हमारा कॉलज और पिरसर · आिदवासी सािह˘य...

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NAAC Accreditation ‘A’ Grade, (3.16 CGPA) COLLEGE WITH POTENTIAL EXCELLENCE (IInd Phase) अपन मौिख लोक आिद उपय + , चिकत असम सरी साथ िजसन इसिल आज को प यह की च MA (W EDUC आिदवासी सािहय आिदवासी सािहय वािचक परंपरा का िलिखत (िश8ट अथ आिदवासी सािहय भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी ि भारतीय आिदवासी आिदवासी सािहय भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय आिदवासी भारतीय लोकगीत भारतीय लोक-परंपर भारतीय लोक-सािह एम.टी.बी िLं. जिवह भारतीय आिदवािसय का अपना एक समाज , नी एक परंपरा एवम बोली है। इनका सािहय दो वप खक व िलिखत प म # पाया जाता है। मौिखक सािहय सािहय क नाम सजाना जाता है तो िलिखत सािहय दवासी सािहय कहलाता है। भारतीय सािहय क+ ,त दोन परंपराओं म # काफी समानता है जो आ/चय+ त करन वाली है। दश ,काल और वातावरण की मानता इनक भाव-साKयता को द र नहीं कर सकी ह N । तो और खास करक आध िनक य ग म # िश8ट सािहय क साथ आिदवासी सािहय की धारा भी बहती रही है सािहय क समीकरण को पिरवित+त कर िदया है। लए भारतीय आिदवासी सािहय पर सािहय संगो8ठक समय की ताजा माँग है। िजससआिदवासी सािहय परखकर इसकी उपलिAधय को संजोया जा सकता है। संगो8ठी आज क टकनोलॉजी क य ग म # आिदवािसय तना की पिरचायक है। AGANLAL THAKORDAS BALMUKUNDDAS MODI WHO DONATED RS.2 LAKH TO THE SARVAJANIK CATION SOCIETY AND AFTER WHOM THE COLLEGE IS NAMED) की अवधारणा म# िवCोह क वर भारतीय आिदवासी (लोक) सािहय थवा आध िनक) आिदवासी सािहय का वप और सPदय समाज एवं संक िसािहयः वप और परंपरा सािहय की कथानक िढयाँ िवमश+ और िहंदी सािहय समाज और संक िका लोक और लोक का सािहय सािहय म# Hी सािहय म# यथाथ+ और कIपना सािहयकार सािहयः नौितयाँ और संभावनाएँ उपJयास सािहय किवता सािहय कहानी सािहय म# साKयता राओं म# समानता य का िश8ट सािहय पर Lभाव थल . आट स कोलज, स रत हारी महता स िमनार होल

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  • NAAC Accreditation ‘A’ Grade, (3.16 CGPA) COLLEGE WITH POTENTIAL EXCELLENCE

    (IInd Phase)

    अपनी एक परंपरा एवम ्बोली है। इनका सािह�य दो �व�प�

    मौिखक व िलिखत �प म# पाया जाता है। मौिखक सािह�य

    लोक सािह�य के नाम स ेजाना जाता है तो िलिखत

    आिदवासी सािह�य कहलाता है। भारतीय सािह�य की

    उपयु+,त दोन� परंपराओ ंम# काफी समानता है जो आ/चय+

    चिकत करनवेाली है। दशे

    असमानता इनके भाव

    दसूरी और खास करके आधिुनक यगु म# िश8ट सािह�य के

    साथ सा

    िजसन ेसािह�य के समीकरण� को पिरवित+त कर िदया है।

    इसिलए भारतीय आिदवासी सािह�य पर सािह�य संगो8ठी

    आज के समय की ताजा माँग है। िजसस ेआिदवासी सािह�य

    को परखकर इसकी उपलिAधय� को संजोया जा सकता है।

    यह संगो8ठी आज के

    की चतेना की पिरचायक है।

    MAGANLAL THAKORDAS

    (WHO DONATED RS.2 LAKH TO THE SARVAJANIK

    EDUCATION SOCIETY AND AF

    � आिदवासी सािह�य की अवधारणा

    � आिदवासी सािह�य म# िवCोह के �वर

    � वािचक परंपरा का भारतीय

    � िलिखत (िश8ट अथवा आधुिनक

    � आिदवासी सािह�य का

    � भारतीय आिदवासी समाज एवं स�ंकृित

    � भारतीय आिदवासी सािह�यः �व�प और परंपरा

    � भारतीय आिदवासी सािह�य की कथानक �िढयाँ

    � भारतीय आिदवासी िवमश+ और िहदंी

    � भारतीय आिदवासी समाज और स�ंकृित

    � आिदवासी सािह�य का

    � भारतीय आिदवासी सािह�य म# �Hी

    � भारतीय आिदवासी सािह�य म# यथाथ+ और कIपना

    � भारतीय आिदवासी सािह�यकार

    � भारतीय आिदवासी सािह�यः

    � भारतीय आिदवासी उपJयास सािह�य

    � भारतीय आिदवासी किवता सािह�य

    � भारतीय आिदवासी कहानी

    � भारतीय लोकगीत� म# साKयता

    � भारतीय लोक-परंपराओं म# समानता

    � भारतीय लोक-सािह�य का िश8ट सािह�य पर Lभाव

    एम.टी.बी

    िL.ं कुंजिवहारी महतेा सिेमनार होल

    भारतीय आिदवािसय� का अपना एक समाज ,

    अपनी एक परंपरा एवम ्बोली है। इनका सािह�य दो �व�प�

    मौिखक व िलिखत �प म# पाया जाता है। मौिखक सािह�य

    लोक सािह�य के नाम स ेजाना जाता है तो िलिखत सािह�य

    आिदवासी सािह�य कहलाता है। भारतीय सािह�य की

    उपयु+,त दोन� परंपराओ ंम# काफी समानता है जो आ/चय+

    चिकत करनवेाली है। दशे ,काल और वातावरण की

    असमानता इनके भाव-साKयता को दरू नहीं कर सकी हN। तो

    दसूरी और खास करके आधिुनक यगु म# िश8ट सािह�य के

    साथ साथ आिदवासी सािह�य की धारा भी बहती रही है

    िजसन ेसािह�य के समीकरण� को पिरवित+त कर िदया है।

    इसिलए भारतीय आिदवासी सािह�य पर सािह�य संगो8ठी

    आज के समय की ताजा माँग है। िजसस ेआिदवासी सािह�य

    को परखकर इसकी उपलिAधय� को संजोया जा सकता है।

    यह संगो8ठी आज के टकेनोलॉजी के यगु म# आिदवािसय�

    की चतेना की पिरचायक है।

    MAGANLAL THAKORDAS BALMUKUNDDAS MODI

    WHO DONATED RS.2 LAKH TO THE SARVAJANIK

    EDUCATION SOCIETY AND AFTER WHOM THE COLLEGE

    IS NAMED)

    आिदवासी सािह�य की अवधारणा

    आिदवासी सािह�य म# िवCोह के �वर

    भारतीय आिदवासी (लोक) सािह�य

    िश8ट अथवा आधुिनक) आिदवासी सािह�य

    आिदवासी सािह�य का �व�प और सPदय

    आिदवासी समाज एवं स�ंकृित

    भारतीय आिदवासी सािह�यः �व�प और परंपरा

    भारतीय आिदवासी सािह�य की कथानक �िढया ँ

    िवमश+ और िहदंी सािह� य

    भारतीय आिदवासी समाज और स�ंकृित

    आिदवासी सािह�य का लोक और लोक का सािह�य

    भारतीय आिदवासी सािह�य म# �Hी

    भारतीय आिदवासी सािह�य म# यथाथ+ और कIपना

    भारतीय आिदवासी सािह�यकार

    आिदवासी सािह�यः चुनौितयाँ और संभावनाएँ

    भारतीय आिदवासी उपJयास सािह�य

    भारतीय आिदवासी किवता सािह�य

    भारतीय आिदवासी कहानी सािह�य

    भारतीय लोकगीत� म# साKयता

    परंपराओं म# समानता

    सािह�य का िश8ट सािह�य पर Lभाव

    � �थल �

    बी. आटॅ्स कोलजे, सरूत

    कुंजिवहारी महतेा सिेमनार होल

  • � हमारा कॉलजे और पिरसर: भारत म# िUिटश शासन के दौरान 19 जनू,

    1918 को 'सव+जिनक महािवVयालय' के �प म# �थािपत, मगलनलाल

    ठाकोरदास बालकुंददास Vवारा त�कालीन समय म# दो लाख �पय ेकी

    दान रािश दने ेपर कोलजे का नामकरण हुआ मगलनलाल ठाकोरदास

    बालकुंददास कला महािवVयालय, िजस े एम.टी.बी आट+स कालजे भी

    कहा जाता है, जो िक ताWती नदी के िकनार े ि�थत है। 1138750 वग+

    मीटर पिरसर म# फैला हुआ है। जो शहर के क# C म# है। इसका

    िवशाल पिरसर गॉिथक वा�तुकला की परुानी शैली म# राजसी इमारत

    के समान Lतीत होता है। छाHावास की इमारत� और आवासीय

    ,वाट+र, लॉन और उVयान, खले-मैदान और मैदान, कोट+ और

    मंडप,आरएफ़आईडी य,ुत प�ुतकालय और कN टीन और आस-पास के

    एक सुंदरता का िनमा+ण। वािण]य, िव^ान, इंजीिनयिरगं और

    LौVयोिगकी, Lबधंन, कंWयटूर िव^ान, पया+वरण अ_ययन, कला, Lदश+न

    आिद के िवषय म# उaच िशbा के उaचतर �प स ेपिरसर म# शbैिणक

    गितिविधय� का मधमु,खी के समान मध ुबनात ेहN। वीर नम+द दिbण

    गुजरात िव/विवVयालय, सूरत म# कला सहयोिगय� के संकाय म# हमार े

    यजूी और पीजी काय+dम मानिवकी (गुजराती, िहदंी, अfंजेी, सं�कृत)

    और सामािजक िव^ान(इितहास, अथ+शा�H, मनोिव^ान) हN। 1988 म#

    इhन ू की �थापना के बाद स,े हमार े महािवVयालय 3,000 स े अिधक

    छाH� के िलए 40 स ेअिधक पाiयdम� की पशेकश करन ेवाली अपनी

    दरू�थ िशbा क# C के �प म# काय+ करता है।

    महािवVयालय म# मशहूर िLिंसपल� की एक समVृध

    िवरासत, Lोफेसर� के �प म# मशहूर िवVवान, आगंतुक� के �प म#

    गणमाJय jयि,त और छाH� के �प म# Lितभाशाली Lितभाओ ं का

    संयोग है।

    कॉलजे की अनठूी Lित8ठा को 'सव+k8ेठ कॉलजे परु�कार'

    (गुजरात सरकार), परुानी Lिति8ठत सं�थान� के पनुlVधार की

    योजना, उ�कृ8टता-सीपीई का Lथम व ् Vिवतीय चरण (यजूीसी सीपीइ

    fांट), 'ए' fडे L�यायन के िलए bमता रखनवेाल ेहमार ेकॉलजे Vवारा

    mढ़ िकया गया है - 2007 म# और 2014 म# (नके) आिद। और इस तरह

    स े समय के रते पर अपन े परै� के िनशान िनशान करन े के िलए

    जोरदार कदम के साथ आग ेबढ़त े हुए, अपनी शताAदी को पार करत े

    हुए..

    � गुजरात और सूरत गुजरात रा]य भारत के पि/चमी समुCीतट रखेा पर �वण+

    उपजाऊ भूिम का आनंद उठा रहा है। यह रा8p िपता महा�मा गांधी और

    लौह-पुlष सरदार पटले की जJमभिूम है. -गुजरात 62.7 िमिलयन आबादी

    के साथ भारत के अिfम, शांितपूण+, समVृध एव ं िवकिसत रा]य� म# स े

    एक है। अहमदाबाद रा]य का सबस ेबड़ा शहर है तथा गांधीनगर उसकी

    अपनी राजधानी है

    Lाचीन और ऐितहािसक शहर सूरत पिवH नदी ताWती के

    िकनार ेपर ि�थत है । सIतनत युग के दौरान 11 वीं शताAदी म# 'सूय+परु' के

    �प म# LिसVध यह 'िवsीय राजधानी' और रा]य का दसूरा सबस ेबड़ा शहर

    और भारत का तीसरा सबस े साफ-सुथरा शहर माना जाता है। ४५ लाख

    लोग� की आबादी (2011 की जनगणना) के साथ अ�यंत

    LसJनिचs, उ�साही और शांत, अनुशािसत सुरतीलोग� की चहल-पहल के

    साथ , सूरत की अपनी पहचान िUज का शहर और साफ-चौडी सड़क�', कपडा

    उVयोग,जरी उVयोग का क# C और डायमंड उVयोग का Lमुखक# C है। 'यह

    दिुनया म# चौथा सबस ेतजेी स ेबढ़ता हुआ िवकिसत और सुिवधाओं वाला

    शहर है। । सूरती लोग खानपान के शौकीन है सूरत दिbण गुजरात म#

    िशbा का Lमुख क# C बन गया है। सौ स े अिधक �कूल� और अनके

    कॉलजे� के साथ, सरकारी सहायता LाWत और िनधा+िरत ^ान की सभी

    शाखाओं स े समVृध करन े व समाज की शिैbक आव/यकताओं को पूरा

    करन ेके िलए �विनधा+िरत फीस लकेर सूरत म# �कूल व ्कोलजे चलाए जा

    रह े है और सूरत के ही एक Lमुख समाज सुधारक लखेक, वीर और

    शौय+ के किव नम+द की भूिम है, वीर नम+द का नाम दिbण गुजरात

    यूिनविस+टी, सूरत के साथ आदरपवू+क जुड़ा हुआ है।

    � हमारा Lबंधन:

    साव+जिनक ए]यकुेशन सोसाइटी (एसईएस, �थापना:

    19 12), गुजरात की सबस ेपरुानी और सबस ेबड़ी और लोकतांिHक

    परोपकारी सं�थाओ ं म# स े एक है। 35 �कूल� एव ं चौदह कोलजे�

    म# 35,000 स े अिधक छाH�, कॉलजे, सं�थान और िशbा क# C� के

    साथ, कई िवषय� म# स�ती कीमत पर गुणवsापणू+ िशbा Lदान करन े

    हते,ु पवू+-Lाथिमक स ेपीएचडी तक।िशbा की दवेी (मा सर�वती) और

    समिप+त छाH� के िLय िशbाक# C बन गया है।

    � इंिदरा गाँधी रा8pीय जनजातीय िव/विवVयालय, अमरकंटक (म_यLदशे) :

    इंिदरा गाँधी रा8pीय जनजातीय िव/विवVयालय भारत की संसद के

    एक अिधिनयम Vवारा �थािपत िकया गया है। यह इंिदरा गाँधी रा8pीय

    जनजातीय िव/विवVयालय अिधिनयम, २००७ Vवारा अि�त�व म# आया

    और पुर ेदशे के िलए Lदान करता है और यह पूरी तरह स ेिव/विवVयालय

    अनुदान आयोग के मा_यम स े केJC सरकार Vवारा िवsपोिषत है।

    जुलाई,२००८ िव/विवVयालय के bHेािधकार पर कारवाई म# आया।

    िव/विवVयालय उaच िशbा के आिदवािसओ ‘लंबी पोिषत सपना’ को पूरा

    करता है । आिदम जाितय� की लुWत भाषाओं को बचान े म# िवशषेतः

    िव/विवVयालय अपना अपूव+ योगदान द ेरहा है । यह हमार ेिलए मह�वपूण+

    ह।े

    ���� आयोजक सिमित ���� संरbक

    kी सी. एस. जरीवाला (अ_यbkी, साव+जिनक ए]यकुेशन सोसायटी)

    डॉ. िशवJेC गुWता (कुलपितkी, वी.एन.एस.जी .यिुनविस+टी,सूरत)

    डॉ.भा�कर रावल (उप कुलपित ,वी.एन.एस.जी .यिुनविस+टी,सूरत)

    डॉ. िदलीपिसहंजी (िनदशेक, लुWत भाषा स#टर, अमरकंटक यिुनविस+टी)

    डॉ. LशJन के. शामल (अ_यb एव ंडीन, pायबल �टडीज िडपाट+म#ट, अमरकंटक यिुनविस+टी)

    kी क/यप महेता

    (अ_यb, शताAदी सिमित, एम. टी. बी. आ}+स कोलजे, सूरत)

    डॉ. अि/वन दसेाई

    (�थािनय संचालन सिमित, एम. टी. बी. आ}+स कोलजे, सूरत)

    डॉ. मधुकर पाडवी

    (Lाचाय+,एम. टी. बी. आ}+स कोलजे, सूरत)

    संयोजक सिचव Lा. डॉ. सी. ज.े दसेाई

    (आई ,य ूए सी को-ऑिड +नटेर, एम. टी. बी. आ}+स कोलजे, सूरत)

    समJवयक डॉ. भावशे जाधव

    सह समJवयक Lा. अंजना महतेा

    ( िहदंी िवभाग, एम. टी. बी. आ}+स कोलजे, सूरत)

    आयोजन सिमित डॉ. भावना चांपानरेी

    डॉ. lCशे jयास

    डॉ. रखेा भ}ट

    डॉ. मुकेश पटले

    Payment of Registration Fees : 1. By Cheque/ Draft

    Drawn in favour of ‘Principal, MTB Arts College’ payable at

    ‘Surat’.

    2. By NEFT/ Direct Deposite/ Online Transfer:

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    Branch : Athwalines, Surat

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