ह िं ी (आा) (कड सिं 19) · हावाव, ाक उच्चा र्,...

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हदी (आधार) (कोड स . 302) (2018-19) तावना : दसव का तक हहदी का अययन करने वाला वयाी समझते ह ए पने व स नने के सा-सा हहदी म सोचने और उसे मौखिक एव ललखित ऱप म यत कर पाने की सामाय दता अजित कर च का होता है। उचतर मायलमक तर पर आने के बाद इन सभ दताओ को सामाय से ऊपर उस तर तक ले जाने की आवयकता होत है , जहा भाषा का योग लभन-लभन यवहार-े की माग के अन ऱप ककया जा सके। आधार पायम, साहहययक बोध के सा-सा भाषाई दता के ववकास को यादा महययव देता है। यह पायम उन ववयािय के ललए उपयोग साबबत होगा, जो आगे ववववयालय म अययन करते ह ए हहदी को एक ववषय के ऱप म पगे या वान/सामाजक ववान के कस ववषय को हहदी मायम से पना चाहगे। यह उनके ललए भ उपयोग साबबत होगा , जो उचतर मायलमक तर की लिा के बाद कस तरह के रोजगार म लग जाएगे। वहा कामकाज हहदी का आधारभ त अययन काम आएगा। जन ववयािय की रच जनसचामायम म होग, उनके ललए यह पायम एक आर लभक प ठभ लम ननलमित करेगा। इसके सा ही यह पायम सामाय ऱप से तरह-तरह के साहयय के सा ववयािय के सबध को सहज बनाएगा। ववयाी भावषक अलभयत के स म एव जहिल ऱप से पररचत हो सकगे। वे याि को अपने वचार म यवत करने के साधन के तौर पर भाषा का अधक सािक उपयोग कर पाएगे और उनम जवन के नत मानवय सवेदना एव सयक् ि का ववकास हो सकेगा। देय : इन मायम और ववधाओ के ललए उपय त भाषा योग की इतन मता उनम आ की होग क वे वय इससे ज डे उचतर पायम को समझ सक गे। सामाजक हहसा की भावषक अलभयत की समझ। भाषा के अदर सकय सयता सबध की समझ। जनायमक साहहयय को सराह पाने और उसका आनद उठाने की मता का ववकास ता भाषा म सदयाियमकता उयपन करने वाली स जनायमक तय की सवेदना का वकास। वयािय के भतर सभ कार की वधताओ (धमि , जानत, लग, े एव भाषा सबध) के नत सकारायमक एव ववेकप ि रवैये का वकास। पठन-साम को लभन-लभन को से अलग-अलग सामाजक, साक नतक चताओ के पररेय म देिने का अयास कराना ता िको की एकागकता के नत आलोचनायमक ि का ववकास करना।

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ह िंदी (आधार) (कोड सिं. – 302) (2018-19)

प्रस्तावना :

दसव ीं कक्षा तक हहींदी का अध्ययन करने वाला ववद्यार्थी समझते हुए पढ़ने व सुनने के सार्थ-सार्थ हहींदी में सोचने और उसे मौखिक एवीं ललखित रूप में व्यक्त कर पाने की सामान्य दक्षता अर्जित कर चकुा होता है। उच्चतर माध्यलमक स्तर पर आने के बाद इन सभ दक्षताओीं को सामान्य से ऊपर उस स्तर तक ले जाने की आवश्यकता होत है, जहााँ भाषा का प्रयोग लभन्न-लभन्न व्यवहार-क्षेत्रों की माींगों के अनुरूप ककया जा सके। आधार पाठ्यक्रम,

साहहर्ययक बोध के सार्थ-सार्थ भाषाई दक्षता के ववकास को ज्यादा महययव देता है। यह पाठ्यक्रम उन ववद्यार्र्थियों के ललए उपयोग साबबत होगा, जो आगे ववश्वववद्यालय में अध्ययन करते हुए हहींदी को एक ववषय के रूप में पढ़ेंगे या ववज्ञान/सामार्जक ववज्ञान के ककस ववषय को हहींदी माध्यम से पढ़ना चाहेंगे। यह उनके ललए भ उपयोग साबबत होगा, जो उच्चतर माध्यलमक स्तर की लिक्षा के बाद ककस तरह के रोजगार में लग जाएींगे। वहााँ कामकाज हहींदी का आधारभूत अध्ययन काम आएगा। र्जन ववद्यार्र्थियों की रुर्च जनसींचार माध्यमों में होग , उनके ललए यह पाठ्यक्रम एक आरींलभक पषृ्ठभूलम ननलमित करेगा। इसके सार्थ ही यह पाठ्यक्रम सामान्य रूप से तरह-तरह के साहहयय के सार्थ ववद्यार्र्थियों के सींबींध को सहज बनाएगा। ववद्यार्थी भावषक अलभव्यर्क्त के सूक्ष्म एवीं जहिल रूपों से पररर्चत हो सकें गे। वे यर्थार्थि को अपने ववचारों में व्यवर्स्र्थत करने के साधन के तौर पर भाषा का अर्धक सार्थिक उपयोग कर पाएाँगे और उनमें ज वन के प्रनत मानव य सींवेदना एवीं सम्यक् दृर्ष्ि का ववकास हो सकेगा।

उद् देश्य : इन माध्यमों और ववधाओीं के ललए उपयुक्त भाषा प्रयोग की इतन क्षमता उनमें आ

चकुी होग कक वे स्वयीं इससे जुड ेउच्चतर पाठ्यक्रमों को समझ सकें गे।

सामार्जक हहींसा की भावषक अलभव्यर्क्त की समझ।

भाषा के अींदर सकक्रय सयता सींबींध की समझ।

सजृनायमक साहहयय को सराह पाने और उसका आनींद उठाने की क्षमता का ववकास तर्था भाषा में सौंदयाियमकता उयपन्न करने वाली सजृनायमक युर्क्तयों की सींवेदना का ववकास।

ववद्यार्र्थियों के भ तर सभ प्रकार की ववववधताओीं (धमि, जानत, ललींग, क्षेत्र एवीं भाषा सींबींध ) के प्रनत सकारायमक एवीं वववेकपूर्ि रवैये का ववकास।

पठन-सामग्र को लभन्न-लभन्न कोर्ों से अलग-अलग सामार्जक, साींस्कृनतक र्चींताओीं के पररप्रेक्ष्य में देिने का अभ्यास कराना तर्था दृर्ष्िकोर् की एकाींर्गकता के प्रनत आलोचनायमक दृर्ष्ि का ववकास करना।

ववद्यार्थी में स्तरीय साहहयय की समझ और उसका आनींद उठाने की स्फूनति, ववकास एवीं उसमें साहहयय को शे्रष्ठ बनाने वाले तयवों की सींवेदना का ववकास।

ववलभन्न ज्ञानानुिासनों के ववमिि की भाषा के रूप में हहींदी की ववलिष्ि प्रकृनत और उसकी क्षमताओीं का बोध।

कामकाज हहींदी के उपयोग के कौिल का ववकास।

सींचार माध्यमों (वप्रींि और इलेक्रॉननक) में प्रयुक्त हहींदी की प्रकृनत से पररचय और इन माध्यमों की आवश्यकता के अनुरूप मौखिक एवीं ललखित अलभव्यर्क्त का ववकास।

ववद्यार्थी में ककस भ अपररर्चत ववषय से सींबींर्धत प्रासींर्गक जानकारी के स्रोतों का अनुसींधान और व्यवर्स्र्थत ढींग से उनकी मौखिक और ललखित प्रस्तुनत की क्षमता का ववकास।

शिक्षण-युक्ततयााँ

कुछ बातें इस स्तर पर हहींदी लिक्षर् के लक्ष्यों के सींदभि में सामान्य रूप से कही जा सकत हैं। एक तो यह है कक कक्षा में दबाव एवीं तनाव मुक्त माहौल होन ेकी र्स्र्थनत में ही ये लक्ष्य हालसल ककए जा सकते हैं। चूाँकक इस पाठ्यक्रम में तैयारिुदा उयतरों को कीं ठस्र्थ कर लेने की कोई अपेक्षा नहीीं है, इसललए ववषय को समझने और उस समझ के आधार पर उयतर को िब्दबद् ध करने की योग्यता ववकलसत करना ही लिक्षक का काम है। इस योग्यता के ववकास के ललए कक्षा में ववद्यार्र्थियों और लिक्षक्षका के ब च ननबािध सींवाद जरूरी है। ववद्यार्थी अपन िींकाओीं और उलझनों को र्जतना ही अर्धक व्यक्त करेंगे, उतन ही ज़्यादा स्पष्िता उनमें आ पाएग ।

भाषा की कक्षा से समाज में मौजूद ववलभन्न प्रकार के द्वींद्वों पर बातच त का मींच बनाना चाहहए। उदाहरर् के ललए सींववधान में ककस िब्द वविषे के प्रयोग पर ननषेध को चचाि का ववषय बनाया जा सकता है। यह समझ जरूरी है कक ववद्यार्र्थियों को लसफि सकारायमक पाठ देने से काम नहीीं चलेगा बर्कक उन्हें समझाकर भावषक यर्थार्थि का स धे सामना करवाने वाले पाठों से पररचय होना जरूरी है।

िींकाओीं और उलझनों को रिने के अलावा भ कक्षा में ववद्यार्र्थियों को अर्धक-से-अर्धक बोलने के ललए प्रेररत ककया जाना जरूरी है। उन्हें यह अहसास कराया जाना चाहहए कक वे पहठत सामग्र पर राय देने का अर्धकार और ज्ञान रिते हैं। उनकी राय को प्रार्थलमकता देने और उसे बेहतर तरीके से पुनः प्रस्तुत करने की अध्यापकीय िैली यहााँ बहुत उपयोग होग ।

ववद्यार्र्थियों को सींवाद में िालमल करने के ललए यह भ जरूरी होगा कक उन्हें एक नामहीन समूह न मानकर अलग-अलग व्यर्क्तयों के रूप में अहलमयत दी जाए। लिक्षकों को अक्सर एक कुिल सींयोजक की भूलमका में स्वयीं देिना होगा, जो ककस भ इच्छुक व्यर्क्त को सींवाद का भाग दार बनन ेसे वींर्चत नहीीं रित,े उसके कच्च-े

पक्के वक्तव्य को मानक भाषा-िैली में ढाल कर उसे एक आभा दे देते हैं और मौन को अलभव्यींजना मान बैठे लोगों को मुिर होने पर बाध्य कर देते हैं।

अप्रययालित ववषयों पर र्चींतन तर्था उसकी मौखिक व ललखित अलभव्यर्क्त की योग्यता का ववकास लिक्षकों के सचते प्रयास से ही सींभव है। इसके ललए लिक्षकों को एक ननर्श्चत अींतराल पर नए-नए ववषय प्रस्ताववत कर लेि एवीं अनुच्छेद ललिने तर्था सींभाषर् करने के ललए पूरी कक्षा को प्रेररत करना होगा। यह अभ्यास ऐसा है,

र्जसमें ववषयों की कोई स मा तय नहीीं की जा सकत । ववषय की अस म सींभावना के ब च लिक्षक यह सुननर्श्चत कर सकते हैं कक उसके ववद्यार्थी ककस ननबींध-सींकलन या कुीं ज से तैयारिुदा सामग्र को उतार भर न ले। तैयार िुदा सामग्र के लोभ से, बाध्यतावि ही सही मुर्क्त पाकर ववद्यार्थी नये तरीके से सोचने और उसे िब्दबद्ध करने के ययन में सन्नद् ध होंगे। मौखिक अलभव्यर्क्त पर भ वविषे ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकक भववष्य में साक्षायकार, सींगोष्ठी जैसे मौकों पर यही योग्यता ववद्यार्थी के काम आत है। इसके अभ्यास के लसललसले में लिक्षकों को उर्चत हावभाव, मानक उच्चारर्, पॉज, बलाघात, हार्जरजवाब इययाहद पर िास बल देना होगा।

मध्यकालीन काव्य की भाषा के ममि से ववद्यार्थी का पररचय कराने के ललए जरूरी होगा कक ककताबों में आए काव्याींिों की सींग तबद् ध प्रस्तुनतयों के ऑडियो-व डियो कैसेि तैयार ककए जाएाँ। अगर आसान से कोई गायक/गानयका लमले तो कक्षा में मध्यकालीन साहहयय के लिक्षर् में उससे मदद ली जान चाहहए।

वयृतर्चत्रों और लसनेमा को लिक्षर् सामग्र के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है। इनके प्रदििन के क्रम में इन पर लगातार बातच त के जररए लसनेमा के माध्यम स ेभाषा के प्रयोग की ववलिष्िता की पहचान कराई जा सकत है और हहींदी की अलग-अलग छिा हदिाई जा सकत है। ववद्यार्र्थियों को स्तरीय परीक्षा करने को भ कहा जा सकता है।

कक्षा में लसफि एक पाठ्यपुस्तक की भौनतक उपर्स्र्थनत से बेहतर यह है कक लिक्षक के हार्थ में तरह-तरह की पाठ्यसामग्र को ववद्यार्थी देि सकें और लिक्षक्षका उनका कक्षा में अलग-अलग मौकों पर इस्तेमाल कर सके।

भाषा लगातार ग्रहर् करने की कक्रया में बनत है, इसे प्रदलिित करने का एक तरीका यह भ है कक लिक्षक िदु यह लसिा सकें कक वे भ िब्दकोि, साहहययकोि, सींदभिग्रींर्थ की लगातार मदद ले रहे हैं। इससे ववद्यार्र्थियों में इसका इस्तेमाल करने को लेकर तयपरता बढे़ग । अनुमान के आधार पर ननकितम अर्थि तक पहुाँचकर सींतुष्ि होने की जगह वे सही अर्थि की िोज करने का अर्थि समझ पाएाँगे। इससे िब्दों की अलग-अलग रींगत का पता चलेगा और उनमें सींवेदनि लता बढे़ग । वे िब्दों के बारीक अींतर के प्रनत और सजग हो पाएाँगे।

कक्षा-अध्यापन के पूरक कायि के रूप में सेलमनार, ट्यूिोररयल कायि, समस्या-समाधान कायि, समूहचचाि, पररयोजना कायि, स्वाध्याय आहद पर बल हदया जाना चाहहए। पाठ्यक्रम में जनसींचार माध्यमों स ेसींबींर्धत अींिों को देिते हुए यह जरूरी है कक समय-समय पर इन माध्यमों से जुड ेव्यर्क्तयों और वविषेज्ञों को भ ववद्यालय में बुलाया जाए तर्था उनकी देि-रेि में कायििालाएाँ आयोर्जत की जाएीं।

लभन्न क्षमता वाले ववद्यार्र्थियों के ललए उपयुक्त लिक्षर् सामग्र का इस्तेमाल ककया जाए तर्था उन्हें ककस भ प्रकार से अन्य ववद्यार्र्थियों से कमतर या अलग न समझा जाए।

कक्षा में लिक्षक को हर प्रकार की ववलभन्नता और ललींग जानत धमि वगि के प्रनत सकारायमक और सींवेदनि ल वातावरर् ननलमित करना चाहहए।

श्रवण तथा वाचन परीक्षा ेतु हदिा-ननदेि

श्रवण (सनुना) : वखर्ित या पहठत सामग्र को सनुकर अर्थिग्रहर् करना, वातािलाप करना, वाद-वववाद, भाषर्, कववतापाठ आहद को सुनकर समझना, मूकयाींकन करना और अलभव्यर्क्त के ढींग को समझना। 5

वाचन (बोलना) : भाषर्, सस्वर कववता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-प्रस्तुनत, कर्था-कहान अर्थवा घिना सुनाना, पररचय देना, भावानुकूल सींवाद-वाचन। 5

हिप्पणी : वातािलाप की दक्षताओीं का मूकयाींकन ननरींतरता के आधार पर परीक्षा के समय ही होगा। ननधािररत 10 अींकों में से 5 श्रवर् (सुनना) कौिल के मूकयाींकन के ललए और 5 वाचन (बोलना) कौिल के मूकयाींकन के ललए होंगे।

श्रवण (सुनना) कौिल का मूलयािंकन :

परीक्षक ककस प्रासींर्गक ववषय पर एक अनचु्छेद का स्पष्ि वाचन करेगा। अनुच्छेद तथ्यायमक या सुझावायमक हो सकता है। अनुच्छेद लगभग 250 िब्दों का होना चाहहए।

या परीक्षक 2-3 लमनि का श्रव्य अींि (ऑडियो र्क्लप) सुनवाएगा। अींि रोचक होना चाहहए । कथ्य /घिना पूर्ि एवीं स्पष्ि होन चाहहए। वाचक का उच्चारर् िुद् ध स्पष्ि एवीं ववराम र्चह् नों के उर्चत प्रयोग सहहत होना चाहहए।

अध्यापक को सुनत-ेसुनते परीक्षार्थी अलग कागज़ पर हदए हुए श्रवर् बोध के अभ्यासों को हल कर सकें गे।

अभ्यास ररक्तस्र्थान-पूनत ि, बहुववककप अर्थवा सयय/असयय का चनुाव आहद ववधाओीं में हो सकते हैं।

अनत लघउुयतरायमक 5 प्रश्न पछेू जाएाँगे। (1x5 =5)

मौखिक अशिव्यक्तत (बोलना) का मलूयािंकन : र्चत्रों के क्रम पर आधाररत वर्िन : इस भाग में अपेक्षा की जाएग कक ववद्यार्थी

वववरर्ायमक भाषा का प्रयोग करें।

ककस र्चत्र का वर्िन : र्चत्र व्यर्क्त या स्र्थान के हो सकते हैं।

ककस ननधािररत ववषय पर बोलना : र्जससे ववद्यार्थी अपने व्यर्क्तगत अनुभव का प्रययास्मरर् कर सकें ।

कोई कहान सुनाना या ककस घिना का वर्िन करना।

पररचय देना। 2 अींक

(स्व/ पररवार/ वातावरर्/ वस्त/ु व्यर्क्त/ पयािवरर्/ कवव /लेिक आहद)

कुल त न प्रश्न पछेू जा सकत ेहैं। 1x3=3

हिप्पणी : परीक्षर् से पूवि परीक्षार्थी को तैयारी के ललए कुछ समय हदया जाए।

वववरर्ायमक भाषा में वतिमान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है।

ननधािररत ववषय परीक्षार्थी के अनुभव-जगत के हों। जैसे - कोई चिुकुला या हास्य प्रसींग सुनाना।

अर्थवा हाल में पढ़ी पुस्तक या देिे हुए चलर्चत्र (लसनेमा) की कहान सुनाना।

जब परीक्षार्थी बोलना आरींभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।

कौिलों के अिंतरण का मलूयािंकन

(इस बात का ननश्चय करना कक क्या ववद्यार्थी में श्रवर् और वाचन की ननम्नललखित योग्यताएाँ हैं।) श्रवण (सनुना) वाचन (बोलना) 1 पररर्चत सींदभों में प्रयकु्त िब्दों और पदों

को समझने की सामान्य योग्यता है ककीं त ुवह ससुींबद् ध आिय को नहीीं समझ पाता।

1 केवल अलग-अलग िब्दों और पदों के प्रयोग की योग्यता प्रदलिित करता है ककीं त ुएक ससुींबद् ध स्तर पर नहीीं बोल सकता।

2 छोिे ससुींबद् ध कर्थनों को पररर्चत सींदभों में समझने की योग्यता है।

2 पररर्चत सींदभों में केवल छोिे सींबद् ध कर्थनों का स लमत िदु् धता से प्रयोग करता है।

3 पररर्चत या अपररर्चत दोनों सींदभों में कर्र्थत सचूना को स्पष्ि समझने की योग्यता है।

3 अपेक्षाकृत दीघि भाषर् में अर्धक जहिल कर्थनों के प्रयोग की योग्यता प्रदलिित करता है, अभ भ कुछ अिदु् र्धयााँ करता है, र्जससे प्रेषर् में रुकावि आत है।

4 दीघि कर्थनों की िृींिला को पयािप्त िदु् धता से समझने के ढींग और ननष्कषि ननकाल सकने की योग्यता है।

4 अपररर्चत र्स्र्थनतयों में ववचारों को ताककि क ढींग से सींगहठत कर धारा-प्रवाह रूप में प्रस्ततु करता है। ऐस गलनतयााँ करता है र्जनस े प्रेषर् में रुकावि नहीीं आत ।

5 जहिल कर्थनों के ववचार-बब ींदओुीं को समझने की योग्यता प्रदलिित करने की क्षमता है। वह उद् देश्य के अनकूुल सनुने की कुिलता प्रदलिित करता है।

5 उद् देश्य और श्रोता के ललए उपयकु्त िलैी को अपना सकता है, ऐसा करत ेसमय वह केवल मामलूी गलनतयााँ करता है।

पररयोजना कायय - कुल अिंक 10

व्यर्क्तगत रूप से हदया जाएगा - 5 अींक

1. ववषयवस्त ु - 1 अींक

2. िब्द स मा (1000 िब्द) - 1 अींक

3. भाषा िलैी - 1 अींक

4. ववषय से सींबींर्धत र्चत्र तर्था आाँकड े - 1 अींक

5. प्रस्ततु करर् - 1 अींक

पररयोजना कायि के आधार पर मौखिकी – 5 अींक

कक्षा – बारहव ीं में बाह् य परीक्षक द्वारा मौखिकी ली जाएग ।

पररयोजना कायि हहन्दी भाषा और साहहयय से सींबींद् ध हो।

ह िंदी (आधार) (कोड सिं. 302) कक्षा – 11वीिं (2018-19)

ििंड ववषय अिंक

(क) अपहित अिंि 16

1 अपहठत गद्याींि - बोध (गद्याींि पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाींतरर्, ि षिक आहद पर लघूयतरायमक प्रश्न (2x4 लघूयतरायमक प्रश्न+1x2 अनतलघूयतरायमक प्रश्न)

10

2 दो में से एक अपहठत काव्याींि-बोध (काव्याींि पर आधाररत छह लघूयतरायमक प्रश्न) (1x6)

6

(ि) कायायलयी ह िंदी और रचनात्मक लेिन 20

3 ननबींध (ववककप सहहत) 8

4 कायािलय पत्र (ववककप सहहत) 5

5 जनसींचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार लघूयतरायमक प्रश्न (1x4)

4

6 फीचर, ररपोिि, आलेि लेिन (ज वन-सींदभों ये जुड घिनाओीं और र्स्र्थनतयों पर) ववककप सहहत (3x1)

3

(ग) पाठ्यपुस्तक 44

(1) आरो िाग - 1 32

(अ) काव्य िाग 16

7 दो काव्याींिों में से ककस एक काव्याींि पर अर्थिग्रहर् से सींबींर्धत त न प्रश्न (2x3)

06

8 एक काव्याींि के सौंदयिबोध पर त न में से दो प्रश्न (3x2) 06

9 कववताओीं की ववषयवस्त ु पर आधाररत त न में से दो लघूयतरायमक प्रश्न (2x2)

04

(ब) गद्य िाग 16

10 गद्याींि पर आधाररत अर्थिग्रहर् से सींबींर्धत चार प्रश्न (2x3) (1x1) 07

11 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत चार में से त न बोधायमक प्रश्न (3x3) 09

(2) ववतान िाग - 1 12

12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत दो में से एक प्रश्न (4x1) 04

13 ववषयवस्तु पर आधाररत त न में से दो ननबींधायमक प्रश्न (4x2) 8

(घ) (क) श्रवर् तर्था वाचन -10 20

(ि) पररयोजना – 10 कुल 100

नोि : ननम्नललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछेू जाएींगेI

आरोह (भाग - 1)

अप्प ूके सार्थ ढाई साल

आयमा का ताप

पर्र्थक

प्रस्ताववत पसु्तकें : 1. आरो , िाग - 1, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI 2. ववतान िाग – 1, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI 3. अशिव्यक्तत और माध्यम एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालित (िींि - ि कामकाज हहींदी और

रचनायमक लेिन हेत)ुI

ह िंदी (आधार) (कोड सिं. 302) कक्षा – 12वीिं (2018-19)

ििंड ववषय अिंक

(क) अपहित अिंि 16

1 अपहठत गद्याींि - बोध (गद्याींि पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाींतरर्, ि षिक आहद पर लघूयतरायमक प्रश्न (1x2) + 5 लघूयतरायमक प्रश्न (2x 5)

12

2 अपहठत काव्याींि-बोध (काव्याींि पर आधाररत चार लघूयतरायमक प्रश्न) (1x4) 04

(ि) कायायलयी ह िंदी और रचनात्मक लेिन 20

3 ककस एक ववषय पर अनुच्छेद (ववककप सहहत) 05

4 कायािलय पत्र (ववककप सहहत) 05

5 वप्रींि माध्यम, सींपादकीय, ररपोिि, आलेि आहद पर चार अनतलघूयतरायमक प्रश्न (1x4)

04

6 ककस एक ववषय पर आलेि अर्थवा हाल ही में पढ़ी पुस्तक की सम क्षा (3x1)

03

7 ज वन-सींदभों से जुड घिनाओीं और र्स्र्थनतयों पर फीचर लेिन (3x1) 03

(ग) पाठ्यपुस्तक 44

(1) आरोह भाग-2 32

(अ) काव्य भाग 16

8 दो काव्याींिों में से ककस एक पर अर्थिग्रहर् से सींबींर्धत त न प्रश्न (2x3) 06

9 काव्याींि के सौंदयिबोध पर दो में से एक काव्याींि पर दो प्रश्न (2x2) 04

10 कववताओीं की ववषयवस्तु से सींबींर्धत त न में से दो लघूयतरायमक प्रश्न (3x2) 06

(ब) गद्य भाग 16

11 दो गद्याींिों में से ककस एक गद्य पर आधाररत अर्थिग्रहर् के त न प्रश्न

(2x3) 06

12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत चार बोधायमक प्रश्न (3x3) (1x1) 10

(2) ववतान िाग-2 12

12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न (4x1) ववककप सहहत 04

13 ववषयवस्तु पर आधाररत त न में से दो ननबींधायमक प्रश्न (4x2) 8

(घ) (क) श्रवर् तर्था वाचन - 10 20 (ि) पररयोजना – 10 कुल 100

नोि : ननम्नललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछेू जाएींगेI

आरोह (भाग - 2) बादल राग

प्रस्ताववत पसु्तकें :

1. आरो , िाग – 2, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI 2. ववतान, िाग – 2, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI 3. ‘अशिव्यक्तत और माध्यम’, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालित (िींि - ि कामकाज हहींदी और

रचनायमक लेिन हेत)ुI

प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार ववश्लेषण एविं प्रारूप

ह िंदी पाठ्यक्रम – 11वीिं आधार (2018-19)

समयावधध : 3 घिंिे अधधकतम अिंक : 100

क्र. सिं.

प्रश्नों का प्रारूप दक्षता परीक्षण/ अधधगम पररणाम

1 अिंक

2 अिंक

3 अिंक

4 अिंक

5 अिंक

8 अिंक

कुल

1 अपहित बोध (पिन कौिल)

अवधारर्ायमक बोध, अर्थिग्रहर्,

अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना, िब्द-ज्ञान व भावषक प्रयोग,

सजृनायमकता, मौललकता।

8 4 - - - - 16

2 कायायलयी ह िंदी और रचनात्मक लेिन (लेिन कौिल)

सींकेत बबींदओुीं का ववस्तार, अपने मत की अलभव्यर्क्त, सोदाहरर् समझना, और्चयय ननधािरर्, भाषा में प्रवाहमयता, सिीक िैली, उर्चत प्रारूप का प्रयोग, अलभव्यर्क्त की मौललकता, सजृनायमकता एवीं ताककि कताI

4 - 1 - 1 1 20

3 पाठ्यपुस्तकें प्रययास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवीं व्याख्या, अर्थिग्रहर् (भावग्रहर्), लेिक के मनोभावों को समझना, िब्दों का प्रसींगानुकूल अर्थि समझना, आलोचनायमक र्चींतन, ताककि कता, सराहना, साहहर्ययक परींपराओीं के पररपे्रक्ष्य में मूकयाींकन, ववश्लेषर्,

सजृनायमकता, ककपनाि लता, कायि-कारर् सींबींध स्र्थावपत करना, साम्यता एवीं अींतरों की पहचान,

अलभव्यर्क्त में मौललकता एवीं ज वन-मूकयों की पहचान।

1 8 5 3 - - 44

4 (क) श्रवर् तर्था वाचन - - - - - - 10

(ि) पररयोजना - - - - - - 10

कुल 1x13=13

2x12=24

3x6=18

4x3=12

5x1=5

8x1=8

100

प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार ववश्लेषण एविं प्रारूप

ह िंदी पाठ्यक्रम – 12वीिं आधार (2018-19)

समयावधध : 3 घिंिे अधधकतम अिंक : 100

क्र. सिं.

प्रश्नों का प्रारूप दक्षता परीक्षण/ अधधगम पररणाम 1 अिंक

2 अिंक

3 अिंक

4 अिंक

5 अिंक

कुल

1 अपहित बोध (पिन कौिल)

अवधारर्ायमक बोध, अर्थिग्रहर्, अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना, िब्द-ज्ञान व भावषक प्रयोग, सजृनायमकता, मौललकता।

6 5 - - - 16

2 कायायलयी ह िंदी और रचनात्मक लेिन (लेिन कौिल)

सींकेत बबींदओुीं का ववस्तार, अपने मत की अलभव्यर्क्त, सोदाहरर् समझना, और्चयय ननधािरर्, भाषा में प्रवाहमयता, सिीक िैली, उर्चत प्रारूप का प्रयोग, अलभव्यर्क्त की मौललकता, सजृनायमकता एवीं ताककि कता

4 - 2 - 2 20

3 पाठ्यपुस्तकें प्रययास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवीं व्याख्या, अर्थिग्रहर् (भावग्रहर्), लेिक के मनोभावों को समझना, िब्दों का प्रसींगानुकूल अर्थि समझना, आलोचनायमक र्चींतन, ताककि कता, सराहना, साहहर्ययक परींपराओीं के पररपे्रक्ष्य में मूकयाींकन,

ववश्लेषर्, सजृनायमकता, ककपनाि लता, कायि-कारर् सींबींध स्र्थावपत करना, साम्यता एवीं अींतरों की पहचान, अलभव्यर्क्त में मौललकता एवीं ज वन-मूकयों की पहचान।

1 8 5 3 - 44

4 (क) श्रवर् तर्था वाचन - - - - - 10

(ि) पररयोजना - - - - - 10

कुल 1x11=11

2x13=26

3x7=21

4x3=12

5x2=10

100