सॊफत सोयह सै एकतीसा डॉ. याभाधाय शभा ा ी याभचरयतभानस सभ भानव जारत के ररए एक अभूӏ रनरध है। रजस काय ी Ԫाभी शॊकयाचाम ाजी, ी Ԫाभी याभानुजाचाम ाजी, ी Ԫाभी याभानДाचाम ाजी, ी Ԫाभी भϫाचाम ाजी आरद आचाम ने Ԛानमी का बाԉ कय अऩना-अऩना रसύाϿ रसύ रकमा, ठीक उसी काय सबी आचाम ा अऩने -अऩने रसύाϿ के अनुसाय भानसजी का अथा रगा सकते ह ɽरक गोԪाभीजी ने ी भानसजी की यचना की रतऻा “नानाऩुयाणरनगभागभसҰतॊ ..” से की है। औय चूॉरक В का उऩसॊहाय आ है :- “ऩ ुमॊ ऩाऩहयॊ सदा रशवकयॊ रवऻानबरɫदॊ भामाभोहभराऩहॊ स ुरवभरॊ ेभाҨुऩूयॊ श ुबभ ् । ीभाभचरयभानसरभदॊ बɬावगाहरϿ मे ते सॊसायऩतʾघोयरकयणैद ाԵरϿ नो भानवा॥“ [अथा ात ् ऩयभ ऩरव औय ऩुम से म ुɫ, ऩाऩ को हयन े वारे , रनयϿय कӏाणकायी, रवरशӴ ऻान औय बरɫ को देने वारे , भामा, भोह औय तΨҨОी भर को सभाљ कयने वारे , स ुДय औय रनभा र, ीयाभेभऱऩ जर से ऩूणा , कӏाणभम इस ीयाभचरयतभानस ऱऩ सयोवय भ जो बरɫऩूवाक अवगाहन कयगे , अथा ात ् ड ू फकय इसके रसύाϿ का रचϿन कयगे , वे भन ुԉ सॊसायऱऩसूम ा की बमॊकय रकयण से नह जरगे , … नह जरगे , … नह जर ग े।] अत ԠӴ आ रक मह सभ भानव जारत के ररए कӏाणकायी है। Ӥ उठता है रक ऐसे अनुऩभ В का णमन गोԪाभीजी ϡाया कफ रकमा गमा औय कफ इसन े सॊऩूणाता को ाљ रकमा? ीयाभचरयतभानस का ायॊब कार :- गोԪाभीऩाद के ही शѾ भ देख – “सॊफत सोयह सै एकतीसा । कयउॉ कथा हरयऩद धयी शीसा ॥ नौभी बौभ वाय भधुभासा । अवधऩुयी मह चरयत कासा ॥” या.च.भा. फार./३४/४-५ अथा ात ् , रवभी सॊवत ् १६३१ के ायॊब भ हरय अथा ात ् ीयाभजी के , तथा हरय अथा ात ् वानयेӺ ी हनुभानजी के , एवॊ हरय अथा ात ् ी ग ुरदेव नयहरयदास के ीचयण को भԒक ऩय धायण कयके , भ तुरसीदास (अवधी बाषा भ ) ीयाभकथा कह यहा हॉ। च ै श ुɿ नवभी, भॊगरवाय के रदन ी अवधऩुयी भ (भेये दम भ ) मह चरय कारशत आ। ऩाठक को मह जानकय हषा होगा रक वत ाभान रिӴाѾीम वषा गणनानुसाय मह रदनाʰ ३० भाच ा १५७४ है। तΙӡात ् Ӥ मह उठता है रक सॊवत ् १६३१ ही ɽ? इस ऩय भहाΝाओ ॊ के बाव कु छ इस काय ह रक बगवान ् ी याभचКजी १६ कराओ ॊ के अवताय थे - “फार चरयत मह चКभा सोयह करा रनधान|ׯ (गीतावरी १।२२)। रपय यावण-वध भ © Copyright 2012 Shri Tulsi Peeth Seva Nyas http://www.jagadgururambhadracharya.org/