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भभभभभभभभ भभभभभभभभ ववववववव ववववव ववव वव ववव 1961-1990 वव ववववववव वव ववववव वव 1995 वव 2004 वव ववववव ववव ववववववव वववववव 1940 वव 1980 वव वव ववव वववववव वव ववववव वव भभभभभभभभ भभभभभभभभ (वववववव वववववववव) वव वववव वववव वव वव ववववववव-ववव वववव वव ववववववव वव ववव वववववव (average measured temperature ) ववव 20 ववव ववववववव वव वव ववव वववववव वव वववव वववववववव वववववववव वव. वववववव वव ववव वव वववव ववववव वव वववव वव ववव वववववव ववव 2005 वव 100 वववववव वव ववववव 0.74 ± (± ) 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F ) वव वववववव ववव वव. [1] वववववव वववववववव वव वववव ववववववववव वववव (Intergovernmental Panel on Climate Change )(IPCC) वव वववववववव ववववव वव वव "२० ववव ववववववव वव वववव वव ववववव वव वववव वववववव ववव वव वववववव ववव वव वववव ववववव (due to ) वववव वववव ववववववववव (anthropogenic ) ( वववववव वववववव ववववववव ) ववववववववव ववववव (greenhouse gas ) वव वववव वववववव वव वववव ववव" [1] ववववववववव वव ववव ववI वववववववववव वव ववव ववववव ववव वववववववव

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण

वैश्‍विवक‍माध्‍य‍सतह‍का‍ताप‍1961-1990 के‍सापेक्ष‍से‍भि�न्‍न‍है

1995 से‍2004 के‍दौरान‍औसत‍धरातलीय‍तापमान‍1940 से‍1980 तक‍के‍औसत‍तापमान‍से‍भि�न्‍न‍है

भूमंडलीय ऊष्मीकरण‍(ग्‍लोबल‍वॉर्मिंम ग) का‍अर्थ#‍पृर््थ‍ ‍‍‍‍वी‍ ‍‍की‍विनकटस्‍र्थ-सतह‍वायु‍और‍महासागर‍के‍औसत‍ ‍‍‍‍तापमान‍(average measured temperature) में‍20 वीं‍शताब्‍दी‍से‍हो‍रही‍वृद्धि,‍और‍उसकी‍अनुमाविनत‍विनरंतरता‍है.

पृर््थ‍वी‍की‍सतह‍के‍विनकट‍विवश्व‍की‍वायु‍के‍औसत‍तापमान‍में‍2005 तक‍100 वर्षों1‍के‍दौरान‍0.74 ± (±) 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की‍वृद्धि,‍हुई‍है.[1] जलवायु‍परिरवत#न‍ ‍‍‍‍पर‍ ‍‍‍‍बैठे‍ ‍‍‍‍अंतरसरकार‍ ‍‍‍‍पैनल‍ ‍‍(Intergovernmental Panel on Climate Change)(IPCC) ने‍विनष्कर्षों#‍विनकला‍है‍विक‍"२०‍वीं‍शताब्दी‍के‍मध्य‍से‍संसार‍के‍औसतन‍तापमान‍में‍जो‍वृद्धि,‍हुई‍है‍उसका‍ ‍‍‍‍मुख्य‍ ‍‍(due to) कारण‍एर्ं्थ‍ ‍‍‍‍रोपोजेविनक‍ ‍‍(anthropogenic) ( मनुष्य‍द्वारा‍विनर्मिम त‍) ग्रीनहाउस‍ ‍‍‍‍गैसों‍ ‍‍(greenhouse gas) की‍अधिधक‍मात्रा‍के‍कारण‍हुआ"[1] ग्रीनहाउस‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍असर‍ ‍‍हैI ज्वालामुखी‍के‍सार्थ‍धिमलकर‍सौर‍ ‍‍‍‍परिरवत#न‍ ‍‍(solar variation) जैसी‍प्राकृवितक‍घटनाए‍ं1950 से‍पहले‍वाले‍औद्योविगक‍काल‍तक‍कम‍गमK‍के‍प्र�ाव‍दिदखाई‍देते‍रे्थ‍तर्था‍1950 के‍बाद‍इसके‍ठंडा‍होने‍के‍अल्प‍प्र�ाव‍दिदखाई‍देते‍रे्थ।[2][3]

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इन‍विनष्कर्षों1‍की‍पुधिQ‍प्रमुख‍ ‍‍‍‍औद्योविगक‍ ‍‍‍‍देशों‍ ‍‍(scientific societies and academies of science) [4] की‍स�ी‍राष्ट्रीय‍वैज्ञाविनक‍अकादधिमयों‍सविहत‍कम‍से‍कम‍30 वैज्ञाविनक‍ ‍‍‍‍सधिमवितयों‍ ‍‍‍‍और‍ ‍‍‍‍विवज्ञान‍ ‍‍‍‍अकादधिमयों‍ ‍‍ने‍की‍है।[5]

[6][7] जहाँ‍एक‍ ‍‍‍‍ओर‍ ‍‍‍‍कुछ‍ ‍‍‍‍विनजी‍ ‍‍‍‍वैज्ञाविनकों‍ ‍‍(individual scientists) ने‍आईपीसीसी‍की‍कुछ‍खोजों‍के‍प्रवित‍असहमवित‍व्यक्त‍की‍है,[8] वहीं‍दूसरी‍ओर‍जलवायु‍परिरवत#न‍पर‍काय#‍कर‍रहे‍अधिधकांश‍वैज्ञाविनकों‍ने‍आईपीसीसी‍के‍प्रमुख‍विनष्कर्षों1‍पर‍सहमवित‍जताई‍है।[9][10] जैसा‍विक‍नाम‍से‍ही‍साफ‍है, ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍धरती‍के‍वातावरण‍के‍तापमान‍में‍लगातार‍हो‍रही‍बढ़ोतरी‍है।‍हमारी‍धरती‍प्राकृवितक‍तौर‍पर‍सूय#‍की‍विकरणों‍से‍उष्मा‍( हीट, गमK‍) प्राप्त‍करती‍है।‍ये‍विकरणें‍वायुमंडल‍( एटमास्पि`फयर) से‍गुजरती‍हुईं‍धरती‍की‍सतह‍(जमीन, बेस) से‍टकराती‍हैं‍और‍विफर‍वहीं‍से‍परावर्तित त‍( रिरफलेक्शन) होकर‍पुन: लौट‍जाती‍हैं।‍धरती‍का‍वायुमंडल‍कई‍गैसों‍से‍धिमलकर‍बना‍है‍द्धिजनमें‍कुछ‍ग्रीनहाउस‍गैसें‍�ी‍शाधिमल‍हैं।‍इनमें‍से‍अधिधकांश‍( मोस्ट‍आफ‍देम, बहुत‍अधिधक‍) धरती‍के‍ऊपर‍एक‍प्रकार‍से‍एक‍प्राकृवितक‍आवरण‍( लेयर, कवर‍) बना‍लेती‍हैं।‍यह‍आवरण‍लौटती‍विकरणों‍के‍एक‍विहस्से‍को‍रोक‍लेता‍है‍और‍इस‍प्रकार‍धरती‍के‍वातावरण‍को‍गम#‍बनाए‍रखता‍है।‍गौरतलब‍( इट‍इस‍रिरकाल्ड, मालूम‍होना‍) है‍विक‍मनुष्यों, प्राभिणयों‍और‍पौधों‍के‍जीविवत‍रहने‍के‍लिलए‍कम‍से‍कम‍16 विडग्री‍सेल्शिल्शयस‍तापमान‍आवश्यक‍होता‍है।‍वैज्ञाविनकों‍का‍मानना‍है‍विक‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍में‍बढ़ोतरी‍होने‍पर‍यह‍आवरण‍और‍�ी‍सघन‍( अधिधक‍मोटा‍होना) या‍मोटा‍होता‍जाता‍है।‍ऐसे‍में‍यह‍आवरण‍सूय#‍की‍अधिधक‍विकरणों‍को‍रोकने‍लगता‍है‍और‍विफर‍यहीं‍से‍शुरू‍हो‍जाते‍हैं‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍दुष्प्र�ाव‍( साइड‍इफेक्ट) ।‍आईपीसीसी‍द्वारा‍सारगर्भि� त‍जलवायु‍ ‍‍‍‍प्रवितमान‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍(Climate model)प्रवितरूपण‍इंविगत‍करते‍हैं‍विक‍धरातल‍का‍औसत‍ग्लोबल‍तापमान‍21 वीं‍शताब्दी[1] के‍दौरान‍और‍अधिधक‍बढ़‍सकता‍है।परिरणामो‍में‍इतनी‍भि�न्ता‍(scenarios)का‍कारन‍है‍ग्रीन्हौसे‍ ‍‍‍‍गैसों‍ ‍‍(greenhouse gas)के‍उत्सज#न‍के‍अलग-अलग‍मापदंड‍इस्तेमाल‍विकए‍जा‍रहे‍हैं‍और‍जलवायु‍ ‍‍‍‍संवेदनशीलता‍ ‍‍(climate sensitivity)के‍�ी‍अलग-अलग‍पैमाने‍बनाये‍गए‍हैं‍हालांविक‍अधिधकतर‍अध्‍ययन‍2100 तक‍की‍अवधिध‍पर‍केदिrत‍हैं, विफर‍�ी‍�ले‍ही‍ग्रीनहाउस‍गैस‍के‍स्‍तर‍ल्शिsर‍हो‍जाएं‍तब‍�ी‍वार्मिंम ग‍तर्था‍समुr‍के‍स्‍तर‍में‍वृविद्व‍होने‍की‍लगातार‍आशा‍की‍जाती‍है।ेेमहासागरों‍की‍विवशाल‍गमK‍के‍परिरणाम‍के‍कारण‍ही‍संतुलन‍तक‍पहुंचने‍में‍विवलंब‍होती‍है[1]

सारे‍संसार‍के‍तापमान‍में‍वृद्धि,‍से‍समुr‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍स्तर‍ ‍‍(sea level to rise)से‍वृद्धि,, मौसम‍ ‍‍‍‍की‍ ‍‍‍‍तीव्रता‍ ‍‍(extreme weather)में‍वृद्धि,‍और‍अवक्षेपण‍(precipitation)की‍मात्रा‍और‍रचना‍में‍महत्वपूण#‍बदलाव‍आ‍सकता‍है‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍अन्य‍प्र�ावों‍(effects of global warming)में‍कृविर्षों‍ ‍‍‍‍उपज‍ ‍‍(agricultural yield)में‍परिरवत#न‍, व्यापार‍माग1‍में‍संशोधन‍, ग्लेलिशयर‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍पीछे‍ ‍‍‍‍हटना‍ ‍‍(glacier retreat), प्रजावितये‍ ‍‍‍‍विवलोपन‍ ‍‍(extinctions)और‍विबमारिरओं‍ ‍‍‍‍में‍ ‍‍‍‍वृद्धि,‍ ‍‍(disease vectors)शाधिमल‍हैं

शेर्षों‍वैज्ञाविनक‍अविनभिxतताओं‍(uncertainties) में‍�विवर््षों‍य‍का‍गम#‍तापमान‍और‍पूरे‍विवश्व‍के‍अलग-अलग‍�ागों‍में‍गमK‍और‍संबंधिधत‍परिरवत#नों‍की‍भि�न्‍नता‍शाधिमल‍है.ज्यादातर‍ ‍‍‍‍राष्ट्रीय‍ ‍‍‍‍सरकारों‍ ‍‍(Most national governments)ने‍क्योटो‍ ‍‍‍‍प्रोटोकॉल‍ ‍‍(Kyoto Protocol)पर‍हस्ताक्षर‍कर‍दिदए‍हैं‍और‍उसकी‍तस्दीक़‍�ी‍कर‍दी‍है. क्योटो‍प्रोटोकॉल‍का‍उदे्दश्य‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍ओ‍कम‍करना‍है‍,पर‍सारे‍संसार‍में‍राजविनवितक‍(political)और‍लोक‍ ‍‍‍‍बहस‍ ‍‍(public debate)लिछडी‍हुई‍है‍की‍कोई‍कदम‍उठाना‍चाविहए‍के‍नही‍ताविक‍�विवष्य‍में‍वार्मिंम ग‍को‍कम‍ ‍‍‍‍विकया‍ ‍‍‍‍जा‍ ‍‍‍‍सके‍ ‍‍‍‍या‍ ‍‍‍‍उलटाया‍ ‍‍(reduce or reverse)जा‍सके‍या‍उसके‍असर‍को‍ढाला‍(adapt)जा‍सके

शब्दावली"ग्लोबल‍वॉर्मिंम ग" से‍आशय‍हाल‍ही‍के‍दशकों‍में‍हुई‍वार्मिंम ग‍और‍इसके‍विनरंतर‍बने‍रहने‍के‍अनुमान‍और‍इसके‍अप्रत्‍यक्ष‍रूप‍से‍मानव‍पर‍पड़ने‍वाले‍प्र�ाव‍से‍है।‍जलवायु‍ ‍‍‍‍परिरवत#न‍ ‍‍‍‍पर‍ ‍‍‍‍संयुक्त‍ ‍‍‍‍राष्ट्र‍ ‍‍‍‍समझौते‍ ‍‍‍‍की‍ ‍‍‍‍रूपरेखा‍ ‍‍में‍

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"मानव‍द्वारा‍विकए‍गए‍परिरवत#नों‍के‍लिलए‍"जलवायु‍ ‍‍‍‍परिरवत#न‍ ‍‍और‍अन्‍य‍परिरवत#नो‍के‍लिलए‍"जलवायु‍परिरवत#नशीलता" शब्‍द‍का‍इस्तेमाल‍विकया‍है।‍यह‍शब्द‍" जलवायु‍परिरवत#न‍" मानता‍है‍विक‍बढ़ते‍तापमान‍ही‍एकमात्र‍प्र�ाव‍नहीं‍हैं‍यह‍शब्द‍" एन्थ्‍रोपोजेविनक‍ग्लोबल‍वॉर्मिंम ग‍" कई‍बार‍प्रयोग‍उस‍समय‍प्रयोग‍विकया‍जाता‍है‍जब‍मानव‍पे्ररिरत‍परिरवत#न‍पर‍ध्यान‍कें दिrत‍होता‍है।

कारण

आईपीसीसी‍की‍चतुर्थ#‍मूल्यांकन‍ ‍‍‍‍रिरप�ट‍ ‍‍‍‍द्वारा‍ ‍‍(radiative forcing)अनुमाविनत‍वत#मान‍विवविकरणशील‍ ‍‍‍‍बाध्यता‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍घटक‍(IPCC Fourth Assessment Report).

पृथ्वी‍की‍जलवायु‍बाहरी‍दबाव‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍(orbital forcing),[11][12],[13] चलते‍परिरवर्तित त‍होती‍रहती‍है‍द्धिजसमें‍सूय#‍के‍चारों‍ओर‍इसके‍अपनी‍कक्षा‍में‍होने‍वाले‍परिरवत#न�ी‍शाधिमल‍हैं।‍कक्षा‍पर‍पड्ने‍वाले‍दबाव‍सौर‍ ‍‍‍‍चमक‍ ‍‍(solar luminosity), ज्वालामुखी‍उदगार,[14] तर्था‍वायुमंडलीसय‍ग्रीनहाउस‍ ‍‍‍‍गैसों‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍अभि�कें rण‍ ‍‍(greenhouse gas)को‍�ी‍परिरवर्तित त‍करता‍है।‍वैज्ञाविनक‍ ‍‍‍‍आम‍ ‍‍‍‍सहमवित‍ ‍‍(scientific consensus) होने‍के‍बाद‍�ी‍हाल‍ ‍‍‍‍ही‍ ‍‍‍‍में‍ ‍‍‍‍हुई‍ ‍‍‍‍गमK‍ ‍‍‍‍में‍ ‍‍‍‍वृद्धि,‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍विवस्तृत‍ ‍‍‍‍कारण‍ ‍‍(causes of the recent warming) शोध‍का‍विवर्षोंय‍होते‍हैं[15][16] यह‍है‍विक‍मानवीय‍गवितविवधिधयों‍के‍कारण‍वातावरण‍की‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍में‍वृद्धि,‍से‍होने‍वाली‍अधिधकांश‍गमK‍को‍औद्योविगक‍ ‍‍‍‍युग‍की‍शुरुआत‍के‍बाद‍से‍देखा‍गया.हाल‍ही‍के‍50 वर्षों�‍को‍यह‍श्रेय‍`र्षों्‍ट‍तौर‍पर‍जाता‍है‍द्धिजसके‍लिलए‍आंकडा‍उपलब्ध‍हैं।‍आम‍सहमवित‍के‍विवचार‍से‍अलग‍कुछ‍अन्य‍संकल्पनाओं‍(hypotheses) का‍सुझाव‍अधिधकांश‍तापमान‍वृद्धि,‍की‍व्याख्‍या‍करने‍के‍लिलए‍दिदया‍जाता‍है।ऐसी‍ही‍एक‍परिरकल्पना‍का‍प्रस्ताव‍है‍विक‍गमK‍अलग‍अलग‍रूपों‍में‍सौर‍गावितविवधिध‍का‍परिरणाम‍हो‍सकती‍है.[17][18][19]

बाध्‍यता‍का‍कोई‍�ी‍प्र�ाव‍तात्कालिलक‍नहीं‍है।धरती‍के‍महासागरों‍का‍ताप‍ ‍‍‍‍जड़त्व‍ ‍‍(thermal inertia) और‍कई‍अप्रत्यक्ष‍प्र�ावों‍की‍धीमी‍प्रवितवि�या‍का‍मतलब‍है‍धरती‍का‍वत#मान‍तापमान‍उसपर‍डाले‍गए‍दबाव‍के‍सार्थ‍संतुलन‍में‍नही‍है‍जलवायु‍ ‍‍‍‍वचनब,ता‍ ‍‍(Climate commitment) के‍अध्‍ययनों‍से‍प्रदर्शिश त्‍‍होता‍है‍विक‍यदिद‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍को‍2000 स्‍तर‍पर‍ल्शिsर‍कर‍दिदया‍जाए‍तो‍इससे‍आगे‍�ी‍कुछ‍सीमा‍तक।‍गमK‍दिदखाई‍देगी[20]

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें

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ग्रीनहाउस‍प्र�ाव‍की‍खोज‍1824 में‍जोसेफ‍ ‍‍‍‍फोरिरयर‍ ‍‍द्वारा‍की‍गई‍र्थी‍तर्था‍1896 में‍पहली‍बार‍स्वेन्‍ ‍‍‍‍टी‍ ‍‍‍‍आरहेनेस‍ ‍‍(Svante Arrhenius) द्वारा‍इसकी‍मात्रात्मक‍जांच‍की‍गई‍र्थी।‍यह‍प्रवि�या‍द्वारा‍जो‍अवशोर्षोंण‍(absorption) और‍उत्सज#न‍के‍अवरक्त‍ ‍‍‍‍विवविकरण‍ ‍‍द्वारा‍वातावरण‍में‍गम#‍ ‍‍‍‍गैसें‍ ‍‍वातावरण‍में‍एक‍और‍ग्रह‍ ‍‍‍‍की‍ ‍‍सतह‍कम‍है‍.

वातावरण‍में‍काब#न‍डाइऑक्साइड‍में‍हाल‍ही‍में‍होने‍वाली‍बढोतरी‍( CO2 ) .मालिसक‍CO2 मापन‍यह‍दशा#ते‍हैं‍विक‍अगर‍सारे‍वर्षों#‍को‍देखा‍जाए‍तो‍छोटे-छोटे‍मौसमी‍परिरवत#न‍देखने‍को‍धिमलते‍हैं‍; हर‍साल‍यह‍परिरवत#न‍उत्तरी‍ ‍‍‍‍गोलाध#‍(Northern Hemisphere) में‍वसव्त‍मौसम‍के‍आख़ि�र‍में‍अधिधक‍हो‍जाते‍हैं‍और‍जब‍उत्तरी‍गोलाध#‍में‍फसलें‍बीजने‍का‍समय‍होता‍है‍तो‍यह‍परिरवत#न‍कम‍हो‍जाते‍हैं‍क्यूंविक‍पौधे‍वातावरण‍में‍से‍कुछ‍CO2 हटा‍लेते‍हैंI

ग्रीनहाउस‍प्र�ाव‍के‍रूप‍में‍अस्पिस्तत्व‍इस‍प्रकार‍विववादिदत‍नहीं‍है‍.स्वा�ाविवक‍रूप‍से‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍के‍पास‍होने‍का‍मतलब‍है‍एक‍गमK‍के‍प्र�ाव‍के‍बारे‍में‍33 विडग्री‍सेल्शिल्सयस‍( 59 °F ) , जो‍पृथ्वी‍पर‍रहने‍योग्य[21][22] नहीं‍होंगे।‍.पृथ्वी‍पर‍महत्वपूण#‍ग्रीन्हौसे‍गैसें‍हैं‍, जल‍ ‍-‍‍वाष्प‍ ‍‍(water vapor), जो‍विक‍36–७०‍प्रवितशत‍तक‍greenhouse प्र�ाव‍पैदा‍करता‍है‍( बादल‍ ‍‍‍‍इसमे‍ ‍‍‍‍शाधिमल‍ ‍‍‍‍नही‍ ‍‍‍‍हैं‍‍‍(not including clouds)) ; carbon dioxide (CO2) जो‍९-२६‍प्रवितशत‍तक‍greenhouse प्र�ाव‍पैदा‍करता‍है; methane (methane) (CH4) ४-९‍प्रवितशत‍तक‍और‍ozone, जो‍३-७‍प्रवितशत‍तक‍प्र�ाव‍पैदा‍करती‍है‍I[23][24] मुद्दा‍यह‍है‍विक‍मानवीय‍गवितविवधिधयों‍से‍जब‍कुछ‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍की‍वायुमंडलीय‍सांrता‍बढ़ती‍है‍तब‍ग्रीनहाउस‍प्र�ाव‍की‍शलिक्त‍कैसे‍परिरवर्तित त‍होती‍है।

औद्योविगक‍�ांवित‍के‍बाद‍से‍मानवी‍गवितविवधिध‍में‍वृद्धि,‍हुई‍है‍द्धिजसके‍कारन‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍विक‍मात्रा‍में‍बहुत‍द्धिजयादा‍वृद्धि,‍हुई‍है‍, इसके‍कारन‍विवकरणशील‍ ‍‍‍‍बाध्य‍ ‍‍(radiative forcing) CO से2, मीरे्थन‍(methane), tropospheric ओजोन, सीएफसी‍(CFC)और‍s nitrous �ी ‍ बहुत ‍ बढ़ ‍ गए ‍ हैं ‍(nitrous oxide)Iअगर‍ ‍‍‍‍अणु‍ ‍‍(Molecule) विक‍दृधिQ‍से‍देखें‍तो‍मीरे्थन‍ग्रीनहाउस‍गैस carbon dioxide की‍तुलना‍में‍अधिधक‍प्र�ावी‍है‍, पर‍उसकी‍सांrता‍इतनी‍कम‍है‍विक‍उसका‍विवकरणशील‍ ‍‍‍‍ज़ोर‍ ‍‍(radiative forcing) काब#न‍डाइऑक्‍साइड‍विक‍तुलना‍में‍केवल‍एक‍चौर्थाई‍है‍प्राक़वितक‍रूप‍से‍उत्पन्न‍होने‍वाली‍कुछ‍दूसरी‍गैसे‍ग्रीनहाउस‍प्र�ाव‍में‍योगदान‍देती‍हैं।‍इन्‍में‍से‍एक‍नाइट्रस‍ ‍‍‍‍ऑक्साइड‍ ‍‍(nitrous oxide) (N2O) कृविर्षों‍जैसी‍मानवीय‍गवितविवधिधयों‍के‍कारण‍अपना‍विवकास‍कर‍रही‍है!CO2 और‍CH4 की‍वातावरण‍ ‍‍‍‍सांrता‍ ‍‍(atmospheric concentrations) 1700 वीं‍सदी‍के‍मध्‍य‍में‍औद्योविगक‍ ‍‍‍‍�ांवित‍ ‍‍की‍शुरुआत‍के‍बाद‍से‍�मशः‍31% और‍149% बढ़‍गई‍है.विपछले‍650,000 वर्षों1‍के‍दौरान‍विकसी‍�ी‍समय‍से‍इन‍स्तरों‍को‍काफी‍अधिधक‍माना‍जा‍रहा‍है।‍यह‍वह‍अवधिध‍है‍द्धिजसके‍लिलए‍विवश्वसनीय‍आंकडे़‍आइस‍ ‍‍‍‍कोर्‍ ‍‍(ice core)s.[25] से‍विनकाले‍गए‍हैं.कम‍प्रत्यक्ष‍�ूवैज्ञाविनक‍प्रमाण‍से‍यह‍माना‍जाता‍है‍विक‍CO2 की‍इतनी‍ज्यादा‍मात्रा‍विपछली‍बार‍२०‍करोड़‍वर्षों#‍पहले‍हुई‍र्थी.[26] जीवाश्‍ ‍‍‍‍म‍‍‍‍‍ईंधन‍ ‍‍(Fossil fuel) के‍जलने‍से‍विपछले‍

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20 वर्षों1‍में‍मानवीय‍गवितविवधिधयों‍से‍CO2 में‍हुई‍बढोतरी‍में‍कम‍से‍कम‍एक‍वितहाई‍वृद्धि,‍है।शेर्षों‍काय#‍�ूधिम‍के‍उपयोग‍में‍परिरवत#न‍के‍कारण‍से‍होता‍है‍विवशेर्षोंकर‍वनों‍ ‍‍‍‍की‍ ‍‍‍‍कटाई‍ ‍‍‍‍से‍ ‍‍‍‍ऐसा‍ ‍‍‍‍होता‍ ‍‍‍‍है।‍ ‍‍(deforestation)[27]

वातावरण की CO2 में वार्षि !क वृद्धि$: १९६०‍में‍औसत‍वार्तिर्षों क‍वृद्धि,‍२०००‍से‍२००७‍के‍बीच‍हुई‍वृद्धि,‍के‍३७% ही‍र्थी.[28]

CO2 की‍वत#मान‍वासयुमंडलीय‍सांrता‍आयतनUNIQ74f87cf8db7f2b5f-nowiki-0000040F-QINU29UNIQ74f87cf8db7f2b5f-nowiki-00000410-QINU� � � � की‍दृधिQ‍से‍लग�ग‍385 प्रवित‍दस‍लाख‍( (ppm)पीपीएम‍) है।‍�विवष्य‍में‍CO2 का‍स्तर‍ज्यादा‍होने‍विक‍आशंका‍है‍क्यूंविक‍जीवाश्म‍ईंधन‍और‍�ूधिम‍के‍उपयोग‍में‍काफ़ी‍परिरवत#न‍आ‍रहे‍हैं‍वृद्धि,‍क‍दर‍अविनभिxत‍आर्शिर्थ क‍, सामाद्धिजक‍(sociological), तकनीकी, और‍प्राकृवितक‍घटनाओं‍पर‍विन�#र‍करेगी‍पर‍शायद‍आख़िखरकार‍जीवाश्म‍ईंधन‍की‍उपलब्धता‍ही‍विनणा#यक‍साविबत‍हो‍आईपीसीसी‍की‍उत्सज#न‍ ‍‍‍‍परिरदृश्‍ ‍‍‍‍यों‍ ‍‍‍‍पर‍ ‍‍‍‍विवशेर्षों‍ ‍‍‍‍रिरपोट#‍ ‍‍(Special Report on Emissions Scenarios) �विवष्य‍के‍कई‍CO2 परिरदृश्‍यो‍के‍बारे‍में‍बताती‍है‍जो‍२१००‍के‍आख़ि�र‍तक‍५४१‍से‍लेकर‍९७०‍पीपीएम‍तक‍हो‍सकते‍हैं.[30] इस‍स्तर‍तक‍पहुंचने‍के‍लिलए‍तर्था‍2100 के‍बाद‍�ी‍उत्सज#न‍जारी‍रखने‍के‍लिलए‍जीवाश्म‍ईंधन‍के‍पया#प्त‍�ंडार‍हैं, यदिद‍कोयला‍(coal) , बालू‍ ‍‍‍‍रेत‍ ‍‍(tar sands) या‍मीरे्थन‍ ‍‍‍‍क्लेर््थ‍ ‍‍‍‍रेट‍ ‍‍(methane clathrate) का‍व्यापक‍प्रयोग[31] विकया‍जाता‍है‍.

जलवायु‍पर‍बाध्‍क‍घटकों‍के‍प्र�ाव‍विवभि�न्न‍प्रवि�याओं‍द्वारा‍जदिटल‍हो‍जाते‍हैं।

सवा#धिधक‍`श्‍ट‍प्रत्युत्तरों‍में‍से‍एक‍का‍संबंध्‍‍जल‍के‍वाष्पीकरण‍से‍है।काब#न‍डाई‍ऑक्साइड‍जैसी‍दीघ#कालीन‍ग्रीनहाउस‍प्र�ाव‍वाली‍गैसों‍के‍धिमलने‍से‍पैदा‍होने‍वाली‍गमK‍वायुमंडल‍में‍जल‍के‍अधिधक‍मात्रा‍में‍वार््षों‍पीकरण‍का‍कारण‍बनता‍है।‍क्यूंविक‍जल-वाष्प‍�ुद‍एक‍ग्रीनहाउस‍गैस‍है‍, इसलिलए‍इससे‍वातावरण‍और‍�ी‍ज्यादा‍गम#‍हो‍जाता‍है‍, और‍इससे‍और‍बी‍ज्यादा‍पानी‍वाष्प‍में‍बदलता‍है‍( क‍सकारात्मक‍ ‍‍‍‍पुनविनव�शन‍ ‍‍(positive feedback)) , और‍यह‍प्रवितवि�या‍चलती‍रहती‍है‍जबतक‍विक‍पुनविनव�शन‍च�‍पर‍रोक‍न‍लग‍जाए.अकेले‍काब#न‍डाई‍आक्साइड‍से‍होने‍वाले‍इसका‍प्र�ाव‍बहुत‍विवशाल‍होगा।यद्यविप‍प्रत्युत्तर‍की‍यह‍प्रवि�या‍वायु‍की‍नमी‍के‍कणों‍में‍बढोतरी‍करती‍है, तब‍�ी‍सापेक्ष‍ ‍‍‍‍आr#ता‍ ‍‍(relative humidity) या‍तो‍ल्शिsर‍रहती‍है‍या‍र्थोड़ी‍सी‍घट‍जाती‍है‍क्योंविक‍वायु‍गम#[32] हो‍जाती‍है।‍प्रत्युत्तर‍का‍यह‍प्र�ाव‍केवल‍धीरे‍धीरे‍ही‍उल्टा‍हो‍सकता‍है‍क्योंविक‍काब#न‍डाई‍आक्साइड‍में‍दीघ#कालीन‍वायुमंडलीय‍जीवनावधिध‍(atmospheric lifetime) होती‍है।

बादलों‍से‍प्र�ाविवत‍होने‍वाले‍प्रत्युत्तर‍एक‍विनरंतर‍चलने‍वाली‍प्रवि�या‍है।नीचे‍से‍देखा‍है‍, बादल‍को‍वापस‍उत्सज#न‍अवरक्त‍विवविकरण‍की‍सतह‍, और‍एक‍इतनी‍गमK‍प्र�ाव‍डालती‍है‍, ऊपर‍से‍देखा‍है‍, बादल‍और‍सूय#‍के‍प्रकाश‍उत्सज#न‍अवरक्त‍विवविकरण‍प्रवितबिब विबत‍करने‍के‍लिलए‍जगह‍है‍, और‍इसलिलए‍एक‍शीतलन‍प्र�ाव‍डालती‍है‍

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.शु,‍प्र�ाव‍क्या‍गम#‍अर्थवा‍ठंडा‍है‍यह‍बादल‍की‍विकस्म‍(type) और‍उंचाई‍जैसे‍विववरणों‍पर‍विन�#र‍करता‍है।‍जलवायु‍के‍प्रवितमानों‍पर‍इन‍विववरणों‍को‍प्रदर्शिश त‍करना‍कदिठन‍होता‍है‍क्योंविक‍जलवायु‍प्रवितमानों[32] के‍संगणक‍खानों‍पर‍रिरक्त‍sानों‍के‍बिब दुओं‍के‍बीच‍की‍तुलना‍में‍बादल‍बहुत‍छोटे‍होते‍हैं।

जैसे‍जैसे‍वायुमंडल‍गम#‍होता‍जाता‍है‍वैसे‍वैसे‍परामशK‍प्रत्युत्तर‍की‍प्रवि�या‍चूक‍ ‍‍‍‍दर‍ ‍‍(lapse rate) में‍परिरवत#न‍से‍संबंधिधत‍होती‍है।क्षो�मंडल‍(troposphere) उंचाई‍में‍बढोतरी‍होने‍के‍सार्थ-सार्थ‍वायुमंडल‍का‍तापमान‍घटता‍जाता‍है।‍अवरक्त‍विवविकरण‍का‍उत्सज#न‍तापमान‍की‍चौर्थी‍शलिक्त‍पर‍विन�#र‍करता‍है‍, वातावरण‍की‍उपरी‍तह‍से‍ज्यादा‍लम्बी‍ ‍‍‍‍विवविकरण‍ ‍‍(longwave radiation)उत्सर्जिज त‍होती‍है‍और‍विनचली‍तह‍से‍यह‍कम‍होती‍है‍.ज्यादातर‍विवविकरण‍जो‍उपरी‍वातावरण‍से‍उत्सर्जिज त‍होती‍है‍खला‍में‍चली‍जाती‍है‍, जबविक‍विनचले‍वातावरण‍से‍उत्सर्जिज त‍होने‍वाली‍विवविकरण‍दोबारा‍वतावारव‍द्वारा‍सोख‍ली‍जाती‍है‍.इस‍प्रकार‍, ग्रीन‍हाउस‍प्र�ाव‍वातावरण‍में‍तापमान‍के‍ऊंचाई‍के‍सार्थ‍कम‍होने‍की‍रफ़्तार‍पे‍विन�#र‍करता‍है‍, अगर‍तापमान‍की‍दर‍कम‍है‍तो‍ग्रीन‍हाउस‍असर‍ज्यादा‍होगा‍और‍अगर‍तापमान‍विगरने‍की‍दर‍कम‍है‍तो‍ग्रीन‍हाउस‍असर‍कम‍होगा‍.लिस,ांत‍और‍मॉडल‍दोनों‍यह‍संकेत‍करते‍हैं‍की‍वार्मिंम ग‍से‍ऊंचाई‍के‍सार्थ‍तापमान‍का‍विगरना‍कम‍हो‍जाएगा‍, द्धिजससे‍एक‍नकारात्मक‍lapse rate feedback पैदा‍हो‍जाएगा‍और‍इससे‍ग्रीन‍हाउस‍असर‍कमज़ोर‍होगा‍.ऊंचाई‍के‍सार्थ‍तापमान‍परिरवत#न‍की‍दर‍का‍मापन‍छोटी-छोटी‍तु्रदिटयों‍के‍प्रवित‍बहुत‍सवेंदेंशील‍होता‍है‍, इससे‍यह‍पता‍करना‍बहुत‍मुस्पिश्कल‍हो‍जाता‍है‍की‍मॉडल‍हकीकत‍से‍मेल‍खाता‍है‍के‍नही‍.[33]

एक‍और‍महत्वपूण#‍प्रवि�या‍है‍आइस'अल्बेडो‍प्रत्युत्तर[34] जब‍वैभिश्वक‍तापमान‍में‍वृद्धि,‍होती‍है‍, तब‍ध्रुवों‍के‍पास‍बफ# ‍तेज‍दर‍से‍विपघलने‍लगती‍है।जैसे‍जैसे‍बफ# ‍विपघलती‍है‍वैसे‍वैसे‍�ूधिम‍अर्थवा‍खुला‍जल‍उसका‍स्‍र््थ‍sान‍ले‍लेता‍है।�ूधिम‍और‍जल‍दोनों‍ही‍बफ# ‍की‍तुलना‍में‍कम‍परावत#क‍होते‍हैं‍और‍इसीलिलए‍सौर‍विवविकरण‍को‍अधिधक‍मात्रा‍में‍सोख‍लेते‍हैं।इससे‍अधिधक‍गमK‍हो‍जाती‍है‍द्धिजसके‍कारण‍और‍अधिधक‍बफ# ‍विपघलने‍लगती‍है‍तर्था‍यह‍च�‍चलता‍रहता‍है।

सकरामातक‍ ‍‍‍‍पुनविनव�शन‍ ‍‍(Positive feedback) जो‍की‍CO2 और‍CH4 के‍उत्सज#न‍के‍कारन‍होता‍है‍एक‍अन्य‍कारण‍है‍जो‍वार्मिंम ग‍को‍बढाता‍है‍. यह‍गैसें‍जमते‍हुए‍पेम#फ्रोस्त‍(permafrost)जैसे‍की‍जमा‍ ‍‍‍‍हुई‍ ‍‍‍‍लकड़ी‍ ‍‍(peat) ,siberia (bog)में‍दलदल‍(Siberia)से‍पैदा‍होती‍हैं‍.[35] इसी‍तरह‍मीरे्थन‍ ‍‍‍‍clathrate‍ ‍ (methane clathrate), जो‍की‍महासागरों‍में‍पाया‍जाता‍है‍, से‍जो‍�ारी‍मात्रा‍में‍CH4 विनकलती‍है‍, वार्मिंम ग‍का‍एक‍मुख्य‍कारण‍हो‍सकती‍है‍, जैसा‍की‍clathrate gun hypothesis (clathrate gun hypothesis) कहता‍है‍.

जैसे‍जैसे‍समुr‍गम#‍होता‍जाता‍है‍वैसे‍वैसे‍काब#न‍को‍अलग‍करने‍की‍क्षमता‍घटती‍जाती‍है।ऐसा‍इसलिलए‍है‍क्यूंविक‍mesopelagic के्षत्र ‍(mesopelagic zone) ( लग�ग‍200 से‍1000 मीटर‍की‍गहराई‍तक‍) में‍पोर्षोंकों‍का‍विगरता‍हुआ‍स्तर‍डायटम‍(diatom) के‍विवकास‍में‍�ादक‍होता‍है‍और‍छोटे‍phytoplankton (phytoplankton) के‍हक़‍में‍होता‍है‍जो‍की‍काब#न‍[36] के‍biological pump (biological pump)स‍हैं

सौर परिरवत(न

विपछले‍30 वर्षों1‍से

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सौर‍परिरवत#न

कुछ‍कागजाज‍सुझाव‍देते‍हैं‍विक‍सूय#‍के‍योगदान‍का‍कम‍आकलन‍विकया‍गया‍है।‍Duke University (Duke University) के‍दो‍शोधकता#ओं, Bruce West और‍Nicola Scafetta ने‍यह‍अनुमान‍लगाया‍है‍की‍सूय#‍ने‍१९००-२०००‍तक‍शायद‍४५-५०‍प्रवितशत‍तक‍तापमान‍बढ़ाने‍में‍योगदान‍दिदया‍है‍और‍१९८०‍और‍२०००‍[37] के‍बीच‍में‍लग�ग‍२५-३५‍प्रवितशत‍तक‍तापमान‍बढाया‍है.पीटर‍स्कॉट‍और‍अन्य‍शोधकता#ओं‍द्वारा‍पता‍चला‍है‍जलवायु‍मॉडल‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍के‍प्र�ाव‍को‍द्धिजआदा‍आंकते‍हैं‍और‍सोलर‍फोर्सिंस ग‍को‍द्धिजअदा‍महत्व‍नही‍देते‍, वे‍यह‍�ी‍सुझाव‍देते‍हैं‍ज्वालामुखी‍धूल‍और‍सुल्फाते‍एरोसोल्स‍ओ‍�ी‍कम‍आँका‍गया‍है‍[38] विफर‍�ी‍वे‍मानते‍हैं‍की‍सोलर‍फोर्सिंस ग‍होने‍के‍बावजूद‍, द्धिजअदातर‍वार्मिंम ग‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍के‍कारन‍होने‍की‍सं�ावना‍है‍, �ास‍कर‍के‍20 वीं‍सदी‍के‍मध्य‍से‍लेकर‍.

एक‍अनुमान‍यह‍है‍विक‍अलग‍अलग‍अलग‍रूपों‍में‍सौर‍ ‍‍‍‍विनग#म‍ ‍‍(solar output), जो‍की‍बादलों‍के‍बंनने‍से‍, जो‍की‍गालाल्शिक्टक‍ ‍‍‍‍ब्रह्मांडीय‍ ‍‍‍‍विकरणों‍ ‍‍(galactic cosmic ray)द्वारा‍बनते‍हैं‍, ने‍�ी‍हाल‍की‍वार्मिंम ग‍[39] में‍विहस्सेदारी‍की‍है‍.यह‍�ी‍सुझाव‍दिदया‍गया‍है‍ki सूय#‍में‍जो‍चंुबकीय‍गवितविवधिध‍है‍वह‍�ी‍ब्रह्मांडीय‍विकरणों‍को‍प्रवर्तित त‍करती‍है‍द्धिजससे‍बादलों‍के‍संघनन‍नाभि�क‍प्र�ाविवत‍होते‍हैं‍और‍जलवायु‍[40] �ी‍प्र�ाविवत‍होती‍है‍.

सूय#‍की‍गवितविवधिध‍का‍एक‍असर‍यह‍�ी‍होगा‍की‍इससे‍स्टै्रटोस्पि£यर‍(stratosphere) गम#‍हो‍जायेगी‍, जबकी‍ग्रीन‍ ‍‍‍‍हाउस‍ ‍‍‍‍गैस‍ ‍‍‍‍लिस,ांत‍ ‍‍(greenhouse gas theory) वहां‍[41] पर‍शीतलन‍की‍�विवष्यवाणी‍करता‍है‍.यह‍रुझान‍देखा‍गया‍है‍1960 के‍बाद‍से‍लेकर‍स्टै्रटोस्पि£यर‍[42] ठंडा‍ही‍हुआ‍है‍.स्त्रतो£ेरिरक‍ ‍‍‍‍ओजोन‍ ‍‍‍‍की‍ ‍‍‍‍कटौती‍ ‍‍(Reduction of stratospheric ozone)के‍कारण‍शीतलता‍�ी‍पैदा‍होती‍है‍, पर‍ओजोन‍रिरक्तीकरण‍1970 [43] के‍दशक‍के‍अंत‍तक‍नही‍हुआ‍.सौर‍विवभि�न्नता‍और‍ज्वालामुखी‍ ‍‍‍‍गवितविवधिध‍ ‍०‍के‍कारण‍औद्योविगक‍युग‍से‍लेकर‍१९५०‍तक‍गमK‍नही‍बढ़ी‍बस्पिल्क‍शीतलन‍ही‍हुआ‍है‍.[1] 2006 में‍पीटर‍फौकल‍और‍संयुक्त‍राज्य‍अमेरिरका‍, जम#नी, और‍स्पिस्वट्ज़रलैंड‍के‍अन्य‍शोधकता#ओं‍ने‍पाया‍की‍सूय#‍की‍चमक‍में‍विपछले‍१०००‍सालों‍से‍कोई‍(net increase)परिरवत#न‍नही‍आया‍है‍.सौर‍ ‍‍‍‍च�‍ ‍‍(Solar cycle) के‍कारण‍विपछले‍३०‍सालों‍में‍केवल‍०.०७‍प्रवितशत‍की‍ही‍वृद्धि,‍हुई‍है‍. ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍लिलए‍यह‍बहुत‍छोटा‍तर्था‍महत्वपूण#‍योगदान‍देने‍वाला‍प्र�ाव‍है।[44][45] माइक‍लोक्क्वूद‍और‍क्लाउस‍फ्रोहलीच‍के‍एक‍शोध‍ने‍पाया‍की‍१९८५‍से‍लेकर‍अब‍तक‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍और‍सौर‍विवविकरण‍में‍कोई‍सम्बन्ध‍नही‍है‍, चाहे‍वह‍सौर‍उजा#‍की‍बात‍हो‍या‍ब्रह्मांडीय‍ ‍‍‍‍विकरणों‍ ‍‍(cosmic ray)की‍.[46] Henrik Svensmark (Henrik Svensmark) और‍Eigil Friis - Christensen (Eigil Friis-Christensen), जो‍की‍बादलों‍ ‍‍‍‍को‍ ‍‍‍‍पैदा‍ ‍‍‍‍करने‍ ‍‍(cloud seeding)के‍संsापक‍हैं‍, ने‍अपने‍इस‍अनुमान‍[47] की‍आलोचना‍की‍है‍२००७‍में‍एक‍शोध‍से‍पाया‍गया‍की‍विपछले‍बीस‍सालों‍में‍धरती‍पर‍आने‍वाली‍ब्रह्मांडीय‍विकरणों‍और‍बादलों‍और‍तापमान‍[48][49][50] में‍कोई‍सं�ंध‍नही‍नही‍.

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तापमान में परिरवत(न

दो‍सहस्राख़िब्दयों‍के‍तापमान‍अलग-अलग‍तरीकों‍से‍देखे‍गए‍, प्रत्येक‍तरीके‍में‍दशक‍को‍पैमाना‍बनाया‍गया‍.२००४‍की‍सालाना‍गणना‍संद�#‍के‍लिलए‍अन्क्बध‍की‍गयी‍है

हाल में

वाद्य‍ ‍‍‍‍तापमान‍ ‍‍‍‍रिरकाड#‍ ‍‍(instrumental temperature record) के‍अनुसार‍पृथ्वी‍का‍तापमान‍,चाहे‍वो‍ज़मीन‍पर‍हो‍या‍समुr‍में‍, १८६०-१९००‍के‍मुकाबले‍बढ़ा‍है‍यह‍तापमान‍में‍वृद्धि,‍शहरी‍ ‍‍‍‍गमK‍ ‍‍‍‍द्वीप‍ ‍‍(urban heat island) प्र�ाव‍[51] से‍प्र�ाविवत‍नही‍होता‍१०७९‍से‍, ज़मीन‍का‍तापमान‍समुr‍के‍तापमान‍के‍मुकाबले‍लग�ग‍दुगना‍बड़ा‍है‍(0.25 °C प्रवित‍दशक‍बविन`त‍0.13 °क‍प्रवित‍दशक‍)[52] विनचले‍त्रोपो£ेरे‍(troposphere)में‍तापमान‍0.12 और‍0.22 °C ( (0.22 और‍0.4 °F) के‍बीच‍में‍प्रवित‍दशक‍बड़ा‍है‍, जैसा‍की‍उपग्रह‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍आंकडे‍ ‍‍‍‍बताते‍ ‍‍‍‍हैं‍‍‍‍‍.‍‍ (satellite temperature measurements)यह‍माना‍जाता‍है‍विक‍१८५०‍से‍पहले‍विपछले‍एक‍ ‍‍‍‍या‍ ‍‍‍‍दो‍ ‍‍‍‍हज़ार‍ ‍‍‍‍सालों‍ ‍‍(one or two thousand years)से‍तापमान‍अपेक्षाकृत‍ल्शिsर‍रहा‍है‍, कुछ‍के्षत्रीये‍उतार‍-चडाव‍जैसे‍की‍मध्यकालीन‍ ‍‍‍‍गम#‍ ‍‍‍‍काल‍ ‍‍(Medieval Warm Period) या‍अल्प‍ ‍‍‍‍बफ¦ला‍ ‍‍‍‍युग‍ ‍‍(Little Ice Age)

समुr‍में‍तापमान‍ज़मीन‍के‍मुकाबले‍धीरे‍बड़ते‍हैं‍क्यूंविक‍महासागरों‍की‍अधिधक‍heat कैपलिसटी‍अधिधक‍होती‍है‍और‍वे‍वाष्पीकरण‍से‍द्धिजआदा‍गमK‍खो‍सकते‍हैं‍[53] उतरी ‍ गोलाध# ‍(Northern Hemisphere)में‍ज़मीन‍द्धिजआदा‍है‍इसलिलए‍वह‍दभिक्षणी‍ ‍‍‍‍गोलाध#‍ ‍‍(Southern Hemisphere) की‍तुलना‍में‍जल्दी‍गम#‍होता‍है‍उतरी‍गोलाध#‍में‍मौसमी‍बफ# ‍और‍समुrी‍बफ# ‍के‍व्यापक‍इलाके‍हैं‍जो‍की‍ice-albedo फीडबैक‍पर‍विन�#र‍करते‍हैं‍उतरी‍गोलाध#‍में‍दभिक्षणी‍गोलाध#‍के‍मुकाबले‍अधिधक‍ग्रीन‍हाउस‍गैसें‍उत्सर्जिज त‍की‍जाती‍हैं‍, पर‍यह‍गमK‍में‍अन्तर‍के‍लिलए‍द्धिजम्मेदार‍नही‍है‍क्यूंविक‍प्रमुख‍ग्रीन‍हाउस‍गैसें‍काफ़ी‍समय‍तक‍रहती‍हैं‍और‍दोनों‍गोलाध�‍में‍अच्छी‍तरह‍घुल-धिमल‍जाती‍हैं

NASA's गोद्दद#‍ ‍‍‍‍अन्तरिरक्ष‍ ‍‍‍‍अध्ययन‍ ‍‍‍‍संsान‍ ‍‍(Goddard Institute for Space Studies), के‍अनुमानों‍पर‍आधारिरत‍, २००५‍सबसे‍गम#‍साल‍र्था‍, जबसे‍मापन‍के‍साधन‍१८००‍के‍अंत‍में‍उपलब्ध‍हुए‍तब‍से‍, १९९८‍के‍रिरकॉड#‍को‍इसने‍एक‍विडग्री‍के‍कुछ‍सौवें‍�ाग‍से‍तोडा‍[54] विवश्व‍ ‍‍‍‍मौसम‍ ‍‍‍‍विवज्ञान‍ ‍‍‍‍संगठन‍ ‍‍(World Meteorological Organization) और‍जलवायु‍ ‍‍‍‍अनुसंधान‍ ‍‍‍‍एकक‍ ‍‍(Climatic Research Unit) द्वारा‍तैयार‍विकए‍गए‍अंदाजों‍से‍विनष्कर्षों#‍विनकाला‍गया‍की‍२००५‍, १९९८‍के‍बाद‍दूसरा‍सबसे‍द्धिजआदा‍गम#‍साल‍र्था‍[55][56] १९९८‍में‍तापमान‍

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असामान्य‍रूप‍से‍द्धिजआदा‍इसलिलए‍र्था‍क्यूंविक‍उस‍साल‍अल‍Niño के ‍ दभिक्षणी ‍ दोलन ‍(El Niño-Southern Oscillation)घदिटत‍हुए‍रे्थ‍[57]

Anthropogenic उत्सज#न‍के‍अन्य‍प्रदूर्षोंक‍-विवशेर्षोंकर‍सल्फेट‍एरोसोल‍(aerosol)स-ठंडा‍करने‍वाला‍प्र�ाव‍डालते‍हैं‍क्यूंविक‍यह‍आती‍हुई‍सूय#‍की‍रौशनी‍को‍प्रवितबिब विबत‍कर‍देते‍हैं‍यह‍एक‍आंलिशक‍कारण‍है‍उस‍शीतलन‍का‍जो‍बीसवी‍सदी‍के‍मध्य‍में‍पाया‍गया‍[58] हालांविक‍प्रा‍कृवितक‍परिरवत#नशीलता‍के‍कारण‍�ी‍ठंडापन‍हो‍सकता‍है।जेम्स‍ ‍‍‍‍Hansen‍ ‍ (James Hansen) और‍उनके‍सहयोविगयों‍ने‍प्रस्ताव‍रखा‍है‍की‍जीवाश्म‍ईंधन‍के‍जलने‍से‍जो‍पदार्थ#‍विनकलते‍हैं‍-CO2 और‍एरोसोल्स‍ने‍एक‍दूसरे‍प्र�ाव‍को‍खत्म‍कर‍दिदया‍है‍, इसलिलए‍गमK‍द्धिजआदातर‍गैर‍CO2 ग्रीनहाउस‍गैसों‍के‍कारण‍ही‍है.[59]

Paleoclimatologist विवलिलयम‍ ‍‍‍‍रूडीमेन‍ ‍‍(William Ruddiman) मानव‍ने‍तक# ‍दिदया‍विक‍दुविनया‍�र‍में‍जलवायु‍पर‍मानवी‍प्र�ाव‍लग�ग‍8000 साल‍पहले‍शुरू‍हुआ‍जब‍इंसानों‍ने‍कृविर्षों‍के‍लिलए‍वन‍साफ़‍करने‍शुरू‍कर‍दिदए‍और‍५०००‍साल‍पहले‍शुरू‍हुई‍एलिशया‍के‍चावल‍की‍सिस चाई‍ने‍�ी‍इसमे‍योगदान‍दिदया‍[60] Ruddiman की‍ऐवितहालिसक‍रिरकॉड#‍की‍व्याख्या‍को‍धिमरे्थन‍के‍आंकड़ों‍की‍तुलना‍में‍विववादिदत‍बताया‍गया‍है‍[61]

मानव पूव( जलवायु की द्धिभन् नता

अंटाक# दिटका‍में‍दो‍sानों‍पर‍लिलए‍गए‍तापमान‍के‍आंकड़ों‍के‍कव�‍और‍सारे‍विवश्व‍का‍ग्लालिसअल‍बफ# ‍की‍विवभि�न्ताओं‍का‍रिरकॉड#‍आज‍की‍वितलिर्थ‍बाईं‍ओर‍के‍ग्राफ‍.पर‍है।

पृथ्वी‍ने‍पहले‍�ी‍कई‍बार‍गमK‍और‍सद©‍महसूस‍की‍है।‍हाल‍ही‍का‍अंटाक# दिटक‍EPICA (EPICA) आइस‍कोर‍८०००००‍साल‍का‍लेखा-जोखा‍रखता‍है‍, द्धिजसमे‍आठ‍ग्लालिसअल‍(interglacial)च�‍परिर�मण‍ ‍‍‍‍भि�न्नरूप‍ ‍‍(orbital variations) के‍सार्थ‍दिदए‍गए‍हैं‍जो‍वत#मान‍तापमानों‍के‍सार्थ‍तुलना‍करते‍हैं‍[62]

आरंभि�क‍जुराल्शिस्सक‍(Jurassic)काल‍(लग-�ाग‍१८०‍करोड़‍वर्षों#‍पहले‍) में‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍में‍वृद्धि,‍होने‍के‍कारण‍औसत‍तापमान‍5 °C (9 °F).तक‍बड़‍गए‍मुक्त‍ ‍‍‍‍विवश्वविवद्यालय‍ ‍‍(Open University) के‍अनुसन्धान‍से‍संकेत‍धिमले‍हैं‍की‍वार्मिंम ग‍के‍कारण‍चट्टानों‍की‍अपक्षय‍(weathering)दर्‍४००‍प्रवितशत‍तक‍बढ़‍गई‍इस‍तरह‍से‍अपक्षय‍काब#न‍को‍कैल्सीटेट‍(calcite) और‍डोलोमाइट‍(dolomite) में‍बाँध‍देती‍है‍, CO2 का‍स्तर‍अगले‍१५००००‍सालों‍में‍वाविपस‍आम‍स्तर‍तक‍आया‍[63][64]

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धिमरे्थन‍का‍clathrate compound (clathrate compound)s (the clathrate gun hypothesis (clathrate gun hypothesis)) से‍अचानक‍विनकास‍उन‍कारणों‍में‍से‍एक‍माना‍जाता‍है‍द्धिजसके‍कारण‍�ूतकाल‍में‍वार्मिंम ग‍हुई‍, इसमे‍Permian–Triassic extinction event (Permian–Triassic extinction event) (लग-�ाग‍२‍करोड़‍५१‍लाख‍साल‍पहले‍) और‍the Paleocene–Eocene Thermal Maximum (Paleocene–Eocene Thermal Maximum) (लग-�ाग‍55 करोड़‍साल‍पहले‍).

जलवायु प्रतितमान२००१‍या‍उससे‍पहले‍की‍गई

ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍की‍गणना, द्धिजसमे‍कई‍तरह‍के‍जलवायु‍ ‍‍‍‍मॉडल‍ ‍‍(climate model)SRES (SRES) उत्सज#न‍परिरदृश्य‍के‍अंतग#त‍, शाधिमल‍विकए‍गए‍हैं‍, यह‍मानते‍हैं‍की‍उत्सज#न‍को‍कम‍करने‍के‍लिलए‍कार#वाई‍नही‍की‍जायेगी

२१‍वीसदी‍के‍दौरान‍सतह‍की‍गमK‍का

�ौगोलिलक‍विवतरण‍HadCM3 (HadCM3) क्‍लाइमेट‍मॉडल‍के‍द्वारा‍मापा‍गया‍जबविक‍सामान्‍य‍परिरदृश्‍य‍में‍कोई‍व्‍यवसाय‍आर्शिर्थ क‍विवकास‍और‍ग्रीनहाउस‍गैस‍उत्सज#न‍का‍कारण‍माना‍जाता‍हो.इस‍आंकडे‍में‍, विवश्व‍स्तर‍की‍वार्मिंम ग‍3.0 °C (5.4 °F). से‍मेल‍खाती‍है

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वैज्ञाविनकों‍ने‍जलवायु‍के‍कंप्यूटर‍ ‍‍‍‍मॉडल‍ ‍‍(computer models) सविहत‍ग्‍लोबल‍वार्मिंम ग‍का‍अध्‍ययन‍विकया‍है।ये‍मोडल्स‍rव‍गवितशीलता‍के‍�ौवितक‍लिस,ांतों‍, विवकरणशील‍ ‍‍‍‍हस्तांतरण‍ ‍‍(radiative transfer) , और‍अन्य‍प्रवि�याओं‍पर‍आधारिरत‍हैं‍, कटी‍जगाहाओं‍पर‍सरलीकरण‍विकया‍गया‍है‍क्यूंविक‍कंप्यूटर‍की‍अपनी‍सीमाएं‍होती‍हैं‍और‍जल्यायु‍प्रणाली‍बहुत‍ही‍जदिटल‍(complexity)है‍सरे‍आधुविनक‍जलवायु‍मॉडल‍अपने‍में‍एक‍वतावान�य‍मॉडल‍लिलए‍होते‍हैं‍और‍यह‍समुr‍के‍मॉडल‍और‍�ूधिम‍तर्था‍समुr‍पर‍बफ# ‍के‍मॉडल‍के‍सार्थ‍जुदा‍होता‍है‍कुछ‍मॉडलों‍में‍रासायविनक‍और‍जवैिवक‍प्रवि�याओं‍के‍उपचार‍�ी‍शम्मिम्मल‍होते‍हैं‍[65] यह‍मॉडल‍पता‍लगाते‍हैं‍विक‍ग्रीनहाउस‍गैसों‍का‍प्र�ाव‍अगर‍जोड़ा‍जाए‍तो‍एक‍गम#‍जलवायु‍प्राप्त‍होती‍है‍[66] विफर‍�ी‍, जब‍ये‍धारणा‍इस्तेमाल‍की‍जाती‍है‍तो‍�ी‍जलवायु‍ ‍‍‍‍संवेदनशीलता‍ ‍‍(climate sensitivity) का‍बहुत‍बड़ा‍रोल‍रहता‍है

ग्रीनहाउस‍गैसों‍की‍सांrता‍में‍�विवष्य‍की‍अविनभिxतताओं‍को‍ध्‍यान‍में‍रखते‍हुए‍आईपीसीसी‍२१‍वी‍सदी‍के‍अंत‍तक‍अक‍चेतावनी‍की‍परिरकल्पना‍करती‍है‍, १९८०-१९९९‍के‍मुकाबले‍[1] मॉडल‍का‍इस्तेमाल‍हाल‍के‍जलवायु‍परिरवत#न‍के‍कारणों‍(causes of recent climate change) की‍जांच‍करने‍के‍लिलए‍�ी‍विकया‍गया‍है‍, इसके‍लिलए‍मापे‍हुए‍परिरवत#नों‍की‍तुलना‍मॉडल‍के‍द्वारा‍बताये‍गए‍परिरवत#नों‍के‍सार्थ‍की‍जाती‍है

जलवायु‍के‍वत#मान‍मॉडल‍अवलोकन‍के‍सार्थ‍अच्छी‍तरह‍मेल‍खाते‍हैं‍पर‍जलवायु‍के‍स�ी‍पहलुओं‍की‍नक़ल‍नही‍कर‍पाते[67] ये‍माडल‍उस‍वार्मिंम ग‍जो‍की‍१९१०‍से‍१९४५‍तक‍हुई‍र्थी‍को‍अच्छी‍तरह‍समझा‍नही‍पाते‍, की‍वह‍प्राकृवितक‍परिरवत#न‍या‍मानव‍प्र�ाव‍के‍कारन‍हुई‍; विफर‍�ी‍, वे‍यह‍सुझाव‍देते‍हैं‍की‍१९७५‍के‍बाद‍से‍होने‍वाली‍वार्मिंम ग‍ग्रीन‍हाउस‍ ‍‍‍‍गैसों‍ ‍‍(greenhouse gas)के‍उत्सज#न‍के‍कारन‍ही‍है

वैभिश्वक‍जलवायु‍मॉडल‍के‍अनुमान‍उन‍ग्रीनहाउस‍गैस‍परिरदृश्यों‍से‍प्र�ाविवत‍होते‍हैं‍द्धिजनको‍आईपीसीसी‍( उत्सज#न‍पर‍ ‍‍‍‍विवशेर्षों‍ ‍‍‍‍रिरपोट#‍ ‍‍(Special Report on Emissions Scenarios)) ( SRES ) ने‍अपनी‍रिरपोट#‍में‍दशा#या‍है‍चाहे‍सामन्य‍न‍हो‍पर‍मॉडल‍में‍काब#न‍ ‍‍‍‍च�‍ ‍‍(carbon cycle)का‍अनुकरण‍�ी‍विकया‍जाता‍है‍, यह‍ज्यादातर‍सकारात्मक‍प्रवितवि�या‍दशा#ता‍है‍, चाहे‍यह‍प्रवितवि�या‍( A2 SRES परिरदृश्य‍के‍अंतग#त‍, प्रवितवि�याओं‍में‍20 और‍200 पीपीएम‍CO2 का‍अन्तर‍होता‍है‍) अविनभिxत‍है‍कुछ‍पय#वेक्षण‍अध्ययनों‍से‍एक‍सकारात्मक‍प्रवितवि�या[68][69][70]} देखने‍को‍धिमली‍है।

मई‍२००८‍में‍यह‍�विवष्यवाणी‍की‍गई‍की‍" विवशव‍का‍तापमान‍चाहे‍अगले‍दशक‍में‍न‍बडे़‍क्यूंविक‍उत्तरी‍अटलांदिटक‍और‍प्रशांत‍उष्णकदिटबंधीय‍क्षत्रों‍में‍जो‍जलवायु‍परिरवत#न‍होंगे‍वे‍अsायी‍तौर‍पर‍अन्थ्रोपोगेविनक‍वॉर्मिंम ग‍को‍कम‍कर‍देंगे‍" यह‍�विवष्यवाणी‍समुr‍के‍तापमान‍की‍गणना‍पर‍आधारिरत‍र्था‍[71]

वत#मान‍पीढ़ी‍के‍मॉडल‍में‍बादलों‍को‍दशा#या‍जाना‍अविनभिxतता‍का‍एक‍बड़ा‍कारन‍है‍, यद्यविप‍इस‍पर‍काय#‍विकया‍जा‍रहा‍है‍[72]

हाल‍के‍एक‍अध्ययन‍के‍द्वारा‍दाऊद‍ ‍‍‍‍डगलस‍ ‍‍(David Douglass), जॉन‍ ‍‍‍‍वि�स्टी‍ ‍‍(John Christy), और‍विबन्यामीन‍Pearson और‍फे्रड‍ ‍‍‍‍गायक‍ ‍‍(Fred Singer) ने‍पाया‍की‍अगर‍हम‍वास्तविवक‍जलवायु‍मॉडलों‍के‍सार्थ‍२२‍प्रमुख‍वैभिश्वक‍जलवायु‍मॉडलों‍की‍तुलना‍करें‍तो‍यह‍पाया‍जाता‍है‍की‍यह‍उष्णकदिटबंधीय‍troposphere में‍हुए‍परिरवत#नों‍पर‍खरे‍नही‍बैठते‍.लेखक‍इस‍बात‍पर‍गौर‍करते‍हैं‍की‍उनकी‍परिरणाम‍हाल‍ही‍में‍हुए‍प्रकाशनों‍के‍परिरणामो‍से‍मेल‍नही‍खाता‍[73]

अपेद्धि/त एवं आशातीत प्रभाव

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विवरल‍रिरकॉड#‍यह‍�ी‍दशा#ते‍हैं‍की‍विहमनद‍शुरुआती‍१८००स‍से‍पीछे‍हट‍रहे‍हैं‍१९५०‍में‍विहमनद‍की‍बफ# ‍का‍मापन‍शुरू‍हुआ‍और‍रिरपोट#‍WGMS (WGMS) और‍NSIDC को ‍ पेश ‍ की ‍ गई ‍(NSIDC).

यद्यविप‍विवशेर्षों‍मौसम‍घटनाओं‍को‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍सार्थ‍जोड़ना‍मुस्पिश्कल‍है‍, विफर‍�ी‍विवश्व‍के‍तापमान‍में‍वृद्धि,‍से‍व्यापक‍परिरवत#न‍(changes)सविहत‍बफ#‍ ‍‍‍‍पीछे‍ ‍‍‍‍हटना‍ ‍‍(glacial retreat), आक# दिटक‍ ‍‍‍‍shrinkage‍ ‍ (Arctic shrinkage), और‍दुविनया‍�र‍में‍समुr‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍स्तर‍ ‍‍‍‍वृद्धि,‍ ‍‍(sea level rise) हो‍सकती‍है‍.अवक्षेपण‍(precipitation)की‍मात्र‍में‍परिरवत#न‍बाढ़‍और‍सूखे‍(drought)को‍जनम‍दे‍सकता‍है‍. चरम‍मौसम‍की‍घटनाओं‍की‍आवृभित्त‍एवं‍त्रीवता‍में‍�ी‍परिरवत#न‍ ‍‍‍‍हो‍ ‍‍‍‍सकते‍ ‍‍(extreme weather) है।अन्य‍प्र�ावों‍में‍कृविर्षों‍पैदावार‍में‍कमी‍, अलावा‍व्यापार‍के‍नए‍माग1‍[74] का‍जुड़ना‍, छोटी‍गर्मिम यां‍, streamflow (streamflow) , प्रजावितयों‍का‍�तम‍(extinctions)होना‍और‍रोगों‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍वेक्टर‍ ‍‍(disease vectors)में‍वृद्धि,‍शाधिमल‍हैं

प्राकृवितक‍ ‍‍‍‍वातावरण‍ ‍‍(natural environment) और‍मानव‍ ‍‍‍‍जीवन‍ ‍‍(human life) पर‍कुछ‍असर‍कुछ‍हद‍तक‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍की‍वजह‍से‍माने‍जा‍रहे‍हैं‍IPCC की‍एक‍रिरपोट#‍के‍अनुसार‍glacier का ‍ पीछे ‍ हटना ‍(glacier retreat), ice shelf का ‍ �तम ‍ होना ‍(ice shelf disruption) जैसा‍की‍Larsen Ice Shelf (Larsen Ice Shelf), में‍हुआ‍समुr‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍स्टार‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍बड़ना‍ ‍‍(sea level rise), बारिरश‍में‍परिरवत#न‍, और‍बहुत‍ ‍‍‍‍ही‍ ‍‍‍‍�राब‍ ‍‍‍‍मौसम‍ ‍‍(extreme weather events), ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍[75] के‍कारन‍माने‍जा‍रहे‍हैं‍समग्र‍पैटन#, तीव्रता‍, और‍आवृभित्त‍के‍लिलए‍परिरवत#न‍सं�ाविवत‍हैं‍, यह‍कहना‍मुस्पिश्कल‍है‍की‍यह‍सब‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍कारण‍है‍.अन्य‍प्र�ावों‍में‍शाधिमल‍हैं‍कुछ‍के्षत्रों‍में‍पानी‍की‍कमी‍, कुछ‍में‍अवक्षेपण‍का‍बड़ना‍, पव#त‍snowpack में‍परिरवत#न‍और‍गरम‍मौसम‍के‍कारण‍और‍स्वास्थ्य‍के‍प्रवितकूल‍प्र�ाव‍[76]

बढ़ती‍हुई‍मौतों‍, displacements , और‍आर्शिर्थ क‍नुकसान‍, जो‍की‍अवितवादी‍ ‍‍‍‍मौसम‍ ‍‍(extreme weather)के‍कारण‍सं�ाविवत‍हैं‍, बढती‍ ‍‍‍‍हुई‍ ‍‍‍‍जनसँख्या‍ ‍‍(growing population)के‍कारण‍और‍�ी‍बदतर‍हो‍सकते‍हैं‍. हालांविक‍शीतोष्ण‍के्षत्र‍में‍इसके‍कुछ‍फैदे‍�ी‍हो‍सकते‍हैं‍जैसे‍की‍ठंड‍[77] की‍वजह‍से‍कम‍मौतें‍होना‍. आईपीसीसी‍ ‍‍‍‍तीसरी‍ ‍‍‍‍मूल्यांकन‍ ‍‍‍‍रिरपोट#‍ ‍‍(IPCC Third Assessment Report) के‍लिलए‍विद्वतीय‍काय#कारी‍समूह‍द्वारा‍.[75] बनाई‍गई‍रिरपोट#‍में‍सं�ाविवत‍प्र�ाव‍की‍समझ‍और‍इनका‍सारांश‍पाया‍जा‍सकता‍है‍.नई‍IPCC Fourth Assessment Report (IPCC Fourth Assessment Report) के‍अनुसार‍, ऐसा‍प्रमाण‍धिमलता‍है‍की‍उतरी‍ ‍‍‍‍प्रशांत‍ ‍‍‍‍महासागर‍ ‍‍में‍१९७०‍से‍tropical cyclone (tropical cyclone) की‍तेज़‍गवितविवधिध‍पाई‍गई‍है‍Atlantic Multidecadal Oscillation (Atlantic Multidecadal Oscillation)), के‍संध्र्ब‍में‍, पर‍लम्बी‍दूरी‍

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के‍प्र�ावों‍का‍पता‍लगना‍, �ास‍कर‍के‍उपग्रह‍गणनाओं‍से‍पहले‍, बहुत‍मुस्पिश्कल‍है‍सारांश‍यह‍�ी‍`Q‍नहीं‍करता‍की‍उष्णकदिटबंधीय‍च�वातों‍की‍दुविनया‍�र‍में‍वार्तिर्षों क‍संख्या‍में‍कोई‍सम्बन्ध‍है‍या‍नही‍[1]

कुछ‍और‍सं�ाविवत‍असर‍हैं‍समुr‍का‍१९९०‍से‍२१००‍[78] के‍बीच‍बढ़ना‍, खेती‍पर‍असर‍(repercussions to agriculture), thermohaline लिसकु# लेशन ‍ का ‍ धीमा ‍ होना ‍(possible slowing of the thermohaline circulation), ओजोन‍ ‍‍‍‍परत‍ ‍‍(ozone layer)में‍कमी‍च�वातों‍और‍[79] �राब‍मौसम‍की‍(hurricanes and extreme weather events)तीव्रता‍में‍इजाफा‍( पर‍यह‍देर‍बाद‍आएगेँ‍) , महासागर‍ ‍‍‍‍pH‍ ‍ (lowering)का‍नीचा‍ ‍‍‍‍होना‍ ‍‍(pH)और‍मलेरिरया‍और‍dengue बुखार‍जैसी‍ ‍‍‍‍विबमारिरयों‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍फैलना‍ ‍‍. एक‍अध्ययन‍की‍�विवष्यवाणी‍के‍अनुसार‍२०५०‍तक‍१८% से‍३५% पशु‍और‍पौधों‍की‍प्रजावितयाँ‍विवलुप्त‍(extinct)हो‍जाएगँी‍, यह‍बात‍११०३‍पशु‍और‍पौधों‍के‍एक‍नमूने‍पर‍आधारिरत‍है‍[80] लेविकन‍, कुछ‍ही‍यंत्रवत‍अध्ययनों‍ने‍जलवायु‍परिरवत#न‍[81] के‍कारण‍जीवों‍विवलुप्त‍होने‍का‍अनुमान‍लगाया‍है‍, और‍एक‍शु,‍तो‍यह‍दशा#ता‍है‍की‍विवलुप्त‍होने‍का‍अनुमान‍अविनभिxत‍हैं‍.[82]

ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍कसे‍�ौगोलिलक‍क्षमता‍तर्था‍उसकी‍प्रचंडता‍में‍वृद्धि,‍होने‍की‍आशा‍है।‍उष्णकदिटबंधीय‍ ‍‍‍‍बीमारिरयां‍ ‍‍(tropical disease)[83] संपूण#‍यूरोप, उत्तरी‍ ‍‍‍‍अमरीका‍ ‍‍तर्था‍उत्तरी‍ ‍‍‍‍एलिशया‍ ‍‍[84] में‍जलवायु‍परिरवत#न‍कीड़ो‍से‍पैदा‍होने‍वाले‍रोगों‍में‍बढोतरी‍कर‍सकता‍है‍जैसे‍मलेरिरया‍ ‍{‍‍

आर्थि3!क

कुछ‍अर्थ#शाम्मिस्त्रयों‍ने‍अनुमान‍करने‍की‍कोलिशश‍की‍है‍की‍दुविनया‍�र‍के‍जलवायु‍परिरवत#न‍से‍कुल‍विकतनी‍आर्शिर्थ क‍क्षवित‍होगी‍अ�ी‍तक‍इस‍तरह‍के‍अनुमान‍कोई‍विनणा#यक‍विनष्कर्षों#‍नही‍विनकल‍पाए‍हैं‍, 100 अनुमानों‍के‍एक‍सव�क्षण‍में‍यह‍पाया‍गया‍की‍आंकडे‍अमरीकी‍ ‍‍‍‍डॉलर‍ ‍प्रवित‍टन‍काब#न‍-10 ( टीसी‍) ( अमेरिरकी‍डॉलर‍प्रवित‍टन‍काब#न‍डाइऑक्साइड‍-3 ) लेकर‍अमरीकी‍ ‍‍‍‍डॉलर‍ ‍‍‍‍‍350/tC ( 95 अमेरिरकी‍डॉलर‍प्रवित‍टन‍काब#न‍डाइऑक्साइड‍) तक‍हैं‍, इनकी‍औसत‍43 अमेरिरकी‍डॉलर‍प्रवित‍टन‍काब#न‍( 12 अमेरिरकी‍डॉलर‍प्रवित‍टन‍काब#न‍डाइऑक्साइड‍) .[77] विनकलती‍है‍.

Stern Review (Stern Review) सं�ाविवत‍आर्शिर्थ क‍प्र�ाव‍पर‍एक‍व्यापक‍रूप‍से‍प्रचारिरत‍रिरपोट#‍है‍; यह‍सुझाव‍देती‍है‍की‍दुविनया‍�र‍में‍अत्यधिधक‍कठोर‍मौसम‍कम‍हो‍सकता‍है‍, कुल‍ ‍‍‍‍domestic product‍ ‍ एक‍प्रवितशत‍तक‍बड़‍सकता‍है‍और‍बुरी‍से‍बुरी‍हालत‍में‍प्रवित‍ ‍‍‍‍व्यलिक्त‍ ‍‍(per capita) खपत‍20 प्रवितशत‍विगर‍सकती‍है‍.[85] इस‍रिरपोट#‍की‍प,वित‍, और‍विनष्कर्षों#‍की‍कई‍अर्थ#शाम्मिस्त्रयों‍द्वारा‍आलोचना‍की‍है‍,मुख्यतः‍इसमे‍जो‍धारणाए‍हैं‍उनकी‍जैसे‍की‍छूट‍(discounting) और‍इसकी‍ल्शिsवितयों‍के‍विवकल्प,[86] जबविक‍अन्य‍ने‍आर्शिर्थ क‍जोख़िखम‍की‍गणना‍का‍समर्थ#न‍विकया‍है, चाहे‍वे‍उनकी‍संखयों‍से‍सहमत‍नही‍है‍[87][88]

प्रारंभि�क‍अध्ययन‍दशा#ते‍हैं‍की‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍कम‍करने‍की‍लागत‍और‍ला�‍मोटे‍तौर‍पर‍एक‍दूसरे‍से‍तुलना‍के‍योग्य‍हैं‍[89]

संयुक्त‍ ‍‍‍‍राष्ट्र‍ ‍‍‍‍पया#वरण‍ ‍‍‍‍काय#�म‍ ‍‍(United Nations Environment Programme) ( यूएनईपी‍) के‍अनुसार‍, आर्शिर्थ क‍के्षत्रों‍द्धिजनको‍कदिठनाइयों‍का‍सामना‍करने‍की‍सं�ावना‍हैं‍, उनमे‍शाधिमल‍हैं‍बैंक‍ ‍‍‍‍‍s‍‍ , कृविर्षों‍(agriculture), परिरवहन‍और‍अन्य‍.[90] विवकासशील‍देश‍जो‍की‍कृविर्षों‍पर‍विन�#र‍करते‍हैं‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍द्वारा‍�ास‍तौर‍से‍प्र�ाविवत‍होंगे‍.[91]

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अनुकूलन और शमनमौसम‍वैज्ञाविनकों‍के‍बीच‍जो‍एक‍तरह‍का‍व्यापक‍ ‍‍‍‍समझौता‍ ‍‍(broad agreement) है‍की‍वैभिश्वक‍तापमान‍में‍वृद्धि,‍होगी‍, ने‍कुछ‍राष्ट्र‍ ‍‍‍‍‍s‍‍ , राज्य‍(state)s , विनगम‍(corporation)s और‍व्यलिक्तयों‍को‍गवितविवधिध‍करने‍पर‍मजबूर‍विकया‍है‍की‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍कम‍विकया‍जाए‍या‍उसे‍समायोद्धिजत‍विकया‍जाए‍.बहुत‍से‍पया#वरण‍समूह‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍विवरू,‍व्यलिक्तगत‍ ‍‍‍‍काय1‍ ‍‍(individual action) को‍प्रोत्साविहत‍करते‍हैं‍बिक तु‍ऐसा‍प्राय: उप�ोक्ता‍एवं‍के्षत्रीय‍संगठनों‍द्वारा‍संपन्न‍होता‍है।‍कुछ‍ने‍सुझाव‍दिदया‍है‍की‍दुविनया‍�र‍में‍जीवाश्म‍ईंधन‍के‍उत्पादन‍पर‍एक‍कोटा‍(quota) होना‍चाविहए‍क्यूंविक‍वे‍मानते‍हैं‍की‍इसका‍सीधा‍सम्बन्ध‍CO2 के‍उत्सज#न[92][93] से‍है‍.

जलवायु‍परिरवत#न‍पर‍कारोबारी‍ ‍‍‍‍कारवा#ई‍ ‍‍(business action on climate change)�ी‍हुई‍है‍जैसे‍की‍ऊजा#‍दक्षता‍को‍बडाना‍और‍वैकल्शिल्पक‍ ‍‍‍‍ईंधन‍ ‍‍(alternative fuels) का‍इस्तेमाल‍करना‍.हाल‍ही‍में‍विवकलिसत‍की‍गई‍अवधारणा‍यह‍है‍विक‍ग्रीनहाउस‍गैस‍उत्सज#न‍ ‍‍‍‍व्यापार‍ ‍‍(emissions trading) की‍जाए‍, इसमे‍कंपविनयां‍सरकार‍के‍सार्थ‍धिमल‍के‍उत्सज#न‍को‍kaab

ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍काबू‍करने‍के‍लिलए‍विवश्व‍का‍प्रार्थधिमक‍अंतरराष्ट्रीय‍समझौता‍है‍क्योटो‍ ‍‍‍‍प्रोटोकॉल‍ ‍‍(Kyoto Protocol), एक‍संशोधन‍UNFCCC (UNFCCC) का‍, जो‍1997 में‍सामने‍आया‍.इस‍प्रोटोकोल‍के‍अंतग#त‍अब‍160 से‍अधिधक‍देश‍और‍विवश्व‍स्तर‍पर‍वैभिश्वक‍ग्रीनहाउस‍गैस‍उत्सज#न‍५५‍प्रवितशत‍�ाग‍है.[94] केवल‍संयुक्त‍ ‍‍‍‍राज्य‍ ‍‍‍‍अमेरिरका‍ ‍‍और‍कज़ाकस्तान‍ने‍इस‍संधिध‍की‍पुधिQ‍नहीं‍की‍है‍, जबविक‍अमरीका‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍को‍पैदा‍ ‍‍‍‍करने‍ ‍‍वाला‍(largest emitter)सबसे‍बड़ा‍देश‍है‍.यह‍संधिध‍2012 में‍समाप्त‍हो‍रही‍है‍, और‍अंतरराष्ट्रीय‍वाता#‍मई‍ ‍‍‍‍2007 (May 2007) में‍शुरू‍हो‍रही‍हैं‍, उस‍संधिध‍पर‍जो‍मौजूदा‍संधिध‍की‍जगह‍लेगी‍.[95]

अमेरिरका‍अर्थ#व्यवsा‍को‍�ारी‍नुक्सान‍और‍८०‍प्रवितशत‍दुविनया‍जैसे‍की‍चीन‍और‍�ारत‍का‍संधिध‍में‍से‍छोडा‍जाना‍अमेरिरकी‍ ‍‍‍‍राष्ट्रपवित‍ ‍‍(U.S. President)जॉज#‍ ‍‍‍‍डब्ल्यू‍ ‍‍‍‍को‍ ‍‍‍‍बुश‍ ‍‍(George W. Bush) का‍क्योटो‍प्रोटोकॉल‍के‍लिलए‍कहना‍है‍कहना‍है‍विक‍यह‍अनुलिचत‍है‍और‍अप्र�ावी‍है‍[96] बुश‍ने‍ऊजा#‍प्रौद्योविगकी‍को‍प्रोत्साविहत‍दिदया‍है‍,[97]

और‍संयुक्त‍राज्य‍अमेरिरका‍के‍�ीतर‍विवभि�न्न‍राज्य‍और‍नगर‍सरकारों‍ने‍क्योटो‍प्रोटोकोल‍को‍लागू‍करने‍के‍प्रयास‍शुरू‍कर‍दिदए‍हैं‍;इस‍का‍एक‍उदाहरण‍है‍के्षत्रीय‍ ‍‍‍‍ग्रीनहाउस‍ ‍‍‍‍गैस‍ ‍‍‍‍पहल‍ ‍‍(Regional Greenhouse Gas Initiative).[98] अमेरिरका ‍ विवज्ञान ‍ जलवायु ‍ परिरवत#न ‍ काय#�म ‍(U.S. Climate Change Science Program) एक‍संयुक्त‍काय#�म‍है‍द्धिजसमे‍20 से‍अधिधक‍अमरीकी‍संघीय‍एजेंलिसयों‍की‍�ागेदारी‍है

चीन‍और‍�ारत‍, हालांविक‍इसके‍प्रावधानों‍से‍अछूते‍हैं‍, ने‍क्योटो‍प्रोटोकोल‍की‍विवकासशील‍ ‍‍‍‍देशों‍ ‍‍(developing countries) के‍रूप‍में‍इसकी‍तस्दीक़‍की‍हैहाल‍के‍कुछ‍अध्ययन‍[99] के‍अनुसार‍चीन‍ने‍ग्रीन‍हाउस‍गैसों‍के‍उत्सज#न‍में‍अमरीका‍को‍�ी‍मात‍दे‍दी‍है‍.चीनी‍प्रीधिमयर‍वेन‍ ‍‍‍‍द्धिजयाबाओ‍ ‍‍(Wen Jiabao) ने‍अपने‍देश‍से‍कहा‍है‍की‍वह‍प्रदूर्षोंण‍और‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍है‍.[100] से‍विनपटने‍के‍लिलए‍अपने‍प्रयास‍दुगने‍कर‍दे‍.

आईपीसीसी‍का‍काय#‍समूह‍III ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍की‍लागत‍और‍ला�‍के‍विवभि�न्न‍दृधिQकोणों‍के‍बारे‍में‍रिरपोट#‍बनाने‍के‍लिलए‍2007 की‍आईपीसीसी‍ ‍‍‍‍चौर्था‍ ‍‍‍‍मूल्यांकन‍ ‍‍‍‍रिरपोट#‍ ‍‍(IPCC Fourth Assessment Report) में‍यह‍विनष्कर्षों#‍नीकाला‍गया‍की‍कोई‍एक‍प्रौद्योविगकी‍या‍सेक्टर‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍खत्म‍करने‍के‍लिलए‍पूरी‍तरह‍से‍द्धिजम्मेदार‍नही‍है‍.वे‍पाते‍हैं‍की‍प्रौद्योविगकी‍के‍विवभि�न्न‍के्षत्रों‍, जैसे‍ऊजा#‍ ‍‍‍‍आपूर्तित ‍ ‍‍(energy supply), परिरवहन‍(transport)ation , उद्योग‍(industry), और‍कृविर्षों, में‍कुछ‍प्रमुख‍प्रर्थाओं‍को‍लागू‍विकया‍जाना‍चाविहए‍.अनुमान‍

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है‍विक‍2030 तक‍काब#न‍ ‍‍‍‍डाइऑक्साइड‍ ‍‍‍‍समकक्ष‍ ‍‍(carbon dioxide equivalent) का‍ल्शिsरीकरण, 445 और‍710 ppm के‍बीच‍, सकल‍ ‍‍‍‍घरेलू‍ ‍‍‍‍उत्पाद‍ ‍.[101] में‍०.६‍से‍३‍प्रवितशत‍तक‍कमी‍या‍इजाफा‍ला‍सकता‍है‍. काय#‍समूह‍III के‍अनुसार‍२‍विडग्री‍सेल्शिल्सयस‍तक‍अगर‍बढ़ते‍तापमान‍को‍रोकना‍है‍तो‍विवकलिसत‍देशों‍के‍एक‍समूह‍को‍अपने‍उत्सज#न‍को‍कम‍करना‍होगा, और‍२०२०‍तक‍उत्सज#न‍१९९०‍के‍उत्सज#न‍से‍कम‍होना‍चाविहए‍(सबसे‍अधिधक‍माने‍जाने‍वाले‍के्षत्रों‍में‍1990 के‍स्‍तरों‍से‍10 से‍40 प्रवितशत‍तक‍कम) और‍२०५०‍तक‍उससे‍�ी‍कम‍(1990 के‍स्‍तरों‍से‍40 से‍90 प्रवितशत‍तक‍कम), चाहे‍विवकासशील‍देश‍काफ़ी‍कटौती‍क्यूँ‍न‍करें.[102]

सामाजिजक और राजनीतितक बहस2000 में

प्रवित‍व्यलिक्त‍ग्रीनहाउस‍गैस‍उत्सज#न‍, द्धिजसमें‍�ूधिम‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍उपयोग‍ ‍‍(land-use change)

परिरवत#न‍शाधिमल‍है।‍२०००‍में

प्रवित‍देश‍ग्रीनहाउस‍गैस‍उत्सज#न‍द्धिजसमें‍�ूधिम‍का‍उपयोग

परिरवत#न‍है‍.

वैज्ञाविनक‍विनष्कर्षों#‍के‍प्रचार‍के‍कारन‍दुविनया‍में‍राजनीवितक‍और‍आर्शिर्थ क‍बहस‍लिचद‍गई‍है‍.[103] गरीब‍के्षत्रों‍, खासकर‍अफ्रीका, पर‍बडा‍जोख़िखम‍दिदखाई‍देता‍है‍जबविक‍उनके‍उत्सज#न‍विवकलिसत‍देशों‍की‍तुलना‍में‍काफी‍कम‍रहे‍हैं‍.[104] इसके‍सार्थ‍ही‍, विवकासशील‍ ‍‍‍‍देश‍ ‍‍(developing country) की‍क्योटो‍ ‍‍‍‍प्रोटोकॉल‍ ‍‍(Kyoto Protocol) के‍प्रावधानों‍से‍छूट‍संयुक्त‍ ‍‍‍‍राज्य‍ ‍‍‍‍अमेरिरका‍ ‍‍और‍ऑस्टे्रलिलया, द्वारा‍नकारी‍गई‍है‍और‍इसको‍अमेरिरका‍के‍अनुसमर्थ#न[105] का‍एक‍मुद्दा‍बनाया‍गया‍है‍. पभिxमी‍ ‍‍‍‍दुविनया‍ ‍‍(Western world) में‍संयुक्त‍राज्य‍अमेरिरका‍की‍

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तुलना‍में‍है‍.[106][107] की‍तुलना‍में‍यूरोप‍में‍यह‍विवचार‍की‍मानव‍का‍जलवायु‍पर‍बहुत‍प्र�ाव‍पड़ता‍है‍द्धिजआदा‍बलवान‍है‍.

जलवायु‍परिरवत#न‍का‍मुद्दा‍एक‍नया‍विववाद‍ले‍आया‍है‍की‍ग्रीनहाउस‍ ‍‍‍‍गैस‍ ‍‍(greenhouse gas) के‍औद्योविगक‍(industrial)उत्सज#न‍(emissions) ओ‍कम‍करना‍फाइदेमंद‍है‍या‍उस‍पर‍होने‍वाला‍खच#‍(costs)द्धिजअदा‍नुकसानदेह‍है‍कई‍देशों‍में‍चचा#‍की‍गई‍है‍की‍वैकल्शिल्पक‍ ‍‍‍‍ऊजा#‍ ‍‍‍‍स्रोतों‍ ‍‍(alternative energy sources) को‍अपनाने‍में‍विकतना‍खच#‍आएगा‍और‍उसका‍विकतना‍ला�‍होगा‍[108].प्रवितयोगी‍Enterprise संsान ‍(Competitive Enterprise Institute) और‍ExxonMobil (ExxonMobil) जैसी‍कम्पविनओं‍ने‍यह‍कहा‍है‍की‍हमें‍जलवायु‍की‍द्धिजअदा‍बुरी‍हालत‍की‍कल्पना‍कर‍के‍ऐसे‍कदम‍नही‍उठाने‍हैं‍जो‍बहुत‍द्धिजअदा‍खचKले‍हों.[109][110][111][112] इसी‍तरह‍, पया#वरण‍की‍विवभि�न्न‍साव#जविनक‍लॉबी‍और‍कई‍लोगों‍ने‍अभि�यान‍शुरू‍विकए‍हैं‍जो‍जलवायु‍ ‍‍‍‍परिरवत#न‍ ‍‍‍‍का‍ ‍‍‍‍जोख़िखम‍ ‍‍(risks of climate change) पर‍ज़ोर‍डालते‍हैं‍और‍कडे़‍विनयंत्रण‍करने‍की‍वकालत‍करते‍हैं‍.जीवाश्म‍ईंधन‍की‍कुछ‍कंपविनयों‍ने‍अपने‍प्रयासों‍को‍हाल‍के‍वर्षों1‍[113] में‍कम‍विकया‍है‍यां‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍[114] के‍लिलए‍नीवितयों‍की‍वकालत‍की‍है‍.

विववाद‍का‍एक‍और‍मुद्दा‍है‍की‍उ�रती‍ ‍‍‍‍हुई‍ ‍‍‍‍अर्थ#व्यवsाओं‍ ‍‍(emerging economies) जैसे‍�ारत‍और‍चीन‍से‍कैसी‍उम्मीद‍की‍जानी‍चाविहए‍की‍वेह‍अपने‍उत्सज#न‍को‍विकतना‍कम‍करें‍.हाल‍की‍रिरपोट#‍के‍अनुसार‍, चीन‍के‍सकल‍ ‍‍‍‍राष्ट्रीय‍ ‍‍‍‍CO 2 < / उप‍> उत्सज#न‍(gross national CO2 emissions) अमरीका‍से‍द्धिजअदा‍हो‍सकते‍हैं‍, पर‍चीन‍ने‍कहा‍है‍की‍प्रवित‍ ‍‍‍‍व्यलिक्त‍ ‍‍‍‍उत्सज#न‍ ‍‍(per capita emissions) अमरीका‍[115] से‍पाँच‍गुना‍कम‍है‍इसलिलए‍उस‍पर‍यह‍बंदिदश‍नही‍होनी‍चाविहए‍[116] �ारत‍ने‍�ी‍इसी‍बात‍को‍दोहराया‍है‍द्धिजसे‍क्‍योटो‍प्रवितबंधों‍से‍छूट‍प्राप्त‍है‍और‍जो‍औद्योविगक‍उत्सज#न‍का‍सबसे‍बड़ा‍स्रोत‍है.[117] However, the U.S. contends that if they must bear the cost of reducing emissions, then China should do the same. [118]

जलवायु संबंधि8त मुदे्दग्लोबल‍वार्मिंम ग‍के‍संबंध‍में‍अक्सर‍कई‍तरह‍के‍मुदे्द‍उठाए‍जाते‍हैं.इनमें‍से‍एक‍महासागरीय‍ ‍‍‍‍अम्लीकरण‍ ‍‍‍‍है।‍ ‍‍(ocean acidification)वातावरण‍में‍बढ़ती‍CO2 CO की‍मात्रा‍से‍CO 2 की‍मात्रा‍महासागरों‍में‍�ी‍बड़‍जाती‍है‍.[119] CO2 समुr‍में‍पानी‍के‍सार्थ‍प्रवितवि�या‍करता‍है‍और‍काब�विनक‍ ‍‍‍‍एलिसड‍ ‍‍(carbonic acid), बनाता‍है‍द्धिजससे‍अम्लीकरण‍में‍वृद्धि,‍होती‍है‍महासागर‍की‍सतह‍का‍पीएच‍(pH) अनुमान‍है‍की‍२००४‍तक‍८.१४‍ही‍रह‍गया‍है‍जब‍की‍औद्योविगक‍युग‍की‍शुरुआत‍में‍यह‍८.२५‍र्था‍[120] इसके‍और‍�ी‍ज्यादा‍घटने‍के‍आसार‍हैं, २१००‍तक‍यह‍०.१४‍से‍०.५‍तक‍कम‍हो‍सकता‍है‍क्‍योंविक‍महासागर‍और‍ज्यादा‍CO2.[1][121] सोख‍लेंगे. चंूविक‍जीवधारी‍हैं‍और‍पारिरतंत्रों‍ने‍अपने‍आप‍को‍कम‍pH पर‍ढाला‍है‍, इससे‍उनके‍विवलुप्त‍ ‍‍‍‍होने‍ ‍‍(extinction) का‍�तरा‍बढ़‍गया‍है‍, CO2 का‍बढ़ना‍खाद्य‍ ‍‍‍‍जालिलयाँ‍ ‍‍(food webs) और‍मनाव‍समाज‍, जो‍की‍समुr‍पर‍विन�#र‍करता‍है‍, को‍खतरे‍में‍दाल‍सकता‍है‍.[122]

धरती‍पर‍प्रकाश‍के‍आने‍ने‍, द्धिजसको‍irradiance (irradiance) कहते‍हैं‍हो‍सकता‍विहया‍की‍२०‍वे‍दशक‍में‍ग्लोबल‍ ‍‍‍‍वार्मिंम ग‍ ‍‍(Global dimming)को‍कम‍विकया‍हो‍, क्यूंविक‍तब‍कम‍प्रकाश‍धरती‍पर‍आया‍र्था‍1960 से‍1990 तक‍मानव‍विनर्मिम त‍एरोसोल्स‍ने‍इस‍असर‍को‍और‍�ी‍बढाया‍वैज्ञाविनकों‍ने‍कहा‍है‍विक‍६६-९०‍प्रवितशत‍विवश्‍वास‍के‍सार्थ‍कहा‍है‍की‍मानव‍विनर्मिम त‍एरोसोल्स, ज्वालामुखी‍गवितविवधिध‍सविहत‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍कुछ‍कम‍करते‍हैं‍और‍ग्रीनहाउस‍गैसें‍वार्मिंम ग‍को‍अ�ी‍तक‍द्धिजतना‍देखा‍गया‍है‍उससे‍और‍अधिधक‍बढ़ाएगँी‍यदिद‍ये‍कम‍करने‍वाले‍कारक‍न‍हो.[1]

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ओजोन‍ ‍‍‍‍रिरक्तीकरण‍ ‍‍(Ozone depletion) द्धिजसमे‍पृथ्वी‍की‍स्टै्रटोस्पि£यर‍(stratosphere) में‍ओजोन‍की‍कमी‍हो‍जाती‍है‍, ने‍ग्लोबल‍वार्मिंम ग‍को‍बढावा‍दिदया‍है‍यद्यविप‍इन‍के्षत्रों‍ ‍‍‍‍के‍ ‍‍‍‍संबंध‍ ‍‍(areas of linkage) हैं‍, पर‍दोनों‍के‍बीच‍के‍संबंध‍को‍मजबूत‍नहीं‍कहा‍जा‍सकता‍.