ᳯरयूयन म ᳲ हदी शिण : मेरे अशितीय अनुभव डॉ. राजरानी गोशबन तावना महामा गाधी सथान का मुख उेय भारतीय भाषा एव सकृशत का चार-सार करना रहा है। इसी लय कᳱ पूᳶत हेतु , सन् 2014 म महामा गाधी सथान, मॉᳯरिस एव ᳯरयूयन कᳱ नगरपाशलका, स -देनी के मय सशध का हतार आ। महामा गाधी सथान िारा 22 जुलाई एव 17 अगत, 2013 के बीच स -देनी म , ᳲहदी के भावी शिक के शलए शिण-काययम चलाया गया। न के वल शिण देने का उरदाशयव मुझे सपा गया अशपतु शिणाᳶथय के चयन का दाशयव भी, यᳰक शजन शतभाशगय ने शिण के शलए आवेदन-प भेजा था उनम से न तो ᳰकसी के पास ᳲहदी म डीलोमा था न डीी। अत: मुझे ही ᳯरयूयन जाकर च मायम म उनका इटरू लेना पड़ा। उनकᳱ मौशखक अशभशि एव लेखन कौिल दोन का परीण लेना पड़ा। सुबह कᳱ लाइट पकड़, स -देनी पची। नौ शिणाᳶथय का चयन कर, िाम को ही वदेि वापस आई। शिणाᳶथय का पᳯरचय शजन नौ शिणाᳶथय को शिण ᳰदया गया, वे न के वल अलग-अलग भाषा एव साकृशतक पृभूशम के थे अशपतु उनकᳱ ᳲहदी म शिण पाने कᳱ ेरणा भी शवशभ कारण से थी। ासीसी नागᳯरक जा लूक गॉु आ का ास शनवासी पाशडचेरी कया के साथ शववाह, उसे ᳲहदी ेमी एव चारक बनने का अशभलाषी बना रखा था। जा लूक कᳱ एक याा अशभकरण ेवल एजसी भी है , भारत म पययटन हेतु ᳯरयूयन वाशसय को लेकर जाता है और मागयदियक कᳱ भूशमका वय शनभाता है। ᳲहदी भाषा एव भारतीय सकृशत का ान इस दृश से उनके शलए अयत लाभदायक था। गुजराती मूल कᳱ तीसरी पीढ़ी तथा इलड से अेज़ी मायम से क़ु रान सबशधत शवषय पर पी.एच.डी. कᳱ उपाशध ा करने वाली साशमया लोकात पुन: अपनी जड़ कᳱ ओर लौटने कᳱ ेरणा से ᳲहदी के शत आकृ ई थी। गुजरात से ᳯरयूयन म याही अेज़ी अयाशपका पूजा अमृतलाल, पाशडचेरी से ᳯरयूयन म याहा तमील, च एव ᳲहदी भाषी, भारती सारागम जैसे छा कᳱ का म उपशथशत ने समरस, पारपᳯरक ᳲहदी का को नया आयाम, नई गशत एव फूᳶत दान कᳱ। एक मॉᳯरिसीय शिणाथी भी थी जो पीस वष से ᳯरयूयन म सपररवार आवासी है तथा नगरपाशलका म योगासन कᳱ तितका है।