राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ... · 2018-04-06 ·...

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रारीय राजधानी े म भूजल के पुनभभरण के ललए कायाभमक योजना डा. मोहमद सदय सचिव रारीय राजधानी योजना बोडतावना 1. मानव वकास और आचथडक गतजल की उपलधता पर आचित | जल सम िताजे पानी का लगभग 97% जो मानव संभाववत योग हेत वैवक तौर पर उपलध है और लगभग 1.5 बललयन लोग अपनी पेय जल आववकताओं के लए इस पर तनभडर करते | जल नभडरण, जल संरण संसाधन और सतत वकास के के बीि काफी घतनठ संबंध है | हालांक, इस संसाधन की उपलधता आज संकट है , और भी अचधक रारीय राजधानी | 2. रारीय राजधानी लत: अप जल वाला है जो जलाप तड के लए अपनी बाहरी सीमाओं से सतही जल संसाधन पर आचित है | घरेल , औयोचगक, अननशमन और लसंिाई योजन के लए एनसीआर हेत जल की मांग का आकलन वड 2005 लगभग 33.39बीसीएम/वड के तौर पर कया गया था जसके भववय जनसंया बने , ती शहरीकरण, बती अथडयवथा और जीवन तर धार इयादके कारणवश चध की संभावना है | वाड , नहर थानांतरण, ऊवडवाही बांध और जलाशय इयादसे बा के जल एनसीआर की भागीदारजैसे सतही ोत से एनसीआर उपलध जल की माा चध नहीं की जा सकती है | इसके पररणामवऱप जल की मांग और उपलधता के बीि लगातार अंतर रहा है | इस थतजल की कमी बने की संभावना है | जल एनसीआर जल संवधडन के एक महवप णड ोत के तौर उभरा है | अन मान है इस समय जल का एनसीआर की जल आववयकताओं लगभग 6.35बीसीएम/वड का योगदान है और यह एनसीआर के लए तीसरा ोत है | 3. सतत जल दोहन तभी हो सकता है यदवावडक नभडरण पप से तनकाले गए जल के बराबर हो| हालांक, एनसीआर के अचधकांश जल तनवल वावडक नभडरण और पप से तनकाले जल के बीि असंत लन है | जल की कमी को संचित जल की अयचधक पपंग से

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  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    डा. नूर मोहम्मद सदस्य सचिव

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोडड प्रस्तावना

    1. मानव ववकास और आचथडक प्रगतत जल की उपलब्धता पर आचित हैं| भूजल समूि ेताजे पानी का लगभग 97% जो कक मानव संभाववत प्रयोग हेत ुवैश्ववक तौर पर उपलब्ध है और लगभग 1.5 बबललयन लोग अपनी पेय जल आववकताओं के ललए इस पर तनभडर करत ेहैं| भूजल पुनभडरण, जल संरक्षण संसाधनों और सतत ववकास के मुद्दों के बीि काफी घतनष्ट्ठ संबंध है| हालांकक, इस संसाधन की उपलब्धता आज संकट में है, और भी अचधक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में| 2. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मूलत: अल्प जल वाला क्षेत्र है जो कक जलापूतत ड के ललए अपनी बाहरी सीमाओ ंस ेसतही जल संसाधनों पर आचित है| घरेल,ू औद्योचगक, अश्ननशमन और लसिंाई प्रयोजनों के ललए एनसीआर हेत ु जल की कुल मांग का आकलन वर्ड 2005 में लगभग 33.39बीसीएम/वर्ड के तौर पर ककया गया था श्जसके भववष्ट्य में जनसंख्या बढ़ने, तीव्र शहरीकरण, बढ़ती हुई अथडव्यवस्था और जीवन स्तर में सुधार इत्यादद के कारणवश वदृ्चध की संभावना है| वर्ाड, नहर स्थानांतरण, ऊर्धवडप्रवाही बांधों और जलाशयों इत्यादद से बाढ़ के जल में एनसीआर की भागीदारी जैसे सतही स्रोतों स ेएनसीआर में उपलब्ध जल की कुल मात्रा में वदृ्चध नही ंकी जा सकती है| इसके पररणामस्वरूप जल की मांग और उपलब्धता के बीि लगातार अतंर बढ़ रहा है| इस श्स्थतत में जल की कमी बढ़ने की संभावना है| भूजल एनसीआर में जल संवधडन के एक महत्वपूणड स्रोत के तौर उभरा है| अनुमान है कक इस समय भूजल का एनसीआर की जल आववयकताओ ंमें लगभग 6.35बीसीएम/वर्ड का योगदान है और यह एनसीआर के ललए तीसरा प्रमुख स्रोत है| 3. सतत भूजल दोहन तभी हो सकता है यदद वावर्डक पुनभडरण पम्प से तनकाले गए जल के बराबर हो| हालांकक, एनसीआर के अचधकांश श्जलों में तनवल वावर्डक पुनभडरण और पम्प स ेतनकाले जल के बीि असंतुलन है| भूजल की कमी को संचित भूजल की अत्यचधक पश्म्पंग स े

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    पूरा ककया जाता है श्जसके पररणामस्वरूप जलस्तर में चगरावट आती है| अनुमान है कक एक के दौरान ददल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का संचित भूजल 0.19बीसीएम/वर्ड की दर से चगरता है

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    1 पषृ्ट्ठभूलम 1.1 संदभड: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) 33578 वगड ककमी. में फैला हुआ है | इसमें ददल्ली के संपूणड राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) के अलावा हररयाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दहस्से भी शालमल हैं | ग्राम क्षेत्रों के बडी संख्या में शहरीकरण के अलावा 1971-1981 के दौरान शहरी ववकास दर के 45.87% से बढ़कर 1991-2001 के दौरान 56.25% हो जाने के साथ वपछले कुछ दशकों में हुए तीव्र शहरीकरण से अनेक संबद्ध पयाडवरणीय समस्याएं उत्पन्न हो हई हैं | इस क्षेत्र के ललए जलापूतत ड एक मुख्य मुद्दा है | इस क्षेत्र में यमुना नदी प्रमुख जल प्रणाली और सतही जल स्रोत है | यमुना में उच्ि प्रदरू्ण भार और अतंरराजकीय जल भागीदारी मुद्दों के कारणवश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की अपनी जल आववयकताओं को पूरा करने के ललए भूजल स्रोतों पर भारी तनभडरता है | प्रौद्योचगकी में ववकास के पररणामस्वरूप वववव भर में भूजल दोहन में भारी वदृ्चध हुई है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) इसमें कोई अपवाद नहीं है | इससे भूजल का प्राकृततक संतुलन बबगड जाता है | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अचधकांश भागों में और ददल्ली के एनसीटी में खतरनाक ढंग से जल स्तरों में चगरावट आ गई गई है | वर्ाड भूजल पुनभडरण का मुख्य स्रोत है श्जसका अनुपूरण अन्य स्रोतों जैस ेनहरों, लसचंित खेतों और सतही जल तनकायों द्वारा पुनभडरण से हो जाता है | वर्ाड का ववतरण असामान्य है| भूजल पर समग्र भार के ललए भूजल का आहरण और कम वर्ाड जैस ेकारक उत्तरदायी हैं | भूजल संसाधन प्रबंधन नया किया क्षेत्र नहीं है, हमारे देश में लम्ब ेसमय से इसके कुछ पहलुओं को अपनाया जा रहा है | पारम्पररक रूप स ेइस प्रकार की पद्धततयां ककसी के द्वारा आववयकता पडने पर ववकलसत की गई हैं और कभी-कभी इन्हें भूजल प्रबंधन के लसद्धांतों को पूरी तरह समझे बबना ही ववकलसत कर ददया गया | हालांकक, वववव के अनेक भागों में वर्ड दर वर्ड जल प्रबंधन के ललए अनेक पद्धततयों और प्रकियाओं को व्यावसातयक सजृनात्मकता के तौर पर संजोया गया है | भूजल संसाधन ववकास और संबंचधत इंजीतनयरी गततववचधयां सवाडचधक महत्वपूणड हो गई हैं क्योंकक वर्ड दर वर्ड संसाधन में प्रदरू्ण का खतरा बढ़ गया है | इसके पररणामस्वरूप हस्तक्षेप और अचधक महत्वपूणड हो गया है श्जससे संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन की आववयकता बढ़ गई है

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    | जल संसाधन ववज्ञान में प्रगतत और बेहतर पररकलनीय सुववधाओं ने एकीकृत पद्धतत का मागड प्रशस्त कर ददया है | एनसीआर में पुनभडरण हेत ु लम्बे समय से भूजल के आहरण को पूरा करना स्थायी भूजल संसाधन तनयोजन का मुख्य उद्देवय है | दोहन और पुनभडरण के जल संतुलन को बनाए रखना जल और पयाडवरण पर मानव प्रभाव के प्रबंधन हेतु महत्वपूणड है | भावी ववकासात्मक संभावनाओं और समाजाचथडक तथा पयाडवरणीय प्रभाव मूल्यांकन को दशाडने वाला भूजल संसाधन प्रबंधन जल दोहन के प्रभावी कियान्वयन और कृबत्रम पुनभडरण उपायों द्वारा हालसल ककया जा सकता है | अत: इस समय की आववयकता यह है कक इस मूल्यवान संसाधन के प्रभावी और सक्षम प्रबंधन तथा समग्र मागड अपनाने के द्वारा समाप्त होत ेजल संसाधनों में वदृ्चध हेत ुदीधाडवचधक योजना तैयार की जाए | भूजल प्रबंधन मानव समाज और भौततक पयाडवरण के बीि एक जदटल प्रकिया है और इसमें नीततगत अलभकल्पना तैयार करने की एक कदठन समस्या उत्पन्न होती है | जलीय स्तर (एक्वफर) का शोर्ण मानव तनणडयों द्वारा ककया जाता है और इसका अतत शोर्ण हमेशा तकनीकी तौर पर पररभावर्त नही ं ककया जा सकता ककंत ुयह भूजल संसाधनों का शोर्ण करन ेवाले व्यश्क्तयों के प्रबंधन हेत ुपयाडप्त संस्थागत व्यवस्थाएं कियाश्न्वत और अलभकश्ल्पत करने में असफल होना है | 1.2 एनसीआर में व्यापक पनुभभरण की आवश्यकता सावडजतनक तालाब संसाधन के तौर पर भूजल का प्रयोग ववशरे् तौर पर सवड उपलब्ध स्वरूप में होता है श्जसमें संसाधन का स्वालमत्व “कब्जा करने के तनयम” पर आधाररत होता है | जब संसाधन का कोई स्वामी नहीं होता तो प्रयोक्ताओं के पास उस ेभववष्ट्य के ललए संरक्षक्षत करने का कोई प्रोत्साहन नहीं होता और अलग-अलग प्रयोक्ताओ ं के स्व-दहत उन्हें अतत शोर्ण के ललए प्रेररत करते हैं | वपछले दशक (1993-2003) के दौरान लगभग पूरे एनसीआर क्षेत्र में भूजल स्तरों में चगरावट पाई गई | यह चगरावट गैर मामूली से खारे भूजल वाले क्षेत्रों की तुलना में मीठे भूजल वाले क्षेत्रों में अचधक हुई | राजस्थान के अलवर श्जले और ददल्ली एनसीटी के कुछ भागों से भूजल के स्तर में काफी चगरावट होने की सूिना प्राप्त हुई है |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    भूजल जलाशय का प्राकृततक पुनभडरण एक धीमी प्रकिया है और अक्सर यह प्रकिया देश के ववलभन्न भागों में भूजल संसाधनों के अत्यचधक और लगातार शोर्ण का मुकाबला नहीं कर पाती| इसके पररणामस्वरूप देश और एनसीआर के ववलभन्न क्षेत्रों में भूजल संसाधन घटे हैं और भूजल स्तर में चगरावट आई है (चित्र 1.1) | वर्ाड जल संकलन और भूजल के कृबत्रम पुनभडरण प्रयासों का मूल लक्ष्य समुचित इंजीतनयरी तनमाडण तकनीकों के मार्धयम से भूजल भंडार में सतही जल के प्राकृततक प्रवाह को बढ़ाना है | इस प्रकार की तकनीकें भूजल भंडार को स्रोत जल से जोडती हैं और एकीकृत करती हैं तथा ककसी क्षेत्र की मदृा, स्थलाकृतत और भूजलीय पररश्स्थतत पर तनभडर करती हैं | एनसीआर में वर्ाड अचधकांशत: लगभग तीन महीने तक सीलमत होती है श्जसमें वर्ाड ददवसों की संख्या 80 से 100 के बीि होती है | देश के अचधकांश भाग में भूजल भंडारों में प्राकृततक पुनभडरण केवल इस अवचध तक सीलमत होता है | कृबत्रम पुनभडरण तकनीकों का उद्देवय लगभग तीन से िार महीनों के ललए मानसून के उपरांत पुनभडरण की अवचध को बढ़ाना होता है श्जसके पररणामस्वरूप सूखे मौसम के दौरान भूजल संसाधनों की संपोर्णीयता में वदृ्चध होती है | ववलभन्न प्रकार के पुनभडरण स्वरूपों के मार्धयम से योगदान देने वाले ववलभन्न कारकों की पहिान हेत ुएनसीआर की आववयकताओं के अनुरूप भूजल पुनभडरण कायडनीतत तैयार की जानी िादहए | अततररक्त भूजल भंडार तैयार करने के ललए वर्ाड जल और अप्रयुक्त बहने वाले मानसून के जल का संकलन सवाडचधक आकर्डक और तकनीकी तौर पर व्यवहायड ववकल्प है | उप सतही जलाशय पयाडप्त मात्रा में जल का संग्रहण कर सकते हैं | कृबत्रम पुनभडरण का उद्देवय जल के तनमाडण अथवा फैलाव की ववचधयों अथवा प्राकृततक पररश्स्थततयों में बदलाव लाकर भूजल भंडारण के प्राकृततक पुनभडरण में संवधडन करना है | यह अचधक तनकासी में कटौती करने, सतह पर से बहने का संरक्षण करने और उपलब्ध भूजल आपूततडयों में वदृ्चध करने के ललए उपयोगी है | पुनभडरण आकश्स्मक अथवा जानबूझ कर ककया गया हो सकता है जो कक इस पर तनभडर करता है कक वह सामान्य जल उपयोग का उप-उत्पाद है अथवा नहीं | वस्तुत:, कृबत्रम पुनभडरण मानव गततववचधयों द्वारा भूजल भंडार की प्रेररत पुनभडरण प्रकिया है | आपूरण की यह प्रकिया एक्वफर में संपोर्ण हेत ुगड्ढों, टंककयों इत्यादद में जल संियन जैसी तनयोश्जत हो सकती हैं अथवा मानव गततववचधयों के ललए आकश्स्मक और अतनयोश्जत हो सकती हैं जैस ेनहरों, तालाबों और जलाशयों से की गई लसिंाई तथा पाइपों इत्यादद स ेररसाव | इसके अततररक्त एनसीआर क्षेत्र में जलग्रहण (कैिमैंट) उपिार और गाद हटाने के मार्धयम स ेअनेक छोटे और मर्धयम जल तनकायों, तालाबों को पुनजीववत करने की बडी गुंजाइश है | बाढ़

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    प्रभाववत क्षेत्रों में नदी से उत्प्रेररत पुनभडरण की काफी गुंजाइश है | इसी प्रकार, पहाडडयों से तघरे क्षेत्रों को ववचधवत उपिाररत ककया जा सकता है ताकक गली प्लनस, गेबबयन ढांिों इत्यादद जैस ेअन्य उपयुक्त ढांिों और गड्ढों के तनमाडण के मार्धयम से उप-सतह पुनभडरण अचधक से अचधक ककया जा सके | शहरी क्षेत्रों में छत पर वर्ाड जल के संग्रहण के ललए जन अलभयान िलाने की आववयकता है | 1. PANIPAT- पानीपत 2. MODLAUDA- मोडलाउडा 3. SAMALKHA- समालखा 4. MANDLANA- मंडलाना 5. CHHAPRAULI- छपरौली 7. SARDHANA- सरधना 8. KATHURA- कथुरा 9. GANAUR- गन्नौर 10. BARAUT- बडौत 11. DHOGAT- धोगट 12. KARNAWAL- करनावल 13. MAWANA- मवाना 14. HASTINAPUR- हश्स्तनापरु 15. DAURALA- दौराला 16. CHIRI- चिरी 17. GOHANA- गोहाना 18. SONIPAT- सोनीपत 19. BAGHPAT- बागपत 20. BINAULI- बबनौली 21. MAHAM- मेहम 22. SEWALKHAS- सेवलखास 23. MEERUT- मेरठ 24. PARICHITGARH- पररचितगढ़ 25. ROHTAK- रोहतक 26. RAI- राय 27. AMINAGAR SARAI- अलमनगर सराय 28. RAJAPUR- राजापरु 29. KHARKHAUDA- खरखौदा 30. KHEKRA- खेकडा 31. MURADNAGAR- मुरादनगर 32. KHARKHAUDA- खरखौदा 33. KALANAUR- कालानौर 34. SAMPLA- सााँपला 35. LONI- लोनी 36. BABUGARH- बाबगूढ़ 37. ALIPUR- अलीपरु 38. HAPUR- हापडु 39. GHAZIABAD- गाश़्ियाबाद 40. GARHMUKTESHWAR- गढ़मुक्तवेवर 41. KANJHAWALA- कंझावला 42. BERI- बेरी 43. SHAHADARA- शाहदरा 44. BAHADURGARH- बहादरुगढ़ 45. PILKHUA- वपलखुआ 46. BHAWAN B NAGAR- भवन बी नगर 47. SHAHADARA CITY- शाहदरा लसटी 48. SIANA- लसयाना 49. NAJAFGARH- नजफगढ़ 50. NOIDA- नोएडा 51. JHAJJAR- झज्जर 52. GULAUTHI- गलुौठी

    53. KHANPUR- खानपरु 54. NAHAR- नहर 55. MEHRAULI- महरौली 56. SALHAS- सलहास 57. GURGAON- गडुगांव 58. DADRI- दादरी 59. AURANGABAD- औरंगाबाद 60. SIKANDARABAD- लसकंदराबाद 61. JAHANGIRABAD- जहांगीराबाद 62. FARIDABAD- फरीदाबाद 63. BULANDSHAHR- बलुंदशहर 64. JATUSONA- जाटूसोना 65. PATAUDI- पटौदी 66. SOHNA- सोहना 67. DANKAUR- दनकौर 68. SHIKARPUR- लशकारपरु 69. BALLABHGARH- बल्लभगढ़ 70. KHURJA- खुजाड 71. KHOL- खोल 72. REWARI- रेवाडी 73. TAURU- तावडू 74. PALWAL- पलवल 75. JEWAR- जेवर 76. PAHASU- पहास ु77. NARAURA- नरौडा 78. JAHANGIRAPUR- जहांगीरापरु 79. DIBAI- ददबाई 80. BAWAL- बावल 81. NUH- नहू 82. NEEMRANA- नीमराणा 83. KOTKASIM- कोटकालसम 84. TIJARA- ततजारा 85. HATIM- हाततम 86. HODAL- होडल 87. MADAWAR- मादवार 88. NAGINA- नगीना 89. KISANGARH BAS- ककसनगढ़ बस 90. FIROZPUR JHIRKA- कफरो़िपरु झझरका 91. BAHROR- बहरोड 92. RAMGARH- रामगढ़ 93. UMREN- उमरेन 94. LAXMANGARH- लक्ष्मणगढ़ 95. THANAGAJI- थानागाजी 96. KATHUMAR- काठुमार 97. RENI- रेनी 98. RAJGARH- राजगढ़ -----GANGA- गगंा -----SAHIBI RIVER- सादहबी नदी

    एनसीआर में भ-ूजल ववकास की स्थितत

    ककलोमीटर

    सकेंत प्रमुख शहर

    जल तनकासी तंत्र

    शे्रणी गंभीर श्स्थतत वाले अतत- शोवर्त

    चित्र 1.1: एनसीआर का भजूल ववकास मानचित्र

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    1.3 प्रथताव के उद्देश्य मोटे तौर पर इस कायड का उद्देवय संपूणड एनसीआर में ॠण/अनुदान के आधार पर व्यापक और वैज्ञातनक रूप से व्यवहायड जल संरक्षण, कृबत्रम पुनभडरण और वर्ाड जल संग्रहण कायडिम को कियाश्न्वत करने के ललए ववत्तपोर्ी एजेंलसयों को सक्षम बनाने हेत ुतकनीकी रूप से व्यवहायड प्रस्ताव तैयार करना है | कियान्वयन कायडनीतत में सकिय सामुदातयक भागीदारी और जागरुकता उत्सजडन कायडिम शालमल होंगे | इस प्रस्ताव का समायोजन करने की योजना बनाई गई है ताकक इसमें वर्ाड जल संग्रहण और कृबत्रम पुनभडरण के ववलभन्न उपायों की संक्षक्षप्त जानकारी, जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन में इसकी भूलमका, कियान्वयन कायडनीततयां और आगे की ददशा तनदहत हो | 1.4 पररयोजना सार एनसीआर अल्प जल वाला क्षेत्र है ककंत ुयहां पयाडप्त जल हो सकता है यदद इस संसाधन का समुचित संरक्षण और प्रबंधन हो | सतही स्रोतों जैस े नहर अतंरण, ऊर्धवड प्रवाही बांधों और जलाशयों इत्यादद से बाढ़ के जल में एनसीआर की भागीदारी स ेएनसीआर में उपलब्ध जल की मात्रा तुलनात्मक रूप से तनश्वित है | एनसीआर में भूजल पीने, कृवर्, औद्योचगक एव ंसंबद्ध प्रयोजनों के ललए जलापूतत ड के मुख्य स्रोत पर उभरा है | अनुमान है कक वतडमान रूप से भूजल एनसीआर की जल आववयकताओं के प्रतत 6350 एमसीएम प्रततवर्ड के लगभग योगदान करता है और एनसीआर के ललए तीसरा सबसे बडा जल स्रोत है | वतडमान में, एनसीआर के अचधकांश श्जलों में भूजल अत्यचधक मात्रा में तनकाला जा रहा है | इस अतत-शोर्ण के पररणामस्वरूप इस संसाधन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में कमी और चगरावट हो रही है | अनुमान है कक एक वर्ड में एनसीटी ददल्ली के भूजल भंडारों में 190 एमसीएम की कमी हो जाती है श्जससे 2 एम प्रततवर्ड से जल सारणी की औसत कमी दजड होती है जो कक चितंाजनक रूप स ेखतरनाक है | केन्रीय भूजल बोडड के अनुमानों के अनुसार एनसीटी ददल्ली में 9 ब्लॉकों में से 7, हररयाणा उप-क्षेत्र में 42 ब्लॉकों में से 25, राजस्थान उप-क्षेत्र के सभी ब्लॉकों और उत्तर प्रदेश उप-क्षेत्र में 45 में से 4 ब्लॉकों को अतत-शोवर्त अथवा गंभीर श्स्थतत में वगीकृत ककया गया है श्जन पर ववशरे् हस्तक्षेपी कारडवाई की आववयकता है | संपूणड एनसीआर में ताज ेपानी के एक्वफर दबाव में हैं | ददल्ली एनसीटी और अलवर श्जले जैस ेकुछ क्षेत्रों में जल ताललका में चितंाजनक रूप से चगरावट हुई है जो कक कमोबेश रूप से संसाधन के पूरी तरह समाप्त हो जाने की और बढ़ रही है |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    अत:, वावर्डक औसत कमी को पूरा करने के ललए भूजल पुनभडरण में वदृ्चध करने की अत्यचधक आववयकता है | मौजूदा और भववष्ट्य की मांगों को पूरा करने के ललए अत्याववयक है कक एक व्यापक कायडनीतत तैयार की जाए और भूजल पुनभडरण के बड ेकायडिमों को कियाश्न्वत ककया जाए | क्षेत्रीय योजना 2021 में भूजल पुनभडरण, एक्वफर के पुनभडरण के ललए और जन जागरुकता लाने के ललए भूलम के संरक्षण सदहत जल के संरक्षण हेत ुनीततयां तनधाडररत की गई हैं | इन्हें समुचित संस्थागत एवं ववचधक स्वरूप के भीतर कारडवाई योजनाओं में रूपांतररत करना होगा | ववभन्न तकनीकों के मार्धयम से गततमान भूजल एक्वफरों का पुनभडरण एनसीआर के ललए जल की उपलब्धता में वदृ्चध की एक व्यवहायड और स्थायी ववचध है वह भी काफी ककफायती तरीके से| एनसीआर के ललए भूजल पुनभडरण हेत ु योजना तैयार करने की आववयकता पर ददनांक 25.02.2009 को आयोश्जत अपनी तीसरी बैठक में अचधकार प्राप्त सलमतत के समक्ष बल ददया गया था और तनम्नललझखत तनणडय ललए गए थे:

    एनसीआर के सभी घटक राज्य अपने-अपने उप-क्षेत्रों में वर्ाड जल के संग्रहण की नीततयों को और अचधक प्रभावी ढंग से कियाश्न्वत करेंगे और व ेइसके ललए यथा आववयकता तनमाडण, उप-तनयमों अथवा नए ववधान में पररवतडनों पर वविार करेंगे | एनसीआर के घटक राज्यों द्वारा ग्राम और शहरी क्षेत्रों के ललए भूजल पुनभडरण हेत ु एक कारडवाई योजना तैयार की जाए

    मौजूदा तनयोजन स्कीमों के तहत घटक राज्यों द्वारा भूजल पुनभडरण और ग्राम तालाबों और बावडडयों को गहरा करने के ललए रोधक बांधों के तनमाडण की स्कीमें िलाई जाएंगी |

    घटक राज्यों द्वारा उनके संबंचधत श्जले और उप-क्षेत्रों के ललए अपलशष्ट्ट जल के पुन: ििीकरण सदहत एकीकृत जल प्रबंधन योजनाए तयैार की जाएंगी | जल संरक्षण, जल का अपव्यय कम करने और जल बिाने वाले फ्ललशगं लसस्टनड इत्यादद के प्रयोग के प्रवतडन हेत ुकदम उठाए जाएंगे और यथाआववयक उचित जन लशक्षा अलभयान िलाए जाएंगे |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    भाग लेन े वाला प्रत्येक राज्य एनसीआर में एकीकृत भूजल नीतत तैयार करेगा और केन्रीय भूजल बोडड द्वारा तनधाडररत प्रभाववत क्षेत्रों में भूजल दोहन पर प्रततबंध लगाएगा | इस संबंध में घटक राज्य मॉडल ववधेयक अपनाएंगे श्जसे उनके संबंचधत उप-क्षेत्रों में भूजल के ववकास और प्रबंधन को ववतनयलमत और तनयंबत्रत करने के ललए जनवरी, 2005 में जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ककया गया था |

    संबंचधत राज्य सरकारों/एजेलसयों द्वारा इन तनणडयों के कियान्वयन को समथडकारी बनाने हेत ुयह तनणडय ललया गया कक एनसीआर तनयोजन बोडड एनसीआर में भूजल पुनभडरण हेत ुव्यापक प्रस्ताव अथवा मास्टर प्लान तैयार करने का कायड आउटसोसड कर सकता है | एनसीआर तनयोजन बोडड ने डॉ. एस. के. शमाड, भूजल ववशरे्ज्ञ और भूतपूवड सदस्य, केन्रीय भूजल बोडड को यह प्रलेख तैयार करने का कायड सौंपा है | 1.4.1 कायभके्षत्र एनसीआर तनयोजन बोडड ने वेपकौस के मार्धयम से एनसीआर में जलापूतत ड और उसके प्रबंधन पर एक अर्धययन ककया है श्जसके ललए एक अतंररम ररपोटड तैयार की गई है | इस ररपोटड में परामशडदाता ने एक घटक के तौर पर एनसीआर में भूजल पुनभडरण के संबंध में एक अर्धययन ककया है | परामशडदाता भूजल पुनभडरण हेत ुपररयोजनाओं के तनधाडरण के ललए इस पर और प्रकाश डालने हेत ुइस ररपोटड का प्रयोग करेगा और एक व्यापक एव ंकियान्वयन योनय भूजल पुनभडरण व्यवहायडता पररयोजना ररपोटड तैयार करेगा श्जसे ववलभन्न एजेंलसयों के समक्ष ववत्तपोर्ण हेत ुप्रस्तुत ककया जाता है | परामशडदाता आंकडों में अतंर दरू करने के ललए यथाआववयक अर्धययन और सवेक्षण भी करेगा जो स्थायी पररयोजनाओं को तैयार करने के ललए अपेक्षक्षत होंगे | इसमें तनम्नललझखत शालमल होंगे: क. भजूल पनुभभरण की आवश्यकता ख. साहित्य सामग्री सवेक्षण एव ंडटेा बेस स्जसमें तनम्नललखखत शालमल िैं:

    पूवड तनष्ट्पाददत अर्धययनों की समीक्षा |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    वर्ाड जल संग्रहण, पुन:िकित अपलशष्ट्ट जल, बाढ़ के जल इत्यादद जैसी ववलभन्न तकनीकों का प्रयोग करते हुए जल पुनभडरण हेत ुशहरी और ग्रामीण और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में संपन्न पररयोजनाएं, उठाए गए कदम और ककए कायड का प्रलेखन |

    शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संग्रहण की उपलश्ब्ध हेत ुएनसीआर में सफलता का ववस्ततृ वववरण |

    भूजल पुनभडरण और तालाबों इत्यादद के पुनरुत्थान से संबंचधत लंबबत पररयोजनाओं के ब्यौरे |

    एनसीआर में जारी पुनभडरण प्रयासों के प्रभावों का मूल्यांकन | वतडमान पुनभडरण प्रयासों के लाभों का मूल्यांकन |

    ग. शिरी के्षत्रों में भूजल पनुभभरण एनसीआर राज्यों में छत पर वर्ाड जल संग्रहण के ललए मौजूदा तनमाडण उप-तनयमों की जांि

    I. नए भवनों के ललए उप-तनयम II. नए भवनों के ललए ववधान III. पुराने भवनों के ललए ववधान IV. खलेु स्थानों जैसे पाकों, खलुी भूलम, नदी के तलों, जल तनकायों इत्यादद के भूजल

    पुनभडरण हेतु उप-तनयम/ववधान/अनुदेश | V. यथाआववयकता नए ददशा-तनदेश तैयार करना |

    भूजल पुनभडरण हेतु अवश्स्थतयों का तनधाडरण | बाढ़ क्षेत्र पुनभडरण और जल तनकायों (तालाबों) के पुनरुत्थान पर संकें रण सदहत एनसीआर के

    संदभड में पुनभडरण की ववचधयों, तकनीकों और मोटे तौर पर डड़िाइनों का ियन | पाकड ककस्म के शहरी पुनभडरण अचधष्ट्ठापन और उनकी अनुप्रयोज्यनीयता के ब्यौरे | पुनभडरण हेतु जल स्रोतों अथाडत सतही जल, आयाततत जल अथवा उपिाररत अपलशष्ट्ट जल की उपलब्धता ररसावयुक्त जलाशयों (इनकफलरेशन बेलसन) के मार्धयम से एक्वफरों के पुनभडरण हेत ुशहर में

    तूफानी वर्ाड से एकत्र जल के प्रयोग की संभाव्यता | प्रस्ताव, प्रौद्योचगकी, आकलन और कारडवाई की सुझाई गई ददशा |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    घ. ग्रामीण के्षत्रों में भजूल पनुभभरण ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल के प्रबंधन हेत ुववचधक प्रावधान | जल ववज्ञान और जल-भूववज्ञानी पररश्स्थततयों पर आधाररत पुनभडरण हेतु क्षेत्रों/अवश्स्थततयों

    का तनधाडरण | समुचित प्रौद्योचगककयों का तनधाडरण |

    I. अरावली तलहटी में भूजल के पुनभडरण के ललए II. जल उपलब्धता में सुधार/भूलमगत परतों में पुनभडरण हेत ुतालाबों, बावडडयों और अन्य जल

    तनकायों के ललए III. खारे भूजल वाले क्षेत्रों के ललए IV. खारे जल के प्रयोग के ललए-संयोजक प्रयोग, खारे जल में मत्स्य पालन, लवणतारोधी

    कृवर्| भूजल गुणवत्ता में सुधार हेत ुप्रस्ताव ड. प्रथतावों की ब्लॉक लागत का तनधाभरण च. भजूल पनुभभरण की पररयोजनाओं के ललए व्यवथिा िेतु ववत्तपोषण भूजल पुनभडरण हेतु पररयोजनाओं का उप-क्षेत्रवार वगीकरण

    I. पहले से उपलब्ध पररयोजनाएं श्जन्हें ववलभन्न स्कीमों के तहत िलाया जा सकता हो II. तैयार की जाने वाली पररयोजनाएं

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    2 एनसीआर का प्रशासतनक गठन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 33,578 वगड ककमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है इसमें ददल्ली के पूरे एनसीटी के अलावा हररयाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के दहस्से शालमल हैं | हररयाणा के दहस्सों में पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, ररवाडी, गुडगांव, मेवात और फरीदाबाद के श्जले शालमल हैं जो 13,413 वगड ककमी. के क्षेत्र में फैले हुए हैं | राजस्थान में अलवर श्जला शालमल है जो 7829 वगड ककमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है | उत्तर प्रदेश में बागपत, मेरठ, गाश़्ियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बुलंदशहर के श्जले शालमल हैं जो 10,853 वगड ककमी. के क्षेत्र में फैले हुए हैं | ददल्ली एनसीटी 1,483 वगड ककमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है | राज्य क्षेत्र एव ं श्जला सीमा सदहत एनसीआर क्षेत्र का प्रशातनक मानचित्र चित्र 2.1 में दशाडया गया है | मौजूदा प्रस्ताव में क्षेत्र के प्रशासतनक और भू-आकृततक गठन के आधार पर संपूणड एनसीआर को ववलभन्न उप-क्षेत्रों में वगीकृत करने का प्रयास ककया गया है | भू-आकृतत ववज्ञान और भौगोललक पररश्स्थततयों तथा पुनभडरण के ललए अनुकूल पररश्स्थततयों और स्रोत जल की उपलब्धता के आधार पर जल संग्रहण और कृबत्रम पुनभडरण की कायड पद्धतत की लसफाररश की गई है | 2.1 के्षत्र वगीकरण प्रशासतनक सीमा और भू-आकृततक गठन के आधार पर एनसीआर क्षेत्र का वगीकरण ववलभन्न उप-इकाईयों में ककया गया है ताकक वर्ाड जल संग्रहण और कृबत्रम पुनभडरण हेत ुतकनीकी तौर पर व्यवहायड ववकल्पों की लसफाररश की जा सके | प्राथलमक वगीकरण उप-क्षेत्र के तौर पर प्रदलशडत प्रशासतनक ववभाजन के आधार पर ककया गया है | उप-क्षेत्र के ब्यौरे तनम्नानुसार हैं | 2.1.1 उप-के्षत्र उप-क्षेत्रों में क्षेत्र का वगीकरण प्रशासतनक इकाईयों पर आधाररत है और यह एनसीआर के तहत शालमल 4 राज्यों का प्रतततनचधत्व करता है अथाडत एनसीटी ददल्ली उप-क्षेत्र, हररयाणा उप-क्षेत्र, उत्तर प्रदेश उप-क्षेत्र और राजस्थान (अलवर) उप-क्षेत्र | अचधकांश आंकडा उपलब्धता और संकलन उप-क्षेत्र लसद्धांत पर आधाररत है | हालांकक, तनयोजन के ललए वर्ाड जल संग्रहण और कृबत्रम पुनभडरण सदहत ववलभन्न प्रबंधन उपाय आववयक हैं | वगीकरण क्षेत्र के भ-ूआकृततक गठन पर आधाररत हैं | एनसीआर का उप-क्षेत्रीय मानचित्र चित्र 2.2 पर ददया गया है |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    2.1.2 भ-ूआकृततक ववभाजन संपूणड एनसीआर को मोटे तौर पर 4 प्रमुख भूआकृततक इकाईयों में बांटा जा सकता है | नामत: कछारी मैदानी क्षेत्र, बाढ़ मैदानी क्षेत्र, अचधकांशत: अरावली और ऑक्सबो तालाबों और गड्ढों में अलग से श्स्थत जल तनकायों का प्रतततनचधत्व करने वाली संरिनागत पहाडडयां | िूकंक, ववलभन्न जल पुनभडरण उपायों और तकनीकों की उपयुक्तता अचधकांशत: उस क्षेत्र की भू-आकृतत द्वारा तनददडष्ट्ट होती है अत: यह वगीकरण संगत माना जाता है | अतंतम लसफाररशों में इसमें ववलभन्न उप-क्षेत्रों को पवडतीय क्षेत्रों, बाढ़ मैदानी क्षेत्रों और कछारी मैदानों में वगीकृत करने का प्रयास ककया गया है | एनसीआर क्षेत्र के भू-आकृततक मानचित्र को चित्र 2.3 में दशाडया गया है | इस मानचित्र से यह देखा जा सकता है कक अचधकांशत: एनसीटी क्षेत्र और राजस्थान के अलवर श्जले के भाग में संरिनागत पहाडडयों से तछतराए हुए कछारी तलछट द्वारा संपूणड एनसीआर क्षेत्र भरा हुआ है | एनसीआर क्षेत्र की पूवी सीमा गंगा नदी द्वारा तनलमडत है और पश्विम में सादहबी नदी मुख्य जल स्रोत है| यमुना नदी एनसीआर क्षेत्र के लगभग बीिों-बीि बहती है |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    िररयाणा पानीपत रोहतक सोनीपत नरेला गडुगांव रेवाडी लभवाडी

    फरीदाबाद पलवल

    राष्ट्रीय राजमागड (NH)

    उत्तर प्रदेश बडौत मेरठ

    बागपत गाश़्ियाबाद बलुदंशहर खुजाड

    राजथिान अलवर

    एनसीआर का प्रशासतनक मानचित्र

    ककलोमीटर

    सकेंत

    प्रमुख शहर सडकें श्जला सीमा राज्य सीमा

    चित्र 2.1: एनसीआर का प्रशासतनक मानचित्र

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    िररयाणा पानीपत रोहतक सोनीपत नरेला गडुगांव रेवाडी लभवाडी

    फरीदाबाद पलवल

    उत्तर प्रदेश हश्स्तनापरु

    बडौत मेरठ

    बागपत गढ़मकु्तवेवर गाश़्ियाबाद बलुदंशहर खुजाड

    राजस्थान अलवर हदल्ली

    एनसीआर का उप-क्षेत्रीय मानचचत्र

    ककलोमीटर

    सकेंत

    प्रमुख शहर

    जल तनकासी

    पहाडडयां

    उप-क्षेत्र

    ददल्ली हररयाणा

    राजस्थान

    उत्तर प्रदेश

    चचत्र 2.2 एनसीआर का उप-क्षेत्रीय मानचचत्र

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    पानीपत हश्स्तनापरु

    बडौत मेरठ

    सोनीपत बागपत रोहतक नरेला

    गाश़्ियाबाद ददल्ली गडुगांव फरीदाबाद बलुदंशहर खुजाड ररवाडी लभवाडी पलवल अलवर

    एनसीआर का भूथिलाकृततक मानचचत्र

    ककलोमीटर

    सकेंत प्रमुख शहर

    सडकें

    जल तनकासी

    भथूिलाकृतत कछारी मैदान

    बाढ़ मैदान

    संरिनात्मक पहाडी

    ऑक्सबो झीलें

    चचत्र 2.3 एनसीआर का भथूिलाकृततक मानचचत्र

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    पानीपत हश्स्तनापरु

    बडौत मेरठ

    सोनीपत बागपत रोहतक नरेला

    गढ़मकु्तवेवर गाश़्ियाबाद ददल्ली गडुगांव फरीदाबाद बलुदंशहर खुजाड ररवाडी लभवाडी पलवल अलवर

    एनसीआर का बथती मानचचत्र

    ककलोमीटर

    सकेंत

    प्रमुख शहर सडकें जल तनकासी

    बथती

    शहरी क्षेत्र ग्राम क्षेत्र

    चचत्र 2.4 एनसीआर का ग्राम और शिरी क्षेत्र का बथती मानचचत्र

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    2.1.3 ग्रामीण और शिरी के्षत्र ववलभन्न वर्ाड जल संग्रहण और कृबत्रम पुनभडरण तकनीकों की उपयुक्तता के प्रयोजन स ेभूलम प्रयोग वगीकरण को प्राथलमकता प्रदान की गई है | शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के तौर पर ववलभन्न भूलम प्रयोगों का तनधाडरण ककया गया है और चित्र 2.4 में ददया गया है | शहरी क्षेत्रों में वर्ाड जल के संग्रहण हेतु बबलकुल अलग तकनीक अपनाए जाने की आववयकता है; इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथलमकताएं अलग हो सकती हैं |

    3. प्राकृततक भूगोल एवं जल भू-ववज्ञान जल भ-ूसंवधडन और पुनभडरण के ललए ककसी क्षेत्र की उपयुक्तता और व्यवहायडता मुख्यत: तनम्नललझखत पर तनभडर है: (I) उपश्स्थत भू-जल पररश्स्थततयां जैसे उस क्षेत्र का मानसून से पूवड और उसके उपरांत का जल स्तर (सामान्यत: श्जस क्षेत्र में जल स्तर और गहरा होता है वह पुनभडरण के ललए अचधक उपयुक्त होता है), (II) िट्टानी प्रकार के, (III) एक्वफर मानदंड और जल ग्रहण करने की संभाव्यता तथा (IV) स्रोत जल की उपलब्धता | एनसीआर क्षेत्र का प्रतततनचधत्व मौटे तौर पर दो प्रमुख भू-आकृततक इकाईयां करती हैं नामत: बीि-बीि में स्फदटक (क्वाट्ड़िाइदटक) पहाडडयों की उपश्स्थतत वाले कछारी मैदान और उस क्षेत्र स ेगुजरन ेवाली तीन मुख्य नदी तंत्रों के बाढ़ मैदान | इस क्षेत्र का भू-आकृततक गठन इसे समुचित हस्तक्षेपी कियाकलापों के मार्धयम से वर्ाड जल के संग्रहण और इसका प्रयोग पुनभडरण प्रयोजनों के ललए करने हेत ुकमोबेश उपयुक्त बनाता है | जहां तक भू-जल व्यवस्था पररदृवय का संबंध है, संपूणड एनसीआर को वपछले कुछ दशकों के दौरान भू-जल स्तरों में गंभीर चगरावट आ जाने के पररणामस्वरूप जलीय दबाव वाले क्षेत्र के तौर पर वगीकृत ककया जा सकता है | इस क्षेत्र में भू-जल दोहन के गुना बढ़ गया है | इस क्षेत्र में वर्ाड जल का प्रमुख स्रोत है और अचधक जल के संरक्षण और भूजल पुनभडरण को संभव करने के ललए समुचित वर्ाड जल संग्रहण अपनाए जाने की आववयकता है | गंगा नदी एनसीआर की सवाडचधक पूवी सीमा तनलमडत करती है, यमुना और दहडंन कें र और पूवड में श्स्थत दो अन्य प्रमुख नददयां हैं श्जनमें हररयाणा, ददल्ली और उत्तर प्रदेश के भाग शालमल हैं | दक्षक्षण-पश्विमी भाग में अलवर क्षेत्र से गुजरने वाली अस्थायी तौर पर बहने वाली सादहबी नदी को

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    छोडकर कोई स्थायी नदी नहीं है | इन नदी तंत्रों के जल ग्रहण क्षेत्र को वर्ाड जल संग्रहण करन ेऔर भूजल के पुनभडरण हेत ुसमुचित रूप स ेप्रलशक्षक्षत ककया जाना िादहए | इसी प्रकार, इस क्षेत्र में जल के अततररक्त प्रवाह का प्रयोग समुचित इंजीतनयरी तकनीकों के मार्धयम से भूजल पुनभडरण के ललए ककया जाना है | बाढ़ के जल का प्रयोग पुनभडरण के ललए ककया जा सकता है | इन पारंपररक ववचधयों के अलावा एनसीआर क्षेत्र में मौजूद तालाबों, टंककयों और जल तनकायों के मार्धयम से भूजल पुनभडरण हेत ुकाफी अवसर मौजूद हैं | एनसीआर में शहरी और पूवड शहरी क्षेत्रों में छत पर वर्ाड जल संग्रहण द्वारा भूजल स्रोतों में संपोर्णीयता प्रदान करने की काफी गुंजाइश है | बदलते हुए पररद्वय और जल की कमी को देखते हुए हमें ववलभन्न आववयकताओं के ललए जल के पुन:ििीकरण और पुन: प्रयोग की वैकश्ल्पक प्रौद्योचगककयों को अपनाना होगा ताकक ताज ेजल पर समग्र दबाव को कम ककया जा सके | पुन:िकित जल का भी प्रयोग जल की गुणवत्ता सुतनश्वित करने के पविात पुनभडरण के ललए ककया जा सकता है | 3.1 प्राकृततक भगूोल एवं जल तंत्र ककसी क्षेत्र के भू-आकृततक गठन, प्राकृततक-भौगोललक और जल तंत्र का भू-जल की उपश्स्थतत और ववतरण पर मात्रात्मक प्रभाव होता है | ककसी क्षेत्र की भ-ूआकृतत का ववलभन्न प्रबंधन उपायों पर तथा भू-जल के संग्रहण और पुनभडरण के ललए तनणाडयक कारकों पर काफी प्रभाव पडता है | अत:, पुनभडरण सदहत भू-जल के ववकास और प्रबंधन की योजना से संबंचधत ककसी भी अर्धययन के ललए उस क्षेत्र तथा उसके आस-पास उपश्स्थत भू-आकृततक इकाईयों और श्स्थत स्थलाकृततक ढलानों तथा उस क्षेत्र के स्थानीय और क्षेत्रीय जल तंत्र को समझना अपेक्षक्षत होगा | मौजूदा अर्धययन में एनसीआर की क्षेत्रीय भू-आकृतत के ववस्ततृ उल्लेख का प्रयास ककया गया है | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को मोटे तौर पर दो ववलशष्ट्ट प्राकृततक-भौगोललक इकाईयों द्वारा प्रदलशडत ककया जाता है नामत: I) कछारी मैदान और II) मुख्य जल-धाराओं जैस ेगंगा, यमुना और दहडंन के साथ वाले बाढ़ क्षेत्रों को छोडकर स्फदटक (क्वाटड़िाईट) | एनसीआर भू-आकृततक मानचित्र चित्र 2.3 में दशाडया गया है | अचधकांशत: हररयाणा, ददल्ली और उत्तर प्रदेश में श्स्थत कछारी मैदान लगभग सपाट है और इसके बीि बीि में रेत के टीले और स्फदटक िट्टानें मौजूद हैं | रेत के टीले मुख्य रूप स ेहररयाणा के ररवाडी श्जले और राजस्थान के अलवर श्जले में न ेवाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं | टीलों का रुख उत्तरपूवड – दक्षक्षणपश्विम से पूवड-पश्विम की ओर है | ये टीले लंबवत प्रकार के हैं |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    स्फदटक िट्टानें मुख्यत: इस क्षेत्र के दक्षक्षणी और दक्षक्षण-पश्विमी भागों में पाई जाती हैं | इन िट्टानों का रुझान उत्तरपूवड-दक्षक्षणपश्विम है | इन िट्टानों की ऊंिाई औसत समुरी स्तर (एमएसएम) से लगभग 650 मीटर है | सामान्यत: इन पवडतों की ऊिाई दक्षक्षण और दक्षक्षण-पश्विम से उत्तर और पश्विम से पूवड की ओर कम होती जाती है | इन पवडतों के बीि घादटयां िौडी हैं और कई ककलोमीटर लंबी हैं | िपटे पवडतीय शीर्ड पठारों का तनमाडण करते हैं | एनसीआर के उत्तरी भाग में भूलम की ढलान उस क्षेत्र के लगभग कें र तक दक्षक्षण और दक्षक्षण-पश्विम की ओर है | यह भूलम इस क्षेत्र के दक्षक्षण पश्विमी भागों में उत्तर की ओर ढलान ललए हुए है जबकक यह यमुना और गंगा के बीि लहरदार हैं | इस क्षेत्र में गंगा, यमुना और दहडंन जैसी सदाबहार नददयां है | गंगा इस क्षेत्र की सवाडचधक पूवी सीमा तनलमडत करती है और पूरे क्षेत्र की लंबाई में दक्षक्षणी ददशा की ओर बहती है | यमुना भी हररयाणा और उत्तर प्रदेश के बीि सीमा बनाती हुई दक्षक्षणी ददशा की ओर बहती है और इस क्षेत्र को लगभग दो भागों में बांटती है | दहडंन नदी भी दक्षक्षण ददशा की ओर बहती है | उत्तर प्रदेश में अनेक अन्य छोटी जल-धाराएं बहती हैं नामत: कारवां नदी, काली नदी, नीम नदी | ये सभी नददयां दक्षक्षण की ओर बहती हैं | एनसीआर के दक्षक्षणी और दक्षक्षण-पश्विमी भागों में कोई सदाबहार नदी नहीं है | इस भाग में प्राकृततक जल तंत्र की रेखा दक्षक्षण-पश्विम स ेउत्तर-पूवड अथवा उत्तर की ओर बहने वाली सादहबी नदी है जो कक मौसमी है और मौसमी है और अलवर श्जले में बहरोड के लगभग 5 कक.मी. दक्षक्षण स ेप्रवेश करती है | यह ररवाडी की ओर उत्तर पूवी ददशा में बहती है | यह अरावली पवडतों की मर्धयम िृखंला की पश्विमी ढलान के जल को ले जाती है | इस क्षेत्र में श्स्थत दसूरी मौसमी जल-धारा रूपािड है जो कक अलवर श्जले में आने वाले क्षेत्र के दक्षक्षणी लसरे पर श्स्थत है | एनसीआर क्षेत्र के बाढ़ मैदान और जल-तंत्र का मानचित्र चित्र 3.1 में दशाडया गया है | तीव्र शहरीकरण के कारण वर्ड दर वर्ड एनसीआर का भूलम प्रयोग काफी पररवततडत हो गया है | कृवर् भूलम का लगातार आशोधन हो रहा है और ज़्यादा स ेज़्यादा क्षेत्रों को कृवर् से पररवततडत करके अन्य प्रयोजनों के ललए इस्तेमाल ककया जा रहा है |

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    बपौली, लसवाना माल, समालखा, मुलहजरा, फलावडा बडौत, दौराला, हश्स्तनापुर

    मोहाना, यमुना मेहम, राय

    बोहर खडक, नरेला, खेकडा, मोदीनगर, मुरादनगर, असौदा सेवान, लौनी,

    बक्सर, गंगा फारुडख नगर, वपलखवुा, दादगुढ़

    नांगलोई, डासना, इमलोता, नजफगढ़ कुतुब मीनार, महरौली, बदरपुर, दादरी, खानपुर, दहनकोट फारुख नगर, नाहर, बादशाहपुर, मंझाओ, पटौदी, धौज

    सोहना, लशकारपुर धारूहेडा, ददबाई, जहांगीरपुर, टपूकरा, जेवर, बावल, बामनीखेडा

    शाहजहांपुर, सादहबी नदी, बरौद, हरसौली, होडल, सकरास, जुराहरा नौगांव

    अकबरपुर नांगल बानी

    रेनी बलदेवगढ़

    एनसीआर का बाढ़ मदैान मानचित्र

    ककलोमीटर

    संकेत प्रमुख नगर सडकें जल तंत्र बाढ़ मैदान

    चचत्र 3.1: एनसीआर का बाढ़ मदैान और जल ततं्र मानचचत्र

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    3.2 जल भ-ूववज्ञान एनसीआर क्षेत्र में पूवड-कैश्म्ियन काल से वतडमान काल तक की भौगोललक स्थलाकृततयां मौजूद हैं| इस क्षेत्र में सामान्यत: तनम्नललझखत परतीय िृखंलाएं मौजूद हैं: काल समूि संरचना प्रततनूतन (प्लीस्टोसीन) तथा हाल का (ितुथड)

    क्वाटनडरी कछार बालू ‘कंकड’, बजरी, गाद, चिकनी लमट्टी इत्यादद स ेतनलमडत नूतन कछार पुरानी कछार और पीडमॉन्ट बजरी, पत्थर, बड ेकोयले, रेत, चिकनी लमट्टी और िनूेदार संघनन

    अशुद्चध ददल्ली हस्तक्षेपण के उपरांत क्वाट्ड़ि नललकाएं, पैनमेटाईट्स,

    गे्रनाईट, ऐम्फीबोलाईट पूवड कैश्म्ियाई ददल्ली सुपर समूह

    अजगगढ़ समूह, अलवर समूह क्वाट्ड़िाईट, कफलाईट, माईका, लशस्ट, कैल्स-लशस्ट, नेइस, संगमरमर, लसि फ्लो क्वाटड़िाईट, कॉन्नलोमेरेट, माईनर लशस्ट

    अलवर समूह की िट्टानें अलवर श्जले के ववस्ततृ दक्षक्षण-पश्विमी भागों में, ररवाडी और हररयाणा के गुडगााँव श्जले और ददल्ली एनसीटी के दक्षक्षण पूवी भागों में फैले हुए हैं | एनएनई-एसएसडबल्य ूस्राईक पहाडडयों का तनमाडण करने वाले मेटा-परतों का यह समूह ववलभन्न प्रकार के क्वाट्ड़िाईटों स े तनलमडत ऐररनेलशयस फेसी़ि के आचधक्य की ववलशष्ट्टता ललए हुए है | इन संरिनाओं में क्वाट्ड़िाईट आपस में अच्छी तरह जुड ेहुए हैं और इसमें सुववकलसत िॉस बेडडगं और ररपल चिह्न प्राथलमक परतीय संरिनाएं हैं| अजबगढ़ समूह की िट्टानें अलवर श्जले के पूवी लसरे पर श्स्थत हैं| अलवर समूह की तुलना में ये संरिनाएं ऐग्रीलेलशयस और िनूा युक्त पत्थरों का प्रतततनचधत्व करती हैं| मुख्य प्रकार की

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    िट्टानें हैं – संगमरमर, कैल्स शैल, कैल्स-लसललकेट िट्टान, कफलाईट, और माईका लशस्ट | इन संरिनाओं का सामान्य रूझान उत्तर-दक्षक्षण से उत्तर-पूवड की ओर है| जोड और संकरी दरारें बहुत आम हैं| ददल्ली समूह की संरिनाएं संरिनात्मक रूप स ेअचधक अस्त व्यस्त हैं जैसाकक अनेक बड ेऔर छोटे ववभंगों (फॉल्टों), मोडों (फोल्ड), जोडों और दरारों से स्पष्ट्ट है| प्रमुख ववभंग (फॉल्ट) सामान्यत: राजपुताना के गे्रट बाउंड्री फॉल्ट के समानांतर हैं| अनेक अम्लीय और क्षारीय अन्तवेधी (इंट्रुलसव) ददल्ली समूह में श्स्थत हैं| गे्रनाइट, पेनमेटाइट और क्वाट्ड़ि नललकाएं अलवर और अजबगढ़ दोनों संरिनाओं में व्यापक रूप से संववतररत हैं| उपयुडक्त पूवड-कैश्म्ियाई लशलाओं को छोडकर संपूणड क्षेत्र में ितुथड कछारी गाद श्स्थत है| उत्तरी, पूवी, उत्तरपूवी और दक्षक्षण पूवी भागों में कछारी गाद की मोटाई काफी अचधक है जबकक इस क्षेत्र के बाकी भागों में यह कम है | कछारी गाद तलछट, चिकनी लमट्टी, कंकड, रेत, बजरी और गोल पत्थरों से तनलमडत है| मुख्य नदी मागड और सहायक नददयां और अतंर-पवडतीय घादटयों में ितुथड कछार श्स्थत है| कछारी और तघसे हुए/दरारयुक्त सख्त िट्टानों में भूजल श्स्थत होता है| रेत, बजरी और तलछट-कंकड कछार में संभाववत एक्वफर क्षेत्र तनलमडत करता है| कछार में उछले एक्वफर तंत्र सामान्यत: अबाचधत पररश्स्थततयों में होते हैं और गहरे एक्वफर तंत्र अधड-बाचधत/बाचधत पररश्स्थततयों में पाए जाते हैं| इस एक्वफर ततं्रों में उच्ि संभाव्यता वाली भूजल संरिनाएं अचधष्ट्ठावपत की जा सकती हैं| द्ववतीयक संरंधता वाले तघसे हुए/दरारयुक्त सख्त िट्टानों में अल्प से मर्धयम संभाव्यता वाले एक्वफर क्षेत्र श्स्थत होत ेहैं जो स्थानीय रूप से कम क्षमता वाले भूजल ढांिों का भार उठा सकत ेहैं| एनसीआर क्षेत्र का जल-भूववज्ञानीय मानचित्र चित्र 3.2 में ददया गया है| 3.2.1 एक्वफर तंत्र हररयाणा, राजस्थान में एनसीआर क्षेत्रों और ददल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में आने वाले कुछ क्षेत्रों में कें रीय भूजल बोडड और अन्य एजेंलसयों द्वारा व्यापक अन्वेर्णात्मक बरमाई (डड्रललगं) की गई है| अन्वेशी कूप डड्रललगं आंकड ेमें यह पाया गया कक कछारी गाद वाले क्षेत्रों में उथले एक्वफरों में भूजल अबाचधत अवस्था में होता है जबकक गहरे एक्वफर िनूे वाली बाचधत/बाचधत अवस्था में होते हैं| अचधकांश पूवी भागों (गंगा नदी के ककनारे) में और उत्तरी भागों (पानीपत और सोनीपत के श्जलों में यमुना के ककनारे) में 300 मी. गहराई से अचधक डड्रल ककए गए अलग-अलग ट्यूबवेलों में सामान्यत: समुचित आहरण चगरावट (ड्रॉ डाउन) के ललए

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भजूल के पनुभभरण के ललए कायाभत्मक योजना

    150मी.3/घंटे से अचधक तनकासी होती है| इन भागों में एक्वफरों की पारगम्यता सामान्यत: 1000 स े3000मी.2/प्रततददन होती है| सोनीपत श्जले के पूवी भागों, ददल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पूवी सीमा क्षेत्रों और उत्तर प्रदेश में आने वाली यमुना के दोनों ककनारों पर तनलमडत कूपों स े100 से 150मी.3/प्रतत घंटा भूजल तनकलता है| इस क्षेत्र में एक्वफर काफी घने और उत्पादक हैं| सादहबी नदी के साथ-साथ और ररवाडी श्जले के पश्विमी भागों में 100-150 मी. गहराई तक तनलमडत ट्यूबवेल 50-100मी.3/प्रतत घंटा का मर्धयम स्तर भूजल प्रदान करते हैं| कछार द्वारा तनलमडत बिे हुए क्षेत्रों में 50मी.3/प्रतत घंटा का सीलमत भूजल प्रदान करने वाले कूप हैं| इस क्षेत्र में भी एक्वफर काफी घने हैं ककंतु अतनरन्तर हैं| चित्र 3.3 में एनसीआर क्षेत्र को सश्म्मललत करने वाली ऊपरी नदी रोणी में एक्वफर तंत्र को दशाडता है| मेरठ, गाश़्ियाबाद और बुलंदशहर को शालमल करने वाले एनसीआर के गंगा रोणी भाग में सी.जी.डब्ल्यू.बी द्वारा डड्रल ककए गए �