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Videha ‘िवदेह’ ᮧथम मैिथली पािक ई पिका १५ नवबर २००८ (वष १ मास ११ अंक २२) িরেদহ' পািkপিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् 1 िवह १५ नवĵर २००८ वष मास ११ अ ंक २२ 'िवह' नवĵर २००८ ( वष मास ११ २१ ) एिह अिछ:- एिह अिछ:- .संपादकीय स ंश .ग@ ..कथा 1.भाषच¬ɑ यादव 2.अनलका ंत ..बी. पीं इराला िदआइन िथली पाĢरण ब ृश च¬ɑ लाल ..उपlास- चली रानी- दारनाथ धरी .. .िथली भाषा सािहe - ɣमश ंकर िस ंह .. राजकमल धरी पर-◌ॉ. वश ंकर नवीन (आगा ँ ) ..1.सगर राित दीप जरय िथली कथा खनक ȕñ शाĢ ÕािĢ- डा.रमानģ झा रमण2. िमिथला िवभूित पं दानģ झा-õोसर रaेर िमû

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  • Videha ‘िवदहे’ थम मैिथली पािक्षक ई पि का १५ नवम्बर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक २२) িরেদহ' পািkক পিtকা Videha Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह Videha িবেদহ

    http://www.videha.co.in/ मानषुीिमह ससं्कृताम ्

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    िवदेह १५ नव र २००८ वष र् १ मास ११ अकं २२

    'िवदेह' १ नव र २००८ ( वष र् १ मास ११ अकं २१ ) एिह अकंमे अिछ:-

    एिह अकंमे अिछ:-

    १.सपंादकीय सदंेश

    २.ग

    २.१.कथा 1.सुभाषच यादव 2.अनलकातं

    २.२.बी. पीं कोइराला कृत मोिदआइन मैिथली पा रण बषृेश च लाल

    २.३.उप ास- चमेली रानी- केदारनाथ चौधरी

    २.४. १.मैिथली भाषा आ सािह - मशकंर िसहं २. . राजकमल चौधरी पर-ड◌ॉ. देवशकंर नवीन (आगा)ँ

    २.५.1.सगर राित दीप जरय मैिथली कथा लेखनक मे शा ाि -डा.रमान झा ‘रमण‘ 2. िमिथला िवभूित प ंमोदान झा- ोफेसर र े र िम

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    २.६. 1.सिंवधानसभा, सघंीय सरंचना आ िमिथला रा क औिच -शीतल झा 2.लघकुथा- कुमार म ज क प 3. दैिनकी- ोित

    २.७. िरपोता र्ज- 1.अ रािष् य मैिथली स ेलन आ पाल रामभरोस कापिड ‘ मर’ 2. नवे ु कुमार झा 3. पाल िच एबाक अिभयान - िजते झा .

    २.८. 1.िवचार-राष् मुखके उपेक्षा,अिन क सकंेत, ामसु र शिश,दोहा, कतार2. िव ापित-िनिमष झा

    ३.प ३.१.1.रामलोचन ठाकुर 2.कृ मोहन झा 3. अशोक द 4.िनिमष झा

    ३.२. ी गगंेश गुजंनक- राधा (सातम खेप)

    ३.३. ब ु चिरत- गजे ठाकुर

    ३.४. टे नदीमे कािवहार- ोित

    ३.५. १.िव ान झा २.अजीत कु. झा ३.िवनीत उ ल

    ३.६. १.वषृेश च लाल २. पकंज पराशर

    ३.७. 1.धीरे मिष र् 2. धमे र् िव ल 3.िजतमोहन झा

    ३.८. १.वैकु झा २. िहमाशंु चौधरी

    (आगा)ँ

    ४. मिहला- ंभ

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    ५. बालाना ंकृते- १. काश झा- बाल किवता २. बालकथा- गजे ठाकुर ३. देवीजी: ोित झा चौधरी

    ६. भाषापाक रचना लेखन (आगा)ँ

    7. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI T HI LS Fest i val s of Mi t hi l a( dat e-l i st )-

    7.1Or i gi nal Mai t hi l i Poem by Sh Raml ochan Thakur t r ansl at ed . i nt o Engl i sh by GAJENDRA THAKUR and Or i gi nal Mai t hi l i Poem by Sh Kr i shnamohan Jha t r ansl at ed i nt o E. ngl i sh by GAJENDRA THAKUR

    7 2. .The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur s Mai t hi l i ' Novel Sahasr abadhani by j yot i

    8. VI DEHA MAI THI LI SAMSK RI T EDUCATI ON cont d( .)

    िवदेह (िदनाकं १५ नव र २००८)

    १.सपंादकीय (वष र्: १ मास:११ अकं:२२)

    मा वर,

    िवदेहक नव अकं (अकं २२, िदनाकं १५ नव र २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन क ht t p wwwvi deha co i n:// . . . |

    ४०म ज्ञानपीठ पुर ार समारोह ६ नव र २००८: ससंदक लाइ रीक बालयोगी ऑिडटोिरयममे क ीरी किव ी रहमान राहीकँे धानम ं ी ी मनमोहन िसहं ारा दान कएल जाएबला ४०म ज्ञानपीठ पुर ार समारोहक आम ं ण पािब ओतए िनयत समयस ँसाय ंछह बजे हम पह ुँचलह ुँ। अपन ित ाक अ प धानम ं ी िनधा र्िरत समय ६.३० साय ंपदाप र्ण केलि ।

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    ेजपर ी रवी कािलया, िनदेशक भारतीय ज्ञानपीठ, रहमान राही, ड◌ॉ. मनमोहन िसहं, सीताका महापा , पुर ार चयन सिमितक अ क्ष आऽ अिखलेश जैन, ब ी रहिथ। दश र्कमे ी टी.एन.चतुवे र्दी, अशोक वाजपेयी, आलोक पी. जैन आऽ जे ि पाठी रहिथ। जे जी हमरा सगं बैसल रहिथ। . साहू शाि साद जैन आऽ . ीमित रमाजैन, एिह पुर ारक ार कए रहिथ आऽ हनुकर दनु ूगोटेक फोटो पाछामँे लागल रहि । आइ काि ४०म सालक मह एिह कारणस ँबढ़ि◌ गेल अिछ कारण ५०म वष र्गाठँक इ जारमे बहतु गोटे आयु बेशी भे जीिवत निह रहैत छिथ। सरला माहे री माइक पकड़ि◌ काय र् मक शु आतस ँपिह अिनता जैनकँे िनराला रिचत सर ती व ना गएबाक लेल अ रोध कएलि आऽ ओऽ मचंक दोसर भागमे महिष र् अगस् क या कु े ुस ँशु कए िनरालाक रचना शास् ीय प ितमे गओलि । फेर फूलस ँ धान म ं ीक ागत ब ासी अिखलेश जैन ारा भेल, फेर रवी कािलया फूलस ँरहमान राहीक ागत कएलि । फेर ी सीताका महापा अं जीमे उ ार करैत कहलि जे राहीकँे स ािनत कए भारतीय ज्ञानपीठ अपनाकँे स ािनत कएलक अिछ। फेर धानम ं ी ारा राहीकँे श◌ॉल ओढ़◌ा कए आऽ १०३५ ई.क राजा भोजक सर तीक ितमाक का ं अ कृित जािहमे ज्ञानपीठ ारा भाम ल जोड़ल गेल (मलू ितमा लदंनक ि िटश ूिजयममे अिछ) आऽ शि प आऽ ५ लाख टाकाक ाफ्ट दए स ािनत कएल गेल। राही उ ार कएलि आऽ महान जवाहरलाल ह क जािह पदपर छलाह ओिह पदपर आसीन मनमोहन िसहंस ँपुर ार ा कए िवशेष स ता कट कएलि । फेर रवी कािलया ध वाद ज्ञापन कएलि । राहीक ितिनिध किवताक ज्ञानपीठ ारा कएल िह ी अ वाद राही ारा धान म ं ीकँे देल गेल।

    अ ुल रहमान राहीक ज ६ मई १९२५ ई.कँे भेल। हनुकर पिहल किवता स ं हकँे सािह अकादमी पुर ार देल गेल। भारत सरकारक

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    प ी आऽ मानव ससंाधन िवकास म ं ालयक एिमरेट्स फेलोिशप िहनका भेटल छि । िहनकर किवता स ं हमे सनव ु साज, सुबहकु सोदा, कलाम-ए-राही मुख अिछ। िहनकर आलोचना आऽ िनब क पोथी अिछ, कहवट आिद।

    ुत अिछ िहनकर किवता “परछाइया”ँ(क ीरीस ँअं जी एस.एल.स ु, अं जीस ँमैिथली गजे ठाकुर)

    छाह सभ

    अपन िनयितस ँवाद आऽ अमरताक आशा आब छोड़ि◌ िदअ,

    यिद जटुा ली िकछु क्षण, तँ भेर भऽ जाऊ तािहमे।

    ब ीक जािह पथमे चलैत रहलह ुँ , ओऽ धिँस गेल घनगर बोनमे,

    जेना हमर आ ाक कवच भेल भे केलक शकंासभ।

    आिँख खिुजते हमर कँे लागल आिँख

    सभटा बास ी युवा छाती झरिक कए भऽ गेल सुनसान।

    देख ूतँ देखायत आस-पड़◌ोसमे लाव मयी मेला,

    हाथमे आएत मा एकाध िवचार, आऽ

    असगर एकटा कौआ उजाड़मे।

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    कख हमर इ ा रहए चान-तरेगन गढ़बाक,

    आब माथ भुका रहल छी अपन को नामकरण तँ करी।

    सभटा िव ास घाटीक मौलायल हरैयरी सन,

    सभटा चैत िखिसयायल सापँ सन।

    सभटा देवता हमर अपन छाह छिथ,

    सभटा दानव हमर अहं केर किनया-पुतड़◌ा सन।

    सभा भवन भरल बझु ूबानरक खो-ँखो ँस,ँ

    स क पिहरनक लेल ताकू बो -बोन।

    केहन अिछ नाओक खेबनाई, कतए तँ अिछ िकनार!

    देशासं भोथलेलक नाओकँे अ ारमे।

    हे रौ नटआु, नाच िनव र्स् चा कात ओकर,

    राही तँ आिग-खाएबला बताह अिछ।

    समारोह एक घ ामे खतम भेल आऽ घरुैत रही तँ एफ.एम.पर समाचार भेटल जे सिचन ते ुलकर अपन टे जीवनक ४०म शतक िदनमे पणू र् कएलि ।

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    भीमसेन जोशीकँे भारत र पुर ार देल गेल। आऽ च ायण-१ च माक १०० िकलोमीटरक व ृ ाकार कक्षामे ािपत भऽ गेल जतए ओऽ २ वष र् धिर रहत।

    सगंिह "िवदेह" कँे एखन धिर (१ जनवरी २००८ स ँ१४ नव र २००८) ६३ देशस ँ१,२०,९२३ बेर देखल गेल अिछ (गगूल ए लेिट डाटा)- ध वाद पाठकगण।

    अप क रचना आऽ िति याक तीक्षामे।

    गजे ठाकुर, नई िद ी। फोन-09911382078

    ggaj endr a vi deha co i n@ . . ggaj endr a yahoo co i n@ . .

    अिंतका काशन की नवीनतम पु कंे

    कहानी-स ं ह

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    अथ िनषाद कथा : भवदेव पा ेय म.ू १८०.००

    शी का

    बादल सरकार : जीवन और रगंमचं : अशोक भौिमक

    िकसान और िकसानी : अिनल चमिडय़◌ा

    माइ ो ोप (उप ास) : राजे कुमार क िजया

    प ृ ीपु (उप ास) : लिलत अ वाद : महा काश

    मोड◌़ पर (उप ास) : धमूकेतु अ वाद : णा र्

    मोला ज◌़ (उप ास) : िपयैर ला मरू अ वाद : सुनीता जैन

    ा कोई है (कहानी-स ं ह) : शलैेय

    एक साथ िह ी, मैिथली मे ंसि य आपका काशन

    अिंतका काशन

    सी-56/यजूीएफ-4, शालीमार गाडर्न, एकसटेशंन-I I

    गािजयाबाद-201005 (उ. .)

    फोन : 0120-6475212

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    ुित काशनस ँ

    १.पचंदेपोपासना-भूिम िमिथला-

    मौन

    २.मैिथली भाषा-सािह (२०म शता ी)- मशकंर िसहं

    ३.गुजंन जीक राधा (ग -प -जबलुी िमि त)- गगंेश

    गुजंन

    ४.ब त-िबगड़◌ैत (कथा-ग

    स ं ह)-सुभाषच यादव

    ५.कु म–्अ म र्नक, ख -१ आऽ २ (लेखकक िछड़ि◌आयल प , उप ास, ग -कथा, नाटक-एका ी, बालाना ंकृते, महाका , शोध-िनब आिदक सम सकंलन)- गजे

    ठाकुर

    ६.िवलि त कइक युगमे िनब

    (प -स ं ह)- पकंज पराशर

    ७.हम पुछैत छी (प -स ं ह)-

    िवनीत उ ल

    ८. ए ी: मा िवश- ड◌ॉ. उदय नारायण िसहं “निचकेता”

    ९/१०/११ १.मैिथली-अं जी श कोश, २.अं जी-मैिथली श कोश आऽ ३.प ी- ब (िडिजटल इमेिजंग आऽ िमिथलाक्षरस ँदेवनागरी िल ातंरण) (तीन ूपोथीक सकंलन-स ादन-िल ातंरण गजे

    ठाकुर , नागे कुमार झा

    एव ंप ीकार िव ान झा ारा)

    ुित काशन, रिज डर् ऑिफस: एच.१/३१, ि तीय तल, से र-६३, एडा (य.ूपी.), क◌ॉरपोरेट सह

    सपंकर् काया र्लय- १/७, ि तीय तल, पवूीर् पटेल नगर, िद ी-११०००८.दरूभाष-(०११) २५८८९६५६-५७ फै - (०११)२५८८९६५८

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    (िवज्ञापन)

    २.सदंेश

    १. ी ो. उदय नारायण िसहं "निचकेता"- जे काज अहा ँकए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकँे पढ़ि◌ रहल छिथ।

    २. ी ड◌ॉ. गगंेश गुजंन- एिह िवदेह-कम र्मे लािग रहल अहाकँ स ेदनशील मन, मैिथलीक ित समिप र्त मेहनितक अमतृ रगं, इितहास मे एक टा िविश फराक अ ाय आरभं करत, हमरा िव ास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स , स ेह|

    ३. ी रामा य झा "रामरगं"- "अपना" िमिथलास ँसबंिंधत...िवषय व ुस ँअवगत भेलह ुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।

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    ४. ी जे ि पाठी, सािह अकादमी- इटंर ट पर थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना ीकार क ।

    ५. ी फु कुमार िसहं "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पि का "िवदेह" क काशनक समाचार जािन क क चिकत मुदा बेसी आ ािदत भेलह ुँ। कालच कँे पकड़ि◌ जािह दरूदिृ क पिरचय देलह ुँ , ओिह लेल हमर मगंलकामना।

    ६. ी ड◌ॉ. िशव साद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव सचूना- ाि क मे मैिथली प कािरताकँे वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। प कािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, सगंिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।

    ७. ी आ ाचरण झा- को प -पि काक काशन- ताहूमे मैिथली पि काक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अ भव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापणू र् आहिुत ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।

    ८. ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िव िव ालय- "िवदेह" पि काक अकं देखलह ुँ , स ूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पि काक मगंल भिव हेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।

    ९. ी सुभाषच यादव- ई-पि का ’िवदेह’ क बारेमे जािन स ता भेल। ’िवदेह’ िनर र प िवत-पुि त हो आऽ चतुिद र्क अपन सुगधं पसारय से कामना अिछ।

    १०. ी मैिथलीपु दीप- ई-पि का ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीस ँकामना। हमर पणू र् सहयोग रहत।

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    ११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इ टर ट पर अिछ तँे ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पे ँएकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उ ेग रहैत अिछ, मुदा शी पणू र् सहयोग देब।

    १२. ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकँे अ रा र्ष् ीय जगतमे पह ुँचेलह ुँ तकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक सकंलन अपवू र्। पालोक सहयोग भेटत से िव ास करी।

    १३. ी राजन न लालदास- ’िवदेह’ ई-पि काक मा मस ँबड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलह ुँ। एकर वािष र्क अ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलक ामे बहतु गोटेकँे हम साइटक पता िलखाए दे िछयि । मोन तँ होइत अिछ जे िद ी आिब कए आशीवा र्द दैतह ुँ , मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकँे जोड़बाक लेल।

    १४. ड◌ॉ. ी मशकंर िसहं- अहा ँमैिथलीमे इटंर टपर पिहल पि का "िवदेह" कािशत कए अपन अ ुत मा भाषा रागक पिरचय देल अिछ, अहाकँ िनः ाथ र् मा भाषा रागस ँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सिूचत करी। इटंर टपर आ ोपातं पि का देखल, मन फिु त भ' गेल।

    (c)२००८. सवा र्िधकार लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय सपंादकाधीन।

    िवदेह (पािक्षक) सपंादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति , मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अं जी-स ं ृत अ वादक ई- काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पि काकँे छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अ कािशत रचना (जकर मौिलकताक सपंणू र् उ रदािय लेखक गणक म छि ) ggaj endr a yahoo co i n@ . . आिक ggaj endr a vi deha com@ . कँे मेल अटैचमे क पमे ँ doc docx r t f. , . , . वा t xt. फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक सगं रचनाकार अपन सिंक्ष पिरचय आ’ अपन नै कएल गेल

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    फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अतंमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पि काकँे देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासभंव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अकंक सचूना देल जायत। एिह ई पि काकँे ीमित ल ी ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकँे ई कािशत कएल जाइत अिछ।

    महत् पणू र् सचूना (१):महत् पणू र् सचूना: ीमान ्निचकेताजीक नाटक " एं ी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई- कािशत प देिख कए एकर ि टं पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष " ुित काशन" केर ाव आयल छल। ी निचकेता जी एकर ि टं प करबाक ीकृित दए देलि । ि टं प हाडर्बाउ ड (I SBN NO978 . -81-907729-0-7 म ू .१२५/- य.ूएस. ड◌ॉलर ४०) आऽ पेपरबैक I SBN No 978( . -81-907729-1-4 म ू . ७५/- यएूस.ड◌ॉलर २५/-) मे ुित काशन, १/७, ि तीय तल, पटेल नगर (प.) नई िद ी-११०००८ ारा छापल गेल अिछ। e-mai l : shr ut i publ i cat i on shr ut i. @ -publ i cat i on com. websi t e: ht t p wwwshr ut i:// . -publ i cat i on com.

    महत् पणू र् सचूना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अं जी श कोश २.अं जी-मैिथली श कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरस ँदेवनागरी पा ुिलिप िल ा रण-प ी- ब डाटाबेश ुित पिब्लकेशन ारा ि ट फ◌ॉम र्मे कािशत करबाक आ ह ीकार कए लेल गेल अिछ। पु क-ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई- कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सह बाढ़िन'(उप ास), 'ग -गु '(कथा स ं ह) , 'भालसिर' (प स ं ह), 'बालाना ंकृते', 'एका ी स ं ह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका )आऽ 'या ा व ृ ातं' िवदेहमे सपंणू र् ई- काशनक बाद ि टं फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पु क- ाि क िविधक आऽ पोथीक म ू क सचूना एिह प ृ पर शी देल जायत।

    महत् पणू र् सचूना (४): "िवदेह" केर २५म अकं १ जनवरी २००९, ई- कािशत तँ होएबे करत, सगंमे एकर ि टं स ं रण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अकंक चनुल रचना सि िलत कएल जाएत।

    मह पणू र् सचूना (५): १५-१६ िसत र २००८ कँे इि रा गाधँी राष् ीय कला के , मान िसहं रोड नई िद ीमे होअयबला िबहार महो वक आयोजन बाढ़ि◌क कारण अिनि तकाल लेल िगत कए देल गेल अिछ।

    मैलोरगं अपन सा ं ृितक काय र् मकँे बाढ़ि◌कँे देखैत अिगला सचूना धिर िगत कए देलक अिछ।

    २.ग

    २.१.कथा 1.सुभाषच यादव 2.अनलकातं

    २.२.बी. पीं कोइराला कृत मोिदआइन मैिथली पा रण बषृेश च लाल

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    २.३.उप ास- चमेली रानी- केदारनाथ चौधरी

    २.४. १.मैिथली भाषा आ सािह - मशकंर िसहं २. . राजकमल चौधरी पर-ड◌ॉ. देवशकंर नवीन (आगा)ँ

    २.५.1.सगर राित दीप जरय मैिथली कथा लेखनक मे शा ाि -डा.रमान झा ‘रमण‘ 2. िमिथला िवभूित प ंमोदान झा- ोफेसर र े र िम

    २.६. 1.सिंवधानसभा, सघंीय सरंचना आ िमिथला रा क औिच -शीतल झा 2.लघकुथा- कुमार म ज क प 3. दैिनकी- ोित

    २.७. िरपोता र्ज- 1.अ रािष् य मैिथली स ेलन आ पाल रामभरोस कापिड ‘ मर’ 2. नवे ु कुमार झा 3. पाल िच एबाक अिभयान - िजते झा .

    २.८. 1.िवचार-राष् मुखके उपेक्षा,अिन क सकंेत, ामसु र शिश,दोहा, कतार2. िव ापित-िनिमष झा

    कथा

    १. सुभाषच यादव २. ी अनलकातं

    िच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साकेतान

    सुभाष च यादव, कथाकार, समीक्षक एव ं अ वादक, ज ०५ माच र् १९४८, मा क दीवानगजं,सुपौलमे। पै क ान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधबुनी। आरि क िशक्षा दीवानगजं एव ंसुपौलमे।

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    पटना क◌ॉलेज, पटनास ँ बी.ए.। जवाहरलाल ह िव िव ालय, नई िद ीस ँ िह ीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ स ँ अ ापन। सम् ित: अ क्ष, ातको र िह ी िवभाग, भूपे नारायण मडंल िव िव ालय, पि मी पिरसर, सहरसा, िबहार। मैिथली, िह ी, बगंला, स ं ृत, उद ू र्, अं जी, ेिनश एव ंं च भाषाक ज्ञान।

    काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-स ं ह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अं जीस ँ मैिथली अ वाद), सािह अकादमी, नई िद ी, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहन झाक कथाक चयन एव ं भूिमका), सािह अकादमी, नई िद ी, १९९९, िबहाड़ि◌ आउ (बगंला स ँमैिथली अ वाद), िकसुन सकं लोक, सुपौल, १९९५, भारत-िवभाजन और िह ी उप ास (िह ी आलोचना), िबहार राष् भाषा पिरषद,् पटना, २००१, राजकमल चौधरी का सफर (िह ी जीवनी) साराशं काशन, नई िद ी, २००१, मैिथलीमे करीब स िर टा कथा, तीस टा समीक्षा आ िह ी, बगंला तथा अं जी मे अ क अ वाद कािशत।

    भूतपवू र् सद : सािह अकादमी परामश र् मडंल, मैिथली अकादमी काय र्-सिमित, िबहार सरकारक सा ं ृितक नीित-िनधा र्रण सिमित।

    आतंक

    ओ किहयो हमरा सगं बी. ए. मे पढ़◌ैत रहय । ओकरा स ँ जँ फेर भंेट निहहोइत तऽ म निह पड़ि◌तय जे ओ किहयो सगं-सगं पढ़◌ैत छल। हम ओकरा िच बो निह कयिलऐक । वैह िच लक आ नाम लैत टोक रहय — ’िच ै छी ?’

    ओकर आ िव ास आ मै ीपणू र् रस ँक क चिकत आ स होइत हम मोन पाड़य लागल रही जे ओ के अिछ ।

    एम. पी. क एले न होमय बला रहैक । हम एले न ूटीमे आयल रही। ओहोएले ूटी मे होयत । ढेरी लोक एिह काजस ँआयल रहय । ओ ेह-भाव स ँमुि आइत रहय जेना िबसिर जेबाक उलहन दैत हो । ओकर मु ीस ँहम अपनाकँे असहज आ हा ा द अ भव करऽ लागल रही । एहन ि ितमे ओकरा िच ब आठेकनायब मुिश्कल छल ।

    ’निह चीि सकलह ुँ।’ - हम हािर कऽ कहिलऐक। ओकरा निह चीि सकबाक हमराठीके अफसोस भेल रहय ।

    ’हम हिरवशं !’ - ओ अपन पिरचय देलक ।

    ’अरे, हिरवशं ! ओह, एकद े निह चीि सकलह ुँ । ततेक िदन भऽ गेलै आ एिहबीच अहा ँततेक बदिल गेलह ुँ जे िच ब किठन छल । हम किहयो अदंाजो निह कऽसकैत रही जे अहा ँस ँएतेक िदनक बाद आ सेहो एिहठाम भंेट भऽ जायत ।कतऽ छी ?’ - अपन ूनता कँे झापँक लेल हम ए े सासँमे ई सभ किह गेल

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    रही ।

    हिरवशं हमर िम क िम रहय। ओकर सगं-साथमे कतेको समय बीतल होयत । मुदा हम ओकर आ ीय बिन सकिलऐक वैह हमर आ ीय बिन सकल । हमर आ हिरवशंक बीचक स कँे फिरछायब किठन अिछ । ओकरा औपचािरके कहब बेसीठीक होयत । भंेट तऽ होइत रहय, िक ु भंेटक आविृ क अ पातमे जे घिन ता हेबाक चाही से निह भेल । िसल पर पड़त िनसान बला कहबी टा चिरताथ र् भेल । हम एक-दोसराकँे चीि गेलह ुँ फेर किहयो निह िबसरबाक लेल । तखन ई सभकोना घिटत भेल ? हम कोना ओकरा िबसिर गेिलऐक ? भिरसक हिरवशं स ँभीतरी लगाव निह हेबाक कार एना भेल हैत वा जीवनमे आयल अ क पिरव र्नक कार भेल होइ। लेिकन तखन ओ िकएक िबसरल ? ओकरा िबसरब भिरसक हमरे ृित-दोषक पिरणाम छल ।

    हिरवशं जे कहलक तािहस ँपता चलल जे ओ हमरे कामत वला ब्ल◌ॉकमे बी. डी ओ. अिछ आ अखन एले नमे ासंपोट र्बला काज स ारय आयल अिछ। ई जिनते हमर ाथ र्-बिु सि य भऽ उठल । कामतबला ब्ल◌ॉकमे कैक सालस ँलसकल दािखल खािरजबला काज मोन पड़ि◌ गेल आ अखन जे ासंपोट र्बला काजस ँआयल छी सेहिरवशंक रह को बढ़ि◌या ँजीप भेिट जायत । निह तऽ कोन ठेकान जेजीपक बदलामे रे दऽ िदअय। हमरा िदमागमे ईहो बात तुरतं आिब गेल जेआब एले नक एिह हूिलमािल आ बालु-गरदास ँजान बचत; जि ए छुटकारा भेिट जायत । अपन ई सभ फायदा देिख हिरवशंक ित जेना अितिर ेह उमड़ि◌ आयल । ओिह ेह- वाहमे हम ओकरा कहिलऐक - ’अरे वाह ! अहा ँतऽ हमर कतेको काज कऽ सकैत छी । एकटा तऽ ई जे अहीं क ब्लाक मे हमर दािखल-खािरज वला काज कैक सालस ँअटकल अिछ आ दोसर जे हमरा नीक सन जीप िदआिदअऽ।’

    ई सभ सुिन हिरवशंक चेहरा पर जे ेहिस दो ाना मु ी रहैक से लु भऽ गेलैक आ तकर बदलामे एकटा कामकाजी उबाऊ भाव आिब गेलैक । ओ बाजल —’किहयो ब्लाक

    आउ, भऽ जेतै ।’ आ गाड़◌ीवला कागज हमरा हाथस ँलैत एकटा टेबलु िदस बढ़ि◌ गेल । हम ओकर पछोर धऽ ले रही । हिरवशंक मँुह-कान आ देह-दशा स लोक जका ँगोल-ठोल आ भरल-परूल रहैक । ओकर फूलपैटं-कमीज साफ झकझक आ ीजस ँ तनल रहैक । जतूा चमचमाइत रहैक। ओकर पिहरावा उ पद पदािधकारीक अ प दप र् आ भु बला भाव छोड़◌ैत रहैक । टेबलु लग लग पह ुँ िच टेबलुक चा कात घोिदआयल लोककँे ठेलैत आ ’हटू’ कहैत हिरवशं कुरसी पर

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    जा कऽ बैिस गेल । हम कुरसीक कातमे ठाढ़ भऽ गेल रही । ओिहठाम और को कुरसी निह रहैक जे हिरवशं हमरा बैसऽ लेल कहैत । कागजी औपचािरकतापरूा केलाक बाद ओ हमरा ज री कागज सभ दऽ देलक । हम ओिह ान िदस िवदाभऽ गेलह ुँ जतय जेबाक लेल ओ कह रहय । गाड़ ीक ाइवर को रो चल गेल छलै आ ओकर तीक्षा मे हमरा आध घटंा आरो िबलमय पड़ल । ओिह आध घटंामे हिरवशं स ँएक बेर और भंेट भेल आ क क काल घरौआ गपशप होइत रहल ।बाल-ब ा, ओकर पढ़◌ाइ-िलखाइ आ आन दो िम क स मे ।

    वोटक िगनतीक समय हिरवशं स ँदेखा-देखी भेल, ग निह भऽ सकल । य िप ओकरा देिखते हमरा भीतर िबजली जका ँएकटा भावावेग चमकल , मुदा पिरचय आ िम ताक सुखायल स् ोतक कार ओ भावावेग िबला गेल । हिरवशं िकछु निह बाजल । ओ मौका अ पचािरक गपशप लेल रहबो निह करैक । ओ अपन विरपदािधकारी सभक बीच बैसल रहय ।

    एिह सुखायल भंेटक कैक मास उपरा एक िदन ओ बजारमे टकरा गेल । ओहाथमे झोरा ले तरकारी कीनय जाइत रहय । ओिह िदन ओ हमरा आअ मन बझुायल। ज ी-ज ी मरू-टमाटर बेसाहलक आ चिल गेल । हम ओकरास ँहालचाल पिूछितऐक, लेिकन ओकर चेहरा देिख कऽ हालचाल पुछनाइ नीरस आ फालतूबझुायल। मुदा िनरथ र्कताक अ भव किरतो जे गप हम शु कयलह ुँ सेहो िनरानदंेछल । हम ओकरा कहिलऐक - ’एिह बीच कतेको बेर सोचलह ुँ जे ब्ल◌ॉक जाइ, लेिकन सोिचए कऽ रिह गेलह ुँ।’

    ’आउ । को सोम वा बधुकँे आउ, जिहया कम र्चारी रहैत छैक ।’ – िनता ावहािरक आदमी जका ँकारोबारी अदंाजमे ई कहैत ओ चल गेल ।

    बहतुो िदन बीतल । हम सोिच कऽ रिह जाइ । लेिकन एक िदन ठािन लेलह ुँ जेआइ जेबाक अिछ । ब्ल◌ॉक पह ुँचैत छी तऽ हिरवशंक पते निह । ओ राचँी चिलगेल रहय । दभुा र् ! बादमे जिहया किहयो ब्ल◌ॉक जाय िदआ सोची तऽ हअुय जे निह जािन हिरवशं ओतय होयत िक निह आ एिह दिुवधामे गेनाइ टरैत रहल ।

    िक ु एनामे काज किहयो निह भऽ सकत, ई सोिच िवदा भेलह ुँ । भिर रा ा मन भारी रहल । ब्ल◌ॉकक गेट पर जे पिहल ि भेटल तकरा स ँपुछिलऐक जे हिरवशं अिछ िक निह । हिरवशं अिछ ई जािन मन ह ुक भेल । हिरवशंकँेताकय लगलह ुँ । ब्ल◌ॉक वला मकानक आग ूमैदानमे हिरवशं कुरसी-टेबलु लगौ बैसल रहय आ करीब डेढ़ सौ आदमी ओकरा घेर रहैक । ओ व ृ लोककँे भेटयवला पेशंनक स ापनमे लागल रहय । एहन समयमे लोककँे ठेिल-धिकया कऽ ओकरा

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    लग पह ुँचब किठनाह छल आ उिचतो निह बझुाइत रहय । पता निह ओिहठाम बैसकलेल फािजल कुरिसयो हेतैक िक निह । तँे ती करब य र बझुायल । चाह पीलह ुँ , पान खेलह ुँ आ तकर बाद भीड़ छटँबाक बेचैन तीक्षामे ए रस ँओ र टहलैत रहलह ुँ ।

    हिरवशं अपन चे रमे बैिस गेल रहय । जखन हम ओकर चे र मे वेश केरही तखन एक ि और कुरसी पर बैसल छल । हाथ िमलबऽ लेल हाथ बढ़ ाबी आ एकरा अपन हेठी बिूझ जँ ओ हाथ निह बढ़◌ौलक तऽ भारी अपमान होयत, ई सोिच हम एकटा हाथ उठा ओकर अिभवादन केिलऐक । जेना मोन पड़◌ैत अिछ, जवाबमे ओ भिरसक हाथ निह उठौ रहय बैसऽ लेल कह रहय । अिभवादनकरैत आ ओकर सकंेतक तीक्षा के िबना हम बैिस गेल रही । ि आ कोमल िकंतु अ जीवी मु ी सगंे ओ हमरा स ँपुछ रहय - ’कोना छी ?’

    ’बस चिल रहल छै ।’ - हमर एिह शु औपचािरक उ रस ँवा ा र्लाप भंग भऽ गेल ।

    खाद-बीज, सीमेटं, पपंसेट आ बोिरग ंबला आवेदक सभ एक-एक कऽ आयब शु कऽ देलकैक ।

    ’खाता नबंर की अिछ ?’ - बोिरग ंबला एकटा आवेदकस ँहिरवशं केलकै ।

    ’निह मोन अिछ।’

    ’खेसरा नबंर ?’

    ’निह मोन अिछ ।’

    ’कतेक रकबा अिछ?’

    ’पता निह ।’

    ’भाग ूएतय स ँ।’ – कहैत ओकर आवेदनकँे हिरवशं नीचा फेिक देलकै । ओ िहत भ भेल िकछु काल ठाढ़ रहलै आ दरखा उठा धड़फड़◌ाइत िनकिल गेलै ।

    लोक एिहना आबय, हिरवशं िकछु पछूै आ ओकर दरखा फेिक दैक। एिह समकाय र्-स ादनमे ओकर आवाज अ ककर्श आ चेहरा कठोर रहैक । ई देखैत-देखैत हमरा घबराहिट होअय लागल । बझुायल जेना हमहीं आवेदक छी आ हिरवशंहमरे डािँट आ अपमािनत कऽ रहल अिछ । हिरवशं अज्ञात ढँगस ँभीतरे-भीतर

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    हमरा आतंिकत कऽ दे छल ।

    अतं मे ई किह दी जे हिरवशं दािखल खािरज लेल सी. ओ. स ँहमर पिरचय करा कऽ चल गेल, लेिकन ओ काज अखन धिर निह भेल अिछ । हिरवशंक आदमी हेबाक कार घसू निह देत, भिरसक यैह सोिच सी. ओ. काज निह कऽ रहल अिछ । हम फेर जा कऽ हिरवशं कँे निह कहिलऐक । हिरवशं स ँभंेट करबाक इ े निह होइत अिछ । ब्ल◌ॉकक नाम लैते हिरवशंक ओ प मोन पड़◌ैत अिछ आ घबराहिट होअय लगैत अिछ।

    अनलकातं(1969- ), मैिथली मैािसक "अिंतका"क स ादक। िह ीमे दटूा कथा स ं ह कािशत।

    असोथिकत-अनलका

    ाइवेट वाडर्क िब र पर पड़ल-पड़ल ओ साम क टेबलु पर राखल एक मा

    खाली िगलास मे बड़◌ीकाल स ँ ओझरायल छल। काचँक ओ मामलूी सन िगलासओकरादेखैत-देखैत प बदल' लागल छलै। एक बेर ओकरा लगलै जे ओिह खाली िगलास मे नीचा ँस ँअनायास पािनक सतह ऊपर उठ' लगलै आ अिगले क्षणिगलासक चा भर पािन खसतै सेहो ओकरा जेना बझुेलै! ओ झट आिँख मिूनलेलक। बड़ ीकाल पर आसते-आसते फेर ओ आिँख खोललक। िगलास पवू र्वत

    खाली छलै। ओ फेर िन े िगलास पर नजिर गड़◌ा देलक। कोठली मे देबालघड़◌ीक िटक्-िटक् केर ह ुक-सन आभास छलै।

    िकछुए क्षण बीतल हैत िक ओ देखलक िगलासक आकृित एक लय- म मेपैघ होअय लगलै! एक बेर ओकरा लगलै, ई तँ कंुभकरणक पेट िथक! त फेरबझुेलै,

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    ई िवशाल बखारी िथक!...भिर पेट भात लेल रकटल मोन- ाण मे पेटक

    सगं बखारीक ृित ओकरा नप स ँखेहार आिब रहल रहै। परेशान जका ँभ'क' ओ अपन नजिर ओकहर स ँहटाब' चाहलक िक ओकरा बझुेलै जे माथ मे िकछु चनिकरहल छै आ देह मे तागित सन िकछुओ रिह गेल छै। ओ अपना कँे बड़असहाय-असोथिकत बिुझ फेर आिँख मनू रहय िक तख एक टा सद र्-सन हाथओकरा माथ पर बलबला आयल घाम पोछ' लगलै। कोठली मे तखन ओकर प ीमा छिल, मुदा ओकर हाथ ओहन सद र् हेबाक अ मान नइ ँ छलै ओकरा। ई फराक जे ओकर आ ा मे खरकटल खरखर हाथक ध ी-हरिद वला गमक आिँख नइ ँखोल' देलकै।

    हठात् ह कुे स ँकेबाड़ ठकठका क' ककरो भीतय अयबाक आभास भेलै,तँ नइ ँचाहैतो ओ आिँख खोिल देलक। नस र् छिल। नस र्क आग-ूआग ूओकर मु ीछलै। ओकरा मन मे ूितर् जका ँअयलै। नस र्क मु ीक उतारा मुि ए स ँदेलक।एक नसे र् टा तँ छलैजकर आयब ओकरा बड़ सोहाबै छलै। डाकटरो स ँबेसी। एक टामधरु-सन धनु ओकर िधरछायल मोन कँे छुबलकै। एक खास िकिसमक िनसा ँमेआिँखक पल झपा गेलै।

    क काल बाद 'म हर कहािनया'ँ मे डबुिल प ीक प ा पलटबाक रओकरा ककर्श जका ँलगलै। भीतर स ँकचकचा गेल छल। पि का मे डबुिल प ीिदस तकबा स ँबचैत, नइ ँचाहैतो फेर साम क टेबलु पर राखल खाली िगलास िदसताक' लागल।

    िकछुए क्षण बीतल हैत िक िगलास फेर रगं- प बदल' लगलै। ओकराअपन िदमाग पर बेस दबाव बझुेलै। ओ नइ ँचाहैतो बाजल, ''टेबलु पर स ँएिहिगलास कँे हटाउ!...''

    प ी पिछला तीन िदन स ँबेसी खन ओकरा सगं छिल। पिहल िदन तँ मारतेफजहितकरैत भिर िदन ओ बड़बड़◌ाइते रिह गेल छिल। कतेको केओ बझुारित िक अ नय-िवनय कयलकै, ओकरा पर तकर असिर नइ ँभेलै। एकदमे िझक जाइतरहिल, ''सब हमरे घर िबलटाबै पर लागल यए। िधयापुता कँे के देखतै? अय!ँ जकरा कपार पर द-ूद ूटा अजि बेटी रहतै तकर ई िकरदानी?... काज-धधंाक िचतंे ! हरखन दोसे-मीत! सब िदन नाटके-सािह आ द बाजीक मोहिफल! देखौ, आइ केओ ताकह ुअयतै!...'' एह -सन मारते रास बात! मुदा ओ एको बेरमँुह नइ ँखोललक। दोसर िदन प ीक बाजब ाभािवके पे ँ क कम भेलै, मुदा ओकर मँुह िसबले रहलै। तेसरो िदन ओकरा ओिहना गुमसुम देिख प ीक भीतरआतंकजका ँ िकछु पैस' लगलै। से ओिह िदन गुकमी जका ँ लध ओ ओकराबजबाक बाटे तािक रहल छिल। एहन खन पितक आदेश ओकरा नीक लगलै। ओ उठिल आ िगलासहटा बगलक अलमारी मे रखै स ँपिह पािन लेल पछूलक। ओमुड़◌ी डोला नासकार कयलक।

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    प ीक भीतर िकछु कचिक जका ँउठलै। आिँख डबडबा गेलै।...

    एकरा एिह अ ताल मे भतीर् दोसे-िम सभ करौ छलै। ओकरे सभक समाद पर ओ बतािह जका ँछोटकी बेटीक सगं भोरे-भोर भागिल आयिल छिल।ओकर लाख फजहित आ बड़बड़◌ाहिटक बादो इलाजक सभ टा व ा वैह सभ क' रहल छल। ओकरा बेसी बजबाक साफल ई भेलै जे कैक गोटे बाहरे स ँहालचाल ल', सभ टा व ा बिुझ-गिम, घ ुिर जाइ छल। से थाह पािब गेिल छिल ओ।

    क्षण भिरक लेल तँ ओकरा अपन कड़◌ैती आ बजबाक भाव पर गौरवे जका ँ

    भेलै। ओकरा लगलै जे एिह तरहँे ओ अपन घरवला कँे मु ीमे क' सकै अिछ। मुदापितक पीयर चेहरा देिखते ओकरा भीतर पैसल अदकं आशकंाक झड़ ी लगा देलकै। ओ चोटï्टे उठिल। पयर मािर आ े स ँबाहर भेिल।

    पैघ सन गिलयारा पार क' ओ िरस शनक आगकू गुलमोहर लग ठाढ़ भेिल।

    अ ताल ागंणक साम वला छोर पर बे पहरक रौद मे बैसल िकछु गोटे परओकर नजिर गेलै। ओ दरूे स ँ िच ैक यास क' रहिल छिल िक ओकहर स ँ द ूगोटेलपिक क' ओकरा लग अयलै, ''की, को बात?" ई दनु ूओकरा पितक सब स ँ

    पुरान िम छलै। ओकरा िबयाहो स ँपिह क सहमना, लगंोिटया!...जकरा सभक

    ताधिर िकछुओ फराक नइ ँ छलै। िबयाहक बादो चौदह-प ं ह वष र् धिर ाय: ओिहनारहलै। शु क पाचँ साल तँ आ मो सगंे रहलै जावत्ï अलग-अलग ठाम चाकरी नइ ँभेटलै। एिह मे पिहल ओ छल जे ओकरा 'किनया ँगै' कहै छलै आ 'वर बाब'ू कहैत जकरा स ँओ हँसी-मजाक मे सदित सायँ-बौहकु अदला-बदली करबाक गपशप करै छिल। मुदा तखन ओकरा मँुह स ँ बहरायल वाकय सबंोधनहीन छलै। दोसर, छा -जीवन मे भनसाघरक इचंाजर् रहबाक कार ँशु हे स ँओकरा सौितन कहै छल। मुदा तखन तीनकू सबंधंक को टा पिहचान नइ ँछलै। ई ि ित ओकराबड़ दा ण जका ँबझुेलै। एक बेर ओकरा मोन मे अयलै जे वैह ओिह सबंोधन स ँपुकारय, मुदा से भेलै नइ।ँ ओ अपन भावना पर कठोरता स ँलगाम लगौलक, ''की करबै आब, हमर तँ घरे िबलिट गेल। तै पर स ँ ओकर गुमसुम रहब!..." सेरायलआ घबड़◌ायल सन र बहरेलै। क क असमजंसक बाद पिहल दो जे कह' चाहैत छल, से नइ ँकिहओिहना िकछु बािज देलक, ''ठीक भ' जयतै। ड◌ॉकटर स ँहमरा ग प भेल यए।"

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    ''नइ!ँ ...को िचतंाक बात नइ!ँ" दोसर तोस देब' चाहलक।

    एहन जवाब ओ नइ ँसुन' चाह छिल। मुदा ओकरा बस मे िकछु छलै।आब ओपिह क ि ित मे नइ ँ घ ुिर सकै छिल जकरा स ँकिहयो िप छोड़बैतनीक लागल छलै। ओकरा मँुह स ँबहरेलै, ''घटुनाक अलावा ड◌ॉकटर तँ कहै छै,

    सब कुछ न◌ॉम र्ल है!

    ''हँ, सहै तँ! ..." पिहल ज ी स ँजवाब ताकलक, ''रसेरस सब ठीक भ' जयतै।'

    ''हँ! हँ!..." दोसरक चेहरा पर टार'क भाव बेसी साफ छलै।

    हािरक' ओ वाडर् िदस घरुिल, ''आउ , क काल हनुके लग.."

    गाछ ओकरा लगीच अयलै। िसरमा लग। दनुकू नजिर िमललै। ओ िनहालभ" गेल।

    ओ िकछु बाज' चाहलक, तँ ओकरा अपन प ीक उपि ितक भान भेलै।

    गाछ सेहो िकछु बाज' चाहलक, मुदा कोठली मे ओकरा मीतक कयाहता छिल।गाछओकरा बेडे पर सिटक; बैिस रहल। दनुकू हाथ एक-दोसराक हाथ मे छलै। दनुकू हाथ गरम छलै।

    ''चाह-ताह बाहर स ँएत' आिब सकै छै ?" दोसर बदुबदुायल।

    तख ओकर प ी उठिल, ''लगले अबै छी"' आ कोठली स ँबाहर भ'गेिल। ओकरा पाछा ँलागल दोसर मीत सेहो बहरायल।

    िकछु पल बीतल िक ओ पड़ले-पड़ल फसुफसुायल, ''ककय ू र् मे ढील बझुाइ

    छौ!.."

    ''नइ-ँनइ!ँ... अपना सब घर-पिरवार लेल सही समय पर िकछु सोचलौ।ंतकरसब टा द:ुख एकरे सब कँे भेलै।" गाछ आब झ ुिक जका ँआयल छल।

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    ओ िकछु क्षण चपुचापे रहल। फेर एकहर-ओकहर तािक बाजल, ''रौ बिुड◌़!

    हमरा सभक लेल अप टा घर किहया घर छल? हमसभ तँ सभक घर-पिरवार कँे अप बझुैत रहलौ।ं" बेड पर पड़ल देह जेना मोन सगं उड़' चाहै छल।

    ''जँ सहै रिह जाइत शु स ँअतं धिर तँ को द:ुख नइ ँछल मीत! मुदा एक

    एहन मोड़ पर आिब हम सभ अपन आिर बेराब' लगलौ ंजत' पिछलुको कयलधयल सभ टा पर पािन िफिर गेल। घरक रहलौ ं घाटक।..." आब गाछ साक्षात म कख भ' गेल छल।

    ''ई तो ंकी कहै छंे?... हम तँ एख एकरे पाछू सब िकछु ोछावर कय छी। केअिछ आइ हमरा स ँबेसी कयनहार?'

    ''यैह!... यैह भेलौ सीमा! दोसर केओ तोरा स ँबिढ◌़ नइ ँिकछु करै यए तँे तो ंआग ू िकएक बढबे!ं... आ ई ाग- ोछावर-कथा मचंे टा स ँशोभै छै। हम-तो ंजतेक ोछावर करबाक गपशप करै छी, से सब वा व मे आब कैिरयर चमकाबैक

    साधन भ' गेल यए। जँे केओ दोसर हमरा सब स ँआग ूबिढ◌़ सि य नइ ँअिछ, ते हमरासभक ई अधकचरा यास पैघ अिभयान कहाबै यए। मुदा ई जािन ले जेहमरासभक ई यास एक टा िबजकुा स ँबेसीक ओकाित नइ ँ रखै अिछ जकरा स ँबड़◌ीकाल पर ओ आिँख फोललक। साम क खाली टेबलु पर ओकर नजिर गेलै, तँिकछु िचड़◌ै-चनुमुनी डराइत होइ तँ होइ, सु र-हिरन आिक नीलगाय पर को ओकरा टेबलुक सतह सहाराक रेिग ान बझुेलै। टेबलुक पार बैसल लोकक आकृित असिर नइ ँ पड़◌ै छै।' मीत आवेश मे आिब गेल छलै।रेिग ानक छोर परक गाछलगलै। ओ ओिह गाछक हिरअरी पर नजिर िटकौलक। जवाब मे एख ओ बहतुरास तकर् द' अजेय रिह सकै छल। यैह तँ ओकरआिँख भ' गेलै। शिकत छलै। मुदा एक तँ ओिह बातक क असिर पड़ल छलै आ दोसर, प ीक घ ुिरक' आब' स ँपिह ओकरा िकछु आर ज री बात पछूबाक छलै। से शातं होइतमि म र मे बाजल, ''एखन से सब बतायब ज री नइ ँछै। कहले बात कते कहबौ? ...सुन, एक टा ज री बात!..."आ फसुफसुायल, ''ओत' रगंशालाक

    ह◌ॉल मे हमर िकछु भेटबो कयलौ?"

    ''की?" गाछक पात-पात िखलिखला क' हँसल।

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    ''हमर कु ी?"

    ''हँ! ...ओ कत' जायत? मचंक काते मे छल।"

    ''दे!..."

    ''बाकस मे बदं क' रािख दे िछयौ। पिह ठीक तँ हो!"

    ''शहर मे को चचा र्?"

    ''हँ, क ना मचंक छौड़ं◌ा सब एक टा रीिमकस तैयार कयलक अिछ—

    कु ी हेराय गेल भागँक बाड़◌ी मे..." क्षणभिर िबलिम फेर नह ुँ ए बाजल, ''आचाय र्क 'मुसल आ मुसलमान" कथाक मचं ुित आइ मुजकफरपुर मे िछऐ जत' सहरसा स ँजनकपुर धिरक लोक जमा भ' रहल छै। एत' स ँक वला सभ गेल छै!.."

    ओकरा पर तनाव जका ँबिढ◌़ गेलै। क्ष भिर कोठली मे भारीपन रहलै! तख

    चाहक ले एक टा छौड़ं◌ाक सगं ओकर प ी आ दोसर मीत घ ुिर अयलै।

    रसेरस फेर टेबलु पर रेिग ान पसिर गेलै आ गाछ तकर ओिह पार चिल

    गेल।

    ओ दोसर मीतक मदित स ँगेड़◌आुक सहारे ंओठिङ गेल छल। प ीक हाथ स ँ

    कप पकड़लक। फेर एक टा िब ुट लÓ नह-ुनह ुकुतरैत कतह ुहेरा गेल छल।

    चाहक घोटं लैत ओतÓ शु भेल बाल-ब ाक पढ़◌ाइ-िलखाइ, कयाह-दान आमहँगाइक सगं-सगं ि केटक ग प ओकरा जोिड◌ ़नइ ँपािब रहल छलै।

    साझँक अ ार जखन बाहरक वातावरण कँे गाढ़ कर' लागल छलै आ साझँकु

    राउ पर आयल ड◌ॉकटर देिखक' जा चकुल छलै, घर स ँ िटिफन ब◌ॉकसवला झोड़◌ा एक टा नवोिदत किव िम आिब गेल छलै। राित मे ओिह नवतुिरए कँेकबाक छलै।

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    िकछु काल बाद ओकरा प ीक सगंे ओकर दनु ू मीत घर िवदा भेल।नवतुिरया किवसेहो पािनक बोतल आन' लेल बहरायल छल िक पिहल मीत गेटक बाहर स ँघ ुिरक'ओकरा लग अयलै आ एक टा क पैघ सन कु ी हाथ मे दैत कहलकै, ''ले! ...एकरा िबना तोरा नीन नइ ँहेतौ!" आ झट बहराय गेल।

    ओ एक बेर ठीक स ँ ओिह कु ी कँे देखलक। बड़ पुरान होइतो सब तरहंे नव छलै। पुलक स ँभिर तुरतं जेब मे रािख लेलक। पािन ल'क' घरुल नवतुिरया म स ँभोजन लगौलकै। नवतुिरयाक आवेशभोजन मे िच बढ़◌ा देलकै। तँे खाय क'पड़ल तँ नवतुिरयाक द ूगोट किवतोसुनलक। चाबसी द' सब िचतंा स ँ ान हटा आग ूमे जे िफ छलै तकरसफलताक क ना मे िझहिर खेलाय लागल। नीन िकछु जि एआिब गेलै।

    ओ देखलक जे ओकर िकताब लोकसभ लाइन लगाक' कीिन रहल छै।मारते रास चैनलवला सभ घेर छै। ओ ज ी-ज ी िकछु बािज एक टा उ ररगंक कार मेबैिस जाइ अिछ। कार अज्ञात िदशा मे जा रहल छलै िक नीन टूिट गेलै।

    ओ फेर आिँख मिून ज ी स ँज ी ओिह सपना मे जयबाक चे ा कर' लागल।

    एिह बेर ओ देखलक जे ओकरा ढाइ लाखक को पुर ार भटलै। ओकरासकमान मे पुर ार दाता करशाह सभक िदस स ँ रगंमडंलक सम सद क सगंिह विरप कार आ सािह कार लोकिनक बीच भ पाटी र् चिल रहल छै।...अचानक ओिह बीच ठाढ़ एक टा अद्र्धिविक्ष त सन युवक िचिचया लगै छै, ''अहा ँसभ अवसरवादी छी! पजूीपितक दलाल छी!..." िक तमसाक' ओत' जमा सभ केओ अपना-अपना िगलासक दा ओिह युवक पर फेिक दैत छै।... आ ततेक दा ओकरा पर खस ैछै जे ओ युवक बगलक नाली मे बिह जाइ छै!...

    अचानक फेर ओकर नीन टूटलै। एिह बेर ओकर छाती जोर-जोर स ँधड़िक

    रहल छलै।क काल मे ओकर मोन ि र भेलै, तँ ओ नवतुिरया किव िदस ताकलक। ओओकरा बेडक दिहना कातक सोफा पर नीन छलै।

    ओकर बामा हाथ अनायास पेटंक जेब मे गेलै आ अिगले पल कु ी ओकरा आगँुरक बीच छलै। बड़◌ीकाल धिर ओ ओिह कु ी कँे देखैत रहल। कु ीदेखैत-देखैत ओकरा अपन िवयारगंक ओ अ ार मोन पिड◌़ अयलै जे ओकर कु ी तँ िगडऩिह छलै, ओकरा एिह बेड धिर पह ुँचा देलकै। िवयार ंओिह िव ापित या ीरगंशालाक सिंक्ष त नाम छलै जकर ओ अ क्ष आ िनदेर्शक छल। जतÓ पिछला दससाल मे सभ स ँबेसी नाटक ओकरे िनदेर्शन मे भेल छलै। जतÓक ओ सभ स ँ सकमािनत आ सवे र्सवा र्

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    छल। जत' पिहल मिंजल पर ओकरा एक टा पैघ सन कक्ष भेटल छलै। ओिह कक्षस ँनइ ँमा िवयारकं सभ टा गितिविध सचंािलत करैत छलओ, ओकर सम िहत-मीतक चौपाल वैह छलै। मुदा ओिह रातुक अ ार!...

    ...असल मे ओइ िदन बे पहर अशोका मे बालीबडुक एक टा पैघ ोडï्यशूरसगं ओकर मीिटगं सफल भेल छलै। भूिम सम ा आ सशस् आ ोलन सन िवषय

    पर ओ एक टा मसालेदार िफ क लेल स् ीि टगं आ सह-िनदेर्शनक ए ीमेटं साइन कय रहय। तकरा बाद शकैपेनक दौर जे शु भेलै से ोडï्यशूरक उड़◌ान-समयक कार ंसझँकुा आठे बजे धिर चललै। ओतÓ स ँओ बाहर भेल तँ ऑटो मे बैसतैअपन सभ स ँकरीबी क◌ॉमरेड दासक मोबाइल पर पिहल सचूना देलक। दासनगरक सभ स ँबेसी सार सकंयावला दैिनक समाचार प क कयरूोचीफ रहय। ओत ालओकरा अपन दकतर बजा लेलकै। दासक केबीन मे ओकरा पह ुँ िचते तय भेलैजे एिह उपलिकध कँे खास दो सभक बीच सेिल ट कयल जाय। से ओतिह स ँफोन कÓ चािर-पाचँ गोट 'हम यालाÓसािह कार-प कार-रगंकमी र् कँे साढ़◌े दस बजे धिर िवयार ंपह ुँचबाक सचूना देल गेलै। फेर ओ दासेक खटारा एलएमएल वे ा पर पाछा ँबैिस िवदा भेल छल। र ा मे महा ा गाधंी चौक पर चािर-चािर लेट िचकन आ पनी