अंतरार्ष्ट्र य बाल अपहरण के नाग रक...

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अंतरा�य बाल अपहरण के नाग�रक पहल ओं से संबं�धत �वषय� पर अवधारणा प ठभ �म: अंतरा�य बाल अपहरण के नाग�रक पहलुओं से संबं�धत हेग समझौता बच� के अ�भर�ा से संबं�धत मु� पर एक बह प�ीय सं�ध है, जो 1 �दसंबर, 1983 को अितव म� आया। यह समझौता बच� क� शी घर वापसी को सु�निचत करने के �लए एक �या दान कर उह � अंतररा�य सीमाओं म� अवथापन या गलत तर�के से उह � रखने जैसे खतर� से बचाने क� को�शश करता है। इसका उेय अयत �नवास थान पर होने वाल� पह च और अ�भगम के अ�धकार� के अंतररा�य कानून� के पालन और अयत �नवास थान से अवथापन या गलत तर�के से रख� गए बचे क� शी वापसी को सु�निचत करना है। यह �वदेश� मअवथापन या गलत तर�के से रख� गए बच� को रहने और संपक के मामल� पर उस देश क� अदालत� को �नणय लेने के �लए उनके मूल देश म� भ�जने का यास करता है। समझौते के उेय ह�: �कसी भी अनुबिधत देश म� गलत तर�के से अवथापन या गलत तर�के से रख� गए बच� क� व�रत उनके देश सुर�त वापसी करने के �लए; तथा यह सु�निचत करने के �लए �क अनुबिधत देश के कानून के तहत �नगरानी और पह च के अ�धकार का अय अनुबिधत देश� वारा भावी प से पालन �कया गया है।

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  • अतंरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण के नाग�रक पहलुओ ंसे संब�ंधत

    �वषय� पर अवधारणा पत्र

    पषृ्ठभू�म:

    अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण के नाग�रक पहलुओ ंसे संबं�धत हेग समझौता

    बच्च� के अ�भर�ा से संबं�धत मुद्द� पर एक बहुप�ीय सं�ध है, जो 1 �दसंबर, 1983

    को अिस्तत्व म� आया। यह समझौता बच्च� क� शीघ्र घर वापसी को सु�निश्चत

    करने के �लए एक प्र�क्रया प्रदान कर उन्ह� अंतरराष्ट्र�य सीमाओ ंम� अवस्थापन या

    गलत तर�के से उन्ह� रखने जैसे खतर� से बचाने क� को�शश करता है। इसका उद्देश्य

    अभ्यस्त �नवास स्थान पर होने वाल� पहंुच और अ�भगम के अ�धकार� के

    अंतरराष्ट्र�य कानून� के पालन और अभ्यस्त �नवास स्थान से अवस्थापन या गलत

    तर�के से रख� गए बच्चे क� शीघ्र वापसी को सु�निश्चत करना है। यह �वदेश� म�

    अवस्थापन या गलत तर�के से रख� गए बच्च� को रहने और संपकर् के मामल� पर

    उस देश क� अदालत� को �नणर्य लेने के �लए उनके मूल देश म� भ�जने का प्रयास

    करता है। समझौते के उद्देश्य ह�:

    • �कसी भी अनुबिन्धत देश म� गलत तर�के से अवस्थापन या

    गलत तर�के से रख� गए बच्च� क� त्व�रत उनके देश सुर��त

    वापसी करने के �लए; तथा

    • यह सु�निश्चत करने के �लए �क अनुबिन्धत देश के कानून

    के तहत �नगरानी और पहंुच के अ�धकार का अन्य

    अनुबिन्धत देश� द्वारा प्रभावी रूप से पालन �कया गया है।

  • अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण 1980 के नाग�रक पहलुओ ंपर समझौता क� एक

    प्र�त�ल�प अनुलग्नक - I म� संलग्न है।

    1. वषर् 2009 म�, सव�च्च न्यायालय के पूवर् न्यायाधीश , न्यायमू�त र् (डा.)

    ए.आर. ल�मण ने हेग समझौता को स्वीकृ�त देने के �लए सरकार के सम�

    �सफा�रश क� एक �रपोटर् स�पी थी। (भारतीय �व�ध आयोग , अंतरराष्ट्र�य बाल

    अपहरण (1980) के नाग�रक पहलुओ ंपर हेग समझौता को शा�मल करने क�

    आवश्यकता, �रपोटर् संख्या 218 (माचर् 2009)

    यह �सफा�रश क� गई थी �क “सरकार इस बात पर �वचार कर सकती है �क भारत

    को हेग समझौता पर हस्ता�र कर देना चा�हए जो �क भारतीय प�रवार� म� उनके

    बच्च� के घर लौटने क� संभावनाओ ंको बढाएंगा। ” तदनुसार, इस मुद्दे पर मंत्रालय

    म� जांच क� गई और एक मसौदा �बल (अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण और प्र�तधारण

    �वधेयक, 2016) तैयार �कया गया। सावर्ज�नक �टप्पणी के �लए जून 2016 म�

    म�हला एंव बाल �वकास मंत्रालय क� वेबसाइट पर इस मसौदा �बल अपलोड �कया

    गया था।

    2. इस दौरान, सीमा कपूर बनाम द�पक कपूर के मामले म� पंजाब और

    ह�रयाणा के माननीय उच्च न्यायालय ने नाग�रक संशोधन स.ं 6449/2006 24

    फरवर�, 2016 को �नणर्य देते हुए , भारतीय �व�ध आयोग को अंतर देश� , प�रवार�

    म� अंतर माता-�पता को बच्चे के अपहरण जैसे कई मुद्द� पर �वचार रखने और

    उसके बाद बाल अपहरण पर हेग समझौता पर हस्ता�र करने के �लए उपयुक्त

    कानून हेतु �सफा�रश� को तैयार करने के �लए कहा। उच्च न्यायालय का आदेश

    अनुलग्नक - II के रूप म� संलग्न है।

    3. उपरोक्त आदेश� के अनुसरण म� , भारतीय �व�ध आयोग ने �रपोटर्

    संख्या 263 तैयार क�। आयोग ने कहा �क “इस �वधेयक (मंत्रालय द्वारा तैयार

  • �कए गए मसौदा �बल , अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण और प्र�तधारण �वधेयक , 2016)

    के अवलोकन के बाद �व�ध आयोग का मानना है �क उसे �वधायी उदाहरण� और

    प्रथाओ ंको ध्यान म� रखते हुए �बल� का मसौदा तैयार करने और हेग समझौता

    1980 के साथ अपने प्रावधान को सुसंगत करने के �लए संशोधन क� आवश्यकता

    है।” �व�ध आयोग ने मंत्रालय द्वारा तैयार �कए गए मसौदा �बल के कुछ खंड� म�

    संशोधन क� भी �सफा�रश क�, और कहा �क यह �व�ध आयोग के 263 व� �रपोटर् का

    भाग है। �रपोटर् क� एक प्र�त संलग्नक- III के रूप म� संलग्न है।

    4. इसके अलावा , मंत्रालय क� वेबसाइट पर अपलोड �कए गए �वधेयक

    के �खलाफ और प� दोन� म� �टप्प�णयां प्राप्त हुई थी। कुछ व्यिक्तय�/संगठन� ने

    इस �वधेयक का समथर्न �कया , जब�क कुछ अन्य ने इसपर भारतीय बच्च� के �हत

    और उन म�हलाओ ंको जो अक्सर अलग-अलग कारण� से तलाक के बाद देश म�

    वापस आ जाती ह�, इसपर कुछ शत� क� मांग क�।

    5. इसे देखते हुए, म�हला एवं बाल �वकास मंत्रालय ने 3 फरवर� , 2017

    को माननीय म�हला एंव बाल �वकास मंत्री क� अध्य�ता म� राष्ट्र�य परामशर् का

    आयोजन �कया। �वस्ततृ �वचार-�वमशर् के बाद इसे चंडीगढ़ न्या�यक अकादमी ,

    चंडीगढ़ के प्रमुख क� अध्य�ता म� एक उपयुक्त कानून तैयार करने और यह सलाह

    देने के �लए �क भारत का हेग समझौता पर हस्ता�रकतार् होना चा�हए या नह�ं बहु

    सदस्यीय कमेट� का गठन करने का �नणर्य �लया गया।

    वैश्वीकरण के युग म� भारत म� आ�थर्क उदार�करण शरुू हुआ है , जहां

    द�ुनया को एक वैिश्वक गांव कहा गया है , और भारत इस वैिश्वक गांव का �हस्सा

    बन गया है। वैिश्वक नौकर� के अवसर� के साथ लोग� का सीमा पार आवागमन

    आसान हो गया। एक भारतीय नाग�रक का �कसी भारत क� नाग�रकता वाले प्रवासी

  • भारतीय या भारतीय मूल के व्यिक्त से शाद� करने के उदाहरण� को 'ट्रांस-नेशनल

    मै�रज' के रूप म� जाना जाता है और यह इस वक्त काफ� देखने को �मलता है।

    हालां�क, कई बार ऐसा होता है �क प�त-पत्नी अलग हो जाते ह� और

    �ववाह टूट जाता है। ऐसे कई मामल� म� , प�त-पत्नी भारत म� अपने प�रवार म�

    वापस आ जाती ह� , और स्वयं और अपने बच्च� के �लए मान�सक शां�त क� मांग

    करती ह�। हालां�क , ऐसे उदाहरण� म� अक्सर हेग समझौता प्रावधान� के प्रकाश म�

    इस तरह क� �ववा�हत प�त/पत्नी को अपने बच्च� का अपहरणकतार् माना जाता है।

    एक अन्य िस्थ�त म� जहां प�त-पत्नी दोन� भारतीय हो और उनके

    भारत म� रहते हुए , प�त-पत्नी म� से कोई एक �ववाह के टूटने के बाद �वदेश चला

    जाए। ऐसी िस्थ�त म� , प�त या पत्नी के तलाक के बावजूद �शकायत का �नवारण

    करने क� प्र�क्रया म� बच्चे को वापस लाना महत्वपूणर् हो जाता है। ऐसे मामल� म� ,

    हेग समझौता के हस्ता�रकतार् देश अन्य सं�वदाकार� देश� के केन्द्र�य प्रा�धकरण�

    तक इस तरह के मुद्द� के समाधान के �लए जा सकते ह�। यहां एक और पहलू है जो

    �वचार के योग्य है , वो ये है �क टूटे �ववाह� के कारण कई बार �ववा�हत प�त या

    पत्नी एक दसूरे के �वरुद्ध बच्चे के अपहरण क� �शकायत करते ह�, ता�क वे अपने

    व्यिक्तगत कारण� को पूरा कर सक� ।

    चंू�क यह मामला बहुत महत्वपूणर् है और ऐसे मामल� का प्रभाव बड़े

    पैमाने पर पड़ने क� संभावना है , इस�लए यह वांछनीय है क� इसे सावर्ज�नक �कया

    जाए और �व�भन्न क्वाटर्र� से सुझाव आमं�त्रत �कया जाए। स�म�त �व�भन्न

    �हतधारक� के साथ बैठक� भी कर सकती है।

    य�द कोई सुझाव हो, तो स�चव सदस्य या�न श्रीमती मीना�ी राज

    को 31/7/17 तक ई-मेल [email protected] द्वारा भेजा जा सकता है।

    mailto:[email protected]

  • अगर �कसी कोई जानकार� या स्पष्ट�करण चा�हए , तो भी स�चव सदस्य से मांग

    क� जा सकती है।

    ......

  • अनलुग्नक – I

    अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण के नाग�रक पहलुओ ंपर हेग समझौता

    वतर्मान समझौता पर हस्ता�र करने वाले देश,

    आश्वस्त �कया गया है �क बच्च� के �हत� क� र�ा उनक� �नगरानी से संबं�धत

    मामले म� सबसे महत्वूणर् है , बच्च� को अंतरराष्ट्र�य स्तर पर उनके गलत तर�के से

    अवस्थापन या गलत तर�के से रखने के हा�नकारक प्रभाव� से बचाने और प्र�क्रयाओ ं

    को स्था�पत करने के �लए उनक� प्रथागत देश म� शीघ्र वापसी सु�निश्चत करने और

    साथ ह� पहंुच के अ�धकार� हेतु सुर�ा सु�निश्चत करने के �लए,

    इस आशय के �लए एक समझौता का गठन करने का �नणर्य �लया गया है , और

    �नम्न�ल�खत प्रावधान� पर सहम�त हुई है –

    अध्याय I - समझौते का �ेत्र

    अनुच्छेद 1

    वतर्मान समझौता के उद्देश्य ह� -

    क) �कसी भी अनुबं�धत राज्य म� गलत तर�के से अवस्थापन या गलत तर�के से

    रख� गये बच्च� के शीघ्र वापसी को सु�निश्चत करना; तथा

    ख) यह सु�निश्चत करना �क अनुबं�धत राज्य के कानून के तहत �नगरानी के

    अ�धकार और पहंुच का प्रभावी ढंग से अन्य अनुबं�धत राज्य� म� पालन �कया जा

    रहा है।

    अनुच्छेद 2

    अनुबं�धत राज्य समझौता के ल�य� के कायार्न्वयन हेतु अपने �ेत्र� के भीतर

    सुर��त करने के �लए सभी उपयुक्त उपाय �कए ह�गे। इस प्रयोजन के �लए वे

    उपलब्ध सबसे तीव्र प्र�क्रयाओ ंका उपयोग कर�गे।

    अनुच्छेद 3

    �कसी बच्चे के �नराकरण या प्र�तधारण को गलत माना जाता है जहां -

  • क) यह �कसी व्यिक्त , संस्था या �कसी अन्य संस्था के �लए िजम्मेदार कस्टडी

    अ�धकार� का उल्लंघन है , या तो संयुक्त रूप से या व्यिक्तगत रुप से , राज्य के

    कानून के तहत, िजसम� बच्चा �नराकरण या प्र�तधारण से पहले �नवासी था; तथा

    ख) �नराकरण या प्र�तधारण के समय उन अ�धकार� का प्रयोग वास्तव म� �कया

    गया था, या तो संयुक्त रूप से या व्यिक्तगत रुप से , या �नराकरण या प्र�तधारण

    के �लए ऐसा प्रयास �कया गया था।

    ऊपरोक्त उप-पैराग्राफ म� व�णर्त �नगरानी के अ�धकार , �वशेष रूप से कानून के

    संचालन या न्या�यक या प्रशास�नक �नणर्य के कारण या उस देश के कानून के

    तहत कानूनी प्रभाव वाले समझौते के कारण हो सकते ह�।

    अनुच्छेद 4

    समझौता ऐसे �कसी भी बच्चे पर लागू होगा जो �नगरानी या पहंुच के अ�धकार�

    के उल्लंघन से पहले अनुबं�धत राज्य का �नय�मत रूप से �नवासी हो। जब बच्चा

    16 वषर् क� आयु का हो तब समझौता को लागू करने से रोकना होगा।

    अनुच्छेद 5

    इस समझौता के प्रयोजन� के �लए -

    क) '�नगरानी के अ�धकार ' म� बच्चे क� देखभाल से संबं�धत अ�धकार शा�मल ह� और

    �वशेष रूप से इसम� बच्चे के �नवास स्थान को �नधार्�रत करने का अ�धकार भी

    शा�मल है;

    बी) 'पहंुच के अ�धकार ' म� बच्चा के मूल �नवास स्थान के अलावा �कसी जगह पर

    सी�मत समय के �लए बच्च� को ले जाने का अ�धकार शा�मल होगा।

    अध्याय II - केन्द्र�य प्रा�धकार�

    अनुच्छेद 6

    करारकार� देश ऐसे प्रा�धका�रय� पर समझौता द्वारा �नधार्�रत �कये गए कतर्व्य�

    का �नवर्हन करने के �लए एक क� द्र�य प्रा�धकरण �न�दर्ष्ट करेगा।

    संघीय राज्य� , एक से अ�धक कानूनी प्रणाल� वाले राज्य या स्वदेशीय �ेत्रीय

    संगठन वाले राज्य एक से अ�धक क� द्र�य प्रा�धकरण �नयुक्त करने और उनक�

    शिक्तय� क� �ेत्रीय सीमा को �न�दर्ष्ट करने के �लए स्वतंत्र ह�गे। अगर कोई राज्य

    एक से अ�धक क� द्र�य प्रा�धकरण �नयुक्त करता है , तो वह केन्द्र�य प्रा�धकरण को

  • �न�दर्ष्ट करेगा , िजसके तहत उस देश के भीतर उपयुक्त क� द्र�य प्रा�धकरण को

    ट्रांस�मशन हेतु आवेदन �कया जा सकता है।

    अनुच्छेद 7

    केन्द्र�य प्रा�धकरण एक-दसूरे के साथ सहयोग कर�गे और बच्च� के शीघ्र वापसी और

    इस समझौता के अन्य ल�य� को पूरा करने के �लए अपने संबं�धत राज्य� म� स�म

    अ�धका�रय� के बीच सहयोग को बढ़ावा द�गे।

    �वशेष रूप से, या तो प्रत्य� या �कसी भी मध्यस्थ के माध्यम से , वे सभी

    उपयुक्त उपाय कर�गे -

    क) �कसी बच्चे का पता लगाने के �लए िजसका गलत तर�के से अवस्थापन �कया

    गया है या गलत तर�के से रखा गया है;

    ख) अनं�तम उपाय� को अपनाकर या लागू कर बच्चे को �कसी भी प्रकार क� हा�न या

    इच्छुक पा�टर्य� को पूवार्ग्रह से बचाने के �लए;

    ग) बच्चे क� स्वैिच्छक वापसी को सुर��त करने के �लए या मामले के सौहादर्पूणर्

    समाधान के �लए;

    घ) बच्चे क� सामािजक पषृ्ठभू�म से संबं�धत जानकार� का साझा करने के �लए , जहां

    वांछनीय हो;

    ङ) समझौता के आवेदन के संबंध म� अपने देश के कानून के अनुसार सामान्य स्वरूप

    क� जानकार� प्रदान करने के �लए;

    च) सुर��त ढंग से बच्चे क� वापसी के �लए न्या�यक या प्रशास�नक कायर्वाह� करने

    वाल� संस्था से संपकर् करने या सु�वधा प्रदान करने के �लए , पहंुच के अ�धकार�

    के प्रभा�वयता को व्यविस्थत या सुर�ा के �लए व्यवस्था करने के �लए;

    छ) जहां कानूनी सलाह और सलाहकार� क� भागीदार� स�हत कानूनी सहायता और

    सलाह के प्रावधान को प्रदान करने या सु�वधा प्रदान करने क� आवश्यकता हो;

    ज) ऐसी प्रशास�नक व्यवस्था प्रदान करना जो आवश्यक हो और िजससे बच्चे क�

    सुर��त वापसी सुर��त हो सके;

    झ) जहां तक संभव हो, आवेदन म� �कसी भी बाधा को खत्म करने के �लए इस

    समझौता के संचालन के संबंध म� एक दसूरे के साथ जानकार� साझा करना।

    अध्याय III - बच्च� क� वापसी

    अनुच्छेद 8

    कोई भी व्यिक्त, संस्था या अन्य �नकाय य�द यह दावा करता है �क उसके बच्चे को

    �नगरानी के अ�धकार� का उल्लंघन कर अवस्थापन या गलत तर�के से रखा गया है

    तो वह बच्च� के मूल �नवास के केन्द्र�य प्रा�धकरण को या �कसी अन्य अनुबं�धत

    राज्य के क� द्र�य प्रा�धकरण को बच्चे क� वापसी के �लए सहायता हेतु आवेदन कर

    सकता है।

  • आवेदन म� शा�मल होगा -

    क) आवेदक क� पहचान के बारे म� जानकार� , िजस बच्चे या िजस व्यिक्त ने बच्चे

    के अवस्थापन या गलत तर�के से रखने का आरोप है;

    ख) जहां उपलब्ध हो, बच्चे के जन्म क� तार�ख;

    ग) िजस आधार पर बच्चे क� वापसी के �लए आवेदक दावा कर रहा है;

    घ) बच्चे के मौजूद होने से संबं�धत सभी उपलब्ध जानकार� और उस व्यिक्त क�

    पहचान िजसके पास बच्चे के होने का दावा �कया जा रहा है।

    आवेदन �नम्न दस्तावेज प्रस्तुत कर सकता है - ड़) �कसी भी प्रासं�गक �नणर्य या समझौते क� एक प्रमा�णत प्र�त�ल�प; च) प्रमाण पत्र या क� द्र�य प्रा�धकरण से प्राप्त हलफनामा, या बच्चे के मूल �नवास वाले राज्य के अन्य स�म प्रा�धकार� , या �कसी योग्य व्यिक्त से उस देश के प्रासं�गक कानून के �वषय म�; छ) कोई अन्य प्रासं�गक दस्तावेज़

    अनुच्छेद 9

    अगर क� द्र�य प्रा�धकरण जो अनुच्छेद 8 म� संद�भर्त आवेदन प्राप्त करता है , और

    उसे इस बात का �वश्वास हो जाता है �क बच्चा दसूरे अनुबं�धत राज्य म� है , तो

    वह प्रत्य� रुप से और �बना �कसी देर� के आवेदन को उस अनुबं�धत राज्य के

    क� द्र�य प्रा�धकरण को पे्र�षत करेगा और क� द्र�य प्रा�धकरण या या आवेदक को

    सू�चत करेगा, जैसा मामला हो।

    अनुच्छेद 10

    देश का केन्द्र�य प्रा�धकरण बच्चे को जहां भी स्वैिच्छक रूप से ले जाया गया है

    वहां से वापसी के �लए सभी उपयुक्त उपाय करेगा।

    अनुच्छेद 11

    अनुबं�धत राज्य� के न्या�यक या प्रशास�नक अ�धका�रय� को बच्च� क� वापसी के

    �लए कायर्वाह� म� शीघ्रता से कायर् करना होगा। य�द, संबं�धत न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकरण �कसी कायर्वाह� के प्रारंभ होने क�

    तार�ख से छह सप्ताह के भीतर �कसी �नणर्य पर नह�ं पहंुचता , तो आवेदक या

    अनुरो�धत राज्य का केन्द्र�य प्रा�धकरण को अपनी स्वयं क� पहल पर या अनुरो�धत

  • राज्य के केन्द्र�य प्रा�धकरण के अनुरोध पर देर� के कारण� पर बयान का अनुरोध करने

    का अ�धकार होगा। य�द अनुरो�धत राज्य के केन्द्र�य प्रा�धकरण द्वारा जवाब प्राप्त

    होता है, तो प्रा�धकरण अनुरो�धत राज्य के क� द्र�य प्रा�धकरण , या आवेदक को, जैसा भी

    मामला हो, उत्तर भेजेगा।

    अनुच्छेद 12

    ऐसे मामले म� जहां बच्चे को अनुच्छेद 3 के संदभर् म� गलत तर�के से अवस्थापन या

    रखा गया है, अनुबं�धत राज्य के न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकरण के सम� कायर्वाह�

    प्रारंभ होने क� तार�ख से एक वषर् के भीतर जहां बच्चा है, संबं�धत प्रा�धकरण बच्चे को

    तत्काल वापस लौटने का आदेश देगा।

    न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकरण , यहां तक �क जहां पूवर्वत� अनुच्छेद� म� �न�दर्ष्ट

    एक वषर् क� अव�ध समाप्त होने के बाद कायर्वाह� शरुू क� गई है , बच्चे क� वापसी का

    आदेश भी देगा , जब तक �क यह न प्रमा�णत �कया जाए �क बच्चा अपने नए

    वातावरण म� सुर��त है।

    जहां अनुरो�धत राज्य म� न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकरण को यह �वश्वास करने

    का कारण उ�चत है �क बच्चे को दसूरे राज्य म� ले जाया गया है, वह यह कायर्वाह�

    रोक सकता है या बच्चे क� वापसी के �लए �दए गए आवेदन को खा�रज कर

    सकता है।

    अनुच्छेद 13

    पूवर्वत� अनुच्छेद� के प्रावधान� के बावजूद , अनुरो�धत राज्य क� न्या�यक या

    प्रशास�नक प्रा�धकार� बच्चे क� वापसी का आदेश देने के �लए बाध्य नह�ं है , य�द

    व्यिक्त, संस्था या अन्य �नकाय यह �न�दर्ष्ट कर बच्चे क� वापसी का �वरोध करता

    है, क� –

    क) बच्चे के व्यिक्त क� देखभाल करने वाले व्यिक्त , संस्था या अन्य �नकाय वास्तव

    म� बच्चे के अवस्थापन या अवधारण के दौरान �हरासत के अ�धकार� का प्रयोग नह�ं

    कर रहे थे, या उन्ह� बच्चे के अवस्थापन या रखने के �लए सहम�त थी; या

    ख) वो ये �न�दर्ष्ट कर� �क बच्चे क� वापसी से बच्चे को शार��रक या मनोवै�ा�नक

    नुकसान पहंुचाया जाएगा या अन्यथा वो ऐसी जगह जा रहा है जहां उसके �लए

    रहना ठ�क नह�ं होगा।

    य�द, न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकार� को यह पता चलता है �क बच्चे को वापस

    लौटने से मना करने के �लए प�रपक्व आयु का है िजसपर उसके �वचार� को ध्यान

    म� रखना उ�चत है, बच्चे क� वापसी का आदेश देने से इनकार कर सकता है।

  • इस अनुच्छेद म� संद�भर्त प�रिस्थ�तय� पर �वचार करते हुए , न्या�यक और प्रशास�नक

    प्रा�धकरण, क� द्र�य प्रा�धकरण या बच्चे के अभ्यस्त �नवास के अन्य स�म प्रा�धकरण

    द्वारा प्रदान �कए गए बच्चे क� सामािजक पषृ्ठभू�म से संबं�धत जानकार� को ध्यान म�

    रखेगा।

    अनुच्छेद 14

    यह सु�निश्चत करने के �लए �क क्या अनुच्छेद 3 के आशय के भीतर प्र�तधारण का

    गलत तर�के से अवस्थापन �कया गया है, अनुरो�धत राज्य के न्या�यक या प्रशास�नक

    अ�धकार� न्या�यक या प्रशास�नक फैसले का सं�ान ल�गे , चाहे यह बच्चे के अभ्यस्त

    �नवास के राज्य म� यह औपचा�रक रूप से मान्यता प्राप्त हो या न हो, उस कानून के

    प्रमाण के �लए �व�शष्ट प्र�क्रयाओ ंको जाने �बना या �वदेशी �नणर्य� क� पहचान �कये

    �बना, जो अन्यथा लागू हो सकते ह�।

    अनुच्छेद 15

    अनुबं�धत राज्य के न्या�यक या प्रशास�नक अ�धकार� बच्चे क� वापसी के �लए आदेश

    देने से पहले अनुरोध करता है �क आवेदक बच्चे के अभ्यस्त �नवास के राज्य के

    अ�धका�रय� से �नणर्य ले या अन्य �नधार्�रत करते ह� �क समझौते के अनुच्छेद 3 के

    आशय के भीतर बच्चे का अवस्थापन या प्र�तधारण गलत था , जहां उस राज्य म� ऐसे

    �नणर्य या �नधार्रण पत्र प्राप्त हो सकते ह�। अनुबं�धत राज्य� क� केन्द्र�य प्रा�धकरण

    जहां तक हो सके व्यावहा�रक आवेदक� को इस तरह के �नणर्य या �नधार्रण प्राप्त

    करने म� सहायता प्रदान करते ह�।

    अनुच्छेद 16

    अनुच्छेद 3 के आशय म� बच्चे के गलत तर�के से अवस्थापन या अवधारण का

    नो�टस प्राप्त करने के बाद अनुबं�धत राज्य जहां बच्चे का अवस्थापन �कया गया है

    या रखा गया है, वहां के न्या�यक या प्रशास�नक अ�धकार� �नगरानी के अ�धकार� पर

    तब तक फैसला नह�ं कर�गे जब तक यह �नधार्�रत नह�ं हो जाता है �क इस समझौते

    के तहत बच्चे को वापस नह�ं �कया जाना है या जब तक समझौते के तहत नो�टस

    प्राप्त होने के बाद उ�चत समय के भीतर कोई आवेदन दजर् नह�ं �कया जाता है।

    अनुच्छेद 17

    वास्त�वक तथ्य यह है �क �नगरानी से संबं�धत �नणर्य अनुरोध �कये गये राज्य म�

    मान्यता प्राप्त करने के �लए �दया गया है और यह इस समझौते के तहत �कसी

    बच्चे को वापस करने से इनकार करने का कोई आधार नह�ं है , ले�कन अनुरो�धत

    राज्य के न्या�यक या प्रशास�नक अ�धकार� इस समझौते को लागू करने म� इंकार

    करने के कारण का �ववरण मांग सकते ह�।

  • अनुच्छेद 18 इस अध्याय के प्रावधान �कसी भी समय बच्चे क� वापसी का आदेश देने के �लए

    �कसी न्या�यक या प्रशास�नक अ�धकार� क� शिक्त को सी�मत नह�ं करते ह�।

    अनुच्छेद 19

    बच्चे क� वापसी के संबंध म� इस समझौते के तहत �नणर्य को �कसी भी �नगरानी

    मामले के आधार पर �नधार्�रत नह�ं �कया जाएगा।

    अनुच्छेद 20

    अनुच्छेद 12 के प्रावधान के तहत बच्चे क� वापसी को अस्वीकार �कया जा सकता है य�द उसे मानवा�धकार� और मौ�लक स्वतंत्रता के संर�ण से संबं�धत अनुरो�धत राज्य के मौ�लक �सद्धांत� के तहत अनुम�त नह�ं द� जाती।

    अध्याय VI - पहंुच का अ�धकार

    अनुच्छेद 21

    अनुवं�धत राज्य� क� क� द्र�य प्रा�धकरण� को पहंुच के अ�धकार� के प्रभावी �नयम� को

    व्यविस्थत करने या सुर��त करने क� व्यवस्था करने के �लए आवेदन को बच्चे क�

    वापसी के �लए आवेदन जैसे ह� प्रस्तुत �कया जा सकता है।

    क� द्र�य प्रा�धकरण , सहयोग के �लए बाध्य होते ह� , जो अनुच्छेद 7 म� �नधार्�रत

    अ�धकार� के शां�तपूणर् उपयोग को बढ़ावा देने और उन शत� क� पू�त र् को बढ़ावा देने के

    �लए बाध्य ह� िजन पर इस तरह के अ�धकार का प्रयोग �कया जा सकता है। क� द्र�य

    प्रा�धकरण को इस तरह के अ�धकार� के प्रयोग म� सभी बाधाओ ंको दरू करने के �लए

    कदम उठाने ह�गे। केन्द्र�य प्रा�धकरण , या तो प्रत्य� रुप से या मध्यस्थ� के माध्यम

    से इन अ�धकार� को संग�ठत या संर��त करने और शत� को लागू करने के �लए

    कायर्वाह� करने वाल� संस्था क� मदद कर सकते ह� िजसके �लए इन अ�धकार� का

    प्रयोग �कया जा सकता है।

    अनुच्छेद 22

    इस समझौते के दायरे के भीतर आने वाल� न्या�यक या प्रशास�नक कायर्वाह� म� होने

    वाले खच� और खच� के भुगतान क� गारंट� देने हेतु कोई सुर�ा रा�श, बांड या अ�ग्रम

    जमा नह�ं �कया गया है।

    अनुच्छेद 23

  • इस समझौते के संदभर् म� कोई वैधीकरण या इसी तरह क� औपचा�रकता क� आवश्यकता नह�ं होती है।

    अनुच्छेद 24

    अनुरो�धत राज्य के केन्द्र�य प्रा�धकरण को भेजे गए सभी आवेदन , संचार या अन्य

    दस्तावेज मूल भाषा म� ह�गे और जहां व्यावहा�रक नह�ं है आ�धका�रक भाषा या

    अनुरो�धत राज्य क� आ�धका�रक भाषा म� अनुवाद के साथ या फ्र� च या अंगे्रजी म�

    अनुवाद क� प्र�त भी संलग्न क� जाएगी।

    हालां�क, अनुबं�धत राज्य अनुच्छेद 42 के अनुसार �नग्रह करके , क� द्र�य या प्रा�धकरण

    को भेजे गए �कसी भी �कसी भी आवेदन , संचार या अन्य दस्तावेज म� फ्र� च या

    अंगे्रजी के उपयोग पर आ�ेप कर सकता है, ले�कन दोन� नह�ं।

    अनुच्छेद 25

    अनुबं�धत राज्य� के नाग�रक और उन राज्य� म� रहने वाले व्यिक्त , जो �क उन

    राज्य� के भीतर �नवासी ह� , इस समझौते के आवेदन के संबंध म� �कसी भी अन्य

    अनुबं�धत राज्य म� कानूनी सहायता और सलाह के �लए संबं�धत शत� म� हकदार

    ह�गे, जैसे �क वे उस राज्य के नाग�रक और �नवासी थे।

    अनुच्छेद 26

    प्रत्येक केन्द्र�य प्रा�धकरण इस मसझौते को लागू करने म� लगने वाल� लागत� को खुद वहन करेगा।

    केन्द्र�य प्रा�धकरण और अनुबं�धत राज्य� क� अन्य सावर्ज�नक सेवाओ ंद्वारा इस

    समझौते के तहत प्रस्तुत आवेदन� के संबंध म� कोई शलु्क नह�ं लगाया जाएगा।

    �वशेष रूप से , उन्ह� आवेदक से लागत और कायर्वाह� के खचर् के �लए या कानूनी

    सलाह या सलाहकार� क� भागीदार�, जहां लागू हो, म� लगने वाले �कसी भी खचर् का

    भुगतान लेने क� आवश्यकता नह�ं होगी। हालां�क , उन्ह� बच्चे क� वापसी म� �कए गए

    खच� का भुगतान करने क� आवश्यकता हो सकती है।

    हालां�क, अनुबं�धत राज्य अनुच्छेद 42 के अनुसार �नग्रह करके , यह घो�षत करता है

    �क वह कानूनी सलाह या सलाहकार� क� भागीदार� से या पूवर् अदालत क� कायर्वाह� के

    प�रणामस्वरूप पूवर्वत� अनुच्छेद म� �न�दर्ष्ट �कसी भी लागत को मानने के �लए बाध्य

    नह�ं होगा, चंू�क इन लागत� को कानूनी सहायता और सलाह के द्वारा कवर �कया जा

    सकता है।

  • इस समझौते के अंतगर्त पहंुच के अ�धकार के संबंध म� �कसी बच्चे क� वापसी या

    उसक� वापसी का आदेश जार� करने पर न्या�यक या प्रशास�नक प्रा�धकरण , जहां

    उपयुक्त हो, िजस व्यिक्त ने बच्चे का अवस्थापन �कया हो या िजसने गलत तर�के से

    अपने पास रखा हो या िजसने पहंुच के अ�धकार� म� हस्त�ेप �कया हो, उसे यात्रा

    व्यय, �कसी भी अन्य खचर् या बच्चे का पता लगाने के �लए �कए गए भुगतान ,

    आवेदक के कानूनी प्र�त�न�धत्व क� लागत , और बच्चे को लौटने वाले लोग� स�हत

    आवेदक द्वारा या उसके द्वारा �कए गए आवश्यक खच� का भुगतान करने का �नद�श

    दे सकता है। अनुच्छेद 27

    अगर यह सा�बत होता है �क इस समझौते क� आवश्यकताओ ंको पूरा नह�ं �कया

    गया है या आवेदन पूणर् रुप म� नह�ं है , तो क� द्र�य प्रा�धकरण आवेदन स्वीकार

    करने के �लए बाध्य नह�ं है। ऐसे मामले म� , क� द्र�य प्रा�धकरण आवेदक या िजसके

    माध्यम से आवेदन प्रस्तुत �कया गया था उस क� द्र�य प्रा�धकरण को तुरंत सू�चत

    करेगा।

    अनुच्छेद 28

    केन्द्र�य प्रा�धकरण के �लए यह आवश्यक हो सकता है �क आवेदक क� ओर से कायर्

    करने के �लए, आवेदन करने के �लए या प्र�त�न�ध को �नयुक्त करने के �लए आवेदन

    के साथ एख �ल�खत प्रा�धकरण अ�धकार पत्र जमा हो।

    अनुच्छेद 29

    इस समझौते म� �कसी व्यिक्त , संस्था या �नकाय को नह�ं रोकना चा�हए जो दावा

    करते ह� �क अनुच्छेद 3 या 21 के आशय के तहत अनुबं�धत राज्य के न्या�यक या

    प्रशास�नक प्रा�धकरण को सीधे आवेदन करने के बाद �नगरानी या पहंुच के अ�धकार

    का उल्लंघन �कया गया है, चाह� इस समझौते के प्रावधान तहत हो या न हो।

    अनुच्छेद 30

    इस समझौते क� शत� के अनुसार केन्द्र�य प्रा�धकरण� को या प्रत्य� रुप से अनुबं�धत

    राज्य के न्या�यक या प्रशास�नक अ�धका�रय� को �कसी अन्य सूचना के साथ संलग्न

    दस्तावेज या �कसी क� द्र�य प्रा�धकरण द्वारा प्रदान �कया गया कोई भी आवेदन

    अदालत या अनुबं�धत राज्य� के प्रशास�नक प्रा�धकरण� को स्वीकायर् होगा।

    अनुच्छेद 31

    उन राज्य के संबंध म� िजनम� बच्च� क� �नगरानी के मामल� म� �व�ध क� दो या दो

    से अ�धक प्रणा�लयां �व�भन्न �ेत्रीय इकाइय� म� लागू होती ह�, वहां -

  • क) उस राज्य म� अभ्यस्त �नवास के �लए �कसी भी संदभर् को उस राज्य क� एक

    �ेत्रीय इकाई म� अभ्यस्त �नवास के संदभर् म� लाया जाएगा;

    ख) अभ्यस्त �नवास के राज्य के कानून का कोई भी संदभर् उस राज्य म� �ेत्रीय इकाई

    के कानून के संदभर् म� लाया जाएगा जहां बच्चा आदतन रहता है।

    अनुच्छेद 32

    �कसी राज्य के संबंध म�, जहां बच्च� क� �नगरानी के मामल� म� दो या दो से अ�धक

    प्रणा�लयां अलग-अलग शे्र�णय� म� लागू होती ह� , वहां उस राज्य के कानून के �कसी

    भी संदभर् को उस राज्य के कानून द्वारा �न�दर्ष्ट कानूनी प्रणाल� के संदभर् म� लगाया

    जाएगा।

    अनुच्छेद 33

    ऐसे राज्य म� िजसम� बच्च� क� �नगरानी के संबंध म� �व�भन्न �ेत्रीय इकाइय� के

    कानून के अपने �नयम ह�, वह इस समझौते को लागू करने के �लए बाध्य नह�ं

    होगा, ये राज्य एक एक�कृत प्रणाल� के कारण ऐसा करने के �लए बाध्य नह�ं होगा।

    अनुच्छेद 34

    इस समझौते म� 5 अक्टूबर 1961 के समझौते से संबं�धत मामल� म� प्रावधान� को

    प्राथ�मकता द� जाएगी िजसम� बच्च� के संर�क� के संर�ण के संबंध म� दोन� प�� के

    समझौते के बीच प्रा�धकरण और कानून लागू ह�गे। अन्यथा, बच्चे क� वापसी के

    प्रयोजन� के �लए िजसका गलत तर�के से अवस्थापन गया है या रखा गया है या पहंुच

    अ�धकार� के �लए वतर्मान समझौता इसके मूल राज्य और राज्य के संबिन्धत राज्य के

    अन्य अंतरार्ष्ट्र�य कानून के आवेदन को प्र�तबं�धत नह�ं करेगा।

    अनुच्छेद 35

    यह समझौता केवल गलत तर�के से अवस्थापन �कये गये या रखे गये राज्य और

    अनुबं�धत राज्य के बीच के पूर� तरह से लागू होने के बाद मान्य होगा।

    जहां अनुच्छेद 39 या 40 के अधीन घोषणा �क गई है , अनुबं�धत राज्य द्वारा

    पूवर्वत� अनुच्छेद के संदभर् म� �ेत्रीय इकाई या इकाइय� का संदभर् �लया जाएगा ,

    िजसके संबंध म� यह समझौता लागू होता है।

    अनुच्छेद 36

    यह समझौता स्वयं क� सहम�त से समझौते के �कसी भी प्रावधान को मानने से इंकार

    करने के �लए प्र�तबंध� को सी�मत करने हेतु दो या अ�धक अनुबं�धत राज्य� पर

    बा�धत नह�ं होगा, जो बच्चे क� वापसी से संबं�धत हो सकती है।

  • अध्याय V I - अं�तम उपधारा

    अनुच्छेद 37

    समझौता, उन राज्य� द्वारा हस्ता�र करने के �लए ओपन ह�गे जो चौदहव� सत्र के

    समय प्राइवेट इंटरनेशनल लॉ पर हेग सम्मेलन के सदस्य थे।

    इसे स्वीकृ�त द� जाएगी , यह स्वीकार या अनुमो�दत होगा और अनुसमथर्न ,

    स्वीकृ�त या अनुमोदन के दस्तावेज नीदरल�ड्स के �वदेश मामल� के मंत्रालय म�

    जमा �कए जाएंगे।

    अनुच्छेद 38

    कोई भी अन्य राज्य समझौते से सहमत हो सकता है। समझौते म� शा�मल

    होने के दस्तावेज नीदरल�ड्स के �वदेश मामल� के मंत्रालय के पास जमा �कए

    जाएंगे।

    सहम�त के दस्तावेज� के जमा होने के बाद तीसरे कैल�डर माह के पहले �दन राज्य

    को समझौते को लागू होगा।

    समझौते म� शा�मल होने का प्रभाव राज्य और ऐसे अनुबं�धत राज्य� के बीच के

    संबंध� पर होगा , क्य��क �क उनके समझौते म� शा�मल होने क� स्वीकृ�त को घो�षत

    कर �दया जाएगा। यह घोषणा समझौते क� पुिष्ट , स्वीकार या अनुमोदन करने वाले

    �कसी भी सदस्य राज्य द्वारा करनी होगी। इस तरह क� घोषणा नीदरल�ड के �वदेश

    मामल� के मंत्रालय म� जमा क� जाएगी ; यह मंत्रालय राजन�यक चैनल� के माध्यम

    से प्रत्येक अनुबं�धत राज्य� को एक प्रमा�णत प्र�त�ल�प उपलब्ध कराएंगा।

    स्वीकृ�त के घोषणापत्र जमा करने के बाद तीसरे कैल�डर माह के पहले �दन समझौते

    म� शा�मल होने क� स्वीकृ�त घो�षत करने वाले राज्य और अन्य राज्य� के बीच

    समझौता लागू हो जाएगा।

    अनुच्छेद 39

    कोई भी राज्य , हस्ता�र, अनुसमथर्न, स्वीकृ�त, अनुमोदन या समझौते म� शा�मल

    होने के समय यह घोषणा करता है �क वह समझौते को अंतरराष्ट्र�य संबंध� के �लए

    सभी �ेत्र� तक बढ़ाएगा , िजनके �लए वह िज़म्मेदार है , या उनम� से एक या अ�धक

    राज्य। इस तरह क� घोषणा उस समय प्रभावी होगी जब यह समझौता उस राज्य म�

    लागू हो।

  • इस तरह क� घोषणा तथा साथ ह� �कसी भी बाद के �वस्तार के बारे म� नीदरल�ड

    के �वदेश मामल� के मंत्रालय को सू�चत �कया जाएगा।

    अनुच्छेद 40

    य�द �कसी अनुबं�धत राज्य म� दो या अ�धक �ेत्रीय इकाइयां ह� , िजसम� इस समझौते

    के तहत �नपटाए गए मामल� के संबंध म� कानून क� �व�भन्न व्यवस्था लागू होती है ,

    तो वह राज्य हस्ता�र , अनुसमथर्न, स्वीकृ�त, अनुमोदन या प�रग्रहण के समय इस

    समझौते को उसके सभी �ेत्रीय इकाइय� या केवल उनम� से एक या अ�धक तक

    बढ़ाएगा और इस संबध म� नई घोषणा को प्रस्तुत कर इसम� संशोधन कर सकता है।

    ऐसी �कसी भी घोषणा के बारे म� नीदरल�ड के �वदेश मामल� के मंत्रालय को

    अ�धसू�चत �कया जाएगा और स्पष्ट रूप से उन �ेत्रीय इकाइय� क� जानकार� देगा

    िजन पर यह समझौता लागू होगा।

    अनुच्छेद 41

    अगर �कसी राज्य म� सरकार म� ऐसा प्रणाल� मौजूद है िजसके तहत कायर्कार� ,

    न्या�यक और �वधायी शिक्तयां उस राज्य के मध्य और अन्य प्रा�धकरण� के बीच

    �वत�रत क� जाती ह� , तो उस राज्य द्वारा अनुच्छेद 40 के संदभर् म� हस्ता�र या

    अनुसमथर्न, स्वीकृ�त या अनुमोदन या इस सम्मेलन म� प्रवेश करने या �कसी भी

    अन्य घोषणा का उस राज्य के भीतर� शिक्तय� के आतं�रक �वतरण म� कोई प्रभाव

    नह�ं होगा।

    अनुच्छेद 42

    अनुच्छेद 39 या 40 के संदभर् म� �कसी भी राज्य को अनुसमथर्न, स्वीकृ�त, अनुमोदन या प�रग्रहण के समय से या घोषणा करने के समय म� अनुच्छेद 24 और अनुच्छेद 26 के तीसरे पैराग्राफ म� प्रदान �कए गए एक या दो �नग्रह करेगा। �कसी अन्य �नग्रह क� अनुम�त नह�ं होगी। कोई भी राज्य �कसी भी समय �कसी भी �नग्रह को वापस ले सकता है। �नग्रह वापसी

    के संबंध म� नीदरल�ड राज्य के �वदेश मामल� के मंत्रालय को सू�चत �कया जाएगा।

    पूवर्वत� पैराग्राफ म� �न�दर्ष्ट अ�धसूचना के बाद �नग्रह तीसरे कैल�डर माह के पहले �दन

    से प्रभावी होगा।

    अनुच्छेद 43

    अनुच्छेद 37 और 38 म� उिल्ल�खत अनुसमथर्न , स्वीकृ�त, अनुमोदन या प�रग्रहण के

    तीसरे दस्तावेज के जमा होने के बाद तीसरे कैल�डर माह के पहले �दन समझौता लागू

    हो जाएगा।

    इसके बाद समझौता प्रभावी हो जाएगा -

  • 1. प्रत्येक राज्य के �लए अनुसमथर्न , स्वीकृ�त, अनुमोदन या प�रग्रहण के दस्तावेज के

    जमा होने के बाद साल के तीसरे मह�ने के पहले �दन, उसके बाद, इसके अनुसमथर्न

    करना, स्वीकार करना या स्वीकृ�त देना;

    2. �कसी भी �ेत्र या प्रादे�शक इकाई के �लए िजसे अनुच्छेद 39 या 40 के अनुरुप

    �वस्ता�रत �कया गया है , उस अनुच्छेद म� �न�दर्ष्ट अ�धसूचना के बाद साल के

    तीसरे माह के पहले �दन से।

    अनुच्छेद 44

    43 के पहले अनुच्छेद के अनुसार समझौता उन राज्य� के �लए िजन्ह�ने इसम� शा�मल

    होने क� पुिष्ट क� है , स्वीकार �कया है या इसे अनुमो�दत �कया है, शा�मल होने के

    बाद यह पांच साल तक जार� रहेगा।

    य�द कोई दोषारोपण नह�ं होता है , तो हर पांच साल म� इसे नए �सरे से नवीनीकृत �कया जाएगा।

    �कसी भी दोषारोपण के संबंध म� पांच साल क� अव�ध क� समािप्त से कम से कम

    छह मह�ने पहले नीदरल�ड्स राज्य के �वदेश मामल� के मंत्रालय को सू�चत �कया

    जाएगा। यह कुछ प्रदेश या �ेत्रीय इकाइय� तक सी�मत हो सकता है , जहां पर

    समझौता लागू होता है।

    यह दोषारोपण केवल उस राज्य के संबंध म� ह� प्रभावी होगा िजसने इसके बारे

    म� अ�धसू�चत �कया है। समझौता दसूरे अनुबं�धत राज्य� के �लए लागू रहेगा।

    अनुच्छेद 45

    नीदरल�ड राज्य के �वदेश मामल� के मंत्रालय ने �नम्न�ल�खत 38 के अनुच्छेद 38 के

    अनुसार समझौते म� शा�मल होना स्वीकार करने वाले राज्य� के सदस्य� और राज्य� को

    सू�चत �कया है, �क –

    1- अनुच्छेद 37 म� �न�दर्ष्ट हस्ता�र और अनुसमथर्न, स्वीकृ�त और अनुमोदन; 2- अनुच्छेद 38 म� �न�दर्ष्ट प�रग्रहण; 3- अनुच्छेद 43 के अनुसार िजस समझौता लागू होता है; 4- अनुच्छेद 39 म� �न�दर्ष्ट �वस्तारण; 5- अनुच्छेद 38 और 40 म� �न�दर्ष्ट घोषणा; 6- अनुच्छेद 24 और अनुच्छेद 26 , तीसरे पैराग्राफ म� उिल्ल�खत �नग्रह और अनुच्छेद

    42 म� उिल्ल�खत समझौते से हटना; 7- अनुच्छेद 44 म� �न�दर्ष्ट दोषारोपण

  • सा�य के रुप म� अ�धसू�चत और �व�धवत अ�धकृत होने पर , इस समझौते

    पर हस्ता�र �कए ह�।

    यह समझौता हेग म� अक्टूबर , 1991 को अंगे्रजी और फ्र� च भाषाओ ंम� �कया गया,

    िजसके दोन� मूलपाठ समान थे और एक ह� प्र�त म� थे, इसे नीदरल�ड्स के राज्य

    सरकार क� अ�भलेखागार म� जमा क� जाएगी और चौदहव� सत्र के दौरान प्राइवेट

    इंटरनेशल कानून पर हेग समझौते के हर राज्य के सदस्य� को राजन�यक चैनल� के

    माध्यम से एक प्रमा�णत प्र�त�ल�प भेजी जाएगी।

  • एससीसी ऑनलाइन वेब संस्करण, कॉपीराइट © 2017 पषृ्ठ 1 शुक्रवार, जून 2, 2017 मु�द्रत : नमन जैन, राजीव गांधी राष्ट्र�य �व�ध �वश्व�वद्यालय के �लए एससीसी ऑनलाइन वेब संस्करण: http://www.scconline.com ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

    अस्वीकरण: हालां�क, इस दस्तावेज को बनाते समय �कसी भी गलती या चूक से बचने के �लए हर संभव प्रयास �कया

    गया है , ले�कन इस केसनोट/हेडनोट/फैसले/अ�ध�नयम/�नयम/�व�नयम/प�रपत्र/अ�धसूचना को एक �वशेष म� प�रचा�लत

    �कया जा रहा है और प्रकाशक �कसी भी कारण से इस केसनोट/हेडनोट/फैसले/ अ�ध�नयम

    /�नयम/�व�नयम/प�रपत्र/अ�धसूचना म� �कसी भी गलती या चूक या इसके आधार पर �लया गया या �लया जाने वाला या

    �कसी भी तरह क� कारर्वाई के �लए उत्तरदायी नह�ं होगा। इससे संबं�धत सभी �ववाद �वशेष रूप से लखनऊ �ेत्र म�

    िस्थत अदालत� , �ट्रब्यूनल और फोरम के �ेत्रा�धकार के अधीन ह�गे। इस दस्तावेज क� प्रामा�णकता को मूल दस्तावेज से

    सत्या�पत �कया जाना चा�हए।

    सी.एमी. संख्या 2015 क� 14931-CII

    सीमा कपूर बनाम द�पक कपूर

    2016 एससीसी ऑनलाइन पी एंड एच 1225

    पंजाब और ह�रयाणा के उच्च न्यायालय म�

    (राहेल भलाला , जे. के सम�)

    सीमा कपूर और अन्य बनाम द�पक कपूर और अन्य

    श्री अ�नल मल्होत्रा, वक�ल, ए�मकस क्यूर�ए श्री प्र�तक गुप्ता, भारतीय संघ के वक�ल श्री पी.एस. बाजवा, अपर ए.जी., पंजाब श्री एस. एस. संधू, �वशेष अ�भयोजक, सीबीआई

    सी.एम. संख्या 2006 क� सीआर -644 9 म� 14931-CII फरवर� 24, 2016 को फैसला

  • राजीव भाल्ला , 1- एक नाबा�लक बच्चे को 23.12.2006 को �दए गए इस न्यायालय के अंत�रम आदेश क� अवमानना कर न्या�यक �हरासत से अवस्थापन कर �लया गया और इस न्यायालय द्वारा नाबा�लग को पुनस्थार्�पत करने के सभी प्रयास� क� �वफलता अदालत को भारतीय �व�ध आयोग और म�हला एवं बाल �वकास मंत्रालय को अगे्र�षत करने के �लए मजबूर करता है �क, "बाल अवस्थापन" पर कानून के अभाव म� �कसी भी बच्चे को भारत से आसानी से अवस्था�पत �कया जा सकता है। एमीकस क्युर� और क� द्र�य जांच ब्यूरो द्वारा प्रशसंनीय प्रयास� के बावजूद , नाबा�लग का पता नह�ं चल सका है। 2. सीमा कपूर और अन्य ने नाबा�लग को प्र�तवाद� के संर�ण म� रखने के �दए गए �नद�श को चुनौती देते हुए �नणर्य म� संशोधन करने का केस �कया। या�चकाकतार् के प� म� �दनांक 23.12.2006 को अंत�रम आदेश पा�रत �कया गया , िजससे उन्ह� नाबा�लग का संर�ण बरकरार रखने क� इजाजत द� गई , ले�कन जब सीमा कपूर को नाबा�लग को प्रस्तुत करने का �नद�श �दया गया था, तो वह देश से भाग गई और अवैध रूप से बच्चे को �ब्रटेन ले गई। 2008 म� कोटर् क� सहायता के �लए श्री अ�नल मल्होत्रा, वक�ल, ए�मकस क्युर� को �नयुक्त �कया गया था और पु�लस को इस मामले क� जांच के �नद�श �दए गए थे। इसके बाद , इस अदालत द्वारा जांच को क� द्र�य जांच ब्यूरो को हस्तांत�रत कर �दया गया। पु�लस और क� द्र�य जांच ब्यूरो द्वारा दायर जवाब� से यह स्पष्ट हो गया �क नाबा�लग को नकल� पासपोटर् के ज�रए �ब्रटेन ले जाया गया था। अंततः स्टे आडर्र जार� कर �दया गया। पु�लस स्टेशन दसूया म� मामूल� बच्चे को अवैध रूप से अवस्था�पत करने के �लए भारतीय दंड सं�हता क� धारा 363 , 1 9 3 , 20 9 और 120-बी के तहत �दनांक 12.08.2008 को एफआईआर संख्या 86 दजर् क� गई और जाल� दस्तावेज� पर पासपोटर् प्राप्त करने के �लए राजेश कपूर और अन्य के �खलाफ पु�लस स्टेशन दसूया म� धारा 420, 467, 468, 120-बी और पासपोटर् अ�ध�नयम , 1967 क� धारा 12 के तहत एफआईआर संख्या 119 , 30.11.2008 को पंजीकृत �कया गया था। इस कोटर् द्वारा दोन� एफआईआर को सीबीआई को जांच के �लए स�पा गया था। 3. �दनांक 06.11.2008 को अगले �दशा�नद�श जार� �कए गए थे और सीमा कपूर और नाबा�लग बच्चे के पासपोटर् जब्त �कए गए थे। 2009 के 14.07.2008 और 06.11.2008 के आदेश के �खलाफ दायर एक �वशेष छुट्टी या�चका संख्या 725 को सव�च्च न्यायालय ने 01.05.2009 को खा�रज कर �दया था , ले�कन �फर भी बच्चे का पता नह�ं चल सका। आ�खरकार, लंदन म� उच्च न्यायालय द्वारा �व�भन्न आदेश पा�रत �कए जाने के बाद नाबा�लक बच्चा बरामद �कया गया। �ब्र�टश पु�लस कांस्टेबल , व�रदंर सुच 673 XB द्वारा साउथॉल पु�लस थाने , �ब्रटेन म� 03.12.2008 को गवाह का बयान दजर् �कया गया और सीमा कपूर , नाबा�लग बच्चे और राजेश कपूर को 03.12.2008 को �गरफ्तार �कया गया था , �गरफ्तार� के वक्त वे भागने क� को�शश कर रहे थे।

  • सीमा कपूर और राजेश कपूर को �ब्र�टश पु�लस ने 05.12.2008 तक �हरासत म� रखा था। हालां�क , बच्चे को पालक क� देखभाल म� रखा गया था। 4. �दनांक 11.12.2008 को पा�रवा�रक न्यायालय, लंदन के न्यायालय के सम� एक हलफनामा दा�खल �कया गया, िजसम� राजेश कपूर ने लंदन उच्च न्यायालय से कहा �क वह नाबा�लग को भारत न भ�जे। �दनांक 17.03.2009 क� यह �रपोटर्, �नम्नानुसार है: - “राजेश कोटर् को स�ूचत करते ह� �क वो ऐशले क� देखभाल करने के �लए अपनी बहन क� मदद लेते रह�गे। उन्ह�ने सीमा क� अतीत म� सहायता क� और एशले क� देखभाल पर अपने �वचार साझा �कए। हालां�क, मझेु इस बात क� �चतंा है �क उन्ह�ने अपनी पत्नी और बेटे के ऊपर इस बात को प्राथ�मकता द� है, जो भारत म� रहते ह� और उन्ह�ने ऐसा क्य� �कया है इसका कारण नह�ं जानता। न ह� म� �पता (उनके भाई) के साथ अपने �रश्ते के बारे म� स्पष्ट करता हंू, जो ऐशले के बदले अपने खदु के बच्चे को उपहार देने जा रहा था।” 5. श्री अनील मल्होत्रा, वक�ल, ए�मकस क्यूर�ई, �दनांक 21.03.2009 को एक �रपोटर् �रकॉडर् करते हुए, फै�मल� कोटर् के फै�मल� �डवीजन, लंदन म� अनुरोध �कया था �क नाबा�लग और सीमा कपूर को भारत लौट आएं। 6. द�पक कपूर और ज्यो�त कपूर और प्र�तवाद� जैसे सीमा कपूर, राजेश कपूर और ऐशले कपूर के बीच उच्च न्यायालय, पा�रवा�रक प्रभाग, लंदन द्वारा �दनांक 21.04.2009 को �नम्नानुसार �नष्कषर् �नकाला गया है: - “23. मेरे सामने रखे गए तथ्य� के आधार पर म� ऐशले क� वापसी के �लए सीमा को �नगरानी का आदेश नह�ं दे सकता। ऐसा करना ऐशले के �हत म� नह�ं होगा। म� ऐशले को भारत अ�वलं�बत लौटाने का आदेश दूंगा। मेरे आदेश म� ऐशले को भारत लौटने और पंजाब और ह�रयाणा उच्च न्यायालय म� मेरे द्वारा अनरुोध क� प्रस्तावना के �लए व्यवस्था शा�मल होगी। 24. यह आदेश इस फैसले से संग्लन है और ए�मशस क्यरू�ई को पंजाब और ह�रयाणा उच्च न्यायालय म� जाने और एशले को इस अ�धकार �ेत्र से �नकाले जाने से पहले आदेश को दजर् करने के �लए ई-मेल �कया गया है। इस मामले के कागजात भारतीय न्यायालय को भेजे जाएंगे।” 7. �दनांक 21.04.2009 के उपरोक्त फैसले के �खलाफ लंदन कोटर् म� अपील दजर् कराई गई थी, िजसे �दनांक 23.04.2009 को स्पष्ट �कया गया था।

  • 8. हालां�क, �दनांक 24.04.2009 को लगभग 9.30 बजे, ऐशले कपूर को एक अ�ात ए�शयाई पुरुष ने स्कूल के एक खेल मैदान म� छोड़ �दया। इसके बाद, �ब्र�टश पु�लस और उसक� तलाश करने वाल� �व�भन्न एज��सय� के प्रयास� से उसे अजीब हालात� म� पाया गया। 9. क� द्र�य जांच ब्यूरो, चंडीगढ़ को स�पी गई एफआईआर क� जांच म� इस बात पुिष्ट हुई है �क राजेश कपूर ने इस तथ्य का खुलासा �कए �बना दसूरे पासपोटर् को धोखाधड़ी से प्राप्त कर �लया है �क उनके पास �दनांक 08.04.1996 को जार� पासपोटर् क्रमांक A-544 912 पहले से ह� मौजूद था। क� द्र�य जांच ब्यूरो ने इस बात पुिष्ट �क है �क फज� अ�भभावक और जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोटर् कायार्लय, जालंधर से ऐशले कपूर के संबंध म� नकल� पासपोटर् तैयार �कए गए थे और �दनांक 22.12.2007 को वह लंदन चले गए थ�। 10. ए�मकस क्यूर� और क� द्र�य जांच ब्यूरो के सभी प्रयास� के बावजूद और हर कदम पर �वफल होने के बावजूद भारत अंतरार्ष्ट्र�य बाल अपहरण के नाग�रक पहलुओ ंपर हेग समझौते, 1980 का हस्ता�रकतार् नह�ं है। इसके अलावा, भारत अंतर-देशीय बाल अवस्थापना को गलत या अपराध नह�ं माना जाता है, न इसे ह� �कसी �व�शष्ट या �वशेष कानून के तहत प�रभा�षत �कया गया है। हेग समझौते के तहत �कसी बच्�