्या है ्तो भी आंखों का परीक्षण ......फ यद म...

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3 समसएं उपचर नाखून को देखकर कई सास समसा जैसे द रोग, डाबीटिज, हीमोगोटबन की रक म कमी आटद के बारे म पा च जाा है Ã डॉ. रिंकी कपि डमिोॉटजसि मुंबई Ã डॉ. बाला अमबाती, रष ऑपेमॉटजसि, उिाह ूएसए Ã डॉ. पनम खेड़ा सीटनर कंसलिि गानेकोॉजी एंड ओबेसीटिन, टदली खून मुख: कैरेिीन नामक ोिीन से टमकर बने होे ह। ह गटम की ुना म ंड म ा मटहा की ुना म पुष के नाखून ेजी से बढ़े ह। हामन असंुन, बीमारी और बढ़ी उ की जह से नाखून धीरे टकटस होे ह। नाखून पर नजर आने ाे सफेद धबबे, दाग, नीापन समे कई रह के बदा कई गंभीर बीमार के संके हो सके ह। नाखून म आने ाे इन बदा को सम पर पहचानकर कई बीमार से बच सके ह। ना नेल चेक नखूनसे बीमररकोऐसे पहचन वइट सट : किसी सामान चोट ा कचंता िे िारण नाखून पर वाइट सपट (सफेद धब) आ जात । सपट इंफेकन, किवर ा किडनी िी ीमारी िवज स भी ो सित । ब नेल : नाखून िा नीिा कदखाई दना फफड़ और द संंधी रोग िा संिेत । ीन : नाखून िा पीिा कदखना पीकिा िसंिेत ै। कब शे नखन : फफड़ और द संंधी ीमारर िा संिेत । ट नखन : आरन िी िमी ििण । े : नाखून िा रंग फीिा ोना (पि) रकत म ीमोगिोकन िी माा िम ोन ा किडनी िी ीमारी िा संिेत ै। डर सट : गर रंग िे धब तो तवचा रोग कवष स जांच िराना चाकए। नाखून िे अंदर एि सामान कति ा कफर मिनोमा (तवचा िसर िा गंभीर प) भी ो सिता ै। Âइनन टनेल : जब पैर के अंगूे का नाखून आगे बढ़ने की बजा तचा म साइड म बढ़ने गा है, ो इसे इनोन िने कहे ह। नाखून की सही देखभा न करने, कसे हुए जूे पहनने से ह समसा हो सकी है। Âनाखन का बाि-बाि टूटना : कैललिम की कमी, टिाटमन बी की कमी से ह समसा हो सकी है। Âफंगल इंफेकन : नाखून की असामान ृट, नाखून के अनुांटिक ौर पर िूिने की जह से फंग इंफेकिन की समसा हो सकी है। पानी का जादा काम करने, जादा पसीना आने, डाबीटिज के अाा टखाटि को बार-बार चोि गने की जह से ह समसा होी है। Âबैकटीरियल इंफेकन : ह इंफेकिन बैकिीररा के अाा पानी, केटमक की जह से भी हो सका है। नाखून ा होना, आसपास सूजन आना, दद होना इसका ण है। Âवॉट : नाखून म गां ार इंफेकिन के कारण हो सकी है। ह अंगूे और उंगट को भाट कर सका है। Âसिायसस नेलस : सोराटसस से पीटि 80 फीसदी ोग को नाखून म समसा होी है। नाखून का रंग बदना, उखि जाना, धारी आना जैसे ण टदखाई देे ह। 1 नाखून म फंग इंफेकिन होने पर एंिी फंग मेडीटसन फूकोनॉजो िबेि, इाकोनाजो कैपसू और ीम, िेरटबनाटफन कैपसू और ीम का ोग डॉकिर की साह से कर सके ह। 2 ूमर ा नाखून के अंदर की ओर बढ़ने जैसी समसा के टए नाखून का सटजक ीिमि सामान है। Áनाखून िो साफ और सूखा रखिर इंफेकन स च सित । Áसी कफकटंग िे जूत दििर पन। Áमा नाखून पर नि पकि न िगाएं। िभी-िभी उन कना नि पकि िभी रन दना चाकए। Áगरम पानी म नमि कमिािर उसम पैर िो 5 स 10 कमनट िे किए पैर डािना चाकए। इसस नाखून और पैर िी तवचा अची ोगी। Áअगर डाइीकटज ा नस म सूजन िी समसा, रकत संचार सी न ै तो जादा सावधानी रतन िी आवशूिता ै। Áमैनीकोर और पैडीकोर ुत जादा िरान स चना चाकए, साथ ी पूरी सवचता िा भी खास धान रखना चाकए। वरना नाखून म इसिी वज स फंगि और वारि इंफेकन ो सिता ै। Áोटीन ुकत आार जैस दूध, अंडे, सािमन मिी फादमंद ै। नखूनककरदेखभल जवाब सवाल पेलवक इनलेमेटरी डिसीज़ ब की आंख का परीण कब कराना चाहिए ? -सौमया 35 वर, कटा जवाब सामान: एक सस बे की आंख की जांच दूरदृलषि और मांसपेटि के अाइनमि के टए 3 से 5 सा के बीच होनी चाटहए। टद टजन सामान से कम है ो बा ने रोग टिेष से आंख का पूरा परीण कराना चाटहए और आशका हो ो बे को चशमा गाने की साह दी जाए ो ह भी गाना चाटहए। अगर परार म पहे से आंख संबंधी कोई समसा है ो भी आंख का परीण जलदी कराना आशक है। आंख का धान रखन के हिए हिनचा और खानपान म हकन बात का खाि रखना मितपूण िै ? -सािा 32 वर, बकाि जवाब सू की रोिनी (टिाटमन डी) की कमी का पास का कम टदखने से संबंध है। सपाह म 14 घंिे सू के काि म रहना पाप है। कई अधन बाे ह टक एक टदन म दो घंिे से जादा िीी देखने का दुषभा भी आंख पर पिा है। िेीटजन, फोन ा ीटडो गेम 6 टफि से कम दूरी से देखने ा खेने से पास के देखने की समसा आ सकी है। खाने म टिाटमन ए ुक खा पदा सलबज म गाजर और गहरे हरे रंग की सलबजां और ओमेगा-3 फैिी एटसड ुक सामन मछी, फैकसीड, अखरोि और बादाम खाना फादेमंद है। इनका सेन आई टिशू को टकटस करने म महतपूण भूटमका टनभाा है। ब की आंख चेक कराने का सही सम का है ा उनकी आंख को सस रखने के टए टकन बा का खास खा रखना चाटहए इससे जुिकुछ सा और उनके जाब... इस बीमारी की जह से ूबरकुोटसस से फैोटपन ूबस को साी ट हो सकी है, टजससे ूब बॉकेज के कारण इनफटिटिी की समसा हो सकी है टहा म जनन अंग के संमण को पेललक इनफेमेिरी टडसीज (पीआईडी) कहे ह। इसकचे फैोटपन ूबस, ूिेरस, ओरीज को साी ट पहुंच सकी है एं ह मटहा म इनफटिटिी का मुख कारण हो सकी है। मटहा म पीआईडी कई रह के बैकिीररा ा ूबरकुोटसस के कारण हो सकी है। ूबरकुोटसस से फैोटपन ूबस को साी ट हो सकी है, टजससे ूब बॉकेज के कारण इनफटिटिी की समसा हो सकी है। समसया : सामान: सटकस (मटहा म ूिेरस का टनचा टहससा) ोटन से ेि करने ाे बैकिीररा को अंदर के ौन अंग म फैने से रोका है। सटकस म ौन संमण होने से ह अंदर के अंग म बैकिीररा फैने से नह रोक पाा है। जब बीमारी करने ाा बैकिीररा कटकस म पहुंच जाा है, ो पीआईडी होा है। सम के सा ह संमण पेललक अंग म फैने से मटहा के जनन ं को खराब कर देा है। जब ह संमण खून म टम जाा है, ो पीआईडी जानेा हो जाा है। पीआईडी के 90 फीसदी मामे गोनोररा (ौन संमण की बीमारी) एं केमीटडा (सामान ौन बीमारी) का इाज न कराने के कारण होे ह। इसके अन कारण म गभपा, बे को जनम देना एं पेललक टाएं िाटम ह। इसके अाा कई पुष से ौन संबंध बनाना भी इसका कारण है। पीआईडीकीजंचकेललएबलडमइंफेकनकीजंचकीजतीहै। इसकेअलवडॉकरअसउंडभीकरतेह। लण बचव उपचर पीआईडी के ण सभी मटहा म समान नह होे ह कुछ मटहा म पेि के टनचे टहससे म दद, पेि के ऊपरी टहससे म दद, बुखार, ूरन के सम जन होना, अटनटम बीटडंग होना, ोटन से बदबूदार पानी आना, काि आटद ण टदखाई देे ह। ो कुछ मटहा म उलिी, बेहोिी, ेज बुखार के सा दद भी होा है। ऐसे म तका डॉकिर से संपक करना चाटहए। 1. पीआईडी अगर पहे सिेज पर है, ो एंिीबाोटिकस देे ह। 2. टद मरीज बीमार है, गभी है, गोटां नह टनग सकी है, ो सीधे नस म दाई देने के टए डॉकिर भ करे है। 3. टद संमण म टडसचाज (माद) होा है, ो सजरी करके संटम अंग टनकाना पि सका है, ाटक ो फिकर पूरे पेललक ा पेि म संमण न कर दे। Á पीररडस िे दौरान सी सनटरी पैडस िे ोग स ीमारी दूर रती ै। जो मकिाएं िपड़े िा ोग िरती , उन ीमारी िी आंिा अकधि ोती ै। Á कद ौन संचरण िी ीमारी, ोकन स दूदार ाव, पलवि दद ा मावारी िे दौरान अतकधि रकताव िा संिेत कदख, तो ततिाि उपचार िराना चाकए। कनकमत तौर पर चिअप एवं जांच िराना चाकए। Á ीमारी स चन िे किए पलवि सवच एवं सूखा रखना चाकए। सावधानी Ã डॉ. सवपुलिाय िाठौड़ गेसोएनोॉटजसि एंड एंडोसकोटपसि मुंबई अपेलनडसाइटिस पेि से संबंटध एक आम बीमारी है। इस बीमारी के देि म हर सा 10 ाख से जादा मामे सामने आे ह। कोई भी गंभीर समसा सामने आए उससे पहे उपचार जरी है कवकबइटस समअपेलनडकस पेि के टनचे टहससे म दांई ओर बिी आं से जुिी होी है। ह गभग 4 इंच ंबी होी है। इसका िरीर म कोई टिेष उपोग नह है। पेि म सूजन आने, पस भरने के सा ही पेि के टनचे टहससे म ेज दद होा है, ो ह समसा अपेलनडसाइटिस है। अगर सम पर इसका इाज नह कराा जाए ो अपेलनडकस के फिनकी भी आिंका रही है। अपेलनडसाइटिस की बीमारी के िुआ म बुखार और पेि के टनचे टहससे म नाटभ के पास ेज दद होा है, जो बाद म पेि के दाटहनी टहससे म होने गा है। इसके सा ही उलिी आना, टमी, भूख न गना, ंड गना जैसी समसाएं होने गी ह। अपेलनडसाइटिस का पा चने के 24 घंिे के अंदर एंिीबाोटिकस और सजरी की मदद से इसका उपचार टका जाा है। अगर सही सम पर इसका इाज न टका जाए ो टससिटमक इंफेकिन (सेलपसस) की जह बन सका है। अपेकडसइलसलकसीकरके इंफेकनकेअलवअपेकडकसम सूजनआने,फलसकबजके ुकड़ेआंतमफंसने,पेमकीड़होनेकेकरणभीहोसकतहै। बुजुमपेकेकसरकीवजह सेभीअपेकडसइलसहोनेकी आंकरहतीहै। िगभग 4 इंच िबी िती िै अपनक लण उपचर समधन यह जानना भी जिी... अधनसेपतचलहैलकअपेकडकसइमूलनी लससमकलहससहै।हरीरमइमुनोगलोबुलन बननेममददकरतहै।हरीरकेकईलहसमबनतहै,इसललएअपेकडकसकेलनकलनेक इमूलनीलससमपरकोईदुभवनहपड़त। Áअगर सजरी ोन िे ाद अकनंकत उलटां, पट म दद, ूररन ा उटी म बिड आना, ुखार, चकिर आना, चीर वािी जग पर दद ा िाि ोन िी लसथकत म डकटर स पराम िना चाकए। ािांकि ीमारी किसी भी उ म ो सिती ै िकिन 10 साि स 19 साि िी उ म सस जादा ोती ै। Áअपलनडकस िे दद म अदरि िे सवन स आराम कमिता ै, इसिे साथ िसुन िा भी इसतमाि िर सित । पट म सूजन ोन पर अदरि िा ा पाउडर िे प म भी ि सित । इसिे अिावा अदरि और दी िे सवन स सूजन और जिन िम ोती ै। अपलनडसाइकटस िे िारण उटी ो री ै तो अदरि िे टुिड़े म नमि िगािर खा सित । Áपुदीन िे रस िी 2-3 ूंद पानी म डाििर पीना फादमंद ै। 3 स 4 घंटे िअंतराि म इस पानी िो पी सित । अपलनडकस िे िारण आन वाि ुखार और दद िो िम िरन िे किए तुिसी िी पक िा कनकमत सवन िरना चाकए। Áगम पानी तीन कदन ति िगातार पीन स अपलनडसाइकटस िी तििीफ म आराम कमिता ै, साथ ी आंत िो साफ िरता ै। ताज फि िा जूस पीना फादमंद ै। Áगम पानी ा िपड़े िो गम िरिकसिाई िरन स भी अपलनडसाइकटस िे दद म आराम कमिता ै। 1 कुछ िेसि, टफटजक एगजाटमनेिन के आधार पर अपेलनडसाइटिस का पा डॉकिर गाे ह। बड िेसि और ूरन िेसि भी टका जाा है, कटक ूररनरी कि इंफेकिन भी अपेलनडसाइटिस का ण है। 2 सीिी सकैन, अलासाउंड, ैोसकोपी, बेररम एटनमा, सेडीमेनिेिन रेि की भी जांच की जाी है। 3 अपेलनडसाइटिस होने पर अपेलनडकस को सजरी कर टनका देना ही इसका एकमा उपचार है। इस पट को अपेनडेकिोमी कहे ह। िलकसक ोडकि (टषाक पदा) के िरीर म जाने से अपेलनडकस म सूजऔर जन होी है। कुछ माम म आं म कीिाणु का इंफेकिन हो जाा है। इसटए ऐसी चीज जैसे टडबबा बंद फूड को खाने से बचना चाटहए। आहार म कम फाइबर ेने का अपेलनडसाइटिस की बीमारी से संबंध है, इसटए सस पाचन ं के टए आहार म हाई फाइबर आहार जर िाटम करना चाटहए। पाप घुनिी फाइबर के टए फ और सलबजां खाना चाटहए। इसके अाा अजाइन, खीरा, साबु अनाज, गेहूं की रोिी, ुरई, गाजर खाना फादेमंद है। संुट आहार ेकर और पापानी पीकर अपेलनडसाइटिस के खरे को कम कर सके ह। मेी के दाने दूध म डाकर उसकी चा पीना फादेमंद है। ह चा अपेलनडकस म बनने ाे अटररक पस और बगम को बनने से रोकी है। टनटम ौर पर मेी की चा पीना सेह के टए अचछा है। एक मुी साबु मूंग को रा भर के टए पानी म टभगो देना चाटहए। रोजाना टदन म ीन बार एक चमच इसका सेन करना फादेमंद है। अपेलनडकस म होने ाे दद के सा ही इंफेकिन म भी इससे आराम टमा है। 1 2 3 4 Á कब, िसत ा गै की मसा। Á पट के एक हिस िूर हिस म त िि। Á कम तापमान म बुखार आना (37 ही न - 39 ही न के बीच)। Á उटी ा हमतिी िोना। Á भूख कम िगना। Á पट म ून और हखचा। Á पट के बाएं हिस को िबान पर िाएं हिस म िि िोना। सजरी हहटश नशनि ि ह न पििी बार ोसटट म ूमर हनकािन के हिए ूमर का ी ी हकि मॉि तैार कराा। 65 एक मरी ोसटट कर और ूमर की मसा के ा कुछ म पिि ट ॉम िॉनसपटि िंिन म भत िुए । 23 मई 2016 को ि री की गई... ोसटट का 3 ी मॉि 3 ी हंटर की मिि हनकिा ूमर ऑपरेिन को करने से पहे कंसलटट यिलॉसजकल सजन फेसि कि दासगुपता ने ूमर का ी डी मॉड बनाने की सोची। ोसटट का एमआरआई सकन कर िॉनसपटि की िब म िी ूमर का ी ी मॉि तैार हका गा, हम... खर : लभ ~17,000 समय : 12घंे इस सजिी का दुसनया के चाि महाीप म सत 15 बड़े िबसटक सटि म सजन औि मेसडकल सटूडटस ने सीधा सािण देखा। पहलीबर एनएचएस सटेन ािा ी डी मॉडल का यग पहली बाि सजिी म सकया गया। इ री म ॉकटर ारा ोग हकए गए रोबोट की कीमत िगभग ~ 19करोड़ ी। ी डी मॉडल का यग सजिी की सफलता के सलए जिी सही पलासनंग के सलए सकया जा िहा है। ी डी टंिेड मॉड होन े से म ऑपरेिन क े पह े ही मरीज के ोसि ेि को पकि सका ा ूमर को महसूस कर सका। सा ही इसके नजदीक की मांसप ेटि और नस को देख सका ा। इस ी डी मॉड ने मुझे अपने ऑपरेिन की सिीक ोजना बनाने म मदद की। Âोफेसर ोखर दासगुपता, िंसटट सजन एवं चरमैन, इंसटीूट ऑफ रोोकटि सजरी किंगस ििज िंदन। इनपुट : सजना चुदी ोसटट म मौूि ूमर का मॉि

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    समस्याएं उपचयार

    नाखूनों को देखकर कई स्ास्थ्य समस्याओं जैसे हृद्य रोग, डा्यबीटिज, हीमोग्ोटबन की रक्त में कमी आटद के बारे में प्ता च् जा्ता हैÃ डॉ. रिंकी कपूिडममेिो्ॉटजसि मुंबई

    Ã डॉ. बाला अमबाती, ्ररष्ठ ऑप्े्म्ॉटजसि, उिाह ्यूएसए

    Ã डॉ. पूनम खेड़ा सीटन्यर कंसलिेंि गा्यनेको्ॉजी एंड ओबेसट्ीटि्यन, टदल्ी

    खून मुख्य्त: कैरेिीन नामक प्ोिीन से टम्कर बने हो्ते हैं। ्यह गटममि्यों की ्तु्ना में ्ठंड में ्त्ा मटह्ाओं की ्तु्ना में पुरुषों के नाखून ्तेजी से बढ़्ते हैं। हाममोन् असं्तु्न, बीमारी और बढ़्ती उम्र की ्जह से नाखून धीरे ट्कटस्त हो्ते हैं। नाखूनों पर नजर आने ्ा्े सफेद धबबे, दाग, नी्ापन समे्त कई ्तरह के बद्ा् कई गंभीर बीमारर्यों के संके्त हो सक्ते हैं। नाखूनों में आने ्ा्े इन बद्ा् को सम्य पर पहचानकर कई बीमारर्यों से बच सक्ते हैं।

    ना

    नेल चेक

    नयाखून से बीमयारर्ों को ऐसे

    पहचयानें

    व्हाइट स्पॉट : किसी सामान्य चोट ्या कचंता िे िारण नाखूनों पर व्ाइट

    सपपॉट (सफेद धब्बे) आ जातबे ्ैं। ्य् सपपॉट इंफेक्शन, किवर ्या किडनी िी ्ीमारी

    िी वज् सबे भी ्ो सितबे ्ैं।

    ब्लू नेल्स : नाखूनों िा नीिा कदखाई दबेना फेंफड़ों और हृद्य सं्ंधी रोगों िा संिेत ्ैं।

    ्ी्हा्न : नाखूनों िा पीिा कदखना पीकि्या िा संिेत ्ै।

    क्ब शे् नहाखलून : फेंफड़ों और हृद्य सं्ंधी ्ीमारर्यों िा संिेत ्ैं।

    ्स्हाट नहाखलून : आ्यरन िी िमी िा िक्षण ्ैं।

    ्े् : नाखूनों िा रंग फीिा ्ोना (पबेि) रकत में ्ीमोगिोक्न िी मात्ा िम ्ोनबे

    ्या किडनी िी ्ीमारी िा संिेत ्ै।

    डहार्क स्पॉट : ग्रबे रंग िे धब्बे ्ों तो तवचा रोग कव्शबेषज्ञ सबे जांच

    िराना चाक्ए। ्य् नाखून िे अंदर एि सामान्य कति ्या कफर मबेिबेनोमा (तवचा िैंसर िा गंभीर

    रूप) भी ्ो सिता ्ै।

    Âइनग्रोन टरोनेल : जब पैर के अंगू्ठे का नाखून आगे बढ़ने की बजा्य त्चा में साइड में बढ़ने ्ग्ता है, ्तो इसे इनग्ोन िोने् कह्ते हैं। नाखूनों की सही देखभा् न करने, कसे हुए जू्ते पहनने से ्यह समस्या हो सक्ती है।

    Âनाखून का बाि-बाि टूटना : कैललि्यम की कमी, ट्िाटमन बी की कमी से ्यह समस्या हो सक्ती है।

    Âफंगल इंफेक्शन : नाखूनों की असामान्य ्ृटधि, नाखूनों के अनु्ांटिक ्तौर पर िूिने की ्जह से फंग् इंफेकिन की समस्या हो सक्ती है। पानी का ज्यादा काम करने, ज्यादा पसीना आने, डा्यबीटिज के अ्ा्ा टख्ाटि्यों को बार-बार चोि ्गने की ्जह से ्यह समस्या हो्ती है।

    Âबैकटीरियल इंफेक्शन : ्यह इंफेकिन बैकिीरर्या के अ्ा्ा पानी, केटमक् की ् जह से भी हो सक्ता है। नाखून ् ा् होना, आसपास सूजन आना, ददमि होना इसका ्क्षण है।

    Âवॉट्ट : नाखूनों में गां्ठ ्ा्यर् इंफेकिन के कारण हो सक्ती है। ्यह अंगू्ठे और उंगट््यों को प्भाट््त कर सक्ता है।

    Âसरोिायससस नेलस : सोरा्यटसस से पीटि्त 80 फीसदी ्ोगों को नाखूनों में समस्या हो्ती है। नाखूनों का रंग बद्ना, उखि जाना, धारी आना जैसे ्क्षण टदखाई दे्ते हैं।

    1 नाखूनों में फंग् इंफेकिन होने पर एंिी फंग् मेडीटसन फ्ूकोनॉजो् िेब्ेि, इट्ाकोनाजो् कैपसू् और क्ीम, िेरटबनाटफन कैपसू् और क्ीम का प््योग डॉकिर की स्ाह से कर सक्ते हैं।

    2 ट्ूमर ्या नाखूनों के अंदर की ओर बढ़ने जैसी समस्या के ट्ए नाखूनों का सटजमिक् ट्ीिमेंि सामान्य है।

    Áनाखूनों िो साफ और सूखा रखिर इंफेक्शन सबे ्च सितबे ्ैं।Áस्ी कफकटंग िे जूतबे ्दििर प्नें।Á्मबे्शा नाखूनों पर नबेि पपॉकि्श न्ीं िगाएं। िभी-िभी उन्ें क्ना नबेि पपॉकि्श िे भी र्नबे दबेना चाक्ए।Áगरम पानी में नमि कमिािर उसमें पैरों िो 5 सबे 10 कमनट िे किए पैर डािना चाक्ए। इससबे नाखून और पैरों िी तवचा अच्ी ्ोगी।

    Áअगर डाइ्ीकटज ्या नसों में सूजन िी समस्या, रकत संचार स्ी न्ीं ्ै तो ज्यादा सावधानी ्रतनबे िी आवश्यूिता ्ै।Áमैनीक्योर और पैडीक्योर ््ुत ज्यादा िरानबे सबे ्चना चाक्ए, साथ ्ी पूरी सवच्ता िा भी खास ध्यान रखना चाक्ए। वरना नाखूनों में इसिी वज् सबे फंगि और वा्यरि इंफेक्शन ्ो सिता ्ै।Áप्ोटीन ्युकत आ्ार जैसबे दूध, अंडे, सािमन म्िी फा्यदबेमंद ्ै।

    नयाखूनों कया करें देखभयाल

    जवाबसवाल पेल्वक इन्फलेमेटरी डिसीज़

    बच्चे की आंखों का परीक्षण कब कराना चाहिए ? -सौमया 35 वर्ष, करोटाजवाब सामान्य: एक स्स् बच्े की आंखों की जांच दूरदृलषि और मांसपेटि्यों के अ्ाइनमेंि के ट्ए 3 से 5 सा् के बीच होनी चाटहए। ्यटद ट्जन सामान्य से कम है ्तो बा् नेत्र रोग ट्िेषज्ञ से आंखों का पूरा परीक्षण कराना चाटहए और आ्श्यक्ता हो ्तो बच्े को चशमा ्गाने की स्ाह दी जाए ्तो ्ह भी ्गाना चाटहए। अगर परर्ार में पह्े से आंखों संबंधी कोई समस्या है ्तो भी आंखों का परीक्षण जलदी कराना आ्श्यक है।

    आंखों का ध्ान रखनचे के हिए हिनच्ाया और खानपान में हकन बातों का ख्ाि रखना मित्वपूणया िै ? -सािा 32 वर्ष, बरोकािरोजवाब सू्यमि की रोिनी (ट्िाटमन डी) की कमी का पास का कम टदखने से संबंध है।

    सप्ताह में 14 घंिे सू्यमि के प्काि में रहना प्यामिप्त है। कई अध्य्यन ब्ता्ते हैं टक एक टदन में दो घंिे से ज्यादा िी्ी देखने का दुषप्भा् भी आंखों पर पि्ता है। िे्ीट्जन, फोन ्या ्ीटड्यो गेम 6 टफि से कम दूरी से देखने ्या खे्ने से पास के देखने की समस्या आ सक्ती है। खाने में ट्िाटमन ए ्युक्त खाद्य पदा्मि सलबज्यों में गाजर और गहरे हरे रंग की सलबज्यां और ओमेगा-3 फैिी एटसड ्युक्त सा्मन मछ्ी, फ्ैकसीड, अखरोि और बादाम खाना फा्यदेमंद है। इनका से्न आई टिश्यू को ट्कटस्त करने में महत्पूणमि भूटमका टनभा्ता है।

    बच्ों की आंखें चेक कराने का सही सम्य क्या है ्त्ा उनकी आंखों को स्स् रखने के ट्ए टकन बा्तों का खास ख्या् रखना चाटहए इससे जुिे कुछ स्ा् और उनके ज्ाब...

    इस बीमारी की ्जह से ट्ूबरकु्ोटसस से फै्ोटप्यन ट्ूबस को स्ा्यी क्षट्त हो सक्ती है, टजससे ट्ूब् ब्ॉकेज के कारण इनफटिटिट्िी की समस्या हो सक्ती है

    टह्ाओं में प्जनन अंगों के संक्मण को पेलल्क इनफ्ेमेिरी टडसीज (पीआईडी) कह्ते हैं। इसके च््ते फै्ोटप्यन ट्ूबस, ्यूिेरस, ओ्रीज को स्ा्यी क्षट्त पहुंच सक्ती है ए्ं ्यह मटह्ाओं में इनफटिटिट्िी का प्मुख कारण हो सक्ती है। मटह्ाओं में पीआईडी

    कई ्तरह के बैकिीरर्या ्या ट्ूबरकु्ोटसस के कारण हो सक्ती है। ट्ूबरकु्ोटसस से फै्ोटप्यन ट्ूबस को स्ा्यी क्षट्त हो सक्ती है, टजससे ट्ूब् ब्ॉकेज के कारण इनफटिटिट्िी की समस्या हो सक्ती है।

    समसया : सामान्य्त: सट्मिकस (मटह्ाओं में ्यूिेरस का टनच्ा टहससा) ्योटन से प््ेि करने ्ा्े बैकिीरर्या को अंदर के ्यौन अंगों में फै्ने से रोक्ता है। सट्मिकस में ्यौन संक्मण होने से ्ह अंदर के अंगों में बैकिीरर्या फै्ने से नहीं रोक पा्ता है। जब बीमारी करने ्ा्ा बैकिीरर्या कट्मिकस में पहुंच जा्ता है, ्तो पीआईडी हो्ता है। सम्य के सा् ्यह संक्मण पेलल्क अंगों में फै्ने से मटह्ाओं के प्जनन ्तंत्र को खराब कर दे्ता है। जब ्यह संक्मण खून में टम् जा्ता है, ्तो पीआईडी जान्े्ा हो जा्ता है। पीआईडी के 90 फीसदी माम्े गोनोरर्या (्यौन संक्मण की बीमारी) ए्ं क्ेमीटड्या (सामान्य ्यौन बीमारी) का इ्ाज न कराने के कारण हो्ते हैं। इसके अन्य कारणों में गभमिपा्त, बच्े को जनम देना ए्ं पेलल्क टक््याएं िाटम् हैं। इसके अ्ा्ा कई पुरुषों से ्यौन संबंध बनाना भी इसका कारण है।

    म पीआईडी की जयांच के ललए बलड में इंफेक्शन की जयांच की जयाती है। इसके अलयावया डॉक्टर अल्ट्यासयाउंड भी करते हैं।लक्षण बचयाव

    उपचयार

    पीआईडी के ्क्षण सभी मटह्ाओं में समान नहीं हो्ते हैं कुछ मटह्ाओं में पेि के टनच्े टहससे में ददमि, पेि के ऊपरी टहससे में ददमि, बुखार, ्यूररन के सम्य ज्न होना, अटन्यटम्त ब्ीटडंग होना, ्योटन से बदबूदार पानी आना, ्का्ि आटद ्क्षण टदखाई दे्ते हैं। ्तो कुछ मटह्ाओं में उलिी, बेहोिी, ्तेज बुखार के सा् ददमि भी हो्ता है। ऐसे में ्ततका् डॉकिर से संपक्क करना चाटहए।

    1. पीआईडी अगर पह्े सिेज पर है, ्तो एंिीबा्योटिकस दे्ते हैं। 2. ्यटद मरीज बीमार है, गभमि््ती है, गोट््यां नहीं टनग् सक्ती

    है, ्तो सीधे नसों में द्ाई देने के ट्ए डॉकिर भ्तती कर्ते है।3. ्यटद संक्मण में टडसचाजमि (म्ाद) हो्ता है, ्तो सजमिरी करके

    संक्टम्त अंग टनका्ना पि सक्ता है, ्ताटक ्ो फिकर पूरे पेलल्क ्या पेि में संक्मण न कर दे।

    Á पीरर्यडस िे दौरान स्ी सबेनबेटरी पैडस िे प््योग सबे ्य् ्ीमारी दूर र्ती ्ै। जो मक्िाएं िपड़े िा प््योग िरती ्ैं, उन्ें ्ीमारी िी आ्शंिा अकधि ्ोती ्ै।

    Á ्यकद ्यौन संचरण िी ्ीमारी, ्योकन सबे ्द्ूदार स्ाव, पबेल्वि दद्द ्या मा्वारी िे दौरान अत्यकधि रकतस्ाव िा संिेत कदखबे, तो ततिाि उपचार िराना चाक्ए। कन्यकमत तौर पर चबेिअप एवं जांच िराना चाक्ए।

    Á ्ीमारी सबे ्चनबे िे किए पबेल्वि क्षबेत् सवच् एवं सूखा रखना चाक्ए।

    सावधानीÃ डॉ. सवपुलिाय िाठौड़गेसट्ोएनट्ो्ॉटजसि एंड एंडोसकोटपसि मुंबई अपेलनडसाइटिस पेि से संबंटध्त एक आम बीमारी है। इस बीमारी के देि में हर सा् 10 ्ाख से ज्यादा माम्े सामने आ्ते हैं। कोई भी गंभीर समस्या सामने आए उससे पह्े उपचार जरूरी है

    ककवक बयाइटस

    समस्या

    अपेलनडकस पेि के टनच्े टहससे में दांई ओर बिी आं्त से जुिी हो्ती है। ्यह ्गभग 4 इंच ्ंबी हो्ती है। इसका िरीर में कोई ट्िेष उप्योग नहीं है। पेि में सूजन आने, पस भरने के सा् ही पेि के टनच्े टहससे में ्तेज ददमि हो्ता है, ्तो ्यह समस्या अपेलनडसाइटिस है। अगर सम्य पर इसका इ्ाज नहीं करा्या जाए ्तो अपेलनडकस के फिने की भी आिंका रह्ती है।

    अपेलनडसाइटिस की बीमारी के िुरूआ्त में बुखार और पेि के टनच्े टहससे में नाटभ के पास ्तेज ददमि हो्ता है, जो बाद में पेि के दाटहनी टहससे में होने ्ग्ता है। इसके सा् ही उलिी आना, टम्त्ी, भूख न ्गना, ्ठंड ्गना जैसी समस्याएं होने ्ग्ती हैं। अपेलनडसाइटिस का प्ता च्ने के 24 घंिे के अंदर एंिीबा्योटिकस और सजमिरी की मदद से इसका उपचार टक्या जा्ता है। अगर सही सम्य पर इसका इ्ाज न टक्या जाए ्तो टससिटमक इंफेकिन (सेलपसस) की ्जह बन सक्ता है।

    अपेक्डसयाइल्टस लकसी प्रकयार के इंफेक्शन के अलयावया अपेक्डकस में सूजन आने, फल ्या सकबज्ों के ्टुकड़े आंत में फंसने, पे्ट में कीड़े होने के कयारण भी हो सकतया है। बुजुर्गो में पे्ट के कैंसर की वजह से भी अपेक्डसयाइल्टस होने की आ्शंकया रहती है।

    िगभग 4 इंच

    िंबी िोती िै

    अपचेन्डिक्स

    लक्षण

    उपचयार

    समयाधयान

    यह जानना भी जरूिी...

    अध््नों से पतया चलया है लक अपेक्डकस इम्ूलन्टी लसस्टम कया लहससया है। ्ह ्शरीर में इम्ुनोगलोबुललन बनयाने में मदद करतया है। ्ह ्शरीर के कई लहससों में बनतया है, इसललए अपेक्डकस के लनकयालने कया इम्ूलन्टी लसस्टम पर कोई दुष्प्रभयाव नहीं पड़तया।

    Áअगर सज्दरी ्ोनबे िे ्ाद अकन्यंकत्त उल्ट्यां, पबेट में दद्द, ्यूररन ्या उ्टी में बिड आना, ्ुखार, चकिर आना, चीरबे वािी जग् पर दद्द ्या िाि ्ोनबे िी लसथकत में डपॉकटर सबे पराम्श्द िबेना चाक्ए। ्ािांकि ्य् ्ीमारी किसी भी उम्र में ्ो सिती ्ै िबेकिन 10 साि सबे 19 साि िी उम्र में स्सबे ज्यादा ्ोती ्ै।Áअपबेलनडकस िे दद्द में अदरि िे सबेवन सबे आराम कमिता ्ै, इसिे साथ ि्सुन िा भी इसतबेमाि िर सितबे ्ैं। पबेट में सूजन ्ोनबे पर अदरि िच्ा ्या पाउडर िे रूप में भी िबे सितबे ्ैं। इसिे अिावा अदरि और ््दी िे सबेवन सबे सूजन और जिन िम ्ोती ्ै। अपबेलनडसाइकटस िे िारण

    उ्टी ्ो र्ी ्ै तो अदरि िे टुिड़े में नमि िगािर खा सितबे ्ैं।Áपुदीनबे िे रस िी 2-3 ्ूंदबे पानी में डाििर पीना फा्यदबेमंद ्ै। 3 सबे 4 घंटे िे अंतराि में इस पानी िो पी सितबे ्ैं। अपबेलनडकस िे िारण आनबे वािबे ्ुखार और दद्द िो िम िरनबे िे किए तुिसी िी पकति्यों िा कन्यकमत सबेवन िरना चाक्ए। Áगम्द पानी तीन कदन ति िगातार पीनबे सबे अपबेलनडसाइकटस िी तििीफ में आराम कमिता ्ै, साथ ्ी आंत िो साफ िरता ्ै। ताजबे फिों िा जूस पीना फा्यदबेमंद ्ै।Áगम्द पानी ्या िपड़े िो गम्द िरिे कसिाई िरनबे सबे भी अपबेलनडसाइकटस िे दद्द में आराम कमिता ्ै।

    1 कुछ िेसि, टफटजक् एगजाटमनेिन के आधार पर अपेलनडसाइटिस का प्ता डॉकिर ्गा्ते हैं। ब्ड िेसि और ्यूररन िेसि भी टक्या जा्ता है, क्योंटक ्यूररनरी ट्रैकि इंफेकिन भी अपेलनडसाइटिस का ्क्षण है।

    2 सीिी सकैन, अलट्ासाउंड, ्ैप्ोसकोपी, बेरर्यम एटनमा, सेडीमेनिेिन रेि की भी जांच की जा्ती है।3 अपेलनडसाइटिस होने पर अपेलनडकस को सजमिरी कर टनका् देना ही इसका एकमात्र उपचार है। इस पधिट्त

    को अपेनडेकिोमी कह्ते हैं।

    िॉलकसक प्ोडकि (ट्षाक्त पदा्थों) के िरीर में जाने से अपेलनडकस में सूजन और ज्न हो्ती है। कुछ माम्ों में आं्त में कीिाणुओं का इंफेकिन हो जा्ता है। इसट्ए ऐसी चीजों जैसे टडबबा बंद फूड को खाने से बचना चाटहए।आहार में कम फाइबर ्ेने का अपेलनडसाइटिस की बीमारी से संबंध है, इसट्ए स्स् पाचन ्तंत्र के ट्ए आहार में हाई फाइबर आहार जरूर िाटम् करना चाटहए। प्यामिप्त घु्निी् फाइबर के ट्ए फ् और सलबज्यां खाना चाटहए। इसके अ्ा्ा अज्ाइन, खीरा, साबु्त अनाज, गेहूं की रोिी, ्तुरई, गाजर खाना फा्यदेमंद है। सं्तुट््त आहार ्ेकर और प्यामिप्त पानी पीकर अपेलनडसाइटिस के ख्तरे को कम कर सक्ते हैं।मे्ी के दाने दूध में डा्कर उसकी चा्य पीना फा्यदेमंद है। ्यह चा्य अपेलनडकस में बनने ्ा्े अट्तररक्त पस और ब्गम को बनने से रोक्ती है। टन्यटम्त ्तौर पर मे्ी की चा्य पीना सेह्त के ट्ए अचछा है।एक मुठ्ी साबु्त मूंग को रा्त भर के ट्ए पानी में टभगो देना चाटहए। रोजाना टदन में ्तीन बार एक चममच इसका से्न करना फा्यदेमंद है। अपेलनडकस में होने ्ा्े ददमि के सा् ही इंफेकिन में भी इससे आराम टम््ता है।

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    Á कब्ज, िसत ्ा गै्स की ्समस्ा।Á पचेट के एक हिस्सचे ्सचे िू्सरचे हिस्सचे में तचे्ज ििया।Á कम तापमान में बुखार आना (37 हडिग्ी

    ्सचेन््स््स - 39 हडिग्ी ्सचेन््स््स के बीच)।Á उ्टी ्ा हमतिी िोना।Á भूख कम िगना।Á पचेट में ्सू्जन और हखचा्व।Á पचेट के बाएं हिस्सचे को िबानचे पर िाएं हिस्सचे

    में ििया िोना।

    सज्जरी

    हरिहटश नचेशनि िचे््थ ्सह्वया्स नचे पििी बार प्ोसटटेट में ्सचे ट्ूमर हनकािनचे के हिए ट्ूमर का थ्ी डिी ्सह्जयाकि मॉडिि तै्ार करा्ा। 65 ्वर्षी् एक मरी्ज प्ोसटटेट कैं्सर और ट्ूमर की ्समस्ा के ्सा्थ कुछ ्सम् पििचे ्सेंट ्थॉम्स िॉनसपटि िंिन में भतषी िुए ्थचे। 23 मई 2016 को ्ि ्स्जयारी की गई...

    प्ोसटटेट का 3 डिी मॉडिि

    3 डिी हप्ंटर की मिि ्सचे हनकिा ट्ूमर

    ऑपरेिन को करने से पह्े कंसलटेंट यूिरोलॉसजकल सज्षन प्रोफेसि प्रोकि दासगुपता

    ने ट्ूमर का थ्ी डी मॉड् बनाने की सोची।

    प्ोसटटेट का एमआरआई सककैन कर िॉनसपटि की िचेब में िी ट्ूमर का थ्ी डिी मॉडिि तै्ार हक्ा ग्ा, ह्ज्समें...खर्च : लर्भर् ~17,000 समय : 12 घं्टे

    इस सज्षिी का दुसनया के चाि महाद्ीपों में ससथित 15 बड़े िरोबरोसटक सेंटि में सज्षन औि मेसडकल सटूडेंटस ने सीधा प्सािण देखा।

    पहली बयारएनएचएस सरिटेन द्ािा थ्ी डी मॉडल का प्यरोग पहली बाि सज्षिी में सकया गया।

    इ्स ्स्जयारी में डिॉकटरों द्ारा प््ोग हकए गए रोबोट की कीमत िगभग~ 19 करोड़ ्थी।

    थ्ी डी मॉडल का प्यरोग सज्षिी की सफलता के सलए जरूिी सही पलासनंग के सलए सकया जा िहा है।

    थ्ी डी टप्ंिेड मॉड् होने से मैं ऑपरेिन के पह्े ही मरीज के प्ोसिेि को पकि सका ्त्ा ट्ूमर को महसूस कर सका। सा् ही इसके नजदीक की मांसपेटि्यों और नसों को देख सक्ता ्ा। इस थ्ी डी मॉड् ने मुझे अपने ऑपरेिन की सिीक ्योजना बनाने में मदद की।Âप्ोफेसर प्ोखर दासगुपता, िंस्टेंट सज्दन एवं चबे्यरमैन, इंसटीट्ूट ऑफ रो्ोकटि सज्दरी किंगस िपॉिबेज िंदन।

    इनपुट : सजमिना च्तु्मेदी

    प्ोसटटेट में मौ्जूि ट्ूमर का मॉडिि