय तरा शगव 4 तरह क कपडपहनत ह। अलसी क रशो को तनकालकर उनस जोकपड बनाए जात र, उनकोकषौम कहा जाता रा। कषौम क कपडो को छालस भी बनाया जाता रा। कपास (रई) स बनकपड कोशय तरा ऊन क बन हए कपड रागवकहलात र। यह चारो परकार सकपड, तनबनधनीय, परकषतय तरा आरोतय। इनपरकारो स पहन जात र।साडी, पगडी आहद तनबधीनीय कहलात र। चोलक तरा चोलीपरकषतय औरउततरीय, चादर, दपटिा आहद आरोगय र। इस तरह क कपड पहनन कबाद नागररक अलकार धारण करता रा।वराहशमहहर न 13 तरह क रतनो तरा 9 तरह क सोन स बन गहनो का उकलखवहतसहहता क अतगमत ककया ह।वजरमकता, पदमराग, मरकत, इनदरनीली, वद यम, पषपराग, ककतन, पलक, रधधरकष, भीषम, सफहिक तता परवाल इन 13 परकार क जवाहरातो स नागररक क कई अलकार बनत ह। जामब नद, शातकौमभ, हािक, विक, शरगी, शजकतज, जातरप, रसववदधतरा आकरउदधत- इन 9

तरह क सोन की जाततयो और रतनो को शमलाकरतनमनशलखखत अलकार बन होत र। आवधय, तनबनधनीय, परकषतय, आरोतय। अग को छदकर पहन जानवाल गहन आवधय कहलात ह। अगद वणी, शशखाददहदका, शरोणी स तर, च डामखण आहद बाधकर पहन जान वाल गहन तनबधलीय क नाम स भी जान जातह। अतनमका किक, वलय, मजीर आहद अग म डालकर पहन जान वाल अलकारपरकषतय कहा जाता ह। हार नकषतरमाशलकाआहद आरोवपत ककए जान वाल गहनआरोगय कहलात ह। रतन अलकारो तरा कपडो कोपहनन क बाद माकय-अलकार धारण करतारा। वह माकय 8

परकार क होत र। उदधववमत, वववत, सघाटय गरधरमत, अवलतरबत. मकतक, मजरी तरा सतवक। मालाओ को पहनन क बाद वह मडनदरवयो स मडडतहोता रा। कसत री, ककम, चदन, कप मर, अगर, कलक, दतसम पिवास सहकार, बल, ताबल, अलकत, अजन,

गोरोचन आहद उस समय क मडन दरवय र। इनदरवयो की सहायता स नागरकभर घिना, कश रचना आहद योजनामय अलकार तरादश-काल की पररजसरतत क अनरप शरमजल, मदय-मद आहद जनय और द वाम, अशोक, पकलव यवाकर, रजत, िाप शख, तालदल, दतपातरतरका मणाल वलय आहद तनवशयस मडडत होकर ववहार गोजषठयोम जाता रा। आचायम वातसयायन नअपन कामस तर म जजन 64 कलाओ क बार मबताया ह उनम स 2

ततहाई कलाए बौदधधक अरवा साहहजतयक ह।हदतयाशययाक बाद कपड अलकार स ववमडडत नागररक जजन गोजषठयो म भाग लता रा। वहगोजषठया जयादातर बौदधधक तरा साहहजतयक ही

44books.com

Page 66: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

हआ करती री। उचचकोहि कशरीमत नागररक कीगोषठी क सार परधान अग होत र। ववदवान, भाि, मसखर, कवव, गायक, पराणजञ और इततहासजञ- य सातोअग बौदधधक तरा कावयशासतर ववनोदो म भागशलया करत र। आचायमवातसयायन क अनसार अचछी या बरी 2

परकार की गोषठी जमती री। 1-2 मनचललोगो की गोषठी- जजसम जआ, हहसा आहद ककमम शाशमल र। द सर भलमनषयो की गोषठी जजसम खल और ववदयाए शाशमल री। परान समय म पदगोषठी, जलगोषठी, गीतगोषठी, नतयगोषठी, कावयगोषठी, वीणागोषठी, वादयगोषठी आहद कई परकार की गोजषठयो मनागररक भाग लत र। इन गोजषठयोक ववषय,

कहातनया, कलाए, कावय, गीत, नतय, धचतर और वादय आहद होत र। ववदयागोषठी की अगभ त गोजषठयाकावयगोषठी, पदगोषठी और जलगोषठी री। ववदयागोषठी का खास समादरण रा। कावयगोजषठयोम कावय-परबधो का आयोजन होता रा। जलगोषठी मआखयान, आखयातयका, इततहास और पराण आहद सनाए जात र। पदगोषठी मअकषरचयतक, मातराचयतक, तरबनदमती, ग ढ चतरमपाद आहद परकार कीबदधध बढान वाली पहशलया रहतीरी। हषमचररत क अतगमत बाण नवीरगोजषठयो क बार म भी बताया हजजसम रणभ शम म साका करन वाल वीरो कीकहातनया कही और सनी जाती री।इस तरह की गोजषठयो म भारत क परान नागररकक बदधधचातयम कीपरीकषा होती री। इसक सार ही मनोरजन भी होता रा। गोषठीववनोद क बादशाम क समय सगीत का आयोजन हआ करता रा। नागररक सगीत गोषठी को खतमकरक वासगह म पहचकर अशभसाररका कीपरतीकषा करता ह। परसाधधत वासगह का मतलबिीकाकारो न ध प सखशब दार ककया हआ कमरा बताया ह लककन यह गलत ह। परानसमय म राजा, अमीरो तरा सपनन नागररको क यहा वासागह बन हए होत र। जहापरवववाह क बाद द कहा-द कहन का चतरी कम सपाहदत हआ करता रा। वासागह क अतगमत दकहा-दकहनतरा परमी-परशमका क बठकरतयार भरी बात, आशलगन, चबन आहद रतत-कियाए करन क शलए एक ही पलगहआ करता रा। दरवाजो क पकलो परकामदव की दोनो जसतरयो परीतत और रतत कीआकततया बनी हआ करती री। दोनो ही पकलोपर मगल-दीप जला करत र। एकतरफ फ लो स बोखझल रकत-अशोक क नीच धनष पर बाण रखहए तनशाना साधहए कामदव का धचतर बना हआ रहता रा। सफद रग की चादर स ढक हएपलगकी बाज म काचन आचामरक रखी होती री और द सरी तरफ हारीदात का डडबबाशलएहए सोन की पततशलका खडी रहती री। शसरहान पर पानी स भरा हआचादी कातनदराकलश रखा हआ रहता रा। वासागह की शभवततयो परगोल-गोल शीश लग हए होत र, जजनमवपरयतमा क बहत सार परतततरबब पडरहत र। 11वी शताबदी म ऐसवासगहो को आदशम भवन कहा जान लगा रा तरा बाद मय शीशमहल या अरसी महलकहलान लग र।

44books.com

Page 67: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (14)- घटातनबधनम, गोषठीसमवायः, समापानकम, उदयान गमनम, समया करीडाशच परवतायत।।

अरा- इसम 5 तरह क साम हहक ववनोदोक बार म बताया गया ह। घिातनबधन गोषठी समवाय,

समापानक, उदयानगमनतरा समवयसक शमतरो क सार खल खलना- इन 5 परकार की िीडाओ म नागररकको यरावसर परवतत होना चाहहए। घिातनबध- घिातनबधन दवायतन म जाकर साम हहकनतय-गान करन अरवागोषठी का बोधक ह। परान भारत का नागररक हर मौसम म बहत सउतसवोका आयोजन करता रा। शरद,

बसत, हमत तरा बाररश क मौसम क अनक उतसवो कावववरण परान गररो म बहत जयादा मातरा म शमलता ह। द सर मनोरजन को गोषठीसमवायबताया गया ह। इस तरह की गोजषठयोको नागररक अपन घर पर ही आयोजजत ककया करत र याककसी गखणका क घर पर।ववदया तरा कला म माहहर कनयाए गोषठी समवाय म जररहहससा लती रीतरा परषो की तरह कई परकार की कावय समसयाओ, मानसी, कावयकिया, पसतक वाचक, दवामचस योग, दशभाषाववजञान, छद, नािक आहद बौदधधक तराउपयोगी कलाओ म भाग लती री और सार ही गीत, नतय और रसालाप दवारा मौज दसभयो का मनोववनोद भी ककया करती री। ततीय मनोरजन समापानक ह।अचछी तरह स जी भरकर शराव का सवन करनासमापानक ह। इस तरह क समापानक मनोरजन साल मएकाध बार ककए जात रकयोकक कौहिकय अरमशासतर क दवारा पता चलता ह कक उसजमान म भईशराब बनान, पीन और बचन पर बहत जयादा तनयतरण रा। आज की तरह उससमयका भी सरकार का आबकारी ववभाग शराब क ठको तरा शराब क बनान आहद कीवयवसराकरता रा। इस तरह क परबध करनवाल वयजकत को सराधयकष कहत र जो शराबक बनवान और बचन का परबध कातरबलवयजकतयो दवारा ककया करता रा।सववधा क अनसार शराब क ठक भी वही दता रा। अगर कोई वयजकतगर-कान नी तरीक स शराब बचत हए पकडा जाता रातो उस सजा शमलती री। शराब क मगवानया भजन पर तनयतरण रहता रा।खलआम शराब की तरबिी पर परततबध लगा हआ रा। जोवयजकत शराब पीकरदगा-फसाद करता रा उस पकड शलया जाता रा। शराब को उधार नहीबचा जातारा। मदयशालाओ को बनवान क शलए सरकारी नकश तयार ककय जात र और कफरउनही क आधार पर उनका तनमामण कायम होता रा। इसक अलावा सरकारी गततचरववभागका काम यह रा कक वह रोजाना तरबकन वाली शराब को नोि कर ल। समापानक जस उतसवो क मौकपर मदयतनमामण और मदयपान का अलग ससरकारी कान न रा। इन मौको पर शसफम शवतसरा, आसव, मदक और परससना नामकी शराब ही पी जाती री।

44books.com

Page 68: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

सराधयकष की इजाजत स नागकरणइन शराबो को अपन घर पर ही तयारकर शलया करत र। मदन महोतसव आहद खास तरह कमौको पर शसफम 4 हदनो तकखलकर साम हहक रप स सरकार की तरफ स शराब पीन कीछ ि दी जाती री। ऐसमौकौ पर सराधयकष स वयजकतगत रप स साम हहक रप स इजाजतलन कीजररत नही पडती री। कामस तर म बताया गया ह ककउन हदनो राजभवनो म अकसरआपानकोतसव या पान गोषठी क आयोजन हआ करत र। इनमौको पर बाहर कपरमी लोग तरबना ककसी रोक-िोक क राजभवन म परवश ककयाकरत र। चौरा मनोववनोद उदयानगमन ह।आचायम वातसयायन न सवय बताया हकक उस समय उदयानगमन मनोववनोद ककस तरीक ससपाहदत होता रा। उदयानयातरा क शलए पहल स एकहदन तय कर शलया जाता रा। उस हदननागररकगण सबह सही प री तरह सजधज कर तयार हो जाया करत र। यह यातरा ककसी उदयान यावन की ही की जाती ह जो नागररको कतनवास-सरान स इतनी द री पर हो कक शाम तक घर परवावपस पहच सक। इनउदयान यातराओ म कभी-कभी अनतिःपररकाए भी सार म रहती रीऔर कभी-कभीगखणकाओ को भी ल जाया जाता रा। उदयान यातरा एक तरह का गोठअरवा वपकतनक होती री। ऐस अवसरो परहहनदोल लीला, समसयाप तत म, आखयातयतका, तरबदमती आहद अनक तरह कीपहशलया खला करतीरी। कककि,

लाव, मष, बिर आहद पश-पकषकषयो कीलडाईया कराई जाती री। इसी मौक पर कही-कही िीडकशाकमलीखल खलाजाता रा। समल क पड क नीच ही इस खल को खला जाता रा। यशोधर कअतगमत ववदभम परदश क नागररक इस खल म जयादा शौक रखत र। पाचवा मनोववनोद समसयािीडाओ का ह जो साम हहक रप स खलीजाती री। यह कावय-कला सबधीिीडाए अकसर उतसवो म सरान पाती रीलककन कभी-कभी खासतौर पर इसी ववषय क दगलहोत र। इस ववनोद म खासतौरपर तनमनशलखखत कावय-िीडा होती री। मानसीकला- इस ववनोद क अतगमत शलोकक अकषरो की जगह पर कमल या ककसी द सरफ ल की पखडडयो को तरबछा दत र और उनपखडडयो स ही शलोक पढाजाता रा। इसका द सरा रप यह भी रा कक अमक सरान परयह मातरा ह, कही परअनसवार ह, कही पर ववसगम ह। बस इतन सी ही उस प रा शलोक बनानापडता रा। परततमाला- इसको अतयाकषरी भीकहत ह। एक पकष शलोक पढता रा और द सरापकष शलोक क अतयाकषर स शर करकद सरा शलोक पढता रा। अकषरमजषठ- यह समसया 2 तरह की होती री-सभासा और तनरवभाषा। ककसी नाम कोसकषकषतत करक बोलना सभासाकहलाता ह जस फाकगन, चतर, वशाख को छोिाकरक फा-च-व बोलना। गतत तरीक स बातचीत करना तनरवभासाक शलए अनकपरकार क इशार काम म लाए जात ह।

44books.com

Page 69: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

इसम एक ववधध अकषरमजषद ह।इसम कवगम अकषरो क शलए मटठी बाधी जाती रही ह। चवगम क शलए हरलीफलादी जाती री। इसका ववधान यह ह कक जो कछ भीबोलना होता ह पहल उसक अकषरो कवगो क सकत ककए जात ह। वगम बतान कबाद उगशलयो को उठाकर वगमअकषर बताए जात ह जस अगर कहना ह ग तो पहल वगमबतान क शलएमटिी बाधी गई और इसक बाद तीसरी उगली उठाकर अकषर बतला हदया गया।वगमतरा अकषर बतान क बाद पर उठाकर अरवा चिकी बजाकर मातराए बताई जा सकतीह। उस समय का हर नागररक इसपरकार क कावय ववनोदो को अभयासपरयतनप वमक करता रा कयोकक यश, कीततम और लाभ क सरोत भी ऐस खल मानजात र। इनक अलावा अकषरिीडा, दय त समादवय, जलिीडाउदकषवडडका, कसमावचय आहद िीडाए होती री।

शलोक (15) पकषसय मासय वा परजञातऽितन सरवतसया भवन तनयकताना तनतसय समाजः।।

अरा- पहली स चना क मतातरबक 15व हदन या एक महीन मतनजशचत हदन म सरसवती क मकान म नागरकगण इकटठा हो।

शलोक (16) कशीलवाशचागतवः परकषणकमषा ददयः। दतवतीयऽितन तभयः पजा तनयतलभरन। ततो यराशरदधमषा दशानमतससगगो वा। वयसनोतससवष चषापरपरयककायाता।।

अरा- सरायी तनयकत नि, नतमक आहदकलाकार समाज उतसव म भाग ल। बाहर स आए हए नि, नतमक भी दशमको कोअपनी कला-कशलता का पररचय द तरा द सर हदन व सही परसकारहाशसल कर।इसक बाद अगर नागररको म उनक परतत सममान का भाव हो तो उनहकला-परदशमन क शलए रोका जा सकता ह। आगतक कलाकारो तरासरानीयकलाकारो म आपसी सहयोग तरा एकता की भावना होनी चाहहए। दवामचनयोग- इसम ऐस मजशकल शबदोक शलोक हआ करत र जजनह आसानी स पढा नही जा सकता रा।

शलोक (17)- आगनतना च कतसमवायाना पजनमभयपतततशच। इतत गणधमाः।।

अरा- समाज उतसव दखन क शलएसरसवती भवन म आयोजजत अगर ऐस लोग आए जो गोषठी क सदसयन हो तरा बाहरस आए हए हो तो उनकी अभयचमना तरा महमानो का

44books.com

Page 70: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

सतकार यराववधध करनाचाहहए। ककसी तरह की मसीबत आन पर उनकी मदद भी करनी चाहहए। इसी गणधमम होताह। आचायम वातसयायन कसमयम 5 तारीख की रात को सरसवती जी कमहदर म समाजोतसव मनाया जाता रा। उस समयक उतसवो म इस पहल दजका उतसव माना जाता रा। इन उतसवो क समय बहत जयादाभीड-भाड हआ करती री। इन उतसवोम वहा क नि-नाहियो क अलावा बाहर सभी नि-नाहिया, नतमक, कशीलवआहद अपनी-अपनी कला का परदशमन करन क शलए आया करतर। हर कलाकार अपनीकला दवारा दशमको को खश तरा मतरमगध करन की कोशशश करता रा।बाहर सआए हए कलाकारो क रकन क शलए भोजन आहद क परबध का कायम एक-एकवयावसातयक शरणी पर छोड हदया जाता रा। 5 तारीख (पचमी) क अलावाअनयानयदवालयो म इस तरह का समावजोतसव मनाया जाता रा। समाज आयम जातत का बहत हीपराना और सभवतिः आहद उतसव ह। वहदककाल म समाज का नाम समन रा जजस एक तरह कामला कहा जाता रा। इन समनो कअतगमत परषो क अलावा जसतरया भी आती री जोहदल बहलान क शलए काफीसखया म उपजसरत होती री। कवव,

धनधमर और रस क घोड भी इनाम पानकी हसरत रखकर वहा पर पहचत र। इनक अलावागखणकाए भी नाम और धन पानकी हसरत रखकर अपनी कला हदखान क शलए वहा पर पहचा करती री। इस मल की एक खाशसयत यह री ककइसम अपना मनचाहा वर पान क शलएवयसक कमारी कनयाए काफी सखया म भागलती री। यह मला प री रात चलतारा। कामस तर तरा उसस पहलपररवती साहहतय क अधययन स यह पता चलताह कक समाज उतसव पहल तनदोष आमोद-परमोदका एक सामदातयक आयोजन रा।बाद म इसका एक द सरा रप भी बन गया जजसकअतगमत शराब पीना, मास खाना, कशल-िीडाए भी होन लगी। इस परसग म गणभोज की भीवयवसरा की गई री जजसम कई परकार कवयजन, अनाज और सजबजया आहद बनी हई री।इनक सार मास का भी प रापरबध होता रा। भगवान न उन मकलो को महग कपड तरामदराए दकरसममातनत ककया रा।

कदाधचत हहसाम लक खान वालपदारो तरा चररतरहीनता बढनक कारण वपरयदशी अशोक न अपनशशलालखो म ऐस शशलालखो म ऐस समाजोतसवकी तनदा की ह।

शलोक (18)- एतन त त दवतातवशषमदहदशय सभातवतसरतयो घटा वयाखयाताः।

अरा- इस परकार, शशव, सरसवती, यजञ, कामदव आहददवताओ क आलयो म यरासभव जिन वाली सामदातयकगोजषठयो-मलोका वववरण पश ककया ह।

44books.com

Page 71: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (19)- गोषठीसमवायमाि वशयाभवन सभायामनयतमयोदवमसत वासमानतवदयाबदधधशीलतवततवयसा सि वशयामभरनरपरालापरासनबधो गोषठी।

अरा- इसक अतगमत गोषठी समवाय की वयाखया की गई ह- बदधध, सपवतत, ववदया, उमर और शील म अपन समान शमतरो, सहचरो कसार वशया क घर म, महकफल म अरवा ककसी नागररक क तनवास सरान परगोषठी समवाय का आयोजन करना चाहहए।

शलोक (20)- ततर चषा कावयसमया कलासमया वा।

अरा- वहा सयोगय वशयाओ क सारबठकर मधर तरामनोरजक बातचीत कर। कावय व अनय बौदधधक, साहहजतयकगोजषठयो म भाग लकर कावयचचाम, कला चचम तरा साहहतय चचाम कर।साहहतय, सगीत और कला जस ववषयो परआलोचनातमक, तलनातमक धचतन ककयाजाना चाहहए।

शलोक (21)- तयामजजवला लोककानताः पजयाः। परीततसमानाशचािाररतः।

अरा- और इस परकार की गोषठी समवायम सजममशलत परततभाशाली कलाकार का अचछा सममानकरना चाहहए और बलाए गएमहमानो तरा कलाकारो का खासतौर पर सममान करना चाहहए।

शलोक (22)- परपरभवनष चापानकातन।।

अरा- एक-द सर क घर पर जाकर सरापान, मरर और मध का पान करना चाहहए।

शलोक (23)- ततर मधमपसरावासनततवधलवणफलिररतशाकततकतकटकामलोपदशानवशयाः पायययरनतपबयशच।।

अरा- इसक अतगमत मध, मरीय, सराऔर आसव आहद शराबो को अनक परकार क लवण, फल,

हरी सजबजया, चरपर, कडवतरा खटि मसालो क सारनागररको को वशयाओ को सवय ही वपलाना चाहहएतरा इसक बाद खद पीना चाहहए।

44books.com

Page 72: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (24)- एतनोदयानगमन वयाखयातम।।

अरा- इस तरह स उदयान यातरा म भीसमापानक होना चाहहए। अग र अरवा दाख क रसस जो शराब बनाई जाती ह उसमध कहा जाता ह। इसक कावपशायन तरा हारह रक य 2 नाम और ह। भारत का रशसकरईस मध शराब को साफ करवाकर पीतारा। मरोड की फली, पलाश, छोह, भारक, मढाशसगी, करजा, कषीरवगम ककहद की भावना हदया गया खादार शककर का च राऔर उसका आधा लोध, चीता, वायववडग, परम, मोरा, कशलग, जौ, दारहकदी, कमल, सौफ, धचधचडा, सतपणम आकका फ ल को एकसार पीसकर च णम बनाकर इकटठा करक एक मटठी मसाला एकसारीपररमाण शराब म डालकर शराब को इस परकार साफ बनाया जाता रा कक पीन वालखश हो जात र। कभी-कभी सवाद को बढान क शलए इसम 5 पल राब भी शमला दीजाती री। मरय शराब को तयार करन कशलए मढाशसगी की छाल का काढा बनायाजाता रा और कफर उसम गड, पीपल और कालीशमचम को शमलाया जाता रा। कभी-कभीपीपल की जगह तरतरफला का परयोगकर शलया जाता रा। उस समय म सरा (शराब) 4 परकार की होती री-

1. सरा, 2. रसोततरा, 3. सहकार,

4. बीचोततरा तरा समभारकी साधारण सरा (शराब) म अगर आम का रस तनचोड हदया जाता रा तोवह सहकार

सरा बनती री। अगर साधारण सरा म गड की चाशनी तनचोड दी जाती ह तो वहरसोततर शराब बनती

ह। साधारण सरा म बीजबध ब हिया छोड दन पर महासरा बनतीह। मलहठी, द ध, कशर, दारहकदी, पाठा, लोध, इलायची, इतर फलल, गजपीपल, पीपल और

शमचम आहद को साधारण सराम शमला दन स समभाररकी सराबनती री।

आसव को बनान म 100 पल कर कासार, 500 पल राब और एक परसर शहद का परयोग ककया जाता रा। इसम पडनवाला मसाला, दालचीनी, चीता, गजपीपल, वायववडग 1-1 कषम और और 2-2 कषमसपारी, मलहठी, लोघ और मोरा लकर आसव म शमलाया जाता रा। इन शराबो को पीन क सार-सारकई तरह क लवण, सबजी क अलावाखटि-मीठ, चरपर पदारम खाए जात र। आचायमवातसयायन न ऐसपदारो को उपदश शलखा ह। उपदश शबद का अरम शलखत हएहलायध कोष नकहा ह कक मदयपान रोचक भोजय दरवयम अरवा शराब पीन क सहाय रोचकभोजयपदारम।

44books.com

Page 73: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

आषानक गोजषठयो मवशयाओ की उपजसरतत अपकषकषत मानी जाती री।व रशसक नागरक को चषक भरकर शराबवपलाती तरा सवय भी वपया करती री। उदयानयातराओ म भी गखणकाए सार जाया करती री औरवहा भी मदयपान होता रा।

शलोक (25)- पवााहण एववलकतातरगाधधरढा वशयामभः सि पररचारकानगता गचछयः। दवमसकी चयातरा ततरानभय कककटयदधदयतः परकषामभरनकलशच चसषटतःकाल गमतयतसवा अपराहण गिीततददयानोपभोगाधचहनातरव परतसयावरजयः।।

अरा- इसक अतगमत िीडा उतसवो और िीडाओ क बार म बताया जाता ह- सबह-सबह ही गहन-कपड पहनकर तरा घोड पर सवार होकर गखणकाओ और सवकोको सार लकरउदयान यातरा पर जाना चाहहए। यह उदयान यातरा इतनी द र कीहोनी चाहहए कक शाम तकवावपस पहच जाए। उदयान म जाकर रोजाना क कामोस तनपिकर लावक तरा मढो कीबाजी लगाई गई लडाईया दख, नतय नािकदख, जआ खल, सगीत का आनद ल, मनोरजक खलो को खल। शाम स पहलउदयान यातरा क समतत-धचनह फल, फ ल, पतत, सतबक आहद लकर जजस तरह आएर उसी तरह घर पर वावपस लौिना चाहहए।

शलोक (26)- एतन रधचतोदगरािोदकाना गरीषम जलकरीडागमन वयाखयातम।।

अरा- इस तरह गमी की जल िीडाओम लीन हो जाना चाहहए। गमी क मौसम का उततममनोववनोद जल-िीडा ा होताह। जजस समय जमीन और आसमान तज ल स धधकन लगत र, उस समय परान भारत काशरीमत नागरक सपमतनभीक क बराबर महीन वसतरो, सगधधत कप र काच णम, चदन का लप तरा पािल-फ लो स ससजजजत धारागह का परयोग हदलखोलकर करता रा। जब ववलासतनया गह वावपकाओम जल-िीडा ककया करती री तो कानम घसाए हए शशरीष-कसम पानी म छा जात र।चदन तरा कसत ररका कआमोद स और नाना रग क अगरागो स तरा शरगार-साधनोस पानी रगीन होजाता ह। जल-सफलन स पदा हए जलतरबदओ स आसमान म मोततयो की लडी तरबछजाती री। तालाब क अदर स ग जत हएमदग घोष को, बादल क सवर जानकर, सोच-ववचार मय र उतसक हो उठत र। बालो स खखसक हए अशोक-पकलवो सकमल-दलधचतरतरत हो उठत र तरा आनद ककलोल स हदकमणडल मखररत हो उठतारा। पराचीन धचतरोक दवारा यह जलकशल, मनोरम भाव अककत ह।

44books.com

Page 74: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (27)- यकषरातरतरः। कौमदीजागरः। सवसतक।।

अरा- इसक अतगमत समसया िीडाओ का पररचय हदया जाता ह- यकषरातरतर कौमदी जागर तरा सनसतक उतसवो म समसया िीडाएरचाई जाती ह- आचायम वातसयायन क समय म यजञ रात का उतसव का आयोजन ककयाजाता रा।दीपावली उतसव का उकलख पराणो, धममस तरो, ककपस तरो म ववसततरप स शमलता ह।लककन हरानी की बात यह ह कक कामस तर क अतगमतदीपावली का कोई उकलख न होकर रात क यजञका जजि ककया गया ह। रातरतरयजञ स इस बात का पता चलता ह कक उस समय, उस हदन यजञ की प जा होती रहीहोगी तरा दय त-िीडा रचाई जाती ह। अगर वयाकरण का आधार लकर अरम तनकाला जाए तो यजञ यत प जयतइततयजञ-छञ-यजञिः तरा यजञ रातरतर तनषपनन होता ह। मनककन ह इसी अरम को लकर दीपावली का नाम उस समय यजञरातरतर रखा गयाहो। परान समय मशायद दीपावली उतसव शासतरीय अरवा धाशममक रप मनही मनाया जाता रहा ह कयोकक वदो, बराहमण गररो क अतगमत इसकाकोई वववरण नही ह। सकनदपराण तरा पदमपराण मइस पवम का प रा वववरणपाया जाता ह। उसी क आधार पर दीपावली क उतसव का परचलनअब तक ह।काततमक की अमावसया क सार यजञ शबद जोडन का तातपयमशरीस कत ससाफ हो जाता ह। शरीस कत ऋगवद क पररशशषि भाग का एक स कत ह। इसस तर क एक मतर म मखणना सह कहा गया ह। इस वाकय स पता चल जाता ह कक लकषमी का सबध मखणभदर यजञस ह।मखणभदर यजञ स लकषमी का घतनषठ सबध होन स कामस तर क समय तकदीपावली की रात यजञरातरतर कहलाती ह। तनसदह इतना तो कहा जा सकता ह कक दीपावली का आधतनक रप मजो परचलनह वह ईसवी तीसरी शती क बाद स शर होता ह और आचायम वातसयायन कसमय इसी क पहल सतनजशचत ह। यह अनमान ककया जा सकता ह कक वातसयायन कसमयम काततमक की अमावसया की रात म लकषमी को प जन औरदय त-िीडा की पररारही होगी। कौमदी जागरण- उतसव अनमानतिः शर म ववशदध लोकोतसव रहा होगा कयोकक सहहताओतरा बराहमण गररो म आजशवन प खणममाको तरबककल भी महतव नही हदयागया ह। आजशवन प खणममा की रात म होन वाला यह उतसव पाशल गररोमकौमदीय-चातमासनीय छन बतलाया गया ह। यह उतसव मौसम बदलाव क शलए मनायाजाता रा।कामस तरकार न इसी को कौमदी जागरण शलखा ह। गहस तरो म अशवयज की प खणममा को काफी महतव हदया गया ह।गहस तरो क दवारा पताचलता ह कक इन उतसव क मौक पर उस वणम क लोगभडकील कपड पहनकर बड उकलास कसार अशवयजी उतसव मनात र। पशपतत, इदर, अजशवन आहद दवताओ को खश करन क शलए यजञ

44books.com

Page 75: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

हवन भी ककएजात रतरा खीर का भोग लगाया जाता रा। आयमश र क दवारा शलखखत जातक माला म शशववराजय की राजधानी मउस हदननगर भर म चहल-पहल रहती री। सडको, चौमहतनयो म पानी का तछडकाव ककयाजाता रा, उनह सजाया-सवारा जाता रा। साफ-सरर धरातल पर फ ल तरबखर हदएजात र।चारो तरफ झड, पताका तरा वनदनवार लहराए जात ह। जगह-जगह परनतय-नािक, गीत वादय क जमघि लग होत र। मातसय स कत क दवारा सवसतक क हदन ही बसत ऋत का अवतरणहोता ह।इसी रोज मदन की पहली प जा होती ह। वसनतावतार को आजकल वसनतपचमी कहाजाता ह। सरसवती कणठाभरण स पता चलता ह कक सवसतक क हदन ववलाशसतनयाकणठ मकवलय की माला तरा कानो म दषपरातय नवआमरमजरी खोसकर गावको रोशन करदती ह। ऋतसहार स यह पता चलता ह कक बसत का मौसम आत हीववलाशसतनया गममकपडो का भार उतार फ कती री। लाकषा रग अरवाककम स रजजत और सगधधतकालगर स सवाशसत हककी लाल साडडया पहनती री। कोईकसभी रग स रगहए दक ल धारण करती री तरा कोई-कोई कानो म नए कखणमकार कफ ल, नीलअलको म लाल अशोक क फ ल तरा सतनो पर उतफकल नवमजकलका कीमालापहनती री। गरण पराण क इन सझावो स यह पता चलता ह कक यह एक वरत ह जोसम ह स सबधधत न होकर वयजकत स सबधधत ह।

शलोक (28)- सिकारभसजजका, अभयषखाहदका, तरबसखाहदका, नवपतरतरका, उदककषवडडका, पाञञालानयानम, एकशालमली, कदमबयदधातन, ताताशच करीडा जनभयो तवमशषटामाचरयः।

इततसभयकरीडाः।।

अरा- इसक अतगमत द सर कषतरीय िीडाओ का वणमन ककया जाता ह- सहकार भजनजका, अभय पखाहदका, ववसखाहदका, नवपतरतरका, उदककषवडडका, पानचालानयान,

एकशाकमशल कदमबयदध- इन सरानीय तरा सावमदवषक िीडाओम नागरक लोग अपनी-अपनीइचछा क अनसार ही खल। साम हहक िीडाओ कावणमन खतम होता ह। आचायम वातसयायन नबसत क मौसम म खली जान वाली िीडाओक नाम यहा पर बताए ह। कामस तर कीजयमगला िीका म उनक अलावा उदयानयातरा, खशलल िीडा, पषपावचतयका, नवामरखादतनका और आम तरा माधवीलता कावववाह- इनिीडाओ को बसत क मौसम म उसक बाद तनदाध म खलन कासमरमनककया गया ह। इसक अतगमत आचायमवातसयायन एकाकी व ऐशवयमहीन नागररको क मनोरजन का सझाव पश कर रह ह-

44books.com

Page 76: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (29)- एकचाररणशच तवभवसामथयााद।।

अरा- दभामगयवश नागररको स रहहत नागरक अगर अकल म ववचार करता ह तो वह अपनी ताकतक अनक ल ही िीडा कर।

शलोक (30)- गणणकाया नातयकायाशच सखीमभनाागरकशच सि चररतमतन वयाखयातम।।

अरा- इसी तरह स एकाककनी हो जान पर गखणकाए तरा नातयकाएभी नागररको तरा सहशलयो क सार मौसम सबधी िीडा ाए कर।

शलोक (31) अतवभवतशरीरमातरो मसललकाफनककषायमातरपररचछदः पजयाददशादागत कलासतवचकषणतदपदशन गोषठया वशोधचत च वतत साधयदातसमानममततपीठमदाः।।

अरा- इसक अतगमत उपनागरको का पररचय दत हए उनक आचरण क बार म बताया गया ह- ककसी सासकततकसरान स आया हआ कालाववचकषण नागररक अगर गरीब हो, उसक पास मजकलका, फनक तरा कषाय मातर ही बाकी बच हो तो वह नागररको कीसभाओ, उतसवो म जाकर और वशयाओ क यहा जाकर उनको हहतकर उपदश दकरअपनी जीवीका कमानी चाहहए। उनका आचायम बनकर पीठमदम पदवी हाशसल करनीचाहहए। आचायम वातसयायन कमतातरबक अमीर-गरीब समदाय, समपनन अरवाएकाकी सभी लोगो को मौसम सबधी मनोरजनो और उतसवो म भाग लनाचाहहए। इसस भारतीय सभयता तरा ससकतत का म ल उददशय तरा सवरप आसानीस समझा जासकता ह। कामस तर की गवाही स जानपडता ह कक भारतीय ससकतत तरा साहहतयम असदर तरा ववदरोह का भाव कही भीनही ह। भारतीय नागररक पनजमनमतरा कममफल क शसदधातो को सवीकार कर सासररकववधान क सार सामनजसयबनाए रखन क शलए कोशशश करता ह। वह दख म भी असतषि अरवाकफिमदनही हआ करता कयोकक उसकी मानयता ह कक मनषय अपन कामो का फलभोगनक शलए ही जनम लता ह। हमारी सभयता मनोववनोदो, उतसवो, नतयो-नािको को शसफम मनोरजनका साधन ही नही मानती बजकक अरम, धमम, काम तरा मोकष की पराजतत कामखय साधन समझती ह। यही वजह ह कक वातसयायन नहर वयजकत को चाह वहजजस जसरतत का, जजस वगम अरवा रग का हो, उतसवो, मनोववनोदो म भाग लनका सझाव हदया ह।

44books.com

Page 77: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (32)- भकततवभवत गणवान सकलतरो वश गोषठया च बिमततदपजीवी च तवटः।।

अरा- जो वयजकत सपनन नागररको कसभी सखो का उपभोग कर चका हो लककन ककसी वजह हववभवहीन हो गया हो औरसभी नागरक गणो स सपनन ह, कलावान ह, गखणकाओ तरा नागरको क समाज मलबधपरततषठह, वह वशयाओ तरा नागरको क सपकम स जीववका चलाए।ऐसा आदमी ववि कहलाता ह।

शलोक (33)- एकदशतवदयत करीडनको तवशचायशच तवदषकः। विामसको वा।

अरा- लककन जो लोग ककसी कला अरवाववदया म प री हाशसलककए हो वह अध रा कलाकार लोगो क बीच खखलौना बनारहता ह। कदाधचत वह ववशवसत हआ दोववद षक कहलाएगा अरवा हसात रहन कीवजह स वहाशसर भी कहा जाता ह।

शलोक (34)- एत वशयाना नागरकाणा च मसनतरणः ससनधतवगरितनयकताः

अरा- ऐस लोग वशयाओ तरा नागररको क बीचसधध-ववगरहहक बनत ह।

शलोक (35)- तमभाकषकयः कलातवदगधा मणडा वषलयो वदधगणणकाशच वयाखयाताः।।

अरा- ववि-ववद षक की तरह कला तनपण शभकषकी नायकतरा नातयका क बीच सधध-ववगरहहक बनकर जीवन तरबता सकती ह। उपयमकत 3 स तरो दवारा आचायम वातसयायन न पीठमदम, ववि, ववद षक और इनही की तरह शभकषणी, बाझसतरी, ववधवा, ब ढी वशया आहद कजीवनयापन का ववधान बताया ह। सख-सपन और तनधमन नागररकोक इस वगीकरण स वातसयायन कालीनसमाज वयवसरा का सधचतर पररचय परातत होगा।इसक अतगमत कही भी इस बातका उकलख नही ककया गया ह कक उचच वणम क लोगजयादा समदध होत रऔर नीच वणम क लोग कम। ऐसा लगता ह कक समदध होनक बाद शरषठी अरवा सामनत पदवीहाशसल हो जाती री, शदर पद ववलीन हो जाता रा।बराहमण शसफम वद पाठी हीनही होत र बजकक दश-दशानतर का वयापार करकशरजषठ भी बन जातर। कषतरतरयो की भी बात यही ह कक व शसफम राजा या योदधाही नही होतर बजकक उचचकोहि क वयवसायी तरा सठ भी होत र। मतषकहिक नािक की गवाहीक अतगमत जाना जाता ह कक चारदतबराहमण होत हए भी शरजषठ-चतवरम वास करता ह तरा सभी कलाओ कासमादरण करन वाला उततम नागररक ह।

44books.com

Page 78: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

गरीब होजान पर भी वसनतसना जसीअतननध सधरी, गखणका तरा सभी नागररको क परम तराशरदधा का भाजन बनारहता ह। आचायम वातसयायनदवारा बताई गई ववि की पररभाषा का मनषयमचछकहिक का एक द सरा बराहमण ह जोववि कहा जाता ह। राजा क साल कीचापल सी करता ह, गखणकाओ का सममान करता हऔर उनह खश रखता ह।

शलोक (36)- गरामवासी चसजातासनवचकषणान कौतिमलकान परोतससाहया नागरकजनय वततवणायञशरदधा च जनयतदवानकवीत। गोषठीशच परवतायत। सगतसयाजनमनरञञयत। कमास

च सािाययन चानगहणीयात। उपकारयचच। इततनागरकवततम।।

अरा- इसक अतगमत गाव क लोग नागरक क वतत का वणमनकरत ह- अगर नागरक गाव मजीवनयापन करन या ककसी द सर मकसद को प रा करनक शलए तनवास करता ह तो सजातीय, बदधधमान तरा जाद , खल-तमाशा जाननवाल लोगो को रोचक घिनाए सनवाकर अपना भकत बनाल तरा नागरक जीवनतरबतान क शलए उनह परोतसाहहत कर। उनक मनोरजन क शलए उतसवोऔर यातराओ का आयोजन ककया जाए, अपनसपकम स उनह परमहदत बनाकर रख।उनक काम म सहायता परदान करतरा उन पर अनगरह करता रह। यहा पर नागरकवतत कापरकरण समातत होताह। नागरकवतत स इस बात का पताचलता जाता ह कक उस समय की भारतीयपरजा, ऐशवयम, समदधध तरा पौरष सपनन री।सदरता तरा सकमारता कीरकषा करन म हमशा जागरक रहती री। योग तरा भोग, परववतत तरातनव वतत का सामनजसय तरा सतलन बनाए ऱखन म प री तरह कातरबल और सावधानरी। उसका अपना भी दजषिकोण व जीवन दशमन रा जजसक दवारा वह इजनदरयोकीव वतत को पाशववकता की तरफ उनमख नही होन दती री।

शलोक (37)- नातसयत सकतनव नातसयत दशभाषया। करा गोषठीष करयललोक बिमतो भवत।।

अरा- इसक अतगमत गोजषठयो म भाषा तरा सभाषण सबधीतनयमो की वयाखया करत ह- सभाओ तरा गोजषठयो म नशसफम ससकत म ही बोला जाए और न हीशसफम भाषा म। ऐसा करन स वकतासवममानय तरा सवमसममातनत नही होसकता ह।

44books.com

Page 79: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (38)- या गोषठी लोकतवदतवषटा या च वरतवसतपाणी. परहिसासतसमका या च न तामवतरदवधः।।

अरा- जजस गोषठी म जलन वाल लोगरहत हो तरा जहा पर सवचछद कायमवाही होती हो औरद सरो पर इकजामलगाए जात हो या द सरो को नकसान पहचान की कोशशश की जाती होउस गोषठीम बदधधमान वयजकत को नही जाना चाहहए।

शलोक (39)- लोकधचततानवततानया करीडामातरकाकायाया। गोषठया सिचरसनवदवाललोक मसदधध तनयचछतत।।

अरा- जो लोग इस परकार की गोजषठयोस ताकलक रखतहो, जो जनरधच का परतततनधधतव करत हो और जजस जगह परशसफम ववनोदो या मनोरजनो काही माहौल रहता हो वह वयजकत कामयाबी औरखयातत को परातत कर सकता ह। आचायम वातसयायन कभाषा सबधी ववचार बहजनहहताय ह। वह जन समाजक बीच न तो कठोर पाजणडतय चाहताह और न ही गवारपन। उनकी भाषा नीततमधयम वगम का अवलबन करती ह। वातसयायनदवारा हजारो साल पहलतनधामररत की हई भाषानीतत आज क भाषा वववाद क शलए एक उपाय ह। आचायम वातसयायन कसमय म ससकततनषठ, सशशकषकषत अरवासाहहतय की भाषा रही ह तरा पराकत जनभाषारही ह। ससकत क सार-सारजनभाषा म भी साहहतय का परणयन उस समय होता रहा ह। आचायम वातसयायन नतनयम बताया ह कक सभाओ तरा गोजषठयो मसाधारणतयिः शाम का ही उपयोग ककया जाए जो ककआसान सबोध होन क सार हीसाहहजतयक गणो स भी सपनन हो। गोजषठयो मभाग लन, भाषण दन काआयोजन खयातत तरा लोकवपरयता हाशसल करना ह। बदधधमान लोगोको इस परकार क उतसवो म जाना चाहहए जोलोकधचततान वततमनी हो। जहा अपन हदल क बोझको उतारकर हदल और हदमाग कशलए बौदधधक खराक हाशसल की जा सक। आननददायकसौहादममय तरा सनहमयमाहौल हो। ऐस माहौल म सपनन हर किया, हर ववचार तरा भावना फलवती होसकती ह। इसक सार ही कामयाबी औरखयातत भी अनगमन करती ह। शलोक- इतत शरी वातसयायनीय कामस तर साधारण, पररमऽधधकरण नागरक वतत चतरोऽधयाय।।

44books.com

Page 80: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

वातसयायन का कामसतर हिनदी म

भाग 1 साधारणम

अधयाय 5 नायकसिायदतीकमातवमशाः शलोक (1)- कामशचतषा वणष सवणातः शातरतशचाननयपवााया परयजयमानः पतरीयो यशयो

लौकककशच भवतत।।

अरा- इसक अतगमत परष तरा सतरीक दास और दाशसयोक करन वाल कायो को बताया गया ह। इसम सबस पहलअपनी जातत की सतरी सरीतत-ररवाज क अनसार वववाह की जररत पर रोशनीडाली जाएगी। कषतरतरय, बराहमण, शदर और वशय वगम क अनसार अपनी हीजातत की सतरी स वववाह करनाचाहहए। इसस उनकी जो सतान पदा होती ह वहससार म उनका नाम रोशन करती ह।

आचायम वातसयायन कअनसार इस बात क दो अरम तनकलत ह- पहला-अपनी ही जातत की सतरी स वववाह करनाऔर द सरा सतान को पदा करकलोकधमम को तनभाना। इसशलए भारतीयजातत वयवसरा म वववाह पदधतत पर बहत हीतनयतरण रखा जाता ह। बचचक जनम लन क बाद क अधधकारो को ववकशसतऔर पररपकव बनान क शलए प रीशशकषा-दीकषा तरा अचछ माहौल की जररतपडती ह। लककन अगरजनम स ही उन गणो को पान की कोशशश नही की जाती तोखानदानी परपरा का और पररवार कमाहौल का असर बचच पर जयादा नहीपडता। आचायमवातसयायन की कही बात यहा पर तरबककल ठीक परतीतहोती ह। अगर अपनी पतनी ससभोग करक सतान पदा की जाए तो यह ससार कीमयामदा क अतगमत आता ह।

शलोक (2)- तदतवपरीतउततमवणाास परपररगिीतास च। परतततषदधोऽवरवणाावतनरवमसतास। वशयासपनभाष च न मशषटो न परतततषदधः। सखारातसवात।।

अरा- इसम वववाह क समय कया करना चाहहए और कया नही करना चाहहए इस बात को बताया गयाह- अपनी स ऊचीजातत या पराई सतरी स सभोग की इचछाशासतरो क अनक ल नही ह। इसी

44books.com

Page 81: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

तरहस अपन स नीची जातत की जसतरयोस सभोग की इचछा रखना गलत ह। परत वशयाओतरा पनभम जसतरयो ससभोग करना सही ह कयोकक उनक सार जो सभोग कियाकी जाती ह वहशसफम शरीर की आग को शात करन क शलए होती ह न कक सतान आहद पदाकरनक शलए। आचायमवातसयायन अपनी ही जातत म वववाह करन का ही समरमनकरत ह कयोकक वह दोगलीजातत पदा करन को गलत ठहरात ह। आज क समयम आधतनक ववजञान भी इस बात को माननलगा ह कक दो अलग-अलग जाततयो कजीवो क आपस म शमलन स एक तीसर परकार कजीव की उतपवतत होती ह।

लोक (3)- ततर नातयकासततरः कनया पनभावशया च इतत।।

अरा- 3 परकार की जसतरया होती ह कनया, पनभम और वशया। आचायमवातसयायन क मतातरबक इन तीनो परकार की जसतरयोस परष को परम सबधजोडन चाहहए। पहली सतरी अरामत कनया को सबसअचछा माना जाता ह। पनभमसतरी को उसस नीचा और वशया सतरी कोसबस नीचा माना गया ह। अब सवाल यह उठता हकक आचायम वातसयायन नपनभम और वशया को कनया स नीचा कयो बताया ह। जजसलडकी की शादीनही होती उस कनया कहा जाता ह। जो लडकी शादी स पहल ककसी परषकसार सभोग करती ह तो उस पनभम तरा कई परषो क सार सबध बनानवालीसतरी को वशया कहा जाता ह। इसस एक बातप री जाहहर हो जाती ह कक आचायम वातसयायन कसमय म भी कवारीयवततयो को भी अपनी पसद क यवक स वववाह करन कीप री छ ि री। हर यवक अपनीख तरबयो क बल पर यवती को पान की इचछा रखतारा। आचायम वातसयायन क मतातरबक वववाहम बधन स पहल यवक तरा यवतीको आपसी परम सबध दवारा एक-द सर स पररधचत होजाना चाहहए। जजस यवक मसार गण होत ह ऐस यवक क शलए कनयासतरी उसस नीच यवक क शलएपनभम तरा सबस नीच यवक क शलए वशयासतरी को चनन का मकसद सही होता ह।सबस पहल आपस म परम बढाना, कफर एक-द सर पर भरोसा रखना और कफर वववाह करनाआचायम वातसयायन कमतातरबक सही ह। आचायमवातसयायन न इसम यवक की पातरता क अनक लवशया नातयका का ववधानबनाया ह। इसका मतलब यह ह कक बर यवक क शलएबरी यवती। इततहास म वशरयाओ कीजसरतत और वह ककतनी परास समय सचली आ रही ह यह बताया गया ह। सभी परान गररोम वशयाओ क बारम शलखा हआ शमलता ह। इसी क सार ही वशयाओ क सबध मअलग गरर भीबन हए ह। वशयाओ कोपरान समय म समाज का एक जररी अग माना जातारा। पहल क समय

44books.com

Page 82: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

मवशयाओ को इस परकार की शशकषा दी जाती री ककशारीररक और मानशसक ववकास कस होता ह।लककन द सरी जसतरयो को इसपरकार की शशकषा स द र रखा जाता रा। परान समय सही वशयाए हर चीजम तनपण होती री। यही नही ऊची जातत की जसतरया भी इनकीशशकषा-दीकषा स लाभ उठाया करती री। आचायो न कामस तर क अलावा द सर गररो म भी कई परकार की जसतरयो क लकषण बताए ह- 1- धचतरतरणी 2- परकीया 3- सामानया 4- सवकीया 5- पदशमनी 6- हजसतनी 7- शखखनी 8- मगधा 9- जञातयौवना 10- मधयमा 11- परौढा 12- आरढ यौवना मगधा 13- नवलअनग

14- लजजावपरया मगधा 15- लबधपवतत परौढा

16- परगकभव चना मधया 17- आिशमता परौढा 18- सरतववधचतरा मधया 19- ववधचतर-ववभरमा परौढा

20- समसतरत कोवव परौढा 21- कलहातररता 22- धीरा 23- उतकजणठता 24- धीरा-धीरा 25- सवाधीन पततका 26- परादभमतमनोभवा मधया 27- समसयाबनध

28- खडडता 29- सवयद ततका

44books.com

Page 83: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

30- परोवषतापततका 31- कलिा 32- लकषकषता 33- लघमानवती 34- महदता 35- अयशयना 36- मधय मानवती 37- अन ढा 38- गर मानवती 39- रपगरववमता 40- गरववमता 41- अनय सभोग दिःखखनी 41- कलिा 42- कतनषठा 43- अहदवया 44- वचनववदगधा 45- कियाववहदगधा 46- हदवया 46- हदवया हदवया 47- कामगववमता 48- मधयमा 49- उततमा 50- परमगववमता 51- रपगववमता

शलोक (4)- अनयकारणवशातसपरपररगिीतातप पाकषकषकी चतरीतत गोणणकापतरः।।

अरा- इसक अतगमत बहत स आचायो दवारा बताई गईजसतरयो का उकलख ककया जाता ह। बहत स कारणो स पराई सतरी को भी चौरी सतरी बनाया जा सकताह।

शलोक (5)- य यदा मनयत वररणीयम।।

44books.com

Page 84: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- जजन कारणो स पराई जसतरयो को नातयका बनाया जासकता ह वह तनमनशलखखत ह- परष जब इस बात को समझ ल कक पराई सतरी पततवरता नही होतीह।

शलोक (6)- अनयतोऽतप बिशो वयवमसत चाररतरा तया वशयायाममव गमनमततमवणणानयामतप न धमापीडा कररषयतत पनभाररयम।।

अरा- आचायम सवररणी पराई सतरी स सबध बनान कऔधचतय को बतात ह- बहत स लोगो दवारा उनक चररतर को पहल स ही खराब ककया जा चका हइसीशलए अगर वह अचछीजातत की भी हो तब भी उसक सार सभोग किया करनावशया क अशभगमन की तरह धमम क ववरदध नहीहोगा।

शलोक (7)- अनयपवाावरदधा नातर शगसत।।

अरा- वह सतरी पहल ही द सर परषो क सार नाजायजसबध बनाती ह इसशलए उसस सबध बनान म ककसी तरह की शका नही करनी चाहहए।

शलोक (8)- पतत वा मिानतीमीशचरममदममतरससषटममयमवगहम परभतसवन चरतत। सा मया ससषटा निादन वयावतीतयषयतत।।

अरा- यहद उस सतरी का पततनामी-धगरामी हजसतयो मआता ह और मर दशमन स उसका सबध ह तो उससतरी स मरा सबध हो जान पर वहमर मोह म पडकर अपन पतत का मरदशमन स सबध तडवा दगी।

शलोक (9)- तवरस वा मतय शकतमपकताकाम च परकततमापादतयषयतत।।

अरा- इसका अरम यह ह कक मर परानदोसत जो कक ककसी कारण स मर दशमन बन गए होऔर मझ नकसान पहचारह हो तो वह सतरी उसस मरी दबारा स दोसती करा दगी औरयहद दोसत नभी बना पाई तो उसक दवारा मझ ककसी परकार की हातन भी नही होनदगी।

44books.com

Page 85: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (10)- तया वा ममतरीकतन ममतरकायामममतरपरतीघातमनयदवा दषपरततपादक काया साधतयषयामम।।

अरा- अरामत उसस सबध बन जान पर उसक दवारा दोसतीया दशमनी क कामो को या ककसी भी मजशकल काम को म प रा कर ल गा।

शलोक (11)- ससषटो वानया ितसवायाः पततममदधावय तदशचयामवमधधगममषयामम।।

अरा- नही तो उस सतरी स मर सबध बन जान पर उसकपतत को मारकर उसक दवारा छीनी गई मरी समपवतत को म हाशसल कर ल गा।

शलोक (12)- तनरतसययवाया गमनमराानबदधम। अि च तनःसारतसवातसकषीणवततयपायः।सोऽिमननोपायन तदधनमततमिदकचिादधधगममषयामम।।

अरा- धन क लालच म पराई सतरी कसार शारीररक सबधबनाना कोई बरी बात नही ह कयोकक म गरीब ह , मरपास कमाई का कोई साधन नहीह। इसशलए म इस उपाय स उस सतरी क धन कोबहत ही आसानी स हाशसल कर ल गा।

शलोक (13)- ममाजञा वा मतय ढढममभकामा सा मामतनचछनत दोषतवखयापनन दतषतयषयतत।।

अरा- या वह मझ पर प री तरह स मोहहतह, मर राजो को जानती ह, अगर म उसस सही तरह स बात न कर तो वहमरीबराईयो को सबको बताकर मझ बदनाम कर सकती ह इसशलए मर शलए यह हीसही ह कक म उसकसार सबध बना ल ।

शलोक (14)- असदधत वा दोष शरदधय दषपररिार मतय कषपसयतत यन म तवनाशः यात।।

अरा- या मझस खफा होकर वह मझ परकोई ऐसा सगीन आरोप लगा द कक मझ उसस बचना मजशकलही हो जाए तब तोमरा सवमनाश ही हो जाएगा। इसशलए उसक सार सबध बनाना ही मर शलएसहीह।

शलोक (15)- आयततमनत वा वशय पतत मततो तवमभदय दतवषतः सगराितयषयतत।।

44books.com

Page 86: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- या वह अपन परभावशाली पतत को मर खखलाफ भडकाकरमर दशमनो क सार शमला दगी। इसशलए उसक सार सबध बनाना ही सही ह।

शलोक (16)- वय वा तः सि ससजयत। मदवरोधाना वा दतषयाता पततरयातदयािमतप दारानव दषयनतपरततकररषयामम।।

अरा- या तो वह सवय ही मरदशमनो क सार शमल जाए याउसका पतत मरी पतनी को यह सोचकर फसाना चाहकक इसन मरी पतनी क सार गलत सबधबनाए ह तो म भी इसकी पतनी कसार ऐसा ही करगा। इसशलए इसक सार सबध बनाना हीउधचत ह।

शलोक (17)- यामनया कामतयषय साया वशगा। तामनन सकरमणाधधगममषयामम।।

अरा- या जजस द सरी सतरी को म चाहता ह वह उसक वशम ह और इसकी वजह स म उस हाशसल कर ल गा।

शलोक (18)- कनयामलभया वातसमाधीनामरारपवती मतय सकरामतयषयतत।।

अरा- या कफर जजस धनवान, ख बस रत यवती स म शादी करना चाहता ह वह मझ तरबना इसकीसहायता क नही शमल सकती।

शलोक (19)- इतत सािमसकय न कवल रागादव। इतत परपररगरिगमनकारणातन।।

अरा- ककसी खास कारण क तरबना शसफम सतरी क शरीर को पान क शलए इतन जयादा खतर उठानातरबककल ठीक नहीह। यहा पर पराई सतरी क सार सबध बनान का अधयाय समाततहोता ह।

शलोक (20)- एतरव कारणमािामातरसबदधा राजसबदधा वा ततरकदशचाररणी काधचदनया वा कायासपाहदनी तवधवा पञञमीतत चारायणः।।

44books.com

Page 87: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- आचायम चारायण क अनसार कनया, पनभम, वशया और पराई सतरी क अलावा ववधवा पाचवी नातयका ह जोराजा, मतरी और उनक घरवालो क सबध बना ल या द सरी कोई ऐसी ववधवासतरी ह जोसफलताप वमक अपन सार कायो को कर सक।

शलोक (21)- सव परवरसजता षषठीतत सवणानाभः।।

अरा- आचायम सवणमनाभ क मतातरबक पररवाजजका ववधवाछठ परकार की नातयका होती ह।

शलोक (22)- गणणकाया दहिता पररचाररका वाननयपवाा सपतमीतत घोयकमखः

अरा- आचायम घोिकमख दासी को सातव परकार कीसतरी बतात ह।

शलोक (23)- उतसकरानतबालभवा कलयवततरपचारानयतसवादषटमीतत गोनदीयः।।

अरा- आचायम गोनदीय क मतातरबक जोयवती बचपन को पारकरक जवानी म पहचती ह और जजस पान म बहत महनतकरनी पडती ह वह आठव परकारकी नातयका होती ह।

शलोक (23)- कायाानतराभावादतासामतप पवााववोपलकषणम, तमाचचततर एव नातयका इतत वातसयायनः।।

अरा- चारायण स लकर गोनदीय तक जजनआचायो न 4 तरह की नातयकाओ क बार म बताया ह वह सब कनया, पनभ म, वशया तरा पराई सतरी क अनतगमत समाहहत ह उनक अलग नही ह।इसशलए शसफम 4 परकार की नातयकाए ह। आचायमवातसयायन न गोखणकापतर क हदए हए मत को सवीकारकरक बाकी द सर आचायो कोबहत ही चतराई स गलत सातरबत कर हदया ह।

शलोक (24)- मभननतसवातततीया परकततः पञञमीतसयक।।

अरा- आचायो क अनसार परष तरा सतरी स अलग तीसरपरकतत अरामत (ककननर) पाचवी नातयका ह। इस तीसरीपरकतत (ककननर) को पोिा, कलीव, नपसक, वषमधर, षणव, उभय-वयजन आहद क नामो स भी जाना जाता ह। वस नपसक और हहजडोमकाफी फकम होता ह।

44books.com

Page 88: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलग म प रीउततजना न होन और वीयम क पयामतत मातराम न होन क कारण जो परषसतरी क सार सभोग करन म असमरम रहता हउस नपसक कहा जाता ह। कछ परषजनम स ही नपसक होत ह और कछअपनी जवानी की गलततयो क कारण हो जात ह। नपसकको कलीव भी कहा जाताह।

शलोक (25)- एक एव तसावालौककको नायकः। परचछननत दतवतीयः। तवशषालाभात।उततमाधममधयमता त गणागणतो तवदयात। तातभयोरतप

गणागणानवमशकवकषयामः।।

अरा- इसम नातयकाओ क लकषण बतान क बाद परष कलकषण बताए गए ह- सतरी क जीवन म सबस बढकर जो परष होता ह वह उसक पततक रप मही होता ह। इसक अलावा द सरा परष उस कहा जाता ह जो शसफम शारीररकसख क शलए उसक सार सबध बनाता ह। इनम स गण तरा दोषो क जयादा याकम होनक अनसार सबस अचछ, मधयम और नीच परष कहलात ह।

शलोक (26)- अगमयातववताः- कषठनयनमतता पततता मभननरिया परकाशपराधरानीगतपराययौवानाततशवताततकषणा दगानधा सबसनधनी सखी

परवरसजतासबसनधसणखशरोतरतरयराजदाराशच।।

अरा- इसक अतगमत 13 तरह की अगमयाजसतरयो (जजनजसतरयो क सार सभोग नही ककया जा सकता) क बार मबताया गया ह यह जसतरयाह- पागल, कोहढन, बशमम, जयादा उमर की, शरीर स बदब आन वाली, ककसी तरह क ररशत म लगती हो, जयादा सफद रगकी या जयादा काली रग की, बचपन की सहली, जो ककसी राज को न छपा पाती हो, सनयाशसनी।

शलोक (27)- षटपञञपरषा नागमया काधचदतीतत बाभरवीयाः।।

अरा- बाभरवीय आचायो क मतातरबक अगर कोई सतरी 5 परषो क सार सबध बनाती ह तो वह अगमया सतरी नही ह।

शलोक (28)- सबधधसणखशरोतरतरयराजदारवजाममतत गोणणकापतरः।।

44books.com

Page 89: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

अरा- बाभरवीय आचायम क मत मआचायम गोखणकापतर नअपना एक मत और जोडकर उसका समरमन करत ह- 5 परषो क सार सबध बनान क बाद भीररशतदार, शमतर, बराहमण और राजाकी सतरी अगमय ह। आचायमवातसयायन न जजस तरह की 13 जसतरयो क नाम बताएह वह धाशममक, सामाजजक,

शारीररक और मानशसक दजषि स सबस जयादा तनवषदधह। शरीर ववजञान तरा वशानिम-ववजञान स अगर दखा जाए तो पागल, कोहढन, शरीर स बदब आन वाली, जयादा काली यवती या जयादा गोरी लडकी ससभोग करना भयकर तरावश परपरागत ववकारो को जानब झकर बलावा दना ह।जयादा उमर की सतरी क सारसभोग करना हदल और हदमाग तरा शरीर को नकसानपहचाना ही होता ह।

इसक सार बडी कोशशश सरकषा करन लायक, वीयम का नाश करन क समान ही ह। अगर धाशममक दजषिसदखा जाए तो अपन कल या गौतर की सतरी, दोसत की पतनी, राजा की पतनीतरा सनयाशसनी क सार सभोग करना जानवर पती समझी जाती ह अरामत जो परषऐसा करता हवह मनषय न कहलाकर जानवर कहलान क लायक ही ह।

शलोक (29)- सिपासकरीडडतमपकारसबदध समानशीलवयसन सिाधयातयन यशचाय ममााणणरियातन य तवदयात, यय चाय तवदयादवा धातरपतसय सिसवदध ममतरम।।

अरा- इसम यह बताया गया ह कक कसलोगो को अपना वपरय शमतरबनाना चाहहए जस बचपन म जजनक सार प र हदनखलत हो, जजस पर ककसी तरह का एहसान ककया हो, सवभाव या गण आहद म जोतरबककल अपनी ही तरहहो, जजसस ककसी तरह क राज को ना छपाया गया हो और जोएक ही मा की गोद म खलकर पल-बढ हो।

शलोक (30)- तपतपतामिमतवसवादकमददषटवकत वशय धरवमलोभशीलमपररिायाममनतरतवतरावीतत ममतरनसपत।।

अरा- जजसस खानदानी तयार-दलार चलारहा हो, जजन लोगो स लडाई-झगडा न होता हो, जो सवभाव स चचल न हो, लालची न हो, ककसी क बहकाव म न आए और ककसी क दवारा बताई गई बातो कोद सरो क सामन नखोल। इस परकार क लोगो क सार दोसती रखनी चाहहए।

44books.com

Page 90: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

शलोक (31)-

राजकनातपतमालाकारगासनधकसौररकमभकषकगोपालकतामबमलकसौवणणाकपीठमदातवटतवदषकादयो ममतराणण। तदयोतषसनमतराशचनागरकाः यररतत वातसयायनः।।

अरा- इनक अलावा कछ कारोबार ससबध रखन वाल लोग भी नायक क दोसतो म शाशमल होसकत ह जस धोबी, नाई, माली, शभखारी, द ध वाला, तमोली, सनार आहद। आचायम वातसयायन कमतातरबक धोबी, नाई, माली आहद की पजतनयो को भी दोसत बनाया जा सकता हकयोकक यह परषो स जयादा नायक की जयादा मदद कर सकती ह। कयोकक इनकासबधमहल म रहन वाली रातनयो स होता ह और यह ककसी भी समय उनक महलम आ जा सकतीह।

शलोक (32)- यादभयोः साधारणमभयतरोदार तवशषतो नातयकायाः सतवतरबध ततर दतकमा।।

अरा- जो लोग सतरी और परष दोनोक शलए ही मन म अचछीभावना रखत हो खास करक सतरी का जयादा ववशवासपातर हो वह द तकायम क शलएतरबककल ठीक रहता ह।

शलोक (33)- पटता धषटायाममधगताकारजञता परतारणकालजञता तवषहयबदधधतसव लधवी परततपतततः सोपाया चतत दतगाणाः।।

अरा- बातचीत म चतराई, ढीिपना, इशारो को समझना, नातयका को ककस समय बहकाया जा सकता ह, इसका काल जञान, सकि अरवा शक महस स होन परजकद ही फसला लन वाली आहद द त क गणो मशमार होत ह।

शलोक (34)- भवतत चातरशलोकः- भवतत चातर शलोकः- आतसमवासनमतरवानयकतो भावजञो दशकालतवत।अलभयामपययतसनन सतरय ससाधयननरः।।

अरा- इस ववषय क बार म एक पराना शलोक ह- जो परष आतमतनभमर तरा दोसत बनान वाल गणो स सपनन होता ह, जोवतत म तनपण होता ह, जसतरयो क मन क भावो को परखन वाला होताह, सरान और समय क महतव को समझता ह, वही अलभय सतरी को भी बहत आसानीस पा लताह। इस अधयाय कानाम द तीकमम ववशष ह लककन द तीकमम सजयादा इसम द तकमम का ही जयादाइसतमाल ककया गया ह। नातयका को नायकस शमलान म द ती जजतनी जयादा मदद करसकती ह उतनी द त नही कर सकता।आचायम वातसयायन न वस तो द सरकाम-शासतर क

44books.com

Page 91: वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी ......शशव स तत व क ज व ल ह । वहप रण क ग ह । उक प

44books.com

आचायो की राय कोसही बतात हए द तकमम काकायम करन वाल परषो की पजतनयो को भीद तीकायम म सहयोग करन की राय दीह, लककन वह सारी बात समीचीन इसशलएनही जान पडती कक जजतन परकार क द तबताए गए ह उन सभी की पजतनयाद तीकायम क शलए सही नही रहती। परान इततहासम सतरी और परष कबार म परम क बार म पढन पर जञात होता ह ककसतरी और परष कबीज कलश पदा करान वाल कायो म जसतरया ही जयादा सफलसातरबतहई ह परष द त नही। इस अधयाय को जोनाम हदया गया ह उसक अनसार इस ववषय कावववचन न क बराबर हआ ह।ववषयातर का समावश समीकषक हदमाग म उलझनपदा करता ह। इस अधयाय म द तीकायमको छआ तक नही गया ह बजकक इसकमकाबल द सर गररो म इस ववषय क बारम प री जानकारी शमलती ह। आचायमवातसयायन न एक परान शलोक को उदाहरण क रप मबतात हए कहा ह कक जजसपरष क पास आतमबल और बहत सार भरोसमद शमतरहोत ह और वह नागरकववतत मतनपण तरा मन क भावो को समझन वालाहोता ह। वह अनायास, अलभय जसतरयो को हाशसल कर सकता ह। इस अधयाय कअतगमत नायक परष क जो गण और ववशषताएबताई गई ह वह शसफम अलमभजसतरयो को हाशसल करन म ही कामयाबी नहीहदलाती बजकक जीवन क हर कषतर औरकाम-काज म प री तरह स कामयाब बनातीह। जो परष कायरनही होता उसी को आतमवान कह सकत ह। जजसकाहदल साफ होता ह वही सचचाशमतर बन सकता ह। मन क भावो को समझन वालावही वयजकत हो सकता ह जजसक अदरसमीकषातमक हदमाग तरा मनौवजञातनकनजररया हो और वयवहारकशल वयजकत ही दशकालववत होसकता ह। इस शलोक स यहीपता चलता ह कक काम-शासतर का जञाता परषतछछोरा, लफगा और मनचला नही होता बजकक कलीन, समझदार, लोकवपरय, सवाशभमानी, आतमतनषठ और कलाकशल होता ह। शलोक- इतत शरी वातसयायनीय कामस तर साधारणपररमऽधधकलण पचमोऽधयायिः पररम अधधकरण (साधारण) समातत।

आग क भाग परापत करन क मलए 44books.com पर पधार |

44books.com