नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़...

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u u c c h h l l Y Y y y Y Y y y k k g g q q v v y y S S f f g g o o l l Y Y y y e e d d h h u u e e k k t t + + d d s s r r j j h h d d + + k k d d k k l l k k j j k k a a k k ys[k ys[k ys[k ys[k v v Y Y y y k k e e k k ' ' k k S S [ [ k k e e q q g g E E e e n n u u k k f f l l j j q q í í h h u u v v Y Y c c k k u u h h j j f f g g e e g g q q Y Y y y k k g g vuqokn vuqokn vuqokn vuqokn v v r r k k m m j j Z Z g g e e k k u u f f t t + + ; ; k k m m Y Y y y k k g g 1431-2010

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इस पुस्तक में, प्रमणित हदीसों की रोश में तकबीर कहने से लेकर सलाम फेरने तक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा़ संछिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है।

TRANSCRIPT

Page 1: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

uuuuuuuucccccccchhhhhhhh llllllllYYYYYYYYyyyyyyyyYYYYYYYYyyyyyyyykkkkkkkkggggggggqqqqqq qq vvvvvvvvyyyyyyyySSSSSS SS ffffffffgggggggg oooooooo llllllllYYYYYYYYyyyyyyyyeeeeeeee ddddddddhhhhhhhh uuuuuuuueeeeeeeekkkkkkkktttttttt++++++ ++ ddddddddssssss ss rrrrrrrrjjjjjjjjhhhhhhhhdddddddd++++++ ++ kkkkkkkk ddddddddkkkkkkkk llllllllkkkkkkkkjjjjjjjjkkkkkkkk aaaaaa aa rsquorsquorsquorsquorsquorsquorsquorsquokkkkkkkk

ys[kys[kys[kys[k

vvvvvvvvYYYYYYYYyyyyyyyykkkkkkkkeeeeeeeekkkkkkkk kkkkkkkk SSSSSS SS[[[[[[[[kkkkkkkk eeeeeeeeqqqqqq qqggggggggEEEEEEEEeeeeeeeennnnnnnn uuuuuuuukkkkkkkk fffffffflllllllljjjjjjjj qqqqqq qqiacuteiacuteiacuteiacuteiacuteiacuteiacuteiacutehhhhhhhhuuuuuuuu vvvvvvvvYYYYYYYYcccccccckkkkkkkkuuuuuuuuhhhhhhhh jjjjjjjjffffffffggggggggeeeeeeeeggggggggqqqqqq qq YYYYYYYYyyyyyyyykkkkkkkkgggggggg

vuqoknvuqoknvuqoknvuqokn

vvvvvvvvrrrrrrrrkkkkkkkkmmmmmmmmjjjjjjjj ZZZZZZ ZZ ggggggggeeeeeeeekkkkkkkkuuuuuuuu fffffffftttttttt++++++ ++kkkkkkkkmmmmmmmmYYYYYYYYyyyyyyyykkkkkkkkgggggggg

1431-2010

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 3

vYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nkyw gSAkyw gSAkyw gSAkyw gSA

नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह

वववव----सलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ा

हर कार क शसा और गणगान अलाह

क िलए योय ह

सवशampमान अलाह क कपा और

अनकपा स िननिल+खत पampय- म नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 4

पढ़न का तर13क़ा साराश 0प म ःतत

कया जा रहा हः

पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना

1- ऐ मसलमान भाई जब आप नमाज़ क

िलए खड़ ह- तो आप चाह जहा भी ह-

फज़ एव नझल दोन- नमाज- म अपना

चहरा काबा (मBका मकरमा) क तरफ कर

ल Bय-क यह नमाज़ क अरकान म स

एक DBन ह +जस क ampबना नमाज़ शE

(सह13) नह13 होती हF

2- सलातल खौफ (डर क नमाज़) और

घमासान क लड़ाई म जगज स काबा क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 5

ओर चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह

- तथा उस आदमी स भी काबा क ओर

चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह जो काबा क ओर अपना चहरा करन म

असOम हो जस बीमार आदमी या जो

Pयamp नाव (कती) म या मोटर गाड़13 या

हवाई जहाज़ पर सवार हो जबक उस

नमाज़ क समय क िनकल जान का खौफ

हो

- इसी कार उस आदमी स भी यह हBम समाL हो जाता ह जो कसी चौपाय या

अTय वाहन पर सवार13 क हालत म नUल

या ampवऽ नमाज़ पढ़ रहा हो जबक ऐस

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 6

आदमी क िलए मसतहब (बहतर) यह ह

क यद सभव हो तो तकबीरतल एहराम

कहत समय अपना चहरा क़Wला (काबा)

क ओर कर फर उस सवार13 क साथ

मड़ता रह चाह +जधर भी उस का Dख हो

जाय

2- काबा को अपनी नज़र स दखन वाल हर

Pयamp क िलए ज़0र13 ह क वह ःवय काYा

क ओर अपना मह कर क खड़ा हो कTत

जो आदमी काYा को अपनी नज़र स नह13

दख रहा ह वह माऽ काYा क दशा क

ओर मह कर क खड़ा होगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 2: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 3

vYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nvYykg ds uke ls vkjEHk djrk gwiexcl tks vfr esgjcku vkSj nkyw gSAkyw gSAkyw gSAkyw gSA

नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह नबी सललाह अलह

वववव----सलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ासलम क नमाज़ का तर13क़ा

हर कार क शसा और गणगान अलाह

क िलए योय ह

सवशampमान अलाह क कपा और

अनकपा स िननिल+खत पampय- म नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 4

पढ़न का तर13क़ा साराश 0प म ःतत

कया जा रहा हः

पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना

1- ऐ मसलमान भाई जब आप नमाज़ क

िलए खड़ ह- तो आप चाह जहा भी ह-

फज़ एव नझल दोन- नमाज- म अपना

चहरा काबा (मBका मकरमा) क तरफ कर

ल Bय-क यह नमाज़ क अरकान म स

एक DBन ह +जस क ampबना नमाज़ शE

(सह13) नह13 होती हF

2- सलातल खौफ (डर क नमाज़) और

घमासान क लड़ाई म जगज स काबा क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 5

ओर चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह

- तथा उस आदमी स भी काबा क ओर

चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह जो काबा क ओर अपना चहरा करन म

असOम हो जस बीमार आदमी या जो

Pयamp नाव (कती) म या मोटर गाड़13 या

हवाई जहाज़ पर सवार हो जबक उस

नमाज़ क समय क िनकल जान का खौफ

हो

- इसी कार उस आदमी स भी यह हBम समाL हो जाता ह जो कसी चौपाय या

अTय वाहन पर सवार13 क हालत म नUल

या ampवऽ नमाज़ पढ़ रहा हो जबक ऐस

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 6

आदमी क िलए मसतहब (बहतर) यह ह

क यद सभव हो तो तकबीरतल एहराम

कहत समय अपना चहरा क़Wला (काबा)

क ओर कर फर उस सवार13 क साथ

मड़ता रह चाह +जधर भी उस का Dख हो

जाय

2- काबा को अपनी नज़र स दखन वाल हर

Pयamp क िलए ज़0र13 ह क वह ःवय काYा

क ओर अपना मह कर क खड़ा हो कTत

जो आदमी काYा को अपनी नज़र स नह13

दख रहा ह वह माऽ काYा क दशा क

ओर मह कर क खड़ा होगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 3: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 4

पढ़न का तर13क़ा साराश 0प म ःतत

कया जा रहा हः

पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना पहलाः काबा क ओर मह करना

1- ऐ मसलमान भाई जब आप नमाज़ क

िलए खड़ ह- तो आप चाह जहा भी ह-

फज़ एव नझल दोन- नमाज- म अपना

चहरा काबा (मBका मकरमा) क तरफ कर

ल Bय-क यह नमाज़ क अरकान म स

एक DBन ह +जस क ampबना नमाज़ शE

(सह13) नह13 होती हF

2- सलातल खौफ (डर क नमाज़) और

घमासान क लड़ाई म जगज स काबा क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 5

ओर चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह

- तथा उस आदमी स भी काबा क ओर

चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह जो काबा क ओर अपना चहरा करन म

असOम हो जस बीमार आदमी या जो

Pयamp नाव (कती) म या मोटर गाड़13 या

हवाई जहाज़ पर सवार हो जबक उस

नमाज़ क समय क िनकल जान का खौफ

हो

- इसी कार उस आदमी स भी यह हBम समाL हो जाता ह जो कसी चौपाय या

अTय वाहन पर सवार13 क हालत म नUल

या ampवऽ नमाज़ पढ़ रहा हो जबक ऐस

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 6

आदमी क िलए मसतहब (बहतर) यह ह

क यद सभव हो तो तकबीरतल एहराम

कहत समय अपना चहरा क़Wला (काबा)

क ओर कर फर उस सवार13 क साथ

मड़ता रह चाह +जधर भी उस का Dख हो

जाय

2- काबा को अपनी नज़र स दखन वाल हर

Pयamp क िलए ज़0र13 ह क वह ःवय काYा

क ओर अपना मह कर क खड़ा हो कTत

जो आदमी काYा को अपनी नज़र स नह13

दख रहा ह वह माऽ काYा क दशा क

ओर मह कर क खड़ा होगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 4: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 5

ओर चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह

- तथा उस आदमी स भी काबा क ओर

चहरा करन का हBम समाL हो जाता ह जो काबा क ओर अपना चहरा करन म

असOम हो जस बीमार आदमी या जो

Pयamp नाव (कती) म या मोटर गाड़13 या

हवाई जहाज़ पर सवार हो जबक उस

नमाज़ क समय क िनकल जान का खौफ

हो

- इसी कार उस आदमी स भी यह हBम समाL हो जाता ह जो कसी चौपाय या

अTय वाहन पर सवार13 क हालत म नUल

या ampवऽ नमाज़ पढ़ रहा हो जबक ऐस

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 6

आदमी क िलए मसतहब (बहतर) यह ह

क यद सभव हो तो तकबीरतल एहराम

कहत समय अपना चहरा क़Wला (काबा)

क ओर कर फर उस सवार13 क साथ

मड़ता रह चाह +जधर भी उस का Dख हो

जाय

2- काबा को अपनी नज़र स दखन वाल हर

Pयamp क िलए ज़0र13 ह क वह ःवय काYा

क ओर अपना मह कर क खड़ा हो कTत

जो आदमी काYा को अपनी नज़र स नह13

दख रहा ह वह माऽ काYा क दशा क

ओर मह कर क खड़ा होगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 5: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 6

आदमी क िलए मसतहब (बहतर) यह ह

क यद सभव हो तो तकबीरतल एहराम

कहत समय अपना चहरा क़Wला (काबा)

क ओर कर फर उस सवार13 क साथ

मड़ता रह चाह +जधर भी उस का Dख हो

जाय

2- काबा को अपनी नज़र स दखन वाल हर

Pयamp क िलए ज़0र13 ह क वह ःवय काYा

क ओर अपना मह कर क खड़ा हो कTत

जो आदमी काYा को अपनी नज़र स नह13

दख रहा ह वह माऽ काYा क दशा क

ओर मह कर क खड़ा होगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 6: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 7

गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ गलती स काबा क अलावा कसी और तरफ

नमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमःनमाज़ पढ़न का हBमः

4- अगर कोई आदमी काफ यास और

तलाश क बाद बदली या कसी अTय कारण

काबा क अलावा कसी और तरफ मह कर

क नमाज़ पढ़ ल तो उसक नमाज़ सह13

(माTय) ह और उस नमाज़ लौटानी नह13

पड़गी

5- और अगर कोई आदमी काबा क अलावा

कसी अTय दशा क तरफ नमाज़ पढ़ रहा

ह और उसी हालत म कोई भरोसमद

आदमी आ कर उस कWला क दशा क

सचना द तो उस जद13 स काYा क दशा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 7: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 8

म मड़ जाना चाहय और उसक नमाज़

सह13 (शE) ह

दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम दसराः क़याम ((((खड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होनाखड़ा होना))))

6- नमाज़ी क िलए खड़ हो कर नमाज़

पढ़ना ज़Dर13 ह और यह नमाज़ का एक

DBन ह मगर कछ लोग- पर इस हBम का पालन करना अिनवाय नह13 ह और व कछ

इस कार हF

- खौफ (भय और डर) क नमाज़ तथा

घमासान जग क समय नमाज़ पढ़न वाला

आदमी चनािच उस क िलय सवार13 पर बठ

बठ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 8: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 9

- ऐसा बीमार Pयamp जो खड़ हो कर नमाज़

पढ़न स असमथ हो चनािच ऐसा आदमी

अगर बठ कर नमाज़ पढ़ सकता ह तो बठ

कर नमाज़ पढ़ नह13 तो पहल क बल हो

कर नमाज़ पढ़

- तथा नUल नमाज़ पढ़न वाला आदमी

चनािच उस क िलए बठ कर या सवार13 पर

सवार होन क हालत म नमाज़ पढ़न क

D_सत (छट) ह और वह Dक और स`दा

अपन िसर क इशार स करगा तथा बीमार

आदमी भी इसी कार अपनी नमाज़ को

अदा करगा मगर अपन स`दा म अपन

(िसर को) Dक स कछ अिधक झकाए गा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 9: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 10

7- बठ कर नमाज़ पढ़न वाल नमाजी क

िलए जाइज़ नह13 ह क वह ज़मीन पर कोई

ऊची चीज़ रख कर उस पर स`दा कर

ब+क अगर वह अपन माथ को सीध

ज़मीन पर रखन म सOम नह13 ह तो वह

अपन स`दा को अपन Dक़ स अिधक नीच

करगा जसा क हम अभी इस का उलख

कर चक हF

कती कती कती कती ((((नावनावनावनाव) ) ) ) और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़ और हवाई जहाज़ म नमाज़

पढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानःपढ़न का बयानः

8- नाव (या पानी क जहाज़) और हवाई

जहाज़ म फज़ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 10: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 11

9- तथा उन दोन- म सवार आदमी को

अगर िगरन का डर हो तो उस क िलए बठ

कर नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

10- इसी कार बढ़ाप या शर13र क

कमज़ोर13 क ampबना पर अपन क़याम (खड़

होन) क हालत म कसी खभा या लाठg

का सहारा लना जाइज़ ह

नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना नमाज़ का कछ भाग खड़ हो कर पढ़ना

और कऔर कऔर कऔर कछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करःछ बठ करः

11- रात क नमाज़ (तह`जद क नमाज़)

को ampबना कसी कारण क खड़ हो कर या

बठ कर पढ़ना जाइज़ ह तथा उन दोन- को

एकampऽत करना भी जाइज ह चनािच बठ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 11: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 12

कर नमाज़ पढ़न क श0आत कर और

क़राअत कर और Dक करन स थोड़13 दर

पहल खड़ा हो जाए और जो आयत बाक

रह गई हF उTह खड़ हो कर पढ़ फर Dक

और सजदह कर फर इसी कार दसर13 रक़अत म भी कर

12- और जब वह बठ कर नमाज पढ़ तो

चार ज़ान हो कर (आती पाती मार कर)

बठ या कोई अTय बठक (आसन) +जस म

उस आराम िमलता हो

जता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाःजता पहन कर नमाज़ पढ़नाः

13- +जस कार आदमी क िलए नग पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह उसी तरह उस क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 12: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 13

िलए जता पहन कर भी नमाज़ पढ़ना

जाइज़ ह

14- लकन अफज़ल (बहतर) यह ह क

कभी नग पर नमाज़ पढ़ और कभी जता

पहन कर जसा क उस क िलए आसान

हो अतः नमाज़ पढ़न क िलए उन दोन-

को पहनन का कi न कर और न ह13 (यद

उTह पहन हए ह तो ) उन दोन- को

िनकालन का कi कर ब+क अगर नग पर

ह तो नग पर ह13 नमाज़ पढ़ ल और अगर

जता पहन हए ह तो जता पहन हए नमाज़ पढ़ िसवाय इस क क कोई मामला पश

आ जाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 14

15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 13: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

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15- और जब उन दोन- (जत-) को िनकाल

तो उनको अपन दाहन तरफ न रख ब+क

उस अपन बायी तरफ रख जबक उस क

बाय तरफ कोई आदमी नमाज़ न पढ़ रहा

हो नह13 तो उन दोन- को अपन दोन- पर-

को बीच म रख (मF कहता ह कः इस म हका सा इशारा ह क आदमी जत- को

अपन सामन नह13 रखगा और यह एक

िशiाचार ह +जस क नमा+जय- क बहमत उपOा करती ह अतः आप उTह अपन

जत- क ओर नमाज पढ़त हए दखग )

अलाह क पगबर सललाह अलह व सलम स इस का आदश साampबत ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 14: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 15

िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः िमबर पर नमाज़ पढ़नाः

16- लोग- को िसखान क िलए इमाम का

कसी ऊची जगह जस क िमबर पर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह अतः वह उस पर

खड़ हो कर तकबीर कह क़राअत कर और

Dक कर फर उलट पर िमबर स नीच

उतर यहा तक क िमबर क कनार जमीन

पर सजदह कर फर िमबर पर वापस

लौट जाय और दसर13 रकअत म भी वसा ह13 कर जसा क पहली रकअत म कया था

नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर और

उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब उस क क़र13ब हो कर नमाज पढ़ना वा+जब

हः हः हः हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 15: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 16

17- नमाज़ी का अपन सामन सऽा रख कर

नमाज़ पढ़ना वा+जब ह और इस बार म

म+ःजद और म+ःजद क अलावा क बीच

तथा छोट13 और बड़13 म+ःजद क बीच कोई

अतर नह13 ह Bय-क नबी सललाह अलह व सलम का यह कथन सामाTय हः

तम ampबना सऽा क नमाज़ न पढ़ो और

तम कसी आदमी को अपन सामन स

हरिगज़ गज़रन न दो अगर वह नह13

मानता ह तो उस स झगड़ा करो Bय-क

उस क साथ एक िमऽ (अथात शतान) होता

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 16: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 17

18- तथा उस स क़र13ब रहना ज़0र13 ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम न इस बात का lBम दया ह

19- तथा आप सललाह अलह व सलम क सजदह करन क जगह और उस द13वार

क बीच +जस क तरफ आप नमाज पढ़त

थ तक़र13बन एक बकर13 क गज़रन क

बराबर फािसला होता था इसिलए +जस न

ऐसा कया उस न +जतना िनकट रहना

वा+जब ह उस को अजाम द दया ( मF

कहता ह कः इस स हम पता चलता ह क लोग जो चीज़ उन सभी म+ःजद- म करत

हF +जTह मF न सीmरया वगरह म दखा ह क

व लोग म+ःजद क बीच म द13वार या खभ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 17: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 18

स दर हो कर नमाज प ढ़त हF यह कारवाई

(कnय) अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क हBम और आप क कम (अमल) स ग़फ़लत और लापरवाह13 का

नतीजा ह)

सऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाःसऽा क ऊचाई क माऽाः

20- सऽा का ज़मीन स लगभग एक ampबqा

(9 इच) या दो ampबqा ऊचा रखना वा+जब ह

Bय-क अलाह क नबी सललाह अलह व सलम का फरमान ह कः जब तम म

स कोई आदमी अपन सामन कजाव क

अितम भाग क लकड़13 क तरह (कोई

चीज़) रख ल तो उस चाहए क वह नमाज़

पढ़ और उस काजाव क बाद स गज़रन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 18: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 19

वाल क वह कोई परवाह न कर ( कजाव

क अत म जो खभा होता ह उस अरबी

भाषा म अल-मअ_खरह कहत हF और

ऊट क िलए कजावा ऐस ह13 होता ह +जस

कार क घोड़ क िलए काठg होती ह तथा

हद13स स इिगत होता ह क धरती पर

लकर खीचना (सऽा क िलए) पयाL नह13

ह और इस बार म जो हद13स व+णत ह वह

ज़ईफ (कमज़ोर) ह )

21- और नमाज़ी सीध सऽा क ओर चहरा

करगा Bय-क सऽ क ओर नमाज़ पढ़न क

हBम स यह13 अथ ज़ाहर होता ह और जहा

तक उस स दाय या बाय तरफ हट कर इस

तरह खड़ होन का सबध ह क ठgक उसी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 19: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 20

क ओर मह न हो तो यह साampबत

(मा+णत) नह13 ह

22- तथा जमीन म गड़13 हई लकड़13 वगरह क तरफ नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह इसी

कार कसी पड़ क तरफ या कसी खभ

क तरफ या चारपाई पर लट13 हई अपनी पsी क ओर इस हाल म क व अपनी

रज़ाई (कबल) क नीच हो तथा चौपाय

क ओर भल ह13 वह ऊट ह13 Bय- न हो

इन सब क तरफ (यानी इTह सऽा मान

कर) नमाज़ पढ़ना जाइज़ ह

क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना क़ क ओर मह कर क नमाज़ पढ़ना

हराम हःहराम हःहराम हःहराम हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 20: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 21

23- कसी भी हालत म क़ क ओर

नमाज़ पढ़ना जाइज़ नह13 ह चाह व नampबय-

क क़ ह- या उन क अलावा अTय लोग-

नमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम हनमाजी क सामन स गज़रना हराम ह चाह चाह चाह चाह

वह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होःवह म+ःजद हराम क अदर ह13 Bय- न होः

24- नमाजी क सामन स गज़ना जाइज़

नह13 ह जब क उस क सामन सऽा हो और

इस बार म म+ःजद हराम और उस क

अलावा दसर13 म+ःजद- क बीच कोई अतर नह13 ह अतः सभी म+ःजद जाइज़ न होन

म बराबर और समान हF Bय-क अलाह क

नबी सललाह अलह व सलम का यह फरमान आम (सामाTय) ह कः अगर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 21: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 22

नमाजी क सामन स गज़रन वाल को यह

पता चल जाए क उस पर कतना गनाह

ह तो उस क िलए चालीस (साल या

मह13ना या दन तक) खड़ा रहना इस बात

स अuछा होता क वह नमाज़ी क सामन स

गज़र अथातः नमाज़ी और उस क सजदह

क जगह क बीच स गज़रना ( और जहा

तक उस हद13स का सबध ह +जस म यह

वणन ह क आप सललाह अलह व सलम न ampबना सऽा क मताफ क

कनार नमाज़ पढ़13 और लोग आप क

सामन स गज़र रह थ तो यह सह13 नह13 ह

जब क इस हद13स म इस चीज़ का वणन

नह13 ह क लोग आप क और आप क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 22: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 23

सजदह करन क जगह क बीच स गज़र रह

थ )

नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को नमाज़ी का अपन सामन स गज़रन वाल को

रोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब हरोकना वा+जब ह चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम चाह वह म+ःजद हराम

ह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होःह13 म Bय- न होः

25- सऽा रख कर नमाज़ पढ़न वाल आदमी

क िलए जाइज़ नह13 ह क वह अपन सामन

स कसी को गज़रन द जसा क ampपछली

हद13स म ह कः तम कसी को अपन

सामन स मत गज़रन दो तथा

आप सललाह अलह व सलम का फरमान हः जब तम म स कोई आदमी

कसी चीज़ क ओर नमाज़ पढ़ रहा हो जो

उस क िलए लोग- स आड़ हो फर कोई

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 23: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 24

आदमी उस क सामन गज़रना चाह तो वह

उसक सीन पर मार कर उस ढकल द और

जहा तक हो सक उस रोक और एक

दसर13 mरवायत म ह कः तो उस -दो

मतबा- रोक अगर इस क बाद भी वह न

Dक तो फर उस स िभड़ जाए Bय-क वह

शतान ह

गज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चलगज़रन वाल को रोकन क िलए आग चल

कर जानाःकर जानाःकर जानाःकर जानाः

26- नमाज़ी क िलए कसी गर मकलफ

(जो शर13अत क आदश- का बाxय नह13 ह)

जस कसी चौपाय या बuच को अपन

सामन स गजरन स रोकन क िलए एक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 24: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 25

कदम या उसस अिधक आग बढ़ना जाइज़

ह ताक वह उस क पीछ स गज़र जाए

नमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानमाज़ को काट दन वाली चीज़- का बयानःनःनःनः

27- नमाज म सऽ का महnव यह ह क

वह उस क तरफ नमाज़ पढ़न वाल आदमी

और उस क सामन स गज़र कर उस क

नमाज़ को खराब करन क बीच Dकावट बन

जाता ह इस क ampवपर13त जो आदमी सऽा

नह13 रखता ह तो ऐस आदमी क सामन स

जब कोई Pयःक औरत या इसी कार गधा

या काला कqा गज़रता ह तो उस क

नमाज़ को काट दता ह (अथात खराब कर

दता ह)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 25: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 26

तीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयततीसराः नीयत

28- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क +जस

नमाज़ क िलय खड़ा हआ ह उस क नीयत कर और अपन दल म उस को िनधाmरत

कर जस उदाहरण क तौर पर ज़हर या अॐ

क फज़ या उन दोन- क सTनत और यह

नमाज़ क शत या DBन ह कTत जहा

तक नीयत को अपनी ज़बान स कहन का

सबध ह तो यह ampबzअत और सTनत क

+खलाफ़ ह और मक़+लद13न +जन इमाम-

क परवी करत ह उन म स कसी एक न

भी यह बात नह13 कह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 26: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 27

चौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीरचौथाः तकबीर

29- फर अलाह अकबर कह कर नमाज़

का आरभ कर और यह नमाज़ का DBन

ह Bय-क अलाह क रसल सललाह अलह व सलम का फरमान हः नमाज़

क कजी पampवऽता (वज़) ह और उस क

तहर13म (यानी नमाज़ स असबिधत बात-

को हराम करन वाली चीज़) तकबीर ह और

उस क तहलील (हलाल करन वाली चीज़)

सलाम फरना ह अथातः अलाह क हराम

कय हय काम- को हराम ठहराना और इसी कार +जन चीज- को अलाह न नमाज़ क

बाहर हलाल कया ह उन को हलाल

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 27: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 28

ठहराना और तहलील और तहर13म स

मरादः हराम करन वाली चीज और हलाल

करन वाली चीज ह

30- इमाम क िसवाय अTय नमा+जय- क

िलए सभी नमाज़- म तकबीर क साथ

अपनी आवाज़ को बलद करना जाइज नह13

31- ज़0रत पड़न पर मअ+`जन का इमाम

क तकबीर को लोग- तक पहचाना जाइज़ ह जस क इमाम का बीमार होना और उस

क आवाज का कमज़ोर होना या इमाम क

पीछ नमा+जय- क स_या का बाहय होना

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 28: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 29

32- मद13 इमाम क तकबीर क समाL

होन क बाद ह13 तकबीर (अलाह अकबर )

कहगा

दोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाःदोन- हाथ- को उठाना और उस का तर13क़ाः

33- नमाज़ी तकबीर कहन क साथ ह13 या

उस स पहल या उसक बाद अपन दोन-

हाथ- को उठाय य सभी ampविधया सTनत स

साampबत हF

34- वह अपन दोन- हाथ- को इस तरह

उठाय क उन क अगिलया फली हई ह-

35- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर तक ल जाय और

कभी कभी उन दोन- को उठान म मबालगा

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 29: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 30

कर यहा तक क उTह दोन- कान- क

कनार- क बराबर तक ल जाय (मF कहता

ह कः जहा तक अपन दोन- अगठ- स अपन दोन- कान- क लौ को छन का सबध

ह तो सTनत म इस का कोई आधार नह13

ह ब+क वह मर नज़द13क वःवस क

कारण- म स ह)

दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का दोन- हाथ- को रखन का बयान और उस का

तर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाःतर13क़ाः

36- फर तकबीर कहन क बाद ह13

(नमाज़ी) अपन दाहन हाथ को बाय हाथ

पर रख ल और यह पगबर- (उन पर

अलाह क दया औऱ शाित अवतmरत हो)

क सTनत ह और अलाह क पगबर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 30: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 31

सललाह अलह व सलम न अपन सहाबा र+ज़यलाह अTहम को इस का आदश दया ह अतः दोन- हाथ- को

लटकाय रखना जाइज़ नह13 ह

37- और वह दाय हाथ को अपन बाय हाथ

क हथली क पीठ पर और कलाई और

बाज़ पर रख

38- और कभी कभी अपन दाय हाथ स

बाय हाथ को पकड़ ल कTत जहा तक

इस बात का सबध ह क बाद क कछ

उलमा (ampवान-) न एक ह13 समय म एक

साथ हाथ को रखन और म~ठg स पकड़न

को ौ कहा ह तो इस का कोई आधार

नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 31: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 32

हाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहःहाथ रखन क जगहः

39- और वह अपन दोन- हाथ- को कवल

अपन सीन पर रखगा और इस बार म मद

और औरत सब बराबर हF (मF कहता ह कः जहा तक दोन- हाथ- को सीन क

अलावा पर रखन का ह तो यह या तो

ज़ईफ ह या िनराधार ह)

40- और उस क िलए अपन दाहन हाथ

को अपनी कमर पर रखना जाइज़ नह13 ह

खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर खश व ख़ज़ और सजदह क जगह पर

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

41- नमाज़ी क िलए ज़0र13 ह क अपनी

नमाज़ को खश (नता और ampवनय) क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 32: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 33

साथ अदा कर और उस स ग़ाफल कर दन

वाली सभी चीज- जस ौगार और बल बट

स दर रह अतः ऐस खान क मौजदगी म

नमाज़ न पढ़ +जस खान क वह खाहश

रखता ह और न ह13 ऐसी अवःथा म

नमाज़ पढ़ क उस पशाब या पाखाना क

स_त हाजत हो

42- और अपन क़याम (खड़ होन) क

हालत म अपन सजदह करन क जगह पर

िनगाह रख

43- और वह नमाज़ म इधर उधर (दाय

और बाय) न मड़ Bय-क इधर उधर मड़ना

एक कार का झपटना ह +जस शतान बTद

क नमाज़ स झपट लता ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 33: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 34

44- और नमाज़ी क िलए अपनी िनगाह को

आसमान क तरफ उठाना जाइज़ नह13 ह

दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह दआउल इ+ःतUताह ((((नमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभनमाज़ को आरभ

करन क दआःकरन क दआःकरन क दआःकरन क दआः ))))

45- फर नबी सललाह अलह व सलम स साampबत दआओ म स कसी दआ स नमाज़ का आरभ कर और य बहत अिधक हF और उन म स सब स मशहर यह दआ हः सWहानकलाह व ampब -हमदका व

तबारकःमका व तआला जका (अलाह

त पाक ह और हम तर13 शसा करत हF

तरा नाम बड़13 बक त वाला (बहत शभ ) औ

तर13 महमा (शान) सवuच ह तथा तर

अलावा कोई सuचा प`य नह13) इस दआ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 34: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 35

को पढ़न का (नबी सललाह अलह व सलम स) हBम साampबत ह अतः इस क

पाबद13 करना उिचत ह (और जो आदमी

शष दआओ क जानकार13 चाहता ह तो वह

कताब िसफतःसलात पज न0 91-95

मिण मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का

अxययन कर)

पाचवा पाचवा पाचवा पाचवा क़राअत क़राअत क़राअत क़राअत

46- फर अलाह तआला स पनाह माग

47- और सTनत (मसनन तर13क़ा) यह ह

क वह कभी यह दआ पढ़ः अऊज़ो

ampबलाह िमनशतािनरजीम िमन

ह+ज़ह13 व न+Uख़ह13 व न+Uसह13 (मF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 35: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 36

अलाह क शरण म आता ह शाampपत शतान उस क वःवस उस क घमड और उस

क जाद स ) यहा पर नUस स मराद

िनदत प (काPय) ह

48- और कभी कभार यह दआ पढ़ः अऊज़ो ampबलाहस समीइल अलीिम

िमनशतािनरजीम

49- फर जहर13 (ज़ोर स पढ़13 जान वाली)

और िसर (आहःता स पढ़13 जान वाली)

दोन- नमाज़ो म आहःता स

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़

सरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानःसरतल फाितlा पढ़न का बयानः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 36: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 37

50- फर मकमल सरतल फाितlा पढ़ -

और ampब+ःमलाह भी उसी म शािमल ह -

और यह नमाज़ का एक DBन ह +जस क

ampबना नमाज़ सह13 (शE) नह13 होती ह अतः

गर अरबी लोग- क िलय इस याद करना

अिनवाय ह

51- जो आदमी इस को याद करन क

ताक़त नह13 रखता ह तो उस क िलए यह

पढ़ना काफ हः सWहानलाह

अहदिललाह ला इलाहा इललाह

अलाह अकबर ला हौला वला क़Pवता

इला ampबलाह

52- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

सरतल फाितlा को एक एक आयत अलग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 37: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 38

अलग कर क पढ़ और हर आयत क अत

म ठहर चनािच

ampब+ःमलाहरहमािनरह13म पढ़ फर ठहर

जाय फर अहदिललाह र+Wबल आलमीन पढ़ फर Dक जाय फर

अरहमािनरह13म पढ़ फर Dक जाय

और इसी तरह सरत क अTत तक पढ़

नबी सललाह अलह व सलम क पर13 क़राअत इसी तरह हआ करती थी आप हर

आयत क आ+खर म ठहरत थ और उस

बाद वाली आयत स नह13 िमलात थ भल

ह13 उस का अथ उस स सबिधत होता था

53- तथा मािलक और मिलक दोन-

पढ़ना जायज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 38: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 39

मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः मक़तद13 का सरतल फाितlा पढ़नाः

54- मक़तद13 पर अिनवाय ह क िसर और

जहर13 दोन- नमाज़ो म इमाम क पीछ

सरतल फाितlा पढ़ अगर उस न इमाम क

क़राअत नह13 सनी ह या इमाम सरतल

फाितहा पढ़न क बाद इतनी दर खामोश रहा

+जतन समय म मक़तद13 सरतल फाितlा

पढ़न पर सOम हो अगरच हमारा ampवचार

यह ह क यह खामोशी सTनत स साampबत

नह13 ह (मF कहता ह कः मF न इस ampवचार -मत- क ओर जान वाल- क माण और

उस पर होन वाली आपampq का उलख

िसलिसलतल अहाद13स अएज़ईफा म हद13स

स_याः 546 और 547 क अतगत प0

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 39: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 40

224 26 मिण दाDल मआmरफ म कया

ह)

सरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतःसरतल फाितहा क बाद क क़राअतः

55- सरतल फाितlा क बाद पहली दोन-

रकअत- म कोई दसर13 सरत या कछ आयत पढ़ना मसनन ह यहा तक क जनाज़ा क

नमाज़ म भी

56- और कभी कभी सरतल फाितlा क

बाद क़राअत लबी करग और कभी कभी

कसी कारणवश जस सफर या खासी या

बीमार13 या छोट बuच क रोन क कारण

क़राअत को छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 40: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 41

57- और नमाज़- क ampविभTन होन क साथ

क़राअत भी िभTन होती ह चनािच फळ

नमाज़ क क़राअत सार13 नमाज़- क

क़राअत- स अिधक लबी होती ह फर

आम तौर पर ज़हर फर अॐ और इशा

और फर मग़mरब क क़राअत होती ह

58- और रात क नमाज़ क क़राअत इन

सभी नमाज़- स लबी होती ह

59- और सTनत का तर13क़ा यह ह क

पहली रक़अत क क़राअत दसर13 रक़अत स लबी करनी चाहय

60- और दोन- अितम रकअत- क क़राअत

पहल क दोन- रकअत- स आधी माऽा म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 41: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 42

छोट13 करनी चाहए (इस अxयाय क बार

म ampवःतत जानकार13 क िलए यद चाह तो

िसफतःसलात नामी कताब का पज न0

102 दख)

हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़नाः

61- हर रक़अत म सरतल फाितlा पढ़ना

वा+जब ह

62- कभी कभी आ+खर क दोन- रकअत-

म भी सरतल फाितlा क अितmर (कोई

सरत या कछ आयत) पढ़ना मसनन ह

63- इमाम का क़राअत को सTनत म

व+णत माऽा स अिधक लबी करना जाइज़

नह13 ह Bय-क इस क कारण उस क पीछ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 42: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 43

नमाज़ पढ़न वाल कसी बढ़ आदमी या

बीमारबीमारबीमारबीमार या दध पीत बuच वाली महला या

कसी ज़0रतमद को कi पहच सकता ह

क़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाक़राअत को बलTद और धीमी आवाज़ म ज़ म ज़ म ज़ म

करन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानःकरन का बयानः

64- सबह (फळ) क नमाज़ तथा जमआ

ईदन (ईदल फऽ और ईदल अएहा ) और

सलातल इ+ःतःक़ा (बाmरश मागन क

नमाज़) कसफ (सय या चाद महण) क

नमाज़ और इसी कार मग़mरब और इशा

क पहली दो रकअत- म कराअत बलTद

आवाज़ स करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 43: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 44

तथा जहर और अॐ क नमाज़ म और

इसी कार मग़mरब क तीसर13 रकअत म

तथा इशा क अितम दोन- रकअत- म

क़राअत धीमी आवाज़ स करग

65- इमाम क िलए कभी कभार िसर

नमाज़ म मक़तदय- को आयत सनाना

जाइज़ ह

66- जहा तक ampवऽ और रात क नमाज़

(तह`जद) का सबध ह तो उन म कभी

धीमी आवाज़ स क़राअत करग और कभी

तज़ आवाज़ स और आवाज़ को ऊची करन

म बीच का राःता अपनाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 44: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 45

करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स करआन को ततल स ((((अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर अथात ठहर ठहर

करकरकरकर) ) ) ) पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः पढ़नाः

67- सTनत का तर13क़ा यह ह क करआन को ततल क साथ (ठहर ठहर कर) पढ़

बहत त ज़ी और जद13 स न पढ़ ब+क

एक एक अOर को ःपi कर क पढ़ और

करआन को अपनी आवाज़ स खबसरत बनाय और त`वीद क उलमा क नज़द13क

ात िनयम- क सीमा म रह कर उस राग

स पढ़ कTत आज कल क नवीन

अampवकाmरत (गढ़ हय ) सर- (ःवर-) और

सगीत क िनयम- क अनसार लय क साथ

नह13 गाय ग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 45: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 46

इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना इमाम को ग़लती पर सावधान करना

((((लईमा दनालईमा दनालईमा दनालईमा दना))))

68- अगर इमाम करआन क क़राअत

करत हए अटक जाय तो मक़तद13 क िलए उसको लईमा दना (सझाव दना) मसनन

छठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानःछठाः Dक का बयानः

69- जब नमाज़ी क़राअत स फाmरग़ हो

जाय तो सास लन भर क माऽा म एक

सा कर (अथात खामोश रह)

70- फर तकबीरतल एहराम म व+णत

तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 46: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 47

71- और अलाह अकबर कह और यह

वा+जब ह

72- फर इस माऽा म Dक कर क उस क

जोड़ अपनी जगह पर ठहर जाय और हर

अग अपनी जगह पर पहच जाय और यह

नमाज़ का एक DBन ह

Dक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाःDक का तर13क़ाः

73- अपन दोन- हाथ- को अपन दोन-

घटन- पर रख और उन दोन- को अपन

दोन- घटन- पर जमा द और अपनी

अगिलय- क बीच म कशादगी रख जस क

वह अपन दोन- घटन- को पकड़ हए हो

और य सभी चीज वा+जब हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 47: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 48

74- और अपनी पीठ को फला ल और उस

को ampबकल बराबर रख यहा तक क अगर

उस पर पानी डाला जाय तो वह ठहर जाय

और यह वा+जब ह

75- और अपन िसर को न तो झकाय और

न ह13 ऊपर उठाय ब+क उस ampबकल

अपनी पीठ क बराबर13 म रख

76- और अपनी दोन- कहिनय- को अपन

दोन- पहलओ स दर रख

77- और अपन Dक क अTदर तीन मतबा

या उस स अिधक बार सWlाना र+Wबयल

अज़ीम कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन क अTदर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 48: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 49

पढ़ा जाता ह उन म स कोई +ज़ब लबी

कोई औसत और कोई छोट13 ह +जTह

कताब िसफतो सलाितTनबी सललाह अलह व सल क पज न0 132 मिण

मकतबतल मआmरफ म दखा जा सकता

ह)

अरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानःअरकान को बराबर करन का बयानः

78- सTनत का तर13क़ा यह ह क नमाज़ी

सभी अरकान क बीच लबाई म बराबर13

कर चनाच अपन Dक Dक क बाद अपन

क़याम तथा अपन स`द और दोन- स`द-

क बीच बठक को तक़र13बन बराबर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 49: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 50

79- तथा Dक और स`दा म करआन क ितलावत करना जाइज़ नह13 ह

Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः Dक स सीधा होनाः

80- फर Dक स अपनी पीठ को ऊपर

उठाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

81- और Dक स सीधा खड़ा होन क दौरान

सिमअलाह िलमन हिमदह कह और यह

वा+जब ह

82- और Dक स सीधा होत समय पीछ

व+णत तर13क़- क अनसार अपन दोन- हाथ-

को उठाय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 50: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 51

83- फर ampबकल सीधा इतिमनान क साथ

खड़ा हो जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का

एक DBन ह

84- और इस क़याम म रWबना व लकल

हद कह (और इस क अलावा अTय

अज़कार भी हF +जTह इस DBन म पढ़ा

जाता ह अतः िसफतःसलात नामी

कताब क पज न0 135 का अxययन कर)

और यह सभी नमा+ज़य- पर वा+जब ह चाह

वह मक़तद13 ह13 Bय- न हो Bय-क यह

क़याम (Dक क बाद खड़ होन) का ampवद

(जप) ह और सिमअलाह िलमन हिमदह Dक स सीधा होन का ampवद (जप)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 51: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 52

ह और इस क़याम म दोन- हाथ- को एक

दसर पर रखना धम सगत नह13 ह Bय-क यह नबी सललाह अलह व सलम स व+णत नह13 ह यद आप इस सबध म

ampवःतत जानकर13 चाहत हF तो असल कताब

िसफतो सलाितTनबी 1- क़Wला क ओर

मह करना द+खय)

85- और इस क़याम और Dक क बीच

लबाई म बराबर13 कर जसा क पहल

गज़र चका ह

सातवा सातवा सातवा सातवा स`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानःस`द का बयानः

86- फर अिनवाय 0प स अलाह अकबर कह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 52: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 53

87- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

अपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाःअपन दोन- हाथ- क सहार स`द म िगरनाः

88- फर अपन दोन- हाथ- क सहार स`द

म िगर जाय अपन दोन- हाथ- को दोन-

घटन- स पहल (ज़मीन पर) रख अलाह

क रसल सललाह अलह व सलम न इसी का हBम दया ह और आप

सललाह अलह व सलम क करनी स ऐसा ह13 साampबत ह और आप न ऊट क

बठन क तरह बठन स मना फरमाया ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 53: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 54

और ऊट क बठक यह ह क वह अपन

दोन- घटन- क सहार बठता ह जो क उस

क दोन- अगल कदम- म होता हF

89- और जब स`दा कर (और यह नमाज़

का एक DBन ह) तो अपनी दोन- हथिलय-

का सहारा ल और उन दोन- को जमीन पर

ampबछा द (फला कर रख)

90- और दोन- हाथ- क अगिलय- को

आपस म िमला कर रख

91- और उन को क़Wला क ओर रख

92- और अपनी दोन- हथिलय- को अपन

दोन- म-ढ- क बराबर म रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 54: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 55

93- और कभी कभार उन दोन- (हथिलय-)

को अपन दोन- कान- क बराबर म रख

94- और लाज़मी (अिनवाय) तौर पर अपन

दोन- बाज़ओ को ज़मीन स ऊपर उठाय रख

और उन दोन- को कq क तरह न फलाय

(ampबछाय)

95- और अपनी नाक एव पशानी को

ज़मीन पर टका द और यह नमाज़ का

एक DBन ह

96- और अपन दोन- घटन- को भी ज़मीन

पर टक द

97- और इसी कार अपन दोन- कदम- क

कनार- को भी

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 55: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 56

98- और उन दोन- (क़दम-) को खड़ा रख

और य सभी चीज वा+जब हF

99- और अपन दोन- पर- क अगिलय- क

कनार- को क़Wला क ओर रख

100- और अपनी दोन- एड़य- को िमलाकर

रख

स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः स`द म इतिमनानः

101- नमाज़ी पर अिनवाय ह क अपन

स`द को इतिमनान और सकन स कर

और वह इस कार क स`द म अपन

स`द क सभी अग- पर ampबकल बराबर

आौय कर और स`द क अग इस कार हF

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 56: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 57

- पशानी नाक समत दोन- हथिलया दोन-

घटन और दोन- पर- क कनार

102- और +जस न अपन स`द म इस

कार सतलन स काम िलया तो िन+त

0प स उस इतिमनान ाL हो गया और

स`द म इतिमनान स काम लना

(इतिमनान स स`द करना) भी नमाज़ का

एक DBन ह

103- और स`द क अTदर तीन या उस स

अिधक बार सWहाना र+Wबयल आला पढ़

(और स`द म इस क अलावा दसर अज़कार भी हF +जTह आप िसफतो सलाितTनबी

सललाह अलह व सलम क पज न0

145 म दख सकत हF)

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 57: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 58

104- स`द क अTदर अिधक स अिधक

दआ करना मसतहब (पसद13दा) ह Bय-क

यह क़बल होन क अिधक योय ह

105- और अपन स`द को लबाई म

तक़र13बन अपन Dक क बराबर रख जसा

क पहल गज़र चका ह

106- ज़मीन पर या उन दोन- क बीच और

पशानी क बीच कसी हाइल (Dकावट) जस

कपड़ा कबल चटाई वगरह पर स`दा

करना जाइज़ ह

107- तथा स`द क हालत म करआन पढ़ना जाइज़ नह13 ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 58: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 59

दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव दोन- स`द- क बीच बठन का तर13क़ा एव

इक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानःइक़आ का बयानः

108- फर अलाह अकबर कहत हए अपना सर उठाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

109- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

110- फर इतिमनान क साथ बठ जाय यहा

तक क हर हड13 अपनी जगह पर पहच जाय और यह नमाज़ का एक DBन ह

111- और अपन बाय पर को ampबछाकर कर

उस पर बठ जाय और यह नमाज़ का एक

वा+जब ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 59: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 60

112- और अपन दाय पर को खड़ा रख

113- और उस क अगिलय- को क़Wला क

ओर रख

114- और कभी कभार इक़आ क बठक

जाइज़ ह और उस का तर13क़ा यह ह क

अपन दोन- पर- को खड़ा रख और उन क

कनार- को ज़मीन पर रख और अपनी

दोन- ऐड़य- पर बठ जाय

115- और इस बठक म यह दआ पढ़ः अलाहमग़ फ़र -ली वहनी व`बन

वफानी व आफनी वज़ईनी

116- और अगर चाह तो यह दआ पढ़ः र+Wबग़ फ़र-ली र+Wबग़ फर-ली

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 60: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 61

117- और इस बठक को लबी कर यहा

तक क उस क स`दा क क़र13ब हो जाय

दसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाःदसरा स`दाः

118- फर वजबी (अिनवाय) तौर पर

अलाह अकबर कह

119- और कभी कभार इस तकबीर क साथ

अपन दोन- हाथ- को उठाय

120- और दसरा स`दा कर और यह भी

नमाज़ का एक DBन ह

121- और जो कछ पहल स`द म कया था

इस म भी कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 61: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 62

जसाजसाजसाजसा----एएएए---- इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः इ+ःतराlत का बयानः

122- जब दसर स`द स अपना सर उठाय और दसर13 रक़अत क िलय खड़ा होना चाह तो वजबी (अिनवाय) तौर पर अलाह अकबर कह

123-और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

124- और उठन स पहल अपन बाय पर पर

पर13 तरह इतिमनान और सकन क साथ

बठ जाय यहा तक क हर हड13 अपनी

जगह पर वापस लौट आय

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 62: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 63

दसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानःदसर13 रकअत का बयानः

125- फर अपन दोन- हाथ- को ज़मीन पर

टकत हए दसर13 रक़ अत क िलय खड़ा हो

+जस कार क आटा गधन वाला उन द-न-

को मठg बाध होता ह और यह एक DBन

126- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली रक़अत म कया था

127- मगर इस म दआ-ए इ+ःतUताl

(ारिभक दआ) नह13 पढ़ग

128- और इस रकअत को पहली रकअत स

छोट13 करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 63: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 64

तशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाःतशअहद क िलय बठनाः

129- जब दसर13 रकअत स फाmरग़ हो जाय तो तशअहद क िलय बठ जाय और यह

वा+जब ह

130- और बाया पर ampबछाकर बठ जाय

जसाक दोन- स`द- क बीच बठन क तर13क़

क वणन म गज़र चका ह

131- कTत यहा पर इक़आ वाली बठक

जाइज़ नह13 ह

132- और अपनी दायी हथली को अपन

दाय घटन और रान पर रख और अपनी

दायी कहनी क िसर को अपनी रान पर

रख उस को उस स दर न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 65

133- और अपनी बायी हथली को अपन

बाय घटन और रान पर फला (ampबछा) ल

134- और उस क िलए अपन हाथ पर टक

लगा कर बठना जाइज़ नह13 ह खास तौर

स बाय हाथ पर

अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ अगली को हलाना और उस क तरफ

दखनाःदखनाःदखनाःदखनाः

135- अपनी दायी हथली क सभी अगिलय-

को समट ल (म~ठg बना ल) और कभी

कभार अपन अगठ को अपनी बीच वाली

अगली पर रख

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 65: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 66

136- और कभी कभार उन दोन- (बीच

वाली अगली और अगठ) का एक दायरा

बना ल

137- और अपनी शहादत वाली अगली स

क़Wला क तरफ इशारा कर

138- और अपनी नज़र को उस क तरफ

गड़ाए रख

139- और तशअहद क श0 स अत तक उस हलाता रह उस क साथ दआ करता रह

140- और अपन बाय हाथ क अगली स

इशारा न कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 66: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 67

141- और यह सब चीज हर तशअहद म कर

तशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआःतशअहद क शWद और उस क बाद क दआः

142- तशअहद नमाज़ का एक वा+जब ह

अगर कोई उस भल जाय तो स क दो

स`द करगा

143- और तशअहद को आहःता स पढ़गा

144- उस क शWद इस कार हF-

अqहयातो िललाह वःसला-वातो

वqइबातो अःसलामो अलका

अयोहTनampबयो व रहमतलाह व

बरकातह अःसलामो अलना व अला

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 67: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 68

इबादलाहःसािलह13न अहदो अन ला

इलाहा इललाह व अहदो अTना

महमदन अWदह व रसलह

(और मर13 व+णत कताब म इस क अलावा

+ज़ब क दसर मा+णत शWद भी हF और

+जस को मFन यहा उलख कया ह व सब

स शE शWद हF

नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर नबी सललाह अलह व सलम पर सलामःसलामःसलामःसलामः नबी सललाह अलह व सलम क ःवगवास क बाद आप पर सलाम पढ़न

क िलए यह13 शWद मसनन हF और यह13 इWन

मसऊद आइशा और इWन ज़बर र+ज़यलाह

अTहम क तशअहद स साampबत ह और जो

अितmर ampवःतार चाहता ह वह मर13 कताब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 69

िसफतो सलाितTनबी पज न0 161 मिण

मकतबतल मआmरफ mरयाज़ का अxययन

कर

145- और इस क बाद अलाह क नबी

सललाह अलह व सलम पर द0द भज

+जसक शWद इस कार हF - अलाहमा सल अला महमद व अला आल

महमद कमा सलता अला इाह13मा व

अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

अलाहमा बाmरक अला महमद व अला

आल महमद कमा बारा अला इाह13मा

व अला आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 69: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 70

146- और अगर आप सOप म चाहत हF तो

यह द0द पढ़ - अलाहमा सल अला महमद व अला आल महमद व बाmरक

अला महमद व अला आल महमद कमा

सलता व बारा अला इाह13म व अला

आल इाह13म इTनका हमीदन मजीद

147- फर इस तशअहद म व+णत दआओ म स जो दआ उस सब स अuछg लग उस

चयन करक उस क ारा अलाह तआला स

दआ कर

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 70: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 71

तीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानःतीसर13 और चौथी रकअत का बयानः

148- फर अिनवाय तौर पर अलाह अकबर कह और सTनत का तर13क़ा यह ह

क तकबीर बठ हए कह

149- और कभी कभार अपन दोन- हाथ- को

उठाय

150- फर तीसर13 रकअत क िलए उठ और

यह DBन ह जस क जो इस क बाद ह

151- और इसी कार उस समय भी कर

जब चौथी रकअत क िलय खड़ा होना चाह

152- लकन उठन स पहल अपन बाय पर

पर ampबकल इतिमनान और सकन क साथ

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 72

बराबर बठ जाय यहा तक क हर हड13

अपनी जगह पर पहच जाय

153- फर अपन दोन- हाथ- का सहारा लत

हए खड़ा हो जाय +जस तरह क दसर13 रकअत क िलए खड़ा होत समय कया था

154- फर तीसर13 और चौथी हर रकअत म

अिनवाय 0प स सरतल फाितहा पढ़

155- और कभी कभार सरतल फाितहा क

साथ एक या उस स अिधक आयत- क

वampE करना जाइज़ ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 72: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 73

क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह क़नत ना+ज़ला और उस क पढ़न क जगह

का बयानःका बयानःका बयानःका बयानः

156- नमाज़ी क िलए मसनन ह क

मसलमान- पर कसी ampबपदा (आपampq) क

उतरन पर क़नत पढ़ और मसलमान- क

िलए दआ कर

157- और उस क पढ़न का ःथान Dक क

बाद रWबना व लकल हद कहन पर ह

158- और उस क िलए कोई िनधाmरत

(िनयिमत) दआ नह13 ह ब+क उस क अTदर ऐसी दआ कर जो आपampq और ampबपदा क अनकल हो

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 74

159- और इस दआ क अTदर अपन दोन- हाथ- को उठायगा

160- और अगर वह इमाम ह तो बलTद

आवाज़ स दआ करगा

161- और जो उस क पीछ (मक़तद13 लोग)

हF उस पर आमीन कहग

162- जब उस स फाmरग़ हो जाय तो

अलाह अकबर कह और स`दा कर

ampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नतampवऽ का क़नत उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क उस क जगह और उस क

शWदःशWदःशWदःशWदः

163- जहा तक ampवऽ क अTदर क़नत पढ़न

का सबध ह तो यह कभी कभार मसनन ह

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 74: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 75

164- और इस क पढ़न क जगह क़नत

ना+ज़ला क ampवपर13त Dक स पहल ह

165- और इस क अTदर िननिलकत दआ पढ़ः

अलाहमह -दनी फ मन हदत व

आफनी फ मन आफत व त-वलनी फ

मन तवलत व बाmरक ली फ मा आतत

व क़नी शरा मा क़ज़त फ-इTनका तईज़ी

वला यईज़ा अलक व-इTनह ला य+ज़लो मन वालत वला य-इएज़ो मन आदत

तबारा रWबना व-तआलत वला मTजा

िमTका इला इलक

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 75: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 76

166- यह दआ अलाह क रसल सललाह अलह व सलम क िसखाई हई ह अतः

जाइज़ ह Bय-क सहाबा र+ज़यलाह अTहम स साampबत ह

167- फर Dक कर और दो स`द कर

जसा क पहल गज़र चका ह

आ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानःआ+खर13 तशअहद और तवDक़ का बयानः

168- फर आ+खर13 तशअहद क िलए बठ जाय

169- और इस म भी वह13 सब कर जो

पहली तशअहद म कया था

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 76: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 77

170- लकन इस तशअहद म तवDक क आसन पर बठ अपन बाय कह को ज़मीन

पर रख और बाय पर को दाहनी ampपडली क

नीच कर ल

171- और अपन दाय पर को खड़ा रख

172- और कभी कभार उस को फलाना

(ampबछाना) भी जाइज़ ह

173- और अपन घटन को बायी हथली का

लBमा बना कर अपना बोझ उस पर रख

नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द नबी सललाह अलह व सलम पर द0द पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना पढ़ना और चार चीज़- स पनाह मागना

वावावावा+जब हः+जब हः+जब हः+जब हः

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 78

174- नमाज़ी पर अिनवाय (वा+जब) ह क

इस तशअहद म अलाह क नबी सललाह अलह व सलम पर द0द भज और हम

न पहल तशअहद म इस क कछ शWद- का वणन कया ह

175- तथा नमाज़ी क िलए अिनवाय ह क

चार चीज़ो स अलाह तआला क पनाह

माग वह इस कार कहः अलाहमा इTनी अऊज़ो ampबका िमन अज़ाampब जहTनम

व-िमन अज़ाampबल क़ व-िमन फsितल

मा वल ममात व-िमन शर फsितल

मसीह`जाल (ऐ अलाह मF तर13 पनाह

म आता ह नरक क यातना स और क़

क यातना स और जीवन तथा मnय क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 79

फsा (पर13Oा) स और मसीह द`जाल क

फsा क बराई स)

जीवन क फsाः स अिभाय वह

आज़माइश और पर13Oा ह जो इTसान को

उस क +ज़Tदगी म दिनया और उस क _वाहशात म स पश आती ह और मnय

क फsा स अिभायः क़ क पर13Oा और

दोन- फmरत- का ह और मसीह

द`जाल क फsा स अिभायः वो

असाधारण और चमnकारय चीज हF जो

द`जाल क हाथ- पर ज़ाहर ह-गी +जस क

कारण बहत सार लोग गमराह हो जायग और उस क उलहयत (ईर होन) क दाव

को सच मान कर उस क परवी करग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 79: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 80

सलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दसलाम फरन स पहल दआ करनाःआ करनाःआ करनाःआ करनाः

176- फर वह करआन व हद13स स साampबत दआओ म स जो जी म आय अपन िलए

दआ कर और व बहत +ज़यादह और अuछg दआय हF अगर उस उन म स कछ भी याद

न हो तो जो भी उस क िलए सभव हो

अपन द13न या दिनया क हत क िलए दआ कर

सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः सलाम फरनाः

177- फर अपन दाय जािनब सलाम फर

और यह नमाज़ का एक DBन ह यहा तक

क उस क दाय गाल क सफद13 दखाई दन

लग

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 81

178- और इसी कार अपन बाय जािनब

सलाम फर यहा तक क उस क बाय गाल

क सफद13 दखाई दन लग

179- और इमाम खब बलद आवाज़ स

सलाम फर

180- और सलाम क कई कार हF -

थमःथमःथमःथमः अपन दाय जािनब अःसलामो

अलकम व रहमतलाह व बरकातह

कह और अपन बाय तरफ

अःसलामो अलकम व रहमतलाह

कह

दसराःदसराःदसराःदसराः पहल ह13 क तरह िसवाय व

बरकातह क

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 81: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 82

तीसराःतीसराःतीसराःतीसराः अपन दाय तरफ अःसलामो

अलकम व रहमतलाह और अपन

बाय तरफ अःसलामो अलकम कह

चौथाःचौथाःचौथाःचौथाः अपन चहर क समख अपन

दाय तरफ थोड़ा सा मड़त हए एक मतबा सलाम फर

मर म+ःलम भाइयो यह िसफतो

सलाितTनबी सललाह अलह व सलम

(नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा) नामी कताब का साराश

ह +जस क ारा मरा यह यास ह क मF

(नमाज़ नबवी) क तर13क़ को इस कार

आप क िनकट कर द क वह आप क िलए ampबकल ःपi हो जाए और आप क ज़हन

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

Page 82: नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का सारांश

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 83

म समा जाय मानो क आप उस अपनी

आख स दख रह हF जब आप उस तर13क़

क अनसार नमाज़ अदा करग जो मF न

आप सललाह अलह व सलम क नमाज़ का आप क सामन बयान कया ह

तो मझ अलाह तआला स उमीद ह क

वह उस आप क तरफ स क़बल फरमायगा

Bय-क इस कार आप न वाःतव म

अलाह क नबी सललाह अलह व सलम क फरमान कः तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह तम उसी तरह

नमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ोनमाज़ पढ़ो +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त +जस तरह मझ नमाज़ पढ़त

दखा हदखा हदखा हदखा ह को परा कर दखाया

फर इस क बाद आप नमाज़ क अदर दल

व दमाग को हा+ज़र रखना और उस म

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 84

खश व खज़ का xयान रखना न भल

Bय-क नमाज़ म बTद क अलाह क

सामन खड़ा होन का यह13 सब स बड़ा

मईसद ह और +जस माऽा म आप अपन

दल म खश व ख़ज़ और नबी सललाह अलह व सलम क नमाज़ क परवी को

सच कर दखाय ग उतना ह13 आप को वह

ती+Oत लाभ ाL होगा +जस क तरफ

अलाह तआला न अपन इस फरमान म

सकत कया हः िनः सTदह नमाज़ बहयाई

और बर13 बात- स रोकती ह

अTत म अलाह तआला स ाथना ह क

वह हम स हमार13 नमाज़- और अTय सभी

आमाल को ःवीकार कर और उन क सवाब

नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश

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नबीनबीनबीनबी aaaa क नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ कक नमाज़ क तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा तर13क़ा का साराश का साराश का साराश का साराश 85

(ितफल) को हमार िलए उस दन क िलए

समहत कर क रख +जस दन हम उस स

मलाक़ात करगः +जस दन धन ओर बट

कछ लाभ नह13 दग िसवाय उस Pयamp क

जो अलाह क पास पampवऽ दल लकर

आय (सरतश शअराः 88 89) और सभी

शसाय सव ससार क पालनहार क िलए

हF

अलामा शख़ महमद नािसD13न

अबानी रहमहलाह क कताब नबी

सललाह अलह व सलम क नमाज़ का तर13क़ा - तकबीर स लकर

सलाम फरन तक - मानो क आप उTह

दख रह हF का साराश