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Page 1: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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2

र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल को मित िच न दान करत र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा

(बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क (म य) I

जलपान गह का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I साथ म र ा लखा िनय क ी

िवपीन कमार ग ा I

3

पवाचल भारती वा षक पि का वष 2018

र ा लखा िनय क कायालय पटना नौवा अक सर क

ी िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क

सपादक

ी आशीष कमार वमा भारलस उप िनय क

सपादन सहयोग

ी हम त कमार िम सहायक िनदशक डॉ सल मी कमारी व र अनवादक

ीमती ममता सह िलिपक ी पकज कमार िलिपक

काशक र ा लखा िनय क - कायालय पटना- 800019

पि का म कािशत रचनाए लखक क ि गत अिभ ि या ह I लखक क िवचार स काशकसपादक तथा िवभाग का सहमत होना आव यक नह ह I

4

अन मिणका

रचना रचनाकार िवधा प स

1 िव ीय सलाहकार (र ा सवाए ) का सदश 5 2 र ा लखा अपर महािनय क का सदश 6 3 सर क क कलम स 7 4 सपादक य 8 5 कहत हो तम पा ही लोग िविपन कमार ग ा किवता 9 6 व दावन क गिलय स आशीष कमार वमा भजन 10 7 त हार वा त आशीष कमार वमा किवता 11 8 सीख िजत साद लघकथा 12 9 िह दी का स मान सतोष कमार ाि त किवता 13 10 किव और किवता ग र राय किवता 14 11 कम ही सव प र सिवता कमारी कहानी 15 12 अनमोल अ कत लडा किवता 16 13 मोटमल प यिम कमार किवता 17 14 अ तमन क अिभ ि -III च दन कमार सह किवता 18 15 सफ़र राजीव रजन किवता 19 16 त हा डॉ सल मी कमारी लघकथा 20 17 िज़ दगी का सच सिच ा वमा किवता 21 18 किवता शल कमार समन किवता 22 19 र त डॉ सल मी कमारी कहानी 23 20 कसक डॉ सल मी कमारी लघकथा 24 21 नौकरी दीपक कमार किवता 25 22 बटी काशीनाथ साद वणकार किवता 26 23 सौदा शकर कमार किवता 27 24 िह दी क ित आ था हम त कमार िम कहानी 28 25 मझ मालम नह रण कमारी किवता 29 26 बदर क िज़ आरबीशमा य 30 27 सक प-1 वीण कमार किवता 31 28 जीवन एक छाया काशीनाथ साद वणकार रक सग 32 29 कार राजीव रजन किवता 33 30 जल क मह ा सजीत कमार कहानी 34 31 गाधी प यिम कमार किवता 35 32 गजल डॉ सल मी कमारी गजल 36 33 सबका साथ सबका िवकास िव ण कमार मोदक किवता 37 34 बचपन क याद अिवनाश कमार किवता 38 35 जीवन का सफर अिवनाश कमार किवता 39 36 ायि त राजश कमार क यप कहानी 40 35 व दाव था बनाम वहद आ था रजीत कमार आलख 41 36 मत घबराना रजीत कमार राम किवता 42 37 थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय आिन कमार लख 43

5

र ा लखा िनय क कायालय पटना क हदी ई ndash पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo क 9 व अक का

हदी दवस 14 िसत बर 2018 क काशन अवसर पर I

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

9

कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

10

वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

20

कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

23

र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

24

ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 2: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

2

र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल को मित िच न दान करत र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा

(बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क (म य) I

जलपान गह का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I साथ म र ा लखा िनय क ी

िवपीन कमार ग ा I

3

पवाचल भारती वा षक पि का वष 2018

र ा लखा िनय क कायालय पटना नौवा अक सर क

ी िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क

सपादक

ी आशीष कमार वमा भारलस उप िनय क

सपादन सहयोग

ी हम त कमार िम सहायक िनदशक डॉ सल मी कमारी व र अनवादक

ीमती ममता सह िलिपक ी पकज कमार िलिपक

काशक र ा लखा िनय क - कायालय पटना- 800019

पि का म कािशत रचनाए लखक क ि गत अिभ ि या ह I लखक क िवचार स काशकसपादक तथा िवभाग का सहमत होना आव यक नह ह I

4

अन मिणका

रचना रचनाकार िवधा प स

1 िव ीय सलाहकार (र ा सवाए ) का सदश 5 2 र ा लखा अपर महािनय क का सदश 6 3 सर क क कलम स 7 4 सपादक य 8 5 कहत हो तम पा ही लोग िविपन कमार ग ा किवता 9 6 व दावन क गिलय स आशीष कमार वमा भजन 10 7 त हार वा त आशीष कमार वमा किवता 11 8 सीख िजत साद लघकथा 12 9 िह दी का स मान सतोष कमार ाि त किवता 13 10 किव और किवता ग र राय किवता 14 11 कम ही सव प र सिवता कमारी कहानी 15 12 अनमोल अ कत लडा किवता 16 13 मोटमल प यिम कमार किवता 17 14 अ तमन क अिभ ि -III च दन कमार सह किवता 18 15 सफ़र राजीव रजन किवता 19 16 त हा डॉ सल मी कमारी लघकथा 20 17 िज़ दगी का सच सिच ा वमा किवता 21 18 किवता शल कमार समन किवता 22 19 र त डॉ सल मी कमारी कहानी 23 20 कसक डॉ सल मी कमारी लघकथा 24 21 नौकरी दीपक कमार किवता 25 22 बटी काशीनाथ साद वणकार किवता 26 23 सौदा शकर कमार किवता 27 24 िह दी क ित आ था हम त कमार िम कहानी 28 25 मझ मालम नह रण कमारी किवता 29 26 बदर क िज़ आरबीशमा य 30 27 सक प-1 वीण कमार किवता 31 28 जीवन एक छाया काशीनाथ साद वणकार रक सग 32 29 कार राजीव रजन किवता 33 30 जल क मह ा सजीत कमार कहानी 34 31 गाधी प यिम कमार किवता 35 32 गजल डॉ सल मी कमारी गजल 36 33 सबका साथ सबका िवकास िव ण कमार मोदक किवता 37 34 बचपन क याद अिवनाश कमार किवता 38 35 जीवन का सफर अिवनाश कमार किवता 39 36 ायि त राजश कमार क यप कहानी 40 35 व दाव था बनाम वहद आ था रजीत कमार आलख 41 36 मत घबराना रजीत कमार राम किवता 42 37 थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय आिन कमार लख 43

5

र ा लखा िनय क कायालय पटना क हदी ई ndash पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo क 9 व अक का

हदी दवस 14 िसत बर 2018 क काशन अवसर पर I

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

9

कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

10

वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

11

त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 3: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

3

पवाचल भारती वा षक पि का वष 2018

र ा लखा िनय क कायालय पटना नौवा अक सर क

ी िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क

सपादक

ी आशीष कमार वमा भारलस उप िनय क

सपादन सहयोग

ी हम त कमार िम सहायक िनदशक डॉ सल मी कमारी व र अनवादक

ीमती ममता सह िलिपक ी पकज कमार िलिपक

काशक र ा लखा िनय क - कायालय पटना- 800019

पि का म कािशत रचनाए लखक क ि गत अिभ ि या ह I लखक क िवचार स काशकसपादक तथा िवभाग का सहमत होना आव यक नह ह I

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अन मिणका

रचना रचनाकार िवधा प स

1 िव ीय सलाहकार (र ा सवाए ) का सदश 5 2 र ा लखा अपर महािनय क का सदश 6 3 सर क क कलम स 7 4 सपादक य 8 5 कहत हो तम पा ही लोग िविपन कमार ग ा किवता 9 6 व दावन क गिलय स आशीष कमार वमा भजन 10 7 त हार वा त आशीष कमार वमा किवता 11 8 सीख िजत साद लघकथा 12 9 िह दी का स मान सतोष कमार ाि त किवता 13 10 किव और किवता ग र राय किवता 14 11 कम ही सव प र सिवता कमारी कहानी 15 12 अनमोल अ कत लडा किवता 16 13 मोटमल प यिम कमार किवता 17 14 अ तमन क अिभ ि -III च दन कमार सह किवता 18 15 सफ़र राजीव रजन किवता 19 16 त हा डॉ सल मी कमारी लघकथा 20 17 िज़ दगी का सच सिच ा वमा किवता 21 18 किवता शल कमार समन किवता 22 19 र त डॉ सल मी कमारी कहानी 23 20 कसक डॉ सल मी कमारी लघकथा 24 21 नौकरी दीपक कमार किवता 25 22 बटी काशीनाथ साद वणकार किवता 26 23 सौदा शकर कमार किवता 27 24 िह दी क ित आ था हम त कमार िम कहानी 28 25 मझ मालम नह रण कमारी किवता 29 26 बदर क िज़ आरबीशमा य 30 27 सक प-1 वीण कमार किवता 31 28 जीवन एक छाया काशीनाथ साद वणकार रक सग 32 29 कार राजीव रजन किवता 33 30 जल क मह ा सजीत कमार कहानी 34 31 गाधी प यिम कमार किवता 35 32 गजल डॉ सल मी कमारी गजल 36 33 सबका साथ सबका िवकास िव ण कमार मोदक किवता 37 34 बचपन क याद अिवनाश कमार किवता 38 35 जीवन का सफर अिवनाश कमार किवता 39 36 ायि त राजश कमार क यप कहानी 40 35 व दाव था बनाम वहद आ था रजीत कमार आलख 41 36 मत घबराना रजीत कमार राम किवता 42 37 थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय आिन कमार लख 43

5

र ा लखा िनय क कायालय पटना क हदी ई ndash पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo क 9 व अक का

हदी दवस 14 िसत बर 2018 क काशन अवसर पर I

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

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कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

11

त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 4: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

4

अन मिणका

रचना रचनाकार िवधा प स

1 िव ीय सलाहकार (र ा सवाए ) का सदश 5 2 र ा लखा अपर महािनय क का सदश 6 3 सर क क कलम स 7 4 सपादक य 8 5 कहत हो तम पा ही लोग िविपन कमार ग ा किवता 9 6 व दावन क गिलय स आशीष कमार वमा भजन 10 7 त हार वा त आशीष कमार वमा किवता 11 8 सीख िजत साद लघकथा 12 9 िह दी का स मान सतोष कमार ाि त किवता 13 10 किव और किवता ग र राय किवता 14 11 कम ही सव प र सिवता कमारी कहानी 15 12 अनमोल अ कत लडा किवता 16 13 मोटमल प यिम कमार किवता 17 14 अ तमन क अिभ ि -III च दन कमार सह किवता 18 15 सफ़र राजीव रजन किवता 19 16 त हा डॉ सल मी कमारी लघकथा 20 17 िज़ दगी का सच सिच ा वमा किवता 21 18 किवता शल कमार समन किवता 22 19 र त डॉ सल मी कमारी कहानी 23 20 कसक डॉ सल मी कमारी लघकथा 24 21 नौकरी दीपक कमार किवता 25 22 बटी काशीनाथ साद वणकार किवता 26 23 सौदा शकर कमार किवता 27 24 िह दी क ित आ था हम त कमार िम कहानी 28 25 मझ मालम नह रण कमारी किवता 29 26 बदर क िज़ आरबीशमा य 30 27 सक प-1 वीण कमार किवता 31 28 जीवन एक छाया काशीनाथ साद वणकार रक सग 32 29 कार राजीव रजन किवता 33 30 जल क मह ा सजीत कमार कहानी 34 31 गाधी प यिम कमार किवता 35 32 गजल डॉ सल मी कमारी गजल 36 33 सबका साथ सबका िवकास िव ण कमार मोदक किवता 37 34 बचपन क याद अिवनाश कमार किवता 38 35 जीवन का सफर अिवनाश कमार किवता 39 36 ायि त राजश कमार क यप कहानी 40 35 व दाव था बनाम वहद आ था रजीत कमार आलख 41 36 मत घबराना रजीत कमार राम किवता 42 37 थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय आिन कमार लख 43

5

र ा लखा िनय क कायालय पटना क हदी ई ndash पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo क 9 व अक का

हदी दवस 14 िसत बर 2018 क काशन अवसर पर I

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

9

कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

10

वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

11

त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

12

सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

20

कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

23

र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

24

ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 5: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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र ा लखा िनय क कायालय पटना क हदी ई ndash पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo क 9 व अक का

हदी दवस 14 िसत बर 2018 क काशन अवसर पर I

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

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कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 6: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

6

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

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सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

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कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 7: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

7

सर क क कलम स

इस कायालय ारा कािशत िह दी ई ndash गह पि का ldquoपवाचल भारतीrdquo का नौवा अक आपक सम

तत करत ए मझ हा दक स ता हो रही ह I इसक पव क अक पर िजन पाठक न अपना ब म य बधाई सदश िषत कर हमारा मनोबल बढ़ाया ह हम उनक आभारी ह I हमारा यास रहा ह क सव तम रचना को ही पि का म थान दया जाए साथ ही यह भी यान दया गया ह क नए रचनाकार क नवाक रत रचना को भी जगह िमल I िह दी हमारी रा भाषा क साथ ndash साथ रा ीय एकता क भाषा ह I साथ ही हमारी स कित क सवािहका भी ह I सहजतासरलता एव बोधग यता क तर पर िव क कोई भी भाषा इसक बराबरी नह कर सकती I राजभाषा हदी क चार ndash सार का जो सवधािनक दािय व हम स पा गया ह उसक या वयन क दशा म हम सतत य शील ह I िजन रचनाकार न अपनी सािहि यक रचनाए भज कर इस पि का क काशन को सभव बनाया ह I हम उनक ित हा दक आभार करत ह I

ई ndash पि का क इस अक को भी पाठकगण िचकर एव उपयोगी पाएग I ब पाठको क सहयोग व उनक ित या सझाव क ती ा रहगी I

िविपन कमार ग ा र ा लखा िनय क

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

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कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 8: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

8

सपादक य

ldquoपवाचल भारतीrdquo क नौव स करण क ई ा प को आप सबक सम तत करत ए मझ अितशय स ता का अनभव हो रहा ह I इस पि का म हमार िवभाग क कमचा रय अिधका रय ारा िलखी गई रचना का समावश कया गया ह जो क हमार िवभागीय क मय क रचनाध मता का प रचायक ह I ससार क त धप म एकमा सािह य ही वह साधन ह जो दय और आ मा को शीतलता दान करती ह I सािह य म सिहत का भाव होता ह और यह सिहत का भाव ही हम सपण बना सकता ह I इसक िबना हम अधर होत ह I हमारी राजभाषा िह दी का कोश उ क सािह य स भरा आ ह I इसी म म हमारा यह छोटा ndash सा यास मानो िवराट क ित एक अजिल भर समन क समान ह I आशा ह यह यास हमारी राजभाषा क पोिषत करन म और भी सहायक िस होगा I दय म अ यत उ सकता को धारण करत ए पि का का यह अक अिभसम पत करता I आपक अनमोल सझाव क ती ा रहगी I

आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क रलिनकायालय पटना

9

कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 9: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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कहत हो तम पा ही लोग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

धरती पर जब आ िवभाजन समरसता कस पाओग

इतन लड़कर रोज िनर तर ीत महल या पा जाओग

मन क अ दर भद भरा ह म भवर या बन पाओग

ऐ मन य य भटक रह हो पण शाित या पा जाओग

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

नील गगन म परम शाित ह ह सब कछ सखदाई I जनम-मरण स मि िमलती होती पण रहाई I

कहत हो तम पा ही लोग I नील गगन या पा जाओग

(नील गगन क ाि का मतलब पण वग सख ाि स ह) ( वरिचत)

िविपन कमार ग ा भारलस र ा लखा िनय क पटना

( हदी दवस 14 िसत बर 2018 क अवसर पर)

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 10: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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वदावन क गिलय स

वदावन-वीथी-व लरी-वहद-वण-राग

म दत- िल - छ पग-पग मध पराग अवस अनताप अनगत अिमत आगत िवराग नयनािभराम नीराजिल छलका आसव कशव कशव कशव कशव कशव कशव उर-उ पल अक रत उ दत नव िवहान कल-किल कज किजत अकत करतल अनतान

ानोमय भि वरद स दभि मय ान राधाचरण क कणी रमणीय रव कशव कशव कशव कशव कशव कशव ल अ मय उ म मनोमय सघनानद िवराम तण-त -जीवाजीव-तषािवहीन काम तल-िवतल-अतल-थल-जल शोिभत शिच अिभराम

कठ उ म भावभव-भय-पराभव कशव कशव कशव कशव कशव कशव िववश पग आज न यो सक-स कसिलए एक िनरत दय स पछाय मनोभाव कसिलए अब हास स बोला उसनबस इसिलएबस इसिलए वसधा नभ सम नभ वसधा सम द शत अिभनव कशव कशव कशव कशव कशव कशव

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिनकायालय

पटना

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 11: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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त हार वा त

तय कए ह मन जो अब तक जदगी क रा त सब त हार वा त

दन भर जला सरज गगन म अगार क सज पर सो गया फर शाम क झीनी-सी चादर ओढ़ कर वो जलन क आह और य िमलन क हसरत सब त हार वा त

कछ गढ़ाकछ अनगढ़ा था सपन क ससार म एक ितमा रच रहा था जग क सीमा क पार म मन क हाथ अब तक जो म त रह तराशत वो सब त हार वा त

कोई मर उपवन म भटक रहा था थका आ पा गया फर पख नए जब एक कली न उस छआ व यास जो अब तक रह सधा क धार तलाशत वो सब त हार वा त

यग क चादर बनी एक-एक पल को गथ कर तरा ही नाम अ कत कया उसक दोन छोर पर

मसमपण भावनाए जो पास ह जो पास थ वो सब त हार वा त

आशीष कमार वमा उप िनय क रलिन कायालय

पटना

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

13

िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 12: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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सीख

सरदार व लभ भाई पटल फौजदारी क स िस वक ल थ I एक बार व अदालत म कसी मकदम क परवी कर रह थ I मामला थोड़ा ज टल था I थोड़ीndashसी असावधानी स अिभय को फासी क सजा हो सकती थी इसिलए व गभीरता स सवालndashजवाब कर रह थ I उसी समय एक ि न पटल जी को एक तार दया I पटल जी न उस खोलकर पढ़ा और पनः परवी करन म त हो गए I

जब अदालत उठी तो व घर क ओर चलन लग I एक साथी वक ल न पछा ldquo या बात ह तार कसका था rdquo पटल जी न कहा ldquoमरी प ी का दहात हो गया I तार उसी क बार म था Irdquo वक ल न

आ य स कहा ldquoकमाल ह वहा इतना बड़ा हादसा आ ह और आप यहा बहस करन म लग ह rdquo पटल जी न कहाrdquoकरता भी या वह (प ी) तो जा चक थी या उसक पीछ इस अिभय को भी जान दता rdquo

पटल जी क य बोल दपण ह I बीती ई बात क मित हमार अम य समय को न कर हम वतमान क प षाथ और भिव य क ार ध स विचत कर दती ह I हम इसका अनसरण करना चािहए I िजत साद वयि क सिचव

र ल िन कायालय पटना

13

िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 13: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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िह दी का स मान

दरअसल हमारी मानिसकता ही थोड़ी बीमार ह इसीिलए हमार दश म िह दी उप ा क िशकार ह I हमार मि त क को वष क दासता न जकड़ रखा ह दश म रोजगार क सभावना को अ जी न मजबती स पकड़ रखा ह I हम अपन ब को िह दी िसखान म शम महसस करत ह भरी सभा म ब ारा अ जी बोलन पर गव महसस करत ह सच तो यह ह क भारत म अभी भी िह दी दासता क िशकार ह और अ जी का पर दश म सम व स ात प रवार म राज ह I िह दी - िह दीभािषय क ही उप ा स मजबर ह इसीिलए तो िह दी का भिव य अभी भी कोस दर ह I म कब कहता क िवदशी भाषा का स मान मत क िजए परत अपनी राजभाषा क इ त सरआम नीलाम मत क िजए I आज िह दी पी मा अपन ही घर म दासी ह उसक लायक ब क चहर पर घोर उदासी ह I आइए हम सब िमलकर कछ श द कछ वा यकछ प ित दन िलखकर मा क चरण म अ पत कर आइए ित दन अपन काय क कछ घट राजभाषा को सम पत कर

सतोष कमार ाि त सलअ

लकािसलीगड़ी

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 14: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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किव और किवता

मदम कर द जो श द छ दमय उस श द जाल को मत आको िजस ग वर स िनकल य मोती उस किव क अ तर म झाको I असीम वदना क प रत दाह उर म उपज पलक तक आय आस बन बहन स पहल ndash श द-श द म िनश द समाय I जस ह वीकार उदिध को रिव क दाहक विलत वार किव उर को वीकार िवधाता तरा सब सताप ndash भार I पाकर चड अनल अतर म कभी उदिध नह घबराता ह द वा रद का उपहार जगत म सदा नवजीवन बरसाता ह I पीड़ा पा उपकत ए हम बस एक अराधन और हमारा बहती रह का क स रता हरा ndash भरा हो चमन हमारा I

ग र राय सहायक लखा अिधकारी (सवािनव ) र ल िन कायालय पटना

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 15: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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कम ही सव प र

एक बार क बात ह वामी सदान द जी स उनक िश य न गगा ान करन जान क आ ा मागी I अपन ि य िश य को गगा ान को जान क आ ा दत ए वामी जी न उस एक नीम क लकड़ी का छोटा सा टकड़ा दया और कहा क जाओ और मर इस छोट स लकड़ी क टकड़ को भी पिव गगाजल स धो लानाता क यह भी पिव हो जाय I िश य को ग जी क इस आ ा पर आ य तो आ पर त उसन वसा ही कया और वापस आकर गगा जल स धोए लकड़ी क टकड़ को ग जी को वापस कर दया I इस पर ग जी न उस आ ा दी क वह उस लकड़ी क टकड़ को चबाए I िश य न इस टकड़ को चबात ही थक दया और कहाrdquoग दव यह लकड़ी तो अभी भी कड़वी ही ह Irdquo तब वामी जी न कहा ldquoप म त ह समझाना चाहता था क कवल गगा ान स कोई पिव नह हो सकता I कम स ही पिव ता या अपिव ता होती ह I इसिलए कम ही सव प र होता ह I ldquo सिवता कमारी वलप

र ल िन कायालय पटना

क ीय सरकार का कोई भी कमचारी जो िह दी का कायसाधक ान रखता ह िह दी म कसी द तावज क अ जी अनवाद क माग तभी कर सकता ह जब वह द तावज िविधक या तकनीक कित का ह अ यथा नह I

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अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

31

सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 16: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

16

अनमोल

आस जो आख स बह जाए अनमोल होत ह उन आस का या जो आख म कह थम जाए I र त जो िज़ दगी भर साथ िनभाय अनमोल होत ह उन रशत का या जो जड़ नही पर टट न पाए I अहसास जो लब पर आ जाए अनमोल होत ह उन अहसास का या जो लब पर आकर थम जाए I सबह क रोशनी िज़ दगी क िलए अनमोल होत ह उन सबह का या जो अधर स लड़त ndash लड़त थक जाए I फल जो खशब िबखर अनमोल होत ह उन फल का या जो िखलन स पहल ही मरझा जाए I अ कत लडा िलिपक वल कायालय गोपालपर

अिखल भारत क पर पर वहार क िलए ऐसी भाषा क आव यकता ह िजस जनता का अिधकतम भाग पहल स ही जानता ndash समझता ह और िह दी इस दि स सव ह I - महा मा गाधी

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

18

अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 17: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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मोटमल

कस च का पीसा खात य ही फल नह समात I मटक जसी त द िहलात वो दखो मोटमल आत I चार कदम मोटमल चलकर घट ndash घट भर स तात I बठ गय तो उठना मि कल उठ गय तो बठ ना पात I दस लड़क अदर िछप जाए य झ लप - झोला िसलवात I दिनया िसलवाती ह कता मोटमल त ब िसलवात I प यिम कमार लपवलकायालय (अ )

गोपालपर

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

20

कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 18: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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अ तमन क अिभ ि ndashIII

सनो चलो न आओ एक काम कर वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर I

य हमशा हम िशकायत कर य हरदम अिधकार क बात कर चलो न अब अपन कछ कत का भी िनवाह कर I

उगिलया अपनी य य हरदम एक दज क ओर उठात रह I

य ख चत टाग एक-दसर क य एक-दज क राह क बाधा बन चलो न वतन क राह म िमलाकर कदम स कदम

थाम हाथ म हाथ अब एक-दज क साथ चल I

साल गजर गय कतन इस दश को आजाद ए फर भी धमजाित भाषा क ब धन म य ह हम खद को जकड़ ए

चलो न तोड़ क इन ब धन को अब हम खद को आजाद कर I

जानत तो हो न क आजादी य सहज न िमली ह िमटी ह कतनी हि तया वतन पर तब जाकर आयी य शभ घड़ी ह |

चलो न लगाकर धली माथ स इस पावन धरा क मा क उन अमर सपत को सलाम कर |

सनो चलो न आओ एक काम कर

वाथ स भर इस जीवन क कछ पल दश क नाम कर |

च दन कमार सह वलप

र ल िन कायालय पटना

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सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 19: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

19

सफ़र

ज म लकर ही इसान श करता ह इक सफ़र िनकल पड़ता ह िनत चलन को अनजानी राह पर I कसी क िह स आती ह खिशया ही खिशया तो कसी को िमलती ह काट भरी डगर I बालपन म रहती नह इसा को कोई फ़कर झमता ही रहता ह वो हो रात या हो दोपहर सबस अ छा सबस स ा होता जीवन का यह उ ह काश अपनी यह ज़दगी जाती यह ठहर यवा होत ही उसक मन म भर जाता ह ज़हर और उ िनकल जाती ह उसक ढान म कहर माना क हर यवा क य कहानी नह होती मगर काफ ह समाज को डसन को ऐस लोग म ी भर I व होकर वह डबा रहता ह इस सोच म दन भर या पाया या खोया उसन इस दिनया म आकर दौलत तो कमाया ब त पर िमला या अपन ब पर होता नह उसक बात का कोई असर I न द टटती ह तब जस य बात याद कर उसन भी तो ली नह कभी मा ndash बाप क कोई खबर ज़दगी गजार दी उसन खिशय क तलाश म िज ह पा न सका वो अपना सब कछ हार कर I थक गया वो अब तो खिशय को ढढ कर राह म चलकर अब जीना भी आ दभर I दसर क खशी म अगर वो ढढ लता अपनी खशी तो कतना सखद हो जाता उसका ज़दगी का य सफर I दल को जीतना जो आ जाता उस अगर र त को िनभान का जो सीख लता वो नर दसर क दख ndash दद को जो वो अपना समझ लता तो कतना सरल हो जाता उसक ज़दगी का य सफ़र I

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 20: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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कबर क चाह म जो उसन उ न िबताई होती अगर समय न गवाई होती उसन दसर क राह खोदकर स ाई ndash ईमानदारी और सतोष का वह दौलत पा लता तो कतना सफल हो जाता उसक िज़ दगी का य सफर I राजीव रजन स ल अ ल का

िसलीगड़ी

त हा(लघकथा)

सधाकर बाब अपन पोत क िलए रगndashिबरग ग बार का ग छा खरीदत ए काफ फि लत दखाई द रह थ I बट क नौकरी लगन वाली थी I प ी क म य क बाद अकलापन उ ह खाए जा रहा था I अब वष बाद बट ndash ब और पोत क साथ रहन क ख़शी उनक चहर स टपक रही थी I अचानक मोबाइल क आवाज स उनक त ा दटी और उ ह न बड़ी बस ी स कहा ndashldquoहलो rdquo आवाज आईldquoपापा मझ नौकरी िमल गई ह I िवदश का ऑफर िमला ह I घर आ रहा I कल ही म रखा और स ब को साथ ल िवदश क लाइट पकड़ लगा Ildquo सधाकर बाब जस श य म िवलीन हो गए थ I उनक चहर क ख़शी यकायक ल हो चक थी I उनक हाथ स रगndashिबरग ग बार का ग छा छटकर आसमान म दर तलक उड़ता चला गया I व उस िन वकार भाव स दख रह थ I

डॉ सल मी कमारी अनवादक रलिन कायालय पटना

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 21: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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िज़ दगी का सच

िज़ दगी तो िज़ दगी ह बड़ी ही खबसरत ह I यार ह अपनापन ह

चाहत ह आका ाए ह दल शरीर और दमाग

का तानाबाना ह I समझना इसान को ह समझाना इसान को ह हर क अपनी सोच ह हर क ह अपनी मजबरी I इसी मोहजाल स हम सब को गजरना ह और इसी मोहजाल को समझना ह हसना ह हसाना ह I िज़ दगी को गजारना जीना सीखना और िसखाना ह I

का आ ठहरा आ सहमा आ िझझका आ इसान भी या इसान ह इसान तो वो ह जो गलजार ह I चनौती वीका रए जािगए और जगाइए िज़ दगी खबसरत ह जम कर ल फ उठाइए गजारन क कला पहचािनए और हिसए और हसाइए I

सिच ा वमा वलपरलिन कायालय पटना

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 22: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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किवता

मानव मन म बसती दल क रानी ह किवता मन क भीतर गहर भाव क वाणी ह किवता िज़ दगी क साज प सजाई गई ताज ह किवता धड़कत दल क गहराई का राज़ ह किवता सर तलसी जायसी क गीत का परवान ह किवता

दय स िनकली सच का अहसास ह किवता II मानव ndash मन म भर ए सगीत क िननाद ह किवता जबा स जो कह न पात भाव का िव तार ह किवता मानस किवता गीता किवता बहती जीवन म बनक स रता घर ndash घर गाए जानवाल आरती क थाली ह किवता II किवता जागती ह तो दश क त णाई जाग जाती ह कायर क स त भजाए फड़कन लगती ह रोम ndash रोम म भरती जीव तता िनभय मन क रानी ह क पना क उ िशखर पर दपण दखलाती ह किवता II दनकर क जोशील वर क कार ह किवता म सम पत िमय क पकार ह किवता I

छ साल और च दबरदाई का सहनाद ह किवता जा त रा क रचना का आधार ह किवता II ऐ किवता मरी सिगनी बन जीवन उजा को जलाए रखना I

ण ndash ण म ती का मध ndash कलश अपनी आख स िपलात रहना I गात ndash गात तरी धारा म िनशा का अितम हर भी बीत गया I तर छ द क सग ध म डबकर सारी दिनया को जीत गया II

शल कमार समन लप व ल कायालय गोपालपर

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 23: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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र त

आज फर परी और खशी उलझ रही थ I दोन क लड़न क तज आवाज़ मीता क कान म पड़ी तो

एक टीस - सी ई I दोन बहन का रोज इस कदर लड़ाई ndash झगड़ा करना उसक अदर दद भर दता था I थ तो बि या ल कन बहन क बीच आपसी छोटी ndash बड़ी रिजश स उसका दय दखता था I

कमर म आकर उसन अपनी दोन ब टय स कहा ldquoआओ दखो तम दोन को एक कहानी सनाती तर दादा जी क I rdquo मीता को पता था ब टय को कहािनया पसद ह I दोन ग स म तो थ पर मा क

कहन पर करीब आ ग I मीता अपनी दोन बि य को अगल ndash बगल िलटाकर खद बीच म लट जाती ह I और सनाती ह ldquo

पता ह त ह िजस कार िबना छत का घर नह होता हम सरि त नह रह पात I उसी कार हमार प रवार क छत हमार बड़ ndash बजग होत ह िजनक होन स हमारा प रवार सरि त और सग ठत रहता ह Irdquo

पापा यानी तर दादा जी थ तो परा प रवार इक ा था I सख - दःख सबक साझा थ I साझा च हा था I सार र त को हमन िजया था I पापा िमज़ाज क कड़क तो थ पर उनक दल म प रवार क िलए यार और िज मदारी का अहसास था I िनयम क प थ घर म कसी क भी मनमानी नह चलती थी I घर म िश ाचार कायम था इसिलए कसी भी काम क प रणाम अ छ आत थ I इस बात को हम महसस तो करत पर जतान क कजसी करत थ I

व बड़ ही प तक मी थ I कताब क मह वपण पि य को रखा कत करत और ज टल मसल म उ ह पि य का हवाला द हम समझात I बबाक इतनी क सामन वाला जरा टढ़ी बात तो कर ल ऐस लपटत क वह िबलिबला कर िनकल लता I हमार घर क छत मजबत और महफज़ थी I पर यह अिधक समय तक न चला I धीर ndash धीर कई बीमा रय न उ ह दबोचना श कया I एक हाट अटक न उनक आवाज ही छीन ली मख स श द न िनकलत I अिधकतर इशार स ही बात करत I खान ndash पीन क शौक़ न पापा को परहजी खाना दया जान लगा I हर महीन उ ह 8 स 10 हजार क दवाईया भी खानी पड़ती I उनक बबसी उनक चहर उनक आख स हाव ndash भाव स दखन लगी थी I घर क सार लोग उनक सवा ndash स षा म लग तो रहत पर धीर ndash धीर व भी खीझन लग I बीमा रय का ल बा िसलिसला चला I कसी का ऑ फस छट रहा था कसी क पढ़ाई I र त क बीच थोड़ी अनबन थोड़ी झझलाहट बढ़ गई थी I एक दन पापा हम छोड़ चल गय I उनको गय 2 साल ही ए ह उनक कमी हम टीस द रही ह I छत होत ए भी छत नह ह I घर म सार लोग ह पर उ ह एकजटता क धाग म िपरोनवाली वो शि नह ह I च हा ह पर साझा नह ह I योहार मनत तो ह पर उसम वो तासीर नह रहती I हर तरह क र त ह पर अब वो िश ाचार वह गमाहट नह ह I

सोचती ऐसा कोई चम कार होता पापा पनः हमार बीच आ जात पर सच सच तो सभी जानत ह बीता आ कल और हमशा क िलए िबछड़ र त वापस नह आत I व रहत अगर उ ह सभाल कर सजो कर न रख और अपन र त को उनक भावना को परी िश त स न मान या न अपनाय तो हम भिव य म अफसोस या टीस ही िमलगी I

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 24: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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ldquo र त बड़ नाजक होत ह जब हमार पास होत ह तो उसक क नह करत I परत दर जान पर उस

पनः पान क इ छा होती ह जो सभव नही होता I rdquo मीता अपनी धन म कह जा रही थी I अचानक उस लगा उसक दोन बाह भ ग रही ह I दखा परी और ख़शी क आख स आस क धारा बह रही थी I दोन क दाय ndash बाए हाथ एक दसर को थाम उसक पट पर रख थ I मीता क आख स भी आस बह िनकल परत य आस सकन और खशी क थ I वह समझ चक थी उसक दोन ब टया समझदार हो गई ह I डॉ सल मी कमारी

व र अनवादक र ल िन कायालय पटना

कसक (लघकथा)

समरश वमा एक अतरा ीय याित ा तराक थ I आज उनक क प ी सजाता को लड़क वाल पसद कर गए थ I परत जात- जात लड़क वाल न उ ह उनक बटी क ख़शी का वा ता दकर 25 लाख

पए क माग कर रखी थी I रा ीय ndash अतरा ीय तर पर तराक क िलए जीत गए वण और रजत पदक स वमा जी क घर क आलमारी भरी पड़ी थी िजस दख व फल न समात और आन-जान वाल स बीत दन क क स भी सनात I पहली बार वमा जी िन तज भाव स उन मडल को दख रह थ I अचानक उनक आख स अ धारा बह चली I शीश क आलमारी म सज पदक जस उ ह मह िचढ़ा रह थ I उनक मन म बस एक ही बात चल रही थी क rdquoपदक कमान क होड़ म तो म पसा कमाना ही भल गया Irdquo डॉ सल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 25: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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नौकरी

बड़ी हसीन होगी त ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II सार सख - चन खोकर चटाई पर सोकर

सारी रात जागकर प पलटत ह I दन म तहरी और रात को मगी

आध पट ही खाकर तरा नाम जपत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II अजान शहर म छोटा स ता म लकर कचन बड म सब उसी म सहजकर चाहत म तरी अपन मा ndash बाप और दो त स भी दर रहत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II राशन क गठरी को िसर प उठाए अपनी मायसी और मजब रय को िछपाए भीड़ स खचाखच भरी न म िबना टकट क सफर करत ह I सार यवा आज तझप ही मरत ह II इटरनट अख़बार म तझको तलाशत तर िलए प ndash पि काए पढ़त ndash पढ़त ब ीस साल तक क उ म भी कवार फरत ह त कतनी हसीन ह ऐ नौकरी सार यवा आज तझप ही मरत ह II दीपक कमार लप

वल कायालय गोपालपर

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 26: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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बटी

ई र क अमानत ह बटी घर क ख़शहाली ह बटी I जब ज म लती ह बटी दो प रवार को जोड़ती ह बटी I सबह क करण ह बटी आगन क झकार ह बटी I नया जोश भरती ह बटी याग और बिलदान ह बटी I चाद क शीतल छाया ह बटी िव ासी और साहसी ह बटी I धान क बीज क तरह ह बटी ज मती कह फलती कह और ह बटी I नाम स महान ह बटी दान म बड़ा क यादान ह बटी I जाती जहा उजाला करती ह बटी बार-बार याद आती ह बटी I बटी क क मत उनस पछो िजनक पास नह ह बटी I बटी एक अनमोल हीरा ह पर सबक नसीब नह ह बटी I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी ल कायालय िसलीगड़ी

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 27: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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सौदा

खनकत ह जहा िस र त ndash नात म िबक जात जहा इसान चद िस म होती नह कोिशश वहा वफा िनभान म I ितजारत होती जहा मोह बत क पाब दया लगती जहा उड़ान पर कर िशकायत कसस वहा कसा ईमान ह जमान म मरा आदमी मफिलसी म बदन रह गया नगा अब लाश रोन लगी कफन क िलए वीरान म उस मालम ह िबन लकड़ी मझ ह जलना लगा ह इसिलए वो खद को िम ी बनान म I कहा पर खो गई इसािनयत कहा पर खो गई स ाई हर आदमी लगा ह नफरत स घर सजान म िजसको दखो वही लगा ह चमन जलान म I क मत लगती जहा मि जद क सौदा होता जहा म दर का वहा या ह सजदा भजन म अगर सरहद हो घायल वतन या ह िमटान म I मरी िज़ दगी क भी क मत लगाया दखो चद िस म मझ भी खरीदा दखो आदमी िबकता ह कस तरह बाजार म कफन जो खरीदा ह या पहन दखा उस कसी जनाज म I शकर कमार व ल प लका िसलीगड़ी

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

40

ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 28: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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िह दी क ित आ था

िह दी भाषा का अिधक ान न होन क बावजद िह दी को रा भाषा क प म चा रत- सा रत करन क िलए दशभ और िस गाधीवादी नता डॉ प ािभसीतारमया अपन सार प पर पत कवल िह दी म ही िलखत थ I एक िह दीतर भाषी और िह दीतर दश क िनवासी को िह दी का िहमायती होन क कारण डाकघर क कमचा रय को उनस िचढ़ थी य क िह दी न जानन क कारण प को िषत करन म उ ह असिवधा होती थी I डाक अिधका रय न डॉ रमया को कहलवाया क व अपन प पर पता िह दी म िलखन क बज़ाय अ जी म ही िलखा कर I इसस डाक िवतरण म आसानी होगी और डाक प चन म िवल ब भी नह होगा I पर त डॉ रमया को डाकघर वाल का यह परामश अ छा नह लगा I उ ह न प श द म कह दया क भारत क रा भाषा िह दी ह इसिलए व अपन प वहार म कह न कह िह दी का योग अव य

करग I उनक इस उ र स डाकघर वाल झझला उठ और उ ह चतावनी दत ए कहा ldquoय द आप भिव य म प पर िह दी म पता िलखग तो आपक प अपन थान पर प चग ही नही I उ ह डड-लटर ऑ फस भज दया जायगा Irdquo क त जो अपन म स होत ह और अपन ण पर अिडग रहत ह उ ह कोई आसानी स मात नह द सकता I आ भी यही डॉ रमया न प पर िह दी म पता िलखन का अपना म यथावत जारी रखा I अत म डाक िवभाग को ही हार माननी पड़ी I मज़बर होकर उ ह न मछलीप म क डाकघर म एक िह दी का

ान रखन वाल ि क िनयि कर दी I इस तरह िह दी क जीत ई I य द हर कोई ऐसा ही दढ़ िन य कर तो वा तिवक प म िह दी दश क रा भाषा और मातभाषा बनन का पण गौरव ा कर सकती ह I

हम त कमार िम सहायक िनदशक रलिनकायालय पटना

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 29: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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मझ मालम नह

कछ को समझ कछ को नादानी चािहए कछ को अधरा कछ को ताबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई ल हा मानी चािहए II कछ को मह फल कछ को वीरानी चािहए कसी को साथी कसी को इक दीवानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई अधरी कहानी चािहए II कछ को मिजल कछ को राह क िनशानी चािहए कसी को दवा कसी को हमदद क महरबानी चािहए I मझ या चािहए मझ मालम नह शायद कोई दद हानी चािहए I I कसी क सननी ह और कसी को सनानी ह सबक अपनी ndash अपनी अलग एक कहानी ह I मरी या कहानी ह मझ मालम नह कछ कहािनया अनकही भी रह जानी चािहए II आख म कछ दद ह कछ होठ पर हसी कोई जीत पर इतरा रहा कोई हार पर दखी I कौन स ज बात टकाऊ ह मझ मालम नह िबन बात भी लब पर कभी म कराहट आनी चािहए I I रण कमारी सलअ बगडबी

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 30: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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बदर क िज़

एक बार कछ व ािनक न एक बड़ा ही रोचक योग कया I

उ ह न 5 बदर को एक बड़ स पजर म बद कर दया और बीच -बीच एक सीढ़ी लगा दी िजसक ऊपर कल लटक रह थ I जसा क अनमान था जस ही एक ब दर क नज़र कल पर पड़ी वो उ ह खान क िलए दौड़ा I पर जस ही उसन कछ सी ढ़या चढ़ उस पर ठड पानी क तज धार डाल दी गयी और उस उतर कर भागना पड़ा I पर योगकता यह नह क I उ ह न एक ब दर क कय गए क सजा बाक बदर को भी द डाली और सभी को ठड पानी स िभगो दया I

बचार ब दर ह -ब एक कोन म दबक कर बठ गए I

पर व कब तक बठ रहत कछ समय बाद एक दसर ब दर को कल खान का मन कया और वो उछलता कदता सीढ़ी क तरफ दौड़ा I अभी उसन चढ़ना श ही कया था क पानी क तज धार स उस नीच िगरा दया गया और इस बार भी इस ब दर क ग ताखी क सज़ा बाक बदर को भी दी गयी I एक बार फर बचार ब दर सहम ए एक जगह बठ गए I

थोड़ी दर बाद जब तीसरा ब दर कल क िलए लपका तो एक अजीब वा या आ I

बाक क ब दर उस पर टट पड़ और उस कल खान स रोक दया ता क एक बार फर उ ह ठडा पानी क सज़ा ना भगतनी पड़ I अब योगकता न एक और रोचक काय कया I अदर बद बदर म स एक को बाहर िनकाल दया और एक नया ब दर अदर डाल दया I

नया ब दर वहा क िनयम या जान I वो तरत ही कल क तरफ लपका I पर बाक बदर न झट स उसक िपटाई कर दी I उस समझ नह आया क आिख़र य य ब दर ख़द भी कल नह खा रह और उस भी नह खान द रह I ख़र उस भी समझ आ गया क कल िसफ दखन क िलए ह खान क िलए नह I इसक बाद योगकता न एक और परान ब दर को िनकाला और नया अदर कर दया I इस बार भी वही आ नया ब दर कल क तरफ लपका पर बाक क बदर न उसक धनाई कर दी और मज़दार बात य क िपछली बार आया नया ब दर भी धनाई करन म शािमल था I जब क उसक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था

योग क अत म सभी परान ब दर बाहर जा चक थ और नए ब दर अदर थ िजनक ऊपर एक बार भी ठडा पानी नह डाला गया था I

पर उनका वहार भी परान बदर क तरह ही था I व भी कसी नए ब दर को कल को नह छन दत I

दो त हमार समाज म भी य वहार दखा जा सकता ह I जब भी कोई नया काम श करन क कोिशश करता ह चाह वो पढ़ाई खल मनोरजन ापर राजनीित समाजसवा या कसी और स सबिधत हो उसक आस-पास क लोग उस ऐसा करन स रोकत ह I

आर बी शमा व र लखा अिधकारी

रलिन कायालय पटना

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 31: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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सक प-1

ई र न बड़ यार स कतना खबसरत ाड बनाया इस सरज चाद और िसतार स सजाया उसक बाद बड़ ही यार स इस धरती को बनाया इस न दय झील पहाड़ और पड़-पौध स सजाया पहल जलचर फर नभचर उसक बाद थलचर को बनाया फर अत म इसन अपन सबस यार जीव मानव को बनाया

इसक हर छोटी-छोटी ज रतो को यान म रखा पीन क मीठा जल खान को अ और फल रहन को ाकितक घर बनाया बोलन क शि और सोचन-समझन को मि तक बनाया सोचा होगा उसन क मर ारा बनाई गई यह जाित बड़ यार स िमलजल िन य नय कितमान बनाएगी पर इस मानव जाित क सोच तो दखो

ाकितक न दय पर ही बड़ ndash बड़ कि म बाध बनाए जगलो को काट बड़ - बड़ कल-कारखान और शहर बसाए पहाड़ो को काट समतल भिम और रा त बनाए िह द मि लम िसख ईसाई धम बनाए आज इसका द प रणाम तो दखो कह बाढ़ ह तो कह सखाड़ ह कही भ खलन तो कह बीमा रय का भाव ह िजस हम बड़ यार स नाम ह दत ाकितक आपदा का भाव ल कन हम उस कित दत मि त क स सोच तो या िजसन इतन यार स मानव जाित को बनाया वह कर सकता ह या इसका सहार आओ हम सब िमलकर यह सक प ह लत अपन जीवन म एक पड़ तो ज र लगाय हमस िजतना सभव हो कित दत चीज को बचाए जो बट गए ह हम एक-दज स जाित और धम क नाम पर फर स एक मानव जाित क प म एक-दज स बध जाय

जसा सोचा था ई र न वसा ही एक ससार बनाय I

वीण कमार वलप र ल िन कायालय पटना

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 32: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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जीवन एक छाया

एक समय क बात ह I शरीर और आ मा क बीच आपसी सवाद चल रहा था I शरीर न आ मा स कहा ldquo म कतना सदर आकषक बलवान I rdquo आ मा न शरीर स कहा ndashldquo तम अपनी अप ा मझ अिधक सदर आकषक और बलवान बना दो I त हारी य िवशषताए मर सदर ए िबना िणक ही ह I मझ सदर बनाकर तम भी द सौ दय स य हो जाओग I rdquo क त शरीर क समझ म कछ नह आया I वह िणक आकषण क उलझन म जीवन समा करता रहा I शरीर स आ मा क अलग होन का समय आ प चा तो शरीर को ात आ क य द आ मा को भी उसन सदर बनाया होता शि दी होती तो उसका भी व प िनखर गया होता I मरन क बाद भी उस याद कया जाता I चलत ए अत समय म आ मा बोली ldquo म तो जाती I य द तम समय स चत गए होत ा शरीर का सदपयोग कर अपन मन को सदर बनात तो अमर हो जात I शरीर सनता रहा और आ मा नया ज म लन चली गई I

ldquo लबा ह सफर आएग पड़ाव कई पड़ाव को ना समझ मिजल वना ह गी गलितया कई I

काशीनाथ साद वणकार सहायक लखा अिधकारी

ल कायालयिसलीगड़ी

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कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 33: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

33

कार

म भी इसा तम जसा मझ दख सदा ही जग य हसा नादा ह य सब जग वाल िजसन भी मझपर तज़ कसा I लाचार अपन तन स मगर िह मत स म लाचार नह िडगा द मर इराद को ऐसा भी कोई अवतार नह I मत करना तम य भल ह मानव कमजोर हम न समझ लना आ म शि क हम ह धनी हमस न कभी लोहा लना I हमस न कभी लोहा लना I I

राजीव रजन स ल अ लका िसलीगड़ी

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 34: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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जल क मह ा

जब स सीमा क पित सरश का थाना तरण इस शहर म आ ह तब स उनका प रवार पानी

क क लत स परशान ह I सबस अिधक परशानी तो सीमा क पाच वष य बट हष को ह I पहल वह दन म दो - तीन बार नहाता था और घट शावर क नीच बठ मज लता रहता था I ल कन अब तो

जस एक बा टी पानी भी मि कल स िमलता ह और उस पर म मी क सौ ndash सौ िहदायत अलग I हष कहता ldquoपापा आप हम कहा ल आए हम वापस ल चिलए Irdquo सरश म कराकर रह

जाता I मन म सोचन लगता क थानातरण क िलए जो तीन थान का िवक प दया था अगर वहा थानात रत हो जाता तो इतनी परशािनय का सामना नह करना पड़ता I मगर मझ उन तीन

िवक प को छोड़कर कसी अ य थान पर थानात रत कर दया गया I इस कारण उसक प रवार को अिधक परशािनय का सामना करना पड़ रहा ह I

व लोग िजस मकान म रहत थ उसी क पास वाल मकान म रहन वाल कदन क प ी बी स सीमा को दो ती हो गई थी I एक दन सीमा जब बी क घर गयी तो उस समय वह रसोई म थी I वह दाल ndash चावल सि जय को अ छी तरह धोकर गद पानी घर क पड़ - पौध व लान म डाल रही थी I

ldquoम तो ऐसा पानी नाली म बहा दती ldquo सीमा मन म सोची I बी क पित दाढ़ी बना रह थ I अचानक सीमा का यान वाश बिसन क नल पर गया I वह

बद था I lsquoआप क यहा पानी नह आ रहा ह rsquo सीमा न पछा I ldquoआ रहा ह Irdquo कहत ए बी क

पित न वाश बिसन का नल खोलकर दखाया I फर बोल ldquoपर आप य पछ रही ह rsquo ldquoकछ नहीrdquo ऐस ही I सीमा बोली और सोचन लगी क उसक पित श वग करत समय वाश

बिसन का नल खला ही रखत ह I िजसस ब त सारा पानी बकार ही बह जाता ह I कछ दर बाद सीमा अपन घर लौट आई I सीमा अपन पित स बोली ldquoम सोच रही

सचमच पानी क बहद कमी ह I ल कन फर भी बी क घर क पानी सबधी व था सचा प स चल रही ह Irdquo

ldquoहा हम अख़बार व पि का म पानी क कमी और पानी क बचत क बार म खब पढ़त तो रहत ह ल कन हमन कभी भी इस सम या पर यान ही नह दया Irdquo सरश न अफसोस जतात ए कहा I

lsquoवाकई हम अब सावधान हो जाना चािहए I रोजमरा क जदगी म ज रत क िहसाब स पानी इ तमाल करन क आदत डालनी चािहए िजसस क पानी का उिचत उपयोग हो I थ क बबादी नह I rdquo सीमा न गभीरतापवक यह बात कही I

ldquo हा तम ठीक कहती हो I पानी का िवक प पानी ही ह I rdquo सरश न कहा I ldquoसबस पहल हम पानी बकार नह करन का सक प लना चािहए rdquo सीमा न अपन पित स कहा I

पानी क थ बबादी रोकन स उसक घर म पानी क क लत सबधी परशािनया दर हो ग I अब सीमा और उसक प रवार का समय अ छी तरह गजरन लगा I

ldquo जल नह तो कल नह ldquo

सजीत कमार लप गोपालपर पर

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 35: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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गाधी

भारत का स मान ह गाधी I इस यग क पहचान ह गाधी I चौराह पर खड़ ह गाधी I मदान क नाम ह गाधी I दीवार पर टग ह गाधी I पढ़न - पढ़ान म ह गाधी I राजनीित म भी ह गाधी I मजबरी का नाम ह गाधी I टोपी क एक ाड ह गाधी I वोट म गाधीनोट म गाधी I अगर नह िमलत तो वह ह I जनमानस क सोच म गाधी I

प यिम कमार

लप वल कायालय (अ )

गोपालपर

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

44

(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 36: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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गज़ल

इशा क भीतर रज और आग ब त ह कोई बफ क चादर िबछाए तो या बात हो दल और ज बात म द रया ब त ह गलीच दल ममह फल चमन सजाए तो या बात हो कहत हो तम क मझ िलखना नह आता अपनी न म स मरी ग़जल तराशो तो या बात हो त और म क ब दश क सीमाए खची गई हम इस क फ़यत को िमटाए तो या बात हो त ही ई र त ही जीसस खदा क नमत भी त भल रजो र क शमा खलस क जलाए तो या बात हो नफरत क ढर पर दहकत अ फाज़ क तीिलया रख दी गई गर इनस राह रौशन कर तो या बात हो डॉसल मी कमारी व र अनवादक रलिनकायालयपटना

हदी क मा यम स सार भारत को एकता क धाग म िपरोया जा सकता ह - दयान द सर वती

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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सबका साथ सबका िवकास

अब हम सब का ह य नारा सबका साथ सबका िवकास ह कतना यारा ऐसी सरकार ह आई लोगो म खिशया ह छाई दख क लहलहाती फसल कसानो क मन म खिशया लहराई अब ना रह सखा और न बाढ़ क चता सरकार हमारी धान म ी फसल बीमा योजना जो लाई II अब ना कोई गरीब बक स दर होगा अपनी बचत अपन पास होगा िबना पस क खात खलवाए सबको साथ ह जोड़ा धान म ी जन - धन योजना स II घर - घर का अिधयारा दर भगान अब तो ऐसी योजना ह आई चमक सरज रात को गावो म दीन दयाल उपा याय ाम योित योजना स II बरोजगारी क त वीर जो बदली ह इिडया अब जो माट हो चला ह अपना काम अपना वसाय अब तो भारत म टाट अप इिडया योजना जो छाई II छोट - मोट कारोबा रय क मदद करन लोगो को सहारा दन

धान म ी म ा बक योजना जो आई II हर आदमी का बस एक ही सपना एक यारा ndash सा घर हो अपना सबक सपन को परा करन धान म ी आवास योजना ह आई II जन-जन म ाित ह आई व छता क जोत जगाई अब जो सव छ भारत अिभयान हमारा गाधी क व को परा करन भारत को िव ndash पटल पर लान ऐसा छ भारत अिभयान हमारा II ब टय क न रह शादी क चता और न उनक पढाई क चता लोगो म िव ास भरन सक या समिध योजना आई य क शान ह ब टया जान ह ब टया प रवार क म कान ह ब टया

ब टयो को बचान ब टय म आ म स मान बढ़ान बटी बचाओ बटी पढाओ यह हम सब क ह योजना घर-घर क मिहलाओ को दलान स मान भोजन बनान म इधन को जलान म हो रहा था जो ाकित का नकसान और घर क ी को िमली च हा फकन स मि धान म ी उ वला योजना जो आई II काल धन का काला राज िजसस फलात आतक राज आत कयो क कमर तोड़न उठाया नोट बदी का अहम फसला सबन ब त साथ दया सबका ब त स मान आ II अब हम सबका बस एक ही नारा सबका साथ सबका िवकास II िव ण कमार मोदक

िलिपक र ल िन कायालय पटना

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 38: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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बचपन क याद

एक बचपन का जमाना था िजसम खिशय का खजाना था चाहत चाद को पान क थी पर दल िततली का दीवाना था I खबर न थी कछ सबह क न शाम का ठकाना था थक कर आना कल स पर खलन भी जाना था I मा का यार था और प रय का फसाना था बा रश म कागज क नाव थी और घर म ममता क छाव थी वो एक बचपन का जमाना था I

अिवनाश कमार लप वलका(अ य णी )

गोपालपर

सिवधान क 8 व अनसची म 22 भाषाए शािमल ह ndash 1 असिमया 2 बा ला 3 गजराती 4 िह दी 5 क ड़ 6 क मीरी 7 मलयालम 8 मराठी 9 उिड़या 10 पजाबी 11 स कत 12 तिमल 13 तलग 14 उद 15 सधी 16 क कणी 17 मिणपरी 18 नपाली 19 ड गरी 20 बोडो 21 मिथली 22 सथाली

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

Page 39: र Cा लेखा उप िनयं ¢क ) I 2018.pdf · 7 संरक क कलम से इस कायालय Çारा §कािशत िह `दी ई –

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जीवन का सफर

बा रश क पानी स समदर तक छोटी चनौितय स बड़ बवडर तक मील का सफर तय कर आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I लहर क चचलता िलए मकाम क उ मीद तफान स साहस िलय अनभव क बिनयाद प हमशा कछ नया सीखती आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I ब त िमल राह म साथी और हमसफर थोड़ी दर साथ चल फर चल अपनी डगर कछ को साथ िलए कछ को पीछ छोड़ आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I मिजल कहा ह मालम नह पर पाना ह उस इतना ह यक शायद यही सोच क इतना बढ़ी चली आई ह बचपन क वो कागज क क ती काफ दर चली आई ह I

अिवनाश कमार ल प वल कायालय गोपालपर

सरलता स सीखी जान यो य भाषा म हदी सव प र ह

- लोकमा य बाल गगाधर ितलक

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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ायि त

ldquo ज दी क िजए बाबजी कह न छट न जाए I मा तम भी ज दी करो नह तो गाड़ी छट जाएगी और हम लट हो जाएग I rdquo ीनाथजी क कान पर मानो कोई हथौड़ा चल रहा हो I हो भी य न आिखर बटा कह घमान तो ल नह जा रहा था I वह अपन माता- िपता को बनारस क कसी व ा म म छोड़न जा रहा था I प ी क रोज-रोज क तान स एक दन हरीश न ठान िलया क वह अपन माता- िपता को व ा म छोड़कर आएगा I उसन अपन पापा को समझाया ldquo पापा आप वहा ब त सखी रहोग I वहा आपको कई साथी िमलग I और हा बचपन म आप बताया करत थ क बनारस म मरन वाला मो को

ा करता ह I इसिलए आप िवलब न क िजए I कह ऐसा न हो यहा बीमारी क कारण आप चल बस और आपक यह इ छा भी धरी रह जाए I और मा त ह तो म दर जाना पसद ह I वहा अनक म दर ह दन भर तम दशन करना I यहा तो क पना स भी त हारी नह बनती ह Irdquo ldquoल कन बटा ब मर िबना कस रहग rdquo सािव ी दवी न आस होकर कहा I ldquoउसक फ तम मत करो मा वस भी त हार साथ उसक स कार खराब हो रह ह Irdquo बट क बात सनकर ीनाथजी और सािव ीजी को कछ सझ नह रहा था I व सोच रह थ क या यह उनका ही बटा ह िजसक एक ख़शी क िलए व जान योछावर करन को तयार रहत थ I कस तरह उ ह न उसका लालन-पालन कया यह भला उनक अित र कौन जान सकता था I सािव ी न ीनाथजी क कध पर हाथ रखत ए कहा ldquo अजी मरा िब कल मन नह कर रहा ह जान का I कपया आप ही समझाओ I rdquo ीनाथजी न कहा rdquoनह र जाना तो होगा I आज म समझ गया क जो जसा बोता ह उस वसा ही काटना पड़ता ह I याद ह हमन भी अपन माता-िपता क इ छा क िवपरीत उ ह मथरा छोड़ दया था I कस व कह रह थ क मझ अपन स अलग मत रखो I ल कन उस व हमन भी कोई दया नह क I तो आज हम उसी कम क सजा भगतनी पड़गी I इतन म क पना भी आ धमक और कहा ldquoय रहा आपका सामान I ज दी जाइय नह तो न छट जाएगी I और हा वहा स बार-बार फोन मत क िजयगा नह तो बकार म सभी को परशानी होगी Irdquo दोन आशीवाद दत ए घर स िनकल पड़ और मन ही मन सोच रह थ शायद यही उनका ायि त हो I

राजश कमार क यप वलप रलिनकायालयपटना

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

44

(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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व ाव था बनाम वहद आ था

व ाव था अथातवहद आ था I आ मा न कभी बढी होती हन जवान होती ह I बढा तो शरीर होता ह I इस अव था म ि पा रवा रक कत को सप कर िन त जीवन जीता ह I जीवन क स ाईय स वह पणतया अवगत होता ह I अनभव करन क बाद अथात ि वभवपदाथदह इन सबक आसि ख म हो जाती ह I इसी कारण उ क इस पड़ाव म भगवान म यान लगाना सहज हो जाता ह I इस अव था म कमि य म चचलता नह उतावलपन का रोग नह ित पधक वि नह ई या - ष क बीमारी नह बदल क भावना नह उ जना का कहर नह होता I

हमार घर म बड़ ndash व स आशीवाद लन क पर परा ह I ब पिव होत ह िनमल होत ह परत उनस आशीवाद नह िलया जाता I कारण ब म िनमलता का बीज तो ह पर परोपकार क भाव नही I स यता क धप तो ह पर ह का पानी नह ह I क णा का सहयोग नह क टलता और ज टलता पी काट नह ह पर शभ ndash भावना क खाद भी नह ह I अहकार का क ड़ा नह ह पर दािय व - बोध भी नह ह I सरलता क उजा तो ह पर गभीरता क उ मा नह ह I यही कारण ह क लोग बजग स आशीवाद लत ह जो एक ग रमापण अतलनीय ि व क धनी होत ह तथा िजनक पास समप जीवन होता ह I ऐस व जन अपन अनभव का सदपयोग करक सपक म आन वाल को लाभाि वत अव य करत ह I

रजीत कमार डी ई ओ रलिनकायालयपटना

42

मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

43

थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

44

(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

45

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

47

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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मत घबराना

कौिड़य म उछालत ह इ त यहा नीलाम हो ही गया तो या घबराना x 2 सास चलन का एहसास नह होता कभी-कभी यहा मर भी जाए अगर तो या घबराना x 2 कछ भी सह लन का द तर बन गया ह यहा कोई कपड़ भी उतार ल तन स तो या घबराना x 2 लाख कोिशश क बाद भी नह समझा पात ह यहा लोग हम ही नासमझ कह द तो या घबराना x 2 तकलीफ या हवो बाटन को राजी नह यहा गर हम ही िनदयी समझ तो या घबराना x 2 मखौट क पीछ िछप िमलत ह लोग यहा जमाना हम भी बह िपया समझ तो या घबराना x 2 जीवन िमला ह तो लड़कर जीना सीखना पड़गा यहा सर उठाकर लड़कर तम हार भी गय तो या घबराना x 2 समानता-असमानता गरीब-आमीरऊच-नीच क भाव स भरी ह दिनया यहा इ ह िमटान क कोिशश म िमट लीिजए तो या घबराना x 2 जीवन ह एक सघष द ह रा त भी िमलग यहा ईमानदार सघष करक इन रा त को पार न भी कर पाए तो या घबराना x 2 िज़ दगी ह यह ब त स मौक दती ह यहा कछ अवसर पर गर चक भी गए तो या घबराना x 2 ऐ ब द त हौसला रखचनौितयाद ा रया बवफाई बईमानी सब िमलग यहा जीवन एक सघष ह त इनस मकाबला करत ए मत घबराना x 2 जीवन अनमोल एक बार िमला ह इस िनरथक मत गवाना x 2 सघष क पथ पर चलत जाना ndash तम मत घबराना ऐ ब द त मत घबराना ndash मत घबराना मत घबराना ndash मत घबराना रजीत कमार राम लखापरी क रलिनकायालयपटना

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

44

(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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थानीय लखा परी ा कायालय एक सि प रचय

जसा क िव दत ह र ा लखा िवभाग सन 1747 स दश क अनवरत सवा करता आ रहा ह I इस सबस पराना िवभाग (भारत सरकार का)होन का गौरव ा ह I वा तव म इसका इितहास

वणा र म िलखा जान यो य ह I वतमान म यह िवभाग अ य त सम पत आधिनक सचना ौ ोिगक स कदमताल िमलान वाला परी मी उजावान और ल य क ित सम पत िन ावान होकर काय का कशल िन पादन कर रहा ह I

भारतवष का भगोल ही इसका भगोल ह I अत यहा िविभ दश क अनकानक भाषा बोलन ndash

समझन एव िविवध स कित स जड़ लोग एक साथ काय करत ह I यही इस ग रमा दान करता ह I इसस वातावरण सरल व िचकर तथा सबध मधर व गाढ़ बनता ह I

इस िवशाल वटव क बार म िव तार स िलख पाना मझ जस अ प ारा सय को दीया दखान क

समान होगा I म आपको थानीय लखापरी ा कायालय क बार म बताना चा गा I ीय िनय क क अधीन काय

करनवाला यह कायालय स पण भारतवष म फला आ ह तथा अ य त ही मह वपण काय का कशलतापवक िनपटान करता ह I अत य िनय क कायालय क फ ड क आख ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी िनय क कायालय का थानीय िव ीय ितिनिध होता ह I

इस िवशाल भारतवष क वा सर ा क जबाबदही भारतीय सना पर ह साथ ही उस मह वपण

आत रक काय एव ाकितक आपदा स बचाव का काय भी करना पड़ता ह I

अत इनका रखरखाव वतन ndash भ ा साजो ndash समान क िलए एक िवशाल िव ीय व था भारत सरकार को करनी पड़ती ह I सरकार िविभ काय क िलए िनिध (सवधािनक ावधान एवम बजट क मा यम स ) आब टत करती ह और यह स हमारा काय ारभ होता ह जो िन वत ह - (i) िव ीय सलाह- सना क स म िव ीय ािधकारी को समय ndash समय पर िव ीय सलाह दान करना िनयम एवम िविनयम स अवगत कराना आब टत िनिध (G F R D S R F R-1 II D F P M ) का सदपयोग करना थानीय लखापरी ा अिधकारी क टी होती ह I साथ ही िविभ य या म िनय क क थानीय िव ीय ितिनिध क प म स य साझदारी करना नीलामी या म भी ितिनिध बन भारत सरकार क लोक िनिध (Public Fund) का एक सश हरी क प म काय करना इस मह वपण बना दता ह I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

46

हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

48

कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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(ii) लखापरी ा - यह अ य त मह वपण काय ह I थानीय लखापरी ा अिधकारी अपन अधीन थ (सलअवलपलप)क ारा टीम िनमाण कर िनय क कायालय क िनदशानसार इस महती काय का िन पादन करता ह I इसक िलए कायालय यािनयम एवम िविनयम का ान िन ा पारद शता एव भारतीय सना क गहरी समझ रखन वाला अनभवी टीम अ य त ही उपयोगी सािबत होता ह I (iii) लखाकन - यह भी अ यत ही मह वपण काय ह I िवशषत जहा (असिनक िसिवलयन) एवम औधोिगक कायबल ह I स य फाम एवम छावनी प रषद म इसक िवशष ता बड़ काम क होती ह I (iv) िविवध -सवा पजी क सतत लखापरी ाका मक स जड़ िव ीय भगतानसवा ndash िनवित स सबिधत काय एवम अ य कई तरह क िव ीय उलझन का िवशष परामश यानी सलाहइसक काय को चार चाद लगा दता ह I

म आभारी इस िवभाग का एवम व र अिधका रय का िज ह न मझ रलिन कायालय पटना क अ तगत थानीय लखा परी ा अिधकारी (सना) पानागढ़ (पब) क महती िज मवारी स पी ह I कत इस रा का िजसन मह वपण अवसर दया भारतीय सना क िव ीय िच ता को दर करन काएक सफल एवम साथक पहल करन का और वह भी मौिलक िवचार क साथिनयम ndash िविनयम क अनकल एवम तय सीमा क अदर वह भी पारदश रीित स I

अिन कमार लअ(दअ) रामगढ़

हदी क योग क िलए िवषय 2018-19 का वा षक काय म स काय िववरण ldquoकrdquo ldquoखrdquo ldquoगrdquo

1 हदी म मल प ाचार 1 क स क को 1001 ख स क को 90 1 ग स क को 55 2 क स ख को 1002 ख स ख को 90 2ग स ख को 55 3क स ग को 65 3 ख स ग को 55 3ग स ग को 55

4क स क व ख 1004ख स क व ख 904 ग स क व ख 55 क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क क रा यसघ रा य क कायालय ि कायालय ि कायालय ि

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

49

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल िश कगण (बाय) एव अिधकारी तथा कमचारीगण I

म य कायालय पटना म अ तरा ीय योग दवस पर आयोिजत काय म म शािमल म य आितिथ महाडाकपाल पव ी अिनल कमार (बाय) माननीय र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा एव उप िनय क ीमती ीित त ग रया I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

50

र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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हदी पखवाड़ा 2017 का शभार भ (बाय) एव िवजता ितभागीय को शी ड दान करत ए त कालीन र ा लखा िनय क ी मकश कमार िस हा I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत ितयोिगता म सफल अ याथ गण (बाय) एव ीमती ीित त ग रया र ा लखा उप िनय क ी आशीष कमार वमा र ा लखा उप िनय क ी अ कत पा डय र ा लखा सहायक िनय क एव अ य अिधका रय क

साथ राजभाषा अनभाग क का मक I

हदी पखवाड़ा 2017 क दौरान आयोिजत स कितक काय म क दौरान तती दत कायालय क का मक (बाय) एव उपि थत अिधकारी और कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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कग म शािमल म य कायालय क का मक

कग म शािमल म य कायालय क का मक

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल ारा कायालय प रसर म व ारोपण I साथ म ी िवपीन कमार ग ा र ा लखा

िनय क (बाय) I

िशश सदन का लोकापण करत ए र ा लखा महािनय क महोदया ीमती मधिलका पी सकल I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I

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र ा लखा महािनय क ीमती मधिलका पीसकल एव र ा लखा िनय क ी िवपीन कमार ग ा क साथ कायालय क अिधकारी

एव कमचारीगण I