आरोि िाग गद्िाग पहित गद्ांश से...

24
75 आरȪि िȡग-, -िȡग -सȲयȡ १० - खȲड मɅ Ǒदए गए पǑित गȡȲश सȯ अिटिण सȲबȲधȢ चȡर Ǘ छȯ जȡएȱगȯ , ǔजनकȯ लए Ǔनधȡटǐरत अȲक (*=) िɇ | -सȲयȡ ११ - पȡिɉ कȧ वयवत Ǖ सȯ सȲबȲधत पȡȱच मɅ सȯ चȡर रɉ कȯ उर दȯनȯ िɇ , ǔजनकȯ लए Ǔनधȡटǐरत अȲक (*=१२) िɇ | परȣȡ मɅ अछȯ अȲक रȡ करनȯ कȯ लए यȡन दȯनȯ यȪय बȡतɅ 1. लȯख एवȲ वतटनȢ कȧ Ǖ धतȡ तिȡ वȡय-गिन पर यȡन दɅ | 2. िपȡि कȡ सȡर,Ǚ सि Ǘ ,वयवत Ǖ तिȡकिȡनक कȪ समझनȡ आवयक िȰ | अत:वȡिȸ िपȡि कȡ सȡरȡȲश िलȣिȡȱǓत यȡद कर लɅ | 3. रɉ कȪ यȡन सȯ पिɅ तदन Ǖ सȡर अपȯत उर लखɅ | 4. उर लखतȯ समय सȲबȲधत Ǖ ǒबȲद Ǖ ओȲ कȡ शȢटकबनȡतȯ ि Ǖ उर लखɅ , यिȡ-तȢन अȲक कȯ रɉ कȯ उर लखतȯ समय कम सȯ कम तȢन Ǖ उर-ǒबȲद Ǖ ओȲ कȡ उलȯख करतȯ ि Ǖ उर पष करɅ | 5. अȲक-यȪजनȡ कȯ अन Ǖ सȡर Ǔनधȡटǐरत शद-सȢमȡ कȯ अȲतगटत उर लखɅ | परȣȡिȸ कई बȡर एक अȲक कȯ कȡ उर बि Ǖ लȲबȡ, कई बȡर Ǘ रȡ Ǚ लख दȯतȯ िɇ जȪ समय और ऊजȡट कȧ बबȡटदȣ िȰ | 6. यȡन रिȯ अधक लखनȯ सȯ अछȯ अȲक निȣȲ आतȯ बǔक सरल-Ǖ बȪध िȡȡ मɅ लखȯ गए सटȣक उर, सȡरगिटत तय तिȡ उदȡिरण कȯ ȡरȡ पष कए गए उर रिȡवशȡलȣ िȪतȯ िɇ | पȡि 11 - ििन लȯखकȡ- मिȡदȯवȢ वमȡट पȡि कȡ सȡरȡȲश - ििन ǔजसकȡ वȡतवक नȡम लमȢ िȡ,लȯखकȡ मिȡदȯवȢ वमȡट कȧ सȯवकȡ िȰ | बचपन मɅ िȣ ििन कȧ मȡȱ कȧ Ǚ Ǖ िȪ गयȢ| सȫतȯलȣ मȡȱ नȯ पȡȱच वट कȧ आय Ǖ मɅ ववȡि तिȡ नȫ वट कȧ आय Ǖ मɅ गȫनȡ कर ििन कȪ सस Ǖ रȡल िȯǑदयȡ| सस Ǖ रȡल मɅ ििन नȯ तȢन बȯǑटयɉ कȪ जम Ǒदयȡ, ǔजस कȡरण उसȯ सȡस और ǔजिȡǓनयɉ कȧ उपȯȡ सिनȢ पड़तȢ िȢ| सȡस और ǔजिȡǓनयȡȱ आरȡम फरमȡतȢ िȢ और ििन तिȡ उसकȧ निȣȲ बȯǑटयɉ कȪ घर और खȯतɉ कȡ सȡरȡ कȡम करनȡ पडतȡ िȡ| ििन कȡ पǓत उसȯ बि Ǖ चȡितȡ िȡ| अपनȯ पǓत कȯ नȯि कȯ बल पर ििन नȯ सस Ǖ रȡल वȡलɉ सȯ अलगȫझȡ कर अपनȡ अलग घर बसȡ लयȡ और Ǖ सȯ रिनȯ लगȢ, पर ििन कȡ Ǖ िȡटय, अपȡय Ǖ मɅ िȣ उसकȯ पǓत कȧ Ǚ Ǖ िȪ गई | सस Ǖ रȡल वȡलȯ ििन कȧ Ǘ सरȣ शȡदȣ कर उसȯ घर सȯ Ǔनकȡलकर उसकȧ सȲप िड़पनȯ कȧ सȡǔजश करनȯ लगȯ | ऐसȢ पǐरǔिǓत मɅ ििन नȯ अपनȯ कȯ श Ǖ Ȳडȡ लए और सȲयȡसन बन गई | ििन वȡिमȡनȢ, सȲघटशȢल, कमटि और Ǻढ सȲकप वȡलȣ ƸȢ िȰ जȪ पत Ǚ सȡमक मȡयतȡओȲ और -कपट सȯ िरȯ समȡज मɅ अपनȯ और अपनȢ बȯǑटयɉ कȯ िकȧ लड़ȡई लड़तȢ िȰ ।घर Ǚ ििȢ सȱिȡलनȯ कȯ लए अपनȢ बड़Ȣ बȯटȣ

Upload: others

Post on 25-Sep-2019

17 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • 75

    आरोि िाग-२, गद्-िाग

    रश्न-संख्या १०- गद् खडं में हदए गए पहित गद्ांश से अिटग्रिण संबंध चार रश्न पूछे जाएाँगे, न्द्जनके भलए ननधाटररत अकं (२*४=८) िैं |

    रश्न-संख्या ११- पािों की प्वर्यवस्तु से संबंधधत पााँच में से चार रश्नों के उत्तर देने िैं, न्द्जनके भलए ननधाटररत अकं (३*४=१२) िैं|

    परीक्षा में अच्छे अकं राप्त करने के भलए ध्यान देने योग्य बातें –

    1. लेख एवं वतटन की शुद्धता तिा वाक्य-गिन पर ध्यान दें | 2. िर पाि का सार,पषृ्ठिूभम,प्वर्यवस्तु तिाकिानक को समझना आवश्यक िै | अत:प्वद्ािी िर पाि

    का सारांश िलीिााँनत याद कर लें | 3. रश्नों को ध्यान से पिें तदनुसार अपेक्षक्षत उत्तर भलखें | 4. उत्तर भलखते समय संबंधधत मुख्य बबदंओु ंका श र्टकबनाते िुए उत्तर भलखें, यिा-त न अकं के रश्नों

    के उत्तर भलखते समय कम से कम त न मुख्य उत्तर-बबदंओुं का उल्लेख करते िुए उत्तर स्पष्ट करें | 5. अकं-योजना के अनुसार ननधाटररत शब्द-स मा के अतंगटत उत्तर भलखें | परीक्षािी कई बार एक अकं

    के रश्न का उत्तर बिुत लंबा, कई बार पूरा पषृ्ठ भलख देते िैं जो समय और ऊजाट की बबाटदी िै | 6. ध्यान रिे कक अधधक भलखने से अच्छे अकं निीं आते बन्द्ल्क सरल-सुबोध िार्ा में भलखे गए

    सटीक उत्तर, सारगभिटत तथ्य तिा उदािरण के द्वारा स्पष्ट ककए गए उत्तर रिावशाली िोते िैं |

    पाि 11 - िक्तिन

    लेणखका- मिादेव वमाट

    पाि का साराशं- िक्तिन न्द्जसका वास्तप्वक नाम लक्ष्म िा,लेणखका ‘मिादेव वमाट’ की सेप्वका िै | बचपन में िी िक्तिन की मााँ की मतृ्यु िो गय | सौतेली मााँ ने पााँच वर्ट की आयु में प्ववाि तिा नौ वर्ट की आयु में गौना कर िक्तिन को ससुराल िेज हदया| ससुराल में िक्तिन ने त न बेहटयों को जन्म हदया, न्द्जस कारण उसे सास और न्द्जिाननयों की उपेक्षा सिन पड़त ि | सास और न्द्जिाननयााँ आराम फरमात ि और िक्तिन तिा उसकी नन्िी ंबेहटयों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता िा| िक्तिन का पनत उसे बिुत चािता िा| अपने पनत के स्नेि के बल पर िक्तिन ने ससुराल वालों से अलगौझा कर अपना अलग घर बसा भलया और सुख से रिने लग , पर िक्तिन का दिुाटग्य, अल्पायु में िी उसके पनत की मतृ्यु िो गई | ससुराल वाले िक्तिन की दसूरी शादी कर उसे घर से ननकालकर उसकी संपप्त्त िड़पने की सान्द्जश करने लगे| ऐस पररन्द्स्िनत में िक्तिन ने अपने केश मुंडा भलए और संन्याभसन बन गई | िक्तिन स्वाभिमान , संघर्टश ल, कमटि और दृढ संकल्प वाली स्त्र िै जो प्पतसृत्तात्मक मान्यताओं और छ्ल-कपट से िरे समाज में अपन े और अपन बेहटयों के िक की लड़ाई लड़त िै।घर गिृस्ि साँिालन े के भलए अपन बड़ बेटी

  • 76

    दामाद को बुला भलया पर दिुाटग्य ने यिााँ ि िक्तिन का प छा निीं छोड़ा, अचानक उसके दामाद की ि मतृ्यु िो गय | िक्तिन के जेि-न्द्जिौत ने सान्द्जश रचकर िक्तिन की प्वधवा बेटी का प्ववाि जबरदस्त अपने त तरबाज साले से कर हदया| पंचायत द्वारा कराया गया यि संबंध दखुदाय रिा | दोनों मााँ-बेटी का मन घर-गिृस्ि से उचट गया, ननधटनता आ गय , लगान न चकुा पाने के कारण जम ंदार ने िक्तिन को हदन िर धपू में खड़ा रखा| अपमाननत िक्तिन पैसा कमाने के भलए गााँव छोड़कर शिर आ जात िै और मिादेव की सेप्वका बन जात िै| िक्तिन के मन में मिादेव के रनत बिुत आदर, समपटण और अभििावक के समान अधधकार िाव िै| वि छाया के समान मिादेव के साि रित िै| वि रात-रात िर जागकर धचत्रकारी या लेखन जैस ेकायट में वयस्त अपन मालककन की सेवा का अवसर ढूाँढ लेत िै| मिादेव , िक्तिन को निीं बदल पाय पर िक्तिन ने मिादेव को बदल हदया| िक्तिन के िाि का मोटा-देिात खाना खाते-खाते मिादेव का स्वाद बदल गया, िक्तिन ने मिादेव को देिात के ककस्से-किाननयााँ, ककंवदंनतयााँ कंिस्ि करा दी| स्विाव स े मिाकंजूस िोने पर ि िक्तिन, पाई-पाई कर जोड िुई १०५ रुपयों की राभश को सिर्ट मिादेव को समप्पटत कर देत िै| जेल के नाम से िर-िर कााँपने वाली िक्तिन अपन मालककन के साि जेल जाने के भलए बड़ ेलाट सािब तक से लड़ने को ि तैयार िो जात िै| िक्तिन, मिादेव के ज वन पर छा जाने वाली एक ऐस सेप्वका िै न्द्जसे लेणखका निीं खोना चाित ।

    पाि आधाररत रश्नोत्तर

    नोट- उत्तर में ननहित रेखांककत वाक्य, मुख्य संकेत बबदं ुिैं |

    रश्न 1-िक्तिन का वास्तप्वक नाम क्या िा, वि अपने नाम को क्यों छुपाना चाित ि ?

    उत्तर-िक्तिन का वास्तप्वक नाम लक्ष्म िा, हिन्दओुं के अनुसारलक्ष्म धन की देव िै। चूाँकक िक्तिन गरीब ि | उसके वास्तप्वक नाम के अिट और उसके ज वन के यिािट में प्वरोधािास िै, ननधटन िक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्म बताकर उपिास का पात्र निीं बनना चाित ि इसभलए वि अपना असली नाम छुपात ि ।

    रश्न 2- लेणखका ने लक्ष्म का नाम िक्तिन क्यों रखा?

    उत्तर-घुटा िुआ भसर, गले में कंिी माला और ििों की तरि सादग पूणट वेशिूर्ा देखकर मिादेव वमाट न ेलक्ष्म का नाम िक्तिन रख हदया | यि नाम उसके वयक्तित्व से पूणटत: मेल खाता िा |

    रश्न 3-िक्तिन के ज वन को ककतने पररच्छेदों में प्विान्द्जत ककया गया िै?

    उत्तर- िक्तिन के ज वन को चार िागों में बााँटा गया िै-

    पिला पररच्छेद-िक्तिन का बचपन, मााँ की मतृ्य,ु प्वमाता के द्वारा िक्तिन का बाल-प्ववाि करा देना ।

  • 77

    हद्वत य पररच्छेद-िक्तिन का वैवाहिक ज वन, सास तिा न्द्जिाननयों का अन्यायपूणट वयविार, पररवार से अलगौझा कर लेना ।

    ततृ य पररच्छेद- पनत की मतृ्यु, प्वधवा के रूप में संघर्टश ल ज वन। चतुिट पररच्छेद- मिादेव वमाट की सेप्वका के रूप में ।

    रश्न 4- िक्तिन पाि के आधार पर िारत य ग्राम ण समाज में लड़के-लड़ककयों में ककये जाने वाले िेदिाव का उल्लेख कीन्द्जए |

    िारत य ग्राम ण समाज में लड़के-लड़ककयों में िेदिाव ककया जाता िै| लड़ककयों को खोटा भसक्का या पराया धन माना जाता िै| िक्तिन ने त न बेहटयों को जन्म हदया, न्द्जस कारण उसे सास और न्द्जिाननयों की उपेक्षा सिन पड़त ि | सास और न्द्जिाननयााँ आराम फरमात ि क्योंकक उन्िोंने लड़के पैदा ककए िे और िक्तिन तिा उसकी नन्िीं बेहटयों को घर और खेतों का सारा काम करना पडता िा| िक्तिन और उसकी बेहटयों को रूखा-सूखा मोटा अनाज खाने को भमलता िा जबकक उसकी न्द्जिाननयााँ और उनके काले-कलूटे बेटे दधू-मलाई राब-चावल की दावत उड़ाते िे

    रश्न 5-िक्तिन पाि के आधार पर पंचायत के न्याय पर हटप्पण कीन्द्जए |

    िक्तिन की बेटी के सन्दिट में पंचायत द्वारा ककया गया न्याय, तकट िीन और अधें कानून पर आधाररतिै | िक्तिन के न्द्जिौत ने संपप्त्त के लालच में र्डयंत्र कर िोली बच्च को धोखे स ेजाल में फंसाया| पंचायत ने ननदोर् लड़की की कोई बात निीं सुन और एक तरिा फैसला देकर उसका प्ववाि जबरदस्त न्द्जिौत के ननकम्म ेत तरबाज साले से कर हदया | पंचायत के अधें कानून से दषु्टों को लाि िुआ और ननदोर् को दंड भमला |

    रश्न 6-िक्तिन की पाक-कला के बारे में हटप्पण कीन्द्जए |

    िक्तिन को िेि देिात , सादा िोजन पसंद िा | रसोई में वि पाक छूत को बिुत मित्त्व देत ि | सुबि-सवेरे निा-धोकर चौके की सफाई करके वि द्वार पर कोयले की मोटी रेखा ख ंच देत ि | ककस को रसोईघर में रवेश करने निीं देत ि | उस े अपने बनाए िोजन पर बड़ा अभिमान िा| वि अपने बनाए िोजन का नतरस्कार निीं सि सकत ि |

    रश्न 7- भसद्ध कीन्द्जए कक िक्तिन तकट -प्वतकट करने में माहिर ि |

    िक्तिन तकट पटु ि | केश मुाँडान ेसे मना ककए जाने पर वि शास्त्रों का िवाला देते िुए कित िै ‘त रि गए मुाँडाए भसद्ध’ | घर में इधर-उधर रखे गए पैसों को वि चपुचाप उिा कर छुपा लेत िै, टोके जानेपर वि वि इसे चोरी निी मानत बन्द्ल्क वि इस ेअपने घर में पड़ ेपैसों को साँिालकर रखना कित िै| पढाई-भलखाई से बचने के भलए ि वि अचकू तकट देत िै कक अगर मैं ि पिने लगूाँ तो घर का काम कौन देखेगा?

  • 78

    रश्न 8-िक्तिन का दिुाटग्य ि कम ििी निी िा, लेणखका ने ऐसा क्यों किा िै?

    उत्तर- िक्तिन का दिुाटग्य उसका प छा निीं छोड़ता िा-

    1- बचपन में िी मााँ की मतृ्यु । 2- प्वमाता की उपेक्षा । 3- िक्तिन(लक्ष्म ) का बालप्ववाि । 4- प्पता का ननधन । 5- त न-त न बेहटयों को जन्म देने के कारण सास और न्द्जिाननयों के द्वारा िक्तिन की उपेक्षा । 6- पनत की असमय मतृ्यु । 7- दामाद का ननधन और पंचायत के द्वारा ननकम्मे त तरबाज युवक स ेिक्तिन की प्वधवा बेटी का

    जबरन प्ववाि । 8- लगान न चकुा पाने पर जम ंदार के द्वारा िक्तिन का अपमान।

    रश्न 9-िक्तिन ने मिादेव वमाट के ज वन पर कैसे रिाप्वत ककया?

    उत्तर- िक्तिन के साि रिकर मिादेव की ज वन-शैली सरल िो गय , व े अपन सुप्वधाओं की चाि को नछपाने लग ं और असुप्वधाओं को सिने लग ं। िक्तिन ने उन्िें देिात िोजन णखलाकर उनका स्वाद बदल हदया। िक्तिन मात्र एक सेप्वका न िोकर मिादेव की अभििावक और आत्म य बन गय ।िक्तिन, मिादेव के ज वन पर छा जाने वाली एक ऐस सेप्वका िै न्द्जस ेलेणखका निीं खोना चाित ।

    रश्न 10- िक्तिन के चररत्र की प्वशरे्ताओं का उल्लेख कीन्द्जए।

    उत्तर- मिादेव वमाट की सेप्वका िक्तिन के वयक्तित्व की प्वशरे्ताएं ननम्नांककत िैं-

    समप्पटत सेप्वका स्वाभिमान तकट श ला पररश्रम संघर्टश ल

    रश्न 11-िक्तिन के दगुुटणों का उल्लेख करें।

    उत्तर- गुणों के साि-साि िक्तिन के वयक्तित्व में अनेक दगुुटण ि ननहित िै-

    1. वि घर में इधर-उधर पड़ ेरुपये-पैसे को िंडार घर की मटकी में छुपा देत िै और अपने इस कायट को चोरी निी ंमानत ।

  • 79

    2. मिादेव के क्रोध से बचने के भलए िक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूि निी मानत । अपन बात को सिी भसद्ध करने के भलए वि तकट -प्वतकट ि करत िै।

    3. वि दसूरों को अपन इच्छानुसार बदल देना चाित िै पर स्वयं बबलकुल निी बदलत । रश्न 12 ननम्नाकंकत िार्ा-रयोगों का अिट स्पष्ट कीन्द्जए-

    पिली कन्या के दो और संस्करण कर डाले- िक्तिन ने अपन पिली कन्या के बाद उसके जैस दो और कन्याएाँ पैदा कर दी अिाटत िक्तिन के एक के बाद एक त न बेहटयााँ पैदा िो गय ं |

    खोटे भसक्कों की टकसाल जैस पत्न - आज ि अभशक्षक्षत ग्राम ण समाज में बेहटयों को खोटा भसक्का किा जाता िै। िक्तिन ने एक के बाद एक त न बेहटयााँ पैदा कर दी इसभलए उसे खोटे भसक्के को ढालने वाली मश न किा गया।

    रश्न 13-िक्तिन पाि में लेणखका ने समाज की ककन समस्याओं का उल्लेख ककया िै?

    उत्तर- िक्तिन पाि के माध्यम से लेणखका ने िारत य ग्राम ण समाज की अनेक समस्याओं का उल्लेख ककया िै-

    1. लड़के-लड़ककयों में ककया जाने वाला िेदिाव 2. प्वधवाओं की समस्या 3. न्याय के नाम पर पंचायतों के द्वारा न्द्स्त्रयों के मानवाधधकार को कुचलना 4. अभशक्षा और अधंप्वश्वास

    गद्ाशं-आधाररत अिटग्रिण संबंधधत रश्नोत्तर

    पररवार और पररन्द्स्िनतयों के कारण स्विाव में जो प्वर्मताएाँ उत्पन्न िो गई िैं, उनके ि तर स ेएक स्नेि और सिानुिूनत की आिा फूटत रित िै, इस स ेउसके संपकट में आनेवाले वयक्ति उसमें ज वन की सिज माभमटकता िी पाते िैं। छात्रावास की बाभलकाओं में स ेकोई अपन चाय बनवाने के भलए देिली पर बैिी रित िैं, कोई बािर खड मेरे भलए नाश्ते को चखकर उसके स्वाद की प्ववेचना करत रित िै। मेरे बािर ननकलत ेिी सब धचक्तड़यों के समान उड़ जात िैं और ि तर आते िी यिास्िान प्वराजमान िो जात िै। इन्िें आने में रूकावट न िो, संिवतुः इस से िक्तिन अपना दोनों जून का िोजन सवेरे िी बनाकर ऊपर के आले में रख देत िै और खाते समय चौके का एक कोना धोकर पाक–छूत के सनातन ननयम स ेसमझौता कर लेत िै।

    मेरे पररधचतों और साहिन्द्त्यक बंधओुं स ेि िक्तिन प्वशरे् पररधचत िै, पर उनके रनत िक्तिन के सम्मान की मात्रा, मेरे रनत उनके सम्मान की मात्रा पर ननिटर िै और सद्भाव उनके रनत मेरे सद्भाव स ेननन्द्ित िोता िै। इस संबंध में िक्तिन की सिज बुप्द्ध प्वन्द्स्मत कर देने वाली िै।

    (क) िक्तिन का स्विाव पररवार में रिकर कैसा िो गया िै ?

  • 80

    उत्तर-प्वर्म पररन्द्स्िनतजन्य उसके उग्र, ििी और दरुाग्रिी स्विाव के बावजूद िक्तिन के ि तर स्नेि और सिानुिूनत की आिा फूटत रित िै। उसके संपकट में आने वाले वयक्ति उसमें ज वन की सिज माभमटकता िी पाते िैं।

    (ख) िक्तिन के पास छात्रावास की छात्राएाँ क्यों आत िैं ?

    उत्तर- िक्तिन के पास कोई छात्रा अपन चाय बनवाने आत िै और देिली पर बैिी रित िै, कोई मिादेव ज के भलए बने नाश्ते को चखकर उसके स्वाद की प्ववेचना करत रित िै। मिादेव को देखते िी सब छात्राएाँ िाग जात िैं, उनके जाते िी कफर वापस आ जात ं िैं िक्तिन का सिज-स्नेि पाकर धचक्तड़यों की तरि चिचिाने लगत िैं |

    (ग) छात्राओं के आने में रुकावट न डालने के भलए िक्तिन ने क्या उपाय ककया ?

    उत्तर- छात्राओ ंके आने में रुकावट न डालने के भलए िक्तिन न ेअपने पाक-छूत के ननयम से समझौता कर भलया | िक्तिन अपना दोनों वि का खाना बनाकर सुबि िी आले में रख देत और खाते समय चौके का एक कोना धोकर विााँ बैिकर खा भलया करत ि ताकक छात्राएाँ बबना रोक-टोक के उसके पास आ सकें ।

    (घ) साहित्यकारों के रनत िक्तिन के सम्मान का क्या मापदंड िै ?

    उत्तर-िक्तिन मिादेव के साहिन्द्त्यक भमत्र के रनत सद्भाव रखत ि न्द्जसके रनत मिादेव स्वयं सद्भाव रखत ि | वि सि से पररधचत िैपर उनके रनत सम्मान की मात्रा मिादेव ज के सम्मान की मात्रा पर ननिटर करत िै। वि एक अद्भतु ढंग से जान लेत ि कक कौन ककतना सम्मान करता िै । उस अनुपात में उसका राप्य उसे देत ि ।

    12 बाजार-दशटन

    लेखक- जैनेंि कुमार

    पाि का साराशं बाजार-दशटन पाि में बाजारवाद और उपिोिावाद के साि-साि अिटन नत एवं दशटन से संबंधधत रश्नों को सुलझाने का रयास ककया गया िै। बाजार का जाद ूति असर करता िै जब मन खाली िो| बाजार के जाद ूको रोकने का उपाय यि िै कक बाजार जाते समय मन खाली ना िो, मन में लक्ष्य िरा िो| बाजार की असली कृतािटता िै जरूरत के वि काम आना| बाजार को विी मनुष्य लाि दे सकता िै जो वास्तव में अपन आवश्यकता के अनुसार खरीदना चािता िै| जो लोग अपने पैसों के घमंड में अपन पचने्द्जंग पावर को हदखाने के भलए च जें खरीदते िैं वे बाजार को शैतान वयगं्य शक्ति देते िैं| ऐस े लोग बाजारूपन और कपट बढाते िैं | पैसे की यि वयंग्य शक्ति वयक्ति को अपने सगे लोगों के रनत ि कृतघ्न बना सकत िै | साधारण जन का हृदय लालसा, ईष्याट और तषृ्णा से जलन ेलगता िै | दसूरी ओर ऐसा वयक्ति न्द्जसके मन में लेश मात्र ि लोि और तषृ्णा निीं िै, संचय की इच्छा निीं िै वि इस वयंग्य-शक्ति स े

  • 81

    बचा रिता िै | िगतज ऐसे िी आत्मबल के धन आदशट ग्रािक और बेचक िैं न्द्जन पर पैसे की वयंग्य-शक्ति का कोई असर निीं िोता | अनेक उदािरणों के द्वारा लेखक ने यि स्पष्ट ककया िै कक एक ओर बाजार, लालच , असतंोर् और खोखले मन वाले वयक्तियों को लूटन ेके भलए िै विीं दसूरी ओर संतोर् मन वालों के भलए बाजार की चमक-दमक, उसका आकर्टण कोई मित्त्व निीं रखता।

    रश्न१ - पचने्द्जंग पावर ककसे किा गया िै, बाजार पर इसका क्या रिाव पड़ता िै?

    उत्तर- पचने्द्जंग पावर का अिट िै खरीदने की शक्ति। पचने्द्जंग पावर के घमंड में वयक्ति हदखावे के भलए आवश्यकता से अधधक खरीदारीकरता िै और बाजार को शैतान वयंग्य-शक्ति देता िै। ऐस ेलोग बाजार का बाजारूपन बिाते िैं।

    रश्न२ -लेखक ने बाजार का जाद ूककसे किा िै, इसका क्या रिाव पड़ता िै?

    उत्तर- बाजार की चमक-दमक के चुबंकीय आकर्टण को बाजार का जाद ूकिा गया िै, यि जाद ूआंखों की राि कायट करता िै। बाजार के इस आकर्टण के कारण ग्रािक सज -धज च जों को आवश्यकता न िोने पर ि खरीदने को प्ववश िो जाते िैं।

    रश्न३ -आशय स्पष्ट करें।

    मन खाली िोना मन िरा िोना मन बंद िोना

    उत्तर-मन खाली िोना- मन में कोई ननन्द्ित वस्त ुखरीदने का लक्ष्य न िोना। ननरुदे्दश्य बाजार जाना और वयिट की च जों को खरीदकर लाना।

    मन िरा िोना- मन लक्ष्य से िरा िोना। न्द्जसका मन िरा िो वि िलीिााँनत जानता िै कक उसे बाजार से कौन स वस्तु खरीदन िै, अपन आवश्यकता की च ज खरीदकर वि बाजार को सािटकता रदान करता िै।

    मन बंद िोना-मन में ककस ि रकार की इच्छा न िोना अिाटत अपने मन को शून्य कर देना।

    रश्न४ - ‘जिााँ तषृ्णा िै, बटोर रखने की स्पिृा िै, विााँ उस बल का ब ज निीं िै।’ यिां ककस बल की चचाट की गय िै?

    उत्तर- लेखक न ेसंतोर् स्विाव के वयक्ति के आत्मबलकी चचाट की िै। दसूरे शब्दों में यहद मन में संतोर् िो तो वयक्ति हदखाव ेऔर ईष्याट की िावना से दरू रिता िै उसमें संचय करने की रवपृ्त्त निीं िोत ।

    रश्न५ - अिटशास्त्र, अन नतशास्त्र कब बन जाता िै?

    उत्तर- जब बाजार में कपट और शोर्ण बिने लगे, खरीददार अपन पचेधचगं पावर के घमंड में हदखावे के भलए खरीददारी करें | मनुष्यों में परस्पर िाईचारा समाप्त िो जाए| खरीददार और दकुानदार एक दसूरे को

  • 82

    िगने की घात में लगे रिें , एक की िानन में दसूरे को अपना लाि हदखाई दे तो बाजार का अिटशास्त्र, अन नतशास्त्र बन जाता िै। ऐसे बाजार मानवता के भलए प्वडबंना िै।

    रश्न६-िगतज बाजार और समाज को ककस रकार सािटकता रदान कर रिे िैं?

    उत्तर- िगतज के मन में सांसाररक आकर्टणों के भलए कोई तषृ्णा निीं िै। वे संचय, लालच और हदखाव ेसे दरू रिते िैं। बाजार और वयापार उनके भलए आवश्यकताओं की पूनत ट का साधन मात्र िै। िगतज के मन का संतोर् और ननस्पिृ िाव, उनको शे्रष्ठ उपिोिा और प्वके्रता बनाते िैं।

    रश्न ७ _ िगत ज के वयक्तित्व के सशि पिलुओं का उल्लेख कीन्द्जए |

    उत्तर-ननम्नांककत बबदं ुउनके वयक्तित्व के सशि पिल ूको उजागर करते िैं।

    पंसारी की दकुान से केवल अपन जरूरत का सामान (ज रा और नमक) खरीदना। ननन्द्ित समय पर चरून बेचने के भलए ननकलना। छ्ि आने की कमाई िोते िी चरून बेचना बंद कर देना। बच ेिुए चरून को बच्चों को मुफ़्त बााँट देना। सि काजय-जय राम किकर स्वागत करना। बाजार की चमक-दमक से आकप्र्टत न िोना। समाज को संतोर् ज वन की भशक्षा देना।

    रश्न7-बाजार की सािटकता ककसमें िै?

    उत्तर- मनुष्य की आवश्यकताओं की पूनत ट करन े में िी बाजार की सािटकता िै। जो ग्रािक अपन आवश्यकताओं की च जें खरीदते िैं वे बाजार को सािटकता रदान करते िैं। जो प्वके्रता, ग्रािकों का शोर्ण निी ंकरते और छल-कपट से ग्रािकों को लुिाने का रयास निी करते वे ि बाजार को सािटक बनाते िैं।

    गद्ाशं-आधाररत अिटग्रिण-संबंधधत रश्नोत्तर

    बाजार मे एक जाद ूिै। वि जाद ूआाँख की तरि काम करता िै। वि रूप का जाद ूिै पर जैस ेचुबंक का जाद ूलोिे पर िी चलता िै, वैसे िी इस जाद ूकी ि मयाटदा िै जेब िरी िो, और मन खाली िो, ऐस िालत में जाद ूका असर खबू िोता िै । जेब खाली पर मन िरा न िो तो ि जाद ूचल जाएगा। मन खाली िै तो बाजार की अनेकानेक च जों का ननमंत्रण उस तक पिुाँच जाएगा। किी ंिुई उस वि जेब िरी, तब तो कफर वि मन ककसकी मानने वाला िै। मालूम िोता िै यि ि लूाँ, वि ि लूाँ। सि सामान जरूरी और आराम को बिान ेवाला मालूम िोता िै पर यि सब जाद ूका असर िै। जाद ूकी सवारी उतरी कक पता चलता िै कक फैं स -च जों की बिुतायत आराम में मदद निीं देत , बन्द्ल्क खलल िी डालत िै। िोड़ देर को स्वाभिमान को जरूर सेंक

  • 83

    भमल जाता िै पर इससे अभिमान को धगल्टी की खरुाक िी भमलत िै। जकड़ रेशम डोरी की िो तो रेशम के स्पशट के मुलायम के कारण क्या वि कम जकड़ देग ?

    पर उस जाद ूकी जकड़ से बचने का एक स धा उपाय िै वि यि कक बाजार जाओ तो खाली मन न िो । मन खाली िो तब बाजार न जाओ किते िैं, लू में जाना िो तो पान प कर जाना चाहिए पान ि तर िो, ल ूका लूपन वयिट िो जाता िै। मन लक्ष्य से िरा िो तो बाजार फैला का फैला िी रि जाएगा। तब वि घाव बबलकुल निीं दे सकेगा, बन्द्ल्क कुछ आनंद िी देगा। तब बाजार तुमसे कृतािट िोगा, क्योंकक तुम कुछ न कुछ सच्चा लाि उसे दोगे। बाजार की असली कृतािटता िै आवश्यकता के समय काम आना।

    रश्न-1 बाजार के जाद ूको लेखक ने कैसे स्पष्ट ककया िै ?

    उत्तर- बाजार के रूप का जाद ूआाँखों की राि से काम करता िुआ िमें आकप्र्टत करता िै। बाजार का जाद ूऐसे चलता िै जैस ेलोिे के ऊपर चुबंक का जाद ूचलता िै। चमचमात रोशन में सज फैं स च ंजें ग्रािक को अपन ओर आकप्र्टत करत िैं| इस चुम्बकीय शक्ति के कारण वयक्ति कफजूल सामान को ि खरीद लेता िै |

    रश्न-2 जेब िरी िो और मन खाली तो िमारी क्या दशा िोत िै ?

    उत्तर- जेब िरी िो और मन खाली िो तो िमारे ऊपर बाजार का जाद ूखबू असर करता िै। मन, खाली िै तो बाजार की अनेकानेक च जों का ननमंत्रण मन तक पिुाँच जाता िै और उस समय यहद जेब िरी िो तो मन िमारे ननयंत्रण में निीं रिता।

    रश्न-3 फैं स च जों की बिुतायत का क्या पररणाम िोता िै?

    उत्तर- फैं स च जें आराम की जगि आराम में वयवधान िी डालत िै। िोड़ देर को अभिमान को जरूर सेंक भमल जात िै पर हदखावे की रवपृ्त्त में वपृ्द्ध िोत िै।

    रश्न-4 जाद ूकी जकड़ से बचने का क्या उपाय िै ?

    उत्तर- जाद ूकी जकड़ से बचने के भलए एक िी उपाय िै, वि यि िै कक बाजार जाओ तो मन खाली न िो, मन खाली िो तो बाजार मत जाओ।

    13 काले मेघा पान दे

    लेखक-धमटव र िारत

    पाि का साराशं -‘काले मेघा पान दे’ ननबंध, लोकज वन के प्वश्वास और प्वज्ञान के तकट पर आधाररत िै। जब ि र्ण गमी के कारण वयाकुल लोग वर्ाट कराने के भलए पूजा-पाि और किा-प्वधान कर िक–िार जाते िैं तब वर्ाट कराने के भलए अनंतम उपाय के रूप में इन्दर सेना ननकलत िै| इन्दर सेना, नंग-धड़गं बच्चों की टोली िै जो कीचड़ में लिपि िोकर गली-मोिल्ले में पान मााँगने ननकलत िै| लोग अपन ेघर की छतों-णखड़ककयों से इन्दर सेना पर पान डालते िैं | लोगों की मान्यता िै कक इन्ि, बादलों के स्वाम और

  • 84

    वर्ाट के देवता िैं| इन्ि की सेना पर पान डालन ेसे इन्ि िगवान रसन्न िोकर पान बरसाएंगे | लेखक का तकट िै कक जब पान की इतन कम िै तो लोग मुन्द्श्कल स ेजमा ककए पान को बाल्टी िर-िरकर इन्दर सेना पर डालकर पान को क्यों बबाटद करते िै? आयटसमाज प्वचारधारा वाला लेखक इसे अधंप्वश्वास मानता िै | इसके प्वपरीत लेखक की ज ज उसे समझात िै कक यि पान की बबाटदी निीं बन्द्ल्क पान की बुवाई िै | कुछ पाने के भलए कुछ देना पड़ता िै | त्याग के बबना दान निीं िोता| रस्तुत ननबंध में लेखक ने भ्ष्टाचार की समस्या को उिाते िुए किा िै कक ज वन में कुछ पाने के भलए त्याग आवश्यक िै। जो लोग त्याग और दान की मित्ता को निी ंमानते, व ेिी भ्ष्टाचार में भलप्त रिकर देश और समाज को लूटते िैं| ज ज की आस्िा, िावनात्मक सच्चाई को पुष्ट करत िै और तकट केवल वैज्ञाननक तथ्य को सत्य मानता िै। जिााँ तकट , यिािट के किोर धरातल पर सच्चाई को परखता िै तो विीं आस्िा, अनिोन बात को ि स्व कार कर मन को संस्काररत करत िै। िारत की स्वतंत्रता के ५० साल बाद ि देश में वयाप्त िष्टाचार और स्वािट की िावना को देखकर लेखक दखु िै | सरकार द्वारा चलाई जा रिी योजनाएाँ गरीबों तक क्यों निी ंपिुाँच पा रिी ं िैं? काले मेघा के दल उमड़ रिे िैं पर आज ि गरीब की गगरी फूटी िुई क्यों िै ? लेखक ने यि रश्न पािकों के भलए छोड़ हदया िै |

    रश्न1-इन्दर सेना घर-घर जाकर पान क्यों मााँगत ि ?

    उत्तर- गााँव के लोग बाररश के भलए िगवान इंि स े रािटना ककया करते िे। जब पूजा-पाि,व्रत आहद उपाय असिल िो जाते िे तो िगवान इंि को रसन्न करने के भलए गााँव के ककशोर, बच्च ेकीचड़ में लिपि िोकर गली-गली घूमकर लोगों से पान मााँगते िे।

    रश्न2-इन्दरसेना को लेखक मेढक-मंडली क्यों किता िै, ज ज के बार–बार किने पर ि वि इन्दरसेना पर पान फें कने को राज क्यों निीं िोता ?

    उत्तर- इन्दरसेना का कायट आयटसमाज प्वचारधारा वाले लेखक को अंधप्वश्वास लगता िै, उसका मानना िै कक यहद इंदरसेना देवता से पान हदलवा सकत िै तो स्वयं अपने भलए पान क्यों निीं मााँग लेत ? पान की कम िोने पर ि लोग घर में एकत्र ककये िुए पान को इंदरसेना पर िें कते िैं। लेखक इसे पान की ननमटम बरबादी मानता िै।

    रश्न3- रूिे िुए लेखक को ज ज ने ककस रकार समझाया?

    उत्तर- ज ज ने लेखक को प्यार से लड्डू-मिरी णखलाते िुए ननम्न तकट हदए-

    1- त्याग का मित्त्व- कुछ पाने के भलए कुछ देना पड़ता िै। 2- दान की मित्ता- ॠप्र्-मुननयों ने दान को सबस ेऊाँ चा स्िान हदया िै। जो च ज अपने पास ि कम

    िो और अपन आवश्यकता को िूलकर वि च ज दसूरों को दान कर देना िी त्याग िै | 3- इंिदेव को जल का अध्यट चिाना- इंदरसेना पर पान िें कना पान की बरबादी निीं बन्द्ल्क इंिदेव

    को जल का अध्यट चिाना िै।

  • 85

    4- पान की बुवाई करना- न्द्जस रकार ककसान िसल उगाने के भलए जम न पर ब ज डालकर बुवाई करता िै वैसे िी पान वाले बादलों की िसल पाने के भलए इन्दर सेना पर पान डाल कर पान की बुवाई की जात िै।

    रश्न4-नहदयों का िारत य सामान्द्जक और सांस्कृनतक पररवेश में क्या मित्व िै ?

    उत्तर- गंगा िारत य समाज में सबसे पूज्य सदान रा नदी िै। न्द्जसका िारत य इनतिास में धाभमटक, पौराणणक और सांस्कृनतक मित्व िै | वि िारत यों के भलए केवल एक नदी निीं अप्पतु मााँ िै, स्वगट की स िी िै, मोक्षदानयन िै। उसमें पान निीं अप्पतु अमतृ तुल्य जल बिता िै। िारत य संस्कृनत में नहदयों के ककनारे मानव सभ्यताएाँ फली-फूली िैं| बड़े-बड़ ेनगर, त िटस्िान नहदयों के ककनारे िी न्द्स्ित िैं ऐसे पररवेश मेंिारतवास सबसे पिले गगंा मैया की जय िी बोलेंगे। नहदयााँ िमारे ज वन का आधार िैं, िमारा देश कृप्र् रधान िै। नहदयों के जल से िी िारत िूभम िरी-िरी िै । नहदयों के बबना ज वन की कल्पना निीं कर सकते, यिी कारण िै कक िम िारत य नहदयों की पूजा करते िैं |

    रश्न4-आजादी के पचास वर्ों के बाद ि लेखक क्यों दखु िै, उसके मन में कौन से रश्न उि रिे िैं?

    उत्तर- आजादी के पचास वर्ों बाद ि िारत यों की सोच में सकारात्मक बदलाव न देखकर लेखक दखु िै। उसके मन में कई रश्न उि रिे िैं-

    1. क्या िम सच्च ेअिों में स्वतन्त्र िैं? 2. क्या िम अपने देश की संस्कृनत और सभ्यता को समझ पाए िैं? 3. राष्ट्र ननमाटण में िम प छे क्यों िैं, िम देश के भलए क्या कर रिे िैं?

    4. िम स्वािट और भ्ष्टाचार में भलप्त रिते िैं, त्याग में प्वश्वास क्यों निीं करते ?

    5. सरकार द्वारा चलाई जा रिी सुधारवादी योजनाएाँ गरीबों तक क्यों निीं पिुाँचत िै?

    गद्ाशं पर आधाररत अिटग्रिण-संबंधधत रश्नोत्तर

    सचमुच ऐसे हदन िोते जब गली-मुिल्ला, गााँव-शिर िर जगि लोग गरम में िुन-िुन कर त्राहिमाम कर रिे िोते, जिे के दसतपा ब तकर आर्ाढ का पिला पखवाड़ा ब त चकुा िोता पर क्षक्षनतज पर किी ंबादलों की रेख ि निीं दीखत िोत , कुएाँ सूखने लगते, नलों में एक तो बिुत कम पान आता और आता ि तो आध रात को, वो ि खौलता िुआ पान िो | शिरों की तुलना में गााँव में और ि िालत खराब ि | जिााँ जुताई िोन चाहिए ि विााँ खेतों की भमट्ट सूखकर पत्िर िो जात कफर उसमें पपड़ पड़कर जम न फटने लगत , लू ऐस कक चलते-चलते आदम धगर पड़ े| ढोर-डगंर प्यास के मारे मरने लगते लेककन बाररश का किीं नाम ननशान निीं, ऐसे में पजूा-पाि किा-प्वधान सब करके लोग जब िार जात ेतब अनंतम उपाय के रूप में ननकलत यि इन्दर सेना |

  • 87

    रश्न१- वर्ाट न िोने पर लोगों की क्या न्द्स्िनत िो गय ि ? उत्तर - वर्ाट न िोन ेपर गरम के कारण लोग लू लगन ेसे बेिोश िोने लगे | गााँव-शिर सि जगि पान का अिाव िो गया| कुएाँ सूख गए, खेतों की भमट्ट सूखकर पत्िर के समान किोर िोकर फट गय | घरों में नलों में पान बिुत कम आता िा | पशु प्यास के मारे मरने लगे िे |

    रश्न२- वर्ाट के देवता कौन िैं उनको रसन्न करने के भलए क्या उपाय ककए जाते िे ? उत्तर -वर्ाट के देवता िगवान इन्ि िैं| उनको रसन्न करने के भलए पूजा–पाि, किा-प्वधान कराए जाते िे | ताकक इन्ि देव रसन्न िोकर बादलों की सेना िेजकर झमाझम बाररश कराएाँ और लोगों के कष्ट दरू िों |

    रश्न३- वर्ाट कराने के अंनतम उपाय के रूप में क्या ककया जाता िा?

    उत्तर –जब पूजा-पाि किा-प्वधान सब करके लोग िार जाते िे तब अनंतम उपाय के रूप में इन्दर सेना आत ि | नंग-धडगं, कीचड़ में लिपि, ‘काले मेघा पान दे पान दे गुड़धान दे’ की टेर लगाकर प्यास से सूखत ेगलों और सूखते खेतों के भलए मेघों को पुकारत िुई टोली बनाकर ननकल पड़त ि |

    रश्न४-आशय स्पष्ट करें – जेि के दसतपा ब तकर आर्ाि का पिला पखवाड़ा ब त चकुा िोता पर क्षक्षनतज में किी ंबादलों की रेख ि नजर निीं आत |

    आशय- जेि का मिीना िै, ि र्ण गरम िै| तपते िुए दस हदन ब त कर आर्ाढ का मिीना ि आधा ब त गया, पर पान के भलए तड़पते, वर्ाट की आशा में आसमान की ओर ताकते लोगों को किी ंबादल नजर निीं आ रिे |

    14 पिलवान की ढोलक

    िण श्वरनाि रेणु

    पाि का साराशं –आंचभलक किाकार िण श्वरनाि रेणु की किान पिलवान की ढोलक में किान के मुख्य पात्र लुट्टन के माता-प्पता का देिांत उसके बचपन में िी िो गया िा | अनाि लुट्टन को उसकी प्वधवा सास न ेपाल-पोसकर बड़ा ककया | उसकी सास को गााँव वाले सताते िे | लोगों से बदला लेने के भलए कुश्त के दााँवपेंच स खकर कसरत करके लुट्टन पिलवान बन गया |

    एक बार लुट्टन श्यामनगर मेला देखने गया जिााँ ढोल की आवाज और कुश्त के दााँवपेंच देखकर उसने जोश में आकर नाम पिलवान चााँदभसिं को चनुौत दे दी | ढोल की आवाज से रेरणा पाकर लुट्टन ने दााँव लगाकर चााँद भसिं को पटककर िरा हदया और राज पिलवान बन गया | उसकी ख्यानत दरू-दरू तक िैल गय | १५ वर्ों तक पिलवान अजेय बना रिा| उसके दो पुत्र िे| लुट्टन ने दोनों बेटों को ि पिलवान के गरु

  • 88

    भसखाए| राजा की मतृ्यु के बाद नए राजकुमार ने गद्द संिाली। राजकुमार को घोड़ों की रेस का शौक िा । मैनेजर ने नये राजा को िड़काया, पिलवान और उसके दोनों बेटों के िोजनखचट को ियानक और किजूलखचट बताया, िलस्वरूप नए राजा ने कुश्त को बंद करवा हदया और पिलवान लुट्टनभसिं को उसके दोनों बेटों के साि मिल से ननकाल हदया।

    राजदरबार से ननकाल हदए जाने के बाद लुट्टन भसिं अपने दोनों बेटों के साि गााँव में झोपड़ बनाकर रिने लगा और गााँव के लड़कों को कुश्त भसखाने लगा| लुट्टन का स्कूल ज्यादा हदन निीं चला और ज प्वकोपाजटन के भलए उसके दोनों बेटों को मजदरूी करन पड़ | इस दौरान गााँव में अकाल और मिामारी के कारण रनतहदन लाशें उिने लग | पिलवान मिामारी से डरे िुए लोगों को ढोलक बजाकर ब मारी से लड़ने की संज वन ताकत देता िा| एक हदन पिलवान के दोनों बेटे ि मिामारी की चपेट में आकर मर गए पर उस रात ि पिलवान ढोलक बजाकर लोगों को हिम्मत बंधा रिा िा | इस घटना के चार-पााँच हदन बाद पिलवान की ि मौत िो जात िै|

    पिलवान की ढोलक, वयवस्िा के बदलने के साि लोक कलाकार के अरासंधगक िो जाने की किान िै। इस किान में लुट्टन नाम के पिलवान की हिम्मत और न्द्जज प्वर्ा का वणटन ककया गया िै। िूख और मिामारी, अजेय लुट्टन की पिलवान को िटे ढोल में बदल देते िैं। इस करुण त्रासदी में पिलवान लुट्टन कई सवाल छोड़ जाता िै कक कला का कोई स्वतंत्र अन्द्स्तत्व िै या कला केवल वयवस्िा की मोिताज िै?

    रश्न1- लुट्टन को पिलवान बनने की रेरणा कैसे भमली ?

    उत्तर- लुट्टन जब नौ साल का िा तो उसके माता-प्पता का देिांत िो गया िा | सौिाग्य से उसकी शादी िो चकुी ि | अनाि लुट्टन को उसकी प्वधवा सास ने पाल-पोसकर बड़ा ककया | उसकी सास को गााँव वाले परेशान करते िे| लोगों से बदला लेने के भलए उसने पिलवान बनने की िान | धारोष्ण दधू प कर, कसरत कर उसने अपना बदन गिीला और ताकतवर बना भलया | कुश्त के दााँवपेंच स खकर लुट्टन पिलवान बन गया |

    रश्न2- रात के ियानक सन्नाटे में लुट्टन की ढोलक क्या कररश्मा करत ि ?

    उत्तर- रात के ियानक सन्नाटे मेंलुट्टन की ढोलक मिामारी स ेजूझते लोगों को हिम्मत बाँधात ि | ढोलक की आवाज से रात की प्वि प्र्का और सन्नाटा कम िोता िा| मिामारी से प क्तड़त लोगों की नसों में बबजली स दौड़ जात ि , उनकी आाँखों के सामने दंगल का दृश्य साकार िो जाता िा और व ेअपन प ड़ा िूल खशु -खशु मौत को गले लगा लेते िे। इस रकार ढोल की आवाज, ब मार-मतृराय गााँववालों की नसों में संज वन शक्ति को िर ब मारी से लड़ने की रेरणा देत ि ।

    रश्न3- लुट्टन ने सवाटधधक हिम्मत कब हदखाई ?

    उत्तर- लुट्टन भसिं ने सवाटधधक हिम्मत तब हदखाई जब दोनों बेटों की मतृ्य ु पर वि रोया निीं बन्द्ल्क हिम्मत स ेकाम लेकर अकेले उनका अंनतम संस्कार ककया| यिी निीं, न्द्जस हदन पिलवान के दोनों बेटे

  • 89

    मिामारी की चपेट में आकर मर गए पर उस रात को ि पिलवान ढोलक बजाकर लोगों को हिम्मत बाँधा रिा िा| श्यामनगर के दंगल में पूरा जनसमुदाय चााँद भसिं के पक्ष में िा चााँद भसिं को िरात ेसमय लुट्टन न े हिम्मत हदखाई और बबना िताश िुए दंगल में चााँद भसिं को धचत कर हदया |

    रश्न4- लुट्टन भसिं राज पिलवान कैसे बना?

    उत्तर- श्यामनगर के राजा कुश्त के शौकीन िे। उन्िोंने दंगल का आयोजन ककया। पिलवान लुट्टन भसिं ि दंगल देखने पिुाँचा । चांदभसिं नामक पिलवान जो शरे के बच्च ेके नाम से रभसद्ध िा, कोई ि पिलवान उससे भिड़ने की हिम्मत निीं करता िा। चााँदभसिं अखाड़ ेमें अकेला गरज रिा िा। लुट्टन भसिं ने चााँदभसिं को चनुौत दे दी और चााँदभसिं से भिड़ गया।िोल की आवाज सुनकर लुट्टन की नस-नस में जोश िर गया।उसने चााँदभसिं को चारों खाने धचत कर हदया। राजासािब ने लुट्टन की व रता से रिाप्वत िोकर उसे राजपिलवान बना हदया।

    रश्न5- पिलवान की अनंतम इच्छा क्या ि ?

    उत्तर- पिलवान की अनंतम इच्छा ि कक उसे धचता पर पेट के बल भलटाया जाए क्योंकक वि न्द्जंदग में कि धचत निी ंिुआ िा| उसकी दसूरी इच्छा ि कक उसकी धचता को आग देते समय ढोल अवश्य बजाया जाए |

    रश्न6- ढोल की आवाज और लुट्टन के में दााँवपेंच संबंध बताइए-

    उत्तर- ढोल की आवाज और लुट्टन के दााँवपेंच में संबंध -

    चट धा, धगड़ धा→ आजा भिड़ जा | चटाक चट धा→ उिाकर पटक दे | चट धगड़ धा→मत डरना | धाक धधना नतरकट नतना→ दााँव काटो , बािर िो जाओ | धधना धधना, धधक धधना→ धचत करो

    गद्ाशं-आधाररत अिटग्रिण-संबंधधत रश्नोत्तर

    अाँधेरी रात चपुचाप आाँसू बिा रिी ि | ननस्तब्धता करुण भससककयों और आिों को अपने हृदय में िी बल पूवटक दबाने की चषे्टा कर रिी ि | आकाश में तारे चमक रिे िे | पथृ्व पर किी ंरकाश का नाम निीं| आकाश से टूट कर यहद कोई िावुक तारा पथृ्व पर आना ि चािता तो उसकी ज्योनत और शक्ति रास्ते में िी शरे् िो जात ि | अन्य तारे उसकी िावुकता अिवा असफलता पर णखलणखलाकर िाँस पड़ते िे | भसयारों का कं्रदन और पेचक की डरावन आवाज रात की ननस्तब्धता को िंग करत ि | गााँव की झोपक्तडयों स ेकरािने और कै करने की आवाज, िरे राम िे िगवान की टेर सुनाई पड़त ि | बच्च ेि ननबटल कंिों से मााँ –मााँ पुकारकर रो पड़ते िे |

    क अाँधेरी रात को आाँसू बिाते िुए क्यों हदखाया गया िै ?

  • 90

    उत्तर– गााँव में िैजा और मलेररया फैला िुआ िा | मिामारी की चपेट में आकार लोग मर रिे िे |चारों ओर मौत का सनाटा छाया िा इसभलए अाँधेरी रात ि चपुचाप आाँसू बिात स रत त िो रिी ि |

    ख तारे के माध्यम से लेखक क्या किना चािता िै? उत्तर– तारे के माध्यम स ेलेखक किना चािता िै कक अकाल और मिामारी स ेत्रस्त गााँव वालों की प ड़ा को दरू करने वाला कोई निीं िा | रकृनत ि गााँव वालों के दुुःख से दखु ि | आकाश से टूट कर यहद कोई िावुक तारा पथृ्व पर आना ि चािता तो उसकी ज्योनत और शक्ति रास्ते में िी शरे् िो जात ि |

    ग रात की ननस्तब्धता को कौन िंग करता िा ? उत्तर– भसयारों की च ख-पुकार, पेचक की डरावन आवाजें और कुत्तों का सामूहिक रुदन भमलकर रात के सन्नाटे को िंग करते िे |

    घ झोपक्तड़यों से कैस आवाजें आ रिी िैं और क्यों? उत्तर– झोपक्तड़यों से रोधगयों के करािने, कै करने और रोने की आवाजें आ रिी िैं क्योंकक गााँव के लोग मलेररया और िैज ेसे प क्तड़त िे | अकाल के कारण अन्न की कम िो गय ि | और्धध और पथ्य न भमलने के कारण लोगों की िालत इतन बुरी ि कक कोई िगवान को पुकार लगाता िा तो कोई दबुटल कंि से मााँ–मााँ पुकारता िा |

  • 91

    15 चालस चैन्द्प्लन यान िम सब

    लेखक-प्वष्णु खरे

    पाि का साराशं –चालस चनै्द्प्लन ने िास्य कलाकार के रूप में पूरी दनुनया के बिुत बड़ ेदशटक वगट को िाँसाया िै | उनकी कफल्मों ने कफल्म कला को लोकतांबत्रक बनाने के साि-साि दशकों की वगट और वणट-वयवस्िा को ि तोड़ा | चालस ने कला में बुप्द्ध की अपके्षा िावना को मित्त्व हदया िै | बचपन के संघर्ों ने चालस के िाव कफल्मों की िूभम तैयार कर दी ि | िारत य कला और सौंदयटशास्त्र में करुणा का िास्य में पररवतटन िारत य परम्परा में निीं भमलता लेककन चालस एक ऐसा जादईु वयक्तित्व िै जो िर देश, संस्कृनत और सभ्यता को अपना सा लगता िैं| िारत य जनता ने ि उन्िें सिज िाव स ेस्व कार ककया िै| स्वयं पर िाँसना चालस न े िी भसखाया| िारत य भसनेमा जगत के सुरभसद्ध कलाकार राजकपूर को चालस का िारत यकरण किा गया िै | चालस की अधधकांश किल्में मूक िैं इसभलए उन्िें अधधक मानव य िोना पड़ा | पाि में िास्य कफल्मों के मिान अभिनेता ‘चालस चनै्द्प्लन’ की जादईु प्वशरे्ताओं का उल्लेख ककया गया िै न्द्जसमें उसने करुणा और िास्य में सामंजस्य स्िाप्पत कर किल्मों को सावटिौभमक रूप रदान ककया।

    रश्न१ -चालस के ज वन पर रिाव डालने वाली मुख्य घटनाएाँ कौन स ि ?

    उत्तर- चालस के ज वन में दो ऐस घटनाएाँ घटीं न्द्जन्िोंने उनके िाव ज वन पर बिुत रिाव डाला |

    पिली घटना - जब चालस ब मार िे उनकी मााँ उन्िें ईसा मस ि की ज वन पिकर सुना रिी ि | ईसा के सूली पर चिने के रसंग तक आत-ेआते मााँ-बेटा दोनों िी रोने लगे| इस घटना न ेचालस को स्नेि, करुणा और मानवता जैस ेउच्च ज वन मूल्य हदए |

    दसूरी घटना िै– बालक चालस कसाईखाने के पास रिता िा| विााँ सैकड़ों जानवरों को रोज मारा जाता िा| एक हदन एक िेड़ विााँ से िाग ननकली| िेड़ को पकड़ने की कोभशश में कसाई कई बार कफसला| न्द्जसे देखकर लोग िंसने लगे, ििाके लगाने लगे| जब िेड़ को कसाई ने पकड़ भलया तो बालक चालस रोने लगा| इस घटना न ेउसके िाव कफल्मों में त्रासदी और िास्योत्पादक तत्वों की िूभमका तय कर दी |

    रश्न२ – आशय स्पष्ट कीन्द्जए–

    चैन्द्प्लन ने भसफट कफल्मकला को िी लोकताबंत्रक निी बनाया बन्द्ल्क दशटकों की वगट तिा वणट-वयवस्िा को ि तोड़ा|

    उत्तर- लोकतांबत्रक बनाने का अिट िै कक कफल्म कला को सि के भलए लोकप्रय बनाना और वगट और वणट-वयवस्िा को तोड़ने का आशय िै- समाज में रचभलत अम र-गरीब, वणट, जानतधमट के िेदिाव को समाप्त करना |चैन्द्प्लन का चमत्कार यि िै कक उन्िोंने कफल्मकला को बबना ककस िेदिाव के सि लोगों तक पिुाँचाया| उनकी कफल्मों न े समय िूगोल और संस्कृनतयों की स माओ ं को लााँघ कर सावटिौभमक

  • 92

    लोकप्रयता िाभसल की | चालस ने यि भसद्ध कर हदया कक कला स्वतन्त्र िोत िै, अपने भसद्धांत स्वयं बनात िै |

    रश्न३– चालस चैन्द्प्लन की कफल्मों में ननहित त्रासदी/करुणा/िास्य का सामंजस्य िारत य कला और सौंदयटशास्त्र की पररधध में क्यों निीं आता?

    उत्तर- चालस चनै्द्प्लन की कफल्मों में ननहित त्रासदी/करुणा/िास्य का सामंजस्य िारत य कला और सौंदयटशास्त्र की पररधध में निीं आताक्योंकक िारत य रस-भसद्धांत में करुणा और िास्य का मेल निीं हदखाया जाता क्योंकक िारत य सौंदयटशास्त्र में करुणरस और िास्य रस को परस्पर प्वरोध माना गया िै अिाटत जिा ंकरुणा िै विााँ िास्य निीं िो सकता। िारत में स्वयं पर िाँसने की परंपरा निीं िै परंत ुचालस के पात्र अपन ेपर िाँसत–ेिाँसाते िैं। चालस की किल्मों के दृश्य िाँसात-ेिाँसाते रुला देते िैं तो कि करुण दृश्य के बाद अचानक िी िाँसने पर मजबूर कर देते िैं।

    रश्न४– चालस के कफल्मों की प्वशरे्ताएाँ बताइए |

    उत्तर- चालस की किल्मों में िास्य और करुणा का अद्भतु सामंजस्य िै। उनकी किल्मों में िार्ा का रयोग बिुत कम िै। चालस की किल्मों में बुप्द्ध की अपेक्षा िावना का मित्त्व अधधक िै। उनकी किल्मों में सावटिौभमकता िै। चालस ककस ि संस्कृनत को प्वदेश निी लगते। चालस सबको अपने लगते िै। चालस न ेकिल्मों को लोकतांबत्रक बनाया और किल्मों में वगट तिावणट-वयवस्िा को तोड़ा। अपन कफल्मों में चालस सदैव धचर युवा हदखता िै।

    गद्ाशं-आधाररत अिटग्रिण-संबंध रश्नोत्तर

    गद्ांश संकेत –चालस चनै्द्प्लन यान िम सब (पषृ्ठ १२० )

    यहद यि वर्ट चनै्द्प्लन की ..........................................काफी कुछ किा जाएगा |

    रश्न (क)-प्वकासश ल देशों में चनै्द्प्लन क्यों मशिूर िो रिे िैं?

    उत्तर - प्वकासश ल देशों में जैस-ेजैस ेटेलीप्वजन और व क्तडयो का रसार िो रिा िै, लोगों को उनकी कफल्मों को देखने का अवसर भमल रिा िै |एक बिुत बड़ा वगट नए भसरे से चालस को घड़ सुधारत ेऔर जूते खाने की कोभशश करते देख रिा िै, इस भलए चालस प्वकासश ल देशों में लोकप्रय िो रिे िैं |

    (ख)- पन्द्िम में चालस का पुनजीवन कैसे िोता रिता िै ?

    उत्तर - पन्द्िम में चालस की कफल्मों का रदशटन िोता रिता िै| उनकी कला से रेरणा पाकर िास्य किल्में बनत रित िैं | उनके द्वारा ननिाए ककरदारों की नकल, अन्य कलाकार करते िैं | पन्द्िम में चालस का पुनजीवन िोता रिता िै|

  • 93

    (ग)- चालस को लोग बुिापे तक क्यों याद रखेंगे ?

    उत्तर –िास्य कलाकार के रूप में लोग चालस को बुिाप ेतक याद रखेंगे क्योंकक उनकी कला समय, िूगोल और संस्कृनतयों की स माओं को लााँघकर लाखों लोगों को िाँसा रिी िै|

    (घ)- चालस की कफल्मों के बारे में काफी कुछ किा जाना क्यों बाक़ी िै ?

    उत्तर –चनै्द्प्लन की ऐस कुछ किल्में या इस्तेमाल न की गय रीलें भमली िैं न्द्जनके बारे में कोई निीं जानता िा | चालस की िावनारधान िास्य कफल्मों ने कला के नए रनतमान स्िाप्पत ककए िैं अत: चालस की कफल्मों के बारे में अि काफी कुछ किा जाना बाक़ी िै|

    16 नमक

    लेणखका - रन्द्जया सज्जाद जिीर

    साराशं -‘नमक’िारत-पाक प्विाजन पर भलणखत माभमटक किान िै | प्वस्िाप्पत िुए लोगों में अपने–अपन ेजन्म स्िानों के रनत आज ि लगाव िै| धाभमटक आधार पर बन राष्ट्र-राज्यों की स मा-रेखाएाँ उनके अतंमटन को अलग निीं कर पाई िैं | िारत में रिन ेवाली भसख ब व लािौर को अपना वतन मानत िै और िारत य कस्टम अधधकारी, ढाका के नाररयल पान को यादकर उसे सवटशे्रष्ठ बताता िै। दोनो देशों के नागररकों के ब च मुिब्बत का नमकीन स्वाद आज ि कायम िै इस भलए सकिया िारत में रिने वाली अपन मुाँिबोली मााँ, भसख ब व के भलए लािौरी नमक लाने के भलए कस्टम और कानून की परवाि निीं करत ।

    रश्न1- ‘नमक’ पाि के आधार पर बताइए कक सकफया और उसके िाई के प्वचारों में क्या अतंर िा?

    उत्तर- १-सकफया िावनाओं को बिुतमित्त्व देत िै पर उसका िाई बौप्द्धक रवपृ्त्त का िै, उसकी द�