05 ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व
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05 ज्योति�ष में नक्षत्रों का महत्व - मृगशि�रावैदि�क ज्योति�ष के आधार पर कंुडली से की जाने वाले गणनाओं के लिलए महत्वपूण% माने जाने वाले स�ाइस नक्षत्रों में से मृगलि,रा नक्षत्र को पांचवां नक्षत्र माना जा�ा है। मृगलि,रा का ,ाब्दि0�क अर्थ% है मृग का लि,र अर्था%� तिहरण का लिसर �र्था इस अर्थ% के चल�े मृगलि,रा नक्षत्र तिहरण के चरिरत्र की कई तिव,ेष�ाओं को �,ा%�ा है। वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार मृगलि,रा नक्षत्र का प्र�ीक लिचन्ह भी तिहरण को अर्थवा तिहरण के लिसर को ही माना जा�ा है �र्था अपने नाम और प्र�ीक लिचन्ह के चल�े मृगलि,रा नक्षत्र अपने माध्यम से तिहरण के चरिरत्र �र्था स्वभाव की बहु� सी तिव,ेष�ाए ंप्र�र्शि,>� कर�ा है। तिहरण स्वभाव से चंचल, कोमल, मृदु, सौम्य, कल्पना,ील �र्था भ्रमण तिप्रय जीव है �र्था तिहरण के स्वभाव की ये तिव,ेष�ाए ंमृगलि,रा नक्षत्र के माध्यम से प्र�र्शि,>� हो�ीं हैं। प्राचीन समय से ही तिहरण को एक संु�र जीव माना जा�ा है �र्था तिहरण के सार्थ जुडे़ बहु� से प्रसंग वैदि�क ग्रंर्थों में मिमल�े हैं। राजमहल की संु�र�ा को बढ़ाने से लेकर ॠतिषयों के आश्रम �क, प्रत्येक स्थान पर तिहरण की उपस्थिस्थति� मिमल जा�ी है। तिहरण स्वभाव से रमणीय जीव है �र्था इसी के अनुसार मृगलि,रा नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जा�क भी रमण करने की कला में कु,ल पाये जा�े हैं। तिहरण को एक खोजी प्रवृति� का जीव भी माना जा�ा है जो अपनी इस प्रवृति� के चल�े यहां से वहां भ्रमण कर�ा रह�ा है �र्था इसी के अनुसार मृगलि,रा नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जा�क भी खोजी स्वभाव के पाये जा�े हैं �र्था ये जा�क अपनी कंुडली के बाकी �थ्यों के अनुसार भौति�क सुखों अर्थवा आत्मित्मक ,ांति� की खोज में लगे रह�े हैं।
वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार चन्द्रमा को मृगलि,रा नक्षत्र का अमिधपति� माना जा�ा है जिजसके कारण इस नक्षत्र पर चन्द्रमा का भी प्रबल प्रभाव रह�ा है। यहां पर यह बा� ध्यान �ेने योग्य है तिक चन्द्रमा का मृगलि,रा से पूव% आने वाले नक्षत्र रोतिहणी के सार्थ भी गहरा संबंध है क्योंतिक चन्द्रमा रोतिहणी के अमिधपति� ग्रह हैं जबतिक मृगलि,रा के अमिधपति� �ेव�ा। इस प्रकार ये �ोनों ही नक्षत्र चन्द्रमा के प्रभाव में आ�े हैं तिकन्�ु यह एक रोचक �र्था महत्वपूण% �थ्य है तिक चन्द्रमा इन �ोनों नक्षत्रों के माध्यम से अपने चरिरत्र की भिभन्न-भिभन्न तिव,ेष�ाए ंप्र�र्शि,>� कर�े हैं। उ�ाहरण के लिलए रोतिहणी नक्षत्र के माध्यम से चन्द्रमा अपने मा�ृत्व, उ�ार�ा, मनोहर�ा �र्था समृजिX प्र�ान करने की ,लिY जैसे गुणों का प्र�,%न कर�े हैं जबतिक मृगलि,रा नक्षत्र के माध्यम से चन्द्रमा अपने चंचल स्वभाव, भ्रमण कर�े रहने की प्रवृति�, �र्था अपनी रमण करने की प्रवृति� को प्र�र्शि,>� कर�े हैं जिजसके कारण इन �ोनों नक्षत्रों के स्वभाव �र्था आचरण में बहु� अं�र हो जा�ा है।
वैदि�क ज्योति�ष में मृगलि,रा नक्षत्र का अमिधपति� ग्रह मंगल को माना जा�ा है। मंगल ग्रह वैदि�क ज्योति�ष में अपने आग्नेय स्वभाव के लिलए जाने जा�े हैं �र्था मंगल ग्रह की यही अब्दिग्न मृगलि,रा की खोजी प्रवृति� को जारी रखने की उजा% प्र�ान कर�ी है। मंगल का इस नक्षत्र पर प्रभाव इस नक्षत्र को �क% , तिववा� �र्था म�भे� पै�ा करने जैसी तिव,ेष�ाए ंभी प्र�ान कर�ा है क्योंतिक वैदि�क ज्योति�ष में मंगल ग्रह को �क% , तिववा� �र्था म�भे�ों के सार्थ जोड़ा जा�ा है। मृगलि,रा नक्षत्र के पहले �ो चरण वृषभ रालि, में स्थिस्थ� हो�े हैं जबतिक इस नक्षत्र के ,ेष �ो चरण मिमरु्थन रालि, में स्थिस्थ� हो�े हैं जिजसके कारण इस नक्षत्र पर वृतिष रालि, �र्था इसके स्वामी ग्रह ,ुक्र एवम मिमरु्थन रालि, �र्था इसके स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव भी रह�ा है। मृगलि,रा नक्षत्र के वृषभ रालि, �र्था ,ुक्र ग्रह के प्रभाव में आने वाले पहले �ो चरणों के माध्यम से यह नक्षत्र संु�र�ा, व्यवहार कु,ल�ा, सामाजिजक�ा, रमणीय�ा �र्था रचनात्मक�ा जैसे गुणों को प्र�र्शि,>� कर�ा है जबतिक मिमरु्थन रालि, �र्था बुध ग्रह के प्रभाव में आने वाले अपने �ो चरणों के माध्यम से यह नक्षत्र व्यवहारिरक�ा, बुजिXम�ा, हास्य तिवनो� �र्था गणनात्मक स्वभाव जैसे गुणों को प्र�र्शि,>� कर�ा है।
मृगलि,रा नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जा�क सामान्य �ौर पर संु�र �र्था तिवनो�ी स्वभाव के हो�े हैं। इस नक्षत्र के ,ुक्र के प्रभाव में जन्मे जा�क सामाजिजक व्यवाहार में कु,ल हो�े हैं �र्था इनका सामाजिजक �ायरा बड़ा हो�ा है क्योंतिक वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार ,ुक्र ग्रह को सामाजिजक व्यवहार कु,ल�ा से जुड़ा हुआ ग्रह माना जा�ा है। मृगलि,रा जा�कों का वाक कौ,ल भी अच्छा हो�ा है �र्था ये जा�क अपनी बा� को सामने वाले �क पहुंचाने में सक्षम हो�े हैं क्योंतिक इस नक्षत्र पर प्रभाव डालने वाले �ो ग्रह बुध और ,ुक्र वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार बा�ची� करने की कला में तिनपुण माने जा�े हैं। तिकन्�ु मंगल ग्रह के इस नक्षत्र पर प्रभाव के कारण मृगलि,रा के जा�कों में कई बार तिववा� �र्था अनावश्यक �क% करने की प्रवृति� भी पायी जा�ी है �र्था यह प्रवृति� तिव,ेष�या उन जा�कों में अमिधक पायी जा�ी है जिजनकी कंुडली में मंगल ग्रह का प्रभाव ,ुक्र �र्था बुध ग्रह के प्रभाव की अपेक्षा बहु� अमिधक हो। मृगलि,रा के प्रभाव में आने वाले जा�क आम �ौर पर ,म_ले �र्था संकोची स्वभाव के हो�े हैं जिजसके कारण ऐसे जा�क अपने संपक% में आने वाले लोगों के सार्थ खुलने में समय ले�े हैं �र्था तिकसी रिरश्�े के आरंभ में ऐसे जा�क एक तिनभिa� दूरी बनाए रखना ही पसं� कर�े हैं। तिकन्�ु इनका यह संकोच सामान्य �ौर पर समय के सार्थ सार्थ कम हो�ा जा�ा है �र्था इसके पaा� मृगलि,रा के जा�क खुल कर अपने संबंधों में योग�ान �े�े हैं। मृगलि,रा के जा�क जीवन के हर के्षत्र �र्था रुप से जुड़ी संु�र�ा को पसं� कर�े हैं �र्था इन जा�कों की संगी�, गायन, कतिव�ा लेखना �र्था ऐसे ही अन्य कायd में तिव,ेष रुलिच हो�ी है।
मृगलि,रा के प्रबल प्रभाव के जा�कों में खोज करने की �र्था भ्रमण करने की प्रवृति� बहु� अमिधक हो�ी है जिजसके चल�े ये जा�क अपने जीवनकाल में बहु� यात्राए ंकर�े हैं। बहु� से वैदि�क ज्योति�षी यह मान�े हैं मृगलि,रा नक्षत्र पर मंगल ग्रह के प्रभाव के कारण इस ग्रह के प्रबल प्रभाव में आने वाले जा�क ,ंकालु स्वभाव के हो�े हैं �र्था ऐसे जा�क अपने आस पास के लोगों �र्था कई बार �ो अपनी सबसे तिनकट संबंधों वाले लोगों को भी ,ंका की दृमिg से �ेख�े हैं। अपने चरिरत्र की इस तिव,ेष�ा के कारण इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले बहु� से जा�कों का वैवातिहक जीवन भी तिवपरी� रूप से प्रभातिव� हो�ा है क्योंतिक मृगलि,रा के जा�क बहु� बार अपने जीवन सार्थी से ऐसे प्रश्न पूछ्�े हैं जिजनके पीछे लिछपा हुआ उनका ,क सपg रूप से झलक�ा है। सामान्य�या ऐसे जा�क अपने जीवन सार्थी पर तिवश्वास नहीं कर�े �र्था इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले बहु� से जा�कों को यह ,ंका लगी रह�ी है तिक उनका जीवन सार्थी उन्हें तिकसी न तिकसी प्रकार से धोखा �े रहा है जिजसके चल�े ऐसे जा�क अपने जीवन सार्थी से समय समय पर वा� तिववा� भी कर�े रह�े हैं। मृगलि,रा के जा�कों का यह ,ंकालु स्वभाव कई बार इनकी जीवन सार्थी को बहु� तिवचलिल� कर �े�ा है जिजसके कारण कई बार ऐसे जा�कों के जीवन सार्थी इनसे स�ा के लिलए संबंध तिवचे्छ� भी कर ले�े हैं अर्थवा कई बार �ो मृगलि,रा के जा�क स्वयम ही तिकसी तिनमू%ल ,ंका के चल�े अपने जीवन सार्थी पर कोई लांछन लगा कर उससे संबंध तिवचे्छ� कर ले�े हैं। यहां पर यह बा� ध्यान �ेने योग्य है तिक मृगलि,रा जा�कों के मन में अपने जीवन सार्थी अर्थवा पे्रमी को लेकर पै�ा होनी वाली ,ंकाए ंअमिधक�र मामलों में तिनमू%ल ही सातिब� हो�ी हैं �र्था इनका कोई ठोस आधार नहीं हो�ा।
मृगलि,रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जा�कों के बारे में एक रोचक �थ्य यह भी है तिक एक ओर �ो ऐसे जा�क अपनी पे्रमी अर्थवा जीवन सार्थी की तिनष्ठा को लेकर अमिधक�र ,ंका से ही मिqरे रह�े हैं, वहीं पर दूसरी ओर इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले कई जा�क अपने सार्थी के प्रति� तिनष्ठावान नहीं हो�े �र्था इनके अपने स्थायी सालिर्थयों के अति�रिरY अन्य लोगों के सार्थ भी समय समय पर पे्रम संबंध बन�े रह�े हैं। कुछ वैदि�क ज्योति�षी मृगलि,रा जा�कों के चरिरत्र की इस तिव,ेष�ा का कारण इस नक्षत्र पर चन्द्रमा का प्रभाव मान�े हैं क्योंतिक वैदि�क गं्रर्थों के अनुसार चन्द्रमा को चंचल मन वाला एक ग्रह �र्था �ेव�ा माना जा�ा है जिजनके अपनी इस चंचल प्रवृति� �र्था रोमानी स्वभाव के चल�े कई त्मिस्त्रयों के सार्थ पे्रम संबंध बने रे्थ। व्यवहारिरक�ा में यह अनुभव तिकया गया है तिक मृगलि,रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले वे जा�क अमिधक पे्रम संबंध बनाने में तिवश्वास रख�े हैं जिजनकी जन्म कंुडली में चन्द्रमा का बल �र्था प्रभाव बहु� अमिधक हो। तिकसी कंुडली में चन्द्रमा के नकारात्मक �र्था बलवान होने
की स्थिस्थति� में इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जा�क आसानी से अपने स्थायी सार्थी को तिकसी और सार्थी के लिलए धोखा �े सक�े हैं �र्था ऐसे जा�कों में एक से अमिधक त्मिस्त्रयों अर्थवा पुरुषों के सार्थ रमण करने की प्रवृति� प्रबल �ेखी जा�ी है। अपने स्थायी सार्थी के प्रति� तिनष्ठावान न होने की स्थिस्थति� में भी ऐसे जा�क अपने सार्थी की तिनष्ठा पर ,ंका ही कर�े रह�े हैं जो तिक इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जा�कों के लिलए एक तिवडम्बना ही कही जा सक�ी है।
आइए अब �ेखें इस नक्षत्र से जुडे़ कुछ अन्य �थ्यों को जिजन्हें वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार तिववाह कायd के लिलए प्रयोग की जाने वाली गुण मिमलान की प्रणाली में महत्वपूण% माना जा�ा है। वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार मृगलि,रा नक्षत्र को उभयलिल>ग अर्थवा नपंुसक लिलग प्र�ान तिकया जा�ा है जिजसका कारण कई वैदि�क ज्योति�षी इस नक्षत्र के द्वारा प्र�र्शि,>� �ोहरे स्वभाव को मान�े हैं। वैदि�क ज्योति�ष मृगलि,रा नक्षत्र को एक मृदु नक्षत्र मान�ा है जिजसका कारण इस नक्षत्र पर तिहरण के प्रबल प्रभाव को माना जा�ा है। वैदि�क ज्योति�ष के अनुसार मृगलि,रा को वण% से ,ूद्र �र्था गुण से �ामलिसक माना जा�ा है �र्था मृगलि,रा नक्षत्र के इस वण% �र्था गुण तिनधा%रण का कारण बहु� से वैदि�क ज्योति�षी इस नक्षत्र के स्वभाव को ही मान�े हैं। वैदि�क ज्योति�ष में मृगलि,रा नक्षत्र को �ेव गण प्र�ान तिकया जा�ा है जिजसका कारण अमिधक�र वैदि�क ज्योति�षी इस नक्षत्र पर चन्द्रमा का प्रबल प्रभाव मान�े हैं। वैदि�क ज्योति�ष मृगलि,रा नक्षत्र को पंच �त्वों में से पृथ्वी �त्व के सार्थ जोड़�ा है।
लेखकतिहमां,ु ,ंगारी