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सीकर टाइ March 2018, Volume 1, Issue 3 Page 1

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  • सीकर टाइ� 

    March 2018, Volume 1, Issue 3 Page 1

  • खाप पर हथौड़ा: राम�स�ह �ब�ोई 

    दो अलग धम� या जा�तय� के वय�� के बीच आपसीरजामंदी से होने वाली शादी म� खाप पंचायत जैसे समूह� या���य� क� दखल को सु�ीम कोट� ने पूरी तरह गैरकानूनीकरार �दया है। भारत के मु� �ायाधीश क� भागीदारीवाली सु�ीम कोट� क� तीन सद�ीय ब�च ने ऐसे ह��ेप कोरोकने के �लए बाकायदा एक गाइडलाइन भी जारी क�।अदालत ने कहा �क इस बार े म� संसद �ारा कानून बनाएजाने तक उसक� यह गाइडलाइन लागू रहेगी।�न��त �प सेयह फैसला एक ज�री सामा�जक बदलाव क� जमीन तैयारकरगेा।

    यह एक �वडंबना ही है �क जो पहलकदमी सरकार क� तरफसे काफ� पहले हो जानी चा�हए थी, वह �ायपा�लका क�ओर से हो रही है। दो वय�� को आपसी सहम�त से �ववाहका अ�धकार देना ��� क� �तं�ता का एक बु�नयादीत� है। आजादी के 70 साल बाद भी अपने वोट से सरकार�चुनने वाले लड़के-लड़�कयां अपनी शादी के बार ेम� खुद सेकोई फैसला नह� कर पाते। करते ह� तो उनक� जान परखतरा मंडराने लगता है।

    समाज को बराबरी के �र तक ले जाने का दा�य��नभाना तो दरू, उसे पीछे क� ओर ले जाना ही सु�वधाजनकलगा। स�ा के खेल म� शा�मल वग� को आज भी पूराइ��नान है �क जा�त और धम� क� बाड़ेबं�दय� को मजबूतबनाकर लोग� को अपने प� म� एकजुट करना उसके �लएकह� �ादा आसान है। यही वजह है �क उसने अरसे से जड़जमाए अ�ाचारी पहचान� को �कसी भी हाल म� कमजोरनह� होने �दया और कई बार उसके �लए अपनी तरफ सेखाद-पानी क� �व�ा भी क�। सु�ीम कोट� के इसहनकदार फैसले के बाद यह सब बंद होना चा�हए। जोसरकार� अपनी मज� से शादी करने वाल� को सुर�ा न देसक� , उ�� एक �ण भी स�ा म� रहने का अ�धकार नह� होनाचा�हए।

    खाप पंचायत जैसी सं�ाएं और धा�म�क संगठन उछलकरआगे आ जाते ह�। गांधी, टैगोर और आंबेडकर जैसे हमारेमहापु�ष� ने �ा ऐसे ही रा� क� क�ना क� थी? उनकेमन म� तो एक ऐसे आधु�नक देश और समाज क� क�नाथी, �जसम� हर ��� अपनी ग�रमा को लेकर आ�� हो,हर नाग�रक अपने जीवन के फैसले खुद ले सके। जा�त, धम�जैसे बंधन कमजोर ह�, उनसे जुड़ी पहचान� �ै��क ह� और�नजी दायर ेसे बाहर उनका कोई अथ� न हो, ले�कन दभुा��से हमारी रा�-�व�ा इस �दशा म� आगे नह� बढ़ सक�।यह�ा �कसी स� समाज का ल�ण है? भारत म� एक ���के जीवन म� बं�दश� ही बं�दश� ह�। �� ही दो लोग आपसीसहम�त से एक साथ जीवन �बताने का फैसला करते ह�,उनके रा�े म� जा�त का �� खड़ा हो जाता है, नह� तो धम�का, या �फर पा�रवा�रक ��त�ा का। अगर प�रवार बाधा नभी खड़ी कर ेतो समाज के ठेकेदार डंडे लेकर हा�जर हो जातेह�।

    खाप पर हथौड़ा Page 2

    http://www.sikartimes.com/

  • रा�सभा म� राहत: हेमलता गुज�र 

    यूपी-�बहार क� तीन अहम लोकसभा सीट� पर �ए उपचुनावके ठीक बाद आए रा�सभा चुनाव नतीजे बीजेपी के �लएकुछ राहत ज�र लाए ह�। वोटर� क� सीधी भागीदारी न होनेके कारण इ�� आम जनता के �मजाज का सूचक नह� मानाजा सकता, �फर भी इनक� अपनी अह�मयत है। यूपी म��वधायक� के �र पर एसपी-बीएसपी-कां�ेस के तालमेलको �न�भावी बनाकर यहां क� नौव� सीट भी अपने ��ाशीको �दलाने म� बीजेपी कामयाब रही। इससे रा� म� अपनेकाय�कता�ओ ंका मनोबल बनाए रखने म� उसे आसानी होगी।यूपी से बाहर �नकल� तो प��म बंगाल म� तृणमूल व कां�ेसके बीच तालमेल के

    साथ ही वहांले� पा�ट� य� के अलगाव क� �नरतंरता ने भीसबका �ान ख�चा।

    कां�ेस ��ाशी अ�भषेक मनु �स�घवी वहां तृणमूल केसहयोग से जीते, जब�क सीपीएम ��ाशी रा�बन देबपरा�जत हो गए। कना�टक म� मु�मं�ी �स�रामैया कां�ेसके प� म� 3-1 का �ोर देने म� कामयाब रहे, मगर तेलंगानाम� टीआरएस के सामने कां�ेस क� दाल नह� गली। �ानरहे, बीजेपी और कां�ेस, दोन� के ही �खलाफ तीसरा मोचा�बनाने क� को�शश� म� आजकल टीआरएस चीफ के.चं�शेखर राव सबसे आगे ह�।

    चार बड़े रा�� म��देश, छ�ीसगढ़, राज�ान औरकना�टक म� �वधानसभा चुनाव इसी साल होने ह�। इनकेनतीजे बीजेपी क� आशा के अनु�प �नकल� तो भी रा�सभाचुनाव अब दो साल बाद ही ह�गे। यानी मोदी सरकार केमौजूदा काय�काल म� उसे इस अड़चन से मु�� नह� �मलनेवाली। अ� मामल� म� यह सरकार चाहे जो भी दावे कर,े पर�वप� से तालमेल बनाने के सवाल पर इसका �दश�न�पछली सरकार� के मुकाबले काफ� कमजोर रहा है। इसचुनावी साल म� �वप� का �ख �ाभा�वक तौर पर पहले से�ादा कड़ा होगा, मगर सरकार क� कुशलता इसी बात म�मानी जाएगी �क वह साथ�क संवाद के ज�रए �वप� सेतालमेल बनाकर अपने ज�री �वधेयक� को पा�रत कराए,ता�क कुछ बड़े काम उसके खाते म� दज� हो सक� ।

    2014 म� लोकसभा चुनाव जीतने और वहां बीजेपी के अकेलेदम पर पूण� ब�मत हा�सल करने के बावजूद मोदी सरकारक� राह का एक बड़ा कांटा रा�सभा म� नजर आता है, जहांस�ा�ढ़ गठबंधन अ�मत म� ही रह गया। इसके चलतेमह�पूण� �वधेयक� पर उसे कां�ेस व अ� �वप�ी दल� कामुंह ताकना पड़ता है। यह ���त आगे भी आसानी से बदलनेके आसार नह� ह�।

    बहरहाल, 58 रा�सभा सीट� पर �ए चुनाव के बाद अबसदन म� बीजेपी क� सद� सं�ा 54 से बढ़कर 69 हो गई है,जब�क कां�ेस 54 से घटकर 50 पर आ गई है। इसकेबावजूद रा�सभा के अंदर स�ा प� और �वप� के बीचश�� संतुलन म� कोई बड़ा बदलाव नह� आया है। स�ा�ढ़एनडीए क� कुल सद� सं�ा अब भी 87 तक ही प�ंच पाईहै, जो ब�मत के �लए आव�क सं�ा 126 से काफ� कमहै।

    रा�सभा म� राहत Page 3

  • स�े-महंगे शहर: कम��ीन कायमखानी 

    द�ुनया के सबसे महंगे शहर �स�गापुर म� एक �कलो �ेड क�क�मत 241 �पए है। द�ुनया के सबसे स�े शहर द�म� म�यही �ेड 38 �पए म� �मलती है। �द�ी-एनसीआर म� एक�कलो �ेड के पैकेट नह� आते, आधा �कलो का पैकेट 30-32�पये का पड़ता है। इकनॉ�म� इंटे�लज�स यू�नट (ईआईयू)ने द�ुनया के सबसे महंगे और सबसे स�े शहर� क� �ल�जारी क� है, �जसम� �पछले साल क� तरह इस साल भी�स�गापुर द�ुनया का सबसे महंगा शहर बना �आ है, जब�कमहंगे शहर� क� सूची म� पे�रस, �ू�रख और हांगकांग भीशा�मल ह�।हांगकांग म� आवासीय महंगाई का आलम यह है�क �पछले साल लोग� ने यहां रहने के �लए दो बाई एकमीटर का �प�जरा सबसे �ादा पसंद �कया, ���क उसका�कराया सबसे कम, यानी 32 हजार �पए ��तमाह था।

    ईआईयू ने 130 शहर� म� स�ा-महंगा जानने के �लएभोजन, शराब, कपड़े, पस�नल केयर, मकान का �कराया,�ांसपोट� , ज�री �ब�, �ाइवेट �ूल, घरलूे नौकर,मनोरजंन आ�द के खच� का पता लगाया। कुल 160 उ�ाद�और सेवाओ ं क� क�मत� इन शहर� म� चेक क� ग� औरचे�क� ग बेस �ू यॉक� को बनाया गया। सव� के मुता�बकद�ुनया के कुछेक सबसे महंगे शहर ए�शया म� ह� तो, कुछसबसे स�े शहर भी यह� ह�।

    लोग घरलूे खच� क� सीमा बांध रहे ह� और एक ही व�ु क�कई क�मत� अदा कर रहे ह�। महंगे शहर� म� रहने वाले लोग�के �म के मू� से भी छेड़छाड़ होती है, मगर अपने यहां�जतनी नह�। यही वजह है �क वहां आम लोग भी हमसे�ादा खच� कर पाते ह�।

    सबसे स�े शहर� म� पांचव� नंबर पर रखे गए बंगलु� म� एकलीटर अनलेडेड पे�ोल क� क�मत 73 �पए है तो सबसेमहंगे शहर� म� पांचव� नंबर पर रखे गए ओ�ो म� वही पे�ोल129 �पए लीटर है। सव� म� कहा गया है �क भारत औरपा�क�ान जैसे देश� म� धन का उ�चत मू� देने क� परपंरारही है, �जसके चलते बंगलु�, चे�ई, कराची और नई�द�ी सबस े स�े दस शहर� म� शा�मल ह�। कहा यह भीगया है �क भारत वैसे तो �व� क� तेजी से उभरतीअथ��व�ा है, मगर जब बात �म का उ�चत मू� देने क�होती है तो उसक� �गनती सबसे �नचले दज� म� ही होती है।इसके चलते यहां आय म� भीषण असमानता है।

    स�े-महंगे शहर Page 4

  • आज भी शु� पेयजल से वं�चत ह� 7.5 करोड़�ह� द�ुानी: �हतेश शमा� 

    यह एक कड़ी चेतावनी है, �जसे गंभीरता से लेने के अलावाऔर कोई चारा ही नह� है। यूने�ो क� एक �रपोट� केमुता�बक 2050 तक भारत म� भारी जल संकट आने वालाहै। अनुमान है �क तीसेक साल� म� देश के जल संसाधन� म�40 फ�सदी क� कमी आएगी। देश क� बढ़ती आबादी को�ान म� रख� तो ��त ��� जल उपल�ता बड़ी तेजी सेघटेगी।ईआईयू ने 130 शहर� म� स�ा-महंगा जानने के �लएभोजन, शराब, कपड़े, पस�नल केयर, मकान का �कराया,�ांसपोट� , ज�री �ब�, �ाइवेट �ूल, घरलूे नौकर,मनोरजंन आ�द के खच� का पता लगाया।

    कुल 160 उ�ाद� और सेवाओ ंक� क�मत� इन शहर� म� चेकक� ग� और चे�क� ग बेस �ू यॉक� को बनाया गया। सव� केमुता�बक द�ुनया के कुछेक सबसे महंगे शहर ए�शया म� ह�तो, कुछ सबसे स�े शहर भी यह� ह�। सबसे स�े शहर� म�पांचव� नंबर पर रखे गए बंगलु� म� एक लीटर अनलेडेडपे�ोल क� क�मत 73 �पए है तो सबसे महंगे शहर� म� पांचव�नंबर पर रखे गए ओ�ो म� वही पे�ोल 129 �पए लीटर है। सव� म� कहा गया है �क भारत और पा�क�ान जैसे देश� म�धन का उ�चत मू� देने क� परपंरा रही है, �जसके चलतेबंगलु�, चे�ई, कराची और नई �द�ी सबसे स�े दसशहर� म� शा�मल ह�। कहा यह भी गया है �क भारत वैसे तो�व� क� तेजी से उभरती अथ��व�ा है, मगर जब बात �मका उ�चत मू� देने क� होती है तो उसक� �गनती सबसे�नचले दज� म� ही होती है।

    इसके चलते यहां आय म� भीषण असमानता है। लोग घरलूेखच� क� सीमा बांध रहे ह� और एक ही व�ु क� कई क�मत�अदा कर रहे ह�। महंग ेशहर� म� रहने वाले लोग� के �म केमू� से भी छेड़छाड़ होती है, मगर अपने यहां �जतनी नह�।यही वजह है �क वहां आम लोग भी हमसे �ादा खच� करपाते ह�।म� ���त पहले से ही बेहद खराब है। अब देश के और�ह�े भी इस संकट क� चपेट म� आ जाएंगे। गु�वार को �व�जल �दवस के मौके पर देश-द�ुनया म� पानी को लेकर कईज�री बात� ��, कई त� सामने आए। सचाई यह है �कभारत म� हालात इतने खराब हो गए ह� �क यु��रीय �यासके �बना कुछ हो ही नह� सकता। जल संकट से �नपटने कोलेकर हमार े यहां जुबानी जमा खच� �ादा होता है, ठोस�यास कम ही देखे जा रहे ह�। भारत म� ��त ��� के �हसाबसे सालाना पानी क� उपल�ता तेजी से नीचे जा रही है।2001 म� यह 1,820 घन मीटर था, जो 2011 म� 1,545 घनमीटर ही रह गया। 2025 म� इसके घटकर 1,341 घन मीटरऔर 2050 तक 1,140 घन मीटर हो जाने क� आशंका जताईगई है। आज भी करीब 7.5 करोड़ �ह� द�ुानी शु� पेयजल सेवं�चत ह�। हर साल देश के कोई 1.4 लाख ब�े गंदे पानी सेहोने वाली बीमा�रय� से मर जाते ह�। इस संकट क� बड़ी वजहहै भू�मगत जल का लगातार दोहन, �जसम� भारत द�ुनया म�अ�ल है। पानी क� 80 फ�सद से �ादा ज�रत हम भूजलसे पूरी करते ह�, ले�कन इसे दोबारा भरने क� बात नह�सोचते। 

    भारत म� ताल-तलैय� के ज�रए जल संचय क� पुरानी परपंरारही है। बा�रश का पानी बचाने के कई तरीके लोग� ने�वक�सत �कए थे। द��ण म� मं�दर� के पास तालाब बनवानेका �रवाज था। प��मी भारत म� इसके �लए बाव�ड़य� क�और पूरब म� आहर-पईन क� �व�ा थी। ले�कन समयबीतने के साथ ऐसे �यास कमजोर पड़ते गए। बाव�ड़य� क�कोई देखरखे नह� होती और तालाब� पर क�े हो गए ह�।संकट का दसूरा पहलू यह है �क भू�मगत जल लगातार�द�ूषत होता जा रहा है। औ�ो�गक इलाक� म� घुलनशीलकचरा जमीन म� डाल �दया जाता है। हाल म� गांव-गांव म��जस तरह के शौचालय बन रहे ह�, उनसे ग�� म� मल जमाहोता है, �जसम� मौजूद बै�ी�रया भूजल म� प�ंच रहे ह�। जलसंकट लाइलाज नह� है। हाल म� पैरा�े जैसे छोटे, गरीब देशने सफलता पूव�क इसका इलाज कर �लया है। द��णअ��का के केपटाउन शहर ने इस संकट से �नपटने केरा�े खोजे ह�। हमार े �लए भी यह असंभव नह� है, बशत�सरकार और समाज दोन� �मलकर इसके �लए �यास कर�।

    आज भी शु� पेयजल से वं�चत ह� 7.5 करोड़ �ह� द�ुानी Page 5

  • उ�ीड़न और �गर�ारी: जलपा चतुव�दी 

    सु�ीम कोट� ने एससी/एसटी (��व�शन ऑफ अ�ॉ�सटीज)ए� के बड़े पैमाने पर हो रहे द�ुपयोग को रोकने के �लएइसके साथ कई नए �ावधान जोड़े ह�। अब इस कानून केतहत दज� �कए गए मामल� म� अ��म जमानत �मल सकेगी।ऐसे मामल� म� �शकायत� आने पर अब अपने आप �गर�ारीनह� होगी।

    संबं�धत इलाके का डीएसपी �शकायत क� �ाथ�मक जांचकरगेा पर �शकायत सही पाई जाने के बाद भी �गर�ारीअपवाद ��प ही हो पाएगी।�शकायत अगर �कसी प��कसव�ट के �खलाफ हो तो �गर�ारी उसे �नयु� करने वालेअ�धकारी क� इजाजत के बाद ही हो सकेगी। अ� मामल�म� �गर�ारी के �लए सी�नयर एसपी क� इजाजत ज�रीहोगी। सच है �क देश म� �कसी कानून के बड़े पैमाने परद�ुपयोग क� �शकायत� �मल रही ह� तो उसक� सीमाओ ंपर�वचार करना ही होगा।

    अ�ा ही है �क सु�ीम कोट� ने द�ुपयोग को रोकने क�पहल क�, ले�कन उसक� इस पहल से वं�चत तबके का यहसुर�ा उप�म भी उससे �छन गया है। ताजा �ावधान� के बादद�लत उ�ीड़न से जुड़ी �शकायत� पर कार�वाई या संबं�धत��� क� �गर�ारी लगभग असंभव हो गई है। ऐसे म��गर�ारी क� संभावना को नग� बनाने से अ�ा यहहोता �क �शकायत क� ज� जांच करके �नद�ष ���य�क� त�ाल �रहाई और �नराधार �शकायतकता� को दं�डतकरने के उपाय �कए जाते।

    यह तबका इतना लाचार था (और आज भी है) �क इसके�लए �शकायत लेकर पु�लस �ेशन प�ंचना ही ब�त बड़ीबात थी। उसक� �शकायत पर कार�वाई हो जाए, यह लगभगअसंभव माना जाता था। इस कानून ने समाज के इस मजबूर�ह�े के हाथ� म� ऐसी ताकत दी �जससे उसका मनोबल बढ़ेऔर समथ� तबके भी उसे �नतांत असहाय न समझ�। इसकानून से ये दोन� मकसद एक हद तक पूर े �ए, ले�कनजब-तब इसका द�ुपयोग भी �आ। 

    इस �लहाज से सु�ीम कोट� क� इस पहल का औ�च� बनताहै, ले�कन असल सवाल यह है �क द�लत�-आ�दवा�सय� क�सुर�ा को लेकर संसद को ऐसा कानून बनाने क� ज�रतही �� महसूस �ई, �जसम� �सफ� �शकायत के आधार पर�कसी को �गर�ार कर �लया जाए? इसक� ज�रत समाजम� युग� से चली आ रही उस दबंग जा�तवादी सोच के चलतेबनी थी, जो देश क� सरकारी मशीनरी म� भी �ा� है और�जसका खा�मयाजा समाज का कमजोर तबका ही भुगतताआ रहा था।

    उ�ीड़न और �गर�ारी Page 6