श्री लথीिन्सहोार िमाः - srimadhvyasa · 2017-06-09 ·...

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http://srimadhvyasa.wordpress.com/https://sites.google.com/site/srimadhvyasa/ Page 1 आचाराय ीमदाचाराय सϿु मे जв जвनि॥गु रभावं ӜरनϿ भानि ी जरिीयवा ॥् ӿं वДे जगο ुरम ी लʊीि्नसंहार िम Sr Date Remarks By 1 30-05-2017 Typing Started on H K Srinivasa Rao 2 30-05-2017 Typing Ended on H K SRINIVASA RAO 3 09-06-2017 I Proof Reading H K SRINIVASA RAO & M S VENUGOPAL 4 09-06-2017 Published H K Srinivasa Rao

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Page 1 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

शरी लकषमीिनसहार िमाः

Sr Date Remarks By

1 30-05-2017 Typing Started on H K Srinivasa Rao

2 30-05-2017 Typing Ended on H K SRINIVASA RAO

3 09-06-2017 I Proof Reading H K SRINIVASA RAO & M S VENUGOPAL

4 09-06-2017 Published H K Srinivasa Rao

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Page 2 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

॥ಶರೀಹಯವದನರಂಗವಟಠಲಗ ೀಪೀನಾಥ ೀವಜಯತ ೀ॥

Blessed by Lord and with His divine grace, we are pleased to publish this Magnanimous Work of Sri Acharya Madhwa. It is a humble effort to make available this Great work to Sadhakas who are interested in the noble path of propagating Acharya Madhwa’s Philosophy.

With great humility, wesolicit the readers to bring to our notice any inadvertant typographical mistakes that could have crept in, despitegreat care.We would be pleased to incorporate such corrections in the next versions.Users can contact us, for editable version, to facilitate any value additions.

Contact: H K SRINIVASA RAO, N0 26, 2ND FLOOR, 15TH CROSS, NEAR VIDHYAPEETA CIRCLE, ASHOKANAGAR, BANGALORE 560050. PH NO.

26615951, 9901971176, 8095551774, Email :[email protected]

ಕೃತಜಞತ ಗಳು

ಜನಮಾಂತರದ ಸುಕೃತದ ಫಲವಗ ಮಧವಮತದಲಲ ಜನಸಲು, ಪರೇಮಮೂರತಗಳಗ ನನನ ಅಸತತವಕ ಕರಣರದ, ಈ ಸಧನಗ ಅವಕಶ ಮಡದ, ನನನ ಪೂಜಯ ಮತ-ಪತೃಗಳದ, ದವಾಂಗತರದ ಲಲಲತಮಮ ಮತು ಕೃಷಣರವ ಹಚ ಆರ ಇವರ ಸವ ನನಪನಲಲ ಈ"ಜಞನಯಜಞ"

ಕೃತಜಞತಗಳು: ಶರೇರಘವೇಾಂದರಸವಮಗಳ ಮಠ-ಮಾಂತರಲಯ ಇವರಾಂದ ಪರಕಶತವದ ಸದಚರ ಮುಕವಲಲ, ಹಗು ಶರೇ ಪರಣನಥಚಯ ಕೃಷ ಣಚಯ ಪಾಂಗರ ಇವರಾಂದ ಸಾಂಗರಹಕವದ ‘ದೇವಪೂಜ ಸೂಕಗಳ ಪರರತಪದ ಅನವಯರ ಭವರಗಳು’ (ಶರೇ ತತಚಯ - ಕೃಷ ಣಚಯ ಪಾಂಗರ ಇವರಾಂದ ಲಲಖತವದ ಕೃರತ)

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Page 3 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

शरी लकषमीिनसहार िमाः ............................................................................................................................................. 1

मनयसकतपिशचरणनवन ाः ............................................................................................................................................ 4

पराणारामाः ............................................................................................................................................................. 4

ऋनिचछद ो दविााः .................................................................................................................................................. 4

पञचाङगनयासाः .......................................................................................................................................................... 4

धयािम ॥ ................................................................................................................................................................. 4

सङकलपाः ................................................................................................................................................................ 4

मनयसकतमनतराः ........................................................................................................................................................ 4

पादशाः समपटी रणम ॥ .............................................................................................................................................. 5

अ यच यशाः समपटी रणम ॥ ........................................................................................................................................... 7

अथव ऋकशाःसमपटी रणम ॥ ......................................................................................................................................... 9

धयािम ॥ ............................................................................................................................................................... 13

पञचाङगनयासाः ........................................................................................................................................................ 13

ऋनिचछद ो दविााः ................................................................................................................................................ 13

पराणारामाः ........................................................................................................................................................... 13

शरी ण ाप यणम ॥ ...................................................................................................................................................... 13

शरी मनयसतक वयाखयािम ॥ ........................................................................................................................................ 13

परसतावना .......................................................................................................................................................... 13

मनयसकतमनतराः ...................................................................................................................................................... 14

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Page 4 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

मनयसकतपिशचरणनवन ाः पराणारामाः

उगर वीर महानवण जवलनत सव यिोमखम ॥। िनसह भीिण भदर मतयमतय िमामयहम ॥॥

ऋनिचछद ो दविााः असय शरी मनयसकतमनतरसय िापसो मनयाः भीमसिो वा ऋनिाः। आारााः जगिी नद ाः। ििो िवािा निषटप ॥ नद ाः। ििशचिणाा जगिी नद ाः। मनयिाम शरीलकषमीिनसहो दविा। मनयसकतमनतर परशचरण नवनिरोगाः।

पञचाङगनयासाः उगर वीर महानवण - हदरार िमाः। जवलनत सव यिोमख - नशरस सवाहा। िनसह भीिण भदर – नशखार वौिट ॥। मतयमतय िमामयह – वचार हम ॥। उगर वीर महानवण जवलनत सव यिोमखम ॥। िनसह भीिण भदर मतयमतय िमामयहम ॥ – असतरार फट ॥॥

धयािम ॥ वजर लप नििरि सव यशिनििदिम ॥। दवानिशदार ोपि धयार ता मनय रनपणम ॥॥ धयारिनसहमरवतत-रनवनििि जािपरसकत- ररगममथवापराभयाम ॥। चकर र च द ि नपरररा समि निगमाश- ोटयन -िज-समगरयशनकतम ॥॥

सङकलपाः शरीमनमधवाचारा यणा हतकमलमधयनिवानस वासदव-सङकि यण-परमनानिरदध-चिम यतया यनद अिनताविारातम मखयपराणसथ-मनयिाम -शरीलकषमीिनसहपररणरा, मनयिाम शरीलकषमीिनसह परीतयथवा (मिोभीषटनसदधयथवा) मनयसकत-मनतर-पिशचरण नरषय॥

मनयसकतमनतराः शरीगरभयो िमाः हनराः ओ॥ रसत मनयोऽनवि दवजर सार सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥। साहयाम दासमारा तरा र जा सहिसकिि सहिसा सहिसविा॥ 1॥ मनयनरनदरो मनयरवासि द वो मनयहोिा वरि णो जािवदााः। मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः॥2॥

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Page 5 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥। अनमिहा वििहा दिसय हा च नवशा वसनया भािरा त िाःि॥3॥ त नह मनयो अनभभतयोजााः सवरमभभा यमो अनभमानििाहाः। नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावािसमासवोजाः पिििास नह॥4॥ अभागाः सननप परिो अनसम िव करता िनविसयि परचिाः। ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह सवा ििर य िलदरार मनहि॥5॥ अर ि असमयपमहयवा यङ॥-परििीचीिाः सिहर नवश ाराः। मनयो वनजरनननभ मामा विवतसवहिाव दसयरि भोधयापाः॥6॥ अनभ परनहि दनिणिो भिवा मऽ ा विानणि जङघिाव भनरि। ज होनमि ि रण मधवो अगरिम भा उिपाश परिथवम नपिराव॥7॥ तरा मनयो सरथविमारजनतो हि य िमाणासो दनििा मिरताः। निगमििव आर ि ा स नशशािा अनभ पररनत िरो अनिरपााः॥8॥ अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव सिािीि याःि सहर हि एन । हतार शिि ॥ नव भिजसव वद ओजो नममािो नव म ो िदसव॥9॥ सहिसव मनयो अनभमानिमसम रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥। उगर ि पाजो िनवा रि रधर वशी वश िरस ए ज तम ॥॥10॥ ए ो रहिामिनस मनयवीनळिो नवशनवश र र स नशिशान । अ ि ततरकतवरा र जा वर मनत घोि नवजरारि णमह॥11॥ नवज ि नदनदरि इवािवबरवो(ओ)३िसमा मनयो अन पा भिव ह। नपरर ि िामि सहर गणीमनस नवदमा िमत रिि आरभथवि॥12॥ आभतया सहजा विजर सार सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥। करता िो मनयो सह मधयन महा िसयि परहि ससनजि॥13॥ ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥14॥

पादशाः समपटी रणम ॥

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Page 6 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

हनराः ओ रसत मनयोऽनवि दवजर सार - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ साहयाम दासमारा तरा र जा - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सहिसकिि सहिसा सहिसविा - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥1॥ मनयनरनदरो मनयरवासि द वाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ मनयहोिा वरि णो जािवदााः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥ ॥2॥ अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥।- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ अनमिहा वििहा दिसय हा चि- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नवशा वसनया भािरा त िाःि - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥3॥ त नह मनयो अनभभतयोजााः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सवरमभभा यमो अनभमानििाहाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावाि ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ असमासवोजाः पिििास नह - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥ ॥4॥ अभागाः सननप परिो अनसम- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ िव करता िनविसयि परचिाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सवा ििर य िलदरार मनहि - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥5॥ अर ि असमयपमहयवा यङ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ परिीचीिाः सिहर नवश ाराः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ मनयो वनजरनननभ मामा विवतसव - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ हिाव दसयरि भोधयापाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥6॥ अनभ परनहि दनिणिो भिवा म - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ अ ा विानणि जङघिाव भनरि - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ ज होनमि ि रण मधवो अगरिम ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ उभा उिपाश परिथवम नपिराव - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥7॥

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Page 7 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

तरा मनयो सरथविमारजनताःि- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ हि य िमाणासो दनििा मिरताः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ निगमििव आर ि ा सनशशािााः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ अनभ पररनत िरो अनिरपाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥8॥ अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सिािीि याःि सहर हि एन - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ हतार शिि ॥ नव भिजसव वदाःि- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ ओजो नममािो नव म ो िदसव - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥9॥ सहिसव मनयो अनभमानिमसम - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ उगर ि पाजो िनवा रि रधर - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ वशी वश िरस ए ज तम ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ 10॥ ए ो रहिामिनस मनयवीनळिाः- शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नवशनवश र र स नशिशान - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ अ ि ततरकतवरा र जा वर - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ मनत घोि नवजरारि णमह - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ 11॥ नवज ि नदनदरि इवािवबरवाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ असमा मनयो अन पा भिव ह - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नपरर ि िामि सहर गणीमनस - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नवदमा िमत रिि आरभथवि - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥12॥ आभतया सहजा विजर सार - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ करता िो मनयो सह मधयन - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ महा िसयि परहि ससनजि - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ 13॥ ससिषट ििम भर समा ि िम ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ असमभय तता वरि णशच मनयाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ नभर द ािा हदिरि शििवाः - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ परानजिासो अप नि लिरनताम ॥ - शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥ 14॥

अ यच यशाः समपटी रणम ॥

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Page 8 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

शरीगरभयो िमाः हनराः ओ॥ रसत मनयोऽनवि दवजर सार सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। साहयाम दासमारा तरा र जा सहिसकिि सहिसा सहिसविा। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥1॥ मनयनरनदरो मनयरवासि द वो मनयहोिा वरि णो जािवदााः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥2॥ अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। अनमिहा वििहा दिसय हा च नवशा वसनया भािरा त िाःि। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥3॥ त नह मनयो अनभभतयोजााः सवरमभभा यमो अनभमानििाहाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावािसमासवोजाः पिििास नह। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥4॥ अभागाः सननप परिो अनसम िव करता िनविसयि परचिाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह सवा ििर य िलदरार मनहि। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥5॥ अर ि असमयपमहयवा यङ॥-परििीचीिाः सिहर नवश ाराः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। मनयो वनजरनननभ मामा विवतसवहिाव दसयरि भोधयापाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥6॥ अनभ परनहि दनिणिो भिवा मऽ ा विानणि जङघिाव भनरि। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। ज होनमि ि रण मधवो अगरिम भा उिपाश परिथवम नपिराव। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥7॥

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Page 9 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

तरा मनयो सरथविमारजनतो हि य िमाणासो दनििा मिरताः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। निगमििव आर ि ा सनशशािा अनभ पररनत िरो अनिरपााः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥8॥ अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव सिािीि याःि सहर हि एन । नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। हतार शिि ॥ नव भिजसव वद ओजो नममािो नव म ो िदसव। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥9॥ सहिसव मनयो अनभमानिमसम रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। उगर ि पाजो िनवा रि रधर वशी वश िरस ए ज तम ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥10॥ ए ो रहिामिनस मनयवीनळिो नवशनवश र र स नशिशान । नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। अ ि ततरकतवरा र जा वर मनत घोि नवजरारि णमह। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥11॥ नवज ि नदनदरि इवािवबरवो(ओ)३िसमा मनयो अन पा भिव ह। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। नपरर ि िामि सहर गणीमनस नवदमा िमत रिि आरभथवि। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥12॥ आभतया सहजा विजर सार सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। करता िो मनयो सह मधयन महा िसयि परहि ससनजि। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥13॥ ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥14॥

अथव ऋकशाःसमपटी रणम ॥

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Page 10 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

शरीगरभयो िमाः हनराः ओ॥ रसत मनयोऽनवि दवजर सार सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥। साहयाम दासमारा तरा र जा सहिसकिि सहिसा सहिसविा। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥1॥ मनयनरनदरो मनयरवासि द वो मनयहोिा वरि णो जािवदााः। मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥2॥ अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥। अनमिहा वििहा दिसय हा च नवशा वसनया भािरा त िाःि। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥3॥ त नह मनयो अनभभतयोजााः सवरमभभा यमो अनभमानििाहाः। नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावािसमासवोजाः पिििास नह। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥4॥ अभागाः सननप परिो अनसम िव करता िनविसयि परचिाः। ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह सवा ििर य िलदरार मनहि। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥5॥ अर ि असमयपमहयवा यङ॥-परििीचीिाः सिहर नवश ाराः। मनयो वनजरनननभ मामा विवतसवहिाव दसयरि भोधयापाः। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥6॥ अनभ परनहि दनिणिो भिवा मऽ ा विानणि जङघिाव भनरि। ज होनमि ि रण मधवो अगरिम भा उिपाश परिथवम नपिराव। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥7॥

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Page 11 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

तरा मनयो सरथविमारजनतो हि य िमाणासो दनििा मिरताः। निगमििव आर ि ा सनशशािा अनभ पररनत िरो अनिरपााः। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥8॥ अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव सिािीि याःि सहर हि एन । हतार शिि ॥ नव भिजसव वद ओजो नममािो नव म ो िदसव। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥9॥ सहिसव मनयो अनभमानिमसम रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥। उगर ि पाजो िनवा रि रधर वशी वश िरस ए ज तम ॥। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥10॥ ए ो रहिामिनस मनयवीनळिो नवशनवश र र स नशिशान । अ ि ततरकतवरा र जा वर मनत घोि नवजरारि णमह। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥11॥ नवज ि नदनदरि इवािवबरवो(ओ)३िसमा मनयो अन पा भिव ह। नपरर ि िामि सहर गणीमनस नवदमा िमत रिि आरभथवि। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥12॥ आभतया सहजा विजर सार सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥। करता िो मनयो सह मधयन महा िसयि परहि ससनजि। ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥13॥ ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥।ओ॥ ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥ ओ॥14॥ पिर वार मनयसकतमनतराः पठिीराः।

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शरीगरभयो िमाः हनराः ओ॥ रसत मनयोऽनवि दवजर सार सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥। साहयाम दासमारा तरा र जा सहिसकिि सहिसा सहिसविा॥1॥ मनयनरनदरो मनयरवासि द वो मनयहोिा वरि णो जािवदााः। मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः॥2॥ अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥। अनमिहा वििहा दिसय हा च नवशा वसनया भािरा त िाःि॥3॥ त नह मनयो अनभभतयोजााः सवरमभभा यमो अनभमानििाहाः। नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावािसमासवोजाः पिििास नह॥4॥ अभागाः सननप परिो अनसम िव करता िनविसयि परचिाः। ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह सवा ििर य िलदरार मनहि॥5॥ अर ि असमयपमहयवा यङ॥-परििीचीिाः सिहर नवश ाराः। मनयो वनजरनननभ मामा विवतसवहिाव दसयरि भोधयापाः॥6॥ अनभ परनहि दनिणिो भिवा मऽ ा विानणि जङघिाव भनरि। ज होनमि ि रण मधवो अगरिम भा उिपाश परिथवम नपिराव॥7॥ तरा मनयो सरथविमारजनतो हि य िमाणासो दनििा मिरताः। निगमििव आर ि ा सनशशािा अनभ पररनत िरो अनिरपााः॥8॥ अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव सिािीि याःि सहर हि एन । हतार शिि ॥ नव भिजसव वद ओजो नममािो नव म ो िदसव॥9॥ सहिसव मनयो अनभमानिमसम रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥। उगर ि पाजो िनवा रि रधर वशी वश िरस ए ज तम ॥॥10॥ ए ो रहिामिनस मनयवीनळिो नवशनवश र र स नशिशान । अ ि ततरकतवरा र जा वर मनत घोि नवजरारि णमह॥11॥ नवज ि नदनदरि इवािवबरवो(ओ)३िसमा मनयो अन पा भिव ह। नपरर ि िामि सहर गणीमनस नवदमा िमत रिि आरभथवि॥12॥ आभतया सहजा विजर सार सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥। करता िो मनयो सह मधयन महा िसयि परहि ससनजि॥13॥ ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥14॥

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धयािम ॥ वजर लपनििरि सव यशिनििदिम ॥। दवानिशदार ोपि धयार ता मनयरनपणम ॥॥ धयारिनसहमरवतत-रनव-नििि जािपरसकत- ररगममथवापराभयाम ॥। चकर र च द ि नपरररा समि निगमाश- ोटयन -िज-समगरयशनकतम ॥॥

पञचाङगनयासाः उगर वीर महानवण - हदरार िम। जवलनत सव यिोमख - नशरस सवाहा। िनसह भीिण भदर – नशखार वौिट ॥। मतय मतय िमामयह – वचार हम ॥। उगर वीर महानवण जवलनत सव यिोमखम ॥। िनसह भीिण भदर मतयमतय िमामयहम ॥ – असतरार फट ॥॥

ऋनिचछद ो दविााः असय शरी मनयसकतमनतरसय िापसो मनयाः भीमसिो वा ऋनिाः। आारााः जगिी नद ाः। ििो िवािा निषटप ॥ नद ाः। ििशचिणाा जगिी नद ाः। मनयिाम शरीलकषमीिनसहो दविा। मनयसकतमनतर परशचरण नवनिरोगाः।

पराणारामाः उगर वीर महानवण जवलनत सव यिोमखम ॥। िनसह भीिण भदर मतयमतय िमामयहम ॥॥

शरी ण ाप यणम ॥ अिि मनयसकतमनतरपिशचरण मयणा भगवाि ॥ मनयिाम शरीलकषमीिनसहातम मधवपनि शरीगोपाल ण ाः परीरिाम ॥॥ शरी ण ाप यणमसत॥ मधय मनतर-िनतर-सवर-वण य-लोप-सवयदोिपरानरनशचतताथवा िामिरमनतरजपमह नरषय। अचयिार िमाः। अिनतार िमाः।गोनवद ार िमाः॥ (इनि दवादशवार पठि ॥) स परीरिा परिमाः परमादिनताः सिार ाः सिि ससनिदसतराणा यि ॥। रतपादपदमम रद जिो नह पाथवा याः सवाराजयमापरभरि सदा नविोदाि ॥॥

इति मनयसकिमनरपनशचरण विध िः शरी मनयसतक वयाखयािम ॥

परसिािना ಈ ಸೂಕವು ಋಗವೇದದ 10 ಮಾಂಡಲದ 83-84ನೇ ಸೂಕದ 7-7 ಮಾಂತರದಾಂತ 14 ಋಙಮಾಂತರತಮಕವದದುು. ಇದಕ ಮನುಯಸಪಸ, ಇವರು (ಸವನುಕರಮ-ಕರಕರದ ಕತಯಯನ) ದೇವತಗಳದುು, ಮನುಯ (ತದಭಮನಗಳು)

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ಋಷಗಳಗರುವರು, 1,9 ಹಗೂ 11ರಾಂದ 14 ನೇ ಮಾಂತರಗಳು ಜಗರತಂಾಂದಸತಸನನಲಲದುು, ಳಳದವು ರತರಷುಪ ಂಾಂದಸತನಲಲ ಇರುತದ. ಶರೇಮದಯಯರ ಶರೇ ಮಹಭರತ ತತಪಯನಣಯ ಅಧಯಯ 17ರ 128 ನೇ ಶ ೇಕದಲಲ

ಸಮರನನೃಸಂಹಂಭಗವನತಮೀಶವರಂಸಮನಯುಸ ಕತಂಚದದಶಶಭಕತಾಾ। ಯಸ ತೀಮನ ುೀಇತುತ ೀನಾರಸಂಹಂಸ ೀಮಂತಸ ೈಚಾರಶಯಚ ಛೀಣತಾಖುಮ॥

ಎಾಂಬಶ ೇಕದಲಲಶೇಭೇಮಸೇನದೇವರುದುುಃಶಸನನಹೃದಯಸತೇಳುವಕಲಕಶತುರನಶಕರವದಈಮನುಯಸೂಕದೇವತಯದಶರೇಮನೃಸತಾಂಹದೇವರಪರತಯಕಷರೂಪವನುನವನುಕಾಂಡು, ಈ ಸೂಕರ ಮಹಮಗಳನುನ ಕಾಂಡು, ಪಠಣ ಮಡ ಶತುರವದ ದುುಃಶಸನನನುನ ಸಾಂಹರ ಮಡದರು. ಹೇಗ ಈ ಮನುಯ ಸೂಕವು ಶತುರ ನಶಕರವಾಂದು ಪರಸತದಧವಗರುವುದು. ಈ ಸೂಕವನುನ ಪರರತದವಸ ಯರು ಪಠಣ ಮಡುವರೂೇ ಅವರಗ ಶತುರಗಳ ೇ ಇರುವುದಲ ಹಗೂ ಅವರಗ ಶತರಗಳ ಭಯವೂ ಇರುವುದಲ. ಕರಣ ಪರರತದವಸ ದೇವರ ಪೂಜ ಕಲದಲಲ ಈ ಸೂಕವನುನ ಪರಯಣ ಮಡುವ ಸಾಂಪರದಯ ಳಾಂಟು.

असय मनयसकतसय मनयाः िापसाः दविााः मनयऋनिाः, 1,9,11-13 मनतरसय जगिी नद ाः, 3-7,10 मनतरसय निषटप ॥ नद ाः, असय मनतरसय (पर ाि दविा) शरी िरनसहदविा परीतयथव जप नवनिरोगाः।

मनयसकतमनतराः शरीगरभयो िमाः हनराः ओ॥ रसत मनयोऽनवि दवजर सार सह ओजाःि पषयनि नवशािमाि ि ॥। साहयाम दासमारा तरा र जा सहिसकिि सहिसा सहिसविा॥1॥

पद – राः ि, मनयो, अनव ि वजरसार , सह ओजाः पषयनि, नवश आिि ॥॥ साहयाम, दास, आरा, तरा, रजा, सहसकिा, रि, सहसा, सहसविा॥1॥

अनवर – ह वजरसार , ओजाः, सह, राः ि, मनयो, अनव ि, आिि , नवश, पषयनि, तरा, रजा, सहसकिा, सहसविा, सहसा, दास, आरा साहयाम ॥1॥

अथव य – ह [वजर] – शिवज यि ि जञािािद सवरप वजरवि ॥ सारभि, [सारा ] – राहयानताः शिलर ि, [ओजाः] – जञाि शरीररल परभाव ीनि यच, [सह] – पनरचरनि – जगतजयि नसथनि रलानद ाः सव याः गणाः पण य एव ि ि निग यण इनि निणा यर शासतराधयरि परवचि गर ल सवानदिाच पनरच(रणा)रा यनदिा सवि स एव, [आऩि ] – सव यिाः सव यपर ारण गणपण यसय शरी िनसहसय ितपरनिपाद शासतरसय ितपरवकतग यरोशच सह समबनध, [नवश] – समसत सवासकत पवोकतभकतजिम ॥, [पषयनि] – पोिण पररकत शिनवन िाशिपव य सरिण समथवो िा य भवनि, िसमादव वरमनप – [तरा] – पवोकत वजरसार तानद गण नवनशषटि भविा, [रजा] – तदीरि सिा ततपरसादि – िदिगरहण समपानदिि , [सहसकिा] – रलोतपाद ि (रल िा य), [सहसविा] – रलविासह िविारा, [सहसा] – जञािानदरलि सनयि वा – [दास] – िीच नहस , असर

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जाि, उपिर ार शि उभरनव , [आरा] – महानत असमिो अन , अनतर यनहसथ शि , [साहयाम] – सहामाः, निरा म याः, अनभभवम ितमथवा यभवामाः॥1॥ ತತಪಯರ: (ವಜರದಾಂತ) ಸಾಂರಕಷಣವನುನ ಮಡುವನು. ಸಮಸ ಜಗರತನ ಸೃಷಪಸತಥತರತ ಬಾದಗಳಾಂತ ಸವಗುಣಗಳಾಂದ ಪೂಣನಗದುು, (ನಗುಣರಾಂತ ಅಲ) ನಣಯಕವದ ಶಸಾಧಯಯನ, ಪರವಚನ, ಗುರುಕುಲ ಸೇವದ ಪರಚಯದಗಳಾಂದ ಸೇವಸುತ, ಸವತರ ಎಲ ಪರಕರಗಳಾಂದ ಗುಣಪೂಣನದ ಶರೇ ನೃಸತಾಂಹದೇವರ, ಅವನ ಪರರತಪದಕ ಶಸಾಗಳ, ಅವುಗಳನುನ ಪರವಚನ ಮಡುವ, ಗುರುಗಳ ಸಾಂಬಾಂಧ, ಸಮಸ ಸೇವ ಮಡತಕ ಪೂರೇಕ ಭಕ ಜನರನುನ ಪೇಷಸುವ ಕರಣ ಶತುರ ಹಗೂ ವಘನನಶನ ಪೂವಕ ಸಾಂರಕಷಣ ಮಡುವವನಗದುನ. ಆದ ಕರಣದಾಂದ ನವದರೂ ಈ ಮೊದಲು ಹೇಳದಾಂತ ವಜರ ಸಯಕತವದ ಗುಣ ವಶಷಾದಗಳಾಂದ ಅವನ (ಆ ದೇವರ) ಸಾಂಗಡ, ಅವನ ಪರಸದದಾಂದ, ಅವನ ಅನುಗರಹದಾಂದ ಸಾಂಪದಸತದ ಬೇಜೂೇತಪದನದಗಳಾಂದ ಕೂಡಕೂಾಂಡು, ಜಞನಬಲದಾಂದ ಅರವ ಸೈನಯ ಬಲದಾಂದ, ನೇಚರದ, ಹಾಂಸಕರದ, ಅಸುರರರಾಂದ ಹುಟಟಪದ, ಳಪದರವಕರಕ, ಳಭಯವಧ ಶತುರಗಳನುನ, ನಮಗಾಂತಲೂ ಏಷೂಪೇ ಅಧಕರದರೂ ಅಾಂತಬಹಸಥತ ಶತುರಗಳನುನ

ನರಕರಣಪೂವಕ ಸಹಸತಕೂಳಳಲಲು ಸಮರರಗುವವು.॥1॥

मनयनामक शरी नससिहि सव दवावायतयवव न सतवन त तवकत क लामनमथय यत ।

मनयनरनदरो मनयरवासि द वो मनयहोिा वरि णो जािवदााः। मनय नवशि ईळि माि ििीरा याः पानह िो मनयो िपिसा सजोिााः॥2॥

पदाः – मनयाः इनदराः मनयाः एव आस, दवाः मनयाः होिा वरणाः जािवदााः।मनय नवशाः ईळि मििीाः रााः पानहिाः मनयो, िपसा, सजोिााः॥2॥

अनवराथव याः – [मनयरव] – पवा मनतरोकत पर ारण गणपण याः शरी िनसह एव, [इनदराः] – परम ईशरतानद दािा, परथवम मनवनतरीराः इनदराः रजञिाम ाः नदविीरानद इदािीनति सपतमानद मनवनतरीर इनदराः, [आस] – आसीि ॥ अनसत, भनवषयनिच, िथवा [दवाः] – बरहमानद दवािा मनयरव सषटा, निराम ाः िदनतग यिाः िततननामाच [आस] – अनसत, िथवा [होिा] – दशननदररि नविर (हो) दािताि ॥ होि शबद वाचयोनप अनिरनप मनयरव – शरी िनसह एव [वरणाः] – वरशरषठािद परदािा परनसदध वरणाः, [जािवदााः] – [जा] – सव य वसत जञािी परनसदध जािवदानिरनप मनयरव आस – अनसत, [ह मनयो] – एिादश गणनवशषट ह िनसह िाः रााः नवशाः असमा रााः परजााः, [मनय ] – पवोकत अनवथव य िामाि ता िनसहमव, [िपसा] – चछरचानदरारणोपवासाधयरिानदिा [सजोिााः] – सवा यिषठाि िवसवव ि अनय फल परापतयथवा पररतन असमतकियवय सवभावातम मवनि सखि िण ज सखिव, [ईळि] सवनत िााः [माििीाः] – मिषयासमतपरजााः िाः असमाशच, [पानह] – पालरसव॥2॥ ತತಪಯರ – ಪೂವ ಮಾಂತರದಲಲ ಹೇಳದ ಪರಕರ ಗುಣಪೂಣನದ ಶರೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಪರಮ ಶರೇಷಾತವವನುನ ಕೂಡುವ ಪರರಮ ಮನವಾಂತರದ ಇಾಂದರನದ ಯಜಞನಮಕ ಹಗೂ ದವರತೇಯ ಮನವಾಂತರದಾಂದ ಈಗನ ಸಪಮ ಮನವಾಂತರದ ಇಾಂದರನಗದುು ಮುಾಂದಯೂ ಆಗುತನ. ಅದರಾಂತ ಬರಹಮದ ದೇವತಗಳನುನ ಸೃಷಪಸತ, ನಯಮಕನಗ, ಅವರ ಅಾಂತಗತನಗ ಅವರ ಹಸರನಾಂದಾೇ ಕರಸತಕಾಂಡು ಇರುತನ. ಅದರಾಂತ ದಶೇಾಂದರಯಗಳನುನ ಕೂಟುಪ ಹೂತೃಶಬುವಚಯನಗ ಅಗನಯಲಲಯೂ ನೃಸತಾಂಹ ರೂಪರಗ ಶರೇಷಾವರಗಳದ ಆನಾಂದವನುನ ಕೂಡುವ ಪರಸತದಧ ವರುಣನಗ, ಹುಟಟಪದ ಎಲ ವಸುಗಳ ಜಞನಯಗ, ಪರಸತದಧ ಜತವೇದಗನ ಸಹ ತನೇ ಆಗ ಇರುತನ. ಏತದೃಶ ಗುಣ ವಶಷಪನದ ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ ನಮಗ ಯವ ವಷಯಗಳ ಅಪೇಕಷಯೇ ಅವುಗಳನುನ ಹಗೂ

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ನಮಮ ಪರಜರೂ ಸಾಂತರತಗಳಗೂ ಪೂರೇಕ ಅನವರ ಹಸರನ ಶರೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಕೃಚರ ಚಾಂದರಯಣ ಳಪವಸ, ಅಧಯಯನದಗಳಾಂದ ಸವ ಅನುಷಾನವು ನನನ ಸೇವಯೇ. ಬೇರ ಫಾಪೇಕಷ ಇಲದೇ ನಮಮ ಕತವಯವಾಂದು ಸವಭವಸತದಧವಾಂದು ಸುಖದಾಂದಾೇ ಸೇವಸುವರು. ಅಾಂರ ಮನುಷಯರನುನ ನಮಮ ಪರಜರನುನ ನಮಮನೂನ ಸಹ

ಪಲಲಸುವವನಗು.॥2॥

लव मनरदवय न रहनन सामरथय सवसिरकषणञच पराथय ययववा इाानीि रहनन लव कि जञान धनि पराथय यत ॥ अससमनमनररः – अभीनह मनयो िवससतवीराि ॥ िपिसा र जा नव जिनह शिि ॥। अनमिहा वििहा दिसय हा च नवशा वसनया भािरा त िाःि॥3॥

पद – अनभ, इनह, मनयोइनि, िवसाः िवीराि ॥ िपसा, रजा, नव, जनह, शिि ॥, अनमिऽहा, विऽहा दसयहा, च, नवशा, वसनि, आ, भर, त, िाः॥3॥

अनवराथव याः – [ह मनयो] – ह िनसह त, [िवसाः] – िनजषट रनलषटापिरा, [िवीराि] – सदावनदधमताि ॥ पण यताि ॥ अनिशरि िजनसवि ॥ रनलषटिशच त, [अनभ इनह] – सनमख आ (गनह) गचछ, रजा िपसा – सहजि सवाभानव ि आलोचिि, समान िाचच, [शिि ॥] – राहयानताः शिि ॥ , [नव जनह] – नवशिण िाशर, [त] – भवािव, [अनमिहा] – राहयशिहनता, [विहा] – जीवावर अजञािानद अनरहनता, [च िाः ]– न ञच, असमा , [दसयहा] – अजञाि अभनकत परमादालसयानद चोरहनताच अनस, अिाः [िाः] – असमा [नवशा] – सवा यनण, [वसनि] – जञािानद सा िानि, [आभर] – समय ॥ परर – दनह॥3॥ ತತಪಯರ – ಹೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ನನನ ಬಲಲಷಪವದ ತೇಜಸತಸನನಕಾಂತಲೂ ಯವರತನಕಾಂತಲೂ ವೃದಧಯಗುವ ಪೂಣವದ, ಅರತಶಯವದ ತೇಜಸುಸನ ಬಲಲಷಾತಯಾಂದ ನೇನು ಸನುಮಖನಗ ಬರುವಾಂರವನಗು. ಸಹಜವದ ಸವಭವಕವದ ಆಾೂೇಚನಯಾಂದ, ಹೂರಗನ ಹಗೂ ಒಳಗನ ಶತೃಗಳನುನ ವಶೇಷವಗ ನಶ ಮಡು. ನೇನೇ ಬಹಯ ಶತೃಗಳನುನ ನಶ ಮಡುವವನು, ಜೇವಕ ಆವರಕವದ ಅಜಞನದ ಶತೃಗಳನುನ ನಶ ಮಡುವವನು. ಅಷಪೇ ಅಲದೇ, ನಮಮಲಲದು ಅಜಞನ, ಅಭಕ, ಪರಮದ, ಆಲಸಯ ಮೊದಾದ ಚೂೇರರನುನ ನಶ ಮಡುವವನರುವ. ಆದುರಾಂದ ನಮಮ ಸಮಸ ಜಞನ, ಧನ ಮೊದಾದವುಗಳನುನ ಸರಯಗ ಪೂರೈಸತ ಕೂಡು॥3॥

त नह मनयो अनभभतयोजााः सवरमभाःभा यमो अनभमानििाहाः। नवशचिि यनणाः सहिनराः सहावािसमासवोजाः पिििास नह॥4॥

पद – त, नह, मनयो, अनभभनिऽओजााः, सवरमभाः, भामाः, अनभमानिऽसहाः, नवशऽचि यनणाः सहनराः, सहावाि ॥, असमास, ओजाः पििास नह॥4॥

अनवराथव याः – [अनभभनिऽओजााः] – परानभभव ारोजाःशाली, [सवरमभ] – सवरमव सतमभ अनभवयकताः, [भामाः] – पर ाश जञािरपाः, मा यनवरदध करो वाि ॥, [अनभमानिअसहाः] – उभरशिनहस ाः, अनभमिाथव यपरदाः, [नवशचि यनणाः] – िािानव रहपरजानशषयान दरषटा, अन पशच, [सहनर ] – सहिशीलाः, [सहावाि ॥] – रलवाि ॥ शिवगसहाः, माग यशीि य मासनपरराः, [त] – एिादशो भवाि ॥, [ह मनयो] —

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Page 17 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

परथवममनतरोकत गणपण याः िरनसहाः, [असमास] – असमतमबननधिीि, [पथविास] – अजञािानद अनतरा यहय शिनभाः सह रदधगि सिास, वादि, [ओजाः] – जञाि, शरीर, रल, परभाव, ीनि यञच, [नह] – निशचरि, [ नह] – नि नह – सथापर, नविर, सवरप सखानभवयनकत परापर॥4॥ ತತಪಯರ – ಧಮದಲಲ ವರೂೇಧಕರಗಳ ಓಜಸಸನನುನ ಪರಭವ ಮಡುವ, ಸವತುಃ ಸಾಂಭದಲಲ ಅಭವಯಕನದ, ಪರಕಶ, ಜಞನರೂಪನದ, ಧಮವರುದಧ ಆಚರಸುವವರ ಮೇಾ ಕೂರೇಧಯದ, ಅಾಂತಬಹಯ ಶತೃಗಳನುನ ಹಾಂಸತಸುವ, ತನನ ಅಭಪರಯವನುನ ಚನನಗ ರತಳುಹಸುವ, ನನವಧ ಸವ ಪರಜರ ಹಗೂ ಶಷಯರ ದೃಷಪ ಹಗೂ ಸವಮಯದ, ಸಹಲಶೇಲನದ ಬಲವಾಂತನದ, ಶತೃಗಳ ವೇಗವನೂನ ಸಹಸುವ, ಮಗಶೇಷ ಮಸಭಮನಯದ, ಪರರಮ ಮಾಂತೂರೇಕ ಗುಣಪೂಣನದ ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ನಮಮ ಸಾಂಬಾಂಧಗಳಗ ಅಜಞನವೇ ಮೊದಾದ ಅಾಂತಬಹಯ ಶತುರಗಳ ಸಾಂಗಡ ಯುದಧ ಮಡುವ ಸೈನಯಕ ಹಗೂ ವದಸುವವರಗ ಜಞನ, ಶರೇರ ಬಲ, ಪರಭವ ಕೇರತಗಳನುನ ನಶಚಯವಗ ಕೂಟುಪ ಸಥತಪನ ಮಡ, ಸವರೂಪ ಸುಖಭವಯಕಯನುನ ಪರಪ ಮಡ ಕೂಡು॥4॥

अभागाः सननप परिो अनसम िव करता िनविसयि परचिाः। ि ता मनयो अकरिजजीहीळाह सवा ििर य िलदरार मनहि॥5॥

पद – अभागाः, सि ॥, अप, परााः, इनिाः, अनसम, िव, करता, िनविसय, परचच, इनि परचिाः॥ ि, ता, मनयो, इनि, अकरिाः, नजहीळ, अह सवा, ििाः, रलऽदरार, मा, आ, इनह॥5॥

अनवराथव याः – [ह मनयो!] – पवोकत िरनसह, [िनविसय] – महािजनसविाः पण यरलनवनशषटसय, [िव] – भविाः, [अपकरता] – अप ार – नवरदध ारा ता – िवशरण गता, [अभागाः] – जञाि िसमपदभागरहीिाः, दौभा यगर नवनशषटाः सि ॥, [परिाः] परिसदशाः – मि पराराः अनसम, अभवम ॥, जञाि, िहीि दनरदरसय दाःख मरणसममवनि ‘दानरदरयानमरणादवा मरण सरोचि ि दानरदरय॥ सवलपदाःखमरण दानरदरयमिनत दाःखम ॥॥’ इतयानदिा परनसदधमव, [परचिाः] – पण य पर षट चिाः रावतसवरोगर जञािपरद चििि ॥, मिनसवि ॥ रनदधमि ॥ सव यजञ, ह िरनसह, [ि ता] – पवोकत गणनवनशषट ता भवनत उनिशर, [अकरिाः] – रजि पजि रनहिाः, िव िततवजञािहीिशच अह – भागरहीिोह [ता – नजहीळ] – ता – पवोकतगण नवनशषट ससार सागराददधिा यर (ििामह समदधिा य मतयससार सागराि ॥ – गीिा – 12-7) भवनत, [नजहीळ] – तयकतवािनसम – िथवानप, [सवा ििाः] – िव सव ीर, रथवरप एििहपरनिमासथािभिाः तनननरमय, [अनसम] – अिाः मम सवा यपरा ाि ॥ िनमता, [मा] – मा परनि, [रलदरार] – जञािरल समपिािार, [आ, इनह] – आगचछ – मनर सननन तसव॥5॥ ತತಪಯರ – ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಮಹತೇಜಸತವಯದ, ಪೂಣ ಬಲ ವಶಷಪನದ ನನನ ಅಪಕರ ಅಾಂದರ ವರುದಧ ಕಯ ಮಡ, ನನಗೇ ಶರಣು ಹೂೇದರೂ ಸಹ ಜಞನ, ಧನ ಸಾಂಪದಾಗಯಹೇನರಾಂತ ದಭಗಯ ವಶಷಪರಗ ಪರೇತಸದೃಶ ಮೃತಪರಯರಾಂತ ಇದ ುೇವ. ಏಕಾಂದರ ಜಞನ, ಧನಹೇನ ದರದರನ ದುುಃಖವು ಮರಣ ಸದೃಶವದದುು ದರದರಯ ಮತು ಮರಣದಲಲ ಜನರು ಮರಣವನನೇ ಅಪೇಕಷಸುವರೇ ಹೂರತು ದರದರಯವನನಲ. ಏಕಾಂದರ ಮರಣ ದುುಃಖವು ತತಲಲಕವದದುು, ಆದರ ದರದರಯವು ಅನಾಂತಕಲದವರಗ ದುುಃಖದಯಕವದದುು. ಕರಣ ಪೂಣ ಪರಕೃಷಪ ಚೇತನರಗ ಅವರವರ ಯೇಗಯ ಜಞನಪರದನದ ಸವಜಞನದ ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ನೇನು, ನನನ ಪೂಜ ಮಡದೇ ನನಗೂೇಸರ ಯಜಞ ಯಗದಗಳನುನ ಮಡದೇ, ನನನ ತತವಜಞನ ಹೇನನಗ ಭಗಯ ಹೇನರಗ, ನನನನುನ ರತಳಯದೇ

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ಸಾಂಸರ ಸಗರವನುನ ದಟಲು ದುುಃಸಸನದಯರಗ, ನನನಾಂದದೂರವಗದುರ. ಆದರೂ ಸಹ ನನನ ಸವಾಂತ ರರರೂಪವದ ಈ ದೇಹವು ನನನ ಪರರತಮಸಥತನ ಭೂತವಾಂದು ನಾಂಬದ ುೇವ. ಕರಣ ನಮಮ ಸವಪರಧವನುನ ಕಷಮಸತ, ಜಞನ ಬಲ ಸಾಂಪದದಗಳನುನ ಕೂಡಲು ಬಾಂದು ನನನಲಲ ಸನನಧನ ಳಳಳಲವನಗು॥5॥

अर ि असमयपमहयवा यङ॥-परििीचीिाः सिहर नवश ाराः। मनयो वनजरनननभ मामा विवतसवहिाव दसयरि भोधयापाः॥6॥

पद – अर, ि, अनसम, उप, मा, आ, इनह, अवा यङ॥, परिीचीिाः, सहर, नवशऽ ाराः। मनयो, इनि, वनजरिाः, अनभ, माम, आ ववतसव, हिाव, दसयि ॥, उि, रोन , आपाः ॥6॥

अनवराथव याः – [सहर] – भकतापरा सनहण ो (शिसह), [ वनजरि ॥] – जञािािद सवरप, जञािरप वजरार इननदरर निराम , परवि य , भकतािा सवा यनरषट वज यिशील, [ह मनयो] – ह िरनसह, [अर] – भकत वग य परनवषटोर जिाः अह, [अवा यङ॥] – अ सतिाः िीचाः रधया अलपोऽनप, [परिीचीिाः] – िवाजञामाग यनवरदधाः, [ि] – िवा ीिाः, [अनसम] – आसम ॥, [मा] – तदीर मा परनि, [उप] – समीप, इनह – आगचछ, [अि] – न ञच, त नवश ाराः – समसत परपञच जगदधारण पोिण िा य (नवश टमबी) अनस, अिोनप [मा] – नवश टमबानतग यि मा, [अनभ] – आसमनताि ॥ – सव यिाः पर ारण , [आ, ववतसव] – भकतति (सवी र) वणीशच न ञच, [आपाः] – ततपरापतर ाल, [रोन ] – परमादालसय निदरानभाः पररोधय रो र उपनदश, िि [दसयि ॥] – राहयानत शिि ॥, [हिाव] वजरार वाि ॥ भवाि ॥ तदिगहीिाः अहचनि उभौ सहरावाः॥6॥ ತತಪಯರ – ಹೇ ಭಕಪರಧ ಸಹಷೂಣೇ, (ಶತುರವದರೂ ಸಹ) ಜಞನನಾಂದ ಸವರೂಪ, ಜಞನರೂಪ ವಜರಯುಧ, ಇಾಂದರಯ (ನಯಮಕ) ಪರವತಕ, ಭಕರ ಸವರಷಪ ನವರಣಶೇಲ, ನರಸತಾಂಹ, ಭಕವಗದಲಲ ಪರವಷಪರದ (ಜನರು) ನವು, ನೇಚ ಬುದಧಯಾಂದ ಅಲಪರದರೂ, ನನನ ಆಜಞ ವರುದಧ ಆಚರಣ ಇದುರೂ, ನನನ ಅಧೇನರಗದ ುೇವ. ಕರಣ ನಮಮ ಸಮೇಪ ಬಾಂದು ಇರು. ಏಕಾಂದರ ವಶವ ಕುಟುಾಂಬಾಂತಗತನದ ನನನನುನ ಎಲ ಪರಕರದಲಲ ಭಕತವೇನ ಸತವೇಕರಸು. ನೇನು ಬರುವ ಕಲದಲಲ ಪರಮದ ಆಲಸಯ ನದರಯಲಲದು ನನನನುನ ಎಬಪಸತ, ಳಪದೇಶ ಮಡು. ಅದರಾಂದ ಬಹಯಾಂತುಃ ಶತುರಗಳನುನ ವಜರಯುಧಧರಯದ ನನನ ಅನುಗರಹದಾಂದ ಇಬಬರೂ ಕೂಡ, ಸಾಂಹರಸುವ॥6॥

अनभ परनहि दनिणिो भिवा मऽ ा विानणि जङघिाव भनरि। ज होनमि ि रण मधवो अगरिम भा उिपाश परिथवमा नपिराव॥7॥

पद – अनभ, पर, इनह, दनिणिाः, भव, म, अ , विानण, जङघिाव, भनर॥ जहोनम, ि, रण, मधवाः, अगरम ॥, उभौ, उपऽऽमशाः, परथवमा, नपराव॥7॥

अनवराथव याः – [ह मनयो] – परथवम मनतरोकत शरी िनसह!, [म] – मा परनि, [अनभ] – आसमनताि ॥ सव यि, सव यदा, सव य पर ारण सननदधाः, [पर] – पर षट उताहि, [इनह] – समीपमागचछ, [दनिणिाः] – सव यदा दनिणभाग, [रल] – रनलषटस (वा)िा पनरवार दविा रकताःसि ॥ रलदार ाः [भव] – सरिण िा य भव, [अ ] – िदिनतर, [ रण] – ारणा शनकतपरद, [अगर] – सव यशरषठ, [मधवाः] – म र अमिसरानवण िीरानद हनवाः पदाथवा सोम, मिोवतयानद मा यनवरदध ामानद , म यनवरदध अह, ममिा, पशनयानद ञच, [ि] – िभय तदथवा,

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[जहोनम] – अप यरानम, होषयानम, [अ ] – हवि समप यणािनतर, [उभौ] – भवािहञचनि, आवाउभौ, [उपाश] – ए ानत, [परथवमा] – परथवमौ मखयौ भता मधवोरस, [नपराव] – परशराव, पीताच, [भनर] – अन , [विानण] – जञाि, िाावर ाि ॥ राहयानताःशिि ॥, [जङघिाव] – हिाव, पिाः पिाः िाशरामाः॥8॥ ತತಪಯರ – ಹೇ ನೃಸತಾಂಹದೇವರೇ, ನನನ ಸುತ ಮುತ ಯವಗಲೂ ಸವ ಪರಕರದಾಂದ ಸನನದಧನಗ, ಹಚಚಚನ ಳತಸನಹದಾಂದ, ಸಮೇಪ ಬಾಂದು, ಸವದ ಬಲಭಗದಲಲ ಬಲಲಷಪ ಸೇನ ಪರವರ ದೇವತಯುಕನಗ, ಬಲದಯಕನಗ ಸಾಂರಕಷಣ ಮಡುವವನಗು. ಅನಾಂತರ ಧರಣ ಮೊದಾದ ಶಕಪರದನಗ ಸವಶರೇಷಾವದ, ಮಧುರವದ. ಅಮೃತಸರವ, ಕಷೇರದ ಹೂೇಮ ದರವಯಗಳನುನ ಸೂೇಮರಸವನುನ ಅದರಾಂತ, ಮನೂೇವೃರತಗ ಅನುಗುಣವದ ಧಮವರುದಧವದ ಕಮದಗಳನುನ ಅಹಾಂಕರ ಮಮಕರಗಳನುನ ಪೈಶುನಯದಗಳನುನ ನನಗೂೇಸರವಗ ಅಪಸುತೇನ. ಅನಾಂತರ ನವಬಬರೂ (ನೇನೂ ನವೂ) ಏಕಾಂತದಲಲ ಪರರಮ ಮುಖಯರಗ ಮಧುವದ ರಸವನುನ ಕುಡದು ಹಚಚಚನ ಜಞನಧನದ ಆವರಕಗಳನುನ ಪಡದು ಬಹಯಾಂತುಃ ಶತುರಗಳನುನ ಮೇಲಲಾಂದ ಮೇಾ ನಶ ಮಡೂೇಣ॥7॥

तरा मनयो सरथविमारजनतो हि य िमाणासो दनििा मिरताः। निगमििव आर ि ा सनशशािा अनभ पररनत िरो अनिरपाः॥8॥

पद – तरा, मनयो, इनि, सऽरथव, आऽरजनत, हि यमाणासाः, नििाः मरताः। निगमऽइिवाः, आर ा, सम ॥ऽनशशािाः, अनभ, पर,रनत, अनिरपााः॥8॥

अनवराथव याः – [ह मनयो], िरनसह, [तरा] – पवोकत महातमयविा भविासह, [सरथव] – समाि दहाखय अशरकतञच रथव आरहय शि – [आरजनताः] – ि परनि, आसमनताि ॥ समय ॥ गचछनताः, रोगरकत व यिाः, िाशरनताः, [िराः] ििाराः इनदरादरोदवााः, तदिचरााः मिषयाशच, [हि यमाणासाः] – सनतषटााः सनताः, [ नििााः] – दपतााः घि यण व यनताः सनताः , [मरततवाः] – अशनिशिनमाररनताः, वगवनताः सनताः, [निगमिवाः] – वजरवि ॥ नठण राणरकताः, [आर ााः], खडगाार ानिच, [सनशशािााः] – समयकशोणोललीढरार ाः सननदधा सनताः, [अनिरपााः] – अनिवदगर गता दाहानद म यणा सननदधााः सनताः, [अनभ] – राहयानतशिणा अनभमख, [पररनत] – पर षटमहिा उताहि गचछनत॥8॥ ಹೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಪೂರೇಕ ಮಹಮಯುಳಳಲ ನನನ ಸಾಂಗಡ ಸಮನ ದೇಹವಾಂಬ ಅಶವಯುಕವದ ರರದಲಲ ಏರ, ಶತೃಗಳ ಸುತಮುತ ಹೂೇಗ ಅವರನುನ ರೂೇಗಯುಕರನನಗ ಮಡ ನಶಮಡ, ಇಾಂದರದ ದೇವತಗಳನುನ ನನನ ಅನುಚರರದ ಮನುಷಯರನುನ ಸಾಂತೂೇಷಗೂಳಸುತ, ಶಕವಾಂತರನನಗ ಮಡುತ, ಅಶುದಧ ಮೊದಾದ ಶತುರಗಳನುನ ವೇಗದಾಂದ ನಶ ಮಡುತ ವಜರದಾಂತ ಕಠಣವದ ಬಣ, ಖಣಗ ಮೊದಾದ ಆಯುಧಗಳಾಂದ ಶತುರಗಳ ರಕದೂೇಕುಳಯಡುತ, ಅಗನಯಾಂತ ಮುಾಂದ ಸಗ ಅವರ ದಹದ ಕಮಗಳನುನ ಮಡುತ ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳ ಸಮುಮಖಕ ಳತಸನಹದಾಂದ ಹೂೇಗ ನಶ ಮಡು॥8॥

अनिनरिव मनयो नतनििाः सिहसव सिािीि याःि सहर हि एन । हतार शिि ॥ नव भिजसव वद ओजो नममािो नव म ो िदसव॥9॥

पद – अनिाः, इव, मनयो इनि, नतनििाः सहसव, सिािीाः, िाः सहर हिाः एन ॥ हतार, शिि ॥, नव, भजसव, वदाः ओजाः नममािाः नव, म ाः, िदसव॥9॥

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अनवराथव याः – [ह मनयो] – ह िरनसह!, [अनिनरव] अगरणीरनिनरव, [नतनििाः] – िजोरकताः, जवनलिाः सि ॥, [सहर] – हनमनिशबदारमािोताहरकत सहिशीलो भवाि ॥, [िाः] – असमा सिािीाः – सिा िार इनि, [हिाः] – आहिाःसि ॥, [एन ] – अनभवदधाः पणोभव, [सहसव] – मम अपरा ाि ॥ िनमता, [शिि ॥] – राहयानताःशिि ॥, [हतार] – सहाराथवा, [नव] – नवचार य, नवशिण एि पिानद रानधवाः, ामादरशच, मा यऽनवरदधााः एि मा यनवरदधााः इनि, [वदाः] – भवाि ॥ जञािाच अनस, अिाः, [भजसव] – गढाि ॥ अनतरा यहय शिि ॥, जञापर – मा यनवरदधाि ॥ सवरसव, परापरसव, सवा ीिाि ॥ र नवभागञच ता, [ओजाः] – वीर य रलानद सवरप भवाि ॥ मनर वीर य रलानद ाशच, [नममािाः] – जािि ॥, गणरि ॥ मनरचोतपादरि ॥ सि ॥, [म ाः] जञािाऽजञािानद रदध सङगरामाि ॥ म य नवरदधाि ॥ शिशच, [नव] – नवशिण, [िदसव] अपिदसव, पनरहर, घािरच [9] ತತಪಯರ – ಹೇ ಪೂರೇಕ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಏಲ ಶರೇಷಾರಲಲ ಅಗನಯಾಂತ ಸರೇತಮನದವನೇ, ತೇಜೂೇಯುಕನಗ (ಜವಾಯಾಂತ) ಹುಾಂ, ಎಾಂಬ ಶಬುದಾಂದ ಳತಸನಹ, ಸಹನಶೇಲನದವನೇ, ನಮಮನುನ ಸೇನನಯಕನಾಂತ ಇದುು, ಅಭವೃದಧಗೂಳಸತ, ಪೂಣ(ರಾಂರತರು)ರಾಂತ ಮಡು. ನಮಮ ಅಪರಧಗಳನುನ ಕಷಮಸುತ, ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳನುನ ಸಾಂಹರಸತ, ವಶೇಷವಗ, ಈ ಪುತರ, ಮತರ, ಕಲತರದ ಬಾಂಧವರನುನ ಕಮದ ಷಡವೈರಗಳನುನ ಧಮವರುದಧ ಆಚರಸುವವರನುನ ನೇನು ರತಳದುಕೂಾಂಡರುವ. ಕರಣ ಗೂಢರದ (ನಮಗ ರತಳಯದ) ಅಾಂತುಃಭಹಯ ಶತುರಗಳನುನ ಜಞಪಸತ, ಧಮಕ ಅವರುದಧರದವರನುನ ಸೇವಸಲು ಅವಕಶ ಮಡಕೂಟುಪ ಅವರನುನ ನಮಗ ದೂರಕಸತಕೂಡು. ಸವಧೇನರನನಗ ಮಡು. ಹೇಗ ವಭಗಸತ ವೇಯ, ಬಾದ ಸವರೂಪದಲಲ ಶರೇಷಾನದ ನೇನು, ನಮಮಲಲ ಅವುಗಳನುನ ಹುಡುಕ ರತಳದುಕೂಾಂಡು, ಹುಟಟಪಸತ, ಜಞನ ಅಜಞನ ಮೊದಾದ ಧಮಕ ವರುದಧವದ ಯುದಧ ಸಮಗರಗಳನುನ ಶತುರಗಳನೂನ ಸಹ ವಶೇಷವಗ ಪರಹರ ಮಡ ಅವುಗಳನುನ ನಶ ಮಡು॥9॥

सहिसव मनयो अनभमानिमसम रजि ॥ मणि ॥ परिमणि ॥ परनह शिि ॥। उगर ि पाजो िनवा रि रधर वशी वश िरस ए ज तम ॥॥10॥

पद – सहसव, मनयो इनि, अनभऽमानिम ॥ असम इनि, रजि ॥, मणि ॥, परमणि ॥, पर, इनह, शिि ॥॥ उगर, ि, पाजाः, िि आ, ररधर, वशी, वश, िरस, ए ज, तम ॥॥10॥

अनवराथव याः – ह ए ज – सतरी-प (दोिा) रिाऽसमबनधि, सवरमव, ए सतमभादव आनवभ यि, मखयाविार, [मनयो] – जञािािद सवरप, मा यनवरदध करो रप, ह िरनसह! [अनभमानि] – असमदभीषट (अनभमि), नहस शि च, [वशी] – सवा ीि ारी सव य सविनतर, त – भवाि ॥, [असम] – असमा , [वश] – सवा ीि, सवा ीि िरस – िीता रोनि, र अिाः, [शिि ॥] – नहस , दषट, राहयानताःशिि ॥, [रजि ॥] – रोगरकत रगण व यि ॥, [मणि ॥] – िाशरि ॥ नहसरि ॥, [परमणि ॥] – अ ाःनिपतवा, अपिरतथाि व यि ॥, [ि] – िव, [उगर] – दषटािा करर रप, [पाजाः] – अजञािानद निवारण समथव य जञाि, रल अननानद भोगर वसत जाि असमदानद भकत जिाथवा आररदर – आरोहण सवीररप व यि ॥, सवी व यि ॥ अनस, [त] – एव रपोभवाि ॥, [पर] – महोतवि, इनह – आगचछ॥10॥

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ತತಪಯರ – ಸತಾೇ-ಪುರುಷ ಸಾಂಬಾಂಧ ದೂೇಷವಲದೇ, ಸವಯಮೇವ ಸವತುಃ ಒಾಂದು ಅಚೇತನ ಸಾಂಭದಾಂದಾೇ ಆವಭೂತನದ, ದಶವತರಗಳಲಲ ಮುಖಯವತರವದ ಹೇ, ಜಞನನಾಂದ ಸವರೂಪಯದ ಧಮಕ ವರುದಧವಲದ ಕೂರೇಧ ರೂಪಯದ ಹೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ನಮಮ ಅಭಷಾವದವುಗಳನುನ, ಹಾಂಸಕರದ ಶತುರಗಳನುನ, ಸವತಾಂತರಸವತಾಂತರ ಸವಧೇನಕರಯದ ನೇನು, ನಮಮ ವಶರನನಗ (ಮಡುರತ) ಮಡು. ಹಗೂ ಹಾಂಸಕರದ, ದುಷಪ ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳನುನ ರೂೇಗ ಯುಕರನನಗ ಮಡ, ಹಾಂಸತಸತ, ನಶ ಮಡು. ಅವರು ಪುನುಃ ಮೇಾ ಏಳದಾಂತ ಕಳಗ ಒಗದು ದುಷಪರಗ ಕೂರರ ರೂಪವನುನ ತೂೇರ, ನನನ ಭಕ ಜನರಗ ಅಜಞನವೇ ಮೊದಾದವುಗಳನುನ ನವರಸತ, ಜಞನ, ಬಲ, ಅನನದ ಭೂೇಗಯ ವಸುಗಳನುನ ನೇಡಲು ನನನ ಸತವೇಯರೂಪವನುನ ಸತವೇಕರಸತರುವ. ಕರಣ ಈ ನರಸತಾಂಹ ರೂಪದಾಂದ ಮಹೂೇತಸನವದಾಂದ ಬರುವಾಂರವನಗು॥10॥

ए ो रहिामिनस मनयवीनळिो नवशनवश र र स नशिशान । अ ि ततरकतवरा र जा वर मनत घोि नवजरारि णमह॥11॥

पद – ए ाः, रहिा, अनस, मनयो, इनि, ईनळिाः, नवशम ॥ऽनवशम ॥, र र, सम ॥, नशशान , अ ततऽर ॥, तरा, वर, मनत, घोिम ॥, नवजरार, णमह॥11॥

अनवराथव याः – [ह मनयो] – जञािसवरप िरनसह त, [रहिा] – सविा – दवािा मधय अनत (ग यिति)नि यराम ति, [ए ाः] तमव मखयाः इनि, [ईनळिाः] – सतिाः, [अनस] – आसीाः, [नवशनवश] – परनि(परजम ॥) मिषय, [र र] – रदधाथवा, [स नशशान ] – समय ॥ (शासि र) निरोजर, िीकषण रधया पररो र, [अ तयर ॥] – अनचछनन, अ निमदीपत, िरनसह, [रजा] – नितय रोगविा सखया, [तरा] –भविा, तदिगरहण, [नवजरार] – नवनशषट राहयानताःशिनवजरार, [वर] – अलपाअनप तदीरा वरम ॥, [मनत] – दीनपतमनत, [घोि] – अटटहास नसहिाद, [ णमह] – म याः॥11॥ ತತಪಯರ – ಹೇ ಜಞನ ಸವರೂಪಯದ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ನೇನು ಎಲ ದೇವತಗಳಲಲ ಅಾಂತಗತಗ, ಅಾಂತನಯಮಕನಗ, ನೇನೇ ಮುಖಯ ದೇವತಯಗ ಎಲರಾಂದ ಸೂೇತರ ಮಡಸತಕೂಳುಳಲರತ. ಪರರತಯಬಬ ಮನುಷಯನು (ಪಪ-ದುುಃಖ)ಗಳ ಸಾಂಗಡ ಯುದಧ ಮಡಲು, ಸರಯಗ ನಯೇಜನ ಮಡ, ರತೇಕಷಣ ಬುದಧಯಾಂದ ನಮಮ ಬುದಧಯನುನ ಪರೇರೇಪಸು. ಪರಬೂೇಧಸು. ಛೇದದ ರಹತನದ, ಅಕೃರತರಮ ದೇಪಯುಳಳಲ ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಗಳಯರಾಂತ, ನತಯ(ಭಟಟಪ)ಯೇಗ ಕೂಟುಪ, ನನನ ಅನುಗರಹದಾಂದ ವಶಷಪವದ ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳನುನ ಜಯಸಲು, ಅಲಪರದರೂ ನನನವರದ ನವು ದೇಪಮಾಂತರಗ ಅಟಪಹಸದಾಂದ ಸತಾಂಹನದ ಮಡುತೇವ॥11॥

नवज ि नदनदरि इवािवबरवो(ओ)३िसमा मनयो अन पा भिवह। नपरर ि िामि सहर गणीमनस नवदमा िमत रिि आरभथवि॥12॥

पद – नवजि ि ॥ इनदराः इव अिवबरवाः, असमा , मनयो इनि, अन पााः, भव, इह, नपरर, ि, िाम, सहर, गणीमनस, नवदम, िम ॥, उतम ॥, रिाः आऽरभथव॥12॥

अनवराथव याः – [नवजि ि ॥] – नवजर ि ॥, नवनजगीिाः, [ह मनयो] – जञािािद सवरप त ह िरनसह! [इनदर इव] – निलो ान पनिाः परमशर इव, [अिवबरवाः] – अनिनद िवचिाः, अनिद ाः, अपवाद वनज यिाः सि ॥, [असमा ] – िाः तननाथवािामसमा , [अन पााः] – अन रनििााः अन पनिाः रि ाः, [भव] अनसमनपजि,

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Page 22 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

मिषय लो , [इह] – इदािी, [ि] – (िव) मतसवानमिाः िव,[सहर] – िमाशीलनि, [नपरर] – परीनि नविर, नपररासपद, नपररिम, [िाम] – अनभ र, वर, [गणीमनस] – गारतरयानद मनतराः सतवामाः, [रिाः] – िव िामसतोिोचचारणाि ॥ भवाि ॥, [आ] – समय ॥, [उतम ॥] – उतकषटम ॥, उत रलसयोदरमनरिार, [रभथव] – भवनस इनि, [ि] – िादश, गण नवनशषट भवनत, [नवदम] – जािीमाः॥12॥ ತತಪಯರ – ಭಕರಗ ಯವಗಲೂ ವಜಯವನುನ ತಾಂದು ಕೂಡತಕ, ಜಞನನಾಂದಸವರೂಪಯದ ಹೇ ನರಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ತೈಾೂೇಕಯಧಪರತ ಪರಮೇಶವರನಾಂತ, ಅಪವದವಜತ, ಅನಾಂದಕನಗ, ನನನಾಂರ ಸವಮಯನುನ ಪಡದ ನಮಗ ಅಧಪರತಯಗ ರಕಷಕನಗರು. ಮನುಷಯ ಾೂೇಕದಲಲ ನನನನುನ ಪೂಜಸುವ ಕಲದಲಲ ಈಗ ನಮಮ ಸವಮಯದ ನನನ, ಕಷಮಶೇಲವೇ ಮೊದಾದ ಪರೇರತ ವಷಯಗಳಲಲ ಪರೇತಯಸಪದನದ ನನನನುನ ಗಯತರಯದ ಮಾಂತರಗಳಾಂದ ಸೂೇತರ ಮಡುತೇವ. ನನನ ನಮ ಸೂೇತರಗಳನುನ ಳಚಚರ ಮಡುವುದರಾಂದ ನೇನು ಳತೃಷಪವದ ಬಲವನುನ ಹಚಚಚಸುವ. ಅಾಂರ ಗುಣವಶಷಾತಯುಳಳಲವನು ನೇನು ಎಾಂದು ನವು ರತಳದದ ುೇವ॥12॥

आभतया सहजा विजर सार सहो नरभषययनभभि उततिरम ॥। करता िो मनयो सह मधयन महा िसयि परहि ससनजि॥13॥

पद – आ, भतया, सहजाः, वजर, सार , सहाः, नरभनि य, अनभभि उिाःिरम ॥, ता, िाः मनयो, (इनि) सह, मनद, एन , महाऽ िसय, परहि, सम ॥, असनज॥13॥

अनवराथव याः – [ह परहि] – रहनभाः बरहमानद दवाः सतोिणाहि, [वजर] – शिवज यि ि ॥, जञािािद सवरप, वजरवतारभि, [सार ] – राहयानताः शि लर ि, [अनभभि] – परानभभव ि य , [मनयो] – ह िरनसह, [आऽभतया] – आसमनताि ॥ समय ॥ अनणमाषटशरा यनदिा ादानचदनप नवरोगमजािनतया, सदा अनवरोनगनया आसमनतातदा दासी रनपणराः महालकषमया सह, सनहिाः, [सहजााः] – सहोतपननाः, जञािानद समपतसवभावाः भवाि ॥, [उततर] – उततमिर, [सहाः] – सव य समथव य ार य रण समथवा रल, [नरभनि य] – ाररनस, एिादशाः, त – [िाः] – असमा , [ ता] – िव परीतयासपदि निवतत म यणा, [मन ] – आिद र, िि च ििाः, [िाः] – असमा , [महा िसय] – महशर यसय मोिरप महा परिाथव यसय, राहयानताः शिनभाःसह रदधसयच, [ससनज] – सषटर, [एन ] – अनभवदधोभव निग ो भव॥13॥ ತತಪಯರ – ಬರಹಮದ ಸವ ದೇವತಗಳ ಸೂೇತರದಾಂದ ಬರತಕ, ಶತುರಗಳನುನ ನಶಮಡುವ, ಜಞನನಾಂದ ಸವರೂಪಯದ, ವಜರದಾಂತ ಸರಭೂತನದ, ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳನುನ ನಶ ಮಡುವ, ಹೇ ನರಸತಾಂಹನೇ ಅಣಮದಯಷಪೈಶವಯದಗಳಾಂದ ನನನ ಸಾಂಗಡ ಯವಗಲೂ ಇರುವ ಯವಗಲೂ ನನನ ವಯೇಗವನುನ ಕಣದ, ನನನ ದಸತರೂಪಯದ, ಮಹಲಕಷಮೇಯಾಂದ ಸಹತನಗ, ಜಞನದ ಸಾಂಪತುಗಳ ೇ ಸವಭವವುಳಳಲ ನೇನು, ಸವ ಸಮರನದುು, ಕಯಕರಣ ಸಮರಯ ಬಲಗಳುನ ಧರಸತದ ನೇನು, ನಮಮನುನ, ನನನ ಪರೇತಯಸಪದರನನಗ ಮಡ, ನವೃರತ ಕಮಗಳನುನ ಮಡಸುತ ಆನಾಂದಸು. ಅದರಾಂದ ನಮಮನುನ ಮಹ ಐಶವಯಪರದವದ ಮೊೇಕಷರೂಪ ಮಹಪುರುಷರವನುನ ಕೂಟುಪ ಬಹಯಾಂತುಃಶತುರಗಳ ಸಾಂಗಡ ಯುದಧ ಮಡ ಸೂೇಲಲಸತ, ನಮಮನುನ ಅಭವೃದಧರನನಗ ಮಡು॥13॥

ससिषट ििम भर समा ि िमसमभय तता वरि णशच मनयाः। नभर द ािा हदिरि शििवाः परानजिासो अप नि लिरनताम ॥॥14॥

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Page 23 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

पद – सम ॥ऽसषट, ि, उभरम ॥, समऽऽ ि, असमयभय, दतता, वरणाः, च, मनयाः, नभर, द ािााः, हदरि, शिवाः, पराऽनजिासाः, अप, नि, लरनताम ॥ ॥14॥

अनवराथव याः – [वरणाः] – एवपवोकत पर ारण वरणीराः – भजिीराः, वरािद रपी, [मनयाः] – परथवम मनतरोकताः शरी िनसहाः भकताःजञराः, जञािसवरपाः च, रदरवाथवनतगयिाः लपनिाः दवाः, [ससषट] – नमनशरि, [उभर] – दवासर समबनधी जञािरप, सवणा यतम च सव ीर, पर ीरञच, [ ि] – ऐशरा यनद ि, दरवयम ॥, [समा ि] – समयगा षट, समािीि, समयकतरा नवभकत (दाि म यभोगापरोनगि) ता, [असमयभय] – िव भकतभयाः िाः [दतताम ॥] – ददाि, एव रलादा षय परदािि शिवाः – राहयानतशिवाः,[परानजिासाः] – पराभिाः सनताः, [हदरि] – सवानताः रणि [नभर] – भर, [द ािााः अप] – असमाि ॥ दशानननषकानतााः सनताः िनचि ॥, [नि] – निनशचिमव अतयनत दर, [लरनता] – िाश परापनवनत, पिाः दनषटनविरमनप ि परापनवनत॥14॥ ತತಪಯರ – ಹೇಗ ಈ ಮೊದಲು ಹೇಳದಾಂತ ಪೂಜಸಲು, ಭಜಸಲು ಯೇಗಯನದ, ವರನಾಂದ ರೂಪಯದ ಪರರಮ ಮಾಂತೂರೇಕ ಶರೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರೇ, ಭಕರಗ ಜಞೇಯನದ, ಜಞನಸವರೂಪಯದ, ರುದರ ವಯವಾಂತಗತನದ ಕುಲಪರತಯದ ದೇವರೇ, ಮಶರತವದ, ದೇವ ಹಗೂ ಅಸುರ ಸಾಂಬಾಂಧೇ ಜಞನರೂಪವನುನ, ಸುವಣತಮಕವದ (ಧನವನುನ) ನಮಮದು ಹಗೂ ಪರಕೇಯವದ ಐಶವಯದ ಧನ, ದರವಯಗಳನುನ ಸರಯಗ ಸಳದು ಅವುಗಳನುನ ವಭಜಸತ, (ದನ, ಧಮ, ಭೂೇಗಕ ಬೇರ ಬೇರಯಗ ಳಪಯೇಗಸಲು) ನನನ ಭಕರದ ನಮಗ ಕೂಡು. ಹೇಗ ಬಾತರವಗ ಆಕಷಸತ ವಭಜಸತ ಕೂಡುವುದರಾಂದ ನಮಮ ಬಹಯಾಂತುಃ ಶತುರಗಳನುನ ಪರಜಯಗೂಳಸತದವನಗ, ನಮಮ ಹೃದಯದಲಲ ಅಾಂತುಃಕರಣದಲಲ ಶತುರಗಳಗ ಭಯ ಹುಟಟಪಸತ ನಮಮ ದೇಹವಾಂಬ ದೇಶದಾಂದ ದೂರ ಓಡಸತದವನಗ ಎಲಲಯದರೂ ಅತಯಾಂತ ದೂರದಲಲ ಅವರನುನ ನಶಮಡ, ಪುನುಃ ನಮಮ ದೃಷಪ ವಷಯದಲಲ ಬರದವರಾಂತ ಮಡು॥14॥

अितयािा ऋचा सवशर य, सव य शनकतत स लगणपण यत, सव य दोिदरत सव यशबद वाचयतानद म य गण परनिपाद ति ििा गणसवरपाणा, अपनरनमिािा रमाबरहमानद जञर जञािरपाणा निरवन ािा ’परम मखयवतया’ शरी िनसह एव समभवाि ॥, ’मखयवतया’ ि भगवनदवट ॥ शिसहार वारौ, िथवा महारदर रथवा रोगर पनरनमिगणवाचयत जञरम ॥॥ एव अातम दहच, ितरप मिसाः िदधनतत रपाणा, अभरशदधजञािानद हि ाम सङकलपानभमानि दविास, रमाबरहम वार गरड शि रदरानदि। िनननराम मखयवतया शरी िनसहच। एिनमनयसकत वाचयत जञरम ॥॥ एव अथव य िनवधय नवजञरम ॥॥ ಈ ಋಙ-ಮಾಂತರಗಳಲಲ ಬರುವ ಸವೈಶವಯತವ, ಸವ ಶಕತವ, ಸಕಲ ಗುಣಪೂಣತವ, ಸವದೂೇಷ ದೂರತವ ಸವಶಬು ವಚಯತವದ ಗುಣಧಮಗಳನುನ ಪರರತಪದಸುವುದರಾಂದ ಅವರವರ ಗುಣ ಸವರೂಪಗಳಗ, ಅಪರಮತ ರಮಬರಹಮದಗಳ ಬಗ ಗ ರತಳದು ಕೂಳುಳಲವ ಜಞನರೂಪಗಳಗ ನರವಧಕವದ ಪರಮಮುಖಯ ವೃರತಯಾಂದ ಶರೇ ನೃಸತಾಂಹ ದೇವರಲಲ ಮತರ ಸಾಂಭವಸುವುದರಾಂದ ಅವನನನೇ ರತಳದುಕೂಳಳಲಬೇಕು. ಇನುನ ಮುಖಯ ವೃರತಯಾಂದ ಭಗವದವೇಷ ಶತುರಗಳ ಸಾಂಹರಕರದ ವಯುದೇವರಲಲ ಮತು ಮಹರುದರ ಮೊದಾದವರಲಲ ಯಥಯೇಗಯ ಪರಮತ ಗುಣ ವಚಯತವವನುನ ರತಳದುಕೂಳಳಲಬೇಕು. ಈ ಪರಕರವಗ ಅಧಯತಮದಲಲ, ದೇಹದಲಲ, ತತವರೂಪ ಮನಸತಸನನಲಲ, ತದವೃರತರೂಪಗಳಲಲ ಅಭಯ, ಶುದಧ ಜಞನ, ಹೇತು ಕಮಸಾಂಕಲಪ ಇವುಗಳ ಅಭಮನ ದೇವತಗಳಲಲ, ರಮ ಬರಹಮ ವಯು ಗರುಡ ಶೇಷ ರುದರರಲಲ ರತಳದುಕೂಳಳಲಬೇಕು. ಇವರಲರಗೂ ನಯಮಕನದ ಪರಮಮುಖಯವೃರತಯಾಂದ ಶರೇನೃಸತಾಂಹ ದೇವರಲಲಯೇ ರತಳದುಕೂಳಳಲಬೇಕು. ಈ ಪರಕರವಗ ಮನುಯಸೂಕ ವಚಯತವವನುನ ಹೇಗ ಅರತೈವಧಯವನುನ ರತಳದುಕೂಳಳಲಬೇಕು.

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Page 24 आचारा याः शरीमदाचारा याः सनत म जनम जनमनि॥गरभाव वयञजरननत भानि शरी जरिीथव यवा ॥ ॥ ण वद जगगररम ॥ ॥

ಅಸಮದುಗವಾಂತಗತ ಶರೇಭರರತೇರಮಣ ಮುಖಯಪರಣಾಂತಗತ ಮನುಯನಮಕ ಶರೇ ಲಕಷಮೇನರಸತಾಂಹ ಪರೇಯತಾಂ ಪರೇತೂೇವರದೂೇ ಭವತು ಶರೇ ಕೃಷಣಪಣಮಸು॥ ಆದ ಮಧಯ ಅಾಂತಯ ಸವರ ವಣ, ಾೂೇಪ, ಸವದೂೇಷ ಪರಯಶಚತಯರಾಂ ನಮತರಯಮಾಂತರಜಪಾಂ ಕರಷಯೇ – ಶರೇ ಅಚುಯತಯ ನಮುಃ - ಅನಾಂತಯ ನಮುಃ - ಗೂೇವಾಂದಯ ನಮುಃ, ಅಚುಯತಯ ನಮುಃ - ಅನಾಂತಯ ನಮುಃ - ಗೂೇವಾಂದಯ ನಮುಃ, ಅಚುಯತಯ ನಮುಃ – ಅನಾಂತಯ ನಮುಃ – ಗೂೇವಾಂದಯ ನಮುಃ – ಅಚುಯತನಾಂತಗೂೇವಾಂದೇಭೂಯೇ ನಮೊೇ ನಮುಃ – ಶರೇ ಕೃಷಣಪಣಮಸು.

॥ಪರೇಣಯಮೊೇ ವಸುದೇವಾಂ ದೇವತಮಮಾಂಡಾऽಖಾಂಡಮಣಡನಮ॥