तत्त्वार्थसत्र छठा अध्याय · काय, वचन...

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www. JainKosh.org तवाथसू छठा अयाय PRESENTATION CREATED BY: ीमतत सारिका जैन ( छाबड़ )

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    तत्त्वार्थसूत्र छठा अध्याय

    PRESENTATION CREATED BY:श्रीमतत सारिका जैन (छाबड़ ा)

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    ७ तत्त्वावों का सामान्य स्वरूप ?

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    जीव अजीव

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    द्रव्य तत्त्वका अानाका अात्मा सव सोंबोंध हावना

    का अाना रुकना

    का एकदवश खििनाका सम्पूर्थ नाश

    - अास्रव- बन्ध- सोंवि

    - तनजथिा- मावक्ष

    कमावों

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    का बनव िहना

    उत्पत्तिवृद्धीपूर्थता

    शुभ-अशुभ भावावों

    शुद्ध भावावों की

    की उत्पत्तिभाव तत्त्व

    - अास्रव- बन्ध

    - सोंवि- तनजथिा- मावक्ष

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    द्रव्य हैों, गुर् हैों कक पयाथयवों हैों?

    ❀जीव अजीव तत्त्व - द्रव्य हैों❀भाव अास्त्रव, बोंध, सोंवि, तनजथिा, मावक्ष यव जीव द्रव्य की पयाथयवों हैों

    ❀द्रव्य अास्त्रव, बोंध, सोंवि, तनजथिा, मावक्ष यव अजीव द्रव्य की पयाथयवों हैों

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    ❀कायवाङ मनःकमथ यावगः॥१॥❀काय, वचन अाैि मन की किया यावग है।

    ❀स अास्रव:॥२॥❀वह अास्त्रव है ॥२॥

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    यावगभाव यावग

    कमथ-नावकमथ काव ग्रहर् किनव की जीव की

    शक्ति

    द्रव्य यावग

    अात्म प्रदवशावों मवों परिस्पन्दन

    उसमवों तनक्तमि मन, वचन काय की चवष्टा

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    यावगशिीि, वचन अाैि मन की किया किनव कव क्तियव उस किया कव अक्तभमिु

    जाव अात्मप्रदवशावों का परिस्पन्दन हैों वह यावग है

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    •काय की किया कव क्तियव जाव प्रयत्न हावता है उसव काय यावग कहतव हैोंकाय यावग

    •भाषा वगथर्ा सोंबोंधी पुद्गि स्कन्धावों का अविोंबन किकव जाव जीव प्रदवशावों का सोंकावच कवस्ताि हावता है वह वचन यावग हैवचन यावग

    • बाह्य पदार्ावों कव क्तचोंतन मवों प्रवृि हुए मन सव उत्पन्न जीव प्रदवशावों कव परिस्पोंद काव मनावयावग कहतव हैोंमन यावग

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    यावग गुर्

    स्वभाव पयाथय

    तनष्कम्प अवस्र्ा

    ससद्ध व १४ववोंगुर्स्र्ानवतीथ

    कवभाव पयाथय

    सकम्प अवस्र्ा १ िव सव १३ िवगुर्स्र्ानवतीथ

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    यावग (अात्मप्रदवशावों का परिस्पोंदन) ही अास्त्रव है

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    कािर्(तनक्तमि)

    द्रव्य यावग

    जैसव- नाव मवों जि अानव का छछद्र

    कायथ

    कमावों का अाना

    जैसव - जि का अाना

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    कमावों का अानाउपादान

    भाव यावग

    तनक्तमि

    मन, वचन, काय की चवष्टा

    कायथ

    द्रव्य यावग

    फि

    द्रव्यास्रव कमावों का अाना

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    तनक्तमि अपवक्षा यावग कव भवद

    मन यावग=४

    वचन यावग= ४

    काय यावग =७ कुि १५

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    यावग काव ही अास्त्रव का कािर् कावों कहा?क्तमथ्यात्वादद काव अास्त्रव का कािर् कावों

    नहीों कहा?

    यावग 1 सव 13 गुर्स्र्ान तक पाया जाता है जबकक क्तमथ्यात्वादद सभी

    मवों नहीों पाए जातव

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    क्तमथ्यात्वादद अास्रव कव कािर् कैसव नहीों?• १ गुर्स्र्ान तक ही पाया जाता है, उसकव अागव क्तमथ्यात्व कबना अास्रव कैसव घटित हावगा ?क्तमथ्यात्व

    • ४र्व गुर्स्र्ान तक ही पाई जाती हैअकवितत • ६ववों गुर्स्र्ान तक ही पाई जाती हैप्रमाद • १०वव गुर्स्र्ान तक ही पाई जाती हैकषाय • १िव सव १३वव गुर्स्र्ान तक सभी जीवावों कव पाया जाता हैयावग

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    शुभ: पुण्यस्याशभु: पापस्य॥३॥

    ❀शुभयावग पुण्य का अाैि अशुभयावग पाप का अास्रव है॥३॥

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    यावग कव तनक्तमि सव अास्रव मवों भवद

    पुण्यास्रव

    कािर्शुभयावग (शुभपरिर्ामावों कवतनक्तमि सव)

    पापास्रव

    कािर्अशुभयावग (अशुभ

    परिर्ामावों कव तनक्तमि सव)

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    शुभयावग- सम्यग्दशथनादद सव अनुिोंजजत यावग कवशुछद्ध का अोंग हावनव सव शुभ यावग है ।

    काय

    •जैसव- प्रार्ी िक्षा•पूजा•स्वाध्याय

    वचन

    •जैसव- सत्य कर्न

    •उपदवश•स्तुतत

    मन

    •जैसव- दसूिव काभिा सावचना

    •पोंच पिमवष्ठी का क्तचोंतन

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    अशुभयावग- क्तमथ्यादशथनादद सव अनुिोंजजत यावग सोंक्लव श का अोंग हावनव सव अशुभ यावग है ।

    काय

    •जैसव- प्रार्ी टहोंसा•चाविी•मैर्ुन

    वचन

    •जैसव- असत्य कर्न

    •किु वचन•असभ्य वचन

    मन

    •जैसव- मािनव काकवचाि

    •ईष्याथ

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    पुण्य बोंध शुभ यावग सव ही हावता है

    शुभ यावग सव मात्र पुण्य का ही बोंध हावता है; एवसा नहीों, बखकक पाप का भी बोंध

    हावता है |

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    सकषायाकषाययावः साम्पिाययकव याथपर्यावः।।४।।

    ❀कषाय सटहत अाैि कषायिटहत अात्मा कवयावग का िम सव साम्पिाययक अाैि ईयाथपर्

    कमथ कव अास्रवरूप है ॥।४॥

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    अास्रव कव रूप

    साम्पिाययक अास्रव

    कषाय सटहत

    ईयाथपर् अास्त्रव

    कषाय िटहत

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    •=कषाय; कषाय कव सार् हावनव वािा अास्रव •=सोंसाि; जाव कमथ सोंसाि का प्रयावजक हैसाम्पिाय

    •ईयाथ = यावग, पर् = द्वाि•जाव कमथ मात्र यावग सव ही अातव हैोंईयाथपर्

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    साम्पिाययक अास्रव ईयाथपर् अास्रवस्वामी सकषायी(कषाय सटहत) अकषायी(कषाय िटहत)हवतु क्तमथ्यात्व, अकवितत, प्रमाद, कषाय कव सार् यावग ससफथ यावग

    ककसका कािर् सोंसाि का कािर् स्स्र्तत िटहत अास्रव काकािर्ककतनव प्रकाि काबोंध हावता है

    प्रकृतत, प्रदवश, स्स्र्तत अाैि अनुभाग बोंध हावता है

    प्रकृतत अाैि प्रदवश बोंध हावता है

    गुर्स्र्ान पहिव सव १० ववों गुर्स्र्ान तक ११ ववों, १२ ववों, १३ ववों गुर्स्र्ान मवों

    जैसव- (कषायरूपी) तवि युि दीवाि पि (कमथरूपी) िज क्तचपक जाती हैकाविी दीवाि पि िज अाकि चिी जाती है

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    इखन्द्रय-कषायाव्रत-कियाः पञ्चचतुःपञ्च-पञ्चकवोंशतत-सोंखयाः पूवथस्य भवदाः।।५।।

    ❀पूवथ कव अर्ाथत साम्पिाययक अास्रव कव इखन्द्रय, कषाय, अव्रत अाैि किया रूप भवद हैों जाव िम सव ५, ४, ५, अाैि २५ हैों॥५॥

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    •अात्मा कव क्तिोंग काव इखन्द्रय कहतव हैोंइखन्द्रय•जाव अात्मा काव कसव अर्ाथत दःुि दवकषाय•चारित्र मावहनीय कमथ कव उदय सव व्रत धािर् नहीों किनाअव्रत • 25 कियायवोंकिया

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    साम्पिाययक अास्रव -३९ भवद

    इखन्द्रय

    ५५ इखन्द्रयावों कव कवषय मवों प्रवृत्ति का भाव

    कषाय

    ४जाव अात्मा काव कसव अर्ाथत दिु दव

    अव्रत

    ५दिु का कािर् बुिा

    कायथ

    किया

    २५क्तभन्न क्तभन्न भावावों सटहत प्रवृत्ति

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    इखन्द्रय

    स्पशथन िसना घ्रार्

    चकु्ष कर्थ

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    कषायिावध मान

    माया िावभ

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    अव्रत

    टहोंसा

    झूठ

    चाविी

    कुशीि

    परिग्रह

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    किया५ कवक्तभन्न किया

    ५ टहोंसा भाव की मुखयतारूप

    ५ इखन्द्रयावों कव भावग बढ़ ानव सोंबोंधी

    ५ धमाथचिर् मवों दावष कािक

    ५ धमथधािर् सव कवमिु किनव वािी

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    ५ कवक्तभन्न किया

    सम्यक्त्व

    क्तमथ्यात्व

    प्रयावग

    समादान

    ईयाथपर्

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    •चैत्य, गुरु, शास्त्र की पूजा स्तवन अादद सम्यक्त्व काव बढ़ ानव वािी कियाएों सम्यक्त्व

    • कुदवव अादद कव स्तवन अाददरूप क्तमथ्यात्व काव बढ़ ानव वािी कियाएों क्तमथ्यात्व

    •शिीिी अादद कव द्वािा गमन अागमन अादद प्रवृत्ति रूप कियाएोंप्रयावग

    •सोंयम धािर् किनव पि भी अकवितत की अावि झुकनासमादान•ईयाथअास्त्रव कव कािर्भतू जाव परिस्पन्दनात्मक किया है ईयाथपर्

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    ५ टहोंसा भाव की मुखयतारूप•िावध कव अाववश सव ह्रदय मवों दषु्टता रूप परिर्ाम हावनाप्रदावकषकी•दषु्ट भाव युि हावकि उद्यम किनाकाययकी • टहोंसा कव उपकिर् जजनसव कवकाि उत्पन्न हावतव हैों उनकाव ग्रहर् किनाअधधकिछर्की•दसूिावों काव दःुि उत्पन्न किनव वािी कियापरितापकी• स्व-पि कव अायु, इखन्द्रय,बि अाैि श्वासावच्छ व्ास प्रार्ावों का कवयावग किना प्रार्ाततपाततकी

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    ५ इखन्द्रयावों कव भावग बढ़ ानव सोंबोंधी•िाग कव वशीभतू प्रमादी जीव का िमर्ीय पदार्ावों कव सुन्दि रूपावों मवों अविावकन किनव का अक्तभप्राय हावना दशथन

    •छूनव यावग्य पदार्थ कव स्पशथ किनव मवों िागी जीव की जाव छुतव िहनव की बुछद्ध हावनास्पशथन

    •प्राछर्यावों का घात किनव कव क्तियव नयव-नयव उपकिर्ावों काव उत्पन्न किनाप्रात्याययकी

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    •स्त्री पुरुष अाैि पशुअावों कव उठनव बैठनव कव स्र्ान पि मिावत्सगथ किनासमन्तानुपात

    •प्रमाजथन अाैि अविावकन नहीों कीगई भूक्तम पि शिीिादद का ििनाअनाभावग

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    ५ धमाथचिर् मवों दावष कािक

    •जाव किया दसूिावों द्वािा किनव की हाव उसव स्वयों कि िवनास्वहस्त•पाप मवों दसूिावों की प्रवृत्ति किानव कव क्तियव सम्मतत दवनातनसगथ•दसूिव नव जाव सावद्य ककया हाव उसव प्रकाशशत किनाकवदािर्

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    •चारित्र मावहनीय कव उदय सव अावश्यक अादद कव कवषय मवों शास्त्रावि अाज्ञा काव न पाि सकनव कव कािर् अन्यर्ा तनरूपर् किना

    अाज्ञाव्यपाददकी

    •धूतथता अाैि अािस्य कव कािर् शास्त्र मवों उपदवशी गई कवधध का अनादि अनाकाोंक्षा

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    ५ धमथधािर् सव कवमुि किनव वािी•छवदना,भवदना अादद किया मवों स्वयों तत्पि िहना अाैि दसूिव कव किनव पि हकषथत हावनाअािम्भ

    •परिग्रह कव नष्ट न हावनव दवनव कव क्तियव हाव प्रयत्न किनापारिग्रटहकी•ज्ञान दशथन अादद कव कवषय मवों छि किनामाया• क्तमथ्यादशथन कव साधनावों सव युि पुरुष की प्रशोंसा किना की ‘तु ठीक किता है’क्तमथ्यादशथन

    •सोंयम का घात किनव वािव कमथ कव उदय सव त्याग रूप परिर्ामावों का न हावनाअप्रत्याखयान

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    कािर् कायथपरिग्रह रूप अव्रत पारिग्रटहकीिावध प्रदावषमान अनम्रता, प्रात्यययकीमाया माया कियाप्रार्ाततपात (टहोंसा) प्रार्ाततपाततकी, अािोंभअसत्य, चाविी, कुशीि अाज्ञा-व्यापाददकाकुशीि दशथन, स्पशथनअव्रत अप्रत्याखयान

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    यावग ताव सभी अात्माअावों कव समान हावता है ताव

    उनका अास्त्रव भी समान हावगा?

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    कािर् कव भवद सव कायथ (अास्त्रव) मवों भवद हावता है

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    तीव्र-मन्द-ज्ञाताज्ञात-भावाधधकिर्-वीयथ-कवशवषवभ्यस्तटद्वशवषः।।६।।

    ❀तीव्रभाव, मन्दभाव, ज्ञातभाव, अज्ञातभाव, अधधकिर् अाैि वीयथ कव कवशवष सव उसकी (अास्त्रव की) कवशवषता हावती है |

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    अास्रव मवों हीनता-अधधकता कव कािर्•तीव्र कषायरूप भावतीव्रभाव•मोंद कषायरूप भावमोंदभाव•बुछद्धपवूथक जानकिज्ञातभाव•प्रमाद अज्ञान सटहतअज्ञातभाव•अाधािअधधकिर्•स्वबिवीयथ

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    वीयथ अात्मा का ही परिर्ाम हावनव पि अिग सव कावों क्तिया?

    शक्ति कवशवष सव टहोंसादद मवों कवशवषता अाती है यह बतानव कव क्तियव वीयथ काव

    अिग सव क्तिया

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    ➢Reference : तत्त्वार्थसूत्रजी , सवाथर्थससछद्धजी, तत्त्वार्थमञ्जूषाजी

    ➢Presentation created by : Smt. Sarika Vikas Chhabra

    ➢For updates / comments / feedback / suggestions, please contact

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    Presentation Created By- श्रीमति सारिकाछाबड़ा

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