इकाई-1 भारतीय श ासन का...

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भारत म लोक शासन BAPA-102 उराख ड मु िविवालय 1 इकाई-1 भारतीय शासन का िवकास इकाई क स रचना 1.1 तावना 1.2 उेय 1.3 भारतीय शासन िवकास 1.3.1 मौय शासन 1.3.2 मुगल शासन 1.3.3 ििटश शासन 1.4 सारा 1.5 शदावली 1.6 अयास के उर 1.7 सदभ थ सूची 1.8 सहायक/उपयोगी पाठ्य सामी 1.9 िनब धामक 1.1 तावना यिप लोक शासन एक अययन के िवषय के प म नवीन िवषय है , िजसका जम 1887 वुडरो िवसन क राजनीित-शासन ैतभाव क िवचारधारा के ितपादन के परणामवप हआ, तथािप लोक शासन एक काय या िया के प म सयता के अितव के साथ ही िदखाई देता है। जब से सयता का अितव है , तब से मानव के िवकास हेतु िनर तर स गिठत यास होते रहे और सयता के अितव के साथ ही शासन का अितव भी देखने को िमलता है भारतीय परवेश म भी शासन का िवकास ाचीन काल से ही देखा जा सकता है । हड़पा सयता से लेकर आज तक भारतीय शासन अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरा है। भारतीय शासन अपने वतमान प म िवरासत और िनर तरता का परणाम है , िजसके िवकास क किड़या िकसी न िकसी प म अतीत से जुड़ी हई है। हाला िक वतमान भारतीय शासन णाली मूल प से ििटश काल क देन मानी जाती है। 1.2 उेय इस इकाई का अययन करने के उपरात आप- भारतीय शासन के िवकास िया को जान सकगे। मौयकाल म भारतीय शासन के िवकास िया को जान सकगे। मुगलकाल म भारतीय शासन के िवकास िया को जान सकगे। ििटश शासन म भारतीय शासन के िवकास िया को जान सकगे।

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  • भारत म� लोक �शासन BAPA-102

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 1

    इकाई-1 भारतीय �शासन का िवकास इकाई क� संरचना

    1.1 ��तावना 1.2 उ��े य 1.3 भारतीय �शासन िवकास

    1.3.1 मौय� �शासन 1.3.2 मगुल �शासन 1.3.3 ि!िटश �शासन 1.4 सारांश 1.5 श#दावली 1.6 अ&यास �'( के उ�र 1.7 स)दभ� *)थ सचूी 1.8 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम*ी 1.9 िनबंधा2मक �' 1.1 ��तावना

    य�िप लोक �शासन एक अ4ययन के िवषय के 6प म7 नवीन िवषय ह,ै िजसका ज)म 1887 म7 वडुरो िव;सन क< राजनीित-�शासन =तैभाव क< िवचारधारा के �ितपादन के प?रणाम�व6प हAआ, तथािप लोक �शासन एक काय� या �िCया के 6प म7 स&यता के अि�त2व के साथ ही िदखाई दतेा ह।ै जब से स&यता का अि�त2व ह,ै तब से मानव के िवकास हते ुिनरंतर संगिठत �यास होते रह ेऔर स&यता के अि�त2व के साथ ही �शासन का अि�त2व भी देखने को िमलता ह।ै भारतीय प?रवशे म7 भी �शासन का िवकास �ाचीन काल स ेही दखेा जा सकता ह।ै हड़Gपा स&यता से लेकर आज तक भारतीय �शासन अनेक उतार-चढ़ाव( से गजुरा ह।ै भारतीय �शासन अपने वत�मान 6प म7 िवरासत और िनरंतरता का प?रणाम ह,ै िजसके िवकास क< किड़यां िकसी न िकसी 6प म7 अतीत से जड़ुी हAई ह।ै हालांिक वत�मान भारतीय शासन �णाली मलू 6प से ि!िटश काल क< दने मानी जाती ह।ै

    1.2 उ�े�य

    इस इकाई का अ4ययन करने के उपरा) त आप-

    • भारतीय �शासन के िवकास �िCया को जान सक7 ग।े • मौय�काल म7 भारतीय �शासन के िवकास �िCया को जान सक7 ग।े • मगुलकाल म7 भारतीय �शासन के िवकास �िCया को जान सक7 ग।े • ि!िटश शासन म7 भारतीय �शासन के िवकास �िCया को जान सक7 ग।े

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    1.3 भारतीय �शासन िवकास

    वी. स!ुKLयम के अनुसार वत�मान �शासिनक �िCया का िसलिसला सिदय( तक िवचार( का रहा, न िक सं�थाओ ंका। सं�थागत िसलिसला अ*ंेज( के शासनकाल क< दने ह।ै भारतीय �शासन के िवकास म7 मौय�काल, मगुलकाल तथा ि!िटशकाल का मह2वपणू� योगदान रहा ह।ै 1.3.1 मौय� �शासन

    मौय� �शासन, भारतीय इितहास म7 िदलच�पी का िवषय ह।ै मौय� �शासन का अ4ययन पवू�वतN �िCयाओ ंके प?र�ेOय म7 ही िकया जा सकता ह,ै अथा�त इसक< ि�थित विैदक कबायली संरचना और सामांतवादी यगु के बीच क< ह।ै मौय�काल म7 भारत ने पहली बार राजनीितक एकता �ाQ क< तथा एक िवशाल साRाSय पर मौय� शासक( ने शासन िकया। इस िवशाल साRाSय क< �शासिनक Tयव�था पर �काश डालने वाले अनेक ऐितहािसक Vोत उपल#ध हW। कौिट;य का अथ�शाX, मगे�थनीज क< इिंडका, अशोक के िशलालेख व अनेक यनूानी रचनाओ ंसे मौय� शासन �णाली के िवषय म7 मह2वपूण� जानकारी �ाQ होती ह।ै चंYगQु मौय� =ारा अपने ग6ु और �धानमZंी चाण[य क< सहायता से िजस शासन �णाली का �ारंभ िकया गया, उसके अनेक त2व वत�मान �शासन म7 भी \ि]गोचर होते हW। मौय� �शासन के दौरान िन^नांिकत बात( पर िवशषे 4यान िदये जाने क< आव�यकता ह।ै पहला- यह एक अित के)Yीकृत �शासन था, िजसक< पहAचँ नाग?रक जीवन के सभी aेZ( म7 थी। इसक< िचंता बाजार-Tयव�था के िनयंZण से लेकर नाग?रक जीवन म7 नैितक म;ूय( क< सरुaा तक थी। दसूरा- यह एक नौकरशाही पर आधा?रत �शासन था, िजसम7 सबल एव ं िनब�ल दोन( पa थे। तीसरा- व�ततुः मौय� �शासन कोई नवीन �शासन नहc था वरन ्नंद शासक( क< पdित का ही एक िवकिसत 6प था अथा�त ्के)Yीकरण क< �िCया नंद शासक( के समय ही श6ु हो गई थी। 1. के��ीय �शासन- मौय� साRाSय का �व6प राजतंZा2मक था। अतः शासन का �धान राजा

    होता था। राजपद एक मह2वपणू� पद होगया और इस पद क< शि� एव ंअिधकार बढ़ गए। राजा, राSय का �मखु होता था। िजसके पास काय�पािलका, िवधाियका, )यायपािलका के अिधकार( के साथ िव�ीय शि�यां भी थी। राजा क< खशुी �जा क< खशुी पर िनभ�र करती थी। जनक;याण पर राजा का क;याण आिeत था। राSय म7 रहने वाले लोग( के िहत( का संपादन ही राजा का �मखु क��Tय था। राजा अब केवल दरू�थ संरaक नहc वरन ्जनता का एक िनकट संरaक बन गया। राजशि� िनंरकुश िपतसृ�ावाद पर आधा?रत थी। अशोक ने �प] 6प से अपने धौली िशलालेख म7 घोषणा क< “िक सारी �जा मरेी संतान ह।ै” अथा�त मौय� शासक जनता के Tयि�गत जीवन म7 भी ह�तaेप करने लग ेथे। राजा अब न केवल धम�शाX के =ारा संचािलत होता था। बि;क अथ�शाX के =ारा संचािलत होता था। अथ�शाX म7 राजा क< िववकेशीलता पर बल िदया गया, अथा�त ् राजा न केवल परुाने काननू( का पालन करवा सकता था वरन ्�शासिनक आव�यकताओ ंसे �े?रत होकर नए काननू( का

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 3

    िनमाण� भी कर सकता था और िफर परंपरागत काननू तथा राजा के काननू म7 िकसी �कार का िवरोधाभास उ2प)न होने क< दशा म7 राजा का काननू ही Sयादा मा)य होता था। अथ�शाX के अनसुार �शासन के �2येक पहल ूम7 राजा का आदशे या िवचार ही सवhप?र ह।ै अथ�शाX म7 राजा के क��Tय( का भी िनधा�रण िकया गया। अथ�शाX ने इस बात पर बल िदया, िक राजा को िकसी भी समय कम�चा?रय( एव ंजनता क< पहचँ से परे नहc होना चािहए । ऐसा होने पर गड़बड़ी एव ंअसंतो फैलेगा और राजा शZओु ंका िशकार हो जाएगा। मगे�थनीज का भी कहना ह ैिक मािलश करवाते समय राजा से िवचार िवमश� के िलए िमला जा सकता ह।ै अशोक के िशालालेख भी इस बात क< पिु] करते ह।ै अथ�शाX म7 राजा के कुछ आव�यक गणु भी िनधा�?रत िकए गये, िजसके अनसुार जनसाधारण, राजा नहc हो सकता। इसके अित?र� राजा को दवैीय बुिd व शि� वाला, वdृजन( क< बात सनुने वाला, धािम�क व स2यवादी होना आव�यक ह।ै 2. मंि!प#रषद- िसdा) त के 6प म7 मौय� काल म7 राSय क< संपणू� शि� राजा के हाथ( म7 ही क7 िYत

    थी, िकंत ुTयवहार म7 अनेक �ितबंध( के कारण राजा क< शि� क< िनरंकुशता सीिमत थी िवशाल मिंZप?रषद ्व �ाचीन परंपराओ ंके पालन ने मौय� शासक( क< िनरंकुशता पर सदवै अकुंश लगाए रखा। राजा को अपने क��Tय( के िनवह�न म7 सहायता हते ुएक मिंZप?रषद ्होती थी। अथ�शाX एवं अशोक के अिभलेख( म7 मिंZप?रषद ्का िजC ह।ै अथ�शाX के अनसुार राSय6पी रथ केवल एक पिहए(राजा) के =ारा नहc चल सकता। अतएव दसूरे पिहए के 6प म7 उसे मिंZप?रषद ् क< आव�यकता होती ह।ै मिंZप?रषद ्एक परामश�दाZी िनकाय थी िजसक< शि� राजा एव ंमिंZय( क< पर�पर ि�थित पर िनभ�र करती थी। सामा)यतः राजा के समानांतर मिंZिपरषद ्क< शि� कमजोर थी और राजा मिंZप?रषद ्क< सलाह मानने के िलए बा4य नहc था। राजा के समानांतर मिंZय( क< ि�थित का अदंाजा इस बात से भी लगाया जा सकता ह ै िक राजा अपने मZंी को �वयं िनय�ु करता था। मगे�थनीज के अनसुार राजा के सलाहकार एक िवशषे जाित से िनय�ु होते थे। राजा =ारा मjुयमZंी तथा परुोिहत का चनुाव उनके च?रZ क< भली भांित जांच के बाद िकया जाता था। अथ�शाX म7 मिंZय( के कुछ गणु िनधा�?रत िकए गये अथा�त उनम7 उkचकुल म7 ज)म, वीर, बुिdमान, ईमानदारी जसैे गणु होने चािहए। मिंZप?रषद से 3-4 मिंZय( क< एक छोटी उपसिमित भी बनती थी जो राजा को कुछ िविशl ट बात( म7 परामश� दतेी थी। कौिट;य ने नीित िनधा�रण क< गोपनीयता पर बल िदया ह।ै मिंZप?रषद का अपना सिचव होता था, िजस पर उसके काया�लय क< दखेभाल का भार था। कौिट;य ने उसे मिंZप?रषद अ4यa कहा ह।ै डॉ0 आर. सी. मजमूदार ने मौय�कालीन मंिZप?रषद ्क< तलुना इnंलैL ड क< ि�िव कoिसल से क< ह।ै 3. नौकरशाही- मिंZप?रषद व राजा के =ारा मjुयतः नीित िनधा�रण का काय� िकया जाता था।

    त2पpात ् उन नीितय( को काया�ि)वत करने का �मखु काय� नौकरशाही के =ारा िकया जाता था। मौय�कालीन नौकरशाही अ2यिधक ससंुगिठत तथा सTुयवि�थत थी। �शासन के संचालन म7

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    कौिट;य ने 18 तीथq (अिधका?रय( का नाम) एव ं 27 अ4यa( क< भिूमका पर बल िदया ह।ै मौय�काल म7 �शासन क< सिुवधा के िलए 18 िवभाग( क< �थापना क< गई थी िज)ह7 तीथ� कहते थे। �2येक िवभाग के संचालन व िनरीaण के िलए अ4यa होता था। एक मह2वपणू� क7 Yीय अिधकारी सि)नधाता अथा�त ् कोषा4यa होता था। वह के)Yीय खजाने का �भारी होता था। वह एक दसूरे मह2वपूण� अिधकारी समाह�ा� से िमलकर काय� करता था। समाह�ा� भ-ूराज�व क< वसलूी से जड़ुा हAआ था। यवुराज, राजा का उ�रािधकारी होता था। मZंी सवhkच सलाहकार था। परुोिहत शासक

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    दगु� भी राSय का एक अिनवाय� अगं था। राSय क< ि�थरता और यdु( म7 सरुaा के िलए दगु� क< भिूमका अK होती थी। दगु� म7 पया�Q खा� साम*ी, अX-शX, पानी, दवाईयां आिद का रहना आव� यक था, जो समय पर काम आ सके। कोष व कोषालय भी राSय के अि�त2व के िलए अिनवाय� था। मौय�काल म7 िव� क< Tयव�था बेहतर थी। िविभ)न �कार के कर( स े�ाQ रािश कोषालय म7 एकिZत होती थी। िविभ)न खचq के िलए बजट म7 Tयव�था होती थी। आपात ि�थितय( से िनपटने के िलए आपात िनिध क< आव�यकता थी। सेना क< राSय म7 मह2वपणू� भिूमका होती थी। कौिट;य ने मौय� सेना के संगठन तथा सै)यशाX का Tयापक िचZण िकया ह।ै सैिनक( से राज भि�, साहस, बहादरुी क< अपेaा क< जाती थी। सीमा िव�तार पर िवशषे 4यान होने क< वजह से सेना राSय का आव� यक अगं थी। िमZ से ता2पय� िमZ राSय( से था। राSय क< �गित इस बात पर िनभ�र करती ह ैिक पड़ोसी राSय( के साथ उसके संबंध मZैीपणू� हW या नहc इस �कार कौिट;य ने राSय के अि�त2व एव ंि�थरता हते ुराSय के सात अगं( पर आधा?रत होने क< बात कहc इन अगं( के बीच उिचत संतलुन अिनवाय� था। 5. �ांतीय �शासन- मौय�काल म7 संपणू� साRाSय का िवभाजन �ा)त( म7 िकया गया था। पाँच

    �ांतीय राजधािनयां �मखु थी तथा उ�रापथ क< राजधानी तaिशला, अविंत राSय क< राजधानी उSजनै, किलंग �ांत क< राजधानी तोसली, दिaणापथ क< राजधानी सवुण�िग?र और पवूN �ांत क< राजधानी पाटिलपZु। ये पाँच मह2वपणू� एव ंबड़े �ांत थे तथा इनके अधीन छोटे छोटे �ांत भी थे। बड़े �ांत( का �शासक राजकुल का होता था। अशोक के फरमान( म7 उ)ह7 कुमार या आय�पZु कहा गया ह।ै अथ�शाX म7 इस बात क< चेतावनी दी गई िक कुमार या आय�पZु खतरे का कारण हो सकता ह।ै इसिलए उसे राSय पर संपणू� िनयंZण नहc होना चािहए। �ांतीय �शासन म7 क7 Yीकरण क< �कृित �प] \ि]गोचर होती ह ै[य(िक �ांतीय मिंZप?रषद( को यह �वत)Zता थी िक वह �ांतीय �शासक को सिूचत िकए िबना राजा को मह2वपणू� सचूना �ेिषत कर सकती ह।ै इस बात क< पिु] िदTयावदान से भी होती ह।ै िकंत ुaेZीय �तर पर मौय� �शासन म7 कुछ �वाय�ता �दान क< गई थी अथा�त संबंिधत aेZ के Tयि� को ही उस aेZ का �शासक िनय�ु िकया जाता था। उदाहरण के िलए uYदमन के जनूागढ़ अिभलेख( से vात होता ह ैिक कािठयावाड़ का शासक यौनराज तुशाlक था । 6. �थानीय �शासन- �ांत( का िवभाजन िविभ)न िजल( म7 िकया गया था। िजले को िवषय या

    आहार कहा जाता था। िजला �शासन से जड़ेु तीन पदािधकारी थे- �ादिेशक, रSजकु और य�ु। �ादिेशक नामक अिधकारी काननू एव ंTयव�था को बनाऐ रखने और भ-ूराज�व क< वसलूी से जड़ेु हAए थे, जबिक रSजकु नामक अिधकारी िवशेष 6प से )याियक कायq से जड़ेु हAए थे। रSजकु क< िनयिु� *ामीण जन क;याण के उ��ेय से क< जाती थी। उसके अित?र� यु� का क��Tय सिचव एव ंलेखा संबधी काम दखेना था। अशोक के अिभलेख( म7 इन अिधका?रय( क< चचा� क< गई ह।ै

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 6

    िजला एव ं*ामीण �शासन के बीच एक और �शासिनक इकाई थी। जो संभवतः 5 या 10 गांव( का समहू होती थी। इसका मह2वपणू� अिधकारी गोप होता था िजसका काम सामा)य �शासन क< दखे रक रेख करना था। गोप के अित?र� �थािनका नामक अिधकारी भी होता था िजसका मjुय काय� कर क< वसलूी था। वह सीधे �ादिेशक के अधीन था। ऐसा �तीत होता ह ैिक �थािनका आधिुनक सहायक कले[टर और �ादिेशका िजला कले[टर के समान थे और ये दोन( अिधकारी समाह�ा� या चीफ कलेटर के अधीन होते थे। सबसे िनचले �तर पर *ामीण �शासन था िजसका �धान मिुखया होता था। वह *ामीण वdृजन( म7 से िनवा�िचत होता था। छोटे गांव( म7 मिुखया ही एक माZ अिधकारी होता था िकंत ुबड़े गाव( म7 मिुखया क< सहायता के िलए लेखपाल एव ंिलिपक( क< िनयिु� क< जाती थी और अिधका?रय( का वतेन या तो भ-ूराS�व से या िफर भिूम �दान करके परूा िकया जाता था। 7. नगर �शासन- मौय�काल म7 नगर �शासन का अपना eेणीबd संगठन था। नगर �शासन का

    �धान नगरक नामक अिधकारी होता था। अशोक के एक अिभलेख म7 नगर-Tयवहा?रक क< चचा� क< गई ह।ै नगरक या नगर िनरीaक का काम नगर काननू Tयव�था बनाए रखना था। आकाल पड़ने पर गोदाम( से अनाज बंटवाने का काम भी नगरक करता था। इस नगरक नामक अिधकारी क< सहायता एव ं मZंणा के िलए समाह�ा� एव ं �ादिेशका नामक अिधकारी होते थे। मेग�थनीज के इिंडका म7 िव�तार से पाटिलपZु के नगर �शान क< चचा� क< गई ह।ै मगे�थनीज के अनसुार पाटिलपZु के �शासक के िलए पांच-पांच सद�य( क< 6 सिमितयां होती थी, िजनके काय� एव ंका��Tय िन^निलिखत थे- 1. उ�ोग( व िश;प( का िनरीaण, 2. िवदिेशय( क< देखभाल, 3. ज)म- मरण का पंजीकरण, 4. वािणSय Tयापार क< दखेभाल, 5. साव�जिनक िबC< का िनरीaण, 6. िबC< कर सं*ह। 1.3.1.1कौिट,य के अथ�शा. क� �ांसिगकता

    कौिट;य का अथ�शाX �ाचीन भारत म7 लोक �शासन पर िकया गया सबसे मह2वपूण� काय� ह।ै य�िप अथ�शाX म7 �प] 6प से लोक �शासन के िसdांत नहc रख े गए हW, लेिकन इसम7 विण�त सरकारी काय��णाली मह2वपूण� ह।ै कौिट;य ने एक क;याणकारी �शासन क< बात क< थी। राजा को �जा के िहत के िलए काय� करना चािहए। उसे �जा को पZु क< भांित पालना चािहए, [य(िक ‘�जा िहते, िहते राSय,े �जानाम च सखु ेसखुम’्। अथा�त �जा के िहत म7 ही राSय का िहत ह ैऔर �जा के सखु से ही राSय सखुी ह।ै क;याणकारी �शासन के साथ ही कौिट;य ने सशुासन क< बात क< ह,ै अथा�त जनता क< सारी सिुवधाओ ं को सरकार =ारा महुयैा कराया जाना चािहए। aेZ( क< आव�यकतानसुार उ)ह7 संसाधन उपल#ध कराना राlr का दािय2व ह।ै कौिट;य ने राज�व सं*हण के संदभ� म7 उिचत करारोपण को मह2व िदया ह।ै करारोपण राSय क< आव�यकता व �जा क< ि�थित के अन6ुप होना चािहए, उसके अनसुार उिचत करारोपण क< Tयव�था वसैी ही होनी चािहए, जसैे वaृ से फल िगरते हW। कौिट;य ने जट को जनता को खशुहाली

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 7

    क< गारंटी दतेी ह।ै कौिट;य का कथन ह ै िक सभी उ�म िव� पर िनभ�र ह ै अतः कोषागार पर सवा�िधक 4यान िदया जाना चािहए। कौिट;य का िवचार ह ै िक राजा का लोकसेवक कोषागार रaक माZ होना चािहए। �शासन के िनयम( का उ;लंघन करने पर )यायपािलका के दायरे म7 नहc आते, िकंत ुिनजी गQुचर Tयव�था तथा िवदशे संबंधी आिद िवषय( पर कौिट;य के =ारा िदए गए िवचार वत�मान भारतीय �शासन के संदभ� म7 पया�Q 6प से �ासंिगक ह।ै 1.3.2 मुगल �शासन

    मगुल �शासन, िजसने �शासन को एक नयी िदशा दी,का अ4 ययन िन^ न िब) दओु ंके आधार पर करते हW- 1. के��ीय �शासन- �शासन के शीष� पर बादशाह होता था। वह सभी �कार के सैिनक एव ं

    असैिनक मामल( का �धान होता था। बादशाह मगुल साRाSय के �शासन क< धरुी था बादशाह क< उपािध धारण करता था, िजसका आशय था िक राजा अ)य िकसी भी स�ा के अधीन नहc ह।ै वह सम�त धािम�क तथा धमh�र मामल( म7 अिंतम िनणा�यक व अिंतम स�ािधकारी ह।ै वह सेना, राजनीितक, )याय आिद का सवhkच पदािधकार ह।ै वह संपणू� स�ा का के)Y ह ै तथा खदुा का �ितिनिध ह।ै मगुल बादशाह बहAत शानो-शौकत का जीवन Tयतीत करते थे। उनको बहAत से िवशषेािधकार �ाQ थे और उनक< इkछा ही काननू थी। तकुN मगंोल परंपरा से ही मगुल �शासन को के)Yीकृत �शासन क< अवधारणा िवरासत म7 �ाQ हAई थी। वसैे कुछ िव=ान( का मानना ह ैिक अकबर के समय के)Yीकृत तकुN मगंोल परंपरा म7 संशोधन िकया गया। इन सबके उपरांत भी राजा का जीवन िनयम( से बंधा हAआ था और यह माना जाता था िक जनता क< भलाई म7 ही राजा क< भलाई ह।ै कुरान म7 �प] 6प से िलखा हAआ ह ैिक �जा के क;याण का परूा उ�रदािय2व राजा के कंध( पर ह।ै के)Yीय �शासन के संचालन हते ुराजा के =ारा िन^नांिकत पदािधका?रय( क< िनयिु� क< जाती थी।

    • वक

  • भारत म� लोक �शासन BAPA-102

    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 8

    • दीवाने-शामा/खान-ए-शामा- यह राजक

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 9

    पोतदार, काननूग( आिद थे। िसकदार शांित Tयव�था का संरaक होता था और भ-ूराज�व सं*ह म7 आिमल क< सहायता करता था। आिमल भ-ूराज�व �शासन से जड़ुा अिधकारी था। पोतदार, खजांची को कहा जाता था तथा काननूगो गांव के पटवा?रय( का मिुखया होता था और �वयं कृlय भिूम का पय�वaेण करता था। सबसे नीचे *ाम होता था िजससे जड़ेु अिधकारी मकु�म े और पटवारी थे। मगुलकाल म7 *ाम पंचायत क< Tयव�था थी। इस िवभाजन के अित?र� नगर( म7 कानून Tयव�था क< दखे-रेख के िलए कोतवाल क< िनयिु� होती थी। अबलु फजल के आइने-अकबरी म7 कोतवाल के कायq का िववरण िदया गया ह।ै इसी तरह �2येक िकले पर िकलेदार क

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 10

    म7 भ-ूराज�व का आबंटन होता था। जागीरदारी Tयव�था और इकतादारी Tयव�था म7 एक मह2वपूण� अतंर यह भी था िक जागीरदार( को केवल भ-ूराज�व क< वसलूी का अिधकार िदया गया था संबंिधत aेZ के �शासन का नहc, जागीरदार को राजक

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 11

    एव ं सैिनक कायq पर संसद के आिंशक िनयंZण के िलए यह अिधिनयम पा?रत िकया था। इस अिधिनयम के =ारा बंगाल के गवन�नर को कंपनी के भारतीय �दशे( का गव�नर जनरल बनाया गया तथा इसक< सहायता के िलए 4 सद�य( क< एक प?रषद ्क< �थापना क< गई। इस काननू म7 बंबई और मYास के �ेसीड7सी को कलक�ा �ेसीड7सी बंगाल के अधीन कर िदया गया। साथ ही भारतीय मामल( म7 ससंद का �2यa ह�तaेप आरंभ हAआ। प?रणाम�व6प इस काननू से भारत म7 �शासन के के)Yीकरण का काय� श6ु हAआ। 1784 म7 िपट्स इिंडया ए[ ट के मा4यम से गवन�र जनरल क< कoिसल म7 सद�य( क< संjया 4 से घटाकर 3 कर दी गई। साथ ही मYास तथा बंबई �ेसीड7िसय( पर गवन�र जनरल के िनरीaण एवं िनयंZण के अिधकार अिधक �प] कर िदए गए। इस अिधिनयम का उ��ेय कंपनी पर ि!िटश Cाउन का िनयंZण बढ़ाना था। अतः ि!टेन म7 6 सद�य( के बोड� ऑफ कंrोल क< �थापना क< गई। 1786 के अिधिनयम के =ारा गवन�र जनरल को प?रषद ्से अिधक शि�यां �दान क< गई और उसे मjुय सेनापित बनाया गया। 1793 के अिधिनयम से गवन�र जनरल को अपनी कoिसल क< अनशुसंा को र� करने का अिधकार िदया गया। 1813 के चाट�र ए[ट =ारा भारत म7 ि!िटश कंपनी का Tयापा?रक एकािधकार समाQ कर िदया गया, लेिकन भ-ूराज�व �शासन एव ंभारतीय �शासन का काय� कंपनी के अधीन रहने िदया गया। 1833 के चाट�र अिधिनयम से बंगाल का गवन�र भारत का गवन�र जनरल कहलाने लगा। बंबई एव ंमYास �ेसीड7सी को पणू�तः बंगाल के अधीन कर िदया गया। संपणू� भारत के िलए िविध िनमा�ण का एकािधकार गवन�र जनरल तथा उसक< प?रषद ् को �दान िकया गया तथा बंबई और मYास �ेसीड7सी से िविध िनमाण� के अिधकार छीन िलए गए। अिधिनयम के =ारा गवन�र जनरल क< काउंिसल म7 एक चौथा सद�य िफर से जोड़ा गया, िजसे िविध सद�य का नाम िदया गया। इस �कार इस अिधिनयम से भारत म7 के)Yीकृत �शासन क< �थापना हAई। 1858 के अिधिनयम =ारा भारत पर ि!िटश ई�ट इिंडया कंपनी के �थान पर ि!िटश संसद के शासन क< �थापना हAई। भारत सिचव के पद का सजृन िकया गया। तथा सम�त संवधैािनक, �शासिनक तथा िव�ीय शि�यां भारत सिचव तथा उसक< 15 सद�यीय प?रषद ्म7 क7 िYत हो गई। भारत म7 स�ा का क7 )Yीकरण गवन�र जनरल तथा उसक< प?रषद म7 िनिहत हो गया। गवन�र जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। 1861 के अिधिनयम =ारा भारतीय �शासन म7 कई मह2वपणू� प?रवत�न िकए गए। पहली बार �ांतीय िवधाियकाओ ं क< �थापना हAई। य�िप इनके कई अिधकार सीिमत थे। गवन�र जनरल क< काय�का?रणी प?रषद तथा िवधाियका का पनुग�ठन िकया गया। अिधिनयम क< Tयव�था =ारा काय�का?रणी के मह2व म7 कमी एव ंगवन�र जनरल के �भाव म7 विृd हAई। गवन�र जनरल को इस बात के िलए अिधकृत िकया गया िक वह �शासिनक Tयव�था हते ु िविध बनाए। कैिनंग के =ारा िवभागीय Tयव�था क< श6ुआत क< गई। अिधिनयम के =ारा मYास और बंबई �ेसीड7सी को पनुः

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    िविधक िनमा�ण के अिधकार तथा अ)य �ांत( म7 ऐसी ही िवधाियकाओ ंक< �थापना क< Tयव�था करके िविध िनमा�ण म7 िवके)Yीकरण क< �िCया क< नcव पड़ी। 1892 के भारतीय प?रषद अिधिनयम के अतंग�त िवधाियकाओ ंक< सद�य संjया और शि� म7 विृd हAई तथा �ितिनिध सं�थाओ ं क< िसफा?रश7 पर मनोनीत िकया जाने लगा। 1909 के मालz-िम)टो सधुार( =ारा िवधाियकाओ ंक< सद�य संjया म7 विृd हAई परंत ुबहAमत सरकारी सद�य( का ही बना रहा। अिधिनयम म7 अ�2यa चनुाव पdित को अपनाया गया अथा�त ्क7 Yीय िवधान प?रषद ्म7 िविभ)न �ांत( से सद�य चनुकर आने थे। इस अिधिनयम का सबसे बड़ा दोष पथृक िनवा�चन Tयव�था थी। 1919 म7 मांटेnयू-चे^सफोड� सधुार =ारा वायसराय क< काय�का?रणी प?रषद ् म7 भारतीय( को �थान िदया गया। के)Yीय �तर पर ि=-संदनीय Tयव�थािपका क< �थापना हAई। अिधिनयम के =ारा के)Y और राSय( के बीच शि�य( का �प] िवभाजन िकया गया। आरिaत िवषय( का �शासन गवन�र को अपने पाष�द( क< सहायता से करना था तथा ह�तांत?रत िवषय( का �शासन िनवा�िचत मंिZय( क< सहायता से िकया जाना था। सन ्1919 से �वतंZता तक �शासिनक Tयव�था 1935 के भारत सरकार अिधिनयम का भारत के संवधैािनक इितहास म7 मह2वपणू� �थान ह।ै इस अिधिनयम ने भारत म7 संघा2मक Tयव�था का सZूपात िकया। इस संघ का िनमा�ण ि!िटश भारत के �ांत(, दशे( राSय( और किम'री के �शासिनक aेZ को िमलाकर िकया जाना था। संघ �तर पर =धै शासन �णाली को अपनाया गया और आिंशक उ�रदायी शासन क< �थापना करने का �ावधान िकया गया। संघीय काय�पािलका, संघीय िवधानमडंल तथा संघीय )यायालय क< �थापना क< गई। �ांत( म7 �ांतीय सरकार तथा �ांतीय सरकार क< काय�पािलका शि� सम�त �ांतीय िवषय( तक �थािपत हो गई। �ांत( से =धै शासन �णाली का अतं कर िदया गया, िकंत ु Tयवहार म7 गवन�र क< शि� अब भी बनी रही। गवन�र क< शि�य( को तीन भाग( म7 िवभािजत िकया गया, पहला- �वkेछा से काम म7 आने वाली शि�यां, दसूरा- Tयि�गत शि�यां और तीसरा- िवधाियका के �ित उ�रदायी मिंZय( क< सलाह से काम म7 आने वाली शि�यां। इस अिधिनयम का सबसे िववादा�पद पहल ूधारा 93 थी िजसके अनसुार गवन�र िवशषे प?रि�थितय( म7 �ांतीय �शासन को अपने िनयंZण म7 ले सकता था। इसी शि�य( का �योग कर 1939 म7 िविभ)न �ांत( म7 गवन�र ने शासन काय� अपने हाथ म7 ले िलया। भारतीय �वतंZता तक इसी अिधिनयम के अनसुार भारतीय �शासन का संचालन िकया जाता रहा। �वतंZता के बाद भारतीय �शासन �वतंZ भारत के संिवधान =ारा �ारंभ हAआ। 2. के��ीय सिचवालय का िवकास- �वतंZ भारत म7 के)Yीय सिचवालय औपचा?रक 6प से 30

    जनवरी, 1948 को �थािपत हAआ, लेिकन मलू 6प से के)Yीय सिचवालय अ)य �शासिनक सं�थाओ ंक< भांित ि!िटश शासनकाल क< दने ह।ै ि!िटश काल म7 इसे “इपंी?रयल सेCेटे?रएट”

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 13

    कहा जाता था। ि!िटश साRाSय के समय भारत म7 �शासिनक एकता �थािपत करने म7 के)Yीय सिचवालय क< िवशेष भिूमका थी। समय के प?रवत�न के साथ जसैे जैसे सरकार का काय�भार बढ़ता गया, िवभाग( क< संjया भी बढ़ती गई। 1919 से 1947 तक का काल के)Yीय सिचवालय म7 िविभ) न सधुार( के िलए सबसे अिधक मह2वपणू� रहा। सन ्1919 क< िलिविलयन ि�मथ कमटेी के सझुाव पर-

    • िवभागीय िवषय( को पनुग�िठत िकया गया। • िलिखत आलेख( क< �था �ारंभ क< गई। • के)Yीकृत भतN क< Tयव�था आरंभ हAई। • सिचवालय म7 �ितिनयिु� Tयव�था को स\ुढ़ िकया गया।

    1919 म7 पनुग�िठत सिचवालय म7 कुल 11 िवभाग थे। सन ्1936-37 म7 िनय�ु होने वाली Tहीलर सिमित और म[ैसवले सिमित (संगठन तथा �िCया सिमित) ने के)Yीय सिचवालय के संगठन और काय� पdित म7 सधुार हते ुऔर भी सझुाव ��ततु िकए। आजादी के उपरांत गिठत सरकार को कुछ ऐसी िवशषे सम�याओ ंका सामना करना पड़ा, िजनके प?रणाम�व6प के)Yीय सिचवालय का काय�भार अ2यिधक हो गया। ये सम�याए ंिन^नांिकत थc-

    • दशे का िवभाजन होने के कारण पािक�तान से आए शरणािथ�य( को भारत म7 बसाना। • ज^म-ूक�मीर म7 बा{ आCमण क< सम�या। • ?रयासत( का भारतीय संघ म7 एक

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    िक िकसी �ांतीय सरकार को नए पद तथा नए वेतन भ� ेक< �वीकृित का अिधकार नहc होगा, जब तक िक गवन�र जनरल क< पवू� �वीकृित न िमल जाए। 1833-1870 तक �ांतीय सरकार7 के)Y सरकार के अिभक�ा� के 6प म7 ही काय� करती रहc उ)ह7 कर लगाने अथवा उसे खच� करने का कोई अिधकार नहc था। सव��थम 1870 म7 िव�ीय िवके)Yीकरण क< िदशा म7 लाड� मेयो क< सरकार =ारा एक िनिpत योजना को अपनाया गया।

    • िजसके अतंग�त जले7, रिज�rेशन, पिुलस, ि�aा, सड़क7 , िचिक2सा सेवाऐ,ं छपाई आिद के Tयय क< मद( तथा उनसे �ाQ होने वाले राज�व को �ांतीय सरकार( के िनयंZण म7 ह�तांत?रत कर िदया गया।

    • �ांत( को कुछ िनिpत वािष�क अनदुान दनेे क< Tयव�था क< गई। 1877 म7 �rेची =ारा ��तािवत नवीन योजना के अतंग�त भिूम कर, �थानीय चुंगी, �टा^प, �टेशनरी, काननू व )याय और सामा)य �शासन क< कुछ Tयय मद7 �ांतीय सरकार( के िनयंZण म7 ह�तांत?रत कर दी गई। िव�ीय िवकेYीकरण क< िदशा म7 1882 म7 ��तािवत नई योजना के अनसुार राज�व के सम�त साधन( को तीन भाग( म7 िवभ� िकया गया। के)Yीय, �ांतीय व िवभािजत। के)Yीय मद( से �ाQ होने वाले राज�व को के)Yीय िनयंZण म7 तथा �ांतीय राज�व को �ांतीय िनयंZण म7 रखा गया। िवभािजत मद( से �ाQ होने वाली आय को के)Yीय तथा �ांतीय सरकार( के बीच बराबर-बराबर बांटने का िनpय िकया गया। िवके)Yीकरण के संबधं म7 1907 म7 चा;स� होब हाऊस क< अ4यaता म7 एक शाही आयोग िनय�ु िकया गया। आयोग ने िसफा?रश क

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    �थापना कर उसे एक दरोगा के अधीन रखा। िजला �तर पर िजला पिुलस अधीaक के पद का सजृन िकया गया। *ाम �तर पर चौक

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    पद( पर भारतीय( को िनय�ु िकया गया। 1859 से 1861 के बीच दडं िविध, िसिवल काय� िविध तथा दडं �िCया पा?रत क< गई ।इन सधुार( म7 संपणू� भारत के िलए एक ही िविध �णाली लाग ूक< गई। 1861 म ेभारतीय उkच )यायालय अिधिनयम पा?रत हAआ तथा कलक�ा एव ंमYास म7 उkच )यायालय क< �थापना क< गई। आग ेलाहौर, पटना आिद �थान( पर भी उkच )यायालय �थािपत हAए। 1935 के भारत शासन अिधिनयम के आधार पर एक संघीय )यायालय क< �थापना क< गई। इस )यायालय म7 एक �धान )यायाधीश तथा सरकार =ारा िनय�ु अ)य )यायाधीश होते थे। )यायालय के aेZ म7 �ारंिभक एव ं अपीलीय तथा परामश� संबंधी िवषय थे। �ांतीय )यायालय( को दीवानी, आपरािधक, वसीयती, गरै-वसीयती और ववैािहक aेZािधकार मौिलक एव ंअपीलीय दोन( �कार के �ाQ थे। अ7यास �8-

    1. रेnयलेूिटंग ए[ट कब पा?रत हAआ? 2. िपट्स इिंडया ए[ट कब पा?रत हAआ? 3. सन ्............. म7 ई� ट इिंडया कंपनी का आगमन हAआ। 4. 1919 के अिधिनयम को िकस नाम जाना जाता ह?ै 5. के)Yीय �तर पर ि=संदनीय Tयव�थािपका क< �थापना िकस अिधिनयम से हAई? 6. अशोक ने िकस िशलालेख म7 घोषणा क< िक “सारी �जा मरेी संतान ह”ै? 7. अथ�शाX के लेखक कौन हW? 8. मगे�थनीज क< प�ुतक का [या नाम ह?ै

    1.4 सारांश

    इस �कार उपरो� अ4ययन के प� चात आप यह जानने और समझने म7 सaम हो गये ह(गे िक िकस �कार से भारतीय �शासन �ाचीन मौय� काल से अपनी िवकास क< याZा शuु करके मगुल काल से होते हAए ि!िटश काल तक क< याZा पणू� क< ह।ै इस अ4ययन म7 आप ने यह दखेा िक मौय� साRाSय का �व6प राजतंZा2मक था िजसम7 शासन का �धान राजा होता था। राजपद एक मह2वपणू� पद हो गया और इस पद क< शि� एव ंअिधकार बढ़ गए। राजा, राSय का �मखु होता था। िजसके पास काय�पािलका, िवधाियका, )यायपािलका के अिधकार( के साथ िव�ीय शि�यां भी थी। राजा क< खशुी �जा क< खशुी पर िनभ�र करती थी। जनक;याण पर राजा का क;याण आिeत था। राSय म7 रहने वाले लोग( के िहत( का संपादन ही राजा का �मखु क��Tय था। �शासन के शीष� पर बादशाह होता था। वह सभी �कार के सैिनक एव ंअसैिनक मामल( का �धान होता ह ैथा। बादशाह मगुल साRाSय के �शासन क< धरुी था और बादशाह क< उपािध धारण करता था, िजसका आशय था िक राजा अ)य िकसी भी स�ा के अधीन नहc ह।ै वह सम�त धािम�क तथा धमh�र मामल( म7 अिंतम िनणा�यक व अिंतम स�ािधकारी ह।ै वह सेना, राजनीितक, )याय आिद का सवhkच पदािधकार ह।ै

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 17

    वह संपणू� स�ा का के)Y ह ैतथा खदुा का �ितिनिध ह।ै इसके बाद भारत म7 ई�ट इिंडया कं^पनी के आगमन के साथ ि!िटश �शासन के बीज पड़े। सन ्1600 म7 एक Tयापा?रक कंपनी के 6प म7 ई�ट इिंडया कंपनी का भारत म7 आगमन हAआ, िक)त ुदखेते ही दखेते यह कंपनी और इसके मा4यम से ि!िटश संसद का भारत पर साRाSय �थािपत हो गया। ि!िटश साRाSय का भारतीय �शासन के िविवध पa( पर Tयापक �भाव पडा । 1.5 श9दावली

    राजतंZ- राजतंZ वह शासन ह ैिजसम7 शासन का �धान राजा होता ह।ै राजा, राSय का �मखु होता था। िजसके पास काय�पािलका, िवधाियका, )यायपािलका के अिधकार( के साथ िव�ीय शि�यां िनिहत ह( । सY-उस-सYू- यह बादशाह का मjुय धािम�क परामश�दाता होता था। यह धािम�क अनदुान( को िनयंिZत करता था। साथ ही यह धािम�क मामल( से संबंिधत मकु�म ेभी दखेता था। मjुय काज- मगुल काल म7 यह )याय िवभाग का �धान होता था। जागीरदारी �था- मगुल काल म7 राजपतू जमcदार( के मा4यम से भ-ू राज�व सं*ह करने क< �था, जो सैिनक \ि] से शि�शाली थे और जाित, गोZ के आधार पर िवभािजत थे। अकबर मनसबदार( का वतेन नकद म7 दनेा चाहता था, िक)त ुउस समय के कुलीन वग� को भ-ूसंपि� से जबद��त आकष�ण था। इसिलए जागीरदारी �था के अतंग�त कुछ अिधका?रय( को जागीर म7 वतेन िदया जाता था। इ[ तादारी और जागीरदारी �था- िद;ली स;तनत काल म7 इ[ तादारी पdित �चिलत थी और इ[ ता के मािलक इ[ तादार कह े जाते थे। इ[ तादारी पdित भी कृषक( से अिधशषे �ाQ करने का एक मह2वपूण� ज?रया था िक)त ुइ[ ता और जागीर म7 एक मह2वपूण� अतंर यह था िक इ[ ता म7 भिूम का आबंटन होता था, जबिक जागीर म7 भ-ूराज�व का आबंटन होता था। जागीरदारी Tयव�था और इ[ तादारी Tयव�था म7 एक मह2वपणू� अंतर यह भी था िक जागीरदार( को केवल भ-ूराज�व क< वसलूी का अिधकार िदया गया था, संबंिधत aेZ के �शासन का नहc। 1.6 अ7यास �8: के उ6र

    1. 1773, 2. 1784, 3. 1600, 4. मांटेnयू-चे^सफोड�, 5. मांटेnयू-चे^सफोड�, 6. धौली िशलालेख, 7. कौिट;य, 8. इिंडका

    1.7 स�दभ� ;�थ सूची

    1. भारतीय संिवधान- !ज िकशोर शमा�। 2. भारतीय लोक �शासन- बी.एल. फिड़या। 3. भारतीय लोक �शासन- अव�थी एव ंअव�थी।

    1.8 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम;ी

    1. भारतीय संिवधान- डी.डी. बस।ु 2. भारतीय लोक �शासन- एस.सी. िसंहल।

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    1.9 िनबंधा?मक �8

    1. ि!िटश काल म7 भारतीय �शासन के िवकास पर िनबंध िलिखए। 2. मगुल �शासन,के)Yीय �शासन था, �प] क

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    इकाई-2 भारतीय �शासन क� िवशेषताए ँइकाई क� संरचना

    2.1 ��तावना 2.2 उ��ेय 2.3 �वतंZता के पpात �शासन के �व6प म7 प?रवत�न के िलए कई उ�रदाई कारण 2.4 भारतीय �शासन क< िवशेषताए ँ

    2.4.1 गितशील �शासन 2.4.2 िवकास �शासन 2.4.3 उ�रदायी �शासन 2.4.4 नौकरशाही एव ंलालफ

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    उ�राखंड म�ु िव�िव�ालय 20

    और उ��ेय( म7 प?रवत�न) का अ4ययन कर7ग।े साथ ही यह भी दखे7ग े िक िकस �कार भारतीय संिवधान, समाजवादी और धम�िनरपेa राSय क< �थापना करता ह ै और अतंतः हम यह अ4 ययन कर7ग े िक िकस �कार भारतीय �शासन- गितशील �शासन ह,ै िवकास �शासन ह,ै उ�रदायी �शासन ह ैऔर राजनीितक उथल-पथुल से अपने को अलग रखते हAए सामािजक-आिथ�क )याय के लOय को �ाQ करने के िलए समि)वत 6प से काय� कर रहा ह।ै 2.2 उ�े�य

    इस इकाई के अ4ययन के उपरा) त आप-

    • �वतंZता के पpात �शासन के �व6प म7 प?रवत�न के िलए कई उ�रदाई कारण( को जान सक7 ग।े

    • भारतीय �शासन क< िवशषेताओ ंको जान सक7 ग।े • संसदीय लोकतंZ क< �थापना के उ��ेय( को जान सक7 ग।े • संघा2मक शासन और उसक< �थापना के कारण( को जान सक7 ग।े

    2.3 �वतं!ता के प@ात �शासन के �वAप म� प#रवत�न के िलए कई उ6रदाई कारण

    जसैािक हम जानते ह ैिक 15 अग�त 1947 को हमारे दशे को �वतंZता �ाQ हAई। दशे को आजादी िमलाने के साथ ही उन सपन( को साकार करने के िलए भी �यास श6ु िकये जाने लग,े िजनको लOय मानकर आजादी के दीवान( ने संघष� िकया था। लेिकन उन सपन( को साकार करने के िलए यह आव�यक था िक, उसके अन6ुप �शासिनक तंZ का िनमा�ण िकया जाए साथ ही साथ इस नविनिम�त �शासिनक तंZ के लOय भी �प] िकये जाए। �वतंZता के पpात �शासन के �व6प म7 प?रवत�न के िलए कई कारण उ�रदाई थे, जो िन^निलिखत हW- 2.3.1 संसदीय लोकतं! क� �थापना

    �वतंZता के पpात देश म7 संसदीय लोकतंZ क< �थापना क< गई। आजादी के पवू� काय�पािलका िवधाियका के �ित उ�रदायी नहc थी, वह केवल ि!िटश आकाओ ंके �ित ही उ�रदायी थी । पर)त ु संसदीय लोकतंZ क< �थापना के साथ ही काय�पािलका को िवधाियका के �ित उ�रदायी बनाया गया। काय�पािलका का अथ� मिंZमंडल से ह,ै जबिक िवधाियका का ता2पय� काननू िनमा�ण करने वाली सं�था ‘संसद’ से ह।ै काय�पािलका का गठन संसद के सद�य( म7 से िकया जाता ह ै और काय�पािलका के गठन का अवसर उस दल को िमलाता ह,ै िजसे संसद के िन^न सदन म7 बहAमत �ाQ होता ह ैऔर संसद के िन^न सदन म7 जन�ितिनिध होते हW जो जनता =ारा �2यa 6प से चनुकर आते ह।ै इस �कार से �प] होता ह ैिक काय�पािलका अपने अि�त2व के िलए जन�ितिनिधय( के बहAमत के साथ समथ�न पर िनभ�र करती ह ैऔर ये जन�ितिनिध जनता के �ित उ�रदायी होते हW। इस �कार अब �शासन ,ि!िटश शासन के िवपरीत,जनता के �ित उ�रदायी हW।

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    2.3.2 संघा?मक शासन क� �थापना

    ि!िटश शासन के समय हमारे दशे म7 एका2मक शासन था िजसम ेएक क7 Y से शासन संचािलत िकया जाता था । जब िक हमारे दशे म7 भौगोिलक ,सामािजक और सां�कृितक िभ)नताय7 पाई जाती ह ै,इन िभ)नताओ ंके साथ इनक< सम�याए ँभी िभ)न �कृित क< होती हW, इसिलये इनका �थानीय आधार पर बेहतर समाधान िकया जा सकता ह।ै शि� िवभाजन के िसdांत के आधार संघा2मक शासन क< �थापना क< गई जो सामािजक और सां�कृितक िभ)नताओ ं को बनाए रखने के साथ ही उनक< सम�याओ ंके �थानीय �तर पर समाधान संभव हो सका। 2.3.3 �शासन क� �कृित म� प#रवत�न (�शासन के लEय: और उ�े�य: म� प#रवत�न)

    जसैा िक यह सव�िविदत ह ैिक भारतीय संिवधान म7 उन लOय( और उ��ेय( का �प] �ावधान िकया गया ह,ै िजनक< िसिd के िलए �शासन को करना ह।ै यहाँ यह �प] करना आव�यक ह ैिक �वतंZता के पहले हमारे दशे का �शासन िनयामक

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    राजधम� नहc होगा, इसका ता2पय� यह भी ह ैिक राSय सभी धमq के साथ सामान बता�व करेगा, िकसी के साथ िकसी भी �कार का पaपातपणू� Tयवहार नहc करेगा। य�िप इन श#द( के संिवधान म7 समावशे के पवू� भी ऐसे लOय( क< पिूत� के िलए उपब) ध थे। इन उपबंध( से �शासन क< िज^मदेारी म7 आमलूचलू प?रवत�न आया ह।ै 2.4भारतीय �शासन क� िवशेषताए ँ

    इस �कार से �वतंZता के उपरा) त भारतीय �शासन के उ��ेय( और लOय( म7 अभतूपवू� प?रवत�न आया ह।ै इस प?रवत�न के कारण भारतीय �शासन म7 िन^निलिखत िवशेषताएँ िदखाई पड़ती हW, जो इस �कार हW- 2.4.1गितशील �शासन

    जसैा िक हम ऊपर बता चकेु हW िक आजादी के बाद �शासन के उ��ेय( और लOय( म7 आमलूचलू प?रवत�न दखेने को िमल रहा ह।ै आज �शासन जनता क< आव�यकताओ ंक< पिूत� का साधन बन गया ह।ै समय के बदलाव के साथ िन2य नई आव�यकताए ंऔर सम�याए ंपैदा होती रहती हW। इन आव�यकताओ ंक< पतूN और सम�याओ ंके समाधान हते ु�शासन को िनरंतर त2पर रहना होता ह ैऔर बदलती प?रि�थितय( के अन6ुप अपने ढालते रहना ह,ै [य(िक अब �शासन जनता के �वामी के 6प म7 नहc वरन सेवक के 6प म7 काय� कर रहा ह।ै 2.4.2 िवकास �शासन

    िवकास �शासन एक प?रवत�नशील अवधारणा ह ैजो िनरंतर सामािजक, राजनीितक, आिथ�क और सां�कृितक प?रवत�न( को लाने के िलए �य2नशील ह,ै साथ ही इन प?रवत�न( को सकारा2मक िदशा दनेे का भी काय� कर रहा ह।ै इसका स^ब)ध योजना के िनमा�ण, इसके िनमा�ण हते ु आव�यक पवूा��य�ाओ ंक< पिूत� से भी स^ब)ध रखता ह।ै िवकास �शासन का स^ब)ध नीितय( के काया�)वयन से ह,ै इसिलए सरकार के जनक;याणकारी और सशि�करण संबंधी नीितय( के िCया)वयन क< िज^मदेारी भी इसी पर होती ह।ै 2.4.3 उ6रदायी �शासन

    संसदीय शासन क< एक �मखु िवशषेता, उ�रदायी शासन क< �थापना। चूँिक हमारे दशे म7 संसदीय शासन म7 िन^न सदन(लोक सभा) के सद�य( का चनुाव जनता के =ारा, �2यa 6प से वय�क मतािधकार के आधार पर िकया जाता ह।ै मिंZप?रषद का गठन संसद के सद�य( म7 से ही िकया जाता ह।ै मिंZप?रषद के सद�य स^बंिधत िवभाग के अ4यa (राजनीितक �मखु) होते हW। इसिलए अपने िवभाग के कायq के िलए व ेजनता के �ित उ�रदायी होते हW। 2.4.4 नौकरशाही एवं लालफ�ताशाही

    हमारे दशे म7 नौकरशाही का एक िव�ततृ ढांचा िव�मान ह,ै जो नीित िनमा�ण म7 सहयोगी भिूमका से लेकर, नीित के िCया)वयन तक के कायq म7 सिCय रहती ह।ै पर)त ुयह नौकरशाही अपने दािय2व( के िनव�हन म7 िनयम-काननू और �िCया पर Sयादा जोर दतेी िदखायी दतेी ह,ै िजससे ये िनयम-

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    काननू और �िCया पर Sयादा जोर दनेा ही सा4य के 6प म7 िदखायी दनेे लगता ह,ै िजससे लालफ

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    अ�प�ृयता(छुआ-छूत), Tयवसाय क< िनयhnयताए ं आिद। हमारे संिवधान म7 एक तरफ तो इन िनयhnयताओ ंको समाQ िकया गया तो दसूरी तरफ संिवधान के =ारा दशेवािसय( को िविभ)न �कार के सामािजक और आिथ�क अिधकार �दान िकये गए, िजससे व ेस^मान पवू�क अपना जीवन यापन कर सक7 । इस �कार के Tयापक उपबंध हमारे संिवधान भाग-3 म7 मलूािधकार और भाग-4 के नीित िनदशेक त2व( म7 िकये गए हW। 2.4.9 समि�वत �शासन

    हमारे दशे म7 भौगोिलक, सामािजक और सां�कृितक िविवधताए ंहW। इस बात को 4यान म7 रखते हAए संिवधान िनमा�ताओ ंने संघा2मक शासन Tयव�था को अपनाया। िजसक< मjुय िवशेषता- िलिखत, िनिम�त और कठोर संिवधान, संघ सरकार और राSय सरकार के बीच शि�य( का िवभाजन, संिवधान क< Tयाjया, नाग?रक( के मौिलक अिधकार( क< सरुaा और संघ सरकार और राSय सरकार के बीच उ2प)न होने वाले िववाद( का िनराकरण करने के िलए �वत)Z, िनlपa और सवhkच )यायलय क< �थापना। इसके साथ ही साथ मजबूत क7 Y क< �थापना के िलए एका2मक शासन के मjुय �ावधान( को भी सि^मिलत िकया गया। ऐसा इसिलए िकया गया [य(िक दशे, �वतंZता के समय दखुद िवभाजन को दखे चकुा था। इसी बात को 4यान म7 रखते हAए संघ और राSय के िलए सि^मिलत सेवाओ ं का �ावधान िकया गया, िजसे अिखल भारतीय सेवा कहते हW। िजसम7 तीन अिखल भारतीय सेवाऐ ं हW, पहला- भारतीय �शासिनक सेवा, दसूरा- भारतीय पिुलस सेवा और तीसरा- भारतीय वन सेवा। इन सेवाओ ंका उ��ेय क7 Y और राSय के बीच सहयोग को िनरंतर �ो2सािहत करना, िजससे राlr िनमा�ण का काय� सफलता पूव�क िकया जा सके और क;याणकारी और सशि�कारक नीितय( को भी सफलतापवू�क लाग ूिकया जा सके। यहाँ हम यह भी �प] करना चाहते हW िक क7 Y सरकार के पास अपना कोई अलग �शासिनक तंZ नहc ह,ै अिपतु क7 Y क< नीितय( को भी सफलतापवू�क लाग ूकरने म7 राSय के �शासिनक तंZ से सहयोग िलया जाता ह।ै भारतीय �शासन क< उपयु�� िवशषेताओ ंके साथ ही साथ इसके कुछ अ)य पa( का भी अ4ययन करना आव�यक होगा जो िक ,इनम7 �ायः िदखाई दतेा ह-ै

    • िपछले कुछ वषq म7 यह तय उभरकर सामने आया ह ै क< �शासिनक अिधका?रय( के अपने दािय2व( के िनव�हन म7 राजनीितक ह�तaेप िदखाई द े रहा ह,ै प?रणाम�व6प �शासक( म7 िनराशा क< भावना �बल होती िदखाई दतेी ह।ै राजनीित म7 अपराधीकरण बहAत ही िचंता का िवषय ह।ै इसके िनराकरण हते ुकोई सं�थागत उपाय और उन उपाय( का समिुचत िCया)वयन का �बंध करना उपयोगी होगा।

    • क;याणकारी योजनाओ,ं िवकास कायq और सशि�कारक नीितय( के िCया)वयन म7 जनता क< सC

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    �ित संवदेनशील बनाया जाये और �शासक( के िलए भी िनयत अतंराल पर िनयिमत �िशaण काय�Cम संचािलत िकये जाते रह7। साथ- ही िजस aेZ और िजस समदुाय िवशषे के िलए नीित का िनमा�ण िकया जाना ह,ै उसक< भी नीित िनमा�ण म7 भागीदारी सिुनिpत करने के उपाय िकये जाने चािहए।

    • दशे को आजाद हAए छ: दशक से अिधक हो चकेु हW,पर)त ु आज भी समाज का ढांचा सामतंवादी ही िदखाई दतेा ह,ैफल�व6प बहAत से काय�Cम( का लाभ आम आदमी तक नहc पहAचँ पाता ह।ै िजसक< चचा� हमारे एक पवू� �धानमZंी कर चकेु हW, िजसम7 उ)ह(ने यहाँ तक कहा िक गाँव के िलए भजे ेगए एक uपये म7, माZ 15 पWसे ही उन तक पहAचँ पाता ह।ै इसिलए आव�यकता इस बात क< ह ैिक इस तरह क< सिुवधाए ंदशे के आम आदमी तक पहAचें। इसके िलए सामािजक अकेंaण जसैे उपाय( के साथ इस �कार के अ)य उपाय( को भी अपनाने पर जोर िदया जाना चािहए।

    • वोहरा सिमित (1955) ने अपने �ितवदेन म7 राजनीितv(, �शासक( और मािफयाओ ं के बीच संबंध( को उजागर करके यह �प] कर िदया िक अिधकतर योजनाए ंआम आदमी के नाम से संचािलत तो हो रही हW, पर)त ुउनका वा�तिवक लाभ लिaत Tयि� और समहू तक नहc पहAचं पा रहा ह।ै

    अ7यास �8-

    1. 15 अग�त 1947 को हमारे दशे को �वतंZता �ाQ हAई। स2य/अस2य 2. संसद के िन^न सदन के जन�ितिनिध, जनता =ारा �2यa 6प से चनुकर आते हW।

    स2य/अस2य 3. शि� िवभाजन के िसdांत के आधार संघा2मक शासन क< �थापना क< गई ह।ै

    स2 य/अस2 य 4. मलू अिधकार( के उ;लंघन होने पर Tयि� को यह अिधकार ह ै िक वह अनkुछेद 32 के

    अनसुार सवhkच )यायलय और अनkुछेद 226 के तहत उkच )यायलय म7 जा सकता ह।ै स2य/अस2य

    5. संिवधान के भाग-4 म7 नीितिनदशेक त2व( का उपबंध िकया गया ह।ै स2य/अस2य 6. पंथिनरपेa श#द का समावशे नहc िकया गया था। स2य/अस2य 7. 42व7 संवधैािनक संशोधन 1976 के =ारा समाजवादी, पंथिनरपेa और अखडंता का

    समावशे संिवधान िकया गया। स2य/अस2य 8. संिवधान के भाग-3 म7 मलू अिधकार( का �ावधान िकया गया ह।ै स2य/अस2य

    2.5 सारांश

    इस इकाई म7 हमने �वतंZता के पpात �शासन के �व6प म7 प?रवत�न के िलए कई उ�रदाई कारण( का अ4ययन िकया िजसम7 संसदीय लोकतंZ, संघा2मक शासन, �वतंZता के पpात �शासन क<

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    बदलती �कृित (�शासन के लOय( और उ��ेय( म7 प?रवत�न) का अ4ययन िकया ह।ै साथ ही यह भी अ4ययन िकया िक िकस �कार भारतीय संिवधान, समाजवादी और धम�िनरपेa राSय क< �थापना करता ह ै और अंततः हमने यह अ4ययन िकया िक िकस �कार भारतीय �शासन, गितशील �शासन ह,ै िवकास �शासन ह,ै उ�रदायी �शासन ह ैऔर राजनीितक उथल-पथुल से अपने को अलग रखते हAए सामािजक-आिथ�क )याय के लOय को �ाQ करने के िलए समि)वत 6प से काय� कर रहा ह।ै साथ ही यह भी दखेा िक िकस �कार से �शासन म7 लालफ

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    इकाई-3 भारतीय �शासन सां�कृितक, सामािजक, राजनीित आिथ�क संवैधािनक पया�वरण

    इकाई क� संरचना

    3.1 ��तावना 3.2 उ��ेय 3.3 भारतीय �शासन का पया�वरण

    3.3.1 भारतीय �शासन सां�कृितक, पया�वरण 3.3.2 भारतीय �शासन सामािजक, पया�वरण 3.3.3 भारतीय �शासन राजनीित पया�वरण 3.3.4 भारतीय �शासन आिथ�क पया�वरण 3.3.5 भारतीय �शासन संवधैािनक पया�वरण 3.4 सारांश 3.5 श#दावली 3.6 अ&यास �'( के उ�र 3.7 स)दभ� *)थ सचूी 3.8 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम*ी 3.9 िनबंधा2मक �' 3.1 ��तावना