अखल भारत िशा अिधकार म ंच -...

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अİखल भारत िशƗा अिधकार मंच आंदोलन की कायŊयोजना (जून 2018 से मई 2019 तक) नवीनतम और अɊ जानकारी के िलए इस वेबिलंक पर जाएं : http://aifrte.in/POA-June-2018-May-2019 राʼ Ō पित की हो या मज़द र की सं तान, सबको िशƗा एक समान ! ----------------------------- 15 िसतंबर 2018 तक की सूचनाओं पर आधाįरत।

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  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच

    आंदोलन की काययोजना (जून 2018 से मई 2019 तक)

    नवीनतम और अ जानकारी के िलए इस वेबिलंक पर जाएं : http://aifrte.in/POA-June-2018-May-2019

    रा पित की हो या मज़दूर की संतान,

    सबको िश ा एक समान !

    ----------------------------- 15 िसतंबर 2018 तक की सूचनाओ ंपर आधा रत।

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच : आंदोलन की काययोजना (जून 2018 से मई 2019 तक)

    पहला सं रण – िसतंबर 2018

    ितयां – 1,000

    काशक – अ खल भारत िश ा अिधकार मंच (अभािशअम) 306, ेज़ट अपाटमट्स, बाज़ारघाट,

    हैदराबाद 500 004, तेलंगाना

    मु क – मंगलमूित ािफ़ , मछुआटोली आय कुमार रोड,

    पटना 800 004, िबहार

    अभािशअम संपक

    संगठन सिचव : डॉ. िवकास गु ा, िद ी, ई-मेल - [email protected] कोषा : डॉ. एम. गंगाधर, वारंगल, मो. 9440414073, ई-मेल - [email protected] कायालय सिचव : ी लोकेश मालती काश, भोपाल, मो.- 9407549240, 7024148240

    ई-मेल - [email protected] वेबसाइट : www.aifrte.in

    सहयोग रािश – बीस पए

    ___________________________________________________________________________________

    िश ा नही ंकोई कारोबार, है यह जनता का अिधकार!

  • i

    अभािशअम की जून 2018 से मई 2019 तक काययोजना का मसौदा और कुछ अहम कामो ंकी सूची

    - 9 जून 2018

    सामूिहक संघष म अ खल भारत िश ा अिधकार मंच (अभािशअम) के सद संगठन, साथी संगठन और िनजी हैिसयत के सद , मुिहम म जुड़े सहभागी और एक जैसी सोच रखते संगठन और यो ंके िलए जारी :-

    सािथयो, तालीम को बाज़ारीकरण, क ीकरण, सां दायीकरण और सामािजक िन ासन की ओर धकेलते नवउदारवादी पंूजी और

    ा णवादी ताकतो ंके इक े हमले के जवाब म और समतामूलक िश ा व था के िलए लंबे अरसे से चल रही हमारी लड़ाई को आगे बढ़ाते ए, 16-18 फरवरी 2018 को महारा के सेवा ाम, िज़ला वधा म आयोिजत अभािशअम की पाँचवी ंरा ीय कायका रणी ने साल भर की आंदोलन की काययोजना ( ो ाम ऑफ़ ए न) के िलए एक सिमित गिठत की। इस सिमित की रपोट के म ेनज़र और लंबी बातचीत के बाद, अभािशअम के अ मंडल और सिचव मंडल ने जून 2018 से मई 2019 तक की अविध के िलए काय मो ंकी िवशद् योजना तय की है। इस काययोजना को हम आपके सामने रख रहे ह तािक आप इसे देख और आम लोगो ंम इसके हक म ब मत तैयार कर िसयासी ताकतो ंको तीखे तेवर के साथ जन-प धर नीितयां अपनाने को मजबूर करने के िलए ज़ री कारवाई कर। बेशक, आने वाले 2019 के चुनावो ंके म ेनज़र यह काम और ादा गौरतलब है। साथ ही, संल काययोजना म अभािशअम की कई नई खािसयतो ंको मजबूत करने की ािहश है, तािक मु के हर कोने म हमारी मुिहम लंबे समय तक चल सके।

    संल काययोजना के खंड 3.0 म अभािशअम की बुिनयादी मांगो ंकी सूची दी गई है। इसके अलावा प रिश -एक म दीगर और मांगो ंकी िव ृत (अब तक की) सूची भी है, िजसम हर रा /िजला/शहर/गांव/िव िव ालय/कॉलेज/ ू ल के र पर चल रहे आंदोलन अपनी लंत मांगो ंको जोड़ सकते ह। हमारी काययोजना का बुिनयादी मकसद रा ारा संचािलत पूरी तौरपर मु 'केजी से पीजी' तक की 'समान िश ा व था' के िलए लड़ना है, िजसम पड़ोसी ू लो ंकी धारणा के मुतािबक 'पूव- ाथिमक र से बारहवी ंक ा' तक 'समान ू ल व था' (कॉमन ू ल िस म) शािमल हो। इसकी नीवं ब भाषी संदभ म मादरी-ज़ुबान या मातृभाषा के ज़ रए तालीम पर आधा रत होगी। इसम िवषमताओ ंको दूर कर िविवधताओ ंको शािमल करना होगा; इसके ज़ रए सामािजक ाय और बराबरी को बढ़ाना होगा; और इसका शासिनक ढांचा लोकतांि क, संघीय और जन-भागीदारी की संवैधािनक ि पर आधा रत होगा। इसी तरह तालीम को बाज़ार की तज़ पर मुनाफ़ाखोर, िफ़रकापर , पोगंापंथी और पहले से ादा िन ासन करनेवाली व इसके मकसद को ही गुलाम मानस के कौशलो ंका पयाय बनाने वाली मानव संसाधन िवकास मं ालय की नई िश ा नीित और नीित आयोग के दीगर द ावेजो ं का यह काययोजना बुिनयादी तौर पर िवरोध करती है।

    चुनांचे, काययोजना हमारे िज़ े नीचे िलखे काम सौपंती है : (क) मु के हर कोने म तालीम के मौजूदा खाके के खलाफ लगातार संघष िछड़े ए ह। ज़ री है िक इन सबको एक मंच पर लाकर खड़ा िकया जाए तािक हमारी सामूिहक मौजूदगी और ताकत का अवाम पर पु ा असर पड़े। इसिलए अभािशअम ने तय िकया है िक उन सभी रा ो ंम जहां आपसी तालमेल सही नही ंहै, वहां संघष के िलए संयोजन सिमितयां या मंच बनाए जाएं; और जहां ये पहले से मौजूद ह, उनको और मजबूत िकया जाए (अिधक जानकारी के िलए कृपया प रिश -दो म 'रा ो/ंक -शािसत े ो ंम भावी राह और सांगठिनक परेखा' देख)। इस साल जून से म -अग तक रा ो/ं क -शािसत े ो ंके र पर सलाह-मशिवरे आयोिजत िकए जाएंगे। जहां रा ो/ं क -शािसत े ो ंके र पर संघष का िविधवत मंच या शु आती तालमेल सिमित भी नही ंहै, वहां संघष के आम मु ो ंकी पहचान के आधार पर एकजुटता के िलए तालमेल बनाने के िलए कदम उठाए जाएँगे। िजन रा ो ंम पहले से ही संगठन का ढांचा मौजूद है, उसे और मजबूत करने की कोिशश की जाएगी। इस काययोजना को लागू करने पर पूरा ान देते ए मुिहम को लंबे समय तक चलाने और बाद म इसके सटीक अनुवतन के िलए थानीय टीमो ंको िवकिसत करने के िलए अभािशअम सचेत और ितब है।

    (ख) सोशल और ि ंट मीिडया दोनो ंके ज़ रए देश के आम लोगो ंम बाज़ारीकरण, क ीकरण, िफ़रकापर ी और भेदभाव पर आधा रत तालीम के खलाफ़ और भारत के संिवधान की ावना म िलखे आदश के मुतािबक ‘केजी से पीजीʼ तक साझी, वै ािनक, लोकतांि क और धम-िनरपे तालीम की मांग के िलए मुिहम को आगे बढ़ाने की फ़ौरी ज़ रत है (मौजूदा कूमत

    ारा तालीम पर हो रहे हमलो ंको िव ार से समझने के िलए कृपया ' ावना' और खंड 2 और 3 पढ़)। संघष के तेवर म और तेज़ी लाने के िलए एक ज़ री कदम यह होगा िक बड़ी तादाद म अवाम को संवाद और ज़मीनी कामो ंम जोड़ा जाए। मसलन, मु भर म ऐसे कई लोग ह जो तालीम की लड़ाई के साथ जुड़ना चाहते ह, पर वे शायद िकसी खास संगठन से जुड़े नही ंहो।ं हम उ अभािशअम के ‘अिभयान साथीʼ के प म जोड़ना चािहए। यह हमारे िलए अ ी बात हो सकती है, ोिंक हम सोशल मीिडया के ज़ रए उनसे संपक कर सकते ह और इस तरह एक िबरादरी बनाना मुमिकन होगा िजसके ज़ रए हमारे आंदोलन के सािह को भी साझा िकया जा सकता है। अभािशअम की वेबसाईट पर मौजूद ऑनलाइन िवक के

  • ii

    अलावा मुिहम का ‘अिभयान साथीʼ बनने या बनाने के िलए एक ऑफ़लाइन फ़ॉम भी इस काययोजना के प रिश -तीन म िदया जा रहा है िजसको सद -संगठनो ं ारा िविभ भाषाओ ंम अनूिदत करके अपनी-अपनी ज़ रतो ंके अनुसार छापा जा सकता है। हमारे सामूिहक संघष के अ सांगठिनक सहयोिगयो ंके साथ मुिहम के इन ‘अिभयान सािथयों̓ को िवमश के एक मंच पर लाना होगा (जैसे फ़ेसबुक, ई- ु , ाट्स-ऐप आिद), जहां वे हमारे आंदोलन का सािह पढ़ सक और हमारी ज़मीनी कामो ंम शािमल भी हो सक। हर रा म हम सोशल मीिडया पर ऐसे संपक- यो ंकी पहचान करनी पड़ेगी, जो अपने काय े , अभािशअम और पूरे मु के बीच आपस म सूचना के आदान- दान और संवाद के िलए ज़ री कड़ी बन सक। अभािशअम की क ीय टीम ऐसे संपक- यो ं के साथ तालमेल बनाए रखेगी तािक गितशील िवमश को आगे बढ़ाने का मजबूत नेटवक थािपत िकया जा सके।

    (ग) अग से अ ूबर तक हर रा म रा - रीय तालीम के मु ो ंऔर अ खल-भारत रीय मु ो ंपर भी कि त एक िवराट रैली का आयोजन करना होगा। इसके पहले अवाम को आगे बढ़ाने के मकसद से उन तक प ंचने के िलए मुह ो,ं क ो,ं िजलो,ं िव िव ालयो,ं कॉलेजो ंऔर ू लो ंम परचे बाँट कर, ह ा र अिभयान कर, सेिमनार, थानीय सभाएं व रैिलयां आयोिजत कर बड़ी मुिहम छेड़नी होगी।

    (घ) 22 िसतंबर 2018 को पटना म 'भारत म िश ा का संकट – िवक की रणनीित' िवषय पर एक िदन का रा ीय सेिमनार आयोिजत िकया जाएगा। इसके ठीक बाद 23-24 िसतंबर को रा ीय कायका रणी की दो िदनो ं की बैठक बुलाई जाएगी िजसम रा / क -शािसत े ो ंम सलाह-मशिवरा पूरा होने और रा / क -शािसत े ो ंके र पर मुिहम को आगे बढ़ाने और जनांदोलनो ंका म वत जायज़ा िलया जाएगा और अगर ज़ री लगे तो शेष काययोजना म बदलाव पर भी िवचार िकया जाएगा। सेिमनार म बड़ी तादाद म लोगो ंको शािमल करना होगा। अभािशअम की रा ीय कायका रणी के सद ो ंको भी इस काय म म शािमल होने के िलए तैयारी कर लेनी चािहए।

    (च) नवंबर 2018 से हम सब को एक साथ फरवरी 2019 म िद ी म होने वाली ंकार रैली म लोगो ंको बड़ी तादाद म लामबंद करने की कोिशश म जुट जाना होगा। िनजी तौर पर भागीदारी के अलावा, लोग ंकार रैली म शािमल होने के िलए मशाल या ाएं भी आयोिजत कर सकते ह (िव ृत जानकारी के िलए कृपया काययोजना के खंड 5 से 8 को देख)। िद ी की

    ंकार रैली म ब त बड़ी तादाद म लोगो ंको शािमल करने की कोिशश करनी होगी, तािक सारा मु यह देख सके िक लोगो ंम तालीम से वंिचत िकए जाने और तालीम के मकसद और उसकी पा चया व िवषयव ु को िवकृत करने को लेकर िकतना गु ा है।

    (छ) नई िश ा नीित के द ावेजो ंके दहन-अिभयान के िलए ािवत समूची अविध के दौरान अ खल-भारत र पर या आंचिलक र पर िव ात शहीद, समाज-सुधारक और दूर- ाओ ंके ज और पु ितिथ मनाई जाएँ (िव ृत जानकारी के िलए कृपया काययोजना के खंड 7.3 और प रिश -चार व पांच देख)।

    (ज) आगामी चुनाव- चार के दौरान लोग यह मांग कर िक हरेक ाशी सावजिनक प से यह शपथ ले और अपने ह ा र के साथ बयान जारी करे िक अपनी हार या जीत – िकसी भी हाल म, चुनाव जीतने वाले दल पर आंदोलन की मांग मंगवाने के िलए जन-दबाव डालने की ितब ता का वह ऐलान करता/करती है। (बयान अभािशअम ारा तैयार िकया जाएगा, पर थानीय र पर इसे अनूिदत िकया और ज़ रत के अनुसार बदला भी जा सकेगा)। लोग तालीम के मु े पर उिचत त और आंकड़े इक े कर और इन पर खुली चचाएं आयोिजत कर, िजनम िसयासी नेताओ ंको भी शािमल होने को बुलाया जाए। इसके अलावा, िवधानसभा या लोकसभा चुनावो ं से पहले ही, हर िवधायक और सांसद को और हर मुख िसयासी पाट के नेताओ ंऔर मीिडया (इंटरनेट पोटल सिहत) को अपनी मांगो ंका ितवेदन देने के िलए हम तैयार हो जाएं। इसे हमारी वेबसाइट और सोशल मीिडया पर भी पो िकया जाए।

    (झ) काययोजना की कामयाबी के िलए ब त ज़ री है िक इसे ादा से ादा लोगो ंतक प ंचाया जाए। ज़ािहर है िक इसके िलए मु की तमाम ज़ुबानो ंम इसका तजुमा होना ज़ री है। अभािशअम की क ीय टीम ने इसका मूल अं ेजी से िह ी और उदू म अनुवाद का इंतज़ाम िकया है। हमारी सद -संगठनो ंव सहयोगी संगठनो ंऔर अ सभी लोगो ंसे अपे ा है िक वे अपनी-अपनी ज़ुबानो ंम अनुवाद की संभावनाएं ज़ र तलाश। अनुवाद करते ए हम सं ृ तिन भाषा से बचते ए आम बोली के क़रीब की सरल और सहज ज़ुबान का इ ेमाल करना चािहए। इसके बावजूद, जो श ावली आम चलन म आ चुकी है, अगर वह त म म या सं ृ त से भी हो, तो उसे यं वत नकारे नही ंया दरिकनार न कर।

    हम काययोजना िमलने की सूचना दीिजएगा और इसके अनुसार शु िकए गए कामो ंकी खबर भी समय-समय पर भेजते रिहएगा।

    मेहर इंजीिनयर िवकास गु ा लोकेश मालती काश (अ ) (संगठन सिचव) (कायालय सिचव)

  • iii

    अनु म

    . खंड पृ सं ा __________________________________________________________________________________________

    ावना . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 01

    1.0 एक िवहंगम ि . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 03

    2.0 नई िश ा नीित : कुछ बड़े खतरे . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 04

    2.1 तालीम का मकसद: इ ( ान) पर हमला . . . . . . . . . . . . . . . 06

    2.2 तालीम देने से इंकार और िन ासन . . . . . . . . . . . . . . . . . . 07

    2.3 बाल म . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 08

    2.4 उ िश ा: भिव की एक झलक . . . . . . . . . . . . . . . . . . 08

    3.0 जनांदोलनो ंकी िश ा-संबंधी मांग . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 09

    4.0 सांगठिनक प र े . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 12

    5.0 रा /क -शािसत े ो ंम सलाह-मशिवरा और आंदोलन खड़ा करना . . . . . . . . . . 13

    6.0 अवाम के बीच जाना और अवाम से सीखना – काययोजना का न ा बनाना . . . . . . . . . 16

    7.0 राजनीितक संदेश . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 17

    7.1 चुनावी ािशयो ंसे सवाल . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 17

    7.2 राजनीितक दलो,ं सांसदो ंव िवधायको ंको ापन . . . . . . . . . . . . . . . 18

    7.3 'नई िश ा नीित 2016' के मु द ावेजो ंका सावजिनक दहन . . . . . . . . . 18

    8.0 मशाल या ाएं, शहादत िदवस और ‘िद ी ंकारʼ रैली . . . . . . . . . . . . . . . 19

    9.0 काययोजना की समय-सा रणी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 20

    प रिश एक - मु ो ंऔर मांगो ंकी िव ृत सूची . . . . . . . . . . . . . . . 22

    प रिश दो - रा ो/ंक -शािसत े ो ंम सलाह-मशिवरे के िलए िदशासंकेत और सांगठिनक परेखा . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . 24

    प रिश तीन - ‘अिभयान साथीʼ सद ता फ़ॉम . . . . . . . . . . . . . . . 33

    प रिश चार - िश ा आंदोलन के िलए ऐितहािसक मह की तारीखो ंका सालाना कैले र 34

    प रिश पांच - 'नई िश ा नीित' के मु द ावेजो ंका सावजिनक दहन . . . . . . 35

    प रिश छह - अभािशअम का सलाहकार मंडल और पदािधकारीगण . . . . . . . . . 38

    ---------------------

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच 1 आंदोलन की काययोजना

    ावना जून 2009 म ‘आं देश सेव एजुकेशन कमेटीʼ (एपीएसईसी) ारा हैदराबाद के उ ािनया िव िव ालय कपस म आयोिजत 'िश ा का अिधकार और समान ू ल व था' िवषय पर रा ीय सेिमनार के दौरान ‘अ खल भारत िश ा अिधकार मंचʼ (अभािशअम)1 का गठन आ। आज यह 22 रा ो/ंक -शािसत े ो ं के 75 से ादा िव ाथ व और अ ापक-संगठनो ं और तालीम के हक के िलए लड़ते ए समूहो ंका संघीय मंच (फ़ेडरल ैटफ़ॉम) है। उ सेिमनार म ‘हैदराबाद घोषणाप ʼ पा रत िकया गया िजसम उस व रा सभा म िवचाराधीन िश ा अिधकार िवधेयक (2008) को वापस लेने और उसकी जगह संिवधान-स त पड़ोसी ू ल की अवधारणा पर आधा रत 'समान ू ल व था' (कॉमन ू ल िस म) के खाके म तैयार िकए गए िवधेयक को लाने की मांग की गई। घोषणाप म इस बात पर ान िदलाया गया था िक उ िवधेयक (क) रा को हर ब े को समतामूलक मु और अिनवाय तालीम देने की अपनी संवैधािनक जवाबदेही से प ा झाड़ने की इज़ाज़त देता है; (ख) रा ारा िव -पोिषत िवशाल सरकारी ू ल व था को कमज़ोर करते ए अंततः या ख कर देगा, िसवाय कुछ खास ेिणयो ं के मु ीभर अिभजात् सरकारी ू लो ं को छोड़कर; और (ग) ू ली तालीम के िनजीकरण और बाज़ारीकरण की र ार को तेज़ करता है िजसकी वजह कानून के दो मु ावधान ह। पहला, सरकारी ू लो ंके िलए घिटया र के भवन व साजो-सामान और अ ापक-संबंधी मानदंड िजनके चलते पालक िनजी ू लो ंको पसंद करते ह; और दूसरा, आिथक प से िपछड़े ब ो ंके िलए िनजी ू लो ंम 25% आर ण बतौर सावजिनक-िनजी साझेदारी (पीपीपी) के ज़ रए सावजिनक धन से फ़ीस ितपूित। बदिक ती से िपछले 8 सालो ंम िश ा अिधकार कानून के लागू होने पर ‘हैदराबाद घोषणाप ʼ की तीनो ंभिव वािणयां एकदम सही सािबत ई ह!

    अपने वजूद म आने से लेकर अब तक अभािशअम पूरी तरह रा ारा िव -पोिषत, ब भाषी संदभ म मादरी-ज़ुबान (मातृभाषा) के ज़ रए तालीम पर आधा रत और मु ‘केजी से पीजीʼ तक की ‘समान िश ा व था‘ के िलए लड़ाई लड़ रहा है, िजसम पड़ोसी

    ू लो ंकी अवधारणा के मुतािबक पूव- ाथिमक र से बारहवी ंक ा तक की ‘समान ू ल व था‘ (कॉमन ू ल िस म) भी शािमल है। इसम िवषमताओ ं को दूर कर िविवधताओ ंको शािमल करना होगा; इसके ज़ रए सामािजक ाय और बराबरी को बढ़ाना होगा; और इसका शासिनक ढांचा लोकतांि क, संघीय (फ़ेडरल) और जन-भागीदारी के संवैधािनक खाके पर आधा रत होगा। अभािशअम ने गैर-बराबरी, भेदभाव और सामािजक-सां ृ ितक, भाषायी और ‘मानक शरीरʼ के वच ो ंका िवरोध करने की कोिशश की है। लेिकन इन िवसंगितयो ं को आज की ब परती, लगातार बजट कटौती से तंगहाल, महंगी फीस लेनेवाली और लगातार िनजीकरण और बाज़ारीकरण की ओर धकेली जा रही तालीम व था और अिधक पु ा करती है और इसकी पा चया (करीकुलम) का खाका भी ान को खरीद-फ़रो के माल म बदलने के िलए बनाया गया है। इस िश ा व था म ा णवादी जाित- व था और िपतृस ा को मजबूत िकया जाता है। इसका खाका भारत के कम-से-कम 85% ब ो,ं िकशोरो ंऔर युवाओ ं(यानी, ब जनो)ं को िश ा से िन ािसत करने के िलए तैयार िकया गया है, िजनम दिलत, आिदवासी, अ िपछड़ा वग (ओबीसी) और मु म शािमल ह और इनम से हर तबके म मिहलाएं और िवकलांग तालीम के नज़ रए से मशः मद और ‘मानक शरीरʼ वालो ंसे ादा अलग-थलग और िन ािसत ह। इसके अलावा, यह खाका संवैधािनक िस ांतो ंव मू ो ंका उ ंघन करता है और आज़ादी की लड़ाई के दौरान चले सा ा वाद-िवरोधी और जाित-िवरोधी जुड़वां िवमश को ने नाबूद करता है।

    ‘केजी से पीजीʼ तक समान िश ा व था खड़ी करने और िनजीकरण और बाज़ारीकरण से ए नुकसान को पलटने के िलए अभािशअम ने लगातार संघष करते ए अपने सद , सहयोगी और साथी संगठनो ंके साथ िमलकर नीचे िलखे काय म आयोिजत िकए -

    फरवरी 2010 म संसद तक जुलूस िनकाला गया, िजसके अंत म संसद माग पर बड़ी जनसभा की गई जहां सािव ीबाई फुले को ‘समान ू ल व था‘ की अवधारणा का मूल सं थापक घोिषत िकया गया, िज ोनें अपनी क़रीबी सहयोगी फ़ाितमा शेख के साथ 1848 म महारा के पुणे म उ ीिड़त जाितयो ंके ब ो,ं खासतौर पर लड़िकयो ंके िलए ू ल खोले थे।

    जून-जुलाई 2012 म चे ई म 'तालीम के बाज़ारीकरण को ख करने और 'समान ू ल व था' को थािपत करने के िलए अ खल भारत महासभा का आयोजन (अभािशअम के साथ िमलकर 'रा - रीय समान ू ल व था मंच, तिमलनाडु',

    ारा आयोिजत)। वहां ‘चे ई घोषणाप , 2012ʼ पा रत आ िजसम रा ारा िव -पोिषत, ब -भाषी संदभ म मादरी-ज़ुबान के ज़ रए तालीम पर आधा रत और मु ‘पूव- ाथिमक से बारहवी ं̓ तक की ‘समान ू ल व था‘ का वैक क नज़ रया पेश िकया गया। यह िवक ऐसा था िजसम ‘केजी से पीजीʼ तक िनजीकरण और बाज़ारीकरण को कोई जगह नही ंदी गई। घोषणाप म इस वैक क नज़ रए को हािसल करने के िलए संघष की राह की परेखा भी पेश की गई।

    1All India Forum for Right to Education (AIFRTE).

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच 2 आंदोलन की काययोजना

    अ ूबर 2013 म संसद तक जुलूस िनकाला गया िजसके अंत म 'तालीम िबकाऊ नही ं है, यह हमारा हक है' नारे के साथ जन-संसद का आयोजन आ। ‘तालीम के बाज़ारीकरण और सां दाियकीकरण के खतरो ं के िवरोध म एकजुटʼ होने का आ ान िदया गया और यह तक रखा गया िक तालीम के बुिनयादी मकसद को नज़रअंदाज करती बाज़ार की गुलाम नवउदारवादी नीित के खाके को तबाह िकए बगैर तालीम के संवैधािनक हक का िमलना नामुमिकन है।

    नवंबर 2014 म एक साथ इंफ़ाल, भुवने र, क ाकुमारी, गोवा और ज ू से शु होकर भोपाल म िदसंबर 2014 म ख ई 'अ खल भारत िश ा संघष या ा - 2014'; इसम जाित- व था का िव ंस करने और सामािजक ाय को पु ा करने के िलए सरकारी खच से चलने वाली, ब -भाषी संदभ म मादरी-ज़ुबान के ज रए तालीम पर आधा रत, पूरी तरह ‘केजी से पीजीʼ तक मु ‘समान ू ल व था‘ को एक सश साधन के प म पेश िकया गया। यह घोिषत िकया गया िक तालीम की

    व था म न तो मुनाफ़ाखोरी, पीपीपी, िवदेशी िनवेश (एफ़डीआई) और तालीम को कारोबार का माल या बाज़ार के िलए कौशल म बदलने और न ही िफ़रकापर ी, मानस को िनयंि त करने या गुलाम बनाने की कोई गंुजाईश हो सकती है।

    उ िश ा को ापार का माल बनने से बचाने के िलए इसे िव ापार संगठन व गैट्स से बाहर रखने को लेकर भारत सरकार पर दबाव डालने के िलए 9 अग 2015 (‘भारत छोड़ोʼ आंदोलन िदवस) को सारे भारत म ‘िव ापार संगठन - तालीम छोड़ो, भारत छोड़ोʼ मुिहम की शु आत की गई; यह मुिहम अ ूबर 2015 के ऐितहािसक ‘ऑ ूपाई यूजीसीʼ (ʼयूजीसी घेरोʼ) आंदोलन का बीज बोने म मददगार रही, िजसकी प रक ना और नेतृ कई इंकलाबी छा संगठनो ं ारा की गई थी; िदसंबर 2015 म नई िद ी के जंतर-मंतर म अभािशअम के बुलावे पर आयोिजत 8 िदन के िशिवर के साथ यह मुिहम ख ई; इसम कई अ खल-भारत छा और अ ापक-संगठनो ंने अहम भूिमका िनभाई।

    शहीद रोिहत वेमुला की सां थािनक ह ा के संदभ म ‘तेलंगाना सेव ए ुकेशन कमेटीʼ ारा अभािशअम के सहयोग से फरवरी 2016 म हैदराबाद म “सामािजक िवषमताएं: िव िव ालयो ंम जाितगत और धािमक भेदभाव” िवषय पर एक रा ीय सेिमनार का आयोजन िकया गया।

    उ र देश रा सरकार से तनख़ाह, मानदेय और दीगर माली लाभ पाने वाले सब लोगो ंके िलए – मु मं ी और िवधायको ंसे लेकर आईएएस-आईपीएस अफसरो ंऔर चपरािसयो ंतक – अपने ब ो ंको सरकारी ारंिभक ू लो ंम भेजना लािजमी करने के इलाहाबाद उ ायालय के अग 2015 के ऐितहािसक फ़ैसले के प म जनमत तैयार करने के मकसद से अ ैल 2016 म इलाहाबाद म रा ीय स ेलन का आयोजन आ, तािक यह फ़ैसला अ सभी रा ो/ंक -शािसत े ो ंम भी ‘समान ू ल व थाʼ बनाने का मानक बन सके।

    िसतंबर 2016 म अभािशअम ने ‘नई िश ा नीित के मसौदे के िलए कुछ िवचार, मानव संसाधन िवकास मं ालय, भारत सरकार, जुलाई 2016ʼ शीषक के द ावेज पर िव ृत और सवागीण आलोचना भेजी, िजसम इस मसौदे को पूरी तरह खा रज करके इसकी जगह संिवधान-स त नीित की मांग की गई (वेबिलंक: www.aifrte.in/documents-of-AIFRTE)।

    अग 2017 म बंगलू म उ िश ा का िनजीकरण, बाज़ारीकरण और सां दाियकीकरण िकए जाने और आज़ादी के बाद से बड़ी िश त से बनाए गए पेशेवर सं थानो ं समेत भारत के मुख िश ा सं थानो ं को तबाह करने के िलए कॉलेज और िव िव ालय प रसरो ंम तेज़ी से बढ़ते ा णवादी-सह-फ़ािस हमलो ंका ितरोध करनेवाले छा संगठनो ंके अ खल भारत समागम का आयोजन।

    पूरे भारत म िजला- रीय और रा - रीय मुिहम और ितरोध-संघष और देशभर म छा ो ंऔर अ ापको ंके जीवंत आंदोलनो ंके बावजूद, नवउदारवाद के मौजूदा चरण म वैि क िव ीय पंूजी और ा णवादी ऊंच-नीच वाली जाित- व था के बीच का शमनाक गठबंधन और पु ा आ है। मौजूदा कूमत नीित-िनधारण और शासन के हरेक लोकतांि क सं थानो ंको सनकी ढंग से तबाह कर रही है। तालीम को महज िव ीय पंूजी की ज़ रत के मुतािबक ‘िन िदहाड़ी के कौशलʼ का िश ण देने और िन ासन का औजार बना िदया गया है। बराबरी और सामािजक ाय के संवैधािनक मू ो ंके उलट यह सोची-समझी ब -परती व भेदभाववाली व था खड़ी की गई है।

    1990 के दशक म नवउदारवादी तथाकिथत ‘सुधारʼ (यानी ‘िबगाड़‘) की नीितयो ंको लाने के बाद तालीम तेज़ी से बढ़ रहे िनजीकरण के िलए कदम-दर-कदम ज़मीन तैयार की जा रही है। भाजपा-नीत राजग के नेतृ म मौजूदा क सरकार नई िश ा नीित को लागू कर रही है िजसकी बुिनयाद म कॉरपोरेटीकरण, क ीकरण और िफ़रकापर ी ह, हालांिक बार-बार कोिशशो ं के बावजूद ऐसी िश ा नीित के िलए सरकार को संसद से अनुमित नही ंिमल पाई है। िश ा सं थानो ंके बंधन और आिथक ोतो ंको बदला जा रहा है तािक तालीम को मुनाफ़े का कारोबारी धंधा बनाया जा सके। सावजिनक-िनजी साझेदारी (पीपीपी) को आ ामक ढंग से लागू िकया जा रहा है; सरकारी खच से चलने वाले ू ल या तो बंद िकए जा रहे ह, उ एक-दूसरे म िवलयन (‘मज़रʼ) करके उनकी

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच 3 आंदोलन की काययोजना

    सं ा घटाई जा रही है या िफर अलग-अलग चरणो ंवाली तालीम के ू लो ंको जोड़कर एक बड़ा ू ल बनाया जा रहा है (मानव संसाधन िवकास मं ालय का ‘एक छत तले ू ली तालीम के सभी चरणʼ वाला ामक फ़रमान)। ू ली और उ िश ा दोनो ंके बजट आबंटन म बुरी तरह कटौती की जा रही है और फीस कई गुना बढ़ा दी गई ह। अपने खच से पढ़ाई वाले ‘ िव -पोिषतʼ कोस जबरन लागू िकए जा रहे ह। वजीफ़े और शोध अनुदानो ंको बंद करके उनकी जगह कज़ का इंतज़ाम िकया जा रहा है। िश ा सं थानो ं म लोकतांि क िवमश की गंुजाइश कम की जा रही है और रा सरकारो ं के संघीय (फ़ेडरल) संवैधािनक हको ं पर आ मण िकया जा रहा है। संघीय राजनीित के िस ांतो ंको खा रज करने की एक बेहद शोचनीय हािलया िमसाल मेिडकल कॉलेजो ंम एमबीबीएस और एमडी दोनो ंकी सरकारी सीटो ंके दा खले के िलए जबरन ‘नीटʼ (NEET) का अ खल भारत र की परी ा का थोपा जाना है। इस ि या म दो साल से भी पहले तिमलनाडु िवधानसभा म पा रत आपस म जुड़े दो कानूनो ं को क ारा दरिकनार िकया गया और इस तरह संिवधान म तालीम के समवत दज़ (क और रा की साझ़ा िज़ ेदारी) के िस ांत का खुलकर उ ंघन िकया गया।

    ऐसे माहौल म अभािशअम ने एक बार िफर समतामूलक गुणव ा की मु कामी िश ा के िलए 12 महीनो ंकी देश ापी लंबी लड़ाई (जून 2018 से मई 2019 तक) छेड़ने का िनणय िलया है ऐसी तालीम के िलए जो अवाम को पूरी तरह मु और िबना िकसी भी तरह के भेदभाव के िमल सके - चाहे उस भेदभाव की जड़ वग, जाित, िपतृस ा, मजहब, भाषा, अंचल, िवकलांगता या और िकसी भी तरह के ऐितहािसक भेदभाव म ो ं न हो ं - जो मौजूदा सामािजक व था को बदलकर लोकतांि क, धमिनरपे , समतामूलक, ायपूण, बु और मानवीय बना सके।

    अ ैल-मई 2019 म मु म नई लोकसभा के चुनाव होने जा रहे ह। हम सरकारी खच से चलने वाली सावजिनक तालीम म कटौती, िनजीकृत और बाज़ार बन रही मुनाफ़ाखोर तालीम म बढ़त और इ व तालीम के सामािजक प पर िफ़रकापर ,

    िति यावादी और ा णवादी हमलो ंके बारे म त और आंकड़े अवाम के पास ले जाने होगें। जब तक लोगो ंको लामबंद नही ंिकया जाएगा तब तक हम न तो मसलो ंका हल िनकाल पाएंगे और ना ही तालीम के अपने संवैधािनक मकसद को पूरा कर पाएंगे। इस मकसद से हम आम समाज म अवाम के अलग-अलग तबको ंम काम कर रहे जन-संगठनो ंऔर आंदोलनो ंसे सहयोग लेना होगा। ज़ािहर है िक एक मजबूत आंदोलन खड़ा करने म छा व अ ापक-संगठनो,ं िकसान-खेत मज़दूर व मछुआरो-ंकारीगरो ंके संगठनो ंऔर टेड यूिनयनो ंकी अहम भूिमका होगी। यह काययोजना इस समझ के साथ पेश की जा रही है तािक सभी सहयोगी-, सद -, और साथी संगठन अभािशअम के इस वैक क नज़ रए को अवाम तक ले जा सक, िजससे ऐसी िश ा के िलए देश ापी मांग खड़ी की जा सके जो आज़ादी की लड़ाई के सपनो ंऔर संिवधान के मुतािबक हो।

    1.0 एक िवहंगम ि

    वैि क पंूजीवाद के लगातार चल रहे संकट के इस ऐितहािसक मोड़ पर भारत की जनता को शासकवग, फ़ासीवादी तानाशाही कूमत की ओर धकेल रहा है। आज़ादी की लड़ाई की सा ा वाद-िवरोधी और जाित-िवरोधी जुड़वां िवरासत को बनाए रखने

    वाली िविभ लोकतांि क सं थाओ ंको (िजनम िवधाियका, ायपािलका और कायपािलका के अलावा कई नीित-िनधारक, िनगरानी रखनेवाली और िनयामक वैधािनक सं थाएं शािमल ह) और संवैधािनक मू ो ंको आ ामक ढंग से अंदर से खोखला िकया जा रहा है, िजसके चलते तालीम पर अ िधक बजर िगरा है। हाल के बरसो ंम समाज और अिधक लोकतांि क, धमिनरपे , समतामूलक,

    ायपूण, तकशील और बु बनने की बजाय बढ़ते म म गैर-लोकतांि क, गैर-बराबर, अ ायी, तकहीन, असिह ु, संकीण और क रपंथी बनता जा रहा है। यह इस बात से ज़ािहर होता है िक आिथक गैर-बराबरी शोचनीय प से बढ़ी है। हाल की एक रपोट म उजागर आ है िक सन् 2017 म उ रा ीय संपदा का 73% िह ा भारत की जनसं ा के 1% से कम लोगो ंने हड़प िलया है, िजसके चलते अवाम की ग़रीबी बढ़ी है। शोिषत और दरिकनार ब जन - आिदवासी, दिलत, अ िपछड़े वग और मु म, खासतौर पर इन सभी तबको ंकी मिहलाओ ंऔर िवकलांगो ं- को जीने की बुिनयादी ज़ रतो ंसे वंिचत कर िदया गया है, िजसम रोज़गार या जीिवका, घर, िश ा, पोषण, सेहत और सबसे ऊपर स ानजनक जीवन शािमल ह।

    समकालीन समाज म तीन बड़ी ताकत ह - संपि , स ा और ान। समाज म संपि और स ा का पूरी तौर पर िवषमतामूलक बंटवारा है और बढ़ते म म इ पर इनका हमला बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से नीचे के तबको ंका समाज म ऊपर उठना तक़रीबन नामुमिकन होता जा रहा है। बेशक, हम एक और आज़ादी की लड़ाई की ज़ रत है, तािक सा ा वाद-िवरोधी और जाित-िवरोधी िपछली आज़ादी की लड़ाई की आकां ाएं और सपने नए िसरे से हािसल िकए जा सक।

    आज़ादी के बाद भारत ने संिवधान म िति त ि के साथ शु आत की थी। संिवधान की ावना म कुछ स तामूलक मू ो ंपर पुरज़ोर तरीके से बात रखी गई थी। िजसम भारत की जनता को लोकतं , समाजवाद, ाय और धमिनरपे ता के िलए ितब िकया गया। संिवधान के चौथे भाग यानी ‘रा के नीित-िनदशक त ों̓ म समतामूलक समाज के ल का वायदा है िजसको हािसल

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच 4 आंदोलन की काययोजना

    करने के िलए संिवधान के तीसरे भाग म बुिनयादी हको ंऔर तं ताओ ं की गारंटी दी गई है। दरअसल, संिवधान ने राजस ा पर यह जवाबदेही सौपंी थी िक वह शांितपूण बदलाव की एजसी की तरह काम करे। इस वजह से आमजनो ंके लोकतांि क संघष के माफ़त जनप ी सामािजक-राजनीितक और आिथक प र थितयां उभर सकगी िजसके चलते समाज को िव फ़ोटक टूटन से बचाया जा सकेगा। इससे लोगो ंकी अपे ाएं बढ़ गई थी ंलेिकन नवउदारवादी मॉडल ने राजस ा को वैि क पंूजी और आ ामक, आ -कि त, मुनाफ़ाखोर बाज़ारी ताकतो ंका दलाल बना डाला।

    नवउदारवादी ‘सुधारों̓ (सही तौर पर 'िबगाड़' कहना चािहए) ने भारतीय समाज म वैि क पंूजी व बाज़ार को बेलगाम अिधकािधक घुसपैठ करने की इज़ाजत दे दी, िजससे संवैधािनक िस ांत और मू औधें मंुह िगर पड़े। बराबरी और सामािजक ाय के सरोकारो ं से धीरे-धीरे प ा झाड़ िलया है और साथ-साथ िडिजटल तकनीक के बलबूते ‘रोज़गार-िवहीन आिथक वृ ʼ के वै ीकरण के महामं ने शासक वग के मानस को मं मु करते ए गुलाम बना डाला है। यह वही िवकास का पंूजीवादी मॉडल है िजसे नोबेल पुर ृ त अथशा ी जोसेफ़ ज़ ने ‘ ू र और जड़-िवहीनʼ कहा है। मौजूदा स ाधा रयो ंकी नज़र म लोकतांि क बदलाव की सं ृ ित और जनांदोलन उनके िवनाशकारी और तबाही मचाने वाले जन-िवरोधी और रा -िवरोधी आिथक िवकास के मॉडल थोपने के रा े म ज़बद अवरोध ह। इसी वजह से संिवधान िनमाताओ ं ारा बनाया गया लोकतांि क ढांचा चरमराने लगा है। एक ओर, वै ीकरण के िमथक या सही कहा जाए तो, सा ा वाद की गहरी घुसपैठ और दूसरी ओर, सामािजक संबंधो ंम सां दाियकता व रा ीय सरोकारो ंम संकीणता व क रपंथ की बढ़त म सीधा और चौकंाने वाला संबंध देखा जा सकता है। इस खतरनाक तालमेल ने िहंदु वादी-फ़ासीवादी ताकतो ंके आ ामक कूच के िलए उवरक ज़मीन तैयार की है। 1960 के दशक के आ खरी सालो ं म अम रकी भाषािवद् और दाशिनक नोअम चॉ ी ने फ़ासीवादी कूमतो ं के उभरने व फैलने और उनके 'वािशंगटन' संबंधो ं के खतरो ं के ित चेतावनी दी थी। सा ा वाद ने हमारे रा ीय जीवन को कई जगह चोट प ंचाई है लेिकन तालीम के मामले म यह चोट सबसे ादा खतरनाक और हैरत म डालने वाली है। तालीम पर िहंदु वादी-फ़ासीवादी और वैि क िव ीय पंूजी की जुड़वा ताकतो ंके संगिठत हमलो ंकी वजह से भारत म लोकतांि क िश ा का भिव खतरे म है।

    भारत म लोकतं को लकवा मार गया है, चंूिक कमोबेश सभी िसयासी पािटयां एक ही शोषक पंूजीवादी िवकास के मॉडल के सहारे स ा-संघष म उलझी ई ह। अगर वैक क ि यो ंपर चचा, बहस और योगो ंके िलए गंुजाइश नही ंबची है तो लोकतं न तो िज़ंदा रह पाएगा और ना ही िटक पाएगा। सामािजक आंदोलनो ंकी यह िज़ ेदारी है िक वे लोकतांि क ि को िटकाएं रख और बदलाव के िलए जनमानस को लामबंद करते रह। यिद ये आंदोलन न हो,ं तो िढ़वादी, संकीणपंथी और िति यावादी ताकत लोकतांि क ज़मीन पर क ा कर लगी और नफ़रत, भेदभाव और िवभाजनकारी राजनीित के सहारे फलती-फूलती रहगी िजसके चलते सारी राजनीितक ि या मृत ाय सां ृ ितक गिलयारो ंम उलझकर रह जाएगी।

    चंूिक सामािजक अ के िलए सं ृ ित ज़ री है, इसिलए सं ृ ित के मानव चेतना बनने के सवाल पर छा और अ ापक-संगठनो ं ारा सुलगाई गई जारी जीवंत बहस को अवाम तक ले जाना ही होगा। सामािजक आंदोलन, लोकतांि क चेतना म गहराई लाते ह और उन मू ो ंको िति त करते ह जो समाज को मानवता की ऊंचाइयो ंऔर बेहतर भिव म ढ़ आ था तक ले जाते ह। औपचा रक िश ा और चेतना के उ ान, दोनो ंही प म तालीम से हम अपने सामािजक अ को आलोचना क नज़ रए से परखने के बेहतर मौके िमलते ह। समाज म तालीम के मकसद को कैसे समझा जाता है, यह इसी पर यह िनभर करता है िक तालीम हम मू ो ंके वच म उलझा देगी या साथ ही हम सबको एक पी बना देगी या िफर हम मु की राह पर ले जाएगी।

    अगर सही व पर सही सवाल न उठाए जाएं व उिचत आंदोलन न खड़े िकए जाएं तो शोिषत और उ ीिड़त करोड़ो ंआमजनो ंको भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। चंूिक हम िश ा के आंदोलन म लोकतांि क मू ो,ं बराबरी और सामािजक ाय के िलए ितब ह, इसिलए हम एक नई िदशा की राह तलाशनी होगी और इसी ि या म अपने अ की गहराइयो ंका अहसास भी करना होगा।

    2.0 नई िश ा नीित : कुछ बड़े खतरे

    तक़रीबन 3 साल से बन रही नई िश ा नीित, 2016, को न तो िकसी औपचा रक सावजिनक नीितगत के द ावेज बतौर जारी िकया गया है और न ही इसे संसद म ीकृित के िलए पेश िकया गया है। यह इन िन ांिकत पो ंम ही िदखी है: (क) सु न सिमित रपोट, अ ैल 2016 - अजीब बात है िक इसको सरकार ने न तो ीकारा है और न ही खा रज िकया है; (ख) मानव संसाधन िवकास मं ालय (एमएचआरडी) की वेबसाइट पर 'इनपुट्स' (कुछ िवचार) वाला द ावेज, जून 2016 िजसम लोगो ंकी राय मांगी गई लेिकन उसके बाद से मं ालय ने अजीबोगरीब चु ी साध ली है; और (ग) डॉ. क ूरीरंगन सिमित की घोषणा: लगता है यह भी िचरिन ा म चली गई है, शायद इसिलए ोिंक धानमं ी की अ ता वाला नीित आयोग 'तालीम और कौशल िवकास' का 3 वष का एजडा जारी कर चुका है (दे खए - India: Three-Year Action Agenda - 2017-18 to 2019-20, August 2017, pp. 135-143)।

  • अ खल भारत िश ा अिधकार मंच 5 आंदोलन की काययोजना

    इसके बावजूद सरकारी खच से चल रही िश ा- व था को बदनाम कर और उसे ख करके तालीम का और ादा िनजीकरण और बाज़ारीकरण करने की र ार बढ़ाने की नीित को, संसद की ीकृित के िबना ही बड़ी तेज़ी से लागू िकया जा रहा है। लोकतांि क तरीके से मसौदे को ीकृत करवाकर अवाम से ब होने से डरती राजग-2 की सरकार ने उिचत नीित की जगह अपनी मनमज से समय-समय पर मानव संसाधन िवकास मं ालय और इससे जुड़े यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई, भारतीय आयुिव ान प रषद, एनएएसी और क ीय िश ा सलाहकार बोड (केब) जैसे संवैधािनक सं थानो ंऔर रा ो/ंक -शािसत े ो ंम इनके ित पो ंके ज रए सूचनाएं/ िनदश/आदेश जारी िकए ह।

    हर मु मं ी छा ो ंऔर अ ापको ंके िलए एक जैसे 'तोहफ़े' और 'पुर ार' या 'सजा' की घोषणा कर अपनी तदथ नीितयो ंपर मुहर लगाता/लगाती है। जनवरी 2018 म महारा सरकार ने 80,000 ू ल बंद करके उनकी जगह मंडल/तालुका र पर 'अंतरा ीय ू ल' लाने की घोषणा की। जनता के िवरोध के बावजूद पहली िक म 1300 ू लो ंको बंद िकया जाना जारी है।

    जनवरी 2018 म उ र देश सरकार ने आदेश जारी िकया िक 5000 िह ी-मा म ू लो ंको बदल कर 5000 अं ेज़ी मा म ू ल बनाए जाएंगे। ज़ािहर है िक ब ो ंको अ ी अं ेज़ी िसखाना इसका मकसद नही ंहै, ोिंक अगर ऐसा होता तो भाषािव ान

    और िश ा के सवमा िस ांतो ं के मुतािबक सरकार ने ू ली तालीम की सवागीण बेहतरी की कोिशश की होती, िजससे ब े िह ी मा म से पढ़ते ए न केवल बेहतर अं ेज़ी सीख लेते, ब वे अ िवषयो ंम भी बेहतर ान पा लेते। तो आ खर मकसद

    ा है? सरकार के नवउदारवादी एजडे को ान म रख तो समझ म आता है िक असली मकसद ब ो ंको ू ल से िनकाल बाहर करना है; ोिंक अं ेज़ी मा म से बड़ी तादाद म ब े न तो अं ेज़ी और न ही दूसरे और िवषय (गिणत, िव ान, नाग रक-शा ) सीख पाएंगे और वे ू ल छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। सरकार यही चाहती है िक वह ू लो ं म ब ो ं की घटती सं ा के (‘तकसंगितकरणʼ के बहाने) नाम पर ू लो ंको बंद करना शु कर सके, जैसा िक दूसरे रा ो ंम िकया गया है।

    जनवरी 2018 की शु आत म म देश के मु मं ी (आरएसएस की अ खल भारतीय िव ाथ प रषद के भूतपूव रा ीय अ ) ने सरकारी अ ापको ंके िलए 'पि मी' शैली की यूिनफ़ाम तय की, जो मद और औरत दोनो ंके िलए थी, िजस पर 'रा िनमाता' का िब ा भी लगा होगा! िवडंबना यह है िक इसके साथ ही उसकी सरकार उिचत तादाद म क ाएं, पीने का पानी, शौचालय, िबजली और कं ूटर उपल नही ंकरवाती, सालो ंसे खाली पड़े दसो ंहजारो ंज़ री अ ापक-पदो ंकी भत नही ंकरवाती और यहां तक िक अपया सुिवधाओ ंम काम कर रहे अ ापको ंको क ा से बाहर रखने के िलए उ गैर-शै िणक/गैर-अकादिमक काम पर लगाती रहती है। यह कोई अचरज की बात नही ंहै िक 32 रा ो/ंक -शािसत े ो ंम रा ीय शै िणक र सूचकांक म म देश का नाम नीचे से तीसरे नंबर पर आता है।

    अ ैल 2018 म ग़रीबो ंके िलए कम खच से चलने लायक घिटया दज़ के ू लो ंकी िहमायत करने वाले रा ीय तं ू ल संघ (एनईएसए), ने िश ा अिधकार कानून म तय ू ल म लािज़म ूनतम मानदंडो ंके खलाफ़ िद ी म एक रैली की थी। दरअसल रा ीय तं ू ल संघ, सटर फॉर िसिवल सोसायटी (सीसीएस) ारा उभारा गया संगठन है, जो वाउचर ू ल (िनयत अविध की पढ़ाई के िलए सरकार ारा िनजी ू लो ंकी फ़ीस भरपाई की गारंटी का सिटिफकेट) के णेता ‘अथशा के िशकागो ू ल (गुट)‘ के िदवंगत िम न ीडमैन के समथको ंके पैसे से चल रहा पूरी तरह से नवउदारवादी एनजीओ (गैरसरकारी सं थान) है। तक़रीबन 4 साल पहले सटर फॉर िसिवल सोसायटी ारा वाउचर ू लो ंपर िद ी के इंिडया हे रटेज सटर म आयोिजत एक सभा के बाहर अभािशअम ने िवरोध दशन िकया था। बेशक सीसीएस-एनईएसए जैसे एनजीओ एक ओर तो सरकारी ू ल व था को तबाह और ख करके िश ा अिधकार कानून से बनी ज़मीन का इ ेमाल कर रहे ह, और दूसरी ओर वे कानून के खंड 12(1)(सी) का लाभ उठाते ए िनजीकरण और बाज़ारीकरण को बढ़ावा दे रहे ह।

    इस सारी ग़फलत के बीच मानव संसाधन िवकास मं ी काश जावड़ेकर ने घोषणा की िक सरकार, ू ली तालीम के सभी चरणो ंको 'केजी से बारहवी ंतक' एक ही छत तले लाने का मह पूण कदम उठाने जा रही है तािक ू ली तालीम म िकसी अगले चरण के िलए िकसी को मारा-मारा न िफरना पड़े। म म-वग ने इस घोषणा पर ज़ र ज मनाया होगा। लेिकन असली एजडा का खुलासा तब आ जब असम सरकार ने ाथिमक और उ ाथिमक ू लो ंको बंद करना शु िकया, ोिंक उनको सेकंडरी ू लो ंके साथ जोड़ कर एक जगह लाना था! इनम से अिधकतर ू ल नवउदारवाद के िनजीकरण एजडे के सामने आने के पहले से ही सरकारी खच से बने अ े र के भवनो ंम चलाए जा रहे थे। मई 2018 म असम के अखबारो ंम यह खबर छपी िक ू लो ंको साथ जोड़ने की नीित की वजह से 25,000 अ ापको ंको नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा!

    मानव संसाधन िवकास मं ी ने यह भी घोषणा की िक कुछ कॉलेज-िव िव ालयो ं को ेडेड ( ेणीकृत) ाय ता दी जाएगी (एनएएसी ारा आकलन, िजनम िनजी े के एनएएसी भी शािमल ह) तािक वे अपने-आप तय िकए कोस और पा चया चला सक। पर इसके िलए उ खुद बाज़ार से पैसा बटोरना पड़ेगा। इसका मकसद ा है? ज़ािहर है िक सरकार यह कह रही है िक

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    राजस ा आपके कोस और पा चया पर िनयं ण नही ंरखेगी, ब बाज़ार (िजसम अंतरा ीय कॉरपोरेट घराने शािमल ह) तय करेगा िक आप ा पढ़ाएंगे और ा नही ंपढ़ाएंगे! अ ापक संघो ंने नवउदारवादी एजडे को ताड़ िलया और वे इस मांग के साथ सड़को ंपर उतर आए िक हम पूरी ाय ता दी जाए और आज़ादी के समय से िव िव ालयो ंको दी जा रही आिथक मदद जारी रहे।

    रा ीय िश ा नीित, 2016 की तीन मूल खािसयतो ं को यथा, तालीम का कॉरपोरेटीकरण, क ीकरण और सां दाियकीकरण को ापक तौरपर समझ िलया गया है। इस नीित के मम म तालीम का बेरोकटोक कॉरपोरेटीकरण है। क ीकरण से 'एकल खड़की

    (िसंगल िवंडो)' का वह रणनीितक औजार बनता है, जो वैि क बाज़ार के हाथ म तालीम थमा देने वाले िव बक और िव ापार संगठन (ड ूटीओ)-गैटस् के से बने एजडे के िलए ज़ री है, हालांिक इससे रा के िहतो ंका कभी भी भरपाई न िकया जा सकने वाला नुकसान होगा।

    तालीम म सां दाियकता लाना ब त ही तबाही मचाने वाला, भड़काऊ और गैर-संवैधािनक एजडा है िजसका तालीम के कॉरपोरेटीकरण और क ीकरण के गैर-संवैधािनक मकसद के साथ गहरा तालमेल है। तालीम म 'धंधे की आसानी' (ईज ऑफ़ िबज़नेस) को बढ़ाने और तेज़ करने की वजह से ही छा और अ ापक-संगठनो ंके बढ़ते ितरोध को बेइंतहा दमन का िशकार होना पड़ रहा है और यहां तक िक उ देश ोही कह कर उन पर राज ोह का आरोप भी लगाया जा रहा है! आज़ादी के बाद के हमारे इितहास म असहमित के िलए लोकतांि क गंुजाइश अभूतपूव र ार से िसकुड़ती जा रही है।

    यहां एक ीकरण ज़ री है। मौजूदा कूमत ने 'गौ-र क' भीड़तं के ह ारो ंऔर 'लव-िजहाद' सेनाओ ंके तांडवो ंवाले ान भटकाने वाली लेिकन गंभीर प से गैर-लोकतांि क, भूिमका अपनाई ई है ही, पर इसके अलावा उसका िहंदु वाद को आगे बढ़ाना संिवधान की आ ा पर सीधा हमला है, ोिंक वे ब सं कवादी िहंदू रा बनाना चाहते ह, जो नाग रको ंके बीच मजहब के आधार पर भेदभाव पर िटका आ होगा और वे जाित-आधा रत मनु ृित का बेधड़क समथन करते ह और इसे सामािजक र ो-रवाज़ के नाम पर आगे बढ़ा रहे ह। इससे आज़ादी की लड़ाई के दौरान िवकिसत तकशीलता, वै ािनक सोच और लोकतांि क हको ंपर आधा रत सं भु और आधुिनक गणतं से हटकर ठीक उलटी ओर जाने का संकेत िमलता है।

    तालीम के दायरे म िह दू रा के ोजे पर चलने से िन ांिकत बात मजबूत ई ह और संकट की हद पार कर गई ह - (क) कामगार वग म िफ़रकापर ी और जाित के आधार पर टुकड़े हो गए ह, िजससे नवउदारवाद के खलाफ संघष कमजोर पड़ गए ह; और (ख) तकहीनता, क रता, िमथको ंम आ था और गैर-वै ािनक सोच के माहौल को बढ़ावा िमला है। बेटे का िसर काट कर उसकी जगह हाथी का िसर रखने से, धानमं ी िशव को दुिनया का पहला ा क सजन बताते ह और अब उ र देश का मानव संसाधन िवकास मं ी कहता है िक सीता दुिनया की पहली टे - ूब बेबी थी - समझ म नही ंआता है िक ये लोग कैसे िश ा नीित तय कर सकते ह! इसके अलावा अब यूिनविसटी री े शर और ओ रएंटेशन कोस का िह दू रा की राजनीित को आगे बढ़ाने के िलए खुलकर इ ेमाल िकया जा रहा है।

    तेज़ी से बढ़ती जा रही एक और बात यह है िक िह दू रा की ताकत, खासकर उनके छा (एबीवीपी) और संघ-प रवार से जुड़े दूसरे संगठन उनकी िवचारधारा और िश ा नीितयो ंपर सवाल उठाने वाले और उसका िवरोध करने वाले छा ो ंऔर अ ापको ंपर हमला करते ह (गाली-गलौज, सोशल मीिडया पर नफ़रत भरे बयान और पो ्स और यहां तक िक मारपीट की धमिकयां भी)। नरे दाभोलकर, कामरेड गोिवंद पानसरे, ो. कलबुग और प कार-समाजकम गौरी लंकेश की जघ ह ाएं यह िदखलाती ह िक मौजूदा कूमत के समथन से ये िति यावादी ताकत िकस हद तक नीचे िगर सकती ह। इसिलए काययोजना का खाका बनाते ए, अभािशअम को िह दू रा की िवनाशकारी िसयासत और िवचारधारा के खलाफ ितरोध खड़ा करने के सवाल से भी जूझना होगा।

    अब हम कुछ चुिनंदा मु ो ंपर ान िदलाएंगे, िजनसे यह पता चलता है िक वैि क िव ीय पंूजी और उनकी ताकतवर एजिसयो ंके बजाने के िलए रा ीय िश ा नीित, 2016/2018 ा- ा करना चाहती है (खंड 3.0 म 'जनांदोलनो ंकी िश ा-संबंधी मांग' के

    संदभ म कई और मु े हो जाएंगे)।

    2.1 तालीम का मकसद: इ ( ान) पर हमला

    वैि क पंूजी के नवउदारवादी प म यह माना जाता है िक तालीम के मसले इस ऊंचे आदश से तय नही ंहोते िक सामािजक िवकास और इ ( ान) पैदा करना हर इंसान का बुिनयादी हक है, ब मुनाफ़ाखोरी की हैवािनयत ही इन मसलो ंको तय करती है। यह तालीम को महज खपत की जाने वाली िजंस बना देता है, िजसका रा के अंदर या अंतरा ीय र पर अंतहीन मुनाफ़ाखोरी के िलए इ ेमाल िकया जा सके। आजकल जो खुले बाज़ार की पंूजीदारी चल रही है, नवउदारवाद उसका गुटका है, जो िकसी भी और तरह के ह ेप को नकारता है, चाहे वह इंसािनयत के नाम पर या राजस ा का 'कम से कम' ह ेप ो ंन हो। इससे भी

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    ादा गौरतलब यह है िक इ , तालीम और इसकी पा चया की अवधारणा और कृित तक को करने के िलए नवउदारवाद ने ब आयामी ान-मीमांसा क हमला िकया आ है।

    म के सामािजक इ ेमाल से इ पैदा होता है। कॉरपोरेटीकरण ने अवाम के िलए तालीम को महज कािबिलयतो ं(कौशलो)ं म समेट िदया है, जैसा िक ' ल इंिडया' िमशन से ज़ािहर है। तालीम के िलए िनजी तौर से लगाया गया भारी खच, पढ़ाए जाने वाले उन िवषयो ं की उपल ता और भाव को कम कर देता है, जो 'बाज़ार' की मांग से नही ं जुड़े ह। इसकी वजह से इ की प रवतनकामी ताकत को हािसल करने के िलए ज़ री आलोचना क-सोच, सामािजक सरोकार, ऐितहािसक चेतना, वै ािनक मानस और लोकतांि क नाग रकता से हट कर पा म का फोकस 'टीमवक (टीम के साथ काम करना)', 'क ुिनकेशन (लोगो ंतक बाज़ार के संदेश प ंचाना)', और 'लीडरिशप' जैसे कौशलो ं( ) म िसमट गया है।

    रा ीय िश ा नीित 2016/2018 की समूची श ावली कौशल ( ल) हािसल करने के खाके म तैयार की गई है। 'कािबिलयत, ‘उ ादकता' और 'नतीजे' ऐसे मापदंड ह, िजनका आकलन िकया जाएगा, उ मापा जाएगा, ेड ( ेिणयां) िदया जाएगा और उ बाज़ार के िलए पु ा िकया जाएगा। तालीम का मकसद कामगार की फौज़ की बढ़त के िलए 'मानव संसाधन' तैयार करने तक सीिमत कर िदया गया है, िजसकी मांग और आपूित की घट-बढ़ की ज़ रत के मुतािबक बाज़ार म आमद होगी।

    िश ा पर हो रहे इस ानमीमंास क हमले के खतरे को पहचानना ो ंज़ री है? जो पढ़ाया गया उसे िबना सोचे-समझे सही मान लेना और गुलाम मानिसकता को पा चया के ज रए बढ़ाया जा रहा है जहां आलोचना क तकशीलता या गंभीर जांच-पड़ताल के बाद सच तक प ंचने या इ के वैक क तौर-तरीको ंकी खोज के िलए कोई गंुजाइश नही ंबची (बाज़ारमुखी कॉरपोरेटी और

    ा णवादी दोनो ं तरह की मानिसकता के साथ यह मेल खाता है। बहरहाल, ऐसा होता है िक तर