राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से...

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Page 1: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

राम‐नाम एक िच न

िवनोबा

सव‐सवा‐सघ‐ काशन राजघाट वाराणसी

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

ावना

राम‐नाम स ी गाधीजी क िवचारो का स ह ठीक उसी समय मर हाथ लगा जब िक

मझ उसकी ज रत थी सव दय मािसक प म समालोचनाथ अनक प क आती रहती ह

उ ीम स एक राम‐नाम प क भी आयी अ प को को तो म कम ही दख पाता लिकन

इसक िच न म म लीन हो गया

मानो मर िलए बाप न अपना स श इस प क क प म िदया म डढ़‐दो वष स

भारत‐या ा कर रहा था तीस वष अनकिवध रचना क काय म िबताय िच न भी तरह‐

तरह का हो पाया उसका िन ष लोगो को समझा रहा था िफर भी या ा का मझ उतना िवशष

अनभव न होन स अिनयिमतता हो गयी और जल म मझ जो पट‐दद श आ था उसन िफर

स जोर िकया इस तरह मानो ई र न मझ ाकितक उपचार और राम‐नाम का योग करन

का यह अवसर िदया lsquoसदा‐सवदा सि िध म रहनवाल कपाल न मानो भ का धय आजमाना

चाहा य ही पढ़ायी ई िव ा की ग परी ा िलया करत ह वसा ही यह सग मझ िदखाई

पड़न लगा

इस काल म मन अपन अवा र काय अलग रख िदय थ ोिक वह िव ाम का समय

माना गया था पर lsquoसव दय क स ादन का काम करता ही रहा िफर lsquoगीताईʼ का कोश भी

परा करना था उसम भी कछ समय दता था इसक िसवा अ हलचल अिधकतर ब ही थी

उस समय भारतन कमार ा ारा िकया गया बाप क राम‐नाम‐स ी िवचारो का स ह मर

हाथ आया मझ लगा ध र न मर रोग क िलए िद व ी ही भजी और म उसका आ था

स सवन करन लगा

उन िवचारो को पचान क िलए मन जो िच न िकया वही लख क प म सव दय म

िह ी म िकया म ायः अपना सारा वाडमय मल मराठी म ही िलखा करता ोिक

वह भाषा मझ आती ह लिकन यह लख मल िह ी म ही िलखा कारण इन िवचारो की

आधारभत मल िह ी की पोथी (lsquoराम‐नाम) ही मर सामन थी उसीक अनसार िच न भी म

िह ी म करता वही आज प काकार कािशत हो रहा ह िजसक िलए यह मरी ावना ह

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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा

िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक

िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात

थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी

इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव

को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह

की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय

तो पचता ह

िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी

िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न

और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ

तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली

ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह

लख हनमान ‐बा क ही आ ह

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मरा राम कौन

आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही

िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही

िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता

मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद

ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐

जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म

मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी

उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस

मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान

कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता

lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६

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अन म

१ अ रग‐ वश

२ ि िवध म या

३ राम‐नाम का उपचार

४ ि िवध िच ा

५ नाम‐साफ

प रिश

१ स भ‐ थ‐सची

२ उ खत यो की सची

३ मख श ो की सची

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 2: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ावना

राम‐नाम स ी गाधीजी क िवचारो का स ह ठीक उसी समय मर हाथ लगा जब िक

मझ उसकी ज रत थी सव दय मािसक प म समालोचनाथ अनक प क आती रहती ह

उ ीम स एक राम‐नाम प क भी आयी अ प को को तो म कम ही दख पाता लिकन

इसक िच न म म लीन हो गया

मानो मर िलए बाप न अपना स श इस प क क प म िदया म डढ़‐दो वष स

भारत‐या ा कर रहा था तीस वष अनकिवध रचना क काय म िबताय िच न भी तरह‐

तरह का हो पाया उसका िन ष लोगो को समझा रहा था िफर भी या ा का मझ उतना िवशष

अनभव न होन स अिनयिमतता हो गयी और जल म मझ जो पट‐दद श आ था उसन िफर

स जोर िकया इस तरह मानो ई र न मझ ाकितक उपचार और राम‐नाम का योग करन

का यह अवसर िदया lsquoसदा‐सवदा सि िध म रहनवाल कपाल न मानो भ का धय आजमाना

चाहा य ही पढ़ायी ई िव ा की ग परी ा िलया करत ह वसा ही यह सग मझ िदखाई

पड़न लगा

इस काल म मन अपन अवा र काय अलग रख िदय थ ोिक वह िव ाम का समय

माना गया था पर lsquoसव दय क स ादन का काम करता ही रहा िफर lsquoगीताईʼ का कोश भी

परा करना था उसम भी कछ समय दता था इसक िसवा अ हलचल अिधकतर ब ही थी

उस समय भारतन कमार ा ारा िकया गया बाप क राम‐नाम‐स ी िवचारो का स ह मर

हाथ आया मझ लगा ध र न मर रोग क िलए िद व ी ही भजी और म उसका आ था

स सवन करन लगा

उन िवचारो को पचान क िलए मन जो िच न िकया वही लख क प म सव दय म

िह ी म िकया म ायः अपना सारा वाडमय मल मराठी म ही िलखा करता ोिक

वह भाषा मझ आती ह लिकन यह लख मल िह ी म ही िलखा कारण इन िवचारो की

आधारभत मल िह ी की पोथी (lsquoराम‐नाम) ही मर सामन थी उसीक अनसार िच न भी म

िह ी म करता वही आज प काकार कािशत हो रहा ह िजसक िलए यह मरी ावना ह

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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा

िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक

िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात

थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी

इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव

को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह

की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय

तो पचता ह

िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी

िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न

और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ

तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली

ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह

लख हनमान ‐बा क ही आ ह

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मरा राम कौन

आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही

िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही

िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता

मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद

ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐

जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म

मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी

उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस

मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान

कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता

lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६

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अन म

१ अ रग‐ वश

२ ि िवध म या

३ राम‐नाम का उपचार

४ ि िवध िच ा

५ नाम‐साफ

प रिश

१ स भ‐ थ‐सची

२ उ खत यो की सची

३ मख श ो की सची

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 3: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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यह िह ी लख पढ़कर ब तो न अ स ोषजनक उ ार िकय ब तो न िलखा

िक इस लख न उनक जीवन को नयी िदशा दी एक न तो िलखा ldquoबाप क राम‐नाम िवषयक

िवचार म सदा स ही पढ़ता आ रहा िफर भी मर दय म व भलीभाित अिकत नही हो पात

थ आपक इस लख स सशय िछ न ही हो गयाrdquo ही यह िसफ लख का गौरव ह िफर भी

इस पाठक को यह जो अनभव आ वह मरी क ना स अतीत नही हम दखत ही ह िक मानव

को सम स जो लाभ नही होता वह सम स पोषण पानवाल मघ स होता ह यह भी उसी तरह

की बात ह िविश पचन यो को पौि क अ सीध पच नही पाता उस ही पचाकर िदया जाय

तो पचता ह

िजस तरह नाम‐ रण की ा मन अपन दय म बठायी और उसका अनभव भी

िकया उसी रीित स इस लख म भी मन उस पाठको क सम त िकया ह उसन मर िच न

और अनभव को ठीक‐ठीक जोड़न का अवसर िदया और ठीक मझ भी उसस लाभ आ

तलसीदास न ाव था म हनमान‐बा क िलखा उसस उनका रोग िमटन म मदद िमली

ऐसा कहा जाता ह बड़ी उपमा छोटी चीज को िकस तरह शोभा दगी िफर भी मर िलए यह

लख हनमान ‐बा क ही आ ह

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मरा राम कौन

आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही

िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही

िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता

मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद

ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐

जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म

मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी

उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस

मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान

कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता

lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६

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अन म

१ अ रग‐ वश

२ ि िवध म या

३ राम‐नाम का उपचार

४ ि िवध िच ा

५ नाम‐साफ

प रिश

१ स भ‐ थ‐सची

२ उ खत यो की सची

३ मख श ो की सची

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 4: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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मरा राम कौन

आप लोग उस सवश मान भगवान की गलामी मजर कर इसस कोई मतलब नही

िक आप उस िकस नाम स पकारत ह तब आप िकसी इ ान या इ ानो क सामन घटन नही

िटकायग यह कहना नादानी ह िक म रामmdashमहज एक आदमीmdashको भगवान क साथ िमलाता

मन कई बार खलासा िकया ह िक मरा राम खद भगवान ही ह वह पहल था आज भी मौजद

ह आग भी हमशा रहगा न कभी वह पदा आ न िकसीन उस बनाया इसिलए आप जदा‐

जदा धम को बरदा कर और उनकी इ त कर म खद मितयो को नही मानता मगर म

मितपजको की उतनी ही इ त करता िजतनी औरो कौ जो लोग मितयो को पजत ह व भी

उसी एक भगवान को पजत ह जो हर जगह ह जो उगली स कट ए नाखन म भी ह मर ऐस

मसलमान दो ह िजनक नाम रहीम करीम रहमान ह जब म उ रहीम करीम और रहमान

कहकर पकारा तो ा म उ खदा मान लता

lsquoह रजन सवक ndash मो० क० गाधी २‐६‐lsquo४६

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अन म

१ अ रग‐ वश

२ ि िवध म या

३ राम‐नाम का उपचार

४ ि िवध िच ा

५ नाम‐साफ

प रिश

१ स भ‐ थ‐सची

२ उ खत यो की सची

३ मख श ो की सची

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 5: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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अन म

१ अ रग‐ वश

२ ि िवध म या

३ राम‐नाम का उपचार

४ ि िवध िच ा

५ नाम‐साफ

प रिश

१ स भ‐ थ‐सची

२ उ खत यो की सची

३ मख श ो की सची

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 6: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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१ अ रग‐ वश

बाप न समय‐समय पर राम‐नाम क बार म जो भी िवचार कट िकय थ उनका एक

छोटा‐सा स ह भारतन कमार ा न तयार िकया ह और नवजीवन‐ काशन‐म र न इस

कािशत िकया ह इसम कछ तो बाप क लख ह कछ उनक भाषण ह और कछ प ह

प रिश म बाप क आ खरी जीवन म राम‐नाम िकस तरह अ बा ओत‐ ोत था उसका

बयान करनवाली एक रण‐कथा जोड़ी गयी ह

यह प क थोड़ म सब कछ ह त‐चया का िववरण करनवाली बाप की मगल‐ भात

जस एक िचर न‐सािह क तौर पर रह जानवाली प क ह वसी यह चीज ह इसका थोड़ा

िच न म यहा करना चाहता

नाम‐िन पण म अभद

परम र क नाम की मिहमा सब धम न गायी ह य िप हर धम की जीवन की तरफ

दखन की अपनी‐अपनी ि होती ह तथािप इस िवषय म न उनम कोई ि ‐भद ह न िवचार‐

भद भगवान क अनक गणो क अनसार अनक नामो की क ना करक अपनी‐अपनी िच

और आव कता क अन प उस‐उस नाम का जप या सब नामो का स िलत जप करन की

था सब धम न चलायी ह और दिनयाभर क सब स ो न अपन अनभव स उसकी पि की ह

सगण‐िनगण का भद भी यहा िमट गया ह नानक का lsquoजपजी और ानदव का ह रपाठ दो

िविभ न स दाय क होत ए भी नाम‐िन पण म कोई िभ नता नही रखत lsquoभागवत भगवान

क मगल‐नाम गाती ह और करान अ ाह क अ ा उल ा की त ीह (जपमाला) करता

ह एक स त और दसरा अरबी इतना ही फक ह

भारत म नाम‐रस की िवपलता

भारत की हर भाषा म नाम‐रस स भरा सािह िवपल ह नाम रसायन क सवन म कोई

भाषा िकसी भाषा स िपछड़ी नही ह तलसीदास चत तकाराम नरसी महता या न ा वार

िभ न‐िभ न भाषाओ म िलखत ह लिकन मानो एक‐दसर क तजम कर रह ह तलसीदास की

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 7: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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रामायण म तो राम स भी नाम को बतलाया ह और दोनो की तलना करनवाली एक परम‐

मधर छोटी‐सी नामायन ही उ ोन िलख डाली गाधीजी न वही स ित पायी ह और उसका

अथ अपन अनभव स हमार सामन खोल िदया ह

वदो म नाम‐मिहमा

नामानभित का थम उ ार जो हम वाडमय म िमलता ह वह वद ह ॠ द म lsquoनाम

श तो सौ‐एक बार आया होगा लिकन सार वद का सार परम र‐नाम ही ह ऐसी उपिनषदो

न घोषणा की ह

सव वदा यत पद आमन

‐ldquoसार वद ई र क नाम का ही आमनन करत हrdquo इसी पर स वद को lsquoआ ाय यान

परम र क नाम का आमनन करनवाला ऐसी स ा िमली ह आमनन यान िव त मनन यही

ा स तो न ढ़ की ह व व भ तकाराम कहता ह

वद अन बोिलला अथ इतकािच सािधला िवठोबािस शरण जाव िनज‐िन ा नाम गाव

ldquoय िप वद न अन ा ान िकया ह तथािप सार यही ह िक िव ल की शरण जाना

और उसका नाम िन ापवक गानाrdquo वह स त नही जानता था िफर भी उस वद‐सार का पता

चल गया ह इतना ही नही वह आ िव ासपवक कहता ह

वदाचा तो अथ आ ासी च ठावा यरानी वहावा भार माथा

‐ldquoवद का भावाथ हम ही जानत हmdashदसर तो भारवाही हldquo व व तकाराम न जो वद‐

सार जाना था वही तिमल क शव‐िशरोमिण ान सबधर को मालम आ था

वद ना गनम मय पो ळावद नादन‐नामम नमः िशवायव

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 8: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ldquoचारो वदो म अगर कोई सारभत स ह तो िशव भगवान का नाम हrdquo यह िसफ दसरो

की सा ी का या ा का िवषय नही ह वद य अपन बार म यही कहत ह

ॠचो अ र परम ोमन यस तत न वद िकम ॠचा क र ित

‐ldquoवद की सारी ॠचाए यान वद‐म एक अ र मmdashएक परम र नाम म जो िक दय

क परम आकाश म िछपा आ ह िबठाय ए ह उसको जो नही जानगा वह वद क म लकर

या करगा rdquo वह अ र lsquoॐʼ माना गया वही सबम रम‐रिहया राम ह |

गाधीजी स बार‐बार पछा गया ह िक त ारा राम कौन‐सा ह तो उ ोन इसी परम

रमणीय सवा यामी आ ाराम का िनदश िकया ह लोग पछत ह ldquo ा वह दशरथ‐न न ह

rdquo तो म जवाब दता िक दशरथ न अपन न न को िजसका नाम िदया था वही वह ह वह

िव ‐न न ह इसिलए दशरथ‐न न भी ह वह िव प ह िव ातीत ह

तका ण ज ज बोला त त साज या िव ला

तकाराम कहता ह ldquoिव ल क िलए जो भी बोल शोभता हldquo

एक दफा तकाराम को परम र पर ग ा आया तो वह ई र स कहन

लगा ldquoह ई र आज म तझ गािलया दता त गधा ह त क ा ह त भारवाही बल हrdquo या

िव क सह नाम ही िव क ह और य नाम िकसी दसर क ह िव ‐सह नाम म पहला

नाम ही lsquoिव म िदया ह सारा िव ह रनाम ह समझनवाल समझ ल

वद म परम र का lsquoचा ‐नाम गानवाल कई म ह लिकन उन सबम नीच का म भ ‐

जनो म िव त ह

मता अम त भ र नाम मनामह

िव ासो जातवदस

‐ ldquoपरम र हम मरण‐धम ह त अमत‐ प ह हम ान क उ क (िव ) ह त

जाननवाला ानमय ह हम (अ ) तर िवशाल नाम का मनन करत हrdquo म म भ र यान

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 9: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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िवशाल की तलना म अ श का अ ाहार समझ लना ह हम दख सकत ह िक इसम नाम

क मनन का िज ह न िक कवल उसक उ ारण का और यही गाधीजी बार‐बार दोहरात

जात ह ldquoराम‐नाम दय स लना ह िसफ वाणी स नही राम‐नाम कवल बा ि या

नही ह वह अ ःशोधन का एक साधन हrdquo नाम‐िच न क इस सवमा म म उपिनषद

की यह स िस ाथना यी िछपी ई ह

असतो मा सद गमय

तमसो मा ोितर गमय

म ोर मा अमत गमय

‐जो असत वही सकिचत या अ ह जो सत वही इस म म िनिद भ र ह बाकी

दो ाथनाए तो कट की ह

lsquoनाम श का अथ

हम अपना मनन आग चलाय इसक पहल जरा यह भी दख ल िक नाम श का

अ राथ ा होता ह नाम श नम धात स बना ह िजसस न ता और नम ार सािधत

ह भ को नाम अस स स म ल जायगा इसक अ ल उस वह न बनायगा न ता क

िबना स शोधन नही होता इसिलए सार व ािनक न होत ह न ता क िबना िच शोधन नही

होता इसिलए सार आ ा क न होत ह बाप की वह अदभत ाथना ldquoह न ता क दव तरी

अपनी न ता त हम द rdquo यहा याद आय बगर नही रहती वह हम सबको म कहन जा रहा था

िन ात रणीय िक िन ‐िनर र रणीय ह न ता क उपासक ी िकशोरलालभाई

न िलखा था ldquoई र क िलए गाधीजी का यह स ोधन धािमक सािह म अनठा ह | उ ोन

ई र को चौदह भवनो क ामी गोलोक वक या बिह क िनवासी वगरह नही कहा पर

परम श िनरहकार का लौिकक भाषा म अनवाद कर न ता क दव कहाldquo िकशोरलालभाई

का यह कथन साधारणत ठीक ह लिकन जब हम नाम श का अ राथ भावाथ और

अनभवाथ दखत ह तो बाप क उस िवशषण को अनठा कस कह सकत ह

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 10: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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और वा व म नाम‐सािह क सार वाहो स जो प रिचत ह व उस अनठा कबल नही

करग बाप की उसम िवशषता ज र थी िफर भी भगवान को िदया आ वह िवशषण पवभ ो

का उ ही ह उपिनषद म एक थान पर कहा ह

तत नम इ पासीत

न अ कामा

‐ldquoउसकी न ता क प म उपासना करनी चािहए जो इस तरह उपासना करगा उसक

सामन सब कामनाओ को झकना पड़गा अथात वह सवथा िनिवकार बनगाrdquo वद म ई र को

न ता‐मित बतानवाला एक वा इस तरह ह

नम इत उ नम आ िववास

नमो दाधार पिथवी उत ाम

‐ldquoन ता ही ऊची ह म न ता की उपासना करता न ता न प ी और ग को धारण

िकया हrdquo आ खरी वा स ह िक यहा न ता परम र की स ा ह बाप न ई र की न ता

का वणन करत ए ldquoदीन‐भगी की हीन‐किटया क िनवासीrdquo कहकर पकारा ह वदो म कहा

ह तर स को कोई टाल नही सकता योिक जो गाय चाहता ह उसक सामन त गाय बनकर

खड़ा होता ह जो घोड़ा चाहता ह उसक िलए त घोड़ा बनता ह

गौरिस ग त अ ो अ ायत भव

ऐस न और सहज झकनवाल की िम ता को कौन टाल सकगा साराश नाम‐ रण

स सव थम और सवािधक अप ा न ता‐ ा की ह और होनी चािहए यह नाम‐श ही कह

रहा ह

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 11: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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२ ि िवध म या

एक आ ाियका

अब हम प क क अ रग म वश करग मझ यह प क पढ़कर िव ‐सह ‐नाम

क शाकर‐भा का रण आ उस भा म एक‐एक नाम का िनवचन करत ए भाव‐

िववरण िकया ह बाप की इस प क म नाम‐ रण क अनक पहल आज की भाषा म खोलकर

बताय ह व सार उस भा म िछप ए ह िछप ए इसिलए कहता िक वहा स ‐ प लखन‐

शली ह इसिलए ब त‐सा अथ य िच न करक िनकालना पड़ता ह वसी ही उसम क ना

ह उस भा क िवषय म एक ब त िदलच आ ाियका कही जाती ह कहत ह शकराचाय

का वह थम लखन ह व शा म स िकसी‐न‐िकसी वचन का मनन रोज पिटया पर िलख

रहत लिकन वह िटकता नही था सर ती उस लखन को अपन हाथ स िमटा दती थी आ खर

उ ोन lsquoिव ‐सह ‐नाम का मनन िलखना श िकया तो उसको सर ती न नही िमटाया

म नही जानता िक िकसीक िकस लखन को काला ा िमटानवाला ह और िकस लखन को रहन

दनवाला ह ब त सभव ह िक मानव क सार सािह को ही वह िमटा दना चाह िफर भी

परम र का नाम अिमट रहगा

( १ ) भय‐म

इस प क का िव षण करन पर तीन म यो का दशन होता ह १ भय‐म

२ िवकार‐म और ३ रोग‐म बगाल म वहा क िह दओ को जब बाप न अ भयभीत

पाया तब उनक सामन उनक इलाज क तौर पर राम‐नाम पश िकया अपन एक ा ान म

व कहत ह

ldquoअगर आप अपन िदल स डर को दर कर द तो म क गा िक आपन मरी ब त

मदद की लिकन वह कौन‐सी जादई चीज ह जो आपक इस डर को भगा सकती ह

वह ह राम‐नाम का अमोघ म शायद आप कहग िक राम‐नाम म आपको िव ास

नही आप उस नही जानत लिकन उसक बगर आप एक सास भी नही ल सकत राम

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 12: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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पिव लोगो क िदल म हमशा रहता ह अगर आप राम‐नाम स डरकर चल तो दिनया

म आपको िकसीस डरन की ज रत न रह जाय अ ाहो अकबर की पकारो स

आपको यो डरना चािहए इ ाम का अ ाह तो बगनाहो की िहफाजत करनवाला

ह अगर ई र म आपको ा ह तो िकसीकी ताकत ह िक आपकी औरतो और

लड़िकयो की इ त पर हाथ डाल मझ उ ीद ह िक आप लोग डरना छोड़ दग

आपको पव बगाल छोड़न की बात नही सोचनी चािहए वही आपको मरना चािहए और

ज रत पड़न पर बहादर मद और औरतो की तरह आब की िहफाजत करत ए मर

जाना चािहए खतर का सामना करन क बदल उसस दर भागना उस ा पर इनकार

करना ह जो मन की मन पर ई र पर और अपन‐आप पर रहती ह अपनी ा

का ऐसा िदवाला िनकालन स बहतर तो यह ह िक इ ान डबकर मर जायrdquo

अभय‐ वतन

इस पर अिधक िववरण की ज रत नही ह गाधीजी न अपनी िज गीभर अगर कोई

एक सावजिनक काम िकया ह तो यही िक लोगो को िनभय बना द आ म क तो म िनभयता

का एक त त ही उ ोन रखा अगर िनभयता नही ह तो मानव‐जीवन म कोई सार ही

नही रहता यह कोई नया िवचार नही सारी समाज‐ व था और रा ‐ व था का हत ही

हमन लोगो म अभय‐ वतन माना ह आज‐कल लॉ ए ऑडर कहत ह लिकन हमारा श

था अभय जहा गाधीजी न अभय‐ वतन म अपन को नाकामयाब पाया वहा उ ोन lsquoरघपित

राघव राजाराम की धन चलायी लिकन सोचन की बात ह lsquoअ ाहो अकबर और हर हर

महादवmdashय दोनो उदघोष जो िक मानो एक‐दसर क तजम ह और जो अ ाह की तकबीर

यान हर की मह ा गात ह भयापहारी होन क बदल यो भयकारी हो गय ह

राम‐नाम क उ म श को ढ़ र खय

ldquoमह म ई र का नाम रखना और हाथ स भाइयो का कतल करनाrdquo यह िसलिसला बीच

क जमान म इतना चला िक कछ स न तो ई र क नाम स ही ऊब गय कहन लग ldquoहम न

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 13: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ई र चािहए न उसका नाम हमार िलए म बस हldquo म उनस कहता आपको हारना नही

चािहए जो दय म म रखना चाहत

ह राम‐नाम उ ीका हिथयार ह मानव‐ िषयो का वह हिथयार नही ह आपको अपना हिथयार

द नो क हाथ म नही सौपना चािहए लोग वरा का द पयोग करत ह तो हम कहत ह िक

हम वरा नही चािहए लोग स ास का द पयोग करत ह तो हम lsquoस ासʼ श स घणा करन

लगत ह लोग भ का द करत ह तो हम भ स नफरत श करत ह इस तरह एक‐

एक पिव श और एक‐एक उ म श हम दसरो को सौप दत ह यह भी मझ तो भयभीत

दशा मालम दती ह यह भय भी हम छोड़ना चािहए और अपन श ो को अपन हाथ म ढ़

रखना चािहए

( २ ) िवकार‐म

ि िवध उपाय

अब दसरी ह िवकार‐म यान काम‐िवजय अथवा चय‐िस यह तो एक पण

साधना ह इसम सब इ यो का सयम आ जाता ह िवशषतया ाद य‐सयम या रसना को

जीतना िनिवकारता की एक िवशष साधना क तौर पर और उसकी िस की एक िवशष

कसौटी क तौर पर रसना‐जय की साधना परमाथ‐म ल म सवमा ह लिकन चिक रसना

क िवषय क साथ जीवन िनगिड़त ह इसिलए अ र दसरी इ यो क सयम का य करत

ए भी रसना को ढील दी जाती ह यह एक भारी गलती ह िजसस वासना‐मल का िसचन आ

करता ह और वासना‐व ऊपर‐ऊपर स शाखाओ क कटन पर भी अिधक फ त बनता

ह इसिलए रसनाजय की आव कता का भान करत ए इस प क म उसक उपाय यो बताय

(अ) पहला थल और सवसाधारण उपाय मसाल वगरह उ जक पदाथ का यथाश

सवथा ाग करना

(आ) अिधक बलवान उपाय हमशा यह भावना बढ़ानी िक ldquoभोजन हम ाद क िलए

नही ब कवल शरीर‐र ाभर क िलए करत ह ldquo इसक िलए हवा और पानी का ा िदया

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 14: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ह जस हवा हम ाद क िलए नही ब ास क िलए लत ह या पानी कवल ास बझान क

िलए लत ह वस खाना महज भख बझान क िलए खाना चािहएldquo

ानदव की स प भाषा म ldquoसाधक को ाण‐वि स जीना चािहए न िक वासना‐वि

स rdquo ानदव न इसका आ ान यो िकया ह

ldquoभोजन करन म न वासना चािहए िज ा की त की न दह को बलवान बनान की न

भख की तकलीफ िमटान की ब कवल ाण‐धारण की शरीर स साधना लनी ह इसिलए

उसको उतना आधार दन की ldquo

िज ा की त का िनषध तो बाप न बार‐बार िकया ही ह लिकन दह को बलवान बनान

की वासना का भी उ ोन इस प क म एक जगह िनषध कर रखा ह जो ब त ान खीचनवाला

ह व िलखत ह

ldquo ो‐ ो आ ा िनिवकार होती जाती ह ो‐ ो शरीर भी नीरोगी होता जाता

ह लिकन यहा नीरोगी शरीर क मानी बलवान शरीर नही ह बलवान आ ा ीण शरीर

म ही वास करती ह ो‐ ो आ बल बढ़ता ह ो‐ ो शरीर की ीणता बढ़ती ह

पण नीरोगी शरीर िबलकल ीण भी हो सकता ह बलवान शरीर म ब त अश म रोग

रहत हldquo

यह एक िवशष िवचार ह इसक तािकक परी ण म हम नही पड़ना चािहए लिकन जब

िक ानदव जस ानी और बाप जस कमयोगी एक ही नतीज पर प च ह तब उसक अनकल

िच न करक उस अनभव की कसौटी पर कसना चािहए भख की तकलीफ िमटान का िनषध

भी ानदव करत ह इसका अथ इतना ही समझना ह िक िकसी भी वि स अिभभत होकर

नही खाना चािहए ब साधना‐िस थ शरीर को खलाना हमन तय िकया ह इसिलए खाना

चािहए इस तरह ि िवध वासना‐विजत आहार‐सवन की व ािनक वि रसनाजय का दसरा

उपाय बताया ह

(इ) तीसरा उपाय बताया गया ह राम‐नाम का िजस व सव म उपाय या सवण‐िनयम

कहत ह

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 15: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ldquoअपनी‐अपनी भावना क अनसार भगवान क िकसी भी नाम का जप िकया जा

सकता ह जप म हम त लीन हो जाना चािहए जपत समय दसर िवचार आय तो परवाह

नही िफर भी यिद ा रखकर हम जप करत रहग तो अ म सफलता अव ा

करगldquo

तीनो का स प राम‐नाम

साराश आहार‐श व ािनक ि और नाम‐ रण य तीन उपाय ए िनिवकारता की

ा क लिकन तीनो का स प आ खर व राम‐नाम म ही करत ह कहत ह

ldquo चय की र ा क जो िनयम मान जात ह व तो खल ही ह स ी और अमर

र ा तो राम‐नाम ही हldquo

िफर तौल सभालकर कहत ह

ldquoयह अचक साधन पान क िलए एकादश त तो ह ही मगर कई साधन ऐस होत

ह िक उनम स कौन‐सा साधन और कौन‐सा सा ह कहना म ल हो जाता हldquo

इतना कहकर िफर स अपनी िन ा ढ़ करत ह

ldquoसयम का सनहला रा ा और उसकी अमर र ा राम‐नाम हो हldquo

य श पढ़कर मझ याद आया बचपन म क कराया गया lsquoराम‐र ा‐ ो अदभत

ह उस ो की क ना

( ३ ) रोग‐म

िवकार‐म का बा काश

अब राम‐नाम स रोग‐म इस प क का आध स अिधक िह ा इसीन िलया ह

उसस िच पर यह असर नही होना चािहए िक यह नाम‐ रण का सव म लाभ ह इस िवषय

का इतना िव ार इसिलए आ ह िक गरीबो क िलए कदरती इलाज ढढ़त ए बाप को यह

सझा ह और उस चार म व लग ए थ इसिलए इस पर इन िदनो व हमशा बोलत रह

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 16: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ldquoराम‐नाम सब जगह मौजद रहनवाली रामबाण दवा ह यह शायद मन पहल‐

पहल उरली‐काचन म ही साफ‐साफ जाना थाldquo

िजस चीज का जब दशन आ तब उसका व इजहार करत गय िफर यह भी ान म

रखना चािहए िक रोग‐म को िवकार‐म स व पथक मानत ही नही ह उस व िवकार‐

म का ही एक बा काश समझत ह उ ोन िन यपवक कहा ह िक ldquoिनिवकार को रोग

हो ही नही सकतldquo इसम मतभद की भी गजाइश हो सकती ह और महाप षो क ा

दकर आ पको न इस पर आ प िकय भी ह उसका न तापवक जवाब िदया गया ह

ldquoकदरत क िनयम महाप षो पर भी लाग हldquo

मन की दबलता

अपन बार म बाप (सन १९२४ म) िलखत ह

ldquoमर िवचार क िवकार ीण होत जा रह ह िफर भी उनका नाश नही हो पाया

यिद म िवचारो पर भी परी िवजय पा सका होता तो िपछल दस वष म जो तीन रोग१ मझ

ए व कभी न होतldquo

िफर दबारा िलखत ह

ldquoम मानता िक मरी अपिडसाइिटस की बीमारी मर मन की दबलता का फल थी

और न र लगवान क िलए तयार हो जाना भी वही मन की दबलता थी यिद मर अ र

अहकार का परा अभाव होता तो मन अपन को होनहार क सपद कर िदया होताldquo

यह पचास साल पहल का लख ह अपनी म क एक िदन पहल िलख प म व कहत

ldquoइस बार िकडनी और िलवर दोनो िबगड़ ह मरी ि स यह राम‐नाम म मर

िव ास क क पन की वजह स हldquo

______________________ १ पसली का वरम पिचश और lsquoअपिड का वरम

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 17: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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उनकी ा

उनक साथ थम सवाद म ही उनकी यह ा मन सनी थी ७ जन १९१६ को म पहली

बार उनक पास प चा तब अहमदाबाद क नजदीक कोचरब म आ म चलता था व तरकारी

काटन बठ गय और मझ उ ोन उस रोज उस काम की दी ा दी िफर जो सवाद आ उसम

मरी ाथिमक जानकारी हािसल करन क बाद उ ोन अपन कछ िवचार मर िलए कट िकय

उनम पण िनिवकार प ष शरीर स भी नीरोग होना ही चािहए यह अपनी ा उ ोन दरशायी

थी और वह फौरन मर गल उतर गयी

गीता का आदश प ष

इसका कारण शायद यह हो िक म बचपन स गीता का उपासक था और गीता न मझ

इस ा क हण क िलए तयार िकया था क त एकागी िवकास का आदश गीता म नही

गीता का आदश प ष प रपण िवकिसत क म थत और सब तरह स अनकरणीय ह उसका

बोलना बठना घमना खाना पीना सोना सब यथाशा आ करता ह यह नही िक वह उस‐

उस िवषय क शा ो का अ यन िकय ए होता ह लिकन उसको वह सहज ही सझता ह

ोिक उसन ऐसी एक चीज हािसल की ह ऐसा एक दशन पाया ह िजसक पट म पारमािथक

जीवन क िलए ज री सभी ान भर ह उसक िलए जानन का कछ शष नही रहता

स हणीय ा

जहा परम र का नाम वहा िनिवकारता जहा िनिवकारता वहा पण आरो mdashयह एक

ऐसी ा ह िजसका हम अव स ह करना चािहए इसको म ा कहता िवचार नही

कहता लिकन इसक पीछ िवचार ह और गीता न वह सझाया भी ह िनिवकारता तो तब आती

ह जब स ‐गण का उ ष कर मन उसस भी िनिल रहन लग स ‐गण अ िनमल

होन क कारण उसस ान और आरो य दो प रणाम िन होत ह ldquo काशकम

अनामयमrdquo अ र आम ाल यह ह िक स गणी मन च र वान होगा नीितवान होगा

लिकन वह ब मान ही होना चािहए ऐसी अप ा लोगो म नही ह | वह ब मान भी हो सकता

ह और बदध भी ऐसी लौिकक क ना ह वस ही स गणी मन लोक‐िवचार म रोगी भी हो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 18: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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सकत ह नीरोगी भी और वसा हम दिनया म दखत भी ह कई अ ‐अ स न म ब

भी होत ह रोगी भी होत ह लिकन गीता की क ना ऐसी नही ह समझना चािहए िक गीता

एक शा ीय ा ा द रही ह

जहा रजोगण और तमोगण स विजत प रश स गण होगा वहा या होना चािहएmdash

यह सब सोचत ह तो गीता जो कहती ह उसी नतीज पर आना पड़ता ह िब द की ा ा जब

करन बठत ह तब उस ि प रमाण‐रिहत ही कहना पड़ता ह िफर ऐसा िब द कही दखन म न

आय यह दसरी बात ह अ ान भी एक मल ह रोग भी मल ह तो श स ‐गण िजसकी

ा ा ही िनमलता ह इन मलो को कस सहन करगा

लिकन चिक अ म अव था गीता न इन तीनो गणो स पर बतायी ह इसिलए कछ

िवचारक जो स ‐गण क साथ आरो की अिनवायता मा करत ह गणातीत अव था म

उसकी अिनवायता उतनी मा नही करत और ldquoचाह काश आ जाय वि आ जाय मोह

आ जाय गणातीत उसस चिलत नही होताrdquomdashइस गीता‐वचन का व आधार लत ह लिकन मरी

न राय म गीता का भाव समझन म यहा गलती हो रही ह

गणातीत अव था स ‐सश क बाद ही ा होती ह अगर यह बात ठीक ह तो उस

व था म स ‐सश स कछ अिधक होना चािहए कम होन का कारण नही अिधक तो

यही िक उसम स ‐गण का भी अहकार िमट जायगा तो उसका भान भी ा को नही रहगा

लिकन इसक आग तक करना म पस नही क गा इसिलए मन आर म ही कह िदया िक

इसका म ा क प म ही स ह करना चाहता इस ा न मझ ब त आ ासन िदया ह

इसिलए भी मझ वह ि य हो गयी ह

थ क ल ण

इस िवषय म एक ही बात और जोड़ना चाहता स त म आ िन ा का और पण

आरो का िनदश थʼmdashइस एक ही श स िकया जाता ह और थ प ष क जो ल ण

गीता म िदय ह चरक‐सिहता म वस ही पाय जात ह

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 19: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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एक िवशष भाव

लिकन आ क ा और शारी रक ा क साहचय का िज करत ए इस

प क म दो‐तीन जगह एक िवशष भाव कट आ ह जो गहर िवचार म ल जाता ह

ldquoमन जो दखा और धमशा म पढ़ा ह उसक आधार पर इस नतीज पर प चा

िक जब मन म उस अ श क ित पण जीिवत ा पदा हो जाती ह तब उसक

शरीर म भीतरी प रवतन होता ह लिकन यह िसफ इ ा करन मा स नही हो जाता

इसक िलए सावधान रहन और अ ास करत रहन की ज रत रहती ह दोनो क होत

ए भी ई र‐कपा न हो तो मानव‐ य थ हldquo

यह एक स‐ रपोट का साराश ह इसस दो साल बाद क एक लख म बाप न इस अिधक

करन का य िकया ह

ldquoएक ानी न तो मरी बात पढ़कर यह िलखा ह िक राम‐नाम ऐसी कीिमया ह जो

शरीर को बदल डालती ह वीय को इक ा करना दबाकर रख ए धन क समान ह

उसम स अमोघ श पदा करनवाला तो राम‐नाम ही ह ldquoराम‐नाम क श स वीय

ऊ गामी बनता हrdquo

िद पा र

ानी नाम स यह िकसका उ ख ह म नही जानता प क की सची म भी उसका

सचन या उ ख नही ह लिकन शरीर क िद पा र का यह दावा ाचीन योग‐सािह म

पाया जाता ह आधिनक जमान म ी अरिव घोष न यह िवचार उप थत िकया ह उनकी

िवचार‐ णी की वह एक िवशषता मानी जाती ह योग‐सािह क दाव म और बाप क कथन म

सा ‐सा दीखता ह लिकन दोनो म फक ह ऐसा म समझता यौिगक ि याओ क बार म

बाप स पछा भी गया तो उसक उ र म उ ोन कहा

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 20: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ldquoयोग की ि याए तो म जानता नही म जो ि या करता वह तो नाम‐ रण ह

िजस मन बचपन म सीखा था उसन मर मानिसक आकाश म अब िवशाल प धारण

कर िलया ह इस सय न घोर‐स‐घोर अ कार की घड़ी म मझ काश दान िकया हldquo

यह ीकरण हम ब त आग नही ल जाता लिकन योग‐सािह और बाप क िवचार

म िविभ नता ह इतना तो इस पर स मालम ही होता ह म उस िभ नता को इस तरह समझा

योग‐सािह िजस िद दह‐प रवतन की बात करता ह वह एक कार की िस ह और

बाप की क ना का िद प रवतन परम श और ई रीय आिवभाव का सहज प रणाम ह

इसीका वणन ानदव न अपन अनपम भजन म यो िकया ह

ldquoब और बोध क बीच कई ज ो का िवयोग था जो अब िमट गया ह | दोनो का िमलाप

हो चका ह िजसक प रणाम प हाथ‐पाव भी सजीव हो गय ह सारी दह का िद पा र

आ ह मानो उसम अमत‐कला भर गयी हldquo

राम‐नाम स रोग‐म का अथ यहा तक प च जाता ह वह िवकार‐म का एक

पयायमा ह

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 21: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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३ राम‐नाम का उपचार

ावहा रक िविनयोग

इस प क म त ‐िच न का म ाश जो मझ तीत आ वह हम दख चकmdashराम‐

नाम स ि िवध म वह ि िवध भी आ खर एकिवध ही ह लिकन तीनो क ावहा रक

िविनयोग अलग‐अलग होत ह इसिलए मन ि िवध िवभाजन उपय समझा ह इसम स रोग‐

म का ावहा रक िविनयोग इस प क म कछ िव ारपवक बताया गया ह उसीको अब

हम दखग

मलायम भिमका

जहा त ‐िवचार स हम ावहा रक िविनयोग म उतरत ह वही बाप की भिमका कछ

मलायम हो गयी ह व िलखत ह

ldquoराम‐भ कदरत क कानन पर चलगा इसिलए उस िकसी तरह की बीमारी

होगी हो नही होगी भी तो वह उस पचमहाभतो की मदद स अ ी कर लगा िकसी भी

उपाय स भौितक दःख दर कर लना जो शरीर को ही आ ा नही मानत उनका काम

नही ह आ ा को पथक जाननवाला शरीर क जान स घबराता नही दःखी नही होता

और सहज ही उस छोड़ दता ह वह दहधारी डॉ र‐व ो क पीछ नही भटकताldquo

तीन िवचार

अब इसम एक क पीछ एक तीन िवचार दरशाय गय ह

१ भ को बीमारी नही होगी

२ होगी भी तो वह आहारािद‐प रवतन स द कर लगा

३ अगर द न हो सका तो शा स दह छोड़गा

इस पर िववरण की ज रत नही ावहा रक िविनयोग म िवचार की िनरपवाद‐ ढ़ता

का सौ पा र ह

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 22: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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इलाज स भी बड़ा चम ार

उरली‐काचन क ा ान स यह अिधक हो जायगा

ldquoकछ बीमा रया तो ऐसी होती ह िजनका इस दिनया म कोई इलाज ही नही ह

जस अगर शरीर का कोई अग खिडत हो गया हो तो उस िफर स पदा कर दन का

चम ार राम‐नाम म कहा स आय लिकन उसम इसस भी बड़ा चम ार कर िदखान

की ताकत ह अग‐अग या बीमा रयो क बावजद सारी िज गी अथक शा क साथ

िबतान की श राम‐नाम दता ह और मौत क दःख और िचता की िवजय क डर को

िमटा दता ह यह ा कोई छोटा‐मोटा चम ार ह rdquo

ब वादी का समाधान

राम‐नाम लनवाला बीमार ही न पड़ इसम जो चम ार ह उसकी तलना म वह

बीमा रयो क बावजद शा रहगा यह चम ार कम दरज का ह ऐसा म भी नही मानगा उलट

उसस नाम‐गौरव एक दसरी तरह स िवशष कट दीखगा ऐसा भी मान सकत ह ावहा रक

चम ार करन की राम‐नाम की श की जो मयादा इसम मान ली ह वह शायद तलसीदास

न मानत लिकन इसी कारण

यह प क ब वादी मन को भी समाधान द सकती ह

साधना की िनशानी

साराश राम‐नाम का उपचार बतान म यहा कवल भावनामय क ना‐श स काम

नही िलया ह लिकन िवचार‐ वहार म िकस तरह लाया जा सकता ह इसका परा ान रखा

गया ह य िप राम‐नाम क साथ कदरती इलाज को जोड़ िदया ह तो भी इस िवचार‐ णी को

म ldquoकदरती उपचार नही lsquoराम‐नाम का उपचारʼ ही क गा बाप की भाषा स भी यह हो

जाता ह एक जगह व िलखत ह

ldquoकदरती उपचार का उपयोग राम‐नाम का परक नही पर राम‐नाम की साधना

की िनशानी ह राम‐नाम को इन मददगारो की ज रत नही लिकन इसक बदल जो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 23: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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एक क बाद दसर हकीमो क पीछ दौड़ और राम‐नाम का दावा कर उसकी बात जचती

नहीldquo

दसरी जगह एक प म व िलखत ह

ldquoकदरती इलाज हम ई र क ादा नजदीक ल जाता ह अगर हम उसक िबना

भी काम चला सक तो म उसका कोई िवरोध नही क गाldquo

एक तीसरी जगह िलखत ह

ldquoम उन मा‐बापो को जानता िज ोन अपन ब ो क रोगो क बार म लापरवाही

की ह और यहा तक समझ िलया ह िक हमार राम‐नाम लन स ही व अ हो जायगldquo

यह तो एक आ खरी दरज का कथन आ मतलब इसका यही िक कदरती उपचार क

नाम स आजकल जो ब त सारा िफजल और खच ला त खड़ा करत ह उसस भी राम‐नाम

का उपचार म ह

उपचार क तीन स

बाप न अपन इस उपचार क बार म जो चीज तफसील म समझायी ह उन सबका सार

म तीन स ो म रखगा

१ दह की अिधक आस नही रखनी चािहए उसस हम दह को चाह प रप रख भी

सक आ ा को ीण करत ह बाजी दफा तो उसस हम दह की भी हािन करत ह

२ गरीबो स एक प हो जाना चािहए कम‐स‐कम बीमारी की हालत म तो अपन िलए

मयादा‐सी बाध लनी चािहए िक जो उपचार करोड़ो गरीब कर ही नही सकत उसकी आशा

छोड़नी होगी

३ आसपास की सि को हम अपना द न नही ब िम समझना चािहए सि स

डरना नही चािहए काश हवा धप वगरह की खल िदल स परी सहायता लनी चािहए

इन तीन स ो को हम ान म रखग तो प क का सारा िववचन सहज हण कर सकग

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 24: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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िबखरी ई सचनाए

अब पिढ़य कछ िबखरी ई सचनाए

ldquoमर कदरती इलाज म खदबीन ए ‐र वगरह की कोई ज रत नहीldquo

ldquoउसम कनन पिनिसलीन जसी दवाइयो की गजाइश नहीldquo

ldquoहमशा कदरती इलाज करनवाल की राय लन की ज रत भी नही रहनी चािहएldquo

ldquoकदरती इलाज सीखन क िलए यह िबलकल ज री नही िक शरीरशा सीखा

ही जायldquo

ldquoमोस ी खाना उपचार का अग नहीldquo

ऊपर की ि स ी दयगम हो जाय तो य सार िवचार हजम हो सकत ह इन सबका

िसफ अ राथ नही भावाथ लना ह कहा ही ह ldquoअ र मारता ह भाव तारता हrdquo

जीवन‐चया

इन सबका थोड़ म मतलब जीवन‐प रवतन ह

(अ) हमशा श य और िमत आहार और िवशष सगो म अ आहार और

िनराहार

(आ) दह वाणी मन की श और उपवास क सब वातावरण की ता

(इ) कदरत पर ार और उसका उ सवन

(ई) यो प र म और िव ाम की व था

(ऊ) अपन को दह स िभ न जानना ािणमा की सवा म लग जाना और िवश िच स

परम र का िनर र रण करना

यह ह जीवन‐चया इसीको lsquo चयʼ कहत ह यही राम‐नाम का उपचार ह

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 25: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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४ ि िवध िच ा

व वािद भ ो न िजस िन ा स राम‐नाम की मिहमा गायी ह वही िन ा इस प क क

प न‐प म दीख पड़ती ह िफर भी दोनो म एक बड़ा फक ह उसकी थोड़ी चचा हम यहा कर

लग फक यह ह िक भ ो का नाम‐ चार र और सव‐िच ा‐िवम था लिकन

इनक नाम‐ चार क पीछ तीन िच ाए लगी ई ह मवार हम उनको दखग

पहली िच ा सकामता

पहली िच ा यह ह िक राम‐नाम सकामता क साथ जड़ न जाय व िलखत ह

ldquoऐस पिव म का उपयोग िकसीको आिथक लाभ क िलए हरिगज नही करना

चािहए ब त‐स थानो म कवल आड र क िलए कछ थानो म अपन ाथ क िलए

इसका जप होता आ हमन दखा हldquo

कथन क दो कार

भ ो न तो यहा तक कहा था िक नाम‐ रण चाह गत ाथ क िलए ही यो न

िकया जाय कछ‐न‐कछ क ाण ही करगा म दोनो भाषाओ का रसा ादन कर लता एक

ह ब य त ाथ‐कथन जो िव षण की िच ा रखता ह दसरा ह भावनामय अथवाद जो

सननवाल म कछ अ मान लता ह

गीता न दोनो भाषाओ का उपयोग िकया ह िफर भी उसको िन ामता का ही िवशष आ ह

रहा ह

िन ाम ई र‐भ

यहा गीता की थोड़ी चचा कर लगा उसम कछ िवषया र हो जाय तो मरी गीता‐भ

ान म लकर पाठक मझ माफ करग

गीता क सातव अ ाय म आत िज ास और अथाथ mdashऐस तीन भ िगनाय ह िज

ब त‐स टीकाकारो न सकाम भ मान िलया ह मझ यह बात जची नही ोिक इन तीनो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 26: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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को गीता न उदार स ा दी ह जो कपण की िवरोधी ह और कपणा फलहतवmdashइस वचन

म कपण यान सकाम ऐसी सचना दी ह अथात य तीनो भ िन ाम ही ह लिकन व

एकागी ह और ानी सवागी होता ह आत यान रोग‐पीिड़त और रोग‐म चाहनवाला नही

आत यान भाव धान भ िज ास यान कवल थल उ कता ( रऑिसटी) रखनवाला नही

ब ब स ई र‐त को जानन की कोिशश करनवाला अथाथ यान पसा चाहनवाला नही

ब सवभतिहताथ कम धान इसकी अिधक चचा म यहा नही क गा मन गीता‐ वचन

म इसका िव ार स िववचन िकया ह िज ास उस दख सकत ह गीता म मा िकय ए तीनो

और चारो भ मर अिभ ाय म पण िन ाम ह

सकाम दवता‐भ

गीता न सकाम भ ो का इसस िभ न वग िकया ह और य िप उसन उनको मा ता

नही दी ह ब दषण ही िदया ह िफर भी कछ अनक ा उसक िलए रखी ह| उनका िज

उसी अ ाय म ldquoिभ न‐िभ न दवताओ क पीछ दौड़नवाल कामना‐ rdquo क नाम स िकया ह

जो कामना‐ ह व अ दवता‐भ ही होत ह | िफर भल ही व ई र का नाम लत

हो एक भाई स चचा चल रही थी व बोल

ldquoइ ाम न एक‐परम र की िन ा बढ़ाकर अनक दवताओ का िनरसन िकया यह एक

भारी काम िकयाrdquo मन कहा ldquoयह म भी मानता लिकन यह मत समझो िक अ ाह का

नाम लनवाल िन य ही एक‐परम र क भ होत ह जो अ ाह स धन मागता ह वह

ल ीदवी का ही उपासक ह ह ल ीदवी तरी कपा मझ पर रहmdashऐसी ाथना करनवाला

िह द और ऐ अ ाह मझ दौलत दmdashऐसी दआ मागनवाला मसलमान दोनो एक ही स दाय

क उपासक ह इसस उलट जो ल ीदवी का नाम लता होगा लिकन उसस िच ‐श या

मनःशा की ही अप ा करता होगा वह एक‐परम र का उपासक ह इतना ही नही जो

ल ी श सर ती आिद अनक दवताओ की ाथना करता होगा और सबस िसवा िच ‐

श क और कछ नही मागता होगा जसा तलसीदासजी न lsquoिवनय‐पि काʼ म िकया ह वह भी

एक‐परम र का उपासक ह और उतन सार िविवध नाम लकर भी राम‐नाम ही लता हrdquo

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 27: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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का कमणा िस यज इह दवता

‐ldquoकम क फल को चाहनवाल अ दवताओ क उपासक होत हldquomdashइस वा म गीता

न यह िवचार िवशद िकया ह

राम‐नाम दिषत होगा

राम‐नाम हम लत जाय और िभ न‐िभ न कामनाए रखत जाय िफर चाह व कामनाए

फिलत भी हो इसस राम‐नाम दिषत होगा यह अ दवता‐नाम बन जायगा और कभी तो वह

रावण‐नाम म भी प रवितत हो जायगा यह िच ा इस प क म पद‐पद दीख पड़ती ह जो

सवथा यो ही ह

एकाितक अथ न कर

लिकन जो मन चाल वाह क अनसार डॉ री इलाज करवाता होगा वह राम‐नाम

लन का अिधकार नही ऐसा इसका एकाितक अथ म नही क गा और न बाप की भी वसी

म शा हो सकती ह

मझ बचपन का एक िक ा याद आ रहा ह बचपन म म ब त रोग रहता था और

डॉ री दवाए मझ दी जाती थी मा दवा पीत समय बोलन क िलए कहती औषध जा वीतोय

व ो नारायणो ह रः वसा ही म बोलता था लिकन एक िदन उसक अथ का खयाल आया

और मन मा स कहा ldquoइसका अथ तो मझ यह दीखता ह िक गगा‐जल को औषध समझो और

भगवान को व rdquo तो वह बोली ldquoयह अथ तो ठीक ह लिकन इसक िलए वसी यो ता चािहए

तर और मर िलए इसका दसरा अथ हldquo

मन पछा ldquoकौन‐सा rdquo

उ र ldquoडॉ र को भगवान समझो और जो भी औषध वह दगा उस गगा‐जल समझोrdquo

मझ मा की यह बात उस भिमका पर आज भी जचती ह

लिकन इस वा का एक तीसरा भी अथ मझ परसो ही एक व न सनाया उसन कहा

ldquoयह तो रोग असा हो जाय तब का वचन हrdquo मन यह भी अथ कबल कर िलया ोिक

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 28: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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मरत दम तक औषध िपलानवाल और पीनवाल हम रोज दखत ह मरन क बाद औषध नही

िपलात इतनी महरबानी ह लिकन मझ डर ह िक आग जाकर वह मयादा भी टट जाय ोिक

मर ए को भी िज ा करन का योग अभी व क‐शा सोच रहा ह

एक िनसग पचारक न मझस कहा ldquoयह वा दव‐शरणता नही ब िनसग पचार

बता रहा हrdquo इसका अथ यह ह िक ldquoदवाइया मत लो जलोपचार करो और नारायण ह र को

यान सयनारायण को व समझत रहो अथात उसकी िकरणो का यथाशा सवन करो rdquo यह

भी मन मान िलया लिकन इसस मन समझ िलया िक राम‐नाम उपचार िनसग पचार स भी

िभ ह

पाव थान कामना नही

यहा कोई पछगा ldquoआप नाम क साथ िनसग पचार जोड़ भी दत ह और उसस उसको

अलग भी कर दत ह नाम क साथ सकामता को दषण भी दत ह और आरो की कामना भी

रखत ह यह सब ा ह rdquo इसका जवाब यही ह िक नाम‐ रण स आरो की अप ा इसिलए

रखी जाती ह िक आ ा पत रोग‐रिहत ह इसिलए रोग‐रिहत रहन की अप ा का अथ

पाव था म रहना इतना ही होता ह इसिलए इस अप ा की िगनती कामना म नही करनी

चािहए | आ ा रोग‐रिहत ह वस ही दह‐रिहत भी ह इसिलए नाम रण करत ए दह या

शरीर छट जाय तो भी हज नही ह उस तरह शा पवक शरीर छटना नामोपचार की

िन लता नही ब सफलता ही होगी नाम‐ रण क साथ िनसग पचार को इसिलए जोड़त

ह िक िनसग पचार स मतलब य ाहार‐िवहारािद जीवन‐चया स ह राम‐नाम क साथ उसको

नही जोड़त तो अय आहार‐िवहार को जोड़ना पड़गा जो िवपरीत वतन होगा िनसग पचार

स राम‐नाम को अलग भी करत ह ोिक िनसग पचार का आजकल एक ब त ल ा‐चौड़ा

कभी‐कभी तो दवाइयो स भी ादा खच ला ढोग‐सा बना रखा गया ह

दसरी िच ा वहम का डर

यह एक िच ा ई राम‐नाम क म चार म दसरी िच ा जो इस प क म ब त ही

दीख पड़ती ह वह ह वहम क चार की राम‐नाम को उपचार क तौर पर जब बाप न लोगो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 29: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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क सामन पश िकया तो लोगो न उन पर ो की बौछार करनी श कर दी िकसीन पछा

ldquoहम मरीअ ा दवी की पजा करत ह और ब त‐स रोग अ हो जात ह ा वसी ही बात

आप कर रह ह rdquo

ldquoजहा तक पट‐दद की बात ह ब त स लोग ित पित म दवी की िम त मानत ह अ

होन पर उस मित क हाथ‐पाव धोत ह और दसरी मानी ई िम त परी करत ह कपा करक

इस बात पर रोशनी डािलयrdquo

कदरत की करतत

बाप इसका जवाब दत ह

ldquoजो िमसाल ऊपर दी गयी ह व न तो कदरती इलाज की ह न राम‐नाम की

उनस यह पता ज र चलता ह िक कदरत ब त‐स रोिगयो को िबना िकसी इलाज क भी

अ ा कर दती हrdquo

तलना क िलए दो की ज रत

यह उ र पढ़कर मझ सकरात का िक ा याद आया िकसी मिदर की मित क दशन

स लोगो क रोग द हो जात ह ऐसा दावा िकया जाता था और वस द ए लोगो क नाम

उस म र म िलख ए थ सकरात को व बताय गय व बोल

ldquoइसक साथ दसरी फह र उन नामो की भी चािहए थी जो द नही ए तब

दोनो की तलना करक तारत का पता चलताldquo

श िवचार का आरो पर भाव

आग बाप िलखत ह

ldquoराम‐नाम तो वहम का द न ह वह िव ास‐िचिक ा स िभ व ह अगर म

ठीक समझा तो िव ास‐िचिक ा म यह माना जाता ह िक रोगी अधिव ास स अ ा

हो जाता ह यह मानना तो जीिवत ई र क नाम की हसी उड़ाना ह राम‐नाम िसफ

क ना की चीज नही ह परमा ा म ान क साथ िव ास हो और उसक साथ‐साथ

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 30: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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कदरत क िनयमो का पालन िकया जाय तभी िकसी दसरी मदद क िबना रोगी अ ा हो

सकता ह अगर कोई अपन अ र परमा ा को पहचान ल तो एक भी ग ा या िफजल

ाल मन म नही आ सकता जहा िवचार श हो वहा बीमारी आ ही नही सकतीrdquo

जािहर ह िक बाप का यह राम‐नाम श ब वाद स जरा भी िवसगत नही ह

गिणत का स

दसरी जगह बाप न इस और साफ िकया ह

ldquoराम‐नाम कोई जाद‐टोना नही ह राम‐नाम गिणत का एक ऐसा स या

फारमला ह जो थोड़ म ब‐िहसाब खोज और तजब को जािहर कर दता हldquo

सा शा

मरी गिणत‐ मी ब इस वा स स हो रही ह योग और गिणत एक ही व क

दो पहल और दो नाम ह ज जी नामक एक गिणत न िम ी रअस यिनवसʼ यान गढ़

िव ʼ नाम की एक स र िकताब िलखी ह िजसम उसन परम र की गिणत‐ब का वणन

िकया ह हमार िलए यह नयी बात नही ह हमन तो सार सि ‐शा को सा नाम द रखा

ह स ा का सरल अथ ह सा ‐शा आ ान को भी सा कहत ह ोिक िच क

हरएक ापार का उसम स ान यान िहसाब और परी ण करना पड़ता ह सा और योग

दोनो गिणत ह सा ह श गिणत ( ोर मथमिट ) और योग ह उसका िविनयोग यान

ावहा रक गिणत (अ ाइड मथमिट )

ना कता क ल ण

लिकन दःख की बात ह िक सार म ‐प तरह‐तरह वहमो स भरपर ह जब म

करान का अ ास करता था तो हरएक करान की ावनाए कतहल स पढ़ता था तािक

करान क बार म कछ बाहरी काश िमल लिकन कई ावनाओ म रोग‐िनवारण क मा क

उपचार ही दख पट दखता हो तो फलानी सरत की फलानी आयत कागज पर िलखो उस

कागज को जलाकर उसकी भ शरीर पर लगाओ या उस पानी म घोलकर पी जाओ िसर

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 31: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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दखता हो तो िकसी दसरी आयत का न ा करो ऐस अनक न मट रया मिडका की शली

म िदय रहत थ स शती सािहब तलसी‐रामायण मराठी ग ‐च र आिद कई ो का

यही हाल ह रोज शिन‐माहा का पाठ दवी‐दवताओ की मनौितया या ई र क नाम स ही

सही लिकन ब हीन और िच ‐श क साथ य िचत भी स क न रखनवाल कई तरह क

योग िकय जात ह िह द‐धम को इस अ ा प ना कता स छड़ान का सबस य

जहा तक म जानता शकराचाय न िकया था कमका का उनक ारा िकया आ घोर

िवरोध इसी वजह स था व जड़ ा का उ लन करना चाहत थ उनक महान य ो क

बावजद वह समाज म स िनमल नही हो सकी ह

बाप न यही काम इस प क म िकया ह राम‐नाम की ल िन ा स भरी इस प क

म वहमो स झगड़न म और राम‐नाम को उनस पथक बतान म उनकी आधी श खच ई

ह rdquoनाम‐ रण को जतर‐मतर की शकल दकर लोगो को वहम क कए म ढकला गया हrdquo

इसका ती िवरोध व जगह‐जगह कर रह ह एक जगह यहा तक कह गय ह िक ldquoइसीिलए म

राम‐नाम क चार स डरता rdquo

राम‐नाम की मयादा

िफर व राम‐नाम की भी मयादाए िगनन लग व िलखत ह

ldquoबादी का इलाज ाथना नही उपवास ह उपवास का काम परा होन पर ही

ाथना का काम श होता ह गोिक यह सच ह िक ाथना स उपवास का काम आसान

और हलका बन जाता हrdquo

ldquoिदल स भगवान का नाम लनवाल मन का यह फज हो जाता ह िक वह कदरत

क उन िनयमो को समझ और उनका पालन कर जो भगवान न मन क िलए बना िदय

हrdquo

ldquoअगर अपन िवचारो पर आपका कोई काब नही ह और अगर आप एक तग अधरी

कोठरी म उसकी तमाम खड़िकया और दरवाज ब करक सोन म कोई हज नही

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 32: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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समझत और ग ी हवा लत ह या ग ा पानी पीत ह तो म क गा िक आपका राम‐नाम

लना बकार हrdquo

ईसाई‐िव ान

पि म म ईसाई‐िव ान नाम का एक िव ास चलता ह वह मानता ह िक

ldquoरोगमा पाप क प रणाम ह और म भी पाप क कारण ही होती ह इसिलए जो पण िन ाप

ह िनिवकार ह उसकी शारी रक म भी न होनी चािहएrdquo बाप इस बार म एक जगह कहत

ldquoराम‐नाम म ईसाई‐िव ान का गण होत ए भी वह उसस िबलकल अलग ह

मरा ईसाई‐िव ान क साथ कोई झगड़ा नही ह म उस िस ा को परी तरह मान

सकता पर ईसाई‐िव ान न शारी रक ा और रोगवाल को जो इतना अिधक

मह द रखा ह वह मरी समझ म नही आताrdquo

यहा बाप का इशारा ldquoशारी रक मरण भी पण िनिवकार को नही होना चािहएrdquo इस िव ास

की तरफ ह

लिकन यह बात इसस अिधक श ो म कहन की ज रत थी वह नही आ ह

उलट दसरी जगह नाम‐मिहमा की पि म ईसाई‐िव ान का आधार‐सा िलया गया ह कहा ह

ldquoईसाई‐िव ान नाम का स दाय िबलकल यही नही तो करीब‐करीब इस तरह की (यान

राम‐नाम जसी) बात कहता हrdquo

मझ इस प क म यह कछ गोलमाल‐सा िववचन मालम आ ह ईसाई‐िव ान क

ldquoिस ा को परी तरह माननाrdquo और साथ ही उसम स म बात ही ldquoसमझ म नही आनाrdquo

राम‐नाम को उसस ldquoिबलकल अलग कहनाrdquo और साथ ही उसको ldquoकरीब‐करीब उसी तरह

की बातrdquo जािहर करना यह सब व का दशन नही करा रहा ह िकसी चीज क अ

अश का अ ीकार नही होना चािहए इस खयाल स यह सब आ ह यह म जानता लिकन

यहा अिधक ता की ज रत थी मरा िवचार म रख द ldquoपण िनिवकार को शारी रक मरण

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

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    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
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Page 33: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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नही होना चािहएldquo यह मढ़ िव ास की आ खरी हद ह त ‐िवचार तो यही कहगा िक पण

िनिवकार क िलए शरीर म रहना ही असभव होगा अगर ार वशात या दसरी भाषा म िवकार

का कछ िनज व‐सा अश रह जान क कारण दह म रहना ही पड़ा तो कम‐स‐कम उसको

दसरा शरीर तो लना नही पड़गा थल शरीर की आस ई र‐भ की िवरोधी बात ह और

इसिलए शारी रक अमरता की क ना मरी न राय म ना कता ही ह ईसाई‐िव ान अगर

इस क ना को नही छोड़गा तो वह न ईसाई रहगा न िव ान रहगा शारी रक अमरता की

आका ा न कीिमया को ज िदया और कहत ह किम ी को भी ज िदया शायद हमार

यहा यौिगक ि याओ को भी ज िदया होगा लिकन आ ान को ज दन की श उसम

नही ह

आ ‐ य की पराका ा

इस तरह दिनयाभर का भ ‐माग जड़‐मढ़ भावना स भरा दखकर समाजशा ी इस

नतीज पर आय िक ldquoआिद‐मानव क िव ानरिहत भय मानस म ही ई र‐क ना की

िनिमित ई होगीrdquo व मानत ह िक ldquoजस‐जस िव ान का काश फलगा ई र प अ कार

िमट जायगाldquo लिकन ई र अगर अ कार ही होता तो उसका िमट जाना लािजमी ह और

लाभदायी भी िज ोन ई र को आ ा स अ िभ न जगत का िनमाणकता जगत क बाहर

िकसी कोन म सातव या उनचासव आसमान म बठा मान िलया ह उनका ई र ज र खतर म

ह लिकन वदा न ऐस ई र की क ना हम नही िसखायी ह आ ा का ही परम और

तम प परम र ह और ई र‐भ आ ‐ य की पराका ा ह राम‐नाम की ा

जब बाप हमार सामन रखत ह तो उसम उनकी यही ि ह इसिलए य िप मढ़ो और

दा को स त आकर ldquoराम‐नाम क चार स म डरता ldquomdashयहा तक उ ोन कह डाला ह

िफर भी व उसका चार करत ही रह व िलखत ह ldquoचाह लोग द पयोग कर स ी बात को

हम िछपा नही सकत |rdquo

ई र‐भ आ ‐ य या दय‐श स िभ न व नही ह ब उसीकी परक ह

यह उ ोन इस तरह कट िकया ह

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

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५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 34: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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ldquoयह कहना गलत न होगा िक अगर िकसीका दय पिव ह तो उसकी सहत

राम‐नाम न लत ए भी उतनी ही अ ी रह सकती ह बात िसफ यह ह िक िसवा राम‐

नाम क पिव ता पान का और कोई तरीका मझ मालम नहीldquo

साधना का िवधायक प

आ ‐ य स दय‐श करना ही म साधना ह उसक साथ ई र‐भ को

जौड़न का अथ इतना ही होता ह िक परम ता का एक आदश िच न क िलए हम अपन

सामन रखत ह उसस साधना को िवधायक प िमलता ह और वह आसान होती ह अ था

आ ‐श क य म चाह धोन क ाल स ो न हो मिलनता स ादा सबध आता ह

इसस साधना कछ िनषधा क प पाती और म ल बनती ह अलावा इसक जस फफड़ो

क य को दिनया म फली हवा की मदद िमलती ह वस ही दहब आ ा क य को

दहम िव प परमा ा की मदद िमलती ह यह अनभव‐िस बात ह

आ ‐शोधन की ि या

साराश राम‐नाम आ ‐शोधन की ि या ह न िक मढ़‐िव ास स का िनक दवी‐

दवताओ को या आ ा स अ िभ न िकसी सवािधकारी परम र को फसलान की

तीसरी िच ा मौ खकता

तीसरी िच ा इस प क म यह ह िक राम‐नाम कवल मौ खक न रह जाय राम‐नाम

कवल श नही ह वह तो एक परम स और प रपण िवचार ह लिकन इसक बार म भी

आज की ढ़ क ना यही ह िक राम‐नाम का जप यान िसफ अ रो का जप मरत समय र

और lsquoम य दो अ र िकसी तरह मह स िनकल गय तो बड़ा पार आ एक भ माग न तो

मझस कहा िक ldquoमरन म अ र ह म और र तो राम‐नाम म उसस िवपरीत म म अ र हmdash

र और म इसिलए य दो अ र उन दो अ रो को काट डालत हldquo अथात इस भ क िलए

राम‐नाम एक श िवशष बन गया कवल श भी नही ोिक श अथवान होत ह एक

िनरथक श यान अ र‐समह अपनी‐अपनी भावना ढ़ करन क िलए अ र‐िच न की

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य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

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ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 35: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

य या भी कोई िनकालगा तो उसकी ा को म भ नही करना चा गा लिकन ऐसी

आरोिपत क नाओ स मन ब त उ नित नही कर सकता

नामो ारण का त वाद

कछ भ मािगयो और कमका यो न तो जप क िलए िलया आ श अथवान नही

होना चािहए यहा तक आ ह रखा ह वद क अथ‐िच न स वद की म ‐श का य होता

ह यह वाद ाचीन काल स आज तक चला आया ह व कहत ह म की श अ रो क

उ ारण मा म होती ह जब हम रोटी खात ह तो रोटी खात ह इसका िच न ा करना

ई र‐नाम का उ ारण या वद‐म का पठन भोजन क समान य फलदायी ह इतना ही

नही लिकन जस खात समय खान क िसवा अगर हम कोई िच न करत रहग तो पचन म बाधा

पड़ती ह वस ही राम‐नाम क साथ अगर अथ‐िच न की पीड़ा लग गयी तो हाजमा िबगड़

जायगा और असली लाभ नही िमलगा अगर िच न करना ह तो राम‐नाम की ज रत ही या

ह िच न तो िबना नाम क अपन मन स कोई भी जसा चाह कर ही सकता ह नाम लत ह

तो िच न का सवाल ही नही उठता नाम य तारक ह इस तरह कवल नामो ारण का भी

एक त वाद बना आ ह इस वाद को मन उसक उ म प म यहा रख िदया ह

बाप न इसस िवपरीत िच न मनन और आचरण पर जोर िदया ह एक ही उ रण बस

होगा

ldquoिसफ मह स राम‐नाम रटन म कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क िलए यह

ज री ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय और जप की शत का पालन करत ए

िज गी िबतायी जाय ई र का नाम लन क िलए इ ान को ई रमय िज गी िबतानी

चािहएldquo

सब धम म धम

lsquoिव ‐सह ‐नाम क व ा भी दव न भी सह ‐नाम का यिधि र को उपदश करत

ए ऐसी ही अप ा रखी िव क सह नामो को उ ोन यािन नामािन गौणािन िव ातािन

महा न mdashयान परम र क िव िव ात गौण नामmdashकहा ह यहा lsquoगौण श िह ी क

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 36: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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अथ म नही ह उसक मल स त अथ म ह गौण नाम यान गणवाचक नाम ई र का हर

नाम उसक एक‐एक गण का सचक होता ह अथात उस‐उस नाम क साथ उस‐उस गण का

िच न साधक को करना चािहए इसक साथ आचरण पर भी उतना ही जोर िदया ह

सवागमानामा आचार थम प रक त

आचार भवो धम धम मर त

सब शा ो की बिनयाद आचार ह आचार म स धम की उ ि ह और धम क ामी

परम र ह भाव यह ह िक उस धम‐ ामी परम र क नाम रण और उसक गणगणो क

िच न स सदाचार की रणा िमलती ह इसिलए परम र का नाम रण करना ndashसवधमाणा

धम अिधकतरो मतःmdashसब धम म धम ह ाभािवक ही इसक िलए मन को िन

जाग क रहना चािहए भौ न यह सचना सह ‐नाम क आर म ही द रखी ह

वन नाम सह ण प ष सततो त

‐rdquoनाम रण करनवाल प ष को सदा सावधान रहना चािहएldquo

उ ारणवाद का सार हण

लिकन इस तरह िच न और आचरण का मह मानत ए भी उ ारणवाद का िनरसन

तब तक नही होगा जब तक उसम भी जो सारभत अश ह उसका हण नही िकया जायगा

उसका सारभत अश तो यह ह िक वाणी बिहर ‐जगत और अतर ‐जगत क बीच एक ऐस थान

पर खड़ी ह जहा स दोनो क बीच आयात‐िनयात होता ह इसिलए उस थान पर चौकी करन

स और उसको पिव रखन स जीवन‐श का काय सलभ होता ह इसिलए आचार और िवचार

क समान ही उ ार का भी त म ह तलसीदासजी न एक समपक ा स यह िवशद

िकया हः

रामनाम मिण दीप ध जीह दहरी ार

lsquoतलसी भीतर बािहर जौ चाहिस उिजयार

इसिलए नामो ारण क त म को भी ीकार करना होगा बाप न उसको खल

िदल स ीकार भी िकया ह एक ो र द खय

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 37: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

ा राम‐नाम को दय म ही रखना काफी नही ह या उसक उ ारण म

कोई खास िवशषता ह

उ र मरा िव ास ह िक राम‐नाम क उ ारण का िवशष मह ह अगर कोई

जानता ह िक ई र सचमच उसक दय म बसता ह तो म मानता िक उसक िलए मह

स राम‐नाम जपना ज री नही ह लिकन म ऐस िकसी आदमी को नही जानता उलट

मरा अपना अनभव कहता ह िक मह स राम‐नाम जपन म कछ अनोखापन ह ो या

कस यह जानना आव क नही

एक और वचन जो इसस भी अिधक ह

ldquoमगर राम‐नाम का िनरतर जप चलता रह तो एक िदन वह आपक क स दय

तक उतर आयगाldquo

तकाराम न यही कहा था

नस तरी मनी नसो परी वाच तरी वसो

‐ldquoमन म चाह न हो कम‐स‐कम वाणी म तो राम‐नाम बस rdquo कहन का मतलब यही िक

काला र म वह अपना काम कर लगा

उ ारणवाद का सार इस तरह हण करन क बाद मनन िनिद ासन और आचरण की

मिहमा इसस ख त नही होती उलट वह और भी अिधक कािशत हो उठती ह और वही

कािशत हो उसी उ स बाप न मौ खक राम‐नाम का ख न और म न भी िकया ह

राम‐नाम की गाड़ी

साराश भ ‐माग क तीन खतर हmdashसकामता मढ़ िव ास और मौ खकता इ

टालना ब त ज री ह इन ि दोषो स भ क सगम माग म काट िबछ‐जात ह इसिलए राम‐

नाम की मिहमा गात ए इस प क म सव सतकता बरतन की भाषा इ माल की गयी ह

ान और कमयोग इन दो पट रयो पर राम‐नाम की गाड़ी चल रही ह उसम जहाज का िवहार

नही ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 38: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

५ नाम‐साफ

व ािनको की आका ा

लिकन एक जगह इतनी ऊची उड़ान ह िक उस साधारण वाययान‐िवहार नही कहा जा

सकता उस वाययान ारा मगल आिद हो पर जान की उपमा दनी पड़गी व ािनको की भी

एक आका ा यह ह िक अगर िकसी भी तरह प ी क आकषण स बाहर जा सक तो हम लोग

मगल पर प च सकग उनकी यह आका ा इस प क म एक जगह सफल ई ह िच न

प ी क आकषण स पार हो गया ह और राम‐नाम का जप करत‐करत राम‐नाम ही उड़ गया

ह बाप िलखत ह

ldquoम अपन जीवन म ऐस समय की अव आशा करता िक जब राम‐नाम का

जप भी ितब क मालम पड़गा जब म यह समझगा िक राम वाणी स भी पर ह तब

मझ नाम का जप करन की ज रत नही पड़गीldquo

श स पर

lsquoिव ‐सह ‐नाम म यही िवचार दो श ो म सिचत िकया ह lsquoसह ‐नाम कोई

िवचार‐चचा करनवाला तो नही ह एक क पीछ एक भगवान क नाम दता जाता ह उनम

दो नाम य िदय ह

श ाितग श सह

ldquoभगवान श स पर ह लिकन श को सहन कर लता हldquo उसको हमार श ो की

ज रत भी या ह और श ो स उसका वणन हो भी या सकता ह हम अपन मन स उसकी

ित करन जात ह लिकन वा व म उसस उसकी िन दा ही होती ह तो या चप रहना ही

ठीक नही

बाप उ र दत ह

ldquoहो सकता ह लिकन बनावटी चप स कोई फायदा नही जीत‐जागत मौन क िलए

तो बड़ी भारी साधना की ज रत हldquo

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

  • Cover Page13
  • राम‐नाम एक चिनतन13
    • परसतावना13
    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
    • Back-cover13
Page 39: राम‐नाम :एक िचन · िक आप उसे िकस नाम से पुकारते ह s। तब आप िकसी इान या इानो

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क र कितवाद

लिकन इसका अथ भी ठीक स समझ लना चािहए साधारण तौर पर इसका अथ हम

समझत हmdashिनर र स ित कितवादी हमशा कहत ह िक िवचार क मतािबक अगर हम कित

करत ह तो बोलन की कोई आव कता नही रहती बाप न भी कई बार इस तरह कहा ह

लिकन इस जगह उनका भाव दसरा ह वह या ह यह दखन क पहल हम कितवाद को ही

अपन मन म अिधक कर ल

कितवाद कहता ह ाथना नाम‐ रण पजा‐पाठ आिद की व तः कोई ज रत नही

ह हम चौबीस घ स म म रत रह तो बस ह उतना नही कर सकत तो उसकी पित म

ाथना आिद कर लत ह क रय लिकन उसस ब त लाभ की अप ा मत र खयगा उसम ब त

दफा तो समय बकार जायगा ढोग भी होगा िच का का िनक समाधान होन स आचरण क

दोषो को सह लन की वि िनमाण होगी शायद िन यता भी बढ़गी बहतर तो यही ह िक

कम म ही रत रह कम‐शिच का माग भी कम ही बतायगा कम पर अन िन ा रखन क

बजाय कछ िन ा कम पर कछ िन ा ाथना पर इस तरह का ि धा‐भाव रखना अ ा नही ह

त हर हालत म तकलीफ दता ह इसिलए िन य करो कमिभ िनः यसमmdashकम ही

मो दायक ह

जसा ऊपर हम एक उ ारणवाद दख गय वसा ही यह कितवाद ह वादी हमशा क र

होत ह वस ही यह भी क र ह

ऊची उड़ान

बाप जहा राम‐नाम स भी म होन की बात करत ह वहा व कितवाद नही सोच रह ह

ब उनक िवचार की उड़ान ब त ही ऊची ह िजसकी क ना कितवाद को अस होगी

बाप का भाव उ ीक श ो म दख लीिजय

ldquoएक स ा िवचार सारी दिनया पर छा सकता ह उस भािवत कर सकता ह

वह कभी बकार नही जाता िवचार को बोल या काम का जामा पहनान की कोिशश ही

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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

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    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
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उसकी ताकत को सीिमत कर दती ह ऐसा कौन ह जो अपन िवचार को श या काय

म परी तरह कट करन म कामयाब आ हो rdquo

आग कहत ह

ldquoआप यह पछ सकत ह िक अगर ऐसा ह तो िफर आदमी हमशा क िलए मौन ही

ो न ल ल उसलन तो यह ममिकन ह लिकन िजन शत क मतािबक मौन िवचार परी

तरह ि या की जगह ल सकत ह उन शत को परा करना ब त म ल ह म खद

अपन िवचारो पर इस तरह का परा‐परा काब पा लन का कोई दावा नही कर सकता

लिकन मर िदल म तो इसकी एक त ीर खच गयी हldquo

त ीर स ास की

इसम जहा श का िनषध िकया ह वहा कित का भी िनषध िकया ह अ र तो हम

कहत ह और बाप न भी कई दफा कहा ह िक िवचार को हम कित म उतारना चािहए कितश

िवचार कोई ताकत नही रखता लिकन यहा तो उसस िबलकल उलटी बात कह दी ह

ldquoिवचार को काम का जामा पहनान की कोिशश ही उसकी ताकत को सीिमत कर

दती हrdquo

यहा हम स ास क करीब प च चक ह

स ास का नाम लत ही लोग मझ पर हो जायग यह म जानता लिकन कमयोगी

गाधी क िदल म जो त ीर खच गयी ह वह स ास की ह इसक िलए मरा कोई इलाज नही

ह शकराचाय की वही हालत थी व भी आमरण कमयोगी रह लिकन स ास की रटन रटत

रह

ि यातीत श

स ास कहन स हमार मन म दबल िन यता का ही खयाल आता ह लिकन

ि यातीत एक श होती ह िजसका मकाबला ती तम ि या भी नही कर सकती वही

ानमय‐स ास की श ह जस एक अिहसा दबल होती ह और एक बलवान जो बलवान

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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

राम-नाम एक िच तन | wwwmkgandhiorg

‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

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    • मरा राम कौन
    • अनकरम13
    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
    • ३ राम‐नाम का उपचार
    • ४ तरिविध चिनता13
    • ५ नाम-साफलय13
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की अिहसा होती ह उसम िहसा स शतगिणत श भरी रहती ह वसी ही स ास की बात ह

जहा स ास की परम भिमका आती ह वहा कोई भी ि या सा क भी िहसा म शमार होती

ह चाह यह अव था दह म ा न हो सक तो भी िनिद ासन उसीका होना चािहए मानव

का ज उसी ल क िलए ह मानव‐आकित भी हम यही बोध दती ह पाव तो उसका जमीन

पर रह लिकन म क आसमान म रहना चािहए एक हद तक ि या िवचार की मददगार होती

ह उसक बाद उसको वह बाधक हो जाती ह गीता न यह ब त अ ी तरह समझाया ह कम

म अकम और अकम म कम यह ह गीता‐स आ दश ानी कम करत ए नही करत और

न करत ए भी कर लत ह इस चीज का िजसन अनभव िकया उसन सब ान पा िलया सब

योग साध िलया सब काम कर िलया

स ब मान मन ष स य क ‐कम‐कत

कतक ता

शकराचाय क स ास‐िववरण पर कोई कितवादी गरज उठ ldquoइसम तो कत ता‐हािन

होती हldquo तब उसी श को मा करक व जवाब दत ह

अलकारो िह अय अ ाकम यत ा ावगतौ स ा सवकत ताहािन

कतक ता चित

ldquoहम अपना यह अलकार (भषण) ही समझत ह िक आ ‐दशन होन पर सव‐

कत ताहािन होती ह और मन कतक हो जाता हldquo

यही राम‐नाम का साफ ह और यही उसकी समा होती ह

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‐ ातकाल उठत ही राम‐नाम लना और कहना िक मझ िनिवकार

कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

‐ गाधीजी

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    • २ तरिविध मकतिया13
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    • ४ तरिविध चिनता13
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कर मन को अव ही िनिवकार करता ह

‐ ग ा आय तब चप हो जाय और राम‐नाम लकर उस िनकाल

‐ जब मन अपन को रज‐कण स भी छोटा मानता ह तब ई र

उसकी मदद करता ह ‐ िनबल को ही राम बल दता ह

‐ मरा िचिक क राम ह और राम‐नाम एकमा औषिध ह

‐ िसफ राम‐नाम रटन स कोई ताकत नही िमलती ताकत पान क

िलए ज री यह ह िक सोच‐समझकर नाम जपा जाय

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    • मरा राम कौन
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    • १ अनतरग-परवश13
    • २ तरिविध मकतिया13
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