रा एव धमंके पनथान हतु े धािमुक मािसक...

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रा एव धमके पनथान हते धािमक मािसक पिका गीत मधर पीत मधर भ मधर स मधरम । प मधर ितलक मधर मधरािधपतेरिखल मधरम ।। अथ : आपके गीत मधर ह, आपका पीना मधर है, आपका भोजन हण करना मधर है, आपका शयन करना मधर है, आपका प मधर है, आपका ितलक मधर है, हे मधरताके ईश, ीकण, आपका सब कछ मधर है । || वय राे जागयाम परोिहता: || वैशाख, किलयग वष ५१२१ (२० अैल - १८ मई २०१९) वष १ / माकं

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रा�� एव धम�के पन��थान हते धािम�क मािसक पि�कां ु ु

गीत मधर पीत मधर भ� मधर स� मधरम ।ं ं ं ं ं ं ंु ु ु ु ु ु ्�प मधर ितलक मधर मधरािधपतेरिखल मधरम ।। ं ं ं ं ंु ु ु ु ्

अथ� : आपके गीत मधर ह,� आपका पीना मधर है, आपका भोजन �हण करना ु ुमधर है, आपका शयन करना मधर है, आपका �प मधर है, आपका ितलक मधर ु ु ु ुहै, ह ेमधरताके ईश, �ीक�ण, आपका सब कछ मधर है ।ु ृ ु ु

|| वय रा��े जागयाम परोिहता: ||ं ृ ु

वैशाख, किलयग वष� ५१२१ (२० अ�ैल - १८ मई २०१९)ुवष� १ / �माकं २

शेष भाग --------प� �. १२ परृ

इ�दौरके मानपर �े�म� िनमा�णाधीन वैिदक उपासना पीठके ुआ�मम� स�पिटत नव च�डी य� किलयग वष� ५१२१ के ु ुचै� श�ल �ितपदासे ततीयातक ( ६,७,८ अ�ैल २०१९ ु ृको) भावपण� वातावरणम� स�प�न ह�आ । यह िविश� य�, ूिह�द रा��क� �थापनाम� एव ं वैिदक उपासना पीठके ूआ�मक� िनयोिजत �क�प�के िनमा�ण काय�म� �थल एव ंूस�म �तरक� बाधाओकंो दर करने िनिम� िकया गया था ! ू ूइस य�म� इटलीक� सािधका �ीमती मोिनशा कमार, ुउनक� माताजी एव ंउनके भतीजे भी उपि�थत थे, साथ ही म�बईके नव िववािहत साधक द�पती �ी िवनय कमार एव ंु ु�ीमती कित कमारी भी उपि�थत थ� । इस य�का ृ ुपौरोिह�य �ी �मोद शमा�जीने िकया, वे �वय ंभगवतीके उपासक ह� और उ�ह�ने सब पव�िस�ता एव ं पजन, ू ूमन:पव�क अपनी परोिहत म�डलीके साथ पण� क� । इस ू ु ूकाय��मके म�य यजमान वैिदक उपासना पीठके दहेलीके ुसाधक �ी चैत�य दवे थे । वे एक िदवस पव� ही काय��मक� ूपव�िस�ता हेत पह�चं गए थे ! उ�ह�ने तीन िदन िनमा�ण ू ु�थलपर नविनिम�त �यानमि�दरम� राि� िनवासकर दवेी भगवतीक� अख�ड �योितको भी ���विलत रखा एव ं�ितिदनके पजाक� सभी पव�िस�ता करके रखते थे िजससे ू ूइ�दौरसे आनेवाले परोिहत म�डलीका समय �यथ� न हो ! ुआपको बता द � उपासनाका िनमा�णाधीन आ�म इ�दौर नगरसे ४७ िकलोमीटरक� दरीपर ि�थत है ! इस य�का ूशभार�भ िविधवत पचंदवेता, ६४ योिगिनय�, १६ ुमातकाओ,ं प�याहवाचन, नव�ह इ�यािदका ृ ुपजनसे ह�आ । इसके प�ात पांच िव�गण�ारा स�पिटत नव ू ु

चडंी पाठ दो िदवस ह�आ एव ंअि�तम िदवस चडंी य� स�प�न ह�आ ! इस य�म� मानपरके �थानीय साधक भी उपि�थत थे ुऔर वह�के साधक �ी �याम परमार एव ं�ी राकेश शमा�ने इस य�के �चार-�सार हेत कछ भीती-प�क भी लगाए । इस य�म� ु ुदसर ेिदवस जानापावके (�ी परशराम ज�म-भिम �े�के) िवकास करनेवाले �ी मह�त १०८ �ी ब�ीन�द ��चारीजी ु ूूमहाराज भी य�म� पधार ेथे और उ�ह�ने इस अन�ानके आयोजनसे �स�न होकर कहा, “आपके अन�ानका म�य उ�े�य ु ु ुअव�य पण� होगा ! अ�छा ह�आ आपने स�पिटत चडंी य� करवाया, यह बह�त शि�शाली य� होता है ।” यह उस भिमक� ू ु ूिवशेषता ही है िक वहां अभी कोई रहता भी नह� है; िक�त स�तव�दके चरण पडने लगे ह� ! िवशेषकर जब कोई अन�ान होता है ु ृ ुतो कोई न कोई स�त वहां अव�य आते ह� और अन�ानको आशीवा�द दकेर हम� अनगिहत करते ह� । इस काय��मम� उपि�थत ु ु ृमानपर �ामका एक आठ वष�य बाल साधक �ी �� �तापको जो तीन माहसे मानपरके सा�ािहक स�सगंम� आ रहा है, उसे ु ुय�के हवन क�डम� अि�नदवेके दश�न ह�ए और साथ ही उ�ह� आस-पास य�के समय स�मसे चमगादड भी िदखा ( यहां ु ूचमगादड अिन� शि�य�के ही �प थे ।) उसे ऐसी अनभित कभी ह�ई नह� थी; इसिलए वह बह�त भोलेपनसे यह बता रहा था ! ु ूय�के म�य यजमान �ी चैत�य दवेको भी जो अनभित ह�ई वह इस�कार है - ु ु ू

िनमा�णाधीन उपासनाके आ�मम� च�डी य� भावपण� वातावरणम� स�प�नु

देव �तितु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०१ ु ृ

अथ� : वाणीक� अिध�ा�ी, उन दवेी सर�वतीको म� �णाम करता ह�,ं िजनक� कपासे मन�य दवेता बन जाता है ।ृ ु

देव�व �ितप��त े यदन�हतो जना: ।।ं ु सर�वित च ता नौिम वागिध�ातदेवताम । ं ं ृ ्

ज�मम�यजरा�यािधभय नैवोपजायते ।।ंृ ुअथ� : वासदवेके भ��का अशभ कदािप नह� होता; उनम� ज�म, जरा, �यािध, ु ुभय एव ंम�य आिद दोष कदािप स�भव नह� होते ।ृ ु

न वासदेवभ�ानामशभ िव�ते �विचत ।ंु ु ्

अथ� : हे श�भो ! हमार े�दय�पी आकाशम�, आप सय�के समान अपने तेजसे ूचार� ओर िघर ेह�ए, �ान�ि�को रोकनेवाले, इस अ�ानके अ�धकारको दर ूकरनेके िलए �कट हो जाए ं! सय� िजस�कार अपने तेज-�काशसे राि�ज�य ूअ�धकारको दर कर दतेा है, उसी�कार आप भी यिद हमार े�दयम� �कट रह�गे ूतो अव�य ही हमारा भी कछ न कछ अ�ान�पी अ�धकार दर हो जाएगा ।ु ु ू

िदननाथ इव �वतेजसा �दय�योि�न मनागदेिह नः ।।ु महतः प�रतः �सप�त�तमसो दश�नभेिदनो िभदे ।

An©U _yë` - < १०

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B©_ob : [email protected] OmbñWb (website) : www.vedicupasanapeeth.org

gånH©$ : +91 9717492523] 9999670915 (+ 91 9717492523 / 9999670915)

अथ� : शभ उपदशे दनेेवाले, वयोव�, �ानी, ु ृधम�शा��म� �वीण, ऐसे लोग�क� सदवै सेवा करनी चािहए !

शभोपदेश दातारो वयोव�ा बह�ताः ।ु ृ � ु

अितिथ त िवजानीयात शेषम�यागत िवदः ।।ं ं ं् ु

िच�ता�वरो मन�याणा �धा िन�ा बल हरते ।ं ं ं ंु ु ्

कशला धम�शा�ेष पय�पा�या महम�हः ।।ु ु ु ु � ु �

ितिथपव��सवाः सव� �य�ा येन महा�मना ।

अथ� : ितिथ, पव�, उ�सव, ये सब जो �यानम� लेता नह�, वही अितिथ है, दसर ेसब तो अ�यागत कहलाते ूह� ।

�पम�साहबि�द �� जीिवत च न सशयः ।।ं ं ंु ुअथ� : िच�ता �व�पी �वर (बखार) भख, न�द, बल, ु ूसौ�दय�, उ�साह, बि�, समि� और �वय ंजीवनको भी ु ृहर लेता है ।

अितप�रचयादव�ा सतत गमनादनादरो भवित ।ंमलये िभ�लपर��ी च�दनत� का� ु

िम�धन क�ते ।।ं ुअथ� : अित प�रचयसे उपे�ा और बार-बार जानेसे अनादर होता है । मलय पव�तपर भील-�ी च�दनक� लकडीको इ�धनके �पम� उपयोग करती है ।

शा� वचन

१. १ दवे �तित ु

आ. शकंा समाधान १०

�. िवषय िववरण प� ृ �माकं

२. स�पादक�य ३

३. �ीग� उवाच ४ु

४. धम�धारा

५अ. सवचनु

इ. सगण ग�के िनग�ण िनराले मा�यम ११ु ु ु

७. घरका वै� ३०

९. �ेरक �सगं ३५

१०. साधक�क� अनभितया ं ३७ु ू

११. स�त च�र� ३ ८

५. �वर िचिक�सा २५

६. द�ध िचिक�सा २७ ु

उ. उि�� कौ�तेय १५

स�म जगत १३ूई.

८. वेद�म� व��का माहा��य ३३ृ

वै�दक उपासना

ñdm_r, àH$meH$, _wÐH$, d¡{XH$ CnmgZm nrR>H$o {bE मैसस� �ीरंग ऑफसेट, १२३, देवी अिह�या माग�, BÝXm¡a go (_.à.)

_w{ÐV H$amH$a H$m`m©b` : १५०/~r d¡embr ZJa, BÝXm¡a (_.à.) go àH$m{eV

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०२ ु ृ

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ि��ता�द २०१९ के चनावम� लोकसभा हेत भोपाल �े�से सा�वी ��ा िसहंको 'भारतीय जनता पाट�'�ारा अपने प�म� ु ुसहभागीकर, उ�ह� अपना ��याशी बनाकर, पव� म�यम��ी और कां�ेसके नेता िदि�वजय िसहंके िव�� चनावम� उतारा है । ू ु ुसा�वी ��ा वह नाम है, िजनका नाम 'भगवा आतंकवाद' या िह�द आतंकवादके साथ कां�ेस एव ंवामप�थी दल��ारा जोडा ूजाता रहा है । भाजपा�ारा उनके ��याशी बनाए जानेके �करणसे किथत धम�िनप�� वग�क� क�ठा, �याकलता, वेदना, पीडा ु ुइ�यािद उनके िह�द�ोही व��य�से �प� होने लगी है । ू

लोकत��के महाय�का आर�भ हो चका है । सभी दल अपनी ओरसे िभ�न-िभ�न ��याशी सामने ला रहे ह� । आरोप-ु ु��यारोप जो वत�मान भारतीय राजनीितका मल माना जाता है, वह भी आर�भ हो चके ह� ।ू ु

सा�वीजीका िवरोध कर रहे लोग�का कहना है िक वे �यायालय�ारा �ितभितपर (जमानतपर) म� क� गई हं�; अतः उ�ह� ू ुचनाव नह� लडना चािहए, जबिक उनसे जब यह पछा जाता है िक अमेठीसे �ी. राह�ल गांधी और रायबरलेीसे �ीमती ु ूसोिनया गांधी भी 'नेशनल हेरा�ड' �करणम� इसी �कार �ितभितपर म� ह� और इस दशेम� ऐसे और िकतने ही नेतागण ू ुिभ�न आरोप�के अ�तग�त �यायालय�ारा �ितभितपर अपने सिंवधान �द� अिधकार�के अनसार चनावी समरांगणम� ह� तो ू ु ुउनके मखपर ताले लग जाते ह� । आज रा��को समी�ा करनेक� आव�यकता है िक आतंकवादक� प�रभाषा �या है ? �या ुकेवल वह मोटरसाइिकल िमलनेके कारण, िजसे वे धमाक�से दो वष� पव� बेच चक� थ�, िकसीको आतंक� घोिषत करना ू ुआतंकवाद है या 'अ�लाह ह� अकबर'के उ�ोष लगाते ह�ए गोली मारना, िह�दओसें भर ेरलेयानको जलाना, व�द ेमातरमसे ुघणा करना, पथकतावािदय�-िजनका सीधा स�ब�ध आतंिकय�से िस� ह�आ है, उनको समथ�न दनेा; आतंिकय�का ृ ृसहयोग करनेवाले यवाओकंो अपने ब�चे बताना या िकसीको कािफर कहना, यह आतंकवाद है ? और आतंकवादी �या ुमा� शकंाके आधारपर बनाया जा सकता है, जैसे सा�वीको बनाया गया है ? चाहे भाजपा�ारा यह िनण�य िवल�बसे िलया गया हो तथािप उसके इस िनण�यका �वागत िकया जाना चािहए । िबना अपराधके एक दशकतक अमानवीय यातनाए ंझेल चक� सा�वी ��ा िसहंको भाजपाका यह िनण�य न केवल 'आिंशक' �याय �दान करगेा; अिपत कां�ेस शासनम� किथत ु ु'भगवा आतंकवाद'के नामपर �तािडत िकए गए िनद�ष िह�दओकंा भी �वर बनेगा । इस चनावका प�रणाम �या होगा ? यह ुु२३ मईतक समयके गभ�म� है; पर�त इस चनावके साथ ही यह �प� हो जाएगा िक यह दशे यहांके अनािदकालसे वासी रहे ु ुिह�द स�ंकितके प�धर�के मतसे चलेगा अथवा िवदशेी िवचार और िव�से पोिषत िह�द स�ंकितके िवरोिधय�के मत�से ?ृ ृू ू

सा�वी ��ा िसहं ठाकर २००७ के रा��ीय �वयसेंवक सघंके (आरएसएस) �चारक सनील जोशी ह�याका�डम� भी ु ुआरोपी थ�; िक�त �यायालय, उ�ह� सभी आरोप�से म� कर चका है । ४८ वष�य सा�वी ��ा म�य �दशेके िभडं जनपदके ु ु ुकछवाहा गांवम� ज�म� तथा 'आरएसएस' व 'एबीवीपी'क� सि�य सद�य रही ह� । िव� िह�द प�रषदक� मिहला इकाई दगा� ू ुवािहनीसे भी स�ब� रह�; िक�त मालेगांव धमाकेम� नाम आनेसे उनका जीवन पण�तः प�रवित�त होकर क�दायी हो गया । ु ू

तथाकिथत धम�िनप�� नतेाओकंो रास नह� आ रहा है सा�वी ��ा ठाकरका भाजपा�ारा ��याशी बनाना ु

�ात�य है िक सा�वी ��ा िसहं ठाकर मालेगांव धमाकेके उपरा�त चचा�म� आई थं� । २९ िसत�बर २००८ को मालेगांवम� ुएक मि�जदके बाहर एक 'मोटर साइिकल'म� धमाका ह�आ । इसम� छह लोग�क� म�य ह�ई थी और १०० चोिटल ह�ए थे । इस ृ ुिव�फोटम� �थम िकसी मि�लम समहके होनेके प�के �माण थे; पर�त उ�ह� छोड, केवल एक ‘मोटर-साइिकल’के ु ू ुआधारपर सा�वी ��ाको पकडा गया । य�िप दशेके �यायालय सा�वीको �ितभितपर (जमानतपर) म� कर चके ह�; ू ु ुतथािप िह�द�ोही मानिसकताके नेताओकंो सा�वी ��ाका ��याशी बनना, गलेके नीचे नह� उतर रहा है, तभी कां�ेस ूसिहत उमर अ�द�ला और महबबा म�ती जैसे नेता जो आतंिकय�के समथ�क 'प�थरबाज�'को अपना ब�चा बताते ह�, ुु ूआतंकको समथ�न दनेेवाली स�ंथाओकें �ितब�धका िवरोध करते ह�, वे सा�वी ��ापर �ितभितपर बाहर होनेके कारण ूचनाव न लडनेका सझाव द ेरहे ह� और उ�ह� वापस कारावासम� डालनेक� मांग कर रहे ह� । ु ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०३ ु ृ

स�पादक�य

किलयगम� साधना करवाकर लेनवेाले ग�का मह�वु ुिह�द रा�� आव�यक ू

िनकट भिव�यम� सभी राजनीितक प��के चनावी ुघोषणाप�म� िन�न आ�ासन दनेेक� �पधा� होगी, “हम जीतकर आए तो म�काक� या�ाका �यय हम करग� े । सभी मसलमान�को घर दग� े और उनका 'घरखच�' भी ुहम ही चलाएगें । सभी िनजी और शासक�य सेवाओमं� (सरकारी नौकरीम�) ५०% �थान मसलमान�के ुिलए आरि�त होगा । रा�य एव ंके��ीय म��ीम�डलम� भी ५०% आर�ण मसलमान�को दग� े । भारतका ु�धानम��ी मसलमान होगा इ�यािद ।ु

साभार : मराठी दैिनक सनातन �भात

नामजपम� वैखरी वाणीका लाभ

एक भी ��ाचारम� एव ंुस�म शासक�य िवभाग िदखाइए एव ंउसके �थानपर अनेक कोिट �पये लीिजए !' ऐसी घोषणा करनेपर �पये

लेनेवाला कोई नह� होगा । यह है, भारतीय�को िदया गया लोकत��का उपहार । आइए, इसे समा� करने हेत ुिह�द रा��क� �थापना कर � !ू

ग�कपायोगम� �वभावदोष तथा अह ंु ृिनम�लनको �धानता देनकेे कारणू

सकंट आनेपर अथवा म�यके समय 'मसलमान' ृ ु ुअ�लाहका, 'ि��ती' यीशका, 'बौ�' ब�का तथा 'जैन' ु ुमहावीरका नाम लेते ह� । इससे उनको थोडी-बह�त शाि�त िमलती है । तथाकिथत बि��ामा�यवादी ु'िनधम� िह�द' िकसीका भी नाम नह� लेते; इसिलए उ�ह� ूशाि�त नह� िमलती ।

पहलेके यग�म� ऋिष-मिनय��ारा केवल सै�ाि�तक ु ु(ताि�वक) जानकारी बतानेपर ही िज�ास साधना ुआर�भ करते थे । वत�मान किलयगम� बताई सै�ाि�तक ुजानकारी सनकर कोई साधना नह� करता; इसिलए ु'साधना कैसे कर � ?', यह उ�ह� िसखाना पडता है और उनसे साधना करवाकर लेनी पडती है; इसीिलए साधना करवाकर लेनेवाले ग�का मह�व है ।ु

सामा�य �पसे हम जो िन�य बोलते ह�, उस वाणीको वैखरी वाणी कहते ह� । साधनाम� नामजप करते ह�ए वैखरीसे म�यमा, प�य�ती एव ंपरा वाणीम� जप करते ह�ए आगे जाना होता है । यह सा�य करना आर�भम� किठन होता है; अतः वैखरी वाणीम� जप करनेसे जप सनाई दतेा है; इसिलए जपपर मन एका� होनेम� ुसहायता होती है । इससे आगेक� वाणीम� जप करना सलभ होता है ।ु

�य� ?

‘िनधम� िह�द' सकट आनपेर अथवा मरते समय ंूिकसका नाम ल�ग े?

ग�कपायोगम� �वभावदोष तथा अह ं िनम�लनको ु ृ ू�ाधा�य िदया जाता है । कारण स�ययगम� �वभावदोष ुतथा अह ंनह� थे । �ेता तथा �ापर यग�म� �वभावदोष ुतथा अहमं� वि� होती गई तब भी वे एक मया�दाम� थे । ृकिलयगम� इनम� अितशय वि� होनेसे इ�ह� �यन करना ु ृ ूआव�यक है । इसिलए ग�कपायोगम� इ�ह� �यन ु ृ ूकरनेको �धानता दी जाती है । वह सा�य होनेपर �ानयोग, कम�योग, भि�योग, हठयोग, क�डिलनीयोग ुइ�यािद िकसी भी योगमाग�से �गित स�भव है ।

भिव�यम� इस�कार होगा मसलमान�का ति�करणु ु

- परा�पर ग� डाॅ. जयत आठवलेंु

(http : // sanatanprabhat.org)

�ीग� उवाचु

परा�पर ग� डॉ. जयतं आठवले ुसनातन स�ंथाके स�ंथापक

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०४ ु ृ

इस �कारक� बात� अनेक �यि� करते ह�; इसिलए इसपर �ि�कोणका होना अित आव�यक है । मायाके मोहसे कभी भी िनकलना बह�त किठन होता है । िज�ह� आज अपने प� और पि�य�के िश�ा और िववाहक� ु ुइतनी िच�ता है िक वे वत�मान समयम� थोडा भी समय ई�रके िलए नह� िनकाल सकते ह� तो �या भिव�यम� वे अपने नाती-पोतेम� पनः नह� अटक सकते ह� ? �यान ुरहे, माया अपना काय� बह�त िनपणतासे करती है, इससे ुिनकलने हेत जो �य�न िकए जाते ह�, उसे प�षाथ� ु ुकहते ह� और यह प�षाथ� िजस िदवससे साधना और ुधम�का मह�व �ात हो, उसे उसी �णसे करना चािहए; �य�िक यह जीवन न�र है और म�यका समय भी ृ ुअ�ात है ।

अिधकांश लोग सख ुऔर दःखके उतार-ुचढावका अनभव इसिलए ुकरते ह�; �य�िक वे अिधकांश समय यह

सोचते रहते ह� िक समाज उनके बारमे� �या सोचेगा या कहेगा ? जब �यि� इस िवचारम� रमा ह�आ रहता है िक ऐसा �या क�ं िक ई�र मझसे �स�न ह�, तो वह सख-ु ुद:खके अनभवसे ऊपर उठ, आन�द अव�थाक� ुुअनभित लेने लगता है ।ु ू

साधना कर मन�य जीवनको कर � साथ�कु

कछ िदवस पव� एक �यि� आ�म आए थे, उ�ह�ने ु ूकहा िक वे अपने प� और पि�य�क� िश�ा और ु ुिववाहसे िनव� होकर साधना करग� े ।ृ

मायाके पाशस ेिनकलना है किठन

मनका वैिश�य्

लोग��ारा सख-दःख ु ुअनभव करनकेे कारणु

पव� कालम� गह�थ ५०-६० वष�क� आयके प�ात ृ ुूअपने सार े उ�रदािय�वको अपनी यवा पीढीको ुस�पकर साधनाको �धानता िदया करते थे । आजकल धम�िश�णके अभावम� सेवािनव� होनेके प�ात कछ ृ ु�यि� 'हसंोड स�ंथान' (laughter club) म� सहभागी होते है तो कछ आजके नीितश�य, आदश�हीन ु ूनेताओकं� चचा�कर समय गवंाते ह�, तो कछ ताशके प�े ुखेलने हेत अपना गट बना लेते ह� । वह� कछ दरदश�न ु ु ु ूसचंपर खेलके िभ�न �कार और मायावी एव ंतमोगणी ुधारावािहक�को दखेकर समय �यथ� कर दतेे ह� । कछ ु�यापारी जबतक शरीर काय� करना न छोड द े तबतक अपने कोषक� (ितजोरीक�) चाबी और उसके पैस�क� रखवाली करते रहते ह� । अथा�त इतना अनमोल मन�य ुजीवन य ंही मायाम� िल� होकर �यतीत कर दतेे ह� । ू�यान रहे, िजस �कारके िवचार आप स�पण� जीवन ूकरग� े, म�यके समय उसी �कारके िवचार�का ृ ुअ�तम�नम� �ाब�य रहेगा । अतः कमसे कम वान��थम� पह�चंनेपर तो अपनी म�यक� पव�िस�ता कर;� �य�िक ृ ु ूम�यके समय और उसके उपरा�त मायाक� व�त और ृ ु ु

मान-स�मानका कोई मोल नह� होता, म�य उपरा�त ृ ुसाधनाका ही मह�व होता है और वह ही साथ जाती है; �य�िक वह स�मतम होती है । अब समझम� आया िक ूआजके अनेक लोग�को म�य उपरा�त यो�य गित �य� ृ ुनह� िमलती है ?

मनका म�य काय� िवचार करना है, व�ततः मनक� ु ुप�रभाषा ही है िक वह िवचार�का एक पजं है; अतः ुउसका अपनी �कित अन�प वत�न करना �वाभािवक ृ ुहै । मनको हम िवषयके िकसी भी भोगम� अिधक समयतक ि�थर नह� कर सकते ह�, मा� साधना करनेपर जब बि� साि�वक हो जाती है, िजसे िववेक ुकहते ह� और उसी िववेकके बलपर हम मनको िनयि��त करनेका �यास करते ह� । सतत इि��य

धम�धारा (सवचन)ु

वैिदक उपासना पीठक� स�ंथािपका तनजा ठाकर ु ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०५ ु ृ

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०६ु ृ

िन�ह करते रहनेपर मन िवषय�के �ित अनास� हो जाता है, साधनाम� अख�डता बनाए रखनेपर उसका लय हो जाता है और मन तभी ि�थर और शा�त होता है अ�यथा वह �ी विश�दश�नंके िन�निलिखत �ोकम� िजस�कार कहा गया है वह उसी�कार अशा�त रहता है-

�यि�के �कित अन�प ही होता है उनका वत�नृ ु

िनधम� लोकत��म� राजधम�के मलभत िस�ा�त�का ू ूहआ है हरण�

चेत��चला व�या िच�तािनचयच�चरम ।ृ ु ् धित ब�धाित नैक� प�जर ेकेसरी यथा ।। ंृ

भावसिहत िकया गया नामजपका �भाव

अथा�त मन, िजसक� म�य िवशेषता िच�ता करना है, ुअपनी अि�थर वि�के कारण एक �थानपर उसी ृ�कार ि�थर नह� रहता जैसे ब� िसहं अपने िपजंरमे� अि�थर रहता है ।

नामजप यिद भावसिहत िकया जाए तो वह हमार े�ार�धक� ती�ताको तो न� करता ही है साथ ही सिंचत कम�को न�कर हमार े िलए मि�के �ारको खोल ुदतेा है । इसिलए आ� ग� शकंराचाय� सह�नाम ुभा�यम� कहते ह� -

अथा�त जैसे अि�न सवण� आिद धातओकें मलको न� ु ुकर दतेी है, ऐसे ही भि�से िकया गया भगवानका क�त�न सब पाप�के नाशका अ�य�म साधन है; अतः ुअपने सव� कम� करते ह�ए नामजप कर � और अपने जीवनको ई�रका एक अन�ान समझकर उसका ुआन�द ल� ।

- �ी विश�दश�नं

मै�येाशेषपापाना धातिमव पावकः ।।ं ूय�नामक�त�न भ��या िवलापनमन�मम ।ं ु ्

िदन भर सांसा�रक काय�को करते समय नामजप करनेके �यास करना, माथेपर ितलक धारण करना, भारतीय प�रधान धारण करना, �वभाषाका �योग करना, घरका बना भोजन �हण करना, िवशेषकर

शाकाहारी भोजन करना, समय एव ं अनशासनका ुिदनभर पालन करना, साधना करना, दसर�के ूक�याणके िवषयम� सोचकर यो�य कित करना, स�व गण ृ ु�धान �यि�के ल�ण ह� । इसके िवपरीत सतत पैसे या सामािजक �ित�ा कैसे बढे ?, इसका िवचार करना रजो गणी �यि�के ल�ण ह� और तमोगणी �यि� ��ाचार ु ुकरता है और उसे बढावा दतेा है, समयका द�पयोग ुकरता है, मांसाहार और होटलके बने भोजन �िचपव�क ू�हण करता है और उसे पा�ा�य स�ंकितम� रगें रहना ृ�िचकर लगता है । स�य है, �यि�का वत�न उसके �कित ृ�द� गण�के अन�प ही होता है ।ु ु

- शाि�तपव�, महाभारत ९१:३२अथ� : प�के भी अपराधको सहन नह� करना राजधम� ुकहलाता है । िक�त इस दशेम� अपने अयो�य, मढ एव ंु ूकपा� प��को स�ा दनेेके िलए आजके राजनेता सतत ु ु�य�नशील रहते ह� और कई तो उ�ह� स�ासीनकर इस दशेक� जगहसंाई करवा रहे ह� । इससे िस� होता है िक िनधम� लोकत��म� राजधम�के मलभत िस�ा�त�का ू ूहरण ह�आ है, इसिलए धम� अिधि�त िह�द रा��क� ू�थापना करना अिनवाय� हो गया है ।

दवेता पजन स�म िक�त वै�ािनक अ�या�मशा�पर ू ू ुआधा�रत है, इस स�दभ�म� शा� कहता है -�यजेत पय�िषत प�प �यजेत पय�िषत जलम ।ं ं ं् ु ु ् ु ्

अथ� : बासी (पय�िषत) प�प तथा बासी जलका �योग ु ुदवेपजनम� नह� करना चािहए; िक�त गगंाजल या ू ुतलसीदल या तलसी-प�पम� बासीपनका दोष नह� होता; ु ु ुअतः ये सदा �ा� ह� ।

देवतापजा एक स�म शा� स�मत िव�ानू ू

न �यजे�जा�वीतोय तलसीदलपकजम ॥ं ंु ्

प��यािप न म�ये�च स रा�ो धम� उ�यते । ु ृ

अमाव�या और पिण�माके समय स�म अिन� ू ूशि�य�के �टषसे पीिडत साधक�के क� बढ जाते ह�; अतः ऐसे िदवस�के दो िदवस पव� और प�ात भी ूनामजप और �ाथ�ना अिधक करनेका �यास कर � । िवशेषकर च��का हमार ेमनपर अिधक �भाव पडता है; �य�िक वह मनका अिध�ाता है । मनके िवचार, च��माक� ि�थितसे �भािवत होते ह�; इसिलए िज�ह� मानिसक क� होता है उनके क� पिण�मा और ूअमाव�याके समय बढ जाते ह� । यिद िकसीम� �वभाव दोष या अहकंा �माण अिधक हो तो अिन� शि�यां उन दोष�का लाभ उठाकर साधकको क� दतेी ह� । सामा�य साधक�का भी मन, ऐसे िदवस�म� साधना करते समय एका� नह� हो पाता है, मनम� अनाव�यक िवचार, नकारा�मक िवचार, साधना या अपने आरा�यके �ित िवक�पके िवचार आने लगते ह� । अनेक घर�म� जहां कलह-�लेश होता है, वहां ऐसे िदवस�म� लडाई-झगडे बढ जाते ह� । िज�ह� �ोध बह�त आता है, वे ऐसे िदवस�म� अ�यिधक उ� और आ�ामक हो जाते ह� । िज�ह� अवसाद आिदक� सम�या हो, उनक� ि�थित भी ऐसे िदवस�पर िबगड जाती है; इसिलए यिद आपको भी ऐसे क� होते ह� तो अमाव�या या पिण�माके दो िदवस पव� ही ू ूअपने �मणभाषम� सकेंत�विन (अलाम�) लगाकर साधना बढानेका �यास कर � । आज अिधकांश अ�छे साधक�को अिन� शि�य�का क� है; �य�िक अिन�

बासी फलके रगं और �प िव�प हो जाते ह�, इसिलए ू ूवे दवेताके त�वको आक� करनेक� �मता नह� रखते ह� ृऔर पा�म� रखे बासी जलपर भी राि�के रज-तमका आवरण आ जानेसे वह भी पजाके िलए यो�य नह� होता, ूवह� गगंाजलम� िशवके स�म पिव�कके होनेसे वह पिव� ूरहता है एव ंतलसी दल, िव�ण त�वसे भा�रत होनेके ु ुकारण दिषत नह� होता, इसिलए दोन�पर ही बासीपनका ूदोष लाग नह� होता है ।ू

भिव�यम� पछताना न पडे इस हते आपातकालक� ुसतक� होकर कर � पव�िस�ता ू

आ�ा हा�याय व��वे ि�ितयाि�यते सदा ॥ृ

अमाव�या और पिण�माके िदवस एव उसके दो िदवस ंूपव� और प�ात, �यानपव�क कर � साधना ।ू ू

अथ� : श�-िव�ा एव ंशा�-िव�ा यानी �ानाज�न, दोन� ही मन�य को स�मान िदलवाती ह�; िक�त व�ाव�था ु ु ृ�ा� होनेपर इनम�से �थम अथा�त श�-िव�ा उसे उपहासका पा� बना दतेी है, जब उस िव�ाका �दश�न करनेक� उसक� शारी�रक �मता समा��ाय हो जाती है; िक�त शा�-�ान सदा ही उसे आदरका पा� बनाए ुरखता है ।

शारी�रक कौश�यक� अपे�ा बौि�क �मता अिधक ��े जो व�त िजतनी अिधक स�म होती है, उसम� �मता ु ूभी उतनी ही अिधक होती है । जैसे बौि�क �मता स�म ूहोनेके कारण वह व�ाव�थाम� भी साथ दतेी है; िक�त ृ ुशरीर �थल होनेके कारण उसक� �मता व�ाव�था ृूआनेपर घट जाती है या न के समान रह जाती है । इस सवचनक� पि� यह िन�निलिखत शा�वचन करता है -ु ुिव�ा श��य शा��य �े िव�े �ितप�ये ।

आपातकाल आनेवाला है, यह जानते ह�ए भी यो�य साधना न करना, यह उसी �कार है जैसे मधमेहके ुरोगीका यह जानते ह�ए भी िक अिधक मीठा खानेसे क�क� ती�ता बढ जाएगी और तब भी उसे खाना और उसके प�ात पछताना । साधको, आनेवाले

भीषणकालम� मा� और मा� ई�र ही आपक� र�ा कर सकते ह�, यह जानते ह�ए भी यिद आप साधनाको �ाथिमकता नह� दतेे ह� तो आपको भिव�यम� िनि�त ही बह�त पछताना पडेगा । िज�ह� इसका �ान नह� है तो हो सकता है िक उनक� सहायता आपातकालम� ई�र कर द;� िक�त सब जानते ह�ए भी साधना नह� करनेपर ई�र ुआपक� सहायता करग� े, ऐसे �मम� न रह� ।

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०७ ु ृ

शि�यां नह� चाहती है िक वे साधना कर � । िज�ह� आ�याि�मक कारण�से शारी�रक क� होता है, उनके क� भी इस म�य बढ जाते ह�; इसिलए इन िदवस�पर सतक� होकर साधना कर � । िह�द धम�म� अमाव�या और ूपिण�माके िदवस इसिलए भी िविश� आ�याि�मक ूअन�ान करने हेत बताया गया है । �या इतना स�म ु ु ूिवचार िकसी और धम� और प�थम� िकया गया है ?

िववाह तमोगणी म�यराि�म� करना टाल�ु � िववाह, म�यराि�क� अपे�ा िदनम� या �� मह�त�म� ुकरना चािहए । राि�का काल तमोगणी होनेके कारण उस ुसमय िकया गया शभ काय� फिलत नह� होता; इसिलए ुिववाहका मह�त� िदनम� िनकालकर िववाह करना अिधक ुउिचत होता है । भारतके कछ �थान�म� �� मह�त�म� ु ुिस�दर-दानका क�य िकया जाता है, तब भी शेष काय��म ृूराि�म� होते ह�, जो अ�या�मक� �ि�से अनिचत है । जो ु�चिलत है, उसके पीछेका आधारभत शा� जानकर, ूउसे प�रवित�त करनेक� �वि� िनमा�ण होना आव�यक है ृऔर इस वि�क� आजके िह�द समाजम� �वि� नह� है, ृ ृूयही िह�द धम�के पतनका एक म�य कारण भी है ।ुू

उ�र भारतम� म�यराि�म� िववाहके �चलनका मल ूकारण राि�का काल तामिसक होनेके कारण म�य राि� िववाह नह� करना चािहए, इसपर एक �यि�ने कहा िक राि�म� िववाहके भी कछ कारण ह�गे । जी हां, उ�र भारतम� ुमसलमान आ�ा�ता, जो �वि�से ही वासना�ध होते थे, ु ृवे िह�दओकें िदनम� होनेवाले िववाहके समय कंवारी ुुक�या, िजसका िववाह होनेवाला होता था, उसे उठाकर ले जाते थे और उनका शील हरणकर उसे हरमम� रखते

आजकल अनेक लोग अपनी पि�य�का िववाह उ�ह� ुआिथ�क �पसे �वावल�बी बनानेके �मम� बह�त िवल�बसे करते ह�, तबतक �ीका अह ंप�रप�व हो चका ुहोता है, आजका प�ष वग� भी यो�य �कारसे साधना तो ुकरता नह�; इसिलए उ�ह� भी अहकंा �माण बह�त अिधक होता है, ऐसेम� दो अहकंारी जीव गह�थीक� डोर ृस�भालते ह� तो वह आर�भ होते ही टटनेक� कगारपर ूपह�चं जाती है । ऐसा न हो इसिलए यवितय�को अव�य ही ुसस�ंका�रतकर, उनका िववाह २० से २५ वष�क� ुआयके म�य करना चािहए और प��को भी धम� और ु ुसाधनाका �ान माता-िपताने अव�य दनेा चािहए । मेर ेपास अनेक बार लोग यह पछने आते ह� िक कोई म�� ूबताए ंिजससे मेरा स�ब�ध-िव�छेद सरलतासे हो जाए । म� यह सनकर आ�य�चिकत हो जाती ह�,ं ऐसे सभी लोग�ने ु�यान रखना चािहए िक स�ब�धको तोडना सरल होता है, उसे िनभाना अ�य�त किठन होता है । बह�त ही िवपरीत प�रि�थित हो और साथ रहना कदािप स�भव न हो तो ही स�ब�ध िव�छेदके पया�यका चयन करना चािहए; �य�िक िजन दोष� या अहकंारके कारण आप इस गह�थीम� ृ�लेशम� ह�, पनः िववाह करनेपर भी ऐसा ही होगा; इसिलए ु�वयमं� सधार करना, सहन करनेक� या �याग करनेक� ुवि� िनमा�ण करना, अपने अहकें ल�ण�को दर करने हेत ृ ुू�य�न करना, यह सखी जीवक� कंजी है; स�ब�ध-ु ुिव�छेद िकसी सम�याका समाधान नह� है ।

पि�य�का कर � यो�य आयम� िववाहु ु

थे । इन आतंक�से ��त होकर ही उ�र भारतम� राि� िववाहका �चलन आर�भ ह�आ एव ं राि�म� िववाहके प�ात क�या प�के साथ वरप� भी होनेसे स�ंया बलम� वि� हो जाती थी िजससे धमा��ध आ�मण नह� कर पाते ृ

थे । मा� राि� िववाह ही �य�, बाल-िववाह, पदा� �था आिद ये सब ि�य�के शील र�ण हेत ही उ�र भारतम� ुआर�भ ह�ए; इसिलए अब कालानसार इन िनयम�म� ुप�रवत�न करना ही चािहए । िजस धम�म� सभी मह�वपण� ूय�कम� राि�म� नह� िकया जाता हो, उसम� सबसे मह�वपण� स�ंकार कम� (जो एक मह�वपण� य�कम� भी है) ू ूम�य राि�के तमोगणी कालम� कैसे हो सकता है ? िकंिचत ुसोच� !

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०८ ु ृ

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ०९ ु ृ

धम�धारा

(भाग - १)

गभ�वती �ीको अपन ेगभ��थ िशशके र�ण एव ंुआ�याि�मक पोषण हते �या करना चािहए ? ु

ह� । िचिक�सक गभ��थ िशश एव ंमाताके शारी�रक एव ंुकछ सीमातक मानिसक पोषण हेत आव�यक सझाव ु ु ुएव ं औषिधयां दतेे ह�; िक�त िशशके आ�याि�मक ु ुपोषण हो, इस हेत उ�ह� कोई माग�दश�न नह� करता है । ुआजक� कछ आधिनक माता अपने गभ�का �दश�न ु ुपा�ा�य व��को पहनकर करती ह�, इतना ही नह� वे अपनी गभ�वती दहेका छायािच� भी �दिश�त करती ह� । यह सब दखेकर आज अनेक िह�द ि�यां भी पा�ा�य ूव� पहनकर छायािच� िखंचवाने लगी ह�, जो कभी नह� करना चािहए । गभ�म� पल रहे िशशका वलय ुकोमल होता है, उसपर क�ि� या अिन� शि�य�के ुक� होनेक� स�भावनाए ं अिधक होती ह� । इसिलए गभ�वती माताओनें अपने उदरको ढककर रखना चािहए । राि�म� दस बजेके प�ात अकेले नह� िवचरण करना चािहए या एकांत �थानम� अकेले िनवास नह� करना चािहए । अमाव�या या पिण�माक� राि�म� तो ूबाहर अकेले िनकलना पण�तःटालना चािहए ।ू

वत�मान कालम� जब भी कोई �ी गभ�वती होती है तो उसके घरके सद�य, उसे िचिक�सकके पास ले जाते

आय� वैिदक सनातन िह�द धम�क� िवशेषता ू(भाग- १)

िव�म� सनातन धम� ही एकमा� ऐसा धम� है जो सगण ुऔर िनग�ण दोन� ही साधना प�ितय�को मा� मा�यता ुही नह� दतेा है; अिपत इसके िभ�न त�व�के स�म ु ूप�का गहनतासे िववरण दतेे ह�ए साधक�को इनम�से िकसी भी माग� या िस�ांतपर चलनेक� छट दतेा है । ूसनातन धम�के सगण और िनग�ण त�वके उपासक�म� ु ुकभी भी आपसी सघंष� या लडाई इ�यािद नह� ह�ई है; �य�िक ये दोन� ही त�व एक दसरसेे िभ�न नह�; अिपत ुूपरक ह�, यही सीख यह धम� दतेा है । यह सीख इस ूधम�क� अि�तीयता एव ं�यापकताको िस� करती है ।

साधना �य� कर � ? (भाग - १) 'अधम� एव ंमलं सव� रोगाणा'ं अथा�त हमार ेरोग और ूशोकका मल कारण हमार�ेारा इस ज�म या िपछले ूिकसी ज�मम� िकया गया अधम� होता है और इसपर मात पानेका मा� एक ही उपाय होता है और वह है साधना करना । साधनाके मा�यमसे जो ती� �ार�ध होते ह� अथा�त ती� �तरके दःख होते ह� उसे सहन ुकरनेक� शि� िमलती है और जब हम परी लगनसे ूअनेक वष� िन�काम भावसे साधना करते ह� तो हमारी साधनाके तपोबलसे सिंचत अथा�त जो सख-दःख हम� ु ुअगले ज�म�म� भोगने ह� वह न� होने लगता ह� और इस �कार साधनाके �तापसे हम कम�-बधंन�से म� होकर ुमो�क� ओर अ�सर होते ह� । इस �कार हमार ेद:ख�से ुसदवैके िलए मि� पानेका एक ही पया�य होता है और ुवह है ��ा एव ंलगनसे साधना करना ।

(ये �ाथ�नाए ंआप अपने इ�दवेतासे कर सकते ह� एव ंहे �भके �थानपर उनका नाम ले सकते ह� । �ाथ�ना ुअपनी भाषाम� कर सकते ह� ।)

(भाग - १)भावजागित हते कछ आव�यक िन�य �ाथ�नाए ंृ ु ु

पजापव� क� जानवेाली �ाथ�नाू ू हे �भ, अभी म� पजा करने जा रहा ह�/ं रही ह�,ं पजा ु ू ूपव� आप हमार ेपजा-घर, हमार ेवा�त एव ंहमार ेचार� ू ू ुओर अभे� सर�ा कवच िनमा�ण कर,� िजससे मेरी ुपजा िनिव��न एव ं एका�तापव�क हो सके । मेरी ू ूआजक� पजा एव ंआरती आपके �ीचरण� तक पह�चें ूएव ंमझपर (और मेर े प�रवारपर) आपक� कपा�ि� ु ृबनी रहे, इस पजासे मझपर आपके चैत�यका कवच ू ुस�पण� िदवसके िलए िनमा�ण रहे िजससे म� िदनभर ूआपको �मरण कर अपने सभी क�य�को कर सकं, ृ ूऐसी आपके �ीचरण�म� �ाथ�ना है । (अनेक साधक�ने मझसे कहा है िक पजा करते समय उनका मन एका� ु ूनह� रह पाता है एव ंपजा करते समय िभ�न �कारके ूिव�न िनमा�ण होनेके कारण पजा भावपण� नह� हो पाती ू ूहै,ऐसेम� पजा पव� यह �ाथ�ना कर � ।)ू ू

-िच�रजन �ज, धनबाद, झारख�डं

�� : म � आपके लेख पढता रहता ह, मझे समझम� नह� ं� ुआता है िक आपको सदैव क� �य� होता रहता है ?

उ�र : सतत साधना करनपेर भी मझे क� �य� होता ुरहता है ? इसके िन�निलिखत कारण ह � -१. आज स�पण� िह�द समाजपर बा� एव ंस�म �तरपर ू ूूअथा�त दोन� ही �तर�पर, �थल आसरी त�व� एव ंस�म ू ु ूजगतक� बलाढय असरी शि�य��ारा आ�मण हो रहा ् ुहै, यह सब िह�द�वके अि�त�वको पण� �पेण समा� ूुकरने हेत िकया जा रहा है । मझे �या, अिपत जो भी ु ु ुसाधक, भ�, स�त या ग�, िह�द धम� र�णाथ� कछ भी ु ुू�यास कर रहे ह�, उ�ह� उनके �तरके अन�प अ�यिधक ुक� हो रहा है । म� तो मा� यह सब उन सबके �ितिनिधके �पम� आपको अपनी अनभितयां साझाकर इितहासम� ु ूइन त�य�का एक सा�य ��तत कर रही ह� ं। ऐसा नह� है ुिक इन क��के कारण मेरा मानिसक �रण होता है, ग�कपासे मेरी मानिसक ि�थरताम� कोई उतार-चढाव ु ृनह� होता है; पर�त शरीरके �तरपर उसका अ�प ु�माणम� �भाव तो अव�य पडता है । मानिसक �रणका �माण न के बराबर या अ�य�प होता है, इसका भान मझे ुएक बार तब ह�आ जब म� अपने िपताजीके पैतक �ामम� ृजन २००८ से अ�ैल २०१२ तक रही । वहां रहकर म� ूआर�भम� तो �यि� साधना कर रही थी; िक�त मई ु२००९ से ई�रीय �ेरणासे समि� साधना आर�भ कर दी और इसी �मम� मेर ेिनवास �थानपर आए िदन कछ ुन कछ सम�या आती रहती थी; �य�िक म�ने वह�से ुधम��सारका काय� आर�भ िकया था । आर�भम� तो म� �वय ंही जो भी सम�या िनमा�ण होती थी उसके िलए कछ न कछ उपाययोजना िनकाल लेती थी; िक�त जब ु ु ुवहां कछ यवा साधक सेवा हेत आने लगे तो जब भी कछ ु ु ु ुसम�या िनमा�ण होती तो म� उ�ह� उसके समाधान हेत ुकहती थी । एक िदवस एक यवा साधक जो इस �कारक� ु

सेवा हेत आता था, उसने बडे ही भोलेपनसे कहा, ुिजतनी सम�या आपको इस घरम� �ितिदन आती है, वैसी यिद हम� आती तो हम तो �यिथत होकर यह घर छोडकर ही चले जाते । उस यवा साधकके इस व��यसे ु�यान आया िक मझे िन�य नतन सम�याओसें झझनेक� ु ू ूऐसी वि� िनमा�ण हो चक� थी िक मझे ऐसी सम�याओसें ृ ु ुकछ होता ही नह� था । सम�या िनमा�ण होनेपर इसका ुसमाधान करना है, मा� इतना ही �यानम� रहता है ।२. आज अिधकांश साधक�को अ�यिधक आ�याि�मक क� है जो मलतः स�म जगतक� अिन� शि�य�के ू ूकारण ह� । ई�रीय �ेरणासे उन साधक�को धम� पथपर अ�सर करने हेत एव ंउनके क��क� ती�ताको �यन ु ूकरने हेत जो भी �थल एव ंस�म �तरपर अ�पसा �यास ु ू ूकरती ह�,ं उससे उनके क� �यन तो होने लगते ह�; पर�त ू ुइस कारण उ�ह� क� दनेेवाली अिन� शि�यां भी अ�प �माणम� ही सही; िक�त मझे क� अव�य दतेी ह� ।ु ु३. एक सरलसा त�य �यान रख� ! स�म जगतक� ूिजतनी अिधक यो�य जानकारी हम� होती है, स�म ूजगतक� शि�यां उतना ही अिधक क� दतेी ह� । ऐसा वे अनेक कारण�से करती ह�, उनम�से एक कारण होता है उनका भय िक उनका समाज व साधक�पर जो अ�याचार और वच��व है, वह इस िवषयम� जाग�क होनेपर एव ंआ�याि�मक उपचार करनेपर अ�प होता जाएगा !४. िपछले अनेक वष�से स�म शि�य�से य�कर मेरी ू ु�ाणशि� सामा�य �यि�क� अपे�ा अ�प रहती है, ऐसेम� जब और अिधक आ�मण स�म �तरपर होता है ूतो मेर ेक� थोडे समयके िलए बढ जाते ह� और म� जो समाजसे क� साझा करती ह�,ं वह तो नाम मा� ही है । िजन साधक�के साथ रहती ह�,ं उनसे पछ� िक हम� िकतना ूक� होता है ?; पर�त यह तो मा� ग�कपा ही है िक यहु ु ृशेष भाग ....... प� �. ३९ पर ृ

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धम�धारा

शका समाधानं

बारहव�क� परी�ाके िबहार 'इंटरमीिडएट काउंिसल'म� वष� १९९० म� �यापक �तरपर ��ाचार ह�आ था; िव�ािथ�य�क� उ�र पि�तकाए ंजांची ही नह� गई ंथ�, ुपरी�ा प�रणाम आनेसे पव� ही िव�ािथ�य�के उ�रक� ू'कॉपीयां' िवपिणम� (बाजारम�) व�तए ं�य-िव�य करने ुहेत ठ�गे (कागदक� छोटी थैली) बनकर आ चक� थ�, ऐसे ु ुसमाचार अनेक दिैनक प� िनकाल चके थे । ऐसी ुि�थितम� जहां म�ने ९०% से अिधक अकंक� अपे�ा क� थी वहां मझे भी िबना मेरी 'कॉपी' जांचे ५८% अकं िदए ुगए थे, यह मा� मेर े साथ नह� ह�आ था, सभी िव�ािथ�य�को मनमाने अकं दकेर परी�ा प�रणाम घोिषत कर िदया गया था । म� इससे बह�त �यिथत थी, मेर ेइस प�रणामसे मेर ेमाता-िपता भी बह�त दःखी थे; िक�त कछ ु ुुहो नह� सकता था; �य�िक पटनाके परी�ा 'काउंिसल'म� जानेपर भी कछ नह� ह�आ, होता भी कैसे ? 'कॉपीयां' ही ुनह� थ�, वे पनः जांचते �या ?ु

ग� या ई�र साधकका या भ�का सदवै ही भला करते ुह�, ऐसा स�भव है िक जो हम� िदखाई द ेरहा हो वह अनेक बार हम� ठीक नह� लगता है; या हम� लगता हो िक वह हमार े िहतम� नह� है; िक�त कछ काल उपरा�त उस ु ुघटनाके पीछेका रह�य हम� समझम� आता है और मन कत�ताके भावसे भर उठता है । यह लेख शखंला इसी ृ ृस�दभ�म� है ।

वे एक बार जाकर सव� �ि�या जानकर आ चके थे । ुअगली बार म� उनके साथ वहां �वेशक� सारी �ि�या पण� ूकरने हेत गई थी । हम �वेश प� भरकर दनेे ही वाले थे िक ुअक�मात िपताजीने मझसे आकर कहा िक आपका ु�वेश यहां नह� कराएगें, हम वापस घर चलते ह� । म� उनका यह िनण�य सनकर बह�त आ�य�चिकत थी ! म�ने ु“पछा, �य� ? �या बात हो गई ?”ू

मेर ेिपताजीने आगे कहा िक उस �ा�यापकने मझे ुबलाकर बात क� और आपक� �शसंा करते ह�ए कहा, ु“आपक� प�ीम� नेत�वक� अगाध �मता है; कपया इसे ु ृ ृयहां �वेश न िदलाए,ं यिद सा�यवादी नेताओकं� इसपर क�ि� पड गई तो इसका 'क�रयर'और जीवन, दोन�का ुही वे स�यानाश कर दग� े और आपक� प�ी यिद यहां ुपढेगी तो उनक� िग� �ि�से उसका बचना अस�भव है, ऐसा मेरा अनभव कहता है ।” मेरी आपसे िवनती है िक ुइसे बगंालम� न पढाए,ं यहांका वातावरण सा�यवािदय�ने दिषत कर िदया है, म� एक और �ितभाको न� होते नह� ूदखे सकता ह�;ं अतः आप इसे यहांसे लेकर जाए ं। मझे ुिपताजीक� इस बातपर थोडा �ोध आया । म�ने उनसे कहा, “आपको तो पता है िक मझे राजनीितम� कोई �िच ुनह� है, कोई मेरी इ�छाके िव�� मझे कैसे राजनीितम� ले ुजा सकता है ? �या आपको मझपर िव�ास नह� है ?” मेर ेुिपताजीने मेरी �यथाको जान िलया था िक म� पहले ही अपने परी�ा प�रणामसे बह�त दःखी थी और ऐसेम� ु

ई�र यत करोित शोभन करोितं ं

हमार ेमाता-िपताने िनण�य िलया िक वे मझे िबहारम� ु(अब वह जनपद जहां हम रहते थे वह झारख�डम� है) आगेक� उ�च िश�ा नह� करने दग� े । उ�ह�ने िनण�य िलया िक वे मझे कोलकाता भेज�गे; �य�िक वह धनबादसे जहां ुहम रहते थे, वहांसे िनकट था और '�ेन'क� भी बह�त अ�छी सिवधा थी । म� भी उनके िनण�यसे सहमत थी । ुमेरी �नातकक� पढाई हेत िपताजीने स�िस� '�ेसीड�सी ु ुमहािव�ालय'का चयन िकया था ।

“�य� ?” िपताजी बोले, “आप जब कछ लडिकय�से (जो ुउस महािव�ालयम� �वेश लेने हेत आई ंथ�) बात कर ुरह� थ� तो आपक� बात� यहांके एक �ा�यापकने सन ली ुथी ।” हम �वेशका आवेदन भरने हेत तीन-चार घटें ुमहािव�ालय प�रसरम� �के थे, इसी �मम� म� कछ ुिव�ािथ�य�से सहज ही वाता�लाप कर रही थी ।

उ�ह�ने कहा, “यहांके िकसी �ा�यापकने मझे यहां ुआपको �वेश नह� िदलाने हेत कहा है ।” म�ने पछा, ु ू

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सगण ग�के िनग�ण िनराले मा�यमु ु ु

धम�धारा

आज जब बगंालक� ि�थित दखेती ह� ंतो मझे �ात ुहोता है िक मेर े िपताजीक� आ�याि�मकता और उस �यि�के यो�य माग�दश�नने मझे बचा िलया । पता नह�, ुयिद म� बगंालम� पढ रही होती तो मेर े साथ �या

��ा एव ंई�र�व�पी ग� अपने िश�यक� र�ा, उसके ुजीवनम� आनेसे पव�से ही करते ह�, मेर े �ीग�के मेर ेू ुजीवनम� �थल �वेशसे पव� भी उ�ह�ने मझे िकसी न ू ू ुिकसीके मा�यमसे यो�य माग�दश�न िदया, मेरा सभी अिन��से र�ण िकया, इस हेत उनके उन सभी ु�व�प�को नमन करती ह�,ं व�दन करती ह� ं!

अनथ� हो जाता ?

उनका यह िनण�य मझे िनि�त ही और दःख ु ुपह�चंाएगा । उ�ह�ने मझे बडे �ेमसे समझाते ह�ए कहा, ु“बेटा, ई�रके सकेंतको समझना चािहए, यहां इतने िव�ािथ�य�म� उ�ह�ने आपके िवषयम� ऐसा �य� सोचा ? और मझे नह� जानते ह�ए भी बलाकर सब �य� बताया ? ु ुइसका अथ� है िक इसम� कोई ई�रीय िनयोजन है । वे �ा�यापक महोदय मेरी प�ीक� �मताको कैसे कछ ही ु ुिमनट�म� �व�रत भांप गए ? वे यहां पढाते ह�, “उ�ह� सब �ात है, यहां �या होता है ? वे आपक� भलाईके िलए ही ऐसा कह रहे ह� । मझे तो लगता है वे ई�र�ेिषत ुस�दशेवाहक ह� । चिलए हम घर वापस चलते ह� ।” यह कहकर उ�ह�ने हमारा हाथ पकडकर मझे उठाया और ुरले �थानकक� ओर चल िदए । मेर ेिपताजी मझसे बह�त ु�ेम करते थे, वे मेरी िकसी भी इ�छाको पण� करने हेत ू ुकछ भी कर सकते थे; अतः ऐसेम� उनके इस िनण�यसे ुम� हथ�भ और �� दोन� ही थी । म� '�ेन'म� भी उनसे बात� नह� कर रही थी और आकाशक� ओर दखेकर अपने भा�यको और उस �यि�को कोस रही थी । मझे ुदःखी और �� दखेकर मेर े िपताजीने मझे मनानेका ुु�यास करते ह�ए कहा, “बेटा, ई�र जो करते ह�, हमारी भलाईके िलए करते ह� । आज आपको मेर ेइस िनण�य और उस �यि�पर �ोध आ रहा है; िक�त एक िदवस ुआप इसके िलए ई�रको कत�ता �य� करग� ी । मेर ेइन ृश�द�को �यानम� रख� !” म�ने उनसे कहा, “इसम� �या अ�छा है ? पहले परी�ा प�रणाम मेरी अपे�ाके िवपरीत

रहा और अब बगंालम� पढाईपर �ितब�ध लगा िदया गया । मेरा भिव�य मझे अब अधंकारमय िदखाई द ेुरहा है ।” मेर ेिपताजीने मेर ेिसरपर �ेमसे हाथ रखते ह�ए कहा, “बेटा, सय�के �काशको मेघ (बादल) कबतक ूढककर रख सकता है, एक िदवस 'बादल' छंटेगा और यिद आपम� �काश है तो वह सव�� फैलेगा ।” म�ने उनसे कछ नह� कहा; िक�त उनक� यह बात मेर ेअ�तम�नम� रह ु ुगई । इसके प�ात म�ने अपनी �नातकक� पढाई धनबादसे ही क� ।

म� ई�रको, मेर ेिपताजीको जो अब इस ससंारम� नह� ह�, उ�ह� एव ं उस अनजाने शभिच�तकको मनःपव�क ु ूकत�ता �य� करती ह� ंिक उ�ह�ने मझे बगंालक� उस ृ ुिनक� राजनीितम� डबनेसे पहले ही बचा िलया ।ृ ू

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १२ ु ृ

िनमा�णाधीन उपासनाके आ�मम� च�डी य�का....... शेष भागच�डी पाठसे दो िदवस पव� ही जप कर रहा था तो �यानम� मां कालीके दश�न ह�ए, मां अित �स�न लग रही थ� । दो िदवस प�ात ही ूअन�ानम� आने हेत मां (तनजा मांक�) आ�ा ह�ई और जानेपर �ात ह�आ िक मझे अन�ानम� बैठना भी है । च�डी पाठम� �थम ु ु ु ु ुक�िदवस जब भगवान िव�णका म��ो�चारण चल रहा था तो आ�म प�रसरके कोनेम� चार ि�शल िदखाई िदए और जैसे वे कह रहे ु ूहो िक हमार ेरहते असर कछ नह� कर पाएगं�, वो स�भवतः भैरवजी थे । उसी �ण सदश�न च�के दश�न ह�ए और वे आ�मक� ु ु ुभिमके चार� ओर अपना �काश रहे थे ��येक �थानपर ह�रत और घने पौधे व �वण� उग आए ं। म�ने जैसे पछा िक यह तो ू ूफैला , ही सम� ह�रयालीसे भर गया है तो अब आ�म कहां बनाएगं� तो ह�रयाली और के म�यसे एक भवन िनकलकर आया । अि�तम �वण�िदवस य�म� भी दवैी शि�य�के अि�त�वका बोध ह�आ । उनके िद�य श��के दश�न ह�ए । एक पल तो दगा� मांके �काशने मझे जैसे ुुबांध िदया और य� आह�ितम� �यान नह� लग पा रहा था । एक समय ऐसा लगा िक मांक� �ितमा सा�ात म रही है (यह �प� �ुकराुथा, �म नह�) और �ितमासे जो वलय िनकल रहा था, वह सतत फैल रहा था । इतनी िद�य अनभितय�के िलए कत�ता मां ! ु ू ृ

स�त�के घरम� पदाप�णस ेहोती है वा�तक� शि� ु ु हमार े�ीग�ने एक बार ु�वचनम� बताया था िक खर ेस�त�के हमार े घरम� आगमनसे घरके वा�तक� ुशि� १० �ितशततक हो ुजाती है । उनके इस

अमतवचनक� अनभित मझे अनेक बार धम��सारके ृ ु ुूम�य ह�ई, आज इसी स�ब�धम� यह लेख साझा कर रही ह� ं! वष� २००१ म� म� उ�र �दशेके स�तानपर, कानपर, ु ु ुलखनऊ और अयो�या (उस समय फैजाबाद) जनपद�म� धम��सारक� सेवा कर रही थी । म� स�तानपरम� िजनके घरपर रहकर �सारक� सेवा करती ु ुथी, उनके घर ती� �तरका आ�याि�मक क� था । उनके घरम� ती� �तरका क� था; अतः उनके घरम� उनके व� ृिपता, जो भारतीय �थल सेनासे सेवा िनव� ह�ए थे, वे ृअ�यिधक म�पान करते थे और अनेक �यािधय�से ��त थे । उनके घरम� कलह-�लेशका वातावरण बना रहता था, घरम� आिथ�क क� था और भी अनेक �कारके क� थे; पर�त एक अ�छी बात थी िक दोन� साधक ुद�पि�म� साधना करनेक� ती� लगन थी और वे धम��सारक� सेवाम� यथाशि� अपना योगदान दनेे हेत ुभी सदवै त�पर रहते थे । म� स�ाहम� दो िदवस उनके घर �कती थी और उसके प�ात कानपर, लखनऊ और ुअयो�या जाया करती थी । जब भी म� उनके घर �कती थी तो उनके घरम� अनेक अिन� शि�य�का वास है, इसका मझे भान होता था । कभी-कभी जब राि�म� लघ ु ुशकंा हेत शौचालय जाती, जो बाहर आगंनम� था, तो मेर ेुपीछे एव ंसाथम� कछ �यि� चल रहे ह�, ऐसा लगता था । ुकई बार जब शौचालयके िबजलीका 'ब�ब' जलाने हेत ु'ि�वच'पर हाथ डालने जाती तो ऐसा लगता जैसे पहले

ही िकसीने वहां हाथ रख िदया हो । उनके घर िबजली 'गल' हो जानेपर स��या समय भी डर लगता था जबिक ुमझे सामा�यतया डर नह� लगता है । तीन बार जब �ातः ुपांच बजे म� योगासन करने उठती तो उनके रसोईघरम� कोई गया हो, ऐसा मझे 'पद'� के नीचेसे आभास होता था । ुएक िदन तो म� तर�त उठकर रसोईघर यह दखेने गई िक ुवहां कौन गया था ?; िक�त वहां कोई नह� था और घरके ुसभी सद�य सो रहे होते थे । एक िदन म� दोपहरके समय कानपरसे आई थी, म� थोडी थक गई थी; अतः थोडे ुसमयके िलए िव�ाम करने हेत लेटने गई । मेरी आखं� ुलगी ही थ� िक तभी मेर ेसाथ कोई ल�बी कद काठीका �यि� सो रहा हो, ऐसा लगा और मझे उसके खरा�टे ुलेनेके �वर �प� �पसे सनाई िदए, म�ने सजग होकर, ुआखं� खोलकर दखेा तो वहां कोई नह� था । म�ने घरक� �ी सािधकासे भी पछा िक �या घरम� कोई आया है ? ूपर�त उनके ब�चे िव�ालय गए थे और घरम� मा� वे ही ुथ� और उ�ह�ने बताया िक कोई नह� आया है; अतः म� पनः सोनेका �यास करने लगी और पनः उसी �कारका ु ुआभास ह�आ, म� समझ गई िक इनका घर पण�त: भतहा ू ूहै । आज अिधकांश घर�म� उनके अत� िपतर उनके ृघरम� ही वास करते ह�; अतः घरम� इस �कारका आभास होना सामा�य सी बात है । अगले वष� एक हनमान भ�, 'स�त बावराजी ुमहाराज' (जो अब ��लीन हो चके ह�) अनेक साध-ु ुस�ंयािसय�के साथ साथ िह�द�वके जागरण हेत ुुक�मीरसे असमतकक� या�ापर िनकले थे । �ीग�के ुआदशेानसार, म� उनका स�दशे महाराजके पास ुलखनऊम�, वे जहां �के थे, वहां लेकर पह�चंीऔर उनक� ओजि�वतासे �प� हो रहा था िक वे उ�च कोिटके स�त ह�; ई�रीय कपासे उ�ह�ने बह�त �ेम, कपा और ृ ृआशीवा�द दकेर हम� कताथ� िकया । म�ने बाबासे कहा िक ृजब आप अपनी इस म�डलीको लेकर स�तानपर ु ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १३ ु ृ

स�म जगतू धम�धारा

��िष� बावराजी महाराज

आएगें तब यिद आपक� कपा रही तो म� इस धम�या�ाम� ृयथाशि� योगदान दनेेका �यास क�ंगी । इसपर बाबाने तथा�त कहा । एक महीने प�ात उनक� टोली ुस�तानपर पह�चंनेवाली थी और मझे एक िदन पव� पता ु ु ु ूचला िक वे स�तानपर पधार रहे ह�, म�ने सोचा, इस ु ुजनपदके लोग�ने उनके आगमन, रहने, भोजन और �वचनक� �या �यव�था क� है ?,दखे लं । जब सारी ू�यव�था दखेी तो मन दःखी हो गया, आज स�त�के �ित ुिकस �कार वत�न करना चािहए ?, यह भी अिधकांश िह�दओकंो पता नह� है । बावराजी महाराज हनमान ुुउपासक थे और मझे तो वे सा�ात हनमान जैसे �ा�तेज ु ुऔर �ा�तेजय� ही िदखते थे, उनके एक बारके ुसा�ा�कारने मझे उनके �ित अ�यिधक स�मान और ुभि� जागत कर दी थी । इतने उ�च कोिटके स�त और ृसाध-स�ंयािसय�को वहांके गणमा�य लोग�ने एक ुअध�िनिम�त अव�थाके शासक�य िव�ालयम� �कवानेका �ब�ध िकया था । जहां उनका एव ंअ�य साध-स�त�का ु(जो उनके साथ थे) माग�दश�न होनेवाला था, वह �थल (मैदान) भी क�चड और पानीसे भरा था; �य�िक वह अग�तका महीना था, म�ने अपनी छोटीसी साधक म�डलीको लेकर एक सभागहक� �यव�था कराई और ृउनके आगमनके बारमे� भी सारी �यव�था कराई । उनके साथ चल रहे म�य स�त�के ठहरने हेत दो साधक�के ु ुघरम� कछ साध-स�ंयािसय�के रहनेक� �यव�था क� । ु ुमेर�ेारा िकए जानेवाले एक िदनके �याससे वहांके माननीय लोग�को ल�जा अनभव ह�ई और वे बाबाके ुरहने हेत एक िव�ामालयम� (होटलम�) �यव�था करनेके ुबारमे� िवचार करने लगे । दसर े िदन बाबाका आगमन ूहोनेपर जब म� वहां पह�चंी तो वे मझे एक �णम� 'पहचान' ुगए, जबिक इससे पव� हमारी उनसे भ�ट मा� पांच ूिमिनटके िलए ह�ई थी । और जब म�ने उ�ह� वहां सबके रहनेक� �यव�था बताई तो वे झटसे कहने लगे; म� तो 'होटल'म� नह� रह�गंा; अिपत वह� रह�गंा जहां तम रहती हो ु ु! म� जहां रहती थी उन साधकक� आिथ�क ि�थित उतनी

अ�छी नह� थी, यह तो आपको बता ही चक� ह�;ं अतः ुम�ने उनके यहां िकसी भी स�तके ठहरनेक� �यव�था नह� क� थी । म�ने उनसे कहा िक वहां उनके िलए उतनी अ�छी �यव�था नह� हो पाएगी; अतः म� उनके रहनेक� �यव�था िकसी अ�य साधकके घरपर करनेका �यास करती ह�;ं पर�त वे बालक समान, जहां म� �क� थी, वह� ुरहने हेत हठ करने लगे । जब म�ने उ�ह� कहा िक आपको ुक� होगा, वहां �कने हेत सारी �यव�था उतनी अ�छी ुनह� है तो वे कहने लगे िक यिद तम वहां रह सकती हो तो ुम� �य� नह� रह सकता ? बाबाका वह �ेम आज भी मेर ेमनम� आन�दक� िहलोर ेभर दतेा है । स�त तो बालक समान होते ह�, िनम�ल, कोमल और पिव� ! उनक� आ�ापालनके अित�र� मेर ेपास कोई पया�य नह� था और उसीम� मेरी भलाई भी थी । िजन साधकके घरपर म� रहती थी, उ�ह� म�ने दरभाषकर सचना दी और उ�ह� ूूतर�त सारी �यव�था करनेके िलए कहा, वे दोन� पित-ुप�नी तो यह शभ समाचार सनकर इतने �स�न हो गए ु ुिक वे उसे सनकर रोने ही लगे । बाबा दो िदन उस ु�थानपर �के और जो भी स�भव ह�आ उन साधक प�रवारने उनक� भावपण� सेवा करनेका �यास िकया । ूबाबाके पदाप�णके प�ात उस घरम� पनः मझे कभी भी ु ुअिन� शि�य�का जैसे पव�म� आभास होता था या भय ूलगता था, वह कभी भी नह� ह�आ । इस �कार स�त आगमनसे कैसे वा�तक� शि� होती है ?, इसक� ु ु��य�म� म�ने �तीित ली ।

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १४ ु ृ

��िष� बावराजी महाराज एक �का�ड िव�ान, दाश�िनक, योगी एव ंग� थे । वे ��िष� िमशनके स�ंथापक थे । उनके ुग� योगे�र भगवान च�� मौलीजी महाराज थे, जो ुिहमालयके एक स�त थे । २७ िदस�बर १९६२ को वे साधनाम� परमो�च अव�थाको �ा�कर, अनेक िदवस समािधम� रहे । उनका गीता, रामायण, उपिनषद, सां�य, हठयोग एव ं वेदा�तम� �भ�व था एव ं वे इसपर �वचन ुकरते थे । उनके िश�य स�पण� िव�म� फैले ह�ए ह� । ू

िह�दओक� उदासीनताके कारण कशीनगरके ंु ुमि�दरम� चल रहा है ईसाइय��ारा छलस ेधमा��तरणका ककम�ु उ�र �दशेके कशीनगरके िवशनपरा थाना �े�म� ु ु ु�ाम पचंायत गोड�रयाके दगा� मि�दरम� गत छह महीन�से ुईसाई धम�के अनसार �ाथ�ना िकए जाने तथा ईसाई ुप�तक� के िदए जानेका �करण सामने आया है । यह भी ुसमाचार िमला था िक वहां सभी रोग�को ठीक करनेके 'दावे'के साथ लोग�को अिभमि��त जल िदया जाता है । यही नह�, िचिक�साके बहाने भारी स�ंयाम� लोग�को बलाकर ईसाईयतका �चारकर मिहलाओकंो ुधमा��त�रत करनेका ककम� चल रहा है ।ु िव�ालय�, और गाव�म� धन आिदका लालच देकर ंधमा��तरण करनवेाले ईसाई अब मि�दर�म� भी यह ककम� करन े लग े ह,� ऐसमे� अब सभी िह�दओको ंु ुअपनी इस तथाकिथत सिह�णताको �यागना चािहए ुऔर मि�दरके आसपास भी ऐस ेलोग�को आन ेनह� देना चािहए । योगी शासन ऐस ेईसाई षडय���को ्िन�फलकर कडी काय�वाही कर;े �य�िक िह�दओन ेंुउ�ह � धम�र�ा हते ही स�ासीन िकया है !ु(२६. ३. २०१९)

पाकम� िह�द लडिकय�के अपहरणपर पछा �� तो ू ूभडक� मलालान े कर िदया '�लाक', �यजीलड� पर ू�कट कर रही थी दःख !ु 'नोबल पीस' पर�कार िजतनेवाली पािक�तानक� ुमलालाका अब वा�तिवक �व�प िव�को दखेनेको िमल रहा है, ये �वय ंएक इ�लािमक क�रपथंीक� भांित �यवहार कर रह� ह� ।

ये कैसी मानवतावादी यवती ह � िज�ह � िह�द ु ूयवितय�के साथ होनवेाले अपन े ही देशके ुधमा��ध��ारा िकए जानवेाले अ�यायके िवषयम� कोई वेदना नह� होती है ! मा� अपन ेपथके यवितय�के ं ुसाथ होनवेाले अ�याचार इ�ह � िदखाई देते ह � जबिक इनके ही पथके लोग िह�द यवितय�पर इतन ेवष�स ें ू ुपािक�तानम� अ�याचार करते आये ह,� यह उ�ह �िदखाई और सनाई नह� देता है ! �या ऐस ेलोग�स ेु'नोबल पीस पर�कार' वापस नह� लेना चािहए ?ु

फेसबकका फज� खात�पर वार, का�सेके ६८७ ंुपेज�को हटाया !

पािक�तानके म�तान और िसधंम� ४ यवितत�को ु ुइ�लािमक क�रपिंथय�ने उठाया है, ये लडिकयां िह�द ूह�, १४ वष�से अ�प आय क� ह� ! इसीको लेकर लोग�ने ु

' नोबल पीस अवाड� ' जीतनेवाली मलाला, जोिक पािक�तानी ह�, उनसे �� पछे तो वे इससे भडक गई ।ं ूमलाला �यजील�डपर शोक �कट कर रह� थ�, जब कछ ू ुलोग�ने उनसे पािक�तानम� िह�द लडिकय�के धमा�तरण ूऔर अपहरणके िव�� बोलनेके िलए कहा तो मलालाने भडकते ह�ए ऐसे लोग�को �ितबि�धत कर डाला !

चनावके िलए �थम चरणके मतदानम� अब कछ ही ु ुिदवस शेष ह�, इस म�य फेसबकने कां�ेससे जडे ६८७ ु ुपेज�को हटा िदया है । सोमवार, १ माच�को फेसबकने ुकहा िक अ�ामािणक �यवहारके चलते दशेक� म�य ुिवप�ी पाट� कां�ेससे जडे इन पेज�को हटाया गया है । ुफेसबकने स�भवत: �थम बार इस �कारक� काय�वाही ुक� है, जब िकसी बडी राजनीितक दलसे स�बि�धत प��को हटाया गया है । फेसबकने �प� िकया है िक ृ ु

�यजील�डपर शोक �कट कर रही मलालाको क�णा ृूनामके एक �यि�ने कहा िक पािक�तानम� िह�द ूलडिकय�का धमा�तरण िकया जा रहा है, उनका अपहरण िकया जा रहा है । इसपर मलालाने क�णा ृनामके इस �यि�को तर�त ही �ितबि�धत कर िदया !ु

(२७. ३. २०१९)

धम�धारा

उि�� कौ�तेय

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १५ ु ृ

फेसबक�ारा कां�ेस 'आइटी' िवभागसे जडे कछ ु ु ुप��को हटाए जानेके पीछे लगाए गए आरोप�को पाट�ने ृनकार िदया है । कां�ेस पाट�के �व�ा मनीष ितवारीने प�कार�से कहा, “जो समाचार आ रहे ह�, हम उनपर �िति�या दनेा नह� चाहते ह� । हम� इसक� जांच करनी होगी िक �या वे फेसबक पेज हमसे जडे थे और इसके ु ुप�ात ही हम कोई िट�पणी करग� े ।'

धमा��ध आलमन े छा�ा पिण�माको जालम� फसाकर ंूउसका जीवन न� िकया, उकसानपेर छा�ान े क� आ�मह�या !

िह�द यवितयो, िजहादी वि�के धमा��ध�स ेू ु ृसावधान रह,� आपक� ल�जा और जीवन र�ाके िलए यह अ�य�त आव�यक है ! वासना�ध धमा��ध�के िलए �ी मा� एक भोग और मनोर�जनका व उनक� जनस�या बढानकेा मा�यम मा� होती ह;� उनस े�मे, ंमानवता और सवेदनशीलता जैसी भावनाओक� ं ंअपे�ा करना �यथ� है, यह उनका इितहास बताता है और उनस े उिचत दरी बनाए रख�, इसीम� आपक� ूभलाई है ! (१. ४. २०१९)

फेसबकने हटाए गए प�न�के दो �ितदश� (स�पल) भी ु��तत िकए ह�, िजनम� �धानम��ीके �यास�क� ुआलोचना क� गई है और कां�ेस एव ंउसके अ�य� राह�ल गांधीको समथ�न करनेक� अपील क� गई है । का�से अब पण�तया उजागर है चक� है और यह हम ं ू ुनह�, �वय फेसबक कह रहा है । �या का�से अब भी ं ंुसा�य�क� माग करगेी ? राजनीितक दलका काय� ंहोता है देशक� �गितम� योगदान देना, चाह ेवह प�म� हो या िवप�म�, राजनीित अथा�त देशका देशके िलए अप�ण !; पर�त आजक� राजनीितका अथ� है - म,� मरेा ुऔर मरे ेलोग, सब कैस ेसखी रह,� इसके िलए िकसीके ुिव�� षडय�� कर,� अपमािनत कर � या िनराधार ्दोषारोपण कर,� चाह े वह ��य� ससदम� कर � या ंफेसबक आिदके मा�यमस े! कछ भी करके स�ा पाए ंु ुऔर भोग� ! इस ओछी राजनीितको प�रवित�त करन ेहते िह�द रा��क� आव�यकता है ! (१. ४. २०१९)ु ू

छ�ीसगढके रामानजगजंम� पिलसने एक यवतीक� ु ु ुआ�मह�याका �करण �िव� िकया है एव ं आरोपीको आ�मह�याके िलए �े�रत करनेवाला बताया गया है; परतं ुवा�तवम� यह ह�यासे भी जघ�य है । िफरदौस आलम नामके लडकेने ' पीएससी' क� पव�िस�ता कर रही ू

छा�ाको पहले अपने जालम� फंसाया, तदोपरा�त, उसके सामने सार ेअतंरगं िच� एक-एक करके फैलाने लगा ! लडक� िवनती करती रही; पर�त िफरदौस आलमक� ुपैशािचक वि� अ�प नह� ह�ई । अ�तत: यवतीने फांसीपर ृ ुझलकर आ�मह�या कर ली !ू आरोपी िफरदौस आलम नगरके 'वाड� �मांक-१३'का रहनेवाला है । वह�, मतक छा�ा २३ वष�य पिण�मा ग�ा ृ ुू'वाड� �मांक -१' क� रहनेवाली थी । िफरदौसने छा�ाके '�हाटसएप'पर एक आशिच� (���नशॉट) भेजा, िजसे ् ुदखेकर यवती सकपका गई । इसम� उसके आपि�जनक ुिच� थे, जो �सा�रत (वायरल) कर िदए गए थे । छा�ा िवनती करती रही िक भले मझे मार डालो; पर�त ऐसा ु ुमत करो; पर�त िफरदौस िनर�तर चेतावनी दतेे ह�ए िलख ुरहा था, अब ये वाला डाल रहा ह� ं। अब 'सबिमट' कर रहा ह� ं। छा�ा िगडिगडाती रही, मझे बदनाम मत करो, चाहो ुतो मार डालो । छा�ाने यह तक कहा, जो करना है करो; पर�त मझे अपमािनत मत करो; पर�त धमा��ध नह� मान ु ु ुरहा था तो दोपहर १२:४६ बजे उसे अि�तम स�दशे भेजकर १२:४८ पर पिण�मा घरम� ही फंदा बनाकर लटक ूगई, िजसके प�ात प�रजन उसे उतारकर िचिक�सालय ले गए; पर�त तबतक दरे हो चक� थी । घटनाके प�ात ु ुरामानजगजंम� शोक व आ�ोशका वातावरण है । ुआरोपीने अपने स�दशे िमटा िदए ह� । पिण�मा शासक�य ूलरगंसाय �नातको�र महािव�ालयम� 'एमएससी'क� िश�ा �ा� कर रही थी ।

इनको उनम� �कािशत साम�ीके �थानपर उनके अ�मािणक �यवहार या अ�ामािणक जानकारीके कारण हटाया गया है ।

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १६ु ृ

१. िह�द नाम लेकर एक धमा��धन ेिह�द यवतीको लव ू ू ुिजहादम� फसायां � उ�र �दशेके बरलेीम� एक धमा��धने िह�द नाम ूधारणकर गांवक� यवतीके �मणभाषपर एक 'िम�ड ुकॉल'के बहाने बात आर�भ क� और धीर-ेधीर े उन दोन�के म�य बात� होने लग� । इस म�य यवकने ुिकशोरीको अपना नाम अजय बताते ह�ए �वयकंो सेनाम� िनय� बताया ! उसे िववाहका झांसा दकेर अपने एक ुिम�के घर बलाकर दराचार िकया, िकशोरीने िववाहका ु ुहठ िकया तो वह उसे अपने घर ले गया । इसके प�ात उसे �ात ह�आ िक उसका �ेमी मसलमान है ।ु

स�पण� भारतम� लगातार घिटत हो रह े ह � लव ूिजहादके �करण

आरोप है िक इसी म�य आरोपीके प�रजनने उसे गोमांस भी िखला िदया ! उसको घर आनेम� दरे होते दखे उसक� बहनने उसे �मणभाषसे स�पक� िकया तो आरोपीने �मणभाष उठाकर उससे कह िदया िक हमने त�हारी बहनका धम� प�रवत�न करा िदया है । अब हम ुउससे िववाह करग� े, िजसपर उसक� बहनने पिलसको ुतर�त इसक� सचना दी तो पीिडत यवतीको आरोपीके ु ू ुघरसे लेकर आई । पिलसने कहा है िक �करण �िव� कर ुिलया है तथा आरोपीके िव�� ससगंत धाराओमं� ुकाय�वाही क� जा रही है । िह�द यवितयो ! यिद िजहािदय�स ेबचना चाहती ू ुहो तो 'िम�ड कॉल'वाले �यि�स े िम�ता न बढाए, ं�य�िक लव िजहादके अनके �करण इसी �कार आर�भ हए ह � ।�२. धमा��धके कारण िहमाचल �देशके एक गावके बह-ं �बेिटया अपन े आपको पा रह� ह � असरि�त ं ु िहमाचल �दशेके सोलनके औ�ोिगक �े� नालागढके तहत उपरली ढांगम� दो समदाय�के म�य ुिववाद थमनेका नाम नह� ले रहा है । गांवम� ि�थित तनावपण� बनी ह�ई है । गांवम� सर�ा �यव�थाको दखेते ू ुह�ए भारी पिलस बल िनय� कर रखा है ।ु ु

लडक�के प�रजन और गांववासी मसलमान यवकपर ु ुयवतीके अपहरणके ग�भीर आरोप लगा रहे ह� । यवतीके ु ुप�रजनका आरोप है िक आरोपीने यवतीको �ेम जालम� ुफंसाया और भगाकर ले गया है । �ामीण�का कहना है िक जबसे यवकने यवतीका अपहरण िकया है, तबसे वह ु ुपिलस �शासनके च�कर काट रहे ह�; पर�त पिलसने ु ु ुकोई काय�वाही नह� क� है । ���उ�ह�ने कहा है िक इस समदायके प�रवारके कारण ुपर ेगांवका वातावरण दिषत हो रहा है और उनक� बह�-ू ूबेटी और मिहलाए ं अपने ही गांवम� अपने आपको असरि�त अनभव कर रही ह� ।ु ु आज अनके गाव� और नगर�स ेिजहादके �करण ंआ रह ेह,� तथािप अिधकाश िह�द और शासन जगा ं ूनह� है इसस े अिधक दःखक� बात और �या हो ुसकती है ? (३०.३.२०१९)

महबबाके िवषकारी बोल, हम मसलमान बहल रा�य ू ु �ह,� ३७० हटानकेा �यास िकया तो भारतस ेहो जाएग ेंपथक !ृ

“ये भारत गणरा�यक� पव� म�यम��ी रह चक� ह �ू ु ुऔर भाषा पथकतावािदय�क� बोल रह� ह � ! गत ृिदवस�म� भी महबबा आतक समथ�क स�थाओको ं ं ंू�ितबि�धत करनकेा िवरोध करती रह� ह � ! व�तत: ुइन जैस ेनतेाओके वरद ह�त होनकेे कारण ही आज ंक�मीरम� इतनी िव�फोटक ि�थित िनमा�ण हई है और �अब ये खलकर पथकतावािदय�क� भाषा ही नह� ु ृ

महबबा म�तीने �प� कर िदया िक कोई रा�य यिद ू ुमसलमान बह�ल हो जाता है तो वो भारतके साथ अपनी ुशत�पर ही रहेगा और यिद उसे नह� माना जाएगा तो वो भारतका साथ छोड दगेा ! महबबा म�तीने भारतको ू ुचेतावनी दी है िक ज�म क�मीर एक मसलमान बह�ल ू ुरा�य है और यिद ३७० को हटाया तो भारतके साथ हम अपने स�ब�ध समा� कर दग� े और भारतके साथ नह� रह�गे ।

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १७ु ृ

उ�र �दशेम� शासक�य धनके �योगम� ��ाचार उजागर ह�आ है । ९७ सह� कोिटक� धनरािश कहां-कहां और कैसे �यय ह�ई ?, इसका कोई लेखा-जोखा ही नह� है । 'कैग'के �यौरमे� उजागर ह�आ िक अिखलेश शासनम� शासक�य धनक� �खर लट ह�ई है । शासक�य ूयोजनाओकें नामपर ��ाचारकर ९७ सह� कोिट �पएके शासक�य धनका ब�दरबांट ह�ई । सबसे अिधक ��ाचार समाज क�याण, िश�ा और पचंायतीराज िवभागम� ह�आ है । केवल इन तीन िवभाग�म� २५ से २६ सह� कोिट �पये कहां �यय ह�ए ? , िवभागीय अिधका�रय�ने कोई लेखा-जोखा नह� िदया है । 'कैग'ने ३१ माच�, २०१७-१८ तक उ�र�दशेम� �यय ह�ए 'बजट'क� जांच क� है । 'कैग'ने कहा िक उ�र �दशेम� �यय ह�ए कल धनरािशका लेखा-जोखा ुअिखलेश शासनके पास नह� है । �ययक� उपयोिगता �माणप� उपल�ध नह� होनेसे उ�र�दशेम� बडे �तरपर धनरािशके द�पयोग और �ययम� धोखाधडीक� ु

िमशनरी िव�ालयपर धम� प�रवत�नका दबाव बनानकेे आरोप, िवरोधपर छा��को िकया अन�ीण� ु उ�र �दशेके जनपद बरलेीम�, क� ट ि�थत िमशनरी िव�ालय िबशप कॉनराडने ईसाई धम� न अपनानेपर �यारहव� क�ाके छा��को अन�ीण� कर िदया । छा��ने ुकहा िक हमपर धम� प�रवत�नका दबाव डाला था । अपना काय�काल परा कर चके िश�क साथ�कने बताया िक ू ुमझपर भी धम� प�रवत�नका दबाव बनाया गया । सात ुलाख �पयेका लालच िदया । ऐसी अनके घटनाओस े�प� हआ है िक िमशनरी ं �िश�ा देन े हते नह�; अिपत धम� प�रवत�नके िलए ु ुिव�ालय खोलते ह � । अब इन ईसाई िव�ालय�को ब�द करना अित आव�यक हो गया है; िक�त इसके ुिलए िह�दी एव �ादेिशक भाषाओक� ग�रमाको ं ंपन�था�िपत करना होगा और इन भाषाओम� अ�छी ंुिश�ा देनवेाले िव�ालय�को खोलना होगा; िक�त ुयह िह�द रा��म� ही स�भव होगा । (३०.३.२०१९)ू

‘कैग'क� जाचम� अिखलेश शासनका ९७ सह� ंकोिटका ��ाचार उजागर हआ ।�

आशकंा है । उ�र�देशक� इस दग�ितका �ये पण�तया 'सपा'को ु ूजाता है । िजस व�को तथाकिथत दिलत िहतैिषणी ृस�ी मायावतीजीन े रोपा, अिखलेशजीन े उसीको ुउव�रक (खाद) और पानी देकर पाला-पोसा और ऐसा हो भी �य� न ? देशम� िह�द जात-पातके नामपर ूलडनमे� �य�त ह � और नतेा घर भरनमे� । अभी कछ ुमाह पव� ही समाचार आया था िक अिखलेश, ूशासक�य भवन छोडते समय अनके कोिट �पय�क� तोडफोड करके गए थ,े अब ऐस ेनतेाओस ेऔर �या ंआशा क� जा सकती है ? और यह केवल उ�र �देशक� नह�, अिधकतर रा�य�क� यही ि�थित है । सह�� कोिटका ��ाचार ऐस ेहोता है, जैस ेकछ सौ ु�पय�का । अनमान करना किठन है िक यिद ये पैसा ुजनतातक पहच जाता तो आज यह देश कहास ेकहा ं ं ं�होता । कछ सह� कोिटके अ�-श� नह� �य कर ुपानवेाले भारतके नतेाओके पास सह�� कोिटकां

बोलन े लगी ह � अिपत देशको तोडनके� चेतावनी ुदेनकेा अ��य अपराध कर रह� ह � ! �या पथकवािदय� समान रा���ोही व��य करनवेाली ृयह मिहला द�डक� अिधका�रणी नह� ह � ? �या अिभ�यि�क� �वत��ताका अथ� है, देश िवरोधी व��य देना ! और वे भारतस ेटटकर िकसस ेिवलय ूकरग� े? आतक��तान पािक�तानस े! जो �वय आज ं ंअपना घर चलान ेहते सबस ेकटोरा लेकर भीख माग ंुरहा है ! सभी पथकवादी सोचवाले �यि�य�को हम बता ृदेना चाहग� ेिक क�मीरस ेक�याकमारी तक यह भारत ुहमारा है, इस ेिकसी भी म�यपर हम िवखिडत नह� ंूहोन ेद�ग े!”

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १८ु ृ

के म�य बढानेपर ��ालओनें िवरोध �कट िकया ।ू ु

पीडीपी िवधायकका अिभयाि��क�क� िश�ा लेनवेाला भतीजा बना आतक�, ' िहजबल ं ुमजािहि�न'म� सि�मिलत ।ु २०२० तक क�मीरको पथक करनेक� चेतावनी ृदनेेवाली पीडीपी अ�य�ा महबबा म�तीके दलके ू ुिवधायक जफर इकबाल म�हासका भतीजा कामरान जह�र आतंक� सगंठन 'िहजबल मजािहि�न'म� सि�मिलत ु ुहो चका है ।ु

नतेाका यह कहना िक उ�ह � िव�ास नह� हो रहा, यह हा�या�पद है । उनका दल व उनक� अ�य�ा �ितिदन पथकतावादी नतेाओ, आतक समिथ�त ं ंृइ�लािमक सगठन�का समथ�नकर उनपर ं�ितब�धका िवरोध करती ह,� ऐस ेदल�के नतेाओके ंस�ब�धी यिद आतक� सगठनम� चले जाए तो कौनसी ं ं ं

बडी बात है ? गत िदवस�म� भी यह उजागर हआ िक �आइएसआइ यवाओ व छा��को ल�य बना रही है, ंुऐसमे� यह होना �वाभािवक है । जब क�मीरको पथक ृकरनके� भावना बड�म� ही �बल है तो ब�च� या यवाओस े�या अपे�ा क� जाए ? वे तो आतक� दल�म� ं ंुजाएग े ही; �य�िक उनम� यह सामा�य �ान या ंरा���मे नह� है िक जो देश हमार ेिलए इतना कर रहा है, उसके िव�� हम� नह� जाना चािहए । शासन अब आतक� बन रह े इन छा��को रोके या इ�ह � दी ंजानवेाली सिवधाओपर पनिव�चार कर,े यही ंु ुरा��िहतम� है । (४.४. २०१९)

मि�दर शासक�यकरणके द�प�रणाम, माता वै�णो ुदेवीक� आरती करना हआ दोगना महगा, देन ेह�ग ें� ु२००० �पए !

धन भरा पडा है । के�� व योगी शासन इसक� जाचकर, दोिषय�पर कडीस ेकडी काय�वाही कर � और ंइ�ह � उिचत द�ड �दान कर,े यह रा��िन��क� माग ंहै । (४.४.२०१९)

शोिपयां जनपदके करवेाके शादाब �े�का िनवासी कामरान कछ िदवस पव� ही लापता ह�आ था; पर�त ु ू ुबधवार, ३ अ�ैलको उसके िच� एके-४७ ब�दक िलए ु ूसामािजक �सार मा�यमपर (टिवटरपर) �सा�रत होने ्लगे,िजसके प�ात दि�ण क�मीरके एक अिधकारी�ारा पि� क� गई िक िच�म� कामरान ही है । 'इंिडयन ुए�स�ेस' से ह�ई वाता�म� अपने भतीजेके आतंक� सगंठनसे जडनेपर जफरने कहा िक उ�ह� इस बातका ुिव�ास नह� हो रहा है । उ�ह�ने ऐसा �व�नम� भी कभी नह� सोचा था । कामरान अिभयाि��क�का (इंजीिनय�रगंका) छा� था । म�हासने बताया िक कामरान २० िदवस पव� िनकटवत� म�गा नगरके िलए ू ुिनकला था । उ�ह�ने बताया िक वहां (कलगामम�) वह ुअपनी िश�ा �हण कर रहा था; पर�त अब उ�ह� �ात ुह�आ है िक वह आतंक� सगंठनम� सि�मिलत हो गया है ।

वै�णो दवेीक� �ाचीन गफाके �ांगणम� �ातःकाल और ुस��याम� होनेवाली िद�य आरतीम� सि�मिलत होनेके िलए अब ��ालओकंो दोगना म�य दने ा पडेगा । पहले ु ु ू��ाल इस अटका आरतीम� सि�मिलत होनेके िलए �ित ु��ाल १००० �पये दतेे थे; पर�त अब ��ालओकंो ु ु ुएक अ�ैलसे २००० �पये �ित ��ाल भगतान करना ु ुपडेगा, िजसक� घोषणा '�ी माता वै�णो दवेी �ाइन बोड� 'ने कर दी है । इसके साथ ही मां वै�णो दवेीक� पिव� िपि�डय�के सम� होनेवाली िद�य आरतीका श�क भी ु'�ी माता वै�णो दवेी �ाइन बोड� ' ने बढा िदया है । आरती

मगल��ारा िह�दओस े'जिजया' कर िलया जाता ंु ुथा, जब उ�ह � अपन ेतीथ��थल�म� जाना होता था और आज मि�दर�म� इस �कारके क�य होन ेलग ेह � और ये ृकेवल मि�दर शासक�यकरणके (सरकारीकरणके) द�प�रणाम ह � । यिद मि�दरका स�पण� काय�भार ु ूशासन न लेकर भ� लेते, तो इस �कारक� उगाही िह�द भ��स ेनह� क� जाती । यह िन�दनीय है, िह�द ू ूबहल देशम� रहते हए हम अपन ेदेवताओक� आरती ं� �

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - १९ु ृ

का�सेक� वा�तिवकता, ब�गल�म� िव�णसह�नाम ं ु ुय�म� का�से काय�कता�ओन े िकया उप�व, लोग�न ें ंकहा ये रा�स ह � !

��इस घटनाक� ��य�दश� रह� लेिखका सहाना िसहंने इस बारमे� 'टवीट' करते ह�ए िलखा िक कल स��याको ्(अ�ैल ७, २०१९) ब�गल�के पण� ��ा िव�ापीठम� ु ूधािम�क िव�ान, सगंीतकार और लेखक एक� ह�ए थे; पर�त वहांका वातावरण उस समय भयानक प�र��यम� ुप�रवित�त हो गया, जब कां�ेसके कछ उप�िवय�ने वहां ुपह�चंकर मोदीके िव�� उ�ोष करते ह�ए िव�ापीठम� उपि�थत लोग�पर आ�मण करना आर�भ कर िदया । एक �यि�ने 'टवीट'म� िलखा िक िजन लोग�ने य�म� बाधा ्डालनेका �यास िकया, वे रा�स ह� और भगवान राम हमारी र�ा कर � ।

िह�द यवितय�का अपहरण और धमा��तरण �करणम� ू ुइ�लामाबाद उ�च �यायालयन ेउ�ह � अधेड आयके ुपितय�के पास भेजा वापस

समाचारके अनसार, अपनी एक यािचकाम� दोन� ुबहन�ने यह दावा िकया था िक वे घोटक�के (िसधं) एक िह�द प�रवारसे अव�य ह�; पर�त उ�ह�ने इ�लािमक ुूउपदशे�से �भािवत होकर अपना धम� प�रवत�न कर िलया था ।

अनपालनकर धमा�िभमानी बन�ग ेऔर दज�न�का मखर ु ु ुहोकर िवरोध करग� े! कहा गया है िक जो धम�क� र�ा करता है, धम� उसक� र�ा करता है । कछ धन, भिम ु ूआिदके लोभम� िह�द�ोही दल�को मत देनवेाले ूिनधम� िह�द और धम�को जाननवेाल�का मौन ही इन ूसबका उ�रदायी है; अतः िह�दओ, लोभवि� छोड ु ृधम�को धारण कर � और ऐस े राजनीितक दल�स ेसावधान रह,� जो धम� और रा�� िवरोधी ह,� तब ऐस ेय�म� बाधा डालनवेाले �वतः ही भयभीत हो जाएग े। ं(८.४.२०१९)

इ�लामाबाद उ�च �यायालयके म�य �यायाधीश ुअथर िमन�लाहक� अ�य�तावाली उ�च �यायालयक� एक पीठने पांच सद�यीय आयोगके िववरण ��तत ुकरनेके प�ात यह िनण�य िलया, िजसम� यह जांच करनेका काम स�पा गया था िक �या िह�द बहन�को ूइ�लामम� धमा��तरणके िलए िववश िकया गया था ? आयोगने �यायालयको सिचत िकया िक किथत ूिचिक�सा परी�ण�से यह िस� हो गया था िक दोन�

भी िनःश�क नह� कर सकते ह,� ऐस ेिनण�य लेनवेाल ेुिनधम� लोकत��के �थानपर हम� धम�को सर�ण ंदेनवेाला िह�द रा�� चािहए । (४.४. २०१९)ू

ब�गल�के पण���ा िव�ापीठम� िव�ण सह�नाम य� ु ू ुचल रहा था, इसी म�य वहांपर कां�ेसके कछ गडं�ने ु ुलोग�को पीटना और साथ ही राह�ल गांधी 'िजदंाबाद'के 'नार'े लगाना आर�भ कर िदया । एक �यि�ने टवीटकर ्िलखा िक िजन लोग�ने य�म� बाधा डालनेका �यास िकया, वे रा�स ह� ।

पािक�तानके िसधंम� घोटक�से दो िह�द यवितय�, रीना ुूऔर रवीनाका किथत �पसे अपहरण कर िलया गया और उ�ह� बलपव�क इ�लामम� प�रवित�त कर िदया गया । ूइतना ही नह� बलपव�क उनका िववाह उनक� आयसे बडे ू ुधमा��ध�से करा िदया गया । इस �करणम� इ�लामाबाद उ�च �यायालयम� दोन� बहन�को अपने मि�लम पितय� ुसफदर अली और बरकत अलीके साथ रहनेका आदशे िदया है ।

एक ओर िव�, धेन, सर और स�तक� िवड�बना ु ुकरनवेाली का�सेके अ�य� राहल गाधी और ि�यका ं ं ं�गाधी चनावके समय देवालय�म� जाकर पजा-पाठ ं ु ूऔर गगा �नान आिदका िदखावा कर रह े ह � और ंिह�दवादी होनकेा दम भर रह ेह;� पर�त दसरी ओर ू ु ूउनके काय�कता�ओन ेइस य�म� जो उ�पात िकया है, ंवह का�सेक� वा�तिवकताका ही बोध करवा रहा है ंऔर िन�स�देह, िव�णसह�नाम �पी महाय�म� ुबाधा डालनवेाला िहर�यक�यप �पी असर ही हो ु ुसकता है; पर�त इस किलकालम� आपक� र�ा हते ु ुराम तभी आ सकते ह,� जब आप धम�का

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २०ु ृ

पािक�तान समचे िव�को यह बताना चाहता है िक ूवह िकतनी �व�छ छिवका है; िक�त हम यह पछना ु ूचाहते ह � िक वहा िजतन ेभी धमा��तरण होते ह,� वह ंमा� कवारी िह�द यवितया ही �वे�छास ेकरते हए ं ंु ू ु �तर�त धमा��ध�स ेिववाह �य� करती ह � ? �या अपनी ुइ�छास ेधमा��तरण करवाते-करवाते ही िह�द वहा पर ंूनग�य हो गए ह � ? वहाके धमा��ध��ारा िह�दओके �ित �रताके आए ं ंु ूिदन समाचार आते ह,� ऐसमे� िकसीपर बल डालकर या ह�याक� चेतावनी देकर यह करवाना अ�य�त सरल है । पािक�तानके इन कक�य�को सामन ेलानकेे िलए ु ृवहा सभी िह�दओको एक� होना होगा और िव�के ं ंुसभी िह�दओन ेभी ऐस ेधमा��तरणके िव�� अपना ंु�वर मखर करना चािहए िजसस ेवहाका जो भी िह�द ंु ूशेष ह,� कमस े कम वे तो सरि�त रह सके । ु(११.४.२०१९)

यवितयां अवय�क नह� थी; �य�िक उनम�से एक १८ ुऔर दसरी १९ वष�क� थ�; इसिलए उ�ह� अवय�क नह� ूकहा जा सकता । िह�दओ, जहा धमा��ध बहस�यक हो जाते ह �ं ंु �वहाके जाच आयोग, �यायालय सब िह�द�ोही होते ं ं ूह,� पािक�तानका यह �करण चीख-चीखकर बता रहा है । यवतीका िपता माग�के म�यम� बैठकर रो रहा ुथा, ऐसा एक वीिडयो सामन ेआया था और जाच ंआयोग �यायालयस ेकह रहा है िक यवितय�न ेअपनी ुइ�छास े इ�लािमक उपदेश�स े ��ेरत होकर अधेड आयके �यि�स ेिववाह कर िलया !ु

पाद�रय�का अवैध धन धमा��तरणम�, जाल�धरके पादरीस े िमले अवैध ९ कोिट �पए जाल�धर पिलसने श�वार, २९ माच�को छापा मारकर ु ुपादरी एथंनीके घरसे ९ कोिट ६६ लाख ६१ सह� ७०० �पय�का अवैध धन पकडा है । पिलसने कहा है ुिक यह धन धम� प�रवत�नम� �योग िकया जाता था, इनको

लेकर पिलस, आईटी व िनदशेालय जांच कर रहे ह� ।ु पादरी केरल िग�रजाघर द�कम� �करणम� फंसे िबशन ु�� कोका िनकटवत� है । वह�, रा��ीय ईसाई महासघंने कहा िक पैसेका �यौरा प�तक�म� है ।ु ये तीन �ि�कोण ह�, िजनपर आईटी, िनदशेालय और पिलस कर रही जांच-ु१. धम�के नामपर काले धनको वैध करनके� शका ंस��के अनसार काले धनके �करणम� पादरी एथंनीक� ू ुमह�वपण� भिमका है । धािम�क स�ंथान�के साथ ू ूजाल�धरम� चलाई जा रही एक स�ंथाके लेखे-जोखेम� काले धनको वैध िकया जाता था ।२. म�बईस ेलेकर जाल�धरतक हो सकता है िगरोह ुकाले धनका यह जाल म�बईसे लेकर जाल�धरतक ुफैला है । म�बई जैसे नगर�म� बैठे अरब�-खरब�के �वामी ुअपने काले धनको िकसी न िकसी �कारसे वैध करनेम� इनका आ�य लेते ह� ।३. २५ से ४० �ितशततक लाभ अिज�त िकया जा रहा था पिलस स��ने बताया िक काले धनको वैध करनेम� ु ूने�सेसको २५ से लेकर ४०% तक लाभ होता था । इतना बहद �करण है और िविच� है िक हमार ेृदेशके समाचार मा�यम�पर कोई चचा�/वाता� नह� है; �य�िक स�भवतः अवैध धन रखनवेाला पादरी है । िह�द स�त�को िनद�ष होते हए भी दोषी बतानवेाले ू �समाचार मा�यम, जो समचे देशम� अनिचत धारणा ू ुबनानकेा काय� करते ह,� वे इसपर मौन ह,� यह प�पात �य� ? पािपय�का साथ देनवेाले सभी लोग �मरण रख� िक धम�रा�यम� सभीको इसका भगतान करना ुपडेगा ।

रजर�पा थाना �े�के दलमी �ख�डके िसकनी गांवम� ुशिनवार, १३ अ�ैलको रामनवमी शोभाया�ापर पथरावके प�ात दो प��के म�य तनाव हो गया है । इस

झारख�ड और राज�थानम� रामनवमी शोभाया�ापर धमा��ध��ारा प�थरवषा�

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २१ु ृ

रामके देशम� अब रामनवमी मनाना भी द�कर हो ुगया है, इसस े बडी िवड�बना और �या होगी ? रामभ��पर इस 'प�थरबाजी'पर तथाकिथत धम�िनरपे� राजनीितक दल, कछ समाचार मा�यम ुऔर 'िलबरल' समह�का मौन िदखाता है िक ये सभी ूभारतिवरोधी गितिविधय�म� सिल� ह,� िजनका ंउ�े�य केवल िह�दओका पतन करना है । अपन ेआप ंुसिह�ण कहलानवेाला िह�द आज अपन े धम�के ु ूअि�त�वके िलए लड रहा है, इसम� चक िह�दओक� ंू ुही है; �य�िक धम� िवषय�पर हमार े मौनन े ही िनधिम�य� व िजहािदय�के साहसको इतना बढा िदया है िक धमा��ध पिलसक� उपि�थितम� भी ु'प�थरबाजी' करते ह � अथा�त उ�ह � पिलसका भी कोई ुभय नह� है ! िह�दओ ! यिद धम�र�ाकर अपना ुअि�त�व र�ण करना चाहते ह � तो धमा�िभमानी बन� और रामजीक� शोभाया�ापर हई 'प�थरबाजी'का �मखर होकर िवरोध कर;� �य�िक अब यह लगभग ु

��येक िह�द उ�सवपर हो गया है िक धमा��ध प�थर ूबरसाते ह,� जबिक आजतक ईद आिद िकसी �योहारपर कोई उप�वक� बात नह� आई । िह�द ूधम�न ेतो सदैव सभीको भजाए फैलाकर अपनाया है; ंुपर�त यिद सामनवेाला भजाए ही काटन ेलग ेतो �या ंु ुउ�ह � और अिधक आ�य देना उिचत होगा ? एक और समाचार अनसार जोधपरम� धमा��ध�का ु ु द�साहस, रामनवमीपर शोभाया�ापर पथराव िकया ुगया और वाहन फके गए !ंू शिनवार १३ अ�ैलको राज�थानम� जोधपरके ुसरसागर �े�म� रामनवमीपर दो गट�के म�य तनाव ू ुइतना बढ गया िक शोभाया�ासे लौट रहे लोग�पर धमा��ध�ने पथराव िकया । पथरावके प�ात धमा��ध�ने दो वाहन�को आग भी लगा दी । सरसागर �े�के �यापा�रय�के 'मोह�ले'म� दो िदवस ूपव� िकसी बातको लेकर कछ यवक�म� आपसी िववाद हो ू ु ुगया था । यह िववाद इतना बढ गया िक यह सा��दाियक उप�वम� प�रवित�त हो गया । िववाद बढता दखे वहां उपि�थत कछ लोग�ने �करणको शा�त करा िदया; ुपर�त रामनवमीके अवसरपर शोभाया�ाम� भाग ुलेनेवाले लोग जब अपने घर लौट रहे थे, तभी उनपर कछ लोग�ने अपनी छत�से प�थर बरसाने आर�भ कर ुिदए । एकाएक प�थर�क� वषा�से शोभाया�ाम� सि�मिलत लोग�ने भगदड हो गई, िजसम� कछ लोग ग�भीर �पसे ुचोिटल भी हो गए ।

“का�से शािसत राज�थानम� यिद धमा��धं आई ं ।

रामनवमीपर िह�दओके साथ-साथ पिलसपर भी ंु ुप�थर फ� के तो आ�य� कैसा ? धमा��ध�को �ात है िक

थोडे समयके प�ात पिलस पह�चंी तो पहले तो ुपिलसने ि�थितपर िनय��ण पानेके िलए वहां उपि�थत ुभीडको खदडेा । उसके प�ात जो लोग छतसे पथराव कर रहे थे, उ�ह�ने पिलसपर भी 'पथराव' करना आर�भ ुकर िदया । इससे दो पिलसकिम�य�को ग�भीर चोट�ु

पथरावम� कई अिधका�रय�को भी चोट आई है । घटनाके प�ात िसकनी गांवम� भारी स�ंयाम� पिलस बलको ुिनय� िकया गया है । पिलस और �शासिनक ु ुअिधकारी दोन� प��के लोग�को समझानेम� लगे ह�ए ह� । लोग�ने बताया िक वे लोग िनधा��रत रा�तेसे रामनवमीक� शोभाया�ा गांवम� घमा रहे थे । इसी म�य ूपहलेसे स�ज मसलमान प�के लोग�ने अपनी छत�से ुशोभाया�ापर 'पथराव' करना आर�भ कर िदया । इस प�थरवषा�से शोभाया�ाम� सि�मिलत कई लोग चोिटल हो गए । इसके प�ात शोभाया�ाम� सि�मिलत लोग�ने भी प�थर चलाना आर�भ कर िदया । शोभाया�ाके साथ उपि�थत पिलस अिधका�रय�ने ि�थितको अिनयि��त ुहोता दखे त�काल इसक� सचना व�र� ूपदािधका�रय�को दी । सचनापर भारी स�ंयाम� पिलस ू ुबल पह�चंकर ि�थितको िनय��ण करनेम� लग गए; पर�त दोन� ओरसे हो रहे 'पथराव'म� कई अिधका�रय� ुसिहत पिलसवाल�को भी चोट आई है ।ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २२ु ृ

जो िव�ालय अपन े प�रसरम� हए ऐस े जघ�य �अपराध�को छपाता है, ऐस े अपराधीको बचानकेा ु�यास करता है, वह अपन े ब�च�म� �या स�कार ंडालता होगा ?, �वय सोच� !ं

है । र�ाम��ी िनम�ला सीतारमणने बधवार, ३ माच�को ुकहा िक कां�ेस सर�ाबल�को आतंकवाद िवरोधी ुअिभयान�के समय िमली छटको दब�ल कर रही है । ू ुर�ाम��ीके व��यके प�ात पव� िव�म��ी ू

समाचार मा�यम�स े लेकर पिलस �शासन व ुिचिक�सक�का मौन, �� िनमा�ण करता है और बताता है िक िकस �कार िमशनरी अपनी जड� फैला रह े ह,� और सभीको अपनी जालम� ले रह े ह,� जो िच�ताका िवषय है ।

अफ�पाम� सशोधनके वचनपर भाजपा भडक�, ंर�ाम��ी बोल�, “सश� बल�को दब�ल बनानकेा ु�यास कर रही है का�से !”ं रा��ीय एव ंआ�त�रक सर�ाके �करणपर भारतीय ुजनता पाट� (भाजपा) और कां�ेसके म�य आरोप-��यारोप ती� हो चके ह� । मंगलवार, २ माच�को ुकां�ेसका घोषणाप� जारी होनेके प�ात रा��ीय सर�ाको लेकर भाजपा और के�� शासनके म��ी दोन� ुकां�ेसपर आ�ामक ह� । भाजपाका आरोप है िक कां�ेसका घोषणाप� सैिनक�का 'अपमान' करनेवाला

िब�कटके 'पैकेट'को लेकर आर�भ ह�आ िववाद इतना ुिहसंक �प ले लेगा, िकसीने सोचा भी नह� था । यह �करण ऋिषकेश उपम�डलके रानीपोखरी ि�थत ' िच��े�स होम एकेडमी' नामक िव�ालयका है ।

िव�ालय �शासन और जौली�ांटके िचिक�सक तकने इसे िवषा� भोजनका �करण बताया; पर�त पिलसको ु ुइसपर िव�ास नह� हो रहा था । अकादमी सचंालक �टीफेन सरकारपर अभीतक कोई काय�वाही नह� होना पिलसक� भिमकाको भी ु ूसिंद�ध बनाता है । समाचार िवभागने �करणको दबानेम� पिलसके सहयोग होनेक� भी बात कही है । १० माच�को ुमतक सिहत सभी ब�चे िग�रजाघर गए ह�ए थे । उसी ृसमय यह घटना ह�ई । छा��ने मतक ब�चेको ठंडे जलसे ृनहलाया और ग�दा पानी बलपव�क िपलाया ।ू

काय�वाही होगी नह� | �या ऐस ेउप�िवय�को, जो प�थर बरसाते ह,� पिलसको गोिलय�स े मारनके� ु�वत��ता नह� होनी चािहए ? �य�िक क�मीरी 'प�थरबाज' और देशके कोन-ेकोनमे� पनप रह ेधमा��ध 'प�थरबाज�'म� कोई अिधक अ�तर नह� है; �य�िक दोन� ही रा��क� अख�डताको न� करनमे� िल� ह,� अ�यथा ��येक िह�द �योहारपर ू'प�थरबाजी' �य� क� जाती है ? िह�दओको ंुकोसनवेाले और लोकत��क� दहाई देनवेाले ुशासकगण अथवा समाचार मा�यम इसपर मौन न रह � और उ�र द� िक �य� धमा��ध�का इतना साहस बढ रहा है िक आज िह�द अपन े ही देशम� अपन ेू�योहार नह� मना सकता ?”( १४. ४. २०१९)

देहरादनके एक ईसाई िव�ालयम� एक ब�चेक� ह�या ू�करणको िव�ालय �शासनन े िवषा� भोजनस ेम�यका �करण बनानकेा िकया �यासृ ु ���दहेरादनसे एक ईसाई िव�ालय�ारा घिणत क�यका ृ ृू�करण �काशम� आया है । िमशनरी िव�ालय 'िच��े�सहोम एकेडमी'म� व�र� छा���ारा १२ वष�य एक ब�चेक� पीट-पीटकर ह�या कर दी गई । आरोप है िक १२व� क�ाम� पढनेवाले ब�चेने उ� ब�चेको िब�कटका पैकेट चोरी करनेका दोषी बताया और 'ब�ले ुव �टं�स'से पीट-पीटकर उसके �ाण ले िलए । १२व� क�ाके ब�च�ने ब�चेको पहले तो पीटा और उसे वह� क�ाम� छोडकर िनकल गए । चोिटल छा�को िचिक�सालय ले जाया गया, जहां उसक� म�य हो गई; ृ ुपर�त इस घटनाके प�ात िव�ालय �शासनने िजस ु�कारक� �वि� अपनाई, उसक� चार� ओर िन�दा हो ृरही है ।

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २३ ु ृ

गजरातके अहमदाबादम� वीरमगामके िनकट रिववार, ु३१ माच�को मसलमान समदायके कछ सद�य�ने एक ु ु ुकि��तानके पास िनमा�णाधीन भीतपर दसर ेसमदायक� ुूमिहलाओ�ंारा व� सखानेपर आपि� �कट क�, ुिजसके कारण झडप ह�ई । इस झडपम� नौ लोग चोिटल हो गए ।

कां�ेसने अपने घोषणाप�म� कहा है िक स�ाम� आनेपर वह दशे�ोहके िवधानको समा� करगेी और 'सश� बल िवशेष शि�यां अिधिनयम'क� (अफ�पा) समी�ा और उसम� सशंोधन करगेी । कां�ेसक� इन दोन� घोषणाओकं� आलोचना हो रही है । सर�ा िवशेष��का कहना है िक इन ुदोन�से दशेक� आ�त�रक सर�ा दब�ल होगी और दशे-ु ुिवरोधी गितिविधय�को बल िमलेगा । कां�ेसके घोषणाप�पर �िति�या दतेे ह�ए िव�म��ी अ�ण जेटलीने कहा िक ऐसा लगता है िक घोषणाप�के कछ ुअशं�को 'टकडे-टकडे ग�ग' ने स�ज िकया है !ु ु

पिलसने बताया िक मसलमान�ने डंड�से आ�मण ु ुिकया और प�थर फ� के । उ�ह�ने कहा िक आरोिपय�को पकडते समय पिलसका एक दल भी आ�मणक� चपेटम� ुआ गया । पिलसने आसं गैसके गोले छोडकर और कछ ु ू ुलोग�को ब�दी बनाकर ि�थित िनय��णम� क� ।

बिह�कार कर े ! 'दबग-३' चलिच�के छायाकनके ं ं(शिटगके) समय िशविलगका अपमान, िशविलगके ं ं ंूऊपर मचक (त�त) डालकर हए खडें � म�य�दशेक� धािम�क नगरी महे�रम� अिभनेता सलमानके चलिच� "दबगं-३"के छायांकनके (शिटंगके) ूसमय नम�दा नदीके तटपर �थािपत �ाचीन िशविलंगके ऊपर लकडीका मंचक रखा िदखाई द ेरहा था । इस 'मंचक'पर दो लोग खडे िदख रहे थे । अिभनेताने कहा िक 'मंचक' िशविलंगके स�मानम� रखा गया था तािक चलिच�के छायांकनके समय �ितमाक� पिव�ताको कोई ठेस नह� पह�चें । काला�तरम� इसे हटा िदया गया था ।

पी िचदबंरमने ��या�मण िकया ।

का�से अब सनेाक� शि� और मनोबलको भी ंदब�ल करना चाहती है । देश एक साथ खडा होकर ुइनके इन क�य�का िवरोध कर ेऔर रा��क� सर�ास ेृ ुखेलनवेाले ऐस ेदलको पनः स�ाम� लाना है अथवा ुनह�, यह िववेकस ेिनण�य ले !

कि��तानक� भीतपर व� सखान े मा�स ेधमा��ध�न ेुिकया उ��व, प�थर फ� के ।

िशविलगके स�मानम� मचक (त�त) लगाया गया ं ंथा, �या चलिच�का छायाकन िशविलगस े हटकर ं ंनह� िकया जा सकता था ? ये कैसा स�मान है िक जो िशविलग ��ा�डीय ऊजा� है, उसके ऊपर 'त�त' ंलगाकर दो लोग खडे ह � और िविच� है िक वहा िह�द ं ूभी उपि�थत रह ेह�ग�, �या िकसीम� इतना पौ�ष या

धम� स�कार शेष नह� िक इस क�यको होनसे ेरोका जा ं ृसकता था ? िनराधार चलिच��के िलए देव�क� िवड�बना देवभिम भारतपर हो रही है, इसस े बडी ूिवड�बना और �या हो सकती है ? यह िह�दओके ंुश�य हए धमा�िभमानका प�रणाम है ! �या ये रज-तम ू ��धान चलिच� इतन ेमह�वपण� ह,� िक देवताओका ंूअपमान िकया जाए ? िह�दओ ! धम� गया तो सब कछ ु ुजाएगा, यह �मरण रख� और धम�के �ित उदासीनता अिन�कारी होती है !

छोटी-छोटी न�कझ�क समाजम� रहनवे ाल�के म�य होती रहती ह;� केवल व� सखानपेर एक-दसरक� े ु ू�ाण हर लेनके� सीमातक पीटना आर�भ कर देना, प�थर बरसान ेलगना, यह तो केवल धमा��ध ही कर सकते ह � । गत वष�म� ये �करण और ती� हए ह � । गत �िदवस�म� आगराम� भी िह�दओको मारकर उनके ंु�थानस ेभगाया गया था, देहलीम� और अनकेानके सवेदनशील ��े जहा धमा��ध�क� स�या अिधक हो ं ं ंजाती है, वहा ऐस े�करण सामा�य हो जाते ह � । इसका ंकारण इ�लामक� िवषकारी मानिसकता ही है और �या ऐस ेलोग स�य समाजके नाग�रक कहलान ेयो�य भी ह � ?”- तनजा ठाकरु ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २४ ु ृ

ह� । च��मा एव ंसय�क� रि�मय�का �भाव �वर�पर पडता ूहै । च��माका गण शीतल एव ं सय�का उ�ण है । ु ूशीतलतासे ि�थरता, ग�भीरता, िववेक आिद गण ुउ�प�न होते ह� और उ�णतासे तेज, शौय�, चचंलता, उ�साह, ि�याशीलता, बल आिद गण उिदत होते ह� । ुिकसी भी काय�का अि�तम प�रणाम उसके आर�भपर िनभ�र करता है । शरीर व मनक� ि�थित, च�� व सय� या ूअ�य �ह�, ितिथ एव ं नािडय�का भलीभांित अिभ�ानकर (पहचान) यिद काय� आर�भ कर � तो प�रणाम अनकल िनकलते ह� ।ु ू

इस मािसक पि�काके िपछले अकंम� हमने �वर िचिक�सासे स�बि�धत कछ मह�वपण� त�य�के िवषयम� ु ूजाना था, इसी �मम� इस अकंम� हम और कछ त�य�को ुसमझनेका �यास करग� े ।

है । इसके �ान मा�से ही �यि�, अनेक लाभ�से लाभाि�वत होने लगता है । इसका लाभ �ा� करनेके िलए आपको कोई किठन गिणत, साधना, य��-जप, उपवास या किठन तप�याक� आव�यकता नह� होती है । आपको केवल �ासक� गित और िदशाक� ि�थित �ात करनेका अ�यास मा� करना होता है एव ंथोडी

लगन एव ंआ�थासे इसका अ�ययन या अ�यास िकया जाए तो जीवनपय��त इसके अस�ंय लाभ�से अिभभत ूह�आ जा सकता है । योगम� �ासको �ाण कहा गया है एव ं�वरोदय शा�के अनसार �ास लेनेक� िविधम� �यि�के ु�व�थ और रोगी होनेका रह�य िछपा है । उिचत समयपर यो�य मा�ाम� �ास लेनेवाला �यि� रोगसे बचा रहता है । दांए नथनेसे िनकलनेवाली सांस िपगंला है । ुइस �वरको सय� �वर कहा जाता है । यह उ�ण (गम�) ूहोती है । जबिक बाई ओंरसे िनकलनेवाले �वरको 'इडा' नाडीका �वर कहा जाता है । इसका स�ब�ध च��से है और यह �वर ठ�डा होता है ।

एक शा� वचन अनसार, 'कायानगर म�ये त मा�त ु ुि�ित पालक' अथा�त दहे�पी नगरम� वाय राजाके ुसमान है । शरीर�ारा वाय �हण करनेका नाम 'िनः�ास' ुऔर वाय �यागनेका नाम '��ास' है । जीवके ज�मसे ुम�यतक ये दोन� ि�याए ंिनर�तर चलती रहती ह� । कभी ृ ुयह बाई ओरसे चलती है, कभी दाई ओरसे तो कभी दोन� ही नािसकाओसें । �वरके चलनेक� ि�याको उदय होना मानकर '�वरोदय' कहा गया है तथा िव�ान, िजसम� कछ िविधयां बताई गई ं ह� और िवषयके ुरह�यको समझनेका �यास हो, उसे िव�ान कहा जाता है । वैसे तो �वरोदय िव�ान एक सरल �णाली है और यिद कोई िज�ास इस शा�का ग�भीरतासे अ�यास ुकर ले तो वह �वयकंा एव ंअ�य�का भी, इसके मा�यमसे क�याण कर सकता है । व�ततः ��येक �ास लेनेवाला ुजीव यह �योगम� ला सकता है । इस शा�के अनसार, ु�ास�म� गडबडी उ�प�न होनेपर अनेक रोग ज�म लेते ह� । �यि�को �यवहारम� अनेक काय� करने होते ह� । �वरके प�रवित�त होनेतक वह बैठा नह� रह सकता; इसिलए नािसका�ारा चलनेवाली वायक� गित सीख लेना ुआव�यक है । �यि�को अपनी इ�छानसार �ासक� गित ुप�रवित�त करना सीख लेना चािहए । इसे ही �वरोदय िव�ान कहते ह� और यह अपने आपम� एक पण� िव�ान ू

�वरोदय िव�ानके अनसार सोमवार, बधवार, ु ुग�वार और श�वारको यिद बायां �वर अथा�त बाई ु ुनािसकासे �वर चल रहा हो तो यह �े� होता है । इसी �कार यिद मंगलवार, शिनवार और रिववारको दायां अथा�त दाई ंनािसकासे �वर चल रहा हो तो इसे �े� बताया गया है ।

रावण सिंहताम� �वर िव�ानके स�ब�धम� बहद ृजानकारी दी गई है । य�िप यह अिधकांशतः ��कता��ारा �� पछे जानेपर �योितषी�ारा �यानम� ूरखे जानेवाले िब�दओपंर केि��त है; िक�त िकसी ुुसामा�य जातकके िलए भी ये त�य उतने ही मह�वपण�ू

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २५ ु ृ

�वर िचिक�सा

* सोमवारको कलहका वातावरण िमलेगा ।* रिववारको शरीरम� वेदना अनभव होगी ।ु

* शिनवारको बल और खेतीका नाश होगा ।

यिद �वर इसके �ितकल हो तोू

* ग� और श�वारको ��येक काय�क� अिसि� होगी ।ु ु

�वरको त�व�के आधारपर िवभािजत भी िकया गया है । ��येक �वरका एक त�व होता है । यह इडा या िपगंलासे (बाई ं अथवा दाई ं नािसका) िनकलनेवाले वायके �भावसे नापा जाता है ।ु

* �ासका द�ैय� १२ अगंल हो तो जल त�व,ु

* �ासका द�ैय� ६ अगंल हो तो वाय त�व,ु ु* �ासका द�ैय� ३ अगंल हो तो आकाश त�व होता है ।ु

�वरोदय िव�ानस ेस�बि�धत कछ मह�वपण� िनद�श ु ू* �नान, भोजन, शौच आिदके समय दािहना �वर रख� ।

* जब शरीर अ�यिधक गम� अनभव कर ेतब दािहनी ुकरवट लेट ल� और बायां �वर आर�भ होने द � । इससे त�काल शरीर ठ�डक अनभव करगेा । उसी �कार जब ुशरीर अिधक शीतलता अनभव कर ेतब बाई करवट लेट ुल�, इससे दािहना �वर आर�भ हो जाएगा और शरीर शी� गम� अनभव करगेा ।ु

* मंगलवारको म�य और दर दशे�क� या�ा हो सकती है ।ृ ु ू

* �ासका द�ैय� १६ अगंल हो तो प�वी त�व,ु ृ

* �ितिदन �नानके प�ात जब भी व� पहन�, पहले �वर दखे� और िजस ओरका �वर चल रहा हो उस ओरसे व� पहनना आर�भ कर � और साथम� यह म�� बोलते जाए,ं “ॐ जीव र� ।” इससे दघ�टनाओकंा सकंट ं ुसदवैके िलए टल जाता है ।* कई बार ऐसे अवसर आते ह�, जब काय� अ�य�त आव�यक होता है; िक�त �वर िवपरीत चल रहा होताुहै । ऐसे समयम� �वरक� �ती�ा करनेपर उ�म अवसर हाथसे िनकल सकता है, अतः �वर प�रवत�नके �ारा अपने अभी�क� िसि�के िलए ��थान करना चािहए या काय� �ार�भ करना चािहए । �वर िव�ानका स�यक �ान आपको सदवै अनकल प�रणाम �दान करवा ु ूसकता है ।

सवेर ेन�दसे जागते ही नािसकासे �वर दखे� । िजस ितिथको जो �वर होना चािहए, वह हो तो िब�तरपर उठकर �वरवाले नािसका िछ�क� ओरके हाथक� हथेलीका च�बन ले ल� और उसी िदशाम� मंहपर हाथ ु ुिफरा ल� । यिद बाए ं�वरका िदन हो तो िब�तरसे उतरते समय बायां पांव भिमपर रखकर नीचे उतर,� उसके ूप�ात दायां पांव बांयेसे िमला ल�, इसके उपरा�त पनः ुबायां पांव आगे िनकालकर आगे बढ� । यिद दाए ं�वरका िदन हो और दांया �वर ही िनकल रहा हो तो िबछावनपर उठकर दाई हंथेलीका च�बन ले ल�, उसके ुप�ात भिमपर पांव रखते समय पहले दायां पांव ूभिमपर रख� और आगे बढ� । यिद िजस ितिथको जो ू�वर हो, उसके िवपरीत नािसकासे �वर िनकल रहा हो तो िबछावनसे नीचे नह� उतर � और िजस ितिथका �वर होना चािहए उसके िवपरीत करवट लेट ल� । इससे जो �वर चािहए, वह आर�भ हो जाएगा और उसके प�ात ही िबछावनसे नीचे उतर � ।

* पानी, चाय, कॉफ� आिद पेय पदाथ� पीने, म� �याग ूकरने, परोपकारके काय� करने आिदम� बायां �वर होना चािहए ।

यह त�व सदवै एक जैसा नह� रहता । त�वके प�रवित�त

होनेके साथ ही उसके फलादशे भी प�रवित�त हो जाते ह� ।

इस �कार �ह�को दखेे िबना �वर िव�ानके �ानसे अनेक सम�याओ,ं बाधाओ ंएव ंशभ प�रणाम�का बोध ुइन नािडय�से होने लगता है, िजससे अशभका ुिनराकरण भी सरलतासे िकया जा सकता है ।शेषभाग.........प� �माक २९ परंृ

* बधवारको रा�यसे आपि� होगी ।ु

* कभी भी िकसी शभ काय�म� जाए ं तो िजस ओरके ुनाकम� �वर चल रहा हो उस ओरका पांव पहले आगे बढाए ंतो काय� िस� हो जाता है ।

* �ासका द�ैय� ८ अगंल हो तो अि�न त�व,ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २६ ु ृ

इसम� स�दहे नह� है िक �य�-�य� हमारा आहार स�ब�धी �ान बढता जा रहा है, �य�-�य� हमार ेआहारम� होनेवाली चक�के साथ-साथ कई छोटी-बडी �यािधयां ूभी उ�प�न होती जा रही ह� । यिद भोजनम� थोडा सधार ुकर िलया जाए एव ं�ाकितक िचिक�साका आधार िलया ृजाए तो कई रोग�का िनवारण भी हो सकता है एव ंहम िनरोगी रह सकते ह� । द�ध िचिक�सा भी �ाचीनकालसे ही �चिलत ुिचिक�सा �णाली है िजससे अनेक रोग�का िनवारण िकया जा सकता है । इस स�ब�धम� हमने कछ बात� इस ुमािसक पि�काके िपछले अकंम� जानी थी और इस अकंम� इसी �मम� हम कछ और त�य जान�गे । यह बह�त ुपहले ही �वीकार कर िलया गया था िक दधम� रोग�को ून� करनेक� शि� िव�मान है । गायके दधको नाडीक� ूदब�लता न� करनेके िलए सव��े� कहा गया है । यह ुवाय, िप� और र�क� अशि�म� भी गणकारी है; ु ु ुइसिलए पेटके रोग�म� अिधकतर �ाकितक िचिक�सक ृद�ध क�प करवाते ह� ।ुमहिष� चरकके अनसार, दध अमत है :ु ू ृ दधमे अनेकानेक पोषक त�व होते ह� जैसे '�ोटीन', ू'काब�हाइ�ेट', 'लैि�टक एिसड', 'लै�टोज', खिनज लवण, वसा, 'िवटािमन ए, बी, सी, डी और ई' सभी होते ह� । यह शरीरका िनमा�ण, सरं�ण और पोषण हेत अमत ु ृत�य ह� । यदा कदा हम समाचार प�म� पढते ह� िक दधसे ु ूकक� रोग अथा�त क� सर हो रहा है, इसिलए दध नह� पीना ूचािहए । इसका कारण है, िवदशेी गायका दध या ू'ऑ�सीटोिसन इंजे�शन' दकेर पशओसें िनकाला ुजानेवाला दध उपयोग । िवदशेी गायका दध (A1 ू ू�कारका दध) नह� पीना चािहए इसपर अब अनेक ूदशे�म� शोध हो चका है और यह िस� हो चका है िक वह ु ुदध अनेक रोग�का ज�मदाता है । साथ ही 'इंजे�शन'म� ूजो रसायन होते ह� वह भी दधम� तर�त पह�चं जाते ह� और ुू

दधको िवषा� बना दतेे ह�, ऐसे दधसे तो हम� िनि�त ही ू ूदर रहना चािहए । दशेी गायका दध तो रामायण और ू ूमहाभारतकालसे पीया जा रहा है और यह एक स�पण� ूआहारके �पम� जाना जाता है ।धारो�ण दध : धारो�ण दध वह होता ह� तो �तन�से ू ूतर�त िनकाला गया दध होता ह� । धारो�ण दध अ�य�त ु ू ूउपयोगी होता है । सामा�य दधको वाय, प�वी, अि�न ु ृूऔर आकाशका �पश� होता है । थोडी दरे प�ात ऐसे दधको पीनेसे इसके अिधकांश गण न� हो जाते ह� । दध ुू ूिनकालते ही तर�त पी िलया जाए, तो वह अित उ�म ुहोता है । कछ लोग इस दधको पचा नह� पाते ह� तथािप ु ूइसे उ�म दध कहा जाता है । जैसे मां ब�चेको द�धपान ू ुकराती है तो वहां वायका भी �पश� दधको नह� होता ह� । ु ूिजस �कार ब�चा त�काल दध पीता है, हम उसी दधक� ू ूबातकर रहे ह� । िनयम यह है िक दध िपलानेवाले और ूदध पीनेवालेके शरीरका तापमान समान होना चािहए । ूछोटे ब�चेके िलए मांका दध इसिलए सव��म आहार ूकहा गया है; �य�िक ब�चे दधको मांके �तनम� मंह ुूलगाकर िबना वाय लगाए �ाकितक �पसे �हण करते ु ृह� । वैसे ही गायका दध िनकालकर तर�त पीनेसे वह ुूअ�यिधक �भावशाली होता है । दधके वायसे स�पक� म� ुूआनेपर कछ समय प�ात ही उसम� 'बै�टी�रया' आ ुजाते ह� ।द�ध क�प : �ाकितक िचिक�साम� अिधकांशतः दशेी ृुगाय जो श� �ाकितक आहार �हण करती है, उसके ु ृदधसे क�प कराया जाता है । �दयसे स�बि�धत कछ ुूरोग�को छोडकर कोई भी रोग ऐसा नह� है जो द�ध ुक�पसे न िमट सके; पर�त यह क�प िकसी �ाकितक ु ृिचिक�सालयम� रहकर िचिक�सकक� दखेरखेम� ही करना चािहए । � गायके दध, दही, घी इसके कछ अनभत घरले ु ु ू ूूउपयोगम� िन�निलिखत ह� -

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २७ ु ृ

द�ध िचिक�साु

रोगके पण�तः अथवा िकसी-िकसी दशाम� अशंतः ूठीक हो जानेपर त�क�प आर�भ करना चािहए । रोगीको आर�भम� कछ िदन�तक फल और सागपर ु(सि�जय�पर) रहना चािहए, उसके प�ात २ से ४ िदन�का उपवास करना चािहए । उपवासके िदन�म� केवल नी�बका रस जलम� िमलाकर लेना चािहए और ू

अश� (बवासीर) : पांच �ाम गायके घीम� दो �ाम जायफल िघसकर िमला लीिजए । इस िम�णको 'बवासीर'के म�स�पर लगानेसे उनक� पीडा समा� हो जाती है । या पचास �ाम गायके म�खनम� दस �ाम स�म ूिपसा ह�आ स�धा नमक िमलाए ं। इस लेपको 'बवासीर'के म�स�पर �ातः और साय ं शौचके उपरा�त लगानेसे म�सा न� हो जाता है ।

केशके िलए : गायके दहीको ता�बेके बत�नम� डालकर उसे तबतक घ�ट�, जबतक दहीम� हरापन न आ जाए । इस दहीको िसरपर लेप लगाकर आधे घ�टेके िलए छोड दीिजए । साबनका उपयोग न कर � । इससे बाल�के रोग ुदर हो जाएगें और गजेंपनम� भी लाभ होगा । एक िदन ूपराने म�ेसे, बाल धोनेसे बाल झडनातक ब�द हो जाते ु

महम� छाले : मंहम� छाले आ गए ह� तो रातको सोते ंु ुसमय छाल�पर दधक� मलाई लगानेसे छाले ठीक हो ूजाते ह� । �ातः खाली पेट गायके दहीके साथ पका ह�आ छ�टेवाला (िच�ीदार) केला खानेसे भी मंहके छाले ठीक ुहो जाते ह� ।

अितसार (पेिचस) : पचीस िमलीलीटर गायके 'ताजे' दधको उबाल लीिजए, उसके प�ात उसम� लगभग दस ू�ाम मधको िमलाकर रख� । जब दध ठ�डा हो जाए तो ु ूएक चौथाई कटोरीम� नी�बका रस िनकालकर रख� । अब ूइस कटोरीम� दधको डालकर तर�त पी ल� तािक नी�बके ु ूूकारण दध पेटम� जाते-जाते फट जाए । �ातः और सांय ूदोन� समय इसका उपयोग कर � । कछ ही िदन�म� 'पेिचस' ुजडसे समा� हो जाएगी ।

चम�रोग (एि�जमा) : यिद िकसीको 'एि�जमा' है तो �ईक� प�ीको दो तीन तहकरके गायके क�चे दधम� ूिभगोनेके प�ात इसे 'एि�जमा'य� �थानपर दस ुिमिनटतक रख दीिजए । लगभग एक स�ाहके भीतर 'एि�जमा'क� खजली समा� हो जाएगी । खजली समा� ु ुहोनेके प�ात 'एि�जमा'पर गायका म�खन मलकर लगानेसे कछ िदन�म� 'एि�जमा' समा� हो जाता ह� ।ु

मखक� स�दरताके िलए : दस �ाम मसरक� दाल, दस ु ु ू�ाम ह�दी, दस �ाम बेसनको रातम� ६०० िमलीलीटर क�चे दधम� िभगो दीिजए । �ातःकाल इन सबको ूपीसकर उसम� थोडा मध िमलाकर उबटनक� भांित ुलगाकर थोडी दरे सखने द � और उसके प�ात उसे ूरगडकर हलके हाथ�से छडाकर �नान कर ल� । इसके ु�योगसे महांसे, चेचकके दाग, ि�य�के मखके ु ुअनाव�यक बाल और झाइयां आिद न� हो जाते ह� और यह घरपर सरलतासे कोई भी कर सकता है ।

ह� ।

पीिलया : चालीस �ाम गायके दहीम� दस �ाम दधका ूचण� िमलाकर �ातःकाल खाली पेट िदनम� एक बार एक ूस�ाहतक सेवन कर � ।मठाक�प : द�धक�पके अनकल �भाव न पडनेपर ु ूुत�क�पसे अथा�त छाछसे (मठा) भी वही लाभ उठाए जा सकते ह� । त�क�प अनेक रोग�म� जैसे को�ब�ता, 'द�त', स�ंहणी, खाज-खजली, उकवत, य�मा, �वर, ुचौथेया �वर, 'बवासीर', जलोदर, उ�च र�चाप, िन�न र�चाप, 'दमा', गभा�शय स�ब�धी रोग, यकत दोष तथा ृम�ाशयक� पथरी आिदम� लाभ�द है ।ू

मलब�ध (क�ज) : यिद मलब�ध (क�ज) हो तो लोग कहते ह� िक तब दध नह� पीना चािहए । दो सौ पचास ूिमलीलीटर गायके दधके 'ताजे' म�ेके साथ ूअजवायनका पांच �ाम चण� िमलाकर �ातःकाल खाली ूपेट पीनेसे मलब�ध (क�ज) दर हो जाती है ।ू

यह क�प �ायः ४० िदन�तक चलाया जाता है । क�पम� घतहीन त� उपयोगम� लाना चािहए । त� ृअिधक ख�ी भी नह� होना चािहए ।

द�ध क�पके िचिक�सीय �भाव :ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - २८ ु ृ

�ितिदन गनगने पानीका 'एिनमा' लेकर पेटको ु ु�व�छकर लेना चािहए । पांचवे िदन �ातःकालसे त�क�प आर�भकर दनेा चािहए । ��येक २-२ घ�टेके अ�तरालकपर नीचे दी ह�ई तािलकाके अनसार त� ुपीना चािहए ।* �थम िदन आधा-आधा छटांक

त� िपएं

छह-छह छटांक १६ बार त�

*�यारहव� िदनसे एक-एक घ�टेके अ�तरालपर

* दसर ेिदन एक-एक छटांकू* तीसर ेिदन डेढ-डेढ छटांक

त� (छाछ) सेवन कर�

िपए ं।

* नव� और दसव� िदन चार-चार छटांक ९ बार

इस �कार ४० िदन�तक या इससे भी अिधक िदन�तक त�क�प चलाया जा सकता है । सिवधा, आय, शि�के ु ुअनसार त�क� उपय�� मा�ा �यनािधक भी क� जा ु ु ूसकती है । त�म� कछ भी िमलाना नह� चािहए । ु

* �यारहव� िदन चार-चार छटांक

क�पके समय िदनम� यिद अ�िच हो जाए तो म�यम� १०-१० बदं नी�बका रस चस लेना चािहए ।ू ू ू यिद क�पके िदन�म� �वर आ जाए तो क�प ब�द करके उपवास करना चािहए और �वर दर हो जानेपर ूक�प पनः आर�भ कर दनेा चािहए ।ु को�ब�ता अथा�त क�ज टटनेतक 'एिनमा' लेते रहना ूचािहए । यिद क�पके िदन�म� 'द�त' आने लग� तो त�क� मा�ा आधी कर दनेी चािहए । (�मश:)

िजस िदन त�क�पक� समाि� करनी हो उस िदन त� पीनेके �मको आधा कर दनेा चािहए अथा�त आधा िदन सवेरसेे दोपहरतक त� और दोपहर प�ात फल या फल�का रस लेना चािहए । दसर ेिदन त� (छाछ) उतना ूही रख� और दोपहर प�ात फल तथा स��याके समय उबली ह�ई साग (स�जी) ल� । तदपरा�त दोन� समय ुउबली ह�ई तरकारी और म�यम� फल�का सेवन कर � और

उसके प�ात धीर-ेधीर ेसाधारण भोजनपर आ जाना चािहए ।

* सातव� िदन तीन-तीन छटांक* आठव� िदन साढे तीन-साढे तीन छटांक

* तेरहव� िदन छह-छह छटांक १२ बार* बारहव� िदन पांच-पांच छटांक

* चौदहव� िदनसे ४५-४५ िमिनटके अ�तरालसे

* छठे िदन डेढ-डेढ घ�टेके अ�तरालसे

* चौथे िदन दो-दो छटांक* पांचव� िदन ढाई-ढाई छटांक

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इस िव�ानके अनसार ग�, िम�, अिधकारी, राजा, ु ुम��ी आिदसे वाम �वरसे ही वाता� करनी चािहए । कई बार ऐसे अवसर भी आते ह�, जब काय� अ�य�त आव�यक होता है; िक�त �वर िवपरीत चल रहा होता ुहै । ऐसे समय �वर प�रवित�त करनेके �यास करने चािहए, इस िवषयम� हम आपको पव�के अकंम� बता ही ूचके ह� । तथािप स�ेंपम� यह जान ल� िक �वरको ुप�रवित�तकर अपने अनकल करनेके िलए कछ उपाय ु ू ुकर लेने चािहए, जैसे िजस नथनेसे �ास नह� आ रही ुहो, उससे दसर ेनथनेको दबाकर पहले नथनेसे �ास ु ुूिनकाल� । इस �कार कछ ही दरेम� �वर प�रवित�त हो ुजाएगा । घी खानेसे वाम �वर और मध खानेसे दि�ण ु�वर चलना �ार�भ हो जाता है । (�मश):

प�- २६ का शेष भाग......�वर िचिक�साृ

दधम� �ेत िमलवाली चीनी कभी न िमलाए ं। यह ूचीनी बनानेम� िवषैले रसायन�का �योग िकया जाता है । श�कर, दशेी खांड, शीरा, गड, ग�ना-रस आप ुिजतना चाह� िमला सकते ह� । इतना �मरण रहे िक �कितने आव�यक िमठास पहले ही दधम� भर रखी ृ ूहै । अिधक िमठास तभी डाल� जब शरीरको उसक� आव�यकता हो ।

दधम� �ते चीनी �य� न िमलाए ? ंू

'िव�ाितवायेन ��य लशनात परम ।' ं ु

वै�ािनक मतानसार लहसन, उ�ण, लघ, दीपन, ु ु ुउदरवातहर, उ�म किम-हर, सबल, उ�ेजक, कफहर, ृ�बल सडन-�ितकारक, म�ल, वातहर और ब�य है । ूलहसनम� 'कैि�शयम', 'पोटैिशयम', और 'फॉ�फोरस' ुस�श उ�म खिनज त�व िव�मान ह� । इसम� 'आयोडीन' और अ�कलीका अशं भी है । लहसनम� िवटािमन 'बी' ु'सी' तथा अ�प मा�ाम� 'ए' भी है । लहसनका 'एलायल ुस�फाइड' (A l l y l Su lph ide) फेफड�के �य, �ि�थ�य, क�ठमाल, अि�थ�य, उदर�य, �वचा�य आिद �य�पर एव ंसडनपर गणकारी काय� करता है । ुलहसन �य करनेवाले अणओकं� वि�को रोकनेवाला ु ु ृ

लहसनके मलम� तीखा, प�ेम� कट (कडआ) निलकाम� ु ू ु ुकसैला, निलकाक� नोकम� खारा और किलय�म� मधर ुरस होता है । इस �कार लहसनम� ५ रस ह� । इसम� केवल ुख�ा रस ही नह� है । यही ख�ा रस न होनेसे स�ंकत ृभाषाम� लहसनको “रसोन” (एक रसके अभाववाला) ुकहते ह� । शेष ५ रस, वात, िप� और कफसेउ�प�न होनेवाले अिधकांश रोग�को िमटाते ह� । पोषकत�व�के (िवटािमन�के) अभावके कारण िजन लोग�क� रोगिनरोधक शि� �ीण हो गई हो, उनके िलए लहसनका सेवन िहतकारी है । ि�य�के िलए भी लहसन ु ुगणकारी माना जाता है । लहसनम� रहनेवाला उडनशील ु ु��य 'एलायल स�फाइड' (A l l y l S u l p h i d e ) र�चापक� वि�को रोकता है । यह म�ल और कफ हरण ृ ूकरनेवाला भी है । लहसनका वात नािडय�पर �बल एव ंुउ�ेजक �भाव होता है ।

लहसन सव�� उपल�ध एक ुउ�म खा� एव ं�िस� रसायन है । �ाचीनकालसे ही भारतम� लहसनका खाने और ुऔषिधके �पम� �योग होता

रहा है । लहसनके बीज नह� होते । भा�पद या आि�न ुमासम� इसक� किलयां रोपकर ही इसक� बआई क� ुजाती है । लहसनक� गांठम� अनेक किलयां होती ह� । ुइसके प�े चपटे और न�कदार होते ह� । आरो�य हेत ुलहसन अ�य�त गणकारी होनेसे ही हमार े�ाचीन वै�क ु ुआचाय�ने इसे अमतके समान माना है । इसका ृवै�ािनक नाम 'एिलयम सैटाइवम' (Allium Sativum) है । हो�योपैथीम� लहसनसे बनी औषिध भी इसी नामसे ु�ा�य है । लहसनक� २ �जाितयां ह�, �ेत और लाल । ुगण�म� दोन� लगभग समान ह� । इसके अित�र� एक ुकली या एकपतीवाला लहसन भी होता है । (इस ु ुएकपतीवाले लहसनको अ�ेंजीम� 'शैलोट' कहते ह� ।) यह ु ुसव��े� और सव�गण स�प�न लहसन होता है । ु ुलहसनका उपयोग दाल, साग और चटनीम� होता है । ुलहसनका अक� भी िनकाला जाता है । कई रोग�म� ुऔषिधके �पम� भी इसका उपयोग होता है । इसका तेल प�ाघात (लकवे) तथा वात रोग�म� उपयोगी है । स�िस� आयव�दाचाय� 'वा�भ�' लहसनक� ु ु ुउपयोिगताके स�दभ�म� कहते ह�-

अथा�त वायरोगम� लहसनको छोडकर अ�य कोई ु ुऔषिधनह� है । लहसनम� वायका नाश करनेवाली शि� ु ुहै । वातरोगसे ��त रोगी औषिधके �पम� लहसनका ुपथकसे सेवन कर सकते ह� । उ�ह� रोटी, चावल आिद ृआहारके साथ भी लहसन खाना चािहए । िशिशर ऋतम� ु ुकछ लोग घी और गडके साथ हरा लहसन खाते ह� । मंग ु ु ु ू

या उडदक� दाल, साग और चटनीम� लहसन डालनेसे ुएक िविश� �कारका रोचक �वाद आता है, ��येक शीतकालम� िविधपव�क यिद लहसनका सेवन िकया ू ुजाए तो मन�य नीरोगी, तेज�वी और बलवान बनकर ुदीघ� आय�य भोगता है । लहसन उ�म रसायन है । यह ु ुबि�, आय�य, वीय� और प�ष�वको बढाता है ।ु ु ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ३० ु ृ

घरका वै�

लहसनु

लहसन ग�धकका एक यौिगक होता है िजसम� ुम�यतः 'डाईऐिललडाई स�फाइड', 'एिलल �ोपाइल', ु'डाईस�फाइड' और 'पॉलीस�फाइड' नामक त�व होते ह� । यह कोले��ॉलको िनकालनेका काय� करता है । �दय रोग होनेका �मख कारण �दयक� धमिनय�का ुिसकडकर रोग-��त हो जाना है । इसका प�रणाम ुयहहोता है िक धमिनय�म� र�का बहाव कम हो जाता है और यह रोग उ�प�न हो जाता है । घी तथा वसाय� ु(चब�वाले) पदाथ� कोले��ॉल बढाते ह� । लहसन ुधमिनय�को िसकडनेसे ही नह� बचाता, वरन िसकडी ु ुह�ई रोग��त धमिनय�म� जमे कोले��ॉलको िनकालकर

िवशेष : लहसन खानेवालेको ख�े पदाथ� अनकल रहते ु ु ूह�; पर�त प�र�म, धप, �ोध, अिधक मा�ाम� पानी, दध, ु ू ूगड, आिदका ल�बे समयतकके िलए �याग करना ुचािहए । लहसनका अिधक मा�ाम� सेवन करनेसे यह ुजठर और आतं�म� उ�ता व िवरचेन करता है । यिद लहसनम� मध (शहद) या घी िमलाकर सेवन िकया जाए ु ु

तो उसका दाहक गण �यन हो जाता है । यह �ैि�मक ु ूकलाको हािन नह� पह�चंाता है । आयव�द, लहसन और ु ुदधको िव�� आहार मानता है । इसिलए लहसन और ुूदधका साथ-साथ सेवन न कर � । लहसन उ�ण है; अतः ुूशीतकालम� ही उसका सेवन कर,� �ी�मकाल (गिम�य�) या शरद ऋतम� उसका सेवन करनेसेिप�का �कोप, ुफोडे-फंसी आिद होनेक� आशकंा है । र�िप�, �मेह, ुवमन एव ं अितसारके रोिगय� और गभ�वती ि�य�को लहसनका सेवन नह� करना चािहए । िजन �यके ुरोिगय�को अ�यिधक कामो�ेजना हो और अितसार हो, उ�ह� भी लहसनका सेवन नह� करना चािहए । िजनम� ुचचंलता अिधक हो, कामो�ेजना �बल हो, िजनका वीय� अ�य�त पतला हो गया हो और िजनक� �त�भनशि� कम हो गई हो, उ�ह� भी लहसनका सेवन ुनह� करना चािहए । िजनक� �कित मद हो, वे यिद ृ ृ ुअिधक मा�ाम� लहसनका सेवन कर � तो जलन, ुअितसार और िच�क� िवहलता आिद क� होते ह� । कछ ुवै�क आचाय� शोथम� (सजनम�) भी लहसनको अप�य ू ुमानते ह� । लहसन िम�ीके सखे घडेम� रखनेसे दिषत नह� ु ू ूहोता । लहसन खानेसे भख अ�छी लगती है । शरीरम� ु ूगम�, चेहरपेर चमक रहती है, किम न� होते ह� । इसे िन�य ृखानेसे रोग�से बचाव होता है तथा रोग होनेपर िवशेष िविधसे खानेसे रोग दर होता है । ू

एव ं�बल ज�तनाशक ��य (ऐटंीसेि�टक) है । शरीरम� ु�िव� होकर यह �ाणवायम� 'स��य�रक एिसड' नामक ु ूअ�ल त�वको उ�प�न करता है, जो फेफडे, �वचा, व�क, कलेजा, आिदक� ि�याओकंो सधारकर �वय ंृ ुशरीरके बाहर िनकल जाता है । यही कारण है िक लहसनका िनयिमत सेवन करनेवाल�को कदािचत ही ु�य होता है । �ास-निलय�म� होनेवाली सडन और ककरखांसीम� भी लहसनका �योग करनेसे ु ुस�तोषकारक प�रणाम दखेनेको िमले ह� । लहसन ुव�क�को उ�ेिजतकर म�क� उ�पि� बढाता है; अतः ृ ू�दय िवकारसे होनेवाले सवा�ग शोथ और जलोदरके रोिगय�के िलए यह िहतकारी है । �सता यिद लहसनका ू ुसेवन करती हो तो उसे वाय �कोप, गभा�शय िवकित, ु ृिहचक�, तनाव या अ�य कोई िवकित नह� होती और ृधीर-ेधीर े�सता नीरोगी और बलवान बनती है । ल�बी ूअविधतक रोगके अि�त�वके कारण या व�ाव�थाक� ृदब�लताके कारण काय� करनेक� शि� यिद म�द पड गई ुहो तो शीतकालम� लहसन या लहसनपाकका सेवन ु ुकरना चािहए, इससे शरीर बलवान, नीरोगी और तेज�वी बनता है । लहसन जीवाणओपंर सफलतापव�क ु ु ूकाय� करता है । लहसनका िवषाणरोधी (एटंीसेि�टक) ु ुत�व िवषा� ज�तओकंा नाश करता है; अतः लहसन ु ुखानेसे �ास नली तथा फेफड�के रोग और �य स�श रोग िमटते ह� । सडे ह�ए नाडी-�ण�पर लहसन उ�म ुज�त नाशक और सडनको दर करनेवाला िस� ह�आ है । ु ूयह �ास-नलीम� ि�थत कफको म�कर सरलतापव�क ु ूबाहर िनकालता है, कफक� दग��धको न� करता है व ुकफ�त ज�तओकंा भी नाश करता है । ु

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ३१ ु ृ

जए दर कर � : लहसनको पीसकर नीबके रसम� िमलाए ं। ं ंू ू ु ूरातको सोते समय िसरपर मल� और �ातः समय साबनसे ुिसर धोए ं। यह �योग िनर�तर ५ िदन करनेसे जएं ंन� हो ूजाती ह� । �यान रहे िक यह आखं�म� नह� जाने पाए ।

पनः ठीक कर दतेा है । एक िचिक�सा-अनस�धानसे पता ु ुचला है िक कोले��ॉलको कम करनेम� लहसनका ु�भावशाली योगदान होता है ।

�व�नदोष : लहसनक� १ कली दांत�से पीसकर िनगल ुजाए ं। यह �योग रातको सोते समय हाथ, पांव व मख ुआिद धो-प�छकर ही कर � । यह �व�नदोषम� लाभ�द होता है ।

आगपर ५ कली लहसन और चनेक� दालके बराबर ुह�ग डाल दनेेपर मि�खयां भाग जाती ह� । िजस घरम� लहसनक� गांठ रखी रहती है, वहां सांप नह� रहता । यिद ुकह� सांपके रहनेका डर हो तो वहां लहसन रख दनेेसे ुसांप नह� आता ।

�वर : �वर ती� होनेपर लहसन कटकर थोडा जल ु ूिमलाकर पोटली बनाकर सघंाए ं। इस �योगसे �वरक� ुती�ता दर हो जाती है । लहसनका रस ६ �ाम �ातः, ुूदोपहर, स�ंया ३ बार सेवन करनेसे �वरका शमन हो जाता है ।

िन�निलिखत रोग�म� लहसनका ऐस ेकर � उपयोग : ु

दधमह ेिशशको दाद : द�धपान करनेवाले िशशको यिद ंु ु ु ुुदाद हो जाए तो लहसनको जलाकर इसक� राख मधम� ु ु(शहदम�) िमलाकर लगानेसे लाभ होता है । िसरके बाल पनः उगाने हेत : बाल उडे ह�ए �थानपर लहसनका रस ु ु ुलगाए ंऔर सखने द � । इस �कार ३ बार िन�य लहसनका ू ुरस कछ स�ाह लगाते रहनेसे गजंके �थानपर बाल उग ुआते ह� । कण��ाव : ४ कली लहसनक�, १ च�मच सरस�के तेलम� ुउबालकर कानम� टपकानेसे कानक� पीडा, घाव और मवाद बहना ठीक हो जाता है ।

ग�मरोग (िह�टी�रया) : लहसनका रस नाकम� ु ुटपकानेसे चेतना आ जाती है ।

अ�थमा (दमा) : लहसनके रसको 'गम� ' पानीके साथ ुदनेेसे �ास, 'दमा'म� लाभ होता है । लहसनक� १ कली ुभनकर, २ र�ी नमक िमलाकर, २ बार खानेसे �ासम� ूलाभ होता है । एक कप गम� पानीम� १० बदं ेलहसनका ू ुरस, २ च�मच मध (शहद) िन�य �ातः 'दमा'के रोिगय�को ुपीना लाभकारी है । इसे 'दौर'ेके समय भीपी सकते ह� । िवष : यिद िकसीने कोई िवषैला पदाथ� खा िलया हो और िवषनाशक कोई अ�य उपाय न सझता हो और रोगीके ू�ाण सकंटम� ह� तो उसे लहसन पया�� मा�ाम� दनेा ुचािहए । लहसनका रस मल दनेेसे िवषैले क�डेका िवष भी ुन� हो जाता है । लहसन और अमचरको पीसकर िब�छ ु ू ूकाटे �थानपर लगा दनेेसे लाभ होता है ।

शारी�रक वेदना : २ गांठ लहसनको पीसकर, १०० ु�ाम ितलके या सरस�के तेलम� िमलाकर गम� करके मद�न (मािलश) करनेसे शरीरके अगं�क� वेदना दर हो जाती है । ू

खासी : ६० �ाम सरस�के तेलम� लहसनक� १ गांठको ं ुउसम� पकाकर रख िमला ल�, इस तेलक� गले और सीनेपर मद�न (मािलश) कर � । मन�काके (बडी सखी ु ू�ा�) साथ िदनम� ३ बार लहसन खाए ं। �योगकालम� ुखटाई न खाए ं। अथवा २० बदं लहसनका रस अनारके ू ुरसम� िमलाकर सेवन करनेसे ��येक �कारक�खांसीम� लाभ होता है । काली खासी : ५ बादाम स�ंयाको पानीम� िभगो द � । ं�ातःकाल छीलकर उसम� िम�ी और १ कली लहसनक� ुपीसकर खाए ं। इस �योगके करनेसे २-३ िदन�म� काली खांसी ठीक हो जाएगी । ब�चेको लहसनक� माला ुपहनाना व इसके तेलक� 'मािलश' करना लाभ�द है । अथवा लहसनका नतन (ताजा) रस १० बदं, 'शहद' ु ू ूऔरपानी ४-४ �ाम, ऐसी १-१ मा�ा िदनम� ४ बार सेवन कराना भी लाभ�द होता है ।

क�ठरोग (टाि�सलाईिटस) : आधी गांठ लहसनको ुस�म पीसकर 'गम� ' पानीम� िमलाकर गरार े करना ूलाभ�द होता है ।

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औषिधयां 'ओष' अथा�त दोष� एव ं�दषणको समा� ूकरती ह�, अत: इ�ह� औषिध कहा जाता है । वेद�म� कितपय व�� और औषिधय�का वण�न है जो �दषणको ृ ूरोकते ह�, इनम� िवशेष उ�लेखनीय ह� - अ��थ (पीपल), क� (कठ), भ� और चीप� (दवेदार और चीड), �य�ोध ु ु ु ु(बड), खिदर (खैर), धव(इससे ग�द िनकलती है), वरण (व�ण), उद�बर (गलर), ला�ा (लाख), रोहणी, जांिगड ूु(अज�न), पलाश (ढाक), अपामाग� (िचरिचटा), ग�गल ु ु ु(गगल), सोम (सोमलता), आजंन (अजंनका व�), ृूमदघ (मलहठी), और नलद (खसखस, उशीर) ।ुु

वेदम� मानवके र�कके �पम� वन, व�, औषिधय� और ृपव�त�का उ�लेख है । पेड-पौधे भपटलके िलए छातेका ूकाय� करते ह�, िजससे सय�का ताप सीधा इनपर नह� ूपह�चंता तथा भपटलीय वा�पीकरण भी �यन होता है; ू ूअत: तैि�रीय सिंहताम� ऊपरसे र�ाक� �ाथ�ना वन�पितय�से क� गई है ।

है - अव र�ण े। ्

अ��थका (पीपल) वेद�म� बह�त गणगान है, इसम� ुदवे�का िनवास माना गया है – अ��थो देवसदन: । पीपल ' काब�न-डाई-ऑ�साइड' क� मा�ा अिधक ख�चता है; अत: 'ऑ�सीजन'क� मा�ा अिधक छोडता है और �दषण दर करता है ।ू ू

है । म��म� कहा गया है िक अिव त�व ऋतसे (Tissues) ुिघरा ह�आ है । इसके कारण ही व� वन�पितयां हरी ह� -ृ

यह व�क� र�ा करता है और उसका पोषण करता ृ

अथव�वेदम� कछ अ�य औषिधय�को भी किमनाशक ु ृऔर �दषणनाशक बताया गया है । ये ह� - अज��गी ुू(मेश��गी या मेढािसगंी), पीला (सगि�धत औषिध), ु ुनलदी, ओ�गि�ध और �म�दनी । वज और िपगंको (�ेत और पीली सरस�को) भी किमनाशक और ृवायशोधक बताया गया है ।ु

अथव�वेदके एक म��म� िवशेष बात कही गई है िक व��म� ह�रयालीका कारण 'अिव' त�व है । इस म��म� ृ'�लोरोिफल'को (chlorophyll) अिव नाम िदया गया

जीवनकोष : व�, वन�पित और वन �ािणय�के ृ�ाण�के आधार ह� । इन व�ािदसे �ा� आहारसे ही �ाणी ृ�व�थ एव ंससंारके काय�म� �व� होता है । वन, खानेके ृिलए मधर �वािद� फल दतेी है । यह साि�वक आहार है, ुजो आरो�य �दान करता है । औषिधय�का मल, तना, ूटहनी, प�े सभी आरो�यवध�क ह� । वनके पश-पि�य�को ुभी भो�य साम�ी वनसे �ा� होती ह�; अत: अर�यको व�यजीव�क� माता कहा गया है ।

त�या �पेणम� व�ा ह�रता ह�रत�ज : ।।ृ

वेद�म� अपामाग� (िचरिचटा) और गगलको भी बह�त ूमह�वपण� माना गया है । अपामाग�के िवषयम� कहा गया है ूिक जहां अपामाग� है, वहां िकसी �कारका भय, रोग और �दषण नह� आ सकता । इसी �कार गगलक� �शसंाम� ूूकहा गया है िक जहांतक गगलक� सग�ध जाती है ू ुवहांतक कोई रोग और �दषण नह� रह सकता ।ू

अिवव� नाम देवता ऋतेना�ते प�रव�ा ।ं ृ

�दषण िनरोधक : वत�मान कल-कारखान� और तेज ूगितसे दौडते वाहन�से होनेवाले वायवीय �दषणके ूिवषको व�, िशवक� भांित पीकर �ाणीमा�का क�याण ृकरते ह� । यजव�दके ��ा�यायम� िशवको व�, वन�पित, ु ृवन, औषिध, लता, ग�म और किष �े�का (खेत ु ृआिदका) �वामी बताया है । भगवान िशवका िशव�व

यही है िक वे िवषको पीते ह� और अमत �दान करते ह� । ृव� वन�पित िशवके �पम� है । ये ' काब�न-डाई-ृऑ�साइड' ( C O ) �पी िवषको पीते ह� और 2

'ऑ�सीजन' (O ) �पी अमत (�ाणवाय) �दान करते ृ ु2

व� मानवके र�कृ

है । अिवका अथ� है - र�क त�व (Life saving element), यह श�द र�ा अथ�वाले 'अव' धातसे बना ् ु

ह� । यह इनका िशव �प है ।

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वेद�म� व��का माहा��य, उपयोिगता और सर�णंृ

वनम� िनवासने ऋिषय�को जड या जगंली नह� बनाया, अिपत उनके िलए आव�यक शाि�त, समािधक� साम�ी ुऔर वातावरण ��तत करके उनक� उ�ा� ुिवचारधाराको ��फिटत िकया है । यही नह�, किवक� ुक�पनाओकें िलए, मित�कारक� छैनीके िलए और ूिच�कारक� तिलकाके िलए �कितने अितशय समि� ृ ृू�दानक� है । डाॅ. अिनता खरानाु

यह एक आ�य�जनक त�य है िक वन जलेबीका व� हम� ृतेजाबी वषा�से मि� िदला सकता है । तेजाबी वषा�के ुम�य घटक 'स�फर-डाई-ऑ�साइड'क� सा��ताको ुयह व� ८०% तक अवशोिषत कर लेता है । इसी �कार ृचीडका पेड िम�ीसे 'बै�रिलयम' धातको तथा सेम व ुमटरके पौधे जमीनसे 'मिलि�डनम' जैसी भारी धातओकें ु�दषणसे भिमको म� करते ह� ।ू ुूधनके �ोत : वेद�मे व�के लाभ�का िवशद वण�न करते ृह�ए यह कहा गया है िक व� धनके �ोत होते ह� । व�तत: ृ ुकिष �धान दशे भारतम� वन अथ��यव�थाका मह�वपण� ृ ूसबंल है । वन उपज�से �ाय: ७० लघ उ�ोग�को क�चा ुमाल �ा� होता है । दशेम� पशओकें चारकेा १७% िह�सा ुवन�से �ा� होता है । नस�री, पय�टन, फन�चर, कपडा, कागज, चाय आिद उ�ोग�क� क�पना व�-वन�पित-ृवनके अभावम� नह� क� जा सकती । एक अनमानके ुआधारपर ५० वष�क� आय वाला एक व� मन�यको कल ु ृ ु ु१५,७०,०००.०० �पयेका लाभ पह�चंाता है ।हष� और �स�नताके �ोत: वन�पितयां ससंारको आन�दक� वषा� करती है; अत: इनका नाम 'मद:' है । 'व� ु ृजीवनम� उ�लास, उमंग, उ�साह भरा करते ह�', यह त�य हमार े�ामीण �यि� भी जानते ह� । पीपलके व�क� पजा ृ ूकरते ह� । िवजयादशमीके िदन शमी व�क� पजा करते ह� । ृ ूआज भी हमार ेधािम�क, सां�कितक क�य�म� सव�� हर ेृ ृप��का उपयोग िकया जाता है । हर ेप�े जीवनके सजन ृऔर समि�के �तीक ह� । ऋ�वेदका ऋिष अर�यानीक� ृ�शसंा करता ह�आ कहता है - आ�जनगिध सरिभम ।ं ं ु ् अिंजत करनेवाली-ताजगी भरनेवाली ग�ध होती है; इसिलए अर�यानीको 'आजंनगिध'ं कहा गया है, सरिभ ुमन रमानेवाली महकका नाम है । अर�यम� वह �चर ुमा�ाम� उपल�ध है । �यि� ब�तीके कोलाहलसे ऊब जाए तभी वह िकसी पय�टन �थल या वन �मणक� बात सोचता है –व� लताओस ेभरा यह सारा ससार ।ं ंृ

दस कप� सम बावडी दस वापीसा पत ।ू ूदस प��सा व� है करता सख आहत ।ु ृ ु �उ�ा� िवचारधाराका ��फटन : यजव�दका ऋिष ु ु�ा�णक� ��ा �फरणके िलए �ाकितक मनोरमताको ु ृअित मह�वपण� मानता है । वैिदक स�ंकितम� तो है ही ृूजीव+वन । जहां वन है, वहां जीवन है । स�भवत: यही कारण है िक जीवनके चार आ�म�म�से तीन आ�म (��चय�, वान��थ, स�यास) वनके सािन�यम� ही �यतीत िकए जाते थे । वन ि�थत ऋिषय�के आ�म�से वेद म���क� �वर लह�रय�के साथ उठता ह�आ सगि�धत ुधआ ंस�पण� वातावरणको �व�छ बना िदया करता था । ु ूव� वान��थीको आ�मो�नितम� भी सहायक होते थे -ृ'मा �वा व�: बािध� मा देवी पिथवी मही ।'ृ ृअथा�त हे वान��थी ! यह व� और िद�य प�वी मां तेरी ृ ृआ�मो�नितम� बाधक न ह� ।

हरा-भरा मनको कर ेजीवन सचार ।ं

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� न वोच िचिकतषे जनाय मा ंु ुगामनागामािदित िविध� ।।ं

माता ��ाणा दिहता वसना ं ंु ू�वसािद�यानाममत�य नािभः ।ृ

अथ� : वेद�म� गाय ���क� माता, वसओकं� प�ी, ु ुअिदितप��क� बहन और घत �प अमतका भ�डार ु ृ ृहै । अतः ��येक िवचारशील प�षको म�ने यही ुसमझाकर कहा है िक िनरपराध एव ंअव�य गौ का वध न कर � ।

वेद�म� गौका माहा��य

जब आय� चाण�यक� सरलता एव आदश�स ें�भािवत हआ चीनी या�ी� घटना उन िदन�क� है जब भारतपर च��ग� मौय�का ुशासन था और आचाय� चाण�य वहांके महाम��ी थे एव ंच��ग�के ग� भी थे । उ�ह�के माग�दश�नम� च��ग�ने ु ु ुभारतक� स�ा �ा� क� थी । चाण�य अपनी यो�यता और कत��यपालनके िलए दशे-िवदशेम� �िस� थे । उन िदन� एक चीनी या�ी भारत आया । वह �मण करते ह�ए जब वह पाटिलप� ुपह�चंा तो उसक� इ�छा चाण�यसे िमलनेक� ह�ई । उनसे िमले िबना उसे अपनी भारत या�ा अपण� �तीत ूह�ई । पाटिलप� उन िदन� मौय� वशंक� राजधानी थी । ुवह� चाण�य और स�ाट च��ग� मौय� भी रहते थे; ुपर�त उनके रहनेका पता उस या�ीको नह� था; ुअतएव पाटिलप�म� �ातःकाल �मण करते वह गगंा ुतटपर पह�चंा । वहां उसने एक व�को दखेा जो ृ�नानकर, अपनी धोती धो रहा था । वह �याम वण�का (सांवले रगंका) साधारण �यि� लग रहा था; पर�त ुउसके मखपर ग�भीरता थी । उसके लौटनेक� �ती�ाम� ुचीनी या�ी एक ओर खडा हो गया । व�ने धोती धोकर ृअपने घडेम� पानी भरा और वहांसे चल िदया । जैसे ही वह या�ीके िनकट पह�चंा, या�ीने आगे बढकर भारतीय शैलीम� हाथ जोडकर �णाम िकया और बोला, “महोदय, म� चीनका िनवासी ह�,ं भारतम� अ�यिधक घमा ूह�,ं यहांके महाम��ी आचाय� चाण�यके दश�न करना चाहता ह� ं। �या आप मझे उनसे िमलनेका पता बता ुपाएगें ?” व�ने या�ीका �णाम �वीकार िकया और ृआशीवा�द िदया । त�प�ात उसपर एक �ि� डालते ह�ए बोला, “अितिथक� सहायता करके मझे �स�नता होगी, आप ुकपया मेर ेसाथ चल� ।” त�प�ात आगे-आगे वह व� ृ ृऔर पीछे-पीछे वह या�ी, दोन� चल िदए । वह माग�

नगरक� ओर न जाकर वनक� ओर जा रहा था । या�ीको आशकंा ह�ई िक वह व� उसे िकसी सिंद�ध �थानपर ृतो नह� ले जा रहा है ? तथािप उस व�क� ��ताके ृ(नाराजगीके) भयसे वह कछ कह नह� पाया । व�के ु ृमखपर ग�भीरता और तेज इतना था िक चीनी या�ी ुउसके स�मख �वयकं� हीनताका आभास कर रहा था । ुउसे इस बातक� भलीभांित जानकारी थी िक भारतम� अितिथय�के साथ अ�छा �यवहार िकया जाता है और स�पण� भारतम� चाण�य और स�ाट च��ग�का इतना ू ु�भाव था िक कोई अपराध करनेका साहस नह� कर सकता था; इसिलए वह अपनी सर�ाके �ित िनि��त ुथा । वह यही सोच रहा था िक चाण�यके िनवास �थानम� पह�चंनेके िलए ये छोटा माग� होगा । वह व� ृल�बे-ल�बे डग भरते ह�ए ती�तासे चल रहा था । चीनी या�ीको उसके साथ चलनेम� असिवधा हो रही थी; ुअतः वह िपछडने लगा । व�को उस या�ीक� �यथाका ृभान हो गया; अतः वह धीर-ेधीर ेचलने लगे । अब चीनी या�ी सहजतासे उनके साथ चलने लगा । स�पण� माग�म� ूवे �ायः मौन ही आगे बढते रहे । कछ दरे प�ात व� एक ु ृआ�मके िनकट पह�चंा जहां चार� ओर शाि�त थी, िविभ�न �कारके फल-पौध�से आ�म आ�छािदत था । ूव� वहां पह�चंकर �का और या�ीको वह� िकंिचत ृसमय �ती�ा करनेके िलए कहकर आ�मम� चला गया । या�ी सोचने लगा िक वह व� स�भवतः इसी आ�मम� ृरहता होगा और अब पानीका घडा और भीगे व� रखकर कह� आगे चलेगा । कछ �ण उपरा�त या�ीने सना, “महाम��ी चाण�य ु ुअपने अितिथका �वागत करते ह�, पधा�रए महोदय !” या�ीने �ि� उठाई और दखेता रह गया ! वही व� ृआ�मके �ारपर खडा उसका �वागत कर रहा था । उसके मंहसे आ�य�से िनकल पडा “आप ?” “हां ुमहोदय” व� बोला, “म� ही महाम��ी चाण�य ह� ंऔर ृ

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�रेक �सगं

“उदाहरणके िलए सरलताक� (सादगी) ही बात क� जा सकती है । इतने बडे रा�यके महाम��ीका जीवन इतनी सरलता भरा होगा, इसक� तो क�पना भी हम िवदशेी नह� कर सकते”, ऐसा कहकर चीनी या�ीने अपनी बात आगे बढाई, “अभी-अभी एक और िविच�ता म�ने दखेी है आचाय�, आ�ा हो तो कह� ं?” चाण�यने कहा “अव�य कहो िम�, आपका सकेंत कौन सी िविच�ताक�

चाण�यक� बात� सनकर चीनी या�ीको �वयपंर ुल�जा आई िक उसने �यथ� ही चाण�य और उनके िनवास �थानके बारमे� शकंाक� । सयंोगसे उसी समय वहां स�ाट च��ग� अपने कछ कम�चा�रय�के साथ आ ु ुगए । उ�ह�ने अपने ग�के चरण �पश� िकए और कहा, ु

“ग�दवे राजकाय�के स�ब�धम� आपसे कछ माग�दश�न ु ुलेना था इसिलए उपि�थत ह�आ ह� ं।” इसपर चाण�यने आशीवा�द दतेे ह�ए कहा, “उस स�ब�धम� हम िकसी और समय म��णा कर ल�गे, अभी तो तम हमार ेअितिथसे ुिमलो, ये चीनी या�ी ह� । इ�ह� तम अपने राज�ासाद ु(महल) ले जाओ । इनका भलीभांित �वागत करो और त�प�ात स��याको भोजनके उपरा�त इ�ह� मेर ेपास ले आना, तब इनसे चचा� करग� े ।” स�ाट च��ग� आचाय�को ु�णाम करके या�ीको अपने साथ लेकर लौट गए । स��याको चाण�य िकसी राजक�य िवषयपर िच�तन करते ह�ए कछ िलखनेम� �य�त थे । सामने ही दीपक जल ुरहा था । चीनी या�ीने चाण�यको �णाम िकया और एक ओर िबछे आसनपर बैठ गया । चाण�यने अपनी लेखन साम�ी एक ओर रख दी और दीपक बझाकर दसरा ु ूदीपक जला िदया । इसके उपरा�त चीनी या�ीको स�बोिधत करते ह�ए बोले, “महोदय, हमार ेदशेम� आप पया�� �मणकर चके ह� । कैसा लगा आपको यह दशे ?” ुचीनी या�ी न�तासे बोला, “आचाय�, म� इस दशेके वातावरण और िनवािसय�से अ�य�त �भािवत ह�आ ह�;ं पर�त यहांपर म�ने ऐसी अनेक िविच�ताए ंभी दखे� ह� जो ुमेरी समझसे पर ह� ।” “कौन सी िविच�ताए,ं िम� ?” चाण�यने �नेहसे पछा । ू

साम�ी थी । एक कोनेम� उपल�का (सखा गोबर जो ूईधंनके �पम� उपयोगम� आता है) ढेर लगा ह�आ था । व� सखानेके िलए बांस टंगा ह�आ था । दसरी ओर मसाला ु ूपीसनेके िलए िसलब�ा रखा ह�आ था । कह� कोई राजसी ठाट-बाट नह� था । चाण�यने या�ीको अपनी किटयाम� ुले जाकर आदरसिहत आसनपर बैठाया और �वय ंउसके स�मख दसर ेआसनपर बैठ गए ।ु ू

“अभी अभी म� जब आया तो आप एक दीपकके �काशम� काय� कर रहे थे । मेर ेआनेके उपरा�त उस दीपकको बझाकर दसरा दीपक जला िदया । मझे तो ु ुूदोन� दीपक एक समान लग रहे ह� । त�प�ात एकको

ओर है ?”

यही मेरा िनवास �थान है । आप िनि��त होकर आ�मम� पधार � ।” या�ीने आ�मम� �वेश िकया; पर�त उसके मनम� ुयह आशकंा बनी रही िक कह� उसे मख� तो नह� बनाया ूजा रहा है । वह इस बातपर िव�ास ही नह� कर पा रहा था िक भारत जैसे महान और वैभवशाली रा��का महाम��ी इतनी सरलताका जीवन �यतीत करता है । नदीपर एकाक� (अकेले) ही पैदल �नानके िलए जाना । वहांसे �वय ं ही अपने व� धोना, घडा भरकर लाना और राजधानीसे दर आ�मम� रहना, यह सब चाण�य जैसे ूिव��िस� �यि�क� ही िदनचया� है ! उसने आ�मम� इधर-उधर दखेा । साधारण �कारका क� एवं

या�ीके मखपर िबखर ेह�ए भाव समझते ह�ए चाण�य ुबोले, “महोदय, स�भवतः आप िव�ास नह� कर पा रहे ह� िक इस िवशाल रा�यका महाम��ी म� ही ह� ंतथा यह आ�म ही इस सा�ा�यके महाम��ीका मल िनवास ू�थान है । िव�ास क�िजए ! ये दोन� ही बात� स�य ह� । कदािचत आप भल रहे ह� िक आप भारतम� है, जहां ूकत��यपालनको मह�व िदया जाता है, बा� आड�बरको नह� । यिद आपको राजसी भ�यता दखेना है तो आप स�ाटके िनवास �थानपर पधार,� रा�यका �वामी और उसका �तीक स�ाट होता है, महाम��ी नह� ।”

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बझाकर दसरकेो जलानेका रह�य मझे समझ नह� ु ुू

चाण�यक� बात सनकर या�ी िवि�मत रह गया और ुबोला, “ध�य हो आचाय�, भारतक� �गित और उसके िव�ग� बननेका रह�य अब मझे समझम� आ गया है । ु ुजबतक यहांके �यि�य�का च�र� इतना ही उ�नत और महान बना रहेगा, उस दशेक� �गितको ससंारक� कोई भी शि� नह� रोक सकेगी । इस दशेक� या�ा करके और आप जैसे महा�मासे िमलकर म� �वयकें गौरवशाली होनेका अनभवकर रहा ह� ं।” ु कहां सरलतासे अपना जीवन �यतीत करते ह�ए एक छोटेसे दीपकका तेल भी �यि�गत काय� हेत उपयोग न ुकरनेवाले िवराट सा�ा�यके महाम��ी चाण�य और कहां साव�जािनक धन हडपकर रा�य करनेवाले आजके म��ीगण ! इससे ही इस दशेक� स�ंकित और ृनैितकताका िकतना पतन ह�आ है ?, यह �यानम� आता है ।

आया ?” आचाय� चाण�य म�द-म�द म�कराकर बोले, ु ु“इसम� न तो कोई रह�य है और न िविच�ता ।“ इन दोन� दीपकोम� से एकम� राजकोषका तेल है और दसरमे� मेर ेूअपने प�र�मसे अिज�त धनसे �य िकया गया तेल । जब आप यहां आए थे तो म� राजक�य काय� कर रहा था; इसिलए उस समय राजकोषके तेलवाला दीपक जला रहा था । इस समय म� आपसे �यि�गत बात� कर रहा ह�;ं इसिलए राजकोषके तेलवाला दीपक जलाना उिचत और �यायसगंत नह� है; अतः म�ने वह दीपक बझाकर ुअपनी आयवाला दीपक जला िदया ।”

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अथ� : द���ारा िकए गए अ�याचारका द�ताके ु ुसाथ ��य�र दनेा चािहए । दज�न��ारा िकए गए ु ुिहसंाका उ�र, �ितिहसंासे दनेेसे कोई पाप नह� लगता; �य�िक वे इसी आचरणके पा� होते ह� ।

कते �ितकत कया�द ।ंृ ृ ु ् िहसन े�ितिहसनम ं ं ्त� दोषो न पतित द� े द� समाचरते ।।ं ्ु ु

- चाण�य नीित

यह सभी अस�भव सा जान पडा; िक�त �ाथ�ना ुकरके �यास करने आर�भ िकए और िशवजी व मांक� कपासे ऐसा स�भव हो पाया, इस हेत उनके ृ ु�ी चरण�म� कोिट कोिट कत�ता ।ृ

एक माह पव� अनायास तनजा मांका मेर े पास ू ुस�दशे आया िक मझे िनयिमत ५० माला जप करना ुहै, १०० बार �ाथ�ना करनी है, दो बार नमक पानीका उपाय, आकाश त�वका उपाय, ८ बार �वयसंचना, कप�र सघंना, इतर लगाना, गौ अक� व ू ू ूइ� िमि�त जल अपने ऊपर िछडकना है और इस िवषयम� उ�ह� �ितिदन �यौरा भी दनेा है ।

िवगत कई पिण�मा व अमाव�याके तीन चार िदवस ूआगे पीछे मेरा मन बह�त अशा�त रहता था, अकारण ही पित या िकसी से िववाद हो जाता था, बह�त �ोध आता था, �ाथ�ना नह� हो पाती थी और इस कारण कछ समय प�ात मनम� अ�यिधक प�ाताप ुहोता था । इसके अित�र� मझे स�पण� िदवसम� ु ूतीन-चार बार िन�ाको िनयिं�त करना अस�भव सा लगता था और अ�तत: मझे सोना ही पडता था ।ु

प�या मांके िनदश� �के पालन करनेके ूप�रणाम�व�प िवगत अमाव�या जो िक २८.०५.१४ को थी, मन शा�त था, कोई िववाद नह� ह�आ और एक िदवस पव� ही प�का इि�छत ू ुअिभयांि�क� �े�म� �वेश िनिव��न और अ�प �ययके साथ हो गया तथा मेरी िदनम� िन�ाका �माण भी बह�त अ�प हो गया ह�, िदनम� सोने क� आव�यकता �ायः नह� लगी । इस म�य बाहर जानेपर िकसी िम�के यहां जब उ�ह�ने यह सब करते दखेा तो उनक� �िति�या आई िक बह�त सार े ब�धन ह�; िक�त दो िदवस प�ात उ�ह�ने �वय ंही कहा िक ुआपपर ई�रक� कपा है और उ�ह�ने हमार ेकई लघ ृ ु��थ भी पढ िलए । - एक सािधका, दहेली, भारत

साधक�क� अनभितयांु ू

शकदवे महाभारत ुकालके ��यात मिन ुथे । ये वेद�यासजीके अयोिनज प� थे । ुअयोिनज अथा�त िजनक� उ�पि� माता-िपताके श�ाण एव ंु ुअ�डाणके िमलनसे ुन ह�ई हो । �ापर

यगतक प�वीपर इस �कारक� दवैी शि�य�का वास था, ु ृिजनम� स�तानक� उ�पि�के िलए स�भोगक� ि�याका होना अिनवाय� नह� था । इसी �कार शकदवेजीके ुज�मक� कथा भी पथक है । वेद�यासजीके ये िवल�ण ृप� ज�म लेते ही तप�याके िलए वनम� चले गए थे । ुइ�ह�ने ही परीि�तको �ीम�ागवत पराण ुसनाया था । शकदवेजीने �यासजीसे महाभारत भी पढा ु ुऔर उसे दवेताओकंो सनाया । ये मिन अ�पायम� ही ु ु ु��लीन हो गए । शकदवे मिनके ज�मके बारमे� यह कहा जाता है िक वे ु ुबारह वष�तक माताके गभ�म� रहे । इसक� कथा कछ इस ु�कार है । एक बार भगवान िशव, पाव�तीको अमर कथा सना रहे थे । पाव�तीजीको कथा सनते-सनते न�द आ गई ु ु ुवे उनके �थानपर वहां बैठे एक शकने (तोतेने) ह�कंार ुभरना �ार�भकर िदया । जब भगवान िशवको यह बात �ात ह�ई, तब वे शकको मारनेके िलए दौडे और शक ु ु�ाण बचानेके िलए तीन� लोक�म� भागते रहे, भागते-भागते वह �यासजीके आ�मम� पह�चं गए । �यासजीक� प�नी उस समय ज�हाई ले रही थी, शक, स�म �प ु ूधारणकर उनके मखम� �वेश कर गए । महादवेने जब ु

उसे �यासक� शरणम� दखेा तो मारनेका िवचार �याग िदया । शक, �यासक� प�नीके गभ��थ िशश हो गए । वे ु ुउनके गभ�म� ही रह गए । शकने सांसा�रकता दखे ली थी; ुइसिलए वह मायाके इस प�वी लोकके �भावम� आना ृनह� चाहते थे; इसिलए ऋिष-प�नीके गभ�से बारह वष�तक नह� िनकले । जब भगवान �ीक�णने �वय ंृआकर उ�ह� आ�ासन िदया िक बाहर िनकलनेपर त�हार ेऊपर मायाका �भाव नह� पडेगा, तभी वे गभ�से ुबाहर िनकले और �यासजीके प� कहलाए । गभ�म� ही ुइ�ह� वेद, उपिनषद, दश�न और पराण आिदका स�यक ु�ान हो गया था । इतनी सीमातक उनम� ससंारसे िवरि� थी िक ज�म लेते ही ये तप हेत वनम� चले गए थे, ुमहिष� वेद�यासक� हािद�क इ�छा थी िक शकदवे ु'�ीम�ागवत' जैसी परमहसं सिंहताका अ�ययन कर;� िक�त ये िमलते ही नह� थे । �यासजीने एक यि� क� । ु ुउ�ह�ने �ीक�ण लीलाका एक �ोक बनाया और ृउसका आधा भाग िश�य�को रटाकर सिमधा लानेके िलए उस िदशाम� भेज दतेे, िजधर शक �यान लगाते थे, ुवे उसे गाते ह�ए वनम� जाया करते थे । एक िदन शकदवेजीने भी उस �ोकको सन िलया । ु ु�ीक�णलीलाके अ�त आकष�णसे ब�धकर शकदवे ृ ुुअपने िपता �ी�यासके पास लौट आए । त�प�ात उ�ह�ने ' �ीम�ागवत महापराण' के अठारह सह� ु�ोक�का िविधवत अ�ययन िकया । काला�तरम� वेदा�ययनके िलए दवेग� बह�पितजीके पास उनको ु ृभेजा गया, जहां उ�ह�ने वेदशा�, इितहास आिदका अ�ययन पण� िकया । िव�ा�ययनके प�ात िपता�ीके ूआ�मम� आकर रहने लगे । सांसा�रक ब�धन एव ंजीव�के ज�म-मरणसे उनका मन �यिथत रहने लगा । वे सांसा�रक बात�से उदासीन रहने लगे । अपनी अ�ितम �ितभाके कारण �ार�भसे ही वे दवेताओ,ं ऋिषय� एव ंमानव मा�के ��ापा� हो गए । उनका गह�था�मकेृ

मािसक वैिदक उपासना वैशाख, किलयग वष� ५१२१ २० अ�ैल - १८ मई २०१९ वष� १ / �मांक २ प� - ३८ ु ृ

स�त च�र�

आज�मा वैरागी शकदेव मिनु ु

शकदवेजीने परमहसं सिंहताका स�ाह-पाठ महाराज ुपरीि�तको सनाया, िजसके िद�य �भावसे परीि�तने ुम�यको भी जीत िलया और भगवानके मंगलमय धामके ृ ुस�चे अिधकारी बने । परम वैरागी एव ंत�ववे�ा शकदवे ुमिनको आज भी लोग ��ासे �मरण करते ह� । ऐसा ुकहते ह� िक शकदवे मिन िजस �थानपर ��लीन ह�ए थे, ु ुवत�मान समयम� वह �थान ह�रयाणाम� कैथलके गांव सजमाम� ि�थत है ।ू

बह�त �यास करनेपर भी जब �यासजी, शकदवेजीको ुगह�था�मके िलए स�ज (तैयार) नह� कर सके तो ृउ�ह�ने शकदवेजीको अपने यजमान िमिथलापरी नरशे ु ुराजा जनकके पास धम� और मो�का यथाथ� �ान �ा� करने भेजा । राजा जनक गह�थ होते ह�ए भी �वि� और ृ ृिनवि� माग�के त�ववे�ा थे । वे शा� मया�दानसार, ृ ुरहकर गह�थी ही नह�; अिपत सचा� �पसे रा�य ृ ु ुसचंालन भी करते थे । वे अपनेको राजा नह�; अिपत ु�जाका �ितिनिध मानते थे । उनम� न राजमद था न ही राजके �ित िल�सा । वे दहेम� रहकर भी िवदहे कहलाते थे । राजा जनकने शकदवेजीक� अनेकानेक िविधय�से ुपरी�ा ली और अ�तम� उनक� गह�था�मक� ृशकंाओकंा समाधान िकया । राजाके उपदशे�से शकदवे ुमिनक� शकंाओकंा सामधान हो गया और वे अपने ुिपताके आ�मम� आ गए । शकदवेजीका िववाह पीवरीसे ुह�आ िजनके िपता �वग�म� व�ाज नामके सकर लोकम� ुरहनेवाले िपतर�के मिखया थे । िववाहके समय ुशकदवेजी २५ वष�के थे । उनक� स�तान�क� स�ंयाके ुिवषयम� िभ�न शा��म� पाठभेद है । गह�था�मम� रहकर ृभी शकदवेजी योग माग�का अनसरण करते रहे ।ु ु

�ित िवमोह दखेकर �यासजी उ�ह� िववाह ब�धनम� आब� करने हेत िभ�न तक� और उदाहरण दकेर ुसमझाते एव ं �े�रत करते; िक�त वे उनके िवचारसे ुसहमत नह� होते थे । इस �कार �यासजी जहां उ�ह� गह�था�मका मह�व बताते तो वह� शकदवेजी ृ ुगह�था�मके क� िगनाते ! ृ

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- तनजा ठाकर (२९.६.२०१४)ु ु

५. आजकल भौितकतावाद अपने चरमपर है, ऐसेम� चार� ओर रज-तम अ�यिधक है; अतः जब भी इस �कारके वातावरणके स�पक� म� आती ह� ं तो मेरी �ाणशि� और भी अ�प हो जाती है व स�म ूआ�मण बढ जाते ह�, इस कारण कई बार सांस लेनेम� क� होता है और साथ ही अश� अनभव करने ुलगती ह�;ं फल�व�प अब म� जब भी िवमानसे या�ा करती ह� ंतो �मण-आसदंीका (�हीलचेयर) सहारा लेती ह�,ं साथ ही िवपिण (बाजार) इ�यािद जाना भी टालती ह� ं। जब िवदशे जाती ह� ंतो भी इ�ह� कारण�से �मण हेत नह� िनकलती ह�,ं अपने आपको साधकके ुघर या �वचन �थलतक ही सीिमत रखती ह�,ं यिद िकसी �थलका स�म परी�ण करना हो अथा�त ूआ�याि�मक शोध करना हो तो अव�य जाती ह�;ं वह भी ई�रा�ा अन�प या पर�ेछासे करती ह�,ं यह सब ुकरनेसे भी क� तो होता है; पर�त मेर ेइस शोधसे ुसमाजको लाभ िमले तो ऐसा करना, मेरी साधना है, यह सोचकर करती ह� ं।

प� �. १० का शेष भाग.....शका समाधानंृसब होते हए भी अ�प �माणम� धम�काय�म� �थल ू�पम� अपना योगदान द ेपा रही ह� ं।

६. ��ा�डके �तरपर अ�यिधक उथल-पथल हो ुरही है; इसका प�रणाम सभी साधक जीव�पर अ�प या अिधक �माणम� हो ही रहा है, हम इसका स�म ूकारण जानते ह�; अतः आपके सम� इसे साझा कर पाते ह�, िजससे अ�य साधक जीव इस �कारके हो रहे क��से बोध लेकर सतक� हो जाए;ं इसिलए भी हम� अिधक क� होता है ।७. साधना करते करते हमार े स�म दहेक� ू�यापकताम� वि� होने लगती है, ऐसेम� समाजको हो ृरहे क��का हमारी स�म दहेपर भी �भाव पडने ूलगता है, इस कारणसे भी क� होता है ।

वैिदक उपासना पीठ�ारा इ�दौर जनपदम� िनमा�णाधीन आ�म प�रयोजनाम� मि�दर �क�प भी आर�भ हो चका है, ुइस लेख शखंलाके मा�यमसे हम उस प�रयोजनाम� �या ृिनमा�ण करनेवाले ह� ?, इसक� पव�क�पना आपको दनेेका ू�यास करने जा रहे ह�, िजससे आपम�से कोई भी यिद इस सेवाके स�ब�धम� हमसे जडना चाहते ह� या अपना सझाव ु ुभेजना चाहते ह� या अपनी ओरसे कोई सेवा या सहायता �दान करना चाहते ह� तो हम� स�पक� कर सकते ह� । पव�कालम� अिधकांश दवेालय (मि�दर) धम�िश�ण �थल ूह�आ करते थे; िक�त आज अिधकांश मि�दर�म� मा� ुकम�का�डक� िविधयां ही होती ह� । दवेालय�का मल उ�े�य ूसा�य हो एव ंएक आदश� मि�दर कैसा होना चािहए ?, इस हेत ुइस मि�दर प�रयोजनाम� एक िवशाल प�तकालय एव ंुवाचनालयके िलए �थान िनयोिजत िकया गया है, िजससे िज�ास वि�के साधक जब मि�दरम� आए ंतो वे अपनी �िच ु ृएव ं िज�ासा अनसार ��थ�का पठन कर सक� ! उससे ुस�बि�धत शकंाओकंा समाधान करने हेत शकंा समाधान ुस�का आयोजन िकया जाएगा, िजसम� यो�य आचाय�गण��ारा िज�ासओ ं एव ं साधक�क� शकंाका ुसमाधान िकया जाएगा । इस शकंा समाधान स� हेत ु

आधिनक प�ितसे धम�को िसखाने हेत चार िभ�न आकारके ु ुक�के िनमा�णको भी प�रयोजनाम� सि�मिलत िकया गया है । ऐसा करनेका मल कारण, मि�दर�के िनमा�णके पीछेके मल ू ूउ�े�यको पन�था�िपत करना है, िजससे भिव�यम� जब भी ुकोई मि�दर िनमा�ण कर े तो उसम� प�तकालय एव ंुवाचनालयके िलए भी �थान रखे; िजससे िज�ासओकंो ुअपने धम�का �ान पाने हेत कह� जाना न पडे, वह अपने ु�े�म� ही रहकर �ान �ाि�कर धम� और अ�या�मके पथपर अ�सर हो सके ! इस काय� हेत आप भी धनसे तो सहायता ुकर ही सकते ह�, साथ ही यिद आपके पास ऐसे �ाचीन ��थ ह� तो आप उ�ह� दान भी कर सकते ह� । यिद आप इसम� अ�यापन करने हेत इ�छक ह� तो भी आप हम� स�पक� कर ु ुसकते ह� । आचाय� एव ं �ाचाय�गण�के प�रवारसह रहनेक� �यव�था भी हमारी प�रयोजनाम� है । अतः आपको अपने जीिवकोपाज�न या ब�च�क� िश�ा एव ं भरण-पोषणक� भी िच�ता नह� करनी होगी । मि�दर ही आपके सव� उ�रदािय�वके �ययका वहन करगेा । इस �क�पको 'सव�जन िहताय सव�जन सखाय' के बहद उ��ेयसे िनमा�ण िकया जा ु ृरहा है; अतः आपसे यथाशि� सहयोगक� हम� आशा है । (�मशः)

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वैिदक उपासना पीठ�ारा िनमा�णाधीन आ�म प�रयोजनाके िभ�न �क�प�क� िवशेषताए (भाग-१)ं

चै� �ितपदाको नव च�डी य� आर�भ होनेवाला था और अमाव�याक� राि�को हम� जो थाली महारा��के का�दलीम� रहनेवाले एक स�त �ी मौनी बाबाने ३० िदस�बर २०१८ को इसिलए िदया था िक उसम� भोजन करनेसे मझे कभी भी काय� हेत धनक� �यनता नह� होगी, उसपर ही अिन� शि�य�ने ु ु ूआ�मण कर िदया और वह आ�मण इतना ती� था िक आस-पास जो भी अ�य बत�न रखे थे वे भी जल गए । (ऊपर छायािच� सलं�न है ।) इसिलए ऐसा न सोच� िक पव� कालम� ही य�म� आसरी शि�यां बाधा ू ुडालती थ�, आज भी यिद समि� य� होता है तो अिन� शि�यां उसका िवरोध करती ह� और यह आ�मण उसका ��य� �माण है ! म�ने अपने �ीग�को इस य�क� ग�भीरताको भांपते ह�ए पव� सचना दकेर उनसे आशीवा�द मांगा था ु ू ूऔर य�के आर�भ होनेसे पव� ही उनका आशीवा�द हम� एक सचना�ारा �ा� हो गया था । यह थालीके ू ूदागको आ�मके कोई भी साधक या सेवक समझ नह� पाए और मझे बताया भी नह� ! दशमीको मेरी ुउसपर �ि� पडी तो मझे सब समझम� आया िक इतना भीषण आ�मण ह�आ और मझपर मा� ग�कपाके ु ु ु ृकारण ही अशंमा� भी �भाव नह� पडा था । म� नौ िदवस�से उसी थालीम� �ितिदन �साद �हण कर रही थी ! अिन� शि�य�को �ात था िक यह िस� थाली है; इसिलए उ�ह�ने उसपर आ�मण िकया और उसके आस-पास जो बत�न थे, वे भी उसके आ�मणसे �भािवत हो गए ! आपको तो �ात ही होगा िक �टीलके बत�न�म� शी� कोई दाग या ध�बे नह� लगते ह� ।

य�, वैिदक स�ंकितका एक अिभ�न अगं है । अनािद कालसे ही य� िभ�न उ�ेशय�क� �ाि� हेत िकया ृ ् ुजाता रहा है ! य�के मा�यमसे �ाचीन कालम� ऋिष-मिन आसरी शि�य�का शमन करते थे ! उपासनाके ु ुआ�मम� जब िविश� उ�े�य लेकर य� िकया गया तो इसक� भनक स�म जगतक� शि�य�को भी लग गई ूऔर यह कैसे स�भव है िक उनके�ारा उ�प�न होनेवाली बाधाओकें िनदा�लन हेत य� िकया जाए और वे ुउसका �ितकार न कर � ?

य�स ेएक िदवस पव� उपासनाके आ�मम� भोजन पा��म� हआ अिन� शि�य�का आ�मणू �

यह मि�दर गजरात रा�यके वडोदरा (बडोदा) नगरसे लगभग ६० िक.मी.क� दरीपर ि�थत किव क�बोई गांवम�, ु ूअरब सागरके ख�भातक� खाडीके िकनार ेि�थत है । इस तीथ�का उ�लेख �ी महािशवपराणके '��सिंहता'म� ुिमलता है । मि�दरम� ि�थत िशविलंगका आकार लगभग ४ फट ऊंचा और २ फटके �यासवाला है । इस �ाचीन ु ुमि�दरके पीछे अरब सागरका स�दर ��य िदखाई दतेा है । यहां आनेवाले ��ालओकें िलए िवशेष �पसे पच� बांटे ु ुजाते ह�, िजनम� �वारभाटा आनेका समय िलखा होता है । ऐसा इसिलए िकया जाता है िक यहां आने वाले ��ालओकंो िकस समय दश�न हो सकता है यह �ात रहे ।ु

गजरातम� ि�थत �त�भे�र महादवे मि�दर िदनम� दो बार �णभरके िलए ल� (ओझल) हो जाता है और उसी �थानपर ु ुवापस भी आ जाता है; इसिलए यह सभी िशवभ��के िलए एक आकष�णका के�� है ! ऐसा �वारभाटा उठनेके कारण होता है । इसके चलते आप मि�दरके िशविलंगके दश�न तभी कर सकते है जब सम�म� �वार कम हो । �वारभाटाके ुसमय िशविलंग पण� �पसे जलम�न हो जाता है और मि�दर तक कोई नह� पह�चं सकता । यह �ि�या �ाचीन कालसे ूचली आ रही है ।

पौरािणक मा�यता : इसके पीछेक� पौरािणक मा�यता है । रा�स ताडकासरने अपनी कठोर तप�यासे भगवान ुिशवको �स�न कर िलया, जब भगवान िशव उसके सामने �कट ह�ए तो उसने वरदान मांगा िक उसे केवल िशवजीका प� ही मार सकेगा और वह भी केवल छः िदवसक� आयका । िशवजीने उसे वरदान द ेिदया । वरदान िमलते ही ु ुताडकासरने हाहाकार मचाना आर�भ कर िदया । दवेताओ ंव ऋिष-मिनय�को आतंिकत कर िदया । अ�तत: दवेता ु ुमहादवेक� शरणम� पह�चें । िशवशि�से �ेत पजंके क�डसे िशवप� काित�केय उ�प�न ह�ए । काित�केयने मा� छः िदनक� ु ु ुआयम� ताडकासरका वध कर िदया । जब काित�केयको पता चला िक ताडकासर, भगवान शकंरका भ� था तो वे ु ु ुअ�यिधक �यिथत ह�ए, तब भगवान िव�णने काित�केयसे कहा “वे वध�थलपर िशवालय बनवा द,� इससे उनका मन ुशा�त होगा ।” काित�केयने ऐसा ही िकया, उसके प�ात सभी दवेताओनें िमलकर वह� सागरसगंम तीथ�पर िव�ान�द �त�भक� �थापनाक� िजसे आज �त�भे�र तीथ�के नामसे जाना जाता है । सवेरकेे समय �वारका �भाव कम रहता है तो उसी समय मि�दरके भीतर जाकर िशविलंगके दश�न िकए जा सकते ह�, स��या और रातके समय जलका �भाव अिधक रहता है और दर-दरसे ��ाल सागर�ारा िशवश�भके जलािभषेकका अलौिकक ��य दखेनेके िलए यहां ु ुू ूआते ह� । यहां िशवराि� और हर अमावसपर मेला भी लगता है ।

भारतके रह�यमयी मि�दर�त�भे�र महादेव मि�दर, वडोदरा, गजरातु

�वामी वैिदक उपासना पीठके िलए �काशक/म�क िनितन जोशी �ारा �ीरग आफसटे, १२३ देवी अिह�या ंुमाग�, �म िशिवर, जेलरोड, इ�दौर, म.�. स ेमि�त एव १५०-बी, वैशाली नगर, इ�दौर स े�कािशत स�पादक ंुतनजा ठाकरु ु

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