अक्षों का त्वsiejammu.in/pdfs/2020/assignments/class 6/hindi-u2.pdf ·...

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का 6 U2 हदी अर का मव पपपपपप-पपपपपप 1 उर :अर के साथ एक नए युग की शुआत ह ई यकक आदमी अर की खोज से हम इततहास को जान पाए। अर की खोज के बाद ही मनुय अपने विचार को लिखकर रखने िगा। इस कार, पीढ़ी के ान का इतेमाि दूसरी पीढ़ी करने िगी। अर की खोज मनुय को गतत के पथ पर िे गई। 2 उर :ागैततहालसक मानि ने सबसे पहिे चच के जररए अपने भाि को यत कया। जैसे, पशुओं, पय, आदलमय आद के चच। इन च-संके त के बाद मं, भाि-संके त अति म आए। जैसे, एक छोटे ि के चह करण की योतक रेखाए खींचने पर िह 'सूयय' का चच बन जाता था। बाद म यही च 'ताप' या 'धूप' का योतक बन गया। इस तरह भाि-संके त अति म आए। तब जाकर काफी बाद म आदमी ने अर की खोज की। 3 उर :अर के ान से पूिय मनुय अपनी बात को दूर-दराज़ के इिाक तक पह चाने के लिए पशुओं, पय, आदलमय आद के चच बनाकर भाि संके त का सहारा िेता था। तनबंद से आगे

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  • कक्षा 6 U2 ह िंदी

    अक्षरों का म त्व पपपपपप-पपपपपप

    प्रश्न 1

    उत्तर :अक्षरों के साथ एक नए यगु की शरुुआत हुई क्योंकक आदमी अक्षरों की खोज से हम इततहास को जान पाए। अक्षरों की खोज के बाद ही मनषु्य अपने विचारों को लिखकर रखने िगा। इस प्रकार, पीढ़ी के ज्ञान का इस्तमेाि दसूरी पीढ़ी करने िगी। अक्षरों की खोज मनषु्य को प्रगतत के पथ पर िे गई।

    प्रश्न 2

    उत्तर :प्रागतैतहालसक मानि ने सबसे पहिे चचत्रों के जररए अपने भाि को व्यक्त ककया। जैसे, पशओुं, पक्षक्षयों, आदलमयों आदद के चचत्र। इन चचत्र-सकेंतों के बाद म,ं भाि-सकेंत अस्स्तत्ि में आए। जैसे, एक छोटे ितृ्त के चहुुँ ककरणों की द्योतक रेखाएुँ खींचने पर िह 'सयूय' का चचत्र बन जाता था। बाद में यही चचत्र 'ताप' या 'धूप' का द्योतक बन गया। इस तरह भाि-सकेंत अस्स्तत्ि में आए। तब जाकर काफी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की।

    प्रश्न 3

    उत्तर :अक्षरों के ज्ञान से पिूय मनषु्य अपनी बात को दरू-दराज़ के इिाकों तक पहुुँचाने के लिए पशओुं, पक्षक्षयों, आदलमयों आदद के चचत्र बनाकर भाि सकेंत का सहारा िेता था।

    तनबदं से आग े

  • प्रश्न 1

    उत्तर :भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्ितन है। ध्ितनयों की सगंदित इकाई से अक्षर बनत ेहैं। अक्षरों द्िारा लिखकर अपने भाि व्यक्त ककए जात ेहैं और ध्ितनयों द्िारा बोिकर। अक्षरों के बबना लिखा नहीं जा सकता और ध्ितनयों के बबना बोिने की कल्पना नहीं की जा सकती है। अपनी भाषा की साथयक ध्ितनयों के उच्चारण द्िारा ही हम अपना भाि व्यक्त करत ेहैं। इसलिए अक्षर के समान ध्ितन भी महत्त्िपणूय है।

    अनुमान और कल्पना

    प्रश्न 1

    उत्तर :परुाने जमाने में िोग यह सोचत ेथे कक अक्षर और भाषा की खोज ईश्िर ने की थी क्योंकक उनके पास उसका इततहास नहीं था।

    प्रश्न 3

    उत्तर :यदद हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो -

    • हम पपपपप पपपपपप पप न पपप पपपपप

    • हम पपपपपप पपपप पप पपपपप पप पपप पपप पपपप पपपपप

    • पपपपप पपपपप पपपप पप न पपपपप

    पपपप पप पपप

    1.

    (क)

    असफि सफि

    अदृश्य दृश्य

    अनुचचत उचचत

    अनािश्यक आिश्यक

    अपररचचत पररचचत

  • अतनच्छा इच्छा

    (ख) 1. पपप पपपपप पपप

    2. पप एकड़ पपपप

    3. छह पपपप पपपप

    4. एक पपपप पपप

    5. पप पपपपपप पपपप

    6. पपपप पपपप पपपपप

    7. एक पपपप पपप अजय मैंनी

    DIET Poonch

  • कक्षा 6 U2 ह िंदी

    नादान दोस्त :

  • कहानी से:

    प्रशन 1

    उत्तर :कककक और कककककक कक मन ककक ककककक कक ककककक कककक

    कककककक कककक कक, कककक ककककक

    ककक ककककक? ककक ककक कक ककककक?

    ककककक ककककक? कककक कककक

    ककककक? ककककक कक ककककक ककक

    तरह ककककक? कककककक कक पर कककक ककककककक? कककककक कककक कक?

    ककककककक कक कककक कक कककक

    ककक ककककक ककककक ककक

    प्रशन 2

  • उत्तर :केशव और श्यामा दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने ददल को तसल्ली दे ददया करते थे क्योंकक उनके प्रश्नों का उत्तर देनेवाला कोई नहीीं था। न अम्मा को घर के काम-धींधों से फ़ु रसत थी न बाबू जी को पढने-ललखने से।

    प्रशन 3

    उत्तर : अींडों के टूट जाने के बाद मााँ के यह पूछने पर कक - 'त़ुम लोगों ने अींडों को छ़ु आ होगा।' के जवाब में श्यामा ने बताया कक केशव ने अींडों को छेडा था अम्मााँ जी।

  • क्योंकक उसे लगा केशव ने ही शायद अींडों को इस तरह रख ददया कक वह नीचे गगर पड।े इसकी उसे सजा लमलनी चादहए।

    प्रशन 4

    उत्तर :केशव के छूने से गचड़डया के अींड ेगींदे हो गए और इसललए गचड़डया उन्हें नहीीं सेती। गचड़डया अींडों को घोंसले से गगरा देती है। इस तरह अींड ेबबााद हो जाते हैं। प्रशन 5

    उत्तर :अींडों की देखभाल के ललए केशव और श्यामा धीरे से बाहर ननकले क्योंकक मााँ नहीीं चाहती थीीं कक वे बाहर धूप में घूमें।

  • प्रशन 6

    उत्तर : केशव और श्यामा ने गचड़डया और अींडों की देखभाल के ललए ननम्नललखखत बातों का ध्यान रखा - 1. कककक कक ककक कककक ककककककक

    2. ककक कक ककककक कक ककक ककककक

    कक ढक ककककक 3. ककक ककक कककक और कककक कक कककककक कक कककक

    प्रशन 7

    उत्तर : काननास पर अींडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएाँ और उन्होंने चोरी-च़ुपके जो क़ु छ काया ककए, वे

  • उगचत नहीीं थे। परींत़ु उनकी बालस़ुलभ जजज्ञासाओीं का उत्तर देने के ललए कोई नहीीं था और उन्हें इस बात का भी ज्ञान नहीीं था कक गचड़डया के अींड ेको नहीीं छूते। वह तो उसे स़ुख-स़ुववधाएाँ देना चाहते थे। अगर उन्हें उगचत मागादशान ददया होता तो वह ऐसा नहीीं करतें।

    प्रशन 8

    उत्तर : मााँ को बच्चों की नादानी व अज्ञानता पर हाँसी आ गई। मााँ को बच्चों

  • को अींडो के बारे में जानकारी देनी चादहए थी।

    कहानी से आगे प्रशन 3

    उत्तर :मााँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में गचड़डया के अींडो के ललए टोकरी और दाना-पानी रखने बाहर ननकल आए।वपटाई के डर से, मााँ पूछने पर भी दोनों में से ककसी ने ककवाड खोलकर दोपहर में बाहर ननकलने का कारण नहीीं बताया।

    प्रशन 4

  • उत्तर :मैं इस कहानी में आई बचपन की नादाननयों को देखते ह़ुए इसका नाम 'बचपन की नादाननयााँ' रखना चाहूाँगा।

    अऩुमान और कल्पना प्रशन 3

    उत्तर :केशव से दोबारा ऐसी गलती न हो इसके ललए मैं ननम्नललखखत स़ुझाव देना चाहूाँगा -

    1. कककक कककक-कककक कक ककककक

    कक कककक ककककक

  • 2. अगर कककककक ककक कककक कक कककक कक ककक कक कक कककक कककक

    कक वजह ककककक कक कककककक ककककक

    3. कककक कककक ककककककक कक

    ककककक कककक कककक-कककक,

    कककककक कक कककक व कककक ककक ककककक कक कककककक ककककक

    प्रशन 4

    उत्तर :जब मैं पााँच साल का था हम पहली बार हवाईजहाज से ददल्ली नानी से लमलने जानेवाले थे तभी म़ुझ ेकौतूहल महसूस ह़ुआ

  • था। दरू आसमान में रोज देखने की चाह रहती थी उसी हवाईजहाज से मैं सफर करनेवाला था। मेरे मन में कई प्रश्न उभरत ेथे जैसे इतने छोटे हवाईजहाज में सब कैसे बैठेगे? हम स़ुरक्षित पह़ुाँचेंगे या नहीीं? या हवाईजहाज को थोडी देर आसमान में रोककर बाहर ननकलकर तारे देख सकत ेहै क्या?

  • भभभभ भभ भभभ

    1.

    एक ददन दीपू और नील़ु यम़ुना तट पर बैठे शाम की ठडी हवा का आनद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कक एक लींबा आदमी लडखडाता ह़ुआ उनकी ओर चला आ रहा है पास आकर उसने बड ेदयनीय स्वर में कहा ''मैं भूख से मरा जा रहा हूाँ? क्या आप म़ुझे क़ु छ खाने को दे सकते है?''

    उत्तम प़ुरुषवाचक सवानाम - मैं, म़ुझ े

  • मध्यम प़ुरुषवाचक सवानाम - आप

    अन्य प़ुरुषवाचक सवानाम - उन्होंने, उनकी, उसने

    2.

    स़ुींदर माला - नेहा के गले में स़ुींदर माला थी।

    लाल ग़ुलाब - पूजा के ललए लाल ग़ुलाब का हार बना दो।

  • गरीब लडकी - लडकी ठींड से कााँप रही थी।

    दयाल़ु सेठ - सोहन की मदद एक दयाल़ु सेठ ने की।

    3.

    1. कककक ककक कककककक

    2. कककक ककग ककककक

    3. कककक कक कककककक ककककक

  • 4. कककक कककक ककककक

    5. ककककक कक ककककक ककककककककक

    6. कककककक कक पर ककककककककक

    7. कककककक कक कककक ककक ककककक

    4.

    1. कककककककक - अमर कक कककककक ककक कककककक कककककककक कककक

    कककक

  • 2. ककककक - ककक कक कककक

    ककककककक कक ककककक ककककक

    ककए।

    3. कककककक - ककक ककककक कककककक

    ककक ककक कककक ककक

    4. कककककक - कककक कक कककक कककक

    कक ककककक कक कककककक रख ककककक

    5. ककककककककक - ककककक कक एक कककककक ककककककककक ककक कककक

    ककक ककक

    5.

  • उसी समय एक खोमचेवाला जाता ददखाइा ददया 11 बज च़ुके थे, चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पींड़डत जी ने ब़ुलाया-खोमचेवाले खोमचेवाला कदहए क्या दूाँ? भूख लग आइा न। अन्न-जल छोडना साध़ुओीं का काम है; हमारा आपका नहीीं। मोटेराम ! अबे क्या कहता है? यहााँ क्या ककसी साध ूसे कम हैं। चाहें तो महीने पड ेरहें और भूख न लगे। त़ुझे तो केवल इसललए ब़ुलाया है कक जरा अपनी क़ु प्पी म़ुझे दे। देखूाँ तो वहााँ क्या रेंग रहा है? म़ुझे भय होता है।

  • अजय मैंनी,

    DIET POONCH

  • कक्षा 6 ह िंदी। वयाकर्ण

    क्रिया के भेदों की परिभाषा जानने से प ले म क्रिया को समझ लेते ैं।

    क्रिया जिस शब्द से क्रिसी िाम िा होना या िरना पाया िाए , उसे क्रिया िहते है िैसे –

    1. मममम मममम मम

    2. मममम ममममम मम

    3. मममम मम ममम मम

    4. ममममम मममम मम ममम मम

    5. भगत मममम ममम ममम मम 6. मममम मममम मम ममम मम

  • इन ममममममम ममम मममम मम, ममममम मम ,मम ममम मम,मम ममम मम और मम ममम मम यह ममम मममम मम मममम ममममम मम मममम मममम

    मममम मम ममम मममम मम| ममम मममममम

    मममम मम

    क्रिया िे भेदों िी पररभाषा

    कककककक कक ककक:

    कककक कककक ककक कककक कक कककक पि कककककक कक ककक

    कककक कककक ककक कककक कक कककक पि कककककक कक ककककककक कक ककक कककक कक :

    कककककक कककककक

    कककककक ककककककक

    1. कककककक कककककक

    ककक कककककक कक फल ककककक पि कक कककक कक व कककककक कककककक कककककक कककककक कककक इस कककककक ककक कककक कक कककक कककक ककक कककक : ककककक कककक ककक

    इस वाक्य में पढने का फल श्याम पि ी पड़ ि ा ै। इसललए पढता ै अकमणक क्रिया ै। जजन क्रियाओिं को कमण की जरूित न ीिं पडती या जो क्रिया प्रश्न पछूने पि कोई उत्ति न ीिं देती उन् ें अकमणक क्रिया क त े ैं।

    अथातण जजन क्रियाओिं का फल ि यायापि कताण को लमलता ै उसे अकमणक क्रिया क त े ैं।

  • अकमणक क्रिया के उदा िर् :

    ककककक ककककक ककक

    कककक कककककक ककक

    कककक ककककक ककक

    कककककक कककककककक ककक

    कककक ककककक ककक

    ककक ककककक ककक

    कककक कक आप ऊपि ककक गए कककककककक ककक ककक कककक ककक कक ककककक ककक, कककककक कक, ककककक कक, कककककककक कक, ककककक कक, ककक ककककककक ककक कककक

    कक कककक कक ककक कककककक कक फल कककक पि कक पड़ ककक ककक ककक य कककककक कककककक कककककक कक ककककककक ककककककक

    2. कककककक कककककक

    ककक कककककक ककक कककक कक कककक ककककक कककक कक व कककककक कककककक कककककक कककककक ककक इन कककककककक कक असि ककककक पि न पड़कि कककक पि कककक ककक कककककक कककककक कककक कक कककक

    जैसे : ववकास पानी पीता ै। इसमें पीता ै (क्रिया) का फल कताण पि ना पडके कमण पानी पि पड़ ि ा ै। अतः य सकमणक क्रिया ै।

    सकमणक क्रिया के उदा िर् :

    कककक फल कककक ककक

    ककककककक कककक ककककक ककक

    ककक कककक ककककक कककक

    ककक ककककक ककककक ककक

    ककककक ककककक कककक ककक

  • कककक कक आप ऊपि ककक ककक कककककककक ककक ककक कककक ककक कक कककककक कक फल ककककक पि कक कककक कककक पि पड़ ककक ककक ककक य कककककक कककककक कककककक कक ककककककक ककककककक

    सकमणक क्रिया के भेद :

    ककककककक कककककक : ककक कककककक ककक एक कक कककक कक कक व ककककककक कककककक कककककक ककक कककक: ककककक कककक ककककक ककक ककककक

    ककककक(कककककक) कक कककक(कककक) एक कक ककक ककक य ककककककक कककककक कक ककककककक ककककक

    ककककककककक कककककक : ककक कककककक ककक कक कककक कककक ककक व ककककककककक कककककक कककककक ककक कककक कककक कककक कककक कक ककक ककककक कककक

    ककककककक कककक ककक

    कककक: ककककक कक कककक कक ककककक कककक ऊपि ककक गए कककककक ककक कककक कककककक कक कक कककक कक कककक ककक कककककक ककक य ककककककककक कककककक कक ककककककक ककककक

    कककककक कक कककक पि कककककक कक ककक

    कककककक कक कककक पि कककककक कक ककक ककक कककक कक :

    प्रेिर्ाथणक क्रिया : जजस क्रिया से य ज्ञात ो क्रक कताण स्वयिं काम ना किके क्रकसी ि से काम किा ि ा ै। जैसे: बोलवाना, पढवाना, ललखवाना आहद।

    ककककककक कककककक : ककक कककक कक कककककक कक ककककक कककककक कककक

    कककककक कककक कककककक, ककककककक, कककककक ककक कक कककक कक व ककककककक कककककक कककक कककक कककक: कककककक, ककककककक कककक

    ककककककक कककककक : ककक कककककक कक कककककक कक कककककककक कक ककककक कक

    कककक कक व ककककककक कककककक कककककक ककक कककक: कक कककक, चल कककक, कक कककक कककक

    ककककक कककककक : जब कककक कककककक ककक ककककककक ककककक कककक ककक कककककक ककक ककककक ककक तब व कककककक ककककक कककक कककककक ककक कककक ककककक, ककककक कककक

  • उपसगण की परिभाषा (Prefixes) उपसगण उस शबदािंश या अयायय को क त े ै, जो क्रकसी शबद के प ले आकि उसका ववशषे अथण प्रकट किता ै।

    दसूिे शबदों में- ''उपसगण व शबदािंश या अयायय ै, जो क्रकसी शबद के आििंभ में जड़ुकि उसके अथण में (मलू शबद के अथण में) ववशषेता ला दे या उसका अथण ी बदल दे।'' वे उपसगण क लात े ै।

    जैस-े प्रलसद्ध, अलभमान, ववनाश, उपकाि।

    इनमे कमशः 'प्र', 'अलभ', 'वव' ि 'उप' उपसगण ै।

    य दो शबदों (उप+ सगण) के योग से बनता ै। 'उप' का अथण 'समीप', 'ननकट' या 'पास में' ै। 'सगण' का अथण ै सजृटट किना। 'उपसगण' का अथण ै पास में बठैाकि दसूिा नया अथणवाला शबद बनाना। ' ाि' के प ले 'प्र' उपसगण लगा हदया गया, तो एक नया शबद 'प्र ाि' बन गया, जजसका नया अथण ुआ 'मािना' । उपसगो का स्वतन्अ अजस्तव व न ोत े ुए भी वे अन्य शबदों के साथ लमलाकि उनके एक ववशषे अथण का बोध किात े ैं।

    उपसगण शबद के प ले आत े ै। जैसे- 'अन' उपसगण 'बन' शबद के प ले िख देने से एक शबद 'अनबन 'बनता ै, जजसका ववशषे अथण 'मनमटुाव' ै। कुछ उपसगो के योग से शबदों के मलू अथण में परिवतणन न ीिं ोता, बजकक तजेी आती ै। जैसे- 'भ्रमर्' शबद के प ले 'परि' उपसगण लगाने से अथण में अन्ति न ोकि तजेी आयी। कभी-कभी उपसगण के प्रयोग से शबद का बबलकुल उकटा अथण ननकलता ै।

    उपसगण की ववशषेता

    उपसगण की तीन गनतयााँ या ववशषेताएाँ ोती ैं-

    (1) कककक कक कककक ककक नई ककककककक ककककक

  • जैस-े प्र + बल= प्रबल

    अन ु+ शासन= अनशुासन

    (2) कककक कक कककक कक उलट ककककक

    जैस-े अ + सव य= असव य

    अप + यश= अपयश

    (3) कककक कक कककक ककक, ककक ककक कककककककक न कककक ककककककक कक कककक-ककककक कककक कककककक ककककक

    जैस-े वव + शदु्ध= ववशदु्ध

    परि + भ्रमर्= परिभ्रमर्

    प्रव यय (Suffix)की परिभाषा जो शबदािंश, शबदों के अिंत में जुड़कि अथण में परिवतणन लाये, प्रव यय क लात े ै।

    दसूिे अथण में- शबद ननमाणर् के ललए शबदों के अिंत में जो शबदािंश जोड़ ेजात े ैं, वे प्रव यय क लात े ैं।

    प्रव यय दो शबदों स ेबना ै- प्रनत+अय। 'प्रनत' का अथण 'साथ में, 'पि बाद में' ै ि 'अय' का अथण 'चलनेवाला' ै। अतएव, 'प्रव यय' का अथण ै 'शबदों के साथ, पि बाद में चलनेवाला या लगनेवाला। प्रव यय उपसगों की ति अववकािी शबदािंश ै, जो शबदों के बाद जोड़ ेजाते ै।

    जैस-े पाठक, शजक्त, भलाई, मनटुयता आहद। 'पठ' ि 'शक' धातओुिं से िमशः 'अक' एविं 'नत' प्रव यय लगाने पि

  • पठ + अक= पाठक ि शक + नत= 'शजक्त' शबद बनत े ैं। 'भलाई' ि 'मनटुयता' शबद भी 'भला' शबद में 'आई' तथा 'मनटुय' शबद में 'ता' प्रव यय लगाने पि बने ैं।

    पयाणयवाची शबद (Synonyms Words)की परिभाषा 'कककककक' कक कककक कक- 'कककक' ककक 'कककक' कक कककक कक- 'कककक कककक कककक'

    कककककक ककक कककककक कक कककक एक कककक कककक कक, कककककक 'कककककककककक कककक' कककक कककक

    इसे म ऐसे भी क सकत े ै- जजन शबदों के अथण में समानता ो, उन् ें 'पयाणयवाची शबद' क त े ै।

    दसूिे अथण में- समान अथणवाले शबदों को 'पयाणयवाची शबद' या समानाथणक भी क त े ै।

    जैस-े सयूण, हदनकि, हदवाकि, िवव, भास्कि, भान,ु हदनेश- इन सभी शबदों का अथण ै 'सिूज' ।

    इस प्रकाि ये सभी शबद 'सिूज' के पयाणयवाची शबद क लायेंगे।

    पयाणयवाची शबद को 'प्रनतशबद' भी क त े ै। अथण की दृजटट से शबदों के अनेक रूप ै; जैसे- पयाणयवाची शबद, यगु्म शबद, एकाथणक शबद, ववपिीताथणक शबद, समोच्चरितप्राय शबद इव याहद।

    क्रकसी भी समदृ्ध भाषा में पयाणयवाची शबदों की अधधकता ि ती ै। जो भाषा जजतनी ी सम्पअ ोगी, उसमें पयाणयवाची शबदों की सिंख्या उतनी ी अधधक ोगी। सिंस्कृत में इनकी अधधकता ै। ह न्दी के पयाणयवाची शबद सिंस्कृत के तव सम शबद ै, जजन् ें ह न्दी भाषा ने ज्यों-का-व यों ग्र र् कि ललया ै।

    य ााँ एक बात ध्यान िखने की य ै क्रक इन शबदों में अथण की समानता ोत े ुए भी इनके प्रयोग एक ति के न ीिं ैं। ये शबद अपने में इतने परू्ण ैं क्रक एक ी शबद का प्रयोग सभी जस्थनतयों में ि सभी स्थलों पि अच्छा न ीिं लगता- क ीिं कोई शबद ठीक बठैता ै ि क ीिं कोई। प्रव येक शबद की म त्ता ववषय ि स्थान के अनसुाि ोती ै।

  • कुछ ववलशटठ पयाणयवाची शबद नीचे दी जा ि ी ै-

    ( अ )

    अनतधथ- मे मान, अभ्यागत, आगन्तकु, पा ूना।

    अमतृ- सिुभोग सधुा, सोम, पीयषू, अलमय, जीवनोदक ।

    अजग्न- आग, ज्वाला, द न, धनिंजय, वशै्वानि, िोह ताश्व, वायसुखा, ववभावस,ु ुताशन, धूमकेत,ु अनल, पावक, व नन, कृशान,ु वजनन, लशखी।

    अनपुम- अपवूण, अतलु, अनोखा, अनठूा, अद्ववतीय, अदभतु, अनन्य।

    अथण- य, तिुङ, वाजज, घोडा, घोटक।

    असिु-यातधुान, ननलशचि, िजनीचि, दनजु, दैव य, तमचि, िाक्षस, ननशाचि, दानव, िाबअचि।

    अलिंकाि- आभषूर्, भषूर्, ववभषूर्, ग ना, जेवि।

    अ िंकाि- दिंभ, गवण, अलभमान, दपण, मद, घमिंड, मान।

    अ िंकािी- गववणत, अकडू, मगरूि, अकड़बाज, गवीला, आव मालभमानी, ठस्सेबाज, घमिंडी।

    अनतधथ- मे मान, अभ्यागत, आगन्तकु, पा ूना।

    ननबिंद

  • दीपावली भाित एक ववशाल देश ै ज ािं पि प्रव येक हदन कोई ना कोई व यौ ाि मनाया जाता ै। इनमें सबसे बड़ा व यो ाि दीपावली को माना जाता ै। दीपावली का व यो ाि लसतिंबि से अक्टूबि मा के बीच में आता ै। इस व यौ ाि को प्रमखु रूप से ह िंद ूधमण के लोगों द्वािा खूब धूमधाम से मनाया जाता ै। इस व यो ाि को मनाने के ललए लोग म ीने भि प ले से ी तैयारियािं किनी चाल ूकि देते ै। सभी लोग अपने घिों दकुानों ि अपने आसपास के क्षेअ की सफाई किते ै ि अपने घिों को ििंग बबििंगे ििंगों से ििंगते ै।

  • दीपावली के व यो ाि को मनाने की प्रमखु वज य ै क्रक इस हदन भगवान िाम 14 वषण का वनवास काटकि अयोध्या लौट कि आए थे ि व ािं की ननवालसयों ने उनके स्वागत के ललए घी के दीपक जलाए थे जजसके कािर् पूिा अयोध्या िोशनी से चमक उठा था। कककककक ककककककक कक ककक ककक

    कककककक कक कककककक कककक कक ककक

    कककक कककक कककक ककक ककककककक

    कक ककक कककककक ककक कक ककक

    ककककककक कक कक कककक कक कककक कक

    ककक कक ककककक कककक ि ककक ककककककक कक कक कककक कक कककक

    कककककककककक कक ककक कककक कककक

    ककककक कक जगमग कक कककक कक ककककक ओि ककककककक कक ककककककक ककक कककक ककक

  • भाित ववलभन्न, पििंपिाओिं, सिंस्कृनतयों, ववचािों, भाषाओिं एविं धमों वाला देश ै य ािं पि प्रव येक धमण का व यौ ाि सभी लोग खूब धूमधाम से मनाते ै। हदवाली का व यौ ाि ह िंद ूधमण के लोगों का सबसे बड़ा व यौ ाि माना जाता ै ि य पूिे देश में मनाया जाता ै।

    हदवाली का व यौ ाि दश िे के 21 हदन बाद लसतिंबि से अक्टूबि मा के बीच में अमावस्या के हदन मनाया जाता ै। हदवाली का व यौ ाि वषाण ऋतु के समाप्त ोने ि शिद ऋतु की प्राििंभ ोने का सिंकेत ोता ै दीपावली के व यो ाि पि मौसम गलुाबी ठिंड के ललए भी ि ता

  • ै जजससे चािों ि खुश ाली का मौसम बनता ै।

    इस व यो ाि को लसख, बौद्ध ि जनै धमण के लोग भी मनाते ै जनै धमण के लोग इसे म ावीि के मोक्ष हदवस के रूप में मनाते ै क्योंक्रक इसी हदन जनै धमण के भगवान म ावीि ने मोक्ष की प्राजप्त की थी तथा लसख समदुाय इसे बन्दी छोड़ हदवस के रूप में मनाता ै क्योंक्रक इसी हदन लसख समदुाय के छठे गरुु िगोबबन्द लसिं जी को जेल से रि ा क्रकया गया था।

  • हदवाली के हदन मािं लक्ष्मी की पूजा की जाती ै पौिाणर्क मान्यताओिं के अनुसाि मािं लक्ष्मी को धन-धान्य एविं सखु सिंपदा की देवी माना जाता ै ि साथ में भगवान गरे्श ि मािं सिस्वती की पूजा भी की जाती ै।

    हदवाली का व यौ ाि आने से प ले ी लोग अपने घिों की साफ-सफाई ि ििंगाई पुताई का काम प्राििंभ कि देते ै।

    पौिाणर्क मान्यताओिं के अनुसाि दीपावली के हदन म ालक्ष्मी सभी साफ-सथुिे एविं स्वच्छ घिों में आती ै ि अपने साथ सखु समदृ्धध भी लेकि आती ै इसीललए म ालक्ष्मी की पूजा के

  • समय सभी लोग अपने घि के दिवाजे खुले छोड़ देते ै।

    प्रदषूण

    प्रदषूर् आज की दनुनया की एक गिंभीि समस्या ै । प्रकृनत ि पयाणविर् के पे्रलमयों के ललए य भािी धचिंता का ववषय बन गया ै । इसकी चपेट में मानव-समदुाय ी न ीिं, समस्त जीव-समदुाय आ गया ै । इसके दटुप्रभाव चािों ओि हदखाई दे ि े ैं ।

  • प्रदषूर् का शाजबदक अथण ै-गिंदगी । व गिंदगी जो मािे चािों ओि फैल गई ै ि जजसकी धगिफ्त में पथृ्वी के सभी ननवासी ैं उसे प्रदषूर् क ा जाता ै । प्रदषूर् को मोटे तौि पि तीन शे्रणर्यों में ववभक्त क्रकया जा सकता ै-वायु प्रदषूर्, जल प्रदषूर् ि ध्वनन प्रदषूर् । ये तीनों ी प्रकाि के प्रदषूर् मानव के स्वास्थ्य के ललए ाननकािक लसद्ध ो ि े ैं।

    वायु ि जल प्रकृनत-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएाँ ैं । जीवों की उव पवत्त ि जीवन को बनाए िखने में इन दोनों वस्तुओिं का ब ुत बड़ा ाथ ै । वायु में ज ााँ सभी जीवधािी सााँस लेते ैं व ीिं

  • जल को पीने के काम में लाते ैं । लेक्रकन ये दोनों ी वस्तएुिं आजकल ब ुत गिंदी ो गई ैं ।

    वायु प्रदषूर् का प्रमखु कािर् इसमें अनेक प्रकाि की अशुद्ध गसैों का लमल जाना ै । वायु में मानवीय गनतववधधयों के कािर् काबणन डायऑक्साइड, काबणन मोनो ऑक्साइड जसेै प्रदवूषत तव व भािी माअा में लमलते जा ि े ैं । जल में नगिों का कूड़ा-कचिा िासायननक पदाथों से युक्त गिंदा पानी प्रवाह त क्रकया जाता ि ा ै । इससे जल के भिंडाि; जसेै-तालाब, नहदयााँ,झीलें ि समदु्र का जल ननििंति प्रदवूषत ो ि ा ै ।

    ध्वनन प्रदषूर् का मखु्य कािर् ै – बढ़ती आबादी के कािर् ननििंति ोनेवाला शोिगलु ।

  • घि के बितनों की खट-पट, मशीनों की खट-पट ि वाद् य-यिंअों की झन-झन हदनों-हदन बढ़ती ी जा ि ी ै । वा नों का शोि, उपकिर्ों की चीख ि चािों हदशाओिं से आनेवाली ववलभन्न प्रकाि की आवाजें ध्वनन प्रदषूर् को जन्म दे ि ी ैं । म ानगिों में तो ध्वनन-प्रदषूर् अपनी ऊाँ चाई पि ै ।

    प्रदषूर् के दटुप्रभावों के बािे में ववचाि किें तो ये बड़ ेगिंभीि नजि आते ैं । प्रदवूषत वायु में सााँस लेने से फेफड़ों ि श्वास-सिंबिंधी अनेक िोग उव पन्न ोत े ैं । प्रदवूषत जल पीने से पेट सिंबिंधी िोग फैलते ैं । गिंदा जल, जल में

  • ननवास किने वाले जीवों के ललए भी ब ुत ाननकािक ोता ै । ध्वनन प्रदषूर् मानलसक तनाव उव पन्न किता ै । इससे ब िापन, धचिंता, अशािंनत जैसी समस्याओिं से दो-चाि ोना पड़ता ै ।

    आधुननक वजै्ञाननक युग में प्रदषूर् को पूिी ति समाप्त किना टेढ़ी खीि ो गई ै । अनेक प्रकाि के सिकािी ि गैि-सिकािी प्रयास अब तक नाकाफी लसद्ध ुए ैं । अत: स्पटट ै क्रक जब तक जन-सम ू ननजी स्ति पि इस कायण में सक्रिय भागीदािी न ीिं किता, तब तक इस समस्या से ननबटना असिंभव ै । िेक को

  • चाह ए क्रक वे आस-पास कूड़ ेका ढेि व गिंदगी इकट ठा न ोने दें ।

    जलाशयों में प्रदवूषत जल का शुद्धधकिर् ोना चाह ए । कोयला तथा पेट्रोललयम पदाथों का प्रयोग घटा कि सौि-ऊजाण, पवन-ऊजाण, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-ववद् युत जसेै वैकजकपक ऊजाण स्अोतों का अधधकाधधक दो न किना चाह ए । में जिंगलों को कटने से बचाना चाह ए तथा रि ायशी क्षेअों में नए पेड़ लगाने चाह ए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदषूर् ि जल प्रदषूर् को घटाने में काफी मदद लमलेगी ।

  • ध्वनन प्रदषूर् को कम किने के ललए कुछ ठोस एविं सकािाव मक कदम उठाने की आवश्यकता ै । िेडडयो, टी.वी. , ध्वनन ववस्तािक यिंअों आहद को कम आवाज में बजाना चाह ए । लाउडस्पीकिों के आम उपयोग को प्रनतबिंधधत कि देना चाह ए । वा नों में कके आवाज वाले ध्वनन-सिंकेतकों का प्रयोग किना चाह ए । घिेल ूउपकिर्ों को इस ति प्रयोग में लाना चाह ए जजससे कम से कम ध्वनन उव पन्न ो ।

    ननटकषण रूप में क ा जा सकता ै क्रक प्रदषूर् को कम किने का एकमाअ उपाय सामाजजक जागरूकता ै । प्रचाि माध्यमों के द्वािा इस

  • सिंबिंध में लोगों तक सिंदेश प ुाँचाने की आवश्यकता ै । सामहू क प्रयास से ी प्रदषूर् की ववश्वयायापी समस्या को ननयिंबअत क्रकया जा सकता ै ।

    अजय मैंनी, District Resource Person,

    DIET POONCH