hindisahityasimanchal.files.wordpress.com · web viewइन सर द य म यद आप...

273
1 | Page घघघघघ घघघघघघ घघघ घघ घघघघघ घघ घघघघ घघघघघघघघ (घघघघघघघघ 24 घघघघघघ 2010) घघघघ घघघ घघघघ घघघ घघघघघघघ घघघ, घघघघघघघ घघघघघघघघ घघघघघघ घघघघ घघघघघघघ घ घघघघघघघघ घघ घघघ घघ घघघघ घघघघ घघघ- घघघघघ- घघघघ घघघघघघ घघघघ घघ घघघ घघघ घघ घघघघ घघघघघघघ घघघघघघ घघ घघघघ घघ घघघघघघ घघघ घघघघ घघघघघघघ घघघघ घघघघ घघ घघघघघ घघघघघघ घघघघ घघ घघ घघघघ घघ घघघघ घघ घघघघ घघ घघघघ घघघ घघघघघ घघघघ घघ घघघघघघघ घघघघघघघ- घघघघघ घघघघघघघ घघ, घघघघघघघघघघघ, घघघघघघघघ, घघघघघघघ घ घ घघघघघघघघ घघघघघघ घघघघघघ घघघ घघघघ घघघघ घघ घघघघघ घघघ घघ घघघघघघ घघ घघघघ घघ घघ घघघघ घघघघघघ- घघघ घघघघ घघ घघघघ घघघघघघघ घघघघघघ घघ घघघघघघघघघघघ घघ घघघघ घघघघघघघ घघघघघघ घघघ घघघ घघघघ घघ घघघघ घघघघघघ घघघघ घघ घघ घघघघघघघ घघघघघघ घघघघघ-4 घ घघघघघ घघ 2 घघघघघ घघघघघ घघघ घघघ घघ घघघ घघघघ घघघघघघघघघघ- घघघघ घघघ घघघघ घघघघघघ घघघघघघघघ घघघ घघघघ घघ घघघ घघ घघघघघघ घघघघ घघ घघघ घघ घघघघघघ घघ घघघघघ घघघघघ घघघघघघ- घघघ घघघ घघघघ घघ घघ घघघघ घघ घघघ घघघघ घघघघ घघ घघघघघघघ घघघघघघ घघ घघ घघघघ, घघघघघ घघघघ घ घघघघ घघ घघघ घघघ घघघघघघ घघघघघघघघ घघ घघघघघघघ घघघघघघ (घघघघघघघ 23 घघघघघघ 2010) घघघघ घघघ घघघघघघघघ, घघघघघघघघ, घघघघ, घघघघघघघ, घघघघघघ, घघघघघघघघघघघघ घघ घघघघघघघ घघघ घघघघ घघघघघ घघघघघघघ, घघघघघघघघघघ, घघघघघघ, घघघघघघघघघघ, घघघघघ, घघघघ घघघ, घघघघघघ, घघघघ, घघघघघघ, घघघघघघघ घघ घघघघघ घघघ घघघघघघ घघघघघघ घघ घघघघ घघघ घघ घघघघघ घघघ घघघघघघ घघघघघघ घघघ घघघघघ घघघ घघ घघघघ घघघ घघघघ घघघघघघ घघघ घघघघ घघ घघघघघघ घघघघ-घघघ घघ -घघ घघघघघ घघघघघ घघघघ घघ घघघ घघघघघघ घघघघघ घघ घघघ घघघ घघघघघघ घघ घघघघ घघ घघघघ घघघघघ घघघघ घघघघघघ घघघ घघघ घघ घघघघ घघघघ घघघघघ, घघघघघघघ घघ घघघघ घघघघ घघघघ घघघघघघघ घघघघ-घघघघ घघ घघघ घघ घघघघघघघघ घघघघ घघ घघघघघ घघघघ घघघ घघघघ घघघघघघघघघघ घघ घघघ घघघघ (घघघघघघ 22 घघघघघघ 2010) घघ घघघघ घघघ घघघघघ-घघघघघ घघ घघघ घघघघघघघ घघ घघघघ घघ घघघघ घघघ घघघघघघघ घघघघ घघघघघघघघ घघघ घघघघ घघघघघघ घघघ घघघघ घघघघ घघघ, घघ घघघघघ घघ घघघघ घघघ घघ घघघघ घघघ घघघघघ घघघघघघघघ घघ घघघघघघघघ घघघघघ घघ घघघघघ घघ घघघघ घघघ घघघघ घघघघघ घघघ घघघघघ घघ घघघघघ घघ घघघघघघघघ (घघघघघघघघ 5 घघघघघ) घघघघघ घघघघ घघघ घघघघघघ घघ घघघघ घघघघघ घघ घघघघघघघ घघघघघ घघ घघघ घघघ घघघघ घघघघघ घघघघघघघघघघ घघ घघघ (घघघघघघ) घघ घघघघघ घघ घघघघ घघघ घघघघ घघघघघ घघघघ घघघ, घघघघघघघ घघ घघघघ घघघघ घघघघघघघ घघघ घघघ घघघघ घघघघघघघ घघघघ घघघघघ घघ घघघ घघ घघघ घघघघघ घघ

Upload: others

Post on 31-Dec-2019

31 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

1 | Page

घरेलू नुस्खे

दिल के रोगों से बचाए सब्जियाँ

(शुक्रवार 24 दिसंबर 2010)     

भोजन में अनेक ऐसी वस्तुएँ हैं, जिन्हें प्रतिदिन प्रयोग करके हृदयरोग व हृदयाघात से बचा जा सकता है। ये हैं- प्याज- इसका प्रयोग सलाद के रूप में कर सकते हैं। इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह ठीक रहता है। कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है या हृदय की धड़कन बढ़ जाती है उनके लिए प्याज बहुत ही लाभदायक है। टमाटर- इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। लौकी- इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू हो जाता है। ताजी लौकी का रस निकालकर पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में दो बार पीना चाहिए। लहसुन- भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह के समय दो कलियाँ पानी के साथ भी निगलने से फायदा मिलता है। गाजर- बढ़ी हुई धड़कन को कम करने के लिए गाजर बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएँ, सब्जी खाएँ व सलाद के रूप में प्रयोग करें।

अलसी के असरकारी नुस्खे

(गुरूवार 23 दिसंबर 2010)     

अलसी में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन पाए जाते हैं। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है। अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक -एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे सब्जी या दाल में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए।

जुकाम से ऐसे बचें

(बुधवार 22 दिसंबर 2010)     

इस मौसम में सर्दी-खाँसी आम बात है। तुलसी और अदरक इस मौसम में लाभदायक होते हैं। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियाँ चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है। इसी तरह तुलसी और बांसा की पत्तियाँ (प्रत्येक 5 ग्राम) पीसकर पानी में मिलाएँ और काढ़ा तैयार कर लें। इससे खाँसी और दमा में काफी फायदा मिलेगा। अलसी के बीज (लिनसीड) भी खाँसी के इलाज में काफी कारगर होते हैं, क्योंकि ये बलगम बाहर निकालने में मदद करते हैं। इनका काढ़ा बनाकर पी लें या फिर बीजों को पीसकर चाट लें। जल्द राहत के लिए 10 ग्राम अलसी के पिसे बीजों को मुलैठी के चूर्ण में मिलाएँ और 200 मिली पानी में इन्हें पानी के आधा रह जाने तक उबालें। इसमें 20 ग्राम शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पिएँ। इससे शरीर का बलगम बाहर निकलता है और खाँसी में राहत मिलती है। अदरक की चाय इस मौसम में स्वाद और सेहत दोनों की दृष्टि से अच्छी है।

मौसमी जुकाम के घरेलू इलाज

(बुधवार 22 दिसंबर 2010)     

जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआँ लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा। यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बाँध लें और इन्हें सूँघें जिससे छींक आएगी। 10 ग्राम गेहूँ की भूसी, पाँच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और काढ़ा बनाएँ। एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलेगा। हालाँकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं, लेकिन खान-पान की आदतों को लेकर हमें काफी सतर्क रहना चाहिए और यदि जुकाम वगैरह के लक्षण दिखाई दे तो समुचित दवाओं आदि से इलाज कराना चाहिए। डिप्थीरिया होने पर अमलतास के काढ़े से गरारा करने पर जबर्दस्त आराम मिलता है।

दाँतों के लिए कारगर उपचार

(सोमवार 20 दिसंबर 2010)     

10 ग्राम बायविडंग और 10 ग्राम सफेद फिटकरी थोड़ी कूटकर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचा रहने पर छानकर बोतल में भरकर रख लें। तेज दर्द में सुबह तथा रात को इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दाँत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं। अमरूद के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रायः दाढ़ में कीड़ा लगने पर असहय दर्द उठता है। काढ़ा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डालकर उसमें अंदाज से अमरूद के पत्ते डालकर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।

जब आस हो सुंदर शिशु की

(रविवार 19 दिसंबर 2010)     

रसीले संतरों का रोज सेवन करने से नवजात शिशु उजला एवं सुन्दर होता है। कच्चे नारियल की छोटी-छोटी गिरीयाँ मिश्री के साथ चबा-चबा कर खाने से भी बच्चा सुन्दर और चमकदार होगा। सौंफ, सुआ तथा तिल को अलग-अलग सेंक कर मिलाकर रख लें। यह मिश्रण मुखशुद्धि यानी माउथफ्रेशनर की तरह गर्भवती महिला दिन में चार बार इस्तेमाल करें तो शिशु गोराचिट्टा होगा। काले और ताजे अंगूरों का रस एक गिलास नियमित सेवन करने से गर्भस्थ शिशु का रक्त शुद्ध होगा तथा जन्म के बाद उसकी त्वचा निखरी-निखरी रहेगी।

हर मौसम में साथ, गुणकारी प्याज

(शुक्रवार 17 दिसंबर 2010)     

प्याज का इस्तेमाल आमतौर पर हमारे घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है। प्याज औषधीय गुणों का भंडार है और अनेक रोगों की रामबाण दवा भी। यदि दाँत का दर्द है, तो उसके नीचे प्याज का एक छोटा टुकड़ा दबा लीजिए। आराम मिलेगा। प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है। प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है। प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है। यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें। उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह ब्लडप्रेशर कम करता है। उल्टियाँ हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है। जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।

सुहानी सर्दी में सेहत के नुस्खे

(गुरूवार 16 दिसंबर 2010)     

एक चम्मच शुद्ध घी, एक चम्मच पिसी शकर, चौथाई चम्मच पिसी कालीमिर्च तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाटकर गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है। रात को सोते समय एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से शरीर की खुश्की और दुर्बलता दूर होती है, नींद गहरी आती है, हड्डी बलवान होती है और सुबह शौच साफ आता है। शीतकाल के दिनों में यह प्रयोग करने से शरीर में बलवीर्य बढ़ता है और दुबलापन दूर होता है। घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शकर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।

आँवला : लाजवाब औषधि

(बुधवार 15 दिसंबर 2010)     

रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आँवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है। डायबिटीज यानी मधुमेह तब होती है जब पैंक्रियाज ग्रंथि रक्त शर्करा के स्तर को नियमित रखने में असफल हो जाती है। यदि आपको मधुमेह ने घेर रखा है तो आप आँवले के गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट्स पर भरोसा रख सकते हैं। आँवला, जामुन और करेले का पावडर एक चम्मच प्रतिदिन दोनों समय लें। इससे मधुमेह को निंयत्रित करने में मदद मिलेगी। आधुनिक जीवनशैली की एक और देन है एसिडिटी। हममें से सभी कभी न कभी इसके शिकार हुए हैं। तीव्र या असाध्य एसिडिटी हो तो एक ग्राम आँवले का पावडर दूध या पानी में शक्कर के साथ मिलाकर दोनों समय पिएँ।

मूँगफली : सर्दियों का सस्ता मेवा

(मंगलवार 14 दिसंबर 2010)     

गर्भावस्था : गर्भकाल में साठ ग्राम मूँगफली नित्य खाने से गर्भस्थ शिशु की प्रगति में लाभ होता है। दूध वृद्धि : नित्य कच्ची मूँगफली खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। खुश्की, सूखापन : सर्दियों में त्वचा में सूखापन आ जाता है। जरा सा मूँगफली का तेल, दूध और गुलाबजल मिलाकर मालिश करें। बीस मिनट बाद स्नान कर लें। इससे त्वचा का सूखापन ठीक हो जाएगा। होठ : नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूँगफली का तेल लेकर अँगुली से हथेली में रगड़ें और फिर होठों पर इस तेल की मालिश करें। होठों के लिए यह लाभप्रद है। मूँगफली के तेल का धर्म जैतून के तेल के समान होता है। जैतून का तेल बहुत महँगा मिलता है अतः इसके स्थान पर मूँगफली का तेल काम में ले सकते हैं।

(सोमवार 13 दिसंबर 2010)     

शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है। तुलसी के रस की कुछ बूँदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है। चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएँ तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है। तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है। दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियाँ चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियाँ डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

नारियल पानी, हर मौसम में लाभकारी

(रविवार 12 दिसंबर 2010)     

नारियल के पानी में दूध से ज्यादा पोषक तत्व होते हैं क्योंकि इसमें कोलेस्ट्रोल और वसा की मात्रा नहीं है। नारियल पानी में बेहद गुण पाए जाते हैं। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट और पोटेशियम पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर और दिल की गतिविधियों को दुरुस्त करने में सहयोगी होता है। इसके इस्तेमाल से रक्त स्राव तेज गति से काम करता है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है। नारियल का पानी न केवल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है बल्कि शरीर में मौजूद बहुत से वायरसों से भी लड़ाई करता है। अगर आपको किडनी में पथरी की समस्या है तो यह आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। नारियल का पानी लगातार सेवन करने से किडनी में मौजूद पथरी अपने आप खत्म हो जाती है। अगर आपको किडनी से संबंधित अन्य कोई समस्या हो तब भी फौरन एक गिलास नारियल पानी पी लीजिए, मिनटों में निजात मिल जाएगी। नशे को कम करने में भी नारियल पानी बहुत ही प्रभावी है।

जब फट जाए पैरों की एड़ियाँ

(शुक्रवार 10 दिसंबर 2010)     

शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाने, नंगे पैर चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की एड़ियाँ फट जाती हैं। यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएँ। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयाँ दूर हो जाती हैं।

मीठे सेब के घरेलू नुस्खे

(गुरूवार 9 दिसंबर 2010)     

मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने के लिए सेब एक अचूक इलाज है। ऐसे रोगी को प्रतिदिन एक सेब खाने को दें। इसके अतिरिक्त रोगी को दोपहर तथा रात को भोजन में कच्चे सेबों की सब्जी दें। शाम को एक गिलास सेब का रस दें तथा रात को सोने से पूर्व एक पका मीठा सेब खिलाएँ। इससे एक महीने में ही रोगी की दशा में सुधार आने लगता है। जिन लोगों की आँखें कमजोर हैं उन्हें एक ताजा सेब की पुल्टिस कुछ दिनों तक आँखों पर बाँधनी चाहिए। यदि भोजन के साथ प्रतिदिन ताजा मक्खन तथा मीठा सेब खाएँ तो नेत्र ज्योति तो तेज होती ही है साथ ही दस्त व पेशाब खुलकर आता है तथा चेहरा सुर्ख हो जाता है। हर दिन एक सेब खाने से कमर की चर्बी बढ़ने की संभावना भी करीब 21 प्रतिशत तक कम हो जाती है। सेब में विटामिन ए व सी, कैल्शियम, पोटेशियम और फाइबर बहुतायत में होता है। ये वे पोषक तत्व हैं जो हमें सेहतमंद बनाते हैं। लाल सेब में तो सेब की अन्य प्रजातियों की तुलना में सबसे ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। इस वजह से लाल सेब कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और पार्किंसन व अल्जाइमर जैसी डीसिज में बहुत लाभकारी रहता है।

ये चाँद-सा रोशन चेहरा

(बुधवार 8 दिसंबर 2010)     

आप भी चाहती हैं कि आपके पार्टनर आप के चेहरे की तुलना चमकते चाँद से करें। लेकिन चाँद पर तो दाग हैं। चाँद के दाग-धब्बे हटाना तो हमारे बस की बात नहीं मगर चेहरे से दाग-धब्बे मिटाना खुद आप ही के बस की बात है। आजमाइए कुछ छोटे-छोटे टिप्स सूखी हल्दी की गाँठ को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फेस के दाग-धब्बे तेजी से मिटने लगते हैं। ड्राय स्कीन के दाग-धब्बे मिटाने के लिए दूध में चंदन की लकड़ी घिसकर लगाएँ। ऑइली स्कीन के दाग-धब्बे मिटाने के लिए चंदन का पाउडर रोज-वाटर(गुलाब जल) में मिलाकर लगाएँ। यह नुस्खा हर सीजन में लाभकारी है। चोट के निशान पर लाल चंदन हर रोज पानी में घिस कर लगाएँ 20 दिन में फर्क नजर आने लगेगा। टोमेटो में नींबू की दस-बारह ड्रॉप मिलाएँ इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे दूर होते हैं। अक्सर पेट की गड़बड़ी से चेहरे पर दाग-धब्बे नजर आते हैं अत: दिन में कम से कम तीन बार नींबू पानी पिएँ, कुछ ही हफ्तों में चेहरा चमकने लगेगा।

मूली के उपयोगी घरेलू नुस्खे

(मंगलवार 7 दिसंबर 2010)     

मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है। भोजन के बाद यदि गुड़ की 10 ग्राम मात्रा का सेवन किया जाए तो मूली हजम हो जाती है। मूली का रस रुचिकर एवं हृदय को प्रफुल्लित करने वाला होता है। यह हलका एवं कंठशोधक भी होता है। घी में भुनी मूली वात-पित्त तथा कफनाशक है। सूखी मूली भी निर्दोष साबित है। गुड़, तेल या घी में भुनी मूली के फूल कफ वायुनाशक हैं तथा फल पित्तनाशक। यकृत व प्लीहा के रोगियों को दैनिक भोजन में मूली को प्राथमिकता देनी चाहिए। उदर विकारों में मूली का खार विशिष्ट गुणकारी है। मूली के पतले कतरे सिरके में डालकर धूप में रखें, रंग बादामी हो जाने पर खाइए। इससे जठराग्नि तेज हो जाती है। मूली के रस में नमक मिलाकर पीने से पेट का भारीपन, अफरा, मूत्ररोग दूर होता है। मूली की राख को सरसों के तेल में फेंटकर मालिश करने से शोथ दूर होता है। पांडु व पीलिया में मूली के पत्तों का रस निकाल लें और आग पर चढ़ा दें। उबाल आने पर पानी को छान लें। दो तोला (20 ग्राम) लाल चीनी मिलाएँ। 9-10 दिनों तक सेवन करें। इससे नया खून बनना प्रारंभ हो जाता है।

गुलाबी ठंड में खाएँ हरे चने

(सोमवार 6 दिसंबर 2010)     

रोटी के आटे में चोकर मिला हुआ हो और सब्जी या दाल में चने की चुनी यानी चने का छिलका मिला हुआ हो तो यह आहार बहुत सुपाच्य और पौष्टिक हो जाता है। चोकर और चने में सब प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। चना गैस नहीं करता, शरीर में विषाक्त वायु हो तो अपान वायु के रूप में बाहर निकाल देता है। इससे पेट साफ और हलका रहेगा, पाचन शक्ति प्रबल बनी रहेगी, खाया-पिया अंग लगेगा, जिससे शरीर चुस्त-दुरुस्त और शक्तिशाली बना रहेगा। मोटापा, कमजोरी, गैस, मधुमेह, हृदय रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग नहीं होंगे। चने के आटे का उबटन शरीर पर लगाकर स्नान करने से खुजली रोग नष्ट होता है और त्वचा उजली होती है। यदि पूरा परिवार चने का नियम पूर्वक सेवन करे तो घोड़े की तरह शक्तिशाली, फुर्तीला, सुन्दर और परिश्रमी बना रह सकता है। गेहूँ, चना और जौ तीनों समान वजन में जैसे तीनों 2-2 किलो लेकर मिला लें और मोटा पिसवा कर, छाने बिना, छिलका चोकरसहित आटे की रोटी खाना शुरू कर दें। इसे बेजड़ या मिक्सी रोटी कहते हैं। चने को गरीब का भोजन भी कहा जाता है, लेकिन इसकी ताकत को हम अनदेखा कर देते हैं। चना सस्ता भी है और सरल सुलभ भी।

यह मौसम है सेहत बनाने का...

(रविवार 5 दिसंबर 2010)     

इन सर्दियों में यदि आप अपनी सेहत बनाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले पेट साफ करने की जरूरत है। पेट में कब्ज रहेगा तो कितने ही पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें, लाभ नहीं होगा। भोजन समय पर तथा चबा-चबाकर खाना चाहिए, ताकि पाचन शक्ति ठीक बनी रहे, फिर पौष्टिक आहार या औषधि का सेवन करना चाहिए। * सोते समय एक गिलास मीठे गुनगुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए। * दूध की मलाई तथा पिसी मिश्री जरूरत के अनुसार मिलाकर खाना चाहिए, यह अत्यंत शक्तिवर्द्धक है। * एक बादाम को पत्थर पर घिसकर दूध में मिलाकर पीना चाहिए, इससे अपार बल मिलता है। बादाम को घिसकर ही उपयोग में लें। * छाछ से निकाला गया ताजा माखन तथा मिश्री मिलाकर खाना चाहिए, ऊपर से पानी बिलकुल न पिएँ। * 50 ग्राम उड़द की दाल आधा लीटर दूध में पकाकर खीर बनाकर खाने से अपार बल प्राप्त होता है। यह खीर पूरे शरीर को पुष्ट करती है। * प्रातः एक पाव दूध तथा दो-तीन केले साथ में खाने से बल मिलता है, कांति बढ़ती है।

खूबसूरत बालों का राज आपके पास

(शुक्रवार 3 दिसंबर 2010)     

नारियल के तेल में नीम, तुलसी, शिकाकाई, मेथी, आँवला की पत्तियाँ डालकर उबाल लें व छानकार शीशी में भर लें। इस तेल से पूरे सिर की मालिश करें व चमत्कार देखें।ज्यादा झाग देने वाले शैम्पू का मतलब यह नहीं कि वह केशों को साफ भी अच्छा करेगा। झागदार शैम्पू के निर्माण में केमिकल अधिक मिलाए जाते हैं, जो बालों को नुकसान पहुँचाते हैं व बालों की जड़ों को कमजोर करते हैं। एक कप बियर को किसी बर्तन में गरम करें, तब तक गरम करें, जब तक आधा कप न रह जाए। गर्म करने से बियर में से अल्कोहल भाप बनकर उड़ना जरूरी है। अब इसे ठंडा होने दें, फिर उसमें एक कप अपना पसंदीदा शैम्पू मिला लें, याद रखें शैम्पू जो भी वापरें, एक ही ब्रांड का वापरें। इस घोल को किसी शीशी में भरकर रख लें। जब भी बाल धोना हों इससे बाल धोएँ, इससे बेजान बालों में निखार आएगा। बाल चमकदार व खूबसूरत होंगे। बाजारू कंडीशनर केवल बालों की बाहरी सतह यानी आवरण को ही चमकाने का काम करते हैं और उनकी संरचना को सही नियंत्रण में रखते हैं, यह नष्ट हुए बालों की फिर से मरम्मत नहीं कर सकते।

रेशमी और चमकते बालों के लिए

(शुक्रवार 3 दिसंबर 2010)     

बालों में चमक प्रदान करने के लिए एक अंडे को खूब अच्छी तरह फेंट लें, इसमें एक चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच अरंडी का तेल, एक चम्मच ग्लिसरीन, एक चम्मच सिरका तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर बालों को अच्छी तरह लगा लें, दो घंटे बाद कुनकुने पानी से धो लें। बाल इतने चमदार हो जाएँगे जितने किसी भी कंडीशनर से नहीं हो सकते। बाल धोते समय अंतिम बचे पानी में नीबू निचोड़ दें, उस पानी से बाल धोकर बाहर आ जाएँ, बालों में अनायास चमक आ जाएगी। नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बालों का असमय पकना, झड़ना बंद हो जाता है।आँवले का चूर्ण व पिसी मेहँदी मिलाकर लगाने से बाल काले व घने रहते हैं। आलू उबालने के बाद के बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से बाल चमकीले, मुलायम होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन आदि रुक जाएगा।

अदरक : इस मौसम का दोस्त

(गुरूवार 2 दिसंबर 2010)     

ताजे अदरक को पीसकर कप़ड़े में डाल लें और निचोड़कर रस निकालकर रोगी को पीने को दें। अदरक का काढ़ा व चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। काढ़ा बनाने के लिए सूखे अदरक का चूर्ण बनाकर 15 ग्राम (लगभग तीन चाय के चम्मच) एक प्याला पानी में मिलाकर उबालें। जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो इसे छानकर रोगी को पिला दें। चूर्ण बनाने के लिए सौंठ की ऊपर की परत को छीलकर फेंक दें और शेष भाग को पीसकर चूर्ण बना लें। इसको यदि छान लिया जाए तो चूर्ण में रेशे अलग हो जाते हैं। उन्हें फेंक दें। यह चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोगी को खाने के लिए दिया जाता है। लेप बनाते या पीसते समय अदरक के साथ थोड़ा पानी मिला लें। ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें। इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है। लेप को यदि गर्म करके लगाया जाए तो इसका असर जल्दी होता है। अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ। यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ। इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा। तुरंत आराम होगा।

चारोली से चेहरा चमकाएँ

(बुधवार 1 दिसंबर 2010)     

मुँहासे- नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुँहासे गायब हो जाएँगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें। खुजली - अगर आप गीली खुजली की बीमारी से पीड़ित हैं तो 10 ग्राम सुहागा पिसा हुआ, 100 ग्राम चारोली, 10 ग्राम गुलाब जल इन तीनों को साथ में पीसकर इसका पतला लेप तैयार करें और खुजली वाले सभी स्थानों पर लगाते रहें। ऐसा करीबन 4-5 दिन करें। इससे खुजली में काफी आराम मिलेगा व आप ठीक हो जाएँगे। चेहरे पर लेप- चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर महीन पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएँ। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे आपका चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें। इससे आपका चेहरा लगेगा हमेशा चमकदार।

सदाबहार आलू के असरदार नुस्खे

(मंगलवार 30 नवंबर 2010)     

विटामिन 'सी' आलू में बहुत होता है। इसको मीठे दूध में भी मिलाकर पिला सकते हैं। आलू को छिलका सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है या इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएँ। पानी, जिसमें आलू उबाले गए हों, को न फेंके बल्कि इसी पानी में आलुओं का रस पका लें। इस पानी में मिनरल और विटामिन बहुत होते हैं। कच्चा आलू रक्तपित्त को दूर करता है। कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीस कर लगाएँ। जले हुए स्थान पर कच्चा आलू पीस कर लगाएँ। तेज धूप, लू से त्वचा झुलस गई हो तो कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाने से सौन्दर्य में निखार आ जाता है। जिन बीमारों के पाचनांगों में अम्लता (खट्टापन) की अधिकता है, खट्टी डकारें आती हैं और वायु अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत लाभदायक है। भूना हुआ आलू गेहूँ की रोटी से आधी देर में हजम हो जाता है और शरीर को गेहूँ की रोटी से भी अधिक पौष्टिक पदार्थ पहुँचाता है। पुरानी कब्ज और आंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

आया मौसम सब्जियों का

(रविवार 28 नवंबर 2010)     

गाजर : प्रतिदिन दोपहर में एक गिलास गाजर का रस पीने से शरीर में रक्त बढ़ता है। शरीर पुष्ट और सुडौल होता है तथा आँखों की ज्योति बढ़ती है।मूली : इसका रस 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार पीने से आँतों के विकार दूर होते हैं और बवासीर रोग ठीक होता है। अमरूद : अमरूद के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से मुँह के छालों और मसूड़ों के कष्ट में आराम मिलता है। अँगूर : अँगूर की पत्तियाँ सुखाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा करें और इस कुनकुने गर्म काढ़े से गरारे करने से मुँह के छाले, दाँत दर्द और टॉंसिल्स के कष्ट में बहुत लाभ होता है। पत्तागोभी : इसके पत्तों के रस में समभाग पानी मिलकर गरारे करने से टॉंसिलाइटिस, फेरिजाइटिस और लेरिजाइटिस आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। प्रतिदिन 100 ग्राम पत्तागोभी के पत्ते बारीक काटकर सलाद के रूप में लगातार सेवन करने से नेत्र ज्योति की कमजोरी दूर होती है। खूबानी : इसकी गिरियों का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने और ऊपर से गर्म दूध पीने से सर्दी-खाँसी, श्वास कष्ट, सिर दर्द, वात प्रकोप, गैस ट्रबल और पेट दर्द आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं।

शहद के फायदे और नुकसान

(शुक्रवार 26 नवंबर 2010)     

आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले छत्तों के शहद के गुण वृक्षों के आधार पर होते हैं। जैसे नीम पर लगे शहद का उपयोग आँखों के लिए, जामुन का मधुमेह, सहजने का हृदय, वात तथा रक्तचाप के लिए बेहतर होता है। इसके अलावा भी शहद का सेवन कई रोगों में उपयोगी है। अदरक के रस में या अडूसे के काढ़े में शहद मिलाकर देने से खाँसी में आराम मिलता है। पके आम के रस में शहद मिलाकर देने से पीलिया में लाभ होता है। जिन बच्चों को शकर का सेवन मना है, उन्हें शकर के स्थान पर शहद दिया जा सकता है। उल्टी (वमन) के समय पोदीने के रस के साथ शहद का प्रयोग लाभकारी रहता है। शहद से नुकसान :गर्मी के दिनों में अधिक गर्म पानी, गर्म दूध, अधिक धूप में बच्चों को शहद का प्रयोग हानिकारक साबित होता है। साथ ही घी की समान मात्रा प्रयोग करने पर यह विष की भाँति कार्य करने लगता है। इसलिए इन स्थितियों में इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

अजवायन : असरकारी नुस्खे

(गुरूवार 25 नवंबर 2010)     

मसूड़ों में सूजन होने पर अजवायन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। अजवायन, काला नमक, सौंठ तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। भोजन के बाद फाँकने पर अजीर्ण, अशुद्ध वायु का बनना व ऊपर चढ़ना बंद हो जाएगा। आँतों में कीड़े होने पर अजवायन के साथ काले नमक का सेवन करने पर काफी लाभ होता है। सर्दी, गर्मी के प्रभाव के कारण गला बैठ जाता है। बेर के पत्तों और अजवायन को पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से गरारे करने पर लाभ होता है। आधे सिर में दर्द होने पर एक चम्मच अजवायन आधा लीटर पानी में डालकर उबालें। पानी को छानकर रखें एवं दिन में दो-तीन बार थोड़ा-थोड़ा लेते रहने से काफी लाभ होगा। सरसों के तेल में अजवायन डालकर अच्छी तरह गरम करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम होता है। खीरे के रस में अजवायन पीसकर चेहरे की झाइयों पर लगाने से लाभ होता है। चोट लगने पर नीले-लाल दाग पड़ने पर अजवायन एवं हल्दी की पुल्टिस चोट पर बाँधने पर दर्द व सूजन कम होती है।

अनार : गुणों का भंडार

(बुधवार 24 नवंबर 2010)     

अनुपम गुणों वाला अनार स्वास्थ्यवर्धक फल है। जिसका नियमित सेवन करने से बीमारी पड़ने की संभावना कम हो जाती है और इसके चूर्ण से बीमारियाँ हमसे कोसों दूर भागती हैं। इसके लगातार सेवन से हम बहुत सी बीमारियों को दूर कर सकते हैं। जैसे- अतिसार- अनार के रस के साथ सौंफ, धनिया और जीरा इनको बराबर मात्रा में पीस कर इनका चूर्ण बनाकर सेवन करें। अनार के रस में पका हुआ केला मथकर इसका सेवन करें। शरीर में खून की कमी- एनीमिया शीघ्र दूर करने के लिए अनार का रस और मूली का रस समान मात्रा में मिलाकर पीएँ। कब्जीयत (कब्ज) - अनार के पत्तों को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से कब्ज से पीछा छुड़ाया जा सकता है। अजवायन का चूर्ण फाँक कर फिर अनार का रस पीएँ। तो कब्ज से मुक्ति मिलेगी। एसीडिटी (अम्ल पित्त)- अनार रस और मूली का रस समान मात्रा में लेकर उसमें अजवायन, सैंधा नमक चुटकी भर मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

अनार : प्रकृति का वरदान

(मंगलवार 23 नवंबर 2010)     

अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें। प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं। अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है। दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है। दमा/खाँसी में : जवाखार आधा तौला, कालीमिर्च एक तौला, पीपल दो तौला, अनारदाना चार तौला, इन सबका चूर्ण बना लें। फिर आठ तौला गुड़ में मिलाकर चटनी बना लें। चार-चार रत्ती की गोलियाँ बना लें। गरम पानी से सुबह, दोपहर, शाम एक-एक गोली लें। इस प्रयोग से दुःसाध्य खाँसी मिट जाती है, दमा रोग में राहत मिलती है। बच्चों की खाँसी, अनार के छिलकों का चूर्ण आधा-आधा छोटा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम चटाने से मिट जाती है।

असरकारी नुस्खे, आजमा कर देखें

(सोमवार 22 नवंबर 2010)     

डायबिटीज का इलाज- गुड़हल के लाल फूल की 25 पत्तियाँ नियमित खाएँ। सदाबहार के पौधे की पत्तियों का सेवन करें। काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।पत्तियों से बालों की खूबसूरती- मैथीदाना, गुड़हल और बेर की पत्तियाँ पीसकर पेस्ट बना लें। इसे 15 मिनट तक बालों में लगाएँ। इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत होंगी और स्वस्थ भी। मेहँदी की पत्तियाँ, बेर की पत्तियाँ, आँवला, शिकाकाई, मैथीदाने और कॉफी को पीसकर शैम्पू बनाएँ। इससे बाल चमकदार और घने होंगे।डेंड्रफ की समस्या से निजात पाने के लिए नींबू और आँवले का सेवन करें और लगाएँ। कैल्शियम, आयरन की पूर्ति के लिए सतावरी के कंद का पावडर बनाकर आधा चम्मच दूध के साथ नियमित लें, इससे कैल्शियम की कमी नहीं होगी। आयरन बढ़ाने के लिए पालक, टमाटर और गाजर खाएँ। बुद्घि तीव्र करने के लिए अश्वगंधा-100 ग्राम, सतावरी पावडर- 100 ग्राम, शंखपुष्पी पावडर-100 ग्राम, ब्राह्मी पावडर- 50 ग्राम मिलाकर शहद या दूध के साथ लेने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है।

मुलहठी : गुणकारी और मीठी

(रविवार 21 नवंबर 2010)     

खाँसी-जुकाम : कफ को कम करने के लिए मुलहठी का ज्यादातर उपयोग किया जाता है। बढ़े हुए कफ से गला, नाक, छाती में जलन हो जाने जैसी अनुभूति होती है, तब मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से बहुत फायदा होता है। बड़ों के लिए मुलहठी के चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं। शिशुओं के लिए मुलहठी के जड़ को पत्थर पर पानी के साथ 6-7 बार घिसकर शहद या दूध में मिलाकर दिया जा सकता है। यह स्वाद में मधुर होती है अतः सभी बच्चे बिना झिझक के इसे चाट लेते हैं। मुलहठी बुद्धि को भी तेज करती है। अतः छोटे बच्चों के लिए इसका उपयोग नियमित रूप से कर सकते हैं। यह हल्की रेचक होती है। अतः पाचन के विकारों में इसके चूर्ण को इस्तेमाल किया जाता है। विशेषतः छोटे बच्चों को जब कब्ज होती है, तब हल्के रेच के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है। छोटे शिशु कई बार शाम को रोते हैं। पेट में गैस के कारण उन्हें शाम के वक्त पेट में दर्द होता है। उस समय मुलहठी को पत्थर पर घिसकर पानी या दूध के साथ पिलाने से पेट दर्द शांत हो जाता है।

जुकाम : घरेलू नुस्खे आए काम

(शुक्रवार 19 नवंबर 2010)     

जुकाम होने पर काली मिर्च, गुड़ और दही मिलाकर खाएँ। इससे बंद नाक खुलती है। रोज रात को उबाल-उबाल कर आधा किया हुआ जल गुनगुना कर पीने से जल्दी फायदा होगा। सौंठ, पिप्पली,बेल का गुदा और मुनक्का को एक चौथाई होने तक पानी में उबालें। इसे छानकर उतना ही सरसों का तेल डालकर फिर उबालें। जब पानी हवा में उड़ जाए तब उतारकर ठंडा कर लें। इस मिश्रण का एक बूँद नाक में डालने से जुकाम की लगातार चलने वाली छींकें बंद होगी। दूध में जायफल, अदरक, तथा केसर डालकर खूब उबालें। जब आधा हो जाए तब गुनगुना करके पिएँ। जुकाम में तुरंत राहत मिलेगी। सात-आठ काली मिर्च को घी में तड़का लें और फटाफट खाते जाएँ ऊपर से गर्मागर्म दूध या पानी पिएँ तो जुकाम से लड़ने की शक्ति बढ़ेगी और कफ खुलेगा। पान के रस में लौंग व अदरक का रस मिलाए फिर इसे शहद के साथ पिएँ जुकाम गायब होगा।

लाल टमाटर : ठंड का जायकेदार मित्र

(गुरूवार 18 नवंबर 2010)     

टमाटर स्वादिष्ट होने के साथ पाचक भी होता है। पेट के रोगों में इसका प्रयोग औषधि की तरह किया जा सकता है। जी मिचलाना, डकारें आना, पेट फूलना, मुँह के छाले, मसूढ़ों के दर्द में टमाटर का सूप अदरक और काला नमक डालकर लिया जाए तो तुरंत फायदा होता है। टमाटर के सूप से शरीर में स्फूर्ति आती है। पेट भी हल्का रहता है। सर्दियों में गर्मागर्म सूप जुकाम इत्यादि से बचाता है। अतिसार, अपेंडिसाइटिस और शरीर की स्थूलता में टमाटर का सेवन लाभदायक है। रक्ताल्पता में इनका निरंतर प्रयोग फायदा देता है। टमाटर की खूबी है कि इसके विटामिन गर्म करने से भी नष्ट नहीं होते। बेरी-बेरी, गठिया तथा एक्जिमा में इसका सेवन आराम देता है। ज्वर के बाद की कमजोरी दूर करने में इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं। मधुमेह के रोग में यह सर्वश्रेष्ठ पथ्य है।

सर्दियों के सरल कारगर नुस्खे

(बुधवार 17 नवंबर 2010)     

सर्दियों में थोड़ी बादाम और खारेक लाकर रखिए। रात में दो-चार बादाम गलाकर उसे घिसिए और गर्म दूध में डालकर पिलाइए। यह परंपरागत नुस्खा बड़े काम का है, इससे बच्चे की सेहत भी ठीक रहेगी और त्वचा तथा दिमाग भी। गर्म दूध में खारेक को उबाल कर लेने से भी सर्दी-जुकाम का प्रकोप नहीं रहता है। सर्दियों में गेहूँ का आटा घी में सेंककर उसमें सिंका गोंद, कतरे काजू, बादाम, किशमिश, चारोली, पिस्ता, इलायची आदि को उसमें पीसी शकर मिलाकर रख लें। इस सामग्री का तीन तरह से उपयोग हो सकता है। या तो इसे पंजीरी की तरह इस्तेमाल करें या हलवा बना लें या फिर इसके लड्डू बना लें। सीतोपलादि आयुर्वेद का प्रसिद्ध चूर्ण है। घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए दालचीनी-एक भाग, छोटी इलायची-दो भाग, छोटी पीपर-चार भाग, वंशलोचन-आठ भाग और मिश्री-सोलह भाग लें। सारी औषधियों का महीन चूर्ण बनाकर शीशे के जार में भर लें। चूर्ण बनाते समय यह ध्यान दें कि वंशलोचन खूब महीन (बारीक) पिस जाए और मिश्री अंत में पीसकर मिलाएँ, सारी औषधियों का चूर्ण खूब महीन (बारीक) हो। रात्रि में सोते समय और प्रातः खाली पेट शहद के साथ एक चम्मच चूर्ण चाटकर सोएँ।

मीठी गाजर के रसीले गुण

(मंगलवार 16 नवंबर 2010)     

गाजर के गुणों का मुकाबला शायद ही कोई अन्य सब्जी कर सकती है। इसे सलाद के रूप में कच्चा भी खाया जा सकता है, पका कर इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है तथा रस निकाल कर इसका जूस भी पिया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार गाजर एक फल अथवा सब्जी ही नहीं, अपितु रक्तपित्त तथा कफ को नष्ट करने वाली मीठी, रस से भरी, पेट की अग्नि को बढ़ाने वाली तथा बवासीर जैसे रोग को रोकने वाली जड़ी-बूटी भी है। गाजर हृदय संबंधी बीमारियों में भी बहुत लाभकारी होती है। यह वीर्य विकार नष्ट करती है तथा शारीरिक कमजोरी में लाभप्रद है। चूँकि इसमें रक्त अवरोधक शक्ति होती है इसलिए यह रक्तपित्त को बनने नहीं देती। वैसे इसकी तासीर ठंडी होती है लेकिन यह कफनाशक है। गाजर लौंग तथा अदरक की ही तरह छाती तथा गले में जमे कफ को पिघलाकर निकालने में सक्षम है। गाजर में कुछ इस प्रकार के खनिज लक्षण पाए जाते हैं। जो शक्ति को बढ़ाने तथा रोगों को रोकने में बहुत ही आवश्यक होते हैं। शरीर के भीतर ये लवण खून में मिलकर विकार पनपने से रोकते हैं तथा प्रत्येक तंतु एवं प्रत्येक ग्रंथि को स्वस्थ रखते हैं।

साँवली से सलोनी बन जाए

(सोमवार 15 नवंबर 2010)     

दुनिया की कोई भी क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती अत: आपको जो त्वचा प्राकृतिक रूप से मिली है उसी को स्वस्थ और आकर्षक बनाने के जतन करने चाहिए। साँवली त्वचा को सलोनी रंगत देने के लिए अपनी मजीठ, हल्दी, चिरौंजी 50-50 ग्रा. लेकर पाउडर बना लें। एक-एक चम्मच सब चीजों को मिलाकर इसमें 6 चम्मच शहद मिलाएँ और नींबू का रस तथा गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बाँहों पर लगाएँ और एक घंटे के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का साँवलापन दूर होकर रंग निखर आएगा। नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस पाउडर को हफ्ते में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर लगाएँ, त्वचा में आकर्षक चमक आएगी। जाड़े के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है, फलस्वरूप रंग भी खिल उठता है।

ब्यूटी के लिए बीटरूट

(रविवार 14 नवंबर 2010)     

बीटरूट या लाल शकरकंदी जिस रूप में हम आज इसे जानते हैं वह सोलहवीं शताब्दी में विकसित की गई थी। पहले यह केवल मध्य योरप में लोकप्रिय थी बाद में यह विश्व के दूसरे देशों तक पहुँची। भारतीय थाली तक पहुँचने में इसे काफी वक्त लगा। सबसे पहले दक्षिण भारत ने इसे अपनाया क्योंकि वास्कोडिगामा इसे साथ ले आया था। मूल रूप से इसे केवल रक्तवृद्धि के लिए ही उपयुक्त माना जाता था लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं। बीटरूट में कोई फैट नहीं होता इसलिए इसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती तथा खूब अधिक मात्रा में फायबर होता है। इसमें मौजूद बीटानिन और बीटाकेरोटीन प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं। बीटरूट के सेवन से त्वचा में लालिमा आती है। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन बढ़ता है। आँखों की रोशनी के लिए भी बीटरूट फायदेमंद है। बीटरूट शरीर में वसा की मात्रा नहीं बढ़ने देता है। सर्दियों में बीटरूट विशेष फायदेमंद है। यह शरीर की ताकत बढ़ाता है। इससे आँतों की सफाई होती है।

नारियल के गुणकारी नुस्खे

(शुक्रवार 12 नवंबर 2010)     

कृमिनाशक:- नारियल का पानी पीने और कच्चा नारियल खाने से कृमि निकल जाते हैं। बाल गिरना :-नारियल का तेल सिर में लगाने से बाल गिरना बंद होकर बाल लंबे होते हैं। खुजली :- 50 ग्राम नारियल के तेल में दो नींबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली कम होती है। सिरदर्द :- नारियल की 25 ग्राम सूखी गिरी और इतनी ही मिश्री सूर्य उगने से पहले खाने से सिरदर्द बंद हो जाता है। नकसीर :- प्रातः भूखे पेट 25 ग्राम नारियल खाने से नकसीर आना बंद होता है। इसे सात दिन तक खाना चाहिए।

अस्थमा के असरकारी उपचार

(गुरूवार 11 नवंबर 2010)     

180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियाँ मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण ठंडा होने दें, चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है। अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएँ। दमा मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है। लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पाँच कलियाँ उबालें और इस मिश्रण का रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में फायदा मिलता है। अदरक की चाय में लहसुन की दो पिसी कलियाँ मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे-शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है। दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय फायदेमंद होता है। 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और पी लें।

लहसुन : ठंडे मौसम का गर्म साथी

(बुधवार 10 नवंबर 2010)     

लहसुन का सेवन करने वालों को टीबी रोग नहीं होता। लहसुन कीटाणुनाशक है। एंटीबायोटिक औषधियों का अच्छा विकल्प है। लहसुन से टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। सबसे पहले लहसुन को छील लीजिए। एक कली के तीन-चार टुकड़े कर लें। दोनों समय भोजन के आधा घंटे बाद काटे हुए दो टुकड़ों को मुँह में रखें। धीरे-धीरे चबाएँ। जब अच्छी तरह से उसका रस बन जाए तब ऊपर से पानी पीकर सारी चबाई लहसुन निगल लें। लहसुन का तीखापन सहन नहीं कर पाते हों तो एक-एक मनुक्का में दो-दो टुकड़े रखकर चबाएँ। एक लहसुन की चार कलियाँ छीलकर तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दें। उसमें दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने डालकर धीमी-धीमी आँच पर पकाएँ। लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें। इस गुनगुने गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है। लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पाँच कलियाँ उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियाँ मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

अमरूद : खट्टा-मीठा साथी

(मंगलवार 9 नवंबर 2010)     

कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) का दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रातःकाल करना चाहिए।अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रातः खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। अमरूद खाने या अमरूद के पत्तों का रस पिलाने से भाँग का नशा कम हो जाता है। ताजे अमरूद के 100 ग्राम बीजरहित टुकड़े लेकर उसे ठंडे पानी में 4 घंटे भीगने दीजिए। इसके बाद अमरूद के टुकड़े निकालकर फेंक दें। इस पानी को मधुमेह के रोगी को पिलाने से लाभ होता है। अमरूद के ताजा पत्ते में एक छोटा-सा टुकड़ा कत्था लपेटकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं। पके हुए अमरूद का 50 ग्राम गूदा, 10 ग्राम शहद के साथ खाने से शरीर में शक्ति व स्फूर्ति बढ़ती है। सुबह-शाम एक अमरूद भोजन के पश्चात खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही चिड़चिड़ापन एवं मानसिक तनाव दूर होता है। अमर�