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    पा य म अ भक प स म त अ य ो. (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा (राज थान)

    संयोजक एवं सद य

    संयोजक डॉ. एच.बी. न दवाना पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    1. डॉ. संजीव भानावत

    अ य , जनसचंार के राज थान व व व यालय, जयपरु

    सद य 2. ी राजे बोडा थानीय सपंादक, दै नक भा कर

    जयपरु 3. ो. देवेश कशोर

    नदेशक (से. न.) इले ॉ नक मी डया ोड शन सटर इि दरा गांधी रा य मु त व व व यालय नई द ल

    4. डॉ. रमेश च पाठ वभागा य प का रता एव ंजनसचंार वभाग लखनऊ व व व यालय, लखनऊ

    5. ी राजन महान राज थान यूरो चीफ एन.डी.ट .वी. जयपरु

    6. ो. रमेश जैन वभागा य (से. न.) प का रता एव ंजनसचंार वभाग वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    7. डॉ. अ नल कुमार उपा याय वभागा य प का रता एव ंजनसचंार वभाग महा मा गांधी काशी व यापीठ, वाराणसी

    8. ी न द भार वाज नदेशक दरूदशन, जयपरु

    संपादन एवं पाठ लेखन स पादक डॉ. संजीव भानावत अ य , जनसचंार के राज थान व व व यालय, जयपरु

    पाठ लेखक

    डॉ. मंजु सहं (6) सहायक आचाय, राजनी त व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    डॉ. एन.एल. गुजर (7,8,10) अ त थ या याता, व ध महा व यालय राज थान व व व यालय, जयपरु

    गुलाब ब ा (1,2,5,11) समाचार सपंादक यूनीवाता, य.ूएन.आई., जयपरु

    लोकेश शमा (12) सहायक सचूना एव ंजनस पक अ धकार राजभवन, जयपरु

    डॉ. याम शमा (3) काय म अ धकार , आकाशवाणी नई द ल

    ो. रमेश जैन (13, 14) वभागा य (से. न.) प का रता एव ंजनसचंार वभाग वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा डॉ. इ काश ीमाल (4,9)

    सहायक के नदेशक आकाशवाणी, च तौड़गढ़

    अकाद मक एवं शास नक यव था ो. नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय,कोटा

    ो. बी..के. शमा नदेशक

    अकाद मक

    योगे गोयल भार अ धकार

    पा य साम ी उ पादन एव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन

    योगे गोयल सहायक उ पादन अ धकार ,

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    पुनः उ पादन – अ टूबर 2012 ISBN No : 13/978-81-8496-358-8 इस साम ी के कसी भी अंश को व. म. ख.ु व., कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी प मे ‘ म मयो ाफ ’ (च मु ण) वारा या अ य पुनः ततु करने क अनुम त नह ं है।व. म. ख.ु व., कोटा के लये कुलस चव व. म. ख.ु व., कोटा (राज.) वारा मु त एवं का शत।

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    BJ-07 वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    मी डया सं थान बंधन एवं मी डया कानून

    इकाई स ं इकाई का नाम पृ ठ सं या इकाई - 1 समाचारप बधंन एव ं यव था : स पादक य एव ं व ापन बधंन 8 इकाई - 2 समाचारप बधंन एव ं यव था : वतरण बधंन (का मक व तीय

    एव ंभंडार बधंन) 27

    इकाई - 3 आकाशवाणी का संगठन एव ंनेटवक 43 इकाई - 4 दरूदशन का संगठन एव ं बधंन 54 इकाई - 5 समाचार स म त का बधंन एव ंसंगठन 67 इकाई - 6 भारतीय सं वधान का सामा य प रचय 81 इकाई - 7 भारत म मी डया के मखु काननू- थम भाग 92 इकाई - 8 भारत म मी डया के मखु काननू- वतीय भाग 180 इकाई - 9 सार भारती (भारतीय सारण नगम) अ ध नयम – 1990 222 इकाई – 10 व ापन वषयक काननू 239 इकाई – 11 चुनाव आचार सं हता एव ंमी डया 265 इकाई – 12 साइबर काननू 282 इकाई – 13 सूचना का अ धकार 325 इकाई – 14 बौ क स पदा अ धकार एव ंकाननू 340

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    पा य म प रचय बी.जे. (एम.सी. ) काय म का सातवा ंपा य म 'मी डया सं थान बधंन एव ंमी डया काननू' है । इस पा य म म 14 इकाइय को शा मल कया गया है, इनका प रचय न नानसुार है :- इकाई -1 समाषारप बधंन एव ं यव था : संपादक य एव ं वझापन संधन - इस

    इकाई म समाचारप का व प, संपादक य बधंन, स पादक य वभाग का व प और ग त व ध, संपादक य वभाग क संरचना और काय वभाजन,

    संपादक य वभाग से जुड़ी त नीक यव था एव ं व ापन बधंन क व तार से चचा क गयी है साथ ह व ापन वभाग एव ंसंपादक य और व ापन वभाग के सम वय पर भी काश डाला गया है।

    इकाई -2 समाचारप बधंन एव ं यव था : वतरण बधंन (का मक. व तीय एव ंभंडार बधंन) - इस इकाई म समाचारप का व प, समाचारप और वतरण बधंन, वतरण बधंन क संरचना, का मक तं , व तीय बधंन एव ंभ डार बधंन पर काश डाला गया है ।

    इकाई -3 आकाशवाणी का संगठन एव ंनेटवक - इस इकाई म आकाशवाणी का संगठन, आकाशवाणी के अ य भाग, सार भारती का संगठन एव ंआकाशवाणी के क काय णाल आ द क जानकार द गई है ।

    इकाई -4 दरूदशन का संगठन एव ं बधंन - इस इकाई म भारतीय सारण नगम, टेल वजन का आ व कार, भारतीय दरूदशन का संगठन, भारतीय दरूदशन का बधंन के साथ भारतीय दरूदशन सारण एव ंदरूदशन चैनल पर भी काश

    डाला गया है । इकाई -5 समाचार स म त का बधंन एव ंसंगठन - इस इकाई म समाचार स म त का

    अथ, प रभाषा, उपयो गता, तकनीक प , व तीय यव था, बधंन एव ंसंगठन क व तार से जानकार द गई है ।

    इकाई -6 भारतीय सं वधान का सामा य प रचय - इस इकाई म सं वधान का वकास, सं वधान का नमाण, भारतीय सं वधान क वशेषताएँ एव ंभारतीय सं वधान के मूल ढांचे क अवधारणा क व तार से चचा क गई है।

    इकाई -7 भारत म मी डया के मुख काननू- थम भाग - इस इकाई म भारत म मी डया काननू का इ तवतृ, मी डया संबधंी संवधैा नक ावधान, अ भ यि त क आजाद पर यिु तयु त तबधं, मी डया कृ य से मानहा न के साथ मी डया संबधंी मुख काननू म आव यक ावधान- ेस एव ंपु तक पजंीयन अ ध नयम 1867, शासक य गु त बात अ ध नयम 1923, ेस प रषद अ ध नयम 1978 आ द पर भी काश डाला गया है ।

    इकाई -8 भारत म मी डया के मुख काननू- वतीय भाग - इस इकाई म मी डया संबधंी अ य काननू - ना य दशन अ ध नयम 1876, भारतीय तार अ ध नयम 1885, भारतीय डाकघर अ ध नयम 1898, चल च अ ध नयम

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    1952, नाग रक सुर ा अ ध नयम 1968, रा य सुर ा अ ध नयम 1980, मानवा धकार सरं ण अ ध नयम 1993 आ द क व तार से चचा क गई है।

    इकाई -9 सार भारती ( भारतीय सारण नगम) अ ध नयम, 1990 - इस इकाई म सार भारती ( भारतीय सारण नगम ) अ ध नयम, 1990 क व तार से

    जानकार द गई है । इकाई -10 व ापन वषयक काननू - इस इकाई म व ापन वषयक काननू पर काश

    डाला गया है इकाई -11 चुनाव आधार सं हता एव ंमी डया - इस इकाई म चुनाव के आयाम, आचार

    सं हता, चुनाव संचालन णाल एव ंचुनाव और मी डया पर काश डाला गया है ।

    इकाई -12 साइबर काननू - इस इकाई म साइबर पेस, ई-कामस, साइबर अपराध, सूचना ौ यो गक अ ध नयम, 2000 क व तार से चचा क गई है ।

    इकाई -13 सूचना का अ धकार - इस इकाई म सूचना क प रभाषा, सचूना ा त यने क ा सी, सूचना के व भ न कार, भारत म सूचना के अ धकार का वकास एव ं व व म सूचना का अ धकार क जानकार द गई है ।

    इकाई -14 बौ क संपदा अ धकार एव ंकाननू - इस इकाई म 'बौ क संपदा अ धकार- अथ एव ं व प, बौ क संपदा अ धकार के कार क व तार से जानकार द गई है । पेटट अ ध नयम, 1970; यापार च ह अ ध नयम, 1999 एव ंडजाइन अ ध नयम, 2000 क व तार से चचा क गई है।

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    इकाई - 1 समाचारप बधंन एव ं यव था : स पादक य एव ं व ापन

    बधंन इकाई क परेखा 1.0 उ े य 1.1 तावना 1.2 समाचारप का व प 1.3 संपादक य बधंन 1.4 संपादक य वभाग का व प और काय व ध 1.5 संपादक य वभाग क संरचना और काय वभाजन

    1.5.1 धान संपादक और संपादक य ट म 1.5.2 संपादक य सं था और इसका बदलता प 1.5.3 समाचार संकलन यव था 1.5.4 समाचार स पादन यव था 1.5.5 र ववार य, व श ट सं करण, कॉलम लेखन 1.5.6 संदभ साम ी और पु तकालय 1.5.7 पृ ठ स जा 1.5.8 फोटो वभाग

    1.6 संपादक य वभाग से जुडी तकनीक यव था 1.6.1 समाचार क पोिजंग 1.6.2 ड म 1.6.3 मु ण यव था 1.6.4 सहयोगी एव ंगरै प कार

    1.7 व ापन बधंन 1.8 व ापन वभाग

    1.8.1 व ापन सं ह यव था 1.8.2 व ापन एजसी 1.8.3 व ापन साम ी क तैयार और तु त 1.8.4 वशेष सं करण, स ल मट और व ापन 1.8.5 व ापन बल और वसलू

    1.9 संपादक य और व ापन वभाग का सम वय 1.10 साराशं 1.11 श दावल 1.12 अ यासाथ न 1.13 संदभ थ

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    1.0 उ े य

    समाचारप प काओं का आज हमारे लोक जीवन म अप रहाय थान बन चुका है। कसी भी लोकतां क शासन यव था क क पना समाचारप के बना अधूर सी लगती है। समाचारप -प काओं का काशन, चाहे वह कसी भी भाषा म य न हो, आज के यगु म चुनौती भरा काय हो गया है। समाचारप बधंन एव ं यव था इसका अ नवाय ह सा है। इसके अ तगत समाचारप के स पादक य एव ं व ापन बधंन का मह वपणू थान है। इसके बना अखबार नकालना नामुम कन है। वाभा वक प से समाचारप के एक िज ास ु पाठक के प म हमे यह जानने क

    इ छा बलवती होगी क रोजाना ये प कस या के तहत तैयार करके हमारे घर म पहु ंचाये जात ेह। समाचारप को तैयार करने वाले लोग कौन कौन होत ेह और उनक या िज मेदार होती है। यह परू ट म स पादक य वभाग के अ तगत होती है। यह

    ट म व भ न पा रय म काम करके समाचारप के व भ न सं करण तैयार करती है और अ त आधु नक मशीन पर छपाई के बाद समाचारप पाठक के सामने आता है। संपादक य वभाग क संरचना और उसके बधंन के बारे म इस इकाई से हम व ततृ जानकार मलेगी। समाचारप काशन क अथ यव था म व ापन से अिजत आय क मह वपणू भू मका होती है। व ापन कस या से ा त कए जात े ह और कस तरह इनका

    तु तकरण होता है इसका सीधा संबधं व ापन बधंन से होता ह। पछले दशक म व ापन के तौर तर क म बहु त प रवतन आ गया है। भूमंडल य अथ यव था के नए दौर म वपणन तं म जहा ं व ापन पर व श ट यान दया जाने लगा है, वह ं व ापन के मा यम से वशेष संदेश देने का चलन हुआ है। इसके पीछे दशन क सोच मुख रत हु ई है। इसके वकास के लए व ापन परु कार क शु आत क गई। व ापन अपने आप म कला के साथ व ान एव ंतकनीक का व प ले चुका है। इन सभी ब दओंु पर इस इकाई म व तार से काश डाला जाएगा। इस इकाई के अ ययन के प चात ्आप – संपादक य वभाग क संरचना, इसक आव यकता एव ंउपयो गता, संपादक य वभाग का काय वभाजन, संपादक य बधंन, व ापन एव ंइसक स ेषणीयता, समाचारप म इसक तु त, व ापन का आ थक प एव ं व ापन बधंन णाल से प र चत हो सकग।

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    1.1 तावना सूचना एव ं जानकार के आदान- दान क सहज कया के साथ समाचारप आज समाज एव ंशासन यव था को दशा बोध देने वाले तं का मह वपणू ह सा बन चुके ह। जागतृ समाज के रोजमरा के जीवन म अखबार क आव यकता एव ंउपयो गता को कसी भी सूरत म अनदेखा नह ं कया जा सकता। इले ो नक मी डया के प म रे डयो, टेल वजन, फ म एव ंक यटूर वेबसाइट इ या द शि तशाल मा यम के साथ समाचारप , प काय भी समाचार के सश त साधन ह। सामािजक ाणी के प म सुख-दखु क घडी म सहज भाव से अपनी बात कहने और दसूरे क बात सुनने के वाभा वक गणु धम को सूचनाओं के आदान- दान के प म त बि बत करने म समाचारप सहायक होते ह। इस नाते समाज म समाचारप पी

    सं थान को अपने काय े म नणायक भू मका नभानी होती है और वह जनमत जागरण एव ं नधारण के साथ आम जन के अ धकार तथा वतं ता क र ा म मह वपणू भू मका नभाता है। लोक श ण क इसी कया म समाज एव ंरा नेतृ व के वकास म भी मदद मलती है। ाचीन भारत म स दय से ुत ान क च लत पर परा को छापाखाना के अि त व ने थायी एव ंभौ तक व प दान कया तो मु ण ौ यो गक ने इसे नये आयाम दए।

    समाचारप का काशन कडी त पधा के नये दौर म चुनौ तय से लबरेज है। ऐसे म समाचारप बधंन एव ं यव था क भू मका मह वपणू हो गई है। कसी भी समाचारप संगठन या सं थान को अपना अि त व बचाये रखने और भामंडल बनाये रखने के लए सफलतम बधंन क रोजमरा क पर ा से दो चार होना पडता है। बधंन के स ांत के पालन और आ थक ि ट से स म होने के साथ पाठक के व वास पर खरा उतरना ह उसक सफलता क गारंट है। इस इकाई म हम दै नक समाचारप के संपादक य बधंन और व ापन बधंन से जुड ेव भ न पहलुओं का बदंवुार अ ययन करग। संपादक य वभाग क संरचना के तहत अखबार के लए इसक उपयो गता एव ं आव यकता को समझने का यास कया जाएगा। संपादक य वभाग का काय वभाजन कस कार होता है, संपादक य वभाग के कस घटक को या िज मेदार द जाती है, उनम काय का तालमेल कस तरह होता है और उनके कामकाज पर कस कार से नगरानी रखी जाती है। हम यह सब जानने का य न इस इकाई म करगे। सम वय एव ं दशा- नदश क कसी समाचारप संगठन म या यव था रहती है और कस भावी तर के से समाचारप के व भ न सं करण

    तैयार कए जात ेह, यह सभी जानकार भी इस इकाई से मलेगी। अं ेजी एव ं हदं स हत व भ न भाषायी समाचारप के काशन म तुतीकरण एव ंउसक शलै म प रवतन वाभा वक ह ले कन मोटे तौर पर संपादक य वभाग क समाचारप के काशन म मह वपणू एव ं के य भू मका को नकारा नह ंजा सकता।

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    यह द गर बात है क एक जमाना था जब कसी समाचारप म संपादक अपने आप म परू तरह वतं होता था और िजसक नभ कता एव ंलेखन क तूती बोलती थी। अब हालात बदल चुके ह। संपादक नामक सं था गौण हो गई है और प मा लक के हत के अनु प समाचारप क र त नी त नधा रत क जाती है। इसी संदभ म कसी भी समाचारप म समाचार के संकलन चयन और उसके

    तुतीकरण के साथ व ापन बधंन क भी अहम ्भू मका होती है। चू ं क व ापन से ा त होने वाल आमदनी कसी भी समाचारप संगठन क अथ यव था म मह वपणू थान रखती है इस लए व ापन क अनदेखी नह ंक जा सकती। एक जमाने म कसी

    भी समाचारप म समाचार और व ापन के थान का तशत (अ धकतम 60:40 का अनपुात) तय था और इसका कडाई से पालन कया जाता था। अब ऐसा नह ं है और व त ज रत के हसाब से व ापन को समाचार क तुलना म वर यता द जाती है। समाचारप के थम पृ ठ पर संपणू प से व ापन को का शत करने क पर परा भी अब ारंभ हो गयी है। इसके बावजूद संपादक य वभाग और व ापन बधंन को आपसी तालमेल बठाना पडता है। व ापन के काशन के लए कई बार समाचारप क पृ ठ सं या भी बढानी पडती है। त वदं समाचारप से होड के चलत ेछ प से कमीशन के आधार पर व ापन के काशन का चलन भी आम हो गया है। इन सभी बदंओंु के बारे म हम इस इकाई म अ ययन करग।

    1.2 समाचारप का व प भारत स हत व भ न देश के जनजीवन के अ नवाय अंग के प म त ठा पत समाचारप को उनके व प क ि ट से मोटे तौर पर तीन े णय म वभािजत कया जाता है। रा य राजधानी द ल से का शत कए जाने वाले अं ेजी, हदं एव ंअ य भाषायी समाचारप सामा यत: रा य प क ेणी म शा मल कए जात ेह। यह भी सह है क शासन तं म हदं एव ंभाषायी प क तुलना म अं ेजी म छपने वाले समाचारप को ाथ मकता द जाती है। इनम टाइ स ऑफ इं डया, ह दु तान टाइ स, इं डयन ए स ेस, टे समेन तथा द ह द ू इ या द समाचारप मुख ह। कुछ अं ेजी समाचारप ने रा य राजधानी द ल के अलावा अ य रा य क राजधा नय एवं मुख नगर से भी अपना काशन शु कया है। इसी तरह हदं म दै नक ह दु तान,

    नवभारत टाइ स के अलावा अब जागरण, जनस ता, पजंाब केसर , रा य सहारा इ या द मुख समाचारप ने भी द ल के अलावा अ य थान से भी अंक काशन ारंभ कए है। वतं ता ाि त के बाद रा य राजधानी द ल के साथ ांतीय राजधा नय से

    समाचारप के काशन के सल सले म तेजी आयी। रा य समाचारप क भां त ादे शक समाचारप ने भी संभाग अथवा िजला मु यालय से अपने सं करण के काशन का व तार कया। उदाहरण के तौर पर राज थान म दै नक नव यो त ने

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    अजमेर के बाद जयपरु और कोटा म तो राज थान प का ने जयपरु के प चात ्जोधपरु, उदयपरु, बीकानेर, कोटा के साथ अ य ांत बगंलौर, चै नई, अहमदाबाद और द ल से भी प काशन आर भ कया। दै नक भा कर ने राज थान म जयपरु से अपने काशन क ंखला का रा य भर म व तार कया। दसूर तरफ, नवभारत टाइ स, ह दु तान टाइ स और टाइ स ऑफ इि डया के जयपरु सं करण अ धक समय तक नह ंचल सके। इसी कार िजला मु यालय से का शत होने वाले थानीय प ने भी रा य तर य समाचारप दजा हा सल करने के उ े य से ांतीय राजधानी अथवा मुख शहर से दो अथवा अ धक सं करण नकालने क शु आत क ले कन सी मत संसाधन के कारण वे अपना कोई भाव नह ंछोड पाये। वह ंरा य तथा ादे शक अथवा े ीय समाचारप के संभाग मु यालय या मुख शहर से सं करण के काशन क होड ने थानीय समाचारप के अि त व का संकट उ प न कर दया है। इस इकाई म हम मुख प से दै नक समाचारप के संपादक य बधंन से जुड ेपहलुओं पर चचा करग।

    1.3 संपादक य बंधन समाचारप चाहे रा य, ादे शक, े ीय या थानीय तर का हो उसके काशन के लए कसी एक नि चत थान पर भवन क आव यकता होती है। समाचारप कायालय के संपादक य वभाग को "सम त संसार क गूजं का ग लयारा" भी कहा गया है। एक जमाने म समाचारप के गने-चुने सं करण का शत कए जात ेथे। है ड क पोज और ेडल मशीन पर अखबार छपत ेथे िजनम काफ समय लगता था। नई तकनीक से अब रोटर तथा ऑफसेट मशीन पर अ यतं तेजी से मु ण संभव हो गया है। क पोिजंग अब क यटूर आधा रत हो गई है तथा समाचारप क पृ ठ स जा भी इसी तकनीक से होने लगी है। एक ह समाचारप के व भ न सं करण अलग-अलग थान से का शत कए जाने लगे ह िजसम सेटेलाइट तकनीक भी अपनायी जा रह है। घटना म और समाचारप के काशन के बीच क अव ध काफ घट गई है। इसी कार समाचारप म संपादक य वभाग के तौर-तर क म यापक प रवतन आ गया है। संपादक य वभाग के अलावा समाचारप सं थान म क यटूर वभाग, मु ण वभाग, व ापन वतरण वभाग, का मक एव ंभंडारण वभाग भी अि त व म आ गये ह ले कन मानव शर र क तरह संपादक य वभाग को समाचारप के 'मि त क और आ मा' क सं ा द जाती है। इसके बावजूद संपादक य वभाग का मौ लक ढांचा यथावत है। अलब ता उसम समाचारप के व प तथा सं करण क सं या के अनु प संपादक य वभाग क ट म का आकार काफ बढ गया है। इधर इले ो नक मी डया के तेजी से व तार के चलत े टं मी डया म समाचारप के सम नत नई चुनौ तया ं उ प न होने लगी ह। इन प रि थ तय म कसी भी समाचारप त ठान म संपादक य बधंन का व श ट मह व हो गया है।

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    पछले दशक से रा य एव ं ादे शक तर के समाचारप अलग अलग थान से अपने सं करण का शत करने लगे ह। ऐसी सूरत म समाचारप के धान संपादक क देखरेख म व भ न सं करण के लए थानीय संपादक और संपादक य बधंन ज र हो गया है तभी सम वय के साथ प का काशन हो पाता है। संपादक य बधंन से जुड े व भ न पहलुओं का हम व तार से अ ययन करग।

    1.4 संपादक य वभाग का व प और काय व ध अब तक हम संपादक य वभाग क मह ता से अवगत हो चुके ह। कसी भी समाचारप त ठान के लए संपादक य वभाग का अहम ् थान है। इसका व प हाँक , फुटबाल,

    या केट ट म के प म समझा जा सकता है िजसके क तान संपादक या धान संपादक होत ेह और उनके मागदशन म संपादक य वभाग क परू ट म आपसी तालमेल के साथ समाचारप के व भ न सं करण को तैयार करने म जुट रहती है। ट म के हर सद य के काम का बटंवारा होता है और वह अपनी िज मेदार बखूबी नभाने क को शश करता है। मोटे तौर पर समाचारप त ठान के संपादक य वभाग का व प लगभग एक समान होता है ले कन थान वशेष अथवा त ठान के प म अलग तौर तर के हो सकत ेह। उदाहरण के तौर पर नई द ल म नवभारत टाइ स के संपादक य वभाग म एक ह तल पर खुले के बन बने हु ए ह िजसम अलग-अलग संपादक य सहयोगी अपने लए नधा रत काम को अंजाम देते ह। कुछ समाचारप म ल बी गोलमेज के चार ओर संपादक य वभाग के सहयोगी अपना काम करत ेहु ए दखाई देत ेह। इसी तरह कुछ समाचारप म वशेष संवाददाताओं तथा समाचार संपादक, सहायक संपादक के अलग-अलग के बन बने हु ए होते ह। राज थान के मुख दै नक राज थान प का के केसरगढ़ ि थत मु यालय पर राज थान तथा अ य रा य से का शत कए जाने वाले सं करण क देखरेख क जाती है, वह ं झालाना सं था नक े ि थत कायालय म जयपरु सट डे क का कामकाज होता है। कई समाचारप के कायालय का भवन इतना वशाल होता है िजसम ि टंग मशीन भी वह ंहोती है तो कुछ समाचारप त ठान का संपादक य वभाग का अलग भवन होता है और समाचारप क छपाई अलग थान पर होती है। जयपरु म कुछ अस पहले ' ह दु तान टाइ स' प के लए इसी तरह क यव था थी । जयपरु के कुछ सां य दै नक का काशन भी इसी तरह से कया जा रहा है। रा य राजधानी द ल से का शत होने वाले कई समाचारप क छपाई गडुगांव म होती है। चै नई से का शत

    अं ेजी दै नक "द ह द"ू ने तो सेटेलाइट प त से गडुगांव, द ल से अपना सं करण का शत कया। समाचारप कायालय म समाचार अब संवाददाताओं, थानीय े ीय

    कायालय अथवा देश- वदेश म कायरत अपने त न धय के साथ-साथ डाक, तार, टेल फोन, टेल टंर, फै स, मॉडम, इंटरनेट, ई मेल तथा सेटेलाइट इ या द अ त

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    आधु नक साधन तक से आने लगे ह। इन समाचार को सह तर के से हा सल करने तथा संपादक य वभाग म नधा रत सहयोगी तक पहु ंचने क मुकि मल यव था रहती है तभी त परता से समाचार का चयन, संपादन और तुतीकरण का काम अनवरत चलता रहता है।

    येक समाचारप त ठान अपनी पर परा के अनसुार अखबार का काशन करता है, इस लए प क अपनी काय शैल अलग-अलग हो सकती है। राज थान प का के सं थापक वग य कपूरच कु लश का यह मानना था क " दै नक का टाइल और फाम पा चा य हो सकता है क त ुउसक साम ी व तुतीकरण क शलै नह ं।" इसी व श टता के अनु प समाचारप के संपादक अपनी सु वधा और अनकूुलता के तहत ्अपने तर पर संपादक य वभाग का ढांचा वक सत करत े ह। इसी के आधार पर संपादक य वभाग से जुडी ट म के काम-काज का न पादन, नर ण और पर ण कया जाता है। संपादक के उ तरदा य व एव ंसंपादक य वभाग क संरचना से संबं धत पहलुओं पर हम आगे अ ययन करग।

    1.5 संपादक य वभाग क संरचना और काय वभाजन समाचारप त ठान के मह वपणू अंग संपादक य बधंन के अ तगत ह संपादक य वभाग क संरचना और इसके सहयो गय क यो यता एव ंव र ठता इ या द के अनु प काय वभाजन कया जाता है। संपादक य वभाग क परू ट म समाचारप म तुत क जाने वाल साम ी का चयन कर उसे छपने यो य बनाती है। इस वषय म हम आगे चचा करग। इसी कार अखबार के काशन क िज मेदार बधं स पादक के कंधे पर होती है जो संपादक य एव ं व ापन वभाग स हत अ य संबं धत वभाग म आपसी तालमेल बठाकर अखबार को नय मत प से नकलवाने क यव था करत े ह। सभी बड ेसमाचारप म बधं स पादक नयु त कए जाते ह।

    1.5.1 धान संपादक और संपादक य ट म

    समाचारप का काशन ट म वक से ह संभव है। वाभा वक प से इसका मु खया धान संपादक या संपादक होता है जो प -प का म तुत क जाने वाल साम ी के चयन, उसक तु त एव ं बधंन संबधंी काय को आव यक दशा- नदश देकर नयं त करता है। इस लये यह अपे ा क जाती है क संपादक या धान संपादक बहु मुखी तभा का धनी होता है। एक जमाना था जब समाचारप म संपादक क तूती बोलती थी और प का मा लक भी उनके लेखन और यि त व का स मान करता था। इसके प चात प मा लक के ह संपादक होने का दौर भी चला। समाचारप के व भ न थान से सं करण का शत कए जाने का सल सला शु होने पर अलग-अलग सं करण के लए थानीय संपादक अथवा संपादक य भार नयु त कए जाने लगे िज ह

    पी.आर.बी ए ट के तहत ्खबर के चयन के लए उ तरदायी ठहराया जाने लगा और समाचारप क ेस लाइन म भी इसका उ लेख कया जाने लगा।

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    इसी पर परा म संपादक य सलाहकार पद का सजृन भी कया गया। नई द ल स हत कुछ अ य थान से इं डयन ए स ेस प समहू के काशन हदं दै नक जनस ता के धान संपादक रहे भाष जोशी को पछले दशक से संपादक य सलाहकार के प म नयु त कया गया है। ेस और पु तक पजंीकरण अ ध नयम, 1867 के तहत ्सपंादक का अथ उस यि त से है 'जो समाचारप म का शत होने वाल साम ी के चयन पर नयं ण रखता है।' इस अ ध नयम क धारा 5(1) के अनसुार येक समाचारप क येक त पर संपादक का नाम का शत कया जाना अ नवाय है। इसी म म भारतीय दंड सं हता क धारा 124 (क) के अ तगत राज ोह, धारा 153 (क) के तहत समूह के बीच श तुा व असौहा , धारा 171 (छ:) के अ तगत चुनाव के सल सले म म या कथन, धारा 292 के अधीन अ ल ल साम ी के काशन, धारा 295 के अ तगत धा मक भावनाओं को आहत करने और धारा 499 के तहत ्मान हा न स हत अनेक धाराओं म संपादक को दं डत करने का ावधान है। समाचारप क गलाकाट त प ा, बाजारवाद इ या द के चपेट म अब कमोबेश संपादक य सं था का अवमू यन होता जा रहा है। अखबार म भले ह संपादक का नाम जाता है ले कन हक कत म व ापन तथा बधं यव था से जुड ेलोग को तरजीह मलती है। इसके बावजूद यह भी कडवा सच है क क तान पी स पादक और उसके सहयोगी के प म थानीय संपादक, समाचार संपादक, मु य उप संपादक, कई सारे उप संपादक तथा संवाददाताओं, रपोटर क ट म के बना समाचारप का काशन सभंव नह ंहो पाता। एक ट म के क तान के प म संपादक को अपने सहयो गय क द ता, काय कौशल, संपादन नपणुता के अनु प काय वभाजन करत े हु ए काम म जुटाना होता है। उनम आपसी सम वय और सामंज य बठाना पडता है। इस कया म संपादक को नर णा मक, यव थापक और व लेषणा मक काय क भू मका नभानी होती है। इसके साथ ह यो यता एव ंद घ अनभुव के बलबतूे संपादक अपने रचना मक काय से समाचारप त ठान क गौरव ग रमा म वृ के लए त पर रहता है। संपादक को रा , समाज, शासन और अपने पाठक के त उ तरदा य व का भी नवाह करना होता है।

    समाचारप या समूह और इसके वारा का शत कए जाने वाले सं करण के अनु प संपादक य ट म का गठन कया जाता है। मोटे तौर पर संपादक या धान संपादक के अधीन कायकार संपादक, संयु त संपादक, थानीय संपादक,

    सहायक संपादक, समाचार संपादक, मु य उपसंपादक, उपसंपादक, फू र डर, पृ ठ भार , सं करण भार इ या द क आव य तानसुार तथा सु वधानसुार नयिु त क जाती है। इसके अलावा नय मत प से कॉलम लखने वाल ,

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    र ववार य अथवा प र श ट भार क अलग से यव था होती है। इनके कामकाज के संबधं म हम अगले पृ ठ म व तार से चचा करग।

    1.5.2 संपादक य सं था और इसका बदलता प

    कसी भी समाचारप म का शत होने वाल साम ी के लए जहा ं काशक क वशेष िज मेदार होती है वह ं का शत साम ी के चयन का उ तरदा य व संपादक पर होता है। इस ि ट से संपादक का थान सव प र होता है। भारत के वतं ता आंदोलन म अ धसं य नेता, प कार क भू मका भी साथ-साथ नभा रहे थे। तब समाचारप ने लोकमत जगाने म मह वपणू भू मका नभायी। त काल न समय म संपादक वारा लखे गये अ लेख तथा संपादक य ट प णय ने जनता म देश के लए कुछ कर गजुरने का ज बा पदैा कया। संपादक क लेखनी आग उगलती थी और उ ह टश हु कूमत का कोप भाजन बनना पडता था। तब यह कहावत च लत थी क एक स पादक को पा र मक के प म दो सूखी रोट तथा जेल क हवा खाने को तैयार रहना चा हए। आज़ाद से पहले संपादक को ''पीर बावच भ ती रवर'' क कहावत के अनु प समाचारप नकालने के लए सभी तरह के उप म करने पडत ेथे। ले कन इस तप या के चलत े उ ह संपादकाचाय के प म मान- त ठा भी मलती थी। ले कन आज़ाद के बाद प का रता पी मशन के यावसा यक प लेने से ि थ त म बहु त बदलाव आ गया है। नई अथ यव था के दौर म त पधा क अंधी दौड तथा बाजारवाद के च यहू म तो संपादक य सं था ाय: गौण हो गई ह। समाचारप त ठान म अब व ापन तथा अथ यव था बधंन से जुड ेलोग क मह ता बढ गई है और संपादक पी घोड ेको मजबरू वश हांके जाने क प रपाट चल पडी है। इस दयनीय ि थ त के बावजूद संपादक य सं था का वजूद बना हुआ है। अनेक कई अवसर पर यातनाम प कार ने पद को लात मार कर इस पद क त ठा को बनाये रखने म स ांत से कसी तरह का समझौता करना मुना सब नह ंसमझा।

    1.5.3 समाचार संकलन यव था

    समाचार का संकलन और उनका े ठ र त से संपादन करके अखबार म उसक तु त क सीधी िज मेदार संपादक य वभाग के अ तगत आती है। कसी भी अखबार के लए समाचार ''क चे माल'' के प म जाना जाता है और उसक बेहतर न तु त संपादक य संरचना के तहत होती है। कसी भी समाचारप के तर के अनु प अपने काय एव ं सार े म संवाददाता नयु त कए जात ेह । पहले डाक या तार से समाचार भेजने क यव था थी ले कन अब तो फै स, क यटूर, इंटरनेट तथा टेल फोन से समाचार ेषण का काय होने लगा है। संचार तकनीक के व तार और आधु नक करण कया के चलत,े ई मेल, लैपटॉप का भी इ तेमाल होने लगा है।

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    समाचारप क कडी त पधा के चलत ेसमाचार को त परता से भेजने क कवायद म तेजी आ गई है। इसी कार समाचारप के कायालय म समाचार स म तय से टेल टंर मशीन, क यटूर, मोडम, ई-मेल तथा सेटेलाइट मा यम से भी समाचार ा त करने क यव था रहती है। इसके अलावा ेस व ि तय के मा यम से भी समाचार मलत ेह।

    बोध न 1. संपादक य डे क से जुड़ े मुख पद कौन-कौन से होत ेहै?

    …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………

    2. आपक ि ट म समाचारप का समाचार क कैसा होना चा हए? …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..

    1.5.4 समाचार संपादन यव था

    इस कार व भ न तर क से ा त होने वाले समाचार को संपादक य वभाग के सहयोगी अपने अखबार क र त-नी त, सार, े , समय और आव यकता के अनु प इ तेमाल करत ेह। यह या समाचार संपादन के तहत आती है।

    पवू म यह बताया जा चुका है क ाय: सभी समाचारप के व भ न सं करण नकलत े रहत ेह ता क शहर वशेष तक अखबार सुबह सवेरे वतरण के लए पहु ंचाये जा सक। इस कया म समय का वशेष यान रखना होता है। सं करण भार घडी देखकर काम करत े ह ता क अखबार के बडंल अपने गतं य के लए समय पर रवाना कए जा सक।

    समाचारप के व भ न पृ ठ को तैयार करने म संपादक य वभाग क परू ट म जुटती है। संपादक या थानीय संपादक क देखरेख म सभी सहयो गय का काय वभािजत रहता है। हर पृ ठ के लए एक या दो सहयोगी िज मेदार संभालत ेह। पृ ठ पर जाने वाले व ापन के अलावा र त थान पर समाचार दए जाते ह, फोटो, काटून या ाफ लगाये जात ेह। वा ण य पृ ठ म उ योग धंधे, कंपनी, बाजार भाव, मंडी भाव, सराफा, शेयर बाजार इ या द से सबंं धत समाचार का समावेश होता है। इसी तरह खेल पृ ठ, मनोरंजन पृ ठ, रा , रा य, व व तर के समाचार के लए अखबार के आकार- कार तथा पृ ठ सं या के अनु प पृ ठ नधा रत होते ह। एक पृ ठ पर संपादक य लेख, कसी वषय वशेष पर आलेख, पाठक के प , व रत ट पणी इ या द का समावेश होता है। समाचार संपादक, मु य उपसंपादक या सं करण भार अपने सहयोगी क काय मता, च तथा वषय क समझ के अनु प संबं धत समाचार स पादन के लए देत ेह। समाचार क काट-छांट, वा य रचना, तुतीकरण तथा अखबार

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    से संबं धत पृ ठ पर उपल ध जगह, समाचार के अनु प फोटो, ाफ या काटून के साथ शीषक या है डगं लगाने क कया संपादक य वभाग क ट म वारा परू क जाती है। अखबार के सं करण के अनु प यह काय पार दर पार चलता रहता है। धान संपादक या उनके वारा नयु त व र ठ सहयोगी समाचारप के येक सं करण क नय मत प से समी ा करत े ह। सहयो गय क बठैक म उनसे चचा कर आव यक दशा नदश देत े ह तथा समाचार के फालोअप क कया अपनायी जाती है। संपादक/कायकार संपादक/ थानीय संपादक समाचारप या समूह क बधं यव था के अनु प इनम से कसी एक या अ धक सं या म नयिु त क जाती है जो थान वशेष के आधार पर अपने सहयो गय के बीच संपादक य वभाग के कामकाज का वग करण कर आव यक दशा नदश के साथ मॉ नट रगं करत ेह। संयु त या सहायक संपादक इसी कार समाचारप क र त नी त एव ं व प इ या द के अनसुार संयु त संपादक या सहायक संपादक अपने सहयो गय के यटू चाट, अवकाश इ या द तथा अ य संबं धत वभाग से सम वय तथा संपादक क अनपुि थ त म उनके दा य व का नवाह करता है। श ट इचंाज या भार , मु य उप संपादक, समाचार संपादक के साथ तालमेल बठात े हु ए व भ न पृ ठ एव ं त भ के लए साम ी के चयन, संपादन और उसम तु तकरण के साथ आव य तानसुार वचार प से जुडी साम ी के संकलन और लेखन म भी उनक व श ट भू मका होती है। वशेष अवसर पर फ चर संग, आलेख तथा व भ न प र श ट क तैयार के लए इनम क पनाशील, सजनशील और कला मक मता के धनी होने क अपे ा रहती है। समाचार संपादक इस पदनाम से ह प ट है क समाचार संपादक का सीधा वा ता समाचार से है। देश- वदेश, अपने रा य एव ं अंचल से व भ न तर क से मलने वाले समाचार , यजू एजसी से ा त खबर के चयन तथा समाचारप म उनके

    तु तकरण क सीधी िज मेदार समाचार संपादक क होती है। अपनी नेतृ व मता, काय कुशलता और बधंन यव था से मु य उप संपादक एव ं उप

    संपादक क ट म से उनक यो यतानसुार काम लेने और समय पर अखबार नकालने क नय मत अि न पर ा से उसे गजुरना होता है। समाचारप समूह क यव था के अनसुार पार या सं करण भार भी उसके सहयोगी होत ेह। मु य उप संपादक / उप संपादक / श ुइस म म समाचारप के अनु प एक या एक से अ धक सं या म इनक नयिु त क जाती है। ा त समाचार को छपने यो य प देने, शीषक, उपशीषक लगाने, फोटो, काटून, ाफ इ या द लगाने का काय यह ट म मलकर करती है। व र ठता के अनसुार इनका काय नधारण होता है।

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    1.5.5 र ववार य / व श ट सं करण / कॉलम लेखन

    समाचारप के र ववार य सं करण का अपना वशेष आकषण होता है। इसके लए कसी व र ठ सहयोगी को िज मेदार द जाती है जो समय एव ं संग के अनु प व वजन एव ं वषय वशेष से संबं धत साम ी का लेखन करवात ेह इसी के अनु प फोटो, ास, चाट, न शे इ या द तैयार कए जात ेह। इसी तरह व श ट सं करण भी नकाले जात ेह। पा क तान क धानमं ी बेनजीर भु ो क रावल पडंी म 27 दस बर, 2007 को गोल मारकर ह या क गई और जयपरु से का शत दै नक भा कर ने अगले दन चार पृ ठ का "बेनजीर वशषे" का काशन कया िजसम भु ो प रवार क अंतरंग कथा और बेनजीर के व वध रंगीन च थे। अ य कई समाचारप भी ऐसे वशेष अवसर पर व श ट सं करण का शत करत ेह। इसी कार व भ न समाचारप अपने यहा ं नय मत प से अलग अलग कालम लखवात ेह। जाने-माने प कार कुलद प नयैर, खुशवतं सहं, अ ण शौर , एम.जे.अकबर, बी.जी.वग ज राजनेता अ ण नेह , नटवर सहं इ या द व श ट प के लए वशेष कालम लखत ेह िज ह पाठक बड ेचाव से पढत ेह। इनका संयोजन संपादक य वभाग वारा कया जाता है।

    1.5.6 संदभ साम ी और पु तकालय

    संपादक य वभाग के लए संदभ साम ी और पु तकालय का व श ट मह व है। कसी भी अ छे समाचारप या समूह के लए इ ह अ नवाय माना जाता है। कसी घटना वशेष या मुख ह ती के बारे म समय पर संदभ साम ी मलना और उसक भावी तु त से समाचारप को अपने पाठक से शंसा मलती है। संदभ साम ी को पु तकालय म बेहतर ढंग से रखा जाता है। भारत के रा प त या धानमं ी या अ य कसी मुख ह ती के असाम यक नधन अथवा अ तरा य परु कार मलने स हत व श ट अवसर पर पु तकालय के मा यम से त परता से संदभ साम ी क उपल धता संपादक य वभाग को राहत देती है। इस लए दोन का सम वय ज र है। कई समाचारप ने प चीस या पचास वष पहले अपने प म का शत मुख खबर को कसी वशेष कालम म देने क पर परा शु क है। समाचार स म त य.ूएन.आई. क संदभ साम ी के प म " बकै ाउ डर " सेवा काफ च चत रह । इसके मा यम से पाठक को घटना म या मुख ह ती के बारे म परुानी जानकार सहज प से मल जाती थी।

    1.5.7 पृ ठ स जा

    तकनीक प से पृ ठ स जा का कसी भी समाचारप के लए अहम थान है। ले-आउट, पृ ठ स जा या मेक अप से ह अखबार म नखार आता है और पाठक उसके त आक षत होता है। पहले जब अखबार म क पोिजंग होता था

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    तब मेकअप क अपनी सीमा थी ले कन पछले ढाई दशक म क यटूर क सहायता से समाचारप क पृ ठ स जा ने यापक प ले लया है। अब पृ ठ स चा के लए फोटो, ा फ स, न शे इ या द का योग सुगमतापवूक कया जाने लगा है। समाचारप के थम और अं तम पृ ठ, सपंादक य पृ ठ स हत व भ न पृ ठ क साज-स जा अलग अलग होती है और ाय: येक अखबार क अपनी शैल होती है। समय समय पर इसम नवीनता लाने के लए प रवतन कए जात ेह। अपने त पध अखबार क तुलना म आकषण पदैा करने के लए पृ ठ क साज स जा से जीव तता और सजीवता उ प न करने के वशेष यास कए जात ेह। इसी हसाब से रंग योजना का यान रखा जाता है। कई

    समाचारप म कला संपादक रखने क पर परा भी चल नकल है । बाजारवाद ने तो अखबार क पृ ठ स जा को नया प दे दया है।

    1.5.8 फोटो वभाग

    अखबार जगत म यह जुमला अ य त च लत रहा है क एक हजार श द लखने क तुलना म एक फोटो का भाव कह ंअ धक देखा गया है। ए शन फोटो के तो कहने ह या जो कहानी अपने आप बया ंकरत े हु ए अखबार म जान डाल देत ेह। कई बार फोटो पाठक के दल को छू जात ेह। इस लए पछले दशक म समाचारप म एक से अ धक फोटो ाफर रखने का चलन बढा है जो दन-रात घटना म वाले थल क ओर भागत ेदौडत े देखे जा सकत े ह। इनके प र म से पाठक को घटना म का जीवतं नजारा देखने का अवसर मलता है। अ छे समाचारप म फोटो वभाग क एक अ छ खासी ट म होती है जो कसी एक फोटो संपादक क देखरेख म काम करती है या संपादक य डे क से उसका वा ता रहता है। इसी तरह परुाने फोटो का एलबम भी सरु त रखा जाता है तथा समय के अनु प उनका उपयोग होता है। पछले कुछ अस से फोटो जन ल ट क अवधारणा भी च लत हु ई है िजसके नयना भराम फोटो तथा नीचे कै शन लखकर टोर कवर क जाने लगी है। इसी तरह समाचारप म काटू न ट भी रखे जाते ह जो व वध वषय तथा ताजा घटना म पर चुट ले काटून बनाते ह। अखबार म छपने वाले काटून पाठक को गदुगदुा देते ह तथा यव था वशेषकर राजनेताओं पर मीठ चोट करत ेह।

    1.6 संपादक य वभाग से जुडी तकनीक यव था समाचारप म व ापन को छोडकर तुत क जाने वाल साम ी के चयन तथा

    तु तकरण क िज मेदार स पादक य वभाग पर आती है। इस काय म संपादक य ट म को तकनीक सहयो गय से भी काम लेना पडता है। पछले तीन दशक म इस यव था म काफ प रवतन आ गया है। इस बारे म हम बदंवुार वचार करग।

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    1.6.1 समाचार क पोिजंग यव था

    एक जमाने म संपादक य ट म वारा तैयार साम ी क पोज के लए भेजी जाती थी। ज त े के टाइप म क पोज मैटर को गलै म रख काल याह का रोलर चला कर फू लया जाता था और फू र डर मूल त से मलान कर उसक अशु या ं नकलवाता था। इसके बाद डमी के अनु प एक एक पेज का मेकअप कया जाता था और छपाई क मशीन पर अखबार का मु ण कया जाता था। क यटूर के आ व कार के बाद यह समचूी कया बदल गई है। अब तो संपादक य ट म के सहयोगी खबर हाथ से लखने या टाइप करने क अपे ा क यटूर पर तैयार करत ेह और इस कया से तैयार क पोिजत साम ी पृ ठ भार वारा द गई डमी के आधार पर क यटूर आपरेटर अथवा पेज मेकर या

    मेकअप मैन संबं धत पृ ठ तैयार करता है। इसी तरह थम एव ंअं तम पृ ठ पेजमेकर सॉ टवेयर क मदद से क यटूर पर तैयार कर लेत े ह और श ट भार मु य उप संपादक समाचार संपादक अथवा थानीय संपादक वारा

    'ओके' कए जाने के बाद साम ी मु ण के लए चल जाती है।

    1.6.2 ड म

    अखबार के कायालय म समाचार एज सय के टेल टर िजस क म रखे जात ेह उसे ड म कहा जाता है। पहले मैके नकल टेल टर का जमाना था िजसक टक टक क आवाज़ से संपादक य वभाग से लगा ड म गूजंता रहता था। इले ो नक टेल टर आने से इसम बदलाव आया और अब तो क यटूर मॉडम वबैसाइट इ या द का योग होने से संपादक य क का व प ह प रव तत हो गया है। समाचारप के े ीय कायालय से भी समाचार ा त करने क यव था ड म म क जाती है।

    1.6.3 मु ण यव था

    पृ ठ स जा के बाद अखबार ि टंग मशीन पर छपने के लए भेजा जाता है। येक समाचारप या प समूह के सं करण तथा सार सं या के अनु प ि टंग मशीन क यू न स क यव था क जाती है। अब तो ऑफसेट मशीन

    का जमाना है िजसम एक घटें म हजार क सं या म बहु रंगी पृ ठ का अखबार छपने लगा है।

    1.6.4 सहयोगी एव ंगरै प कार

    संपादक य वभाग के ढांचे म संपादक य ट म के अलावा अ य सहयोगी कमचार एव ंगरै प कार का भी सहयोग लया जाता है। क यटूर ऑपरेटर पेजमेकर एव ंअ य तकनीक कमचार इसी ेणी म आत ेह। संपादक य वभाग क साफ सफाई, ड म से समाचार या ेस व ि तया ंइ या द डे क पर लाना - इन

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    काय के लए भी सहयोगी कमचार समाचारप या समहू क यव था के अनु प नयु त कए जाते ह। इनके अलावा मु ण लेखा, व ापन वतरण तथा शास नक कामकाज करने वाले कमचा रय का भी अपने तर पर सहयोग

    रहता है।

    1.7 व ापन बंधन संचार मा यम के प म अखबार, रे डयो तथा ट वी, वेबसाइट इ या द के लए व ापन का मह वपणू थान है। एक ओर व ापन इन मा यम क आय का मुख ोत होते ह वह ं व ापन दाता अपने उपभो ता को अपने उ पाद के त पाठक को आक षत करने का य न करता है। इले ो नक मा यम ने तो व ापन जगत के प र य को ह बदल डाला है। लोक श ा क ि ट से भी व ापन को उपयोगी माना जाता है जो संबं धत वषय व त ुके त जनमानस म जाग कता उ प न करने म सहायक होता है। संचार मा यम क अथ यव था म व ापन से अिजत आय का मुख थान है। बाजारवाद क कडी त प वा म व ापन जुटाना बहु त बडी चुनौती है। व ापन पाने के लए समाचारप समहू रणनी त तैयार करत े ह और आव य तानसुार इसम प रवतन करत ेरहत ेह। इस कला म न णात यि त या ट म व ापन बधंन से जुडती है। यहां हम समाचारप -प काओं क ि ट से व ापन बधंन पर चचा करग।

    1.8 व ापन वभाग समाचारप त ठान के मम बदं ूके प म जहां स पादक य वभाग का थान होता है उसी तरह व ापन वभाग क मह वपणू भू मका होती है। इस वभाग को "कमाऊ पतू" माना जाता है। ाय: मोटे तौर पर समाचारप या समूह के व ापन वभाग म व ापन बधंक, वग कृत व ापन बधंक, रा य व ापन बधंक, थानीय ड ले एव ं रटेल व ापन बधंक, व ापन एजसी से स पक, व ापन व े ता शोधकता, व ापन साम ी तैयार करने वाले कलाकार - कापी राइटर, व ापन एजे ट व अ य सहयोगी शा मल कए जाते ह। इसके साथ ह अब माक टगं हैड रखने का भी चलन बढ गया है। व ापन के मा यम के प म ेस मी डया के अलावा सारण मी डया म रे डयो टेल वजन नेटवक, आउटडोर मी डया के तहत हो ड स, पो टस, अ य मी डया के प म व ापन, फ म इ या द को शा मल कया जाता है। हम यहा ं प प काओं और वशेषकर अखबार के व ापन बधंन से जुड ेपहल ुपर ह चचा करग। यह अपे ा क जाती है क कसी भी समाचारप का व ापन बधंक ग तशील यि त व का धनी, कुशल सम वयक और नेतृ वकता होना चा हए जो हर प रि थ त का व लेषण करत े हु ए बेहतर व े ता के प म व ापन जुटाने क रणनी त बनाने और उसके या वयन क मता रखता हो। व ापन के काशन से संबं धत काननू और आचार सं हता क जानकार भी व ापन बधंक को होनी चा हए।

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    येक समाचारप अपनी सार सं या के अनसुार नधा रत ेणी के तहत वग कृत होता है तथा व भ न सरकार एज सय ( व ापन एव ं य सार नदेशालय एव ंरा य के सूचना एव ंजनस पक नदेशालय) वारा व ापन दर तय क जाती ह। इनके अलावा वा णि यक दर अलग होती ह िजसका नधारण समाचारप त ठान वारा कया जाता है। अपनी सार सं या के बल पर यह दर समय समय पर बढाई जाती ह। अ धक से अ धक व ापन जुटाने क रणनी त के तहत समाचारप समूह वारा तरह तरह के उप म कए जाने लगे ह।

    1.8.1 व ापन सं ह यव था

    समाचारप या समूह अपनी ेणी एव ंसं करण के अनु प व ापन सं ह क यव था करत ेह। प के मु यालय स हत व भ न के पर व ापन ा त कए जात ेह। इनके अलावा व ापन एजट क भी नयिु त क जाती है। कई लघ ु एव ंम यम ेणी के समाचारप अपने अंशका लक संवाददाताओं अथवा त न धय के मा यम से भी व ापन जुटात ेह और इसके बदले उ ह कमीशन

    देते ह। इसके अलावा व ापन एज सय से भी समाचारप को व ापन मलत ेह। के और रा य सरकार तथा उनसे संबं धत त ठान उप म इ या द भी समय समय पर व ापन जार करत ेह।

    1.8.2 व ापन एजे सी

    समाचारप और इले ो नक मी डया के लए व ापन उपल ध कराने म व ापन एज सय क मह वपणू भू मका है। अनेक बडी बडी एज सया ंहर साल लाख करोड पय का यापार करती ह। आपसी त प ा म इनका एका धकार भी टूटा है और सचंार मा यम के भाव म प रवतन के साथ व ापन एज सय के कामकाज पर भी असर पड रहा है। पछले कुछ वष म भारत व व म मुख बाजार के प म उभरा है इस लए व ापनदाताओं का व तार होने लगा है और इसी के चलते व ापन एज सय का काय भी बढा है और उ ह बहुआयामी मा यम के साथ नवीनतम तकनीक का सहारा लेना पड रहा है। ाहक वारा सीधे व ापन देने के चलन से उ प न चुनौती का भी उ ह सामना करना पड रहा है इस लए अ धका धक सु वधाय देकर व ापनदाता को आक षत करने क रणनी त अपनायी जाने लगी है। समाचारप समूह भी इस दौड म व ापन एज सय के साथ जुटे हु ए है।

    1.8.3 व ापन क तैयार और तु त

    व ापन ा त करना और उसे व ापनदाता क मंशा के अनु प समाचारप म का शत करना वशेष कला मानी जाती है और इसी के बलबतूे प अपने

    उपभो ता को थायी ाहक बनाने म सफल हो पाता है। नई तकनीक के फल व प अब तो व ापन एजसी रेडीमेड तथा कलर संयोजन के साथ व ापन

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    साम ी उपल ध कराने लगी ह और समाचारप को इसे मुखता से ड ले करना होता है। अलब ता इसम छपाई का मह व भी रहता है। इसके बावजूद समाचारप कायालय म व ापन को तैयार करने के लए कॉपी राइटर कलाकार या आ ट ट इ या द क यव था करनी होती है। अब तो क यटूर के मा यम से ा फ स इ या द तैयार कए जाने लगे ह और इसम कुशल लोग अ छा रज ट देत ेह। व ापन वभाग क कुशलता इसी म मानी जाती है क व ापनदाता उससे संतु ट रहे और समाचारप का नय मत ाहक बना रहे। वाभा वक प से इसम समाचारप क अपनी है सयत ( सार सं या) का अहम थान होता है।

    1.8.4 वशेष सं करण स ल मट और व ापन

    दै नक समाचारप का नय मत सं करण रोज पाठक को मलता है और उसम व ापन भी छपत े ह। ले कन वय ं समाचारप के र ववार य सं करण या थापना दवस पर होल - दवाल , वत ता दवस, गणत दवस इ या द

    रा य पव पर समचार प के वशेष सं करण के काशन म व ापन क अहम भू मका होती है। इसके लए व ापन वभाग वारा व ापन जुटाये जाते ह। इनके अलावा कसी सं था या संगठन वारा अ पताल, ब डस, क पनी, उ योग धंधे या यापार से जुड ेलोग वारा अपने हत या चार- सार के लए वशेष स ल मट भी का शत करवाये जात ेह। व ापन वभाग से जुड ेलोग जो माक टगं देखत ेह वे इन स ल मट का लान करवात ेह तथा अपने समाचारप के लए अ त र त आय क यव था करत ेह।

    1.8.5 व ापन बल वसूल

    व ापन ा त करना और समाचारप म उसके काशन के बाद व ापन वभाग के इस वग से जुड ेकमचा रय क िज मेदार आती है। व ापन बल तैयार कर संबं धत व ापन दाता या व ापन एजसी तक उ�