human भाईचारे में बंधे rights watch · ह्रदयिगत...

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HUMAN RIGHTS WATCH भाईचार

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  • H U M A N

    R I G H T S

    W A T C H

    “भाईचारे मंे बंधे”

  • “भाईचारे में बंधे” पुलिस हिरासत में ित्याएं रोकने में भारत असफि

  • हिसबंर २०१६

    “भाईचारे में बंधे” पुलिस हिरासत में ित्याएं रोकने में भारत असफि

    सारांश ................................................................................................................................ 1 गिरफ्तारी की उगित प्रक्रिया के पालन में पुगलस की विफलता 3 क्रिरासतमें मौतों के गलए पुगलसको जिाबदेि ठिराने में विफलता 5 पीक्रित पररिारों और ििािों को डराना-धमकाना 7

    मखु्य लसफाररशें ................................................................................................................... 9

    पद्धति .............................................................................................................................. 10

    I. भारत में जीवन और स्वतंत्रता के अलधकार ....................................................................... 12 क्रिरासत में यातना और दरु्वययििार का जारी रिना 15 क्रिरासत में क्रििंसा के खिलाफ कानूनी सरुक्षा 16 राष्ट्रीय एििं राज्य स्तरीय मानिागधकार सिंस्थान 20 पुगलस सधुार का अभाि 23 यातना रोकने का कानून 25

    II. गरैकानूनी लगरफ्तारी और हिरासत ............................................................................. 27 गिरफ्तारी सम्बिंगधत गनयमों का पालन न करना 27 गिरफ्तारी और बलपूियक लापता के मामलों में पररजनों को सगूित करने में विफलता

    40

    दिंडागधकारी के समक्ष अगभयुक्त को पेश करने में विफलता 50 दिंडागधकारी की विफलताएिं 53 पयायप्त गिक्रकत्सीय देिभाल की कमी 54

    III. जवाबिेिी का अभाव .................................................................................................. 61

  • पुगलसको दिंडमवुक्त 61 सच्िाई छुपाने में मेक्रडकल अगधकाररयों की कगथत गमली-भित 86 जिाबदेिी िािने िाले पीक्रित के पररजनों और ििािों को डराना-धमकाना 88 करुप्पी 93 जिाबदेिी सगुनखित करने में राष्ट्रीय और राज्य मानिागधकार आयोिों क्रक भगूमका 96

    IV. लसफाररशें ................................................................................................................... 100 भारतीय सिंसद के गलए गसफाररशें 100 केन्द्रीय ििृ मिंत्रालय कें र शागसत राज्यों क्रक पुगलस राज्य के ििृ मिंत्रालयोंऔर राज्यपुगलस के गलए 101 राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि के गलए 106 राज्यमानिागधकारआयोिों के गलए 107 कानूनी सेिा अगधकाररयों के गलए 108 विदेशी सरकारों और दानदाताओिं के गलए 108

    आभार ............................................................................................................................. 109

    पररलशष्ट 1: सचूना के अलधकार पत्र का नमनूा ............................................................... 110 यि सिूना प्राप्त करने का आिेदन क्रक क्या पुगलस ने गिरफ़्तारी के गनयमों का पालन क्रकया 110 यि जानकारी लेने का आिेदन क्रक क्या पुगलस ने क्रिरासत के गनयमों का पालन क्रकया िै. 112 यि सिूना प्राप्त करने का आिेदन क्रक क्या पुगलस ने क्रिरासत में मौतों की जािंिसम्बन्द्धी क्रदशा-गनदेशों का पालन क्रकया िै? 113 राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि से जानकारी प्राप्त करने िेतु आिेदन: 114

    पररलशष्ट II :सचूना का अलधकार से लमिे जवाबों की सचूी ..................................................... 115

  • हिसंबर २०१६

    सारांश

    कगथत अगभयुक्त के शरीर पर िोटों के बारे में मुझे यि किना िै. क्योंक्रक िि एक ददुाांत अपराधी था, उसने जानकारी देने से इनकार कर क्रदया. यि ज़रूरी था क्रक उससे जानकारी िागसल की जाये, इसगलए.... (पुगलस ने) “सि उिलिाने” िाले बेल्ट का इस्तेमाल क्रकया और मेरे सामने िी उसकी वपटाई कर दी. मार के बाद िि इतना कमज़ोर िो िया था क्रक जब िि पानी पीने के गलए उठा, तो ददय से िक्कर िाकर खििकी पर ढेर िो िया, खजससे उसका गनिला जबिा टूट िया.

    –जलु्फर शेि की क्रिरासत में मौत की जािंि के दौरान पुगलस कािंस्टेबल का बयान, मुिंबई, मािय 2013.

    राजकीय जािंि एजेंसी द्वारा की ियी पूरी जािंि, पूरा-का-पूरा घबरािट में उठाया िया एक ऐसा कदम िै जो नुक्सान के दायरे को सीगमत करने का प्रयास प्रतीत िोता िै, ताक्रक पुगलस के आला अफसरों पर कोई आिंि न आये.

    –प्रगतम कुमार गसिंघा रे बनाम भारतीय सिंघ और अन्द्य, पुगलस क्रिरासत में मौत के मामले में कलकत्ता उच्ि की क्रटप्पणी, मई, 2013.

    भारत में पुगलस क्रिरासत में अपरागधक अगभयुक्तों की अक्सर मौत िो जाती िै. इस दीघयकागलक समस्या के समाधान के गलए, भारतीय अगधकाररयों ने, खजनमें राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि शागमल िै, ऐसी विस्ततृ गनयमािली बनाई िै जो पुगलस द्वारा यातना और दरु्वययििार को रोकने में कारिर िो सके, और साथ िी दोषी पुगलसकगमययों को सज़ा गमल सके. लेक्रकन, भारतीय पुगलस अभी भी सिंक्रदग्धों को सजा देने, उनसे जानकारी िागसल करने या अपराध कबूल करिाने के गलए उन्द्िें यातना देती िै.

    राष्ट्रीय अपराध ररकार्डसय ब्यूरो के अनुसार, सन 2010 से 2015 के बीि पुगलस क्रिरासत में 591 लोिों की मौत िुई. इनमें से अगधकािंश मौतों को पुगलस आत्मित्या, बीमारी या प्राकृगतक कारण बताती िै. उदािरण के गलए, सन 2015 में भारतीय अगधकाररयों के अनुसार कुल 97 क्रिरासत में मौतें िुईं. पुगलस ररकॉडय के मुतावबक इनमें मात्र 6 मौतें पगुलस द्वारा शारीररक प्रतािना के कारण िुईं, 34 मौतें आत्मित्या के कारण, 11 बीमारी िी िजि से, 9 प्राकृगतक मौत और 12 मौतें इलाज के दौरान या अस्पताल में िुईं. िालााँक्रक इनमें से बिुत से मामलों में पररजनों ने आरोप लिाया क्रक यि मौतें यातना के कारण िुई थीिं.

  • भाईचारे में बंधे

    यद्यवप कुछ मामलों में अदालतों, मानिागधकार आयोिों या अन्द्य प्रागधकारों ने जािंि के आदेश क्रदए, ह्यमून राइट्स िाि ने सन 2010 से 2015 के बीि पुगलस क्रिरासत में मौत का एक भी मामला ऐसा निीिं पाया जिााँ पुगलस अगधकारी को सज़ा दी ियी िो. सन 2016 में मुिंबई में 4 पुगलसकगमययों को बीस िषीय अगभयुक्त की सन 2013 में क्रिरासत में मौत के गलए सज़ा दी ियी.

    यि ररपोटय भारत में क्रिरासत में मौतों के मामलों में लिातार दिंडमुवक्त के कारणों को भी बारीकी से जािंिती िै, और ऐसे उपाय सुझाती िै खजन पर अगधकारीिण अमल कर सकते िैं, और उन्द्िें अमल में लाना िाक्रिए ताक्रक इस समस्या पर विराम लिाया जा सके. इस ररपोटय में समस्या के दायरे को समझने के गलए सन 2009 से 2015 के बीि क्रिरासत में 17 मौतों की ह्यमून राइट्स िाि द्वारा ििन जािंि-पिताल के वििरण, भारतीय सिंिठनों के शोध और पीक्रित पररजनों, ििाि, न्द्याय विशषेज्ञ और पुगलस अफसरों के 70 से अगधक साक्षात्कार शागमल िैं जो ह्यमून राइट्स िाि द्वारा गलए िए िैं.

    आखिरकार, पुगलस द्वारा दरु्वययििार यि दशायते िैं क्रक भारत की केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारें जिाबदेिी के तिंत्र को लािू करने में असफल रिी िैं. स्पष्ट गनयमािली के बािजूद, सख्ती से जािंि करने में अगधकारीिण आम तौर पर असफल रिे िैं, और गिरफ्तार र्वयवक्त के साथ यातना और दरु्वययििार में गलप्त पुगलस अफसरों के खिलाफ मुकदमा िलाने में भी असफल रिते िैं.

    पुगलस जािंि दल केिल गलप्त पुगलस अफसरों के बयान के आधार पर िी अक्सर इन मामलों को बिंद कर देते िैं. क्रदल्ली खस्थत मानिागधकार सिंिठन कामनिेल्थ ह्यमून राइट्स इगनगशएक्रटि, जो लम्बे समय से पुगलस सुधारों के गलए अगभयान िलाता रिा िै, की काययकारी गनदेशक माजा दारूिाला का किना िै क्रक िालािंक्रक पुगलस इस बात से इिंकार करती िै क्रक िि दरु्वययििार में शागमल पुगलस अफसरों को बिाने का प्रयास करती िै, क्रफर भी जिाबदेिी और गनिरानी दोनों के िी बीि बिी िाई िै: “एक सिंिठन के रूप में पुगलस को यि तय करना िै क्रक पुगलस की करतूतों, िैर-कानूनी कारयिाइयों और ित्या जैसी िारदात को ढिंकना िी क्या उनकी काययकुशलता िै.”

    इस ररपोटय में दजय क्रकये िए अगधकााँश मामले ऐसे िैं जिााँ पररजनों ने िकीलों और मानिागधकार काययकतायओिं की मदद से न्द्याय की अपेक्षा की िै, और खजन मामलों में पगुलस और मेक्रडकल ररकॉडय और अन्द्य सम्बिंगधत दस्तािेज़ साियजगनक तौर पर उपलब्ध िैं इनमें से कई मामले अभी भी न्द्यायालयों में लिंवबत िैं. इनमें से कई मामलों में न्द्यायालयों द्वारा स्ितिंत्र जािंि के आदेश क्रदए िए, और खजनमें शारीररक दरु्वययििार के अकाट्य सबूतों के अलािा गनधायररत प्रक्रिया के ििंभीर उल्लिंघन स्पष्ट रूप से उजािर िुए.

  • हिसंबर २०१६

    सभी 17 मामलों में, पुगलस ने गिरफ्तारी के सिी गनयमों का पालन निीिं क्रकया – खजसमें गिरफ़्तारी का दस्तािेज़ीकरण, पररजनों को सूगित करना, मेक्रडकल परीक्षण कराना, या 24 घिंटों के भीतर अगभयुक्त को दिंडागधकारी के समक्ष पेश करना शागमल िैं – खजसके कारण दरु्वययििार झेलने के गलए अगभयुक्त और भी असुरखक्षत िो िया, और इसके िलते िी शायद पुगलस को यकीन िो िया क्रक क्रकसी भी दरु्वययििार को ढिंका जा सकता िै. इनमें से अगधकािंश मामलों में, जािंि अगधकारी, िासकर पुगलस, ऐसे कदम उठाने में विफल रिी खजनसे इन मौतों की जिाबदेिी सुगनखित करने में मदद गमलती.

    लगरफ्तारी की उलचत प्रहिया के पािन में पुलिस की ववफिता आमतौर पर यातना की सम्भािना अगभयुक्त को पिली बार क्रिरासत में लेने के समय िी बनती िै, इसीगलए यातना और मौत को रोकने के गलए गिरफ्तारी सम्बिंगधत प्रक्रिया का पालन करना अिम ्िै. उदािरण के गलए, िैदराबाद में पुगलस ने बी. जनाधयन को 2 अिस्त, 2009 को क्रिरासत में लेने के बाद रखजस्टर में उसकी गिरफ्तारी दजय निीिं की. पररजनों का किना िै क्रक उन्द्िोनें जनाधयन को 3 अिस्त को पुगलस क्रिरासत में देिा था जब िार पुगलसकमी उसे कुछ समय के गलए उसके घर लेकर आये थे; उसे िथकिी लिी िुई थी, और अफसर उसे लिातार पीट रिे थे. 4 अिस्त, 2009 को पुगलस क्रिरासत में जनाधयन की मौत िो ियी. पुगलस ने क्रकसी भी िलत काम से साफ़ इनकार कर क्रदया, और पररजनों से किा क्रक “िम क्या कर सकते थे? िि तो ह्रदयिगत रूकने से मर िया.” लेक्रकन जनाधयन के भाई सदानिंद ने किा क्रक उसके शरीर पर िोटों के गनशान थे जो स्पष्ट रूप से पुगलस की वपटाई के कारण थे. पुगलस ने पिले तो इनकार क्रकया क्रक जनाधयन दो क्रदनों तक िैरकानूनी तौर से क्रिरासत में था, लेक्रकन विरोध के िलते, पुगलस मुखिया ने स्िीकार क्रकया क्रक अफसरों द्वारा लापरिािी िुई िै, और जनाधयन को पुगलस थाने में लाया जाना िाक्रिए था, और उसकी गिरफ्तारी को कानूनन दजय क्रकया जाना िाक्रिए था, ना क्रक उसे तलाशी अगभयान में लेकर जाना िाक्रिए था.

    जैसा क्रक जनाधयन के मामले में िुआ, भारतीय पुगलस अक्सर दो दशक पिले सन 1997 के डी. के. बसु बनाम पखिम बिंिाल मुक़दमे में क्रिरासत में दरु्वययििार को रोकने के गलए सिोच्ि न्द्यायालय द्वारा जारी गनयमािली को नज़रिंदाज़ करती िै. अब जबक्रक इस गनयमािली को सिंशोगधत आपरागधक दिंड सिंक्रिता में शागमल कर गलया िया िै, क्रकसी को भी क्रिरासत में लेते समय पुगलस को गनयमानुसार अपनी पििान बतानी िोिी; एक मेमो बनाना िोिा खजसमें क्रिरासत में गलए जाने की तारीि और समय दजय िो, खजस पर एक स्ितिंत्र ििाि द्वारा दस्तित

  • भाईचारे में बंधे

    क्रकया जायेिा और क्रिरासत में गलए जाने िाले र्वयवक्त का प्रगतिस्ताक्षर भी िोना ज़रूरी िै; और यि सूगनखित करना िोिा की उसके नजदीकी पररजन को गिरफ्तारी के बारे में और क्रिरासत में रिे जाने के स्थान की जानकारी गमले.

    गनयमानुसार, क्रिरासत में लेने के बाद गिरफ्तार र्वयवक्तयों का मेक्रडकल परीक्षण करिाना िोिा, खजसमें डॉक्टर को पिले से लिी िोटों का वििरण देना िोिा -ताक्रक नयी िोटों से क्रिरासत में पुगलस दरु्वययििार का पता लि जाये. पुगलस दरु्वययििार से बिने के गलए यि प्रािधान िै क्रक गिरफ्तार र्वयवक्त को अिले 24 घिंटों के भीतर एक दिंडागधकारी के समक्ष पेश क्रकया जाए. दिंडागधकाररयों का यि कतयर्वय बनता िै क्रक िे पुगलस को अपने अगधकार के्षत्र लािंघने से रोकें , इसके गलए उन्द्िें गिरफ्तारी से सम्बिंगधत दस्तािेजों का बारीकी से मुयायना करना िाक्रिए, और अगभयुक्त के कुशल-के्षम को सुगनखित करते िुए उससे सीधे-सीधे सिाल-जिाब करना िाक्रिए.

    र्वयििार में इन सुरक्षा कििों के ज़ररये क्रिरासत में िूर यातनाओिं को निीिं रोका जा सका िै. सरकारी आिंकिों के अनुसार, सन 2015 में क्रिरासत में 97 मौतों में से 67 मामलों में पुगलस अगभयुक्त को कानून के अनुसार 24 घिंटों के अन्द्दर दिंडागधकारी के समक्ष पेश करने में या तो विफल रिी िै या गिरफ्तारी के बाद 24 घिंटों के भीतर िी अगभयुक्त के मौत िो िई िै. अप्रैल 2014 में एग्नेलो िल्दाररस और तीन सि-अगभयुक्तों से पुगलस ने मुिंबई में मारपीट की ताक्रक िे सामान िोरी के इलज़ाम को कबूल कर लें. िालािंक्रक अगभयुक्तों ने बताया क्रक उन्द्िें आिाि क्रकया िया था क्रक िे मेक्रडकल परीक्षण के दौरान कुछ भी न बताएिं, क्रफर भी उसकी मेक्रडकल ररपोटय में यि ररकॉडय मौजूद िै क्रक एग्नेलो िल्दाररस ने डॉक्टर को बताया था क्रक उसके जख्म पुगलस प्रतािना के नतीजे िैं. इसके पिले क्रक उसे दिंडागधकारी के सामने पेश क्रकया जाए, पुगलस ने बताया क्रक िल्दाररस एक टे्रन से टकराकर मर िया जब िि भािने क्रक कोगशश कर रिा था – एक ऐसा गनष्कषय खजस पर उसके सि-अगभयुक्तों को कतई यकीन निीिं था क्योंक्रक उसकी शारीररक दशा ऐसी निीिं थी क्रक िि भाि सके. िल्दाररस के वपता ने ह्यमून राइट्स िाि को बताया क्रक “पुगलस कगमययों ने िी मेरे बेटे को मार डाला, क्योंक्रक िि भयभीत थे क्रक िि दिंडागधकारी से पुगलस यातना की गशकायत करेिा.

    लेक्रकन आिंकिे यि भी बताते िैं क्रक गनयमों का पालन कर दिंडागधकारी के समक्ष अगभयुक्त को पेश करने और मेक्रडकल परीक्षण कराने से भी यि ज़रूरी निीिं िै क्रक अगभयुक्त को यातना निीिं दी

  • हिसंबर २०१६

    जाएिी. अगभयुक्त यि किने से डरते िैं क्रक उनके साथ दरु्वययििार िुआ और क्रक गिक्रकत्सा कगमययों ने पेशिेर या गनष्पक्ष तरीके अपने कतयर्वयों का गनिायि निीिं क्रकया. “पुगलस अक्सर यि स्पष्टीकरण देती िै क्रक गिरफ्तार र्वयवक्त या तो भािने की या फरार िोने की कोगशश कर रिा था, और उसी दौरान िि घायल िो िया. यिााँ तक क्रक अगभयुक्त भी कुछ बताना निीिं िािता क्यूिंक्रक उसे लिता िै क्रक िापस उसे पुगलस क्रिरासत में भेज क्रदया जा सकता िै”: जैसा क्रक एक दिंडागधकारी ने ह्यमून राइट्स िाि को बताया.

    गिरफ्तारी और क्रिरासत सम्बन्द्धी गनयमों के पालन में पुगलस की विफलता के िलते अगभयुक्त के साथ दरु्वययििार का ितरा बढ़ जाता िै. क्रिरासत सम्बन्द्धी गनयमों को धता बताने के गलए पुगलस कई िथकिं डे अपनाती िै. तगमलनाडु में एक दिंडागधकारी ने बताया: “पुगलस के पास पुगलस प्रक्रिया से सम्बिंगधत िुद की गनयमािली िै. िे आपरागधक दिंड सिंक्रिता का पालन निीिं करते िैं.”

    हिरासत में मौतों के लिए पुलिस को जवाबिेि ठिराने में ववफिता भारतीय कानून के अनुसार यि ज़रूरी िै क्रक क्रिरासत में िरेक मौत की जािंि एक न्द्यागयक दिंडागधकारी करे. पुगलस द्वारा एफआईआर दजय करना ज़रूरी िै, और इसकी जािंि ऐसे थाना या एजेंसी द्वारा की जाएिी जो इस घटना में सिंगलप्त न िो. क्रिरासत में मौत के िरेक मामले की ररपोटय राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि को देनी पिती िै. दिंडागधकारी के जािंि के गनष्कषय और पोस्ट- माॅ टयम ररपोटय को भी पुगलस द्वारा राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि को सौंपना ज़रूरी िै. राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि के गनयमानुसार शि-परीक्षा क्रक िीक्रडयोग्राफी करनी िोिी, और एक मॉडल प्रपत्र में शि-परीक्षण क्रक ररपोटय तैयार करनी िोिी.

    ह्यमून राइट्स िाि के शोध, अदालती फैसले और मीक्रडया के ख़बरें दशायती िैं क्रक इन कदम को अक्सर नज़रिंदाज़ क्रकया जाता िै. सरकारी आिंकिों के अनुसार, सन 2015 में क्रिरासत में िुई कुल 97 मौतों में से मात्र 31 में िी न्द्यागयक जािंि की ियी थी. इनमें से 26 मामलों में मतृक का शि-परीक्षण तक निीिं क्रकया िया था. कुछ राज्यों में, काययकारी दिंडागधकारी द्वारा जािंि कराई िई न क्रक न्द्यागयक दिंडागधकारी द्वारा, काययकारी दिंडागधकारी पुगलस की तरि िी सरकार के काययपागलका का अिंि िोता िै, और इसगलए िि स्ितन्द्त्र निीिं िोता और उस पर पक्षपातपूणय काम करने का दिाब ज्यादा रिता िै.

  • भाईचारे में बंधे

    ऐसे िलत कामों की आन्द्तररक विभािीय जािंिों में बमखुककल पुगलस को दोषी पाया जाता िै. पुगलस भी सिंगलप्त पुगलस अगधकाररयों के खिलाफ गशकायतें दजय करने में या तो देरी कर सकती िै या उसका विरोध. सन 2015 में क्रिरासत में कुल 97 मौतों में से केिल 33 में िी पुगलस ने अपने सि-पुगलस अफसरों के खिलाफ गशकायतें दजय कीिं. 2014 तक राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि के सदस्य रिे सत्यब्रत पाल के अनुसार:

    पुगलस द्वारा आन्द्तररक जािंि का पूरा मद्सद लीपा-पोती िोता िै ,इसगलए िे जानबूझकर ऐसे तथ्यों को नज़रिंदाज़ करते िैं खजनसे सच्िाई का पता लि सकता िै... पुगलस जािंि की कीमत मात्र उस कािज़ के पन्द्ने क्रक तरि िोती िै खजस पर उसे गलिा जाता िै.

    15 अप्रैल, 2012 में उत्तर प्रदेश राज्य में जब कयामू गसिंि क्रक पुगलस क्रिरासत में मौत िो ियी, तो पुगलस ने उसे आत्मित्या करार क्रदया. लेक्रकन उसके भाई ने बताया, जो उसी के साथ गिरफ्तार िुआ था, क्रक क्रिरासत में लेने के बाद अिंडरवियर को छोि उन दोनों के सभी कपडे उतार क्रदए िए थे और उन्द्िें यातना दी ियी थी:

    कयामू गसिंि की अस्पताल में मौत िो ियी. एक सरसरी आन्द्तररक जािंि के बाद पुगलस ने यातना से उसकी मौत िोने के इलज़ाम को ख़ाररज कर क्रदया. राज्य के अपरागधक अनुसिंधान विभाि (सी.आई. डी.) ने एक प्राथगमक जािंि की और सन 2014 में गनष्कषय क्रदया क्रक कयामू को यातना देने और उसे ज़िर देकर मारने के गलए सात पुगलस अफसर खज़म्मेदार थे. िालािंक्रक, एक साल बाद सौंपी ियी एक अिंगतम जािंि ररपोटय ने उन सभी सातों को बरी कर क्रदया िया.

    सरकारी डाक्टरों द्वारा पुगलस के दािों का समथयन करने की प्रिगृत क्रिरासत में िुई मौतों की खजम्मेदारी तय करने की एक बिी िुनौती िै. शि-परीक्षा और फोरेंगसक ररपोट्सय प्रायः उन मामलों में भी पुगलस के पक्ष का समथयन करती िैं जिािं इसका कोई सुस्पष्ट आधार निीिं िोता. 35 साल के जुल्फर शेि की 2 क्रदसिंबर, 2012 में मुिंबई के एक पुगलस थाने में मौत िो िई. शि-परीक्षा में 21 बाह्य िोटें पाई ियीिं क्रफर भी ररपोटय में बताया िया क्रक ये िोटें ‘‘मौत के गलए पयायप्त कारण’’ निीिं थे. डाक्टरों के एक दल ने मौत का कारण मेगनिंजाइक्रटस और ‘‘मखस्तष्क के रक्त-स्राि’’ बताया. िालािंक्रक जब सीबीआई ने इस मामले की नई जािंि-पिताल में मिाराष्ट्र के बािर विशेषज्ञ

  • हिसंबर २०१६

    गिक्रकत्सीय मत गलया तो उसके अनुसार कठोर आघात एििं शारीररक यातना के फलस्िरुप पक्षाघात के कारण मौत िुई थी. “क्रिरासत में मौतों के अगभयोजन की समस्या यि िै क्रक जैसे िी गिक्रकत्सीय ररपोटय आपके खिलाफ िली जाती िै, आप मुकदमा िार जाते िैं.” शेि के िकील युिमोक्रित िौधरी ने बताया, “आपके जीतने की उम्मीद तभी रिती िै जब गिक्रकत्सीय ररपोटय आपका समथयन करती िो.”

    भारतीय सिोच्ि न्द्यायालय ने क्रिरासत में क्रकये िए अपराधों के बारे में बार-बार यि किा िै क्रक पुगलस के खिलाफ सबूत पेश करना इसगलए कक्रठन िै क्योंक्रक पुगलस यि मानती िै क्रक िे “भाईिारे में बिंधे िैं.” सरकारों और न्द्यायालयों को खज़म्मेदार लोिों को बिाने की पुगलस की इस प्रिगृत से सख्ती से गनपटना िोिा. राष्ट्रीय और राज्य के मानिागधकार आयोि क्रिरासत में मौतों के मामलों में अपनी मुिर भूगमका गनभाने में विफल रिे िैं. राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि को यि अगधकार प्राप्त िै क्रक िि ििािों को समन जारी कर सके, सबूतों को पेश करने के आदेश जारी करे, और अफसरों के अगभयोजन शरुू करने के गलए सरकार से गसफाररश करे. लेक्रकन, र्वयििाररक तौर पर इसकी गसफाररशें अगधकतर सरकारों को मुआिजा देने या अिंतररम राित देने तक िी सीगमत रिी िैं. अप्रैल 2012 से जून 2015 के बीि राष्ट्रीय मानिागधकार आयोि के पास पुगलस क्रिरासत में िुई कुल 432 मौतें के मामले आए. आयोि ने कुल 2 करोि 29 लाि 10 िज़ार (यानी क्रक 3,43,400 अमरीकी डॉलर) मुआिजे की गसफाररश दी, लेक्रकन मात्र तीन मामलों में िी अनुशासनात्मक कारयिाई के गलए किा और अगभयोजन की गसफाररश क्रकसी एक भी मामले में निीिं की.

    पीहित पररवारों और गवािों को डराना-धमकाना पुगलस क्रिरासत में मौत के मामलों में, न्द्याय मािंिने िाले पीक्रित पररिार को अक्सर धमकी का सामना करना पिता िै. इनमें से अगधकतर पररिार िरीब और सामाखजक तौर पर िागशये पर िैं, जो ऐसी परेशानी के प्रगत िासतौर पर और भी असुरखक्षत िोते िैं. एग्नेलो िल्दाररस की मौत के मामले में पुगलस कगमययों के अगभयोजन के दौरान गसतम्बर 2005 में बॉम्बे उच्ि न्द्यायलय की क्रटप्पणी की:

  • भाईचारे में बंधे

    यि आम जानकारी की बात िै क्रक पुगलस क्रिरासत में खजन लोिों क्रक मौत िुई िै िे समाज के गनिले तबके के और अल्पसिंख्यक समुदाय के सदस्य िोते िैं, और इन लोिों को राज्य की नीगत की कोई समझ निीिं िै क्रक िे एक िकील गनयुक्त कर सकते िैं ताक्रक अदालत में उनका पक्ष उगित तरीके से पेश क्रकया जा सके.

    21 िषीय सब्जी वििेता रजीब मोल्ला को 15 फरिरी, 2014 को पखिम बिंिाल राज्य में गिरफ्तार क्रकया िया और उसी क्रदन पुगलस क्रिरासत में उसकी मौत िो ियी. पुगलस ने बताया क्रक उसने आत्मित्या की थी, लेक्रकन उसकी पत्नी ने आरोप लिाया क्रक उसकी मौत यातना देने से िुई थी. मोल्ला क्रक पत्नी ने बताया क्रक खजस समय से उसने इस मामले में न्द्यागयक िस्तके्षप की मािंि की, उसी क्रदन से उस इलाके के दबिंि लोि उसे अपनी गशकायत िापस लेने के गलए धमकाने लिे थे. एक िैर-सरकारी सिंिठन बािंग्लार मानिागधकार सुरक्षा मिंि (मासूम), जो उसे सियोि दे रिा था, ने भी रपट की क्रक उन्द्िें भी धमकी गमल रिी थी और उनके एक कमयिारी को क्रिरासत में लेकर उसके साथ भी मार-पीट की ियी.

    भारत ने नािररक और राजनैगतक अगधकारों पर अिंतरायष्ट्रीय सिंगध का समथयन क्रकया िै, और यातना और अन्द्य िूरता, अमानिीय या गनकृष्ट र्वयििार के खिलाफ कन्द्िेंशन पर भी िस्ताक्षर क्रकये िैं. ये दोनों िी यातना और िूरता, अमानिीय तथा गनकृष्ट र्वयििार या सजा को प्रगतबिंगधत करते िैं. इन सिंगधयों में प्रािधान िै क्रक अगधकारीिण खज़म्मेदार अफसरों के खिलाफ अगभयोजन की कारयिाई कर सकते िैं. इस तरि क्रक प्रगतबद्धता भारत के केन्द्रीय और राज्य के कानूनों में भी दशायई ियी िै, जो यातना क्रक गनिंदा करते िैं, और उसके खिलाफ कुछेक प्रक्रियाित सुरक्षा उपाय भी सुझाते िैं.

    सिोच्ि न्द्यायालय ने भी स्ितिंत्रता और मानि िररमा के सिंिैधागनक अगधकार को पररभावषत करते िुए किा िै क्रक ये “राज्य तथा राज्य के कतायओिं द्वारा यातना और िमले के खिलाफ गनक्रित िारिंटी िैं.

    कई मामलों के वििरण जो इस ररपोटय में क्रदए िए िैं, उनमें क्रिरासत में मौतों को रोका जा सकता था यक्रद पुगलस उन गनयमों का पालन करती जो इस तरि के दरु्वययििार को रोकने के गलए बनाये िए िैं. और यक्रद पूरे भारत में ऐसी पुगलस खजन पर अगभयुक्तों के साथ दरु्वययििार के गलए इलज़ाम लिाया िया था, उन्द्िें तत्काल और उगित तरीके से कानूनी दायरे में न्द्याय की प्रक्रिया में लाया जाता तो शायद पुगलस क्रिरासत में मौतों और यातना को िमेशा-िमेशा के गलए रोका जा सकता िै.

  • हिसंबर २०१६

    मुख्य लसफाररशें

    आपरागधक दिंड सिंक्रिता में गिरफ्तारी और क्रिरासत सम्बन्द्धी कानूनों और क्रदशा-गनदेशों का सख्ती से अनुपालन करना और डी.के. बासु के मामले में सिोच्ि न्द्यायालय के फैसले, िास तौर से क्रिरासत की ररकॉक्रडांि करने, पररजनों को सूगित करने, सिंक्रदग्ध को दिंडागधकारी के समक्ष पेश करने और मेक्रडकल परीक्षण करिाने सम्बन्द्धी क्रदशा-गनदेशों का पालन.

    यि सुगनखित करना क्रक यातना और दरु्वययििार में सिंगलप्त पुगलस अफसरों, िािें िि क्रकसी भी पद पर क्यों न िों, पर उपयुक्त अनुशासनात्मक कारयिाई करना या उन पर मुकदमा िलाया जाये.

    यातना के खिलाफ कन्द्िेंशन की अगभपुवष्ट करें और इनके प्रािधानों को घरेलू कानूनों में समाक्रित करें.

    एक पयायप्त रूप से वित्त पोवषत तथा कारिर उत्पीक्रडत और ििाि सुरक्षा कानून बनायें.

  • भाईचारे में बंधे

    पद्धति

    यि ररपोटय अप्रैल 2015 से अप्रैल 2016 के बीि ह्यूमन राइट्स िाि द्वारा भारत में क्रकये फील्ड ररसिय और साक्षात्कार पर आधाररत िै. ह्यूमन राइट्स िाि ने 45 ििािों तथा क्रिरासत में मौतों के गशकार र्वयवक्तयों के पररजनों और साक्षात्कार गलया. इसके आलािा, ह्यूमन राइट्स िाि ने िैसे 25 से अगधक िकीलों, गसविल सोसाइटी काययकतायओिं, और पत्रकारों से बात-िीत की जो पुगलस यातना के गशकार र्वयवक्तयों को न्द्याय क्रदलाने के गलए सन्द्दभों और बाधाओिं को समझने के गलए पुगलस यातना और उत्पीडन पर काम करते िैं. ह्यूमन राइट्स िाि ने िार ऐसे लोिों का साक्षात्कार गलया, जो ितयमान में पुगलस सेिा में िैं या अिकाशप्राप्त पुगलस अगधकारी और दिंडागधकारी िैं. इसके अलािा एक अिकाशप्राप्त न्द्यायाधीश का भी साक्षात्कार गलया िया.

    ये साक्षात्कार भारत के कई जििों पर गलए िए खजसमें पखिम बिंिाल, तगमलनाडु, तेलिंिाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य और नई क्रदल्ली और मुिंबई शिर शागमल िैं.

    यि ररपोटय ह्यूमन राइट्स िाि द्वारा सन 2009 में जारी ररपोटय - ब्रोकन गसस्टम: क्रडसफिं क्शन, एब्यूज, एिंड इम्पुगनटी इन इिंक्रडयन पुगलस - खजसमें भारतीय पुगलस द्वारा आम तौर पर मानिागधकारों के िनन के मामलों पर ििाय की ियी िै, का अनुसरण करती िै. सन 2009 की इस ररपोटय में पुगलस द्वारा र्वयवक्तयों के खिलाफ क्रकये िए दरु्वययििार की जािंि की ियी िै, और उन पररखस्थगतयों को समझने का प्रयास क्रकया िया िै खजनसे पुगलस को इस तरि का दरु्वययििार करने में प्रोत्सािन और सिूगलयत गमली. ह्यूमन राइट्स िाि ने पाया क्रक पुगलस दरु्वययििार सिंस्थाित प्रणाली में ििराई से जि पकडे िुए िै, ह्यूमन राइट्स िाि ने पाया क्रक पुगलस दरु्वययििार की जि सिंस्थाित तौर-तरीकों में िी अन्द्दर तक धिंसी िुई िै, और गनरिंतर पनप रिी िै क्योंक्रक सिंघीय और राज्य सरकारें दरुूपयोि करने िालों को जिाबदेि ठिराने में और ऐसे ढािंिों और र्वयििारों को सुधारने में विफल सावबत िुई िैं, जो ऐसे दरु्वययििार के तौर-तरीकों को पनपने देते िैं.

    इस ररपोटय में दजय िाल िी के मामले यि दशायते िैं क्रक कानून और गनयमािली में बदलाि, और सन 1997 से लिातार पुगलस सुधार के िायदे के बािजूद पुगलस दरु्वययििार लिातार िोते रिे िैं. िालािंक्रक यि मशिूर िै क्रक कगथत आतिंकिाद के मामलों के अगभयुक्तों के खिलाफ पुगलस मानिागधकारों का िनन करती िै, और विरोि-प्रभावित के्षत्रों में पयायप्त सुरक्षा कििों के साथ

  • हिसंबर २०१६

    िैर-न्द्यागयक ित्याएिं करती िै. यि ररपोटय क्रिरासत में मौतों के केिल उन मामलोंपर केखन्द्रत िै जो रोज़मराय के पुगलस ऑपरेशन के दौरान घक्रटत िुए िैं. इसमें िखणयत 17 मामलों में अगधकािंश ऐसे मामले िैं खजनमें पररजनों ने िकीलों या मानिागधकार अगधिक्ताओिं के सियोि से न्द्याय की िुिार लिाई. इससे िमें पुगलस और मेक्रडकल ररकार्डसय और अन्द्य दस्तािेजों को पाने में आसानी िुई खजनमें पुगलस दरु्वययििार और लापरिािी के ठोस सबूत गमले. ह्यमून राइट्स िाि ने पीक्रित के पररिार, ििाि या उनके िकील की सिमगत से इन प्रासिंगिक दस्तािेजों की प्रगतगलवप प्राप्त कर उन्द्िें अपने पास रिा िै.

    ह्यमून राइट्स िाि ने खजनका भी साक्षात्कार क्रकया िै उन्द्िें क्रकसी तरि का मेिनताना या लालि निीिं क्रदया िै. कुछेक मामलों में, ििािों के साक्षात्कार के दौरान भोजन और यात्रा पर िोने िाले ििय के गलए धनरागश उपलब्ध करायी ियी. अगधकााँश साक्षात्कार क्रििंदी या अिंगे्रजी में गलए िए. तगमलनाडु में कुछ साक्षात्कार एक स्ितिंत्र दभुावषये की मदद से तगमल भाषा में गलए िए. पखिम बिंिाल में कुछ साक्षात्कार एक दभुावषये की मदद से बिंिाली भाषा में गलए िए.

    ह्यमून राइट्स िाि ने ररपोटय में दशायए िए सभी लिंवबत मामलों में “सूिना के अगधकार” के तित आिेदन तैयार क्रकये ताक्रक पुगलस से यि जानकारी प्राप्त की जा सके क्रक उन्द्िोनें पीक्रित को क्रिरासत में लेने के दौरान गिरफ्तारी और मौत की जािंि के गलए बनाए िए गनयमों और प्रक्रियाओिं का पालन क्रकया या निीिं. ह्यमून राइट्स िाि ने क्रदल्ली खस्थत कामनिेल्थ ह्यमून राइट्स इगनगशएक्रटि नामक सिंस्था में िेंकटेश नायक से परामशय कर और उनके माियदशयन में एक मॉडल विकगसत क्रकया. स्थानीय िैर-सरकारी सिंिठनों ने सूिना के अगधकार के तित सूिना प्राप्त करने ले गलए सम्बिंगधत खजला और राज्य पुगलस अगधकाररयों और राष्ट्रीय एििं राज्य मानिागधकार आयोिों को आिेदन क्रदया. इस ररपोटय के पररगशष्ट में सूिना के अगधकार के तित मॉडल आिेदनों का प्रारूप सिंलग्न िै. इसी तरि ऐसे सभी आिेदनों क्रक सूिी और उनके जिाब जो रपट छपने के समय प्राप्त िुए, इस रपट के पररगशष्ट में सिंलग्न िैं.

  • भाईचारे में बंधे

    I. भारत में जीवन और स्वतंत्रता के अलधकार

    क्या गिरफ्तारी और क्रिरासत सम्बिंगधत डी.के. बासु गनयमािली का पालन करना र्वयििाररक िै? यि तभी सिंभि िै जब एक आदशय समाज बन जाए. खजस मािौल में िम काम करते िैं उसमें तो यि कभी सिंभि निीिं.

    - उत्त्तर प्रदेश का एक सब-इिंस्पेक्टर, अिस्त 2015

    भारतीय पुगलस आम तौर से गिरफ्तारी और क्रिरासत की समुगित प्रक्रियाओिं को क्रदशा गनदेगशत करने िाले घरेलू और अिंतरायष्ट्रीय कानूनों का उल्लिंघन करती िै. कानून लािू करने िाले अगधकतर अगधकारी यि मानते िैं क्रक जुमय कबूल करिाने और जानकारी िागसल करने के गलए बलप्रयोि अपराध के अनुसन्द्धान और कानून लाि ूकरने के गलए स्िीकार और जरुरी तरीका िै.

    सन 2009 में ह्यमून राइट्स िाि की ररपोटय ब्रोकन गसस्टम: क्रडसफिं क्शन, एब्यूज, एिंड इम्पुगनटी इन द इिंक्रडयन पुगलस में दशायया िया िै क्रक अपरागधक अगभयुक्तों का पुगलस द्वारा दरु्वययििार ििराई से और लिातार इसगलए िोता िै क्रक न केिल उनमें जिाबदेिी का अभाि िै बखल्क उन ढािंिों और प्रक्रियाओिं को भी ऊपर से नीिे तक सुधारा निीिं िया खजनके कारण अगधकारों का िनन िोता िै1. इसके साथ िी, काम करने की बुरी दशा और आधुगनक सबूत-आधाररत जािंि के गलए उगित प्रगशक्षण का अभाि पुगलस को यातना देने और बलप्रयोि पर िी गनभयर िोने के गलए पे्रररत करती िै. एक पुगलस कमी ने ह्यमून राइट्स िाि को बताया:

    क्रकसी को भी यातना देने का अगधकार निीिं िै, लेक्रकन यि अगधकतर इसगलए िोता िै जब िम क्रकसी अपराध की िुत्थी सुलझाने में जानकारी िागसल करने का प्रयास करते िैं . पुगलस बिुत दबाि में रिती िै, और इसगलए िम शॉटयकट अपनाते िैं क्योंक्रक अिर आप अगभयुक्त से पूछें िे तो िि गसफय यिी किेिा क्रक िि गनदोष िै.2

    1 ह्यमून राइट्स िाि, ब्रोकन गसस्टम: क्रडसफिं क्शन, एब्यूज, एिंड इम्पुगनटी इन द इिंक्रडयन पुगलस, अिस्त 2008, https://www.hrw.org/report/2009/08/04/broken-system/dysfunction-abuse-and-impunity-indian-police. 2 उत्तर प्रदेश में िाराणसी खजला के एक पुगलस सब-इिंस्पेक्टर के साथ ह्यमून राइट्स िाि का साक्षात्कार, 20 अिस्त, 2015.

    https://www.hrw.org/report/2009/08/04/broken-system/dysfunction-abuse-and-impunity-indian-police

  • हिसंबर २०१६

    जािंि के दौरान जानकारी िागसल करने के गलए अगभयुक्त से शारीररक तौर पर दरु्वययििार के अलािा, सज़ा के तौर पर भी पुगलस अगभयुक्त के साथ मार-पीट करती िै और यातना देती िै. इस तरि िि अदालत में सजा क्रदलाने िेतु सबूत जमा करने जैसे जरुरी काम की बजाए िुद िी अपराधी को सजा देने का रास्ता अपनाती िै.

    राष्ट्रीय अपराध ररकार्डसय ब्यूरो के अनुसार, सन 2010 और 2015 के बीि पुगलस क्रिरासत में कुल 591 लोिों की मौत िुई.3 इनमें मौत के प्राय: सभी कारण दशायए िए िैं, खजनमें यातना शागमल िै. लेक्रकन, इन आिंकिों से यातना के िास्तविक पैमाने का पता निीिं िलता क्योंक्रक इनमें पुगलस क्रिरासत में यातना और दरु्वययिार के ज्यादातर ऐसे मामले शागमल निीिं िैं खजनमें मौत निीिं िोती िै.

    भारतीय कानूनों में यातना पर पूरी तरि गनषेध िै. भारतीय सिंविधान में सभी को मौगलक मानिागधकार क्रक िारिंटी िै, खजसमें जीने और आजादी का अगधकार शागमल िै. सिोच्ि न्द्यायालय ने िषों से यि सुगनखित क्रकया िै क्रक इन मौगलक अगधकारों का पालन िो, और इसके गलए राज्य के सभी कायों का न्द्यायसिंित, उगित और तकय सिंित िोना ज़रूरी िैं.4 सन 1981 के एक फैसले में न्द्यायालय ने किा:

    इस तरि की यातना और िूरता, अमानिीय या गनकृष्ट र्वयििार के गलए यक्रद कोई भी कानून अगधकृत िै या कोई भी प्रक्रिया इसे बढ़ािा देती िै, तो िि कभी भी ताक्रकय कता और िैर-गनरिंकुशता के मापदिंड पर िरी निीिं उतरेिी. िि स्पष्ट तौर पर िैर-सिंिैधागनक और अमान्द्य िोिी खजसे अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लिंघन माना जायेिा.5

    सिोच्ि न्द्यायालय ने अपने कई फैसलों में कानून लािू करने िाली मशीनरी के गलए गनदेश जारी क्रकये िैं जो पुगलस के काम के विगभन्द्न पिलुओिं से सम्बिंगधत िैं, खजनमें मुकदमा दजय करना,

    3 “िाइम इन इिंक्रडया, २०१५”, नेशनल िाइम ररकॉडय ब्यूरो, ििृ मिंत्रालय, भरता सरकार. http://ncrb.gov.in/ (१० गसतम्बर, २०१६ को देिा िया); “िाइम इन इिंक्रडया, २०१४” http://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/CII2014/cii2014.asp (२३ अप्रैल, २०१६ को देिा िया); “िाइम इन इिंक्रडया, २०१३” http://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/CII2013/compendium%202013 _NEW.pdf (२३ अप्रैल, २०१६ को देिा िया); “िाइम इन इिंक्रडया, २०१०” http://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/cii2010/Compendium 2010.pdf (२३ अप्रैल, २०१६ को देिा िया); 4 गनत्या रामकृष्णन, इन कस्टडी: लॉ, इम्पुगनटी एिंड वप्रजनर एब्यूज इन साउथ एगशया (नयी क्रदल्ली, सेज प्रकाशन और साउथ एगशयन फॉर ह्यमून राइट्स, 2013) 5 फ्ािंगसस करली मुलीन बनाम यूगनयन टेररटरी ऑफ़ देल्िी, सुप्रीम कोटय ऑफ़ इिंक्रडया, AIR 746, SCR (2) 516, 1981, http://indiankanoon.org/doc/78536/ (१२ अिस्त, २०१५ को देिा िया).

    http://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/CII2014/cii2014.asphttp://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/CII2013/compendium%202013%20_NEW.pdfhttp://ncrb.nic.in/StatPublications/CII/cii2010/Compendium%202010.pdfhttp://indiankanoon.org/doc/78536/

  • भाईचारे में बंधे

    गिरफ्तार र्वयवक्तयों के साथ र्वयििार, और पूछ-ताछ शागमल िैं.6 इनमें से अगधकािंश क्रदशा-गनदेशों को तब से अपरागधक दिंड सिंक्रिता में शागमल कर गलया िया िै जो क्रक अपरागधक गनयत प्रक्रिया का कानूनी आधार प्रदान करती िै.7 न्द्यायालयों ने मक्रिलाओिं, िरीबों और ििंगितों के अगधकारों की सुरक्षा के मुद्दों पर भी पुगलस को क्रदशा-गनदेश क्रदए िैं.8

    भारत ने भी नािररक और राजनैगतक अगधकारों पर अिंतरायष्ट्रीय सिंगध की भी अगभपुवष्ट की िै, और यातना के खिलाफ कन्द्िेंशन पर िस्ताक्षर क्रकये िैं, ये दोनों िी यातना और िूरता, अमानिीय और गनकृष्ट र्वयििारों का गनषेध करते िैं.9 भारत ने बलपूियक लापता िोने के खिलाफ अिंतरायष्ट्रीय सिंगध पर भी िस्ताक्षर क्रकये िैं, लेक्रकन उसका अनुमोदन अभी तक निीिं क्रकया िै, जो यातना और अन्द्य घातक दरु्वययििारों को रोकने का प्रयास करती िै.10

    6 एक ऐसा िी ऐगतिागसक फैसला 1997 में डी.के.बसु बनाम पखिम बिंिाल राज्य का िै, खजसमें सिोच्ि न्द्यायालय ने क्रिरासत में यातना के प्रिालन को स्िीकार क्रकया िै: “अनुभि के आधार पर यि किा जा सकता िै क्रक मानिागधकारों का सबसे िराब िनन जािंि के दौरान िोता िै, जब पुगलस या तो सबूत जमा करने या जुमय कबूल करिाने के गलए थडय-क्रडग्री िथकिं डों को अपनाती िै, खजसमें यातना शागमल िै”. डी.के.बासु बनाम पखिम बिंिाल राज्य, 1 एससीसी 416, 1997. 7 अपरागधक दण्ड सिंक्रिता, 1973 की धारा 41 खजसमें वबना िारिंट के गिरफ्तारी का उल्लेि िै, को 2009 के अगधगनयम 5 द्वारा सिंशोगधत क्रकया िया; और इनमें गनम्न धाराओिं को जोिा िया - धारा 41क - पुगलस अगधकारी के समक्ष पेश िोने की सूिना, 41ि - गिरफ्तारी की प्रक्रिया तथा गिरफ्तार करने िाले अगधकारी के कतयर्वय, 41ि - खजला गनयिंत्रण कक्ष, 41घ - पूछ-ताछ के दौरान गिरफ्तार र्वयवक्त का अपने पसिंद के अगधिक्ता से गमलने का अगधकार. गिरफ्तारी कैसे की जाएिी से सम्बिंगधत धारा 46 को पिले 2005 के अगधगनयम 25 और क्रफर 2009 के अगधगनयम 5 के द्वारा सिंशोगधत क्रकया िया िै; गिरफ्तारी करने िाले र्वयवक्त की, गिरफ्तारी आक्रद के बारे में, नागमत र्वयवक्त को जानकारी देने की बाध्यता से सम्बिंगधत धारा 50क को 2005 के अगधगनयम 25 द्वारा जोिा िया था; पुगलस अगधकारी के आग्रि प्राथयना पर मेक्रडकल प्रैखक्टशनर द्वारा अगभयुक्त की परीक्षा से सम्बिंगधत धारा 53 को 2005 के अगधगनयम 25 द्वारा सिंसोगधत क्रकया िया था; बलात्कार के आरोपी र्वयवक्त की मेक्रडकल प्रैखक्टशनर द्वारा परीक्षा से सम्बिंगधत धारा 53क 2005 के को अगधगनयम 25 द्वारा जोिा िया था; गिक्रकत्सा अगधकारी द्वारा गिरफ्तार र्वयवक्त का पररक्षण से सम्बिंगधत धारा 54 को 2009 के अगधगनयम 5 द्वारा सिंशोगधत क्रकया िया था; गिरफ्तार र्वयवक्त का स्िास्थ्य तथा सुरक्षा से सम्बिंगधत धारा 55क को 2009 के अगधगनयम 5 द्वारा जोिा िया था; धारा 60 क्रक कोई भी गिरफ्तारी अपरागधक दिंड सिंक्रिता के प्रािधानों के वबल्कुल अनुरूप िोनी िाक्रिए, को 2009 के अगधगनयम 5 द्वारा जोिा िया था; बलात्कार पीक्रित र्वयवक्त की गिक्रकत्सा परीक्षा से सम्बिंगधत धारा 164क को 2005 के अगधगनयम 25 द्वारा जोिा िया था; और क्रिरासत में मौत की मखजस्टे्रट द्वारा जााँि से सम्बिंगधत धारा 176(1क) को 2005 के अगधगनयम 25 द्वारा सिंसोगधत क्रकया िया था. 8 मिंदीप गतिाना, ह्यूमन राइट्स एिंड पुगलगसिंि: लैंडमाकय सुप्रीम कोटय डारेखक्टर्वस एिंड नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन िाइडलाइन्द्स (न्द्यू डेल्िी: कामनिेल्थ ह्यमून राइट्स इगनगशएक्रटि, अप्रैल 2005) http://www.humanrightsinitiative.org/publications/hrc/humanrights _policing.pdf (2 फरिरी, 2016 को इस गलिंक को देिा िया) 9 गसविल ि राजनागतक अगधकारों पर अन्द्तराष्ट्रीय सिंगध (ICCPR)) G.A. res. 2200A (XXI), 21 U.N. GAOR Supp. (No. 16) at 52, U.N. Doc. A/6316 (1966), 999 U.N.T.S. 171 23 मािय 1976 से लािु िुआ, अनुच्छेद 3, 7. यातना और अन्द्य िूरता, अमानिीय और गनकृष्ट र्वयििारों या सजा के खिलाफ सम्मलेन (यातना के खिलाफ कन्द्िेंशन) को 10 क्रदसम्बर, 1984 में अपनाया िया था, G.A. res. 39/46, annex, 39 U.N. GAOR Supp. (No. 51) at 197, U.N. Doc. A/39/51 (1984) 26 जून 1987 में लािु िुआ था, अनुच्छेद 1. भारत यातना के विरुद्ध सम्मलेन में िस्ताक्षरकताय निीिं िै और इस िजि से भारत कानूनी तौर पर सिंगध के प्रािधानों को लािु करने के गलए बाध्य निीिं िै लेक्रकन िो उसके उदे्दकय और लक्ष्य को विफल करने के गलए कायय निीिं कर सकता िै. कानून पर सिंगधयों की विएना सम्मलेन जो 23 मई 1969 को सिंपन्द्न िुई, 1155 U.N.T.S. 331, 27 जनिरी 1980 से लािु िुई थी, अनुच्छेद 18. 10

    बलपूियक लापता िोने से सभी लोिों को सुरक्षा पर अन्द्तराष्ट्रीय सम्मलेन (International Convention for the Protection of All

    Persons from Enforced Disappearance, E/CN.4/2005/WG.22/WP.1/Rev.4 (2005). भारत ने इस पर सन 2007 में िस्ताक्षर क्रकये. अन्द्तराष्ट्रीय मानिागधकार कानून गिरफ्तारी और क्रिरासत को स्ितिंत्रता के िनन के रूप में पररभावषत करता िै और जो क्रक कानून द्वारा स्थावपत प्रक्रियाओिं के अनुकूल निीिं िैं और खजनमे अनुगित कायय, अन्द्याय और सुगनखित्तता का अभाि िै. मनमाने तौर से आजादी से क्रकसी को ििंगित करना “िैरकानूनी” तौर से ििंगित करने से भी र्वयापक िै, और इनमें क्रकसी भी र्वयवक्त को गिरफ्तार करना और क्रिरासत में लेना भी शागमल िै जो अपने अगभर्वयवक्त की आजादी, सिंिठन बनाने और शािंगतपूणय तरीके से जमा िोने के अगधकार के गलए सिंघषयरत िै. देिें आई.सी.सी.पी.आर. अनुच्छेद ९(१); एस. जोसफ एिंड एम.्कस्तान, नािररक और राजनैगतक अगधकारों पर अिंतरायष्ट्रीय सम्मलेन (ऑक्सफ़ोडय: ऑक्सफ़ोडय यूगनिगसयटी पे्रस, ३डी ई.डी. २०१३) सेखक्टओिंस ११.११ तो ११.१५.

    http://www.humanrightsinitiative.org/publications/hrc/humanrights%20_policing.pdf%20(2http://www.humanrightsinitiative.org/publications/hrc/humanrights%20_policing.pdf%20(2

  • हिसंबर २०१६

    इन कानूनों के बािजूद, भारत में क्रिरासत में यातना देना एक ििंभीर समस्या िै. भारतीय मानिागधकार सिंिठनों ने र्वयापक पुगलस यातनाओिं का दस्तािेजीकरण क्रकया िै.11 वपछले दो दशकों में, भारतीय न्द्यायालयों ने कई मौकों पर क्रटपण्णी की िै क्रक “क्रिरासत में अमानिीय यातना, बलप्रयोि और मौत” इतनी “र्वयापक” िैं खजनसे “कानून के राज और अपरागधक न्द्याय प्रशासन की विश्वसनीयता पर ििंभीर सिाल ििे िोते िैं”.12

    हिरासत में यातना और िरु्वययविार का जारी रिना फॉरेंगसक जािंि के िैज्ञागनक तौर-तरीकों के सिंसाधनों और प्रगशक्षण के अभाि में िी पूछ-ताछ के दौरान यातना देने का प्रिलन िै. फॉरेंगसक प्रयोिशालाओिं में या तो कमयिाररयों की कमी िै और या तो उनके पास वपछले मामलों का अम्बार लिा रिता िै.13 एन. रामििंरन, पूिय पुगलस मिागनदेशक और ितयमान में इिंक्रडयन पुगलस फाउिं डेशन के अध्यक्ष िैं, जो एक स्ितिंत्र, िैर-सरकारी सिंिठन िै, उन्द्िोंने ह्यमून राइट्स िाि को बताया क्रक पुगलस क्रिरासत में यातना को रोकने के गलए जािंि की सिंस्कृगत में बदलाि लाना िोिा:

    आज भी, भारत में, िम फोरेंगसक पर उस स्तर तक गनभयर निीिं िैं जो िमारे गलए ज़रूरी िै. इसको आिककता से किीिं कम इस्तेमाल क्रकया जाता िै, इसके विपरीत पुगलस, िासकर जूगनयर स्तर के पुगलस अफसर, थडय-क्रडग्री तरीकों का इस्तेमाल कर अपराध कबूल करिाने में ज्यादा भरोसा रिते िैं. घटनाओिं में कमी आई िै, लेक्रकन आज भी ऐसा िी िो रिा िै. फोरेंगसक के उपयोि के गलए न तो

    11 जनिरी से और अिस्त २००८ के बीि, द नेशनल प्रोजेक्ट ऑन पे्रिेखन्द्टिंि टाियर इन इिंक्रडया, ने नौ राज्यों के ४७ खजलों में पुगलस यातना के ६,०६३ मामलों का दस्तािेजीकरण क्रकया. पीपल्स िाि, “टाियर एिंड इम्पुगनटी इन इिंक्रडया”. निम्बर २००८, http://www.pwtn.org/tortureandimpunitybook.htm (१५ जुलाई २००९ को देिा िया). कई ररपोट्सय में, द एगशयाई सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स ने पुगलस द्वारा यातना के तरीकों की जािंि की िै, खजनमें उन्द्िोंने खजन मामलों का दस्तािेजीकरण क्रकया िै उन पर ििाय की िै और यातना पर मीक्रडया ररपोट्सय का भी विशे्लषण क्रकया िै. देखिये ए.सी.एि.आर., टाियर इन इिंक्रडया २००९ (नयी क्रदल्ली: ए.सी.एि.आर, जून २००९); ए.सी.एि.आर., टाियर इन इिंक्रडया २००८ (नयी क्रदल्ली: ए.सी.एि.आर, जून २००८); ए.सी.एि.आर., इिंक्रडयन ह्यमून राइट्स ररपोटय २००९ (नयी क्रदल्ली: ए.सी.एि.आर, मई २००९); ए.सी.एि.आर. एक्शनस अिेंस्ट टाियर एिंड अदर फॉम्सय ऑफ़ ह्यूमन राइट्स िाॅ यलेशन इन इिंक्रडया (नयी क्रदल्ली: ए.सी.एि.आर,२००९), सभी ररपोट्सय गमलने का स्त्रोत: http://www.achrweb.org/ (१५ जुलाई, २००९ को देिा िया). 12 दलबीर गसिंि बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एििं अन्द्य, भारत का सिोच्ि न्द्यायालय, ड�