complete book · 2017-05-04 · झारखण्ड इतिहास ... वााुं...
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www.Jhssc.in झारखण्ड इतिहास झारखण्ड शब्द का सर्वप्रथम उले्लख 13र्ी ीं शिाब्दी में
एिरेय ब्राह्मण में तकया गया |
झारखण्ड का तर्तिन्न नाम तर्तिन्न स्त्रोि और पुस्तकोीं से
एिरेय ब्राह्मण - पुणडू
तर्षु्ण पुराण - मुुंड
र्ायु पुराण - मुरुंड
िगर्ि पुराण - कुकु्कट प्रदेश
महािारि - पशु भूमम एवुं पुुंडररक देश
पूर्व मध्यकालीन - कमिन्द देश
सातहत्य
ऋगे्वद - कीकट प्रदेश
अथर्वरे्द - व्रात्य
टोलमी - मुुंडि
फाहयान - कुकूट-िाड
हर्ेंसाींग- की-िो-ना-सु-फा-िा-ना
मुग़ल काल - खुखरा /कुकरा
अबुल फज़ल छोटानागपुर को झारखण्ड काा ाााा ाा
( अकबरनामा ) -
िुजुक-ए-जहाींगीर - खोखरा
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आईने अकबरी - कोकरा ााा खुंकारा
मतथर-उन -उम्र - कोकरा
समुद्रगुप्त - मुरुं ड
जे एच हेतर्ट- चुमटया नागपुर
प्राचीनकाल में सींथाल परगना का नाम - नरीखुंड ााा काुंकाोि
झारखण्ड से तमले महत्वपूणव अर्शेष
ााारीबाग मािे के इसको नामक स्ाान से आमद मानव
द्वारा मनममिा मचत्र ममिे ाे |
इस्को में िूल-िूलैया ाैसी आकृमा ाे |
िोारदगा मािे से काींसे का प्याला प्राप्त हुआ ाे |
पाुंडू से चार पाये र्ाली पत्थर की चौकी ममिी ाे , ाो पटना सुंग्राािय में ाे |
राुंची के मनकट तपठौररया पहाड़ पर एक गुप्तकाि का कुआुं ममिा ाे |
चारा मािे में पत्थर पर एक पदमचन्ह ाे मासे ाैनी पाशवर्नाथ
का चरण मचन्ह मानाे ाे |
झारखण्ड में नागर्ींशी राजा
नागवुंशी राज्य की स्ाापना रााा फणीमुकुट राय ने प्रथम शिाब्दी में की ाी |
उनके राज्य में 66 परगने ाे और उन्होुंने ने अपनी रााधानी सुतियामे्ब को बनायी |
अन्य नागर्ींशी राजा और उनकी राजधानी
प्रिाप राय - चुमटया
िीम कणव - खुखरा
एनी शाह - सारुंाी
दुजवन शाह - डोइसा www.Jhssc.in
तशर्नाथ शाह- पािकोट
जगन्नाथ शाहदेर्- रााूगढ़
राुंची का प्रमसद्ध जगन्नाथ मींतदर 1691 में एनी शाह के शासन काि में बना |
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नागवुंशी रााा दुजवनशाल को ग्वामियर में मगरफ्तार कर
वााुं के मकिे में 12 वर्षो ाक बुंद रखा गया |
मुग़ि शासक ााााँगीर ने दुािन शाा को “शाा” की उपामध प्रदान की ाी |
औरींगजेब के शासन काल में नागर्ींशी राजा रघुनाथ शाह था
चेरो र्ींश
पिामू की चेरो वुंश की स्ाापना भगवा राय ने की ाी |
औरुंगाेब के शासन कि में चेरो रााा मेमदनी राय ाा
मेदनी राय को 1528 ई में चींदेरी के युद्ध में ाार का सामना करना पड़ा ाा |
मेमदनी राय के शासन काि को चेरो शासन का स्वणव युग माना ाााा ाे |
मेमदनी राय को न्यासी राजा भी काा ाााा ाा |
रामगढ़ राज्य
रामगढ राज्य की स्ाापना 1368 ई. में भगदेव मसुंा ने की ाी |
खड़गमड़ाा राज्य की स्ाापना हींसराज देव ने की ाी |
सरायकेिा राज्य की स्ाापना 1620 में तर्क्रम तसींह ने की ाी |
झारखण्ड से बोद्ध एर्ीं जैतनयो ीं का सम्बन्ध
झारखण्ड के पारसनाथ स्थल को जैन धमव का मक्का काा ाााा ाै,
या पविा तगररडीह तजले में अवस्स्ाा ाे |
ऐसा काा ाााा ाे की ाैन धमि के 24 में से 20 ाीािकरोुं ने
पारसनाा पविा पर मनवािण प्राप्त मकया |
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पाल काल
इटखोरी स्स्ाा मााँ िद्रकाली की मूमाि का मनमािण सुंभवा: पाल काल में हुआ ाा |
इस स्ाान से पाि शासक महेंद्र पाल के मशिािेख ममिे ाे |
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http://imojo.in/9s61pc झारखण्ड मुग़ल काल में
मुग़ि काि में झारखण्ड में सबसे अमधक अकबर के रााप्रमामनमधयोुं ने राा मकया |
सन 1585 में अकबर ने झारखण्ड को अपना करदााा प्रदेश बनाया |
सन 1585 में ाी शााबाज़ खान के नेाृत्व में युद्ध ाेाु नागवुंशी शासक मधुकर शाा के
मवरद्ध सेना भेाी |
सन 1589 में अकबर के ानप्रमामनमध रााा मानतसींह को मबाार-झारखण्ड का सूबेदार
मनयुक्त मकया गया |
सन 1592 में मानमसुंा ने राजमहल को मबाार एवुं बुंगाि की रााधानी बनाया |
जनजातिय तर्द्रोह
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धाल तर्द्रोह ( 1767-1777)
स्थान - धािभूम
नेिृत्वकिाव - ागन्नाा धाि
पररणाम - ागन्नाा धाि को पुन: 1777 में धािभूम का रााा बनाया गया |
चुआड़ तर्द्रोह (1769-1798)
स्थान - वीरभूम
नेिृत्वकिाव - दुािन मसुंा (1798)
पररणाम - अुंगे्राो को चुआड़ो की भूमम उन्हें िौटानी पड़ी |
नोट: जींगल महाल के िूतमजो ीं को चुआड़ कहा जािा था |
पहातड़या तर्द्रोह (1772-1782)
नेिृत्वकिाव - रमण आा्ड़ी
महेशपुर की रानी सवेश्वरी ने भी इस मवद्रोा में सायोग की |
पररणाम - इस मवद्रोा को कुचिने के मिए अुंगे्राो ने 1824 में दातमन-ए-कोह िागू कर मदया |
नोट :दाममने-ए-कोा का मािब सींथाल परगना के पुरे के्षत्र को सरकारी सम्पमा
के रूप में घोर्षणा करना ाा |
िमाड़ तर्द्रोह(1782-1807)
नेिृत्वकिाव
1782- ठाकुर भोिानाा मसुंा
1789- मवषु्ण मानकी एवुं मौाी मानकी
1797- मवषु्ण मानकी
1807-दुखन मानकी
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पररणाम - अुंगे्राो ने छोटानागपुर में शाुंमा की स्ाापना ाेाु 1809 में जमी ींदारी पुतलस बल
का गठन मकया |
तिलका आन्दोलन (1783-1785)
नेिृत्वकिाव- मािका माुंझी
मािका माुंझी द्वारा ग़ाव में मवद्रोा का सने्दश सखुआ (साल )
पत्ता के माध्यम से भेाा ाााा ाा |
मवद्रोा का कें द्र िागलपुर ाा |
मािका मवद्रोा का स्वरप गुररल्ला युद्ध ाा |
सन 1875 में भागिपुर से मािका माुंझी को धोके से पकड़ा गया और
इसी वर्षि बरगद के पेड़ पर िटकाकर फााँसी दे दी गई |
मािका माुंझी को पकड़वाने में जाड़राह पहातड़या सरदार ने मात्वपूणि भूममका मनभाई ाी |
भागिपुर के मास स्ाि पर मािका माुंझी को फाुंसी दी गयी ाी वा स्ाि आा बाबा तिलका
माींझी चौक के नाम से ााना ाााा ाे |
1991 में मािका माुंझी के नाम पर िागलपुर तबश्वतर्ध्यालय का नाम रखा गया |
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चेरो तर्द्रोह (1800-1802)
नेिृत्वकिाव - भूखन मसुंा
हो तर्द्रोह (1820-1821)
स्थान - मसुंाभूम के्षत्र
कारण - रााा ागन्नाा मसुंा द्वारा शोर्षण और उसका अुंगे्राो का मपछ्ल्ग्गुपन |
कोल तर्द्रोह (1831-1832) - हो जनजाति
स्थान- कोचाई गााँव ( सोनपुर परगना ) ााा कुमाुंग गााँव ( ामाड़ )
नेिृत्वकिाव - सुरगा मुुंडा
नेिृत्वकिाव ( 1832)- बुधु भगा
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पररणाम - 1833 ई में एक नए प्राुंा दतिण - पच्छिम सीमाींि एजेंसी का गठन हुआ
िूमजी तर्द्रोह ( 1832)
नेिृत्वकिाव - गुंगा नारायण मसुंा
स्थान- मसुंाभूम , मानभूम
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http://imojo.in/9s61pc सींथाल तर्द्रोह (1855)/हूल
नेिृत्वकिाव - मसद्धू -कान्हू
चााँद एवुं भैरव (भाई ), झानोुं एवुं फूिो ( बान )
स्थान - भगनाडीा ( सुंााि परगना )
तर्द्रोह का आगाज़ - 30 जून 1855 िगनाडीह से ााााँ एकसाा 10 हज़ार सुंााि समूा
एकमत्रा हुए ाे
पररणाम - 1855 में सींथाल परगना नामक एक नये मािे का गठन मकया गया |
1856 में पुतलस रूल ( यूल रूल ) की वयवस्ाा हुई |
1872 में सींथाल परगना बींदोबस्त तनयम िागू हुआ |
नोट: 30 जून को हर र्षव हूल तदर्स के रूप में मनाया जािा हे |
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सींथाल तर्द्रोह से जुड़े कुछ महत्वपूणव बािें |
अपना देश अपना राज का नारा सुंााि मवद्रोा के दौरान मदया गया
जमी ींदार , महाजन , पुतलस और सरकारी कमवचारी का नाश सुंााि मवद्रोा का
मुख्या नारा ाा
1855 में सुंाािो ने अुंगे्राी कमाुंडर मेजर बारो को ाराया |
अुंगे्राो ने सुंााि मवद्रोा से बचने के मिए पाकुड़ में मातटवलो टार्र का मनमािण
करवाया |
कालव मार्क्व ने सुंााि मवद्रोा को िारि की प्रथम जनक्राींति की सुंज्ञा दी |
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http://imojo.in/9s61pc सफ़ाहोड़ आन्दोलन (1870)
नेिृत्वकिाव - िािा ाेम्ब्रम उर्ि िािा बाबा
खरर्ार आन्दोलन (1874)
नेिृत्वकिाव -भागीरा माुंझी /बाबा
स्थान - सुंााि परगना
तबरसा मुींडा उलगुलान तर्द्रोह /मुींडा तर्द्रोह ( 1895)
नेिृत्वकिाव - मबरसा मुुंडा
तर्द्रोह का कारण - राास्व दर ऊाँ चा ाोना , ईसाई ममशनररयोुं की दोर्षपूणि मनमा ,
ज़मी ुंदारो व साूकारोुं की शोर्षक मनमा |
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मबरसा मुुंडा के गुर का नाम आनींद पाणे्डय ाा
मबरसा मुुंडा के सेना के सेनापमा का नाम गया मुींडा ाा
मबरसा मुुंडा को प्राम बार 24 अगस्त 1895 को मिटीश पुमिस अमधकारी मयेसि ने मगरफ्तार
मकया
मबरसा मुुंडा को पािी बार ाेि से मुक्त 30 नर्म्बर 1897 को मिटेन की माारानी
तर्क्टोररया की ारीक ायुंाी मानाने के अवसर पर मकया गया ाा |
'कटो ींग बाबा कटो ींग' मुुंडा मवद्रोा के गीा ाे |
मबरसा मुुंडा को आम ानाामायााँ धरिी आबा एर्ीं िगर्ान् कााी ाै
मबरसा मुुंडा की मृतु्य 9 जून 1800 को राुंची के ाेि में ाैाा मबमारी के कारण से हुई ाी |
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पररणाम - 1902 में गुमला एवुं 1903 में खूींटी को अनुमुंडि बनाया गया |
11 नर्म्बर 1908 ई में छोटानागपुर काश्तकारी अतधतनयम िागू मकया गया |
टाना िगि आन्दोलन ( अपै्रल 1914)
नेिृत्वकिाव - ाारा भगा
स्थान - सविप्राम नवाटोिी ( गुमिा ) उसके बाद राुंची एवुं िोारदगा |
माींडर िेत्र में नेिृत्वकिाव - मशबू भगा
घाघरा िेत्र - बिराम भगा
तर्शुनपुर िेत्र - भीखू भगा
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1921 ई में महात्मा गााँधी के नागररक अवज्ञा आन्दोिन में टाना भगाो का नेिृिर् तशबू िगि ने
मकया |
पररणाम - 1948 में राींची तजला टाना िगि पुनवर्ास अतधतनयम पाररा हुआ
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http://imojo.in/9s61pc 1857 का तर्द्रोह और झारखण्ड की िागीदारी
झारखण्ड में 1857 के मवद्रोा का प्रारुंभ 12 ाून , 1857 को रोतहणी ( देर्घर ) से हुआ |
रामगढ और हजारीबाग में मवद्रोा का प्रारुंभ 30 जुलाई 1857 को हुआ |
1857 तर्द्रोह के नेिृत्वकिाव www.Jhssc.in
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हजारीबाग - सुरेन्द्र साानी और ागापाि मसुंा
पलामू - नीिाम्बर - पीााम्बर
तसींहिूम - अाुिन मसुंा
राींची - ठाकुर मबश्वनाा शाादेव , मटकैा उमराव मसुंा ,पाणे्डय गनपा राय ,शेख मभखारी
रामगढ - ामादार माधव मसुंा
डोरींडा - ायमुंगि पाणे्डय एवुं नामदर अिी खान
ायमुंगि पाणे्डय एवुं नामदर अिी खान को फाुंसी 4 अकू्टबर, 1857 को दी गयी |
ठाकुर मवश्वनाा शाादेव को फाुंसी 16 अपै्रल 1858 में दी गयी
ठाकुर मवश्वनाा शाादेव मुस्क्तवामानी दास्ता के सुंस्ाापक ाे |
पाणे्डय गनपा राय को फाुंसी 21 अपै्रल 1858 को हुई | मटकैा उमराव मसुंा एवुं शेख मभखारी को 8 जनर्री , 1858 को फाुंसी दी गयी ाी
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महात्मा गााँधी और झारखण्ड
माात्मा गाुंधी सविप्राम झारखण्ड में 4 जून , 1917 को श्याम कृष्ण सहाय के मनमुंत्रण पर
राुंची आये|
1917 के चुंपारण आन्दोिन के समय गााँधी ाी 21 तदनो ीं ाक झारखण्ड में राे |
काींगे्रस का 53र्ााँ रामगढ़ अतधरे्शन
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तदनाींक - 19 -20 माचि 1940
अध्यि - मौिाना अबुि किाम आज़ाद
सिा स्थल का नाम - माार नगर
मुख्य प्ररे्श द्वार का नाम - मबरसा मुुंडा द्वार
स्वागि सतमति के अध्यि- डॉ रााेंद्र प्रसाद
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