स्वास््य एवं परिवाि कल्याण ... · 2020. 2. 4. ·...

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1 वाय एवं पᳯिवाि कयाण मंालय, भाित सिकाि के तवाधान म अखिल भाितीय आयुᳶविान संथान, एस जोधपुि ािा आयोखजत 9व अखिल भाितीय िाजभाषा समेलन कᳱ ᳯिपोि **** पहला ᳰिन (16.01.2020) 9वा अखिल भाितीय िाजभाषा समेलन का आिंभ डॉ कुलिीप ᳲसंह, डीन अकािखमक, एस, जोधुपि, डॉ वेि काश िूबे, वाय एवं पᳯिवाि कयाण मंालय, नई ᳰिली, डॉ अिखवि खसहा, एस, जोधपुि, ी एन. आि. खवोई, उप-खनिेशक, एस, जोधपुि, डॉ वीण वमाि, एस, जोधपुि, डॉ सुिाखजत पाठक, एस, जोधपुि, ी मनीष ीवातव, िखजाि, एस, जोधपुि ने िीप वलन औि मा सिवती कᳱ वंिना तुखत से ᳰकया। डॉ कुलिीप ᳲसंह, डॉ. वीण वमाि, ी एन. आि. खवोई, डॉ. वेि काश िूबे, ी मनीष ीवातव ीप वखलत किते ए

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Page 1: स्वास््य एवं परिवाि कल्याण ... · 2020. 2. 4. · पहला दिन ... जताया दक यह सम्मलन खहन्ि

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स्वास््य एव ंपरिवाि कल्याण मतं्रालय, भाित सिकाि

के तत्वाधान में

अखिल भाितीय आयरु्विज्ञान ससं्थान, एम्स

जोधपिु द्वािा आयोखजत

9वें अखिल भाितीय िाजभाषा सम्मलेन की रिपोर्ि

****

पहला दिन (16.01.2020)

9वााँ अखिल भाितीय िाजभाषा सम्मेलन का आिंभ डॉ कुलिीप ससंह, डीन अकािखमक, एम्स, जोधुपि,

डॉ वेि प्रकाश िबूे, स्वास््य एवं परिवाि कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली, डॉ अिखवन्ि खसन्हा, एम्स, जोधपुि, श्री

एन. आि. खवश्नोई, उप-खनिशेक, एम्स, जोधपुि, डॉ प्रवीण वमाि, एम्स, जोधपुि, डॉ सुिाखजत पाठक, एम्स,

जोधपुि, श्री मनीष श्रीवास्तव, िखजस्ट्रााि, एम्स, जोधपुि ने िीप प्रज्ज्वलन औि मााँ सिस्वती की वंिना स्तुखत स े

दकया।

डॉ कुलिीप ससंह, डॉ. प्रवीण वमाि, श्री एन. आि. खवश्नोई, डॉ. वेि प्रकाश िबूे, श्री मनीष

श्रीवास्तव द्वीप प्रज्जवखलत किते हुए

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सिस्वती वंिना किते हुए संस्थान की छात्राए ं

मााँ सिस्वती वंिना स्तुखत के बाि डॉ कुलिीप ने नौवें अखिल भाितीय िाजभाषा सम्मेलन एवं जोधपुि,

एम्स में प्रथम िाजभाषा सम्मेलन में िशे के खवखभन्न भागों से आए हुए समस्त प्रखतभाखगयों का स्वागत दकया।

डॉ कुलिीप ने कहा दक खहन्िी िशे भि में सबसे ज्यािा समझी औि बोली जाने वाली भाषा ह।ै सहजता

इसकी जान ह ैइसखलए भाित सिकाि अपने प्रशासखनक खनयंत्रण वाले कायािलयों में िाजभाषा खहन्िी के प्रयोग

को बढावा िनेे के खलए खनिन्ति प्रयासित िही ह।ै डॉ कुलिीप ने कहा दक एम्स जैस ेतकनीकी संस्थान में भी इस े

यथासंभव बढावा िनेे की बात औि इसी प्रत्यन के तहत ऐसे आयोजन की शुरुआत की जा िही ह।ै

खहन्िी अपने आप में तमाम भाषाओं के शब्ि समेरे् हुए ह ैइसखलए कमोबेश िशे के सभी खहस्सों में यह

समझी औि बोली जाती ह।ै खहन्िी बढेगी तो िशे बढेगा, खहन्िी बढेगी तो एकता बढेगी, खहन्िी बढेगी तो आम

जन मानस में िशे की खवखवधता की समझ बढेगी, खहन्िी बढेगी तो हमािे भीति साखहत्य की संवेिनाओं के नए

द्वाि िुलेंगे। डॉ कुलिीप ने यह भी कहा दक खहन्िी के संवैधाखनक भाषा के बावजूि भी ऐसे बहुत कम लोग हैं जो

िसूिी भाषा के शब्िों का प्रयोग दकए खबना धािाप्रवाह खहन्िी बोल सकें । लोग खवशाल संख्या की िखृि से खहन्िी

से अक्षुण्ण िहने की बात किते हैं लेदकन व्यावहारिक रूप से हम ििेत ेहैं दक बोलचाल के नाम पि, मीखडया तक

में खजस पि लोगों को जागरुक किन ेकी भी खजम्मेिािी ह ैअंग्रेजी खमखश्रत खहन्िी को प्रशय िनेे का प्रचलन बढ

िहा ह।ै

डॉ कुलिीप ने आशा व्यक्त की दक सम्मेलन में उपिोक्त सभी खवषयों पि साथिक चचाि होगी। िाजस्थान

मूलतः खहन्िी भाषी िाज्य ह ैऔि मेिे सहकम्री भी अखधकति खहन्िी भाषा-भाषी ही हैं। डॉ कुलिीप ने खवश्वास

जताया दक यह सम्मेलन खहन्िी में काम किने के खलए एक पे्रिणा खसद्ध होगा। मुझे इस बात का भी यदकन ह ैदक

तीन दिवसीय इस आयोजन में आमंखत्रत अखतखथयों एवं वक्तव्यों से सभी लाभाखन्वत होंगे औि खहन्िी में

कामकाज के प्रखत अखभरुखच में भी उनकी वृखद्ध होगी। जोधपुि सूयि नगिी ह ैखहन्िी के कई साखहत्यकाि, लेिक,

खवशे्लषक नक्षत्र इस शहि ने दिए हैं। डॉ कुलिीप ने आशा व्यक्त की दक जोधपुि खहन्िी के प्रयोग में बढावा िनेे में

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हमेशा प्रयासित िहगेा औि एम्स, जोधपुि में अखिल भाितीय िाजभाषा सम्मेलन इस कडी में पहला आयोजन

ह।ै

डॉ कुलिीप के बाि डॉ वेि प्रकाश िबूे ने सभी लोगों का स्वागत दकया औि कहा दक सिलता, सहजता,

ईमानिािी, परिश्रम, खचन्तन की जो धािा जोधपुि में बह िही ह ैवह खनखित रूप से िाजस्थान औि भाित का

गौिव ह।ै डॉ िबूे न ेकहा दक जब हम खवश्व के समक्ष िड ेहोते हैं तो हमािे डीएनए में जबििस्ती डाली गई हीन

भावना हमािे साथ चलती ह।ै हम अपने आप को भाितीय समझें, सवोत्कृि भाितीय समझें, सवोत्तम भाितीय

समझें। इंखडया से भाित, इंखडयन स ेभाितीय इस सम्मेलन का मूल स्वि ह।ै हम सवोत्कृि भाितीय ह,ै सवोत्कृि

भाितीय िहेंगे। डॉ िबूे ने ब्राह्माण्ड कुरु्म्बकम की भावना को बढाने पि बल दिया। डॉ िबूे ने इस बात पि भी

जोि दिया दक हम सभी भाितीयों को अपन ेिाज्य स ेइति िसूिे िाज्यों की भाषाओं को भी सीिना चाखहए

खजससे हम अन्य िाज्यों के साखहत्य को भी भली-भााँखत समझ सकें गे औि एकता की भावना औि मजबूत होगी।

उन्होंने कहा दक “परिन्िों को मंखजल खमलेगी यकीनन, य ेउनके फैल ेहुए पंि बोलते हैं, जो लोग िहते हैं िामोश

अक्सि, जमाने में उनके हुनि बोलते हैं”। डॉ िबूे ने सभी प्रखतभाखगयों से अपने साथिक खवचाि ििने के खलए

सभी को आमंखत्रत दकया औि सभी का स्वास््य एवं परिवाि कल्याण मंत्रालय की ओि पुनः स्वागत एवं

अखभन्निन दकया।

िशे के खवखभन्न संस्थानों स े आए सभी प्रखतभाखगयों ने अपना-अपना परिचय दिया। प्रखतभाखगयों में

भाितीय आयुर्विज्ञान परिषि, दिल्ली से आए श्री एस. पी. ससंह ने अपनी बात इस शायिी के माध्यम स ेकही-

“वन एक, पक्षी अनेक, पि सबका रठकाना एक है,

सबकी भाषाए ंअलग-अलग पि तिाना एक ह,ै

हम खशकािी खभन्न हैं पि हमािा खनशाना एक ह,ै औि

दिल में हो अगि प्याि तो सािा जमाना एक ह।ै

डॉ िबूे ने कहा दक हम सभी भाितीयों को अन्य िाज्यों की भाषाओं को भी सीिना चाखहए खजससे हमें

अन्य िाज्यों की सभ्यता एवं संस्कृखत को जानने का मौका खमलेगा औि िशे की एकता एवं अिण्डता को बढावा

खमलेगा”।

नगि िाजभाषा कायािन्वयन सखमखत की कायिप्रणाली–श्री िाम सशुील ससहं, वरिष्ठ िाजभाषा

अखधकािी, उत्ति-पखिम िेलव ेजोधपिु

श्री िाम सुशील ससहं, वरिष्ठ िाजभाषा अखधकािी, उत्ति-पखिम िेलवे, जोधपुि ने अपने खवचाि

सम्मेलन में ििे। श्री सुशील ससंह ने नगि िाजभाषा कायािन्वयन सखमखत (निाकाश) पि चचाि की। श्री सुशील

ससंह ने बताया दक निाकाश बैठक में कायािलय अध्यक्ष का उपखस्थत होना अखनवायि ह।ै श्री सुशील ने सभी

प्रखतभाखगयों से अपन ेकायािलयों में अखधक से अखधक काम खहन्िी में किने की अपील की औि कहा दक अपन े

सहकर्मियों को भी खहन्िी में काम किने के खलए पे्ररित किें। श्री सुशील ने बताया दक वह अपने कायािलय में एक

वार्षिक पखत्रका “सूयोिय” का प्रकाशन किवाते हैं। उन्होंने यह भी कहा दक जोधपुि, एम्स भी अपने शोध खहन्िी

में प्रकाखशत किवाए ंखजससे आम जन तक भी जानकािी खमल सकें । श्री सुशील ने कायािलयों आम बोलचाल की

भाषा को बढावा िनेे पि भी बल दिया।

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उत्ति-पखिम िेलवे, जोधपुि द्वािा प्रकाखशत पखत्रका सूयोिय का खवमोचन

मानव सभ् यता एव ंससं् कृखत के खवकास में मातभृाषा का योगिान- डॉ. विे प्रकाश िबू े

डॉ. वेि प्रकाश िबूे ने मानव सभ्यता एवं संस्कृखत के खवकास में मातृभाषा के योगिान पि चचाि की।

डॉ. िबूे न ेबताया दक िशेभाखषयों को मातृभाषा की खजतनी अच्छी समझ होगी उस िशे के नागरिक उस िशे

की सभ्यता एवं संस्कृखत को उतनी ही अच्छी तिह से समझ सकते हैं। मातृभाषा के खवकास के खलए हमें अपन े

बच्चों को शुरू से ही जागरुक किना चाखहए खजससे की बच्चे आगे जीवन में भी मातृभाषा के महत्व को समझ सके

औि मानव सभ्यता एवं संस्कृखत में अपना सवोत्तम योगिान ि ेसकें ।

डॉ िबूे न ेआगे कहा दक अंग्रेजी हम पि थौंपी गई ह।ै खहन्िी दकसी की मोहताज नहीं ह।ै खहन्िी बढती

आई ह ैऔि बढती जाएगी।

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डॉ. वेि प्रकाश िबूे, खनिशेक िाजभाषा, स्वास््य एवं परिवाि कल्याण मंत्रालय, भाित सिकाि व्याख्यान िते े

हुए

खचदकत्सा खवज्ञान में सहिंी का प्रयोग- डॉ. जयकिण चािण, सह-आचायि, औषध खवज्ञान खवभाग,

एम्स जोधपिु

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डॉ. जयकिण ने इस बात पि जोि दिया दक खजस प्रकाि यूिोप, चीन, जापान एवं अन्य िशेों में

खचदकत्सा खवज्ञान की पढाई वहााँ की स्थानीय भाषा में होती ह ैउसी प्रकाि भाित में भी खचदकत्सा खवज्ञान की

पढाई खहन्िी में हो सकती ह ैजो दक समाज के सभी तबकों के खलए बहुत लाभिायक होगी। उन्होंने इस बात पि

जोि दिया दक छोरे् स्ति पि भी खचदकत्सा खवज्ञान की पढाई को खहन्िी भाषा में लागू किने स ेधीिे-धीिे इस

दिशा में परिवतिन आना शुरू हो जाएगा।

डॉ. जयकिण चािण व्याख्यान ितेे हुए

उन्होंने बताया दक एक खचदकत्सक को अपने मिीजों को सही तिह से जानने के खलए मिीजों की स्थानीय भाषा

का जानना बहुत जरूिी ह।ै इसी प्रकाि यदि खचदकत्सा खवज्ञान की पढाई भी हमािी अपनी भाषा खहन्िी में होगी

तो यह भाित के सभी वगों के खलए बहुत लाभिायक होगी।

िााँतों के स् वास् ् य के प्रखत जागरूकता एव ंउपचाि – डॉक्र्ि सलुभ ग्रोवि, िंत खचदकत्सा

खवशषेज्ञ

डॉ. सुलभ ग्रोवि ने बताया दक िााँतों के प्रखत जागरुकता में कमी दकतनी ितिनाक साखबत हो सकती

ह।ै डॉ. ग्रोवि ने िांतों की कई तिह की बीमारियों के बािे में बताया। उन्होंने बताया दक जागरुकता के जरिए ही

लोगों को गंभीि बीमारियों से बचाया जा सकता ह।ै उसके खलए यह भी जरुिी ह ैदक लोगों को स्वयं भी जागरुक

होना पडगेा औि समय-समय पि चेक-अप किाना जरुिी ह ैखजससे पता चलता िह ेदक उनके िातं अच्छी हालत

में हैं।

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डॉक्र्ि सुलभ ग्रोवि व्याख्यान ितेे हुए

डॉ. ग्रोवि ने बताया दक मुाँह में िााँत बहुत आवश्यक खहस्सा ह ैजो दक हमािे भोजन को चबाने के खलए

बहुत आवश्यक ह।ै क्योंदक अगि मुाँह में िााँत नहीं होंगे तो हम भोजन का आनन्ि अच्छे से नहीं ले पाएगंे औि

उस भोजन को हम रु्कडों में तोड नहीं पाएगंे। हमािे शिीि के सबसे अहम खहस्सा मुाँह ह ैयदि मुाँह के दकसी भी

अंग में कोई पिेशानी होती ह ैतो वह हमािे पूिे शिीि को पिेशानी होती ह।ै

अतः डॉ. ग्रोवि ने इस बात पि जोि दिया दक शिीि के सभी अंगों के प्रखत व्यखक्त को जागरुकता ििनी

चाखहए औि समय-समय पि खचदकत्सक से सलाह लेते िहने चाखहए खजससे भखवष्य में गंभीि बीमािी से बचा

जा सके।

िसूिा दिन (17.01.2019)

श्रीमती कल्पना नेगी, एफएसएसएआई, नई दिल्ली ने अपने खवचाि व्यक्त दकए। उन्होंने कहा दक खहन्िी

हमािी मातृभाषा ह ै दफि भी हमको बताना पडता ह ै दक खहन्िी हमािी मातृभाषा एवं िाजभाषा ह।ै श्रीमती

नेगी ने कहा दक बच्चों को शुरू से ही खहन्िी के प्रखत एक सकािात्मक िवैया अपनाने पि ध्यान दिया जाना

चाखहए। उन्होंन ेकहा दक जो भाषा का बीज ह ैवह बच्चों में बचपन से ही डाला जाना चाखहए खजसस ेकी बच्चों

की भाषा के प्रखत ज्यािा लगाव होगा।

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डॉ पंकज भािद्वाज, एम्स, जोधपुि- संतुखलत आहाि एवं जीवन शलैी में बिलाव

डॉ. भािद्वाज ने अपने वक्तव्य में संतुखलत आहाि एवं सतंुखलत जीवन शैली के महत्व पि बल दिया।

उन्होंने बताया दक दकस तिह से एक संतुखलत आहाि एवं संतुखलत जीवन शैली द्वािा मनुष्य अच्छे औि स्वस्थ

जीवन का

आनन्ि ले सकता ह।ै उन्होंन ेबताया दक भाित में ज्यािाति लोग कुपोषण के खशकाि ह।ै कुपोषण भी िो प्रकाि

के- पहला- जो पयािप्त िा नहीं पाते, िसूिा- जो पयािप्त िा पाते हैं पिन्तु वह नहीं िा पाते जो शिीि के खलए

आवश्यक ह।ै इन िोनों प्रकाि के कुपोषण पि डॉ. भािद्वाज ने बताया।

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डॉ पंकज भािद्वाज व्याख्यान ितेे हुए

डा. भािद्वाज ने अपने दिन ेके 24 घण्र्ों को तीन भागों में 8x3 में बांर्ने की सलाह िी। 8 घण्रे् सोना,

8 घण्रे् काम, 8 घण्रे् जीवन की अन्य आवश्यक गखतखवखधयां। इस प्रकाि हम एक सतंुखलत जीवन शैली को अपने

जीवन में अपना सकते हैं।

डॉ. भािद्वाज ने अपन ेभोजन में आवश्यक पोषक तत्व वसा, प्रोर्ीन, काबोहाइड्ररे्, खवर्ाखमन, िखनज

लवण आदि को शाखमल किन ेकी सलाह िी। उन्होंने बताया दक सभी पोषक तत्वों का आवश्यक मात्रा में भोजन

में शाखमल होना जरूिी ह।ै

डॉ. भािद्वाज ने इस बात पि भी जोि दिया दक अपनी िसोई में तीन सफेि चीज नमक, चीनी, मैिा का

कम होना चाखहए जो दक एक स्वस्थ जीवन आहाि का संकेतक ह ैऔि स्वस्थ जीवन शैली अपनाने में सहायक

ह।ै

डॉ. सलुभ ग्रोवि- एरर्ओलॉजी औि मिु कैं सि की िोकथाम

डॉ. ग्रोवि ने बताया दक हम केवल अच्छा िाने मात्र से ही बामारियों से ही ििू नहीं िह सकते बखल्क

हमें इस बात का भी ध्यान ििना चाखहए की हमािे शिीि को दकस िाद्य पिाथि की जरूित ह ैवह आवश्यक

मात्रा में न खमले तो वह भोजन हमें बीमारियों से ििू ििन ेमें मिि नहीं कि सकता।

डॉ. ग्रोवि न ेमुि कैं सि- कािण एवं लक्ष्णों के बािे में बताया। डॉ. ग्रोवि न ेबताया दक हमें अपने मुाँह की साफ-

सफाई ििना बहुत जरूिी ह ैक्योंदक हमािे शिीि में जो भी िाना जाता ह ैवह मुाँह के जरिए ही जाता ह।ै अः

अगि मनुष्य का मुाँह साफ ह ैतो मुि कैं सि होने के ितिे कम ह ैऔि यदि जो व्यखक्त मुाँह साफ नहीं ििते उन्हें

मुि कैं सि होने का ितिा बहुत ज्यािा होता ह।ै

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डॉ. ग्रोवि ने यह भी बताया दक मुाँह कैंसि में तंबाकु, धमु्रपान, शिाब पाने एवं आयु मुख्य कािण ह।ै जो लोग

तंबाकू मुाँह में ििकि िाते हैं उन्हें मुि कैं सि होने का कािण अखधक होता ह।ै धमु्रपान, शिाब, पिाबैंगनी

दकिणें, कुपोषण आदि भी मुि कैं सि के प्रमुि कािणों में से हैं।

डॉ. गोवि ने इस बात पि जोि दिया दक इन सभी बातों की जागरुकता से ही मुि कैं सि जैसी घातक बीमािी स े

बचा जा सकता ह।ै

डॉक्र्ि चदं्रभषूण खत्रपाठी, खवशषे सखचव, लोक खनमािण खवभाग, उत् ति प्रिशे सिकाि- ब्रहमांड

में व् याप् त ध् वखन, ऊजाि एवं क् वांर्ा का भाषाओं के खनमािण में योगिान।

डॉक्र्ि चंद्रभूषण खत्रपाठी, खवशेष सखचव, लोक खनमािण खवभाग, उत् ति प्रिशे सिकाि व्याख्यान िते ेहुए

डॉक्र्ि चंद्रभूषण खत्रपाठी ने ब्रह्माण्ड में व्याप्त ध्वखन, ऊजाि एवं क्ांर्ा का भाषाओं के खनमािण में

योगिान खवषय पि चचाि की। डॉ. खत्रपाठी ने बताया दक ब्रह्माण्ड में व्याप्त छोर्ी-छोर्ी ध्वखन ही आगे खवशाल

रूप लेती ह ैऔि वह धीिे-धीिे भाषा का रूप ले लतेी ह।ै डॉ. खत्रपाठी ने शब्िों के उच्चािण का हमािे मन-

मखस्तष्क पि पडने वाले प्रभाव के बािे में चचाि की। उन्होंने बताया दक हमािे वेिों में जो श्लोक खलिे हुए हैं

उनका ब्रह्माण्ड में बहुत बडा योगिान ह।ै हमािे वेिों, पुिाणों में जो श्लोक खलिे हुए हैं उनके उच्चािण से ब्रह्माण्ड

में सकािात्मक ऊजाि का संचाि होता ह ैऔि मानव को सकािात्मक ऊजाि प्रिान कित ेहैं।

डॉ. खत्रपाठी ने महामृत्युजंय मंत्र का उिाहिण दिया। उन्होंने बताया दक इस बाि आिएमएल अस्पताल,

दिल्ली में इस बात का प्रयोग दकया गया। आईसीयू में भती 40 मिीजों पि इस बात का प्रयोग दकया गया। 40

मिीजों को 20-20 के िो भागों में बांर् दिया गया। खजन 20 मिीजों पि महामृत्युजमनय मंत्र का प्रयोग दकया

गया उनका परिणाम बेहि ही आियिजनक था। जो दक इस बात का प्रमाण ह ैदक हमािे वेि, पुिाणों औि ग्रंथों

में खलिे गए श्लोकों के उच्चिण से अत्यन्त सकािात्मक ऊजाि उत्पन्न होती ह।ै

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डॉ. खत्रपाठी के वक्तव्य के बाि सभी लोगों को संस्थान की ओि से स्मृखत खचह्न एवं प्रमाण पत्र प्रिान

दकए गए एवं श्री मनीष श्रीवास्तव, िखजस्ट्रााि, एम्स, जोधपुि के वक्तव्य के अंत में िाष्ट्रगान के साथ कायिक्रम का

समापन दकया गया।

भाित सिकाि की ओि स ेडॉ. चन्द्रभूषण खत्रपाठी को सम्मान पत्र प्रिान किते हुए एम्स जोधपुि के िखजस्ट्रााि श्री

मनीष श्रीवास्तव

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डॉ. सुलभ ग्रोवि को भाित सिकाि की ओि स ेडॉ. चन्द्रभूषण खत्रपाठी सम्मान पत्र प्रिान किते हुए

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एम्स, जोधपुि की ओि से डॉ. वेिप्रकाश िबूे, खनिशेक िाजभाषा को सम्मान पत्र प्रिान किते हुए खवशेष सखचव,

लोक खनमािण खवभाग, लिनऊ, उत्ति प्रिशे सिकाि

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मंत्रालय के प्रखतखनखध श्री आशीष कुमाि को एम्स, जोधपुि की ओि से सम्मान पत्र प्रिान किते हुए खवशेष

सखचव, लोक खनमािण खवभाग, लिनऊ, उत्ति प्रिशे सिकाि

मंत्रालय के प्रखतखनखध श्री प्रकाश सती को डॉ. चन्द्रभूषण खत्रपाठी सम्मान पत्र प्रिान किते हुए

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श्री मनीष श्रीवास्तव, िखजस्ट्रााि, एम्स, जोधपुि द्वािा धन्यवाि प्रस्ताव ितेे हुए

सम्मेलन के अंत में सभी प्रखतभाखगयों द्वािा भाित, भाितीयता औि भाितीय भाषाओं की सवोत्कृिता

को खवश्व स्ति पि स्थाखपत किने की दिशा में खनिन्ति आगे बढते िहन ेका संकल्प खलया गया।

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समापन पि िाष्ट्रगान का पाठ कित ेहुए अखतखथ

समापन के बाि िशे भि से आए प्रखतभाखगयों के साथ सामूखहक खचत्र

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िो दिवसीय कायिक्रम की सखचत्र झलदकयााँ

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एम्स जोधपुि का बहुत-बहुत आभाि प्रकर् दकया जाता ह।ै

जय सहिं, जय भाित।