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videhaिवदेह Ĥथम मैिथली पािक पिğका 15 माच 2008(वष 1 मास 3 अंक 6) http://www.videha.co.in/ 1 िवह 15 माच 2008 वष 1 मास 3 6

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  • videhaिवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पि का 15 माचर् 2008(वषर्1 मास 3 अंक 6) http://www.videha.co.in/

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    िवदेह 15 माच र् 2008 वष र् 1 मास 3 अकं 6

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    एिह अकंमे अिछ:- 15 माच र् 2008 वष र् 1 मास 3 अकं 6

    1. शोध लेख: मायान िम क इितहास बोध (आगँा) 2. उप ास सह बाढ़िन (आगँा) 3. महाका महाभारत (आगँा) 4. कथा( ाइवडु)

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    5. प

    ोित झा चौधरीक प गामक सयूा र् आ’ आन किवक अ ा किवता 6. स ं ृत िशक्षा (आगँा) 7. िमिथला कला- िच कला

    िच कार उमेश कुमार महतो

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    8. सगंीत िशक्षा (आगँा) 9. बालाना ंकृते (एकाकंी –अपाला आ यी- पिहल भाग) 10. पजंी बधं ी िव ान झा”मोहनजी” प ं ीकार

    ी व ्

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    11. िमिथला आ’ स ं ृत( सव र्तं तं ब ा झाक जीवनी) 12. भाषा आ’ ौ ोिगकी 13. रचना िलखबास ँपिह ... (आगँा) 14. वासी मैिथल Engl i sh मे अ. VN Jha केर DO WE REALLY EXI ST AS NATI ON आ.VI DEHA Mi t hi l a Ti r bhukt i, , , Ti r hut …(आगँा)

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    सपंादकीय

    वष र्: 1 मास: 3 अकं: 6 एिह अकंमे सािह कँे राजनीितस ँ जोड़य बला अं जीमे िववेकान झा जीक लेख वासी मैिथल भंक अतं त देल गेल अिछ। प ीकारजीक पणू र् पिरचयक सगं हनुकर लेख सेहो देल गेल अिछ। िवदेह ारा िकचउु पुरान अल िकताबक िडिजटलाइजेशनक क◌ॉपो र्रा सेहो शु कएल गेल अिछ। प ीक ैिनगं आ’ सच र् करबा यो िडक् री जािहमे पाठक नव-नव श जोड़ि◌ सकताह केर आधार िकछु म योगी िवदेह काय र्क ा र् सभक ार शु हेल अिछ। ई सभटा सभ ो िन:शु

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    कए रहल छिथ आ’ अपन मा भाषाक आ’ मा भूिमक अ रागी होयबाक माण दए रहल छिथ। िहनका लोकिनक नाम रचना आ’ आका र्इवक स खु अएला पर सोझँा आनल जायत।

    अप क रचनाक आ’ िति याक तीक्षामे।

    नई िद ी 15/03/08 गजे ठाकुर

    1. शोध लेख: मायान िम क इितहास बोध (आगँा) ी मायाना िम क ज सहरसा िजलाक ब िनया गाममे 17 अग 1934 ई.कँे भेलि । मैिथलीमे एम.ए. कएलाक बाद िकछु िदन ई आकाशवानी पटनाक चौपाल स ँसबं रहलाह । तकरा बाद सहरसा क◌ॉलेजमे मैिथलीक ा ाता आ’ िवभागा क्ष रहलाह। पिह मायान जी किवता िलखलि ,पछाित जा कय िहनक ितभा आलोचना क िनबधं, उप ास आ’ कथामे सेहो कट भेलि । भा लोटा, आिग मोम आ’ पाथर आओर च -िब -ु िहनकर कथा स ं ह सभ छि । िबहाड़ि◌ पात पाथर , म ं -पु ,खोता आ’ िचडै आ’ सयूा र् िहनकर उप ास सभ अिछ॥ िदशातंर िहनकर किवता स ं ह अिछ। एकर अितिर सो की ा माटी के लोग, थम ंशलै पु ी च,म ं पु , पुरोिहत आ’ स् ी-धन िहनकर िह ीक कृित अिछ। म ं पु िह ी आ’ मैिथली दनु ूभाषामे कािशत भेल आ’ एकर मैिथली स ं रणक हेतु िहनका सािह अकादमी पुर ारस ँ स ािनत कएल गेलि । ी मायान िम बोध स ानस ँसेहो

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    पुर तृ छिथ। पिह मायान जी कोमल पदावलीक रचना करैत छलाह , पाछा ँजा’ कय योगवादी किवता सभ सेहो रचलि ।

    हरिकसन अ ायक ार 3400 वष र् पवू र् होइत अिछ।कृिष िवकासक सगं ायी िनवासक विृ बढ़य लागल। आ’ तकरा बाद पिरवारक प होमय लागल। कृिष-िवकासस ँ वािण िव ारक आव कता बढ़ल। ऊनक वस् , च ी, भीतक घर आ’ इनारक घेराबा बनय लागल।

    िकसन अ ायक ार 3300 ई.पवू र् भेल। म-बेचबाक ार भेल। पटौनीक ार क सगं कृिष-िवकास गित पकड़लक। भूगोल जानकारी भेलास ँ वािण बढ़ल। अलकंारक विृ बढ़ल।

    हर ा:मोहनगावँ अ ाय 3200 वष र् पवू र् देखाओल गेल अिछ। म-बेचबाक हेतु काठक टोलक उदाहरण अबैत अिछ। अलकंार विृ बढ़ल। गोलीक मालाक सकं कु ारक चाक सेहो स ुख आयल। समाजमे व िवभाजनक ार भेल।

    ग षक ीग ष अ ाय 3100 ई. पवू र् ार भेल। दिक्षणाचंल लोकक आगमन बाद हर ा हनुका िनक ारा ब बाक चच र् लेखक करैत छिथ। मोहनजोदड़◌ो, लोथल आ’ चा ूदोड़◌ोक

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    िवकास ापािरक के क पमे भेल। िलिप, कटही गाड़◌ी आ’ मिू र्कलाक आिव ार भेल आ’ व ु िविनमयक हेतु हाट लागय लागल।मेसोपोटािमयाक जल ावन आ’ सुमेरी आ’ असुरक आगमनक चचा र् लेखक करैत छिथ।

    िक अ ायक ार 3000 ई.प.ू स ँभेल। िवदेश ापारक आर भेल। तामक आिव ार भेल। कृिष दास क सेहो ार भेल। बाढ़ि◌स ँ सुरक्षाक हेतु ऊँच डीह बनाओल जाय लागल।

    महाजन अ ाय 2800 प.ू ा र् होइत अिछ। नगरक ार वािण क हेतु भेल। नहिर पटौनीक हेतु बनाओल जाय लागल। डंडी तराजकू आिव ार आव कता प भेल। काशक व ाक ोँत लागल।

    मडंल अ ायमे चच र् 2600 ई.प.ूक छैक। स ं ा िनमा र्ण, िववाह व ा आ’ दरूक या ाक हेतु पाल बला नावक िनमा र्ण ार भेल।

    िक मडंल अ ाय 2400 ई.प.ू केर कालख स ँआर कएल गेल अिछ। एिहमे वषा र्क अभावक चचा र् अिछ। आय र्क पवू र् िदशामे बढ़बाक चचा र्स ँलोकमे भयक सेहो चचा र् अिछ। मडंल:मडंली अ ाय 2200 ई.प.ूस ँ ार भेल। आय र्क आगमनक

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    आ’ वषा र्क अभाव दनुकँूे देखैत लोथल वैकि क पस ँिवकिसत होमय लागल।

    पतन:पुरदंर: एिह अ ायक कालख 2000 ई.प.ूस ँ ार भेल अिछ। आय र्क राजा ारा पुरकँे तोड़ि◌ महान कंे हड़ ाकँे

    करबाक चचा र्स ँमायान जी अपन पिहल िकताब ‘ थम ंशलै पु ी च’ केर समापन करैत छिथ। आय र् हड़ ाकँे हिरयिूपयास ँसबंोिधत कएल, आय र् बाहरस ँअयलाह ि िकछु िस ातंक आधार पर रिचत ई उप ास ऐितहािसक उप ास होयबाक दावा करैत अिछ। आ’ एिहमे 20,000 ई.प.ूस ँ 1800 ई.प.ू तकक इितहासोपा ानक चचा र् अिछ। मुदा मौिलक एितहािसक िवचारधारा आ’ नवीन शोधक आधार पर एकर बहतुो बात समीचीन बझुना निह जाइत अिछ।

    अ ास ँ शु भेल ई कथानक ब आशा िदअओ छल। लेखक पिहल अ ायमे िलखैत छिथ जे प ृ ीक उ ि लगभग 200 करोड़ वष र् पवू र् भेल जे सव र्था समीचीन अिछ। कम र्का मे एक ान पर वण र्न अिछ- “ ा ि तीये पराधे र् ी ेतवाराह क ेवैव त म ंतरे अ ािवशंिततमे किलयुगे थम चर ” आ’ एिह आधार पर गणना कएला उ र 1,97,29,49,032 वष र् प ृ ीक आयु अबैत अिछ। रेिडयोएि व िविध ारा सेहो ईएह उ र

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    अबैत अिछ। ई अ मािनत अिछ जे यरूेिनयमक 1.67 भाग 10,00,00,000 वष र्मे सीसामे बदिल जाइत अिछ। िविभ कारक पाथर आ’ च ानमे सीसाक मा ा िभ रहैत अिछ। एिह कारस ँ गणना कएला पर ई ज्ञात होइछ जे रेिडयोएि व पदाथ र् 1,50,00,00,000 वष र् पिह िव मान छल। एिह कारे ँको शलैक आयु 2,00,00,00,000 वष र्स ँ अिधक निह भ’ सकैछ। यरूोपमे स हम शा ी तक प ृ ीक आयु 4000 वष र् मानल जाइत रहल। ईरानक िव ान 1200 वष र् पिह प ृ ीक उ ि मनलै । ई दनु ू दिृ कोण वैज्ञािनक दिृ कोणस ँ हा ा द अिछ। एिह तरहक पा ा शोधकँे लेखक पिहल अ ायमेतँ नकािर देलि मुदा अतं धिर जाइत-जाइत ओ’ आय र् लोकिन हड़ ाकँे हिरयिूपया कहैत छिथ एिह कारक पा ा दरुा हक भावमे आिब गेलाह। पि मी िव ानक उि भोजस ँ बिच ुित पर राक परीक्षा तकर् आ’ ाक िम णस ँ निह कए सकलाह। एिह कारे ‘ तम ंशलै पु ी च’ िन आधार पर अपन इितहासोपा ान सािहि क पस ँनिह बना पओलक..............

    (अ वतर्ते)

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    2. उप ास सह बाढ़िन (आगँा)

    गामक ाइमरी ूलमे सभ कलाक परीक्षा होइत छल। सगंीत, िच , नाटक। गाममे हारमोिनयम, ढ़◌ोलक बजेनहार खबू रहिथ। पिह दगुा र् पजूाटामे नाटक होइत छल, मुदा पछाित जा’ क’ कृश्णा मी, काली पजूा इ ािदमे सेहो नाटक खेलेनाइ शु भ’ गेल। हरखाक रामलीला पाटी र् सेहो एक मिहना खेला क’ गेल छल। अहूमे द ूचािर िदनमे रामलीलाक बीचमे नाटक होइत छल। शु भेल रामलीला पाटी र् िबना बजेनिह। मुदा द ूचािर िदन धिर माला ो न’ ो उठबैत गेलाह। रामलीला पाटी र्क सभ कलाकारकँे एक िदनक खेनाइक

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    खचा र्कँे माला उठेनाइ कहल जाइत छल। दचूािर िदनतँ माइक पर ो न ो जोशमे जा’ क’ हम माला उथायब तँ हम उठायब कहैत गेलाह, मुदा द ूचािर िद का बाद रामलीला पाटी र्क आ र् अ रोधकँे देखैत गौकँा सभ टोलक अ सार माला उठेबाक एकटा म बना देलिख । ओिह समयमे ओकर एकटा चम ार छल, आ’ हम अपन कैिरयर अिभ ताक पमे बादमे करबाक मो -मोन इ ा रखैत छलह ुँ। ओिह समयमे शिन िदन ूलमे नाटक खेलेबाक ान िशक्षकगणक ीकृितस ँबनल। नाटकक िकताब कतएस ँ आयत तािह हेतु एकटा नाटक दानवीर दधीची िलखलह ुँ। ूलक कलाकार सभकँे एक कएलह ुँ। आब कलाकार सभक नाम तँ सुन।ू पोटहा, लु ा, गँड़◌ा, पोटसुड़का,लेलहा,ढ़हीबला,कनहा, अ रा, तोतराहा,बौका,बिहरा ई सभ हमर बालकलाकार रहिथ। कारण जे अपनाकँे शु -शा बझुिथ से

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    िकएक नाटक खेलेताह। दहीकँे तोतराकँे किहयो ो ढ़ही बजल तँ ओकर नाम ढ़हीबला भ’ गेलैक।

    सदीर्मे किहयो पोटा चबुैत रिह गेलैकतँ पोटहा भ’ गेल आ’ दोसर एहन भेल तँ दनुमूे अ र कोना करी। से ओ’ पोटा खसतै काल सुरकतो अिछ से ओकर नाम भ’ गेल पोटसुरका। आगँा आऊ। ककरो अ िरया राितमे ठेस लािग गेलैक तँ कोन अ तः भेलैक। हँ ओकर नाम अ रा भ’ गेलैक। ब ामे देरीस ँ बजनाइ शु कए छलह ुँ तँ अहा ँ भ’ गेलह ुँ बौका। सोझगर छी तँ लेलहा। गपकँे अनठबैत छी तँ भेलह ुँ बिहरा। नव घड़◌ी पिहरलाक बाद(घड़◌ी पाबिन िदन वन ितक घड़◌ी) हाथ क क सोझ रािख लेलह ुँ तँ भेलह ुँ लु ा। तोतराइत तँ सभ अिछ, मुदा किबयाठी टोलक छी तँ लोक नाम रािख देलक तोतराहा। क क डेढ़ भ’ तािक देलह ुँ आिक िपपनीकँे उनटा क’ ककरो डरेलह ुँ त’ भेलह ुँ

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    कनहा। ठेस लगलाक बाद क क झका क’ चललह ुँ तँ भेलह ुँ गंड़◌ा। आ’ जौ ँ क क पाइ बलाक बेटा छी, आिक माय क क दबगं छिथ तँ कनाह रहलो उ र ो कनहा किह क’ देखओ। अ ु एिह बाल कलाकार सभक सगं शिन िदन होयत हमर नाटक दानवीर दधीची। (अ वतर्ते)

    3. महाका महाभारत (आगँा) बीच यज्ञमे उठल छल अ -पजूाक , भी क स ित युिधि र पुछलि जा’, भी कहल छिथ कृ नपृ बीच, सहदेव सुिन वचन चरण पखारय लाग।

    चेिदराज िशशुपालस ँसहल निह भेल, अपश कृ -भी कँे देब’ लागल,

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    दयु र्ओधन- ाता स छल भेल, भीमक ोध बढ़ल छल ओ,झपटल,

    भी रोिक शातं छल ओकरा कएल।

    िशशुपालक गािर सुिनयो छल कृ शातं, छलाह िकएकतँ ओ’िपिसयौत कृ क, िदन बीतल कृ देलिथ वचन दीदीकँे एक, सय अपराध क्षमा हम करब ओकर।

    सय गािर सुनलाक उपरातं चलल सुदश र्न, च कएलक चेिदराजक िशरो दे तखन, सभा म शािंत – पसरल छल जाय, िशशुपाल पु कँे चेिदक ग ी पर बैसाय।

    यज्ञक ि या िनिव र् सपं छल भेल, सभ राजाकँे सस ान िवदा कएल गेल।

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    सभा भवनक चाम ृ क भेल चिच र्त, दयुो र्धन-शकुिन भवनकँे देखल चिकत। नीँचा देिख मगृ-मरीिचका बा ल फाढ़ँ, पािन निह छल हसिल ौपदी ई जािन, अयना सोझँा पारदरशी र् निह ई देखल,

    ओ’ चोिटल भीमक अ हासस ँिवकल।

    आगँा िटक फश र् छल जकरा बझुल, पािन भरल भीजल छल सभ हँसल।

    अपमािनत छल लय युिधि रस ँआज्ञा, चलल हि नापुर शी िह सभ ाता। (अ वतर्ते)

    4. कथा ाइवडु

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    ाइवडु

    “निह एहन को बात निह अिछ”, ई तँ हमर सभक काय र्क अतं त करइए पड़◌ैत अिछ”।

    “ मुदा अहाकँँे ई निह बिुझ पड़◌ैत अिछ जे एिह बेर िकछु बेशी रू भ’ गेलह ुँ अहा ँसभ?”

    “ रूताक तँ को बात निह अिछ। हमरा सभ तँ को िवशेष सचूनाक आधार पर काय र् करैत छी”। ”मािन िलय’ जे हमरा ककरोस ँद ु नी अिछ, आ’ ओिह आधार पर िवभागकँे ओ’ अपन िक् गत ाथ र् आ’ झगड़◌ाक हेतु योग कए सकैत अिछ”।

    “ अहाकँ शकंा ककरो पर अिछ?”

    “ निह हम तँ उदाहरण दय रहल छलह ुँ ”। ” निह हमरा सभ को सचूनाक आधार पर सोझे िबदा निह होइत छी। पिह ओकर गवंेषणा करैत छी, आ’ तकरे बाद एतेक ठाम सच र् करबाक अ मित भेटैत अिछ”।

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    “ मुदा आब अहा ँई किहयो देब जे अहाकँ को गलती निह अिछ, तँ की हमर इ त लौिट कए आयत”। ” एनातँ हमरा सभकँे हाथ-पर हाथ दए बैिस जाय पड़त। मुदा अहँूक गप ठीक अिछ। अहाकँ ित जौ ँ षेवश ो काय र् कए होयत तँ ओकरा पर काय र्वाही कएल जायत।”

    “ की काय र्वाही होयत। हमरा परतँ काय र्वाही भ’ गेल। हमर सभटा बायर टूिट जायत।हम सभ एतेक पुरान छी, तीन पु स ँएिह काय र्मे लागल छी। करबो करब तँ ेंडे ाइन िरमवूल करब। सभ परतँ रेड भ’ गेल, िकछु कतह ुनिह भेटल से के पितयायत”।

    ओकर बातो ठीक छलैक। ई ाइवडुक ापारी एक नबंरक काजक हेतु जानल जाइत छल, मुदा सकंष र्णकँे जे सचूना ा भेल छलि से ओकर िवपरीत छल। मुदा ई रेडतँ खाली गेल। फै री, घर, डीलर सभ ठामस ँटीम खाली हाथ आयल। मुदा आब ऑिफसरकँे की जवाब देताह। नामी कंपनी छल, अिधकारीगण डरा क’ रेडक अ मित सकंष र्णक िक् गत ित ाक देखैत दे छलाह। हेड ाट र्रस ँफोन पर फोन सकंष र्णकँे आिब रहल छलि , भोरतँ रेडमे भइये गेल छल, दस बजे ऑिफसमे िरपोट र् देबाक हेतु कहल गेल छलि । फै रीक

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    मािलक सेहो ए र- ओ रक बात ल’ क’ दस बात सुना देलाकि । ण र् ाइ ना ा ई कंपनीक िद ी धिर पह ुँ िच छलैक। अक भ’ क’ सकंष र्ण भोरमे घर पह ुँ िच मोबाइल ऑफ क’ कय 9 बजेक अलाम र् लगा’ क’ सुतबाक यास करय लगलाह। काि भोरेस ँरेड चिल रहल छल, ई कोना भेल, को ेंडे ाइन िरमवूलक क ा पचीर् िकएक निह भेटल। केस लीकतँ निह भ’ गेल। मुदा केसक िवषयमे सकंष र्णक अितिरक् डायरे र िवजीलेसंकँे मा बझुल छलि । ई सभ िबछौन पर सोिचते रहिथ, तावत िन तँ निह लगलि मुदा 9 बजेक अलाम र् बािज उठल।

    ऑिफसमे सभ ो जेना िहनके बाट तािक रहल छलाह। कतेक गोटे ईहो सुना देलकि , जे एिह केसक इटंेिलजंेस हनुको सभक लग छलि , मुदा एिह तरहक केसमे ेंडेसटाइन िरमवूलकँे िस केनाइ मुिश्कल होइत छैक, तािह हेतु ओ’ लोकिन एिहमे हाथ निह देलि । कानाफूसी होमय लागल जे ब हीरो ब त छलाह, आब ासंफर ऑडर्र ल’ कय िनकलताह डायरे रक ऑिफसस।ँ

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    सकंष र्ण डायरे रक ऑिफसमे गेलाह आ’ सोझे िकछु िदनक समय मािँग लेलि । की ान छि , एिह िवषयमे गप-शप घमुा देलिथ। एिह बेर को कारक को म निह राख’ चाहैत छलाह।

    आब सकंष र्ण ण र् ाइक फै रीस ँ हिट क’ आ’ ओकर डीलरस ँहिट क’ काय र् करए लगलाह। सभटा द ावेजकँे घोिख गेलाह। िकछु कागज पर सेहो िलखय लगलाह। फेर अपन ानक िहसाबस ँपटनास ँअरिरयाक हेतु िबदा भ’ गेलाह।

    पान तँ खाइत निह रहिथ आ’ चाह सेहो घरे टा मे िपबैत रहिथ। मुदा लोकस ँिकछु जनबाक हो तँ िबना चाह आ’ पानक दोकान गे कोना काज चलत। से ओ’ चाह पान शु कएलि । बाबलु दादाक गुलक बला पान नीको ब लागि । तकरा बाद बाबलु दादा अरिरयाक लग पासक सभटा ाइवडुक फै रीक िल द’ देलकि । मुदा फैक् ी सभक पह ुँचबाक रोड सभक भगवा मािलक रहिथ। धलू-ध रमे कहनुा जा’ कय एकटा फै रीक पता चलल जे ण र् ाइकँे स ाइ दैत छल, ओतु ा दरबान सकंष र्णकँे कहलकि जे मािलक दोसर फै रीमे बैसतै छिथ, से द ूटा फैक् ीक पता चिल गेलि सकंष र्णकँे।

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    सकंष र्ण थाकल-हारल ओिह फै री पह ुँचलाह।एक गोट मारवाड़◌ ेस न बैसल रहिथ।

    “कतयस ँआयल छी”। ”आयल तँ पटनास ँछी, मुदा घरुब कोना से निह बिुझ पड़◌ैत अिछ”। ” हँ, एक गोट ताक जेलस ँबाहर गोली मािर कय ह ा क’ देल गेल। ताजी रहिथ तँ जेलमे मुदा घमुय िफरय पिूण र्या ँजेलस ँबाहर िबना िनयमक िनकलल रहिथ। जेलर की करताह। िपछला मास एक गोट कैदीकँे पुरनका जेलर घमुय हेतु निह दे छलिथ तँ भ ा बजारमे गोली मािर देलकि । एिह बेर जे घमुय देलिख तँ सरकार स े ड क’ देलकि । तािह ह् ाक बाद ब क आ ान अिछ। हमरा सगंे रहू।एतय हमहू अपन गे हाउसमे रहैत छी। पिरवार िसलीगुड़◌ीमे रहैत अिछ। िववाह निह भेल अिछ। भोरमे हमरा कलक ा जयबाक अिछ। पिह िसिलगुरी अपन गाड़◌ीस ँजायब तँ ट बदिल क’ पिूण र्या ँबस ै मे अहाकँँे छोड़◌ैत जायब”।

    युवा बज र रहिथ से सकंष र्णकँे नीक लगलि । राितमे गे हाउसमे बहतु ग भेलि । ताक रगंदारीक, च ा बला सभ

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    जबद र् ी रसीद कािट जाइत छलि ।

    “एनामे तँ िबना ेनडे ाइन कए घाटा भ’ जायत, हँ मजबरूी छैक। आ’ तकर दोषी तँ ई ता सभ छिथ। ापारी की करओ”।

    आब मारवाड़◌ी युवा जकर नाम नवल छल क क कनिछया क’ सकंष र्ण िदिश देखलक। सकंष र्णकँे भेलि जे ओकरा को शकंातँ निह भेलैक।

    “ निह ेंडे ाइन निह करबाक तँ िस ातं अिछ हमरा सभक। हँ िकछु एडजे मेटं करय पड़◌तै अिछ”। सकंष र्णकँे यािद पडलि जे कोना ण र् ाइक मािलको बजैत-बजैत बािज दे छल, जे करबो करब तँ ेनडे ाइन िरमवूल करब। तखन करैत की जाइत अिछ ई सभ। ओना अरिरयाक ई फै री ण र् ाइक हेतु ज◌ॉब वकर् करैत छल, आ’ तािह हेतु सरकारी टूीक सभ भार ण र् ाइ पर रहैक। ई ेनडे ाइन किरयो क’ की करत। टै तँ दोसराकँे देबाक छैक।

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    तख एकटा फोन अयलैक। िरगं नमगर रहैक से सकंष र्णकँे बझुबामे भागंठ निह भेलि जे ई बाहरक एस.टी.डी.क◌ॉल अिछ। ओिह क◌ॉलक बाद एकाएक ओ’ युवा सकंष र्ण िदिश तािक कय चु ी लगा’ गेल।

    भनिसया जकरा नवलजी झा स ँसबंोिधत क’ रहल छलाह खेनाइ बिन जेबाक सचूना देलकि । सकंष र्ण आ’ नवलक बीच मा औपचािरक गप भेल। फेर दनु ूगोटे सिूत गेलाह। भोरमे अपन वचनक अ सार ओ’ युवा सकंष र्णकँे पिूण र्या ँबस ै छोड़ि◌ देलकि । उतरबास ँ पिह सकंष र्ण नवलस ँ पुछलि ।“ कलक ामे ण र् ाइक ऑिफस छैक। ओतिह जा’ रहल छी की”। ओ’ युवा हँसल।

    “ अहा ँिविजलेसं स ँछी। हमरा काि जे एस.टी.डी. आयल छल, से ण र्- ाइक कलक ा ऑिफस स ँआयल छल। अहाकँ िवभागेक ो गोटे हनुका सभकँे अहाकँ अरिरया या ाक िवषयमे सचूना

    देलिख । देख ूहम कह छी जे हम मा एडजे मेटं करैत छी। आ’ तािहस ँहमरा कोन फायदा होइत अिछ? टै तँ हमरा लगैत निह अिछ। हँ तािहस ँहमरा काज भेटैत अिछ। आ’ बाहरी छोट-मोट खचा र्, िवभागक,पुिलसक, ताक िनकिल

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    जाइत अिछ। तखन बेश”।

    ई किह ओ’ स न सकंष र्णकँे हत भ करैत चिल गेलाह।

    आब पटना पह ुँ िच कय सकंष र्ण जखन ऑिफस पह ुँचलाह तँ सभकँे बझुल रहैक जे सकंष र्ण तािह फैक् ीक िविजट सरकारी खचा र् पर कएलि अिछ, जकरा पर सरकार टै क माफी दे छैक।

    डायरे स ँ भँेट कएलाक बाद सकंष र्ण पह ुँ िच गेलाह कलक ा। पुिलस थानामे घमुैत रहलाह आ’ पता करैत रहलाह जे ण र्-ाइ आिक ओकर को कम र्चारीक िव को केस छैक तँ निह। मुदा ओतय तँ ण र् ाइ ब नीक छिव ब छल।आब सकंष र्ण सोचमे पड़ि◌ गेलाह। इनपुट-आउटपुट केर अ पातस ँई कंपनी करोड़◌ो पयाक टै क चोिर कए रहल अिछ। मुदा माण को निह। सकंष र्ण ओतु ा थाना सभमे अपन पता आ’ फोन नबंर छोड़ि◌ देलि , जे जौ ँको केस एिह कंपनी िकंवा एकर कम र्चारीक सबंधंमे होय तँ तकर सचूना हनुका देल जाइ ।

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    घ ुिर कए आिब गेलाह सकंष र्ण। डायरे रस ँ कहलिख , जे ोजर िरपोट र् अखन निह देब। देखैत छी िकछु जानकारी

    कतह ुस ँभेटैत अिछ िक निह।

    छह मासक बाद। भोरमे एस.टी.डी. केर िरगं भेल। ” हम कलक ा, साल्ट लेक थाना स ँबािज रहल छी। एक गोटे एकटा कम ेन िलखे छिथ, जे ण र्- ाइ ऑिफसस ँपेमे ट ल’ क’ घरुैत काल हनुकर सटूकेस ऑटो बला छीिन लेलकि , जािहमे िकछु कैश आ’ चेक छलि ”। ” कतेक कैस आ’ कतेक चेक”। ”1.79 लाख कैस आ’ 1.83 लाखक चेक, ायः कैसक को इन ोरेसं रहि , तािह ारे एफ.आइ.आर. करओलि अिछ।चेकक तँ पेमेटं ◌ॉप भ’ जायत”।

    भोरे िबना िरजवे र्शनक सकंष र्ण पह ुँ िच गेलाह कलक ा। आ’ लोकल टीमक सगं ओिह गोटेक घर पर छापा माड़लि जकर पाइ आ’ कैस ऑटो बला छीिन ले छल।

    छापाक बीचमे सकंष र्णकँे एकटा डायरी भेटलि । तकरा बाद पटना फोन क’ अरिरयाक फै रीस ँ नवीनतम िरमवूलक िरटन र् मगँा लेलिथ। फेर ओ’ स न िजनका घर पर छापा पड़ल छल

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    कँे ािंजट िरमाडं पर ल’ क’ पटना आिब गेलाह। र ामे पता चलल जे ओ’ स न नवलक बह इ छलाह, आ’ अरिरयाक फै रीक एकाउ टे ट होयबाक सगंिह, ण र्- ाइक सगं ओकर लाइजन अिधकारी सेहो छलाह।

    आब सभ त सोझँा छल। जे डायरी भेटल छल तािहमे कैस आ’ चेकक क◌ॉलम बनल छल। ितिथ सिहत िववरण छल। चेकक भुगतानक क◌ॉलम अरिरया फै रीक ि यरेसं स ँ िमिल गेल छल, आ’ ईहो िस भ’ गेल जे सभ ाजंे नमे लगभग अदहाक पेमेटं ण र्- ाइ ारा कैसमे देल जाइत छल। आ’ तकर िववरण निह तँ ण र्- ाइक खातामे रहैत छल आ’ निहये अरिरयाक फै रीमे। ण र् ाइ टै सेहो मा चेकक (पिकया) ारा गेल अदहा िरमवूलक पेमेटं पर दैत छल। सकंष र्ण ई िरपोट र् डायरे र कँे द’ देलि ।

    एकाउ टे टक अपराध बेलेबल छलैक। कोट र् ओकरा बेल पर छोड़ि◌ देलकैक। ”नवलक समाचार कहू। ब नीक लोक अिछ। मुदा िकछु बतेलक निह”। ” ओकर काि अरिरयास ँ िस ीगुड़◌ी जाइत काल सड़क दघु र्टनामे म ृ ु भ’ गेलैक िकंवा करा देल गेलैक। जमाय बाबकू सगं एतयस ँसोझे हमरा सभ ओतिह जायब”। एक गोट उ िेजत

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    र जे एकाउ टे ट बाब ू कँे लेबाक हेतु आयल छल बािज उठल।

    “ मुदा ई बिूझ िलय’ जे अहाकँ ई सफलता हमर बरुबकीस ँभेटल अिछ। जौ ँ हम कैसक इन ोरेसं ेमक लालचमे निह पड़ि◌तह ुँ तँ ई सभ निह होइत”। जमाय बाब ूबािज उठलाह। डायरे र ण र् ाइक िव काय र्वाहीक लेल कलक ा ऑिफसकँे िलिख देलि । ण र् ाइक िव करोड़◌ोक ाफ्ट शो-क◌ॉज िटस सेहो पठा देल गेल। सकंष र्न िचतंाम छलाह।“ ठीके

    तँ कहलक नवल। एडजे मेटंे तँ क’ रहल छल। चोिर तँ ो आन क’ रहल छल। ओ’ तँ मा मा म छल। हमहू तँ

    कतह ुनिह बिन गेल छी मा म, नवलक म ृ कु”। --------

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    5. प

    ोित झा चौधरीक प गामक सयूा र् गामक सयूा र् एक अ ुत द ृ यािद पाड़ि◌ चिकत भेलह ुँ , पोखिरक भीड़ पर हम ठाढ़ छलह ुँ आसमानक नीलवण र् भेल रगंमय िदया बातीक मुहतुर्मे सुय र् सबस◌ॅ◌ं िवदा लय

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    िक्षितजमे िवलीन हअु लागल सगं ओकर काशपुजं सेहो भागल सबहक खिरहानमे लालटेन िटमिटमाय छल पक्षी सब समदाओन गािब रहल छल सेहो िन म पड़ि◌ गेल स◌ॉ◌झं राितमे बदिल गेल फेिर स अिगला भोर मे पिक्षगण गायत ाती सब िमिल एक सगं।

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    आ’ आन किवक अ ा किवता होली

    धरुखेलक कादो-मािटस ँरहिथ अक , रगं अबीर भ आयल मुदा लगैछ टका,

    साफ-सुथड़◌ा बझुैत छलह ुँ एकरा मुदा, िनबधं िनकलैत अिछ रगंक केिमकलक, िवषय अिछ पुरनके छल ठीक यौ कका।

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    दा िपनहार सोमरसक चचा र् करैत निह अघाइत छिथ, देवतो िपबैत रहिथ ओकरा पुरनका नामस,ँ अिछ होली,

    िम ता बढ़◌बेास ँबेशी घटा रहल अिछ आइ काि ई।

    6. स ं ृत िशक्षा (आगँा) सुभािषतम ्

    व ादिप कठोरािण मदृिुण कुसुमादिप। लोको राणाम चेतािंस को िह िवज्ञातुमहर्ित।

    ुत सुभािषत अथ र्ः एवम ् अि । कदािचत महापु षाणाम ्चेतािंस( मनािंस) व ादिप कठोरािण भवि । पु ादिप मदृिुण भवि । अतः सुभािषतकारः वदित। कः महापु षाणाम ्ज्ञातुम ्श ोित। ज्ञातुमेव न श मुः।

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    कथा

    च गु ः इित एकः महाराजः आसीत्। सः महाराजः मगधदेशम ्पालयित । मगध देश राजा आसीत्। त अमा ः -च गु अमा ः-चाण ः इित। सः बह ुिव ान ्िन ृहः आचाय र् आसीत्। य िप सः महाराज अमा तथािप सः सरल जीवनयापयित । एकदा च गु ः चाण म ् जा ः दातुम ्कंबलम ्य ित। सः चाण ः त कंबलम ्कुटीरे नयित। । सः सामा कुटीरे वास ंकरोित। शीतकालः आसीत्। सः कंपित । एकः चोरः िम सगं आगतवान।् सः प ित। बहूिन धनािन सिंत। कंबलान ्रािशः अि । परतंु चाण ः न धतृवान।् सः सु वान ्अि । प ी अिप सु वती अि । चाण उठापेत्।चाण मुखापेत प ृ ित।भोः। िकमथ र्म ्आगतव ः। अनतंर ंसः चोरः वदित। शीतकालः अि । िन ा ंकरोित, कंबलान रािशः अि । तथािप न धतृवान।् चाण ः वदित। कंबलाना ंमदथ र् ंन द वान। ाजा ाः िवतरणम ्क ुर्म ्द वान।् अतः अहम ्एतािन कंबलािन न धराम।् तदा चोरः चाण ंप ृ ित। भवान ्कीदशृः दयालुः।िन ृहः अि । वयम ्इतःपरम ्चौरकाय र् ंन कुम र्ः। अतः भवतः सकाशः वय ंिशिक्षतव ः। ते चौरकाय र् ं क् वा स नः भवि । क्षमाम ्याचि । भवतः िन ृहताम ्दषृ् ा

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    अ ाकं ल ा भवित। वयम ्इतःपर ंचौका र्य र् ंन कुम र्ः। इित क्षमायाचन।्

    न ृ ित पु िलका ामे, बालः प ित अवैरामे। िवहसित, गायित,रोदित सा

    यदा सा जीवित बाला। सा अि म हरा बाला, अहं इ ािम पु िलका।

    नमोनमः ।

    स ं ृतभाषा िशक्ष भवताम ्सवे र्षाम ् ागतम।् आर ेमम पिरचय ंवदािम। मम नाम गजे ः।अहं िशक्षकः। भवान वदतु। भवान ्कः। भवती का।

    भवान ्उि तु। भवान ्उपिवशतु।

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    भवान ्उि ित। भवती उपिवशित। भवटंः उि ि । भव ः उपिवशि । उपिवशित- उपिवश ु। वदतु- वद ु। गायतु- गाय ।ु

    अहं एकवचन ंवदािम। भव ः बहवुचन वद ।ु न ृ तु- न ृ ि । अहम ्उि ािम।– अहम ्उपिवशािम। अहं पठािम। वयम ्उि ामः। भव ः उपिवशामः। भवान ्ग ित।– भव ः ग ि । भवती ग तु।– भव ः ग ।ु सः-ते एषः- एते कः- के तत्- तािन एतत्- एतािन िकम-् कािन। अहं ग ािम।

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    वय ंग ामः। भवान ्ग तु-।- भव ः ग ु।

    भवती ग तु- भव ाः ग ु।एत -त (पु.) एत ाः-त ाः(स् ी.) सा ताः एषा- एताः का- काः

    ग तु- ग ु।

    अ कित पु कािन सि । च ािर पु कािन सि । हरीशः गणयतु। कित अ ाः सि । कित पणा र्िन सि । षट ्पणा र्िन सि । कित चमषाः सि । अ चमषाः सि ।

    पा वाः कित जनाः। पा वाः प जनाः। कौरवाः कित जनाः। कौरवाः शत जनाः। वषे र् कित मासाः सि । वषे र् ादश मासाः सि । मासे ि शंः िदनािन सि । प प दश िदनािन सि ।

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    अ ि शंत जनाः सि । अ कित जनाः सि । ि शंत द ाः सि । कित द ाः सि । एषः द ः/ह ः।

    द ः ह े अि । द ः कु अि । एषः आस े अि । एषः तूः।

    एतत् धनम।् धन ंकोषे अि । वा ा र् पि कायाम ्अि ।

    ािलका/फल ं ािलकायाम ्अि । जल ंकू ाम ्अि । अ ु कम ्अ ु ाम ्अि ।

    वकृ्षः- व ृ आपणः- आप िव कोषः- िव कोषे िव ालयः- िव ालये पु कः- पु के

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    िहमालयः- िहमालये मा ः- मागे र् आस ः-आस े

    मि रम-् मि रे नगरम-् नगरे ािलका- ािलकायाम ्

    सिंचका- सिंचकायाम ्

    पेिटका- पेिटकायाम ्

    कूपी- कू ाः घटी- घ ाः अ नी- अ ाः लेखनी- लेख ाः]

    ूते पु कम ्अि । वािटकाया ंफलम ्अि । लेख ाः मसी अि । न ाः नीरः अि । इदानीम ्अहं श य ंवदािम। भव ः योजिय ा/ िमिल ा वदतु।

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    लखनऊ उ र देशे अि । भोपाल म देशे अि । मु ई महाराष् अि । मैसरू कणा र्टके अि । इदानीं भव ः एकेकं वा ंकथयि वः। कः वदित आर े। िशक्षकः िव ालये अि । द ाः मुखे सि । मम गहंृ भारत देशे अि ।

    भारत देशे कु अि । मम गहंृ भारत देशे िबहार देशे अि । िबहार देशे कु अि । िबहार देशे मधबुनी मडंले अि । मधबुनी म ले कु अि । मधबुनी म ले मेहथ ामे अि । मेहथ ामे कु अि । त वै अि । अहं प वाद उि ािम। भवान ्कदा उि ित। भवान ्कदा दतंधावन ंकरोित। अहं सा र् स वाद योगा ास ंकरोिम।

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    अहम ्अ वाद िव ालय ंग ािम। भवती कदा िव ालय ंग ित।

    भवती कदा पजूा ंकरोित। इदानीं कदा इित श म ्उपयो ंप ृ ।ु अहम ्उ र ंवदािम। भवान ्कदा पजूा ंकरोित। अहं प वाद पजूा ंकरोिम। अहं न ीडािम। रवी िदनचरे अ अि । इदानीम ्अहं िच ंदश र्यािम। भव ः वा ं वद ु। रवी ः पादोन अ वाद ान ंकरोित। रवी ः अ वाद अ ाहार ँ ीकरोित।

    (अ वतर्ते)

    7. िमिथला कला- िच कला

    िच कार उमेश कुमार महतो

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    मध ु ावणी अिरपन

    गताकंमे एकर चचा र् छल जे मध ु ावनीमे सगंमे सयू र् च गौर, सािठ आ’ नव हक िच सेहो िलखल जाइत अिछ।

    एकर िच एिह अकंमे ुत अिछ।

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    8. सगंीत िशक्षा (आगँा) गायन काल सेहो सभ राग-रािगनीक हेतु िनि त रहैत अिछ। 12 बजे िदनस ँ12 बजे राित धिर पवूा र्ंग आ’ 12 बजे राितस ँ12 बजे िदन धिर उ रागं राग गाओल-बजाओल जाइत अिछ।

    पवूा र्ंग रागक वादी र मे को एक टा (सा, रे, ग, म, प ) होइत अिछ। उ रागंक वादी रमे (म,प,ध,िन,सा)मे स ँको एक टा होइत अिछ। सयूो र्दय आ’ सयूा र् क समयमे गाओल जआ्य बला रागकँे सिंध

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    काश राग कहल जाइत अिछ।

    रागक जाित

    रागक आरोह आ’ अवरोहमे युक् रक स ं ाक आधार पर रागक जाितक िनधा र्रण होइत अिछ।

    एकर धान जाित तीन टा अिछ। 1. सपंणू र् (7) 2.षाड़व(6) 3.औड़व(5) आ’ एिहमे सामा र स ं ा मशः 7,6,5 रहैत अिछ।

    आब एिह आधार पर तीनकँूे फँेटू।

    सपंणू र्-औरव की भेल? हँ पिहल रहत आरोही आ’ दोसर रहत अवरोही। कहू आब। (7,5) एिहमे सात आरोही र स ं ा आ’ 5 अवरोही

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    र स ं ा अिछ। सपंणू र्क सामा र स ं ा ऊपर िलखल अिछ(7) आ’ औड़वक (5) । तखन सपंणू र्-औड़व भेल(7,5)। अिहना 9 तरहक राग जाित होयत। 1.सपंणू र्-सपंणू र्(7,7) 2.सपंणू र्-षाड़व(7,6) 3.सपंणू र्-औड़व(7,5)

    4. षाड़व-सपंणू र्- (6,7)

    5. षाड़व- षाड़व - (6,6)

    6. षाड़व -औड़व (6,5)

    7.औड़व-सपंणू र्(5,7)

    8.औड़व- षाड़व(5,6)

    9. औड़व- औड़व(5,5)

    थाट:

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    (अ वतर्ते) 9. बालाना ंकृते एका ी

    अपाला आ यी

    पा : अपाला: ऋगवैिदक ऋचाक लेिखका अि : अपालाक िपता

    वै 1,2,3: कृशा : अपालाक पित।

    वेषभूषा

    उ रीय वस् (पु ष), व ल, जहूीक माला(अपालाक केशमे), द ।

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    मचं स ा

    सहकार-कु (आमक गाछी), वेदी, हिव , रथक िछ , युगक िछ , सोझामँे साही, गोिह आ’ िगरग़ि◌ट।

    द ृ एक (आमक गाछीक म एक गोट बािलका आ’ बालक)।

    बािलका: हमर नाम अपाला अिछ। हम ऋिष अि क पु ी छी।अहा ँके छी ऋिष बालक।

    बालक: हम िशक्षाक हेतु आयल छी। ऋिष अि कतए छिथ।

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    अपाला: ऋिष जलाशय िदिश नहयबाक हेतु गेल छिथ, अिबते होयताह। (तखनिह दिहन हाथमे कमडंल आ’ वाम हाथमे व ल ले महिष र् अि क वेश।) अि : पु ी ई कोन बालक आयल छिथ। अपाला: ऋिषवर। आ मवासीक स ं ामे एक गोट विृ होयत। ई बालक िशक्षाक हेतु... बालक: निह। हमर अखन उपनयन निह भेल अिछ। हम अखन माणवक बिन उपा ायक लग िशक्षाक हेतु आयल छी। ई देख ूहमर हाथक द । हम द - माणवक बिन सभ िदन अपन गामस ँआयब आ’ साझँमे चिल जायब। हम वेद म ं स ँअपिरिचत अनचृ छी। अि : बेश तखन अहा ँ हमर िश क पमे िस होयब। िदनक पवू र् भाग हरण िव ाक हणक हेतु राखल गेल अिछ। हम जे म ं कहब तकरा अहा ँ रण राखब। पुनः हम अहाकँ िविधपवू र्क उपनयन करबाय सगं ल’ आनब। बालक: िवपि त गु क चरणमे णाम। (पटा प)

    द ृ द ू

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    (उपनयन स ं ारक अिंतम द ृ । अपाला आ’ िकछु आन ऋिष बालक बािलकाक उपनयन स ं ार कराओल जा चकुल अिछ।)

    अि : अपाला। आब अहाकँ असल िशक्षा आ’ िव ा शु होयत।(पुनः आन िव ाथीर् सभक िदिश घिूम।) अहा ँ सभकँे सािव ी म ं क िनयिमत पाठ करबाक चाही। ॐ भूरभुवः ः त िवतुव र्रे ं भगो र् देव धीमिह िधयो योनः चोदयात्। सिवता- जे सभक रक छिथ- केर वरे - सभकँे नीक लागय बला तेज- प ृ ी, अतंिरक्ष आ’ लोक-सवो र् अकाश-मे पसरल अिछ। हम ओकर रण करैत छी। ओ’ हमर बिु आ’ मेधाकँे िरत करथ।ु अपाला: िप वर।“ ॐ नमः िस म” केर सगं िव ार क पवू र् िशक्षाक अतं त की सभ पढ़◌ाओल जायत। अि : वण र्, अक्षर- र-, मा ा- ह्र् ,दीघ र् आ’ ुत- बलाघात- उदा , अ दा , िरत- शु उ ारण, अक्षरक िमक िव ास- व र्नी-, पढ़बाक आ’ बजबाक शलैी, एकिह वण र्कँे बजबाक कैकटा कार, ई सभ िशक्षाक अतं त िसखाओल जायत। साम सतंान- जेिक सामा गान अिछ- केर मा मस ँिशक्षा देल जायत। अपाला: गु वर। आ मक िनयमस ँ सेहो अवगत करा देल जाय। अि : वनक ाणी अव छिथ। आहाराथ र् फल पवू र्-स ं ामे वन-

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    वकृ्षस ँ एक कएल जायत। ातः आ’ साय ंअि हो होयत, तािह हेतु सिमधा, कुश, घतृ-आ -, एवम ् द ु क व ा ितिदन िमिल-जिुल कय कएल जायत। हिरणकँे िनिव र् आ ममे टहलबाक अ मित अिछ। कद , अशोक, केतकी, मधकू, वकुल आ’ सदूकारक गाछक म आ ममे य िप कृिषक अ मित निह अिछ, पर अकृ भूिम पर तः आ’ बीयाक ारा उ अकृ प अ क योग भ’ सकैछ। बालक: हम सभ एकिह िव ापीठक रहबाक कारण सती र् छी। गु वर। द आ’ कम लक अितिरक् िकचउु रखबाक अ मित अिछ?

    अि : किट मेखला आ’ मगृचम र् धारण क आ’ अपनाकँे एिह यो बनाऊ, जािहस ँ ादशवषीर्य यज्ञ स क हेतु अहा ँतैयार भ’ सकी आ’ महायज्ञक समाि क प ात् ोदय, िवदथ पिरषद आ’ उपिनषद ओ’ अर ससंदमे गभंीर िवषय पर चचा र् क’ सकी। (पटा प)

    द ृ तीन

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    (कुटीरमे ऋिष अि कैक गोट वै क सगं िवचार-िवमश र् कए रहल छिथ।)

    अि : वै गण। बािलका अपालाक शरीरमे क् रोगक लक्षण आिब रहल अिछ। शरीर पर ेत कु क लक्षण देखबामे आिब रहल अिछ। वै 1: कतबा मिहनास ँ कतेको औषिधक िनमा र्ण कए बािलकाकँे खोआओल, आ’ लेपनक हेतु सेहो देल।

    अि : अपाला आब िववाहयो भ’ रहल छिथ। हनुका हेतु यो वर सेहो तािक रहल छी। वै 2: कृशा क िवषयमे सुनल अिछ, जे ओ’ सव र्गुणसपं छिथ, आ’ व ृ माता-िपताक सेवामे लागल छिथ। ओ’ अपन अपालाक हेतु सव र्था उपयु वर होयताह। अि : तखन देरी कथीक। अप सभ उिचत िदन हनुकर माता-िपतास ँसपंकर् क ।

    द ृ चािर

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    (आ मक सहकार-कु मे वैवािहक िविधक अ ान अिछ। वेदी बनाओल गेल अिछ, आ’ ओतय ऋि ज लोकिन जव-तील केर हवन क’ रहल छिथ।) अपाला(मो मोन): माथ पर ि पुडंक भ -रेखा, आ’ शरीर-सौ वक सगं िवनयक मिू र्, ईएह कृशा हमर जीवनक सगंी छिथ। (तख कृशा क नजिर अपालास ँ िमलैत छि , आ’ अपाला नजिर नीँचा कए लैत छिथ।। मुदा स् ी क मया र्दाकँे रखैत ललाट ऊँचे बनल रहैत छि ।) अि : उपि त ऋिष-म ली आ’ अि कँे साक्षी मा त, हम अपाला आ’ कृशा क पािण हण करबैत छी। (अि क दिक्षणा करैत काल कृशा क उ रीय वस् क क नीँचा खिस पड़ल आ’ अपालाक केशक जहूी-माला प ृ ी पर खिस पड़ल।)

    द ृ पाचँ (अ वतर्ते)

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    10. पजंी बधं ी िव ान झा”मोहनजी” प ं ीकार

    अतः िववाहक पिहल चरण अिधकारक िनण र्य रहल होयत। वर पक्ष ओ’ क ा पक्षक लोक पर र बैिस अपन-अपन पिरचयक आधार पर िनण र्य करैत छल होएताह, जे ‘अमुक’ क ास ँ‘अमुक’ वरक िववाह हो वा निह। मुदा पिरचय रखबाक विृ क ासक कार ँ अिधकार-िनण र्यक हेतु के पिरवारक सुयो ओ’ आ ावान ि अपन यावतो पिरचय(32 मलूक उ ेख) िलिख कए राखय लगलाह। सातम शा ीस ँपवू र्िह ए िलिखत कौिलक पिरचय ‘समहू ले ’ क उ खे सव र् थम िव ैरै कुमािरल भ रिचत ‘तं वाि र्क’मे भेल अिछ, जे मीमासंा दश र्नक जैिमनी स ू क शबर ारा कएल भा क ग् ा क ‘वाि र्क’ थीक। तं वाि र्क दश र्नक थं थीक जािहमे यथाथ र् व ुि ितक वण र्नस ँ जाितक

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    िवशुि िस कएल गेल अिछ। जािह आधार पर धम र्क िन पण भए सकैत। कुमािरल भ क कहब छलि जे “ बड़का कुलीन लोक बड़ िवशेष य स ँ अपन जाितक रक्षा करैत छिथ। तैिह त’ क्षि य ओ’ ा ण अपन िपता-िपतामहािदक पर रा िबसिर निह जाए तँे समहू-ले चलौलि । ओ’ ेक कुलमे गुण आ’ दोष देिख ओिह अ प स धं करबामे व ृ होइत छिथ।

    “िविश े व िह य ेन महाकुलीनाः पिरक्षि आ ानम ् अ व िह हेतुना राजािभ ि िप -िपतामहािद पार यो र् िव णाथ र् ं समहूले ािन वितर्तािन तथा च ितकुल ं गुण-दोष णा र्ं तद पाः ित-िनवतृयो द ृ तंे”।

    (तं वाि र्क, अ ाय 1, पाद-2, स ू -2क वाि र्क)

    मुदा तेरहम शता ीक उ राध र् होइत-होइत साधारण लोकक कोन कथा पि त लोकिन समेत समहू ले राखब छोड़ि◌ देलि । एकर पिरणाम ई भेल जे प ंहिरनाथ उपा ाय(धम र्-शास् क महान ज्ञाता) “ ृितसार” सन धम र्शास् क िवषयक थंक ा र् ओ’ महापिंडत पिरचयक अभावमे िववाह कए लेल, जनमे अनिधकारमे अपन साक्षात िपतयौत भाइक दौिह ीमे।

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    फलतः चौदहम शता ीक तीय दशक होइत-होइत एिह कौिलक पिरचयकँे िविश पि तक अधीन कए देबाक आव कताक अ भव कएल जे िववाहक समय अिधकारक िनण र्य कए सकिथ। िमिथलाक त ालीन शासक राजा हिरिसहंदेवक रणास ँिमिथलाक पि त लोकिन शाके 1248 तद सार 1326 ई.

    मे िनण र्य कएलि , जे “ पिरचय राखब लोककँे अपना पर निह छोड़ल जाय, ुत ओकरा सगंिृहत कए िविश पि तजनक िज ा कए देल जाए, ओ’ ई राजकीय एक गोट िवभाग बना देल जाए जािहस ँ पि त राजाज्ञास ँ िनयु होिथ सहै सगंिृहत पिरचय राखिथ। ेक िववाह तखनिह ि र हो जखन िनयु पिंडत(प ीकार) अिधकार जािँच कए िलिखके देिथ, जे अमुक क ा ओ’ अमुक वर ‘ जना’ निह छिथ। अथा र्त् शास् ीयिनयमा सार क ाक सगं वरकँे वैवािहक अिधकार छि । इयैह प ‘अ जन प ’ वा ‘िस ातं प ’ कहौलक। आइयो क ा वरक िववाह पवू र् अिधकार जँचाए िस ातं प लेल आव क बझूल जाइत अिछ। प ी- बधंमे इएह सभस ँ धान िनयम भेल जे िब िस ातं भे िववाह अशास् ीय मानल जायत। ‘अ जन प ’ देिनहार राजाज्ञास ँ िनयु इएह पि त प ीकार कहओलाह। सगंिृहत पिरचय जािहमे ेक नव ज ओ िववाह जोड़ल जाय लागल से भेल प ी। िजनकर प ीमे आएल से भेलाह प ीब ।

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    महाराज हिरिसहंदेव ओ’ त ालीन पि तक सयंु िनण र्य अ सार पिरचेता लोकिनक िनयुिक् कए सम मैिथल ा णक स णू र् पिरचय सगंिृहत कएल गेल। पिरचेता लोकिन घ ुिम-घ ुिम के पिरवारक मु ि स ँ हनुक पिरचय पुिछ िलिख लेल करिथ। सामा ँपे छओ पु षक पिरचय सभ ज त रहिथ। िकछु गोटा एिहस ँ बहतुो अिधक पिरचय ज त रहिथ। एिहना िकछु गोटए मा द ू वा तीन पु षाक ज्ञान रखैत छलाह। जे जतबा ज त रहिथ हनुकास ँओतबिह स ं ह कए हनुकर परूवजक वास- ान, गो , वर तथा हनुक वेद ओ’ शाखाक सचूना िलिख लेल जाइत रहैए। एिह स ं हस ँएकिह कुलक अ क शाखा जे िविभ ा ाममे बसतै छलाह, तकर पिरचय एक भए गेल। एिह पे गो क अ सार िभ -िभ कुलक स णू र् पिरचय ा भए गेल। एिह पिरचय सकंलनक समय सभस ँ मुख मानल गेल बीजी पु ष ओ मलू ामकँे। कारण कौिलक पिरचयक हेतु सवा र्िधक उपयोगी इयैह स ू भेल। िविभ गाममे बसतै एकिह कुलक िविभ ि क कौिलक पिरचय एिह मलू ामक आधार पर सगंिृहत कएल गेल रहए। एिह कार प ीमे अिनवाय र् पस ँमलू ामक उ खे भेल अिछ। प ी- बधंक समय जे ि जतए बसतै रहिथ से हनुक भावी सतंानक ाम कहओलक ओ पिरचय िलखौिनहार अपन पवू र्जक ाचीनतम वास ानक जे नाम कहल से ओिह ि क मलू भेल। एिहना ेक कुलक ाचीनतम

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    ज्ञात पवू र्ज ओिह कुलक बीजी पु ष कहाओल। एकर माणमे एक गोट उदाहरण देखल जाए सकैत अिछ। का प गो ीय एक महाकुल जकर शताविध शाखा िमिथलामे अ व र्मान रहए, सगंिृहत पिरचयक आधार पर मलूतः मा र ामक वासी िस भेलाह। मुदा प ी- बधंस ँबहतु पिहनिह, एकर द ूगोट शाखा

    तः मािणत भए गेल। एक मगँरौनी गामक आ’ दोसर गढ़-गामक। अतः प ीमे आिदअिहस ँम रक सगं-सगं गढ़ ओ मगँरौनी िवशेषण जोड़ल जाए लागल। मुदा उपल पिरचयक आधार पर दनु ू एकिह कुलक द ू शाखा िस भेल। तैय दनु ूकुलक मलू एकिह भेल ओ बीजी पु ष सेहो एकिह भेलाह।

    गो - कहल जाइत अिछ जे सकल गो क सम जन समुदाय एकिह ाचीनतम ज्ञात महापु षक वशंज िथकाह। ईएह ाचीनतम ज्ञात महापु ष गो कहाए सुिव ात छिथ। ी एम.पी. िचतंालाल राव महोदय चािर हजार गो क सचूी तैयार कए छिथ। “ अमरकोष”मे गो क हेतु तीन अथ र् देल गेल अिछ- पव र्त, वशं आ’ नाम। “वाच ” कोषमे गो क एगारह अथ र् देल गेल अिछ- पव र्त, नाम ,ज्ञान, जंगल,खेत,क्ष ,सघं,धन, मा , विृ आ’ मुिन लोकिनक वशं। ाचीन स ं ृत सािह मे गो श क योग ायः वशं वा िपताक नामक लेल भेल

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    अिछ। छा ो उपिनषद (4/4) मे जीवन गु स कामस ँगो पुछैत छिथ तँ हनुक अिभ ाय स कामक कुल अ ा िपताक नामस ँछि , मुदा ऋगवेदमे गो क उ खे चािर ठाम मेघ अथवा पहाड़क लेल आ’ द ूठाम पशु समहू अथवा जनसमुदाय अथवा पशु रक्षक पमे भेल अिछ। अतंतः वशं अथवा पिरवरक अथ र्मे गो श क योग प ातक योग िथक। वशं अथवा पिरवारक अथ र्मे गो क योग सव र् थम छा ो उपिनषदमे भेल अिछ।

    मैिथल ा ण समाजमे गो वशंा-बोधक थीक। मैिथल ा णक सम गो िप धान थीक- अथा र्त् के गो अपन-अपन वशंक ाचीनतम ज्ञात महापु षक नाम थीक। मैिथल ा णमे सभ िमलाए 20 गोट गो अिछ। मैिथल ा णमे सात गोट गो क कुल वि त, सुपिरिचत ओ बहसु ं क अिछ। ई सात गोट गो थीक- 1.शाि 2.व 3.का प 4.सावण र् 5.पराशर

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    6.भार ाज 7.का ायन। शेष 13 गोट गो थीक- 1.ग 2.कौिशक 3.अला ुकाक्ष

    4.कृ ा य 5.गौतम 6.मौ 7.विश 8.कौि 9.उपम ु10.किपल 11.िव ुविृ 12.ति 13.जाितकण र्।

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    ेक गो मे कतौक म ू अिछ। िमिथलामे 153 मलूक ा णक पिरच्अ