पाठ-5 ैज्ञानिक चेतिा के ाहक चंद्रेखर...

6
पाठ-5 वैानिक चेतिा के वाहक चंशेखर वकट रामि ( धीरंजि मालवे ) मौखखक ि 1. रामन ् भाव ति ेमी के अलावा और या थे ? . रामन ् भाव ति ेमी के अलावा एक जिास वैातनक एवं शोधकिाथे। 2. सम को देखकर रामन ् के मन कौन - सी दो जिासाएँ उठं ? . सन ् 1921 सम को देखकर रामन ् के मन म जिासाएँ उठं कक - 1. सम का रंग नीला ही होिा है ? 2. नीले के अलावा कोई और रंग नहीं होिा ? 3. रामन ् के पििा ने उन कन पवषय की सशि नींव डाली ? . रामन ् के पििा पवान और भौतिकी के शक थे। उहने रामन ् इन पवषय की सशि नींव डाली इन पवषय के गहरे ान ने उह िगि शस ककया। 4. वाययं की वतनय के अययन के वारा रामन ् या करना चाहिे थे ? . वाययं की वतनय के अययन के वारा रामन् यह बिाना चाहिे थे कभारिीय वायं वीणा, म दंगम आद पवदेशी वाययं पियानो, वायशलन चैलो आदद की ि लना म घदिया नहीं ह। 5. सरकारी नौकरी छोने के िीछे रामन ् की या भावना थी ? . सरकारी नौकरी छोने के िछे रामन ् की यह भावना थी वे सरविी की साधना करना चाहिे थे वे पववपवयालय के शक बन कर अिना ि रा समय अययन, अयािन और शोध बिाना चाहिे थे। 6. रामन ् भाव की खोि के िीछे कौन सा सवाल दहलोर ले रहा था ? . रामन ् भाव की खोि के िीछे यह सवाल दहलोर ले रहा था कक सम का रंग नीला य होिा है। 7. काश िरंग के बारे आइंिाइन ने या बिाया ?

Upload: others

Post on 22-Sep-2020

6 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • पाठ-5 वजै्ञानिक चतेिा के वाहक चंद्रशखेर वेंकट रामि ( धीरंजि मालवे ) मौखखक प्रश्ि 1. रामन ्भावकु प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे? उ. रामन ्भावकु प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञास ुवजै्ञातनक एवं शोधकिाा थे। 2. समदु्र को देखकर रामन ्के मन में कौन - सी दो जिज्ञासाएँ उठ ?ं उ. सन ्1921 में समदु्र को देखकर रामन ्के मन में जिज्ञासाएँ उठ ं कक - 1. समदु्र का रंग नीला ही क्यों होिा है ? 2. नील ेके अलावा कोई और रंग क्यों नहीं होिा ? 3. रामन ्के पििा ने उन में ककन पवषयों की सशक्ि नींव डाली ? उ. रामन ्के पििा पवज्ञान और भौतिकी के शशक्षक थे। उन्होंन ेरामन ्में इन पवषयों की सशक्ि नीवं डाली । इन पवषयों के गहरे ज्ञान ने उन्हें िगि में प्रशसद्ध ककया। 4. वाद्ययंत्रों की ध्वतनयों के अध्ययन के द्वारा रामन ्क्या करना चाहि ेथे ? उ. वाद्ययंत्रों की ध्वतनयों के अध्ययन के द्वारा रामन ्यह बिाना चाहि ेथे कक भारिीय वाद्यंत्र वीणा, मदंृगम आदद पवदेशी वाद्ययंत्रों पियानो, वायशलन चलैो आदद की िुलना में घदिया नही ंहैं। 5. सरकारी नौकरी छोड़ने के िीछे रामन ्की क्या भावना थी ? उ. सरकारी नौकरी छोड़ने के िीछे रामन ्की यह भावना थी कक वे सरस्विी की साधना करना चाहिे थे । वे पवश्वपवद्यालय के शशक्षक बन कर अिना िरूा समय अध्ययन, अध्यािन और शोध में बबिाना चाहि ेथे। 6. ‘ रामन ्प्रभाव ’ की खोि के िीछे कौन सा सवाल दहलोरें ले रहा था ? उ. ‘ रामन ्प्रभाव ’ की खोि के िीछे यह सवाल दहलोरें ले रहा था कक समदु्र का रंग नीला क्यों होिा है। 7. प्रकाश िरंगों के बारे में आइंस्िाइन ने क्या बिाया ?

  • उ. प्रकाश िरंगों के बारे में आइंस्िाइन ने बिाया कक प्रकाश का रूि अति सकू्ष्म िरमाणओंु की िीव्र प्रवाहधारा के समान होिा है। प्रकाश के कण बलेुि के समान िीव्र प्रवाह से बनिे हैं। 8. रामन ्की खोि ने ककन अध्ययनों को सहि बनाया ? उ. रामन ्की खोि ने अणओंु और िरमाणओंु की आंिररक संरचना के अध्ययन को सहि बनाया । रामन स्िेक्रोस्कोिी से शमलने वाली िानकारी बबलकुल सही होिी थी। ललखखत – क

    1. कॉलेि के ददनों में रामन ्की ददली इच्छा क्या थी ? उ. रामन ्शोधकायों में रुचच लेि ेथे । कॉलेि के ददनों में उनकी ददली इच्छा थी कक वे अिना सारा िीवन शोधकायों को समपिाि कर दें , मगर उन ददनों शोधकायों को कररयर के रूि में अिनाने की व्यवस्था नही ंथी । इसी कारण वे भा्िीय सरकार के िवाि-पवभाग में अफ़सर बन गए । 2. वाद्ययंत्रों िर की गई खोिों में रामन ्ने कौन सी भ्ांति िोड़ने की कोशशश की ? उ. रामन ्ने वाद्ययंत्रों के िीछे तछि ेगणणि िर अच्छा – खासा काम ककया। उन्होंन ेशोधकाया के दौरान वायशलन, चलैो या पियानो िैसे पवदेशी वाद्ययंत्रों िर काम ककया और भारिीय वाद्यों वीणा, िानिरूा और मदंृगम िर भी काम ककया और उन्होंन ेवजै्ञातनक शसद्धान्िों के आधार िर िजश्चमी देशों की इस भ्ांति को िोड़ा कक भारिीय वाद्ययंत्र पवदेशी वाद्ययंत्रों की िुलना में घदिया हैं। 3. रामन ्के शलए नौकरी संबंधी कौन - सा तनणाय कदठन था ? उ. रामन ्दस वषों से िवाि-पवभाग में सरकारी अफ़सर थे । अच्छा वेिन और सपुवधाएँ थी ं। इन सब को छोड़ कर कम वेिन और कम सपुवधा वाली पवश्वपवद्यालय की नौकरी में आन ेका तनणाय कदठन था।

  • 4. सर चंद्रशखेर रामन को समय ककन - ककन िरुस्कारों से सम्मातनि ककया गया उ. ‘ रामन प्रभाव ’ की खोि से सी. वी. रामन ्की चगनिी पवश्व के प्रमखु वजै्ञातनकों में होन ेलगी । उन्हें तनम्नशलणखि राष्ट्रीय और अंिरााष्ट्रीय िरुस्कारों से सम्मातनि ्ककया गया - 1. 1929 में उन्हें ‘सर ’ की उिाचध 2. 1930 में नोबेल िरुस्कार 3. रोम का मेत्यसूी िदक शमला 4. रॉयल सोसाइिी का ह्यजू़ िदक 5. कफ़लोडजेफिया इंस्िीट्यिू का फ्रें कशलन िदक 6. सोपवयि रूस का अंिरााष्ट्रीय लेतनन िरुस्कार 7. सन १९५४ में भारि का सवोच्च िरुस्कार “भारि रत्न’ 5. रामन ्को शमलन ेवाल ेिरुस्कारों ने भारिीय चिेना को िागिृ ककया। ऐसा क्यों कहा गया है ? उ. रामन ्को शमलने वाले िरुस्कार पवदेशी और प्रतिजष्ट्ठि थे। अंगे्रिों की गुलामी के दौर में एक भारिीय वजै्ञातनक को इस प्रकार सम्मातनि ककए िाने भारिीयों का आत्मसम्मान और आत्मपवश्वास बढ़ा। उनमें पवज्ञान के प्रति रुचच बढ़ी।ककिने ही भारिीय यवुा वजै्ञातनक शोध-कायों की ओर बढ़े। इस प्रकार देश के लोगों में पवज्ञान के प्रति एक नई चिेना और रुचच िागिृ हुई। ललखखत ख 1. रामन ्के प्रारंशभक शोधकायों को आधतुनक हठयोग क्यों कहा गया है? उ. रामन ्के प्रारंशभक शोधकायों को आधतुनक हठयोग इसशलए कहा गया है क्योंकक उनकी िररजस्थतिया ँबबलकुल पविरीि थीं। रामन को सरकारी नौकरी से बहुि कम समय शमल िािा था। उस समय स्विंत्र शोध के शलए ियााप्ि सपुवधाएँ नही ंथीं। न ही शोध करने में कोई भपवष्ट्य था। कलकिा के बहू बाज़ार में डा० महेंद्रलाल सरकार की छोिी-सी प्रयोगशाला थी जिसमें बहुि कम

  • उिकरण थे। ऐसी पविरीि िररजस्थतियों में िथा सीशमि साधनों के साथ कड़ी मेहनि और दृढ़ इच्छाशजक्ि के साथ रामन ने जिस प्रकार पवज्ञान के शोध ककए, उसी को लेखक ने आधतुनक हठयोग कहा है।

    2. रामन ्की खोि ‘ रामन ्प्रभाव ’ क्या है ? स्िष्ट्ि कीजिए। उ. रामन न ेखोि करके बिाया कक िब प्रकाश की एकवणीय ककरणें ककसी िरल िदाथा या ठोस रवों के अणओंु – िरमाणओंु से िकरािी हैं िो उनकी ऊिाा में या िो कमी हो िािी है या वपृद्ध हो िािी है। इस कमी या वपृद्ध की मात्रा से उनके रंग में भी अंिर आ िािा है। बैंगनी रंग की ककरणों में सबसे अचधक ऊिाा होिी है इसशलए इसके रंग में सबसे अचधक अंिर आ िािा है। इसके बाद नीले, आसमानी, हरे, िीले, नारंगी और लाल रंग का नंबर आिा है। लाल रंग में सबसे कम ऊिाा होिी है। रंगों की इस ऊिाा के दहसाब से उनका रंग बदलिा है। रामन की इस क्ातंिकारी खोि से ककसी भी अणु या िरमाण ुकी आंिररक संरचना की सही िानकारी शमलन ेलगी। उ. 3. ‘ रामन ्प्रभाव ’ की खोि से पवज्ञान के के्षत्र में कौन-कौन से काया संभव हो सके ? उ. ‘ रामन ्प्रभाव ’ की खोि भौतिकी के के्षत्र में एक क्ांति के समान थी। इससे ्पवज्ञान के के्षत्र में कई काया संभव हो सके। पवशभन्न िदाथों के अणओंु और िरमाणओंु की आंिररक संरचना की िानकारी शमलन ेलगी। दसूरा, इस िानकारी के आधार िर िदाथों का संश्लेषण प्रयोगशाला में ककया िान ेलगा । िीसरा, अनेक उियोगी िदाथों का कृबत्रम ( नकली ) रूि से बनाने का काया संभव हो सका।

  • 4. देश को वजै्ञातनक दृजष्ट्ि और चचिंन प्रदान करन ेमें सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्के महत्त्विणूा योगदान िर प्रकाश डाशलए । उ. सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्ने अनके शोधों द्वारा ना केवल पवज्ञान को समदृ्ध बनाया बजफक देश को वजै्ञातनक दृजष्ट्िकोण और चचिंन प्रदान ककया। बंगलोर में ‘रामन ्ररसचा इंस्िीट्यिू’ के नाम से एक अत्यंि उन्नि प्रयोगशाला और शोधसंस्था की स्थािना की। भौतिक शास्त्र में अनसंुधान को बढ़ावा देन ेके शलए दो िबत्रकाएँ भी तनकालीं। 5. सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्के िीवन से प्राप्ि होने वाल ेसंदेश को अिने शब्दों में शलणखए । उ. सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्के िीवन से यह संदेश शमलिा है कक हमें अिने आस-िास होन ेवाली प्राकृतिक घिनाओं के प्रति वजै्ञातनक दृजष्ट्िकोण अिनाना चादहए । पविरीि िररजस्थतियों में भी हार न मानकर लगन से काया करि ेरहना चादहए। हमें साधारण वस्िओंु में भी तछि ेरहस्य को अिनी िारखी नज़र और अथक िररश्रम से िानने का प्रयास करना चादहए।

    -------------------------------------------------------------------------------------------------------- तनम्नशलणखि का आशय स्िष्ट्ि कीजिए ---

    1. उनके शलए सरस्विी की साधना सरकारी सखु-सपुवधाओं से कही ंअचधक महत्त्विणूा थी। उ. सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्सच्च ेसरस्विी साधक थे।वे जिज्ञास ुवजै्ञातनक िथा शोधकिाा थे। उनके शलए वजै्ञातनक खोिों का महत्त्व सरकारी सखु-सपुवधाओं से अचधक था।इसशलए उन्होंने सरकारी पवत्ि-पवभाग की ऊँची नौकरी छोड़कर कलकत्िा पवश्वपवद्यालय की कम सपुवधा वाली नौकरी स्वीकार कर ली क्योंकक इस काया से उनके मन को अचधक संिोष शमलिा था।

  • 2. हमारे िास ऐसी न िान ेककिनी ही चीज़ें बबखरी िड़ी हैं, िो अिने िात्र की िलाश में हैं । उ. हमारे िीवन में हमारे आस-िास िो कुछ घििा रहिा है या कुछ वस्िुएँ ऐसी जस्थति में होिी हैं जिसका कारण हमें ििा नही ंहोिा – उनका अध्ययन करना आवश्यक है। यह अध्ययन का खुला के्षत्र है। इन रहस्यों को िानने के शलए दृजष्ट्ि व जिज्ञासा का होना आवश्यक है अि: इन घिनाओं को खोि करने वाले शोधकिााओं की िलाश रहिी है। 3. यह अिने आि में आधतुनक हठयोग का उदाहरण था । बबना साधनों के बलविी इच्छा शजक्ि से ककसी कदठन काया को करि ेचले िाना हठयोग कहलािा है। सर चंद्रशखेर वैंकि रामन ्भी ऐसे हठयोगी थे। सरकारी नौकरी में व्यस्ि रहिे हुए भी समय तनकालकर कलकत्िा की कामचलाऊ प्रयोगशाला में साधनों व उिकरणों के अभाव में जिस प्रकार प्रयोग करके पवज्ञान की सेवा की, वह अिने आि में हठयोग ही था। ---------------------------------------------------------------------------------------