सह टेट इन्टरनल आिडट उत्तराखण्ड ·...

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1 ितीय संःकरण सूचना का अिधकार अिधिनयम-2005 के अधीन ािधकारी ारा कािशत सूचना भाग दो 23-लआमी रोड, डालनवाला, देहरादन शासन

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    िद्वतीय सःं करण

    सूचना का अिधकार अिधिनयम-2005 के अधीन ूािधकारी द्वारा ूकािशत सूचना

    भाग – दो

    23-लआ मी रोड, डालनवाला, देहरादनू

    सह-ः टेट इन् टरनल आिडट, उत् तराखण् ड

    उत् तराखण् ड शासन

  • 2

    िवषय सूची

    ब0 सं0

    सूचना का िवषय/िववरण पषृ्ठ संख् या

    अपने द्वारा या अपने िनयंऽणाधीन धािरत या अपने कमर्चािरयों द्वारा अपने कृत्यों के िनवर्हन के िलये ूयोग िकये गये िनयम, िविनयम, अनुदेश, िनदेर्िशका और अिभलेख।

    3-5

    (1) कोषागार लेखा िनयम 6-137 (2) उपकोषागार मैनुअल 138-342 (3) ःटाम्प मैनुअल 343-459 (4) बजट मैनुअल 460-599 (5) उत्तरांचल राज्य कमर्चारी सामूिहक बीमा िनिध

    िनयमावली-2003 600-601

    (6) उत्तरांचल सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) िनयमावली-2003

    602-611

    (7) उत्तरांचल सरकारी सेवक ज्येष्ठता िनयमावली-2002 612-615 (8) उत्तरांचल राज्य कमर्चारी आचरण िनयमावली-2002 616-632 (9) कोषागार िनरीक्षण एवं मागर् दिषर्का। 633-662 (10) उत्तरांचल सरकारी सेवक (ूितकूल वािषर् गोपनीय

    िरपोटों के िवरूद्ध ूत्यावेदन और सहबद्ध मामलों का िनपटारा) िनयमावली-2002

    663-668

    5

    (11) िविवध महत्वपूणर् शासनादेश 669-864

  • 3

    अपने द्वारा या अपने िनयंऽणाधीन घािरत या अपने कमर्चािरयों द्वारा अपने कृत्यों के िनवर्हन के िलये ूयोग िकये गये िनयम, िविनयम,

    अनुदेश, िनदेर्िशका और अिभलेख।

    िनदेशक कोषागार एव ं िवत्त सेवायें सह ःटेट इन्टरनल आिडटर तथा उसका अधीनःथ किमर्यों द्वारा अपने कृत्यों के िनवर्हन के िलये ूयोग िकये जाने वाले िनयम/िविनयम, अनुदेश, िनदेर्िशका और अिभलेख िनम्नवत:्- 1- कोषागार मैनुअल । 2- उपकोषागार मैनुअल। 3- ःटाम्पर मैनुअल । 4- िरसोर्स मैनुअल। 5- िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-1 6- िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड भाग-2 से 4 7- िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-5 भाग-1 8- (1) िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-5 भाग -2

    (2) िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-5 भाग-2 9- िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-6 10- िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड-7 11- कोषागार लेखा िनयमावली। 12- मैनुअल आफ गवर्मेंट आडसर्। 13- संवगर्वार लाग ूसेवािनयमावािलयॉ।ं 14- आयकर िनयम/अिधिनयम। 15- उत्तरांचल राज्य कमर्चारी सामूिहक बीमा िनिध िनयमावली, 2003 16- उत्तरांचल सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) िनयमावली, 2003 17- उत्तरांचल सरकारी सेवक ज्येष्ठता िनयमावली, 2002 18- उत्तरांचल राज्य कमर्चारी आचनण िनयमावली, 2002 19- कोषागार िनरीक्षण एवं मागर् दिशर्का। 20- उत्तरांचल सरकारी सेवक (ूितकूल वािषर्क गोपनीय िरपोटीर् के िवरूद्ध ूत्यावेदन और सहबद्ध

    मामलों का िनपटार) िनयमावली, 2002 21-1- िजला सरकारी बैंक:- (1) बैंिकंग रेग्यूलेशन एक्ट 1949

    (2) उत्तरांचल सरकारी सिमित अिधिनयम 2003 एवं िनयमावली 2003 एवं िनयमावली, 2004

    (3) शासन/भारतीय िरजवर् बैंक/नावडर्/िनबन्धक सहकारी सिमितयां द्वारा जारी पिरपऽ/ आदेश/ शासनादेश

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    (4) सम्बिन्धत संःथा की सेवा िनचमावली (5) िरजवर् बैंक आफ इिण्डया एक्ट 1934 (6) पेमेन्ट आफ मेच्युटी एक्ट 1972 (7) पेमेन्ट आफ बोनस एक्ट 1965 (8) िनगोिशयेवली इन्ःटमेन्ट एक्ट ू 1881

    2- सहकारी संःथायें:- (1) उत्तरांचल सहकारी सिमित अिधिनयम 2003 एवं िनयमावली 2004 (2) शासन/िनबन्धक सहकारी सिमितयां द्वारा जारी पिरपऽ/आदेश/शासनादेश (3) सम्बिन्धत संःथा की उपिविधयां एवं सेवा िनयमावली (4) आयकर अिधिनयम 1987/िनयमावली (5) सी0पी0एफ0 रूल्स

    3- दग्धु /उघोग संःथायें:- (1) उ0ू0 सहकारी सिमित अिधिनयम 1965/िनयमावली 1968 (2) शासन/दग्धु आयुक्त/उघोग िनदेशक द्वारा जारी पिरपऽ/आदेश/शासनादेश (3) सम्बिन्धत संःथा की उपिविधयां एवं सेवा िनयमावली (4) उ0ू0 दकानु एवं वािणज्य अिधिनयम (5) िबबी कर अिधिनयम 1948/िनयमावली (6) सैन्ट्ल लेवर एक्ट 1970 (7) कारखाना अिधिनयम 1948 (8) वक्सर् कम्पन्सेशन एक्ट (9) िद पेमेन्ट आफ बोनस एक्ट 1936

    4- गन्ना सिमितयां:- (1) उ0ू0 गन्ना पूितर् एवं खरीद अिधिनयम (2) शासन/केन किमश्नर द्वारा जारी पिरपऽ/आदेश/शासनादेश (3) उत्तरांचल सहकारी सिमित अिधिनयम 2003 एवं िनयमावली 2004

    5- मत्ःय सिमितयां:- (1) उत्तरांचल सहकारी सिमित अिधिनयम 2003 एवं िनयमावली 2004 (2) शासन/िनदेशक िफशरीज द्वारा जारी पिरपऽ/आदेश/शासनादेश

    6- पंचायत संःथायें:- (1) उ0ू0 पंचायती राज अिधिनयम 1947/िनयमावली (2) शासन/िनदेशक पंचायती राज द्वारा जारी पिरपऽ/आदेश/शासनदेश (3) िजला पंचायत/के्षऽ पंचायत अिधिनयम/िनयमावली (4) उ0ू0 भूित ूबन्धन सिमित िनयम संमह

    22- (1) नगर पािलकाऐं नगर पािलका अिधिनयम 1916 (2) नगर पंचायतें नगर पािलका अिधिनयम 1916

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    (3)(क) कृिष उत्पादन मण्डी सिमितयां उ0ू0 कृिष उत्पादन मण्डी अिधिनयम 1964 (ख) राज्य कृिष उत्पादन मण्डी पिरषद कृिष उत्पादन मण्डी अिधिनयम 1964 (4)(क) िजला बेिसक िशक्षा सिमितयॉ ंउ0ू0 बेिसक िशक्षा अिधिनयम 1972 (ख) बेिसक िशक्ष पिरषद बेिसक िशक्षा अिधिनयम 1972 (5) राज्य िवश्विवघालय उ0ू0 राज्य िवश्व0 अिधिनयम 1973 (6) िवकास ूािधकरण उ0ू0 नगर िनयोजन एवं िवकास

    अिधिनयम 1973

    (7) वन िनगम उ0ू0 वन िनगम अिधिनयम 1974 (8) महािवघालय, इण्टर कालेज वेतन िवतरण अिधिनयम, िशक्षा संिहता एवं इण्टरमीिडएट िशक्षा अिधिनयम। (9) कृिष िवश्विवघालय कृिष िवश्विवघालय अिधिनयम 1958 एवं तद् धीन बनाये गये िनयम/पिरिनयम/अध्यादेश।

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    िवत्तीय हःत पुिःतका खण्ड V भाग 2 (लेखा िनयमावली)

    अध्याय 19 कोषागारों पर िनयंऽण की सामान्य ूणाली

    िजलों के कोषागार 401. जब तक महालेखाकार से परमाशर् करने के पश्चात सरकारी िकसी िवशेष मामले में ्अन्यथा आदेश न दे, कोषागार िनयम (1) के अधीन ूत्येक िजले में एक कोषागार होगा। यिद िकसी िजले में ूदेश के लोक लेखे का धन बैंक जमा नहीं िकया जाता है, तो उस िजले का कोषागार दो िवभागों में िवभक्त िकया जायगा: एक लेखा िवभाग होगा, जो एक लेखाकार के ूभार में रहेगा तथा दसरा रोकड िवभाग होगा जी ूएक कोषाध्यक्ष के ूभार में होगा।

    कोषागारों का ूभार

    402. कोषागार िनयम 4 (2) के अधीन, कोषागार कलेक्टर के सामान्य ूभार में होगा, जो उसका तात्कािलक ूशासकीय िनयन्ऽण (एडिमिनःशेिटव कन्शोल) अपने अधीनःथ कोषािधकारी को सौंप सकता है, िकन्तु कायर्कारी िनयन्ऽण से वह अपने की मुक्त नहीं कर सकता है। इन िनयमों द्वारा था उनके अधीन िनधार्िरत ूिबया के उिचत पिरपालन तथा सरकार, महालेखाकार एवं िरजवर् बैंक आफ इिण्डया द्वारा कोषागार से अपेिक्षत समःत िववरिणयों (िरटनर्स) को िनिश्चत समय पर ूःतुत करने का उत्तरदाियत्व कलैक्टर पर होगा। इस िनयम के उपबन्धों के अधीन रहते हएु , कोषागार के कायर् के िलये कलेक्टर तथा कोषािधकारी के अलग-अलग उत्तरदाियत्व उसी ूकार होंगे जैसार उन िनयमों के अनुसार पिरभािवत हो, िजन्हें महालेखाकार से परामशर् लेकर िवत्त मंऽी अनमुोिदत करेंगे। (देिखये पैरामाफ 409-411 ग)।

    अपवाद-इस िनयम के अधीन िनधार्िरत कलेक्टर के कतर्व्य तथा कायर् नैनीताल के विरष्ठ सहायक आयुक्त (सीिनयर अिसःटेन्ट किमश्नर) तथा भांसी के विरष्ठ ज्वाइंट मैिजःशेट द्वारा सम्पन्न िकये जायेंगे, िकन्तु ूितबन्ध यह है िक उस सम्बन्ध में अिन्तम उत्तरदाियत्व कलेक्टर का ही रहेगा।

    403. जब िकसी िजले का कायर्भार महण िकया जाय अथवा सौंपा जाय तो िजलािधकारी को चािहये की वह इस सम्बन्ध में िवशेष रूप से यह सावधानी करते िक ःटाम्प, अफीम इत्यािद के ःटाक(भण्डार) की पणूर्रूप से जांच कर ली जाती है (देिखये पिरिशष्ट 21 का अनुलग्नक 1) और अवमोचक अिधकारी (िरलीिवंग आिफसर) ूपऽ संख्या 5-ख में एक ूमाण-पऽ, िजसकी अपेक्षा उससे की जाती है, महालेखाकार को अिनवायर्त: उसी िदन भेज देगा िजस िदन उसने कायर्भार िदया हो। इस ूमाण-पऽ में रोकड ःटाम्प, िबल ूपऽ और अफीम के शेष की िःथित दी हई होगी। ु (देिखये पैरा 116)।

    (1) िगनती करके रोकड उत्यापन की िविध को संसाधन (िरसोसर्) मैनुअल के अनुच्छेद 20 में िवःतारपूवर्क ःपषअ कर िदया गया है। ्

    (2) अवमोचक अिधकारी को चािहये िक वह रोकड तथा माल के शेष का सत्यापन करते

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    समय रोकड-बही और माल-बही में िदखाये गये योग की भी जांच कर ले। (3) िबल ूपऽ, चेक और धन वापसी आदेश बिहयां िगन की जानी चािहये तथा ूपऽ पंजी

    को ूितयों से उनकी जांच कर लेनी चािहये। (4) उक्षय अिभरता (सेफ कःटढी) के िलये कोषागार में रखी गई बहमूल्य धःतुओं ु (देिखए

    पैरामाफ 35-40) को भी सत्यािपत करना चािहये और उनका िमलान बहमूल्य वःतुओं ुकी पंजी से कर िलया जाना चािहये।

    (5) कोषागार में रखे गये तथा वहां ूयुक्त होने वाले तालों की भी जांच कर ली जानी चािहये और तालों की पंजी की ूिविष्टयॉ ंसत्यािपत की जानी चािहये (देिखये राजःव मैनुअल का पैरामाफ 1456)।

    (6) सभी मामलों में माल तथा दसरी पंिजयों में सत्यापन िटप्पणी अंिकत कर दी जानी ूचािहये।

    िटप्पणी:- ऐसे िजलों की दशा में जहां दो या अिधक कोषागार हों, कायर्भार महण करने बाला िजला अिधकारी कोषागार के मुख्यालय पर शेष का सत्यापन कर सकता है। ऐसे दसरा ूकोषागार/कोषागारों के सम्बन्ध में वह सम्बिन्धत कोषागार/कोषागारों में तैनात परगना अिधकारी (सबिडवीजवल आिफसर) या ऐसे अन्य अफसर इन्चाजर् द्वारा िदये गये सत्यापन ूमाण-पऽ को ःवीकार कर सकता है और महालेखाकार को भेजे जाने वाले ूमाण-पऽ में सिम्मिलत कर लेगा। िजले का कायर्भार महण करने से एक महीने के भीतर िजला अिधकारी को ःवयर् दरःथ कोषागारू /कोषागारों के शेष का सत्यापन कर लेना चािहये और महालेखाकार को इसकी एक और िरपोटर् भेजी जानी चािहये। 404. िकसी भी ूसंिवदा िसिवल अिधकारी को िकसी िजला कोषागार के ूभार में नहीं रखना चािहये िसवाय इसके िक जब िक उसे ूिशक्षण ूयोजनों के िलये रखना हो िजसकी पैरामाफ 407 (2) में व्यवःथा हे अथवा केवल अःथायी रूप से उस अविध के िलये रखना हो, जब तक िक उस पद पर िनयुक्त कोषागार अिधकारी वहॉ ंनहीं आ आता है। 405. (1) िनयमानुसार िजला कोषागार का कायर्भार उत्तर ूदेश िवत्त एवं लेखा सेवा के िकसी सदःय को ही सौंपा जायगा और वह केवल कोषागार का ही कायर् करेगा। िटप्पण- उपयुर्क्त िनयम अितिरक्त कोषािधकारी पर भी लाग ूहोता है। (2) कायर् िनयुक्त ःथायी कोषािधकारी की आकिःमक अनुपिःथित में या छुटटी पर रहने में तथा उस िःथित में भी जब िक उत्तर ूदेश िवत्त एवं लेखा सेवा का कोई कोषािधकारी उपलब्ध न हो, कोषागार का कायर्भार िकसी भी िडप्टी कलेक्टर को, िजसे िजलािधकारी उपयुक्त समभ्ते, सौंपा जायेगा। (3) कोषािधकािरयों को जल्दी-जल्दी बदलते रहता अवांछनीय है और ऐसा जहां तक संभव हो, न िकया जाय। िटप्पणी- आकिःमक िरिक्तयों में जब िनतान्त आवँयक हो और परगना अिधकारी मुख्यालय में उपलब्ध न हो, तो तहसीलदार पौढी, को गढवाल कोषागार का ूभार सौंपा जा सकता है।

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    कोषागारों की सामान्य ूिबया

    406. (1) कोषागार का ूभार महण करते समय कोषािधकारी की चािहये िक वह लेखे की जांच कर ले, ॆिा ितजोरी (करेंमी चेःट) तथा कोषागार में जमा परूी रोकड तथा ःटाम्प और अफीम के ःटाक की जांच कर लें, िबल ूपऽ चेक बुक तथा धन वापसी (िरफन्ड) की आडर्र (आदेश) विहयां िगन ले: ूपऽ पंजी तथा मूल्यवान वःतुओं का पंजी से िमलान करते हए अक्षय अिभरक्षा के िलये कोषागारा ुमें रखी गयी मूल्यवान वःतुओं की जांच कर ले। कोषागार के तालों की जांच कर लें और तालों की पंजी में ूिविष्टयों से उनका िमलान कर लें। जांच का पिरणाम ःटाफ तथा अन्य पंिजयों में दजर् कर िदयश जाना चािहये और रोकड ितजोरी में मोजूद रोकड बाकी का एक ूमाण-पऽ, संसाधन मैनुअल (िरसोसर् मैनुअल) में दी गयी िविध से िनधार्िरत ूपऽ पर करेन्सी आिफसर को अमसािरत कर देना चािहये। पिरिशष्ट 21 का अनुलग्नक-1 भी देिखये।

    िटप्पणी- (1) रोकड तथा ःटाफ बिहयों में िदखाये गये कुछ योग की बािकयों के सत्यापन समय जांच कर ली जाय।

    िटप्पणी- (2) जब ूभार महण करने वाला कोषािधकारी इस पैरामाफ के अधीन ःथापन और जांच करे तो ूभार सौंपने वाला कोषािधकारी सवर्थ उसके साथ उपिःथत रहना चािहये। (2) कोषागार का ूभार महण करने वाले को सौंपे गये गूढ लेख संिहता (साइफर कोड) की ूितयों की संख्या का उल्लेख कायर्भार ूमाण-पऽ में कर िदया जाना चािहये। (देिखये पेरामाफ 116-ख)

    िटप्पणी- रोकड सत्यापन की िविध संसाधन मैनुअल के अनुच्देद 20 में दी गई है। 407. कोषागार लेखे तथा राजःव लेखे की ूणाली के िवषय में समिुचत जानकारी िनिश्चत करने के उददेँय से- (1) कोषागार और ःथानीय िनिध लेखे तथा वैभािगक राजःव लेखों की एक परीक्षा उच्च तथा िनम्न दोनों ःतरों के अनुसार उस वैभािगक परीक्षा का एक अंग होगी, जो सभी िडप्टी कलक्टरों तथा अन्य सरकारी कमर्चािरयों के िलये अिनवायर् हो। िनम्न ःतरीय परीक्षा में ूश्नों का िवषय के्षऽ अवँय ही कुछ-कुछ ूारिम्भक होगा। िकन्तु उच्च ःतरीय परीक्षा में अभ्यिथर्यों से यह अपेक्षा की जायगी िक वे इस ूदेश में ूचिलत पूरी लेखा-ूणाली से सन्तोषजनक सामान्य जानकारी रखते है। कोषागार तथा ःथानीय िनिध लेखे पर महालेखाकार द्वारा तैयार िकया गया एक ूश्न-पऽ भी रोकड ूमाण (कैश ःटैन्डडर्) के अन्तगर्त परीक्षा का एक भाग होगा। (2) ूत्येक ूसर्िवदा (कावनेन्टड) अिधकारी या िडप्टी कलेक्टर जब तक वह उच्च ःतरीय वैभािगक परीक्षा पास न कर ले, ूिशक्षण के उददेँय से, ूितवषर् कम से कम छ: सप्ताह के िलये और अिधकतम दो महीने से िलये, कोषािधकारी या अन्य िकसी सक्षम (कोम्पीटेन्ट) सरकारी कमर्चारी की सामान्य देख-रेख में जो वहां मौजूद हो, िजला कोषागार के ूभार में रखा जायगा। कलेक्टर द्वारा िदया गया इस आशय का ूमाण-पऽ िक ूिशक्षणाधीन सरकारी कमर्चारी ने, इन उपबन्धों के अधीन, कोषािधकारी के कत्तर्व्यों का पालन िकया है और उन्हें सन्तोषजनक रूप से िनवाहा है, परीक्षाथीर् की िकसी वैभािगक परीक्षा में उत्तीणर् करने के िलये अपिरहायर् होगा। 408. िजलािधकारी यह समभ्ते िक पूवर्वतों व्यवःथा के फलःवरूप कोषागारों के ◌ाि◌त्कािलक ूभार (इिमिडयेट चाजर्) का उनका अपना उत्तरदाियत्व िकसी ूकार कम दो जाता है।

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    िजला अिधकािरयों तथा कोषािधकािरयों के उत्तरदाियत्व

    409. िजला अिधकािरयों तथा कोषािधकािरयों के कत्तर्व्य तथा उत्तरदाियत्व िविनयिमत करने वाले िवःतुत िनयम पिरिशष्ट-20 में िदये हये है। कुछ महत्वपूणर् कत्तर्व्यों का वणर्न अनुवतीर् पैरामाफों में ुिकया गया है। 410. कोषागार कायर् से सम्बिन्धत अपने पऽािद महालेखाकार, िजलािधकारी अथवा कोषािधकारी को ूेिषत करता है। कोषागार के सामान्य पदभार का अिधकारी होने के नाते िजलािधकारी ःटाम्प, अफीम तथा रोकड बाकी की सुरक्षा, अधीनःथ कमर्चािरयों द्वारा ूयोग की गयी अिनयिमत पिरपाटी को तत्काल रोकने, िववरिणयों की शदु्धता और उनको िनिश्चत समय पर ूेिषत करने तथा महालेखाकार द्वारा जारी िकये गये अनुदेशों के सम्बन्ध में कोषािधकारी की अिभूेता आज्ञा पालन के िलये उत्तरदायी है। 411. िजलािधकारी की यह ःमरण रखना चािहये िक अब िकसी भी ूकार की अिनयिमतता महालेखाकार द्वारा उसके ध्यान में लाई आय तो उस सम्बन्ध में व्यिक्तगत रूप से छानबीन करने के बाद केवल उसकी अपनी जानकारी की िरपोटर् ही सन्तोषजनक समभ्ती जायेगी। अधीनःथ कमर्चारी का ःपष्टीकरण अमसािरत कर देना ही उनके िलये पयार्प्त नहीं है, क्योंिक इस ूकार तेयार की गई िरपोटों के पिरणाम ःवरूप अनेक बार सन्देह बने रहने के कारण भाग में और भी अिधक बडी अिनयिमततायें हई ुहै। 411. (क) िजला अिधकारी से यह अपेक्षा की जाती है िक वह संसाधन मैनुअल के अनुच्छेद 19 के अनुसार िजला कोषागार में बािकयों को ःवयं सत्यािपत करे और महालेखाकार तथा करनी आिफसर, कानपुर को िदये जाने वाले लेखे पर हःताक्षर करे। लेिकन यिद वह ःवयं ऐसा करने में असमथर् हो तो, उसे यह अिधकारी ूाप्त है िक वह कोषिधकारी को छोडकर िजला कमर्चारी वगर् के िकसी दसरे राजपिऽत ूअिधकारी को बािकया सत्यािपत करने और मािसक लेख पर हःताक्षर करने के िलए ूितिनयुक्त कर दे, परन्तु उसे ःवयं इस कत्तर्व्य का पालन कम से कम छ: महीने में एक बार करते रहना चािहये, जैसा संसाधन मैनुअल के अनुच्छेद 19 के उत्तर भाग में िदया गया है। (ख) जब लेखे हःताक्षर के िलए तैयार हो और मुख्यालय में न तो िजलािधकारी उपिःथत हो, और कोषािधकारी को छोडकर िजला कमर्चारी बगर् का कोई अन्य राजपिऽत अिधकारी उपिःथत हो, तो ऐसी दशा में कोषािधकारी रोकउ बाकी सत्यािपत कर सकता है और लेखे पर हःताक्षर कर सकता है, िकन्तु उपरोक्त सभी कमर्चािरयों की अनुपिःथित, लेखे से सुख पषृ्ठ पर अवँय ूमािणत की जानी चािहये और जैसे ही ऐसा हो कोई अिधकारी मुख्यालय में वापस आये तो आने वाले अिधकारी द्वारा रोकड बाकी सत्यािपत की जानी चािहये और महालेखाकार को सूचना दी जानी चािहये। (ग) जब रोकड बािकयों का सत्यापन िकसी महीने की पहली तारीख के अितिरक्त िकसी अन्य तारीख की िकया जाय तो उसकी सूचना रोकउ बाकी ूितवेदन के सामान्य ूपऽ पर करेंसी आिफसर कानपुर को भेज देनी चािहये। 411. (ख) यिद कोषागार में गबन हो जाय अथवा सरकारी धन ःटाम्प या अफीम की क्षित हो जाय, तो पैरामाफ 82 में िनधार्िरत ूिबया के अनुसार उसकी सूचना महालेखाकार और ूभागीय आयुक्त के माध्यम से सरकार को तुरन्त भेज दी जाय। तदपरान्त जैसे ही संभव होु , एक व्योरेवार िरपोटर्

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    िजला अिधकारी के हःताक्षर से महालेखाकार को भेजी जानी चािहये तािक वह उस माले की सूचना सरकार को दे सके। उक्त िरपोटर् में उन पिरिःथितयों का वणर्न होना चािहये िजनमें क्षित हई हो। उसमें ुहािन का ूकार तथा उसकी माऽा का उल्लेख होना चािहये, उन न िटयों या िनयमों का िजब करना चािहये िजनकी अपेक्षा के कारण हािन सम्भव हई तथा इस पर भी ूकाश डालना चािहये िक वसूली की ुआशा िकतनी है।

    कोषािधकारी के उत्तरदाियत्व

    411. (ग) िजलािधकारी के ूितिनिध के नाते कोषािधकारी अपने कत्तर्व्यों के उिचत पालन के िलए सवरू् थम िजलािधकारी के ूित उत्तरादायी है। िजलािधकारी कोषािधकारी से यह आशा करता है िक कोषागार िनयमों का उसंगोपांग पालन िकया जाय और कोषागार के नैत्यक कायर् के ब्योरों पर कडी िनगरानी रखी जाय। कोषािधकारी से यह अपेक्षा की जाती है िक वह भुगतान अिधकृत करने से पूवर् ूत्येक दावे के सही होने के िवषय में ःवयं सन्तुष्ट ही जाय तथा अपने मागर् दशर्नाथर् िनधार्िरत िनयमों का कडाई से पालन करे, क्योंिक गलत और अिनयिमत भुगतानों के िलये वह ःवयं व्यिक्तगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जायगा। वह तथा िजलािधकारी संयुक्त रूप से रोकड नोटों और दसरी सरकारी सम्पित्त ूकी अक्षय अिभरक्षा के िलए उत्तरदायी है। िकन्तु िकसी ऐसी हािन या गबन के िलए िजलािधकारी उत्तरदाियत्व नहीं होगा, यिद यह ःपषअ हो जाय िक िजलािधकारी ने सभी ूकार की सामान्य ्सावधािनयां बरत ली थी । िनयमों द्वारा अपेिक्षत िकसी भी िवशेष कत्तर्प्य की अवहेलना नहीं को थी और न उसने कोषागार कायर् के ऊपर िनरन्तर िनयन्ऽण देख-भाल में िकसी ूकार िढलाई आने दी थी, िजसकी सरकार उनसे आशा करती है, और साथ ही यह हािन या गबन पूणर्त: कोषािधकारी की असावधानी और बेईमानी के कारण हआ है। उसी ूकार िकसी हािन अथवा खयानत ु (िडफाल्केशन) के िलए कोषािधकरी उत्तरदायी नहीं समम्ता जायगा यिद वह चह िसद्ध कर दे िक उसने अपने ूत्येक कायर्-.के्षऽ में पथ-ूदशर्नाथर् िनधार्िरत िनयमों का कडाई से पालन िकया था और उसने अधीनःथ्कमर्चािरयों से भी उनका पालन करवाया था। (इस खण्ड के ूथम भाग के पैरामाफ 41-घ, 42-45-घ, 98,101 और 112 तथा पिरिशष्ट 20 भी देिखये)।

    राज्य के लोक लेखे से सम्बद्ध तथा उसमें अिंकत धन का अिभरक्षण

    411. (घ) (क) कोषागार िनयम 11 (1) के अधीन सरकारी कमर्चारी के पास अथवा कोषागार में जमा हये धन की अक्षय अिभरक्षा की ूिबया महालेखाकार के परामशर् के पश्चात िवत्त मन्ऽी द्वारा ु ्िनधार्िरत की जायगी।

    (ख) कोषागार िनयम 11 (2) के अधीन बैड् में जमा िकये गये सरकारी धन की अक्षय अिभरक्षा के िलए बैंक उत्तरदायी है।

    राज्य के लोक लेखे में िनिहत धन का संबमण 411. (ड) कोषागार िनयम 30 के अधीन एक कोषागार और दसरे कोषागारू , रोकउ ितजोरी

    बाकी और िकसी कोषागार की कोषागार बाकी तथा कोषागार और बैंक के बीच सरकारी धन का संबमण ऐसे अनुदेशों के अधीन होगा िजन्हें िरजवर् बैंक आफ इिण्डया के परामशर् से इस सम्बन्ध में िवत्त मंऽी

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    जारी करें। छोटे िसक्के (ःमाल क्वाइन) िडपो तथा राज्य सरकार के िनयन्ऽणाधीनिकसी कोषागार के बीच धन का आदान-ूदान राष्टर्पित द्वारा इस सम्बन्ध में जारी िकये गये अनुदेशों से िनयिन्ऽत होगा।

    412. कोष पिररक्षण तथा उसके ूेषण से सम्बद्ध सरकार द्वारा अनमुोिदत ब्योरेवार िवषय संसाधन मैनुअल में िदये गये हैं। उक्त िनयमों का पालन कडाई से िकया जाना चािहये और उनसे कोई िवचलन, िबना सरकार के िवत्त िवभाग की ःवीकृित के नहीं िकया जा सकता है।

    413. (क) जैसे ही कोई कोष-ूेषण (रेिमटेन्स आफ शेअर) कोषागार से भेजा गया हो या उसका भुगतान िकया जाय, उसे रोकड बही में भािरत िकया जाना चािहये (पैरामाफ 444) और इस अभ्याय के अनुलग्नक में दी गई रीित के अनुसार उसे वगीर्कृत कर लेना चािहये। यह िनयम मुि ूेषण के सम्बन्ध में लागू नहीं है (जैसे एक करेंसी आिफसर अथवा दसरी मुिा ितजोरी सेू )।

    (ख) उसी ूकार ूेिषत धन ूाप्त होने पर बीजक (इन्वाहस) में दजर् परी धनरािश रोकड वही में जमा कर दी जाय और उसी रीित से ूेषण वगीर्कृत कर िदया जाय1 िजस ःथान से ूेषण ूाप्त हो, उसका भी उसमें उल्लेख कर िदया जाय।

    कोषागार में व्यिक्तगत िनिधयों का अिभरक्षण

    414. सरकारी कमर्चािरयों, गेर-सरकारी व्यिक्तयों, गैर-सरकारी िनकायों और संःथाओं का

    व्यिक्तगत धन, पेिटयां और दसरी वःतुयें अिभरक्षण के िलये ःवीकार नहीं की जायगी और न कोषागार ूमें रखी जायगी। अपबाद केवल उन मामलों के सम्बन्ध में है िजनमें पैरामाफ 35 से 40 तक के िनयमों या उनके अधीन िकसी आदेश के द्वारा िवशेष रूप से ऐसी अनुमित दे दी गई हो। कोषागार का िनरीक्षण करने वाले अिधकारी इस मामले पर िवशेष रूप से ध्यान दें और इस िनयम का िकसी ूकार उल्लख धन होने पर ध्यान आकिषर्त िकया जाय।

    कोषाध्यक्ष का िवभाग

    415. कोषाध्यक्ष को एक साधारण रोकड-बही रखनी चािहये (िबना उप पंिजयों (सवाडीर्नेट

    रिजःटर) के िजसमें ूत्येक ूािप्त तथा भुगतान के समय ूिविष्ट कर दी जाय। ूाप्त िकये गये धन की सभी रसीदों पर कोषाध्यक्ष हःताक्षर करेगा और (अपने लेखे में आवँयक ूिविष्ट के उपरान्त) तुरन्त लेखाकार को लौटा देगा। वह समसत भुगतान वाउचरों पर ‘भुगतान िकया गया’ आशय की मोहर लगायेगा और उन्हें लेखा िवभाग में उस समय सुपुदर्गी के िलये रोक लेगा, जब िक बिहयों का िमलान िकया जाय।

    415. (क) िजला मुख्यालय कायार्लय के अराजपिऽत कमर्चािरयों के वेतन तथा याऽा भत्ता इत्यािद का िवतरण और जो रािशयां िऽतिरत न हो पायें उनका अक्षय अिभरक्षण सरकारी कोषाध्यक्षों के कत्तर्व्यों का एक अंग है। वेतन तथा याऽा भत्ता आिद के िवतरण की वािकयॉ ं (शेष धनरािशयॉ)ं कोषाध्यक्ष के पास बुक ताले के अन्दर शेष रोकउ में िमला ली जानी चािहये िजसकी सम्पूितर् इस ूकार कोषाध्यक्ष द्वारा सरकार को ूःतुत की गई ूितभूित की रािश से हो सके। यिद महीने के ूारम्भ के कुछ िदनों में शेष की रािश अिधक हो, जो ूितभूित की रािश से बढ जाती हो, तो कोषािधकारी को

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    चािहये िक धन की अक्षय अिभरक्षा हेतु कोषाध्यक्ष उसे दोहरे ताले के अन्दर रखे। इन बािकयों (शेषों) पर समुिचत िनयंऽण रखने के िलये कोषाध्यक्ष का ूितवेदन के िवतरण का लेखा ूपऽ संख्या 43-ख में रखना चािहये। इस ूपऽ में रखी गयी पंजी की दैिनक बाकी ूपऽ संख्या 50 (क) के हःते रोकड में भी िदखायी जानी चािहये (देिखये पैरामाफ 45 के अधीन िटप्पणी (1) से (3)। 416. जब ःटाप और अफीम वेच दी जाय तो रोकड-बही बन्द करने से पूवर् उसमें कुल िबबी की ूिविष्ट कर दी जानी चािहये और एक ःमिृत-पऽ तेयार करके उस लेखाकार को अमसािरत कर देना चािहये, िजससे लेखे में आवँयक ूिविष्ट की जा सके।

    416. (क) ऐसे कोषागारों की दशा में जहॉ ंरोकड कायर् बैंक द्वारा िकये जाते हैं वहॉ ंकोषाध्यक्ष को ूपऽ संख्या 2 में रोकड-बही रखनी चािहये। इस बही में उसे ःटाम्प तथा अफीम की िबबी की आय पैरामाफ 34 के अधीन उसके पास जमा की गई मोटर-कार की ूािप्तयों और पैरामाफ 530 (क) के अधीन छोटे-मोटे पेन्शन के भुगतान के िनिमत्त बैंक से िनकाले गये पेंशन अिमम की ूिविष्ट करनी चािहये। रोकड-बही में केवल ःटाम्प के सम्बन्ध में सभी मूल्यों के ःटाम्पों की िबबी आय के मुल योग की ूिवष्ट की जानी चािहये। िवतरण की ूिविष्टयॉ ंूत्येक दशा में भरी जानी चािहये, चाहे धन का नकद िवतरण हआ हो ु (पेंशन के सम्बन्ध में) अथवा बैंक से भुगतान िकया गया हो। पेंशन अिमम से सम्बद्ध रािश के अवशेष (ओपिनर्ग बैलेन्स) तथा इितशेष (फ्लोिजर्ग बैंलेन्स), मोटर-कार ूािप्तयॉ ंऔर ःटाप्म तथा अफीम की िगबी आय से पथृक िदखाये जाने चािहये। वह रािश यिद ूितिदन सायंकाल बैंक में ्जमा कर दी जाती हो तो इसके सम्बन्ध में शेष शनू्य होगा; अन्यथा िदवस समािप्त पर कोषाध्यक्ष के पास रोकड बाकी (बैलेन्स इन हैंड) ःपष्ट रूप से िदखाई जायेगी। दैिनक लेखे के साथ रोकड वही कोषािधकारी के सम्मुख जॉचं के िलये ूःतुत की जायगी।

    धन की ूािप्त 417. ूपऽ संख्या 43-क का चालान (मेमोरेन्डम) िजसमें जमा िकया जाने वाला धन ूःतुत

    िकया जाता है, सवरू् थम लेखाकार को िदया जायगा जो िक सब ूकार से िनयिमत होने की दशा में, उस पर हःताक्षर करेगा। तदपरान्त भुगतान करने वाला व्यिक्त रोकड सिहत उसे कोषाध्यक्ष को ूःतुत ुकरेगा जो उसे िगरकर उसकी परख करेगा और अपरी बही में उस रािश की ूिविष्ट करके पचीर् पर हःताक्षर करेगा। यह पचीर् पुन: लेखाकार के पास रोकड बही में ूिवष्ट िकये जाने के िलये और उसके अपने अथवा कोषािधकारी से हःताक्षर िकये जाने के िलये और औपचािरक रसीद तैयार करने के िलये ले जायी जायेगी। केवल इस ूकार दी गई रसीद ही उपयुर्क्त भुगतान (ूापर अक्युटेन्स) होगी। यिद चालान दो ूितिलिपयों में हो तो मूल ूित का ूयोग कोषागार द्वारा रसीद िदये जाने के िलये िकया जाय।

    िटप्पणी- (1) (क) जेसी पैरामाफ 31 (ख) में व्यवःथा की गई है, ‘केन्िीय’ तथा ‘राज्य’ शब्द या ‘के0’ तथा ‘रा0’ अक्षर समःत चालानों के दािहने िसर पर ूमखु रूप से अंिकत िकये जाने चािहये तािक लेख्य तुरन्त पहचाने जा सकें और ूाप्त मदें तदनुसार वगीर्कृत की जा सकें और लेखे में जमा की जा सकें ।

    (ख) शासन ूितिनिध िवभाग से ूािप्तयों के चालानों में से ूत्येक पर इस िटप्पणी के खण्ड (क) में दी गई रीित के अनुसार ‘शासन’ शब्द अंिकत कर देना चािहये।

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    िटप्पणी- (2) यिद सरकारी देय धनरािशयों के भुगतान के सम्बन्ध में िनयमानुसार िकसी बैंक के नाम काटा गया बैंक ःवीकार िकया जाय तो रसीद केवल वाःतिवक चेक के िलये ही दी जानी चािहये, िकन्तु भुगतान की ओपचािरक रसीद तब तक जारी नहीं िक जानी चािहये, जब तक िक चेक भुना न ली जाय (पैरामाफ 25 (क) देिखये)।

    िटप्पणी- (3) ‘कोषागार चालान की मूल ूित तथा उसकी ऐसी अन्य ूितयों में भी जो रूपया देने वाले व्यिक्त को ूािप्त ःवीकृित के रूप में दी जानी अपेिक्षत हों, धनरािश ूाप्त करने वाले कोषागार को ूाप्त हई धनरािशु , शब्दों तथा अंकों, दोनों में िलखनी चािहये और अन्य ूितयों में, जो िवभागीय ूयोग के िलये अपेिक्षत हों तथा जो िकसी भी अवःथा में रूपया देने वाले व्यिक्त के पास नहीं जाती है, ूाप्त हई धनरािश केवल अंकों में िलखी जानी चािहये और ूाप्तु करने की ूचािलत दबर ःटाम्प लगानी चािहये’।

    418. सभी रसीदों पर कोषािधकारी और लेखाकार द्वारा हःताक्षर िकये जाने चािहये। िकन्तु 500 रू0 से कम की रािशयों के सम्बन्ध में और उन रािशयों के सम्बन्ध में जो डाक िटकटों के मूल्य के एबज में, चाहे धनरािश िकतनी ही क्यों न हों (दिखये पैरामाफ 31 और 421), नकद या चेक द्वारा दी गई हों, रसीद पर हःताक्षर केवल लेखाकार द्वारा िकये जा सकते है। तथार्त सभी रोकड रसीदों पर ्कोषाध्यक्ष को भी हःताक्षर करना चािहये। लेखा संबामण द्वारा ूाप्त धनरािश की रसीदों पर कोषाध्यक्ष द्वारा हःताक्षर नहीं िकया जायगा। िजलािधकारी एक कायार्लय आदेश द्वारा उस व्यिक्त का नामांकन करेगा, जो 500 रूपये से कम की रािशयों के सम्बन्ध में िद्वतीय हःताक्षर कर सकता है।

    419. सावर्जिनक िनमार्ण िवभाग तथा कुछ अन्य िवभाग कोषागार को अपने भुगतानों के साथ जो ूेषण पुिःतका भेजते हैं उसमें कोषागार ूािप्तयॉ ंदी जानी चािहये। ूेषण पुिःतका के अितिरक्त, कोषागार में उपयोग के िलये, सामान्य चालान भेजा जाना भी अपेिक्षत है।

    420. जब नकद रािश के साथ दो ूितयों में पिचर्यॉ ंभी दी गई हों तो लेखाकार दोनों पर संिक्षप्त हःताक्षर करेगा और कोषाध्यक्ष के हःताक्षर से दोनों के वापस होने पर मूल ूित पर अपने पूरे हःताक्षर करेगा तथा 500 रूपये अथवा उससे अिधक रािश होने की दशा में, रसीद के रूप में उसे भुगतानकतार् को लौटाते से पूवर् कोषािधकारी के हःताक्षर करवायेगा।

    421. सरकारी डाक िटकटों की सप्लाई के िलये, जो केवल पैरामाफ 166 के अनुसार की जाय, सरकारी कमर्चािरयों से नकद रािश ूाप्त नहीं की जानी चािहए। जब तक िक मांगकतार् िवभाग (इन्डेंिटर्ग िडपाटर्मेंट) के िवतरण अिधकारी द्वारा चेक से भुगतान न िकया गया हो, इस ूकार को सप्लाई के िलए कोई रसीद भी नहीं दी जानी चािहये तथािप जब सरकारी डाक िटकट जनता को ःटाम्प मैनुअल के िनयमों के अधीन नकद बेचे जायें तो रसीद दी जानी चािहये। जब कभी रसीद दी जाये वह सदैव मशीन द्वारा संख्यािकत ूपऽ संख्या 1-क (पैरा 31) पर होनी चािहये तथा चाहे धनरािश िजतनी भी हो, उस पर कोषािधकारी के ःथान पर कोषागार के लेखाकार द्वारा हःताक्षर िकये जा सकते है। उप-कोषागारों की दशा में भी रसीदें ूपऽ संख्या 1-क पर जारी की जायेंगी िकन्तु जब पर सभी िःथितयों में उप-कोषािधकारी के ही हःताक्षर होगे। ःथानीय िनिध कमर्चािरयों तथा ऐसी िनिधयों से सम्बिन्धयों होने की है िसयत में सरकारी कमर्चािरयों को डाक सेवा िटकटों का िवबय अिजर्त है, (देिखये पैरामाफ 366)।

    422. (िनकाल िदया गया)।

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    423. सावर्जिनक िनमार्ण िवभाग में डाक सेवा िटकटों का मुिित मांग-पऽ भी ऐसी िःथित में उपयोग के िलये रहता है, जब िक िटकटों के मूल्य का भुगतान चेक द्वारा िकया जाय।

    424. (िनकाल िदया गया)। 425. जब धन कोषागार में जमा कर िदया गया हो, तो कोषािधकारी को इस कथन के आधार

    पर िक मूल ूित खो चुकी है, चालान को िद्वतीय ूित अथवा उसकी ूितिलिप पर हःताक्षर नहीं करना चािहये (पैरामाफ 75 भी देिखये)।

    426. उन ःथानों में जहां कोषागार के कायर् बैंक द्वारा िकये जाते हों, जब तक िक इसके ूितकूल व्यवःथा न की गई हो, चालान कोषािधकारी को ूःतुत िकये जाने चािहये, जो उसके मुख पषृ्ठ पर बैंक को धन ूाप्त करने और उसे रसीद जारी करने का आदेश देगा; (पैरामाफ 31-क 31-घ देिखय) तथािप 500 रू0 से कम की रािश के चालानों पर मुखांकन कोषागार लेखाकार द्वारा िकया जा सकता है। देिखये पैरा 31-ग) उप-कोषागार में ूःतुत िकये गये चालान पर मखुांकन अिनवायर् रूप से उप-कोषािधकारी द्वारा िकया जाना अपेिक्षत है। सरकारी देय धनरािशयों के भुगतान के चेकों को बैंक में ःवीकार करने के सम्बन्ध में पैरामाफ 25 देिखये।

    िटप्पणी- मोटर गाडी कर के सम्बन्ध में देय धनरािशयों के भुगतान के सम्बन्ध में पैरामाफ 34 देिखये।

    427. कोषागारों में आय-कर के भुगतान के िलये चालान का एक िविशष्ट ूपऽ िनधार्िरत िकया गया है। चालान का वह भाग िजस पर ‘मूल ूित (आय-कर अिधकारी को लौटावी जानी है)’ आंिकत हो सम्बिन्धत आय-कर अिधकारी को भेज िदया जाना चािहये।

    427. (क) जब िकसी असरकारी व्यिक्त द्वारा िकसी ऐसे कोषागार में धन जमा िकया जाता है जो उसी ःथान पर िःथत हो जहां सम्बद्ध वैभािगक अिधकारी है, तो चालान पर उस वैभािगक अिधकारी के हःताक्षर होने चािहये िजसके लेखे में वह धन जमा िकया जाना है। अन्यथा चालान तीन ूितयों में ूःतुत िकया जाना चािहये िजसमें एक ूित कोषागार द्वारा वैभािगक अिधकारी की ूेिषत की जायगी।

    धन का भगुतान 428. लेखाकार धन के दावे के सम्बन्ध में ूःतुत िकये गये िबल तथा वाउचर ूाप्त करेगा

    तथा उनकी परीक्षा करेगा और इसके बाद कोषािधकारी को ूःतुत करेगा। यिद दावे ःवीकायर् हों, ूािधकारी उिचत हो, हःताक्षर और ूित-हःताक्षर, जहॉ ंआवँयक हो, सही और िनयिमत हों और ूािप्त की रसीद बधै उन्भांचल (लीगल क्यूटेन्स) हों, तो कोषािधकारी वाउचर के अधोभाग पर पैरामाफ 47 (ग) में िनधार्िरत पूवोर्वायों के ूयोग पर ध्यान देते हए भुगतान आदेश पर हःताक्षर करेगा। इस बात ुका ध्यान रखाना चािहये िक भुगतान के िलये पास िकये गये सभी िबल तथा वाउचरों का भुगतान उसी िदन हो जाय और कोई भी भुगतान िबना कोषािधकारी के िलिखत आदेश के न िकया जाय। यिद धन ूाप्त करने जाना व्यिक्त उसी िदन भुगतान के िलए उपिःथत नहीं होता िजस िदन िबल ूःतुत िकया गया हो, तो भुगतान आदेश रह कर िदया जाना चािहये और लेखे में आवँयक संशोधन कर िलये जाने चािहये।

    (1) (क) सभी सरकारी कमर्चािरयों से, जो पैरामाफ 45 (ख) के अधीन कोषागारों या बैंक से धन िनकालने के िलये अिधकृत है, यह अपेक्षा की जाती है िक वे ‘केन्िीय’ अथवा ‘राज्य’ शब्द या

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    ‘क0’ अथवा ‘रा0’ अक्षर (व्यय राज्य के राजःव या केन्िीय सरकार के, जैसी भी िःथित हो, राजःव नामें िलखने के अनुसार) वाउचर, लेख, िबल इत्यािद के दािहने िसरे पर ूमखु रूप से अंिकत कर दें िजससे तद् नुसार व्यय का वगीर्करण हो सके। कोषािधकारी को यह देखना चािहये िक इस अनुदेश का पालन रूपया िनकालने वाले अिधकािरयों द्वारा िकया जाता है।

    (ख) शासन ूितिनिध िवभाग द्वारा िकये गये भुगतान के सम्बन्ध में सभी िबल, चेक, वाच्चरों इत्यािद पर ऊपर दी गई रीित के अनुसार ‘शासन’ शब्द अंिकत कर देना चािहये।

    (2) िनयम द्वारा व्यविःथत न की गई मॉगंों के सम्बन्ध में कोषािधकािरयों द्वारा व्यवहार में लागी जाने वाले ूिबया पैरामाफ 42 में दी गई है।

    429. ूत्येक कोषागार में एक जंजी रखी जानी चािहये िजससे उन राजपिऽत सरकारी कमर्चािरयों के नाम िदये गये हों, जो उस कोषागार से अपना वेतन लेते हों। जब महालेखाकार से ूत्येक वेतन-पंजी ूाप्त ही उसमें ःवीकृत वेतन तथा भत्तों की रािश सम्बद्ध सरकारी कमर्चारी के नाम के सम्मुख ूिवष्ट कर दी जानी चािहये। ूत्येक वेतन-िबल जन भगुतान के िलये ूःतुत िकया जाय तो इस पंजी से यह देख िलया जाना चािहये िक वह ःवीकृत दर से अिधक तो नहीं है। उसी पंजी में महालेखाकार द्वारा िदये गये समःत काटौितयों, के समःत आदेश दजर् िकये जायेंगे िजसके सम्बन्ध में अनुदेश फाइनेिल्शयल हैन्डबुक, खण्ड 5 भाग-1 के पैरामाफ 81 के िटप्पणी 4 में िदये गये है।

    429. क. अवमुक्त अिधकारी (िरलीब्ड आिफसर) द्वारा अथवा फाइुिन्शयल हैन्डबुक, खण्ड 5 भाग-1 के पैरामाफ 66 के अनुसार आसन्न विरष्ठ अिधकारी से सत्यािपत करा कर राजपिऽत अिधकािरयों के नमूने के हःताक्षर कोषािधकारी के पास भेजे जाने चािहये। यिद अवमोचक अिधकारी (िरलीिवर्ग आिफसर) के कायर्भार महण करने से पूवर् ही अवमुक्त अिधकारी चला गया हो और कोई आसन्न विरष्ठ अिधकारी भी न हो, तो ऐसी दशा में नमूने के हःताक्षर िकसी वैभािगक अिधकारी द्वारा सत्यािपत िकये जाने चािहये िजसके हःक्षातर पहले ही से कोषािधकारी के पास मौजूद हों। सत्यािपत िकये गये ये हःताक्षर उपयुर्क्त िनमय, के अनुसान रखी गयी पंजी में िचपका िदये जाने चािहये।

    430. कोषािधकारी को यह बात िवशेष ध्यान से देखनी चािहये िक रसीदी िटकट इस ूकार िवरूिपत कर िदये जायें िक वे िफर से ूयोग में न लाये जा सकें और वाउचरों पर लगे िटकटों के िनिमत्त उनको चुराने का ूलोमन पैदा न कर सकें । इद पूवोर्पाय (एहितयात) को अपेक्षा करने के कारण वाउचरों के खो जाने के अनेक अवसर हो चुके है।

    431. िकसी राजपिऽत अिधकारी के दसरे राज्य अथवा दसरे िवभाग से ःथानान्तिरत होने ू ूअथवा भारत के बाहर से छुटटी पर लौटने पर, िबना महालेखाकार के आदेश के उसे कोई भुगतान न िकया जायेगा (देिखये पैरामाफ 41-ख, 41-घ, और 42-42-ख,)।

    िटप्पणी- (1) समसत कोषािधकािरयों को लेखा परीक्षा िवभाग के उन िविभन्न राजपिऽत अिधकािरयों के हःताक्षर के नमूनों की ूितयॉ ंभेजी जायगी जो िबल, वाउचरों के भुगतान के आदेश पर हःताक्षर करने तथा कोषागारों में िकये जाने वाले भुगतान के ूािधकार-पऽ (लेटर आफ-अथािरटी) जारी करने के िलये ूािधकृत हों। इन आदेशों के ूािधकार के आधार पर, जो महालेखाकार द्वारा जारी िकये गये हों, िकसी िबल का भगुतान करने से पूवर्, कोषािधकारी को चािहए िक आदेश में िकये गये हःता- क्षरों करने वाले आिधकारी के नमूने के हःताक्षरों तथा उसकी मोहर से िमलान करके ूमािणत कर ले।

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    (2) महालेखाकार, केन्िीय राजःव एव ं महालेखाकार बंगाल दसरे महालेखाकार की ूसहमित से, अपने अिधकार-के्षऽ के बाहर भी, चुने हए कोषागारों कोु सीधे भगुतान आदेश जारी कर सकते है। िटप्पणी 1 में िनधार्िरत ूिबया इस सम्बन्ध में की लाग ूहोगी।

    432. पैरामाफ 43 के अधीन कोषािधकारी को न केवल ःवयं वरन लेखा-परीक्षा िवभाग को भी इस बात से सन्तुष्ट करना पडता है िक दावा (अध्यथर्न) वध है और तद् नन्तर यह ूमािणत करना पडता है िक रूपया पाने वाले न ूभािरत धनरािश वाःतव में ूाप्त कर ली है। अतएब पैरामा/फ। 47 में िदये गये वाउचरों के समापन (कम्पलीशन) सम्बन्धी िनयमों की ओर िवशेष ध्यान िदया जाना चािहये। कोषािधकारी को इस बात की पयार्प्त जानकारी होनी चािहये िक उसके द्वारा िकये जाने वाला ूत्येक भुगतान िकस ूकार का है और यह क्षम्य नहीं है िक वह कोई ऐसा वाउचर ःवीकार कर ले िजसमें वा सूचना औपचािरक रूप से अंिकत नहीं है।

    (1) पैरामाफ 42-सी, 42-ई, 41, 45 और 48 के उवबन्धों पर िवशेष रूप से ध्यान िदया जाना चािहये।

    (2) यिद भुगतान के िलये ूःतुत िकये गये िबलों में ःपष्ट गिणत की अशिुद्धयां या मामूली गलितयां हों, िजन्हें आवानी से ठीक िकया जा सकता है, तो कोषािधकारी या उप-कोषािधकारी द्वारा ऐस िबल वापस नहीं कर िदये जाने चािहये। वरन भुगतान कर देना चािहये। ्इसी ूकार यिद िबलों में संिदग्ध मदें हों िजन्हें आवानी से हटाया जा सकता है, तो कोषािधकारी या उप-कोषािधकारी को चािहये का वह संिदग्ध मदों को अःवीकृत कर दे और िबल को शेष रािश का भुगतान कर दे। ूत्येक दशा में िबल के ूःतुतकतार् और यिद आवँयक हो, तो महालेखाकार को (अथवा उप-कोषागार में िकये गये भुगतानों की दशा में महालेखाकारी को) इस ूकार िकये गये संशोधनों तथा उनके कारणों से अवगत करा देना चािहये।

    432- (क) पैरामाफ 41-घ के अधीन, अत्यन्त आवँयक पिरिःथितयों में, पेंशन का भुगतान छोडकर, िकसी अन्य भुगतान के िलये कलेक्टर िलिखत आदेश द्वारा कोषािधकारी को, िबना कोषागार िनमय (पिरिशष्ट-2) के उपलब्धों का पालन िकये हएु , ूािधकृत कर सकता है और भुगतान करने का आदेश दे सकता है। इस ूकार की िकसी भी पिरिःथित में कलेटर अपने आदेश की एक ूित और पिरिःथितयों का एक िववरण िजसके कारण ऐसा करना आवँयक हआ होु , तुरन्त ूेिषत करेगा तथा कोषािधकारी भुगतान िकये जाने की सूचना तत्काल महालेखाकार को देगा (कोषागार िनमय-27 भी देिखये)। 433. जब वाउचरों की पूणर् रूप से लेखे में ूिविष्ट हो जाय और भुगतान िकये जाने के आदेश पर कोषािधकारी के हःताक्षर हो जाय तब भुगतान पाने वाले व्यिक्त के साथ-साथ वाउचरों को कोषाध्यक्ष के िवभाग को भेज देना चािहये। तदपरान्त कोषाध्यक्ष भुगतान करेगाु , िटकट िछिांिकत करेगा, वाउचर पर ‘भुगतान िकया गया’ की मुहर लगायेगा और उस विहयों के िमलान के समय लेखा िवभाग को ूेषणाथर् रोक लेगा। 434. कोषाध्यक्ष भुगतान की ूिविष्ट अपने लेखे में करेगा िजसका नाम रोकड बही (उप पंिजयों रिहत) है, िजसमें ूत्येक लेन-देन, जैसे ही वह हो, ूिविष्ट कर िदया जाता है: (1) जब भुगतान ‘संबमण द्वारा’ िकया जाय, अथार्त ्िकसी ूािप्त शीषर्क के अंतगर्त ूाप्त रािश

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    का ूिविष्ट लेखे में की गई हो, ऐसी दशा में नकद भगुतान नहीं होता। इस मद को न तो कोषाध्यक्ष की रोकड वही में ही चढाया जाना चािहये और न वाउचर पर ‘भुगतान िकया गया’ की मुहर की लगाई जानी चािहये। अवधेय- तथािपत सरकारी िटकटों के मूल्य के भुगतान में ूाप्त हुये चेकों को कोषाध्यक्ष को रोकड-बही के दोनों और ूिवष्ट िकया जाना चािहये। (2) जब िकसी राजःव या ूािप्त शीषर्क के अन्तगर्त संबमण द्वारा भुगतान िकया जाना हो, िजसके िनिमत्त एक पंजी रखी जाती है (उदाहरणाथर् भू-राजःव), भुगतान आदेश में उस ूमुख तथा व्योरेवार शीषर्क की अंिकत करना चािहये िजनके अन्तगर्त संबमण होना है और जो इस ूकार होना चािहये-‘भू’राजःव-िनयम वसूली को सबंमण द्वारा’- रू0 भुगतान िकये जाय।‘ (3) जब लेखे में ूिविष्टयां पूणर् हो जाय,ं लेखाकार द्वारा व्यय-पऽ पर’ –संबमण द्वारा भगुतान िकया गया’ आशय की मुहर लगाई जानी चािहये। 435. पैरामाफ 16 के अन्तगर्त ‘कोषागार’ शब्द के अन्तगर्त उप-कोषागार भी सिम्मिलत है। अत:िजला कोषागारों में धन की ूािप्त, अिभरक्षा और भुगतान की ूिबया सामान्य तथा उप-कोषागारों पर भी लाग ूहोती है। िसवाय इसके िक उप-कोषागार िनयम-संमह (सव-शेजरी मैनुली) के पिरिशष्ट 2 विणर्त मामलों तथा अन्य ऐसे अपवादों को छोडकर, िजनमें शासन द्वारा अलग से ःवीकृित ूदान की गयी है, उप-कोषागार द्वारा िकसी भी िबल का भुगतान नहीं िकया जायेगा जब तक िक वह िबल िजला कोषागार अिधकारी को पहले ूःतुत न िकया जा चुका हो और िजला कोषागार अिधकारी ने उस (िबल) के भुगतान िकये जाने के आदेश न दे िदये हों [(देिखये पैरामाफ 45 (क) और 45 (ड)] उप-कोषागारों में जमा िकये गये धन की समःत रसीदी पर उप-कोषािधकारी द्वारा हःताक्षर िकये जाने चािहये क्योंिक पैरामाफ 31 (ग) का िनयम, िजसके अन्तगर्त लेखाकार तथा कोषाध्यक्ष 500 रूप से कम की रसीदों पर हःताक्षर करने के िलये ूािधकृत है, उन-कोषागारों के सम्बन्ध में लागू नहीं है।

    िटप्पणी- (1) सरकारी डाक िटकट तदथर् िबल ूःततु िकये जाने पर उप-कोषागार द्वारा सीधे िबलों का िजला कोषािधकारी से पिहले पास कराये िबना जारी िकये जा सकते हैं (देिखये 1 पैरामाफ 166)।

    (2) मसूरी उप-कोषागार, में िवशेष दशा के रूप में, कोषागार लेखाकार 500 रूप तक सभी ूािप्त चालानों पर हःताक्षर करने के िलये ूािधकृत है। 436. कुछ िवभागों में सरकारी कमर्चारी चेकों द्वारा उप-कोषागारों से िनिवयॉ ंूाप्त करने के िलये ूािधकृत है। इस पद्धित के ूसार के िलये िजलािधकारी की ःवीकृित अपेिक्षत होगी और िजसके िलये करेंसी आिफसर की सम्मित आवँयक है यिद उक्त अिधकारी की राय में उप-कोषागार में िनिवयों को ताले के अन्दर बन्द रखने या इ�