videha 01 08 2008 tirhuta · videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली...

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Videha ÕिवदेहÕ Ĥथम मैिथली पािक पिğका अगत २००८ (वष मास अंक १५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम ् 1 'िवह' अगŁ २००८ ( वष मास १५ ) एिह अिछ:- ûी रामाûय झा 'रामरं ' (१९२८- ) õिसě ' अिभनव भातखĒे ' जीक िथली रचना "िवह"ल। .ƨपालवन मश Ńेशल .संपादकीय .स ंश . नाटǦ एं íी: मा õिवश ûी उदय नारायण िसं 'निचता' िथली सािहeक õिसě õगधमी नाटककार ûी निचताजीक टटका नाटक, िवगत २५ वषक नभंगक पात् पाठकक सķुख õŁुत ल। नाटकक अिĢम प। . ग@ - .. कथा िवभा-रानी आऽ भालच¬ɑ झा . आiाd-ûी िथलीñ õदीप . साब रामदास-ûी पालन झा/ िनकी- ßोित . ûी ɣमशं कर िसं बीसम शताİी िथली सािहe उपlास सहüबाि(आगाँ ) ईध : मायानģ िमûक इितहास (आगाँ ) सं ûी मायानģ िमûजीसँ ◌ॉ िशवõसाद यादवजी Ğारा साा^ार। . प@ िवृत किव . रामजी धरी,ग¬ɑ ठार ûी गं जन ßोित झा धरी ûी प ंकज पराशर, महाका महाभारत (आगाँ ) ûी िजतहन -भिN गीत . सं ृत िथली िशा (आगाँ ) . िमिथला कला (आगाँ ) .पाबिन -स ंार- तीथ -पंचपासक भूिम िमिथला--◌ॉ õफुĻ मार िस ंह मधुûावणीपर िवष िमिथलाक पाबिन-ितहारक डर) . सं गीत िशा -ûी रामाûय झा 'रामरं '

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  • Videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)

    http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह ससं्कृताम ्

    1

    'िवदेह' १ अग २००८ ( वष र् १ मास ८ अकं १५ ) एिह अकंमे अिछ:-

    ी रामा य झा 'रामरगं' (१९२८- ) िस ' अिभनव भातख े' जीक मैिथली रचना "िवदेह"क लेल।

    १. पालवन आ मधेश ेशल २.सपंादकीय ३.सदंेश

    २. नाटक एं ी: मा िवश ी उदय नारायण िसहं 'निचकेता'

    मैिथली सािह क सु िस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत २५ वष र्क मौनभंगक प ात् पाठकक स ुख ुत भेल। पढ़◌ू नाटकक अि म खेप।

    ३. ग -

    अ.१. कथा िवभा-रानी आऽ भालच झा आ. आ ा - ी मैिथलीपु दीप

    २. साहेब रामदास- ी पालन झा/ दैिनकी- ोित

    इ. ी मशकंर िसहं बीसम शता ीमे मैिथली सािह

    उप ास सह बाढ़िन (आगा)ँ

    ईशोध लेख: मायान िम क इितहास बोध (आगा)ँ सगंमे ी मायान िम जीस ँड◌ॉ िशव साद यादवजी ारा लेल गेल साक्षा ार।

    ४. प

    िव ृत किव . रामजी चौधरी,गजे ठाकुर

    ी गगंेश गुजंन ोित झा चौधरी ी पकंज पराशर,

    महाका महाभारत (आगा)ँ ी िजतमोहन -भि गीत

    ५. स ं ृत मैिथली िशक्षा(आगा)ँ

    ६. िमिथला कला(आगा)ँ

    ७.पाबिन-स ं ार- तीथ र् -पचंदेवोपासक भूिम िमिथला--ड◌ॉ फु कुमार िसहं ’मौन’

    मध ु ावणीपर िवशेष िमिथलाक पाबिन-ितहारक कैलेडंर)

    ८. सगंीत िशक्षा - ी रामा य झा 'रामरगं'

  • Videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)

    http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह ससं्कृताम ्

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    ९. बालाना ंकृते-

    १०. प ी बधं (आगा)ँ प ी-स ं ाहक ी िव ानदं झा प ीकार ( िस मोहनजी )

    ११. स ं ृत िमिथला

    १२.मैिथली भाषापाक

    १३. रचना लेखन (आगा)ँ

    14. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS Fest i val s of Mi t hi l a dat e( -l i st )-

    1.Vi deha Mi t hi l a Ti r bhukt i Ti r hut ... 2 Goa and Mai t hi l s by Aj ay Thakur.

    The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani by ' Jyot i

    महत् पणू र् सचूना:(१) िव ृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अकँमे ई- कािशत भेल छल।तकर बाद हनुकर पु ी दगुा र्न चौधरी, ाम- पुर,थाना-अधंरा-ठाढ़◌ी, िजला-मधबुनी किवजीक अ कािशत पा ुिलिप िवदेह काया र्लयकँे डाकस ँिवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे नवम अकंस ँधारावािहक पे ँई-कािशत भ' रहल अिछ।

    महत् पणू र् सचूना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर मैिथली-अं जी आऽ अं जी-मैिथली श कोश (सपंादक गजे ठाकुर आऽ नागे कुमार झा) कािशत करबाओल जा' रहल अिछ। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई- कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सह बाढ़िन'(उप ास), 'ग -गु '(कथा स ं ह) , 'भालसिर' (प स ं ह), 'बालाना ंकृते', 'एका ी स ं ह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका )आऽ 'या ा व ृ ातं' िवदेहमे सपंणू र् ई- काशनक बाद ि टं फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना (४):महत् पणू र् सचूना: ीमान ्निचकेताजीक नाटक " एं ी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई- कािशत प देिख कए एकर ि टं पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष " ुित काशन" केर ाव आयल छल, एकर सचूना 'िवदेह' ारा ी निचकेताजीकँे देल गेलि । अहाकँँे ई सिूचत करैत हष र् भए रहल अिछ, जे ी निचकेता जी एकर ि टं प करबाक ीकृित दए देलि ।

    ए ी मा िवश (४ अ कीय मैिथली नाटक) c( ) ी उदय नारायण िसहं "निचकेता"

    काशक: ुित पिब्लकेशन (एिह पु कक I SBN No . शी देल जायत)

    महत् पणू र् सचूना (५): मैिथली-भोजपुरी अकादमीक तत् ाधानमे ६ अग २००८ कँे ीराम से टर, सफदर हाशमी मा , म ी हाउस, नई िद ीमे साझँ साढ़◌े पाचँ बजेस ँराित लगभग ९ बजे धिर मैिथली नाटक-गीत-सगंीत स ं ाक आयोजन भए रहल अिछ। मैिथली लोक रगं (मैलोरगं) स ं ा ारा एकर अतं त साढ़◌े छह बजेस ँसवा आठ बजे धिर महे मलिंगयाक नाटक "काठक बनल लोक" मिंचत कएल जाएत- एकर िनदेर्शक छिथ शनल ूल ऑफ ामाक ी काश झा।

    फेर ७ िसत र २००८ कँे िमिथलागंन स ं ा ारा ीराम से टर, म ी हाउस, नई िद ीमे साझँ पाचँ बजेस ँमैिथली नाटक-गीत-सगंीत स ं ाक आयोजन होएत।

    िवदेह (िदनाकं १ अग सन ्२००८)

  • Videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)

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    १. पाल वन आ मधेश ेशल २.सपंादकीय ३.सदंेश

    पाल वन आ मधेश शेल

    -िजते झा पताः जनकपुरधाम, पाल एखन ; नई िद ी

    टेिलिभजनमे जं मैिथलीक मादे बात करी त पाल वन टेिलिभजनके एकटा अलग ान बिन चकुल अिछ । पाल वन टेिलिभजन राित पौ ८ बजे सािरत होब' बला मधेश ेशलक मा मस ंमैिथली बहतुो मैिथल धिर पहंचु रहल अिछ । पालमे सभस ंबेशी बाजल जाए बला दोसर भाषा मैिथली रिहतंह ुओ तािह अ पातमे सचंारमा ममे मैिथलीके ान नई भेट सकल छइ । एहन अव ामे पडोसी देश भारतस ंस चािलत पाल वन टेिलिभजन मैिथलीमे काय र् म सारण क मैिथलीभाषा भाषी म अपन अलग ान बनाले अिछ । पालमे सरकारी रपर सचंािलत पाल टेिलिभजन सिहत िनजी टेिलिभजन ानलमे मैिथली एख उपेिक्षते अिछ । य िप बेर बेरके मधेश आ ोलन आ सचंारमा मपर लाग बला साम् दाियकताक आरोपक कार काठमा ुकेि त टेिलिभजनसबमे आब मैिथलीके ान भेट लागल छइ । काठमा ुस ं सािरत सगरमाथा टेिलिभजन सेहो सभिदन मैिथलीमे समाचार देल करैत अिछ ।

    पाल वन टेिलिभजनक मधेश ेशल नामक 1 घ ाक काय र् ममे समाचार, पालक समसामियक राजनीित, पालक मुख मु ापर बातिचत आ गीत सगंीत समेटल गेल अिछ । समसामियक व ुि ित पर लोक अपन धारणा द क पिरचचा र्के मह पणू र् बना देल करैत अिछ । ई काय र् म राित पौ आठ बजेस ंपौ नओ बजेधिर सािरत होइत अिछ । पाल केि त समाचार रिहतो पाल स ंबाहर इ काय र् म देिखिनहार मैिथल कमी नई अिछ । पालक सीमावतीर् मधवुनी, दरभंगा, सीतामढी, सुपौल, सहरसासिहतके िज ासभमे सेहो एकर दश र्कके कमी निह अिछ । पालक मैिथल ज मैिथलीमे समाचार, गीत, आ पिरचचा र् सुिन क सुसिूचत होइत छैथ ततई भारत आ आन ठामक दश र्क मैिथली गीत आ सचंारमा ममे मैिथलीक बोली सुिन हिष र्त भेल करैत अिछ ।

    मधेश ेशल पालक मधेशीके एकटा अ रा र्िष् य सचंारमा ममे मंुह खोिल क बजबाक अवसर देलकै, सेहो अप भाषामे । पालक सचंारमा मस ंसेहो कटल कट्ल रहबला मधेशके छोट िछन घटना सेहो मुख समाचार बन लागल । मधेशीक मु ापर खिुलक बहस शु भ गेल । मधेशक ता सेहो धोती कुता र् पिहिरक काठमा ुएमे बैिस क को टेिलिभजन पर क्ष पे ंजनतास ंबातिचत कर लगला। टेिलिभजनमे ज मैिथली शु ाय छल तािह अब ामे ए िहबेर एक घ ा मैिथलीक काय र् मके लोकि य होब मे बेशी समय नइ लगलै । एखन इ काय र् म द ूबष र् पुरा कर लागल अइ।

    पाल 1 टेिलिभजन िडस िटभी आ टाटा ाइपर उपल हएबाक कार इ देश िवदेशमे रह बला मैिथललग सहजिहं पहंचु बनाले अिछ । एिह ारे लगभग ७० टा देशमे रहबला मैिथल भाषी मधेश ेशलके मा मस ंमैिथलीमे सुचना आ म र जन ल रहल छैथ । मधेश ेशल मैिथली आ भोजपुरीक िमि त काय र् म अिछ । एिहमे मैिथली भाषाक गीत नादक अितिर भोजपुरीक चौकी तोड आ आध ुिनक गीत सेहो सारण होइ छै । ई काय र् म तीन भागमे बाटल अिछ। पिहलमे पाल आ अ रा र्िष् य समाचार रहैछै त दोसरमे समसामियक चचा र्(टक शो) आ तेसरमे मैिथली/भोजपुरी गीत ।

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    द ृ सचंारमे मधेश ेशल मैिथलीके जगिजयार करमे बड पैघ भूिमका िनवा र्ह क रहल अिछ आ क सकैत अिछ से कहनाई अितशयोि नई हएत । डोम कछ आ जट जिटनक नाचस ंजं मािटक सुग लेब चाहैत हवुए त हनुका सभहक लेल मधेश ेशल सहायक भ सकैत छै ।

    मेधेश केि त काय र् म होइतो इ िमिथला चलके सवा र्िङण िवकासमे क ेक सहायक हएत से त आव बला िद बताओत मुदा एतवा िनि त जे टेिलिभजनमे मैिथलीक िनयिमत सारणस ंमैिथलके अपन बोली अपन भाषा याद िदयबैत रहैतै ।

    २.सपंादकीय (वष र्: १ मास: ८ अकं:१५)

    मा वर,

    िवदेहक नव अकं (अकं १५, िदनाकं १ अग सन ्२००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन क ht t p wwwvi deha co i n:// . . . |

    एिह अकंमे निचकेताजीक नाटक एं ी: मा िवश अि म खेप ई- कािशत भ’ रहल अिछ। ग गेश गुजंन जीक प आऽ िव ृत किव रामजी चौधरीक अ कािशत प सेहो ई- कािशत भए रहल अिछ। ी मौन जी, मैिथलीपु दीप, ी पालन झा ी पकंज पराशर आऽ परम ेय ी मशकंर िसहंजीक रचना सेहो ई- कािशत कएल गेल अिछ।

    ी मायान जीक इ टर ू लेलि ी ड◌ॉ. िशव साद यादव। तकर दोसर भाग सेहो ुत अिछ।

    पाल १ टी.वीक मैिथली काय र् मक िवषयमे िववरण दए रहल छिथ िजते जी आऽ भि -गीत ुत कए छिथ िजतमोहनजी।

    ोितजी प , बालानाकंृते केर देवीजी श ृखंला, बालानाकंृते लेल िच कला आऽ सह बाढ़िनक अं जी अ वाद ुत कए छिथ।

    शेष ायी ंभ यथावत अिछ।

    अप क रचना आऽ िति याक तीक्षामे। विर रचनाकार अपन रचना ह िलिखत पमे सेहो नीचा ँिलखल पता पर पठा सकैत छिथ।

    गजे ठाकुर

    ३८९, प◌ॉकेट-सी, से र-ए, बस कंुज,नव देहली-११००७०.

    ggaj endr a vi deha co i n@ . . ggaj endr a yahoo co i n@ . .

    ३.सदंेश

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    १. ी ो. उदय नारायण िसहं "निचकेता"- जे काज अहा ँकए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकँे पढ़ि◌ रहल छिथ।

    २. ी ड◌ॉ. गगंेश गुजंन- "िवदेह" ई जन र्ल देखल। सचूना ौ ोिगकी केर उपयोग मैिथलीक हेतु कएल ई ु यास अिछ। देवनागरीमे टाइप करबामे एिह ६५ वष र्क उमिरमे क होइत अिछ, देवनागरी टाइप करबामे मदित देनाइ स ादक, "िवदेह" केर सेहो दािय ।

    ३. ी रामा य झा "रामरगं"- "अपना" िमिथलास ँसबंिंधत...िवषय व ुस ँअवगत भेलह ुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।

    ४. ी जे ि पाठी, सािह अकादमी- इटंर ट पर थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना ीकार क ।

    ५. ी फु कुमार िसहं "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" क काशनक समाचार जािन क क चिकत मुदा बेसी आ ािदत भेलह ुँ। कालच कँे पकड़ि◌ जािह दरूदिृ क पिरचय देलह ुँ , ओिह लेल हमर मगंलकामना।

    ६. ी ड◌ॉ. िशव साद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव सचूना- ाि क मे मैिथली प कािरताकँे वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। प कािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, सगंिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।

    ७. ी आ ाचरण झा- को प -पि काक काशन- ताहूमे मैिथली पि काक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अ भव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापणू र् आहिुत ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।

    ८. ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िव िव ालय- "िवदेह" पि काक अकं देखलह ुँ , स ूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पि काक मगंल भिव हेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।

    ९. ी सुभाषच यादव- ई-पि का ’िवदेह’ क बारेमे जािन स ता भेल। ’िवदेह’ िनर र प िवत-पुि त हो आऽ चतुिद र्क अपन सुगधं पसारय से कामना अिछ।

    १०. ी मैिथलीपु दीप- ई-पि का ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीस ँकामना। हमर पणू र् सहयोग रहत।

    ११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इ टर ट पर अिछ तँे ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पे ँएकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उ ेग रहैत अिछ, मुदा शी पणू र् सहयोग देब।

    १२. ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकँे अ रा र्ष् ीय जगतमे पह ुँचेलह ुँ तकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक सकंलन अपवू र्। पालोक सहयोग भेटत से िव ास करी।

    १३. ी राजन न लालदास- ’िवदेह’ ई-पि काक मा मस ँबड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलह ुँ। एकर वािष र्क अ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलक ामे बहतु गोटेकँे हम साइटक पता िलखाए दे िछयि । मोन तँ होइत अिछ जे िद ी आिब कए आशीवा र्द दैतह ुँ , मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकँे जोड़बाक लेल।

    १४. ड◌ॉ. ी मशकंर िसहं- "िवदेह"क िनः ाथ र् मा भाषा रागस ँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सिूचत करी।

    (c)२००८. सवा र्िधकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय सपंादकाधीन।

  • Videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)

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    िवदेह (पािक्षक) सपंादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति , मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अं जी-स ं ृत अ वादक ई- काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पि काकँे छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अ कािशत रचना (जकर मौिलकताक सपंणू र् उ रदािय लेखक गणक म छि ) ggaj endr a yahoo co i n@ . . आिक ggaj endr a vi deha co i n@ . . कँे मेल अटैचमे क पमे ँ doc docx. , . आ’ t xt. फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक सगं रचनाकार अपन सिंक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अतंमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पि काकँे देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासभंव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अकंक सचूना देल जायत। एिह ई पि काकँे ीमित ल ी ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकँे ई कािशत कएल जाइत अिछ।

    १. नाटक

    ी उदय नारायण िसहं ‘निचकेता’ ज -१९५१ ई. कलक ामे। १९६६ मे १५ वष र्क उ मे पिहल का स ं ह ‘कवयो वदि ’। १९७१ ‘अमतृ पु ाः’ (किवता सकंलन) आऽ ‘नायकक नाम जीवन’ (नाटक)| १९७४ मे ‘एक छल राजा’/ ’नाटकक लेल’ (नाटक)। १९७६-७७ ‘ ाव र्न’/ ’रामलीला’(नाटक)। १९७८मे जनक आऽ अ एकाकंी। १९८१ ‘अ रण’(किवता-सकंलन)। १९८८ ‘ि यवंदा’ (नािटका)। १९९७-‘रवी नाथक बाल-सािह ’(अ वाद)। १९९८ ‘अ कृित’- आध ुिनक मैिथली किवताक बगंलामे अ वाद, सगंिह बगंलामे दटूा किवता सकंलन। १९९९ ‘अ ुओ पिरहास’। २००२ ‘खाम खेयाली’। २००६मे ‘म मपु ष एकवचन’(किवता स ं ह। भाषा-िवज्ञानक मे दसटा पोथी आऽ द ूसयस ँबेशी शोध-प कािशत। १४ टा पी.एच.डी. आऽ २९ टा एम.िफल. शोध-कम र्क िदशा िनदेर्श। बड़◌ौदा, सरूत, िद ी आऽ हैदराबाद िव.िव.मे अ ापन। स ं ित िनदेशक, के ीय भारतीय भाषा स ं ान, मैसरू।

    एं ी : मा िवश

    (चािर-अकंीय मैिथली नाटक)

    नाटककार उदय नारायण िसहं ‘निचकेता’ िनदेशक, कंे ीय भारतीय भाषा स ं ान, मैसरू

    (मैिथली सािह क सु िस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत २५ वष र्क मौन भंगक प ात् पाठकक स ुख तु भ’ रहल अिछ।)

    चािरम क ोलक पिहल खेप जारी....िवदेहक एिह चौदहम अकं १५ जलुाई २००८ स।ँ

    एं ी : मा िवश

    चािरम क ोल पिहल खेप

    चतुथ र् क ोल

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    [जेना-जेना मचं पर काश उजागर होइत अिछ त’ देखल जायत जे यमराज िच गु क रिज र केर चेिकंग क’ रहल छिथ। आ बाकँी सब गोटे सशकं िच लए ठाढ◌़ छिथ। िकछुये देर मे यमराजक सबटा ‘चेिकंग’ भ’ जाइत छिन। ओ रिज र पर स ँमुड◌़◌ी उठौ अपन च ा कँे खोलैत नदंी कँे िकछु इशारा करैत छिथ।]

    नदंी : (सीना तािन कए मले ीक क ान जका ँउ रमे) सब ो सु ....

    ं गी : (आर जोर स)ँ सुन.ू...सुन.ू..सन-ू उ-उ-उ !

    नदंी : (आदेश करैत छिथ) “आगे देखेगा....! आगे देख !”

    (कहैत देरी सब ो अगुआ कए सचेत भे साम देखै लागैत छिथ ; मा यमराज आ िच गु िव ाि क मु ा मे छिथ।)

    ं गी : (जे एक-द ूगोटे भूल क’ रहल छिथ हनुका स ारैत छिथ---) ‘हे य ू! ैंड इरे ... ैंड इन आ रो !’ (जे क को टेढ◌़-घोचं जका ँठाढ◌़◌ो छलाह, से सोझ भ’ जाइत छिथ, सचेत सेहो आ लगैछ जेना एकटा दश र्क िदिस मँुह कै ठाढ◌़ पिं बना होिथ।)

    नदंी : (पुनः सेनाकँे आदेश देबाक र मे) सा-व-धा-न! (सब ो ‘सावधान’ अथा र्त् ‘अटेनशन’ केर भंिगमा मे ठाढ◌़ भ’ जाइत छिथ।) िव- ा-म! (सब ो ‘िव ाम’ क अव ामे आिब जाइत छिथ।)

    ं गी : (दिहना िदिस ‘माच र्’ क’ कए चलबाक आदेश दैत) दािह मुड◌़◌ेगा--दािह मोड◌़ ! (सभ ो त ण दिहना िदिस घ ुिर जाइत छिथ।)

    नदंी : (आदेश करैत) आगे बढ◌़◌ेगा ! आ-गे-ए-ए बढ ! (सब ो बढ◌़ि◌ जाइत छिथ।) एक-दो-एक-दो-एक-दो-एक ! एक ! एक !

    [सब गोटे माच र् करैत मचंक दिहना िदिस होइत यमराज-िच गु कँे पार करैत सपंणू र् मचंक आगा ँस ँपाछा ँहोइत घ ुिर बाम िदिस होइत पुनः जे जतय छल त िह आिब जाइत छिथ। तखनिह ं गीक र सुनल जाइछ ‘ह◌ॉल्ट’ त’ सब थि जाइत छिथ.... निह त’ नदंी एक - दो चिलये रहल छल।]

    िच गु : (सभक ‘माच र्’ समा भ’ गेलाक बाद) उपि त ेक ि स ँहम कहै चाहैत िछयिन जे एत’ उपि त सब ो एकटा मलू धारणाक िशकार भेल छिथ—सभक मोन मे एकटा म छिन जे प ृ ी पर स ँएतय एक बेिर आिब गेलाक मतलबे इयैह जे आब ओ क ार मे आिब गेल छिथ। आब मा तीक्षा करै पड◌़तिन... धीरज ध’ लेताह आ तकर बादे सभकँे भेटतिन ओ पुर ार जकरा लेल कतेको म ,कतेको क —सबटा ीकाय र् भ’ जाइछ।

    ताजी : (आ य र् होइत) तखन की ई सबटा म मा छल, एकटा भूल धारणा छल---जे किहयो स भ’ निह सकैत अिछ ?

    िच गु : ठीक बझुलह ुँ आब---ई सबटा म छल।

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    नदंी : सपना निह...

    ं गी : मा बझुबाक दोष छल...

    वामपथंी : तखन ई दरब ा, दरब ा निह छल....िकछु आन व ु छल....?

    िच गु : ई दरब ा को माया- ार निह िथक....आई स ँकतेको युग पिह ई खजुतो छल, बदंो होइत छल...!

    ताजी : मुदा आब?

    अ चर 1 : आब ई निञ खजुैत अिछ की ?

    अनचर 2 : जँ हम सब साम जा कए तार र मे पुकािर- पुकािर कए कही—‘खिुल जो िसमिसम’् तैयह ुनिह िकछु हैत!

    नदंी : ई को ‘अलीबाबा चालीस चोर’ क िख ा िथक थोड◌़◌े…

    ं गी : आ ई को धन-र क गुफा िथक थोड◌़◌े !

    वामपथंी : त’ ई दरब ाक पाछा ँछइ कोन चीज ?

    ता : की छइ ओिह पार ?

    अ चर 1 : मदंािकनी ?

    अ चर 2 : वैतिरणी ?

    अिभ ता : आ िक बड◌़का टा िकला जकर सबटा कोठरी स ँआिब रहल हो दबल रे ँककरह ु नक आहिट... र बहाबैत आ ा सब...!

    चोर : आ िक एकटा नदी-िकनारक िवशाल शमशान - घाट,जतय जिर रहल हो हजारक हजार िचता...ह न का त आ ीय जन...?

    बाजारी : निह त’ भ’ सकैछ एकटा बड◌़का बजारे छइ जतय िदन-राित जबरद खरीद-िब ी चिल रहल हो।

    िभख-मगंनी : इहो त’ भ’ सकैछ जे घ ुिरते भेटत एकटा बड◌़का टा सड◌़क बाट काटैत एकटा आन राजपथक आ दनुकू मोड◌़ पर हाथ आ झोरा पसारैत ठाढ◌़ अिछ लाखो लोग- भुखमरी, बाढ◌़ि◌ , दगंा फसाद स ँउजड◌़ल उपटल लोग....

    र ीवला : निञ त’ एकटा ब-ड◌़-की टा केर ‘डि ंग ाउंड’ जतय सबटा व ु वहार क’ क’ कए लोग सब फेकै जाय होइक—र ी स ँल’ कए जठू-काटँ, पुरनका टूटल भागँल चीज स ँल’ कए ताजा िबना वािरसक लहास...

    िमका : िक आयाितत अवािंछत स ः जनमल को िशशु...

    मी : क ा िशशु, हजारोक हजार, जकरा सबकँे ु कँे कोिखस ँउपािर कए फंेकल गेल हो...

    वामपथंी : अथवा हजारो हजार बदं होइत कारखानाक बजैत सीटी आ लाखो पिरवारक जरैत भूखल-थाकल चूि -चपाटी....

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    ताजी : ई त’ अहीं जा छी जे दरब ाक ओिह पार की छइ... हम सब त’ मा अ ाजे क’ सकै छी जे भिरसक ओ र हजारोक हजार अनकहल दःुखक कथा उमड◌़ि◌-घमुड◌़ि◌ रहल छइ अथवा छइ एकटा िवशाल आन क लहर जे अपनाकँे रोिक होइक ई देखबाक लेल जे दरब ा दे के आओत अिगला बेिर...

    िच गु : ई सबटा एक साथ छैक ओिह पार, ठीक जेना प ृ ी पर रचल जाय छइ स ँल’ कए नकर् - सबटा ठाम ! जे ो नदीक एिह पार छइ तकरा लागै छइ जािन सबटा खशुी भिरसक छइ ओिह पार !

    नदंी : भिरसक नीक जका ँ देख निह हैब ओिह दरब ा आ देबार िदिस !

    ं गी : एखनह ुदेखब त’ ऊपर एकटा कोना मे लटिक रहल अिछ बोडर्—“ ए ी!”

    ताजी : (आ य र् होइत) आयँ!

    (सब ो घ ुिर कय दरब ा िदस दैखैत छिथ)

    सब ो : “ एं ी ?”

    ( काश अथवा ◌ॉट-लाइट ओिह बोडर् पर पड◌़◌ैत अिछ)

    ताजी : ई त’ निञ छल पता ककरह.ु. निह त’...

    िच गु : निह त?

    ताजी : (िवमष र् होइत) निह त’....पता निह....निह त’ की किरतह ुँ ....

    वामपथंी : मुदा आब ? आब की हैत ?

    अिभ ता : आब की करब हम सब ?

    ता : आब की हैत ?

    (िच गु िकछु निह बाजैत छिथ आ नदंी- ं गी सेहो चपु रहैत छिथ । एक पल केर लेल जेना समय थि गेल होइक।)

    अ चर 1 : यमराजेस ँपछूल जाइन !

    अ चर 2 : (घबड◌़◌ा कए) के पछूत गय ? अहीं जाउ ! (केहुँनी स ँठेलैत छिथ।)

    अ चर 1 : निञ-निञ.... हम निञ ? (पछुआ अबैत छिथ।)

    अ चर 2 : तखन ताजीए स ँकिहयिन जे ओ फिरछा लेिथ !

    अ चर य : ताजी ! ( ताजीकँे घ ुिर कए देखैते देरी दनु ूजेना इशारा क’ कए कहैत होिथ पछूबा दय।

    ताजी : (िविच श बजैत छिथ- कंठ सिूख जाइत छिन) ह..ह...!

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    [ ताजी िकछु बािज पबैत छिथ आ पुिछए सकैत छिथ। मा यमराजक लग जा कए ठाढ◌़ भ’ जाइत छिथ। यमराज रिज र मे एक बेिर दैखैत छिथ, एक बेिर ताजी िदस]

    यमराज : बदरी िवशाल िमसर !

    ताजी : (जेना कठघरामे ठाढ◌़ अपन ीकारोि दैत होिथ) जी !

    यमराज : आयु पचपन !

    ताजी : (अ रे)ँ साढ◌़◌े ितरपन !

    नदंी : असली उमिर बताउ !

    ं गी : सिट र्िफकेट-बला निञ !

    ताजी : जी पचपन !

    यमराज : ज भा मासे, कृ प , योदश घिटका, षड-्ि शिंत पल, पचंदश िवपल... ज -रािश ध ...ल -विृ क, रोिहणी नक्ष , गण-म , योिन-सप र्, योग-शु , व माजा र्र, करण- शकुिन!

    [जेना-जेना यमराज बाजैत चिल जाइत छिथ— काश कम होइत मचंक बामे िदिस मा रहैत अिछ जािह आलोक मे यमराज आ मुड◌़◌ी झकुौ ताजी लखा दैत छिथ। बाकँी सभक उपर मि म काश। नदंी यमराजक दडं कँे धै हनुकर पाछा ँसीना तािन कए ठाढ◌़ छिथ, ं गी टूल पर पोथीक िवशेष प ृ पर आगँुर रख रिज रकँे धै छिथ। िच गु लगे मे ठाढ◌़ छिथ, यमराजक र मे धीरे-धीरे जेना ित िन सुनल जाइत छिन-एना लािग रहल हो।]

    ताजी : जी !

    यमराज : (ह ुंकार दैत) अहा ँकँे दैखैत छी ‘शश योग’ छैक...( ोक पढ◌़◌ैत छिथ अथवा पाछा ँस ँ ित रे ँ ‘ि िरक◌ॉडेर्ड’ उ ारण सुनल जाइत अिछ-)

    “भूपो वा सिचवो वनाचलरतः सेनापितः कूरधीःधातोवा र्द-िव द-वचंनपरो दाता सरोषेक्षणः।

    तेज ी िनजमा भि िनरत: शरूोऽिसतागं सुखी

    जातः स ितमायुरेित शशके जारि याशीलवान ्

    अथा र्त— ता बनब त’ अहाकँ भागमे िलखल अिछ आ सिदखन सेवक आ अ चर-अ यायी स ँघेरल रहब सेहो िलखल अिछ.... छोट-मोट अ ाय निह कै होइ—से निह...मुदा बहतु गोटे अहाकँ नाम ल’ कए अपराध करै जाइ छल—से बात । वैह जे कतेको जन ता कँे होइ छिन..कखनह ुदेिखयो कए अनठा दैत छलह ुँ। बाजै मे बड◌़ पट ुछी से त’ े अिछ.. मुदा ई की देिख रहल छी— का चोरा कए िववाहक अितिर ो म करबा दय.. स े एहन िकछु चिल रहल अिछ की?”

    ता : ( त: एहन गोपनीय बात सब सुिन कए अ ंत लि त भ’ जाइत छिथ। हनुक दनु ूबगल मे ठाढ◌़ दनु ूअ चर अकास िदिस मडू◌़◌ी उठा कए ए र-ओ र देखै लागै छिथ जेना ओसब िकछु निह सुिन रहल छिथ) निह...मा ..तेहन िकछु निह..

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    िच गु : (मु ी दैत) मुदा कनी-मनी...?.निह?

    ता : हँ, वैह.... बझु ूजे...

    यमराज : सब बिुझ गेलह ुँ ....

    िच गु : मुदा ओ कहै छिथ हनुकर उमर भेलिन पचपन और शश-योग कहै छइ जीिवत रहताह स िर स ँबेसी उमिर धिर तखन ?

    यमराज : तखन बात त’ जे समय स ँपिहनिह अहा ँको घ ृ राज ितक च ातंक िशकार ब त एतय पठाओल गेल छी। (मोटका रिज र कँे ब करैत छिथ--)

    ता : तकर मा ?

    यमराज : तकर मा ठीक तिहना जेना एिह चािर गोट सिैनक कँे एत’ ऐबाक आव कता निह छल... ओहो सब अहीं जका ँ.. मा इयैह जे अहा ँमु छी, घ ुिर सकै छी राजनीितक जगत मे... एतय कतारमे ठाढ◌़ रहबाक को दरकारे निह...

    ता : आयँ ! (कहैत देरी दनु ूअ चर आन क अितिर काश करैत हनुका भिरपाजँ पकड◌़ि◌ लैत छिथ। सगंिह क क देर मे नारेबाजी सेहो शु क दैत छिथ।)

    [ ताजीक आगा ँदटूा सिैनक सेहो मचं स ँिनष् ातं होइत छिथ।]

    यमराज : ( ताजीक सगंिह िखसिक जा रहै चाहै छिथ से देिख कए, दनु ूअ चर स)ँ अहा ँसभ कत’ जा रहल छी ? (दनुकू पैर थि जाइत छिन।) की ? निह बाजलह ुँ िकछु ?

    अ चर 1 : आ.. जी.. हम सब.. ताजी... जा रहल छिथ तै.ं..

    यमराज : को तै-ंवै ंनिह चलत..(घ ुिर कए) िच गु !

    िच गु : जी ?

    यमराज : नीक जका ँउल्टा-पुल्टा कए, देख ूत’ रिज र मे िहनका सब दय की िलखल छिन...

    िच गु : जी !....(अ चर 1 कँे देखा कए) राजनीितक जगतमे बदरी िवशाल बाब ूजतेक मार-काट कै - करौ छिथ—से सबटा िहनके दनुकू कृपास ँ होइ छलिन....

    अ चर 1 : (आपि जताबैत) निह... मा ...

    यमराज : (डाटँैत) चोप! को -मा ता निह...

    िच गु : (आदेश दैत) सोझे भु केर कड◌़◌ाही मे ल’ जा कए फंेकल जाय !

    (कहैत देरी नदंी आ ं गी अ चर 1 आ अ चर 2 कँे दनु ू िदिस स ँध’ कए बाहर ल’ जाइत छिथ—ओ र बाकँी मतृ सिैनक मे स ँद ूगोटे िहनका ल’ कए आगा ँबढ◌़◌ैत छिथ आ नदंी- ं गी अपन-अपन ान पर घ ुिर आबैत छिथ।)

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    मी युगल : (दनु ूआर धीरज निह रािख पबैत छिथ) आ हम सब ?

    मी : हमरा दनुकँूे की हैत ?

    िमका : ई हमरा कतेको कालस ँघ ुिर चलबा लेल कहैत छलाह... मुदा हमही निह सुिन रहल छिलयिन !

    मी : की एहन निह भ’ सकैत अिछ जे.....

    बाजारी : (आगा ँबढ◌़◌ैत) हे.... िहनका दनु ूकँे अव एकबेर िजनगी देबाक मौका देल जाइन...

    िच गु : से िकयै ?

    बाजारी : देख.ू..एत त’ हम क ादान क’ कए िववाह करबा देिलयिन... मुदा व ुतः त’ ई दनु ूगोटे अपन-अपन पिरवारक जे ो अिभभावक छिथ तिनका सभक आशीवा र्द निह भेिट सकलिन।

    भ ि 2 : ...आ तै ंदनु ूगोटे िनि त कै छलाह जे जीयब त’ सगंिह आ मरब त’ सगंिह..मुदा आब त’ हम सब िववाह कैये दे छी...

    बाजारी ि : तै ंहमरा लगैछ जे दनु ूपिरवारो आब मािन लेताह...

    भ ि 1 : भ’ सकैछ आब प ातापो क’ रहल छिथ।

    यमराज : बड◌़ बेस...

    िच गु : आ जँ एखनह ुअ ड◌़ दैखौता त’ अहा ँसब हनुका लोकिनकँे समझा बझुा’ सकबिन िक निह ?

    भ ि 1,2 : अव ...अव !

    यमराज : बेस... तखन (नदंी- ं गीकँे) एिह दनु ूबालक-बािलका आ िहनका दनुकू एतहकुा अिभभावक लोकिनकँे र ा देखा िदय ु...

    [नदंी- ं गी मी- िमका आ ओिह तीन ूगोटेकँे (दनु ूभ ि आ बाजारी व ृ कँे) र ा देखा कए बाहर ल’ जाइत छिथ...पाछू-पाछू ढोल-िपपही बजा कए ‘माच र्’ करैत बाहर ल’ जाइत छिथ। तखन रिह जाइत छिथ जेसब तािह सबमे स ँअिभ ता अगुआ आबै छिथ।]

    िच गु : (जेना यमराज कँे अिभ ताक पिरचय द’ रहल छिथ) ई िववेक कुमार भेलाह... (नदंी स)ँ प ृ पाचँ सौ अड◌़तीस...

    अिभ ता : (आ य र्-चिकत होइत, िच गु स)ँ अहा ँकँे हमर प ृ ो मोन अिछ...करोड◌़◌ो म मे....? ई त’ आ य र्क ग भेल...

    िच गु : एिह मे अचरजक कोन बात? एतेक िकछु करैत रहैत छी जे बेिर-बेिर ओिह प ृ पर ‘ए ी’ करै-टा पड◌़◌ै अिछ...तै.ं....

    नदंी : (जेना घोषणा क’ रहल होिथ...) प.ृ 538, िववेक कुमार उफ र्.....?

    अिभ ता : (टोकैत) हे कथी लय दोसर-दोसर नाम सब लै जाइ छी ? बड◌़ मोसिकल स ँत’ अपन जाित-पाित कँे पाछा ँछोड◌़◌ा सकल.... आ तखन ए ह ुआिब कए....?

    िच गु : आगा ँबढ◌़’! नाम छोड◌़ि◌ दहक !

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    नदंी : आगा ँ िरकाडर् त’ ई कहै अिछ जे ओना ई छलाह त’ ब मामलूी ि , तखन अपन कुशलता स,ँ आओर सौभा ो स,ँ पह ुँ िच गेल छिथ िशखर पर... पाइ बहतु कमौलिन.. (झ ुिक कए नीक जका ँरिज र मे स ँपढ◌़◌ैत...) दान- ान सेहो कै छिथ... ततबा निह जतबा क’ सकैत छलाह अ क मिहला स ँिहनक नाम कँे जोड◌़ल जाइ छिन...अफवािह कँे अप पिस करै छिथ... एिह मामलामे बदनामे रहलाह... आ तै ंपािरवािरक जीवन सुखद निह छलिन... िनःसतंान छिथ, प ीकँे ािग देताह तािहस ँपिहनिह वैह छोड◌़ि◌ कए चिल गेलीह...व ुतः प ीक कहब छलिन ई असलमे नपुसंक छलाह...

    अिभ ता : (नदंी कँे थ बैत) की सभक साम अटं-सटं पढ◌़ि◌ रहल छी पोथास ँ? प ी छोड◌़ि◌ कए चिल गेलीह… नीक कैलीह, एखन सुखी छिथ एकटा अधेड◌़ उमरक नवयुवकक सगंे.... मीिडया बला सभस ँ पाइ भेटलिन आ िक कहानी बनबै लगलीह... ‘अफसाना’.... जे िबकत ब बेसी।

    िच गु : से ओ सब जाय दहक ...ई कह आर कोन िवशेष बात सभ दजर् छैक..

    ं गी : (ओहो झ ुिक कए देिख रहल छलाह रिज र मे, आब रहल निह गेलिन---) िहनक ज ेक िम छिन, श ुक स ं ा तािहस ँबहतु गुना बेसी छिन।

    यमराज : से त’ ाभािवके.....

    ं गी : िहनक श ुपक्ष कहैत अिछ ई का–चोरा कए कतेको वामपथंी गो ी कँे मदित करैत छलाह.... बहतुो तािह तरहक सगंठन कँे ....

    वामपथंी : ( ितवादक रमे) कथमिप निह... ई सब फूिस बािज रहल छी अहासँब....

    ं गी : बािज कहा ँरहल छी यौ कामरेड? हम त’ मा पढ◌़ि◌ रहल छी--!

    वामपथंी : िहनका सन ‘बजुो र्आ’ गो ीक सद कखनह ुकरत गै मदित को सा वादीक ? असभंव !

    अिभ ता : िकयै ? सा वाद पर अहीं सभक ज िस अिधकार छै की ? आन ो ‘सा ’ क क ना निह क’ सकैत अिछ ?

    वामपथंी : ( ं ा क रे)ं िकयैक निह ? क नाक घोड◌़◌ा पर के लगाम लगा सकैत अिछ ?

    क , जतेक मजीर् क ना करै जाऊ ! मुदा हम सब छी वा िवक जगत् मे वा व कँे भोिग रहल छी...

    अिभ ता : वा वमे भोगी छी अहा ँसब, भोगक लालसा मे ‘सा ’ दय गेलह ुँ िबसिर ‘वाद’टा मोन रहल ... वाद-िववाद मे काज मे आबैत अिछ....!

    िच गु : वाद-िववाद स ँकाज कोन ? कहबाक ता य र् ई जे िववेक कुमार जीक िववेक भिरसक बड◌़ बेसी काज करैत छिन...तै.ं....

    यमराज : (गभंीर मु ामे) हमु-्म-्म ्! (नदंी स)ँ तखन देखै छी िवपक्ष स ँबैसी सप मे सबटा पढ◌़ि◌ रहल छी...

    िच गु : तकर अलावे ...ई िहनक अकाल आगमन िथकिन.... ंटमैनक बालक छल अ , गेल छल छु ी ल’ क’ अपन घर... त’ ई अपनिह ंट करै लगलाह...

    अिभ ता : (िबह ुँसतै) किनये ंटा चूक भ’ गेलैक िक पहाड◌़◌ी पर स ँखिस पड◌़लह ुँ ....

    यमराज : किनये-किनये भूल-चूक मे बदिल जाइत अिछ इितहास आ पुराण...सबटा पु बहा जाइत अिछ तिनके पापस ँ! मुदा जे हो (नदंी स)ँ िहनका एखनह ुँ अ क िदन जीबाक छिन.. पठा िदयौक प ृ ी पर...

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    वामपथंी : (अगुआ कए) आ हम ? हमर की हैत ? (एक बेिर यमराज तँ एक बेिर िच गु िदिस देखैत छिथ। मा ं गी सस ान अिभ ताकँे बाहर पह ुँचाबै जाइत छिथ।)

    यमराज : अहाकँ कथा मे तँ -नकर् को टा निह अिछ... छी हम आ िच गु ...

    वामपथंी : जी, से त’...(कहै जाइत छलाह ‘अव !’ मुदा तािह स ँपिहनिह टोकल जाइत छिथ।)

    िच गु : सहै जखन बात छैक त’ अहा ँअप िवचार क अपन भिव ....(प◌ॉिकट स ँएकटा मु ाकँे ‘ट◌ॉस’ करबाक भंिगमा मे.....) कह ुकी कहै छी ‘िचत’ की ‘पट’?

    वामपथंी : हमर िव ास आ हमर िशक्षा िकछु आ तरहक छल, मुदा जे क्ष क’ रहल छी (कहैत देवार....यमराज...िच गु आिद कँे देखाबैत छिथ) तकरे अ ीकार कोना क ?

    यमराज : िकयैक ? ईहो त’ भ’ सकैछ जे आिँख धोखा द’ रहल अिछ...ई सबटा एकटा दःु मा िथक... क लोक मा िथक...ई, जतय घसु ैजायब त’ देखब बोडर् पर टागंल अिछ---‘ ए ी’!

    वामपथंी : तखन ?

    िच गु : तखन की ?

    वामपथंी : तखन हम की क ?

    यमराज : (गभंीर मु ामे) पिह ई कहू... िवषम के िथक ? म िक कृित ?

    वामपथंी : दनु.ू..

    यमराज : के कम के बेसी ?

    वामपथंी : कृित मे तैयह ुक ह ु‘ ाकृितक ाय’ ( चरल जि स)

    काजक’ रहल अिछ, मुदा म क भावक आधारे

    अ ाय पर ठाढ◌़ अिछ...

    यमराज : की अहाकँ राजनीित एहन अ ाय कँे दरू निह क’ सकैत अिछ ?

    वामपथंी : यास करैत अिछ...

    यमराज : ठीक अिछ... तखन िहनको तीन ूगोटे कँे जाऊ ! (चोर उच ा आ प◌ॉिकट-मारक िदिस देखा क’ बाजैत छिथ) आ देख ूिहनका सब कँे बदिल सकै छी वा निह ?

    वामपथंी : बेस....

  • Videha ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)

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    [कहैत प◌ॉिकट-मार आ उच ा हनुका लग चिल आबै छिथ। चोर क क इत तः करैत छिथ आ अतं मे पिूछ दैत छिथ जाय स ँपवू र्…]

    चोर : तखन एिह स ँआगा ँ?

    यमराज-िच गु -नदंी : (ए िह सगं) ‘ एन ी’...

    [कहैत देरी तीन ूगोटे कँे साथ ल’ कए वामपथंी युवा वाहर जैबाक लेल उ त होइत छिथ िक तावत् अिभ ता कँे छोड◌़ि◌ कए ं गी घ ुिर कए मचं पर वेश क’ रहल छलाह।]

    यमराज : मा िवश....

    िच गु : कदाचन!

    [चा गोटे एक पलक लेल चौकंैत थ ैत छिथ ....तकर बादे िनष् ातं होइत छिथ। हनुका सभक ानक पाछा ँ ं गी आगा ँबढ◌़◌ैत छिथ यमराजक िदिस।]

    अ.१. कथा िवभा-रानी आऽ भालच झा

    आ. आ ा - ी मैिथलीपु दीप २. ी पालनिवदेह नतून अकं दीप दैिनकी रामदास झा/ दैिनकी- ोित इ. उप ास सह बाढ़िन (आगा)ँ ी मशकंर िसहं कथा भालच झा आऽ िवभा-रानी

    ी भालच झा, ए.टी.डी., बी.ए., (अथ र्शास् ), मु ईस ँिथएटर कलामे िड ोमा। मैिथलीक अितिर िह ी, मराठी, अ जी आऽ गुजरातीमे िन ात। १९७४ ई.स ँमराठी आऽ िह ी िथएटरमे िनदेशक। महाराष् रा उपािध १९८६ आऽ १९९९ मे। िथएटर वकर्श◌ॉप पर अितथीय भाषण आऽ नामी स ं ानक नाटक ितयोिगताक हेतु ायाधीश। आइ.एन.टी. केर लेल नाटक “सीता” केर िनदेर्शन। “वासुदेव सगंित” आइ.एन.टी.क लोक कलाक शोध आऽ दश र्नस ँजड़ुल छिथ आऽ ना शालास ँजड़ुल छिथ िवकलागं बाल लेल िथएटरस।ँ िन टी.वी. मीिडयामे रचना क िनदेशक पे ँकाय र्- आभलमया (मराठी दैिनक धारावािहक ६० एपीसोड), आकाश (िह ी, जी.टी.वी.), जीवन स ं ा (मराठी), सफलता (रज ानी), पोिलसनामा (महाराष् शासनक लेल), मु ी उदाली आकाशी (मराठी), जय ग श (मराठी), क ी-सौ ी (िह ी डी.डी.), या ा (मराठी), धनाजी नाना चौधरी (महाराष् शासनक लेल), ी पी.के अना पािटल (मराठी), य र (मराठी), िफर नहीं कभी नहीं ( नशा-सुधारपर), आहट (एड्सपर), बैगंन राजा (ब ाक लेल कठपुतली शो), मेरा देश महान (ब ाक लेल कठपुतली शो), झठूा पालतू(ब ाक लेल कठपुतली शो),

    टी.वी. नाटक- ब ी (लेखक- राजीव जोशी), शतकवली (लेखक- . उ ल द ), िच काठी (लेखक- . म हर वाकोडे), दयची

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    गो ा (लेखक- राजीव जोशी), ह ापार (लेखक- एह.एम.मराठे), वालन (लेखक- अज्ञात)।

    लेखन-

    बीछल बेरायल मराठी एकाकंी, िसहंावलोकन (मराठी सािह क १५० वष र्), आकाश (जी.टी.वी.क धारावािहकक ३० एपीसोड), जीवन स ा( मराठी सा ािहक, डी.डी, मु ई), धनाजी नाना चौधरी (मराठी), य र (मराठी), िफर नहीं कभी नहीं ( िह ी), आहट (िह ी), या ा ( मराठी सीरयल), मयरूप ( मराठी बाल-धारावािहक), हेल्थकेअर इन २०० ए.डी.) (डी.डी.)।

    िथएटर वकर्श◌ॉप- कला िवभाग, महाराष् सरकार, अिखल भारतीय मराठी ना पिरषद, दिक्षण-म कला के , नागपुर, . गजानन जहागीरदारक ा ापक मे च ाक िफ क लेल अिभनय लू, उ ाद अमजद अली खानक द ूटा सगंीत दश र्न।

    ी भालच झा एखन फ़◌्री-ला लेखक-िनदेशकक पमे काय र्रत छिथ।

    चूि

    ---: भालच झा

    '... चूि आ स् ी - दनुकू ार एके जका ँहोइत छैक, बझुलहक? जरैत-जरैत जीबइए मे ंदनुकू गुजिर होइत छैक... गै दाई !'

    जाबैत िजयलै - ई ग , माय हमरा सिदखन किहते रहलै। ई कह' मे ंजे मम र् काएल छलै, से बझुबाक उिमर त' निहंए रहय, मुदा जािह तरहंै उसासँ ल' क' माय ई बात कहय, तािह स' ई त' लागबे करय जे ई ग अब ेको तरहक जीवन-म ं हेतैक - अिह तरहक िवचार मोन मे आिब आिब जाय।

    ... आ देिखयौ भा क खेला, जे हमर आ चूि क सगं कहादँिन जनिमते देरी िक धरा गेलै।

    माइये कहिथ जे हमर जनम अिहना जाड़ स' कनकनाइत राित मे भेलै। हे दाई - जनम त' भ' गेलै, मुदा मँुह स' पिहल केहा ंिनकाल' लेल चिु एक सहारा लेब' पड़लै।

    अपन गरमी द' क' चूि ए हमरा बचा ले रहय। आ तािह लेल वा की, जे घर-आगँनक लोक आओर हमर नामे ध' देलकै चिु या' ...। आब किहयौ त' भला, इहो को रीत भेलै नाम जोड़बाक !

    ओ त' ध भाग हमर, जे बबा के की फरुेलि आ नामकरणक िदन हमर नाम रािख देलिख - 'िसया सु िर'।

    तैयो घर-आगँन के त' बिूझते िछयै ' ... एक बेर जे कह' लगलै 'च्◌ु◌िू या' त' ओ िकयो बदलै भला! हे दाई, 'िसया-सु िर'। ई नाम त' मा कागजे लेल रिह गेलै।

    बबा त' ब िखिसयैिथ मुदा लोको सभ थेथर भ' गेल रहै। हनुका सोझा मे त' सभ िकओ दम सािध लै, मुदा जख परोछ भेलाह िक फेर सभके को झरकबाही लािग जाय छलै... चिु या, चूि याक से िकलोल मिच जाय जे की कही ... आई त' हँिसयो लािग जाइयै । मुदा छोटपन मे हमरा बड़◌ ्ड खराब लागय, बझुलह ुँ की?

    आई बैसल-बैसल जहन ओ ग सभ मोन पड़◌◌ेयैै त' िवचार' लागै छी जे वा व मे,ं एहन आगाकं िबचार करयबला पु ख पा के रहब घर मे ंकतेक ज री होई छै। निञ त' घमूैत रहू जनम भिर अपन एह जरल धनकल सन नाम ल' क' ... चिु या ..पनबसना दाई ... ताबा कुमारी ... चकला देबी ...!!! धरु र् जाउ, अहा ँके हँ ी लगैय' ...

    आ हम सोचै छी जे देिखयौ त'। बेटी आओर के एक गोट नीक नामो टा नसीब निञ होई छै अइ समाज मे... तहन आर कथीक आस धरै ओ...? कोन भरोस पर जीबय ओ?

    ... त' कह' जे लगलह ुँ ... जे किन बझू' सझू' जोगर भेलह ुँ त' देिखयैक जे हमरा घरक चूि जहा ँकिनको किरयैलै िक

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    हमर माय ओकरा लीप-पोइत क' ओकरा िच िन चनुमुन बना दैक।

    चूि सेहो ओकरा लेखे एकटा नाि टाक ब ेटा रहै। जािह माया आ ममित स' ओ हमरा आओर के धोबै-पोछै छलै, ओिह स' कम माया ममित निञ देखिलयै हम ओकरा चूि लीपैतकाल। आ, क नीक स' सोिचयौ, त' चूि स' जे ओकर िस ह रहय से अन ल निञ छलै ! यै! जे चूि आज जिर धनिक क' लोग आओरक पेट भरै छै, ओकरे ित लोक एतेक कृत कोना क' भ' जाइत छैक? ... माउिग के ल' क' सेहो अपना समाज मे अिहना होबैत एलैये आई धिर। भिर िजनगी दोसरे लेल जिरतह-ुधनिकतह ुबेर पडला पर ओकरो अही चूि जँका कात क' दै छैक लोक आओर। िजिबते जी मँुह मे ंछाउर भर पड़ल रहैत अिछ अपन भनसाघर क एकटा को टा मे...।

    ध ुिर जो। हमहँू ई कोन जरल धनकल सनक कथा ल' क' बैिस गेलहँ◌ु। त'...कहैत जे छलह ुँ ...। रसे - रसे ई चूि लीप' पोतक काज हमरे िज ा लािग गेल। आ ओिह मे ंहमर मो सेहो लाग' लागल। बझुलह ुँ ! फूिस िकयैक बाजब? आिह रे बा। ले बलै ा के। एकटा बात त' कहब िबसिरए गेलह ुँ। हमर माय ब लुिरगर आ तै ंअपना लिूर-ढंगक कार परूे परोप ा मे ंनामी। स नारायण भगवानक पजूा मे ओ जे अिरपन दै से की कहू। देिखतह ुँ त' आिँख चो रा जयितयैक। केह खरक ल बासन िकयैक निञ रहौ - से कहै छी जे यिद ओ मािँज दैक त' बतर्न चानी जका ंझलमल क' उठै छलै। हे, छिठ मे अिहबातक पाितल जे ढेिरतै - तँ एहन, जे गामँ के लोक कहै छी, भकच रिह जाइत छलै। माउिग बला को एहेन लुिर बाकँी निञ छलै, जािह मे ओ ककरो स' पाछा ंभ' जइितयैक, कहै छी जे से । िसआइयो-कढ़◌ाई सीख' लेल परोप ाक नवकिनञा सभ के कहै छी जे से िसहंता लागल रहैत छलै जे किहया ओ हनुकर अगंना मे आबथ ुआ किहया ओ सभ हनुका स' अपन मनपसीनक चीज बतुस आओर बनाबय के सीिख िलयए।

    माय मे बस कमी छलैक त' एकेटा, जे ओ हरक ब गरीब छलै ! आ गामँ-घर मे त' बझुले अिछ, जे जकरा लग टाका प ूजँीक ढेर छै, सएह लोक मातबर कहल जाइत छैक। ओ म मे गनल जाइत छैक। आ िक निञ? लिूर-बेबहार त' बादक ग भेलै। टाका प ूजँी रहलै त' बींगलो-बताह सभ बिुधयार भ' जाइ छै। आ से जे निञ रहलै त' आिँख-कान रिहतह ुलोक आ रे-लागंड़ बझुल जाइ छै।

    यै, जौ ंसच-सच पछूी त' अपना सभ मे माउिग-म स' िबयाहदान थोड़बे कएल जाइत छैक? िबयाह-दान त' होइत छैक जर-जमीन स', टाका-प ूजँी स', िकंवा धन-सपंि , मान-मरातब स'। माउिग त' ओिह िबयाहक उलल मे देल गेल एकटा स से(भंेटव )ु छैक। से िकयैक त' प ूजँी-टाका कतबो िकयैक निञ रहौक, एकिदन त' खतम भइए जाइत छैक। तहन मोन कोना क' रहतैक जे अई घर मे िबयाहो भेल छै ककरो! से बस, माउिग नामक स स के देिख क' ई बझुल जाइत रहैत छैक जे अहू घर मे एकटा िबयाह भेल छैक। तै ंबिूझयौ जे माउिग भ' गेलै यादगारक एकटा समान। बझुलह ुँ िक निञ। बस अिहना एकटा समान रहै हमर माय।

    से िकयैक त' हमर दाई जे रहिथन - कहै छी जे ब लोभी। हनुका भगवान सतंोषक नामक व ुजेना दे िह निञ रहिथ िजनगी मे। बार रौ बाप। चानी परक तेलो चाट' लेल तैयार रह' बला एहन लोभी स् ी हम नहीं देखलह ुँ आई धिर, से जे कहै छी। ओ त' हमर बाबा जाबित समगंगर रहिथ , ताबित िहनकर िजतुए निञ चलैि तै,ं वरना हमर माय एिह घर मे अिबितयैक भला? बाबा अपना जिुतए माय के पुतोह ुबनाक' ल' त' एलिखन, मुदा अगँना मे त' जे हाल ओकर करिथन दाई से दलान पर बैसल ओ बेचारे की जान' गेलिथ । आ गरीबी जे आदमी के सहनशीलता िसखा दैत छै, से त' अहा ंके बझुले अिछ। हमर माय अपन करमक लेख बिुझ क' सभिकछु चपुचाप सहन कए जाइ। ककरा किहितयैक! के रहै ओकर अपन, जकरा किहक' द ूछनक द:ुखो बािँट िलितयैक? हर बला सभ तँ छौरंी सभके ाह-दान करबा क' कहनुा क' अपन पितया छोड़◌ा लैये । तकर बाद त' कहबी छै जे ओ आ ओकर तकदीर। जे जे पा्रर छै ओकरा लेल, तकरा स' ओकरा सभके कोन सरोकार ।

    आ दैबक रचना देिखयो, एकरे ओ सभ िह ू धम र्क महादान 'क ादान' कहै छिथ। दा कर' लेल क ेभेटलि भगवानक ई भ लोकिन के। बझुलहँू। ओिह काल मे की अख । आिस् कता-नाि कताक सवाले निञ! मा कतर् दधुारी चलेनाई आ नामे भ' गेलै ई दानक क ादान त' अिह मे िकओ की क' सकैय'? बेटा के दान कर' के बात निहं फरुैलिन। हँ, बेटाक िब ी त' होइते छलै, आइयो होइते छै। ओह, िब ी निञ, क ादान जका ँएकरो स ाननीय नाम छै - ितलक दहेज। बेटीक सुख लेल बेटीक भावी घर के खिलहान आ कोठी जका ँभिर देबाक कतर् बोध ! निञ जािन हम सब किहया धिर एकरा सभके करमक लेख किह-किह के अपना आओर के बहटारैत रहबै।

    त' कह' जे लगलह ुँ ...

    हमरा माय मे आ गाय मे को अतंर निञ रहै, बझुलहँ◌?ु सभ लाथे। हम जखन-जखन गाय के नबेद खआुब' जइयै -

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    अक ाते कहै छी जे हमर ान ओकर आिँख िदस चिल जाय। सिदखन लागय जेना ओिह आिँख मे ंक णा भरल रहै छै।

    क णा छोड़ि◌ क' जेना दोसर को भाव भगवान भर ये निञ रहिथ गायक ऑिख मे!

    आ ए र हमरा माय के आिँख मे सेहो को भय आ क णाक िमि त भाव एहन रिच-बिस गेल रहै जे भय ओकर देहक दोसर नाम भ' गेल रहै आ क णा आिंखक। जखन देिखितयै, जेना डेराएले रहै आ दयनीये बनल रहै। लागै जेना अिह घर मे सिदखन ओ अपना के असुरिक्षते बझुै। आ सिरपह ुं अही डरक खाितर ओकरा मे चौबीसो पहर खटैत रहबाक ताकित आिब गेल छलै। कख जे बैसल देिखतीयै माय के! ओह! किहयो, कख , पलखितयो लेल!

    हे... मुदा एकटा बात जे कहलह ुँ - आिँख बला। स◌ँाचे कहै छी, आिँख किहयो झठू निञ बािज सकैयै। अहाकँ मोनक छोट स' छोट छीन उथल-पुथल के देखार क' दइत छै ई आिँख। तै ंदेखै िछयै जे अइ पु ष- धान समाज मे िनयमे बिन गेल छै जे को माउिग पु षक सोझा मे आिब क' ठाढ़ निञ भ' सकैय', ठाढ़ भ' क' निञ रिह सकैये। डर बनले रहै छै आ िक । सिदखन तकरा कौ रही जे कतह ुआिँख मे िकओ िकछु देिख लेलक, तहन तँ उधारे भ' जायब। कत' काएब अपन ढ़◌ो◌गंी प...? तै ंिनयमे बना देलकै धोधक आ नाम द' दैलकै स ं िृत आ परपंराक। यिद स ं िृत आ परपंराक एतबे धेयान रहै छै त' पु ष पा िकयैक निञ करै छिथ ई सभ' परहेज, पाबिन ितहार, त उपवास, कोिख सेनरू लेल सभ थान-भगवती थान, दगुा र्थान, महावीर थान गोहरबैत, हरतािलकाक िनजर्ला उपास करैत, बटसाइतक बड़ भगवानक 108 फेरा लगबैत। कहू त' भला जे इहो को िनयम भेलै जे पु ष पा अप त' साढ़ं जँका छु ा, अबंड बनल घमूैत रहौक आ माउिग आओर जोताएल रहौक अपन चू ा-चौकी मे...।

    धरु र् जो, हमहँू की अन ल बात ल' क' बैिस गेलह ुँ।

    त' कह' लगलह ुँ जे हमर माय बेदसा बेदसा भ' भ' क' काम करै। आ हमर दाई जखन अबै त' ओकरा सहंारे करबाक पाछू लागल रहैक। िकयैक... त' हर स' िकछु दान-दहेज निञ आनलकै , तै!ं

    आ ताहू पर देिखयौ, कतबो राित बीत जाए... तैयो हमर माय दाई के चािन पर तेल रगड़ , हनुक गोड़ हाथ जातँ बगैर निञ सतूै। बझुलह ुँ। अपन ई कतर् ओ मिरतो दम धिर निञ छोड़लकै। आ तैयो ई हडासखंनी के कहै िछयै जे करेज निहं पिसजलै।

    आ... ई सभ देख क' हमर एकटा िवचार प ा भ' गेलै जे माउिगक मोजिर ओकर लिूर