बाइबल पर आधाररत निर्णय लेिा...ब इबल पर...

22
बाइबल पर आधारत निणय ल िा नि शामक निको: परम र और उसका वचि अयाय ो Manuscript

Upload: others

Post on 21-Jun-2020

4 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • बाइबल पर आधाररत निर्णय लिेा

    निर्दशेात्मक र्दनृिकोर्: परमशे्वर और उसका वचि

    अध्याय र्दो

    Manuscript

  • ii

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    © थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ 2012 के द्वारा

    सवागचधकार सरुचित। इस प्रकाशन के मकसी भी भार् क प्रकाशक, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़, इनक रप रेशन, 316, लाइव ओक्स बलुवेार्ग , कैसलबरी, फ्ल ररर्ा 32707 की चलचित अनमुमत के मबना समीिा, मटप्पणी, या अध्ययन के उदे्दशय ंके चलए संचिप्त उद्धरण ंके अमतररक् त मकसी भी रूप मे ंया मकसी भी तरह के लाभ के चलए पनुः प्रकचशत नही ंमकया जा सकता।

    पमवत्रशास्ट्त्र के सभी उद्धरण बाइबल स साइटी ऑफ़ इंमर्या की महन्दी की पमवत्र बाइबल स ेचलए र्ए है।ं सवागचधकार © The Bible Society of India

    थर्ग ममलमेनयम मममनस्ट्रीज़ की सेवकाई के मवषय मे ं1997 मे ंस्ट्थामपत, थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज़ एक लाभमनरपिे ससुमाचाररक मसीही सेवकाई ह ैज पूरे

    संसार के चलए मफु्त मे ंबाइबल आधाररत चशिा प्रदान करने के चलए प्रमतबद्ध ह।ै

    संसार के ललए मफ़ु्त मे ंबाइबल आधाररत लशक्षा।

    हमारा लक्ष्य संसार भर के हज़ार ंपासवान ंऔर मसीही अर्वु ंक मफ़ु्त मे ंमसीही चशिा प्रदान करना ह ैचजन्हे ंसेवकाई के चलए पयागप्त प्रचशिण प्राप्त नही ंहआु ह।ै हम इस लक्ष्य क अंग्रेजी, अरबी, मनर्ाररन, रूसी, और स्ट्पमैनश भाषाओ ंमे ंअमद्वतीय मल्टीमीमर्या सेममनारी पाठ्यक्रम की रचना करने और उन्हे ंमवश्व भर मे ंमवतररत करने के द्वारा पूरा कर रहे है।ं हमारे पाठयक्रम का अनवुाद सहभार्ी सवेकाइय ंके द्वारा दजगन भर स ेअचधक अन्य भाषाओ ंमे ंभी मकया जा रहा ह।ै पाठ्यक्रम मे ंग्रामिक वीमर्य स, चलचित मनदशे, और इंटरनटे संसाधन पाए जाते है।ं इसकी रचना ऐस ेकी र्ई ह ैमक इसका प्रय र् ऑनलाइन और सामदुामयक अध्ययन द न ंसंदभों मे ंस्ट्कूल ,ं समूह ,ं और व्यमिर्त रूप ंमे ंमकया जा सकता ह।ै

    वषों के प्रयास ंस ेहमने अच्छी मवषय-वस्ट्त ुऔर र्णुवत्ता स ेपररपूणग परुस्ट्कार-प्राप्त मल्टीमीमर्या अध्ययन ंकी रचना करने की बहतु ही मकफ़ायती मवचध क मवकचसत मकया ह।ै हमारे लिेक और संपादक धमगवजै्ञामनक रूप से प्रचशचित चशिक है,ं हमारे अनवुादक धमगवजै्ञामनक रूप से दि है ंऔर लक्ष्य-भाषाओ ंके मातभृाषी है,ं और हमारे अध्याय ंमे ंसंसार भर के सकैड ंसम्मामनत सेममनारी प्र फ़ेसर ंऔर पासवान ंके र्हन मवचार शाममल है।ं इसके अमतररि हमारे ग्रामिक मर्जाइनर, चचत्रकार, और प्र र्यूससग अत्याधमुनक उपकरण ंऔर तकनीक ंका प्रय र् करन ेके द्वारा उत्पादन के उच्चतम स्ट्तर ंका पालन करते है।ं

    अपने मवतरण के लक्ष्य ंक पूरा करन ेके चलए थर्ग ममलेमनयम ने कलीचसयाओ,ं सेममनाररय ,ं बाइबल स्ट्कूल ,ं ममशनररय ,ं मसीही प्रसारक ,ं सटेलाइट टेलीमवजन प्रदाताओ,ं और अन्य संर्ठन ंके साथ रणनीमतक सहभामर्ताए ँस्ट्थामपत की है।ं इन संबंध ंके िलस्ट्वरूप स्ट्थानीय अर्वु ,ं पासवान ,ं और सेममनारी मवद्याचथगय ंतक अनके मवमर्ओ अध्ययन ंक पहुचँाया जा चकुा ह।ै हमारी वेबसाइट भी मवतरण के माध्यम के रूप मे ंकायग करती ह ैऔर हमारे अध्याय ंके अमतररि साममग्रय ंक भी प्रदान करती ह,ै चजसमे ंऐस ेमनदशे भी शाममल है ंमक अपने चशिण समदुाय क कैसे आरंभ मकया जाए।

    थर्ग ममलेमनयम मममनस्ट्रीज a 501(c)(3) कारप रेशन के रूप मे ंIRS के द्वारा मान्यता प्राप्त ह।ै हम आचथगक रूप से कलीचसयाओ ंके टकै्स-र्ीर्क्टीबल य र्दान ,ं संस्ट्थान ,ं व्यापार ंऔर ल र् ंपर आधाररत है।ं हमारी सेवकाइग के बारे मे ंअचधक जानकारी के चलए और यह जानने के चलए मक आप मकस प्रकार इसमे ंसहभार्ी ह सकते है,ं कृपया हमारी वबैसाइट http://thirdmill.org क दिेे।ं

  • iii

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    नवषय-वस्त ुपररचय ............................................................................................................. 1 स्तर के रूप मे ंपरमशे्वर ......................................................................................... 2

    अपि ेआप मे ंपरमशे्वर ................................................................................................. 2 व्यमिर्त मवशेषता .............................................................................................. 2 परम स्ट्तर ............................................................................................................ 4

    न्यायी के रूप मे ंपरमशे्वर ............................................................................................. 5 आशय .................................................................................................................... 6

    स्तर के रूप मे ंवचि ............................................................................................ 8 तीि शे्रलर्यां.............................................................................................................. 8 निर्दशेात्मक चररत्र ...................................................................................................... 8

    सामान्य प्रकाशन ................................................................................................. 9 मवशेष प्रकाशन .................................................................................................. 12 अस्स्ट्तत्व-संबंधी प्रकाशन ................................................................................... 14

    एकता .................................................................................................................. 19 निष्कषण .......................................................................................................... 19

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लनेा अध्याय द

    मनदशेात्मक दमृिक ण: परमेश्वर और उसका वचन

    -1-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    पररचय

    बचे्च उस समय बहतु ही मन रंजन करते है ंजब व ेनए मवचार ंक सीिने और उन्हे ंलारू् करने का प्रयास करते है।ं एक मदन मेरे ममत्र की चार साल की बटेी रात के िाने स ेठीक पहले अपने हाथ मे ंएक कैन्र्ी लेकर आई और कहा, “रै्र्ी, मझुे यह कैन्र्ी िान ेद ।” आम तौर पर भ जन स ेपहले उसे कैन्र्ी िाने की अनमुमत नही ंथी, इसचलए उसके मपता ने पूछा, “भ जन स ेपहले मै ंतमु्हे ंयह कैन्र्ी क्य ंिाने दंू?” और मिर उसने बडे साहस के साथ उत्तर मदया, “क्य मंक मैनंे ऐसा कहा ह।ै”

    अब यह स्ट्पि ह ैमक इस छ टी सी बच्ची ने अपना प्रत्यतु्तर अपने माता-मपता स ेही सीिा था। अतः उसने स्ट्वाभामवक रूप से अपन ेमपता स ेअपेिा की मक वह इन जादूई शबद ंक सनुत ेही उसकी बात माने, “क्य मंक मैनंे ऐसा कहा ह।ै” परन्त ुयह छ टी बच्ची मानवीय संपे्रषण या बातचीत के मवषय मे ंएक आधारभूत बात क नही ंसमझी। आज्ञाओ ंऔर मनदशे ंका अचधकार उस व्यमि के आधार पर मनभगर ह ता ह ैज उस ेकह रहा ह।ै यद्यमप उस छ टी बच्ची ने उन्ही ंशबद ंका इस्ट्तमेाल मकया ज उसके माता-मपता करते थ,े और उसे आज्ञा माननी जरूरी थी, परन्त ुउसके माता-मपता क उसकी बात माननी जरूरी नही ंथी क्य मंक इस ेवह कह रही थी।

    जब हम मसीही नमैतक चशिा पर ध्यान देते है,ं त हमे ंइस आधारभूत बात क समझना जरूरी ह:ै नमैतक चसद्धांत ंका अचधकार उससे चलया जाता ह ैज उस बात क कहता ह।ै हमे ंपमवत्रशास्ट्त्र के मनदशे के प्रमत स्ट्वयं क क्य ंसममपगत करना ह?ै मसीही मवश्वास के मनदशे ंका हमारे ऊपर अचधकार क्य ंह?ै इसका उत्तर मबल्कुल सीधा ह-ै-इन मनदशे ंका हमारे ऊपर अचधकार ह ैक्य मंक व ेउस परमेश्वर की ओर स ेआते है ंचजसके पास सारा अचधकार ह।ै हम उनकी पालना करते है ं“क्य मंक उसने ऐसा कहा ह।ै”

    यह बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना पर आधाररत दूसरा अध्याय ह।ै अध्याय ंकी इस श्ृंिला मे,ं हम उस प्रमक्रया पर ध्यान द ेरहे है ंचजसका अनसुरण करने के चलए बाइबल कह रही ह ैजब हम नमैतक मनणगय लेते है।ं हमने इस अध्याय का शीषगक मदया ह,ै “मनदशेात्मक दमृिक ण: परमेश्वर और उसका वचन।” और इस अध्याय मे ंनमैतक चशिा मे ंअचधकार के प्रशन, या संचिप्त मे ंकहे ंत नमैतक चशिा मे ंपरमेश्वर और उसके वचन के अचधकार के प्रशन की जांच करेंर्।े

    मपछले अध्याय मे ंहमने दिेा ह ैमक मसीही ह ने के नाते नमैतक मनणगय लनेे मे ंहमे ंतीन आधारभूत मवषय ंक दिेना जरूरी ह:ै सही स्ट्तर, सही लक्ष्य, सही उदे्दशय। हमने इन मवचार ंक मसीही नमैतक चशिा मे ंमनदशेात्मक, पररस्स्ट्थमत-संबंधी, और अस्स्ट्तत्व-संबंधी दमृिक ण भी कहा था। ऐस ेनमैतक मनणगय ंक लेना, ज परमेश्वर क प्रसन्न करत ेहै ंऔर उसकी आशीष ंकी ओर अर्वुाई करत ेहै,ं त हमे ंप्रासंमर्क स्ट्तर ंया मनयम ंपर ध्यान देते हएु मवषय ंक पररस्स्ट्थमत-संबंधी दमृिक ण से दिेना जरूरी ह।ै इस बात के प्रमत आश्वस्ट्त रहत ेहएु मक हमने एक मवशेष पररस्स्ट्थमत के प्रासंमर्क तथय ंऔर पररणाम ंका मूल्यांकन चजम्मदेारी के साथ कर चलया ह,ै हमे ंपररस्स्ट्थमत-संबंधी दमृिक ण ंस ेभी मवषय ंक दिेना जरूरी ह।ै इस बात के प्रमत आश्वस्ट्त रहत ेहएु मक हमारे पास सही उदे्दशय और लक्ष्य है,ं हमे ंअस्स्ट्तत्व-संबंधी दमृिक ण स ेभी मवषय ंक देिना जरूरी ह।ै इस अध्याय मे ंहम परमेश्वर और उसके वचन के स्ट्तर ंपर ध्यान देते हएु नमैतक मनणगय ंक लेने के चलए सही स्ट्तर ंहते ुपहले मनदशेात्मक दमृिक ण क दिेेरं्।े

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -2-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    इस अध्याय क हम द मखु्य भार् ंमे ंबांटेरं्े: पहले हम हमारे परम स्ट्तर के रूप मे ंस्ट्वयं परमेश्वर क देिेरं्।े और दूसरा, हम इस बात क जांचेरं्े मक परमेश्वर का वचन मकस प्रकार प्रकाचशत नमैतक मनयम या स्ट्तर के रूप मे ंकायग करता ह।ै आइए, हम पहल ेहमारे नमैतक मनयम के रूप मे ंस्ट्वयं परमेश्वर पर अपना ध्यान लर्ाएं।

    स्तर के रूप मे ंपरमशे्वर

    आपक याद ह र्ा मक इस श्ृंिला के हमारे पहल ेअध्याय मे,ं हमने देिा था मक स्ट्वयं परमेश्वर हमारा परम नमैतक मानक ह।ै व ेकायग ज परमेश्वर के चररत्र के अनसुार ह ते है,ं व े“अच्छे” और “सही” ह ते है,ं वही ंव ेकायग ज परमेश्वर के स्ट्तर के अनसुार नही ंह ते व े“बरेु” और “र्लत” ह ते है।ं परमेश्वर परम नमैतक मानक ह ैक्य मंक वह अपने स ेबाहर या ऊपर के मकसी स्ट्तर के प्रमत उत्तरदायी नही ंह।ै उसके पास परम नमैतक अचधकार ह।ै मकसी और के पास नही,ं मात्र परमेश्वर के पास अच्छे और बरेु क मनधागररत करने का एवं अपने मनधागरण ंपर आधाररत अनन्त मनणगय देन ेका परम अचधकार ह।ै

    इन मवचार ंऔर इनके आशय ंक अचधक रूप मे ंसमझने के चलए हम हमारे नमैतक स्ट्तर के रूप मे ंपरमेश्वर के तीन महत्वपूणग पहलओु ंपर र्हराई स ेध्यान देरं्े: पहले हम परम नमैतक मनयम या स्ट्तर के रूप मे ंपरमेश्वर के अपने चररत्र पर ध्यान देरं्।े और दूसरा, हम यह दिेेरं्े मक परमेश्वर परम रूप मे ंनमैतक न्यायी ह ैज हर व्यमि पर अपने अनन्त मनणगय ंक सनुाएर्ा। और तीसरा, हम हमारे नमैतक मनणगय ंके चलए इन सत्य ंके कुछ आशय ंकी भी जांच करेरं्े। आइए, पहले हम परम नमैतक स्ट्तर के रूप मे ंपरमेश्वर के अपने चररत्र क देिे।ं

    अपि ेआप मे ंपरमशे्वर जब हम परम नमैतक मनयम के मवषय मे ंस्ट्वयं परमेश्वर के बारे मे ंस चत ेहै ंत ऐस ेबहतु से मवषय है ं

    चजन्हे ंसंब चधत मकया जा सकता ह।ै परन्त ुहमारे उदे्दशय ंके चलए, हम द मवषय ंके बारे मे ंबात करंेर्े: पहला, हम परमेश्वर की व्यमिर्त मवशेषता के मवषय मे ंअच्छाई के बारे मे ंबात करंेर्।े और दूसरा, हम इस तथय क देिेरं् ेमक परमेश्वर की अच्छाई ही संपूणग अच्छाई का परम स्ट्तर ह।ै

    व्यनिगत नवशषेता पहली बात यह ह ैमक जब हम परमेश्वर की व्यमिर्त मवशेषता के रूप मे ंअच्छाई के बारे मे ंबात

    करते है,ं त हमारा अथग ह ता ह ैमक वह स्ट्वयं ऐसा स्ट्तर ह ैचजसके द्वारा सारी नमैतकता क मापा जाता ह।ै यद्यमप हम कई बार अच्छाई और उपयिुता के भाव ंके बारे मे ंसदै्धांमतक रूप मे ंबात करते है,ं और यद्यमप हम अच्छाई और सही जसैे शबद ंका इस्ट्तमेाल अव्यमिक वस्ट्तओु ंऔर मवचार ंपर लारू् कर सकते है,ं मिर भी य ेभाव उचचत रूप स ेबहतु ही आधारभूत बात- परमेश्वर के व्यमित्व की अच्छाई- स ेमनकलते है।ं परमेश्वर के चररत्र के अमतररि, अच्छाई और उपयिुता जसैी क ई बात नही ंह सकती। नमैतक मूल्य का अस्स्ट्तत्व परमेश्वर के प्रमतमबम्ब के रूप मे ंही ह।ै बहतु ही वास्ट्तमवक भाव मे ंवह केवल अच्छा और सही ही नही ंह;ै वह स्ट्वयं अच्छाई और उपयिुता ह।ै

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -3-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    जसैा हमने पहले अध्याय मे ंदिेा, ज्य मत के रूपक के द्वारा पमवत्रशास्ट्त्र इस मवचार क दशागता ह ैमक परमेश्वर की मवशेषताएं परम नमैतक स्ट्तर है।ं 1 यूहन्ना 1:5-7 मे ंपे्रररत यूहन्ना ने चसिाया:

    परमशे्वर ज्योनत ह,ै और उस मे ंकुछ भी अन्धकार िही।ं यनर्द हम कहे,ं नक उसके साथ हमारी सहभानगता ह,ै और निर अन्धकार मे ंचले,ं तो हम झूठे है;ं और सत्य पर िही ंचलत।े पर यनर्द जसैा वह ज्योनत मे ंह,ै वसै ेही हम भी ज्योनत मे ंचले,ं तो एक रू्दसरे स ेसहभानगता रखत ेहै,ं और उसके पतु्र यीश ुका लहू हमे ंसब पापो ंस ेशदु्ध करता ह।ै (1 यूहन्ना 1:5-7)

    ज्य मत के रूप मे ंपरमेश्वर का रूपक मखु्य रूप मे ंएक नमैतक मूल्यांकन ह।ै अंधकार क पाप और झूठ के समरूप समझा जाता ह,ै और ज्य मत क सत्य एवं पाप स ेशचुद्ध के साथ ज डा जाता ह।ै मूल रूप मे,ं यह अनचु्छेद पाप क परमेश्वर की प्रकृमत स ेमभन्न ह ने के रूप मे ंपररभामषत करने के द्वारा स्ट्पि करता ह ैमक परमेश्वर चसद्ध रूप मे ंपाप से मिु ह।ै दूसरे शबद ंमे,ं यह मानता ह ैमक स्ट्वयं परमेश्वर अच्छाई और उपयिुता का परम स्ट्तर ह,ै इसचजए ज कुछ भी परमेश्वर की प्रकृमत के मवरूद्ध ह,ै वह पाप ह।ै

    यीश ुने इसी प्रकार के मवचार क मरकुस 10:18 मे ंव्यि मकया:

    कोई उत्तम िही,ं केवल एक अथाणत परमशे्वर। (मरकुस 10:18)

    यह कहने के द्वारा मक मक केवल परमेश्वर ने अच्छाई के स्ट्तर क पूरा मकया ह,ै यीश ुने कहा मक वह तलुनात्मक या कृमत्रम अच्छाई की अपेिा चसद्ध और संपूणग अच्छाई के बारे मे ंबात कर रहा था। आचिरकार, बाइबल दूसरे ल र् ंक भी अच्छा कहती ह।ै परन्त ुपरमेश्वर की अच्छाई मभन्न ह।ै दूसरी अच्छाई से मवपरीत, यह मवशेषता मे ंचसद्ध ह,ै शे्णी मे ंपरम ह,ै और मत्रएकता के व्यमित्व ंके प्रमत अमद्वतीय ह।ै

    हम सारे पमवत्रशास्ट्त्र मे ंपरमेश्वर की शे्ष्ठ अच्छाई के समान कथन ंक पाते है ंजसै ेमक भजन 5:4 जहां दाऊद ने चलिा:

    बरुाई तरेे (परमशे्वर के) साथ िही ंरह सकती। (भजि 5:4)

    और दामनय्यले 4:37 मे ंजहां र्रैयहूदी राजा नबूकदनजे्जर ने भी घ षणा की:

    उसके सब काम सचे्च, और उसके सब व्यवहार न्याय के है।ं (र्दानिय्यले 4:37)

    शायद इस मवचार क रिने वाला सबसे संचिप्त लेि मत्ती 5:48 मे ंपाया जाता ह ैजहां यीश ुने कहा:

    तमु लसद्ध बिो, जसैा तमु्हारा स्वगीय नपता लसद्ध ह ै(मत्ती 5:48)

    इन सारे अनचु्छेद ंमे ंहम परमशे्वर क द रूप ंमे ंपरम नमैतक व्यवस्ट्था के रूप मे ंप्रकट ह ते देिते है:ं 1) प्रभ ुक चसद्धता के चशिर के रूप मे,ं पूणग रूप से द षरमहत व्यमि के रूप मे ंप्रकट मकया र्या ह;ै और 2) पमवत्रशास्ट्त्र के पाठक ंके रूप मे ंहमे ंपरमेश्वर के कायों और उसके चररत्र के समि अपनी अच्छाई क मापने के चलए उत्सामहत मकया जाता ह।ै

    इन और अन्य बाइबलीय अनचु्छेद ंके आधार पर, हम सही रूप मे ंदावा कर सकत ेहै ंमक अच्छाई और उपयिुता क पहले और सबसे महत्वपूणग रूप मे ंमत्रएकता के व्यमित्व -ं मपता, पतु्र और पमवत्र आत्मा- की अनन्त मवशेषताओ ंके रूप मे ंसमझा जाना चामहए। अच्छाई मे ंव ेस्ट्वभाव, नमैतक मूल्य, उदे्दशय,

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -4-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    अमभलाषाएं, और लक्ष्य शाममल ह ते है ंज जीमवत परमेश्वर अपने हृदय मे ंरिता ह।ै अतः अच्छाई के सही स्ट्तर क ि जने के चलए हमे ंबौचद्धक और नमैतक चसद्धांत ंक ही सीिने का प्रयास नही ंकरना चामहए। इसकी अपेिा, हमे ंस्ट्वयं परमेश्वर के हृदय क जानने का प्रयास करना चामहए।

    परम स्तर दूसरी बात यह ह ैमक जब हम परम नमैतक व्यवस्ट्था के रूप मे ंपरमेश्वर के बारे मे ंबात करत ेहै,ं त

    हमारा अथग यह भी ह ैमक परमशे्वर के व्यमित्व स ेबडा क ई स्ट्तर नही ंह।ै परमेश्वर की अच्छाई सारी अच्छाई का परम स्ट्तर ह।ै

    दभुागग्यवश, कई ल र् ंमे ंयह र्लत धारणा ह ैमक “अच्छे” की एक पररभाषा ह,ै और यमद परमेश्वर क “अच्छा” या “सही” कहा जाना ह ैत उसे भी इसी पररभाषा के समि मापा जाना जरूरी ह।ै उदाहरण के तौर पर, कुछ ल र् स चते है ंमक यमद परमेश्वर मनषु्यजामत क दण्र् देता ह ैत वह अच्छा नही ंह सकता। कुछ अन्य ल र् मानते है ंमक एक अच्छा परमेश्वर बरुाई की अनमुमत कभी नही ंदेर्ा। और इन संभावनाओ ंके आधार पर व ेर्लत रूप मे ंयह मानते है ंमक बाइबल के परमशे्वर क सही रूप मे ं“अच्छा” नही ंमाना जा सकता।

    दभुागग्यवश, यद्यमप मसीही इस मनष्कषग क नकार दतेे है ंमक परमेश्वर अच्छा नही ंह,ै परन्त ुमिर भी कुछ मवश्वासी भ्ांमतपूवगक इस बात क स्ट्वीकार कर लेत ेहै ंमक अच्छाई का एक उच्चतर स्ट्तर ह ैचजसके सदशृय परमेश्वर क भी ह ना जरूरी ह।ै

    अब हमे ंयह स्ट्वीकार कर लेना चामहए मक कभी-कभी बाइबल के लिेक भी परमेश्वर क उसके अपने चररत्र के बाहर के स्ट्तर ंस ेमापते प्रतीत ह ते है।ं सामान्यतः उन्ह नंे बाइबल के समि परमशे्वर क मापा। उदाहरण के तौर पर, भजन 119:65, 68 मे ंभजनकार ने चलिा:

    हे यहोवा, तू िे अपि ेवचि के अिसुार अपिे र्दास के संग भलाई की ह।ै तू भला ह,ै और भला करता भी ह;ै मझुे अपिी नवलधयां लसखा। (भजि 119:65, 68)

    पद 65 मे ंभजनकार ने माना मक परमेश्वर का वचन अच्छाई का स्ट्तर ह ैऔर यह भी दशागया मक परमेश्वर के अपने कायग भी इसी स्ट्तर के द्वारा “अच्छे” माने जाते है।ं और पद 68 मे ंउसने घ षणा की मक परमेश्वर वास्ट्तव मे ंअच्छा ह ैऔर परमेश्वर के कायग अच्छे है,ं ज इस बात क दशागता ह ैमक यह इसचलए हआु क्य मंक उसने अपने वचन के अनसुार कायग मकया था। अंत मे,ं भजनकार ने पद 68 क परमेश्वर की मवचधय ,ं अथागत् परमेश्वर की व्यवस्ट्था, क सीिने की इच्छा व्यि करने के साथ समाप्त मकया, तामक वह परमेश्वर की अच्छाई के सदशृय ह सके। सारांश मे,ं इन पद ंमे ंभजनकार ने परमेश्वर के कायों क परमेश्वर की व्यवस्ट्था के स्ट्तर के समि मापा और परमशे्वर के कायों क अच्छा पाया।

    परन्त ुपमवत्रशास्ट्त्र के लिेक यह भी जानते थ ेमक व्यवस्ट्था परमेश्वर से बाहर नही ंह;ै बस्ल्क यह उसी की स्ट्व-अमभव्यमि ह।ै उदाहरण के चलए, भजनकार ने बाद मे ंभजन 119:137 और 142 मे ंक्या चलिा:

    हे यहोवा तू धमी ह,ै और तरेे नियम सीध ेहै।ं तरेा धमण सर्दा का धमण ह,ै और तरेी व्यवस्था सत्य ह।ै (भजि 119:137, 142)

    परमेश्वर की व्यवस्ट्था सही और अच्छी ह ैक्य मंक यह परमेश्वर से आती ह,ै ज स्ट्वयं सही और अच्छा ह।ै क्य मंक वह धमी ह,ै इसचलए वह अपनी व्यवस्ट्था समहत ज कुछ भी करता ह ैऔर ज कुछ भी व्यि करता ह,ै वह उसकी अच्छाई क प्रकट करता ह।ै अतः, जब बाइबल के लिेक ंने परमेश्वर की तलुना

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -5-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    व्यवस्ट्था के स्ट्तर के साथ की तब भी उनका अमभप्राय इस बात क दशागना ही था मक मकस प्रकार व्यवस्ट्था परमेश्वर के चररत्र क अमभव्यि करती ह।ै

    पमवत्रशास्ट्त्र के लेिक ंने कभी यह चसिाने का प्रयास नही ंमकया मक परमेश्वर व्यवस्ट्था के उस प्रकार अधीन ह ैजसैे मक मनषु्य। न ही उन्ह नंे इस बात पर मवश्वास मकया मक परमेश्वर के चलए व्यवस्ट्था मे ंप्रकट स्ट्तर ंका मवर ध करना संभव था। बाइबल मनरन्तर परम स्ट्तर के रूप मे ंपरमेश्वर की अपनी व्यमिर्त अच्छाई के बारे मे ंबात करती ह ैचजसके द्वारा सभी नमैतक मवषय ंका मूल्यांकन ह ना चामहए।

    न्यायी के रूप मे ंपरमशे्वर नमैतक स्ट्तर के परम स्ट्तर ह न ेके अमतररि, हम देिेरं्े मक परमेश्वर नमैतकता का परम न्यायी भी ह।ै

    अथागत्, उसमे ंही यह मनधागररत करने यह मवशेषाचधकार ह ैमक क ई कायग, संवेदनाएं, और मवचार उसकी नमैतक मांर् ंक पूरा करत ेहै ंया उलं्लघन करती है।ं और उसमे ंही अपन ेमनधागरण ंक मक्रयास्न्वत करने का परम अचधकार और सामथग ह।ै

    अब यह सत्य ह ैमक परमेश्वर नमैतक मनणगय लेने की कुछ चजम्मदेाररयां मनषु्य ंक भी देता ह।ै उदाहरण के चलए, पमवत्रशास्ट्त्र के अनसुार, वधैामनक मानवीय प्रशासन ंक अच्छाई का सम्मान करन ेऔर बरुाई क दण्र् देने की सीममत चजम्मेदारी दी र्ई ह।ै परन्त ुबाइबल यह भी चसिाती ह ैमक हमारे मानवीय मनणगय तब तक ही सही और वधै ह ते है ंजब तक वे परमेश्वर के मनणगय ंक प्रकट करते है।ं यीश ुने स्ट्वयं यह स्ट्पि मकया मक अंमतम मदन स्ट्वयं परमेश्वर उनके कायों के द्वारा सब ल र् ंका न्याय करेर्ा, और इस प्रकार वह मनषु्यजामत द्वारा चलए र्ए सारे मनणगय ंकी पमुि करेर्ा या उनकी मनन्दा करेर्ा। उस समय वह उनक श्ाप देर्ा चजनके कायग बरेु है,ं और वह उन्हे ंआशीष देर्ा चजनके कायग अच्छे है।ं

    यूहन्ना 5:27-30 इस मवषय पर यीश ुके शबद ंक दशागता ह:ै

    (नपता ि)े उसे (पतु्र को) न्याय करि ेका भी अलधकार नर्दया ह,ै... लजति ेकब्ो ंमे ंहै,ं उसका शब्र्द सिुकर निकलेगं।े लजन्हो ंि ेभलाई की ह ैव ेजीवि के पिुरुत्थाि के ललय ेजी उठंेग ेऔर लजन्हो ंि ेबरुाई की ह ैव ेरं्दड के पिुरुत्थाि के ललय ेजी उठंेग।े... मरेा न्याय सच्चा ह,ै कयोनंक मै ंअपिी इच्छा िही,ं परन्त ुअपिे भजेि ेवाल ेकी इच्छा चाहता हू ूँ। (यूहन्ना 5:27-30)

    इस जीवन मे ंहम चाहे जसैे भी नमैतक मनष्कषों पर पहुंचे,ं स्ट्वयं परमेश्वर ब्रह्ांर् का सबसे बडा न्यायालय ह।ै वह अंमतम मनणगय लेर्ा मक हमने नमैतकता के साथ जीवन मबताया ह ैया नही-ं और उसके मनणगय पूरी तरह स ेस्ट्थाई ह रं्े। ऐसा क ई आधार नही ंह ैचजसमे ंक ई परमेश्वर के अचधकार क चनुौती द ेसके। सारा अचधकार और सारी सामथग उसी के पास ह,ै चजसस ेउसके मनणगय ंक बदलने का क ई तरीका नही ंह।ै अय्यूब 40:2-14 मे ंइस मवषय पर अय्यूब स ेकहे परमेश्वर के वचन ंक सनुे:ं

    कया जो बकवास करता ह ैवह सवणशनिमाि से झगडा करे?... कया तू मरेा न्याय भी व्यथण ठहराएगा? कया तू आप निर्दोष ठहरि ेकी मिसा स ेमझु को र्दोषी ठहराएगा? कया तरेा बाहबुल ईश्वर के तलु्य ह?ै कया तू उसके समाि शब्र्द स ेगरज सकता ह?ै अब अपि ेको मनहमा और प्रताप स ेसंवार और ऐश्वययण, और तजे के वस्त्र पनहि ल।े... तब मै ंभी तरेे नवषय मे ंमाि लंूगा, नक तरेा ही र्दनहिा हाथ तरेा उद्धार कर सकता ह।ै (अय्यूब 40:2-14)

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -6-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    न्याय करना परमेश्वर का अचधकार ह ैक्य मंक उसके पास परम अचधकार ह।ै और उसके मनणगय अपररहायग है ंक्य मंक उसके पास परम सामथग ह।ै यद्यमप परमशे्वर के रचे र्ए प्राणी उसके अचधकार और सामथग स ेबचना चाहे,ं परन्त ुव ेऐसा कर नही ंसकत।े

    अंमतम मवशलेषण मे ंकेवल द मवकल्प है:ं या त हम मसीह के द्वारा उसकी दया मे ंशरण पाने मे ंस्ट्वयं क उसके प्रमत सममपगत करते है,ं या हम उसकी अनाज्ञाकाररता करते है ंऔर अनन्त दण्र् भ र्ते है।ं और यमद हम परमेश्वर क अप्रसन्न करने और उसके मनणगय ंपर अमवश्वास करन ेकी परीिा मे ंपडते है ंत हमे ंयह भी ध्यान रिना चामहए मक उसके सारे मनधागरण न्यायी और सही है।ं वह मनमौजी नही ंह,ै परन्त ुसदवै अपने चररत्र के अपररवतगनीय स्ट्तर के अनसुार न्याय करता ह।ै जसैा एलीहू ने अय्यूब 34:10-12 मे ंतकग मदया:

    यह सम्भव िही ंनक ईश्वर र्दिुता का काम करे, और सवणशनिमाि बरुाई करे। वह मिषु्य की करिी का िल र्दतेा ह,ै और प्रत्यके को अपिी अपिी चाल का िल भगुताता ह।ै नििःसन्र्दहे ईश्वर र्दिुता िही ंकरता और ि सवणशनिमाि अन्याय करता ह।ै (अय्यूब 34:10-12)

    नमैतकता के परम न्यायी ह ने के रूप मे,ं परमेश्वर अपने हरेक मनणगय मे ंअपने चररत्र के परम नमैतक स्ट्तर क मनरन्तर रूप मे ंलारू् करता ह।ै उसके मनणगय चसद्ध ह ते है,ं ज त्रमुटरमहत मवचार और बचुद्ध, असीम मनष्पिता और द षरमहत नमैतकता क प्रकट करते है।ं

    एक परम मानक और परम न्यायी के रूप मे ंपरमेश्वर क समझने के साथ, आइए हम अपने ध्यान क हमारे जीवन ंमे ंइन मवषय ंके कुछ आशय ंकी ओर लर्ाएं।

    आशय जब हमने परमेश्वर क परम नमैतक स्ट्तर के रूप मे ंकहा था, त हमने अपने आप मे ंपरमेश्वर के

    अस्स्ट्तत्व के बारे मे ंकहा था। और जब हमने परमेश्वर क नमैतकता के परम न्यायी के रूप मे ंकहा था त हमने मखु्य रूप स ेअपनी समृि के साथ उसके संबंध ंपर ध्यान मदया था। इस मबंदू पर, हम हमारे ध्यान क इस बात की ओर लर्ाएंर्े मक न्याय करन ेमे ंपरमेश्वर की सामथग और अचधकार उसके द्वारा रचे र्ए प्राचणय ंक उसके चररत्र के स्ट्तर के अनसुार जीवन जीने के चलए पे्रररत करते है।ं

    उदाहरण के तौर पर, आपक याद ह र्ा मक 1 पतरस 1:15-16 मे ंपतरस न ेअपन ेपाठक ंक इस प्रकार मनदशे मदया:

    जसैा तमु्हारा बलुािे वाला पनवत्र ह,ै वसै ेही तमु भी अपिे सारे चाल चलि मे ंपनवत्र बिो। कयोनंक ललखा ह,ै नक पनवत्र बिो, कयोनंक मै ंपनवत्र हू ूँ। (1 पतरस 1:15-16)

    इस अनचु्छेद मे ंपतरस ने उसी बात की पमुि की चजसे हम पहले ही कह चकेु थ,े वह यह ह ैमक परमेश्वर का चररत्र सारे मानवीय व्यवहार का परम स्ट्तर ह।ै परन्त ुउसने इस मवचार क इस बात पर बल दतेे हएु लारू् मकया मक क्य मंक परमेश्वर सारे मानवीय व्यवहार का स्ट्तर ह,ै इसचलए मनषु्यजामत क परमेश्वर की आज्ञा माननी और उसका अनसुरण करना आवशयक ह।ै

    मनसंदेह, यह अनभुव करना महत्वपूणग ह ैमक जब हम परमेश्वर का अनसुरण करन ेकी बात कहते है ंत हम समृिकत्ताग और समृि के बीच के अंतर क धुंधला करने के बारे मे ंबात नही ंकर रहे है।ं बस्ल्क, हम उसके चररत्र क दशागने के हमारे उत्तरदामयत्व के बारे मे ंबात कर रह ेहै।ं उदाहरण के तौर पर, जब पतरस ने चलिा

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -7-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    मक हमे ंपमवत्र बनना ह ैक्य मंक परमेश्वर पमवत्र ह,ै त उसका अथग था मक परमेश्वर का चररत्र इस बात क बताता ह ैमक पमवत्रता क्या ह,ै और क्य मंक परमेश्वर अपनी पमवत्रता के अनसुार कायग करता ह,ै इसचलए हमे ंभी उसकी पमवत्रता के अनसुार कायग करना चामहए।

    ऐस ेही एक मवचार क हम पहाडी उपदशे मे ंपाते है।ं मत्ती 5:44-48 मे ंयीश ुने कहा:

    अपि ेबरैरयो ंस ेपे्रम रखो और अपिे सताि ेवालो ंके ललय ेप्राथणिा करो। लजस से तमु अपि ेस्वगीय नपता की सन्ताि ठहरोग ेकयोनंक वह भलो ंऔर बरुो ंर्दोिो पर अपिा सूयण उर्दय करता ह,ै और धनमयों और अधनमयों र्दोिो ंपर मेहं बरसाता ह.ै.. लसद्ध बिो, जसैा तमु्हारा स्वगीय नपता लसद्ध ह।ै (मत्ती 5:44-48)

    क्य मंक परमेश्वर का व्यवहार भी चसद्ध रूप मे ंअच्छा और नमैतक ह,ै इसचलए यह स्ट्थाई नमैतक स्ट्तर भी ह।ै अतः यह प्रत्यके व्यमि की चजम्मदारी ह ैमक वह परमशे्वर के कायों के स्ट्तर के अनरुूप बनकर परमेश्वर की आज्ञा मान।े

    अब हम मे ंसे अचधकांश ल र् ंके चलए यह अथग स्ट्पि ह र्ा। आचिरकार, यमद परमेश्वर वह परम अचधकार ह ैज एक परम स्ट्तर के प्रमत हमे ंउत्तरदायी ठहराता ह,ै त इस ेइस बात क मानना चामहए मक हम उस स्ट्तर का पालन करने के प्रमत चजम्मेदार है।ं वास्ट्तमवकता मे,ं बहतु स ेल र् जब परमेश्वर के सवोच्च अचधकार और धमी स्ट्तर का सामना करते है ंत व ेपरमेश्वर की आज्ञाओ ंका मनरादर करते है ंऔर अपने जीवन ंके चलए अपने मनयम ंक बना लेते है।ं

    कुछ मानते है ंमक यमद परमेश्वर मे ंन्याय करने की सामथग ह,ै मिर भी उसके पास वह अचधकार नही ंह।ै व ेपररणाम ंकी परवाह मकय ेमबना यह भी मान सकते है ंमक परमेश्वर का मवर ध करना सम्मानय ग्य और अच्छा ह,ै ठीक उसी प्रकार जसैे मक क ई एक बरेु मानवीय तानाशाह का मवर ध करता ह।ै

    हम मसीही िेत्र ंमे ंभी इस प्रकार के स्ट्वभाव क देिते है।ं उदाहरण के चलए, कलीचसया मे ंअनके ल र् मानते है ंमक क्य मंक यीश ुहमारे पाप ंके चलए मरा, इसचलए परमेश्वर हमारी आज्ञाकाररता की मांर् नही ंकरता। व ेिमा क अनमुमत के साथ उलझा दतेे है,ं और र्लत रूप मे ंकल्पना करते है ंमक क्य मंक हमारे सारे पाप िमा ह चकेु है,ं त हम जसैे चाहे वसै ेजी सकते है।ं परन्त ुसत्य यह ह ैमक मवश्वाचसय ंक भी परमेश्वर के चररत्र के स्ट्तर के अनसुार जीना जरूरी ह।ै समुनए मकस प्रकार 1 यूहन्ना 1:7 मे ंयूहन्ना ने चलिा:

    पर यनर्द जसैा वह ज्योनत मे ंह,ै वसै ेही हम भी ज्योनत मे ंचले,ं और उसके पतु्र यीश ुका लोहू हमे ंसब पापो ंस ेशदु्ध करता ह।ै (1 यूहन्ना 1:7)

    इस अध्याय मे ंयूहन्ना ने कम स ेकम द बाते ंकही ंज हमारे मवचार-मवमशग के चलए प्रत्यि रूप से प्रासंमर्क है।ं पहला, यह चसिाते हएु मक हम सब “जसैा वह ज्य मत मे ंह,ै वसैे ही ज्य मत मे ंचले,ं”। यूहन्ना ने दशागया मक सभी मवश्वाचसय ंकी चजम्मदेारी ह ैमक व ेपरमेश्वर का अनसुरण करंे। दूसरा, यूहन्ना ने कहा मक परमेश्वर के स्ट्तर क मानने की हमारी चजम्मदेारी मसीह मे ंहमारी िमा स ेसंबंचधत ह।ै जब हम परमेश्वर का अनसुरण करते है ंतब ही मसीह का लहू हमे ंपाप ंसे साि करता ह।ै हम तब तक यीश ुक उद्धारकताग के रूप मे ंनही ंपा सकते जब तक हम प्रभ ुके रूप मे ंउसकी आज्ञा मानने के प्रमत पे्रररत नही ंह ते।

    इस बात क ध्यान स ेदिेने के बाद मक परमेश्वर स्ट्वयं परम नमैतक मानक ह,ै अब हम नमैतक चशिा मे ंमनदशेात्मक दमृिक ण के इस अध्ययन मे ंहमारे दूसरे मखु्य शीषगक की ओर मडुन ेके चलए तयैार है,ं ज ह:ै हमारे प्रकाचशत नमैतक मानक के रूप मे ंपरमेश्वर का वचन।

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -8-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    स्तर के रूप मे ंवचि

    हमने कई तरीके दिेे ंहै ंचजनमे ंबाइबल यह दशागती ह ैमक स्ट्वयं परमेश्वर हमारा परम नमैतक मानक ह।ै परन्त ुवास्ट्तमवकता यह ह ैमक हम ही जानते है ंमक परमेश्वर कैसा ह ैक्य मंक उसने स्ट्वयं क वचन के माध्यम स ेहमारे समि प्रकट मकया ह।ै इस प्रकाशन के मबना, उसका चररत्र रहस्ट्यमयी और अनजान ह र्ा चजसस ेहम उसके उदाहरण का अनसुरण करने की हमारी चजम्मेदारी क पूरा नही ंकर सकंेर्।े सौभाग्य स,े परमेश्वर का प्रकाशन हमे ंउसके चररत्र के बारे मे ंबहतु बाते ंचसिाता ह,ै और हमे ंऐस ेअच्छे नमैतक मनणगय ंक लेने मे ंसहायता करते है ंज उसके स्ट्तर क दशागत ेहै।ं अतः जब हम इस बात पर बल दतेे है ंमक स्ट्वयं परमेश्वर हमारा परम मानक ह,ै त हमारे व्यावहाररक मानक के रूप मे ंहमे ंउसके प्रकाशन या वचन पर मनभगर ह ना चामहए।

    यह दिेने के चलए मक मकस प्रकार परमेश्वर का वचन हमारा प्रकाचशत नमैतक मानक ह,ै हम तीन मवषय ंपर ध्यान देरं्े: पहला, हम प्रकाशन की तीन शे्चणय ंक देिेरं्े। दूसरा, हम प्रकाशन की इन तीन ंशे्चणय ंके मनदशेात्मक चररत्र के बारे मे ंबात करंेर्।े और तीसरा, हम प्रकाचशत मानक ंकी इन तीन शे्चणय ंकी एकता क देिेरं्े।

    तीि श्रलेर्यां मसीही नमैतक चशिा के हमारे ज्ञान मे ंआर्े बढ़ने के चलए सबस ेपहले हमे ंइस बात क अच्छी तरह स े

    समझना ह ैमक परमेश्वर ने स्ट्वयं क तीन रूप ंमे ंप्रकट मकया ह।ै पारंपररक रूप मे,ं धमगमवज्ञामनय ंने परमेश्वर के प्रकाशन के बारे मे ंमखु्य रूप स ेद शे्चणय ंमे ंबात की

    ह:ै मवशेष प्रकाशन और सामान्य प्रकाशन। मवशेष प्रकाशन की शे्णी मे,ं उन्ह नंे परमेश्वर की ओर से सीधी बातचीत, जसै ेमक पमवत्रशास्ट्त्र, भमवष्यवाणी, स्ट्वप्न ,ं दशगन ,ं क रिा ह।ै सामान्य प्रकाशन की शे्णी मे ंइमतहास, ब्रह्ांर्, मौसम, पौध,े जानवर और मानवजामत आते है।ं सरल रूप मे ंकहे ंत सामान्य प्रकाशन वह संपूणग शे्णी ह ैज उस सब क अपने अंदर समामहत कर लेता ह ैचजसे मवशेष प्रकाशन नही ंमाना जाता।

    जहां यह पारंपररक प्रमक्रया कुछ रूप ंमे ंसहायक ह,ै वही ंयह हमारे ध्यान क परमेश्वर के प्रकाशन के कुछ महत्वपूणग पहलओु ंस ेहटा देती ह।ै इसचलए, इस अध्याय मे ंहम अस्स्ट्तत्व संबंधी दमृिक ण के बारे मे ंबात करंेर्े, अथागत् वह प्रकाशन ज मनषु्य ंमे ंपरमेश्वर का प्रकाशन ह,ै वह प्रकाशन ज प्रायः सामान्य प्रकाशन के साथ ज डा त जाता ह ैपरन्त ुज वास्ट्तव मे ंअलर् रूप मे ंदेिन ेके य ग्य है।ं

    प्रकाशन की इन शे्चणय ंक मन मे ंरित ेहएु, हम इस अवस्ट्था मे ंहै ंमक हम यह दिेे ंमक मकस प्रकार परमेश्वर का संपूणग प्रकाशन हमे ंवह मानक प्रदान करता ह ैज परमेश्वर के चररत्र क प्रकट करता ह ैऔर हमे ंनमैतक मनणगय लेने मे ंअर्वुाई करता ह।ै

    निर्दशेात्मक चररत्र सबसे पहले हम सामान्य प्रकाशन मे ंपाए जाने वाल ेपरमेश्वर के वचन के मनदशेात्मक पहलओु ंक

    देिेरं्े, दूसरा, मवशेष प्रकाशन के मानक ंक दिेेरं्े, और तीसरा, प्रकाचशत स्ट्तर के रूप मे ंअस्स्ट्तत्व संबंधी प्रकाशन क देिेरं्े। आइए अब हमारे ध्यान क इस बात पर लर्ाएं मक परमेश्वर का सामान्य प्रकाशन मकस प्रकार हमारे ऊपर अचधकार के रूप मे ंकायग करता ह।ै

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -9-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    सामान्य प्रकाशि जब हम सामान्य प्रकाशन के बारे मे ंबात करते है,ं त हम उन बात ंपर ध्यान दतेे है ंमक समृि और

    इमतहास परमेश्वर के बारे मे ंसच्ची बात ंक और हमारे प्रमत उसकी नमैतक मांर् ंक मकस प्रकार बताते है।ं मनस्ट्संदेह, सामान्य प्रकाशन हमे ंसब कुछ नही ंचसिा सकता। उदाहरण के तौर पर, कुछ बात ,ं जसैे मक यीश ुमसीह के द्वारा उद्धार, क केवल मवशेष प्रकाशन के द्वारा ही चसिाया जाता ह,ै और परमेश्वर की इच्छा के कुछ और पहलू मखु्य रूप स ेअस्स्ट्तत्व-संबंधी प्रकाशन स ेहमारे पास आएंर्।े और बाइबल इस बात पर भी बल देती ह ैमक जब आदम और हव्वा पाप मे ंमर्रे त यह रचचत जर्त भी उसके साथ मर्र र्या, चजससे पूरी प्रकृमत भ्ि ह र्ई। पररणामस्ट्वरूप, समृि और इमतहास व्याख्या करने के चलए मसु्शकल ह,ै व ेपरमेश्वर के चररत्र की बहतु ही स्ट्पि तस्ट्वीर अब प्रस्ट्ततु नही ंकरती।ं मिर भी, बाइबल हमे ंआश्वस्ट्त करती ह ैमक सामान्य प्रकाशन परमेश्वर के बारे मे ंसच्ची बाते ंचसिाने के चलए आज भी बहतु ही स्ट्पि रूप मे ंबात करता ह,ै यह परमेश्वर के चररत्र का चसद्ध स्ट्तर प्रकट करता ह ैऔर इस प्रकार परमेश्वर के एक प्रकाचशत मानक के रूप मे ंकायग करता ह।ै

    जब सामान्य प्रकाशन मसीही नमैतक चशिा पर लारू् मकया जाता ह ैत हम इसके द महत्वपूणग चररत्र ंके बारे मे ंबात करेंर्े: इसकी जमटलता, और इसका महत्व।

    जनिलता। पहली बात यह ह ैमक सामान्य प्रकाशन जमटल ह।ै मसीमहय ंके चलए सामान्य प्रकाशन के बारे मे ंबहतु ही सामान्य रूप मे ंस चना आम बात ह,ै जसैे मक सामान्य प्रकाशन का हर प्रारूप एक समान ह । वास्ट्तमवकता मे,ं सामान्य प्रकाशन की शे्णी मे ंसामान्यपन और मवशेषपन के मभन्न-मभन्न स्ट्तर पाए जाते है।ं सामान्य प्रकाशन के कुछ पहलू सब ल र् ंके चलए आम है,ं वही ंअन्य सीममत समूह ंके ल र् ंतक ही सीममत ह ते है।ं कुछ पहलू अपने अथग मे ंअस्ट्पि ह ते है,ं वही ंकुछ कािी स्ट्पि ह ते है।ं कुछ पहलू परमेश्वर की समक्रय, प्रमतमदन सहभामर्ता के मकसी संकेत के मबना प्राकृमतक मनयम का अनसुरण करते है,ं वही ंकुछ स्ट्पि रूप मे ंपरमेश्वर के अलौमकक हस्ट्तिेप क मदिाते है।ं

    उदाहरण के तौर, मवषय के एक चसरे क देिे,ं सूयग का प्रचचलत सामान्य प्रकाशन। संसार के इमतहास के लर्भर् सब ल र् ंने सूयग और उसके प्रभाव ंक दिेा ह।ै और सूयग मे,ं उन्ह नंे परमेश्वर के स्ट्व-प्रकाशन क देिा ह।ै यह शायद सामान्य प्रकाशन का सबस ेसामान्य प्रकाशन ह।ै परन्त ुइस बात पर भी ध्यान दे ंमक सूयग और उसके प्रभाव ंक दिेने पर सारे ल र् एक मवशेष नमैतक प्रत्यतु्तर देने के चलए पे्रररत ह ते है,ं चजसका वणगन यीश ुने मत्ती 5:44-45 मे ंमकया:

    अपि ेबरैरयो ंस ेपे्रम रखो और अपिे सताि ेवालो ंके ललय ेप्राथणिा करो। लजस से तमु अपि ेस्वगीय नपता की सन्ताि ठहरोग ेकयोनंक वह भलो ंऔर बरुो ंर्दोिो पर अपिा सूयण उर्दय करता ह,ै और धनमयों और अधनमणयो ंर्दोिो ंपर मेहं बरसाता ह।ै (मत्ती 5:44-45)

    यह सच्चाई मक सूयग बरेु ल र् ंपर भी उदय ह ता ह,ै उन्हे ंर्मी दतेा ह,ै और उनकी िसल ंक बढ़ने मे ंसहायता करता ह,ै इस बात क दशागती ह ैमक परमेश्वर उन पामपय ंके प्रमत भी दयावान रहता ह ैज उनसे घणृा करते है।ं और क्य मंक सारी मानवजामत परमेश्वर के चररत्र का अनसुरण करने के प्रमत चजम्मेदार ह,ै इसचलए हम सब हमारे शत्रओु ंस ेपे्रम करने और उनके चलए प्राथगना करने के प्रमत चजम्मदेार है।ं

    मवषय के दूसरे चसरे पर, कुछ सामान्य प्रकाशन की यह जानकारी बहतु ही कम ल र् ंक ह ती ह ैमक यह मवशेष प्रकाशन के समान प्रतीत ह ता ह।ै उदाहरण के तौर पर, यीश ुमसीह के जीवन, मतृ्य ुऔर पनुरूत्थान क दिेे।ं जसैा मक हम कह चकेु है,ं इमतहास सामान्य प्रकाशन का महस्ट्सा ह।ै जसैा मक हम देिते

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -10-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    है ंचजन घटनाओ ंकी परमेश्वर अनमुमत देता ह ैऔर मकस प्रकार वह सारे समय मे ंजर्त का संचालन करता ह,ै त हम उसके मवषय मे ंबहतु कुछ सीिते है।ं और छुटकारे का इमतहास, मवशेषकर यीश ुमसीह का कायग, हमे ंपरमेश्वर के बारे मे,ं स्ट्वयं के बारे मे,ं और उद्धार के बारे मे ंबहतु कुछ बताता ह।ै

    समुनए मकस प्रकार पौलसु ने पे्रररत ंके काम 17:30-31 मे ंपनुरूत्थान के इमतहास का वणगन मकया।

    इसललय ेपरमशे्वर आज्ञािता के समयो ंमे ंअिाकािी करके, अब हर जगह सब मिषु्यो ंको मि निरािे की आज्ञा र्दतेा ह।ै कयोनंक उस िे एक नर्दि ठहराया ह,ै लजस मे ंवह उस मिषु्य के द्वारा धमण स ेजगत का न्याय करेगा, लजस ेउस ि ेठहराया ह ैऔर उसे मरे हओु ंमे ंसे लजलाकर, यह बात सब पर प्रमालर्त कर र्दी ह।ै (पे्रररतो ंके काम 17:30-31)

    पौलसु ने तकग मदया मक यीश ुमसीह के पनुरूत्थान की ऐमतहाचसक सच्चाई इस बात का प्रमाण थी मक परमेश्वर ने एक मदन मनयिु मकया ह ैजब वह सारे जर्त का न्याय करेर्ा। उसने यह भी तकग मदया मक न्याय का आने वाला मदन सब स्ट्थान ंके सब ल र् ंक पश्चाताप करने के चलए पे्रररत करता ह।ै दूसरे शबद ंमे,ं पनुरूत्थान की ऐमतहाचसक सच्चाई का सामान्य प्रकाशन सब ल र् ंक पे्रररत करता ह।ै

    इस प्रकार का सामान्य प्रकाशन मवशेष प्रकाशन के बहतु समान ह ैक्य मंक यह दलुगभ और मवचचत्र ह।ै ज्यादा ल र् ंने नही ंदिेा जब यीश ुइस जर्त मे ंरहा और मरा। और उसका जीवन और मतृ्य ुबहतु ही आसाधारण थ;े व ेअन्य मकसी मानवीय जीवन और मतृ्य ुसे मभन्न थ।े उसका पनुरूत्थान त चमत्कारी था। मिर भी, व ेमवशेष प्रकाशन के स्ट्तर तक नही ंपहुंचत ेक्य मंक वे इस बात क नही ंबतात ेमक हमे ंमकस प्रकार स ेपश्चाताप करना ह ैया परमेश्वर के प्रमत मकतना समपगण जरूरी ह।ै

    महत्व। दूसरी बात यह ह ैमक मसीही नमैतक चशिा मे ंहमे ंनमैतक मनणगय लनेे मे ंसामान्य प्रकाशन के महत्व की पमुि करना जरूरी ह।ै परमेश्वर अपने चररत्र के उन पहलओु ंके प्रमत मनषु्यजामत क उन्हे ंपहचानन ेऔर उनके सदशृय बनन ेके प्रमत उत्तरदायी ठहराता ह ैज समृि और इमतहास के माध्यम स ेउनके समि प्रकट मकए र्ए है।ं

    पहले त अनेक मसीमहय ंक यह मवचचत्र प्रतीत ह र्ा मक हम उस क इतना अचधक महत्व दे ंज हम परमेश्वर के बारे मे ंसमृि और इमतहास स ेसीिते है।ं आचिरकार, प्र टेस्ट्टेटं धमगमवज्ञान की एक मवचशिता यह ह ैमक हम प्रकाशन के अन्य सभी प्रकाशन ंस ेअचधक पमवत्रशास्ट्त्र पर बल देते है।ं परन्त ुसच्चाई यह ह ैमक हमारे समय मे ंयद्यमप हम सही रूप मे ंपमवत्रशास्ट्त्र क प्रकाशन के सबसे सवोच्च रूप मे ंदशागते है,ं मिर भी प्र टेस्ट्टेटं ल र् ंने सामान्य प्रकाशन की वधैता और स्स्ट्थर अचधकार की सदवै पमुि की ह।ै उदाहरण के तौर पर, मवश्वास का वसे्ट्टममनस्ट्टर अंर्ीकरण इन शबद ंके साथ अध्याय 1 के िण्र् 1 मे ंआरंभ ह ता ह:ै

    प्रकृनत का प्रकाश, और सनृि एवं ईश्वरीय नवधाि के कायण परमशे्वर की अच्छाई, बलुद्ध और सामथण को इतिा प्रकि करत ेहै ंनक मिषु्य को कोई बहािा िही ंसूझता; परन्त ुनिर भी व ेपरमशे्वर के उस ज्ञाि, और उसकी इच्छा, जो उद्धार के ललए आवश्यक ह,ै को प्राप्त करिे के योग्य िही ंह।ै

    परमेश्वर ने अपनी रचनाओ ंऔर उन रचनाओ ंके साथ अपने परस्ट्पर संबंध के माध्यम से अपने चररत्र क प्रकट मकया ह।ै और क्य मंक स्ट्वयं परमेश्वर हमारा परम मानक ह,ै त हम उसके उस स्ट्व-प्रकाशन क मानन ेके चलए पे्रररत ह ते है ंज हमारे पास सामान्य प्रकाशन स ेआता ह।ै पौलसु ने इन मवचार ंक र ममय ं1:18-20 मे ंव्यि मकया, जहां उसने चलिा:

  • बाइबल पर आधाररत मनणगय लेना अध्याय द : पमवत्रशास्ट्त्र मे ंनमैतक चशिा

    -11-

    चलचचत्र, अध्ययन मार्गदचशगका एवं कई अन्य संसाधन ंके चलये, हमारी वेबसाइट thirdmill.org पर जाए।ँ

    परमशे्वर का क्रोध तो उि लोगो ंकी सब अभनि और अधमण पर स्वगण स ेप्रगि होता ह,ै जो सत्य को अधमण स ेर्दबाए रखत ेहै।ं इसललय ेनक परमशे्वर के नवषय का ज्ञाि उि के मिो ंमे ंप्रगि ह,ै कयोनंक परमशे्वर ि ेउि पर प्रगि नकया ह।ै कयोनंक उसके अिर्दखे ेगरु्, अथाणत उस की सिाति सामथण, और परमशे्वरत्व जगत की सनृि के समय से उसके कामो ंके द्वारा र्दखेिे मे ंआत ेह,ै यहां तक नक व ेनिरुत्तर है।ं (रोनमयो ं1:18-20)

    सामान्य प्रकाशन परमेश्वर के बारे मे ंमवश्वास का एक स्ट्तर या मानक ह ैज सब ल र् ंपर लारू् ह ता ह।ै और क्य मंक सामान्य प्रकाशन एक स्स्ट्थर मानक ह,ै इसचलए ज क ई परमेश्वर के प्रकाशन के मवपरीत कायग करता ह ैवह पाप करने का द षी ठहरता ह।ै

    यही मवचार र ममय ं1:32 मे ंऔर स्ट्पिता स ेप्रकट ह ता ह ैजहां पौलसु ने इसे उन पर लारू् मकया ज परमेश्वर क ठुकरा देत ेहै ंजब वह स्ट्वयं क समृि मे ंप्रकट करता ह:ै

    वे तो परमशे्वर की यह नवलध जाित ेहै,ं नक ऐसे ऐस ेकाम करि ेवाल ेमतु्य ुके र्दण्ड के योग्य है।ं (रोनमयो ं1:32)

    यहां पौलसु ने सामान्य प्रकाशन क “मवचध” कहा ह।ै अंग्रेजी के कुछ अन्य अनवुाद इसे “अध्यादेश” या “मनणगय” कहते है।ं परन्त ुआधारभूत मवचार स्ट्पि ह:ै सामान्य प्रकाशन एक प्रकट स्ट्तर ह ैज हरेक के समि स्ट्पि ह ैऔर चजसकी परमेश्वर प्रत्यके क आज्ञा मानने का आदशे दतेा ह।ै

    अब अनेक ल र् पौलसु के इस मूल्यांकन स ेअसहमत ह रं्े मक यह स्ट्तर सब ल र् ंके समि स्ट्पि ह।ै हम मे ंस �