ऩाठ : 1 हम ऩॊछी उन्मुक्त गगन के ऱेखक :...

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ऩाठ : 1 हम ऩॊछी उम त गगन के ऱेखक : शिवमॊगऱ शिहॊ ‘ि मन’ िदाथथ : रकित - शी से पड़िते िि - िड़वी नफौयी - नीभ िा पर िनि - सोना नगी - टहनी िा सफसे ऊऩयी बाग नोर :- 1: हर तरह की ि ख ि वधाएॉ ऩाकर भी ऩी वऩॊजरे म बॊद य नहॊ रहना चाहते ? उर : ऩी िे ऩास वो सायी स ख स वधाएॉ ह , जो उनिे जीवन िे लरए आवमि है। ऩयत वह वतरता नहीॊ है , जो उह विम ह। वे इस ख रे आिाश भ आजादीऩ वि उड़ना चाहते ह। इस ििाय िउड़ान उनभ नई उभॊग व िसनता बय देती है , जो वऩॊजये िी स ख-स वधाएॉ नहीॊ दे सिती है। इसलरए हय तयह िी स ख स वधाएॉ ऩािय बी ऩी वऩॊजये भ फॊद नहीॊ यहना चाहते ह। 2: ऩी उम त रहकर अऩनी कौन-कौन िी इछाएॉ ऩ र करना चाहते ह ? उर : ऩी उभ त यहिय जॊगर िी िड़वी ननफौयी खाना चाहते ह , िि नत िे स दय ऩ िा आनद रेना चाहते ह , रे नीरे आिाश भ उभ त उड़ान बयना चाहते ह। वे नददम िा शीतर जर ऩीना चाहते ह , वे तो नतज िे अत ति उड़िय जा ना चाहते ह। इसिे लरए उनिो अऩने िण िी बी चचता नहीॊ है। वे ऩेड़ िी टहनी िे सफसे ऊॉ चे लसये ऩय फैठिय झ रा झ रना चाहते ह | 3: भाव ऩट कीजजए- या तो तज शमऱन बन जाता, या तनती िाॉि की डोर |’ उर : नतज िा अथव है जहाॉ धयती आिाश लभरते ह औय ऩी नतज िे अत ति जा ने िी रारसा यखते ह कपय चाहे उह किसी बी थनत िा साभना ियना ऩड़े। वो चाहते ह मा तो आज वह नतज िा अतभ छोय ही िात िय र अमथा अऩने िाण िो मोछावय िय द। न 4 : ऩी हमिे या चाहते ह ? उर : ऩी हभसे अऩने उड़ने िा अचधिाय चाहते ह | इसिे फदरे वे अऩना घसरा औय टहनी िा आम बी देने िो तैमाय ह |

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  • ऩाठ : 1 हम ऩॊछी उन्मुक्त गगन के ऱेखक : शिवमॊगऱ शिहॊ ‘िुमन’

    िब्दाथथ : ऩुरकित - खुशी से पड़िते िटुि - िड़वी ननफौयी - नीभ िा पर िनि - सोना पुनगी - टहनी िा सफसे ऊऩयी बाग

    प्रश्नोत्तर :- प्रश्न 1: हर तरह की िुख िुववधाएॉ ऩाकर भी ऩक्षी वऩॊजरे में बॊद क्यों नह ॊ रहना चाहते ? उत्तर : ऩऺी िे ऩास वो सायी सुख सुववधाएॉ हैं, जो उनिे जीवन िे लरए आवश्मि है। ऩयन्तु वह स्वतन्रता नहीॊ है, जो उन्हें विम हैं। वे इस खुरे आिाश भें आजादीऩूववि उड़ना चाहते हैं। इस ििाय िी उड़ान उनभें नई उभॊग व िसन्नता बय देती है, जो वऩ ॊजये िी सुख-सुववधाएॉ नहीॊ दे सिती है। इसलरए हय तयह िी सुख सुववधाएॉ ऩािय बी ऩऺी वऩॊजये भें फॊद नहीॊ यहना चाहते हैं।

    प्रश्न 2: ऩक्षी उन्मुक्त रहकर अऩनी कौन-कौन िी इच्छाएॉ ऩूर करना चाहते हैं ? उत्तर : ऩऺी उन्भुक्त यहिय जॊगर िी िड़वी ननफौयी खाना चाहते हैं, ििृनत िे सुन्दय रूऩ िा आनन्द रेना चाहते हैं, खुरे नीरे आिाश भें उन्भुक्त उड़ान बयना चाहते हैं। वे नददमों िा शीतर जर ऩीना चाहते हैं, वे तो क्षऺनतज िे अन्त ति उड़िय जाना चाहते हैं। इसिे लरए उनिो अऩने िाणों िी बी चचन्ता नहीॊ है। वे ऩेड़ िी टहनी िे सफसे ऊॉ चे लसये ऩय फैठिय झूरा झूरना चाहते हैं |

    प्रश्न 3: भाव स्ऩष्ट कीजजए- ‘या तो क्षक्षततज शमऱन बन जाता, या तनती िाॉिों की डोर |’

    उत्तर : क्षऺनतज िा अथव है जहाॉ धयती आिाश लभरते हैं औय ऩऺी क्षऺनतज िे अन्त ति जाने िी रारसा यखते हैं कपय चाहे उन्हें किसी बी स्स्थनत िा साभना ियना ऩड़े। वो चाहते हैं मा तो आज वह क्षऺनतज िा अस्न्तभ छोय ही िाप्त िय रें अन्मथा अऩने िाणों िो न्मोछावय िय दें।

    प्रश्न 4 : ऩक्षी हमिे क्या चाहते हैं ?

    उत्तर : ऩऺी हभसे अऩने उड़ने िा अचधिाय चाहते हैं | इसिे फदरे वे अऩना घोंसरा औय टहनी िा आश्रम बी देने िो तैमाय हैं |

  • प्रश्न 5 : ऩक्षक्षयों को वऩॊजरे में बॊद करने िे केवऱ उनकी आज़ाद का हनन ह नह ॊ होता, अवऩतु ऩयाथवरण भी प्रभाववत होता है | अऩने ववचार शऱखखए |

    उत्तर : ऩक्षऺमों िो वऩॊजये भें फॊद ियने से एि ओय जहाॉ उनिी आजादी नछन जाती है, वहीॊ दसूयी ओय ऩमाववयण बी फुयी तयह िबाववत होता है | ऩऺी ऩमाववयण भें सॊतुरन फनाए यखते हैं | ऩक्षऺमों िे न यहने ऩय मह सॊतुरन बफगड़ने रगता है | िुछ ऩऺी, जैसे चीर,फाज,िौआ आदद भये हुए जानवयों िो खािय ऩमाववयण िो स्वच्छ फनाते हैं | इनिे न यहने से इन भये हुए जीवों से वातावयण भें फदफू पैर जाएगी | अनेि ऩऺी ऩौधों िे ऩयागण भें सहामता ियते हैं, स्जससे पर औय अन्म खाद्म अचधि भारा भें ऩैदा होते हैं | ऩऺी अऩनी ववलबन्न ििाय िी आवाजों से वातावयण िो सजीव फनाते हैं |

  • पाठ 2 दादी माॉ ऱेखक : शिवप्रसाद शसॊह

    िब्दार्थ :

    अनमना - बेचैन, अनमना प्रतिकूऱिा - विपरीि स्थिति अभयदान - तनभीकिा प्रदान करना अिुऱ - बहुि अधिक

    प्रश्न 1: ऱेखक को अपनी दादी माॉ की याद के सार्-सार् बचपन की और ककन-ककन बातों की याद आ जाती है ?

    उत्तर : ऱेखक को अपनी दादी माॉ की याद के साि-साि गाॉि,घर,और पररिार की अनेक बािें याद आिी हैं -

    क्िार के ददनों में जऱाशय के झागभरे पानी में कूदकर नहाना | आषाढ़ में आम-जामुन,अगहन में धचउड़ा-गुड़ ,चैि में ऱाई ििा गुड़ की पट्टी

    खाना | बीमार होने पर दादी माॉ की थनेहपूर्ण देखभाऱ | ककशन भैया की शादी में औरिों का अभभनय चोरी से देखना | दादी माॉ द्िारा िन्नो को कजण के भऱए डाॉटना, किर कजण माफ़ कर देना |

    प्रश्न 2: दादा की मृत्यु के बाद ऱेखक के घर की आर्र्थक स्थर्तत खराब क्यों हो गई र्ी?

    उत्तर : दादा की मृत्यु के बाद ऱेखक के घर की आधिणक स्थिति इसभऱए खराब हो गई क्योंकक उनके श्राद्ि में ऱेखक के वपिाजी ने अिुऱ सॊपवि व्यय की और पहऱे का उिार भऱया रूपया कोई नहीॊ दे रहा िा।

    प्रश्न 3 : दादी माॉ के थवभाव का कौन - सा पऺ आपको सबसे अच्छा ऱगता है और क्यों?

    उत्तर : दादी माॉ का थिभाि दयाऱु है। उनके थिभाि का यही पऺ सबसे अच्छा ऱगिा है। दादी माॉ अपने घर के सदथय से ऱेकर गरीबों िक की मदद करने से पीछे नहीॊ हटिी हैं।

  • जैसे- (i) रामी चाची के उिार न चुकाने पर भी दादी माॉ उनकी बेटी की शादी में आधिणक सहायिा करिी हैं। (ii) घर की आधिणक स्थिति खराब होने के कारर् दादी माॉ ने दादा जी द्िारा पहनाया गया कॊ गन अपने बच्चों को दे ददए।

    प्रश्न 4 : दादी माॉ रामी की चाची पर क्यों बबगड़ रही र्ीॊ ?

    उिर : रामी की चाची ने दादी माॉ से कजण भऱया िा | समय बीि गया िा और िह न मूऱ पैसे दे रही िी और न सूद, इसभऱए दादी उस पर बबगड़ रही िीॊ |

    प्रश्न 5 : देबू की माॉ ने ऱेखक से हार्ापाई क्यों िुरू कर दी ?

    उत्तर : ककशन भैया की बाराि चऱे जाने के बाद रािभर स्थियों के अभभनय का कायणक्रम िा | ऱेखक चादर ओढ़कर दाऱान में सोया िा और सबकी नज़र बचाकर अभभनय का मजा ऱे रहा िा | उसी समय भाभी की ककसी बाि पर उसकी हॉसी रुक न सकी | बस, देबू की माॉ ने चादर खीॊच ऱी और हािापाई शुरू हो गई |

  • ऩाठ 3: हहभारम की फेहिमाॉ ( रेखक : नागाजजनु )

    शब्दार्थ :

    सभ्ाॊत - शिष्ि कौतजहर - जजज्ञासा प्रततदान - रौिाना खजभायी - आरस उऩत्मका - तयाई , घािी

    प्रश्न 1: नददयों को माॉ मानने की ऩरॊऩरा हमारे यहाॉ काफी ऩुरानी है। ऱेककन ऱेखक नागारु्थन उन्हें और ककन रूऩों में देखते हैं ?

    उत्तर : नहदमों को भाॉ भानने की ऩयऩॊया से ऩहरे रेखक इन नहदमों को स्त्री के सबी रूऩों भें देखते हैं | रेखक नहदमों को हहभारम की फेिी कहते हैं । कबी वह इन्हें प्रेमसी की बाॊतत प्रेभभमी कहते हैं , जजस तयह से एक प्रेमसी अऩने प्रप्रमतभ से शभरने के शरए आतजय है उसी तयह मे नहदमाॉ सागय से शभरने को आतजय होती हैं, तो कबी रेखक को उसभें भभता के स्त्वरूऩ भें फहन के सभान प्रतीत होती हैं जजनके सम्भान भें वे हभेिा हाथ जोड़े िीि झजकाए खड़े यहते हैं ।

    प्रश्न 2: ससॊधु और ब्रह्मऩुत्र की क्या विशेषताएॉ बताई गई हैं ?

    उत्तर : इनकी प्रविेषताएॉ इस प्रकाय हैं :- (i) शसॊधज औय ब्रह्भऩजर मे दोनों ही भहानदी हैं। (ii) इन दोनों भहानहदमों भें सायी नहदमों का सॊगभ होता है। (iii) मे बौगोशरक व प्राकृततक दृजष्ि से फहजत भहत्वऩूर्ु नहदमाॉ हैं। मे डेल्िापाभु कयने के शरए, भत्स्त्म ऩारन, चावर की पसर व जर स्रोत का उत्तभ साधन है। (iv) मे दोनों ही ऩौयाणर्क नहदमों के रूऩ भें प्रविेष ऩूज्मनीम व भहत्वऩूर्ु हैं।

  • प्रश्न 3: काका काऱेऱकर ने नददयों को ऱोकमाता क्यों कहा है ?

    उत्तर: नहदमों को रोकभाता कहने के ऩीछे काका कारेरकय का नहदमों के प्रतत सम्भान है। क्मोंकक मे नहदमाॉ आयजम्बक कार से ही भाॉ की बाॊतत बयर्-ऩोषर् कयती आ यही हैं। मे हभें ऩीने के शरए ऩानी देती हैं तो दसूयी तयप इसके द्वाया राई गई ऊऩजाऊ शभट्िी खेती के शरए फहजत उऩमोगी होती है। हहन्द ूधभु भें तो मे नहदमाॉ ऩौयाणर्क आधाय ऩय बी प्रविेष ऩूजनीम हैं। हहन्दज धभु भें तो जीवन की अजन्तभ मारा बी इन्हीॊ से शभरकय सभाप्त हो जाती है। इसशरए मे हभाये शरए भाता के सभान हैं जो सफका कल्मार् ही कयती हैं ।

    प्रश्न 4 : दहमाऱय की यात्रा में ऱेखक ने ककन-ककन की प्रशॊसा की है ?

    उत्तर: रेखक ने हहभारम मारा भें रेखक ने नहदमों,ऩवुतों,फपीरी ऩहाड़ड़मों,हयी-बयी घाहिमों,गहयी गजपाओॊ,उऩवनों,वनों तथा सागयों की प्रिॊसा की है|

  • व्याकरण : भाषा,बोऱी,लऱपऩ और व्याकरण

    भाषा : भाषा वह साधन है, जजसके द्वारा मनुष्य बोऱकर,लऱखकर,ऩढ़कर व सुनकर अऩने मन के ववचारों तथा भावों का आदान-प्रदान करता है | भाषा के रूऩ : भाषा के दो रूऩ हैं -

    (i) मौखखक ( जैसे- कऺा में अध्याऩक बोऱकर छात्रों को समझाते हैं | ) (ii) लऱखखत ( जैसे-अध्याऩक गखित के सवाऱ श्यामऩट्ट ऩर लऱखकर हऱ करते हैं |)

    बोऱी : ककसी ऺेत्र ववशेष में बोऱी जानेवाऱी भाषा बोऱी कहऱाती है | जैसे- हररयािा - हररयािवी मखिऩुर - मखिऩुरी राजस्थान - राजस्थानी असम - असलमया कश्मीर - कश्मीरी लऱपऩ : उच्चररत ध्वननयों को लऱखने की ववधध को लऱवऩ कहते हैं | जैसे- हहॊदी - देवनागरी अॊगे्रजी - रोमन उददू - फ़ारसी ऩॊजाबी - गुरूमुखी

    व्याकरण : वह शास्त्र जजसके द्वारा मनुष्य ककसी भाषा को शुद्ध रूऩ से ऩढ़ना,लऱखना व बोऱना सीखता है, उस ेव्याकरण कहते हैं | व्याकरण के भाग :

    (i) विू-ववचार (ii) शब्द-ववचार (iii) वाक्य-ववचार

    अभ्यास कायय प्रश्न सॊख्या 1,5,व 7 का कायू भी छात्र नोटबुक में करें गे | (ऩेज नॊ. 11,12 ) प्रश्न 1.ऩूछे गए प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लऱखखए : (क) भाषा के मुख्य रूऩ हैं - (ख) हहॊदी को भारत की राष्रभाषा के रूऩ में कब स्त्वीकार ककया गया ? (ग) हहॊदी की लऱपऩ है - (घ) उच्चररत ध्वननयों के लऱखने की पवधध को कहते हैं - (च) बोऱी भाषा का कैसा रूऩ है -

  • प्रश्न 2. ननम्नलऱखखत भाषाओॊ की लऱपऩयों के नाम लऱखखए :

    भाषा लऱपऩ 1. बॊगाऱी ---------------- 2. हहॊदी ---------------- 3. अॊगे्रज़ी ---------------- 4. सॊस्त्कृत ---------------- 5. ऩॊजाबी ---------------- 6. उदूय ---------------- प्रश्न 3. सही वाक्य ऩर सही और गऱत वाक्य ऩर गऱत का धचह्न (ननशान) ऱगाइए: 1. भारतीय सॊववधान में 22 भाषाओॊ को मान्यता दी गई है | ( ) 2. हहॊदी व सॊस्कृत की लऱवऩ रोमन है ( ) 3. व्याकरि हमें ककसी भाषा को शुद्ध ऩढ़ना,लऱखना व बोऱना लसखाता है | ( ) 4. फ़ारसी लऱवऩ को बाएॉ से दाएॉ लऱखा जाता है | ( ) 5. भाषा के दो मुख्य तथा दो गौि रूऩ हैं | ( )

    कियात्मक : अऩहित गद्याॊश

    ‘ सहऩाठी की लमत्रता ’ इस उजक्त में -------------------------------------------------------------------- अऩना हानन – ऱाभ समझे | (व्याकरि ननऩुि ऩेज नॊ. 267)

    प्रश्न 4 प्रश्न ऩढ़कर उत्तर लऱखखए :

    (क) युवा ऩुरुष की लमत्रता कैसी होती है ?

    (ख) आजकऱ प्राय् क्या देखकर लमत्रता की जाती है ?

    (ग) हमारे लमत्र कैसे होने चाहहए ?

    (घ) लमत्रों में आऩस में कैसी सहानुभदनत होनी चाहहए ?

    (च) इस गद्याॊश का उऩयुक्त शीषूक क्या होगा ?

  • अनुच्छेद ऱेखन पवद्याथी जीवन सॊकेत बब ॊद ु- भदलमका – ववद्याथी जीवन की अवस्था – ववद्याथी का कतूव्य – अनुशाशन – ववद्याथी जीवन की उन्ननत - ननष्कषू | अभ्यास हेतु :

    (i) लमरता : भदलमका – सच्ची लमत्रता – जीवन का वरदान – लमत्रता के ऱाभ – समाऩन | (ii) कोलशश करनेवाऱों की हार नहीॊ होती :– भदलमका – सभी का ऱक्ष्य – कोलशश द्वारा

    ऱक्ष्य की प्राजतत – चीॊटी प्रेरिा का स्त्रोत – समाऩन |

    व्याकरण : ऩयाययवाची शब्द 1 से 20 ऩयाययवाची शब्द नोटबुक में लऱखवाए जाएॉगे | (ऩेज नॊ. 47 ,48)

    1.अजनन - ऩावक ,ज्वाऱा ,कृशानु 2.अमृत - अलमय , ऩीयूष , सुधा 3.झॊडा - ध्वज , ऩताका , ध्वजा 4.असुर - राऺस , दानव , दैत्य , ननशाचर 5.अहॊकार - घमॊड , अलभमान , दऩय 6.आॉख - नयन , ऱोचन , चऺु , अक्षऺ 7.आकाश - व्योम , गगन , अॊबर , आसमान 8.आनॊद - उल्ऱास , प्रसन्नता , हषय , आमोद 9.आभूषण - अऱॊकार , आभरण , जेवर 10. इॊद्र - देवराज , सुरेन्द्र , ऩुरॊदर , देवेंद्र 11. इच्छा - ऱाऱसा , लऱप्सा , मनोरथ ,उत्कॊ िा 12. ईश्वर - भगवान , ईश ,ऩरमात्मा ,ऩरमेश्वर 13. उद्यान - उऩवन , बगीचा , वाहटका 14. कमऱ - ऩॊकज , नीरज , सरोज , सरलसज 15. ककनारा - तट , तीर , छोर , कगार , कूऱ 16. िोध - कोऩ , ग़सु्त्सा , ररस , रोष 17. घर - गहृ , धाम , भवन , ननकेतन 18. चतुर - कुशऱ , दऺ , प्रवीण , होलशयार 19. जऱ - ऩानी , नीर ,अॊबु , वारर 20. जीभ - जजह्वा , रसना , रलसका

  • कियात्मक :धचर वणयन

    धचर वणयन ( व्याकरि ननऩुि ऩाठ्यऩुस्तक ऩेज नॊ. 16 )

    b52fc0bf-4c9c-48e6-bdee-31cb4762eb3f.pdf (p.1-6)Merge.pdf (p.1-4)OVC STUDY MATERIAL HINDI CLASS 7.pdf (p.1-2)OVC STUDY MATERIAL CLASS 7 HINDI.pdf (p.3-4)

    OVC STUDY MATERIAL CLASS 7 HINDI.pdf (p.5-6)

    CLASS_7__HINDI.pdf (p.7-10)