वषष 15 4ंक03 2016 - er.indianrailways.gov.in · जो सबको हैं...

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जो सबको ह भाते प वही कहलाते बाल कथा विशेषाक वष -15 -03 2016 वष रेलवे, मालदा म डल की सृजनामक हहदी ई-माहसकी

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  • जो सबको हैं भाते

    पषु्प वही कहलाते

    बाल कथा विशषेाांक

    वषष-15

    अंक-03

    2016

    पूवष रेलवे, मालदा मंडल की सजृनात्मक हहन्दी ई-माहसकी

  • 8 2

    भारत के सहंवधान में राजभाषा

    सघं की राजभाषा हहंदी और हिहि दवेनागरी है । सघं के शासकीय प्रयोजनों के हिए प्रयोग होने वािे अकंों का रूि भारतीय अकंों का अतंराष्ट्रीय रूि

    है { सहंवधान का अनुच्छेद 343 (1)} । िरन्तु हहंदी के अहतररक्त अगें्रजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में हकया जा सकता है।

    ससंद का कायय हहंदी में या अगें्रजी में हकया जा सकता है । िरन्तु राज्यसभा के सभािहत महोदय या िोकसभा के अध्यक्ष महोदय हवशेष िररहथिहत में

    सदन के हकसी सदथय को अिनी मातृभाषा में सदन को सबंोहधत करने की अनुमहत द ेसकते हैं ।

    हकन प्रयोजनों के हिए केवि हहंदी का प्रयोग हकया जाना है, हकन के हिए हहंदी और अगें्रजी दोनों भाषाओ ंका प्रयोग आवश्यक है और हकन कायों के

    हिए अगें्रजी भाषा का प्रयोग हकया जाना है, यह राजभाषा अहधहनयम 1963, राजभाषा हनयम 1976 और उनके अतंगयत समय समय िर राजभाषा हवभाग, गृह

    मंत्रािय की ओर स ेजारी हकए गए हनदशेों द्वारा हनधायररत हकया गया है ।

    अध्याय - 1 संघ की भाषा

    ऄनचु्छेद 120. संसद ्में प्रयोग की जाने वाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए भी, ककंत ुऄनचु्छेद 348 के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, संसद ्में कायय कहदंी में या ऄगें्रजी में ककया जाएगा

    परंत,ु यथाकथथकत, राज्य सभा का सभापकत या लोक सभा का ऄध्यक्ष ऄथवा ईस रूप में कायय करने वाला व्यकि ककसी सदथय को, जो

    कहदंी में या ऄगें्रजी में ऄपनी पयायप्त ऄकभव्यकि नहीं कर सकता ह,ै ऄपनी मात-ृभाषा में सदन को संबोकधत करने की ऄनजु्ञा द ेसकेगा ।

    (2) जब तक संसद ्कवकध द्रारा ऄन्यथा ईपबंध न करे तब तक आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध की समाकप्त के पश्चात् यह ऄनचु्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो या ऄगें्रजी में‛ शब्दों का ईसमें से लोप कर कदया गया हो ।

    ऄनचु्छेद 210: कवधान-मंडल में प्रयोग की जान ेवाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए भी, ककंत ुऄनचु्छेद 348 के

    ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, राज्य के कवधान-मंडल में कायय राज्य की राजभाषा या राजभाषाओ ंमें या कहदंी में या ऄगें्रजी में ककया जाएगा परंत,ु यथाकथथकत, कवधान सभा का ऄध्यक्ष या कवधान पररषद ्का सभापकत ऄथवा ईस रूप में कायय करन ेवाला व्यकि ककसी सदथय

    को, जो पवूोि भाषाओ ंमें से ककसी भाषा में ऄपनी पयायप्त ऄकभव्यकि नहीं कर सकता ह,ै ऄपनी मातभृाषा में सदन को संबोकधत करने की

    ऄनजु्ञा द ेसकेगा ।

    (2) जब तक राज्य का कवधान-मंडल कवकध द्रारा ऄन्यथा ईपबंध न करे तब तक आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध की समाकप्त के पश्चात् यह ऄनचु्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो ‚ या ऄगें्रजी में ‛ शब्दों का ईसमें से लोप कर कदया गया हो :

    परंतु कहमाचल प्रदशे, मकणपरु, मेघालय और किपरुा राज्यों के कवधान-मंडलों के संबंध में, यह खंड आस प्रकार प्रभावी होगा मानो आसमें अने वाले‚पंद्रह वषय‛ शब्दों के थथान पर ‚पच्चीस वषय‛ शब्द रख कदए गए हों :

    परंतु यह और कक ऄरूणाचल प्रदशे, गोवा और कमजोरम राज्यों के कवधान-मंडलों के संबंध में यह खंड आस प्रकार प्रभावी होगा मानो आसमें अन ेवाले ‚ पंद्रह वषय ‛ शब्दों के थथान पर ‚ चालीस वषय ‛ शब्द रख कदए गए हों ।

    ऄनचु्छेद 343. संघ की राजभाषा--

    (1) संघ की राजभाषा कहदंी और कलकप दवेनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के कलए प्रयोग होने वाले ऄकंों का रूप भारतीय ऄकंों का ऄतंरायष्रीय रूप होगा।

    (2) खंड (1) में ककसी बात के होते हुए भी, आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध तक संघ के ईन सभी शासकीय प्रयोजनों के कलए ऄगें्रजी भाषा का प्रयोग ककया जाता रहगेा कजनके कलए ईसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग ककया जा रहा था :

    परन्तु राष्रपकत ईि ऄवकध के दौरान, अदशे द्रारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से ककसी के कलए ऄगें्रजी भाषा के ऄकतररि कहदंी

    भाषा का और भारतीय ऄकंों के ऄतंरायष्रीय रूप के ऄकतररि दवेनागरी रूप का प्रयोग प्राकधकृत कर सकेगा।

    (3) आस ऄनचु्छेद में ककसी बात के होते हुए भी, संसद ्ईि पन्द्रह वषय की ऄवकध के पश्चात् , कवकध द्रारा

    (क) ऄगें्रजी भाषा का, या

    (ख) ऄकंों के दवेनागरी रूप का, ऐसे प्रयोजनों के कलए प्रयोग ईपबंकधत कर सकेगी जो ऐसी कवकध में कवकनकदयष्ट ककए जाए।ं

    क्रमशः

    8 2

    भारत के सहंवधान में राजभाषा

    क्रमशः

    भाषा के प्रयोग स ेसांबांवधत विशषे वनदशे

    अध्याय - 4

    अनचु्छदे 350. व्यथा के ननवारण के निए अभ्यावदेन में प्रयोग की जान ेवािी भाषा--

    प्रत्येक व्यकि ककसी व्यथा के कनवारण के कलए संघ या राज्य के ककसी ऄकधकारी या प्राकधकारी

    को, यथाकथथकत, संघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली ककसी भाषा में ऄभ्यावदेन दनेे का हकदार होगा।

    अनचु्छदे 350 क. प्राथनमक स्तर पर मातभृाषा में निक्षा की सनुवधाएं--

    प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक थथानीय प्राकधकारी भाषाइ ऄल्पसंख्यक-वगों के बालकों को कशक्षा के

    प्राथकमक थतर पर मातभृाषा में कशक्षा की पयायप्त सकुवधाओ ंकी व्यवथथा करने का प्रयास करेगा और राष्रपकत ककसी राज्य

    को ऐसे कनदशे द ेसकेगा जो वह ऐसी सकुवधाओ ंका ईपबंध सकुनकश्चत कराने के कलए अवश्यक या ईकचत समझता ह।ै

    अनचु्छदे 350 ख. भाषाई अल्पसखं्यक-वगों के निए नविषे अनधकारी--

    (1) भाषाइ ऄल्पसंख्यक-वगों के कलए एक कवशेष ऄकधकारी होगा कजसे राष्रपकत कनयिु करेगा।

    (2) कवशषे ऄकधकारी का यह कतयव्य होगा कक वह आस संकवधान के ऄधीन भाषाइ ऄल्पसंख्यक-वगों के कलए

    ईपबंकधत रक्षोपायों से संबंकधत सभी कवषयों का ऄन्वषेण करे और ईन कवषयों के संबंध में ऐसे ऄतंरालों पर जो राष्रपकत

    कनकदयष्ट करे, राष्रपकत को प्रकतवदेन द ेऔर राष्रपकत ऐसे सभी प्रकतवदेनों को संसद ्के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा

    और संबंकधत राज्यों की सरकारों को कभजवाएगा।

    अनचु्छदे 351. नहंदी भाषा के नवकास के निए ननदिे--

    संघ का यह कतयव्य होगा कक वह कहदंी भाषा का प्रसार बढ़ाए, ईसका कवकास करे कजससे वह भारत की सामाकसक

    संथकृकत के सभी तत्वों की ऄकभव्यकि का माध्यम बन सके और ईसकी प्रकृकत में हथतके्षप ककए कबना कहदंथुथानी में और

    अठवीं ऄनसुचूी में कवकनकदयष्ट भारत की ऄन्य भाषाओ ंमें प्रयिु रूप, शलैी और पदों को अत्मसात करते हुए और जहां

    अवश्यक या वांछनीय हो वहां ईसके शब्द-भडंार के कलए मखु्यतः संथकृत से और गौणतः ऄन्य भाषाओ ंसे शब्द ग्रहण

    करते हुए ईसकी समकृि सकुनकश्चत करे।

    http://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=const.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolact.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolact.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolrules.htm

  • हवषय वस्तु

    प्रसंगवश—

    —रामाशीष कसंह — 3

    मेरा पररवार —

    — कवनोद कुमार किपाठी 4

    कजंदगी की सच्चाइ —

    — सकुप्रया राय 7

    मदु्रा की शरुुअत —

    — यश कुमार 8

    मलूहठी—

    — कप्रया कमश्रा 9

    ऄपराध कम...

    — सकच्चदानंद कजज्ञास ु 10

    पेंकसल की कहानी

    — आदं्र ज्योकत राय 13

    ऄमर प्रमेकथा..

    —ऄश्वनी कसंह 14

    काकतयक पकूणयमा

    — थवीटी प्रसाद 15

    हसंगलु्ले —

    — रजनी 16

    नइ खोजें

    — कमंटू कसंह 17

    ऄपनी कहन्दी —-

    — कनशीथ कुमार 18

    मिुक —-

    — संतोष कुमार 18

    कचि वीकथका 19-20

    हनिःशुल्क हवतरण हेतु

    सरंक्षक

    मोकहत कसन्हा

    मंडल रेल प्रबंधक

    परामशष

    कवजय कुमार साहू ऄपर मुख्य राजभाषा ऄकधकारी

    एवं ऄपर मंडल रेल प्रबंधक

    प्रधान सपंादक

    रामाशीष कसंह

    राजभाषा ऄकधकारी(प्र।)

    सपंादक

    सकच्चदानंद

    व. ऄनवुादक

    कायषकारी सपंादक

    आदं्र ज्योकत राय

    क. ऄनवुादक

    सहयोग

    दयामय दास, ककनष्ठ आजंीकनयर

    3

    प्रसंगवश

    सपंर्क सतू्र

    संपादर्, बढ़ते र्दम

    मंडल रेल प्रबंधर् र्ार्ाकलर्

    पूर्क रेलर्े/मालदा

    फोन- 72190/ 72192 (रेलर्े) Email – [email protected]

    Web: www।.er.indianrailway.gov.in

    प्रकाकशत रचनाओ ं में व्यि कवचार लेखकों के ऄपने है आससे संपादक मंडल का सहमत होना अवश्यक नही ह।ै

    गरुु नानक

    गरुु नानक का जन्म रावी नदी के ककनारे

    कथथत तलवडंी नामक गााँव में काकतयकी पकूणयमा को एक

    खिीकुल में हुअ था । आनके कपता का नाम कल्याणचंद

    या महेता काल ूजी था, माता का नाम तपृ्ता दवेी था ।

    तलवडंी का नाम अग े चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया । आनकी

    बहन का नाम नानकी था। कुछ कवद्रान आनकी जन्मकतकथ 15 ऄप्रैल, 1469 मानते

    हैं । ककंत ुप्रचकलत कतकथ काकतयक पकूणयमा ही ह,ै जो ऄक्टूबर-नवबंर में दीवाली के

    15 कदन बाद पड़ती ह ै। बचपन से आनमें प्रखर बकुि के लक्षण कदखाइ दनेे लग ेथे ।

    लड़कपन ही से ये सांसाररक कवषयों से ईदासीन रहा करते थे । पढ़ने कलखने में

    आनका मन नहीं लगा ।

    7-8 साल की ईम्र में थकूल छूट गया क्योंकक भगवत्प्रापकत के संबंध में

    आनके प्रश्नों के अग ेऄध्यापक ने हार मान ली तथा व ेआन्हें ससम्मान घर छोड़ने

    अ गए । तत्पश्चात ् सारा समय व े अध्याकत्मक कचंतन और सत्संग में व्यतीत

    करने लग े। बचपन के समय में कइ चमत्काररक घटनाए ंघटी कजन्हें दखेकर गााँव

    के लोग आन्हें कदव्य व्यकित्व मानने लग े। बचपन के समय से ही आनमें श्रिा रखने

    वालों में आनकी बहन नानकी तथा गााँव के शासक राय बलुार प्रमखु थे।

    आनका कववाह सोलह वषय की अय ुमें गरुदासपरु कजले के ऄतंगयत लाखौकी

    नामक थथान के रहनेवाले मलूा की कन्या सलुक्खनी से हुअ था । 32 वषय की

    ऄवथथा में आनके प्रथम पिु श्रीचंद का जन्म हुअ । चार वषय पश्चात ् दसूरे पिु

    लखमीदास का जन्म हुअ । दोनों लड़कों के जन्म के ईपरांत 1503 में नानक

    ऄपने पररवार का भार ऄपने श्वसरु पर छोड़कर मरदाना, लहना, बाला और

    रामदास आन चार साकथयों को लेकर तीथययािा के कलये कनकल पडेऺ । किर

    अत्मज्ञान को प्राप्त कर इश्वर तुल्य हो गए । कहने की बात नहीं ईसके बाद व ेगरुु

    नानक कहलाने लग े । ईन्होंने बताया है— ह े प्यारो, ऄपने अपको जीतने की

    भठ्ठी में तपाओ ऄथायत ् आकन्द्रयों और मन को कवषय वासनाओ ंसे दरू रखो, धैयय

    रूपी सनुार बनो, समुकत का लौह-कपण्ड रखो और ज्ञान का हथौड़ा भी । भय की

    दरू करो और तपथया की ऄकनन जलाओ । तभी तमु आस संसार सागर से पार

    होकर परम अनंद को प्राप्त हो सकते हो । — रामाशीष हसंह

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80_%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%80&action=edit&redlink=1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0

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  • 6

    कहानी ¨ÉÉ®úä EòÉä

  • 7

    कहानी

    व ांदगी की सच्चाई

    बसंतपरु नामक एक गांव में लखींद्र नाम का एक साहूकार रहता था । गांव के लोग ईसे लखी सेठ के नाम से पकुारा

    करते थे । साहूकार थवभाव का बहुत ऄच्छा था । वह लोगो के सखु दःुख में ईनके साथ खड़ा रहता था । अम साहूकारों

    की तरह वह पैसो के पीछे नहीं भागा करता था । साहूकार की एक बात सबसे कनराली थी कक ईसने कुल चार शाकदयां की

    थी । दरऄसल ईसकी कोइ संतान नहीं थी और संतान की चाह में ईसने एक के बाद एक चार शाकदयां कर डाली थी ।

    वह ऄपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और ईसकी खबू दखेभाल करता । वह ऄपनी तीसरी पत्नी से भी

    प्यार करता था और हमशेा ईसे ऄपने कमिों को कदखाना चाहता था । हालांकक ईसे हमशेा डर था की वह कभी भी ककसी

    दसूरे आसंान के साथ भाग सकती ह ै। वह ऄपनी दसूरी पत्नी से भी प्यार करता था । जब भी ईसे कोइ परेशानी अती तो

    वह ऄपनी दसूरी पत्नी के पास जाता और ईसकी समथया सलुझा दतेा । वह ऄपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था

    जबकक पत्नी ईससे बहुत गहरा प्यार करती थी और ईसकी खबू दखेभाल करती । एक कदन साहूकार बहुत बीमार पड़

    गया। ईसने ऄपने आलाज के कलए शहर से एक बडे़ हकीम को गांव बलुाया ।

    हकीम ने साहूकार की नाड़ी दखेी । ईसकी नाड़ी कािी सथुत चल रही थी । हकीम ने साहूकार से कहा-अपको राज

    रोग हो गया ह ैऔर ऄब आस का कोइ आलाज नहीं ह ै। साहूकार समझ गया कक था की जल्दी ही वह मर जाएगा । ईसने

    ऄपने अप से कहा," मरेी चार पकत्नयां हैं, ईनमें से मैं एक को ऄपने साथ ले जाता हूाँ...जब मैं मरंू तो वह मरने में मेरा

    साथ द े।" तब ईसने चौथी पत्नी से ऄपने साथ अने को कहा तो वह बोली," नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता,अप की

    मतृ्य ुकनकश्चत ह ैऔर मैं भला अपके साथ जाकर ऄपनी बाकी बची कजदंगी नष्ट नहीं कर सकती हू ं। यह कहकर वह चली

    गयी ।

    ईसने तीसरी पत्नी को बुलाया और ईससे पछूा तो वह बोली, " क़िन्दगी बहुत ऄच्छी ह ैयहााँ जब अप मरोग ेतो मैं

    दसूरी शादी कर लूंगी ।"

    किर ईसने दसूरी पत्नी से पूछा तो वह बोली, " मझु े तो अप माफ़ कर दो, मैं अपकी कोइ मदद नहीं कर

    सकती ,ज्यादा से ज्यादा मैं अपको जलाने तक अपके साथ रह सकती हूाँ ।"

    ऄब साहूकार का कदल ठंडा पड़ गया । तब एक अवा़ि अइ," मैं अपके साथ चलने को तैयार हूाँ । अप जहााँ

    जाऐगं ेमैं अपके साथ चलूंगी ।" साहूकार ने जब दखेा तो सामने ईसकी पहली पत्नी थी । वह बहुत बीमार थी । खाने पीने

    के ऄभाव में बढ़ूी सी लगने लगी थी ।

    साहूकार पश्चाताप के असंूं के साथ बोला," मझु ेतमु्हारी ऄच्छी दखेभाल करनी चाकहए थी और मैं कर सकता था,

    लेककन मनैें ऐसा नहीं ककया यह मरेी भलू थी और अज जब मरेी ऐसी कथथकत ह ैतो मरेे खराब व्यवहार के बाद भी तुम मरेे

    साथ चलने को तैयार हो । यह कहकर ईसकी अंखों से अंस ूछलक पडे़ । दरऄसल हम सब की चार पकत्नयां हैं जीवन

    में। चौथी पत्नी हमारा शरीर ह ै। हम चाहें कजतना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंग ेतो यह हमारा साथ छोड़ दगेा । तीसरी

    पत्नी ह ैहमारी जमा पूाँजी, रुतबा । जब हम मरेंगे तो ये दसूरों के पास चले जायेंग े। दसूरी पत्नी ह ैहमारे दोथत व ररश्तेदार।

    चाहें व ेककतने भी करीबी क्यूाँ ना हों मरने के बाद हद से हद हमारे ऄकंतम संथकार तक साथ रहते हैं ।

    पहली पत्नी हमारी अत्मा ह,ै जो सांसाररक मोह माया में हमेशा ईपेकक्षत रहती ह ै। यही वह ची़ि ह ैजो हमारे साथ

    रहती ह ैजहााँ भी हम जाएाँ।आसकलए कुछ दनेा ह ैतो आसे दो । दखेभाल करनी ह ैतो आसकी करो प्यार करना ह ैतो आससे करो

    — सुहप्रया राय

  • 8

    आलेख

    मदु्रा की शरुूआत

    अप संसार में तभी महत्वपूणय हो सकते हैं जब तक अप के पास ऐसा कुछ ह ैजो पैसे से ख़रीदा ना जा सके । लेककन

    पैसे का महत्व आससे कुछ कम नहीं होता क्योंकक संसार का कायय-व्यापार पैसे से ही चलता ह ै। यहां हम मदु्रा की शरुूअत

    से लेकर ऄबतक की बहुत कुछ जानकाररयों को समाकहत करना चाहते हैं-

    1. भारत में मदु्रा 2500 साल पहले एक राजा द्रारा शरुू की गइ थी।

    2. सन ्1917 में 1 रुपया का मलू्य 13$ डालर के बराबर हुअ करता था । 1947 में भारत जब अजाद हुअ तो 1 रुपया

    = 1$ डालर हो गया किर धीरे-धीरे भारत पर कजय बढ़ने लगा तो आकंदरा गांधी ने कजय चकुाने के कलए रूपये की

    कीमत कम करने का िैसला कलया । ईसके बाद से अज तक रूपये की कीमत घटती अ रही हैं ।

    3. अरबीअइ ने जनवरी 1938 में पहली बार 5 रुपये की पेपर करंसी छापी थी कजस पर ककंग जाजय-6 का कचि था। आसी

    साल 10,000 रुपये का नोट भी छापा गया था लेककन 1978 में आसे परूी तरह बंद कर कदया गया।

    4. सरुक्षा कारणों से नोट के सीररयल नंबर में I, J, O, X, Y, Z ऄक्षर नहीं रख ेजाते हैं ।

    5. भारतीय नोट पर ककसी न ककसी चीज की िोटो छपी होती हैं जसैे- 20 रुपए के नोट पर ऄडंमान अआलैंड की तथवीर

    ह ै। वहीं, 10 रुपए के नोट पर हाथी, गैंडा और शरे छपा हुअ ह,ै जबकक 100 रुपए के नोट पर पहाड़ और बादल की

    तथवीर ह ै। आसके ऄलावा 500 रुपए के नोट पर अजादी के अदंोलन से जडु़ी 11 मकूतय की तथवीर छपी हैं ।

    6. भारतीय नोट पर ईसकी कीमत 15 भाषाओ ंमें कलखी जाती हैं।

    7. 1 रुपया में 100 पैसे होग,े ये बात सन ्1957 में लाग ूकी गइ थी । पहले आसे 16 अने में बााँटा जाता था

    8. भारतीय नोट पर महात्मा गांधी की जो िोटो छपती हैं वह 1996 में नोटों पर छपनी शरुू हुइ थी । आससे पहले महात्मा

    गांधी की जगह ऄशोक थतंभ छापा जाता था ।

    9. भारत के 500 और 1,000 रूपये के नोट नेपाल में नहीं चलते थे ।

    10. 500 रुपये का पहला नोट 1987 में और 1,000 रुपये का पहला नोट सन ्2000 में बनाया गया था । पाचं हजार

    और दस हजार के नोट 1954 स ेलकेर 1978 तक चलन में थ े। किलहाल 1,000 रुपये का नोट बंद हो चकुा ह ैऔर

    500 रुपये का नया नोट माकेट में अ रहा ह ै।

    11. भारत में 75, 100 और 1,000 मलू्य के भी कसक्के छप चकेु हैं ।

    12. 1रुपये का नोट भारत सरकार द्रारा और 2 से 1000 रुपये तक के नोट अरबीअइ द्रारा जारी ककये जाते हैं ।

    13. 10 रुपये के कसक्के को बनाने में 6.10 रुपये की लागत अती हैं ।

    14. नोटो पर सीररयल नंबर आसकलए डाला जाता हैं ताकक अरबीअइ को पता चलता रह ेकक आस समय माकेट में ककतनी

    करंसी हैं।

    15. रूपया भारत के ऄलावा आडंोनेकशया, मॉरीशस, नेपाल, पाककथतान और श्रीलंका की भी करंसी हैं।

    16. अरबीअइ भारत के कलए हर साल 2000 करोड़ करंसी नोट छापती हैं ।

    17. एक समय पर भ्रष्टाचार से लड़ने के कलए गरै सरकारी संथथा द्रारा भी नोट जारी ककए गए थे ।

    18.रुपये के वतयमान कचन्ह को 2010 में ईदय कुमार ने बनाया था । आसके कलए आनको 2.5 लाख रूपयें का आनाम भी

    कमला था ।

    19. अरबीअइ ककसी भी मलू्यवगय के नोट छाप सकती हैं पर ईसे10,000 रुपये के उपर के नोट छापने हैं तो ईसको

    ररजवय बैंक ऑि आकंडया एक्ट, 1934 में बदलाव करना होगा । — यश कुमार

    http://www.gazabhindi.com/2015/04/25-interesting-facts-of-elephants-in-hindi.htmlhttp://www.gazabhindi.com/2015/09/interesting-facts-about-hindi-language-in-hindi.htmlhttp://www.gazabhindi.com/2015/10/interesting-facts-about-mahatma-gandhi-in-hindi.htmlhttp://www.gazabhindi.com/2016/04/nepal-facts.html

  • 9

    आलेख

    मलुहठी

    मलुहठी नाम से प्रचकलत वकृ्ष की जड़ के लंबे टुकडे़ का नाम ह ै। आसका ईत्पकि थथान ऄिगान प्रदशे होने के कारण

    सामान्यतः वहीं की भाषा में 'रब्बथुससू' नाम से पकुारते हैं ।

    ऄसली मलुहठी ऄन्दर से पीली, रेशदेार व हल्की गधं वाली होती ह ै। ताजी जड़ तो मधरु होती ह,ै पर सखूने पर

    कुछ कति और ऄम्ल जसेै थवाद की हो जाती ह ै। कवदशेी अयाकतत औषकधयों में कमश्री मलुहठी को सवोिम माना गया

    ह।ै ईिम मलुहठी में ककसी भी प्रकार की कतिता नहीं पायी जाती ह।ै यकद मलुहठी को गधंकाम्ल (सल््यरूरक एकसड 80

    प्रकतशत वी.वी.) में कभगाया जाए तो वह शषे पीले रंग का हो जाता ह।ै यह पहचान का एक अधार ह।ै

    ताजा मलुहठी में 50 प्रकतशत जल होता ह ैजो सखुाने पर माि दस प्रकतशत रह जाता ह।ै आसका प्रधान घटक कजसके

    कारण यह मीठे थवाद की होती ह,ै कनलसराआक़िन होता ह ै जो कनलसराआक़िक एकसड के रूप में कवद्यमान होता ह।ै यह

    साधारण शक्कर से भी 50 गनुा ऄकधक मीठा होता ह।ै यह संघटक पौधे के ईन भागों में नहीं होता जो जमीन के उपर होते

    हैं। कनलसराआक़िन के ऄकतररि आसमें अएसो कलकक्वररटन, नलूको़ि, सकु्रोज, रे़िी, ईड़नशील अकद रसायन घटक भी होते

    हैं ।

    मलुहठी मखु में डालने पर मखु में कवद्यमान लार ग्रंकथयों को ईिकेजत कर भोज्य पदाथों के पाचन पररपाक में

    सहायक कसि होता ह ै। मलुहठी का घनसत्व काले या लाल रंग के टुकड़ों में कमलता ह ै।

    मलूहठी की कवशषेताएं

    1. मलेुठी मखु, गल,े पेट रोग, ऄल्सर, कि, के रोगों में बहुत ईपयोगी ह।ै

    2. यह कि को सरलता से कनकलने में मदद करती ह।ै यह दमा में ईपयोगी ह।ै

    3. मलेुठी चबाने से मुहं में लार का स्राव बढ़ता ह।ै यह अवा़ि को मधरु बनाती ह।ै

    4. यह श्वसन तंि संबंधी कवकारों, कि रोगों, गले की खराश, गला बैठ जाना अकद में लाभप्रद ह।ै

    5. यह गले में जलन और सजून को कम करती ह।ै

    6. यह पेट में एकसड का थतर कम करती ह।ै

    7. यह जलन और ऄपच से राहत दतेी ह ैतथा ऄल्सर से रक्षा करती ह।ै

    8. पेट के घाव, ऄल्सर, पेट की जलन, ऄम्लकपि में मलेुठी बहुत लाभप्रद ह ै। मलेुठी में मौजदू नलाआकोसाआड्स

    पेट के घाव को भर दतेी ह।ै

    9. ऄम्लकपि में आसका सेवन तरंुत ही एकसड को कम करता ह।ै

    10. यह कोलेथरॉल के थतर को कम करती ह।ै

    11. यह शरीर की आम्यकुनटी बढ़ाती ह।ै

    12. यह वीयय को शिु करती ह।ै

    13. यह खनू को पतला करती ह।ै

    14. कि, परुानी खांसी, जखुाम, गले की खराश, सजून अकद दरू होते हैं।

    15. गले के रोग जसैे गले की सजून, जखुाम, सांस नली में सजून, मुहं में छाले, गला बैठना अकद में आसका

    टुकड़ा मुहं में रख कर चसूना चाकहए।

    16. कहचकी अने पर मलेुठी का एक टुकडा चसूें । — हप्रया हमश्रा

  • 10

    व्यंग्य

    अपराध कम क्यों नहीं होता !

    ऄपराध कम क्यों नहीं होता पर जब हम गहन कवचार करते हैं तो ज्ञात होता ह ैकक सचमचु ऄपराध को खत्म करने

    का कोइ भी तह ेकदल से प्रयास नहीं करता ह ै। कारण ऐसा करने से सबकी दकुानदारी ही समाप्त हो जायेगी, न कोटय रहगेा

    न कचहरी, न वकील बाब ू रहेंग े न जज साहब, न मुशंी न पटवारी, न थाना रहगेा न दारोगा बाब ूतो अप ही बताआये

    ककतनी बेरोजगारी बढ़ जायेगी! आस समाज का तानाबाना ही कछन्न कभन्न हो जायेगा। भला आस कमाउाँ ऄपराध को क्यों

    जड़ से खत्म करें कोइ ! बस सभी ऄपनी थवाथय की रोटी सेकते हैं।

    तभी तो एक व्यकि ककसी की हत्या करता ह ैया बलात्कार करता ह ैऔर न्यायालय में आसंाि के कलए जाता ह ैऔर

    न्यायालय के पेंच में या मकड़जाल में बेचारा 20 साल तक ईल्टे पांव लटके रहता ह।ै, आस 20 वषों में ईनकी सारी

    जमापूंजी के साथ- साथ यौवन भी बढुापे में तबदील हो जाता ह ैऔर क्या तब भी वाथतव में न्याय कमल पाता ह ै? दोषी

    को 5 वषों की सजा! क्या आसे ही आाँसाि कहते हैं तबतक वह हत्यारा या बलात्कारी सैकड़ों हत्याए ंकर चकुा होता ह ै

    ।सैकड़ों बलात्कार कर चकुा होता ह,ै तो आसे आसंाि कहना न्यान्योकचत कहा जा सकता ह ैक्या ? और यकद न्याय की यही

    परम्परा रही तो ऄपराध कैन्सर की भााँकत बढ़ता ही जायेगा । कोइ सरकार आस पर कुछ नहीं कर पायेगी ।

    अप पछूेंग ेतो न्याय कैसा होना चाकहए ? न्याय कटट िोर टैट होना चाकहए, तरंुत होना चाकहए जसेै पहले राजतंि में

    होता था । आसके कलए न्याय की मोटी मोटी ककताबों को जला दनेा होगा, नए कवधान तैयार करना होगा कुछ मामलों को

    छोड़कर न्याय हर हालत में 7 कदनों के भीतर करना सकुनश्चत करना होगा । एक ईदाहरण पेश करता हूाँ रेलगाड़ी के कडब्बों में

    500 लोगों के बीच 2 ऄवारा लड़के कपथतल लेकर अते हैं और भय कदखाकर सबकुछ लटू कर गाड़ी की चेन खींचकर

    चले जाते हैं अकखर क्यों ? आसके कलए ईिरदायी कौन ह ै। यह गभंीर समथया ह ै।

    ऐसे कृत्यों के कलए मरेी समझ से अज की काननू व्यवथथा ह,ै आस व्यवथथा में अदमी कजतना ऄसमाकजक तत्वों से

    नहीं डरता ईतना काननूी पचड़ों से डरता ह ै। काननू के रखवाले कसपाही हैं ईन्हीं के भय के कारण कोइ व्यकि आन गुडंों से

    कभड़ना नहीं चाहता क्योंकक सभी सोचते हैं कौन पकुलस के लिड़ा में पडे़ । बदमाशों ने लटू कलया, ककसी की हत्या कर

    कदया या बलात्कार ककया आसके कलए ऄलग काननू ह,ै ऄगर अप बदमाश को मार दीकजए दकेखए काननू का थवरुप बदल

    जायेगा अपको आतना परेशान पकुलस करेगी कक जीवन में अप लटू जाना पंसद करेंग ेलेककन मकुाबला करना भलू जायेंग े

    और आसी को दखेकर समाज के ऄन्य व्यकि भी जीवन में कभी गुडं़ों से मकुाबला करने का साहस नहीं जटुा पाते हैं ।

    होना तो यह चाकहए कक सरकार ऐसा काननू बनाए कक जो भी व्यकि ईस लटेूरा गुडंा को पकड़कर पकुलस के हवाले

    कर दगेा ईसे 2 लाख का नकद परुथकार या पकुलस कवभाग में नौकरी ! यकद मठुभडे़ में बदमाश गुडंा मारा जाता ह ैतो कसिय

    पकुलस यह पता लगाने की कोकशश करेगी कक क्या मारनेवाले व्यकि से कोइ दशु्मनी तो नहीं थी तथा क्या लटेुरा गुडंा

    सचमचु में गुडंा ह ैया नहीं। आसकी जााँच गाड़ी में सवार सहयाकियों से पछूताछ कर असानी से ककया जा सकता ह ैऔर

    सचमचु में गुंडा साकबत होने पर आसके कलए कोइ कोटय कचहरी में केस मकुदमा होने का प्रावधान नहीं होना चाकहए बकल्क

    मारने वाल जांबाज को एक लाख नकद परुथकार से सम्माकनत ककया जाना चाकहए, ऄगर ऐसा काननू बने तो किर

    कछनताइ, बलात्कार पर थवतः लगाम लग जायेगा ।

  • 11

    व्यंग्य

    दशे की प्रधान मिंी थवगीय आदंरा गांधी को सरेअम गोली से छलनी करने वाले ऄपराधी को वषों तक महेमान की

    भांकत कजन्दा रखने का तकय समझ के परे ह ै। ईसकी सरुक्षा पर भी करोड़ों रुपया जल की भांकत बहाने का क्या ऄथय ह?ै

    बस ककसके कहने पर मारा गया, आसमें ककसका-ककसका हाथ ह ैजसेै चदं सवालों का ईिर जान लेने के बाद ईसे भी खलेु

    मदैान में गोकलयों से छलनी कर दनेा चाकहए तभी कहा जायेगा न्याय कमला तथा कटट िॉर टैट की ईकि चररताथय होगी ।

    आसे दखे कर दसूरा गुडंा ऄपराध करने से पहले लाखों बार सोचेगा ।

    सचमचु ऐसा काननू होता तो वकील बाब ू पकुलस और जज साहब सब के सब बेकार नहीं हो जायेंग े ? आससे

    बेरोजगारी नहीं िैल जायेगी कजसको लाखों लोगों ने ऄपनी खलुी अाँखों से दखेा हो तो ईसके कलए ककसी कोटय में

    मामला दजय करने के बजाय ईसका िैसला तरंुत होना चाकहए। दसूरा ईदाहरण दखेा जाए- मान लीकजए एक चोर ककसी के

    घर से 50 हजार की चोरी करता ह ैऔर पकुलस ईसे पकड़ लेती ह ैतो अज के कनयम के ऄनसुार चोरी कजनकी हुइ ह ैईसे

    ईसकी रकम लौटा दी जाती ह ैऔर चोर को जले भजेा जाता ह ै। किर वकील साहब ईस चोर का मोटी रकम लेकर बेल

    करा दतेे हैं ताकक किर चोरी कर सके और वकील बाब ूको ऄपनी िीस हर तारीख पर दतेे रह े।

    जबकक होना तो यह चाकहए कक चोरी का माल 50 हजार से 5 गणुा ऄकधक ऄथायत 25000 ईससे वसलू कर चोरी

    ककये गये ब्यकि को कमलना चाकहए तथा जब तक कोटय में आसके कवरूध मामला चले ईसे ककसी भी हालत में बेल नहीं

    कमलना चाकहए । बेल कमलने का ऄथय ही ह ैईसे चोरी और ऄपराध करने की छूट दनेा । ऄब वह और बड़ा ऄपराध करेगा

    क्योंकक ईसे वकील बाब ूको िीस भी दनेी ह ैऔर ऄपनी गहृथथी भी चलानी ह ै। कुछ थाने को भी भेंट चढ़ानी ह ैतो क्या

    आस काननू प्रणाली से ऄपराध रुकेगा या बढ़ेगा ? एक ऄहम सवाल ह ै।

    तीसरा ईदाहरण यकद कोइ व्यकि ककसी का बलात्कार कर दतेा है, और जांच प्रकक्रया से कसि हो जाता ह ै कक

    सचमचु बलात्कार ईसी ब्यकि ने ककया ह ैतो अज के कनयमानसुार काननू बलात्कारी को 5 या 7 साल की सजा दतेी ह ै।

    यह सरासर गलत ह ै। आससे बलात्कारी और कनभयय होकर बलात्कार करेगा या दसूरा व्यकि भी बलात्कार करने से नहीं

    डरेगा । होना यह चाकहए कक बलात्कार की कशकार मकहला या लड़की से पछूा जाना चाकहए क्या तमु आससे शादी कर

    सकती ह ैआसके कलए ईसकी सम्पकि का अधा कहथसा तमु्हारे नाम पहले ककया जायेगा बाद में तमुसे शादी होगी औऱ

    शादी के पश्चात यकद वह तमु्हारी हत्या कर दतेा ह ैतो जांच में सत्य पाने जाने पर ईसका कलंग काट कदया जायेगा ताकक वह

    न तो दसूरी शादी के योनय रह ेन बलात्कार करने के बारे में सोच भी सके । यकद लड़की शादी करने से आन्कार भी कर द ेतो

    ईसकी अधी सम्पकि कदया जाए । यकद लड़की सम्पकि लेना मजंरू नहीं करे तो ईसे नपुंसकता का आजंके्शन दकेर ईसे किर

    न तो बलात्कार योनय बना कदया जाए । ताकक वह दसूरी शादी करने के योनय ही नहीं रह े।

    चौथा ईदाहरण यकद कोइ बाहुबली या धन्नसेठ ककसी गरीब की हत्या कर दतेा ह ैया करवा दतेा ह ैतो ऄपराध कसि

    होने पर यकद ऄनेक लोगों के बीच यह घटना घटी हो तो एक सप्ताह के भीतर न्याय कर ईसकी अधी सम्पकि मतृक के

    पररवार को कमलना चाकहए ताकक ईसके बाल बच्चों का भरण पोषण बाप के ऄभाव चल सके ।

    यकद कोइ गुडंा अतंक का पयायय बन गया हो तो ईसके कलए सरकार जनता को ऄकधकार के साथ साथ ईससे

    मकुावले हते ुहकथयार दकेर यह घोषणा करेगी कक जो ईस गुंडा को मार कगरायेगा ईसे 5 लाख नकद परुथकार कदया जायेगा

    या पकुलस में नौकरी । अप दखेेंग ेऄपराध थवतः खत्म हो जायेगा । आतना थाना कचहरी की अवश्यकता नहीं रहगेी ।

    यकद सरकारी पकुलस ही ईसे पकड़ लेती ह ैतो पकुलस को भी कुछ नकद परुथकार या प्रमोशन कमलना चाकहए तथा गुडंा को

    ऐसा आजंके्शन कदया जाना चाकहए ताकक वह चलने किरने के लायक नहीं रह े।

  • व्यंग्य

    एसा काननू होने से जले में कखचड़ी कखलाने की भी जरुरत नहीं पडे़गी ।और सरकार को राजथव की भी बचत होगी ।

    बलात्कारी को नपुंसक बना दनेेवाला आजंके्शन कदया जाना चाकहए हत्यारा दशेद्रोही को ऄधंा बना दनेा चाकहए या ऄपंग

    बना कदया जाना चाकहए ताकक किर वह दबुारा ऄत्याचार नहीं कर सके।

    मगर ऄपने देश में प्रजातंि ह ै । प्रजा का शासन होना चाकहए आसीकलए प्रजा ही ऄकधक परेशान ह ै । प्रजा के पास

    ब्रह्मास्त्र ह ैकजसका प्रयोग वह एक बार वोट दकेर गवां देती ह ैतथा कजसको भी वोट दतेी ह ैवह मालेमाल हो जाता ह ै। वह

    प्रजा सेवक से प्रजापालक, माकलक, हमारा भानय कवधाता बन जाता ह ै। किर ईस पर कोइ काननू लाग ूनहीं होता क्योंकक

    वह भाइ मिंी ह ैदशे का नायक हैं । चाह ेवह लटू करे चाह ेवह जो करे क्योंकक मिंी का ईसे ऄकधकार प्राप्त ह ै। ईन्हें फ्री में

    मकान मु् त में सारी सखु सकुवधा कमलती ह ैजबकक दशे का मामलूी कमयचारी, ककसान, मजदरू पर नाना प्रकार के टैक्स

    लगाया जाता ह,ै यकद नहीं लगगेा तो किर हमारे नेता मिंी कैसे गलुछरे ईड़ायेंग?े एक कपईन की भती हते ुनाना प्रकार की

    परीक्षा जााँच होती ह ैपरन्त ुमिंी महोदय के कलए कोइ मापदडं नहीं ।

    एक कमयचारी 60 वषय में सेवा से ऄवकाश पा जाते ह ैपरन्त ुदशे के मिंी जब तक जीते हैं तबतक कुसी पर रहते हैं ।

    ईनके कलए अकखर कोइ कनयम क्यों नहीं ? क्योंकक वह देश का माकलक ह,ै सवेसवाय ह,ै किर ईसकी जो आच्छा हो करे।

    कमयचारी का वतेन बढ़ाने हते ुवतेन सकमकत ह ैपरन्त ुमिंी महोदय ऄपना हाथ ईठाकर थवयं जब चाह ेऄपना भिा बढ़ा लेते

    ह ैक्योंकक वह कमयचारी तो ह ैनहीं, नहीं जनता का सेवक, वह तो दशे का कणयधार ह ैईन्हें ऐसा करने का ऄकधकार हम

    जनता ने बोट दकेर कदया ह ै। वह खबू सब कुछ कर सकता ह ैजो ईसकी मजी होगी ।

    — सहचिदानन्द जिज्ञासु

    12

  • 13

    आलेख

    पेंवसल की कहानी

    करीने से कलख े हुए खबूसरूत ऄक्षर भला ककसे नहीं भाते । ऄक्षरों को खबूसरूत ऄंदाज दनेे में पेंकसल का

    सबसे ऄहम योगदान ह ै। कम ही लोगों को आस बात की जानकारी होगी कक लेखनी को खबूसरूत ऄदंाज दनेे वाली पेंकसल

    पेंकसल की खोज 1954 में हइु थी। पहली ऄमरेरकी पेंकसल का कनमायण 1812 में हुअ था । आस े बनान ेके कलए सबस े

    पहल ेग्रिेाआट को शीट के अकार में काटा जाता था और किर आस ेगोल रॉड में ढालत ेथ।े आसके बाद पेंकसल बनान ेके कलए आस गोल

    रॉड को लकड़ी के गोल साचं ेमें किट करते थ।े 15वीं सदी के मध्य स ेपहल ेपेंकसल का आथतमेाल केवलकलाकार ही करत ेथ।े पेंकसल

    शब्द लकैटन के ‘पनेीकसलस’ स ेकलया गया ह,ै कजसका ऄथय होता ह,ै छोटी पूछं ।

    पेंकसल की यािा एक वकृ्ष से ही अरंभ होती ह,ै दवेदार वकृ्ष से जो उिरी कैलीिोकनयया और ऑरेगन म े पाया

    जाता ह।ै दवेदार की लकडी के लठ्ठों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता ह।ै पेंकसल की लंबाइ की लम्बी पट्टी जो चौथाइ

    आचं से कम मोटी होती ह,ै को भट्टों म ेसखुाया जाता ह,ै और किर आन्हें सुंदर बनाने के कलए हल्के रंगों से रंगा जाता हैं, ईपरी

    पट्टी को कचकना कर दोबारा भट्टी में सखुाया जाता ह।ै प्रत्येक पट्टी को एक जकटल मशीन से अठ नाकलयों वाला बनाया

    जाता ह ैऔर आस पर सरेस लगाया जाता ह ैकिरईसके उपर दसूरी पट्टी लगाइ जाती ह,ै आसे लैड सैंडकवच कहा जाता ह।ै

    लकड़ी के तैयार सैंडकवच को मशीन से तराश कर काटा जाता ह।ै पेंकसल का लेड ऄपने अप में कािी जकटल होता

    हैं। और कोइ लैड़ आसमें नहीं कमलाया जाता।

    ग्रेिाआट की खदुाइ कशलॉन में होती ह।ै ग्रेिाआट को कचकनी कमट्टी में कमकश्रत ककया जाता ह।ै कजसमें पररष्कृत करने

    की प्रकक्रया में ऄमोकनयम हाआड्रोअक्साआड का आथतेमाल होता ह ै । कइ मशीनी प्रकक्रयाओ ंसे गजुरने के बाद ऄन्तत:

    कमश्रण ऐसा कदखता ह ैजैसे सॉसेज ग्राआडंर से कनकला हो। आसे अकार में काटा, सखुाया और कइ घटों के

    कलए 1850 कडग्री िारैनहाआट पर पकाया जाता ह।ै लेड को कचकनाऔर मजबतू बनाने के कलए आसके साथ एक खास

    कमश्रण का आथतेमाल होता ह ैकजसमें मकैक्सको का मोम, पैरािीन वकै्स, और हाआड्रोनेटेड प्राकृकतक वसा शाकमल होते हैं।आन

    सबके बाद आस पर 6 तह मोटी वाकनयश लगाइ जाती ह।ै

    आसके बाद वह कहथसा कजसका आथतेमाल कलखी गइ गलाकतयों को कमटाने के कलए ककया जाता ह ैवह एक तत्व

    कजसे 'िैक्टीस' कहा जाता ह,ै कमटाने का काम करता ह।ै यह एक रबड़ जसैा ईत्पाद होता ह ैजो इथट आडंीज से प्राप्त टोररया

    के तेल को सल्िर क्लोराआड के साथ प्रकतकक्रया कराकर बनाया जाता ह।ै अरंकभक दौर में सभी पेंकसल पीले रंग की बनाइ

    जाती थीं। आसका कारण था आसके ग्रेिाआट का चीन से अना । चीन में आस रंग को भव्यता का रंग माना जाता था और चीन

    ने ग्रेिाआट दनेे से पहले यह शतय रखी थी कक सभी...दशे पेंकसल को पीले रंग में ही बनायेंग े।

    क्या अप जानत ेहैं कक अपकी पढ़ाइ की साथी अपकी पेंकसल का सबस ेपहला रूप कैसा था? दकुनया की पहली पेंकसल

    ग्रिेाआट छड़ों का एक गचु्छा मा ि थी कजन्हें एक डोरी से बाधंा गया था। आसके बाद ककसी न ेसोचा... आसके बाद ककसी न ेसोचा कक

    ग्रिेाआट छड़ को एक लकड़ी की खोखली छड़ के ऄदंर रखना चाकहए। जोसिे ररचेंडॉरिर पहल ेव्यकि थ ेकजन्होंन ेपेंकसल के टॉप पर

    रबर लगान ेके बारे में सोचा। ताकक कलखते वि हइु गलकतयों को असानी से ठीक ककया जा सके।

    क्या अप जानत ेहैं कक अपकी एक पेंकसल से अप 35 मील लंबी लाआन खींच सकते हैं या ऄगं्रजेी के 50,000 शब्द कलख

    सकत ेहैं। पेंकसल से शनू्य गरुुत्वाकषयण में कलखना भी संभव ह।ै दकुनया के कइ दशेों में 19 नवबंर को पेंकसल कदवस मनाया

    जाता ह।ै आसी कदन ऄमरेरकी वैज्ञाकनक हॉिमने कलनमने को रबर लगी हुइ पेंकसल बनाने का पेटेंट कमला था। कइ यरूोपीय

    दशेों में आसे फ्री पेंकसल डे भी कहा जाता ह ैतो य़ह ह ैअपके और हमारे काम में अने वाली पेंकसल की कहानी ।

    — इदं्रज्योहत राय

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    उपलहधधयां

    अमर प्रमे का साक्षी : माांडू

    रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादरु के ऄमर प्रेम का साक्षी ह ै मध्य प्रदशे कथतथ मांडू । यहााँ के खडंहर व

    आमारतें हमें आकतहास के ईस झरोख े के दशयन कराते हैं, कजसमें हम मांडू के शासको की कवशाल समिृ कवरासत व शानो-

    शौकत से रूबरू होते हैं। रानी रूपमती का ककला आनके प्यार का साक्षी ह।ै रानी रूपमती को राजा बाज बहादरु आतना प्यार

    करते थे कक रानी रूपमती के कबना कुछ कह ेही वो ईनके कदल की बात को समझ जाते थे। राजा बाज बहादरु और रानी

    रूपमती के प्यार के साक्षी मांडू में 3500 िीट की उंचाइ पर बना रानी रुपमती का ककला ह।ै कहते हैं कक रानी

    रूपमती नमयदा नदी को दखे ेकबना भोजन ग्रहण नहीं करती थीं। आसकलए राजा बाज बहादरु ने रानी रूपमती की आच्छा का

    ध्यान रखते हुए रानी रूपमती ककले का कनमायण करवाया। रानी रूपमती के ककले से नमयदा नदी नजर अती ह।ै कहा जाता ह ै

    कक रानी रूपमती प्रकतकदन थनान के बाद यहां पहुचंतीं और नमयदा जी के दशयन ईपरांत ऄन्न ग्रहण करती थीं। राजा बाज

    बहादरु रानी रूपमती को बेहद ही प्यार करते थे शायद आसकलए रानी रूपमती के महल तक पहुचंने से पहले राजा बाज

    बहादरु के महल को पार करना होता था। राजा बाज बहादरु रानी रूपमती की रक्षा के कलए यह सब करते थे। आसकलए

    शायद अज भी रानी रूपमती के ककले को राजा बाज बहादरु और रानी रूपमती की प्रेम कहानी का प्रतीक समझा जाता

    ह।ै

    रानी रूपमती-बाज बहादुर एक प्रकसि ऐकतहाकसक प्रेमकथा ह।ै रूपमती को सलु्तान बाज बहादरु कािी प्रेम

    करते थे। यह ऄतंधायकमयक कववाह था । आनकी प्रेम कहानी युि, प्रेम, संगीत और ककवता का ऄदु्भत सकम्मश्रण ह ै । बाज

    बहादरु मांडु के ऄकंतम थवतंि शासक थे। रूपमती सारंगपरु गांव के ककसान की पिुी और दक्ष गाकयका थीं।एक कदन

    बेहद खबूसरूत एक लड़की ऄपनी सहकेलयों के साथ मथती में झमूते गाते हुए जा रही थी, तभी वहां सेकशकार पर कनकले

    राजपरुुष ने ककसान की यवुा बेटी की सरुीली तान सनु ली । वह आस ऄप्रकतम खबूसरूती औरसरुीली अवाज का कदवाना

    हो गया । यह यवुा और कोइ नहीं मालवा का सलु्तान था बाज बहादरु, कजसकी राजधानी मांडू थी। बाज बहादरु ने आस

    यवुती रूपमती के सामने शादी का प्रथताव रखा और मांडू चलने का अग्रह ककया तो वह सहमत हो गइ। दोनों ने

    कहदं ूऔर मकुथलम रीकत से कववाह ककया, क्योंकक बाज बहादरु मकुथलम थे और रूपमती कहदं ूथी । मांडू ईस समय मालवा

    की राजधानी थी। बाजबहादरु ने यहा ं पर रानी रूपमती का खबूसरूत महल का कनमायण 16 वी शताब्दी में करवाया था।

    रूपमती के आस महल में रेवा कंुड का कनमायण भी ककया गया था । रूपमती ऄपने आसी महल से नमयदा के दशयन करती थी।

    संगीत प्रेमी नवाब बाजबहादरु रानी रूपमती के सौंदयय और ईसकी सरुीली तान में खोया हुअ रहता था । रूपमती

    की खबूसरूती के ककथसे चारो ओर िैल रह ेथे । रूपमती की खबूसरूती के ककथसे सनुकर ऄकबर के सेनापकत ऄधम खान

    ने ईसे हाकसल करने के कलए वषय 1561 में मांडू पर हमला कर कदया । ईनकी यह प्रेम कहानी जल्दी ही खत्म हो गइ, जब

    मगु़ल सम्राट ऄकबर ने मांडु पर चढाइ करने के कलए ऄधम खान को भजेा । बाज बहादरु ने ऄपनी छोटी-सी सेना के साथ

    ईसका मकुाबला ककया ककंतु हल्के प्रकतरोध के बाद नवाब बाजबहादरु की सेना ऄधम खान के सामने कटक नहीं सकी।

    बाज बहादरु सहायता मांगने के कलए कचतौड़गढ़ भाग गया। लेककन रूपमती महल में ही रह गइ।ं ऄधम खान रानी रूपमती

    के सौंदयय पर मर-कमटा, आससे पवूय कक वह मांडु के साथ रूपमती को भी ऄपने कब्ज ेमें लेता, रानी रूपमती ने कवष सेवन

    करके मौत को गले लगा कलया और अबरू के कलए जान द ेदी आसके बाद ऄधम खान हाथ मलता रह गया । आस तरह

    रानीरूपमती और बाजबहादरुकी एक प्रेम कहानी कादखुद ऄतं होगया।लेककनमांडू में खडे़ ऐकतहाकसक महल अज भी ईस

    सच्ची प्रेम कहानी की गवाही द ेरह ेहैं। — अश्वनी हसंह

    http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%BE_%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0http://bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A4%B0

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    बालकथा

    कार्तिक परू्णिमा

    कहदं ू धमय में पकूणयमा का व्रत महत्वपणूय थथान रखता ह ै । प्रत्येक वषय 12 पकूणयमाए ं होती हैं । जब ऄकधकमास या

    मलमास अता ह ैतब आनकी संख्या बढ़कर13 हो जाती ह ै। काकतयक पकूणयमा को किपरुी पकूणयमा या गगंा थनान के नाम से भी

    जाना जाता ह ै। आस पकुणयमा को किपरुी पकूणयमा की संज्ञा आसकलए दी गइ ह ैक्योंकक अज के कदन ही भगवान भोलेनाथ न े

    किपरुासरु नामक महाभयानक ऄसरु का ऄतं ककया था और व ेकिपरुारी के रूप में पकूजत हुए थे । ऐसी मान्यता ह ैकक आस

    कदन कृकतका में कशव शकंर के दशयन करने से सात जन्म तक व्यकि ज्ञानी और धनवान होता ह ै। काकतयक पकूणयमा के कदन

    गगंा थनान, दीप दान, हवन, यज्ञ अकद करने से सांसाररक पाप और ताप का शमन होता ह।ै आस कदन ककये जाने वाले ऄन्न,

    धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया ह।ै आस कदन जो भी दान ककया जाता हैं ईसका कइ गणुा लाभ कमलता ह।ै

    मान्यता यह भी ह ै कक आस कदन व्यकि जो कुछ दान करता ह ैवह ईसके कलए थवगय में संरकक्षत रहता ह ैजो मतृ्य ुलोक

    त्यागने के बाद थवगय में ईसे पनुःप्राप्त होता ह।ै

    आस कदन चन्द्र जब अकाश में ईकदत हो रहा हो ईस समय कशवा, संभकूत, संतकत, प्रीकत, ऄनसुयूा और क्षमा आन छ:

    कृकतकाओ ंका पजून करने से कशव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती ह ै। आस कदन गगंा नदी में थनान करने से भी परेू वषय थनान

    करने का िल कमलता ह।ै

    आसी कदन भगवान कवष्ण ुने प्रलय काल में वदेों की रक्षा के कलए तथा सकृष्ट को बचाने के कलए मत्थय ऄवतार धारण

    ककया था ।

    महाभारत काल में हुए 18 कदनों के कवनाशकारी यिु में योिाओ ंऔर सग ेसंबंकधयों को दखेकर जब यकुधकष्ठर कुछ

    कवचकलत हुए तो भगवान श्री कृष्ण पांडवों के साथ गढ़ खादर के कवशाल रेतीले मदैान पर अए । काकतयक शकु्ल

    ऄष्टमी को पांडवों ने थनान ककया और काकतयक शकु्ल चतुदयशी तक गगंा ककनारे यज्ञ ककया । आसके बाद रात में कदवगंत

    अत्माओ ंकी शांकत के कलए दीपदान करते हुए श्रिांजकल ऄकपयत की । आसकलए आस कदन गगंा थनान का और कवशषे रूप

    से गढ़मिेुश्वर तीथय नगरी में अकर थनान करने का कवशषे महत्व ह।ै

    काकतयक पकूणयमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने श्री राधा का पजून ककया था । हमारे तथा ऄन्य सभी

    ब्रह्मांडों से परे जो सवोच्च गोलोक ह ैवहां आस कदन राधा ईत्सव मनाया जाता ह ैतथा रासमण्डल का अयोजन होता ह ै|

    काकतयक पकूणयमा को श्री हरर के बैकुण्ठ धाम में दवेी तलुसी का मगंलमय पराकाट्य हुअ था । काकतयक पकूणयमा को ही दवेी

    तलुसी ने पथृ्वी पर जन्म ग्रहण ककया था । काकतयक पकूणयमा को राकधका जी की शभु प्रकतमा का दशयन और वन्दन करके

    मनषु्य जन्म के बंधन से मिु हो जाता ह ै। आस कदन बैकुण्ठ के थवामी श्री हरर को तलुसी पि ऄपयण करते हैं । काकतयक मास

    में कवशेषतः श्री राधा और श्री कृष्ण का पजून करना चाकहए ।

    जो काकतयक में तलुसी वकृ्ष के नीचे श्री राधा और श्री कृष्ण की मकूतय का पजून कनष्काम भाव से करते हैं ईन्हें

    जीवनमिु समझना चाकहए । तलुसी के ऄभाव में अवंलें के नीचे पजून करनी चाकहए । काकतयक मास में पराये ऄन्न,

    गाजर, दाल, चावल, मलूी, बैंगन, घीया, तेल लगाना, तेल खाना, मकदरा, कांजी का त्याग करें । काकतयक मास में ऄन्न का

    दान ऄवश्य करें । काकतयक पकूणयमा को बहुत ऄकधक मान्यता कमली ह ै। आस पकूणयमा को महाकाकतयकी भी कहा गया ह ै। यकद

    आस पकूणयमा के कदन भरणी नक्षि हो तो आसका महत्व और भी बढ़ जाता ह ै । ऄगर रोकहणी नक्षि हो तो आस पकूणयमा का

    महत्व कइ गणुा बढ़ जाता ह ै । आस कदन कृकतका नक्षि पर चन्द्रमा और बहृथपकत हों तो यह महापकूणयमा कहलाती ह।ै

    कृकतका नक्षि पर चन्द्रमा और कवशाखा पर सयूय हो तो पद्मक योग बनता ह ैकजसमें गगंा थनान करने से पषु्कर से भी ऄकधक

    ईिम िल की प्राकप्त होती ह।ै

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%82_%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A5%81https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B2%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2&action=edit&redlink=1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%85%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%BF%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2_%E0%A4%85%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AE%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A