अरी मैं तो नाम के रंग छकी · अरी, मैं तो...

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1 अरी, म तो नाम के रंग छकᳱ वचन-म 1. चाहत खच सरन ही राखत .................................................................................................. 2 2. ससंग सरोवर, भचि ान ................................................................................................ 27 3. तुम जानत तुम देत जनाई.................................................................................................. 50 4. महासुखः फै लना और फै लते जाना ...................................................................................... 72 5. गगन-मंᳰदल दृढ़ डोᳯर लगाव ........................................................................................... 95 6. अंताा है परमामा...................................................................................................... 118 7. साध त बड़ा न कोई ........................................................................................................ 140 8. गुर है शमा, चश परवाना ............................................................................................. 163 9. चह नगरी म होरी खेल री ............................................................................................. 186 10. शात संगीत भीतर है.................................................................................................... 210

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Page 1: अरी मैं तो नाम के रंग छकी · अरी, मैं तो नाम के रंग छकी पहला प्रवचन चाहत खैंचच

1

अरी म तो नाम क रग छकी

परवचन-करम

1 चाहत खचच सरन ही राखत 2

2 सतसग सरोवर भचि सनान 27

3 तम जानत तम दत जनाई 50

4 महासखः फलना और फलत जाना 72

5 गगन-मददल दढ़ डोरर लगावह 95

6 अतराातरा ह परमातमा 118

7 साध त बड़ा न कोई 140

8 गर ह शमा चशषर परवाना 163

9 रचह नगरी म होरी खलौ री 186

10 शाशवत सगीत भीतर ह 210

2

अरी म तो नाम क रग छकी

पहला परवचन

चाहत खचच सरन ही राखत

साई जब तम मोचह चबसरावत

भचल जात भौजाल-जगत मा मोहह नाहह कछ भावत

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

चाहत खचच सरन ही राखत चाहत दरर बहावत

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

जगजीवन पर करत हौ दारा तचहत नहह चबसरावत

बहतक दखादखी करही

जोग जचि कछ आव नाही अत भमा मह परही

ग भरहाइ असतचत जइ कीनहा मनचह समचि ना परई

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

सचि बचि कछ आव नाही भजन न एको सरई

कहा हमार जो मान कोई चसदध सतत चचत धरई

जगजीवन जो कहा न मान भार जाए सो परई

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

साधन कहा सो कारि-कपरिक अपन कहा गोहरावहह

हनदा करहह चववाद जहा-तह विा बड़ कहावहह

आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

जो कोउ राम का भजन करत ह तचहका कचह भरमावाह

माला मदरा भष दकए बह जग परमोचध पजावहह

जहत आए सो सचध नाही िगर जनम गवावहह

जगजीवन त हनदक वादी बास नका मह पावहह

जो न काब म ह महदद न बतखान म

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

ऐ अजल त भी समा जा मर पमान म

3

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वो तो र कचहए अमा चमल गई मखान म

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमला कर चमर अफसान म

हजब-मर न चतरा ऐ शख भरम खोल ददरा

त तो मचसजद म ह नीरत तरी मखान म

मशवर होत ह जो शखो-चबरहमन म चजगर

ररद सन लत ह बि हए मखान म

परम का मागा मसती का मागा ह भचि अिाात एक अनि ढग का पागलपन तका नही तका सरणी नही

परीचत का एक सत

बचदध स तलाश नही होती परमातमा की हदर स होती ह बचदध स जो खोजत ह खोजत बहत पात कछ

भी नही हदर स खोजो भी न चसफा पकार उि चसफा परास उि जहा बि हो वही परमातमा का आगमन हो

जाता ह परमी को खोजन नही जाना पड़ता परमातमा खोजता हआ चला आता ह भचि क शासतर का रह सबस

अनिा चनरम ह

जगजीवन क सतर इस चनरम स ही शर होत ह

लदकन रह बात बड़ी उलिी ह जञानी खोज-खोज कर भी नही खोज पाता और भि चबना खोज पा लता

ह इसचलए बात िोड़ी बबि ह दीवानगी की ह पागलपन की ह पर परम पागलपन का ही चनचोड़ ह

जो न काब म ह महदद न बतखान म

खोजन वाल जाएग कहा रा मददर जाएग रा मचसजद जाएग खोजन वाला जाएगा ही बाहर खोज का

मतलब ही होता ह--बाहर बचहराातरा खोजन वाला चारो ददशाओ म भिकगा जमीन म खोजगा आकाश म

खोजगा

जो न काब म ह महदद न बतखान म

और जो न मददर म सीचमत ह और न मचसजद म न काबा म न कलाश म उस तम कस खोजोग काबा

म-कलाश म उस खोजन गए उसी म भल हो गई उस खोजन गए उसम ही तमन पहला गलत कदम उिा

चलरा खोजन तो उस जाना पड़ता ह जो कही महदद हो कही सीचमत हो जो दकसी ददशा म अवरदध हो

चजसका कोई पता-रिकाना हो चजसकी तरफ इशारा दकरा जा सक दक रह रहा अगली उिाई जा सक

परमातमा तो सब जगह ह इसचलए उसका कोई पता तो नही ह न उततर न पचिम न परब परमातमा

परब म नही ह परब परमातमा म ह न परमातमा पचिम म ह पचिम परमातमा म ह परमातमा वहा नही ह

परमातमा रहा ह तम परमातमा को खोजन जात हो--उसी म भिक जात हो करोदक तम परमातमा म हो जस

चली मछली सागर की खोज म और सागर म ह मछली खोज ही भिकाएगी खोज ही न पहचन दगी

जो न काब म ह महदद न बतखान म

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

4

चजस ददन उसस चमलन होता ह उस ददन बड़ी हरानी होती ह जो सदर स सदर मददरो म नही पारा

चजस परपरा स पचजत तीिो म नही पारा चजस उस अपन िि घर म पारा

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

अपन इस छोि स घर म पारा उस उस ददन भरोसा नही आता चवशवास भी नही आता दक चजस हम

खोजन चल ि वह खोजन वाल म ही चछपा िा और जब तक हम खोजत ि तब तक हम भिकत ि

परमी खोज छोड़ दता ह परमी चसफा पकारता ह जस छोिा बचचा रोता ह खोजन जाए तो जाए कहा

असहार भी ह--अभी चल भी तो नही सकता और आदमी इतना ही असहार ह परमातमा की रातरा पर चलन

वाल पर हमार पास कहा सामरथरा कहा शचि कहा रह अहकार ही ह जो तमस कहता ह दक खोजो तो चमल

जाएगा रह अहकार ही ह जो तमह भरमाता ह भिकाता ह रोओ--भि कहता ह--खोजो मत पकारो जस

छोिा बचचा अपन िल म पड़ा ही पकारता ह जाए तो जाए कहा जाए तो जाए कस न जान की सामरथरा ह

न उिन की सामरथरा ह लदकन उसक रोन की आवाज सन कर मा दौड़ी चली आती ह दफर मा और बचच म तो

िोड़ी दरी भी ह उतनी भी दरी तमम और परमातमा म नही तम चजस खोजन चल हो वह तमहारा सवरप ह

गहन पकार तीवर पकार बस तमहार ही पराणो को छद जाती ह चबजली की कौध की भाचत और इसी िि

घर म इसी खडहर म चजस तमन कभी मददर की तरह सोचा भी न िा और तमहार तिाकचित साध-सत तो

तमह इस शरीर की हनदा चसखा रह ह व तो कह रह ह इसी शरीर क कारण तम भिक गए हो और चजनहोन

जाना ह उनहोन इसी शरीर म उस जाना ह दफर रह शरीर कसा ही हो--काला हो दक गोरा हो सवसि हो दक

असवसि हो जवान हो दक बढ़ा हो भद नही पड़ता इसी म चछपा ह इसी िि घर म चछपा ह चतनर उसका

ही दसरा नाम ह तमहार भीतर जो ददरा जल रहा ह होश का रह उसकी ही उपचसिचत ह

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

रह परम की मधशाला म जो परचवषि होता ह वही इस राज को समि पाता ह और उस ऐसी उमर चमल

जाती ह चजसका कोई अत नही उस शाशवतता चमल जाती ह उस अमततव चमल जाता ह अमतसर पतरः उस

अनभव होता ह दक म अमत का ही बिा ह दक म उसी स आरा ह वही ह उसी तरफ जा रहा ह उसी म ह

उसी का ह भिक तो भी उसी म भिक रहा ह भल जाऊ तो भी उसी म ह चबलकल समरण न रह तो भी उसस

दर जान का उपार नही ह

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

ऐ अजल त भी समा जा मर पमान म

भि क परम म इतनी सामरथरा ह दक मौत को भी उसम डबा लता ह मौत समापत हो जाती ह उसक परम

म ही मौत मर जाती ह परम एकमातर सवर ह शाशवतता का परम एकमातर अनभव ह अमत का

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

मददर म और मचसजद म मतवालो क चलए जगह ही न िी वहा तो होचशरार अडडा जमा कर बि गए ह

वहा तो चालबाज चतर-चालाक पचडत-परोचहत धरानी माचलक होकर बि गए ह

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वहा चपरककड़ो को कौन घसन द वहा परचमरो को कौन घसन द वहा तो परािानाए भी औपचाररक हो

गई ह उन परािानाओ स अब आस पदा नही होत

5

वहा तो पजा भी जड़ हो गई ह पर नाचत नही हदर म नतर नही होता आरती उतरती ह आदमी

अछता का अछता रह जाता ह फल चढ़ जात ह पराणो का फल अनचढ़ा रह जाता ह पाखड हो रहा ह परािाना

नही हो रही ह परािाना तो परम म ही हो सकती ह और परम क कोई चनरम नही होत परम की कोई मराादा नही

होती परम की कोई भाषा नही होती परम क कोई बध हए ढग नही होत परम तो सहज होता ह सवसफता होता

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वो तो र कचहए अमा चमल गई मखान म

वह तो रह गनीमत समिो दक कभी-कभी कोई मधशाला भी होती ह मददरो और मचसजदो क इस

उपदरव म कभी-कभी कोई मधशाला भी होती ह--खर समिो कभी कोई बदध कभी कोई मीरा कभी कोई

जगजीवन कभी कोई कबीर कभी कोई कराइसि कभी कोई कषण--कभी-कभी--जमीन तो मददर-मचसजदो स

भरी ह लदकन कभी-कभी रहा कोई मधशाला भी हो जाती ह वही शरण चमल जाती ह वही दीवान बि कर

रो लत ह और पा लत ह वही दीवान बिकर गा लत ह और पा लत ह वही दीवान बि कर मसत हो लत ह

और परमातमा आ जाता ह कही जाना नही पड़ता

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

एक बार तम पागल होन की चहममत तो जिाओ भर तो तमहारी आख आसओ स भर तो तमहारा हदर

पकार स परास स--और कर दगा वह तमह मसत

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

और तमहार हदर की पराली म चजस ददन उसकी चनगाह पड़गी पकारो तो सही रोओ तो सही

गनगनाओ तो सही नाचो तो सही चनरम तो छोड़ो मराादा तो तोड़ो िोड़ सहजसफता सवाभाचवक न हहद न

मसलमान न ईसाई न जन न बौदध बस आदमी--बस उतना काफी ह उतना पराापत ह एक असहार

शरणभाव दक मर खोज स कछ भी न होगा अब त मि खोज म तो चलता रहा चलता रहा चलता रहा

जीवन-जीवन बीत गए एक इच भी रातरा परी नही हो सकी अब तो बि गरा िक कर अब त ही हाि बढ़ा

रही भचि का बचनरादी आधार ह परमातमा खोज भि को

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

रह परम का राज रह परम का रहसर रह परम का रस सवाद करा ह दख तो सही

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमला कर मर अफसान म

और ऐस दीवानो जगजीवन जस दीवानो क पास अगर तमह बिना हो जाए तो जरा उनकी कहानी म

अपनी कहानी चमला लना उनक गीत म अपना गीत डबा दना उनक परम म अपन परम को चमला लना उनक

साि नाच उिना उनक साि गा उिना

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमलाकर मर अफसान म

6

और जब कभी ऐसी कोई मधशाला जागती-जीती जब कभी कोई ऐसा अलमसत फकीर नाचता-गाता

जब कही मधक पर मधकलश ढाल जात ह तो तम रह मत समिो दक भि ही पात ह मददरो और मचसजदो म

बि हए पजारी और पचडत भी तड़फत ह--आ नही पात करोदक उनक नरसत सवािा वहा अिक ह उनक सार

सवािा वहा जड़ ह चहममत नही जिा पात लदकन ईषराा तो जगती ह जलन तो पदा होती ह

उस जलन का लकषण दक वह इस तरह की मधशालाओ का चवरोध करत ह

नही तो करा पड़ी मददर-मचसजदो म बि हए लोगो को मर चवरोध की करा पड़ी पचडत-पजारी को

मिस करा लना-दना ह म अपना गीत गाऊगा चवदा हो जाऊगा व अपना काम कर नही लदकन वह बड़

बचन ह उनको भी ईषराा हो रही ह कछ घि रहा ह और व चक जा रह ह इतना साहस भी नही ह दक जीवन

क छोि-मोि सवािो को छोड़ कर आ सक

मर पास साधओ क पतर आत ह दक हम आना चाहत ह मगर कस आए हजार बाधाए ह समाज आन

नही दगा हमार शरावक आन नही दग लोगो को पता चल जाएगा दक हम आए ि तो हम बड़ी मसीबत होगी

ऊपर-ऊपर तो हम आपका चवरोध ही करत ह भीतर-भीतर हम आपक वचनो को भी पढ़त ह उनम डबत भी

ह रस भी पात ह जानत भी ह दक कछ हो रहा ह जाना िा चहममत नही जिा पात आए ददन पतर आत ह

आए ददन लोग खबर लकर आत ह दक फला साध दक फला महातमा दक फला साधवी आना चाहती ह तरार

हजब-मर न चतरा ऐ शख भरम खोल ददरा

और वह जो शराब की हनदा कर रहा ह मददर म बिकर पजारी उसकी शराब की हनदा न ही उसका

भरम खोल ददरा ह--

त तो मचसजद म ह नीरत तरी मखान म

मशवर होत ह जो शखो चबरहमन म चजगर

ररद सन लत ह बि हए मखान म

व जो मशवर हो रह ह अचसततव म जहा पहच हए लोगो क वाताालाप हो रह ह जहा बदध और महावीर

जहा कषण और कराइसि जरिसतर और मोहममद और उनक बीच जो मशवर हो रह ह जो गफतग हो रही ह वह

परम म जो डब जात ह--ररद सन लत ह बि हए मखान म--व अपनी मधशाला म ही बि-बि सब पा लत ह

सार बदधो का सार उन पर बरस जाता ह

ऐस ही एक बदधपरष जगजीवन क वचनो म हम उतरत ह--

साई जब तम मोचह चबसरावत

जगजीवन कहत ह रह म तमस कह द--परमातमा स कह रह ह वह दक रह म तमस कह द--दक तम जब

मि चबसार दत हो तब ही म तमह भल जाता ह रह बड़ मज की बात जगजीवन कह रह ह दक जब तम मि

चबसार दत हो तब ही म भल जाता ह तमह राद रखना जब तम मि राद कर लत हो तब म तमह नही भल

पाता ह सब तमहार साि ह राद करो तो तम राद कहत हो मि भल जाओ तो म भल जाता ह म इतना

असहार ह दक राद भी मर बस म नही इतनी भी मरी सामरथरा नही ह दक तमह राद कर--खोजन की तो बात

छोड़ो रकर तमह भलाए इतनी भी मरी शचि नही ह वह तो जब कभी तम मि राद आ जात हो तो म

जानता ह दक जरर तमन मि राद दकरा होगा नही तो तम मि राद भी आ सकत ि इसका मि भरोसा नही

ह और जब म भल जाता ह तब म जानता ह दक तमन मि चबसरा ददरा

7

रह परीचतभरा उलाहना दखा

रह चसफा भि ही चहममत कर सकता ह रह चशकारत दखी--रह परािाना भरी चशकारत दखी रह

चनभार चनवदन दखा रह समपाण की अचतम पराकाषठा दखी सब छोड़ ददरा --सब परािाना भी समरण भी

साई जब तम मोचह चबसरावत

ह मर माचलक जब तम मि भला दत हो

भचल जात भौजाल-जगत मा

तभी म ससार म उलि जाता ह धरान रखना दोष तमहारा ह मरा नही म तो अबि बचचा अगर खो

जाए मल म तो दोष दकसका ह बचच का दक उसकी मा का दक उसक चपता का

जञानी की रह चहममत नही ह जञानी की अकड़ ह जञानी कहता ह दक अगर म ति भल गरा--तो म भल

गरा समिना जञानी कहता ह म भल गरा ह ति राद करगा खोजगा तपिराा करगा वरत-चनरम-उपवास

साधगा साधना--और एक ददन चसचदध होगी म ही ति राद करगा म ही ति पाऊगा भि कहता ह--न तो

म ति पा सकता न ति राद कर सकता इतना जानता ह दक कभी-कभी जरर त मि राद करता होगा

करोदक अनारास--अनारास --न मालम दकस कोर दकस दकनार स तरी राद मर भीतर आ जाती ह

मि कोई कारण मर भीतर नही ददखाई पड़ता मर भीतर कोई जड़ नही ददखाई पड़ती चजसम स वह

सरचत पदा होती ह लगता ह कही तर तरफ स आती ह

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

तक रहा ह दर स मचजल को म मचजल मि

मरी तो हालत ऐसी ह

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

न आग जा सकता ह न पीछ जा सकता ह--ऐसी मरी ददशा ह चहल-डल भी नही सकता मरी सामरथरा

इतनी छोिी ह एक छोिी बद सागर की तलाश पर चनकल भी तो करा चनकल न मालम दकन मरसिलो म कहा

खो जाएगी बद की सामरथरा करा ह सागर की खोज कर रह तो सागर ही उिाल तो उिाल

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

तक रहा ह दर स मचजल को म मचजल मि

दखता रहता ह िकिकी बाध लदकन फासला ऐसा लगता ह दक अतहीन अनत म पहच सकगा इतनी

रातरा कर दर क तार तक रह मरी सामरथरा नही रह मरा बस नही लदकन दफर भी कभी-कभी त बड़ पास स

सनाई पड़ता ह

राद-जाना भी अजब रह-ााजा णातात ह

सास लता ह तो जननत की हवा आती ह

मग-नाकाम-मोहबबत चमरी तकसीर मआफ

जीसत बन-बन कर चमर हक म कजा आती ह

नही मालम व खद ह दक मोहबबत उनकी

पास ही स काई बताब सदा आती ह

समि मि कछ पड़ता नही तन पकारा रा त खद मर पास स गजर गरा

नही मालम वो खद ह दक मोहबबत उनकी

8

पास ही स कोई बताब सदा आती ह

हदर क चबलकल पास स इतन पास स दक हदर क भीतर स कोई आवाज आती ह भर लती ह मि

आहलगन म ल लती ह मि कोई गध चछिका जाता मि पर कोई गीत बरसा जाता मि पर

राद-जाना भी अजब रह-फजा आती ह

सास लता ह तो जननत की हवा आती ह

मगर कभी-कभी ऐसा होता ह--जरर तर कारण होता होगा मर कारण होता तो सदा कर लता

समिना अगर मर बस म होता तो चौबीस घि कर लता तरी राद भी ह परार तरी राद भी--राद-जाना

भी अजब रह-फजा आती ह

रह भी एक रहसर ह कब आती ह कब नही आती करो आती ह करो नही आती कभी तो चाहता ह

और नही आती और कभी ना-चाह उतर आती ह अनारास भि चदकत होता ह भि सदा आिरा चवमगध

होता कभी ऐसा परसाद बरसता ह उस पर दक रह तो सोच भी नही सकता दक रह मर पररास का पररणाम ह

कोई तालमल नही पररास इतना छोिा ह और परसाद इतना बड़ा ह दक इसम सबध जड़ता नही--कारा-कारण

का सबध नही जड़ता भि की चषटा--ना-कछ बद जसी और भि की उपलचबध--सब कछ महासागर जसी

इसम कछ सबध नही ह कारा-कारण का कछ मन पकारा इसचलए त मि चमल गरा--ऐसी भलभरी बात भि

नही कह सकता

मग-नाकाम-मोहबबत मरी तकसीर मआ

जीसत बन-बन क मर हक म कजा आती ह

मौत भी आती ह तो भी मर हक म जीवन बन जाती ह दख भी आता ह तो मर हक म सख बन जाता

ह कािा भी चभता ह तो न मालम कौन दकस चमतकार स उस फल बना जाता ह भकत क जीवन म दघािनाए

भी सौभागर होन लगती ह इसचलए भि कहता ह र मर दकए नही हो रहा ह सब तरा ह

साई जब तम मोचह चबसरावत

भचल जात भौजाल-जगत मा मोचह नाहह कछ भावत

सब भल-भाल जाता ह समरण ही नही आता परमातमा की सध भी नही उिती सतर का चवचार भी

नहा जगताा ऐस भिक जाता ह जस तिस कोई पहचान ही नही मगर दोष तरा ह रह चहममत भि की ह

रह चहममत तरागी की तपसवी की जञानी की नही ह रह चहममत भि की ह रह चहममत परमी की ह--दक दोष

तरा ह त तो बड़ा ह त तो रहमान ह रहीम ह हम भल भी तो त तो मत छोड़ हम हाि भी छोड़ द तो त तो

हाि पकड़ रख हम अधर म खो भी जाए तो त तो हमारा पीछा कर सकता ह हम तरी तरफ पीि कर ल

लदकन ति कौन रोकता िा दक सामन आकर खड़ा न हो जाए

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

लदकन रह बात तमह तब समि म आएगी जब पहचान होगी जब परसाद बरसगा तब समि म आएगी

रह बात दक अपन पररास की करा सामरथरा करा औकात जस कोई चममच स सागर को खाली करन म लगा हो

ऐस हमार पररास ह और एक ददन सागर खाली हो जाए तो करा तम समिोग दक तमहारी चममच क खाली

करन स खाली हो गरा

जाचन परत पचहचान होत जब

9

रह बात--जगजीवन कहत ह--तम तब समि पाओग जो म कह रहा ह जब पहचान होगी तब तम

पाओग अपना दकरा तो रचमातर िा और जो चमला ह वह अपार ह कोई सबध हमार कतर म और हमारी

उपलचबध म नही ह साधना और चसचदध म कोई सबध नही ह इसचलए भचि कहती हः पररास स नही चमलता

परमातमा परसाद स चमलता ह उसकी ही अनकपा स चमलता ह जब वह तमह चरण म ल लता ह जब

अचानक वह तमह िका लता अपनी शरण म तमहार िकन स तम न िकोग

इस सबध म एक मनोवजञाचनक सतर समि लना उपरोगी होगा

तम जो भी करोग उसस तमहारा अहकार ही बढ़गा जो भी बशता उपवास करोग तो अहकार बढ़गा

रोग साधोग तो अहकार बढ़गा तम जो भी करोग तम ही करोग न तमहार करन स तमहारा कताा पषट होगा

तम अगर अकताा होकर भी बि जाओग तम कहोग--म कछ नही करता तो भी कताा पषट होगा भीतर स तम

कहोग दक दखो म कछ भी नही कर रहा ह म अकताा हो गरा ह लदकन म बनगा

इस म क बाहर जान का उपार करा ह और समसत धमो न कहा हः म क जो बाहर गरा वही

परमातमा म गरा

इस म क बाहर जान की चवचध करा ह दफर करोदक जो भी हम करग उसस म ही मजबत होगा

अचनवारारपण चनरपवाद कछ भी करो अकमा भी करो अदकररा भी साधो शात होकर बि जाओ मौन करो

धरान करो लदकन जो भी तम करोग वह तमहार कतााभाव को मजबत करगा और तमहारा कतााभाव ही तो

अहकार ह तो दफर उपार करा ह

भि कहता ह उस पर छोड़ो उस करन दो तम कहो दक रह रहा म त कर तम परतीकषा करो पररास

नही परतीकषा और परतीकषा का ही नाम ह परािाना परािाना का अिा ह त कछ कर परािाना का सारसतर इतना ही

ह मर दकए सब अनदकरा हो जाता ह म करता ह तो गलत हो जाता ह िीक भी करता ह तो गलत हो जाता

ह दान भी दता ह तो लोभ क कारण दता ह--ऐसी मरी मसीबत ह दरा भी करता ह तो अहकार मजबत होता

ह जो भी म कर उसी म भल हो जाती ह करोदक मरा म पीछ स आ जाता ह म की छारा चवषाि कर

दती ह मर कतर को इसचलए अब म करा कर अब म कस कर सब चवचध-चवधान वयिा ह अब त कछ कर

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

और तब वह अपवा घिना घिती ह अजञात हाि आत ह और िका लत ह एक अजञात दकरण उतरती ह

और अधर को तोड़ जाती ह--जनमो-जनमो क अधर को एक अजञात बाढ़ आती ह और बहा ल जाती ह सब

कड़ा-करकि छोड़ जाती ह चनशछल पचवतर शदध चतनर पीछ

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

और जब तम स पहचान होती ह तब मरी सरचत और तमहारी सरत एक ही बातो क दो नाम ह सरचत

का अिा होता हः मरा समरण मरी समचत तमहारी राददाशत जब तमस पहचान होती ह तब मर भीतर

तमहारी राद और तमहारा चहरा और तमहारी सरत इन म भद नही रहता मरी सरचत तमहारी सरत तमहारी

सरत मरी सरचत

मरी नजर स तरी जसतज क सदक म

र इक जहा ही नही सकड़ो जहा गजर

हजम-जलवा म परवाज-शौक करा कहना

दक जस रह चसतारो क दरमारा गजर

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बस जरा-सात एक िलक और आतमा आकाश म उड़न लगती ह

हजम-जलवा म परवाज-शौक करा कहना

दफर ऐसी चहममत आती दफर ऐसा साहस उिता ह दफर डन फला कर आदमी चाद-तारो क पास उड़ता

ह जो छोिी-मोिी बदचलरो क भी पार नही जा सकता िा वह अनत आकाश को पार कर जाता ह

मरी नजर स मरी जसतज क सदक म

र इक जहा ही नही सकड़ो जहा गजर

तरी आख स आख भर चमल जाए दक एक जहा नही सकड़ो जहा गजर जात ह पलभर म अनत काल

बीत जाता ह एक कषण शाशवत हो जाता ह हजम-जलवा म और तर उस परसाद म तर उस रहसरपणा अनगरह

म परवाज-शौक करा कहना ऐसी चहममत ऐसा साहस इस ना-कछ म उिता ह दक बद सागर होन का रस

लन लगती ह ऐस पख फलत ह--

दक जस रह चसतारो क दरमारा गजर--

दफर कछ हचता नही रह जाती

दफकर-मचजल ह न होश-जादा-ए-मचजल मि

जा रहा ह चजस तरफ ल जा रहा ह ददल मि

दफर कोई हचता नही दक मचजल कहा ह कोई दफकर नही तरी आख स आख चमली दक मचजल चमली

दफकर मचजल ह न अब कछ हचता नही दक कहा ह मचजल कहा ह गतवय--और न इस बात की हचता ह दक म

िीक रासत पर चल रहा ह दक नही रह मज की बात समिना रह गहरी बात पकड़ना

दफकर-मचजल ह न होश-जादा-ए-मचजल मि

अब कौन दफजल की बकवास म पड़ दक िीक चल रहा ह दक गलत चल रहा ह दक िीक ददशा म चल

रहा ह दक गलत ददशा म चल रहा ह एक बार उसकी नजर नजर म पड़ी

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

एक बार उसकी नजर नजर म पड़ी एक बार पहचान हई दफर सभी ददशाए उसी स भरी ह और सभी

रासत उसी क ह दफर ससार ही चनवााण ह दफर दह ही आतमा ह दफर तम जहा हो वहा िीक हो तम जस

हो वस ही िीक हो दफर दभाागर नही ह दफर सौभागर ही सौभागर ह

जा रहा ह चजस तरफ ल जा रहा ह ददल मि

बस दफर तमह पता चला--सराग चमला हदर का

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

उस बचार को करा कह हम उस पर दरा आती ह जो सोचता ह दक--जो कोई चह दक करौ बदगी दक

म परािाना करगा दक म बदगी करगा वह बचारा दरा का पातर ह बदगी परमातमा करवाएगा तो होगी

परमातमा आएगा और िकाएगा तो

पराचीन शासतर कहत ह जब चशषर तरार होता ह गर उपचसित हो जाता ह जब भि तरार होता ह

परमातमा आकर उस घर लता ह

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और भी एक अनिा सतर सफी फकीरो क पास ह व कहत हाः जब तमहार मन म परमातमा की तलाश

उि जब तम परमातमा को खोजन की आकाकषा स भरो तो समि लना दक उसन तमह चन चलरा ह नही तो

रह परास ही न उिती जब तम तरार हो जाओ तो उसका अिा कवल इतना ही हआ दक उसन तमह तरार

दकरा ह रही जगजीवन कह रह ह

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

उस बचार को हम करा कर दरा का पातर ह बदगी कभी दकसी न की ह परािाना कभी दकसी न की ह

परािाना हो जाती ह की नही जाती कतर नही ह पररास नही ह परािाना चवचध नही ह जस परम हो जाता ह

ऐस ही परािाना हो जाती ह

चाहत खचच सरन ही राखत

उसकी मजी पर सब ह चाहत खचच सरन ही राखत वह चाहता ह तो खीच कर अपन चरणो म रख

लता ह लाख भागो भाग नही पात लाख दर जाओ और दर नही जा पात कहा जाओग सब जगह वही ह

चाहत खचच सरन ही राखत चाहत दरर बहावत

और अगर चाहता ह तो बह जान दता ह दर बह जान दता ह

ददल न सीन म तड़प कर उनह जब राद दकरा

दरो-दीवार को आमादा-ए-फररराद दकरा

वसल स शाद दकरा चहजर स नाशाद दकरा

उसन चजस तरह स चाहा मि बरबाद दकरा

हमको दख ओ गम-फका त क न सनन वाल

इस बर हाल म भी हमन ति राद दकरा

और करा चाचहए समाारा-ए-तसकी ऐ दोसत

इक नजर ददल की तरफ दख चलरा शाद दकरा

शरह-नरगी-ए-असबाब कहा तक कीज

मख़तसर र दक हम आपन बरबाद दकरा

मौत इक दाम-चगरफतारी-ए-ताजा ह चजगर

र न समिो दक गम-इशक न आजाद दकरा

भि तो कहता हः आबाद करो तो तम बरबाद करो तो तम सारी चजममवारी तमहारी भि अपना

सारा उततरदाचरतव परमातमा पर छोड़ दता ह रही समपाण ह

शरह-नरगी-ए-असबाब कहा तक कीज

मखतसर र दक हम आपन बरबाद दकरा

और करा चाचहए समाारा-ए-तसकी ऐ दोसत

इक नजर ददल की तरफ दख चलरा शाद दकरा

जब चाहा और एक नजर हमार ददल की तरफ दखा तब शाद दकरा तब उतसव बरस गरा तब आनद

क फल चखल गए तब वसत आ गरा और जब नजर फर ली तब बरबादी छा गई पतिड़ हो गरा अधरी

रात उतर आई

वसल स शाद दकरा चहजर स नाशाद दकरा

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कभी चमला चलरा अपन म--और खब मसत दकरा और कभी दर कर ददरा अपन स चवरह म तड़पारा

और बड़ी अधरी रात दी उसन चजस तरह स चाहा मि बरबाद दकरा भि कहता ह दक बरबादी --तो

तमहार हाि पाता ह और आबादी --तो तमहार हाि पाता ह एक बात तर ह दक म नही ह और तम हो

लदकन चजस ददन कोई इतनी सरलता स कह दता ह दक म नही ह तम हो उसी ददन जीवन रपातररत हो

जाता ह उसी ददन स तमहार जीवन म एक नरा सतरपात होता ह एक नई दकरण उतरती ह--एक नरा परभात

एक सरोदर

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

कह रह ह दक रह भी जो म कह रहा ह रह भी मरा अजञान ही ह करोदक तम तो जानत ही हो तमस

कहना करा अजान ह अजञान ह नही तो रह भी करा कहना ह

जगजीवन पर करत हौ दरा तचहत नहह चबसरावत

और रह भी तमहारी जो म चचाा कर रहा ह रह भी तमहारी कपा ह तमन मि नही चबसरारा इसचलए

तमहारी राद चल रही ह इसचलए तमहारी राद कात धारा बह रही ह इसचलए नहा रहा ह इस गगा म

इसचलए तमहारी चचाा कर रहा ह रह चचाा भी तमही करवा रह हो नही तो म अजञानी म अजान म करा

कहगा

जगजीवन क पास सकड़ो लोग इकटठ हो गए ि--दीवान परमी भि वह रह कह रह ह दक इनस जो म

कह रहा ह वह वही जो तम मिस कहलवा रह हो रह म नही कह रहा ह रह तम कह रह हो गलती हो तो

तमहारी िीक हो तो तम जानो ऐस परण समपाण का नाम भचि ह

तम चौकोग रह बात जान कर दक िीक-िीक परमातमा को सौप दना बहत आसान ह करोदक उसम भी

अहकार होता ह ऐस वचन ह शासतरो म दक जो कछ िीक वह तरा और जो कछ गलत वह मरा मगर सोचना

इसम भाचत ह इसका मतलब रह हआ दक अभी इतना अहकार कारम ह िीक तरा दक दख जरा दख मरी

दररराददली दख दक सब िीक ति दता ह दक सब िीक तरा--और गलत-गलत मरा जरा दख मरी चहममत

दख मरी कबत दख रह मरा तराग दख दक गलत अपन ऊपर ल रहा ह मरा रह चवनमर भाव दख मरी

सदाशरता दख कोई छोिा-मोिा ददल नही ह मर पास

आमतौर स आदमी उलिा करता ह िीक-िीक अपन पास रखता ह गलत-गलत परमातमा पर छोड़ दता

ह जब तम सफल होत हो तब तम कहत हो--मन सफलता पाई और जब तम हार जात हो तम कहत हो--

भागर भगवान पररचसिचत बस म न िी

अहकार दसरा रप भी ल लता ह वह और भी सकषम ह वह कहता ह दख बरा म ल लता ह अपन चसर

सब भला तरा सब बरा मरा मगर अभी म बचा रह कराचत नही हई रह अहकार न नरा रग चलरा नरा

ढग चलरा नई शली सीखी रह अहकार न चवनमरता क वसतर ओढ़ सावधान अहकार बड़ा सकषम ह उसकी

चालबाचजरा बड़ी गहरी ह वह साध बन जाता ह महातमा बन जाता ह वह बड़ा उदार बन जाता ह अहकार

कोई भी वश रख लता ह अहकार सभी वशो म अपन को समा लता ह अहकार बहरचपरा ह शतान बन जाता

ह साध बन जाता ह पापी बन जाता ह पणरातमा बन जाता ह

असली भि कछ और कहता ह वह कहता हः बरबाद तो तन दकरा आबाद तो तन दकरा सही तन

दकरा गलत तन दकरा करन वाला ही त ह तो अपनी गलती भी भगवान क चरणो म जो रख दता ह जो

सब समरपात कर दता ह

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तमन कहानी सनी

पराचीन कहानी ह एक भि सतरी की वह कषण की भि िी सब चढ़ा दती िी गाव म खबर फल गई दक

वह सब कषण को चढ़ा दती ह बरा-भला भी चढ़ा दती ह जो कछ ह सब चढ़ा दती ह करोध आता ह उसको

तो वह कहती ह--समहाल रह ति चढ़ारा गाली चनकल जाती ह उसक मह स तो कह दती ह--कषण को

समपाण रह अजीब औरत ह रह पागल ह गाली और कषण को समपाण

और एक ददन तो हदद हो गई वह रातरा को गई िी जब लौि कर आई तो घर म खब कड़ा-करकि इकटठा

हो गरा िा--कई ददन तक सफाई नही हई िी उसन सब साफ दकरा सब कड़ा-करकि इकटठा दकरा और जाकर

कषण की मरता क पास सब समरपात कर ददराः समपाण ह जो ह तरा ह बरा तो तरा भला तो तरा रह

समगरता दखो

और कहत ह वह जो कचरा उसन फका िा वह बकि म कषण क ऊपर चगरा जरर चगरा होगा इतन

परार स फका गरा हो इतन समपाण स फका गरा हो--और तमहार फल भी नही पहचत उसका कचरा भी

पहचा और जब उनक सवणा-हसहासन पर कचरा चगरन लगा तो वह हस और जब दवताओ न पछा रह

माजरा करा ह रह कचरा कहा स आ रहा ह रह कौन आप पर कचरा फक रहा ह रह दकसकी सामरथरा

कषण न कहा वह बदढ़रा जो गाचलरा फकती ह वह सभी कछ दती ह अब जब उसस अचछा-अचछा चलरा ह

तो अब बरा-बरा ि कहत मिस भी नही बनता फल भी चढ़ाती ह कचरा भी फकती ह--जब सभी द ददरा तो

म भी सभी लता ह और जब कोई सभी दता ह तभी म सभी लता ह जो बचा-बचा कर दता ह उसका कछ

भी नही चलरा जा सकता

शता स नही ददरा जाता बशता ददरा जाता ह

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

जगजीवन पर करत हो दरा तचहत नहह चबसरावत

बहतक दखादखी करही

मगर खराल रखना ऐसा सन कर दखादखी मत करन लगना दक फल तो अभी चढ़ाए ही नही और कचरा

चढ़ा ददरा दखादखी मत करन लगना धमा को सबस बड़ी बाधा अधमा क कारण नही ह दखादखी क कारण

ह धमा क मागा पर सबस बड़ी अड़चन दखादखी क कारण ह लोग मददर जा रह ह तम भी चल दखादखी

चल बस वयिा हो गरा जाना नकल हो गई तमहार हदर का आचवभााव न हआ तम काबानकापी हो गए

परमातमा तक चसफा मल परचतरा पहचती ह काबानकाचपरा नही धमा क जगत म सबस महतवपणा बात राद

रखन जसी अगर कोई ह तो रह--दखादखी मत करना करोदक दखादखी का मतलब होता ह ऊपर-ऊपर

ऊपर-ऊपर रग-रोगन कर चलरा भीतर-भीतर जस ि वस रह आचरण भी समहाल चलरा चररतर भी बना

चलरा एक जीवन-शली रच ली पजा भी की पाि भी दकरा परािाना भी की--सब दखादखी सब ऊपर-ऊपर

और भीतर जस ि वस क वस रह दखादखी पराणो तक नही जा सकती नकल असल नही हो सकती नकल

असल जसी ददखती ह इसचलए धोखा द सकती ह

इसचलए दचनरा म असली खतरा धमा को नाचसतक स नही ह--नाचसतक तो कम स कम साफ ह दक

नाचसतक ह बात खतम हो गई न कोई परमातमा ह न मि खोजना ह ह ही नही तो खोजना करा ह कम स

कम ईमानदार ह बईमान ह तमहार तिाकचित आचसतक भरोसा भी नही ह परमातमा पर खोज भी चल जात

ह दकस धोखा द रह हो रह कसी आतमवचना ह परािाना करत हो और भीतर कोई शरदधा भी नही ह कर रह

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हो तब भी तम जानत हो दक कछ होना नही ह मगर चलो दख लो करक शारद शारद मौजद ह तो परािाना

नही हो सकती तम जानत हो भलीभाचत दक पहल भी परािाना नही सनी गई ह रह भी नही सनी जाएगी पर

हजाा करा ह

मर एक चशकषक मरणशयरा पर ि म उनह दखन गरा व जीवन भर नाचसतक ि मन उनह राम-राम

जपत दखा ओि स राम-राम राम-राम कर रह ह मन उनह चहलारा मन कहा रह करा कर रह ह परी

हजदगी पर पानी फर द रह ह नाचसतकता का करा हआ उनहोन कहा--छोड़ो जी नाचसतकता की बात अब

मरत वि कौन जान परमातमा हो ही अब मरत वि रह बात मत उिाओ राम-राम कर लन म हजा करा ह

वस ही चबसतर पर पड़ा ह कोई काम दसरा ह भी नही हआ तो िीक ह न हआ तो िीक ह न हआ तो अपना

कछ चबगड़ न गरा वस ही चबसतर पर पड़ ि और अगर हआ तो कहन की बात रह जाएगी दक दख आचखरी

वि राद दकरा िा

मगर रह आचसतकता ह रह राद राद ह रह राद पहचगी उस बदढ़रा का कचरा भी पहच गरा िा

रह राद भी नही पहचगी रह राद र ही घि कर मर जाएगी रह कि क बाहर ही न चनकलगी इसम पख हो

ही नही सकत इसम पराण ही नही ह तो पख कस होग रह आकाश की रातरा पर नही जा सकती रह आदमी

दकसको धोखा द रहा ह अपन को ही धोखा द रहा ह

बहतक दखादखी करही

और इस जगत म धमा क नाम पर बहत स लोग दखादखी ही कर रह ह तमहार मा-बाप मददर जात ि

तो तम भी मददर जान लग व तमह मददर ल गए बचपन स आदत बन गई आदत स कही धमा हआ आदत

और धमा लोग सोचत ह दक कछ आदत अचछी होती ह कछ आदत बरी होती ह म तमस कहता हाः आदत

मातर बरी होती ह अचछी आदत जसी चीज होती ही नही आदत का मतलब होता ह राचतरक अचछाई राचतरक

नही होती सहजसफता होती ह

अचछाई आदत स नही होती दकसी न गाली दी और तम आदत की वजह स करोचधत न हए रह कोई

अचछाई न हई करोध तो भीतर आ ही गरा आदत िी परानी अभरास िा समहाल गए--गिक गए दबा चलरा

कि क नीच ऊपर मसकराहि जारी रखी हसत रह मगर करोध तो हो ही गरा तमन परकि नही दकरा इसम

करा फका पड़ता ह घिना तो घि ही गई तमहार पराण तो दचषत हो ही गए धआ तो उि ही गरा आग तो लग

ही गई जहर तो फल ही गरा इतना ही हआ दक बाहर न आरा तमहार भीतर ही रहा दसर वयचि को िोड़ा

लाभ चमला लदकन तमह कछ लाभ नही हआ आदत--अचछी आदत चजनको हम कहत ह सामाचजक वयवसिाए

ह उनस समाज क जीवन म िोड़ी सचवधा होती ह

जस इचजन म तल डालत ह न तो तल क कारण इचजन क कल-पज जलदी नही चघसत ऐस ही अचछी

आदत वयचिरो क बीच म तल का काम करती ह जलदी चघसन नही दती जलदी िगड़ा खड़ा नही होता आदत

बना ली दक जब भी कोई रासत पर चमला जररामजी रह तल ह इसस रासता बना रहता ह इसस िगड़ा-

िासा जरादा खड़ा नही होता हालादक न तमह मतलब ह जरराम जी स न उनह मतलब ह जररामजी स राह

पर कोई चमला पछ चलरा--कचहए कस ह न तमह मतलब ह और इसीचलए कभी-कभी कोई ऐसा नासमि भी

हो जाता ह दक तमन पछा कचहए कस ह वह रोक कर सारी किा बतान लगता ह दक कसा ह तब तम

घबड़ात हो दक भई हमारा रह मतलब नही िा मगर अब अचछ फस रह तो पछ कर फस गए वह बतान

लगा अपनी सारी कहानी दक पतनी बीमार ह और बि की नौकरी नही लग रही ह--अब तमन पछा नही कोई

15

इसचलए तो पछता भी नही दक कचहए कस ह रह तो चसफा बीच का तल ह इसस हजदगी चघसिती-चपसिती

चलती रहती ह अचछी आदत लबरीक ि ह उसस जरादा नही

आदत कोई अचछी नही होती अचछा आदमी आदतो स मि होता ह वह परचतपल जीता ह अचछा

आदमी सवभाव स जीता ह बरा आदमी आदत स जीता ह अचछा आदमी जरराम जी करता ह सवभाव स

तमह दख कर राम की राद आती ह आनी चाचहए करोदक परतरक वयचि उसी की परचतमा ह तमह दख कर राम

की सध आ जाती ह एक जीवत वयचि पास स चनकल जीवन का एक िोका चनकल जाए पास स और तमह

राम की राद न आए--तम मदाा हो सहजसफता जरराम जी उि आदत स नही तब शभ का जनम होता ह

लदकन तमन तो जीवन बना रखा ह वह आदत का जीवन ह लोग माला भी फर लत ह आदत स दकान

पर बि रहत ह गराहक भी चलात रहत ह नजर भी रख रहत ह--कोई सामान चोरी नही ल जा रहा ह कतता

भीतर तो नही घस गरा मनीम कछ पस तो नही नदारद कर रहा ह तौलन वाला दाडी मार रहा ह दक नही

मार रहा ह--सब चल रहा ह और माला भी चल रही ह और राम-राम का जप भी चल रहा ह रह आदत ह

आदत स कोई धारमाक नही होता

लदकन हमन दचनरा म रह धोखा खड़ा कर चलरा ह इसचलए दचनरा म दो तरह क लोग ह एक

ईमानदार नाचसतक और एक बईमान नाचसतक बईमान नाचसतको को लोग आचसतक समित ह आचसतक तो

सच म कभी-कभार होता ह कभी कोई एकाध लाखो म आचसतक होता ह बाकी तो सब िि आचसतक ह

बहतक दखादखी करही

ऐ हसन-रार शमा र करा इदकलाब ह

तिस जरादा ददा चतरा कामराब ह

आचशक की बददली का तगाफल नही जवाब

उसका बस एक जोश-मोहबबत जवाब ह

म इशक-बचनराज ह तम हसन-बपनाह

मरा जवाब ह न तमहारा जवाब ह

मखाना ह उसी का र दचनरा उसी की ह

चजस चतशना-लब क हाि म जाम-शराब ह

ऐ मोहतचसब न फक चमर मोहतचसब न फक

जाचलम शराब ह अर जाचलम शराब ह

अपन हदद स न बढ़ कोई इशक म

जो जराा चजस जगह ह वही आफताब ह

मरी चनगाह-शौक भी कछ कम नही मगर

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दफर भी चतरा शबाब तरा ही शबाब ह

समाारा-ए-दफराक चजगर आह कछ न पछ

इक जान ह सो अपन चलए खद अजाब ह

हाि म पराली हो भरी परम की परािाना की उसकी राद की और तम पीरो तो आचसतकता

मखाना ह उसी का र दचनरा उसी की ह

चजस चतशना-लब क हाि म जाम-शराब ह

लदकन शराब की बातो स िोड़ ही कोई बहोश हो जाता ह शराब चाचहए और लोग शराब की बातो स

ही बहोश हो रह ह दकसको धोखा द रह हो लोग डोल रह ह शराब की बातो स बातो स कही कोई डोला

तम अपन को ही वचना द रह हो इतना ससता नही ह मामला दखादखी छोड़ो बहतक दखादखी करही

जोग जचि कछ आव नाही

न तो चमलन का राज पता ह दक कस उसस चमल न चमलन की कोई चवचध-कला पता ह दक कस उसस

चमल

अत भमा मह परही

अत म बहत पछताओग हजदगी भर का धोखा अत म िि जाएगा मौत आएगी और चगरा दगी सार

ताश क महल और डबा दगी सारी कागज की नाव और तब तम चौकोग तब तम तड़फोग लदकन तब दकए

कछ भी न हो सकगा बहत दर हो गई अब पछताए होत का चचचड़रा चग गई खत

और हजदगी भर दखादखी म पड़ रह लोग उधार जी रह ह बास जी रह ह रामारण रि ली ह तोतो की

भाचत हाि म शराब का पराला नही ह--हाि म राम का पराला नही ह गीता किसि कर ली ह रतर की भाचत

गरामोफोन क ररकाडा हो गए ह दोहराए चल जा रह ह तम सोचत हो दक गरामोफोन क ररकाडा चजनम भजन

भर ह मोकष पहच जाएग बकि पहच जाएग तो तम कस पहच जाओग भजन जगना चाचहए--जीवत एक

लपि की भाचत जो तमहार अहकार को राख कर जाए जलो भजन म तभी नरा जनम होता ह

जोग जचि कछ आव नाही अत भमा मह परही

अत म बहत पछताना होगा करोदक अत म पता चलगा दक हजदगी र ही गई वयिा गई चहसाब-दकताब

लगान म चली गई न हाि कछ आरा न हाि कछ लगा खाली चहसाब लगात रह

बदध कहत ि एक आदमी अपन घर क सामन बिकर रोज घर क सामन स चनकलती हई गार-भसो को

चगनता रहता िा गाव भर की गार-भस चरन जाती नदी क पास वह बिा चगनता रहता साि को भी बिा

चगनता दक चजतनी गई िी उतनी वाचपस लौिी दक नही बदध न कहा म उस दखता मन उसस पछा मर भाई

दसरो की गार-भस चगनन स ति सार करा ह दकतनी गई दकतनी आ गई--तरी तो इसम एक भी नही ह

ऐसा ही बदध कहत म तमस कहता ह दक कब तक तम वद चगनत रहोग करान चगनत रहोग कब तक तम

शासतरो क शबद दोहरात रहोग इनम एक भी तमहारा अपना नही ह चनज का नही ह एकाध तो अनभव

तमहारा चनज का हो जान दो उस पर ही चभचतत खड़ी होती ह जीवन का मददर उसी पर चनरमात होता ह

ग भरहाइ असतचत जइ कीनहा मनहह समचि ना परई

मगर तम भल जात हो लोगो की सतचतरा लोग कहत ह--आह कसा जञान आपका पचडत जी

धनरभागी आप लोग सतचत कर जात ह लोग कहत ह दक वाह पर उपचनषद किसि ह आपको वद राद ह

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आपको परसा हो गए तम फल नही समात ग भरहाइ खब फल जात हो सतचत स मनचह समचि ना

परई इतनी सी बात तमह समि म नही आती दक इसम तमहारा कछ भी नही ह दोहरात रहो वद करा

होगा वद का जनम होना चाचहए तमहार पराणो म बाहर स भीतर की तरफ नही जाता वद भीतर स बाहर

की तरफ आता ह

फका ऐसा ही ह जस हम एक सीमि की हौज बना लत ह उसम पानी भर दत ह--बाहर स मगर हौज म

और कए म कछ फका ह रा नही कए म पानी भीतर स आता ह उसम स हम पानी चनकालत जात ह और

पानी आता चला जाता ह कए क सबध जड़ ह सागर स दर िरनो स उसक बड़ सरोतो का जाल फला ह

गरीब नही ह कआ चजतना ददखता ह उतना ही नही ह कए म बहत ह अदशर चछपा ह तम चनकालत जाओ

और कआ भरता चला जाता ह--और नरा ताजा जल आता चला जाता ह लदकन हौज भरी तो कए जस ही

ददखाई पड़ती ह मगर चनकालो पानी तो पता चल जाएगा दक हौज ह नरा कछ नही आता और हौज जरादा

ददन भरी रह तो जो भर ददरा िा पानी--जब भरा िा ताजा िा जब चनकालोग तो गदा हो चका होगा मदाा

हो चका होगा पानी बहता रह तो ताजा होता ह भर जाए तो मर जाता ह

पचडत म जञान बाहर स भरा जाता ह--पचडत हौज ह जञानी कआ ह उसम भीतर स आचवभात होता ह

उसक पास िरन ह वह परमातमा स जड़ा ह मगर ििी सतचत बड़ा रस द दती ह लोगो को जरा दख लना दक

दकसकी सतचत स परसनन हो रह हो न उनह कछ पता ह न तमह कछ पता ह अध अधो की सतचत कर रह ह

कछ समिो ऐस नही चलगा इस तरह कभी नही चला

काम आरर जजबा-ए-बइचखतरार आ ही गरा

ददल कछ इस सरत स तड़पा उनको परार आ ही गरा

जब चनगाह उि गगई अललाह री म राज-शौक

दखता करा ह वो जान-इचतजार आ ही गरा

हार र हसन-तसववर का फरब-रगो-ब

मन समिा जस वो जान-बहार आ ही गरा

हा सजा द ऐ खदा-ए-इशक ऐ तौफीक-गम

दफर जबान-बअदब पर चजकर-रार आ ही गरा

इस तरह खश ह दकसी क वादा-ए-फदाा प म

दर हकीकत जस मिको एचतबार आ ही गरा

हाए कादफर ददल की र कादफर जन-अगचजरा

तमको परार आए न आए मिको परार आ ही गरा

जान ही द दी चजगर न आज पाए-रार पर

18

उमर-भर की बकरारी को करार आ ही गरा

जब तक तम सच म ही न िकोग उसक चरण पर--

जान ही द दी चजगर न आज पाए-रार पर

आज परमी क पर पर पराण द ददए--

उमर-भर की बाारारी को करार आ ही गरा

तभी जीवन भर की अशाचत चमिती ह और शाचत क मघ चघरत और बरसत ह तभी जीवन का अधकार

चमिता ह और सबह होती ह

काम आचखर जजबा-ए-बइचसख़तरार आ ही गरा

लदकन भावनाए चाचहए उबलती हई परािानाए चाचहए नाचती हई

काम आचखर जजबा-ए-बइचखतरार आ ही गरा

असीम आकाकषा चाचहए अभीपसा चाचहए

ददल कछ इस सरत स तड़पा उनको परार आ ही गरा

तड़पो लदकन बहत ह जो तड़पना ही नही जानत बहत ह जो चबना तड़प ही मान लत ह व ििो म पड़

जात ह व भाचतरो म उलि जात ह व अपन ही मन क सपनो म भिक जात ह

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

न तो रहना आता न परमातमा को गहना आता ह--न उस गरहण करन की कषमता ह न उस जीन की

कषमता ह--न परमातमा को अपन भीतर परचवषट होन दत हो--डर हो सब तरफ स दवार-दरवाज बद करक बि हो

न सरज की दकरण घस सक न हवा आ सक न वषाा आ सक--सब तरफ स दवार-दरवाज बद दकए बि हो जरा

भी जगह खाली नही छोड़ी ह खली नही छोड़ी ह ऐस डर हो कबर बना ली ह अपन चारो तरफ खला करो

अपन को आन दो उसकी रोशनी आन दो उसकी वषाा आन दो उसका पवन बहन दो उस तमहार भीतर

रहनी गहनी आव नाही

न तो तम गहन करत हो उस--तो रहोग कस उस जीओग कस आन दो उस भीतर दफर तमहारा

जीवन उसी स आपररत हो जाएगा लदकन शबदो म खब उलि गए हो इतन उलि गए हो दक शबदो क पीछ

बड़ा लड़ाई-िगड़ा कर रह हो जरा करान क चखलाफ बोल दो मसलमान आ गरा लकर लटठ इस करा पता ह

करान का जरा वद क चखलाफ बोल दो चल आरासमाजी आ गए िगड़ा करन जस उनह पता ह दक वद म

करा ह अपन भीतर करा ह उसका जब तक पता न हो तब तक न वद का पता होता ह न करान का पता

होता ह

सब वदो की वद सब दकताबो की दकताब भीतर ह पहल उस पढ़ो उस पढ़ चलरा तो सब शासतर पढ़

चलए उस चबना पढ़ तमन जो भी पढ़ा ह सब कड़ा-करकि ह बोि ह भार ह मचि का मागा नही ह बधन का

उपार ह उसस तम अपनी जजीर गढ़ सकत हो और सदर जजीरो को तम चाहो तो आभषण भी मान सकत

हो मगर तम कारागह म बद रहोग

जगजीवन कहत ह शबदो पर लोग लड़न को तरार ह शबदो पर ही लड़त रह ह बदध महावीर और

कषण और कराइसि का िोड़ ही कोई िगड़ा ह--कसा िगड़ा--लदकन लोगो का िगड़ा चल रहा ह ईसाई

मसलमानो को काित रह मसलमान ईसाइरो को काित रह हहदओ न बौदधो को जला ददरा--रह चलता रहा

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मददर जलाए जात रह मचसजद उखाड़ी जाती रही शासतर चमिाए जात रह मरतारा तोड़ी जाती रही--र कौन

लोग ह जो शबदो पर लड़ रह ह शबद का इतना मलर नही ह असली मलर ह रहनी-गहनी का

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

और अगर ऐस लोगो स तम रह भी कहो दक भाई कछ रहो कछ चजओ कछ गरहण करो तो भी लड़न

को तरार हो जात ह व कहत ह--तमन हम समिा करा ह हम कोई अजञानी ह जरा-जरा सी बात पर लोग

लड़न को तरार हो जात ह

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

कछ तो लोग कहत ह और कछ करत ह उनका कहना एक ह और कहना चबलकल चवपरीत ह और उनह

जरा भी होश नही ह दक दकस तरह स जी रह हो रह कसा धोखा रह कसा अपन को खडो म काि चलरा ह

वही कहो जो जीत हो वही जीओ जो कहत हो एकरस बनो करोदक जो एकरस होगा वही उस परम रस

को पा सकगा जो एक होगा वही उस एक को पा सकगा उस एक को पान क चलए कम स कम इतनी भीतर

तो तरारी करो दक एक हो जाओ

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

सचि-बचि कछ आव नाही भजन न एकौ सरई

तमन दकतनी परािानाए की ह कोई परािाना फली तमन दकतन भजन दकए ह कोई फल लग तम

दकतनी बार मददर म िक रोशनी बरसी सब करत रह और कछ भी तो हआ नही--दफर भी तमह समि नही

आती दक करन म कही चक हो रही ह सचि बचि कछ आव नाही तमह इतनी सि-बि भी नही दकतन दफा

तम चसर पिक आए हो मददर की दहलीज पर--पारा करा ह उपलचबध करा ह जस क तस ऐस कब तक

समर को गवाए चल जाओग

कहा हमार जो मान कोई जगजीवन कहत ह सनो गनो मान लो हमारी करोदक हम जीकर कह रह

ह करोदक हम वद स नही कह रह ह रह वद हमार भीतर जनमा ह उसस कह रह ह

मन सना ह एक रहदी फकीर बोलता िा अपन अनभव की बोलता िा लदकन अनभव की बात जरा

बबि होती ह उसक सनन वाल जो आत ि चसनागाग म उनको उसकी कछ बात जचती नही िी बबि

लगती िी अतकरा लगती िी कछ तारतमर नही बिता लगता िा कछ सगचत नही मालम पड़ती िी तो एक

ददन उनहोन कहा दक हम आपको सनन आत ह हमशा लदकन कछ समि म नही आता कछ ऐसा कहो दक

हमारी समि म पड़ उसन कहा अगली बार अगली बार वह फकीर खड़ा हआ पहल उसन अपना बारा हाि

ऊपर उिारा और दो अगचलरा लोगो को ददखाई लोगो न बड़ गौर स दखा ऐस उसन कभी दकरा नही िा

दफर बोलना शर दकरा धारापरवाह लोगो को मसत कर ददरा ऐसा बोला जसा कभी नही बोला िा और जब

बोलना खतम दकरा तो ताचलरो की गड़गड़ाहि स चसनागॉग गज गरा तब उसन अपना दसरा हाि उिारा और

दो अगचलरा ऊपर उिाई

जब वह उतरा मच स तो लोगो न उस घर चलरा दक और सब तो समि म आरा मगर रह राज करा

पहल बाए हाि की दो अगचलरा उिाई दफर दाए हाि की उसन कहा र उदधरण-चचहल कोिशन माकसा रह

अपना नही िा रह सब उधार िा इसचलए तमह जचा अर मढ़ो र सब दकताब की चलखी कही र उदधरण

चचहल ि इनक बीच म जो भी कहा अपना िा ही नही सब कचरा िा इसीचलए तमह जचा तम कचर क

आदी हो गए हो म अपनी गनी कहता ह तमह जचती नही करोदक जब सीध-सीध अनभव स कछ आता ह तो

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समिन क चलए पातरता चाचहए जब सीधा-सीधा अनभव बरसता ह ताजा और गरम तो चहममत चाचहए

अपन को खोलन की और जब सीधा-सीधा कछ आता ह तो न तो हहद होता न मसलमान होता न रहदी

होता वह फकीर इतन ददन स बोलता िा और दकसी की समि म नही आता िा उस ददन समि म आरा

करोदक उस ददन वह वही बोला जो रहदी दकताबो म चलखा ह कचरा उधार बासा

तम भी जब कोई गीता सनान लगता ह एकदम चसर चहलान लगत हो वह चसर तम आदत क वश चहला

रह हो शारद तमह िीक-िीक पता भी न हो दक करो चहला रह हो और लोग चहला रह ह शारद इसचलए

चहला रह हो बहतक दखा-दखी करही रा रह सोच कर दक जब सब चहला रह ह अपन न चहलाओ जरा

िीक नही मालम होता

माका टवन फास गरा माका टवन अमरीका का बड़ा लखक िा फास म उसक बि का बिा पढ़ता िा

उसक सवागत का समारोह हआ माका टवन आरा िा तो पररस म बड़ा समारोह हआ उस फासीसी भाषा नही

आती िी मगर उसका जो बारह-तरह साल का नाती िा उसको आती िी माका टवन न होचशरारी की उसन

कहा दक म इसको दखता रहगा इसक अनसार चलता रहगा--दकसी को पता भी नही चलगा तो जब उसका

बिा ताली बजाए तो वह भी ताली बजाए जब उसका बिा हस तो वह भी हस आचखर म वह बड़ा परसनन िा

दक दकसी को पता भी नही चल पारा दक मि फासीसी भाषा नही आती जब लौिन लग तो बि न कहा--दादा

जी आपन मरी तक बड़ी फजीहत करवाई फजीहत उसन कहा--हा करोदक जब व आपकी तारीफ करत ि

तब म ताली बजाता िा--और आप भी ताली बजान लगत ि लोग बड़ चौकत ि मरा ताली बजाना िीक

लोगो का ताली बजाना िीक आप तो कम स कम सरम रखत आप करो ताली बजात ि उनहोन कहा--हद हो

गई म तो ति ही दख कर चल रहा िा मन तो रही सोच चलरा िा दक त जो करगा वही करगा करोदक मि

भाषा आती नही

अकसर लोग वही कर रह ह जो दसर कर रह ह करोदक जीवन की भाषा उनह नही आती और जीवन की

भाषा ही परमातमा की भाषा ह और उसकी पािशाला तमहार भीतर ह

कहा हमार जो मान कोई चसदध सतत चचत धरई

अगर कोई हमारी बात मान ल तो सतर दर नही ह चचतत म ही चछपा ह चसचदध भी दर नही ह तमहारा

जनमचसदध अचधकार ह तमहारा सवरपचसदध अचधकार ह

जगजीवन जो कहा न मान भार जासए सो परई

उसकी मजी भाड़ म पड़गा

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

गीत उिन दो अपना उिन दो वाणी अपनी चखलन दो फल अपन उधार मत खरीद लाओ बाजार स ल

आ सकत हो पलाचसिक क फल चमलत ह बाजार म लिका द सकत हो वकषो म--शारद पड़ोचसरो को धोखा भी

हो जाए

मलला नसरददीन मर करीब कछ ददन रहा पड़ोस म ही उसका मकान िा रोज म उसको दखता म

िोड़ा हरान होता उसन अपनी चखड़की पर एक गमला लिका रखा िा उसम फल-पचततरा दर स बड़ परार

लगत ि म रोज उसको दखता दक वह उसम लोि स पानी डाल रहा ह लदकन पानी उसम स लोि म स कभी

चगरता ही नही खाली लोिा एक ददन मन उसस पछा दक नसरददीन चमतकार कर रह हो तम कई दफ म दख

चका कभी पानी तमहार लोि म स चगरता नही ह उसन कहा फल ही र कौन सचच ह पलाचसिक का ह मगर

21

मोहलल क लोगो को धोखा दन क चलए दक पलाचसिक का नही ह म पानी ददखान का भी ढोग करता ह रोज

सबह दक पानी डालता ह नही तो लोग समिग पानी तो कभी डालता ही नही तो फल नकली होग फल ही

कौन असली ह जो असली पानी डालो फल भी नकली ह पानी भी नकली ह

ऐसी तमहारी हजदगी ह--फल भी नकली ह पानी भी नकली ह दफर तम आनददत होना चाहत हो

आनद नकल स सभव नही ह असल होना होगा असल होन का ही परसकार ह आनद

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

एक तो कचव होता ह चजसक भीतर स गीत उिता ह और एक होता ह तकबद तकबद क भीतर स

गीत नही उिता वह तकबदी कर लता ह वह जोड़-तोड़ कर शबदो को जमा-चबिा कर मातरा-छद का सब

चहसाब चबिा दता ह मगर होता तकबद ही ह उस तकनीक मालम ह लदकन उसक पराणो म कावय नही ह

रही तो कचव और तकबद का भद ह

और रह भद तमह सब जगह चमलगा

कोई चाह तो चचतरकला सीख सकता ह उसको रगन की कला आ जाएगी लदकन अगर उसक भीतर

चचतर ही नही जनमत अगर उसक भीतर सपन ही नही उित रगीन तो वह करा खाक चचतर बनाएगा वह रग

भरन की कला जानता ह दकसी तरह रग भर दगा नकल कर दगा िाड़ बाहर ह वस ही िाड़ बना दगा

पचिम क बहत बड़ चचतरकार चवनसि वानगॉग न इस तरह क चचतर बनाए ह दक लोग बड़ चदकत होत ि

एक चचतर म िाड़ इतन ऊच चल गए ह इतन ऊच चल गए ह दक चाद-तारो को छ गए दकसी न पछा दक

वानगॉग हमन वकष बहत दख ह मगर कोई वकष चाद-तारो को नही छता वानगॉग न कहा म कोई

फोिोगराफर नही ह चचतरकार ह फोिोगराफर तो उतना ही कर सकता ह चजतना बाहर ह म वकषो की आतमा को

पहचानता ह म इनक पास बिा ह मन वकषो क भीतर िाका और दखा ह मन वकषो का अनभव दकरा ह

माना दक चाद-तारो तक पहच नही पात लदकन आकाकषा ह पहचना चाहत ह मन सना ह कान लगा कर

उनक हदर की धड़कन को हर वकष चाद-तारो को छना चाहता ह रह म तमस कहता ह मरी मानो भरोसा

करो म उनकी भाषा जानता ह जो व नही कर पात ह वह मन उनक चलए दकरा ह

रह चचतरकार ह रह कोई फोिोगराफर नही ह फोिोगराफी म और चचतरकला म रही तो फका ह

अभी कछ ददन पहल पचिम म बड़ा तहलका मचा िा चरचाल की पतनी न चरचाल का एक बनारा हआ

चचतर चजसकी कीमत कम स कम दस लाख स लकर पचास लाख रपरा िी जला ददरा जब बनारा गरा िा

चचतर चरचाल हजदा िा लदकन जस ही चचतर बनारा गरा पतनी को पसद नही आरा चरचाल को भी पसद नही

आरा उनहोन उस तलघर म चछपा कर रख ददरा चजस चचतरकार न बनारा िा--दचनरा क बड़ चचतरकारो म स

एक दफर उस चचतर का कछ पता ही नही चला दफर चरचाल क मरन क बाद खोज-बीन शर हई दक वह चचतर

कहा ह लदकन तब भी उसकी पतनी न कछ पता नही चलन ददरा दफर अभी पतनी मरी जब पतनी मरी तब

खोज-बीन परी तरह शर हई दक अब तो चचतर चमलना ही चाचहए खोज-बीन करन स पता चला दक वह चचतर

चमला नही लदकन खबर चमली नौकर-चाकरो स दक वह चचतर चरचाल की पतनी न जला ददरा वह लाखो रपए

की अमलर चनचध जला दी करो पतनी नाराज िी चरचाल भी नाराज िा उस चचतर स चरचाल न चचतरकार स

कहा भी िा दक करा म ऐसा ददखाई पड़ता ह चचतरकार न कहा--आप ऐस ददखाई नही पड़त लदकन आप ऐस

ह रह भद भारी ह रह आपकी आतमा ह खखार चालबाज बईमान सब तरह स कपिी राजनीचतजञ को होना

पड़ता ह राजनीचत का वह धधा ह राजनीचतजञ ददखता कछ और ह होता कछ और ह चचतरकार न कहा मि

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तमहार ददखन स करा लना-दना रह तो चार पस का कमरा भी उतार दगा--इसम रखा करा ह जो तम

ददखाई पड़त हो रह तो कमरा कर दगा इसम मि महनत करन की करा जररत ह म तो वह आक रहा ह

जो तम हो मगर वह बरदाशत नही िा उस चछपा ददरा उसको जला ददरा चचतर को

साधारण चचतरकार कमर का काम करता ह वह चचतरकार नही ह तकनीचशरन ह वासतचवक जो चचतरकार

ह वह आतमाओ म उतरता ह गहराइरो म डबता ह ऊचाइरो म उड़ता ह वह मोती लाता ह गहर सागर स

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह ऐस तकबदी मत करो जीवन की और परमातमा को तम उधार कर सकोग

उधार जाग सकोग जी सकोग उधार पा सकोग इस भाचत म न पड़ो परमातमा तो एक गीत ह जो तमहार

पराण जब गाएग तभी तम जानोग तकबदी नही परमातमा तो एक सगीत ह जब तम शात होओग तब तमहार

भीतर जगगा उिगा और तमहार पराणो को आपररत कर दगा आकि तम भर जाओग आलहाददत हो उिोग

परमातमा वद और करान म नही ह परमातमा तमहारी शवास-शवास म ह हदर की धड़कन-धड़कन म ह

साधन कहा सो कारि-कपरिक अपन कहा गोहरावहह

शासतरो स ल-लकर उधार अपना बता-बता कर तम दकसको धोखा द रह हो हनदा करहह चववाद जहा

तह और इस कारण जगह-जगह तमह चववाद म पड़ना पड़ता ह जगह-जगह हनदा म पड़ना पड़ता ह

विा बड़ कहावहह बस एक ही शारद तमह मजा आ रहा हो दक लोग कहत ह--खब बोलन वाला दक खब

चलखन वाला दक खब सदर वचनो का धनी लदकन रह सब वचन ऊपर-ऊपर ह र िोि ह र तमहार पराणो क

नही ह इनकी जड़ तमहार अचसततव म नही ह इसस तम हो सकता ह दसरो स िोड़ी वाह-वाही ल लो िोड़

लोग ताचलरा बजा द और तमहारी परशसा कर द सतचत कर द तमहारा अहकार िोड़ा भर जाए लदकन चजतना

अहकार भरगा उतन ही तम दर चल गए परमातमा स पास आना तो दर और दर चल गए

आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

आख तो खोलो अपनी दसरो को राह बतान चल पड़ हो इस दचनरा म अगर पचडत लोगो को राह

बताना बद कर द तो बहतो को राह चमल जाए पचडतो क कारण राह नही चमल पाती उनह खद पता नही ह

लदकन बतान का मजा लत ह चजनह कछ पता नही ह धरान का व धरान पर दकताब चलखत ह चजनह कछ पता

नही ह धरान का व धरान की दीकषा दत ह चजनहोन कभी परािाना जानी नही ह व परािाना समिात ह करवात

म चदकत हआ ह रह दख कर--इस दश क बड़ स बड़ साध-सनराचसरो स सब स मरा सबध आरा--म

चदकत हआ रह जान कर कोई धरान का उनह पता नही

जनो क एक बड़ गर ह आचारा तलसी मि चनमतरण ददरा िा तो म गरा दफर दोपहर मिस अलग

चमलना चाह मन कहा अलग चमलन की करा जररत और भी बहत लोग उतसक ह सनन को दक मर आपक

बीच करा बात होगी उनको भी सनन द उनहोन कहा दक नही रह बात एकात म करन की ह मन सोचा दक

जरर उनह कोई गहरी बात पछनी होगी एकात म करन की िीक ह

एकात म चमलना हआ जो पछा वह रह िा दक धरान कस कर तो मन कहा आप सात सौ साधओ क

गर ह इनको आप करा चसखात ह इनको आप करा करवात ह आप सात सौ साधओ क बड़ पि क आचारा

ह अगर धरान भी इनको नही चसखारा ह तो दकस धोख म डाल रखा ह आपको भी पता नही ह तो आप

चसखाएग कस और चजस गर न आपको आचारा क पद पर चबिारा उसको पता िा अगर पता िा तो तमको

तो कम स कम आचारा क पद पर नही चबिा सकता िा तब स जो मिस नाराज हए ह तो नाराज ही ह

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मन कहा म धरान समिा सकता ह करवा भी सकता ह लदकन सवाल रह ह दक रह धोखाधड़ी करा ह

दफर और दफर सबक सामन सवीकार करन म डर करा ह एकात की करा जररत ह रह जरादा साधतापणा

हआ होता दक अपन सार--कोई बीस हजार लोग इकटठ हए ि वहा--सार अपन शरावको क सामन मिस कहा

होता दक मि धरान नही आता रह जरादा साधतापणा हआ होता रह जरादा चवनमरतापणा हआ होता

लदकन िीक ह मिस पछा ह तो मन उनस धरान क सबध म बात की धरान उनह समिारा और उसका

जो उनहोन उपरोग दकरा वह कवल इतना ह दक अब वह दसरो को धरान करवा रह ह उनहोन दकरा नही ह

करोदक म कछ गलत बात उनको बता आरा िा व भी वह दसरो को समिा रह ह अगर दकरा होता तो व

गलत बात छि जाती इसचलए जान कर म उतनी शता उसम लगा आरा िा वह चजसन धरान दकरा ह वह तो

बात कह ही नही सकता वह म जानकर ही रख आरा िा िोड़ी-सी तरकीब उसम लगा आरा िा दक रह करग

तो मि पता चल जाएगा दक इनहोन दकरा दक नही दकरा लदकन अब वह चशचवर लत ह--धरान क चशचवर

दसरो को धरान करवा रह ह आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

औरो को अिा बतान चल पड़त ह जो कोइ राम का भजन करत ह तचह का कचह भरमावहह और

रहा तक हो जाती ह हालत दक कभी-कभी सीध-सीध लोग--जो राम स जड़ ही जात--इन बतान वालो क

कारण नही जड़ पात सीध-साध लोग चजनको वयवसिा नही ह चवचध नही ह चवधान नही ह जञान नही ह

पाचडतर नही ह शारद सरलता स चनदोषता स परमातमा को पकारत और जड़ जात--तो इनक कारण नही जड़

पात करोदक र उनको चवचध-चवधान दन को तरार खड़ ह र कहत--ऐसा करो

िालसिार की परचसदध कहानी ह एक फकीर की खब खराचत हो गई तो रस का जो सबस बड़ा धमागर

िा उसन पता लगवारा पता चला दक एक फकीर नही ह व तीन ह चदक उनका नाम नही ह दकसी का भी

कछ इसचलए व एक की तरह ही जान जात ह वह एक िील क पार रहत ह और वहा हजारो लोग उनक

दरशन को जात ह और बड़ा आनद पात ह उसन कहा रह हम पता भी नही ह और मर चबना कोई सततव को

उपलबध हो जाए रह हो नही सकता ईसाइरत म रह चनरम ह जस सरिादफकि होता ह ऐस ही ईसाई चचा

सरिादफकि दता ह सततव का दक कौन सत जब तक ईसाइरत स सरिादफकि न चमल जाए चचा स तब तक

कोई अपन को सत नही कह सकता

बड़ा नाराज हआ परधान धमागर और गरा नाव म बि कर दखा उन तीन सीध-साध आदचमरो को व

िाड़ क नीच बि ि बड़ परसनन सबह की धप िी बड़ आनददत डोल रह ि तीनो न उिकर चरण मर छए

धमागर क धमा गर तो उसी स आशवसत हो गरा दक इनहोन चरण मर छए मामला खतम हो गरा काह क सत-

वत ह वह तो बचार सीध-साध लोग ि सत ि इसीचलए चरण छए लदकन उसन सोचा जब मर चरण छ रह

ह तो बात साफ हो गई दक म इनस ऊपर ह रह भी जानत ह पछा दक तमहारा र सार सततव का इतना परचार

कस हआ उनहोन कहा हम कछ पता नही लोग आन लग हम तो समिात ह दक भाई रहा न आओ करो

भीड़-भाड़ करत हो भीड़-भाड़ छोड़ कर तो हम रहा जगल म आ गए ह मगर लोग पीछा नही छोड़त मगर

उनक चहर पर एक चमक तो िी वह तो इस अध धमागर को भी ददखाई पड़ रही िी चमक ऐसी िी दक अधा

भी दख लता कहा--लदकन तम करत करा हो तमहारी साधना करा ह उनहोन कहा हम आपस करा

चछपाना त बता द उनहोन अपन सािी स कहा उसन तीसर स कहा दक भाई त बता द व तीनो एक-दसर

पर िालन लग बड़ शरमिदा होन लग आख नीची िकान लग उस धमागर न कहा ऐसी शरमिदगी की बात करा

24

ह कोई खराब काम करत हो नही खराब काम नही करत लदकन अब आपस करा कहना कस कहना हम

परािाना इतरादद कछ आती नही हम बपढ़-चलख गवार ह तो हमन खद ही गढ़ ली ह परािाना

ईसाइरत मानती ह परमातमा क तीन रप ह परमातमा चपता परमातमा बिा--जीसस--और दोनो क

मधर म पचवतर-आतमा ऐस तीन परमातमा क रप ह तो हमन अपनी एक परािाना खद ही गढ़ ली ह दक ह परभ

तम भी तीन हो हम भी तीन ह हम तीनो पर कपा करो धमागर न सना तो चौक गरा रह परािाना उसन

कहा बद करो रह परािाना रह बकवास ह रह ह हमारी सवीकत परािाना

बड़ी लबी सवीकत परािाना उसन दोहराई

उन तीनो न कहा एक दफा और दोहरा द करोदक हम भल जाएग जब धमा-गर चलन लगा तो उनहोन

दफर पकड़ कर कहा दक एक दफा और बस एक दफा और जब वह नाव म बिन लगा तो उनहोन कहा बस एक

दफा आचखरी दोहरा द हम भल जाएग तो बड़ी मचशकल हो जाएगी दफर उसन दोहराई और वह बड़ा परसनन

हआ दक तीन भिक हए लोगो को रासत पर ल आरा और जब वह नाव म बि कर चला और बीच िील म नाव

िी तब उसन दखा दक व तीनो भागत चल आ रह ह पानी पर घबड़ा गरा जब उनको पानी पर दौड़त दखा

एक बवडर की तरह चल आ रह ह उनहोन कहा दक रको हम भल गए दफर स एक बार तब उस होश आरा

दक मन करा दकरा िक कर उनक चरण छए और कहा--तमहारी परािाना सन ली गई ह तम अपनी परािाना

जारी रखो मरी परािाना भल जाओ म तो जनम-जनम स कर रहा ह रह परािाना अभी पानी पर चलन की मरी

सामरथरा नही तमहारी परािाना सन ली गई ह तम अपनी परानी परािाना म ही लग जाओ

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह सीध-सरल लोग पहच जात ह मगर पचडत नही पहचन दत

जो कोइ राम का भजन करत ह तचहका कचह भरमावहह

जा भी ऐ नासह कहा का सद और कसा चजरा

इशक न समिा ददरा ह इशक का हाचसल मि

कह दना धमोपदशको स--जाओ भी जा भी ऐ नासह र चहसाब-दकताब की पाप-पणर की लाभ-

हाचन की सवगा-नरक की बकवास मिस मत कर

जा भी ऐ नासह कहा का सद और कसा चजरा

इशक न समिा ददरा ह इशक का हाचसल मि

मि तो परम म ही चमल गरा ह सब परम ही परम की उपलचबध ह और कछ मि पाना नही ह--न कोई

बकि न कोई सवगा न कोई नरक का मि भर ह और न मि दकसी सवगा का कोई लोभ ह इशक न समिा

ददरा ह इशक का हाचसल मि बस परम पराापत परािाना ह

माला मदरा भष दकए बह जग परमोचध पजावहह

र जो पचडत-पजारी परमातमा की पजा करत ह असल म परमातमा की पजा म इनका रस नही ह र

चाहत ह--र पज जाए लोगो क दवारा जगत इनको पज

आखो का िा कसर न ददल का कसर िा

आरा जो मर सामन मरा गरर िा

वो ि न मिस दर न म उनस दर िा

आता न िा नजर तो नजर का कसर िा

25

और जो आदमी अपन को पजवाना चाहता ह वह करा पजा करगा हा जो पजा करता ह उसकी पजा

शर हो जाती ह--रह बात और ह र दोनो एक जसी ददखाई पड़ती ह पर बड़ी चभनन ह जो परमातमा की पजा

करत-करत परमातमा म लीन हो जाता ह हजारो लोगो को उसम परमातमा क दशान होन लगत ह--उसक

वयचितव म उसकी मौजदगी म उसक अचसततव म उसकी आभा म उसक मौन म उसक शबदो म लोग उसक

परचत िकन लगत ह इसचलए नही दक उसक परचत िकत ह बचलक उसक बहान परमातमा क परचत िकन लगत ह

वह तो होता ही नही वह तो चमि गरा वह तो एक िरोखा ह उस िरोख स लोग दर क चाद-तार दखन

लगत ह

मगर जो इसी चषटा म लग ह दक हमारी पजा हो उनको परमातमा का चमलना तो बहत दर हा उनका

अहकार जरर भरगा और इस अहकार क भरन क कारण व न मालम दकतन लोगो को भिकान क कारण हो

जाएग

नाचसतको न दचनरा को नही भिकारा ह तिाकचित आचसतक पचडतो न परोचहतो न दचनरा को

भिकारा ह नाचसतक म तो म सदा एक ईमानदारी दखता ह जब कोई आदमी मिस आकर कहता ह म

नाचसतक ह म खश हो जाता ह म कहता ह तब रासता आसान ह कम स कम तम ईमानदार हो ईमानदारी

अचछी शरआत ह जब मिस कोई आकर कहता ह दक म आचसतक ह तब मि बचनी होती ह और जब मिस

कोई आकर कहता ह दक मन इतन शासतर पढ़ ह इतना जञान ह इतना अनभव ह इतन मन पररोग दकए ह इस-

इस तरह की साधना की ह इस-इस तरह क उपवास-वरत दकए ह तपिराा की ह तब तो मि उस पर बड़ी

दरा आन लगती ह करोदक वह चसफा अहकार को मजबत करक आ गरा ह परमातमा और उसक बीच चीन की

दीवाल खड़ी हो गई ह

जहत आए सो सचध नाही िगर जनम गवावहह

और ऐस पचडत-परोचहत इनह रह भी पता नही कहा स आए कौन ह म कौन ह इसका भी उततर इनह

चमला नही और िगड़ म चववाद म जीवन गवा रह ह

जगजीवन त हनदक वादी

और इनका कल धधा इतना ह हनदा करो--हहद हो तो मसलमान की हनदा करो मसलमान हो तो हहद

की हनदा करो हहद हो तो मसलमान की हनदा म रस ह ईसाई की हनदा म रस ह--हनदा म ही रस ह और

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक तम इन हनदको को भी खब पजन लगत हो

अगर हनदा का रस दखना हो तो आरासमाज क तिाकचित महरषा दरानद की दकताब सतरािा परकाश

पढ़नी चाचहए तो तमह पता चलगा दक हनदा म कसा लोग रस लत ह सबकी हनदा हनदा ही हनदा जस सब

की हनदा करन स परमातमा की परशसा हो जाएगी जगजीवन त हनदक वादी बास नका मह पावहह और

अगर ऐस लोग नरक जाए तो आिरा नही ऐस लोग रहा भी नरक म रहत ह नरक ही उनका जीवन ह दख

उनकी उपलचबध ह चववाद नही करना ह

सदाकत हो तो ददल सीनो स हखचन लगत ह वाइज

हकीकत खद को मनवा लती ह मानी नही जाती

सतर हो तो चववाद की जररत नही होती सतर की मौजदगी परमाण बन जाती ह

हकीकत खद को मनवा लती ह मानी नही जाती

सतर सवतः परमाण ह

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र परार वचन तमहार जीवन की एक अनिी रातरा का परारभ बन ऐसी आशा करता ह सतर एक ह और

बहत बार दोहरगा जगजीवन क वचनो माः मनषर परमातमा को नही खोज सकता परमातमा ही मनषर को

खोज सकता ह तम चसफा पकारो तम परास बनो--जवलत परास--और तम जहा हो वही उसका हाि आ

जाएगा उसक हाि अनक ह इसीचलए तो हमन उसक चचतर बनाए ह अनत हािो वाल तम कहा खोजोग

तमहारी खोज म ही भल हो जाएगी खोज का मतलब ही ह दक तमन मान चलरा दक मर बस म ह पाना मर

बस म ह तो अहकार चनरमात हआ नही तमहार बस म कछ भी नही ह सब उसक बस म ह इतना ही कहो--

तरी मजी परी हो त जसा चलाए चल त जसा रख रह उिाए तो उि चबिाए तो बि चजलाए तो जीए मार

तो मर जाए लदकन तरी हर मजी म हम पर राजी हो

इस राजीपन का नाम भचि ह

और भि को चमल जाता ह--इतना चजतना पररास स कोई सबध नही पररास तो चलल भर ह परसाद

सागर भर

आज इतना ही

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अरी म तो नाम क रग छकी

दसरा परवचन

सतसग सरोवर भचि सनान

पहला परशनः मनषर करा ह

एक अभीपसा--सवर क अचतकरमण की जस बीज चमि जाना चाह तादक वकष हो सक ऐसा ही मनषर एक

बीज ह--चमि जान को आतर तादक परमातमा हो सक

मनषर बीज ह परमातमा क फल का इसचलए चजस मातरा म जो चमिन को राजी ह उतना ही जरादा

मनषर ह और जो चमिन म चजतना सफल हो गरा उतना ही धनरभागी ह

मनषर एक परािाना ह--लीन हो जान की करोदक होन म पीड़ा ह जस नदी दौड़ती ह सागर की तरफ

पवातो को पार करती मदानो को पार करती--एक महत सागर-चमलन की परािाना चलए और सागर-चमलन म

होगा करा नदी खो जाएगी लदकन खो जान म सागर भी हो जाएगी ऐसा ही मनषर एक चतनर का सररत-

परवाह ह जो जा रहा ह अनत की तरफ

सीमा पीड़ा दती ह असीम--आनद जहा-जहा सीमा ह वहा-वहा कारागह ह मनषर एक कामना ह

सारी सीमाओ क पार पखो को खोल कर उड़ जान की

इसचलए चजस मनषर क जीवन म अपन स पार जान का सपना पदा नही हआ वह दखन म मनषर जसा

लगता हो उसक भीतर मनषरता नही जनमी ह दह स मनषर होना एक बात ह पराण स मनषर होना दसरी

बात ह पराण स मनषर होन का अिा हः आकाश न पकड़ा तमह तमहारी आख उिी चाद-तारो की तरफ

ऊचाइरो न पकारा ऊचाइरो की चनौती तमन सवीकार की अधर खाई-खडडो म रहन की अब तमहारी तरारी

नही रही--चाह व अधर दकतन ही सरकषापणा करो न हो और उन अधरो म दकतनी ही सचवधा करो न हो और

उन अधरो म अनत-अनत लोग करो न रह रह हो

ऊचाई की तरफ जो चलता ह उस अकला हो जाना होता ह करोदक भीड़ ऊचाई पर उिन का साहस

नही करती भीड़ तो भीड़ ह भड़-चाल उसकी जीवन-शली ह जहा सारी भीड़ जा रही ह वही अगर तम जा

रह हो तो तम अभी आतमवान नही हो आतमवान का अिा होता ह अकल जान की सामरथरा अपन पर इतना

भरोसा दक अकला भी जी सकगा दक अकला भी खोज सकगा

धारमाक वयचि अनगमन नही करता अनसधान करता ह धारमाक वयचि खोज करता ह चवशवास नही

करता चवशवासी को भल कर भी धारमाक मत समिना चवशवासी धोखा खा रहा ह और धोखा द रहा ह

धारमाक वयचि तब तक चवशवास नही करता जब तक जान न ल और जब जान ही चलरा तो दफर चवशवास करा

जान चलरा तो जान चलरा चवशवास नही करना होता सबह उगत सरज पर तम चवशवास िोड़ ही करत हो रा

दक करत हो रा दक चववाद खड़ा होता ह दक मान सरज को दक न मान दक आचसतक और नाचसतक होत ह

नही जब सरज उगता ह ददखाई पड़ता ह तो चवशवास अचवशवास की बात ही नही रह जाती जो ह ह

सतर को जानना ह लदकन जानन क चलए कीमत चकानी होती ह चवशवास ससता ह दो कौड़ी का ह

हहद बन जाओ मसलमान बन जाओ जन-ईसाई बन जाओ--ससती बात ह कछ खोना नही पड़ता सच तो रह

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ह हहद बन रहन म मसलमान बन रहन म लाभ ही लाभ ह करोदक भीड़ तमहार साि ह भीड़ की सचवधाए

तमहार साि ह भीड़ की सरकषा तमहार साि ह तम अकल नही हो

मनषर वही ह जो एकाकी चल पड़ रवीदरनाि न कहा हः एकला चलो र करोदक अकल चलोग तो ही

उसको पा सकोग भीड़ वहा तक जाती ही नही ह भीड़ तो रही घसीिती ह भीड़ न अभी अभीपसा ही नही की

ह अपन स ऊपर उिन की चजसक भीतर आकाकषा जगी ह दक जसा म ह जहा ह इतना ही काफी नही ह इसस

तचपत नही होती इसस परास चमिती नही भख बिती नही--कोई सरोवर तलाशना ह जहा परास बि कोई

सिान खोजना ह जहा चसर िक और कोई सागर खोजना ह जहा सारी सीमाओ को तोड़ कर म लीन हो सक

म-भाव अहकार सीमा ह चनर-अहकार सारी सीमाओ का चवसजान ह

तम पछत होः मनषर करा ह चनर-अहकार होन की खोज सीमाओ क पार जान की कामना अपना

अचतकरमण

इस जगत म मनषर क अचतररि और कोई अपना अचतकरमण नही कर सकता इसचलए सवातम-अचतकरमण

मनषर की पररभाषा ह कोई आम का वकष आम क वकष क अचतररि और कछ भी नही हो सकता--आबदध ह

नीम का वकष नीम ही रहगा कछ और होन का उपार नही अपना अचतकरमण नही कर सकता अपन स पार

नही जा सकता हसह हसह ह कतता कतता ह इसस पार जान का कोई उपार नही ह चसफा आदमी की कषमता ह

दक आदमी क पार जा सकता ह बदधतव को पा सकता ह भगवतता पा सकता ह

रह मनषर का गौरव भी ह और मनषर की रातना भी गौरव करोदक रह सभावना खली ह परा

आकाश उसका ह हाि फलाए तो सारा अचसततव उसका ह अपन आहलगन म ल ल सार अचसततव को इसचलए

गौरव

रातना भी बहत ह रातना इसचलए दक जहा भी ह वही चन नही पाएगा बचनी बनी ही रहगी और

आग और आग रह दौड़ जारी रहगी एक महत रातना भीतर मौजद रहगी तनाव बना रहगा कोई पश-

पकषी तनाव म नही ह करोदक जो ह ह कछ और होना नही ह

मनषर की तकलीफ मनषर की पीड़ा उसका चवषाद उसका सताप--दक जो ह उतन स राजी नही ह

कछ और होना ह उसक भीतर एक गहन तीर की तरह चभी हई वासना ह--कछ और होना ह आशवसत होकर

बि नही सकता--रातरा करनी ह मनषर एक रातरा ह कोई पश-पकषी रातरा नही ह मनषर-भर एक रातरा ह

और अगर धन की रातरा की पद की रातरा की तो रातरा ही रह जाओग

अगर धमा की रातरा की तो तीिा रातरा हो जाओग काशी और काबा जान स तीिारातरा नही होती

मनषर जब परमातमा होन की आकाकषा स सब कछ समरपात करन को तरार हो जाता ह तब तीिारातरा होती

ह तभी कोई पहचता ह उस पचवतर सिल पर--जहा तचपत ह जहा परम तचपत ह जहा पररतोष ह जहा पहचन

क बाद दफर आग और कछ पान को शष नही रह जाता ह उस सिान को चनवााण कहो मोकष कहो--रा जो नाम

दना चाहो

मनषर मोकष का बीज ह

मनषर एक बद ह चजसक भीतर चनवााण चछपा ह लदकन बद जब तक सागर स चमल न जाए चनवााण

परकि न हो सकगा मनषर चखल तो उसम स परमातमा की सगध उिती ह और इसचलए जब तक तम परमातमा

न हो जाओग तब तक कोई उपार नही ह सातवना का दकतना ही अपन को समिा लो दकतना ही अपन को

उलिा लो राद आती रहगी सब वयवसिा को तोड़-तोड़ कर राद आती रहगी दक तम वयिा कर रह हो जो भी

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कर रह हो सब वयिा ह रह कामधधा रह दकानदारी रह बाजार वयवसार रह सब िीक ह लदकन अभी

असली काम तमन नही दकरा ह--रह कचोि रहगी रह घाव भीतर राद ददलाता रहगा और अचछा ह दक रह

कचोि उिती रह रह कािा चभता रह करोदक रही कािा चभता रह तो शारद एक ददन तम वह हो सको जो

होना तमहारी चनरचत ह

रह काचलब स चनकल कर असल म गम हो गई

न स होत ही जदा नगमा परीशा हो गरा

जस बासरी स कोई सवर चनकल जाता ह और बासरी स अलग होत ही परशान हो जाता ह

न स होत ही जदा नगमा परीशा हो गरा

जस कोई बासरी का सवर भिक गरा ह बासरी स और परशान ह और अपन मल-सवर को अपन

मलसरोत को उदगम को खोजन चला ह ऐसा मनषर ह--बासरी स जदा हो गरा सवर परमातमा स दर चनकल

गई दकरन अपन घर स भिक गरा रातरी

रह काचलब स चनकल कर असल म गम हो गई

और एक ददन इस दह क ऊपर उि कर असचलरत म गम हो जाना ह रह काचलब स चनकल कर असल

म गम हो गई वह जो असली ह वह जो रिािा ह उसम जब तक तम लीन न हो जाओग तब तक तम बासरी

का ऐसा सवर हो जो भिक रहा ह तलाश कर रहा ह अपन मलसरोत की बचन ह तड़प रहा ह

रह जब तड़पी चनगाह-शौक आचशक बन गई

ददल जब उछला जलवागाह-हसन-जाना हो गरा

एक मका ज पर चसमि आरा जहान-आजा

कसरत-मौहम स जब ददल परीशा हो गरा

चशम-परनम जलफ आसफता चनगाह बकरार

इस पशमानी क सदक म पशमा हो गरा

वनाा करा िा चसफा ततीब-अनचसर क चसवा

ख़ास कछ बताचबरो का नाम इनसा हो गरा

ऐस तो आदमी भी करा ह--पाच महाभतो का जोड़-तोड़ वनाा करा िा चसफा ततीब--अनाचसर क

चसवा चमटटी पानी हवा का एक जोड़ और करा िा आदमी वह तो धनरभाग खास कछ बताचबरो का

नाम इसा हो गरा लदकन कछ अभीपसाए ह कछ बताचबरा ह कछ बचचनरा ह

चमटटी चमटटी ही ह अगर उसम अमत होन की बचनी नही ह दह दह ही ह अगर उसम परमातमा पान का

सपना नही जगा ह

रह पच महाभतो का जो जोड़ ह आदमी इसको ही आदमी मत समि लना रह तो कवल सभावना ह

इसक भीतर जब अभीपसा पदा हो जाएगी--अपन स पार जान की अपन स ऊपर उि जान की अपन स ऊपर

छलाग लगा जान की तब वासतचवक मनषर का जनम होता ह उस मनषर को ही हम चदवज कहत ह--चजसका

दसरा जनम हआ

30

एक जनम मा क पि स होता ह एक जनम धरान स होता ह परािाना स होता ह पजा स होता ह अचाना

स होता ह दसर जनम को धरान म रखो दसर जनम क बाद ही चदवज बन कर ही तम िीक अिो म मनषर

होत हो उसक पहल नाम क आदमी हो

दसरा परशनः परमातमा की पहली िलक करा ह रह कब घरित होती ह

चचनमर जस ही तम चमि बस परमातमा की पहली िलक घरित हई तमहार रहत घरित न होगी तम

चाहो दक तमह होगी परमातमा की पहली िलक तो कभी न होगी तम रह तो िलक नही तम ही बाधा हो

कोई और बाधा नही ह--खराल रखना

अकसर लोग सोचत ह दक कछ और बाधाए ह--कमा की बाधा ह पाप की बाधा ह अजञान की बाधा ह

इनको हिा द तो परमातमा की िलक चमल जाए भल म पड़ हो न कमा की बाधा ह न पाप की बाधा ह न

अजञान की बाधा ह बाधा अगर कोई ह तो तम हो म की बाधा ह

और जब तक म न चमि जाए तब तक उसकी िलक नही जहा तक म ह वहा तक दवार बद ह सरज उगा

रह तम तक रोशनी नही पहचगी म गरा दवार खला तम चमिो तो परमातमा हो जाए

परमातमा की पहली िलक तमहारी मतर पर घिती ह तमहार चवसजान पर

आना ह जो बजम-जाना म चपनदार-खदी को तोड़ क आ

ऐ होशो-चखरद क ददवान रहा होशो-चखरद का काम नही

अगर आना ह उस परार की दचनरा म आना ह जो बजम जाना म उस परार की महदफल म आना ह

तो चपनदार-खदी को तोड़ क आ बस एक चीज को तोड़ कर आ जाओ म-भाव को तोड़ कर आ जाओ ऐ

होशो-चख़रद क दीवान और अगर तम अपनी अकल अपनी चतराई अपनी होचशरारी अपना पाचडतर

अपना चररतर अपना तराग अपनी साधता अपना महातमापन इस सब को लकर आ गए ऐ होशो-चखरद क

दीवान रा होशो-चखरद का काम नही तो वहा पहच न पाओग वहा न तो बचदधमानी की जररत ह न

चतराई की जररत ह न गचणत की न दकताब की न चहसाब की वहा चसफा एक बात की जररत ह--शनर

होकर आ जाओ तमहार शनर म उसका पणा उतरता ह तमहारी शनरता ही बस उसकी पणाता को खीच लती ह

चमिो तादक पा सको

लोग परमातमा की िलक तो पाना चाहत ह लदकन रह कीमत नही चकाना चाहत बस दफर िलक

कभी नही चमलती रा दफर जो िलक चमलती ह व उसक मन क ही खल होत ह व िलक परमातमा की नही

होती खद की ही कलपनाए होती ह कषण खड़ बासरी बजात दक राम खड़ धनषबाण चलए दक जीसस ददखाई

पड़त ह सली पर चढ़ र सब तमहार मन क ही खल ह रह तमहार मन का जाल ह परमातमा का कोई रप

नही कोई रग नही कोई गण नही परमातमा कोई वयचि नही ह दक चजसकी िलक चमलगी

परमातमा तो एक अनभव ह एक सवाद ह जो पर पराण पर फल जाता ह रोए-रोए पर फल जाता ह

परमातमा एक अनभचत ह वयचि नही जस परम की अनभचत होती ह ऐसी परमातमा की अनभचत ह परम का

कोई साकषातकार िोड़ ही होता ह--दक चमल गए और परम स दो बात की परम का आचवभााव होता ह

इक लफज-मोहबबत का अदना र फसाना ह

चसमि तो ददल-आचशक फल तो जमाना ह

31

छोिा सा परम शबद ह--ढ़ाई आखर परम क कोई बड़ा शबद नही ह छोिा सा इक लफज-मोहबबत का

अदना र फसाना ह उसकी छोिी सी कहानी ह मगर उसस बड़ी और कोई कहानी नही उस छोि स शबद म

सब समा गरा ह--सार शासतर कबीर न कहाः ढाई आखर परम क पढ़ सो पचडत होर सार वद करान परान

सब उसम समा गए ह चसमि तो ददल-आचशक फल तो जमाना ह बस इस परम का ही सारा खल ह अगर

चसमि गरा तो आचशक का ददल बन जाता ह और अगर फल गरा तो परमातमा बन जाता ह

चसकोड़ो मत अपन परम को फलन दो इतना फल जाए दक सारा अचसततव तमहार परम का आगन बन

जाए इतना फल जाए दक तम बचो ही न तम धड़को जगत क पराणो म बहो वकषो की हररराली म चखलो

फलो म चाद-तारो म पहाड़ो म पवातो म इतन फलो फलत जाओ दक रह जो छोिी सी गाि तमन चसकोड़

कर अहकार की बना ली ह रह गल जाए इस इतना फला दो दक रह चमि जाए इतना चवरल कर दो दक रह

खो जाए बस दफर पहली िलक

मगर खराल रखना पहली िलक का मतलब रह नही दक तमह िलक चमलगी तम नही रहोग तब

पहली िलक रह चवरोधाभास ह

जब तक भि रहता ह तब तक भगवान नही ह और जब भगवान ह तब भि कहा भि का कभी

भगवान स चमलन नही हआ भकत चमिा तो चमलन हआ भि न रहा तो चमलन हआ इसीचलए तो

अनलहक अह बरहमाचसम का उदघोष उिा ऐसी घड़ी आती ह जब भि तो बचता नही भगवान ही शष रह

जाता ह उसी घड़ी म उदघोष उिता ह अह बरहमाचसम का म ही बरहम ह

जब तक तमह भगवान अलग ददखाई पड़ तब तक समिना अभी मन क जाल क बाहर नही गए हो

अगर भगवान तमह वहा ददखाई पड़ दर खड़ा तो समिना दक अभी तमहारा अहकार मौजद ह अभी दखन

वाला मौजद ह तो ददखाई पड़न वाला भगवान कलपना होगा जब तक दरषटा मौजद ह तब तक दशर तमहारा

कलपना-जाल ह एक ही बचना चाचहए दरषटा और दशर एक हो जान चाचहए उस घड़ी म पहली िलक

और पहली िलक चमलती ह तो पता चलता ह दक हमन जो दकरा--वही जगजीवन कल कहत ि--दक

हमन जो दकरा उसस पान का कोई कारा-कारण सबध नही ह हमारा दकरा ना-कछ ह हमारा दकरा वयिा िा

हमार दकए स जो हआ ह उसका कछ लना-दना नही ह

हमारा दकरा ऐसा ह जसा मन सना ह एक चछपकली एक महल म रहती िी चछपकचलरो म कही शादी-

चववाह िा बडबाज बज शहनाई बजी चनमतरण आरा लदकन उस चछपकली न कहा म आ न सकगी दखत

हो मरा काम अगर म जाऊ तो रह परा महल चगर जाए इस म समहाल रखती ह मि पर बड़ा दाचरतव ह

तम जो घास-फस की िोपचड़रो म रहत हो िीक ह तम चल भी जाओ तो कछ हजा नही ह लदकन रह बड़ा

महल ह भारी हाचन हो जाएगी मर जान स मरा आना सभव नही

अब चछपकली ऐसा सोच तो आिरा नही ह करोदक सभी चछपकचलरा ऐसा सोचती ह आदमी भी ऐसा

ही सोचता ह मर चबना सब असतवयसत हो जाएगा म न रहगा तो दचनरा का करा होगा महल चगर जाएग

हजदगी का तारतमर िि जाएगा रह जो म-भाव ह रह बड़-बड़ सकषम रासतो स लौि आता ह रह धमा क

नाम पर तपिराा बन जाता ह रोग बन जाता ह दफर तम सोचत हो दक मर रोग स परमातमा करीब आएगा

मरी साधना स चसचदध होगी मगर तमहारी साधना और तमहारी चसचदध म उतना ही सबध ह चजतना चछपकली

म और महल क समहलन म इसस जरादा नही

32

चजस ददन िलक पहली बार उतरती ह उस ददन पता चलता ह दक म भी खब पागल िा म सोचता िा

ऐसा करगा ऐसा भोजन करगा इतनी बार भोजन करगा रात पानी न पीऊगा पानी छान कर पीऊगा

इतन कपड़ पहनगा इतन दर सोऊगा बरहममहता म उिगा ऐसा करगा ऐसा करगा इस सबक जोड़ म मि

परमातमा चमलगा जब परमातमा चमलगा तब तमह हसी आएगी दक म भी खब पागल िा करा जोड़ चबिा रहा

िा करा खारा करा चपरा दकतन कपड़ पहन दकतन नही पहन कहा रहा कस नही रहा दकतन उपवास

दकए दकतन वरत दकतन चनरम--सब ऐस वयिा हो जात ह कछ तारतमर ही नही ह जो चमलता ह इतना

चवराि ह दक अगर तमहार उपवासो स चमला हो तो दो कौड़ी का हो जाएगा तमन जो कीमत चकाई ह अगर

वही परमातमा की कीमत ह तो परमातमा पान रोगर भी नही रह जाएगा करोदक तम शीषाासन पर खड़ रह

रोज एक घिा इसचलए परमातमा चमला तो रही परमातमा की कीमत हो गई--चसर क बल खड़ रहना एक

घिा रह कोई बात हई दक तम कािो पर लि रह तो रह परमातमा की कीमत हो गई कारा-कारण का कोई

सबध नही ह चजस ददन परसाद बरसता ह उस ददन सब पररास बह जात ह जस बाढ़ आ गई और सब िाड़-

िखाड़ दकनारो क बह गए कछ पता न चला सब गरा ऐस ही तमहारी सारी साधना चली जाती ह चसचदध की

बाढ़ म

इसचलए चजनहोन जाना ह उनहोन कहा ह दक हमन जो दकरा उसस चमलन का कोई सबध नही ह रदयचप

जब तक नही चमला िा तब तक हम रही सोचत ि दक न करग तो कस चमलगा

अहकार हमशा करन की भाषा म सोचता ह इस ससार म और सब चीज करन स चमलती भी ह अगर

कछ न करोग तो धन नही चमलगा पद नही चमलगा कछ नही करोग हाि पर हाि रख बि रहोग तो बदध

बन रहोग दसर लोग मार ल जाएग हाि तमस पहल रहा तो आपा-धापी करनी होगी मार-धाड़ करनी

होगी गलाघोि परचतरोचगता ह िम-ििक करनी होगी ऐस िोड़ ही बस तम बि रह और लोग आ गए और

कहा दक आप परधानमतरी हो जाइए दक नही आपको तो होना ही पड़गा नही रहा तो बहत ििि ह रहा तो

काफी चसर-फड़ौवल होगी तब अगर घस पाए भीड़ म तो घस पाए दफर भी कछ पकका नही ह पहचत-पहचत

लोग चक जात ह चबलकल हाि पहचत-पहचत चछिक जाता ह भारी सघषा ह

तो रहा तो सब कमा स चमलता ह इसचलए हमार भीतर एक गचणत का जनम हो जाता ह दक सभी कछ

कमा स चमलता ह तो परमातमा भी कमा स चमलगा बस वही भल हो जाती ह परमातमा इस जगत क गचणत क

बाहर ह कमा स नही चमलता समपाण स चमलता ह अकमा स चमलता ह िक जान स चमलता ह सघषा स नही

चमलता आकरमण स नही चमलता चमि जान स चमलता ह जो बि रहा चप होकर शात होकर--इतना शात

होकर दक भीतर कोई तरग भी न रही--दकस अनारास घड़ी म उसका आगमन हो जाता ह पता भी नही

चलता और इसचलए बड़ स बड़ा चमतकार रही ह दक जो नही करत उनको चमलता ह जो अकमा की गहराइरो

म उतर जात ह उनको चमलता ह जो शनर की अतल तलहरिरो म डब जात ह उनको चमलता ह

पछत तम हो दक पहली िलक करा ह रह कब घरित होती ह

चचनमर जब तम चमि जाओग तब घरित होगी इसचलए चमिाओ अपन को इसचलए बह जान दो मत

बचाओ अपन को दकसी बहान मत बचाना दकसी सहार मत बचाना दकसी खिी पर अपन को िाग मत

रखना जञान की खिी हो तराग की खिी हो तपिराा की साधता की--सब जान दो सब खरिरा तोड़ डालो

कोई सहार कोई चनचमतत मत छोड़ो इतना ही तम कर सकत हो दक अपन अहकार को न बनाओ

33

और मजा रह ह दक अहकार बनाओ तो ही बनता ह न बनाओ तो ह ही नही अहकार इसचलए जस ही

तमह रह समि म आ जाता ह दक अहकार क न होन स परमातमा चमलगा वस ही अहकार का बनाना धीर-धीर

शात हो जाता ह अहकार तो ऐस ही ह जस कोई आदमी साइदकल चलाता ह पडल मारता रहा तो साइदकल

चलती ह पडल मारना बद कर दो साइदकल रक ही जाएगी िोड़ी-बहत दर चल कर रक जाएगी दकतनी दर

चलगी

अहकार कोई चीज नही ह पडल मारना होता ह चनरतर तो अहकार बनता ह इसचलए अहकारी को

चनरतर कछ न कछ करन म लगा रहना पड़ता ह उपमतरी ह तो मतरी हो जाए मतरी ह तो दफर कचबनि म

पहच ददलली पहच जाए ददलली पहच गरा तो कछ और हो जाए--होता ही रह पडल उस मारत ही रहन

पड़त ह हजार रपए ह तो दस हजार हो जाए दस हजार ह तो लाख हो जाए लाख ह तो दस लाख हो जाए

उस पडल मारत ही रहन होत ह ऐसा नही ह दक दस लाख हो गए अब बस िीक ह अब करा करना ह अब

मजा कर पडल मारना बद दकरा दक चारो खान चचतत चगरोग

अहकार तो चनरतर सदकररता म जीता ह अहकार तो ऐसा ह जस नि चलता ह रससी पर अगर तम न

अहकार को गचत दो न उस भोजन दो तो अहकार चतरोचहत हो जाता ह अहकार कोई वसत नही ह

इसचलए मिस रह मत पछना दक दफर अहकार को कस चमिाए अकसर लोग वह पछन लगत ह उनस

दक कहो अहकार नही होगा तो परमातमा चमलगा तो व कहत हाः अहकार को कस चमिाए अगर तम ही

चमिाओग तो नरा अहकार पदा हो जाएगा दक म चनर-अहकारी ह दखो मन अहकार को चमिा ददरा रह और

सकषम अहकार ह और भी खतरनाक पहल स भी जरादा इसकी गहरी जड़ हो जाएगी रह दफर रकावि हो

जाएगी

इसचलए रह तो पछना ही मत दक अहकार को कस चमिाए करोदक तम अगर चमिाओग तो चमिगा

नही इतना ही समि लो दक अहकार को कस न बनाए बस इतना ही पहचान लो दक दकन-दकन तरकीबो स

हम अहकार को बनात ह उन-उन तरकीबो को चशचिल कर दो अचानक तम पाओगः अहकार चसकड़न लगा

चबखरन लगा चगरन लग उसक पतत आ गई पतिड़ जलदी ही उसकी जड़ सख जाएगी बस पानी मत दो

जलदी ही तम पाओग अहकार गरा

और चजस घड़ी अहकार गरा ततकषण परमातमा का आचवभााव हो जाता ह--पहली िलक और पहली

िलक ही तो अचतम िलक ह एक िलक चमल गई तो सब चमल गरा दफर पहल और अचतम म कछ भद िोड़

ही ह एक बार परमातमा की अनभचत हो गई दक हो गई अनभचत दफर तमहार लौिन का कोई उपार नही ह

दफर कौन अहकार की गदगी म लौिगा करो लौिगा चजसन सवगा का सख जाना दफर नरक म करो पड़गा

चजस हीर-जवाहरात चमल गए अब ककड़-पतिर करो बीनगा

कछ इस अदा स आज वो पहलनशी रह

जब तक हमार पास रह हम नही रह

ईमानो-कफ और न दचनरा-ओ-दी रह

ऐ इशक शादबाश दक तनहा हमी रह

रारब दकसी क राज-महबबत की खर हो

34

दसत-जन रह न रह आसती रह

जा और कोई जबत की दचनरा तलाश कर

ऐ इशक हम तो अब चतर काचबल नही रह

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

दकसमत म क-ए-रार की दो गज जमी रह

बस भि की इतनी आकाकषा ह--

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

मि दो दचनराओ क जो सख ह नही चाचहए व जो चवशाल दो दचनराओ क रहसर ह मि नही चाचहए

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

दकसमत म क-ए-रार की दो गज जमी रह

उस परार क गली की दो गज जमीन ही काफी ह

इस इशक की तलाफी-ए-माफात दखना

रोन की हसरत ह जब आस नही रह

और ऐसा होता ह जब परमातमा का दशान होता ह तो रो भी न पाओग हस भी न पाओग धनरवाद

भी न द पाओग िक भी न पाओग करोदक व सारी दकरराए भी अहकार क साि गई अवाक सननािा रह

जाएगा न कोई धनरवाद उिगा न अनगरह क दो आस चगरान क उपार रह जाएग

इस इशक की तलाफी-ए-माफात दखना

रोन की हसरत ह जब आस नही रह

जब धनरवाद करन का मौका आएगा तो जबान न खलगी ओि न खलग कि अवरदध हो जाएगा जब

दो आस चगराना चाहोग पाओग दक आसओ का कछ पता नही जब चसर िकाना चाहोग चसर न पाओग जब

चाहोग दक अब नाच आनदमगन होकर तो अपन को न रोक पाओग अब नाचनवाला कहा

रह धमा का चवरोधाभास ह

जब तक तम हो रो भी सकत हो गा भी सकत हो नाच भी सकत हो--तब तक नाचन की कोई घिना

नही घिती और जब घिना घिती ह दक नाचो ऐस नाचो पागल होकर आनद म मदमसत होकर लदकन तब

कौन नाचनवाला बचा गए व ददन जब तम ि अब परमातमा ही ह ऐसी घड़ी म पहली िलक

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

फका नजदीक की और दर की आवाज म ह

बस इतना ही फका ह अभी भी तम नही हो परमातमा ही ह बस तमह भाचत ह अपन होन की दख म

भी वही सवर ह जो सख का ह इस परथवी पर भी सवगा की ही हवा ह इस सरज की दकरणो म भी उसकी ही

दकरण ह इन लोगो म भी वही धड़क रहा ह तमह पता नही ह बस इतना ही फका ह

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

35

उसी वीणा स तो आनद का सगीत उि आता ह उसी वीणा स चवरह क गीत भी पदा हो जात ह वही

वीणा ऐसा साज छड़ सकती ह दक तम नाच उिो और वही वीणा ऐसी चवरह की पीड़ा को जगा सकती ह दक

तम जार-जार रो उिो वीणा वही ह सवर भी वही ह

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

फका नजदीक की और दर की आवाज म ह

बस जरा सा फका ह तमन परमातमा की आवाज अभी नजदीक स नही सनी बहत दर स सनी ह वदो म

सनी ह करानो म सनी ह बाइचबल म सनी ह बहत दर स सनी ह उधार सनी ह बदधो स सनी ह नानक स

सनी ह कबीर स जगजीवन स--तमन नही सनी ह बस दर और पास की आवाज का फका ह तम सन लो सब

हो जाए

र सबब ह दक तड़प सीना-ए-हर-साज म ह

मरी आवाज भी शाचमल तरी आवाज म ह

चजस ददन जानोग उस ददन पाओगः तमहारी आवाज भी उसकी ही आवाज िी तम जो बोल ि वह भी

वही बोला िा तमह पता नही दक तमहार कि म भी वही चवराजमान ह उसक अनरिा कोई और ह ही नही

इसचलए तमह पता नही ह रह और बात ह लदकन तम हो तो परमातमा म ही मछली को पता न हो दक सागर

म ह इसस करा फका पड़ता ह ह तो सागर म ही

जो न सरत म न मानी म न आवाज म ह

ददल की हसती भी उसी चसलचसला-ए-राज म ह

आचशको क ददल-मजरह स कोई पछ

वो जो इक लतफ चनगाह-गलत-अदाज म ह

परचमरो स पछो बस एक जरा सी नजर उसकी आख का आख म पड़ जाना उसकी बाकी नजर उसकी

चतरछी नजर और कराचत घि जाती ह जो चमिाए नही चमिता िा पारा नही जाता जो खोज नही चमलता िा

वह एकदम सामन खड़ा ह और पता चलता ह सदा स सामन खड़ा िा

आचशको क ददल-मजरह स कोई पछ

वो जो इक लतफ चनगाह-गलत अदाज म ह

गोश-मशताक की करा बात ह अललाह-अललाह

सन रहा ह म वो नगमा जो अभी साज म ह

दफर तो ऐसी सकषमता पदा होती ह दक जो नगमा अभी वीणा स जगा भी नही ह अभी वीणा क तारो म

सोरा हआ ह वह भी सनाई पड़न लगता ह अभी तो वीणा बजती ह वह भी सनाई नही पड़ती ह--चबलकल

बहर हो वीणा बज रही ह और तम पछत हो--कहा ह साज कहा ह सगीत और कोरल म वीणा बज रही ह

और पपीह म बज रही ह और वकषो क पास स गजरती हवाओ म बज रही ह सागर म नाचती हई उतरती नदी

म बज रही ह तमहार कि म तमहार पड़ोसी क कि म--सब तरफ उसी की वीणा का नाद ह उसका ही नाद ह

सारी आवाज उसकी आवाज ह सब अनाहत ह

गोश-मशताक की करा बात ह अललाह-अललाह

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सन रहा ह म वो नगमा जो अभी साज म ह

और दफर जब आख खलती ह पहचान आती ह पहली िलक चमलती ह तो जो अभी गीत पदा भी नही

हआ वह भी सनाई पड़न लगता ह अभी जो गीत गारा भी नही गरा वह भी सनाई पड़न लगता ह उसकी

मसती छान लगती ह अभी तो दशर भी ददखाई नही पड़ता तब अदशर भी ददखाई पड़न लगता ह और धमा

की अगर कोई पररभाषा करनी हो तो रही पररभाषा हः अदशर को दशर कर लन की कला जो नही ददखाई

पड़ताः जो नही ददखाई पड़ सकता उस दख लन की कला जो अवयि ह उस छ लन की कला चजस छआ नही

जा सकता

अगर सच म पछो तो कोई अगर अछत ह तो चसफा परमातमा उस छआ नही जा सकता लदकन उस छ

लन की कला का नाम धमा ह असभव को सभव बना लन की कला का नाम धमा ह

मगर कला का एक सतर बचनरादी हः तम चमिो अहकार जाए परमातमा आरा ही हआ ह बस अहकार

जाए और आख खल जाती ह और कान खल जात ह साज म सोए हए गीत भी सनाई पड़न लगत ह

तब जीवन एक अनभव ह तब जीवन एक अदभत सौदरा ह तब जीवन बहत रगीन ह तब जीवन

उतसव ह

तीसरा परशनः कषण उदधव को कहत ह मरा ऐसा चनिर ह दक सतसग और भचिरोग को छोड़कर ससार-

सागर स पार होन का दसरा उपार नही ह

करा सतसग और भचि एक ही चसकक क दो पहल ह कपा करक समिाए

नरदर सतसग ह सरोवर और भचि ह सनान सतसग सकरामक वातावरण का नाम ह जहा परमातमा की

बीमारी पकड़ जाए जहा धमा का रोग लग जाए

सतसग का अिा हः जहा कोई परमातमा को उपलबध हो गरा ह उसक पास बिना जस बीमारी सकरामक

होती ह वस ही सवासरथर भी सकरामक होता ह और जस पाप सकरामक होता ह वस ही पणर भी सकरामक होता

ह और जस जआरी क पास बि कर जआ खलन की कामनाए उिन लगती ह वस ही परािाना म लीन वयचि क

पास बिकर परािाना की तरग उिन लगती ह

हम अलग-अलग िि हए नही ह हम जड़ ह हम एक-दसर स जड़ ह जब तम जाओग चहमालर क पास

तो चजनहोन कभी ऊपर आख नही उिाई ह व भी गौरीशकर पर कार बफा को जमा हआ दख कर सरज की

रोशनी म चमकता हआ--जस सोना चपघलता हो दक चादी चपघलती हो--एक बार तो आख ऊपर उिा ही लग

जो सदा जमीन पर आख गड़ा कर चलत रह चजनकी पहचान जमीन क गडढो और नाचलरो और कड़-करकि क

अचतररि और दकसी चीज स नही ह व भी चहमालर क करीब जाएग तो एक बार तो आख उिा कर दखना ही

होगा गौरीशकर को और आख पर एक िलक पड़ जाए गौरीशकर की रातरा शर हई

सतसग का अिा होता हः दकसी ऐस वयचि क पास बि जाना जो गौरीशकर जसा हो चजसक पास बि कर

सपन पर खोलन लग चजसक पास बि कर अभीपसाए जगन लग सोई हई आकाकषाए सजग होन लग चजसक

पास बि कर परमातमा को पान का पागलपन पकड़न लग

सतसग सरोवर ह और जो उसम डबकी लगा लत ह व भि हो जात ह सतसग क चबना भचि नही कस

भचि सीखोग कहा भचि सीखोग इसका सवाद कस लगगा चजसन चखा हो शारद उसकी बात सन कर

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शारद उसकी भाव-दशा दख कर शारद उसक पास बि कर उसकी तरगो स आदोचलत होकर उसकी आखो म

िाक कर उसका हाि हाि म लकर उसक चरणो म चसर रखकर िोड़ी सी बद तमहार कि म भी उतर जाए

इतना तो पकका ह दक चजसन परमातमा को जाना ह उसक पास स तम वस ही न लौि सकोग जस गए ि रा तो

दोसत होकर लौिोग रा दशमन होकर लौिोग जो दोसत होकर लौिा उस पर भचि की छाप लगनी शर हो

गई जो दशमन होकर लौिा उसन अपन को बचान का उपार शर कर ददरा वह घबड़ा गरा दशमनी

आतमरकषा ह

जो वयचि बदध क पास स दशमन होकर लौि गरा ह उस पर नाराज मत होना करोध मत करना वह

दरा का पातर ह वह घबड़ा गरा रह जो बाढ़ आती िी बदध की उसकी तरफ वह डर गरा उसन जोर स

दकनार को पकड़ चलरा उसन बदध की बाढ़ म बहन स इनकार कर ददरा उसन कहा दक नही कोई बाढ़ ही

नही ह वह इतना भरभीत हो गरा दक उस लगा दक अगर मन एक बार और आख खोल कर दखा इस

गौरीशकर को तो दफर म अपन कदमो को नही रोक सकगा दफर र कदम रातरा पर चनकल जाएग दफर करा

होगा मन वह सब जो घर-गहसिी बना रखी ह व सब जो मन जाल फला रख ह बाजार म और अभी सब तो

अधरा ह अभी कछ तो परा नही हआ अभी बि का चववाह करना ह अभी सब तो अधरा ह अभी तो बिी को

बचचा होन वाला ह अभी नई-नई दकान का शभमहता दकरा ह अभी सब नरा-नरा ह कचचा-कचचा ह और

हमशा सब नरा-नरा रहता ह हमशा सब कचचा-कचचा रहता ह पकता रहा कछ ह नही कभी नही पकता बढ़

स बढ़ आदमी की हजदगी म सब उलिा रहता ह सलिता रहा कछ ह ही नही उलिन पर उलिन आती चली

जाती ह रह सबका करा होगा अगर म चल पड़ा इस गौरीशकर को दख कर अब इस गौरीशकर स बचन का

उपार करा ह एक ही उपार ह दक म इनकार ही कर द म कह द दक गौरीशकर ह ही नही ऐसा इनकार कर

द दक दफर रह भाव सवाल रह परशन मन म जग ही नही

इसस लोग बदधो क पास जाकर कभी-कभी दशमन होकर लौि जात ह र अपनी रकषा कर रह ह र कह

रह हाः नही कोई बदध नही ह रह आदमी भाचत म पड़ गरा ह कहा कसा परमातमा कहा कसा सतर रही

ससार सब कछ ह जो मन जाना वही िीक ह म अपन जानन को असत-वयसत नही करना चाहता ह मन बड़ी

मचशकल स िोड़ी सी दचनरा बनाई ह मत कहो मिस दक वह सब भम ह मत जगाओ मि मरी नीद स मन

सदर सपन सजोए ह म बामचशकल सपन बना पारा ह दकसी तरह दख-सवपनो स बाहर हआ ह िोड़ भल ददन

करीब आ रह ह और तम आ गए और तम कहत हो रह ससार सब सपना ह और परमातमा को खोजो

नही कोई परमातमा नही ह इनकार करना ही होगा अगर अपना ससार बचाना ह तो परमातमा को

इनकार करना ही होगा और परमातमा का जो सदश लकर आरा ह उस भी इनकार करना होगा अगर रह

बात तम अपन को समिान म राजी हो गए दक न कोई परमातमा ह न कोई परमातमा को कभी पाता ह र सब

भाचतरा ह--तो तम सरचकषत तम दफर अपन सपन म उलि जाओग

मगर बदधपरषो क पास स कोई भी तिसि नही लौि पाता रह बदधपरषो की परीकषा ह उनक पास स

रा तो कोई डब जाता ह उनक रग स भर जाता ह रा कोई दशमन होकर आ जाता ह रा तो मतरी रा शतरता--

बदधो क साि दो ही तरह क नात होत ह तीसरा कोई नाता नही होता बदधो की कोई उपकषा नही कर सकता

रह असभव ह और दशमनी करो तो तम अपन हाि स अवसर गवात हो

फचिक नीतश न कहा ह दक म ईशवर को सवीकार नही कर सकता करोदक ईशवर को सवीकार करन का

अिा होता ह दक म गलत ह और मन जो दकरा ह सब गलत ह

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नीतश ईमानदार आदमी मालम होता ह सचची बात तो कह रहा ह कम स कम दक म सवीकार नही कर

सकता ईशवर को कस कर अपन को गलत और मन जो दकरा ह सब गलत और मरी सारी हजदगी की दौड़-

धप वयिा रह अहकार क चवपरीत पड़ती ह बात इसस तो बहतर रही ह उस अजञात-अगोचर को पता नही

हो रा न हो उसको ही इनकार कर दो

दो ही उपार ह अगर परमातमा को सवीकार करत हो तो तम दफर अपनी हजदगी म उसी ढग स न रह

सकोग जस कल तक रह हो तमह हजदगी की शली बदलनी ही होगी बदलनी ही होगी कोई उपार नही ह

तमह अपनी हजदगी नर ढग स शर करनी होगी कोई उपार नही ह तमह दफर स नई बचनराद डालनी होगी

नर चशलानरास करन होग दफर स शरीगणश करना होगा

चजसम इतनी चहममत ह दक दफर स शरीगणश कर सक--हो सकता ह पचास साल जी चलरा साि साल जी

चलरा सततर साल जी चलरा--दफर स शरीगणश कर सक चजसम इतना साहस ह मौत दवार पर दसतक द रही ह

दफर स शरीगणश कर सक वही बदधो स मतरी बना पाता ह बदधो स मतरी बनान का नाम सतसग ह

नीतश िीक कहता ह दक नही मानगा ईशवर को करोदक दफर तो म गलत हआ दफर मरा दकरा-धरा सब

गलत हआ इसस तो आसान रही ह दक एक बार ईशवर को ही इनकार कर द अपन सार ससार को इनकार

करन क बजार रही उचचत ह ईशवर को ही इनकार कर द

मन सना मलला नसरददीन पर अदालत म एक मकदमा िा उसन अपनी सतरी को गोली मार दी

मचजसरि न उसस पछा दक नसरददीन ऐसा करा कारण आ गरा तो उसन कहा दक म घर आरा मन पर-परष

क साि इस सोए दखा तो मन गोली मार दी मचजसरि न पछा साधारणतः अगर तम नाराज ही इतन हो गए

ि तो उस परष को गोली करो नही मारी तो उसन कहा दक रोज-रोज नर-नर परषो को गोली मारन क

बजार एक सतरी स ही ििि छड़ा लना बहतर िा

ससार का तमहारा बड़ा चवसतार ह--दकान ह बाजार ह धन ह पद ह परचतषठा ह पररवार ह--एक

परमातमा को ही भला दना आसान मालम पड़ता ह एक परमातमा को ही गोली मार दनी आसान मालम पड़ती

ह शष सब बच जाता ह

सतसग का अिा होता हः तम बचनी म पड़ोग इसचलए पहल तो लोग सतसग स बचत ह सब तरह क

उपार करत ह अगर दकसी भल-चक स आ भी गए घिनावशात सरोगवशात आ भी गए तो भी अकड़ कर

बि रहत ह अपना बचाव करत रहत ह तरारी म रहत ह दक कस रहा स चनकल भाग कही उलि न जाए

छोि-छोि बहान खोज लत ह छोि-छोि चनचमतत कारण बना लत ह दक इस कारण अभी समर नही आरा कल

क चलए सिचगत कर दत ह दक जब समर आएगा तब और अगर ऐसा लगता ह दक हखच जा रह ह दकसी परवाह

म तो दफर करोध खड़ा होता ह--दक रह कौन ह जो मरी हजदगी क बन-बनाए खल को तमाश को नषट दकए द

रहा ह

छोि बचचो स चखलौन छीन ह कभी जो उनकी हालत हो जाती ह वही सतसग म उनकी हो जाती ह

चजनहोन चखलौनो स बहत जरादा लगाव बना चलए ह दकसी छोि बचच स चखलौना छीनना रोता ह चचललाता

ह तमह पता ह दक चखलौना ह मगर उस पता नही ह वह अपन चखलौन को अपनी छाती स लगा कर रखना

चाहता ह रात सोता भी ह तो अपन चखलौन को छाती स लगा कर सोता ह तम भी रात अपना चखलौना

छाती स लगा कर सोत हो कछ लोग अपन धन का चहसाब लगात सोत ह--वह चखलौना छाती स लगाए ह

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कोई चनाव लड़न की रोजना बनात हए सोत ह कल उि कर सबह कौन स उपदरव तमह करन ह उसका सब

आरोजन करक सोत ह चखलौन

सतसग म चखलौन छीन चलए जाएग सतसग म और कछ छीना नही जाता ह चसफा चखलौन छीन जात ह

चखलौन तोड़ जात ह

और धरान रखना अगर कही कोई साध-महातमा तमहार चखलौनो को सवारता हो तमह सातवना दता

हो तमह भरोसा-ढाढ़स बधाता हो तो समि लना दक वह सतसग नही ह सतसग तो वही ह जहा तमहार सार

चखलौन तोड़ ददए जाएग बरी तरह तोड़ ददए जाएग बरहमी स तोड़ ददए जाएग तमहार चखलौनो पर रहम

तम पर बरहमी ह तम पर रहम करना हो तो तमहार चखलौनो पर बरहम होना ही पड़गा

इसचलए सतसग किोर परदकररा ह चसफा चहममतवर की ह चसफा चजनक भीतर साहस ह दससाहस ह व

ही सतसग कर पात ह इसचलए कहा जञाचनरो नः खडग की धार ह

सतसग का अरि होता हः तम तरार हो अब अगर तमहार सपन छीन जाएग तो तम उनको बनान की

चषटा न करोग तमन खद भी खब चवषाद दख चलरा तमन हजदगी दख ली कछ पारा नही हाि खाली ह

चखलौन स भर हाि खाली हाि ह भर हाि नही ह तम समि गए इतनी समि तमह आ गई तो सतसग म

दोसती बनगी मतरी बनगी

और जो सतसग म चमतर-भाव स बि जाता ह उसम भचि का आचवभााव होता ह

सतसग सरोवर ह भचि सनान सतसग म जो नहा चलरा ताजा हो जाता ह आख नई हो जाती ह हदर

नरा हो जाता ह दखन क ढग पहचानन क ढग नर हो जात ह सारी धल हि जाती ह दफर स जनम होता ह

दफर स जीवन की शरआत होती ह--समरक शरआत होती ह जो जीवन तमन शर दकरा िा जनम क बाद वह

तो बहोशी म हआ िा तमह कछ पता न िा जो मा-बाप न करवारा वही तमन दकरा जो पास-पड़ोस क लोग

करत ि वही तम करत रह तम दखा-दखी चलत रह मददर गए तो मददर चल गए और मचसजद गए तो

मचसजद चल गए करान रित ि तो तमन करान रि ली और गीता रित ि तमन रि ली--तमन दखा-दखी की

रह सवाभाचवक भी िा बचच स जरादा आशा की भी नही जा सकती ह बचचा तो अनकरण करता ह लदकन

अभाग ह व लोग जो हजदगी भर बचकान बन रहत ह और हजदगी भर अनकरण करत रहत ह बचच तो कषमर

ह करा करत और जहा चपता गए ि वहा बचचा चला गरा िा चजस मरता क सामन मा िकी िी उसक सामन

बचचा िक गरा िा घर म सतरनारारण की किा होती िी तो उसन समिा िा--रही धमा ह और घर म रजञ-

हवन होत ि तो उसन समिा िा--रही धमा ह और कोई उपार भी तो न िा इनही लोगो स सीखना िा

बचच कषमा दकए जा सकत ह

लदकन कब तक तम बचच रहोग कब तक दखा-दखी कब तक नकल कभी तो परौढ़ बनो जब कोई

वयचि परौढ़ बनता ह तो सतसग क रोगर बनता ह तब वह अपनी तरफ स तलाश शर करता ह अब वह कहता

ह म खोजगा दकसी ऐस वयचि को चजस चमल गरा हो म उनक पीछ नही चलगा चजनह खद भी पता नही ह

जो मर ही जस अध ह म अब बिगा दकसी ऐसी आभा क पास दकसी ऐस आभामडल म जहा सतर की कोई

परतीचत हई हो

और धरान रखना अगर तम चहममतवर हो तो सतसग म पहचत ही ततकषण तमहारा हदर गवाही द दगा

दक हा िीक जगह आ गए रह गवाही बचदध की नही होती हदर की होती ह हदर कह दता ह और हदर

कभी िि नही बोलता बचदध सदा िि बोलती ह करोदक बचदध जो भी बोलती ह सब उधार ह अगर तम हदर

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खोल कर बि जाओ दकसी कबीर दकसी नानक दकसी जगजीवन क पास चबना दकसी अवरोध क भर नजर

दख लो कबीर को--तमहारा हदर कह दगा गवाही द जाएगा कोई तमहार भीतर तरग कह जाएगी तमस दक

बस आ गई वह जगह जहा िकना ह पहच गए उस सिल पर चमल गरा तीिा

हा बचदध की अगर सनी तो अड़चन होगी करोदक बचदध तो रिा-रिारा दोहराएगी

और कबीर जो कह रह ह वह सवानभत ह तमहारी बचदध और कबीर की बात म मल नही पड़गा बचदध

तो कहगीः नमाज पढ़ो और कबीर कहत हाः करो चचलला रहा ह पागल करा तरा खदा बहरा हो गरा ह

और बचदध कहती हः नमाज पढ़ो और रह कबीर कहत हाः करा तरा बहरा हआ खदा एकदम चोि लग जाएगी

बचदध को बचदध कहगीः रह बात िीक नही ह बचदध न सना ह दक काशी म मरोग तो मोकष जाओग बकि

चमलगा और रह कबीर कह रह हाः काशी भर म मत मरना करोदक काशी म मर अगर मोकष गए तो दो

कौड़ी का मोकष काशी म मरन क कारण मोकष चमलगा तो दो कौड़ी का हो गरा

लोग काशी-करवि को जात ह अनक बढ़-िढ़ काशी रहत ह जाकर इसीचलए दक वही मरना हो जाए

चजए तो नही धमा को काशी-करवि लन गए ह

कबीर कहत हाः जीओ

मरत वि कबीर न कहा--उि कर खड़ हो गए और कहा दक चलो अब मर मरन का वि करीब आ गरा

ह--हजदगी भर काशी रह--अब रहा स चलो लोगो न कहाः आप करा कह रह ह कबीर न कहाः काशी म न

मरगा चलो दर चनकल चलो काशी स

हि गए काशी स दर पास क एक गाव म जाकर मर चसफा इसीचलए रह सचना दन को दक इस सिानो

पर मरन स कोई मोकष नही होता चसिचतरा होनी चाचहए अतदाशा होनी चाचहए

जीओ धमा मरन की बात नही ह जीन की बात ह कहा मर इसस करा होगा कस चजए इसस करा

होगा कबीर को सनोग तो बचदध को तो अड़चन आएगी अगर बचदध को बीच म लाए दशमन होकर लौि

जाओग--सतसग चक गरा करोदक बचदध कहगीः वद म तो ऐसा चलखा ह करान म तो ऐसा चलखा ह गीता तो

ऐसा कहती ह और रह कबीर करा कह रह ह रह बदध करा कह रह ह रह तो बात जचती नही ह रह तो

नरक क अनकल नही ह रह तो शासतर क अनकल नही ह चक गए तम सतसग

सतसग हदर स पकड़ा जाता ह बचदध को रख दो हिाकर हदर स अनभव करो शात बि जाओ--कबीर

जस वयचि क पास जाओ तो शात बि जाना मौन बि जाना बचदध को कहनाः त चप िोड़ा मर हदर को

बोलन द िोड़ा मर हदर को डोलन द िोड़ा मर हदर को पकड़न द तरग इस वयचितव की और तम चदकत

हो जाओग तमहारा हदर जो कहगा वही चनणाारक ह अगर सतसग ह वहा अगर सतर को उपलबध हआ

वयचि मौजद ह वहा तो तमहारा हदर ततकषण समरपात हो जाएगा--ततकषण हदर को पता ह हदर को ही पता

ह बचदध को कछ भी पता नही ह बचदध अधी ह अधर म ििोलती ह हदर क पास आख ह परम की हदर को

अनभव हो जाता ह बस दफर पड़ गई भावर सतसग शर हआ बधा अनत स नाता रातरा शर हई इसम

चजतन डबोग उतनी भचि चनखरगी

सतसग म डबन स भचि चनखरती ह दफर जब भचि अपनी पराकाषठा पर पहच जाती ह तो भगवान की

उपलचबध होती ह

र तीन सीदढ़रा समि लो सतसग स शरआत ह भचि म मधर ह भगवान म अत ह मगर पहचान होती

ह हदर स

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साकी की चशम-मसत का करा कीचजए बरान

इतना सरर िा दक मि भी सरर िा

कभी दकसी परमातमा क परार को दखोग उसकी आखो म िाकोग तो उसको इतना नशा ह दक उसकी

आखो म दख कर तमह नशा हो जाएगा

साकी की चशम-मसत का करा कीचजए बरान

इतना सरर िा मि भी सरर िा

शराब पीनी भी नही पड़गी साकी की आखो म दखी लहराती शराब दक कछ न कछ नशा तम पर भी

छा जाएगा

जाचहद मगर इस रमज स आगाह नही ह

चसजदा वही चसजदा ह दक जो नग-जबी ह

तिाकचित धारमाको को कछ पता नही ह दक असली चसजदा असली परािाना करा ह जहा मािा अपन

आप िक जाए चसफा िक ही नही चमि ही जाए मददरो और मचसजदो म तम मािा िका रह हो वह कवल

आदत ह डर ह ससकार ह भाव नही और जहा भाव नही ह वहा भचि कसी जब भाव स िकता ह मािा तो

दफर उिता ही नही

चजस रग म दखो उस वो पदाानशी ह

और इस प र पदाा ह दक पदाा ही नही ह

जरा पहचान होन लग रा दकसी पहचान वाल स पहचान होन लग दक तम पाओग दक हर तरफ वही

चछपा ह और मजा रह ह दक चछपा जरा भी नही ह चजस रग म दखो उस वो पदाानशी ह हर पद क पीछ

वही ह और इस प र पदाा ह दक पदाा ही नही ह उघड़ा खड़ा ह नगन खड़ा ह परमातमा

हर एक मका म कोई इस तरह मकी ह

पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह

हर मकान म चछपा ह पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह दखन-दखन की बात ह पछन की नही

कबीर न कहाः चलखा-चलखा की ह नही दखा-दखी बात दखो हदर दखता ह बचदध पछती ह

हर एक मका म कोई इस तरह मकी ह

पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह

मिस कोई पछ तर चमलन की अदाए

दचनरा तो र कहती ह दक ममदकन ही नही ह

दकसी परमी स पछो दचनरा स मत पछना दचनरा को करा पता तम परमातमा क सबध म उसस

पछना चजसकी आखो म तमह परमातमा का सरर चमल चजसक आस-पास परमातमा की शराब बहती हई

मालम पड़ चजसक पास बि कर तम डरन लगो दक कही डब तो न जाओग चजसक पास बाढ़ आन लग चजसक

पास तमहारा हदर एक नई उमग स आदोचलत हो उि चजसक पास तमहारा हदर एक नई तरह स धड़कन लग

शवास एक नई शली ल ल चजसक पास बि कर िोड़ी दर को तम दचनरा को भल ही जाओ दकसी और जगत क

दवार खल जाए कोई रहसर क पद उि उसस पछना और पछना करा दखना करोदक दखना ही पछन की

असली बात ह पछ-पछ स कछ भी न होगा दखना

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सतसग दशान ह सदगर का

और कषण न उदधव स जो कहा िीक ही कहाः मरा ऐसा चनिर ह दक सतसग और भचि-रोग को छोड़

कर ससार-सागर स पार होन का और दसरा उपार नही ह

सतसग स शरआत भचि म मधर भगवान म पणााहचत

तीसरा परशनः भगवान

परभ जग स नाता तोड़ी र

म तिस नाता जोड़ी

जहा चबिाए बि रह म

जो द-द सो खा ल

जो पहनाए पहन रह म

जहा सलाए सो ल

परभ जग स नाता तोड़ी र

आराा जग भी उसका ही ह जग भी उसन ही ददरा ह नाता तोड़न की जररत ही नही ह बस उसस

नाता जोड़ो दकसी स नाता तोड़ो मत उसस नाता जोड़ो जरर उसस नाता जड़ जाए बस रही काफी ह दफर

तम अचानक पाओग दक सब म वही वयापत ह जग म भी वही वयापत ह रह सारा चवसतार उसी का ह इस

चवसतार म कही भी कछ भाचत नही ह भाचत ह हमार अहकार म भाचत ह हमार मन म

मारा जगत का नाम नही ह मारा हमार मन का फलाव ह जगत तो उसका ही ह लदकन मन न एक

फलाव कर चलरा ह जो ििा ह जो नही ह उस दख चलरा ह जो ह उस अनदखा कर ददरा ह असार को

पकड़ चलरा ह सार को छोड़ ददरा ह

जग स नाता नही तोड़ना ह रही तो मरी बचनरादी चशकषा ह जग उसका ही परकि रप ह जग म वही

चछपा खड़ा ह जग को उसकी परचतमा समिो

आराा तर मन म पराना ससकार होगा गहरा सदा स रह कहा गरा ह दक ससार स नाता तोड़ो और

परमातमा स नाता जोड़ो म कहता हाः चसफा परमातमा स नाता जोड़ो और तम पाओग दक ससार भी उसका

ही रप ह नाता तोड़न की बात ही करा करनी रहा कोई दसरा ह ही नही इसचलए म कहता हाः घर छोड़

कर मत जाओ पतनी भी मत छोड़ो बचच भी मत छोड़ो अनरिा जलदी ही उपदरव शर हो जाएगा

अब जस आराा न कहा दक परभ जग स नाता तोड़ी र अब जलदी ही इसक मन म भाव उिन लगग दक अब

करा पचत करा बचच करा घर सब छोड़ो-छाड़ो सब ििि ह हालादक त कह रही ह--

जहा चबिाए बि रह म

जो द द सो खा ल

जो पहनाए पहन रह म

जहा सलाए सो ल

परभ जग स नाता तोड़ी र

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दफर परभ दफर रह काह क चलए जग स नाता दकसचलए तोड़ रही ह रही तो उसन जगह चनी ह

तमहार चलए सोओ खाओ पीओ--रह उसका ही इतजाम ह

मर पास रोज ऐसा मौका आ जाता ह कोई आ जाता ह वह कहता दक हम तो सब आप पर छोड़ ददए

अब जो कहग आप वही हम करग और म कहता हाः भाई अपन घर जाओ वह कहत ह दक हम जा ही नही

सकत आप जो कहग वही हम करग हम तो सब आप पर ही छोड़ ददए ह अब हम कही जान वाल नही ह

अब तो आपक चरणो म ह अब तो आपकी मजी हमारी मजी और म उनस कह रहा ह दक भाई मर तम अपन

घर जाओ अब तो रह हो ही नही सकता हम तो सब आप पर ही छोड़ ददए ह अब इनह कोई कस समिाए दक

तम करा कह रह हो अगर मि पर ही छोड़ ददए हो तो म कह रहा हाः घर जाओ वह कहत ह घर इतरादद

हम जाना नही

पराना एक ससकार ह सनरास का अिा िाः सब छोड़ दो तब परमातमा चमलगा सनरास का पराना अिा

िाः ससार और परमातमा म चवरोध ह रह बात इतनी अजञानपणा ह अगर चवरोध ही ह तो ससार हो ही नही

सकता अगर परमातमा ससार का चवरोधी ही ह तो बनाए करो तो चलन करो द तो इस सजाए करो इतन

फल करो चखलाए इतन चाद-तार करो बनाए नर-नर बचचो को जनम करो दता चला जाए

तम अगर दकसी चीज क चवरोध म हो तो तम बनाना तो बद ही कर दोग न अगर कोई कचव कचवताओ

क चवरोध म ह कचवताए रचगा नही और कोई चचतरकार अगर चचतरो क चवरोध म ह तो करो चसर फोड़गा

करो तचलका उिा कर और कनवस पर रग पोतता रहगा पागल ह परमातमा ससार को सजाए ही चला जाता

ह बनाए ही चला जाता ह चनतनतन दकए जाता ह परमातमा ससार क चवरोध म नही ह परमातमा तो ससार

म परा का परा चलपत ह डबा हआ ह--आकि डबा हआ ह रह उसकी कचत ह जस नताक अपन नतर म डबा

रहता ह ऐसा परमातमा इस जगत म डबा हआ ह

लदकन पचडतो न परोचहतो न एक चवरोध खड़ा दकरा ससार और परमातमा क बीच एक दवदव खड़ा

दकरा म तमह दवदव स मि करना चाहता ह म तमह चनदविदव दखना चाहता ह कोई चवरोध मत खड़ा करो अगर

परमातमा को रह जगत सवीकार ह तो तम कौन परमातमा स ऊपर उि कर जगत को असवीकार करन की चषटा

कर रह हो उस सवीकार ह तो तमह भी सवीकार हो रही तो अरि ह जहा चबिाए वहा बि रहो जहा सलाए

वहा सो लो जो पहनाए वह पहन लो अगर उसन मा को बनारा ह तो मा और अगर पचत को बनारा ह तो

पचत और पतनी बनारा तो पतनी और उसन घर ददरा तो घर जो उसन ददरा ह इस सरल भाव स सवीकार कर

लो--धनरवादपवाक रह उसका ही ह इसको परािानापवाक जीओ वह ह असली कराचत पचत म परमातमा दखो

पतनी म परमातमा दखो रह असली कराचत वह जो बिा तमहार घर म पदा हआ ह उसका ही रप ह उसकी ही

एक ही दकरण उतरी तमहार गभा स उसम दखो परमातमा को

धमा क नाम पर बहत अनाचार हआ ह सबस बड़ा अनाचार हआ दक लाखो लोग अपन घर-दवार छोड़कर

भाग गए अगर दकसी और कारण भागत तो हमन इनकी खब हनदा की होती लदकन उनहोन बहाना ऐसा

खोजा दक हनदा भी लोग न कर सक हम उनका सममान करन म लग गए और रह भल ही गए--उनकी पचतनरो

का करा हआ उनक बचचो का करा हआ उनक बचच चभखमग हो गए अनाि हो गए उनकी पचतनरा वशराए हो

गई इस सबका हमन चहसाब नही रखा बस एक आदमी सनरासी हो गरा हम उसक सवागत-सममान म लग

गए शोभारातरा चनकालन म लग गए रह भल ही गए दक वह जो कर आरा ह उसक पररणाम करा हए

लाखो लोगो न घर छोड़ा लाखो घर बरबाद हए इस बरबादी इस दख का चजममवार कौन ह

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मर सनरास की धारणा आराा चबलकल अलग ह मर सनरास की धारणा हः सब उसका ह सब म वही

ह उसका ही मान कर उसका ही अगीकार करक ससार को जीओ--और एक कराचत हो जाएगी जीओ ससार म

और दफर भी तम पाओगः ससार क बाहर हो जल म कमलवत

कोई र कह द गलशन-गलशन

लाख बलाए एक नशमन

काचमल रहबर काचतल रहजन

ददल-सा दोसत न ददल-सा दशमन

बस एक ही दोसत ह एक ही दशमन ह--ददल तमहारा मन न कही और कोई दोसत ह न कही कोई और

दशमन ह छोड़ो बदलो कछ भी तो बस इस मन को बदलो

और रहा फल ही फल ह जरा दामन फलाओ और फलो स भर लो

कोई र कह द गलशन-गलशन

लाख बलाए एक नशमन

काचमल रहबर काचतल रहजन

ददल-सा दोसत न ददल-सा दशमन

फल चखल ह गलशन-गलशन

लदकन अपना-अपना दामन

फल तो चखल ह सब तरफ बात अगर कछ ह तो अपन-अपन दामन को फलान की कोई अपन दामन म

फल भर लता ह सवाचसत हो जाता ह उसका जीवन और कोई अपन दामन को चसकोड़ खड़ा रहता ह और

फलो स वचचत रह जाता ह

फल चखल ह गलशन-गलशन

लदकन अपना-अपना दामन

उमर बीती सददरा गजरी

वही ह अब तक अकल का बचपन

इशक ह परार खल नही ह

इशक ह कार-शीशा-ओ-आहन

आज न जान राज र करा ह

चहजर की रात और इतनी रौशन

आ दक न जान ति चबन कल स

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रह ह लाशा चजसम ह मदफन

कािो का भी हक ह कछ आचखर

कौन छड़ाए अपना दामन

ऐसी भाव-दशा का नाम आचसतकता ह

कािो का भी कछ हक ह आचखर

कौन छड़ाए अपना दामन

अगर कािा भी कभी दामन म उलि जाए तो छड़ान की जलदी मत करना कािा भी उसी का ह फल तो

चनना ही काि को भी अगीकार कर लना करोदक फल ही उसक नही ह काि भी उसक ह कभी कोई दख आ

गड़ उसको भी सवीकार कर लना और तब तम चदकत होकर पाओग दक चजस काि को सवीकार कर चलरा

वही कािा फल बन जाता ह और चजस दख को भी अहोभाव स अगीकार कर चलरा वही दख का रपातरण

हआ वही सख का फल चखल जाता ह और तब चवरह की रात भी चमलन की रोशनी स भर जाती ह रह

ससार भी परमातमा स दीपत हो उिता ह

आज न जान राज र करा ह

चहजर की रात और इतनी रौशन

चवरह चल रहा ह लदकन चजस ददन भि सब को सवीकार कर लता ह--बशता चनरपवाद--काि भी फल

भी रात भी ददन भी जीवन भी मौत भी--उस ददन रह चहजर की रात रह चवरह की रात चमलन की रोशनी

स भर जाती ह

इसचलए आराा तरा भाव िीक ह लदकन और िीक करना पड़ भाव म िोड़ी सी करिनाई ह उस

करिनाई को भी चगरा द जग सवीकार ही करना ह तो दफर बशता सवीकार कर लो दफर अपनी मजी को बीच

म लाओ ही मत मजी आई दक अहकार आरा अहकार आरा दक परमातमा स दरी हई मजी गई अहकार

गरा अहकार गरा दक चसफा परमातमा ह और कछ भी नही--न कोई जग ह न कोई म ह वही ह पछो तो पता

नही चलता दखो तो ददखाई पड़ता ह

पाव उि सकत नही मचजल-जाना क चखलाफ

और अगर होश की पछो तो मि होश नही

हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

कौन सी श ह जो आगोश-दर-आगोश नही

रहा कोई चीज अलग-अलग नही ह

हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

न तो रहा सौदरा परम स अलग ह और न परम सौदरा स अलग ह रहा रात-ददन साि-साि ह रहा परमी

और पररसी साि-साि ह रहा भि और भगवान साि-साि ह रहा मारा और बरहम साि-साि ह

पाव उि सकत नही मचजल-जाना क चखलाफ

और अगर होश की पछो तो मि होश नही

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हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

कौन सी श ह जो आगोश-दर-आगोश नही

चमि चक चजहन स सब राद-गजशता क नकश

दफर भी इक चीज ह ऐसी दक फरामोश नही

कभी उन मदभरी आखो स चपरा िा इक जाम

आज तक होश नही होश नही होश नही

दखो र मदभरी आख तमह सब तरफ स तलाश रही ह

कभी उन मदभरी आखो स चपरा िा इक जाम

आज तक होश नही होश नही होश नही

इशक गर हसन क जलवो का ह मरहन-करम

हसन भी इशक क एहसा स सबकदोश नही

और चनचित ही परम सौदरा का बड़ा आभारी ह लदकन सौदरा भी परम का आभारी ह भि भगवान का

आभारी ह सच लदकन भगवान भी भि का आभारी ह करोदक न तो भि को भगवान क चबना चन ह और न

भगवान को भि क चबना चन ह जड़ ह सरि ह रह सारा अचसततव इकटठा ह रहा कोई चीज अलग-अलग

नही ह रहा भद न करो--जगत अलग और परमातमा अलग और मि परमातमा को खोजना ह तो जगत को

छोड़ना पड़गा--ऐस गचणत मत चबिाओ र गचणत भात ह तम जहा हो जस हो वस ही समरपात हो जाओ

जसा रख वस ही रहो जसा चजआए वस ही जीओ

जरा इस अनिी कीचमरा का उपरोग तो करो सब अपनी मजी छोड़ दो और अचानक तम पाओग--सब

गए बोि पहाड़ जस बोि ि चगर गए चनभाार हए इतन चनभाार दक चाहो तो उड़ जाओ आकाश म जमीन

का गरतवाकषाण जस काम न कर करक तो दखो कछ करना नही ह और--जहा हो जस हो वस ही सवीकार

कर लो रही उसकी मजी ह--और उसकी मजी मरी मजी

आचखरी परशनः रदद सब कछ परमातमा क हाि म ह एक पतता भी उसकी मजी क बगर नही चहलता तो

दफर वयचि की सवततरता बमानी हो जाती ह कपरा समिाए

मतरए वयचि ह ही नही कसी सवततरता वयचि हो तो सवततरता समचषट ह वयचि भाचत ह

वयचि ऐस ही ह जस सागर म एक लहर लहर सोच दक म सवततर ह िोड़ी दर मान सकती ह और िोड़ी

दर को भाचत भी बन सकती ह सवततर होन की करोदक लहर उिती ह आकाश की तरफ उततग लहर चाद-

तारो को छन को बढ़ती ह लगता ह दक सवततर ह सागर स सवततर ह दखो म अलग ह और रह भी लगता ह

दक और लहरो स भी म अलग ह--कोई लहर चगर रही कोई लहर उि रही कोई मर रही कोई जवान कोई बढ़

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रही दकसी दसरी लहर क चगरन स म तो नही चगर रही ह--तो चनचित ही अलग ह दकसी और लहर क बढ़न

स म तो नही बढ़ रही ह चनचित ही अलग ह

लदकन करा सच म ही लहर अलग ह लहर की कोई सवततरता ह भाचत ह अहकार ह लहर सागर स

एक ह और बाकी सारी लहर भी सागर स जड़ी ह सारी लहर सागर की सागर लहरा रहा ह लहर कहा ह

सागर लहरा रहा ह लहर कहा ह

परमातमा लहरा रहा ह वयचि कहा ह वयचि भाचत ह मान लना दक म ह तो दफर सवाल उिता ह

सवततरता का कसी सवततरता

और तम रह मत सोच लना दक म रह कह रहा ह दक तम परततर हो करोदक जब सवततरता ही नही तो

कसी परततरता सवततरता-परततरता तो एक ही चसकक क दो पहल ह न रहा कोई सवततर ह--करोदक अलग नही-

-न रहा कोई परततर ह करोदक कोई पर ही नही तो परततर कस तो न कोई सवततरता ह न कोई परततरता

ह परततरता-सवततरता क चलए दो का होना जररी ह दोनो क चलए दो का होना जररी ह अगर कोई भी न

हो तम अकल होओ तो करा तम कहोग म सवततर ह दकसस सवततर और दकसस सवततर कस सवततर और

अगर तम अकल हो और कोई भी नही तो करा तम कह सकोग म परततर ह कसी परततरता दसरा ह ही नही

एक का आवास ह एक म ही लहर उि रही ह एक ही अनक जसा भासता ह

इसचलए सब सवततरता भाचत ह सब परततरता भाचत ह छोड़ो सवततरता छोड़ो परततरता छोड़ो दोनो

का मल आधार--अहकार और अहकार क जात ही जो घिता ह--परसाद जो महोतसव--उसकी तम कलपना भी

नही कर सकत उस परसाद की तम कोई धारणा भी नही कर सकत करोदक रह सवततरता-परततरता रह

अहकार--रही तो तमहार सार कषट ह सार नरक का कारण ह इनही म तो तम उलि हो और कौन कब सवततर

हो पाता ह चसकदर भी सवततर नही ह मौत आती ह तो परततर चसदध हो जाता ह और परततर स परततर

आदमी भी परततर नही ह

रनान म एक चवचारक हआ एचपिकिस उसको रनान क समराि न बलारा और कहा दक मन सना ह दक

तम कहत हो दक तमह कोई परततर नही कर सकता रह बात गलत ह एचपिकिस न कहाः तो करक ददखाए

महाराज बड़ी चहममत की चनौती िी फकीर नगा फकीर उसन कहाः तो करक ददखाए वह समराि भी बहत

दषट परकचत का िा उसन जललाद बला रख ि उसको बधवा ददरा हिकचड़रो स कहाः अब लदकन उसन

कहाः म परततर नही ह चजसको आपन परततर दकरा ह रह तो दह ह रह म नही

उसन जललादो को कहा इसकी िाग उखाड़ दो तो जललाद उसकी िाग मरोड़ कर तोड़न लग उसन

कहा दक दखो तोड़ तो रह हो लदकन अभी तक म महाराज क कछ काम पड़ जाता िा अब आग काम न पड़

सकगा--वह खराल रखना--मज स तोड़ो िाग उसकी तोड़ी जा रही ह लदकन वह ऐस कह रहा ह जस दक कोई

चीज दकसी और की तोड़ी जा रही ह कहाः मज स तोड़ो अभी तो कछ काम पड़ जाता िा अब आग काम न

पड़ सकगा--वह खराल रखना उतना म सावधान दकए दता ह

िाग तोड़ दी गई एचपिकिस हसता रहा एचपिकिस न कहा दक तम मरी दह को चाहो तो जजीरो म

डाल दो कारागह म डाल दो लदकन मि तम कद न कर सकोग म सवततरता ह

तो एक एचपिकिस ह जो कहता ह म सवततर ह--कारागह म पड़ कर िाग तोड़ी जा रही जजीरो म बधा

हआ और एक चसकदर ह जो मरत वि अनभव करता ह दक मरा सारा सामराजर सारा धन सब वयिा गरा

म मर रहा ह ऐस ही जस एक कतता मरता ह

48

फका करा

दोनो ही भाचतरा ह न तो कोई परततर ह न कोई सवततर ह परमातमा ह--और एक ह तम जो भाचत

बनाना चाहो बना सकत हो अगर तमह सवततरता की भाचत बनानी ह तो शरीर स अपन को चभनन मान लना

तो सवततरता की भाचत पदा हो जाएगी अगर परततरता की भाचत बनानी ह शरीर क साि अपना तादातमर कर

लना तो परततरता की भाचत पदा हो जाएगी लदकन एक ही ह दो होत तो सवततरता-परततरता हो सकती िी

अगर तम िीक स समिना चाहो तो रह अचसततव एक परसपरततरता ह न सवततरता न परततरता

परसपरततरता इिरचडपडस सब एक-दसर पर चनभार ह

और अचतम चवशलषण म एक ही ह तमन शवास ली जब शवास तमहार भीतर गई तो तमहारी शवास हो

गई और तमन कहा मरी शवास ह और घड़ी भर पहल दकसी और की सास िी और दफर कषण भर बाद

तमहारी शवास बाहर गई दकसी और न ली उसकी शवास हो गई तमन वकष स एक नाशपाती तोड़ कर खाई

अभी तक बाहर िी अलग िी दो ददन बाद पच गई खन बन गई मास-मजजा बन गई तमहारा अग हो गई

एक ददन तम मर जाओग तमहारी कबर पर एक नाशपाती का िाड़ उगगा उसम एक नाशपाती लगगी उसम

तमहारा लह मास-मजजा सब खाद बन जाएग हो सकता ह तमहारा नाती-पोता उसको खाए--तो बापदादो को

पचा गरा

सब परसपर चनभार ह सब जड़ा ह

अगरजी क महाकचव िचनसन न कहा हः घास क एक पतत को भी चहलाओ दर-दर क चाद-तार चहल जात

ह जस तमन मकड़ी क जाल को कभी चहला कर दखा एक जरा सा धागा चहलाओ सारा जाल चहल जाता ह

एक पतता तोड़ो सारा अचसततव कप जाता ह

इसचलए तो महावीर न अहहसा की बात कही पतता भी मत तोड़ो करोदक रहा एक ही ह

इसचलए तो जीसस न कहाः दशमन को भी कषमा कर दो करोदक दशमन भी दसरा नही तम ही हो

दशमन स भी ऐसा ही परम करो जसा तम अपन स करत हो करोदक तम और दशमन ऊपर-ऊपर अलग ददखाई

पड़ रह ह भीतर-भीतर एक ह

सार धमो का सार करा ह

एक छोिा सा शबद दक रह अचसततव अदवत ह दफर इस अदवत क आधार पर सार अनशासन चवकचसत हए

ह--अहहसा का परािाना का धरान का सार अनशासन अदवत की धारणा स चनकल ह अदवत की गगोतरी स सारी

गगाए चवचार की चनकली ह मगर मलभाव समि लना चाचहए रहा न कोई सवततर ह न कोई परततर ह अगर

तम ऊपर-ऊपर स दखो पररचध पर तो परसपरततरता और अगर क दर पर दखो तो परसपरततरता भी नही ह

करोदक वहा भी करा परसपर दो ही नही ह एक ह

एक को जान लना परमातमा को जान लना ह

इसचलए तो बार-बार कहा जाता ह दक अहकारी नही जान पाएगा करोदक अहकारी मान कर चल रहा

ह दक म अलग ह उसन दो तो मान ही चलए और दो क मान लन म भाचत खड़ी हो गई दीवाल खड़ी हो गई

म पिक ह रही अजञान ह म पिक नही ह रही जञान की उदघोषणा ह अह बरहमाचसम

उददालक न अपन बि शवतकत को कहाः तततवमचस शवतकत त वही ह जरा भी चभनन नही रचमातर

चभनन नही

49

इस भाव म डबो इस भाव म गहर उतरो इस भाव म चजतनी गहराई बढ़गी उतना ही सतसग चजतना

गहरा सतसग उतनी भचि चजतनी भचि उतना भगवान करीब

दरी नही हः बस जरा साहस चाचहए--अपन को छोड़न का साहस

मनषर ह सवर को अचतकरमण करन की अभीपसा जगाओ उस अभीपसा को जागो वह अभीपसा जग

ऐसी जग दक लपि बन जाए और उसम तम जल कर राख हो जाओ इधर तम राख हए दक उधर तमहार भीतर

स नर का आचवभााव हआ--शाशवत का अमत का अमतसर पतरः

आज इतना ही

50

अरी म तो नाम क रग छकी

तीसरा परवचन

तम जानत तम दत जनाई

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

अस मन ललक चमलौ म धार

घर-आगन मोहह कछ न सहार

अस म बराकल भइउ अचधकार

जस नीर चबन मीन सखार

आपन कचह त कहौ सनार

जो समिौ तौ समचि न आर

सभरर-सभरर दख आव रोर

कस पापी कह दरसन होर

तन मन सचखत भरो मोर आर

जब इन ननन दरसन पार

जगजीवन चरनन लपिार

रह सग अब छरि न जार

अब की बार तार मोर परार चबनती कररक कहौ पकार

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहर अब सब बनचह सवार

तमहर हाि अह अब सोई और दसरो नाही कोई

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

कहौ तो कछ कहा नहह जाई तम जानत तम दत जनाई

जगत भगत कत तम तारा म अजान कतान चबचारा

चरन सीस म नाही िारौ चनमाल मरत चनरत चनहारौ

जगजीवन का अब चवसवास राखह सतगर अपन पास

मरक भी कब तक चनगाह-शौक को रसवा कर

हजदगी तिको कहा फक आए आचखर करा कर

जखम-ददल ममदकन नही तो चशम-ददल ही वा कर

वो हम दख न दख हम उनह दखा कर

51

ऐ म कबाि चमल गरा अज-मोहबबत का चसला

हा उसी अदाज स कह दो तो दफर हम करा कर

दचखए करा शोर उिता ह हरीम-नाज स

सामन आईना रख कर खद को इक चसजदा कर

हाए र मजबरररा महरचमरा नाकाचमरा

इशक आचखर इशक ह तम करा करो हम करा कर

परम का आनद ह परम की पीड़ा भी परम समाचध ह परम सताप भी सताप स सीदढ़रा बनती ह समाचध क

मददर की परम की पीड़ाओ पर ही पग धर-धर कर परम क आनद तक पहचना होता ह जो कीमत चकान को

राजी नही ह वह मददर तक नही पहच पाएगा और मददर की सीदढ़रा पतिरो स नही बनी ह पीड़ाओ स बनी

ह तमहारा धन तमहारा पद तमहारी परचतषठा कोई भी तमह उसक मददर तक न ल जाएगी जब तक दक तम

हदर को जला कर राख करन को राजी न हो जाओ

लदकन उसक मारग पर िली गई पीड़ा भी अहोभागर ह उसक चवपरीत सख भी चमल तो दभाागर

उसकी खोज म दख भी चमल तो सौभागर उस गवा कर हजदगी फलो स भी भर जाए तो आज नही कल गदगी

और बदब क चसवा कछ भी न पाओग उस खोजत हए हजदगी कािो स भी भर जाए तो हर कािा फल हो

जाएगा--अततः फल हो जाएगा उसक मागा पर फल ही ह काि जस जो मालम होत ह व भी अततः फल ही

चसदध होत ह परम की पीड़ा क चलए जो ततपर ह िलन को वही परम क मददर म चछप परमातमा को खोज पाता

तरागी वरती भी दख िलता ह मगर उसक दख म गचणत ह परमी भी दख िलता ह पर उसक दख म

गचणत नही कावय ह तरागी दख िलता ह मगर उसका दख रखा-सखा ह परमी भी दख िलता ह मगर

उसक दख म हदर की रसधार बहती ह परमी का दख हरा-भरा ह जञानी का दख आरोचपत ह ऊपर स िोपा

गरा ह परमी का दख हदर स उमगता ह और वही भद ह और भद बड़ा ह ऐसा भद चजसस दफर सार भद

पड़ जात ह

तरागी जञानी दख िलता ह व दख सतह पर होत ह कोई कािो की सज पर सोरा ह तो दह पर काि

चभत ह और दकसी न उपवास दकरा ह तो पि भख की आग स िलसता ह और कोई रात भर जागता रहा ह

तो उसकी आख िकी ह लदकन रह सब ऊपर-ऊपर ह परमी का दख हारदाक ह कािा हदर म चभता ह भख

हदर म अनभव होती ह उदासी चवषाद हदर क क दर म उमगता ह परमी का दःख आचतमक ह

और चनचित ही जो आचतमक दख उिान को तरार ह उसन कीमत चकाई उसन अपन जीवन को रजञ

बनारा जो जीवन को रजञ बना लत ह व ही पहचत ह

वो कादफर आशना नाआशना र भी ह और र भी

हमारी इचबतदा-ता-इचतहा र भी ह और र भी

तअजजब करा अगर रसम-वफा र भी ह और र भी

दक हसनो-इशक का हर एक मसलआ र भी ह और र भी

52

कही जराा कही सहरा कही कतरा कही दरररा

मोहबबत और उसका चसलचसला र भी ह और र भी

वो मिस पछत ह एक मकसद मरी हसती का

बताऊ करा दक मरा मददआ र भी ह और र भी

हम उनस करा कह वो जान उनकी मसलहत जान

हमारा हाल-ददल तो बरमला र भी ह और र भी

न पा लना चतरा आसा न खो दना चतरा मचशकल

मसीबत म र जान-मबतला र भी ह और र भी

उस पाना बड़ा करिन ह और उस खो दना बड़ा आसान ह उसकी तरफ चलना बड़ा करिन उसस दर

जाना बड़ा आसान उसक पास तक चलो उसक करीब बढ़ो तो भी दख ह और उसस दर जाओ तो भी दख ह

हमारी इचबतदा-ता-इचतहा र भी ह और र भी उसस दर जाओ तो दख ह--मगर कोरा दख नपसक दख काि

ही काि चजनम फल कभी नही लगत--उसक पास चलो तो भी दख ह लदकन बड़ा चवधारक दख उसी दख की

भचम म आनद क फल चखलत ह

उस चको तो भी सताप ह तो भी अधरी रात ह और उस खोजन चलो तो भी अधरी रात ह पर एक भद

ह उसकी तरफ पीि करो तो अधरी रात का दफर कोई अत नही उसकी तरफ मह करक चल पड़ो अधरा

दकतना ही घना होता चला जाए--चजतना अधरा घना होता ह उतनी ही सबह करीब आती ह

कही जराा कही सहरा कही कतरा कही दरररा

मोहबबत और उसका चसलचसला र भी ह और र भी

न पा लना चतरा आसा न खो दना चतरा मचशकल

मसीबत म र जान-मबतला र भी ह और र भी

दख तो ऐस भी ह दख वस भी ह लदकन दखो-दखो म भद ह वयरि क चलए भी आदमी दख िलता ह

सािाक क चलए भी दख िलता ह इसचलए सभी दखो को एक ही तराज पर मत तौल लना कोई धन क चलए

भी रोता ह और कोई धरान क चलए रोता ह दोनो क आसओ का एक ही मलर मत समि लना रदयचप चवजञान

क तराज पर दोनो क आस एक जस ही ह और अगर रसारनचवद स पछोग तो दोनो क आसओ का चवशलषण भी

एक जसा ह दोनो का सवाद भी एक जसा ह--खारा कछ भद न बता पाएगा अगर रसारनचवद क पास ल गए

दकसी भि क आस दकसी परमी क आस और जो धन क चलए रोरा िा और जो पद क चलए रोरा िा उसक आस

ल गए तो भद न बता पाएगा दक कौन स आस परमी क ह कौन स पद क दीवान क ह

लदकन अतर तो ह रसारनशासतर न पकड़ पाए तो रसारनशासतर की सीमा चसदध होती ह अतर तो ह

पद क रासत पर भी आदमी रोता ह लदकन तब उसक आसओ की कोई गहराई नही कोई मलर नही उसक

आसओ म कोई सगध नही सवास नही करोदक उसक आसओ म कोई परािाना नही उसक आस नीच की तरफ

53

जानवाल आस ह उसक आस नरक की रातरा पर चल ह और जब कोई उस परार क परम म रोता ह तो आस

तो आस ही जस ह लदकन रातरा का परा का परा रप बदल गरा आराम बदल गरा अब र आस आकाश की

तरफ उि रह ह अब इन आसओ को पख लग गए ह अब र आस सवगीर अब र आस ऊधवागामी

भि भी रोता ह आसि भी रोता ह मगर भद खराल रखना वासनागरसत भी नाचता ह परभ क परम म

डबा हआ भी नाचता ह वासना का भी नशा ह परािाना का भी नशा ह पर भद ख़राल रखना दःख और दःख

एक जस ही नही होत लदकन एक बात तो ह ही--परमातमा क रासत पर भी बहत पीड़ाए ह रदयचप व सभी

पीड़ाए धनरभाचगरो को उपलबध होती ह

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

जगजीवन कहत ह--जोगन हो गई ह रोती ह पकारती ह कोई उततर भी आता मालम पड़ता नही पीड़ा

सघन होती जाती ह दह पर भी भसम चढ़ा ली ह रह परतीक ह भसम ह परतीक मतर का कोई मर जाता ह

तो राख पड़ी रह जाती ह ऐस जीत जी मदाा हो गई ह दह को तो जान ही चलरा दक आज नही कल राख हो

जाएगी हो ही जाना ह राख तो हो ही गरा जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

परतीक को शबदशः मत पकड़ लना कछ नासमिो न रही दकरा ह व भसम चढ़ा कर बि गए ह व

सोचत ह भसम चढ़ा ली काम परा हो गरा भसम चढ़ाना बड़ा गहरा परतीक ह उसका अिा हः इस दह को

मदाा मान चलरा तर चबना रह दह मदाा ह तर चबना रह ससार मदाा ह त आए तो रस आए त आए तो जीवन

आए त आए तो हररराली हो त आए तो फल चखल तर चबना सब मौत ह तर चबना जीवन नही ह मरघि ह

और दसरी बात खराल रखना जस ही परमातमा की तरफ कोई परम स भरता ह परष चमि जाता ह सतरी

का आचवभााव हो जाता ह जगजीवन परष ह लदकन भाषा सतरी की बोलन लग ह--जोचगन भइउ अग भसम

चढ़ार दक म जोगन हो गई ह अग भसम चढ़ा ली ह परम की भाषा सतरण ह परष आकरामक ह वह परमातमा

की खोज पर भी चनकलता ह तो ऐस ही जस रदध क चलए चनकला हो बडबाजा बजाकर भाल इतरादद उिा

कर परमातमा की रातरा पर भी रोदधा की तरह जाता ह जस परमातमा स कोई जिना ह परष की भाषा

चवजर की भाषा ह सतरी की भाषा समपाण की भाषा ह और मजा रह ह दक जो समपाण करना जानत ह जीत

उनकी ह जो जीतन चल ह हार उनकी चनचित ह सौ परचतशत चनचित ह परमातमा स लड़ोग हारोग

परमातमा स हारोग जीत जाओग परम का सतर हः जीत हार स उपलबध होती ह

और परमातमा क साि तो अगर हमारा कोई भी सबध हो सकता ह तो परम का ही हो सकता ह और

परम का गचणत खराल रखना कभी भल मत जाना हारना ह वहा अगर जीतना हो तो हारना होगा चजस

समगरता स हार जाओग उसी पररपणाता स जीत का सहरा तमहार चसर बधगा

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

खड-खड हो गरा ह मरा हदर िकड़-िकड़ हो गरा ह जस दपाण दकसी न पिक ददरा हो पतिर पर कब

आओग कब मर इस खड-खड हदर को जोड़ दोग पनः कब मि दफर एक कर दोग

मनषर अनक हो गरा ह अनक उसकी वासनाए ह इसचलए अनक हो गरा ह अनक उसकी आकाकषाए

ह हर आकाकषा अलग ददशा म खीचती ह कोई परब कोई पचिम कोई दचकषण कोई उततर मनषर एक ऐसी

बलगाड़ी ह चजसम सब तरफ बल जत ह इसीचलए तो जीवन म कोई रातरा नही हो पाती रातरा हो तो कस

हो एक चहससा पचिम जा रहा एक परब जा रहा एक उततर एक दचकषण सब एक-दसर क चवपरीत सघषा म

54

रत ह ऐसी बलगाड़ी कही चलगी चजसम सब तरफ बल जत हो घचसि जाएगी िोड़ी बहत अचसिपजर िि

जाएग मचजल नही चमलगी मगर ऐसा ही आदमी ह

तमन अपन मन को कभी जाचा परखा कभी जागकर िोड़ा दखत हो कसी-कसी इचछाए ह और एक-

दसर क चवपरीत इचछाओ म एक तारतमर भी नही ह एक सगचत भी नही ह बड़ी चवपरीत इचछाए ह

जस एक आदमी चाहता ह दक मि सममान चमल मर अहकार की परचतषठा हो दचनरा कह दक म कछ

चवचशषट ह एक आकाकषा दसरी तरफ आदमी रह भी चाहता ह दक लोग समि दक म चवनमर ह लोग कह दक

रह ह साधपरष ऐसा चवनमर कभी दखा नही गरा अहकार का भाव ही नही छ गरा ह अब र दोनो इचछाओ

म कशमकश जारी रहगी र एक-दसर क चवपरीत चलती रहगी एक इचछा ह दक दान द बाि लदकन दसरी

इचछा हः खब इकटठा कर सपदा हो सरकषा हो अड़चन होगी एक इचछा ह दक जीवन म चनतनतन नर का

आचवभााव हो करोदक ऊब हो जाती ह परान स िक जाता ह आदमी परान स तो रोज कछ नई घिना घि

कछ नई सवदना जग कछ नई परतीचत हो एक इचछा और दसरी इचछा हः सरकषा रह सरकषा न खो जाए

सरकषा परान क साि रहती ह नर क साि असरकषा ह कौन जान नरा कसा होगा करा होगा नर का

करा भरोसा पराना जाना-माना ह पररचचत ह बहत ददन साि रहना हआ ह परान क साि रहो तो सरकषा

ह लदकन ऊब पदा होती ह नर क साि रहो तो उततजना होती ह लदकन खतरा पदा होता ह और ऐसी

अनत-अनत इचछाए ह जो एक-दसर क चवपरीत खड़ी ह

तम अपन मन को िीक स दखोग तो तम िीक वसी ही दशा पाओग जसा महाभारत क रदध म कौरव और

पाडव एक-दसर क चखलाफ खड़ ह तमहार भीतर महाभारत का रदध चल रहा ह इस तरफ भी अपन ह उस

तरफ भी अपन ह एक ही वयचि अनक-अनक खडो म बि गरा ह अखड कस होओग वासनाओ म जीकर

कोई अखड नही होता परािाना अखड करती ह करोदक परािाना एक ह परमातमा अखड करता ह करोदक

परमातमा एक ह एक की आकाकषा परमातमा की आकाकषा ह उस एक का पदापाण हो जाएहवजगजीवन िीक

कहत ह--

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

म तो िि गरा म तो पार जसा चछतर-चबतर हो गरा ह तमहारा परस-सपशा न चमल तो म दफर इकटठा

होऊ इसकी आशा दराशा मालम होती ह

लागत अषाढ़ बाढ़ी चवरहा की बाढ़

उए अजनी पहाड़ बही ननन सौ नददरा

हई गई चनपती त सपती धरती की गोद

वार वस आकर प रीचि गई बददरा

चपरा परदश लाग सनो-सनो वष--

रोव हीरामचन चनरी प धानी रग अचगरा

हरर हारो अगना री िरर हारो कगना

चनहारर हारो कजरा बलार हारी हबददरा

55

पकारत-पकारत बहत दर हो गई ह जनमो-जनमो स खोज रह ह

हरर हारो अगना री िरर हारो कगना

चनहारर हारो कजरा बलार हारी हबददरा

बरी हार हो गई ह पराजर म खड़ ह िि-चबखर खड-खड असत-वयसत एक खडहर हो गए ह आओ

तम तो दफर मददर बन उतरो तम तो तमहारी मौजदगी दफर िि खडो को चनकि ल आए सघरित कर द

अस मन म ललक चमलौ धार

मन म ललक तो बहत ह दक चमल जाऊ तमस आकर पर तमहारी कपा न हो तो करा हो म तो बहत

चाह दक खोज ल तमह लदकन दसरी तरफ स हाि न फलारा जाए तो मर हाि बड़ छोि ह ललक तो उिती ह

बहत पर मरी सीमा ह--मरी ललक की भी सीमा ह छोिा सा ददरा ह लपि उिती भी ह तो दकतनी बड़ी

उिगी दीए का तल भी िोड़ा ह बाती भी छोिी ह

अस मन म ललक चमलौ धार

होती तो बहत ललक ह रह मरा मन बार-बार परजवचलत हो उिता ह करोदक ददखाई पड़ रही ह सारी

वयिाता और ददखाई पड़ रहा ह सारा अपना चवचकषपत रप--िि गरा खड-खड चबखर गरा सब भाचत--रह सब

ददखाई पड़ रहा ह रह खडहर हो गरा ह रह मि मालम पड़ रहा ह तम आओ तो दफर घर बस ललक तो

उिती ह पकारता भी ह लदकन मरी सीमा ह

घर-आगन मोहह कछ न सहार

अब कछ भला भी नही लगता--न कोई घर ह न कोई आगन बचा--रहन वाला ही िि गरा रहन वाला

ही मदाा ह मरघि हो गरा ह सब दकसी तरह ढो रह ह तम हजदगी को ढो रह हो जी नही रह जीन की

ललक कहा जीन की पलक कहा जीन का उतसाह कहा जीन की उमग कहा तमहार परो म नतर तो नही

और न तमहार पराणो म गीत ह बासरी कब की नही बजी कब स सवर खो गए ह कब स तमहारा अपन मल

रप स चमलन नही हआ परदश भिकत-भिकत भीख मागत-मागत तम भल ही गए हो अपनी बादशाहत

घर आगन मोहह कछ न सहार

अस म बराकल भइउ अचधकार

जस नीर चबन मीन सखार

और अचधक स अचधक मरी पीड़ा होती जाती ह पीड़ा का अत तो दर पीड़ा बढ़ गई खड-सगरित हो

रह तो दर छोि-छोि खड और छोि-छोि खडो म िित जा रह ह चवमचि आए इसका तो सपना भी दखना

मचशकल ह चवचकषपतता बढ़ती चली जाती ह कभी बि कर घड़ी भर अपन मन म िाकना और तम पागल भीड़

पाओग वहा चवचारो की वासनाओ की आकाकषाओ की तम खद ही चौकोग दक म कसा पागल ह रह भी कोई

होना ह रह शोरगल भीतर रह बाजार भीतर रह कोलाहल भीतर करा इस कोलाहल क रहत जीवन क रस

का कोई अनभव हो सकगा करा उस कोलाहल क चलत जीवन क सौदरा स कछ सबध हो सकगा सतर स

कोई चमलन हो सकगा हालत वसी ही ह जस नीर चबन मीन सखार जस दकसी न खीच ली हो सागर स

मछली और डाल दी हो सख ति पर जलती हो धप बरसती हो आग सरज स और मीन तड़फती हो और मीन

चाहती हो दक वाचपस सागर चमल जाए जगजीवन कहत ऐसी मरी दशा ह

ऐसी परतरक की दशा ह

56

तम चाह मानो भी न--करोदक मानन म भी तकलीफ होती ह करोदक मानन का मतलब होता ह दफर

सागर की तलाश करनी होगी तमन तो इस जलती हई रत म ही घर बना चलरा ह तमन तो इस सरज स

बरसती आग को ही अपना अचसततव समि चलरा ह तम तो मान ही चलए हो दक रही ह होन का ढग और कोई

ढग होता नही अधारमाक आदमी म उसको ही कहता ह जो मानता ह दक जसी हजदगी चल रही ह बस हजदगी

की रही एक शली ह रही एक उपार ह और कोई हजदगी होती नही धारमाक म उस कहता ह जो कहता हः

रह अगर हजदगी ह तो हजदगी वयिा ह हजदगी का कोई और ढग होना ही चाचहए हजदगी की कोई और शली

होनी ही चाचहए मि भल पता न हो--तो खोजगा

अधारमाक कहता ह कोई ईशवर नही ह उसका करा पररोजन ह कहन स दक ईशवर नही ह उसका इतना

ही पररोजन ह दक जसा जीवन ह बस ऐसा ही जीवन ह इसस अनरिा कोई जीवन नही ह मत उिाओ आख

ऊपर ऊपर कछ भी नही ह कोरा आकाश ह और मत पकारो दकसी को कोई उततर न कभी आरा ह और न

आएगा मत खोजो कछ और जगत म कछ भी रहसर नही बस रही कड़ा करकि रही हजदगी ह इसी घास-

फस म दकसी तरह जी लो गजार लो चार ददन रह हजदगी एक दघािना ह चमटटी-चमटटी म चगर जाएगी रहा न

कछ पान को ह न कछ खोन को ह एक दख-सवपन ह भोग लो गजार लो--अचछ दक बर जो आदमी कहता ह

ईशवर नही ह वह रही कह रहा ह दक जसी हजदगी ह इसस अनरिा हजदगी की बात मत उिाओ करोदक तम

अनरिा हजदगी की बात उिात हो तो दफर मि पररवरतात होना पड़ अगर सागर कही ह तो दफर मछली कस

रत म घर बनाए अगर सागर कही ह और सागर की शीतलता कही ह तो दफर कस मछली सरज की तपती

धप को अगीकार कर दफर घर-आगन कछ भी सहाएगा नही दफर एक खोज पकड़ लगी पराणो को मि

डालगी दफर एक परचड ििावात आएगा जीवन म अनवषण का जनम होगा अनसधान शर होगा

नह की बद िरी बदरी

पसरी-पसरी सब दह चपरानी

भीजत खीजत छोचड़ गरो

कर मीजचत हौ मरी बात न मानी

सनी अिारी किारी लग

सचन कोरल कीर मरर की बानी

गाज चगर ऐस मौसम प

जाम भीतर आचग औ बाहर पानी

हजदगी अभी ऐसी ह

गाज चगर ऐस मौसम प

जाम भीतर आचग औ बाहर पानी

बाहर ही बाहर सब रोशनी ह भीतर अधरा बाहर-बाहर सब िोि आरोजन शीतलता क भीतर

जलती परचड अचगन

सनी अिारी किारी लग

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सचन कोरल कीर मरर की बानी

और जब तक परमातमा स परार स चमलन नही हआ ह सनी अिारी किारी लग तब तक सब सना ह

समिा लो बिा लो िि सपन दख लो--रह मरी पतनी रह मरा पचत रह मरा बिा रह मरा भाई--दकसी

तरह भलाए रखो अपन को सग-साि म समिाए रखो मगर रह सब समि मौत आएगी उखाड़ जाएगी र

कागज की नाव डब जाएगी इनक सहार कोई कभी पार नही हआ ह

सनी अिारी किारी लग

सचन कोरल कीर मरर की बानी

और चजसको राद आनी शर हो गई सागर की उस कोरल की पकार कह-कह की पकार अनत स आती

अपन परार की पकार मालम होन लगी किारी जसी लगगी और जब पपीहा पकारगाः पी कहा तो उसक

पराणो म भी पकार उिगी दक पी कहा परार को खोकर हम जी रह ह सागर को खोकर मछली पड़ी ह जस

नीर चबन मीन सखार ऐस हम सख रह ह चजसको तम हजदगी कहत हो रह धीम-धीम मरन क अचतररि

और करा ह आचहसता-आचहसता आतमघात और करा ह सतसग म अगर कभी तमह एकाध बद का अनभव हो

जाए तो तमह सागर की राद आन लग

इसचलए सतसग सरोवर ह भचि सनान

नह की बद िरी बदरी पसरी-पसरी सब दह चपरानी

एकाध बद तमहार भीतर उतर जाए तो तमह पता चल दक जल भी ह और परासा रहना चनरचत नही ह

अगर तम परास हो तो तमहारा ही उततरदाचरतव ह तमन तलाश सरोवर की नही की रही इसी जमीन पर

रही तमहार बीच ऐस लोग सदा रह ह सदा ह सदा रहग जो तपत हो गए ह जो सख नही रह ह जो रोज हर

हो रह ह चजनह परम जीवन चमल गरा ह चजनह ऐसा जीवन चमल गरा ह चजसका कोई अत नही आता

चजनहोन शाशवत को पहचाना ह चजनक हाि परमातमा क हाि म पड़ गए ह और चजनहोन अपन हदर को

उसक हदर म डबा ददरा ह चजनहोन अपनी बद को उनक सागर म उतर जान ददरा ह

आपन कचह त कहौ सनार

जो समिौ तौ समचि न आर

जगजीवन कहत ह म रोऊ भी तो दकसक सामन रोऊ समिगा कौन लोग हसग करोदक लोगो न तो

हजदगी बना ली ह घर-आगन म ही सब समापत हो गरा ह सारा आकाश उनहोन अपना आगन समि चलरा ह

और अपन घर को सारा अचसततव मान चलरा ह तड़फ रह ह सड़ रह ह गल रह ह सख रह ह लदकन रही

उनकी हजदगी की पररभाषा ह

आपन कचह त कहौ सनार

म दकसी स कहन भी जाऊ अपनी पीड़ा तो दकसस कह इसीचलए तो भि न परािाना खोजी परािाना की

खोज क बचनरादी कारणो म एक कारण रह ह दक दकसी और स कहन का कोई अिा नही मालम होता तो

परमातमा स ही कहन क चसवार और कोई उपार नही ह तो भि उसी स कह लता ह उसी क सामन रो लता

ह आस बहा लता ह चनवदन कर लता ह उततर आए रा न आए रह सवाल नही ह एक बात तो कम स कम

िीक ह दक परमातमा सन रा न सन कम स कम हसगा तो नही पागल तो न समिगा उततर न भी आएगा तो

चलगा

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लदकन इस जगत म दकसी स अगर कहो तो लोग हसग धारमाक आदमी को दख कर लोग सदा हस ह

हसी उनकी आतम-रकषा ह हसत ह करोदक उनह डर पदा होता ह दक हो न हो कौन जान रह आदमी सही हो

अगर रह आदमी सही ह तो उनक पर क नीच की जमीन चखसक गई इस आदमी को गलत होना ही चाचहए

तो ही उनक पर क नीच जमीन चिर रहती ह अगर बदध सही ह तो तम गलत हो गए अगर कषण सही ह तो

तमहारा भवन चगरा तम दोनो सही नही हो सकत साि-साि बदध क और तमहार सही होन म कोई समिौता

नही हो सकता

इसचलए लोग जब बदध जीचवत होत ह तो बदध स बचत ह और जब बदध मर जात ह तो उनकी पजा करत

ह दोनो तरकीब बचन की ह हजदा होत ह तो बचत ह करोदक सनन म खतरा ह कौन जान कोई बद कि म

उतर ही जाए तमहार बावजद उतर जाए तम चाहत भी न हो और उतर जाए कोई बात समि म पड़ ही

जाए तो दफर मचशकल हो जाएगी इसचलए बचत ह चवरोध करत ह और जब बदध मर जात ह तो बचन की

और भी अचछी तरकीब चमल जाती ह तो दफर पजा करत ह दफर उनकी मरता बना लत ह लदकन समित

कभी भी नही रा तो गाली दत ह रा पजा करत ह और खराल रखना दोनो म कछ भद नही ह हजदा हो तो

गाली दत ह मर जाए तो पजा करत ह मर को तो वस भी कोई गाली नही दता न बरा स बरा आदमी भी मर

जाए तो भी गाव क लोग परशसा करन लगत ह

एक आदमी न मलला नसरददीन को फोन दकरा दक भाई िीक तो हो नसरददीन न कहा दक ऐसा पछन

का कारण और उस आदमी न दफर पछा दक कहा स बोल रह हो नसरददीन न पछा दक बात करा ह मामला

करा ह उस आदमी न कहा कछ नही गाव म लोगो को तमहारी परशसा करत सना तो मि शक हआ दक कही

मर तो नही गए करोदक रहा जब कोई मर जाता ह तभी लोग परशसा करत ह

मन सना ह एक गाव म एक आदमी मरा--उस गाव का बड़ा उपदरवी आदमी िा ऐस तो नता िा नता

जी कहलाता िा--मगर नता जी जस होत ह बड़ा उपदरवी िा गाव उसस परशान िा मरा तो सारा गाव

परसनन हआ ददल ही ददल लोग खश हए लदकन नता िा उसक शाचगदा भी ि--दादा िा गाव म उसक और

मानन वाल भी ि--तो सार गाव को जाना तो पड़ा ही मरघि करोदक मरकर भी उसकी ताकत तो िी ही

उलल भी जाए तो औलाद तो छोड़ ही जात ह

अब बड़ी मसीबत वहा रह आई दक गाव क लोगो स कहा गरा दक कछ परशसा म बोलो नताजी की अब

नताजी मर गए ह तो उनकी समाचध परहवतो लोग एक-दसर का मह ताक लोग बहत सोच दक बोल करा

इनकी परशसा म ऐसा तो कभी इसन कछ दकरा ही नही िा चजसकी परशसा की जा सक आचखर जब कोई

उपार न हआ तो गाव क एक पचडत जी को लोगो न कहा अब आप ही कछ आप शासतर क जञाता ह वद-

पराण क जञाता ह आप ही कछ ऐसी बात कहो दक मामला िल--कछ तो कहना ही पड़गा मर गरा आदमी तो

उसकी परशसा म कछ दो शबद तो कहो पचडत न खड़ होकर कहा दक नता जी चल गए पाच भाई और छोड़ गए

ह पीछ उन पाच भाइरो की तलना म व दवतातलर ि और तो कछ उसको भी नही सिा दक अब वह कह

करा रह बात गाव क लोगो को भी जची दक रह बात सच ह व पाच भाई तो और पहच हए ह

कोई मर जाए तो परशसा करनी ही होती ह दफर कछ हनदा का कारण भी नही रहा और जब बदध जस

वयचिरो की हम बहत हनदा करत ह उनक जीवन म तो हमार भीतर एक अपराध-भाव पदा हो जाता ह

करोदक कही पराणो क दकसी अतसतल म कोई कहता तो ह दक हम गलत कर रह ह हमार पराणो क पराण म कोई

सवर गजता तो ह दक हम गलत कर रह ह करना पड़ता ह करोदक हमार जीवन की सरकषा इसम ह नही तो

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हमारी दकान करा हो हमारा बाजार करा हो हमार सबधो का करा हो अगर बदध की सन तो हमारी हजदगी

का सारा का सारा इतजाम असतवयसत हो जाता ह चजसको हमन हजदगी कहा ह वह तो असतवयसत हो जाती

ह तो चवरोध तो करना पड़ता ह लदकन कही पराण क दकसी गहन तल पर सतर को एकदम इनकार कर भी तो

नही सकत हो तो बदधो क मरन क बाद हम पिातताप घरता ह अपराध-भाव घरता ह उस अपराध-भाव क

कारण दफर हम पजा शर करत ह दक चलो िीक ह जो हजदगी म हआ हआ अब तो फल चढ़ाओ अब दकसी

तरह अपन मन को हलका कर लो

तो जीसस को सली दी और दफर दो हजार साल स पजा चल रही ह सकरात को जहर चपलारा और ढाई

हजार साल स सममान और सकरात की परशसा म इतन गीत चलख जा रह ह बदध को पतिर मार महावीर क

कानो म सलाख िोक दी हजदा रहना मचशकल कर ददरा--और दफर मददर खड़ हो रह ह और पजा क िाल

उतार जा रह ह

रहा तो सच बात दकसी स कहनी मचशकल ह करोदक लोगो की हजदगी िि पर खड़ी ह सच का जरा सा

धकका जरा-सा िोका और उनक ताशो क महल चगर जात ह कौन सनन को राजी ह दकसी स कहो भी कोई

सनन को राजी भी हो जाए तो भी कौन सहानभचत तमह ददखलाएगा

आपन कचह त कहौ सनार

जगजीवन कहत ह--दकसी स अपन ददल की अपन दख की बात भी कह सको ऐसा भी कोई सगी-सािी

नही ददखाई पड़ता

जो समिौ तौ समचि न आर

न दकसी दसर स कह सकत खद समिन की कोचशश करो तो कछ समि म आता नही इतना सब बबि

ह करो म आरा करो जनमा करो ह दकसचलए दकस तरफ चल रही ह रातरा कौन खीच चलए जाता ह कौन

चलाता ह इस जीवन क चवराि उपकरम को कौन चछपा ह इस सार रहसर क भीतर दकसक हाि ह दकसक

हसताकषर इस चवसतार म खद समिो तो भी कछ समि म नही आता रह बात समिन की नही रह बात

बचदध की नही रह बात हदर की ह

चदक समि म नही आती बात इसचलए भि समि क क दर स हि जाता ह और परीचत क क दर म उतर

जाता ह जञानी वही उलिा रहता ह वह समिन की ही कोचशश करता कहता ह समिन की कोचशश

परमातमा को वस ही ह जस कोई आख स सगीत सनन की कोचशश कर हा आख स वीणा ददखाई पड़गी और

सगीतजञ वीणा क तार छड़ता हआ भी ददखाई पड़गा लदकन सनाई कछ भी न पड़गा रा जस कोई कान स

दखन की कोचशश शर कर तो वीणा क तार ददखाई नही पड़ग न वीणा न वीणावादक लदकन सवर सनाई

पड़गा आख दखती ह सनती नही कान सनता ह दखता नही बचदध कषदर पर समिावान ह चवराि पर नही

चवराि पर हदर का अचधकार ह जो बचदध स समिन चलत ह सतर को उनक हाि म कषदर चसदधात लगत ह

सतर नही जो हदर स सतर को समिन चलत ह व समि पात ह

लदकन हदर की भाषा समिन की भाषा नही ह परम कीत भाषा ह परम एक तरह क जञान को जनम दता

ह उसी जञान का नाम भचि ह भि रह नही कह सकता दक म भगवान को समिता ह लदकन भि रह कहता

ह दक मि उसका सवाद चमला भि रह नही कह सकता दक म चसदधाततः समिा सकता ह दक भगवान करा ह

भि इतना ही कह सकता ह दक मन डबकी मारी म जीरा मन उस अनभव दकरा म उसक ही रप म डब

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गरा वह मर रप म डब गरा म उसक साि एकातम हो गरा ह भि रही कह सकता ह दक म ह परमाण उसका

और कोई परमाण नही द सकता जो समिौ तौ समचि न आर

सभरर-सभरर दख आव रोर

और बहत अपन को समहालता ह मगर रह-रहकर रह-रहकर बड़ दःख का आदोलन उिता ह दक और

दकतनी दर और दकतना तड़पाओग और दकतनी दर दर-दर रखोग

सभरर-सभरर दख आव रोर

रो-रो उिता ह रह भि की पीड़ा समिो दकसी स कह नही सकता--कोई समिगा नही कह तो लोग

हसग पागल समिग अपन ही भीतर गपचप समहाल कर रखना होगा खद भी समिना चाह समि म आता

नही करोदक बचदध बड़ी छोिी ह सतर उसम समाता नही तका काम नही पड़त सब तका चगर जात ह शासतर

शबद चसदधात सब िोि मालम होत ह कोई अनभव की तरफ ल जाता मालम नही होता चवचध-चवधान

औपचाररक दकरराकाड सब ऊपर-ऊपर मालम होत ह अतसतल नही छता अतसतल नही आदोचलत होता

भीतर ऊजाा नही उिती उमग नही जगती उतसाह का आचवभााव नही होता

दफर कर करा भि

रह-रह क रोन लगता ह समहालता ह करोदक कौन उसक आसओ को समिगा उसक आस उस वयिा

ही चवचकषपत चसदध करवा दग कौन उसक भाव को पहचानगा भाव को पहचानन वाल समदध लोग कहा उसक

भाव को सममान द सक ऐस शालीन लोग कहा जहा कौड़ी-कौड़ी क चलए लोग िि मर रह ह जहा कषदर-कषदर

पदो क चलए सघषा चल रहा ह वहा परमातमा क चलए कोई रोएगा --कौन समिगा इस लोग कहग--गरा

काम स होश समहालो लोग कहग--रह करा कर रह हो भिक जाओग अपन को वाचपस दचनरा म लाओ

दकन कलपनाओ क जाल म खोए जात हो कह भी नही सकता रो भी नही सकता पराए तो पराए अपन भी

पराए हो जात ह पतनी को परमातमा का भाव जग पचत स नही कह सकती पचत को जग पतनी स नही कह

सकता अपन जो ह इतन चनकि जो ह व भी ऐसी बात नही समिग

मर पास रोज घिनाए घि जाती ह कोई पचत आ जाता ह दक आपन मरी पतनी को करा कर ददरा

अकारण हसती ह रोती ह अकारण पास-पड़ोस म खबर फलन लगी दक कछ गड़बड़ हो गरा कोई कारण हो

तो हसो कोई कारण हो तो रोओ लदकन अकारण बि-बि तम भी सोचोग तमहारी पतनी एकदम बिी रह

कसी पर एकदम चखलचखला कर हसन लग तमह भी शक होगा दक बात करा ह और पचत कहत ह दक अगर म

समिाता ह तो वह और हसती ह म कह दक चप रह कोई मोहलला-पड़ोस क लोग सन लग तो उस और हसी

आती ह कभी-कभी बि रोन लगती ह--कोई कारण ही नही ह और इसस भी जरादा अड़चन होती ह कभी-

कभी दक दोनो काम एक साि करन लगती ह हसना रोना दोनो रह तो चसफा पागल ही करत ह तो मिस

पछत ह वह दक करा कर दकसी चचदकतसक को ददखाए

और चचदकतसक करा करगा ऐस वयचि को द दगा इलचकरक शाक द दगा इलचकरक शाक ऐसा ही ह

जस कभी-कभी तम करत हो--कोई नई बात नही ह तमहारी घड़ी बद हो गई एक ददरा ििका जोर स कभी-

कभी चल पड़ती ह रह बात भी सच ह मगर रह कोई तरकीब ह घड़ी चलान की कोई घड़ीसाज तम कोई

घड़ीसाज नही हो कभी-कभी हो जाता ह दक चल पड़ती ह--कभी कोई तल अिक गरा िा दक कभी कोई एक

धल का कण अिक गरा िा द ददरा ििका मगर रह सरोग की बात ह रह कोई कला नही ह रह कोई

चवजञान नही ह

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कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक इलचकरक का शाक मचसतषक बड़ी सकषम घड़ी-जसी चीज ह कभी-

कभी िीक चलन लगता ह तो लोग समित ह रह कोई कला ह रह कोई कला नही ह इसस तम कछ

वजञाचनक उपकरम नही कर रह हो चसफा असमिाता घोचषत कर रह हो दक हमारी समि म कछ नही आता चलो

कोचशश करक दख ल--द एक जोर का धकका शारद चल जाए और चजन-चजन क पास घड़ी ह सभी को रह

अनभव होगा दक आदमी जरा िोक-पीि कर सोचता ह दक अगर चल जाए तो बच घड़ीसाज क पास जान स

और कभी-कभी चलती भी ह मगर कभी-कभी चलना अनारास ह सौ म चननरानब मौको पर नही चलगी

और खतरा भी ह दक जस कभी-कभी चल जाती ह कभी-कभी ििका दन स और भी चबगड़ जाएगी चजतनी

चबगड़ी िी उसस जरादा चबगड़ जाएगी

करा करगा चचदकतसक कोई इलाज नही ह भचि का कोई इलाज नही ह

नानक बीमार पड़ ि भचि म वदय न आकर नाड़ी पकड़ी तो नानक हसन लग और कहा दक नाहक

महनत मत करो रह मरीज तमहारी दवा स िीक न होगा रह बीमारी इलाज हो सक ऐसी नही ह रह तो

परम चचदकतसक जब आएगा तभी िीक हो सकगी रह तो औषचध जब समाचध की उतरगी तभी रह वयाचध

जाएगी उसक चबना नही समाचध ही इस वयाचध क चलए औषचध ह--और कछ नही

दकसस कहो कोई समिगा नही रोओ भी तो भी अकल म रोना पड़गा समहाल-समहाल कर भि को

चलना पड़ता ह करोदक ससार भि क चबलकल ही परचतकल ह

रहा तम रह बात खराल रखना दक रहा ससार जञानी क इतन परचतकल नही ह करोदक जञानी की भाषा

और ससार की भाषा म एक तारतमर ह जञानी गचणत और तका की भाषा बोलता ह वही भाषा बाजार की ह

जञानी बाजार की भाषा स चभनन भाषा नही बोलता ह उसकी तका सरणी वही ह दो और दो चार जस बाजार म

होत ह वस ही जञानी की भाषा म दो और दो चार होत ह अड़चन तो भि की ह वहा पराना कोई गचणत

काम नही करता वहा एक और एक चमल कर दो नही होत एक और एक चमल कर एक ही होता ह परम म एक

और एक चमल कर एक ही होता ह दो नही होत गचणत म एक और एक चमलकर दो होत ह

तो जञानी को इतनी अड़चन नही ह और तरागी को भी अड़चन नही ह करोदक उसकी भी भाषा ससार

की ही भाषा ह तम भलीभाचत जानत हो दक अगर धन कमाना ह तो बहत-स तराग करन पड़त ह धन कमान

वाला कम तरागी नही होता अगर दकान पर गराहक ह छोड़ दता ह उस ददन भोजन उपवास कर जाता ह

अगर धधा जोर स चल रहा ह तो रात दर तक जागा रहता ह अगर रात भर भी जाग कर चहसाब-दकताब

करना पड़ तो वह भी कर लता ह

तम जानत हो दक दकानदार भी एक तरह की तपिराा करता ह तम जानत हो पद का खोजी भी बड़ी

चषटाए करता ह बड़ उपकरम करता ह सब तरह क तराग करता ह जल इतरादद भी जाना पड़ता ह--दक जल

वगरह नही गए तो सरिादफकि नही ह दकसी स कहा दक भई वोि दो वह पछता ह--दकतनी दफ जल गए तो

सरिादफकि चाचहए दक इतनी दफ जल गए कोई भी बहान स सही मगर दो-चार दफा जल जाना ही चाचहए

नही तो नता कस तरागी की भाषा भी ससार की भाषा स चभनन नही ह

सबस जरादा करिनाई ह भि की करोदक उसकी भाषा म और ससार की भाषा म कोई तालमल नही ह

व अलग ही भाषाए ह उनका एक-दसर म अनवाद भी नही हो सकता ससार की भाषा ह गचणत की और तका

की भि की भाषा ह भाव की और परम की

सभरर-सभरर दख आव रोर

62

कस पापी कह दरसन होर

और म जानता ह दक तरा करा कसर म पापी ऐसा ह दक तरा दरसन भी हो तो कस हो

रह भि की भावदशा समिना

भि दोष नही दता भगवान को रह नही कहता दक त नाराज ह दक तरी कपा की कमी ह दक त रहीम

नही रहमान नही दक त करणावान नही इतना ही कहता ह--कस पापी कह दरसन होर म पापी ह

अजञानी ह मढ़ ह दरसन हो भी तो कस हो और रह भी भलीभाचत जानता ह दक मर रोन स कोई मरी

पातरता िोड़ ही हो गई दक दरसन होना चाचहए मन ति परम दकरा इतना ही तो काफी नही ह मिम अभी

हजार-हजार रोग ह और हजार-हजार चवशचदधरा आन की अभी सभावनाए ह हजार-हजार अशचदधरा अभी

मि म ह अभी म पचवतर कहा अभी त आए इस रोगर मरा घर कहा

तन मन सचखत भरो भोर आर

लदकन इतनी जस ही तरारी कोई कर लता ह--रही तरारी ह--समहल-समहल कर रोना ससार स चछपा-

चछपाकर परािाना करना अपन मन क भाव को अपन मन क भाव क जसा ही रखना इसकी अचभवयचि भी न

करना एकात म बहा लना आस और जानत रहना दक परमातमा की अनकपा तो अपार ह मर ही पापो क

कारण बाधा पड़ती होगी वह तो सामन ह मरी आखो पर ही पदाा होगा वह तो आरा ही हआ ह म ही नही

दख पा रहा ह कही मरी ही भल-चक ह ऐसी ही भावदशा तो तरार करती भि को रही तो उसकी पातरता

का चनमााण ह और तब घिना घिती ह तन मन सचखत भरो भोर आर तम आ गए ऐस ही अचानक आना

होता ह मरा तन-मन दोनो आनद स भर गए ह

चतर जलवो म गम होकर औ खद स बखबर होकर

तमनना ह दक रह जाऊ जसरतापा नजर होकर

चहजाब अदर चहजाबो-जलवा अदर जलवा करा कचहए

बला म फस गए उशशाक पाबद-नजर होकर

कहा जाती ह चमल कर ओ चनगाह-नाज बपदाा

चमर पहल म रह जा लजजत-दद-चजगर होकर

लताफत मानए-नजजारा-ए-सरत सही लदकन

धड़कना ददल का कहता ह वो गजर ह इधर होकर

पहल साफ-साफ समि म आता भी नही मगर गध तो आ जाती ह सपषट ददखाई भी नही पड़ता पर

धधली छारा तो अनभव म आ जाती ह पर ददखाई न भी पड़ पगधवचन तो सनाई पड़ जाती ह

लताफत मानए-नजजारा-ए-सरत सही लदकन

धड़कना ददल का कहता ह वो गजर ह इधर होकर

और ददल एक नई गचत स एक नई लर स एक नर छद स धड़कन लगता ह वही पहचान ह और भि

और चाहता करा ह

चतर जलवो म गम होकर औ खद स बखबर होकर

63

तमनना ह दक रह जाऊ जसरतापा नजर होकर

बस तिम खो जाऊ चमि जाऊ

तन-मन सचखत भरो मोर आर

जब इन ननन दरसन पार

आ गए तम भरोसा नही आता अनत-अनत परतीकषा क बाद अचानक जञानी को तो भरोसा आ जाता ह

चनचित ही करोदक उसन सार उपार दकए ह उस तो करिनाई अगर कोई िी तो एक िी दक परमातमा अभी

तक आरा करो नही करोदक मन सब तो दकरा जो करना चाचहए उसको चशकारत िी जञानी क सामन जब

परमातमा आए तो उस कोई आिरा नही होता वह तो मानता ह दक म दावदार ह होना ही चाचहए िा भि

आिराचदकत होता ह अवाक होता ह करोदक भि जानता ह म तो पापी िा मरी सामरथरा करा मरा बल

करा और तम आए तम मरी नजर म आए

हजारो कबितो पर र चमरा महजर हो जाना

जहा स चाहना उनका वही स दर हो जाना

चनकाब-रए-नादीदा का अज-खद दर हो जाना

मबारक अपन हािो हसन का मजबर हो जाना

सरापा दीद होकर गका मौज-नर हो जाना

चतरा चमलना ह खद हसती स अपनी दर हो जाना

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

चतरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

रकारक ददल की हालत दखकर मरा तड़प उिना

उसी आलम म दफर कछ सोच कर मसरर हो जाना

चजगर वो हसन-रकसई का मजर राद ह अब तक

चनगाहो का चसमिना और हजन-नर हो जाना

करा ह भि की रह अनभचत

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

तरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

भि दावदार नही ह भि तो सदा जानता ह दक जब भी तम चमलोग म अपातर ही िा चमल तो तम

अपन परसाद स चमल अपनी अनकपा स चमल मरी पातरता स नही तमन मि मजबर कर ददरा तमन मि

िका ही ददरा मि तो अपनी तरफ स िकना होता तो शारद म िकता भी नही मरी अकड़ ऐसी मरा

अहकार ऐसा

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

64

तरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

रह मर बस की बात नही िी दक म िक जाता तन मजबर कर ददरा त आरा और तन मि अपन म

डबा ददरा

तन-मन सचखत भरो मोर आर

और खराल रखना जगजीवन कह रह ह मन तो आनददत हआ ही ह तन भी आनददत हआ ह भि क

मन म तन और मन म भद नही ह भीतर तो आनद उमगा ही ह बाहर भी आनद बरसा ह बाहर और भीतर

म भद नही ह चतनर तो नाच ही उिा ह लदकन पदािा भी आदोचलत हआ ह भि क मन म चतना और पदािा

म भद नही ह

जगजीवन चरनन लपिार

रह सग अब छरि न जार

बस अब इतनी कपा और करो म तो तमहार चरणो म चलपि जाऊगा मगर मि पर मि भरोसा नही ह

रह भी तमहारी ही कपा हो तो ही बात बन नही तो सग दफर छि सकता ह मि अपनी भल-चको का

भलीभाचत पता ह मि अपनी नासमचिरो का भलीभाचत बोध ह जञानी को अपनी पातरता का अहकार होता

ह भि को अपनी अपातरता का बोध होता ह इसचलए भि की चवनमरता असीम ह

जगजीवन चरनन लपिार

म तो चाहता ह दक तमहार चरणो म चलपि तो दफर कभी छि नही अब तमहार चरन चमल गए चलपि

जाऊ सदा चलपिा रह लदकन खराल रखना रह सग अब छरि न जार रह मर बस क बाहर ह तमही

धरान रखना दक कही रह सग जो बना ह छि न जाए तमहारी कपा स बना तमहारी कपा स बना रह

कहा-कहा उड़क शो ल पहच र होश दकसको र कौन जान

हम बस इतना ह राद अब तक लगी िी आग अपन घर स पहल

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

जमाना खवाबो खराल-सा िा चतर फसन-नजर स पहल

उिा जो चहर स पदाा-ए शब चसमि क मका ज प आ गए सब

तमाम जलव जो मतचशर ि तलए-हसन-बशर स पहल

वो राद-आगाज-इशक अब तक अनीस-जानो-ददल-हजी ह

वो इक चििक-सी वो इक िपक-सी हर इचलतफात-नजर स पहल

हमी ि करा जसतज का हाचसल हमी ि करा आप अपनी मचजल

वही प आकर िहर गरा ददल चल ि चजस रहगजर स पहल

कहा िी रह म लताफत कहा िी कौनन म र वसअत

हरात ही सो रही िी जस दकसी की पहली नजर स पहल

65

उसकी एक नजर और जो चछपा िा परगि हो जाता ह और जो फल दब पड़ ि चखल जात ह और जो

चाद-तोर ददखाई न पड़त ि ददखाई पड़न लगत ह

कहा िी र रह म लताफत मार पराणो म परसाद कहा िा रह आनद कहा िा रह उतसव कहा िा

कहा िी र रह म लताफत कहा िी कौनन म र वसअत

रह दचनरा का चवसतार इसक पहल कभी ददखा नही िा रह चवरािता कहा चछपी िी रह रहसर-पर-

रहसर हम कस अध ि

हरात ही सो रही िी जस दकसी की पहली नजर स पहल

तरी आख जब तक हमारी आख म न पड़ी तब तक सारा अचसततव जस सोरा हआ िा जस हम बहोश

ि

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

कहा िा रह सब रहसर --रह सतरगी अचसततव रह आनद-उतसव रह परचतपल बरसता हआ अमत

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

जमाना खवाबाखराल-सा िा

हम तो जस सपन ही दख रह ि नीद म

चतर फसन नजर स पहल

वह तरी आख जब आख म पड़ी तो सपन गए सतर परकि हआ

उिा जो चहर स पदाा-ए-शब चसमि क मका ज प आ गए सब

तमाम जलव जो मनतचशर ि तलए-हसन-बशर स पहल

जो-जो चछपा िा परकि हो गरा जो अदशर िा दशर हो गरा नही जो कभी सन ि सवर व सनाई पड़न

लग सार गीत बज उि सार नतर सजग हो गए आज तरी नजर की रोशनी म आज तरी मौजदगी क अमत म

अब रह बात समि म आती ह भरोसा आज भी नही आता

हमी ि करा जसतज का हाचसल

--करा हमी ि लकषर जीवन का

हमी ि करा आप अपनी मचजल

वही प आकर िहर गरा ददल चल ि चजस रहगजर स पहल

और रह करा चमतकार ह दक हम तो समि रह ि दक गतवय की तलाश कर रह ह और रह आज जब

पहच ह तरी नजर म और आज जब तिस चमलना हआ ह तो पता चलता ह दक सरोत और गतवय दो नही एक

ही ह पहली जो हमारी रातरा की शरआत िी वही हम वापस लौि आए वताल परा हो गरा ह जहा स चल

ि वही वापस आ गए ह इस अवसिा का नाम मोकष ह रा चनवााण रा जो भी नाम तम दना चाहो

अब की बार तार मोर परार चवनती कररक कहौ पकार

जगजीवन कहत ह दक बस अब बहत हो चका अब और नही अब तर चरण चमल गए अब छि न अब

परािाना ह दक अब मि तार लो अब दफर मत फक दना इस चवराि जजाल म अब दफर मत चल जान दना

भिकन की राहो पर

अब की बार तार मोर परार चवनती कररक कहौ पकार

66

और तो म करा कर सकता ह दावा तो नही कर सकता अचधकार मरा कोई भी नही चवनती कर सकता

ह पकार कर सकता ह पकारगा चवनती करगा

नहह बचस अह कतौ कचह हार

म तो बहत करक हार चका िा और बहत ह जो कर-कर क हार चक ह और कछ भी न हआ--

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहार अब सब बनचह सवार

लदकन तमन सवार ददरा चबगड़ी को बना ददरा मिस तो चबगड़ती ही चली जाती िी बात चजतना

खोजता िा उतना दर चनकल जाता िा चजतना करता िा उतना अनदकरा हो जाता िा दान भी करता िा

तो भीतर लोभ सगहीत होता िा चवनमर बनता िा तो अहकार पीछ क दवार स आता िा तराग करता िा तो

वह भी भोग की आकाकषा म करता िा दक बकि का भोग चमलगा मर दकए तो कछ होता ही नही िा--उलिा ही

होता िा नहह बचस अह कतौ कचह हार म तो हार ही चका िा

खराल रखना जब खोज-खोज कर कोई हार जाता ह तभी उसस चमलन ह हार को हरर नाम जीतन

वालो को नही चमलता हारो को चमलता ह जब तक तमह जरा सी भी आशा लगी ह दक जीत लग तब तक

अहकार जारी ह जब तक तमह िोड़ा सा भी भरोसा ह दक कछ और कर लग--ऐसा नही तो वसा वसा नही तो

वसा नई चवचध नरा चवधान नरा मागा खोजग मगर पहच कर रहग--जब तक तमह िोड़ी सी भी सभावना ह

अपन पहच जान की तब तक तम चकत रहोग तब तक भचि का उदर न होगा चजस ददन तम समगररपण

जानोग दक हार गए पर हार गए सौ परचतशत हार गए चगर पड़ोग हार म--हार को हरर नाम--उसी कषण

अहकार गरा अहकार जीता ह आशा म आशा अहकार का भोजन ह

इसचलए बदध न कहा हः धनरभागी ह व जो पररपणा रप स चनराश हो गए हताश हो गए बड़ा उलिा

वचन ह करोदक आमतौर स तो हम कहत ह चनराश आदमीः बचारा हताश आदमीः बचारा बदध कहत हाः

धनरभागी ह वह जो पररपणा रप स हताश हो गरा चनराश हो गरा चजसकी आशा जड़-मल स मर गई

कमहला गई करोदक जस ही आशा जड़-मल स कमहला जाती ह अहकार मर जाता ह अहकार आशा का ही

फल ह और जहा अहकार नही वही परमातमा का आचवभााव ह

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहर अब सब बनचह सवार

लदकन अब दख चलरा राज हमन जगजीवन कहत ह अब अब हम पहचान गए तम सवारत हो तो

सवरता ह अब सवार चलरा अब छोड़ मत दना हाि अब गह चलरा हाि अबसोई अब छोड़ मत दना हाि

तमहर हाि अह अबसाई अब सब तमहार हाि म ह सब बशता तमहार हाि म ह और दसरो नाही कोई

अब कोई आशा नही दकसी और की न अपना भरोसा न दकसी और का भरोसा अब सारा भरोसा तम पर ह

इस भाव-दशा का नाम शरदधा ह शरदधा सवास ह भि क हदर की

जो तम चहत करत सो होई

तम जो चाहो हो जाता ह हमार चाहन स तो सब चबगड़ जाता ह

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

अब म दख रहा ह जल म िल म सब तमहारी ही जरोचत समाई हई ह कसा अधा िा अब तक रह

करो मि नही ददखाई पड़ा और ऐसा भी नही ह दक र वचन मन सन नही ि शासतर रही तो कहत ह सब म

वही समारा ह किसि ि र वचन मि लदकन बस दोहराता िा तोत की भाचत तमन ददखारा तो ददखा

67

तमन नही ददखारा तो शबद तो मि राद रह शबद तो म दोहराता रहा लदकन ददखा मि कछ भी नही जस

अधा रोशनी की बात करता रहा और बहरा सगीत की चचााए छड़ता रहा

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

अब दखता ह दक सब तरफ तमही हो सारी जरोचतरा तमहारी जरोचतरा ह कण-कण म तमही वयापत हो

मगर रह तमन ददखारा तो मि ददखा

इशक की हद स चनकलत दफर र मजर दखत

काश हसन-रार को हम हसन बन कर दखत

गचा-ओ-गल दखत रा माहो-अखतर दखत

तम नजर आत हम हम कोई मजर दखत

दफतरत-मजबरी प काब ही कछ चलता नही

वनाा हम तो तिस भी तिको छपा कर दखत

दफर वही हसरत ह साकी दफर उसी अदाज स

दफर चसवा सागर क सब कछ गक-सागर दखत

चतशनगान-दीद-जलवा हम समिा ह करा

तम अगर सरत ददखात जान दकर दखत

मर चमिा इक बात पर दकस आन स दकस शान स

आप अगर ऐस म होत ददल क तवर दखत

चमि कर ही जाना जाता ह हार कर ही पारा जाता ह खोकर ही चमलन ह

मर चमिा इक बात पर दकस आन स दकस शान स

आप अगर ऐस म होत ददल क तवर दखत

चतशनागान-दीद-जलवा हम समिा ह करा

तम अगर सरत ददखात जान दकर दखत

हम तरार ि जान भी दन को तरार ि--तम अगर सरत ददखात मगर वह हमारी शताबदी िी वह

हमारा सौदा िा लदकन चजस कषण हमन अपन को गवारा तमन सरत ददखाई हम तो तरार ि सब कछ

गवान को भी लदकन जब कोई गवान को तरार होता ह तो भी अहकार शष रहता ह कहता ह म सब गवान

को तरार ह ददखाओ दशान दो परतरकष हो जाओ मगर पहल परतरकष हो जाओ तो म सब दन को तरार ह

हालत उलिी ह तम सब द दो परतरकष हो जाता ह

इसचलए भि बड़ स बड़ा जआरी ह दाव पर लगा दता ह भरोसा कछ भी नही दक कछ चमलगा दक नही

चमलगा भि बड़ी स बड़ी जोखम उिाता ह तमस साधारणतः लोग कहत ह--तमहार पचडत-परोचहत साध-

68

महातमा--दक भचि सरल ह उनकी बातो म मत आ जाना भचि बड़ी जोखम ह जञान सरल ह तराग भी सरल

ह परम सबस बड़ी जोख़म ह करोदक जञान म और तराग म अहकार माचलक रहता ह परम म अहकार को चवदा

दनी होती ह

इशक की हद स चनकलत दफर र मजर दखत

काश हसन-रार को हम हसन बन कर दखत

तम उस तभी दख पाओग जब तम उसम पररपणा लीन हो जाओग वही हो जाओग तभी दख पाओग

सागर को जानन का एक ही उपार ह सागर हो जाना मगर सागर होन क पहल बद को चमिना पड़गा बद

रह नही कह सकती दक पहल म सागर हो जाऊ दफर म चमिन को तरार ह बद को तो चमिना पहल होगा

और चमिन क पहल कोई गारिी कहा कौन गारिी दगा दक चमिन स सागर हो ही जाओग जब बीज ििता ह

और चमिता ह तो गारिी करा ह दक वकष बनगा ही चहममत चाचहए बड़ी चहममत चाचहए दससाहस चाचहए

मगर बीज दससाहस करता ह और वकष हो जाता ह बद दससाहस करती ह और सागर हो जाती ह भि

दससाहस करता ह और भगवान हो जाता ह

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

सब तमहार हाि म ह चाहो तो दकसी को राजो का राज द दत हो--मतर द दत हो चाहो तमहारी

अनकपा हो तो वषाा हो जाती ह सब कलमष धल जाता ह

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

और दकसी क भीतर तमहारी अनकपा स मतर का जनम होता ह और अतर-भजन शर हो जाता ह अतर-

भजन बाहर स सीखा हआ नही जस परमातमा दकसी क हदर को छड़ दता ह तारो को छड़ दता ह उसक

हाि तमहार हदर को गदगदा जात ह

कहौ तो कछ कहा नहह जाई

जगजीवन कहत ऐसा तमन मर साि दकरा अब म रह लोगो स कहना भी चाहता ह तो कह नही

पाता म कहता ह उसी न मतर ददरा कोई मरी मानता नही म कहता ह वही आरा उसीन मर हदर को

गदगदारा कोई मरी मानता नही म कहता ह वही आरा उसन मरी हदर-ततरी क तार छड़ ददए रह वही गा

रहा ह कोई मरी मानता नही

कह तो कछ कहा नहह जाई तम जानत तम दत जनाई

तमही जानत हो और तमही जब जना दत हो तब कोई जानता ह शष सब वयिा ही भिकत ह बड़ स बड़

पचडत भी अजञानी ही ह जब तक तम नही जना दत तब तक कोई भी कछ नही जानता जो अपन स ही जानन

की चषटा म लग ह व अबार लगा लग सचनाओ क शासतरो क पहाड़ो क नीच दब जाएग मगर पहाड़ खोद कर

उनको चहा भी चमल जाए इसकी सभावना नही उनक हाि कछ भी न लगगा--राख ही राख

तम जानत तम दत जनाई

इस परार वचन को हदर म समहाल कर रख लना रह मतर ह--तम जानत तम दत जनाई मर जानन

स नही तम जनाओ तम जगाओ तम चताओ तम चतनर हो तम चता सकत हो तम जानत हो तम जना

सकत हो तम पणा हो तम मर भीतर पणा को भर सकत हो म शनर ह म शनर की भाचत दकतना ही दौड़ता

रह कछ भी न होगा आदमी अकला रह ररि ह परमातमा साि हो भरा ह

रक मर-ए-बनाम जो इस ददल क पमान म ह

69

वो दकसी शीश म ह साकी न मरखान म ह

र तो साकी हर तरह की तर मरखान म ह

वो भी िोड़ी-सी जो इन आखो क पमान म ह

एक ऐसा राज भी ददल क चनहाखान म ह

लतफ चजसका कछ समिन म न समिान म ह

एक कफ-नातमाम ददा की लजजत ही करा

ददा की लजजत सरापा ददा बन जान म ह

दफर चनकाब उसन उलि कर रह ताजा पक दी

अब न काब म ह सननािा न बतखान म ह

एक बार वह अपना पदाा खद उघाड़ द--घघि क पि खोल--एक बार वह खद ही अपना घघि खोल

दफर चनकाब उसन उलि कर रह ताजा पक दी

अब न का ब म ह सननािा न बतखान म ह

दफर सब तरफ गीतो की िकार पदा हो जाती ह काबा भी गा उिता ह मचसजद भी गनगना उिती ह

मददर भी पनरजजीचवत हो जात ह चमटटी म अमत की धन आन लगती ह

रक मर-ए-बनाम जो इस ददल क पमान म ह

वो दकसी शीश म ह साकी न मरखान म ह

और एक मददरा तमहार ददल क भीतर ह वह दकसी भी मधशाला म नही चमलगी मगर उस मददरा तक

तमहार हाि पहच नही सकत--तमहार हाि तो बाहर ही बाहर पहचत ह उस मददरा तक तो परमातमा क हाि

ही पहच सकत ह उसन ही रखी ह तमहार हदर म वही तमह चपलाए तो पीना हो

एक ऐसा राज भी ददल क चनहाखान म ह

लतफ चजसका कछ समिन म न समिान म ह

न तो समिा जा सकता न समिारा जा सकता लदकन जाना जा सकता ह वही जना द तो जाना जा

सकता भचि का सार-सतर ह दक परमातमा क दकए ही कछ होता ह मनषर क दकए कछ भी नही होता ह

जगत भगत कत तम तारा

और दकतन लोगो को तमन तार ददरा

म अजान कतान चबचारा

म भी एक छोिा-मोिा म कछ बहत बड़ा भगत भी नही ह मरी भचि भी कोई ऐसी नही दक तम मि

तारो ही मि मरी भचि पर भी कोई ऐसा भरोसा नही ह करोदक जगत म बड़-बड़ भि हए ह जगत म बड़-

बड़ भि ह--जगत भगत कत तम तारा म अजान कतान चबचारा--लदकन म मरी कौन चगनती दफर भी तम

आए दफर भी तमन दशान ददए दफर भी तमन मर तन-मन को आनद स सराबोर दकरा दफर भी तमन मर

70

हदर म मददरा उडली दफर भी तमन अपनी नकाब पलिी इसस भरोसा आता ह दक अगर मि हो सकता ह

तो सब को हो सकता ह म तो ना-कछ मरी कोई चबसात नही हआ होगा बड़ भिो को व बड़ ि मरी तो

कोई चबसात नही म अजान कतान चबचारा लदकन जब तम मर सामन परकि हो गए तो एक बात पककी हो गई

एक बात चनचित हो गई दक अब तम दकसी क भी सामन परकि हो सकत हो म तो अचतम स अचतम ह अगर म

तमहारी अनकपा का अचधकारी ह तो परतरक वयचि तमहारी अनकपा का अचधकारी ह

चरन सीस म नाही िारौ

अब म तमहार चरणो स अपन सीस को नही हिाऊगा

चनमाल मरत चनरत चनहारौ

अब तो दखता रहगा रह तमहारा परारा रप रह तमहार सौदरा म नहाता रहगा

जगजीवन का अब चवसवास राखह सतगर अपन पास

अब मि भरोसा हो गरा ह अब मि शरदधा उमगी ह--जगजीवन को अब चवसवास--अब तक मि चवशवास

नही िा दक म भी पार हो सकगा अब तक मि चवशवास नही िा दक कभी म भी इस रोगर हो सकगा दक

तमहार दशान होग जब रह अपवा घिना घि गई--अनारास अनपचकषत--तो अब एक घिना और भी घिगी

इसका भी भरोसा बिता हः राखह सतगर अपन पास अब तम मि अपन पास रखो अब रह भी शरदधा

बनती ह दक जब इतना हआ तो इतना भी होगा एक शरदधा दसरी शरदधा म ल जाती ह एक शरदधा दसरी शरदधा

क चलए दवार बन जाती ह

चनगाहो का मका ज बना जा रहा ह

मोहबबत क हािो लिा जा रहा ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

वही हसन चजसक ह र सब मजाचहर

उसी हसन म हल हआ जा रहा ह

न जान कहा स न जान दकधर को

बस इक अपनी धन म उड़ा जा रहा ह

न इदराक-हसती न एहसास-मसती

चजधर चल पड़ा ह चला जा रहा ह

न सरत का मानी न पदा न चपनहा

र दकस हसन म गम हआ जा रहा ह

71

उसक चरणो पर हाि पड़त ही--न सरत न मानी न पदा न चपनहा--दफर कछ सि-बि नही रह जाती

होश-हवाश नही रह जाता न सरत न मानी न पदा न चपनहा न कोई अिा न कोई अचभपरार न कोई हत र

दकस हसन म गम हआ जा रहा ह और रह दकस सौदरा म डबता जा रहा ह

चनगाहो का मका ज बना जा रहा ह

मोहबबत क हािो लिा जा रहा ह

धनरभागी ह व जो परम क हाि लि जाए

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

ह तो एक छोिी सी बद एक कतरा लदकन सागर न मि अपनी गोद म ल चलरा ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

अब तो शाशवतता मरी ह परारभ स अत तक सब मरा ह अनतता मरी ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

ह तो बद लदकन रह सागर की गोद म जो पड़ गरा ह तो अब सीमा नही ह मरी अब असीम ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

वही हसन चजसक ह र सब मजाचहर

उसी हसन म हल हआ जा रहा ह

और चजस सौदरा स रह सारा अचसततव पररवयापत ह उसी म डबता जा रहा ह उसी म चपघलता जा रहा

ह उसी म लीन होता जा रहा ह

न जान कहा स न जान दकधर को

बस इक अपनी धन म उड़ा जा रहा ह

न इदराक-हसती न एहसास-मसती

चजधर चल पड़ा ह चला जा रहा ह

न सरत न मानी न पदा न चपनहा

र दकस हसन म गम हआ जा रहा ह

भि की पराकाषठा हः गम हो जाना भि की पराकाषठा हः लीन हो जाना तललीन हो जाना जस बद

सागर म लीन हो जाती ह जरा भी चभनन नही रह जाती कोई सीमा का भद नही रह जाता उस अभद म ही

भि भगवान हो जाता ह अनलहक अह बरहमाचसम

आज इतना ही

72

अरी म तो नाम क रग छकी

चौिा परवचन

महासखः फलना और फलत जाना

पहला परशनः हम खदा क तो कभी कारल न ि

तमह दखा तो खदा राद आरा

शवर चसजदा नही ह मिको त मर चसजदो की लाज रखना

रह चसर तर आसता स पहल दकसी क आग िका नही ह

और करा कह बस अब आप कछ ऐसी तदबीर कर दक चजसस रह जो एक तीर-ए-नीमकश ददल म चभा

ह सीन क पार हो जाए परशन चलखन क बहान ही आस बह चनकल ह आप इसका जवाब दग तब भी खब बहग

नही दग तब भी करा कर अब तो बरसात आ ही गई पर पता नही वर का साि कब होगा होगा भी रा

नही

कषणतीिा सतसग का रही अिा ह चजस चनचमतत परमातमा की राद आ जाए वही सतसग ह सागर म

उित हए तफान को दख कर परमातमा की राद आ जाए तो वही सतसग हो गरा आकाश म उग चाद को दख

कर राद आ जाए तो वही सतसग हो गरा जहा सतर की राद आ जाए वही सतर स सग हो जाता ह

और परमातमा तो सभी म वयापत ह इसचलए राद कही स भी आ सकती ह--दकसी भी ददशा स और

परमातमा तमह सब ददशाओ स तलाश रहा ह खोज रहा ह कही स भी रधर चमल जाए जरा सी सध चमल जाए

तो उसका िोका तमम परवश हो जाता ह वकषो की हररराली को दख कर उगत सरज को दख कर पचकषरो क

गीत सन कर पपीह की पी कहा की आवाज सन कर और अगर तम गौर स सनो तो हर आवाज म उसी

की आवाज ह तमह अगर मरी आवाज म उसकी आवाज सनाई पड़ी तो उसका कारण रह नही ह दक मरी

आवाज ही कवल उसकी आवाज ह उसका कल कारण इतना ह दक तमन मरी आवाज को गौर स सना सभी

आवाज उसकी ह जहा भी तम शात होकर मौन होकर खल हदर स सनन को राजी हो जाओग वही स

उसकी राद आन लगगी

खदा क कारल होना ही होगा करोदक खदा तो सब तरफ मौजद ह आिरा तो रही ह दक कछ लोग कस

बच जात ह खदा क कारल होन स चमतकार ह दक परमातमा स भर इस अचसततव म कछ लोग नाचसतक रह

जात ह उनक अधपन का अत न होगा व बहर होग उनक हदर म धड़कन न होती होगी उनक हदर पतिर

क बन होग रह असभव ह अगर कोई जरा आख खोल तो चारो तरफ वही मौजद ह उसी की छचव ह मददरो

और मचसजदो म जान की जररत इसीचलए पड़ती ह दक हम अध ह अनरिा जहा हो वही मददर ह--खली आख

चाचहए िोड़ जागरत होकर जहा भी बि जाओग वही तम उसकी वषाा पाओग बरस ही रहा ह उसकी वषाा

अनवरत ह

तम कहत होः

हम खदा क तो कभी कारल न ि

तमह दखा तो खदा राद आरा

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इसस मरा कछ सबध नही ह चजस ढग स तमन मि दखा उसी ढग स अब औरो को भी दखना शर

करो और तमह जगह-जगह खदा ही नजर आएगा और तम कारल पर कारल होत चल जाओग और एक ददन

वह अपवा चमतकार भी घिगाः दपाण क सामन खड़ अपनी तसवीर दखोग और खदा ददखाई पड़गा चजस ददन

वह भी घि जाए उस ददन जानना ह दक रातरा परी हई चजस ददन तमह अपन म भी परमातमा की ही राद आन

लग

सबस करिन बात वही ह करोदक लोगो को सदा स आतमहनदा चसखाई गई ह तमहार सबक मन

आतमहनदा स भर ह--म ना-कछ अपातर पापी तमह चसफा तमहारी भल ही ददखाई पड़ती ह करोदक तमहारी

भल ही तमह सिाई गई ह बार-बार बचपन स लकर अब तक सददरो-सददरो म तमह एक ही बात चसखाई गई

ह दक तम दो कौड़ी क हो तमहारा कोई मलर नही ह म तमह राद ददलाना चाहता हाः तम अमलर हो तमहार

भीतर परमातमा चवराजमान ह तमहारी छोिी-मोिी भलो इतरादद स तमहार भीतर क परमातमा का कछ भी

बनता-चबगड़ता नही तमहारी चनमालता वसी की वसी ह जस आकाश म बादल चघरत ह और चवदा हो जात ह

और आकाश का कारापन जरा भी खचडत नही होता ऐसा ही तमहारा कारापन ह

अगर तमह मर पास बि-बि कर परमातमा का समरण आन लगा ह तो अब इस भल म मत पड़ जाना दक

परमातमा बाहर ह नही तो दफर चक पहल चकत रह करोदक परमातमा नही ह--एक चक--दफर दसरी चक दक

परमातमा बाहर ह दकसी और म ह नाचसतक चकता ह आचसतक भी चक जाता ह नाचसतक चकता ह मानकर

दक परमातमा नही ह और आचसतक चक जाता ह मान कर दक राम म ह कषण म ह बदध म ह

धारमाक कौन ह

धारमाक वह ह चजस ददखाई पड़ता हः मिम और जब मिम ह तो सब म ही होगा करोदक मि तक

म हो सकता ह मि ना-कछ म हो सकता ह तो दफर कोई सिान ररि नही ह

तम कहत कषणतीिाः

शवर चसजदा नही ह मिको त मर चसजदो की लाज रखना

रह चसर तर आसता स पहल दकसी क आग िका नही ह

चसर ह ही कहा िकाओ तो पता चलता ह दक ह ही नही न िकाओ तो पता चलता ह दक ह अहकार

छोड़ना िोड़ ही पड़ता ह हो तो छोड़ो जब आख खलती ह तो पता चलता ह दक ह ही नही रात तमन सवपन

दखा दक तम समराि हो बड़ा सामराजर ह महल ह सवणा क अपसराओ जसी तमहारी राचनरा ह दवताओ जस

सदर तमहार पतर ह और दफर सबह आख खली दफर करा रात क सपन को छोड़ना पड़ता ह हसी आती ह

इस धोख म पड़ सक इस पर भरोसा नही आता छोड़ना करा ह चसर तभी तक ह जब तक िका नही जब

तक जाग नही तब तक सपना ह और तब तक सपना सच ह तब तक सपना बहत सच ह जाग दक सपना

कहा िक दक चसर कहा इसचलए िकन क बाद दफर कोई चसजदा की कला िोड़ ही सीखनी होती ह िकन क

बाद तो पता चलता ह दक चसजदा चल ही रहा िा हम नाहक ही चसर क सपन म पड़ गए ि चसर िा ही नही

िककर ही पता चलता ह दक चसर नही ह अगर एक बार भी िक गए तो दफर तम दबारा अपन चसर को न

खोज पाओग िक दक अहकार गरा

अहकार उस नीद का नाम ह चजसको अकड़ कह िक िक सक एक बार भी तो िलक चमल जाएगी

िलक चमल जाए समपाण की आनद बरस जाए दफर कौन पकड़ता ह उस नका को चजसका नाम अहकार िा

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नही चसजदा की कोई कला नही होती चसजदा सीखना भी नही होता सीखा जा भी नही सकता हा

कभी अनारास दकसी की सचननचध म घि जाता ह चनचमतत मातर दकसी की मौजदगी कारण बन जाती ह कभी-

कभी तो ऐसा होता ह वयचि न भी हो तो भी चसजदा हो जाता ह

कभी सबह एकात म वन क दकसी राह पर ताजा-ताजा सरज उगता हो जमीन स उिती हो सोधी

सगध वकष हर हो घास पर अभी भी ओस क मोती जम हो पकषी गीत गात हो--नही करा कभी मन होता दक

िक जाए घिन िक द भचम पर चसर लगा द जमीन पर नही कोई चरण ह नही कोई मरता ह लदकन दफर

भी िक जान का एक अपवा भाव उिता ह और अगर िक जाओ--दकसक सामन िक कोई भी न िा लदकन

दकसक सामन िकन का सवाल ही नही ह िकन म असली राज ह िक गए चसजदा हो गरा उिोग दसर ही

आदमी होकर उिोग चबना चसर क हो जाओग सनरासी का अिा ही रही हः चजसका चसर दसरो को ददखाई

पड़ता ह उसकी तरफ स नही हो गरा ह उनको ददखाई पड़ता ह जो अभी भी सो रह ह उनक सपन म ह

लदकन उसक जागरण म चसर खो गरा ह

शवर चसजदा नही ह मिको

दकसको ह इसकी कोई कला तो नही होती कला का उपार ही नही और अगर दकसी न कला सीख कर

चसर िकारा तो चसर िकाना ििा हो जाता ह--रह भी राद रह मददरो-मचसजदो म दकतन लोग तो चसर िका

रह ह मगर िकता कहा हालत उलिी ह मददर-मचसजद म जान वाल का चसर और अकड़ जाता ह वह और

अकड़ कर बाहर आता ह दक म धारमाक ह दक दखो रोज मददर जाता ह--और तम पापी

महममद एक ददन एक रवक को लकर मचसजद गए पहली दफा रवक मचसजद गरा मोहममद क साि

जब परािाना कर क वापस लौित ि--गमी क ददन ि और कछ लोग अभी भी रासतो पर अपन चबसतरो म सोए

ि--उस रवक न मोहममद स कहाः हजरत इन पाचपरो का करा होगा र नरक म पड़ग रह समर परािाना का

ह और र अभी भी चबसतरो म पड़ ह इन काचहलो इन आलचसरो की करा गचत होगी कछ बताए मोहममद

रििक कर खड़ हो गए उनकी आख स आस चगरन लग हाि जोड़ चलए वही िक गए जमीन पर और

परमातमा स कषमा मागन लग वह रवक तो बहत घबड़ारा उसन कहा बात करा ह आप दकस बात की कषमा

माग रह ह उनहोन कहा म कषमा माग रहा ह दक म ति मचसजद करो ल गरा त न जाता मचसजद तो ही भला

िा कम स कम ति रह तो खराल नही िा दक त पणरातमा ह और दसर पापी ह मिस और एक भल हो गई

त भी सोरा पड़ा रहता िा रोज तर मन म कभी रह अहकार न उिा िा दक म पणरातमा और दसर पापी आज

एक बार त मचसजद करा हो आरा त पणरातमा हो गरा दसर नरक म पड़ग इसका चवचार करन लगा दकस

नरक म पड़ग पछताछ करन लगा मि वापस जाना होगा मचसजद मि नमाज दफर स करनी होगी भाई त

घर जा और सो मरी नमाज खराब हो गई मन सोचा िा दक मर सग-साि तरी नमाज भी उड़ जाएगी पख

खोल कर मरी नमाज तक क पख तन तोड़ ददए मिस बड़ी भल हो गई

मोहममद दबारा गए दफर स नमाज पढ़ी

धारमाक आदमी चजसको तम कहत हो उसकी अकड़ दखत हो दकसी न जनऊ पहन रखा ह दकसी न

चतलक लगा रखा ह--उसकी अकड़ दखत हो वह रोज मददर हो आता ह िोड़ा मददर की घिी बजा दता ह

वह घिा भी करो लिका रखा ह मददर म मालम ह वह खबर कर रहा ह भगवान को--दक सनो म आ गरा

जोर स घिा बजा रहा ह दक कही िपकी खा रह होओ रा सो गए होओ तो जाग जाओ --दखो कौन आरा

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और दफर वह घमता ह जगत म एक पचवतर अहकार चलए और अहकार कही पचवतर हआ ह नही चसजद की

कोई कला नही होती परािाना की कोई कला नही होती परािाना तो सरलता ह

तो कषणतीिा िक गए बस उसी िकन म परािाना ह रह पछो ही मतः कस िक कस िक रह --पछो

ही मत चजसन िका चलरा ह वही आग भी िकाता रहगा तम अपन हाि म रह काम मत ल लना तम

परािाना करन को अपना कतर मत बना लना उसन िका चलरा ह वही िकाए रखगा तम इस औपचाररक

चनरम मत बना लना

मनषर की बड़ी स बड़ी भलो म एक ह दक वह जीवन की शरषठतम चीजो को भी औपचाररक चनरम बना

लता ह बस जस ही औपचाररक चनरम बनत ह शरषठता खो जाती ह जीवन खो जाता ह जड़ मदाा चीज हाि

म रह जाती ह

कहा हः और करा कह बस आप ऐसी तदबीर कर चजसस दक रह जो एक तीर-ए-नीमकश ददल म चभा

हआ ह सीन क पार हो जाए न तो मरी तरकीब स होगा न तमहारी तरकीब स होगा जस अनारास रह तीर

लग गरा ह सीन म और आधा पार हो गरा ह ऐस ही अनारास परा भी पार हो जाएगा कारा-कारण क चनरम

काम नही करत

दफर जलदी भी न करो िोड़ा तड़पो रह जो आधा-आधा चछदा हआ तीर ह हदर म इसकी पीड़ा को भी

आनद स भोगो इसकी पीड़ा मधर ह मीिी ह जलदी मत करो अधरा भी मत करो दक जलदी रह पार हो जाए

इसको ही म आचसतकता कहता ह इसी को म शरदधा कहता ह--जो हो रहा ह उसस आनददत और चजतनी दर

परतीकषा करनी होगी उतनी दर परतीकषा को तरार अगर जनमो-जनमो भी लगग तो भी तरार जस ही तमन

सोचा दक जलदी हो परा हो जाए वस ही जो हो रहा िा वह भी रक जाएगा तम आ गए तम बीच म आ

गए परमातमा को करन दो--रही जगजीवन का सार-सतर ह रही भचि का अिा हः उस करन दो अगर आधा

तीर चभा ह तो अभी आध की ही जररत होगी अभी जररत होगी दक तम तड़पो करोदक तड़पन स चनखार

आता ह अभी पीड़ा आवशरक होगी करोदक पीड़ा माजती ह पीड़ा परौढ़ता दती ह रह आग तमहारी शतर नही

ह इसी आग स गजर कर तम शदध सवणा बनोग कदन बनोग

म तमहारी तकलीफ भी जानता ह हम सब जलदी म ह और हमारी जलदी क कारण ही दर हई जा रही

ह और तमह भी भलीभाचत पता ह तमहार जीवन क सामानर अनभव म भी रोज हाता ह--जब तम जलदी

करत हो दर हो जाती ह रन पकड़नी ह समर हो गरा िकसीवाला हारन बजाए जा रहा ह और तम भाग-

दौड़ म लग हो और अपना दकसी तरह सामान बाध रह हो चाभी हाि म ह और चाभी खोज रह हो चशमा

नाक पर चढ़ा ह और चशम की तलाश कर रह हो दक चशमा कहा ह जलदी म और दर हई जा रही ह नही तो

ऐसी भल नही होती जलदी म मन उततपत हो जाता ह चजतनी जलदबाजी उतना ही मन हचचतत हो जाता ह

चजतना हचचतत हो जाता ह उतना ही अधा हो जाता ह

परमातमा की खोज अनत परतीकषा ह अनत परतीकषा ही परािाना ह

नही कोई जलदी न करो और म तमहारी तकलीफ समिता ह चजनह सवाद नही लगा ह चबलकल उनह

तो जलदी होती ही नही जलदी का कोई कारण ही नही ह सवाद ही नही लगा ह चजनह सवाद लगा--तम

धनरभागी हो तमह सवाद लगा तीर छआ ह तमहार हदर को चोि लगी ह चभन हो रही ह--अब तम चाहत

हो दक रह जो घिना घि गई रह परी घि जाए मगर अगर तमन बहत जलदबाजी की तमन अगर बहत

आतरता ददखाई तम अगर बहत हचचतत हो गए तो तीर जो आधा चभा ह वह भी चगर जाएगा नही राह

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दखो धनरवाद दो जो हआ ह और इस पीड़ा को अहोभाव स भोगो और रह पीड़ा बड़ी अनिी पीड़ा ह रह

परम की पीड़ा ह जलदी करो रह चवरह की रात लबी हो तो लबी सही रह चवरह की रात ह और उसकी राद

म बीतगी और उसका इतजार भी उसक चमलन स कछ कम आनद की बात नही

तम िीक कहत हो दक बरसात तो आ गई अब वर का साि कब होगा

वह भी होगा जब बरसात आ गई तो वर भी आता होगा

ह दकतना ददलफरब रह बरसात का आलम

अलहड़ हसी का जस खरालात का आलम

आता ह इस तरह स पवन िमता हआ

हो जस दकसी ररद-ए-खराबात का आलम

ददखलाई नही दती रो आकाश म चचचड़रा

जस दक ददल आन प वजहात का आलम

चछपती ह दकरन अबर क घघि स िाक कर

तौबा र कनाए स इशारात का आलम

तजी स गजरना ह र घनघोर घिा का

रा सबह-शब-वसल म लमहात का आलम

रकती ही नही बदो की छनछम-छननछम

र बरखा की छागल क ह नगमात का आलम

कोरल कह ह कौन ह पी बोल पपीहा

उफ र रह सवालातो-जवाबात का आलम

शाखो की दलहन पहन हए फलो क जवर

अललाह र र पहली मलाकात का आलम

बद पड़न लगी पहली-पहली बरखा की बद आ गई रकती ही नही बदो की छनछम-छननछम बाढ़ भी

आती होगी घनघोर वषाा भी होगी बरसात आ गई दब बीज जनमो-जनमो दब बीज फिग अकररत होग

फलग फलग भरोसा रखो अनत भरोसा रखो

और म जानता ह दक जब तीर लगता ह और आधा-आधा लगता ह--और सदा आधा-आधा ही लगता ह

शर म रही परदकररा ह जीवन-रपातरण की--तो कहत भी नही बनता दक करा हो रहा ह--जबान लड़खड़ाती

करा हसन का अफसाना महदद हो लफजो म

आख ही कह उसको आखो न जो दखा ह

शबद कह नही पात भीतर जो अनभव होता ह वह भी वही समि पाएगा चजस अनभव हआ ह तो इस

तीर-ए-नीमकश की बात उनस मत करना चजनहोन न तीर दख ह न खाए ह जो कभी परम स घारल नही हए

उनस इसकी बात मत करना अनरिा व हसग और पागल समिग और िकना हो गरा ह तो असली बात तो

घि गई दवार तो खल गए मददर क

सर-चनराज न जब तक दकसी क दर प िका

बराबर इक खचलश-सी चमरी जबी म रही

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तब तक चसर िकता नही तब तक एक चभन सी बनी रहती ह िकन का आनद अपवा ह

िकन का आनद चमिन का आनद ह

िकन का आनद चनभाार होन का आनद ह

िकन का आनद अहकार स छिकार का आनद ह

जस पकषी छि जाए हपजड़ स सारा आकाश उसका अपना हो अहकार बड़ा छोिा हपजड़ा ह जो नही

िक पात व अभाग ह तम सौभागरशाली हो और तम िक तो तीर भी लगा

अब परतीकषा करो अशरपणा होगी परतीकषा लदकन आस तमहार आनद क आस हो आनद तमहार

अहोभाव तमहारी कतजञता क आस हो इस पीड़ा को छाती स लगाकर पड़ रहो

फसात कहा दक छड़ कर आसमा स हम

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

इस भीतर की पीड़ा की लजजत अनभव करो

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

रह सपदा ह इस छाती स लगा लो

फसात कहा दक छड़ कर आसमा स हम

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

इस दजाा बकरार ि दद-चनहा स हम

कछ दर आग बढ़ गए उमर-रवा स हम

ऐ चारा-साज हालत-दद-चनहा न पछ

इक राज ह जो कह नही सकत जबा स हम

बि ही बि आ गरा करा जान करा खराल

पहरो चलपि क रोए ददल-नातवा स हम

आएग खराल--दर आकाश स उड़त हए--अनत क अजञात क और खब आस बहग कजसी मत करना

कषणतीिा कपणता मत करना आसओ क अचतररि हमार पास और कोई अरघरा ह भी नही जो हम चढ़ाए

परमातमा क चरणो म आसओ क अचतररि और हमार पास ह भी करा जो हम भि कर इसचलए बचाना मत

जो ददल खोल कर रो सकता ह वह पहच ही गरा उसक पहचन म दर नही ह

परम क मागा पर आसओ स सीदढ़रा पार की जाती ह एक-एक आस सोपान बन जाता ह रोओ आनदमगन

होकर रोओ इस पीड़ा को आहलगन करो और अनत परतीकषा की तरारी रखो

अचतम बात जो अनत परतीकषा की तरारी रखता ह उसकी घिना हो सकता ह अभी घि जाए रही घि

जाए और जो चाहता ह अभी घि रही घि हो सकता ह उस अनतकाल तक परतीकषा करनी पड़ और कभी न

घि ऐसा उलिा चनरम ह अधरातम का रहा दौड़न वाल चक जात ह रहा बि रहनवाल पहच जात ह

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दसरा परशनः मरी पतनी क मन म कोई परशन नही उिता करा कारण ह

समचत सरसवती तम धनरभागी हो तमहारी पतनी तमस जरादा बचदधमान ह

समचत सरसवती न कम स कम दो दजान परशन पछ ह आज और समचत को खराल होगा दक इस तरह क

इतन परशन पछना बचदधमानी का लकषण ह इतन परशन पछना चसफा चवचकषपतता का लकषण ह बचदधमानी का नही

और जब तमहार परशन मन दख तो मि तमहारी पतनी पर बहत दरा आई न मालम दकन कमो का फल बचारी

को तम चमल एक स एक अदभत परशन ह नमन क तौर पर--

धरान स छिकारा कब होगा

अभी धरान हआ नही अभी धरान का कछ पता नही ह लदकन छिकार का पहल स उपार कर रह ह

धरान का मतलब ही करा होता ह चचतत स छि जान का नाम धरान ह दफर धरान स कसा छिकारा धरान

का अिा ही परम छिकारा ह तमहारा परशन ऐसा ही ह जस कोई कारागह म पड़ा हआ बदी पछ दक िीक ह

कारागह स तो छिकारा हो जाएगा दफर सवततरता स कब छिकारा होगा सवततरता स छिकारा तो तम

समि ही नही धरान तो दर ह अभी तमह धरान का अरि भी पता नही ह मगर हा परशन उि रह ह--सगत

असगत नमन क चलए--

पछा हः कछ ऐसा कर द दक मर और मरी पतनी क बीच िगड़ा न हो

पतनी का तो कसर ददखाई नही पड़ता कपा आपकी ही होगी तमहार दो दजान परशन दख कर सब साफ हो

गरा मि दक कौन ििि खड़ी कर रहा होगा अब दखो रह भी परशन इसस तमह करा लना-दना ह दक तमहारी

पतनी क मन म परशन करो नही उित रह भी तमहारा परशन ह रह भी पतनी को ही पछन दो तम उसकी जान

खात होओग दक पछ परशन करो नही पछती बदध ह मढ़ ह परशन करो नही पछती जस दक परशन पछना कोई

बड़ जञान की बात ह परशन उिता ही हमारी चवचकषपतता स ह हमारी उलिन स और म तमह जो उततर दता ह

वह इसचलए नही दता दक तमहार परशन बड़ सािाक ह उततर चसफा इसचलए दता ह तादक धीर-धीर धीर-धीर

तमह रह ददखाई पड़ना शर हो जाए दक सब परशन वयिा ह उस ददन शभ घड़ी होगी जब तमहार मन म कोई परशन

न उिगा चजस ददन मन म कोई परशन न उिगा चजस ददन मन चनषपरशन हो जाता ह उसी ददन भीतर का उततर

परकि हो जाता ह

उततर तमहार भीतर ह मगर तम परशनो म उलि हो इसचलए उततर का पता नही चलता तम परशनो म

इतना शोरगल मचा रह हो दक उततर भीतर ह भी तो सनाई नही पड़ सकता उसकी धीमी-धीमी आवाज

उसका धीमा-धीमा सवर तमहार कोलाहल म खो जाता ह तमहार सार परशन शात हो जाए तो तम चदकत हो

जाओग--जीवन क सार उततर तमहारी चतना म चछप पड़ ह तम जब तक पछत रहोग तब तक चकत रहोग

चजस ददन पछोग नही उसी ददन तमहार भीतर ही वदो का वद जनमता ह तमहार चतनर म ही सारा रहसर

बीज रप म पड़ा ह मगर तम बाहर भिक रह हो परशन पछन का मतलब हः कोई दसरा उततर दगा और तमहार

परशनो स मि लगा दक तम अपनी पतनी स भी कहत होओग दक पछ चल दकसी स न पछ तो मिस ही पछ

एक बात खराल रखना दक पतनी दचनरा म जब सब क भीतर परमातमा दख लगी आचखर म पचत क

भीतर दख पाती ह--अचतम रदयचप पचतरो की कोचशश बड़ी परानी ह दक समिात ह चसतररो को दक पचत

परमातमा ह तमहार समिान स ही जाचहर हो रही बात दक तमह शक ह िोपत रह हो चसतररो क ऊपर दक पचत

को परमातमा मानो और पचतनरा मसकराती ह दक तम और परमातमा दकसी पतनी को रह भरोसा नही आ

79

सकता ह दक पचतदव और परमातमा दकसी और का पचत हो सकता ह मगर अपन पचत को तो चसतररा

भलीभाचत जानती ह तमस जरादा अचछी तरह तमहारी पतनी तमह पहचानती ह तमहारी नस-नस स वादकफ

ह तमहारी नाड़ी कहा स दबानी कब दबानी कस दबानी सब उस पता ह तमह एक कषण म पछ चहलान को

मजबर कर दती ह तमहारा सारा जञान इतरादद उस पता ह तमहार जञान-वयान का कोई मलर उसक सामन नही

ह तम सोचत होओग दक वह तमस पछ

एक मचहला--पढ़ी-चलखी मचहला रहा आती ह चोरी स आना पड़ता ह करोदक पचत कहत हाः कही

जान की जररत ही नही ह जब म तरा पचत ह तो कही जान की करा जररत करा पछना ह मिस पछ

मरी दकताब इतरादद पचत फक दत ह दफर डर क कारण उिाकर उनको चसर स भी लगा लत ह--करोदक भर

भी लगता ह दक कही कोई नकसान न हो जाए उनकी पतनी न ही मि कहाः दक मर सामन तो फक दत ह और

दफर मन चोरी-चछप दखा दक चसर िका कर उनको नमसकार करत ह और माफी मागत ह दक कषमा करना अब

ऐस पचत स करा पतनी डरगी और पतनी क सामन अकड़ कर बि जात ह दक पछ करा ति पछना ह दकस

तरह का जञान चाचहए मरी मौजदगी म ति कही जान की कोई जररत नही अब उनकी पतनी कहती ह दक

इनस पछन का मन ही नही होता इनस पछना करा ह रह तो मिस पछ उलि छोिी-छोिी बात म करोचधत

होत ह छोिी-छोिी बात म हचचतत हो जात ह छोिी-छोिी बात म बचच की तरह हो जात ह--मि इनकी मा का

भी काम करना पड़ता ह इनस म करा पछगी मगर अकड़ परष का अहकार परष का दभ

मन मलला नसरददीन स पछा दक तरी पतनी और तर बीच कभी िगड़ा नही सनाई पड़ता उसन कहा

िगड़ का कोई कारण ही नही शादी क ददन ही हमन चनणार कर चलरा दक हजदगी क जो बड़-बड़ सवाल ह व

म तर करगा जो छोि-छोि सवाल ह व त ही तर करना और तब स समिौता चल रहा ह और कोई ििि

नही आती मन कहा दफर भी म िोड़ा पछना चाहता ह दक बड़-बड़ सवाल स तमहारा करा मतलब और

छोि-छोि सवाल स तमहारा करा मतलब उसन कहा आप रह न पछ तो अचछा मन कहा दफर भी म दकसी

को कहगा नही तो उसन कहा बड़-बड़ सवाल जस ईशवर ह रा नही दकतन सवगा ह दकतन नका ह

चवरतनाम का रदध होना चाचहए दक नही इजरारल और चमसर क बीच समिौता दकस ढग स हो ऐस जो

बड़-बड़ सवाल ह--धमा क राजनीचत क अधरातम क दशानशासतर क--व म तर करता ह छोि-मोि सवाल जस

लड़क को दकस सकल म भती करवाना दकस दफलम को दखन जाना कौन सी कार खरीदनी र सब छोि-मोि

सवाल पतनी तर करती ह

अब तम समि लो दक बड़-बड़ सवाल का मतलब ह दक बकार सवाल चजनस कछ लना-दना नही अब

ईशवर ह रा नही करत रहो तर तमस पछ कौन रहा ह दक इजराइल और चमसर क बीच समिौता कस हो

चवरतनाम म रदध होना चाचहए दक नही होना चाचहए तमहारी सलाह कौन माग रहा ह चसतररा कशल ह

वयावहाररक ह चसतररा भचम क बहत चनकि ह इसचलए चसतररो को परथवी कहा ह अतरत वयावहाररक ह तमहार

जस वयिा सवाल तमहारी पतनी नही पछगी अब जस पतनी को रह सवाल ही नही उि सकता दक धरान स

छिकारा कस हो रह बात ही मढ़तापणा ह पतनी को रह सवाल नही उिगा

तम इस हचता म पड़ो करो अचछा ह शभ ह दक पतनी क मन म सवाल नही उित ह तमहार मन म

उित ह वह पछो दक मर मन म इतन सवाल करो उित ह करोदक तमहार सवाल चगर तो अचछा ह तमहार

सवाल चवदा हो जाए तो अचछा ह एक ऐसी घड़ी आ जाए जब तमहार भीतर कोई परशन न रह जाए तो वही

घड़ी धरान की घड़ी होगी

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बदध अपन चशषरो को कहत ि दक जब तक तमहार भीतर सवाल उित ह तब तक मत पछो वषा-दो वषा

धरान म डबो दफर जब सवाल न उि तब पछ लना रह भी खब रही जब सवाल न रह तब पछ लना जब

सवाल न रह जात तो कोई पछता कस बदध अपन चशषरो को पछत ि साल दो साल धरान करन क बाद दक

अब कछ पछना ह चशषर हसत ि और कहत िः नही कछ पछना नही बदध कहतः दखो जब तम पछत ि

अगर म जवाब दता तो वयिा ऊहापोह होता न तमहारी कछ समि म आता न तमहारी कछ पकड़ म आता

और मर जवाब तमहार चलए नर-नर परशन पछन का कारण बन जात और कछ भी न होता

इसका रह अिा नही ह दक बदध न जवाब नही ददए ह बदध न जवाब ददए ह उनको चजनको धरान क

चलए फसलाना ह और राजी करना ह लदकन चजनम भी बदध न दखा दक धरान की कषमता ह करीब ही दकनार

क खड़ ह--जरा सा धकका और धरान की लपि जल उिगी उनको जवाब नही ददए ह

म भी तमह जवाब दता ह चसफा इसीचलए दक तमह राजी करना ह दकसी तरह तम धरान म उतर जाओ

एक बार तम धरान म उतर जाओ तो सब परशन चगर जाएग सब उततर की आकाकषा समापत हो जाएगी तम

चनहितमनः आशवसत भाव स जानोग--करा ह वह परम अनभव की दशा ही तचपत द सकती ह दकसी और क

ददए गए उततर नही

म तमह उततर दता ह उसम जो समिदार ह व उततर क माधरम स अपन परशनो को हिा दत ह जो

नासमि ह व मर उततर म स और दस परशन खड़ कर लत ह

अब दो दजान परशन पछन का कोई कारण नही ह एकाध परशन तमहार जीवन म जो मलरवान हो पछो परशन

पछन क चलए खराल रखना चाचहए जस जब तम जात हो पोसि आदफस िलीगराम करन तो एक-एक शबद का

खराल रखत हो करोदक एक-एक शबद की कीमत चकानी पड़ती ह दस शबद जा सकत ह एक रपए म तो तम

काित जात हो काित जात हो--बारह ह तो दो और कािो और कािो एक रपए म चजतन जा सकत ह उतन

भज दत हो और तमन एक चमतकार दखा दक तमहारी दस पननो की चचटठी का वह असर नही होता जो दस

शबदो क तार का होता ह करा कारण होगा करोदक वयरि तमन काि ददरा सािाक-ही-सािाक बचा चलरा

जो अतरत आवशरक िा अपररहारा िा वही बचा चलरा

ऐस ही तमह परशन भी पछन चाचहए

तमहार जीवन क चलए जो अतरत सािाक मालम पड़ चजसक चबना पछ तमह चन न पड़ वही पछना

चाचहए उतना ही पछना चाचहए तो शारद धीर-धीर तमहारी रातरा चनषपरशन धरान की ओर शर हो जाए

लदकन तम कछ भी पछ जात हो जो भी तमहार चसर म उि आता ह बस चलख ददरा चल पछन अब रह भी

कोई परशन ह मरी पतनी क मन म कोई परशन नही उिता करा कारण ह

तमहारी पतनी बचदधमान ह रा हो सकता ह तमहार कारण परशन नही उिता डरती होगी दक परशन उिारा

दक तम उततर दोग इसस परशन न उिाना िीक ह

एक बार ऐसा हआ एक हसधी चमतर ि मर बहत बकवासी मर साि पजाब की रातरा पर गए उनकी

पतनी कभी मर साि रातरा पर नही गई िी इस बार उनकी पतनी भी रातरा पर गई म बड़ा हरान हआ--दोनो म

बड़ा चवरोधाभास पचत इतना बकवासी दक चप हो ही न बोल ही चला जाए और पतनी ऐसी चप दक जस उस

बोलना ही नही आता पचत सनान करन को गए तो मन पतनी स पछा दक रह जरा हरानी की बात ह तमहार

पचत इतन बकवासी ह तम इतनी चप करो हो पतनी न कहा दक मरी तरफ स और उनकी तरफ स दोनो का

काम वही कर रह ह शादी जब हई िी तो म भी कछ-कछ बोलती िी मगर उनहोन मौका ही नही ददरा

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इतन बकवासी पचत क पास अब करना करा और चप रहना ही करोदक बोलना तो खतरनाक ह तम

एक शबद बोलो वह घिो बकवास करग चबना बोल बकवास करत ह अगर चप बि हो तो पछत ह--चप करो

बिी ह अगर बोलो तो मचशकल न बोलो तो मचशकल

उनकी पतनी मि बोल रही िी--बबई रहत ि दोनो--दक जब म पचत की आवाज सन लती ह--तीसर

मचजल पर रहती ह--जब म पहली मचजल पर उनकी आवाज सन लती ह दक वह आ गए तब म खाना पकाना

शर करती ह और जब तक वह घर म आत ह तब तक खाना पक जाता ह करोदक चपरासी स लकर और जो

चमलगा और चलफिमन और जो उसस चलता ही रहता ह उनका जब म आवाज सन लती ह तब म शर

करती ह भोजन पकाना--दक आ गए पचतदव कम स कम घिा-डढ़ घिा उनको लग जाता ह--तीन मचजल पार

करन म जब तक वह आत ह घर म घिी बजती ह तब तक भोजन उनका तरार हो जाता ह

उस मचहला न मि कहा दक मि एक लाभ रहा ह इनक साि दक चबना दकसी धमागर क पास गए मौन

आ गरा और बड़ी शाचत रहती ह और म सनती रहती ह करोदक और कोई उपार नही ह धीर-धीर सनना

भी साकषीभाव स होन लगा ह दक अब रह तो उनह बकना ही ह बकन दो रह करा कहत ह करा नही कहत

अब इसका चहसाब-दकताब भी नही रखती

शारद रही दशा समचत तमहारी पतनी की हो मौन आ गरा हो उसको मौन रहन दो तम अपनी हचता

करो इतन परशन वयिा ही हो सकत ह सािाक परशन िोड़ होत ह सािाक परशन तो अगर िीक स समिो तो एक ही

हः म कौन ह बाकी कोई परशन सािाक नही ह रही पछो बस इसी एक परशन को धरान बना लोः म कौन ह

उिो बिो सोओ रह एक परशन तमहार भीतर गजता रह दक म कौन ह और जलदी उततर मत दना करोदक

तमस मि डर ह तमहार पास उततर भी काफी ह एक दफा पछोगः म कौन ह और जलदी स उततर दोगः अह

बरहमाचसम दक म बरहम ह उपचनषद और वद सब चल आएग रह उततर तमहारा नही ह इनको इनकार कर

दना कहना र उततर मर नही ह तम तो उस उततर की परतीकषा करना जो सदयसनात ताजा-ताजा नरा तमहार

भीतर उमग

जब तक वह उततर न आए इकार करत जाना बाकी सब कचरा ह दकसी न कहा हो दकतन ही

महाजञानी न कहा हो मगर तमहारा नही ह तो सतर नही ह उधार रानी असतर बदध न कहा हो महावीर न

कहा हो कषण-कराइसि न कहा हो तमहारा नही ह तो दकसी काम का नही ह न तो तम बदध की आख स दख

सकत हो और न कषण की जबान स बोल सकत हो न महावीर क पर स चल सकत हो न कषण की धड़कन स

जी सकत हो तमहारा जञान ही तमहार जीवन को आलोदकत करगा

पछत जाना इस एक परशन कोः म कौन ह उततर आएग--रि-रिाए तोत की तरह किसि जो तमन पढ़

ह सन ह पछ ह लोगो स व उततर उि ग उनको इकार करत जाना कहनाः नही नचत-नचत कहत जानाः रह

भी नही रह भी नही एक ददन ऐसी घड़ी आती ह जब परशन ही रह जाता ह और कोई उततर नही रहता म

कौन ह और सननािा म कौन ह और सननािा म कौन ह और सननािा गहन होता जाता ह कोई उततर

नही आता रह बड़ी परम घड़ी ह करोदक वह सननािा ही उततर ह वह शनर जो म कौन ह क पीछ आता ह--

जस तफान क पीछ शाचत आती ह ऐस उस म कौन ह क ििावात क पीछ जो सननािा शाचत मौन शनर

आता ह उसी शनर क सवाद म तमह उततर चमलगा उसी शनर म तम पणा को चवराजमान पाओग वही धरान ह

वही समाचध

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तीसरा परशनः जब भी कभी ईशवर-समरण की भावना भीतर उमड़ती ह तब कोई न कोई रप उमड़ आता

ह अचधकतर शरीचवषण अिवा चशव ककत आपक किन स आशवसत ह दक सब आकार मन की सीमा क भीतर ह

और कलपनाए ह तो कपरा बताए दक ददन-भर म रा धरान क समर जब भी परभसमरण की परबल भावना

उमड़ तब उसका करा सवरप हो व ह इस दकस रप म अनभव कर

रप तो मन की ही रोजना होगी नाम-रप मन क ही अग ह इसचलए परमातमा ह इस नाम और रप म

अनभव नही दकरा जा सकता जो नाम-रप म परमातमा को अनभव करन की चषटा करगा उसन पहल स ही

गलत कदम उिा चलए वह कलपना-जाल म पड़ जाएगा और मीरा करोदक ति समि म बात आ रही ह दक र

सब आकार मन की ही कलपना क जाल ह इसचलए अड़चन जरादा नही ह

परमातमा ह इस हम दो तरह स अनभव कर सकत ह एक रप म अिाात पर की भाचत कषण खड़ ह

राम खड़ ह रा बदध रा महावीर तमस चभनन तम हो दरषटा और चजस परमातमा को तम दख रह वह ह दशर

दशर रानी रप एक तो रह ढग ह परमातमा को समरण करन का रह गलत ढग ह इसस सावधान दसरा ढग

ह दरषटा की भाचत अनभव करना--दशर की भाचत नही साकषी की भाचत अनभव करना रह जो चतनर मर

भीतर ह रह जो म ह--रही तब कलपना का कोई उपार नही

कषण ददखाई पड़ रह ह लदकन दकसको ददखाई पड़ रह ह दखन वाला कोई ह मीरा तर भीतर कौन

साकषी ह जो कषण को दख रहा ह जोर कषण पर मत डालो जोर दखन वाल पर डालो सारा धरान दखन वाल

पर क ददरत कर दो उस साकषी को पकड़ो कषण तो आएग चल जाएग साकषी सदा ह उस साकषी म ही भगवान

को अनभव करन की चषटा समरक चषटा ह परमातमा साकषी रप ह चतनर रप ह

कषण क भीतर साकषी का भाव घिा इसचलए कषण को हमन भगवान कहा कषण न जाना दक म साकषी

ह इसचलए कषण को हमन भगवान कहा बदध को अनभव हआ दरषटा का दशर स मि हए बाहर स भीतर

लौि तो हमन भगवान उनको कहा रह बदध को कषण को राम को महावीर को भगवान कहन का कारण

चसफा इतना ही ह दक उनहोन अपन भीतर क चतनर को पहचाना चतनर क साि परा तादातमर दकरा चतनर म

डबकी लगाई--बस इसस जरादा कछ भी नही ऐसा ही तम भी करो

तम राम की पजा करो इसस कछ भी न होगा तम कषण की पजा करो इसस कछ भी न होगा कषण न

दकसकी पजा की िी कभी पछा कषण न तो दकसी की पजा नही की ह कषण तो जाग होश स भर ऐस ही

तम भी होश स भरो अगर तमहारा कषण स परम ह तो इतना ही सार लो दक जो उनहोन दकरा वही तम भी

करो रही िीक अनकरण होगा नही तो अधानकरण ह

बदध न मरत वि अपन चशषरो को कहाः आतमदीपो भव अपन ददए बनो रोन लग ि चशषर स

चवदा हो रह ह बदध अब सदा को लीन हो जाएग रह लहर रह परारी लहर रह अदभत लहर दफर कभी परगि

न होगी सागर म खो जाएगी रोना सवाभाचवक िा इस वयचि क साि चालीस वषा तक रहन वाल चभकष

ि इसक साि हजदगी आई गई इसक साि जवानी-बढ़ापा आरा इसक साि बहत-बहत अनभव हए इस

परार आदमी को चवदा दना आसान तो बात न िी छाती ििती होगी लदकन बदध न आख खोली और कहाः

रोओ मत मिस मत बधो तम मिस बध जाओग तो चक जाओग रही तो मरी दशना का सार ह दक वह

बाहर नही ह भीतर ह वह तमहार भीतर मौजद ह वह तम हो

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मीरा कषण हो दक चवषण रा कोई और रप हो--हहद का मसलमान का ईसाई का--इसस फका नही

पड़ता एक बात का खराल रखना जब भी हम कछ अनभव करत ह तो उस अनभव म दो खड हो जात हाः

एक दशर और एक दरषटा अगर दशर को पकड़ा चक अगर दरषटा म डब पहच

इशक की बरबाददरो को रारगा समिा िा म

बचसतरा चनकली चजनह वीराचनरा समिा िा म

और तमन कभी भीतर िाक कर दखा ही नही--तम तो समित हो वहा करा भीतर करा रखा ह वहा

तो तमह शनर मालम होता ह अकल छि जात हो कभी एकात म तो मन नही लगता कहत होः कोई चाचहए

कोई दसरा चाचहए--कोई चमतर चमल जाए अकल म एकदम जी ऊबता ह--करो खाली-खाली लगत हो ररि-

ररि लगत हो कछ खोरा-खोरा लगता ह तमह अपना पता ही नही तमह पता ही नही दक सपदाओ की सपदा

तमहार भीतर पड़ी ह पणा परमातमा तमहार भीतर मौजद ह

इशक की बरबाददरो को रारगा समिा िा म

बचसतरा चनकली चजनह वीराचनरा समिा िा म

हर चनगह को तबए-नाजक पर गरा समिा िा म

सामन की बात िी लदकन कहा समिा िा म

करा खबर िी खद वो चनकलग बराबर क शरीक

ददल की हर धड़कन को अपनी दासता समिा िा म

हजदगी चनकली मसलसल इचमतहा-दर-इचमतहा

हजदगी को दासता ही दासता समिा िा म

मरी ही रदाद-हसती िी चमर ही सामन

आज तक चजसको हदीस-दीगरा समिा िा म

चजसको तमन दसरा समिा ह वह दसरा नही ह लदकन तमहारी अपन स पहचान ही नही ह अभी

इसचलए दसरा दसरा ददखाई पड़ रहा ह अपन स पहचान हो जाए तो दसरा भी दसरा नही ह

मरी ही रदाद हसती िी चमर ही सामन

आज तक चजसको हदीस-दीगरा समिा िा म

जब तम चवषण को दखत कषण को दखत राम को दखत तो अभी तमह अपन स पहचान नही इसचलए

व पर मालम होत ह जब अपन स पहचान हो जाएगी तो तम चदकत हो जाओग व तमहारी ही तरग ह दफर

कछ भद नही ह दफर एक ही ह दफर म और त म कोई अतर नही ह लदकन पहल म को पहचानना होगा इस

म की गहराई म जाना होगा इस म की गहराई को जान चबना कोई भी परमातमा स पररचचत न हआ ह न हो

सकता ह

और आसान लगता ह पर दकसी चमतर स परम दकरा पतनी स परम दकरा पचत स परम दकरा बि स परम

दकरा--र सब पर स परम ि दफर इसी पर क ही गचणत म परमातमा स परम दकरा तो दफर चमतर और पचत

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और पतनी जस पर ि ऐस हो परमातमा को भी पर बना चलरा--चवषण कषण राम मगर रह बात वही-

की-वही रही रपातरण न हआ पतनी की जगह राम को रख चलरा पचत की जगह कषण को रख चलरा--भद

कहा हआ कछ भद न हआ असली कराचत तो तब घिती ह जब पर की जगह सव आ जाए तो रपातरण

तो आख दफरी तो लौि घर की तरफ तो दचषट जो बाहर जाती िी अतमाखी हई अतराातरा शर हई

रखत ह चखजर स न गरज रहनमा स हम

चलत ह बच क दर हर इक नकश-पा स हम

न तो दकसी पि-परदशाक स हमारा कोई सबध ह न दकसी पगबर स

रखत ह चखजर स न गरज रहनमा स हम

चलत ह बच क दर हर इक नकश-पा स हम

और चरण-चचहन तो बहत बन ह समर की धार पर दकतन बदध चल चक ह दकतन चरण-चचहन बन

चक ह उनही की पजा म मत उलि जाना

मानस हो चल ह जो ददल की सदा स हम

शारद दक जी उि तरी आवाज-पा स हम

भीतर की आवाज स पररचचत हो लो

मानस हो चल ह जो ददल की सदा स हम

रह जो पहचान हो जाए भीतर की आवाज स अतरतम की आवाज स तो शारद तम परमातमा क

चरणो की आवाज को भी पहचान पाओ करोदक तमहार भीतर की आवाज उसक चरणो की ही आवाज ह

ओ मसत-नाज-हसन ति कछ ख़बर भी ह

ति पर चनसार होत ह दकस-दकस अदा स हम

र कौन छा गरा ह ददल-ओ-दीदा पर दक आज

अपनी नजर म आप ह नाआशना-स हम

और एक चमतकार घिता ह जब तम अपन स पररचचत हो जाओग तो तम चदकत होओग दक चजसको

तमन अब तक समिा िा दक म ह वह तो तम नही हो वह तो भाचत िी चजस नाम को तमन समिा िा म

चजस रप को समिा िा म चजस दह को समिा िा म चजस मन को समिा िा म वह तो तम नही हो

वह तो तमहारा वयचितव िा बाहर की खोल िी वसतर ि पररधान ि उन सब क भीतर चछपी हई जरोचतमार

दकरण हो तम उस जरोचतमार दकरण का नाम ही परमातमा ह

वह सबक भीतर ह लदकन सबस पहली पहचान अपन भीतर करनी होती ह करोदक वही स हम

चनकितम ह मददर क कही जाना नही ह कही िोली नही फलानी ह समराि हो तम चभखारी बन हए िोली

मत फलाओ न कषण क सामन न राम क सामन करोदक राम और कषण तमहार भीतर मौजद ह रह बात

बड़ी चवरोधाभासी लगगी मगर म तमस कहना चाहता ह इस राद रखना राम और कषण को पकड़ा तो राम

और कषण को कभी न पा पाओग छोड़ो राम-कषण को पकड़ो सवर को और उसी पकड़न म राम भी चमल

जाएग कषण भी चमल जाएग

चौिा परशनः मनषर जीवन का मल सताप करा ह

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एक ही सताप ह दक मनषर वह न हो पाए जो होन को पदा हआ ह एक ही सताप ह दक बीज बीज रह

जार फल की तरह चखल न पाए चबखर न सक अपनी सवास को अनत-अनत हवाओ म कर न सक गफतग

चाद-तारो स चनवदन न कर पाए अपन रगो का आकाश क परचत अचभवयि न हो पाए--एक ही सताप ह कचव

क भीतर की कचवता परकि न हो सक--तो सताप चचतरकार चचतर न बना सक--तो सताप नताक नाच न सक

परो म जजीर पड़ी हो--तो सताप सताप का एक ही अिा होता हः जो हम होन को ह जो हमारी सहज परकचत

और चनराात ह वह न हो पाए और हम अनरिा होन को मजबर होना पड़ तो सताप पदा होता ह तो जीवन म

चवषाद चघरता ह

और इतन जो अनत-अनत लोग तमह चवषादगरसत ददखाई पड़त ह सताप म डब हए नरक म जी रह

उसका कारण इतना ही ह दक उनम स परतरक बीज लकर आरा ह परमातमा होन का और न मालम करा छोिी-

छोिी चीज होकर समापत हो गरा ह कोई डाकिर हो गरा कोई इजीचनरर हो गरा कोई दकानदार हो गरा

परमातमा होन जो आरा ह वह दकानदार हो जाए तो कस सतचषट चमल पीड़ा बनी ही रहगी जरा सोचो तो

समराि होन जो आरा िा वह रासतो पर भीख मागता दफर तम उसकी पीड़ा का अनमान तो लगाओ परतरक

वयचि उस रातरा पर ह जहा अततः उस परमातमा हो जाना ह उसस कम म कोई तचपत नही ह उसस कम म

कोई पररतोष नही ह उसस कम म रका भी नही जा सकता--दफर-दफर आना होगा जनम-जनम बार-बार

आना होगा जब तक दक तम परमातमा होन को अनभव न कर लो

और बार-बार आन म सताप ह

जस कोई चवदयािी बार-बार असफल हो जाए दफर-दफर उसी पािशाला म भजा जाए तम उसकी पीड़ा

समिो हर बार नरा वषा शर होता ह दफर उसी सकल म ऐस ही हर बार नई हजदगी शर होती ह दफर वही

पाि दफर वही भिकाव दफर वही हचताओ का जाल दफर वही वयवसार दफर भवसागर

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

जो ददल स आख तक आए चमजह तक आ न सक

करग मर क बका-ए-दवाम करा हाचसल

जो हजदा रह क मकाम-हरात पा न सक

जह खलस-मोहबबत दक हाददसात-जहा

ति तो करा चमर नकश-कदम चमिा न सक

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उनह सआदत-मचजल-रसी नसीब हो करा

वो पाव राह-तलब म जो डगमगा न सक

घि अगर तो बस इक मशत-खाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

आदमी जसा ह वसा ही रह जाए तो बस मशत खाक ह इसा एक मटठी भर चमटटी

घि अगर तो बस इस मशत-ख़ाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

और अगर फल सक तो रह सारा आकाश छोिा पड़ जाए रही पीड़ा ह होन को तो आकाश और रह

गए ह छोि-छोि आगन--इरछ-चतरछ सकीणा पख तो चमल ि दक चाद-तारो स दोसती कर और पड़ रह गए ह

कारागहो म और मजा ऐसा--बड़ा वयगर ह चवडबना ह--दक कारागहो म जो लोग पड़ ह उनक कारागहो म

लग तालो की चाचभरा तो दकनही और क हाि म होती ह तम चजस कारागह म पड़ हो तमही कारागह म पड़

हो तमही ताल हो तमही ताला डालन वाल हो तमही चाभी हो--तमहार अचतररि वहा कोई भी नही सारा

खल तमहारा ह तम चजस कषण चाहो बाहर चनकल आओ कोई रोकन वाला नही कोई पहर पर नही खड़ा ह

तम जो नािक रच रह हो रह एकालाप ह

तमन कभी नािक दखा ह--मोनोलॉग एक ही आदमी सार अचभनर करता ह बस रह तमहारा नािक

वसा ही ह--एकालाप मोनोलॉग एक ही आदमी सार काम करता ह

कछ ददनो पहल एक कलाकार मर पास आरा िा वह एकालाप म कशल िा उसन एक छोिा सा दशर

मि बतारा वह मह स आवाज करता ह जस तागा चलता हो खि-खि खि-खि ताग की आवाज घोड़ की

िापो की आवाज चबलकल दशर पदा कर दता ह दक तागा चल रहा ह कोड़ की फिकारन की आवाज घोड़

की चहनचहनान की आवाज तागा चलान वाल की आवाज ताग म बि हए आदमी की आवाज--रह सब वह

अकला ही करता ह

ताग म बिा आदमी उसस कछ कहता ह तो अलग ढग स बोलता ह ताग वाल की तरह बोलता ह तो

अलग ढग स बोलता ह राह म चलत हए लोगो को चचललाता ह तो एक ढग स और राह म चलता हआ कोई

आदमी कहता ह दक भाई करा मार ही डालोग तो अलग ढग स वहा कोई भी नही ह बस अकला ह वह सार

काम अकला ही कर रहा ह जब उसन मि रह खल ददखारा उसस मन कहा दक त इसस कछ समिा उसन

कहा दक करा मन कहाः रही तरी हजदगी ह रही सब की हजदगी ह रहा तमही हो नािक चलखन वाल तमही

नािक क पातर तमही दशाक उनही ददगदशाक सब तमही हो

घि अगर तो बस इक मशत-खाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

िोड़ा सोचो जो आकाश होन को पदा हआ ह वह एक छोिा-सा आगन होकर रह जाए--सताप न हो तो

करा हो

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

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रह हजदगी दफर चली ऐस ही न मालम दकतनी बार हजदगी आई और गई वसत दकतन आए और

दकतन गए इस बार भी वसत चला दफर हजदगी हाि स जान लगी इसचलए बचचो म तो सताप नही ददखाई

पड़ता बचच तो बड़ आशातर होत ह सोचत ह इस बार बात हो लगी बड़ी कलपनाओ स भर होत ह बड़ी

आकाकषाओ अभीपसाओ स जस-जस जवान होत ह वस-वस हजदगी का रिािा परकि होन लगता ह तीस-

पतीस साल क होत-होत समि म आन लगती ह बात दक रह मौसम भी गरा कछ हो न सका दफर चक गए

तीर हाि स चनकल चका ह अब लौिारा जा सकता नही लकषर का कछ पता नही चलता ह

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

दफर चबना मसकराए ही मर जाना होगा चसफा बदधपरष ही मसकरात हए मरत ह नही तो कली चखल

जाती ह मगर कली चखल और मसकराए न तो करा चखली करा खाक चखली चखलचखलाहि फल जाए आकाश

म तो ही चखलना ह

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

जरा सोचो इस आदमी की हालत वसी ह उस पतग जसी दक ददरा दर नही रोशनी म जीता ह लदकन

ददए तक पहच नही पाता हाि क भीतर ह परमातमा और चकत चल जात ह शाचत हमारा सवतव ह हमारा

सवरपचसदध अचधकार ह और चकत चल जात ह सगीत हमार हदर की वीणा म भरा पड़ा ह और हम छड़ ही

नही पात इतन करीब और इतन दर इतन पास और इतन फासल पर

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

इसचलए सताप ह इसचलए पीड़ा ह दक सब इतना पास लगता ह दक अब पा ल अब पा ल अब पारा

अब पारा और दफर भी चक-चक हो जाती ह कछ मल भल होती रहती ह जो भीतर ह उस हम बाहर

तलाशत ह जो चमला ह उस हम वहा तलाशत ह जहा न कभी दकसी को चमला ह न चमल सकता ह रही

सताप ह

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

िोड़ा सोचो उन आसओ क सबध म--

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

जो ददल स आख तक आए चमजह तक आ न सक

जो ददल स चनकल गए दकसी तरह आख तक भी आ गए लदकन पलको तक न आ सक अिक गए ऐसी

दशा ह आदमी की परमातमा क करीब आत-आत अिका ह एक कदम और बस एक कदम और और रातरा परी

हो जाए मगर वह एक कदम नही उि पाता एक छलाग और पतगा जरोचत म चमल और जरोचत हो जाए मगर

वह एक छलाग नही लग पाती हजार बाधाए खड़ी ह हजार आकाकषाए खड़ी ह हजार वासनाए खड़ी ह

हजार चवचार खड़ ह चहमालर की तरह बीच म खड़ ह दफर लोग सोचन लगत ह दक िीक ह हजदगी म नही

चमला परमातमा मर कर पा लग ऐसी सातवना दत अपन को

इसचलए तमहार शासतरो म रह सब चलखा होता हः रहा नही चमला कोई बात नही मतर क बाद तो

चमलगा ही मरत वि रामनाम ल लग गगाजल पी लग काशी-करवि ल लग गीता-पाि सनत-सनत मर

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जाएग मरत वि दान-पणर कर दग मरत-मरत कछ इतजाम कर लग आचखर-आचखर इतजाम कर लग मगर

भाचत म मत रहना

करग मर क बका-ए दवाम का करा हाचसल

जो हजदा रह क मकाम-हरात पा न सक

हजदा रह कर भी तम न पा सक तो मर कर पा लोग इस पागलपन म पड़त हो पाना हो तो हजदगी का

उपरोग करो पाना हो तो हजदगी को समरपात करो पाना हो तो हजदगी को दाव पर लगाओ इतना ससता

नही ह दक मरकर पा लग और हमन खब ससती तरकीब खोजी तीिारातरा कर आएग हज हो आएग करा

लना-दना ह हज स और काशी स और परराग स परराग म जो लोग रहत ह सदा तम सोचत हो परमातमा को

पा चलरा और तम दो ददन क चलए हो आओग कभ क मल म और तम पा लोग और जो हज म ही रहत ह

जो काबा क पास ही बस ह तम सोचत हो व सब सवगा पहच जाएग अगर व नही पहचत जो वही पदा होत

वही मरत तो तम एक चार ददन क चलए हो आओग और तम सवगा पहच जाओग तम दकसको धोखा द रह हो

धमा क नाम पर आदमी न दकतन धोख ददए अपन को

इस तरह नही चलगा र होचशरारी की बात ह र चालाकी की बात ह र गचणत की बात ह परमातमा

चमलता ह उनह जो मसत होन की चहममत रखत ह र मसती की बात नही ह र चपरककड़ो की बात नही ह

उनह सआदत-मचजल-रसी नसीब हो करा

जो पाव राह-तलब म जो डगमगा न सक

िोड़ा मसत होओ िोड़ा डगमगाओ िोड़ा नाचो िोड़ी मसती को उतरन दो वही ह असली सार िोड़ा

डोलो आनदमगन होकर जो चमला ह उसक चलए धनरवाद दो और जो चमला ह काफी ह तमहारी पातरता स

बहत जरादा ह तमहारा पातर बड़ा छोिा ह और सागर का सागर तम पर बरस पड़ा ह नाचो गनगनाओ--म

तमह एक उतसव का धमा दना चाहता ह--तो तमहारा सताप चमि जाए

जो जीसत को न समि जो मौत को न जान

जीना उनही का जीना मरना उनही का मरना

ऐस मसत हो जाओ दक न पता चल हजदगी का न पता चल मौत का ऐस मसत हो जाओ दक हजदगी और

मौत सब बराबर ऐस मसत हो जाओ दक मौत आए तो नाचता हआ पाए ऐस मसत हो जाओ दक मौत भी

उदास न कर सक तमहारा गीत गजता ही रह अगर मौत क कषण म भी तमहारा गीत गजता रह तो तम जीत

गए तमन मौत को पराचजत कर ददरा

जो जीसत को न समि जो मौत को न जान

जीना उनही का जीना मरना उनही का मरना

दरररा की हजदगी दर सदक हजार जान

मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दकनारो पर मत मर जाना हजदगी क तफानो म मरो हजदगी की चनौती सवीकार करो हजदगी बहत

सी चनौचतरा लाती ह जो चनौती सवीकार नही करत व उदास हो जात ह जो चनौती सवीकार नही करत व

हार-िक सवाहारा हो जात ह चनौती सवीकार करो हर चनौती तमहार भीतर सोए को जगाती ह हर चनौती

तमहार भीतर जो अपरगि ह उसको परकि करती ह

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दरररा की हजदगी पर सदक हजार जान

चनछावर कर दो हजार जीवन लदकन तफान पर मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दकनार पर मत मर जाना दकनारा सरचकषत ह माना और दकनारा बड़ा सचवधापणा ह माना लदकन

सचवधा और सरकषा कबर क लकषण ह जीवन तो असरचकषत होता ह इसचलए म अपन सनरासी को नही कहता

दक भाग जाओ और चहमालर की गफाओ म चछप जाओ म अपन सनराचसरो को नही कहता दक भगोड़ बनो

मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दरररा की हजदगी पर सदक हजार जान

रह ससार तफानपणा ह अगर परमातमा न रह ससार ददरा ह तो इसक पीछ अिा ह अिा एक ही ह दक

जो इसकी चनौती सवीकार करगा उसकी नीद िि जाएगी जो इसकी चनौती सवीकार करगा वह अखड हो

जाएगा जो इसकी चनौती सवीकार करगा फौलाद हो जाएगा उसक भीतर आतमा का जनम होगा आतमा ऐस

ही जनमती ह रह आतमा को जनमान का महत पररोग ह ससार

कछ आ चली ह आहि उस पाए-नाज की सी

ति पर खदा की रहमत ऐ ददल जरा िहरना

और अगर तम तफानो म जीन क आदी हो जाओ और अगर तम हजदगी और मौत को खल समिन लगो

जरादा दर न लगगी उसक चरण तमहार चनकि आन लगग उसकी आहि तमह सनाई पड़न लगगी

सताप एक ही हः चसकड़-चसकड़ मर जाना और सख एक ही ह--महासख--फलना और फलत जाना

बरहम शबद का अिा होता हः चवसतार जो फलता ही चला जाए वही बरहम और जो फलन की कला

जानता ह वही बराहमण ह तमहार तिाकचित बराहमण तो बहत चसकड़ हए लोग ह उनस जरादा चसकड़ हए

लोग पाना मचशकल ह व तो बड़ समहल-समहल कर चसकड़-चसकड़ कर जी रह ह कही कोई छ न जाए कही

अछत की छारा न पड़ जाए रह भी कोई हजदगी ह फलो चवसतीणा होओ

इतन चवसतीणा दक सब उसम समा जाए उस चवसतार का ही नाम बरहम ह और उस चवसतार की कला का

ही नाम धमा ह

सताप ह एकः दक बीज बीज रह जाए और समाचधः दक बीज फल हो जाए--चखल जाए सवणा-कमल

तमहार भीतर चखल सकता ह मगर भगोड़ो क जीवन म नही चखलता जीवन की चनौती परम आनद स

सवीकार करनी ह जीवन म रहना ह और जीवन म खो नही जाना ह जीवन म रहना ह और साकषी बन रहना

ह जीवन रह खल स जरादा न हो दफर मौत भी खल स जरादा नही ह

नजर चमलत ही ददल को वकफ-तसलीमो-रजा कर द

जहा स इचबतदा की ह वही पर इचतहा कर द

जहा स परारभ ह वही अत ह जहा स आए ह वही पहचना ह इसी चवसतार स आए ह इसी चवसतार म

लीन हो जाना ह र बीच क सपन ह चजनम तम खो गए हो

वफा पर ददल की सदक जान को नजर-जफा कर द

मोहबबत म र लाचजम ह दक जो कछ हो फना कर द

मोहबबत म र लाचजम ह दक जो कछ हो फना कर द

जो हो तमहार पास जो तम होओ--अचछ-बर गरीब-अमीर--समरपात कर दो इस चवराि को तोड़ दो

आगन की दीवाल फल जाओ

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चमन दर आचशरा बरबाद र िि हए बाज

मरा करा हाल हो सयराद गर मिको ररहा कर द

लदकन तमहारी हालत बरी ह तमहारी हालत ऐसी हः चमन दर बहत दर ह चमन आचशरा

बरबाद घर उजड़ा हआ ह खडहर ह र िि हए बाज और तमन अपन पख अपन ही हािो स तोड़ चलए

ह कोई हहद हो गरा ह कोई मसलमान--पख तोड़ चलए कोई बराहमण हो गरा ह कोई शदर--पख तोड़ चलए

तमन अपन को न मालम--दकतनी सीमाओ और सीमाओ म बाध चलरा ह चजतनी सीमाए उतन ही पख िि

गए ह

चमन दर आचशरा बबााद र िि हए बाज

मरा करा हाल हो सयराद गर मिको ररहा कर द

और तब डर लगता ह दक अगर आज चशकारी मि मि भी कर द इस हपजड़ स तो भी मरा हाल करा

होगा म उड़गा कस पख तो िि हए ह इसचलए लोग मि होन स डरत ह सवततरता शबद घबड़ाता ह भल

ही लोग बात करत ह दक सवततर होना ह मोकष पाना ह लदकन उनह शारद िीक-िीक पता नही व करा कह रह

ह बात तो मोकष की करत ह पकड़त ह जजीरो को अगर मोकष पाना ह तो कछ सबत तो दो अगर सवततरता

को पाना ह तो जजीरो स मोह छोड़न क कछ तो परमाण दो लदकन जजीरो को इतन जोर स पकड़ हो और

चचललाए चल जात हो दक मोकष पाना ह मतत होना ह तो मि होन की धीर-धीर परदकररा म उतरो छोड़ो

जजीर हहद की मसलमान की ईसाई की छोड़ो जजीर बराहमण की शदर की कषचतरर-वशर की छोड़ो जजीर

हहदसतानी की पादकसतानी की छोड़ो जजीर तोड़ दो सीमाए चजतन असीम हो सको उतना शभ ह

लदकन बहत अजीब लोग ह दचनरा बड़ी अजीब ह

अभी कछ ददन पहल सरकारी आदश चमला ह इस आशरम को दक इस आशरम को धारमाक सिान नही माना

जा सकता करो कारण ददरा हः करोदक धारमाक तो कोई तभी माना जा सकता ह जब वह दकसी सपरदार को

मानता हो हहद हो तो धारमाक मसलमान हो तो धारमाक ईसाई हो तो धारमाक इस आशरम को सरकार

धारमाक ससिा मानन को राजी नही ह करोदक रहा हहद भी ह मसलमान भी ह ईसाई भी ह बौदध भी ह

पारसी भी ह रहदी भी ह--रह कसा धमा

मजा दखत हो

सकीणा सपरदार को धमा मानन को सरकार राजी ह चवसतीणाता को धरम मानन को राजी नही ह अगर

हहद धारमाक ह और मसलमान धारमाक ह और ईसाई धारमाक ह तो तीनो जहा चमल गए ह वहा तीन गना धमा

होगा दक कम धमा होगा कम कस हो जाएगा अगर मचसजद म परमातमा ह मददर म परमातमा ह चगरज म

परमातमा ह गरदवारा म परमातमा ह और अगर हम एक ऐसा मददर बनाए चजसका एक दवार गरदवारा हो और

एक दवार मचसजद हो और एक दवार मददर हो और एक दवार चगरजा हो तो वहा परमातमा नही होगा--रह

तमहारी सरकार का तका ह वहा कसा परमातमा और म तमस कहता ह दक वही परमातमा ह जहा सार मददर

चमल गए ह और वही परमातमा ह जहा सार सपरदार खो गए ह और कषीण हो गए ह

इस आशरम को अगर धारमाक नही माना जा सकता तो दफर दकस सिान को धारमाक मानोग और रहा

कोई आरोजन भी नही दकरा जा रहा ह चमलान का रह चमलन सहज हो रहा ह रहा बि कर हम रोज

दोहरात भी नही दक अललाह-ईशवर तर नाम सबको समचत द भगवान इस तरह की बकवास रहा हम करत

भी नही रहा जो आता ह भल ही जाता ह समि जाता ह दक बात एक ही ह रहा कोई दकसी को समिा नही

91

रहा ह दक भाई तम हहद तम मसलमान दोनो एक हो जाओ जहा एक करन की बात चल रही ह वहा दो तो

मान ही चलरा हम तो दो मानत नही रहा कोई दफकर ही नही करता रहा कोई हचता ही नही दकसी को एक

करन की रहा तो जो आता ह इस हवा म जलदी ही उस बोध हो जाता ह दक रहा अपन को चभनन मानना

पिक मानना मढ़ता का लकषण ह अजञान का लकषण ह रहा कोई पछता नही कौन हहद ह कौन मसलमान ह

कौन ईसाई ह रह सिान सरकार को धारमाक नही मालम होता इसचलए जो सचवधाए सरकार धारमाक सिानो

को दती ह वह इस आशरम को दन को राजी नही ह

रह बईमानी दखत हो

और रह उनकी बईमानी जो अललाह-ईशवर तर नाम सब को समचत द भगवान का पाि करत ह

राजघाि पर बि कर गाधी की मरण-चतचि पर राजघाि पर बि कर चरखा चलात ह करान पढ़ी जाती वहा

वद पढ़ जात वहा गीता दोहराई जाती वहा रह उनका विवय ह दक रह सिान धारमाक नही ह इस दचनरा म

इस तरह क पाखड चल रह ह और इस तरह क धता पदो पर बि गए ह चजनका कल काम धोखाधड़ी ह गाधी

का नाम लत ह करोदक गाधी क नाम स वोि चमलती ह नही तो उनह कोई मतलब गाधी स नही ह

और गाधी का खद का भी कोई पररोजन हहद को और मसलमान को एक करन स कभी नही िा वह भी

राजनीचतक चालबाजी िी चली नही चालबाजी करोदक चजनना भी उतना ही कशल और होचशरार आदमी िा-

-उतना ही राजनीचतजञ महातमा गाधी को गोली लगी--तो हजदगी भर कहा िा दक अललाह-ईशवर तर नाम--

लदकन जब नाम चनकला गोली लगन पर तो राम का चनकला अललाह का नही चनकला जब गोली लगी तो

गाधी क मह स चनकलाः ह राम अललाह राद नही आरा करो राम करो राद आरा भीतर तो सब हहद-

भाव भरा बिा ह गीता को कहा ह माता करान को चपता नही कहा करान को चपता कहत तो हहद भी नाराज

हो जात दक हद हो गई गीता को माता और करान को चपता िगड़ा हो जाता तो गीता को तो गाधी जी माता

कहत ह करान को चपता नही कहत और करान म उन-उन वचनो की ही परशसा करत ह चजन वचनो का गीता

स मल ह बस उन वचनो को चबलकल छोड़ दत ह जो गीता क चवपरीत पड़त ह

रह सब राजनीचत ह

चजनह धारमाक होना ह सच म उनह इन राजनीचतक चालबाचजरो स ऊपर उिना होगा म तम स कहना

चाहता हाः धमा चवसतार की कला ह ऐस चवसतार की कला दक सारा आकाश भी छोिा पड़ जाए तम सबको

अपन म समा लो

सताप रही ह दक तम सीचमत हो गए हो सकीणा हो गए हो आनद रही होगा दक तम चवसतीणा हो

जाओ तोड़ो सीमाए तोड़ो सकीणाताए धमा का कोई चवशषण नही ह--न हहद न मसलमान न ईसाई धमा तो

वह ह चजसस सारा जगत सधा ह अगर धमा हहद हो तो मसलमान को कौन साध अगर धमा ईसाई हो तो

हहद को कौन साध और धमा अगर आदमी का ही हो तो वकषो की कौन हचता कर और धमा अगर वकषो का ही

हो तो जानवरो की कौन दफकर कर सारा अचसततव चजसस सधा ह उस जीवन क मौचलक आधार का नाम धमा

ह हम उस मौचलक आधार को रहा जीन की कोचशश कर रह ह और सरकार कहती ह दक इस सिान को

धारमाक सवीकार नही दकरा जा सकता

आचखरी परशनः एक चशचवर म मन पाच धरान दकए मि जञात नही दकस कषण करा घरित हआ वहा स

लौिन पर म चार माह तक अपन भीतर एक अजीब स आनद का अनभव अनवरत करता रहा और मरा शरीर

92

पडलम की भाचत डोलता रहा मख स अनारास ही ओम आनद का उचचारण होता रहा और म एक मदहोशी

का अनभव करता रहा चजस अब भी अनभव करता ह तिा भजन कीतान रा परवचन अिवा धरान क समर

दसरो को धरान करत दखन मातर स मरा शरीर डोलन लगता ह साि ही आवश रा िोड़ पररशरम क उपरात भी

शरीर डोलन लगता ह कपरा अनगरहपवाक उि चसिचत का चवशलषण कर भावी साधना हत मागा दशान कर तिा

सभावना पर परकाश डाल कतािा कर

भगवानदास धरान एक शराब घोल दता ह हदर म शभ लकषण हआ तम डोलन लग तम मसत होन

लग इस अगीकार करो लगता ह तमहार मन म अभी िोड़ी इस अगीकार करन म चििक ह तम िोड़ डर-डर

हो तम िोड़ भरभीत हो तम सददगध हो--जो हआ िीक हआ दक नही हआ कही म चवचकषपत तो नही हआ जा

रहा ह

धरान की पहली घिना जब घिती ह तो ऐसा ही लगता ह दक पागल हए

न जान ददल म वो करा सोचत रह पहम

चमर जनाज प ता-दर सर िकाए हए

उनही म राज-मोहबबत दकसी का चपनहा िा

जो खशक हो गए आस चमजा तक आए हए

हदद-कचा-ए-महबब ह वही स शर

जहा स पड़न लग पाव डगमगाए हए

परार की सीमा वही स शर होती ह जहा स पर डगमगान लगत ह

हदद-कचा-ए-महबब ह वही स शर

जहा स पड़न लग पाव डगमगाए हए

तमहार पर डगमगा गए रह अचछा हआ इसस बचनी भी होगी करोदक तम अब सामानर ढग स न जी

सकोग मगर रह कवल एक सकरमण काल की बात ह डरो मत धरान म डबो शरआत म पर डगमगात ह

दफर धीर-धीर धीर-धीर पर दफर चसिर हो जात ह धरान का परािचमक चरण मसती ह धरान का अचतम चरण

परम शाचत ह अगर आग बढ़त चल गए तो धीर-धीर रह डोलना अपन आप चवलीन हो जाएगा

ऐसा ही समिो दक नरा-नरा दकसी आदमी को शराब चपला दो तो डोलता ह नाचता ह कदता-फादता

ह सड़को पर चगर जाता ह र कोई परान चपरककड़ो क लकषण तो नही पराना चपरककड़ तो तमह पता ही न चल

दक चपए ह

म एक चपरककड़ को जानता ह उनकी पतनी न मि कहा दक आप मर पचत को समिाए--वह आपक पास

आत ह--शराब पीना बद कर म न कहा त इतनी बार आई तन कभी मि कहा नही उसन कहा मि पता ही

नही िा दो साल हो गए ह शादी हए मगर एक ददन वह चबना चपए घर आए तब पता चला नही तो म तो

समिती िी रह उनका सवाभाचवक ढग ह चबना चपए आ गए तब समि म आरा

पीन म जब कोई आदी हो जाता ह तो दफर पर नही लड़खड़ात रह तो चसकखड़ चगर पड़त ह रासतो

पर र नर-नर सीखन वाल चजनह अभी सवाद लगा ह

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अचछा ह शरआत हो गई मगर शरआत को दो बात खराल रखना एक डरना मत नही तो रक

जाओग घबड़ा जाओग और अगर डर गए और रक गए तो एक बहमलर अवसर आत-आत हाि म चक गरा

दसरी बात खराल रखना दक रही धरान का अत नही ह दक बस अब डोलत ही रह हजदगी भर नही तो दफर

भिक गए दफर समहलना ह

धरान जारी रखो जस एक ददन डोलना आरा ऐस ही एक ददन अचानक पाओग सननािा उतरा सब

समहल गरा सब सतचलत हो गरा और जब धरान सतचलत हो जाता ह जब चपए भी बि ह लदकन दकसी को

कानोकान खबर भी नही होती दक रह आदमी चपए बिा ह तभी जानना दक िीक अवसिा आ गई मीरा का

नतर धरान की शरआत ह बदध का वकष क नीच शात पतिर की मरता की भाचत बिा होना धरान की पणााहचत

पर जारी रखो रातरा जारी रह

तमन रह भी पछा ह दक हचता की पररचसिचतरो म भी रचच और तीवरता स सासाररक कारो म परवतत

नही हो पाता ह शारीररक और मानचसक चशचिलता अब तक बनी हई ह तजी स पहल की भाचत चल भी नही

पाता और न ऊची आवाज म बात कर पाता ह कभी हिात शारीररक शरम का कारा कर लन स शरीर डोलन

लगता ह उि पररचसिचत क चलत बहधा मन चवषरो की ओर चला जाता ह इसस मन म गहरा चवषाद भी

छा जाता ह ककत मदहोशी का अनभव तब भी होता रहता ह

सब शभ लकषण ह जब धरान की ऊजाा पहली बार पकड़गी तो तमहारी बहत सी शचि उस ऊजाा म लीन

होगी इसचलए शरीर िोड़ा कमजोर मालम होन लगगा जस-जस धरान िहरन लगगा धरान की जरोचत अकप

होन लगगी शरीर पनः शचिशाली हो जाएगा और पहल स भी जरादा शचिशाली हो जाएगा

र बीच क सकरमण ह जस कोई आदमी नरा-नरा वयाराम शर कर तो शरीर िक जाता ह ददन भर

िका-िका रहता ह करोदक वयाराम ही शचि ल लता ह अभी दन की बजार लता ह लदकन अगर वयाराम

जारी रख तो धीर-धीर लन क बजार दन लगता ह धरान अतस का वयाराम ह तो अभी शचि धरान म लग

जाती होगी--तम डोलत होओग नाचत होओग उतनी शचि वयर हो जाएगी उतनी शचि कम पड़ जाएगी

तो तम पाओग सामानर जीवन म िोड़ी कमजोरी आ गई जोर स बोल नही सकत कोई काम बहत महनत का

करना पड़ िक जात हो मगर र परािचमक लकषण ह अगर चलत रह जलदी ही तम पाओग सब पनः

वयवचसित हो गरा

और दफर जोर स बोलन की जररत भी करा ह अचछा ही ह चजतनी वयिा की चीज कि जाए उतना

अचछा ही ह गाली-गलौज न द पाओग करोध न कर पाओग दवष-ईषराा िकान वाल मालम पड़ग रह अचछा

पहला आघात तम पर हआ ह और पहला आघात ऐसा ही होता ह जस चबजली चगर जाए सब

असतवयसत हो जाता ह और म समि पा रहा ह तमहारी अड़चन को

धीरज रखो धरान जारी रखो बद मत करना करोदक जो धरान स हआ ह वह धरान स ही शात होगा

और दसरी बात एक सदकरर धरान करो और एक चनचषकरर धरान करो सबह सदकरर धरान कर लो साि

चनचषकरर धरान--चवपससना रा नादबरहम और धीर-धीर जस-जस चचतत शात होन लग वस-वस सदकरर धरान

को कम करत जाना चनचषकरर धरान को बढ़ात जाना एक छह-नौ महीन की परदकररा म सदकरर धरान धीर-धीर

छोड़ दना और चनचषकरर धरान को ही पकड़ लना सारी शचि वापस लौि आएगी सारा सतलन वापस आ

जाएगा और नर परकाश को लकर नर आनद नई मसती को लकर

94

चचतत म अभी वासनाए उि रही ह उिती रहगी जलदी नही जाती-- जनमो-जनमो की ह मगर धरान की

दकरण अगर आनी शर हई तो जरादा दर रह अधरा रिकगा नही र वासनाए भी चली जाएगी तम धरान पर

शचि लगाओ और वासनाओ क परचत चसफा तिसि-भाव रखना लड़ना मत िगड़ना मत हिान की कोचशश

मत करना करोदक अगर हिान म लग तो बहत दर लग जाएगी उपकषा करना खराल कर लना दक िीक ह

रह कामवासना उिी रह लोभ उिा रह ईषराा उिी धरान द ददरा बस पराापत ह न तो इसम जाना न इसस

लड़ना न इसक पीछ चलना न इसस भागना सवीकार कर लना दक िीक ह बस और अपन काम म धरान क

लग रहो

जीवन की साधारण परदकररा को चलन दो उसको रोकना मत नही तो खतरा होगा रह सोचकर दक

अभी कमजोरी ह तो बाकी सब काम रोक द चसफा धरान कर तो दफर तम पग हो जाओग दफर आि महीन-दस

महीन क बाद मचशकल हो जाएगा काम म लौिना इसचलए काम तो जारी ही रखना अड़चन भी हो तो भी

जारी रखना काम तो जारी ही रखना ह ससार स भागना तो ह ही नही भागन का मन बहत बार होगा

करोदक भागन म सचवधा मालम पड़ती ह--चमिी सब छिी सब ििि सब उततरदाचरतव गरा म तमह

उततरदाचरतव स भगाना नही चाहता सारा उततरदाचरतव सवीकार रखो सारा काम जारी रखो एक सदकरर

धरान सबह एक चनचषकरर धरान साि धीर-धीर सदकरर को छोड़त जाना चनचषकरर को गहन करत जाना

अततः नौ महीन बाद मि कहना जब चनचषकरर ही बच जाए और जब सब शात हो जाए

सब शात चनचित हो जाएगा ऐसी घिना रहा परतरक को घिती ह कछ नरा नही ह

आज इतना ही

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अरी म तो नाम क रग छकी

पाचवा परवचन

गगन -मददल दढ़ डोरर लगावह

अरी म तो नाम क रग छकी

जब त चाखरा चबमल परमरस तब त कछ न सोहाई

रचन ददना धचन लाचग रही कोउ कतौ कह समिाई

नाम चपराला घोरिक कछ और न मोहह चही

जब डोरी लागी नाम की तब कचहक काचन रही

जो रचह रग म मसत रहत ह तचह क सचध हरना

गगन-मददल दढ़ डोरर लगावह जाचह रहौ सरना

चनभार हवक बरि रहौ अब मागौ रह बर सोई

जगजीवन चवनती रह मोरी दफरर आवन नहह होई

म तोहह चीनहा अब तौ सीस चरन तर दीनहा

तचनक िलक छचव दरस दखार

तब त तन मन कछ न सोहार

कहा कहौ कछ कचह नहह जार

अब मोचह का सचध समचि न आर

होइ जोचगन अग भसम चढ़ार

भवर-गफा तम रहउ चछपार

जगजीवन छचव बरचन न जार

ननन मरचत रही समार

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

ए सचख मोहह त कचहर न आव कस-कस करह पकारी

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

रचव सचस गन तहह छचब सम नाही चजन कह कहा चबचारी

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

बस एक समत उड़ा जा रहा ह वहशत म

खबर नही दक खदी करा ह बखदी करा ह

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

96

मरी खशी तो ह सब कछ तरी खशी करा ह

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो कि जार हजदगी करा ह

और हजदगी अचधक लोगो की बस दकसी तरह ही कि जाती ह जनम तो होता ह जीवन नही चमल पाता

जीवन चमल सकता ह लदकन जीवन जनम का पराारवाची नही ह जनम अवसर ह जीवन खोजोग तो चमल

जाएगा जनम बीज ह बसत की तलाश करोग भचम खोजोग बीज को भचम म डालन की सामिा जिाओग

मरन की तरारी रखोग--चमिन की कबत--और जोखम उिाओग तो फल चखलग--जीवन क फल नही तो जनम

और मतर क बीच म लोग र ही जी लत ह ििा ही जी लत ह जीन का नाम ही रहता ह जीवन का कोई सवाद

नही चमल पाता चजस जीवन का सवाद चमल जाता ह उसकी दफर मतर नही ह करोदक जीवन की कसी मतर

जीवन शाशवत ह जीवन अमत ह

जब तक तमह मतर का भर हो जान रखना अभी जीवन का पता नही चला ह जब तक मतर सािाक

मालम पड़ती हो जब तक मतर रिािा मालम पड़ती हो तब तक भल मत जाना अभी जीवन की तलाश करनी

जीवन क चमलत ही मतर एक िि ह मतर स बड़ा दफर कोई िि नही ह अभी तो मतर स बड़ा कोई सच

नही ह अभी तो इस तिाकचित जीवन म जनम क बाद अगर कोई चीज चनचित ह तो चसफा मतर चनचित ह

बाकी कछ भी चनचित नही ह और कछ होगा रा न होगा लदकन मतर जरर होगी जो जनमा ह वह मरगा

जस जनम एक पहल ह उसी चसकक का चजसका दसरा पहल मतर ह

जनम और मतर क बीच म जीवन नही ह जीवन जनम क पवा भी ह और मतर क पार भी ह जनम और

मतर क बीच जीवन नही घिता जीवन म जनम और मतर की घिनाए घिती ह और ऐसी बहत घिनाए घि

चकी ह बहत बार जनम हो बहत बार मर हो मगर जीवन स अभी पहचान नही हई बार-बार चक गए हो

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

परम की पािशाला म मन रह पाि सीखा

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो कि जाए हजदगी करा ह

ऐस बोि की तरह जो कि घचसित-घचसित जो कि उस हजदगी मत समिना जीवन तो एक नतर ह

एक गीत ह एक महोतसव ह जीवन तो खब सतरगा ह बोि कहा जीवन तो चनभाार ह जीवन क पास तो

ऐस पख ह दक सारा आकाश तमहारा हो जाए जीवन रह कारागह नही ह चजसको तमन जीवन समिा ह रह

कषदर छोिी-छोिी घिनाओ म ििन वाला चबखरन वाला जीवन इस जीवन समि चलरा चजसन वह चक गरा

उस वयचि को ही म अधारमाक कहता ह जो इस कषदर जीवन को जीवन समि लता ह और इस कषदर स इतना

भर जाता ह दक चवराि को दखन की न तो अभीपसा पदा होती न अवकाश चमलता जो इस कड़-कचर स धन-

पद-परचतषठा-अहकार इसस ही इतना भर जाता ह दक चजसक भीतर जगह ही नही होती दक परमातमा अगर

अचतचि होना चाह तो हो सक और ऐसा नही ह दक परमातमा तमहार दवार पर दसतक न दता हो मगर दीवान

ही सन पात ह दसतक को परमी ही समि पात ह उस सकत को

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धमा मसत होन की कला ह अलमसत होन की कला ह धमा का उदासी स कोई भी सबध नही ह इसचलए

तमहार मददरो-मचसजदो म तमहार आशरमो म अगर उदास लोग बि हो तो समि लना दक वहा अभी धमा की

कोई दकरण नही उतरी र तमहार उदास आशरम मरघि ह रहा जीवन का कोई नतर नही हो रहा ह परमातमा

को पहचानना हो तो फलो म खोजो वहा नतर ह चाद-तारो म खोजो वहा उतसव ह बसत म तलाशना

आकाश म मघ चघर जाए वहा खोजना पश-पचकषरो की आवाज म गीत म शारद चमल जाए लदकन तमहार

सत-महातमाओ क उदास चहरो म नही चमलगा व तो मौत स घबड़ा कर बि गए ह वहा उनह हजदगी की कछ

भी खबर नही ह

इस भद को खराल म ल लो

मौत स घबड़ा कर जो धारमाक होता ह वह धारमाक नही ह धमा का धोखा ह वसा ही जसा हम खत म

नकली आदमी खड़ा कर दत ह घास-फस का दफर चाह तम उस चड़ीदार पजामा पहना दो अचकन पहना

दो जवाहर बडी लगा दो गाधी िोपी लगा दो इसस करा होता ह चड़ीदार पाजाम क भीतर चसफा घास-फस

ह और चसर कहा ह वहा हडी लगा दत ह हडी पर गाधी िोपी रख दी लदकन पश-पचकषरो को डरान क काम

आ जाता ह रह खत का ििा आदमी भी कछ काम आ जाता ह बस ऐस ही तम भी कछ काम आ रह हो और

मौत स घबड़ा जाओग और मौत स घबड़ाना ही होगा करोदक मौत आ रही ह ििा धारमाक आदमी घास-फस

का होता ह--मौत स घबड़ा कर ही जाता ह--उसक धमा का आधार भर होता ह भीरता

दचनरा की सभी भाषाओ म ऐस शबद ह धारमाक आदमी को कहत हाः धमाभीर रा ईशवर-भीर गॉड

दफरररग धारमाक वयचि और ईशवर-भीर भीर ईशवर स डरगा धारमाक आदमी तो दफर ईशवर क गल कौन

लगगा धारमाक आदमी और ईशवर स डरगा तो दफर ईशवर स परम कौन करगा और जहा परम ह वहा भर

कसा और जहा भर ह वहा परम कस हो सकगा

इसचलए म तमस कहता हाः धारमाक आदमी ईशवर स भरभीत नही होता चसफा धारमाक आदमी ही ईशवर

स भरभीत नही होता अधारमाक होत होग भरभीत अधारमाक को भरभीत होन का कारण ह करोदक

अधारमाक का ईशवर भर स ही चनरमात ह तमहार मददरो और मचसजदो म चजसकी पजा हो रही ह वह तमहार

भर का ही सतर ह तमहार भर स ही जनमा ह तम जो घिन िक कर परािाना कर रह हो िरिरा रह हो कप

रह हो उसम भर ह उसम नरक का भर ह मौत का भर ह--मौत आ रही ह और न मालम दकतन पाप हो रह

ह पता नही करा होगा मतर क बाद समिा लो परमातमा को फसला लो परमातमा को खशामद कर लो

उसकी तमहारी परािानाए तमहारी सतचतरा तमहारी ररशवत स जरादा नही ह इसचलए चजतन दचनरा म

तिाकचित धारमाक दश ह वहा खब ररशवत चलती ह उनक पराणो म ररशवत बसी ह

भारत स लोग ररशवत हिाना चाहत ह हिगी नही--जब तक भारत की धारमाक मनोदशा नही बदलती

रह दश हजारो साल स परमातमा को ररशवत दता रहा ह एक नारररल चढ़ा आरा--सड़ा नारररल करोदक

परमातमा को कोई िीक-िीक नारररल नही चढ़ाता परमातमा को चढ़ान क चलए अलग ही नारररल बाजार म

चबकत ह चबलकल सड़ हए अकसर तो परमातमा क मददर क सामन ही नारररल की दकान होती ह व ही

नारररल बार-बार चढ़त रह ह--हजारो बार चढ़ चक ह तम चढ़ा आत हो पजारी दफर रात को बच दता ह

सबह दफर चढ़न शर हो जात ह तम नारररल चढ़ाकर परमातमा को कछ मागन जात हो तम कहत हो बि

की नौकरी लगवा दना दक पतनी बीमार ह रह रहा नारररल

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रह दश ररशवत दता रहा ह परमातमा को ररशवत इसक पराणो म भर गई ह ररशवत बड़ी धारमाक परदकररा

ह बड़ी पराचीन परपरा ह इसचलए इस दश को ररशवत स छड़ाना बहत मचशकल ह जब परमातमा तक नारररल

स मान जाता ह तो आदमी की करा चबसात दफर लकर पचलसवाल स और परधानमतरी तक सब नारररल स

मान जात ह छोि नारररल बड़ नारररल तरह-तरह क नारररल लदकन जब परमातमा तक मान जाता ह तो

दफर और दकसकी करा चबसात ह

दफर डाचलरा सजा कर भजो और अगर सीधा कोई उपार न हो तो पीछ का कोई दरवाजा खोजो

अगर नता सीधा ररशवत न लता हो तो पतनी क चरण दबाओ बिो की सतचत करो--कोई उपार खोजो उपार

चमल जाएग रहा लनवाल क मन म भी ररशवत की परचतषठा ह और दन वाल क मन म भी ररशवत की परचतषठा ह

ररशवत बड़ी धारमाक परदकररा ह

तम करा करत हो तम कहत हो दक परभ का नाम ल लत ह रोज सबह रह करा ह परभ क नाम लन स

करा होगा करो ल रह हो नाम ईशवर को जानत हो पहचानत हो उसस कछ मलाकात हई अभी तो अपन

स भी मलाकात नही हई उसस करा मलाकात होगी अभी तो तमह रह भी पता नही ह दक म कौन ह अभी तो

चमलन वाल का भी पता नही ह तो तम तलाश पर करा चनकलोग--अभी तो खोजी भी अधर म डबा ह अभी

खोज कस होगी लदकन इस अधर म भरभीत कप रह हो डर रह हो इसी डर स परािाना भी करत हो पजा

भी करत हो मददर क पजारी को भी ररशवत दत हो परािाना रजञ-हवन अचाना आराधना इन सबक भीतर

तमहारा भर चछपा ह

खराल रखना भर स की गई परािाना परमातमा तक नही पहचती और जो भर स परािाना कर रहा ह वह

परािाना कर ही नही रहा ह जो आदमी कह रहा ह दक मरी पतनी बीमार ह उस िीक कर दो इसको परमातमा

स करा लना-दना ह इसकी पतनी िीक होनी चाचहए इसका पररोजन साफ ह रह परमातमा का भि ह तम

समित हो रह परमातमा का भी शोषण करन गरा ह रह परमातमा स सवा लना चाहता ह रह परमातमा

का सवक नही ह रह कहता ह--जरा मरी सवा करो मरी पतनी बीमार ह उसको िीक करो और धरान रखना

अगर मरी पतनी िीक न हई तो सब शरदधा उखड़ जाएगी दफर म भरोसा न कर सकगा एक मौका और दता ह

मर पास लोग आकर कहत ह दक अगर हम जो माग वह परािाना म चमल जाए तो परमाण चमल जाए दक

ईशवर ह और अगर हमारी परािाना परी न हो तो उसक होन का परमाण करा ह न तमह पता ह अपना न

उसका हा एक बात तमह मालम ह दक रह हजदगी जो तमन बनाई ह रत पर बनारा घर ह रह चखसक रही

ह इसकी नीव कप रही ह मौत का ििावात रोज करीब आ रहा ह र बाल सफद होन लग र पर कपन लग

र हाि डोलन लग र बढ़ापा करीब आन लगा--मौत करीब आ रही ह कछ इतजाम कर ल कछ और सहारा

ददखाई नही पड़ता--धन साि जाएगा नही पद साि जाएगा नही सगी-सािी साि जाएग नही शासतर कहत ह

दक नाम-समरण साि जाएगा तो चलो राम-राम जप ल तो बि हो तम माला फर रह हो मगर भर स भरा

हआ हदर आरोजन कर रहा ह मतर स बचन का

परमातमा की तलाश परमातमा की खोज ऐसी नही होती परम स होती ह परमातमा की खोज परम ही

उसका दवार ह परम की मसती चाचहए तो उसक घघि खल जाए

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

अगर रह धमाभीरता अगर रह ईशवर स भर धमा ह तो दफर अधमा करा होगा और र उदास मदो की

तरह बि हए लोग चजनको तम साध-सत कहत हो अगर र धारमाक ह तो दफर अधारमाक कौन ह

99

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

अगर रह मसती ह अगर रह धमा का रस ह र धमा पीन वालो क ढग ह तो दफर उसक रस पीन का न

तो कोई गौरव रहा न कोई गररमा रही

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

और जो उसक परम म बहक न जाए नाच न उि भल न जाए लोकलाज मान-मराादा बखद न हो जाए

वह न तो चपरककड़ ह और न परािाना करन वाला

परािाना शराब ह

मर दख चजसन जीवन म परािाना नही जानी उसन जीवन की असली शराब नही जानी वह ऐसा ही

परासा आरा और परासा गरा और चजसन परािाना की शराब नही पी वही और तरह की शराब पीता ह

पररपरक सोचता ह शारद इस तरह अपन को भला ल हा अगर स भी शराब बनती ह मगर घड़ी दो घड़ी

को भला पाती ह एक आतमा की भी शराब ह जो डबा सो डबा दफर लौिता नही और रह भी घड़ी दो घड़ी

क चलए डबन का करा पररोजन ह करोदक घड़ी दो घड़ी क बाद दफर हचताए वही की वही खड़ी ह--और बदतर

होकर खड़ी ह रह घड़ी दो घड़ी की मचछाा कछ साि दन वाली नही ह

लदकन एक बात तो साफ ह मनोवजञाचनक इस सबध म राजी ह दक आदमी न शराब खोजी धरान की

ही खोज म धरान नही खोज पाए जो व शराबो म उलि गए शराब म उलि जान क पीछ आकाकषा तो एक

ही ह दक दकसी तरह बखद हो जाऊ

उस आकाकषा को समिना--

शराबी म भी आकाकषा तो परमातमा की ही खोज की चल रही ह और कभी-कभी तो ऐसा होता ह दक

धनलोलप म नही होती उतनी परमातमा की खोज चजतनी शराबी म होती ह पदलोलप म नही होती पद-

चपपास म नही होती उतनी परमातमा की खोज चजतनी शराबी म होती ह शराबी करा खोज रहा ह शराबी

अपन स परशान ह अपन को भलना चाहता ह कोई उपार चाहता ह जहा अपन को भला द कछ उपार

चाहता ह जहा िोड़ी दर क चलए रह अहकार चवसमत हो जाए रह अहकार भारी ह चछद रहा ह भाल की

तरह घाव बन गरा ह इसक साि जीना मचशकल होता जा रहा ह इसी मचशकल को हल करन क चलए आदमी

न शराब खोजी

अब तो और नर-नर वजञाचनक उपार खोज ह--एलएसड़ी ह मारीजआना ह और नई-नई तरकीब

खोजी जा रही ह मगर र सारी तरकीब दकसी काम की नही ह र ििी ह र िोिी ह र रासारचनक ह इनस

िोड़ी दर क चलए भाचत पदा हो जाती ह--बस भाचत--दफर लौि आना पड़ता ह असचलरत क जगत म वही

हचता वही बचनी वही उपदरव वही बाजार वही शोरगल रह तो नीद जसी बात ह िोड़ी दर क चलए नीद

लग गई राहत चमल गई दफर वाचपस

और राहत महगी ह करोदक शरीर को नकसान पहचा ह मन को नकसान पहचा ह आतमा को नकसान

पहचा ह एक गलत आदत चनरमात होनी शर हई चजसस छिना मचशकल हो जाएगा रोज-रोज मचशकल हो

100

जाएगा रह तो जहर पीकर अमत को धोखा दना ह लदकन आकाकषा तो िीक ह आकाकषा तो रही ह दक म

बखद कस हो जाऊ

आदमी का एक ही कषट हः उसकी खदी उसका म-भाव तम भी जरा चनरीकषण करना चजतना म-भाव

होता ह उतना जीवन म दख होता ह--उसी मातरा म दख होता ह चजतना म-भाव कम होता ह उतना ही

जीवन म कम दख होता ह और जहा म-भाव चबलकल नही होता वहा आनद क फल चखल जात ह आ गरा

बसत गीत गजन लगत ह जीवन एक नई पलक और उमग स भर जाता ह एक नरा उतसाह परो म घघर बध

जात ह ओि पर बासरी आ जाती ह

धारमाक वयचि का लकषण रही ह दक वह उतसवपणा हो

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

बस इक समत उड़ा जा रहा ह वहशत म

खबर नही दक खदी करा ह बखदी करा ह

ऐसी घड़ी आ जाए न पता चल म न पता चल त जहा म भी गरा त भी गरा जहा खदी तो

गई ही गई रह भी खराल पदा नही होता दक बखदी आ गई अहकार तो गरा ही गरा चनर-अहकाररता का

अहकार भी जहा नही ह जहा कछ भी शष नही रहा जहा मसती पररपणा हो गई ह जहा नाच ही नाच ह--

नताक डब गरा नतर म गारक खो गरा गीत म--वसी घड़ी म जीवन का अनभव होता ह जीवन स पहली

पहली बार सबध जड़ता ह

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

और दफर आदमी राजी हो जाता ह दफर चाह मतर का चवष पीना पड़ रा जीवन की चति किता पीनी

पड़

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

चमरी खशी तो ह सब कछ चतरी खशी करा ह

दफर आदमी कहता ह मरी खशी की करा दफदकर तरी खशी करा ह दफर उसकी मजी होनी शर होती

चजस ददन वयचि क भीतर स परमातमा जीता ह उस ददन जीवन चमला चजस ददन कषदर क भीतर स

चवराि बहता ह उस ददन जीवन चमला चजस ददन बद स सागर िाकन लगता ह उस ददन जीवन चमला दफर

कोई मतर नही ह

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो बहल जाए हजदगी करा ह

101

सावधान होओ ऐस ही हजदगी को मत गवा दना जरा पदाा उिाओ पद क पीछ माचलक चछपा ह जरा

आख खोलो आख खलत ही अपवा सपदा क दशान होत ह जरा जागो जरा मसत होओ जरा बहको जरा

नाचो जरा गाओ जरा रोओ जरा भावाचवषट होओ भावाचवषट हो जाना ही भचि ह र सब भाव की तरग ह

जगजीवन क आज क सतर बड़ परार ह समिना--

अरी म तो नाम क रग छकी

चजनहोन जाना ह उनहोन ऐसा कहा ह चजनहोन नही जाना व तो धमा क नाम पर बड़ उदास हो जात ह

जीत-जी मदाा हो जात ह इनही मदो स इस दश क आशरम भर पड़ ह इनही मदो क कारण रह परा दश भी मदाा

हो गरा ह इन मदो न इस दश को जीना नही चसखारा आतमहतरा चसखाई ह

इस दश क पास सब ह चसफा इस दश की आतमा खो गई ह कभी इस दश न बड़ी ऊचाइरा दखी बड़

चशखर दख कषण की बासरी सनी तम सोचत हो कषण कछ उदास ढग क आदमी रह होग उदासी और

बासरी का कछ मल बिगा कषण का नतर दखा ह इस दश न कषण का रास दखा उदास आदमी नाचत ह

मोरमकि बाधत ह व सवसि ददन ि धमा अपनी गहनता म अपनी गहराई म परगि हआ िा

दफर बड़ रगण ददन आए रगणचचतत लोग हावी हो गए उनहोन सार दश क मन को उदासी स भर ददरा

चवसतार चला गरा लोग चसकड़न लग हर चीज स भरभीत हो गए ऐसा न कर वसा न कर धमा न करन की

ही एक परदकररा हो गईः करा-करा न कर धमा का करन स कोई सबध न रहा फलाव का चवजञान न रहा धमा

चसकड़ाव बन गरा चसकड़-चसकड़ आदमी जीन लग और तभी न कवल दश की आतमा मरी दश का शरीर भी

दीन-हीन हो गरा

हजारो साल स रह दश गरीब ह और इस गरीबी क पीछ तमहार तिाकचित िि धरम की ही चशलाए ह

जो भीतर स समदध होता ह उस बाहर स दररदर होन का कोई भी कारण नही ह करोदक जो भीतर स समदध

होता ह उसकी समचदध बाहर भी फलन लगती ह फलनी ही चाचहए वही सबत ह जब भीतर गीत उिा हो

तो बासरी बजगी और सवर बाहर फल जाएग

इस दश को कभी सोन की चचचड़रा होन का सौभागर िा व ददन ि जब इस दश न धमा जाना िा तब

वद सहज जनम ि तब उपचनषद ऐस पदा हए ि जस गीत कोई गाता ह रा पकषी सबह गनगनात ह इतनी

सरलता स सब हआ िा लदकन व चसकड़ाव क ददन नही ि बड़ फलाव क ददन ि आशरम उदास मदाा लोगो क

सिान नही ि वहा जीवन की धारा बहती िी वहा हम भजत ि अपन बचचो को जीवन की कला सीखन अब

तो आशरमो म कवल बढ़ वदध इतरादद जात ह अब तो मरन क करीब जो होत ह व आशरमो म जात ह अब तम

अपन बचचो को आशरम म भजत हो कब स तमन बचच आशरम भजन बद कर ददए पछो तो करो बद कर ददए

मर पास लोग आकर पछत ह दक आपक आशरम म जवान लोग ददखाई पड़त ह उनको हरानी होती ह

हरानी सवाभाचवक ह करोदक व भल ही गए ह दक जहा हजदगी होगी वहा जवानी भी होगी वहा बचच भी

होग मिस लोग आकर पछत ह दक आप छोि स बचच को भी सनरास द दत ह उनका खराल ह दक चसफा बढ़ो

को ही सनरास ददरा जाना चाचहए उनका सच म तो खराल रह ह दक जब एक पर कबर म उतर जाए और एक

बाहर रह जाए तब जलदी स सनरास लकर कबर म चगर गए सनरास लन का उनका मतलब ही रह ह दक जब

मर ही गए अब ल लो सनरास जब तक जीत हो तब तक जीवन स सबध मत जोड़ो तब तक कषदर को इकटठा

करो और बिोरो

102

तमह राद ह न इस दश म हम अपन बचचो को गरकल भजत ि व गरकल आशरम ि और जहा छोि-

छोि बचच इकटठ होत होग वहा दकलकारररा न होती होगी वहा नाच न होता होगा वहा गीत न गाए जात

होग चनचित रह सब होता होगा व चहममत क ददन ि धमा एक उभार पर िा

दफर एक चसकड़ाव आता ह हर चीज म आ जाता ह करोदक हर चीज म एक लरबदधता होती ह लहर

उिती ह दफर चगरती ह हजारो साल स लहर चगरती रही ह अब उसन अपना आचखरी तल छ चलरा ह म

लहर को दफर उिान की कोचशश कर रहा ह दक दफर बचच धारमाक हो दक दफर जवान धारमाक हो और चनचित

ही जवान जब धारमाक होग तो धमा का रग-ढग अलग होगा होगा ही करोदक सारी जवानी सरि होगी

जवानी अपना रग लकर आएगी और जब मददरो म जवान नाचग तो रौनक होगी तो उतसव होगा तो परम

जनमगा तो मसती होगी

धमा को म रह जो नरा रप दन की चषटा कर रहा ह उसस पचडत परोचहत पजारी राजनता बड़

परशान ह उनकी परशानी रह ह दक व धमा क एक मदाा रप क आदी हो गए ह रह व भल ही गए ह दक धमा

म भी सास होनी चाचहए हदर धड़कना चाचहए उनका धमा का जो अिा हो गरा ह वह लाश मरघि कबर

कल ही म तमस कह रहा िा दक सरकार रह मानन को राजी नही ह दक रह आशरम धारमाक ह इसचलए

मानन को राजी नही ह--कारण उनहोन ददरा ह--करोदक रह न तो हहद ह न मसलमान ह न ईसाई ह न जन

ह न रहदी ह रह कस धारमाक हो सकती ह जगह म पछना चाहता ह दक जब बदध न धमा को जनम ददरा

जब बदध हजदा ि और बदध चलत ि उित ि और बोलत ि और जीवत बदध इस परथवी पर िा तब तम बदध

को धारमाक मानत रा नही करोदक तब तक बदध-धमा पदा नही हआ िा बदध हहद तो नही ि हहद-धमा को तो

छोड़ चक ि उस मदाा घर स तो बाहर चनकल गए ि और अभी बदध-धमा का जनम नही हआ िा वह तो अचछा

हआ दक मोरारजीभाई न हए नही तो बदध को धारमाक नही मान सकत ि करोदक वह पछत दक तम कौन हो

हहद हो जन हो र दो धमा ि उस वि तम दोनो नही हो तो दफर तम धारमाक कस लदकन दफर बदध क

मरन क बाद बदध-धमा बना और अब हम बदध-धमा को बदध-धमा मानत ह अब वह मिस पछत ह दक आप बौदध

जब जीसस ि तो जीसस ि लदकन ईसाइरत कहा िी रहदी तो वह नही ि नही तो रहदी उनको

सली न दत उस मदाापन को तो उनहोन छोड़ ददरा िा और अभी ईसाइरत तो भचवषर क गभा म चछपी िी तो

ईसा को तम धारमाक मानोग रा नही रह तो बड़ मज की बात हो जाएगी दक ईसा तो धारमाक नही ह

ईसाइरत धारमाक ह बदध धारमाक नही ह बदध-धमा धारमाक ह रह तो बड़ मज की बात हो जाएगी दक कषण

तो धारमाक नही ह कषणमागी धारमाक ह मोहममद तो धारमाक नही ह मसलमान धारमाक ह रह तो बड़ मज

की बात हो जाएगी दक गगोतरी पर गगा गगा नही ह और जब सब नगरो और गावो की गदगी और कड़ा-करकि

और सब मल-मतर उसम चमल जाएगा तो परराग म आकर गगा हो जाएगी गगोतरी पर गगा नही ह रह तका

रहा जो हो रहा ह न हहद ह न मसलमान ह न ईसाई ह न जन ह न बौदध ह न चसकख ह लदकन जो

भी नानक का पराणो का सवर िा जो बदध क हदर की आवाज िी जो कषण का गहनतम अनभव िा और जो

जीसस की आकाकषा िी और जो महममद की अभीपसा िी उस सबका परचतफलन ह वह सारी सवास सरि ह

मि व धारमाक मानन को राजी नही ह जब तक दक सौ-दो सौ साल बाद कोई सपरदार खड़ा न हो जाए

और मजा रह ह दक जब सपरदार खड़ा होता ह तो धमा मर जाता ह धमा मरता ह तभी सपरदार बनता

ह बदध जब तक ह तभी तक धमा ह लदकन तब तक सरकार मानन को राजी नही होती मढ़ताए तो बहत

103

होती ह लदकन सरकारी मढ़ता का कोई मकाबला नही सरकारी मढ़ता तो ऐसी ह जस करला नीम चढ़ा ऐस

ही करला दफर नीम प चढ़ गरा

म तमह मसती का एक सवर द रहा ह म चाहता ह तम डोलो म तमह रगना चाहता ह इसी रग म

चजसकी जगजीवन बात कर रह हाः अरी म तो नाम क रग छकी और छक सकत हो तभी इस हजदगी म

कोई और चीज तमह छका न सकगी तमहारा पातर खाली-का-खाली रहगा दकतना ही धन डालो इसम खो

जाएगा दकतना ही पद डालो इसम खो जाएगा पातर खाली-का-खाली रहगा तम भरोग नही भरता तो

आदमी कवल परमातमा स ह करोदक अनत ह हमारा पातर और अनत ह परमातमा--अनत को अनत ही भर

सकगा हमार भीतर शनर का पातर ह इस शनर क पातर को परमातमा की पणाता क अचतररि और कोई चीज

नही भर सकती

म तमह सफी कहानी राद ददलाऊ मि परीचतकर ह बहत बार मन कही ह--

एक फकीर न एक समराि क दवार पर दसतक दी सबह का वि िा और समराि बगीच म घमन चनकला

िा सरोग की बात सामन ही समराि चमल गरा फकीर न अपना पातर उसक सामन कर ददरा समराि न कहा

करा चाहत हो फकीर न कहा कछ भी द द शता एक ह मरा पातर परा भर जाए कछ भी द द लदकन शता

एक ह मरा पातर परा भर जाए म िक गरा ह रह पातर भरता नही समराि हसन लगा और उसन कहाः तम

पागल मालम होत हो पागल न होत तो फकीर ही करो होत रह छोिा-सा पातर रह भरता नही अपन वजीर

को कहा दक लाओ सवणा अशरफारो स भर दो इस फकीर का मह बद कर दो सदा क चलए फकीर न कहा म

दफर राद ददला द दक भरन की कोचशश अगर आप करत ह तो रह शता ह दक अगर जब तक भरगा नही पातर

हिगा नही समराि न कहा त घबड़ा मत पागल भर दग सोन स भर दग हीर-जवाहरात स कह तो हीर-

जवाहरात स भर दग

लदकन जलदी ही समराि को अपनी भल समि म आ गई सोन की अशरफारा डाली गरी और खो गरी

हीर डाल गए और खो गए लदकन समराि भी चजददी िा और दफर फकीर स हार मान रह भी तो जचता न िा

सारी राजधानी म खबर पहच गई हजारो लोग इकटठ हो गए और समराि अपना खजाना उलीचता गरा और

उसन कहा आज दाव पर लग जाना ह सब डबा दगा मगर उसका पातर भरगा साि सरज ढलन लगा

समराि क कभी खाली न होन वाल खजान खाली हो गए पातर नही भरा सो नही भरा

सोचत हो उस समराि की दरनीर दशा मरत वि सभी समरािो की वही हो जाती ह चगर पड़ा फकीर क

चरणो म और कहा मि माफ कर दो मरी अकड़ चमिा दी अचछा दकरा म तो सोचता िा अखत खजाना ह

रह तर छोि स पातर को भी न भर पारा बस अब एक ही परािाना ह--म तो हार गरा मि कषमा कर दो मन

वयिा ही ति आशवासन ददरा िा भरन का--मगर जान स पहल एक छोिी सी बात मि बता जाओ ददन भर

रही परशन मर मन म उिता रहा ह रह पातर करा ह दकस जाद स बना ह फकीर हसन लगा उसन कहा

दकसी जाद स नही इस आदमी क हदर स बनारा ह न आदमी का हदर भरता ह न रह पातर भरता ह

कहानी तो रहा खतम हो जाती ह मगर रह कहानी आधी ह म तमस कहता हाः रह पातर भरता ह

फकीर कही तमह चमल जाए तो मर पास ल आना रह पातर भरता ह मगर धन स नही भरता समरािो स नही

भरता बदधो स भर सकता ह रह पातर परमातमा स भरता ह अरी म तो नाम क रग छकी न कवल भर जाता

ह ऊपर स बहन लगता ह इतना भर जाता ह दक बाढ़ आ जाती ह बाध तोड़कर बहन लगता ह वही तो

करणा ह जो हमन बदधो म दखी इतना भर जाता ह भीतर आनद दक बहन लगता ह बाहर दसरो तक पहचन

104

लगता ह रही तो सतसग ह जहा दकसी का पातर भर गरा हो और बह रहा हो उसक पातर क पास बि जाना

सतसग ह करोदक कछ बद तम पर भी पड़ जाए एक बद भी पड़ जाए तो तम रग जाओ एक बद का भी सवाद

आ जाए तो तम कछ क कछ हो जाओ और क और हो जाओ

ददल म तम हो नजअ का हगाम ह

कछ सहर का वि ह कछ शाम ह

इशक ही खद इशक का इआम ह

वाह करा आगाज करा अजाम ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

ददो-गम ददल की तबीअत बन चक

अब रहा आराम ही आराम ह

भरता ह पातर लदकन पीन वालो का भरता ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

र जो तमह हजारो साध-सत ददखाई पड़त ह इनका नही भरा ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

र मधशालाओ म मददरो म मचसजदो म चजतन लोग तमह बि ददखाई पड़ रह ह र सब चपरककड़ नही ह

एक ही दो हो तो हो बाकी तो वयिा ढोग कर रह ह ढोग स बचो तो एक ददन तमहार जीवन म भी रह

सौभागर की घड़ी आए--

अरी म तो नाम क रग छकी

जब त चाखरा चबमल परमरस तब त कछ न सोहाई

और एक बद पड़ जाए उसक परम क रस की दफर कछ और नही सहाता--कस सहा सकता ह चजस हस

न मानसरोवर का जल चपरा वह तमहार गाव की गदी नाचलरो और डबरो का जल पीन को राजी हो सकगा

चजसन आकाश की मचि जानी वह तमहार कारागहो म तमहारी जजीरो म आबदध होन को राजी होगा

चजसन परमातमा का जरा-सा सवाद चलरा इस जगत क सार सवाद वयिा हो जात ह

105

म तमस रही कहता हाः तरागना नही ह ससार परमातमा का रस ल लो सब छि जाता ह छोड़ना नही

पड़ता ह चजस छोड़ना पड़ता ह वह वयिा ही छोड़ रहा ह उस अभी रस नही चमला जो कहता हो दक मन

तराग दकरा समिना दक उस अभी कछ चमला नही चजस चमल गरा ह वह तराग करता नही तराग हो जाता

ह जस हाि म ककड़-पतिर भर हो और अचानक हीरो की खदान चमल जाए तो करा तम ककड़-पतिरो का

तराग करोग राद ही न आएगा कब हाि स चगर गए ककड़-पतिर कौन चहसाब रखगा करा तम चगनती

करोग दक दकतन पतिर मन छोड़ भर लोग मटठी हीर-जवाहरातो स

इसचलए म तमस कहता हाः तराग की परदकररा नकारातमक ह और उसी क कारण धमा मदाा हो गरा ह

म तमह परमातमा का भोग चसखाता ह ससार का तराग नही और परमातमा का भोग आ जाए तो ससार का

तराग अपन स घिता ह चजसको शरषठ चमलन लग चनकषट अपन-आप छि जाता हः चनकषट को छोड़न स शरषठ नही

चमलता--राद रखना बार-बार दोहराता ह राद रखना--चनकषट को छोड़न स शरषठ नही चमलता तम अपन हाि

क ककड़-पतिर छोड़ दोग इसस हीर नही चमल जाएग ऐसी कोई अचनवाराता नही ह लदकन शरषठ क चमलन स

चनचित ही चनकषट छिता ह दीरा जल जाए तो अधरा अपन-आप समापत हो जाता ह ऐस ही परमातमा का

भोग ह म तमह भोग चसखाता ह म तमस कहता हाः अभी तमन चजस भोग समिा ह वह भोग नही ह भाचत

जबत चाखरा चबमल परमरस तब स कछ न सोहाई

रचन ददना धचन लाचग रही कोउ कतौ कह समिाई

दफर कोई दकतना ही समिाए दफर कोई लाख परलोभन द दफर कछ रस इस ससार म पड़ नही सकता

दफर धन क अबार लग रह दफर पद क चलए दकतन ही परलोभन आत रह दफर ससार दकतन ही परसकार द

कछ अतर नही पड़ता उसक रस की एक छोिी सी बद ऐसा भर जाती ह दक दफर जगह ही नही बचती और

भरन का कोई सवाल ही नही होता

पहल शराब जीसत िी अब जीसत ह शराब

कोई चपला रहा ह चपए जा रहा ह म

पहल तो शराब ही हजदगी िी अलग-अलग ढग की शराब ह इसीचलए तो हमन पद को भी शराब कहा

ह पद-मद राजनीचत एक शराब ह भरकर शराब ह धन को भी कहा हः धन-मद धन भी एक शराब ह

चजसको पकड़ लती ह छोड़ती नही दौड़ता ही रहता ह आदमी हजदगी भरः और और अत नही आता ह

तरह-तरह की शराब ह

पहल शराब जीसत िी अब जीसत ह शराब

एक बार उसकी बद उतर जाए तो रपातरण होता ह पहल शराब ही हजदगी िी अब हजदगी ही शराब

हो जाती ह

कोई चपला रहा ह चपए जा रहा ह म

और उसक अजञात हाि ढाल चल जात ह इसचलए तो सफी फकीर उसको साकी कहत ह अचसततव को

मधशाला कहत ह उसक रस को शराब कहत ह उमर खयराम का वही अिा नही ह जो तम उमर खराम की

दकताब पढ़कर समि लत हो उमर खयराम एक सफी बदध ह उमर खयराम कोई साधारण कचव नही ह

अपमानजनक ह रह बात दक शराबखानो क नाम लोगो न रख चलए हाः उमर खरराम रा रबाइरात

शराब परतीक ह उमर खराम एक पहचा हआ फकीर ह उसक परतीक गलत समि चलए गए ह

106

रचन ददना धचन लाचग रही

दफर सोत उित जागत बित एक ही धम लगी रहती हः उसकी ही राद उसकी ही राद बनी रहती ह

उसकी राद का दीरा भीतर जगमगाता रहता ह

कोई कतौ कह समिाई

नाम चपराला घोरि क कछ और न मोहह चही

अब कछ और चाहना नही ह उस पी चलरा चजसन शरषठतम को चजसन चख चलरा दफर और सब चाह

चली जाती ह

जसा वो चाहत ह जो कछ वो चाहत ह

आती ह मर ददल स लब तक वही दआए

अब तो वह जो चाहत ह जसा चाहत ह वसा हो रहा ह भि सवर नही जीता परमातमा को सवर क

भीतर स जीन दता ह

इसचलए कषण न अजान स कहा हः छोड़-छाड़ और सब आ मरी शरण सवाधमाान पररतरजर छोड़-

छाड़ सब धमा आ मरी शरण मामक शरण वरज मि एक की शरण आ जा दकस एक की बात कर रह ह

कषण उस एक की बात कर रह ह चजसको उपचनषदो न कहा हः वह तो एक ह लदकन जञानी अनक नामो स

उस पकारत ह कषण रह नही कह रह ह दक मि कषण की शरण आ कषण रह कह रह हाः मि एक की

शरण आ वह एक तो एक ही ह मर भीतर भी वही ह तर भीतर भी वही ह उस एक की शरण आ और

छोड़-छाड़ सब धमा बड़ी अधारमाक बात समिा रह ह सवाधमाान पररतरजर छोड़ सब धमा इतरादद डबकी

मार ल िक जा िक जा रानी अहकार छोड़ द दफर सब हो जाएगा दफर सब चाहत चमि जाती ह

जसा वो चाहत ह जो कछ वो चाहत ह

आती ह मर ददल स लब तक वही दआए

अब तो म परािाना करता ह रह भी कहना िीक नही वही जो परािाना करवा लत ह मिस आती ह मर

ओिो तक आती ह

इक जाम-आचखरी तो पीना ह और साकी

अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए

अब जो भी हो अब तो पीना ह अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए दफर भि हचता नही करता

दक करा पररणाम हो रहा ह लोग हसत ह दक लोग पागल समित ह मीरा को लोगो न पागल समिा चतनर

को लोगो न पागल समिा मर पास तम आए हो तमह लोग पागल समिग

इक जाम-आचखरी तो पीना ह और साकी

अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए

जब डोरी लागी नाम की तब कचहक काचन रही

और चजसकी भी डोर उसस जड़ गई उसकी लोकलाज कब रही उसकी मराादा कहा रही उस तो

पागल सदा ही समिा गरा ह उस तो बावला समिा गरा ह तब कचहक काचन रही दफर कोई परचतषठा नही

रह जाती इस तिाकचित दचनरा म

धरान रखना इस दचनरा न सदा वासतचवक धारमाक आदमी की हनदा की ह सली दी ह उस पतिर मार

ह उस अपमान दकरा ह उसका और इस दचनरा न िि धारमाक आदमी की बड़ी पजा की ह रह बड़ी उलिी

107

बात ह लदकन उलिी अगर समिो न अनरिा चबलकल िीक ह गचणत साफ ह रह दचनरा धमा स बचना

चाहती ह हा धमा क धोख स इस कोई डर नही ह पचडत-परोचहत चलगा रजञ-हवन करनवाल चलग साध-

सत जो इसी को सहारा द रह हो व भी चलग जो इसी दचनरा क वयवसिा क अग ह इसी दचनरा क नरसत

सवािो को सहरोग द रह ह व भी चलग लदकन जस ही कोई धारमाक वयचि पदा होगा कोई चजसक भीतर स

परमातमा बोल वस ही अड़चन शर हो जाएगी करोदक वह नरसत सवािो का साि नही दगा समाज की

मानरताओ क अनकल नही होगा वह तो सतर कहगा और सतर तमहार ििो को कपा दत ह वह तो सतर

जीएगा और सतर तमहार पाखडो को तोड़ दत ह और तब अड़चन शर हो जाती ह

जीसस को तमन सली दी सली दकर तमन जाचहर दकरा दक जीसस न कछ बात कही िी चजसस तमहारा

भवन िरिरा गरा िा तमन सकरात को जहर चपलारा जाचहर दकरा दक सकरात जरर कछ खबर ल आरा

िा दर की गहरी नही तो तम जहर चपलान की ििि न करत तमन मसर को मारा तमन खबर दी दक मसर

क ओिो स परमातमा बोल गरा िा तम बरदाशत न कर सक

तमन परमातमा को कभी बरदाशत नही दकरा करो करोदक तमहारी हजदगी ऐसी ह दक अगर परमातमा

को तम सनो और समिो और बरदाशत करो तो तमह अपनी हजदगी बदलनी पड़ और हजदगी तम बदलना

नही चाहत तम साध-सतो क पास सातवना क चलए जात हो सकराचत क चलए नही तम जात हो मलहम-पटटी

क चलए कराचत क चलए नही तम जात हो दक तमहार घावो पर व गलाब का फल रख द दक घाव ददखना बद हो

जाए

मर एक चमतर ि बड़ राजनता ि उनक बि की मतर हो गई वह बड़ परशान ि मर पास आए रोन

लग मन उनस कहाः वयिा रो रह ह बिा मर गरा तम भी मरोग वह तो एकदम नाराज हो गए पचहततर

साल क बढ़ आदमी ि कहा आप इस तरह की बात बोलत ह म आचारा तलसी क पास गरा तो आचारा

तलसी न कहा आप हचता न कर आपका बिा मर कर दवलोक म दवता हआ ह और आचारा तलसी न आख

बद की और दवलोक गए और खबर दी दक बिा दवलोक म दवता हो गरा ह

उनका बिा मतरी िा मन कहा हदद हो गई मतरी और दवलोक कछ गलती हो गई आचारा तलसी दकसी

दसरी जगह पहच गए म एक फकीर को जानता ह आप उसक पास जाए उसकी बड़ी गचत ह सवगा-नरक

वगरह म जान की

वह फकीर वही मर पास ही रहत ि कभी-कभी मर पास आत ि उनको मन बता ददरा दक र आए

सजजन तो तम बता दना इस-इस तरह बता दना

वह गए उस फकीर न भी आख बद की बड़ा दर चनकल गरा और उसन कहा दक आपका एक बगीचा ह

फला-फला गाव म उनहोन कहा हा ह उसम एक पीपल का िाड़ ह हा ह उसी पीपल क िाड़ पर आपका

बिा भत होकर बिा ह उनह तो भरोसा ही नही आरा दक रह फकीर को पता कस चला करोदक इसको तो

कछ मालम ही नही ह मर गाव का मर िाड़ का और िाड़ ह िििी उसक बाबत कहाचनरा भी िी म तो

उनक बगीच को जानता िा आता-जाता िा तो मन फकीर को सब समिा ददरा िा दक िाड़ का वणान भी कर

दना सिान भी बता दना दक ऐसा-ऐसा ह ऐस सिान पर ह

वह मर पास भाग आए उनहोन कहा दक रह भी दकसक पास भज ददरा आचारा तलसी ही िीक कहत

ह रह आदमी गलत ह मगर दफर भी उनको हचता तो िी दफर भी कहन लग एक बात जरर ह दक इसको

पता कस चला दक मरा बगीचा उसम पीपल का िाड़ इस-इस ददशा म उस िाड़ क पास कआ उस िाड़ की

108

इस तरह की शाखाए--इसको रह कस पता चला मन कहा इसकी भी बड़ी गचत ह रह आख बद करक कही

भी चला जाता ह मगर उनहोन कहा बात मि तलसी जी की ही जमती ह

बात हम वही जमती ह जो हम चाहत ह दक होनी चाचहए मरी बात उनह अचछी नही लगी मन कहा

तम भी मरोग इसचलए बिा मर गरा इसम अब वयिा रोन-धोन म समर मत गवाओ राद करो दक तमहारी

मौत भी आती होगी जब बिा भी गरा तो बाप कस रकगा पर उनहोन कहा दक म ऐसी आशा नही करता िा

म सातवना क चलए आरा िा मन कहा दक म तमह सतर द रहा ह म तमस रह कह रहा ह दक जब बिा मरा ह

तो इस मौक को चको मत इस राद को गहरा बि जान दो तीर की तरह चभ जान दो अब तम भी जलदी

तरारी करो अब पारलारामि जान की और हचता न करो दबारा चालीस साल स ममबर ि वह पारलारामि

क अगरजो क जमान स वह पारलारामि क ममबर होत रह ि अगरज चल गए तब भी वह ममबर होत रह वह

पारलारामि क सबस परान ममबर ि उनको पारलारामि का चपता कहा जाता िा और वह दफर भी तरारी कर

रह ि और वह नही मान बिा मर गरा मगर उनहोन चनाव दफर लड़ा वह पारलारामि क ममबर रहत ही

रहत मर मरी बात उनह जची नही उस ददन क बाद मर पास नही आए करोदक उनह चोि लग गई बहत दक

वह तो आए ि दक म कहगा दक बिा सवगा गरा दवता हो गरा इतरादद-इतरादद और मन कह ददराः तम भी

मरोग

तम खराल रखना तम उन साध-सतो की पजा करत हो जो तमहार चचतत को सलात रहत ह--लोरी गा-

गा कर सनात रहत ह जो तमह सलात रहत ह जो तमह जगाएगा उस तम फासी दोग चजसन तमह जगारा

उसक साि तमन दवयावहार दकरा तम जगना नही चाहत हो तम अपन सपनो म खब मसत हो तम अपन

सपनो म बड़ा रस ल रह हो हालादक सपन सब िि ह इसचलए जो जानता ह वह तमह जगाएगा ही वह

कहगा दकतना ही सदर सपना तम दख रह हो मगर सपना सपना ह उिो

जब डोरी लागी नाम की तब कचह क काचन रही

और चजसकी भी डोरी लग गई परमातमा स उसकी ही ििि होन लगती ह ससार म दफर उसकी

मराादा नही रह जाती लोग तो सममान िि का करत ह लोग पजा भी िि की करत ह लोग पजा भी परपच

और पाखड की करत ह नगन सतर चतलचमलाता ह लदकन इसस करा फका पड़ता ह भि को

वाह र शौक-शहादत कए-काचतल की तरफ

गनगनाता रकस करता िमता जाता ह म

वाह र शौक-शहादत

भि तो चमिना चाहता ह परमातमा म भि न िोड़ा-सा अनभव दकरा ह जरा कषणभर को चमिकर

जाना ह अब वह परा चमिना चाहता ह

वाह र शौक-शहादत कए-काचतल की तरफ

गनगनाता रकस करता िमता जाता ह म

जो रचह रग म मसत रहत ह तचह क सचध हरना

उनको तो सध ही नही रह जाती ससार की न अपनी सचध रह जाती उनकी तो सब सचध जाती ह जो

उसक रग म मसत हो जात ह उनको तो बस उसकी ही सचध रहती ह और कछ सचध नही रह जाती दफर कौन

अपमान करता कौन सममान करता भद नही पड़ता

109

मसर को जब मारा गरा उसक हाि-पर काि गए तब भी वह आकाश की तरफ दख कर चखलचखला कर

हसा भीड़ म स दकसीन पछा दक मसर हसन का कारण तो उसन कहा दक परमातमा को दख रहा ह रह

िोड़ी सी बाधा िी शरीर की रह भी तम छीन ल रह हो रह िोड़ा सा पदाा िा रह भी चगरा इसचलए हस

रहा ह चखलचखला कर हस रहा ह तम सोच रह हो दक तम मरी दशमनी कर रह हो तम मि नकसान पहचा

रह हो तम नासमि हो तम आचखरी पदाा छीन ल रह हो तमहारी बड़ी कपा तमहारा धनरवाद

गगन-मददल दढ़ डोरर लगावह जाचह रहौ सरना

और चजसको रह जरा सा सवाद चमलना शर होता ह वह दफर अपन शनर क अदर चवराजमान हो जाता

ह चमि जाना ह शनर हो जाना ह शनर होना भि की साधना ह सारी साधनाओ का सार हः शनर चमि

जाना न हो जाना म नही ह म नही ह म नही ह इस भाव स पररपणा रप स भर जानाः बस उसी कषण--चजस

कषण रह बात वासतचवक हो जाएगी चसफा वचन नही होगा शबद नही होग वाणी ही नही होगी चजस ददन

तमहार हदर म रह गज बि जाएगी दक म नही ह--अनभवगत अचसततवगत--उसी कषण परमातमा उतर आता ह

उस कषण पणा उतर आता ह शनर हो जाओ और पणा को पा लो पणा को पान की बस एक ही शता हः शनर हो

जाना

चनभार हवक बरि रहौ अब

और तम शनर हो गए और पणा का चवराजमान होना हो गरा दफर चनभार हवक बरि रहो दफर कोई भर

नही न मौत ह न कोई भर ह न कछ छीना जा सकता ह न कछ चरारा जा सकता ह तमहारी शाशवत

समपदा ह दफर तम समराि हो तम अमत हो

चनभार हवक बरि रहौ अब मागौ रह बर सोई

जगजीवन चवनती रह मोरी दफरर आवन नहह होई

दफर बि जाओ चनभार होकर एक ही चवनती उिती रहती ह दक अब दबारा इस ििि म पड़ना न हो

इस भाचत म इस सवपन म दबारा उतरना न हो

मरा जो हाल हो सो हो बक-नजर चगरा जा

म रही नालाकश रह त रही मसकराए जा

जहजा-ब-लचहजा दम-ब-दम जलवा-ब-जलवा आए जा

चतशना-ए-हसन जात ह चतशनालबी बढ़ाए जा

चजतनी भी आज पी सक उजर न कर चपलाए जा

मसत नजर का वासता मसत-नजर बनाए जा

लतफ स हो दक कहर स होगा कभी तो रबर

उसका जहा पता चल शोर वही मचाए जा

पकारो जहा पता चल गलाब क फल म पता चल पकारो वही मददर-वददर जान की जररत नही ह

चाद-तारो म ददखाई पड़ पकारो उस दकनही की आखो म ददखाई पड़ पकारो उस िक जाओ वही जहा

उसक सौदरा की िलक चमल िक जाओ वही जहा जीवन की धारा हो एक वकष क पास िक जाओ वहा

110

परमातमा हरा ह एक नदी क ति पर िक जाओ वहा परमातमा गचतमान ह सरज उगत सरज क सामन िक

जाओ वहा परमातमा दफर एक नई सबह बनकर परकि हो रहा ह

लतफ स हो दक कहर स होगा कभी तो रबर

और दफकर मत करो खश होकर होगा सामन रा तम शोर मचात रह तो नाखश होकर सामन हो

जाएगा--कोई दफकर नही--उसका जहा पता चल शोर वही मचाए जा

चजतनी भी आज पी सक उजर न कर चपलाए जा

मसत नजर का वासता मसत-नजर बनाए जा

लहजा-ब-लहजा दम-ब-दम जलवा-ब-जलवा आए जा

चतशना-ए-हसन-जात ह चतशनालबी बढ़ाए जा

भि जो कहता ह बस मरी परास को गहन करत जाओ भि और कछ नही मागता भि मागता हः

मरी परास को गहरा करो भि कहता हः मरी परास को ऐसा पररपणा कर दो दक म परास ही परास रह जाऊ

पकार ही पकार रह जाऊ परािाना ही परािाना रह जाऊ रह जररी नही ह दक शबदो म ही कही जाए बात

कभी भि शबदो म कहता ह कभी चप भी कहता ह जसा जब घि जाता ह

अज-चनरज-गम को लब-आशना न करना

र भी इक इचलतजा ह कछ इचलतजा न करना

कछ न कहना भी कहन का ढग ह शारद कहन का सबस गहन ढग हः चप रहना तो भि कभी बोलता

परमातमा स चनवदन करता कभी चप रह जाता चबलकल चप रह जाता ह सननाि म बि जाता ह

उस सराद न कछ गल न कछ बलबल न कछ समिा

चमन म दकतनी मानीखज िी इक खामशी मरी

वह चप हो जाता ह दफर कोई कछ समि

उस सराद न कछ गल न कछ बलबल न कछ समिा

चमन म दकतनी मानीखज िी इक खामशी मरी

मौन म चजतना अिा ह उतना दकसी शबद म नही ह तो कभी भि गाता कभी खामोश कभी नाचता

कभी बिा रहता लदकन जीता ह सवसफरता स सवसफरता शबद को राद रखना उपचार स नही वयवसिा स

नही अनशासन स नही सवसफरता स ऐसा करना चाचहए इसचलए नही करता ह कछ जसा जब सहज होता ह

वसा करता ह साधो सहज समाचध भली

म तोहह चीनहा अब तौ सीस चरन तर दीनहा

म ति पहचान गरा अब रह चसर तर चरन रख दता ह अब इसक बोि को न ढोऊगा

तचनक िलक छचब दरस दखार

जरा सी तन िलक करा ददखाई रपातर हो गरा कराचत हो गई

तब त तन-मन कछ न सोहाए

अब रह मरा तन भी ल ल रह मरा मन भी ल ल अब मर भीतर त ही त हो म कही भी न बच

कहा कहौ कछ कचह नहह जाए अब मोचह का सचध समचि न आए

111

अब मि कछ समि नही पड़ता सकरात न कहा हः जञानी वही ह जो जानता ह दक म कछ भी नही

जानता भि कछ जानता नही भि तो जो जानता िा वह भी बह गरा वह भी आई बाढ़ उसक परम की और

सब बहा ल गई कड़ा-करकि भि तो चबलकल चनदोष हो जाता ह

कहा कहौ कछ कचह नहह जाए अब मोचह का सचध समचि न आर

होइ जोचगन अग भसम चढ़ार भवर-गफा तम रहउ चछपार

अब तो म दीवानी हो गई ह अब तो म पागल हो गई ह अब तो तमहारी धन बजती रहती ह मर हदर

क इकतार पर बस तमहारी धन बजती रहती ह तमहारी जो हलकी-सी िलक चमली ह वह सब कह गई जो

होना िा हो गरा ह अब परा-परा मि ल लो अब जरा भी मि छोड़ो मत अब रचमातर भी मरा जीवन ऐसा

न हो जो तमस ररि हो और म जानता ह दक तम कहा चछप हो अब म पहचान गरा ह म तोहह चीनहा

अब तो पहचान हो गई भवर-गफा तम रहउ चछपार मर ही हदर की गफा म चछप बि ि और म तमह कहा-

कहा खोजता दफरा मन कहा-कहा नही तमहार चलए तलाश की काबा म और काशी म और कलाश म और

चगरनार म मन कहा-कहा नही तमह खोजा और तम मर भीतर चछप बि ि मरी खोज इसीचलए वयिा होती

रही करोदक तम खोजनवाल म ही चछप ि तम मर सवरप हो म तोहह चीनहा भवर-गफा तम रहउ

चछपार

खद अपन ही सोज-बाचतनी स चनकाल कर इक शमए-गरफानी

चचराग-दरो-हरम तो ऐ ददल जला करग बिा करग

र मददरो-मचसजदो म जो चचराग जल रह ह र तो पलत ह बित ह एक ऐसा भी चचराग ह जो अपन

भीतर चछपा ह जो न जलता न बिता जो सदा ह शाशवत ह अगर कछ करना ही हो जरोचत पदा तो अपन

हदर म ही करो

खद अपन ही सोज-बाचतनी स चनकाल कर इक शमए-गरफानी

एक न चमिन वाली लपि तमहार भीतर ह पकारो जगाओ

चचराग-दरो-हरम तो ऐ ददल जला करग बिा करग

मददर-मचसजदो क चचराग तो जलत ह और बि जात ह एक ऐसा भी चचराग ह जो तम हो--चबन बाती

चबन तल--वहा न तल की जररत ह न बाती की जररत ह वहा रोशनी जलती ह अकारण और जो अकारण

ह वही शाशवत ह कारण होगा तो कभी न कभी चक जाएगा कारण तल चकगा तो दफर बाती भी चक

जाएगी दफर दीरा बिगा मददर-मचसजदो म आदमी क बनाए हए दीए जल रह ह उनम मत भिक जाना

तमहार हदर की गफा म ही परमातमा का जलारा हआ दीरा जल रहा ह

जगजीवन छचव बरचन न जाए

और जब तम उस जरोचत म चवराजमान हो जाओग अपन ही हदर म बिोग जगजीवन छचव बरचन न

जार तब चजस सौदरा का तम पर आचवभााव होगा जो सौदरा बरस जाएगा तम पर उसकी भाषा म कोई

अचभवयचि न हई ह न हो सकती ह जगजीवन छचव बरचन न जाए उसका वणान नही होता अचनवाचनीर ह

वह

ननन मरचत रही समार

ददखाई पड़त हो पहचान आत हो कह नही जात गग का गड़

112

भि कछ और मागता भी नही बस ननन मरचत रही समार

वहा भी आह भरा करग वहा भी नाल दकरा करग

चजनह ह तिस ही चसफा चनसबत वो तरी जननत को करा करग

उनह सवगा स कोई पररोजन भी नही ह व दकसी और सख की आकाकषा भी नही करत उनकी तो आकाकषा

एक ही ह दक जो ह वह आखो म समा जाए जो ह उसस पहचान हो जाए

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

और उसको दखत ही बस अवाक रििक कर रह जाता ह भि रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी और

उसको दखत ही सब मल कि जात ह दचषट चनमाल हो जाती ह चनदोष हो जाती ह पारदशी हो जाती ह

ए सचख मोहह त कचहए न आव कस-कस करह पकारी

कहना चाहती ह कह नही पाती पकार-पकार कर कहना ह ए सचख मोहह त कचहर न आव कस-कस

करह पकारी

तमह पता नही ह चजनहोन जाना ह उनह एक बड़ी दचवधा का सामना करना पड़ता ह जान लत ह

मगर जना नही पात सवाद तो चमल गरा लदकन कस कह औरो स और कहन की एक अचनवाराता मालम

पड़ती ह

बदध न कहा हः धरान की अचनवारा पररणचत ह परजञा और परजञा की अचनवारा पररणचत ह करणा चजसन

धरान दकरा उसन जाना और चजसन जाना उसक भीतर एक अभीपसा पदा होती ह दक औरो को भी जना द

करोदक दकतन ह अनत-अनत लोग जो अधर रासतो पर भिक रह ह पकार उनको भी कह द दक मत भिको

तमहार हदर म बिा ह कहा जा रह हो काबा काशी और वह तमहार भीतर बिा ह म भी खब भिका ह

मत भिको मन उस अपन भीतर पा चलरा ह तम भी पा लो जरा नजर भीतर मोड़ो

तो पकार-पकार कर चचलला-चचलला कर भि कहता ह हालादक जानता ह हर बार दक जो कहा वह

वही नही ह जो जाना शबद बड़ छोि ह अनभव बड़ा चवराि ह

जीसस न कहा ह अपन चशषरो को दक जाओ चढ़ जाओ मकानो की मडरो पर और चचलला-चचलला कर

कहो शारद कोई सन ल दफर भी ख़राल रखना कहा ह शारद कोई सन ल चजनक पास आख ह व दख लग

और चजनक पास कान ह व सन लग लदकन मचशकल स दकसी क पास आख ह मचशकल स दकसी क पास कान

ह आख ददखाई पड़ती ह मगर ह कहा बाहर दखनवाली आख कोई आख तो नही जो भीतर ही नही दख

सकती वह भी कोई आख ह बाहर की आवाज सन लनवाल कान कोई कान तो नही जो अपन ही भीतर की

आवाज नही सन पाए व भी कोई कान ह लोग आख क होत हए अध ह कान क होत हए बहर ह

लदकन भि को एक अनभव होता ह गज उिती ह दक पकार द सबको जगा द सबकी कह द कहता

भी ह इसी पीड़ा स तो र गीत जनम हाः अरी म तो नाम क रग छकी

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

ए सचख मोहह त कचहए न आव कस-कस करह पकारी

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

सब चनछावर करन को तरार ह अगर कह पाऊ मगर वह रप अनप ह कस उसका वणान हो कहा स

लाऊ शबद कहा स जिाऊ रग कस बनाऊ उसकी मरचत दकस भाचत कह द दक चजनह पता नही उनह पता

चल जाए तादक व वयिा ही जनमो-जनमो तक भिकत न रह

113

बदध को जञान हआ सात ददन तक व चप रह कहानी बड़ी परीचतकर ह आकाश क दवता बहत घबड़ा

गए बदध और चप रह जाएग तो न मालम दकतनो का उदधार अवरदध हो जाएगा दवता आए और उनक

चरणो म िक

समि लना कहानी परतीक ह कोई ऐचतहाचसक बात नही कह रहा ह साकचतक ह कावय ह इचतहास

नही मगर बड़ा अदभत ह अिा चरणो म िक और बदध को कहाः आप बोल आप बोल आप चप करो ह सात

ददन हो गए और बदध न कहाः करा होगा बोलन स कौन समिगा पहली तो अड़चन रह कौन समिगा

दसरी अड़चन रह ह दक कस कहगा कहन क चलए शबद नही ह बदध जस वयचि क पास शबद नही ह तो

चबचार जगजीवन की तो करा चबसात कबीर की तो करा चबसात कबीर तो गरीब जलाहा शबदो की सपदा भी

बड़ी सीचमत ह कबीर की जलाह चजतन शबद जानत ह वही शबद कबीर क ह इसीचलए तो--िीनी िीनी

बीनी र चदरररा ऐस शबदो का उपरोग दकरा ह मगर बदध तो राजपतर ि और इस दश क चरम चशखर पर

जब ससकचत िी तब पदा हए ि इस दश म जो शरषठतम जञान िा उनह उपलबध िा उनहोन भी कहा दक कहगा

कस रप अनप कहा लचग बरनौ नही कहा जा सकगा इसचलए ििि म करा पड़ना और दफर म कहन की

कोचशश कर इतनी परशानी उिाऊ समिगा कौन इसचलए वयिा की ििि म म पड़ना नही चाहता जो

समि सकत ह व मर चबना भी समि लग और जो नही समि सकत मर कह-कह भी न समिग

दवता इकटठ हए उनहोन कहा अब करा कर तका तो िीक ही ह लदकन कोई तरकीब चनकाल और

तरकीब तो सब जगह चनकल आती ह तका सभी जगह रासत खोज लता ह दवताओ न खब चवचार-चवमशा

दकरा दफर बदध क पास आए और कहा दक सन आप िीक कहत ह दक कहना मचशकल ह परा नही कहा जा

सकता लदकन कछ-कछ िलक तो कही जा सकती ह हो सकता ह अध को हम परकाश क सबध म कछ न कह

सक लदकन अध को भी धप म खड़ा तो दकरा जा सकता ह धप का उतताप शरीर पर पड़ती हई ऊषमा इसका

तो उस अनभव हो सकता ह नही रोशनी क सबध म हम कछ कह पाएग लदकन रोशनी का उतताप रह तो

खराल म लारा जा सकता ह कछ तो इशार हो सकत ह परा नही होगा परकि कछ-कछ ही सही--ना-कछ स

तो कछ भी अचछा बहतर ना-कछ स तो कछ भी हआ तो िीक न सागर समाएगा बद ही आएगी मगर जो

परास ह उनक चलए बद भी सागर ह दफर बद क अनभव स सागर की तलाश शर होगी आप कह

और आप कहत ह दक जो समि सकत ह व मर चबना भी समि लग रह सच ह और आप कहत ह जो

नही समिग व मर कह-कह भी नही समिग रह भी सच ह लदकन दोनो क मधर म भी कछ लोग ह आप कह

दग तो समि लग आप न कहग तो पता नही दकतनी दर म समि पाएग उन लोगो का भी धरान कर जो

दकनार पर खड़ ह जरा सा धकका लग जाएगा और छलाग हो जाएगी

बदध इसका उततर न द सक रह बात तो समि म बदध को भी आई सवीकार दकरा बरालीस वषा तक

बोलत रह सतत सबह-साि-दोपहर समिात रह और दवताओ न िीक ही कहा िा और बदध न गलत नही

कहा िा हजारो को कहा एकाध-दो समि बदध न भी िीक ही कहा िाः कौन समिगा दवताओ न भी िीक

ही कहा िा दक हजारो को कहग एकाध भी समिा तो भी कोई तो समिा

दफर दीर स दीरा जलता रहगा और बदध की धारा जीचवत रही ह अब भी दीर स दीर जलत रह ह

कोई न कोई समिता रहा ह

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

114

जगजीवन कहत ह सब चनछावर करन को तरार ह काश कह पाता काश उस अवणानीर का िोड़ा-सा

वणान कर पाता चजनहोन जाना ह व गग हो गए ह ओर चजनहोन नही जाना ह व बड़ मखर ह पचडत-

परोचहत-मलला-मौलवी बहत मखर ह

इस बात को खराल म रखना पचडत बोल चल जात ह शासतरो पर शासतर िीकाओ पर िीकाए चलख चल

जात ह चबना चििक कोई अड़चन ही नही ह चववाद दकए जात ह न कवल खद को सही दसर को गलत भी

कह जात ह और पता कछ भी नही ह और चजनको पता ह व ऐसी चबबचन म पड़ गए ह ऐसी अड़चन म पड़

गए ह

आपस म उलित ह अब शखो-चवरहमन

काबा न दकसी का ह न बतखाना दकसी का

पचडत और मौलवी ह दक लड़ रह ह मददर न दकसी का ह और न मचसजद दकसी की ह मगर लड़ाई-

िगड़ चल रह ह मददर-मचसजद को लड़ारा जा रहा ह और जो लड़ानवाल ह इनको कछ भी पता नही ह

चजसको पता हो गरा वह तो बड़ा चििकता ह

महावीर का समरण ददलाना उचचत होगा महावीर तो कोई भी वचन बोलत ि तो उसम सरात लगा कर

बोलत ि चसपा इसीचलए करोदक उस कहा नही जा सकता कछ-कछ कहा जा सकता ह िोड़ा-िोड़ा कहा जा

सकता ह पछो महावीर स ईशवर ह महावीर कहतः सरात ह भी नही भी ह जो कहत ह ह वह भी िीक

कहत ह व भी उसका आधा वणान करत ह और जो कहत ह नही ह व भी िीक कहत ह व भी उसका आधा

वणान करत ह परमातमा की उपचसिचत कछ ऐसी ह जस शनर की तो उस कोई कहना चाह नही ह--वह भी

िीक ही कहता ह

रह महावीर की अदभत बात सनी

नाचसतक भी आधी बात कहता ह आचसतक भी आधी बात कहता ह करोदक परमातमा एक अिा म ह

उसक अचतररि कछ भी नही और एक अिा म नही ह करोदक तम उस कही भी पकड़ न पाओग तम कही भी

इशारा न कर पाओग दक रह रहा परमातमा उसका न कोई पता ह न रिकाना ह नही जसा ह बबि ह

इसचलए सरात

रचव सचस गन तहह छचव सम नाही

भी फीका ह--चजसन उसका परकाश दखा उसक समकष चाद म भी वह शीतलता कहा वह सौदरा कहा

--चजसन उसका सौदरा दखा उसक समकष

चजन कह कहा चवचारी

चजनहोन भी चवचार कर कहा ह बहत चवचार कर कहा ह व भी नही कह पाए

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

बस एक ही रासता बता सकता ह जगजीवन कहत ह कही कोई सतगर चमल जाए तो उसक चरण पकड़

लना और चरण पर सब छोड़ दना --बस इतना ही कह सकता ह दफर चमलना हो जाएगा सतगर रानी कोई

ऐसा वयचि जो चमि गरा ह जो अब नही ह जो एक िरोखा ह चजस िरोख म स दर का आकाश ददखाई

पड़ता ह तम उस िरोख पर समरपात हो जाना जगजीवन कहत ह और तमस कछ नही कह सकता इतना ही

कह सकता ह--सतगर चमल तो चकना मत

ददल ह कदमो पर दकसी क सर िका हो रा न हो

115

बदगी तो अपनी दफतरत ह खदा हो रा न हो

र जन भी करा जन र हाल भी करा हाल ह

हम कह जात ह कोई सन रहा हो रा न हो

जञाचनरो को अकसर लगा हः हम कह जात ह कोई सन रहा हो रा न हो मगर कभी-कभी कोई सन लना

ह लाख म एक सन ल तो भी काम परा हो गरा हजारो को पकारो और एक आ जाए तो भी पकार सािाक हो

गई जगजीवन का सारसतर रही हः जगजीवन गचह सतगर चरना इतना ही कह सकता ह जगजीवन कहत ह

दक सतगर क चरण पकड़ लना शासतरो की शरण जान स कछ भी न होगा करोदक शासतर तो चनजीव ह उनम स

तम वही अिा कर लोग जो तम करना चाहत हो दफर शासतर तमहारी बचदध म ही समा कर रह जाएग तमहार

हदर को न मि पाएग शासतर स तम जञानी हो जाओग और अजञान तमहारा चमिगा नही शासतर स अधा आदमी

परकाश की बात करना सीख जाएगा लदकन आख न खलगी रह चमतकार तो सतसग म ही घिता ह और सतसग

रानी जहा सतर जीवत हआ हो दकसी वयचि म

कस पहचानोग दक कोई सतगर ह करा कसौिी ह सतगर की कोई बाहरी कसौिी काम नही आती

चहममतवर आदमी चाचहए और बचदध को एक तरफ रख कर हदर को सामन करक बि जान का साहस चाचहए

बस हदर गवाही द दता ह दक आ गरा मकाम हदर एकदम बोल दता ह दक आ गरा मकाम

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन-तमाम आ ही गरा

अववल-अववल हर कदम पर िी हजारो मचजल

आचखर-आचखर इक मकाम-बमकाम आ ही गरा

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

अगर पीन वाल क पास बिोग जरादा कछ न भी सीख पाए तो िोड़ी-िोड़ी बहकी-बहकी बात आ ही

जाएगी

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

चपरककड़ो क पास बि कर कछ न चमला तो भी कछ बहकी-बहकी बात आ जाएगी

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन तमाम आ ही गरा

मगर बचदध स नही होगा रह काम रह हसन-तमाम रह पणा सौदरा रह परमातमा की अचभवयचि रह

परार का चमलन बचदध स नही होगा बचदध क तका जाल को रख दो अलग जहा जत उतर आत हो वही उस छोड़

आना चाचहए इतनी जोचखम जो उिा सकता ह उसी को पता चलता ह कौन सतगर ह कौन नही

116

हदर िि बोलता ही नही जस हम सोन को कसत ह न कसौिी क पतिर पर ऐस ही सतर को कसन की

जो कसौिी ह जो पतिर ह वह हदर ह बचदध नही बचदध स कसोग उलिन म पड़ोग

समिो

अगर तम जन-घर म पदा हए हो तो तमहार पास बचपन स बचदध म दी गई धारणाए ह दक सदगर कसा

होना चाचहए तमह चसफा जन-मचन ही सदगर मालम पड़गा अगर तमहारा कषण स चमलना हो जाए तम

रासता बचा कर चनकल जाओग दक रह कहा का आदमी आ रहा ह रह कसा आदमी आ रहा ह अगर तमहारा

जीसस स चमलना हो जाए तमह पता ही न चलगा तम पास स चनकल जाओग और तमह जीसस क होन का

पता न चलगा अगर बदध तमहार पास आ जाए तो भी तमह पता नही चलगा तमहारी बचदध म एक धारणा बिी

ह दक कसा होना चाचहए मचन नगन होना चाचहए और बदध तो नगन नही ह और मचन तो सवातरागी होना

चाचहए और कषण तो मोरमकि बाध ह तम चक जाओग तमन जो भी धारणाए बचदध स बना रखी ह उनकी

कसौिी स तम अकसर चसफा परपरागत गरओ को पकड़ पाओग और परपरागत गर सतगर नही होत सतगर

दकसी परपरा का चहससा नही होता

इस तम राद रखो सतगर सदा ही परपरा क बाहर होता ह अकसर तो परपरा क चवपरीत होता ह

करोदक सतगर जीवत कराचत ह अगारा ह कोई परपरा उस नही समहाल सकती परपरा तो राख स बनती ह

जब अगार बि जात ह और राख पड़ी रह जाती ह तब पजा शर हो जाती ह उसी पजा स परपरा बनती ह

सदगर तो आग ह जो आग पीन को तरार ह वही सदगर क पास बि सकता ह

बचदध कसौिी नही ह बचदध को एक तरफ रख दना जन की बचदध बौदध की बचदध मसलमान की हहद की

एक तरफ रख दना तमहार पास एक हदर ह जो परमातमा का ददरा ह बचदध तो समाज की दी हई ह वह तो

सरोग की बात ह तम जन-घर म बड़ हए तो जन-बचदध चमल गई अगर बचपन म ही तमह उिा कर मसलमान

क घर म रख ददरा होता तो तमह कभी पता भी न चलता दक तम जन हो कोई खन-हडडी-मास-मजजा जन िोड़

ही होत ह तम अपन को मसलमान मानत और मसलमान फकीर ही तमह जञानी मालम पड़ता और करान

तमह एकमातर दकताब मालम पड़ती और मचसजद म ही तमह परमातमा ददखता और कही न ददखता रह तो

ससकार ह बचदध तो कवल ससकार ह--आदमी क दवारा चनरमात समाज क दवारा आरोचजत हदर परमातमा का

ददरा हआ ह जनम क पहल स तम उस लकर आए हो वह तमहारी जो भाव की शदध दशा ह वही पहचान

सकती ह वही कसौिी ह

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन-तमाम आ ही गरा

अववल-अववल हर कदम पर िी हजारो मचजल

आचखर-आचखर इक मकाम-बबमकाम आ ही गरा

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

िोड़ा हदर तमहारा बहकन लग िोड़ा हदर तमहारा नाचन लग िोड़ा हदर तमहारा आदोचलत होन

लग वही स पहचान ह उसी पहचान क धाग स धीर-धीर हसन-तमाम पररपणा सौदरा का अनभव हो जाएगा

117

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

और अगर सतगर चमल जाए तो दफर कछ बचाना मत सब उसक चरणो म चनछावर कर दना

जो इस तरह सब छोड़ दता ह सदगर क चरणो म वही चशषर ह इस परदकररा को ही म सनरास कहता

आज इतना ही

118

अरी म तो नाम क रग छकी

छिवा परवचन

अतराातरा ह परमातमा

पहला परशनः परभ की पकार कस सनाई द

रह परशन शभ ह परभ को पकार कस रह तो बहत लोग पछत ह परभ की पकार कस सनाई द रह कभी-

कभी कोई पछता ह इसचलए परशन महतवपणा ह चवरल ह िोड़ा बजोड़ ह और सतर क जरादा करीब ह

असली सवाल परभ को पकारन का नही ह हमार पास जबान कहा चजसस हम परभ को पकार और

हमारी वाणी की सामरथरा दकतनी जाएगी िोड़ी दर और खो जाएगी शनर म दकतनी रातरा करगी हमारी

वाणी और हम जो भी कहग उसम कही न कही हमारी वासना की छाप होगी हमारी परािानाए हमारी

वासनाए ही ह और वासनाए उस तक कस पहचगी

परािाना म वासना चछपी हो तो जस पकषी क कि म दकसी न पतिर बाध ददरा अब उड़ान सभव न हो

सकगी और हमारी सारी परािानाए वासनाओ स भरी होती ह परािाना शबद का अिा ही मागना हो गरा परािी

का अिा हो गरा मागन वाला करोदक परािाना क नाम स हम सदा ही मागत रह ह

इसचलए हम कस परािाना कर इसस ििा धमा पदा होता ह रह सवाल जरादा गहरा हः परभ की कस

पकार सनाई द परभ पकार ही रहा ह चसफा हमार मचसतषक इतन शोरगल स भर ह दक उसकी धीमी सी

पकार उसकी सकषम पकार उसकी अचत सकषम पकार हम सनाई नही पड़ती नककारखान म उसकी वीणा क सवर

खो जात ह वह वीणावादक ह उसक सवर बारीक ह नाजक ह उसक सवरो को सनन क चलए शनर चचतत

चाचहए चजतना शात चचतत होगा चजतना चनरवाचार चचतत होगा उतनी ही सभावना बढ़ जाएगी उसक सवर

सनाई पड़न लगग

चनरवाचार चचतत म परमातमा ततकषण उतर आता ह जस दवार पर ही खड़ा िा परतीकषा करता िा दक कब

हम चनरवाचार हो जाए और कब भीतर आ जाए चनरवाचार होत ही हमारा घघि उिा दता ह आमना-सामना

हो जाता ह दरस-परस हो जाता ह चचतत को चनरवाचार करो तो उसकी आवाज सनाई पड़गी और तब ऐसा

नही ह दक उसकी आवाज कषण की आवाज म ही सनाई पड़गी और राम की आवाज म बदध की आवाज म ही

सनाई पड़गी इन कौओ की काव-काव म भी उसकी ही आवाज ह एक बार उसकी आवाज सन ली तो तम सब

जगह उस पहचान सकोग एक बार उसकी छचव आख म आ गई तो दफर तम कही भी चक न सकोग दफर

कोरल म ही नही कौए की काव-काव म भी सदर फल म ही नही काि म भी उसकी ही छचव ह जीवन म ही

नही मतर म भी उसका ही नतर ह और सख म ही नही दख म भी उसकी ही छारा ह उसका ही साि ह मन

चाचहए शात शनर उसकी आवाज सननी ह तो धरान की अवसिा साधनी होगी

धरान का इतना ही अिा होता हः अपन को खाली करना धरान परािाना की तरारी ह धरान पजा का

आरोजन ह धरान का अिा हः चनमाल चचतत धरान का अिा हः शात सदयसनात अभी-अभी नहारा हआ ताजा

जस सबह की ओस एक सवर नही एक तरग नही अपना एक भी शबद नही--चनःशबद-- ततकषण उसकी आवाज

सनाई पड़न लगगी

फल हए पात हए गध हए हम

119

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

एक वकष चीहा-सा

राद बना

पाकर

हम आए दर बहत

एक दह

गाकर

अधरो क छए अनबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

िर-िर बासरी

बजाई र

उस पार

गाव घर मडर जग

मह धोए

चभनसार

नीदो क चलए परचतबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

चोच माजती चचचड़रा

मन म

चबजली-अषाढ़

चतनक-सा अपनापन

अपनी रह

नदी बाढ़

मह क चलख नर चनबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

परमातमा स हमारा सबध तो परिम स ह अभी भी ह अत तक होगा परमातमा स हम चवचचछनन नही

हए ह चसफा चवसमत हआ ह परमातमा हम और हम परमातमा को चवसमत नही हए ह रही तो आशा ह रही

तो आशवासन ह हम भल गए हो उस वह हम नही भला ह

फल हए पात हए गध हए हम

हम बहत रप ल चलए ह

फल हए पात हए गध हए हम

120

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

लदकन सबस पहल परिम म हम उसस ही जड़ ि--सारी ऋतओ क पहल और अभी भी हम उसस ही

जड़ ह फल हो गए हो पात हो गए हो लदकन जड़ तो हमारी अभी-भी भचम म उसकी ही गड़ी ह जीवन तो

हम उसी स पात ह दकतना ही बड़ा वकष हो जाए भचम का ही अग ह भचम का ही चवसतार ह और दकतन ही

हम कही भी चल जाए हम उसक ही हाि ह चजस ददन जागग उस ददन चदकत होकर पाएग दक न तो सबध

कभी ििा िा न िि सकता िा बीच म चवसमत हआ िा जस नीद आ गई िी और एक सपना दखा िा और

सपन क कारण जो िा चवसमत हो गरा िा जो नही िा अपना मालम होन लगा िा इसचलए जञाचनरो न

जगत को मारा कहा--एक सपना--चजसम जो अपना नही ह अपना मालम होन लगता ह और जो अपना ह

उसकी चवसमचत हो जाती ह उसकी राद खो जाती ह

इस दह स हमन अपन को जोड़ चलरा ह इस दह क नात-ररशतो स हमन अपन को जोड़ चलरा ह

तन मददर-सा मन मगछाला

वरन हई म चबन वरमाला

आख खली दखा सब भिक

कषदर दह क अधकार म

राग नही जागरत हो पारा

कि फस गरा रतनहार म

बधन की इस महाराचतर म

ढढ रही ह मि उजाला

ताल-भग सवर-सी चनवााचसत

हई कला की दकानो स

कीरता चशखर पर होती कस

दर रही म पहचानो स

सहम गई जब दखा मन

कस दकसन दकस उछाला

सख-दख की छीना िपिी म

आधी सोई आधी जागी

मचलन हआ जब भी रातरापि

अशर-कणो म आग लगा दी

मोह-भग तो हआ उसी ददन

चजस ददन पाव महावर डाला

तन मददर-सा मन मगछाला

वरन हई म चबन वरमाला

आख खली दखा सब भिक

कषदर दह क अधकार म

121

राग नही जागरत हो पारा

कि फस गरा रतनहार म

बधन की इस महाराचतर म

ढढ रही ह मि उजाला

एक नीद ह एक नीद का अधरा ह अधरा और कही भी नही ह सारा अचसततव रोशनी स भरा ह चसफा

अधरा ह तो हमारी आख बद ह नीद ह उसक कारण ह तमहार कान बहत शोरगल स भर ह बाजार क वयिा

क दसरो क शबदो न तमहार कानो को अवरदध कर ददरा ह इसचलए भीतर जो वीणा बज रही ह--अहरनाश बज

रही ह--सनाई नही पड़ती ह चप होओ मौन बिो कछ और करना नही ह घड़ी दो घड़ी को ऐस हो जाना ह

जस नही हो ससार क चलए मतवत अपन म डब

शर-शर अड़चन होगी आदत परानी हो गई ह चवचार की चवचारो का ताता लग जाएगा--आख बद

करोग और भी बाजार क चवसतार खड़ हो जाएग मौन बिना चाहोग चवचारो की भीड़ आकरमण कर दगी

लड़ना मत िगड़ना मत दखत रहना साकषी बनना आए चवचार आन दना आएग चल भी जाएग दर खड़

रहना--अचलपत जस कोई राह क दकनार खड़ होकर राह पर चलत हए लोगो को दखता ह न कछ लना ह न

कछ दना ह न कोई अपना न कोई परारा सदर चनकल तो िीक असदर चनकल तो िीक साध तो िीक

असाध तो िीक अचछा-बरा चवचार कछ भी चनकल चनणार मत करना अचछा भी मत कहना बरा भी मत

कहना चनणाारक मत बनना चनणाारक बन दक उलि दक राग बना दक आसचि बनी दक एक चवचार को

पकड़ा और दसर को हिारा बर को हिान म लग गए तो उलि गए अचछ को पकड़न म लग गए तो उलि

गए न तो कछ रकता ह न कछ हिारा जा सकता ह तम चसफा जाग कर बि रहना जस दपाण हो जो ददखाई

पड़ता ह दपाण को दख लता ह चजसकी छारा पड़ती ह पड़ जाती ह दफर छारा चमि जाती ह दपाण खाली

का खाली ऐस ही तम भीतर बि रहना बि रहना अगर िोड़ा भी धरा ह तो धरान फल जाएगा धरा स

फलता ह धरान कोई और परदकररा नही ह वसततः

एक महीना दो महीना तीन महीना छह महीना अगर तम चसफा बित ही रहो इतना सा धीरज हो दक

एक घिा बित ही रहग आएग चवचार तो आन दग नही लड़ग बि रहग और जलदी भी न करग दक तीन ददन

बित हो गए अब तक कछ नही हआ अब करा सार ह अब बिना बद कर अगर तम एक वषा भी चहममत रख

लो तो दकसी न दकसी ददन उसकी पकार सनाई पड़ जाएगी आज सनाई पड़ सकती ह कल सनाई पड़ सकती

ह परसो--कहा नही जा सकता कब करोदक परतरक वयचि की अनत-अनत जीवन की अनत-अनत रातरापिो

की अलग-अलग ससकार की दह बनी ह चभनन भी हो एक-दसर स अलग-अलग हो दकसी को आज हो सकता

ह दकसी को कल दकसी को परसो लदकन मर अनभव म ऐसा ह दक नौ महीन और बारह महीन अचधक स

अचधक अगर कोई धरा स बिता रह जलदबाजी न कर फल की आकाकषा और आतरता न कर तो एक ददन

घिना घि जाती ह और चजस ददन घिती ह उस ददन तम चदकत होओग सबस बड़ा चदकत होना तो रही ह

दक चजस हम खोजत ि उस कभी खोरा नही िा चजस हम पान चल ि वह हमार भीतर चवराजमान िा

चजस वीणा को हम सनना चाहत ि बज ही रही िी चजस ददए को हम जलाना चाहत ि जल ही रहा िा

दसरा परशनः सतरबोध और आतमानभचत हत साधना स कारा-कारण-सबध नही बनता दफर पदधचतबदध

साधन-धरान करन की करा आवशरकता ह

122

हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर बस जो भाए दकरा जाए और जसा भी हो जीवन वसा

जी चलरा जाए तो धरान-साधन करो आवशरक ह कपरा चवशलषण कर अनगहीत कर

सीताराम मान कर नही होगा जान कर होगा मानोग तो िि ही रहगी बात मानन का मतलब ही िि

होता ह मन कहा तमन मान चलरा मन कहा तम परमातमा ही हो और तमन मान चलरा तमहार चलए तो

रह िि ही ह रह तो बचनराद स ही तमन िि रख ददरा मन कहा इसचलए मान चलरा रा दकसी और न

कहा इसचलए मान चलरा दक वद म चलखा ह दक करान कहता ह इसचलए मान चलरा लदकन मानना तो

उधार होगा उधार रानी िि सतर की रातरा उधार पजी स नही की जा सकती जानन स करनी होगी

मन सना ह मलला नसरददीन फास की रातरा पर गरा फासीसी भाषा उस आती नही ह दकसी फासीसी

चमतर न उस अपन घर आमचतरत दकरा ह कछ और चमतरो को भी बलारा भोजन क बाद गपशप हई एक सजजन

न एक फासीसी चिकला कहा सार फासीसी सन कर जोर स हसन लग मलला भी चखलचखला कर हसा ऐसा

दक सब को मात कर ददरा एकदम लोिन ही पोिन लगा उसकी हसी उसका लोिना-पोिना दख कर उन सब

की हसी तो खो ही गई व एकदम सकत म आ गए उनहोन पछा दक करा आप हमारी भाषा समित ह मलला

न कहा भाषा नही समिता लदकन आप म मि चवशवास ह बात जरर कछ हसी की ही रही होगी म आप पर

भरोसा करता ह म आचसतक आदमी ह म सदा दसरो पर भरोसा करता रहा ह जब आप सब हस रह ह तो

बात हसी की रही ही होगी अब उसम और मि जानन की जररत करा ह

पर भद तमह समि म आता ह एक बात को समि कर तम हस हो और एक बात को मान कर दक होगी

ही हसन की इसचलए हस इसम भद तमह समि म आता ह जमीन-आसमान का अतर हो गरा रह तो हसी

ििी रही चाह दकतना ही लोिो-पोिो चाह दकतन ही जोर स चखलचखलाओ लदकन तमहार हदर स रह नही

उिी नही उि रही ह नही उि सकती ह

तम कहत होः हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर

मगर रह मानना तो िि होगा और तमह बार-बार राद आती रहगी दक पता नही तम जो बात मान

कर चल पड़ हो वह िीक भी ह कौन जान तमहार पर डगमगात रहग

जान लो दफर जीवन का मजा और ह दफर िीक कह रह हो तम दफर ऐसा ही होता ह एक बार जान

चलरा दक परमातमा भीतर चवराजमान ह दफर कछ करन को बचा करा दफर तो जीओ दफर तम नही जीत

वही जीता ह दफर न कछ बरा ह न कछ भला ह दफर बरा-भला कस हो सकता ह करोदक परमातमा जो

चजए वही िीक ह वही शभ ह

रही साध और सत शबद का भद ह

साध का अिा होता हः जो सोच-सोच कर चवचार कर-कर क करा िीक ह उसको जीए और सत का

अिा होता ह चजसन सब परमातमा पर छोड़ ददरा अब परमातमा जसा जीता ह वही िीक ह साध जो िीक ह

वसा सोचकर जीवन आचरण करता ह उसका एक चररतर होता ह चररतर का एक अनशासन होता ह उसकी

एक मराादा होती ह सत सोच कर जीता ही नही दक करा िीक ह करा गलत ह उसन तो सब छोड़ ही ददरा

सत तो बचा ही नही अब तो परमातमा ही उसस जीता ह इसचलए जो भी जीता होगा िीक ही जीता ह अब

बर होन का कोई उपार ही नही रहा

123

सत का कोई आचरण नही होता साध का आचरण होता ह और इसीचलए अकसर ऐसा हो जाता ह दक

साध को तो पजा चमल जाती ह सत स तम चक जात हो करोदक आचरण तमह ददखाई नही पड़ता ह आचरण

तमह समि म आता ह सरलता स तमहार गचणत म और साध क गचणत म भद नही ह तम भी जानत हो सोच-

सोच कर दक करा िीक ह और वही साध जी रहा ह तम सहज ही साध क चरणो म िक जात हो सत अड़चन

डाल दता ह सत तमहारी मराादा क बाहर होता ह अमरााद होता ह

जीसस को चजन लोगो न सली दी व कोई बर लोग नही ि साध लोग ि साधओ न सदा सतो को सली

द दी ह--रह राद रखना करोदक चजनहोन सली दी तम रह मत सोचना दक बर लोग ि हतरार ि पापी ि

नही भल लोग ि अचछ लोग ि चजनका तम भी आदर करत वस लोग ि आचरणवान ि मराादाबदध ि

और जीसस मराादामि ि रही अड़चन िी जीसस की कोई मराादा न िी कोई सीमा न िी जीसस कहत ि

म और परमातमा एक इसचलए जो वह करवाए वही िीक जसा करवाए वसा ही िीक म कौन ह चनणाारक

म ह ही नही बीच म कोई म तो बास की पोली पोगरी वह जो गाए गीत उसका अचछा तो उसका बरा तो

उसका म उसस ऊपर अपन को कस रख

रही भद राम और कषण म ह

राम मराादा परषोततम ह व साधता की पराकाषठा ह कषण सततव की पराकाषठा ह व अमरााद ह असीम

ह इसचलए हमन राम को आचशक अवतार कहा कषण को पणाावतार कहा सत म परमातमा परा उतरता ह

साध म बस िलक मातर ह अश मातर साध म एक चषटा ह चनरम वयवसिा चवचध-चवधान ह साध को सदा

सममान चमल जाता ह राम कही भी हो तो सममान चमल जाएगा कषण को कही भी अड़चन होगी कषण को

होन ही वाली ह अड़चन करोदक कषण का जीवन बबि मालम पड़गा

कषण न अजान को भी रही कहा ह दक त भी सब फल उस पर ही छोड़ द और जो वह करवाए सो कर त

फल की आकाकषा न कर

साध तो फलाकाकषी होता ह वह तो पर वि फल का ही चवचार करता ह दक ऐसा करगा तो ऐसा

होगा ऐसा करगा तो ऐसा होगा ऐसा दकरा तो सवगा और ऐसा दकरा तो नरक

ऐसा दकरा तो पणर और ऐसा दकरा तो पाप साध तो हचता ही करता रहता ह इसी की कषण तो जो

चशकषा द रह ह वह साधता की नही ह साध को तो लगगा असाधता की ह

इसचलए जचनरो न जो दक साधता की पराकाषठा ह कषण को नरक म डाल ददरा ह उनक शासतरो म

कषण नरक म पड़ ह छोि-मोि नरक म नही सातव नरक म पड़ ह वह साध का विवय ह सत क परचत करो

नरक म पड़ ह करोदक कषण का जीवन चररतरहीन मालम होता ह कोई चनरम नही ह सब तरफ स

चनरममि ह सवचछद ह अराजक ह

तम खराल रखना साध और सत क बीच बड़ी खाई ह उसस भी बड़ी चजतनी असाध और साध क बीच

ह असाध-साध क बीच बड़ी खाई नही ह उनकी तका सरणी एक ह उनक सोचन का गचणत एक ह असाध

बरा-बरा सोच कर कर रहा ह दक रह-रह बरा ह रह-रह करना ह और साध सोच-सोचकर अचछा-अचछा कर

रहा ह मगर दोनो सोच कर जी रह ह दोनो वयवसिा बाधकर जी रह ह दोनो अपन चारो तरफ एक सीमा

बाध चलए ह अपनी पररभाषा बना चलए ह सत दोनो स मि ह न साध ह न असाध ह दवदवातीत ह न पाप

ह न पणर ह वहा न अचछा ह न बरा ह वहा वहा कोई लकषर ही न रहा वहा परमातमा को परी छि ह

परमातमा को बहन की परी वयवसिा ह साध नहर जसा होता ह सत नदी जसा

124

नहर और नदी म फका खराल रख लना

नहर सीचमत होती ह जब चाहो तब चलाओ जसा चाहो वसा चलाओ चजतना पानी लाना हो लाओ

न लाना हो न लाओ नहरो म बाढ़ नही आती

और नहरो का रासता बधा हआ होता ह जस रलगाचड़रा पिरररो पर डोलती ह लोह की ऐसा साध भी

पिरररो पर दौड़ता ह आचरण की लदकन सत मि सररत-परवाह ह लदकन वह मि सररत-परवाह शरदधा पर

खड़ा नही हो सकता मानन पर खड़ा नही हो सकता जानन पर ही खड़ा हो सकता ह उतनी जोचखम चसफा

मानकर कौन लगा

तो सीताराम तमहारा परशन अिापणा ह तम कहत होः हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर

बस जो भाए दकरा जाए

मान कर करोग तो कभी तचपत नही होगी बीच-बीच सदह उित रहग दक जो म कर रहा ह िीक कर रहा

ह रह जो म कर रहा ह परमातमा की मजी ह रह जो म कर रहा ह सच म परमातमा ऐसा चाहगा रह तो

म अपनी ही मजी कर रहा ह परमातमा क नाम स रह म दकसको धोखा द रहा ह रह तो मन बड़ी तरकीब

चनकाल ली करता ह अपन मन की कहता ह दक परमातमा करवा रहा ह मानन वाला आदमी मि नही हो

सकता जीवन म बधा रहगा

और तमहारी दसरी बात भी सोचनीर ह तमन कहा सतरबोध और आतमानभचत हत साधना स कारा-

कारण-सबध नही बनता दफर पदधचतबदध साधन-धरान करन की करा आवशरकता ह चनचित ही कोई कारा-

कारण-सबध नही ह तमहारी साधना म और सतर क अनभव म लदकन तमहार जीवन को मानरता स मि

करन म पदधचतबदध धरान और साधन का बड़ा उपरोग ह सतर को तमहार पास लान म कोई उपरोग नही ह

लदकन असतर को तमस दर करन म उपरोग ह

तम ऐसा ही समिो जस औषचध आरवद का बचनरादी चसदधात ह दक औषचध क दवारा हम दकसी को

सवासरथर नही द सकत औषचध म और सवासरथर म कोई कारा-कारण का सबध नही ह लदकन औषचध स हम

बीमारी दर कर सकत ह और बीमारी दर हो जाए तो सवासरथर क जनमन म सचवधा होती ह सवासरथर तो

परमातमा दता ह कोई वदय नही द सकता नही तो आदमी मर ही नही वदय तो चसफा बीमारी दर कर सकता

ह ऐसा ही समिो दक एक िरना ह उसक रासत म एक चटटान पड़ी ह हम चटटान अलग कर सकत ह चटटान

अलग करन स िरना पदा नही होता कोई कारा-कारण का सबध नही ह दक चटटान अलग की तो िरना पदा हो

गरा चटटान अलग करन स िरन पदा होन का करा लना-दना कोई सबध नही ह लदकन चटटान क अलग

करन स िरना बह उिता ह चटटान रहती अड़ी बीच म तो िरना रहता भी मगर बहता नही पता ही न

चलता दकसी को

तम जब कआ खोदत हो तो करा तम सोचत हो तमहार खोदन स जमीन म पानी आ जाता ह पानी तो

ह ही तमहार खोदन स पानी क पदा होन का कोई कारा-कारण-सबध नही ह लदकन तमहार खोदन स बीच का

अवरोध हि जाता ह चमटटी-पतिर कड़ा-करकि बीच स हि जाता ह पानी उपलबध हो जाता ह तमहार और

पानी क बीच म जो बाधा िी वह हि जाती ह औषचध बीमारी को हिा दती ह और बीमारी क हित ही

सवासरथर सवभावतः चखल उिता ह सवासरथर का अिा ही रही होता ह

हमारा शबद बड़ा अदभत ह

125

सवासरथर का अिा होता हः जो सवर स पदा हो जो सव स जनम कोई बाहर स ला नही सकता सवर की

ऊजाा ह सवसफता ह सवासरथर तो तमहारा सवभाव ह बीमारी परभाव ह बीमारी बाहर स आती ह इसचलए

बाहर की दवाई उस दर भी कर सकती ह जो बाहर स आती ह वह बाहर स ही दर की जाएगी और सवासरथर

तो भीतर स उिता ह बाहर स डाला नही जा सकता सवासरथर क इजकशन कही चमलत ह दक गए डाकिर क

पास दक जरा लगा दो सवासरथर का एक इजकशन हा बीमारी को दर करन क इजकशन होत ह बीमारी को

कािन क इजकशन होत ह चचदकतसाशासतर सवासरथर नही दता ह कवल बीमारी को छीन लता ह बीमारी क

हित ही तमहारी जो जीवनऊजाा ह अवरदध नही रह जाती परवाचहत हो उिती ह

ऐसा ही धरान ह धरान स सतर नही चमलता सतर तो चमला ही हआ ह इसचलए धरान स कोई कारा-

कारण का सबध नही ह धरान बीज नही ह सतर का दक धरान का बीज बोओग तो सतर की फसल कािोग

धरान तो चसफा तमहार भीतर जो चवचारो का वयिा ऊहापोह ह कड़ा-करकि ह उसको काि जाएगा धरान

चसफा औषचध ह और इसीचलए जब धरान पररपणा हो जाता ह तो धरान भी छोड़ दना पड़ता ह करोदक जब

सवासरथर आ गरा दफर औषचध लना खतरनाक ह दफर रह मत सोचना दक इस औषचध स इतना लाभ हआ

अब इसको कस छोड़ हो गए सवसि वह िीक लदकन हए तो इसी औषचध क दवारा तो औषचध को तो लना

जारी रखग तो औषचध दफर बीमारी बन जाएगी वही औषचध जो बीमार क चलए सहरोगी ह सवसि क चलए

घातक हो जाएगी

इसचलए परम अवसिा जब आती जब बीमारी कि गई चवचार कि गए धरान का काम परा हो गरा

दफर धरान भी छि जाता ह जस एक कािा गड़ा ह दसर काि स चनकाल लत ह दफर दोनो कािो को फक दत

ह चवचार का कािा गड़ा ह धरान क काि स चनकाल चलरा दफर दोनो काि फक ददए

तम रह मत सोचना दक बदध जब जञान को उपलबध हो गए तब भी धरान करत ह दफर करो धरान

करग दफर दकसचलए धरान करग इसचलए बदध न कहा हः धमा नाव जसा ह उस पार पहच गए दफर नाव

छोड़ दना दफर चसर पर ढोए हए मत चलना नही तो लोग मढ़ कहग इसचलए जो धमा को उपलबध हो जाता

ह उसस धमा छि जाता ह

र बात तमह चौकान वाली मालम पड़गी

धमा को उपलबध होत ही धमा छि जाता ह दफर कोई जररत न रह गई

चनरमबदध पदधचतबदध साधन की परदकरराए--धरान की रोग की--मलरवान ह मलरवान ह करोदक तम

बीमार हो मलरवान ह करोदक तम चवचार स गरसत हो तमहार चवचार को काि दगी चवचार क कित ही

तमहार भीतर का सतर आचवभात हो जाएगा

लदकन रह बात मान कर नही चलनी ह

तम सोचत हो धरान की करा जररत तमन मरी बात सनी तमहारा चचतत परसनन हआ होगा दक चलो

ििि चमिी तो धरान म और सतर म कोई कारा-कारण का सबध नही ह चलो रह एक ििि तो किी धरान

करन स बच सीताराम इतनी आसानी स न बचोग अब तमन सोचा इतनी सी ही बात मान ल दक हम

परमातमा ही ह दफर सब िीक ह कछ भी िीक न होगा सीताराम बस जस तम सीताराम हो ऐस ही

सीताराम रहोग न राम चमलग न सीता चमलगी कछ न चमलगा मान लोग मानन क चलए तो रह नाम तमह

द ददरा ह--सीताराम इसका मतलब दक परमातमा ही हो तम

126

परान ददनो म सार नाम ही परमातमा क ददए जात ि सभी नाम परमातमा क ि हर आदमी को हम

परमातमा का नाम दत ि--सकत क रप म दकसी को राम दकसी को कषण दकसी को हरर दकसी को हररहर

दकसी को कछ हहदओ क मसलमानो क सार नाम परमातमा क ह रहीम रहमान--सब नाम परमातमा क ह

परान ददनो म रह परदकररा जान कर अचखतरार की गई िी र मा-बाप रह कह रह ि दक तमह हम राद

ददला रह ह दक तम भी परमातमा हो मगर इसस होता करा ह सभी क नाम परमातमा क ह कोई चवषण ह

कोई राम ह कोई कषण ह मगर इसस होता करा ह नाम ही रह जाता ह मानरता ही रह गई रहत तो तम

वही हो जो तम हो तमहारी सारी बीमारररा वही की वही कछ अतर नही पड़ता जरादा-स-जरादा रामलीला

क राम बन गए और करा होगा रामलीला क राम स कछ नही हल होता धोख क राम हो गए िि राम हो

गए--अचभनता हो गए लदकन भीतर तो तम जानत ही रहोग दक तम नही हो रह तम नही हो

मानन स नही होगा मानना तो अनमान ह अनमान स सतर उपलबध नही होता

मन सना ह एक नामी चशकारी क पोत न दीवाल पर उलि िग हए एक साभर क चसर की ओर इशारा

करक अपन ननह सहपारिरो को बतारा दादा जी न इस तब मारा िा जब रह शीषाासन कर रहा िा अनमान

लगारा बि न दक जरर जब शीषाासन कर रहा होगा साभर तब मारा होगा तभी तो चसर उलिा लिका ह

तमहार सार अनमान ऐस ही ह तमहार ईशवर क सबध म लगाए गए अनमानो का कोई मलर नही ह

अनमान नही बोध चाचहए साकषातकार चाचहए--सवर का चनज का उस चनज क बोध क चलए मागा म चजतनी

बाधाए ह हिानी पड़गी

और दफर दोहरा द तमहार करन स और उसक चमलन का कोई कारा-कारण-सबध नही ह

तीसरा परशनः भगवान परवचन स पहल जब जगजीवन क पदो का पाि दकरा गरा तो मरा ददल अकसमात

भर आरा आख डबडबा आई और पदो का पाि चलता रहा तब तक मर आस आप ही आप बहत रह पाि की

समाचपत हई तो आस बद हए म इन पदो का मतलब भगवान शरी क परवचन क बाद समिा

ऐसा करो हआ

डा समरहसह एक समि बचदध की ह एक समि हदर की हदर बचदध क बहत पहल समि लता ह

हदर शबदो को नही समिता भावो को समि लता ह हदर भाषा को नही समिता लदकन भाषा स भी कछ

गहरा होता ह तो पकड़ लता ह और ऐस ही र पद ह रही तो भद ह साधारण कचवरो और ऋचषरो का

साधारण कचवरो की कचवता म चसफा शबद ही होत ह शबदो का ही जमाव होता ह--सदर जमाव परारा जमाव

मातरा छद वयाकरण सब दचषटरो स पणा होता ह बस एक बात की कमी होती ह--पराण नही होत ऋचष का

अिा होता ह चजसकी वाणी म आतमानभव भी उडला हआ ह दफर रह भी हो सकता ह शारद मातरा और छद

पर न हो वयाकरण भी िीक न हो--कबीर को कोई बहत वयाकरण आती भी नही कहा ही ह दक मचस कागद

छरौ नही कभी कागज और सराही तो छई नही--तो इसचलए कछ भाषा का तो जमाव नही होगा और अगर

भाषा म कोई जमाव ह तो वह भाषा का नही ह भाव क जमाव की ही छारा ह भाव जम गए ह

तो जब कभी दकसी ऋचष की वाणी गजी तमहार पास और तम अगर उस समर गराहक चचतत की दशा म

होओ तो आख डबडबा आएगी आस िरन लगग और तम चौकोग भी चौकोग अिाात तमहारा चसर चौकगा

127

चौकोग अिाात तमहारी बचदध चौकगी दक रह करा हो रहा ह करो हो रहा ह करो म रो रहा ह तमह िोड़ा

लगगा दक कछ चवचकषपत हए जा रह हो रह कसी दीवानगी

इसचलए सतसग की बड़ी मचहमा ह सतसग का इतना ही अिा हः जहा ऐस लोग बि हो दक तम रोओ

अगर तो कोई रह न समि दक तम पागल हो गए हो जहा तम रोओ तो लोग तमहार रोन को सममान द जहा

तमहारी आखो स आस चगरन लग तो पास बि लोगो को ईषराा हो आदर हो तमहार आसओ का मलर हो हनदा

न हो सतसग का अिा होता हः जहा सभी चपरककड़ इकटठ हो जहा भाव की भाषा समिी जाती हो भाषा क ही

भाव नही भाव की भाषा समिी जाती हो और जहा भाव को समादर ददरा जाता हो

तम खल मन स बि ि जो भी रहा मर पास आए ह अगर सच म मर पास आना चाहत ह तो एक ही

उपार ह दक खल मन स बि तम खल मन स बि ि तमहार हदर क दवार खल ि तमन कोई सरकषा न की िी

तमन दरवाज-ताल न लगाए ि तमन पहरदार न चबिा रख ि तमन तका को हिा ददरा िा एक तरफ तम

चनमाल चचतत सतसग क चलए आतर ि पकड़ गई तरग तमह बचदध समि इसक पहल हदर समि गरा बचदध

समि इसक पहल हदर भीग गरा और हदर का भीगना ही असली ह

दफर बाद म जब मन तमह अिा समिाए तब तमह अिा समि म आए सच तो रह ह अगर तमहारा

हदर न भीगा होता तो मन जो अिा समिाए व भी तमह समि म न आ सकत ि तमहारा हदर भीगा िा

इसचलए बचदध न अनसरण दकरा

इस बात को खब समि लो

अगर बचदध माचलक हो तो जीवन नरक हो जाता ह अगर हदर माचलक हो और बचदध उसकी अनचर

तो जीवन सवगा हो जाता ह बचदध बड़ी उपरोगी ह माचलक की तरह नही सवक की तरह बस इतना ही फका

ह कछ लोगो म बचदध माचलक हो गई ह और हदर सवक हो गरा ह र उनक दरदान ह रह दघािना हो गई रह

तम नाव पर सवार न रह नाव तम पर सवार हो गई रह तम घोड़ पर सवार न रह घोड़ा तम पर सवार हो

गरा

मन सना ह एक छोि बचच को उसका चपता रोज बगीच म घमान ल जाता िा और वहा चसकदर महान

की मरता िी--घोड़ पर बिा हआ चसकदर बचचा रोज उस मरता क पास जाकर चनचित खड़ा हो जाता िा और

बड़ा आनददत होता िा बाप भी परसनन िा दक चलो अचछा ह चसकदर महान क परचत इसक मन म इतना आदर

ह कछ बन कर रहगा कछ होकर रहगा पत क लकषण पालन म दफर गाव छोड़ना पड़ा बदली हो गई बाप

की तो बि न कहा दक एक बार चल कर चसकदर महान क दशान और कर आए बाप तो बहत आनददत हआ

उस लकर दफर बगीच गरा बि की आखो स आस चगरन लग--चवदाई का कषण बाप न पछाः त रोता ह तरा

इतना परम ह चसकदर महान स उसन कहा हा मि बहत परम ह चसफा एक सवाल मि पछना ह दक चसकदर

महान पर चढ़ा हआ कौन बिा ह

उसको तो घोड़ स लगाव िा

करोदक मन कभी आपस पछा नही मगर अब जान का ददन आ गरा तो म रह पछना चाहता ह चसकदर

महान तो गजब का ह मगर इसक ऊपर चढ़ा कौन बिा ह इसको कोई उतारता करो नही आचखर चसकदर

महान भी िक जाता होगा

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बचच की अलग दचनरा ह उसक चलए चसकदर महान म दो कौड़ी का मलर ह घोड़ म जान ह बचच की

नजर घोड़ पर ह बाप को तो घोड़ा कभी शारद ददखाई भी न पड़ा हो वह चसकदर महान को जो दख रहा ह

उसको घोड़ा कहा ददखाई पड़

जीवन म दघािना हो गई तमहार अगर तमहारी बचदध तम पर सवार हो गई रही पचडत का दभाागर ह

पापी भी पहच जात ह परमातमा तक पचडत पहचत ह ऐसा कभी सना नही हदर सवार हो तो बचदध बड़ी

सदर बड़ी उपरोगी बड़ी बहमलर ह

ऐसा ही हआ डाकिर समरहसह भाव पहल नाच उिा तरग पहल तमहार हदर म चली गई गीत

तमहार पराणो म गज गरा तम गील हो गए तम भीग गए नहा गए और तभी तम मन जो अिा समिारा वह

समि पाए करोदक भाव अब तरार िा अब अिा बड़ अचभवयजक हो जाएग

इसचलए रहा तो मि सनन वाल लोग ह दो तरह क लोग ह व जो पहल भाव को चभगात ह वही

चशषरतव का अिा ह भाव भीग जाए तो तम चशषर हो गए अगर भाव न भीग चसफा बचदध स समिो तो तम

चवदयािी हो चशषर नही मिस लोग आकर पछत ह पतर चलखत ह दक हम नर-नर आए ह हम आग बिन

ददरा जाए जो लोग सदा आग बित ह व अगर पीछ बि तो कछ हजाा ह हम नर आए ह हम बड़ दर स आए

ह हम तो िोड़ ददन क चलए आए ह जो अतवासी ह आशरम क व तो सदा ही सामन बित ह हम करो न

सामन बिन ददरा जाए तम अभी चवदयािी हो तमह पीछ भी बिन ददरा जाता ह तो तम अनगरह मानो

सामन तो म उनही को चबिालता ह चजनक भाव भीगत ह

इसचलए तमह रह भी चमतकार ददखाई पड़गा दक बहत लोग जस म अभी हहदी म बोल रहा ह बहत स

लोग आग बि ह जो हहदी जानत ही नही मगर उसकी कोई हचता नही ह उनक भाव भीग ह हहदी न जानत

हो मि जानत ह और वह जानना जरादा मलरवान ह भाषा म करा रखा ह िोड़ी दर शबद मन म गजत

रहग और चवलीन हो जाएग मगर अगर हदर आदोचलत हआ अगर हदर पर छाप पड़ी करा मन कहा ह

इसका सवाल नही ह बड़ा कहा स कहा ह इसका सवाल ह बड़ा इसचलए जो सनरासी की तरह रहा सनता ह

उसकी उपलचबध बहत ह अनत गना ह और जो ऐस ही चजजञास की तरह सनता ह उसकी उपलचबध उतनी

नही ह तमह आग नही चबिारा जा सकता

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह कोई एकाध आदमी भी आग ऐसा बि जाता ह चजसका भाव नही भीगता

तो उसक कारण वयवधान पड़ता ह उसक कारण एक खाली जगह रह जाती ह एक ररि सिान रह जाता ह

और ररि सिान रहता तो भी बहतर िा उसकी मौजदगी उसकी तरग उसक आस-पास भी चवघन और बाधा

खड़ी करत ह

समरहसह तम सौभागरशाली हो दक तमहारा भाव भीगा पीछ तमह अिा समि म आरा पहल डबो

दफर समि पहल रग जाओ दफर समि पहल हदर म उतर जान दो बातो को दफर बचदध अपन आप चहसाब-

दकताब लगा लगी जो लोग कहत ह पहल हम बचदध स चहसाब-दकताब लगाएग और दफर हदर को डबाएग

उनका हदर कभी नही डबता ह करोदक बचदध का चहसाब-दकताब कभी परा नही होता कभी परा नही होता

बचदध कभी चनषकषा तक आती ही नही बचदध क पास चनषकषा होत ही नही बचदध चनषकषा लना जानती ही नही

बचदध चनषकषा ल ही नही सकती करोदक बचदध का सवभाव सदह ह हदर का सवभाव शरदधा ह बचदध सदह कर

सकती ह चवचार कर सकती ह चनषकषा नही ल सकती हदर चवचार नही कर सकता सदह नही कर सकता

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छलाग लता ह--और चनषकषा आ जाता ह र दोनो परदकरराए बड़ी चभनन ह इसचलए बचदधमान का और भावक का

वाताालाप भी नही हो सकता वाताालाप म ही दचवधा हो जाती ह चववाद हो जाता ह उपार ही नही ह

अचछा हआ जब भाव स इतनी मसती आई तो मि समि भी सक और अब भाव और समि दोनो क

चमलन स समचदध खब बढ़गी

न ताब-मसती न होश-हसती दक शकर-न मत अदा करग

चखजा म जब ह र अपना आलम बहार आई तो करा करग

न ताब-मसती न होश-हसती होश भी नही ह अपना दक शकरन मत अदा करग दक तर अनत-

अनत परसादो का धनरवाद भी द सक परमातमा कोई उपार नही ह होश ही नही ह और जब पतिड़ म रह

हालत ह चखजा म जब ह र अपना आलम बहार आई तो करा करग जब भाव स ही इतना हो गरा आस

बह तो जब समि भी आ जाएगी समि और भाव दोनो चमलग जब हदर और बचदध का मल होता ह तो तम

समराि हो जात हो उसी मल का नाम समराि हो जाना ह दफर तमहार पास कछ भी न हो कोई दफकर नही

लदकन तम समराि हो

बचदध और हदर चजसका मल खा जाता ह समनवर हो जाता ह जीवन का सबस बड़ा दवदव समापत हआ

आ गई बहार वसत आ गरा अब फल ही फल ह अब गीत ही गीत ह

रह जो घिा ह आज रह रोज-रोज घिता रह इसकी परािाना करना रह जो घिा ह इसक चलए

धनरवाद दना परभ को अनारास घिा ह आज ऐसा न हो दक तम आग चको जो आज अनारास घिा ह इस

धीर-धीर राह दना तादक जोर स घि और-और घि धीर-धीर रह तमहारा सवभाव बन जाए

और डरना मत रोन स बड़ा डर लगता ह करोदक सददरो स हम चसखारा गरा हः रोना मत आखो को

हमार पतिर बनान की कोचशश की गई ह और आख पतिर हो गई ह अनत-अनत लोगो की आस आत ही नही

आख सख गई ह वह हदर क सख जान का सबत ह और जब आखो म आस नही आत तो जीवन भी सख

जाएगा रसधार न बहगी और परमातमा तो रस ह परम-रस कहा जगजीवन न रसो व सः वह तो रसरप ह

तमहार भीतर रस बह तो ही उस परम रस स सबध हो सक

चखो इस रस को डबो इसम--सब लोकलाज छोड़ कहा जगजीवन न सब लोकलाज चमि जाती ह सब

मान-मराादा चमि जाती ह पागल होन की चहममत चाचहए तो ही कोई परमातमा को पान म सफल हो पाता ह

चौिा परशनः उि ऊपर रा मनहार कर

पता नही पाता ह

चजतना मटठी को कसता ह

दर चला जाता ह

करा कर परभ मागा दीचजए

चवशष मटठी को चजतना ही बाधोग उतना ही चकोग आकाश को मटठी म नही बाधा जा सकता आकाश

को पाना हो तो मटठी खली रखनी पड़ती ह खल हाि म तो आकाश होता ह बद हाि म समापत हो जाता ह

ससार और परमातमा क चनरम चवपरीत ह गचणत अलग-अलग ह ससार म मटठी खोलो दक गई सपदा

ससार म मटठी बाधकर रखनी पड़ती ह तो ही सपदा बच सकती ह करोदक रहा सपदा हः छीना-िपिी रहा

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सपदा तमहारी नही ह दकसी की नही ह रहा सपदा छीना-िपिी ह शोषण ह रहा तो मटठी बाध कर रखनी

होगी जोर स बाध कर रखनी होगी और तम मटठी भी बाध रहो तब भी दसर तमहारी मटठी खोलन की कोचशश

म लग रहत ह तम कसी पर बि गए दसर तमह कसी स धकका दन म लग रहत ह उनको भी वही बिना ह

उसी कसी पर बिना ह ससार की सपदा सीचमत ह इसचलए बड़ा सघषा ह तमहार पास ह तो मर पास नही हो

सकती मर पास ह तो तमहार पास नही हो सकती नरन ह ससार की सपदा इसचलए वहा तो परचतरोचगता

रहगी गलाघोि परचतरोचगता रहगी

लदकन परमातमा तो असीम ह मि परमातमा चमल जाए इसस तमहार चमलन म कोई बाधा नही पड़ती

दक तमह सब कस चमलगा करोदक मि चमल गरा ह दक तमह चमल गरा तो अब तमहार पड़ोसी को कस

चमलगा परमातमा असीम ह सच तो रह ह मि चमल गरा इसचलए तमह आसानी स चमल सकगा अगर

तमहार पड़ोसी को भी चमल गरा तो तमह और भी आसानी स चमल सकगा चजतन जरादा लोगो को चमल जाए

उतनी सचवधा तमहार भी चमलन की हो जाएगी बदध को चमला इसचलए तमहारा चछना नही बदध को चमला

इसचलए तमह राद ह दक हम भी खोजना ह अगर बदध को चमल सका तो हम भी चमल सकता ह रह आशवासन

पदा होता ह

तो परमातमा कोई नरन सपचतत नही ह इसचलए अिाशासतर का जो चनरम जगत म लाग होता ह वह

परमातमा म लाग नही होता उसस उलिी दशा ह वहा वहा मटठी बाधन की जररत नही ह करोदक परमातमा

ऐसा धन ह जो तमहारा ह ही मटठी बाधन की कोई जररत नही न उस कोई चरा सकता ह न कोई छीन

सकता ह कषण न कहा हः न उस शसतर छद सकत ह न आग उस जला सकती ह मतर भी उस सपदा का बाल

बाका न कर सकगी मटठी करो बाधनी ह मटठी बाधन म सासाररक भाचत काम कर रही ह परमातमा को

चतजोरी म बद करक िोड़ ही रखना ह ससार म दकसी चीज को बािो तो कम हो जाती ह परमातमा क जगत

म दकसी चीज को रोको तो कम हो जाती ह बािो तो बढ़ती ह जस परम चजतना बािो उतना बढ़ता ह इसचलए

परम परमातमा का सतर ह परमातमा चजस चमल जाता ह उस बािना ही होता ह वह चजतना बािता ह उतना

जरादा पाता ह

दफर मटठी बाधन की आकाकषा अहकार की आकाकषा ह मरा हो मटठी दकसकी ह मटठी रानी अहकार--

मरा हो परमातमा दकसी का नही हो सकता जब म-भाव चमिता ह तब परमातमा परकि होता ह

तो चवशष तम िीक कहत होः

उि ऊपर रा मनहार कर

पता नही पाता ह

न तो ऊपर उिन स चमलगा करोदक ऊपर उिन की आकाकषा भी अहकार की आकाकषा ह खराल करना

अहकार ऊपर उिना चाहता ह शरषठ होना चाहता ह अहकार महतवाकाकषी ह बड़ स बड़ पद पर होना चाहता

ह--और ऊपर और ऊपर ऊपर उिन स परमातमा नही चमलगा और जो लोग आकाश की तरफ दखत ह

परमातमा को खराल करक खराल रखना व अहकार की ही भाषा बोल रह ह--ऊपर परमातमा भीतर ह ऊपर

नही ऊपर उिन स नही चमलगा चल जाओ उित आकाश म नही चमलगा

लोग सोचत ि पहल दक कलाश पवात पर ह दफर आदमी कलाश पवात पर पहच गरा वहा नही पारा

दफर सोचन लग चाद पर ह अब आदमी चाद पर पहच गरा वहा भी नही पारा तमह मालम ह रस म उनहोन

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अतररकष रातराओ स आए हए पतिरो इतरादद का सगरहालर बनारा ह उस पर जो वचन खोदा ह सगरहालर पर

वह रही ह दक चाद पर भी खोज चलरा गरा ईशवर वहा भी नही ह

ररी गागाररन न चलखा ह जब वह अपन गाव पहचा तो एक बढ़ी सतरी होगी कोई अससी-पचचासी साल

की उसन उस पकड़ चलरा और कहाः गागाररन सच म त चाद पर होकर आरा ह परमातमा क दशान हए

गागाररन न कहा दक नही कोई परमातमा नही ह वह बढ़ी हसन लगी उसन कहाः त मि धोखा मत द रा तो

त चाद पर नही गरा और रा दफर मजाक कर रहा ह बढ़ आदचमरो स मजाक नही करना चाचहए सच-सच

बता ररी गागाररन न चलखा ह दक दो ही चवकलप ि रा तो म गरा ही नही ह चाद पर और अगर गरा ह तो

िि बोल रहा ह करोदक परमातमा चाद पर ह अब चाद पर आदमी पहच गरा परमातमा को वहा स भी

हिना पड़गा हि ही गरा अब रखो कही भी उसको वहा भी आदमी पहच जाएगा तम ऊपर-स-ऊपर रखत

हो और परमातमा तमहार भीतर ह भीतर-स-भीतर

ऊपर की खोज ऊपर उिन की खोज अहकार की खोज ह

उि ऊपर रा मनहार कर

और मनहार भी सतचत भी अहकार का ही उपार ह चलो िका जाता ह तमहार चरणो म चसर रख दता

ह दखो मरा तराग दखो मरी चवनमरता मरा िकना दखो मरा समपाण दखो रह भी अहकार की ही परदकररा

अहकार क दो ढग ह पहल िकान की कोचशश करता ह दसर को सार ससार म रह कोचशश चलती ह

दक िका लो दसर को दकसी तरह िका लो दसर को िकाना अहकार की भाषा ह दफर अहकार सोचता ह

परमातमा को तो िकारा नही जा सकता इसचलए हम िक जाए मगर भाषा वही की वही ह शीषाासन कर

रही ह वही भाषा लदकन वही की वही ह--हम िक जाए न तो परमातमा िकान स चमलता ह न िकन का

सवाल ह करोदक िकन म भी अहकार मौजद ह चमिन स चमलता ह िकन का सवाल ह करोदक िकन म भी

अहकार मौजद ह चमिन स चमलता ह िकन स नही चमिन स बाल भी नही बचना चाचहए तमहारा अहकार

का भाव भी नही बचना चाचहए रह भी अहकार का नरा पररवश ह दक दखो म िक गरा दखो म ना-कछ

ह रह भी दावा अहकार का ह रह बड़ा शभ दावा मालम होता ह रह साध का दावा ह दक दखो म चबलकल

ना-कछ तमहार पर की धल

तमन कभी दखा कोई आदमी कह दक म ना-कछ म आपक पर की धल और तम कह दो दक भई हम तो

पहल ही स मालम हम तो पहल ही स कहत ह दक तम हो ही पर की धल कछ भी नही वह आदमी तमह कभी

कषमा नही करगा कभी कषमा नही करगा उसका मतलब रह िोड़ ही िा दक तम मान ही लो दक म तमहार पर

की धल ह वह तो रह कह रहा िा दक दखो मि दचनरा अहकार स भरी ह एक म ह--चनर-अहकारी जरा

दखो मि दक तमहार जस दो कौड़ी क आदमी क पर की धल बता रहा ह अपन को जरा मरी गररमा समिो

और तमन कह ददरा दक भई तम नाहक महनत कर रह हो हम तो पता ही ह तम हो ही पर की धल

मन सना ह एक राजनता एक मनोवजञाचनक क पास गरा और कहा दक म हीनता की गरचि स पीचड़त ह

इफीररआररिी कापलकस स पीचड़त ह मनोवजञाचनक न चवशलषण दकरा महीन दो महीन चचदकतसा की सोच-

चवचार दकरा दफर एक ददन उसन कहा दक तम चबलकल चनहित हो जाओ तमह हचता का कारण नही ह

राजनता बड़ा परसनन हआ और उसन कहा दक करा छिकारा हो गरा मरा ििि स मनोवजञाचनक न कहा मि

गलत मत समिो सच बात रह ह दक सारी खोजबीन स रह पता चला दक तम हीनता की गरचि स पीचड़त नही

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हो तम हीन हो ही रह कोई बीमारी नही ह उसका कोई इलाज भी नही ह करोदक तम रह हो ही तम शदध

साकार हीनता हो और कछ भी नही

अब रह राजनता कषमा नही करगा इस मनोवजञाचनक को हीनता की गरचि स लोग पीचड़त होत ह व रह

कह रह ह दक हम हीन तो नही ह मगर रह हीनता की गरचि हम पर सवार ह इसस हम छिकारा ददला दो ह

तो हम बड़ शरषठ मगर हम रह भाचत सवार हो गई ह दक हम शरषठ नही ह रह बीमारी छीन लो हम हमारी

शरषठता वापस कर दो

नही ऊपर उिना मनहार करना इनस कछ भी न होगा पता तमह चमलगा नही और परमातमा का

कोई पता िोड़ ही ह और चजतन पत ददए गए ह कोई काम न आएग जानन वालो न कोई पता नही ददरा ह

जानन वालो न कहाः लापता ह बमकाम ह उसकी कोई जगह नही ह हा न जानन वालो न पता पछन वालो

का खब शोषण कर चलरा ह तो उनहोन बना ददरा काबा दक रहा ह खड़ी कर दी काशी दक रहा ह रह रहा

मददर चढ़ाओ अपनी पजा और अचाना रहा

वहा चसफा पचडत और पजारी बस ह

नानक काबा गए रात सोए तो बड़ी सनसनी फल गई करोदक वह काबा क पतिर की तरफ पर करक सो

गए सत ही ऐसा कर सकता ह रह कोई साध की चहममत नही ह साध तो चमत ह काबा क पतिर को अब

दखत हो मढ़ता मोहममद न कहा दक उसकी कोई परचतमा मत बनाना और काबा का पतिर चजतना चमा गरा

ह दचनरा का कोई पतिर नही चमा गरा रह परचतमा बन गई और करा परचतमा का अिा होता ह

लदकन नानक पर करक सो गए पजारी आए और व नानक स बहत नाराज हए और कहाः हमन तो

सना िा दक तम एक फकीर हो एक पहच हए सत हो रह करा मामला ह--रह करा वयवहार तमह इतनी भी

तमीज नही रह बदतमीजी ह दक तम पचवतर पतिर की ओर पर करक सो रह हो परमातमा का रह अपमान

ह तो नानक न कहाः मर पर उस ओर कर दो जहा परमातमा न हो म खद मचशकल म ह दक पर कर तो कर

कहा सोऊ तो न पर कहा कर तम पर कर दो मर जहा परमातमा न हो

बात तो इतनी ही ह लदकन कहानी चलखन वालो न िोड़ी और खीची ह वह खीचना भी सािाक ह वयिा

नही ह

पजारररो न कहत ह नानक क पर दसरी ददशा म करन की कोचशश की लदकन चजस ददशा म पर दकए

वही काबा का पतिर हि गरा ऐसा हआ हो ऐसा म नही मानता ऐसा हो सकता ह ऐसा भी नही म मानता

लदकन बात सािाक ह बात इतनी ही ह दक कही भी पर करो परमातमा तो वही ह काबा का पतिर हि दक न

हि सब तरफ वही चवराजमान ह उसका पता कस हो सकता ह पता उनका हो सकता ह चजनकी सीमा ह

हा तमहारा पता हो सकता ह उसका पता कस हो सकता ह

मन सना एक अजनबी बहत दर स दकसी का घर ढढ रहा िा मलला नसरददीन उस एक िाड़ क नीच

बिा चमल गरा तो उसन मलला स पछा दक बड़ चमरा र मनकाबाई कहा रहती ह मलला नसरददीन न कहा

व करा करती ह अजनबी न कहाः डासर ह नताकी ह मलला नसरददीन न कहाः उनकी बड़ी-बड़ी आख ह

अजनबी न उतसाह स कहा हा-हा वही मलला नसरददीन न कहा खबसरत ह और नाचभ क नीच साड़ी बाधती

ह अजनबी न खशी स कहा दक चबलकल िीक वही वही मलला नसरददीन न कहा लहरा कर चलती ह लब-

लब बाल ह और अजनबी न बचनी स कहा अर चमरा चबलकल िीक जलदी बताओ न कहा रहती ह मलला

नसरददीन न कहा मि करा पता

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अजनबी बहत ििलारा उसन कहा दक इतना कछ तमह मालम ह और रह पता नही दक कहा रहती ह

मलला नसरददीन न कहा जी नही सभी डासर ऐसी ही होती ह

परमातमा का करा पता हो सकता ह परमातमा कोई डासर तो नही परमातमा का कोई चहरा तो

नही कोई रग-रप तो नही परमातमा की कोई ददशा तो नही कोई सिान तो नही तो तम दकतन ही ऊपर

उड़ो और दकतनी ही मनहार करो तम पता नही पाओग और अकसर ऐसा हो जाता ह दक जब बहत खोज स

पता नही चमलता तो आदमी सोच लता ह--परमातमा होगा ही नही रह सबस बड़ा खतरा ह खोज का करोदक

खोजी जब िक जाता ह हताश हो जाता ह कब तक खीचता रह खोज को

रह दचनरा म जो इतन नाचसतक हए ह इन पर तम नाराज मत होना र भी खोजी ह र भी पता

खोजन चनकल ि और पता नही चमला आचखर एक सीमा होती ह धरा की कब तक मान चल जाए उसको

चजसका कोई पता नही चमलता एक घड़ी तो आदमी को तर करना पड़ता ह दक भाई होगा ही नही इतना

खोजा और नही चमलता तो अब हम कब तक अपना जीवन गवात रह कछ और भी तो करना ह

लदकन करिनाई रह नही ह दक परमातमा नही ह परमातमा तो ह तमहारी खोज की ददशा भात ह वह

बाहर नही ह वह ऊपर नही कलपना की उड़ानो स नही चमलगा और न ही तमहारी तिाकचित सतचतरो और

मनहार स चमलगा परमातमा की परशसा करन स परमातमा नही चमलगा जरा सोचो तो दक तम परशसा करक

करा उसको समिा पाओग परशसा तम उनकी करत हो चजनह अहकार म रस ह व परसनन हो जात ह दकसी

राजनता की तम परशसा करो वह खश हो जाता ह तो लाइसस इतरादद ददलवा दगा लड़क को नौकरी लगवा

दगा वह खश हो जाता ह करोदक चाहता ह दक कोई मर अहकार को बढ़ाए चार फल लगा द मर अहकार म

चार-चाद लगा द

लदकन परमातमा क तो सार चाद लग ही हए ह तम करा लगाओग सार चाद उसक ह सार तार उसक

ह सार फल उसक चलए चढ़ ही ह और सार गीत उसी की परािाना म उि रह ह सागर म उिती हई लहर उसी

क चरणो म समरपात ह आकाश म घमत तार उसी का पररभमण कर रह ह उसी की पररकरमा लगा रह ह

चहमालर क उततग चशखर उसकी ही सतचत म खड़ ह उसी का धरान कर रह ह नददरो का कलकल नाद

आराधना नही तो और करा ह रह सारा अचसततव सतचतमगन ह रह सारा अचसततव धरान म लीन ह छोि स

घास क चतनक स लकर महासरो तक उसकी ही तो पजा चल रही ह अहरनाश तम इसम करा जोड़ोग चवशष

तम करा चवशष इसम जोड़ सकोग तमहार शबद ततलात स ही होग बड़-बड़ जञाचनरो क भी शबद ततलाहि स

जरादा नही ह हम करा कहग हम कस उसका मनहार कर कस हम उस राजी कर हमारा सब कहा छोिा

पड़गा हमारा सब कहा वयिा होगा

चप हो जाओ कहना छोड़ो कलपना म उड़ना छोड़ो ऊपर मत खोजो उस बाहर मत खोजो उस इसस

तो उस कछ लाभ नही होगा वह कोई समराि तो नही ह दक सतचतरो स परसनन हो और न ही तमहार इनकार स

अपरसनन होता ह वह कोई वयचि तो नही ह दक तम उस चोि कर सको रा उसक पर दबा सको और उस परसनन

कर सको

चजतना मटठी को कसता ह

दर चला जाता ह

समिो इसस दक अब मटठी नही कसनी ह उस पान का ढग मटठी खोलना ह उस खोजन का ढग खोजना

नही ह सारी खोज छोड़ दना ह आख बद कर क भीतर बि रहना ह दौड़ कर नही पारा जाता ह वह बि कर

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पारा जाता ह ससार म सब चीज दौड़ कर पाई जाती ह परमातमा दौड़ छोड़ कर पारा जाता ह ससार म सब

चीज चवचार करक पाई जाती ह परमातमा चनरवाचार स पारा जाता ह

ससार को पान का ढग और उसको पान का ढग चबलकल चवपरीत ह अगर तम इनही ढगो का उपरोग

करत गए तो एक न एक ददन नाचसतक हो जाओग इसी तरह दचनरा म लोग नाचसतक ह और अगर नाचसतक न

हए तो और भी बड़ा खतरा ह िि आचसतक हो जाओग मान ही लोग दक चलो छोड़ो होगा अपनी तो

सामरथरा नही ह अपन को तो चमलता नही ह लदकन जो कहत ह िीक ही कहत होग--होगा ही मान लो ििि

चमिाओ

अचधकतर लोग परमातमा को मान बि ह करोदक ििि म नही पड़ना चाहत ह कौन ििि कर और

कौन इस वयिा क चववाद म उलि रह अतहीन चववाद ह कौन पार पारा ह चलो मान ही लो िालन क चलए

लोग मान लत ह अकसर सजजनतावश लोग मान लत ह दक हा-हा ईशवर ह जरर ह इसका मतलब ह दक

बस अब बातचीत बद करो अब ईशवर क सबध म और करा कहन की जररत ह जब हम मान ही चलए तो अब

तो कछ चववाद करना नही ह ह भाई ह--वह रह कह रह ह जरर ह अब कछ और बात करो अब कछ काम

की बात करो

अचछ सससकत लोग ईशवर की चचाा नही करत मान ही लत ह रचववार को हो भी आत ह चचा म कभी

जररत पड़ती ह सतरनारारण की किा भी करवा लत ह--खद नही सनत मोहलल वालो को लाउडसपीकर

लगवा कर सनवा दत ह--कभी रजञ-हवन भी करवा दत ह दक ििि खतम करो हो तो िीक ह न हो तो िीक

ह न हो तो करा चबगड़ गरा हो तो कहन को रह जाएगा कभी आमना-सामना हो जाएगा तो कह दगः हवन

करवारा िा

ऐस एक सजजन मर मानत तो नही ि दक परमातमा ह लदकन होचशरार ि चालबाज ि तो एक बार

हवन करवा चलरा िा जब दखा सवगा म और परमातमा स साकषातकार हआ तो बहत घबड़ाए सोचन लग दक

दो-चार दफ और करवा चलरा होता तो अचछा िा सतरनारारण की किा भी करवा ली होती तो अचछा िा

रह तो बड़ी ििि हो गई कभी चोिी भी नही रखी जनऊ भी नही पहना अब ििि म पड़ अब रह मसीबत

आई हजदगी र ही गवा दी लदकन दफर भी इतना भरोसा िा दक एक दफा करवारा ह कम स कम उसका तो

कछ फल चमलन ही वाला ह परमातमा न आख उिाई और पछा दक कहो कस आए कभी कोई धमा दकरा

डरत-डरत कहाः हा दकरा तो जरादा तो नही कर पारा कषमा करना आप एक दफा हवन करवारा िा

दकतना खचा हआ िा तीन रपए खचा हए ि ससता हवन ऐस ही मोहलल-पड़ोस क ससत पचडत-परोचहत न

करवा ददरा होगा जरादा तो भरोसा िा भी नही इसस जरादा खचा कर भी नही सकत ि कामचलाऊ हवन

ईशवर िोड़ा हचचतत हो गरा आख बद करक सोचन लगा दक करा कर अपन सहरोगी स पछा दक भाई

करा कर इन सजजन का करा कर सहरोगी न कहा दक तीन रपर इनको वापस द और नरक भज और करा

करग इनको तीन रपए लौिा द बराज चाचहए हो तो बराज द द और नरक भज

आदमी रा तो नाचसतक हो जाता ह जोदक जरादा ईमानदारी की बात ह और म पसद करगा दक अगर

परमातमा न चमलता हो तो बहतर ह नाचसतक होना कम स कम ईमान तो होगा सचचाई तो होगी दक मि नही

चमला म कस मान और चजसको इतनी ईमानदारी हो दक मि नही चमला कस मान उसकी खोज बद नही

होगी वह खोजता ही रहगा इधर स उधर स आज नही कल कल नही परसो उसकी खोज जारी रहगी

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दचनरा म सबस बड़ा खतरा होता ह िि आचसतक को वह मान ही लता ह इसचलए खोज तो चबलकल ही

बद हो गई अब तो कोई उपार ही न रहा वह कहता हः परमातमा ह ही खोजना करा ह मददर हो आत रजञ

कर लत हवन कर लत रामारण पढ़ लत और करा चाचहए

दचनरा म सबस बड़ा दभाागर ििा आचसतक ह िि आचसतक स सचचा नाचसतक बहतर ह कम-स-कम

सचचा तो ह और सचची नाचसतकता एक ददन सचची आचसतकता म ल जाती ह करोदक मनषर का सवभाव ऐसा ह

दक नही पर नही रिक सकता

इसको तम समि लना

मनषर नही म नही जी सकता नही म अड़चन बनी रहती ह हा म ही जीवन चखलता ह नही म

चसकड़ जाता ह जो आदमी नही पर जीना चाहगा वह पाएगा हर जगह पतिर अड़ गरा दवार अवरदध हो

गरा हा स फलाव ह हा म फलाव ह नही म चसकड़ जाता ह आदमी तम जरा कहो जब भी तम नही

कहत हो खराल करना तमहार भीतर चतना चसकड़ जाती ह एक चभखमग न तमस दो रोिी मागी और तमन

कहा नही तम जरा खराल करना तम एकदम छोि हो गए तमह भी लगता ह दक तम छोि हो गए इसचलए

चभखमग भी होचशरारी करत ह चार आदचमरो क सामन मागत ह करोदक चार आदचमरो क सामन तमह भी

जरा लजजा आएगी इतना छोि न हो सकोग अकल म हो जाओ भला

बीच बाजार म पकड़ लत ह चभखमग कहत हाः दो रोिी चमल जाए दाता पहल स ही दाता कह दत

ह रह तमहारा अहकार फला रह ह वह कह रह ह दखो कह ददरा दाता दो रोिी बड़ा बना ददरा अब

चसकड़ मत जाना और चार आदचमरो की भीड़ ह बाजार चल रहा ह दकान खली ह अब तम सोचत हो दो

रोिी क पीछ दाता होना छोड़ना और दो रोिी क पीछ छोिा होना बीच बाजार म लोग करा कहग तम

चभखमग को िोड़ ही दो रोिी दत हो तम दो रोिी द दत हो तादक छोि होन का रह जो उपदरव खड़ा कर ददरा

ह इसन इसस बच जाए तम चसफा छिकारा चाहत हो चभखमग स दक ल भाई चवदा हो छोड़ मि मरा हपड

छोड़ चभखमगा भी अकल म तमस नही चमलता रासत पर अकल चमल जाओ तो वह चनकल जाता ह चपचाप

वह जानता ह दक अकल म हो सकता ह दक रोिी तो न चमल और गदान दबा द रह आदमी अकल म कौन जान

और जो अपनी िाली म दो-चार पस पड़ ह छीन ल अकल का करा भरोसा उपदश दन लग दक मसत-तड़ग

जमान भर क और भीख मागन चल हो शरम नही आती कछ जञान की बात बताए

तम जब नही कहत हो चसकड़ जात हो जब भी तम हा कहत हो फल जात हो तम हजदगी म जरा

इसको परखो रह जीवन की रासारचनक परदकररा ह आचसतकता सबस बड़ा फलाव ह करोदक परमातमा को

हा कहन का अिा अचसततव को हा कहना ह हमन चबना दकसी शता क अचसततव को सवीकचत द दी हम इसक

साि हो चलए रही आचसतकता का अिा ह हमन अपन दवार खोल ददए चनःसकोच

मटठी खोलो मटठी बाधन स नही चमलगा मटठी खोलो और भीतर चलो मटठी खोलन का अिा ह चवशराम

मटठी खोलन का अिा ह सवभाव खराल दकरा तमन मटठी को अगर तम सदा बाध कर रखना चाहो दकतनी दर

तक बाध कर रख सकत हो लदकन खली तम रखना चाहो तो हजदगी भर रख सकत हो करोदक मटठी जब

खली होती ह सवाभाचवक होती ह जब बद होती ह असवाभाचवक होती ह बद मटठी म शचि खचा हो रही ह

खली मटठी म शचि खचा नही होती इसचलए मटठी बाधनी पड़ती ह खोलनी नही पड़ती तम मटठी बाध लो

बाध रहो तो तमह ताकत लगानी पड़ रही ह तमहारी शचि वयर हो रही ह मटठी खोलल म करा करना पड़ता

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ह चसफा इतना करना होता ह दक मटठी बाधना बद करना होता ह बस नही बाधत मटठी खल जाती ह मटठी

का खलना सवाभाचवक ह

सवाभाचवक हो जाओ सरल हो जाओ और भीतर खोजो ऊपर नही उड़ना ह न मनहार करनी ह दकसी

की करोदक परमातमा तमस चभनन नही ह दकसकी मनहार करत हो रह ऐसा ही ह जस दपाण क सामन खड़

होकर कोई अपनी ही तसवीर क परो म िकता हो परमातमा तमस चभनन नही ह तम दकसकी परशसा कर रह

हो परमातमा तमहारा चतनर ह रह परमातमा क चरणो म चसर िकारा रह अपन ही चरणो म चसर िकारा

ऐसा ह इसका कोई मलर नही ह

रको िहरो बिो िोड़ा चवशराम का कषण चवराम आन दो जीवन की आपा-धापी म आख बद करो

भीतर डबत जाओ भीतर शात होत जाओ और एक ददन वह अपवा परकाश होता ह चनचित परमातमा जाना

जाता ह जाना जा सकता ह लदकन समरक ददशा अतराातरा ह परमातमा

परमातमा न चमल तो भी हम अपन चलए तका खोज-खोज कर समिा लत ह दक इसचलए न चमला होगा

कोई मान लता ह ईशवर नही ह इसचलए नही चमला कोई मान लता ह दक हमार पाप बहत ह इसचलए ईशवर

नही चमला कोई मान लता ह कमो का जाल इसचलए ईशवर नही चमला कोई मान लता ह हमार भागर म

नही ह चवचध म नही ह इसचलए ईशवर नही चमला र सब हमार उपार ह अपन को समिा लन क

मन सना ह शहर म जनम और शहर म ही पल हए एक हासर कचव गाव गए वह अपन मजबान की बिी

को दध दहत दख रह ि दक उनह एक लबा-चौड़ा साड चसर िकाए उनही की ओर सरपि भाग कर आता हआ

ददखाई ददरा लपक कर व घर म घस गए वहा स उनहोन चखड़की म स िाक कर दखा दक मजबान की लड़की

चनहित बिी दध दहती रही और साड गार क पास तक आरा दफर एकाएक चौक कर वापस मड़ा और सीध

वापस भाग गरा जब साड आखो स परी तरह ओिल हो चका तब हासर कचव जो बाहर चनकल और दरराफत

करन लग दक वह साड गार क नजदीक तक आकर चौका करो और वापस करो भागा कषक-कनरा न उततर

ददराः रह गार उसकी सास जो ह

मढ़तापणा परशन पछोग मढ़तापणा उततर रा तो कोई दसरा तमह द दगा अगर कोई दसरा न दगा तो तम

खद ही अपन चनरमात कर लोग

ईशवर करो नही चमलता रा तो कोई दसरा तमह उततर दनवाला चमल जाएगा--उततर दन वालो की कमी

नही ह एक खोजो हजार चमलत ह उततर दन वाल तरार ही बि ह दक आओ पछो उततर दन वाल कोचशश म

ही लग ह दक पछत करो नही उततर दन वाल गदान पकड़न को तरार बि ह दक कोई पछ ल और वह उसकी

गदान पकड़ ल उततर तरार दकए बि ह तोतो की तरह रि बि ह नही पछ रह हो इसस उनका चचतत बड़ा

बचन हो रहा ह तो रा तो कोई तमह दसरा उततर द दगा दक चपछल जनमो क पापो क कारण दक भागर क

कारण दक कमा क कारण दक इस कारण दक उस कारण अगर नाचसतक स चमल गए तो वह कहगा ह ही नही

चमल कस होता तो कभी का चमल जाता दकसी को कभी नही चमला ह और बहत सभावना ह दक इन म स

कोई न कोई उततर तमहार मन क अनकल जो आ जाए उसस तम राजी हो जाओग और खोज समापत हो

जाएगी

म तमस कहना चाहता ह र सब उततर गलत ह र सब उततर गलत ह न तो पाप तमह रोक रह ह

करोदक तमन जो पाप दकए व सब सपन म दकए व करा खाक रोक ग जस रात नीद म दकसी न चोरी की सपन

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म सबह जब आख खलती ह तो करा तम सोचत हो कोई पाप दकरा दक रात नीद म दकसी की हतरा कर दी

सबह जब आख खलती ह तो

करा तम सोचत हो दक अब करा कर कस पिातताप कर तमन जो भी दकरा ह अब तक नीद म दकरा

ह मचछाा म दकरा ह तमहारा दकरा हआ कछ भी पाप नही ह र पाप इतरादद चसफा बहाना ह अपन को

समिान का दक करा कर इतना पणर हमारा नही दक परमातमा चमल म तमस कहता ह दक तमह परमातमा

इसी कषण चमल सकता ह एक ही चीज करन जसी जररी ह चजस ददशा म परमातमा ह उस ददशा म खोजो

कोई चीज और अड़चन नही ह आख बद करो और भीतर िाको अपन सवभाव म िाको सवभाव परमातमा ह

और जब तम उस भीतर दख लोग तो वह तमह सब तरफ बाहर भी ददखाई पड़गा चजसन अपन को पहचाना

उसन सबको पहचाना

आचखरी परशनः आप राजनताओ का सदा मजाक करो उड़ात ह और रह भी जानना चाहता ह दक

राजनता चड़ीदार पाजामा ही करो पहनत ह

रह जरा करिन सवाल ह

राजनताओ का म मजाक नही उड़ाता राजनता एक तरह की गाली ह दकसी को भल कर राजनता

मत कहना

मन सना ह माका टवन न चलखा ह सतरह फरवरी को जाजा ए रोचिक न नरराका म धारासभा क भवन क

सामन डा आर चवलसन स िगड़ा शर कर ददरा बहत दर तक तो चवलसन गाचलरा सनत रह और अपना गससा

रोक रह रोचिक न उनह चोर कहा िि बोला कहा िग कहा उस भी चवलसन न शाचत स सन चलरा रोचिक न

एक क बाद एक कलचषत चवशषण चवलसन पर लादता चला गरा और अत म उसन उनह उलल क पटठ

हरामखोर और-और शबद कह लदकन चवलसन दफर भी शाचत स सनता रहा दफर तो ऐसी गाचलरा दी जो न

चलखी जा सकती ह न कही जा सकती ह मगर चवलसन भी अदभत िा चबलकल बदध की तरह खड़ा रहा और

सनता रहा और तब अत म उसन कहाः नताजी क बचच अर ससद क सदसर ऐसा सनना िा दक चवलसन उछल

कर खड़ा हो गरा और रोचिक स बोला दक रह अपमान म दकसी भी तरह सहन नही करगा और गोली मारकर

उस िडा कर ददरा अदालत न डाकिर चवलसन को रह कह कर बरी कर ददरा दक उसक उततचजत हो जान का

कारण उचचत िा

मि पता नही ह रह कहानी कहा तक सच ह मगर सच होनी चाचहए

नताजी एक तरह की गाली ह राजनीचत म उतसक ही लोग छदर वचतत क होत ह सबस ओछ लोग

राजनीचत म उतसक होत ह समाज का चनमनतम तल राजनीचत म उतसक होता ह जो कछ और नही हो सकत

व राजनता हो जात ह जो सगीतजञ हो सकता ह वह राजनता होना चाहगा वीणा छोड़कर जो चचतरकार हो

सकता ह वह राजनीचतजञ होना चाहगा तचलका छोड़ कर चजसक किो स गीत उि सकत ह चजसक गीत लोगो

को मसत कर सकत ह वह राजनता होना चाहगा जो कछ भी हो सकता ह वह राजनता नही होना चाहगा

चजसक जीवन म सजन की कषमता ह वह राजनता नही होना चाहगा राजनता होत ही व लोग ह जो कछ और

नही हो सकत न चजनस गीत बन सकत न चचतर न मरतारा चजनस कोई सजन नही हो सकत सजन की

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कषमता स चबलकल शनर लोग राजनता हो जात ह और दफर सवभावतः व जो करत ह वह सभी क सामन परकि

मन सना एक राजनीचतक पािी की काराकाररणी की बिक हो रही िी दक एक सदसर की जब कि गई

काराकाररणी की बिक म व तरत ही कसी पर खड़ भी हो गए और चचलला कर बोलः चपरर सजजनो दकसी न

मरी जब स छह सौ रपर चनकाल चलए ह जो वयचि मि इसका पता लगा कर दगा उस म पचास रपए दगा

एक कोन स आवाज आई म पचहततर दगा दसर कोन स आवाज आई म सौ दगा जस दक कोई नीलामी हो

रही हो

रलगाड़ी म सफर करत हए एक नताजी न अपन पास बि मसादफर स कहाः आप महरबानी कर क मि

अपनी ऐनक िोड़ी दर क चलए दग उसन ऐनक उतार कर द दी ऐनक लकर नताजी बोल चदक आप ऐनक क

बगर पढ़ नही सकत इसचलए अब अपना अखबार भी मरी तरफ कर दीचजए

इन नताओ क सबध म मजाक करन की काई जररत ही नही ह

नता

इस हाि लता

उस हाि भी लता

नता की मसकान

चौबीस घि--

जरो खली कोई दकान

नता का चलबास

आम आदचमरो को

कर दता खास

नता क नार

घोड़ो को--

जरो कोचवान पचकार

नता का वादा

हर बार--

चपिा हआ परादा

और तमन जो सवाल पछा ह वह और भी करिन ह दक राजनता चड़ीदार पाजामा ही करो पहनत ह

चड़ीदार पाजामा की एक खबी ह दक अगर तम दकसी का उतारना चाहो तो जलदी उतार नही सकत और

राजनता एक दसर का पाजामा उतारन की कोचशश करत रहत ह कौन दकसका नाफा पहल खोल द तो

चड़ीदार पाजाम का बड़ा मलर ह उसम बड़ी सरकषा ह पहन तो खद लो उतार कोई नही सकता बड़ी

खीचतान हो तब कही उतर पाता ह राजनता बड़ सोच-समि कर चड़ीदार पाजामा चन ह

139

अभी तम दख रह हो ददलली म एक-दसर का नाफा खोलन म लग ह सब एक-दसर क नाफ को पकड़

ह कौन दकसका पहल खोल लगा कौन अपना बचा लगा

राजनीचत गद स गदा खल ह

कभी-कभी जो म राजनीचत की मजाक उड़ाता ह वह चसफा इसचलए दक तम सावधान रहो सब क मन म

राजनीचत चछपी ह उस दगध कर दना ह उस जला दना ह महततवाकाकषा का राजनीचत का जरा सा बीज

तमहार भीतर रह जाए तो वही तमह भिकाएगा

राजनीचत स जो मि ह वही चनमाल ह और जो चनमाल ह वही परमातमा का पातर ह

आज इतना ही

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अरी म तो नाम क रग छकी

सातवा परवचन

साध त बड़ा न कोई

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम कही हम साधा रस एकमता औराधा

हम साध साध हम माही कोउ दसर जान नाही

जन दसर करर जाना तहह होइहह नरक चनदाना

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

साध क गचत को गाव जो अतर धरान लगाव

चरन रह लपिाई काह गचत नाही पाई

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

जगत दकहो एचह बासा प रह चरन क पासा

जगत कह हम माही व चलपत काह मा नाही

जस गह तस उदराना व सदा अह चनरबाना

जरो जल कमल क बासा व वस रहत चनरासा

जस करम जल माही वाकी सरचत अडन माही

भवसागर रह ससारा व रह जचि त नरारा

जगजीवन ऐस िहराना सौ साध भरा चनरबाना

खद अपन अकस को अपन मकाचबल दखन वाल

जरा आख तो खोज ओ नकश-बाचतल दखन वाल

हकीकत को हकीकत क मकाचबल दखन वाल

मि भी दख मरी हसती-ए-ददल दखन वाल

नकश-पताव-रगीनी-ए-ददल दखन वाल

कभी खद को भी दख ओ खद स गादफल दखन वाल

मरी हसती का हर जराा उड़ा जाता ह मचजल स

मरा मह दखत ह जजब-मचजल दखन वाल

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उनह तह की खबर करा गौहर-मकसद को करा जान

र सब ह रकस मोजो-सकरो-साचहल दखन वाल

इधर आ हर कदम पर हसन-मचजल तिको ददखला द

फलक को रास स माजल-ब-मचजल दखन वाल

बदधो का एक ही आवाहन हः

इधर आ हर कदम पर हसन-मचजल तिको ददखला द

उस परम परार का सौदरा सतर का सौदरा ददखलान क चलए बदधपरष आतर ह और उस सतर का सौदरा

ऐसा भी नही ह दक तमस कछ चभनन हो तमस अचभनन ह

कभी खद को भी दख ओ खद स गादफल दखन वाल

तमहार जीवन की पीड़ा एक ही ह दक तम सवर स अपररचचत हो एक ही सताप हः आतम-अजञान

आज क सतर महततवपणा ह और चवशषकर सनरास की मरी धारणा क बड़ अनकल ह सनरासी क चलए

आधार बन सकत ह एक-एक शबद एक-एक कजी ह

गऊ चनकचस बन जाही

दखा ह तमन गार को जगल जात

बाछा उनका घर ही माही

लदकन उसका बछड़ा तो घर ही होता ह उसका परारा तो घर ही होता ह तो ऐस गार जाती तो ह

जगल जाना पड़ता ह--जररत ह भोजन की घास की--लदकन हदर घर ही रह जाता ह

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा

चरती ह जगल म भोजन करती ह लदकन चचतत की लौ घर की तरफ लगी रहती ह बछड़ की तरफ

सरचत जगी रहती ह

गचह जचि साध जग बासा

ऐसा ही जो सचचा साध ह वह जगत म रहता ह लदकन राद उसकी परमातमा म लगी रहती ह छोिी

सी बात सतो की बात छोिी सीधी साफ सरल गार को जगल जात तमन भी दखा ह लौि-लौि कर घर की

तरफ दखत दखा रा नही जगल म चरती भी ह तो भी कभी-कभी रभा उिती ह घर की राद पकड़ लती ह

तम तो ऐस भिक गए हो ससार म दक तमह घर की राद नही आती ह घास-पात ही चर रह हो--और ससार म

कछ ह भी नही इसस जरादा मलरवान कछ भी नही ह--लदकन घास-पात म ही भिक गए हो कड़ा-करकि म

भिक गए हो घर की राद ही चवसमत हो गई उस घर की राद पनः आ जाए तो तमहार जीवन म कराचत का

सतरपात हो

जगजीवन कहत हाः गचह जचि साध जग-बासा रही उपार ह रही साध क जीवन का ढग ह रही

साध की शली ह जस गार जगल म घास-पात चरती पर दह ही जस जगल म पराण तो घर अिक ह हदर तो

घर बसा ह हदर तो घर ही छोड़ आई ह ऐसा ही साध बाजार म भी उिता ह बिता ह काम भी करता ह

धाम भी करता ह लदकन परचतपल अहरनाश सोत-जागत उित-बित उसकी शवासो का तार घर स जड़ा रहता

ह परम परार की राद बनी रहती ह उस परीतम की राद उसक भीतर एक सतत जरोचत की तरह जलती रहती

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ह रही रचि ह रही रोग ह इतना ही रोग ह इतना ही कर चलरा तो सब कर चलरा और कछ करन को नही

जगल भाग कर जान की जररत नही ह करोदक अगर तमह रहा परमातमा की राद नही आती तो जगल

म जाकर ही कस आ जाएगी जगल म ही तो हो और कहा जात हो मरघि पर चल जाओग इसस साधना

नही हो जाएगी बाजार भी तो मरघि ह जरा आख खोल कर दखो वहा सभी मरन क चलए तरार बि ह और

मरघि करा होगा चजस घाि पर सब मरत ह उसी को तो मरघि कहत ह न रहा सभी तो मरन को तरार बि

ह पचिबदध अपन-अपन समर की परतीकषा करत कब दकसकी गाड़ी आ जाएगी कब दकसका बलावा आ

जाएगा वह चला जाएगा और रोज तम लोगो को चवदा करत हो और कहा जाना ह मरघि पर जान स करा

होगा अगर तमह बाजार म मरघि नही ददखाई पड़ा तो मरघि म भी तम बाजार बसा लोग

बाजार कहा ह ससार कहा ह

कषदर को छोड़न की जररत नही ह चवराि क परचत जागन की जररत ह रह रचि रह असली साधना

का आधार वयिा को छोड़ना नही ह सािाक को समरण करना ह अधर को कोई छोड़ना भी चाहो तो कस

छोड़गा कभी कोई अधर को छोड़ सका ह रोशनी जलानी पड़ती ह अधरा अपन आप छि जाता ह लदकन

कछ ह जो अधर को छाती स लगाए बि ह और उनकी छाती स कछ भी लग नही सकता करोदक अधर का

कोई अचसततव नही ह कछ ह जो अधर पर मटठी बाध करबि ह उनकी मरटठरा खाली ह करोदक अधरा कछ हो

तो मटठी बध कछ ह चजनहोन चतजोरररो म अधरा भर रखा ह बको म अधरा जमा कर रखा ह भाचत द रह ह

अपन को अधरा ह ही नही अधरा अभाव ह तम अधर की सपदा नही बन सकत हो अभाव की कोई सपदा

नही बनती

दफर जब आदमी िक जाता ह अधर पर मटठी बाध-बाध कर हार-हार जाता ह तो एक ददन भागन

लगता ह अधर को छोड़ कर भाग कर कहा जाओग आख तमहारी अधी ह तो तम जहा जाओग वही अधरा

होगा तमहार अधपन म अधर का वास ह तमहार पास ही बदधपरष बि हो तो व रोशनी म ह तम अधर म हो

सिान का सवाल नही ह चसिचत का सवाल ह तम सिान बदलत हो तम कहत हो बाजार म बहत उलिन ह

घर-गहसिी म बहत ििि ह आशरम जाए आशरम म बि ग ििि तमहार भीतर ह ििि का सतर तमहार

भीतर ह

मन सना एक आदमी बड़ा करोधी िा मगर सोचता िा पतनी करोध ददला दती ह गराहक करोध ददला दत

ह बचच करोध ददला दत ह पड़ोसी करोध ददला दत ह छोड़ ददरा ससार--जो सामानर साध की परदकररा ह सचच

साध की नही--छोड़ ददरा ससार चला गरा जगल म बि गरा वकष क नीच सोचा अब कोई ििि नही उिगी

एक कौवा आरा और उसन बीि कर दी उिा चलरा पतिर उसन दौड़न लगा कौव क पीछ दक तन समिा करा

ह बकन लगा गाचलरा करोध स लाल हो गरा चहरा उसका और तब उस राद आरा रह म करा कर रहा ह

करोध का सतर भीतर ह कोई भी चनचमतत बन जाएगा कोई भी कारण बन जाएगा

लोग मदाा चीजो तक पर करोध करत ह तमन भी कभी दखा फाउिन पन चलखत-चलखत सराही नही

चलती पिक ददरा जरा अकल ह कछ करा कर रह हो कभी सोचा नाराज हो गए फाउिन पन कछ

जानकर तमह सता नही रहा िा तमहारा ही फाउिन पन ह लदकन करोधी आदमी तो दकसी भी चीज पर करोध

कर लता ह दरवाजा ऐस लगाता ह जस दरवाज म कोई पराण ह जता ऐसा फक दता ह जस जत म कछ पराण

हो चीजो स भी करोध हो जाता ह छोि-छोि बचच ही नही बड़-बड़ बढ़ भी छोि बचच को चलन म िबल लग

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गई जोर स नाराज हो जाता ह एक घसा मारता ह िबल को रह छोि बचच पर तम हसत हो लदकन तम बड़

हो पाए हो तम म परौढ़ता आई ह भागकर करा करोग जागो रचि सीखो रह रही रचि--

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

ऐसा इस छोिी-सी घिना स जो समिदार ह समि लत ह जगत म ही रह जात ह जगत ही तो ह

जगल म भी जगत ह चहमालर पर भी जगत ह जगत ही ह जहा भी हो जगत ह लदकन इसम इस ढग स रहा

जा सकता ह दक दह ही रहा हो पराण परमातमा म हो पराणो का परमातमा म होन का नाम परािाना ह

दह तो ससार की ह और ससार म ही होगी तम बाजार म मरोग तो भी चमटटी म चगरगी दह और चमटटी

म चमलगी और तम चहमालर पर मरोग तो भी चमटटी म चगरगी दह और चमटटी म चमलगी दह तो चमटटी ह सो

कही भी चगरगी चमटटी म चगरगी और चमटटी म चमलगी सवाल तमहार भीतर उसको पहचान लन का ह जो चमटटी

नही ह और उसका सबध जोड़ लन का ह जो अमत ह तमहार भीतर अमत की बद ह परमातमा अमत का

सागर ह रह बद सागर की राद स भर जाए बस कराचत घि गई दफर तमहार जीवन म दख नही दफर तमहार

जीवन म सताप नही हचता नही करोदक दफर तम रह ही नही अलग

दख हचता सताप अलग होन की उप-उतपचततरा ह तमन अपन को अलग समिा ह परमातमा स

इसचलए हचता ह इसचलए परशानी ह इसचलए उलिन ह जस ही तमन जाना म उसस जड़ा ह सब हचता

गई दफर हचता करा ह परमातमा स जड़ हो तो परमातमा हचता कर रहा ह तमह हचता की करा जररत ह

जस छोि बचच न अपना हाि बाप क हाि म द ददरा अब छोि बचच को कोई हचता नही ह हो सकता ह दक

बाप-बि दोनो जगल म भिक गए हो हसह दहाड़ रहा हो मगर छोिा बचचा अब जरा भी हचचतत नही ह बाप

क हाि म हाि ह बाप चाह हचचतत हो परशान हो दक अब करा करना जान खतर म ह मगर छोिा बचचा

मसत ह उड़ती चततचलरो को पकड़न की कोचशश कर रहा ह राह क दकनार फलो को तोड़ रहा ह रगीन

पतिरो को बीन रहा ह--उस कोई हचता नही ह हा जरा चपता छि जाए खो जाए दखगा चारो तरफ चपता

को नही पाएगा--अभी कोई दख नही िि पड़ा ह उस पर--लदकन चपता को न पात ही भरकर हचता और भर

पकड़ लगा ऐसी ही तमहारी दशा ह

तमन हाि छोड़ ददरा ह उसका चजसक हाि म हाि हो तो कोई हचता नही होती मनषर चनभाार जीता

ह उस चनभाारता का नाम ही साधता ह गचह जचि साध जग-बासा

साध त बड़ा न कोई

साध स दफर कोई बड़ा नही सचच साध स दफर कोई बड़ा नही करो करोदक बड़ स उसका जोड़ हो

गरा सचच साध स कोई बड़ा नही करोदक सचचा साध तो अपनी तरफ स चमि ही गरा उसक भीतर स तो

परमातमा िाकन लगा अब वयचि नही ह अब तो समचषट उस क भीतर स बोलती और डोलती ह अब बद नही

ह अब सागर ह इस जगत म सबस बड़ व ही ह जो चमि गए ह इस जगत म सबस छोि व ही ह जो बहत

घनीभत होकर ह

अहकार इस जगत म सबस छोिी बात ह और चनर-अहकाररता इस जगत म सबस बड़ी बात ह मगर

चनर-अहकार तम अपन आप न हो सकोग अपन-आप चनर-अहकार होन का कोई उपार ही नही ह अपन-आप

अगर तम चनर-अहकार होना चाहोग तो चनर-अहकाररता का भी अहकार आ जाएगा तमन अपना चररतर

समहाल चलरा वरत दकए उपवास दकए िि नही बोल पाप नही दकए चोरी नही की बईमानी नही की

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शराब नही पी मास नही खारा सब तरफ स तमन अपन को समहाल चलरा साध चलरा चररतर बना चलरा

मगर इस चररतर क भीतर अहकार मजबत होता रहगा मन दकरा मरा चररतर मरा उजजवल चररतर मरी

चवनमरता दखो मरी मराादा मरा शील म मजबत होता रहगा इस म स तम बाहर न हो सकोग

इस म स तो चसफा वही बाहर होता ह जो परमातमा क चरणो म अपन को छोड़ दता ह जो कहता ह

म करा कर मर दकए सब गलत हो जाता ह मर चलए सब अनदकरा हो जाता ह मर करन म ही भाचत ह

इस भद को खराल करो

तमह सदा स कहा गरा ह--नचतकता की चशकषा रही ह--अचछ बनो बराई छोड़ो सदाचरण गरहण करो

चशकषा बरी नही ह िीक मालम होती हः चोरी मत करो बईमानी मत करो िि मत बोलो हहसा मत करो

मगर चशकषा धमा नही ह रह चशकषा धमा नही ह नचतक तो ह रह सजजन को पदा कर दगी लदकन सत को

नही

सजजन दजान क चवपरीत ह दजान खतरनाक ह समाज क चलए अड़चन दता ह दचवधा पदा करता ह

सजजन समाज क चलए सचवधापणा ह समाज चाहती ह सभी लोग सजजन हो तो काम-धाम वयवसिा स चलता

लदकन सततव कछ और ही बात ह सततव का अिा सजजनता नही ह सजजन होन क चलए ईशवर को मानन

की कोई भी जररत नही ह नाचसतक भी सजजन होत ह अकसर तो जरादा सजजन होत ह आचसतक स आचखर

रस और चीन म लाखो-करोड़ो नाचसतक ह सजजन ह ईशवर को न मानन स कोई असजजन नही हो जाता

अकसर तो ऐसा हो जाता ह दक ईशवर को न मानन वाल को सचवधा चमलती ह असजजन होन की करोदक वह

सोचता हः चल जाएग एक दफा गगा नहा आएग धल जाएग सब पाप कर लो अभी तो बहती गगा हाि

धोलो दफर दखग दफर रजञ-हवन करवा दग दफर मरत वि राम-राम जप लग और उसकी तो करणा ह ही

वह तो महाकरणावान ह उसन ही अपातरो को पार कर ददरा लगड़ो को पहाड़ चढ़ा ददरा बहरो को सनवा

ददरा अधो को ददखवा ददरा तो दख लग उसी का पकड़ लग सहारा अखीर म उसी का नाम पकार लग

आचसतक को एक सचवधा ह दक पाप भी कर लो और पाप स बचन का उपार भी नाचसतक को सचवधा

नही ह नाचसतक तो जानता हः जो मन दकरा मन दकरा अचछा तो मन बरा तो मन लदकन नाचसतक कभी

अहकार स मि नही हो सकता रह बात समिना

नाचसतक दिररतरता स मि हो सकता ह लदकन अहकार स मि नही हो सकता अहकार स मि होना

तो कवल परम आचसतकता म ही सभव ह ििा आचसतक भी अहकार स मि नही होता ििा आचसतक जरादा

स जरादा चररतरवान हो सकता ह लदकन उसका चररतर सब ऊपर-ऊपर होता ह और भीतर अहकार जलता ह

परजवचलत जलता ह इसचलए अकसर मददर जान वाल लोग तमह जरादा अहकारी मालम पड़ग चजनहोन एकाध

ददन उपवास कर चलरा व समित ह चजनहोन उपवास नही दकरा व सब नरक जान वाल ह चजसन एकाध

बार मतर पढ़ चलरा ददन म वह सोचता ह बस मरा सवगा चनचित और सब पर उसको दरा आती ह दक बचार

दीन-हीन भिक ग जलग नरकोम

तमहार एक बार मतर तोतारित की तरह मतर पढ़ लन स चसफा तमहारा अहकार भर रहा ह और कछ भी

नही हो रहा ह असली आचसतक कछ बात और ह असली आचसतकता का आधारभत चनरम हः मर दकए कछ

भी न होगा म तो अचछा भी करता ह तो बरा हो जाता ह नकी भी करता ह तो बदी हो जाती ह मर हाि म

ही भल ह मरा होन म ही भल ह मरा तिस पिक होना ही मरी सारी भलो का सरोत ह इसचलए जब तक म

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तिस पिक ह तब तक म तीिा भी करगा पणर भी करगा चररतर भी समहालगा तो भी कछ समहलगा नही

अततः मरा अहकार ही मजबत होगा और अहकार ही तो नरक ह

दफर करा कर त कर म छोड़ता ह म हिता ह रासत स म तर और मर बीच न आऊगा म सब ति

पर समरपात करता ह म तरी राद रखगा म तरी परी तरह राद रखगा एक कषण ति चवसमरण न करगा

जागत ही नही सोत भी अहरनाश तरी राद मर हदर म गजती रहगी बस शष त कर और शष सब अपन स

हो जाता ह करोदक जस ही अहकार चमिा वस ही पाप का आधार चमि गरा और जस ही अहकार चमिा

पणरातमा का भाव भी चमि गरा रह जो परम शनर की दशा ह इसी म पणा का अवतरण होता ह दफर वयचि

तो बास की पोगरी दफर परमातमा जो गीत गाता ह गाता ह

साध त बड़ा न कोई

इसचलए साध स कोई बड़ा नही करोदक साध चमि गरा खराल रखना शता करा ह साध स कोई बड़ा

नही ह इसका रह मतलब नही ह दक साध बड़ा ह साध स कोई बड़ा नही ह इसका अिा ह दक साध ह ही

नही इसचलए अब कौन उसस बड़ा हो सकता ह

जीसस न कहाः धनरभागी ह व जो अचतम ह करोदक व ही मर परभ क राजर म परिम होग अचतम कौन

ह जो शनरवत ह चजसका कोई दावा नही ह चजसकी म की कोई घोषणा नही ह साध त बड़ा न कोई

करोदक साध ह ही नही उसक भीतर परमातमा ही बोल रहा ह

जब कषण न अजान स कहाः मामक शरण वरज मि एक की शरण आ तो करा तम सोचत हो कषण

कषण की ही शरण आन को कह रह ह अजान को तो तम गलती कर जाओग तो तम बड़ी भल कर जाओग

और रही कषण-भिो न समिा हआ ह दक कषण रह कह रह ह अजान स दक त मरी शरण आ रह चसफा भाषा

क कारण भाचत हो रही ह मजबरी ह कषण को भी म शबद का उपरोग करना पड़ता ह करोदक चबना म

शबद का उपरोग दकए हमारी भाषा ही खड़ी नही होती हमारी भाषा ही म शबद पर खड़ी ह हमारी भाषा

अहकार का चवसतार ह हमारी भाषा म बोलना ह तो हमारी भाषा ही बोलनी होगी अजान को समिाना ह तो

अजान की ही भाषा बोलनी पड़गी उस भाषा म म-त अचनवारा ह इसचलए कषण कह रह हाः मामक

शरण वरज आ त मरी शरण आ

लदकन वसततः अिा करा ह कषण तो ह ही नही वहा तो परमातमा पणा चवराजमान हआ ह कषण तो

चमि गए ह चमि कर ही तो भगवतता हई ह अधरा तो हि गरा ह अजान को नही ददखलाई पड़ रहा ह परकाश

अभी करोदक वह आख बद दकए खड़ा ह मगर सामन परकाश ह अजान को अधरा ददखाई पड़ रहा ह परकाश

कह रहा ह मामक शरण वरज परकाश कह रहा हः मरी शरण आ अजान तो रही समिगा दक अधरा कह रहा

हः मरी शरण आ करोदक अजान आख बद दकए ह उस तो परकाश ददखता नही उस तो लगता ह अधर म स

आवाज आ रही हः मरी शरण आ अजान िोड़ा चििका होगा हचचतत हआ होगा हरान भी हआ होगा दक

कषण मर सखा ह बचपन क मर चमतर ह मर सारिी ह रदध म और मिस कह रह हाः मरी शरण आ

इसचलए उसन कहा दक पहल अपना चवराि रप ददखलाओ र तम करा बात करन लग र तम कसी

बात कर रह हो पहल अपना चवराि रप ददखलाओ उस नही ददखाई पड़ रहा ह कषण तो चवराि रप म ही

ह मगर उसक पास आख नही ह इसचलए कहानी बड़ी रारी ह दक कषण उस ददवयचर दत ह उस एक नई आख

दत ह दखन का एक नरा ढग दत ह एक और दखन की वयवसिा दत ह रही चशषरतव ह दखन की एक नई

आख एक नई वयवसिा एक नरा ढग सोचन की एक नई परदकररा तका की एक नई सरणी

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और जब जरा सी अजान की आख खली तो बहत घबड़ा गरा ह भरभीत हो उिा ह करोदक चवराि

ददखाई पड़ा अनत ददखाई पड़ा असीम ददखाई पड़ा सीमा म सरकषा मालम होती असीम अतल म जस कोई

चगरन लग घबड़ा गरा ह रोआ-रोआ कप गरा ह पकारन लगा दक बस बस वापस लौि आओ तम अपन

परान रप म वापस लौि आओ मर सखा तम अपन परान रप म वापस लौि आओ तम अपनी सीमा म आ

जाओ तम वस ही ददखाई पड़ो जस तम सदा मि ददखाई पड़ हो वही तमहारा सौमर रप--चमतर का दह म

आबदध--सीमा म

चशषर जब आख खोलता ह तो गर म सदा उस असीम ददखाई पड़ता ह और चशषर सदा डरता ह अजान

और कषण क बीच जो घिा वह बार-बार हर गर और हर चशषर क बीच घिता ह और जब भी चवराि ददखाई

पड़ता ह तभी भरभीत तब हर चशषर कहता ह दक लौि आओ अपन सौमर रप म वही परीचतकर िा

कषण कह रह हाः मामक शरण वरज मि एक की शरण त आ और दकतनी चहममत का उदघोष ह

सवा धमाान पररतरजर छोड़छाड़ सार धमा आ मि एक की शरण दकन धमो म उलिा ह दकन चसदधातो-

शासतरो म उलिा ह म तर सामन खड़ा ह शासता सामन खड़ा ह त शासतरो म उलिा ह सवर धमा तर सामन

मौजद ह और त मदाा धमो म उलिा ह छोड़-छाड़ सार धमा आ मरी शरण मगर खराल रखना कषण जब कह

रह ह मरी शरण आ तो कषण की शरण आ ऐसा नही कह रह ह कषण तो ह ही नही कषण तो जा चक ह अब

तो बास की पोगरी ह कषण हालादक तमह तो बास की पोगरी ही ददखाई पड़गी चजन ओिो पर रखी ह बास

की पोगरी व ओि तमह ददखाई नही पड़त नही ददखाई पड़ सकत व चवराि क ओि ह व तो तभी ददखाई

पड़ग जब तम भी बास की पोगरी हो जाओग उसक पहल नही ददखाई पड़ग जब तक तम न चमिोग तब तक

तम गर क शनर को न दख सकोग

साध त बड़ा न कोई

साध स कोई बड़ा नही ह करोदक साध ह ही नही रही उसका बड़पपन ह रही उसकी चवशालता ह

चवरािता ह करोदक वह शनर हआ शनर ही सबस बड़ी सखरा ह शनर ही परिम ह और शनर ही अचतम ह सब

सखराए बीच म ह न तो शनर स छोिा कछ ह न शनर स बड़ा कछ ह शनर इसीचलए बड़ा ह दक शनर सबस

छोिा ह

इस गचणत को िीक स समि लना करोदक इस गचणत को जो चका वह अधरातम को नही समि पाएगा

इसचलए जीसस कहत हाः जो अचतम ह वही परिम ह शनर ही अचतम ह शनर ही परिम ह चमिो तादक

हो सको खो जाओ तादक हो जाओ बद जब सागर म खो जाती ह तो सागर हो जाती ह और बीज जब चमि

जाता ह भचम म तो वकष बन जाता ह चमिन की कला सीखो धमा मतर की कला ह और मतर की कला स ही

अमत चमलता ह

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम जो कहत ह साध वही दोहराता ह साध अपनी तरफ स बोलता नही साध क भीतर बोलन वाला

कोई बचा नही साध वही कहता ह जो राम उसक कान म फक दत ह राम जो बोलना चाहत ह उसस बोल

दत ह साध क पास अब सवर कहन को चनवदन करन को कछ भी नही ह साध तो मौन ह इसचलए साध का

दसरा नाम मचन ह साध तो चप ह साध तो अब बोलता ही नही जब परमातमा बोलत ह तो बोल फि जात

ह जब परमातमा नही बोलत तो मौन रह जाता ह

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साध स बड़ा कोई भी नही ह उसक वचन अमत ह करोदक उसक वचन उसस ही नही आत इसचलए

हमन कहा ह दक वद अपौरषर ह परष क दवारा रच हए नही इसका रह मतलब मत समि लना दक कोई

परमातमा पाका र फाउिन पन म भर कर सराही और चलखता ह रह मत समि लना दक परमातमा उतरता ह

और रचता ह तमहार वद नही इसका अिा ह इसका अिा ह दक ऋचष चमि गए परष की भाचत उनकी अपनी

कोई सतता न रही उनहोन दवार खोल ददरा परमातमा बह तो व राजी ह उसको बहान को न बह तो राजी ह

उनका कोई आगरह न रहा ऐसी अनागरहपणा अवसिा म परमातमा बहता ह उसकी धारा धीर-धीर बहनी शर

हो जाती ह तब जो वचन जग व वचन चजनस आए ि उनक नही ह इसचलए हम कहत हाः अपौरषर जस

परमातमा न ही चलख जस परमातमा न ही कह

इसचलए करान को कहा जाता हः इलहाम उदघोषणा मोहममद तो चसफा बहाना ह सदशवाहक पगबर

का अिा इतना ही होता ह सदशवाहक चचटठीरसा चचटठी परमातमा की ह उसन ही चलखी ह अपन परारो क

नाम चलखी ह और जो चबलकल चमि गरा ह उसक ही हाि भजी ह करोदक कोर कागज पर ही चलख कर भजी

जा सकती ह जब तक तमहार चचतत म अपनी चलखावि बनी ह तब तक परमातमा कछ भी न चलखगा तब तक

तम भर हए कागज हो तम पर चलखा ही हआ ह बहत कछ इसम कछ चलखा नही जा सकता चलख-चलखाए

कागज पर कोई चलखगा कस जब तम चचटठी चलखत हो तो सवचछ चनमाल सन कोर कागज पर चलखत हो

चजनक हदर कोर हो गए ह चजनम अहकार की सब चलखावि सब चतरछापन चमि गरा ह जो अहकार की

वणामाला ही भल गए ह उनस परमातमा परकि होता ह कभी गीता बनकर कभी करान बनकर अनक-अनक

ढगो स परकि होता ह

गीता-करान म दफर फका करो ह लोग पछत ह अगर परमातमा ही गीता स बोला और परमातमा ही

करान स बोला तो गीता-करान म फका करो ह

फका परमातमा क कारण नही ह फका चजसस बोला ह परमातमा उसक कारण ह महममद अजान स नही

बोल रह ह इसचलए फका ह चचदकतसक तो दवा दता ह न मरीज को दखकर एक ही हाि स चपरचसकरपशन

चलखता ह िी बी क मरीज को और क सर क मरीज को सदी-जकाम क मरीज को और हजार मरीज होत ह

तो हजार चपरचसकरपशन चलखता ह करान एक चपरचसकरपशन ह जस गीता एक चपरचसकरपशन ह चचदकतसक तो एक

ह चलखन वाला माचलक एक ह लदकन मरीज अनक ह जो भद पड़ा ह वह बोलन वाल क कारण नही ह रह

मत सोचना दक कषण स कोई और परमातमा बोला और मोहममद स कोई और परमातमा बोला परमातमा एक

ह बोलन वाला एक ह लदकन चजसस बोला ह उसकी बीमारी अलग-अलग ह

अजान की बीमारी और ह अजान अचभजात ह कलीन ह सससकत ह उस दश म उस समर म जो

शरषठतम ससकचत हो सकती िी शरषठतम चररतर हो सकता िा वसा वयचि ह इसस बोलना और ढग स होगा

मोहममद चजनस बोल बपढ़-चलख लोग खानाबदोश ससकचत का चजनह कोई पता नही मरना-मारना चजनका

कल धधा ह चोरी-चपािी लि-खसोि चजनका काम ह इनस अगर गीत की भाषा म बोलोग तो चसफा तमहारी

मढ़ता चसदध होगी इनस इनकी ही भाषा म बोलना होगा इनकी जररत क अनकल बोलना होगा

परमातमा सदा तमहारी जररत क अनकल रप लता ह तमहारी जररत होती ह वसी औषचध बन जाता

ह परमातमा अनत ह इसचलए सभी रप ल सकता ह समर जाता ह रप बदल जात ह आज परमातमा

मोहममद की तरह नही बोल सकता ह दचनरा बहत और हो गई आज अगर परमातमा मोहममद की तरह बोल

कौन सनगा कोई सनगा नही परमातमा मोहममद की तरह बोल तो बड़ा चतचि-बाहय आउि आफ डि मालम

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पड़गा जस कोई पराना अखबार पढ़ रह हो हजार साल पराना ऐसा मालम पड़गा उसकी आज स कोई

सगचत न रह जाएगी परचतददन परमातमा को नई अचभवयजना लनी पड़ती ह नर सदश भजन पड़त ह--भलो क

चलए भिको क चलए

लदकन परमातमा सदा पकारता रहा ह लदकन पकार उसकी उनही क दवार आती ह जो कोर हो गए ह

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

साध की सबस बड़ी खबी करा ह दक वह वही बोलता ह जो राम बोलत ह उसम हर-फर नही करता

उसम मातरा भी नही बदलता उसम रतती भर अतर नही करता उसम सधार नही करता सशोधन नही करता

जसा और जो परगि होना चाहता ह उस िीक वसा-का-वसा अचभवयि हो जान दता ह

इसचलए परमातमा की वाणी को जगत म लान वाला वयचि हमशा करिनाई म पड़ जाता ह करोदक वह

राजनचतक चालबाजी नही कर करता कछ बचा ल कछ बदल द कछ िोड़ा ढग स कह द कछ ऐसा कर ल

कछ वसा कर ल चार शबद और जोड़ द चार शबद और घिा ल तो ििि बच जाए

जीसस ििि स बच सकत ि सली न लगती रह हो सकता िा जरा िोड़ स फका करन जररी ि जरा

स फका जरादा फका करन की जररत न िी परमातमा जीसस क भीतर स बोल रहा िा चजस ढग स जीसस

उसी ढग स बोल रतती भर फका न दकरा चमतरो न समिारा भी परचमरो न सलाह भी दी जरा स फका कर लो

रह दो-चार बात मत कहो कोई अड़चन न आएगी मगर जीसस न कोई फका न दकए जीसस फका कर नही

सकत करोदक जीसस ह ही नही रह होचशरारी नही हो सकती अब होचशरारी करन वाला अहकार जा चका

सली पर लिक गए सली सवीकार िी सधार सवीकार नही िा

महावीर म परमातमा नगन रहना चाहता िा तो महावीर नगन रह समिारा होगा बिारा होगा लोगो

न गाव-गाव स खदड़ा महावीर को करा चबगड़ता िा एक चादर ओढ़ लत कोई पाप न हो जाता कोई नरक

न चल जात मगर परमातमा नगन रहना चाहता िा परमातमा रही सदश दना चाहता िा उस घड़ी म उस

पल म रही सािाक बात उस कहनी िी रही चनदोष सवर उस गजाना िा तो महावीर न दफर हर-फर न

दकरा

राजनीचतजञ सोच-सोच कर बोलता ह सनन वाल को करा परीचतकर लगगा वही बोलता ह इसकी बहत

हचता नही करता दक जो म बोल रहा ह वह सच ह रा िि उसकी सारी हचता रही होती हः सनन वाल को

परीचतकर करा ह िि परीचतकर ह तो िि बोलो इसचलए तमह आशवासन दता ह तम सोचत हो दक आशवासन

पर करो नही करता वह तो दत वि भी कभी परा करन का सवाल नही िा वह तो द ही इसचलए रहा िा दक

आशवासन तमह परीचतकर लगत ह वह तमहारी पीि िपिपा रहा िा उस तमहारा समिान चाचहए तमह सतर

चमल इसकी उस हचता कहा ह समिान चाचहए उस तमहारा तम अगर िि स राजी हो तो वह िि स राजी

इसचलए राजनीचतजञ मददर भी चला जाता ह मचसजद भी चला जाता ह फकीर-पीर-औचलरा की कबर

पर भी चला जाता ह मजार पर भी चला जाता ह गणश-उतसव म भी सचममचलत हो जाता ह जन बलाए तो

वहा वयाखरान द आता ह हहद बलाए तो वहा वयाखरान द आता ह गीता की परशसा करवाओ तो गीता की कर

दता ह तम जो कहो तमहारी जो मजी उसकी हचता इतनी ही ह दक तम उसस राजी रहो वह तमह नाराज

नही करना चाहता उसकी हजदगी तम पर चनभार ह तम नाराज हए दक वह गरा

सत इसचलए हमशा मचशकल म पड़ जात ह करोदक व वही कहत ह जो परमातमा की मजी ह

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भद को समि लना

तमहारी मजी का कोई सवाल ही नही ह तम सनो तो न सनो तो राजी होओ तो नाराज हो जाओ तो

पतिर मारो सली लगाओ तो सब चलगा लदकन उसकी मजी तो परमातमा की मजी ह परमातमा जो बोलना

चाहता ह वही और परमातमा जो बोलना चाहता ह वह अकसर तमहार अतीत क चवपरीत जाएगा तमन जो

एक हजदगी बना ली ह एक ढग बना चलरा ह सोचन-समिन का उसक चवपरीत जाएगा करोदक परमातमा

तमहार चवकास क चलए बोल रहा ह

चवकास का मतलब होता ह परानी सीढ़ी छोड़नी पड़गी नई सीढ़ी पर कदम रखन होग चवकास का

मतलब होता ह परान आवरण तोड़न पड़ग परान भवन चगरान होग नर मददर बनान होग चवकास का अिा

होता ह नर का सवागत परमातमा सदा चनत-नवीन ह चनत-नतन ह और तम परान स जकड़ होत हो और

तम परान स इतन जकड़ होत दक तमहारा सारा वयसत सवािा परान स बधा होता ह और परमातमा सदा नई

खबर लकर आ जाता ह सदा नई सबह लकर आ जाता ह सदा नई कचलरो को चखलाता हआ नर सरजो को

उिाता हआ और तम परान म इतन चलपत हो दक तम कहत हो दक नही-नही पराना ही िीक िा हम परान स

बामचशकल तो राजी हो पाए ि

लदकन परमातमा एक पल भी परान क साि नही ह रह बात तम समि लना परमातमा नर क साि ह

परमातमा सख गई पतती क साि नही ह नही तो पतती चगरती नही पतती चगर गई ह सख कर परमातमा न

उसका साि छोड़ ददरा ह इसीचलए चगर गई ह परमातमा तो नई कोपल क साि ह वह जो अभी-अभी ऊग

रही ह जो अभी-अभी फि रही ह कोमल ह नाजक ह नई ह उसक साि ह तम परानी पचततरा समहाल कर

रख लत हो तमहारी परानी पचततरो म कोई पराण नही रह गए ह तम कबरो की पजा करत हो परमातमा जीवन

ह तम मदो की पजा करत हो परमातमा अमत ह तम मतर क आराधक हो

तमह पता ह मनोवजञाचनक करा कहत ह दक आदमी मदो की पजा करो करता ह और तमह पता ह जब

कोई मर जाता ह तो बर-स-बर आदमी क सबध म भी दफर हम बराई नही करत हम कहत ह भाई मर गरा

अब उसकी परशसा करो मर हए आदमी की परशसा की जाती ह बर स बर आदमी की भी लोग दो शबद परशसा

म कहत ह

मन सना ह एक आदमी मरा गाव भर उसको हजदगी भर गाली ददरा िा गाव भर उसस परशान िा

लदकन दफर भी गाव उस मरघि पहचान गरा फलमालाए लोगो न पहनाई उसकी आतमा भी उड़ती-उड़ती

ऊपर अपनी अरिी क साि गई बड़ा हरान िा सोचा नही िा उसन कभी दक गाव क लोग इस तरह आस

बहाएग इस तरह फल चढ़ाएग वह तो कहन लगा अगर मि पता होता अपन ही मन म कहन लगा अगर मि

पता होता तो म पहल ही मर जाता अगर रह होता िा तो

अमरीका का एक बहत अदभत आदमी िा--अकला आदमी इचतहास का चजसन अपनी मौत की खबर

पढ़ी मरन क पहल उसन अपन सकरिरी को बला कर कहा दक खबर कर दो दक म मर गरा सकरिरी न कहा

आप होश म तो ह --ड़ाकिरो न कह ददरा ह दक बस चौबीस घि स जरादा नही जी सकता ह बस आचखरी

घड़ी करीब ह पर उसन कहा तम दफकर मत करो म चबलकल होश म ह म अपन मरन की खबर पढ़ना

चाहता ह दक लोग मर बाबत करा कहत ह हजदगी म तो मर सबध म लोगो न कछ अचछा कभी कहा नही

चचतत मरा चखनन ह म जरा दखना चाहता ह दक मरन क बाद लोग करा कहत ह

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खर खबर कर दी गई अखबारो म खबर छप गरी सपादकीर लख चलख गए--वह आदमी करोड़पचत

िा इसीचलए तो लोग गाली दत ि हजदगी भर स उसक चखलाफ ि बड़ी परशसा क गीत चलख गए दक

महादाता िा दानी िा ऐसा वसा पहल लोग कहत िः चोर शोषक बईमान धोखबाज पाखडी

मरन क पहल उसन जब अखबारो म सपादकीर दख और अपनी तसवीर दखी उस खद ही भरोसा न

आरा--करा रह मर ही सबध म र बात कही जा रही ह हालादक लोग मि गाचलरा दत ि मि अचछा न

लगता िा लदकन म जानता ह व िीक कहत ि अब र चबलकल सरासर िि ह हालादक मि अचछा लग रहा

उसन कहा बहत अचछा लग रहा ह बहत गदगदी मालम होती ह और मर रहा ह चनहित होकर

और उसन अपन सकरिरी को कहा दक बला लो फोिोगराफरो को और अपनी ही अखबार म मरन की खबर

पढ़त हए मर चचतर चनकलवा लो दफर मर मरन क बाद दफर खबर छप म दचनरा क मनषर-जाचत क इचतहास

का पहला और आचखरी आदमी ह चजसन अपनी मौत की खबर खद पढ़ी

मर जान क बाद हम करो परशसा करत ह मनोवजञाचनक कहत ह डर क कारण आदमी सदा स भरभीत

रहा ह मदो स भत-परतो स अब जस कोई नताजी मर गए हजदगी भर तो उनहोन सतारा ही अब तमह और

डर लगता ह दक अब मार गए अब रह दह स भी मि हो गए अब रह दीवाल पार कर जाए रात छाती पर

चढ़ जाए दक महाराज ऐसा मत करना

मनोवजञाचनक कहत ह दक हम मदो की परशसा करत ह भर क कारण पराना भर ह दक मरा हआ

आदमी पता नही अब करा कर पतनी न हजदगी भर सतारा रा पचत न हजदगी भर सतारा अब मर गए अब

रो लती ह पतनी छाती पीिती ह--भीतर-भीतर खश भी होती ह दक भल गए हजदगी भर रही चाहती िी दक

राम जी कब उिा ल अब राम जी न उिा चलरा तो रोती ह--मगर डरती भी ह घबड़ाती भी ह कपती भी ह

करोदक वस ही रह दषट िा आदमी और अब रह मर भी गरा अब रह ददखाई भी नही पड़गा अब रह घस

आए रात अधर म और

मलला नसरददीन न अपनी पतनी स कहा दक मरी बड़ी इचछा ह रह बात जानन की दक मरन क बाद लोग

बचत ह रा नही बचत तो हम म स जो भी पहल मर जाए वह वारदा कर दक तीसर ददन लाख अड़चन हो

मगर चषटा करगा सपका साधन की तीसर ददन आ जाए दरवाज पर दसतक द बस इतना कम स कम कह जाए

दक हा म ह तो भरोसा तो आ जाए मलला और मलला की पतनी न दोनो न तर कर चलरा दक िीक ह जो भी

पहल मर वह तीसर ददन आकर दरवाज पर दसतक द और अदर इतना कह द दक म हजदा ह और आदमी मरन

स ही मरता नही

दफर मलला कछ सोच म पड़ गरा दफर उसन कहा एक बात खराल रख अगर त पहल मर जाए तो ददन

म ही आना रात म नही ऐस भी म रात घर म रहगा नही तरी वजह स ही घर आना पड़ता ह रात मजबरी

म घर आना पड़ता ह रात वस भी म घर रहगा नही त पकका रख और रात अगर रह भी तो रात त आना

मत करोदक रात मि डर लगता ह और अधर म घर म अकला और त आकर दसतक दन लग भर उजाल म

आना अचछा तो हो दक दफतर म आना तो मि भी परमाण चमल जाएगा बाकी लोगो को भी परमाण चमल

जाएगा

चजसको तम छाती स लगात ि वह मदाा होकर मर कर तमहारा हाि हाि म ल ल तमहार पराण छि

जाएग एकदम

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इसचलए मनोवजञाचनक कहत ह दक आदमी मतर क भर क कारण मदाा की परशसा करता ह पजा क फल

चढ़ाता ह

र तम जो चपत-पकष इतरादद मनात हो इसका मतलब तमह चाह पता हो रा न हो इसका मतलब ह दक

ह चपता जी अब आप उसी तरफ रहना रहा सब िीक चल रहा ह शरादध दकए द रह ह हजदगी भर चजनकी

शरदधा म दो फल नही चढ़ाए ि मरन पर लोग उनका शरादध करत ह गरा जात ह शरादध करन अगर चपता हजदा

होत और कहत बिा मि गरा ल चलो तो कोई ल जान को राजी नही िा--हजदा चपता को कोई गरा ल जान

को नही िा दक काह क चलए करा जररत ह दफजलखची करवाना ह शाचत स घर म बिो तमह बढ़ाप म न

मालम कहा-कहा क खराल आत ह मगर चपता जी चल बस दफर बिा जी गरा जात ह डर दक अब दकसी

तरह छिकारा करो इनका जो कछ लना-दना ह चनपिारा करो कही आ-वा न जाए

मनषर डरता ह इसचलए मद की पजा करता ह हजदा का सममान नही ह जीवन का सममान नही ह

मतर का भर ह

तम परमातमा को दो ढग स खोज सकत हो एक तो मतर का भर उसस तम परमातमा को खोजन चलो

तो तमहारी खोज परिम स ही गलत हो गई और एक जीवन का परम उसस तम परमातमा को खोजन चलो तो

तमहार कदम िीक रासत पर पड़न लग

म तमह जीवन का परम चसखाना चाहता ह म तमह चाहता ह तम फलो स सबध जोड़ो तम इस जगत क

सौदरा स सबध जोड़ो तमहार जीवन म परम उमग और इस जगत म जो सवााचधक परम करन रोगर सिल ह वह

ह दकसी ऐस सत को खोज लना जो चमि गरा हो वहा समरपात हो जाना

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम कही हम साधा

जगजीवन कहत ह राम न कहा और हमन साधा उनहोन जो कहा वसा साधा हमन कछ उसम हर-फर

न दकरा

राम कही हम साधा रस एकमता औराधा

और इसी तरह दफर एकरस हए आराधना जमी परािाना पकी रस एकमत औराधा दफर हम धीर-

धीर एक ही हो गए राम न जो कहा वही हमन दकरा जो करवारा वही दकरा जो बलारा वही बोला

जसा नचारा वस नाच दफर धीर-धीर एक ही हो गए--करोदक भद ही करा रहा जब हम राम क हाि म ऐस

हो गए जस कोई किपतली नचान वाला नचाए तो नाच रकाए तो रक जब कोई ऐस अननर भाव स एक हो

जाता ह तो रस सधता ह तब तारतमर बिता ह तब तमहारी वीणा उसकी वीणा क साि बजती ह उसकी

वीणा क साि बजन का नाम ही आनद ह

अलग-अगल दख ह साि-साि सख ह उसस अलग नरक ह उसस जड़ कर सवगा ह जो उसक साि

एकरस हआ वही सवगा म हो गरा और जो उसक साि दर-दर रहा अपनी होचशरारी बनाता रहा अपनी

चलान की कोचशश करता रहा--और धरान रखना तम परािाना भी करत हो तो चलान की कोचशश तम जाकर

मददर म परमातमा स रही कहत हो दक मरी पतनी की तचबरत खराब ह िीक करो तम करा कह रह हो तम

रह कह रह हो दक ति होश ह कछ समि ह कछ अकल ह मरी पतनी को और बीमार दकरा--और मरी पतनी

को और बीमार ही करना हो तो इतनी पचतनरा दचनरा म ह िीक करो मरी चलन दो तमहारी परािाना का

अगर सार-चनचोड़ खोजा जाए मन हजारो लोगो की परािानाए सनी ह उनका सार-चनचोड़ इतना ह दक मरी

152

मजी परी हो त उस परा कर और रह परािाना हई दक मरी मजी परी हो रह तो परमातमा स सवा लन की

उतसकता हई सवा करना न हआ रह तो परमातमा को िकाना हआ अपन चरणो म उसक चरणो म सवर

िकना न हआ

दफर परािाना करा ह

परािाना का अिा हः तरी मजी परी हो जीसस क आचखरी वचन रही ि इस परथवी पर सली पर लिक

कषण आचखरी बात जो उनहोन कही िी वह रही िी दक तरी मजी परी हो रह परािाना सली पर लिक हए भी

रह कहा दक तरी मजी परी हो अगर त सली द रहा ह तो रही हसहासन ह अगर त सली द रहा ह तो बस

कािा भी फल ह जहर भी अमत ह तर हाि स जहर भी चमल जाए तो अमत ह तरी मजी परी हो और ऐसी

जब घड़ी आ जाती ह दक तमहारी मजी और परमातमा की मजी म कोई भद नही रह जाए उसकी मजी ही

तमहारी मजी ऐसी अननरता तो जगजीवन का वचन बड़ा परारा ह--रस एकमता औराधा ऐसी अननरभाव

का आराधन हो गरा रह ह परािाना का सवरप अननरभाव नही अनर ह तमस तमहारी ही दकरण ह तो तम

हो सरज तमहारी ही बद ह तम हो सागर तमहारी ही एक छोिी सी िलक ह तम हो माचलक पर पराणो स

जो कह सकः राऽऽमाचलक तरी मजी परी हो दफर तमहारी परािाना म माग नही रह जाती धनरवाद रह जाता

ह कवल धनरवाद और जब परािाना म कवल धनरवाद रह जाए तब परािाना का मजा और रग और सौदरा

और उतसव और दफर जीवन एक नर आराम म गचत करता ह उड़ता ह--ऊपर और ऊपर अचतकरमण कर

जाता ह सारी सीमाओ का लदकन परमातमा पर छोड़ो सब

िीक कहत ह जगजीवनः राम कही हम साधा दकतन सीध-साफ छोि-छोि वचन ह पर उपचनषदो

को मात कर द वद िप करान फीकी मालम पड़न लग राम कही हम साधा इसको और सरलता स कस

कहोग इसको और सरल नही दकरा जा सकता एकमता रस एकमता औराधा

कई चबजचलरा ब-चगर चगर पड़ी ह

इन आखो को अब आ गरा मसकराना

दफर तो चबजचलरा भी चगर तो भी फका नही पड़ता आखो को मसकराना आ गरा हो

कई चबजचलरा ब-चगर चगर पड़ी ह

इन आखो को अब आ गरा मसकराना

अब कोई हचता नही ह

एक बलबल ह दक ह महव-तरननम अब तक

इसक सीन म ह नगमो का तलातम अब तक

और एक िलक चमल जाए तो दफर उसका नगमा गजता ही रहता एक िलक चमल जाए जरोचत जल ही

जाती ह एक बद उसक रस की तम म उतर जाए दफर तम वही नही हो जो तम ि दचनरा समिगी वही

करोदक दचनरा तो तमह बाहर स दखती ह तमहारा नाक-नकश वही रहगा चाल-ढाल वही रहगी मगर भीतर

सब बदल गरा तम वही नही हो तमहार सीन म एक नरा नगमा आ गरा एक नई तरननम एक नई गीत की

शली आ गई तमहार भीतर अनाहत का नाद होन लगा

हम साध साध हम माही कोउ दसर जान नाही

जगजीवन कहत ह अब हमको पता चला दक उसम और हमम रतती भर भद नही ह हम उसम ह वह

हमम ह कोउ दसर जान नाही दसरा ददखाई ही नही पड़ता

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इसको कहन क दो ढग हो सकत ह एक ढग ह दक त ही ह म नही रह भि का ढग ह सफी का एक

ढग ह अह बरहमाचसम म ही बरहम ह रह जञानी का ढग ह मगर दोनो म बात एक ही हः अब दो नही ह अब

तमहारी मजी चाह इस चसिचत को म कहो जसा कषण न कहाः मामक शरण वरज रा इस चसिचत को त कहो

जसा मोहममद न कहा दक त ही ह जसा जलालददीन रमी न कहा दक त ही ह

रमी का गीत ह--

एक परमी अपनी पररसी क दवार पर दसतक दता ह और भीतर स पछा जाता हः कौन ह और परमी कहता

ह करा मि पहचाना नही म तरा परमी और भीतर सननािा हो जाता ह दफर दसतक पर दसतक दता ह और

पीछ स आवाज आती ह दक अब वयिा दरवाजा मत तोड़ो इस घर म दो क चलए जगह नही ह रह घर छोिा ह

जस कबीर न कहा न परम गली अचत साकरी ताम दो न समार ऐस भीतर स आवाज आई दक रह घर बहत

छोिा ह इसम दो न समा सक ग इसम एक ही समा सकता ह अभी जाओ अभी तरार नही हए अभी और

चनखरो अभी और पको और परमी चला गरा

और दफर वषा आए और गए और दफर उसन बड़ी तपिराा की अपन को गलारा दफर वषो बाद दवार पर

दसतक दी दफर वही परशनः कौन ह और अब उसन कहा दक त ही ह और रमी कहत ह दक दवार खल गए

र दो उपार ह एक ह जञानी का उपारः म ही ह और कछ भी नही इसका एक खतरा ह दक अहकार

जनम जाए चबना जान ही कोई कहन लगः अह बरहमाचसम अनलहक म ही ह इसका खतरा ह अहकार क जग

जान की सभावना ह और ऐसा खतरा हआ ह इस दश म बहत स अहकारी पदा हो गए करोदक शासतर का

सबत ह उनक चलएः अह बरहमाचसम कोई भी दावा कर सकता ह इस खतर स बचन क चलए इसलाम न बड़ी

कोचशश की दक रह खतरा पदा न हो पाए इसचलए मसर को फासी लगा दी करोदक मसर न कहाः अनलहक

म सतर ह म परमातमा ह सली लगा दी करोदक रह खतरा अहकार पदा न करवा द

लदकन दसरी बात का भी खतरा ह जब तम कहत हो त ही ह म नही ह तो आसचि पदा हो सकती ह

दीनता पदा हो सकती ह हीनभाव पदा हो सकता ह वह भी हो सकता ह और त ही ह म नही ह इसक खतर

दोनो की सचवधाए ह दोनो क खतर ह चजसको खतरा ही उिाना ह वह दकसी भी तरह स खतरा उिा

लगा और चजसको सचवधा उिानी ह वह दकसी तरह स भी सचवधा उिा लगा इसचलए म कहता ह दोनो िीक

ह सब तम पर चनभार ह सब कछ इस पर चनभार करता ह दक तम अगर सच म बदलन को उतसक हए हो तो

कोई खतरा नही--दकसी बात म कोई खतरा नही तम बदलन को ही उतसक नही हो तो दफर सभी बातो म

खतरा ह दफर तम दकसी भी चीज स खतरा उिाओग तमह अमत भी चमल जाएगा तो तम जहर बना लोग

तमहार पीन का सलीका ही गलत ह

हम साध साध हम माही

वह परमातमा जो परम साधर ह उसम हम ह वह हमम ह कोउ दसर जान नाही कोई दसरा ददखाई

नही पड़ता दसरा जानन म नही आता एक अिा ह और इस वचन का दसरा भी अिा ह दक रह घिना तो हमार

भीतर घि रही ह दसरा कोई इसको नही जान पा रहा ह रह राज तो भीतर खल रहा ह र पद तो भीतर उि

रह ह र घघि तो भीतर खल रहा ह मरत परकि होती जा रही ह रस बहन लगा ह मगर बड़ा मजा ह

दचनरा म दकसी को पता ही नही चल रहा ह पास ही जो बिा ह उसको भी पता नही चल रहा ह पचत को हो

154

जाए पतनी को पता नही चलता पतनी को हो जाए पचत को नही चलता गहर स गहर चमतर को हो जाए तो भी

पता नही चलता इतना आतररक ह वहा दकसी दसर की गचत नही ह रह भी अिा हो सकता ह

कोउ दसर जान नाही

एक अिा दक वहा कोई दसरा नही जाना जाता दफर उस म कहो त कहो कछ फका नही पड़ता और

दसरा अिा दक चजसको रह घिना घिती ह रस एकमता औराधा चजसक भीतर रह एकरस जनमता ह चजसक

भीतर परमातमा और आतमा का एक हो जाती ह चजसक भीतर म और त अपनी सीमाए छोड़ दत ह और

आहलगन म आबदध हो जात ह सदा क चलए एक हो जात ह चजसक भीतर रह चमलन घि जाता ह बाहर

दकसी को कानोकान खबर नही होती

इसचलए कई बार रह हो सकता ह दक तम दकसी बदधपरष क पास भी आ जाओ सरोग स और र ही

गजर जाओ तमह पता भी न चल बहत सजग होओ बहत सोच-सोच कर चलो बहत भावक होओ हदर को

खला रखो तो ही शारद िोड़ी सी परतीचत हो वह परतीचत भी बस एक िलक की भाचत होगी बड़ी दर की

िलक जो बचदध स बहत भर ह उनह तो चबलकल पता नही चलता उनह तो पता ही नही चलता उनका सदगर

स चमलना ही नही होता लदकन भाव स परम स भर लोग िोड़ी-िोड़ी परतीचत करन लगत ह सदगर क करीब

उनह रोमाच हो आता ह उनकी आख गीली हो जाती ह उनक हदर म धड़कन बढ़ जाती ह उनक भीतर ऊजाा

का परवाह उिन लगता ह जस कोई एक वीणा को बजाए और दसरी वीणा ऐस ही रखी हो कमर म कोई छए

भी न तो पहली वीणा क बजत ही दसरी वीणा क तार भी िनिनान लगत ह

रह तमन दखा करक दखना

दवार-दरवाज बद कर दना एक कोन म एक वीणा रख दना तम उसी वीणा क िोड़ी दर बि कर दसरी

वीणा को छड़ दना जस ही िकार कमर म गजन लगगी अचानक तम पाओग चजस वीणा को तमन छड़ा भी

नही ह उसक तार भी कपन लग ह ऐस ही तार कप जात ह भाव क अगर मरी वीणा बज रही ह और तम

मरी बजती वीणा क पास अपन हदर को छोड़न को राजी हो जाओ--कषण भर को भी अपनी बचदध को हिा लो-

-कषण भर को भी तो कछ तार कप जाएग उन तारो क कपन स ही सकत चमलता ह शरदधा का जनम होता ह

चजन दसर करर जाना तचह होइहह नरक चनदाना

चजनहोन परमातमा को दसरा करक जाना ह व नरक म ह और नरक म ही पड़ रहग दखत हो नरक की

रह पररभाषा रह परारी पररभाषा पाप क कारण नरक नही ह दक तमन बर काम दकए ह इसचलए नरक

और अचछ काम दकए ह इसचलए सवगा नही सवगा और नरक का रहा अिा ही और ह चजन दसर करर जाना

रही एक पाप ह--महापाप कहो--दक चजसन अपन को परमातमा स दसरा करक जाना ह चजसन अपन को म

बना रखा ह जो कहता ह म अलग ह म िकगा नही म लडगा म अलग ह म जीत कर रहगा म चवजर-

रातरा पर चनकला ह चजसक मन म ऐसी धारणा ह जो परमातमा स सघषारत ह वही नरक म जी रहा ह और

नरक म पड़गा

चजन दसर करर जाना तहह होइहह नरक चनदाना

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

राम की तरफ स एक ही खबर आ रही हः जगजीवन चरन चचत लाव िको चरणो म लीन हो जाओ

चरणो म चवलीन हो जाओ चरणो म समरपात हो जाओ राम की तरफ स एक ही खबर आ रही ह--सो कचहक

राम समिाव--बस उसकी तरफ स ही पकार हः चमिो तादक म तमहार भीतर परा-परा परकि हो सक हिो

155

राह दो दवार दो तादक म तमहार हदर म चवराजमान हो जाऊ तम इतन अकड़ कर बि हो भीतर हित ही

नही पतिर होकर बि हो भीतर गलत ही नही गलो चपघलो और चजन चीजो स भी गलना और चपघलना हो

सक उन-उन चीजो का उपरोग कर लो

सतसग सबस महततवपणा ह जहा गलना हो जाता ह औरो को गलत दखकर तमको भी गलन की आकाकषा

अभीपसा जग जाती ह औरो को चपघलत दख कर तम भी चपघलन लगत हो सतसग ऐसा ह जस सबह सरज

ऊग और बफा चपघलन लग सतसग ऐसा ह जहा कोई सरज ऊगा ह और तमहार अहकार की बफा चपघल सकती

ह अधर म रहोग तो जमी रहगी कभी-कभी सरजो स मलाकात करो कभी-कभी रोशनी क आमन-सामन हो

जाओ बचत न दफरो लोग बचत दफर रह ह लोग सतसग स बहत डरत ह बड़ भरभीत होत ह उनक भर का

कारण भी ह करोदक सतसग म जान का मतलब होता ह दक दफर पता नही लौिना हो पाएगा दक नही दफर

पता नही चचतत वही न रह जाए हदर वही न छि जाए और अगर सतसग म गए तो रह होन ही वाला ह भर

िीक ही ह

गऊ चनकचस वन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

चजसन सतसग दकरा ह वह दफर ससार म कही भी रह उसका चचतत सतसग म लगा रहता ह उसका

चचतत वही दौड़ता रहता ह उसका मन गर क चरणो म ही लगा रहता ह

और धरान रखना गर का अिा ही वही होता ह जो अब नही ह चजसक होन म अब परमातमा का ही

होना ह इसचलए इस दश म हमन गर को भगवान कहा भगवतता दी परमातमा कहा ऐस गरओ को भी हमन

भगवान कहा जो भगवान को मानत भी नही जस महावीर को भी भगवान कहा इस दश की छाती बड़ी ह--

कम स कम बड़ी िी अब चाह न भी हो

अब तो बड़ी चसकड़ गई ह महावीर को भी भगवान कह सक हम उस वयचि को चजसन कहा भगवान ह

ही नही बदध को भी भगवान कह सक हम उस वयचि को चजसन कहा भगवान भी नही ह और भीतर कोई

आतमा भी नही ह सब शनर ह इस शनरवादी को भी हम भगवान कह सक करोदक हम पता ह शनरवाद अगर

परा हो जाए तो पणा तो आ ही जाता ह उसको लाना नही पड़ता बदध क शनरवाद स बहतो क जीवन म पणा

उतरा बदध न चमिन पर जोर ददरा चनषध पर जोर ददरा चवधर की बात ही नही की करोदक चवधर तो हो ही

जाएगा बीमारी चली जाए सवासरथर तो अपन स आ जाता ह सवासरथर की बात ही करा करनी और सवासरथर

की बात भी करो तो करा करोग बात तो बीमारी की ही हो सकती ह सवासरथर की चचाा म ह करा अगर

सवसि हो कोई पछ कहो भाई कस हो तो इतना ही कह सकत हो दक िीक ह इसम कछ खास चचाा ह नही

लदकन अपचडकस का आपरशन हआ ह िाचसल का आपरशन हआ ह दक गद की बीमारी ह तो दफर हजार बात

एक मचहला एक डाकिर क पास पहची और उसन कहा मरा आपरशन कर दो डाकिर न कहा लदकन

आपरशन दकस बात का और दकसचलए उसन कहा दकसी भी चीज का कर दो चदक और सब मचहलाए खब-

खब चचाा करती ह मर पास चचाा करन को कछ ह ही नही कोई कहती ह छः इच का िाका लगा अपचनडकस

चनकलवा दी कछ भी चनकाल दो नही तो म गगी बनी बिी रहती ह वाताालाप क चलए कछ ह ही नही

बीमारी हो तो चचाा का उपार ह सवासरथर की करा चचाा और बीमारररो क नाम होत ह सवासरथर का

कोई नाम भी नही होता सवासरथर तो चवशषणहीन ह तमस अगर कोई पछ कहो सवसि हो तम कहो हा

156

वह पछ दकस परकार का सवासरथर तो तम करा उततर दोग हा बीमारी होती ह तो दकस परकार की कौन सी

बीमारी दकस ढग की ढग-ढग की बीमारररा होती ह बीमारररा अनक सवासरथर एक

ऐस ही अधमा अनक धमा एक हहद मसलमान ईसाई जन धमा क नाम नही हो सकत धमा तो एक ह--

सवासरथर--अधमा अनक हो सकत ह

तीन सौ धमा ह जमीन पर--और बहत स धमा रह और चमि भी गए और बहत-स आग होत रहग और

बनत और चमित रहग लदकन धमा कही बनता और चमिता ह धमा तो सवासरथर ह र जो हहद जन बौदध ह

र औषचधरा ह र दकसी बीमारी को चमिान क उपार ह इनका मलर ह औषचध की तरह इनको धमा मत

कहो ऐस ही जस कोई आरवददक औषचध कोई एलोपचिक औषचध कोई होचमरोपचिक औषचध--चजसको जो

रच चजसको जो पच और चजसको चजसस लाभ हो जाए और चजसकी जहा शरदधा हो

अब चजसकी होचमरोपिी पर शरदधा ह उस होचमरोपिी स लाभ हो जाता ह चजसकी शरदधा नही ह वह

कहता ह दक शककर की गोचलरो स करा होगा वजञाचनको न पररोग दकए ह इस बात पर और बड़ हरान हए हाः

शरदधा हो तो शककर की गोली स भी लाभ हो जाता ह और शरदधा न हो तो तम दकतनी ही बड़ी दवा द दो कोई

लाभ न होगा

अकसर ऐसा हो जाता ह दक डाकिर की चजतनी जरादा फीस हो उतनी जलदी तम िीक हो जात हो

जरादा फीस पर शरदधा आती ह दक जब इतनी फीस ह और इतनी फीस दकर लोग जात ह तो कछ राज ह अगर

डाकिर मफत इलाज कर इलाज काम ही नही आता लोग कहत ह वहा करा होगा मफत दवा करता ह दफर

भी भीड़ नही ह दवाखान म और वहा दखो जहा पचास रपए फीस दनी पड़ती ह वहा कर लगा ह चार-

पाच ददन क बाद मौका चमलगा डाकिर क पास जान का

चजतनी फीस हो डाकिर की उतनी जरादा जलदी बीमारी िीक होती ह दफर दवा पर चजतना भरोसा

हो

कभी-कभी तो ऐसा हो जाता ह एक आदमी न मि कहा--चचदकतसक ह बजगा ह बसतर गए ि

आददवासीरो का इलाका एक आददवासी को दर क जगल स लोग ल आए ि वह चबलकल मर रहा िा िी बी

िा उस--साफ जाचहर िी बी िा और आचखरी अवसिा म िा और वदय क पास कोई इलाज का सामान भी न

िा वहा कोई दवा भी न िी दवा तो दर कागज और कलम भी न िी सो पास म पड़ एक खपड़ पर पतिर

सफद उिा कर उनहोन दवा का नाम चलखा और खपड़ा उस द ददरा और कहा रह दवा ल लना रोज सबह-

शाम एक-एक बार और दफर तीन महीन बाद मि चमल जाना आकर वह तीन महीन बाद आदमी आरा

चबलकल चगा हषट-पषट उसन कहा चबलकल िीक हो गरा गजब की दवा काम की दफर स द द दवा तो उस

वदय न कहा दवा मन तमह दी नही िी चसफा चलख कर ददरा िा उसन कहा करा कह रह हो म तो उसी को

घोि-घोि कर पीता रहा गरीब आदमी बपढ़ा-चलखा आदमी खपड़ को घोि-घोि कर रोज सबह-साि पीता

रहा आप कहत करा ह अमत िा अमत दफर तो वह वदय मिस बोल दक म चप ही रहा दक अब कछ कहना

िीक नही ह सब गड़बड़ हो जाए बना-बनारा गड़बड़ हो जाए मन दफर खपड़ पर चलख कर वही दवा का

नाम उसको द ददरा दक भई इसको त और छः महीन ल ल अब आन की जररत ही नही

बदध को भी हमन भगवान कहा हालादक उनहोन भगवान को माना नही मगर चजनहोन उनक शनर को

समिा जो उनक शनर म उतर उनहोन भगवान को जाना

157

सार धमा औषचधरा ह इनको धमा मत समि लना धमा तो तब होगा जब इन औषचधरो क दवारा

तमहारी बीमारी कि जाएगी और तमहार भीतर सफता होगा सवभाव सवभाव धमा ह महावीर न पररभाषा की

हः वति सहावो धमम वसत का सवभाव धमा ह तमहारा सवभाव धमा ह जस आग का सवभाव हः जलाना रह

उसका धमा ह और पानी का सवभाव हः नीच की तरफ बहना रह उसका धमा ह ऐस तमहारा सवभाव हः

परमातमा होना रह तमहारा धमा ह

धमा तो एक ही ह अनक बीमारररा ह अनक औषचधरा ह औषचध क शासतर ह

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

जो राम न कहा इतना ही कहा ह राम न उस तरफ स एक ही पकार आती ह--राम रानी उस तरफ का

नाम ह राम स तम दशरि-पतर राम मत समि लना राम तो चसफा नाम ह उस तरफ स आती पकार का दर

की आती हई धवचन अनत की धवचन--उसका एक ही इशारा हः िक जाओ चमि जाओ शनर हो जाओ

साध क गचत को गाव

और एक बार तम िको तो तमह पता चल तब तमह पता चल दक जो साधता को उपलबध हआ ह जो

वसततः सततव को उपलबध हआ ह उसकी गचत को कोई और नही जान सकता जब तक दक वह सवर भी वसा

न हो जाए

साध क गचत को गाव

कोई बता नही सकता कोई गनगना नही सकता कोई गा नही सकता चजसन जाना ह वह भी नही कह

पाता बता पाता तो दसर चजनहोन जाना नही व तो करा बताएग तम साध को दख कर न समि पाओग

साधता करा ह हा उसक आचरण स तम अदाज लगा लोग मगर वह अदाज खतरनाक ह उस अदाज क

कारण बहत नकसान हआ ह लोग दखत ह दक साध कस उिता कस बिता करा खाता करा पीता करा

पहनता सब चहसाब-दकताब लगा कर वह भी उसी तरह उिन लगत बिन लगत वही खान लगत वही पीन

लगत--बस चक हो गई तमहारी हजदगी म पाखड हो जाएगा

साध का उिना-बिना खाना-पीना कोई बहत आधारभत बात नही ह अलग-अलग साध अलग-अलग

ढग स उित-बित खात-पीत बदध क पास जाओग तो वह वसतर पहन हए ह महावीर क पास जाओग तो वह

नगन ह रामकषण क पास जाओग तो वह मसती म बहोश हो जात ह चगर पड़त ह डाकिर तो कहत ह दक

चहचसिरररा ह रा चमगी की बीमारी ह बदध क पास तो कभी दकसी न नही दखा दक वह चगर हो दक बहोश हो

गए हो मीरा क पास जाओग तो नाचता हआ पाओग महावीर क पास जाओग तो चबलकल चनसतरग--कहा

नतर कसा नतर सब िहरा हआ जस पतिर की मरता

रह आकचसमक नही ह दक जनो और बौदधो क कारण ही पहली दफा पतिर की मरतारा बनी दचनरा म

करोदक महावीर और बदध म कछ िोड़ा सा सगमरमर जसा िहरापन िा सगमरमर म उसकी िलक ह

इसचलए दोनो िहर गए ि जस चनसतरग जल हो सगमरमर म िोड़ी िलक ह इसचलए जनो और बौदधो न

सबस पहल मरतारा बनाई करोदक महावीर को चजनहोन खड़ दखा चबलकल चनसतरग अकप उनको पतिर की

राद आई

महावीर की मरता बन सकती ह मीरा की कस बनाओग मीरा तो तरग ह नाचती हई अभी रह अभी

वह मीरा की मरता अगर बनाई हो तो फववार स बनानी पड़गी पतिर स नही बन सकती उतनी तरग लानी

पड़गी अब मीरा को दख कर तम नाचन लगना तमहारा नाच िि होगा करोदक मीरा क भीतर परमातमा

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उतरा ह और परमातमा नाच रहा ह इसचलए मीरा नाच रही ह--मजी तमहारा नाच तमहारी मजी वही िि

होता ह वही पाखड हो जाता ह महावीर क भीतर परमातमा उतरा उसन वसतर फक ददए परमातमा नगन खड़ा

होना चाहा ह परमातमा नगन खड़ा हो गरा वह परमातमा की मजी महावीर को भी मन म उिा होगा दक कम

स कम लगोिी तो लगाए रखो लदकन परमातमा की मजी नगन होन की िी तो वह नगन हो गए और कषण म

परमातमा की मजी िी दक मोरमकि बाध दक पीताबर पहन दक शरगार और सौदरा कषण को भी लगा होगा

दक रह जरा िीक तो नही मालम पड़ता इसस तो ऐसा लगता ह जस कोई रासलीला कर रह ह इसस ऐसा

लगता ह जस कोई नािक-मडली रह कछ जचता नही मगर करो करा परमातमा की मजी जच दक न जच

कषण भी िोड़ उतन ही चौक होग चजतन महावीर चौक होग दक रह माजरा करा ह लगोिी तो बचन

दो कषण को भी लगा होगा--और रह कोई जरादा इनका फासला नही िा करीब ही करीब ि--कषण को भी

लगा होगा कषण क ही एक चचर भाई नचमनाि जचनरो क तीििकर ह वह नगन हो गए ि नचमनाि नगन हो

गए ि चचर भाई ह कषण क कषण उनक दशानो को भी गए बड़ भाई ि एक तरफ नचमनाि ह जो नगन हो

गए ह एक तरफ कषण ह जो मोरमकि बाध खड़ ह जसी परमातमा की मजी

लदकन तमन अगर बाहर स आचरण दख कर िोपा तो वह तमहारी मजी ह वही पाखड हो गरा वही

तम आ गए इसचलए आचरण दख कर अनकरण मत करना अनरिा तम िोि क िोि रह जाओग

सतसग करो सदगर क हदर को तमहार हदर स चमलन दो डोलन दो नाचन दो चपघलन दो धीर-धीर

वहा स कछ तमहार भीतर पदा होगा और तमहार आचरण तक आएगा तो तो ही कछ हआ अनरिा सब

पाखड ह धोखा ह

साध क गचत को गाव जो अतर धरान लगाव

कौन समिगा साध की गचत जो अपन अतर म उतरगा जो अतर धरान लगाव जो बाहर की सब भल

जाए और भीतर बस रह

जब गर क पास बिो तो बाहर की सब भल जाना--भल ही जाना सारा ससार बस रह जाना भीतर-

भीतर बस हदर की धड़कन बन जाना धड़कन स जरा भी जरादा नही धड़कन म ही समा जाना बस धड़कत

ही रह जाना न शबद न वाणी न चवचार न ससार न वयवसार न वयापार कछ भी नही सब गरा चसफा रह

गरा धड़कता हआ ददल बस उस धड़कत ददल स चमलन हो जाएगा धड़कता ददल इस परमातमा क साि

धड़कत ददल क साि चमल जाएगा एक कषण भर को िरोखा खल जाएगा और वहा स उतरगी दकरण जो

अतर धरान लगाव उसको पता चलता ह दक साध क भीतर करा हआ ह

चरन रह लपिाई

दफर तो वह एकदम गर क चरणो म चलपि जाता ह चरन रह लपिाई शबद दखना छता ही नही

चरण--चरणसपशा करन का मतलब हआः दकरा सपशा और गए--लपिाई चलपि कर ही रह जाता ह दफर कही

भी हो उनही चरणो म चलपिा रहता ह

चरन रह लपिाई काह गचत नाही पाई

दकसी और न गचत पाई नही जो चरणो म चलपि गरा उस िोड़ी िलक चमली गर क चरणो म चलपि-

चलपि एक ददन पता चल जाता हः गर क चरण तो खो गए ह परमातमा क चरण हाि म आ गए ह शरआत

होती ह गर स पहचना होता ह परमातमा पर

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

159

और कोई चवरला ही पहचान पाता ह सौभागरशाली पहचान पाता ह और वही पहचान पाएगा अतर

राख धराना जो धरान को भीतर डबा द

मर पास तम बित हो तो सोचो मत चवचारो मत धराओ सोचो मत चवचारो मत धड़को सननािा हो

जाए खद की शवास की आवाज सनाई पड़न लग सब चपपी हो जाए सब चनसतबध हो जाए जस बाहर का

सब खो गरा तम रह गए बस अचसततव मातर बस उसी जगह स सकरमण ह उसी जगह स सवाद ह

एक िा पागलखाना पागलो म रोज चववाद चछड़ जाता िा पागलो म चववाद ही चछड़ सकता ह सवाद

तो हो ही नही सकता सवाद तो बड़ समिदारो म होता ह

अब जस तम रहा बि हो चप और मौन रह सवाद हो रहा ह रहा भी कोई पागल आ सकता ह वह

बिा-बिा चववाद ही करता रहता ह उसकी खोपड़ी म चववाद चलता रहता ह वह सोचता ह रह िीक रह

गलत रह मिस मल खाता ह रह मिस मल नही खाता ह रह मरी दकताब म चलखा ह रह मरी दकताब क

चखलाफ जा रहा ह रह बात नही मान सकता म कभी भी वह इसी तरह क चववाद म पड़ जाता ह

तो पागलखाना िा बड़ा बहत पागल ि रोज चववाद चछड़ता िा--पागल और कर भी करा ददन भर

चववाद क चसवा कोई उपार न िा एक ददन एक बड़ा अदभत चववाद चछड़ा चववाद का चवषर िाः इस

पागलखान म सबस बड़ा पागल कौन ह सवभावतः पागलो को रही धन रहती ह दक सबस बड़ा कौन सबस

बड़ होन क पीछ ही तो लोग पागल हो जात ह पागलपन ही करा ह दचनरा म सबस बड़ा कौन त दक म

भारी चववाद चछड़ा काफी हो-हलला मचा मारपीि हई चीज फकी गरी जतो स सवागत-सतकार हआ

करसारा तोड़ डाली तसवीर दीवाल पर लिकी चगरा दी--बड़ा हो-हलला मचा और दफर रह तर हआ चववाद क

बाद दक इस पागलखान म सबस बड़ा पागल डाकिर ही हो सकता ह करो--कछ न शका वयि की करो--कछ

पागल बोल तो उनहोन कहा अर अचछा-भला पागलो क बीच रह रहा ह और करा पागलपन हो सकता ह

इस मरख को तो दखो अचछा-भला पागलो क बीच रह रहा ह

चववाद चवचकषपतता ह और चववादी को हमशा बदधपरष पागल मालम पड़ ह अचछ-भल पागलो क बीच

रह रह ह पागलो का अपना पागलपन नही ददखाई पड़ रहा ह जो पागल नही ह वह सबस बड़ा पागल मालम

होता ह रह तो सवाद का उपार नही सवाद तो तभी होता ह जब सब चववाद चल जात ह सब चवचकषपतता

चचतत की चली जाती ह चप सननाि म कोई सनता ह जस सगीत को सनत हो ऐसा ही सदगर को सनो सगीत

सनत वि तम रह तो नही सोचत करा िीक करा गलत चसफा सनत हो रसमगन रस एकमता औराधा

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

जगत दकहो एचह बासा प रह चरन क पासा

चजसको सतसग लग गरा वह दफर जगत म रहता ह लदकन उन चरणो स दर नही रहता जगत दकहो

एचह बासा प रह चरन क पासा चरणो क पास ही बना रहता ह चरण उसक हदर क भीतर ही चवराजमान

हो गए रह अिा ह चरन रह चलपिाई

जगत कह हम माही

जगत तो रही समिता ह दक साध रह कसा साध रह तो हमार ही भीतर रह रहा ह हमार ही जसा

रह रहा ह जगत कह हम माही पागलो न दखा न डाकिर को कहा सबस बड़ा पागल अगर रह पागल न

होता तो हम पागलो क बीच करो रहता पागल ही होना चाचहए और सबस बड़ा पागल होना चाचहए साध

जो ससार म रहगा उस लोग कहग हमार ही जसा ह इसम करा रखा ह

160

मर पास लोग आत ह व कहत ह आप लोगो को सनरास द दत ह दफर व दकान पर बि कर दकान भी

कर रह ह उनकी पतनी भी ह बचच भी ह घर-दवार भी ह रह कसा सनरास र तो हमार ही जस ह हा तमहार

ही जस ह बाहर-बाहर करोदक कराचत का जो ददरा म जलाना चाहता ह वह बाहर का नही ह भीतर का ह

अतर राख धराना

जगत दकहो एचह बासा इस ढग स जगत म रह इस जगचत स इस चवचध स जगत म रह रह चरन क

पासा

जगत कह हम माही व चलपत काह मा नाही

लदकन जगत कह तो कहन दो तम रहना जगत म और चलत मत होना भागना मत भागन स कोई मि

नही होता चलपत न होन स मि होता ह

जस गह तस उदराना

सचच साध को तो घर और जगल एक जसा ह

जस गह तस उदराना व सदा अह चनरबाना

व तो सदा ही चनवााण की दशा म ह चनवााण की दशा बड़ा अिापणा शबद ह चनवााण का अिा होता ह

दीर का बि जाना कहत ह दीर का चनवााण हो गरा--जब दीरा बि जाता ह चजनका अहकार बि गरा ह व

चनवााण की दशा म ह उनकी अहकार की रिमरिमाती पीली सी रोशनी बि गई अब परम परकाश ही उनका

परकाश ह अपना अलग स कोई परकाश नही रखा ह उनहोन अपनी मजी नही बचाई ह व सदा अह

चनरबाना व चाह घर म हो चाह जगल म सब जगह चमि ह शनर ह

जरो जल कमल क बासा जस जल म कमल बास करता ह व वस रहत चनरासा व वस ही अचलपत

ह उनकी ससार स कोई आशा नही ह ससार स कछ पान की आकाकषा नही ह लदकन परमातमा न ससार म

भजा ह तो जो अचभनर उसन ददरा ह उस परा कर दना ह उस अचभनर को बीच म छोड़ कर भाग जाना

परमातमा क परचत अवजञा होगी रह उचचत नही ह अचभनर ह ऐसा जान कर परा कर दना ह

जस करम जल माही जस कछआ जल म जाता ह----वाक सरचत अडन माही लदकन उसकी राद तो

अपन अडो म लगी रहती ह जो दकनार पर रख ह

भवसागर रह ससारा व रह जचि त नरारा

ऐस ही रह ससार सागर ह इसम कछव की भाचत तम अगर आ भी गए हो तो भी राद दकनार की रह

व रह जचि त नरारा रहो इसम कला रही ह दक रहो भी और रहो भी नही भगोड़ कलाकार नही ह भगोड़

बहत सिल ह घर छोड़ कर जो चल गए ह जगल म उनहोन बड़ी छोिी-सी कराचत की ह बड़ी ओछी-सी कराचत

की ह इसस आतमा नही बदल जाएगी इसस करा होगा

मन सना ह एक कौवा जा रहा िा उड़ा परब की तरफ एक कोरल न पछाः चाचा कहा जा रह हो

उस कौव न कहा म परब जा रहा ह परब क दशो क लोग अचछ ह और भल ह अब मि रहा पचिम म नही

रहना ह करोदक दकसी को भी मर मधर गीत पसद नही आत कोरल न कहाः चाचा परब जान स करा होगा

जरा गीतो का ढग बदलो जरा और गीत गाओ जरा और कि बनाओ र गीत परब म भी पसद नही दकए

जाएग

रहा स वहा जान स कछ भी नही होन वाला ह बदलो जहा हो वही बदलो दफर चाह घर हो दक

जगल सभी जगह परमातमा का वास ह व रह जचि त नरारा और रही कला ह असली कला रही ह रहो

161

बीच बाजार म और ऐस जस जगल म होओ रहो घर म और ऐस जस आशरम म हो रहो गहसि और ऐस जस

सनरसत हो इसी कला को म तमह दना चाहता ह--मर सनराचसरो को म तमह ससता धमा नही दना चाहता

धमा महगा ह

बहत हसी सही सोहबत गलो की मगर

वो हजदगी ह जो कािो क दरमारा गजर

फलो क पास रहना िीक लदकन हजदगी असली वही ह जो कािो क पास रह और ऐस रह जस फलो क

पास ह

वो हजदगी ह जो कािो क दरमारा गजर

जगजीवन ऐस िहराना

ऐस जगजीवन िहर गरा ससार म--और भीतर िहर गरा

जगजीवन ऐस िहराना सो साध भरा चनरबाना

और वही स साधता जगी और वही स चनवााण पदा हआ वही अहकार चमिा और परमातमा स चमलन

हआ

जगजीवन ऐस िहराना

जगजीवन कहत ह म रह अनभव की कहता ह ऐस ही म िहरा ऐस ही तम भी िहर जाओ भागत

कहा हो भागन स कोई कही िहरा ह िहरन स कोई िहरता ह जहा हो वही िहर जाओ वही भीतर जरोचत

जगाओ वही अतरमख हो जाओ वही सतसग करो वही सदगर क चरण गहो वही राद को परमातमा म

लगाओ और जो अचभनर भी उसन ददरा ह उस परा करो परी तरह परा करो रही तमहारी परािाना होगी

रही तमहारी पजा

और एक ददन तम चदकत हो जाओग बाहर सब वसा-का-वसा रहता ह भीतर सब बदल जाता ह और

जब भीतर सब बदल जाता ह तो बाहर भी सब अपन-आप बदल जाता ह करोदक दचषट और हो जाती ह दखन

का ढग और हो जाता ह दफर वकष नही ददखाई पड़त परमातमा ही हरा होता ददखाई पड़ता ह दफर लोग नही

ददखाई पड़त परमातमा ही चभनन-चभनन रपो म चलता हआ ददखाई दता ह दफर चाद-तार नही ददखाई पड़त

परमातमा ही अनक-अनक परकाशो म अनक-अनक ढगो स बरसता हआ मालम होता ह दचषट सचषट ह और जब

दचषट बदल जाती ह तो सचषट बदल जाती ह रह ह कला भगोड़पन म कला नही ह जहा हो वही िहर जाओ

व रह जचि त नरारा जल म कमलवत ऐस नरार होन की कला सीखो

और लोग तो नही समिग उनकी हचता न करना लोग कभी नही समि ह उनकी बात ही मत दफकर

म लना हस तो हसन दना नाराज हो तो नाराज होन दना चवरोध कर तो चवरोध करन दना उनक परचत मतरी

और करणा का भाव खचडत मत होन दना रह उनकी मजबरी ह उनकी समि म नही आ रहा ह जो उनकी

समि म नही आता व उस गलत मानत ह लदकन तम अपन भीतर क रस को इस कारण खचड़त मत करना

तम इन बातो म मत उलिना तम अचलपत बन रहना और जलदी ही तम पाओग वह अपवा घिना घिती हः

रस एकमता औराधा

दचनरा क चसतम राद न अपनी ही वफा राद

अब मिको नही कछ भी मोहबबत क चसवा राद

दफर कछ और नही बचता उसक परम क चसवार न म न त

162

तरी राद की उफ र सरमचसतरा

कोई जस पीकर शराब आ गरा

और एक अपवा मसती एक अपवा नशा छा जाता ह जो ििता ही नही जो अचवचचछनन ह जो शाशवत ह

आज इतना ही

163

अरी म तो नाम क रग छकी

आिवा परवचन

गर ह शमा चशषर परवाना

पहला परशन गर तो सदव ममकष की आधराचतमक चसिचत जान सकत ह परत ममकष कस जान दक गर को

उपलबध ह अिवा नही और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव म बाजी हार गरा ह तो

करा वह दसर गर क पास जा सकता ह

कपरा अपनी मानरता सपषट कर

शरीराम शमाा गर चना नही जाता और जो चनगा वह चनन म ही चक गरा तम गर चनोग तम

चनोग न तम गलत हो तमहारा चनाव भी गलत होगा तम कहा स आख लाओग दखन वाली तमहार पास

कसौिी करा ह तमहारी बचदध जो भी सोच सकती ह चवचार कर सकती ह वह तमस पार का नही होगा

तमस ऊचा नही होगा तमहार हाि तमहार ही हाि ह इसचलए तम जो भी पकड़ोग जो भी चनोग वह

तमहारी बचदध की सीमा क भीतर होगा और जो तमहारी बचदध की सीमा क भीतर ह उसम तम बचदध क पार न

जा सकोग तमहार चनाव म तमन सवर को ही दफर चन चलरा तमन चना वही भल हो गई तम सोचत हो दक

भल बाद म पता चलगी भल परिम ही हो जाती ह पहल कदम पर ही असली सवाल ह गर चना नही जाता

गर का चनाव चनाव नही ह परम जसी घिना ह--हो जाता ह और अकसर तो तमहारी बचदध क बावजद

होता ह तमहारी बचदध कहती रहती हः नही नही इनकार करती रहती ह और तमहारा हदर कदम बढ़ा लता ह

और छलाग लगा लता ह गर का सबध हदर का सबध ह बचदध और चवचार का नही तका का नही भाव का

तमहारा परशन तो चवचार का ह

तम पछत होः गर तो सदव ममकष की आधराचतमक चसिचत जान सकत ह परत ममकष कस जान दक गर

सतर को उपलबध हआ ह रा नही

कोई उपार ही नही ह जानन का न कभी िा न कभी होगा अधा कस जानगा दक दसरा आदमी जो

सामन खड़ा ह उसक पास आख ह रा नही सोरा आदमी कस जानगा दक जो पास बिा ह वह जागा ह रा

नही कोई उपार नही ह लदकन बचदध क बावजद कभी-कभी भाव की तरग पकड़ लती ह और तमह बहा ल

जाती ह गर स सबध एक तरह का पागल सबध ह चवचार का नही चहसाब का नही गचणत का नही

इसचलए जो गर को पकड़ लत ह लोग उनह दीवाना ही समित ह सदा स दीवाना समित ह व दीवान

ह रह वसा ही सबध ह जसा परम का एक सतरी को तमन दखा रा एक परष को दखा और तमह परम हो गरा

तम कस जानोग करा उपार ह बचदध क पास दक चजसस तमहारा परम हआ ह रही वासतचवक परम का पातर ह

चजस सतरी क तम परम म पड़ गए हो रह तमहारी िीक-िीक पतनी चसदध हो सकगी तमहार बचचो की िीक-िीक

मा बन सकगी समरक गचहणी हो सकगी तमहारा घर समहाल सकगी तमह सख-दख म साि द सकगी करा

उपार ह जानन का लदकन परम जानना ही नही चाहता परम कहता हः न हो सकगी िीक पतनी तो भी िीक न

हो सकगी बचचो की मा िीक तो भी िीक न समहाल सकगी घर-गहसिी तो भी िीक परम अधा ह--बचदध क

चहसाब स करोदक जो आख बचदध की ह व आख हदर की नही हदर क पास और ही आख ह हदर क पास

164

अपन ढग ह तका सरणी स हदर नही चलता ह हदर छलाग भरता ह गचणत नही चबिाता ह एक अनभचत

होती ह एक सफरणा होती ह

ऐसा ही गर का सबध ह

ममकष को सफरणा होती ह अचानक हदर को कोई मि जाता ह अचानक बचदध स गहराई म कही कोई

दकरण परचवषट हो जाती ह रोमाच हो जाता ह तम चौकत हो तम चनत नही जब गर चना जाता ह तम

चनत नही चौकत हो रह करा हो रहा ह तम चववश हो जात हो अवश हो जात हो हखच चल जात हो

रोकना चाहो तो रोक नही सकत जाना चाहो तो जाना िि होगा कोई अजञात शचि तमह चारो तरफ स घर

लती ह

अगर तम िीक स समिना चाहो तो चशषर गर को नही चनता गर चशषर को चनता ह गर पहल चन

लता ह तभी तमहार हदर म तरग उिती ह सफरणा होती ह गर तमह घर लता ह तमहार भागन क सब

उपार बद कर दता ह तमहार सार सत चजनस तम होकर आए हो तोड़ दता ह तमहारी सारी सीदढ़रा चजनस

तम चढ़ कर आए हो चगरा दता ह तमहार सार तका जाल चछनन-चभनन कर दता ह गर तमहार भीतर एक शराब

उड़ल दता ह उस शराब क नश म तम डब जात हो

गर को कोई कभी चनता नही कभी दकसी न चना नही और चजनहोन चना ह उनस पहल ही चक हो

गई चनन म तो सदा ही सदह रहगा चनाव कभी समगर नही हो सकता सोचोग तम इसको चन उसको

चन तलना करोग रह िीक दक वह िीक चहसाब लगाओग दकसक पास जरादा लाभ दकसक पास दकतनी

हाचन दकसक पास दकतना दाव पर लगाना पड़गा और दकसक पास ससत म काम चनपि जाएगा

तमन अधरातम को बाजार समिा ह जस कोई सामान खरीदता ह दक करा खरीद करा छोड़ द तलना

करता ह चवचार करता ह दाम क चहसाब लगाता ह मजबती दखता ह आदमी तो दो पस का घड़ा भी

खरीदता ह तो िोक-पीि कर खरीदता ह बजा लता ह दक फिा तो नही ह चछदर तो नही ह और रहा हजदगी

दाव पर लगान चल हो तो गचणत तो कहगा मन तो कहगा दक िोक-पीि लो िीक स जाच-परख कर लो

मगर तमहारी जाच-परख तमहारी ही जाच-परख होगी न रह तमस पार कस ल जाएगी तमह तमस ऊपर कस

उिाएगी तमह तमस मचि कस ददलाएगी मचि और करा ह ममकष का अिा जानत हो जो मचि क चलए

आकाकषी ह--ममकष--जो मोकष का आकाकषी ह जो परम सवततरता चाहता ह लदकन तमहारा चचतत ही तो तमहारा

कारागह ह तम इसी चचतत स चनन चल हो इसी चचतत न कारागह बनारा ह इसीस तम मचि का आकाश

खोलन चल हो--इनही सीकचो स इनही दीवालो स इनही दीवालो न तमह घरा ह बधन म डाला ह

नही तमहार भीतर स कोई मागा नही ह मागा तमह पकड़ ल तो कोई उपार ह इसचलए ममकष इतना ही

कर सकता ह--खला हो गराहक हो गरहणशील हो अगर कोई पकड़ कोई ऊजाा आए तो दवार-दरवाज बद न

कर ल बस इतना ही इसस जरादा कछ तमहार हाि म नही ह जस तम रहा मर पास बि हो चनगा तो म

तम मि नही चन सकत शरीराम सोचत हो दक व मि चन तो गलती म ह और तमन चना तो चक वही हो ही

गई पहल ही चक हो गई अब आग चक का चवचार मत करो भल तो हो ही गई और म रह कह रहा ह दक

तमन अगर िीक गर को भी चना तो भी गलती हो गई

मरी बात को खब खराल म ल लना म रह कह ही नही रहा ह दक तमन चना तो गलत गर को चन

चलरा तमन हो सकता ह भल-चक स िीक ही गर चन चलरा हो तम सरोगवशात कबीर नानक रा बदध रा

महावीर क पास पहच गए होओ और तमन िीक गर चन चलरा हो लदकन गर क िीक होन स कछ भी नही

165

होता तम ही गलत हो तमहार चनाव म गलती हो रही ह तमन अगर बदध क भी चरण पकड़ तो तमहार ही

दवारा पकड़ गए चरण बदध क नही रह जाएग तमहारी बचदध क ही रह जाएग तमन अपनी धारणा ही दख ली

होगी बदध म तमहारी दकसी धारणा को तचपत चमल गई होगी तमहार दकसी पकषपात को सहारा चमल गरा

होगा तम सोच कर आए ि दक बदधपरष ऐसा होना चाचहए और बदधपरष सरोगवशात वस ही चन चलरा

तमन चना कछ भी नही ह तमन अपन को ही चना ह तमन अपनी ही छारा दखी ह उसको चना ह करोदक

तमहारी अपनी ही अपकषा की परता हई अगर बदधपरष जरा भी चभनन होत तमहारी अपकषा और धारणा स तो

तम नही चन सकत ि--जरा भी चभनन होत छदर सी चभननता और तमहारा चनाव असभव हो जाता ह

अगर तमन मान रखा ह दक परम परजञा की चसिचत म वयचि नगन होगा और बदध नगन नही ह तो तम नही

चन पाओग तम चल जाओग तम कहोग अभी िोड़ी दर ह अभी उपलचबध परी नही हई वीतरागता परी

नही हई अभी राग कछ बाकी होगा अभी वसतर अिक रह गए ह अभी महावीर जस नही ह तम अगर जन-

धारणा क अनसार बदध क पास गए तो करिनाई हो जाएगी

अगर तम बौदध-धारणा क अनसार कषण क पास गए तो करिनाई हो जाएगी करोदक तम दखोग कषण

को तो लगगा रह सब राग ही राग ह वीतरागता कहा बदध न तो कहा हः चभकष सतरी को दख न अगर दखना

पड़ ही जाए तो छए न अगर छना ही पड़ जाए तो होश समहाल कर रख होश न चक जाए तो चजसन रह

वचन सना ह वह अगर कषण को दखगा रास करत गोचपरो क साि नाचत राधा क हाि म हाि डाल दरा-

भाव स भर जाएगा कषण क परचत दक बचारा रह तो खद ही भिका ह रह करो मि करगा रह कस मि

करगा रह दकसको मि करगा रह तो खद ही भिका ह तमह बड़ा दरा-भाव पदा होगा तमहार मन म बड़ी

करणा आएगी दक कोई रासता चमल तो म इसको समिाऊ दक भइरा जाग होश समहाल रह करा कर रहा ह

जन-शासतरो म कषण को नरक म डाल ददरा ह सातव नरक म डाल ददरा ह और अनतकाल क चलए डाल

ददरा ह जब रह सचषट समापत होगी और दसरी सचषट का परारभ होगा तब वह छिग वहा स िीक ही ह अगर

एक पतनी नरक ल जाती ह तो सोलह हजार पचतनरा कहा ल जाएगी िोड़ा सोचो तो अगर एक पतनी नरक का

दवार ह तो सोलह हजार और उनम सब कषण की पतनी िी भी नही--कोई दकसी और की पतनी कोई दकसी और

की पतनी चबलकल गर-काननी नाजारज और एक सखरा होती ह सोलह हजार

तमन अगर एक धारणा बना ली ह--और तमहारी सब की धारणाए ह उन धारणाओ को लकर ही तम

जात हो धारणा लकर गए तो तम जो चनोग तमन चना ह रह भाचत ह तमहारी तमहारी धारणा तपत हो गई

ह दकसी कारण स और अगर कल तमहारी धारणा िि गई तो तम चौकोग पछताओग दखी होओग दक रह

मन समर गवारा वयिा इस आदमी क पीछ चला इतन ददन अकारण खोए गवाए

और दफर छोड़न म भी अड़चन होगी करोदक इतन ददन का लगाव बन गरा इतन आशवासन ददए

शरदधा का इतना जोर मारा और अब छोड़ना पड़ तो पछतावा भी होगा दक कही छोड़न म कोई भल तो नही

हो रही ह इसचलए तम रह परशन भी पछ रह हो दक और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव

म बाजी हार गरा ह तो करा वह दसर गर क पास जा सकता ह तो दफर रह डर लगगा दक रह कही

चवशवासघात तो नही ह रह गददारी तो नही ह

कल मि एक पतर दखन को चमला

मर एक सनरासी ह जमान सनरासी चवमलकीरता व जमानी क समराि क नाती ह तम तो उनह चमलोग

तो पहचान भी न सकोग दक समराि का नाती जमान समराि का नाती करोदक व वदावन म बतान मलत ह

166

अतरत सरल चचतत वयचि ह उनक काका न पतर चलखा ह उनह जमान समराि का चचतर भजा ह चचतर क पीछ

चलखा हः अर गददार शाही घर का होकर और चभखारररो की तरह जी रहा ह उनह गददारी ददखाई पड़ रही ह

दक शाही पररवार का वयचि जमान समराि का नाती और सनरासी धारणाए ह

तमन एक गर स सबध बना चलरा तो अब एक चचतत म बड़ी गलाचन पदा होगी दक छोड़ कस गलती भी

ददखाई पड़ गई एक ददन जररी नही ह दक चजस ददन तमह गलती ददखाई पड़ उस ददन तमह दफर िीक-िीक

अनभव हआ ह दक गर गलत ह चजस ददन तमन िीक समिा िा उस ददन तमहारी धारणा स मल खा रहा िा

चजस ददन तमन गलत समिा उस ददन तमहारी धारणा स मल नही खा रहा ह बस इतना ही जानना गर क

िीक और गलत होन का तमह कस पता चलगा कभी पता नही चलगा

इसचलए म कहता ह दक दसरी बात म भल समिन की बजाए पहली बात म ही भल पकड़ लोग तो िीक

ह चनना मत हा कोई गर चन ल तो चन जाना अगर कोई गर की ऊजाा तमह पकड़ ल और तमहार चारो

तरफ नाचन लग और तमहार हदर म समा जाए और तम आनदमगन हो उिो--दकसी धारणा की चसचदध क कारण

नही और दकसी अपकषा की परता क कारण नही--तमहारा हदर गवाही द द सारी धारणाओ क चवपरीत गवाही

द द दक अब बस चलो सब धारणाए छोड़नी पड़ सारा चचतत का जाल छोड़ना पड़ तो भी रह दाव पर लगाना

ह तब समिना दक तमहार जीवन म गर का पदापाण हआ और उस पदापाण क बाद कभी लौिना नही होता

असभव ह लौिना हदर स जो सबध बनता ह वही पार ल जानवाला ह वही मचिदाई ह

लदकन शरीराम तम सोच-समि कर--बराहमण आदमी हो शरीराम शमाा --गचणत चबिा रह हो चवचार

कर रह हो शासतर तमहार चचतत म बि होग गर ऐसा होना चाचहए गर वसा होना चाचहए र-र लकषण होन

चाचहए इतन लकषण हो तो चनना चाचहए

जरा अहकार की बात तो दखो तम चनोग तम हो कौन अगर तमह इतनी भी समि म आ गई ह दक

गर क लकषण पहचान लो तो तम सवर ही गर हो जाओग अब और बचा ही करा अगर तमह इतना होश आ

गरा ह दक तम होश वाल आदमी को पहचान लो तो जान की जररत ही करा ह इसी होश को बढ़ाए चल

जाओ अगर तमह इतना पता चल गरा ह दक कौन जागा हआ ह तो तम जाग ही गए अब और जागना करा

ह अगर तमन पहचान चलरा दक हा इस आदमी क पास आख ह रह अधा नही ह तो तमहार पास आखो का

सबत चमल गरा अब और करा चाचहए अब दकसी क पीछ करा चलना तमहार पास खद ही आख ह अब गर

की कोई जररत नही

म तमस रह कह रहा ह दक अगर तमहार पास इतनी समि हो दक तम चनणार कर सको दक कौन सदगर

ह और कौन चमरथरा तो तमह गर की जररत ही नही ह अगर तमह गर की जररत ह तो उसका अिा हआ दक

तमहारी बचदध स कोई उपार नही ह तम अपनी बचदध को सरका कर अलग कर दो तम तो गरओ क सतसग म

बिो मसत होकर खल कर सब दवार-दरवाज खल छोड़ कर तादक सरज आए तो आ सक भीतर और सबह का

मलर पवन आए तो आ सक भीतर और वषाा की बदाबादी हो तो िोड़ी बद तम तक भी पहच सक दक कोरल

गाए तो गीत तमहार भीतर परवश कर सक बस खल होकर बि जाओ और जहा पकड़ चलए जाओ जहा स

छिना मचशकल हो जाए जहा चबक की तरह खीच चलए जाओ--दफर करा करोग चनाव का सवाल ही नही ह

दफर करोग करा गर न चन चलरा और धनरभागी ह व जो गर को चनन दत ह खद नही चनत

167

इधर मर पास भी दो ही तरह क लोग आत ह एक जो चनत ह जो चनत ह उनस मरा सबध पहल स

ही नही बन पाता व काफी होचशरार ह उनकी होचशरारी बाधा ह दसर व ह जो मि चनन दत ह उनस

मरा सबध ऐसा बनता ह जो कभी िि नही सकता चजसक ििन की कोई सभावना ही नही ह

हदर जड़ता ह तो ििता नही बचदध क जोड़ तो िोि ह ददखाई पड़त ह ऊपर-ऊपर ह कभी भी िि

सकत ह आज मन कछ कहा तमहार शासतर स मल खा गरा कल म कछ कहगा और तमहार शासतर स मल नही

खाएगा तो अड़चन हो जाएगी

म चसकखो क जप जी पर बोलता िा तो बहत चसकख सनन आन लग मगर व मि सनन नही आ रह

ि मिस उनका करा लना-दना व तो जप जी पर बोल रहा ह इसचलए आ रह ि जब तक जप जी पर

बोल रहा ह तब तक व ददखाई पड़ जब जप जी पर बोलना बद हो गरा व भी नदारद हो गए इनस मरा

करा सबध बनगा कस सबध बनगा

कबीर पर बोलता ह कबीरपिी आ जात ह अभी एक चमतर न कहा ह दक आपकी वाणी म मि सत

तारण तरण की धन सनाई पड़ती ह बड़ा आनद आता ह वह तारण क मानन वाल ह तो उनह तारण तरण की

धन सनाई पड़ रही ह तमम स तो बहतो न तारण तरण का नाम भी नही सना होगा तो धन कहा स सनाई

पड़गी तारण तरण की ईसाई को लगता ह दक म जो बोल रहा ह वह बाइचबल ह और मसलमान को लगता

ह दक म जो बोल रह ह वह करान ह और चसकख को लगता ह दक जो म बोल रहा ह वह गरगरि ह

मगर धरान रखना अगर तमह इसचलए मजा आ रहा ह दक तमह तारण तरण की धन सनाई पड़ रही ह

तो तमन मि तो सना ही नही तमहारा मजा तमहार मन का ही मजा ह मिस कछ लना-दना नही दकसी ददन

अगर ऐसा हो गरा दक कोई बात मन ऐसी कही जो तमहार तारण तरण स मल न खाई तो बस दोसती समापत

कटटी हो गई दोसती ििी िी दोसती नाममातर को िी मिस न िी तारण तरण स िी और चदक मरी बात म

तमह तारण तरण की बात सनाई पड़ी िी तम मर साि हो चलए ि मगर तम मर साि नही हए ि तम ि तो

तारण तरण क ही साि मिस तमहारा कभी नाता न बना िा

मि कब सनोग मि सीधा-साधा कब सनोग अपनी धारणाओ को हिा कर कब सनोग

तारण तरण क मानन वाल मि पतर चलखत रहत ह दक आप सत तारण तरण पर कब बोलग जब आप

बोलग तब हम सनन आना चाहत ह मिस कछ लना-दना नही जब तारण तरण पर बोलगा तब व सनन

आना चाहत ह

मनषर का अहकार ऐसा ह दक वह अपन अहकार की पचषट चाहता ह रह पचषट ह चसफा और कछ भी नही

तम मानना चाहत हो मिस सन कर दक तमहारी जो मानरता िी वह िीक िी तब मिस बड़ परसनन हो जात

हो दक हा रह आदमी िीक ह करोदक तमहार अहकार को इसन िोड़ा भोजन ददरा तमहारी मानरता को सही

कहा तमहार शासतर को समिान ददरा और अगर म तमहार शासतर क सबध म एक शबद भी कह दगा जो तमहार

मन को चछनन-चभनन करगा चखनन करगा बस तम दशमन हो गए उसी कषण दशमन हो गए

तमहारी धारणाओ स तम सबध न बना सकोग दकसी सदगर स करोदक कोई सदगर दकसी दसर सदगर

की परचतचलचप नही ह इस खब समि लो कोई सदगर दकसी दसर सदगर की परचतचलचप नही ह रदयचप सतर

एक ह लदकन उसक कहन क ढग अनक ह रदयचप सतर एक ह लदकन जब सतर अवतररत होता ह तो उसकी

अचभवयचि चभनन-चभनन होती ह

168

जस दकसी न सबह उगत हए सरज को दखा सदर सरज लाली फल गई परब पर पकषी गीत गान लग

वकष जाग गए सारा जगत आरती म ततपर हो गरा दकसी न एक गीत चलखा सबह क इस उगत सरज पर और

दकसी न चचतर बनारा और दकसी न अपनी वीणा छड़ दी इस मसती म इस मसती क सवागत म इन तीनो की

अचभवयचि चभनन-चभनन होगी वीणा का चछड़ना भी सबह क सरज क सवागत म हो रहा ह इसम भी सबह क

सरज की िोड़ी लाली ह इसम भी उगत सरज की िोड़ी छारा ह मगर वीणा वीणा ह इसम कोई रग तो नही

होग इसम राग होगा रग नही होग राग का अपना रग ह राग शबद का अिा भी रग होता ह खराल

रखना इसका भी अपना रग ह लदकन वह रग धवचन का ह वह कानो स पकड़ा जाएगा आखो स नही वह

बड़ा दसरा रग ह और चजसन चचतर बनारा तचलका उिा कर सबह का सरज का उगता हआ इसकी तचलका म

और वीणा म कोई सबध जड़गा इसक चचतर म और सगीत म कोई सबध जड़गा ऊपर-ऊपर कोई सबध नही

ह और दकसी न गीत चलखा और रह भी हो सकता ह दकसी न परो म घघर बाध और नाचा इनकी

अचभवयचि अलग-अलग ह सरज एक ही ऊगा िा और सबक हदर म सरज क उगन की एक ही अचाना जगी

िी एक ही परािाना जगी िी एक ही पजा का भाव उिा िा लदकन दफर भी पजा का भाव वयचि-वयचि म

चभनन हो गरा

ऐसा ही फका कबीर म ह नानक म ह जगजीवन म ह बदध म ह महावीर म ह कषण म ह मोहममद म

ह लाओतस म ह जरिसतर म ह--ऐसा ही फका लदकन तम जब दकसी एक धारणा को पकड़ कर बि जात हो

और उसी धारणा को लकर खोजन चनकलत हो तो तम मचशकल म पड़ोग अगर तमन कबीर की धारणा पकड़

ली दक गर हो तो कबीर जसा तो तमको दफर कभी गर नही चमल पाएगा करोदक कबीर दबारा नही होत

और अगर तमह कबीर जसा कभी कोई गर चमल जाए तो समि लना नकलची ह करोदक दबारा असली तो

होता ही नही चसफा नकली हो सकत ह पाखडी हो सकत ह

अगर तमहारी धारणाओ स मल खा रहा हो दकसी गर स परा-परा मल खा रहा हो तो एक बात पककी

ह दक गर पाखडी ह रह तम बहत चौकोग मरी बात सनकर तमहारी धारणाओ स मल खाता हो अगर परा-

परा तो समि लना दक गर पाखडी ह वह तमहारी धारणाओ स मल चबिान का ही आरोजन दकए बिा ह

इसचलए जन मचन की जन की धारणा स मल खा जाएगा और बौदध चभकष बौदध की धारणा स मल खा जाएगा

हहद सनरासी हहद की धारणा स मल खा जाएगा धारणा स ही मल खान का परा आरोजन ह सतर स कोई

सबध नही ह सरज उगा ह इसका इनह पता नही ह न इनहोन अपनी वीणा उिाई ह न इनहोन अपनी तचलका

उिाई ह न परो म घघर बाध ह न इनक कि म कोई गीत ह मगर र जानत ह दक शासतर म गर की पररभाषा

करा ह उसी पररभाषा क अनसार र अपन आचरण को चनरचमत कर रह ह वयवचसित कर रह ह

शासतर कहता ह इतनी बार भोजन एक बार भोजन तो र एक बार भोजन करत ह शासतर कहता ह दक

दो वसतर तो र दो वसतर रखत ह शासतर कहता ह सरज ढल चलना नही तो र चलत नही रात पानी मत पीना

तो पानी नही पीत बरहममहता म उि आना तो बरहममहता म उि आत ह शासतर न जो कहा ह उसकी कवारद

करत ह उसका ररहसाल करत ह उसका अभरास करत ह उसक अभरास स तमहारी धारणा स मल खा जाता

ह अनकल पड़ जात ह अगर तमहारी भी उसी शासतर की धारणा ह तो बस एकदम मल खा जात ह

इसचलए तम दचनरा म एक चमतकार दखोग दक एक सपरदार का गर दसर क सपरदार को चबलकल गर

जसा नही मालम होता मगर उस सपरदार क लोगो को चबलकल गर मालम होता ह परम गर मालम होता ह

दोनो की धारणाए एक जसी ह दोनो की धारणाए मल खा रही ह

169

अब रह जरा धोखा समिो

तमन भी वही शासतर पढ़ा ऐसा समिो एक अचभनतरी मि चमलन आई उसन कहा दक आपका करा

कहना ह भग-सचहता क सबध म मन उसस पछा दक ति परशन करो उि रहा ह तो उसन कहा दक म ददलली

गई और भग-सचहता मर चलए पढ़ी गई और जो-जो बात मर सबध म बताई गरी वह मन सब नोि कर ली

भरोसा तो मि नही आरा मर चपछल जनमो की बात मर भचवषर क जनम की भी बात और इस जनम की भी

बात और इस जनम क सबध म भी कछ बात कही जो सच और कछ बात जो अभी सच नही ह लदकन पढ़न

वाल न कहा दक आग सच हो जाएगी अभी जनम परा तो घि नही गरा दफर मन मदरास म भग-सचहता

पढ़वाई वहा भी िीक रही-का-रही दफर मन काशी म भग-सचहता पढ़वाई वहा भी िीक रही का रही अगर

धोखा होता तो एक जगह होता जब तीन जगह स बात चमल गई--और इन तीनो को एक-दसर का पता भी

नही ह--तो इसस चसदध होता ह दक कछ सचाई होनी चाचहए

अब इस मचहला को जरा भी समि नही ह दक भग-सचहताए एक-दसर की काचपरा ह उनम कोई भद

नही ह पढ़नवाल स कोई सबध ही नही ह चजस ढग स पनना खोला जाता ह वह ढग भी वही का वही ह

तमहारा नाम पछा तमहारा पता पछा तमहारी उमर पछी गचणत चबिारा--वह गचणत भी वही-का-वही ह--दफर

पनना खोला दक इकतीसवा पनना चनकलता ह तमहार चहसाब स इकतीसव पनन पर जो चलखा ह पढ़कर सना

ददरा तो दफर ददलली म पढ़वाओ दक मदरास म दक काशी म लदकन जब तीन दफा अलग-अलग लोगो न भी

वही लकषणाए बता दी और वही जनम कह तो भरोसा बढ़ा भरोसा गहरा हआ दक तीन तो गलत नही हो

सकत

शासतर तम पढ़त हो शासतर जो गर बनन को बिा ह वह भी पढ़ता ह उसी शासतर को दोनो एक ही शासतर

स धारणा लत ह तम चशषर बनना चाहत हो इसचलए इस ढग स पढ़त हो दक गर को कस पहचानग जो गर

बनना चाहता ह वह इस ढग स पढ़ता ह दक जो चशषर आएग व मि कस पहचानग दफर दोनो का तालमल

हो जाता ह और दोनो धोख म पड़ हो

सदगर की कोई पहचान दकसी शासतर म नही ह करोदक चजस सदगर की पहचान दी हई ह वह सदगर

एक बार हो चका और दोबारा नही होता परतरक सदगर बजोड़ ह अचदवतीर ह उस जसा वयचि दफर कभी

नही होता कहा कषण दोबारा कहा बदध दोबारा कस होग कोई उपार नही ह दोबारा होन का परमातमा

दोहराता नही परमातमा कोई ििा-फिा गरामोफोन ररकाडा नही ह दक बस दोहराए चल जा रह ह वही

दोहराए चल जा रह ह

परमातमा चनत-नतन सजाक ह सरषटा ह रोज नर गीत गाता ह रोज नई तान छड़ता ह रोज नरा छद

जो एक बार हो गरा हो गरा उसकी पनरचि नही होती परमातमा दफर दकसी नर रप म उतरता ह और

तब तम मचशकल म पड़ जात तब तम बड़ी अड़चन म पड़ जात हो तमहारी धारणा होती ह परान की जो

कभी हआ िा और तम नर सदगर स परानी धारणा का मल चबिाना चाहत हो वह मल नही बिता और

चजसस मल बिता ह वह पाखडी ह और जो सचचा ह उसस मल नही बिता र अड़चन ह ममकष की म तमह

साफ करना चाहता ह

मरी तरफ स एक बात समि लोः तम नही चन सकत तम जो चनोग परानी धारणा क आधार पर

चनोग अभी नर गर को पहचानन वाला शासतर तो चलखा नही--चलखा जाएगा जब गर जा चका होगा तब

लोग पहचानग लदकन तब पहचानन का कोई अिा न रह जाएगा जब महावीर हजदा होत ह तब तम

170

पहचानत हो राम क चहसाब स और गड़बड़ हो जाती ह करोदक महावीर राम नही ह तम दखत हो कहा

धनषबाण ह वहा कोई धनषबाण नही ह धनषबाण तो दर लगोिी भी नही ह तम पछोग धनषबाण कहा

ह महाराज सीताजी कहा ह वहा कोई नही ह--न कोई सीता जी ह न कोई धनषबाण ह तम चलए बि हो

परानी दक मरा मािा तो तभी िकगा जब धनषबाण हाि लोग तो तमहारा मािा िकना नही ह करोदक वह

महावीर धनषबाण हाि लग नही जचगा भी नही नग-धड़ग धनषबाण चलए बात कछ बनगी भी नही शोभा

भी नही आएगी

महावीर जा चक ग तब शासतर चनरमात होगा शासतर पीछ ही चनरमात हो सकता ह जब महावीर जी चलए

और अनक लोगो क हदर को पकड़ा उनहोन उनही क हदर पकड़ चजनम धारणाए नही िी खराल रखना जो

धारणा लकर आए ि उनको तो महावीर स कोई सबध बनगा नही कछ चनशछल हदर चनदोष हदर कछ

कवार हदर पकड़ गए कछ चहममतवर लोग जो चचतत को एक तरफ सरका कर रख ददए पकड़ गए लदकन कल

रही सार चहममतवर लोग महावीर क लकषणो क आधार पर शासतर चनरमात करग दक गर हो तो ऐसा हो बस

दफर अड़चन शर हो जाएगी

महावीर न बारह वषा मौन रखा तब उनह जञान उतपनन हआ महामचन ि बदध न छह वषा ही जगल म

तपिराा की और जञान को उपलबध हए अब चहसाब-दकताब लगान वाला कहगा दक अधर रह बारह वषा और

छह वषा--कचच ह अभी एक परचसदध जन चवचारक न दकताब चलखी चलखन क पहल मिस कहा दक मरा तो

समनवरवाद ह--गाधीवादी ि गाधी क अनरारी ि गाधी क आशरम म ही बड़ हए ि--तो मरा तो समनवरवाद

ह म महावीर और बदध पर एक दकताब चलख रहा ह दकताब चलखी मि भजी तो म दख कर चौका उसका

शीषाक ही दखकर चौका भगवान महावीर और महातमा बदध तो मन उनह पछा दक रा तो दोनो को भगवान

चलख दत रा दोनो को महातमा चलखत इतना सा भद करो दकरा और इसम भद करा ह भगवान और

महातमा म उनहोन कहा भद ह िोड़ा सा महावीर पररपणा पहच गए ह बदध अभी िोड़ पीछ ह रह समनवर

हो रहा ह रह बचनरा की बचदध बारह साल छह साल चहसाब लगा रहा ह दक महातमा ही हो पाए अभी

अभी भगवान नही हो पाए अभी एक जनम और होगा रासत पर ह पहच रह ह

और रह सोचत ह सजजन दक समनवरवादी ह और रह सोचत ह दक दोनो का इनहोन गणगान दकरा ह--

दकतनी उदारता ह इनक हदर म रह सोचत ह खाक उदारता ह रह उदारता ह रह कपणता की सीमा हो

गई रह बदध को भगवान न कह सक कस कह बदध को भगवान लकषण बना चलए ह उन लकषणो स ही दफर

चहसाब चलगा और वसा आदमी दबारा नही होगा पचचीस सौ साल हो गए महावीर को हए दफर कोई

महावीर तो हआ नही रदयचप बहत लोगो न नकल की ह बहत लोग नग रह ह बहत लोग महावीर जसा ही

भोजन दकए ह और महावीर जसा ही उपवास दकए ह मगर कोई मचहमा वसी तो परकि न हई वसा सौरभ

दफर तो न फिा वसा कमल दफर तो न चखल रह हो ही नही सकता र चजतन महावीर क पीछ पचचीस सौ

साल म लोग नगन हए रह चसफा आचरणगत िी इनकी नगनता आरोचजत िी अभरासजनर िी इसका

आचवभााव भीतर स नही हआ िा और हो नही सकता िा

जब कोई सदगर पदा होगा तब तमहारी धारणाए उसस मल नही खाएगी इसचलए जो चहममतवर ह

और धारणाओ को सरका कर रख सकत ह और सदगर जब जाल फ क तो भाग न जाए और उसक जाल म फसन

को राजी हो तम नही चनत सदगर जाल फकता ह जस मछचलरो को पकड़न को मछआ जाल फकता ह

171

जीसस न अपन एक चशषर को कहा वह मछचलरा मार रहा िा जीसस आकर खड़ हो गए सबह-सबह

उसन जाल फका िा मछचलरा फस गई िी और वह खीच रहा िा जीसस न उसक कध पर हाि रखा उसन

पीछ लौि कर दखा सबह की ताजी हवा और सबह क ताजी सरज म जीसस का आभामडल जीसस की व

िील स भी जरादा गहरी आख वह एकदम मोचहत को गरा उसन कहाः तम कौन हो कहा स हो कस

आकचसमक तमहारा आगमन हो गरा जीसस न कहाः र सब बात धीर-धीर ति समि म आएगी दक म कौन ह

कहा स ह कस अचानक मरा आगमन हो गरा एक बात तिस कहन आरा ह दक कब तक मछचलरा पकड़ता

रहगा आ म ति आदचमरो को पकड़न का रासता सिाऊ दक कब तक मछचलरा पकड़ता रहगा म ति ऐसा

जाल फकना चसखाऊ चजसम आदमी फस जात ह

चििका नही वह मछआ उसन फक ददरा जाल िील का िील म चल पड़ा जीसस क पीछ जीसस न

उसस पछाः ति भरोसा आ गरा मरी कही बात पर उसन कहाः आ ही गरा करोदक म खद ही फस गरा तो

जरर तम चसखा सकोग रह कला इसम कोई सदह नही म खद ही फस गरा

जब गर जाल फ क तब तम भाग मत जाना बस इतना ही अगर कर सको तो ममकष हो तम चन

जाओग तो धनरभागी हो और जब कोई गर चन तो तम िक जाना समरपात हो जाना

और तमस अचतम बात कह द इसकी तम हचता ही मत करो दक कौन गर िीक कौन गर गलत जो

तमहार हदर को आदोचलत कर द बस वही िीक एक गर दकसी क चलए िीक हो सकता ह दकसी क चलए

गलत हो सकता ह रह भी खराल रखना सभी औषचधरा सभी क काम नही भी पड़ती ह जो औषचध ह एक क

चलए दकसी क चलए जहर हो सकती ह इसचलए जो तमहार हदर को मि द जो तमहार हदर को जगा द

तमहारा हदर नाच उि चजसक पास चजसक साचननधर म वही िीक ह दफर दसर करा कहत ह इसकी दफकर

मत करना दफर तो चल पड़ना

और तमस एक बात कह दाः रह भी हो सकता ह रह भी सभावना मान लो दक कभी तम गलत स

परभाचवत हो गए--समिो दक वह सदगर िा ही नही सतर को पहचा ही नही िा रह भी एक सभावना मान

लो मोहक वयचितव भी हो सकता ह दकसी का परारा वयचितव हो सकता ह दकसी का चमतकाररक वयचितव

हो सकता ह दकसी का उसका कावय तमह छ ल उसकी वाणी तमह छ ल उसकी दह की तरग तमह छ ल

उसकी आखो की जरोचत तमह छ ल और हो सकता ह वह सभी सतर को उपलबध न हआ हो करोदक एडोलफ

चहिलर जस आदचमरो की आखो म भी एक बल होता ह आचखर लाखो लोग ऐस ही नही फस जात और

एडोलफ चहिलर कोई सदगर तो नही ह लाखो लोग ऐस ही मोचहत नही हो जात लाखो लोग ऐस ही मह

बाकर बि नही रह जात अकारण एडोलफ चहिलर की आखो म कछ सममोहन तो ह हदरो को पकड़ तो लता

इसचलए रह भी हो सकता ह कभी दक तम दकसी ऐस आदमी क चककर म आ जाओ जो अभी सवर भी

उपलबध न िा तो म तमस एक बात कहना चाहता ह दक अगर तमहारा समपाण परा हो तो तम ऐस आदमी क

पास भी मचि को उपलबध हो जाओग करोदक मचि चमलती ह समपाण की पणाता स दफर दोहरा द मचि

चमलती ह समपाण की पणाता स मचि दकसक परचत समपाण हआ इसस नही चमलती इसचलए कभी ऐसा हो

जाता ह दक पतिर की मरता क सामन अगर समपाण परा हो तो भी मचि चमल जाती ह

तमन एकलवय की किा तो पढ़ी ह न वह पतिर की मरता क सामन समपाण परा िा न तो गर ह न कोई

सदगर ह कछ भी नही ह पतिर की मरता ह खद ही गढ़ ली ह अपन ही हाि स बना ली ह मगर समपाण परा

172

िा समपाण ऐसा समगर िा चजतना दक अजान का भी दरोण क परचत नही िा इसचलए अजान चपछड़ गरा

एकलवय स दरोण को भी हचता हो गई दरोण को भी डर पदा हो गरा दरोण को भी जाना पड़ा एकलवय क पास

हखचा हआ और जब दरोण न दखी उसकी कला तो चौक कर रह गए होग

दरोण खद कोई सदगर नही ह दरोण एक साधारण स राजसवक ह अचत साधारण कहना चाचहए सदगर

तो दर गर कहन की भी बात िीक नही ह करोदक गर म भी कछ होता ह जो दरोण म नही ह नही तो एकलवय

स अगिा न मागत एकलवय स अगिा मागा इसचलए मागा दक एकलवय की कला दख कर एक बात तो समि

म आगई दक उनक सार चशषर फीक पड़ गए न तो अजान न कणा न दरोधन कोई इस ऊचाई पर नही िा

और उनको हचता हई दक मर राजपतर मर चशषर अगर पीछ पड़ जाएग--मोह जगा --चजन पर मन इतनी

महनत की ह चजनक साि मरा अहकार जड़ा ह मरी मचहमा जड़ी ह अगर अजान ऐस पीछ पड़ जाएगा तो

मरी करा ददाशा होगी और रह वयचि आग चनकल गरा और इस मन इनकार कर ददरा िा दक शदर ह त

इसचलए ति चशषर की तरह सवीकार न करगा रह कोई गर होन क ढग ह दक शदर कह कर दकसी को

इनकार कर ददरा चजसन दकसी को शदर कह कर इनकार दकरा वह शदर ही होगा बराहमण कस होगा बराहमण

तो वह ह जो सब म बरहम को दख

और म कहता हाः एकलवय बराहमण ह दरोण न इनकार कर ददरा दरोण न धतकार ददरा दतकार ददरा

भगा ददरा हिा ददरा तो भी उसकी शरदधा ऐसी अपवा ह दक दफर भी इनही क परचत िका बराहमण ह और

उसका समपाण ऐसा परा ह दक पतिर की मरता क सामन खड़ होकर आस बहा कर फल चढ़ा कर परािाना कर

क धनरवादया सीख डाली धनरवादया का सबस पारगत वयचि हो गरा

दरोण को करिनाई हई रह तो हार हो जाएगी बहत दचनरा करा कहगी दक चजसको इनकार दकरा िा

शदर कह कर तमह इतनी भी समि न िी दक इसकी सभावना करा िी तम करा ख़ाक पारखी हो चजसको हिा

ददरा िा चजस पतिर को वयिा कह कर फक ददरा िा वही मददर की मरता बन गरा ह तम करा ख़ाक पारखी

हो और चजनक साि तमन हजदगी भर महनत की उनको पीछ छोड़ ददरा ह तो कहा उसस दक मि दचकषणा

तो द दो दखत हो रह कोई गर होन क लकषण ह चजसको दीकषा नही दी उसस दचकषणा माग रह ह बईमानी

की कोई सीमा भी होती ह

दरोण बईमान स बईमान गर ह

और दचकषणा भी करा मागी उस भोल चनदोष आदमी स उसन कहा हा म गरीब ह मर पास ह करा

जो आप माग जो मर पास हो म द द म अपन पराण द द उसस उसक दाए हाि का अगिा माग चलरा

करोदक चबना अगि क धनरवादया उसकी वयिा हो जाएगी चबना अगि क वह धनरवाद न रह जाएगा और उस

अदभत आदमी न अगिा काि कर द ददरा--एक कषण भी चििक न की ऐस वह और ऊचाइरो पर ऊचाइरा

पाता गरा

चजस कषण उसन अगिा काि कर ददरा ह समाचध फचलत हो गई होगी मचि अपन आप उतर आई होगी

रह समपाण सदह इस पर भी न उिारा इस धोखबाज आदमी पर भी न उिारा चजसन धतकारा िा और जो

आज दचकषणा मागन आ गरा ह उसी मह स िक को चािन म चजस जरा भी शमा और लजजा नही आई ह इस

आदमी को भी अगिा काि कर द ददरा जरा भी सदह न दकरा रह शरदधा ह रह समपाण ह इस समपाण म

धनरवादया गई हो तो गई हो लदकन आतम-चवदया आ गई होगी

173

शासतर कछ कहत नही लदकन म मानना चाहता ह जोड़ना चाहता ह शासतर म इतना दक धनरवादया तो

चली गई अगि क किन स लदकन आतमचवदया आ गई होगी एकलवय चनचित बराहमण हो गरा एकलवय

महाजञान को उपलबध हो गरा होगा ऐस समपाण क दवार स अगर महाजञान न आए तो दफर कस आएगा

तो म तमस रह अचतम बार कहना चाहता ह शरीराम शमाा दक अगर गलत क परचत भी समपाण परा हो

गरा तो तम हचता न करना समपाण परा चाचहए लदकन अहकार बहत अदभत ह अहकार ऐसा पछता हः

और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव म बाजी हार गरा ह तो करा वह दसर गर क पास

जा सकता ह

इसको िोड़ा सोचो

चजस ददन तमको लग दक चनाव म बाजी हार गए हो उस ददन पहली बात तो रह लगनी चाचहए दक

मन चशषरतव का परा गणधमा दकरा नही वह सवाल ही नही उिता सवाल रह उिता ह दक अगर नही

उपलचबध हई तो गर गलत ह सवाल रह उिा ही नही तमहार मन म दक अगर उपलचबध नही हई तो मन वह

सब परा दकरा ह जो गर न कहा ह करा म रह कह सकता ह दक मन समगरभाव स समपाण दकरा ह शरदधा की

ह करा म कह सकता ह दक मन परा शरम लगा कर साधना की ह जो गर न कहा िा उस पर म परा-परा

चला ह सौ परचतशत अगर हा तम रह कह सको दक म सौ परचतशत चला ह जो गर न कहा िा और दफर भी

बाजी हार गरा ह तो चनचित गर बदल लना लदकन जो सौ परचतशत चलता ह उस बदलन की जररत नही

पड़ती करोदक सौ परचतशत चलन स मचि ह

तम मरी बात को िीक स समि लो

गर और न-गर का कोई बड़ा सवाल नही ह गर तो चनचमतत मातर ह चजसक सहार सौ परचतशत समपाण

हो जाता ह तम चनचमतत को जरादा मलर मत दो गर तमह सतर नही द सकता नही तो एक गर न सार जगत

को सतर स भर ददरा होता गर तमह कछ भी नही द सकता सतर ददरा-चलरा नही जाता गर तो एक चनचमतत

ह एक परकाशवान चनचमतत ह चजसक पास बि कर तमह पर समपाण की भाव-दशा बनान म आसानी होती ह

बस बहाना ह

तो पतिर की मरता स भी कभी हो सकता ह बदध को गए तो पचचीस सौ साल हो गए लदकन अगर तम

चाहो तो बदध की मरता पर परा समपाण करो तो वही कराचत घि जाएगी जो बदध क सामन घिी िी रह मत

सोचना दक बदध आएग और कछ करग कोई गर कछ भी नही करता ह गर की मौजदगी म चसपा तमह आसानी

होती ह समपाण करन की बस उसक परम म तम डब जात और समपाण कर पात समपाण हो जाए महाकराचत

हो गई

मगर तमहारा सवाल आदमी हमशा रही सोचता ह दक भल-चक होगी तो दसर की होगी रह अहकार

का गचणत ह अगर म अब तक नही पहचा ह तो गर गलत होना चाचहए अगर अब तक नही पहचा ह तो म

गलत ह रह सवाल ही तमहार सवाल म नही आता और रह तमहारी ही भल-चक नही ह रह सभी की भल-

चक ह आदमी उततरदाचरतव दसर पर िालना चाहता ह

और तमन दकरा करा और अगर नही हआ तो गर चजममवार ह तो गर चमरथरा हो गरा और तम अगर

ऐस ही दसर गर क पास जाओग तम दसर गर को भी चमरथरा करोग तीसर को भी चमरथरा करोग जनम-जनम

स तम ऐस ही तो चल रह हो शरीराम शमाा तम सोचत हो तमन अब तक गर नही चना ह दकतन गर चन

होग और हर बार तो हार गए तभी तो वापस आ गए हो नही तो अभी तक मि हो गए होत जो एक बार

174

जाग गरा दफर दबारा वापस नही आता और अनत-अनत जनमो म और अनत-अनत गर चन होग लदकन

हमशा रही भल की होगी जो तम दफर पछ रह हो रह तमहारी बचनरादी भल होगी जस सभी की रही

बचनरादी भल ह

कोई दोष अपन ऊपर नही दना चाहता आदमी हमशा दोष िालता ह और जो दोष िालता ह वह दोष

स कभी मि नही होता करोदक जो दोष सवीकार ही नही करता ह दक मरा ह वह मि कस होगा कोई

कहता ह भागर क कारण नही हो रहा ह कोई कहता ह कमा क कारण नही हो रहा ह कोई कहता ह चपछल

जनमो क कारण हो रहा ह कोई कहता ह भगवान न चलखा नही ह तकदीर म इसचलए नही हो रहा ह

दफर लोग चबलकल धारमाक नही होत वह भी इसी तरह की बात करत ह कमरचनसि कहत हाः आदमी

सखी नही ह करोदक समाज की वयवसिा गलत ह आदमी गलत नही ह समाज की वयवसिा गलत ह

अिावयवसिा गलत ह जस अिावयवसिा आकाश स आती ह कौन लाता ह अिावयवसिा को आदमी गलत नही

ह और आदमी परसनन होता ह इस बात को मान कर दक म गलत नही ह तम सदा इसी दफकर म रहत हो दक

दोष दकसी और पर पड़ जाए रह दोष को बचा लन का उपार ह

जब दकसी सदगर क पास बिो तो एक बात समरण रखना सदा अगर कछ न हो रहा हो तो सोचनाः म

कर रहा ह तीर अपनी तरफ लौिाना चवचार रह करना दक जो मि कहा गरा ह वह म कर रहा ह जसा

कहा गरा ह वसा कर रहा ह शत परी की जा रही ह साधना कर रह हो दक बस कनकनी-कनकनी बात कर

रह हो

मर पास लोग आ जात ह व कहत ह दक बस समपाण कर ददरा अब आप समहालो समपाण करा कर

ददरा उनहोन अगर उनक समपाण की परीकषा लनी हो तो पता चल जाए दक समपाण कछ नही दकरा बात कर

रह ह समपाण शबद सीख तो चलरा ह अगर उनस कह दक जाओ कद जाओ छत स तो व कदग नही छत पर

जान क पहल ही वह रह सोचग दक रह आदमी पागल ह रह कोई बात हई हम तो समपाण कर रह ह और रह

सजजन कह रह ह छत स कद जाओ रहा कोई जञान वगरह होन वाला नही ह छत स कदाकर और करा जान

लोग समपाण कहत ह लोग दक समपाण कर ददरा अब आप समहालो व रह कह रह ह दक अगर नही समहल

तो दफर खराल रखना चजममा आपका ह

आ जात ह दो-चार-छह महीन बाद दक छह महीना हो गरा ह सनरास चलए हए समपाण कर ददरा

समपाण करा दकरा ह कछ भी समपाण नही दकरा ह आ जात ह चार-छह-महीन बाद दक समपाण कर ददरा

ह अभी तक जञान नही हआ धरान नही हआ अभी आतम-जरोचत जग नही रही जस चजममा मरा ह अब

उनको सदह पदा हो रहा होगा दक रह िीक गर चमला दक गलत दक दकसक चककर म पड़ गए ह छह महीन हो

गए और अभी तक जञान नही हआ छह महीन तो म कह रहा ह लोग तो छह ददन का भी चहसाब रखत ह रहा

आ जात ह तीन ददन धरान कर लत ह कछ--ऐसा िोड़ा उछल-कद दकरा जरा गहरी शवास वगरह ली िोड़ा

नाच-गाए--तीन ददन बाद आ जात ह दक चशचवर क तीन ददन तो समापत हो गए सात ही ददन बच ह और अभी

तक समाचध नही लगी अभी तक चवचार आए ही चल जात ह तम सोचत हो तम कसी बचकानी बात कर रह

हो उमर बढ़ जाती ह बचपना नही जाता

तम दखत हो ददलली म बरासी साल की उमर क बचच और पसि साल की उमर क बचच और पचहततर साल

की उमर क बचच और लग ह एक-दसर को लगड़ी मारन म सब अपन-अपन लगोि कस कद ह अखाड़ म बरासी

175

साल क बचच ददलली म तम जसा बचकानापन दखोग कही और दखन को चमलगा मगर रही चचतत की दशा ह

लोगो की उमर तो बढ़ जाती ह शरीर की चचतत की उमर नही बढ़ती चचतत वही बचकाना बना रहता ह

कनकन पररास करोग तो कछ भी नही होगा बदधो क पास रह कर भी लोग जञान को उपलबध नही हए

ह आनद चालीस वषो तक बदध क पास रहा--चनकि चौबीस घि एक ददन साि नही छोड़ा उसी कमर म

सोरा चजसम बदध सोत ि उनकी सवा म रत रहा मगर भाव उसका वही िा दक हो जाएगा उनकी कपा स

और बदध उसस बार-बार कहत दक सतर दकसी की कपा स नही होता त कछ कर आनद अब कछ होश

समहाल वह कहताः आप ह तो मि करना करा आप ह तो सब ह रह भी अगर समगर हो तो इसस भी घिना

घि सकती ह मगर रह भी समगर नही रह भी कवल औपचाररक ह ऐसा कहत भर ह दक आप ह रह

चशषटाचार ह रह पणा नही ह रह बहाना ह बचान का अपन को दक आप तो ह आपक रहत सब हो जाएगा

रह कछ करना नही ह करन स बचना ह

बदध की चजस ददन मतर हई आनद रोन लगा रोना सवाभाचवक भी िा चालीस साल साि रहा और

अजञानी का अजञानी अधर का अधरा अमावस की अमावस परणामा हई नही तो बदध न कहाः त रोता करो ह

आनद उसन कहाः अब आप जात ह अब करा होगा बदध न कहाः मर रहत चालीस साल कछ नही हआ तो

तरा कछ खो नही रहा ह एक बात तो पककी ही ह दक तरा कछ नही खो रहा ह तरा कोई कछ चबगाड़ ही नही

सकता चालीस साल मर साि रहकर नही हआ तो अब तरा हजाा करा ह म रह दक न रह ति तो अधर म

रहना ह सो त अधर म रहगा

और बदध न कहा रह भी हो सकता ह दक त रह मि पर बहाना करक िाल रहा िा शारद मर न रहन

स हो जाए शारद जब म न रह तो दाचरतव दसर को सौपन की बात खतम हो गई दफर दाचरतव खद लना पड़

शारद कौन जान जररी ह दक म हि जाऊ तर चलए तो ति हो

और ऐसा ही हआ भी

चौबीस घि क भीतर आनद जञान को उपलबध हआ बदध की मतर का धकका भारी िा चवशलषण दकरा

होगा चालीस साल और मन र ही गवाए और बदध पकारत रह और म िालता रहा और म कहता रहाः आप

तो ह आपक रहत सब हो जाएगा और मन कछ दकरा नही और आनद क पीछ बहत लोग आए और जञान को

उपलबध होत चल गए आनद सबस बजगा चशषरो म एक िा बदध स उमर म िोड़ा बड़ा भी िा बदध का चचरा

भाई िा राजकल स िा सचशचकषत िा लदकन चकता गरा बदध क मरत ही जो बि गरा आख बद करक उसन

आख नही खोली दफर उसन कहा अब आख तो तभी खोलगा जब भीतर की आख खल जाए चौबीस घि म

घिना घि गई जो चालीस साल म न घिी िी चालीस साल कनकना-कनकना चलता रहा भाप बन पानी तो

कस बन सौ चडगरी पर उबलता ह

चौबीस घि न खारा न चपरा न सोरा अब रह मौका गवान का भी नही िा बदध छोड़ कर चल गए

और बदध क जीवन भर का उपदश कभी सना नही और बदध मरत वि भी कह गए दक आनद अपप दीपो

भव अपना दीरा बन अब तो अपना दीरा बन अब म जा रहा ह रह दीरा बिा चजसक सहार त सोचता

िा दक रोशनी हो जाएगी अब ति पता चलगा दक दसरो क दीरो स रोशनी नही होती अब ति अधर का

परा पता चलगा

अकसर ऐसा हो जाता ह दक तम गर क साि चलत हो ऐस जस दक अधरी रात म कोई लालिन चलए हए

एक आदमी तमहार साि होता ह उसकी लालिन की रोशनी तमहार रासत पर भी पड़न लगती ह तम शारद

176

भल ही जाओ दक अपन पास लालिन नही दफर एक जगह तो आएगी एक मोड़ तो आएगा एक चौराहा तो

आएगा जब रासत अलग-अलग हो जाएग मौत अलग-अलग कर दगी तो लालिन वाला आदमी जब अपन

रासत पर मड़न लगगा तब तमह पहली दफा पता चलगा दक भरकर अधकार ह और मर हाि म लालिन नही

ऐसी दशा आनद की हो गई बदध तो गए तो दीरा बि गरा भरकर अधकार हो गरा बदध की छारा म

बदध की शाचत म बदध की तरग म जी रहा िा एक रस बह रहा िा मगर वह रस तो बदध का िा सवर का न

िा आज पहली दफा समि म आरा दक म तो चबलकल ररि ह कोरा ह वयिा ह खाली ह घास-फस ह मरी

आतमा का कोई जनम नही हआ एक चोि पड़ी कषचतरर िा आनदः एक चोि पड़ी आख बद करक बिा सो बिा

उसन कहाः अब उिगा नही रा तो जागगा रा मरगा मगर उिगा नही सब दाव पर लगा ददरा रह समपाण

दफर चबना गर क हो गरा बदध तो जा चक ि और हो गरा तो म तमस रह कह रहा ह दक बदध क साि

रहत न हआ और बदध क जात ही हो गरा कराचत तमहार भीतर घिनी ह अगर दकसी एक गर क पास रहकर

तमह न घिी हो तो जलदी स गर बदलन क बजाए इसकी दफकर करना दक मन दकरा ह जो कहा गरा ह

हा अगर तमह लग दक तमन सब कर चलरा जो तम कर सकत ि और अब कोई और करन को तमहार

पास बचा नही ह जरर गर बदल लना करोदक गर िोड़ ही लकषर ह लकषर तो सतर ह मगर चजस गर क पास

भी हो उस परा मौका द दना रह कहन को न रह जाए दक तमन नही दकरा

बदध क साि ऐसी घिनाए घिी

बदध जब सतर की खोज करत ि बहत गरओ क पास गए आलार कालाम नाम क गर क पास वषो रह

जो उसन कहा दकरा उसन ऐसी बात कही जो कोई करन को राजी न हो लदकन बदध न व भी की उसन कहा

दक रोज भोजन कम करत जाओ कम करत जाओ जब एक चावल का दाना भोजन रह जाए दफर दो दाना

दफर तीन दाना एक-एक दफर एक-एक ददन बढ़ाना वह भी दकरा वषो भखो मर शरीर सख कर हडडी-हडडी

हो गरा इतन चनबाल हो गए दक नदी म सनान करन उतर ि--तो वह नदी कोई बहत भारी नदी नही ह मन

नदी जाकर दखी ह चछछली नदी ह चनरजना कोई बहत बड़ी नदी नही ह सखी-साखी-सी नदी ह--उसम

उतर ि सनान करन को लदकन उस नदी की धार भी इतनी िी कमजोर इतन हो गए ि--दक बहन लग चढ़ न

सक घाि पर इतन कमजोर हो गए ि दक िाड़ की जड़ पकड़ कर लिक रह हडडी-हडडी रह गए ि सारा मास

चवलीन हो गरा िा जो भी चजसन कहा परा दकरा

एक ददन आलार कालाम न दखा दक जो भी मन कहा परा दकरा आलार कालाम न कहा बस त कही

और जा त मि छोड़ म जो द सकता िा द ददरा जो मर पास िा ति बता ददरा इसस जरादा मर पास

नही ह इसस जरादा मर पास सीखन को अब और बचा नही चजतना मरा बोध िा उतना मन ति ददरा अब

त जा

त कही और खोज त कोई और गर खोज और अगर दकसी ददन ति सतर चमल जाए तो मि राद

रखना मि आकर खबर दना मि अभी चमला नही म खद ही खोज रहा ह

जब चशषर इतना समगर होता ह तो चमरथरा गर को भी बोध होगा चशषर की समगरता उसको तो

जगाएगी ही अगर चमरथरा गर क पास रहा तो चमरथरा गर को भी जगाएगी समगरता का ऐसा गण ह समगरता

म ऐसी जरोचत ह बदध न उस भी चौका ददरा उस भी तो पीड़ा होन लगी होगी दक रह बचारा इतना कषट पा

रहा ह जो म कहता ह करता ह और आए ि बहत लोग उनक साि एक सचवधा िी व करत ही नही ि

177

इसचलए कभी रह सवाल उिता ही नही िा इसन तो सब दकरा पीड़ा होन लगी होगी आलार कालाम को भी

कािा चभन लगा होगा दक रह म करा कर रहा ह दरा आन लगी होगी इस वयचि क चनदोष समपाण पर

परीचत उगमन लगी होगी खद भी जागा होगा दक म रह करा कर रहा ह करा करवा रहा ह मि कछ पता नही

ह मन खद शासतरो स पढ़ चलरा ह और मन शासतरो स जो पढ़ चलरा ह वही करवा रहा ह मरा सवर का

अनभव नही ह तो कषमा मागी

अगर चशषर सपणा हो तो शारद गर गलत हो तो कषमा माग शारद उसका बोध आए

तो तम जागो अपनी परी चषटा करो जगान की हा अगर तमह लग दक नही मर सब करन स कछ नही

हआ तो जरर गर को बदल लना करोदक गर को पकड़ रखना कोई जीवन का लकषर नही ह जीवन का लकषर

तो परमातमा को पाना ह गरदवार बन तो िीक दीवाल बन जाए तो रकन की कोई जररत नही ह

और रह भी मत सोचना दक तमन गददारी की गददारी का भाव भी तभी उिता ह जब तमन गर का कहा

कछ दकरा न हो और छोड़ कर जाओ अगर उसका कहा सब दकरा तो गददारी का भाव उिगा ही नही करा

करोग शारद हमारा तालमल नही बिता और तब भी मन म रह मत सोचना दक गर गलत ह इतना ही

जानना दक हमारा तालमल नही बिा उसकी चवचध मर काम नही पड़ी इसस जरादा सोचना मत इसस

जरादा सोचन की कोई जररत नही ह कौन जान वह िीक हो कौन जान वह गलत हो रह वह जान तमह

करा लना-दना ह नही तो अहकार इस तरह क चनणार लन लगता ह और अहकार स मि होना ह समपाण का

अिा ह अहकार स मचि

हदर कही डोलन लग कही हदर बचदध क चवपरीत जान लग जान दना

छड़ा िा चजस पहल-पहल तरी नजर न

अब तक ह वो इक नगमा-ए-बसाज-ओ-सदा-राद

और जो पहली दफा हदर को छड़ा जाता ह वह दफर कभी भलता नही अगर तम हदर को छड़न दो

छड़ा िा चजस पहल-पहल तरी नजर न

अब तक ह वो इक नगमा-ए-बसाज-ओ-सदा राद

चबना साज का चबना वीणा क सगीत उि जाता ह चबना वाणी क कोई सवर भीतर पहच जाता ह वह

दफर कभी भलता नही वह मील का पतिर हो जाता ह

करा जाचनए करा हो गरा अरबाब-जन को

मरन की अदा राद न जीन की अदा राद

दकसी क पास बि कर ऐसा हो जाए दक न जीन की सध रह न मरन की सध रह तो दफर सकोच मत

करना दफर गचणत मत चबिाना दफर सरक जाना चपचाप उस जाल म करोदक वही जाल तमह मचि क मागा

पर ल जाएगा

वो कौन ह दक जो सर-मचजल पहच सका

धदल स कछ चनशान नजर आक रह गए

चमिन की तरारी चाचहए पहचत-पहचत तम चमि जाओग धदल स चनशान नजर आक रह गए बस

कछ धदल स चनशान जस-जस चलन लगोग वस-वस चमिन लगोग पहचन का मतलब ही ह वह घड़ी जब

पर चमि गए धआ चबखर गरा बस अहकार धआ ह और कछ भी नही और जहा धआ चबखर गरा वही जरोचत

जलती ह चनधाम

178

कछ दाग-ददल स िी मि उमीद इशक म

सो रफता-रफता वो भी चचराग-सहर हआ

धीर-धीर ददल भी ददल क घाव भी ददल की पीड़ा भी बि जाती ह जस सबह का दीरा सबह होत-

होत बि जाता ह

सो रफता-रफता वो भी चचराग-सहर हआ

एक ददन ददल भी बि जाता ह सब बि जाता ह और जब तमहारा सब बि जाता ह तब परमातमा का

अवतरण होता ह शरआत होती ह बचदध क बिन स और अत होता ह हदर क बिन पर और इसचलए तो

उसकी तसवीर कोई नही खीच पाता जो पहच गरा वह भी उसकी तसवीर नही खीच पाता

असाा-ए-हसर कहा र ददल-बरबाद कहा

वो भी छोिा-सा ह िकड़ा इसी वीरान का

उसकी तसवीर दकसी तरह नही हखच सकती

शमअ क साि तअललक ह जो परवान का

अब शमा अगर परवान को पकार शमा ददखाई पड़ जाए परवान को तो परवाना चला उड़ा ऐसा एक

तअललक ह ऐसी ही घिना घिती ह गर और चशषर क बीच गर ह शमा चशषर हो जाता ह परवाना हखच

चलता मगर धरान रखना परवान का जाना शमा की तरफ अपनी मौत की तरफ जाना ह परवाना तो जलगा

शमा म राख हो जाएगा राख होकर ही शमा हो पाएगा इसीचलए अगर कोई परवान स कह दक शमा की

तसवीर बना दो तो न बना पाएगा करोदक शमा को जान ही तब पाता ह जब चमि जाता ह जब सवर नही

रहता तब शमा को जान पाता ह और जब तक सवर रहता ह तब तक शमा को न दखा ह न जाना ह दखत ही

तो दीवानगी आ जाती ह

इसचलए सदगर की भी कोई तसवीर नही खीच पाता ह ऊपर-ऊपर क लकषण चलख जात ह भीतर की

तसवीर नही हखचती और न कोई परमातमा की तसवीर कभी खीच पाता ह बाहर-बाहर की बात होती ह

जानन वाल मचशकल म पड़ जात हाः करा कह कस कह जगजीवन कहत ह न बार-बार दक कछ कहत नही

बनता कछ बतात नही बनता जान तो चलरा जनात नही बनता

शासतरो म तो सब ऊपर क लकषण ददए ह ऊपर क लकषणो स मत चलना नही तो तम बचदध क घर म ही

आबदध रहोग और बचदध बधन ह बचदध जजीर ह तोड़ो इस जजीर को नाचन दो हदर को गान दो हदर को--

मि भाव स जरर सदगर चमल जाएगा सदगर सदा मौजद ह परासा कोई हो सरोवर सदा मौजद ह

लदकन सरोवर परास क पास नही जात शमा परवान क पास नही जाती परवान को शमा क पास आना

पड़ता ह रदयचप जब परवाना शमा की तरफ आता ह तो शमा क खीचन क कारण ही आता ह

दसरा परशनः तर दवार खड़ी भगवान

ओशो भर द र िोली

कसम िोली भरी ह िोली खाली नही आख खोलो और दखो िोली भरी नही जानी ह िोली तम

भरी ही लकर आए हो िोली सदा स भरी ह सपदाओ की सपदा तमहार भीतर ह सामराजरो का सामराजर

179

तमहार हदर म चछपा ह सब जो तमह चाचहए तमह ददरा ही हआ ह तमह चमला ही हआ ह रतती भर भी

जोड़ना नही ह न कछ जोड़ना ह न कछ घिाना ह चसपा जागना ह और जागत ही कराचत घि जाती ह

तो कसम रह तो मत पछ दक िोली भर तरी अगर कोई िोली भर सकगा तरी तो कोई दफर खाली भी

कर सकता ह दफर तो बड़ी मचशकल हो जाएगी म तो चसफा जगा सकता ह और जागत ही ति ददखाई पड़गा

दक तरी िोली सदा स भरी ह कभी खाली िी ही नही करोदक परमातमा स कषण भर को हमारा सबध नही

ििता ह हम भल जाए उस वह हम नही भला ह हम पीि कर ल उसकी तरफ लदकन उसन हमारी तरफ मह

रखा ह हम चवमख हो जाए वह हमार सदा सनमख ह नही तो हम चजएग कस वही तो डालता ह शवास वही

तो पराण का तार खीचता ह वही तो धड़कता ह हदर म वही तो डालता ह शवास वही तो हमारा जीवन ह

परमातमा हमार जीवन स चभनन तो कोई नही ह चभनन तो कछ नही

लदकन इस जानन क चलए जागन क चलए कछ परदकररा समिनी होगी

ससार म जो भी पाना हो दौड़न स चमलता ह और अतताम म जो भी पाना हो वह रकन स चमलता ह

ससार म कछ पाना हो चवचार करन स चमलता ह भीतर कछ पाना हो चनरवाचार होन स चमलता ह करोदक

भीतर पाना नही ह पारा ही हआ ह चवचारो क कारण पता नही चलता ह--चवचारो की भीड़ म शोरगल म

खो जाता ह चनरवाचार होत ही ततकषण चदकत होकर पारा जाता ह दक हम दकसको खोजत ि करो खोजत ि

हम कहा-कहा भिक और चजस हम खोजत ि वह खोजन वाल म चछपा बिा ह

राह रह पराई ह

भिक इन कदमो क साि-साि मर

रह बावरी

अधर म साि चली आई ह

भख र पाव रह

परास र पाव रह

जान दकस ओर तक

कहा स र पाव रह

और रक पाव नही

और चमला गाव नही

पावो क आस ि

चमटटी का आचल िा

सनहभरी गोद राह की--

दकतना सबल िा

सबह मह-अधर स

रात मह-अधर तक

रक कही पाव नही

180

और चमला गाव नही

पावो क साि चसपा राह भिक आई ह

ददन भर की भाचत और कलाचत की कमाई ह

राह रह पराई ह

चजन रासतो पर भी तम चल रह हो सब पराए ह सब दर ल जानवाल ह सब खोज तमह अपन स दर ल

जा रही ह

रक कही पाव नही

और चमला गाव नही

रको तो गाव अभी चमल इसी कषण चमल गाव तमहार भीतर बसा ह माचलक भीतर बिा ह

मत मिस मागो मागन म ही भल हो जाती ह म तमह कछ द नही सकता लदकन जाग कर मन पारा

ह दक पान को कछ ह ही नही रही सकत तमह दता ह जागो और पा लो

भख र पाव रह

परास र पाव रह

जान दकस ओर तक

कहा स र पाव रह

और रक पाव नही

और चमला गाव नही

गाव चमल सकता ह--अभी इसी कषण कसम पाव रकन चाचहए चवचार क पाव वासना क पाव--पाव

रकन चाचहए सब तरह क पाव रकन चाचहए रही धरान ह बि जाना चप मौन बि जाना शात चनरवाचार

डब जाना अतर म भल जाना बाहर को और दकसी ददन दकसी शभ घड़ी म खजाना खल जाता ह दकसी शभ

घड़ी म दकसी शभ महता म राजाओ का राजा भीतर ही उपलबध हो जाता ह और तब फल ही फल ह तब

जीवन सगध ही सगध ह

फल कदब

िहनी-िहनी म कदक सम िल कदब

फल कदब

सावन बीता

बादल का कोष नही रीता

जान कबस वो बरस रहा

ललचाई आखो स नाहक

जान कब स त तरस रहा

मन कहता ह छ ल कदब

फल कदब

िल कदब

दफर फल ही फल ह दफर जीवन सवास ही सवास ह नही कही जाना ह नही कछ पाना ह बस अपन

म आना ह रह सतर आख खोल कर नही दखा जाता रह सतर आख बद करक दखा जाता ह कछए की तरह

181

चसकड़ रहो सारी इददररो को चशचिल छोड़ दो दवार-दरवाज सब बद कर दो बाहर को भल-भाल जाओ न

अतीत रह जाए न भचवषर--बस रही कषण और इस कषण म डबकी लगा लो और अतल गहराई ह

फल कदब

िहनी-िहनी म कदक सम िल कदब

फल कदब

खल जाती ह पखड़ी भीतर जात ही खल जाती ह

वषाा म अनावत धल पात

फीक ि कल आज खल पात

धप क जाद म चखल पात

मसतानी हवा म चहल पात

जादई साच म ढल पात

भल गए दाह-ददन भल पात

वषाा म अनावत धल पात

फीक ि कल आज खल पात

बस खलन की बात ह रको तो खलो पखड़ी खल जाए सवणा-कमल तमहार भीतर ह तम हो सवणा-

कमल मागो मत जागो

तीसरा परशनः कषण का नाम ही सना ह चशव को जाना भी नही ककत कडचलनी धरान म ऐसा करो लगा

दक रही चशव का नतर हो रहा ह और रही की मधर आवाज कषण की बासरी की आवाज ह चबना पहचान क

ऐसा आभास करो हआ

पननालाल पाडर सभी नतर कषण का नतर ह सभी धन कषण की धन ह कषण तो परतीक ह नतर असली

बात ह नाच तमहार भीतर चखलन लगगा तो सनी हई बात कषण क नतर की अचानक सािाक हो जाएगी

अचानक उसका अिा तमहार अनभव म आ जाएगा गीत तमहार भीतर खलन लगगा तो अचानक तमन सना ह

कषण की बासरी की िर--उसकी बात ही सनी ह--मगर जब तमहार भीतर िर खलन लगगी और तमहार भीतर

पकार आन लगगी तो तमह वही परतीक राद आ जाएगा जो सना ह सवाभाचवक

ऐसा दकसी ईसाई को नही होगा ऐसा दकसी जन को भी नही होगा जन भी कडचलनी कर रह ह उनको

कषण की िर नही सनाई पड़गी उनको चशव का नतर नही ददखाई पड़गा वह परतीक उनक भीतर नही ह नतर

तो उनक भीतर भी होगा सवर उनक भीतर भी जागगा मगर उस सवर को परकि करन वाला परतीक उनक पास

नही ह तमन सना ह तमहार पास परतीक ह इसचलए परतीक एकदम जीवत हो उिा इसस चौको मत इसस

कषण का कछ लना-दना नही ह तमहार मन म तमहारी समचत म एक ससकार ह अनभव हआ अनभव न

ससकार सजग कर ददरा

182

लदकन शभ हआ सब परतीक परार ह मगर परतीक तभी रार ह जब उनका अिा तमहार भीतर फल घर म

बि हो कषण की मरता लगाए दक तसवीर लिकाए इसस कछ भी न होगा तमहार भीतर नाच उि तो कछ

हआ घर म बि हो महावीर की परचतमा चबिाए इसस कछ भी न होगा जब तमहार भीतर सब चसिर हो

जाएगा महावीर जसा चनसतरग अब जस तमह रह हआ ऐस ही चवपससना धरान म दकसी जन को अचानक

महावीर की राद आ जाएगी उनकी परचतमा आ जाएगी हहद क पास वसा परतीक नही ह

सब धमो न परतीक चन चलए ह

और म तमह रहा चजस वातावरण म परवश द रहा ह रह सार धमो का वातावरण ह रह दकसी एक

सपरदार का मददर नही ह इस मददर क सब दवार खल ह एक तरफ स रह मचसजद ह एक तरफ स रह मददर ह

एक तरफ स चगरजा ह एक तरफ स गरदवारा ह एक तरफ स चतरालर ह इन सब दवारो स मददर म परवश

सभव ह रहा जब कोई मसत हो जाएगा अगर उसक पास कषण का परतीक ह तो अचानक उस समि म

आएगी पहली दफा बात कषण क रास की और अगर दकसी न मीरा को परम दकरा ह तो नाचत म उस मीरा की

राद आ जाएगी मीरा क भजन गज उि ग दकसी न चतनर को परम दकरा ह अचानक उस लगगा दक चतनरमर

हो गरा दकसी न महावीर को चाहा ह महावीर की परपरा म पदा हआ ह महावीर का परारा परतीक उसक

मन म बिा ह मौन जब सधगा सब चसिर जब होगा तब उस लगगा दक आज जाना बहत गरा जन मददरो म

बहत की पजा बहत चढ़ाए चावल बहत िका लदकन आज दशान हए आज अपन भीतर दशान हए

रहा तो अलग-अलग धमो क लोग ह शारद परथवी पर ऐसी कोई और दसरी जगह नही ह जहा सार

धमो क लोग हो रहा ईसाई ह पारसी ह रहदी ह मसलमान ह--रहा सारी जाचतरो क लोग ह सार दशो क

लोग ह सार परतीको को ल आए ह रह बड़ी समदध जगह ह सातो रग रहा ह रह परा इदरधनष ह और म

चाहता रह ह दक तम धीर-धीर सभी परतीको म लीन होन लगो कषण का ही परतीक करो रह महावीर का

परतीक भी जड़ जाए बदध का परतीक भी जड़ जाए करोदक धरान की अलग-अलग चसिचतरो म सार परतीको क

अिा ह धरान म मसती भी आती ह बासरी भी बजती ह मौन भी छा जाता ह शनर भी परगि होता ह धरान

क बड़ चढ़ाव ह बड़ पड़ाव ह अलग-अलग अिा अलग-अलग पड़ावो पर खलत ह धमो न एक-एक पड़ाव को

पकड़ चलरा ह म तमह परी रातरा दता ह इस रातरा म सब पड़ाव आत ह सब तीिा आत ह इस रातरा म काशी

आती ह और काबा आता ह और कलाश आता ह और चगरनार भी और जरसलम हम एक चवशवरातरा पर

चनकल ह

तो तम अपन ही परतीको म बध मत रह जाना तम धीर-धीर अपन मन को खोलो और परतीको को भी

अपन चनकि आन दो तम औरो क परतीक भी सीखो और समिो करोदक चजतन परतीक तम जानोग उतनी ही

तमहारी भाषा समदध होगी तमहारा भाव समिन म आसानी होगी

अचछा हआ पहली बार चोि पड़ी

अबक इस मौसम म

कोरल आज बोली ह

पहली बार

िसो को उमग कई ददन हो गए

िस को सलग कई ददन हो गए

अलसी को फल कई ददन हो गए

183

बौरो को महक कई ददन हो गए

िपिी पचछरा

दरक गए कलो क पात

लत ही करवि

तजाब की फहार

चछड़कन लगा सरज

मह बा ददरा कचलरो न

दखती रह गई चनिराई क खल

चपचाप कलमही

भर गरा जी

जोरो स कक पड़ी

अब क इस मौसम म

कोरल आज ककी ह

पहली बार

अचछा हआ तमहार भीतर कोरल पहली दफा बोली ह तम धनरभागी हो अब इस सन जाना रह तो

गीत की शरआत ह अत नही रह तो पहला कदम ह अभी बहत होन को ह इस पर ही अिक मत जाना जस

कषण आए और चशव आए ऐस ही आन दो बदधो को भी महावीरो को भी कराइसि को लाओतस को जरिसतर

को भी आन दो सबको सब को भरन दो अपना-अपना रग तमहार पराणो म सब को अवसर दो सब तमहार ह

तम सबक हो और जस-जस र परतीक आतमसात होत जाएग वस-वस दचषट बदलगी--और सचषट बदलगी

पीपल क पततो पर दफसल रही चादनी

नाचलरो क भीग हए पि पर पास ही

जम रही घल रही चपघल रही चादनी

चपछवाड़ बोतल क िकड़ो पर--

चमक रही दमक रही मचल रही चादनी

दर उधर बजी पर उछल रही चादनी

आगन म दबो पर चगर पड़ी--

अब मगर दकस कदर सभल रही चादनी

वो दखो सामन--

पीपल क पततो पर दफसल रही चादनी

एक बार भीतर जगन लग रोशनी सब तरफ दफसलन लगगी पीपल क पततो पर पततो-पततो पर सारा

जगत एक अपवा सौदरा स भर जाता ह जब तमहार हदर म सगीत का जनम होता ह सब तरफ परािाना उिन

लगती ह भजन पदा होन लगता ह भजन वह नही ह जो तम आरोजन स करत हो भजन वह ह जो चबना

184

दकसी आरोजन क अचानक तमह पकड़ लता ह मि जाता ह जस ििावात पकड़ ल जस आए एक तफान

आए एक आधी और तमह पकड़ ल और तम उड़ चलो और तमह पख द द

लोचन अजन मानस रजन

पावस तमह परणाम

तापतपत वसधा दख भजन

पावस तमह परणाम

ऋतओ क परचतपालक ऋतवर

पावस तमह परणाम

अतल अचमत अकररत बीजधर

पावस तमह परणाम

नह-छोह की गीली मरत

पावस तमह परणाम

अग-जग फली नीली सरत

पावस तमह परणाम

दफर वषाा आए तो परणाम सदी आए तो परणाम धप उग तो परणाम दफर नमन तमहारा सवभाव हो जाता

ह करोदक परमातमा सब तरफ मौजद ह इधर दखो कषण नाच रह ह रह जो नाचन लगा मोर और कौन ह

राद करो व मोरपख जो कषण क मकि पर बध ह इधर नाचा मोर कषण नाच इधर दखो रह पीपल का

दरखत चपचाप खड़ा सननाि म पतता भी चहलता नही--बदध खड़ ह तमहारी आख जरा खलन लग तो रह सारी

परकचत धीर-धीर परमातमा म रपातररत होन लगती ह और जहा उिाओ कदम वही पचवतर भचम ह चजस

तरफ रखो आख वही परमातमा क दशान ह दफर िकता मन दफर परणाम दफर अचभनदन पल-पल शवास-

शवास हदर की धड़कन-धड़कन म नमन ऐसी भावदशा को ही म भचि कहता ह ऐसी भावदशा बढ़त-बढ़त

एक ददन भगवतता बन जाती ह

इसस कम पर राजी नही होना ह भचि को भगवतता तक ल चलना ह भचि क बीज को भगवतता का

फल बनाना ह

और तम समिा हो परतरक समिा ह और तमहारा रह सवरपचसदध अचधकार ह अगर तम चको तो

तमहार चसवार और कोई चजममवार नही चको तो तमहारी ही भल ह पा लो तो कछ चवशष तमन पारा नही

जो सहज ही चमलना िा वही चमल गरा ह

परमातमा को चकना बड़ी चवशष कला ह परमातमा को पाना इतनी चवशष कला नही परमातमा को

पाना सहज बात ह करोदक हमारा सवभाव ह परमातमा को तम चक रह हो रही चमतकार ह रह चबलकल

अचवशवसनीर ह दक कस तम चक चल जात हो सब तरफ जो भरा ह सब तरफ स जो आ रहा ह सब तरफ स

तमह घर ह बाहर और भीतर जो उमगा पड़ रहा ह उसस तम कस चक जा रह हो मगर हो जाता ह ऐसा

सागर म मछली हो तो पता नही चलता उस सागर का ऐस ही हम परमातमा म और हम परमातमा का पता

नही चलता ह

सतसग म पहली बार तमह धीर-धीर रस की बद-बद पड़नी शर होगी बदाबादी होगी दफर तो

मसलाधार होन लगती ह वषाा तम जस-जस तरार होन लगत हो चजतन को लन की तमहारी तरारी होन

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लगती ह उतना जरादा-जरादा परमातमा तम म बहन लगता ह तमहारी पातरता तमहार पातर क अनकल सदा

तमम भरन को परमातमा राजी ह

रह पहली कक पड़ी रह तमह कषण का िोड़ा-सा आभास हआ चशव का िोड़ा सा आभास हआ रही

रक मत जाना बढ़न दो फलन दो पर आकाश को घर लना ह सार धमा तमहार ह सब करान सब बाइचबल

सब वद तमहार ह और अगर तम राजी हो चहममतवर हो और छाती तमहारी बड़ी ह तो एक ददन तम वद को

जगता दखोग एक ददन करान को उित दखोग अगर वद ही जागा तो आदमी गरीब रह गरा करोदक कछ ह

जो वद म ह और कछ ह सौदरा जो करान म ह चजसक भीतर दोनो जग वह धनरभागी और चजसक भीतर

धममपद भी उिा और महावीर की वाणी भी गजी उसका तो कहना करा

मनषर को हम घोषणा दनी ह दक सारी मनषरता का परा अतीत परा इचतहास हमारी वसीरत ह

सकीणा न होना कषण को ही पकड़ कर मत रह जाना अनरिा नाच तो जान लोग लदकन महावीर की शाचत स

वचचत हो जाओग महावीर को ही पकड़ कर मत रह जाना अनरिा शाचत तो जान लोग लदकन तमहार पर म

घघर न बधग बासरी न बजगी सब सदर ह दकसी कषण म मौन और दकसी कषण म मखर गीत--सब सदर ह

सवािगीण का सवीकार सवा का सवीकार धारमाक वयचि का लकषण ह धारमाक वयचि सापरदाचरक नही होता नही

हो सकता ह

आज इतना ही

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अरी म तो नाम क रग छकी

नौवा परवचन

रचह नगरी म होरी खलौ री

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

जगजीवन चवनती करर माग कबह नही चबसरावह र

रचह नगरी म होरी खलौ री

हमरी चपरा त भि करावौ तमहर सग चमचल दौरौ री

नाचौ नाच खोचल परदा म अनत न पीव हसौ री

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

कतह न वहौ रहौ चरनन दढग मन दढ होए कसौ री

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

सदा सोहाग भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी

औगन बहत नाहह गन एकौ कस गहौ दढ़ डोरी

कहह का दोष म दउ सखी री सब आपनी खोरी

म तो समारग चला चहत हौ म त चवष मा घोरी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपर त चमलौ करर जोरी

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

रहौ सीस द सदा चरनतर होउ ताचहकी चरी

जगजीवन सत-सज सचत रचह और बात सब िोरी

सहर तक शमए-महदफल मन जल बिन की िानी ह

हम र दखना ह खाक हो जात ह हम कब तक

परमातमा की जो खोज पर चनकल ह उनह खाक हो जान की तरारी रखनी होती ह चमिो तो ही उस पा

सकोग जरा स भी बच गए तो उतना ही फासला शष रह जाता ह तमहारा चमिना ही उसका होना ह

तमहारा चमिना ही उसस चमलना ह इसचलए चजस रह बात साफ नही ह वह जनमो-जनमो तक भिकता रह

खोजता रह पाएगा नही

सहर तक शमए-महदफल मन जल बिन की िानी ह

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हम र दखना ह खाक हो जात ह हम कब तक

चमिन की तरारी ही उसकी एकमातर साधना ह म चवदा हो जाए समगररपण चवदा हो जाए तो दवार

खल जाता ह म क अचतररि और कोई ताला नही ह उसक दवार पर तम ही बाधा हो

लोग सोचत ह कोई और बाधा ह लोग सोचत ह अजञानी ह िोड़ा जञान हो जाएगा तो बाधा चमि

जाएगी पापी ह िोड़ा पणर कर लगा तो बाधा चमि जाएगी नही न तो पणर स बाधा चमिगी न जञान स

बाधा चमिगी जब तक तम हो बाधा रहगी अजञानी होकर रहो तो बाधा रहगी जञानी होकर रहो तो बाधा

रहगी पापी होकर रहो तो बाधा रहगी पणरातमा होकर रहो तो बाधा रहगी दफर ताला लोह का ह दक सोन

का फका नही पड़ता ताला ताला ह दरवाजा नही खलगा सो नही खलगा चमिना होगा खाक हो जाना

होगा जस दीरा बि जाता ह

इसचलए बदध न उस अवसिा को चनवााण कहा चनवााण का अिा हः दीर का बि जाना जस दीरा बि

जाता ह ऐस तम बि जाओ तो सरज परकि हो जाए तमहार दीर की रिमरिमाती लौ न ही सरज को चछपा कर

रखा ह जरा सी दकरदकरी आख म पड़ जाती ह पहाड़ ओिल हो जात ह ऐसी जरा सी ही दकरदकरी ह

अहकार की पर उसी की आड़ म उसी की ओि म सब कछ चछप गरा ह

दकस रकीन दक तम दखन को आओग

आचखरी वि मगर इतजार और सही

अत तक िीक अत तक भी उसका आगमन नही होता--अत हो जान क बाद ही होता ह जरा स भी बच

गए हो तो उतनी ही बाधा शष रह गई ह

चसदध कौन ह जो शनर ह जो पररपणा ह जो ह ही नही चजसक भीतर जाओ तो ररिता ह कोरा

आकाश न चवचार क बादल रह गए ह न अहकार की गाि रह गई ह दफर घिना घिती ह दफर आ जाती

सहाग की घड़ी होली का परम कषण आ जाता ह

उनको बलाक और पशमा हए चजगर

र करा खबर िी होश म आरा न जाएगा

दफर बहोशी और मसती का कषण आता ह दफर जीवन म नतर ह--दफर जीवन नतर ह दफर जीवन म रग

ह--दफर जीवन रग ह उसक पहल बरग ह जीवन उसक पहल नाममातर को ही जीवन ह जीवन कहा शवास

लन का नाम ही तो जीवन नही ह शवास तो पश भी ल लत ह हदर क धड़कन का नाम तो जीवन नही पश-

पचकषरो क भी हदर धड़क रह ह चजसन शवास और हदर क धड़कन को ही जीवन समि चलरा उसन रातरा शर

ही नही की उसन पहला कदम भी नही उिारा

जीवन तो तब ह जब परम जीवन का अनभव हो शाशवत जीवन का अनभव हो र शवास तो िि जाएगी

असली शवास कब लोग जो ििती नही रह धड़कन तो बद हो जाएगी रह हदर असली हदर नही ह उस

हदर को कब धड़काओग जो एक बार धड़कता ह तो शाशवत तक धड़कता ह दफर उसका कोई अत नही आता

अमत को कब पीओग रह जीवन तो मतर ह इस जीवन क पीछ तो मौत खड़ी ही ह हर घड़ी खड़ी ह कब आ

जाए कछ पता नही रह जीवन तो मौत क पास ही सरकत जान का नाम ह मरघि क करीब रोज जा रह हो

अिी रोज कसी जा रही ह आज नही कल कल नही परसो मौत घर लगी अधकार आ जाएगा रह रोशनी

का ददखावा िोड़ी दर का ह रह चहल-पहल चार घड़ी की ह और इस चहल-पहल म चसफा चहल-पहल ही ह

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हाि कछ लगता नही हाि खाली क खाली रह जात ह न कछ लकर आत हो न कछ लकर जात हो खाली

आत खाली चल जात हो

जागो इस शोरगल म बहत मत उलि जाओ एक और सननािा ह भीतर चजसस पहचान करनी ह एक

और हदर ह चजसकी कजी तलाशनी ह तमहार भीतर ही चछपा हआ एक और राज ह चजसक पद उघाड़न ह

चजसका घघि उिाना ह चजस ददन वह पदाा उिता ह उस ददन ही पता चलता ह दक हम करा ि और करा

होकर रह गए ि कमल ि और कीचड़ ही होकर रह गए ि कमल की सभावना िी और हमन कीचड़ को ही

अपना होना मान रखा िा राम ि और काम ही होकर रह गए ि चवराि ि और बड़ कषदर म अपन को बाध

चलरा िा सारा आकाश ि मि आकाश ि और दकतन छोि-छोि इरछ-चतरछ आगनो म आबदध हो गए ि

जो खोजन चलता ह उस रह ददखाई पड़ना शर हो जाता ह दक रह जीवन तो असली जीवन नही इस

जीवन स तो उसका चचतत चनराश हो जाता ह इस जीवन स तो हताश हो जात ह उसक पराण और चजसन

असार को असार की तरह जान चलरा अब जरादा दर नही ह सार को सार की तरह दखन म वयिा को वयिा की

तरह पहचान चलरा तो सािाक क बहत करीब आ गए िि को िि की तरह पहचान लना सतर को सतर की

तरह पहचान लन की अचनवारा मचजल ह

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

और जो खोजन चनकलता ह और इतनी कीमत चकान को राजी ह दक खाक होना पड़ तो खाक हो जाए

जो सली पर चढ़न को राजी ह उस हसहासन चमलता ह आ जाती ह वह अमत-घड़ी

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

--दक उस परार क ललाि पर चदन का िीका लगान का मौका आ जाता ह

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

और जब तम शनर हो जात हो तो जहा तमन कवल चवचारो की भीड़ दखी िी चजस मन म तमन

चसवार वासनाओ क कलपनाओ क वयिा क ऊहापोह क और कभी कछ न पारा िा चजस मन म तमन चसफा

हाि भरी दखी िी वासनाओ इचछाओ ऐषणाओ की उसी मन म एक फल चखलता ह--चतनर का रही मन

जो बाहर उलिा रहता ह तो चवचकषपतता लाता ह रही मन बाहर स मि हो जाता ह तो चवमिता लाता ह

रही सीढ़ी ह बाहर जान की रही सीढ़ी ह भीतर आन की उसी दवार स तो बाहर जात हो चजस दवार स भीतर

आत हो चजस सीढ़ी स नीच उतरत हो उसीस तो ऊपर भी जात हो सीढ़ी को दोष मत दना ददशा का सवाल

रही मन ससार स जोड़ दता ह रही मन परमातमा स जोड़ दता ह जब तक ससार स जोड़ता ह तब

तक इस मन म काि ही काि उगत ह करोदक ससार म चसवार कािो क और कछ भी नही ह--कािो का जगल ह

और जब रही मन तमह परमातमा स जोड़ दता ह अतरातमा स जोड़ दता ह तो फल चखल आत ह और व ही

फल चढ़ान रोगर ह

वकषो क फल तोड़कर जाकर मददर की मरतारो पर चढ़ा दत हो न मरतारा सचची तमहारी न फल अपन

इस िि को तम पजा कहत हो फल पौधौ क--और चढ़ ही ि पौधौ पर चढ़ ही तो चढ़ ि परमातमा को हजदा

तो ि रस बह रहा िा चाद-तारो स बात कर रह ि हवाओ म गध चबखर रह ि र परमातमा क ही चरणो

पर चढ़ ि और जीवत ि और तमहारी पजा बड़ी अनिी ह इन हजदाओ को तमन तोड़ डाला मार डाला काि

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चलरा और चढ़ा कहा आए जीवन को मदाा कर ददरा और अपनी ही बनाई हई मरतारो पर पतिर की मरतारो

पर चढ़ा आए

तमहारी बनाई मरतारा तमहारी परचतछचवरा ह तमहारी ही तसवीर ह तमहारी बनाई मरतारा तमहारी ही

कलपनाए ह तमहार हाि स परमातमा गढ़ा जाए रह सभव कस तमह परमातमा न गढ़ा ह तम गढ़नवाल गढ़

लत हो दकसको धोखा दत हो बजाए इसक दक समिो दक वह सरषटा ह तम उसक सरषटा बन जात हो और

तमन रग-रग ढग-ढग क परमातमा बना रख ह तमहारी मौज मगर धोखा द रह हो और धोखा खद ही खा रह

हो--दकसको दोग और

नही एक और घड़ी ह--वासतचवक परमातमा क साकषातकार की जब जीवन का अनभव होता ह जब

अमत की वषाा होती ह तब ही फल चढ़ाए जात ह लदकन व फल वकषो स नही चलए जात उधार नही होत--

अपन ही पराणो क होत ह मनषर भी एक वकष ह और उसम भी फल चखलत ह--चतनर क परजञा क धरान क

सरचत क उनही फलो को चढ़ाना उनही फलो को चखलाओ तादक चढ़ा सको उनस कम म कछ काम नही

चलगा इस मन को फल बनाओ रह वचन परारा ह--मन त पहप माल गचिक मन स ही गि चलए फल

मन स ही तोड़ चलए फल सो लक पचहरावह र और इसकी ही माला उस पहनाई

रचग-रचग चदन चढ़ावह

चनचित ही रह चदन भी बाहर का नही हो सकता जब फल भीतर क ह तो चदन भी भीतर का होगा

तमहारी चतना म ही जो सवास उिती ह उसी का नाम चदन ह तमहारी चतना की सवास का नाम चदन ह

तमहार भीतर चछपी ह वास और तम बाहर तलाश रह हो दखत न कसतरा कसतरी मग भागता दफरता

भागता दफरता--इस तलाश म दक कहा स आ रही ह रह सवास और सवास उसकी ही नाचभ स आती ह

कसतरी कडल बस

तमहार भीतर बड़ी सवास क खजान पड़ ह मगर तम बाहर की गध म ऐस उलि हो दक अपनी गध का

पता ही नही चलता तमहार नासापि बाहर की गधो स ही भर ह तम समर ही नही दत सचवधा ही नही दत

दक तमहारी आख भीतर दख सक दक तमहार कान भीतर सन सक दक तमहार नासापि भीतर की गध ल सक

दक तमहारी जीभ भीतर का सवाद ल सक दक तमह भीतर का सपशा हो सक दरस-परस हो सक--मौका ही नही

दत बाहर इतन उलि हो तमहारी सारी इददररो को तमन बाहर उलिा रखा ह और दफर इददररो को गाली दत

हो उलिारा तमन ह इददररा तो भीतर भी ल जा सकती ह इददररा बाहर भी ल जा सकती ह इददररा तो दवार

चजस दरवाज पर एक तरफ स चलखा होता ह एरस परवश उसी दरवाज पर दसरी तरफ स चलखा होता

ह--एचकिि चनकास दरवाजा एक ही ह रह आख बाहर ही अगर दखती होती तो मनषर परमातमा को कभी

भी नही दख सकता िा रह आख भीतर भी दखती ह--रह मड़ कर भी दखती ह रह आख दधारी तलवार ह

और ऐसी ही तमहारी सारी इददररा ह बाहर चाहो बाहर दखो भीतर चाहो भीतर दखो बाहर दखोग तो

ससार ह भीतर दखोग तो चनवााण ह और जो तमन ससार म दखा ह सब तमह भीतर चमल जाएगा--और

अनत-अनत गना और अनत-अनत गहरा

गध तमन बाहर भी दखी ह मगर कछ भी नही बाहर की गध तो कवल दगिधो को चछपान क उपार ह

बाहर की गध तो ऐस ही ह जस दकसी को घाव हआ हो मवाद पड़ गई हो और उसक ऊपर एक गलाब का फल

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रख ल गलाब का फल रख लो घाव पर इसस घाव चमिगा नही चछप भला जाए दकस धोखा द रह हो घाव

बढ़ता रहगा और गलाब की ओि म हो जाएगा तो और सचवधा स बढ़गा करोदक ददखाई भी नही पड़गा

अपनी दगिध को चछपान क चलए लोग सगध चछड़क लत ह वह चसफा उपार ह भाचत पदा करन का

अपनी करपता को चछपान क चलए लोग दकतन सौदरा क आरोजन करत ह वसतरो स पररधान स पररवषठन स

अलकारो स आभषणो स दकतन-दकतन उपार ह रह चसफा करपता को चछपान क उपार ह बाहर स कोई

सदर नही हो सकता सौदरा का तो अतसतल म आचवभााव होता ह

तमन बाहर भी रग दख ह मगर व रग कछ भी नही ह उन रगो क मकाबल जो तमहार भीतर भर ह

और तमन बाहर भी इदरधनष दख ह मगर जब भीतर क इदरधनष दखोग तब पता चलगा दक बाहर क इदरधनष

तो सब फीक ि सब छारामातर ि बाहर तो कवल परचतधवचनरा ह मल तो भीतर ह बाहर तो ऐसा समिो दक

जस तम पहाड़ो म गए हो और तमन जोर स आवाज लगाई और पहाड़ी घारिरो म आवाज गजी और तम पर

लौि आई और तम चौकत हो और लगता ह शारद पहाड़ो न तमह पकारा

बाहर परचतधवचन हो रही ह गज का असली मल तमहार भीतर ह वहा चदन क रग भी ह चदन की मल

सवास भी वहा फल भी चखलत ह वहा सहसरार का परम फल भी चखलता ह और उसी को परमातमा क चरणो

म चढ़ारा जा सकता ह उसी की माला बनाई जा सकती ह

चबना नन त चनरख दख छचव

और जब आख भीतर मड़ती ह तो आख म एक रपातरण हो जाता ह एक कराचत हो जाती ह जब आख

बाहर दखती ह तो दखन वाला और ददखाई पड़नवाली चीज अलग-अलग होती ह दरषटा और दशर का भद होता

ह जब आख भीतर मड़ती ह तो दखनवाला भी वही होता ह ददखाई पड़नवाला भी वही होता ह वहा दशर

और दरषटा एक हो जात ह वहा तो दो कस होग वहा जानन वाला और जो जाना गरा ह एक होता ह वहा

भि और भगवान एक होता ह वहा सब दवत चमि जात ह वही असली दशान ह जहा दशर और दषटा दोनो एक

म ही खो जाए

चबना नन त चनरख दख छचव

दखन वाला तो बचता ही नही वहा तब बड़ा चमतकार अनभव होता ह बड़ रहसर का जनम होता ह

चौक पड़ता ह मनषर अवाक रह जाता ह

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

और वहा तो कोई चसर नही ह वहा तो कोई हाि भी नही ह--भीतर--मगर चबना हाि क भी हाि जड़त

ह और चबना सीस क भी सीस िकता ह और वही असली िकना ह बाहर का सीस तो तमन बहत बार

िकारा मगर िकता कहा ह िक-िक कर अकड़ जाता ह सीस तो िक जाता ह तम नही िकत मददरो म

खड़ लोगो को दख लो सीस िका ह मगर खद अकड़ कर खड़ ह खद का अहकार तो परी तरह मजबत ह जरा

नही िकता रच भर नही िकता

सीस को िकान स अहकार नही िकता लदकन जब भीतर सीस िकता ह चबना सीस क सीस िकता ह

तो अहकार चबदा हो जाता ह और दफर एक बार जो भीतर ददखाई पड़ जाए भीतर सनाई पड़ जाए तो दफर

सब तरफ उसकी िलक ददखाई पड़न लगती ह

पास-अदब स छप न सका राज-हसनो-इशक

चजस जा तमहारा नाम सना सर िका ददरा

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दफर तो कोई नाम ही ल द कही राद आ जाती ह उसकी

रामकषण को रासतो तक पर ल जान म मचशकल हो जाती िी उनक चशषरो को बड़ समहाल कर ल जाना

पड़ता िा कोई रासत म जररामजी ही कर द बस उतना काफी िा दक व मसत हो जात दक व भाव-दशा म

आ जात दक चौरसत पर खड़ हो जात आख बद हो जाती आस िर-िर बहन लगत आनदमगन हो नाचन

लगत भल ही जात दक चौराहा ह दक रासता चल रहा ह दक गाचड़रा गजर रही ह दक भीड़ लग गई दक

पचलसवाला भीड़ छािन आ गरा ह उनह दफर कछ भी राद न रहती नाम भी कोई ल दता

एक चशषर क घर चववाह िा उसकी बिी का चववाह िा उसन बहत परािाना की रामकषण को दक आप

आए उनहोन कहा म आऊगा दसर चशषरो न कहा बहतर ह न ल जाओ कोई ििि हो गई तो दलहा और

दलहन तो एक तरफ रह जाएग मगर भि नही माना तो रामकषण गए और जो होना िा वही हआ दलह

को सज दख कर घोड़ पर उनह असली दलह की राद आ गई सबको समहाल ददरा िा दक कोई जररामजी

इतरादद मत करना परमातमा का नाम मत लना मगर रह दकसी न सोचा न िा दक घोड़ पर बि दलह को दख

कर उनक मन म वसा ही हो गरा होगा जसा कबीर न कहा हः म तो राम की दलहचनरा व तो एकदम

नाचन लग व नाचन लग तो बस सब फीका पड़ गरा रामकषण नाच तो दफर और करा रह जाए जो होना

िा--चववाह का दकरराकाड--वह तो एक तरफ पड़ गरा वह तो भल ही भाल गए लोग सब रामकषण क पास

इकटठ हो गए भि बड़ हरान हए करोदक दकसी न न जर राम जी की न हररनाम चलरा न कछ सवाल उिा

रह आज मामला कस हआ

जब होश आरा तीन घि बाद रामकषण स पछा दक दकसी न तो कछ कहा ही नही आप एकदम स कस

हो गए उनहोन कहा दकसी क कहन का करा सवाल िा दखा नही घोड़ पर राम जी को करा सवार ि राद

आ गई असली वर की राद आ गई मरी भी तो गाि बध गई ऐस ही ऐस ही मरी भी तो भावर पड़ गई दफर

न समहाल सका

भीतर िक जाओ दफर तो बाहर भी िकोग दफर म तमस कहता ह पतिर की मरता क सामन भी िक

जाओग तो तम उसी क सामन िक रह हो मगर तब तक नही जब तक भीतर की पहचान नही ह दफर तो

वकष क सामन िकोग तो भी उसी क सामन िक रह हो करोदक उसी की हररराली ह वहा दफर तो तम दकसी

क भी सामन िक जाओग िकना तमहारा जीवन का ढग हो जाएगा तम िक ही जीन लगोग तमहार भीतर

िकाव एक शली बन जाएगी एक सहज भावदशा

िस लग जाए न उनकी हसरत-दीदार को

ऐ हजम-गम सभलन द जरा बीमार को

दफकर ह जाचहद को हरो-कौसरो-तसनीम की

और हम जननत समित ह चतर दीदार को

भि तो कहत ह दक हम बस इतना काफी ह दक तरा दीदार हो जाए दक त ददखाई पड़ जाए

दफकर ह जाचहद को हरो-कौसरो-तसनीम की

लदकन व जो तपसवी ह तिाकचित चवरागी ह तिाकचित उनको बड़ी आकाकषाए ह उनको अकाकषाए ह

दक सवगा चमल सवगा म सवणा-महल चमल सदर अपसराए चमल उवाचशरा उनक पर दाब और गधवा उनक आस-

पास वीणा बजाए और शराब क चशम बह और कलपवकष हो और उनक नीच बि कर व जो मजी हो परा कर

र कोई भि क लकषण नही न धारमाक क लकषण ह रह तो वही आकाकषाए वही ससार तमन दफर नर पद पर

192

वही चचतर बना चलए दफर तमन नई ददशा म वही आकाकषाए आरोचपत कर ली दफर तम अपना बाजार वाचपस

ल आए

पराणो म जो सवगो की किाए ह सवगो क जो वणान ह अगर गौर स समिोग तमहार चचतत क वणान ह

सवगो क नही तमहारी वासनाओ क वणान ह सवगो क नही सवगा कोई सिान नही ह सवगा तो उसक दीदार म

चमि जान का नाम ह सवगा तो उसक दशान म चतरोचहत हो जान का नाम ह सवगा तो उसक दरस-परस का ही

नाम ह कोई सिान नही दक जहा कलपवकष लग ह चजनक नीच तम बिोग कलपवकष की कलपना ही रह बताती

ह दक तमहार मन म अधरी रह गई ह वासनाए रहा परी नही कर पाए तो वहा परा करोग और वहा परा

करन क चलए रहा तम वासनाओ को दबा रह हो उनस लड़ रह हो--जरा पागलपन दखो जरा तमहारा गचणत

समिो

अगर वासनाए गलत ह तो रहा भी गलत ह वहा भी गलत होगी अगर शराब गलत ह तो रहा भी

गलत ह वहा भी गलत होगी मगर मजा दखो दक रहा स जरा स कलहड़ म शराब पीना पाप ह और वहा िरन

बह रह ह दक पीओ ददल भर कर दक डबकी मारो रहा तमहार साध-सत तमस कह जात ह सावधान सतरी स

सावधान और वहा सदर चसतररा चमलगी--इसी सावधानी क पररणाम म रह गचणत कसा ह रह तो बड़ी

चालबाजी हो गई रह तो बड़ा लोभ और लालच हो गरा रह तो ऐसा हआ दक रहा की साधारण चसतररा छोड़ी

वहा की असाधारण चसतररो को पान क चलए वहा की चसतररा असाधारण ह मनषर क मन न कसी कलपनाए की

ह दक वहा की चसतररो की उमर नही बढ़ती बस सोलह साल पर रकी ह सो रकी ह उवाशी अभी भी सोलह ही

साल की ह हजारो साल बीत गए ऋचष-मचन आत रह जात रह उवाशी सोलह साल की ह सो सोलह ही साल

की ह वहा कोई बढ़ नही होत

रह तमहारी आकाकषा ह रह तमहारी मनोवासना ह तम रहा भी नही चाहत दक बढ़ापा आए मगर

रहा तम चववश हो आता ह करा करोग बहत चछपात हो बहत रोकत हो बहत समहालत हो आ-आ जाता

ह मगर कम स कम सवगा की कलपना म ही मन को रमात हो वहा भी तम रही भोग कलपना कर रह हो रह

कोई तराग नही ह

दफर असली तरागी कौन ह

असली तरागी वही ह जो कहता हः परमातमा का दशान हो गरा सब चमल गरा और हम जननत समित

ह चतर दीदार को इसस जरादा की माग ससार की माग ह दफर तमन परमातमा स भी ऊपर कोई चीज अभी

रखी ह

तम जरा सोचो अगर तमस कोई कह दक परमातमा स तमहारा चमलन हो जाएगा तो तम कौन-सी तीन

चीज मागोग ततकषण तमहारा चचतत फहररसत बनान लगगा कभी बि कर एक कषण को सोचना दक परमातमा स

चमलना हो जाए तो तरार तो कर लो फहररसत मागोग करा कम स कम तीन चीज तो तर कर लो करोदक

कहाचनरा ह चजनम कभी-कभी परमातमा स चमलना हो गरा ह लोगो का और उनहोन फहररसत तरार नही की

िी और बड़ी ििि म पड़ करोदक जो मागा उसस मसीबत हो गई गलत-सलत माग चलरा चबना सोच-समि

कर माग चलरा ऐसी बहत कहाचनरा ह

एक आदमी को इषटदवता क दशान हो गए और दवता जसा पछत ह कहाचनरो म वसा उनहोन पछा दक

माग ल तीन वरदान माग ल वह आदमी अपनी पतनी स परशान िा--जस सभी आदमी परशान ह तो उसन

कहा दक िीक रह मरी पतनी मर जाए ततकषण पतनी चगर पड़ी और मर गई और जसा पतनी क मरन पर होगा

193

तब घबड़ारा करोदक पतनी क चबना कस चलगा न साि चलता ह न चबना चलता ह पतनी स दर होत ही स

पता चलता ह दक चबना चल ही नही सकता तब उस होश आरा दक खाना कौन पकाएगा चबसतर कौन

लगाएगा बचचो की कौन दफदकर करगा मार गए मचशकल म पड़ गए जलदी स परािाना की दक पतनी को हजदा

करो उसम दसरा वरदान भी खतम हो गरा--बात वही की वही ह--पतनी हजदा हो गई इषटदवता न कहा अब

जलदी करो तीसरा माग लो उसन कहा अब रको अब एक ही बचा अब मि सोचन दो

और मन सना ह वह अभी भी सोच रहा ह अब एक ही वरदान मागना हो इतनी दचनरा की वासनाए

इतनी कामनाए कस चनाव कर पाओग पागल हो गरा होगा बचारा रह मागो तो वह छिता ह वह मागो

तो रह छिता ह इतनी चीज ह ससार म मागन को

तो तम फहररसत बनाना कम स कम तीन का तो तरार ही रखना करोदक परानी आदत दवताओ की व

कहत हाः तीन माग लो न दो न चार तम तीन की फहररसत बनाना तम भी चदकत हो जाओग अपनी

फहररसत दख कर चदकत हो जाओग एक कागज पर चलखना डरना मत ििी फहररसत मत बना लना दकसी

को ददखान क चलए नही बनाना ह तमही को जानन क चलए बनाना ह ददखान क चलए बनाओग तो ििी हो

जाएगी जो आता ह मन म वही चलखना तब तमह पता चलगाः परमातमा भी सामन खड़ा हो तो तम कषदर

बात मागोग बड़ी कषदर बात मागोग धन मागोग पद मागोग परचतषठा मागोग भोग की कोई रातरा पर

चनकलना चाहोग मागोग करा और और तमहारा तरागी-वरती रही कर रहा ह

नही भि की ऐसी कोई आकाकषा नही भि कहता ह तरा दीदार बस काफी

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

दोनो हाि जोड़कर चवनती करगा तर नाम का मगल गाऊगा और करा करन को बचता ह चजस

परमातमा का दशान हआ उसक पास चसवार उतसव क और कछ भी नही ह अब सवगा उतसव ह भोग नही

उतसव माग नही उतसव--धनरवाद आभार-परदशान

इसचलए म अपन सनराचसरो को कहता हाः परतरक धरान क बाद िोड़ी दर क चलए उतसव की घड़ी जरर

लाना उतसव मना लना हर धरान क बाद करोदक अततः परम धरान क बाद उतसव ही घिन वाला ह उसकी

तरारी करो उसक चलए धीर-धीर धीर-धीर अपन को चनषणात करो समाचध क बाद चसफा उतसव ही रह जाता

ह और सब खो जाता ह समाचधसि परष क जीवन म चसवार नतर क गीत क और करा ह और गीत भी उसक

अपन नही ह अब

चपरर तमन ही तो गाए ि

मन र चजतन गीत चलख

अबर की लाली को उस ददन

तमन ही िा अनराग ददरा

तमन ऊषा को अपनी छचव

कलरव को अपना राग ददरा

अपना परकाश रचव-दकरणो को

अपना सौरभ मलराचनल को

194

पलदकत शतदल को तमन ही

चपरर अपना मधर पराग ददरा

दफर भि तो बचा ही नही भगवान ही भि म नाचता ह अनिा रास आनद-उतसव महोतसव फल पर

फल चखलत ह बीन पर बीन बजती ह नर-नर पद उित जात रहसर क चारो तरफ दीर ही दीर जल जात ह

दीवाली भी आ गई और होली भी आ गई--सब साि हो जाता ह

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

बस एक ही परािाना रह जाती ह करन की दक कभी भल न कभी दफर न भल जाऊ धरान करना इस

बात पर और कछ नही मागत जगजीवन इतना ही मागत ह दक रह दशान जो हो गरा ह रह मरी पातरता स

तो नही हआ ह म तो अपातर ही ह म तो जसा ह वसा ही ह मन कोई बहत बड़ा अजान नही कर चलरा ह मन

कोई बहत बड़ा तराग नही कर ददरा ह--मर तराग म भी करा रखा ह मरा तराग मर ही जसा होगा दो कौड़ी

की मरी चसिचत ह दो कौड़ी का मरा तराग होगा न मरा जञान ह न मरा धरान ह और तम आ गए अनारास

तम आ गए हो अचतचि बन कर तम मौजद हो गए हो तमन दवार पर दसतक द दी ह रह दसतक दत रहना

और मि राद ददलात रहना म तो नासमि ह भल भी सकता ह पा-पा कर भी चक सकता ह तमह दख

चलरा दफर भी चवसमरण कर सकता ह

भि रही कहता ह रही चनवदन करता ह दक तमह दख चलरा अब चवसमरण होना नही चाचहए लदकन

मि अपनी अपातरता का पता ह मि अपन अजञान का पता ह म दफर अधरी रात म खो सकता ह रह परणामा

जो आज मर जीवन म आई ह दफर अमावस बन सकती ह अगर मि पर ही चनभार रहा तो अमावस बन ही

जाएगी तमहार सहार की अब मि और भी जररत होगी अब दशान ददरा ह तो अब चवसमरण न हो पाए म

तमहार समरण को करता ही रह

दइ कर जोररक चबनती कररक

म दोनो हाि जोड़ कर चवनती करता ह

दचनरा म बहत तरह क परणाम ह लदकन दोनो हाि को जोड़ कर परणाम करन की परदकररा इस दश की ह

और इसक पीछ बड़ रहसर ह बड़ परतीक ह अब तो वजञाचनक अनसधान भी इस बात क करीब आ रहा ह

चवजञान की नई खोज कहती ह दक मनषर का मचसतषक दो चहससो म बिा हआ ह जो दाए तरफ का चहससा ह

मनषर क मचसतषक का वह बाए हाि स जड़ा ह और जो बाए तरफ का चहससा ह मचसतषक का वह दाए हाि स

जड़ा ह उलिा करास क जसा बारा दाए स जड़ा ह दारा बाए स जड़ा ह चदक हमन दाए हाि को महततवपणा

बना चलरा ह और हमार सार कतर उसी स हो रह ह इसचलए हमारा बारा मचसतषक का चहससा सदकरर ह बाए

मचसतषक क चहसस क कछ लकषण ह--गचणत तका चहसाब-दकताब बचहराातरा और शारद इसीचलए दारा हाि

महतवपणा हो गरा अब चवजञान इस खोज-बीन म लगा ह शारद इसीचलए दारा हाि महततवपणा हो गरा

करोदक बाए मचसतषक को सदकरर करन क चलए दाए हाि को सदकरर करना जररी ह व जड़ ह जब दारा हाि

चलता ह तो बारा मचसतषक चलता ह जब बारा हाि चलता ह तो दारा मचसतषक चलता ह दाए मचसतषक

क लकषण ह--कावय भाव अनभचत परम उनका तो कोई मलर नही ह जगत म इसीचलए बारा हाि बकार डाल

ददरा गरा ह बारा हाि को बकार डालन म हमन कावय को बकार कर ददरा ह परम को बकार कर ददरा ह

अनभचत को भाव को बकार कर ददरा ह रह बड़ी तरकीब ह बड़ी जालसाजी ह

195

र दोनो हाि समान रप स सदकरर हो सकत ह भचवषर म और होन चाचहए भचवषर क मनषर की जो

परचशकषण-परदकररा होगी उसम र दोनो हाि सदकरर करन की कोचशश की जाएगी अभी तो हालत रह ह अगर

कोई बचचा बाए हाि स चलखता ह तो हम उसक पीछ पड़ जात ह दक दाए स चलखो दस परचतशत लोग बाए

हाि स चलखन वाल पदा होत ह दस परचतशत कोई छोिा आकड़ा नही ह सौ म दस आदमी बाए हाि स चलखन

वाल पदा होत ह लदकन चमलग तमको शारद एकाध ही आदमी चमलगा सौ म स जो बाए स चलखता हो बाकी

नौ को हम धकका मार-मार कर सजा द-द कर सकल म मार-पीि कर दाए हाि स चलखवान लगत ह

उसक पीछ कारण ह

समाज तका को मलर दता ह कावय को नही समाज गचणत को मलर दता ह परम को नही समाज

चहसाब-दकताब स जीता ह भाव स नही रह भाव की हतरा की खब तरकीब चनकाली मगर हजारो-हजारो

सददरो स रह तरकीब चल रही ह और हमारा मचसतषक का आधा चहससा चबलकल चनचषकरर होकर पड़ा ह

दोनो हािो को एक साि रख कर जोड़न म परतीक ह दक हम दोनो अगो को जोड़त ह हम इकटठ होकर

नमसकार कर रह ह हम दोनो मचसतषको को एक साि लाकर नमसकार कर रह ह हमारा तका भी तमह चनवदन

ह हमारा परम भी तमह चनवदन ह हमारा गचणत भी हमारा कावय भी हमारा सतरण चचतत भी हमारा परष

चचतत भी दोनो समरपात ह हम इकटठ होकर समरपात ह

अब भद ह पचिम म लोग हाि चमलात ह उसम एक ही हाि का काम होता ह वह आध मचसतषक का

कतर ह उसम समगर मनषर समाचहत नही ह दोनो हाि को जोड़न म समगरता समाचहत ह हम दई को चमिान

की कोचशश कर रह ह दो नही एक इसचलए परमातमा क सामन दोनो हाि जोड़त ह जहा भी चनवदन करत

ह वहा दोनो हाि जोड़त ह

जब तम दोनो हाि जोड़त हो एक साि तो तमहारा मचसतषक और तमहार दोनो हािो की ऊजाा

वतालाकार हो जाती ह चवदयत वताल म घमन लगती ह रह चसफा परतीक ही नही ह वसततः रह घिना घिती

इसचलए धरान म कहा जाता हः पदमासन पदमासन म एक पर दसर पर स जड़ जाता ह और हाि पर

हाि रख लो तो हाि भी एक-दसर स जड़ जात ह--तमहारा परा शरीर एक हो गरा तमहारा दवदव िि गरा

भीतर तमहार शरीर म चवदयत दक ऊजाा वतालाकार घमन लगी रह जो वताल ह चवदयत का बड़ा शाचतदाई ह

इसचलए पदमासन चसदधासन बड़ वजञाचनक आसन ह सगमता स चचतत शात हो सकगा सरलता स चचतत शात

हो सकगा शरीर को जोड़ कर हमन मचसतषक क दोनो खडो को जोड़ ददरा दोनो मचसतषक क खड जड़ जाए तो

हमार भीतर जो भाव का और चवचार का दवदव ह वह समापत हो जाता ह चवजञान और धमा का जो दवदव ह वह

समापत हो जाता ह

दोनो हािो को जोड़ कर नमसकार करना बड़ा वजञाचनक ह इस हाि चमलान स मत बदल लना वह

बहत ससता ह उसका कोई मलर नही उसकी कोई वजञाचनकता नही ह

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

अब तो कछ और बचा नही दई चमिा दी ह एक हो गरा ह और अब एक होन क बाद चसवार मगल गान

क और करा बचता ह मगल ही मगल ह

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

196

कभी चबसराऊ न कभी भल न करोदक चजसन एक बार जान चलरा ह दफर चबसराना बहत दखद हो

जाता ह बहत दःखद हो जाता ह इसस तो अचछा िा न जानना सवाद नही लगा िा तो चवषाद भी नही िा

सवाद लग गरा दफर अड़चन होती ह चजसन शराब पी ली दफर उस पता ह शराब का रस शराब की मसती

चजसन कभी पी ही नही ह उस न मसती का पता ह न रस का पता ह उस कोई अड़चन भी नही ह उस राद

भी नही ह

इशक न तोड़ी सर प दकरामत जोर-दकरामत करा कचहए

सनन वाला कोई नही रदाद-मोहबबत करा कचहए

जबस उसन फर ली नजर रग-तबाही आह न पछ

सीना खाली आख वीरा ददल की हालत करा कचहए

अगर उसस नजर चमल कर दफर नजर चकी तो--

जबस उसन फर ली नजर रग-तबाही आह न पछ--

दफर तबाही का रग न पछो दफर तबाही का हाल न पछो सीना खाली आख वीरा दफर भीतर सब

ररि-ररि आख वीरान ददल की हालत करा कचहए दफर कछ कहा नही जा सकता दफर सब िि गरा

सब मरसिल हो गरा कल तक तो िि गचलसता म जीत ि कल तक तो भामक सपनो म जीत ि उसस आख

करा चमली सपन तो िि गए अब सपनो स तो अपन को भर न सकोग और अब उसका चवसमरण हो गरा

सपन भी गए और सतर का भी चवसमरण हो गरा रह बड़ी करिन दशा हो जाती ह

इसचलए भि एक ही परािाना करता हः जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

बस इतना ही मि चताए रखना म तो अपनी तरफ स भल ही जाऊगा मि पर भरोसा मत रखना म

तो अवश ह मि अपनी कमजोरररो का भलीभाचत पता ह अगर मि पर ही छोड़ ददरा तो भल होन ही वाली

ह म तो दफर दकसी गडढ म चगर जाऊगा म दफर दकसी उलिन म फस जाऊगा मि उलिनो म पड़न की

परानी आदत ह मर पर अपन आप उलिनो की तरफ बढ़ जात ह रह जो सलिाव की घड़ी आ गई ह जस

तम ल आए हो सलिाव की घड़ी इसी तरह अब मरी राद को भी जगाए रखना रह दीरा बि न रह दीरा

तम उकसाए रखना रह जरोचत तम जलाए रखना

रह भि की परािाना ह--और इसस शरषठ करा परािाना हो सकती ह परािाना करना तो रही करना

फहररसत कछ और बनाओ तो गलत होगी

रचह नगरी म होरी खलौ री

बदध का परचसदध वचन हः रही परथवी ह सवगो का सवगा ददस वरी अिा दद लोिस पराडाइज और रही दह

ह भगवतता एणड ददस वरी बाडी दद बदधा

जगजीवन कहत हाः रचह नगरी म होरी खलौ री

इसी दह की नगरी म होली का कषण आ गरा सोचा भी न िा करोदक तिाकचित साध-सत तो रही कह

चल जात ह दक शरीर दशमन ह शरीर को नषट करो भि नही कहत ऐसी भात बात भि कहत हाः शरीर तो

उसका मददर ह समहालो साज-सवार रखो जस मददर की रखत ह ऐसी ही दह की भी साज-सवार रखो रह

उसका मददर ह

197

सच तो रह ह हमन जो मददर बनाए ह इस दश म व पदमासन म बि हए आदमी की परचतमा क रप म

ही बनाए ह आदमी जब पदमासन म बि तो जो उसकी परचतमा का रप होगा जो उसका रप बनगा उसी रप

म हमन मददर को भी बनारा ह बचनराद उसक पर ह दफर मददर की चार दीवाल ह वह दह ह दफर मददर

का गबज ह वह मचसतषक ह वह चसर ह और दफर ऊपर चढ़ात ह सवणा का कलश वह भीतर चखलनवाल सवणा

क फल का परतीक ह

रह दह मददर ह सवगो का सवरग इसस लड़ना मत रह परमातमा की भि ह तमह इसस लड़ोग

कतघनता होगी सनो जगजीवन कहत हाः रचह नगरी म होरी खलौ री इसी नगरी म इसी दह म इसी ससार

म होली का कषण आ गरा परमातमा कही और नही ह रही ह--आख भर चनमाल हो आख भर भीतर दख रही

ह इसी कषण ह

दफर िमका रग-गलाल समचख दफर गमका फागन-राग

दफर चमका मनचसज क नरनो म रचत का नव अनराग

दफर चघर आई ह होली

सौरभ स शलि मद स अलचसत

दफर समर समीरन डोली

उर म अदमर उचवास चलए

सर म अतचपत की परास चलए

मजररत आम की डाली पर

दफर काली कोरल बोली

अपन पराग स हो चवहवल

कचलरो न खोल वकषसिल

आकाकषा की पलकन बन कर

ह छलक रहा उनका पररमल

व िम-िम व चवहस-चवहस

चवतररत करती ह अपना रस

उनक वभव पर उमड़ पड़ी

दफर स भमरो की िोली

दफर ह मानस स सपदन

दफर ह शरीर म कपन

दफर अग-अग म ह उमग

दफर ह नरनो म राग-रग

198

दफर तनमरता सचररत और

दफर बाहो म आहलगन

दफर आज भरी-सी लगती ह

उन अरमानो की िोली

दफर स ह मन म आग लगी दफर स जीवन म आग

दफर िमका रग-गलाल समचख दफर गमका फागन-राग

इसी दह म तम जस हो ऐस ही परमातमा बरस सकता ह तमहारी वीणा तरार ह जरा तार कसन ह

जरा साज चबिाना ह सब कछ मौजद ह चसफा सरोग िीक नही ह जस वीणा तो रखी ह दकसी न तार अलग

कर ददए ह तो वीणा रखी रहगी सब मौजद िा जरा तार कसन ि जरा तार चबिान ि और गीत का जनम हो

जाता ऐस ही तमहार भीतर परमातमा सभावना की तरह मौजद ह सतर हो सकता ह जरा स तार चबिान ह

उनही तार चबिालन की कलाओ का नाम धमा ह

दफर सवभावतः बहत ढग स तार चबिाए जा सकत ह ढग-ढग स चबिाए जा सकत ह इसचलए बहत धमा

दचनरा म पदा हए धमा तो एक ही ह बहत ढग पदा हए तार चबिान क

तम जो भी लकर आए हो काश तम उस पर को परगि हो जान दो तो रही इसी दह म रचह नगरी

म होरी खलौ री

हमरी चपरा त भि करावौ तमहार सग चमचल दोरौ री

और शरीर स कह रह ह जगजीवन दक तमन ही तमहार दवारा ही परार स चमलन हो सका तो अब तमह

ही सग लकर दौड़ना ह परमातमा क चमलन म दह बाहर नही रह जाती रह राद रखना परमातमा क चमलन

म दह उतनी ही समाचवषट होती ह चजतन तम पदािा भी परमातमा का ह--उतना ही चजतना चतनर चमटटी भी

उसकी ह अमत भी उसका ह तम चमटटी और अमत क मल हो और जब तमहारा अमत नाचगा तो तमहारी

चमटटी भी नाच उिगी और जब सवगा नाचता ह तो धरा भी नाचती ह अलग-अलग नही ह र सब इनम कछ

फासला नही भद नही ह चमटटी अमत का ही सोरा हआ रप ह और अमत चमटटी का ही जागा हआ रप ददस

वरी बाडी दद बदधा रह दह ही तो बदधतव ह रह जगत ही सवगो का सवगा

नाचौ नाच खोचल परदा म अनत न पीव हसौ री

जगजीवन कहत हाः अब सब परद खोलता जा रहा ह और नाच पर नाच बढ़ता जा रहा ह नतर गहन

होता जा रहा ह नताक नतर म खोता जा रहा ह अब सब पद उिा दन ह अब सब घघि अलग कर दन ह अब

करा चछपाना ह अब दकसस चछपाना ह

साधारणतः आदमी चछप-चछप कर रह रहा ह दकतन तमन मखौि ओढ़ रख ह तादक तम चछप रहो

तमहारा असली चहरा लोगो को पता न चल जाए तमन दकतनी तरकीब कर रखी ह तम कस-कस रप बनाए

हो रहा सब बहरचपए ह सारा ससार बहरचपरो स भरा ह होत कछ हो ददखात कछ हो और धीर-धीर

दसरो को धोखा दत-दत खद भी धोखा खा जात हो

खराल रखना बहत ददन तक धोखा दन का दषपररणाम रही ह दक अततः खद ही भरोसा आ जाता ह दक

रही िीक होगा िि ही मसकरात हो दफर मसकराहि आदत हो जाती ह जस चजमी कािार जस राजनता तम

सोचत हो रात भी चबना मसकराए सोत होग मन तो सना ह नीद म भी उनक ओि खल ही रहत ह चौबीस

घि अभरास हो गरा

199

जो तम ददन भर करत हो वही अभरास रात म भी चल जाता ह

मलला नसरददीन एक रात उिा और अपनी चादर फाड़ी उसकी पतनी न रोका दक करा करत हो करा

करत हो मगर उसन तो फाड़ ही दी उसन कहा दक तो त दकान पर भी आकर ििि करन लगी ददन भर

कपड़ा फाड़ता ह--कपड़ की दकान ह सपन म भी दकसी गराहक स मलाकात हो गई--फाड़ दी चादर नाराज

पतनी पर हो रहा हः तो त अब दकान पर भी आन लगी रहा भी चन नही

ददन जो ह वही तो तमहारी रात भी हो जाएगी तमहारा चतन मन जो करता ह वही तमहारा अचतन

मन भी करन लगगा धीर-धीर अपन ही धोख अपन चलए ही सच मालम होन लगत ह जो आदमी मसकराता

रहता ह ििा उस खद ही भरोसा आ जाता ह दक म बड़ा परसननचचतत आदमी ह दसर कहत ह दक वाह दकतन

परसननचचतत आदमी हो सनत-सनत उस भी भरोसा आ जाता ह दक हो न हो िीक ही कहत होग लोग सच ही

कहत होग लोग

मन सना ह एक पतरकार मरा और सवगा पहचा दरवाज पर दसतक दी दवारपाल न दरवाजा खोला और

कहा दक पतरकारो की जगह सब पहल स परी भरी ह दसरी जगह जाओ दसरी जगह मतलब सामन नरक का

दरवाजा ह पतरकार न कहा दक नही ऐसी आसानी स न जाऊगा इतनी कपा करो मि चौबीस घि का अवसर

दो म अगर दकसी दसर पतरकार को राजी कर ल और वह जान को राजी हो तो दफर तो तमह कोई अड़चन

नही दवारपाल न कहा दफर कोई अड़चन नही ह

सवगा म पतरकारो की वस भी जरादा कोई जगह िी नही--बारह जगह िी वह भी होनी चाचहए जगह--

करोदक अखबार कोई चनकलता ही नही वहा-- नही तो शतान डीग मारगा नरक म बहत अखबार चनकलत ह

एक स एक शानदार अखबार अखबार क लारक घिनाए भी वहा घिती ह सवगा म घिता ही करा ह--ऋचष-

मचन बि ह एक दफा छापो दक हजार दफा छापो खबर वही की वही ह चाहो तारीख बदलत रहो वही का

वही अखबार चलगा ऋचष-मचन अपन-अपन िाड़ क नीच बि ह--अपनी-अपनी चसदधचशला पर आख बद

दकए अब धरान कोई खबर तो नही ह कोई मार-पीि हो छरबाजी हो कोई िगड़ा-फसाद हो कोई घराव-

जलस हो कोई हड़ताल हो जाए कछ हो तो खबर खबर जसी कोई चीज वहा ह नही

बनााडा शॉ न कहा ह दक अगर कतता आदमी को काि तो रह कोई खबर नही ह जब आदमी कतत को

कािता ह तो रह खबर ह खबर का मतलब ही होता हः कछ हो

पतरकार अदर गरा उसन खबर उड़ा दी एकदम जात ही स दक नरक म एक नर अखबार की शरआत

होन वाली ह बड़ा अखबार चनकलन वाला ह परधान सपादक की उपपरधान सपादक की और-और पतरकारो

की जररत ह ििी खबर

जब चौबीस घि बाद वह आरा दवारपाल स उसन पछा दक भाई करा हालत ह कोई गरा उसन कहा

कोई नही सब गए अब तम जा नही सकत कम स कम एक तो होना ही चाचहए उसन कहा अब म रक नही

सकता मि भी जान दो उसन कहा तम पागल हो गए हो तम दकसचलए जात हो उसन कहा दक हो न हो

बात म कछ सचाई होनी चाचहए बारह आदमी चल गए

इसी न उड़ाई ह अफवाह

तम खराल करना तमही अफवाह उड़ा दत हो और जब चौबीस घि बाद अफवाह पर मोहलल म घम कर

तमहार पास लौिती ह तो तमह भी शक होन लगता हः हो न हो कछ बात होगी हचदी का साप होगा मगर

200

हचदी तो होगी कछ न कछ तो होगा ही जहा धआ होता ह वहा आग भी होती ह तमही कहन लगोग दक जहा

धआ होता ह वहा आग भी होती ह जरर कही न कही कछ हआ होगा

लोग िि बोल-बोल कर खद िि हो जात ह असली धोखा इस जगत म रही ह दक तम खद ही धोख म

आ जात हो अपन ददए गए धोख अपन पर ही लौि कर पड़ जात ह और दफर परद पर परद डालन होत ह

करोदक तम कछ हो कछ ददखलाना चाहत हो कोई अपनी नगनता म परकि नही होना चाहता

परमातमा क सामन तो परद हिान होग सब मखौि उतार कर रख दन होग चनवासतर हो जाना होगा

सारी धोखाधड़ी छोड़ दनी होगी सारी वचनाए हिा दनी होगी वहा तो परामाचणक होना होगा

नाचौ नाच खोचल परदा म

जगजीवन कहत हाः अब करा परदा दकसस परदा अपन माचलक क सामन खड़ा ह अब सब परद

चगरा दता ह अब चनवासतर नगन अपन परमातमा क सामन खड़ा ह अब चछपाना करा ह उसस करा चछपाना ह

उसस करा चछपा ह

पीव जीव एक करर राखौ

और जब र सब परद चगर जात ह तभी पीव और जीव एक हो पात ह नही तो परदो का ही तो फासला

ह चजतन तमन िि अपन आस-पास बना रख ह उतनी ही दरी ह अहकार तमहारा सबस बड़ा िि ह और

दफर छोि-छोि ििो की कतार लगी ह अहकार क पीछ रह मरा वह तरा--रह सब िि ह करोदक न तम

कछ लाए ि न ल जाओग करा मरा करा तरा म बड़ा तम छोि तमम भी वही उसम भी वही--कौन

बड़ा कौन छोिा पर िि तम बोल जा रह हो और िि पर िि तम जमाए जा रह हो धीर-धीर इनही ििो

की दीवाल क पीछ उलि जाओग

लोग अपन ही बनाए कारागहो म पड़ गए ह दकसी और न दकसी क चलए जजीर नही ढाली ह अपनी

ही जजीर ह अपन ही बनाए कारागह ह दफर खद ही फस गए ह रह हो सकता ह दसरो को फसान क चलए

बनाए ि मगर खराल रखना जो गडढ तमन दसरो क चलए खोद ह आज नही कल तम सवर उनम चगरोग दसर

भी चगरग--व अपन खोद गडढो म चगरग आचखर अपन-अपन गडढो की सबको दफदकर रखनी ह उनन भी खोद

ह व कोई तमहार गडढो म चगरन आएग और कछ न कर सक गडढ तो खोद ही सकत ह उसन भी खोद ह खब

गडढ व अपन गडढो म चगरग तम अपन गडढो म चगरोग

और जरा हजदगी की परख करना तम सदा पाओग दक चजस गडढ म तम चगरत हो वह तमहारा ही खोदा

हआ गडढा ह

म एक रात सिशन पर रका एक अनोखी घिना घि गई वहा एक छोिा सी सिशन--मकरौचनरा दो ही

गाचड़रा वहा खड़ी होती ह--एक सबह आन वाली एक साि जान वाली एक आदमी काफी रपरो की िली

चलए परतीकषा कर रहा िा और डर क मार उसन सिशन मासिर को बता ददरा दक म काफी समपचतत चलए ह और

रहा अधरी रात और रात दो बज गाड़ी आएगी तो म आपको बता दता ह दक िोड़ी मि बिन की सचवधा अदर

कर द सिशन मासिर क कमर म रहा न कोई ह न कछ सिशन मासिर का मन डोला उसन कहा बदफकरी

स तम रह पास पड़ी हई बच पर लि जाओ और उसन जाकर पोिार को कहा दक रह मौका चकन जसा नही ह

कलहाड़ी लाकर इसकी गदान अलग कर दो वह पोिार परतीकषा करता रहा कब मौका चमल दक गदान अलग कर

201

वह आदमी सो न सका चजसक पास इतन पस हो वह सोए कस तो वह उि कर िहलन लगा वह

अपना िोला लकर िहलन लगा रात दर हो गई सिशन मासिर रोज उसी बच पर चवशराम करता िा वह उस

पर चवशराम करन लि गरा और मौका पाकर पोिार न उसकी गदान अलग कर दी रह तो राज तब पता चला

जब अदालत म मामला चला सारी बात जाचहर हई खली दक वह सिशन मासिर का ही शडरतर िा पोिार तो

चसफा आजञा का पालन कर रहा िा

इतनी सपषट घिनाए तो बहत कम घिती ह मगर हजदगी इसी तरह की घिनाओ स भरी ह सपषट घिती

हो दक न घिती हो अगर तम गौर करोग तो तम पाओग तम अपन ही खोद गडढो म चगर गए हो हो सकता ह

गडढा आज खोदा और तीस बाद चगरो इसचलए राद भी न रह जाए भल भी जाओ तम सोचन लगो दकसी और

न खोदा ह लदकन सददरो का अनभव रह ह जञाचनरो का दक हर आदमी अपन खोद गडढ म चगरता ह रही बात

ह मल आधार कमा क चसदधात की और कछ अिा नही ह कमा क चसदधात म तमन जो बोरा ह वही तम काि रह

हो वही तम कािोग वही तम कािोग वही तम काि सकत हो

र महदफल हसती भी करा महदफल-हसती ह

जब कोई पदाा उिा म खद ही नजर आरा

रह हजदगी की महदफल बड़ी अजीब महदफल ह रहा जब पद उि ग तो तम चदकत हो जाओग दक हर

पद क भीतर तमही हो िि क भीतर भी तमही हो पाप क भीतर भी तमही हो पणर क भीतर भी तमही हो

और अततः जब आचखरी पदाा उि जाएगा तो परमातमा क भीतर तम अपन को ही पाओग तमहार अचतररि

रहा और कोई भी नही ह रहा एक का ही वास ह रहा एक का ही आदोलन हो रहा ह

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

और जब परचमका परमी स चमल जाती ह जब जीव पीव स चमल जाता ह जब आतमा परमातमा स चमल

जाती ह जब सब पद बीच क हि जात ह पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री दफर रसधार

बहती ह दफर आनद उमगता ह दफर फल चखलत ह दफर उतसव जनमता ह दफर मगल-गीत पदा होत ह

करा जाचनए खराल कहा ह नजर कहा

तरी खबर क बाद दफर अपनी खबर कहा

पीव जीव एक करर राखौ

उस पर नजर आ गई दक तम गए तम गए दक उस पर नजर आई र एक साि घिती ह घिनाए--

रगपत एक ही कषण म घि जाती ह र एक ही घिना क दो पहल ह--तमहारा जाना उसका आना उसका

आना तमहारा जाना

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

परारा वचन ह--सो छचव दचख रसौ री रस ही रस बह जाता ह रसचनमगनता आ जाती ह

कब तक आखर मचशकलात-शौक आसा कीचजए

अब मोहबबत को मोहबबत पर ही कबाि कीचजए

चाहता ह इशक राज-इशक उरररा कीचजए

रानी खद खो जाइए उनको नमारा कीचजए

चमिो उसको होन दो

202

रानी खद खो जाइए उनको नमारा कीचजए

हि जाओ जगह खाली कर दो हसहासन खाली करो परमातमा आन को उतसक ह तम जब तक

हसहासन पर बि हो कस आए तम चमिो तो आ जाए और तब रसधार बहती ह तभी जीवन म आनद ह

अगर तम दखी हो तो अपन कारण दखी हो तमहार दख का मल आधार एक ही ह दक तम हो तम दख

हो बदध न कहा हः ससार दख ह म कहता हाः तम दख हो और तमहारा होना ही ससार का फलाव ह तम

गए दक तमहारा तिाकचित कलपनाओ का ससार गरा दफर जो शष रह जाता ह वह तो परमातमा ह ससार

नही

कतह न बहौ रहौ चरनन दढग मन दढ़ होए कसौ री

कहत ह जगजीवन अब हिगा नही अब हिाए न हिगा कतह न बहौ रहौ चरनन दढग अब कछ

भी हो जाए दकतन ही परान अतीत की राददाशत आए परान भलाव जाल फलाए परान आकषाण खीच--

परानी आदत परान ससकार बलशाली होत ह--कतह न बहौ रहौ चरनन दढग अब बहगा नही अब इन

चरणो स दर न हिगा अब लाख कछ हो जाए अपनी परी शचि एक ही बात म लगाऊगा--मन दढ़ होए कसौ

री अब तो मन को दढ़ता स इनही परो स कस दगा

लदकन दफर भी रह तो परािाना जारी रहती ह भि की--जगजीवन चबनती करर माग कबह नही

चबसरावह र मि भल मत जाना और मि भिकन मत दना म तो अपनी परी सामरथरा लगाऊ दक तमहार पर

न छि मगर म आचखर म ह मरा भरोसा करा मरा बल दकतना छोिा ह तमहार सहार क चबना म चनबाल ह

तम हो तो म बलशाली ह तम मर बल हो चनबाल क बल राम

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

सब छोड़ द सब छोड़ दगा सदा तमहारी तरफ अपलक चनहारता रहगा अब और दखन जसा करा

चजसन उस दखा अब और दखन जसा करा रहौ चनहारत पलक न लावौ सोऊगा भी नही आख भी न

िपगा सतत चौबीस घि उित-बित तमहारी राद करता रहगा सबास और तजौ री और सब छोड़ दगा

जो भी ह सब छोड़ दगा

ददखा कर इक िलक सामान-राहत चजसन लिा िा

चनगाह ढढती ह दफर उसी गारतगर-जा को

और अगर कभी साि छि जाता ह उसस--चजसन सब लि चलरा ददखाकर इक िलक सामान-राहत

चजसन लिा िा चजसन एक िलक ददखा कर सार ससार का सब कछ जो सोचत ि अपना ह मरा ह लि चलरा

िा चनगाह ढढती ह दफर उसी गारतगर-जा को उसी चमिा दन वाल को उसी लिन वाल को दफर चनगाह

बार-बार ढढती रहती ह इसचलए हमन उसको नाम ददराः हरर हरर का अिा होता हः लिरा जो हर ल जो

सब छीन ल दचनरा म बहत नाम परमातमा क ह मगर हरर जसा परारा नाम नही लिरा चोर हरन करन

वाला हरर लि लता ह मगर लिता ह वही जो नही ह और दता ह वही जो ह लिता वही जो भाचत िी और

दता ह वही जो सतर ह लिरा ह और दाता ह

त खश ह दक तिको हाचसल ह म खश दक मर चहसस म नही

वो काम जो आसा होत ह वो जलव जो अजाि होत ह

साधारण काम आसान काम भि कहता ह म खश ह दक मर चहसस म नही ह मर चहसस म करिन काम

पड़ मर चहसस तलवार की धार पर चलना पड़ा

203

त खश ह दक तिको हाचसल ह म खश दक मर चहसस म नही

वो काम जो आसा होत ह वो जलव जो अजाि होत ह

आसदा-ए-साचहल तो ह मगर शारद र ति मालम नही

साचहल स भी मौज उिती ह खामोश भी तफा होत ह

ऐस तफान भी होत ह जो खामोश ह भि ऐस ही खामोशी क तफान म उतर जाता ह

जो हक की खाचतर जीत ह मरन स कही डरत ह चजगर

जब वि-शहादत आता ह ददल सीनो म रकसा होत ह

मरन का जब कषण आता ह भि को तब उसका हदर नाच उिता ह ददल सीनो म रकसा होत ह ददल

नाच उित ह मतर को भि परम आनद का कषण मानता ह करोदक अपना चमिना उसका होना ह मतर परम

सखा ह

भचि क मागा पर मतर परम अनभचत ह वह उसका दवार ह

भचि क मागा पर मतर होती ही नही रह जीवन गरा और महाजीवन चमलता ह रह छोिी सी दचनरा

गई और चवराि दचनरा चमलती ह बद खो जाती ह और सागर चमलता ह

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

जब वि-शहादत आता ह ददल सीनो म रकसा होत ह

जो हक की खाचतर जीत ह मरन स कही डरत ह चजगर

सदा सोहाग भाग मोर जाग

और अब पता चला दक सहाग करा ह सहागरात करा ह अब पता चला अब तक जो सहाग रचाए ि

रच और उजड़ अब तक जो चववाह रचाए ि बन और चमि अब तक जो चमलन हए ि कवल चबछोह की

तरारररा ि सब कषणभगर िा कोई चमलन शाशवत नही िा इसचलए सब चमलन दख द गए घाव द गए

सदा सोहग भाग मोर जाग अब परमातमा स जो चमलन हआ ह तो सदा सहाग अब सच म ही--जगजीवन

कहत ह--सहागवती हो गई म भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री और अब तो बस सतसग ही जीवन

ह सरचत ही शवास ह अब तो समरण ही एकमातर भोजन ह पोषण ह सतसग सरचत बरौ री

खदा जान मोहबबत कौन सी मचजल को कहत ह

न चजस की इचबतदा ही ह न चजसकी इचतहा ही ह

न तो शरआत ह अब न अत ह अब शाशवत परम एक ऐसी रातरा ह सदा सोहाग भाग मोर जाग

सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

जगो-जगो की आशा परी हो गई जनमो-जनमो की रातरा परा हो गई जनमो-जनमो की आकाकषा फल गई

चरनन सरचत धरौ री तमहार चरणो की समचत आ गई तमहार चरणो पर सरचत धरन का अपवा कषण आ

गरा

अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी

लदकन दफर भी डर लगता ह नाचन म डर लगता ह आदत ही नाचन की नही ह पर जजीरो म बध

रह घघर कभी बाध नही जजीर ही एकमातर पररचचत रही ह अगर तम कदी को एकदम कदखान स चनकाल

204

भी दो और उसस कहो नाचो नाच नही पाएगा जो जजीर उसक पर स चनकल गई उनका बोि अब भी बाकी

होगा अगर कोई आदमी तीस साल तक लोह की जजीर पहन रहा ह तो करा तम सोचत हो आज जजीर काि

कर एकदम उसका बोि चमि जाएगा बोि चचतत पर हो गरा ह

चचदकतसक ऐसा अनभव जानत ह

दसर महारदध म बहत बार ऐसी घिना घिी दकसी आदमी क पर पर बम चगर गरा उसका परा पर

कषत-चवकषत हो गरा भरकर पीड़ा बहोशी होश म डोल रहा ह उस असपताल ल जारा गरा हालत ऐसी

खराब ह दक उसका पर तो बचारा नही जा सकता पर क बचान की कोचशश की तो परी दह चली जाएगी तो

रात उस बहोश करक उसका परा पर काि ददरा गरा जब भी उस होश आता िा वह एक ही बात चचललाता

िाः मर पज म बहत ददा ह जब सबह उस होश आरा तब भी वह कहन लगाः मर पज म बहत ददा ह

चचदकतसक हसन लग उनहोन कहाः ति पता नही अब पजा ह ही नही ददा कस हो सकता ह उघाड़ा गरा

कबल उस ददखारा गरा दक तरा परा पर ही काि ददरा गरा ह अब तो पज म ददा हो ही करा सकता ह जो

पजा ही नही ह उसम ददा कस होगा लदकन वह आदमी कहताः ददा तो ह हालादक म दख रहा ह दक पर काि

ददरा गरा ह मगर ददा तो मि अब भी हो रहा ह

ददा मन पर छारा रह गरा पर नही ह और ददा ह ददा मन स छिन म समर लगगा

बहत बार ऐसा होता ह बीमारी चली जाती ह चसफा तमहार मन म बीमारी की आभा रह जाती ह

सरकती-सरकती छारा रह जाती ह बीमारी स छिना एक बात ह और बीमारी क मन स छिना चबलकल दसरी

बात ह बीमारी का मन अलग बात ह

डाकिर जानत ह इस तरह क लोगो को चजनक शरीर म कोई बीमारी नही ह मगर व पहचत रहत ह

डाकिरो क पास दक होनी चाचहए अगर एक डाकिर क पास नही तो दसर क पास जात ह जब तक दक कोई

डाकिर कह ही न द दक हा बीमारी ह चाह शककर की गोचलरा ही करो न द मगर जब तक कोई डाकिर कह न

द दक बीमारी ह तब तक व जात ही रहत ह ऐस बहत लोग ह चजनका काम ही रही ह मगर व दरा क पातर

ह रदयचप उनक शरीर म कोई बीमारी नही ह

ऐस मन एक आदमी क बाबत सना ह हाइपोकानिीराक िा इसी तरह का बीमार िा बीमारी कोई भी

नही बस बीमारी क खराल और बड़ी-बड़ी बीमारररा खोजता िा और ऐस लोग तरकीब भी चनकालत ह

अखबारो म भी बीमारी की खबर पढ़त ह पचतरकाओ म नई-नई बीमारररो की खोज होती ह व पढ़त ह

रचडरो पर भी बीमारररो की खबर सनत ह िलीचवजन पर भी वही दखत ह जो दखत ह जो पढ़त ह वही

उनको हो जाती ह डाकिर को फोन दकरा उसन दक सनत हो हदर म मि बहत धड़कन हो रही ह डाकिर न

कहा बकवास बद करो तम जो िलीचवजन पर दफलम दखी ह वह मन भी दखी ह

अकसर मचडकल कालज म ऐसा हो जाता ह दक लड़को को जो बीमारी पढ़ाई जाती ह वही बीमारी

कालज म फलन लगती ह मन पकड़ लता ह अकसर जो बीमारी उनह समिाई जाती ह पढ़ाई जाती ह उसी

बीमारी क खराल परचवषट हो जात ह

ऐसा एक आदमी जो हजदगी भर डाकिरो को परशान करता रहा और डाकिर चजस कहत रह तमह कोई

बीमारी नही ह तम चग हो तमह कोई परशान होन की जररत नही ह जब मरा तो अपनी पतनी स कह गरा

दक रह मर पतिर पर खदवा दना दक अब तो मानत हो दक म मर गरा डाकिरो क नाम इतना मर कबर पर

205

पतिर लगवा दना इन दषटो न कभी नही माना मगर अब तो मानग दक म मर गरा दक अभी भी नही मानत

दक अभी भी म धोखा खा रहा ह मरन का वह अपनी कबर पर पतिर लगवा गरा

चचतत आसानी स नही छिता जगजीवन िीक कह रह ह र बड़ अनभव की बात ह होली का कषण आ

गरा फाग खलन का ददन आ गरा भर चपचकारी म रग बाध घघर गाए गीत उड़ाए गलाल--घड़ी आ गई

मगर--अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी जनमो-जनमो स कभी होली तो खली नही जनमो-

जनमो स रग तो उड़ारा नही गध तो फकी नही जनमो-जनमो स उतसव तो मनाए ही नही उतसव की तो बात

ही नही जानत उतसव की भाषा नही जानत उतसव की शली नही आती जो कभी नही नाचा एकदम स कस

नाचगा नाचत-नाचत ही नाच पाएगा

औगन बहत नाहह गन एकौ

उतसव की घड़ी भी आ गई उसन सहाग का िीका भी कर ददरा उसन माग भी भर दी मगर--औगन

बहत नाहह गन एकौ--मिम तो अवगण ही अवगण ह गण तो एक भी नही--कस गहौ दढ़ डोरी--कस जोर स

पकड़ ल इस परम की डोर को मि तो अपनी अपातरता का ही बोध ह पातरता का तो कोई बोध नही म तो

अपन पाप को ही जानता ह पणर की तो मि कोई खबर नही दकस तरह पकड इस डोर को दक छि न जाए

कहह का दोष म दउ सखी री

दकसको दोष द--सब आपनी खोरी--अब तो ददखाई पड़ता ह जनमो-जनमो स अपन ही दोष ि अपन ही

खोद गडढ ि अपन ही बोए बीज ि वही काित रह आज सददन भी आ गरा मगर पर नाचना भल गए ह कि

स गीत नही फिता

म तो समारग चला चहत हौ

म तो चाहती ह दक नाच समारग पर चल--म त चवष मा घोरी--लदकन जनमो-जनमो स चवष घल गरा

ह आज अमत भी बरसा ह सवाद भी आ रहा ह मगर धनरवाद दन क चलए चहममत नही जिती अरी ए नहर

डर लाग

तम चौकोग रह बात जान कर दक आनद का भी डर लगता ह चनचित लगता ह आनद का चजतना डर

लगता ह और दकसी चीज का नही लगता दख क तो तम आदी हो पररचचत हो पहचान ह परानी दोसती ह

दख स तो तम चनपि लत हो आनद का डर लगता ह

रहा मर पास रोज रह घिना घिती ह जब कोई आदमी आनददत होता ह वह एकदम घबड़ा कर मर

पास आ जाता ह वह कहता ह दक बहत डर लग रहा ह ऐसा आनद हो रहा ह दक शक होता ह दक म पागल

तो नही हआ जा रहा ह दख म पागल नही िा दख म कभी शक नही हआ िा शक करा खाक होता दख तो

जनमो-जनमो स पररचचत ह आदत ह दख की पािशाला म तो जीए ह वही तो बड़ हए ह--म त चवष मा घोरी-

-चवष म घल हए ह रग-रग म रमा हआ ह चवष ही चवष ह तो चवष पीन म तो कोई अड़चन नही आती और

जब पहली दफा आनद क दवार खलत ह सनाई पड़ती ह उसकी िर उसकी पकार तो भरोसा नही आता कस

भरोसा आए कस आए कभी तो हआ नही िा अनहआ हो रहा ह नही होना चाचहए ऐसा कछ हो रहा ह

मागा िा खद परािाना भी की िी मगर भरोसा खद भी कब दकरा िा दक चमलगा

परािाना करकर भी हम कहा भरोसा करत ह दक चमलगा सोचत ह शारद शारद बना ही रहता ह मन

म चनिर नही हो पाता इसचलए जब पहली दफा घिना घिती ह तो जगजीवन िीक कह रह ह िीक

मनोवजञाचनक चवशलषण ह अनभत चवचार का ही नही ह अचसततवगत

206

सनराचसरो म रोज रह घिना घिती ह कोई आता आनद स परशान भरभीत डरा हआ--दक करा हो

रहा ह आशवासन मागन आता ह दक म िीक तो ह रह इतना जो भीतर आनद हो रहा ह रह जो हसी फि

पड़ती ह रह अकारण मसकराहि खल रही ह कोई कारण समि म नही आता खशी का और खशी फिी पड़ती

ह बही जाती ह ऐसा तो कभी न हआ िा म होश म तो ह चवचकषपत तो नही हो गरा

गर की जररत पड़ती ह तमह मागा पर चलान म गर की जररत पड़ती ह तमह मागा स न भिकन दन म

और गर की सबस बड़ी जररत पड़ती ह जब आनद की घड़ी करीब आती ह तब आशवासन दन म दक मत

घबड़ाओ तम चवचकषपत नही हो गए हो पागल नही हो गए हो शभ ददन आ गरा होरी का कषण आ गरा खलो

भरो चपचकारी उड़ाओ रग-गलाल

म तो समारग चला चहत हौ म त चवष मा घोरी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़

दवार सामन ह अब कोई दर नही ह सहाग भर ददरा गरा परमातमा न सवीकार कर चलरा ह--पीव जीव

को अपन भीतर लन को तरार ह

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपए त चमलौ करर जोरी

मगर भि अभी डर रहा ह परािी अभी भरभीत ह सीदढ़रा सामन ह चढ़ जाए मगर अभी भी सोच

रहा हः समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ होगी समचत जब अभी तो पराना चवष परानी आदत परान

ससकार खीच डाल रह ह समचत जब होगी िीक-िीक बचदध जब होगी तब चढ़ जाऊगी--इस गगन-गढ़ पर

इस आकाश म इस अनत म इस चवसतीणा म इस बरहम म चपए त चमलौ करर जोरी और हाि जोड़ कर परभ

स चमलगी

अरी ए नहर डर लाग पर बहत डर लगता ह रातरा बड़ी नई ह रह आकाश की तरफ जाती हई

सीदढ़रा कहा ल जाएगी सीमा म रहन का आदी असीम म उतर तो डरगा तो नदी जब सागर क पास पहचती

ह भरभीत तो होगी

खलील चजबरान न चलखा हः जब नदी सागर म चगरती ह लौि कर पीछ दखती ह जरर दखती होगी व

सब राद व पवात-शरखलाए व मल उदगम-सरोत व पहाड़ व खाइरा व जलपरपात व मदान व तीिा व

मददर व लोग सारी रातरा सारा अतीत पकारता होगा लौि कर नदी दखती होगी करोदक सामन सागर ह

सागर रानी खोना डरती भी होगी चििकती भी होगी अरी ए नहर डर लाग सचख री कस खलौ म

होरी नदी भी सोचती होगी दक सागर स कस चमल चमली दक गई चमली दक सदा क चलए गई दफर लौिना

न हो सकगा दफर मरा होना न हो सकगा चसकड़ती होगी सकचती होगी चििकती होगी लौि पड़ना

चाहती होगी--परानी आदत दफर परानी समचतरा वापस खीचती होगी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपए त चमलौ कर जोरी

रह चििक तो आती ह मगर चििक रोक नही पाती डर तो लगता ह लदकन सामन खड़ा सवाद इतना

गहन ह दक सब डर क बावजद चढ़ ही जाता ह आदमी गगन-गढ़ सब भरो क बावजद रह परम का हखचाव

ऐसा ह रह आकषाण ऐसा ह दक भल कर सब अतीत को छलाग ल लता ह भचवषर क अजञात म

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

आख भीगी जा रही ह भीजौ ननन चाचख दरसन-रस दशान का रस आखो म उतर रहा ह सब भीगा

जा रहा ह

207

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

अब चाह कछ भी हो भर तो बहत लगता ह मगर रह परम की गाि नही छोडगी भर तो बहत लगता

ऐस ही समिो जब नई दलहन चववाचहत होकर जान लगती ह नहर स मा क घर स जब जान लगती ह

पचत क घर की तरफ तो लौि-लौि कर नही दखती जार-जार नही रोती इसचलए नहर शबद का पररोग

दकरा ह अरी ए नहर डर लाग जहा जनम जहा बड़ हए चजन सचखरो क साि खल चजन माता-चपता की

छारा म बड़ हए सब को छोड़ना पड़ रहा ह अरी ए नहर डर लाग मगर दफर भी--रोत-रोत भी मगर दफर

भी--बि जाती ह डोली म बिना ही पड़गा अतीत का भर भचवषर क परम म बाधा नही बन सकता जाना ही

पड़गा रोत-रोत तो रोत-रोत सही तो भरभीत सही जाना तो पड़गा ही रह नतर की घड़ी आ गई नाचना

तो पड़गा ही नही आता नाच तो कोई दफकर नही नही जमग पर आज कोई हजा नही नाचना तो पड़गा ही

अब कोई बहान काम न आएग डोली दवार पर आ गई ह चढ़ना तो पड़गा ही

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

अब छोड़ भी नही सकती ह परीचत की गाि को दकतना ही लग भर

रहौ सीस द सदा चरनतर

अब तो अगर सीस भी दना पड़गा तो दगी भर लग तो लग

रहौ सीस द सदा चरनतर होउ ताचहकी चरी

अब तो उसकी ही सवा म उसकी ही दासी होकर रह जाऊगी

जगजीवन सत-सज सचत रचह

अब तो सज तरार ह चपरा की

और बात सब िोरी

और बाकी सब बात वयिा ह िोिी ह जाना तो होगा ही--सज तरार हो गई चपरा चमलन को आतर

उसका बलावा आ गरा आखो म उसका रस भर आरा हदर उसको अनभव करन लगा सामन सीदढ़रा ह

डोली दवार आ लगी शिअरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म हारी मगर खलनी ही होगी शर-शर

कशलता न होगी पर इधर-उधर पड़ग शर-शर वादय िीक स न बजगा शर-शर छद िीक स न बिगा--दफर

बि जाएगा--मगर अब सब हचताए छोड़ कर छलाग तो लनी ही ह

जगजीवन सत-सज सचत रचह और बात सब िोरी

अब तो उसक चबना हजदगी वयिा ह

र हजदगी गजार रहा ह चतर बगर

जस कोई गनाह दकए जा रहा ह म

ऐसी भी इक चनगाह दकए जा रहा ह म

जरो को मघो-माह दकए जा रहा ह म

मिस लग ह इशक की अजमत को चार चाद

208

खद हसन को गवाह दकए जा रहा ह म

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

जगजीवन कह रह ह दक जस म जा रहा ह इस डोली म चढ़ कर अजञात की पीव स जीव को चमलन का

साहस जिा रहा ह ऐस ही तम भी जिाना

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

चजस ददन कोई भि परमातमा स चमलन का साहस जिा लता ह उसी ददन उसक भीतर सतगर का जनम

हो जाता ह दफर उसक दवारा औरो को सहारा चमलन लगता ह जब तक डर ह तब तक वह चशषर रहता ह

चजस ददन डर को तराग कर चनभार छलाग ल लता ह उसी ददन गर हो जाता ह

एक सदगर क पास अनक सदगर पदा हो सकत ह एक दीर स अनक दीर जल सकत ह और दफर

परतरक दीरा अनक-अनक दीरो को जलान का कारण बन सकता ह रह सारी परथवी दीपावली हो सकती ह रह

सारी परथवी गलाल स भर सकती ह रग स भर सकती ह मगर बड़ी स बड़ी जो बात ह वह ह सार भर छोड़

कर अजञात की रातरा पर चनकल जाना

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

ऐस र परार वचन ि जगजीवन क इनह तमन सना गनना भी इनह तमन सना जीना भी और इनस

तमहार भीतर चछप चचराग परकि होग बद पड़ी कचलरा चखलगी

रह करिन नही ह रह हो सकता ह जसा एक को हआ वसा सभी को हो सकता ह जो एक मनषर क

जीवन म घिता ह वह सभी का अचधकार ह

अरी म तो राम क रग छकी

अरी म तो नाम क रग छकी

तम भी छको मगर पीओग तो ही छकोग जीओग तो ही छकोग ऐस छको दक तमहार ऊपर स बहन

लग ऐस भरो दक तमहारी पराली स औरो की पराली म बहन लग रस जलो औरो को जलाओ भरो औरो क

भरो वही वयचि धनर ह दफर तम भी कह सकोगः

सदा सोहाग भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती माग नाम क मगल गावह र

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

छको--ऐस ही छको ऐसा ही सहाग तमहारा हो ऐसा ही भाग तमहारा हो

209

अरी म तो नाम रग छकी

आज इतना ही

210

अरी म तो नाम क रग छकी

दसवा परवचन

शाशवत सगीत भीतर ह

पहला परशनः म सखी होना चाहता ह म जो भी करता ह सो सखी होन की आशा म ही करता ह अब म

धमा साधन आरा ह सो भी उसी आशा म आप कहत ह--अहकार को चमिाओ इसस मि ऐसा परतीत होता ह

दक अहकार को चमिान स म सवर ही चमि जाऊगा दफर म रहगा ही नही तो सखी कस होऊगा अचसततव

खोन की अपकषा दखमर अचसततव ही करो न िीक होगा

सवरपानद जीवन की सबस बड़ी समसरा रही ह सबस मलभत परशन रही ह अहकार जब तक ह तब

तक सख नही करोदक अहकार जब तक ह तब तक परमातमा स चमलन नही और जब परमातमा स चमलन

होगा सख की वषाा होगी तो अहकार न बच सकगा--अहकार को न बचा सकोग म क चमि जान स ही दवार

खलत ह

पर एक बात खराल म रख लना म क चमि जान का रह अिा नही ह दक तम चमि जात हो वहा

तमहारी भल हो रही ह म की वजह स तम चमि हए हो तम हो करा खाक म क कारण ही तम चमि हए

हो तमहारा होना ऐसा ही ह जस चसरददा क कारण चसर का होना रदयचप रह सच ह दक चसरददा होता ह तभी

चसर का पता चलता ह नही तो चसर का कहा पता चलता ह लदकन करा चसर का पता चलान को चसरददा

चाहोग जब चसर म ददा नही होता तो भी चसर तो होता ह पता नही चलता चलन की जररत नही रह

जाती जब शरीर पररपणा सवसि होता ह तो शरीर का पता नही चलता बीमारी म ही पता चलता ह

इसचलए हमार पास एक परारा शबद ह दचनरा की दकसी भाषा म नही वह शबद हः वदना वदना क दो

अिा हाः जञान और दख वदना उसी धात स बना ह चजसस वद चवदवान वदना का अिा हः जञान और वदना का

अिा दख भी रह अनिा शबद ह और इन दोनो का करा मल होगा--दख और जञान का मल ह हम दकसी चीज

का जञान ही तब होता ह जब काि की तरह कछ चभ पर म कािा लग तो पर का पता चलता ह जता पर को

काि तो पर का पता चलता ह अगर जता चबलकल न कािता हो पर को तो पर का पता नही चलता

लदकन पता चलना और होन म फका ह चसर तो तब भी रहगा जब चसरददा न रहगा लदकन पता नही

चलगा तम तो तब भी रहोग जब अहकार नही रहगा अहकार तो घाव ह चोि ह पीड़ा ह--वदना ह जब

अहकार चला जाएगा तब भी तम रहोग वदनामि सवसि सार घाव चवदा हो गए एक सननािा होगा एक

शाचत होगी एक नीरव सगीत होगा चमि नही जाओग तम पहली दफा होओग अभी चमि हए हो चसरददा क

कारण चसर चमिा जा रहा ह

लदकन अभी तमन एक ही जीवन की वयवसिा जानी--अहकार की और इस अहकार क कारण तम दख

तक को जीन को राजी हो तम कहत हो रही बहतर ह दफर दख को ही पकड़ रह कम स कम ह तो और म

तमहारा तका समिता ह रही तो सभी का तका ह इसीचलए तो लोग अहकार नही छोड़ रह ह करोदक उनह

लगता ह अहकार गरा तो हम गए दफर सख दकसको होगा सख दकसी को नही होता सख होता ह दख

दकसी को होता ह दख म दो होत ह चजसको होता ह वह और जो होता ह वह जब चसरददा होता ह तब दो

211

होत ह--चसर और चसरददा दवदव होता ह दई होती ह जब पर का पता चलता ह काि क चभन स तो दो होत ह-

-कािा और पर होत ह जब कािा चनकल गरा पर ही बचा अब सख होता ह लदकन दकसको होता ह

सख का भी पता नही चलता

तमह कभी पता चलता ह तम कभी ऐसा तो नही कहत लोगो स दक आज बड़ा अचछा लग रहा ह चसर

म भी ददा नही ह पर म कािा भी नही गड़ा ह कमर म भी ददा नही हो रहा ह--बड़ा आनद आ रहा ह अगर

तम इतना चहसाब रखो दकतना-दकतना नही हो रहा ह तो तमहार आनद की फहररशत बड़ी लबी हो जाएगी

शरीर म हजारो चीज ह लाखो चीज ह सब िीक चल रही ह मगर दकसी का तमह पता नही चल रहा ह पता

तमह उसका चल रहा ह जो िीक नही चल रही ह जहा गड़बड़ हो रही ह उसका पता चल रहा ह पता चलन

का अिा ही रही ह दक शरीर रह कह रहा ह दक कछ करो रहा कछ अड़चन आ गई ह इस काि को अलग करो

अहकार का पता चलता ह आतमा का पता नही चलता आतमा लापता ह उसकी अनभचत होती ह

अनभव नही होता उसकी परतीचत होती ह मगर परतरकष नही होता

तम चमि जाओग तो सख होगा सख दवदव म होता ही नही अभी भी कभी तमहार जीवन म अगर सख की

एकाध दकरण उतर आती ह तो उस कषण तम चमि जात हो दखा तमन साि को डबता हआ सरज आकाश म

सतरग बादल घर नीड़ो को लौित हए पकषी साि की उतरती हई पारलो की िकार अधरा आता ह रात

उतरन लगी सब शात-सननािा होन लगा और तम कषण भर को खो गए--डबत सरज को दख कर लौित

पचकषरो को दख कर आकाश म रगीन बादलो को भिकत दख कर कषण भर को तम खो गए कषण भर को तम न

रह तभी सख हआ दफर पीछ तम कहत हो दक बड़ी सखद साि िी बड़ा परारा सरज डब रहा िा रा एक

चमतर घर आ गरा बहत ददन का चबछड़ा परारा घर आ गरा तम छाती स लग गए कषण भर को तम भल गए

कषण भर को अहकार न रहा कषण भर को चवसमरण हो गरा अपना कषण भर को चसरददा न रहा दफर पीछ तम

कहत हो--बड़ा सख चमला चमतर को चमल कर बड़ा सख चमला चमतर को चमल कर सख नही चमला न सरज को

डबत दख कर सख चमला न कोरल क गीत की िकार सन कर सख चमला सख चमलता ह तभी जब तम दकसी

भी चनचमतत स अहकार को भल जात हो

मि सन रह हो चजनह मि सन कर सख चमलता ह व जरा सोच सख चमलता इसीचलए ह दक मि

सनत-सनत तम अपन को भल जात हो और कछ नही कारण ह जो अपन को नही भल पाता मि सनत समर

उस सख नही चमलगा चजसक चसर म हजार चवचार चल रह ह जो सोच रहा ह चवचार कर रहा ह चहसाब

लगा रहा ह उस सख नही चमलगा जो मसत हो गरा जो मर साि एक हो गरा जो भल ही गरा दक ह--तम

जब वहा चमि जात हो तम जब वहा नही होत अहकार की तरह चवचार की तरह मन की तरह जब वदना

नही होती तब भी तम होत तो हो रहा दखत हो सननािा ह कोई अचानक पास स गजर जाएगा उस पता भी

न चलगा दक पाच सौ लोग बि कर रहा कछ कर रह ह जहा पाच सौ लोग होत ह वहा तो बाजार भर जाता

ऐसा हआ

अजातशतर बदध क समर का एक समराि--और जस समराि होत ह सदा भरभीत डरा हआ न मालम

दकतन लोगो को मरवा डाला ह उसन अपन बाप तक को कद म डाल ददरा ह कस न डरगा कस न भरभीत

होगा कब कौन मार द कब कौन गोली चला द कब कौन छरा भोक द उसक वजीरो न उस कहा बदध का

212

आगमन हआ ह आप भी चलग सतसग को उसन पछा दकतन लोग बदध क साि आए ह पता चला दस हजार

चभकष आए ह कहा िहर ह सब उसन पता चलरा रिकाना चलरा उसन कहा अचछा म चलगा

जब वह गरा तो पछता जाता दक अभी तक आरा नही सिान तब उनहोन कहा दक अब दख रह जो दर

अमराई ददखती ह आमो की बस इसी म बदध िहर ह पास ही िी अमराई िोड़ ही कदमो का फासला

अजातशतर न अपनी तलवार चनकाल ली वजीरो न कहा आप तलवार करो चनकाल रह ह उसन कहा मि

शक होता ह मि दकसी धोख का शक होता ह अगर दस हजार लोग रहा िहर ह तो बाजार मचा होता न

कोई आवाज ह न कोई शोरगल ह रहा तो लगता ह अमराई खाली पड़ी ह मि कोई चहल-पहल नही ददखाई

पड़ती तम मि कछ धोखा तो नही द रह हो तम मि दकसी शडरतर म तो नही डाल रह हो व वजीर हसन

लग उनहोन कहा दक आप चनहित होकर तलवार भीतर कर ल आपको बदध क पास क लोगो का पता नही ह

वह ऐस ह जस नही ह उनकी उपचसिचत अनपचसिचत जसी ह रही तो रहसर ह रही तो उनका रस ह रही

उनका आनद ह दक व चमि गए ह और चमि कर हो गए ह एक और ढग ह उनक होन का उनकी शली और ह

व धरान को उपलबध लोग ह आप तो तलवार भीतर कर ल आप वयिा परशान न हो कोई शडरतर नही ह

जरा चार कदम और--और हम पहच जात ह अमराई म

और अजातशतर अमराई म पहचा तो चौक गरा तलवार उसन रदयचप रख ली मरान म लदकन मटठी पर

उसका हाि रहा जब अमराई म पहच गरा तब उसन तलवार स हाि छोड़ा चनचित ही दस हजार लोग ि

सननािा िा बदध क साि चपचाप बि ि समर िा धरान का सब धरान म लीन ि जस वहा एक भी वयचि न

हो

तमह मि सनकर कभी जब सख की िोड़ी सी िलक चमलती ह तो वह इसचलए चमलती ह दक तम उस

घड़ी म अपन को भल गए होत हो चमि तो नही जात तम होत तो हो ही मगर रह होन का नरा ढग ह रह

नई शली ह एक होन का ढग ह रगण चवचकषपत जवरगरसत और एक होन का ढग ह सवसि शात चनमाल

धरानसि

सवरपानद तमहारा परशन महतवपणा ह तम कहत हो म सख की तलाश करता ह जीवन भर सख की ही

खोज करता रहा ह सखी होन की आशा म ही जीता रहा ह लदकन तमन सख पारा कहा जरा इस पर

चवचार करक दखो जीवन भर सख पान क चलए चजए हो सख चमला कहा अगर जीवन भर कोई सख पान की

तलाश कर और सख न चमल तो चवचार तो करना चाचहए--कही हमारी खोज म ही बचनरादी भल तो नही ह

और तमहारी अकल की ही बात होती तो िीक िा इस जगत म दकसको सख की खोज करन स सख चमला ह

दकसी को भी नही जो सख की खोज करता ह वह तो सख पाता ही नही चजतनी खोज करता ह वह उतना सख

दर होता चला जाता ह करोदक चजतनी खोज करता ह उतना ही अहकार और अहकार को बचा कर कोई

कभी सखी नही हो सकता

रह तो ऐसा हआ ही दक चसरददा को बचा कर तम चाहत हो दक चसरददा िीक हो जाए रह असभव ह

तम चाहत हो कािा तो गड़ा रह--काि स तमह मोह हो गरा ह हो सकता ह कािा सोन का हो हीर-जवाहरात

जड़ा हो--काि का तमह मोह हो गरा ह और तम चाहत हो पर म जो पीड़ा होती ह वह भी चमि जाए तम

असभव की कामना कर रह हो और तमही नही सारा जगत तमहार जस ही लोगो स भरा ह सवरपानद और

रहा तम दखी ही दखी लोग दखत हो रहा कब तमह सखी आदमी चमलता ह बड़ी मचशकल स और जब भी

सखी आदमी चमलगा वह तमस रही कहगा दक चमि जाओ तो सख हो सख होता ही तब ह जब तम नही होत

213

तमहार और सख क दोनो क साि-साि होन का कोई उपार नही तम काि हो लदकन दफर भी म तमस कहता

ह तमहार चमि जान पर भी तमहारा एक और तरह का होना शष रह जाता ह लदकन वह होना बड़ा चभनन ह

उस होन का नाम ही आतमा ह

तो होन क दो ढग एक अहकार एक आतमा अहकार दखद ढग ह होन को नारकीर ढग ह होन का

आतमा सखद ढग ह होन का आनदपणा ढग ह होन का अहकार को पकड़ोग तो आतमा स चकत रहोग

अहकार छोड़ोग तो आतमा की उपलचबध ततकषण हो जाती ह

अहकार को तो छोड़ना ही होगा इस चबना छोड़ कोई उपार नही ह और छोड़ कर तम पाओग चमि

नही पहली दफा हए छोि स बड़ हए जस बद सागर म चगर जाए तो लगता तो ऐसा ही ह दक चमि गई बद

मगर रह एक तरफ स लगता ह दक चमि गई अहकार की तरफ स लगता ह दक चमि गई जरा दसरी तरफ स

भी सोचो एक और तरफ स भी दवार खलता ह दक बद सागर हो गई

जब बद सागर म चगरती ह तो होता करा ह घिना करा घिती ह उसकी सीमाए िि जाती ह बद तो

नही ििती बद तो अब भी ह मगर अब सीचमत नही ह वह जो कषदर सी सीमा िी वह सीमा खो गई वह अब

सागर की सीमा क साि लीन हो गई और अब बद उतनी ही बड़ी ह चजतना बड़ा सागर ह

उतन ही बड़ तम हो चजतना बड़ा सागर ह चाहो बद की तरह रहो रह एक ढग ह अहकार का दफर

दखी रहोगः करोदक सीमा म दख ह करोदक सीमा म बधन ह करोदक सीमा कारागह ह नाचोग कस गाओग

कस हर तरफ दीवाल आ जाती ह कही पख फलान का मौका नही चमलता आकाश नही चमलता उड़न को

रह तमहार जीवन भर का अनभव ह दक तमन सख खोजा और सख नही पारा

अब तम कहत हो म सखी होना चाहता ह सभी होना चाहत ह मगर सभी दखी ह रह खराल रखना

सभी सखी होना चाहत ह और सभी दखी ह रह दघािना कस घि रही ह जब सभी सखी होना चाहत ह तो

अचधकतम लोग तो सखी होन ही चाचहए हा कछ लोग भल-चक कर समि म आ जाएगा मगर हालत उलिी

ह सभी सख चाहत ह और सभी दखी ह तो कही ऐसा तो नही दक सख की चाह म ही दख पदा होता ह

करोदक चजनहोन सख की चाह छोड़ दी उनक विवय बड़ चभनन ह व कहत ह सख की चाह छोड़ी दक हम सखी

हो गए इसचलए उनहोन सख क चलए नरा नाम खोजा--आनद तादक तमह भाचत न हो नही तो तम रही

समिोग दक तमहारा ही सख ह

इसचलए बदध नही कहत दक सख चमलगा करोदक सख कहन स तमहारी परानी भाचत को कही बल न

चमल कही तम सख की खोज म ही न लग रहो तो बदध कहत ह वासना छोड़नी होगी कामना छोड़नी होगी

तषणा छोड़नी होगी रह जो सख की कामना ह रही तमहार दःख का आधार ह चजस ददन तम रह दख लोग

उसी ददन धमा का सतरपात होता ह लदकन तम तो रह कह रह हो दक म जो भी करता ह सखी होन की आशा

म करता ह पर रह तो दखो दक चमलता तो दख ह तमहारी आशा स करा सबध ह तम ऐसा ही समिो दक तम

तो बड़ी आशा स रत स तल चनचोड़ना चाहत हो मगर चनकलता कहा तल तमहारी आशा स रत स तल चनकल

भी नही सकता तमहारी आशा स रत स तल चनकलन का सबध करा ह रत म तल होना चाचहए तो चनकल

और तम चारो तरफ लोगो को दख रह हो दक सब रत को पीस रह ह तल चनकालन की कोचशश म लग ह तल

का कोई पता नही

तम सख की आशा स पाए नही सख सख की आशा म भाचत ह सख की आशा स ही दख पदा होता ह

कस दख होता ह सख की आशा स उस समिो

214

तम सोचत हो इस बड़ महल म आवास हो जाए तो सख हो अब तमन दख क उपार शर दकए अब

तम चजस िोपड़ म रहत हो इसम तमह सख नही हो सकता पहली बात तलना सामन आ गई रह महल तमह

सख का सपना द रहा ह तमहारा िोपड़ा इस महल क कारण इस महल की तलना म बहत भददा हो गरा बहत

करप हो गरा बहत छोिा हो गरा बहत तचछ हो गरा नही तो कोई िोपड़ा तचछ नही ह तलना म ही तचछ

होता ह िोपड़ा अपन आप म चसपा िोपड़ा ह रहन की जगह ह न अचछा ह न बरा ह एक सचवधा ह लदकन

जस ही तमन महल पर नजर बाधी तम दखी हो गए रहोग तो अभी िोपड़ म एकदम स महल म तो नही

पहच जाओग रहोग िोपड़ म लदकन अब दखी हो गए अब दखी रहोग तमहार पास दस हजार रपर ि और

तमन कहा जब तक लाख न हो जाएग तब तक म कस सखी हो सकता ह अब दस हजार म सख नही चमलता

दस हजार स पीड़ा चमलती ह कषट होता ह दक चसपा दस हजार बस दस हजार गरीबी पता चलती ह

अमरीका का बहत बड़ा अरबपचत एण कारनगी मरा तो दस अरब रपर छोड़ कर मरा मरन क दो घि

पहल जो वयचि उसकी जीवन-किा चलख रहा िा उसन पछा कारनगी स दक आप तो तपत जा रह होग आप

तो सतषट जा रह होग दस अरब रपरा छोड़ कर कोई आदमी नही मरा ह नगद एण कारनगी न आख खोली

और बड़ी उदासी स कहा दक म एक हारा हआ आदमी ह म पराचजत जा रहा ह म दखी जा रहा ह करोदक

मरी रोजना सौ अरब रपर कमान की िी नबब अरब स हार हई ह मरी कोई छोिी-मोिी हार नही ह

अब तम समिो िोड़ा दस अरब चजसक पास ह वह कह रहा ह--नबब अरब स मरी हार हई ह कोई

छोिी-मोिी हार नही ह मरी अगर इस तरह स सोचो तो तम कही जरादा सफल हो करोदक नबब अरब स नही

हार हो तमन अगर दस हजार चाह ि और हजार ही तमहार पास ह तो नौ ही हजार स हार हो तमहारा दख

छोिा ह एण कारनगी का दख बड़ा ह चनचित बड़ा ह नबब अरब रपर का दख ह छाती पर पतिर ह

चहमालर रखा ह

मगर दस अरब रपर कषट द रह ह उस रह समिो करोदक सौ अरब की रोजना ह तमन अगर महल

पर नजर बाध ली तो तम िोपड़ म दखी हो गए पहली बात दख की शरआत हो गई तमहारा दख उतना ही

बड़ा होगा चजतना बड़ा महल तमन अपनी कलपना म सोचा ह उसी अनपात म होगा तमहारा दख खराल

रखना एण कारनगी की बात दक नबब अरब रपरो स हार कर जा रहा ह पराचजत सवाहारा चभखमगा भी

इस बरी तरह नही मरता करोदक चभखमग की रोजना ही बड़ी नही होती तो दख बड़ा नही हो सकता दख

तमहारी आशा क अनकल होता ह आशा क अनपात म होता ह और तमहारी बड़ी आशाए ह रह चमल वह

चमल

चजतनी तमहारी कामनाए ह उतना बड़ा तमहारा दख ह चजओग तो तम वहा जहा तम हो और आशाए

तमन बाध रखी ह बड़ी-बड़ी व सब तमहार आस-पास परतो की तरह खड़ी हो गई ह तमह सताएगी--बरी तरह

सताएगी इसस तम दखी हो रह हो तम दखी अपनी जीवन की चसिचत क कारण नही हो रह हो तम अपनी

तषणाओ क कारण दखी हो रह हो तो चजतनी बड़ी तषणा होगी उतना बड़ा दख होगा

एक फकीर िा अकबर क जमान म मरन क करीब आरा तो उसन कहा दक मर पास कछ पस इकटठ हो

गए ह--लोग फकत जात ह--म इस गाव क सबस गरीब आदमी को द दना चाहता ह बहत लोग आए गरीबी

क दावदार आए चबलकल नग फकीर आए उनहोन कहा हमस जरादा गरीब और कौन होगा हमार पास कपड़ा

भी नही ह मगर उसन कहा दक िहरो अभी सबस बड़ गरीब आदमी को आन दो लोगो न कहा लदकन अब

और तम दकसकी परतीकषा कर रह हो अब और कौन गरीब होगा रह दखत आदमी लगड़ा लला कोढ़ी नगा

215

अब और करा होगा इसक पास कछ नही ह और भी आए कोई अधा िा कोई कछ िा कोई कछ िा मगर

वह आदमी कहन लगा दक नही सबस बड़ा गरीब जब आएगा

और चजस ददन अकबर की सवारी चनकली उसक िोपड़ क सामन स उसन परी िली जाकर अकबर को

भि कर दी अकबर को भी खबर लग गई िी उसकी दक उसन रह घोषणा कर दीरा ह अकबर न कहा दक

मामला करा ह तम मि द रह हो तमन तो घोषणा की िी सबस बड़ गरीब को वह फकीर हसन लगा

उसन कहा तमस बड़ा गरीब इस राजधानी म कोई और नही म तमहारा दख जानता ह इसचलए तमको द रहा

ह हालादक मरी िली स कछ जरादा नही होगा--पतर-पषप समिो फल की पाखड़ी तमहारी तषणाओ क जाल

म कछ इसस बहत फका नही पड़गा--मगर म तमह रह राद ददलाना चाहता ह दक तम सबस बड़ गारीब आदमी

हो रहा करोदक तमहारी आकाकषाए सबस बड़ी ह

आकाकषाओ क अनपात म आदमी गरीब होता ह उसी अनपात म दखी होता ह दफर तमहारी आकाकषाए

बहत ह सदरतम दह होनी चाचहए तो गरीब हो गए करप हो गए धन होना चाचहए तो चनधान हो गए

महल होना चाचहए तो चजस मकान म रहत ि वह िोपड़ा हो गरा िोपड़पटटी हो गरा एक सदर सतरी होनी

चाचहए चकलरोपतरा जसी सदर हो दक नरजहा हो दक ममताज महल हो बस तमहारी सतरी एकदम करप हो

गई बढगी हो गई तमहारा बिा अलबिा आइसिीन जसा बचदधमान हो बस अड़चन हो गई अब तमहारा बिा

बदध हो गरा अब तम दख ही दख म चघर जा रह हो दफर तम चहसाब लगा सकत हो अपनी फहररशत

बनाना दक करा-करा तम चाहत हो चजसस तम सखी होओग उसी क कारण तम दखी हो

जरा फहररशत को चबदा कर दो तमहारा बिा तमहारा बिा ह अलबिा आइसिीन स करा लना-दना और

अगर तम दकसी स तलना न करो--और जो आशा नही करता वह तलना नही करता तलना आशा की छारा ह-

-तब तमहारा बिा जसा ह वसा ह जरा भी दख दन वाली नही ह कोई कारण दख का नही रह गरा तमहार

पास दस हजार रपर ह तो तम दस हजार रपर स जो सख ल सकत हो लोग करोदक ऐस लोग ह बहत

चजनक पास दस रपर भी नही ह और चजनक पास दस रपर नही ह व सोचत ह दस हजार हो जाए तो सखी

हो जाएग तम जरा सोचो तमहार पास दस हजार ह मगर तम सखी कहा हो और तम सोचत हो दस अरब

हो जाए तो हम सखी हो जाएग--तो एण कारनगी का चवचार करना एण कारनगी क पास दस अरब ह सखी

कहा ह

तमहारी तलनाओ को चवदा करक दखो और तम अचानक पाओग दख क पहाड़ कि गए छि गए

बदध न कहा ह तषणा दख का मल ह

तो एक बात तषणा चजतनी बड़ी होगी उतना बड़ा दःख होता चला जाता ह

दसरी बात तम अगर इन तषणाओ को दकसी तरह परा भी कर लो सारी हजदगी दख उिा-उिा कर

नरक िल-िल कर भीख माग-माग कर चोरी करक बईमानी करक सब तरह की जालसाचजरा करक दकसी

तरह तम महल म पहच जाओ तो भी तम सखी नही हो सकोग करोदक वासना का दसरा रग भी समि लो

जो चमल जाता ह वासना उसीको भल जाती ह जो नही चमलता उसीको राद रखती ह दस हजार रपर

ह तो लाख की माग करती ह जब लाख हो जाएग तो दस लाख की माग करगी तमहारी और तमहारी वासना

का अतर सदा उतना ही रहता ह चजतना पहल िा--उसम अतर नही पड़ता वासना और मनषर क बीच जो

सबध ह वह चकषचतज जसा ह जस दर पास ही कछ मील चल कर आकाश जड़ता हआ लगता ह परथवी स तम

सोचत हो घि दो घि चलगा तो पहच जाऊगा जहा आकाश जमीन स चमलता ह रा बहत होगा तो साि

216

सबह चलगा तो साि तक पहच जाऊगा मगर तम कभी नही पहच पाओग करोदक चजतन तम आग बढ़ जाओग

उतना ही चकषचतज आग बढ़ जाता ह चकषचतज कही ह नही चसपा आभास ह ऐसी ही तमहारी वासना बढ़ती

चली जाती ह तम िोपड़ म हो तो मकान मागती ह मकान म होत हो तो महल मागती ह महल म हो जात

हो और बड़ा महल मागती ह वासना का अिा होता ह और और और वह वासना का सवरप ह वह

कभी भी नही कहती दक बस पराापत पराापत शबद वासना को आता ही नही वह उसकी भाषा म नही ह

इसचलए सख होगा कस तम नही पहच तब तक दःखी रहोग और पहच गए तो नर दख और नर

चकषचतज चनरमात हो जाएग और भी एक मज की बात ह समि लो कलपना क चलए चसपा उदाहरण क चलए दक

तमन सब पा चलरा जो तम पाना चाहत ि अब पान को कछ भी कही बचा समि लो ऐसा कभी होता नही

ह न कभी हआ ह न कभी होगा लदकन चसपा चवचार क चलए कालपचनक दषटात समि लो मान लो दक तमन

सब पा चलरा जो तम पाना चाहत ि--सदरतम सतरी तमह चमल गई सदरतम महल तमह चमल गरा सारी

समपदा जगत की चमल गई तम चकरवती समराि हो गए तो करा तम सोचत हो तचपत हो जाएगी

मन सना ह चसकदर जब भारत-चवजर क चलए आता िा तो एक जरोचतषी को उसन अपना हाि

ददखारा और कहा दक म चवशव-चवजर को चनकला ह सारी दचनरा को जीत कर ददखलाना ह अब तक कोई

आदमी रह नही कर पारा म करक ददखाऊगा जरोचतषी न हाि दखा उसन कहा दक रह तो िीक ह लदकन

तमन इसक आग क सबध म सोचा चसकदर न पछा आग और करा ह जब परी दचनरा जीत ली तो आग करा

ह नही उस जराचतषी न कहा इतना ही कहता ह दक दसरी कोई और दचनरा नही ह अगर जीत लोग दफर

करा करोग और कहानी रह कहती ह दक चसकदर रह सन कर उदास हो गरा दक दसरी दचनरा नही ह

अभी जीती नही ह

मगर अगर जीत लोग तो दफर करा करोग तमहारी सारी ऊजाा तमहारी सारी महतवाकाकषा एकदम स

चारो खान चचतत जमीन पर चगर पड़गी दफर करोग करा एकदम उदास हो जाओग एकदम हार जाओग

करन को कछ भी न बचगा आतमघात क अचतररि और करा बचगा और कहत ह चसकदर उदास हो गरा िा

रह बात सनकर दक दसरी कोई दचनरा नही उसक हाि-पर चशचिल हो गए ि अभी रह दचनरा जीती नही ह

लदकन अगर जीत लोग तो दफर करा करोग

कलपना कर लो दक तमन सब पा चलरा दफर करा करोग एकदम छाती धकक स रह जाएगी करोदक

करन की आशा म जीत रह ि रह करना ह वह करना ह उसी म उलि रह ि अब सब चमल गरा अब कछ

करन को नही बचा अब तमहारी दौड़-धप तमहारी अतीत की रातरा सब वयिा हो गई अब तम करोग करा

जरा सोचो उस चवषाद को जो तमह घर लगा कोई आशाओ कलपनाओ कामनाओ तषणाओ क माधरम स सख

तक तो पहचता नही दख बहत िलता ह

तम पछत हो म सखी होना चाहता ह और जो भी करता ह सखी होन की आशा म ही करता ह रह

तो िीक ह रह तो सभी कर रह ह दसरी बात गौर करो इसी कारण दख पदा हो रहा ह एक बार जरा कषण

भर को ऐसा सोचो दक चौबीस घि क चलए सारी कामना छोड़ दो--सख की कामना भी छोड़ दो चौबीस घि म

कछ हजाा नही हो जाएगा कछ खास नकसान नही हो जाएगा ऐस भी इतन ददन वासना कर-कर क करा चमल

गरा ह चौबीस घि मरी मानो चौबीस घि क चलए सारी वासना छोड़ दो कछ पान की आशा मत रखो कछ

होन की आशा मत रखो एक कराचत घि जाएगी चौबीस घि म तम अचानक पाओग जो ह परम तचपतदारी ह

217

जो भी ह रखी-सखी रोिी भी बहत ससवाद ह करोदक अब कोई कलपना न रही अब दकसी कलपना म उसकी

तलना न रही जसा भी ह परम तचपतदारी ह

रह अचसततव आनद ही आनद स भरपर ह पर हम इसक आनद भोगन क चलए कभी मौका ही नही पात

हम दौड़-दौड़ ह भाग-भाग ह हम िहरत ही नही हम कभी दो घड़ी चवशराम नही करत इस चवशराम का नाम

ही धरान ह वासना स चवशराम धरान ह तषणा स चवशराम धरान ह अगर तम एक घिा रोज सारी तषणा छोड़

कर बि जाओ कछ न करो बस बि रहो--मसती आ जाएगी आनद छा जाएगा रस बहन लगगा धीर-धीर

तमह रह बात ददखाई पड़न लगगी जब घि भर म रस बहन लगता ह तो दफर इसी ढग स चौबीस घि करो न

चजए

लदकन तम एक बड़ी गलती कर रह हो जो सभी करत ह तम कहत हो अब म धमा साधन आरा ह सो

भी उसी आशा स बस चक जाओग करोदक वही आशा अधमा ह सख पान की वासना ही अधमा ह इसचलए

कोई धमा क दवारा सख पान की वासना कर तो चक गरा बात ही गलत हो गई हा धमा स सख चमलता ह

लदकन धमा स सख चमलना चाचहए ऐसी कामना स नही चमलता

रह जरा उलिन की बात तमह लगगी इस तम लकषर नही बना सकत रह पररणाम ह ऐसा होता ह

जब सब वासना छि जाती ह कोई आशा नही रह जाती तब सख बरसता ह लदकन तम इस आशा म अगर

बिो दक चलो िीक ह धरान करन स सख बरसगा इसचलए धरान कर बस चक गए करोदक वह सख की

वासना शष ह सख की वासना दख पदा करवाती ह तम आधा घड़ी बिोग और करवि बदलन लगोग और

घड़ी दखन लगोग कहोग अभी तक सख नही बरसा और समर जा रहा ह इतनी दर दकान पर ही बि चलए

होत कछ और चार पस कमा चलए होत रह दफजल समर गरा रह कहा की नासमिी म पड़ गए अभी तक

तो कछ सख नही बरसा बार-बार आख खोल कर दख लोग दक अभी आता ह परमातमा दक नही दरवाज पर

दकसी न दसतक दी रा नही अभी तक तो नही आरा और रह घड़ी जा रही ह और रह घिा बीता और रह

वयिा गरा इतनी दर म कछ और कमा लत बक-बलस िोड़ा और बढ़ जाता रा दफलम ही दख आत रा

अखबार ही पढ़ लत कछ काम तो पड़ता रह खाली बदध की तरह बि ह रह दकसचलए बि ह इसम करा

चमल रहा ह

अगर तम सख की आशा स बि तो धरान म बि ही न पाओग धरान म तो बिन का अिा होता ह चजसन

एक सतर पहचान चलरा दक सख की कामना स सख नही चमलता चजसन सख की कामना की वयिाता दख ली

अब चजसकी दौड़-धप अपन आप चशचिल हो गई इसचलए कभी-कभी चप बि जाता ह--करन को कछ नही ह--

बिा ह--जान को कही नही ह कछ खोजन को नही ह कछ सननाि म डबा ह--पररचध खो जाती ह क दर का उदर

हो जाता ह तम ततकषण अपन भीतर मौजद हो जात हो वही मौजदगी वही साकषातकार--और सख बरस जाता

तो म तमस रह कहना चाहता ह धरान स सख चमलता ह मगर जो लोग धरान स सख पाना चाहत ह

उनको नही चमलता धरान स सख उनको चमलता ह जो सख पान की सारी आकाकषा को वयिा समि कर कड़ा-

करकि समि कर फक दत ह जो कहत ह अब सख इतरादद चाचहए ही नही अब तो जस ह ऐस ही जीएग

अब कछ मागग नही रह चक चभखमग बहत अब नही भीख अब जो परमातमा दगा जसा दगा उसको वस

ही आनदभाव स सवीकार कर उसका परसाद जो भी बरसगा जसा भी आएगा नाचग मगन होग इस अहोभाव

218

म तम अपन घर लौि आत हो और तब तम चदकत होकर दखोग तम सखी हो सारा अचसततव सखी ह दक

तम जस हो वसा ही सारा अचसततव हो जाता ह

नर गगन म नरा सरा जो चमक रहा ह

रह चवशाल भखड आज जो दमक रहा ह

मरी भी आभा ह इसम

भीनी-भीनी खशब वाल

रग-चबरग

रह जो इतन फल चखल ह

कल इनको मर पराणो न नहलारा िा

कल इनको मर सपनो न सहलारा िा

पकी-सनहली फसलो स जो

अबकी रह खचलहान भर गरा

मरी रग-रग क शोचणत की बद इसम मसकाती ह

नर गगन म नरा सरा जो चमक रहा ह

रह चवशाल भखड आज जो दमक रहा ह

मरी भी आभा ह इसम

तब तम अचानक पाओग तमहारी आभा और चवराि की आभा चमलन करन लगी आहलगन करन लगी

तम वकषो म फल चखल दखोग और लगगा तम ही चखल गए कोरल कक उिगी और लगगा तम कक उि िरना

बहगा और लगगा तम बह चाद उगगा और लगगा दक भीतर भी चाद उगा सारा अचसततव एक अपवा आनद स

भर जाता ह--बस तम िहरो िहरन का नाम धरान िहर पाव तो आ जाए गाव रक पाव तो आ गरा गाव

आशा तषणा दौड़ाए रखती ह रकत नही पाव आता नही गाव

तम कहत होः अब म धमा करन आरा ह सो भी उसी आशा म

दफर तम चक जाओग

आप कहत ह--अहकार को चमिाओ और इसस मि ऐसा परतीत होता ह दक अहकार को चमिान स म ही

चमि जाऊगा

ऐसा परतीत होता ह ऐसा सतर नही ह अहकार तम हो नही इसचलए अहकार क चमि जान स तम कस

चमि जाओग अहकार तमहारी भाचत ह

ऐसा ही समिो दक एक आदमी रामलीला म राम का पािा अदा करता ह और समि लता ह दक म राम

ह और घर आता ह चलए धनषबाण मोरमकि बाध उसकी पतनी कहती ह--उतारो रखो रह धनषबाण रह

मोरमकि हो गरा नािक बहत अब रामलीला खतम हो गई वह कहता ह अगर म रह उतार दगा तो म ही

चमि जाऊगा म राम ह

219

तम इसको पागल कहोग रह अचभनर को असचलरत समि चलरा ह

तमहारा अहकार करा ह इस जीवन क बड़ रगमच पर खला गरा अचभनर तम जब पदा हए ि तो तम

नाम लकर नही आए ि दफर तमह एक नाम द ददरा कहा दक तमहारा नाम राम बस तम राम बन गए आए

ि चबना नाम कोर कागज की भाचत चलख दरा औरो न नाम दक रह रहा तमहारा नाम राम हो गए तम तब स

तम अपन को राम ही मान रह हो अब कोई अगर राम को गाली द द तम िगड़न को खड़ हो जात हो तमह

रह खराल ही भल गरा ह दक तम चबना नाम क हो तमहारा कोई नाम नही िा रह तो तमहार मा-बाप को

सि गराः राम अगर मसलमान घर म पदा हए होत तोः अबदलला ईसाई घर म होत तोः अलबिा और अगर

मर सनरासी होत तोः अलबिा कषण अली रह तो सरोग की बात ह रह तो नाम कोई भी ददरा जा सकता ह

नाम तम नही हो नाम स अपन को समि चलरा दक रह म ह

और दह भी तम नही हो जरा गौर करो मा क पि म पहल ददन जब तम ि तो नगी आखो स तो दख

भी नही जा सकत ि--वह तमहारी दह िी बड़ी खदाबीन होती तो दख जा सकत ि वह तमहारी दह िी आज

अगर तमहार सामन उस दह का कोई चचतर रख द करा तम पहचान सकोग दक रह मरी दह ह कोई नही

पहचान सकगा दफर पहल ददन जब तम पदा हए ि अगर आज उस ददन की तसवीर तमहार सामन रख दी

जाए करा तम पहचान सकोग रह मरी तसवीर ह रह मरी दह िी दकतन तम बदल गए हो गगा का दकतना

पानी बह गरा रोज तम बदल रह हो आज तमहारी जो दह ह कल नही रह जाएगी लदकन आज इस दह को

पकड़ हो कह रह हो रह म ह दकतनी बार दह बदल गई वजञाचनक कहत ह सात साल म परी दह बदल

जाती ह एक दफा आदमी सततर साल जीए तो दस बार उसकी दह परी की परी बदल जाती ह मगर शरखला

जारी रहती ह शरखला की वजह स भाचत हो जाती ह

बदध न कहा ह साि को हम दीरा जलात ह करा तम सोचत हो सबह तम उसी दीर को बिात हो

सोचत हम रही ह दक जो साि जलारा िा उसी को सबह बिात ह लदकन बदध न बड़ी महतवपणा बात कही

उनहोन कहा दक रह दीरा तो रात भर बिता रहा नई जरोचत जलती रही परानी बिती रही जब तो इतना

धआ पदा हआ धआ कहा स पदा हो रहा ह जो जरोचत तमन जलाई िी वह तो बिती जाती ह वही धआ

होती जाती ह नई जरोचत उमगती आती ह परानी जरोचत की जगह नई जरोचत ल लती ह लदकन िपटट स

लती ह जगह दक तम दख नही पात फासला नही ददखाई पड़ता सबह तम चजस जरोचत को बिा रह हो रह

वही जरोचत नही ह जो तमन जलाई िी हा उसीकी सतचत ह उसीकीशखला ह मगर वही नही ह तमहार

मा क पि म जो तमहारी दह िी तम उसी शरखला म हो उसी कर म हो मगर वही नही हो

दफर इस दह स तमन अपना सबध बाध चलरा ह दक रह म ह जरा गोरी चमड़ी हई तो जरा अकड़

गए फका करा ह गोरी चमड़ी म और काली चमड़ी म फका बहत िोड़ा ह चार आन का रग का फका ह दस-

पदरह साल क भीतर इजकशन उपलबध हो जाएग दक लगवा चलरा इजकशन काल हो गए लगवा चलरा

इजकशन गोर हो गए--करोदक चवननी का फका ह और धरान रखना काल आदमी का तमस जरादा मलर ह

उसक पास चार आन का जरादा रग ह तमहार पास चार आन का कम रग ह तम जरा गरीब हो दक जरा नाक

िोड़ी लबी दक अकड़ गए न तम नाक हो न तम रग हो न तम आख हो तम तो भीतर बि हए साकषी हो

जस-जस तम तोड़त जाओग सबधः नाम भी नही दह भी नही चवचार भी नही--करोदक चवचार भी सब

उधार ह दसरो न डाल ददए ह तम चवचार भी नही हो तम मन भी नही हो रही ह नचत-नचत की परदकररा

रह भी नही रह भी नही दफर अत म कौन शष रह जाता ह चजसको इनकार नही दकरा जा सकता चसफा

220

साकषी शष रह जाता ह साकषी को इनकार नही दकरा जा सकता और सब इनकार दकरा जा सकता ह साकषी

म कोई अहकार नही ह चसफा भाव ह एक चतनर की दशा ह एक चचनमर चसिचत ह मगर कोई अहकार नही

ह म का कोई रप ही नही बनता वहा

धरान की गहराइरो म जो जात ह व पा लत ह जलदी ही दक म तो बच जाता ह तब भी जब सब म

चमि जाता ह म तो चसपा नािक ह म तो अचभनर मच पर खली गई बस लीला ह

चजस ददन तम ऐसा समि पाओग उस ददन रह भाचत तमहारी जारी नही रहगी दक अगर म चमि गरा

तो सख दकसको होगा सख साकषी का सवभाव ह होता नही होन की जररत ही नही ह सख तमहारा सवभाव

ह इस म की चटटान क कारण तम सख को नही उपलबध कर पात हो िरना नही बह पाता ह

सना ह हशर म इक हसन-आलमगीर दखग

ख़दा जान ति रा अपनी ही तसवीर दखग

अपनी ही तसवीर ददखाई पड़गी जब परमातमा चमलता ह वह तमहारी ही आतमा की तसवीर ह और कछ

भी नही तम ही अपन शदधतम रप म परमातमा हो तमहारी ही आतमा जब सार अहकारो स सारी पतो स

मि हो जाती ह और चसपा साकषी मातर चचन मातर शष रह जाता ह वही परमातम दशा ह परमातमा का कोई

साकषातकार िोड़ ही होता दक खड़ ह और जर रामजी की और बातचीत की और चनवदन दकरा और परािानाए

की परमातमा वहा बाहर िोड़ ही चमलता ह तमहार भीतर चछपा ह तमहार चतनर म तमहारी चतना म चछपा

ह तमहारी चतना का ही दसरा नाम ह अहकार की सीमाओ क कारण चतना परकि नही हो पा रही ह इस

परकि होन दो

अहकार चमिता ह रह तमहारा अत नही ह तमहारी वासतचवक शरआत ह परारभ ह

लदकन भल होती ह आदमी स सवरपानद की भल सभी की भल ह इसचलए मन सोचा रह परशन सब क

चलए उपरोगी होगा

एक कहानी मन सनी ह--

एक बादशाह बड़ा समराि चशकार करत हए भिक गरा साचिरो स छि गरा चशकार तो कछ हाि न

लगा चमतर भी कहा गए जगल म पता न चला िका-मादा भखा-परासा एक दकसान क िोपड़ पर पहचा

दकसान न बड़ा सवागत दकरा नही उस पता ह दक समराि ह रह अपनी चारपाई पर चबिारा सखी-रखी रोिी

चखलाई िढा पानी चपलारा बगीच स फल तोड़ लारा समराि चदकत हआ ससवाद भोजनो का आदी िा मगर

ऐसा सवाद कभी न चमला िा सच तो रह िी समराि होन क कारण भख ही कभी िीक स न लगी िी भख

लगन का मौका ही नही आता भख क पहल ही भोजन चमल जाता ह आज भख लगी िी शरम दकरा िा जगल

म भिका िा रोज तो अपकषा िी--ऐसा चमल वसा चमल--आज कोई अपकषा ही नही िी आज तो हालत रह िी

दक कछ चमलगा भी इसकी भी सभावना नही िी चबना अपकषा का चमला और दकसान न ऐस परार स

रदयचप वह चारपाई गदी िी--गरीब की चारपाई िी मगर उस पर बिा ऐसा सख पारा जसा हसहासन पर

सवणा क भी कभी न चमला िा दो आम तोड़ लारा िा दकसान कए स िढा पानी भर लारा िा

समराि बड़ा तपत हआ

बात की दकसान स कहा दक तरा समराि कौन ह करोदक ददखाई पड़ गरा समराि को दक वह उस

पहचान नही रहा ह दक वह समराि ह तो उस दकसान न कहा दक नाम तो मि पता नही मगर सना ह मन दक

बड़ दराल ह बड़ सदर ह बड़ बलशाली ह समराि न कहा त दखना चाहगा समराि को दकसान न कहा मर

221

धनरभाग अगर दशान हो जाए कभी मगर नही कस हो सक ग समराि न कहा त आ मर साि घोड़ पर बि

जा मि राह भी बता दना राजधानी की--रासत क भी जानन की तो जररत िी ही उस दकसी को साि ल

जाना िा--त राह भी बता दना मि और म तरा समराि स दशान भी करवा दगा महल म ति िहरवा भी दगा

समराि न सोचा दक इस भी चदकत कर

दकसान बि गरा घोड़ पर समराि क साि चल पड़ दोनो रासत म दकसान न पछाः एक बात पछ

राजधानी तो म कभी गरा नही बड़ी राजधानी वहा वजीर भी होग सनापचत भी होग दरबार म बड़-बड़

लोग होग म पहचानगा कस दक समराि कौन ह समराि मन कभी दख भी नही म पहचानगा कस दक समराि

कौन ह समराि न कहा दफकर मत कर जस ही हम राजधानी म परवश करग चजस वयचि को सभी लोग

अपनी-अपनी िोचपरा और पगचड़रा उतार कर नमसकार कर और जो अपनी पगड़ी न उतार िोपी न उतार

समि लना वही समराि ह समराि जानता िा दक जस ही हम परवश करग लोग नमसकार करना शर करग समराि

को अपनी-अपनी पगचड़रा उतार कर चसर िका िका कर दकसान पहचान जाएगा और चदकत होगा जान

कर दक म समराि क साि घोड़ पर बिा ह आनदमगन हो जाएगा जसा आनद इसन मि ददरा ह उसस हजार

गना आनद म इस द दगा

राजधानी आ गई शहर म परवश भी हो गरा और लोग पगचड़रा और िोचपरा उतार-उतार कर नमसकार

भी करन लग लदकन दकसान कछ बोला नही चपपी साध रहा समराि न पछा दक बात करा ह समि म आरा

दक नही उसन कहा म मचशकल म पड़ गरा ह आप भी पगड़ी नही उतारत म भी पगड़ी नही उतारता पता

नही समराि कौन ह आप ह दक म ह रह तो बड़ी ििि हो गई

अहकार ऐसी ही भाचत ह अहकार को भाचत ह आतमा होन की अहकार आतमा नही ह मगर एक ही

घोड़ पर दोनो सवार ह बहत करीब-करीब एक ही घोड़ पर सवार ह जस आदमी घोड़ पर सवार हो तो

उसकी छारा भी तो घोड़ पर सवार होती ह बस ऐस ही आतमा क साि अहकार की छारा भी घोड़ पर सवार

ह न आतमा अपनी िोपी उतारती तो छारा की कस उतरगी छारा की भी िोपी लगी हई ह छारा भी

अकड़ी हई ह छारा परा मजा ल रही ह तम छारा को समि चलए हो दक रही म ह छारा क चमिन स तम न

चमिोग और छारा तो खोनी ही पड़गी अगर परकाश म जाना ह अगर परम परकाश म जाना ह तो छारा तो

चमि ही जाएगी छारा नही बच सकती

तमन रह लोकोचि सनी ह दक दवताओ की छारा नही बनती रह परतीक ह दक जो परमातमा क चनकि

ह उनकी छारा नही बन सकती उनका अहकार नही बन सकता इसचलए सवगा म दवताओ की छारा नही

बनती व चलत तो ह मगर उनकी छारा नही बनती छारा तो अजञान म बनती ह अधकार म बनती ह मछाा

म बनती ह अहकार मछाा की छारा ह

मन सना ह एक लोमड़ी सबह-सबह उिी और जब बाहर आई अपनी माद क सरज उग रहा िा और

उसन दखा लौि कर तो उसकी बड़ी छारा बन रही िी सबह का सरज लोमड़ी की बड़ी लबी छारा बन रही

िी लोमड़ी न कहा आज तो लगता ह हािी चमल नाशत क चलए तो काम चल छारा इतनी लबी िी छारा ही

स तो जानती ह लोमड़ी--और कस जान उसक पास कोई दपाण भी तो नही ह और दफर दपाण भी करा ह

उसम भी तो छारा ही बनती ह लोमड़ी पर हसना मत वही तमहारी हालत ह वही सबकी हालत ह

लोमड़ी स कछ चभनन हालत नही ह लोमड़ी भी करा कर छारा दख कर उस लगा दक इतना बड़ा पि

इतना बड़ा मरा रप हािी चमल नाशत म तो काम चल

222

दोपहर तक हािी खोजती रही अब लोमड़ी को हािी चमल भी जाए तो करगी करा और हाि स जान

जाएगी नही चमला सो अचछा ही हआ ऐस ही तम सख खोज रह हो--वह हािी की तलाश ह नही चमला सो

अचछा ही हआ चमल जाए तो उसी क नीच दब कर मरोग

दोपहर तक हािी चमला नही चमल सकता भी नही िा चमलन स कोई अिा भी न िा लोमड़ी करती भी

करा भख बहत जोर स लग रही िी उसन दफर दबारा छारा की तरफ दखा करोदक वही उसक पास एक

मातर मापदड ह दक म हालत करा ह मरी पि चसकड़ गरा होगा सोचा पि ही नही चसकड़ा िा छारा ही

चबलकल चसकड़ गई िी--सरज चसर पर आ गरा िा छारा इतनी छोिी हो गई िी दक लोमड़ी हसी उसन कहा-

-अब तो चीिी भी चमल जाए तो भी पराापत होगा

तम छारा स ही जी रह हो

और लोमचड़रो पर हसना मत लोमचड़रा भी बड़ी होचशरार होती ह आदमी जसी ही होचशरार तमन

ईसप की कहानी पढ़ी ह न दक एक लोमड़ी अगर क गचछो की तरफ छलाग लगा रही ह गचछ दर ह और

छलाग उसकी छोिी पड़ जाती ह कई बार चगरी चारो तरफ दखा कोई दख नही रहा ह ििकार कर दफर

छलाग लगाई मगर एक खरगोश छपा एक िाड़ी म दख रहा िा वह हसन लगा उसकी हसी की आवाज सन

कर लोमड़ी अपना िाड़ कर शरीर चलन लगी अकड़ कर खरगोश न कहा चाची करा माजरा ह लोमड़ी न

कहा माजरा कछ भी नही ह अगर खटट ह

रह ईसप की परचसदध किा ह

दफर मन और एक कहानी सनी ह अब तो जमाना बदल गरा ह सावाभौम चशकषा का जमाना तो

लोमचड़रो की भी परौढ़ पािशालाए ह तो एक लोमड़ी परौढ़ पािशाला म पढ़न गई उसन वहा ईसप की कहानी

सनी वह बहत गसस स भर गई रह तो लोमचड़रो का अपमान हो गरा रह ईसप का बचचा कही चमल जाए

तो इस पाि पढ़ा द चमल गए ईसप िहलत एक ददन जगल म--गए होग और लोमचड़रो को दखन दक कोई

छलाग लगाए लोमड़ी न िपटटा मारकर ईसप क कध स मास का एक लोिड़ा खीच चलरा ईसप तो चीख-

पकार करन लग उसन चखा और पिक कर कहा खटटा ह अब चलखना कहानी

लोमचड़रा भी कछ कम होचशरार नही लोमड़ी पर मत हसना और ईसप न लोमड़ी की कहानी चलखी

भी नही ह आदमी की कहानी ह

आदमी चालाक बहत ह मगर चालाकी म ही उसी शाखा पर बि कर उसी शाखा को कािता रहता ह

और एक ददन चगरता ह बरी तरह धल-धसररत मतर ही हाि लगती ह इस सारी सख की खोज म और कछ

हाि नही लगता

छोड़ो भी इस खोज को सवरपानद जसा तमहारा नाम ह कछ उस नाम पर चवचार करो सवरप म ही

आनद ह आनद सवरप ह सवर म उतरो सवर म परी तरह परचतचषठत हो जाओ वही स आनद का आचवभााव

होता ह

सख की आशा स सख नही चमलता सवर म परचतषठा स सख चमलता ह

दसरा परशनः सतो म दकसी न उस परम अनभचत को परकाश कहा ह दकसी न रगो की होली और दकसी न

अमत का सवाद रह भद करो ह

223

भद उस परम अवसिा का नही ह लदकन भद उस परम अवसिा को पहचन वाल वयचि की अनभचत-

परवणता का ह सब की अलग-अलग अनभचत-परवणता होती ह अब जस अध आदमी को भी परमातमा का

अनभव हो सकता ह--कोई अधपन स परमातमा क अनभव म बाधा नही न तो तमहारी आखो स परमातमा का

अनभव हो रहा ह न तमहारी आखो क न होन स परमातमा का अनभव रकगा आख स कछ लना-दना नही ह

लदकन अगर अध आदमी को परमातमा का अनभव हो--समिो दक सरदास को परमातमा का अनभव हआ--तो

वह अनभव परकाश का तो नही होगा करोदक अध क पास परकाश शबद ह ही नही उसकी परतीचत म कही नही

ह उसक भाषाकोश म कही नही ह

लदकन अध आदमी क कान बड़ परवण होत ह आखो स चजतनी शचि बहती ह वह शचि भी कानो को

चमल जाती ह आखो स अससी परचतशत शचि बहती ह हमार शरीर की इसचलए आख हमार शरीर क सवााचधक

जीवत अग ह और इसचलए अध पर बहत दरा आती ह इतनी बहर पर दरा नही आती लगड़ पर दरा नही

आती लल पर दरा नही आती गग पर भी दरा नही आती मगर अध पर बड़ी दरा आती ह उसका कारण रह

ह दक उसका अससी परचतशत जीवन अवरदध ह उसन परकाश नही दखा रग नही दखा रह जो जगजीवन न

होली की बात कही रह कोई अधा आदमी नही कह सकता उस रगो का पता ही नही ह लदकन अधा कहगा--

अनाहत नाद की बात उस सगीत सनाई पड़गा करोदक उसक कान दोनो काम करत ह उसक कान सनत भी ह

और दखत भी ह उसक पास कान ही ह उसकी आख भी और उसक कान भी इसचलए अध अकसर सगीत म

परवीण हो जात ह गहर उतर जात ह उनका धवचन-बोध गहरा होता ह

अधा आदमी तमह तो नही दख सकता लदकन तमहारी आवाज सन कर पहचान लता ह दक तम कौन हो

आख वाला नही पहचान सकता आख वाल को जररत ही नही पड़ी कभी इस तरह स पहचानन की अधा

आदमी तो तमहार पर की आवाज सन कर भी पहचानता ह दक कौन आ रहा ह आख वाल को कभी होश ही

नही होता इस बात का दक कौन आ रहा ह--पर की आवाज कौन सनता ह पचत नही पहचान सकता आख बद

करक बि कर दक रह पतनी क पर की आवाज ह वषो स साि रह रह ह लदकन अधा आदमी पर की आवाज भी

सनता ह करोदक व ही उसक जानन क सतरोत ह पहचानन क सतरोत ह तमहारी आवाज भी सनता ह सनन क

माधरम स ही पररचर बनाता ह

तो जब अध को परमातमा का अनभव होगा तो अनभव होगा सवर का सगीत का नाद का उसक भीतर

अनाहत की परतीचत होगी

हमार वयचितव अलग-अलग ह सबक अलग-अलग ह कछ लोग ह चजनक जीवन म सवाद की बड़ी

गहराई ह तमन दखा कभी शराब की परख करन वाल लोग दख चसपा शराब का एक घि मह म लकर व बता

सकत ह दक शराब दकस दश की बनी हई ह तम न बता सकोग न कवल रह दक दकस दश की बनी ह बचलक

दकस कपनी की बनी ह न कवल इतना दक दकस कपनी की बनी ह बचलक रह भी बता सकत ह दक दकतनी

परानी ह सौ साल परानी दक दो सौ साल परानी तीन सौ साल परानी ऐस आदमी को अगर परमातमा का

अनभव होगा तो सवाद का अनभव होगा उस परमातमा सवाद की तरह आएगा करोदक उसकी जीवन ऊजाा

सवाद म ही परचतचषठत ह वह जानगा अमत-रस जस दकसी न उसक गल म कि म अमत उतार ददरा

इसचलए भद पड़ जाता ह भद अनभव म नही ह अनभव करन वाल वयचितव म भद ह

म कबस ढढ रहा ह

अपन परकाश की रखा

224

तम क ति पर अदकत ह

चनःसीम चनरचत का लखा

दन वाल को अब तक

म दख नही पारा ह

पर पल-भर सख भी दखा

दफर पल-भर दख भी दखा

दकसका आलोक गगन स

रचव-शचश-उडगन चबखरात

दकस अधकार को लकर

काल बादल चघर आत

उस चचतरकार को अब तक

म दख नही पारा ह

पर दखा ह चचतरो को

बन-बन कर चमि-चमि जात

दफर उिना दफर चगर पड़ना

आशा ह वही चनराशा

करा आदद-अत ससचत का

अचभलाषा ही अचभलाषा

अजञात दश स आना

अजञात दश को जाना

अजञात अर करा इतनी

ह हम सबकी पररभाषा

पल भर पररचचत वन-उपवन

पररचचत ह जग का परचत कन

दफर पल म वही अपररचचत

हम-तम सख-सषमा जीवन

225

ह करा रहसर बनन म

ह कौन सतर चमिन म

मर परकाश ददखला दो

मरा खोरा अपनापन

मर परकाश ददखला दो

अब रह जो वयचि ऐसी परािाना कर रहा हः मर परकाश ददखला दो इसकी आख सवदनशील ह इस

परमातमा नाद की तरह नही आएगा इस परकाश की तरह आएगा जरोचतमार हजार-हजार सरज उग आए ह

एक साि ऐसा आएगा आलोक ही आलोक फल जाएगा भीतर-बाहर आलोक ही आलोक का सागर

लहराएगा ऐसा आएगा मर परकाश ददखला दो मरा खोरा अपनापन रा--

मिको रगो स मोह नही फलो स

जब उषा सनहली जीवनशरी चबखराती

जब रात रपहली गीत परणर क गाती

जब नील गगन म आदोचलत तनमरता

जब हररत परकचत म नव सषमा मसकाती

तब जग पड़त ह इन नरनो म सपन

मिको रगो स मोह नही फलो स

जब भर-भर स बादल ह चघर आत

गचत की हलचल स जब सागर लहरात

चवदयत क उर म रह-रह तड़पन होती

उचवास-भर तफान दक जब िकरात

तब बढ़ जाती ह मर उर की धड़कन

मिको धारा स परीचत नही कलो स

जब मगध भावना मलर-भार स कचपत

जब चवसध चतना सौरभ स अनरचजत

जब अलस लासर स हस पड़ता ह मधबन

तब हो उिता ह मरा मन-आशदकत

चभ जाए न मर वजर सदश चरणो म

म कचलरो स भरभीत नही फलो स

जब म सनता ह करिन सतर की बात

226

जब रो पड़ती ह अपवादो की रात

चनबिध मि मानव क आग सहसा

जब अड़ जाती ह मराादा की पात

जो सीमा स सकचचत और लाचछत ह

म उसी जञान स तरसत नही भलो स

मिको रगो स मोह नही फलो स

कछ लोग ह चजनह फलो स मोह ह उनह परमातमा गध की तरह आएगा मोहममद को जरर परमातमा

गध की तरह आरा होगा इसचलए इसलाम म गध की मचहमा हो गई इतर बहमलर हो गरा रह मोहममद क

कारण रह मोहममद को परमातमा जरर गध क रप म आरा होगा मोहममद क नासापि परगाढ़ सवदनशील

रह होग मिको रगो स मोह नही फलो स कछ ह चजनह फलो स मोह ह चजनह फलो स मोह ह उनह

परमातमा सहसतरदल कमल की भाचत चखलगा

और कछ ह चजनह रगो स मोह ह जगजीवन को रगो स मोह रहा होगा इसचलए परमातमा क आगमन

पर कस होली खल इसका भाव उिा कस रग चबखर कस चपचकारी चलाऊ कस गलाल उड़ाऊ

परतरक वयचि की अलग सवदनशीलता ह इसचलए दचनरा क सतो क विवयो म भद पड़ गए धमा तो

एक ह सतर एक ह लदकन उसकी अनभचतरा बड़ी चभनन-चभनन हो जाती ह जस आकाश म चाद उगता ह तो

सागर म भी उसका परचतहबब बनता ह नदी-नालो म भी परचतहबब बनता ह कओ म भी परचतहबब बनता ह

तालाबो म पोखरो म भी परचतहबब बनता ह लदकन सब जगह उसक परचतहबब म िोड़ा-िोड़ा भद हो जाएगा

चजस माधरम म परचतहबब बनगा उस माधरम का िोड़ा कछ परचतहबब म समाचवषट हो जाएगा सागर म बना

परचतहबब िोड़ा खारा हो जाएगा मीिा नही हो सकता

अनत-अनत लोगो न परमातमा जाना ह लदकन लोग तो छोि-छोि पोखर ह छोि-छोि दपाण ह उसम

परमातमा की छारा बनती ह हमारा दपाण जो कर सकता ह परकि उतना ही करगा

परतीकषा िी आस िी चवशवास िा

और चपररतम जल चहर पर लदा

वदनाओ का चवकि इचतहास िा

किगत ि पराण तर धरान म

चनिर जग तो ल रहा िा रस रहा

पी कहा की ममावधक तान म

सहाई मिको न काली घन-घिा

सहाई मिको न पावस की छिा

जलचध सातो ही मि खार लग

लगी फीकी उमड़ती नददरा सभी

चचतत पर मर न चढ़ पारा कभी

वह सरोवर भी धवल कलास का

227

िकचड़रो म बि औ चबखर हए

धनर सवाती क जलद तम धनर हो

चवकल िी चचर परास स रह चातकी

आ गए तम कमी अब दकस बात की

दकरा दशान नरन शीतल हो गए

उपालभक भाव ि सब सो गए

आ गई ह जान म अब जान र

कर चलरा मन अमत का पान र

(चार बद ही मि पराापत िी)

दफर दकसी को परमातमा सवाद की तरह आता ह किगत ि पराण तर धरान म दकसी का धरान कि म

ही समाचवषट हो जाता ह

किगत ि पराण तर धरान म

कर चलरा मन अमत का पान र

आ गई ह जान म अब जान र

(चार बद ही मि पराापत िी)

इस भद क कारण इतन धमा पदा हो गए दचनरा म और इतना िगड़ा इतना चववाद पदा हो गरा

जरर मोहममद चभनन ह महावीर स चनचित चभनन ह और कराइसि कषण स चभनन ह और बदध जरिसतर स

लाओतस कबीर स नानक जगजीवन स जगजीवन मीरा स सब चभनन ह सवभावतः इनकी अचभवयचि चभनन

होगी लदकन जो जानत ह जो जागत ह व जानत ह दक चाद तो एक ह दफर दकतन ही नदी-नालो म सागर-

सरोवरो म उसका परचतहबब बन इसस भद नही पड़ता

इसचलए म तमस कह रहा ह दक सार शासतरो म उस एक की ही किा ह बड़ी चभनन-चभनन ह और इस

चभननता स मि चवरोध नही ह इस चभननता का मि सवागत ह करोदक वचवध रसपणा ह एकरसता हो जाती

जरा सोचो महावीर ही महावीर जस लोग होत बड़ी एकरसता हो जाती सदर ह दक कोई कषण भी होता

कषण ही कषण जस लोग होत बड़ी एकरसता हो जाती सदर ह दक कोई कराइसि जसा वयचि भी होता जगत

चवचवध ह और चवचवध होन क कारण समदध ह सोचो जरा एक स ही फल चखलत बस गलाब ही गलाब क फल

होत--गलाब परारा फल ह मगर सोच दक सारी परथवी गलाब की ही िाचड़रो स भरी होती तो गलाब का सारा

सौदरा चला जाता कौन दखता गलाब को लदकन जही भी ह और चमली भी ह और चपा भी ह और बला

भी ह और हजार-हजार फल ह और सब फल अपनी-अपनी मसती स फल ह अपन-अपन रग म डोल ह सब

फलो न उसको ही परकि दकरा ह करोदक वही सब म फला ह मगर नर रग नर ढग नई अचभवयचि नई

सजावि नरा शरगार जगत चवचवध होन क कारण समदध ह

इसीचलए म तमस कहता ह सार धमो म एक की ही चचाा ह दफर भी चभनन-चभनन ह गीता गीता ह

करान करान ह न तो गीता करान ह न करान गीता ह और म नही चाहगा दक कोई एक-दसर म लीन हो

जाए करान बचनी चाचहए करान की तरह उसका रस और ह उसका तरननम और ह उसकी अदा और ह

उसका मजा और ह

228

सना ह करान को दकसत को गनगनात न समिो भाषा मगर हदर म कछ डोलन लगता ह लहर

करान की ऐसी ह सससकत नही ह करान कोई बहत पढ़-चलख मनषर का विवय नही ह मोहममद तो गर पढ़-

चलख ि मगर गर पढ़-चलख आदमी म एक सादगी होती ह जो करान म ह जो गीत म नही ह गर पढ़ा-चलखा

आदमी सादा होता ह सीधा होता ह साफ-सिरा होता ह उसक पास बड़ शबद नही होत उसक पास

दशानशासतर नही होता उसक पास परतीक भी जीवन क होत ह मगर खब रस सीध-साध गीतो म ह गीता की

अपनी खबी ह उसका अपना सौषठव ह उसम दशान की ऊचाइरा ह उसम बड़ी बारीक ऊचाइरा ह उसम

रहसरो क परद पर परद उिान की कोचशश की गई ह सससकत मनषर का विवय ह

दोनो की जररत ह दचनरा खाली होगी करान न होगा तो गीता न होगी तो दचनरा का कछ वचचत हो

जाएगा दचनरा क सार शासतर अदभत ह अनि ह सभी बचन चाचहए सभी मनषर की सपदा ह

और म चाहता ह दक मरा सनरासी हकदार अपन को घोचषत कर सबका दकसी को भी इनकार न कर--

इनकार करा करना इनकार करन वाला आदमी छोि ददल का होता ह जरा सोचो जो कहता ह म तो महावीर

को ही सवीकार करगा दकतना छोि ददल का हो गरा और रह आदमी गरीब रह जाए तो आिरा करा

आधराचतमक रप स गरीब रह जाएगा जो कहता ह म तो चसपा कबीर को ही सवीकार करगा रह गरीब रह

जाएगा और कबीर बड़ परार ह मगर रह आदमी गरीब रह जाएगा

सारी सपदा हमारी ह परतरक मनषर इस मनषर जाचत क पर इचतहास का वसीरतदार ह मरा सनरासी

सार धमो का वसीरतदार ह इसचलए म सार धमो पर अलग-अलग सतो पर बोल रहा ह तादक तमह सब

तरह की छिाए िोड़ी-िोड़ी अनभव म आ जाए--चभनन-चभनन दवारो स कसा परमातमा दखा गरा ह चभनन-चभनन

िरोखो स कसी उसकी छचव उभरी ह चभनन-चभनन लोगो न कसा रसपणा उसका वणान दकरा ह दकसी न

परकाशरप दकसी न गधरप दकसी न रसरप दकसी न सवाद दकसी न सवर र सब तमहार ह इसम स दकसी

को भी इकार मत करना करोदक चजसको तम इकार कर दोग उतन ही तम कम हो जाओग उतन ही तम छोि

हो जाओग और होना ह चवसतीणा और फलना ह आकाश जसा

आकाश दकसी को इनकार नही करता ह--चमली को भी सवीकार करता ह चपा को भी और आकाश

चपा को भी आनद स गलाब को भी आनद स कमल को भी आनद स अगीकार दकए ह आहलगन दकए ह

इसचलए आकाश समदध ह सभी फलो की गध उसम समाती ह सार फलो क रग उसम समात ह सार सवर

उसम गजत सारा सगीत उसका ह सारा सौदरा उसका ह

ऐस ही तम भी बनो ऐसा मरा सनरासी हो उसका कोई अपना धमा न हो सार धमा उसक अपन हो

दफर भी जो उस अनकल लग उस वह साध साधना सबकी नही हो सकती सवीकार सबका हो सकता ह

साधना तो एक की ही करनी होगी जो उस उचचत लग उस साध लदकन तमहारी साधना क कारण तमह शष

को इनकार करन की जररत नही ह तमह परार लगत ह गलाब तो गलाब की खती करो तमहारी बचगरा म

गलाब ही गलाब लगा लो मगर रह मत कहना दक जही क फल फल नही ह रह मत कहना दक चमली क फलो

म गध नही होती रह मत कहना दक बला ििा ह चमरथरा ह रह करो कहोग रह कहन की जररत ह

तमहार पड़ोसी को बला परीचतकर उसन बला लगारा हआ ह और कभी-कभी सदर होगा दक बल की बचगरा म

भी जाओ इसस तमहारा गलाब क परचत रस घिगा नही बढ़गा कभी-कभी अचछा होगा दक चमली स भी

पहचान करो जही स भी सबध जोड़ो इसस तमहारा गलाब क परचत रस घिगा नही गलाब क परचत जो

229

एकरसता पदा हो रही िी वह कम हो जाएगी दफर-दफर पनः-पनः तमह गलाब म रस आन लगगा लौि-लौि

कर तम दफर-दफर गलाब क हो जाओग

इसचलए साधो एक मगर सवीकार सब करो

रह म तमह नरा सतर द रहा ह ऐसा सतर कभी परथवी पर ददरा नही गरा िा करोदक पहल लोगो न कहा

िाः दक जो साधो उसी को सवीकार करो शष को इनकार करो शष स बड़ा भर िा बड़ा डर िा बड़ी

घबड़ाहि िी रह भर आदमी को छोिा कर गरा ह सकीणा कर गरा ह दकसी को हहद कर गरा ह दकसी को

मसलमान कर गरा दकसी को ईसाई कर गरा आदमीरत सब की खो गई छोि-छोि िकड़ होकर रह गए रह

आदमी को खचडत कर गरा एक अखड मनषर चाचहए परथवी अखड होनी चाचहए रहा सार भद चगर जान

चाचहए रहा अभद का सामराजर होना चाचहए तो ही परथवी पर गान उिगा परमातमा का नही तो हहद-

मसलमान लड़त ह और काित ह एक-दसर को और जन और बौदध चववाद करत ह और तका जाल फलात ह और

इसी म सब उलि जाता ह धमा सलिान को चला िा उलिा उलिा ददरा सलि सकती ह बात दफर रह

गाि खल सकती ह अगर तम खोलो रह खलगी तमहार हदर म रह हदर-हदर म खोलनी होगी

इसचलए जब मर सनरासी स कोई पछ दक तमहारा करा धमा तो कहनाः सब धमा मर धमा मातर मरा ह

म सबको अपन हदर म समाता ह सबका सगीत मरा सगीत ह म दकसी को इनकार नही करता करोदक

इनकार करक म ही छोिा हो जाऊगा म ही कमजोर हो जाऊगा

खवाब भी सबक अलग खवाब की ताबीर अलग

परार की बात अलग इशक की तफसीर अलग

जखम-दामा भी अलग नाखन-तदबीर अलग

ददल अलग ददल की तरफ आत हए तीर अलग

लोग चभनन ह लोग चभनन-चभनन ह और सदर ह रह रह बड़ा सदर ह अपनी मतरी फलाओ तमहार

चमतरो म अगर मसलमान नही ह कोई तो तम दकसी चीज स वचचत हो कौन तमह करान सनाएगा तमहार

चमतरो म अगर कोई ईसाई नही ह तो तमह कौन उस अदभत जीसस स पररचचत कराएगा तमहार चमतरो म

अगर कोई बौदध नही ह तो कौन तमह खबर लाएगा धममपद क सवरो की मतरी फलाओ कभी मददर भी

जाओ कभी मचसजद भी कभी गरदवारा भी--व सब तमहार ह मरा सनरासी सार मददरो पर कबजा कर ल

मचसजद म भी जाए गरदवार म भी जाए चगरज म भी जाए चौक ग लोग बहत दख कर करोदक लोग कहग दक

भई एक जगह कही करोदक परान ददनो म रही धारणा रही ह दक एक जगह कही सारा अचसततव हमारा ह

करो एक जगह जो करीब होगा जो जब उपलबध होगा नही तो इन सब बातो क कारण बड़ी छोिी बात हो

गई ह

मन सना एक गाव म एक परोिसिि ईसाई आरा उस गाव म कोई परोिसिि ईसाइरो का चचा नही िा

रचववार का ददन चचा जान की उसकी परानी आदत न जाए तो बचनी सार गाव म घमा लदकन कोई

किाचलक ईसाइरो का चचा िा ही नही कोई किाचलक ईसाई ही नही िा गाव म तो मजबरी म उसन सोचा

न जान स कही बहतर ह दक परोिसििो क चचा म ही चला जाऊ ह तो उसी जीसस का बाइचबल तो वही पढ़ी

जाएगी परशसा म तो जीसस क ही गीत गाए जाएग माना अपना नही ह मगर न होन स तो बहतर ह कही

न जान स तो बहतर ह दकसी होिल म बिा रह उसस तो रही चचा बहतर ह तो चला गरा पीछ बि गरा

230

जो ईसाई पादरी परवचन द रहा िा--बड़ा आगनर परवचन िा जस अचगन बरसा रहा हो रही काम करत

रह ह लोग डरात रह ह लागो को नरक का ऐसा उसन वीभतस वणान दकरा दक दकसी क भी रोगि खड़ हो

जाए छोि बचच रोन लग दो-तीन चसतररा बहोश हो गरी बढ़ कपन लग--उसन वणान ऐसा दकरा नरक का और

आचखर म उसन कहा दक सन लो चजतन लोग रहा बि हो सब नरक म सड़ोग अगर अभी तक जाग नही

जात अभी भी समर ह इस समारोह म सचममचलत परतरक वयचि सजग हो जाए नही तो नरक म पड़गा सार

लोग ह दकसी क आस बह रह ह कोई बहोश सतरी पड़ी ह बचच चचलला रह ह बढ़ कप रह ह--करोदक उसन बात

ही इतनी करिनाई की कही िी

नरक क वणान ऐस दकए जात ह उसन वणान दकरा िा दक आग म डाल जाओग जलोग और मरोग नही

मरन की भी सचवधा नही दत व जलत रहोग--अनत काल तक--मरोग नही पानी सामन होगा मगर पी न

सकोग करोदक होि सी ददए जाएग परास भीतर होगी--अनत काल तक--पानी सामन होगा कलकल नाद

पानी का सनाई पड़गा मगर पी न सकोग करोदक ओि सी ददए जाएग कीड़-मकोड़ शरीर म छद कर लग सब

तरफ स छद कर-कर क चनकलग इधर स जाएग उधर स चनकलग और तम कछ भी न कर सकोग--और अनत

काल तक और ऐसी िढ पड़गी दक दात किकिाएग--अनतकाल तक

एक बदढ़रा खड़ी हो गई उसन कहा मर तो दात ही नही ह तो उस पादरी न कहा दक त बि दात ददए

जाएग चजनक दात नही ह उनको नकली दात ददए जाएग मगर सदी तो ऐसी पड़गी दक दात किकिान ही

पड़ग त दफकर मत कर ऐसा इतजाम करक रखा ह दक अगर नही होग दात तो ददए जाएग

र सार लोग घबड़ा रह ि और बचन हो रह ि मगर वह आदमी जो किाचलक िा मसत बिा हस रहा

िा मसकरा रहा िा पादरी न दखा दक रह आदमी करो मसकरा रहा ह पादरी न उसस पछा दक भाई मर

सार लोग नरक का वणान सन कर कप रह ह भरभीत हो रह ह पिाताप कर रह ह त करो मसकरा रहा ह

उसन कहा दक हम इस चचा क सदसर ही नही ह हम करा डर हमारा दसरा चचा ह हम तो ऐस ही घमत-

घमत आ गए र चबचारो की हालत बड़ी खराब होगी रह हम समि म आ रहा ह

सवाभाचवक परोिसििो का चचा तो चजस नरक का वणान हो रहा ह वह भी परोिसििो का नरक होगा

नरको म भी अलग-अलग ह सवगो म भी अलग-अलग ह जस जीवन की आधारचशलाए अलग-अलग ह

एक आदमी मरा जमानी म हहदसतानी िा कही नौकरी करता िा मरन क पहल बड़ा घबड़ारा हआ

िा करोदक कोई पचडत-पजारी नही जो मरत वि गगाजल चपला द गगाजल भी नही कोई मतर ही कान म

बोल द--वह भी नही बड़ा भरभीत मरा डरता हआ मरा दक नरक जाना चनचित ह सवगा जान का कोई

उपार ही नही और जस ही मर कर उसन आख खोली दक नरक क दरवाज पर पारा अदर ल जारा गरा

चबिारा गरा पछा गरा दक भाई दकस नरक म त जाना चाहता ह हहदओ क नरक म जाना चाहता ह --

हहदसताचनरो क नरक म जाना चाहता ह दक जमान नरक म जाना चाहता ह करोदक त जरा ििि म ह त

रहा तो जमानी म ह हहदसतानी ति चनाव का मौका ह त चाह तो हहदसताचनरो क नरक म चला जाए चाह

तो जमानो क नरक म चला जाए

उस आदमी न कहा म पहल फका तो समि ल दक दोनो नरको म फका करा ह बतान वाल न बतारा दक

फका कोई भी नही ह वही कषट हहदसतानी नरक म ददए जाएग वही कषट जमान नरक म ददए जाएग दफर भी

उसन पछा दक दफर भद करन का सवाल ही करा ह दफर हहदसतानी और जमानी का करा सवाल ह भज दो

कही दफर भद करा ह मगर उसन कहा एक--बात खराल रखना जमान नरक म काम जमान कशलता स दकरा

231

जाता ह हहदसतानी नरक म हहदसतानी ढग स दकरा जाता ह चजसको आना चाचहए आग जलान वह सबह

नही आरा बारह बज आरा उतनी दर फरसत चमल गई कीड़-मकोड़ भी हहदसतानी ह सोए ही पड़ ह जमान

नरक जमान कशलता वयवसिा स दकरा जाता ह तो वह सोच लो उसन कहा मि हहदसतानी नरक म आना

ह मि नही जाना जमान नरक म

म भी तमस कहता ह अगर सवगा जाओ तो जमान को चनना और नरक जाओ तो हहदसतानी चनना

जीवन क चनरम अलग-अलग नही ह जीवन का चनरम तो एक ह जीवन का शाशवत धमा तो एक ह

चसपा उसकी अचभवयचिरा अलग-अलग ह अलग-अलग लोगो क जीवन म अलग-अलग सवदनशीलताओ क

कारण व भद पड़ ह बदध बदध की तरह बोलत ह कषण कषण की तरह बोलत ह बस बोलन म ही भद ह जो

बोला गरा ह वह एक ह

आचखरी परशनः भगवान जगजीवन क साि मर जीवन का अचतम मोड़ आ चका ह आपक चरण म

लपिाई रह रही परािाना ह

अजमर वाल बाबा न गारा ह--

मली-मली सब कह उजली कह न कोर

साई आप उजली कहो तो लोग कह सब कोर

तर कोई काला नही ह सब उजल ह कोई अपचवतर नही ह सब पचवतर ह अपचवतरता भाचत ह वह

भाचत छारा क साि सबध जोड़ लन स पदा हो गई ह छारा क कारण हम मल-मल लग रह ह हा हमार वसतर

मल हो गए ह सच ह और हमारी दह पर धल-धवास जम गई ह सच ह और हमारा मन भी न सवसि ह न

सदर ह मगर हमार भीतर हमारा जो असली सवरप ह वह वसा-का-वसा कवारा ह वह कमल क फल की

तरह अचलपत ह

म तमह राद उसी की ददलाना चाहता ह बाकी सब बात गौण ह बाकी सब बात तो वयिा ह

तमहार पचडत-परोचहत तमह उनही की बात कर रह ह--ऐसा करो वसा करो रह बरा वह शभ तमहार

कमो की ही चचाा कर रह ह तमहार अचसततव की नही और उनक कमो की अचतशर चचाा क कारण लोग बड़

आतम-हनददत हो गए ह उनका चचतत बड़ी आतम-हनदा स भर गरा ह व घबड़ा गए ह उनको लग रहा ह दक

हम डब हमारा उबरन का कोई उपार नही ह और पचडत-परोचहत इसका शोषण कर रह ह करोदक तमह

चजतना घबड़ा ददरा जाए उतनी ही आसानी स तमहारा शोषण हो सकता ह

डरा हआ आदमी कछ भी करन को राजी हो जाता ह उसस कहो सतरनारारण की किा करो तो वह

सतरनारारण की किा करता उसस कहो रजञ करो तो वह रजञ करता ह उसस कहो इस म घी डालो--उसको

समि म भी आता ह दक घी आग म नषट हो रहा ह घी लोगो को चमल नही रहा ह खान को--मगर भरभीत

आदमी कछ भी करन को राजी हो जाता ह उसस कोई भी मढ़ता करवा लो

रजञो क नाम पर मढ़ता हो रही ह पजा-पतरी क नाम पर मढ़ता हो रही ह भरभीत आदमी को कही भी

िका लो िकान क पहल उसको भरभीत करना जररी ह नही तो वह िकगा ही नही उसको कहो रह पतिर

की मरता भगवान ह िको वह ततकषण िक जाएगा वह भरभीत ह वह डर रहा ह वह दकसी तरह अपन भर

232

क ऊपर उिना चाहता ह मगर पजारी तमह भर स ऊपर नही उिन द सकता करोदक तम भर क ऊपर उि

जाओ तो तम पजारी क घर क बाहर हो जाओग

पजारी क वयवसार का चनरम ही रही ह दक तमह भरभीत रख इसचलए वह तमह कहता ह मली-मली

सब कह वह तो तमह तमहारी छोिी-छोिी बातो को पकड़ लता ह रह पाप रह बरा उसका सारा चहसाब-

दकताब रही ह दक तमम करा-करा बरा ह उसकी फहररशत तमहार सामन अचतशर करक खड़ी कर दी जाए

तादक तम कप जाओ

मरी चषटा चबलकल चभनन ह म तमह पजारी स मि करना चाहता ह म तमह पचडत स मि करना चाहता

ह म तमह मि करना चाहता ह इसचलए म तमह राद ददला रहा ह दक तमहार कमा तो सब बाहर-बाहर ह--

अचछ भी और बर भी सब बाहर-बाहर ह उनका कोई आतरचतक मलर नही ह तम परम पचवतर हो तमहार

भीतर परमातमा चवराजमान ह तम उजल हो तम मल हो ही नही सकत तमहार मल होन का कोई उपार ही

नही ह--तम मल हो जाओग तो दफर उजल होन का कोई उपार नही दफर कोई साबन धो न सकगी आतमा

मली हो जाएगी तो कौन साबन धो सकगी और आतमा मली हो जाएगी तो दफर दकसी क हाि की बात न

रही

आतमा मली होती ही नही

आतमा का मला होना ऐसा ही असभव ह जसा आकाश का मला होना बादल आत ह चल जात ह

आकाश मला िोड़ा ही होता ह धल-धवास उिती ह आधी उिती ह चली जाती ह दफर आकाश उजला का

उजला हो जाता ह आकाश कभी मला नही होता ऐसा ही तमहारा अतर-आकाश ह म तमह उसकी ही राद

ददला रहा ह और उसकी तमह राद आ जाए तो एक कराचत घि जाती ह उसकी राद आत ही तमहार कतर भी

उजल होन लगत ह करोदक चजसको अपन भीतर का उजलापन ददखाई पड़ गरा दफर असभव हो जाता हः

कतर और मला हो चजसको भीतर का उजलापन ददखाई पड़ गरा उसक वयचितव म और जीवन म उजलापन

बहन लगता ह उसकी धारा परवाचहत हो जाती ह भीतर तमहार एक वीणा पड़ी ह म उसी की तमह राद

ददलाता ह

इस अधर क सनसान जगल म हम डगमगात रह मसकरात रह

लौ की माहनद हम लड़खड़ात रह पर कदम अपन आग बढ़ात रह

अजनबी शहर म अजनबी रासत मरी तनहाई पर मसकरात रह

म बहत दर तक रचह चलता रहा तम बहत दर तक राद आत रह

कल कछ ऐसा हआ म बहत िक गरा इसचलए सनक भी अनसनी कर गरा

दकतनी रादो क भिक हए कारवा ददल क जखमो क दर खिखिात रह

जहर चमलता रहा जहर पीत रह रोज मरत रह रोज जीत रह

हजदगी भी हम आजमाती रही और हम भी उस आजमात रह

सखत हालात क तज तफान म चघर गरा िा हमारा जनन-वफा

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वो चचराग-तमनना बिाता रहा हम चचराग-तमनना जलात रह

जखम जब भी कोई मर ददल पर लगा हजदगी की तरफ एक दरीचा खला

हम भी गोरा दकसी साज क तार ह चोि खात रह गनगनात रह

दकतन ही पाप दकए हो और दकतन ही भिक होओ और दकतन ही जीवन म दरदान और दघािनाए घिी

हो कछ भी हआ हो

जखम जब भी कोई मर ददल पर लगा हजदगी की तरफ एक दरीचा खला

हम भी गोरा दकसी साज क तार ह चोि खात रह गनगनात रह

तमहारी गनगनाहि नही चमिी ह तमहारा गीत नही चमिा ह--चमि नही सकता तमहार भीतर शाशवत

सगीत ह म उसी की तमह राद ददला रहा ह राद आनी शर हो जाएगी और तमहारी दचषट बदलन लगगी और

तमहारी दचषट बदली दक सचषट बदली

तिी स इचबतदा ह त ही इक ददन इचतहा होगा

सदा-ए-साज होगी और न साज-बसदा होगा

सब शनर हो जाएगा उस सवर को सनत-सनत करोदक वह सगीत शनर का सगीत ह

सदा-ए-साज होगी और न साज-बसदा होगा

तिी स इचबतदा ह त ही इक ददन इचतहा होगा

उसी परमातमा स परारभ ह उसी परमातमा म अत ह बीच सारा सपना ह सख का दख का चगरन का

उिन का पाप का पणर का सब सपना ह सपन स कही कोई मला हआ सपन कही मल कर सकत ह

म तमह जगा रहा ह तमहार तिाकचित नचतक धमागर कवल तमहार सपनो को बदलन की कोचशश म

लग रहत ह व कहत ह अचछ सपन दखो बर मत दखो मगर जो आदमी बहोश ह वह करा अचछा दख करा

बरा दख सपनो का वह माचलक िोड़ ही ह तमहार हाि म िोड़ ही ह अचछ सपन दखना दक रात सो गए कह

क दक अचछ सपन दखग

अकसर ऐसा हो जाएगा जो अचछ सपन दखना चाहत ह व बर सपन दखत ह करोदक ददन भर

बराइरो को दबात बि रह दफर रात व ही दबाई हई बराइरा सपनो की तरह परकि होन लगती ह अकसर

ऐसा हो जाता ह दक बर आदमी रात अचछ सपन दखत ह करोदक व अचछाइरो को दबात ह जो दबा रहता

ह वही सपन म उभर आता ह सपनो पर तमहारा बस करा ह

इसचलए म नही कहता दक सपन बदलो म नही कहता आचरण बदलो म कहता ह अतस को जगाओ

जागो सपन वगरह बदलन स कछ भी न होगा

अचछा भी सपना दखा तो सपना ही ह सपन म साध हो गए करा लाभ दक चोर हो गए करा हाचन

न सपन स कोई मला होता ह न कोई उजला होता ह--सपन तो सपन ह आत ह चल जात ह रह सारा ससार

सपना ह

तर म इतनी ही बात तमह राद ददला रहा ह रोज-रोज अनक-अनक ढगो स अनक-अनक इशारो स

दक जागो तम उजल हो तम परम पचवतर तम सवर परमातमा हो िोड़ी खोज करो रह क दर दर नही ह जरा

सा फासला ह चसर और हदर का फासला ही आदमी और परमातमा का फासला ह जरादा नही ह कछ ही

इचो का ह

234

बचदध म भिक रह तो ससार हदर म आ गए भाव म आ गए तो भचि भचि म आ गए तो भगवान दर

कहा

सब गए ह सामन क शोर तक

कौन जाता ह दकसी क छोर तक

कब चमला सरज चनशा क बीच म

ढढ़ना उसको पड़ा ह भोर तक

सबह तक खोजोग तो ही चमल पाएगा सरज सरज ह सबह भी ह मगर लोग चवचारो की सपनो की

तदरा म मछाा म खोए ह नीद म खोए ह कछ लोग बर सपन दख रह ह कछ लोग अचछ सपन दख रह ह बस

तमहार साध-असाध म इतना ही फका ह

म तमह चाहता हाः न साध न असाध तमहार भीतर भगवतता का उदर हो

इसचलए राद ददलाता हाः तम उजल हो तम कार हो तमस कभी कछ न भल हई ह न हो सकती ह

करोदक तम कताा नही हो साकषी हो

आज इतना ही

  • चाहत खचि सरन ही राखत
  • सतसग सरोवर भकति सनान
  • तम जानत तम दत जनाई
  • महासखः फलना और फलत जाना
  • गगन-मदिल दढ़ डोरि लगावह
  • अतरयातरा ह परमातमा
  • साध त बड़ा न कोई
  • गर ह शमा शिषय परवाना
  • यहि नगरी म होरी खलौ री
  • शाशवत सगीत भीतर ह
Page 2: अरी मैं तो नाम के रंग छकी · अरी, मैं तो नाम के रंग छकी पहला प्रवचन चाहत खैंचच

2

अरी म तो नाम क रग छकी

पहला परवचन

चाहत खचच सरन ही राखत

साई जब तम मोचह चबसरावत

भचल जात भौजाल-जगत मा मोहह नाहह कछ भावत

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

चाहत खचच सरन ही राखत चाहत दरर बहावत

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

जगजीवन पर करत हौ दारा तचहत नहह चबसरावत

बहतक दखादखी करही

जोग जचि कछ आव नाही अत भमा मह परही

ग भरहाइ असतचत जइ कीनहा मनचह समचि ना परई

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

सचि बचि कछ आव नाही भजन न एको सरई

कहा हमार जो मान कोई चसदध सतत चचत धरई

जगजीवन जो कहा न मान भार जाए सो परई

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

साधन कहा सो कारि-कपरिक अपन कहा गोहरावहह

हनदा करहह चववाद जहा-तह विा बड़ कहावहह

आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

जो कोउ राम का भजन करत ह तचहका कचह भरमावाह

माला मदरा भष दकए बह जग परमोचध पजावहह

जहत आए सो सचध नाही िगर जनम गवावहह

जगजीवन त हनदक वादी बास नका मह पावहह

जो न काब म ह महदद न बतखान म

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

ऐ अजल त भी समा जा मर पमान म

3

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वो तो र कचहए अमा चमल गई मखान म

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमला कर चमर अफसान म

हजब-मर न चतरा ऐ शख भरम खोल ददरा

त तो मचसजद म ह नीरत तरी मखान म

मशवर होत ह जो शखो-चबरहमन म चजगर

ररद सन लत ह बि हए मखान म

परम का मागा मसती का मागा ह भचि अिाात एक अनि ढग का पागलपन तका नही तका सरणी नही

परीचत का एक सत

बचदध स तलाश नही होती परमातमा की हदर स होती ह बचदध स जो खोजत ह खोजत बहत पात कछ

भी नही हदर स खोजो भी न चसफा पकार उि चसफा परास उि जहा बि हो वही परमातमा का आगमन हो

जाता ह परमी को खोजन नही जाना पड़ता परमातमा खोजता हआ चला आता ह भचि क शासतर का रह सबस

अनिा चनरम ह

जगजीवन क सतर इस चनरम स ही शर होत ह

लदकन रह बात बड़ी उलिी ह जञानी खोज-खोज कर भी नही खोज पाता और भि चबना खोज पा लता

ह इसचलए बात िोड़ी बबि ह दीवानगी की ह पागलपन की ह पर परम पागलपन का ही चनचोड़ ह

जो न काब म ह महदद न बतखान म

खोजन वाल जाएग कहा रा मददर जाएग रा मचसजद जाएग खोजन वाला जाएगा ही बाहर खोज का

मतलब ही होता ह--बाहर बचहराातरा खोजन वाला चारो ददशाओ म भिकगा जमीन म खोजगा आकाश म

खोजगा

जो न काब म ह महदद न बतखान म

और जो न मददर म सीचमत ह और न मचसजद म न काबा म न कलाश म उस तम कस खोजोग काबा

म-कलाश म उस खोजन गए उसी म भल हो गई उस खोजन गए उसम ही तमन पहला गलत कदम उिा

चलरा खोजन तो उस जाना पड़ता ह जो कही महदद हो कही सीचमत हो जो दकसी ददशा म अवरदध हो

चजसका कोई पता-रिकाना हो चजसकी तरफ इशारा दकरा जा सक दक रह रहा अगली उिाई जा सक

परमातमा तो सब जगह ह इसचलए उसका कोई पता तो नही ह न उततर न पचिम न परब परमातमा

परब म नही ह परब परमातमा म ह न परमातमा पचिम म ह पचिम परमातमा म ह परमातमा वहा नही ह

परमातमा रहा ह तम परमातमा को खोजन जात हो--उसी म भिक जात हो करोदक तम परमातमा म हो जस

चली मछली सागर की खोज म और सागर म ह मछली खोज ही भिकाएगी खोज ही न पहचन दगी

जो न काब म ह महदद न बतखान म

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

4

चजस ददन उसस चमलन होता ह उस ददन बड़ी हरानी होती ह जो सदर स सदर मददरो म नही पारा

चजस परपरा स पचजत तीिो म नही पारा चजस उस अपन िि घर म पारा

हार वो और इक उजड़ हए काशान म

अपन इस छोि स घर म पारा उस उस ददन भरोसा नही आता चवशवास भी नही आता दक चजस हम

खोजन चल ि वह खोजन वाल म ही चछपा िा और जब तक हम खोजत ि तब तक हम भिकत ि

परमी खोज छोड़ दता ह परमी चसफा पकारता ह जस छोिा बचचा रोता ह खोजन जाए तो जाए कहा

असहार भी ह--अभी चल भी तो नही सकता और आदमी इतना ही असहार ह परमातमा की रातरा पर चलन

वाल पर हमार पास कहा सामरथरा कहा शचि कहा रह अहकार ही ह जो तमस कहता ह दक खोजो तो चमल

जाएगा रह अहकार ही ह जो तमह भरमाता ह भिकाता ह रोओ--भि कहता ह--खोजो मत पकारो जस

छोिा बचचा अपन िल म पड़ा ही पकारता ह जाए तो जाए कहा जाए तो जाए कस न जान की सामरथरा ह

न उिन की सामरथरा ह लदकन उसक रोन की आवाज सन कर मा दौड़ी चली आती ह दफर मा और बचच म तो

िोड़ी दरी भी ह उतनी भी दरी तमम और परमातमा म नही तम चजस खोजन चल हो वह तमहारा सवरप ह

गहन पकार तीवर पकार बस तमहार ही पराणो को छद जाती ह चबजली की कौध की भाचत और इसी िि

घर म इसी खडहर म चजस तमन कभी मददर की तरह सोचा भी न िा और तमहार तिाकचित साध-सत तो

तमह इस शरीर की हनदा चसखा रह ह व तो कह रह ह इसी शरीर क कारण तम भिक गए हो और चजनहोन

जाना ह उनहोन इसी शरीर म उस जाना ह दफर रह शरीर कसा ही हो--काला हो दक गोरा हो सवसि हो दक

असवसि हो जवान हो दक बढ़ा हो भद नही पड़ता इसी म चछपा ह इसी िि घर म चछपा ह चतनर उसका

ही दसरा नाम ह तमहार भीतर जो ददरा जल रहा ह होश का रह उसकी ही उपचसिचत ह

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

रह परम की मधशाला म जो परचवषि होता ह वही इस राज को समि पाता ह और उस ऐसी उमर चमल

जाती ह चजसका कोई अत नही उस शाशवतता चमल जाती ह उस अमततव चमल जाता ह अमतसर पतरः उस

अनभव होता ह दक म अमत का ही बिा ह दक म उसी स आरा ह वही ह उसी तरफ जा रहा ह उसी म ह

उसी का ह भिक तो भी उसी म भिक रहा ह भल जाऊ तो भी उसी म ह चबलकल समरण न रह तो भी उसस

दर जान का उपार नही ह

चमलती ह उमर-अबद इशक क मखान म

ऐ अजल त भी समा जा मर पमान म

भि क परम म इतनी सामरथरा ह दक मौत को भी उसम डबा लता ह मौत समापत हो जाती ह उसक परम

म ही मौत मर जाती ह परम एकमातर सवर ह शाशवतता का परम एकमातर अनभव ह अमत का

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

मददर म और मचसजद म मतवालो क चलए जगह ही न िी वहा तो होचशरार अडडा जमा कर बि गए ह

वहा तो चालबाज चतर-चालाक पचडत-परोचहत धरानी माचलक होकर बि गए ह

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वहा चपरककड़ो को कौन घसन द वहा परचमरो को कौन घसन द वहा तो परािानाए भी औपचाररक हो

गई ह उन परािानाओ स अब आस पदा नही होत

5

वहा तो पजा भी जड़ हो गई ह पर नाचत नही हदर म नतर नही होता आरती उतरती ह आदमी

अछता का अछता रह जाता ह फल चढ़ जात ह पराणो का फल अनचढ़ा रह जाता ह पाखड हो रहा ह परािाना

नही हो रही ह परािाना तो परम म ही हो सकती ह और परम क कोई चनरम नही होत परम की कोई मराादा नही

होती परम की कोई भाषा नही होती परम क कोई बध हए ढग नही होत परम तो सहज होता ह सवसफता होता

हरमो-दर म ररदो का रिकाना ही न िा

वो तो र कचहए अमा चमल गई मखान म

वह तो रह गनीमत समिो दक कभी-कभी कोई मधशाला भी होती ह मददरो और मचसजदो क इस

उपदरव म कभी-कभी कोई मधशाला भी होती ह--खर समिो कभी कोई बदध कभी कोई मीरा कभी कोई

जगजीवन कभी कोई कबीर कभी कोई कराइसि कभी कोई कषण--कभी-कभी--जमीन तो मददर-मचसजदो स

भरी ह लदकन कभी-कभी रहा कोई मधशाला भी हो जाती ह वही शरण चमल जाती ह वही दीवान बि कर

रो लत ह और पा लत ह वही दीवान बिकर गा लत ह और पा लत ह वही दीवान बि कर मसत हो लत ह

और परमातमा आ जाता ह कही जाना नही पड़ता

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

एक बार तम पागल होन की चहममत तो जिाओ भर तो तमहारी आख आसओ स भर तो तमहारा हदर

पकार स परास स--और कर दगा वह तमह मसत

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

और तमहार हदर की पराली म चजस ददन उसकी चनगाह पड़गी पकारो तो सही रोओ तो सही

गनगनाओ तो सही नाचो तो सही चनरम तो छोड़ो मराादा तो तोड़ो िोड़ सहजसफता सवाभाचवक न हहद न

मसलमान न ईसाई न जन न बौदध बस आदमी--बस उतना काफी ह उतना पराापत ह एक असहार

शरणभाव दक मर खोज स कछ भी न होगा अब त मि खोज म तो चलता रहा चलता रहा चलता रहा

जीवन-जीवन बीत गए एक इच भी रातरा परी नही हो सकी अब तो बि गरा िक कर अब त ही हाि बढ़ा

रही भचि का बचनरादी आधार ह परमातमा खोज भि को

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

रह परम का राज रह परम का रहसर रह परम का रस सवाद करा ह दख तो सही

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमला कर मर अफसान म

और ऐस दीवानो जगजीवन जस दीवानो क पास अगर तमह बिना हो जाए तो जरा उनकी कहानी म

अपनी कहानी चमला लना उनक गीत म अपना गीत डबा दना उनक परम म अपन परम को चमला लना उनक

साि नाच उिना उनक साि गा उिना

आप दख तो सही रबत-मोहबबत करा ह

अपना अफसाना चमलाकर मर अफसान म

6

और जब कभी ऐसी कोई मधशाला जागती-जीती जब कभी कोई ऐसा अलमसत फकीर नाचता-गाता

जब कही मधक पर मधकलश ढाल जात ह तो तम रह मत समिो दक भि ही पात ह मददरो और मचसजदो म

बि हए पजारी और पचडत भी तड़फत ह--आ नही पात करोदक उनक नरसत सवािा वहा अिक ह उनक सार

सवािा वहा जड़ ह चहममत नही जिा पात लदकन ईषराा तो जगती ह जलन तो पदा होती ह

उस जलन का लकषण दक वह इस तरह की मधशालाओ का चवरोध करत ह

नही तो करा पड़ी मददर-मचसजदो म बि हए लोगो को मर चवरोध की करा पड़ी पचडत-पजारी को

मिस करा लना-दना ह म अपना गीत गाऊगा चवदा हो जाऊगा व अपना काम कर नही लदकन वह बड़

बचन ह उनको भी ईषराा हो रही ह कछ घि रहा ह और व चक जा रह ह इतना साहस भी नही ह दक जीवन

क छोि-मोि सवािो को छोड़ कर आ सक

मर पास साधओ क पतर आत ह दक हम आना चाहत ह मगर कस आए हजार बाधाए ह समाज आन

नही दगा हमार शरावक आन नही दग लोगो को पता चल जाएगा दक हम आए ि तो हम बड़ी मसीबत होगी

ऊपर-ऊपर तो हम आपका चवरोध ही करत ह भीतर-भीतर हम आपक वचनो को भी पढ़त ह उनम डबत भी

ह रस भी पात ह जानत भी ह दक कछ हो रहा ह जाना िा चहममत नही जिा पात आए ददन पतर आत ह

आए ददन लोग खबर लकर आत ह दक फला साध दक फला महातमा दक फला साधवी आना चाहती ह तरार

हजब-मर न चतरा ऐ शख भरम खोल ददरा

और वह जो शराब की हनदा कर रहा ह मददर म बिकर पजारी उसकी शराब की हनदा न ही उसका

भरम खोल ददरा ह--

त तो मचसजद म ह नीरत तरी मखान म

मशवर होत ह जो शखो चबरहमन म चजगर

ररद सन लत ह बि हए मखान म

व जो मशवर हो रह ह अचसततव म जहा पहच हए लोगो क वाताालाप हो रह ह जहा बदध और महावीर

जहा कषण और कराइसि जरिसतर और मोहममद और उनक बीच जो मशवर हो रह ह जो गफतग हो रही ह वह

परम म जो डब जात ह--ररद सन लत ह बि हए मखान म--व अपनी मधशाला म ही बि-बि सब पा लत ह

सार बदधो का सार उन पर बरस जाता ह

ऐस ही एक बदधपरष जगजीवन क वचनो म हम उतरत ह--

साई जब तम मोचह चबसरावत

जगजीवन कहत ह रह म तमस कह द--परमातमा स कह रह ह वह दक रह म तमस कह द--दक तम जब

मि चबसार दत हो तब ही म तमह भल जाता ह रह बड़ मज की बात जगजीवन कह रह ह दक जब तम मि

चबसार दत हो तब ही म भल जाता ह तमह राद रखना जब तम मि राद कर लत हो तब म तमह नही भल

पाता ह सब तमहार साि ह राद करो तो तम राद कहत हो मि भल जाओ तो म भल जाता ह म इतना

असहार ह दक राद भी मर बस म नही इतनी भी मरी सामरथरा नही ह दक तमह राद कर--खोजन की तो बात

छोड़ो रकर तमह भलाए इतनी भी मरी शचि नही ह वह तो जब कभी तम मि राद आ जात हो तो म

जानता ह दक जरर तमन मि राद दकरा होगा नही तो तम मि राद भी आ सकत ि इसका मि भरोसा नही

ह और जब म भल जाता ह तब म जानता ह दक तमन मि चबसरा ददरा

7

रह परीचतभरा उलाहना दखा

रह चसफा भि ही चहममत कर सकता ह रह चशकारत दखी--रह परािाना भरी चशकारत दखी रह

चनभार चनवदन दखा रह समपाण की अचतम पराकाषठा दखी सब छोड़ ददरा --सब परािाना भी समरण भी

साई जब तम मोचह चबसरावत

ह मर माचलक जब तम मि भला दत हो

भचल जात भौजाल-जगत मा

तभी म ससार म उलि जाता ह धरान रखना दोष तमहारा ह मरा नही म तो अबि बचचा अगर खो

जाए मल म तो दोष दकसका ह बचच का दक उसकी मा का दक उसक चपता का

जञानी की रह चहममत नही ह जञानी की अकड़ ह जञानी कहता ह दक अगर म ति भल गरा--तो म भल

गरा समिना जञानी कहता ह म भल गरा ह ति राद करगा खोजगा तपिराा करगा वरत-चनरम-उपवास

साधगा साधना--और एक ददन चसचदध होगी म ही ति राद करगा म ही ति पाऊगा भि कहता ह--न तो

म ति पा सकता न ति राद कर सकता इतना जानता ह दक कभी-कभी जरर त मि राद करता होगा

करोदक अनारास--अनारास --न मालम दकस कोर दकस दकनार स तरी राद मर भीतर आ जाती ह

मि कोई कारण मर भीतर नही ददखाई पड़ता मर भीतर कोई जड़ नही ददखाई पड़ती चजसम स वह

सरचत पदा होती ह लगता ह कही तर तरफ स आती ह

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

तक रहा ह दर स मचजल को म मचजल मि

मरी तो हालत ऐसी ह

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

न आग जा सकता ह न पीछ जा सकता ह--ऐसी मरी ददशा ह चहल-डल भी नही सकता मरी सामरथरा

इतनी छोिी ह एक छोिी बद सागर की तलाश पर चनकल भी तो करा चनकल न मालम दकन मरसिलो म कहा

खो जाएगी बद की सामरथरा करा ह सागर की खोज कर रह तो सागर ही उिाल तो उिाल

रह भी करा मजर ह बढ़त ह न हित ह कदम

तक रहा ह दर स मचजल को म मचजल मि

दखता रहता ह िकिकी बाध लदकन फासला ऐसा लगता ह दक अतहीन अनत म पहच सकगा इतनी

रातरा कर दर क तार तक रह मरी सामरथरा नही रह मरा बस नही लदकन दफर भी कभी-कभी त बड़ पास स

सनाई पड़ता ह

राद-जाना भी अजब रह-ााजा णातात ह

सास लता ह तो जननत की हवा आती ह

मग-नाकाम-मोहबबत चमरी तकसीर मआफ

जीसत बन-बन कर चमर हक म कजा आती ह

नही मालम व खद ह दक मोहबबत उनकी

पास ही स काई बताब सदा आती ह

समि मि कछ पड़ता नही तन पकारा रा त खद मर पास स गजर गरा

नही मालम वो खद ह दक मोहबबत उनकी

8

पास ही स कोई बताब सदा आती ह

हदर क चबलकल पास स इतन पास स दक हदर क भीतर स कोई आवाज आती ह भर लती ह मि

आहलगन म ल लती ह मि कोई गध चछिका जाता मि पर कोई गीत बरसा जाता मि पर

राद-जाना भी अजब रह-फजा आती ह

सास लता ह तो जननत की हवा आती ह

मगर कभी-कभी ऐसा होता ह--जरर तर कारण होता होगा मर कारण होता तो सदा कर लता

समिना अगर मर बस म होता तो चौबीस घि कर लता तरी राद भी ह परार तरी राद भी--राद-जाना

भी अजब रह-फजा आती ह

रह भी एक रहसर ह कब आती ह कब नही आती करो आती ह करो नही आती कभी तो चाहता ह

और नही आती और कभी ना-चाह उतर आती ह अनारास भि चदकत होता ह भि सदा आिरा चवमगध

होता कभी ऐसा परसाद बरसता ह उस पर दक रह तो सोच भी नही सकता दक रह मर पररास का पररणाम ह

कोई तालमल नही पररास इतना छोिा ह और परसाद इतना बड़ा ह दक इसम सबध जड़ता नही--कारा-कारण

का सबध नही जड़ता भि की चषटा--ना-कछ बद जसी और भि की उपलचबध--सब कछ महासागर जसी

इसम कछ सबध नही ह कारा-कारण का कछ मन पकारा इसचलए त मि चमल गरा--ऐसी भलभरी बात भि

नही कह सकता

मग-नाकाम-मोहबबत मरी तकसीर मआ

जीसत बन-बन क मर हक म कजा आती ह

मौत भी आती ह तो भी मर हक म जीवन बन जाती ह दख भी आता ह तो मर हक म सख बन जाता

ह कािा भी चभता ह तो न मालम कौन दकस चमतकार स उस फल बना जाता ह भकत क जीवन म दघािनाए

भी सौभागर होन लगती ह इसचलए भि कहता ह र मर दकए नही हो रहा ह सब तरा ह

साई जब तम मोचह चबसरावत

भचल जात भौजाल-जगत मा मोचह नाहह कछ भावत

सब भल-भाल जाता ह समरण ही नही आता परमातमा की सध भी नही उिती सतर का चवचार भी

नहा जगताा ऐस भिक जाता ह जस तिस कोई पहचान ही नही मगर दोष तरा ह रह चहममत भि की ह

रह चहममत तरागी की तपसवी की जञानी की नही ह रह चहममत भि की ह रह चहममत परमी की ह--दक दोष

तरा ह त तो बड़ा ह त तो रहमान ह रहीम ह हम भल भी तो त तो मत छोड़ हम हाि भी छोड़ द तो त तो

हाि पकड़ रख हम अधर म खो भी जाए तो त तो हमारा पीछा कर सकता ह हम तरी तरफ पीि कर ल

लदकन ति कौन रोकता िा दक सामन आकर खड़ा न हो जाए

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

लदकन रह बात तमह तब समि म आएगी जब पहचान होगी जब परसाद बरसगा तब समि म आएगी

रह बात दक अपन पररास की करा सामरथरा करा औकात जस कोई चममच स सागर को खाली करन म लगा हो

ऐस हमार पररास ह और एक ददन सागर खाली हो जाए तो करा तम समिोग दक तमहारी चममच क खाली

करन स खाली हो गरा

जाचन परत पचहचान होत जब

9

रह बात--जगजीवन कहत ह--तम तब समि पाओग जो म कह रहा ह जब पहचान होगी तब तम

पाओग अपना दकरा तो रचमातर िा और जो चमला ह वह अपार ह कोई सबध हमार कतर म और हमारी

उपलचबध म नही ह साधना और चसचदध म कोई सबध नही ह इसचलए भचि कहती हः पररास स नही चमलता

परमातमा परसाद स चमलता ह उसकी ही अनकपा स चमलता ह जब वह तमह चरण म ल लता ह जब

अचानक वह तमह िका लता अपनी शरण म तमहार िकन स तम न िकोग

इस सबध म एक मनोवजञाचनक सतर समि लना उपरोगी होगा

तम जो भी करोग उसस तमहारा अहकार ही बढ़गा जो भी बशता उपवास करोग तो अहकार बढ़गा

रोग साधोग तो अहकार बढ़गा तम जो भी करोग तम ही करोग न तमहार करन स तमहारा कताा पषट होगा

तम अगर अकताा होकर भी बि जाओग तम कहोग--म कछ नही करता तो भी कताा पषट होगा भीतर स तम

कहोग दक दखो म कछ भी नही कर रहा ह म अकताा हो गरा ह लदकन म बनगा

इस म क बाहर जान का उपार करा ह और समसत धमो न कहा हः म क जो बाहर गरा वही

परमातमा म गरा

इस म क बाहर जान की चवचध करा ह दफर करोदक जो भी हम करग उसस म ही मजबत होगा

अचनवारारपण चनरपवाद कछ भी करो अकमा भी करो अदकररा भी साधो शात होकर बि जाओ मौन करो

धरान करो लदकन जो भी तम करोग वह तमहार कतााभाव को मजबत करगा और तमहारा कतााभाव ही तो

अहकार ह तो दफर उपार करा ह

भि कहता ह उस पर छोड़ो उस करन दो तम कहो दक रह रहा म त कर तम परतीकषा करो पररास

नही परतीकषा और परतीकषा का ही नाम ह परािाना परािाना का अिा ह त कछ कर परािाना का सारसतर इतना ही

ह मर दकए सब अनदकरा हो जाता ह म करता ह तो गलत हो जाता ह िीक भी करता ह तो गलत हो जाता

ह दान भी दता ह तो लोभ क कारण दता ह--ऐसी मरी मसीबत ह दरा भी करता ह तो अहकार मजबत होता

ह जो भी म कर उसी म भल हो जाती ह करोदक मरा म पीछ स आ जाता ह म की छारा चवषाि कर

दती ह मर कतर को इसचलए अब म करा कर अब म कस कर सब चवचध-चवधान वयिा ह अब त कछ कर

जाचन परत पचहचान होत जब चरन-सरन ल आवत

और तब वह अपवा घिना घिती ह अजञात हाि आत ह और िका लत ह एक अजञात दकरण उतरती ह

और अधर को तोड़ जाती ह--जनमो-जनमो क अधर को एक अजञात बाढ़ आती ह और बहा ल जाती ह सब

कड़ा-करकि छोड़ जाती ह चनशछल पचवतर शदध चतनर पीछ

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

और जब तम स पहचान होती ह तब मरी सरचत और तमहारी सरत एक ही बातो क दो नाम ह सरचत

का अिा होता हः मरा समरण मरी समचत तमहारी राददाशत जब तमस पहचान होती ह तब मर भीतर

तमहारी राद और तमहारा चहरा और तमहारी सरत इन म भद नही रहता मरी सरचत तमहारी सरत तमहारी

सरत मरी सरचत

मरी नजर स तरी जसतज क सदक म

र इक जहा ही नही सकड़ो जहा गजर

हजम-जलवा म परवाज-शौक करा कहना

दक जस रह चसतारो क दरमारा गजर

10

बस जरा-सात एक िलक और आतमा आकाश म उड़न लगती ह

हजम-जलवा म परवाज-शौक करा कहना

दफर ऐसी चहममत आती दफर ऐसा साहस उिता ह दफर डन फला कर आदमी चाद-तारो क पास उड़ता

ह जो छोिी-मोिी बदचलरो क भी पार नही जा सकता िा वह अनत आकाश को पार कर जाता ह

मरी नजर स मरी जसतज क सदक म

र इक जहा ही नही सकड़ो जहा गजर

तरी आख स आख भर चमल जाए दक एक जहा नही सकड़ो जहा गजर जात ह पलभर म अनत काल

बीत जाता ह एक कषण शाशवत हो जाता ह हजम-जलवा म और तर उस परसाद म तर उस रहसरपणा अनगरह

म परवाज-शौक करा कहना ऐसी चहममत ऐसा साहस इस ना-कछ म उिता ह दक बद सागर होन का रस

लन लगती ह ऐस पख फलत ह--

दक जस रह चसतारो क दरमारा गजर--

दफर कछ हचता नही रह जाती

दफकर-मचजल ह न होश-जादा-ए-मचजल मि

जा रहा ह चजस तरफ ल जा रहा ह ददल मि

दफर कोई हचता नही दक मचजल कहा ह कोई दफकर नही तरी आख स आख चमली दक मचजल चमली

दफकर मचजल ह न अब कछ हचता नही दक कहा ह मचजल कहा ह गतवय--और न इस बात की हचता ह दक म

िीक रासत पर चल रहा ह दक नही रह मज की बात समिना रह गहरी बात पकड़ना

दफकर-मचजल ह न होश-जादा-ए-मचजल मि

अब कौन दफजल की बकवास म पड़ दक िीक चल रहा ह दक गलत चल रहा ह दक िीक ददशा म चल

रहा ह दक गलत ददशा म चल रहा ह एक बार उसकी नजर नजर म पड़ी

आज तो कर ददरा साकी न मि मसत-अलसत

डाल कर खास चनगाह मर पमान म

एक बार उसकी नजर नजर म पड़ी एक बार पहचान हई दफर सभी ददशाए उसी स भरी ह और सभी

रासत उसी क ह दफर ससार ही चनवााण ह दफर दह ही आतमा ह दफर तम जहा हो वहा िीक हो तम जस

हो वस ही िीक हो दफर दभाागर नही ह दफर सौभागर ही सौभागर ह

जा रहा ह चजस तरफ ल जा रहा ह ददल मि

बस दफर तमह पता चला--सराग चमला हदर का

जब पचहचान होत ह तमस सरचत सरचत चमलावत

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

उस बचार को करा कह हम उस पर दरा आती ह जो सोचता ह दक--जो कोई चह दक करौ बदगी दक

म परािाना करगा दक म बदगी करगा वह बचारा दरा का पातर ह बदगी परमातमा करवाएगा तो होगी

परमातमा आएगा और िकाएगा तो

पराचीन शासतर कहत ह जब चशषर तरार होता ह गर उपचसित हो जाता ह जब भि तरार होता ह

परमातमा आकर उस घर लता ह

11

और भी एक अनिा सतर सफी फकीरो क पास ह व कहत हाः जब तमहार मन म परमातमा की तलाश

उि जब तम परमातमा को खोजन की आकाकषा स भरो तो समि लना दक उसन तमह चन चलरा ह नही तो

रह परास ही न उिती जब तम तरार हो जाओ तो उसका अिा कवल इतना ही हआ दक उसन तमह तरार

दकरा ह रही जगजीवन कह रह ह

जो कोई चह दक करौ बदगी बपरा कौन कहावत

उस बचार को हम करा कर दरा का पातर ह बदगी कभी दकसी न की ह परािाना कभी दकसी न की ह

परािाना हो जाती ह की नही जाती कतर नही ह पररास नही ह परािाना चवचध नही ह जस परम हो जाता ह

ऐस ही परािाना हो जाती ह

चाहत खचच सरन ही राखत

उसकी मजी पर सब ह चाहत खचच सरन ही राखत वह चाहता ह तो खीच कर अपन चरणो म रख

लता ह लाख भागो भाग नही पात लाख दर जाओ और दर नही जा पात कहा जाओग सब जगह वही ह

चाहत खचच सरन ही राखत चाहत दरर बहावत

और अगर चाहता ह तो बह जान दता ह दर बह जान दता ह

ददल न सीन म तड़प कर उनह जब राद दकरा

दरो-दीवार को आमादा-ए-फररराद दकरा

वसल स शाद दकरा चहजर स नाशाद दकरा

उसन चजस तरह स चाहा मि बरबाद दकरा

हमको दख ओ गम-फका त क न सनन वाल

इस बर हाल म भी हमन ति राद दकरा

और करा चाचहए समाारा-ए-तसकी ऐ दोसत

इक नजर ददल की तरफ दख चलरा शाद दकरा

शरह-नरगी-ए-असबाब कहा तक कीज

मख़तसर र दक हम आपन बरबाद दकरा

मौत इक दाम-चगरफतारी-ए-ताजा ह चजगर

र न समिो दक गम-इशक न आजाद दकरा

भि तो कहता हः आबाद करो तो तम बरबाद करो तो तम सारी चजममवारी तमहारी भि अपना

सारा उततरदाचरतव परमातमा पर छोड़ दता ह रही समपाण ह

शरह-नरगी-ए-असबाब कहा तक कीज

मखतसर र दक हम आपन बरबाद दकरा

और करा चाचहए समाारा-ए-तसकी ऐ दोसत

इक नजर ददल की तरफ दख चलरा शाद दकरा

जब चाहा और एक नजर हमार ददल की तरफ दखा तब शाद दकरा तब उतसव बरस गरा तब आनद

क फल चखल गए तब वसत आ गरा और जब नजर फर ली तब बरबादी छा गई पतिड़ हो गरा अधरी

रात उतर आई

वसल स शाद दकरा चहजर स नाशाद दकरा

12

कभी चमला चलरा अपन म--और खब मसत दकरा और कभी दर कर ददरा अपन स चवरह म तड़पारा

और बड़ी अधरी रात दी उसन चजस तरह स चाहा मि बरबाद दकरा भि कहता ह दक बरबादी --तो

तमहार हाि पाता ह और आबादी --तो तमहार हाि पाता ह एक बात तर ह दक म नही ह और तम हो

लदकन चजस ददन कोई इतनी सरलता स कह दता ह दक म नही ह तम हो उसी ददन जीवन रपातररत हो

जाता ह उसी ददन स तमहार जीवन म एक नरा सतरपात होता ह एक नई दकरण उतरती ह--एक नरा परभात

एक सरोदर

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

कह रह ह दक रह भी जो म कह रहा ह रह भी मरा अजञान ही ह करोदक तम तो जानत ही हो तमस

कहना करा अजान ह अजञान ह नही तो रह भी करा कहना ह

जगजीवन पर करत हौ दरा तचहत नहह चबसरावत

और रह भी तमहारी जो म चचाा कर रहा ह रह भी तमहारी कपा ह तमन मि नही चबसरारा इसचलए

तमहारी राद चल रही ह इसचलए तमहारी राद कात धारा बह रही ह इसचलए नहा रहा ह इस गगा म

इसचलए तमहारी चचाा कर रहा ह रह चचाा भी तमही करवा रह हो नही तो म अजञानी म अजान म करा

कहगा

जगजीवन क पास सकड़ो लोग इकटठ हो गए ि--दीवान परमी भि वह रह कह रह ह दक इनस जो म

कह रहा ह वह वही जो तम मिस कहलवा रह हो रह म नही कह रहा ह रह तम कह रह हो गलती हो तो

तमहारी िीक हो तो तम जानो ऐस परण समपाण का नाम भचि ह

तम चौकोग रह बात जान कर दक िीक-िीक परमातमा को सौप दना बहत आसान ह करोदक उसम भी

अहकार होता ह ऐस वचन ह शासतरो म दक जो कछ िीक वह तरा और जो कछ गलत वह मरा मगर सोचना

इसम भाचत ह इसका मतलब रह हआ दक अभी इतना अहकार कारम ह िीक तरा दक दख जरा दख मरी

दररराददली दख दक सब िीक ति दता ह दक सब िीक तरा--और गलत-गलत मरा जरा दख मरी चहममत

दख मरी कबत दख रह मरा तराग दख दक गलत अपन ऊपर ल रहा ह मरा रह चवनमर भाव दख मरी

सदाशरता दख कोई छोिा-मोिा ददल नही ह मर पास

आमतौर स आदमी उलिा करता ह िीक-िीक अपन पास रखता ह गलत-गलत परमातमा पर छोड़ दता

ह जब तम सफल होत हो तब तम कहत हो--मन सफलता पाई और जब तम हार जात हो तम कहत हो--

भागर भगवान पररचसिचत बस म न िी

अहकार दसरा रप भी ल लता ह वह और भी सकषम ह वह कहता ह दख बरा म ल लता ह अपन चसर

सब भला तरा सब बरा मरा मगर अभी म बचा रह कराचत नही हई रह अहकार न नरा रग चलरा नरा

ढग चलरा नई शली सीखी रह अहकार न चवनमरता क वसतर ओढ़ सावधान अहकार बड़ा सकषम ह उसकी

चालबाचजरा बड़ी गहरी ह वह साध बन जाता ह महातमा बन जाता ह वह बड़ा उदार बन जाता ह अहकार

कोई भी वश रख लता ह अहकार सभी वशो म अपन को समा लता ह अहकार बहरचपरा ह शतान बन जाता

ह साध बन जाता ह पापी बन जाता ह पणरातमा बन जाता ह

असली भि कछ और कहता ह वह कहता हः बरबाद तो तन दकरा आबाद तो तन दकरा सही तन

दकरा गलत तन दकरा करन वाला ही त ह तो अपनी गलती भी भगवान क चरणो म जो रख दता ह जो

सब समरपात कर दता ह

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तमन कहानी सनी

पराचीन कहानी ह एक भि सतरी की वह कषण की भि िी सब चढ़ा दती िी गाव म खबर फल गई दक

वह सब कषण को चढ़ा दती ह बरा-भला भी चढ़ा दती ह जो कछ ह सब चढ़ा दती ह करोध आता ह उसको

तो वह कहती ह--समहाल रह ति चढ़ारा गाली चनकल जाती ह उसक मह स तो कह दती ह--कषण को

समपाण रह अजीब औरत ह रह पागल ह गाली और कषण को समपाण

और एक ददन तो हदद हो गई वह रातरा को गई िी जब लौि कर आई तो घर म खब कड़ा-करकि इकटठा

हो गरा िा--कई ददन तक सफाई नही हई िी उसन सब साफ दकरा सब कड़ा-करकि इकटठा दकरा और जाकर

कषण की मरता क पास सब समरपात कर ददराः समपाण ह जो ह तरा ह बरा तो तरा भला तो तरा रह

समगरता दखो

और कहत ह वह जो कचरा उसन फका िा वह बकि म कषण क ऊपर चगरा जरर चगरा होगा इतन

परार स फका गरा हो इतन समपाण स फका गरा हो--और तमहार फल भी नही पहचत उसका कचरा भी

पहचा और जब उनक सवणा-हसहासन पर कचरा चगरन लगा तो वह हस और जब दवताओ न पछा रह

माजरा करा ह रह कचरा कहा स आ रहा ह रह कौन आप पर कचरा फक रहा ह रह दकसकी सामरथरा

कषण न कहा वह बदढ़रा जो गाचलरा फकती ह वह सभी कछ दती ह अब जब उसस अचछा-अचछा चलरा ह

तो अब बरा-बरा ि कहत मिस भी नही बनता फल भी चढ़ाती ह कचरा भी फकती ह--जब सभी द ददरा तो

म भी सभी लता ह और जब कोई सभी दता ह तभी म सभी लता ह जो बचा-बचा कर दता ह उसका कछ

भी नही चलरा जा सकता

शता स नही ददरा जाता बशता ददरा जाता ह

हौ अजान अजञान अहौ परभ तमत कचहक सनावत

जगजीवन पर करत हो दरा तचहत नहह चबसरावत

बहतक दखादखी करही

मगर खराल रखना ऐसा सन कर दखादखी मत करन लगना दक फल तो अभी चढ़ाए ही नही और कचरा

चढ़ा ददरा दखादखी मत करन लगना धमा को सबस बड़ी बाधा अधमा क कारण नही ह दखादखी क कारण

ह धमा क मागा पर सबस बड़ी अड़चन दखादखी क कारण ह लोग मददर जा रह ह तम भी चल दखादखी

चल बस वयिा हो गरा जाना नकल हो गई तमहार हदर का आचवभााव न हआ तम काबानकापी हो गए

परमातमा तक चसफा मल परचतरा पहचती ह काबानकाचपरा नही धमा क जगत म सबस महतवपणा बात राद

रखन जसी अगर कोई ह तो रह--दखादखी मत करना करोदक दखादखी का मतलब होता ह ऊपर-ऊपर

ऊपर-ऊपर रग-रोगन कर चलरा भीतर-भीतर जस ि वस रह आचरण भी समहाल चलरा चररतर भी बना

चलरा एक जीवन-शली रच ली पजा भी की पाि भी दकरा परािाना भी की--सब दखादखी सब ऊपर-ऊपर

और भीतर जस ि वस क वस रह दखादखी पराणो तक नही जा सकती नकल असल नही हो सकती नकल

असल जसी ददखती ह इसचलए धोखा द सकती ह

इसचलए दचनरा म असली खतरा धमा को नाचसतक स नही ह--नाचसतक तो कम स कम साफ ह दक

नाचसतक ह बात खतम हो गई न कोई परमातमा ह न मि खोजना ह ह ही नही तो खोजना करा ह कम स

कम ईमानदार ह बईमान ह तमहार तिाकचित आचसतक भरोसा भी नही ह परमातमा पर खोज भी चल जात

ह दकस धोखा द रह हो रह कसी आतमवचना ह परािाना करत हो और भीतर कोई शरदधा भी नही ह कर रह

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हो तब भी तम जानत हो दक कछ होना नही ह मगर चलो दख लो करक शारद शारद मौजद ह तो परािाना

नही हो सकती तम जानत हो भलीभाचत दक पहल भी परािाना नही सनी गई ह रह भी नही सनी जाएगी पर

हजाा करा ह

मर एक चशकषक मरणशयरा पर ि म उनह दखन गरा व जीवन भर नाचसतक ि मन उनह राम-राम

जपत दखा ओि स राम-राम राम-राम कर रह ह मन उनह चहलारा मन कहा रह करा कर रह ह परी

हजदगी पर पानी फर द रह ह नाचसतकता का करा हआ उनहोन कहा--छोड़ो जी नाचसतकता की बात अब

मरत वि कौन जान परमातमा हो ही अब मरत वि रह बात मत उिाओ राम-राम कर लन म हजा करा ह

वस ही चबसतर पर पड़ा ह कोई काम दसरा ह भी नही हआ तो िीक ह न हआ तो िीक ह न हआ तो अपना

कछ चबगड़ न गरा वस ही चबसतर पर पड़ ि और अगर हआ तो कहन की बात रह जाएगी दक दख आचखरी

वि राद दकरा िा

मगर रह आचसतकता ह रह राद राद ह रह राद पहचगी उस बदढ़रा का कचरा भी पहच गरा िा

रह राद भी नही पहचगी रह राद र ही घि कर मर जाएगी रह कि क बाहर ही न चनकलगी इसम पख हो

ही नही सकत इसम पराण ही नही ह तो पख कस होग रह आकाश की रातरा पर नही जा सकती रह आदमी

दकसको धोखा द रहा ह अपन को ही धोखा द रहा ह

बहतक दखादखी करही

और इस जगत म धमा क नाम पर बहत स लोग दखादखी ही कर रह ह तमहार मा-बाप मददर जात ि

तो तम भी मददर जान लग व तमह मददर ल गए बचपन स आदत बन गई आदत स कही धमा हआ आदत

और धमा लोग सोचत ह दक कछ आदत अचछी होती ह कछ आदत बरी होती ह म तमस कहता हाः आदत

मातर बरी होती ह अचछी आदत जसी चीज होती ही नही आदत का मतलब होता ह राचतरक अचछाई राचतरक

नही होती सहजसफता होती ह

अचछाई आदत स नही होती दकसी न गाली दी और तम आदत की वजह स करोचधत न हए रह कोई

अचछाई न हई करोध तो भीतर आ ही गरा आदत िी परानी अभरास िा समहाल गए--गिक गए दबा चलरा

कि क नीच ऊपर मसकराहि जारी रखी हसत रह मगर करोध तो हो ही गरा तमन परकि नही दकरा इसम

करा फका पड़ता ह घिना तो घि ही गई तमहार पराण तो दचषत हो ही गए धआ तो उि ही गरा आग तो लग

ही गई जहर तो फल ही गरा इतना ही हआ दक बाहर न आरा तमहार भीतर ही रहा दसर वयचि को िोड़ा

लाभ चमला लदकन तमह कछ लाभ नही हआ आदत--अचछी आदत चजनको हम कहत ह सामाचजक वयवसिाए

ह उनस समाज क जीवन म िोड़ी सचवधा होती ह

जस इचजन म तल डालत ह न तो तल क कारण इचजन क कल-पज जलदी नही चघसत ऐस ही अचछी

आदत वयचिरो क बीच म तल का काम करती ह जलदी चघसन नही दती जलदी िगड़ा खड़ा नही होता आदत

बना ली दक जब भी कोई रासत पर चमला जररामजी रह तल ह इसस रासता बना रहता ह इसस िगड़ा-

िासा जरादा खड़ा नही होता हालादक न तमह मतलब ह जरराम जी स न उनह मतलब ह जररामजी स राह

पर कोई चमला पछ चलरा--कचहए कस ह न तमह मतलब ह और इसीचलए कभी-कभी कोई ऐसा नासमि भी

हो जाता ह दक तमन पछा कचहए कस ह वह रोक कर सारी किा बतान लगता ह दक कसा ह तब तम

घबड़ात हो दक भई हमारा रह मतलब नही िा मगर अब अचछ फस रह तो पछ कर फस गए वह बतान

लगा अपनी सारी कहानी दक पतनी बीमार ह और बि की नौकरी नही लग रही ह--अब तमन पछा नही कोई

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इसचलए तो पछता भी नही दक कचहए कस ह रह तो चसफा बीच का तल ह इसस हजदगी चघसिती-चपसिती

चलती रहती ह अचछी आदत लबरीक ि ह उसस जरादा नही

आदत कोई अचछी नही होती अचछा आदमी आदतो स मि होता ह वह परचतपल जीता ह अचछा

आदमी सवभाव स जीता ह बरा आदमी आदत स जीता ह अचछा आदमी जरराम जी करता ह सवभाव स

तमह दख कर राम की राद आती ह आनी चाचहए करोदक परतरक वयचि उसी की परचतमा ह तमह दख कर राम

की सध आ जाती ह एक जीवत वयचि पास स चनकल जीवन का एक िोका चनकल जाए पास स और तमह

राम की राद न आए--तम मदाा हो सहजसफता जरराम जी उि आदत स नही तब शभ का जनम होता ह

लदकन तमन तो जीवन बना रखा ह वह आदत का जीवन ह लोग माला भी फर लत ह आदत स दकान

पर बि रहत ह गराहक भी चलात रहत ह नजर भी रख रहत ह--कोई सामान चोरी नही ल जा रहा ह कतता

भीतर तो नही घस गरा मनीम कछ पस तो नही नदारद कर रहा ह तौलन वाला दाडी मार रहा ह दक नही

मार रहा ह--सब चल रहा ह और माला भी चल रही ह और राम-राम का जप भी चल रहा ह रह आदत ह

आदत स कोई धारमाक नही होता

लदकन हमन दचनरा म रह धोखा खड़ा कर चलरा ह इसचलए दचनरा म दो तरह क लोग ह एक

ईमानदार नाचसतक और एक बईमान नाचसतक बईमान नाचसतको को लोग आचसतक समित ह आचसतक तो

सच म कभी-कभार होता ह कभी कोई एकाध लाखो म आचसतक होता ह बाकी तो सब िि आचसतक ह

बहतक दखादखी करही

ऐ हसन-रार शमा र करा इदकलाब ह

तिस जरादा ददा चतरा कामराब ह

आचशक की बददली का तगाफल नही जवाब

उसका बस एक जोश-मोहबबत जवाब ह

म इशक-बचनराज ह तम हसन-बपनाह

मरा जवाब ह न तमहारा जवाब ह

मखाना ह उसी का र दचनरा उसी की ह

चजस चतशना-लब क हाि म जाम-शराब ह

ऐ मोहतचसब न फक चमर मोहतचसब न फक

जाचलम शराब ह अर जाचलम शराब ह

अपन हदद स न बढ़ कोई इशक म

जो जराा चजस जगह ह वही आफताब ह

मरी चनगाह-शौक भी कछ कम नही मगर

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दफर भी चतरा शबाब तरा ही शबाब ह

समाारा-ए-दफराक चजगर आह कछ न पछ

इक जान ह सो अपन चलए खद अजाब ह

हाि म पराली हो भरी परम की परािाना की उसकी राद की और तम पीरो तो आचसतकता

मखाना ह उसी का र दचनरा उसी की ह

चजस चतशना-लब क हाि म जाम-शराब ह

लदकन शराब की बातो स िोड़ ही कोई बहोश हो जाता ह शराब चाचहए और लोग शराब की बातो स

ही बहोश हो रह ह दकसको धोखा द रह हो लोग डोल रह ह शराब की बातो स बातो स कही कोई डोला

तम अपन को ही वचना द रह हो इतना ससता नही ह मामला दखादखी छोड़ो बहतक दखादखी करही

जोग जचि कछ आव नाही

न तो चमलन का राज पता ह दक कस उसस चमल न चमलन की कोई चवचध-कला पता ह दक कस उसस

चमल

अत भमा मह परही

अत म बहत पछताओग हजदगी भर का धोखा अत म िि जाएगा मौत आएगी और चगरा दगी सार

ताश क महल और डबा दगी सारी कागज की नाव और तब तम चौकोग तब तम तड़फोग लदकन तब दकए

कछ भी न हो सकगा बहत दर हो गई अब पछताए होत का चचचड़रा चग गई खत

और हजदगी भर दखादखी म पड़ रह लोग उधार जी रह ह बास जी रह ह रामारण रि ली ह तोतो की

भाचत हाि म शराब का पराला नही ह--हाि म राम का पराला नही ह गीता किसि कर ली ह रतर की भाचत

गरामोफोन क ररकाडा हो गए ह दोहराए चल जा रह ह तम सोचत हो दक गरामोफोन क ररकाडा चजनम भजन

भर ह मोकष पहच जाएग बकि पहच जाएग तो तम कस पहच जाओग भजन जगना चाचहए--जीवत एक

लपि की भाचत जो तमहार अहकार को राख कर जाए जलो भजन म तभी नरा जनम होता ह

जोग जचि कछ आव नाही अत भमा मह परही

अत म बहत पछताना होगा करोदक अत म पता चलगा दक हजदगी र ही गई वयिा गई चहसाब-दकताब

लगान म चली गई न हाि कछ आरा न हाि कछ लगा खाली चहसाब लगात रह

बदध कहत ि एक आदमी अपन घर क सामन बिकर रोज घर क सामन स चनकलती हई गार-भसो को

चगनता रहता िा गाव भर की गार-भस चरन जाती नदी क पास वह बिा चगनता रहता साि को भी बिा

चगनता दक चजतनी गई िी उतनी वाचपस लौिी दक नही बदध न कहा म उस दखता मन उसस पछा मर भाई

दसरो की गार-भस चगनन स ति सार करा ह दकतनी गई दकतनी आ गई--तरी तो इसम एक भी नही ह

ऐसा ही बदध कहत म तमस कहता ह दक कब तक तम वद चगनत रहोग करान चगनत रहोग कब तक तम

शासतरो क शबद दोहरात रहोग इनम एक भी तमहारा अपना नही ह चनज का नही ह एकाध तो अनभव

तमहारा चनज का हो जान दो उस पर ही चभचतत खड़ी होती ह जीवन का मददर उसी पर चनरमात होता ह

ग भरहाइ असतचत जइ कीनहा मनहह समचि ना परई

मगर तम भल जात हो लोगो की सतचतरा लोग कहत ह--आह कसा जञान आपका पचडत जी

धनरभागी आप लोग सतचत कर जात ह लोग कहत ह दक वाह पर उपचनषद किसि ह आपको वद राद ह

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आपको परसा हो गए तम फल नही समात ग भरहाइ खब फल जात हो सतचत स मनचह समचि ना

परई इतनी सी बात तमह समि म नही आती दक इसम तमहारा कछ भी नही ह दोहरात रहो वद करा

होगा वद का जनम होना चाचहए तमहार पराणो म बाहर स भीतर की तरफ नही जाता वद भीतर स बाहर

की तरफ आता ह

फका ऐसा ही ह जस हम एक सीमि की हौज बना लत ह उसम पानी भर दत ह--बाहर स मगर हौज म

और कए म कछ फका ह रा नही कए म पानी भीतर स आता ह उसम स हम पानी चनकालत जात ह और

पानी आता चला जाता ह कए क सबध जड़ ह सागर स दर िरनो स उसक बड़ सरोतो का जाल फला ह

गरीब नही ह कआ चजतना ददखता ह उतना ही नही ह कए म बहत ह अदशर चछपा ह तम चनकालत जाओ

और कआ भरता चला जाता ह--और नरा ताजा जल आता चला जाता ह लदकन हौज भरी तो कए जस ही

ददखाई पड़ती ह मगर चनकालो पानी तो पता चल जाएगा दक हौज ह नरा कछ नही आता और हौज जरादा

ददन भरी रह तो जो भर ददरा िा पानी--जब भरा िा ताजा िा जब चनकालोग तो गदा हो चका होगा मदाा

हो चका होगा पानी बहता रह तो ताजा होता ह भर जाए तो मर जाता ह

पचडत म जञान बाहर स भरा जाता ह--पचडत हौज ह जञानी कआ ह उसम भीतर स आचवभात होता ह

उसक पास िरन ह वह परमातमा स जड़ा ह मगर ििी सतचत बड़ा रस द दती ह लोगो को जरा दख लना दक

दकसकी सतचत स परसनन हो रह हो न उनह कछ पता ह न तमह कछ पता ह अध अधो की सतचत कर रह ह

कछ समिो ऐस नही चलगा इस तरह कभी नही चला

काम आरर जजबा-ए-बइचखतरार आ ही गरा

ददल कछ इस सरत स तड़पा उनको परार आ ही गरा

जब चनगाह उि गगई अललाह री म राज-शौक

दखता करा ह वो जान-इचतजार आ ही गरा

हार र हसन-तसववर का फरब-रगो-ब

मन समिा जस वो जान-बहार आ ही गरा

हा सजा द ऐ खदा-ए-इशक ऐ तौफीक-गम

दफर जबान-बअदब पर चजकर-रार आ ही गरा

इस तरह खश ह दकसी क वादा-ए-फदाा प म

दर हकीकत जस मिको एचतबार आ ही गरा

हाए कादफर ददल की र कादफर जन-अगचजरा

तमको परार आए न आए मिको परार आ ही गरा

जान ही द दी चजगर न आज पाए-रार पर

18

उमर-भर की बकरारी को करार आ ही गरा

जब तक तम सच म ही न िकोग उसक चरण पर--

जान ही द दी चजगर न आज पाए-रार पर

आज परमी क पर पर पराण द ददए--

उमर-भर की बाारारी को करार आ ही गरा

तभी जीवन भर की अशाचत चमिती ह और शाचत क मघ चघरत और बरसत ह तभी जीवन का अधकार

चमिता ह और सबह होती ह

काम आचखर जजबा-ए-बइचसख़तरार आ ही गरा

लदकन भावनाए चाचहए उबलती हई परािानाए चाचहए नाचती हई

काम आचखर जजबा-ए-बइचखतरार आ ही गरा

असीम आकाकषा चाचहए अभीपसा चाचहए

ददल कछ इस सरत स तड़पा उनको परार आ ही गरा

तड़पो लदकन बहत ह जो तड़पना ही नही जानत बहत ह जो चबना तड़प ही मान लत ह व ििो म पड़

जात ह व भाचतरो म उलि जात ह व अपन ही मन क सपनो म भिक जात ह

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

न तो रहना आता न परमातमा को गहना आता ह--न उस गरहण करन की कषमता ह न उस जीन की

कषमता ह--न परमातमा को अपन भीतर परचवषट होन दत हो--डर हो सब तरफ स दवार-दरवाज बद करक बि हो

न सरज की दकरण घस सक न हवा आ सक न वषाा आ सक--सब तरफ स दवार-दरवाज बद दकए बि हो जरा

भी जगह खाली नही छोड़ी ह खली नही छोड़ी ह ऐस डर हो कबर बना ली ह अपन चारो तरफ खला करो

अपन को आन दो उसकी रोशनी आन दो उसकी वषाा आन दो उसका पवन बहन दो उस तमहार भीतर

रहनी गहनी आव नाही

न तो तम गहन करत हो उस--तो रहोग कस उस जीओग कस आन दो उस भीतर दफर तमहारा

जीवन उसी स आपररत हो जाएगा लदकन शबदो म खब उलि गए हो इतन उलि गए हो दक शबदो क पीछ

बड़ा लड़ाई-िगड़ा कर रह हो जरा करान क चखलाफ बोल दो मसलमान आ गरा लकर लटठ इस करा पता ह

करान का जरा वद क चखलाफ बोल दो चल आरासमाजी आ गए िगड़ा करन जस उनह पता ह दक वद म

करा ह अपन भीतर करा ह उसका जब तक पता न हो तब तक न वद का पता होता ह न करान का पता

होता ह

सब वदो की वद सब दकताबो की दकताब भीतर ह पहल उस पढ़ो उस पढ़ चलरा तो सब शासतर पढ़

चलए उस चबना पढ़ तमन जो भी पढ़ा ह सब कड़ा-करकि ह बोि ह भार ह मचि का मागा नही ह बधन का

उपार ह उसस तम अपनी जजीर गढ़ सकत हो और सदर जजीरो को तम चाहो तो आभषण भी मान सकत

हो मगर तम कारागह म बद रहोग

जगजीवन कहत ह शबदो पर लोग लड़न को तरार ह शबदो पर ही लड़त रह ह बदध महावीर और

कषण और कराइसि का िोड़ ही कोई िगड़ा ह--कसा िगड़ा--लदकन लोगो का िगड़ा चल रहा ह ईसाई

मसलमानो को काित रह मसलमान ईसाइरो को काित रह हहदओ न बौदधो को जला ददरा--रह चलता रहा

19

मददर जलाए जात रह मचसजद उखाड़ी जाती रही शासतर चमिाए जात रह मरतारा तोड़ी जाती रही--र कौन

लोग ह जो शबदो पर लड़ रह ह शबद का इतना मलर नही ह असली मलर ह रहनी-गहनी का

रहनी गहनी आव नाही सबद कह त लरई

और अगर ऐस लोगो स तम रह भी कहो दक भाई कछ रहो कछ चजओ कछ गरहण करो तो भी लड़न

को तरार हो जात ह व कहत ह--तमन हम समिा करा ह हम कोई अजञानी ह जरा-जरा सी बात पर लोग

लड़न को तरार हो जात ह

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

कछ तो लोग कहत ह और कछ करत ह उनका कहना एक ह और कहना चबलकल चवपरीत ह और उनह

जरा भी होश नही ह दक दकस तरह स जी रह हो रह कसा धोखा रह कसा अपन को खडो म काि चलरा ह

वही कहो जो जीत हो वही जीओ जो कहत हो एकरस बनो करोदक जो एकरस होगा वही उस परम रस

को पा सकगा जो एक होगा वही उस एक को पा सकगा उस एक को पान क चलए कम स कम इतनी भीतर

तो तरारी करो दक एक हो जाओ

नही चववक कह कछ और और जञान कचि करई

सचि-बचि कछ आव नाही भजन न एकौ सरई

तमन दकतनी परािानाए की ह कोई परािाना फली तमन दकतन भजन दकए ह कोई फल लग तम

दकतनी बार मददर म िक रोशनी बरसी सब करत रह और कछ भी तो हआ नही--दफर भी तमह समि नही

आती दक करन म कही चक हो रही ह सचि बचि कछ आव नाही तमह इतनी सि-बि भी नही दकतन दफा

तम चसर पिक आए हो मददर की दहलीज पर--पारा करा ह उपलचबध करा ह जस क तस ऐस कब तक

समर को गवाए चल जाओग

कहा हमार जो मान कोई जगजीवन कहत ह सनो गनो मान लो हमारी करोदक हम जीकर कह रह

ह करोदक हम वद स नही कह रह ह रह वद हमार भीतर जनमा ह उसस कह रह ह

मन सना ह एक रहदी फकीर बोलता िा अपन अनभव की बोलता िा लदकन अनभव की बात जरा

बबि होती ह उसक सनन वाल जो आत ि चसनागाग म उनको उसकी कछ बात जचती नही िी बबि

लगती िी अतकरा लगती िी कछ तारतमर नही बिता लगता िा कछ सगचत नही मालम पड़ती िी तो एक

ददन उनहोन कहा दक हम आपको सनन आत ह हमशा लदकन कछ समि म नही आता कछ ऐसा कहो दक

हमारी समि म पड़ उसन कहा अगली बार अगली बार वह फकीर खड़ा हआ पहल उसन अपना बारा हाि

ऊपर उिारा और दो अगचलरा लोगो को ददखाई लोगो न बड़ गौर स दखा ऐस उसन कभी दकरा नही िा

दफर बोलना शर दकरा धारापरवाह लोगो को मसत कर ददरा ऐसा बोला जसा कभी नही बोला िा और जब

बोलना खतम दकरा तो ताचलरो की गड़गड़ाहि स चसनागॉग गज गरा तब उसन अपना दसरा हाि उिारा और

दो अगचलरा ऊपर उिाई

जब वह उतरा मच स तो लोगो न उस घर चलरा दक और सब तो समि म आरा मगर रह राज करा

पहल बाए हाि की दो अगचलरा उिाई दफर दाए हाि की उसन कहा र उदधरण-चचहल कोिशन माकसा रह

अपना नही िा रह सब उधार िा इसचलए तमह जचा अर मढ़ो र सब दकताब की चलखी कही र उदधरण

चचहल ि इनक बीच म जो भी कहा अपना िा ही नही सब कचरा िा इसीचलए तमह जचा तम कचर क

आदी हो गए हो म अपनी गनी कहता ह तमह जचती नही करोदक जब सीध-सीध अनभव स कछ आता ह तो

20

समिन क चलए पातरता चाचहए जब सीधा-सीधा अनभव बरसता ह ताजा और गरम तो चहममत चाचहए

अपन को खोलन की और जब सीधा-सीधा कछ आता ह तो न तो हहद होता न मसलमान होता न रहदी

होता वह फकीर इतन ददन स बोलता िा और दकसी की समि म नही आता िा उस ददन समि म आरा

करोदक उस ददन वह वही बोला जो रहदी दकताबो म चलखा ह कचरा उधार बासा

तम भी जब कोई गीता सनान लगता ह एकदम चसर चहलान लगत हो वह चसर तम आदत क वश चहला

रह हो शारद तमह िीक-िीक पता भी न हो दक करो चहला रह हो और लोग चहला रह ह शारद इसचलए

चहला रह हो बहतक दखा-दखी करही रा रह सोच कर दक जब सब चहला रह ह अपन न चहलाओ जरा

िीक नही मालम होता

माका टवन फास गरा माका टवन अमरीका का बड़ा लखक िा फास म उसक बि का बिा पढ़ता िा

उसक सवागत का समारोह हआ माका टवन आरा िा तो पररस म बड़ा समारोह हआ उस फासीसी भाषा नही

आती िी मगर उसका जो बारह-तरह साल का नाती िा उसको आती िी माका टवन न होचशरारी की उसन

कहा दक म इसको दखता रहगा इसक अनसार चलता रहगा--दकसी को पता भी नही चलगा तो जब उसका

बिा ताली बजाए तो वह भी ताली बजाए जब उसका बिा हस तो वह भी हस आचखर म वह बड़ा परसनन िा

दक दकसी को पता भी नही चल पारा दक मि फासीसी भाषा नही आती जब लौिन लग तो बि न कहा--दादा

जी आपन मरी तक बड़ी फजीहत करवाई फजीहत उसन कहा--हा करोदक जब व आपकी तारीफ करत ि

तब म ताली बजाता िा--और आप भी ताली बजान लगत ि लोग बड़ चौकत ि मरा ताली बजाना िीक

लोगो का ताली बजाना िीक आप तो कम स कम सरम रखत आप करो ताली बजात ि उनहोन कहा--हद हो

गई म तो ति ही दख कर चल रहा िा मन तो रही सोच चलरा िा दक त जो करगा वही करगा करोदक मि

भाषा आती नही

अकसर लोग वही कर रह ह जो दसर कर रह ह करोदक जीवन की भाषा उनह नही आती और जीवन की

भाषा ही परमातमा की भाषा ह और उसकी पािशाला तमहार भीतर ह

कहा हमार जो मान कोई चसदध सतत चचत धरई

अगर कोई हमारी बात मान ल तो सतर दर नही ह चचतत म ही चछपा ह चसचदध भी दर नही ह तमहारा

जनमचसदध अचधकार ह तमहारा सवरपचसदध अचधकार ह

जगजीवन जो कहा न मान भार जासए सो परई

उसकी मजी भाड़ म पड़गा

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

गीत उिन दो अपना उिन दो वाणी अपनी चखलन दो फल अपन उधार मत खरीद लाओ बाजार स ल

आ सकत हो पलाचसिक क फल चमलत ह बाजार म लिका द सकत हो वकषो म--शारद पड़ोचसरो को धोखा भी

हो जाए

मलला नसरददीन मर करीब कछ ददन रहा पड़ोस म ही उसका मकान िा रोज म उसको दखता म

िोड़ा हरान होता उसन अपनी चखड़की पर एक गमला लिका रखा िा उसम फल-पचततरा दर स बड़ परार

लगत ि म रोज उसको दखता दक वह उसम लोि स पानी डाल रहा ह लदकन पानी उसम स लोि म स कभी

चगरता ही नही खाली लोिा एक ददन मन उसस पछा दक नसरददीन चमतकार कर रह हो तम कई दफ म दख

चका कभी पानी तमहार लोि म स चगरता नही ह उसन कहा फल ही र कौन सचच ह पलाचसिक का ह मगर

21

मोहलल क लोगो को धोखा दन क चलए दक पलाचसिक का नही ह म पानी ददखान का भी ढोग करता ह रोज

सबह दक पानी डालता ह नही तो लोग समिग पानी तो कभी डालता ही नही तो फल नकली होग फल ही

कौन असली ह जो असली पानी डालो फल भी नकली ह पानी भी नकली ह

ऐसी तमहारी हजदगी ह--फल भी नकली ह पानी भी नकली ह दफर तम आनददत होना चाहत हो

आनद नकल स सभव नही ह असल होना होगा असल होन का ही परसकार ह आनद

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह

एक तो कचव होता ह चजसक भीतर स गीत उिता ह और एक होता ह तकबद तकबद क भीतर स

गीत नही उिता वह तकबदी कर लता ह वह जोड़-तोड़ कर शबदो को जमा-चबिा कर मातरा-छद का सब

चहसाब चबिा दता ह मगर होता तकबद ही ह उस तकनीक मालम ह लदकन उसक पराणो म कावय नही ह

रही तो कचव और तकबद का भद ह

और रह भद तमह सब जगह चमलगा

कोई चाह तो चचतरकला सीख सकता ह उसको रगन की कला आ जाएगी लदकन अगर उसक भीतर

चचतर ही नही जनमत अगर उसक भीतर सपन ही नही उित रगीन तो वह करा खाक चचतर बनाएगा वह रग

भरन की कला जानता ह दकसी तरह रग भर दगा नकल कर दगा िाड़ बाहर ह वस ही िाड़ बना दगा

पचिम क बहत बड़ चचतरकार चवनसि वानगॉग न इस तरह क चचतर बनाए ह दक लोग बड़ चदकत होत ि

एक चचतर म िाड़ इतन ऊच चल गए ह इतन ऊच चल गए ह दक चाद-तारो को छ गए दकसी न पछा दक

वानगॉग हमन वकष बहत दख ह मगर कोई वकष चाद-तारो को नही छता वानगॉग न कहा म कोई

फोिोगराफर नही ह चचतरकार ह फोिोगराफर तो उतना ही कर सकता ह चजतना बाहर ह म वकषो की आतमा को

पहचानता ह म इनक पास बिा ह मन वकषो क भीतर िाका और दखा ह मन वकषो का अनभव दकरा ह

माना दक चाद-तारो तक पहच नही पात लदकन आकाकषा ह पहचना चाहत ह मन सना ह कान लगा कर

उनक हदर की धड़कन को हर वकष चाद-तारो को छना चाहता ह रह म तमस कहता ह मरी मानो भरोसा

करो म उनकी भाषा जानता ह जो व नही कर पात ह वह मन उनक चलए दकरा ह

रह चचतरकार ह रह कोई फोिोगराफर नही ह फोिोगराफी म और चचतरकला म रही तो फका ह

अभी कछ ददन पहल पचिम म बड़ा तहलका मचा िा चरचाल की पतनी न चरचाल का एक बनारा हआ

चचतर चजसकी कीमत कम स कम दस लाख स लकर पचास लाख रपरा िी जला ददरा जब बनारा गरा िा

चचतर चरचाल हजदा िा लदकन जस ही चचतर बनारा गरा पतनी को पसद नही आरा चरचाल को भी पसद नही

आरा उनहोन उस तलघर म चछपा कर रख ददरा चजस चचतरकार न बनारा िा--दचनरा क बड़ चचतरकारो म स

एक दफर उस चचतर का कछ पता ही नही चला दफर चरचाल क मरन क बाद खोज-बीन शर हई दक वह चचतर

कहा ह लदकन तब भी उसकी पतनी न कछ पता नही चलन ददरा दफर अभी पतनी मरी जब पतनी मरी तब

खोज-बीन परी तरह शर हई दक अब तो चचतर चमलना ही चाचहए खोज-बीन करन स पता चला दक वह चचतर

चमला नही लदकन खबर चमली नौकर-चाकरो स दक वह चचतर चरचाल की पतनी न जला ददरा वह लाखो रपए

की अमलर चनचध जला दी करो पतनी नाराज िी चरचाल भी नाराज िा उस चचतर स चरचाल न चचतरकार स

कहा भी िा दक करा म ऐसा ददखाई पड़ता ह चचतरकार न कहा--आप ऐस ददखाई नही पड़त लदकन आप ऐस

ह रह भद भारी ह रह आपकी आतमा ह खखार चालबाज बईमान सब तरह स कपिी राजनीचतजञ को होना

पड़ता ह राजनीचत का वह धधा ह राजनीचतजञ ददखता कछ और ह होता कछ और ह चचतरकार न कहा मि

22

तमहार ददखन स करा लना-दना रह तो चार पस का कमरा भी उतार दगा--इसम रखा करा ह जो तम

ददखाई पड़त हो रह तो कमरा कर दगा इसम मि महनत करन की करा जररत ह म तो वह आक रहा ह

जो तम हो मगर वह बरदाशत नही िा उस चछपा ददरा उसको जला ददरा चचतर को

साधारण चचतरकार कमर का काम करता ह वह चचतरकार नही ह तकनीचशरन ह वासतचवक जो चचतरकार

ह वह आतमाओ म उतरता ह गहराइरो म डबता ह ऊचाइरो म उड़ता ह वह मोती लाता ह गहर सागर स

बह पद जोरर-जोरर करर गावहह ऐस तकबदी मत करो जीवन की और परमातमा को तम उधार कर सकोग

उधार जाग सकोग जी सकोग उधार पा सकोग इस भाचत म न पड़ो परमातमा तो एक गीत ह जो तमहार

पराण जब गाएग तभी तम जानोग तकबदी नही परमातमा तो एक सगीत ह जब तम शात होओग तब तमहार

भीतर जगगा उिगा और तमहार पराणो को आपररत कर दगा आकि तम भर जाओग आलहाददत हो उिोग

परमातमा वद और करान म नही ह परमातमा तमहारी शवास-शवास म ह हदर की धड़कन-धड़कन म ह

साधन कहा सो कारि-कपरिक अपन कहा गोहरावहह

शासतरो स ल-लकर उधार अपना बता-बता कर तम दकसको धोखा द रह हो हनदा करहह चववाद जहा

तह और इस कारण जगह-जगह तमह चववाद म पड़ना पड़ता ह जगह-जगह हनदा म पड़ना पड़ता ह

विा बड़ कहावहह बस एक ही शारद तमह मजा आ रहा हो दक लोग कहत ह--खब बोलन वाला दक खब

चलखन वाला दक खब सदर वचनो का धनी लदकन रह सब वचन ऊपर-ऊपर ह र िोि ह र तमहार पराणो क

नही ह इनकी जड़ तमहार अचसततव म नही ह इसस तम हो सकता ह दसरो स िोड़ी वाह-वाही ल लो िोड़

लोग ताचलरा बजा द और तमहारी परशसा कर द सतचत कर द तमहारा अहकार िोड़ा भर जाए लदकन चजतना

अहकार भरगा उतन ही तम दर चल गए परमातमा स पास आना तो दर और दर चल गए

आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

आख तो खोलो अपनी दसरो को राह बतान चल पड़ हो इस दचनरा म अगर पचडत लोगो को राह

बताना बद कर द तो बहतो को राह चमल जाए पचडतो क कारण राह नही चमल पाती उनह खद पता नही ह

लदकन बतान का मजा लत ह चजनह कछ पता नही ह धरान का व धरान पर दकताब चलखत ह चजनह कछ पता

नही ह धरान का व धरान की दीकषा दत ह चजनहोन कभी परािाना जानी नही ह व परािाना समिात ह करवात

म चदकत हआ ह रह दख कर--इस दश क बड़ स बड़ साध-सनराचसरो स सब स मरा सबध आरा--म

चदकत हआ रह जान कर कोई धरान का उनह पता नही

जनो क एक बड़ गर ह आचारा तलसी मि चनमतरण ददरा िा तो म गरा दफर दोपहर मिस अलग

चमलना चाह मन कहा अलग चमलन की करा जररत और भी बहत लोग उतसक ह सनन को दक मर आपक

बीच करा बात होगी उनको भी सनन द उनहोन कहा दक नही रह बात एकात म करन की ह मन सोचा दक

जरर उनह कोई गहरी बात पछनी होगी एकात म करन की िीक ह

एकात म चमलना हआ जो पछा वह रह िा दक धरान कस कर तो मन कहा आप सात सौ साधओ क

गर ह इनको आप करा चसखात ह इनको आप करा करवात ह आप सात सौ साधओ क बड़ पि क आचारा

ह अगर धरान भी इनको नही चसखारा ह तो दकस धोख म डाल रखा ह आपको भी पता नही ह तो आप

चसखाएग कस और चजस गर न आपको आचारा क पद पर चबिारा उसको पता िा अगर पता िा तो तमको

तो कम स कम आचारा क पद पर नही चबिा सकता िा तब स जो मिस नाराज हए ह तो नाराज ही ह

23

मन कहा म धरान समिा सकता ह करवा भी सकता ह लदकन सवाल रह ह दक रह धोखाधड़ी करा ह

दफर और दफर सबक सामन सवीकार करन म डर करा ह एकात की करा जररत ह रह जरादा साधतापणा

हआ होता दक अपन सार--कोई बीस हजार लोग इकटठ हए ि वहा--सार अपन शरावको क सामन मिस कहा

होता दक मि धरान नही आता रह जरादा साधतापणा हआ होता रह जरादा चवनमरतापणा हआ होता

लदकन िीक ह मिस पछा ह तो मन उनस धरान क सबध म बात की धरान उनह समिारा और उसका

जो उनहोन उपरोग दकरा वह कवल इतना ह दक अब वह दसरो को धरान करवा रह ह उनहोन दकरा नही ह

करोदक म कछ गलत बात उनको बता आरा िा व भी वह दसरो को समिा रह ह अगर दकरा होता तो व

गलत बात छि जाती इसचलए जान कर म उतनी शता उसम लगा आरा िा वह चजसन धरान दकरा ह वह तो

बात कह ही नही सकता वह म जानकर ही रख आरा िा िोड़ी-सी तरकीब उसम लगा आरा िा दक रह करग

तो मि पता चल जाएगा दक इनहोन दकरा दक नही दकरा लदकन अब वह चशचवर लत ह--धरान क चशचवर

दसरो को धरान करवा रह ह आप अध कछ चतत नाही औरन अिा बतावहह

औरो को अिा बतान चल पड़त ह जो कोइ राम का भजन करत ह तचह का कचह भरमावहह और

रहा तक हो जाती ह हालत दक कभी-कभी सीध-सीध लोग--जो राम स जड़ ही जात--इन बतान वालो क

कारण नही जड़ पात सीध-साध लोग चजनको वयवसिा नही ह चवचध नही ह चवधान नही ह जञान नही ह

पाचडतर नही ह शारद सरलता स चनदोषता स परमातमा को पकारत और जड़ जात--तो इनक कारण नही जड़

पात करोदक र उनको चवचध-चवधान दन को तरार खड़ ह र कहत--ऐसा करो

िालसिार की परचसदध कहानी ह एक फकीर की खब खराचत हो गई तो रस का जो सबस बड़ा धमागर

िा उसन पता लगवारा पता चला दक एक फकीर नही ह व तीन ह चदक उनका नाम नही ह दकसी का भी

कछ इसचलए व एक की तरह ही जान जात ह वह एक िील क पार रहत ह और वहा हजारो लोग उनक

दरशन को जात ह और बड़ा आनद पात ह उसन कहा रह हम पता भी नही ह और मर चबना कोई सततव को

उपलबध हो जाए रह हो नही सकता ईसाइरत म रह चनरम ह जस सरिादफकि होता ह ऐस ही ईसाई चचा

सरिादफकि दता ह सततव का दक कौन सत जब तक ईसाइरत स सरिादफकि न चमल जाए चचा स तब तक

कोई अपन को सत नही कह सकता

बड़ा नाराज हआ परधान धमागर और गरा नाव म बि कर दखा उन तीन सीध-साध आदचमरो को व

िाड़ क नीच बि ि बड़ परसनन सबह की धप िी बड़ आनददत डोल रह ि तीनो न उिकर चरण मर छए

धमागर क धमा गर तो उसी स आशवसत हो गरा दक इनहोन चरण मर छए मामला खतम हो गरा काह क सत-

वत ह वह तो बचार सीध-साध लोग ि सत ि इसीचलए चरण छए लदकन उसन सोचा जब मर चरण छ रह

ह तो बात साफ हो गई दक म इनस ऊपर ह रह भी जानत ह पछा दक तमहारा र सार सततव का इतना परचार

कस हआ उनहोन कहा हम कछ पता नही लोग आन लग हम तो समिात ह दक भाई रहा न आओ करो

भीड़-भाड़ करत हो भीड़-भाड़ छोड़ कर तो हम रहा जगल म आ गए ह मगर लोग पीछा नही छोड़त मगर

उनक चहर पर एक चमक तो िी वह तो इस अध धमागर को भी ददखाई पड़ रही िी चमक ऐसी िी दक अधा

भी दख लता कहा--लदकन तम करत करा हो तमहारी साधना करा ह उनहोन कहा हम आपस करा

चछपाना त बता द उनहोन अपन सािी स कहा उसन तीसर स कहा दक भाई त बता द व तीनो एक-दसर

पर िालन लग बड़ शरमिदा होन लग आख नीची िकान लग उस धमागर न कहा ऐसी शरमिदगी की बात करा

24

ह कोई खराब काम करत हो नही खराब काम नही करत लदकन अब आपस करा कहना कस कहना हम

परािाना इतरादद कछ आती नही हम बपढ़-चलख गवार ह तो हमन खद ही गढ़ ली ह परािाना

ईसाइरत मानती ह परमातमा क तीन रप ह परमातमा चपता परमातमा बिा--जीसस--और दोनो क

मधर म पचवतर-आतमा ऐस तीन परमातमा क रप ह तो हमन अपनी एक परािाना खद ही गढ़ ली ह दक ह परभ

तम भी तीन हो हम भी तीन ह हम तीनो पर कपा करो धमागर न सना तो चौक गरा रह परािाना उसन

कहा बद करो रह परािाना रह बकवास ह रह ह हमारी सवीकत परािाना

बड़ी लबी सवीकत परािाना उसन दोहराई

उन तीनो न कहा एक दफा और दोहरा द करोदक हम भल जाएग जब धमा-गर चलन लगा तो उनहोन

दफर पकड़ कर कहा दक एक दफा और बस एक दफा और जब वह नाव म बिन लगा तो उनहोन कहा बस एक

दफा आचखरी दोहरा द हम भल जाएग तो बड़ी मचशकल हो जाएगी दफर उसन दोहराई और वह बड़ा परसनन

हआ दक तीन भिक हए लोगो को रासत पर ल आरा और जब वह नाव म बि कर चला और बीच िील म नाव

िी तब उसन दखा दक व तीनो भागत चल आ रह ह पानी पर घबड़ा गरा जब उनको पानी पर दौड़त दखा

एक बवडर की तरह चल आ रह ह उनहोन कहा दक रको हम भल गए दफर स एक बार तब उस होश आरा

दक मन करा दकरा िक कर उनक चरण छए और कहा--तमहारी परािाना सन ली गई ह तम अपनी परािाना

जारी रखो मरी परािाना भल जाओ म तो जनम-जनम स कर रहा ह रह परािाना अभी पानी पर चलन की मरी

सामरथरा नही तमहारी परािाना सन ली गई ह तम अपनी परानी परािाना म ही लग जाओ

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह सीध-सरल लोग पहच जात ह मगर पचडत नही पहचन दत

जो कोइ राम का भजन करत ह तचहका कचह भरमावहह

जा भी ऐ नासह कहा का सद और कसा चजरा

इशक न समिा ददरा ह इशक का हाचसल मि

कह दना धमोपदशको स--जाओ भी जा भी ऐ नासह र चहसाब-दकताब की पाप-पणर की लाभ-

हाचन की सवगा-नरक की बकवास मिस मत कर

जा भी ऐ नासह कहा का सद और कसा चजरा

इशक न समिा ददरा ह इशक का हाचसल मि

मि तो परम म ही चमल गरा ह सब परम ही परम की उपलचबध ह और कछ मि पाना नही ह--न कोई

बकि न कोई सवगा न कोई नरक का मि भर ह और न मि दकसी सवगा का कोई लोभ ह इशक न समिा

ददरा ह इशक का हाचसल मि बस परम पराापत परािाना ह

माला मदरा भष दकए बह जग परमोचध पजावहह

र जो पचडत-पजारी परमातमा की पजा करत ह असल म परमातमा की पजा म इनका रस नही ह र

चाहत ह--र पज जाए लोगो क दवारा जगत इनको पज

आखो का िा कसर न ददल का कसर िा

आरा जो मर सामन मरा गरर िा

वो ि न मिस दर न म उनस दर िा

आता न िा नजर तो नजर का कसर िा

25

और जो आदमी अपन को पजवाना चाहता ह वह करा पजा करगा हा जो पजा करता ह उसकी पजा

शर हो जाती ह--रह बात और ह र दोनो एक जसी ददखाई पड़ती ह पर बड़ी चभनन ह जो परमातमा की पजा

करत-करत परमातमा म लीन हो जाता ह हजारो लोगो को उसम परमातमा क दशान होन लगत ह--उसक

वयचितव म उसकी मौजदगी म उसक अचसततव म उसकी आभा म उसक मौन म उसक शबदो म लोग उसक

परचत िकन लगत ह इसचलए नही दक उसक परचत िकत ह बचलक उसक बहान परमातमा क परचत िकन लगत ह

वह तो होता ही नही वह तो चमि गरा वह तो एक िरोखा ह उस िरोख स लोग दर क चाद-तार दखन

लगत ह

मगर जो इसी चषटा म लग ह दक हमारी पजा हो उनको परमातमा का चमलना तो बहत दर हा उनका

अहकार जरर भरगा और इस अहकार क भरन क कारण व न मालम दकतन लोगो को भिकान क कारण हो

जाएग

नाचसतको न दचनरा को नही भिकारा ह तिाकचित आचसतक पचडतो न परोचहतो न दचनरा को

भिकारा ह नाचसतक म तो म सदा एक ईमानदारी दखता ह जब कोई आदमी मिस आकर कहता ह म

नाचसतक ह म खश हो जाता ह म कहता ह तब रासता आसान ह कम स कम तम ईमानदार हो ईमानदारी

अचछी शरआत ह जब मिस कोई आकर कहता ह दक म आचसतक ह तब मि बचनी होती ह और जब मिस

कोई आकर कहता ह दक मन इतन शासतर पढ़ ह इतना जञान ह इतना अनभव ह इतन मन पररोग दकए ह इस-

इस तरह की साधना की ह इस-इस तरह क उपवास-वरत दकए ह तपिराा की ह तब तो मि उस पर बड़ी

दरा आन लगती ह करोदक वह चसफा अहकार को मजबत करक आ गरा ह परमातमा और उसक बीच चीन की

दीवाल खड़ी हो गई ह

जहत आए सो सचध नाही िगर जनम गवावहह

और ऐस पचडत-परोचहत इनह रह भी पता नही कहा स आए कौन ह म कौन ह इसका भी उततर इनह

चमला नही और िगड़ म चववाद म जीवन गवा रह ह

जगजीवन त हनदक वादी

और इनका कल धधा इतना ह हनदा करो--हहद हो तो मसलमान की हनदा करो मसलमान हो तो हहद

की हनदा करो हहद हो तो मसलमान की हनदा म रस ह ईसाई की हनदा म रस ह--हनदा म ही रस ह और

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक तम इन हनदको को भी खब पजन लगत हो

अगर हनदा का रस दखना हो तो आरासमाज क तिाकचित महरषा दरानद की दकताब सतरािा परकाश

पढ़नी चाचहए तो तमह पता चलगा दक हनदा म कसा लोग रस लत ह सबकी हनदा हनदा ही हनदा जस सब

की हनदा करन स परमातमा की परशसा हो जाएगी जगजीवन त हनदक वादी बास नका मह पावहह और

अगर ऐस लोग नरक जाए तो आिरा नही ऐस लोग रहा भी नरक म रहत ह नरक ही उनका जीवन ह दख

उनकी उपलचबध ह चववाद नही करना ह

सदाकत हो तो ददल सीनो स हखचन लगत ह वाइज

हकीकत खद को मनवा लती ह मानी नही जाती

सतर हो तो चववाद की जररत नही होती सतर की मौजदगी परमाण बन जाती ह

हकीकत खद को मनवा लती ह मानी नही जाती

सतर सवतः परमाण ह

26

र परार वचन तमहार जीवन की एक अनिी रातरा का परारभ बन ऐसी आशा करता ह सतर एक ह और

बहत बार दोहरगा जगजीवन क वचनो माः मनषर परमातमा को नही खोज सकता परमातमा ही मनषर को

खोज सकता ह तम चसफा पकारो तम परास बनो--जवलत परास--और तम जहा हो वही उसका हाि आ

जाएगा उसक हाि अनक ह इसीचलए तो हमन उसक चचतर बनाए ह अनत हािो वाल तम कहा खोजोग

तमहारी खोज म ही भल हो जाएगी खोज का मतलब ही ह दक तमन मान चलरा दक मर बस म ह पाना मर

बस म ह तो अहकार चनरमात हआ नही तमहार बस म कछ भी नही ह सब उसक बस म ह इतना ही कहो--

तरी मजी परी हो त जसा चलाए चल त जसा रख रह उिाए तो उि चबिाए तो बि चजलाए तो जीए मार

तो मर जाए लदकन तरी हर मजी म हम पर राजी हो

इस राजीपन का नाम भचि ह

और भि को चमल जाता ह--इतना चजतना पररास स कोई सबध नही पररास तो चलल भर ह परसाद

सागर भर

आज इतना ही

27

अरी म तो नाम क रग छकी

दसरा परवचन

सतसग सरोवर भचि सनान

पहला परशनः मनषर करा ह

एक अभीपसा--सवर क अचतकरमण की जस बीज चमि जाना चाह तादक वकष हो सक ऐसा ही मनषर एक

बीज ह--चमि जान को आतर तादक परमातमा हो सक

मनषर बीज ह परमातमा क फल का इसचलए चजस मातरा म जो चमिन को राजी ह उतना ही जरादा

मनषर ह और जो चमिन म चजतना सफल हो गरा उतना ही धनरभागी ह

मनषर एक परािाना ह--लीन हो जान की करोदक होन म पीड़ा ह जस नदी दौड़ती ह सागर की तरफ

पवातो को पार करती मदानो को पार करती--एक महत सागर-चमलन की परािाना चलए और सागर-चमलन म

होगा करा नदी खो जाएगी लदकन खो जान म सागर भी हो जाएगी ऐसा ही मनषर एक चतनर का सररत-

परवाह ह जो जा रहा ह अनत की तरफ

सीमा पीड़ा दती ह असीम--आनद जहा-जहा सीमा ह वहा-वहा कारागह ह मनषर एक कामना ह

सारी सीमाओ क पार पखो को खोल कर उड़ जान की

इसचलए चजस मनषर क जीवन म अपन स पार जान का सपना पदा नही हआ वह दखन म मनषर जसा

लगता हो उसक भीतर मनषरता नही जनमी ह दह स मनषर होना एक बात ह पराण स मनषर होना दसरी

बात ह पराण स मनषर होन का अिा हः आकाश न पकड़ा तमह तमहारी आख उिी चाद-तारो की तरफ

ऊचाइरो न पकारा ऊचाइरो की चनौती तमन सवीकार की अधर खाई-खडडो म रहन की अब तमहारी तरारी

नही रही--चाह व अधर दकतन ही सरकषापणा करो न हो और उन अधरो म दकतनी ही सचवधा करो न हो और

उन अधरो म अनत-अनत लोग करो न रह रह हो

ऊचाई की तरफ जो चलता ह उस अकला हो जाना होता ह करोदक भीड़ ऊचाई पर उिन का साहस

नही करती भीड़ तो भीड़ ह भड़-चाल उसकी जीवन-शली ह जहा सारी भीड़ जा रही ह वही अगर तम जा

रह हो तो तम अभी आतमवान नही हो आतमवान का अिा होता ह अकल जान की सामरथरा अपन पर इतना

भरोसा दक अकला भी जी सकगा दक अकला भी खोज सकगा

धारमाक वयचि अनगमन नही करता अनसधान करता ह धारमाक वयचि खोज करता ह चवशवास नही

करता चवशवासी को भल कर भी धारमाक मत समिना चवशवासी धोखा खा रहा ह और धोखा द रहा ह

धारमाक वयचि तब तक चवशवास नही करता जब तक जान न ल और जब जान ही चलरा तो दफर चवशवास करा

जान चलरा तो जान चलरा चवशवास नही करना होता सबह उगत सरज पर तम चवशवास िोड़ ही करत हो रा

दक करत हो रा दक चववाद खड़ा होता ह दक मान सरज को दक न मान दक आचसतक और नाचसतक होत ह

नही जब सरज उगता ह ददखाई पड़ता ह तो चवशवास अचवशवास की बात ही नही रह जाती जो ह ह

सतर को जानना ह लदकन जानन क चलए कीमत चकानी होती ह चवशवास ससता ह दो कौड़ी का ह

हहद बन जाओ मसलमान बन जाओ जन-ईसाई बन जाओ--ससती बात ह कछ खोना नही पड़ता सच तो रह

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ह हहद बन रहन म मसलमान बन रहन म लाभ ही लाभ ह करोदक भीड़ तमहार साि ह भीड़ की सचवधाए

तमहार साि ह भीड़ की सरकषा तमहार साि ह तम अकल नही हो

मनषर वही ह जो एकाकी चल पड़ रवीदरनाि न कहा हः एकला चलो र करोदक अकल चलोग तो ही

उसको पा सकोग भीड़ वहा तक जाती ही नही ह भीड़ तो रही घसीिती ह भीड़ न अभी अभीपसा ही नही की

ह अपन स ऊपर उिन की चजसक भीतर आकाकषा जगी ह दक जसा म ह जहा ह इतना ही काफी नही ह इसस

तचपत नही होती इसस परास चमिती नही भख बिती नही--कोई सरोवर तलाशना ह जहा परास बि कोई

सिान खोजना ह जहा चसर िक और कोई सागर खोजना ह जहा सारी सीमाओ को तोड़ कर म लीन हो सक

म-भाव अहकार सीमा ह चनर-अहकार सारी सीमाओ का चवसजान ह

तम पछत होः मनषर करा ह चनर-अहकार होन की खोज सीमाओ क पार जान की कामना अपना

अचतकरमण

इस जगत म मनषर क अचतररि और कोई अपना अचतकरमण नही कर सकता इसचलए सवातम-अचतकरमण

मनषर की पररभाषा ह कोई आम का वकष आम क वकष क अचतररि और कछ भी नही हो सकता--आबदध ह

नीम का वकष नीम ही रहगा कछ और होन का उपार नही अपना अचतकरमण नही कर सकता अपन स पार

नही जा सकता हसह हसह ह कतता कतता ह इसस पार जान का कोई उपार नही ह चसफा आदमी की कषमता ह

दक आदमी क पार जा सकता ह बदधतव को पा सकता ह भगवतता पा सकता ह

रह मनषर का गौरव भी ह और मनषर की रातना भी गौरव करोदक रह सभावना खली ह परा

आकाश उसका ह हाि फलाए तो सारा अचसततव उसका ह अपन आहलगन म ल ल सार अचसततव को इसचलए

गौरव

रातना भी बहत ह रातना इसचलए दक जहा भी ह वही चन नही पाएगा बचनी बनी ही रहगी और

आग और आग रह दौड़ जारी रहगी एक महत रातना भीतर मौजद रहगी तनाव बना रहगा कोई पश-

पकषी तनाव म नही ह करोदक जो ह ह कछ और होना नही ह

मनषर की तकलीफ मनषर की पीड़ा उसका चवषाद उसका सताप--दक जो ह उतन स राजी नही ह

कछ और होना ह उसक भीतर एक गहन तीर की तरह चभी हई वासना ह--कछ और होना ह आशवसत होकर

बि नही सकता--रातरा करनी ह मनषर एक रातरा ह कोई पश-पकषी रातरा नही ह मनषर-भर एक रातरा ह

और अगर धन की रातरा की पद की रातरा की तो रातरा ही रह जाओग

अगर धमा की रातरा की तो तीिा रातरा हो जाओग काशी और काबा जान स तीिारातरा नही होती

मनषर जब परमातमा होन की आकाकषा स सब कछ समरपात करन को तरार हो जाता ह तब तीिारातरा होती

ह तभी कोई पहचता ह उस पचवतर सिल पर--जहा तचपत ह जहा परम तचपत ह जहा पररतोष ह जहा पहचन

क बाद दफर आग और कछ पान को शष नही रह जाता ह उस सिान को चनवााण कहो मोकष कहो--रा जो नाम

दना चाहो

मनषर मोकष का बीज ह

मनषर एक बद ह चजसक भीतर चनवााण चछपा ह लदकन बद जब तक सागर स चमल न जाए चनवााण

परकि न हो सकगा मनषर चखल तो उसम स परमातमा की सगध उिती ह और इसचलए जब तक तम परमातमा

न हो जाओग तब तक कोई उपार नही ह सातवना का दकतना ही अपन को समिा लो दकतना ही अपन को

उलिा लो राद आती रहगी सब वयवसिा को तोड़-तोड़ कर राद आती रहगी दक तम वयिा कर रह हो जो भी

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कर रह हो सब वयिा ह रह कामधधा रह दकानदारी रह बाजार वयवसार रह सब िीक ह लदकन अभी

असली काम तमन नही दकरा ह--रह कचोि रहगी रह घाव भीतर राद ददलाता रहगा और अचछा ह दक रह

कचोि उिती रह रह कािा चभता रह करोदक रही कािा चभता रह तो शारद एक ददन तम वह हो सको जो

होना तमहारी चनरचत ह

रह काचलब स चनकल कर असल म गम हो गई

न स होत ही जदा नगमा परीशा हो गरा

जस बासरी स कोई सवर चनकल जाता ह और बासरी स अलग होत ही परशान हो जाता ह

न स होत ही जदा नगमा परीशा हो गरा

जस कोई बासरी का सवर भिक गरा ह बासरी स और परशान ह और अपन मल-सवर को अपन

मलसरोत को उदगम को खोजन चला ह ऐसा मनषर ह--बासरी स जदा हो गरा सवर परमातमा स दर चनकल

गई दकरन अपन घर स भिक गरा रातरी

रह काचलब स चनकल कर असल म गम हो गई

और एक ददन इस दह क ऊपर उि कर असचलरत म गम हो जाना ह रह काचलब स चनकल कर असल

म गम हो गई वह जो असली ह वह जो रिािा ह उसम जब तक तम लीन न हो जाओग तब तक तम बासरी

का ऐसा सवर हो जो भिक रहा ह तलाश कर रहा ह अपन मलसरोत की बचन ह तड़प रहा ह

रह जब तड़पी चनगाह-शौक आचशक बन गई

ददल जब उछला जलवागाह-हसन-जाना हो गरा

एक मका ज पर चसमि आरा जहान-आजा

कसरत-मौहम स जब ददल परीशा हो गरा

चशम-परनम जलफ आसफता चनगाह बकरार

इस पशमानी क सदक म पशमा हो गरा

वनाा करा िा चसफा ततीब-अनचसर क चसवा

ख़ास कछ बताचबरो का नाम इनसा हो गरा

ऐस तो आदमी भी करा ह--पाच महाभतो का जोड़-तोड़ वनाा करा िा चसफा ततीब--अनाचसर क

चसवा चमटटी पानी हवा का एक जोड़ और करा िा आदमी वह तो धनरभाग खास कछ बताचबरो का

नाम इसा हो गरा लदकन कछ अभीपसाए ह कछ बताचबरा ह कछ बचचनरा ह

चमटटी चमटटी ही ह अगर उसम अमत होन की बचनी नही ह दह दह ही ह अगर उसम परमातमा पान का

सपना नही जगा ह

रह पच महाभतो का जो जोड़ ह आदमी इसको ही आदमी मत समि लना रह तो कवल सभावना ह

इसक भीतर जब अभीपसा पदा हो जाएगी--अपन स पार जान की अपन स ऊपर उि जान की अपन स ऊपर

छलाग लगा जान की तब वासतचवक मनषर का जनम होता ह उस मनषर को ही हम चदवज कहत ह--चजसका

दसरा जनम हआ

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एक जनम मा क पि स होता ह एक जनम धरान स होता ह परािाना स होता ह पजा स होता ह अचाना

स होता ह दसर जनम को धरान म रखो दसर जनम क बाद ही चदवज बन कर ही तम िीक अिो म मनषर

होत हो उसक पहल नाम क आदमी हो

दसरा परशनः परमातमा की पहली िलक करा ह रह कब घरित होती ह

चचनमर जस ही तम चमि बस परमातमा की पहली िलक घरित हई तमहार रहत घरित न होगी तम

चाहो दक तमह होगी परमातमा की पहली िलक तो कभी न होगी तम रह तो िलक नही तम ही बाधा हो

कोई और बाधा नही ह--खराल रखना

अकसर लोग सोचत ह दक कछ और बाधाए ह--कमा की बाधा ह पाप की बाधा ह अजञान की बाधा ह

इनको हिा द तो परमातमा की िलक चमल जाए भल म पड़ हो न कमा की बाधा ह न पाप की बाधा ह न

अजञान की बाधा ह बाधा अगर कोई ह तो तम हो म की बाधा ह

और जब तक म न चमि जाए तब तक उसकी िलक नही जहा तक म ह वहा तक दवार बद ह सरज उगा

रह तम तक रोशनी नही पहचगी म गरा दवार खला तम चमिो तो परमातमा हो जाए

परमातमा की पहली िलक तमहारी मतर पर घिती ह तमहार चवसजान पर

आना ह जो बजम-जाना म चपनदार-खदी को तोड़ क आ

ऐ होशो-चखरद क ददवान रहा होशो-चखरद का काम नही

अगर आना ह उस परार की दचनरा म आना ह जो बजम जाना म उस परार की महदफल म आना ह

तो चपनदार-खदी को तोड़ क आ बस एक चीज को तोड़ कर आ जाओ म-भाव को तोड़ कर आ जाओ ऐ

होशो-चख़रद क दीवान और अगर तम अपनी अकल अपनी चतराई अपनी होचशरारी अपना पाचडतर

अपना चररतर अपना तराग अपनी साधता अपना महातमापन इस सब को लकर आ गए ऐ होशो-चखरद क

दीवान रा होशो-चखरद का काम नही तो वहा पहच न पाओग वहा न तो बचदधमानी की जररत ह न

चतराई की जररत ह न गचणत की न दकताब की न चहसाब की वहा चसफा एक बात की जररत ह--शनर

होकर आ जाओ तमहार शनर म उसका पणा उतरता ह तमहारी शनरता ही बस उसकी पणाता को खीच लती ह

चमिो तादक पा सको

लोग परमातमा की िलक तो पाना चाहत ह लदकन रह कीमत नही चकाना चाहत बस दफर िलक

कभी नही चमलती रा दफर जो िलक चमलती ह व उसक मन क ही खल होत ह व िलक परमातमा की नही

होती खद की ही कलपनाए होती ह कषण खड़ बासरी बजात दक राम खड़ धनषबाण चलए दक जीसस ददखाई

पड़त ह सली पर चढ़ र सब तमहार मन क ही खल ह रह तमहार मन का जाल ह परमातमा का कोई रप

नही कोई रग नही कोई गण नही परमातमा कोई वयचि नही ह दक चजसकी िलक चमलगी

परमातमा तो एक अनभव ह एक सवाद ह जो पर पराण पर फल जाता ह रोए-रोए पर फल जाता ह

परमातमा एक अनभचत ह वयचि नही जस परम की अनभचत होती ह ऐसी परमातमा की अनभचत ह परम का

कोई साकषातकार िोड़ ही होता ह--दक चमल गए और परम स दो बात की परम का आचवभााव होता ह

इक लफज-मोहबबत का अदना र फसाना ह

चसमि तो ददल-आचशक फल तो जमाना ह

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छोिा सा परम शबद ह--ढ़ाई आखर परम क कोई बड़ा शबद नही ह छोिा सा इक लफज-मोहबबत का

अदना र फसाना ह उसकी छोिी सी कहानी ह मगर उसस बड़ी और कोई कहानी नही उस छोि स शबद म

सब समा गरा ह--सार शासतर कबीर न कहाः ढाई आखर परम क पढ़ सो पचडत होर सार वद करान परान

सब उसम समा गए ह चसमि तो ददल-आचशक फल तो जमाना ह बस इस परम का ही सारा खल ह अगर

चसमि गरा तो आचशक का ददल बन जाता ह और अगर फल गरा तो परमातमा बन जाता ह

चसकोड़ो मत अपन परम को फलन दो इतना फल जाए दक सारा अचसततव तमहार परम का आगन बन

जाए इतना फल जाए दक तम बचो ही न तम धड़को जगत क पराणो म बहो वकषो की हररराली म चखलो

फलो म चाद-तारो म पहाड़ो म पवातो म इतन फलो फलत जाओ दक रह जो छोिी सी गाि तमन चसकोड़

कर अहकार की बना ली ह रह गल जाए इस इतना फला दो दक रह चमि जाए इतना चवरल कर दो दक रह

खो जाए बस दफर पहली िलक

मगर खराल रखना पहली िलक का मतलब रह नही दक तमह िलक चमलगी तम नही रहोग तब

पहली िलक रह चवरोधाभास ह

जब तक भि रहता ह तब तक भगवान नही ह और जब भगवान ह तब भि कहा भि का कभी

भगवान स चमलन नही हआ भकत चमिा तो चमलन हआ भि न रहा तो चमलन हआ इसीचलए तो

अनलहक अह बरहमाचसम का उदघोष उिा ऐसी घड़ी आती ह जब भि तो बचता नही भगवान ही शष रह

जाता ह उसी घड़ी म उदघोष उिता ह अह बरहमाचसम का म ही बरहम ह

जब तक तमह भगवान अलग ददखाई पड़ तब तक समिना अभी मन क जाल क बाहर नही गए हो

अगर भगवान तमह वहा ददखाई पड़ दर खड़ा तो समिना दक अभी तमहारा अहकार मौजद ह अभी दखन

वाला मौजद ह तो ददखाई पड़न वाला भगवान कलपना होगा जब तक दरषटा मौजद ह तब तक दशर तमहारा

कलपना-जाल ह एक ही बचना चाचहए दरषटा और दशर एक हो जान चाचहए उस घड़ी म पहली िलक

और पहली िलक चमलती ह तो पता चलता ह दक हमन जो दकरा--वही जगजीवन कल कहत ि--दक

हमन जो दकरा उसस पान का कोई कारा-कारण सबध नही ह हमारा दकरा ना-कछ ह हमारा दकरा वयिा िा

हमार दकए स जो हआ ह उसका कछ लना-दना नही ह

हमारा दकरा ऐसा ह जसा मन सना ह एक चछपकली एक महल म रहती िी चछपकचलरो म कही शादी-

चववाह िा बडबाज बज शहनाई बजी चनमतरण आरा लदकन उस चछपकली न कहा म आ न सकगी दखत

हो मरा काम अगर म जाऊ तो रह परा महल चगर जाए इस म समहाल रखती ह मि पर बड़ा दाचरतव ह

तम जो घास-फस की िोपचड़रो म रहत हो िीक ह तम चल भी जाओ तो कछ हजा नही ह लदकन रह बड़ा

महल ह भारी हाचन हो जाएगी मर जान स मरा आना सभव नही

अब चछपकली ऐसा सोच तो आिरा नही ह करोदक सभी चछपकचलरा ऐसा सोचती ह आदमी भी ऐसा

ही सोचता ह मर चबना सब असतवयसत हो जाएगा म न रहगा तो दचनरा का करा होगा महल चगर जाएग

हजदगी का तारतमर िि जाएगा रह जो म-भाव ह रह बड़-बड़ सकषम रासतो स लौि आता ह रह धमा क

नाम पर तपिराा बन जाता ह रोग बन जाता ह दफर तम सोचत हो दक मर रोग स परमातमा करीब आएगा

मरी साधना स चसचदध होगी मगर तमहारी साधना और तमहारी चसचदध म उतना ही सबध ह चजतना चछपकली

म और महल क समहलन म इसस जरादा नही

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चजस ददन िलक पहली बार उतरती ह उस ददन पता चलता ह दक म भी खब पागल िा म सोचता िा

ऐसा करगा ऐसा भोजन करगा इतनी बार भोजन करगा रात पानी न पीऊगा पानी छान कर पीऊगा

इतन कपड़ पहनगा इतन दर सोऊगा बरहममहता म उिगा ऐसा करगा ऐसा करगा इस सबक जोड़ म मि

परमातमा चमलगा जब परमातमा चमलगा तब तमह हसी आएगी दक म भी खब पागल िा करा जोड़ चबिा रहा

िा करा खारा करा चपरा दकतन कपड़ पहन दकतन नही पहन कहा रहा कस नही रहा दकतन उपवास

दकए दकतन वरत दकतन चनरम--सब ऐस वयिा हो जात ह कछ तारतमर ही नही ह जो चमलता ह इतना

चवराि ह दक अगर तमहार उपवासो स चमला हो तो दो कौड़ी का हो जाएगा तमन जो कीमत चकाई ह अगर

वही परमातमा की कीमत ह तो परमातमा पान रोगर भी नही रह जाएगा करोदक तम शीषाासन पर खड़ रह

रोज एक घिा इसचलए परमातमा चमला तो रही परमातमा की कीमत हो गई--चसर क बल खड़ रहना एक

घिा रह कोई बात हई दक तम कािो पर लि रह तो रह परमातमा की कीमत हो गई कारा-कारण का कोई

सबध नही ह चजस ददन परसाद बरसता ह उस ददन सब पररास बह जात ह जस बाढ़ आ गई और सब िाड़-

िखाड़ दकनारो क बह गए कछ पता न चला सब गरा ऐस ही तमहारी सारी साधना चली जाती ह चसचदध की

बाढ़ म

इसचलए चजनहोन जाना ह उनहोन कहा ह दक हमन जो दकरा उसस चमलन का कोई सबध नही ह रदयचप

जब तक नही चमला िा तब तक हम रही सोचत ि दक न करग तो कस चमलगा

अहकार हमशा करन की भाषा म सोचता ह इस ससार म और सब चीज करन स चमलती भी ह अगर

कछ न करोग तो धन नही चमलगा पद नही चमलगा कछ नही करोग हाि पर हाि रख बि रहोग तो बदध

बन रहोग दसर लोग मार ल जाएग हाि तमस पहल रहा तो आपा-धापी करनी होगी मार-धाड़ करनी

होगी गलाघोि परचतरोचगता ह िम-ििक करनी होगी ऐस िोड़ ही बस तम बि रह और लोग आ गए और

कहा दक आप परधानमतरी हो जाइए दक नही आपको तो होना ही पड़गा नही रहा तो बहत ििि ह रहा तो

काफी चसर-फड़ौवल होगी तब अगर घस पाए भीड़ म तो घस पाए दफर भी कछ पकका नही ह पहचत-पहचत

लोग चक जात ह चबलकल हाि पहचत-पहचत चछिक जाता ह भारी सघषा ह

तो रहा तो सब कमा स चमलता ह इसचलए हमार भीतर एक गचणत का जनम हो जाता ह दक सभी कछ

कमा स चमलता ह तो परमातमा भी कमा स चमलगा बस वही भल हो जाती ह परमातमा इस जगत क गचणत क

बाहर ह कमा स नही चमलता समपाण स चमलता ह अकमा स चमलता ह िक जान स चमलता ह सघषा स नही

चमलता आकरमण स नही चमलता चमि जान स चमलता ह जो बि रहा चप होकर शात होकर--इतना शात

होकर दक भीतर कोई तरग भी न रही--दकस अनारास घड़ी म उसका आगमन हो जाता ह पता भी नही

चलता और इसचलए बड़ स बड़ा चमतकार रही ह दक जो नही करत उनको चमलता ह जो अकमा की गहराइरो

म उतर जात ह उनको चमलता ह जो शनर की अतल तलहरिरो म डब जात ह उनको चमलता ह

पछत तम हो दक पहली िलक करा ह रह कब घरित होती ह

चचनमर जब तम चमि जाओग तब घरित होगी इसचलए चमिाओ अपन को इसचलए बह जान दो मत

बचाओ अपन को दकसी बहान मत बचाना दकसी सहार मत बचाना दकसी खिी पर अपन को िाग मत

रखना जञान की खिी हो तराग की खिी हो तपिराा की साधता की--सब जान दो सब खरिरा तोड़ डालो

कोई सहार कोई चनचमतत मत छोड़ो इतना ही तम कर सकत हो दक अपन अहकार को न बनाओ

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और मजा रह ह दक अहकार बनाओ तो ही बनता ह न बनाओ तो ह ही नही अहकार इसचलए जस ही

तमह रह समि म आ जाता ह दक अहकार क न होन स परमातमा चमलगा वस ही अहकार का बनाना धीर-धीर

शात हो जाता ह अहकार तो ऐस ही ह जस कोई आदमी साइदकल चलाता ह पडल मारता रहा तो साइदकल

चलती ह पडल मारना बद कर दो साइदकल रक ही जाएगी िोड़ी-बहत दर चल कर रक जाएगी दकतनी दर

चलगी

अहकार कोई चीज नही ह पडल मारना होता ह चनरतर तो अहकार बनता ह इसचलए अहकारी को

चनरतर कछ न कछ करन म लगा रहना पड़ता ह उपमतरी ह तो मतरी हो जाए मतरी ह तो दफर कचबनि म

पहच ददलली पहच जाए ददलली पहच गरा तो कछ और हो जाए--होता ही रह पडल उस मारत ही रहन

पड़त ह हजार रपए ह तो दस हजार हो जाए दस हजार ह तो लाख हो जाए लाख ह तो दस लाख हो जाए

उस पडल मारत ही रहन होत ह ऐसा नही ह दक दस लाख हो गए अब बस िीक ह अब करा करना ह अब

मजा कर पडल मारना बद दकरा दक चारो खान चचतत चगरोग

अहकार तो चनरतर सदकररता म जीता ह अहकार तो ऐसा ह जस नि चलता ह रससी पर अगर तम न

अहकार को गचत दो न उस भोजन दो तो अहकार चतरोचहत हो जाता ह अहकार कोई वसत नही ह

इसचलए मिस रह मत पछना दक दफर अहकार को कस चमिाए अकसर लोग वह पछन लगत ह उनस

दक कहो अहकार नही होगा तो परमातमा चमलगा तो व कहत हाः अहकार को कस चमिाए अगर तम ही

चमिाओग तो नरा अहकार पदा हो जाएगा दक म चनर-अहकारी ह दखो मन अहकार को चमिा ददरा रह और

सकषम अहकार ह और भी खतरनाक पहल स भी जरादा इसकी गहरी जड़ हो जाएगी रह दफर रकावि हो

जाएगी

इसचलए रह तो पछना ही मत दक अहकार को कस चमिाए करोदक तम अगर चमिाओग तो चमिगा

नही इतना ही समि लो दक अहकार को कस न बनाए बस इतना ही पहचान लो दक दकन-दकन तरकीबो स

हम अहकार को बनात ह उन-उन तरकीबो को चशचिल कर दो अचानक तम पाओगः अहकार चसकड़न लगा

चबखरन लगा चगरन लग उसक पतत आ गई पतिड़ जलदी ही उसकी जड़ सख जाएगी बस पानी मत दो

जलदी ही तम पाओग अहकार गरा

और चजस घड़ी अहकार गरा ततकषण परमातमा का आचवभााव हो जाता ह--पहली िलक और पहली

िलक ही तो अचतम िलक ह एक िलक चमल गई तो सब चमल गरा दफर पहल और अचतम म कछ भद िोड़

ही ह एक बार परमातमा की अनभचत हो गई दक हो गई अनभचत दफर तमहार लौिन का कोई उपार नही ह

दफर कौन अहकार की गदगी म लौिगा करो लौिगा चजसन सवगा का सख जाना दफर नरक म करो पड़गा

चजस हीर-जवाहरात चमल गए अब ककड़-पतिर करो बीनगा

कछ इस अदा स आज वो पहलनशी रह

जब तक हमार पास रह हम नही रह

ईमानो-कफ और न दचनरा-ओ-दी रह

ऐ इशक शादबाश दक तनहा हमी रह

रारब दकसी क राज-महबबत की खर हो

34

दसत-जन रह न रह आसती रह

जा और कोई जबत की दचनरा तलाश कर

ऐ इशक हम तो अब चतर काचबल नही रह

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

दकसमत म क-ए-रार की दो गज जमी रह

बस भि की इतनी आकाकषा ह--

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

मि दो दचनराओ क जो सख ह नही चाचहए व जो चवशाल दो दचनराओ क रहसर ह मि नही चाचहए

मिको नही कबल दो आलम की वसअत

दकसमत म क-ए-रार की दो गज जमी रह

उस परार क गली की दो गज जमीन ही काफी ह

इस इशक की तलाफी-ए-माफात दखना

रोन की हसरत ह जब आस नही रह

और ऐसा होता ह जब परमातमा का दशान होता ह तो रो भी न पाओग हस भी न पाओग धनरवाद

भी न द पाओग िक भी न पाओग करोदक व सारी दकरराए भी अहकार क साि गई अवाक सननािा रह

जाएगा न कोई धनरवाद उिगा न अनगरह क दो आस चगरान क उपार रह जाएग

इस इशक की तलाफी-ए-माफात दखना

रोन की हसरत ह जब आस नही रह

जब धनरवाद करन का मौका आएगा तो जबान न खलगी ओि न खलग कि अवरदध हो जाएगा जब

दो आस चगराना चाहोग पाओग दक आसओ का कछ पता नही जब चसर िकाना चाहोग चसर न पाओग जब

चाहोग दक अब नाच आनदमगन होकर तो अपन को न रोक पाओग अब नाचनवाला कहा

रह धमा का चवरोधाभास ह

जब तक तम हो रो भी सकत हो गा भी सकत हो नाच भी सकत हो--तब तक नाचन की कोई घिना

नही घिती और जब घिना घिती ह दक नाचो ऐस नाचो पागल होकर आनद म मदमसत होकर लदकन तब

कौन नाचनवाला बचा गए व ददन जब तम ि अब परमातमा ही ह ऐसी घड़ी म पहली िलक

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

फका नजदीक की और दर की आवाज म ह

बस इतना ही फका ह अभी भी तम नही हो परमातमा ही ह बस तमह भाचत ह अपन होन की दख म

भी वही सवर ह जो सख का ह इस परथवी पर भी सवगा की ही हवा ह इस सरज की दकरणो म भी उसकी ही

दकरण ह इन लोगो म भी वही धड़क रहा ह तमह पता नही ह बस इतना ही फका ह

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

35

उसी वीणा स तो आनद का सगीत उि आता ह उसी वीणा स चवरह क गीत भी पदा हो जात ह वही

वीणा ऐसा साज छड़ सकती ह दक तम नाच उिो और वही वीणा ऐसी चवरह की पीड़ा को जगा सकती ह दक

तम जार-जार रो उिो वीणा वही ह सवर भी वही ह

सोज म भी वही इक नगमा ह जो साज म ह

फका नजदीक की और दर की आवाज म ह

बस जरा सा फका ह तमन परमातमा की आवाज अभी नजदीक स नही सनी बहत दर स सनी ह वदो म

सनी ह करानो म सनी ह बाइचबल म सनी ह बहत दर स सनी ह उधार सनी ह बदधो स सनी ह नानक स

सनी ह कबीर स जगजीवन स--तमन नही सनी ह बस दर और पास की आवाज का फका ह तम सन लो सब

हो जाए

र सबब ह दक तड़प सीना-ए-हर-साज म ह

मरी आवाज भी शाचमल तरी आवाज म ह

चजस ददन जानोग उस ददन पाओगः तमहारी आवाज भी उसकी ही आवाज िी तम जो बोल ि वह भी

वही बोला िा तमह पता नही दक तमहार कि म भी वही चवराजमान ह उसक अनरिा कोई और ह ही नही

इसचलए तमह पता नही ह रह और बात ह लदकन तम हो तो परमातमा म ही मछली को पता न हो दक सागर

म ह इसस करा फका पड़ता ह ह तो सागर म ही

जो न सरत म न मानी म न आवाज म ह

ददल की हसती भी उसी चसलचसला-ए-राज म ह

आचशको क ददल-मजरह स कोई पछ

वो जो इक लतफ चनगाह-गलत-अदाज म ह

परचमरो स पछो बस एक जरा सी नजर उसकी आख का आख म पड़ जाना उसकी बाकी नजर उसकी

चतरछी नजर और कराचत घि जाती ह जो चमिाए नही चमिता िा पारा नही जाता जो खोज नही चमलता िा

वह एकदम सामन खड़ा ह और पता चलता ह सदा स सामन खड़ा िा

आचशको क ददल-मजरह स कोई पछ

वो जो इक लतफ चनगाह-गलत अदाज म ह

गोश-मशताक की करा बात ह अललाह-अललाह

सन रहा ह म वो नगमा जो अभी साज म ह

दफर तो ऐसी सकषमता पदा होती ह दक जो नगमा अभी वीणा स जगा भी नही ह अभी वीणा क तारो म

सोरा हआ ह वह भी सनाई पड़न लगता ह अभी तो वीणा बजती ह वह भी सनाई नही पड़ती ह--चबलकल

बहर हो वीणा बज रही ह और तम पछत हो--कहा ह साज कहा ह सगीत और कोरल म वीणा बज रही ह

और पपीह म बज रही ह और वकषो क पास स गजरती हवाओ म बज रही ह सागर म नाचती हई उतरती नदी

म बज रही ह तमहार कि म तमहार पड़ोसी क कि म--सब तरफ उसी की वीणा का नाद ह उसका ही नाद ह

सारी आवाज उसकी आवाज ह सब अनाहत ह

गोश-मशताक की करा बात ह अललाह-अललाह

36

सन रहा ह म वो नगमा जो अभी साज म ह

और दफर जब आख खलती ह पहचान आती ह पहली िलक चमलती ह तो जो अभी गीत पदा भी नही

हआ वह भी सनाई पड़न लगता ह अभी जो गीत गारा भी नही गरा वह भी सनाई पड़न लगता ह उसकी

मसती छान लगती ह अभी तो दशर भी ददखाई नही पड़ता तब अदशर भी ददखाई पड़न लगता ह और धमा

की अगर कोई पररभाषा करनी हो तो रही पररभाषा हः अदशर को दशर कर लन की कला जो नही ददखाई

पड़ताः जो नही ददखाई पड़ सकता उस दख लन की कला जो अवयि ह उस छ लन की कला चजस छआ नही

जा सकता

अगर सच म पछो तो कोई अगर अछत ह तो चसफा परमातमा उस छआ नही जा सकता लदकन उस छ

लन की कला का नाम धमा ह असभव को सभव बना लन की कला का नाम धमा ह

मगर कला का एक सतर बचनरादी हः तम चमिो अहकार जाए परमातमा आरा ही हआ ह बस अहकार

जाए और आख खल जाती ह और कान खल जात ह साज म सोए हए गीत भी सनाई पड़न लगत ह

तब जीवन एक अनभव ह तब जीवन एक अदभत सौदरा ह तब जीवन बहत रगीन ह तब जीवन

उतसव ह

तीसरा परशनः कषण उदधव को कहत ह मरा ऐसा चनिर ह दक सतसग और भचिरोग को छोड़कर ससार-

सागर स पार होन का दसरा उपार नही ह

करा सतसग और भचि एक ही चसकक क दो पहल ह कपा करक समिाए

नरदर सतसग ह सरोवर और भचि ह सनान सतसग सकरामक वातावरण का नाम ह जहा परमातमा की

बीमारी पकड़ जाए जहा धमा का रोग लग जाए

सतसग का अिा हः जहा कोई परमातमा को उपलबध हो गरा ह उसक पास बिना जस बीमारी सकरामक

होती ह वस ही सवासरथर भी सकरामक होता ह और जस पाप सकरामक होता ह वस ही पणर भी सकरामक होता

ह और जस जआरी क पास बि कर जआ खलन की कामनाए उिन लगती ह वस ही परािाना म लीन वयचि क

पास बिकर परािाना की तरग उिन लगती ह

हम अलग-अलग िि हए नही ह हम जड़ ह हम एक-दसर स जड़ ह जब तम जाओग चहमालर क पास

तो चजनहोन कभी ऊपर आख नही उिाई ह व भी गौरीशकर पर कार बफा को जमा हआ दख कर सरज की

रोशनी म चमकता हआ--जस सोना चपघलता हो दक चादी चपघलती हो--एक बार तो आख ऊपर उिा ही लग

जो सदा जमीन पर आख गड़ा कर चलत रह चजनकी पहचान जमीन क गडढो और नाचलरो और कड़-करकि क

अचतररि और दकसी चीज स नही ह व भी चहमालर क करीब जाएग तो एक बार तो आख उिा कर दखना ही

होगा गौरीशकर को और आख पर एक िलक पड़ जाए गौरीशकर की रातरा शर हई

सतसग का अिा होता हः दकसी ऐस वयचि क पास बि जाना जो गौरीशकर जसा हो चजसक पास बि कर

सपन पर खोलन लग चजसक पास बि कर अभीपसाए जगन लग सोई हई आकाकषाए सजग होन लग चजसक

पास बि कर परमातमा को पान का पागलपन पकड़न लग

सतसग सरोवर ह और जो उसम डबकी लगा लत ह व भि हो जात ह सतसग क चबना भचि नही कस

भचि सीखोग कहा भचि सीखोग इसका सवाद कस लगगा चजसन चखा हो शारद उसकी बात सन कर

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शारद उसकी भाव-दशा दख कर शारद उसक पास बि कर उसकी तरगो स आदोचलत होकर उसकी आखो म

िाक कर उसका हाि हाि म लकर उसक चरणो म चसर रखकर िोड़ी सी बद तमहार कि म भी उतर जाए

इतना तो पकका ह दक चजसन परमातमा को जाना ह उसक पास स तम वस ही न लौि सकोग जस गए ि रा तो

दोसत होकर लौिोग रा दशमन होकर लौिोग जो दोसत होकर लौिा उस पर भचि की छाप लगनी शर हो

गई जो दशमन होकर लौिा उसन अपन को बचान का उपार शर कर ददरा वह घबड़ा गरा दशमनी

आतमरकषा ह

जो वयचि बदध क पास स दशमन होकर लौि गरा ह उस पर नाराज मत होना करोध मत करना वह

दरा का पातर ह वह घबड़ा गरा रह जो बाढ़ आती िी बदध की उसकी तरफ वह डर गरा उसन जोर स

दकनार को पकड़ चलरा उसन बदध की बाढ़ म बहन स इनकार कर ददरा उसन कहा दक नही कोई बाढ़ ही

नही ह वह इतना भरभीत हो गरा दक उस लगा दक अगर मन एक बार और आख खोल कर दखा इस

गौरीशकर को तो दफर म अपन कदमो को नही रोक सकगा दफर र कदम रातरा पर चनकल जाएग दफर करा

होगा मन वह सब जो घर-गहसिी बना रखी ह व सब जो मन जाल फला रख ह बाजार म और अभी सब तो

अधरा ह अभी कछ तो परा नही हआ अभी बि का चववाह करना ह अभी सब तो अधरा ह अभी तो बिी को

बचचा होन वाला ह अभी नई-नई दकान का शभमहता दकरा ह अभी सब नरा-नरा ह कचचा-कचचा ह और

हमशा सब नरा-नरा रहता ह हमशा सब कचचा-कचचा रहता ह पकता रहा कछ ह नही कभी नही पकता बढ़

स बढ़ आदमी की हजदगी म सब उलिा रहता ह सलिता रहा कछ ह ही नही उलिन पर उलिन आती चली

जाती ह रह सबका करा होगा अगर म चल पड़ा इस गौरीशकर को दख कर अब इस गौरीशकर स बचन का

उपार करा ह एक ही उपार ह दक म इनकार ही कर द म कह द दक गौरीशकर ह ही नही ऐसा इनकार कर

द दक दफर रह भाव सवाल रह परशन मन म जग ही नही

इसस लोग बदधो क पास जाकर कभी-कभी दशमन होकर लौि जात ह र अपनी रकषा कर रह ह र कह

रह हाः नही कोई बदध नही ह रह आदमी भाचत म पड़ गरा ह कहा कसा परमातमा कहा कसा सतर रही

ससार सब कछ ह जो मन जाना वही िीक ह म अपन जानन को असत-वयसत नही करना चाहता ह मन बड़ी

मचशकल स िोड़ी सी दचनरा बनाई ह मत कहो मिस दक वह सब भम ह मत जगाओ मि मरी नीद स मन

सदर सपन सजोए ह म बामचशकल सपन बना पारा ह दकसी तरह दख-सवपनो स बाहर हआ ह िोड़ भल ददन

करीब आ रह ह और तम आ गए और तम कहत हो रह ससार सब सपना ह और परमातमा को खोजो

नही कोई परमातमा नही ह इनकार करना ही होगा अगर अपना ससार बचाना ह तो परमातमा को

इनकार करना ही होगा और परमातमा का जो सदश लकर आरा ह उस भी इनकार करना होगा अगर रह

बात तम अपन को समिान म राजी हो गए दक न कोई परमातमा ह न कोई परमातमा को कभी पाता ह र सब

भाचतरा ह--तो तम सरचकषत तम दफर अपन सपन म उलि जाओग

मगर बदधपरषो क पास स कोई भी तिसि नही लौि पाता रह बदधपरषो की परीकषा ह उनक पास स

रा तो कोई डब जाता ह उनक रग स भर जाता ह रा कोई दशमन होकर आ जाता ह रा तो मतरी रा शतरता--

बदधो क साि दो ही तरह क नात होत ह तीसरा कोई नाता नही होता बदधो की कोई उपकषा नही कर सकता

रह असभव ह और दशमनी करो तो तम अपन हाि स अवसर गवात हो

फचिक नीतश न कहा ह दक म ईशवर को सवीकार नही कर सकता करोदक ईशवर को सवीकार करन का

अिा होता ह दक म गलत ह और मन जो दकरा ह सब गलत ह

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नीतश ईमानदार आदमी मालम होता ह सचची बात तो कह रहा ह कम स कम दक म सवीकार नही कर

सकता ईशवर को कस कर अपन को गलत और मन जो दकरा ह सब गलत और मरी सारी हजदगी की दौड़-

धप वयिा रह अहकार क चवपरीत पड़ती ह बात इसस तो बहतर रही ह उस अजञात-अगोचर को पता नही

हो रा न हो उसको ही इनकार कर दो

दो ही उपार ह अगर परमातमा को सवीकार करत हो तो तम दफर अपनी हजदगी म उसी ढग स न रह

सकोग जस कल तक रह हो तमह हजदगी की शली बदलनी ही होगी बदलनी ही होगी कोई उपार नही ह

तमह अपनी हजदगी नर ढग स शर करनी होगी कोई उपार नही ह तमह दफर स नई बचनराद डालनी होगी

नर चशलानरास करन होग दफर स शरीगणश करना होगा

चजसम इतनी चहममत ह दक दफर स शरीगणश कर सक--हो सकता ह पचास साल जी चलरा साि साल जी

चलरा सततर साल जी चलरा--दफर स शरीगणश कर सक चजसम इतना साहस ह मौत दवार पर दसतक द रही ह

दफर स शरीगणश कर सक वही बदधो स मतरी बना पाता ह बदधो स मतरी बनान का नाम सतसग ह

नीतश िीक कहता ह दक नही मानगा ईशवर को करोदक दफर तो म गलत हआ दफर मरा दकरा-धरा सब

गलत हआ इसस तो आसान रही ह दक एक बार ईशवर को ही इनकार कर द अपन सार ससार को इनकार

करन क बजार रही उचचत ह ईशवर को ही इनकार कर द

मन सना मलला नसरददीन पर अदालत म एक मकदमा िा उसन अपनी सतरी को गोली मार दी

मचजसरि न उसस पछा दक नसरददीन ऐसा करा कारण आ गरा तो उसन कहा दक म घर आरा मन पर-परष

क साि इस सोए दखा तो मन गोली मार दी मचजसरि न पछा साधारणतः अगर तम नाराज ही इतन हो गए

ि तो उस परष को गोली करो नही मारी तो उसन कहा दक रोज-रोज नर-नर परषो को गोली मारन क

बजार एक सतरी स ही ििि छड़ा लना बहतर िा

ससार का तमहारा बड़ा चवसतार ह--दकान ह बाजार ह धन ह पद ह परचतषठा ह पररवार ह--एक

परमातमा को ही भला दना आसान मालम पड़ता ह एक परमातमा को ही गोली मार दनी आसान मालम पड़ती

ह शष सब बच जाता ह

सतसग का अिा होता हः तम बचनी म पड़ोग इसचलए पहल तो लोग सतसग स बचत ह सब तरह क

उपार करत ह अगर दकसी भल-चक स आ भी गए घिनावशात सरोगवशात आ भी गए तो भी अकड़ कर

बि रहत ह अपना बचाव करत रहत ह तरारी म रहत ह दक कस रहा स चनकल भाग कही उलि न जाए

छोि-छोि बहान खोज लत ह छोि-छोि चनचमतत कारण बना लत ह दक इस कारण अभी समर नही आरा कल

क चलए सिचगत कर दत ह दक जब समर आएगा तब और अगर ऐसा लगता ह दक हखच जा रह ह दकसी परवाह

म तो दफर करोध खड़ा होता ह--दक रह कौन ह जो मरी हजदगी क बन-बनाए खल को तमाश को नषट दकए द

रहा ह

छोि बचचो स चखलौन छीन ह कभी जो उनकी हालत हो जाती ह वही सतसग म उनकी हो जाती ह

चजनहोन चखलौनो स बहत जरादा लगाव बना चलए ह दकसी छोि बचच स चखलौना छीनना रोता ह चचललाता

ह तमह पता ह दक चखलौना ह मगर उस पता नही ह वह अपन चखलौन को अपनी छाती स लगा कर रखना

चाहता ह रात सोता भी ह तो अपन चखलौन को छाती स लगा कर सोता ह तम भी रात अपना चखलौना

छाती स लगा कर सोत हो कछ लोग अपन धन का चहसाब लगात सोत ह--वह चखलौना छाती स लगाए ह

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कोई चनाव लड़न की रोजना बनात हए सोत ह कल उि कर सबह कौन स उपदरव तमह करन ह उसका सब

आरोजन करक सोत ह चखलौन

सतसग म चखलौन छीन चलए जाएग सतसग म और कछ छीना नही जाता ह चसफा चखलौन छीन जात ह

चखलौन तोड़ जात ह

और धरान रखना अगर कही कोई साध-महातमा तमहार चखलौनो को सवारता हो तमह सातवना दता

हो तमह भरोसा-ढाढ़स बधाता हो तो समि लना दक वह सतसग नही ह सतसग तो वही ह जहा तमहार सार

चखलौन तोड़ ददए जाएग बरी तरह तोड़ ददए जाएग बरहमी स तोड़ ददए जाएग तमहार चखलौनो पर रहम

तम पर बरहमी ह तम पर रहम करना हो तो तमहार चखलौनो पर बरहम होना ही पड़गा

इसचलए सतसग किोर परदकररा ह चसफा चहममतवर की ह चसफा चजनक भीतर साहस ह दससाहस ह व

ही सतसग कर पात ह इसचलए कहा जञाचनरो नः खडग की धार ह

सतसग का अरि होता हः तम तरार हो अब अगर तमहार सपन छीन जाएग तो तम उनको बनान की

चषटा न करोग तमन खद भी खब चवषाद दख चलरा तमन हजदगी दख ली कछ पारा नही हाि खाली ह

चखलौन स भर हाि खाली हाि ह भर हाि नही ह तम समि गए इतनी समि तमह आ गई तो सतसग म

दोसती बनगी मतरी बनगी

और जो सतसग म चमतर-भाव स बि जाता ह उसम भचि का आचवभााव होता ह

सतसग सरोवर ह भचि सनान सतसग म जो नहा चलरा ताजा हो जाता ह आख नई हो जाती ह हदर

नरा हो जाता ह दखन क ढग पहचानन क ढग नर हो जात ह सारी धल हि जाती ह दफर स जनम होता ह

दफर स जीवन की शरआत होती ह--समरक शरआत होती ह जो जीवन तमन शर दकरा िा जनम क बाद वह

तो बहोशी म हआ िा तमह कछ पता न िा जो मा-बाप न करवारा वही तमन दकरा जो पास-पड़ोस क लोग

करत ि वही तम करत रह तम दखा-दखी चलत रह मददर गए तो मददर चल गए और मचसजद गए तो

मचसजद चल गए करान रित ि तो तमन करान रि ली और गीता रित ि तमन रि ली--तमन दखा-दखी की

रह सवाभाचवक भी िा बचच स जरादा आशा की भी नही जा सकती ह बचचा तो अनकरण करता ह लदकन

अभाग ह व लोग जो हजदगी भर बचकान बन रहत ह और हजदगी भर अनकरण करत रहत ह बचच तो कषमर

ह करा करत और जहा चपता गए ि वहा बचचा चला गरा िा चजस मरता क सामन मा िकी िी उसक सामन

बचचा िक गरा िा घर म सतरनारारण की किा होती िी तो उसन समिा िा--रही धमा ह और घर म रजञ-

हवन होत ि तो उसन समिा िा--रही धमा ह और कोई उपार भी तो न िा इनही लोगो स सीखना िा

बचच कषमा दकए जा सकत ह

लदकन कब तक तम बचच रहोग कब तक दखा-दखी कब तक नकल कभी तो परौढ़ बनो जब कोई

वयचि परौढ़ बनता ह तो सतसग क रोगर बनता ह तब वह अपनी तरफ स तलाश शर करता ह अब वह कहता

ह म खोजगा दकसी ऐस वयचि को चजस चमल गरा हो म उनक पीछ नही चलगा चजनह खद भी पता नही ह

जो मर ही जस अध ह म अब बिगा दकसी ऐसी आभा क पास दकसी ऐस आभामडल म जहा सतर की कोई

परतीचत हई हो

और धरान रखना अगर तम चहममतवर हो तो सतसग म पहचत ही ततकषण तमहारा हदर गवाही द दगा

दक हा िीक जगह आ गए रह गवाही बचदध की नही होती हदर की होती ह हदर कह दता ह और हदर

कभी िि नही बोलता बचदध सदा िि बोलती ह करोदक बचदध जो भी बोलती ह सब उधार ह अगर तम हदर

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खोल कर बि जाओ दकसी कबीर दकसी नानक दकसी जगजीवन क पास चबना दकसी अवरोध क भर नजर

दख लो कबीर को--तमहारा हदर कह दगा गवाही द जाएगा कोई तमहार भीतर तरग कह जाएगी तमस दक

बस आ गई वह जगह जहा िकना ह पहच गए उस सिल पर चमल गरा तीिा

हा बचदध की अगर सनी तो अड़चन होगी करोदक बचदध तो रिा-रिारा दोहराएगी

और कबीर जो कह रह ह वह सवानभत ह तमहारी बचदध और कबीर की बात म मल नही पड़गा बचदध

तो कहगीः नमाज पढ़ो और कबीर कहत हाः करो चचलला रहा ह पागल करा तरा खदा बहरा हो गरा ह

और बचदध कहती हः नमाज पढ़ो और रह कबीर कहत हाः करा तरा बहरा हआ खदा एकदम चोि लग जाएगी

बचदध को बचदध कहगीः रह बात िीक नही ह बचदध न सना ह दक काशी म मरोग तो मोकष जाओग बकि

चमलगा और रह कबीर कह रह हाः काशी भर म मत मरना करोदक काशी म मर अगर मोकष गए तो दो

कौड़ी का मोकष काशी म मरन क कारण मोकष चमलगा तो दो कौड़ी का हो गरा

लोग काशी-करवि को जात ह अनक बढ़-िढ़ काशी रहत ह जाकर इसीचलए दक वही मरना हो जाए

चजए तो नही धमा को काशी-करवि लन गए ह

कबीर कहत हाः जीओ

मरत वि कबीर न कहा--उि कर खड़ हो गए और कहा दक चलो अब मर मरन का वि करीब आ गरा

ह--हजदगी भर काशी रह--अब रहा स चलो लोगो न कहाः आप करा कह रह ह कबीर न कहाः काशी म न

मरगा चलो दर चनकल चलो काशी स

हि गए काशी स दर पास क एक गाव म जाकर मर चसफा इसीचलए रह सचना दन को दक इस सिानो

पर मरन स कोई मोकष नही होता चसिचतरा होनी चाचहए अतदाशा होनी चाचहए

जीओ धमा मरन की बात नही ह जीन की बात ह कहा मर इसस करा होगा कस चजए इसस करा

होगा कबीर को सनोग तो बचदध को तो अड़चन आएगी अगर बचदध को बीच म लाए दशमन होकर लौि

जाओग--सतसग चक गरा करोदक बचदध कहगीः वद म तो ऐसा चलखा ह करान म तो ऐसा चलखा ह गीता तो

ऐसा कहती ह और रह कबीर करा कह रह ह रह बदध करा कह रह ह रह तो बात जचती नही ह रह तो

नरक क अनकल नही ह रह तो शासतर क अनकल नही ह चक गए तम सतसग

सतसग हदर स पकड़ा जाता ह बचदध को रख दो हिाकर हदर स अनभव करो शात बि जाओ--कबीर

जस वयचि क पास जाओ तो शात बि जाना मौन बि जाना बचदध को कहनाः त चप िोड़ा मर हदर को

बोलन द िोड़ा मर हदर को डोलन द िोड़ा मर हदर को पकड़न द तरग इस वयचितव की और तम चदकत

हो जाओग तमहारा हदर जो कहगा वही चनणाारक ह अगर सतसग ह वहा अगर सतर को उपलबध हआ

वयचि मौजद ह वहा तो तमहारा हदर ततकषण समरपात हो जाएगा--ततकषण हदर को पता ह हदर को ही पता

ह बचदध को कछ भी पता नही ह बचदध अधी ह अधर म ििोलती ह हदर क पास आख ह परम की हदर को

अनभव हो जाता ह बस दफर पड़ गई भावर सतसग शर हआ बधा अनत स नाता रातरा शर हई इसम

चजतन डबोग उतनी भचि चनखरगी

सतसग म डबन स भचि चनखरती ह दफर जब भचि अपनी पराकाषठा पर पहच जाती ह तो भगवान की

उपलचबध होती ह

र तीन सीदढ़रा समि लो सतसग स शरआत ह भचि म मधर ह भगवान म अत ह मगर पहचान होती

ह हदर स

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साकी की चशम-मसत का करा कीचजए बरान

इतना सरर िा दक मि भी सरर िा

कभी दकसी परमातमा क परार को दखोग उसकी आखो म िाकोग तो उसको इतना नशा ह दक उसकी

आखो म दख कर तमह नशा हो जाएगा

साकी की चशम-मसत का करा कीचजए बरान

इतना सरर िा मि भी सरर िा

शराब पीनी भी नही पड़गी साकी की आखो म दखी लहराती शराब दक कछ न कछ नशा तम पर भी

छा जाएगा

जाचहद मगर इस रमज स आगाह नही ह

चसजदा वही चसजदा ह दक जो नग-जबी ह

तिाकचित धारमाको को कछ पता नही ह दक असली चसजदा असली परािाना करा ह जहा मािा अपन

आप िक जाए चसफा िक ही नही चमि ही जाए मददरो और मचसजदो म तम मािा िका रह हो वह कवल

आदत ह डर ह ससकार ह भाव नही और जहा भाव नही ह वहा भचि कसी जब भाव स िकता ह मािा तो

दफर उिता ही नही

चजस रग म दखो उस वो पदाानशी ह

और इस प र पदाा ह दक पदाा ही नही ह

जरा पहचान होन लग रा दकसी पहचान वाल स पहचान होन लग दक तम पाओग दक हर तरफ वही

चछपा ह और मजा रह ह दक चछपा जरा भी नही ह चजस रग म दखो उस वो पदाानशी ह हर पद क पीछ

वही ह और इस प र पदाा ह दक पदाा ही नही ह उघड़ा खड़ा ह नगन खड़ा ह परमातमा

हर एक मका म कोई इस तरह मकी ह

पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह

हर मकान म चछपा ह पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह दखन-दखन की बात ह पछन की नही

कबीर न कहाः चलखा-चलखा की ह नही दखा-दखी बात दखो हदर दखता ह बचदध पछती ह

हर एक मका म कोई इस तरह मकी ह

पछो तो कही भी नही दखो तो रही ह

मिस कोई पछ तर चमलन की अदाए

दचनरा तो र कहती ह दक ममदकन ही नही ह

दकसी परमी स पछो दचनरा स मत पछना दचनरा को करा पता तम परमातमा क सबध म उसस

पछना चजसकी आखो म तमह परमातमा का सरर चमल चजसक आस-पास परमातमा की शराब बहती हई

मालम पड़ चजसक पास बि कर तम डरन लगो दक कही डब तो न जाओग चजसक पास बाढ़ आन लग चजसक

पास तमहारा हदर एक नई उमग स आदोचलत हो उि चजसक पास तमहारा हदर एक नई तरह स धड़कन लग

शवास एक नई शली ल ल चजसक पास बि कर िोड़ी दर को तम दचनरा को भल ही जाओ दकसी और जगत क

दवार खल जाए कोई रहसर क पद उि उसस पछना और पछना करा दखना करोदक दखना ही पछन की

असली बात ह पछ-पछ स कछ भी न होगा दखना

42

सतसग दशान ह सदगर का

और कषण न उदधव स जो कहा िीक ही कहाः मरा ऐसा चनिर ह दक सतसग और भचि-रोग को छोड़

कर ससार-सागर स पार होन का और दसरा उपार नही ह

सतसग स शरआत भचि म मधर भगवान म पणााहचत

तीसरा परशनः भगवान

परभ जग स नाता तोड़ी र

म तिस नाता जोड़ी

जहा चबिाए बि रह म

जो द-द सो खा ल

जो पहनाए पहन रह म

जहा सलाए सो ल

परभ जग स नाता तोड़ी र

आराा जग भी उसका ही ह जग भी उसन ही ददरा ह नाता तोड़न की जररत ही नही ह बस उसस

नाता जोड़ो दकसी स नाता तोड़ो मत उसस नाता जोड़ो जरर उसस नाता जड़ जाए बस रही काफी ह दफर

तम अचानक पाओग दक सब म वही वयापत ह जग म भी वही वयापत ह रह सारा चवसतार उसी का ह इस

चवसतार म कही भी कछ भाचत नही ह भाचत ह हमार अहकार म भाचत ह हमार मन म

मारा जगत का नाम नही ह मारा हमार मन का फलाव ह जगत तो उसका ही ह लदकन मन न एक

फलाव कर चलरा ह जो ििा ह जो नही ह उस दख चलरा ह जो ह उस अनदखा कर ददरा ह असार को

पकड़ चलरा ह सार को छोड़ ददरा ह

जग स नाता नही तोड़ना ह रही तो मरी बचनरादी चशकषा ह जग उसका ही परकि रप ह जग म वही

चछपा खड़ा ह जग को उसकी परचतमा समिो

आराा तर मन म पराना ससकार होगा गहरा सदा स रह कहा गरा ह दक ससार स नाता तोड़ो और

परमातमा स नाता जोड़ो म कहता हाः चसफा परमातमा स नाता जोड़ो और तम पाओग दक ससार भी उसका

ही रप ह नाता तोड़न की बात ही करा करनी रहा कोई दसरा ह ही नही इसचलए म कहता हाः घर छोड़

कर मत जाओ पतनी भी मत छोड़ो बचच भी मत छोड़ो अनरिा जलदी ही उपदरव शर हो जाएगा

अब जस आराा न कहा दक परभ जग स नाता तोड़ी र अब जलदी ही इसक मन म भाव उिन लगग दक अब

करा पचत करा बचच करा घर सब छोड़ो-छाड़ो सब ििि ह हालादक त कह रही ह--

जहा चबिाए बि रह म

जो द द सो खा ल

जो पहनाए पहन रह म

जहा सलाए सो ल

परभ जग स नाता तोड़ी र

43

दफर परभ दफर रह काह क चलए जग स नाता दकसचलए तोड़ रही ह रही तो उसन जगह चनी ह

तमहार चलए सोओ खाओ पीओ--रह उसका ही इतजाम ह

मर पास रोज ऐसा मौका आ जाता ह कोई आ जाता ह वह कहता दक हम तो सब आप पर छोड़ ददए

अब जो कहग आप वही हम करग और म कहता हाः भाई अपन घर जाओ वह कहत ह दक हम जा ही नही

सकत आप जो कहग वही हम करग हम तो सब आप पर ही छोड़ ददए ह अब हम कही जान वाल नही ह

अब तो आपक चरणो म ह अब तो आपकी मजी हमारी मजी और म उनस कह रहा ह दक भाई मर तम अपन

घर जाओ अब तो रह हो ही नही सकता हम तो सब आप पर ही छोड़ ददए ह अब इनह कोई कस समिाए दक

तम करा कह रह हो अगर मि पर ही छोड़ ददए हो तो म कह रहा हाः घर जाओ वह कहत ह घर इतरादद

हम जाना नही

पराना एक ससकार ह सनरास का अिा िाः सब छोड़ दो तब परमातमा चमलगा सनरास का पराना अिा

िाः ससार और परमातमा म चवरोध ह रह बात इतनी अजञानपणा ह अगर चवरोध ही ह तो ससार हो ही नही

सकता अगर परमातमा ससार का चवरोधी ही ह तो बनाए करो तो चलन करो द तो इस सजाए करो इतन

फल करो चखलाए इतन चाद-तार करो बनाए नर-नर बचचो को जनम करो दता चला जाए

तम अगर दकसी चीज क चवरोध म हो तो तम बनाना तो बद ही कर दोग न अगर कोई कचव कचवताओ

क चवरोध म ह कचवताए रचगा नही और कोई चचतरकार अगर चचतरो क चवरोध म ह तो करो चसर फोड़गा

करो तचलका उिा कर और कनवस पर रग पोतता रहगा पागल ह परमातमा ससार को सजाए ही चला जाता

ह बनाए ही चला जाता ह चनतनतन दकए जाता ह परमातमा ससार क चवरोध म नही ह परमातमा तो ससार

म परा का परा चलपत ह डबा हआ ह--आकि डबा हआ ह रह उसकी कचत ह जस नताक अपन नतर म डबा

रहता ह ऐसा परमातमा इस जगत म डबा हआ ह

लदकन पचडतो न परोचहतो न एक चवरोध खड़ा दकरा ससार और परमातमा क बीच एक दवदव खड़ा

दकरा म तमह दवदव स मि करना चाहता ह म तमह चनदविदव दखना चाहता ह कोई चवरोध मत खड़ा करो अगर

परमातमा को रह जगत सवीकार ह तो तम कौन परमातमा स ऊपर उि कर जगत को असवीकार करन की चषटा

कर रह हो उस सवीकार ह तो तमह भी सवीकार हो रही तो अरि ह जहा चबिाए वहा बि रहो जहा सलाए

वहा सो लो जो पहनाए वह पहन लो अगर उसन मा को बनारा ह तो मा और अगर पचत को बनारा ह तो

पचत और पतनी बनारा तो पतनी और उसन घर ददरा तो घर जो उसन ददरा ह इस सरल भाव स सवीकार कर

लो--धनरवादपवाक रह उसका ही ह इसको परािानापवाक जीओ वह ह असली कराचत पचत म परमातमा दखो

पतनी म परमातमा दखो रह असली कराचत वह जो बिा तमहार घर म पदा हआ ह उसका ही रप ह उसकी ही

एक ही दकरण उतरी तमहार गभा स उसम दखो परमातमा को

धमा क नाम पर बहत अनाचार हआ ह सबस बड़ा अनाचार हआ दक लाखो लोग अपन घर-दवार छोड़कर

भाग गए अगर दकसी और कारण भागत तो हमन इनकी खब हनदा की होती लदकन उनहोन बहाना ऐसा

खोजा दक हनदा भी लोग न कर सक हम उनका सममान करन म लग गए और रह भल ही गए--उनकी पचतनरो

का करा हआ उनक बचचो का करा हआ उनक बचच चभखमग हो गए अनाि हो गए उनकी पचतनरा वशराए हो

गई इस सबका हमन चहसाब नही रखा बस एक आदमी सनरासी हो गरा हम उसक सवागत-सममान म लग

गए शोभारातरा चनकालन म लग गए रह भल ही गए दक वह जो कर आरा ह उसक पररणाम करा हए

लाखो लोगो न घर छोड़ा लाखो घर बरबाद हए इस बरबादी इस दख का चजममवार कौन ह

44

मर सनरास की धारणा आराा चबलकल अलग ह मर सनरास की धारणा हः सब उसका ह सब म वही

ह उसका ही मान कर उसका ही अगीकार करक ससार को जीओ--और एक कराचत हो जाएगी जीओ ससार म

और दफर भी तम पाओगः ससार क बाहर हो जल म कमलवत

कोई र कह द गलशन-गलशन

लाख बलाए एक नशमन

काचमल रहबर काचतल रहजन

ददल-सा दोसत न ददल-सा दशमन

बस एक ही दोसत ह एक ही दशमन ह--ददल तमहारा मन न कही और कोई दोसत ह न कही कोई और

दशमन ह छोड़ो बदलो कछ भी तो बस इस मन को बदलो

और रहा फल ही फल ह जरा दामन फलाओ और फलो स भर लो

कोई र कह द गलशन-गलशन

लाख बलाए एक नशमन

काचमल रहबर काचतल रहजन

ददल-सा दोसत न ददल-सा दशमन

फल चखल ह गलशन-गलशन

लदकन अपना-अपना दामन

फल तो चखल ह सब तरफ बात अगर कछ ह तो अपन-अपन दामन को फलान की कोई अपन दामन म

फल भर लता ह सवाचसत हो जाता ह उसका जीवन और कोई अपन दामन को चसकोड़ खड़ा रहता ह और

फलो स वचचत रह जाता ह

फल चखल ह गलशन-गलशन

लदकन अपना-अपना दामन

उमर बीती सददरा गजरी

वही ह अब तक अकल का बचपन

इशक ह परार खल नही ह

इशक ह कार-शीशा-ओ-आहन

आज न जान राज र करा ह

चहजर की रात और इतनी रौशन

आ दक न जान ति चबन कल स

45

रह ह लाशा चजसम ह मदफन

कािो का भी हक ह कछ आचखर

कौन छड़ाए अपना दामन

ऐसी भाव-दशा का नाम आचसतकता ह

कािो का भी कछ हक ह आचखर

कौन छड़ाए अपना दामन

अगर कािा भी कभी दामन म उलि जाए तो छड़ान की जलदी मत करना कािा भी उसी का ह फल तो

चनना ही काि को भी अगीकार कर लना करोदक फल ही उसक नही ह काि भी उसक ह कभी कोई दख आ

गड़ उसको भी सवीकार कर लना और तब तम चदकत होकर पाओग दक चजस काि को सवीकार कर चलरा

वही कािा फल बन जाता ह और चजस दख को भी अहोभाव स अगीकार कर चलरा वही दख का रपातरण

हआ वही सख का फल चखल जाता ह और तब चवरह की रात भी चमलन की रोशनी स भर जाती ह रह

ससार भी परमातमा स दीपत हो उिता ह

आज न जान राज र करा ह

चहजर की रात और इतनी रौशन

चवरह चल रहा ह लदकन चजस ददन भि सब को सवीकार कर लता ह--बशता चनरपवाद--काि भी फल

भी रात भी ददन भी जीवन भी मौत भी--उस ददन रह चहजर की रात रह चवरह की रात चमलन की रोशनी

स भर जाती ह

इसचलए आराा तरा भाव िीक ह लदकन और िीक करना पड़ भाव म िोड़ी सी करिनाई ह उस

करिनाई को भी चगरा द जग सवीकार ही करना ह तो दफर बशता सवीकार कर लो दफर अपनी मजी को बीच

म लाओ ही मत मजी आई दक अहकार आरा अहकार आरा दक परमातमा स दरी हई मजी गई अहकार

गरा अहकार गरा दक चसफा परमातमा ह और कछ भी नही--न कोई जग ह न कोई म ह वही ह पछो तो पता

नही चलता दखो तो ददखाई पड़ता ह

पाव उि सकत नही मचजल-जाना क चखलाफ

और अगर होश की पछो तो मि होश नही

हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

कौन सी श ह जो आगोश-दर-आगोश नही

रहा कोई चीज अलग-अलग नही ह

हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

न तो रहा सौदरा परम स अलग ह और न परम सौदरा स अलग ह रहा रात-ददन साि-साि ह रहा परमी

और पररसी साि-साि ह रहा भि और भगवान साि-साि ह रहा मारा और बरहम साि-साि ह

पाव उि सकत नही मचजल-जाना क चखलाफ

और अगर होश की पछो तो मि होश नही

46

हसन स इशक जदा ह न जदा इशक स हसन

कौन सी श ह जो आगोश-दर-आगोश नही

चमि चक चजहन स सब राद-गजशता क नकश

दफर भी इक चीज ह ऐसी दक फरामोश नही

कभी उन मदभरी आखो स चपरा िा इक जाम

आज तक होश नही होश नही होश नही

दखो र मदभरी आख तमह सब तरफ स तलाश रही ह

कभी उन मदभरी आखो स चपरा िा इक जाम

आज तक होश नही होश नही होश नही

इशक गर हसन क जलवो का ह मरहन-करम

हसन भी इशक क एहसा स सबकदोश नही

और चनचित ही परम सौदरा का बड़ा आभारी ह लदकन सौदरा भी परम का आभारी ह भि भगवान का

आभारी ह सच लदकन भगवान भी भि का आभारी ह करोदक न तो भि को भगवान क चबना चन ह और न

भगवान को भि क चबना चन ह जड़ ह सरि ह रह सारा अचसततव इकटठा ह रहा कोई चीज अलग-अलग

नही ह रहा भद न करो--जगत अलग और परमातमा अलग और मि परमातमा को खोजना ह तो जगत को

छोड़ना पड़गा--ऐस गचणत मत चबिाओ र गचणत भात ह तम जहा हो जस हो वस ही समरपात हो जाओ

जसा रख वस ही रहो जसा चजआए वस ही जीओ

जरा इस अनिी कीचमरा का उपरोग तो करो सब अपनी मजी छोड़ दो और अचानक तम पाओग--सब

गए बोि पहाड़ जस बोि ि चगर गए चनभाार हए इतन चनभाार दक चाहो तो उड़ जाओ आकाश म जमीन

का गरतवाकषाण जस काम न कर करक तो दखो कछ करना नही ह और--जहा हो जस हो वस ही सवीकार

कर लो रही उसकी मजी ह--और उसकी मजी मरी मजी

आचखरी परशनः रदद सब कछ परमातमा क हाि म ह एक पतता भी उसकी मजी क बगर नही चहलता तो

दफर वयचि की सवततरता बमानी हो जाती ह कपरा समिाए

मतरए वयचि ह ही नही कसी सवततरता वयचि हो तो सवततरता समचषट ह वयचि भाचत ह

वयचि ऐस ही ह जस सागर म एक लहर लहर सोच दक म सवततर ह िोड़ी दर मान सकती ह और िोड़ी

दर को भाचत भी बन सकती ह सवततर होन की करोदक लहर उिती ह आकाश की तरफ उततग लहर चाद-

तारो को छन को बढ़ती ह लगता ह दक सवततर ह सागर स सवततर ह दखो म अलग ह और रह भी लगता ह

दक और लहरो स भी म अलग ह--कोई लहर चगर रही कोई लहर उि रही कोई मर रही कोई जवान कोई बढ़

47

रही दकसी दसरी लहर क चगरन स म तो नही चगर रही ह--तो चनचित ही अलग ह दकसी और लहर क बढ़न

स म तो नही बढ़ रही ह चनचित ही अलग ह

लदकन करा सच म ही लहर अलग ह लहर की कोई सवततरता ह भाचत ह अहकार ह लहर सागर स

एक ह और बाकी सारी लहर भी सागर स जड़ी ह सारी लहर सागर की सागर लहरा रहा ह लहर कहा ह

सागर लहरा रहा ह लहर कहा ह

परमातमा लहरा रहा ह वयचि कहा ह वयचि भाचत ह मान लना दक म ह तो दफर सवाल उिता ह

सवततरता का कसी सवततरता

और तम रह मत सोच लना दक म रह कह रहा ह दक तम परततर हो करोदक जब सवततरता ही नही तो

कसी परततरता सवततरता-परततरता तो एक ही चसकक क दो पहल ह न रहा कोई सवततर ह--करोदक अलग नही-

-न रहा कोई परततर ह करोदक कोई पर ही नही तो परततर कस तो न कोई सवततरता ह न कोई परततरता

ह परततरता-सवततरता क चलए दो का होना जररी ह दोनो क चलए दो का होना जररी ह अगर कोई भी न

हो तम अकल होओ तो करा तम कहोग म सवततर ह दकसस सवततर और दकसस सवततर कस सवततर और

अगर तम अकल हो और कोई भी नही तो करा तम कह सकोग म परततर ह कसी परततरता दसरा ह ही नही

एक का आवास ह एक म ही लहर उि रही ह एक ही अनक जसा भासता ह

इसचलए सब सवततरता भाचत ह सब परततरता भाचत ह छोड़ो सवततरता छोड़ो परततरता छोड़ो दोनो

का मल आधार--अहकार और अहकार क जात ही जो घिता ह--परसाद जो महोतसव--उसकी तम कलपना भी

नही कर सकत उस परसाद की तम कोई धारणा भी नही कर सकत करोदक रह सवततरता-परततरता रह

अहकार--रही तो तमहार सार कषट ह सार नरक का कारण ह इनही म तो तम उलि हो और कौन कब सवततर

हो पाता ह चसकदर भी सवततर नही ह मौत आती ह तो परततर चसदध हो जाता ह और परततर स परततर

आदमी भी परततर नही ह

रनान म एक चवचारक हआ एचपिकिस उसको रनान क समराि न बलारा और कहा दक मन सना ह दक

तम कहत हो दक तमह कोई परततर नही कर सकता रह बात गलत ह एचपिकिस न कहाः तो करक ददखाए

महाराज बड़ी चहममत की चनौती िी फकीर नगा फकीर उसन कहाः तो करक ददखाए वह समराि भी बहत

दषट परकचत का िा उसन जललाद बला रख ि उसको बधवा ददरा हिकचड़रो स कहाः अब लदकन उसन

कहाः म परततर नही ह चजसको आपन परततर दकरा ह रह तो दह ह रह म नही

उसन जललादो को कहा इसकी िाग उखाड़ दो तो जललाद उसकी िाग मरोड़ कर तोड़न लग उसन

कहा दक दखो तोड़ तो रह हो लदकन अभी तक म महाराज क कछ काम पड़ जाता िा अब आग काम न पड़

सकगा--वह खराल रखना--मज स तोड़ो िाग उसकी तोड़ी जा रही ह लदकन वह ऐस कह रहा ह जस दक कोई

चीज दकसी और की तोड़ी जा रही ह कहाः मज स तोड़ो अभी तो कछ काम पड़ जाता िा अब आग काम न

पड़ सकगा--वह खराल रखना उतना म सावधान दकए दता ह

िाग तोड़ दी गई एचपिकिस हसता रहा एचपिकिस न कहा दक तम मरी दह को चाहो तो जजीरो म

डाल दो कारागह म डाल दो लदकन मि तम कद न कर सकोग म सवततरता ह

तो एक एचपिकिस ह जो कहता ह म सवततर ह--कारागह म पड़ कर िाग तोड़ी जा रही जजीरो म बधा

हआ और एक चसकदर ह जो मरत वि अनभव करता ह दक मरा सारा सामराजर सारा धन सब वयिा गरा

म मर रहा ह ऐस ही जस एक कतता मरता ह

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फका करा

दोनो ही भाचतरा ह न तो कोई परततर ह न कोई सवततर ह परमातमा ह--और एक ह तम जो भाचत

बनाना चाहो बना सकत हो अगर तमह सवततरता की भाचत बनानी ह तो शरीर स अपन को चभनन मान लना

तो सवततरता की भाचत पदा हो जाएगी अगर परततरता की भाचत बनानी ह शरीर क साि अपना तादातमर कर

लना तो परततरता की भाचत पदा हो जाएगी लदकन एक ही ह दो होत तो सवततरता-परततरता हो सकती िी

अगर तम िीक स समिना चाहो तो रह अचसततव एक परसपरततरता ह न सवततरता न परततरता

परसपरततरता इिरचडपडस सब एक-दसर पर चनभार ह

और अचतम चवशलषण म एक ही ह तमन शवास ली जब शवास तमहार भीतर गई तो तमहारी शवास हो

गई और तमन कहा मरी शवास ह और घड़ी भर पहल दकसी और की सास िी और दफर कषण भर बाद

तमहारी शवास बाहर गई दकसी और न ली उसकी शवास हो गई तमन वकष स एक नाशपाती तोड़ कर खाई

अभी तक बाहर िी अलग िी दो ददन बाद पच गई खन बन गई मास-मजजा बन गई तमहारा अग हो गई

एक ददन तम मर जाओग तमहारी कबर पर एक नाशपाती का िाड़ उगगा उसम एक नाशपाती लगगी उसम

तमहारा लह मास-मजजा सब खाद बन जाएग हो सकता ह तमहारा नाती-पोता उसको खाए--तो बापदादो को

पचा गरा

सब परसपर चनभार ह सब जड़ा ह

अगरजी क महाकचव िचनसन न कहा हः घास क एक पतत को भी चहलाओ दर-दर क चाद-तार चहल जात

ह जस तमन मकड़ी क जाल को कभी चहला कर दखा एक जरा सा धागा चहलाओ सारा जाल चहल जाता ह

एक पतता तोड़ो सारा अचसततव कप जाता ह

इसचलए तो महावीर न अहहसा की बात कही पतता भी मत तोड़ो करोदक रहा एक ही ह

इसचलए तो जीसस न कहाः दशमन को भी कषमा कर दो करोदक दशमन भी दसरा नही तम ही हो

दशमन स भी ऐसा ही परम करो जसा तम अपन स करत हो करोदक तम और दशमन ऊपर-ऊपर अलग ददखाई

पड़ रह ह भीतर-भीतर एक ह

सार धमो का सार करा ह

एक छोिा सा शबद दक रह अचसततव अदवत ह दफर इस अदवत क आधार पर सार अनशासन चवकचसत हए

ह--अहहसा का परािाना का धरान का सार अनशासन अदवत की धारणा स चनकल ह अदवत की गगोतरी स सारी

गगाए चवचार की चनकली ह मगर मलभाव समि लना चाचहए रहा न कोई सवततर ह न कोई परततर ह अगर

तम ऊपर-ऊपर स दखो पररचध पर तो परसपरततरता और अगर क दर पर दखो तो परसपरततरता भी नही ह

करोदक वहा भी करा परसपर दो ही नही ह एक ह

एक को जान लना परमातमा को जान लना ह

इसचलए तो बार-बार कहा जाता ह दक अहकारी नही जान पाएगा करोदक अहकारी मान कर चल रहा

ह दक म अलग ह उसन दो तो मान ही चलए और दो क मान लन म भाचत खड़ी हो गई दीवाल खड़ी हो गई

म पिक ह रही अजञान ह म पिक नही ह रही जञान की उदघोषणा ह अह बरहमाचसम

उददालक न अपन बि शवतकत को कहाः तततवमचस शवतकत त वही ह जरा भी चभनन नही रचमातर

चभनन नही

49

इस भाव म डबो इस भाव म गहर उतरो इस भाव म चजतनी गहराई बढ़गी उतना ही सतसग चजतना

गहरा सतसग उतनी भचि चजतनी भचि उतना भगवान करीब

दरी नही हः बस जरा साहस चाचहए--अपन को छोड़न का साहस

मनषर ह सवर को अचतकरमण करन की अभीपसा जगाओ उस अभीपसा को जागो वह अभीपसा जग

ऐसी जग दक लपि बन जाए और उसम तम जल कर राख हो जाओ इधर तम राख हए दक उधर तमहार भीतर

स नर का आचवभााव हआ--शाशवत का अमत का अमतसर पतरः

आज इतना ही

50

अरी म तो नाम क रग छकी

तीसरा परवचन

तम जानत तम दत जनाई

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

अस मन ललक चमलौ म धार

घर-आगन मोहह कछ न सहार

अस म बराकल भइउ अचधकार

जस नीर चबन मीन सखार

आपन कचह त कहौ सनार

जो समिौ तौ समचि न आर

सभरर-सभरर दख आव रोर

कस पापी कह दरसन होर

तन मन सचखत भरो मोर आर

जब इन ननन दरसन पार

जगजीवन चरनन लपिार

रह सग अब छरि न जार

अब की बार तार मोर परार चबनती कररक कहौ पकार

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहर अब सब बनचह सवार

तमहर हाि अह अब सोई और दसरो नाही कोई

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

कहौ तो कछ कहा नहह जाई तम जानत तम दत जनाई

जगत भगत कत तम तारा म अजान कतान चबचारा

चरन सीस म नाही िारौ चनमाल मरत चनरत चनहारौ

जगजीवन का अब चवसवास राखह सतगर अपन पास

मरक भी कब तक चनगाह-शौक को रसवा कर

हजदगी तिको कहा फक आए आचखर करा कर

जखम-ददल ममदकन नही तो चशम-ददल ही वा कर

वो हम दख न दख हम उनह दखा कर

51

ऐ म कबाि चमल गरा अज-मोहबबत का चसला

हा उसी अदाज स कह दो तो दफर हम करा कर

दचखए करा शोर उिता ह हरीम-नाज स

सामन आईना रख कर खद को इक चसजदा कर

हाए र मजबरररा महरचमरा नाकाचमरा

इशक आचखर इशक ह तम करा करो हम करा कर

परम का आनद ह परम की पीड़ा भी परम समाचध ह परम सताप भी सताप स सीदढ़रा बनती ह समाचध क

मददर की परम की पीड़ाओ पर ही पग धर-धर कर परम क आनद तक पहचना होता ह जो कीमत चकान को

राजी नही ह वह मददर तक नही पहच पाएगा और मददर की सीदढ़रा पतिरो स नही बनी ह पीड़ाओ स बनी

ह तमहारा धन तमहारा पद तमहारी परचतषठा कोई भी तमह उसक मददर तक न ल जाएगी जब तक दक तम

हदर को जला कर राख करन को राजी न हो जाओ

लदकन उसक मारग पर िली गई पीड़ा भी अहोभागर ह उसक चवपरीत सख भी चमल तो दभाागर

उसकी खोज म दख भी चमल तो सौभागर उस गवा कर हजदगी फलो स भी भर जाए तो आज नही कल गदगी

और बदब क चसवा कछ भी न पाओग उस खोजत हए हजदगी कािो स भी भर जाए तो हर कािा फल हो

जाएगा--अततः फल हो जाएगा उसक मागा पर फल ही ह काि जस जो मालम होत ह व भी अततः फल ही

चसदध होत ह परम की पीड़ा क चलए जो ततपर ह िलन को वही परम क मददर म चछप परमातमा को खोज पाता

तरागी वरती भी दख िलता ह मगर उसक दख म गचणत ह परमी भी दख िलता ह पर उसक दख म

गचणत नही कावय ह तरागी दख िलता ह मगर उसका दख रखा-सखा ह परमी भी दख िलता ह मगर

उसक दख म हदर की रसधार बहती ह परमी का दख हरा-भरा ह जञानी का दख आरोचपत ह ऊपर स िोपा

गरा ह परमी का दख हदर स उमगता ह और वही भद ह और भद बड़ा ह ऐसा भद चजसस दफर सार भद

पड़ जात ह

तरागी जञानी दख िलता ह व दख सतह पर होत ह कोई कािो की सज पर सोरा ह तो दह पर काि

चभत ह और दकसी न उपवास दकरा ह तो पि भख की आग स िलसता ह और कोई रात भर जागता रहा ह

तो उसकी आख िकी ह लदकन रह सब ऊपर-ऊपर ह परमी का दख हारदाक ह कािा हदर म चभता ह भख

हदर म अनभव होती ह उदासी चवषाद हदर क क दर म उमगता ह परमी का दःख आचतमक ह

और चनचित ही जो आचतमक दख उिान को तरार ह उसन कीमत चकाई उसन अपन जीवन को रजञ

बनारा जो जीवन को रजञ बना लत ह व ही पहचत ह

वो कादफर आशना नाआशना र भी ह और र भी

हमारी इचबतदा-ता-इचतहा र भी ह और र भी

तअजजब करा अगर रसम-वफा र भी ह और र भी

दक हसनो-इशक का हर एक मसलआ र भी ह और र भी

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कही जराा कही सहरा कही कतरा कही दरररा

मोहबबत और उसका चसलचसला र भी ह और र भी

वो मिस पछत ह एक मकसद मरी हसती का

बताऊ करा दक मरा मददआ र भी ह और र भी

हम उनस करा कह वो जान उनकी मसलहत जान

हमारा हाल-ददल तो बरमला र भी ह और र भी

न पा लना चतरा आसा न खो दना चतरा मचशकल

मसीबत म र जान-मबतला र भी ह और र भी

उस पाना बड़ा करिन ह और उस खो दना बड़ा आसान ह उसकी तरफ चलना बड़ा करिन उसस दर

जाना बड़ा आसान उसक पास तक चलो उसक करीब बढ़ो तो भी दख ह और उसस दर जाओ तो भी दख ह

हमारी इचबतदा-ता-इचतहा र भी ह और र भी उसस दर जाओ तो दख ह--मगर कोरा दख नपसक दख काि

ही काि चजनम फल कभी नही लगत--उसक पास चलो तो भी दख ह लदकन बड़ा चवधारक दख उसी दख की

भचम म आनद क फल चखलत ह

उस चको तो भी सताप ह तो भी अधरी रात ह और उस खोजन चलो तो भी अधरी रात ह पर एक भद

ह उसकी तरफ पीि करो तो अधरी रात का दफर कोई अत नही उसकी तरफ मह करक चल पड़ो अधरा

दकतना ही घना होता चला जाए--चजतना अधरा घना होता ह उतनी ही सबह करीब आती ह

कही जराा कही सहरा कही कतरा कही दरररा

मोहबबत और उसका चसलचसला र भी ह और र भी

न पा लना चतरा आसा न खो दना चतरा मचशकल

मसीबत म र जान-मबतला र भी ह और र भी

दख तो ऐस भी ह दख वस भी ह लदकन दखो-दखो म भद ह वयरि क चलए भी आदमी दख िलता ह

सािाक क चलए भी दख िलता ह इसचलए सभी दखो को एक ही तराज पर मत तौल लना कोई धन क चलए

भी रोता ह और कोई धरान क चलए रोता ह दोनो क आसओ का एक ही मलर मत समि लना रदयचप चवजञान

क तराज पर दोनो क आस एक जस ही ह और अगर रसारनचवद स पछोग तो दोनो क आसओ का चवशलषण भी

एक जसा ह दोनो का सवाद भी एक जसा ह--खारा कछ भद न बता पाएगा अगर रसारनचवद क पास ल गए

दकसी भि क आस दकसी परमी क आस और जो धन क चलए रोरा िा और जो पद क चलए रोरा िा उसक आस

ल गए तो भद न बता पाएगा दक कौन स आस परमी क ह कौन स पद क दीवान क ह

लदकन अतर तो ह रसारनशासतर न पकड़ पाए तो रसारनशासतर की सीमा चसदध होती ह अतर तो ह

पद क रासत पर भी आदमी रोता ह लदकन तब उसक आसओ की कोई गहराई नही कोई मलर नही उसक

आसओ म कोई सगध नही सवास नही करोदक उसक आसओ म कोई परािाना नही उसक आस नीच की तरफ

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जानवाल आस ह उसक आस नरक की रातरा पर चल ह और जब कोई उस परार क परम म रोता ह तो आस

तो आस ही जस ह लदकन रातरा का परा का परा रप बदल गरा आराम बदल गरा अब र आस आकाश की

तरफ उि रह ह अब इन आसओ को पख लग गए ह अब र आस सवगीर अब र आस ऊधवागामी

भि भी रोता ह आसि भी रोता ह मगर भद खराल रखना वासनागरसत भी नाचता ह परभ क परम म

डबा हआ भी नाचता ह वासना का भी नशा ह परािाना का भी नशा ह पर भद ख़राल रखना दःख और दःख

एक जस ही नही होत लदकन एक बात तो ह ही--परमातमा क रासत पर भी बहत पीड़ाए ह रदयचप व सभी

पीड़ाए धनरभाचगरो को उपलबध होती ह

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

जगजीवन कहत ह--जोगन हो गई ह रोती ह पकारती ह कोई उततर भी आता मालम पड़ता नही पीड़ा

सघन होती जाती ह दह पर भी भसम चढ़ा ली ह रह परतीक ह भसम ह परतीक मतर का कोई मर जाता ह

तो राख पड़ी रह जाती ह ऐस जीत जी मदाा हो गई ह दह को तो जान ही चलरा दक आज नही कल राख हो

जाएगी हो ही जाना ह राख तो हो ही गरा जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

परतीक को शबदशः मत पकड़ लना कछ नासमिो न रही दकरा ह व भसम चढ़ा कर बि गए ह व

सोचत ह भसम चढ़ा ली काम परा हो गरा भसम चढ़ाना बड़ा गहरा परतीक ह उसका अिा हः इस दह को

मदाा मान चलरा तर चबना रह दह मदाा ह तर चबना रह ससार मदाा ह त आए तो रस आए त आए तो जीवन

आए त आए तो हररराली हो त आए तो फल चखल तर चबना सब मौत ह तर चबना जीवन नही ह मरघि ह

और दसरी बात खराल रखना जस ही परमातमा की तरफ कोई परम स भरता ह परष चमि जाता ह सतरी

का आचवभााव हो जाता ह जगजीवन परष ह लदकन भाषा सतरी की बोलन लग ह--जोचगन भइउ अग भसम

चढ़ार दक म जोगन हो गई ह अग भसम चढ़ा ली ह परम की भाषा सतरण ह परष आकरामक ह वह परमातमा

की खोज पर भी चनकलता ह तो ऐस ही जस रदध क चलए चनकला हो बडबाजा बजाकर भाल इतरादद उिा

कर परमातमा की रातरा पर भी रोदधा की तरह जाता ह जस परमातमा स कोई जिना ह परष की भाषा

चवजर की भाषा ह सतरी की भाषा समपाण की भाषा ह और मजा रह ह दक जो समपाण करना जानत ह जीत

उनकी ह जो जीतन चल ह हार उनकी चनचित ह सौ परचतशत चनचित ह परमातमा स लड़ोग हारोग

परमातमा स हारोग जीत जाओग परम का सतर हः जीत हार स उपलबध होती ह

और परमातमा क साि तो अगर हमारा कोई भी सबध हो सकता ह तो परम का ही हो सकता ह और

परम का गचणत खराल रखना कभी भल मत जाना हारना ह वहा अगर जीतना हो तो हारना होगा चजस

समगरता स हार जाओग उसी पररपणाता स जीत का सहरा तमहार चसर बधगा

जोचगन भइउ अग भसम चढ़ार

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

खड-खड हो गरा ह मरा हदर िकड़-िकड़ हो गरा ह जस दपाण दकसी न पिक ददरा हो पतिर पर कब

आओग कब मर इस खड-खड हदर को जोड़ दोग पनः कब मि दफर एक कर दोग

मनषर अनक हो गरा ह अनक उसकी वासनाए ह इसचलए अनक हो गरा ह अनक उसकी आकाकषाए

ह हर आकाकषा अलग ददशा म खीचती ह कोई परब कोई पचिम कोई दचकषण कोई उततर मनषर एक ऐसी

बलगाड़ी ह चजसम सब तरफ बल जत ह इसीचलए तो जीवन म कोई रातरा नही हो पाती रातरा हो तो कस

हो एक चहससा पचिम जा रहा एक परब जा रहा एक उततर एक दचकषण सब एक-दसर क चवपरीत सघषा म

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रत ह ऐसी बलगाड़ी कही चलगी चजसम सब तरफ बल जत हो घचसि जाएगी िोड़ी बहत अचसिपजर िि

जाएग मचजल नही चमलगी मगर ऐसा ही आदमी ह

तमन अपन मन को कभी जाचा परखा कभी जागकर िोड़ा दखत हो कसी-कसी इचछाए ह और एक-

दसर क चवपरीत इचछाओ म एक तारतमर भी नही ह एक सगचत भी नही ह बड़ी चवपरीत इचछाए ह

जस एक आदमी चाहता ह दक मि सममान चमल मर अहकार की परचतषठा हो दचनरा कह दक म कछ

चवचशषट ह एक आकाकषा दसरी तरफ आदमी रह भी चाहता ह दक लोग समि दक म चवनमर ह लोग कह दक

रह ह साधपरष ऐसा चवनमर कभी दखा नही गरा अहकार का भाव ही नही छ गरा ह अब र दोनो इचछाओ

म कशमकश जारी रहगी र एक-दसर क चवपरीत चलती रहगी एक इचछा ह दक दान द बाि लदकन दसरी

इचछा हः खब इकटठा कर सपदा हो सरकषा हो अड़चन होगी एक इचछा ह दक जीवन म चनतनतन नर का

आचवभााव हो करोदक ऊब हो जाती ह परान स िक जाता ह आदमी परान स तो रोज कछ नई घिना घि

कछ नई सवदना जग कछ नई परतीचत हो एक इचछा और दसरी इचछा हः सरकषा रह सरकषा न खो जाए

सरकषा परान क साि रहती ह नर क साि असरकषा ह कौन जान नरा कसा होगा करा होगा नर का

करा भरोसा पराना जाना-माना ह पररचचत ह बहत ददन साि रहना हआ ह परान क साि रहो तो सरकषा

ह लदकन ऊब पदा होती ह नर क साि रहो तो उततजना होती ह लदकन खतरा पदा होता ह और ऐसी

अनत-अनत इचछाए ह जो एक-दसर क चवपरीत खड़ी ह

तम अपन मन को िीक स दखोग तो तम िीक वसी ही दशा पाओग जसा महाभारत क रदध म कौरव और

पाडव एक-दसर क चखलाफ खड़ ह तमहार भीतर महाभारत का रदध चल रहा ह इस तरफ भी अपन ह उस

तरफ भी अपन ह एक ही वयचि अनक-अनक खडो म बि गरा ह अखड कस होओग वासनाओ म जीकर

कोई अखड नही होता परािाना अखड करती ह करोदक परािाना एक ह परमातमा अखड करता ह करोदक

परमातमा एक ह एक की आकाकषा परमातमा की आकाकषा ह उस एक का पदापाण हो जाएहवजगजीवन िीक

कहत ह--

कब मोरा चजररा जड़इहौ आर

म तो िि गरा म तो पार जसा चछतर-चबतर हो गरा ह तमहारा परस-सपशा न चमल तो म दफर इकटठा

होऊ इसकी आशा दराशा मालम होती ह

लागत अषाढ़ बाढ़ी चवरहा की बाढ़

उए अजनी पहाड़ बही ननन सौ नददरा

हई गई चनपती त सपती धरती की गोद

वार वस आकर प रीचि गई बददरा

चपरा परदश लाग सनो-सनो वष--

रोव हीरामचन चनरी प धानी रग अचगरा

हरर हारो अगना री िरर हारो कगना

चनहारर हारो कजरा बलार हारी हबददरा

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पकारत-पकारत बहत दर हो गई ह जनमो-जनमो स खोज रह ह

हरर हारो अगना री िरर हारो कगना

चनहारर हारो कजरा बलार हारी हबददरा

बरी हार हो गई ह पराजर म खड़ ह िि-चबखर खड-खड असत-वयसत एक खडहर हो गए ह आओ

तम तो दफर मददर बन उतरो तम तो तमहारी मौजदगी दफर िि खडो को चनकि ल आए सघरित कर द

अस मन म ललक चमलौ धार

मन म ललक तो बहत ह दक चमल जाऊ तमस आकर पर तमहारी कपा न हो तो करा हो म तो बहत

चाह दक खोज ल तमह लदकन दसरी तरफ स हाि न फलारा जाए तो मर हाि बड़ छोि ह ललक तो उिती ह

बहत पर मरी सीमा ह--मरी ललक की भी सीमा ह छोिा सा ददरा ह लपि उिती भी ह तो दकतनी बड़ी

उिगी दीए का तल भी िोड़ा ह बाती भी छोिी ह

अस मन म ललक चमलौ धार

होती तो बहत ललक ह रह मरा मन बार-बार परजवचलत हो उिता ह करोदक ददखाई पड़ रही ह सारी

वयिाता और ददखाई पड़ रहा ह सारा अपना चवचकषपत रप--िि गरा खड-खड चबखर गरा सब भाचत--रह सब

ददखाई पड़ रहा ह रह खडहर हो गरा ह रह मि मालम पड़ रहा ह तम आओ तो दफर घर बस ललक तो

उिती ह पकारता भी ह लदकन मरी सीमा ह

घर-आगन मोहह कछ न सहार

अब कछ भला भी नही लगता--न कोई घर ह न कोई आगन बचा--रहन वाला ही िि गरा रहन वाला

ही मदाा ह मरघि हो गरा ह सब दकसी तरह ढो रह ह तम हजदगी को ढो रह हो जी नही रह जीन की

ललक कहा जीन की पलक कहा जीन का उतसाह कहा जीन की उमग कहा तमहार परो म नतर तो नही

और न तमहार पराणो म गीत ह बासरी कब की नही बजी कब स सवर खो गए ह कब स तमहारा अपन मल

रप स चमलन नही हआ परदश भिकत-भिकत भीख मागत-मागत तम भल ही गए हो अपनी बादशाहत

घर आगन मोहह कछ न सहार

अस म बराकल भइउ अचधकार

जस नीर चबन मीन सखार

और अचधक स अचधक मरी पीड़ा होती जाती ह पीड़ा का अत तो दर पीड़ा बढ़ गई खड-सगरित हो

रह तो दर छोि-छोि खड और छोि-छोि खडो म िित जा रह ह चवमचि आए इसका तो सपना भी दखना

मचशकल ह चवचकषपतता बढ़ती चली जाती ह कभी बि कर घड़ी भर अपन मन म िाकना और तम पागल भीड़

पाओग वहा चवचारो की वासनाओ की आकाकषाओ की तम खद ही चौकोग दक म कसा पागल ह रह भी कोई

होना ह रह शोरगल भीतर रह बाजार भीतर रह कोलाहल भीतर करा इस कोलाहल क रहत जीवन क रस

का कोई अनभव हो सकगा करा उस कोलाहल क चलत जीवन क सौदरा स कछ सबध हो सकगा सतर स

कोई चमलन हो सकगा हालत वसी ही ह जस नीर चबन मीन सखार जस दकसी न खीच ली हो सागर स

मछली और डाल दी हो सख ति पर जलती हो धप बरसती हो आग सरज स और मीन तड़फती हो और मीन

चाहती हो दक वाचपस सागर चमल जाए जगजीवन कहत ऐसी मरी दशा ह

ऐसी परतरक की दशा ह

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तम चाह मानो भी न--करोदक मानन म भी तकलीफ होती ह करोदक मानन का मतलब होता ह दफर

सागर की तलाश करनी होगी तमन तो इस जलती हई रत म ही घर बना चलरा ह तमन तो इस सरज स

बरसती आग को ही अपना अचसततव समि चलरा ह तम तो मान ही चलए हो दक रही ह होन का ढग और कोई

ढग होता नही अधारमाक आदमी म उसको ही कहता ह जो मानता ह दक जसी हजदगी चल रही ह बस हजदगी

की रही एक शली ह रही एक उपार ह और कोई हजदगी होती नही धारमाक म उस कहता ह जो कहता हः

रह अगर हजदगी ह तो हजदगी वयिा ह हजदगी का कोई और ढग होना ही चाचहए हजदगी की कोई और शली

होनी ही चाचहए मि भल पता न हो--तो खोजगा

अधारमाक कहता ह कोई ईशवर नही ह उसका करा पररोजन ह कहन स दक ईशवर नही ह उसका इतना

ही पररोजन ह दक जसा जीवन ह बस ऐसा ही जीवन ह इसस अनरिा कोई जीवन नही ह मत उिाओ आख

ऊपर ऊपर कछ भी नही ह कोरा आकाश ह और मत पकारो दकसी को कोई उततर न कभी आरा ह और न

आएगा मत खोजो कछ और जगत म कछ भी रहसर नही बस रही कड़ा करकि रही हजदगी ह इसी घास-

फस म दकसी तरह जी लो गजार लो चार ददन रह हजदगी एक दघािना ह चमटटी-चमटटी म चगर जाएगी रहा न

कछ पान को ह न कछ खोन को ह एक दख-सवपन ह भोग लो गजार लो--अचछ दक बर जो आदमी कहता ह

ईशवर नही ह वह रही कह रहा ह दक जसी हजदगी ह इसस अनरिा हजदगी की बात मत उिाओ करोदक तम

अनरिा हजदगी की बात उिात हो तो दफर मि पररवरतात होना पड़ अगर सागर कही ह तो दफर मछली कस

रत म घर बनाए अगर सागर कही ह और सागर की शीतलता कही ह तो दफर कस मछली सरज की तपती

धप को अगीकार कर दफर घर-आगन कछ भी सहाएगा नही दफर एक खोज पकड़ लगी पराणो को मि

डालगी दफर एक परचड ििावात आएगा जीवन म अनवषण का जनम होगा अनसधान शर होगा

नह की बद िरी बदरी

पसरी-पसरी सब दह चपरानी

भीजत खीजत छोचड़ गरो

कर मीजचत हौ मरी बात न मानी

सनी अिारी किारी लग

सचन कोरल कीर मरर की बानी

गाज चगर ऐस मौसम प

जाम भीतर आचग औ बाहर पानी

हजदगी अभी ऐसी ह

गाज चगर ऐस मौसम प

जाम भीतर आचग औ बाहर पानी

बाहर ही बाहर सब रोशनी ह भीतर अधरा बाहर-बाहर सब िोि आरोजन शीतलता क भीतर

जलती परचड अचगन

सनी अिारी किारी लग

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सचन कोरल कीर मरर की बानी

और जब तक परमातमा स परार स चमलन नही हआ ह सनी अिारी किारी लग तब तक सब सना ह

समिा लो बिा लो िि सपन दख लो--रह मरी पतनी रह मरा पचत रह मरा बिा रह मरा भाई--दकसी

तरह भलाए रखो अपन को सग-साि म समिाए रखो मगर रह सब समि मौत आएगी उखाड़ जाएगी र

कागज की नाव डब जाएगी इनक सहार कोई कभी पार नही हआ ह

सनी अिारी किारी लग

सचन कोरल कीर मरर की बानी

और चजसको राद आनी शर हो गई सागर की उस कोरल की पकार कह-कह की पकार अनत स आती

अपन परार की पकार मालम होन लगी किारी जसी लगगी और जब पपीहा पकारगाः पी कहा तो उसक

पराणो म भी पकार उिगी दक पी कहा परार को खोकर हम जी रह ह सागर को खोकर मछली पड़ी ह जस

नीर चबन मीन सखार ऐस हम सख रह ह चजसको तम हजदगी कहत हो रह धीम-धीम मरन क अचतररि

और करा ह आचहसता-आचहसता आतमघात और करा ह सतसग म अगर कभी तमह एकाध बद का अनभव हो

जाए तो तमह सागर की राद आन लग

इसचलए सतसग सरोवर ह भचि सनान

नह की बद िरी बदरी पसरी-पसरी सब दह चपरानी

एकाध बद तमहार भीतर उतर जाए तो तमह पता चल दक जल भी ह और परासा रहना चनरचत नही ह

अगर तम परास हो तो तमहारा ही उततरदाचरतव ह तमन तलाश सरोवर की नही की रही इसी जमीन पर

रही तमहार बीच ऐस लोग सदा रह ह सदा ह सदा रहग जो तपत हो गए ह जो सख नही रह ह जो रोज हर

हो रह ह चजनह परम जीवन चमल गरा ह चजनह ऐसा जीवन चमल गरा ह चजसका कोई अत नही आता

चजनहोन शाशवत को पहचाना ह चजनक हाि परमातमा क हाि म पड़ गए ह और चजनहोन अपन हदर को

उसक हदर म डबा ददरा ह चजनहोन अपनी बद को उनक सागर म उतर जान ददरा ह

आपन कचह त कहौ सनार

जो समिौ तौ समचि न आर

जगजीवन कहत ह म रोऊ भी तो दकसक सामन रोऊ समिगा कौन लोग हसग करोदक लोगो न तो

हजदगी बना ली ह घर-आगन म ही सब समापत हो गरा ह सारा आकाश उनहोन अपना आगन समि चलरा ह

और अपन घर को सारा अचसततव मान चलरा ह तड़फ रह ह सड़ रह ह गल रह ह सख रह ह लदकन रही

उनकी हजदगी की पररभाषा ह

आपन कचह त कहौ सनार

म दकसी स कहन भी जाऊ अपनी पीड़ा तो दकसस कह इसीचलए तो भि न परािाना खोजी परािाना की

खोज क बचनरादी कारणो म एक कारण रह ह दक दकसी और स कहन का कोई अिा नही मालम होता तो

परमातमा स ही कहन क चसवार और कोई उपार नही ह तो भि उसी स कह लता ह उसी क सामन रो लता

ह आस बहा लता ह चनवदन कर लता ह उततर आए रा न आए रह सवाल नही ह एक बात तो कम स कम

िीक ह दक परमातमा सन रा न सन कम स कम हसगा तो नही पागल तो न समिगा उततर न भी आएगा तो

चलगा

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लदकन इस जगत म दकसी स अगर कहो तो लोग हसग धारमाक आदमी को दख कर लोग सदा हस ह

हसी उनकी आतम-रकषा ह हसत ह करोदक उनह डर पदा होता ह दक हो न हो कौन जान रह आदमी सही हो

अगर रह आदमी सही ह तो उनक पर क नीच की जमीन चखसक गई इस आदमी को गलत होना ही चाचहए

तो ही उनक पर क नीच जमीन चिर रहती ह अगर बदध सही ह तो तम गलत हो गए अगर कषण सही ह तो

तमहारा भवन चगरा तम दोनो सही नही हो सकत साि-साि बदध क और तमहार सही होन म कोई समिौता

नही हो सकता

इसचलए लोग जब बदध जीचवत होत ह तो बदध स बचत ह और जब बदध मर जात ह तो उनकी पजा करत

ह दोनो तरकीब बचन की ह हजदा होत ह तो बचत ह करोदक सनन म खतरा ह कौन जान कोई बद कि म

उतर ही जाए तमहार बावजद उतर जाए तम चाहत भी न हो और उतर जाए कोई बात समि म पड़ ही

जाए तो दफर मचशकल हो जाएगी इसचलए बचत ह चवरोध करत ह और जब बदध मर जात ह तो बचन की

और भी अचछी तरकीब चमल जाती ह तो दफर पजा करत ह दफर उनकी मरता बना लत ह लदकन समित

कभी भी नही रा तो गाली दत ह रा पजा करत ह और खराल रखना दोनो म कछ भद नही ह हजदा हो तो

गाली दत ह मर जाए तो पजा करत ह मर को तो वस भी कोई गाली नही दता न बरा स बरा आदमी भी मर

जाए तो भी गाव क लोग परशसा करन लगत ह

एक आदमी न मलला नसरददीन को फोन दकरा दक भाई िीक तो हो नसरददीन न कहा दक ऐसा पछन

का कारण और उस आदमी न दफर पछा दक कहा स बोल रह हो नसरददीन न पछा दक बात करा ह मामला

करा ह उस आदमी न कहा कछ नही गाव म लोगो को तमहारी परशसा करत सना तो मि शक हआ दक कही

मर तो नही गए करोदक रहा जब कोई मर जाता ह तभी लोग परशसा करत ह

मन सना ह एक गाव म एक आदमी मरा--उस गाव का बड़ा उपदरवी आदमी िा ऐस तो नता िा नता

जी कहलाता िा--मगर नता जी जस होत ह बड़ा उपदरवी िा गाव उसस परशान िा मरा तो सारा गाव

परसनन हआ ददल ही ददल लोग खश हए लदकन नता िा उसक शाचगदा भी ि--दादा िा गाव म उसक और

मानन वाल भी ि--तो सार गाव को जाना तो पड़ा ही मरघि करोदक मरकर भी उसकी ताकत तो िी ही

उलल भी जाए तो औलाद तो छोड़ ही जात ह

अब बड़ी मसीबत वहा रह आई दक गाव क लोगो स कहा गरा दक कछ परशसा म बोलो नताजी की अब

नताजी मर गए ह तो उनकी समाचध परहवतो लोग एक-दसर का मह ताक लोग बहत सोच दक बोल करा

इनकी परशसा म ऐसा तो कभी इसन कछ दकरा ही नही िा चजसकी परशसा की जा सक आचखर जब कोई

उपार न हआ तो गाव क एक पचडत जी को लोगो न कहा अब आप ही कछ आप शासतर क जञाता ह वद-

पराण क जञाता ह आप ही कछ ऐसी बात कहो दक मामला िल--कछ तो कहना ही पड़गा मर गरा आदमी तो

उसकी परशसा म कछ दो शबद तो कहो पचडत न खड़ होकर कहा दक नता जी चल गए पाच भाई और छोड़ गए

ह पीछ उन पाच भाइरो की तलना म व दवतातलर ि और तो कछ उसको भी नही सिा दक अब वह कह

करा रह बात गाव क लोगो को भी जची दक रह बात सच ह व पाच भाई तो और पहच हए ह

कोई मर जाए तो परशसा करनी ही होती ह दफर कछ हनदा का कारण भी नही रहा और जब बदध जस

वयचिरो की हम बहत हनदा करत ह उनक जीवन म तो हमार भीतर एक अपराध-भाव पदा हो जाता ह

करोदक कही पराणो क दकसी अतसतल म कोई कहता तो ह दक हम गलत कर रह ह हमार पराणो क पराण म कोई

सवर गजता तो ह दक हम गलत कर रह ह करना पड़ता ह करोदक हमार जीवन की सरकषा इसम ह नही तो

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हमारी दकान करा हो हमारा बाजार करा हो हमार सबधो का करा हो अगर बदध की सन तो हमारी हजदगी

का सारा का सारा इतजाम असतवयसत हो जाता ह चजसको हमन हजदगी कहा ह वह तो असतवयसत हो जाती

ह तो चवरोध तो करना पड़ता ह लदकन कही पराण क दकसी गहन तल पर सतर को एकदम इनकार कर भी तो

नही सकत हो तो बदधो क मरन क बाद हम पिातताप घरता ह अपराध-भाव घरता ह उस अपराध-भाव क

कारण दफर हम पजा शर करत ह दक चलो िीक ह जो हजदगी म हआ हआ अब तो फल चढ़ाओ अब दकसी

तरह अपन मन को हलका कर लो

तो जीसस को सली दी और दफर दो हजार साल स पजा चल रही ह सकरात को जहर चपलारा और ढाई

हजार साल स सममान और सकरात की परशसा म इतन गीत चलख जा रह ह बदध को पतिर मार महावीर क

कानो म सलाख िोक दी हजदा रहना मचशकल कर ददरा--और दफर मददर खड़ हो रह ह और पजा क िाल

उतार जा रह ह

रहा तो सच बात दकसी स कहनी मचशकल ह करोदक लोगो की हजदगी िि पर खड़ी ह सच का जरा सा

धकका जरा-सा िोका और उनक ताशो क महल चगर जात ह कौन सनन को राजी ह दकसी स कहो भी कोई

सनन को राजी भी हो जाए तो भी कौन सहानभचत तमह ददखलाएगा

आपन कचह त कहौ सनार

जगजीवन कहत ह--दकसी स अपन ददल की अपन दख की बात भी कह सको ऐसा भी कोई सगी-सािी

नही ददखाई पड़ता

जो समिौ तौ समचि न आर

न दकसी दसर स कह सकत खद समिन की कोचशश करो तो कछ समि म आता नही इतना सब बबि

ह करो म आरा करो जनमा करो ह दकसचलए दकस तरफ चल रही ह रातरा कौन खीच चलए जाता ह कौन

चलाता ह इस जीवन क चवराि उपकरम को कौन चछपा ह इस सार रहसर क भीतर दकसक हाि ह दकसक

हसताकषर इस चवसतार म खद समिो तो भी कछ समि म नही आता रह बात समिन की नही रह बात

बचदध की नही रह बात हदर की ह

चदक समि म नही आती बात इसचलए भि समि क क दर स हि जाता ह और परीचत क क दर म उतर

जाता ह जञानी वही उलिा रहता ह वह समिन की ही कोचशश करता कहता ह समिन की कोचशश

परमातमा को वस ही ह जस कोई आख स सगीत सनन की कोचशश कर हा आख स वीणा ददखाई पड़गी और

सगीतजञ वीणा क तार छड़ता हआ भी ददखाई पड़गा लदकन सनाई कछ भी न पड़गा रा जस कोई कान स

दखन की कोचशश शर कर तो वीणा क तार ददखाई नही पड़ग न वीणा न वीणावादक लदकन सवर सनाई

पड़गा आख दखती ह सनती नही कान सनता ह दखता नही बचदध कषदर पर समिावान ह चवराि पर नही

चवराि पर हदर का अचधकार ह जो बचदध स समिन चलत ह सतर को उनक हाि म कषदर चसदधात लगत ह

सतर नही जो हदर स सतर को समिन चलत ह व समि पात ह

लदकन हदर की भाषा समिन की भाषा नही ह परम कीत भाषा ह परम एक तरह क जञान को जनम दता

ह उसी जञान का नाम भचि ह भि रह नही कह सकता दक म भगवान को समिता ह लदकन भि रह कहता

ह दक मि उसका सवाद चमला भि रह नही कह सकता दक म चसदधाततः समिा सकता ह दक भगवान करा ह

भि इतना ही कह सकता ह दक मन डबकी मारी म जीरा मन उस अनभव दकरा म उसक ही रप म डब

60

गरा वह मर रप म डब गरा म उसक साि एकातम हो गरा ह भि रही कह सकता ह दक म ह परमाण उसका

और कोई परमाण नही द सकता जो समिौ तौ समचि न आर

सभरर-सभरर दख आव रोर

और बहत अपन को समहालता ह मगर रह-रहकर रह-रहकर बड़ दःख का आदोलन उिता ह दक और

दकतनी दर और दकतना तड़पाओग और दकतनी दर दर-दर रखोग

सभरर-सभरर दख आव रोर

रो-रो उिता ह रह भि की पीड़ा समिो दकसी स कह नही सकता--कोई समिगा नही कह तो लोग

हसग पागल समिग अपन ही भीतर गपचप समहाल कर रखना होगा खद भी समिना चाह समि म आता

नही करोदक बचदध बड़ी छोिी ह सतर उसम समाता नही तका काम नही पड़त सब तका चगर जात ह शासतर

शबद चसदधात सब िोि मालम होत ह कोई अनभव की तरफ ल जाता मालम नही होता चवचध-चवधान

औपचाररक दकरराकाड सब ऊपर-ऊपर मालम होत ह अतसतल नही छता अतसतल नही आदोचलत होता

भीतर ऊजाा नही उिती उमग नही जगती उतसाह का आचवभााव नही होता

दफर कर करा भि

रह-रह क रोन लगता ह समहालता ह करोदक कौन उसक आसओ को समिगा उसक आस उस वयिा

ही चवचकषपत चसदध करवा दग कौन उसक भाव को पहचानगा भाव को पहचानन वाल समदध लोग कहा उसक

भाव को सममान द सक ऐस शालीन लोग कहा जहा कौड़ी-कौड़ी क चलए लोग िि मर रह ह जहा कषदर-कषदर

पदो क चलए सघषा चल रहा ह वहा परमातमा क चलए कोई रोएगा --कौन समिगा इस लोग कहग--गरा

काम स होश समहालो लोग कहग--रह करा कर रह हो भिक जाओग अपन को वाचपस दचनरा म लाओ

दकन कलपनाओ क जाल म खोए जात हो कह भी नही सकता रो भी नही सकता पराए तो पराए अपन भी

पराए हो जात ह पतनी को परमातमा का भाव जग पचत स नही कह सकती पचत को जग पतनी स नही कह

सकता अपन जो ह इतन चनकि जो ह व भी ऐसी बात नही समिग

मर पास रोज घिनाए घि जाती ह कोई पचत आ जाता ह दक आपन मरी पतनी को करा कर ददरा

अकारण हसती ह रोती ह अकारण पास-पड़ोस म खबर फलन लगी दक कछ गड़बड़ हो गरा कोई कारण हो

तो हसो कोई कारण हो तो रोओ लदकन अकारण बि-बि तम भी सोचोग तमहारी पतनी एकदम बिी रह

कसी पर एकदम चखलचखला कर हसन लग तमह भी शक होगा दक बात करा ह और पचत कहत ह दक अगर म

समिाता ह तो वह और हसती ह म कह दक चप रह कोई मोहलला-पड़ोस क लोग सन लग तो उस और हसी

आती ह कभी-कभी बि रोन लगती ह--कोई कारण ही नही ह और इसस भी जरादा अड़चन होती ह कभी-

कभी दक दोनो काम एक साि करन लगती ह हसना रोना दोनो रह तो चसफा पागल ही करत ह तो मिस

पछत ह वह दक करा कर दकसी चचदकतसक को ददखाए

और चचदकतसक करा करगा ऐस वयचि को द दगा इलचकरक शाक द दगा इलचकरक शाक ऐसा ही ह

जस कभी-कभी तम करत हो--कोई नई बात नही ह तमहारी घड़ी बद हो गई एक ददरा ििका जोर स कभी-

कभी चल पड़ती ह रह बात भी सच ह मगर रह कोई तरकीब ह घड़ी चलान की कोई घड़ीसाज तम कोई

घड़ीसाज नही हो कभी-कभी हो जाता ह दक चल पड़ती ह--कभी कोई तल अिक गरा िा दक कभी कोई एक

धल का कण अिक गरा िा द ददरा ििका मगर रह सरोग की बात ह रह कोई कला नही ह रह कोई

चवजञान नही ह

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कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक इलचकरक का शाक मचसतषक बड़ी सकषम घड़ी-जसी चीज ह कभी-

कभी िीक चलन लगता ह तो लोग समित ह रह कोई कला ह रह कोई कला नही ह इसस तम कछ

वजञाचनक उपकरम नही कर रह हो चसफा असमिाता घोचषत कर रह हो दक हमारी समि म कछ नही आता चलो

कोचशश करक दख ल--द एक जोर का धकका शारद चल जाए और चजन-चजन क पास घड़ी ह सभी को रह

अनभव होगा दक आदमी जरा िोक-पीि कर सोचता ह दक अगर चल जाए तो बच घड़ीसाज क पास जान स

और कभी-कभी चलती भी ह मगर कभी-कभी चलना अनारास ह सौ म चननरानब मौको पर नही चलगी

और खतरा भी ह दक जस कभी-कभी चल जाती ह कभी-कभी ििका दन स और भी चबगड़ जाएगी चजतनी

चबगड़ी िी उसस जरादा चबगड़ जाएगी

करा करगा चचदकतसक कोई इलाज नही ह भचि का कोई इलाज नही ह

नानक बीमार पड़ ि भचि म वदय न आकर नाड़ी पकड़ी तो नानक हसन लग और कहा दक नाहक

महनत मत करो रह मरीज तमहारी दवा स िीक न होगा रह बीमारी इलाज हो सक ऐसी नही ह रह तो

परम चचदकतसक जब आएगा तभी िीक हो सकगी रह तो औषचध जब समाचध की उतरगी तभी रह वयाचध

जाएगी उसक चबना नही समाचध ही इस वयाचध क चलए औषचध ह--और कछ नही

दकसस कहो कोई समिगा नही रोओ भी तो भी अकल म रोना पड़गा समहाल-समहाल कर भि को

चलना पड़ता ह करोदक ससार भि क चबलकल ही परचतकल ह

रहा तम रह बात खराल रखना दक रहा ससार जञानी क इतन परचतकल नही ह करोदक जञानी की भाषा

और ससार की भाषा म एक तारतमर ह जञानी गचणत और तका की भाषा बोलता ह वही भाषा बाजार की ह

जञानी बाजार की भाषा स चभनन भाषा नही बोलता ह उसकी तका सरणी वही ह दो और दो चार जस बाजार म

होत ह वस ही जञानी की भाषा म दो और दो चार होत ह अड़चन तो भि की ह वहा पराना कोई गचणत

काम नही करता वहा एक और एक चमल कर दो नही होत एक और एक चमल कर एक ही होता ह परम म एक

और एक चमल कर एक ही होता ह दो नही होत गचणत म एक और एक चमलकर दो होत ह

तो जञानी को इतनी अड़चन नही ह और तरागी को भी अड़चन नही ह करोदक उसकी भी भाषा ससार

की ही भाषा ह तम भलीभाचत जानत हो दक अगर धन कमाना ह तो बहत-स तराग करन पड़त ह धन कमान

वाला कम तरागी नही होता अगर दकान पर गराहक ह छोड़ दता ह उस ददन भोजन उपवास कर जाता ह

अगर धधा जोर स चल रहा ह तो रात दर तक जागा रहता ह अगर रात भर भी जाग कर चहसाब-दकताब

करना पड़ तो वह भी कर लता ह

तम जानत हो दक दकानदार भी एक तरह की तपिराा करता ह तम जानत हो पद का खोजी भी बड़ी

चषटाए करता ह बड़ उपकरम करता ह सब तरह क तराग करता ह जल इतरादद भी जाना पड़ता ह--दक जल

वगरह नही गए तो सरिादफकि नही ह दकसी स कहा दक भई वोि दो वह पछता ह--दकतनी दफ जल गए तो

सरिादफकि चाचहए दक इतनी दफ जल गए कोई भी बहान स सही मगर दो-चार दफा जल जाना ही चाचहए

नही तो नता कस तरागी की भाषा भी ससार की भाषा स चभनन नही ह

सबस जरादा करिनाई ह भि की करोदक उसकी भाषा म और ससार की भाषा म कोई तालमल नही ह

व अलग ही भाषाए ह उनका एक-दसर म अनवाद भी नही हो सकता ससार की भाषा ह गचणत की और तका

की भि की भाषा ह भाव की और परम की

सभरर-सभरर दख आव रोर

62

कस पापी कह दरसन होर

और म जानता ह दक तरा करा कसर म पापी ऐसा ह दक तरा दरसन भी हो तो कस हो

रह भि की भावदशा समिना

भि दोष नही दता भगवान को रह नही कहता दक त नाराज ह दक तरी कपा की कमी ह दक त रहीम

नही रहमान नही दक त करणावान नही इतना ही कहता ह--कस पापी कह दरसन होर म पापी ह

अजञानी ह मढ़ ह दरसन हो भी तो कस हो और रह भी भलीभाचत जानता ह दक मर रोन स कोई मरी

पातरता िोड़ ही हो गई दक दरसन होना चाचहए मन ति परम दकरा इतना ही तो काफी नही ह मिम अभी

हजार-हजार रोग ह और हजार-हजार चवशचदधरा आन की अभी सभावनाए ह हजार-हजार अशचदधरा अभी

मि म ह अभी म पचवतर कहा अभी त आए इस रोगर मरा घर कहा

तन मन सचखत भरो भोर आर

लदकन इतनी जस ही तरारी कोई कर लता ह--रही तरारी ह--समहल-समहल कर रोना ससार स चछपा-

चछपाकर परािाना करना अपन मन क भाव को अपन मन क भाव क जसा ही रखना इसकी अचभवयचि भी न

करना एकात म बहा लना आस और जानत रहना दक परमातमा की अनकपा तो अपार ह मर ही पापो क

कारण बाधा पड़ती होगी वह तो सामन ह मरी आखो पर ही पदाा होगा वह तो आरा ही हआ ह म ही नही

दख पा रहा ह कही मरी ही भल-चक ह ऐसी ही भावदशा तो तरार करती भि को रही तो उसकी पातरता

का चनमााण ह और तब घिना घिती ह तन मन सचखत भरो भोर आर तम आ गए ऐस ही अचानक आना

होता ह मरा तन-मन दोनो आनद स भर गए ह

चतर जलवो म गम होकर औ खद स बखबर होकर

तमनना ह दक रह जाऊ जसरतापा नजर होकर

चहजाब अदर चहजाबो-जलवा अदर जलवा करा कचहए

बला म फस गए उशशाक पाबद-नजर होकर

कहा जाती ह चमल कर ओ चनगाह-नाज बपदाा

चमर पहल म रह जा लजजत-दद-चजगर होकर

लताफत मानए-नजजारा-ए-सरत सही लदकन

धड़कना ददल का कहता ह वो गजर ह इधर होकर

पहल साफ-साफ समि म आता भी नही मगर गध तो आ जाती ह सपषट ददखाई भी नही पड़ता पर

धधली छारा तो अनभव म आ जाती ह पर ददखाई न भी पड़ पगधवचन तो सनाई पड़ जाती ह

लताफत मानए-नजजारा-ए-सरत सही लदकन

धड़कना ददल का कहता ह वो गजर ह इधर होकर

और ददल एक नई गचत स एक नई लर स एक नर छद स धड़कन लगता ह वही पहचान ह और भि

और चाहता करा ह

चतर जलवो म गम होकर औ खद स बखबर होकर

63

तमनना ह दक रह जाऊ जसरतापा नजर होकर

बस तिम खो जाऊ चमि जाऊ

तन-मन सचखत भरो मोर आर

जब इन ननन दरसन पार

आ गए तम भरोसा नही आता अनत-अनत परतीकषा क बाद अचानक जञानी को तो भरोसा आ जाता ह

चनचित ही करोदक उसन सार उपार दकए ह उस तो करिनाई अगर कोई िी तो एक िी दक परमातमा अभी

तक आरा करो नही करोदक मन सब तो दकरा जो करना चाचहए उसको चशकारत िी जञानी क सामन जब

परमातमा आए तो उस कोई आिरा नही होता वह तो मानता ह दक म दावदार ह होना ही चाचहए िा भि

आिराचदकत होता ह अवाक होता ह करोदक भि जानता ह म तो पापी िा मरी सामरथरा करा मरा बल

करा और तम आए तम मरी नजर म आए

हजारो कबितो पर र चमरा महजर हो जाना

जहा स चाहना उनका वही स दर हो जाना

चनकाब-रए-नादीदा का अज-खद दर हो जाना

मबारक अपन हािो हसन का मजबर हो जाना

सरापा दीद होकर गका मौज-नर हो जाना

चतरा चमलना ह खद हसती स अपनी दर हो जाना

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

चतरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

रकारक ददल की हालत दखकर मरा तड़प उिना

उसी आलम म दफर कछ सोच कर मसरर हो जाना

चजगर वो हसन-रकसई का मजर राद ह अब तक

चनगाहो का चसमिना और हजन-नर हो जाना

करा ह भि की रह अनभचत

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

तरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

भि दावदार नही ह भि तो सदा जानता ह दक जब भी तम चमलोग म अपातर ही िा चमल तो तम

अपन परसाद स चमल अपनी अनकपा स चमल मरी पातरता स नही तमन मि मजबर कर ददरा तमन मि

िका ही ददरा मि तो अपनी तरफ स िकना होता तो शारद म िकता भी नही मरी अकड़ ऐसी मरा

अहकार ऐसा

मोहबबत करा ह तासीर-मोहबबत दकसको कहत ह

64

तरा मजबर कर दना मरा मजबर हो जाना

रह मर बस की बात नही िी दक म िक जाता तन मजबर कर ददरा त आरा और तन मि अपन म

डबा ददरा

तन-मन सचखत भरो मोर आर

और खराल रखना जगजीवन कह रह ह मन तो आनददत हआ ही ह तन भी आनददत हआ ह भि क

मन म तन और मन म भद नही ह भीतर तो आनद उमगा ही ह बाहर भी आनद बरसा ह बाहर और भीतर

म भद नही ह चतनर तो नाच ही उिा ह लदकन पदािा भी आदोचलत हआ ह भि क मन म चतना और पदािा

म भद नही ह

जगजीवन चरनन लपिार

रह सग अब छरि न जार

बस अब इतनी कपा और करो म तो तमहार चरणो म चलपि जाऊगा मगर मि पर मि भरोसा नही ह

रह भी तमहारी ही कपा हो तो ही बात बन नही तो सग दफर छि सकता ह मि अपनी भल-चको का

भलीभाचत पता ह मि अपनी नासमचिरो का भलीभाचत बोध ह जञानी को अपनी पातरता का अहकार होता

ह भि को अपनी अपातरता का बोध होता ह इसचलए भि की चवनमरता असीम ह

जगजीवन चरनन लपिार

म तो चाहता ह दक तमहार चरणो म चलपि तो दफर कभी छि नही अब तमहार चरन चमल गए चलपि

जाऊ सदा चलपिा रह लदकन खराल रखना रह सग अब छरि न जार रह मर बस क बाहर ह तमही

धरान रखना दक कही रह सग जो बना ह छि न जाए तमहारी कपा स बना तमहारी कपा स बना रह

कहा-कहा उड़क शो ल पहच र होश दकसको र कौन जान

हम बस इतना ह राद अब तक लगी िी आग अपन घर स पहल

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

जमाना खवाबो खराल-सा िा चतर फसन-नजर स पहल

उिा जो चहर स पदाा-ए शब चसमि क मका ज प आ गए सब

तमाम जलव जो मतचशर ि तलए-हसन-बशर स पहल

वो राद-आगाज-इशक अब तक अनीस-जानो-ददल-हजी ह

वो इक चििक-सी वो इक िपक-सी हर इचलतफात-नजर स पहल

हमी ि करा जसतज का हाचसल हमी ि करा आप अपनी मचजल

वही प आकर िहर गरा ददल चल ि चजस रहगजर स पहल

कहा िी रह म लताफत कहा िी कौनन म र वसअत

हरात ही सो रही िी जस दकसी की पहली नजर स पहल

65

उसकी एक नजर और जो चछपा िा परगि हो जाता ह और जो फल दब पड़ ि चखल जात ह और जो

चाद-तोर ददखाई न पड़त ि ददखाई पड़न लगत ह

कहा िी र रह म लताफत मार पराणो म परसाद कहा िा रह आनद कहा िा रह उतसव कहा िा

कहा िी र रह म लताफत कहा िी कौनन म र वसअत

रह दचनरा का चवसतार इसक पहल कभी ददखा नही िा रह चवरािता कहा चछपी िी रह रहसर-पर-

रहसर हम कस अध ि

हरात ही सो रही िी जस दकसी की पहली नजर स पहल

तरी आख जब तक हमारी आख म न पड़ी तब तक सारा अचसततव जस सोरा हआ िा जस हम बहोश

ि

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

कहा िा रह सब रहसर --रह सतरगी अचसततव रह आनद-उतसव रह परचतपल बरसता हआ अमत

कहा र शोररश कहा र मसती कहा र रगीचनरो का आलम

जमाना खवाबाखराल-सा िा

हम तो जस सपन ही दख रह ि नीद म

चतर फसन नजर स पहल

वह तरी आख जब आख म पड़ी तो सपन गए सतर परकि हआ

उिा जो चहर स पदाा-ए-शब चसमि क मका ज प आ गए सब

तमाम जलव जो मनतचशर ि तलए-हसन-बशर स पहल

जो-जो चछपा िा परकि हो गरा जो अदशर िा दशर हो गरा नही जो कभी सन ि सवर व सनाई पड़न

लग सार गीत बज उि सार नतर सजग हो गए आज तरी नजर की रोशनी म आज तरी मौजदगी क अमत म

अब रह बात समि म आती ह भरोसा आज भी नही आता

हमी ि करा जसतज का हाचसल

--करा हमी ि लकषर जीवन का

हमी ि करा आप अपनी मचजल

वही प आकर िहर गरा ददल चल ि चजस रहगजर स पहल

और रह करा चमतकार ह दक हम तो समि रह ि दक गतवय की तलाश कर रह ह और रह आज जब

पहच ह तरी नजर म और आज जब तिस चमलना हआ ह तो पता चलता ह दक सरोत और गतवय दो नही एक

ही ह पहली जो हमारी रातरा की शरआत िी वही हम वापस लौि आए वताल परा हो गरा ह जहा स चल

ि वही वापस आ गए ह इस अवसिा का नाम मोकष ह रा चनवााण रा जो भी नाम तम दना चाहो

अब की बार तार मोर परार चवनती कररक कहौ पकार

जगजीवन कहत ह दक बस अब बहत हो चका अब और नही अब तर चरण चमल गए अब छि न अब

परािाना ह दक अब मि तार लो अब दफर मत फक दना इस चवराि जजाल म अब दफर मत चल जान दना

भिकन की राहो पर

अब की बार तार मोर परार चवनती कररक कहौ पकार

66

और तो म करा कर सकता ह दावा तो नही कर सकता अचधकार मरा कोई भी नही चवनती कर सकता

ह पकार कर सकता ह पकारगा चवनती करगा

नहह बचस अह कतौ कचह हार

म तो बहत करक हार चका िा और बहत ह जो कर-कर क हार चक ह और कछ भी न हआ--

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहार अब सब बनचह सवार

लदकन तमन सवार ददरा चबगड़ी को बना ददरा मिस तो चबगड़ती ही चली जाती िी बात चजतना

खोजता िा उतना दर चनकल जाता िा चजतना करता िा उतना अनदकरा हो जाता िा दान भी करता िा

तो भीतर लोभ सगहीत होता िा चवनमर बनता िा तो अहकार पीछ क दवार स आता िा तराग करता िा तो

वह भी भोग की आकाकषा म करता िा दक बकि का भोग चमलगा मर दकए तो कछ होता ही नही िा--उलिा ही

होता िा नहह बचस अह कतौ कचह हार म तो हार ही चका िा

खराल रखना जब खोज-खोज कर कोई हार जाता ह तभी उसस चमलन ह हार को हरर नाम जीतन

वालो को नही चमलता हारो को चमलता ह जब तक तमह जरा सी भी आशा लगी ह दक जीत लग तब तक

अहकार जारी ह जब तक तमह िोड़ा सा भी भरोसा ह दक कछ और कर लग--ऐसा नही तो वसा वसा नही तो

वसा नई चवचध नरा चवधान नरा मागा खोजग मगर पहच कर रहग--जब तक तमह िोड़ी सी भी सभावना ह

अपन पहच जान की तब तक तम चकत रहोग तब तक भचि का उदर न होगा चजस ददन तम समगररपण

जानोग दक हार गए पर हार गए सौ परचतशत हार गए चगर पड़ोग हार म--हार को हरर नाम--उसी कषण

अहकार गरा अहकार जीता ह आशा म आशा अहकार का भोजन ह

इसचलए बदध न कहा हः धनरभागी ह व जो पररपणा रप स चनराश हो गए हताश हो गए बड़ा उलिा

वचन ह करोदक आमतौर स तो हम कहत ह चनराश आदमीः बचारा हताश आदमीः बचारा बदध कहत हाः

धनरभागी ह वह जो पररपणा रप स हताश हो गरा चनराश हो गरा चजसकी आशा जड़-मल स मर गई

कमहला गई करोदक जस ही आशा जड़-मल स कमहला जाती ह अहकार मर जाता ह अहकार आशा का ही

फल ह और जहा अहकार नही वही परमातमा का आचवभााव ह

नहह बचस अह कतौ कचह हार तमहर अब सब बनचह सवार

लदकन अब दख चलरा राज हमन जगजीवन कहत ह अब अब हम पहचान गए तम सवारत हो तो

सवरता ह अब सवार चलरा अब छोड़ मत दना हाि अब गह चलरा हाि अबसोई अब छोड़ मत दना हाि

तमहर हाि अह अबसाई अब सब तमहार हाि म ह सब बशता तमहार हाि म ह और दसरो नाही कोई

अब कोई आशा नही दकसी और की न अपना भरोसा न दकसी और का भरोसा अब सारा भरोसा तम पर ह

इस भाव-दशा का नाम शरदधा ह शरदधा सवास ह भि क हदर की

जो तम चहत करत सो होई

तम जो चाहो हो जाता ह हमार चाहन स तो सब चबगड़ जाता ह

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

अब म दख रहा ह जल म िल म सब तमहारी ही जरोचत समाई हई ह कसा अधा िा अब तक रह

करो मि नही ददखाई पड़ा और ऐसा भी नही ह दक र वचन मन सन नही ि शासतर रही तो कहत ह सब म

वही समारा ह किसि ि र वचन मि लदकन बस दोहराता िा तोत की भाचत तमन ददखारा तो ददखा

67

तमन नही ददखारा तो शबद तो मि राद रह शबद तो म दोहराता रहा लदकन ददखा मि कछ भी नही जस

अधा रोशनी की बात करता रहा और बहरा सगीत की चचााए छड़ता रहा

जो तम चहत करत सो होई जल िल मह रचह जोचत समोई

अब दखता ह दक सब तरफ तमही हो सारी जरोचतरा तमहारी जरोचतरा ह कण-कण म तमही वयापत हो

मगर रह तमन ददखारा तो मि ददखा

इशक की हद स चनकलत दफर र मजर दखत

काश हसन-रार को हम हसन बन कर दखत

गचा-ओ-गल दखत रा माहो-अखतर दखत

तम नजर आत हम हम कोई मजर दखत

दफतरत-मजबरी प काब ही कछ चलता नही

वनाा हम तो तिस भी तिको छपा कर दखत

दफर वही हसरत ह साकी दफर उसी अदाज स

दफर चसवा सागर क सब कछ गक-सागर दखत

चतशनगान-दीद-जलवा हम समिा ह करा

तम अगर सरत ददखात जान दकर दखत

मर चमिा इक बात पर दकस आन स दकस शान स

आप अगर ऐस म होत ददल क तवर दखत

चमि कर ही जाना जाता ह हार कर ही पारा जाता ह खोकर ही चमलन ह

मर चमिा इक बात पर दकस आन स दकस शान स

आप अगर ऐस म होत ददल क तवर दखत

चतशनागान-दीद-जलवा हम समिा ह करा

तम अगर सरत ददखात जान दकर दखत

हम तरार ि जान भी दन को तरार ि--तम अगर सरत ददखात मगर वह हमारी शताबदी िी वह

हमारा सौदा िा लदकन चजस कषण हमन अपन को गवारा तमन सरत ददखाई हम तो तरार ि सब कछ

गवान को भी लदकन जब कोई गवान को तरार होता ह तो भी अहकार शष रहता ह कहता ह म सब गवान

को तरार ह ददखाओ दशान दो परतरकष हो जाओ मगर पहल परतरकष हो जाओ तो म सब दन को तरार ह

हालत उलिी ह तम सब द दो परतरकष हो जाता ह

इसचलए भि बड़ स बड़ा जआरी ह दाव पर लगा दता ह भरोसा कछ भी नही दक कछ चमलगा दक नही

चमलगा भि बड़ी स बड़ी जोखम उिाता ह तमस साधारणतः लोग कहत ह--तमहार पचडत-परोचहत साध-

68

महातमा--दक भचि सरल ह उनकी बातो म मत आ जाना भचि बड़ी जोखम ह जञान सरल ह तराग भी सरल

ह परम सबस बड़ी जोख़म ह करोदक जञान म और तराग म अहकार माचलक रहता ह परम म अहकार को चवदा

दनी होती ह

इशक की हद स चनकलत दफर र मजर दखत

काश हसन-रार को हम हसन बन कर दखत

तम उस तभी दख पाओग जब तम उसम पररपणा लीन हो जाओग वही हो जाओग तभी दख पाओग

सागर को जानन का एक ही उपार ह सागर हो जाना मगर सागर होन क पहल बद को चमिना पड़गा बद

रह नही कह सकती दक पहल म सागर हो जाऊ दफर म चमिन को तरार ह बद को तो चमिना पहल होगा

और चमिन क पहल कोई गारिी कहा कौन गारिी दगा दक चमिन स सागर हो ही जाओग जब बीज ििता ह

और चमिता ह तो गारिी करा ह दक वकष बनगा ही चहममत चाचहए बड़ी चहममत चाचहए दससाहस चाचहए

मगर बीज दससाहस करता ह और वकष हो जाता ह बद दससाहस करती ह और सागर हो जाती ह भि

दससाहस करता ह और भगवान हो जाता ह

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

सब तमहार हाि म ह चाहो तो दकसी को राजो का राज द दत हो--मतर द दत हो चाहो तमहारी

अनकपा हो तो वषाा हो जाती ह सब कलमष धल जाता ह

काहक दत हौ मतर चसखाई सो भचज अतर भचि दढ़ाई

और दकसी क भीतर तमहारी अनकपा स मतर का जनम होता ह और अतर-भजन शर हो जाता ह अतर-

भजन बाहर स सीखा हआ नही जस परमातमा दकसी क हदर को छड़ दता ह तारो को छड़ दता ह उसक

हाि तमहार हदर को गदगदा जात ह

कहौ तो कछ कहा नहह जाई

जगजीवन कहत ऐसा तमन मर साि दकरा अब म रह लोगो स कहना भी चाहता ह तो कह नही

पाता म कहता ह उसी न मतर ददरा कोई मरी मानता नही म कहता ह वही आरा उसीन मर हदर को

गदगदारा कोई मरी मानता नही म कहता ह वही आरा उसन मरी हदर-ततरी क तार छड़ ददए रह वही गा

रहा ह कोई मरी मानता नही

कह तो कछ कहा नहह जाई तम जानत तम दत जनाई

तमही जानत हो और तमही जब जना दत हो तब कोई जानता ह शष सब वयिा ही भिकत ह बड़ स बड़

पचडत भी अजञानी ही ह जब तक तम नही जना दत तब तक कोई भी कछ नही जानता जो अपन स ही जानन

की चषटा म लग ह व अबार लगा लग सचनाओ क शासतरो क पहाड़ो क नीच दब जाएग मगर पहाड़ खोद कर

उनको चहा भी चमल जाए इसकी सभावना नही उनक हाि कछ भी न लगगा--राख ही राख

तम जानत तम दत जनाई

इस परार वचन को हदर म समहाल कर रख लना रह मतर ह--तम जानत तम दत जनाई मर जानन

स नही तम जनाओ तम जगाओ तम चताओ तम चतनर हो तम चता सकत हो तम जानत हो तम जना

सकत हो तम पणा हो तम मर भीतर पणा को भर सकत हो म शनर ह म शनर की भाचत दकतना ही दौड़ता

रह कछ भी न होगा आदमी अकला रह ररि ह परमातमा साि हो भरा ह

रक मर-ए-बनाम जो इस ददल क पमान म ह

69

वो दकसी शीश म ह साकी न मरखान म ह

र तो साकी हर तरह की तर मरखान म ह

वो भी िोड़ी-सी जो इन आखो क पमान म ह

एक ऐसा राज भी ददल क चनहाखान म ह

लतफ चजसका कछ समिन म न समिान म ह

एक कफ-नातमाम ददा की लजजत ही करा

ददा की लजजत सरापा ददा बन जान म ह

दफर चनकाब उसन उलि कर रह ताजा पक दी

अब न काब म ह सननािा न बतखान म ह

एक बार वह अपना पदाा खद उघाड़ द--घघि क पि खोल--एक बार वह खद ही अपना घघि खोल

दफर चनकाब उसन उलि कर रह ताजा पक दी

अब न का ब म ह सननािा न बतखान म ह

दफर सब तरफ गीतो की िकार पदा हो जाती ह काबा भी गा उिता ह मचसजद भी गनगना उिती ह

मददर भी पनरजजीचवत हो जात ह चमटटी म अमत की धन आन लगती ह

रक मर-ए-बनाम जो इस ददल क पमान म ह

वो दकसी शीश म ह साकी न मरखान म ह

और एक मददरा तमहार ददल क भीतर ह वह दकसी भी मधशाला म नही चमलगी मगर उस मददरा तक

तमहार हाि पहच नही सकत--तमहार हाि तो बाहर ही बाहर पहचत ह उस मददरा तक तो परमातमा क हाि

ही पहच सकत ह उसन ही रखी ह तमहार हदर म वही तमह चपलाए तो पीना हो

एक ऐसा राज भी ददल क चनहाखान म ह

लतफ चजसका कछ समिन म न समिान म ह

न तो समिा जा सकता न समिारा जा सकता लदकन जाना जा सकता ह वही जना द तो जाना जा

सकता भचि का सार-सतर ह दक परमातमा क दकए ही कछ होता ह मनषर क दकए कछ भी नही होता ह

जगत भगत कत तम तारा

और दकतन लोगो को तमन तार ददरा

म अजान कतान चबचारा

म भी एक छोिा-मोिा म कछ बहत बड़ा भगत भी नही ह मरी भचि भी कोई ऐसी नही दक तम मि

तारो ही मि मरी भचि पर भी कोई ऐसा भरोसा नही ह करोदक जगत म बड़-बड़ भि हए ह जगत म बड़-

बड़ भि ह--जगत भगत कत तम तारा म अजान कतान चबचारा--लदकन म मरी कौन चगनती दफर भी तम

आए दफर भी तमन दशान ददए दफर भी तमन मर तन-मन को आनद स सराबोर दकरा दफर भी तमन मर

70

हदर म मददरा उडली दफर भी तमन अपनी नकाब पलिी इसस भरोसा आता ह दक अगर मि हो सकता ह

तो सब को हो सकता ह म तो ना-कछ मरी कोई चबसात नही हआ होगा बड़ भिो को व बड़ ि मरी तो

कोई चबसात नही म अजान कतान चबचारा लदकन जब तम मर सामन परकि हो गए तो एक बात पककी हो गई

एक बात चनचित हो गई दक अब तम दकसी क भी सामन परकि हो सकत हो म तो अचतम स अचतम ह अगर म

तमहारी अनकपा का अचधकारी ह तो परतरक वयचि तमहारी अनकपा का अचधकारी ह

चरन सीस म नाही िारौ

अब म तमहार चरणो स अपन सीस को नही हिाऊगा

चनमाल मरत चनरत चनहारौ

अब तो दखता रहगा रह तमहारा परारा रप रह तमहार सौदरा म नहाता रहगा

जगजीवन का अब चवसवास राखह सतगर अपन पास

अब मि भरोसा हो गरा ह अब मि शरदधा उमगी ह--जगजीवन को अब चवसवास--अब तक मि चवशवास

नही िा दक म भी पार हो सकगा अब तक मि चवशवास नही िा दक कभी म भी इस रोगर हो सकगा दक

तमहार दशान होग जब रह अपवा घिना घि गई--अनारास अनपचकषत--तो अब एक घिना और भी घिगी

इसका भी भरोसा बिता हः राखह सतगर अपन पास अब तम मि अपन पास रखो अब रह भी शरदधा

बनती ह दक जब इतना हआ तो इतना भी होगा एक शरदधा दसरी शरदधा म ल जाती ह एक शरदधा दसरी शरदधा

क चलए दवार बन जाती ह

चनगाहो का मका ज बना जा रहा ह

मोहबबत क हािो लिा जा रहा ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

वही हसन चजसक ह र सब मजाचहर

उसी हसन म हल हआ जा रहा ह

न जान कहा स न जान दकधर को

बस इक अपनी धन म उड़ा जा रहा ह

न इदराक-हसती न एहसास-मसती

चजधर चल पड़ा ह चला जा रहा ह

न सरत का मानी न पदा न चपनहा

र दकस हसन म गम हआ जा रहा ह

71

उसक चरणो पर हाि पड़त ही--न सरत न मानी न पदा न चपनहा--दफर कछ सि-बि नही रह जाती

होश-हवाश नही रह जाता न सरत न मानी न पदा न चपनहा न कोई अिा न कोई अचभपरार न कोई हत र

दकस हसन म गम हआ जा रहा ह और रह दकस सौदरा म डबता जा रहा ह

चनगाहो का मका ज बना जा रहा ह

मोहबबत क हािो लिा जा रहा ह

धनरभागी ह व जो परम क हाि लि जाए

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

ह तो एक छोिी सी बद एक कतरा लदकन सागर न मि अपनी गोद म ल चलरा ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

अब तो शाशवतता मरी ह परारभ स अत तक सब मरा ह अनतता मरी ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

ह तो बद लदकन रह सागर की गोद म जो पड़ गरा ह तो अब सीमा नही ह मरी अब असीम ह

म कतरा ह लदकन ब-आगोश-दरररा

अजल स अबद तक बहा जा रहा ह

वही हसन चजसक ह र सब मजाचहर

उसी हसन म हल हआ जा रहा ह

और चजस सौदरा स रह सारा अचसततव पररवयापत ह उसी म डबता जा रहा ह उसी म चपघलता जा रहा

ह उसी म लीन होता जा रहा ह

न जान कहा स न जान दकधर को

बस इक अपनी धन म उड़ा जा रहा ह

न इदराक-हसती न एहसास-मसती

चजधर चल पड़ा ह चला जा रहा ह

न सरत न मानी न पदा न चपनहा

र दकस हसन म गम हआ जा रहा ह

भि की पराकाषठा हः गम हो जाना भि की पराकाषठा हः लीन हो जाना तललीन हो जाना जस बद

सागर म लीन हो जाती ह जरा भी चभनन नही रह जाती कोई सीमा का भद नही रह जाता उस अभद म ही

भि भगवान हो जाता ह अनलहक अह बरहमाचसम

आज इतना ही

72

अरी म तो नाम क रग छकी

चौिा परवचन

महासखः फलना और फलत जाना

पहला परशनः हम खदा क तो कभी कारल न ि

तमह दखा तो खदा राद आरा

शवर चसजदा नही ह मिको त मर चसजदो की लाज रखना

रह चसर तर आसता स पहल दकसी क आग िका नही ह

और करा कह बस अब आप कछ ऐसी तदबीर कर दक चजसस रह जो एक तीर-ए-नीमकश ददल म चभा

ह सीन क पार हो जाए परशन चलखन क बहान ही आस बह चनकल ह आप इसका जवाब दग तब भी खब बहग

नही दग तब भी करा कर अब तो बरसात आ ही गई पर पता नही वर का साि कब होगा होगा भी रा

नही

कषणतीिा सतसग का रही अिा ह चजस चनचमतत परमातमा की राद आ जाए वही सतसग ह सागर म

उित हए तफान को दख कर परमातमा की राद आ जाए तो वही सतसग हो गरा आकाश म उग चाद को दख

कर राद आ जाए तो वही सतसग हो गरा जहा सतर की राद आ जाए वही सतर स सग हो जाता ह

और परमातमा तो सभी म वयापत ह इसचलए राद कही स भी आ सकती ह--दकसी भी ददशा स और

परमातमा तमह सब ददशाओ स तलाश रहा ह खोज रहा ह कही स भी रधर चमल जाए जरा सी सध चमल जाए

तो उसका िोका तमम परवश हो जाता ह वकषो की हररराली को दख कर उगत सरज को दख कर पचकषरो क

गीत सन कर पपीह की पी कहा की आवाज सन कर और अगर तम गौर स सनो तो हर आवाज म उसी

की आवाज ह तमह अगर मरी आवाज म उसकी आवाज सनाई पड़ी तो उसका कारण रह नही ह दक मरी

आवाज ही कवल उसकी आवाज ह उसका कल कारण इतना ह दक तमन मरी आवाज को गौर स सना सभी

आवाज उसकी ह जहा भी तम शात होकर मौन होकर खल हदर स सनन को राजी हो जाओग वही स

उसकी राद आन लगगी

खदा क कारल होना ही होगा करोदक खदा तो सब तरफ मौजद ह आिरा तो रही ह दक कछ लोग कस

बच जात ह खदा क कारल होन स चमतकार ह दक परमातमा स भर इस अचसततव म कछ लोग नाचसतक रह

जात ह उनक अधपन का अत न होगा व बहर होग उनक हदर म धड़कन न होती होगी उनक हदर पतिर

क बन होग रह असभव ह अगर कोई जरा आख खोल तो चारो तरफ वही मौजद ह उसी की छचव ह मददरो

और मचसजदो म जान की जररत इसीचलए पड़ती ह दक हम अध ह अनरिा जहा हो वही मददर ह--खली आख

चाचहए िोड़ जागरत होकर जहा भी बि जाओग वही तम उसकी वषाा पाओग बरस ही रहा ह उसकी वषाा

अनवरत ह

तम कहत होः

हम खदा क तो कभी कारल न ि

तमह दखा तो खदा राद आरा

73

इसस मरा कछ सबध नही ह चजस ढग स तमन मि दखा उसी ढग स अब औरो को भी दखना शर

करो और तमह जगह-जगह खदा ही नजर आएगा और तम कारल पर कारल होत चल जाओग और एक ददन

वह अपवा चमतकार भी घिगाः दपाण क सामन खड़ अपनी तसवीर दखोग और खदा ददखाई पड़गा चजस ददन

वह भी घि जाए उस ददन जानना ह दक रातरा परी हई चजस ददन तमह अपन म भी परमातमा की ही राद आन

लग

सबस करिन बात वही ह करोदक लोगो को सदा स आतमहनदा चसखाई गई ह तमहार सबक मन

आतमहनदा स भर ह--म ना-कछ अपातर पापी तमह चसफा तमहारी भल ही ददखाई पड़ती ह करोदक तमहारी

भल ही तमह सिाई गई ह बार-बार बचपन स लकर अब तक सददरो-सददरो म तमह एक ही बात चसखाई गई

ह दक तम दो कौड़ी क हो तमहारा कोई मलर नही ह म तमह राद ददलाना चाहता हाः तम अमलर हो तमहार

भीतर परमातमा चवराजमान ह तमहारी छोिी-मोिी भलो इतरादद स तमहार भीतर क परमातमा का कछ भी

बनता-चबगड़ता नही तमहारी चनमालता वसी की वसी ह जस आकाश म बादल चघरत ह और चवदा हो जात ह

और आकाश का कारापन जरा भी खचडत नही होता ऐसा ही तमहारा कारापन ह

अगर तमह मर पास बि-बि कर परमातमा का समरण आन लगा ह तो अब इस भल म मत पड़ जाना दक

परमातमा बाहर ह नही तो दफर चक पहल चकत रह करोदक परमातमा नही ह--एक चक--दफर दसरी चक दक

परमातमा बाहर ह दकसी और म ह नाचसतक चकता ह आचसतक भी चक जाता ह नाचसतक चकता ह मानकर

दक परमातमा नही ह और आचसतक चक जाता ह मान कर दक राम म ह कषण म ह बदध म ह

धारमाक कौन ह

धारमाक वह ह चजस ददखाई पड़ता हः मिम और जब मिम ह तो सब म ही होगा करोदक मि तक

म हो सकता ह मि ना-कछ म हो सकता ह तो दफर कोई सिान ररि नही ह

तम कहत कषणतीिाः

शवर चसजदा नही ह मिको त मर चसजदो की लाज रखना

रह चसर तर आसता स पहल दकसी क आग िका नही ह

चसर ह ही कहा िकाओ तो पता चलता ह दक ह ही नही न िकाओ तो पता चलता ह दक ह अहकार

छोड़ना िोड़ ही पड़ता ह हो तो छोड़ो जब आख खलती ह तो पता चलता ह दक ह ही नही रात तमन सवपन

दखा दक तम समराि हो बड़ा सामराजर ह महल ह सवणा क अपसराओ जसी तमहारी राचनरा ह दवताओ जस

सदर तमहार पतर ह और दफर सबह आख खली दफर करा रात क सपन को छोड़ना पड़ता ह हसी आती ह

इस धोख म पड़ सक इस पर भरोसा नही आता छोड़ना करा ह चसर तभी तक ह जब तक िका नही जब

तक जाग नही तब तक सपना ह और तब तक सपना सच ह तब तक सपना बहत सच ह जाग दक सपना

कहा िक दक चसर कहा इसचलए िकन क बाद दफर कोई चसजदा की कला िोड़ ही सीखनी होती ह िकन क

बाद तो पता चलता ह दक चसजदा चल ही रहा िा हम नाहक ही चसर क सपन म पड़ गए ि चसर िा ही नही

िककर ही पता चलता ह दक चसर नही ह अगर एक बार भी िक गए तो दफर तम दबारा अपन चसर को न

खोज पाओग िक दक अहकार गरा

अहकार उस नीद का नाम ह चजसको अकड़ कह िक िक सक एक बार भी तो िलक चमल जाएगी

िलक चमल जाए समपाण की आनद बरस जाए दफर कौन पकड़ता ह उस नका को चजसका नाम अहकार िा

74

नही चसजदा की कोई कला नही होती चसजदा सीखना भी नही होता सीखा जा भी नही सकता हा

कभी अनारास दकसी की सचननचध म घि जाता ह चनचमतत मातर दकसी की मौजदगी कारण बन जाती ह कभी-

कभी तो ऐसा होता ह वयचि न भी हो तो भी चसजदा हो जाता ह

कभी सबह एकात म वन क दकसी राह पर ताजा-ताजा सरज उगता हो जमीन स उिती हो सोधी

सगध वकष हर हो घास पर अभी भी ओस क मोती जम हो पकषी गीत गात हो--नही करा कभी मन होता दक

िक जाए घिन िक द भचम पर चसर लगा द जमीन पर नही कोई चरण ह नही कोई मरता ह लदकन दफर

भी िक जान का एक अपवा भाव उिता ह और अगर िक जाओ--दकसक सामन िक कोई भी न िा लदकन

दकसक सामन िकन का सवाल ही नही ह िकन म असली राज ह िक गए चसजदा हो गरा उिोग दसर ही

आदमी होकर उिोग चबना चसर क हो जाओग सनरासी का अिा ही रही हः चजसका चसर दसरो को ददखाई

पड़ता ह उसकी तरफ स नही हो गरा ह उनको ददखाई पड़ता ह जो अभी भी सो रह ह उनक सपन म ह

लदकन उसक जागरण म चसर खो गरा ह

शवर चसजदा नही ह मिको

दकसको ह इसकी कोई कला तो नही होती कला का उपार ही नही और अगर दकसी न कला सीख कर

चसर िकारा तो चसर िकाना ििा हो जाता ह--रह भी राद रह मददरो-मचसजदो म दकतन लोग तो चसर िका

रह ह मगर िकता कहा हालत उलिी ह मददर-मचसजद म जान वाल का चसर और अकड़ जाता ह वह और

अकड़ कर बाहर आता ह दक म धारमाक ह दक दखो रोज मददर जाता ह--और तम पापी

महममद एक ददन एक रवक को लकर मचसजद गए पहली दफा रवक मचसजद गरा मोहममद क साि

जब परािाना कर क वापस लौित ि--गमी क ददन ि और कछ लोग अभी भी रासतो पर अपन चबसतरो म सोए

ि--उस रवक न मोहममद स कहाः हजरत इन पाचपरो का करा होगा र नरक म पड़ग रह समर परािाना का

ह और र अभी भी चबसतरो म पड़ ह इन काचहलो इन आलचसरो की करा गचत होगी कछ बताए मोहममद

रििक कर खड़ हो गए उनकी आख स आस चगरन लग हाि जोड़ चलए वही िक गए जमीन पर और

परमातमा स कषमा मागन लग वह रवक तो बहत घबड़ारा उसन कहा बात करा ह आप दकस बात की कषमा

माग रह ह उनहोन कहा म कषमा माग रहा ह दक म ति मचसजद करो ल गरा त न जाता मचसजद तो ही भला

िा कम स कम ति रह तो खराल नही िा दक त पणरातमा ह और दसर पापी ह मिस और एक भल हो गई

त भी सोरा पड़ा रहता िा रोज तर मन म कभी रह अहकार न उिा िा दक म पणरातमा और दसर पापी आज

एक बार त मचसजद करा हो आरा त पणरातमा हो गरा दसर नरक म पड़ग इसका चवचार करन लगा दकस

नरक म पड़ग पछताछ करन लगा मि वापस जाना होगा मचसजद मि नमाज दफर स करनी होगी भाई त

घर जा और सो मरी नमाज खराब हो गई मन सोचा िा दक मर सग-साि तरी नमाज भी उड़ जाएगी पख

खोल कर मरी नमाज तक क पख तन तोड़ ददए मिस बड़ी भल हो गई

मोहममद दबारा गए दफर स नमाज पढ़ी

धारमाक आदमी चजसको तम कहत हो उसकी अकड़ दखत हो दकसी न जनऊ पहन रखा ह दकसी न

चतलक लगा रखा ह--उसकी अकड़ दखत हो वह रोज मददर हो आता ह िोड़ा मददर की घिी बजा दता ह

वह घिा भी करो लिका रखा ह मददर म मालम ह वह खबर कर रहा ह भगवान को--दक सनो म आ गरा

जोर स घिा बजा रहा ह दक कही िपकी खा रह होओ रा सो गए होओ तो जाग जाओ --दखो कौन आरा

75

और दफर वह घमता ह जगत म एक पचवतर अहकार चलए और अहकार कही पचवतर हआ ह नही चसजद की

कोई कला नही होती परािाना की कोई कला नही होती परािाना तो सरलता ह

तो कषणतीिा िक गए बस उसी िकन म परािाना ह रह पछो ही मतः कस िक कस िक रह --पछो

ही मत चजसन िका चलरा ह वही आग भी िकाता रहगा तम अपन हाि म रह काम मत ल लना तम

परािाना करन को अपना कतर मत बना लना उसन िका चलरा ह वही िकाए रखगा तम इस औपचाररक

चनरम मत बना लना

मनषर की बड़ी स बड़ी भलो म एक ह दक वह जीवन की शरषठतम चीजो को भी औपचाररक चनरम बना

लता ह बस जस ही औपचाररक चनरम बनत ह शरषठता खो जाती ह जीवन खो जाता ह जड़ मदाा चीज हाि

म रह जाती ह

कहा हः और करा कह बस आप ऐसी तदबीर कर चजसस दक रह जो एक तीर-ए-नीमकश ददल म चभा

हआ ह सीन क पार हो जाए न तो मरी तरकीब स होगा न तमहारी तरकीब स होगा जस अनारास रह तीर

लग गरा ह सीन म और आधा पार हो गरा ह ऐस ही अनारास परा भी पार हो जाएगा कारा-कारण क चनरम

काम नही करत

दफर जलदी भी न करो िोड़ा तड़पो रह जो आधा-आधा चछदा हआ तीर ह हदर म इसकी पीड़ा को भी

आनद स भोगो इसकी पीड़ा मधर ह मीिी ह जलदी मत करो अधरा भी मत करो दक जलदी रह पार हो जाए

इसको ही म आचसतकता कहता ह इसी को म शरदधा कहता ह--जो हो रहा ह उसस आनददत और चजतनी दर

परतीकषा करनी होगी उतनी दर परतीकषा को तरार अगर जनमो-जनमो भी लगग तो भी तरार जस ही तमन

सोचा दक जलदी हो परा हो जाए वस ही जो हो रहा िा वह भी रक जाएगा तम आ गए तम बीच म आ

गए परमातमा को करन दो--रही जगजीवन का सार-सतर ह रही भचि का अिा हः उस करन दो अगर आधा

तीर चभा ह तो अभी आध की ही जररत होगी अभी जररत होगी दक तम तड़पो करोदक तड़पन स चनखार

आता ह अभी पीड़ा आवशरक होगी करोदक पीड़ा माजती ह पीड़ा परौढ़ता दती ह रह आग तमहारी शतर नही

ह इसी आग स गजर कर तम शदध सवणा बनोग कदन बनोग

म तमहारी तकलीफ भी जानता ह हम सब जलदी म ह और हमारी जलदी क कारण ही दर हई जा रही

ह और तमह भी भलीभाचत पता ह तमहार जीवन क सामानर अनभव म भी रोज हाता ह--जब तम जलदी

करत हो दर हो जाती ह रन पकड़नी ह समर हो गरा िकसीवाला हारन बजाए जा रहा ह और तम भाग-

दौड़ म लग हो और अपना दकसी तरह सामान बाध रह हो चाभी हाि म ह और चाभी खोज रह हो चशमा

नाक पर चढ़ा ह और चशम की तलाश कर रह हो दक चशमा कहा ह जलदी म और दर हई जा रही ह नही तो

ऐसी भल नही होती जलदी म मन उततपत हो जाता ह चजतनी जलदबाजी उतना ही मन हचचतत हो जाता ह

चजतना हचचतत हो जाता ह उतना ही अधा हो जाता ह

परमातमा की खोज अनत परतीकषा ह अनत परतीकषा ही परािाना ह

नही कोई जलदी न करो और म तमहारी तकलीफ समिता ह चजनह सवाद नही लगा ह चबलकल उनह

तो जलदी होती ही नही जलदी का कोई कारण ही नही ह सवाद ही नही लगा ह चजनह सवाद लगा--तम

धनरभागी हो तमह सवाद लगा तीर छआ ह तमहार हदर को चोि लगी ह चभन हो रही ह--अब तम चाहत

हो दक रह जो घिना घि गई रह परी घि जाए मगर अगर तमन बहत जलदबाजी की तमन अगर बहत

आतरता ददखाई तम अगर बहत हचचतत हो गए तो तीर जो आधा चभा ह वह भी चगर जाएगा नही राह

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दखो धनरवाद दो जो हआ ह और इस पीड़ा को अहोभाव स भोगो और रह पीड़ा बड़ी अनिी पीड़ा ह रह

परम की पीड़ा ह जलदी करो रह चवरह की रात लबी हो तो लबी सही रह चवरह की रात ह और उसकी राद

म बीतगी और उसका इतजार भी उसक चमलन स कछ कम आनद की बात नही

तम िीक कहत हो दक बरसात तो आ गई अब वर का साि कब होगा

वह भी होगा जब बरसात आ गई तो वर भी आता होगा

ह दकतना ददलफरब रह बरसात का आलम

अलहड़ हसी का जस खरालात का आलम

आता ह इस तरह स पवन िमता हआ

हो जस दकसी ररद-ए-खराबात का आलम

ददखलाई नही दती रो आकाश म चचचड़रा

जस दक ददल आन प वजहात का आलम

चछपती ह दकरन अबर क घघि स िाक कर

तौबा र कनाए स इशारात का आलम

तजी स गजरना ह र घनघोर घिा का

रा सबह-शब-वसल म लमहात का आलम

रकती ही नही बदो की छनछम-छननछम

र बरखा की छागल क ह नगमात का आलम

कोरल कह ह कौन ह पी बोल पपीहा

उफ र रह सवालातो-जवाबात का आलम

शाखो की दलहन पहन हए फलो क जवर

अललाह र र पहली मलाकात का आलम

बद पड़न लगी पहली-पहली बरखा की बद आ गई रकती ही नही बदो की छनछम-छननछम बाढ़ भी

आती होगी घनघोर वषाा भी होगी बरसात आ गई दब बीज जनमो-जनमो दब बीज फिग अकररत होग

फलग फलग भरोसा रखो अनत भरोसा रखो

और म जानता ह दक जब तीर लगता ह और आधा-आधा लगता ह--और सदा आधा-आधा ही लगता ह

शर म रही परदकररा ह जीवन-रपातरण की--तो कहत भी नही बनता दक करा हो रहा ह--जबान लड़खड़ाती

करा हसन का अफसाना महदद हो लफजो म

आख ही कह उसको आखो न जो दखा ह

शबद कह नही पात भीतर जो अनभव होता ह वह भी वही समि पाएगा चजस अनभव हआ ह तो इस

तीर-ए-नीमकश की बात उनस मत करना चजनहोन न तीर दख ह न खाए ह जो कभी परम स घारल नही हए

उनस इसकी बात मत करना अनरिा व हसग और पागल समिग और िकना हो गरा ह तो असली बात तो

घि गई दवार तो खल गए मददर क

सर-चनराज न जब तक दकसी क दर प िका

बराबर इक खचलश-सी चमरी जबी म रही

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तब तक चसर िकता नही तब तक एक चभन सी बनी रहती ह िकन का आनद अपवा ह

िकन का आनद चमिन का आनद ह

िकन का आनद चनभाार होन का आनद ह

िकन का आनद अहकार स छिकार का आनद ह

जस पकषी छि जाए हपजड़ स सारा आकाश उसका अपना हो अहकार बड़ा छोिा हपजड़ा ह जो नही

िक पात व अभाग ह तम सौभागरशाली हो और तम िक तो तीर भी लगा

अब परतीकषा करो अशरपणा होगी परतीकषा लदकन आस तमहार आनद क आस हो आनद तमहार

अहोभाव तमहारी कतजञता क आस हो इस पीड़ा को छाती स लगाकर पड़ रहो

फसात कहा दक छड़ कर आसमा स हम

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

इस भीतर की पीड़ा की लजजत अनभव करो

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

रह सपदा ह इस छाती स लगा लो

फसात कहा दक छड़ कर आसमा स हम

चलपि पड़ ह लजजत दद-चनहा स हम

इस दजाा बकरार ि दद-चनहा स हम

कछ दर आग बढ़ गए उमर-रवा स हम

ऐ चारा-साज हालत-दद-चनहा न पछ

इक राज ह जो कह नही सकत जबा स हम

बि ही बि आ गरा करा जान करा खराल

पहरो चलपि क रोए ददल-नातवा स हम

आएग खराल--दर आकाश स उड़त हए--अनत क अजञात क और खब आस बहग कजसी मत करना

कषणतीिा कपणता मत करना आसओ क अचतररि हमार पास और कोई अरघरा ह भी नही जो हम चढ़ाए

परमातमा क चरणो म आसओ क अचतररि और हमार पास ह भी करा जो हम भि कर इसचलए बचाना मत

जो ददल खोल कर रो सकता ह वह पहच ही गरा उसक पहचन म दर नही ह

परम क मागा पर आसओ स सीदढ़रा पार की जाती ह एक-एक आस सोपान बन जाता ह रोओ आनदमगन

होकर रोओ इस पीड़ा को आहलगन करो और अनत परतीकषा की तरारी रखो

अचतम बात जो अनत परतीकषा की तरारी रखता ह उसकी घिना हो सकता ह अभी घि जाए रही घि

जाए और जो चाहता ह अभी घि रही घि हो सकता ह उस अनतकाल तक परतीकषा करनी पड़ और कभी न

घि ऐसा उलिा चनरम ह अधरातम का रहा दौड़न वाल चक जात ह रहा बि रहनवाल पहच जात ह

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दसरा परशनः मरी पतनी क मन म कोई परशन नही उिता करा कारण ह

समचत सरसवती तम धनरभागी हो तमहारी पतनी तमस जरादा बचदधमान ह

समचत सरसवती न कम स कम दो दजान परशन पछ ह आज और समचत को खराल होगा दक इस तरह क

इतन परशन पछना बचदधमानी का लकषण ह इतन परशन पछना चसफा चवचकषपतता का लकषण ह बचदधमानी का नही

और जब तमहार परशन मन दख तो मि तमहारी पतनी पर बहत दरा आई न मालम दकन कमो का फल बचारी

को तम चमल एक स एक अदभत परशन ह नमन क तौर पर--

धरान स छिकारा कब होगा

अभी धरान हआ नही अभी धरान का कछ पता नही ह लदकन छिकार का पहल स उपार कर रह ह

धरान का मतलब ही करा होता ह चचतत स छि जान का नाम धरान ह दफर धरान स कसा छिकारा धरान

का अिा ही परम छिकारा ह तमहारा परशन ऐसा ही ह जस कोई कारागह म पड़ा हआ बदी पछ दक िीक ह

कारागह स तो छिकारा हो जाएगा दफर सवततरता स कब छिकारा होगा सवततरता स छिकारा तो तम

समि ही नही धरान तो दर ह अभी तमह धरान का अरि भी पता नही ह मगर हा परशन उि रह ह--सगत

असगत नमन क चलए--

पछा हः कछ ऐसा कर द दक मर और मरी पतनी क बीच िगड़ा न हो

पतनी का तो कसर ददखाई नही पड़ता कपा आपकी ही होगी तमहार दो दजान परशन दख कर सब साफ हो

गरा मि दक कौन ििि खड़ी कर रहा होगा अब दखो रह भी परशन इसस तमह करा लना-दना ह दक तमहारी

पतनी क मन म परशन करो नही उित रह भी तमहारा परशन ह रह भी पतनी को ही पछन दो तम उसकी जान

खात होओग दक पछ परशन करो नही पछती बदध ह मढ़ ह परशन करो नही पछती जस दक परशन पछना कोई

बड़ जञान की बात ह परशन उिता ही हमारी चवचकषपतता स ह हमारी उलिन स और म तमह जो उततर दता ह

वह इसचलए नही दता दक तमहार परशन बड़ सािाक ह उततर चसफा इसचलए दता ह तादक धीर-धीर धीर-धीर

तमह रह ददखाई पड़ना शर हो जाए दक सब परशन वयिा ह उस ददन शभ घड़ी होगी जब तमहार मन म कोई परशन

न उिगा चजस ददन मन म कोई परशन न उिगा चजस ददन मन चनषपरशन हो जाता ह उसी ददन भीतर का उततर

परकि हो जाता ह

उततर तमहार भीतर ह मगर तम परशनो म उलि हो इसचलए उततर का पता नही चलता तम परशनो म

इतना शोरगल मचा रह हो दक उततर भीतर ह भी तो सनाई नही पड़ सकता उसकी धीमी-धीमी आवाज

उसका धीमा-धीमा सवर तमहार कोलाहल म खो जाता ह तमहार सार परशन शात हो जाए तो तम चदकत हो

जाओग--जीवन क सार उततर तमहारी चतना म चछप पड़ ह तम जब तक पछत रहोग तब तक चकत रहोग

चजस ददन पछोग नही उसी ददन तमहार भीतर ही वदो का वद जनमता ह तमहार चतनर म ही सारा रहसर

बीज रप म पड़ा ह मगर तम बाहर भिक रह हो परशन पछन का मतलब हः कोई दसरा उततर दगा और तमहार

परशनो स मि लगा दक तम अपनी पतनी स भी कहत होओग दक पछ चल दकसी स न पछ तो मिस ही पछ

एक बात खराल रखना दक पतनी दचनरा म जब सब क भीतर परमातमा दख लगी आचखर म पचत क

भीतर दख पाती ह--अचतम रदयचप पचतरो की कोचशश बड़ी परानी ह दक समिात ह चसतररो को दक पचत

परमातमा ह तमहार समिान स ही जाचहर हो रही बात दक तमह शक ह िोपत रह हो चसतररो क ऊपर दक पचत

को परमातमा मानो और पचतनरा मसकराती ह दक तम और परमातमा दकसी पतनी को रह भरोसा नही आ

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सकता ह दक पचतदव और परमातमा दकसी और का पचत हो सकता ह मगर अपन पचत को तो चसतररा

भलीभाचत जानती ह तमस जरादा अचछी तरह तमहारी पतनी तमह पहचानती ह तमहारी नस-नस स वादकफ

ह तमहारी नाड़ी कहा स दबानी कब दबानी कस दबानी सब उस पता ह तमह एक कषण म पछ चहलान को

मजबर कर दती ह तमहारा सारा जञान इतरादद उस पता ह तमहार जञान-वयान का कोई मलर उसक सामन नही

ह तम सोचत होओग दक वह तमस पछ

एक मचहला--पढ़ी-चलखी मचहला रहा आती ह चोरी स आना पड़ता ह करोदक पचत कहत हाः कही

जान की जररत ही नही ह जब म तरा पचत ह तो कही जान की करा जररत करा पछना ह मिस पछ

मरी दकताब इतरादद पचत फक दत ह दफर डर क कारण उिाकर उनको चसर स भी लगा लत ह--करोदक भर

भी लगता ह दक कही कोई नकसान न हो जाए उनकी पतनी न ही मि कहाः दक मर सामन तो फक दत ह और

दफर मन चोरी-चछप दखा दक चसर िका कर उनको नमसकार करत ह और माफी मागत ह दक कषमा करना अब

ऐस पचत स करा पतनी डरगी और पतनी क सामन अकड़ कर बि जात ह दक पछ करा ति पछना ह दकस

तरह का जञान चाचहए मरी मौजदगी म ति कही जान की कोई जररत नही अब उनकी पतनी कहती ह दक

इनस पछन का मन ही नही होता इनस पछना करा ह रह तो मिस पछ उलि छोिी-छोिी बात म करोचधत

होत ह छोिी-छोिी बात म हचचतत हो जात ह छोिी-छोिी बात म बचच की तरह हो जात ह--मि इनकी मा का

भी काम करना पड़ता ह इनस म करा पछगी मगर अकड़ परष का अहकार परष का दभ

मन मलला नसरददीन स पछा दक तरी पतनी और तर बीच कभी िगड़ा नही सनाई पड़ता उसन कहा

िगड़ का कोई कारण ही नही शादी क ददन ही हमन चनणार कर चलरा दक हजदगी क जो बड़-बड़ सवाल ह व

म तर करगा जो छोि-छोि सवाल ह व त ही तर करना और तब स समिौता चल रहा ह और कोई ििि

नही आती मन कहा दफर भी म िोड़ा पछना चाहता ह दक बड़-बड़ सवाल स तमहारा करा मतलब और

छोि-छोि सवाल स तमहारा करा मतलब उसन कहा आप रह न पछ तो अचछा मन कहा दफर भी म दकसी

को कहगा नही तो उसन कहा बड़-बड़ सवाल जस ईशवर ह रा नही दकतन सवगा ह दकतन नका ह

चवरतनाम का रदध होना चाचहए दक नही इजरारल और चमसर क बीच समिौता दकस ढग स हो ऐस जो

बड़-बड़ सवाल ह--धमा क राजनीचत क अधरातम क दशानशासतर क--व म तर करता ह छोि-मोि सवाल जस

लड़क को दकस सकल म भती करवाना दकस दफलम को दखन जाना कौन सी कार खरीदनी र सब छोि-मोि

सवाल पतनी तर करती ह

अब तम समि लो दक बड़-बड़ सवाल का मतलब ह दक बकार सवाल चजनस कछ लना-दना नही अब

ईशवर ह रा नही करत रहो तर तमस पछ कौन रहा ह दक इजराइल और चमसर क बीच समिौता कस हो

चवरतनाम म रदध होना चाचहए दक नही होना चाचहए तमहारी सलाह कौन माग रहा ह चसतररा कशल ह

वयावहाररक ह चसतररा भचम क बहत चनकि ह इसचलए चसतररो को परथवी कहा ह अतरत वयावहाररक ह तमहार

जस वयिा सवाल तमहारी पतनी नही पछगी अब जस पतनी को रह सवाल ही नही उि सकता दक धरान स

छिकारा कस हो रह बात ही मढ़तापणा ह पतनी को रह सवाल नही उिगा

तम इस हचता म पड़ो करो अचछा ह शभ ह दक पतनी क मन म सवाल नही उित ह तमहार मन म

उित ह वह पछो दक मर मन म इतन सवाल करो उित ह करोदक तमहार सवाल चगर तो अचछा ह तमहार

सवाल चवदा हो जाए तो अचछा ह एक ऐसी घड़ी आ जाए जब तमहार भीतर कोई परशन न रह जाए तो वही

घड़ी धरान की घड़ी होगी

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बदध अपन चशषरो को कहत ि दक जब तक तमहार भीतर सवाल उित ह तब तक मत पछो वषा-दो वषा

धरान म डबो दफर जब सवाल न उि तब पछ लना रह भी खब रही जब सवाल न रह तब पछ लना जब

सवाल न रह जात तो कोई पछता कस बदध अपन चशषरो को पछत ि साल दो साल धरान करन क बाद दक

अब कछ पछना ह चशषर हसत ि और कहत िः नही कछ पछना नही बदध कहतः दखो जब तम पछत ि

अगर म जवाब दता तो वयिा ऊहापोह होता न तमहारी कछ समि म आता न तमहारी कछ पकड़ म आता

और मर जवाब तमहार चलए नर-नर परशन पछन का कारण बन जात और कछ भी न होता

इसका रह अिा नही ह दक बदध न जवाब नही ददए ह बदध न जवाब ददए ह उनको चजनको धरान क

चलए फसलाना ह और राजी करना ह लदकन चजनम भी बदध न दखा दक धरान की कषमता ह करीब ही दकनार

क खड़ ह--जरा सा धकका और धरान की लपि जल उिगी उनको जवाब नही ददए ह

म भी तमह जवाब दता ह चसफा इसीचलए दक तमह राजी करना ह दकसी तरह तम धरान म उतर जाओ

एक बार तम धरान म उतर जाओ तो सब परशन चगर जाएग सब उततर की आकाकषा समापत हो जाएगी तम

चनहितमनः आशवसत भाव स जानोग--करा ह वह परम अनभव की दशा ही तचपत द सकती ह दकसी और क

ददए गए उततर नही

म तमह उततर दता ह उसम जो समिदार ह व उततर क माधरम स अपन परशनो को हिा दत ह जो

नासमि ह व मर उततर म स और दस परशन खड़ कर लत ह

अब दो दजान परशन पछन का कोई कारण नही ह एकाध परशन तमहार जीवन म जो मलरवान हो पछो परशन

पछन क चलए खराल रखना चाचहए जस जब तम जात हो पोसि आदफस िलीगराम करन तो एक-एक शबद का

खराल रखत हो करोदक एक-एक शबद की कीमत चकानी पड़ती ह दस शबद जा सकत ह एक रपए म तो तम

काित जात हो काित जात हो--बारह ह तो दो और कािो और कािो एक रपए म चजतन जा सकत ह उतन

भज दत हो और तमन एक चमतकार दखा दक तमहारी दस पननो की चचटठी का वह असर नही होता जो दस

शबदो क तार का होता ह करा कारण होगा करोदक वयरि तमन काि ददरा सािाक-ही-सािाक बचा चलरा

जो अतरत आवशरक िा अपररहारा िा वही बचा चलरा

ऐस ही तमह परशन भी पछन चाचहए

तमहार जीवन क चलए जो अतरत सािाक मालम पड़ चजसक चबना पछ तमह चन न पड़ वही पछना

चाचहए उतना ही पछना चाचहए तो शारद धीर-धीर तमहारी रातरा चनषपरशन धरान की ओर शर हो जाए

लदकन तम कछ भी पछ जात हो जो भी तमहार चसर म उि आता ह बस चलख ददरा चल पछन अब रह भी

कोई परशन ह मरी पतनी क मन म कोई परशन नही उिता करा कारण ह

तमहारी पतनी बचदधमान ह रा हो सकता ह तमहार कारण परशन नही उिता डरती होगी दक परशन उिारा

दक तम उततर दोग इसस परशन न उिाना िीक ह

एक बार ऐसा हआ एक हसधी चमतर ि मर बहत बकवासी मर साि पजाब की रातरा पर गए उनकी

पतनी कभी मर साि रातरा पर नही गई िी इस बार उनकी पतनी भी रातरा पर गई म बड़ा हरान हआ--दोनो म

बड़ा चवरोधाभास पचत इतना बकवासी दक चप हो ही न बोल ही चला जाए और पतनी ऐसी चप दक जस उस

बोलना ही नही आता पचत सनान करन को गए तो मन पतनी स पछा दक रह जरा हरानी की बात ह तमहार

पचत इतन बकवासी ह तम इतनी चप करो हो पतनी न कहा दक मरी तरफ स और उनकी तरफ स दोनो का

काम वही कर रह ह शादी जब हई िी तो म भी कछ-कछ बोलती िी मगर उनहोन मौका ही नही ददरा

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इतन बकवासी पचत क पास अब करना करा और चप रहना ही करोदक बोलना तो खतरनाक ह तम

एक शबद बोलो वह घिो बकवास करग चबना बोल बकवास करत ह अगर चप बि हो तो पछत ह--चप करो

बिी ह अगर बोलो तो मचशकल न बोलो तो मचशकल

उनकी पतनी मि बोल रही िी--बबई रहत ि दोनो--दक जब म पचत की आवाज सन लती ह--तीसर

मचजल पर रहती ह--जब म पहली मचजल पर उनकी आवाज सन लती ह दक वह आ गए तब म खाना पकाना

शर करती ह और जब तक वह घर म आत ह तब तक खाना पक जाता ह करोदक चपरासी स लकर और जो

चमलगा और चलफिमन और जो उसस चलता ही रहता ह उनका जब म आवाज सन लती ह तब म शर

करती ह भोजन पकाना--दक आ गए पचतदव कम स कम घिा-डढ़ घिा उनको लग जाता ह--तीन मचजल पार

करन म जब तक वह आत ह घर म घिी बजती ह तब तक भोजन उनका तरार हो जाता ह

उस मचहला न मि कहा दक मि एक लाभ रहा ह इनक साि दक चबना दकसी धमागर क पास गए मौन

आ गरा और बड़ी शाचत रहती ह और म सनती रहती ह करोदक और कोई उपार नही ह धीर-धीर सनना

भी साकषीभाव स होन लगा ह दक अब रह तो उनह बकना ही ह बकन दो रह करा कहत ह करा नही कहत

अब इसका चहसाब-दकताब भी नही रखती

शारद रही दशा समचत तमहारी पतनी की हो मौन आ गरा हो उसको मौन रहन दो तम अपनी हचता

करो इतन परशन वयिा ही हो सकत ह सािाक परशन िोड़ होत ह सािाक परशन तो अगर िीक स समिो तो एक ही

हः म कौन ह बाकी कोई परशन सािाक नही ह रही पछो बस इसी एक परशन को धरान बना लोः म कौन ह

उिो बिो सोओ रह एक परशन तमहार भीतर गजता रह दक म कौन ह और जलदी उततर मत दना करोदक

तमस मि डर ह तमहार पास उततर भी काफी ह एक दफा पछोगः म कौन ह और जलदी स उततर दोगः अह

बरहमाचसम दक म बरहम ह उपचनषद और वद सब चल आएग रह उततर तमहारा नही ह इनको इनकार कर

दना कहना र उततर मर नही ह तम तो उस उततर की परतीकषा करना जो सदयसनात ताजा-ताजा नरा तमहार

भीतर उमग

जब तक वह उततर न आए इकार करत जाना बाकी सब कचरा ह दकसी न कहा हो दकतन ही

महाजञानी न कहा हो मगर तमहारा नही ह तो सतर नही ह उधार रानी असतर बदध न कहा हो महावीर न

कहा हो कषण-कराइसि न कहा हो तमहारा नही ह तो दकसी काम का नही ह न तो तम बदध की आख स दख

सकत हो और न कषण की जबान स बोल सकत हो न महावीर क पर स चल सकत हो न कषण की धड़कन स

जी सकत हो तमहारा जञान ही तमहार जीवन को आलोदकत करगा

पछत जाना इस एक परशन कोः म कौन ह उततर आएग--रि-रिाए तोत की तरह किसि जो तमन पढ़

ह सन ह पछ ह लोगो स व उततर उि ग उनको इकार करत जाना कहनाः नही नचत-नचत कहत जानाः रह

भी नही रह भी नही एक ददन ऐसी घड़ी आती ह जब परशन ही रह जाता ह और कोई उततर नही रहता म

कौन ह और सननािा म कौन ह और सननािा म कौन ह और सननािा गहन होता जाता ह कोई उततर

नही आता रह बड़ी परम घड़ी ह करोदक वह सननािा ही उततर ह वह शनर जो म कौन ह क पीछ आता ह--

जस तफान क पीछ शाचत आती ह ऐस उस म कौन ह क ििावात क पीछ जो सननािा शाचत मौन शनर

आता ह उसी शनर क सवाद म तमह उततर चमलगा उसी शनर म तम पणा को चवराजमान पाओग वही धरान ह

वही समाचध

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तीसरा परशनः जब भी कभी ईशवर-समरण की भावना भीतर उमड़ती ह तब कोई न कोई रप उमड़ आता

ह अचधकतर शरीचवषण अिवा चशव ककत आपक किन स आशवसत ह दक सब आकार मन की सीमा क भीतर ह

और कलपनाए ह तो कपरा बताए दक ददन-भर म रा धरान क समर जब भी परभसमरण की परबल भावना

उमड़ तब उसका करा सवरप हो व ह इस दकस रप म अनभव कर

रप तो मन की ही रोजना होगी नाम-रप मन क ही अग ह इसचलए परमातमा ह इस नाम और रप म

अनभव नही दकरा जा सकता जो नाम-रप म परमातमा को अनभव करन की चषटा करगा उसन पहल स ही

गलत कदम उिा चलए वह कलपना-जाल म पड़ जाएगा और मीरा करोदक ति समि म बात आ रही ह दक र

सब आकार मन की ही कलपना क जाल ह इसचलए अड़चन जरादा नही ह

परमातमा ह इस हम दो तरह स अनभव कर सकत ह एक रप म अिाात पर की भाचत कषण खड़ ह

राम खड़ ह रा बदध रा महावीर तमस चभनन तम हो दरषटा और चजस परमातमा को तम दख रह वह ह दशर

दशर रानी रप एक तो रह ढग ह परमातमा को समरण करन का रह गलत ढग ह इसस सावधान दसरा ढग

ह दरषटा की भाचत अनभव करना--दशर की भाचत नही साकषी की भाचत अनभव करना रह जो चतनर मर

भीतर ह रह जो म ह--रही तब कलपना का कोई उपार नही

कषण ददखाई पड़ रह ह लदकन दकसको ददखाई पड़ रह ह दखन वाला कोई ह मीरा तर भीतर कौन

साकषी ह जो कषण को दख रहा ह जोर कषण पर मत डालो जोर दखन वाल पर डालो सारा धरान दखन वाल

पर क ददरत कर दो उस साकषी को पकड़ो कषण तो आएग चल जाएग साकषी सदा ह उस साकषी म ही भगवान

को अनभव करन की चषटा समरक चषटा ह परमातमा साकषी रप ह चतनर रप ह

कषण क भीतर साकषी का भाव घिा इसचलए कषण को हमन भगवान कहा कषण न जाना दक म साकषी

ह इसचलए कषण को हमन भगवान कहा बदध को अनभव हआ दरषटा का दशर स मि हए बाहर स भीतर

लौि तो हमन भगवान उनको कहा रह बदध को कषण को राम को महावीर को भगवान कहन का कारण

चसफा इतना ही ह दक उनहोन अपन भीतर क चतनर को पहचाना चतनर क साि परा तादातमर दकरा चतनर म

डबकी लगाई--बस इसस जरादा कछ भी नही ऐसा ही तम भी करो

तम राम की पजा करो इसस कछ भी न होगा तम कषण की पजा करो इसस कछ भी न होगा कषण न

दकसकी पजा की िी कभी पछा कषण न तो दकसी की पजा नही की ह कषण तो जाग होश स भर ऐस ही

तम भी होश स भरो अगर तमहारा कषण स परम ह तो इतना ही सार लो दक जो उनहोन दकरा वही तम भी

करो रही िीक अनकरण होगा नही तो अधानकरण ह

बदध न मरत वि अपन चशषरो को कहाः आतमदीपो भव अपन ददए बनो रोन लग ि चशषर स

चवदा हो रह ह बदध अब सदा को लीन हो जाएग रह लहर रह परारी लहर रह अदभत लहर दफर कभी परगि

न होगी सागर म खो जाएगी रोना सवाभाचवक िा इस वयचि क साि चालीस वषा तक रहन वाल चभकष

ि इसक साि हजदगी आई गई इसक साि जवानी-बढ़ापा आरा इसक साि बहत-बहत अनभव हए इस

परार आदमी को चवदा दना आसान तो बात न िी छाती ििती होगी लदकन बदध न आख खोली और कहाः

रोओ मत मिस मत बधो तम मिस बध जाओग तो चक जाओग रही तो मरी दशना का सार ह दक वह

बाहर नही ह भीतर ह वह तमहार भीतर मौजद ह वह तम हो

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मीरा कषण हो दक चवषण रा कोई और रप हो--हहद का मसलमान का ईसाई का--इसस फका नही

पड़ता एक बात का खराल रखना जब भी हम कछ अनभव करत ह तो उस अनभव म दो खड हो जात हाः

एक दशर और एक दरषटा अगर दशर को पकड़ा चक अगर दरषटा म डब पहच

इशक की बरबाददरो को रारगा समिा िा म

बचसतरा चनकली चजनह वीराचनरा समिा िा म

और तमन कभी भीतर िाक कर दखा ही नही--तम तो समित हो वहा करा भीतर करा रखा ह वहा

तो तमह शनर मालम होता ह अकल छि जात हो कभी एकात म तो मन नही लगता कहत होः कोई चाचहए

कोई दसरा चाचहए--कोई चमतर चमल जाए अकल म एकदम जी ऊबता ह--करो खाली-खाली लगत हो ररि-

ररि लगत हो कछ खोरा-खोरा लगता ह तमह अपना पता ही नही तमह पता ही नही दक सपदाओ की सपदा

तमहार भीतर पड़ी ह पणा परमातमा तमहार भीतर मौजद ह

इशक की बरबाददरो को रारगा समिा िा म

बचसतरा चनकली चजनह वीराचनरा समिा िा म

हर चनगह को तबए-नाजक पर गरा समिा िा म

सामन की बात िी लदकन कहा समिा िा म

करा खबर िी खद वो चनकलग बराबर क शरीक

ददल की हर धड़कन को अपनी दासता समिा िा म

हजदगी चनकली मसलसल इचमतहा-दर-इचमतहा

हजदगी को दासता ही दासता समिा िा म

मरी ही रदाद-हसती िी चमर ही सामन

आज तक चजसको हदीस-दीगरा समिा िा म

चजसको तमन दसरा समिा ह वह दसरा नही ह लदकन तमहारी अपन स पहचान ही नही ह अभी

इसचलए दसरा दसरा ददखाई पड़ रहा ह अपन स पहचान हो जाए तो दसरा भी दसरा नही ह

मरी ही रदाद हसती िी चमर ही सामन

आज तक चजसको हदीस-दीगरा समिा िा म

जब तम चवषण को दखत कषण को दखत राम को दखत तो अभी तमह अपन स पहचान नही इसचलए

व पर मालम होत ह जब अपन स पहचान हो जाएगी तो तम चदकत हो जाओग व तमहारी ही तरग ह दफर

कछ भद नही ह दफर एक ही ह दफर म और त म कोई अतर नही ह लदकन पहल म को पहचानना होगा इस

म की गहराई म जाना होगा इस म की गहराई को जान चबना कोई भी परमातमा स पररचचत न हआ ह न हो

सकता ह

और आसान लगता ह पर दकसी चमतर स परम दकरा पतनी स परम दकरा पचत स परम दकरा बि स परम

दकरा--र सब पर स परम ि दफर इसी पर क ही गचणत म परमातमा स परम दकरा तो दफर चमतर और पचत

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और पतनी जस पर ि ऐस हो परमातमा को भी पर बना चलरा--चवषण कषण राम मगर रह बात वही-

की-वही रही रपातरण न हआ पतनी की जगह राम को रख चलरा पचत की जगह कषण को रख चलरा--भद

कहा हआ कछ भद न हआ असली कराचत तो तब घिती ह जब पर की जगह सव आ जाए तो रपातरण

तो आख दफरी तो लौि घर की तरफ तो दचषट जो बाहर जाती िी अतमाखी हई अतराातरा शर हई

रखत ह चखजर स न गरज रहनमा स हम

चलत ह बच क दर हर इक नकश-पा स हम

न तो दकसी पि-परदशाक स हमारा कोई सबध ह न दकसी पगबर स

रखत ह चखजर स न गरज रहनमा स हम

चलत ह बच क दर हर इक नकश-पा स हम

और चरण-चचहन तो बहत बन ह समर की धार पर दकतन बदध चल चक ह दकतन चरण-चचहन बन

चक ह उनही की पजा म मत उलि जाना

मानस हो चल ह जो ददल की सदा स हम

शारद दक जी उि तरी आवाज-पा स हम

भीतर की आवाज स पररचचत हो लो

मानस हो चल ह जो ददल की सदा स हम

रह जो पहचान हो जाए भीतर की आवाज स अतरतम की आवाज स तो शारद तम परमातमा क

चरणो की आवाज को भी पहचान पाओ करोदक तमहार भीतर की आवाज उसक चरणो की ही आवाज ह

ओ मसत-नाज-हसन ति कछ ख़बर भी ह

ति पर चनसार होत ह दकस-दकस अदा स हम

र कौन छा गरा ह ददल-ओ-दीदा पर दक आज

अपनी नजर म आप ह नाआशना-स हम

और एक चमतकार घिता ह जब तम अपन स पररचचत हो जाओग तो तम चदकत होओग दक चजसको

तमन अब तक समिा िा दक म ह वह तो तम नही हो वह तो भाचत िी चजस नाम को तमन समिा िा म

चजस रप को समिा िा म चजस दह को समिा िा म चजस मन को समिा िा म वह तो तम नही हो

वह तो तमहारा वयचितव िा बाहर की खोल िी वसतर ि पररधान ि उन सब क भीतर चछपी हई जरोचतमार

दकरण हो तम उस जरोचतमार दकरण का नाम ही परमातमा ह

वह सबक भीतर ह लदकन सबस पहली पहचान अपन भीतर करनी होती ह करोदक वही स हम

चनकितम ह मददर क कही जाना नही ह कही िोली नही फलानी ह समराि हो तम चभखारी बन हए िोली

मत फलाओ न कषण क सामन न राम क सामन करोदक राम और कषण तमहार भीतर मौजद ह रह बात

बड़ी चवरोधाभासी लगगी मगर म तमस कहना चाहता ह इस राद रखना राम और कषण को पकड़ा तो राम

और कषण को कभी न पा पाओग छोड़ो राम-कषण को पकड़ो सवर को और उसी पकड़न म राम भी चमल

जाएग कषण भी चमल जाएग

चौिा परशनः मनषर जीवन का मल सताप करा ह

85

एक ही सताप ह दक मनषर वह न हो पाए जो होन को पदा हआ ह एक ही सताप ह दक बीज बीज रह

जार फल की तरह चखल न पाए चबखर न सक अपनी सवास को अनत-अनत हवाओ म कर न सक गफतग

चाद-तारो स चनवदन न कर पाए अपन रगो का आकाश क परचत अचभवयि न हो पाए--एक ही सताप ह कचव

क भीतर की कचवता परकि न हो सक--तो सताप चचतरकार चचतर न बना सक--तो सताप नताक नाच न सक

परो म जजीर पड़ी हो--तो सताप सताप का एक ही अिा होता हः जो हम होन को ह जो हमारी सहज परकचत

और चनराात ह वह न हो पाए और हम अनरिा होन को मजबर होना पड़ तो सताप पदा होता ह तो जीवन म

चवषाद चघरता ह

और इतन जो अनत-अनत लोग तमह चवषादगरसत ददखाई पड़त ह सताप म डब हए नरक म जी रह

उसका कारण इतना ही ह दक उनम स परतरक बीज लकर आरा ह परमातमा होन का और न मालम करा छोिी-

छोिी चीज होकर समापत हो गरा ह कोई डाकिर हो गरा कोई इजीचनरर हो गरा कोई दकानदार हो गरा

परमातमा होन जो आरा ह वह दकानदार हो जाए तो कस सतचषट चमल पीड़ा बनी ही रहगी जरा सोचो तो

समराि होन जो आरा िा वह रासतो पर भीख मागता दफर तम उसकी पीड़ा का अनमान तो लगाओ परतरक

वयचि उस रातरा पर ह जहा अततः उस परमातमा हो जाना ह उसस कम म कोई तचपत नही ह उसस कम म

कोई पररतोष नही ह उसस कम म रका भी नही जा सकता--दफर-दफर आना होगा जनम-जनम बार-बार

आना होगा जब तक दक तम परमातमा होन को अनभव न कर लो

और बार-बार आन म सताप ह

जस कोई चवदयािी बार-बार असफल हो जाए दफर-दफर उसी पािशाला म भजा जाए तम उसकी पीड़ा

समिो हर बार नरा वषा शर होता ह दफर उसी सकल म ऐस ही हर बार नई हजदगी शर होती ह दफर वही

पाि दफर वही भिकाव दफर वही हचताओ का जाल दफर वही वयवसार दफर भवसागर

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

जो ददल स आख तक आए चमजह तक आ न सक

करग मर क बका-ए-दवाम करा हाचसल

जो हजदा रह क मकाम-हरात पा न सक

जह खलस-मोहबबत दक हाददसात-जहा

ति तो करा चमर नकश-कदम चमिा न सक

86

उनह सआदत-मचजल-रसी नसीब हो करा

वो पाव राह-तलब म जो डगमगा न सक

घि अगर तो बस इक मशत-खाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

आदमी जसा ह वसा ही रह जाए तो बस मशत खाक ह इसा एक मटठी भर चमटटी

घि अगर तो बस इस मशत-ख़ाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

और अगर फल सक तो रह सारा आकाश छोिा पड़ जाए रही पीड़ा ह होन को तो आकाश और रह

गए ह छोि-छोि आगन--इरछ-चतरछ सकीणा पख तो चमल ि दक चाद-तारो स दोसती कर और पड़ रह गए ह

कारागहो म और मजा ऐसा--बड़ा वयगर ह चवडबना ह--दक कारागहो म जो लोग पड़ ह उनक कारागहो म

लग तालो की चाचभरा तो दकनही और क हाि म होती ह तम चजस कारागह म पड़ हो तमही कारागह म पड़

हो तमही ताल हो तमही ताला डालन वाल हो तमही चाभी हो--तमहार अचतररि वहा कोई भी नही सारा

खल तमहारा ह तम चजस कषण चाहो बाहर चनकल आओ कोई रोकन वाला नही कोई पहर पर नही खड़ा ह

तम जो नािक रच रह हो रह एकालाप ह

तमन कभी नािक दखा ह--मोनोलॉग एक ही आदमी सार अचभनर करता ह बस रह तमहारा नािक

वसा ही ह--एकालाप मोनोलॉग एक ही आदमी सार काम करता ह

कछ ददनो पहल एक कलाकार मर पास आरा िा वह एकालाप म कशल िा उसन एक छोिा सा दशर

मि बतारा वह मह स आवाज करता ह जस तागा चलता हो खि-खि खि-खि ताग की आवाज घोड़ की

िापो की आवाज चबलकल दशर पदा कर दता ह दक तागा चल रहा ह कोड़ की फिकारन की आवाज घोड़

की चहनचहनान की आवाज तागा चलान वाल की आवाज ताग म बि हए आदमी की आवाज--रह सब वह

अकला ही करता ह

ताग म बिा आदमी उसस कछ कहता ह तो अलग ढग स बोलता ह ताग वाल की तरह बोलता ह तो

अलग ढग स बोलता ह राह म चलत हए लोगो को चचललाता ह तो एक ढग स और राह म चलता हआ कोई

आदमी कहता ह दक भाई करा मार ही डालोग तो अलग ढग स वहा कोई भी नही ह बस अकला ह वह सार

काम अकला ही कर रहा ह जब उसन मि रह खल ददखारा उसस मन कहा दक त इसस कछ समिा उसन

कहा दक करा मन कहाः रही तरी हजदगी ह रही सब की हजदगी ह रहा तमही हो नािक चलखन वाल तमही

नािक क पातर तमही दशाक उनही ददगदशाक सब तमही हो

घि अगर तो बस इक मशत-खाक ह इसा

बढ़ तो वसअत-कौनन म समा न सक

िोड़ा सोचो जो आकाश होन को पदा हआ ह वह एक छोिा-सा आगन होकर रह जाए--सताप न हो तो

करा हो

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

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रह हजदगी दफर चली ऐस ही न मालम दकतनी बार हजदगी आई और गई वसत दकतन आए और

दकतन गए इस बार भी वसत चला दफर हजदगी हाि स जान लगी इसचलए बचचो म तो सताप नही ददखाई

पड़ता बचच तो बड़ आशातर होत ह सोचत ह इस बार बात हो लगी बड़ी कलपनाओ स भर होत ह बड़ी

आकाकषाओ अभीपसाओ स जस-जस जवान होत ह वस-वस हजदगी का रिािा परकि होन लगता ह तीस-

पतीस साल क होत-होत समि म आन लगती ह बात दक रह मौसम भी गरा कछ हो न सका दफर चक गए

तीर हाि स चनकल चका ह अब लौिारा जा सकता नही लकषर का कछ पता नही चलता ह

र ददन बहार क अब क भी रास आ न सक

दक गच चखल तो सक चखल क मसकरा न सक

दफर चबना मसकराए ही मर जाना होगा चसफा बदधपरष ही मसकरात हए मरत ह नही तो कली चखल

जाती ह मगर कली चखल और मसकराए न तो करा चखली करा खाक चखली चखलचखलाहि फल जाए आकाश

म तो ही चखलना ह

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

जरा सोचो इस आदमी की हालत वसी ह उस पतग जसी दक ददरा दर नही रोशनी म जीता ह लदकन

ददए तक पहच नही पाता हाि क भीतर ह परमातमा और चकत चल जात ह शाचत हमारा सवतव ह हमारा

सवरपचसदध अचधकार ह और चकत चल जात ह सगीत हमार हदर की वीणा म भरा पड़ा ह और हम छड़ ही

नही पात इतन करीब और इतन दर इतन पास और इतन फासल पर

र आदमी ह वो परवाना शमए-दाचनश का

जो रौशनी म रह रौशनी को पा न सक

इसचलए सताप ह इसचलए पीड़ा ह दक सब इतना पास लगता ह दक अब पा ल अब पा ल अब पारा

अब पारा और दफर भी चक-चक हो जाती ह कछ मल भल होती रहती ह जो भीतर ह उस हम बाहर

तलाशत ह जो चमला ह उस हम वहा तलाशत ह जहा न कभी दकसी को चमला ह न चमल सकता ह रही

सताप ह

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

िोड़ा सोचो उन आसओ क सबध म--

न जान आह दक उन आसओ प करा गजरी

जो ददल स आख तक आए चमजह तक आ न सक

जो ददल स चनकल गए दकसी तरह आख तक भी आ गए लदकन पलको तक न आ सक अिक गए ऐसी

दशा ह आदमी की परमातमा क करीब आत-आत अिका ह एक कदम और बस एक कदम और और रातरा परी

हो जाए मगर वह एक कदम नही उि पाता एक छलाग और पतगा जरोचत म चमल और जरोचत हो जाए मगर

वह एक छलाग नही लग पाती हजार बाधाए खड़ी ह हजार आकाकषाए खड़ी ह हजार वासनाए खड़ी ह

हजार चवचार खड़ ह चहमालर की तरह बीच म खड़ ह दफर लोग सोचन लगत ह दक िीक ह हजदगी म नही

चमला परमातमा मर कर पा लग ऐसी सातवना दत अपन को

इसचलए तमहार शासतरो म रह सब चलखा होता हः रहा नही चमला कोई बात नही मतर क बाद तो

चमलगा ही मरत वि रामनाम ल लग गगाजल पी लग काशी-करवि ल लग गीता-पाि सनत-सनत मर

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जाएग मरत वि दान-पणर कर दग मरत-मरत कछ इतजाम कर लग आचखर-आचखर इतजाम कर लग मगर

भाचत म मत रहना

करग मर क बका-ए दवाम का करा हाचसल

जो हजदा रह क मकाम-हरात पा न सक

हजदा रह कर भी तम न पा सक तो मर कर पा लोग इस पागलपन म पड़त हो पाना हो तो हजदगी का

उपरोग करो पाना हो तो हजदगी को समरपात करो पाना हो तो हजदगी को दाव पर लगाओ इतना ससता

नही ह दक मरकर पा लग और हमन खब ससती तरकीब खोजी तीिारातरा कर आएग हज हो आएग करा

लना-दना ह हज स और काशी स और परराग स परराग म जो लोग रहत ह सदा तम सोचत हो परमातमा को

पा चलरा और तम दो ददन क चलए हो आओग कभ क मल म और तम पा लोग और जो हज म ही रहत ह

जो काबा क पास ही बस ह तम सोचत हो व सब सवगा पहच जाएग अगर व नही पहचत जो वही पदा होत

वही मरत तो तम एक चार ददन क चलए हो आओग और तम सवगा पहच जाओग तम दकसको धोखा द रह हो

धमा क नाम पर आदमी न दकतन धोख ददए अपन को

इस तरह नही चलगा र होचशरारी की बात ह र चालाकी की बात ह र गचणत की बात ह परमातमा

चमलता ह उनह जो मसत होन की चहममत रखत ह र मसती की बात नही ह र चपरककड़ो की बात नही ह

उनह सआदत-मचजल-रसी नसीब हो करा

जो पाव राह-तलब म जो डगमगा न सक

िोड़ा मसत होओ िोड़ा डगमगाओ िोड़ा नाचो िोड़ी मसती को उतरन दो वही ह असली सार िोड़ा

डोलो आनदमगन होकर जो चमला ह उसक चलए धनरवाद दो और जो चमला ह काफी ह तमहारी पातरता स

बहत जरादा ह तमहारा पातर बड़ा छोिा ह और सागर का सागर तम पर बरस पड़ा ह नाचो गनगनाओ--म

तमह एक उतसव का धमा दना चाहता ह--तो तमहारा सताप चमि जाए

जो जीसत को न समि जो मौत को न जान

जीना उनही का जीना मरना उनही का मरना

ऐस मसत हो जाओ दक न पता चल हजदगी का न पता चल मौत का ऐस मसत हो जाओ दक हजदगी और

मौत सब बराबर ऐस मसत हो जाओ दक मौत आए तो नाचता हआ पाए ऐस मसत हो जाओ दक मौत भी

उदास न कर सक तमहारा गीत गजता ही रह अगर मौत क कषण म भी तमहारा गीत गजता रह तो तम जीत

गए तमन मौत को पराचजत कर ददरा

जो जीसत को न समि जो मौत को न जान

जीना उनही का जीना मरना उनही का मरना

दरररा की हजदगी दर सदक हजार जान

मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दकनारो पर मत मर जाना हजदगी क तफानो म मरो हजदगी की चनौती सवीकार करो हजदगी बहत

सी चनौचतरा लाती ह जो चनौती सवीकार नही करत व उदास हो जात ह जो चनौती सवीकार नही करत व

हार-िक सवाहारा हो जात ह चनौती सवीकार करो हर चनौती तमहार भीतर सोए को जगाती ह हर चनौती

तमहार भीतर जो अपरगि ह उसको परकि करती ह

89

दरररा की हजदगी पर सदक हजार जान

चनछावर कर दो हजार जीवन लदकन तफान पर मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दकनार पर मत मर जाना दकनारा सरचकषत ह माना और दकनारा बड़ा सचवधापणा ह माना लदकन

सचवधा और सरकषा कबर क लकषण ह जीवन तो असरचकषत होता ह इसचलए म अपन सनरासी को नही कहता

दक भाग जाओ और चहमालर की गफाओ म चछप जाओ म अपन सनराचसरो को नही कहता दक भगोड़ बनो

मिको नही गवारा साचहल की मौत मरना

दरररा की हजदगी पर सदक हजार जान

रह ससार तफानपणा ह अगर परमातमा न रह ससार ददरा ह तो इसक पीछ अिा ह अिा एक ही ह दक

जो इसकी चनौती सवीकार करगा उसकी नीद िि जाएगी जो इसकी चनौती सवीकार करगा वह अखड हो

जाएगा जो इसकी चनौती सवीकार करगा फौलाद हो जाएगा उसक भीतर आतमा का जनम होगा आतमा ऐस

ही जनमती ह रह आतमा को जनमान का महत पररोग ह ससार

कछ आ चली ह आहि उस पाए-नाज की सी

ति पर खदा की रहमत ऐ ददल जरा िहरना

और अगर तम तफानो म जीन क आदी हो जाओ और अगर तम हजदगी और मौत को खल समिन लगो

जरादा दर न लगगी उसक चरण तमहार चनकि आन लगग उसकी आहि तमह सनाई पड़न लगगी

सताप एक ही हः चसकड़-चसकड़ मर जाना और सख एक ही ह--महासख--फलना और फलत जाना

बरहम शबद का अिा होता हः चवसतार जो फलता ही चला जाए वही बरहम और जो फलन की कला

जानता ह वही बराहमण ह तमहार तिाकचित बराहमण तो बहत चसकड़ हए लोग ह उनस जरादा चसकड़ हए

लोग पाना मचशकल ह व तो बड़ समहल-समहल कर चसकड़-चसकड़ कर जी रह ह कही कोई छ न जाए कही

अछत की छारा न पड़ जाए रह भी कोई हजदगी ह फलो चवसतीणा होओ

इतन चवसतीणा दक सब उसम समा जाए उस चवसतार का ही नाम बरहम ह और उस चवसतार की कला का

ही नाम धमा ह

सताप ह एकः दक बीज बीज रह जाए और समाचधः दक बीज फल हो जाए--चखल जाए सवणा-कमल

तमहार भीतर चखल सकता ह मगर भगोड़ो क जीवन म नही चखलता जीवन की चनौती परम आनद स

सवीकार करनी ह जीवन म रहना ह और जीवन म खो नही जाना ह जीवन म रहना ह और साकषी बन रहना

ह जीवन रह खल स जरादा न हो दफर मौत भी खल स जरादा नही ह

नजर चमलत ही ददल को वकफ-तसलीमो-रजा कर द

जहा स इचबतदा की ह वही पर इचतहा कर द

जहा स परारभ ह वही अत ह जहा स आए ह वही पहचना ह इसी चवसतार स आए ह इसी चवसतार म

लीन हो जाना ह र बीच क सपन ह चजनम तम खो गए हो

वफा पर ददल की सदक जान को नजर-जफा कर द

मोहबबत म र लाचजम ह दक जो कछ हो फना कर द

मोहबबत म र लाचजम ह दक जो कछ हो फना कर द

जो हो तमहार पास जो तम होओ--अचछ-बर गरीब-अमीर--समरपात कर दो इस चवराि को तोड़ दो

आगन की दीवाल फल जाओ

90

चमन दर आचशरा बरबाद र िि हए बाज

मरा करा हाल हो सयराद गर मिको ररहा कर द

लदकन तमहारी हालत बरी ह तमहारी हालत ऐसी हः चमन दर बहत दर ह चमन आचशरा

बरबाद घर उजड़ा हआ ह खडहर ह र िि हए बाज और तमन अपन पख अपन ही हािो स तोड़ चलए

ह कोई हहद हो गरा ह कोई मसलमान--पख तोड़ चलए कोई बराहमण हो गरा ह कोई शदर--पख तोड़ चलए

तमन अपन को न मालम--दकतनी सीमाओ और सीमाओ म बाध चलरा ह चजतनी सीमाए उतन ही पख िि

गए ह

चमन दर आचशरा बबााद र िि हए बाज

मरा करा हाल हो सयराद गर मिको ररहा कर द

और तब डर लगता ह दक अगर आज चशकारी मि मि भी कर द इस हपजड़ स तो भी मरा हाल करा

होगा म उड़गा कस पख तो िि हए ह इसचलए लोग मि होन स डरत ह सवततरता शबद घबड़ाता ह भल

ही लोग बात करत ह दक सवततर होना ह मोकष पाना ह लदकन उनह शारद िीक-िीक पता नही व करा कह रह

ह बात तो मोकष की करत ह पकड़त ह जजीरो को अगर मोकष पाना ह तो कछ सबत तो दो अगर सवततरता

को पाना ह तो जजीरो स मोह छोड़न क कछ तो परमाण दो लदकन जजीरो को इतन जोर स पकड़ हो और

चचललाए चल जात हो दक मोकष पाना ह मतत होना ह तो मि होन की धीर-धीर परदकररा म उतरो छोड़ो

जजीर हहद की मसलमान की ईसाई की छोड़ो जजीर बराहमण की शदर की कषचतरर-वशर की छोड़ो जजीर

हहदसतानी की पादकसतानी की छोड़ो जजीर तोड़ दो सीमाए चजतन असीम हो सको उतना शभ ह

लदकन बहत अजीब लोग ह दचनरा बड़ी अजीब ह

अभी कछ ददन पहल सरकारी आदश चमला ह इस आशरम को दक इस आशरम को धारमाक सिान नही माना

जा सकता करो कारण ददरा हः करोदक धारमाक तो कोई तभी माना जा सकता ह जब वह दकसी सपरदार को

मानता हो हहद हो तो धारमाक मसलमान हो तो धारमाक ईसाई हो तो धारमाक इस आशरम को सरकार

धारमाक ससिा मानन को राजी नही ह करोदक रहा हहद भी ह मसलमान भी ह ईसाई भी ह बौदध भी ह

पारसी भी ह रहदी भी ह--रह कसा धमा

मजा दखत हो

सकीणा सपरदार को धमा मानन को सरकार राजी ह चवसतीणाता को धरम मानन को राजी नही ह अगर

हहद धारमाक ह और मसलमान धारमाक ह और ईसाई धारमाक ह तो तीनो जहा चमल गए ह वहा तीन गना धमा

होगा दक कम धमा होगा कम कस हो जाएगा अगर मचसजद म परमातमा ह मददर म परमातमा ह चगरज म

परमातमा ह गरदवारा म परमातमा ह और अगर हम एक ऐसा मददर बनाए चजसका एक दवार गरदवारा हो और

एक दवार मचसजद हो और एक दवार मददर हो और एक दवार चगरजा हो तो वहा परमातमा नही होगा--रह

तमहारी सरकार का तका ह वहा कसा परमातमा और म तमस कहता ह दक वही परमातमा ह जहा सार मददर

चमल गए ह और वही परमातमा ह जहा सार सपरदार खो गए ह और कषीण हो गए ह

इस आशरम को अगर धारमाक नही माना जा सकता तो दफर दकस सिान को धारमाक मानोग और रहा

कोई आरोजन भी नही दकरा जा रहा ह चमलान का रह चमलन सहज हो रहा ह रहा बि कर हम रोज

दोहरात भी नही दक अललाह-ईशवर तर नाम सबको समचत द भगवान इस तरह की बकवास रहा हम करत

भी नही रहा जो आता ह भल ही जाता ह समि जाता ह दक बात एक ही ह रहा कोई दकसी को समिा नही

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रहा ह दक भाई तम हहद तम मसलमान दोनो एक हो जाओ जहा एक करन की बात चल रही ह वहा दो तो

मान ही चलरा हम तो दो मानत नही रहा कोई दफकर ही नही करता रहा कोई हचता ही नही दकसी को एक

करन की रहा तो जो आता ह इस हवा म जलदी ही उस बोध हो जाता ह दक रहा अपन को चभनन मानना

पिक मानना मढ़ता का लकषण ह अजञान का लकषण ह रहा कोई पछता नही कौन हहद ह कौन मसलमान ह

कौन ईसाई ह रह सिान सरकार को धारमाक नही मालम होता इसचलए जो सचवधाए सरकार धारमाक सिानो

को दती ह वह इस आशरम को दन को राजी नही ह

रह बईमानी दखत हो

और रह उनकी बईमानी जो अललाह-ईशवर तर नाम सब को समचत द भगवान का पाि करत ह

राजघाि पर बि कर गाधी की मरण-चतचि पर राजघाि पर बि कर चरखा चलात ह करान पढ़ी जाती वहा

वद पढ़ जात वहा गीता दोहराई जाती वहा रह उनका विवय ह दक रह सिान धारमाक नही ह इस दचनरा म

इस तरह क पाखड चल रह ह और इस तरह क धता पदो पर बि गए ह चजनका कल काम धोखाधड़ी ह गाधी

का नाम लत ह करोदक गाधी क नाम स वोि चमलती ह नही तो उनह कोई मतलब गाधी स नही ह

और गाधी का खद का भी कोई पररोजन हहद को और मसलमान को एक करन स कभी नही िा वह भी

राजनीचतक चालबाजी िी चली नही चालबाजी करोदक चजनना भी उतना ही कशल और होचशरार आदमी िा-

-उतना ही राजनीचतजञ महातमा गाधी को गोली लगी--तो हजदगी भर कहा िा दक अललाह-ईशवर तर नाम--

लदकन जब नाम चनकला गोली लगन पर तो राम का चनकला अललाह का नही चनकला जब गोली लगी तो

गाधी क मह स चनकलाः ह राम अललाह राद नही आरा करो राम करो राद आरा भीतर तो सब हहद-

भाव भरा बिा ह गीता को कहा ह माता करान को चपता नही कहा करान को चपता कहत तो हहद भी नाराज

हो जात दक हद हो गई गीता को माता और करान को चपता िगड़ा हो जाता तो गीता को तो गाधी जी माता

कहत ह करान को चपता नही कहत और करान म उन-उन वचनो की ही परशसा करत ह चजन वचनो का गीता

स मल ह बस उन वचनो को चबलकल छोड़ दत ह जो गीता क चवपरीत पड़त ह

रह सब राजनीचत ह

चजनह धारमाक होना ह सच म उनह इन राजनीचतक चालबाचजरो स ऊपर उिना होगा म तम स कहना

चाहता हाः धमा चवसतार की कला ह ऐस चवसतार की कला दक सारा आकाश भी छोिा पड़ जाए तम सबको

अपन म समा लो

सताप रही ह दक तम सीचमत हो गए हो सकीणा हो गए हो आनद रही होगा दक तम चवसतीणा हो

जाओ तोड़ो सीमाए तोड़ो सकीणाताए धमा का कोई चवशषण नही ह--न हहद न मसलमान न ईसाई धमा तो

वह ह चजसस सारा जगत सधा ह अगर धमा हहद हो तो मसलमान को कौन साध अगर धमा ईसाई हो तो

हहद को कौन साध और धमा अगर आदमी का ही हो तो वकषो की कौन हचता कर और धमा अगर वकषो का ही

हो तो जानवरो की कौन दफकर कर सारा अचसततव चजसस सधा ह उस जीवन क मौचलक आधार का नाम धमा

ह हम उस मौचलक आधार को रहा जीन की कोचशश कर रह ह और सरकार कहती ह दक इस सिान को

धारमाक सवीकार नही दकरा जा सकता

आचखरी परशनः एक चशचवर म मन पाच धरान दकए मि जञात नही दकस कषण करा घरित हआ वहा स

लौिन पर म चार माह तक अपन भीतर एक अजीब स आनद का अनभव अनवरत करता रहा और मरा शरीर

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पडलम की भाचत डोलता रहा मख स अनारास ही ओम आनद का उचचारण होता रहा और म एक मदहोशी

का अनभव करता रहा चजस अब भी अनभव करता ह तिा भजन कीतान रा परवचन अिवा धरान क समर

दसरो को धरान करत दखन मातर स मरा शरीर डोलन लगता ह साि ही आवश रा िोड़ पररशरम क उपरात भी

शरीर डोलन लगता ह कपरा अनगरहपवाक उि चसिचत का चवशलषण कर भावी साधना हत मागा दशान कर तिा

सभावना पर परकाश डाल कतािा कर

भगवानदास धरान एक शराब घोल दता ह हदर म शभ लकषण हआ तम डोलन लग तम मसत होन

लग इस अगीकार करो लगता ह तमहार मन म अभी िोड़ी इस अगीकार करन म चििक ह तम िोड़ डर-डर

हो तम िोड़ भरभीत हो तम सददगध हो--जो हआ िीक हआ दक नही हआ कही म चवचकषपत तो नही हआ जा

रहा ह

धरान की पहली घिना जब घिती ह तो ऐसा ही लगता ह दक पागल हए

न जान ददल म वो करा सोचत रह पहम

चमर जनाज प ता-दर सर िकाए हए

उनही म राज-मोहबबत दकसी का चपनहा िा

जो खशक हो गए आस चमजा तक आए हए

हदद-कचा-ए-महबब ह वही स शर

जहा स पड़न लग पाव डगमगाए हए

परार की सीमा वही स शर होती ह जहा स पर डगमगान लगत ह

हदद-कचा-ए-महबब ह वही स शर

जहा स पड़न लग पाव डगमगाए हए

तमहार पर डगमगा गए रह अचछा हआ इसस बचनी भी होगी करोदक तम अब सामानर ढग स न जी

सकोग मगर रह कवल एक सकरमण काल की बात ह डरो मत धरान म डबो शरआत म पर डगमगात ह

दफर धीर-धीर धीर-धीर पर दफर चसिर हो जात ह धरान का परािचमक चरण मसती ह धरान का अचतम चरण

परम शाचत ह अगर आग बढ़त चल गए तो धीर-धीर रह डोलना अपन आप चवलीन हो जाएगा

ऐसा ही समिो दक नरा-नरा दकसी आदमी को शराब चपला दो तो डोलता ह नाचता ह कदता-फादता

ह सड़को पर चगर जाता ह र कोई परान चपरककड़ो क लकषण तो नही पराना चपरककड़ तो तमह पता ही न चल

दक चपए ह

म एक चपरककड़ को जानता ह उनकी पतनी न मि कहा दक आप मर पचत को समिाए--वह आपक पास

आत ह--शराब पीना बद कर म न कहा त इतनी बार आई तन कभी मि कहा नही उसन कहा मि पता ही

नही िा दो साल हो गए ह शादी हए मगर एक ददन वह चबना चपए घर आए तब पता चला नही तो म तो

समिती िी रह उनका सवाभाचवक ढग ह चबना चपए आ गए तब समि म आरा

पीन म जब कोई आदी हो जाता ह तो दफर पर नही लड़खड़ात रह तो चसकखड़ चगर पड़त ह रासतो

पर र नर-नर सीखन वाल चजनह अभी सवाद लगा ह

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अचछा ह शरआत हो गई मगर शरआत को दो बात खराल रखना एक डरना मत नही तो रक

जाओग घबड़ा जाओग और अगर डर गए और रक गए तो एक बहमलर अवसर आत-आत हाि म चक गरा

दसरी बात खराल रखना दक रही धरान का अत नही ह दक बस अब डोलत ही रह हजदगी भर नही तो दफर

भिक गए दफर समहलना ह

धरान जारी रखो जस एक ददन डोलना आरा ऐस ही एक ददन अचानक पाओग सननािा उतरा सब

समहल गरा सब सतचलत हो गरा और जब धरान सतचलत हो जाता ह जब चपए भी बि ह लदकन दकसी को

कानोकान खबर भी नही होती दक रह आदमी चपए बिा ह तभी जानना दक िीक अवसिा आ गई मीरा का

नतर धरान की शरआत ह बदध का वकष क नीच शात पतिर की मरता की भाचत बिा होना धरान की पणााहचत

पर जारी रखो रातरा जारी रह

तमन रह भी पछा ह दक हचता की पररचसिचतरो म भी रचच और तीवरता स सासाररक कारो म परवतत

नही हो पाता ह शारीररक और मानचसक चशचिलता अब तक बनी हई ह तजी स पहल की भाचत चल भी नही

पाता और न ऊची आवाज म बात कर पाता ह कभी हिात शारीररक शरम का कारा कर लन स शरीर डोलन

लगता ह उि पररचसिचत क चलत बहधा मन चवषरो की ओर चला जाता ह इसस मन म गहरा चवषाद भी

छा जाता ह ककत मदहोशी का अनभव तब भी होता रहता ह

सब शभ लकषण ह जब धरान की ऊजाा पहली बार पकड़गी तो तमहारी बहत सी शचि उस ऊजाा म लीन

होगी इसचलए शरीर िोड़ा कमजोर मालम होन लगगा जस-जस धरान िहरन लगगा धरान की जरोचत अकप

होन लगगी शरीर पनः शचिशाली हो जाएगा और पहल स भी जरादा शचिशाली हो जाएगा

र बीच क सकरमण ह जस कोई आदमी नरा-नरा वयाराम शर कर तो शरीर िक जाता ह ददन भर

िका-िका रहता ह करोदक वयाराम ही शचि ल लता ह अभी दन की बजार लता ह लदकन अगर वयाराम

जारी रख तो धीर-धीर लन क बजार दन लगता ह धरान अतस का वयाराम ह तो अभी शचि धरान म लग

जाती होगी--तम डोलत होओग नाचत होओग उतनी शचि वयर हो जाएगी उतनी शचि कम पड़ जाएगी

तो तम पाओग सामानर जीवन म िोड़ी कमजोरी आ गई जोर स बोल नही सकत कोई काम बहत महनत का

करना पड़ िक जात हो मगर र परािचमक लकषण ह अगर चलत रह जलदी ही तम पाओग सब पनः

वयवचसित हो गरा

और दफर जोर स बोलन की जररत भी करा ह अचछा ही ह चजतनी वयिा की चीज कि जाए उतना

अचछा ही ह गाली-गलौज न द पाओग करोध न कर पाओग दवष-ईषराा िकान वाल मालम पड़ग रह अचछा

पहला आघात तम पर हआ ह और पहला आघात ऐसा ही होता ह जस चबजली चगर जाए सब

असतवयसत हो जाता ह और म समि पा रहा ह तमहारी अड़चन को

धीरज रखो धरान जारी रखो बद मत करना करोदक जो धरान स हआ ह वह धरान स ही शात होगा

और दसरी बात एक सदकरर धरान करो और एक चनचषकरर धरान करो सबह सदकरर धरान कर लो साि

चनचषकरर धरान--चवपससना रा नादबरहम और धीर-धीर जस-जस चचतत शात होन लग वस-वस सदकरर धरान

को कम करत जाना चनचषकरर धरान को बढ़ात जाना एक छह-नौ महीन की परदकररा म सदकरर धरान धीर-धीर

छोड़ दना और चनचषकरर धरान को ही पकड़ लना सारी शचि वापस लौि आएगी सारा सतलन वापस आ

जाएगा और नर परकाश को लकर नर आनद नई मसती को लकर

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चचतत म अभी वासनाए उि रही ह उिती रहगी जलदी नही जाती-- जनमो-जनमो की ह मगर धरान की

दकरण अगर आनी शर हई तो जरादा दर रह अधरा रिकगा नही र वासनाए भी चली जाएगी तम धरान पर

शचि लगाओ और वासनाओ क परचत चसफा तिसि-भाव रखना लड़ना मत िगड़ना मत हिान की कोचशश

मत करना करोदक अगर हिान म लग तो बहत दर लग जाएगी उपकषा करना खराल कर लना दक िीक ह

रह कामवासना उिी रह लोभ उिा रह ईषराा उिी धरान द ददरा बस पराापत ह न तो इसम जाना न इसस

लड़ना न इसक पीछ चलना न इसस भागना सवीकार कर लना दक िीक ह बस और अपन काम म धरान क

लग रहो

जीवन की साधारण परदकररा को चलन दो उसको रोकना मत नही तो खतरा होगा रह सोचकर दक

अभी कमजोरी ह तो बाकी सब काम रोक द चसफा धरान कर तो दफर तम पग हो जाओग दफर आि महीन-दस

महीन क बाद मचशकल हो जाएगा काम म लौिना इसचलए काम तो जारी ही रखना अड़चन भी हो तो भी

जारी रखना काम तो जारी ही रखना ह ससार स भागना तो ह ही नही भागन का मन बहत बार होगा

करोदक भागन म सचवधा मालम पड़ती ह--चमिी सब छिी सब ििि सब उततरदाचरतव गरा म तमह

उततरदाचरतव स भगाना नही चाहता सारा उततरदाचरतव सवीकार रखो सारा काम जारी रखो एक सदकरर

धरान सबह एक चनचषकरर धरान साि धीर-धीर सदकरर को छोड़त जाना चनचषकरर को गहन करत जाना

अततः नौ महीन बाद मि कहना जब चनचषकरर ही बच जाए और जब सब शात हो जाए

सब शात चनचित हो जाएगा ऐसी घिना रहा परतरक को घिती ह कछ नरा नही ह

आज इतना ही

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अरी म तो नाम क रग छकी

पाचवा परवचन

गगन -मददल दढ़ डोरर लगावह

अरी म तो नाम क रग छकी

जब त चाखरा चबमल परमरस तब त कछ न सोहाई

रचन ददना धचन लाचग रही कोउ कतौ कह समिाई

नाम चपराला घोरिक कछ और न मोहह चही

जब डोरी लागी नाम की तब कचहक काचन रही

जो रचह रग म मसत रहत ह तचह क सचध हरना

गगन-मददल दढ़ डोरर लगावह जाचह रहौ सरना

चनभार हवक बरि रहौ अब मागौ रह बर सोई

जगजीवन चवनती रह मोरी दफरर आवन नहह होई

म तोहह चीनहा अब तौ सीस चरन तर दीनहा

तचनक िलक छचव दरस दखार

तब त तन मन कछ न सोहार

कहा कहौ कछ कचह नहह जार

अब मोचह का सचध समचि न आर

होइ जोचगन अग भसम चढ़ार

भवर-गफा तम रहउ चछपार

जगजीवन छचव बरचन न जार

ननन मरचत रही समार

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

ए सचख मोहह त कचहर न आव कस-कस करह पकारी

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

रचव सचस गन तहह छचब सम नाही चजन कह कहा चबचारी

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

बस एक समत उड़ा जा रहा ह वहशत म

खबर नही दक खदी करा ह बखदी करा ह

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

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मरी खशी तो ह सब कछ तरी खशी करा ह

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो कि जार हजदगी करा ह

और हजदगी अचधक लोगो की बस दकसी तरह ही कि जाती ह जनम तो होता ह जीवन नही चमल पाता

जीवन चमल सकता ह लदकन जीवन जनम का पराारवाची नही ह जनम अवसर ह जीवन खोजोग तो चमल

जाएगा जनम बीज ह बसत की तलाश करोग भचम खोजोग बीज को भचम म डालन की सामिा जिाओग

मरन की तरारी रखोग--चमिन की कबत--और जोखम उिाओग तो फल चखलग--जीवन क फल नही तो जनम

और मतर क बीच म लोग र ही जी लत ह ििा ही जी लत ह जीन का नाम ही रहता ह जीवन का कोई सवाद

नही चमल पाता चजस जीवन का सवाद चमल जाता ह उसकी दफर मतर नही ह करोदक जीवन की कसी मतर

जीवन शाशवत ह जीवन अमत ह

जब तक तमह मतर का भर हो जान रखना अभी जीवन का पता नही चला ह जब तक मतर सािाक

मालम पड़ती हो जब तक मतर रिािा मालम पड़ती हो तब तक भल मत जाना अभी जीवन की तलाश करनी

जीवन क चमलत ही मतर एक िि ह मतर स बड़ा दफर कोई िि नही ह अभी तो मतर स बड़ा कोई सच

नही ह अभी तो इस तिाकचित जीवन म जनम क बाद अगर कोई चीज चनचित ह तो चसफा मतर चनचित ह

बाकी कछ भी चनचित नही ह और कछ होगा रा न होगा लदकन मतर जरर होगी जो जनमा ह वह मरगा

जस जनम एक पहल ह उसी चसकक का चजसका दसरा पहल मतर ह

जनम और मतर क बीच म जीवन नही ह जीवन जनम क पवा भी ह और मतर क पार भी ह जनम और

मतर क बीच जीवन नही घिता जीवन म जनम और मतर की घिनाए घिती ह और ऐसी बहत घिनाए घि

चकी ह बहत बार जनम हो बहत बार मर हो मगर जीवन स अभी पहचान नही हई बार-बार चक गए हो

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

परम की पािशाला म मन रह पाि सीखा

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो कि जाए हजदगी करा ह

ऐस बोि की तरह जो कि घचसित-घचसित जो कि उस हजदगी मत समिना जीवन तो एक नतर ह

एक गीत ह एक महोतसव ह जीवन तो खब सतरगा ह बोि कहा जीवन तो चनभाार ह जीवन क पास तो

ऐस पख ह दक सारा आकाश तमहारा हो जाए जीवन रह कारागह नही ह चजसको तमन जीवन समिा ह रह

कषदर छोिी-छोिी घिनाओ म ििन वाला चबखरन वाला जीवन इस जीवन समि चलरा चजसन वह चक गरा

उस वयचि को ही म अधारमाक कहता ह जो इस कषदर जीवन को जीवन समि लता ह और इस कषदर स इतना

भर जाता ह दक चवराि को दखन की न तो अभीपसा पदा होती न अवकाश चमलता जो इस कड़-कचर स धन-

पद-परचतषठा-अहकार इसस ही इतना भर जाता ह दक चजसक भीतर जगह ही नही होती दक परमातमा अगर

अचतचि होना चाह तो हो सक और ऐसा नही ह दक परमातमा तमहार दवार पर दसतक न दता हो मगर दीवान

ही सन पात ह दसतक को परमी ही समि पात ह उस सकत को

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धमा मसत होन की कला ह अलमसत होन की कला ह धमा का उदासी स कोई भी सबध नही ह इसचलए

तमहार मददरो-मचसजदो म तमहार आशरमो म अगर उदास लोग बि हो तो समि लना दक वहा अभी धमा की

कोई दकरण नही उतरी र तमहार उदास आशरम मरघि ह रहा जीवन का कोई नतर नही हो रहा ह परमातमा

को पहचानना हो तो फलो म खोजो वहा नतर ह चाद-तारो म खोजो वहा उतसव ह बसत म तलाशना

आकाश म मघ चघर जाए वहा खोजना पश-पचकषरो की आवाज म गीत म शारद चमल जाए लदकन तमहार

सत-महातमाओ क उदास चहरो म नही चमलगा व तो मौत स घबड़ा कर बि गए ह वहा उनह हजदगी की कछ

भी खबर नही ह

इस भद को खराल म ल लो

मौत स घबड़ा कर जो धारमाक होता ह वह धारमाक नही ह धमा का धोखा ह वसा ही जसा हम खत म

नकली आदमी खड़ा कर दत ह घास-फस का दफर चाह तम उस चड़ीदार पजामा पहना दो अचकन पहना

दो जवाहर बडी लगा दो गाधी िोपी लगा दो इसस करा होता ह चड़ीदार पाजाम क भीतर चसफा घास-फस

ह और चसर कहा ह वहा हडी लगा दत ह हडी पर गाधी िोपी रख दी लदकन पश-पचकषरो को डरान क काम

आ जाता ह रह खत का ििा आदमी भी कछ काम आ जाता ह बस ऐस ही तम भी कछ काम आ रह हो और

मौत स घबड़ा जाओग और मौत स घबड़ाना ही होगा करोदक मौत आ रही ह ििा धारमाक आदमी घास-फस

का होता ह--मौत स घबड़ा कर ही जाता ह--उसक धमा का आधार भर होता ह भीरता

दचनरा की सभी भाषाओ म ऐस शबद ह धारमाक आदमी को कहत हाः धमाभीर रा ईशवर-भीर गॉड

दफरररग धारमाक वयचि और ईशवर-भीर भीर ईशवर स डरगा धारमाक आदमी तो दफर ईशवर क गल कौन

लगगा धारमाक आदमी और ईशवर स डरगा तो दफर ईशवर स परम कौन करगा और जहा परम ह वहा भर

कसा और जहा भर ह वहा परम कस हो सकगा

इसचलए म तमस कहता हाः धारमाक आदमी ईशवर स भरभीत नही होता चसफा धारमाक आदमी ही ईशवर

स भरभीत नही होता अधारमाक होत होग भरभीत अधारमाक को भरभीत होन का कारण ह करोदक

अधारमाक का ईशवर भर स ही चनरमात ह तमहार मददरो और मचसजदो म चजसकी पजा हो रही ह वह तमहार

भर का ही सतर ह तमहार भर स ही जनमा ह तम जो घिन िक कर परािाना कर रह हो िरिरा रह हो कप

रह हो उसम भर ह उसम नरक का भर ह मौत का भर ह--मौत आ रही ह और न मालम दकतन पाप हो रह

ह पता नही करा होगा मतर क बाद समिा लो परमातमा को फसला लो परमातमा को खशामद कर लो

उसकी तमहारी परािानाए तमहारी सतचतरा तमहारी ररशवत स जरादा नही ह इसचलए चजतन दचनरा म

तिाकचित धारमाक दश ह वहा खब ररशवत चलती ह उनक पराणो म ररशवत बसी ह

भारत स लोग ररशवत हिाना चाहत ह हिगी नही--जब तक भारत की धारमाक मनोदशा नही बदलती

रह दश हजारो साल स परमातमा को ररशवत दता रहा ह एक नारररल चढ़ा आरा--सड़ा नारररल करोदक

परमातमा को कोई िीक-िीक नारररल नही चढ़ाता परमातमा को चढ़ान क चलए अलग ही नारररल बाजार म

चबकत ह चबलकल सड़ हए अकसर तो परमातमा क मददर क सामन ही नारररल की दकान होती ह व ही

नारररल बार-बार चढ़त रह ह--हजारो बार चढ़ चक ह तम चढ़ा आत हो पजारी दफर रात को बच दता ह

सबह दफर चढ़न शर हो जात ह तम नारररल चढ़ाकर परमातमा को कछ मागन जात हो तम कहत हो बि

की नौकरी लगवा दना दक पतनी बीमार ह रह रहा नारररल

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रह दश ररशवत दता रहा ह परमातमा को ररशवत इसक पराणो म भर गई ह ररशवत बड़ी धारमाक परदकररा

ह बड़ी पराचीन परपरा ह इसचलए इस दश को ररशवत स छड़ाना बहत मचशकल ह जब परमातमा तक नारररल

स मान जाता ह तो आदमी की करा चबसात दफर लकर पचलसवाल स और परधानमतरी तक सब नारररल स

मान जात ह छोि नारररल बड़ नारररल तरह-तरह क नारररल लदकन जब परमातमा तक मान जाता ह तो

दफर और दकसकी करा चबसात ह

दफर डाचलरा सजा कर भजो और अगर सीधा कोई उपार न हो तो पीछ का कोई दरवाजा खोजो

अगर नता सीधा ररशवत न लता हो तो पतनी क चरण दबाओ बिो की सतचत करो--कोई उपार खोजो उपार

चमल जाएग रहा लनवाल क मन म भी ररशवत की परचतषठा ह और दन वाल क मन म भी ररशवत की परचतषठा ह

ररशवत बड़ी धारमाक परदकररा ह

तम करा करत हो तम कहत हो दक परभ का नाम ल लत ह रोज सबह रह करा ह परभ क नाम लन स

करा होगा करो ल रह हो नाम ईशवर को जानत हो पहचानत हो उसस कछ मलाकात हई अभी तो अपन

स भी मलाकात नही हई उसस करा मलाकात होगी अभी तो तमह रह भी पता नही ह दक म कौन ह अभी तो

चमलन वाल का भी पता नही ह तो तम तलाश पर करा चनकलोग--अभी तो खोजी भी अधर म डबा ह अभी

खोज कस होगी लदकन इस अधर म भरभीत कप रह हो डर रह हो इसी डर स परािाना भी करत हो पजा

भी करत हो मददर क पजारी को भी ररशवत दत हो परािाना रजञ-हवन अचाना आराधना इन सबक भीतर

तमहारा भर चछपा ह

खराल रखना भर स की गई परािाना परमातमा तक नही पहचती और जो भर स परािाना कर रहा ह वह

परािाना कर ही नही रहा ह जो आदमी कह रहा ह दक मरी पतनी बीमार ह उस िीक कर दो इसको परमातमा

स करा लना-दना ह इसकी पतनी िीक होनी चाचहए इसका पररोजन साफ ह रह परमातमा का भि ह तम

समित हो रह परमातमा का भी शोषण करन गरा ह रह परमातमा स सवा लना चाहता ह रह परमातमा

का सवक नही ह रह कहता ह--जरा मरी सवा करो मरी पतनी बीमार ह उसको िीक करो और धरान रखना

अगर मरी पतनी िीक न हई तो सब शरदधा उखड़ जाएगी दफर म भरोसा न कर सकगा एक मौका और दता ह

मर पास लोग आकर कहत ह दक अगर हम जो माग वह परािाना म चमल जाए तो परमाण चमल जाए दक

ईशवर ह और अगर हमारी परािाना परी न हो तो उसक होन का परमाण करा ह न तमह पता ह अपना न

उसका हा एक बात तमह मालम ह दक रह हजदगी जो तमन बनाई ह रत पर बनारा घर ह रह चखसक रही

ह इसकी नीव कप रही ह मौत का ििावात रोज करीब आ रहा ह र बाल सफद होन लग र पर कपन लग

र हाि डोलन लग र बढ़ापा करीब आन लगा--मौत करीब आ रही ह कछ इतजाम कर ल कछ और सहारा

ददखाई नही पड़ता--धन साि जाएगा नही पद साि जाएगा नही सगी-सािी साि जाएग नही शासतर कहत ह

दक नाम-समरण साि जाएगा तो चलो राम-राम जप ल तो बि हो तम माला फर रह हो मगर भर स भरा

हआ हदर आरोजन कर रहा ह मतर स बचन का

परमातमा की तलाश परमातमा की खोज ऐसी नही होती परम स होती ह परमातमा की खोज परम ही

उसका दवार ह परम की मसती चाचहए तो उसक घघि खल जाए

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

अगर रह धमाभीरता अगर रह ईशवर स भर धमा ह तो दफर अधमा करा होगा और र उदास मदो की

तरह बि हए लोग चजनको तम साध-सत कहत हो अगर र धारमाक ह तो दफर अधारमाक कौन ह

99

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

अगर रह मसती ह अगर रह धमा का रस ह र धमा पीन वालो क ढग ह तो दफर उसक रस पीन का न

तो कोई गौरव रहा न कोई गररमा रही

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

और जो उसक परम म बहक न जाए नाच न उि भल न जाए लोकलाज मान-मराादा बखद न हो जाए

वह न तो चपरककड़ ह और न परािाना करन वाला

परािाना शराब ह

मर दख चजसन जीवन म परािाना नही जानी उसन जीवन की असली शराब नही जानी वह ऐसा ही

परासा आरा और परासा गरा और चजसन परािाना की शराब नही पी वही और तरह की शराब पीता ह

पररपरक सोचता ह शारद इस तरह अपन को भला ल हा अगर स भी शराब बनती ह मगर घड़ी दो घड़ी

को भला पाती ह एक आतमा की भी शराब ह जो डबा सो डबा दफर लौिता नही और रह भी घड़ी दो घड़ी

क चलए डबन का करा पररोजन ह करोदक घड़ी दो घड़ी क बाद दफर हचताए वही की वही खड़ी ह--और बदतर

होकर खड़ी ह रह घड़ी दो घड़ी की मचछाा कछ साि दन वाली नही ह

लदकन एक बात तो साफ ह मनोवजञाचनक इस सबध म राजी ह दक आदमी न शराब खोजी धरान की

ही खोज म धरान नही खोज पाए जो व शराबो म उलि गए शराब म उलि जान क पीछ आकाकषा तो एक

ही ह दक दकसी तरह बखद हो जाऊ

उस आकाकषा को समिना--

शराबी म भी आकाकषा तो परमातमा की ही खोज की चल रही ह और कभी-कभी तो ऐसा होता ह दक

धनलोलप म नही होती उतनी परमातमा की खोज चजतनी शराबी म होती ह पदलोलप म नही होती पद-

चपपास म नही होती उतनी परमातमा की खोज चजतनी शराबी म होती ह शराबी करा खोज रहा ह शराबी

अपन स परशान ह अपन को भलना चाहता ह कोई उपार चाहता ह जहा अपन को भला द कछ उपार

चाहता ह जहा िोड़ी दर क चलए रह अहकार चवसमत हो जाए रह अहकार भारी ह चछद रहा ह भाल की

तरह घाव बन गरा ह इसक साि जीना मचशकल होता जा रहा ह इसी मचशकल को हल करन क चलए आदमी

न शराब खोजी

अब तो और नर-नर वजञाचनक उपार खोज ह--एलएसड़ी ह मारीजआना ह और नई-नई तरकीब

खोजी जा रही ह मगर र सारी तरकीब दकसी काम की नही ह र ििी ह र िोिी ह र रासारचनक ह इनस

िोड़ी दर क चलए भाचत पदा हो जाती ह--बस भाचत--दफर लौि आना पड़ता ह असचलरत क जगत म वही

हचता वही बचनी वही उपदरव वही बाजार वही शोरगल रह तो नीद जसी बात ह िोड़ी दर क चलए नीद

लग गई राहत चमल गई दफर वाचपस

और राहत महगी ह करोदक शरीर को नकसान पहचा ह मन को नकसान पहचा ह आतमा को नकसान

पहचा ह एक गलत आदत चनरमात होनी शर हई चजसस छिना मचशकल हो जाएगा रोज-रोज मचशकल हो

100

जाएगा रह तो जहर पीकर अमत को धोखा दना ह लदकन आकाकषा तो िीक ह आकाकषा तो रही ह दक म

बखद कस हो जाऊ

आदमी का एक ही कषट हः उसकी खदी उसका म-भाव तम भी जरा चनरीकषण करना चजतना म-भाव

होता ह उतना जीवन म दख होता ह--उसी मातरा म दख होता ह चजतना म-भाव कम होता ह उतना ही

जीवन म कम दख होता ह और जहा म-भाव चबलकल नही होता वहा आनद क फल चखल जात ह आ गरा

बसत गीत गजन लगत ह जीवन एक नई पलक और उमग स भर जाता ह एक नरा उतसाह परो म घघर बध

जात ह ओि पर बासरी आ जाती ह

धारमाक वयचि का लकषण रही ह दक वह उतसवपणा हो

र मकशी ह तो दफर शान-मकशी करा ह

बहक न जाए जो पीकर वो ररद ही करा ह

बस इक समत उड़ा जा रहा ह वहशत म

खबर नही दक खदी करा ह बखदी करा ह

ऐसी घड़ी आ जाए न पता चल म न पता चल त जहा म भी गरा त भी गरा जहा खदी तो

गई ही गई रह भी खराल पदा नही होता दक बखदी आ गई अहकार तो गरा ही गरा चनर-अहकाररता का

अहकार भी जहा नही ह जहा कछ भी शष नही रहा जहा मसती पररपणा हो गई ह जहा नाच ही नाच ह--

नताक डब गरा नतर म गारक खो गरा गीत म--वसी घड़ी म जीवन का अनभव होता ह जीवन स पहली

पहली बार सबध जड़ता ह

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

और दफर आदमी राजी हो जाता ह दफर चाह मतर का चवष पीना पड़ रा जीवन की चति किता पीनी

पड़

म जहरमगा गवारा कर दक तलखी-ए-जीसत

चमरी खशी तो ह सब कछ चतरी खशी करा ह

दफर आदमी कहता ह मरी खशी की करा दफदकर तरी खशी करा ह दफर उसकी मजी होनी शर होती

चजस ददन वयचि क भीतर स परमातमा जीता ह उस ददन जीवन चमला चजस ददन कषदर क भीतर स

चवराि बहता ह उस ददन जीवन चमला चजस ददन बद स सागर िाकन लगता ह उस ददन जीवन चमला दफर

कोई मतर नही ह

र दसा मन चलरा मिब-मोहबबत स

दकसी तरह जो बहल जाए हजदगी करा ह

101

सावधान होओ ऐस ही हजदगी को मत गवा दना जरा पदाा उिाओ पद क पीछ माचलक चछपा ह जरा

आख खोलो आख खलत ही अपवा सपदा क दशान होत ह जरा जागो जरा मसत होओ जरा बहको जरा

नाचो जरा गाओ जरा रोओ जरा भावाचवषट होओ भावाचवषट हो जाना ही भचि ह र सब भाव की तरग ह

जगजीवन क आज क सतर बड़ परार ह समिना--

अरी म तो नाम क रग छकी

चजनहोन जाना ह उनहोन ऐसा कहा ह चजनहोन नही जाना व तो धमा क नाम पर बड़ उदास हो जात ह

जीत-जी मदाा हो जात ह इनही मदो स इस दश क आशरम भर पड़ ह इनही मदो क कारण रह परा दश भी मदाा

हो गरा ह इन मदो न इस दश को जीना नही चसखारा आतमहतरा चसखाई ह

इस दश क पास सब ह चसफा इस दश की आतमा खो गई ह कभी इस दश न बड़ी ऊचाइरा दखी बड़

चशखर दख कषण की बासरी सनी तम सोचत हो कषण कछ उदास ढग क आदमी रह होग उदासी और

बासरी का कछ मल बिगा कषण का नतर दखा ह इस दश न कषण का रास दखा उदास आदमी नाचत ह

मोरमकि बाधत ह व सवसि ददन ि धमा अपनी गहनता म अपनी गहराई म परगि हआ िा

दफर बड़ रगण ददन आए रगणचचतत लोग हावी हो गए उनहोन सार दश क मन को उदासी स भर ददरा

चवसतार चला गरा लोग चसकड़न लग हर चीज स भरभीत हो गए ऐसा न कर वसा न कर धमा न करन की

ही एक परदकररा हो गईः करा-करा न कर धमा का करन स कोई सबध न रहा फलाव का चवजञान न रहा धमा

चसकड़ाव बन गरा चसकड़-चसकड़ आदमी जीन लग और तभी न कवल दश की आतमा मरी दश का शरीर भी

दीन-हीन हो गरा

हजारो साल स रह दश गरीब ह और इस गरीबी क पीछ तमहार तिाकचित िि धरम की ही चशलाए ह

जो भीतर स समदध होता ह उस बाहर स दररदर होन का कोई भी कारण नही ह करोदक जो भीतर स समदध

होता ह उसकी समचदध बाहर भी फलन लगती ह फलनी ही चाचहए वही सबत ह जब भीतर गीत उिा हो

तो बासरी बजगी और सवर बाहर फल जाएग

इस दश को कभी सोन की चचचड़रा होन का सौभागर िा व ददन ि जब इस दश न धमा जाना िा तब

वद सहज जनम ि तब उपचनषद ऐस पदा हए ि जस गीत कोई गाता ह रा पकषी सबह गनगनात ह इतनी

सरलता स सब हआ िा लदकन व चसकड़ाव क ददन नही ि बड़ फलाव क ददन ि आशरम उदास मदाा लोगो क

सिान नही ि वहा जीवन की धारा बहती िी वहा हम भजत ि अपन बचचो को जीवन की कला सीखन अब

तो आशरमो म कवल बढ़ वदध इतरादद जात ह अब तो मरन क करीब जो होत ह व आशरमो म जात ह अब तम

अपन बचचो को आशरम म भजत हो कब स तमन बचच आशरम भजन बद कर ददए पछो तो करो बद कर ददए

मर पास लोग आकर पछत ह दक आपक आशरम म जवान लोग ददखाई पड़त ह उनको हरानी होती ह

हरानी सवाभाचवक ह करोदक व भल ही गए ह दक जहा हजदगी होगी वहा जवानी भी होगी वहा बचच भी

होग मिस लोग आकर पछत ह दक आप छोि स बचच को भी सनरास द दत ह उनका खराल ह दक चसफा बढ़ो

को ही सनरास ददरा जाना चाचहए उनका सच म तो खराल रह ह दक जब एक पर कबर म उतर जाए और एक

बाहर रह जाए तब जलदी स सनरास लकर कबर म चगर गए सनरास लन का उनका मतलब ही रह ह दक जब

मर ही गए अब ल लो सनरास जब तक जीत हो तब तक जीवन स सबध मत जोड़ो तब तक कषदर को इकटठा

करो और बिोरो

102

तमह राद ह न इस दश म हम अपन बचचो को गरकल भजत ि व गरकल आशरम ि और जहा छोि-

छोि बचच इकटठ होत होग वहा दकलकारररा न होती होगी वहा नाच न होता होगा वहा गीत न गाए जात

होग चनचित रह सब होता होगा व चहममत क ददन ि धमा एक उभार पर िा

दफर एक चसकड़ाव आता ह हर चीज म आ जाता ह करोदक हर चीज म एक लरबदधता होती ह लहर

उिती ह दफर चगरती ह हजारो साल स लहर चगरती रही ह अब उसन अपना आचखरी तल छ चलरा ह म

लहर को दफर उिान की कोचशश कर रहा ह दक दफर बचच धारमाक हो दक दफर जवान धारमाक हो और चनचित

ही जवान जब धारमाक होग तो धमा का रग-ढग अलग होगा होगा ही करोदक सारी जवानी सरि होगी

जवानी अपना रग लकर आएगी और जब मददरो म जवान नाचग तो रौनक होगी तो उतसव होगा तो परम

जनमगा तो मसती होगी

धमा को म रह जो नरा रप दन की चषटा कर रहा ह उसस पचडत परोचहत पजारी राजनता बड़

परशान ह उनकी परशानी रह ह दक व धमा क एक मदाा रप क आदी हो गए ह रह व भल ही गए ह दक धमा

म भी सास होनी चाचहए हदर धड़कना चाचहए उनका धमा का जो अिा हो गरा ह वह लाश मरघि कबर

कल ही म तमस कह रहा िा दक सरकार रह मानन को राजी नही ह दक रह आशरम धारमाक ह इसचलए

मानन को राजी नही ह--कारण उनहोन ददरा ह--करोदक रह न तो हहद ह न मसलमान ह न ईसाई ह न जन

ह न रहदी ह रह कस धारमाक हो सकती ह जगह म पछना चाहता ह दक जब बदध न धमा को जनम ददरा

जब बदध हजदा ि और बदध चलत ि उित ि और बोलत ि और जीवत बदध इस परथवी पर िा तब तम बदध

को धारमाक मानत रा नही करोदक तब तक बदध-धमा पदा नही हआ िा बदध हहद तो नही ि हहद-धमा को तो

छोड़ चक ि उस मदाा घर स तो बाहर चनकल गए ि और अभी बदध-धमा का जनम नही हआ िा वह तो अचछा

हआ दक मोरारजीभाई न हए नही तो बदध को धारमाक नही मान सकत ि करोदक वह पछत दक तम कौन हो

हहद हो जन हो र दो धमा ि उस वि तम दोनो नही हो तो दफर तम धारमाक कस लदकन दफर बदध क

मरन क बाद बदध-धमा बना और अब हम बदध-धमा को बदध-धमा मानत ह अब वह मिस पछत ह दक आप बौदध

जब जीसस ि तो जीसस ि लदकन ईसाइरत कहा िी रहदी तो वह नही ि नही तो रहदी उनको

सली न दत उस मदाापन को तो उनहोन छोड़ ददरा िा और अभी ईसाइरत तो भचवषर क गभा म चछपी िी तो

ईसा को तम धारमाक मानोग रा नही रह तो बड़ मज की बात हो जाएगी दक ईसा तो धारमाक नही ह

ईसाइरत धारमाक ह बदध धारमाक नही ह बदध-धमा धारमाक ह रह तो बड़ मज की बात हो जाएगी दक कषण

तो धारमाक नही ह कषणमागी धारमाक ह मोहममद तो धारमाक नही ह मसलमान धारमाक ह रह तो बड़ मज

की बात हो जाएगी दक गगोतरी पर गगा गगा नही ह और जब सब नगरो और गावो की गदगी और कड़ा-करकि

और सब मल-मतर उसम चमल जाएगा तो परराग म आकर गगा हो जाएगी गगोतरी पर गगा नही ह रह तका

रहा जो हो रहा ह न हहद ह न मसलमान ह न ईसाई ह न जन ह न बौदध ह न चसकख ह लदकन जो

भी नानक का पराणो का सवर िा जो बदध क हदर की आवाज िी जो कषण का गहनतम अनभव िा और जो

जीसस की आकाकषा िी और जो महममद की अभीपसा िी उस सबका परचतफलन ह वह सारी सवास सरि ह

मि व धारमाक मानन को राजी नही ह जब तक दक सौ-दो सौ साल बाद कोई सपरदार खड़ा न हो जाए

और मजा रह ह दक जब सपरदार खड़ा होता ह तो धमा मर जाता ह धमा मरता ह तभी सपरदार बनता

ह बदध जब तक ह तभी तक धमा ह लदकन तब तक सरकार मानन को राजी नही होती मढ़ताए तो बहत

103

होती ह लदकन सरकारी मढ़ता का कोई मकाबला नही सरकारी मढ़ता तो ऐसी ह जस करला नीम चढ़ा ऐस

ही करला दफर नीम प चढ़ गरा

म तमह मसती का एक सवर द रहा ह म चाहता ह तम डोलो म तमह रगना चाहता ह इसी रग म

चजसकी जगजीवन बात कर रह हाः अरी म तो नाम क रग छकी और छक सकत हो तभी इस हजदगी म

कोई और चीज तमह छका न सकगी तमहारा पातर खाली-का-खाली रहगा दकतना ही धन डालो इसम खो

जाएगा दकतना ही पद डालो इसम खो जाएगा पातर खाली-का-खाली रहगा तम भरोग नही भरता तो

आदमी कवल परमातमा स ह करोदक अनत ह हमारा पातर और अनत ह परमातमा--अनत को अनत ही भर

सकगा हमार भीतर शनर का पातर ह इस शनर क पातर को परमातमा की पणाता क अचतररि और कोई चीज

नही भर सकती

म तमह सफी कहानी राद ददलाऊ मि परीचतकर ह बहत बार मन कही ह--

एक फकीर न एक समराि क दवार पर दसतक दी सबह का वि िा और समराि बगीच म घमन चनकला

िा सरोग की बात सामन ही समराि चमल गरा फकीर न अपना पातर उसक सामन कर ददरा समराि न कहा

करा चाहत हो फकीर न कहा कछ भी द द शता एक ह मरा पातर परा भर जाए कछ भी द द लदकन शता

एक ह मरा पातर परा भर जाए म िक गरा ह रह पातर भरता नही समराि हसन लगा और उसन कहाः तम

पागल मालम होत हो पागल न होत तो फकीर ही करो होत रह छोिा-सा पातर रह भरता नही अपन वजीर

को कहा दक लाओ सवणा अशरफारो स भर दो इस फकीर का मह बद कर दो सदा क चलए फकीर न कहा म

दफर राद ददला द दक भरन की कोचशश अगर आप करत ह तो रह शता ह दक अगर जब तक भरगा नही पातर

हिगा नही समराि न कहा त घबड़ा मत पागल भर दग सोन स भर दग हीर-जवाहरात स कह तो हीर-

जवाहरात स भर दग

लदकन जलदी ही समराि को अपनी भल समि म आ गई सोन की अशरफारा डाली गरी और खो गरी

हीर डाल गए और खो गए लदकन समराि भी चजददी िा और दफर फकीर स हार मान रह भी तो जचता न िा

सारी राजधानी म खबर पहच गई हजारो लोग इकटठ हो गए और समराि अपना खजाना उलीचता गरा और

उसन कहा आज दाव पर लग जाना ह सब डबा दगा मगर उसका पातर भरगा साि सरज ढलन लगा

समराि क कभी खाली न होन वाल खजान खाली हो गए पातर नही भरा सो नही भरा

सोचत हो उस समराि की दरनीर दशा मरत वि सभी समरािो की वही हो जाती ह चगर पड़ा फकीर क

चरणो म और कहा मि माफ कर दो मरी अकड़ चमिा दी अचछा दकरा म तो सोचता िा अखत खजाना ह

रह तर छोि स पातर को भी न भर पारा बस अब एक ही परािाना ह--म तो हार गरा मि कषमा कर दो मन

वयिा ही ति आशवासन ददरा िा भरन का--मगर जान स पहल एक छोिी सी बात मि बता जाओ ददन भर

रही परशन मर मन म उिता रहा ह रह पातर करा ह दकस जाद स बना ह फकीर हसन लगा उसन कहा

दकसी जाद स नही इस आदमी क हदर स बनारा ह न आदमी का हदर भरता ह न रह पातर भरता ह

कहानी तो रहा खतम हो जाती ह मगर रह कहानी आधी ह म तमस कहता हाः रह पातर भरता ह

फकीर कही तमह चमल जाए तो मर पास ल आना रह पातर भरता ह मगर धन स नही भरता समरािो स नही

भरता बदधो स भर सकता ह रह पातर परमातमा स भरता ह अरी म तो नाम क रग छकी न कवल भर जाता

ह ऊपर स बहन लगता ह इतना भर जाता ह दक बाढ़ आ जाती ह बाध तोड़कर बहन लगता ह वही तो

करणा ह जो हमन बदधो म दखी इतना भर जाता ह भीतर आनद दक बहन लगता ह बाहर दसरो तक पहचन

104

लगता ह रही तो सतसग ह जहा दकसी का पातर भर गरा हो और बह रहा हो उसक पातर क पास बि जाना

सतसग ह करोदक कछ बद तम पर भी पड़ जाए एक बद भी पड़ जाए तो तम रग जाओ एक बद का भी सवाद

आ जाए तो तम कछ क कछ हो जाओ और क और हो जाओ

ददल म तम हो नजअ का हगाम ह

कछ सहर का वि ह कछ शाम ह

इशक ही खद इशक का इआम ह

वाह करा आगाज करा अजाम ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

ददो-गम ददल की तबीअत बन चक

अब रहा आराम ही आराम ह

भरता ह पातर लदकन पीन वालो का भरता ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

र जो तमह हजारो साध-सत ददखाई पड़त ह इनका नही भरा ह

पीन वाल एक ही दो हो तो हो

मफत सारा मकदा बदनाम ह

र मधशालाओ म मददरो म मचसजदो म चजतन लोग तमह बि ददखाई पड़ रह ह र सब चपरककड़ नही ह

एक ही दो हो तो हो बाकी तो वयिा ढोग कर रह ह ढोग स बचो तो एक ददन तमहार जीवन म भी रह

सौभागर की घड़ी आए--

अरी म तो नाम क रग छकी

जब त चाखरा चबमल परमरस तब त कछ न सोहाई

और एक बद पड़ जाए उसक परम क रस की दफर कछ और नही सहाता--कस सहा सकता ह चजस हस

न मानसरोवर का जल चपरा वह तमहार गाव की गदी नाचलरो और डबरो का जल पीन को राजी हो सकगा

चजसन आकाश की मचि जानी वह तमहार कारागहो म तमहारी जजीरो म आबदध होन को राजी होगा

चजसन परमातमा का जरा-सा सवाद चलरा इस जगत क सार सवाद वयिा हो जात ह

105

म तमस रही कहता हाः तरागना नही ह ससार परमातमा का रस ल लो सब छि जाता ह छोड़ना नही

पड़ता ह चजस छोड़ना पड़ता ह वह वयिा ही छोड़ रहा ह उस अभी रस नही चमला जो कहता हो दक मन

तराग दकरा समिना दक उस अभी कछ चमला नही चजस चमल गरा ह वह तराग करता नही तराग हो जाता

ह जस हाि म ककड़-पतिर भर हो और अचानक हीरो की खदान चमल जाए तो करा तम ककड़-पतिरो का

तराग करोग राद ही न आएगा कब हाि स चगर गए ककड़-पतिर कौन चहसाब रखगा करा तम चगनती

करोग दक दकतन पतिर मन छोड़ भर लोग मटठी हीर-जवाहरातो स

इसचलए म तमस कहता हाः तराग की परदकररा नकारातमक ह और उसी क कारण धमा मदाा हो गरा ह

म तमह परमातमा का भोग चसखाता ह ससार का तराग नही और परमातमा का भोग आ जाए तो ससार का

तराग अपन स घिता ह चजसको शरषठ चमलन लग चनकषट अपन-आप छि जाता हः चनकषट को छोड़न स शरषठ नही

चमलता--राद रखना बार-बार दोहराता ह राद रखना--चनकषट को छोड़न स शरषठ नही चमलता तम अपन हाि

क ककड़-पतिर छोड़ दोग इसस हीर नही चमल जाएग ऐसी कोई अचनवाराता नही ह लदकन शरषठ क चमलन स

चनचित ही चनकषट छिता ह दीरा जल जाए तो अधरा अपन-आप समापत हो जाता ह ऐस ही परमातमा का

भोग ह म तमह भोग चसखाता ह म तमस कहता हाः अभी तमन चजस भोग समिा ह वह भोग नही ह भाचत

जबत चाखरा चबमल परमरस तब स कछ न सोहाई

रचन ददना धचन लाचग रही कोउ कतौ कह समिाई

दफर कोई दकतना ही समिाए दफर कोई लाख परलोभन द दफर कछ रस इस ससार म पड़ नही सकता

दफर धन क अबार लग रह दफर पद क चलए दकतन ही परलोभन आत रह दफर ससार दकतन ही परसकार द

कछ अतर नही पड़ता उसक रस की एक छोिी सी बद ऐसा भर जाती ह दक दफर जगह ही नही बचती और

भरन का कोई सवाल ही नही होता

पहल शराब जीसत िी अब जीसत ह शराब

कोई चपला रहा ह चपए जा रहा ह म

पहल तो शराब ही हजदगी िी अलग-अलग ढग की शराब ह इसीचलए तो हमन पद को भी शराब कहा

ह पद-मद राजनीचत एक शराब ह भरकर शराब ह धन को भी कहा हः धन-मद धन भी एक शराब ह

चजसको पकड़ लती ह छोड़ती नही दौड़ता ही रहता ह आदमी हजदगी भरः और और अत नही आता ह

तरह-तरह की शराब ह

पहल शराब जीसत िी अब जीसत ह शराब

एक बार उसकी बद उतर जाए तो रपातरण होता ह पहल शराब ही हजदगी िी अब हजदगी ही शराब

हो जाती ह

कोई चपला रहा ह चपए जा रहा ह म

और उसक अजञात हाि ढाल चल जात ह इसचलए तो सफी फकीर उसको साकी कहत ह अचसततव को

मधशाला कहत ह उसक रस को शराब कहत ह उमर खयराम का वही अिा नही ह जो तम उमर खराम की

दकताब पढ़कर समि लत हो उमर खयराम एक सफी बदध ह उमर खयराम कोई साधारण कचव नही ह

अपमानजनक ह रह बात दक शराबखानो क नाम लोगो न रख चलए हाः उमर खरराम रा रबाइरात

शराब परतीक ह उमर खराम एक पहचा हआ फकीर ह उसक परतीक गलत समि चलए गए ह

106

रचन ददना धचन लाचग रही

दफर सोत उित जागत बित एक ही धम लगी रहती हः उसकी ही राद उसकी ही राद बनी रहती ह

उसकी राद का दीरा भीतर जगमगाता रहता ह

कोई कतौ कह समिाई

नाम चपराला घोरि क कछ और न मोहह चही

अब कछ और चाहना नही ह उस पी चलरा चजसन शरषठतम को चजसन चख चलरा दफर और सब चाह

चली जाती ह

जसा वो चाहत ह जो कछ वो चाहत ह

आती ह मर ददल स लब तक वही दआए

अब तो वह जो चाहत ह जसा चाहत ह वसा हो रहा ह भि सवर नही जीता परमातमा को सवर क

भीतर स जीन दता ह

इसचलए कषण न अजान स कहा हः छोड़-छाड़ और सब आ मरी शरण सवाधमाान पररतरजर छोड़-

छाड़ सब धमा आ मरी शरण मामक शरण वरज मि एक की शरण आ जा दकस एक की बात कर रह ह

कषण उस एक की बात कर रह ह चजसको उपचनषदो न कहा हः वह तो एक ह लदकन जञानी अनक नामो स

उस पकारत ह कषण रह नही कह रह ह दक मि कषण की शरण आ कषण रह कह रह हाः मि एक की

शरण आ वह एक तो एक ही ह मर भीतर भी वही ह तर भीतर भी वही ह उस एक की शरण आ और

छोड़-छाड़ सब धमा बड़ी अधारमाक बात समिा रह ह सवाधमाान पररतरजर छोड़ सब धमा इतरादद डबकी

मार ल िक जा िक जा रानी अहकार छोड़ द दफर सब हो जाएगा दफर सब चाहत चमि जाती ह

जसा वो चाहत ह जो कछ वो चाहत ह

आती ह मर ददल स लब तक वही दआए

अब तो म परािाना करता ह रह भी कहना िीक नही वही जो परािाना करवा लत ह मिस आती ह मर

ओिो तक आती ह

इक जाम-आचखरी तो पीना ह और साकी

अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए

अब जो भी हो अब तो पीना ह अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए दफर भि हचता नही करता

दक करा पररणाम हो रहा ह लोग हसत ह दक लोग पागल समित ह मीरा को लोगो न पागल समिा चतनर

को लोगो न पागल समिा मर पास तम आए हो तमह लोग पागल समिग

इक जाम-आचखरी तो पीना ह और साकी

अब दसत-शौक काप रा पाव लड़खड़ाए

जब डोरी लागी नाम की तब कचहक काचन रही

और चजसकी भी डोर उसस जड़ गई उसकी लोकलाज कब रही उसकी मराादा कहा रही उस तो

पागल सदा ही समिा गरा ह उस तो बावला समिा गरा ह तब कचहक काचन रही दफर कोई परचतषठा नही

रह जाती इस तिाकचित दचनरा म

धरान रखना इस दचनरा न सदा वासतचवक धारमाक आदमी की हनदा की ह सली दी ह उस पतिर मार

ह उस अपमान दकरा ह उसका और इस दचनरा न िि धारमाक आदमी की बड़ी पजा की ह रह बड़ी उलिी

107

बात ह लदकन उलिी अगर समिो न अनरिा चबलकल िीक ह गचणत साफ ह रह दचनरा धमा स बचना

चाहती ह हा धमा क धोख स इस कोई डर नही ह पचडत-परोचहत चलगा रजञ-हवन करनवाल चलग साध-

सत जो इसी को सहारा द रह हो व भी चलग जो इसी दचनरा क वयवसिा क अग ह इसी दचनरा क नरसत

सवािो को सहरोग द रह ह व भी चलग लदकन जस ही कोई धारमाक वयचि पदा होगा कोई चजसक भीतर स

परमातमा बोल वस ही अड़चन शर हो जाएगी करोदक वह नरसत सवािो का साि नही दगा समाज की

मानरताओ क अनकल नही होगा वह तो सतर कहगा और सतर तमहार ििो को कपा दत ह वह तो सतर

जीएगा और सतर तमहार पाखडो को तोड़ दत ह और तब अड़चन शर हो जाती ह

जीसस को तमन सली दी सली दकर तमन जाचहर दकरा दक जीसस न कछ बात कही िी चजसस तमहारा

भवन िरिरा गरा िा तमन सकरात को जहर चपलारा जाचहर दकरा दक सकरात जरर कछ खबर ल आरा

िा दर की गहरी नही तो तम जहर चपलान की ििि न करत तमन मसर को मारा तमन खबर दी दक मसर

क ओिो स परमातमा बोल गरा िा तम बरदाशत न कर सक

तमन परमातमा को कभी बरदाशत नही दकरा करो करोदक तमहारी हजदगी ऐसी ह दक अगर परमातमा

को तम सनो और समिो और बरदाशत करो तो तमह अपनी हजदगी बदलनी पड़ और हजदगी तम बदलना

नही चाहत तम साध-सतो क पास सातवना क चलए जात हो सकराचत क चलए नही तम जात हो मलहम-पटटी

क चलए कराचत क चलए नही तम जात हो दक तमहार घावो पर व गलाब का फल रख द दक घाव ददखना बद हो

जाए

मर एक चमतर ि बड़ राजनता ि उनक बि की मतर हो गई वह बड़ परशान ि मर पास आए रोन

लग मन उनस कहाः वयिा रो रह ह बिा मर गरा तम भी मरोग वह तो एकदम नाराज हो गए पचहततर

साल क बढ़ आदमी ि कहा आप इस तरह की बात बोलत ह म आचारा तलसी क पास गरा तो आचारा

तलसी न कहा आप हचता न कर आपका बिा मर कर दवलोक म दवता हआ ह और आचारा तलसी न आख

बद की और दवलोक गए और खबर दी दक बिा दवलोक म दवता हो गरा ह

उनका बिा मतरी िा मन कहा हदद हो गई मतरी और दवलोक कछ गलती हो गई आचारा तलसी दकसी

दसरी जगह पहच गए म एक फकीर को जानता ह आप उसक पास जाए उसकी बड़ी गचत ह सवगा-नरक

वगरह म जान की

वह फकीर वही मर पास ही रहत ि कभी-कभी मर पास आत ि उनको मन बता ददरा दक र आए

सजजन तो तम बता दना इस-इस तरह बता दना

वह गए उस फकीर न भी आख बद की बड़ा दर चनकल गरा और उसन कहा दक आपका एक बगीचा ह

फला-फला गाव म उनहोन कहा हा ह उसम एक पीपल का िाड़ ह हा ह उसी पीपल क िाड़ पर आपका

बिा भत होकर बिा ह उनह तो भरोसा ही नही आरा दक रह फकीर को पता कस चला करोदक इसको तो

कछ मालम ही नही ह मर गाव का मर िाड़ का और िाड़ ह िििी उसक बाबत कहाचनरा भी िी म तो

उनक बगीच को जानता िा आता-जाता िा तो मन फकीर को सब समिा ददरा िा दक िाड़ का वणान भी कर

दना सिान भी बता दना दक ऐसा-ऐसा ह ऐस सिान पर ह

वह मर पास भाग आए उनहोन कहा दक रह भी दकसक पास भज ददरा आचारा तलसी ही िीक कहत

ह रह आदमी गलत ह मगर दफर भी उनको हचता तो िी दफर भी कहन लग एक बात जरर ह दक इसको

पता कस चला दक मरा बगीचा उसम पीपल का िाड़ इस-इस ददशा म उस िाड़ क पास कआ उस िाड़ की

108

इस तरह की शाखाए--इसको रह कस पता चला मन कहा इसकी भी बड़ी गचत ह रह आख बद करक कही

भी चला जाता ह मगर उनहोन कहा बात मि तलसी जी की ही जमती ह

बात हम वही जमती ह जो हम चाहत ह दक होनी चाचहए मरी बात उनह अचछी नही लगी मन कहा

तम भी मरोग इसचलए बिा मर गरा इसम अब वयिा रोन-धोन म समर मत गवाओ राद करो दक तमहारी

मौत भी आती होगी जब बिा भी गरा तो बाप कस रकगा पर उनहोन कहा दक म ऐसी आशा नही करता िा

म सातवना क चलए आरा िा मन कहा दक म तमह सतर द रहा ह म तमस रह कह रहा ह दक जब बिा मरा ह

तो इस मौक को चको मत इस राद को गहरा बि जान दो तीर की तरह चभ जान दो अब तम भी जलदी

तरारी करो अब पारलारामि जान की और हचता न करो दबारा चालीस साल स ममबर ि वह पारलारामि

क अगरजो क जमान स वह पारलारामि क ममबर होत रह ि अगरज चल गए तब भी वह ममबर होत रह वह

पारलारामि क सबस परान ममबर ि उनको पारलारामि का चपता कहा जाता िा और वह दफर भी तरारी कर

रह ि और वह नही मान बिा मर गरा मगर उनहोन चनाव दफर लड़ा वह पारलारामि क ममबर रहत ही

रहत मर मरी बात उनह जची नही उस ददन क बाद मर पास नही आए करोदक उनह चोि लग गई बहत दक

वह तो आए ि दक म कहगा दक बिा सवगा गरा दवता हो गरा इतरादद-इतरादद और मन कह ददराः तम भी

मरोग

तम खराल रखना तम उन साध-सतो की पजा करत हो जो तमहार चचतत को सलात रहत ह--लोरी गा-

गा कर सनात रहत ह जो तमह सलात रहत ह जो तमह जगाएगा उस तम फासी दोग चजसन तमह जगारा

उसक साि तमन दवयावहार दकरा तम जगना नही चाहत हो तम अपन सपनो म खब मसत हो तम अपन

सपनो म बड़ा रस ल रह हो हालादक सपन सब िि ह इसचलए जो जानता ह वह तमह जगाएगा ही वह

कहगा दकतना ही सदर सपना तम दख रह हो मगर सपना सपना ह उिो

जब डोरी लागी नाम की तब कचह क काचन रही

और चजसकी भी डोरी लग गई परमातमा स उसकी ही ििि होन लगती ह ससार म दफर उसकी

मराादा नही रह जाती लोग तो सममान िि का करत ह लोग पजा भी िि की करत ह लोग पजा भी परपच

और पाखड की करत ह नगन सतर चतलचमलाता ह लदकन इसस करा फका पड़ता ह भि को

वाह र शौक-शहादत कए-काचतल की तरफ

गनगनाता रकस करता िमता जाता ह म

वाह र शौक-शहादत

भि तो चमिना चाहता ह परमातमा म भि न िोड़ा-सा अनभव दकरा ह जरा कषणभर को चमिकर

जाना ह अब वह परा चमिना चाहता ह

वाह र शौक-शहादत कए-काचतल की तरफ

गनगनाता रकस करता िमता जाता ह म

जो रचह रग म मसत रहत ह तचह क सचध हरना

उनको तो सध ही नही रह जाती ससार की न अपनी सचध रह जाती उनकी तो सब सचध जाती ह जो

उसक रग म मसत हो जात ह उनको तो बस उसकी ही सचध रहती ह और कछ सचध नही रह जाती दफर कौन

अपमान करता कौन सममान करता भद नही पड़ता

109

मसर को जब मारा गरा उसक हाि-पर काि गए तब भी वह आकाश की तरफ दख कर चखलचखला कर

हसा भीड़ म स दकसीन पछा दक मसर हसन का कारण तो उसन कहा दक परमातमा को दख रहा ह रह

िोड़ी सी बाधा िी शरीर की रह भी तम छीन ल रह हो रह िोड़ा सा पदाा िा रह भी चगरा इसचलए हस

रहा ह चखलचखला कर हस रहा ह तम सोच रह हो दक तम मरी दशमनी कर रह हो तम मि नकसान पहचा

रह हो तम नासमि हो तम आचखरी पदाा छीन ल रह हो तमहारी बड़ी कपा तमहारा धनरवाद

गगन-मददल दढ़ डोरर लगावह जाचह रहौ सरना

और चजसको रह जरा सा सवाद चमलना शर होता ह वह दफर अपन शनर क अदर चवराजमान हो जाता

ह चमि जाना ह शनर हो जाना ह शनर होना भि की साधना ह सारी साधनाओ का सार हः शनर चमि

जाना न हो जाना म नही ह म नही ह म नही ह इस भाव स पररपणा रप स भर जानाः बस उसी कषण--चजस

कषण रह बात वासतचवक हो जाएगी चसफा वचन नही होगा शबद नही होग वाणी ही नही होगी चजस ददन

तमहार हदर म रह गज बि जाएगी दक म नही ह--अनभवगत अचसततवगत--उसी कषण परमातमा उतर आता ह

उस कषण पणा उतर आता ह शनर हो जाओ और पणा को पा लो पणा को पान की बस एक ही शता हः शनर हो

जाना

चनभार हवक बरि रहौ अब

और तम शनर हो गए और पणा का चवराजमान होना हो गरा दफर चनभार हवक बरि रहो दफर कोई भर

नही न मौत ह न कोई भर ह न कछ छीना जा सकता ह न कछ चरारा जा सकता ह तमहारी शाशवत

समपदा ह दफर तम समराि हो तम अमत हो

चनभार हवक बरि रहौ अब मागौ रह बर सोई

जगजीवन चवनती रह मोरी दफरर आवन नहह होई

दफर बि जाओ चनभार होकर एक ही चवनती उिती रहती ह दक अब दबारा इस ििि म पड़ना न हो

इस भाचत म इस सवपन म दबारा उतरना न हो

मरा जो हाल हो सो हो बक-नजर चगरा जा

म रही नालाकश रह त रही मसकराए जा

जहजा-ब-लचहजा दम-ब-दम जलवा-ब-जलवा आए जा

चतशना-ए-हसन जात ह चतशनालबी बढ़ाए जा

चजतनी भी आज पी सक उजर न कर चपलाए जा

मसत नजर का वासता मसत-नजर बनाए जा

लतफ स हो दक कहर स होगा कभी तो रबर

उसका जहा पता चल शोर वही मचाए जा

पकारो जहा पता चल गलाब क फल म पता चल पकारो वही मददर-वददर जान की जररत नही ह

चाद-तारो म ददखाई पड़ पकारो उस दकनही की आखो म ददखाई पड़ पकारो उस िक जाओ वही जहा

उसक सौदरा की िलक चमल िक जाओ वही जहा जीवन की धारा हो एक वकष क पास िक जाओ वहा

110

परमातमा हरा ह एक नदी क ति पर िक जाओ वहा परमातमा गचतमान ह सरज उगत सरज क सामन िक

जाओ वहा परमातमा दफर एक नई सबह बनकर परकि हो रहा ह

लतफ स हो दक कहर स होगा कभी तो रबर

और दफकर मत करो खश होकर होगा सामन रा तम शोर मचात रह तो नाखश होकर सामन हो

जाएगा--कोई दफकर नही--उसका जहा पता चल शोर वही मचाए जा

चजतनी भी आज पी सक उजर न कर चपलाए जा

मसत नजर का वासता मसत-नजर बनाए जा

लहजा-ब-लहजा दम-ब-दम जलवा-ब-जलवा आए जा

चतशना-ए-हसन-जात ह चतशनालबी बढ़ाए जा

भि जो कहता ह बस मरी परास को गहन करत जाओ भि और कछ नही मागता भि मागता हः

मरी परास को गहरा करो भि कहता हः मरी परास को ऐसा पररपणा कर दो दक म परास ही परास रह जाऊ

पकार ही पकार रह जाऊ परािाना ही परािाना रह जाऊ रह जररी नही ह दक शबदो म ही कही जाए बात

कभी भि शबदो म कहता ह कभी चप भी कहता ह जसा जब घि जाता ह

अज-चनरज-गम को लब-आशना न करना

र भी इक इचलतजा ह कछ इचलतजा न करना

कछ न कहना भी कहन का ढग ह शारद कहन का सबस गहन ढग हः चप रहना तो भि कभी बोलता

परमातमा स चनवदन करता कभी चप रह जाता चबलकल चप रह जाता ह सननाि म बि जाता ह

उस सराद न कछ गल न कछ बलबल न कछ समिा

चमन म दकतनी मानीखज िी इक खामशी मरी

वह चप हो जाता ह दफर कोई कछ समि

उस सराद न कछ गल न कछ बलबल न कछ समिा

चमन म दकतनी मानीखज िी इक खामशी मरी

मौन म चजतना अिा ह उतना दकसी शबद म नही ह तो कभी भि गाता कभी खामोश कभी नाचता

कभी बिा रहता लदकन जीता ह सवसफरता स सवसफरता शबद को राद रखना उपचार स नही वयवसिा स

नही अनशासन स नही सवसफरता स ऐसा करना चाचहए इसचलए नही करता ह कछ जसा जब सहज होता ह

वसा करता ह साधो सहज समाचध भली

म तोहह चीनहा अब तौ सीस चरन तर दीनहा

म ति पहचान गरा अब रह चसर तर चरन रख दता ह अब इसक बोि को न ढोऊगा

तचनक िलक छचब दरस दखार

जरा सी तन िलक करा ददखाई रपातर हो गरा कराचत हो गई

तब त तन-मन कछ न सोहाए

अब रह मरा तन भी ल ल रह मरा मन भी ल ल अब मर भीतर त ही त हो म कही भी न बच

कहा कहौ कछ कचह नहह जाए अब मोचह का सचध समचि न आए

111

अब मि कछ समि नही पड़ता सकरात न कहा हः जञानी वही ह जो जानता ह दक म कछ भी नही

जानता भि कछ जानता नही भि तो जो जानता िा वह भी बह गरा वह भी आई बाढ़ उसक परम की और

सब बहा ल गई कड़ा-करकि भि तो चबलकल चनदोष हो जाता ह

कहा कहौ कछ कचह नहह जाए अब मोचह का सचध समचि न आर

होइ जोचगन अग भसम चढ़ार भवर-गफा तम रहउ चछपार

अब तो म दीवानी हो गई ह अब तो म पागल हो गई ह अब तो तमहारी धन बजती रहती ह मर हदर

क इकतार पर बस तमहारी धन बजती रहती ह तमहारी जो हलकी-सी िलक चमली ह वह सब कह गई जो

होना िा हो गरा ह अब परा-परा मि ल लो अब जरा भी मि छोड़ो मत अब रचमातर भी मरा जीवन ऐसा

न हो जो तमस ररि हो और म जानता ह दक तम कहा चछप हो अब म पहचान गरा ह म तोहह चीनहा

अब तो पहचान हो गई भवर-गफा तम रहउ चछपार मर ही हदर की गफा म चछप बि ि और म तमह कहा-

कहा खोजता दफरा मन कहा-कहा नही तमहार चलए तलाश की काबा म और काशी म और कलाश म और

चगरनार म मन कहा-कहा नही तमह खोजा और तम मर भीतर चछप बि ि मरी खोज इसीचलए वयिा होती

रही करोदक तम खोजनवाल म ही चछप ि तम मर सवरप हो म तोहह चीनहा भवर-गफा तम रहउ

चछपार

खद अपन ही सोज-बाचतनी स चनकाल कर इक शमए-गरफानी

चचराग-दरो-हरम तो ऐ ददल जला करग बिा करग

र मददरो-मचसजदो म जो चचराग जल रह ह र तो पलत ह बित ह एक ऐसा भी चचराग ह जो अपन

भीतर चछपा ह जो न जलता न बिता जो सदा ह शाशवत ह अगर कछ करना ही हो जरोचत पदा तो अपन

हदर म ही करो

खद अपन ही सोज-बाचतनी स चनकाल कर इक शमए-गरफानी

एक न चमिन वाली लपि तमहार भीतर ह पकारो जगाओ

चचराग-दरो-हरम तो ऐ ददल जला करग बिा करग

मददर-मचसजदो क चचराग तो जलत ह और बि जात ह एक ऐसा भी चचराग ह जो तम हो--चबन बाती

चबन तल--वहा न तल की जररत ह न बाती की जररत ह वहा रोशनी जलती ह अकारण और जो अकारण

ह वही शाशवत ह कारण होगा तो कभी न कभी चक जाएगा कारण तल चकगा तो दफर बाती भी चक

जाएगी दफर दीरा बिगा मददर-मचसजदो म आदमी क बनाए हए दीए जल रह ह उनम मत भिक जाना

तमहार हदर की गफा म ही परमातमा का जलारा हआ दीरा जल रहा ह

जगजीवन छचव बरचन न जाए

और जब तम उस जरोचत म चवराजमान हो जाओग अपन ही हदर म बिोग जगजीवन छचव बरचन न

जार तब चजस सौदरा का तम पर आचवभााव होगा जो सौदरा बरस जाएगा तम पर उसकी भाषा म कोई

अचभवयचि न हई ह न हो सकती ह जगजीवन छचव बरचन न जाए उसका वणान नही होता अचनवाचनीर ह

वह

ननन मरचत रही समार

ददखाई पड़त हो पहचान आत हो कह नही जात गग का गड़

112

भि कछ और मागता भी नही बस ननन मरचत रही समार

वहा भी आह भरा करग वहा भी नाल दकरा करग

चजनह ह तिस ही चसफा चनसबत वो तरी जननत को करा करग

उनह सवगा स कोई पररोजन भी नही ह व दकसी और सख की आकाकषा भी नही करत उनकी तो आकाकषा

एक ही ह दक जो ह वह आखो म समा जाए जो ह उसस पहचान हो जाए

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

और उसको दखत ही बस अवाक रििक कर रह जाता ह भि रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी और

उसको दखत ही सब मल कि जात ह दचषट चनमाल हो जाती ह चनदोष हो जाती ह पारदशी हो जाती ह

ए सचख मोहह त कचहए न आव कस-कस करह पकारी

कहना चाहती ह कह नही पाती पकार-पकार कर कहना ह ए सचख मोहह त कचहर न आव कस-कस

करह पकारी

तमह पता नही ह चजनहोन जाना ह उनह एक बड़ी दचवधा का सामना करना पड़ता ह जान लत ह

मगर जना नही पात सवाद तो चमल गरा लदकन कस कह औरो स और कहन की एक अचनवाराता मालम

पड़ती ह

बदध न कहा हः धरान की अचनवारा पररणचत ह परजञा और परजञा की अचनवारा पररणचत ह करणा चजसन

धरान दकरा उसन जाना और चजसन जाना उसक भीतर एक अभीपसा पदा होती ह दक औरो को भी जना द

करोदक दकतन ह अनत-अनत लोग जो अधर रासतो पर भिक रह ह पकार उनको भी कह द दक मत भिको

तमहार हदर म बिा ह कहा जा रह हो काबा काशी और वह तमहार भीतर बिा ह म भी खब भिका ह

मत भिको मन उस अपन भीतर पा चलरा ह तम भी पा लो जरा नजर भीतर मोड़ो

तो पकार-पकार कर चचलला-चचलला कर भि कहता ह हालादक जानता ह हर बार दक जो कहा वह

वही नही ह जो जाना शबद बड़ छोि ह अनभव बड़ा चवराि ह

जीसस न कहा ह अपन चशषरो को दक जाओ चढ़ जाओ मकानो की मडरो पर और चचलला-चचलला कर

कहो शारद कोई सन ल दफर भी ख़राल रखना कहा ह शारद कोई सन ल चजनक पास आख ह व दख लग

और चजनक पास कान ह व सन लग लदकन मचशकल स दकसी क पास आख ह मचशकल स दकसी क पास कान

ह आख ददखाई पड़ती ह मगर ह कहा बाहर दखनवाली आख कोई आख तो नही जो भीतर ही नही दख

सकती वह भी कोई आख ह बाहर की आवाज सन लनवाल कान कोई कान तो नही जो अपन ही भीतर की

आवाज नही सन पाए व भी कोई कान ह लोग आख क होत हए अध ह कान क होत हए बहर ह

लदकन भि को एक अनभव होता ह गज उिती ह दक पकार द सबको जगा द सबकी कह द कहता

भी ह इसी पीड़ा स तो र गीत जनम हाः अरी म तो नाम क रग छकी

रचहउ म चनरमल दचषट चनहारी

ए सचख मोहह त कचहए न आव कस-कस करह पकारी

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

सब चनछावर करन को तरार ह अगर कह पाऊ मगर वह रप अनप ह कस उसका वणान हो कहा स

लाऊ शबद कहा स जिाऊ रग कस बनाऊ उसकी मरचत दकस भाचत कह द दक चजनह पता नही उनह पता

चल जाए तादक व वयिा ही जनमो-जनमो तक भिकत न रह

113

बदध को जञान हआ सात ददन तक व चप रह कहानी बड़ी परीचतकर ह आकाश क दवता बहत घबड़ा

गए बदध और चप रह जाएग तो न मालम दकतनो का उदधार अवरदध हो जाएगा दवता आए और उनक

चरणो म िक

समि लना कहानी परतीक ह कोई ऐचतहाचसक बात नही कह रहा ह साकचतक ह कावय ह इचतहास

नही मगर बड़ा अदभत ह अिा चरणो म िक और बदध को कहाः आप बोल आप बोल आप चप करो ह सात

ददन हो गए और बदध न कहाः करा होगा बोलन स कौन समिगा पहली तो अड़चन रह कौन समिगा

दसरी अड़चन रह ह दक कस कहगा कहन क चलए शबद नही ह बदध जस वयचि क पास शबद नही ह तो

चबचार जगजीवन की तो करा चबसात कबीर की तो करा चबसात कबीर तो गरीब जलाहा शबदो की सपदा भी

बड़ी सीचमत ह कबीर की जलाह चजतन शबद जानत ह वही शबद कबीर क ह इसीचलए तो--िीनी िीनी

बीनी र चदरररा ऐस शबदो का उपरोग दकरा ह मगर बदध तो राजपतर ि और इस दश क चरम चशखर पर

जब ससकचत िी तब पदा हए ि इस दश म जो शरषठतम जञान िा उनह उपलबध िा उनहोन भी कहा दक कहगा

कस रप अनप कहा लचग बरनौ नही कहा जा सकगा इसचलए ििि म करा पड़ना और दफर म कहन की

कोचशश कर इतनी परशानी उिाऊ समिगा कौन इसचलए वयिा की ििि म म पड़ना नही चाहता जो

समि सकत ह व मर चबना भी समि लग और जो नही समि सकत मर कह-कह भी न समिग

दवता इकटठ हए उनहोन कहा अब करा कर तका तो िीक ही ह लदकन कोई तरकीब चनकाल और

तरकीब तो सब जगह चनकल आती ह तका सभी जगह रासत खोज लता ह दवताओ न खब चवचार-चवमशा

दकरा दफर बदध क पास आए और कहा दक सन आप िीक कहत ह दक कहना मचशकल ह परा नही कहा जा

सकता लदकन कछ-कछ िलक तो कही जा सकती ह हो सकता ह अध को हम परकाश क सबध म कछ न कह

सक लदकन अध को भी धप म खड़ा तो दकरा जा सकता ह धप का उतताप शरीर पर पड़ती हई ऊषमा इसका

तो उस अनभव हो सकता ह नही रोशनी क सबध म हम कछ कह पाएग लदकन रोशनी का उतताप रह तो

खराल म लारा जा सकता ह कछ तो इशार हो सकत ह परा नही होगा परकि कछ-कछ ही सही--ना-कछ स

तो कछ भी अचछा बहतर ना-कछ स तो कछ भी हआ तो िीक न सागर समाएगा बद ही आएगी मगर जो

परास ह उनक चलए बद भी सागर ह दफर बद क अनभव स सागर की तलाश शर होगी आप कह

और आप कहत ह दक जो समि सकत ह व मर चबना भी समि लग रह सच ह और आप कहत ह जो

नही समिग व मर कह-कह भी नही समिग रह भी सच ह लदकन दोनो क मधर म भी कछ लोग ह आप कह

दग तो समि लग आप न कहग तो पता नही दकतनी दर म समि पाएग उन लोगो का भी धरान कर जो

दकनार पर खड़ ह जरा सा धकका लग जाएगा और छलाग हो जाएगी

बदध इसका उततर न द सक रह बात तो समि म बदध को भी आई सवीकार दकरा बरालीस वषा तक

बोलत रह सतत सबह-साि-दोपहर समिात रह और दवताओ न िीक ही कहा िा और बदध न गलत नही

कहा िा हजारो को कहा एकाध-दो समि बदध न भी िीक ही कहा िाः कौन समिगा दवताओ न भी िीक

ही कहा िा दक हजारो को कहग एकाध भी समिा तो भी कोई तो समिा

दफर दीर स दीरा जलता रहगा और बदध की धारा जीचवत रही ह अब भी दीर स दीर जलत रह ह

कोई न कोई समिता रहा ह

रप अनप कहा लचग बरनौ डारौ सब कछ वारी

114

जगजीवन कहत ह सब चनछावर करन को तरार ह काश कह पाता काश उस अवणानीर का िोड़ा-सा

वणान कर पाता चजनहोन जाना ह व गग हो गए ह ओर चजनहोन नही जाना ह व बड़ मखर ह पचडत-

परोचहत-मलला-मौलवी बहत मखर ह

इस बात को खराल म रखना पचडत बोल चल जात ह शासतरो पर शासतर िीकाओ पर िीकाए चलख चल

जात ह चबना चििक कोई अड़चन ही नही ह चववाद दकए जात ह न कवल खद को सही दसर को गलत भी

कह जात ह और पता कछ भी नही ह और चजनको पता ह व ऐसी चबबचन म पड़ गए ह ऐसी अड़चन म पड़

गए ह

आपस म उलित ह अब शखो-चवरहमन

काबा न दकसी का ह न बतखाना दकसी का

पचडत और मौलवी ह दक लड़ रह ह मददर न दकसी का ह और न मचसजद दकसी की ह मगर लड़ाई-

िगड़ चल रह ह मददर-मचसजद को लड़ारा जा रहा ह और जो लड़ानवाल ह इनको कछ भी पता नही ह

चजसको पता हो गरा वह तो बड़ा चििकता ह

महावीर का समरण ददलाना उचचत होगा महावीर तो कोई भी वचन बोलत ि तो उसम सरात लगा कर

बोलत ि चसपा इसीचलए करोदक उस कहा नही जा सकता कछ-कछ कहा जा सकता ह िोड़ा-िोड़ा कहा जा

सकता ह पछो महावीर स ईशवर ह महावीर कहतः सरात ह भी नही भी ह जो कहत ह ह वह भी िीक

कहत ह व भी उसका आधा वणान करत ह और जो कहत ह नही ह व भी िीक कहत ह व भी उसका आधा

वणान करत ह परमातमा की उपचसिचत कछ ऐसी ह जस शनर की तो उस कोई कहना चाह नही ह--वह भी

िीक ही कहता ह

रह महावीर की अदभत बात सनी

नाचसतक भी आधी बात कहता ह आचसतक भी आधी बात कहता ह करोदक परमातमा एक अिा म ह

उसक अचतररि कछ भी नही और एक अिा म नही ह करोदक तम उस कही भी पकड़ न पाओग तम कही भी

इशारा न कर पाओग दक रह रहा परमातमा उसका न कोई पता ह न रिकाना ह नही जसा ह बबि ह

इसचलए सरात

रचव सचस गन तहह छचव सम नाही

भी फीका ह--चजसन उसका परकाश दखा उसक समकष चाद म भी वह शीतलता कहा वह सौदरा कहा

--चजसन उसका सौदरा दखा उसक समकष

चजन कह कहा चवचारी

चजनहोन भी चवचार कर कहा ह बहत चवचार कर कहा ह व भी नही कह पाए

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

बस एक ही रासता बता सकता ह जगजीवन कहत ह कही कोई सतगर चमल जाए तो उसक चरण पकड़

लना और चरण पर सब छोड़ दना --बस इतना ही कह सकता ह दफर चमलना हो जाएगा सतगर रानी कोई

ऐसा वयचि जो चमि गरा ह जो अब नही ह जो एक िरोखा ह चजस िरोख म स दर का आकाश ददखाई

पड़ता ह तम उस िरोख पर समरपात हो जाना जगजीवन कहत ह और तमस कछ नही कह सकता इतना ही

कह सकता ह--सतगर चमल तो चकना मत

ददल ह कदमो पर दकसी क सर िका हो रा न हो

115

बदगी तो अपनी दफतरत ह खदा हो रा न हो

र जन भी करा जन र हाल भी करा हाल ह

हम कह जात ह कोई सन रहा हो रा न हो

जञाचनरो को अकसर लगा हः हम कह जात ह कोई सन रहा हो रा न हो मगर कभी-कभी कोई सन लना

ह लाख म एक सन ल तो भी काम परा हो गरा हजारो को पकारो और एक आ जाए तो भी पकार सािाक हो

गई जगजीवन का सारसतर रही हः जगजीवन गचह सतगर चरना इतना ही कह सकता ह जगजीवन कहत ह

दक सतगर क चरण पकड़ लना शासतरो की शरण जान स कछ भी न होगा करोदक शासतर तो चनजीव ह उनम स

तम वही अिा कर लोग जो तम करना चाहत हो दफर शासतर तमहारी बचदध म ही समा कर रह जाएग तमहार

हदर को न मि पाएग शासतर स तम जञानी हो जाओग और अजञान तमहारा चमिगा नही शासतर स अधा आदमी

परकाश की बात करना सीख जाएगा लदकन आख न खलगी रह चमतकार तो सतसग म ही घिता ह और सतसग

रानी जहा सतर जीवत हआ हो दकसी वयचि म

कस पहचानोग दक कोई सतगर ह करा कसौिी ह सतगर की कोई बाहरी कसौिी काम नही आती

चहममतवर आदमी चाचहए और बचदध को एक तरफ रख कर हदर को सामन करक बि जान का साहस चाचहए

बस हदर गवाही द दता ह दक आ गरा मकाम हदर एकदम बोल दता ह दक आ गरा मकाम

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन-तमाम आ ही गरा

अववल-अववल हर कदम पर िी हजारो मचजल

आचखर-आचखर इक मकाम-बमकाम आ ही गरा

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

अगर पीन वाल क पास बिोग जरादा कछ न भी सीख पाए तो िोड़ी-िोड़ी बहकी-बहकी बात आ ही

जाएगी

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

चपरककड़ो क पास बि कर कछ न चमला तो भी कछ बहकी-बहकी बात आ जाएगी

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन तमाम आ ही गरा

मगर बचदध स नही होगा रह काम रह हसन-तमाम रह पणा सौदरा रह परमातमा की अचभवयचि रह

परार का चमलन बचदध स नही होगा बचदध क तका जाल को रख दो अलग जहा जत उतर आत हो वही उस छोड़

आना चाचहए इतनी जोचखम जो उिा सकता ह उसी को पता चलता ह कौन सतगर ह कौन नही

116

हदर िि बोलता ही नही जस हम सोन को कसत ह न कसौिी क पतिर पर ऐस ही सतर को कसन की

जो कसौिी ह जो पतिर ह वह हदर ह बचदध नही बचदध स कसोग उलिन म पड़ोग

समिो

अगर तम जन-घर म पदा हए हो तो तमहार पास बचपन स बचदध म दी गई धारणाए ह दक सदगर कसा

होना चाचहए तमह चसफा जन-मचन ही सदगर मालम पड़गा अगर तमहारा कषण स चमलना हो जाए तम

रासता बचा कर चनकल जाओग दक रह कहा का आदमी आ रहा ह रह कसा आदमी आ रहा ह अगर तमहारा

जीसस स चमलना हो जाए तमह पता ही न चलगा तम पास स चनकल जाओग और तमह जीसस क होन का

पता न चलगा अगर बदध तमहार पास आ जाए तो भी तमह पता नही चलगा तमहारी बचदध म एक धारणा बिी

ह दक कसा होना चाचहए मचन नगन होना चाचहए और बदध तो नगन नही ह और मचन तो सवातरागी होना

चाचहए और कषण तो मोरमकि बाध ह तम चक जाओग तमन जो भी धारणाए बचदध स बना रखी ह उनकी

कसौिी स तम अकसर चसफा परपरागत गरओ को पकड़ पाओग और परपरागत गर सतगर नही होत सतगर

दकसी परपरा का चहससा नही होता

इस तम राद रखो सतगर सदा ही परपरा क बाहर होता ह अकसर तो परपरा क चवपरीत होता ह

करोदक सतगर जीवत कराचत ह अगारा ह कोई परपरा उस नही समहाल सकती परपरा तो राख स बनती ह

जब अगार बि जात ह और राख पड़ी रह जाती ह तब पजा शर हो जाती ह उसी पजा स परपरा बनती ह

सदगर तो आग ह जो आग पीन को तरार ह वही सदगर क पास बि सकता ह

बचदध कसौिी नही ह बचदध को एक तरफ रख दना जन की बचदध बौदध की बचदध मसलमान की हहद की

एक तरफ रख दना तमहार पास एक हदर ह जो परमातमा का ददरा ह बचदध तो समाज की दी हई ह वह तो

सरोग की बात ह तम जन-घर म बड़ हए तो जन-बचदध चमल गई अगर बचपन म ही तमह उिा कर मसलमान

क घर म रख ददरा होता तो तमह कभी पता भी न चलता दक तम जन हो कोई खन-हडडी-मास-मजजा जन िोड़

ही होत ह तम अपन को मसलमान मानत और मसलमान फकीर ही तमह जञानी मालम पड़ता और करान

तमह एकमातर दकताब मालम पड़ती और मचसजद म ही तमह परमातमा ददखता और कही न ददखता रह तो

ससकार ह बचदध तो कवल ससकार ह--आदमी क दवारा चनरमात समाज क दवारा आरोचजत हदर परमातमा का

ददरा हआ ह जनम क पहल स तम उस लकर आए हो वह तमहारी जो भाव की शदध दशा ह वही पहचान

सकती ह वही कसौिी ह

अललाह-अललाह र चतरी तको-तलब की वसअत

रफता-रफता सामन हसन-तमाम आ ही गरा

अववल-अववल हर कदम पर िी हजारो मचजल

आचखर-आचखर इक मकाम-बबमकाम आ ही गरा

सहबत-ररनदा स वाइज कछ न हाचसल कर सका

बहका-बहका सा मगर तज-कलाम आ ही गरा

िोड़ा हदर तमहारा बहकन लग िोड़ा हदर तमहारा नाचन लग िोड़ा हदर तमहारा आदोचलत होन

लग वही स पहचान ह उसी पहचान क धाग स धीर-धीर हसन-तमाम पररपणा सौदरा का अनभव हो जाएगा

117

जगजीवन गचह सतगर चरना दीज सब चबसारी

और अगर सतगर चमल जाए तो दफर कछ बचाना मत सब उसक चरणो म चनछावर कर दना

जो इस तरह सब छोड़ दता ह सदगर क चरणो म वही चशषर ह इस परदकररा को ही म सनरास कहता

आज इतना ही

118

अरी म तो नाम क रग छकी

छिवा परवचन

अतराातरा ह परमातमा

पहला परशनः परभ की पकार कस सनाई द

रह परशन शभ ह परभ को पकार कस रह तो बहत लोग पछत ह परभ की पकार कस सनाई द रह कभी-

कभी कोई पछता ह इसचलए परशन महतवपणा ह चवरल ह िोड़ा बजोड़ ह और सतर क जरादा करीब ह

असली सवाल परभ को पकारन का नही ह हमार पास जबान कहा चजसस हम परभ को पकार और

हमारी वाणी की सामरथरा दकतनी जाएगी िोड़ी दर और खो जाएगी शनर म दकतनी रातरा करगी हमारी

वाणी और हम जो भी कहग उसम कही न कही हमारी वासना की छाप होगी हमारी परािानाए हमारी

वासनाए ही ह और वासनाए उस तक कस पहचगी

परािाना म वासना चछपी हो तो जस पकषी क कि म दकसी न पतिर बाध ददरा अब उड़ान सभव न हो

सकगी और हमारी सारी परािानाए वासनाओ स भरी होती ह परािाना शबद का अिा ही मागना हो गरा परािी

का अिा हो गरा मागन वाला करोदक परािाना क नाम स हम सदा ही मागत रह ह

इसचलए हम कस परािाना कर इसस ििा धमा पदा होता ह रह सवाल जरादा गहरा हः परभ की कस

पकार सनाई द परभ पकार ही रहा ह चसफा हमार मचसतषक इतन शोरगल स भर ह दक उसकी धीमी सी

पकार उसकी सकषम पकार उसकी अचत सकषम पकार हम सनाई नही पड़ती नककारखान म उसकी वीणा क सवर

खो जात ह वह वीणावादक ह उसक सवर बारीक ह नाजक ह उसक सवरो को सनन क चलए शनर चचतत

चाचहए चजतना शात चचतत होगा चजतना चनरवाचार चचतत होगा उतनी ही सभावना बढ़ जाएगी उसक सवर

सनाई पड़न लगग

चनरवाचार चचतत म परमातमा ततकषण उतर आता ह जस दवार पर ही खड़ा िा परतीकषा करता िा दक कब

हम चनरवाचार हो जाए और कब भीतर आ जाए चनरवाचार होत ही हमारा घघि उिा दता ह आमना-सामना

हो जाता ह दरस-परस हो जाता ह चचतत को चनरवाचार करो तो उसकी आवाज सनाई पड़गी और तब ऐसा

नही ह दक उसकी आवाज कषण की आवाज म ही सनाई पड़गी और राम की आवाज म बदध की आवाज म ही

सनाई पड़गी इन कौओ की काव-काव म भी उसकी ही आवाज ह एक बार उसकी आवाज सन ली तो तम सब

जगह उस पहचान सकोग एक बार उसकी छचव आख म आ गई तो दफर तम कही भी चक न सकोग दफर

कोरल म ही नही कौए की काव-काव म भी सदर फल म ही नही काि म भी उसकी ही छचव ह जीवन म ही

नही मतर म भी उसका ही नतर ह और सख म ही नही दख म भी उसकी ही छारा ह उसका ही साि ह मन

चाचहए शात शनर उसकी आवाज सननी ह तो धरान की अवसिा साधनी होगी

धरान का इतना ही अिा होता हः अपन को खाली करना धरान परािाना की तरारी ह धरान पजा का

आरोजन ह धरान का अिा हः चनमाल चचतत धरान का अिा हः शात सदयसनात अभी-अभी नहारा हआ ताजा

जस सबह की ओस एक सवर नही एक तरग नही अपना एक भी शबद नही--चनःशबद-- ततकषण उसकी आवाज

सनाई पड़न लगगी

फल हए पात हए गध हए हम

119

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

एक वकष चीहा-सा

राद बना

पाकर

हम आए दर बहत

एक दह

गाकर

अधरो क छए अनबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

िर-िर बासरी

बजाई र

उस पार

गाव घर मडर जग

मह धोए

चभनसार

नीदो क चलए परचतबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

चोच माजती चचचड़रा

मन म

चबजली-अषाढ़

चतनक-सा अपनापन

अपनी रह

नदी बाढ़

मह क चलख नर चनबध हए हम

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

परमातमा स हमारा सबध तो परिम स ह अभी भी ह अत तक होगा परमातमा स हम चवचचछनन नही

हए ह चसफा चवसमत हआ ह परमातमा हम और हम परमातमा को चवसमत नही हए ह रही तो आशा ह रही

तो आशवासन ह हम भल गए हो उस वह हम नही भला ह

फल हए पात हए गध हए हम

हम बहत रप ल चलए ह

फल हए पात हए गध हए हम

120

ऋतओ क पहल

सबध हए हम

लदकन सबस पहल परिम म हम उसस ही जड़ ि--सारी ऋतओ क पहल और अभी भी हम उसस ही

जड़ ह फल हो गए हो पात हो गए हो लदकन जड़ तो हमारी अभी-भी भचम म उसकी ही गड़ी ह जीवन तो

हम उसी स पात ह दकतना ही बड़ा वकष हो जाए भचम का ही अग ह भचम का ही चवसतार ह और दकतन ही

हम कही भी चल जाए हम उसक ही हाि ह चजस ददन जागग उस ददन चदकत होकर पाएग दक न तो सबध

कभी ििा िा न िि सकता िा बीच म चवसमत हआ िा जस नीद आ गई िी और एक सपना दखा िा और

सपन क कारण जो िा चवसमत हो गरा िा जो नही िा अपना मालम होन लगा िा इसचलए जञाचनरो न

जगत को मारा कहा--एक सपना--चजसम जो अपना नही ह अपना मालम होन लगता ह और जो अपना ह

उसकी चवसमचत हो जाती ह उसकी राद खो जाती ह

इस दह स हमन अपन को जोड़ चलरा ह इस दह क नात-ररशतो स हमन अपन को जोड़ चलरा ह

तन मददर-सा मन मगछाला

वरन हई म चबन वरमाला

आख खली दखा सब भिक

कषदर दह क अधकार म

राग नही जागरत हो पारा

कि फस गरा रतनहार म

बधन की इस महाराचतर म

ढढ रही ह मि उजाला

ताल-भग सवर-सी चनवााचसत

हई कला की दकानो स

कीरता चशखर पर होती कस

दर रही म पहचानो स

सहम गई जब दखा मन

कस दकसन दकस उछाला

सख-दख की छीना िपिी म

आधी सोई आधी जागी

मचलन हआ जब भी रातरापि

अशर-कणो म आग लगा दी

मोह-भग तो हआ उसी ददन

चजस ददन पाव महावर डाला

तन मददर-सा मन मगछाला

वरन हई म चबन वरमाला

आख खली दखा सब भिक

कषदर दह क अधकार म

121

राग नही जागरत हो पारा

कि फस गरा रतनहार म

बधन की इस महाराचतर म

ढढ रही ह मि उजाला

एक नीद ह एक नीद का अधरा ह अधरा और कही भी नही ह सारा अचसततव रोशनी स भरा ह चसफा

अधरा ह तो हमारी आख बद ह नीद ह उसक कारण ह तमहार कान बहत शोरगल स भर ह बाजार क वयिा

क दसरो क शबदो न तमहार कानो को अवरदध कर ददरा ह इसचलए भीतर जो वीणा बज रही ह--अहरनाश बज

रही ह--सनाई नही पड़ती ह चप होओ मौन बिो कछ और करना नही ह घड़ी दो घड़ी को ऐस हो जाना ह

जस नही हो ससार क चलए मतवत अपन म डब

शर-शर अड़चन होगी आदत परानी हो गई ह चवचार की चवचारो का ताता लग जाएगा--आख बद

करोग और भी बाजार क चवसतार खड़ हो जाएग मौन बिना चाहोग चवचारो की भीड़ आकरमण कर दगी

लड़ना मत िगड़ना मत दखत रहना साकषी बनना आए चवचार आन दना आएग चल भी जाएग दर खड़

रहना--अचलपत जस कोई राह क दकनार खड़ होकर राह पर चलत हए लोगो को दखता ह न कछ लना ह न

कछ दना ह न कोई अपना न कोई परारा सदर चनकल तो िीक असदर चनकल तो िीक साध तो िीक

असाध तो िीक अचछा-बरा चवचार कछ भी चनकल चनणार मत करना अचछा भी मत कहना बरा भी मत

कहना चनणाारक मत बनना चनणाारक बन दक उलि दक राग बना दक आसचि बनी दक एक चवचार को

पकड़ा और दसर को हिारा बर को हिान म लग गए तो उलि गए अचछ को पकड़न म लग गए तो उलि

गए न तो कछ रकता ह न कछ हिारा जा सकता ह तम चसफा जाग कर बि रहना जस दपाण हो जो ददखाई

पड़ता ह दपाण को दख लता ह चजसकी छारा पड़ती ह पड़ जाती ह दफर छारा चमि जाती ह दपाण खाली

का खाली ऐस ही तम भीतर बि रहना बि रहना अगर िोड़ा भी धरा ह तो धरान फल जाएगा धरा स

फलता ह धरान कोई और परदकररा नही ह वसततः

एक महीना दो महीना तीन महीना छह महीना अगर तम चसफा बित ही रहो इतना सा धीरज हो दक

एक घिा बित ही रहग आएग चवचार तो आन दग नही लड़ग बि रहग और जलदी भी न करग दक तीन ददन

बित हो गए अब तक कछ नही हआ अब करा सार ह अब बिना बद कर अगर तम एक वषा भी चहममत रख

लो तो दकसी न दकसी ददन उसकी पकार सनाई पड़ जाएगी आज सनाई पड़ सकती ह कल सनाई पड़ सकती

ह परसो--कहा नही जा सकता कब करोदक परतरक वयचि की अनत-अनत जीवन की अनत-अनत रातरापिो

की अलग-अलग ससकार की दह बनी ह चभनन भी हो एक-दसर स अलग-अलग हो दकसी को आज हो सकता

ह दकसी को कल दकसी को परसो लदकन मर अनभव म ऐसा ह दक नौ महीन और बारह महीन अचधक स

अचधक अगर कोई धरा स बिता रह जलदबाजी न कर फल की आकाकषा और आतरता न कर तो एक ददन

घिना घि जाती ह और चजस ददन घिती ह उस ददन तम चदकत होओग सबस बड़ा चदकत होना तो रही ह

दक चजस हम खोजत ि उस कभी खोरा नही िा चजस हम पान चल ि वह हमार भीतर चवराजमान िा

चजस वीणा को हम सनना चाहत ि बज ही रही िी चजस ददए को हम जलाना चाहत ि जल ही रहा िा

दसरा परशनः सतरबोध और आतमानभचत हत साधना स कारा-कारण-सबध नही बनता दफर पदधचतबदध

साधन-धरान करन की करा आवशरकता ह

122

हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर बस जो भाए दकरा जाए और जसा भी हो जीवन वसा

जी चलरा जाए तो धरान-साधन करो आवशरक ह कपरा चवशलषण कर अनगहीत कर

सीताराम मान कर नही होगा जान कर होगा मानोग तो िि ही रहगी बात मानन का मतलब ही िि

होता ह मन कहा तमन मान चलरा मन कहा तम परमातमा ही हो और तमन मान चलरा तमहार चलए तो

रह िि ही ह रह तो बचनराद स ही तमन िि रख ददरा मन कहा इसचलए मान चलरा रा दकसी और न

कहा इसचलए मान चलरा दक वद म चलखा ह दक करान कहता ह इसचलए मान चलरा लदकन मानना तो

उधार होगा उधार रानी िि सतर की रातरा उधार पजी स नही की जा सकती जानन स करनी होगी

मन सना ह मलला नसरददीन फास की रातरा पर गरा फासीसी भाषा उस आती नही ह दकसी फासीसी

चमतर न उस अपन घर आमचतरत दकरा ह कछ और चमतरो को भी बलारा भोजन क बाद गपशप हई एक सजजन

न एक फासीसी चिकला कहा सार फासीसी सन कर जोर स हसन लग मलला भी चखलचखला कर हसा ऐसा

दक सब को मात कर ददरा एकदम लोिन ही पोिन लगा उसकी हसी उसका लोिना-पोिना दख कर उन सब

की हसी तो खो ही गई व एकदम सकत म आ गए उनहोन पछा दक करा आप हमारी भाषा समित ह मलला

न कहा भाषा नही समिता लदकन आप म मि चवशवास ह बात जरर कछ हसी की ही रही होगी म आप पर

भरोसा करता ह म आचसतक आदमी ह म सदा दसरो पर भरोसा करता रहा ह जब आप सब हस रह ह तो

बात हसी की रही ही होगी अब उसम और मि जानन की जररत करा ह

पर भद तमह समि म आता ह एक बात को समि कर तम हस हो और एक बात को मान कर दक होगी

ही हसन की इसचलए हस इसम भद तमह समि म आता ह जमीन-आसमान का अतर हो गरा रह तो हसी

ििी रही चाह दकतना ही लोिो-पोिो चाह दकतन ही जोर स चखलचखलाओ लदकन तमहार हदर स रह नही

उिी नही उि रही ह नही उि सकती ह

तम कहत होः हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर

मगर रह मानना तो िि होगा और तमह बार-बार राद आती रहगी दक पता नही तम जो बात मान

कर चल पड़ हो वह िीक भी ह कौन जान तमहार पर डगमगात रहग

जान लो दफर जीवन का मजा और ह दफर िीक कह रह हो तम दफर ऐसा ही होता ह एक बार जान

चलरा दक परमातमा भीतर चवराजमान ह दफर कछ करन को बचा करा दफर तो जीओ दफर तम नही जीत

वही जीता ह दफर न कछ बरा ह न कछ भला ह दफर बरा-भला कस हो सकता ह करोदक परमातमा जो

चजए वही िीक ह वही शभ ह

रही साध और सत शबद का भद ह

साध का अिा होता हः जो सोच-सोच कर चवचार कर-कर क करा िीक ह उसको जीए और सत का

अिा होता ह चजसन सब परमातमा पर छोड़ ददरा अब परमातमा जसा जीता ह वही िीक ह साध जो िीक ह

वसा सोचकर जीवन आचरण करता ह उसका एक चररतर होता ह चररतर का एक अनशासन होता ह उसकी

एक मराादा होती ह सत सोच कर जीता ही नही दक करा िीक ह करा गलत ह उसन तो सब छोड़ ही ददरा

सत तो बचा ही नही अब तो परमातमा ही उसस जीता ह इसचलए जो भी जीता होगा िीक ही जीता ह अब

बर होन का कोई उपार ही नही रहा

123

सत का कोई आचरण नही होता साध का आचरण होता ह और इसीचलए अकसर ऐसा हो जाता ह दक

साध को तो पजा चमल जाती ह सत स तम चक जात हो करोदक आचरण तमह ददखाई नही पड़ता ह आचरण

तमह समि म आता ह सरलता स तमहार गचणत म और साध क गचणत म भद नही ह तम भी जानत हो सोच-

सोच कर दक करा िीक ह और वही साध जी रहा ह तम सहज ही साध क चरणो म िक जात हो सत अड़चन

डाल दता ह सत तमहारी मराादा क बाहर होता ह अमरााद होता ह

जीसस को चजन लोगो न सली दी व कोई बर लोग नही ि साध लोग ि साधओ न सदा सतो को सली

द दी ह--रह राद रखना करोदक चजनहोन सली दी तम रह मत सोचना दक बर लोग ि हतरार ि पापी ि

नही भल लोग ि अचछ लोग ि चजनका तम भी आदर करत वस लोग ि आचरणवान ि मराादाबदध ि

और जीसस मराादामि ि रही अड़चन िी जीसस की कोई मराादा न िी कोई सीमा न िी जीसस कहत ि

म और परमातमा एक इसचलए जो वह करवाए वही िीक जसा करवाए वसा ही िीक म कौन ह चनणाारक

म ह ही नही बीच म कोई म तो बास की पोली पोगरी वह जो गाए गीत उसका अचछा तो उसका बरा तो

उसका म उसस ऊपर अपन को कस रख

रही भद राम और कषण म ह

राम मराादा परषोततम ह व साधता की पराकाषठा ह कषण सततव की पराकाषठा ह व अमरााद ह असीम

ह इसचलए हमन राम को आचशक अवतार कहा कषण को पणाावतार कहा सत म परमातमा परा उतरता ह

साध म बस िलक मातर ह अश मातर साध म एक चषटा ह चनरम वयवसिा चवचध-चवधान ह साध को सदा

सममान चमल जाता ह राम कही भी हो तो सममान चमल जाएगा कषण को कही भी अड़चन होगी कषण को

होन ही वाली ह अड़चन करोदक कषण का जीवन बबि मालम पड़गा

कषण न अजान को भी रही कहा ह दक त भी सब फल उस पर ही छोड़ द और जो वह करवाए सो कर त

फल की आकाकषा न कर

साध तो फलाकाकषी होता ह वह तो पर वि फल का ही चवचार करता ह दक ऐसा करगा तो ऐसा

होगा ऐसा करगा तो ऐसा होगा ऐसा दकरा तो सवगा और ऐसा दकरा तो नरक

ऐसा दकरा तो पणर और ऐसा दकरा तो पाप साध तो हचता ही करता रहता ह इसी की कषण तो जो

चशकषा द रह ह वह साधता की नही ह साध को तो लगगा असाधता की ह

इसचलए जचनरो न जो दक साधता की पराकाषठा ह कषण को नरक म डाल ददरा ह उनक शासतरो म

कषण नरक म पड़ ह छोि-मोि नरक म नही सातव नरक म पड़ ह वह साध का विवय ह सत क परचत करो

नरक म पड़ ह करोदक कषण का जीवन चररतरहीन मालम होता ह कोई चनरम नही ह सब तरफ स

चनरममि ह सवचछद ह अराजक ह

तम खराल रखना साध और सत क बीच बड़ी खाई ह उसस भी बड़ी चजतनी असाध और साध क बीच

ह असाध-साध क बीच बड़ी खाई नही ह उनकी तका सरणी एक ह उनक सोचन का गचणत एक ह असाध

बरा-बरा सोच कर कर रहा ह दक रह-रह बरा ह रह-रह करना ह और साध सोच-सोचकर अचछा-अचछा कर

रहा ह मगर दोनो सोच कर जी रह ह दोनो वयवसिा बाधकर जी रह ह दोनो अपन चारो तरफ एक सीमा

बाध चलए ह अपनी पररभाषा बना चलए ह सत दोनो स मि ह न साध ह न असाध ह दवदवातीत ह न पाप

ह न पणर ह वहा न अचछा ह न बरा ह वहा वहा कोई लकषर ही न रहा वहा परमातमा को परी छि ह

परमातमा को बहन की परी वयवसिा ह साध नहर जसा होता ह सत नदी जसा

124

नहर और नदी म फका खराल रख लना

नहर सीचमत होती ह जब चाहो तब चलाओ जसा चाहो वसा चलाओ चजतना पानी लाना हो लाओ

न लाना हो न लाओ नहरो म बाढ़ नही आती

और नहरो का रासता बधा हआ होता ह जस रलगाचड़रा पिरररो पर डोलती ह लोह की ऐसा साध भी

पिरररो पर दौड़ता ह आचरण की लदकन सत मि सररत-परवाह ह लदकन वह मि सररत-परवाह शरदधा पर

खड़ा नही हो सकता मानन पर खड़ा नही हो सकता जानन पर ही खड़ा हो सकता ह उतनी जोचखम चसफा

मानकर कौन लगा

तो सीताराम तमहारा परशन अिापणा ह तम कहत होः हम परमातमा म ही ह ऐसा एक बार मान कर

बस जो भाए दकरा जाए

मान कर करोग तो कभी तचपत नही होगी बीच-बीच सदह उित रहग दक जो म कर रहा ह िीक कर रहा

ह रह जो म कर रहा ह परमातमा की मजी ह रह जो म कर रहा ह सच म परमातमा ऐसा चाहगा रह तो

म अपनी ही मजी कर रहा ह परमातमा क नाम स रह म दकसको धोखा द रहा ह रह तो मन बड़ी तरकीब

चनकाल ली करता ह अपन मन की कहता ह दक परमातमा करवा रहा ह मानन वाला आदमी मि नही हो

सकता जीवन म बधा रहगा

और तमहारी दसरी बात भी सोचनीर ह तमन कहा सतरबोध और आतमानभचत हत साधना स कारा-

कारण-सबध नही बनता दफर पदधचतबदध साधन-धरान करन की करा आवशरकता ह चनचित ही कोई कारा-

कारण-सबध नही ह तमहारी साधना म और सतर क अनभव म लदकन तमहार जीवन को मानरता स मि

करन म पदधचतबदध धरान और साधन का बड़ा उपरोग ह सतर को तमहार पास लान म कोई उपरोग नही ह

लदकन असतर को तमस दर करन म उपरोग ह

तम ऐसा ही समिो जस औषचध आरवद का बचनरादी चसदधात ह दक औषचध क दवारा हम दकसी को

सवासरथर नही द सकत औषचध म और सवासरथर म कोई कारा-कारण का सबध नही ह लदकन औषचध स हम

बीमारी दर कर सकत ह और बीमारी दर हो जाए तो सवासरथर क जनमन म सचवधा होती ह सवासरथर तो

परमातमा दता ह कोई वदय नही द सकता नही तो आदमी मर ही नही वदय तो चसफा बीमारी दर कर सकता

ह ऐसा ही समिो दक एक िरना ह उसक रासत म एक चटटान पड़ी ह हम चटटान अलग कर सकत ह चटटान

अलग करन स िरना पदा नही होता कोई कारा-कारण का सबध नही ह दक चटटान अलग की तो िरना पदा हो

गरा चटटान अलग करन स िरन पदा होन का करा लना-दना कोई सबध नही ह लदकन चटटान क अलग

करन स िरना बह उिता ह चटटान रहती अड़ी बीच म तो िरना रहता भी मगर बहता नही पता ही न

चलता दकसी को

तम जब कआ खोदत हो तो करा तम सोचत हो तमहार खोदन स जमीन म पानी आ जाता ह पानी तो

ह ही तमहार खोदन स पानी क पदा होन का कोई कारा-कारण-सबध नही ह लदकन तमहार खोदन स बीच का

अवरोध हि जाता ह चमटटी-पतिर कड़ा-करकि बीच स हि जाता ह पानी उपलबध हो जाता ह तमहार और

पानी क बीच म जो बाधा िी वह हि जाती ह औषचध बीमारी को हिा दती ह और बीमारी क हित ही

सवासरथर सवभावतः चखल उिता ह सवासरथर का अिा ही रही होता ह

हमारा शबद बड़ा अदभत ह

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सवासरथर का अिा होता हः जो सवर स पदा हो जो सव स जनम कोई बाहर स ला नही सकता सवर की

ऊजाा ह सवसफता ह सवासरथर तो तमहारा सवभाव ह बीमारी परभाव ह बीमारी बाहर स आती ह इसचलए

बाहर की दवाई उस दर भी कर सकती ह जो बाहर स आती ह वह बाहर स ही दर की जाएगी और सवासरथर

तो भीतर स उिता ह बाहर स डाला नही जा सकता सवासरथर क इजकशन कही चमलत ह दक गए डाकिर क

पास दक जरा लगा दो सवासरथर का एक इजकशन हा बीमारी को दर करन क इजकशन होत ह बीमारी को

कािन क इजकशन होत ह चचदकतसाशासतर सवासरथर नही दता ह कवल बीमारी को छीन लता ह बीमारी क

हित ही तमहारी जो जीवनऊजाा ह अवरदध नही रह जाती परवाचहत हो उिती ह

ऐसा ही धरान ह धरान स सतर नही चमलता सतर तो चमला ही हआ ह इसचलए धरान स कोई कारा-

कारण का सबध नही ह धरान बीज नही ह सतर का दक धरान का बीज बोओग तो सतर की फसल कािोग

धरान तो चसफा तमहार भीतर जो चवचारो का वयिा ऊहापोह ह कड़ा-करकि ह उसको काि जाएगा धरान

चसफा औषचध ह और इसीचलए जब धरान पररपणा हो जाता ह तो धरान भी छोड़ दना पड़ता ह करोदक जब

सवासरथर आ गरा दफर औषचध लना खतरनाक ह दफर रह मत सोचना दक इस औषचध स इतना लाभ हआ

अब इसको कस छोड़ हो गए सवसि वह िीक लदकन हए तो इसी औषचध क दवारा तो औषचध को तो लना

जारी रखग तो औषचध दफर बीमारी बन जाएगी वही औषचध जो बीमार क चलए सहरोगी ह सवसि क चलए

घातक हो जाएगी

इसचलए परम अवसिा जब आती जब बीमारी कि गई चवचार कि गए धरान का काम परा हो गरा

दफर धरान भी छि जाता ह जस एक कािा गड़ा ह दसर काि स चनकाल लत ह दफर दोनो कािो को फक दत

ह चवचार का कािा गड़ा ह धरान क काि स चनकाल चलरा दफर दोनो काि फक ददए

तम रह मत सोचना दक बदध जब जञान को उपलबध हो गए तब भी धरान करत ह दफर करो धरान

करग दफर दकसचलए धरान करग इसचलए बदध न कहा हः धमा नाव जसा ह उस पार पहच गए दफर नाव

छोड़ दना दफर चसर पर ढोए हए मत चलना नही तो लोग मढ़ कहग इसचलए जो धमा को उपलबध हो जाता

ह उसस धमा छि जाता ह

र बात तमह चौकान वाली मालम पड़गी

धमा को उपलबध होत ही धमा छि जाता ह दफर कोई जररत न रह गई

चनरमबदध पदधचतबदध साधन की परदकरराए--धरान की रोग की--मलरवान ह मलरवान ह करोदक तम

बीमार हो मलरवान ह करोदक तम चवचार स गरसत हो तमहार चवचार को काि दगी चवचार क कित ही

तमहार भीतर का सतर आचवभात हो जाएगा

लदकन रह बात मान कर नही चलनी ह

तम सोचत हो धरान की करा जररत तमन मरी बात सनी तमहारा चचतत परसनन हआ होगा दक चलो

ििि चमिी तो धरान म और सतर म कोई कारा-कारण का सबध नही ह चलो रह एक ििि तो किी धरान

करन स बच सीताराम इतनी आसानी स न बचोग अब तमन सोचा इतनी सी ही बात मान ल दक हम

परमातमा ही ह दफर सब िीक ह कछ भी िीक न होगा सीताराम बस जस तम सीताराम हो ऐस ही

सीताराम रहोग न राम चमलग न सीता चमलगी कछ न चमलगा मान लोग मानन क चलए तो रह नाम तमह

द ददरा ह--सीताराम इसका मतलब दक परमातमा ही हो तम

126

परान ददनो म सार नाम ही परमातमा क ददए जात ि सभी नाम परमातमा क ि हर आदमी को हम

परमातमा का नाम दत ि--सकत क रप म दकसी को राम दकसी को कषण दकसी को हरर दकसी को हररहर

दकसी को कछ हहदओ क मसलमानो क सार नाम परमातमा क ह रहीम रहमान--सब नाम परमातमा क ह

परान ददनो म रह परदकररा जान कर अचखतरार की गई िी र मा-बाप रह कह रह ि दक तमह हम राद

ददला रह ह दक तम भी परमातमा हो मगर इसस होता करा ह सभी क नाम परमातमा क ह कोई चवषण ह

कोई राम ह कोई कषण ह मगर इसस होता करा ह नाम ही रह जाता ह मानरता ही रह गई रहत तो तम

वही हो जो तम हो तमहारी सारी बीमारररा वही की वही कछ अतर नही पड़ता जरादा-स-जरादा रामलीला

क राम बन गए और करा होगा रामलीला क राम स कछ नही हल होता धोख क राम हो गए िि राम हो

गए--अचभनता हो गए लदकन भीतर तो तम जानत ही रहोग दक तम नही हो रह तम नही हो

मानन स नही होगा मानना तो अनमान ह अनमान स सतर उपलबध नही होता

मन सना ह एक नामी चशकारी क पोत न दीवाल पर उलि िग हए एक साभर क चसर की ओर इशारा

करक अपन ननह सहपारिरो को बतारा दादा जी न इस तब मारा िा जब रह शीषाासन कर रहा िा अनमान

लगारा बि न दक जरर जब शीषाासन कर रहा होगा साभर तब मारा होगा तभी तो चसर उलिा लिका ह

तमहार सार अनमान ऐस ही ह तमहार ईशवर क सबध म लगाए गए अनमानो का कोई मलर नही ह

अनमान नही बोध चाचहए साकषातकार चाचहए--सवर का चनज का उस चनज क बोध क चलए मागा म चजतनी

बाधाए ह हिानी पड़गी

और दफर दोहरा द तमहार करन स और उसक चमलन का कोई कारा-कारण-सबध नही ह

तीसरा परशनः भगवान परवचन स पहल जब जगजीवन क पदो का पाि दकरा गरा तो मरा ददल अकसमात

भर आरा आख डबडबा आई और पदो का पाि चलता रहा तब तक मर आस आप ही आप बहत रह पाि की

समाचपत हई तो आस बद हए म इन पदो का मतलब भगवान शरी क परवचन क बाद समिा

ऐसा करो हआ

डा समरहसह एक समि बचदध की ह एक समि हदर की हदर बचदध क बहत पहल समि लता ह

हदर शबदो को नही समिता भावो को समि लता ह हदर भाषा को नही समिता लदकन भाषा स भी कछ

गहरा होता ह तो पकड़ लता ह और ऐस ही र पद ह रही तो भद ह साधारण कचवरो और ऋचषरो का

साधारण कचवरो की कचवता म चसफा शबद ही होत ह शबदो का ही जमाव होता ह--सदर जमाव परारा जमाव

मातरा छद वयाकरण सब दचषटरो स पणा होता ह बस एक बात की कमी होती ह--पराण नही होत ऋचष का

अिा होता ह चजसकी वाणी म आतमानभव भी उडला हआ ह दफर रह भी हो सकता ह शारद मातरा और छद

पर न हो वयाकरण भी िीक न हो--कबीर को कोई बहत वयाकरण आती भी नही कहा ही ह दक मचस कागद

छरौ नही कभी कागज और सराही तो छई नही--तो इसचलए कछ भाषा का तो जमाव नही होगा और अगर

भाषा म कोई जमाव ह तो वह भाषा का नही ह भाव क जमाव की ही छारा ह भाव जम गए ह

तो जब कभी दकसी ऋचष की वाणी गजी तमहार पास और तम अगर उस समर गराहक चचतत की दशा म

होओ तो आख डबडबा आएगी आस िरन लगग और तम चौकोग भी चौकोग अिाात तमहारा चसर चौकगा

127

चौकोग अिाात तमहारी बचदध चौकगी दक रह करा हो रहा ह करो हो रहा ह करो म रो रहा ह तमह िोड़ा

लगगा दक कछ चवचकषपत हए जा रह हो रह कसी दीवानगी

इसचलए सतसग की बड़ी मचहमा ह सतसग का इतना ही अिा हः जहा ऐस लोग बि हो दक तम रोओ

अगर तो कोई रह न समि दक तम पागल हो गए हो जहा तम रोओ तो लोग तमहार रोन को सममान द जहा

तमहारी आखो स आस चगरन लग तो पास बि लोगो को ईषराा हो आदर हो तमहार आसओ का मलर हो हनदा

न हो सतसग का अिा होता हः जहा सभी चपरककड़ इकटठ हो जहा भाव की भाषा समिी जाती हो भाषा क ही

भाव नही भाव की भाषा समिी जाती हो और जहा भाव को समादर ददरा जाता हो

तम खल मन स बि ि जो भी रहा मर पास आए ह अगर सच म मर पास आना चाहत ह तो एक ही

उपार ह दक खल मन स बि तम खल मन स बि ि तमहार हदर क दवार खल ि तमन कोई सरकषा न की िी

तमन दरवाज-ताल न लगाए ि तमन पहरदार न चबिा रख ि तमन तका को हिा ददरा िा एक तरफ तम

चनमाल चचतत सतसग क चलए आतर ि पकड़ गई तरग तमह बचदध समि इसक पहल हदर समि गरा बचदध

समि इसक पहल हदर भीग गरा और हदर का भीगना ही असली ह

दफर बाद म जब मन तमह अिा समिाए तब तमह अिा समि म आए सच तो रह ह अगर तमहारा

हदर न भीगा होता तो मन जो अिा समिाए व भी तमह समि म न आ सकत ि तमहारा हदर भीगा िा

इसचलए बचदध न अनसरण दकरा

इस बात को खब समि लो

अगर बचदध माचलक हो तो जीवन नरक हो जाता ह अगर हदर माचलक हो और बचदध उसकी अनचर

तो जीवन सवगा हो जाता ह बचदध बड़ी उपरोगी ह माचलक की तरह नही सवक की तरह बस इतना ही फका

ह कछ लोगो म बचदध माचलक हो गई ह और हदर सवक हो गरा ह र उनक दरदान ह रह दघािना हो गई रह

तम नाव पर सवार न रह नाव तम पर सवार हो गई रह तम घोड़ पर सवार न रह घोड़ा तम पर सवार हो

गरा

मन सना ह एक छोि बचच को उसका चपता रोज बगीच म घमान ल जाता िा और वहा चसकदर महान

की मरता िी--घोड़ पर बिा हआ चसकदर बचचा रोज उस मरता क पास जाकर चनचित खड़ा हो जाता िा और

बड़ा आनददत होता िा बाप भी परसनन िा दक चलो अचछा ह चसकदर महान क परचत इसक मन म इतना आदर

ह कछ बन कर रहगा कछ होकर रहगा पत क लकषण पालन म दफर गाव छोड़ना पड़ा बदली हो गई बाप

की तो बि न कहा दक एक बार चल कर चसकदर महान क दशान और कर आए बाप तो बहत आनददत हआ

उस लकर दफर बगीच गरा बि की आखो स आस चगरन लग--चवदाई का कषण बाप न पछाः त रोता ह तरा

इतना परम ह चसकदर महान स उसन कहा हा मि बहत परम ह चसफा एक सवाल मि पछना ह दक चसकदर

महान पर चढ़ा हआ कौन बिा ह

उसको तो घोड़ स लगाव िा

करोदक मन कभी आपस पछा नही मगर अब जान का ददन आ गरा तो म रह पछना चाहता ह चसकदर

महान तो गजब का ह मगर इसक ऊपर चढ़ा कौन बिा ह इसको कोई उतारता करो नही आचखर चसकदर

महान भी िक जाता होगा

128

बचच की अलग दचनरा ह उसक चलए चसकदर महान म दो कौड़ी का मलर ह घोड़ म जान ह बचच की

नजर घोड़ पर ह बाप को तो घोड़ा कभी शारद ददखाई भी न पड़ा हो वह चसकदर महान को जो दख रहा ह

उसको घोड़ा कहा ददखाई पड़

जीवन म दघािना हो गई तमहार अगर तमहारी बचदध तम पर सवार हो गई रही पचडत का दभाागर ह

पापी भी पहच जात ह परमातमा तक पचडत पहचत ह ऐसा कभी सना नही हदर सवार हो तो बचदध बड़ी

सदर बड़ी उपरोगी बड़ी बहमलर ह

ऐसा ही हआ डाकिर समरहसह भाव पहल नाच उिा तरग पहल तमहार हदर म चली गई गीत

तमहार पराणो म गज गरा तम गील हो गए तम भीग गए नहा गए और तभी तम मन जो अिा समिारा वह

समि पाए करोदक भाव अब तरार िा अब अिा बड़ अचभवयजक हो जाएग

इसचलए रहा तो मि सनन वाल लोग ह दो तरह क लोग ह व जो पहल भाव को चभगात ह वही

चशषरतव का अिा ह भाव भीग जाए तो तम चशषर हो गए अगर भाव न भीग चसफा बचदध स समिो तो तम

चवदयािी हो चशषर नही मिस लोग आकर पछत ह पतर चलखत ह दक हम नर-नर आए ह हम आग बिन

ददरा जाए जो लोग सदा आग बित ह व अगर पीछ बि तो कछ हजाा ह हम नर आए ह हम बड़ दर स आए

ह हम तो िोड़ ददन क चलए आए ह जो अतवासी ह आशरम क व तो सदा ही सामन बित ह हम करो न

सामन बिन ददरा जाए तम अभी चवदयािी हो तमह पीछ भी बिन ददरा जाता ह तो तम अनगरह मानो

सामन तो म उनही को चबिालता ह चजनक भाव भीगत ह

इसचलए तमह रह भी चमतकार ददखाई पड़गा दक बहत लोग जस म अभी हहदी म बोल रहा ह बहत स

लोग आग बि ह जो हहदी जानत ही नही मगर उसकी कोई हचता नही ह उनक भाव भीग ह हहदी न जानत

हो मि जानत ह और वह जानना जरादा मलरवान ह भाषा म करा रखा ह िोड़ी दर शबद मन म गजत

रहग और चवलीन हो जाएग मगर अगर हदर आदोचलत हआ अगर हदर पर छाप पड़ी करा मन कहा ह

इसका सवाल नही ह बड़ा कहा स कहा ह इसका सवाल ह बड़ा इसचलए जो सनरासी की तरह रहा सनता ह

उसकी उपलचबध बहत ह अनत गना ह और जो ऐस ही चजजञास की तरह सनता ह उसकी उपलचबध उतनी

नही ह तमह आग नही चबिारा जा सकता

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह कोई एकाध आदमी भी आग ऐसा बि जाता ह चजसका भाव नही भीगता

तो उसक कारण वयवधान पड़ता ह उसक कारण एक खाली जगह रह जाती ह एक ररि सिान रह जाता ह

और ररि सिान रहता तो भी बहतर िा उसकी मौजदगी उसकी तरग उसक आस-पास भी चवघन और बाधा

खड़ी करत ह

समरहसह तम सौभागरशाली हो दक तमहारा भाव भीगा पीछ तमह अिा समि म आरा पहल डबो

दफर समि पहल रग जाओ दफर समि पहल हदर म उतर जान दो बातो को दफर बचदध अपन आप चहसाब-

दकताब लगा लगी जो लोग कहत ह पहल हम बचदध स चहसाब-दकताब लगाएग और दफर हदर को डबाएग

उनका हदर कभी नही डबता ह करोदक बचदध का चहसाब-दकताब कभी परा नही होता कभी परा नही होता

बचदध कभी चनषकषा तक आती ही नही बचदध क पास चनषकषा होत ही नही बचदध चनषकषा लना जानती ही नही

बचदध चनषकषा ल ही नही सकती करोदक बचदध का सवभाव सदह ह हदर का सवभाव शरदधा ह बचदध सदह कर

सकती ह चवचार कर सकती ह चनषकषा नही ल सकती हदर चवचार नही कर सकता सदह नही कर सकता

129

छलाग लता ह--और चनषकषा आ जाता ह र दोनो परदकरराए बड़ी चभनन ह इसचलए बचदधमान का और भावक का

वाताालाप भी नही हो सकता वाताालाप म ही दचवधा हो जाती ह चववाद हो जाता ह उपार ही नही ह

अचछा हआ जब भाव स इतनी मसती आई तो मि समि भी सक और अब भाव और समि दोनो क

चमलन स समचदध खब बढ़गी

न ताब-मसती न होश-हसती दक शकर-न मत अदा करग

चखजा म जब ह र अपना आलम बहार आई तो करा करग

न ताब-मसती न होश-हसती होश भी नही ह अपना दक शकरन मत अदा करग दक तर अनत-

अनत परसादो का धनरवाद भी द सक परमातमा कोई उपार नही ह होश ही नही ह और जब पतिड़ म रह

हालत ह चखजा म जब ह र अपना आलम बहार आई तो करा करग जब भाव स ही इतना हो गरा आस

बह तो जब समि भी आ जाएगी समि और भाव दोनो चमलग जब हदर और बचदध का मल होता ह तो तम

समराि हो जात हो उसी मल का नाम समराि हो जाना ह दफर तमहार पास कछ भी न हो कोई दफकर नही

लदकन तम समराि हो

बचदध और हदर चजसका मल खा जाता ह समनवर हो जाता ह जीवन का सबस बड़ा दवदव समापत हआ

आ गई बहार वसत आ गरा अब फल ही फल ह अब गीत ही गीत ह

रह जो घिा ह आज रह रोज-रोज घिता रह इसकी परािाना करना रह जो घिा ह इसक चलए

धनरवाद दना परभ को अनारास घिा ह आज ऐसा न हो दक तम आग चको जो आज अनारास घिा ह इस

धीर-धीर राह दना तादक जोर स घि और-और घि धीर-धीर रह तमहारा सवभाव बन जाए

और डरना मत रोन स बड़ा डर लगता ह करोदक सददरो स हम चसखारा गरा हः रोना मत आखो को

हमार पतिर बनान की कोचशश की गई ह और आख पतिर हो गई ह अनत-अनत लोगो की आस आत ही नही

आख सख गई ह वह हदर क सख जान का सबत ह और जब आखो म आस नही आत तो जीवन भी सख

जाएगा रसधार न बहगी और परमातमा तो रस ह परम-रस कहा जगजीवन न रसो व सः वह तो रसरप ह

तमहार भीतर रस बह तो ही उस परम रस स सबध हो सक

चखो इस रस को डबो इसम--सब लोकलाज छोड़ कहा जगजीवन न सब लोकलाज चमि जाती ह सब

मान-मराादा चमि जाती ह पागल होन की चहममत चाचहए तो ही कोई परमातमा को पान म सफल हो पाता ह

चौिा परशनः उि ऊपर रा मनहार कर

पता नही पाता ह

चजतना मटठी को कसता ह

दर चला जाता ह

करा कर परभ मागा दीचजए

चवशष मटठी को चजतना ही बाधोग उतना ही चकोग आकाश को मटठी म नही बाधा जा सकता आकाश

को पाना हो तो मटठी खली रखनी पड़ती ह खल हाि म तो आकाश होता ह बद हाि म समापत हो जाता ह

ससार और परमातमा क चनरम चवपरीत ह गचणत अलग-अलग ह ससार म मटठी खोलो दक गई सपदा

ससार म मटठी बाधकर रखनी पड़ती ह तो ही सपदा बच सकती ह करोदक रहा सपदा हः छीना-िपिी रहा

130

सपदा तमहारी नही ह दकसी की नही ह रहा सपदा छीना-िपिी ह शोषण ह रहा तो मटठी बाध कर रखनी

होगी जोर स बाध कर रखनी होगी और तम मटठी भी बाध रहो तब भी दसर तमहारी मटठी खोलन की कोचशश

म लग रहत ह तम कसी पर बि गए दसर तमह कसी स धकका दन म लग रहत ह उनको भी वही बिना ह

उसी कसी पर बिना ह ससार की सपदा सीचमत ह इसचलए बड़ा सघषा ह तमहार पास ह तो मर पास नही हो

सकती मर पास ह तो तमहार पास नही हो सकती नरन ह ससार की सपदा इसचलए वहा तो परचतरोचगता

रहगी गलाघोि परचतरोचगता रहगी

लदकन परमातमा तो असीम ह मि परमातमा चमल जाए इसस तमहार चमलन म कोई बाधा नही पड़ती

दक तमह सब कस चमलगा करोदक मि चमल गरा ह दक तमह चमल गरा तो अब तमहार पड़ोसी को कस

चमलगा परमातमा असीम ह सच तो रह ह मि चमल गरा इसचलए तमह आसानी स चमल सकगा अगर

तमहार पड़ोसी को भी चमल गरा तो तमह और भी आसानी स चमल सकगा चजतन जरादा लोगो को चमल जाए

उतनी सचवधा तमहार भी चमलन की हो जाएगी बदध को चमला इसचलए तमहारा चछना नही बदध को चमला

इसचलए तमह राद ह दक हम भी खोजना ह अगर बदध को चमल सका तो हम भी चमल सकता ह रह आशवासन

पदा होता ह

तो परमातमा कोई नरन सपचतत नही ह इसचलए अिाशासतर का जो चनरम जगत म लाग होता ह वह

परमातमा म लाग नही होता उसस उलिी दशा ह वहा वहा मटठी बाधन की जररत नही ह करोदक परमातमा

ऐसा धन ह जो तमहारा ह ही मटठी बाधन की कोई जररत नही न उस कोई चरा सकता ह न कोई छीन

सकता ह कषण न कहा हः न उस शसतर छद सकत ह न आग उस जला सकती ह मतर भी उस सपदा का बाल

बाका न कर सकगी मटठी करो बाधनी ह मटठी बाधन म सासाररक भाचत काम कर रही ह परमातमा को

चतजोरी म बद करक िोड़ ही रखना ह ससार म दकसी चीज को बािो तो कम हो जाती ह परमातमा क जगत

म दकसी चीज को रोको तो कम हो जाती ह बािो तो बढ़ती ह जस परम चजतना बािो उतना बढ़ता ह इसचलए

परम परमातमा का सतर ह परमातमा चजस चमल जाता ह उस बािना ही होता ह वह चजतना बािता ह उतना

जरादा पाता ह

दफर मटठी बाधन की आकाकषा अहकार की आकाकषा ह मरा हो मटठी दकसकी ह मटठी रानी अहकार--

मरा हो परमातमा दकसी का नही हो सकता जब म-भाव चमिता ह तब परमातमा परकि होता ह

तो चवशष तम िीक कहत होः

उि ऊपर रा मनहार कर

पता नही पाता ह

न तो ऊपर उिन स चमलगा करोदक ऊपर उिन की आकाकषा भी अहकार की आकाकषा ह खराल करना

अहकार ऊपर उिना चाहता ह शरषठ होना चाहता ह अहकार महतवाकाकषी ह बड़ स बड़ पद पर होना चाहता

ह--और ऊपर और ऊपर ऊपर उिन स परमातमा नही चमलगा और जो लोग आकाश की तरफ दखत ह

परमातमा को खराल करक खराल रखना व अहकार की ही भाषा बोल रह ह--ऊपर परमातमा भीतर ह ऊपर

नही ऊपर उिन स नही चमलगा चल जाओ उित आकाश म नही चमलगा

लोग सोचत ि पहल दक कलाश पवात पर ह दफर आदमी कलाश पवात पर पहच गरा वहा नही पारा

दफर सोचन लग चाद पर ह अब आदमी चाद पर पहच गरा वहा भी नही पारा तमह मालम ह रस म उनहोन

131

अतररकष रातराओ स आए हए पतिरो इतरादद का सगरहालर बनारा ह उस पर जो वचन खोदा ह सगरहालर पर

वह रही ह दक चाद पर भी खोज चलरा गरा ईशवर वहा भी नही ह

ररी गागाररन न चलखा ह जब वह अपन गाव पहचा तो एक बढ़ी सतरी होगी कोई अससी-पचचासी साल

की उसन उस पकड़ चलरा और कहाः गागाररन सच म त चाद पर होकर आरा ह परमातमा क दशान हए

गागाररन न कहा दक नही कोई परमातमा नही ह वह बढ़ी हसन लगी उसन कहाः त मि धोखा मत द रा तो

त चाद पर नही गरा और रा दफर मजाक कर रहा ह बढ़ आदचमरो स मजाक नही करना चाचहए सच-सच

बता ररी गागाररन न चलखा ह दक दो ही चवकलप ि रा तो म गरा ही नही ह चाद पर और अगर गरा ह तो

िि बोल रहा ह करोदक परमातमा चाद पर ह अब चाद पर आदमी पहच गरा परमातमा को वहा स भी

हिना पड़गा हि ही गरा अब रखो कही भी उसको वहा भी आदमी पहच जाएगा तम ऊपर-स-ऊपर रखत

हो और परमातमा तमहार भीतर ह भीतर-स-भीतर

ऊपर की खोज ऊपर उिन की खोज अहकार की खोज ह

उि ऊपर रा मनहार कर

और मनहार भी सतचत भी अहकार का ही उपार ह चलो िका जाता ह तमहार चरणो म चसर रख दता

ह दखो मरा तराग दखो मरी चवनमरता मरा िकना दखो मरा समपाण दखो रह भी अहकार की ही परदकररा

अहकार क दो ढग ह पहल िकान की कोचशश करता ह दसर को सार ससार म रह कोचशश चलती ह

दक िका लो दसर को दकसी तरह िका लो दसर को िकाना अहकार की भाषा ह दफर अहकार सोचता ह

परमातमा को तो िकारा नही जा सकता इसचलए हम िक जाए मगर भाषा वही की वही ह शीषाासन कर

रही ह वही भाषा लदकन वही की वही ह--हम िक जाए न तो परमातमा िकान स चमलता ह न िकन का

सवाल ह करोदक िकन म भी अहकार मौजद ह चमिन स चमलता ह िकन का सवाल ह करोदक िकन म भी

अहकार मौजद ह चमिन स चमलता ह िकन स नही चमिन स बाल भी नही बचना चाचहए तमहारा अहकार

का भाव भी नही बचना चाचहए रह भी अहकार का नरा पररवश ह दक दखो म िक गरा दखो म ना-कछ

ह रह भी दावा अहकार का ह रह बड़ा शभ दावा मालम होता ह रह साध का दावा ह दक दखो म चबलकल

ना-कछ तमहार पर की धल

तमन कभी दखा कोई आदमी कह दक म ना-कछ म आपक पर की धल और तम कह दो दक भई हम तो

पहल ही स मालम हम तो पहल ही स कहत ह दक तम हो ही पर की धल कछ भी नही वह आदमी तमह कभी

कषमा नही करगा कभी कषमा नही करगा उसका मतलब रह िोड़ ही िा दक तम मान ही लो दक म तमहार पर

की धल ह वह तो रह कह रहा िा दक दखो मि दचनरा अहकार स भरी ह एक म ह--चनर-अहकारी जरा

दखो मि दक तमहार जस दो कौड़ी क आदमी क पर की धल बता रहा ह अपन को जरा मरी गररमा समिो

और तमन कह ददरा दक भई तम नाहक महनत कर रह हो हम तो पता ही ह तम हो ही पर की धल

मन सना ह एक राजनता एक मनोवजञाचनक क पास गरा और कहा दक म हीनता की गरचि स पीचड़त ह

इफीररआररिी कापलकस स पीचड़त ह मनोवजञाचनक न चवशलषण दकरा महीन दो महीन चचदकतसा की सोच-

चवचार दकरा दफर एक ददन उसन कहा दक तम चबलकल चनहित हो जाओ तमह हचता का कारण नही ह

राजनता बड़ा परसनन हआ और उसन कहा दक करा छिकारा हो गरा मरा ििि स मनोवजञाचनक न कहा मि

गलत मत समिो सच बात रह ह दक सारी खोजबीन स रह पता चला दक तम हीनता की गरचि स पीचड़त नही

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हो तम हीन हो ही रह कोई बीमारी नही ह उसका कोई इलाज भी नही ह करोदक तम रह हो ही तम शदध

साकार हीनता हो और कछ भी नही

अब रह राजनता कषमा नही करगा इस मनोवजञाचनक को हीनता की गरचि स लोग पीचड़त होत ह व रह

कह रह ह दक हम हीन तो नही ह मगर रह हीनता की गरचि हम पर सवार ह इसस हम छिकारा ददला दो ह

तो हम बड़ शरषठ मगर हम रह भाचत सवार हो गई ह दक हम शरषठ नही ह रह बीमारी छीन लो हम हमारी

शरषठता वापस कर दो

नही ऊपर उिना मनहार करना इनस कछ भी न होगा पता तमह चमलगा नही और परमातमा का

कोई पता िोड़ ही ह और चजतन पत ददए गए ह कोई काम न आएग जानन वालो न कोई पता नही ददरा ह

जानन वालो न कहाः लापता ह बमकाम ह उसकी कोई जगह नही ह हा न जानन वालो न पता पछन वालो

का खब शोषण कर चलरा ह तो उनहोन बना ददरा काबा दक रहा ह खड़ी कर दी काशी दक रहा ह रह रहा

मददर चढ़ाओ अपनी पजा और अचाना रहा

वहा चसफा पचडत और पजारी बस ह

नानक काबा गए रात सोए तो बड़ी सनसनी फल गई करोदक वह काबा क पतिर की तरफ पर करक सो

गए सत ही ऐसा कर सकता ह रह कोई साध की चहममत नही ह साध तो चमत ह काबा क पतिर को अब

दखत हो मढ़ता मोहममद न कहा दक उसकी कोई परचतमा मत बनाना और काबा का पतिर चजतना चमा गरा

ह दचनरा का कोई पतिर नही चमा गरा रह परचतमा बन गई और करा परचतमा का अिा होता ह

लदकन नानक पर करक सो गए पजारी आए और व नानक स बहत नाराज हए और कहाः हमन तो

सना िा दक तम एक फकीर हो एक पहच हए सत हो रह करा मामला ह--रह करा वयवहार तमह इतनी भी

तमीज नही रह बदतमीजी ह दक तम पचवतर पतिर की ओर पर करक सो रह हो परमातमा का रह अपमान

ह तो नानक न कहाः मर पर उस ओर कर दो जहा परमातमा न हो म खद मचशकल म ह दक पर कर तो कर

कहा सोऊ तो न पर कहा कर तम पर कर दो मर जहा परमातमा न हो

बात तो इतनी ही ह लदकन कहानी चलखन वालो न िोड़ी और खीची ह वह खीचना भी सािाक ह वयिा

नही ह

पजारररो न कहत ह नानक क पर दसरी ददशा म करन की कोचशश की लदकन चजस ददशा म पर दकए

वही काबा का पतिर हि गरा ऐसा हआ हो ऐसा म नही मानता ऐसा हो सकता ह ऐसा भी नही म मानता

लदकन बात सािाक ह बात इतनी ही ह दक कही भी पर करो परमातमा तो वही ह काबा का पतिर हि दक न

हि सब तरफ वही चवराजमान ह उसका पता कस हो सकता ह पता उनका हो सकता ह चजनकी सीमा ह

हा तमहारा पता हो सकता ह उसका पता कस हो सकता ह

मन सना एक अजनबी बहत दर स दकसी का घर ढढ रहा िा मलला नसरददीन उस एक िाड़ क नीच

बिा चमल गरा तो उसन मलला स पछा दक बड़ चमरा र मनकाबाई कहा रहती ह मलला नसरददीन न कहा

व करा करती ह अजनबी न कहाः डासर ह नताकी ह मलला नसरददीन न कहाः उनकी बड़ी-बड़ी आख ह

अजनबी न उतसाह स कहा हा-हा वही मलला नसरददीन न कहा खबसरत ह और नाचभ क नीच साड़ी बाधती

ह अजनबी न खशी स कहा दक चबलकल िीक वही वही मलला नसरददीन न कहा लहरा कर चलती ह लब-

लब बाल ह और अजनबी न बचनी स कहा अर चमरा चबलकल िीक जलदी बताओ न कहा रहती ह मलला

नसरददीन न कहा मि करा पता

133

अजनबी बहत ििलारा उसन कहा दक इतना कछ तमह मालम ह और रह पता नही दक कहा रहती ह

मलला नसरददीन न कहा जी नही सभी डासर ऐसी ही होती ह

परमातमा का करा पता हो सकता ह परमातमा कोई डासर तो नही परमातमा का कोई चहरा तो

नही कोई रग-रप तो नही परमातमा की कोई ददशा तो नही कोई सिान तो नही तो तम दकतन ही ऊपर

उड़ो और दकतनी ही मनहार करो तम पता नही पाओग और अकसर ऐसा हो जाता ह दक जब बहत खोज स

पता नही चमलता तो आदमी सोच लता ह--परमातमा होगा ही नही रह सबस बड़ा खतरा ह खोज का करोदक

खोजी जब िक जाता ह हताश हो जाता ह कब तक खीचता रह खोज को

रह दचनरा म जो इतन नाचसतक हए ह इन पर तम नाराज मत होना र भी खोजी ह र भी पता

खोजन चनकल ि और पता नही चमला आचखर एक सीमा होती ह धरा की कब तक मान चल जाए उसको

चजसका कोई पता नही चमलता एक घड़ी तो आदमी को तर करना पड़ता ह दक भाई होगा ही नही इतना

खोजा और नही चमलता तो अब हम कब तक अपना जीवन गवात रह कछ और भी तो करना ह

लदकन करिनाई रह नही ह दक परमातमा नही ह परमातमा तो ह तमहारी खोज की ददशा भात ह वह

बाहर नही ह वह ऊपर नही कलपना की उड़ानो स नही चमलगा और न ही तमहारी तिाकचित सतचतरो और

मनहार स चमलगा परमातमा की परशसा करन स परमातमा नही चमलगा जरा सोचो तो दक तम परशसा करक

करा उसको समिा पाओग परशसा तम उनकी करत हो चजनह अहकार म रस ह व परसनन हो जात ह दकसी

राजनता की तम परशसा करो वह खश हो जाता ह तो लाइसस इतरादद ददलवा दगा लड़क को नौकरी लगवा

दगा वह खश हो जाता ह करोदक चाहता ह दक कोई मर अहकार को बढ़ाए चार फल लगा द मर अहकार म

चार-चाद लगा द

लदकन परमातमा क तो सार चाद लग ही हए ह तम करा लगाओग सार चाद उसक ह सार तार उसक

ह सार फल उसक चलए चढ़ ही ह और सार गीत उसी की परािाना म उि रह ह सागर म उिती हई लहर उसी

क चरणो म समरपात ह आकाश म घमत तार उसी का पररभमण कर रह ह उसी की पररकरमा लगा रह ह

चहमालर क उततग चशखर उसकी ही सतचत म खड़ ह उसी का धरान कर रह ह नददरो का कलकल नाद

आराधना नही तो और करा ह रह सारा अचसततव सतचतमगन ह रह सारा अचसततव धरान म लीन ह छोि स

घास क चतनक स लकर महासरो तक उसकी ही तो पजा चल रही ह अहरनाश तम इसम करा जोड़ोग चवशष

तम करा चवशष इसम जोड़ सकोग तमहार शबद ततलात स ही होग बड़-बड़ जञाचनरो क भी शबद ततलाहि स

जरादा नही ह हम करा कहग हम कस उसका मनहार कर कस हम उस राजी कर हमारा सब कहा छोिा

पड़गा हमारा सब कहा वयिा होगा

चप हो जाओ कहना छोड़ो कलपना म उड़ना छोड़ो ऊपर मत खोजो उस बाहर मत खोजो उस इसस

तो उस कछ लाभ नही होगा वह कोई समराि तो नही ह दक सतचतरो स परसनन हो और न ही तमहार इनकार स

अपरसनन होता ह वह कोई वयचि तो नही ह दक तम उस चोि कर सको रा उसक पर दबा सको और उस परसनन

कर सको

चजतना मटठी को कसता ह

दर चला जाता ह

समिो इसस दक अब मटठी नही कसनी ह उस पान का ढग मटठी खोलना ह उस खोजन का ढग खोजना

नही ह सारी खोज छोड़ दना ह आख बद कर क भीतर बि रहना ह दौड़ कर नही पारा जाता ह वह बि कर

134

पारा जाता ह ससार म सब चीज दौड़ कर पाई जाती ह परमातमा दौड़ छोड़ कर पारा जाता ह ससार म सब

चीज चवचार करक पाई जाती ह परमातमा चनरवाचार स पारा जाता ह

ससार को पान का ढग और उसको पान का ढग चबलकल चवपरीत ह अगर तम इनही ढगो का उपरोग

करत गए तो एक न एक ददन नाचसतक हो जाओग इसी तरह दचनरा म लोग नाचसतक ह और अगर नाचसतक न

हए तो और भी बड़ा खतरा ह िि आचसतक हो जाओग मान ही लोग दक चलो छोड़ो होगा अपनी तो

सामरथरा नही ह अपन को तो चमलता नही ह लदकन जो कहत ह िीक ही कहत होग--होगा ही मान लो ििि

चमिाओ

अचधकतर लोग परमातमा को मान बि ह करोदक ििि म नही पड़ना चाहत ह कौन ििि कर और

कौन इस वयिा क चववाद म उलि रह अतहीन चववाद ह कौन पार पारा ह चलो मान ही लो िालन क चलए

लोग मान लत ह अकसर सजजनतावश लोग मान लत ह दक हा-हा ईशवर ह जरर ह इसका मतलब ह दक

बस अब बातचीत बद करो अब ईशवर क सबध म और करा कहन की जररत ह जब हम मान ही चलए तो अब

तो कछ चववाद करना नही ह ह भाई ह--वह रह कह रह ह जरर ह अब कछ और बात करो अब कछ काम

की बात करो

अचछ सससकत लोग ईशवर की चचाा नही करत मान ही लत ह रचववार को हो भी आत ह चचा म कभी

जररत पड़ती ह सतरनारारण की किा भी करवा लत ह--खद नही सनत मोहलल वालो को लाउडसपीकर

लगवा कर सनवा दत ह--कभी रजञ-हवन भी करवा दत ह दक ििि खतम करो हो तो िीक ह न हो तो िीक

ह न हो तो करा चबगड़ गरा हो तो कहन को रह जाएगा कभी आमना-सामना हो जाएगा तो कह दगः हवन

करवारा िा

ऐस एक सजजन मर मानत तो नही ि दक परमातमा ह लदकन होचशरार ि चालबाज ि तो एक बार

हवन करवा चलरा िा जब दखा सवगा म और परमातमा स साकषातकार हआ तो बहत घबड़ाए सोचन लग दक

दो-चार दफ और करवा चलरा होता तो अचछा िा सतरनारारण की किा भी करवा ली होती तो अचछा िा

रह तो बड़ी ििि हो गई कभी चोिी भी नही रखी जनऊ भी नही पहना अब ििि म पड़ अब रह मसीबत

आई हजदगी र ही गवा दी लदकन दफर भी इतना भरोसा िा दक एक दफा करवारा ह कम स कम उसका तो

कछ फल चमलन ही वाला ह परमातमा न आख उिाई और पछा दक कहो कस आए कभी कोई धमा दकरा

डरत-डरत कहाः हा दकरा तो जरादा तो नही कर पारा कषमा करना आप एक दफा हवन करवारा िा

दकतना खचा हआ िा तीन रपए खचा हए ि ससता हवन ऐस ही मोहलल-पड़ोस क ससत पचडत-परोचहत न

करवा ददरा होगा जरादा तो भरोसा िा भी नही इसस जरादा खचा कर भी नही सकत ि कामचलाऊ हवन

ईशवर िोड़ा हचचतत हो गरा आख बद करक सोचन लगा दक करा कर अपन सहरोगी स पछा दक भाई

करा कर इन सजजन का करा कर सहरोगी न कहा दक तीन रपर इनको वापस द और नरक भज और करा

करग इनको तीन रपए लौिा द बराज चाचहए हो तो बराज द द और नरक भज

आदमी रा तो नाचसतक हो जाता ह जोदक जरादा ईमानदारी की बात ह और म पसद करगा दक अगर

परमातमा न चमलता हो तो बहतर ह नाचसतक होना कम स कम ईमान तो होगा सचचाई तो होगी दक मि नही

चमला म कस मान और चजसको इतनी ईमानदारी हो दक मि नही चमला कस मान उसकी खोज बद नही

होगी वह खोजता ही रहगा इधर स उधर स आज नही कल कल नही परसो उसकी खोज जारी रहगी

135

दचनरा म सबस बड़ा खतरा होता ह िि आचसतक को वह मान ही लता ह इसचलए खोज तो चबलकल ही

बद हो गई अब तो कोई उपार ही न रहा वह कहता हः परमातमा ह ही खोजना करा ह मददर हो आत रजञ

कर लत हवन कर लत रामारण पढ़ लत और करा चाचहए

दचनरा म सबस बड़ा दभाागर ििा आचसतक ह िि आचसतक स सचचा नाचसतक बहतर ह कम-स-कम

सचचा तो ह और सचची नाचसतकता एक ददन सचची आचसतकता म ल जाती ह करोदक मनषर का सवभाव ऐसा ह

दक नही पर नही रिक सकता

इसको तम समि लना

मनषर नही म नही जी सकता नही म अड़चन बनी रहती ह हा म ही जीवन चखलता ह नही म

चसकड़ जाता ह जो आदमी नही पर जीना चाहगा वह पाएगा हर जगह पतिर अड़ गरा दवार अवरदध हो

गरा हा स फलाव ह हा म फलाव ह नही म चसकड़ जाता ह आदमी तम जरा कहो जब भी तम नही

कहत हो खराल करना तमहार भीतर चतना चसकड़ जाती ह एक चभखमग न तमस दो रोिी मागी और तमन

कहा नही तम जरा खराल करना तम एकदम छोि हो गए तमह भी लगता ह दक तम छोि हो गए इसचलए

चभखमग भी होचशरारी करत ह चार आदचमरो क सामन मागत ह करोदक चार आदचमरो क सामन तमह भी

जरा लजजा आएगी इतना छोि न हो सकोग अकल म हो जाओ भला

बीच बाजार म पकड़ लत ह चभखमग कहत हाः दो रोिी चमल जाए दाता पहल स ही दाता कह दत

ह रह तमहारा अहकार फला रह ह वह कह रह ह दखो कह ददरा दाता दो रोिी बड़ा बना ददरा अब

चसकड़ मत जाना और चार आदचमरो की भीड़ ह बाजार चल रहा ह दकान खली ह अब तम सोचत हो दो

रोिी क पीछ दाता होना छोड़ना और दो रोिी क पीछ छोिा होना बीच बाजार म लोग करा कहग तम

चभखमग को िोड़ ही दो रोिी दत हो तम दो रोिी द दत हो तादक छोि होन का रह जो उपदरव खड़ा कर ददरा

ह इसन इसस बच जाए तम चसफा छिकारा चाहत हो चभखमग स दक ल भाई चवदा हो छोड़ मि मरा हपड

छोड़ चभखमगा भी अकल म तमस नही चमलता रासत पर अकल चमल जाओ तो वह चनकल जाता ह चपचाप

वह जानता ह दक अकल म हो सकता ह दक रोिी तो न चमल और गदान दबा द रह आदमी अकल म कौन जान

और जो अपनी िाली म दो-चार पस पड़ ह छीन ल अकल का करा भरोसा उपदश दन लग दक मसत-तड़ग

जमान भर क और भीख मागन चल हो शरम नही आती कछ जञान की बात बताए

तम जब नही कहत हो चसकड़ जात हो जब भी तम हा कहत हो फल जात हो तम हजदगी म जरा

इसको परखो रह जीवन की रासारचनक परदकररा ह आचसतकता सबस बड़ा फलाव ह करोदक परमातमा को

हा कहन का अिा अचसततव को हा कहना ह हमन चबना दकसी शता क अचसततव को सवीकचत द दी हम इसक

साि हो चलए रही आचसतकता का अिा ह हमन अपन दवार खोल ददए चनःसकोच

मटठी खोलो मटठी बाधन स नही चमलगा मटठी खोलो और भीतर चलो मटठी खोलन का अिा ह चवशराम

मटठी खोलन का अिा ह सवभाव खराल दकरा तमन मटठी को अगर तम सदा बाध कर रखना चाहो दकतनी दर

तक बाध कर रख सकत हो लदकन खली तम रखना चाहो तो हजदगी भर रख सकत हो करोदक मटठी जब

खली होती ह सवाभाचवक होती ह जब बद होती ह असवाभाचवक होती ह बद मटठी म शचि खचा हो रही ह

खली मटठी म शचि खचा नही होती इसचलए मटठी बाधनी पड़ती ह खोलनी नही पड़ती तम मटठी बाध लो

बाध रहो तो तमह ताकत लगानी पड़ रही ह तमहारी शचि वयर हो रही ह मटठी खोलल म करा करना पड़ता

136

ह चसफा इतना करना होता ह दक मटठी बाधना बद करना होता ह बस नही बाधत मटठी खल जाती ह मटठी

का खलना सवाभाचवक ह

सवाभाचवक हो जाओ सरल हो जाओ और भीतर खोजो ऊपर नही उड़ना ह न मनहार करनी ह दकसी

की करोदक परमातमा तमस चभनन नही ह दकसकी मनहार करत हो रह ऐसा ही ह जस दपाण क सामन खड़

होकर कोई अपनी ही तसवीर क परो म िकता हो परमातमा तमस चभनन नही ह तम दकसकी परशसा कर रह

हो परमातमा तमहारा चतनर ह रह परमातमा क चरणो म चसर िकारा रह अपन ही चरणो म चसर िकारा

ऐसा ह इसका कोई मलर नही ह

रको िहरो बिो िोड़ा चवशराम का कषण चवराम आन दो जीवन की आपा-धापी म आख बद करो

भीतर डबत जाओ भीतर शात होत जाओ और एक ददन वह अपवा परकाश होता ह चनचित परमातमा जाना

जाता ह जाना जा सकता ह लदकन समरक ददशा अतराातरा ह परमातमा

परमातमा न चमल तो भी हम अपन चलए तका खोज-खोज कर समिा लत ह दक इसचलए न चमला होगा

कोई मान लता ह ईशवर नही ह इसचलए नही चमला कोई मान लता ह दक हमार पाप बहत ह इसचलए ईशवर

नही चमला कोई मान लता ह कमो का जाल इसचलए ईशवर नही चमला कोई मान लता ह हमार भागर म

नही ह चवचध म नही ह इसचलए ईशवर नही चमला र सब हमार उपार ह अपन को समिा लन क

मन सना ह शहर म जनम और शहर म ही पल हए एक हासर कचव गाव गए वह अपन मजबान की बिी

को दध दहत दख रह ि दक उनह एक लबा-चौड़ा साड चसर िकाए उनही की ओर सरपि भाग कर आता हआ

ददखाई ददरा लपक कर व घर म घस गए वहा स उनहोन चखड़की म स िाक कर दखा दक मजबान की लड़की

चनहित बिी दध दहती रही और साड गार क पास तक आरा दफर एकाएक चौक कर वापस मड़ा और सीध

वापस भाग गरा जब साड आखो स परी तरह ओिल हो चका तब हासर कचव जो बाहर चनकल और दरराफत

करन लग दक वह साड गार क नजदीक तक आकर चौका करो और वापस करो भागा कषक-कनरा न उततर

ददराः रह गार उसकी सास जो ह

मढ़तापणा परशन पछोग मढ़तापणा उततर रा तो कोई दसरा तमह द दगा अगर कोई दसरा न दगा तो तम

खद ही अपन चनरमात कर लोग

ईशवर करो नही चमलता रा तो कोई दसरा तमह उततर दनवाला चमल जाएगा--उततर दन वालो की कमी

नही ह एक खोजो हजार चमलत ह उततर दन वाल तरार ही बि ह दक आओ पछो उततर दन वाल कोचशश म

ही लग ह दक पछत करो नही उततर दन वाल गदान पकड़न को तरार बि ह दक कोई पछ ल और वह उसकी

गदान पकड़ ल उततर तरार दकए बि ह तोतो की तरह रि बि ह नही पछ रह हो इसस उनका चचतत बड़ा

बचन हो रहा ह तो रा तो कोई तमह दसरा उततर द दगा दक चपछल जनमो क पापो क कारण दक भागर क

कारण दक कमा क कारण दक इस कारण दक उस कारण अगर नाचसतक स चमल गए तो वह कहगा ह ही नही

चमल कस होता तो कभी का चमल जाता दकसी को कभी नही चमला ह और बहत सभावना ह दक इन म स

कोई न कोई उततर तमहार मन क अनकल जो आ जाए उसस तम राजी हो जाओग और खोज समापत हो

जाएगी

म तमस कहना चाहता ह र सब उततर गलत ह र सब उततर गलत ह न तो पाप तमह रोक रह ह

करोदक तमन जो पाप दकए व सब सपन म दकए व करा खाक रोक ग जस रात नीद म दकसी न चोरी की सपन

137

म सबह जब आख खलती ह तो करा तम सोचत हो कोई पाप दकरा दक रात नीद म दकसी की हतरा कर दी

सबह जब आख खलती ह तो

करा तम सोचत हो दक अब करा कर कस पिातताप कर तमन जो भी दकरा ह अब तक नीद म दकरा

ह मचछाा म दकरा ह तमहारा दकरा हआ कछ भी पाप नही ह र पाप इतरादद चसफा बहाना ह अपन को

समिान का दक करा कर इतना पणर हमारा नही दक परमातमा चमल म तमस कहता ह दक तमह परमातमा

इसी कषण चमल सकता ह एक ही चीज करन जसी जररी ह चजस ददशा म परमातमा ह उस ददशा म खोजो

कोई चीज और अड़चन नही ह आख बद करो और भीतर िाको अपन सवभाव म िाको सवभाव परमातमा ह

और जब तम उस भीतर दख लोग तो वह तमह सब तरफ बाहर भी ददखाई पड़गा चजसन अपन को पहचाना

उसन सबको पहचाना

आचखरी परशनः आप राजनताओ का सदा मजाक करो उड़ात ह और रह भी जानना चाहता ह दक

राजनता चड़ीदार पाजामा ही करो पहनत ह

रह जरा करिन सवाल ह

राजनताओ का म मजाक नही उड़ाता राजनता एक तरह की गाली ह दकसी को भल कर राजनता

मत कहना

मन सना ह माका टवन न चलखा ह सतरह फरवरी को जाजा ए रोचिक न नरराका म धारासभा क भवन क

सामन डा आर चवलसन स िगड़ा शर कर ददरा बहत दर तक तो चवलसन गाचलरा सनत रह और अपना गससा

रोक रह रोचिक न उनह चोर कहा िि बोला कहा िग कहा उस भी चवलसन न शाचत स सन चलरा रोचिक न

एक क बाद एक कलचषत चवशषण चवलसन पर लादता चला गरा और अत म उसन उनह उलल क पटठ

हरामखोर और-और शबद कह लदकन चवलसन दफर भी शाचत स सनता रहा दफर तो ऐसी गाचलरा दी जो न

चलखी जा सकती ह न कही जा सकती ह मगर चवलसन भी अदभत िा चबलकल बदध की तरह खड़ा रहा और

सनता रहा और तब अत म उसन कहाः नताजी क बचच अर ससद क सदसर ऐसा सनना िा दक चवलसन उछल

कर खड़ा हो गरा और रोचिक स बोला दक रह अपमान म दकसी भी तरह सहन नही करगा और गोली मारकर

उस िडा कर ददरा अदालत न डाकिर चवलसन को रह कह कर बरी कर ददरा दक उसक उततचजत हो जान का

कारण उचचत िा

मि पता नही ह रह कहानी कहा तक सच ह मगर सच होनी चाचहए

नताजी एक तरह की गाली ह राजनीचत म उतसक ही लोग छदर वचतत क होत ह सबस ओछ लोग

राजनीचत म उतसक होत ह समाज का चनमनतम तल राजनीचत म उतसक होता ह जो कछ और नही हो सकत

व राजनता हो जात ह जो सगीतजञ हो सकता ह वह राजनता होना चाहगा वीणा छोड़कर जो चचतरकार हो

सकता ह वह राजनीचतजञ होना चाहगा तचलका छोड़ कर चजसक किो स गीत उि सकत ह चजसक गीत लोगो

को मसत कर सकत ह वह राजनता होना चाहगा जो कछ भी हो सकता ह वह राजनता नही होना चाहगा

चजसक जीवन म सजन की कषमता ह वह राजनता नही होना चाहगा राजनता होत ही व लोग ह जो कछ और

नही हो सकत न चजनस गीत बन सकत न चचतर न मरतारा चजनस कोई सजन नही हो सकत सजन की

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कषमता स चबलकल शनर लोग राजनता हो जात ह और दफर सवभावतः व जो करत ह वह सभी क सामन परकि

मन सना एक राजनीचतक पािी की काराकाररणी की बिक हो रही िी दक एक सदसर की जब कि गई

काराकाररणी की बिक म व तरत ही कसी पर खड़ भी हो गए और चचलला कर बोलः चपरर सजजनो दकसी न

मरी जब स छह सौ रपर चनकाल चलए ह जो वयचि मि इसका पता लगा कर दगा उस म पचास रपए दगा

एक कोन स आवाज आई म पचहततर दगा दसर कोन स आवाज आई म सौ दगा जस दक कोई नीलामी हो

रही हो

रलगाड़ी म सफर करत हए एक नताजी न अपन पास बि मसादफर स कहाः आप महरबानी कर क मि

अपनी ऐनक िोड़ी दर क चलए दग उसन ऐनक उतार कर द दी ऐनक लकर नताजी बोल चदक आप ऐनक क

बगर पढ़ नही सकत इसचलए अब अपना अखबार भी मरी तरफ कर दीचजए

इन नताओ क सबध म मजाक करन की काई जररत ही नही ह

नता

इस हाि लता

उस हाि भी लता

नता की मसकान

चौबीस घि--

जरो खली कोई दकान

नता का चलबास

आम आदचमरो को

कर दता खास

नता क नार

घोड़ो को--

जरो कोचवान पचकार

नता का वादा

हर बार--

चपिा हआ परादा

और तमन जो सवाल पछा ह वह और भी करिन ह दक राजनता चड़ीदार पाजामा ही करो पहनत ह

चड़ीदार पाजामा की एक खबी ह दक अगर तम दकसी का उतारना चाहो तो जलदी उतार नही सकत और

राजनता एक दसर का पाजामा उतारन की कोचशश करत रहत ह कौन दकसका नाफा पहल खोल द तो

चड़ीदार पाजाम का बड़ा मलर ह उसम बड़ी सरकषा ह पहन तो खद लो उतार कोई नही सकता बड़ी

खीचतान हो तब कही उतर पाता ह राजनता बड़ सोच-समि कर चड़ीदार पाजामा चन ह

139

अभी तम दख रह हो ददलली म एक-दसर का नाफा खोलन म लग ह सब एक-दसर क नाफ को पकड़

ह कौन दकसका पहल खोल लगा कौन अपना बचा लगा

राजनीचत गद स गदा खल ह

कभी-कभी जो म राजनीचत की मजाक उड़ाता ह वह चसफा इसचलए दक तम सावधान रहो सब क मन म

राजनीचत चछपी ह उस दगध कर दना ह उस जला दना ह महततवाकाकषा का राजनीचत का जरा सा बीज

तमहार भीतर रह जाए तो वही तमह भिकाएगा

राजनीचत स जो मि ह वही चनमाल ह और जो चनमाल ह वही परमातमा का पातर ह

आज इतना ही

140

अरी म तो नाम क रग छकी

सातवा परवचन

साध त बड़ा न कोई

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम कही हम साधा रस एकमता औराधा

हम साध साध हम माही कोउ दसर जान नाही

जन दसर करर जाना तहह होइहह नरक चनदाना

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

साध क गचत को गाव जो अतर धरान लगाव

चरन रह लपिाई काह गचत नाही पाई

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

जगत दकहो एचह बासा प रह चरन क पासा

जगत कह हम माही व चलपत काह मा नाही

जस गह तस उदराना व सदा अह चनरबाना

जरो जल कमल क बासा व वस रहत चनरासा

जस करम जल माही वाकी सरचत अडन माही

भवसागर रह ससारा व रह जचि त नरारा

जगजीवन ऐस िहराना सौ साध भरा चनरबाना

खद अपन अकस को अपन मकाचबल दखन वाल

जरा आख तो खोज ओ नकश-बाचतल दखन वाल

हकीकत को हकीकत क मकाचबल दखन वाल

मि भी दख मरी हसती-ए-ददल दखन वाल

नकश-पताव-रगीनी-ए-ददल दखन वाल

कभी खद को भी दख ओ खद स गादफल दखन वाल

मरी हसती का हर जराा उड़ा जाता ह मचजल स

मरा मह दखत ह जजब-मचजल दखन वाल

141

उनह तह की खबर करा गौहर-मकसद को करा जान

र सब ह रकस मोजो-सकरो-साचहल दखन वाल

इधर आ हर कदम पर हसन-मचजल तिको ददखला द

फलक को रास स माजल-ब-मचजल दखन वाल

बदधो का एक ही आवाहन हः

इधर आ हर कदम पर हसन-मचजल तिको ददखला द

उस परम परार का सौदरा सतर का सौदरा ददखलान क चलए बदधपरष आतर ह और उस सतर का सौदरा

ऐसा भी नही ह दक तमस कछ चभनन हो तमस अचभनन ह

कभी खद को भी दख ओ खद स गादफल दखन वाल

तमहार जीवन की पीड़ा एक ही ह दक तम सवर स अपररचचत हो एक ही सताप हः आतम-अजञान

आज क सतर महततवपणा ह और चवशषकर सनरास की मरी धारणा क बड़ अनकल ह सनरासी क चलए

आधार बन सकत ह एक-एक शबद एक-एक कजी ह

गऊ चनकचस बन जाही

दखा ह तमन गार को जगल जात

बाछा उनका घर ही माही

लदकन उसका बछड़ा तो घर ही होता ह उसका परारा तो घर ही होता ह तो ऐस गार जाती तो ह

जगल जाना पड़ता ह--जररत ह भोजन की घास की--लदकन हदर घर ही रह जाता ह

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा

चरती ह जगल म भोजन करती ह लदकन चचतत की लौ घर की तरफ लगी रहती ह बछड़ की तरफ

सरचत जगी रहती ह

गचह जचि साध जग बासा

ऐसा ही जो सचचा साध ह वह जगत म रहता ह लदकन राद उसकी परमातमा म लगी रहती ह छोिी

सी बात सतो की बात छोिी सीधी साफ सरल गार को जगल जात तमन भी दखा ह लौि-लौि कर घर की

तरफ दखत दखा रा नही जगल म चरती भी ह तो भी कभी-कभी रभा उिती ह घर की राद पकड़ लती ह

तम तो ऐस भिक गए हो ससार म दक तमह घर की राद नही आती ह घास-पात ही चर रह हो--और ससार म

कछ ह भी नही इसस जरादा मलरवान कछ भी नही ह--लदकन घास-पात म ही भिक गए हो कड़ा-करकि म

भिक गए हो घर की राद ही चवसमत हो गई उस घर की राद पनः आ जाए तो तमहार जीवन म कराचत का

सतरपात हो

जगजीवन कहत हाः गचह जचि साध जग-बासा रही उपार ह रही साध क जीवन का ढग ह रही

साध की शली ह जस गार जगल म घास-पात चरती पर दह ही जस जगल म पराण तो घर अिक ह हदर तो

घर बसा ह हदर तो घर ही छोड़ आई ह ऐसा ही साध बाजार म भी उिता ह बिता ह काम भी करता ह

धाम भी करता ह लदकन परचतपल अहरनाश सोत-जागत उित-बित उसकी शवासो का तार घर स जड़ा रहता

ह परम परार की राद बनी रहती ह उस परीतम की राद उसक भीतर एक सतत जरोचत की तरह जलती रहती

142

ह रही रचि ह रही रोग ह इतना ही रोग ह इतना ही कर चलरा तो सब कर चलरा और कछ करन को नही

जगल भाग कर जान की जररत नही ह करोदक अगर तमह रहा परमातमा की राद नही आती तो जगल

म जाकर ही कस आ जाएगी जगल म ही तो हो और कहा जात हो मरघि पर चल जाओग इसस साधना

नही हो जाएगी बाजार भी तो मरघि ह जरा आख खोल कर दखो वहा सभी मरन क चलए तरार बि ह और

मरघि करा होगा चजस घाि पर सब मरत ह उसी को तो मरघि कहत ह न रहा सभी तो मरन को तरार बि

ह पचिबदध अपन-अपन समर की परतीकषा करत कब दकसकी गाड़ी आ जाएगी कब दकसका बलावा आ

जाएगा वह चला जाएगा और रोज तम लोगो को चवदा करत हो और कहा जाना ह मरघि पर जान स करा

होगा अगर तमह बाजार म मरघि नही ददखाई पड़ा तो मरघि म भी तम बाजार बसा लोग

बाजार कहा ह ससार कहा ह

कषदर को छोड़न की जररत नही ह चवराि क परचत जागन की जररत ह रह रचि रह असली साधना

का आधार वयिा को छोड़ना नही ह सािाक को समरण करना ह अधर को कोई छोड़ना भी चाहो तो कस

छोड़गा कभी कोई अधर को छोड़ सका ह रोशनी जलानी पड़ती ह अधरा अपन आप छि जाता ह लदकन

कछ ह जो अधर को छाती स लगाए बि ह और उनकी छाती स कछ भी लग नही सकता करोदक अधर का

कोई अचसततव नही ह कछ ह जो अधर पर मटठी बाध करबि ह उनकी मरटठरा खाली ह करोदक अधरा कछ हो

तो मटठी बध कछ ह चजनहोन चतजोरररो म अधरा भर रखा ह बको म अधरा जमा कर रखा ह भाचत द रह ह

अपन को अधरा ह ही नही अधरा अभाव ह तम अधर की सपदा नही बन सकत हो अभाव की कोई सपदा

नही बनती

दफर जब आदमी िक जाता ह अधर पर मटठी बाध-बाध कर हार-हार जाता ह तो एक ददन भागन

लगता ह अधर को छोड़ कर भाग कर कहा जाओग आख तमहारी अधी ह तो तम जहा जाओग वही अधरा

होगा तमहार अधपन म अधर का वास ह तमहार पास ही बदधपरष बि हो तो व रोशनी म ह तम अधर म हो

सिान का सवाल नही ह चसिचत का सवाल ह तम सिान बदलत हो तम कहत हो बाजार म बहत उलिन ह

घर-गहसिी म बहत ििि ह आशरम जाए आशरम म बि ग ििि तमहार भीतर ह ििि का सतर तमहार

भीतर ह

मन सना एक आदमी बड़ा करोधी िा मगर सोचता िा पतनी करोध ददला दती ह गराहक करोध ददला दत

ह बचच करोध ददला दत ह पड़ोसी करोध ददला दत ह छोड़ ददरा ससार--जो सामानर साध की परदकररा ह सचच

साध की नही--छोड़ ददरा ससार चला गरा जगल म बि गरा वकष क नीच सोचा अब कोई ििि नही उिगी

एक कौवा आरा और उसन बीि कर दी उिा चलरा पतिर उसन दौड़न लगा कौव क पीछ दक तन समिा करा

ह बकन लगा गाचलरा करोध स लाल हो गरा चहरा उसका और तब उस राद आरा रह म करा कर रहा ह

करोध का सतर भीतर ह कोई भी चनचमतत बन जाएगा कोई भी कारण बन जाएगा

लोग मदाा चीजो तक पर करोध करत ह तमन भी कभी दखा फाउिन पन चलखत-चलखत सराही नही

चलती पिक ददरा जरा अकल ह कछ करा कर रह हो कभी सोचा नाराज हो गए फाउिन पन कछ

जानकर तमह सता नही रहा िा तमहारा ही फाउिन पन ह लदकन करोधी आदमी तो दकसी भी चीज पर करोध

कर लता ह दरवाजा ऐस लगाता ह जस दरवाज म कोई पराण ह जता ऐसा फक दता ह जस जत म कछ पराण

हो चीजो स भी करोध हो जाता ह छोि-छोि बचच ही नही बड़-बड़ बढ़ भी छोि बचच को चलन म िबल लग

143

गई जोर स नाराज हो जाता ह एक घसा मारता ह िबल को रह छोि बचच पर तम हसत हो लदकन तम बड़

हो पाए हो तम म परौढ़ता आई ह भागकर करा करोग जागो रचि सीखो रह रही रचि--

गऊ चनकचस बन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

ऐसा इस छोिी-सी घिना स जो समिदार ह समि लत ह जगत म ही रह जात ह जगत ही तो ह

जगल म भी जगत ह चहमालर पर भी जगत ह जगत ही ह जहा भी हो जगत ह लदकन इसम इस ढग स रहा

जा सकता ह दक दह ही रहा हो पराण परमातमा म हो पराणो का परमातमा म होन का नाम परािाना ह

दह तो ससार की ह और ससार म ही होगी तम बाजार म मरोग तो भी चमटटी म चगरगी दह और चमटटी

म चमलगी और तम चहमालर पर मरोग तो भी चमटटी म चगरगी दह और चमटटी म चमलगी दह तो चमटटी ह सो

कही भी चगरगी चमटटी म चगरगी और चमटटी म चमलगी सवाल तमहार भीतर उसको पहचान लन का ह जो चमटटी

नही ह और उसका सबध जोड़ लन का ह जो अमत ह तमहार भीतर अमत की बद ह परमातमा अमत का

सागर ह रह बद सागर की राद स भर जाए बस कराचत घि गई दफर तमहार जीवन म दख नही दफर तमहार

जीवन म सताप नही हचता नही करोदक दफर तम रह ही नही अलग

दख हचता सताप अलग होन की उप-उतपचततरा ह तमन अपन को अलग समिा ह परमातमा स

इसचलए हचता ह इसचलए परशानी ह इसचलए उलिन ह जस ही तमन जाना म उसस जड़ा ह सब हचता

गई दफर हचता करा ह परमातमा स जड़ हो तो परमातमा हचता कर रहा ह तमह हचता की करा जररत ह

जस छोि बचच न अपना हाि बाप क हाि म द ददरा अब छोि बचच को कोई हचता नही ह हो सकता ह दक

बाप-बि दोनो जगल म भिक गए हो हसह दहाड़ रहा हो मगर छोिा बचचा अब जरा भी हचचतत नही ह बाप

क हाि म हाि ह बाप चाह हचचतत हो परशान हो दक अब करा करना जान खतर म ह मगर छोिा बचचा

मसत ह उड़ती चततचलरो को पकड़न की कोचशश कर रहा ह राह क दकनार फलो को तोड़ रहा ह रगीन

पतिरो को बीन रहा ह--उस कोई हचता नही ह हा जरा चपता छि जाए खो जाए दखगा चारो तरफ चपता

को नही पाएगा--अभी कोई दख नही िि पड़ा ह उस पर--लदकन चपता को न पात ही भरकर हचता और भर

पकड़ लगा ऐसी ही तमहारी दशा ह

तमन हाि छोड़ ददरा ह उसका चजसक हाि म हाि हो तो कोई हचता नही होती मनषर चनभाार जीता

ह उस चनभाारता का नाम ही साधता ह गचह जचि साध जग-बासा

साध त बड़ा न कोई

साध स दफर कोई बड़ा नही सचच साध स दफर कोई बड़ा नही करो करोदक बड़ स उसका जोड़ हो

गरा सचच साध स कोई बड़ा नही करोदक सचचा साध तो अपनी तरफ स चमि ही गरा उसक भीतर स तो

परमातमा िाकन लगा अब वयचि नही ह अब तो समचषट उस क भीतर स बोलती और डोलती ह अब बद नही

ह अब सागर ह इस जगत म सबस बड़ व ही ह जो चमि गए ह इस जगत म सबस छोि व ही ह जो बहत

घनीभत होकर ह

अहकार इस जगत म सबस छोिी बात ह और चनर-अहकाररता इस जगत म सबस बड़ी बात ह मगर

चनर-अहकार तम अपन आप न हो सकोग अपन-आप चनर-अहकार होन का कोई उपार ही नही ह अपन-आप

अगर तम चनर-अहकार होना चाहोग तो चनर-अहकाररता का भी अहकार आ जाएगा तमन अपना चररतर

समहाल चलरा वरत दकए उपवास दकए िि नही बोल पाप नही दकए चोरी नही की बईमानी नही की

144

शराब नही पी मास नही खारा सब तरफ स तमन अपन को समहाल चलरा साध चलरा चररतर बना चलरा

मगर इस चररतर क भीतर अहकार मजबत होता रहगा मन दकरा मरा चररतर मरा उजजवल चररतर मरी

चवनमरता दखो मरी मराादा मरा शील म मजबत होता रहगा इस म स तम बाहर न हो सकोग

इस म स तो चसफा वही बाहर होता ह जो परमातमा क चरणो म अपन को छोड़ दता ह जो कहता ह

म करा कर मर दकए सब गलत हो जाता ह मर चलए सब अनदकरा हो जाता ह मर करन म ही भाचत ह

इस भद को खराल करो

तमह सदा स कहा गरा ह--नचतकता की चशकषा रही ह--अचछ बनो बराई छोड़ो सदाचरण गरहण करो

चशकषा बरी नही ह िीक मालम होती हः चोरी मत करो बईमानी मत करो िि मत बोलो हहसा मत करो

मगर चशकषा धमा नही ह रह चशकषा धमा नही ह नचतक तो ह रह सजजन को पदा कर दगी लदकन सत को

नही

सजजन दजान क चवपरीत ह दजान खतरनाक ह समाज क चलए अड़चन दता ह दचवधा पदा करता ह

सजजन समाज क चलए सचवधापणा ह समाज चाहती ह सभी लोग सजजन हो तो काम-धाम वयवसिा स चलता

लदकन सततव कछ और ही बात ह सततव का अिा सजजनता नही ह सजजन होन क चलए ईशवर को मानन

की कोई भी जररत नही ह नाचसतक भी सजजन होत ह अकसर तो जरादा सजजन होत ह आचसतक स आचखर

रस और चीन म लाखो-करोड़ो नाचसतक ह सजजन ह ईशवर को न मानन स कोई असजजन नही हो जाता

अकसर तो ऐसा हो जाता ह दक ईशवर को न मानन वाल को सचवधा चमलती ह असजजन होन की करोदक वह

सोचता हः चल जाएग एक दफा गगा नहा आएग धल जाएग सब पाप कर लो अभी तो बहती गगा हाि

धोलो दफर दखग दफर रजञ-हवन करवा दग दफर मरत वि राम-राम जप लग और उसकी तो करणा ह ही

वह तो महाकरणावान ह उसन ही अपातरो को पार कर ददरा लगड़ो को पहाड़ चढ़ा ददरा बहरो को सनवा

ददरा अधो को ददखवा ददरा तो दख लग उसी का पकड़ लग सहारा अखीर म उसी का नाम पकार लग

आचसतक को एक सचवधा ह दक पाप भी कर लो और पाप स बचन का उपार भी नाचसतक को सचवधा

नही ह नाचसतक तो जानता हः जो मन दकरा मन दकरा अचछा तो मन बरा तो मन लदकन नाचसतक कभी

अहकार स मि नही हो सकता रह बात समिना

नाचसतक दिररतरता स मि हो सकता ह लदकन अहकार स मि नही हो सकता अहकार स मि होना

तो कवल परम आचसतकता म ही सभव ह ििा आचसतक भी अहकार स मि नही होता ििा आचसतक जरादा

स जरादा चररतरवान हो सकता ह लदकन उसका चररतर सब ऊपर-ऊपर होता ह और भीतर अहकार जलता ह

परजवचलत जलता ह इसचलए अकसर मददर जान वाल लोग तमह जरादा अहकारी मालम पड़ग चजनहोन एकाध

ददन उपवास कर चलरा व समित ह चजनहोन उपवास नही दकरा व सब नरक जान वाल ह चजसन एकाध

बार मतर पढ़ चलरा ददन म वह सोचता ह बस मरा सवगा चनचित और सब पर उसको दरा आती ह दक बचार

दीन-हीन भिक ग जलग नरकोम

तमहार एक बार मतर तोतारित की तरह मतर पढ़ लन स चसफा तमहारा अहकार भर रहा ह और कछ भी

नही हो रहा ह असली आचसतक कछ बात और ह असली आचसतकता का आधारभत चनरम हः मर दकए कछ

भी न होगा म तो अचछा भी करता ह तो बरा हो जाता ह नकी भी करता ह तो बदी हो जाती ह मर हाि म

ही भल ह मरा होन म ही भल ह मरा तिस पिक होना ही मरी सारी भलो का सरोत ह इसचलए जब तक म

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तिस पिक ह तब तक म तीिा भी करगा पणर भी करगा चररतर भी समहालगा तो भी कछ समहलगा नही

अततः मरा अहकार ही मजबत होगा और अहकार ही तो नरक ह

दफर करा कर त कर म छोड़ता ह म हिता ह रासत स म तर और मर बीच न आऊगा म सब ति

पर समरपात करता ह म तरी राद रखगा म तरी परी तरह राद रखगा एक कषण ति चवसमरण न करगा

जागत ही नही सोत भी अहरनाश तरी राद मर हदर म गजती रहगी बस शष त कर और शष सब अपन स

हो जाता ह करोदक जस ही अहकार चमिा वस ही पाप का आधार चमि गरा और जस ही अहकार चमिा

पणरातमा का भाव भी चमि गरा रह जो परम शनर की दशा ह इसी म पणा का अवतरण होता ह दफर वयचि

तो बास की पोगरी दफर परमातमा जो गीत गाता ह गाता ह

साध त बड़ा न कोई

इसचलए साध स कोई बड़ा नही करोदक साध चमि गरा खराल रखना शता करा ह साध स कोई बड़ा

नही ह इसका रह मतलब नही ह दक साध बड़ा ह साध स कोई बड़ा नही ह इसका अिा ह दक साध ह ही

नही इसचलए अब कौन उसस बड़ा हो सकता ह

जीसस न कहाः धनरभागी ह व जो अचतम ह करोदक व ही मर परभ क राजर म परिम होग अचतम कौन

ह जो शनरवत ह चजसका कोई दावा नही ह चजसकी म की कोई घोषणा नही ह साध त बड़ा न कोई

करोदक साध ह ही नही उसक भीतर परमातमा ही बोल रहा ह

जब कषण न अजान स कहाः मामक शरण वरज मि एक की शरण आ तो करा तम सोचत हो कषण

कषण की ही शरण आन को कह रह ह अजान को तो तम गलती कर जाओग तो तम बड़ी भल कर जाओग

और रही कषण-भिो न समिा हआ ह दक कषण रह कह रह ह अजान स दक त मरी शरण आ रह चसफा भाषा

क कारण भाचत हो रही ह मजबरी ह कषण को भी म शबद का उपरोग करना पड़ता ह करोदक चबना म

शबद का उपरोग दकए हमारी भाषा ही खड़ी नही होती हमारी भाषा ही म शबद पर खड़ी ह हमारी भाषा

अहकार का चवसतार ह हमारी भाषा म बोलना ह तो हमारी भाषा ही बोलनी होगी अजान को समिाना ह तो

अजान की ही भाषा बोलनी पड़गी उस भाषा म म-त अचनवारा ह इसचलए कषण कह रह हाः मामक

शरण वरज आ त मरी शरण आ

लदकन वसततः अिा करा ह कषण तो ह ही नही वहा तो परमातमा पणा चवराजमान हआ ह कषण तो

चमि गए ह चमि कर ही तो भगवतता हई ह अधरा तो हि गरा ह अजान को नही ददखलाई पड़ रहा ह परकाश

अभी करोदक वह आख बद दकए खड़ा ह मगर सामन परकाश ह अजान को अधरा ददखाई पड़ रहा ह परकाश

कह रहा ह मामक शरण वरज परकाश कह रहा हः मरी शरण आ अजान तो रही समिगा दक अधरा कह रहा

हः मरी शरण आ करोदक अजान आख बद दकए ह उस तो परकाश ददखता नही उस तो लगता ह अधर म स

आवाज आ रही हः मरी शरण आ अजान िोड़ा चििका होगा हचचतत हआ होगा हरान भी हआ होगा दक

कषण मर सखा ह बचपन क मर चमतर ह मर सारिी ह रदध म और मिस कह रह हाः मरी शरण आ

इसचलए उसन कहा दक पहल अपना चवराि रप ददखलाओ र तम करा बात करन लग र तम कसी

बात कर रह हो पहल अपना चवराि रप ददखलाओ उस नही ददखाई पड़ रहा ह कषण तो चवराि रप म ही

ह मगर उसक पास आख नही ह इसचलए कहानी बड़ी रारी ह दक कषण उस ददवयचर दत ह उस एक नई आख

दत ह दखन का एक नरा ढग दत ह एक और दखन की वयवसिा दत ह रही चशषरतव ह दखन की एक नई

आख एक नई वयवसिा एक नरा ढग सोचन की एक नई परदकररा तका की एक नई सरणी

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और जब जरा सी अजान की आख खली तो बहत घबड़ा गरा ह भरभीत हो उिा ह करोदक चवराि

ददखाई पड़ा अनत ददखाई पड़ा असीम ददखाई पड़ा सीमा म सरकषा मालम होती असीम अतल म जस कोई

चगरन लग घबड़ा गरा ह रोआ-रोआ कप गरा ह पकारन लगा दक बस बस वापस लौि आओ तम अपन

परान रप म वापस लौि आओ मर सखा तम अपन परान रप म वापस लौि आओ तम अपनी सीमा म आ

जाओ तम वस ही ददखाई पड़ो जस तम सदा मि ददखाई पड़ हो वही तमहारा सौमर रप--चमतर का दह म

आबदध--सीमा म

चशषर जब आख खोलता ह तो गर म सदा उस असीम ददखाई पड़ता ह और चशषर सदा डरता ह अजान

और कषण क बीच जो घिा वह बार-बार हर गर और हर चशषर क बीच घिता ह और जब भी चवराि ददखाई

पड़ता ह तभी भरभीत तब हर चशषर कहता ह दक लौि आओ अपन सौमर रप म वही परीचतकर िा

कषण कह रह हाः मामक शरण वरज मि एक की शरण त आ और दकतनी चहममत का उदघोष ह

सवा धमाान पररतरजर छोड़छाड़ सार धमा आ मि एक की शरण दकन धमो म उलिा ह दकन चसदधातो-

शासतरो म उलिा ह म तर सामन खड़ा ह शासता सामन खड़ा ह त शासतरो म उलिा ह सवर धमा तर सामन

मौजद ह और त मदाा धमो म उलिा ह छोड़-छाड़ सार धमा आ मरी शरण मगर खराल रखना कषण जब कह

रह ह मरी शरण आ तो कषण की शरण आ ऐसा नही कह रह ह कषण तो ह ही नही कषण तो जा चक ह अब

तो बास की पोगरी ह कषण हालादक तमह तो बास की पोगरी ही ददखाई पड़गी चजन ओिो पर रखी ह बास

की पोगरी व ओि तमह ददखाई नही पड़त नही ददखाई पड़ सकत व चवराि क ओि ह व तो तभी ददखाई

पड़ग जब तम भी बास की पोगरी हो जाओग उसक पहल नही ददखाई पड़ग जब तक तम न चमिोग तब तक

तम गर क शनर को न दख सकोग

साध त बड़ा न कोई

साध स कोई बड़ा नही ह करोदक साध ह ही नही रही उसका बड़पपन ह रही उसकी चवशालता ह

चवरािता ह करोदक वह शनर हआ शनर ही सबस बड़ी सखरा ह शनर ही परिम ह और शनर ही अचतम ह सब

सखराए बीच म ह न तो शनर स छोिा कछ ह न शनर स बड़ा कछ ह शनर इसीचलए बड़ा ह दक शनर सबस

छोिा ह

इस गचणत को िीक स समि लना करोदक इस गचणत को जो चका वह अधरातम को नही समि पाएगा

इसचलए जीसस कहत हाः जो अचतम ह वही परिम ह शनर ही अचतम ह शनर ही परिम ह चमिो तादक

हो सको खो जाओ तादक हो जाओ बद जब सागर म खो जाती ह तो सागर हो जाती ह और बीज जब चमि

जाता ह भचम म तो वकष बन जाता ह चमिन की कला सीखो धमा मतर की कला ह और मतर की कला स ही

अमत चमलता ह

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम जो कहत ह साध वही दोहराता ह साध अपनी तरफ स बोलता नही साध क भीतर बोलन वाला

कोई बचा नही साध वही कहता ह जो राम उसक कान म फक दत ह राम जो बोलना चाहत ह उसस बोल

दत ह साध क पास अब सवर कहन को चनवदन करन को कछ भी नही ह साध तो मौन ह इसचलए साध का

दसरा नाम मचन ह साध तो चप ह साध तो अब बोलता ही नही जब परमातमा बोलत ह तो बोल फि जात

ह जब परमातमा नही बोलत तो मौन रह जाता ह

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साध स बड़ा कोई भी नही ह उसक वचन अमत ह करोदक उसक वचन उसस ही नही आत इसचलए

हमन कहा ह दक वद अपौरषर ह परष क दवारा रच हए नही इसका रह मतलब मत समि लना दक कोई

परमातमा पाका र फाउिन पन म भर कर सराही और चलखता ह रह मत समि लना दक परमातमा उतरता ह

और रचता ह तमहार वद नही इसका अिा ह इसका अिा ह दक ऋचष चमि गए परष की भाचत उनकी अपनी

कोई सतता न रही उनहोन दवार खोल ददरा परमातमा बह तो व राजी ह उसको बहान को न बह तो राजी ह

उनका कोई आगरह न रहा ऐसी अनागरहपणा अवसिा म परमातमा बहता ह उसकी धारा धीर-धीर बहनी शर

हो जाती ह तब जो वचन जग व वचन चजनस आए ि उनक नही ह इसचलए हम कहत हाः अपौरषर जस

परमातमा न ही चलख जस परमातमा न ही कह

इसचलए करान को कहा जाता हः इलहाम उदघोषणा मोहममद तो चसफा बहाना ह सदशवाहक पगबर

का अिा इतना ही होता ह सदशवाहक चचटठीरसा चचटठी परमातमा की ह उसन ही चलखी ह अपन परारो क

नाम चलखी ह और जो चबलकल चमि गरा ह उसक ही हाि भजी ह करोदक कोर कागज पर ही चलख कर भजी

जा सकती ह जब तक तमहार चचतत म अपनी चलखावि बनी ह तब तक परमातमा कछ भी न चलखगा तब तक

तम भर हए कागज हो तम पर चलखा ही हआ ह बहत कछ इसम कछ चलखा नही जा सकता चलख-चलखाए

कागज पर कोई चलखगा कस जब तम चचटठी चलखत हो तो सवचछ चनमाल सन कोर कागज पर चलखत हो

चजनक हदर कोर हो गए ह चजनम अहकार की सब चलखावि सब चतरछापन चमि गरा ह जो अहकार की

वणामाला ही भल गए ह उनस परमातमा परकि होता ह कभी गीता बनकर कभी करान बनकर अनक-अनक

ढगो स परकि होता ह

गीता-करान म दफर फका करो ह लोग पछत ह अगर परमातमा ही गीता स बोला और परमातमा ही

करान स बोला तो गीता-करान म फका करो ह

फका परमातमा क कारण नही ह फका चजसस बोला ह परमातमा उसक कारण ह महममद अजान स नही

बोल रह ह इसचलए फका ह चचदकतसक तो दवा दता ह न मरीज को दखकर एक ही हाि स चपरचसकरपशन

चलखता ह िी बी क मरीज को और क सर क मरीज को सदी-जकाम क मरीज को और हजार मरीज होत ह

तो हजार चपरचसकरपशन चलखता ह करान एक चपरचसकरपशन ह जस गीता एक चपरचसकरपशन ह चचदकतसक तो एक

ह चलखन वाला माचलक एक ह लदकन मरीज अनक ह जो भद पड़ा ह वह बोलन वाल क कारण नही ह रह

मत सोचना दक कषण स कोई और परमातमा बोला और मोहममद स कोई और परमातमा बोला परमातमा एक

ह बोलन वाला एक ह लदकन चजसस बोला ह उसकी बीमारी अलग-अलग ह

अजान की बीमारी और ह अजान अचभजात ह कलीन ह सससकत ह उस दश म उस समर म जो

शरषठतम ससकचत हो सकती िी शरषठतम चररतर हो सकता िा वसा वयचि ह इसस बोलना और ढग स होगा

मोहममद चजनस बोल बपढ़-चलख लोग खानाबदोश ससकचत का चजनह कोई पता नही मरना-मारना चजनका

कल धधा ह चोरी-चपािी लि-खसोि चजनका काम ह इनस अगर गीत की भाषा म बोलोग तो चसफा तमहारी

मढ़ता चसदध होगी इनस इनकी ही भाषा म बोलना होगा इनकी जररत क अनकल बोलना होगा

परमातमा सदा तमहारी जररत क अनकल रप लता ह तमहारी जररत होती ह वसी औषचध बन जाता

ह परमातमा अनत ह इसचलए सभी रप ल सकता ह समर जाता ह रप बदल जात ह आज परमातमा

मोहममद की तरह नही बोल सकता ह दचनरा बहत और हो गई आज अगर परमातमा मोहममद की तरह बोल

कौन सनगा कोई सनगा नही परमातमा मोहममद की तरह बोल तो बड़ा चतचि-बाहय आउि आफ डि मालम

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पड़गा जस कोई पराना अखबार पढ़ रह हो हजार साल पराना ऐसा मालम पड़गा उसकी आज स कोई

सगचत न रह जाएगी परचतददन परमातमा को नई अचभवयजना लनी पड़ती ह नर सदश भजन पड़त ह--भलो क

चलए भिको क चलए

लदकन परमातमा सदा पकारता रहा ह लदकन पकार उसकी उनही क दवार आती ह जो कोर हो गए ह

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

साध की सबस बड़ी खबी करा ह दक वह वही बोलता ह जो राम बोलत ह उसम हर-फर नही करता

उसम मातरा भी नही बदलता उसम रतती भर अतर नही करता उसम सधार नही करता सशोधन नही करता

जसा और जो परगि होना चाहता ह उस िीक वसा-का-वसा अचभवयि हो जान दता ह

इसचलए परमातमा की वाणी को जगत म लान वाला वयचि हमशा करिनाई म पड़ जाता ह करोदक वह

राजनचतक चालबाजी नही कर करता कछ बचा ल कछ बदल द कछ िोड़ा ढग स कह द कछ ऐसा कर ल

कछ वसा कर ल चार शबद और जोड़ द चार शबद और घिा ल तो ििि बच जाए

जीसस ििि स बच सकत ि सली न लगती रह हो सकता िा जरा िोड़ स फका करन जररी ि जरा

स फका जरादा फका करन की जररत न िी परमातमा जीसस क भीतर स बोल रहा िा चजस ढग स जीसस

उसी ढग स बोल रतती भर फका न दकरा चमतरो न समिारा भी परचमरो न सलाह भी दी जरा स फका कर लो

रह दो-चार बात मत कहो कोई अड़चन न आएगी मगर जीसस न कोई फका न दकए जीसस फका कर नही

सकत करोदक जीसस ह ही नही रह होचशरारी नही हो सकती अब होचशरारी करन वाला अहकार जा चका

सली पर लिक गए सली सवीकार िी सधार सवीकार नही िा

महावीर म परमातमा नगन रहना चाहता िा तो महावीर नगन रह समिारा होगा बिारा होगा लोगो

न गाव-गाव स खदड़ा महावीर को करा चबगड़ता िा एक चादर ओढ़ लत कोई पाप न हो जाता कोई नरक

न चल जात मगर परमातमा नगन रहना चाहता िा परमातमा रही सदश दना चाहता िा उस घड़ी म उस

पल म रही सािाक बात उस कहनी िी रही चनदोष सवर उस गजाना िा तो महावीर न दफर हर-फर न

दकरा

राजनीचतजञ सोच-सोच कर बोलता ह सनन वाल को करा परीचतकर लगगा वही बोलता ह इसकी बहत

हचता नही करता दक जो म बोल रहा ह वह सच ह रा िि उसकी सारी हचता रही होती हः सनन वाल को

परीचतकर करा ह िि परीचतकर ह तो िि बोलो इसचलए तमह आशवासन दता ह तम सोचत हो दक आशवासन

पर करो नही करता वह तो दत वि भी कभी परा करन का सवाल नही िा वह तो द ही इसचलए रहा िा दक

आशवासन तमह परीचतकर लगत ह वह तमहारी पीि िपिपा रहा िा उस तमहारा समिान चाचहए तमह सतर

चमल इसकी उस हचता कहा ह समिान चाचहए उस तमहारा तम अगर िि स राजी हो तो वह िि स राजी

इसचलए राजनीचतजञ मददर भी चला जाता ह मचसजद भी चला जाता ह फकीर-पीर-औचलरा की कबर

पर भी चला जाता ह मजार पर भी चला जाता ह गणश-उतसव म भी सचममचलत हो जाता ह जन बलाए तो

वहा वयाखरान द आता ह हहद बलाए तो वहा वयाखरान द आता ह गीता की परशसा करवाओ तो गीता की कर

दता ह तम जो कहो तमहारी जो मजी उसकी हचता इतनी ही ह दक तम उसस राजी रहो वह तमह नाराज

नही करना चाहता उसकी हजदगी तम पर चनभार ह तम नाराज हए दक वह गरा

सत इसचलए हमशा मचशकल म पड़ जात ह करोदक व वही कहत ह जो परमातमा की मजी ह

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भद को समि लना

तमहारी मजी का कोई सवाल ही नही ह तम सनो तो न सनो तो राजी होओ तो नाराज हो जाओ तो

पतिर मारो सली लगाओ तो सब चलगा लदकन उसकी मजी तो परमातमा की मजी ह परमातमा जो बोलना

चाहता ह वही और परमातमा जो बोलना चाहता ह वह अकसर तमहार अतीत क चवपरीत जाएगा तमन जो

एक हजदगी बना ली ह एक ढग बना चलरा ह सोचन-समिन का उसक चवपरीत जाएगा करोदक परमातमा

तमहार चवकास क चलए बोल रहा ह

चवकास का मतलब होता ह परानी सीढ़ी छोड़नी पड़गी नई सीढ़ी पर कदम रखन होग चवकास का

मतलब होता ह परान आवरण तोड़न पड़ग परान भवन चगरान होग नर मददर बनान होग चवकास का अिा

होता ह नर का सवागत परमातमा सदा चनत-नवीन ह चनत-नतन ह और तम परान स जकड़ होत हो और

तम परान स इतन जकड़ होत दक तमहारा सारा वयसत सवािा परान स बधा होता ह और परमातमा सदा नई

खबर लकर आ जाता ह सदा नई सबह लकर आ जाता ह सदा नई कचलरो को चखलाता हआ नर सरजो को

उिाता हआ और तम परान म इतन चलपत हो दक तम कहत हो दक नही-नही पराना ही िीक िा हम परान स

बामचशकल तो राजी हो पाए ि

लदकन परमातमा एक पल भी परान क साि नही ह रह बात तम समि लना परमातमा नर क साि ह

परमातमा सख गई पतती क साि नही ह नही तो पतती चगरती नही पतती चगर गई ह सख कर परमातमा न

उसका साि छोड़ ददरा ह इसीचलए चगर गई ह परमातमा तो नई कोपल क साि ह वह जो अभी-अभी ऊग

रही ह जो अभी-अभी फि रही ह कोमल ह नाजक ह नई ह उसक साि ह तम परानी पचततरा समहाल कर

रख लत हो तमहारी परानी पचततरो म कोई पराण नही रह गए ह तम कबरो की पजा करत हो परमातमा जीवन

ह तम मदो की पजा करत हो परमातमा अमत ह तम मतर क आराधक हो

तमह पता ह मनोवजञाचनक करा कहत ह दक आदमी मदो की पजा करो करता ह और तमह पता ह जब

कोई मर जाता ह तो बर-स-बर आदमी क सबध म भी दफर हम बराई नही करत हम कहत ह भाई मर गरा

अब उसकी परशसा करो मर हए आदमी की परशसा की जाती ह बर स बर आदमी की भी लोग दो शबद परशसा

म कहत ह

मन सना ह एक आदमी मरा गाव भर उसको हजदगी भर गाली ददरा िा गाव भर उसस परशान िा

लदकन दफर भी गाव उस मरघि पहचान गरा फलमालाए लोगो न पहनाई उसकी आतमा भी उड़ती-उड़ती

ऊपर अपनी अरिी क साि गई बड़ा हरान िा सोचा नही िा उसन कभी दक गाव क लोग इस तरह आस

बहाएग इस तरह फल चढ़ाएग वह तो कहन लगा अगर मि पता होता अपन ही मन म कहन लगा अगर मि

पता होता तो म पहल ही मर जाता अगर रह होता िा तो

अमरीका का एक बहत अदभत आदमी िा--अकला आदमी इचतहास का चजसन अपनी मौत की खबर

पढ़ी मरन क पहल उसन अपन सकरिरी को बला कर कहा दक खबर कर दो दक म मर गरा सकरिरी न कहा

आप होश म तो ह --ड़ाकिरो न कह ददरा ह दक बस चौबीस घि स जरादा नही जी सकता ह बस आचखरी

घड़ी करीब ह पर उसन कहा तम दफकर मत करो म चबलकल होश म ह म अपन मरन की खबर पढ़ना

चाहता ह दक लोग मर बाबत करा कहत ह हजदगी म तो मर सबध म लोगो न कछ अचछा कभी कहा नही

चचतत मरा चखनन ह म जरा दखना चाहता ह दक मरन क बाद लोग करा कहत ह

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खर खबर कर दी गई अखबारो म खबर छप गरी सपादकीर लख चलख गए--वह आदमी करोड़पचत

िा इसीचलए तो लोग गाली दत ि हजदगी भर स उसक चखलाफ ि बड़ी परशसा क गीत चलख गए दक

महादाता िा दानी िा ऐसा वसा पहल लोग कहत िः चोर शोषक बईमान धोखबाज पाखडी

मरन क पहल उसन जब अखबारो म सपादकीर दख और अपनी तसवीर दखी उस खद ही भरोसा न

आरा--करा रह मर ही सबध म र बात कही जा रही ह हालादक लोग मि गाचलरा दत ि मि अचछा न

लगता िा लदकन म जानता ह व िीक कहत ि अब र चबलकल सरासर िि ह हालादक मि अचछा लग रहा

उसन कहा बहत अचछा लग रहा ह बहत गदगदी मालम होती ह और मर रहा ह चनहित होकर

और उसन अपन सकरिरी को कहा दक बला लो फोिोगराफरो को और अपनी ही अखबार म मरन की खबर

पढ़त हए मर चचतर चनकलवा लो दफर मर मरन क बाद दफर खबर छप म दचनरा क मनषर-जाचत क इचतहास

का पहला और आचखरी आदमी ह चजसन अपनी मौत की खबर खद पढ़ी

मर जान क बाद हम करो परशसा करत ह मनोवजञाचनक कहत ह डर क कारण आदमी सदा स भरभीत

रहा ह मदो स भत-परतो स अब जस कोई नताजी मर गए हजदगी भर तो उनहोन सतारा ही अब तमह और

डर लगता ह दक अब मार गए अब रह दह स भी मि हो गए अब रह दीवाल पार कर जाए रात छाती पर

चढ़ जाए दक महाराज ऐसा मत करना

मनोवजञाचनक कहत ह दक हम मदो की परशसा करत ह भर क कारण पराना भर ह दक मरा हआ

आदमी पता नही अब करा कर पतनी न हजदगी भर सतारा रा पचत न हजदगी भर सतारा अब मर गए अब

रो लती ह पतनी छाती पीिती ह--भीतर-भीतर खश भी होती ह दक भल गए हजदगी भर रही चाहती िी दक

राम जी कब उिा ल अब राम जी न उिा चलरा तो रोती ह--मगर डरती भी ह घबड़ाती भी ह कपती भी ह

करोदक वस ही रह दषट िा आदमी और अब रह मर भी गरा अब रह ददखाई भी नही पड़गा अब रह घस

आए रात अधर म और

मलला नसरददीन न अपनी पतनी स कहा दक मरी बड़ी इचछा ह रह बात जानन की दक मरन क बाद लोग

बचत ह रा नही बचत तो हम म स जो भी पहल मर जाए वह वारदा कर दक तीसर ददन लाख अड़चन हो

मगर चषटा करगा सपका साधन की तीसर ददन आ जाए दरवाज पर दसतक द बस इतना कम स कम कह जाए

दक हा म ह तो भरोसा तो आ जाए मलला और मलला की पतनी न दोनो न तर कर चलरा दक िीक ह जो भी

पहल मर वह तीसर ददन आकर दरवाज पर दसतक द और अदर इतना कह द दक म हजदा ह और आदमी मरन

स ही मरता नही

दफर मलला कछ सोच म पड़ गरा दफर उसन कहा एक बात खराल रख अगर त पहल मर जाए तो ददन

म ही आना रात म नही ऐस भी म रात घर म रहगा नही तरी वजह स ही घर आना पड़ता ह रात मजबरी

म घर आना पड़ता ह रात वस भी म घर रहगा नही त पकका रख और रात अगर रह भी तो रात त आना

मत करोदक रात मि डर लगता ह और अधर म घर म अकला और त आकर दसतक दन लग भर उजाल म

आना अचछा तो हो दक दफतर म आना तो मि भी परमाण चमल जाएगा बाकी लोगो को भी परमाण चमल

जाएगा

चजसको तम छाती स लगात ि वह मदाा होकर मर कर तमहारा हाि हाि म ल ल तमहार पराण छि

जाएग एकदम

151

इसचलए मनोवजञाचनक कहत ह दक आदमी मतर क भर क कारण मदाा की परशसा करता ह पजा क फल

चढ़ाता ह

र तम जो चपत-पकष इतरादद मनात हो इसका मतलब तमह चाह पता हो रा न हो इसका मतलब ह दक

ह चपता जी अब आप उसी तरफ रहना रहा सब िीक चल रहा ह शरादध दकए द रह ह हजदगी भर चजनकी

शरदधा म दो फल नही चढ़ाए ि मरन पर लोग उनका शरादध करत ह गरा जात ह शरादध करन अगर चपता हजदा

होत और कहत बिा मि गरा ल चलो तो कोई ल जान को राजी नही िा--हजदा चपता को कोई गरा ल जान

को नही िा दक काह क चलए करा जररत ह दफजलखची करवाना ह शाचत स घर म बिो तमह बढ़ाप म न

मालम कहा-कहा क खराल आत ह मगर चपता जी चल बस दफर बिा जी गरा जात ह डर दक अब दकसी

तरह छिकारा करो इनका जो कछ लना-दना ह चनपिारा करो कही आ-वा न जाए

मनषर डरता ह इसचलए मद की पजा करता ह हजदा का सममान नही ह जीवन का सममान नही ह

मतर का भर ह

तम परमातमा को दो ढग स खोज सकत हो एक तो मतर का भर उसस तम परमातमा को खोजन चलो

तो तमहारी खोज परिम स ही गलत हो गई और एक जीवन का परम उसस तम परमातमा को खोजन चलो तो

तमहार कदम िीक रासत पर पड़न लग

म तमह जीवन का परम चसखाना चाहता ह म तमह चाहता ह तम फलो स सबध जोड़ो तम इस जगत क

सौदरा स सबध जोड़ो तमहार जीवन म परम उमग और इस जगत म जो सवााचधक परम करन रोगर सिल ह वह

ह दकसी ऐस सत को खोज लना जो चमि गरा हो वहा समरपात हो जाना

साध त बड़ा न कोई कचह राम सनावत सोई

राम कही हम साधा

जगजीवन कहत ह राम न कहा और हमन साधा उनहोन जो कहा वसा साधा हमन कछ उसम हर-फर

न दकरा

राम कही हम साधा रस एकमता औराधा

और इसी तरह दफर एकरस हए आराधना जमी परािाना पकी रस एकमत औराधा दफर हम धीर-

धीर एक ही हो गए राम न जो कहा वही हमन दकरा जो करवारा वही दकरा जो बलारा वही बोला

जसा नचारा वस नाच दफर धीर-धीर एक ही हो गए--करोदक भद ही करा रहा जब हम राम क हाि म ऐस

हो गए जस कोई किपतली नचान वाला नचाए तो नाच रकाए तो रक जब कोई ऐस अननर भाव स एक हो

जाता ह तो रस सधता ह तब तारतमर बिता ह तब तमहारी वीणा उसकी वीणा क साि बजती ह उसकी

वीणा क साि बजन का नाम ही आनद ह

अलग-अगल दख ह साि-साि सख ह उसस अलग नरक ह उसस जड़ कर सवगा ह जो उसक साि

एकरस हआ वही सवगा म हो गरा और जो उसक साि दर-दर रहा अपनी होचशरारी बनाता रहा अपनी

चलान की कोचशश करता रहा--और धरान रखना तम परािाना भी करत हो तो चलान की कोचशश तम जाकर

मददर म परमातमा स रही कहत हो दक मरी पतनी की तचबरत खराब ह िीक करो तम करा कह रह हो तम

रह कह रह हो दक ति होश ह कछ समि ह कछ अकल ह मरी पतनी को और बीमार दकरा--और मरी पतनी

को और बीमार ही करना हो तो इतनी पचतनरा दचनरा म ह िीक करो मरी चलन दो तमहारी परािाना का

अगर सार-चनचोड़ खोजा जाए मन हजारो लोगो की परािानाए सनी ह उनका सार-चनचोड़ इतना ह दक मरी

152

मजी परी हो त उस परा कर और रह परािाना हई दक मरी मजी परी हो रह तो परमातमा स सवा लन की

उतसकता हई सवा करना न हआ रह तो परमातमा को िकाना हआ अपन चरणो म उसक चरणो म सवर

िकना न हआ

दफर परािाना करा ह

परािाना का अिा हः तरी मजी परी हो जीसस क आचखरी वचन रही ि इस परथवी पर सली पर लिक

कषण आचखरी बात जो उनहोन कही िी वह रही िी दक तरी मजी परी हो रह परािाना सली पर लिक हए भी

रह कहा दक तरी मजी परी हो अगर त सली द रहा ह तो रही हसहासन ह अगर त सली द रहा ह तो बस

कािा भी फल ह जहर भी अमत ह तर हाि स जहर भी चमल जाए तो अमत ह तरी मजी परी हो और ऐसी

जब घड़ी आ जाती ह दक तमहारी मजी और परमातमा की मजी म कोई भद नही रह जाए उसकी मजी ही

तमहारी मजी ऐसी अननरता तो जगजीवन का वचन बड़ा परारा ह--रस एकमता औराधा ऐसी अननरभाव

का आराधन हो गरा रह ह परािाना का सवरप अननरभाव नही अनर ह तमस तमहारी ही दकरण ह तो तम

हो सरज तमहारी ही बद ह तम हो सागर तमहारी ही एक छोिी सी िलक ह तम हो माचलक पर पराणो स

जो कह सकः राऽऽमाचलक तरी मजी परी हो दफर तमहारी परािाना म माग नही रह जाती धनरवाद रह जाता

ह कवल धनरवाद और जब परािाना म कवल धनरवाद रह जाए तब परािाना का मजा और रग और सौदरा

और उतसव और दफर जीवन एक नर आराम म गचत करता ह उड़ता ह--ऊपर और ऊपर अचतकरमण कर

जाता ह सारी सीमाओ का लदकन परमातमा पर छोड़ो सब

िीक कहत ह जगजीवनः राम कही हम साधा दकतन सीध-साफ छोि-छोि वचन ह पर उपचनषदो

को मात कर द वद िप करान फीकी मालम पड़न लग राम कही हम साधा इसको और सरलता स कस

कहोग इसको और सरल नही दकरा जा सकता एकमता रस एकमता औराधा

कई चबजचलरा ब-चगर चगर पड़ी ह

इन आखो को अब आ गरा मसकराना

दफर तो चबजचलरा भी चगर तो भी फका नही पड़ता आखो को मसकराना आ गरा हो

कई चबजचलरा ब-चगर चगर पड़ी ह

इन आखो को अब आ गरा मसकराना

अब कोई हचता नही ह

एक बलबल ह दक ह महव-तरननम अब तक

इसक सीन म ह नगमो का तलातम अब तक

और एक िलक चमल जाए तो दफर उसका नगमा गजता ही रहता एक िलक चमल जाए जरोचत जल ही

जाती ह एक बद उसक रस की तम म उतर जाए दफर तम वही नही हो जो तम ि दचनरा समिगी वही

करोदक दचनरा तो तमह बाहर स दखती ह तमहारा नाक-नकश वही रहगा चाल-ढाल वही रहगी मगर भीतर

सब बदल गरा तम वही नही हो तमहार सीन म एक नरा नगमा आ गरा एक नई तरननम एक नई गीत की

शली आ गई तमहार भीतर अनाहत का नाद होन लगा

हम साध साध हम माही कोउ दसर जान नाही

जगजीवन कहत ह अब हमको पता चला दक उसम और हमम रतती भर भद नही ह हम उसम ह वह

हमम ह कोउ दसर जान नाही दसरा ददखाई ही नही पड़ता

153

इसको कहन क दो ढग हो सकत ह एक ढग ह दक त ही ह म नही रह भि का ढग ह सफी का एक

ढग ह अह बरहमाचसम म ही बरहम ह रह जञानी का ढग ह मगर दोनो म बात एक ही हः अब दो नही ह अब

तमहारी मजी चाह इस चसिचत को म कहो जसा कषण न कहाः मामक शरण वरज रा इस चसिचत को त कहो

जसा मोहममद न कहा दक त ही ह जसा जलालददीन रमी न कहा दक त ही ह

रमी का गीत ह--

एक परमी अपनी पररसी क दवार पर दसतक दता ह और भीतर स पछा जाता हः कौन ह और परमी कहता

ह करा मि पहचाना नही म तरा परमी और भीतर सननािा हो जाता ह दफर दसतक पर दसतक दता ह और

पीछ स आवाज आती ह दक अब वयिा दरवाजा मत तोड़ो इस घर म दो क चलए जगह नही ह रह घर छोिा ह

जस कबीर न कहा न परम गली अचत साकरी ताम दो न समार ऐस भीतर स आवाज आई दक रह घर बहत

छोिा ह इसम दो न समा सक ग इसम एक ही समा सकता ह अभी जाओ अभी तरार नही हए अभी और

चनखरो अभी और पको और परमी चला गरा

और दफर वषा आए और गए और दफर उसन बड़ी तपिराा की अपन को गलारा दफर वषो बाद दवार पर

दसतक दी दफर वही परशनः कौन ह और अब उसन कहा दक त ही ह और रमी कहत ह दक दवार खल गए

र दो उपार ह एक ह जञानी का उपारः म ही ह और कछ भी नही इसका एक खतरा ह दक अहकार

जनम जाए चबना जान ही कोई कहन लगः अह बरहमाचसम अनलहक म ही ह इसका खतरा ह अहकार क जग

जान की सभावना ह और ऐसा खतरा हआ ह इस दश म बहत स अहकारी पदा हो गए करोदक शासतर का

सबत ह उनक चलएः अह बरहमाचसम कोई भी दावा कर सकता ह इस खतर स बचन क चलए इसलाम न बड़ी

कोचशश की दक रह खतरा पदा न हो पाए इसचलए मसर को फासी लगा दी करोदक मसर न कहाः अनलहक

म सतर ह म परमातमा ह सली लगा दी करोदक रह खतरा अहकार पदा न करवा द

लदकन दसरी बात का भी खतरा ह जब तम कहत हो त ही ह म नही ह तो आसचि पदा हो सकती ह

दीनता पदा हो सकती ह हीनभाव पदा हो सकता ह वह भी हो सकता ह और त ही ह म नही ह इसक खतर

दोनो की सचवधाए ह दोनो क खतर ह चजसको खतरा ही उिाना ह वह दकसी भी तरह स खतरा उिा

लगा और चजसको सचवधा उिानी ह वह दकसी तरह स भी सचवधा उिा लगा इसचलए म कहता ह दोनो िीक

ह सब तम पर चनभार ह सब कछ इस पर चनभार करता ह दक तम अगर सच म बदलन को उतसक हए हो तो

कोई खतरा नही--दकसी बात म कोई खतरा नही तम बदलन को ही उतसक नही हो तो दफर सभी बातो म

खतरा ह दफर तम दकसी भी चीज स खतरा उिाओग तमह अमत भी चमल जाएगा तो तम जहर बना लोग

तमहार पीन का सलीका ही गलत ह

हम साध साध हम माही

वह परमातमा जो परम साधर ह उसम हम ह वह हमम ह कोउ दसर जान नाही कोई दसरा ददखाई

नही पड़ता दसरा जानन म नही आता एक अिा ह और इस वचन का दसरा भी अिा ह दक रह घिना तो हमार

भीतर घि रही ह दसरा कोई इसको नही जान पा रहा ह रह राज तो भीतर खल रहा ह र पद तो भीतर उि

रह ह र घघि तो भीतर खल रहा ह मरत परकि होती जा रही ह रस बहन लगा ह मगर बड़ा मजा ह

दचनरा म दकसी को पता ही नही चल रहा ह पास ही जो बिा ह उसको भी पता नही चल रहा ह पचत को हो

154

जाए पतनी को पता नही चलता पतनी को हो जाए पचत को नही चलता गहर स गहर चमतर को हो जाए तो भी

पता नही चलता इतना आतररक ह वहा दकसी दसर की गचत नही ह रह भी अिा हो सकता ह

कोउ दसर जान नाही

एक अिा दक वहा कोई दसरा नही जाना जाता दफर उस म कहो त कहो कछ फका नही पड़ता और

दसरा अिा दक चजसको रह घिना घिती ह रस एकमता औराधा चजसक भीतर रह एकरस जनमता ह चजसक

भीतर परमातमा और आतमा का एक हो जाती ह चजसक भीतर म और त अपनी सीमाए छोड़ दत ह और

आहलगन म आबदध हो जात ह सदा क चलए एक हो जात ह चजसक भीतर रह चमलन घि जाता ह बाहर

दकसी को कानोकान खबर नही होती

इसचलए कई बार रह हो सकता ह दक तम दकसी बदधपरष क पास भी आ जाओ सरोग स और र ही

गजर जाओ तमह पता भी न चल बहत सजग होओ बहत सोच-सोच कर चलो बहत भावक होओ हदर को

खला रखो तो ही शारद िोड़ी सी परतीचत हो वह परतीचत भी बस एक िलक की भाचत होगी बड़ी दर की

िलक जो बचदध स बहत भर ह उनह तो चबलकल पता नही चलता उनह तो पता ही नही चलता उनका सदगर

स चमलना ही नही होता लदकन भाव स परम स भर लोग िोड़ी-िोड़ी परतीचत करन लगत ह सदगर क करीब

उनह रोमाच हो आता ह उनकी आख गीली हो जाती ह उनक हदर म धड़कन बढ़ जाती ह उनक भीतर ऊजाा

का परवाह उिन लगता ह जस कोई एक वीणा को बजाए और दसरी वीणा ऐस ही रखी हो कमर म कोई छए

भी न तो पहली वीणा क बजत ही दसरी वीणा क तार भी िनिनान लगत ह

रह तमन दखा करक दखना

दवार-दरवाज बद कर दना एक कोन म एक वीणा रख दना तम उसी वीणा क िोड़ी दर बि कर दसरी

वीणा को छड़ दना जस ही िकार कमर म गजन लगगी अचानक तम पाओग चजस वीणा को तमन छड़ा भी

नही ह उसक तार भी कपन लग ह ऐस ही तार कप जात ह भाव क अगर मरी वीणा बज रही ह और तम

मरी बजती वीणा क पास अपन हदर को छोड़न को राजी हो जाओ--कषण भर को भी अपनी बचदध को हिा लो-

-कषण भर को भी तो कछ तार कप जाएग उन तारो क कपन स ही सकत चमलता ह शरदधा का जनम होता ह

चजन दसर करर जाना तचह होइहह नरक चनदाना

चजनहोन परमातमा को दसरा करक जाना ह व नरक म ह और नरक म ही पड़ रहग दखत हो नरक की

रह पररभाषा रह परारी पररभाषा पाप क कारण नरक नही ह दक तमन बर काम दकए ह इसचलए नरक

और अचछ काम दकए ह इसचलए सवगा नही सवगा और नरक का रहा अिा ही और ह चजन दसर करर जाना

रही एक पाप ह--महापाप कहो--दक चजसन अपन को परमातमा स दसरा करक जाना ह चजसन अपन को म

बना रखा ह जो कहता ह म अलग ह म िकगा नही म लडगा म अलग ह म जीत कर रहगा म चवजर-

रातरा पर चनकला ह चजसक मन म ऐसी धारणा ह जो परमातमा स सघषारत ह वही नरक म जी रहा ह और

नरक म पड़गा

चजन दसर करर जाना तहह होइहह नरक चनदाना

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

राम की तरफ स एक ही खबर आ रही हः जगजीवन चरन चचत लाव िको चरणो म लीन हो जाओ

चरणो म चवलीन हो जाओ चरणो म समरपात हो जाओ राम की तरफ स एक ही खबर आ रही ह--सो कचहक

राम समिाव--बस उसकी तरफ स ही पकार हः चमिो तादक म तमहार भीतर परा-परा परकि हो सक हिो

155

राह दो दवार दो तादक म तमहार हदर म चवराजमान हो जाऊ तम इतन अकड़ कर बि हो भीतर हित ही

नही पतिर होकर बि हो भीतर गलत ही नही गलो चपघलो और चजन चीजो स भी गलना और चपघलना हो

सक उन-उन चीजो का उपरोग कर लो

सतसग सबस महततवपणा ह जहा गलना हो जाता ह औरो को गलत दखकर तमको भी गलन की आकाकषा

अभीपसा जग जाती ह औरो को चपघलत दख कर तम भी चपघलन लगत हो सतसग ऐसा ह जस सबह सरज

ऊग और बफा चपघलन लग सतसग ऐसा ह जहा कोई सरज ऊगा ह और तमहार अहकार की बफा चपघल सकती

ह अधर म रहोग तो जमी रहगी कभी-कभी सरजो स मलाकात करो कभी-कभी रोशनी क आमन-सामन हो

जाओ बचत न दफरो लोग बचत दफर रह ह लोग सतसग स बहत डरत ह बड़ भरभीत होत ह उनक भर का

कारण भी ह करोदक सतसग म जान का मतलब होता ह दक दफर पता नही लौिना हो पाएगा दक नही दफर

पता नही चचतत वही न रह जाए हदर वही न छि जाए और अगर सतसग म गए तो रह होन ही वाला ह भर

िीक ही ह

गऊ चनकचस वन जाही बाछा उनका घर ही माही

तन चरहह चचतत सत पासा गचह जचि साध जग-बासा

चजसन सतसग दकरा ह वह दफर ससार म कही भी रह उसका चचतत सतसग म लगा रहता ह उसका

चचतत वही दौड़ता रहता ह उसका मन गर क चरणो म ही लगा रहता ह

और धरान रखना गर का अिा ही वही होता ह जो अब नही ह चजसक होन म अब परमातमा का ही

होना ह इसचलए इस दश म हमन गर को भगवान कहा भगवतता दी परमातमा कहा ऐस गरओ को भी हमन

भगवान कहा जो भगवान को मानत भी नही जस महावीर को भी भगवान कहा इस दश की छाती बड़ी ह--

कम स कम बड़ी िी अब चाह न भी हो

अब तो बड़ी चसकड़ गई ह महावीर को भी भगवान कह सक हम उस वयचि को चजसन कहा भगवान ह

ही नही बदध को भी भगवान कह सक हम उस वयचि को चजसन कहा भगवान भी नही ह और भीतर कोई

आतमा भी नही ह सब शनर ह इस शनरवादी को भी हम भगवान कह सक करोदक हम पता ह शनरवाद अगर

परा हो जाए तो पणा तो आ ही जाता ह उसको लाना नही पड़ता बदध क शनरवाद स बहतो क जीवन म पणा

उतरा बदध न चमिन पर जोर ददरा चनषध पर जोर ददरा चवधर की बात ही नही की करोदक चवधर तो हो ही

जाएगा बीमारी चली जाए सवासरथर तो अपन स आ जाता ह सवासरथर की बात ही करा करनी और सवासरथर

की बात भी करो तो करा करोग बात तो बीमारी की ही हो सकती ह सवासरथर की चचाा म ह करा अगर

सवसि हो कोई पछ कहो भाई कस हो तो इतना ही कह सकत हो दक िीक ह इसम कछ खास चचाा ह नही

लदकन अपचडकस का आपरशन हआ ह िाचसल का आपरशन हआ ह दक गद की बीमारी ह तो दफर हजार बात

एक मचहला एक डाकिर क पास पहची और उसन कहा मरा आपरशन कर दो डाकिर न कहा लदकन

आपरशन दकस बात का और दकसचलए उसन कहा दकसी भी चीज का कर दो चदक और सब मचहलाए खब-

खब चचाा करती ह मर पास चचाा करन को कछ ह ही नही कोई कहती ह छः इच का िाका लगा अपचनडकस

चनकलवा दी कछ भी चनकाल दो नही तो म गगी बनी बिी रहती ह वाताालाप क चलए कछ ह ही नही

बीमारी हो तो चचाा का उपार ह सवासरथर की करा चचाा और बीमारररो क नाम होत ह सवासरथर का

कोई नाम भी नही होता सवासरथर तो चवशषणहीन ह तमस अगर कोई पछ कहो सवसि हो तम कहो हा

156

वह पछ दकस परकार का सवासरथर तो तम करा उततर दोग हा बीमारी होती ह तो दकस परकार की कौन सी

बीमारी दकस ढग की ढग-ढग की बीमारररा होती ह बीमारररा अनक सवासरथर एक

ऐस ही अधमा अनक धमा एक हहद मसलमान ईसाई जन धमा क नाम नही हो सकत धमा तो एक ह--

सवासरथर--अधमा अनक हो सकत ह

तीन सौ धमा ह जमीन पर--और बहत स धमा रह और चमि भी गए और बहत-स आग होत रहग और

बनत और चमित रहग लदकन धमा कही बनता और चमिता ह धमा तो सवासरथर ह र जो हहद जन बौदध ह

र औषचधरा ह र दकसी बीमारी को चमिान क उपार ह इनका मलर ह औषचध की तरह इनको धमा मत

कहो ऐस ही जस कोई आरवददक औषचध कोई एलोपचिक औषचध कोई होचमरोपचिक औषचध--चजसको जो

रच चजसको जो पच और चजसको चजसस लाभ हो जाए और चजसकी जहा शरदधा हो

अब चजसकी होचमरोपिी पर शरदधा ह उस होचमरोपिी स लाभ हो जाता ह चजसकी शरदधा नही ह वह

कहता ह दक शककर की गोचलरो स करा होगा वजञाचनको न पररोग दकए ह इस बात पर और बड़ हरान हए हाः

शरदधा हो तो शककर की गोली स भी लाभ हो जाता ह और शरदधा न हो तो तम दकतनी ही बड़ी दवा द दो कोई

लाभ न होगा

अकसर ऐसा हो जाता ह दक डाकिर की चजतनी जरादा फीस हो उतनी जलदी तम िीक हो जात हो

जरादा फीस पर शरदधा आती ह दक जब इतनी फीस ह और इतनी फीस दकर लोग जात ह तो कछ राज ह अगर

डाकिर मफत इलाज कर इलाज काम ही नही आता लोग कहत ह वहा करा होगा मफत दवा करता ह दफर

भी भीड़ नही ह दवाखान म और वहा दखो जहा पचास रपए फीस दनी पड़ती ह वहा कर लगा ह चार-

पाच ददन क बाद मौका चमलगा डाकिर क पास जान का

चजतनी फीस हो डाकिर की उतनी जरादा जलदी बीमारी िीक होती ह दफर दवा पर चजतना भरोसा

हो

कभी-कभी तो ऐसा हो जाता ह एक आदमी न मि कहा--चचदकतसक ह बजगा ह बसतर गए ि

आददवासीरो का इलाका एक आददवासी को दर क जगल स लोग ल आए ि वह चबलकल मर रहा िा िी बी

िा उस--साफ जाचहर िी बी िा और आचखरी अवसिा म िा और वदय क पास कोई इलाज का सामान भी न

िा वहा कोई दवा भी न िी दवा तो दर कागज और कलम भी न िी सो पास म पड़ एक खपड़ पर पतिर

सफद उिा कर उनहोन दवा का नाम चलखा और खपड़ा उस द ददरा और कहा रह दवा ल लना रोज सबह-

शाम एक-एक बार और दफर तीन महीन बाद मि चमल जाना आकर वह तीन महीन बाद आदमी आरा

चबलकल चगा हषट-पषट उसन कहा चबलकल िीक हो गरा गजब की दवा काम की दफर स द द दवा तो उस

वदय न कहा दवा मन तमह दी नही िी चसफा चलख कर ददरा िा उसन कहा करा कह रह हो म तो उसी को

घोि-घोि कर पीता रहा गरीब आदमी बपढ़ा-चलखा आदमी खपड़ को घोि-घोि कर रोज सबह-साि पीता

रहा आप कहत करा ह अमत िा अमत दफर तो वह वदय मिस बोल दक म चप ही रहा दक अब कछ कहना

िीक नही ह सब गड़बड़ हो जाए बना-बनारा गड़बड़ हो जाए मन दफर खपड़ पर चलख कर वही दवा का

नाम उसको द ददरा दक भई इसको त और छः महीन ल ल अब आन की जररत ही नही

बदध को भी हमन भगवान कहा हालादक उनहोन भगवान को माना नही मगर चजनहोन उनक शनर को

समिा जो उनक शनर म उतर उनहोन भगवान को जाना

157

सार धमा औषचधरा ह इनको धमा मत समि लना धमा तो तब होगा जब इन औषचधरो क दवारा

तमहारी बीमारी कि जाएगी और तमहार भीतर सफता होगा सवभाव सवभाव धमा ह महावीर न पररभाषा की

हः वति सहावो धमम वसत का सवभाव धमा ह तमहारा सवभाव धमा ह जस आग का सवभाव हः जलाना रह

उसका धमा ह और पानी का सवभाव हः नीच की तरफ बहना रह उसका धमा ह ऐस तमहारा सवभाव हः

परमातमा होना रह तमहारा धमा ह

धमा तो एक ही ह अनक बीमारररा ह अनक औषचधरा ह औषचध क शासतर ह

जगजीवन चरन चचत लाव सो कचहक राम समिाव

जो राम न कहा इतना ही कहा ह राम न उस तरफ स एक ही पकार आती ह--राम रानी उस तरफ का

नाम ह राम स तम दशरि-पतर राम मत समि लना राम तो चसफा नाम ह उस तरफ स आती पकार का दर

की आती हई धवचन अनत की धवचन--उसका एक ही इशारा हः िक जाओ चमि जाओ शनर हो जाओ

साध क गचत को गाव

और एक बार तम िको तो तमह पता चल तब तमह पता चल दक जो साधता को उपलबध हआ ह जो

वसततः सततव को उपलबध हआ ह उसकी गचत को कोई और नही जान सकता जब तक दक वह सवर भी वसा

न हो जाए

साध क गचत को गाव

कोई बता नही सकता कोई गनगना नही सकता कोई गा नही सकता चजसन जाना ह वह भी नही कह

पाता बता पाता तो दसर चजनहोन जाना नही व तो करा बताएग तम साध को दख कर न समि पाओग

साधता करा ह हा उसक आचरण स तम अदाज लगा लोग मगर वह अदाज खतरनाक ह उस अदाज क

कारण बहत नकसान हआ ह लोग दखत ह दक साध कस उिता कस बिता करा खाता करा पीता करा

पहनता सब चहसाब-दकताब लगा कर वह भी उसी तरह उिन लगत बिन लगत वही खान लगत वही पीन

लगत--बस चक हो गई तमहारी हजदगी म पाखड हो जाएगा

साध का उिना-बिना खाना-पीना कोई बहत आधारभत बात नही ह अलग-अलग साध अलग-अलग

ढग स उित-बित खात-पीत बदध क पास जाओग तो वह वसतर पहन हए ह महावीर क पास जाओग तो वह

नगन ह रामकषण क पास जाओग तो वह मसती म बहोश हो जात ह चगर पड़त ह डाकिर तो कहत ह दक

चहचसिरररा ह रा चमगी की बीमारी ह बदध क पास तो कभी दकसी न नही दखा दक वह चगर हो दक बहोश हो

गए हो मीरा क पास जाओग तो नाचता हआ पाओग महावीर क पास जाओग तो चबलकल चनसतरग--कहा

नतर कसा नतर सब िहरा हआ जस पतिर की मरता

रह आकचसमक नही ह दक जनो और बौदधो क कारण ही पहली दफा पतिर की मरतारा बनी दचनरा म

करोदक महावीर और बदध म कछ िोड़ा सा सगमरमर जसा िहरापन िा सगमरमर म उसकी िलक ह

इसचलए दोनो िहर गए ि जस चनसतरग जल हो सगमरमर म िोड़ी िलक ह इसचलए जनो और बौदधो न

सबस पहल मरतारा बनाई करोदक महावीर को चजनहोन खड़ दखा चबलकल चनसतरग अकप उनको पतिर की

राद आई

महावीर की मरता बन सकती ह मीरा की कस बनाओग मीरा तो तरग ह नाचती हई अभी रह अभी

वह मीरा की मरता अगर बनाई हो तो फववार स बनानी पड़गी पतिर स नही बन सकती उतनी तरग लानी

पड़गी अब मीरा को दख कर तम नाचन लगना तमहारा नाच िि होगा करोदक मीरा क भीतर परमातमा

158

उतरा ह और परमातमा नाच रहा ह इसचलए मीरा नाच रही ह--मजी तमहारा नाच तमहारी मजी वही िि

होता ह वही पाखड हो जाता ह महावीर क भीतर परमातमा उतरा उसन वसतर फक ददए परमातमा नगन खड़ा

होना चाहा ह परमातमा नगन खड़ा हो गरा वह परमातमा की मजी महावीर को भी मन म उिा होगा दक कम

स कम लगोिी तो लगाए रखो लदकन परमातमा की मजी नगन होन की िी तो वह नगन हो गए और कषण म

परमातमा की मजी िी दक मोरमकि बाध दक पीताबर पहन दक शरगार और सौदरा कषण को भी लगा होगा

दक रह जरा िीक तो नही मालम पड़ता इसस तो ऐसा लगता ह जस कोई रासलीला कर रह ह इसस ऐसा

लगता ह जस कोई नािक-मडली रह कछ जचता नही मगर करो करा परमातमा की मजी जच दक न जच

कषण भी िोड़ उतन ही चौक होग चजतन महावीर चौक होग दक रह माजरा करा ह लगोिी तो बचन

दो कषण को भी लगा होगा--और रह कोई जरादा इनका फासला नही िा करीब ही करीब ि--कषण को भी

लगा होगा कषण क ही एक चचर भाई नचमनाि जचनरो क तीििकर ह वह नगन हो गए ि नचमनाि नगन हो

गए ि चचर भाई ह कषण क कषण उनक दशानो को भी गए बड़ भाई ि एक तरफ नचमनाि ह जो नगन हो

गए ह एक तरफ कषण ह जो मोरमकि बाध खड़ ह जसी परमातमा की मजी

लदकन तमन अगर बाहर स आचरण दख कर िोपा तो वह तमहारी मजी ह वही पाखड हो गरा वही

तम आ गए इसचलए आचरण दख कर अनकरण मत करना अनरिा तम िोि क िोि रह जाओग

सतसग करो सदगर क हदर को तमहार हदर स चमलन दो डोलन दो नाचन दो चपघलन दो धीर-धीर

वहा स कछ तमहार भीतर पदा होगा और तमहार आचरण तक आएगा तो तो ही कछ हआ अनरिा सब

पाखड ह धोखा ह

साध क गचत को गाव जो अतर धरान लगाव

कौन समिगा साध की गचत जो अपन अतर म उतरगा जो अतर धरान लगाव जो बाहर की सब भल

जाए और भीतर बस रह

जब गर क पास बिो तो बाहर की सब भल जाना--भल ही जाना सारा ससार बस रह जाना भीतर-

भीतर बस हदर की धड़कन बन जाना धड़कन स जरा भी जरादा नही धड़कन म ही समा जाना बस धड़कत

ही रह जाना न शबद न वाणी न चवचार न ससार न वयवसार न वयापार कछ भी नही सब गरा चसफा रह

गरा धड़कता हआ ददल बस उस धड़कत ददल स चमलन हो जाएगा धड़कता ददल इस परमातमा क साि

धड़कत ददल क साि चमल जाएगा एक कषण भर को िरोखा खल जाएगा और वहा स उतरगी दकरण जो

अतर धरान लगाव उसको पता चलता ह दक साध क भीतर करा हआ ह

चरन रह लपिाई

दफर तो वह एकदम गर क चरणो म चलपि जाता ह चरन रह लपिाई शबद दखना छता ही नही

चरण--चरणसपशा करन का मतलब हआः दकरा सपशा और गए--लपिाई चलपि कर ही रह जाता ह दफर कही

भी हो उनही चरणो म चलपिा रहता ह

चरन रह लपिाई काह गचत नाही पाई

दकसी और न गचत पाई नही जो चरणो म चलपि गरा उस िोड़ी िलक चमली गर क चरणो म चलपि-

चलपि एक ददन पता चल जाता हः गर क चरण तो खो गए ह परमातमा क चरण हाि म आ गए ह शरआत

होती ह गर स पहचना होता ह परमातमा पर

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

159

और कोई चवरला ही पहचान पाता ह सौभागरशाली पहचान पाता ह और वही पहचान पाएगा अतर

राख धराना जो धरान को भीतर डबा द

मर पास तम बित हो तो सोचो मत चवचारो मत धराओ सोचो मत चवचारो मत धड़को सननािा हो

जाए खद की शवास की आवाज सनाई पड़न लग सब चपपी हो जाए सब चनसतबध हो जाए जस बाहर का

सब खो गरा तम रह गए बस अचसततव मातर बस उसी जगह स सकरमण ह उसी जगह स सवाद ह

एक िा पागलखाना पागलो म रोज चववाद चछड़ जाता िा पागलो म चववाद ही चछड़ सकता ह सवाद

तो हो ही नही सकता सवाद तो बड़ समिदारो म होता ह

अब जस तम रहा बि हो चप और मौन रह सवाद हो रहा ह रहा भी कोई पागल आ सकता ह वह

बिा-बिा चववाद ही करता रहता ह उसकी खोपड़ी म चववाद चलता रहता ह वह सोचता ह रह िीक रह

गलत रह मिस मल खाता ह रह मिस मल नही खाता ह रह मरी दकताब म चलखा ह रह मरी दकताब क

चखलाफ जा रहा ह रह बात नही मान सकता म कभी भी वह इसी तरह क चववाद म पड़ जाता ह

तो पागलखाना िा बड़ा बहत पागल ि रोज चववाद चछड़ता िा--पागल और कर भी करा ददन भर

चववाद क चसवा कोई उपार न िा एक ददन एक बड़ा अदभत चववाद चछड़ा चववाद का चवषर िाः इस

पागलखान म सबस बड़ा पागल कौन ह सवभावतः पागलो को रही धन रहती ह दक सबस बड़ा कौन सबस

बड़ होन क पीछ ही तो लोग पागल हो जात ह पागलपन ही करा ह दचनरा म सबस बड़ा कौन त दक म

भारी चववाद चछड़ा काफी हो-हलला मचा मारपीि हई चीज फकी गरी जतो स सवागत-सतकार हआ

करसारा तोड़ डाली तसवीर दीवाल पर लिकी चगरा दी--बड़ा हो-हलला मचा और दफर रह तर हआ चववाद क

बाद दक इस पागलखान म सबस बड़ा पागल डाकिर ही हो सकता ह करो--कछ न शका वयि की करो--कछ

पागल बोल तो उनहोन कहा अर अचछा-भला पागलो क बीच रह रहा ह और करा पागलपन हो सकता ह

इस मरख को तो दखो अचछा-भला पागलो क बीच रह रहा ह

चववाद चवचकषपतता ह और चववादी को हमशा बदधपरष पागल मालम पड़ ह अचछ-भल पागलो क बीच

रह रह ह पागलो का अपना पागलपन नही ददखाई पड़ रहा ह जो पागल नही ह वह सबस बड़ा पागल मालम

होता ह रह तो सवाद का उपार नही सवाद तो तभी होता ह जब सब चववाद चल जात ह सब चवचकषपतता

चचतत की चली जाती ह चप सननाि म कोई सनता ह जस सगीत को सनत हो ऐसा ही सदगर को सनो सगीत

सनत वि तम रह तो नही सोचत करा िीक करा गलत चसफा सनत हो रसमगन रस एकमता औराधा

अतर राख धराना कोई चवरला कर पचहचाना

जगत दकहो एचह बासा प रह चरन क पासा

चजसको सतसग लग गरा वह दफर जगत म रहता ह लदकन उन चरणो स दर नही रहता जगत दकहो

एचह बासा प रह चरन क पासा चरणो क पास ही बना रहता ह चरण उसक हदर क भीतर ही चवराजमान

हो गए रह अिा ह चरन रह चलपिाई

जगत कह हम माही

जगत तो रही समिता ह दक साध रह कसा साध रह तो हमार ही भीतर रह रहा ह हमार ही जसा

रह रहा ह जगत कह हम माही पागलो न दखा न डाकिर को कहा सबस बड़ा पागल अगर रह पागल न

होता तो हम पागलो क बीच करो रहता पागल ही होना चाचहए और सबस बड़ा पागल होना चाचहए साध

जो ससार म रहगा उस लोग कहग हमार ही जसा ह इसम करा रखा ह

160

मर पास लोग आत ह व कहत ह आप लोगो को सनरास द दत ह दफर व दकान पर बि कर दकान भी

कर रह ह उनकी पतनी भी ह बचच भी ह घर-दवार भी ह रह कसा सनरास र तो हमार ही जस ह हा तमहार

ही जस ह बाहर-बाहर करोदक कराचत का जो ददरा म जलाना चाहता ह वह बाहर का नही ह भीतर का ह

अतर राख धराना

जगत दकहो एचह बासा इस ढग स जगत म रह इस जगचत स इस चवचध स जगत म रह रह चरन क

पासा

जगत कह हम माही व चलपत काह मा नाही

लदकन जगत कह तो कहन दो तम रहना जगत म और चलत मत होना भागना मत भागन स कोई मि

नही होता चलपत न होन स मि होता ह

जस गह तस उदराना

सचच साध को तो घर और जगल एक जसा ह

जस गह तस उदराना व सदा अह चनरबाना

व तो सदा ही चनवााण की दशा म ह चनवााण की दशा बड़ा अिापणा शबद ह चनवााण का अिा होता ह

दीर का बि जाना कहत ह दीर का चनवााण हो गरा--जब दीरा बि जाता ह चजनका अहकार बि गरा ह व

चनवााण की दशा म ह उनकी अहकार की रिमरिमाती पीली सी रोशनी बि गई अब परम परकाश ही उनका

परकाश ह अपना अलग स कोई परकाश नही रखा ह उनहोन अपनी मजी नही बचाई ह व सदा अह

चनरबाना व चाह घर म हो चाह जगल म सब जगह चमि ह शनर ह

जरो जल कमल क बासा जस जल म कमल बास करता ह व वस रहत चनरासा व वस ही अचलपत

ह उनकी ससार स कोई आशा नही ह ससार स कछ पान की आकाकषा नही ह लदकन परमातमा न ससार म

भजा ह तो जो अचभनर उसन ददरा ह उस परा कर दना ह उस अचभनर को बीच म छोड़ कर भाग जाना

परमातमा क परचत अवजञा होगी रह उचचत नही ह अचभनर ह ऐसा जान कर परा कर दना ह

जस करम जल माही जस कछआ जल म जाता ह----वाक सरचत अडन माही लदकन उसकी राद तो

अपन अडो म लगी रहती ह जो दकनार पर रख ह

भवसागर रह ससारा व रह जचि त नरारा

ऐस ही रह ससार सागर ह इसम कछव की भाचत तम अगर आ भी गए हो तो भी राद दकनार की रह

व रह जचि त नरारा रहो इसम कला रही ह दक रहो भी और रहो भी नही भगोड़ कलाकार नही ह भगोड़

बहत सिल ह घर छोड़ कर जो चल गए ह जगल म उनहोन बड़ी छोिी-सी कराचत की ह बड़ी ओछी-सी कराचत

की ह इसस आतमा नही बदल जाएगी इसस करा होगा

मन सना ह एक कौवा जा रहा िा उड़ा परब की तरफ एक कोरल न पछाः चाचा कहा जा रह हो

उस कौव न कहा म परब जा रहा ह परब क दशो क लोग अचछ ह और भल ह अब मि रहा पचिम म नही

रहना ह करोदक दकसी को भी मर मधर गीत पसद नही आत कोरल न कहाः चाचा परब जान स करा होगा

जरा गीतो का ढग बदलो जरा और गीत गाओ जरा और कि बनाओ र गीत परब म भी पसद नही दकए

जाएग

रहा स वहा जान स कछ भी नही होन वाला ह बदलो जहा हो वही बदलो दफर चाह घर हो दक

जगल सभी जगह परमातमा का वास ह व रह जचि त नरारा और रही कला ह असली कला रही ह रहो

161

बीच बाजार म और ऐस जस जगल म होओ रहो घर म और ऐस जस आशरम म हो रहो गहसि और ऐस जस

सनरसत हो इसी कला को म तमह दना चाहता ह--मर सनराचसरो को म तमह ससता धमा नही दना चाहता

धमा महगा ह

बहत हसी सही सोहबत गलो की मगर

वो हजदगी ह जो कािो क दरमारा गजर

फलो क पास रहना िीक लदकन हजदगी असली वही ह जो कािो क पास रह और ऐस रह जस फलो क

पास ह

वो हजदगी ह जो कािो क दरमारा गजर

जगजीवन ऐस िहराना

ऐस जगजीवन िहर गरा ससार म--और भीतर िहर गरा

जगजीवन ऐस िहराना सो साध भरा चनरबाना

और वही स साधता जगी और वही स चनवााण पदा हआ वही अहकार चमिा और परमातमा स चमलन

हआ

जगजीवन ऐस िहराना

जगजीवन कहत ह म रह अनभव की कहता ह ऐस ही म िहरा ऐस ही तम भी िहर जाओ भागत

कहा हो भागन स कोई कही िहरा ह िहरन स कोई िहरता ह जहा हो वही िहर जाओ वही भीतर जरोचत

जगाओ वही अतरमख हो जाओ वही सतसग करो वही सदगर क चरण गहो वही राद को परमातमा म

लगाओ और जो अचभनर भी उसन ददरा ह उस परा करो परी तरह परा करो रही तमहारी परािाना होगी

रही तमहारी पजा

और एक ददन तम चदकत हो जाओग बाहर सब वसा-का-वसा रहता ह भीतर सब बदल जाता ह और

जब भीतर सब बदल जाता ह तो बाहर भी सब अपन-आप बदल जाता ह करोदक दचषट और हो जाती ह दखन

का ढग और हो जाता ह दफर वकष नही ददखाई पड़त परमातमा ही हरा होता ददखाई पड़ता ह दफर लोग नही

ददखाई पड़त परमातमा ही चभनन-चभनन रपो म चलता हआ ददखाई दता ह दफर चाद-तार नही ददखाई पड़त

परमातमा ही अनक-अनक परकाशो म अनक-अनक ढगो स बरसता हआ मालम होता ह दचषट सचषट ह और जब

दचषट बदल जाती ह तो सचषट बदल जाती ह रह ह कला भगोड़पन म कला नही ह जहा हो वही िहर जाओ

व रह जचि त नरारा जल म कमलवत ऐस नरार होन की कला सीखो

और लोग तो नही समिग उनकी हचता न करना लोग कभी नही समि ह उनकी बात ही मत दफकर

म लना हस तो हसन दना नाराज हो तो नाराज होन दना चवरोध कर तो चवरोध करन दना उनक परचत मतरी

और करणा का भाव खचडत मत होन दना रह उनकी मजबरी ह उनकी समि म नही आ रहा ह जो उनकी

समि म नही आता व उस गलत मानत ह लदकन तम अपन भीतर क रस को इस कारण खचड़त मत करना

तम इन बातो म मत उलिना तम अचलपत बन रहना और जलदी ही तम पाओग वह अपवा घिना घिती हः

रस एकमता औराधा

दचनरा क चसतम राद न अपनी ही वफा राद

अब मिको नही कछ भी मोहबबत क चसवा राद

दफर कछ और नही बचता उसक परम क चसवार न म न त

162

तरी राद की उफ र सरमचसतरा

कोई जस पीकर शराब आ गरा

और एक अपवा मसती एक अपवा नशा छा जाता ह जो ििता ही नही जो अचवचचछनन ह जो शाशवत ह

आज इतना ही

163

अरी म तो नाम क रग छकी

आिवा परवचन

गर ह शमा चशषर परवाना

पहला परशन गर तो सदव ममकष की आधराचतमक चसिचत जान सकत ह परत ममकष कस जान दक गर को

उपलबध ह अिवा नही और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव म बाजी हार गरा ह तो

करा वह दसर गर क पास जा सकता ह

कपरा अपनी मानरता सपषट कर

शरीराम शमाा गर चना नही जाता और जो चनगा वह चनन म ही चक गरा तम गर चनोग तम

चनोग न तम गलत हो तमहारा चनाव भी गलत होगा तम कहा स आख लाओग दखन वाली तमहार पास

कसौिी करा ह तमहारी बचदध जो भी सोच सकती ह चवचार कर सकती ह वह तमस पार का नही होगा

तमस ऊचा नही होगा तमहार हाि तमहार ही हाि ह इसचलए तम जो भी पकड़ोग जो भी चनोग वह

तमहारी बचदध की सीमा क भीतर होगा और जो तमहारी बचदध की सीमा क भीतर ह उसम तम बचदध क पार न

जा सकोग तमहार चनाव म तमन सवर को ही दफर चन चलरा तमन चना वही भल हो गई तम सोचत हो दक

भल बाद म पता चलगी भल परिम ही हो जाती ह पहल कदम पर ही असली सवाल ह गर चना नही जाता

गर का चनाव चनाव नही ह परम जसी घिना ह--हो जाता ह और अकसर तो तमहारी बचदध क बावजद

होता ह तमहारी बचदध कहती रहती हः नही नही इनकार करती रहती ह और तमहारा हदर कदम बढ़ा लता ह

और छलाग लगा लता ह गर का सबध हदर का सबध ह बचदध और चवचार का नही तका का नही भाव का

तमहारा परशन तो चवचार का ह

तम पछत होः गर तो सदव ममकष की आधराचतमक चसिचत जान सकत ह परत ममकष कस जान दक गर

सतर को उपलबध हआ ह रा नही

कोई उपार ही नही ह जानन का न कभी िा न कभी होगा अधा कस जानगा दक दसरा आदमी जो

सामन खड़ा ह उसक पास आख ह रा नही सोरा आदमी कस जानगा दक जो पास बिा ह वह जागा ह रा

नही कोई उपार नही ह लदकन बचदध क बावजद कभी-कभी भाव की तरग पकड़ लती ह और तमह बहा ल

जाती ह गर स सबध एक तरह का पागल सबध ह चवचार का नही चहसाब का नही गचणत का नही

इसचलए जो गर को पकड़ लत ह लोग उनह दीवाना ही समित ह सदा स दीवाना समित ह व दीवान

ह रह वसा ही सबध ह जसा परम का एक सतरी को तमन दखा रा एक परष को दखा और तमह परम हो गरा

तम कस जानोग करा उपार ह बचदध क पास दक चजसस तमहारा परम हआ ह रही वासतचवक परम का पातर ह

चजस सतरी क तम परम म पड़ गए हो रह तमहारी िीक-िीक पतनी चसदध हो सकगी तमहार बचचो की िीक-िीक

मा बन सकगी समरक गचहणी हो सकगी तमहारा घर समहाल सकगी तमह सख-दख म साि द सकगी करा

उपार ह जानन का लदकन परम जानना ही नही चाहता परम कहता हः न हो सकगी िीक पतनी तो भी िीक न

हो सकगी बचचो की मा िीक तो भी िीक न समहाल सकगी घर-गहसिी तो भी िीक परम अधा ह--बचदध क

चहसाब स करोदक जो आख बचदध की ह व आख हदर की नही हदर क पास और ही आख ह हदर क पास

164

अपन ढग ह तका सरणी स हदर नही चलता ह हदर छलाग भरता ह गचणत नही चबिाता ह एक अनभचत

होती ह एक सफरणा होती ह

ऐसा ही गर का सबध ह

ममकष को सफरणा होती ह अचानक हदर को कोई मि जाता ह अचानक बचदध स गहराई म कही कोई

दकरण परचवषट हो जाती ह रोमाच हो जाता ह तम चौकत हो तम चनत नही जब गर चना जाता ह तम

चनत नही चौकत हो रह करा हो रहा ह तम चववश हो जात हो अवश हो जात हो हखच चल जात हो

रोकना चाहो तो रोक नही सकत जाना चाहो तो जाना िि होगा कोई अजञात शचि तमह चारो तरफ स घर

लती ह

अगर तम िीक स समिना चाहो तो चशषर गर को नही चनता गर चशषर को चनता ह गर पहल चन

लता ह तभी तमहार हदर म तरग उिती ह सफरणा होती ह गर तमह घर लता ह तमहार भागन क सब

उपार बद कर दता ह तमहार सार सत चजनस तम होकर आए हो तोड़ दता ह तमहारी सारी सीदढ़रा चजनस

तम चढ़ कर आए हो चगरा दता ह तमहार सार तका जाल चछनन-चभनन कर दता ह गर तमहार भीतर एक शराब

उड़ल दता ह उस शराब क नश म तम डब जात हो

गर को कोई कभी चनता नही कभी दकसी न चना नही और चजनहोन चना ह उनस पहल ही चक हो

गई चनन म तो सदा ही सदह रहगा चनाव कभी समगर नही हो सकता सोचोग तम इसको चन उसको

चन तलना करोग रह िीक दक वह िीक चहसाब लगाओग दकसक पास जरादा लाभ दकसक पास दकतनी

हाचन दकसक पास दकतना दाव पर लगाना पड़गा और दकसक पास ससत म काम चनपि जाएगा

तमन अधरातम को बाजार समिा ह जस कोई सामान खरीदता ह दक करा खरीद करा छोड़ द तलना

करता ह चवचार करता ह दाम क चहसाब लगाता ह मजबती दखता ह आदमी तो दो पस का घड़ा भी

खरीदता ह तो िोक-पीि कर खरीदता ह बजा लता ह दक फिा तो नही ह चछदर तो नही ह और रहा हजदगी

दाव पर लगान चल हो तो गचणत तो कहगा मन तो कहगा दक िोक-पीि लो िीक स जाच-परख कर लो

मगर तमहारी जाच-परख तमहारी ही जाच-परख होगी न रह तमस पार कस ल जाएगी तमह तमस ऊपर कस

उिाएगी तमह तमस मचि कस ददलाएगी मचि और करा ह ममकष का अिा जानत हो जो मचि क चलए

आकाकषी ह--ममकष--जो मोकष का आकाकषी ह जो परम सवततरता चाहता ह लदकन तमहारा चचतत ही तो तमहारा

कारागह ह तम इसी चचतत स चनन चल हो इसी चचतत न कारागह बनारा ह इसीस तम मचि का आकाश

खोलन चल हो--इनही सीकचो स इनही दीवालो स इनही दीवालो न तमह घरा ह बधन म डाला ह

नही तमहार भीतर स कोई मागा नही ह मागा तमह पकड़ ल तो कोई उपार ह इसचलए ममकष इतना ही

कर सकता ह--खला हो गराहक हो गरहणशील हो अगर कोई पकड़ कोई ऊजाा आए तो दवार-दरवाज बद न

कर ल बस इतना ही इसस जरादा कछ तमहार हाि म नही ह जस तम रहा मर पास बि हो चनगा तो म

तम मि नही चन सकत शरीराम सोचत हो दक व मि चन तो गलती म ह और तमन चना तो चक वही हो ही

गई पहल ही चक हो गई अब आग चक का चवचार मत करो भल तो हो ही गई और म रह कह रहा ह दक

तमन अगर िीक गर को भी चना तो भी गलती हो गई

मरी बात को खब खराल म ल लना म रह कह ही नही रहा ह दक तमन चना तो गलत गर को चन

चलरा तमन हो सकता ह भल-चक स िीक ही गर चन चलरा हो तम सरोगवशात कबीर नानक रा बदध रा

महावीर क पास पहच गए होओ और तमन िीक गर चन चलरा हो लदकन गर क िीक होन स कछ भी नही

165

होता तम ही गलत हो तमहार चनाव म गलती हो रही ह तमन अगर बदध क भी चरण पकड़ तो तमहार ही

दवारा पकड़ गए चरण बदध क नही रह जाएग तमहारी बचदध क ही रह जाएग तमन अपनी धारणा ही दख ली

होगी बदध म तमहारी दकसी धारणा को तचपत चमल गई होगी तमहार दकसी पकषपात को सहारा चमल गरा

होगा तम सोच कर आए ि दक बदधपरष ऐसा होना चाचहए और बदधपरष सरोगवशात वस ही चन चलरा

तमन चना कछ भी नही ह तमन अपन को ही चना ह तमन अपनी ही छारा दखी ह उसको चना ह करोदक

तमहारी अपनी ही अपकषा की परता हई अगर बदधपरष जरा भी चभनन होत तमहारी अपकषा और धारणा स तो

तम नही चन सकत ि--जरा भी चभनन होत छदर सी चभननता और तमहारा चनाव असभव हो जाता ह

अगर तमन मान रखा ह दक परम परजञा की चसिचत म वयचि नगन होगा और बदध नगन नही ह तो तम नही

चन पाओग तम चल जाओग तम कहोग अभी िोड़ी दर ह अभी उपलचबध परी नही हई वीतरागता परी

नही हई अभी राग कछ बाकी होगा अभी वसतर अिक रह गए ह अभी महावीर जस नही ह तम अगर जन-

धारणा क अनसार बदध क पास गए तो करिनाई हो जाएगी

अगर तम बौदध-धारणा क अनसार कषण क पास गए तो करिनाई हो जाएगी करोदक तम दखोग कषण

को तो लगगा रह सब राग ही राग ह वीतरागता कहा बदध न तो कहा हः चभकष सतरी को दख न अगर दखना

पड़ ही जाए तो छए न अगर छना ही पड़ जाए तो होश समहाल कर रख होश न चक जाए तो चजसन रह

वचन सना ह वह अगर कषण को दखगा रास करत गोचपरो क साि नाचत राधा क हाि म हाि डाल दरा-

भाव स भर जाएगा कषण क परचत दक बचारा रह तो खद ही भिका ह रह करो मि करगा रह कस मि

करगा रह दकसको मि करगा रह तो खद ही भिका ह तमह बड़ा दरा-भाव पदा होगा तमहार मन म बड़ी

करणा आएगी दक कोई रासता चमल तो म इसको समिाऊ दक भइरा जाग होश समहाल रह करा कर रहा ह

जन-शासतरो म कषण को नरक म डाल ददरा ह सातव नरक म डाल ददरा ह और अनतकाल क चलए डाल

ददरा ह जब रह सचषट समापत होगी और दसरी सचषट का परारभ होगा तब वह छिग वहा स िीक ही ह अगर

एक पतनी नरक ल जाती ह तो सोलह हजार पचतनरा कहा ल जाएगी िोड़ा सोचो तो अगर एक पतनी नरक का

दवार ह तो सोलह हजार और उनम सब कषण की पतनी िी भी नही--कोई दकसी और की पतनी कोई दकसी और

की पतनी चबलकल गर-काननी नाजारज और एक सखरा होती ह सोलह हजार

तमन अगर एक धारणा बना ली ह--और तमहारी सब की धारणाए ह उन धारणाओ को लकर ही तम

जात हो धारणा लकर गए तो तम जो चनोग तमन चना ह रह भाचत ह तमहारी तमहारी धारणा तपत हो गई

ह दकसी कारण स और अगर कल तमहारी धारणा िि गई तो तम चौकोग पछताओग दखी होओग दक रह

मन समर गवारा वयिा इस आदमी क पीछ चला इतन ददन अकारण खोए गवाए

और दफर छोड़न म भी अड़चन होगी करोदक इतन ददन का लगाव बन गरा इतन आशवासन ददए

शरदधा का इतना जोर मारा और अब छोड़ना पड़ तो पछतावा भी होगा दक कही छोड़न म कोई भल तो नही

हो रही ह इसचलए तम रह परशन भी पछ रह हो दक और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव

म बाजी हार गरा ह तो करा वह दसर गर क पास जा सकता ह तो दफर रह डर लगगा दक रह कही

चवशवासघात तो नही ह रह गददारी तो नही ह

कल मि एक पतर दखन को चमला

मर एक सनरासी ह जमान सनरासी चवमलकीरता व जमानी क समराि क नाती ह तम तो उनह चमलोग

तो पहचान भी न सकोग दक समराि का नाती जमान समराि का नाती करोदक व वदावन म बतान मलत ह

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अतरत सरल चचतत वयचि ह उनक काका न पतर चलखा ह उनह जमान समराि का चचतर भजा ह चचतर क पीछ

चलखा हः अर गददार शाही घर का होकर और चभखारररो की तरह जी रहा ह उनह गददारी ददखाई पड़ रही ह

दक शाही पररवार का वयचि जमान समराि का नाती और सनरासी धारणाए ह

तमन एक गर स सबध बना चलरा तो अब एक चचतत म बड़ी गलाचन पदा होगी दक छोड़ कस गलती भी

ददखाई पड़ गई एक ददन जररी नही ह दक चजस ददन तमह गलती ददखाई पड़ उस ददन तमह दफर िीक-िीक

अनभव हआ ह दक गर गलत ह चजस ददन तमन िीक समिा िा उस ददन तमहारी धारणा स मल खा रहा िा

चजस ददन तमन गलत समिा उस ददन तमहारी धारणा स मल नही खा रहा ह बस इतना ही जानना गर क

िीक और गलत होन का तमह कस पता चलगा कभी पता नही चलगा

इसचलए म कहता ह दक दसरी बात म भल समिन की बजाए पहली बात म ही भल पकड़ लोग तो िीक

ह चनना मत हा कोई गर चन ल तो चन जाना अगर कोई गर की ऊजाा तमह पकड़ ल और तमहार चारो

तरफ नाचन लग और तमहार हदर म समा जाए और तम आनदमगन हो उिो--दकसी धारणा की चसचदध क कारण

नही और दकसी अपकषा की परता क कारण नही--तमहारा हदर गवाही द द सारी धारणाओ क चवपरीत गवाही

द द दक अब बस चलो सब धारणाए छोड़नी पड़ सारा चचतत का जाल छोड़ना पड़ तो भी रह दाव पर लगाना

ह तब समिना दक तमहार जीवन म गर का पदापाण हआ और उस पदापाण क बाद कभी लौिना नही होता

असभव ह लौिना हदर स जो सबध बनता ह वही पार ल जानवाला ह वही मचिदाई ह

लदकन शरीराम तम सोच-समि कर--बराहमण आदमी हो शरीराम शमाा --गचणत चबिा रह हो चवचार

कर रह हो शासतर तमहार चचतत म बि होग गर ऐसा होना चाचहए गर वसा होना चाचहए र-र लकषण होन

चाचहए इतन लकषण हो तो चनना चाचहए

जरा अहकार की बात तो दखो तम चनोग तम हो कौन अगर तमह इतनी भी समि म आ गई ह दक

गर क लकषण पहचान लो तो तम सवर ही गर हो जाओग अब और बचा ही करा अगर तमह इतना होश आ

गरा ह दक तम होश वाल आदमी को पहचान लो तो जान की जररत ही करा ह इसी होश को बढ़ाए चल

जाओ अगर तमह इतना पता चल गरा ह दक कौन जागा हआ ह तो तम जाग ही गए अब और जागना करा

ह अगर तमन पहचान चलरा दक हा इस आदमी क पास आख ह रह अधा नही ह तो तमहार पास आखो का

सबत चमल गरा अब और करा चाचहए अब दकसी क पीछ करा चलना तमहार पास खद ही आख ह अब गर

की कोई जररत नही

म तमस रह कह रहा ह दक अगर तमहार पास इतनी समि हो दक तम चनणार कर सको दक कौन सदगर

ह और कौन चमरथरा तो तमह गर की जररत ही नही ह अगर तमह गर की जररत ह तो उसका अिा हआ दक

तमहारी बचदध स कोई उपार नही ह तम अपनी बचदध को सरका कर अलग कर दो तम तो गरओ क सतसग म

बिो मसत होकर खल कर सब दवार-दरवाज खल छोड़ कर तादक सरज आए तो आ सक भीतर और सबह का

मलर पवन आए तो आ सक भीतर और वषाा की बदाबादी हो तो िोड़ी बद तम तक भी पहच सक दक कोरल

गाए तो गीत तमहार भीतर परवश कर सक बस खल होकर बि जाओ और जहा पकड़ चलए जाओ जहा स

छिना मचशकल हो जाए जहा चबक की तरह खीच चलए जाओ--दफर करा करोग चनाव का सवाल ही नही ह

दफर करोग करा गर न चन चलरा और धनरभागी ह व जो गर को चनन दत ह खद नही चनत

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इधर मर पास भी दो ही तरह क लोग आत ह एक जो चनत ह जो चनत ह उनस मरा सबध पहल स

ही नही बन पाता व काफी होचशरार ह उनकी होचशरारी बाधा ह दसर व ह जो मि चनन दत ह उनस

मरा सबध ऐसा बनता ह जो कभी िि नही सकता चजसक ििन की कोई सभावना ही नही ह

हदर जड़ता ह तो ििता नही बचदध क जोड़ तो िोि ह ददखाई पड़त ह ऊपर-ऊपर ह कभी भी िि

सकत ह आज मन कछ कहा तमहार शासतर स मल खा गरा कल म कछ कहगा और तमहार शासतर स मल नही

खाएगा तो अड़चन हो जाएगी

म चसकखो क जप जी पर बोलता िा तो बहत चसकख सनन आन लग मगर व मि सनन नही आ रह

ि मिस उनका करा लना-दना व तो जप जी पर बोल रहा ह इसचलए आ रह ि जब तक जप जी पर

बोल रहा ह तब तक व ददखाई पड़ जब जप जी पर बोलना बद हो गरा व भी नदारद हो गए इनस मरा

करा सबध बनगा कस सबध बनगा

कबीर पर बोलता ह कबीरपिी आ जात ह अभी एक चमतर न कहा ह दक आपकी वाणी म मि सत

तारण तरण की धन सनाई पड़ती ह बड़ा आनद आता ह वह तारण क मानन वाल ह तो उनह तारण तरण की

धन सनाई पड़ रही ह तमम स तो बहतो न तारण तरण का नाम भी नही सना होगा तो धन कहा स सनाई

पड़गी तारण तरण की ईसाई को लगता ह दक म जो बोल रहा ह वह बाइचबल ह और मसलमान को लगता

ह दक म जो बोल रह ह वह करान ह और चसकख को लगता ह दक जो म बोल रहा ह वह गरगरि ह

मगर धरान रखना अगर तमह इसचलए मजा आ रहा ह दक तमह तारण तरण की धन सनाई पड़ रही ह

तो तमन मि तो सना ही नही तमहारा मजा तमहार मन का ही मजा ह मिस कछ लना-दना नही दकसी ददन

अगर ऐसा हो गरा दक कोई बात मन ऐसी कही जो तमहार तारण तरण स मल न खाई तो बस दोसती समापत

कटटी हो गई दोसती ििी िी दोसती नाममातर को िी मिस न िी तारण तरण स िी और चदक मरी बात म

तमह तारण तरण की बात सनाई पड़ी िी तम मर साि हो चलए ि मगर तम मर साि नही हए ि तम ि तो

तारण तरण क ही साि मिस तमहारा कभी नाता न बना िा

मि कब सनोग मि सीधा-साधा कब सनोग अपनी धारणाओ को हिा कर कब सनोग

तारण तरण क मानन वाल मि पतर चलखत रहत ह दक आप सत तारण तरण पर कब बोलग जब आप

बोलग तब हम सनन आना चाहत ह मिस कछ लना-दना नही जब तारण तरण पर बोलगा तब व सनन

आना चाहत ह

मनषर का अहकार ऐसा ह दक वह अपन अहकार की पचषट चाहता ह रह पचषट ह चसफा और कछ भी नही

तम मानना चाहत हो मिस सन कर दक तमहारी जो मानरता िी वह िीक िी तब मिस बड़ परसनन हो जात

हो दक हा रह आदमी िीक ह करोदक तमहार अहकार को इसन िोड़ा भोजन ददरा तमहारी मानरता को सही

कहा तमहार शासतर को समिान ददरा और अगर म तमहार शासतर क सबध म एक शबद भी कह दगा जो तमहार

मन को चछनन-चभनन करगा चखनन करगा बस तम दशमन हो गए उसी कषण दशमन हो गए

तमहारी धारणाओ स तम सबध न बना सकोग दकसी सदगर स करोदक कोई सदगर दकसी दसर सदगर

की परचतचलचप नही ह इस खब समि लो कोई सदगर दकसी दसर सदगर की परचतचलचप नही ह रदयचप सतर

एक ह लदकन उसक कहन क ढग अनक ह रदयचप सतर एक ह लदकन जब सतर अवतररत होता ह तो उसकी

अचभवयचि चभनन-चभनन होती ह

168

जस दकसी न सबह उगत हए सरज को दखा सदर सरज लाली फल गई परब पर पकषी गीत गान लग

वकष जाग गए सारा जगत आरती म ततपर हो गरा दकसी न एक गीत चलखा सबह क इस उगत सरज पर और

दकसी न चचतर बनारा और दकसी न अपनी वीणा छड़ दी इस मसती म इस मसती क सवागत म इन तीनो की

अचभवयचि चभनन-चभनन होगी वीणा का चछड़ना भी सबह क सरज क सवागत म हो रहा ह इसम भी सबह क

सरज की िोड़ी लाली ह इसम भी उगत सरज की िोड़ी छारा ह मगर वीणा वीणा ह इसम कोई रग तो नही

होग इसम राग होगा रग नही होग राग का अपना रग ह राग शबद का अिा भी रग होता ह खराल

रखना इसका भी अपना रग ह लदकन वह रग धवचन का ह वह कानो स पकड़ा जाएगा आखो स नही वह

बड़ा दसरा रग ह और चजसन चचतर बनारा तचलका उिा कर सबह का सरज का उगता हआ इसकी तचलका म

और वीणा म कोई सबध जड़गा इसक चचतर म और सगीत म कोई सबध जड़गा ऊपर-ऊपर कोई सबध नही

ह और दकसी न गीत चलखा और रह भी हो सकता ह दकसी न परो म घघर बाध और नाचा इनकी

अचभवयचि अलग-अलग ह सरज एक ही ऊगा िा और सबक हदर म सरज क उगन की एक ही अचाना जगी

िी एक ही परािाना जगी िी एक ही पजा का भाव उिा िा लदकन दफर भी पजा का भाव वयचि-वयचि म

चभनन हो गरा

ऐसा ही फका कबीर म ह नानक म ह जगजीवन म ह बदध म ह महावीर म ह कषण म ह मोहममद म

ह लाओतस म ह जरिसतर म ह--ऐसा ही फका लदकन तम जब दकसी एक धारणा को पकड़ कर बि जात हो

और उसी धारणा को लकर खोजन चनकलत हो तो तम मचशकल म पड़ोग अगर तमन कबीर की धारणा पकड़

ली दक गर हो तो कबीर जसा तो तमको दफर कभी गर नही चमल पाएगा करोदक कबीर दबारा नही होत

और अगर तमह कबीर जसा कभी कोई गर चमल जाए तो समि लना नकलची ह करोदक दबारा असली तो

होता ही नही चसफा नकली हो सकत ह पाखडी हो सकत ह

अगर तमहारी धारणाओ स मल खा रहा हो दकसी गर स परा-परा मल खा रहा हो तो एक बात पककी

ह दक गर पाखडी ह रह तम बहत चौकोग मरी बात सनकर तमहारी धारणाओ स मल खाता हो अगर परा-

परा तो समि लना दक गर पाखडी ह वह तमहारी धारणाओ स मल चबिान का ही आरोजन दकए बिा ह

इसचलए जन मचन की जन की धारणा स मल खा जाएगा और बौदध चभकष बौदध की धारणा स मल खा जाएगा

हहद सनरासी हहद की धारणा स मल खा जाएगा धारणा स ही मल खान का परा आरोजन ह सतर स कोई

सबध नही ह सरज उगा ह इसका इनह पता नही ह न इनहोन अपनी वीणा उिाई ह न इनहोन अपनी तचलका

उिाई ह न परो म घघर बाध ह न इनक कि म कोई गीत ह मगर र जानत ह दक शासतर म गर की पररभाषा

करा ह उसी पररभाषा क अनसार र अपन आचरण को चनरचमत कर रह ह वयवचसित कर रह ह

शासतर कहता ह इतनी बार भोजन एक बार भोजन तो र एक बार भोजन करत ह शासतर कहता ह दक

दो वसतर तो र दो वसतर रखत ह शासतर कहता ह सरज ढल चलना नही तो र चलत नही रात पानी मत पीना

तो पानी नही पीत बरहममहता म उि आना तो बरहममहता म उि आत ह शासतर न जो कहा ह उसकी कवारद

करत ह उसका ररहसाल करत ह उसका अभरास करत ह उसक अभरास स तमहारी धारणा स मल खा जाता

ह अनकल पड़ जात ह अगर तमहारी भी उसी शासतर की धारणा ह तो बस एकदम मल खा जात ह

इसचलए तम दचनरा म एक चमतकार दखोग दक एक सपरदार का गर दसर क सपरदार को चबलकल गर

जसा नही मालम होता मगर उस सपरदार क लोगो को चबलकल गर मालम होता ह परम गर मालम होता ह

दोनो की धारणाए एक जसी ह दोनो की धारणाए मल खा रही ह

169

अब रह जरा धोखा समिो

तमन भी वही शासतर पढ़ा ऐसा समिो एक अचभनतरी मि चमलन आई उसन कहा दक आपका करा

कहना ह भग-सचहता क सबध म मन उसस पछा दक ति परशन करो उि रहा ह तो उसन कहा दक म ददलली

गई और भग-सचहता मर चलए पढ़ी गई और जो-जो बात मर सबध म बताई गरी वह मन सब नोि कर ली

भरोसा तो मि नही आरा मर चपछल जनमो की बात मर भचवषर क जनम की भी बात और इस जनम की भी

बात और इस जनम क सबध म भी कछ बात कही जो सच और कछ बात जो अभी सच नही ह लदकन पढ़न

वाल न कहा दक आग सच हो जाएगी अभी जनम परा तो घि नही गरा दफर मन मदरास म भग-सचहता

पढ़वाई वहा भी िीक रही-का-रही दफर मन काशी म भग-सचहता पढ़वाई वहा भी िीक रही का रही अगर

धोखा होता तो एक जगह होता जब तीन जगह स बात चमल गई--और इन तीनो को एक-दसर का पता भी

नही ह--तो इसस चसदध होता ह दक कछ सचाई होनी चाचहए

अब इस मचहला को जरा भी समि नही ह दक भग-सचहताए एक-दसर की काचपरा ह उनम कोई भद

नही ह पढ़नवाल स कोई सबध ही नही ह चजस ढग स पनना खोला जाता ह वह ढग भी वही का वही ह

तमहारा नाम पछा तमहारा पता पछा तमहारी उमर पछी गचणत चबिारा--वह गचणत भी वही-का-वही ह--दफर

पनना खोला दक इकतीसवा पनना चनकलता ह तमहार चहसाब स इकतीसव पनन पर जो चलखा ह पढ़कर सना

ददरा तो दफर ददलली म पढ़वाओ दक मदरास म दक काशी म लदकन जब तीन दफा अलग-अलग लोगो न भी

वही लकषणाए बता दी और वही जनम कह तो भरोसा बढ़ा भरोसा गहरा हआ दक तीन तो गलत नही हो

सकत

शासतर तम पढ़त हो शासतर जो गर बनन को बिा ह वह भी पढ़ता ह उसी शासतर को दोनो एक ही शासतर

स धारणा लत ह तम चशषर बनना चाहत हो इसचलए इस ढग स पढ़त हो दक गर को कस पहचानग जो गर

बनना चाहता ह वह इस ढग स पढ़ता ह दक जो चशषर आएग व मि कस पहचानग दफर दोनो का तालमल

हो जाता ह और दोनो धोख म पड़ हो

सदगर की कोई पहचान दकसी शासतर म नही ह करोदक चजस सदगर की पहचान दी हई ह वह सदगर

एक बार हो चका और दोबारा नही होता परतरक सदगर बजोड़ ह अचदवतीर ह उस जसा वयचि दफर कभी

नही होता कहा कषण दोबारा कहा बदध दोबारा कस होग कोई उपार नही ह दोबारा होन का परमातमा

दोहराता नही परमातमा कोई ििा-फिा गरामोफोन ररकाडा नही ह दक बस दोहराए चल जा रह ह वही

दोहराए चल जा रह ह

परमातमा चनत-नतन सजाक ह सरषटा ह रोज नर गीत गाता ह रोज नई तान छड़ता ह रोज नरा छद

जो एक बार हो गरा हो गरा उसकी पनरचि नही होती परमातमा दफर दकसी नर रप म उतरता ह और

तब तम मचशकल म पड़ जात तब तम बड़ी अड़चन म पड़ जात हो तमहारी धारणा होती ह परान की जो

कभी हआ िा और तम नर सदगर स परानी धारणा का मल चबिाना चाहत हो वह मल नही बिता और

चजसस मल बिता ह वह पाखडी ह और जो सचचा ह उसस मल नही बिता र अड़चन ह ममकष की म तमह

साफ करना चाहता ह

मरी तरफ स एक बात समि लोः तम नही चन सकत तम जो चनोग परानी धारणा क आधार पर

चनोग अभी नर गर को पहचानन वाला शासतर तो चलखा नही--चलखा जाएगा जब गर जा चका होगा तब

लोग पहचानग लदकन तब पहचानन का कोई अिा न रह जाएगा जब महावीर हजदा होत ह तब तम

170

पहचानत हो राम क चहसाब स और गड़बड़ हो जाती ह करोदक महावीर राम नही ह तम दखत हो कहा

धनषबाण ह वहा कोई धनषबाण नही ह धनषबाण तो दर लगोिी भी नही ह तम पछोग धनषबाण कहा

ह महाराज सीताजी कहा ह वहा कोई नही ह--न कोई सीता जी ह न कोई धनषबाण ह तम चलए बि हो

परानी दक मरा मािा तो तभी िकगा जब धनषबाण हाि लोग तो तमहारा मािा िकना नही ह करोदक वह

महावीर धनषबाण हाि लग नही जचगा भी नही नग-धड़ग धनषबाण चलए बात कछ बनगी भी नही शोभा

भी नही आएगी

महावीर जा चक ग तब शासतर चनरमात होगा शासतर पीछ ही चनरमात हो सकता ह जब महावीर जी चलए

और अनक लोगो क हदर को पकड़ा उनहोन उनही क हदर पकड़ चजनम धारणाए नही िी खराल रखना जो

धारणा लकर आए ि उनको तो महावीर स कोई सबध बनगा नही कछ चनशछल हदर चनदोष हदर कछ

कवार हदर पकड़ गए कछ चहममतवर लोग जो चचतत को एक तरफ सरका कर रख ददए पकड़ गए लदकन कल

रही सार चहममतवर लोग महावीर क लकषणो क आधार पर शासतर चनरमात करग दक गर हो तो ऐसा हो बस

दफर अड़चन शर हो जाएगी

महावीर न बारह वषा मौन रखा तब उनह जञान उतपनन हआ महामचन ि बदध न छह वषा ही जगल म

तपिराा की और जञान को उपलबध हए अब चहसाब-दकताब लगान वाला कहगा दक अधर रह बारह वषा और

छह वषा--कचच ह अभी एक परचसदध जन चवचारक न दकताब चलखी चलखन क पहल मिस कहा दक मरा तो

समनवरवाद ह--गाधीवादी ि गाधी क अनरारी ि गाधी क आशरम म ही बड़ हए ि--तो मरा तो समनवरवाद

ह म महावीर और बदध पर एक दकताब चलख रहा ह दकताब चलखी मि भजी तो म दख कर चौका उसका

शीषाक ही दखकर चौका भगवान महावीर और महातमा बदध तो मन उनह पछा दक रा तो दोनो को भगवान

चलख दत रा दोनो को महातमा चलखत इतना सा भद करो दकरा और इसम भद करा ह भगवान और

महातमा म उनहोन कहा भद ह िोड़ा सा महावीर पररपणा पहच गए ह बदध अभी िोड़ पीछ ह रह समनवर

हो रहा ह रह बचनरा की बचदध बारह साल छह साल चहसाब लगा रहा ह दक महातमा ही हो पाए अभी

अभी भगवान नही हो पाए अभी एक जनम और होगा रासत पर ह पहच रह ह

और रह सोचत ह सजजन दक समनवरवादी ह और रह सोचत ह दक दोनो का इनहोन गणगान दकरा ह--

दकतनी उदारता ह इनक हदर म रह सोचत ह खाक उदारता ह रह उदारता ह रह कपणता की सीमा हो

गई रह बदध को भगवान न कह सक कस कह बदध को भगवान लकषण बना चलए ह उन लकषणो स ही दफर

चहसाब चलगा और वसा आदमी दबारा नही होगा पचचीस सौ साल हो गए महावीर को हए दफर कोई

महावीर तो हआ नही रदयचप बहत लोगो न नकल की ह बहत लोग नग रह ह बहत लोग महावीर जसा ही

भोजन दकए ह और महावीर जसा ही उपवास दकए ह मगर कोई मचहमा वसी तो परकि न हई वसा सौरभ

दफर तो न फिा वसा कमल दफर तो न चखल रह हो ही नही सकता र चजतन महावीर क पीछ पचचीस सौ

साल म लोग नगन हए रह चसफा आचरणगत िी इनकी नगनता आरोचजत िी अभरासजनर िी इसका

आचवभााव भीतर स नही हआ िा और हो नही सकता िा

जब कोई सदगर पदा होगा तब तमहारी धारणाए उसस मल नही खाएगी इसचलए जो चहममतवर ह

और धारणाओ को सरका कर रख सकत ह और सदगर जब जाल फ क तो भाग न जाए और उसक जाल म फसन

को राजी हो तम नही चनत सदगर जाल फकता ह जस मछचलरो को पकड़न को मछआ जाल फकता ह

171

जीसस न अपन एक चशषर को कहा वह मछचलरा मार रहा िा जीसस आकर खड़ हो गए सबह-सबह

उसन जाल फका िा मछचलरा फस गई िी और वह खीच रहा िा जीसस न उसक कध पर हाि रखा उसन

पीछ लौि कर दखा सबह की ताजी हवा और सबह क ताजी सरज म जीसस का आभामडल जीसस की व

िील स भी जरादा गहरी आख वह एकदम मोचहत को गरा उसन कहाः तम कौन हो कहा स हो कस

आकचसमक तमहारा आगमन हो गरा जीसस न कहाः र सब बात धीर-धीर ति समि म आएगी दक म कौन ह

कहा स ह कस अचानक मरा आगमन हो गरा एक बात तिस कहन आरा ह दक कब तक मछचलरा पकड़ता

रहगा आ म ति आदचमरो को पकड़न का रासता सिाऊ दक कब तक मछचलरा पकड़ता रहगा म ति ऐसा

जाल फकना चसखाऊ चजसम आदमी फस जात ह

चििका नही वह मछआ उसन फक ददरा जाल िील का िील म चल पड़ा जीसस क पीछ जीसस न

उसस पछाः ति भरोसा आ गरा मरी कही बात पर उसन कहाः आ ही गरा करोदक म खद ही फस गरा तो

जरर तम चसखा सकोग रह कला इसम कोई सदह नही म खद ही फस गरा

जब गर जाल फ क तब तम भाग मत जाना बस इतना ही अगर कर सको तो ममकष हो तम चन

जाओग तो धनरभागी हो और जब कोई गर चन तो तम िक जाना समरपात हो जाना

और तमस अचतम बात कह द इसकी तम हचता ही मत करो दक कौन गर िीक कौन गर गलत जो

तमहार हदर को आदोचलत कर द बस वही िीक एक गर दकसी क चलए िीक हो सकता ह दकसी क चलए

गलत हो सकता ह रह भी खराल रखना सभी औषचधरा सभी क काम नही भी पड़ती ह जो औषचध ह एक क

चलए दकसी क चलए जहर हो सकती ह इसचलए जो तमहार हदर को मि द जो तमहार हदर को जगा द

तमहारा हदर नाच उि चजसक पास चजसक साचननधर म वही िीक ह दफर दसर करा कहत ह इसकी दफकर

मत करना दफर तो चल पड़ना

और तमस एक बात कह दाः रह भी हो सकता ह रह भी सभावना मान लो दक कभी तम गलत स

परभाचवत हो गए--समिो दक वह सदगर िा ही नही सतर को पहचा ही नही िा रह भी एक सभावना मान

लो मोहक वयचितव भी हो सकता ह दकसी का परारा वयचितव हो सकता ह दकसी का चमतकाररक वयचितव

हो सकता ह दकसी का उसका कावय तमह छ ल उसकी वाणी तमह छ ल उसकी दह की तरग तमह छ ल

उसकी आखो की जरोचत तमह छ ल और हो सकता ह वह सभी सतर को उपलबध न हआ हो करोदक एडोलफ

चहिलर जस आदचमरो की आखो म भी एक बल होता ह आचखर लाखो लोग ऐस ही नही फस जात और

एडोलफ चहिलर कोई सदगर तो नही ह लाखो लोग ऐस ही मोचहत नही हो जात लाखो लोग ऐस ही मह

बाकर बि नही रह जात अकारण एडोलफ चहिलर की आखो म कछ सममोहन तो ह हदरो को पकड़ तो लता

इसचलए रह भी हो सकता ह कभी दक तम दकसी ऐस आदमी क चककर म आ जाओ जो अभी सवर भी

उपलबध न िा तो म तमस एक बात कहना चाहता ह दक अगर तमहारा समपाण परा हो तो तम ऐस आदमी क

पास भी मचि को उपलबध हो जाओग करोदक मचि चमलती ह समपाण की पणाता स दफर दोहरा द मचि

चमलती ह समपाण की पणाता स मचि दकसक परचत समपाण हआ इसस नही चमलती इसचलए कभी ऐसा हो

जाता ह दक पतिर की मरता क सामन अगर समपाण परा हो तो भी मचि चमल जाती ह

तमन एकलवय की किा तो पढ़ी ह न वह पतिर की मरता क सामन समपाण परा िा न तो गर ह न कोई

सदगर ह कछ भी नही ह पतिर की मरता ह खद ही गढ़ ली ह अपन ही हाि स बना ली ह मगर समपाण परा

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िा समपाण ऐसा समगर िा चजतना दक अजान का भी दरोण क परचत नही िा इसचलए अजान चपछड़ गरा

एकलवय स दरोण को भी हचता हो गई दरोण को भी डर पदा हो गरा दरोण को भी जाना पड़ा एकलवय क पास

हखचा हआ और जब दरोण न दखी उसकी कला तो चौक कर रह गए होग

दरोण खद कोई सदगर नही ह दरोण एक साधारण स राजसवक ह अचत साधारण कहना चाचहए सदगर

तो दर गर कहन की भी बात िीक नही ह करोदक गर म भी कछ होता ह जो दरोण म नही ह नही तो एकलवय

स अगिा न मागत एकलवय स अगिा मागा इसचलए मागा दक एकलवय की कला दख कर एक बात तो समि

म आगई दक उनक सार चशषर फीक पड़ गए न तो अजान न कणा न दरोधन कोई इस ऊचाई पर नही िा

और उनको हचता हई दक मर राजपतर मर चशषर अगर पीछ पड़ जाएग--मोह जगा --चजन पर मन इतनी

महनत की ह चजनक साि मरा अहकार जड़ा ह मरी मचहमा जड़ी ह अगर अजान ऐस पीछ पड़ जाएगा तो

मरी करा ददाशा होगी और रह वयचि आग चनकल गरा और इस मन इनकार कर ददरा िा दक शदर ह त

इसचलए ति चशषर की तरह सवीकार न करगा रह कोई गर होन क ढग ह दक शदर कह कर दकसी को

इनकार कर ददरा चजसन दकसी को शदर कह कर इनकार दकरा वह शदर ही होगा बराहमण कस होगा बराहमण

तो वह ह जो सब म बरहम को दख

और म कहता हाः एकलवय बराहमण ह दरोण न इनकार कर ददरा दरोण न धतकार ददरा दतकार ददरा

भगा ददरा हिा ददरा तो भी उसकी शरदधा ऐसी अपवा ह दक दफर भी इनही क परचत िका बराहमण ह और

उसका समपाण ऐसा परा ह दक पतिर की मरता क सामन खड़ होकर आस बहा कर फल चढ़ा कर परािाना कर

क धनरवादया सीख डाली धनरवादया का सबस पारगत वयचि हो गरा

दरोण को करिनाई हई रह तो हार हो जाएगी बहत दचनरा करा कहगी दक चजसको इनकार दकरा िा

शदर कह कर तमह इतनी भी समि न िी दक इसकी सभावना करा िी तम करा ख़ाक पारखी हो चजसको हिा

ददरा िा चजस पतिर को वयिा कह कर फक ददरा िा वही मददर की मरता बन गरा ह तम करा ख़ाक पारखी

हो और चजनक साि तमन हजदगी भर महनत की उनको पीछ छोड़ ददरा ह तो कहा उसस दक मि दचकषणा

तो द दो दखत हो रह कोई गर होन क लकषण ह चजसको दीकषा नही दी उसस दचकषणा माग रह ह बईमानी

की कोई सीमा भी होती ह

दरोण बईमान स बईमान गर ह

और दचकषणा भी करा मागी उस भोल चनदोष आदमी स उसन कहा हा म गरीब ह मर पास ह करा

जो आप माग जो मर पास हो म द द म अपन पराण द द उसस उसक दाए हाि का अगिा माग चलरा

करोदक चबना अगि क धनरवादया उसकी वयिा हो जाएगी चबना अगि क वह धनरवाद न रह जाएगा और उस

अदभत आदमी न अगिा काि कर द ददरा--एक कषण भी चििक न की ऐस वह और ऊचाइरो पर ऊचाइरा

पाता गरा

चजस कषण उसन अगिा काि कर ददरा ह समाचध फचलत हो गई होगी मचि अपन आप उतर आई होगी

रह समपाण सदह इस पर भी न उिारा इस धोखबाज आदमी पर भी न उिारा चजसन धतकारा िा और जो

आज दचकषणा मागन आ गरा ह उसी मह स िक को चािन म चजस जरा भी शमा और लजजा नही आई ह इस

आदमी को भी अगिा काि कर द ददरा जरा भी सदह न दकरा रह शरदधा ह रह समपाण ह इस समपाण म

धनरवादया गई हो तो गई हो लदकन आतम-चवदया आ गई होगी

173

शासतर कछ कहत नही लदकन म मानना चाहता ह जोड़ना चाहता ह शासतर म इतना दक धनरवादया तो

चली गई अगि क किन स लदकन आतमचवदया आ गई होगी एकलवय चनचित बराहमण हो गरा एकलवय

महाजञान को उपलबध हो गरा होगा ऐस समपाण क दवार स अगर महाजञान न आए तो दफर कस आएगा

तो म तमस रह अचतम बार कहना चाहता ह शरीराम शमाा दक अगर गलत क परचत भी समपाण परा हो

गरा तो तम हचता न करना समपाण परा चाचहए लदकन अहकार बहत अदभत ह अहकार ऐसा पछता हः

और रदद चशषर को कभी ऐसा महसस होन लग दक चनाव म बाजी हार गरा ह तो करा वह दसर गर क पास

जा सकता ह

इसको िोड़ा सोचो

चजस ददन तमको लग दक चनाव म बाजी हार गए हो उस ददन पहली बात तो रह लगनी चाचहए दक

मन चशषरतव का परा गणधमा दकरा नही वह सवाल ही नही उिता सवाल रह उिता ह दक अगर नही

उपलचबध हई तो गर गलत ह सवाल रह उिा ही नही तमहार मन म दक अगर उपलचबध नही हई तो मन वह

सब परा दकरा ह जो गर न कहा ह करा म रह कह सकता ह दक मन समगरभाव स समपाण दकरा ह शरदधा की

ह करा म कह सकता ह दक मन परा शरम लगा कर साधना की ह जो गर न कहा िा उस पर म परा-परा

चला ह सौ परचतशत अगर हा तम रह कह सको दक म सौ परचतशत चला ह जो गर न कहा िा और दफर भी

बाजी हार गरा ह तो चनचित गर बदल लना लदकन जो सौ परचतशत चलता ह उस बदलन की जररत नही

पड़ती करोदक सौ परचतशत चलन स मचि ह

तम मरी बात को िीक स समि लो

गर और न-गर का कोई बड़ा सवाल नही ह गर तो चनचमतत मातर ह चजसक सहार सौ परचतशत समपाण

हो जाता ह तम चनचमतत को जरादा मलर मत दो गर तमह सतर नही द सकता नही तो एक गर न सार जगत

को सतर स भर ददरा होता गर तमह कछ भी नही द सकता सतर ददरा-चलरा नही जाता गर तो एक चनचमतत

ह एक परकाशवान चनचमतत ह चजसक पास बि कर तमह पर समपाण की भाव-दशा बनान म आसानी होती ह

बस बहाना ह

तो पतिर की मरता स भी कभी हो सकता ह बदध को गए तो पचचीस सौ साल हो गए लदकन अगर तम

चाहो तो बदध की मरता पर परा समपाण करो तो वही कराचत घि जाएगी जो बदध क सामन घिी िी रह मत

सोचना दक बदध आएग और कछ करग कोई गर कछ भी नही करता ह गर की मौजदगी म चसपा तमह आसानी

होती ह समपाण करन की बस उसक परम म तम डब जात और समपाण कर पात समपाण हो जाए महाकराचत

हो गई

मगर तमहारा सवाल आदमी हमशा रही सोचता ह दक भल-चक होगी तो दसर की होगी रह अहकार

का गचणत ह अगर म अब तक नही पहचा ह तो गर गलत होना चाचहए अगर अब तक नही पहचा ह तो म

गलत ह रह सवाल ही तमहार सवाल म नही आता और रह तमहारी ही भल-चक नही ह रह सभी की भल-

चक ह आदमी उततरदाचरतव दसर पर िालना चाहता ह

और तमन दकरा करा और अगर नही हआ तो गर चजममवार ह तो गर चमरथरा हो गरा और तम अगर

ऐस ही दसर गर क पास जाओग तम दसर गर को भी चमरथरा करोग तीसर को भी चमरथरा करोग जनम-जनम

स तम ऐस ही तो चल रह हो शरीराम शमाा तम सोचत हो तमन अब तक गर नही चना ह दकतन गर चन

होग और हर बार तो हार गए तभी तो वापस आ गए हो नही तो अभी तक मि हो गए होत जो एक बार

174

जाग गरा दफर दबारा वापस नही आता और अनत-अनत जनमो म और अनत-अनत गर चन होग लदकन

हमशा रही भल की होगी जो तम दफर पछ रह हो रह तमहारी बचनरादी भल होगी जस सभी की रही

बचनरादी भल ह

कोई दोष अपन ऊपर नही दना चाहता आदमी हमशा दोष िालता ह और जो दोष िालता ह वह दोष

स कभी मि नही होता करोदक जो दोष सवीकार ही नही करता ह दक मरा ह वह मि कस होगा कोई

कहता ह भागर क कारण नही हो रहा ह कोई कहता ह कमा क कारण नही हो रहा ह कोई कहता ह चपछल

जनमो क कारण हो रहा ह कोई कहता ह भगवान न चलखा नही ह तकदीर म इसचलए नही हो रहा ह

दफर लोग चबलकल धारमाक नही होत वह भी इसी तरह की बात करत ह कमरचनसि कहत हाः आदमी

सखी नही ह करोदक समाज की वयवसिा गलत ह आदमी गलत नही ह समाज की वयवसिा गलत ह

अिावयवसिा गलत ह जस अिावयवसिा आकाश स आती ह कौन लाता ह अिावयवसिा को आदमी गलत नही

ह और आदमी परसनन होता ह इस बात को मान कर दक म गलत नही ह तम सदा इसी दफकर म रहत हो दक

दोष दकसी और पर पड़ जाए रह दोष को बचा लन का उपार ह

जब दकसी सदगर क पास बिो तो एक बात समरण रखना सदा अगर कछ न हो रहा हो तो सोचनाः म

कर रहा ह तीर अपनी तरफ लौिाना चवचार रह करना दक जो मि कहा गरा ह वह म कर रहा ह जसा

कहा गरा ह वसा कर रहा ह शत परी की जा रही ह साधना कर रह हो दक बस कनकनी-कनकनी बात कर

रह हो

मर पास लोग आ जात ह व कहत ह दक बस समपाण कर ददरा अब आप समहालो समपाण करा कर

ददरा उनहोन अगर उनक समपाण की परीकषा लनी हो तो पता चल जाए दक समपाण कछ नही दकरा बात कर

रह ह समपाण शबद सीख तो चलरा ह अगर उनस कह दक जाओ कद जाओ छत स तो व कदग नही छत पर

जान क पहल ही वह रह सोचग दक रह आदमी पागल ह रह कोई बात हई हम तो समपाण कर रह ह और रह

सजजन कह रह ह छत स कद जाओ रहा कोई जञान वगरह होन वाला नही ह छत स कदाकर और करा जान

लोग समपाण कहत ह लोग दक समपाण कर ददरा अब आप समहालो व रह कह रह ह दक अगर नही समहल

तो दफर खराल रखना चजममा आपका ह

आ जात ह दो-चार-छह महीन बाद दक छह महीना हो गरा ह सनरास चलए हए समपाण कर ददरा

समपाण करा दकरा ह कछ भी समपाण नही दकरा ह आ जात ह चार-छह-महीन बाद दक समपाण कर ददरा

ह अभी तक जञान नही हआ धरान नही हआ अभी आतम-जरोचत जग नही रही जस चजममा मरा ह अब

उनको सदह पदा हो रहा होगा दक रह िीक गर चमला दक गलत दक दकसक चककर म पड़ गए ह छह महीन हो

गए और अभी तक जञान नही हआ छह महीन तो म कह रहा ह लोग तो छह ददन का भी चहसाब रखत ह रहा

आ जात ह तीन ददन धरान कर लत ह कछ--ऐसा िोड़ा उछल-कद दकरा जरा गहरी शवास वगरह ली िोड़ा

नाच-गाए--तीन ददन बाद आ जात ह दक चशचवर क तीन ददन तो समापत हो गए सात ही ददन बच ह और अभी

तक समाचध नही लगी अभी तक चवचार आए ही चल जात ह तम सोचत हो तम कसी बचकानी बात कर रह

हो उमर बढ़ जाती ह बचपना नही जाता

तम दखत हो ददलली म बरासी साल की उमर क बचच और पसि साल की उमर क बचच और पचहततर साल

की उमर क बचच और लग ह एक-दसर को लगड़ी मारन म सब अपन-अपन लगोि कस कद ह अखाड़ म बरासी

175

साल क बचच ददलली म तम जसा बचकानापन दखोग कही और दखन को चमलगा मगर रही चचतत की दशा ह

लोगो की उमर तो बढ़ जाती ह शरीर की चचतत की उमर नही बढ़ती चचतत वही बचकाना बना रहता ह

कनकन पररास करोग तो कछ भी नही होगा बदधो क पास रह कर भी लोग जञान को उपलबध नही हए

ह आनद चालीस वषो तक बदध क पास रहा--चनकि चौबीस घि एक ददन साि नही छोड़ा उसी कमर म

सोरा चजसम बदध सोत ि उनकी सवा म रत रहा मगर भाव उसका वही िा दक हो जाएगा उनकी कपा स

और बदध उसस बार-बार कहत दक सतर दकसी की कपा स नही होता त कछ कर आनद अब कछ होश

समहाल वह कहताः आप ह तो मि करना करा आप ह तो सब ह रह भी अगर समगर हो तो इसस भी घिना

घि सकती ह मगर रह भी समगर नही रह भी कवल औपचाररक ह ऐसा कहत भर ह दक आप ह रह

चशषटाचार ह रह पणा नही ह रह बहाना ह बचान का अपन को दक आप तो ह आपक रहत सब हो जाएगा

रह कछ करना नही ह करन स बचना ह

बदध की चजस ददन मतर हई आनद रोन लगा रोना सवाभाचवक भी िा चालीस साल साि रहा और

अजञानी का अजञानी अधर का अधरा अमावस की अमावस परणामा हई नही तो बदध न कहाः त रोता करो ह

आनद उसन कहाः अब आप जात ह अब करा होगा बदध न कहाः मर रहत चालीस साल कछ नही हआ तो

तरा कछ खो नही रहा ह एक बात तो पककी ही ह दक तरा कछ नही खो रहा ह तरा कोई कछ चबगाड़ ही नही

सकता चालीस साल मर साि रहकर नही हआ तो अब तरा हजाा करा ह म रह दक न रह ति तो अधर म

रहना ह सो त अधर म रहगा

और बदध न कहा रह भी हो सकता ह दक त रह मि पर बहाना करक िाल रहा िा शारद मर न रहन

स हो जाए शारद जब म न रह तो दाचरतव दसर को सौपन की बात खतम हो गई दफर दाचरतव खद लना पड़

शारद कौन जान जररी ह दक म हि जाऊ तर चलए तो ति हो

और ऐसा ही हआ भी

चौबीस घि क भीतर आनद जञान को उपलबध हआ बदध की मतर का धकका भारी िा चवशलषण दकरा

होगा चालीस साल और मन र ही गवाए और बदध पकारत रह और म िालता रहा और म कहता रहाः आप

तो ह आपक रहत सब हो जाएगा और मन कछ दकरा नही और आनद क पीछ बहत लोग आए और जञान को

उपलबध होत चल गए आनद सबस बजगा चशषरो म एक िा बदध स उमर म िोड़ा बड़ा भी िा बदध का चचरा

भाई िा राजकल स िा सचशचकषत िा लदकन चकता गरा बदध क मरत ही जो बि गरा आख बद करक उसन

आख नही खोली दफर उसन कहा अब आख तो तभी खोलगा जब भीतर की आख खल जाए चौबीस घि म

घिना घि गई जो चालीस साल म न घिी िी चालीस साल कनकना-कनकना चलता रहा भाप बन पानी तो

कस बन सौ चडगरी पर उबलता ह

चौबीस घि न खारा न चपरा न सोरा अब रह मौका गवान का भी नही िा बदध छोड़ कर चल गए

और बदध क जीवन भर का उपदश कभी सना नही और बदध मरत वि भी कह गए दक आनद अपप दीपो

भव अपना दीरा बन अब तो अपना दीरा बन अब म जा रहा ह रह दीरा बिा चजसक सहार त सोचता

िा दक रोशनी हो जाएगी अब ति पता चलगा दक दसरो क दीरो स रोशनी नही होती अब ति अधर का

परा पता चलगा

अकसर ऐसा हो जाता ह दक तम गर क साि चलत हो ऐस जस दक अधरी रात म कोई लालिन चलए हए

एक आदमी तमहार साि होता ह उसकी लालिन की रोशनी तमहार रासत पर भी पड़न लगती ह तम शारद

176

भल ही जाओ दक अपन पास लालिन नही दफर एक जगह तो आएगी एक मोड़ तो आएगा एक चौराहा तो

आएगा जब रासत अलग-अलग हो जाएग मौत अलग-अलग कर दगी तो लालिन वाला आदमी जब अपन

रासत पर मड़न लगगा तब तमह पहली दफा पता चलगा दक भरकर अधकार ह और मर हाि म लालिन नही

ऐसी दशा आनद की हो गई बदध तो गए तो दीरा बि गरा भरकर अधकार हो गरा बदध की छारा म

बदध की शाचत म बदध की तरग म जी रहा िा एक रस बह रहा िा मगर वह रस तो बदध का िा सवर का न

िा आज पहली दफा समि म आरा दक म तो चबलकल ररि ह कोरा ह वयिा ह खाली ह घास-फस ह मरी

आतमा का कोई जनम नही हआ एक चोि पड़ी कषचतरर िा आनदः एक चोि पड़ी आख बद करक बिा सो बिा

उसन कहाः अब उिगा नही रा तो जागगा रा मरगा मगर उिगा नही सब दाव पर लगा ददरा रह समपाण

दफर चबना गर क हो गरा बदध तो जा चक ि और हो गरा तो म तमस रह कह रहा ह दक बदध क साि

रहत न हआ और बदध क जात ही हो गरा कराचत तमहार भीतर घिनी ह अगर दकसी एक गर क पास रहकर

तमह न घिी हो तो जलदी स गर बदलन क बजाए इसकी दफकर करना दक मन दकरा ह जो कहा गरा ह

हा अगर तमह लग दक तमन सब कर चलरा जो तम कर सकत ि और अब कोई और करन को तमहार

पास बचा नही ह जरर गर बदल लना करोदक गर िोड़ ही लकषर ह लकषर तो सतर ह मगर चजस गर क पास

भी हो उस परा मौका द दना रह कहन को न रह जाए दक तमन नही दकरा

बदध क साि ऐसी घिनाए घिी

बदध जब सतर की खोज करत ि बहत गरओ क पास गए आलार कालाम नाम क गर क पास वषो रह

जो उसन कहा दकरा उसन ऐसी बात कही जो कोई करन को राजी न हो लदकन बदध न व भी की उसन कहा

दक रोज भोजन कम करत जाओ कम करत जाओ जब एक चावल का दाना भोजन रह जाए दफर दो दाना

दफर तीन दाना एक-एक दफर एक-एक ददन बढ़ाना वह भी दकरा वषो भखो मर शरीर सख कर हडडी-हडडी

हो गरा इतन चनबाल हो गए दक नदी म सनान करन उतर ि--तो वह नदी कोई बहत भारी नदी नही ह मन

नदी जाकर दखी ह चछछली नदी ह चनरजना कोई बहत बड़ी नदी नही ह सखी-साखी-सी नदी ह--उसम

उतर ि सनान करन को लदकन उस नदी की धार भी इतनी िी कमजोर इतन हो गए ि--दक बहन लग चढ़ न

सक घाि पर इतन कमजोर हो गए ि दक िाड़ की जड़ पकड़ कर लिक रह हडडी-हडडी रह गए ि सारा मास

चवलीन हो गरा िा जो भी चजसन कहा परा दकरा

एक ददन आलार कालाम न दखा दक जो भी मन कहा परा दकरा आलार कालाम न कहा बस त कही

और जा त मि छोड़ म जो द सकता िा द ददरा जो मर पास िा ति बता ददरा इसस जरादा मर पास

नही ह इसस जरादा मर पास सीखन को अब और बचा नही चजतना मरा बोध िा उतना मन ति ददरा अब

त जा

त कही और खोज त कोई और गर खोज और अगर दकसी ददन ति सतर चमल जाए तो मि राद

रखना मि आकर खबर दना मि अभी चमला नही म खद ही खोज रहा ह

जब चशषर इतना समगर होता ह तो चमरथरा गर को भी बोध होगा चशषर की समगरता उसको तो

जगाएगी ही अगर चमरथरा गर क पास रहा तो चमरथरा गर को भी जगाएगी समगरता का ऐसा गण ह समगरता

म ऐसी जरोचत ह बदध न उस भी चौका ददरा उस भी तो पीड़ा होन लगी होगी दक रह बचारा इतना कषट पा

रहा ह जो म कहता ह करता ह और आए ि बहत लोग उनक साि एक सचवधा िी व करत ही नही ि

177

इसचलए कभी रह सवाल उिता ही नही िा इसन तो सब दकरा पीड़ा होन लगी होगी आलार कालाम को भी

कािा चभन लगा होगा दक रह म करा कर रहा ह दरा आन लगी होगी इस वयचि क चनदोष समपाण पर

परीचत उगमन लगी होगी खद भी जागा होगा दक म रह करा कर रहा ह करा करवा रहा ह मि कछ पता नही

ह मन खद शासतरो स पढ़ चलरा ह और मन शासतरो स जो पढ़ चलरा ह वही करवा रहा ह मरा सवर का

अनभव नही ह तो कषमा मागी

अगर चशषर सपणा हो तो शारद गर गलत हो तो कषमा माग शारद उसका बोध आए

तो तम जागो अपनी परी चषटा करो जगान की हा अगर तमह लग दक नही मर सब करन स कछ नही

हआ तो जरर गर को बदल लना करोदक गर को पकड़ रखना कोई जीवन का लकषर नही ह जीवन का लकषर

तो परमातमा को पाना ह गरदवार बन तो िीक दीवाल बन जाए तो रकन की कोई जररत नही ह

और रह भी मत सोचना दक तमन गददारी की गददारी का भाव भी तभी उिता ह जब तमन गर का कहा

कछ दकरा न हो और छोड़ कर जाओ अगर उसका कहा सब दकरा तो गददारी का भाव उिगा ही नही करा

करोग शारद हमारा तालमल नही बिता और तब भी मन म रह मत सोचना दक गर गलत ह इतना ही

जानना दक हमारा तालमल नही बिा उसकी चवचध मर काम नही पड़ी इसस जरादा सोचना मत इसस

जरादा सोचन की कोई जररत नही ह कौन जान वह िीक हो कौन जान वह गलत हो रह वह जान तमह

करा लना-दना ह नही तो अहकार इस तरह क चनणार लन लगता ह और अहकार स मि होना ह समपाण का

अिा ह अहकार स मचि

हदर कही डोलन लग कही हदर बचदध क चवपरीत जान लग जान दना

छड़ा िा चजस पहल-पहल तरी नजर न

अब तक ह वो इक नगमा-ए-बसाज-ओ-सदा-राद

और जो पहली दफा हदर को छड़ा जाता ह वह दफर कभी भलता नही अगर तम हदर को छड़न दो

छड़ा िा चजस पहल-पहल तरी नजर न

अब तक ह वो इक नगमा-ए-बसाज-ओ-सदा राद

चबना साज का चबना वीणा क सगीत उि जाता ह चबना वाणी क कोई सवर भीतर पहच जाता ह वह

दफर कभी भलता नही वह मील का पतिर हो जाता ह

करा जाचनए करा हो गरा अरबाब-जन को

मरन की अदा राद न जीन की अदा राद

दकसी क पास बि कर ऐसा हो जाए दक न जीन की सध रह न मरन की सध रह तो दफर सकोच मत

करना दफर गचणत मत चबिाना दफर सरक जाना चपचाप उस जाल म करोदक वही जाल तमह मचि क मागा

पर ल जाएगा

वो कौन ह दक जो सर-मचजल पहच सका

धदल स कछ चनशान नजर आक रह गए

चमिन की तरारी चाचहए पहचत-पहचत तम चमि जाओग धदल स चनशान नजर आक रह गए बस

कछ धदल स चनशान जस-जस चलन लगोग वस-वस चमिन लगोग पहचन का मतलब ही ह वह घड़ी जब

पर चमि गए धआ चबखर गरा बस अहकार धआ ह और कछ भी नही और जहा धआ चबखर गरा वही जरोचत

जलती ह चनधाम

178

कछ दाग-ददल स िी मि उमीद इशक म

सो रफता-रफता वो भी चचराग-सहर हआ

धीर-धीर ददल भी ददल क घाव भी ददल की पीड़ा भी बि जाती ह जस सबह का दीरा सबह होत-

होत बि जाता ह

सो रफता-रफता वो भी चचराग-सहर हआ

एक ददन ददल भी बि जाता ह सब बि जाता ह और जब तमहारा सब बि जाता ह तब परमातमा का

अवतरण होता ह शरआत होती ह बचदध क बिन स और अत होता ह हदर क बिन पर और इसचलए तो

उसकी तसवीर कोई नही खीच पाता जो पहच गरा वह भी उसकी तसवीर नही खीच पाता

असाा-ए-हसर कहा र ददल-बरबाद कहा

वो भी छोिा-सा ह िकड़ा इसी वीरान का

उसकी तसवीर दकसी तरह नही हखच सकती

शमअ क साि तअललक ह जो परवान का

अब शमा अगर परवान को पकार शमा ददखाई पड़ जाए परवान को तो परवाना चला उड़ा ऐसा एक

तअललक ह ऐसी ही घिना घिती ह गर और चशषर क बीच गर ह शमा चशषर हो जाता ह परवाना हखच

चलता मगर धरान रखना परवान का जाना शमा की तरफ अपनी मौत की तरफ जाना ह परवाना तो जलगा

शमा म राख हो जाएगा राख होकर ही शमा हो पाएगा इसीचलए अगर कोई परवान स कह दक शमा की

तसवीर बना दो तो न बना पाएगा करोदक शमा को जान ही तब पाता ह जब चमि जाता ह जब सवर नही

रहता तब शमा को जान पाता ह और जब तक सवर रहता ह तब तक शमा को न दखा ह न जाना ह दखत ही

तो दीवानगी आ जाती ह

इसचलए सदगर की भी कोई तसवीर नही खीच पाता ह ऊपर-ऊपर क लकषण चलख जात ह भीतर की

तसवीर नही हखचती और न कोई परमातमा की तसवीर कभी खीच पाता ह बाहर-बाहर की बात होती ह

जानन वाल मचशकल म पड़ जात हाः करा कह कस कह जगजीवन कहत ह न बार-बार दक कछ कहत नही

बनता कछ बतात नही बनता जान तो चलरा जनात नही बनता

शासतरो म तो सब ऊपर क लकषण ददए ह ऊपर क लकषणो स मत चलना नही तो तम बचदध क घर म ही

आबदध रहोग और बचदध बधन ह बचदध जजीर ह तोड़ो इस जजीर को नाचन दो हदर को गान दो हदर को--

मि भाव स जरर सदगर चमल जाएगा सदगर सदा मौजद ह परासा कोई हो सरोवर सदा मौजद ह

लदकन सरोवर परास क पास नही जात शमा परवान क पास नही जाती परवान को शमा क पास आना

पड़ता ह रदयचप जब परवाना शमा की तरफ आता ह तो शमा क खीचन क कारण ही आता ह

दसरा परशनः तर दवार खड़ी भगवान

ओशो भर द र िोली

कसम िोली भरी ह िोली खाली नही आख खोलो और दखो िोली भरी नही जानी ह िोली तम

भरी ही लकर आए हो िोली सदा स भरी ह सपदाओ की सपदा तमहार भीतर ह सामराजरो का सामराजर

179

तमहार हदर म चछपा ह सब जो तमह चाचहए तमह ददरा ही हआ ह तमह चमला ही हआ ह रतती भर भी

जोड़ना नही ह न कछ जोड़ना ह न कछ घिाना ह चसपा जागना ह और जागत ही कराचत घि जाती ह

तो कसम रह तो मत पछ दक िोली भर तरी अगर कोई िोली भर सकगा तरी तो कोई दफर खाली भी

कर सकता ह दफर तो बड़ी मचशकल हो जाएगी म तो चसफा जगा सकता ह और जागत ही ति ददखाई पड़गा

दक तरी िोली सदा स भरी ह कभी खाली िी ही नही करोदक परमातमा स कषण भर को हमारा सबध नही

ििता ह हम भल जाए उस वह हम नही भला ह हम पीि कर ल उसकी तरफ लदकन उसन हमारी तरफ मह

रखा ह हम चवमख हो जाए वह हमार सदा सनमख ह नही तो हम चजएग कस वही तो डालता ह शवास वही

तो पराण का तार खीचता ह वही तो धड़कता ह हदर म वही तो डालता ह शवास वही तो हमारा जीवन ह

परमातमा हमार जीवन स चभनन तो कोई नही ह चभनन तो कछ नही

लदकन इस जानन क चलए जागन क चलए कछ परदकररा समिनी होगी

ससार म जो भी पाना हो दौड़न स चमलता ह और अतताम म जो भी पाना हो वह रकन स चमलता ह

ससार म कछ पाना हो चवचार करन स चमलता ह भीतर कछ पाना हो चनरवाचार होन स चमलता ह करोदक

भीतर पाना नही ह पारा ही हआ ह चवचारो क कारण पता नही चलता ह--चवचारो की भीड़ म शोरगल म

खो जाता ह चनरवाचार होत ही ततकषण चदकत होकर पारा जाता ह दक हम दकसको खोजत ि करो खोजत ि

हम कहा-कहा भिक और चजस हम खोजत ि वह खोजन वाल म चछपा बिा ह

राह रह पराई ह

भिक इन कदमो क साि-साि मर

रह बावरी

अधर म साि चली आई ह

भख र पाव रह

परास र पाव रह

जान दकस ओर तक

कहा स र पाव रह

और रक पाव नही

और चमला गाव नही

पावो क आस ि

चमटटी का आचल िा

सनहभरी गोद राह की--

दकतना सबल िा

सबह मह-अधर स

रात मह-अधर तक

रक कही पाव नही

180

और चमला गाव नही

पावो क साि चसपा राह भिक आई ह

ददन भर की भाचत और कलाचत की कमाई ह

राह रह पराई ह

चजन रासतो पर भी तम चल रह हो सब पराए ह सब दर ल जानवाल ह सब खोज तमह अपन स दर ल

जा रही ह

रक कही पाव नही

और चमला गाव नही

रको तो गाव अभी चमल इसी कषण चमल गाव तमहार भीतर बसा ह माचलक भीतर बिा ह

मत मिस मागो मागन म ही भल हो जाती ह म तमह कछ द नही सकता लदकन जाग कर मन पारा

ह दक पान को कछ ह ही नही रही सकत तमह दता ह जागो और पा लो

भख र पाव रह

परास र पाव रह

जान दकस ओर तक

कहा स र पाव रह

और रक पाव नही

और चमला गाव नही

गाव चमल सकता ह--अभी इसी कषण कसम पाव रकन चाचहए चवचार क पाव वासना क पाव--पाव

रकन चाचहए सब तरह क पाव रकन चाचहए रही धरान ह बि जाना चप मौन बि जाना शात चनरवाचार

डब जाना अतर म भल जाना बाहर को और दकसी ददन दकसी शभ घड़ी म खजाना खल जाता ह दकसी शभ

घड़ी म दकसी शभ महता म राजाओ का राजा भीतर ही उपलबध हो जाता ह और तब फल ही फल ह तब

जीवन सगध ही सगध ह

फल कदब

िहनी-िहनी म कदक सम िल कदब

फल कदब

सावन बीता

बादल का कोष नही रीता

जान कबस वो बरस रहा

ललचाई आखो स नाहक

जान कब स त तरस रहा

मन कहता ह छ ल कदब

फल कदब

िल कदब

दफर फल ही फल ह दफर जीवन सवास ही सवास ह नही कही जाना ह नही कछ पाना ह बस अपन

म आना ह रह सतर आख खोल कर नही दखा जाता रह सतर आख बद करक दखा जाता ह कछए की तरह

181

चसकड़ रहो सारी इददररो को चशचिल छोड़ दो दवार-दरवाज सब बद कर दो बाहर को भल-भाल जाओ न

अतीत रह जाए न भचवषर--बस रही कषण और इस कषण म डबकी लगा लो और अतल गहराई ह

फल कदब

िहनी-िहनी म कदक सम िल कदब

फल कदब

खल जाती ह पखड़ी भीतर जात ही खल जाती ह

वषाा म अनावत धल पात

फीक ि कल आज खल पात

धप क जाद म चखल पात

मसतानी हवा म चहल पात

जादई साच म ढल पात

भल गए दाह-ददन भल पात

वषाा म अनावत धल पात

फीक ि कल आज खल पात

बस खलन की बात ह रको तो खलो पखड़ी खल जाए सवणा-कमल तमहार भीतर ह तम हो सवणा-

कमल मागो मत जागो

तीसरा परशनः कषण का नाम ही सना ह चशव को जाना भी नही ककत कडचलनी धरान म ऐसा करो लगा

दक रही चशव का नतर हो रहा ह और रही की मधर आवाज कषण की बासरी की आवाज ह चबना पहचान क

ऐसा आभास करो हआ

पननालाल पाडर सभी नतर कषण का नतर ह सभी धन कषण की धन ह कषण तो परतीक ह नतर असली

बात ह नाच तमहार भीतर चखलन लगगा तो सनी हई बात कषण क नतर की अचानक सािाक हो जाएगी

अचानक उसका अिा तमहार अनभव म आ जाएगा गीत तमहार भीतर खलन लगगा तो अचानक तमन सना ह

कषण की बासरी की िर--उसकी बात ही सनी ह--मगर जब तमहार भीतर िर खलन लगगी और तमहार भीतर

पकार आन लगगी तो तमह वही परतीक राद आ जाएगा जो सना ह सवाभाचवक

ऐसा दकसी ईसाई को नही होगा ऐसा दकसी जन को भी नही होगा जन भी कडचलनी कर रह ह उनको

कषण की िर नही सनाई पड़गी उनको चशव का नतर नही ददखाई पड़गा वह परतीक उनक भीतर नही ह नतर

तो उनक भीतर भी होगा सवर उनक भीतर भी जागगा मगर उस सवर को परकि करन वाला परतीक उनक पास

नही ह तमन सना ह तमहार पास परतीक ह इसचलए परतीक एकदम जीवत हो उिा इसस चौको मत इसस

कषण का कछ लना-दना नही ह तमहार मन म तमहारी समचत म एक ससकार ह अनभव हआ अनभव न

ससकार सजग कर ददरा

182

लदकन शभ हआ सब परतीक परार ह मगर परतीक तभी रार ह जब उनका अिा तमहार भीतर फल घर म

बि हो कषण की मरता लगाए दक तसवीर लिकाए इसस कछ भी न होगा तमहार भीतर नाच उि तो कछ

हआ घर म बि हो महावीर की परचतमा चबिाए इसस कछ भी न होगा जब तमहार भीतर सब चसिर हो

जाएगा महावीर जसा चनसतरग अब जस तमह रह हआ ऐस ही चवपससना धरान म दकसी जन को अचानक

महावीर की राद आ जाएगी उनकी परचतमा आ जाएगी हहद क पास वसा परतीक नही ह

सब धमो न परतीक चन चलए ह

और म तमह रहा चजस वातावरण म परवश द रहा ह रह सार धमो का वातावरण ह रह दकसी एक

सपरदार का मददर नही ह इस मददर क सब दवार खल ह एक तरफ स रह मचसजद ह एक तरफ स रह मददर ह

एक तरफ स चगरजा ह एक तरफ स गरदवारा ह एक तरफ स चतरालर ह इन सब दवारो स मददर म परवश

सभव ह रहा जब कोई मसत हो जाएगा अगर उसक पास कषण का परतीक ह तो अचानक उस समि म

आएगी पहली दफा बात कषण क रास की और अगर दकसी न मीरा को परम दकरा ह तो नाचत म उस मीरा की

राद आ जाएगी मीरा क भजन गज उि ग दकसी न चतनर को परम दकरा ह अचानक उस लगगा दक चतनरमर

हो गरा दकसी न महावीर को चाहा ह महावीर की परपरा म पदा हआ ह महावीर का परारा परतीक उसक

मन म बिा ह मौन जब सधगा सब चसिर जब होगा तब उस लगगा दक आज जाना बहत गरा जन मददरो म

बहत की पजा बहत चढ़ाए चावल बहत िका लदकन आज दशान हए आज अपन भीतर दशान हए

रहा तो अलग-अलग धमो क लोग ह शारद परथवी पर ऐसी कोई और दसरी जगह नही ह जहा सार

धमो क लोग हो रहा ईसाई ह पारसी ह रहदी ह मसलमान ह--रहा सारी जाचतरो क लोग ह सार दशो क

लोग ह सार परतीको को ल आए ह रह बड़ी समदध जगह ह सातो रग रहा ह रह परा इदरधनष ह और म

चाहता रह ह दक तम धीर-धीर सभी परतीको म लीन होन लगो कषण का ही परतीक करो रह महावीर का

परतीक भी जड़ जाए बदध का परतीक भी जड़ जाए करोदक धरान की अलग-अलग चसिचतरो म सार परतीको क

अिा ह धरान म मसती भी आती ह बासरी भी बजती ह मौन भी छा जाता ह शनर भी परगि होता ह धरान

क बड़ चढ़ाव ह बड़ पड़ाव ह अलग-अलग अिा अलग-अलग पड़ावो पर खलत ह धमो न एक-एक पड़ाव को

पकड़ चलरा ह म तमह परी रातरा दता ह इस रातरा म सब पड़ाव आत ह सब तीिा आत ह इस रातरा म काशी

आती ह और काबा आता ह और कलाश आता ह और चगरनार भी और जरसलम हम एक चवशवरातरा पर

चनकल ह

तो तम अपन ही परतीको म बध मत रह जाना तम धीर-धीर अपन मन को खोलो और परतीको को भी

अपन चनकि आन दो तम औरो क परतीक भी सीखो और समिो करोदक चजतन परतीक तम जानोग उतनी ही

तमहारी भाषा समदध होगी तमहारा भाव समिन म आसानी होगी

अचछा हआ पहली बार चोि पड़ी

अबक इस मौसम म

कोरल आज बोली ह

पहली बार

िसो को उमग कई ददन हो गए

िस को सलग कई ददन हो गए

अलसी को फल कई ददन हो गए

183

बौरो को महक कई ददन हो गए

िपिी पचछरा

दरक गए कलो क पात

लत ही करवि

तजाब की फहार

चछड़कन लगा सरज

मह बा ददरा कचलरो न

दखती रह गई चनिराई क खल

चपचाप कलमही

भर गरा जी

जोरो स कक पड़ी

अब क इस मौसम म

कोरल आज ककी ह

पहली बार

अचछा हआ तमहार भीतर कोरल पहली दफा बोली ह तम धनरभागी हो अब इस सन जाना रह तो

गीत की शरआत ह अत नही रह तो पहला कदम ह अभी बहत होन को ह इस पर ही अिक मत जाना जस

कषण आए और चशव आए ऐस ही आन दो बदधो को भी महावीरो को भी कराइसि को लाओतस को जरिसतर

को भी आन दो सबको सब को भरन दो अपना-अपना रग तमहार पराणो म सब को अवसर दो सब तमहार ह

तम सबक हो और जस-जस र परतीक आतमसात होत जाएग वस-वस दचषट बदलगी--और सचषट बदलगी

पीपल क पततो पर दफसल रही चादनी

नाचलरो क भीग हए पि पर पास ही

जम रही घल रही चपघल रही चादनी

चपछवाड़ बोतल क िकड़ो पर--

चमक रही दमक रही मचल रही चादनी

दर उधर बजी पर उछल रही चादनी

आगन म दबो पर चगर पड़ी--

अब मगर दकस कदर सभल रही चादनी

वो दखो सामन--

पीपल क पततो पर दफसल रही चादनी

एक बार भीतर जगन लग रोशनी सब तरफ दफसलन लगगी पीपल क पततो पर पततो-पततो पर सारा

जगत एक अपवा सौदरा स भर जाता ह जब तमहार हदर म सगीत का जनम होता ह सब तरफ परािाना उिन

लगती ह भजन पदा होन लगता ह भजन वह नही ह जो तम आरोजन स करत हो भजन वह ह जो चबना

184

दकसी आरोजन क अचानक तमह पकड़ लता ह मि जाता ह जस ििावात पकड़ ल जस आए एक तफान

आए एक आधी और तमह पकड़ ल और तम उड़ चलो और तमह पख द द

लोचन अजन मानस रजन

पावस तमह परणाम

तापतपत वसधा दख भजन

पावस तमह परणाम

ऋतओ क परचतपालक ऋतवर

पावस तमह परणाम

अतल अचमत अकररत बीजधर

पावस तमह परणाम

नह-छोह की गीली मरत

पावस तमह परणाम

अग-जग फली नीली सरत

पावस तमह परणाम

दफर वषाा आए तो परणाम सदी आए तो परणाम धप उग तो परणाम दफर नमन तमहारा सवभाव हो जाता

ह करोदक परमातमा सब तरफ मौजद ह इधर दखो कषण नाच रह ह रह जो नाचन लगा मोर और कौन ह

राद करो व मोरपख जो कषण क मकि पर बध ह इधर नाचा मोर कषण नाच इधर दखो रह पीपल का

दरखत चपचाप खड़ा सननाि म पतता भी चहलता नही--बदध खड़ ह तमहारी आख जरा खलन लग तो रह सारी

परकचत धीर-धीर परमातमा म रपातररत होन लगती ह और जहा उिाओ कदम वही पचवतर भचम ह चजस

तरफ रखो आख वही परमातमा क दशान ह दफर िकता मन दफर परणाम दफर अचभनदन पल-पल शवास-

शवास हदर की धड़कन-धड़कन म नमन ऐसी भावदशा को ही म भचि कहता ह ऐसी भावदशा बढ़त-बढ़त

एक ददन भगवतता बन जाती ह

इसस कम पर राजी नही होना ह भचि को भगवतता तक ल चलना ह भचि क बीज को भगवतता का

फल बनाना ह

और तम समिा हो परतरक समिा ह और तमहारा रह सवरपचसदध अचधकार ह अगर तम चको तो

तमहार चसवार और कोई चजममवार नही चको तो तमहारी ही भल ह पा लो तो कछ चवशष तमन पारा नही

जो सहज ही चमलना िा वही चमल गरा ह

परमातमा को चकना बड़ी चवशष कला ह परमातमा को पाना इतनी चवशष कला नही परमातमा को

पाना सहज बात ह करोदक हमारा सवभाव ह परमातमा को तम चक रह हो रही चमतकार ह रह चबलकल

अचवशवसनीर ह दक कस तम चक चल जात हो सब तरफ जो भरा ह सब तरफ स जो आ रहा ह सब तरफ स

तमह घर ह बाहर और भीतर जो उमगा पड़ रहा ह उसस तम कस चक जा रह हो मगर हो जाता ह ऐसा

सागर म मछली हो तो पता नही चलता उस सागर का ऐस ही हम परमातमा म और हम परमातमा का पता

नही चलता ह

सतसग म पहली बार तमह धीर-धीर रस की बद-बद पड़नी शर होगी बदाबादी होगी दफर तो

मसलाधार होन लगती ह वषाा तम जस-जस तरार होन लगत हो चजतन को लन की तमहारी तरारी होन

185

लगती ह उतना जरादा-जरादा परमातमा तम म बहन लगता ह तमहारी पातरता तमहार पातर क अनकल सदा

तमम भरन को परमातमा राजी ह

रह पहली कक पड़ी रह तमह कषण का िोड़ा-सा आभास हआ चशव का िोड़ा सा आभास हआ रही

रक मत जाना बढ़न दो फलन दो पर आकाश को घर लना ह सार धमा तमहार ह सब करान सब बाइचबल

सब वद तमहार ह और अगर तम राजी हो चहममतवर हो और छाती तमहारी बड़ी ह तो एक ददन तम वद को

जगता दखोग एक ददन करान को उित दखोग अगर वद ही जागा तो आदमी गरीब रह गरा करोदक कछ ह

जो वद म ह और कछ ह सौदरा जो करान म ह चजसक भीतर दोनो जग वह धनरभागी और चजसक भीतर

धममपद भी उिा और महावीर की वाणी भी गजी उसका तो कहना करा

मनषर को हम घोषणा दनी ह दक सारी मनषरता का परा अतीत परा इचतहास हमारी वसीरत ह

सकीणा न होना कषण को ही पकड़ कर मत रह जाना अनरिा नाच तो जान लोग लदकन महावीर की शाचत स

वचचत हो जाओग महावीर को ही पकड़ कर मत रह जाना अनरिा शाचत तो जान लोग लदकन तमहार पर म

घघर न बधग बासरी न बजगी सब सदर ह दकसी कषण म मौन और दकसी कषण म मखर गीत--सब सदर ह

सवािगीण का सवीकार सवा का सवीकार धारमाक वयचि का लकषण ह धारमाक वयचि सापरदाचरक नही होता नही

हो सकता ह

आज इतना ही

186

अरी म तो नाम क रग छकी

नौवा परवचन

रचह नगरी म होरी खलौ री

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

जगजीवन चवनती करर माग कबह नही चबसरावह र

रचह नगरी म होरी खलौ री

हमरी चपरा त भि करावौ तमहर सग चमचल दौरौ री

नाचौ नाच खोचल परदा म अनत न पीव हसौ री

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

कतह न वहौ रहौ चरनन दढग मन दढ होए कसौ री

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

सदा सोहाग भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी

औगन बहत नाहह गन एकौ कस गहौ दढ़ डोरी

कहह का दोष म दउ सखी री सब आपनी खोरी

म तो समारग चला चहत हौ म त चवष मा घोरी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपर त चमलौ करर जोरी

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

रहौ सीस द सदा चरनतर होउ ताचहकी चरी

जगजीवन सत-सज सचत रचह और बात सब िोरी

सहर तक शमए-महदफल मन जल बिन की िानी ह

हम र दखना ह खाक हो जात ह हम कब तक

परमातमा की जो खोज पर चनकल ह उनह खाक हो जान की तरारी रखनी होती ह चमिो तो ही उस पा

सकोग जरा स भी बच गए तो उतना ही फासला शष रह जाता ह तमहारा चमिना ही उसका होना ह

तमहारा चमिना ही उसस चमलना ह इसचलए चजस रह बात साफ नही ह वह जनमो-जनमो तक भिकता रह

खोजता रह पाएगा नही

सहर तक शमए-महदफल मन जल बिन की िानी ह

187

हम र दखना ह खाक हो जात ह हम कब तक

चमिन की तरारी ही उसकी एकमातर साधना ह म चवदा हो जाए समगररपण चवदा हो जाए तो दवार

खल जाता ह म क अचतररि और कोई ताला नही ह उसक दवार पर तम ही बाधा हो

लोग सोचत ह कोई और बाधा ह लोग सोचत ह अजञानी ह िोड़ा जञान हो जाएगा तो बाधा चमि

जाएगी पापी ह िोड़ा पणर कर लगा तो बाधा चमि जाएगी नही न तो पणर स बाधा चमिगी न जञान स

बाधा चमिगी जब तक तम हो बाधा रहगी अजञानी होकर रहो तो बाधा रहगी जञानी होकर रहो तो बाधा

रहगी पापी होकर रहो तो बाधा रहगी पणरातमा होकर रहो तो बाधा रहगी दफर ताला लोह का ह दक सोन

का फका नही पड़ता ताला ताला ह दरवाजा नही खलगा सो नही खलगा चमिना होगा खाक हो जाना

होगा जस दीरा बि जाता ह

इसचलए बदध न उस अवसिा को चनवााण कहा चनवााण का अिा हः दीर का बि जाना जस दीरा बि

जाता ह ऐस तम बि जाओ तो सरज परकि हो जाए तमहार दीर की रिमरिमाती लौ न ही सरज को चछपा कर

रखा ह जरा सी दकरदकरी आख म पड़ जाती ह पहाड़ ओिल हो जात ह ऐसी जरा सी ही दकरदकरी ह

अहकार की पर उसी की आड़ म उसी की ओि म सब कछ चछप गरा ह

दकस रकीन दक तम दखन को आओग

आचखरी वि मगर इतजार और सही

अत तक िीक अत तक भी उसका आगमन नही होता--अत हो जान क बाद ही होता ह जरा स भी बच

गए हो तो उतनी ही बाधा शष रह गई ह

चसदध कौन ह जो शनर ह जो पररपणा ह जो ह ही नही चजसक भीतर जाओ तो ररिता ह कोरा

आकाश न चवचार क बादल रह गए ह न अहकार की गाि रह गई ह दफर घिना घिती ह दफर आ जाती

सहाग की घड़ी होली का परम कषण आ जाता ह

उनको बलाक और पशमा हए चजगर

र करा खबर िी होश म आरा न जाएगा

दफर बहोशी और मसती का कषण आता ह दफर जीवन म नतर ह--दफर जीवन नतर ह दफर जीवन म रग

ह--दफर जीवन रग ह उसक पहल बरग ह जीवन उसक पहल नाममातर को ही जीवन ह जीवन कहा शवास

लन का नाम ही तो जीवन नही ह शवास तो पश भी ल लत ह हदर क धड़कन का नाम तो जीवन नही पश-

पचकषरो क भी हदर धड़क रह ह चजसन शवास और हदर क धड़कन को ही जीवन समि चलरा उसन रातरा शर

ही नही की उसन पहला कदम भी नही उिारा

जीवन तो तब ह जब परम जीवन का अनभव हो शाशवत जीवन का अनभव हो र शवास तो िि जाएगी

असली शवास कब लोग जो ििती नही रह धड़कन तो बद हो जाएगी रह हदर असली हदर नही ह उस

हदर को कब धड़काओग जो एक बार धड़कता ह तो शाशवत तक धड़कता ह दफर उसका कोई अत नही आता

अमत को कब पीओग रह जीवन तो मतर ह इस जीवन क पीछ तो मौत खड़ी ही ह हर घड़ी खड़ी ह कब आ

जाए कछ पता नही रह जीवन तो मौत क पास ही सरकत जान का नाम ह मरघि क करीब रोज जा रह हो

अिी रोज कसी जा रही ह आज नही कल कल नही परसो मौत घर लगी अधकार आ जाएगा रह रोशनी

का ददखावा िोड़ी दर का ह रह चहल-पहल चार घड़ी की ह और इस चहल-पहल म चसफा चहल-पहल ही ह

188

हाि कछ लगता नही हाि खाली क खाली रह जात ह न कछ लकर आत हो न कछ लकर जात हो खाली

आत खाली चल जात हो

जागो इस शोरगल म बहत मत उलि जाओ एक और सननािा ह भीतर चजसस पहचान करनी ह एक

और हदर ह चजसकी कजी तलाशनी ह तमहार भीतर ही चछपा हआ एक और राज ह चजसक पद उघाड़न ह

चजसका घघि उिाना ह चजस ददन वह पदाा उिता ह उस ददन ही पता चलता ह दक हम करा ि और करा

होकर रह गए ि कमल ि और कीचड़ ही होकर रह गए ि कमल की सभावना िी और हमन कीचड़ को ही

अपना होना मान रखा िा राम ि और काम ही होकर रह गए ि चवराि ि और बड़ कषदर म अपन को बाध

चलरा िा सारा आकाश ि मि आकाश ि और दकतन छोि-छोि इरछ-चतरछ आगनो म आबदध हो गए ि

जो खोजन चलता ह उस रह ददखाई पड़ना शर हो जाता ह दक रह जीवन तो असली जीवन नही इस

जीवन स तो उसका चचतत चनराश हो जाता ह इस जीवन स तो हताश हो जात ह उसक पराण और चजसन

असार को असार की तरह जान चलरा अब जरादा दर नही ह सार को सार की तरह दखन म वयिा को वयिा की

तरह पहचान चलरा तो सािाक क बहत करीब आ गए िि को िि की तरह पहचान लना सतर को सतर की

तरह पहचान लन की अचनवारा मचजल ह

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

और जो खोजन चनकलता ह और इतनी कीमत चकान को राजी ह दक खाक होना पड़ तो खाक हो जाए

जो सली पर चढ़न को राजी ह उस हसहासन चमलता ह आ जाती ह वह अमत-घड़ी

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

--दक उस परार क ललाि पर चदन का िीका लगान का मौका आ जाता ह

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

और जब तम शनर हो जात हो तो जहा तमन कवल चवचारो की भीड़ दखी िी चजस मन म तमन

चसवार वासनाओ क कलपनाओ क वयिा क ऊहापोह क और कभी कछ न पारा िा चजस मन म तमन चसफा

हाि भरी दखी िी वासनाओ इचछाओ ऐषणाओ की उसी मन म एक फल चखलता ह--चतनर का रही मन

जो बाहर उलिा रहता ह तो चवचकषपतता लाता ह रही मन बाहर स मि हो जाता ह तो चवमिता लाता ह

रही सीढ़ी ह बाहर जान की रही सीढ़ी ह भीतर आन की उसी दवार स तो बाहर जात हो चजस दवार स भीतर

आत हो चजस सीढ़ी स नीच उतरत हो उसीस तो ऊपर भी जात हो सीढ़ी को दोष मत दना ददशा का सवाल

रही मन ससार स जोड़ दता ह रही मन परमातमा स जोड़ दता ह जब तक ससार स जोड़ता ह तब

तक इस मन म काि ही काि उगत ह करोदक ससार म चसवार कािो क और कछ भी नही ह--कािो का जगल ह

और जब रही मन तमह परमातमा स जोड़ दता ह अतरातमा स जोड़ दता ह तो फल चखल आत ह और व ही

फल चढ़ान रोगर ह

वकषो क फल तोड़कर जाकर मददर की मरतारो पर चढ़ा दत हो न मरतारा सचची तमहारी न फल अपन

इस िि को तम पजा कहत हो फल पौधौ क--और चढ़ ही ि पौधौ पर चढ़ ही तो चढ़ ि परमातमा को हजदा

तो ि रस बह रहा िा चाद-तारो स बात कर रह ि हवाओ म गध चबखर रह ि र परमातमा क ही चरणो

पर चढ़ ि और जीवत ि और तमहारी पजा बड़ी अनिी ह इन हजदाओ को तमन तोड़ डाला मार डाला काि

189

चलरा और चढ़ा कहा आए जीवन को मदाा कर ददरा और अपनी ही बनाई हई मरतारो पर पतिर की मरतारो

पर चढ़ा आए

तमहारी बनाई मरतारा तमहारी परचतछचवरा ह तमहारी ही तसवीर ह तमहारी बनाई मरतारा तमहारी ही

कलपनाए ह तमहार हाि स परमातमा गढ़ा जाए रह सभव कस तमह परमातमा न गढ़ा ह तम गढ़नवाल गढ़

लत हो दकसको धोखा दत हो बजाए इसक दक समिो दक वह सरषटा ह तम उसक सरषटा बन जात हो और

तमन रग-रग ढग-ढग क परमातमा बना रख ह तमहारी मौज मगर धोखा द रह हो और धोखा खद ही खा रह

हो--दकसको दोग और

नही एक और घड़ी ह--वासतचवक परमातमा क साकषातकार की जब जीवन का अनभव होता ह जब

अमत की वषाा होती ह तब ही फल चढ़ाए जात ह लदकन व फल वकषो स नही चलए जात उधार नही होत--

अपन ही पराणो क होत ह मनषर भी एक वकष ह और उसम भी फल चखलत ह--चतनर क परजञा क धरान क

सरचत क उनही फलो को चढ़ाना उनही फलो को चखलाओ तादक चढ़ा सको उनस कम म कछ काम नही

चलगा इस मन को फल बनाओ रह वचन परारा ह--मन त पहप माल गचिक मन स ही गि चलए फल

मन स ही तोड़ चलए फल सो लक पचहरावह र और इसकी ही माला उस पहनाई

रचग-रचग चदन चढ़ावह

चनचित ही रह चदन भी बाहर का नही हो सकता जब फल भीतर क ह तो चदन भी भीतर का होगा

तमहारी चतना म ही जो सवास उिती ह उसी का नाम चदन ह तमहारी चतना की सवास का नाम चदन ह

तमहार भीतर चछपी ह वास और तम बाहर तलाश रह हो दखत न कसतरा कसतरी मग भागता दफरता

भागता दफरता--इस तलाश म दक कहा स आ रही ह रह सवास और सवास उसकी ही नाचभ स आती ह

कसतरी कडल बस

तमहार भीतर बड़ी सवास क खजान पड़ ह मगर तम बाहर की गध म ऐस उलि हो दक अपनी गध का

पता ही नही चलता तमहार नासापि बाहर की गधो स ही भर ह तम समर ही नही दत सचवधा ही नही दत

दक तमहारी आख भीतर दख सक दक तमहार कान भीतर सन सक दक तमहार नासापि भीतर की गध ल सक

दक तमहारी जीभ भीतर का सवाद ल सक दक तमह भीतर का सपशा हो सक दरस-परस हो सक--मौका ही नही

दत बाहर इतन उलि हो तमहारी सारी इददररो को तमन बाहर उलिा रखा ह और दफर इददररो को गाली दत

हो उलिारा तमन ह इददररा तो भीतर भी ल जा सकती ह इददररा बाहर भी ल जा सकती ह इददररा तो दवार

चजस दरवाज पर एक तरफ स चलखा होता ह एरस परवश उसी दरवाज पर दसरी तरफ स चलखा होता

ह--एचकिि चनकास दरवाजा एक ही ह रह आख बाहर ही अगर दखती होती तो मनषर परमातमा को कभी

भी नही दख सकता िा रह आख भीतर भी दखती ह--रह मड़ कर भी दखती ह रह आख दधारी तलवार ह

और ऐसी ही तमहारी सारी इददररा ह बाहर चाहो बाहर दखो भीतर चाहो भीतर दखो बाहर दखोग तो

ससार ह भीतर दखोग तो चनवााण ह और जो तमन ससार म दखा ह सब तमह भीतर चमल जाएगा--और

अनत-अनत गना और अनत-अनत गहरा

गध तमन बाहर भी दखी ह मगर कछ भी नही बाहर की गध तो कवल दगिधो को चछपान क उपार ह

बाहर की गध तो ऐस ही ह जस दकसी को घाव हआ हो मवाद पड़ गई हो और उसक ऊपर एक गलाब का फल

190

रख ल गलाब का फल रख लो घाव पर इसस घाव चमिगा नही चछप भला जाए दकस धोखा द रह हो घाव

बढ़ता रहगा और गलाब की ओि म हो जाएगा तो और सचवधा स बढ़गा करोदक ददखाई भी नही पड़गा

अपनी दगिध को चछपान क चलए लोग सगध चछड़क लत ह वह चसफा उपार ह भाचत पदा करन का

अपनी करपता को चछपान क चलए लोग दकतन सौदरा क आरोजन करत ह वसतरो स पररधान स पररवषठन स

अलकारो स आभषणो स दकतन-दकतन उपार ह रह चसफा करपता को चछपान क उपार ह बाहर स कोई

सदर नही हो सकता सौदरा का तो अतसतल म आचवभााव होता ह

तमन बाहर भी रग दख ह मगर व रग कछ भी नही ह उन रगो क मकाबल जो तमहार भीतर भर ह

और तमन बाहर भी इदरधनष दख ह मगर जब भीतर क इदरधनष दखोग तब पता चलगा दक बाहर क इदरधनष

तो सब फीक ि सब छारामातर ि बाहर तो कवल परचतधवचनरा ह मल तो भीतर ह बाहर तो ऐसा समिो दक

जस तम पहाड़ो म गए हो और तमन जोर स आवाज लगाई और पहाड़ी घारिरो म आवाज गजी और तम पर

लौि आई और तम चौकत हो और लगता ह शारद पहाड़ो न तमह पकारा

बाहर परचतधवचन हो रही ह गज का असली मल तमहार भीतर ह वहा चदन क रग भी ह चदन की मल

सवास भी वहा फल भी चखलत ह वहा सहसरार का परम फल भी चखलता ह और उसी को परमातमा क चरणो

म चढ़ारा जा सकता ह उसी की माला बनाई जा सकती ह

चबना नन त चनरख दख छचव

और जब आख भीतर मड़ती ह तो आख म एक रपातरण हो जाता ह एक कराचत हो जाती ह जब आख

बाहर दखती ह तो दखन वाला और ददखाई पड़नवाली चीज अलग-अलग होती ह दरषटा और दशर का भद होता

ह जब आख भीतर मड़ती ह तो दखनवाला भी वही होता ह ददखाई पड़नवाला भी वही होता ह वहा दशर

और दरषटा एक हो जात ह वहा तो दो कस होग वहा जानन वाला और जो जाना गरा ह एक होता ह वहा

भि और भगवान एक होता ह वहा सब दवत चमि जात ह वही असली दशान ह जहा दशर और दषटा दोनो एक

म ही खो जाए

चबना नन त चनरख दख छचव

दखन वाला तो बचता ही नही वहा तब बड़ा चमतकार अनभव होता ह बड़ रहसर का जनम होता ह

चौक पड़ता ह मनषर अवाक रह जाता ह

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

और वहा तो कोई चसर नही ह वहा तो कोई हाि भी नही ह--भीतर--मगर चबना हाि क भी हाि जड़त

ह और चबना सीस क भी सीस िकता ह और वही असली िकना ह बाहर का सीस तो तमन बहत बार

िकारा मगर िकता कहा ह िक-िक कर अकड़ जाता ह सीस तो िक जाता ह तम नही िकत मददरो म

खड़ लोगो को दख लो सीस िका ह मगर खद अकड़ कर खड़ ह खद का अहकार तो परी तरह मजबत ह जरा

नही िकता रच भर नही िकता

सीस को िकान स अहकार नही िकता लदकन जब भीतर सीस िकता ह चबना सीस क सीस िकता ह

तो अहकार चबदा हो जाता ह और दफर एक बार जो भीतर ददखाई पड़ जाए भीतर सनाई पड़ जाए तो दफर

सब तरफ उसकी िलक ददखाई पड़न लगती ह

पास-अदब स छप न सका राज-हसनो-इशक

चजस जा तमहारा नाम सना सर िका ददरा

191

दफर तो कोई नाम ही ल द कही राद आ जाती ह उसकी

रामकषण को रासतो तक पर ल जान म मचशकल हो जाती िी उनक चशषरो को बड़ समहाल कर ल जाना

पड़ता िा कोई रासत म जररामजी ही कर द बस उतना काफी िा दक व मसत हो जात दक व भाव-दशा म

आ जात दक चौरसत पर खड़ हो जात आख बद हो जाती आस िर-िर बहन लगत आनदमगन हो नाचन

लगत भल ही जात दक चौराहा ह दक रासता चल रहा ह दक गाचड़रा गजर रही ह दक भीड़ लग गई दक

पचलसवाला भीड़ छािन आ गरा ह उनह दफर कछ भी राद न रहती नाम भी कोई ल दता

एक चशषर क घर चववाह िा उसकी बिी का चववाह िा उसन बहत परािाना की रामकषण को दक आप

आए उनहोन कहा म आऊगा दसर चशषरो न कहा बहतर ह न ल जाओ कोई ििि हो गई तो दलहा और

दलहन तो एक तरफ रह जाएग मगर भि नही माना तो रामकषण गए और जो होना िा वही हआ दलह

को सज दख कर घोड़ पर उनह असली दलह की राद आ गई सबको समहाल ददरा िा दक कोई जररामजी

इतरादद मत करना परमातमा का नाम मत लना मगर रह दकसी न सोचा न िा दक घोड़ पर बि दलह को दख

कर उनक मन म वसा ही हो गरा होगा जसा कबीर न कहा हः म तो राम की दलहचनरा व तो एकदम

नाचन लग व नाचन लग तो बस सब फीका पड़ गरा रामकषण नाच तो दफर और करा रह जाए जो होना

िा--चववाह का दकरराकाड--वह तो एक तरफ पड़ गरा वह तो भल ही भाल गए लोग सब रामकषण क पास

इकटठ हो गए भि बड़ हरान हए करोदक दकसी न न जर राम जी की न हररनाम चलरा न कछ सवाल उिा

रह आज मामला कस हआ

जब होश आरा तीन घि बाद रामकषण स पछा दक दकसी न तो कछ कहा ही नही आप एकदम स कस

हो गए उनहोन कहा दकसी क कहन का करा सवाल िा दखा नही घोड़ पर राम जी को करा सवार ि राद

आ गई असली वर की राद आ गई मरी भी तो गाि बध गई ऐस ही ऐस ही मरी भी तो भावर पड़ गई दफर

न समहाल सका

भीतर िक जाओ दफर तो बाहर भी िकोग दफर म तमस कहता ह पतिर की मरता क सामन भी िक

जाओग तो तम उसी क सामन िक रह हो मगर तब तक नही जब तक भीतर की पहचान नही ह दफर तो

वकष क सामन िकोग तो भी उसी क सामन िक रह हो करोदक उसी की हररराली ह वहा दफर तो तम दकसी

क भी सामन िक जाओग िकना तमहारा जीवन का ढग हो जाएगा तम िक ही जीन लगोग तमहार भीतर

िकाव एक शली बन जाएगी एक सहज भावदशा

िस लग जाए न उनकी हसरत-दीदार को

ऐ हजम-गम सभलन द जरा बीमार को

दफकर ह जाचहद को हरो-कौसरो-तसनीम की

और हम जननत समित ह चतर दीदार को

भि तो कहत ह दक हम बस इतना काफी ह दक तरा दीदार हो जाए दक त ददखाई पड़ जाए

दफकर ह जाचहद को हरो-कौसरो-तसनीम की

लदकन व जो तपसवी ह तिाकचित चवरागी ह तिाकचित उनको बड़ी आकाकषाए ह उनको अकाकषाए ह

दक सवगा चमल सवगा म सवणा-महल चमल सदर अपसराए चमल उवाचशरा उनक पर दाब और गधवा उनक आस-

पास वीणा बजाए और शराब क चशम बह और कलपवकष हो और उनक नीच बि कर व जो मजी हो परा कर

र कोई भि क लकषण नही न धारमाक क लकषण ह रह तो वही आकाकषाए वही ससार तमन दफर नर पद पर

192

वही चचतर बना चलए दफर तमन नई ददशा म वही आकाकषाए आरोचपत कर ली दफर तम अपना बाजार वाचपस

ल आए

पराणो म जो सवगो की किाए ह सवगो क जो वणान ह अगर गौर स समिोग तमहार चचतत क वणान ह

सवगो क नही तमहारी वासनाओ क वणान ह सवगो क नही सवगा कोई सिान नही ह सवगा तो उसक दीदार म

चमि जान का नाम ह सवगा तो उसक दशान म चतरोचहत हो जान का नाम ह सवगा तो उसक दरस-परस का ही

नाम ह कोई सिान नही दक जहा कलपवकष लग ह चजनक नीच तम बिोग कलपवकष की कलपना ही रह बताती

ह दक तमहार मन म अधरी रह गई ह वासनाए रहा परी नही कर पाए तो वहा परा करोग और वहा परा

करन क चलए रहा तम वासनाओ को दबा रह हो उनस लड़ रह हो--जरा पागलपन दखो जरा तमहारा गचणत

समिो

अगर वासनाए गलत ह तो रहा भी गलत ह वहा भी गलत होगी अगर शराब गलत ह तो रहा भी

गलत ह वहा भी गलत होगी मगर मजा दखो दक रहा स जरा स कलहड़ म शराब पीना पाप ह और वहा िरन

बह रह ह दक पीओ ददल भर कर दक डबकी मारो रहा तमहार साध-सत तमस कह जात ह सावधान सतरी स

सावधान और वहा सदर चसतररा चमलगी--इसी सावधानी क पररणाम म रह गचणत कसा ह रह तो बड़ी

चालबाजी हो गई रह तो बड़ा लोभ और लालच हो गरा रह तो ऐसा हआ दक रहा की साधारण चसतररा छोड़ी

वहा की असाधारण चसतररो को पान क चलए वहा की चसतररा असाधारण ह मनषर क मन न कसी कलपनाए की

ह दक वहा की चसतररो की उमर नही बढ़ती बस सोलह साल पर रकी ह सो रकी ह उवाशी अभी भी सोलह ही

साल की ह हजारो साल बीत गए ऋचष-मचन आत रह जात रह उवाशी सोलह साल की ह सो सोलह ही साल

की ह वहा कोई बढ़ नही होत

रह तमहारी आकाकषा ह रह तमहारी मनोवासना ह तम रहा भी नही चाहत दक बढ़ापा आए मगर

रहा तम चववश हो आता ह करा करोग बहत चछपात हो बहत रोकत हो बहत समहालत हो आ-आ जाता

ह मगर कम स कम सवगा की कलपना म ही मन को रमात हो वहा भी तम रही भोग कलपना कर रह हो रह

कोई तराग नही ह

दफर असली तरागी कौन ह

असली तरागी वही ह जो कहता हः परमातमा का दशान हो गरा सब चमल गरा और हम जननत समित

ह चतर दीदार को इसस जरादा की माग ससार की माग ह दफर तमन परमातमा स भी ऊपर कोई चीज अभी

रखी ह

तम जरा सोचो अगर तमस कोई कह दक परमातमा स तमहारा चमलन हो जाएगा तो तम कौन-सी तीन

चीज मागोग ततकषण तमहारा चचतत फहररसत बनान लगगा कभी बि कर एक कषण को सोचना दक परमातमा स

चमलना हो जाए तो तरार तो कर लो फहररसत मागोग करा कम स कम तीन चीज तो तर कर लो करोदक

कहाचनरा ह चजनम कभी-कभी परमातमा स चमलना हो गरा ह लोगो का और उनहोन फहररसत तरार नही की

िी और बड़ी ििि म पड़ करोदक जो मागा उसस मसीबत हो गई गलत-सलत माग चलरा चबना सोच-समि

कर माग चलरा ऐसी बहत कहाचनरा ह

एक आदमी को इषटदवता क दशान हो गए और दवता जसा पछत ह कहाचनरो म वसा उनहोन पछा दक

माग ल तीन वरदान माग ल वह आदमी अपनी पतनी स परशान िा--जस सभी आदमी परशान ह तो उसन

कहा दक िीक रह मरी पतनी मर जाए ततकषण पतनी चगर पड़ी और मर गई और जसा पतनी क मरन पर होगा

193

तब घबड़ारा करोदक पतनी क चबना कस चलगा न साि चलता ह न चबना चलता ह पतनी स दर होत ही स

पता चलता ह दक चबना चल ही नही सकता तब उस होश आरा दक खाना कौन पकाएगा चबसतर कौन

लगाएगा बचचो की कौन दफदकर करगा मार गए मचशकल म पड़ गए जलदी स परािाना की दक पतनी को हजदा

करो उसम दसरा वरदान भी खतम हो गरा--बात वही की वही ह--पतनी हजदा हो गई इषटदवता न कहा अब

जलदी करो तीसरा माग लो उसन कहा अब रको अब एक ही बचा अब मि सोचन दो

और मन सना ह वह अभी भी सोच रहा ह अब एक ही वरदान मागना हो इतनी दचनरा की वासनाए

इतनी कामनाए कस चनाव कर पाओग पागल हो गरा होगा बचारा रह मागो तो वह छिता ह वह मागो

तो रह छिता ह इतनी चीज ह ससार म मागन को

तो तम फहररसत बनाना कम स कम तीन का तो तरार ही रखना करोदक परानी आदत दवताओ की व

कहत हाः तीन माग लो न दो न चार तम तीन की फहररसत बनाना तम भी चदकत हो जाओग अपनी

फहररसत दख कर चदकत हो जाओग एक कागज पर चलखना डरना मत ििी फहररसत मत बना लना दकसी

को ददखान क चलए नही बनाना ह तमही को जानन क चलए बनाना ह ददखान क चलए बनाओग तो ििी हो

जाएगी जो आता ह मन म वही चलखना तब तमह पता चलगाः परमातमा भी सामन खड़ा हो तो तम कषदर

बात मागोग बड़ी कषदर बात मागोग धन मागोग पद मागोग परचतषठा मागोग भोग की कोई रातरा पर

चनकलना चाहोग मागोग करा और और तमहारा तरागी-वरती रही कर रहा ह

नही भि की ऐसी कोई आकाकषा नही भि कहता ह तरा दीदार बस काफी

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

दोनो हाि जोड़कर चवनती करगा तर नाम का मगल गाऊगा और करा करन को बचता ह चजस

परमातमा का दशान हआ उसक पास चसवार उतसव क और कछ भी नही ह अब सवगा उतसव ह भोग नही

उतसव माग नही उतसव--धनरवाद आभार-परदशान

इसचलए म अपन सनराचसरो को कहता हाः परतरक धरान क बाद िोड़ी दर क चलए उतसव की घड़ी जरर

लाना उतसव मना लना हर धरान क बाद करोदक अततः परम धरान क बाद उतसव ही घिन वाला ह उसकी

तरारी करो उसक चलए धीर-धीर धीर-धीर अपन को चनषणात करो समाचध क बाद चसफा उतसव ही रह जाता

ह और सब खो जाता ह समाचधसि परष क जीवन म चसवार नतर क गीत क और करा ह और गीत भी उसक

अपन नही ह अब

चपरर तमन ही तो गाए ि

मन र चजतन गीत चलख

अबर की लाली को उस ददन

तमन ही िा अनराग ददरा

तमन ऊषा को अपनी छचव

कलरव को अपना राग ददरा

अपना परकाश रचव-दकरणो को

अपना सौरभ मलराचनल को

194

पलदकत शतदल को तमन ही

चपरर अपना मधर पराग ददरा

दफर भि तो बचा ही नही भगवान ही भि म नाचता ह अनिा रास आनद-उतसव महोतसव फल पर

फल चखलत ह बीन पर बीन बजती ह नर-नर पद उित जात रहसर क चारो तरफ दीर ही दीर जल जात ह

दीवाली भी आ गई और होली भी आ गई--सब साि हो जाता ह

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

बस एक ही परािाना रह जाती ह करन की दक कभी भल न कभी दफर न भल जाऊ धरान करना इस

बात पर और कछ नही मागत जगजीवन इतना ही मागत ह दक रह दशान जो हो गरा ह रह मरी पातरता स

तो नही हआ ह म तो अपातर ही ह म तो जसा ह वसा ही ह मन कोई बहत बड़ा अजान नही कर चलरा ह मन

कोई बहत बड़ा तराग नही कर ददरा ह--मर तराग म भी करा रखा ह मरा तराग मर ही जसा होगा दो कौड़ी

की मरी चसिचत ह दो कौड़ी का मरा तराग होगा न मरा जञान ह न मरा धरान ह और तम आ गए अनारास

तम आ गए हो अचतचि बन कर तम मौजद हो गए हो तमन दवार पर दसतक द दी ह रह दसतक दत रहना

और मि राद ददलात रहना म तो नासमि ह भल भी सकता ह पा-पा कर भी चक सकता ह तमह दख

चलरा दफर भी चवसमरण कर सकता ह

भि रही कहता ह रही चनवदन करता ह दक तमह दख चलरा अब चवसमरण होना नही चाचहए लदकन

मि अपनी अपातरता का पता ह मि अपन अजञान का पता ह म दफर अधरी रात म खो सकता ह रह परणामा

जो आज मर जीवन म आई ह दफर अमावस बन सकती ह अगर मि पर ही चनभार रहा तो अमावस बन ही

जाएगी तमहार सहार की अब मि और भी जररत होगी अब दशान ददरा ह तो अब चवसमरण न हो पाए म

तमहार समरण को करता ही रह

दइ कर जोररक चबनती कररक

म दोनो हाि जोड़ कर चवनती करता ह

दचनरा म बहत तरह क परणाम ह लदकन दोनो हाि को जोड़ कर परणाम करन की परदकररा इस दश की ह

और इसक पीछ बड़ रहसर ह बड़ परतीक ह अब तो वजञाचनक अनसधान भी इस बात क करीब आ रहा ह

चवजञान की नई खोज कहती ह दक मनषर का मचसतषक दो चहससो म बिा हआ ह जो दाए तरफ का चहससा ह

मनषर क मचसतषक का वह बाए हाि स जड़ा ह और जो बाए तरफ का चहससा ह मचसतषक का वह दाए हाि स

जड़ा ह उलिा करास क जसा बारा दाए स जड़ा ह दारा बाए स जड़ा ह चदक हमन दाए हाि को महततवपणा

बना चलरा ह और हमार सार कतर उसी स हो रह ह इसचलए हमारा बारा मचसतषक का चहससा सदकरर ह बाए

मचसतषक क चहसस क कछ लकषण ह--गचणत तका चहसाब-दकताब बचहराातरा और शारद इसीचलए दारा हाि

महतवपणा हो गरा अब चवजञान इस खोज-बीन म लगा ह शारद इसीचलए दारा हाि महततवपणा हो गरा

करोदक बाए मचसतषक को सदकरर करन क चलए दाए हाि को सदकरर करना जररी ह व जड़ ह जब दारा हाि

चलता ह तो बारा मचसतषक चलता ह जब बारा हाि चलता ह तो दारा मचसतषक चलता ह दाए मचसतषक

क लकषण ह--कावय भाव अनभचत परम उनका तो कोई मलर नही ह जगत म इसीचलए बारा हाि बकार डाल

ददरा गरा ह बारा हाि को बकार डालन म हमन कावय को बकार कर ददरा ह परम को बकार कर ददरा ह

अनभचत को भाव को बकार कर ददरा ह रह बड़ी तरकीब ह बड़ी जालसाजी ह

195

र दोनो हाि समान रप स सदकरर हो सकत ह भचवषर म और होन चाचहए भचवषर क मनषर की जो

परचशकषण-परदकररा होगी उसम र दोनो हाि सदकरर करन की कोचशश की जाएगी अभी तो हालत रह ह अगर

कोई बचचा बाए हाि स चलखता ह तो हम उसक पीछ पड़ जात ह दक दाए स चलखो दस परचतशत लोग बाए

हाि स चलखन वाल पदा होत ह दस परचतशत कोई छोिा आकड़ा नही ह सौ म दस आदमी बाए हाि स चलखन

वाल पदा होत ह लदकन चमलग तमको शारद एकाध ही आदमी चमलगा सौ म स जो बाए स चलखता हो बाकी

नौ को हम धकका मार-मार कर सजा द-द कर सकल म मार-पीि कर दाए हाि स चलखवान लगत ह

उसक पीछ कारण ह

समाज तका को मलर दता ह कावय को नही समाज गचणत को मलर दता ह परम को नही समाज

चहसाब-दकताब स जीता ह भाव स नही रह भाव की हतरा की खब तरकीब चनकाली मगर हजारो-हजारो

सददरो स रह तरकीब चल रही ह और हमारा मचसतषक का आधा चहससा चबलकल चनचषकरर होकर पड़ा ह

दोनो हािो को एक साि रख कर जोड़न म परतीक ह दक हम दोनो अगो को जोड़त ह हम इकटठ होकर

नमसकार कर रह ह हम दोनो मचसतषको को एक साि लाकर नमसकार कर रह ह हमारा तका भी तमह चनवदन

ह हमारा परम भी तमह चनवदन ह हमारा गचणत भी हमारा कावय भी हमारा सतरण चचतत भी हमारा परष

चचतत भी दोनो समरपात ह हम इकटठ होकर समरपात ह

अब भद ह पचिम म लोग हाि चमलात ह उसम एक ही हाि का काम होता ह वह आध मचसतषक का

कतर ह उसम समगर मनषर समाचहत नही ह दोनो हाि को जोड़न म समगरता समाचहत ह हम दई को चमिान

की कोचशश कर रह ह दो नही एक इसचलए परमातमा क सामन दोनो हाि जोड़त ह जहा भी चनवदन करत

ह वहा दोनो हाि जोड़त ह

जब तम दोनो हाि जोड़त हो एक साि तो तमहारा मचसतषक और तमहार दोनो हािो की ऊजाा

वतालाकार हो जाती ह चवदयत वताल म घमन लगती ह रह चसफा परतीक ही नही ह वसततः रह घिना घिती

इसचलए धरान म कहा जाता हः पदमासन पदमासन म एक पर दसर पर स जड़ जाता ह और हाि पर

हाि रख लो तो हाि भी एक-दसर स जड़ जात ह--तमहारा परा शरीर एक हो गरा तमहारा दवदव िि गरा

भीतर तमहार शरीर म चवदयत दक ऊजाा वतालाकार घमन लगी रह जो वताल ह चवदयत का बड़ा शाचतदाई ह

इसचलए पदमासन चसदधासन बड़ वजञाचनक आसन ह सगमता स चचतत शात हो सकगा सरलता स चचतत शात

हो सकगा शरीर को जोड़ कर हमन मचसतषक क दोनो खडो को जोड़ ददरा दोनो मचसतषक क खड जड़ जाए तो

हमार भीतर जो भाव का और चवचार का दवदव ह वह समापत हो जाता ह चवजञान और धमा का जो दवदव ह वह

समापत हो जाता ह

दोनो हािो को जोड़ कर नमसकार करना बड़ा वजञाचनक ह इस हाि चमलान स मत बदल लना वह

बहत ससता ह उसका कोई मलर नही उसकी कोई वजञाचनकता नही ह

दइ कर जोररक चबनती कररक नाम क मगल गावह र

अब तो कछ और बचा नही दई चमिा दी ह एक हो गरा ह और अब एक होन क बाद चसवार मगल गान

क और करा बचता ह मगल ही मगल ह

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

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कभी चबसराऊ न कभी भल न करोदक चजसन एक बार जान चलरा ह दफर चबसराना बहत दखद हो

जाता ह बहत दःखद हो जाता ह इसस तो अचछा िा न जानना सवाद नही लगा िा तो चवषाद भी नही िा

सवाद लग गरा दफर अड़चन होती ह चजसन शराब पी ली दफर उस पता ह शराब का रस शराब की मसती

चजसन कभी पी ही नही ह उस न मसती का पता ह न रस का पता ह उस कोई अड़चन भी नही ह उस राद

भी नही ह

इशक न तोड़ी सर प दकरामत जोर-दकरामत करा कचहए

सनन वाला कोई नही रदाद-मोहबबत करा कचहए

जबस उसन फर ली नजर रग-तबाही आह न पछ

सीना खाली आख वीरा ददल की हालत करा कचहए

अगर उसस नजर चमल कर दफर नजर चकी तो--

जबस उसन फर ली नजर रग-तबाही आह न पछ--

दफर तबाही का रग न पछो दफर तबाही का हाल न पछो सीना खाली आख वीरा दफर भीतर सब

ररि-ररि आख वीरान ददल की हालत करा कचहए दफर कछ कहा नही जा सकता दफर सब िि गरा

सब मरसिल हो गरा कल तक तो िि गचलसता म जीत ि कल तक तो भामक सपनो म जीत ि उसस आख

करा चमली सपन तो िि गए अब सपनो स तो अपन को भर न सकोग और अब उसका चवसमरण हो गरा

सपन भी गए और सतर का भी चवसमरण हो गरा रह बड़ी करिन दशा हो जाती ह

इसचलए भि एक ही परािाना करता हः जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

बस इतना ही मि चताए रखना म तो अपनी तरफ स भल ही जाऊगा मि पर भरोसा मत रखना म

तो अवश ह मि अपनी कमजोरररो का भलीभाचत पता ह अगर मि पर ही छोड़ ददरा तो भल होन ही वाली

ह म तो दफर दकसी गडढ म चगर जाऊगा म दफर दकसी उलिन म फस जाऊगा मि उलिनो म पड़न की

परानी आदत ह मर पर अपन आप उलिनो की तरफ बढ़ जात ह रह जो सलिाव की घड़ी आ गई ह जस

तम ल आए हो सलिाव की घड़ी इसी तरह अब मरी राद को भी जगाए रखना रह दीरा बि न रह दीरा

तम उकसाए रखना रह जरोचत तम जलाए रखना

रह भि की परािाना ह--और इसस शरषठ करा परािाना हो सकती ह परािाना करना तो रही करना

फहररसत कछ और बनाओ तो गलत होगी

रचह नगरी म होरी खलौ री

बदध का परचसदध वचन हः रही परथवी ह सवगो का सवगा ददस वरी अिा दद लोिस पराडाइज और रही दह

ह भगवतता एणड ददस वरी बाडी दद बदधा

जगजीवन कहत हाः रचह नगरी म होरी खलौ री

इसी दह की नगरी म होली का कषण आ गरा सोचा भी न िा करोदक तिाकचित साध-सत तो रही कह

चल जात ह दक शरीर दशमन ह शरीर को नषट करो भि नही कहत ऐसी भात बात भि कहत हाः शरीर तो

उसका मददर ह समहालो साज-सवार रखो जस मददर की रखत ह ऐसी ही दह की भी साज-सवार रखो रह

उसका मददर ह

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सच तो रह ह हमन जो मददर बनाए ह इस दश म व पदमासन म बि हए आदमी की परचतमा क रप म

ही बनाए ह आदमी जब पदमासन म बि तो जो उसकी परचतमा का रप होगा जो उसका रप बनगा उसी रप

म हमन मददर को भी बनारा ह बचनराद उसक पर ह दफर मददर की चार दीवाल ह वह दह ह दफर मददर

का गबज ह वह मचसतषक ह वह चसर ह और दफर ऊपर चढ़ात ह सवणा का कलश वह भीतर चखलनवाल सवणा

क फल का परतीक ह

रह दह मददर ह सवगो का सवरग इसस लड़ना मत रह परमातमा की भि ह तमह इसस लड़ोग

कतघनता होगी सनो जगजीवन कहत हाः रचह नगरी म होरी खलौ री इसी नगरी म इसी दह म इसी ससार

म होली का कषण आ गरा परमातमा कही और नही ह रही ह--आख भर चनमाल हो आख भर भीतर दख रही

ह इसी कषण ह

दफर िमका रग-गलाल समचख दफर गमका फागन-राग

दफर चमका मनचसज क नरनो म रचत का नव अनराग

दफर चघर आई ह होली

सौरभ स शलि मद स अलचसत

दफर समर समीरन डोली

उर म अदमर उचवास चलए

सर म अतचपत की परास चलए

मजररत आम की डाली पर

दफर काली कोरल बोली

अपन पराग स हो चवहवल

कचलरो न खोल वकषसिल

आकाकषा की पलकन बन कर

ह छलक रहा उनका पररमल

व िम-िम व चवहस-चवहस

चवतररत करती ह अपना रस

उनक वभव पर उमड़ पड़ी

दफर स भमरो की िोली

दफर ह मानस स सपदन

दफर ह शरीर म कपन

दफर अग-अग म ह उमग

दफर ह नरनो म राग-रग

198

दफर तनमरता सचररत और

दफर बाहो म आहलगन

दफर आज भरी-सी लगती ह

उन अरमानो की िोली

दफर स ह मन म आग लगी दफर स जीवन म आग

दफर िमका रग-गलाल समचख दफर गमका फागन-राग

इसी दह म तम जस हो ऐस ही परमातमा बरस सकता ह तमहारी वीणा तरार ह जरा तार कसन ह

जरा साज चबिाना ह सब कछ मौजद ह चसफा सरोग िीक नही ह जस वीणा तो रखी ह दकसी न तार अलग

कर ददए ह तो वीणा रखी रहगी सब मौजद िा जरा तार कसन ि जरा तार चबिान ि और गीत का जनम हो

जाता ऐस ही तमहार भीतर परमातमा सभावना की तरह मौजद ह सतर हो सकता ह जरा स तार चबिान ह

उनही तार चबिालन की कलाओ का नाम धमा ह

दफर सवभावतः बहत ढग स तार चबिाए जा सकत ह ढग-ढग स चबिाए जा सकत ह इसचलए बहत धमा

दचनरा म पदा हए धमा तो एक ही ह बहत ढग पदा हए तार चबिान क

तम जो भी लकर आए हो काश तम उस पर को परगि हो जान दो तो रही इसी दह म रचह नगरी

म होरी खलौ री

हमरी चपरा त भि करावौ तमहार सग चमचल दोरौ री

और शरीर स कह रह ह जगजीवन दक तमन ही तमहार दवारा ही परार स चमलन हो सका तो अब तमह

ही सग लकर दौड़ना ह परमातमा क चमलन म दह बाहर नही रह जाती रह राद रखना परमातमा क चमलन

म दह उतनी ही समाचवषट होती ह चजतन तम पदािा भी परमातमा का ह--उतना ही चजतना चतनर चमटटी भी

उसकी ह अमत भी उसका ह तम चमटटी और अमत क मल हो और जब तमहारा अमत नाचगा तो तमहारी

चमटटी भी नाच उिगी और जब सवगा नाचता ह तो धरा भी नाचती ह अलग-अलग नही ह र सब इनम कछ

फासला नही भद नही ह चमटटी अमत का ही सोरा हआ रप ह और अमत चमटटी का ही जागा हआ रप ददस

वरी बाडी दद बदधा रह दह ही तो बदधतव ह रह जगत ही सवगो का सवगा

नाचौ नाच खोचल परदा म अनत न पीव हसौ री

जगजीवन कहत हाः अब सब परद खोलता जा रहा ह और नाच पर नाच बढ़ता जा रहा ह नतर गहन

होता जा रहा ह नताक नतर म खोता जा रहा ह अब सब पद उिा दन ह अब सब घघि अलग कर दन ह अब

करा चछपाना ह अब दकसस चछपाना ह

साधारणतः आदमी चछप-चछप कर रह रहा ह दकतन तमन मखौि ओढ़ रख ह तादक तम चछप रहो

तमहारा असली चहरा लोगो को पता न चल जाए तमन दकतनी तरकीब कर रखी ह तम कस-कस रप बनाए

हो रहा सब बहरचपए ह सारा ससार बहरचपरो स भरा ह होत कछ हो ददखात कछ हो और धीर-धीर

दसरो को धोखा दत-दत खद भी धोखा खा जात हो

खराल रखना बहत ददन तक धोखा दन का दषपररणाम रही ह दक अततः खद ही भरोसा आ जाता ह दक

रही िीक होगा िि ही मसकरात हो दफर मसकराहि आदत हो जाती ह जस चजमी कािार जस राजनता तम

सोचत हो रात भी चबना मसकराए सोत होग मन तो सना ह नीद म भी उनक ओि खल ही रहत ह चौबीस

घि अभरास हो गरा

199

जो तम ददन भर करत हो वही अभरास रात म भी चल जाता ह

मलला नसरददीन एक रात उिा और अपनी चादर फाड़ी उसकी पतनी न रोका दक करा करत हो करा

करत हो मगर उसन तो फाड़ ही दी उसन कहा दक तो त दकान पर भी आकर ििि करन लगी ददन भर

कपड़ा फाड़ता ह--कपड़ की दकान ह सपन म भी दकसी गराहक स मलाकात हो गई--फाड़ दी चादर नाराज

पतनी पर हो रहा हः तो त अब दकान पर भी आन लगी रहा भी चन नही

ददन जो ह वही तो तमहारी रात भी हो जाएगी तमहारा चतन मन जो करता ह वही तमहारा अचतन

मन भी करन लगगा धीर-धीर अपन ही धोख अपन चलए ही सच मालम होन लगत ह जो आदमी मसकराता

रहता ह ििा उस खद ही भरोसा आ जाता ह दक म बड़ा परसननचचतत आदमी ह दसर कहत ह दक वाह दकतन

परसननचचतत आदमी हो सनत-सनत उस भी भरोसा आ जाता ह दक हो न हो िीक ही कहत होग लोग सच ही

कहत होग लोग

मन सना ह एक पतरकार मरा और सवगा पहचा दरवाज पर दसतक दी दवारपाल न दरवाजा खोला और

कहा दक पतरकारो की जगह सब पहल स परी भरी ह दसरी जगह जाओ दसरी जगह मतलब सामन नरक का

दरवाजा ह पतरकार न कहा दक नही ऐसी आसानी स न जाऊगा इतनी कपा करो मि चौबीस घि का अवसर

दो म अगर दकसी दसर पतरकार को राजी कर ल और वह जान को राजी हो तो दफर तो तमह कोई अड़चन

नही दवारपाल न कहा दफर कोई अड़चन नही ह

सवगा म पतरकारो की वस भी जरादा कोई जगह िी नही--बारह जगह िी वह भी होनी चाचहए जगह--

करोदक अखबार कोई चनकलता ही नही वहा-- नही तो शतान डीग मारगा नरक म बहत अखबार चनकलत ह

एक स एक शानदार अखबार अखबार क लारक घिनाए भी वहा घिती ह सवगा म घिता ही करा ह--ऋचष-

मचन बि ह एक दफा छापो दक हजार दफा छापो खबर वही की वही ह चाहो तारीख बदलत रहो वही का

वही अखबार चलगा ऋचष-मचन अपन-अपन िाड़ क नीच बि ह--अपनी-अपनी चसदधचशला पर आख बद

दकए अब धरान कोई खबर तो नही ह कोई मार-पीि हो छरबाजी हो कोई िगड़ा-फसाद हो कोई घराव-

जलस हो कोई हड़ताल हो जाए कछ हो तो खबर खबर जसी कोई चीज वहा ह नही

बनााडा शॉ न कहा ह दक अगर कतता आदमी को काि तो रह कोई खबर नही ह जब आदमी कतत को

कािता ह तो रह खबर ह खबर का मतलब ही होता हः कछ हो

पतरकार अदर गरा उसन खबर उड़ा दी एकदम जात ही स दक नरक म एक नर अखबार की शरआत

होन वाली ह बड़ा अखबार चनकलन वाला ह परधान सपादक की उपपरधान सपादक की और-और पतरकारो

की जररत ह ििी खबर

जब चौबीस घि बाद वह आरा दवारपाल स उसन पछा दक भाई करा हालत ह कोई गरा उसन कहा

कोई नही सब गए अब तम जा नही सकत कम स कम एक तो होना ही चाचहए उसन कहा अब म रक नही

सकता मि भी जान दो उसन कहा तम पागल हो गए हो तम दकसचलए जात हो उसन कहा दक हो न हो

बात म कछ सचाई होनी चाचहए बारह आदमी चल गए

इसी न उड़ाई ह अफवाह

तम खराल करना तमही अफवाह उड़ा दत हो और जब चौबीस घि बाद अफवाह पर मोहलल म घम कर

तमहार पास लौिती ह तो तमह भी शक होन लगता हः हो न हो कछ बात होगी हचदी का साप होगा मगर

200

हचदी तो होगी कछ न कछ तो होगा ही जहा धआ होता ह वहा आग भी होती ह तमही कहन लगोग दक जहा

धआ होता ह वहा आग भी होती ह जरर कही न कही कछ हआ होगा

लोग िि बोल-बोल कर खद िि हो जात ह असली धोखा इस जगत म रही ह दक तम खद ही धोख म

आ जात हो अपन ददए गए धोख अपन पर ही लौि कर पड़ जात ह और दफर परद पर परद डालन होत ह

करोदक तम कछ हो कछ ददखलाना चाहत हो कोई अपनी नगनता म परकि नही होना चाहता

परमातमा क सामन तो परद हिान होग सब मखौि उतार कर रख दन होग चनवासतर हो जाना होगा

सारी धोखाधड़ी छोड़ दनी होगी सारी वचनाए हिा दनी होगी वहा तो परामाचणक होना होगा

नाचौ नाच खोचल परदा म

जगजीवन कहत हाः अब करा परदा दकसस परदा अपन माचलक क सामन खड़ा ह अब सब परद

चगरा दता ह अब चनवासतर नगन अपन परमातमा क सामन खड़ा ह अब चछपाना करा ह उसस करा चछपाना ह

उसस करा चछपा ह

पीव जीव एक करर राखौ

और जब र सब परद चगर जात ह तभी पीव और जीव एक हो पात ह नही तो परदो का ही तो फासला

ह चजतन तमन िि अपन आस-पास बना रख ह उतनी ही दरी ह अहकार तमहारा सबस बड़ा िि ह और

दफर छोि-छोि ििो की कतार लगी ह अहकार क पीछ रह मरा वह तरा--रह सब िि ह करोदक न तम

कछ लाए ि न ल जाओग करा मरा करा तरा म बड़ा तम छोि तमम भी वही उसम भी वही--कौन

बड़ा कौन छोिा पर िि तम बोल जा रह हो और िि पर िि तम जमाए जा रह हो धीर-धीर इनही ििो

की दीवाल क पीछ उलि जाओग

लोग अपन ही बनाए कारागहो म पड़ गए ह दकसी और न दकसी क चलए जजीर नही ढाली ह अपनी

ही जजीर ह अपन ही बनाए कारागह ह दफर खद ही फस गए ह रह हो सकता ह दसरो को फसान क चलए

बनाए ि मगर खराल रखना जो गडढ तमन दसरो क चलए खोद ह आज नही कल तम सवर उनम चगरोग दसर

भी चगरग--व अपन खोद गडढो म चगरग आचखर अपन-अपन गडढो की सबको दफदकर रखनी ह उनन भी खोद

ह व कोई तमहार गडढो म चगरन आएग और कछ न कर सक गडढ तो खोद ही सकत ह उसन भी खोद ह खब

गडढ व अपन गडढो म चगरग तम अपन गडढो म चगरोग

और जरा हजदगी की परख करना तम सदा पाओग दक चजस गडढ म तम चगरत हो वह तमहारा ही खोदा

हआ गडढा ह

म एक रात सिशन पर रका एक अनोखी घिना घि गई वहा एक छोिा सी सिशन--मकरौचनरा दो ही

गाचड़रा वहा खड़ी होती ह--एक सबह आन वाली एक साि जान वाली एक आदमी काफी रपरो की िली

चलए परतीकषा कर रहा िा और डर क मार उसन सिशन मासिर को बता ददरा दक म काफी समपचतत चलए ह और

रहा अधरी रात और रात दो बज गाड़ी आएगी तो म आपको बता दता ह दक िोड़ी मि बिन की सचवधा अदर

कर द सिशन मासिर क कमर म रहा न कोई ह न कछ सिशन मासिर का मन डोला उसन कहा बदफकरी

स तम रह पास पड़ी हई बच पर लि जाओ और उसन जाकर पोिार को कहा दक रह मौका चकन जसा नही ह

कलहाड़ी लाकर इसकी गदान अलग कर दो वह पोिार परतीकषा करता रहा कब मौका चमल दक गदान अलग कर

201

वह आदमी सो न सका चजसक पास इतन पस हो वह सोए कस तो वह उि कर िहलन लगा वह

अपना िोला लकर िहलन लगा रात दर हो गई सिशन मासिर रोज उसी बच पर चवशराम करता िा वह उस

पर चवशराम करन लि गरा और मौका पाकर पोिार न उसकी गदान अलग कर दी रह तो राज तब पता चला

जब अदालत म मामला चला सारी बात जाचहर हई खली दक वह सिशन मासिर का ही शडरतर िा पोिार तो

चसफा आजञा का पालन कर रहा िा

इतनी सपषट घिनाए तो बहत कम घिती ह मगर हजदगी इसी तरह की घिनाओ स भरी ह सपषट घिती

हो दक न घिती हो अगर तम गौर करोग तो तम पाओग तम अपन ही खोद गडढो म चगर गए हो हो सकता ह

गडढा आज खोदा और तीस बाद चगरो इसचलए राद भी न रह जाए भल भी जाओ तम सोचन लगो दकसी और

न खोदा ह लदकन सददरो का अनभव रह ह जञाचनरो का दक हर आदमी अपन खोद गडढ म चगरता ह रही बात

ह मल आधार कमा क चसदधात की और कछ अिा नही ह कमा क चसदधात म तमन जो बोरा ह वही तम काि रह

हो वही तम कािोग वही तम कािोग वही तम काि सकत हो

र महदफल हसती भी करा महदफल-हसती ह

जब कोई पदाा उिा म खद ही नजर आरा

रह हजदगी की महदफल बड़ी अजीब महदफल ह रहा जब पद उि ग तो तम चदकत हो जाओग दक हर

पद क भीतर तमही हो िि क भीतर भी तमही हो पाप क भीतर भी तमही हो पणर क भीतर भी तमही हो

और अततः जब आचखरी पदाा उि जाएगा तो परमातमा क भीतर तम अपन को ही पाओग तमहार अचतररि

रहा और कोई भी नही ह रहा एक का ही वास ह रहा एक का ही आदोलन हो रहा ह

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

और जब परचमका परमी स चमल जाती ह जब जीव पीव स चमल जाता ह जब आतमा परमातमा स चमल

जाती ह जब सब पद बीच क हि जात ह पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री दफर रसधार

बहती ह दफर आनद उमगता ह दफर फल चखलत ह दफर उतसव जनमता ह दफर मगल-गीत पदा होत ह

करा जाचनए खराल कहा ह नजर कहा

तरी खबर क बाद दफर अपनी खबर कहा

पीव जीव एक करर राखौ

उस पर नजर आ गई दक तम गए तम गए दक उस पर नजर आई र एक साि घिती ह घिनाए--

रगपत एक ही कषण म घि जाती ह र एक ही घिना क दो पहल ह--तमहारा जाना उसका आना उसका

आना तमहारा जाना

पीव जीव एक करर राखौ सो छचव दचख रसौ री

परारा वचन ह--सो छचव दचख रसौ री रस ही रस बह जाता ह रसचनमगनता आ जाती ह

कब तक आखर मचशकलात-शौक आसा कीचजए

अब मोहबबत को मोहबबत पर ही कबाि कीचजए

चाहता ह इशक राज-इशक उरररा कीचजए

रानी खद खो जाइए उनको नमारा कीचजए

चमिो उसको होन दो

202

रानी खद खो जाइए उनको नमारा कीचजए

हि जाओ जगह खाली कर दो हसहासन खाली करो परमातमा आन को उतसक ह तम जब तक

हसहासन पर बि हो कस आए तम चमिो तो आ जाए और तब रसधार बहती ह तभी जीवन म आनद ह

अगर तम दखी हो तो अपन कारण दखी हो तमहार दख का मल आधार एक ही ह दक तम हो तम दख

हो बदध न कहा हः ससार दख ह म कहता हाः तम दख हो और तमहारा होना ही ससार का फलाव ह तम

गए दक तमहारा तिाकचित कलपनाओ का ससार गरा दफर जो शष रह जाता ह वह तो परमातमा ह ससार

नही

कतह न बहौ रहौ चरनन दढग मन दढ़ होए कसौ री

कहत ह जगजीवन अब हिगा नही अब हिाए न हिगा कतह न बहौ रहौ चरनन दढग अब कछ

भी हो जाए दकतन ही परान अतीत की राददाशत आए परान भलाव जाल फलाए परान आकषाण खीच--

परानी आदत परान ससकार बलशाली होत ह--कतह न बहौ रहौ चरनन दढग अब बहगा नही अब इन

चरणो स दर न हिगा अब लाख कछ हो जाए अपनी परी शचि एक ही बात म लगाऊगा--मन दढ़ होए कसौ

री अब तो मन को दढ़ता स इनही परो स कस दगा

लदकन दफर भी रह तो परािाना जारी रहती ह भि की--जगजीवन चबनती करर माग कबह नही

चबसरावह र मि भल मत जाना और मि भिकन मत दना म तो अपनी परी सामरथरा लगाऊ दक तमहार पर

न छि मगर म आचखर म ह मरा भरोसा करा मरा बल दकतना छोिा ह तमहार सहार क चबना म चनबाल ह

तम हो तो म बलशाली ह तम मर बल हो चनबाल क बल राम

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

सब छोड़ द सब छोड़ दगा सदा तमहारी तरफ अपलक चनहारता रहगा अब और दखन जसा करा

चजसन उस दखा अब और दखन जसा करा रहौ चनहारत पलक न लावौ सोऊगा भी नही आख भी न

िपगा सतत चौबीस घि उित-बित तमहारी राद करता रहगा सबास और तजौ री और सब छोड़ दगा

जो भी ह सब छोड़ दगा

ददखा कर इक िलक सामान-राहत चजसन लिा िा

चनगाह ढढती ह दफर उसी गारतगर-जा को

और अगर कभी साि छि जाता ह उसस--चजसन सब लि चलरा ददखाकर इक िलक सामान-राहत

चजसन लिा िा चजसन एक िलक ददखा कर सार ससार का सब कछ जो सोचत ि अपना ह मरा ह लि चलरा

िा चनगाह ढढती ह दफर उसी गारतगर-जा को उसी चमिा दन वाल को उसी लिन वाल को दफर चनगाह

बार-बार ढढती रहती ह इसचलए हमन उसको नाम ददराः हरर हरर का अिा होता हः लिरा जो हर ल जो

सब छीन ल दचनरा म बहत नाम परमातमा क ह मगर हरर जसा परारा नाम नही लिरा चोर हरन करन

वाला हरर लि लता ह मगर लिता ह वही जो नही ह और दता ह वही जो ह लिता वही जो भाचत िी और

दता ह वही जो सतर ह लिरा ह और दाता ह

त खश ह दक तिको हाचसल ह म खश दक मर चहसस म नही

वो काम जो आसा होत ह वो जलव जो अजाि होत ह

साधारण काम आसान काम भि कहता ह म खश ह दक मर चहसस म नही ह मर चहसस म करिन काम

पड़ मर चहसस तलवार की धार पर चलना पड़ा

203

त खश ह दक तिको हाचसल ह म खश दक मर चहसस म नही

वो काम जो आसा होत ह वो जलव जो अजाि होत ह

आसदा-ए-साचहल तो ह मगर शारद र ति मालम नही

साचहल स भी मौज उिती ह खामोश भी तफा होत ह

ऐस तफान भी होत ह जो खामोश ह भि ऐस ही खामोशी क तफान म उतर जाता ह

जो हक की खाचतर जीत ह मरन स कही डरत ह चजगर

जब वि-शहादत आता ह ददल सीनो म रकसा होत ह

मरन का जब कषण आता ह भि को तब उसका हदर नाच उिता ह ददल सीनो म रकसा होत ह ददल

नाच उित ह मतर को भि परम आनद का कषण मानता ह करोदक अपना चमिना उसका होना ह मतर परम

सखा ह

भचि क मागा पर मतर परम अनभचत ह वह उसका दवार ह

भचि क मागा पर मतर होती ही नही रह जीवन गरा और महाजीवन चमलता ह रह छोिी सी दचनरा

गई और चवराि दचनरा चमलती ह बद खो जाती ह और सागर चमलता ह

रहौ चनहारत पलक न लावौ सबास और तजौ री

जब वि-शहादत आता ह ददल सीनो म रकसा होत ह

जो हक की खाचतर जीत ह मरन स कही डरत ह चजगर

सदा सोहाग भाग मोर जाग

और अब पता चला दक सहाग करा ह सहागरात करा ह अब पता चला अब तक जो सहाग रचाए ि

रच और उजड़ अब तक जो चववाह रचाए ि बन और चमि अब तक जो चमलन हए ि कवल चबछोह की

तरारररा ि सब कषणभगर िा कोई चमलन शाशवत नही िा इसचलए सब चमलन दख द गए घाव द गए

सदा सोहग भाग मोर जाग अब परमातमा स जो चमलन हआ ह तो सदा सहाग अब सच म ही--जगजीवन

कहत ह--सहागवती हो गई म भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री और अब तो बस सतसग ही जीवन

ह सरचत ही शवास ह अब तो समरण ही एकमातर भोजन ह पोषण ह सतसग सरचत बरौ री

खदा जान मोहबबत कौन सी मचजल को कहत ह

न चजस की इचबतदा ही ह न चजसकी इचतहा ही ह

न तो शरआत ह अब न अत ह अब शाशवत परम एक ऐसी रातरा ह सदा सोहाग भाग मोर जाग

सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

जगो-जगो की आशा परी हो गई जनमो-जनमो की रातरा परा हो गई जनमो-जनमो की आकाकषा फल गई

चरनन सरचत धरौ री तमहार चरणो की समचत आ गई तमहार चरणो पर सरचत धरन का अपवा कषण आ

गरा

अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी

लदकन दफर भी डर लगता ह नाचन म डर लगता ह आदत ही नाचन की नही ह पर जजीरो म बध

रह घघर कभी बाध नही जजीर ही एकमातर पररचचत रही ह अगर तम कदी को एकदम कदखान स चनकाल

204

भी दो और उसस कहो नाचो नाच नही पाएगा जो जजीर उसक पर स चनकल गई उनका बोि अब भी बाकी

होगा अगर कोई आदमी तीस साल तक लोह की जजीर पहन रहा ह तो करा तम सोचत हो आज जजीर काि

कर एकदम उसका बोि चमि जाएगा बोि चचतत पर हो गरा ह

चचदकतसक ऐसा अनभव जानत ह

दसर महारदध म बहत बार ऐसी घिना घिी दकसी आदमी क पर पर बम चगर गरा उसका परा पर

कषत-चवकषत हो गरा भरकर पीड़ा बहोशी होश म डोल रहा ह उस असपताल ल जारा गरा हालत ऐसी

खराब ह दक उसका पर तो बचारा नही जा सकता पर क बचान की कोचशश की तो परी दह चली जाएगी तो

रात उस बहोश करक उसका परा पर काि ददरा गरा जब भी उस होश आता िा वह एक ही बात चचललाता

िाः मर पज म बहत ददा ह जब सबह उस होश आरा तब भी वह कहन लगाः मर पज म बहत ददा ह

चचदकतसक हसन लग उनहोन कहाः ति पता नही अब पजा ह ही नही ददा कस हो सकता ह उघाड़ा गरा

कबल उस ददखारा गरा दक तरा परा पर ही काि ददरा गरा ह अब तो पज म ददा हो ही करा सकता ह जो

पजा ही नही ह उसम ददा कस होगा लदकन वह आदमी कहताः ददा तो ह हालादक म दख रहा ह दक पर काि

ददरा गरा ह मगर ददा तो मि अब भी हो रहा ह

ददा मन पर छारा रह गरा पर नही ह और ददा ह ददा मन स छिन म समर लगगा

बहत बार ऐसा होता ह बीमारी चली जाती ह चसफा तमहार मन म बीमारी की आभा रह जाती ह

सरकती-सरकती छारा रह जाती ह बीमारी स छिना एक बात ह और बीमारी क मन स छिना चबलकल दसरी

बात ह बीमारी का मन अलग बात ह

डाकिर जानत ह इस तरह क लोगो को चजनक शरीर म कोई बीमारी नही ह मगर व पहचत रहत ह

डाकिरो क पास दक होनी चाचहए अगर एक डाकिर क पास नही तो दसर क पास जात ह जब तक दक कोई

डाकिर कह ही न द दक हा बीमारी ह चाह शककर की गोचलरा ही करो न द मगर जब तक कोई डाकिर कह न

द दक बीमारी ह तब तक व जात ही रहत ह ऐस बहत लोग ह चजनका काम ही रही ह मगर व दरा क पातर

ह रदयचप उनक शरीर म कोई बीमारी नही ह

ऐस मन एक आदमी क बाबत सना ह हाइपोकानिीराक िा इसी तरह का बीमार िा बीमारी कोई भी

नही बस बीमारी क खराल और बड़ी-बड़ी बीमारररा खोजता िा और ऐस लोग तरकीब भी चनकालत ह

अखबारो म भी बीमारी की खबर पढ़त ह पचतरकाओ म नई-नई बीमारररो की खोज होती ह व पढ़त ह

रचडरो पर भी बीमारररो की खबर सनत ह िलीचवजन पर भी वही दखत ह जो दखत ह जो पढ़त ह वही

उनको हो जाती ह डाकिर को फोन दकरा उसन दक सनत हो हदर म मि बहत धड़कन हो रही ह डाकिर न

कहा बकवास बद करो तम जो िलीचवजन पर दफलम दखी ह वह मन भी दखी ह

अकसर मचडकल कालज म ऐसा हो जाता ह दक लड़को को जो बीमारी पढ़ाई जाती ह वही बीमारी

कालज म फलन लगती ह मन पकड़ लता ह अकसर जो बीमारी उनह समिाई जाती ह पढ़ाई जाती ह उसी

बीमारी क खराल परचवषट हो जात ह

ऐसा एक आदमी जो हजदगी भर डाकिरो को परशान करता रहा और डाकिर चजस कहत रह तमह कोई

बीमारी नही ह तम चग हो तमह कोई परशान होन की जररत नही ह जब मरा तो अपनी पतनी स कह गरा

दक रह मर पतिर पर खदवा दना दक अब तो मानत हो दक म मर गरा डाकिरो क नाम इतना मर कबर पर

205

पतिर लगवा दना इन दषटो न कभी नही माना मगर अब तो मानग दक म मर गरा दक अभी भी नही मानत

दक अभी भी म धोखा खा रहा ह मरन का वह अपनी कबर पर पतिर लगवा गरा

चचतत आसानी स नही छिता जगजीवन िीक कह रह ह र बड़ अनभव की बात ह होली का कषण आ

गरा फाग खलन का ददन आ गरा भर चपचकारी म रग बाध घघर गाए गीत उड़ाए गलाल--घड़ी आ गई

मगर--अरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म होरी जनमो-जनमो स कभी होली तो खली नही जनमो-

जनमो स रग तो उड़ारा नही गध तो फकी नही जनमो-जनमो स उतसव तो मनाए ही नही उतसव की तो बात

ही नही जानत उतसव की भाषा नही जानत उतसव की शली नही आती जो कभी नही नाचा एकदम स कस

नाचगा नाचत-नाचत ही नाच पाएगा

औगन बहत नाहह गन एकौ

उतसव की घड़ी भी आ गई उसन सहाग का िीका भी कर ददरा उसन माग भी भर दी मगर--औगन

बहत नाहह गन एकौ--मिम तो अवगण ही अवगण ह गण तो एक भी नही--कस गहौ दढ़ डोरी--कस जोर स

पकड़ ल इस परम की डोर को मि तो अपनी अपातरता का ही बोध ह पातरता का तो कोई बोध नही म तो

अपन पाप को ही जानता ह पणर की तो मि कोई खबर नही दकस तरह पकड इस डोर को दक छि न जाए

कहह का दोष म दउ सखी री

दकसको दोष द--सब आपनी खोरी--अब तो ददखाई पड़ता ह जनमो-जनमो स अपन ही दोष ि अपन ही

खोद गडढ ि अपन ही बोए बीज ि वही काित रह आज सददन भी आ गरा मगर पर नाचना भल गए ह कि

स गीत नही फिता

म तो समारग चला चहत हौ

म तो चाहती ह दक नाच समारग पर चल--म त चवष मा घोरी--लदकन जनमो-जनमो स चवष घल गरा

ह आज अमत भी बरसा ह सवाद भी आ रहा ह मगर धनरवाद दन क चलए चहममत नही जिती अरी ए नहर

डर लाग

तम चौकोग रह बात जान कर दक आनद का भी डर लगता ह चनचित लगता ह आनद का चजतना डर

लगता ह और दकसी चीज का नही लगता दख क तो तम आदी हो पररचचत हो पहचान ह परानी दोसती ह

दख स तो तम चनपि लत हो आनद का डर लगता ह

रहा मर पास रोज रह घिना घिती ह जब कोई आदमी आनददत होता ह वह एकदम घबड़ा कर मर

पास आ जाता ह वह कहता ह दक बहत डर लग रहा ह ऐसा आनद हो रहा ह दक शक होता ह दक म पागल

तो नही हआ जा रहा ह दख म पागल नही िा दख म कभी शक नही हआ िा शक करा खाक होता दख तो

जनमो-जनमो स पररचचत ह आदत ह दख की पािशाला म तो जीए ह वही तो बड़ हए ह--म त चवष मा घोरी-

-चवष म घल हए ह रग-रग म रमा हआ ह चवष ही चवष ह तो चवष पीन म तो कोई अड़चन नही आती और

जब पहली दफा आनद क दवार खलत ह सनाई पड़ती ह उसकी िर उसकी पकार तो भरोसा नही आता कस

भरोसा आए कस आए कभी तो हआ नही िा अनहआ हो रहा ह नही होना चाचहए ऐसा कछ हो रहा ह

मागा िा खद परािाना भी की िी मगर भरोसा खद भी कब दकरा िा दक चमलगा

परािाना करकर भी हम कहा भरोसा करत ह दक चमलगा सोचत ह शारद शारद बना ही रहता ह मन

म चनिर नही हो पाता इसचलए जब पहली दफा घिना घिती ह तो जगजीवन िीक कह रह ह िीक

मनोवजञाचनक चवशलषण ह अनभत चवचार का ही नही ह अचसततवगत

206

सनराचसरो म रोज रह घिना घिती ह कोई आता आनद स परशान भरभीत डरा हआ--दक करा हो

रहा ह आशवासन मागन आता ह दक म िीक तो ह रह इतना जो भीतर आनद हो रहा ह रह जो हसी फि

पड़ती ह रह अकारण मसकराहि खल रही ह कोई कारण समि म नही आता खशी का और खशी फिी पड़ती

ह बही जाती ह ऐसा तो कभी न हआ िा म होश म तो ह चवचकषपत तो नही हो गरा

गर की जररत पड़ती ह तमह मागा पर चलान म गर की जररत पड़ती ह तमह मागा स न भिकन दन म

और गर की सबस बड़ी जररत पड़ती ह जब आनद की घड़ी करीब आती ह तब आशवासन दन म दक मत

घबड़ाओ तम चवचकषपत नही हो गए हो पागल नही हो गए हो शभ ददन आ गरा होरी का कषण आ गरा खलो

भरो चपचकारी उड़ाओ रग-गलाल

म तो समारग चला चहत हौ म त चवष मा घोरी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़

दवार सामन ह अब कोई दर नही ह सहाग भर ददरा गरा परमातमा न सवीकार कर चलरा ह--पीव जीव

को अपन भीतर लन को तरार ह

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपए त चमलौ करर जोरी

मगर भि अभी डर रहा ह परािी अभी भरभीत ह सीदढ़रा सामन ह चढ़ जाए मगर अभी भी सोच

रहा हः समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ होगी समचत जब अभी तो पराना चवष परानी आदत परान

ससकार खीच डाल रह ह समचत जब होगी िीक-िीक बचदध जब होगी तब चढ़ जाऊगी--इस गगन-गढ़ पर

इस आकाश म इस अनत म इस चवसतीणा म इस बरहम म चपए त चमलौ करर जोरी और हाि जोड़ कर परभ

स चमलगी

अरी ए नहर डर लाग पर बहत डर लगता ह रातरा बड़ी नई ह रह आकाश की तरफ जाती हई

सीदढ़रा कहा ल जाएगी सीमा म रहन का आदी असीम म उतर तो डरगा तो नदी जब सागर क पास पहचती

ह भरभीत तो होगी

खलील चजबरान न चलखा हः जब नदी सागर म चगरती ह लौि कर पीछ दखती ह जरर दखती होगी व

सब राद व पवात-शरखलाए व मल उदगम-सरोत व पहाड़ व खाइरा व जलपरपात व मदान व तीिा व

मददर व लोग सारी रातरा सारा अतीत पकारता होगा लौि कर नदी दखती होगी करोदक सामन सागर ह

सागर रानी खोना डरती भी होगी चििकती भी होगी अरी ए नहर डर लाग सचख री कस खलौ म

होरी नदी भी सोचती होगी दक सागर स कस चमल चमली दक गई चमली दक सदा क चलए गई दफर लौिना

न हो सकगा दफर मरा होना न हो सकगा चसकड़ती होगी सकचती होगी चििकती होगी लौि पड़ना

चाहती होगी--परानी आदत दफर परानी समचतरा वापस खीचती होगी

समचत होचह तब चढ़ौ गगन-गढ़ चपए त चमलौ कर जोरी

रह चििक तो आती ह मगर चििक रोक नही पाती डर तो लगता ह लदकन सामन खड़ा सवाद इतना

गहन ह दक सब डर क बावजद चढ़ ही जाता ह आदमी गगन-गढ़ सब भरो क बावजद रह परम का हखचाव

ऐसा ह रह आकषाण ऐसा ह दक भल कर सब अतीत को छलाग ल लता ह भचवषर क अजञात म

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

आख भीगी जा रही ह भीजौ ननन चाचख दरसन-रस दशान का रस आखो म उतर रहा ह सब भीगा

जा रहा ह

207

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

अब चाह कछ भी हो भर तो बहत लगता ह मगर रह परम की गाि नही छोडगी भर तो बहत लगता

ऐस ही समिो जब नई दलहन चववाचहत होकर जान लगती ह नहर स मा क घर स जब जान लगती ह

पचत क घर की तरफ तो लौि-लौि कर नही दखती जार-जार नही रोती इसचलए नहर शबद का पररोग

दकरा ह अरी ए नहर डर लाग जहा जनम जहा बड़ हए चजन सचखरो क साि खल चजन माता-चपता की

छारा म बड़ हए सब को छोड़ना पड़ रहा ह अरी ए नहर डर लाग मगर दफर भी--रोत-रोत भी मगर दफर

भी--बि जाती ह डोली म बिना ही पड़गा अतीत का भर भचवषर क परम म बाधा नही बन सकता जाना ही

पड़गा रोत-रोत तो रोत-रोत सही तो भरभीत सही जाना तो पड़गा ही रह नतर की घड़ी आ गई नाचना

तो पड़गा ही नही आता नाच तो कोई दफकर नही नही जमग पर आज कोई हजा नही नाचना तो पड़गा ही

अब कोई बहान काम न आएग डोली दवार पर आ गई ह चढ़ना तो पड़गा ही

भीजौ ननन चाचख दरसन-रस परीचत-गारि नहह छोरी

अब छोड़ भी नही सकती ह परीचत की गाि को दकतना ही लग भर

रहौ सीस द सदा चरनतर

अब तो अगर सीस भी दना पड़गा तो दगी भर लग तो लग

रहौ सीस द सदा चरनतर होउ ताचहकी चरी

अब तो उसकी ही सवा म उसकी ही दासी होकर रह जाऊगी

जगजीवन सत-सज सचत रचह

अब तो सज तरार ह चपरा की

और बात सब िोरी

और बाकी सब बात वयिा ह िोिी ह जाना तो होगा ही--सज तरार हो गई चपरा चमलन को आतर

उसका बलावा आ गरा आखो म उसका रस भर आरा हदर उसको अनभव करन लगा सामन सीदढ़रा ह

डोली दवार आ लगी शिअरी ए नहर डर लाग सखी री कस खलौ म हारी मगर खलनी ही होगी शर-शर

कशलता न होगी पर इधर-उधर पड़ग शर-शर वादय िीक स न बजगा शर-शर छद िीक स न बिगा--दफर

बि जाएगा--मगर अब सब हचताए छोड़ कर छलाग तो लनी ही ह

जगजीवन सत-सज सचत रचह और बात सब िोरी

अब तो उसक चबना हजदगी वयिा ह

र हजदगी गजार रहा ह चतर बगर

जस कोई गनाह दकए जा रहा ह म

ऐसी भी इक चनगाह दकए जा रहा ह म

जरो को मघो-माह दकए जा रहा ह म

मिस लग ह इशक की अजमत को चार चाद

208

खद हसन को गवाह दकए जा रहा ह म

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

जगजीवन कह रह ह दक जस म जा रहा ह इस डोली म चढ़ कर अजञात की पीव स जीव को चमलन का

साहस जिा रहा ह ऐस ही तम भी जिाना

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

चजस ददन कोई भि परमातमा स चमलन का साहस जिा लता ह उसी ददन उसक भीतर सतगर का जनम

हो जाता ह दफर उसक दवारा औरो को सहारा चमलन लगता ह जब तक डर ह तब तक वह चशषर रहता ह

चजस ददन डर को तराग कर चनभार छलाग ल लता ह उसी ददन गर हो जाता ह

एक सदगर क पास अनक सदगर पदा हो सकत ह एक दीर स अनक दीर जल सकत ह और दफर

परतरक दीरा अनक-अनक दीरो को जलान का कारण बन सकता ह रह सारी परथवी दीपावली हो सकती ह रह

सारी परथवी गलाल स भर सकती ह रग स भर सकती ह मगर बड़ी स बड़ी जो बात ह वह ह सार भर छोड़

कर अजञात की रातरा पर चनकल जाना

आग कदम बढ़ाए चजनह सिता नही

रौशन चचराग-राह दकए जा रहा ह म

ऐस र परार वचन ि जगजीवन क इनह तमन सना गनना भी इनह तमन सना जीना भी और इनस

तमहार भीतर चछप चचराग परकि होग बद पड़ी कचलरा चखलगी

रह करिन नही ह रह हो सकता ह जसा एक को हआ वसा सभी को हो सकता ह जो एक मनषर क

जीवन म घिता ह वह सभी का अचधकार ह

अरी म तो राम क रग छकी

अरी म तो नाम क रग छकी

तम भी छको मगर पीओग तो ही छकोग जीओग तो ही छकोग ऐस छको दक तमहार ऊपर स बहन

लग ऐस भरो दक तमहारी पराली स औरो की पराली म बहन लग रस जलो औरो को जलाओ भरो औरो क

भरो वही वयचि धनर ह दफर तम भी कह सकोगः

सदा सोहाग भाग मोर जाग सतसग सरचत बरौ री

जगजीवन सचख सचखत जगन-जग चरनन सरचत धरौ री

रचग-रचग चदन चढ़ावह साई क चललार र

मन त पहप माल गचिक सो लक पचहरावह र

चबना नन त चनरख दख छचव चबन कर सीस नवावह र

दइ कर जोररक चबनती माग नाम क मगल गावह र

जगजीवन चबनती करर माग कबह नही चबसरावह र

छको--ऐस ही छको ऐसा ही सहाग तमहारा हो ऐसा ही भाग तमहारा हो

209

अरी म तो नाम रग छकी

आज इतना ही

210

अरी म तो नाम क रग छकी

दसवा परवचन

शाशवत सगीत भीतर ह

पहला परशनः म सखी होना चाहता ह म जो भी करता ह सो सखी होन की आशा म ही करता ह अब म

धमा साधन आरा ह सो भी उसी आशा म आप कहत ह--अहकार को चमिाओ इसस मि ऐसा परतीत होता ह

दक अहकार को चमिान स म सवर ही चमि जाऊगा दफर म रहगा ही नही तो सखी कस होऊगा अचसततव

खोन की अपकषा दखमर अचसततव ही करो न िीक होगा

सवरपानद जीवन की सबस बड़ी समसरा रही ह सबस मलभत परशन रही ह अहकार जब तक ह तब

तक सख नही करोदक अहकार जब तक ह तब तक परमातमा स चमलन नही और जब परमातमा स चमलन

होगा सख की वषाा होगी तो अहकार न बच सकगा--अहकार को न बचा सकोग म क चमि जान स ही दवार

खलत ह

पर एक बात खराल म रख लना म क चमि जान का रह अिा नही ह दक तम चमि जात हो वहा

तमहारी भल हो रही ह म की वजह स तम चमि हए हो तम हो करा खाक म क कारण ही तम चमि हए

हो तमहारा होना ऐसा ही ह जस चसरददा क कारण चसर का होना रदयचप रह सच ह दक चसरददा होता ह तभी

चसर का पता चलता ह नही तो चसर का कहा पता चलता ह लदकन करा चसर का पता चलान को चसरददा

चाहोग जब चसर म ददा नही होता तो भी चसर तो होता ह पता नही चलता चलन की जररत नही रह

जाती जब शरीर पररपणा सवसि होता ह तो शरीर का पता नही चलता बीमारी म ही पता चलता ह

इसचलए हमार पास एक परारा शबद ह दचनरा की दकसी भाषा म नही वह शबद हः वदना वदना क दो

अिा हाः जञान और दख वदना उसी धात स बना ह चजसस वद चवदवान वदना का अिा हः जञान और वदना का

अिा दख भी रह अनिा शबद ह और इन दोनो का करा मल होगा--दख और जञान का मल ह हम दकसी चीज

का जञान ही तब होता ह जब काि की तरह कछ चभ पर म कािा लग तो पर का पता चलता ह जता पर को

काि तो पर का पता चलता ह अगर जता चबलकल न कािता हो पर को तो पर का पता नही चलता

लदकन पता चलना और होन म फका ह चसर तो तब भी रहगा जब चसरददा न रहगा लदकन पता नही

चलगा तम तो तब भी रहोग जब अहकार नही रहगा अहकार तो घाव ह चोि ह पीड़ा ह--वदना ह जब

अहकार चला जाएगा तब भी तम रहोग वदनामि सवसि सार घाव चवदा हो गए एक सननािा होगा एक

शाचत होगी एक नीरव सगीत होगा चमि नही जाओग तम पहली दफा होओग अभी चमि हए हो चसरददा क

कारण चसर चमिा जा रहा ह

लदकन अभी तमन एक ही जीवन की वयवसिा जानी--अहकार की और इस अहकार क कारण तम दख

तक को जीन को राजी हो तम कहत हो रही बहतर ह दफर दख को ही पकड़ रह कम स कम ह तो और म

तमहारा तका समिता ह रही तो सभी का तका ह इसीचलए तो लोग अहकार नही छोड़ रह ह करोदक उनह

लगता ह अहकार गरा तो हम गए दफर सख दकसको होगा सख दकसी को नही होता सख होता ह दख

दकसी को होता ह दख म दो होत ह चजसको होता ह वह और जो होता ह वह जब चसरददा होता ह तब दो

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होत ह--चसर और चसरददा दवदव होता ह दई होती ह जब पर का पता चलता ह काि क चभन स तो दो होत ह-

-कािा और पर होत ह जब कािा चनकल गरा पर ही बचा अब सख होता ह लदकन दकसको होता ह

सख का भी पता नही चलता

तमह कभी पता चलता ह तम कभी ऐसा तो नही कहत लोगो स दक आज बड़ा अचछा लग रहा ह चसर

म भी ददा नही ह पर म कािा भी नही गड़ा ह कमर म भी ददा नही हो रहा ह--बड़ा आनद आ रहा ह अगर

तम इतना चहसाब रखो दकतना-दकतना नही हो रहा ह तो तमहार आनद की फहररशत बड़ी लबी हो जाएगी

शरीर म हजारो चीज ह लाखो चीज ह सब िीक चल रही ह मगर दकसी का तमह पता नही चल रहा ह पता

तमह उसका चल रहा ह जो िीक नही चल रही ह जहा गड़बड़ हो रही ह उसका पता चल रहा ह पता चलन

का अिा ही रही ह दक शरीर रह कह रहा ह दक कछ करो रहा कछ अड़चन आ गई ह इस काि को अलग करो

अहकार का पता चलता ह आतमा का पता नही चलता आतमा लापता ह उसकी अनभचत होती ह

अनभव नही होता उसकी परतीचत होती ह मगर परतरकष नही होता

तम चमि जाओग तो सख होगा सख दवदव म होता ही नही अभी भी कभी तमहार जीवन म अगर सख की

एकाध दकरण उतर आती ह तो उस कषण तम चमि जात हो दखा तमन साि को डबता हआ सरज आकाश म

सतरग बादल घर नीड़ो को लौित हए पकषी साि की उतरती हई पारलो की िकार अधरा आता ह रात

उतरन लगी सब शात-सननािा होन लगा और तम कषण भर को खो गए--डबत सरज को दख कर लौित

पचकषरो को दख कर आकाश म रगीन बादलो को भिकत दख कर कषण भर को तम खो गए कषण भर को तम न

रह तभी सख हआ दफर पीछ तम कहत हो दक बड़ी सखद साि िी बड़ा परारा सरज डब रहा िा रा एक

चमतर घर आ गरा बहत ददन का चबछड़ा परारा घर आ गरा तम छाती स लग गए कषण भर को तम भल गए

कषण भर को अहकार न रहा कषण भर को चवसमरण हो गरा अपना कषण भर को चसरददा न रहा दफर पीछ तम

कहत हो--बड़ा सख चमला चमतर को चमल कर बड़ा सख चमला चमतर को चमल कर सख नही चमला न सरज को

डबत दख कर सख चमला न कोरल क गीत की िकार सन कर सख चमला सख चमलता ह तभी जब तम दकसी

भी चनचमतत स अहकार को भल जात हो

मि सन रह हो चजनह मि सन कर सख चमलता ह व जरा सोच सख चमलता इसीचलए ह दक मि

सनत-सनत तम अपन को भल जात हो और कछ नही कारण ह जो अपन को नही भल पाता मि सनत समर

उस सख नही चमलगा चजसक चसर म हजार चवचार चल रह ह जो सोच रहा ह चवचार कर रहा ह चहसाब

लगा रहा ह उस सख नही चमलगा जो मसत हो गरा जो मर साि एक हो गरा जो भल ही गरा दक ह--तम

जब वहा चमि जात हो तम जब वहा नही होत अहकार की तरह चवचार की तरह मन की तरह जब वदना

नही होती तब भी तम होत तो हो रहा दखत हो सननािा ह कोई अचानक पास स गजर जाएगा उस पता भी

न चलगा दक पाच सौ लोग बि कर रहा कछ कर रह ह जहा पाच सौ लोग होत ह वहा तो बाजार भर जाता

ऐसा हआ

अजातशतर बदध क समर का एक समराि--और जस समराि होत ह सदा भरभीत डरा हआ न मालम

दकतन लोगो को मरवा डाला ह उसन अपन बाप तक को कद म डाल ददरा ह कस न डरगा कस न भरभीत

होगा कब कौन मार द कब कौन गोली चला द कब कौन छरा भोक द उसक वजीरो न उस कहा बदध का

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आगमन हआ ह आप भी चलग सतसग को उसन पछा दकतन लोग बदध क साि आए ह पता चला दस हजार

चभकष आए ह कहा िहर ह सब उसन पता चलरा रिकाना चलरा उसन कहा अचछा म चलगा

जब वह गरा तो पछता जाता दक अभी तक आरा नही सिान तब उनहोन कहा दक अब दख रह जो दर

अमराई ददखती ह आमो की बस इसी म बदध िहर ह पास ही िी अमराई िोड़ ही कदमो का फासला

अजातशतर न अपनी तलवार चनकाल ली वजीरो न कहा आप तलवार करो चनकाल रह ह उसन कहा मि

शक होता ह मि दकसी धोख का शक होता ह अगर दस हजार लोग रहा िहर ह तो बाजार मचा होता न

कोई आवाज ह न कोई शोरगल ह रहा तो लगता ह अमराई खाली पड़ी ह मि कोई चहल-पहल नही ददखाई

पड़ती तम मि कछ धोखा तो नही द रह हो तम मि दकसी शडरतर म तो नही डाल रह हो व वजीर हसन

लग उनहोन कहा दक आप चनहित होकर तलवार भीतर कर ल आपको बदध क पास क लोगो का पता नही ह

वह ऐस ह जस नही ह उनकी उपचसिचत अनपचसिचत जसी ह रही तो रहसर ह रही तो उनका रस ह रही

उनका आनद ह दक व चमि गए ह और चमि कर हो गए ह एक और ढग ह उनक होन का उनकी शली और ह

व धरान को उपलबध लोग ह आप तो तलवार भीतर कर ल आप वयिा परशान न हो कोई शडरतर नही ह

जरा चार कदम और--और हम पहच जात ह अमराई म

और अजातशतर अमराई म पहचा तो चौक गरा तलवार उसन रदयचप रख ली मरान म लदकन मटठी पर

उसका हाि रहा जब अमराई म पहच गरा तब उसन तलवार स हाि छोड़ा चनचित ही दस हजार लोग ि

सननािा िा बदध क साि चपचाप बि ि समर िा धरान का सब धरान म लीन ि जस वहा एक भी वयचि न

हो

तमह मि सनकर कभी जब सख की िोड़ी सी िलक चमलती ह तो वह इसचलए चमलती ह दक तम उस

घड़ी म अपन को भल गए होत हो चमि तो नही जात तम होत तो हो ही मगर रह होन का नरा ढग ह रह

नई शली ह एक होन का ढग ह रगण चवचकषपत जवरगरसत और एक होन का ढग ह सवसि शात चनमाल

धरानसि

सवरपानद तमहारा परशन महतवपणा ह तम कहत हो म सख की तलाश करता ह जीवन भर सख की ही

खोज करता रहा ह सखी होन की आशा म ही जीता रहा ह लदकन तमन सख पारा कहा जरा इस पर

चवचार करक दखो जीवन भर सख पान क चलए चजए हो सख चमला कहा अगर जीवन भर कोई सख पान की

तलाश कर और सख न चमल तो चवचार तो करना चाचहए--कही हमारी खोज म ही बचनरादी भल तो नही ह

और तमहारी अकल की ही बात होती तो िीक िा इस जगत म दकसको सख की खोज करन स सख चमला ह

दकसी को भी नही जो सख की खोज करता ह वह तो सख पाता ही नही चजतनी खोज करता ह वह उतना सख

दर होता चला जाता ह करोदक चजतनी खोज करता ह उतना ही अहकार और अहकार को बचा कर कोई

कभी सखी नही हो सकता

रह तो ऐसा हआ ही दक चसरददा को बचा कर तम चाहत हो दक चसरददा िीक हो जाए रह असभव ह

तम चाहत हो कािा तो गड़ा रह--काि स तमह मोह हो गरा ह हो सकता ह कािा सोन का हो हीर-जवाहरात

जड़ा हो--काि का तमह मोह हो गरा ह और तम चाहत हो पर म जो पीड़ा होती ह वह भी चमि जाए तम

असभव की कामना कर रह हो और तमही नही सारा जगत तमहार जस ही लोगो स भरा ह सवरपानद और

रहा तम दखी ही दखी लोग दखत हो रहा कब तमह सखी आदमी चमलता ह बड़ी मचशकल स और जब भी

सखी आदमी चमलगा वह तमस रही कहगा दक चमि जाओ तो सख हो सख होता ही तब ह जब तम नही होत

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तमहार और सख क दोनो क साि-साि होन का कोई उपार नही तम काि हो लदकन दफर भी म तमस कहता

ह तमहार चमि जान पर भी तमहारा एक और तरह का होना शष रह जाता ह लदकन वह होना बड़ा चभनन ह

उस होन का नाम ही आतमा ह

तो होन क दो ढग एक अहकार एक आतमा अहकार दखद ढग ह होन को नारकीर ढग ह होन का

आतमा सखद ढग ह होन का आनदपणा ढग ह होन का अहकार को पकड़ोग तो आतमा स चकत रहोग

अहकार छोड़ोग तो आतमा की उपलचबध ततकषण हो जाती ह

अहकार को तो छोड़ना ही होगा इस चबना छोड़ कोई उपार नही ह और छोड़ कर तम पाओग चमि

नही पहली दफा हए छोि स बड़ हए जस बद सागर म चगर जाए तो लगता तो ऐसा ही ह दक चमि गई बद

मगर रह एक तरफ स लगता ह दक चमि गई अहकार की तरफ स लगता ह दक चमि गई जरा दसरी तरफ स

भी सोचो एक और तरफ स भी दवार खलता ह दक बद सागर हो गई

जब बद सागर म चगरती ह तो होता करा ह घिना करा घिती ह उसकी सीमाए िि जाती ह बद तो

नही ििती बद तो अब भी ह मगर अब सीचमत नही ह वह जो कषदर सी सीमा िी वह सीमा खो गई वह अब

सागर की सीमा क साि लीन हो गई और अब बद उतनी ही बड़ी ह चजतना बड़ा सागर ह

उतन ही बड़ तम हो चजतना बड़ा सागर ह चाहो बद की तरह रहो रह एक ढग ह अहकार का दफर

दखी रहोगः करोदक सीमा म दख ह करोदक सीमा म बधन ह करोदक सीमा कारागह ह नाचोग कस गाओग

कस हर तरफ दीवाल आ जाती ह कही पख फलान का मौका नही चमलता आकाश नही चमलता उड़न को

रह तमहार जीवन भर का अनभव ह दक तमन सख खोजा और सख नही पारा

अब तम कहत हो म सखी होना चाहता ह सभी होना चाहत ह मगर सभी दखी ह रह खराल रखना

सभी सखी होना चाहत ह और सभी दखी ह रह दघािना कस घि रही ह जब सभी सखी होना चाहत ह तो

अचधकतम लोग तो सखी होन ही चाचहए हा कछ लोग भल-चक कर समि म आ जाएगा मगर हालत उलिी

ह सभी सख चाहत ह और सभी दखी ह तो कही ऐसा तो नही दक सख की चाह म ही दख पदा होता ह

करोदक चजनहोन सख की चाह छोड़ दी उनक विवय बड़ चभनन ह व कहत ह सख की चाह छोड़ी दक हम सखी

हो गए इसचलए उनहोन सख क चलए नरा नाम खोजा--आनद तादक तमह भाचत न हो नही तो तम रही

समिोग दक तमहारा ही सख ह

इसचलए बदध नही कहत दक सख चमलगा करोदक सख कहन स तमहारी परानी भाचत को कही बल न

चमल कही तम सख की खोज म ही न लग रहो तो बदध कहत ह वासना छोड़नी होगी कामना छोड़नी होगी

तषणा छोड़नी होगी रह जो सख की कामना ह रही तमहार दःख का आधार ह चजस ददन तम रह दख लोग

उसी ददन धमा का सतरपात होता ह लदकन तम तो रह कह रह हो दक म जो भी करता ह सखी होन की आशा

म करता ह पर रह तो दखो दक चमलता तो दख ह तमहारी आशा स करा सबध ह तम ऐसा ही समिो दक तम

तो बड़ी आशा स रत स तल चनचोड़ना चाहत हो मगर चनकलता कहा तल तमहारी आशा स रत स तल चनकल

भी नही सकता तमहारी आशा स रत स तल चनकलन का सबध करा ह रत म तल होना चाचहए तो चनकल

और तम चारो तरफ लोगो को दख रह हो दक सब रत को पीस रह ह तल चनकालन की कोचशश म लग ह तल

का कोई पता नही

तम सख की आशा स पाए नही सख सख की आशा म भाचत ह सख की आशा स ही दख पदा होता ह

कस दख होता ह सख की आशा स उस समिो

214

तम सोचत हो इस बड़ महल म आवास हो जाए तो सख हो अब तमन दख क उपार शर दकए अब

तम चजस िोपड़ म रहत हो इसम तमह सख नही हो सकता पहली बात तलना सामन आ गई रह महल तमह

सख का सपना द रहा ह तमहारा िोपड़ा इस महल क कारण इस महल की तलना म बहत भददा हो गरा बहत

करप हो गरा बहत छोिा हो गरा बहत तचछ हो गरा नही तो कोई िोपड़ा तचछ नही ह तलना म ही तचछ

होता ह िोपड़ा अपन आप म चसपा िोपड़ा ह रहन की जगह ह न अचछा ह न बरा ह एक सचवधा ह लदकन

जस ही तमन महल पर नजर बाधी तम दखी हो गए रहोग तो अभी िोपड़ म एकदम स महल म तो नही

पहच जाओग रहोग िोपड़ म लदकन अब दखी हो गए अब दखी रहोग तमहार पास दस हजार रपर ि और

तमन कहा जब तक लाख न हो जाएग तब तक म कस सखी हो सकता ह अब दस हजार म सख नही चमलता

दस हजार स पीड़ा चमलती ह कषट होता ह दक चसपा दस हजार बस दस हजार गरीबी पता चलती ह

अमरीका का बहत बड़ा अरबपचत एण कारनगी मरा तो दस अरब रपर छोड़ कर मरा मरन क दो घि

पहल जो वयचि उसकी जीवन-किा चलख रहा िा उसन पछा कारनगी स दक आप तो तपत जा रह होग आप

तो सतषट जा रह होग दस अरब रपरा छोड़ कर कोई आदमी नही मरा ह नगद एण कारनगी न आख खोली

और बड़ी उदासी स कहा दक म एक हारा हआ आदमी ह म पराचजत जा रहा ह म दखी जा रहा ह करोदक

मरी रोजना सौ अरब रपर कमान की िी नबब अरब स हार हई ह मरी कोई छोिी-मोिी हार नही ह

अब तम समिो िोड़ा दस अरब चजसक पास ह वह कह रहा ह--नबब अरब स मरी हार हई ह कोई

छोिी-मोिी हार नही ह मरी अगर इस तरह स सोचो तो तम कही जरादा सफल हो करोदक नबब अरब स नही

हार हो तमन अगर दस हजार चाह ि और हजार ही तमहार पास ह तो नौ ही हजार स हार हो तमहारा दख

छोिा ह एण कारनगी का दख बड़ा ह चनचित बड़ा ह नबब अरब रपर का दख ह छाती पर पतिर ह

चहमालर रखा ह

मगर दस अरब रपर कषट द रह ह उस रह समिो करोदक सौ अरब की रोजना ह तमन अगर महल

पर नजर बाध ली तो तम िोपड़ म दखी हो गए पहली बात दख की शरआत हो गई तमहारा दख उतना ही

बड़ा होगा चजतना बड़ा महल तमन अपनी कलपना म सोचा ह उसी अनपात म होगा तमहारा दख खराल

रखना एण कारनगी की बात दक नबब अरब रपरो स हार कर जा रहा ह पराचजत सवाहारा चभखमगा भी

इस बरी तरह नही मरता करोदक चभखमग की रोजना ही बड़ी नही होती तो दख बड़ा नही हो सकता दख

तमहारी आशा क अनकल होता ह आशा क अनपात म होता ह और तमहारी बड़ी आशाए ह रह चमल वह

चमल

चजतनी तमहारी कामनाए ह उतना बड़ा तमहारा दख ह चजओग तो तम वहा जहा तम हो और आशाए

तमन बाध रखी ह बड़ी-बड़ी व सब तमहार आस-पास परतो की तरह खड़ी हो गई ह तमह सताएगी--बरी तरह

सताएगी इसस तम दखी हो रह हो तम दखी अपनी जीवन की चसिचत क कारण नही हो रह हो तम अपनी

तषणाओ क कारण दखी हो रह हो तो चजतनी बड़ी तषणा होगी उतना बड़ा दख होगा

एक फकीर िा अकबर क जमान म मरन क करीब आरा तो उसन कहा दक मर पास कछ पस इकटठ हो

गए ह--लोग फकत जात ह--म इस गाव क सबस गरीब आदमी को द दना चाहता ह बहत लोग आए गरीबी

क दावदार आए चबलकल नग फकीर आए उनहोन कहा हमस जरादा गरीब और कौन होगा हमार पास कपड़ा

भी नही ह मगर उसन कहा दक िहरो अभी सबस बड़ गरीब आदमी को आन दो लोगो न कहा लदकन अब

और तम दकसकी परतीकषा कर रह हो अब और कौन गरीब होगा रह दखत आदमी लगड़ा लला कोढ़ी नगा

215

अब और करा होगा इसक पास कछ नही ह और भी आए कोई अधा िा कोई कछ िा कोई कछ िा मगर

वह आदमी कहन लगा दक नही सबस बड़ा गरीब जब आएगा

और चजस ददन अकबर की सवारी चनकली उसक िोपड़ क सामन स उसन परी िली जाकर अकबर को

भि कर दी अकबर को भी खबर लग गई िी उसकी दक उसन रह घोषणा कर दीरा ह अकबर न कहा दक

मामला करा ह तम मि द रह हो तमन तो घोषणा की िी सबस बड़ गरीब को वह फकीर हसन लगा

उसन कहा तमस बड़ा गरीब इस राजधानी म कोई और नही म तमहारा दख जानता ह इसचलए तमको द रहा

ह हालादक मरी िली स कछ जरादा नही होगा--पतर-पषप समिो फल की पाखड़ी तमहारी तषणाओ क जाल

म कछ इसस बहत फका नही पड़गा--मगर म तमह रह राद ददलाना चाहता ह दक तम सबस बड़ गारीब आदमी

हो रहा करोदक तमहारी आकाकषाए सबस बड़ी ह

आकाकषाओ क अनपात म आदमी गरीब होता ह उसी अनपात म दखी होता ह दफर तमहारी आकाकषाए

बहत ह सदरतम दह होनी चाचहए तो गरीब हो गए करप हो गए धन होना चाचहए तो चनधान हो गए

महल होना चाचहए तो चजस मकान म रहत ि वह िोपड़ा हो गरा िोपड़पटटी हो गरा एक सदर सतरी होनी

चाचहए चकलरोपतरा जसी सदर हो दक नरजहा हो दक ममताज महल हो बस तमहारी सतरी एकदम करप हो

गई बढगी हो गई तमहारा बिा अलबिा आइसिीन जसा बचदधमान हो बस अड़चन हो गई अब तमहारा बिा

बदध हो गरा अब तम दख ही दख म चघर जा रह हो दफर तम चहसाब लगा सकत हो अपनी फहररशत

बनाना दक करा-करा तम चाहत हो चजसस तम सखी होओग उसी क कारण तम दखी हो

जरा फहररशत को चबदा कर दो तमहारा बिा तमहारा बिा ह अलबिा आइसिीन स करा लना-दना और

अगर तम दकसी स तलना न करो--और जो आशा नही करता वह तलना नही करता तलना आशा की छारा ह-

-तब तमहारा बिा जसा ह वसा ह जरा भी दख दन वाली नही ह कोई कारण दख का नही रह गरा तमहार

पास दस हजार रपर ह तो तम दस हजार रपर स जो सख ल सकत हो लोग करोदक ऐस लोग ह बहत

चजनक पास दस रपर भी नही ह और चजनक पास दस रपर नही ह व सोचत ह दस हजार हो जाए तो सखी

हो जाएग तम जरा सोचो तमहार पास दस हजार ह मगर तम सखी कहा हो और तम सोचत हो दस अरब

हो जाए तो हम सखी हो जाएग--तो एण कारनगी का चवचार करना एण कारनगी क पास दस अरब ह सखी

कहा ह

तमहारी तलनाओ को चवदा करक दखो और तम अचानक पाओग दख क पहाड़ कि गए छि गए

बदध न कहा ह तषणा दख का मल ह

तो एक बात तषणा चजतनी बड़ी होगी उतना बड़ा दःख होता चला जाता ह

दसरी बात तम अगर इन तषणाओ को दकसी तरह परा भी कर लो सारी हजदगी दख उिा-उिा कर

नरक िल-िल कर भीख माग-माग कर चोरी करक बईमानी करक सब तरह की जालसाचजरा करक दकसी

तरह तम महल म पहच जाओ तो भी तम सखी नही हो सकोग करोदक वासना का दसरा रग भी समि लो

जो चमल जाता ह वासना उसीको भल जाती ह जो नही चमलता उसीको राद रखती ह दस हजार रपर

ह तो लाख की माग करती ह जब लाख हो जाएग तो दस लाख की माग करगी तमहारी और तमहारी वासना

का अतर सदा उतना ही रहता ह चजतना पहल िा--उसम अतर नही पड़ता वासना और मनषर क बीच जो

सबध ह वह चकषचतज जसा ह जस दर पास ही कछ मील चल कर आकाश जड़ता हआ लगता ह परथवी स तम

सोचत हो घि दो घि चलगा तो पहच जाऊगा जहा आकाश जमीन स चमलता ह रा बहत होगा तो साि

216

सबह चलगा तो साि तक पहच जाऊगा मगर तम कभी नही पहच पाओग करोदक चजतन तम आग बढ़ जाओग

उतना ही चकषचतज आग बढ़ जाता ह चकषचतज कही ह नही चसपा आभास ह ऐसी ही तमहारी वासना बढ़ती

चली जाती ह तम िोपड़ म हो तो मकान मागती ह मकान म होत हो तो महल मागती ह महल म हो जात

हो और बड़ा महल मागती ह वासना का अिा होता ह और और और वह वासना का सवरप ह वह

कभी भी नही कहती दक बस पराापत पराापत शबद वासना को आता ही नही वह उसकी भाषा म नही ह

इसचलए सख होगा कस तम नही पहच तब तक दःखी रहोग और पहच गए तो नर दख और नर

चकषचतज चनरमात हो जाएग और भी एक मज की बात ह समि लो कलपना क चलए चसपा उदाहरण क चलए दक

तमन सब पा चलरा जो तम पाना चाहत ि अब पान को कछ भी कही बचा समि लो ऐसा कभी होता नही

ह न कभी हआ ह न कभी होगा लदकन चसपा चवचार क चलए कालपचनक दषटात समि लो मान लो दक तमन

सब पा चलरा जो तम पाना चाहत ि--सदरतम सतरी तमह चमल गई सदरतम महल तमह चमल गरा सारी

समपदा जगत की चमल गई तम चकरवती समराि हो गए तो करा तम सोचत हो तचपत हो जाएगी

मन सना ह चसकदर जब भारत-चवजर क चलए आता िा तो एक जरोचतषी को उसन अपना हाि

ददखारा और कहा दक म चवशव-चवजर को चनकला ह सारी दचनरा को जीत कर ददखलाना ह अब तक कोई

आदमी रह नही कर पारा म करक ददखाऊगा जरोचतषी न हाि दखा उसन कहा दक रह तो िीक ह लदकन

तमन इसक आग क सबध म सोचा चसकदर न पछा आग और करा ह जब परी दचनरा जीत ली तो आग करा

ह नही उस जराचतषी न कहा इतना ही कहता ह दक दसरी कोई और दचनरा नही ह अगर जीत लोग दफर

करा करोग और कहानी रह कहती ह दक चसकदर रह सन कर उदास हो गरा दक दसरी दचनरा नही ह

अभी जीती नही ह

मगर अगर जीत लोग तो दफर करा करोग तमहारी सारी ऊजाा तमहारी सारी महतवाकाकषा एकदम स

चारो खान चचतत जमीन पर चगर पड़गी दफर करोग करा एकदम उदास हो जाओग एकदम हार जाओग

करन को कछ भी न बचगा आतमघात क अचतररि और करा बचगा और कहत ह चसकदर उदास हो गरा िा

रह बात सनकर दक दसरी कोई दचनरा नही उसक हाि-पर चशचिल हो गए ि अभी रह दचनरा जीती नही ह

लदकन अगर जीत लोग तो दफर करा करोग

कलपना कर लो दक तमन सब पा चलरा दफर करा करोग एकदम छाती धकक स रह जाएगी करोदक

करन की आशा म जीत रह ि रह करना ह वह करना ह उसी म उलि रह ि अब सब चमल गरा अब कछ

करन को नही बचा अब तमहारी दौड़-धप तमहारी अतीत की रातरा सब वयिा हो गई अब तम करोग करा

जरा सोचो उस चवषाद को जो तमह घर लगा कोई आशाओ कलपनाओ कामनाओ तषणाओ क माधरम स सख

तक तो पहचता नही दख बहत िलता ह

तम पछत हो म सखी होना चाहता ह और जो भी करता ह सखी होन की आशा म ही करता ह रह

तो िीक ह रह तो सभी कर रह ह दसरी बात गौर करो इसी कारण दख पदा हो रहा ह एक बार जरा कषण

भर को ऐसा सोचो दक चौबीस घि क चलए सारी कामना छोड़ दो--सख की कामना भी छोड़ दो चौबीस घि म

कछ हजाा नही हो जाएगा कछ खास नकसान नही हो जाएगा ऐस भी इतन ददन वासना कर-कर क करा चमल

गरा ह चौबीस घि मरी मानो चौबीस घि क चलए सारी वासना छोड़ दो कछ पान की आशा मत रखो कछ

होन की आशा मत रखो एक कराचत घि जाएगी चौबीस घि म तम अचानक पाओग जो ह परम तचपतदारी ह

217

जो भी ह रखी-सखी रोिी भी बहत ससवाद ह करोदक अब कोई कलपना न रही अब दकसी कलपना म उसकी

तलना न रही जसा भी ह परम तचपतदारी ह

रह अचसततव आनद ही आनद स भरपर ह पर हम इसक आनद भोगन क चलए कभी मौका ही नही पात

हम दौड़-दौड़ ह भाग-भाग ह हम िहरत ही नही हम कभी दो घड़ी चवशराम नही करत इस चवशराम का नाम

ही धरान ह वासना स चवशराम धरान ह तषणा स चवशराम धरान ह अगर तम एक घिा रोज सारी तषणा छोड़

कर बि जाओ कछ न करो बस बि रहो--मसती आ जाएगी आनद छा जाएगा रस बहन लगगा धीर-धीर

तमह रह बात ददखाई पड़न लगगी जब घि भर म रस बहन लगता ह तो दफर इसी ढग स चौबीस घि करो न

चजए

लदकन तम एक बड़ी गलती कर रह हो जो सभी करत ह तम कहत हो अब म धमा साधन आरा ह सो

भी उसी आशा स बस चक जाओग करोदक वही आशा अधमा ह सख पान की वासना ही अधमा ह इसचलए

कोई धमा क दवारा सख पान की वासना कर तो चक गरा बात ही गलत हो गई हा धमा स सख चमलता ह

लदकन धमा स सख चमलना चाचहए ऐसी कामना स नही चमलता

रह जरा उलिन की बात तमह लगगी इस तम लकषर नही बना सकत रह पररणाम ह ऐसा होता ह

जब सब वासना छि जाती ह कोई आशा नही रह जाती तब सख बरसता ह लदकन तम इस आशा म अगर

बिो दक चलो िीक ह धरान करन स सख बरसगा इसचलए धरान कर बस चक गए करोदक वह सख की

वासना शष ह सख की वासना दख पदा करवाती ह तम आधा घड़ी बिोग और करवि बदलन लगोग और

घड़ी दखन लगोग कहोग अभी तक सख नही बरसा और समर जा रहा ह इतनी दर दकान पर ही बि चलए

होत कछ और चार पस कमा चलए होत रह दफजल समर गरा रह कहा की नासमिी म पड़ गए अभी तक

तो कछ सख नही बरसा बार-बार आख खोल कर दख लोग दक अभी आता ह परमातमा दक नही दरवाज पर

दकसी न दसतक दी रा नही अभी तक तो नही आरा और रह घड़ी जा रही ह और रह घिा बीता और रह

वयिा गरा इतनी दर म कछ और कमा लत बक-बलस िोड़ा और बढ़ जाता रा दफलम ही दख आत रा

अखबार ही पढ़ लत कछ काम तो पड़ता रह खाली बदध की तरह बि ह रह दकसचलए बि ह इसम करा

चमल रहा ह

अगर तम सख की आशा स बि तो धरान म बि ही न पाओग धरान म तो बिन का अिा होता ह चजसन

एक सतर पहचान चलरा दक सख की कामना स सख नही चमलता चजसन सख की कामना की वयिाता दख ली

अब चजसकी दौड़-धप अपन आप चशचिल हो गई इसचलए कभी-कभी चप बि जाता ह--करन को कछ नही ह--

बिा ह--जान को कही नही ह कछ खोजन को नही ह कछ सननाि म डबा ह--पररचध खो जाती ह क दर का उदर

हो जाता ह तम ततकषण अपन भीतर मौजद हो जात हो वही मौजदगी वही साकषातकार--और सख बरस जाता

तो म तमस रह कहना चाहता ह धरान स सख चमलता ह मगर जो लोग धरान स सख पाना चाहत ह

उनको नही चमलता धरान स सख उनको चमलता ह जो सख पान की सारी आकाकषा को वयिा समि कर कड़ा-

करकि समि कर फक दत ह जो कहत ह अब सख इतरादद चाचहए ही नही अब तो जस ह ऐस ही जीएग

अब कछ मागग नही रह चक चभखमग बहत अब नही भीख अब जो परमातमा दगा जसा दगा उसको वस

ही आनदभाव स सवीकार कर उसका परसाद जो भी बरसगा जसा भी आएगा नाचग मगन होग इस अहोभाव

218

म तम अपन घर लौि आत हो और तब तम चदकत होकर दखोग तम सखी हो सारा अचसततव सखी ह दक

तम जस हो वसा ही सारा अचसततव हो जाता ह

नर गगन म नरा सरा जो चमक रहा ह

रह चवशाल भखड आज जो दमक रहा ह

मरी भी आभा ह इसम

भीनी-भीनी खशब वाल

रग-चबरग

रह जो इतन फल चखल ह

कल इनको मर पराणो न नहलारा िा

कल इनको मर सपनो न सहलारा िा

पकी-सनहली फसलो स जो

अबकी रह खचलहान भर गरा

मरी रग-रग क शोचणत की बद इसम मसकाती ह

नर गगन म नरा सरा जो चमक रहा ह

रह चवशाल भखड आज जो दमक रहा ह

मरी भी आभा ह इसम

तब तम अचानक पाओग तमहारी आभा और चवराि की आभा चमलन करन लगी आहलगन करन लगी

तम वकषो म फल चखल दखोग और लगगा तम ही चखल गए कोरल कक उिगी और लगगा तम कक उि िरना

बहगा और लगगा तम बह चाद उगगा और लगगा दक भीतर भी चाद उगा सारा अचसततव एक अपवा आनद स

भर जाता ह--बस तम िहरो िहरन का नाम धरान िहर पाव तो आ जाए गाव रक पाव तो आ गरा गाव

आशा तषणा दौड़ाए रखती ह रकत नही पाव आता नही गाव

तम कहत होः अब म धमा करन आरा ह सो भी उसी आशा म

दफर तम चक जाओग

आप कहत ह--अहकार को चमिाओ और इसस मि ऐसा परतीत होता ह दक अहकार को चमिान स म ही

चमि जाऊगा

ऐसा परतीत होता ह ऐसा सतर नही ह अहकार तम हो नही इसचलए अहकार क चमि जान स तम कस

चमि जाओग अहकार तमहारी भाचत ह

ऐसा ही समिो दक एक आदमी रामलीला म राम का पािा अदा करता ह और समि लता ह दक म राम

ह और घर आता ह चलए धनषबाण मोरमकि बाध उसकी पतनी कहती ह--उतारो रखो रह धनषबाण रह

मोरमकि हो गरा नािक बहत अब रामलीला खतम हो गई वह कहता ह अगर म रह उतार दगा तो म ही

चमि जाऊगा म राम ह

219

तम इसको पागल कहोग रह अचभनर को असचलरत समि चलरा ह

तमहारा अहकार करा ह इस जीवन क बड़ रगमच पर खला गरा अचभनर तम जब पदा हए ि तो तम

नाम लकर नही आए ि दफर तमह एक नाम द ददरा कहा दक तमहारा नाम राम बस तम राम बन गए आए

ि चबना नाम कोर कागज की भाचत चलख दरा औरो न नाम दक रह रहा तमहारा नाम राम हो गए तम तब स

तम अपन को राम ही मान रह हो अब कोई अगर राम को गाली द द तम िगड़न को खड़ हो जात हो तमह

रह खराल ही भल गरा ह दक तम चबना नाम क हो तमहारा कोई नाम नही िा रह तो तमहार मा-बाप को

सि गराः राम अगर मसलमान घर म पदा हए होत तोः अबदलला ईसाई घर म होत तोः अलबिा और अगर

मर सनरासी होत तोः अलबिा कषण अली रह तो सरोग की बात ह रह तो नाम कोई भी ददरा जा सकता ह

नाम तम नही हो नाम स अपन को समि चलरा दक रह म ह

और दह भी तम नही हो जरा गौर करो मा क पि म पहल ददन जब तम ि तो नगी आखो स तो दख

भी नही जा सकत ि--वह तमहारी दह िी बड़ी खदाबीन होती तो दख जा सकत ि वह तमहारी दह िी आज

अगर तमहार सामन उस दह का कोई चचतर रख द करा तम पहचान सकोग दक रह मरी दह ह कोई नही

पहचान सकगा दफर पहल ददन जब तम पदा हए ि अगर आज उस ददन की तसवीर तमहार सामन रख दी

जाए करा तम पहचान सकोग रह मरी तसवीर ह रह मरी दह िी दकतन तम बदल गए हो गगा का दकतना

पानी बह गरा रोज तम बदल रह हो आज तमहारी जो दह ह कल नही रह जाएगी लदकन आज इस दह को

पकड़ हो कह रह हो रह म ह दकतनी बार दह बदल गई वजञाचनक कहत ह सात साल म परी दह बदल

जाती ह एक दफा आदमी सततर साल जीए तो दस बार उसकी दह परी की परी बदल जाती ह मगर शरखला

जारी रहती ह शरखला की वजह स भाचत हो जाती ह

बदध न कहा ह साि को हम दीरा जलात ह करा तम सोचत हो सबह तम उसी दीर को बिात हो

सोचत हम रही ह दक जो साि जलारा िा उसी को सबह बिात ह लदकन बदध न बड़ी महतवपणा बात कही

उनहोन कहा दक रह दीरा तो रात भर बिता रहा नई जरोचत जलती रही परानी बिती रही जब तो इतना

धआ पदा हआ धआ कहा स पदा हो रहा ह जो जरोचत तमन जलाई िी वह तो बिती जाती ह वही धआ

होती जाती ह नई जरोचत उमगती आती ह परानी जरोचत की जगह नई जरोचत ल लती ह लदकन िपटट स

लती ह जगह दक तम दख नही पात फासला नही ददखाई पड़ता सबह तम चजस जरोचत को बिा रह हो रह

वही जरोचत नही ह जो तमन जलाई िी हा उसीकी सतचत ह उसीकीशखला ह मगर वही नही ह तमहार

मा क पि म जो तमहारी दह िी तम उसी शरखला म हो उसी कर म हो मगर वही नही हो

दफर इस दह स तमन अपना सबध बाध चलरा ह दक रह म ह जरा गोरी चमड़ी हई तो जरा अकड़

गए फका करा ह गोरी चमड़ी म और काली चमड़ी म फका बहत िोड़ा ह चार आन का रग का फका ह दस-

पदरह साल क भीतर इजकशन उपलबध हो जाएग दक लगवा चलरा इजकशन काल हो गए लगवा चलरा

इजकशन गोर हो गए--करोदक चवननी का फका ह और धरान रखना काल आदमी का तमस जरादा मलर ह

उसक पास चार आन का जरादा रग ह तमहार पास चार आन का कम रग ह तम जरा गरीब हो दक जरा नाक

िोड़ी लबी दक अकड़ गए न तम नाक हो न तम रग हो न तम आख हो तम तो भीतर बि हए साकषी हो

जस-जस तम तोड़त जाओग सबधः नाम भी नही दह भी नही चवचार भी नही--करोदक चवचार भी सब

उधार ह दसरो न डाल ददए ह तम चवचार भी नही हो तम मन भी नही हो रही ह नचत-नचत की परदकररा

रह भी नही रह भी नही दफर अत म कौन शष रह जाता ह चजसको इनकार नही दकरा जा सकता चसफा

220

साकषी शष रह जाता ह साकषी को इनकार नही दकरा जा सकता और सब इनकार दकरा जा सकता ह साकषी

म कोई अहकार नही ह चसफा भाव ह एक चतनर की दशा ह एक चचनमर चसिचत ह मगर कोई अहकार नही

ह म का कोई रप ही नही बनता वहा

धरान की गहराइरो म जो जात ह व पा लत ह जलदी ही दक म तो बच जाता ह तब भी जब सब म

चमि जाता ह म तो चसपा नािक ह म तो अचभनर मच पर खली गई बस लीला ह

चजस ददन तम ऐसा समि पाओग उस ददन रह भाचत तमहारी जारी नही रहगी दक अगर म चमि गरा

तो सख दकसको होगा सख साकषी का सवभाव ह होता नही होन की जररत ही नही ह सख तमहारा सवभाव

ह इस म की चटटान क कारण तम सख को नही उपलबध कर पात हो िरना नही बह पाता ह

सना ह हशर म इक हसन-आलमगीर दखग

ख़दा जान ति रा अपनी ही तसवीर दखग

अपनी ही तसवीर ददखाई पड़गी जब परमातमा चमलता ह वह तमहारी ही आतमा की तसवीर ह और कछ

भी नही तम ही अपन शदधतम रप म परमातमा हो तमहारी ही आतमा जब सार अहकारो स सारी पतो स

मि हो जाती ह और चसपा साकषी मातर चचन मातर शष रह जाता ह वही परमातम दशा ह परमातमा का कोई

साकषातकार िोड़ ही होता दक खड़ ह और जर रामजी की और बातचीत की और चनवदन दकरा और परािानाए

की परमातमा वहा बाहर िोड़ ही चमलता ह तमहार भीतर चछपा ह तमहार चतनर म तमहारी चतना म चछपा

ह तमहारी चतना का ही दसरा नाम ह अहकार की सीमाओ क कारण चतना परकि नही हो पा रही ह इस

परकि होन दो

अहकार चमिता ह रह तमहारा अत नही ह तमहारी वासतचवक शरआत ह परारभ ह

लदकन भल होती ह आदमी स सवरपानद की भल सभी की भल ह इसचलए मन सोचा रह परशन सब क

चलए उपरोगी होगा

एक कहानी मन सनी ह--

एक बादशाह बड़ा समराि चशकार करत हए भिक गरा साचिरो स छि गरा चशकार तो कछ हाि न

लगा चमतर भी कहा गए जगल म पता न चला िका-मादा भखा-परासा एक दकसान क िोपड़ पर पहचा

दकसान न बड़ा सवागत दकरा नही उस पता ह दक समराि ह रह अपनी चारपाई पर चबिारा सखी-रखी रोिी

चखलाई िढा पानी चपलारा बगीच स फल तोड़ लारा समराि चदकत हआ ससवाद भोजनो का आदी िा मगर

ऐसा सवाद कभी न चमला िा सच तो रह िी समराि होन क कारण भख ही कभी िीक स न लगी िी भख

लगन का मौका ही नही आता भख क पहल ही भोजन चमल जाता ह आज भख लगी िी शरम दकरा िा जगल

म भिका िा रोज तो अपकषा िी--ऐसा चमल वसा चमल--आज कोई अपकषा ही नही िी आज तो हालत रह िी

दक कछ चमलगा भी इसकी भी सभावना नही िी चबना अपकषा का चमला और दकसान न ऐस परार स

रदयचप वह चारपाई गदी िी--गरीब की चारपाई िी मगर उस पर बिा ऐसा सख पारा जसा हसहासन पर

सवणा क भी कभी न चमला िा दो आम तोड़ लारा िा दकसान कए स िढा पानी भर लारा िा

समराि बड़ा तपत हआ

बात की दकसान स कहा दक तरा समराि कौन ह करोदक ददखाई पड़ गरा समराि को दक वह उस

पहचान नही रहा ह दक वह समराि ह तो उस दकसान न कहा दक नाम तो मि पता नही मगर सना ह मन दक

बड़ दराल ह बड़ सदर ह बड़ बलशाली ह समराि न कहा त दखना चाहगा समराि को दकसान न कहा मर

221

धनरभाग अगर दशान हो जाए कभी मगर नही कस हो सक ग समराि न कहा त आ मर साि घोड़ पर बि

जा मि राह भी बता दना राजधानी की--रासत क भी जानन की तो जररत िी ही उस दकसी को साि ल

जाना िा--त राह भी बता दना मि और म तरा समराि स दशान भी करवा दगा महल म ति िहरवा भी दगा

समराि न सोचा दक इस भी चदकत कर

दकसान बि गरा घोड़ पर समराि क साि चल पड़ दोनो रासत म दकसान न पछाः एक बात पछ

राजधानी तो म कभी गरा नही बड़ी राजधानी वहा वजीर भी होग सनापचत भी होग दरबार म बड़-बड़

लोग होग म पहचानगा कस दक समराि कौन ह समराि मन कभी दख भी नही म पहचानगा कस दक समराि

कौन ह समराि न कहा दफकर मत कर जस ही हम राजधानी म परवश करग चजस वयचि को सभी लोग

अपनी-अपनी िोचपरा और पगचड़रा उतार कर नमसकार कर और जो अपनी पगड़ी न उतार िोपी न उतार

समि लना वही समराि ह समराि जानता िा दक जस ही हम परवश करग लोग नमसकार करना शर करग समराि

को अपनी-अपनी पगचड़रा उतार कर चसर िका िका कर दकसान पहचान जाएगा और चदकत होगा जान

कर दक म समराि क साि घोड़ पर बिा ह आनदमगन हो जाएगा जसा आनद इसन मि ददरा ह उसस हजार

गना आनद म इस द दगा

राजधानी आ गई शहर म परवश भी हो गरा और लोग पगचड़रा और िोचपरा उतार-उतार कर नमसकार

भी करन लग लदकन दकसान कछ बोला नही चपपी साध रहा समराि न पछा दक बात करा ह समि म आरा

दक नही उसन कहा म मचशकल म पड़ गरा ह आप भी पगड़ी नही उतारत म भी पगड़ी नही उतारता पता

नही समराि कौन ह आप ह दक म ह रह तो बड़ी ििि हो गई

अहकार ऐसी ही भाचत ह अहकार को भाचत ह आतमा होन की अहकार आतमा नही ह मगर एक ही

घोड़ पर दोनो सवार ह बहत करीब-करीब एक ही घोड़ पर सवार ह जस आदमी घोड़ पर सवार हो तो

उसकी छारा भी तो घोड़ पर सवार होती ह बस ऐस ही आतमा क साि अहकार की छारा भी घोड़ पर सवार

ह न आतमा अपनी िोपी उतारती तो छारा की कस उतरगी छारा की भी िोपी लगी हई ह छारा भी

अकड़ी हई ह छारा परा मजा ल रही ह तम छारा को समि चलए हो दक रही म ह छारा क चमिन स तम न

चमिोग और छारा तो खोनी ही पड़गी अगर परकाश म जाना ह अगर परम परकाश म जाना ह तो छारा तो

चमि ही जाएगी छारा नही बच सकती

तमन रह लोकोचि सनी ह दक दवताओ की छारा नही बनती रह परतीक ह दक जो परमातमा क चनकि

ह उनकी छारा नही बन सकती उनका अहकार नही बन सकता इसचलए सवगा म दवताओ की छारा नही

बनती व चलत तो ह मगर उनकी छारा नही बनती छारा तो अजञान म बनती ह अधकार म बनती ह मछाा

म बनती ह अहकार मछाा की छारा ह

मन सना ह एक लोमड़ी सबह-सबह उिी और जब बाहर आई अपनी माद क सरज उग रहा िा और

उसन दखा लौि कर तो उसकी बड़ी छारा बन रही िी सबह का सरज लोमड़ी की बड़ी लबी छारा बन रही

िी लोमड़ी न कहा आज तो लगता ह हािी चमल नाशत क चलए तो काम चल छारा इतनी लबी िी छारा ही

स तो जानती ह लोमड़ी--और कस जान उसक पास कोई दपाण भी तो नही ह और दफर दपाण भी करा ह

उसम भी तो छारा ही बनती ह लोमड़ी पर हसना मत वही तमहारी हालत ह वही सबकी हालत ह

लोमड़ी स कछ चभनन हालत नही ह लोमड़ी भी करा कर छारा दख कर उस लगा दक इतना बड़ा पि

इतना बड़ा मरा रप हािी चमल नाशत म तो काम चल

222

दोपहर तक हािी खोजती रही अब लोमड़ी को हािी चमल भी जाए तो करगी करा और हाि स जान

जाएगी नही चमला सो अचछा ही हआ ऐस ही तम सख खोज रह हो--वह हािी की तलाश ह नही चमला सो

अचछा ही हआ चमल जाए तो उसी क नीच दब कर मरोग

दोपहर तक हािी चमला नही चमल सकता भी नही िा चमलन स कोई अिा भी न िा लोमड़ी करती भी

करा भख बहत जोर स लग रही िी उसन दफर दबारा छारा की तरफ दखा करोदक वही उसक पास एक

मातर मापदड ह दक म हालत करा ह मरी पि चसकड़ गरा होगा सोचा पि ही नही चसकड़ा िा छारा ही

चबलकल चसकड़ गई िी--सरज चसर पर आ गरा िा छारा इतनी छोिी हो गई िी दक लोमड़ी हसी उसन कहा-

-अब तो चीिी भी चमल जाए तो भी पराापत होगा

तम छारा स ही जी रह हो

और लोमचड़रो पर हसना मत लोमचड़रा भी बड़ी होचशरार होती ह आदमी जसी ही होचशरार तमन

ईसप की कहानी पढ़ी ह न दक एक लोमड़ी अगर क गचछो की तरफ छलाग लगा रही ह गचछ दर ह और

छलाग उसकी छोिी पड़ जाती ह कई बार चगरी चारो तरफ दखा कोई दख नही रहा ह ििकार कर दफर

छलाग लगाई मगर एक खरगोश छपा एक िाड़ी म दख रहा िा वह हसन लगा उसकी हसी की आवाज सन

कर लोमड़ी अपना िाड़ कर शरीर चलन लगी अकड़ कर खरगोश न कहा चाची करा माजरा ह लोमड़ी न

कहा माजरा कछ भी नही ह अगर खटट ह

रह ईसप की परचसदध किा ह

दफर मन और एक कहानी सनी ह अब तो जमाना बदल गरा ह सावाभौम चशकषा का जमाना तो

लोमचड़रो की भी परौढ़ पािशालाए ह तो एक लोमड़ी परौढ़ पािशाला म पढ़न गई उसन वहा ईसप की कहानी

सनी वह बहत गसस स भर गई रह तो लोमचड़रो का अपमान हो गरा रह ईसप का बचचा कही चमल जाए

तो इस पाि पढ़ा द चमल गए ईसप िहलत एक ददन जगल म--गए होग और लोमचड़रो को दखन दक कोई

छलाग लगाए लोमड़ी न िपटटा मारकर ईसप क कध स मास का एक लोिड़ा खीच चलरा ईसप तो चीख-

पकार करन लग उसन चखा और पिक कर कहा खटटा ह अब चलखना कहानी

लोमचड़रा भी कछ कम होचशरार नही लोमड़ी पर मत हसना और ईसप न लोमड़ी की कहानी चलखी

भी नही ह आदमी की कहानी ह

आदमी चालाक बहत ह मगर चालाकी म ही उसी शाखा पर बि कर उसी शाखा को कािता रहता ह

और एक ददन चगरता ह बरी तरह धल-धसररत मतर ही हाि लगती ह इस सारी सख की खोज म और कछ

हाि नही लगता

छोड़ो भी इस खोज को सवरपानद जसा तमहारा नाम ह कछ उस नाम पर चवचार करो सवरप म ही

आनद ह आनद सवरप ह सवर म उतरो सवर म परी तरह परचतचषठत हो जाओ वही स आनद का आचवभााव

होता ह

सख की आशा स सख नही चमलता सवर म परचतषठा स सख चमलता ह

दसरा परशनः सतो म दकसी न उस परम अनभचत को परकाश कहा ह दकसी न रगो की होली और दकसी न

अमत का सवाद रह भद करो ह

223

भद उस परम अवसिा का नही ह लदकन भद उस परम अवसिा को पहचन वाल वयचि की अनभचत-

परवणता का ह सब की अलग-अलग अनभचत-परवणता होती ह अब जस अध आदमी को भी परमातमा का

अनभव हो सकता ह--कोई अधपन स परमातमा क अनभव म बाधा नही न तो तमहारी आखो स परमातमा का

अनभव हो रहा ह न तमहारी आखो क न होन स परमातमा का अनभव रकगा आख स कछ लना-दना नही ह

लदकन अगर अध आदमी को परमातमा का अनभव हो--समिो दक सरदास को परमातमा का अनभव हआ--तो

वह अनभव परकाश का तो नही होगा करोदक अध क पास परकाश शबद ह ही नही उसकी परतीचत म कही नही

ह उसक भाषाकोश म कही नही ह

लदकन अध आदमी क कान बड़ परवण होत ह आखो स चजतनी शचि बहती ह वह शचि भी कानो को

चमल जाती ह आखो स अससी परचतशत शचि बहती ह हमार शरीर की इसचलए आख हमार शरीर क सवााचधक

जीवत अग ह और इसचलए अध पर बहत दरा आती ह इतनी बहर पर दरा नही आती लगड़ पर दरा नही

आती लल पर दरा नही आती गग पर भी दरा नही आती मगर अध पर बड़ी दरा आती ह उसका कारण रह

ह दक उसका अससी परचतशत जीवन अवरदध ह उसन परकाश नही दखा रग नही दखा रह जो जगजीवन न

होली की बात कही रह कोई अधा आदमी नही कह सकता उस रगो का पता ही नही ह लदकन अधा कहगा--

अनाहत नाद की बात उस सगीत सनाई पड़गा करोदक उसक कान दोनो काम करत ह उसक कान सनत भी ह

और दखत भी ह उसक पास कान ही ह उसकी आख भी और उसक कान भी इसचलए अध अकसर सगीत म

परवीण हो जात ह गहर उतर जात ह उनका धवचन-बोध गहरा होता ह

अधा आदमी तमह तो नही दख सकता लदकन तमहारी आवाज सन कर पहचान लता ह दक तम कौन हो

आख वाला नही पहचान सकता आख वाल को जररत ही नही पड़ी कभी इस तरह स पहचानन की अधा

आदमी तो तमहार पर की आवाज सन कर भी पहचानता ह दक कौन आ रहा ह आख वाल को कभी होश ही

नही होता इस बात का दक कौन आ रहा ह--पर की आवाज कौन सनता ह पचत नही पहचान सकता आख बद

करक बि कर दक रह पतनी क पर की आवाज ह वषो स साि रह रह ह लदकन अधा आदमी पर की आवाज भी

सनता ह करोदक व ही उसक जानन क सतरोत ह पहचानन क सतरोत ह तमहारी आवाज भी सनता ह सनन क

माधरम स ही पररचर बनाता ह

तो जब अध को परमातमा का अनभव होगा तो अनभव होगा सवर का सगीत का नाद का उसक भीतर

अनाहत की परतीचत होगी

हमार वयचितव अलग-अलग ह सबक अलग-अलग ह कछ लोग ह चजनक जीवन म सवाद की बड़ी

गहराई ह तमन दखा कभी शराब की परख करन वाल लोग दख चसपा शराब का एक घि मह म लकर व बता

सकत ह दक शराब दकस दश की बनी हई ह तम न बता सकोग न कवल रह दक दकस दश की बनी ह बचलक

दकस कपनी की बनी ह न कवल इतना दक दकस कपनी की बनी ह बचलक रह भी बता सकत ह दक दकतनी

परानी ह सौ साल परानी दक दो सौ साल परानी तीन सौ साल परानी ऐस आदमी को अगर परमातमा का

अनभव होगा तो सवाद का अनभव होगा उस परमातमा सवाद की तरह आएगा करोदक उसकी जीवन ऊजाा

सवाद म ही परचतचषठत ह वह जानगा अमत-रस जस दकसी न उसक गल म कि म अमत उतार ददरा

इसचलए भद पड़ जाता ह भद अनभव म नही ह अनभव करन वाल वयचितव म भद ह

म कबस ढढ रहा ह

अपन परकाश की रखा

224

तम क ति पर अदकत ह

चनःसीम चनरचत का लखा

दन वाल को अब तक

म दख नही पारा ह

पर पल-भर सख भी दखा

दफर पल-भर दख भी दखा

दकसका आलोक गगन स

रचव-शचश-उडगन चबखरात

दकस अधकार को लकर

काल बादल चघर आत

उस चचतरकार को अब तक

म दख नही पारा ह

पर दखा ह चचतरो को

बन-बन कर चमि-चमि जात

दफर उिना दफर चगर पड़ना

आशा ह वही चनराशा

करा आदद-अत ससचत का

अचभलाषा ही अचभलाषा

अजञात दश स आना

अजञात दश को जाना

अजञात अर करा इतनी

ह हम सबकी पररभाषा

पल भर पररचचत वन-उपवन

पररचचत ह जग का परचत कन

दफर पल म वही अपररचचत

हम-तम सख-सषमा जीवन

225

ह करा रहसर बनन म

ह कौन सतर चमिन म

मर परकाश ददखला दो

मरा खोरा अपनापन

मर परकाश ददखला दो

अब रह जो वयचि ऐसी परािाना कर रहा हः मर परकाश ददखला दो इसकी आख सवदनशील ह इस

परमातमा नाद की तरह नही आएगा इस परकाश की तरह आएगा जरोचतमार हजार-हजार सरज उग आए ह

एक साि ऐसा आएगा आलोक ही आलोक फल जाएगा भीतर-बाहर आलोक ही आलोक का सागर

लहराएगा ऐसा आएगा मर परकाश ददखला दो मरा खोरा अपनापन रा--

मिको रगो स मोह नही फलो स

जब उषा सनहली जीवनशरी चबखराती

जब रात रपहली गीत परणर क गाती

जब नील गगन म आदोचलत तनमरता

जब हररत परकचत म नव सषमा मसकाती

तब जग पड़त ह इन नरनो म सपन

मिको रगो स मोह नही फलो स

जब भर-भर स बादल ह चघर आत

गचत की हलचल स जब सागर लहरात

चवदयत क उर म रह-रह तड़पन होती

उचवास-भर तफान दक जब िकरात

तब बढ़ जाती ह मर उर की धड़कन

मिको धारा स परीचत नही कलो स

जब मगध भावना मलर-भार स कचपत

जब चवसध चतना सौरभ स अनरचजत

जब अलस लासर स हस पड़ता ह मधबन

तब हो उिता ह मरा मन-आशदकत

चभ जाए न मर वजर सदश चरणो म

म कचलरो स भरभीत नही फलो स

जब म सनता ह करिन सतर की बात

226

जब रो पड़ती ह अपवादो की रात

चनबिध मि मानव क आग सहसा

जब अड़ जाती ह मराादा की पात

जो सीमा स सकचचत और लाचछत ह

म उसी जञान स तरसत नही भलो स

मिको रगो स मोह नही फलो स

कछ लोग ह चजनह फलो स मोह ह उनह परमातमा गध की तरह आएगा मोहममद को जरर परमातमा

गध की तरह आरा होगा इसचलए इसलाम म गध की मचहमा हो गई इतर बहमलर हो गरा रह मोहममद क

कारण रह मोहममद को परमातमा जरर गध क रप म आरा होगा मोहममद क नासापि परगाढ़ सवदनशील

रह होग मिको रगो स मोह नही फलो स कछ ह चजनह फलो स मोह ह चजनह फलो स मोह ह उनह

परमातमा सहसतरदल कमल की भाचत चखलगा

और कछ ह चजनह रगो स मोह ह जगजीवन को रगो स मोह रहा होगा इसचलए परमातमा क आगमन

पर कस होली खल इसका भाव उिा कस रग चबखर कस चपचकारी चलाऊ कस गलाल उड़ाऊ

परतरक वयचि की अलग सवदनशीलता ह इसचलए दचनरा क सतो क विवयो म भद पड़ गए धमा तो

एक ह सतर एक ह लदकन उसकी अनभचतरा बड़ी चभनन-चभनन हो जाती ह जस आकाश म चाद उगता ह तो

सागर म भी उसका परचतहबब बनता ह नदी-नालो म भी परचतहबब बनता ह कओ म भी परचतहबब बनता ह

तालाबो म पोखरो म भी परचतहबब बनता ह लदकन सब जगह उसक परचतहबब म िोड़ा-िोड़ा भद हो जाएगा

चजस माधरम म परचतहबब बनगा उस माधरम का िोड़ा कछ परचतहबब म समाचवषट हो जाएगा सागर म बना

परचतहबब िोड़ा खारा हो जाएगा मीिा नही हो सकता

अनत-अनत लोगो न परमातमा जाना ह लदकन लोग तो छोि-छोि पोखर ह छोि-छोि दपाण ह उसम

परमातमा की छारा बनती ह हमारा दपाण जो कर सकता ह परकि उतना ही करगा

परतीकषा िी आस िी चवशवास िा

और चपररतम जल चहर पर लदा

वदनाओ का चवकि इचतहास िा

किगत ि पराण तर धरान म

चनिर जग तो ल रहा िा रस रहा

पी कहा की ममावधक तान म

सहाई मिको न काली घन-घिा

सहाई मिको न पावस की छिा

जलचध सातो ही मि खार लग

लगी फीकी उमड़ती नददरा सभी

चचतत पर मर न चढ़ पारा कभी

वह सरोवर भी धवल कलास का

227

िकचड़रो म बि औ चबखर हए

धनर सवाती क जलद तम धनर हो

चवकल िी चचर परास स रह चातकी

आ गए तम कमी अब दकस बात की

दकरा दशान नरन शीतल हो गए

उपालभक भाव ि सब सो गए

आ गई ह जान म अब जान र

कर चलरा मन अमत का पान र

(चार बद ही मि पराापत िी)

दफर दकसी को परमातमा सवाद की तरह आता ह किगत ि पराण तर धरान म दकसी का धरान कि म

ही समाचवषट हो जाता ह

किगत ि पराण तर धरान म

कर चलरा मन अमत का पान र

आ गई ह जान म अब जान र

(चार बद ही मि पराापत िी)

इस भद क कारण इतन धमा पदा हो गए दचनरा म और इतना िगड़ा इतना चववाद पदा हो गरा

जरर मोहममद चभनन ह महावीर स चनचित चभनन ह और कराइसि कषण स चभनन ह और बदध जरिसतर स

लाओतस कबीर स नानक जगजीवन स जगजीवन मीरा स सब चभनन ह सवभावतः इनकी अचभवयचि चभनन

होगी लदकन जो जानत ह जो जागत ह व जानत ह दक चाद तो एक ह दफर दकतन ही नदी-नालो म सागर-

सरोवरो म उसका परचतहबब बन इसस भद नही पड़ता

इसचलए म तमस कह रहा ह दक सार शासतरो म उस एक की ही किा ह बड़ी चभनन-चभनन ह और इस

चभननता स मि चवरोध नही ह इस चभननता का मि सवागत ह करोदक वचवध रसपणा ह एकरसता हो जाती

जरा सोचो महावीर ही महावीर जस लोग होत बड़ी एकरसता हो जाती सदर ह दक कोई कषण भी होता

कषण ही कषण जस लोग होत बड़ी एकरसता हो जाती सदर ह दक कोई कराइसि जसा वयचि भी होता जगत

चवचवध ह और चवचवध होन क कारण समदध ह सोचो जरा एक स ही फल चखलत बस गलाब ही गलाब क फल

होत--गलाब परारा फल ह मगर सोच दक सारी परथवी गलाब की ही िाचड़रो स भरी होती तो गलाब का सारा

सौदरा चला जाता कौन दखता गलाब को लदकन जही भी ह और चमली भी ह और चपा भी ह और बला

भी ह और हजार-हजार फल ह और सब फल अपनी-अपनी मसती स फल ह अपन-अपन रग म डोल ह सब

फलो न उसको ही परकि दकरा ह करोदक वही सब म फला ह मगर नर रग नर ढग नई अचभवयचि नई

सजावि नरा शरगार जगत चवचवध होन क कारण समदध ह

इसीचलए म तमस कहता ह सार धमो म एक की ही चचाा ह दफर भी चभनन-चभनन ह गीता गीता ह

करान करान ह न तो गीता करान ह न करान गीता ह और म नही चाहगा दक कोई एक-दसर म लीन हो

जाए करान बचनी चाचहए करान की तरह उसका रस और ह उसका तरननम और ह उसकी अदा और ह

उसका मजा और ह

228

सना ह करान को दकसत को गनगनात न समिो भाषा मगर हदर म कछ डोलन लगता ह लहर

करान की ऐसी ह सससकत नही ह करान कोई बहत पढ़-चलख मनषर का विवय नही ह मोहममद तो गर पढ़-

चलख ि मगर गर पढ़-चलख आदमी म एक सादगी होती ह जो करान म ह जो गीत म नही ह गर पढ़ा-चलखा

आदमी सादा होता ह सीधा होता ह साफ-सिरा होता ह उसक पास बड़ शबद नही होत उसक पास

दशानशासतर नही होता उसक पास परतीक भी जीवन क होत ह मगर खब रस सीध-साध गीतो म ह गीता की

अपनी खबी ह उसका अपना सौषठव ह उसम दशान की ऊचाइरा ह उसम बड़ी बारीक ऊचाइरा ह उसम

रहसरो क परद पर परद उिान की कोचशश की गई ह सससकत मनषर का विवय ह

दोनो की जररत ह दचनरा खाली होगी करान न होगा तो गीता न होगी तो दचनरा का कछ वचचत हो

जाएगा दचनरा क सार शासतर अदभत ह अनि ह सभी बचन चाचहए सभी मनषर की सपदा ह

और म चाहता ह दक मरा सनरासी हकदार अपन को घोचषत कर सबका दकसी को भी इनकार न कर--

इनकार करा करना इनकार करन वाला आदमी छोि ददल का होता ह जरा सोचो जो कहता ह म तो महावीर

को ही सवीकार करगा दकतना छोि ददल का हो गरा और रह आदमी गरीब रह जाए तो आिरा करा

आधराचतमक रप स गरीब रह जाएगा जो कहता ह म तो चसपा कबीर को ही सवीकार करगा रह गरीब रह

जाएगा और कबीर बड़ परार ह मगर रह आदमी गरीब रह जाएगा

सारी सपदा हमारी ह परतरक मनषर इस मनषर जाचत क पर इचतहास का वसीरतदार ह मरा सनरासी

सार धमो का वसीरतदार ह इसचलए म सार धमो पर अलग-अलग सतो पर बोल रहा ह तादक तमह सब

तरह की छिाए िोड़ी-िोड़ी अनभव म आ जाए--चभनन-चभनन दवारो स कसा परमातमा दखा गरा ह चभनन-चभनन

िरोखो स कसी उसकी छचव उभरी ह चभनन-चभनन लोगो न कसा रसपणा उसका वणान दकरा ह दकसी न

परकाशरप दकसी न गधरप दकसी न रसरप दकसी न सवाद दकसी न सवर र सब तमहार ह इसम स दकसी

को भी इकार मत करना करोदक चजसको तम इकार कर दोग उतन ही तम कम हो जाओग उतन ही तम छोि

हो जाओग और होना ह चवसतीणा और फलना ह आकाश जसा

आकाश दकसी को इनकार नही करता ह--चमली को भी सवीकार करता ह चपा को भी और आकाश

चपा को भी आनद स गलाब को भी आनद स कमल को भी आनद स अगीकार दकए ह आहलगन दकए ह

इसचलए आकाश समदध ह सभी फलो की गध उसम समाती ह सार फलो क रग उसम समात ह सार सवर

उसम गजत सारा सगीत उसका ह सारा सौदरा उसका ह

ऐस ही तम भी बनो ऐसा मरा सनरासी हो उसका कोई अपना धमा न हो सार धमा उसक अपन हो

दफर भी जो उस अनकल लग उस वह साध साधना सबकी नही हो सकती सवीकार सबका हो सकता ह

साधना तो एक की ही करनी होगी जो उस उचचत लग उस साध लदकन तमहारी साधना क कारण तमह शष

को इनकार करन की जररत नही ह तमह परार लगत ह गलाब तो गलाब की खती करो तमहारी बचगरा म

गलाब ही गलाब लगा लो मगर रह मत कहना दक जही क फल फल नही ह रह मत कहना दक चमली क फलो

म गध नही होती रह मत कहना दक बला ििा ह चमरथरा ह रह करो कहोग रह कहन की जररत ह

तमहार पड़ोसी को बला परीचतकर उसन बला लगारा हआ ह और कभी-कभी सदर होगा दक बल की बचगरा म

भी जाओ इसस तमहारा गलाब क परचत रस घिगा नही बढ़गा कभी-कभी अचछा होगा दक चमली स भी

पहचान करो जही स भी सबध जोड़ो इसस तमहारा गलाब क परचत रस घिगा नही गलाब क परचत जो

229

एकरसता पदा हो रही िी वह कम हो जाएगी दफर-दफर पनः-पनः तमह गलाब म रस आन लगगा लौि-लौि

कर तम दफर-दफर गलाब क हो जाओग

इसचलए साधो एक मगर सवीकार सब करो

रह म तमह नरा सतर द रहा ह ऐसा सतर कभी परथवी पर ददरा नही गरा िा करोदक पहल लोगो न कहा

िाः दक जो साधो उसी को सवीकार करो शष को इनकार करो शष स बड़ा भर िा बड़ा डर िा बड़ी

घबड़ाहि िी रह भर आदमी को छोिा कर गरा ह सकीणा कर गरा ह दकसी को हहद कर गरा ह दकसी को

मसलमान कर गरा दकसी को ईसाई कर गरा आदमीरत सब की खो गई छोि-छोि िकड़ होकर रह गए रह

आदमी को खचडत कर गरा एक अखड मनषर चाचहए परथवी अखड होनी चाचहए रहा सार भद चगर जान

चाचहए रहा अभद का सामराजर होना चाचहए तो ही परथवी पर गान उिगा परमातमा का नही तो हहद-

मसलमान लड़त ह और काित ह एक-दसर को और जन और बौदध चववाद करत ह और तका जाल फलात ह और

इसी म सब उलि जाता ह धमा सलिान को चला िा उलिा उलिा ददरा सलि सकती ह बात दफर रह

गाि खल सकती ह अगर तम खोलो रह खलगी तमहार हदर म रह हदर-हदर म खोलनी होगी

इसचलए जब मर सनरासी स कोई पछ दक तमहारा करा धमा तो कहनाः सब धमा मर धमा मातर मरा ह

म सबको अपन हदर म समाता ह सबका सगीत मरा सगीत ह म दकसी को इनकार नही करता करोदक

इनकार करक म ही छोिा हो जाऊगा म ही कमजोर हो जाऊगा

खवाब भी सबक अलग खवाब की ताबीर अलग

परार की बात अलग इशक की तफसीर अलग

जखम-दामा भी अलग नाखन-तदबीर अलग

ददल अलग ददल की तरफ आत हए तीर अलग

लोग चभनन ह लोग चभनन-चभनन ह और सदर ह रह रह बड़ा सदर ह अपनी मतरी फलाओ तमहार

चमतरो म अगर मसलमान नही ह कोई तो तम दकसी चीज स वचचत हो कौन तमह करान सनाएगा तमहार

चमतरो म अगर कोई ईसाई नही ह तो तमह कौन उस अदभत जीसस स पररचचत कराएगा तमहार चमतरो म

अगर कोई बौदध नही ह तो कौन तमह खबर लाएगा धममपद क सवरो की मतरी फलाओ कभी मददर भी

जाओ कभी मचसजद भी कभी गरदवारा भी--व सब तमहार ह मरा सनरासी सार मददरो पर कबजा कर ल

मचसजद म भी जाए गरदवार म भी जाए चगरज म भी जाए चौक ग लोग बहत दख कर करोदक लोग कहग दक

भई एक जगह कही करोदक परान ददनो म रही धारणा रही ह दक एक जगह कही सारा अचसततव हमारा ह

करो एक जगह जो करीब होगा जो जब उपलबध होगा नही तो इन सब बातो क कारण बड़ी छोिी बात हो

गई ह

मन सना एक गाव म एक परोिसिि ईसाई आरा उस गाव म कोई परोिसिि ईसाइरो का चचा नही िा

रचववार का ददन चचा जान की उसकी परानी आदत न जाए तो बचनी सार गाव म घमा लदकन कोई

किाचलक ईसाइरो का चचा िा ही नही कोई किाचलक ईसाई ही नही िा गाव म तो मजबरी म उसन सोचा

न जान स कही बहतर ह दक परोिसििो क चचा म ही चला जाऊ ह तो उसी जीसस का बाइचबल तो वही पढ़ी

जाएगी परशसा म तो जीसस क ही गीत गाए जाएग माना अपना नही ह मगर न होन स तो बहतर ह कही

न जान स तो बहतर ह दकसी होिल म बिा रह उसस तो रही चचा बहतर ह तो चला गरा पीछ बि गरा

230

जो ईसाई पादरी परवचन द रहा िा--बड़ा आगनर परवचन िा जस अचगन बरसा रहा हो रही काम करत

रह ह लोग डरात रह ह लागो को नरक का ऐसा उसन वीभतस वणान दकरा दक दकसी क भी रोगि खड़ हो

जाए छोि बचच रोन लग दो-तीन चसतररा बहोश हो गरी बढ़ कपन लग--उसन वणान ऐसा दकरा नरक का और

आचखर म उसन कहा दक सन लो चजतन लोग रहा बि हो सब नरक म सड़ोग अगर अभी तक जाग नही

जात अभी भी समर ह इस समारोह म सचममचलत परतरक वयचि सजग हो जाए नही तो नरक म पड़गा सार

लोग ह दकसी क आस बह रह ह कोई बहोश सतरी पड़ी ह बचच चचलला रह ह बढ़ कप रह ह--करोदक उसन बात

ही इतनी करिनाई की कही िी

नरक क वणान ऐस दकए जात ह उसन वणान दकरा िा दक आग म डाल जाओग जलोग और मरोग नही

मरन की भी सचवधा नही दत व जलत रहोग--अनत काल तक--मरोग नही पानी सामन होगा मगर पी न

सकोग करोदक होि सी ददए जाएग परास भीतर होगी--अनत काल तक--पानी सामन होगा कलकल नाद

पानी का सनाई पड़गा मगर पी न सकोग करोदक ओि सी ददए जाएग कीड़-मकोड़ शरीर म छद कर लग सब

तरफ स छद कर-कर क चनकलग इधर स जाएग उधर स चनकलग और तम कछ भी न कर सकोग--और अनत

काल तक और ऐसी िढ पड़गी दक दात किकिाएग--अनतकाल तक

एक बदढ़रा खड़ी हो गई उसन कहा मर तो दात ही नही ह तो उस पादरी न कहा दक त बि दात ददए

जाएग चजनक दात नही ह उनको नकली दात ददए जाएग मगर सदी तो ऐसी पड़गी दक दात किकिान ही

पड़ग त दफकर मत कर ऐसा इतजाम करक रखा ह दक अगर नही होग दात तो ददए जाएग

र सार लोग घबड़ा रह ि और बचन हो रह ि मगर वह आदमी जो किाचलक िा मसत बिा हस रहा

िा मसकरा रहा िा पादरी न दखा दक रह आदमी करो मसकरा रहा ह पादरी न उसस पछा दक भाई मर

सार लोग नरक का वणान सन कर कप रह ह भरभीत हो रह ह पिाताप कर रह ह त करो मसकरा रहा ह

उसन कहा दक हम इस चचा क सदसर ही नही ह हम करा डर हमारा दसरा चचा ह हम तो ऐस ही घमत-

घमत आ गए र चबचारो की हालत बड़ी खराब होगी रह हम समि म आ रहा ह

सवाभाचवक परोिसििो का चचा तो चजस नरक का वणान हो रहा ह वह भी परोिसििो का नरक होगा

नरको म भी अलग-अलग ह सवगो म भी अलग-अलग ह जस जीवन की आधारचशलाए अलग-अलग ह

एक आदमी मरा जमानी म हहदसतानी िा कही नौकरी करता िा मरन क पहल बड़ा घबड़ारा हआ

िा करोदक कोई पचडत-पजारी नही जो मरत वि गगाजल चपला द गगाजल भी नही कोई मतर ही कान म

बोल द--वह भी नही बड़ा भरभीत मरा डरता हआ मरा दक नरक जाना चनचित ह सवगा जान का कोई

उपार ही नही और जस ही मर कर उसन आख खोली दक नरक क दरवाज पर पारा अदर ल जारा गरा

चबिारा गरा पछा गरा दक भाई दकस नरक म त जाना चाहता ह हहदओ क नरक म जाना चाहता ह --

हहदसताचनरो क नरक म जाना चाहता ह दक जमान नरक म जाना चाहता ह करोदक त जरा ििि म ह त

रहा तो जमानी म ह हहदसतानी ति चनाव का मौका ह त चाह तो हहदसताचनरो क नरक म चला जाए चाह

तो जमानो क नरक म चला जाए

उस आदमी न कहा म पहल फका तो समि ल दक दोनो नरको म फका करा ह बतान वाल न बतारा दक

फका कोई भी नही ह वही कषट हहदसतानी नरक म ददए जाएग वही कषट जमान नरक म ददए जाएग दफर भी

उसन पछा दक दफर भद करन का सवाल ही करा ह दफर हहदसतानी और जमानी का करा सवाल ह भज दो

कही दफर भद करा ह मगर उसन कहा एक--बात खराल रखना जमान नरक म काम जमान कशलता स दकरा

231

जाता ह हहदसतानी नरक म हहदसतानी ढग स दकरा जाता ह चजसको आना चाचहए आग जलान वह सबह

नही आरा बारह बज आरा उतनी दर फरसत चमल गई कीड़-मकोड़ भी हहदसतानी ह सोए ही पड़ ह जमान

नरक जमान कशलता वयवसिा स दकरा जाता ह तो वह सोच लो उसन कहा मि हहदसतानी नरक म आना

ह मि नही जाना जमान नरक म

म भी तमस कहता ह अगर सवगा जाओ तो जमान को चनना और नरक जाओ तो हहदसतानी चनना

जीवन क चनरम अलग-अलग नही ह जीवन का चनरम तो एक ह जीवन का शाशवत धमा तो एक ह

चसपा उसकी अचभवयचिरा अलग-अलग ह अलग-अलग लोगो क जीवन म अलग-अलग सवदनशीलताओ क

कारण व भद पड़ ह बदध बदध की तरह बोलत ह कषण कषण की तरह बोलत ह बस बोलन म ही भद ह जो

बोला गरा ह वह एक ह

आचखरी परशनः भगवान जगजीवन क साि मर जीवन का अचतम मोड़ आ चका ह आपक चरण म

लपिाई रह रही परािाना ह

अजमर वाल बाबा न गारा ह--

मली-मली सब कह उजली कह न कोर

साई आप उजली कहो तो लोग कह सब कोर

तर कोई काला नही ह सब उजल ह कोई अपचवतर नही ह सब पचवतर ह अपचवतरता भाचत ह वह

भाचत छारा क साि सबध जोड़ लन स पदा हो गई ह छारा क कारण हम मल-मल लग रह ह हा हमार वसतर

मल हो गए ह सच ह और हमारी दह पर धल-धवास जम गई ह सच ह और हमारा मन भी न सवसि ह न

सदर ह मगर हमार भीतर हमारा जो असली सवरप ह वह वसा-का-वसा कवारा ह वह कमल क फल की

तरह अचलपत ह

म तमह राद उसी की ददलाना चाहता ह बाकी सब बात गौण ह बाकी सब बात तो वयिा ह

तमहार पचडत-परोचहत तमह उनही की बात कर रह ह--ऐसा करो वसा करो रह बरा वह शभ तमहार

कमो की ही चचाा कर रह ह तमहार अचसततव की नही और उनक कमो की अचतशर चचाा क कारण लोग बड़

आतम-हनददत हो गए ह उनका चचतत बड़ी आतम-हनदा स भर गरा ह व घबड़ा गए ह उनको लग रहा ह दक

हम डब हमारा उबरन का कोई उपार नही ह और पचडत-परोचहत इसका शोषण कर रह ह करोदक तमह

चजतना घबड़ा ददरा जाए उतनी ही आसानी स तमहारा शोषण हो सकता ह

डरा हआ आदमी कछ भी करन को राजी हो जाता ह उसस कहो सतरनारारण की किा करो तो वह

सतरनारारण की किा करता उसस कहो रजञ करो तो वह रजञ करता ह उसस कहो इस म घी डालो--उसको

समि म भी आता ह दक घी आग म नषट हो रहा ह घी लोगो को चमल नही रहा ह खान को--मगर भरभीत

आदमी कछ भी करन को राजी हो जाता ह उसस कोई भी मढ़ता करवा लो

रजञो क नाम पर मढ़ता हो रही ह पजा-पतरी क नाम पर मढ़ता हो रही ह भरभीत आदमी को कही भी

िका लो िकान क पहल उसको भरभीत करना जररी ह नही तो वह िकगा ही नही उसको कहो रह पतिर

की मरता भगवान ह िको वह ततकषण िक जाएगा वह भरभीत ह वह डर रहा ह वह दकसी तरह अपन भर

232

क ऊपर उिना चाहता ह मगर पजारी तमह भर स ऊपर नही उिन द सकता करोदक तम भर क ऊपर उि

जाओ तो तम पजारी क घर क बाहर हो जाओग

पजारी क वयवसार का चनरम ही रही ह दक तमह भरभीत रख इसचलए वह तमह कहता ह मली-मली

सब कह वह तो तमह तमहारी छोिी-छोिी बातो को पकड़ लता ह रह पाप रह बरा उसका सारा चहसाब-

दकताब रही ह दक तमम करा-करा बरा ह उसकी फहररशत तमहार सामन अचतशर करक खड़ी कर दी जाए

तादक तम कप जाओ

मरी चषटा चबलकल चभनन ह म तमह पजारी स मि करना चाहता ह म तमह पचडत स मि करना चाहता

ह म तमह मि करना चाहता ह इसचलए म तमह राद ददला रहा ह दक तमहार कमा तो सब बाहर-बाहर ह--

अचछ भी और बर भी सब बाहर-बाहर ह उनका कोई आतरचतक मलर नही ह तम परम पचवतर हो तमहार

भीतर परमातमा चवराजमान ह तम उजल हो तम मल हो ही नही सकत तमहार मल होन का कोई उपार ही

नही ह--तम मल हो जाओग तो दफर उजल होन का कोई उपार नही दफर कोई साबन धो न सकगी आतमा

मली हो जाएगी तो कौन साबन धो सकगी और आतमा मली हो जाएगी तो दफर दकसी क हाि की बात न

रही

आतमा मली होती ही नही

आतमा का मला होना ऐसा ही असभव ह जसा आकाश का मला होना बादल आत ह चल जात ह

आकाश मला िोड़ा ही होता ह धल-धवास उिती ह आधी उिती ह चली जाती ह दफर आकाश उजला का

उजला हो जाता ह आकाश कभी मला नही होता ऐसा ही तमहारा अतर-आकाश ह म तमह उसकी ही राद

ददला रहा ह और उसकी तमह राद आ जाए तो एक कराचत घि जाती ह उसकी राद आत ही तमहार कतर भी

उजल होन लगत ह करोदक चजसको अपन भीतर का उजलापन ददखाई पड़ गरा दफर असभव हो जाता हः

कतर और मला हो चजसको भीतर का उजलापन ददखाई पड़ गरा उसक वयचितव म और जीवन म उजलापन

बहन लगता ह उसकी धारा परवाचहत हो जाती ह भीतर तमहार एक वीणा पड़ी ह म उसी की तमह राद

ददलाता ह

इस अधर क सनसान जगल म हम डगमगात रह मसकरात रह

लौ की माहनद हम लड़खड़ात रह पर कदम अपन आग बढ़ात रह

अजनबी शहर म अजनबी रासत मरी तनहाई पर मसकरात रह

म बहत दर तक रचह चलता रहा तम बहत दर तक राद आत रह

कल कछ ऐसा हआ म बहत िक गरा इसचलए सनक भी अनसनी कर गरा

दकतनी रादो क भिक हए कारवा ददल क जखमो क दर खिखिात रह

जहर चमलता रहा जहर पीत रह रोज मरत रह रोज जीत रह

हजदगी भी हम आजमाती रही और हम भी उस आजमात रह

सखत हालात क तज तफान म चघर गरा िा हमारा जनन-वफा

233

वो चचराग-तमनना बिाता रहा हम चचराग-तमनना जलात रह

जखम जब भी कोई मर ददल पर लगा हजदगी की तरफ एक दरीचा खला

हम भी गोरा दकसी साज क तार ह चोि खात रह गनगनात रह

दकतन ही पाप दकए हो और दकतन ही भिक होओ और दकतन ही जीवन म दरदान और दघािनाए घिी

हो कछ भी हआ हो

जखम जब भी कोई मर ददल पर लगा हजदगी की तरफ एक दरीचा खला

हम भी गोरा दकसी साज क तार ह चोि खात रह गनगनात रह

तमहारी गनगनाहि नही चमिी ह तमहारा गीत नही चमिा ह--चमि नही सकता तमहार भीतर शाशवत

सगीत ह म उसी की तमह राद ददला रहा ह राद आनी शर हो जाएगी और तमहारी दचषट बदलन लगगी और

तमहारी दचषट बदली दक सचषट बदली

तिी स इचबतदा ह त ही इक ददन इचतहा होगा

सदा-ए-साज होगी और न साज-बसदा होगा

सब शनर हो जाएगा उस सवर को सनत-सनत करोदक वह सगीत शनर का सगीत ह

सदा-ए-साज होगी और न साज-बसदा होगा

तिी स इचबतदा ह त ही इक ददन इचतहा होगा

उसी परमातमा स परारभ ह उसी परमातमा म अत ह बीच सारा सपना ह सख का दख का चगरन का

उिन का पाप का पणर का सब सपना ह सपन स कही कोई मला हआ सपन कही मल कर सकत ह

म तमह जगा रहा ह तमहार तिाकचित नचतक धमागर कवल तमहार सपनो को बदलन की कोचशश म

लग रहत ह व कहत ह अचछ सपन दखो बर मत दखो मगर जो आदमी बहोश ह वह करा अचछा दख करा

बरा दख सपनो का वह माचलक िोड़ ही ह तमहार हाि म िोड़ ही ह अचछ सपन दखना दक रात सो गए कह

क दक अचछ सपन दखग

अकसर ऐसा हो जाएगा जो अचछ सपन दखना चाहत ह व बर सपन दखत ह करोदक ददन भर

बराइरो को दबात बि रह दफर रात व ही दबाई हई बराइरा सपनो की तरह परकि होन लगती ह अकसर

ऐसा हो जाता ह दक बर आदमी रात अचछ सपन दखत ह करोदक व अचछाइरो को दबात ह जो दबा रहता

ह वही सपन म उभर आता ह सपनो पर तमहारा बस करा ह

इसचलए म नही कहता दक सपन बदलो म नही कहता आचरण बदलो म कहता ह अतस को जगाओ

जागो सपन वगरह बदलन स कछ भी न होगा

अचछा भी सपना दखा तो सपना ही ह सपन म साध हो गए करा लाभ दक चोर हो गए करा हाचन

न सपन स कोई मला होता ह न कोई उजला होता ह--सपन तो सपन ह आत ह चल जात ह रह सारा ससार

सपना ह

तर म इतनी ही बात तमह राद ददला रहा ह रोज-रोज अनक-अनक ढगो स अनक-अनक इशारो स

दक जागो तम उजल हो तम परम पचवतर तम सवर परमातमा हो िोड़ी खोज करो रह क दर दर नही ह जरा

सा फासला ह चसर और हदर का फासला ही आदमी और परमातमा का फासला ह जरादा नही ह कछ ही

इचो का ह

234

बचदध म भिक रह तो ससार हदर म आ गए भाव म आ गए तो भचि भचि म आ गए तो भगवान दर

कहा

सब गए ह सामन क शोर तक

कौन जाता ह दकसी क छोर तक

कब चमला सरज चनशा क बीच म

ढढ़ना उसको पड़ा ह भोर तक

सबह तक खोजोग तो ही चमल पाएगा सरज सरज ह सबह भी ह मगर लोग चवचारो की सपनो की

तदरा म मछाा म खोए ह नीद म खोए ह कछ लोग बर सपन दख रह ह कछ लोग अचछ सपन दख रह ह बस

तमहार साध-असाध म इतना ही फका ह

म तमह चाहता हाः न साध न असाध तमहार भीतर भगवतता का उदर हो

इसचलए राद ददलाता हाः तम उजल हो तम कार हो तमस कभी कछ न भल हई ह न हो सकती ह

करोदक तम कताा नही हो साकषी हो

आज इतना ही

  • चाहत खचि सरन ही राखत
  • सतसग सरोवर भकति सनान
  • तम जानत तम दत जनाई
  • महासखः फलना और फलत जाना
  • गगन-मदिल दढ़ डोरि लगावह
  • अतरयातरा ह परमातमा
  • साध त बड़ा न कोई
  • गर ह शमा शिषय परवाना
  • यहि नगरी म होरी खलौ री
  • शाशवत सगीत भीतर ह
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